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शादी के बाद से नज़मा भाभी की चुदाई Sex Stories बहुत ही कम हुई थी। जवान तन लण्ड का प्यासा था। मुझे रोज चुदते देख कर उसका मन भी मचल उठा। वो रोज छुप छुप कर अब्दुल से मेरी चुदाई देखा करती थी। जब वो गाण्ड मारता था तो भाभी का दिल हलक में अटक जाता था। भैया को बस धंधे से मतलब था। रात को दारू पीता और थकान के मारे जल्दी सो जाता था। सात दिन पहले वो मुम्बई चला गया था।
नज़मा भाभी आज तो ठान रखी थी कि मुझसे बात करके कुछ काम तो फ़िट कर ही लेगी।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा,”बानो छत पर चल, एक जरूरी काम है !”
“यहीं बोल दे ना … !”
“अब तू भी गाण्ड फ़ुला कर नखरे दिखा ! … कहा ना जरूरी काम है !”
“चूतिया टाईप बातें मत कर … गाण्ड जैसा अपना मुँह खोल … बोल क्या बात है !”
“साली हारामजादी … मां चुदा ! … नहीं बताती … !”
“हाय मेरी भाभी जान … चल फिर … लगता है जरूर कोई बात है !”
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और लगभग खींचती हुई छत की ओर छलांगें मारती हुई सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। छ्त पर पहुंचते ही वो हांफ़ने लगी। उसकी छातियाँ ऊपर नीचे होने लगी।
“सुन … एक बात कहूँ … बुरा तो नहीं मानेगी ना … ” उसने बड़ी मुश्किल से उखड़ती आवाज में कहा।
“बोल ना … दिल में इतनी बेचैनी … क्या बात है … किसी ने चोद मारा है क्या … ?”
“बात ही कुछ ऐसी है … देख नाराज मत होना … !”
मैंने उसे हैरानी से देखा … “बोल ना … ऐसा क्या है?”
“बहुत दिन हो गये, तेरे भाई जान तो यहाँ है नहीं … !” वो अटकते हुए बोली।
“हाँ तो … आ जायेंगे ना …! “
“वो तेरा दोस्त है ना, अब्दुल … उससे मेरी दोस्ती करवा दे !” भाभी ने जमीन की ओर देखते हुये कहा।
“ओह हो … मेरी भाभी की चूत चुदासी हो गई है … चुदना है क्या?”
“बानो ! … प्लीज़ देख मजाक मत कर … मेरी हालत बहुत खराब हो रही है … देख, चूत में से पानी टपक रहा है !”
“अच्छा … पहले देखूँ तो कितनी बैचेन है भाभी की चूत … ” मैंने उसकी चूत दबा दी।
सच में रसीली हो चुकी थी।
तो भोसड़ी की ! रान्ड को चुदवाना है ? मैंने कहा।
“सच रे … ये तो बहुत ही चुदासी है … साली पहले क्युँ नहीं चुदवा लिया … कब चुदवाओगी … … कब बुलाऊँ उसे …??? “
“आज रात को ही चुदवा दे ना मुझे … “भाभी ने कातर नजरो से मुझे देखा। मुझे उस पर दया आ गई …
अब्दुल तो शाम को सात बजे ही घर पर आ गया था। शाम का धुंधलका बढ़ गया था। हम दोनों छत पर आ गये। दूसरी छतों पर लोग थे।
“बानो, भाभी आये उसके पहले कुछ हो जाये … ?” अब्दुल बोला।
मुझे डर सा लगा, पर तुरन्त आईडिया आ गया। दीवार की आड़ में मस्ती कर लेते हैं।
“अच्छा तो नीचे बैठ जा और मेरी चूत खोल ले … ऊपर तो कुछ दिखेगा नहीं”
मैं दीवार पर खड़ी हो गई ताकि कमर तक दीवार आ जाये … वो नीचे बैठ गया और मेरी सफ़ेद पेन्टी नीचे उतार दी। मेरी चूत उसके सामने थी। उसने नीचे कुर्सी की गद्दी लगा ली और वो दीवार से टिक कर आराम से बैठ गया, और मेरी चूत से खेलने लगा। कभी मेरी चूत को सहलाता, तो कभी मेरे दाने को छू लेता …
फिर दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ कर दबा देता और मेरे गाण्ड के छेद में अंगुली डाल देता। बड़ा मजा आ रहा था। उसका लण्ड खड़ा हो गया था। सो जिप खोल कर उसने लौड़ा बाहर निकाल लिया और मुठ मारने लगा। उसके हाथ कभी कभी मेरे टॉप के अन्दर भी घुस जाते थे। मुझे डर लगता कि कोई मादरचोद मुझे देख ना ले, सो उसका हाथ पकड़ कर वापस नीचे ले जाती।
“चूतिये … ऊपर मत कर … कोई देख लेगा तो … मेरी तो माँ चुद जायेगी !”
“बानो धीरे से नीचे बैठ जा … तब तो कोई नहीं देखेगा ना !” मैं उसकी तरकीब समझ नहीं पाई। मैने नीचे देखा और धीरे से बैठ गई और उसका लण्ड सीधा मेरी चूत में घुस गया। लण्ड चूत में घुसते ही मुझे उसकी बात पल्ले पड़ गई और हंस दी।
“भोसड़ी के … मुझे चोदेगा क्या … ? भाभी को आने दे ना … !” मैंने उसका लौड़ा बाहर निकाल दिया।
तभी छत के कमरे में से मुझे खिड़की से झांकती हुई भाभी नजर आ गई। वो वहाँ खड़ी खड़ी अपनी चूंचियाँ मसल रही थी। जाने वो कब से खड़ी हो कर हमें देख रही थी। उसने मेरे देखते ही इशारा किया। मैंने अब्दुल को दूर हटा दिया।
“सुन रे गाण्डू, कपड़े पहन ले … भाभी आने वाली है !” मैंने अब्दुल को लताड़ा।
अब्दुल ने कपड़े पहन लिये और खड़ा हो गया। मैंने भी अपने कपड़े सही कर लिए। सब कुछ सही देख कर भाभी कमरे में से बाहर छत पर आ गई।
भाभी जान के आते ही अब्दुल जैसे तैयार हो गया। मैने भाभी को इशारा किया कि क्या शुरु करें कार्यक्रम?
वो तो जैसे पहले ही गरम हो चुकी थी। उसका हाथ तो चूत पर ही था और उसे दबा रखा था … मानो पेटीकोट दबा रखा हो।
“अब्दुल, यह है नजमा भाभी … तुम्हें याद कर रही थी !”
“सलाम, भाभी जान … आप तो बड़ी खूबसूरत हैं !”
प्रत्युत्तर में भाभी मुस्कराई और बोली,”मुझे तो बानो ने बताया कि आप तो कमाल के हैं !”
“यह भोसड़ी का तो बस … चुदाई में कमाल दिखाता है … ” मैंने उन दोनों को खोलने की कोशिश की।
“चल हट री भेन की लौड़ी … वो तो सभी मर्द होते हैं !” भाभी ने खुलना ही मुनासिब समझा।
“भाभी जान … आपकी बात तो अलग लग रही है … आपके पोन्द तो कैसे मस्त हैं !” अब्दुल ने पास आते हुए कहा।
“हाय अल्लाह … आप तो पोंद पर ही आ गए … मैंने तो आपके बारे में अभी कुछ नहीं कहा ?”
अब्दुल ने सीधा आक्रमण कर दिया। भाभी के उभरे हुए मस्त पोंद दबा दिये।
“भाभी इसे यानि पोंद मरवा कर देखो … ” गाण्ड में अब्दुल ने अंगुली करते हुये कहा।
“आईईई … बानो … मेरी पोंद दबा दी इसने … !”
“अब्दुल चूंचे भी दबा दे … जल्दी कर … ” मैंने अब्दुल को इशारा किया।
अब्दुल ने उसके पीछे आ कर दोनों चूंचिया दबा दी। भाभी के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी।
“अरे हट छोड़ मुझे, किसी ने देख लिया तो रट्टा हो जायेगा !” भाभी ने यहां वहां देखा और घबरा कर कहा … “चल वहीं बैठ जा, जहां तू बानो की चूस रहा था।”
अब्दुल तुरन्त वहीं जा कर बैठ गया और भाभी जान अब्दुल के पास गई और अपना पेटीकोट उठाया और उस पर डाल दिया।
“बानो, शुक्रिया मेरी जान … अब तो अब्दुल से मैं चुदा लूंगी … चल रे अब्दुल … शुरू हो जा … ” भाभी ने मुस्करा कर मुझे देखा और आंख मार दी और भाभी के मुख से आह निकल पड़ी। मैं समझ गई कि अब्दुल ने कुछ अन्दर किया है।
“हाय अब्बा … डाल दे अंगुली … पूरी घुसेड़ दे रे … “
भाभी ने मुझे पकड़ लिया। मैं भाभी की चूंचियाँ दबाने लगी। उसने मुझे वासना भरी नजर से देखा और सिसकारी भरने लगी। ” बानो, यह तो मस्त लड़का है रे … चूत का पानी ही निकाल देगा !”
“भाभी जान … मस्त हो जा … अब तेरे पेटीकोट में क्या हो रहा है मैं क्या जानू रे … “
“हाँ बानो … ये अन्दर की बात है … साला गजब चूत चूसता है … हाय मुझे मूत आ रहा है !” नजमा भाभी मचलती हुई बोली।
“मूत दे भाभी … मैं चूत खोलता हूँ … “अब्दुल पेटीकोट के अन्दर से बोला।
“हाय मेरी अम्मा … ” भाभी ने जरा सा जोर लगाया और मूतना चालू कर दिया। अब्दुल अन्दर ही अन्दर उसके पेशाब का आनन्द लेने लगा। अपना मुँह गीला कर लिया और अपना मुँह खोल कर पेशाब भर लिया।
“और निकाल मूत … भाभी … क्या स्वाद है … ” उसने चूत में अपना मुँह घुसा कर चाटने लगा।
“बैठ जा भाभी जान … आजा … ” भाभी धीरे से उकडू बैठ गई और मुख से एक आनन्द भरी सीत्कार निकल गई … “हाय रे … लण्ड घुस गया चूत में … ” अब्दुल ने लण्ड घुसते ही पेटीकोट अपने ऊपर से हटा लिया और भाभी को जकड़ लिया। अब्दुल का लण्ड चूत में पूरा घुस गया था। मैंने तुरन्त वहा फ़ैला हुआ पेशाब साफ़ किया और दौड़ कर दरी ले आई और भाभी के पीछे लगा दी। अब्दुल ने भाभी को कसे हुए दरी पर लेटा दिया और लण्ड को चूत में फिर से घुसेड़ दिया।
“हाय अब्दुल … तेरा लौड़ा कितना प्यारा है … पूरा ही अन्दर तक उतर गया … अह्ह्ह्ह”
अब्दुल अब ठीक से सेट हो कर उस पर लेट गया और चोदने का आनन्द लेने लगा। मैंने भी भाभी की गाण्ड में अपनी अंगुली डाल दी।
“बानो … मजा आ गया … एक अंगुली और डाल दे …! “
मैंने भाभी की गाण्ड में दो अंगुलियां डाल दी और घुमाने लगी। मुझे एक शरारत और सूझी, अब्दुल की गाण्ड में भी दूसरे हाथ की अंगुली डाल दी।
“बानो, तू साली चुपचाप नहीं बैठ सकती है ना … साला युसुफ़ गाण्ड चोद जाता है वो कम है क्या ?”
“क्या, युसुफ़ भी तुम्हारा दोस्त है … ?”
“हां भाभी, और फ़िरोज भी है … ” मैने फ़िरोज का नाम और जोड़ दिया
“हाय रे, बानो … मुझे भी अपनी टोली में मिला लो ना … ” भाभी चुदते हुये बोली।
“भाभी चलो, अब हम भी तीन और ये भी तीन … नसीम को भी बताना चाहिये !”
“नसीम भी … ।” भाभी तो इतने सारे चुदाई के साथी मिल जायेंगे यकीन भी नहीं हो रहा था। भाभी चुदवा कर मदमस्त हो रही थी। उसे लण्ड क्या मिला मानो दुनिया मिल गई हो। वो बहुत ही उत्तेजित हो कर आनन्द ले रही थी। मैंने गाण्ड में अंगुली पेलना चालू रखा, दोनों ही डबल मार से बहुत उत्तेजित हो गये थे … अब्दुल सटासट लण्ड चला रहा था। अब्दुल का लौड़ा कड़कने लगा था, उसका डण्डा लोहे जैसा हो गया था। दोनों की कमर एक तालमेल के साथ तेजी से चल रही थी। चूत गीली होने से फ़च फ़च की आवाजें भी सुनाई पड़ रही थी। उत्तेजित भाभी के जिस्म में ऐंठन होने लगी थी।
मैंने भाभी और अब्दुल की गाण्ड में से अंगुली निकाल दी और भाभी की चूंचियां और निपल मसलने लगी, भाभी के मुँह से एक गहरी आह निकली और उसकी चूत ने रस छोड़ दिया। इधर अब्दुल भी लण्ड का जोर लगा कर वीर्य छोड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भाभी को छोड़ कर अब्दुल के चूतड़ों को दबा कर मसलने लगी। … बस अब्दुल ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और पिचकारी छोड़ दी। मैंने तुरन्त उसका लौड़ा मुठ में भर लिया और उसे निचोड़ने लगी और मुठ मार मार कर बाकी का वीर्य बाहर निकालने लगी। भाभी नीचे पडी हांफ़ रही थी और अब अब्दुल भी ठण्डा पड़ रहा था।
“भोसड़ी के … अब ऊपर से तो हट जा भाभी के … ” मैने अब्दुल को पीछे खींचा।
अब्दुल खड़ा हो गया। भाभी भी उठ बैठी। भाभी ने पेटीकोट नीचे किया और मुझसे लिपट पड़ी।
“बानो, शुक्रिया इस शानदार चुदाई का … एक बात कहूँ ? प्लीज मना मत करना … !”
“हां बोलो … नज्जो भाभी …! “
“मुझे भी, अपने दोस्तों में शामिल कर लो … फ़िरोज, हाय कितना चिकना है … युसुफ़ का लौड़ा तो सोलिड है और अब्दुल तो कितना प्यारा है !”
“भाभी … फिर तो आप रोज चुदोगी, होशियार … भैया को भूल जाओगी …! ” मैंने भाभी को मजाक में कहा।
“हाय बानो … ये लो मैंने तो पेटीकोट अभी से ऊपर उठा दिया … चोदो … मुझे जी भर कर चोदो !”
हम तीनों ही हंस पड़े … और फिर सभी दोस्त बन गये । चुदाई सिलसिला शुरू हो गया … भला चढ़ती जवानी के जोश को कोई रोक सका है … । Sex Stories
जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने Antarvasna Sex Stories की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुये लगभग पांच साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ।
जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर … ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है …
पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है।
पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये कनाडा चले गये हैं … मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे दीपू को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे।
जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा … मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया … नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा …
क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना …
मेरे पति के कनाडा जाने के बाद रात को दीपू खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था।
गर्मी के दिन थे … मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी। पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। मुठ मार मार कर मैं लोट लगाती थी … फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।
आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी … मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई। हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा।
बरसात तेज होती गई … बादल गरजने लगे … बिजली तड़पने लगी … मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया। बदन जैसे आग में लिपट गया …
मैंने अपने स्तन भींच लिये … और सिसकियाँ भरने लगी। मैं भीगे बिस्तर पर लोट लगाने लगी। अपनी चूत बिस्तर पर रगड़ने लगी। इस बात से अनजान कि कोई मेरे पास खड़ा हुआ ये सब देख रहा है।
“रीता भाभी … बरसात तेज है … नीचे चलो !”
मेरे कान जैसे सुन्न थे, वो बार बार आवाज लगा रहा था।
जैसे ही मेरी तन्द्रा टूटी … मैं एकाएक घबरा गई।
“दीपू … तू कब आया ऊपर … ” मैंने नशे में कहा।
“राम कसम भाभी मैंने कुछ नहीं देखा … नीचे चलो” दीपू शरम से लाल हो रहा था।
“क्या नहीं देखा दीपू … चुपचाप खड़ा होकर देखता रहा और कहता है कुछ नहीं देखा” मेरी चोरी पकड़ी गई थी। उसके लण्ड का उठान पजामें में से साफ़ नजर आ रहा था। अपने आप ही जैसे वह मेरी चूत मांग रहा हो। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे दबोच लिया … कुछ ही पलों में वो मुझे चोद रहा था। अचानक मैं जैसे जाल में उलझती चली गई। मुझे जैसे किसी ने मछली की तरह से जाल में फ़ंसा लिया था, मैं तड़प उठी … तभी एक झटके में मेरी नींद खुल गई।
मेरा सुहाना सपना टूट गया था। मेरी मच्छरदानी पानी के कारण मेरे ऊपर गिरउ गई थी। दीपू उसे खींच कर एक तरफ़ कर रहा था। मेरा बदन वास्तव में आधा नंगा था। जिसे दीपू बड़े ही चाव से निहार रहा था।
“भाभी … पूरी भीग गई हो … नीचे चलो … ” उसकी ललचाई आंखे मेरे अर्धनग्न शरीर में गड़ी जा रही थी। मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार था। मैंने भीगे ब्लाऊज ठीक करने की कोशिश की … पर वो शरीर से जैसे चिपक गया था।
“दीपू जरा मदद कर … मेरा ब्लाऊज ठीक कर दे !”
दीपू मेरे पास बैठ गया और ब्लाऊज के बटन सामने से लगाने लगा … उसकी अंगुलियाँ मेरे गुदाज स्तनों को बार बार छू कर जैसे आग लगा रही थी। उसके पजामे में उसका खड़ा लण्ड जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा था।
“भाभी , बटन नहीं लग रहा है … “
“ओह … कोशिश तो कर ना … “
वह फिर मेरे ब्लाऊज के बहाने स्तनों को दबाने लगा … जाने कब उसने मेरे ब्लाऊज को पूरा ही खोल दिया और चूंचियां सहलाने लगा। मेरी आंखे फिर से नशे में बंद हो गई। मेरा जिस्म तड़प उठा। उसने धीरे से मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया। मैंने लण्ड को थाम लिया और मेरी मुठ्ठी कसने लगी।
बरसात की फ़ुहारें तेज होने लगी। दीपू सिसक उठा। मैंने उसके भीगे बदन को देखा और जैसे मैं उस काम देवता को देख कर पिघलने लगी। चूत ने रस की दो बूंदें बाहर निकाल दी। चूंचियां का मर्दन वो बड़े प्यार से कर रहा था। मेरे चुचूक भी दो अंगुलियों के बीच में सिसकी भर रहे थे। मेरी चूत का दाना फ़ूलने लगा था। अचानक उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया और दाने पर उसकी रगड़ लग गई।
मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था।
“रीता भाभी … आप का जिस्म कितना गरम है … ” उसकी सांसे तेज हो गई थी।
“दीपू … आह , तू कितना अच्छा है रे … ” उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।
“भाभी … मुझे कुछ करने दो … ” उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।
” कर ले, सब कर ले मेरे दीपू … कुछ क्यों … आजा मेरे ऊपर आ जा … हाय, मेरी जान निकाल दे … “
मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया … नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया … मेरा बदन उसके भार से दब गया … मैं सिसकियाँ भरने लगी। कैसा मधुर अनुभव था यह … तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव … मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे … तिस पर चूत का गरम पानी … बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी … एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा। वो दीपू का मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ … अन्दर घुस गया था।
मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई … चौड़ा गई … लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। दीपू लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा … मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी … जैसे हांफ़ रही थी। मेरी चूंचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा … मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी … सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी … दीपू को शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था। बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरी तन को और जहरीला बना रही थी।
दीपू मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन … और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप … गीली चूत … गीला लण्ड … मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे
शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे … मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा,”दीपू … नीचे आ जाओ … अब मुझे भी चोदने दो !”
“पर रीता भाभी, चुदोगी तो आप ही ना … ” दीपू वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला।
“अरे, चल ना, नीचे आ जा … ” मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया। मेरे लटकते हुये स्तन उसके हाथ में मसले जा रहे थे। दीपू की एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई।
मैं उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को धीरे धीरे ऊपर नीचे रगड़ कर चुदने लगी। बारिश की मोटी मोटी बूंदें मेरी पीठ पर गिर रही थी। मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास घुसा लिया और आंखें बन्द करके चुदाई का मजा लेने लगी। हम दोनों जोर जोर से एक दूसरे की चूत और लण्ड घिस रहे थे … मेरे आनन्द की सीमा टूटती जा रही थी। मेरा शरीर वासना भरी कसक से लहरा उठा था। मुझे लग रहा था कि मेरी रसीली चूत अब लपलपाने लगी थी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी। फिर भी हम दोनों बुरी तरह से लिपटे हुये थे। मेरी चूत लण्ड पर पूरी तरह से जोर लगा रही थी … बस … कितना आनन्द लेती, मेरी चूत पानी छोड़ने लिये लहरा उठी और अन्ततः मेरी चूत ने पानी पानी छोड़ दिया … और मैं झड़ने लगी। मैं दीपू पर अपना शरीर लहरा कर अपना रज निकाल रही थी।
मैं अब उससे अलग हो कर एक तरफ़ लुढ़क गई। दीपू उठ कर बैठ गया और अपने लण्ड को दबा कर मुठ मारने लगा … एक दो मुठ में ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया और बरसात की मूसलाधार पानी के साथ मिल कहीं घुल गया। हम दोनों बैठे बैठे ही गले मिलने लगे … मुझे अब पानी की बौछारों से ठण्ड लगने लगी थी। मैं उठ कर नीचे भागी। दीपू भी मेरे पीछे कपड़े ले कर नीचे आ गया।
मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी, पर दीपू मुझे छोड़ता भला। उसने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया।
“भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !”
“सुन रे दीपू, तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !”
“नहीं रीता भाभी … मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ … देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है … प्लीज … बस एक बार … अपनी गाण्ड का मजा दे दो … मरवा लो
प्लीज … “
“हाय ऐसा ना बोल दीपू … सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा … ?” मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।
” भाभी मेरा लण्ड चूसोगी … बस एक बार … फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !”
“हाय मेरे राजा … तू तो मेरा काम देवता है … “मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था। मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब दीपू भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा
हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी। तभी दीपू ने तकिया लेकर कहा कि अपनी चूतड़ के नीचे ये रख लो और गाण्ड का छेद ऊपर कर लो।
पर मैंने जल्दी से करवट बदली और उल्टी हो गई और अपनी चूत को तकिये पर जमा दी। मैंने अपनी दोनों टांगे फ़ैला कर अपना फ़ूल सा भूरा गुलाब खिला कर लण्ड़ को हाज़िर कर दिया। उसका मूसल जैसा लण्ड चिकनाई की तरावट लिये हुये मेरे गुलाब जैसे नरम छेद पर दब गया। मैंने पीछे घूम कर उसे मुस्करा कर देखा। दूसरे ही क्षण लण्ड मेरी गाण्ड पर घुसने के लिये जोर लगा रहा था। मैंने अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ा और लण्ड का स्वागत किया। वो धीरे धीरे प्यार से अंधेरी गुफ़ा में रास्ता ढूंढता हुआ … आगे बढ़ चला। मेरी गाण्ड तरावट से भर उठी। मीठी मीठी सी गुदगुदी और मूसल जैसा लण्ड, पति से गाण्ड मराने से मुझे इस लण्ड में अधिक मजा आ रहा था। उसके धक्के अब बढ़ने लगे थे। मेरी गाण्ड चुदने लगी थी।
मैं उसे और गहराई में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर जोर लगाने लगे थे। दीपू ने मौका देखा और थोड़ा सा जोर लगा कर एक झटके में लण्ड को पूरा बैठा दिया। मैं दर्द से तड़प उठी।
“साला लण्ड है या लोहे की रॉड … चल अब गाड़ी तेज चला … “
वो मेरी पीठ पर लेट गया। उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े … मैंने जैसे मन ही मन दीपू को धन्यवाद दिया। दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी। मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी। सिसकी फ़ूट पड़ी … । उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था। मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था। मेरी चूत भी चूने लग गई थी। उसमें से भी पानी रिसने लगा था। मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी। मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी। हाय … कितना अच्छा होता कि अब ये लण्ड मेरी चूत की प्यास बुझाता … मैंने गाण्ड मराते हुये घूम कर दीपू को आंख से इशारा किया।
“आह्ह नहीं रीता भाभी … तंग गाण्ड का मजा ही जोर का है … पानी निकालने दो प्लीज !”
“हाय रे फिर कभी गाण्ड चोद लेना, अभी तो मेरी चूत मार दे दीपू !”
“तो ये ले भोसड़ी की … हाय भाभी सॉरी … गाली मुँह से निकल ही गई !”
“नहीं रे चुदाते समय सब कुछ भला सा लगता है … ” फिर मेरे मुख से सीत्कार निकल पड़ी। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से घुसेड़ दिया था … बस लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत को मिला … मेरी चूत फ़ड़क उठी। लड़कियों की चूत में लण्ड घुसा और वो सीधे स्वर्ग का आनन्द लेने लगती है। मेरी चूत की कसावट बढ़ने लगी … वो मेरे पीठ पर सवार हो कर चूत चोद रहा था। उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा … शायद लण्ड को अन्दर पेलने में तकलीफ़ हो रही थी। मेरी गाण्ड ऊंची होते ही उसका लण्ड चूत में यूं घुस गया जैसे कि किसी बड़े छेद में बिना किसी तकलीफ़ सीधे सट से मोम में घुस गया हो। मेरी चूत बहुत गीली हो गई थी। किसी बड़े भोसड़े की तरह चुद रही थी … उसने मेरे स्तन एक बार फिर से पकड़ते हुये अपनी ओर दबा लिये। मुझे चुचूकों को दबाने से और चूत में मूसल की रगड़ से मस्ती आने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत को तेजी से झटके मार मार कर चोद रहा था। अचानक उसका चोदने का तरीका बदल गया। करारे शॉट पड़ने लगे। मेरी चूत मे तेज आनन्द दायक खुजली उठने लगी। लगा कि चूत पानी छोड़ देगी।
“मां … मेरी … दीईईईपूऊऊऊ चोद मार रे … निकाल दे फ़ुद्दी का पानी … हाय राम जीऽऽऽऽ … मेरी तो निकल गई राजा … आह्ह्ह्ह” और मैंने अपना पानी छोड़ दिया …
उसका हाथ स्तनों पर से खींच कर हटाने लगी …
“बस छोड़ दे अब … मत कर जल रही है … ” पर उसे कहाँ होश था … मैं दर्द के मारे चीख उठी और दीपू … उसका माल छूट गया … उसकी चीख ने मेरी चीख का साथ दिया …
उसका लण्ड बाहर निकल आया और अपना वीर्य बिस्तर पर गिराने लगा। कुछ देर तक यूं ही माल निकलने का सिलसिला चलता रहा। फिर उस बिस्तर से उठे और हम दोनों दूसरे बिस्तर पर नंगे ही जाकर लेट गये … और फिर जाने कब हम दोनों ही सो गये।
मुझे लगा कि कोई मुझे बुरी तरह झकझोर रहा है … मेरी आंख खुल गई … सवेरा हो चुका था … पर ये दीपू … मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयत्न कर रहा था … मुझे हंसी आ गई … मैंने अपने दोनों टांगें पसार दी और उसका लण्ड अपनी चूत में समेट लिया। उसे अपने से कस कर सुला लिया। मैं सुबह सवेरे फिर से चुद रही थी … मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला रही थी … सोना नहीं … बस चुदती रहो … सुबह चुदाई, दिन को चुदाई रात को तो पूछो मत … शरीर की मां चुद जाती थी … हाय मैंने ये क्या कह दिया … Antarvasna Sex Stories
मेरा नाम करण है, यह मेरी पहली Sex Stories कहानी है, मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने बहुत मजा आता है।
एक बार मैं अकेले घर पर था, उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था। मैं सेक्सी बुक देख रहा था, मेरा लंड खड़ा था मेरे घर का दरवाजा खुला था।
तभी पड़ोस में रहने वाली भाभी जी अन्दर आ गयीं और मुझे लगा कि कोई आ रहा है। मैंने शीशे में देख लिया कि भाभी खड़ी मुझे देख रही थी। मैने अपना मोटा लाल और चिकना लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था। मैने कुछ नहीं पहना था, एक दम नंगा था।
भाभी बहुत ध्यान से देख रही थी। मैंने लंड को और ऊपर कर दिया अब भाभी को मेरा लम्बा लंड साफ़ दिख रहा था, वो मस्त हो रही थी। बहुत देर देखने के बाद भाभी ने आगे आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया। मैं खड़ा हो गया। मेरा लंड भाभी के पेट में गड़ने लगा। तभी वो देख कर बोली कि कितना सेक्सी है तुम्हारा लण्ड! और झट से पकड़ लिया। वो बोली तुम्हारा तो तुम्हारे भाई से भी मोटा है! तुम भी प्यासे हो और मैं भी, चलो दोनो की प्यास बुझ जायेगी. तुम्हारे भाई का तो ठीक से खड़ा भी नही होता, और खड़ा भी होता है तो जल्दी ही झड़ जाता है।
इतना सुनते ही मैंने भाभी को पकड़ लिया और उन्हें बेड पे लिटा दिया. तभी भाभी ने कहा अभी दिन में कोई आ जाएगा, मैं रात में आ जाऊंगी तब जी भर के एक दूसरे को चोदेंगे।
लेकिन मैं नहीं माना क्योंकि मैं तो पहले ही गरम हो रखा था। मेरे ज्यादा जोर देने के बाद भाभी मान गई और बोली- जाके दरवाजा बंद कर दो और जल्दी से अपना पूरा कर लो. मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और भाभी के पास आ गया. मैं उन के कपड़े उतारने लगा तो भाभी ने मना कर दिया की सारे कपड़े मत उतारो कोई आ जाएगा।
फ़िर मैंने भाभी की साड़ी ऊपर कर दी और उन की पेंटी उतार दी। उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और बहुत प्यार से उसे चूसने लगी. २ मिनट चूसने के बाद भाभी बोली कि जल्दी से कर ले, मेरे को घर जाना है। भाभी की सास बहुत ही शक्की है. वो उन को हमारे घर के सिवा कहीं नहीं जाने देती और अगर हमारे घर पे भी ज्यादा टाइम हो जाए तो वह भी ये देखने आ जाती है कि क्या कर रही है। हमें बहुत देर हो गई थी इस लिए भाभी थोड़ा डर रही थी।
अपना लण्ड मैंने भाभी की चूत के छेद पे रख के एक ही धक्के में पूरा अंदर डाल दिया. अंदर जाते ही भाभी ने अपनी आँखे ऐसे बंद की जैसे उनको दर्द हुआ हो. भाभी की चूत ज्यादा टाईट नहीं थी और न ही ज्यादा ढीली थी। मेरा लण्ड ९ इंच लंबा और ३ इंच मोटा है। भाभी को एक लड़का भी है शायद इसीलिए उन को मेरा लण्ड लेने में ज्यादा तकलीफ नहीं हो रही थी. १० मिनिट बाद भाभी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और थोड़ी देर बाद बोली कितनी देर में होगा तुम्हारा! मेरा तो हो गया है, अगर मेरी सास आ गई तो मैं मारी जाऊँगी.
मैंने कहा कि अभी तो पता नहीं कितनी देर और लगेगी क्योंकि मेरा लण्ड तुम्हारे अंदर बड़े आराम से जा रहा है और मैंने ३० मिनिट पहले ही मुठी मारी थी. इसलिए टाइम लगेगा।तो वो कहने लगी कि मेरे को छोड़ दो, मैं तुम्हारा बाद में करवा दूंगी।
मैं नहीं माना कि नहीं अभी करवाना है। तो वो कुछ नही बोली और मेरी तरफ़ बड़े प्यार से देखने लगी. ५ मिनिट बाद वो दुबारा झड़ गई और फ़िर से मुझ से पूछा कि और कितनी देर तो मैंने कहा अभी टाइम लगेगा. तो वो डरते हुए बोली कि तू आज मेरे को मरवाएगा. तो मैंने कहा कि एक रास्ता है जल्दी करने का. तो वो बोली क्या है?
तो मैंने कहा कि बता के नहीं कर के दिखाता हूं। तो वो बोली जल्दी कर के ख़तम कर. तो मैंने भाभी की चूत से अपना मोटा लण्ड निकाला और उन की गांड के छेद पे रख दिया तो एक दम बोली यहाँ क्या कर रहा है यहाँ थोड़े ही करते हैं और तेरे भाई ने तो आज तक यहाँ नहीं किया और न ही मैंने करने दिया. मैंने कहा कि यहाँ करने से ही मेरा जल्दी पूरा होगा नहीं तो पता नहीं कितना टाइम लग जाएगा।
फ़िर वो चुप हो गई जैसे ही मैंने अपना लण्ड उन की गांड पे लगाया वो बोली कि दर्द होगा, तो मैंने कहा कि बस एक बार होगा. पहली बार चूत में डलवाया था तब भी तो हुआ होगा. इसे भी सह लेना मेरे लिए और वो चुप हो गई.
भाभी की चूत के रस से गांड चिकनी हो गई थी इसलिए आयल की जरुरत ही नहीं पड़ी. फ़िर मैंने अपना लण्ड उन की गांड के छेद पे रखा तो उन्होंने लम्बी साँस ली और मैंने एक जोरदार धक्के से मेरा लण्ड का सुपाड़ा उन की गांड में घुसा दिया। वो कहने लगी कि बाहर निकालो, दर्द हो रहा है। तो मैंने उनको कहा कि थोड़ा दर्द सहन कर लो, बाद में सब ठीक हो जाएगा। फ़िर एक और धक्का मारा और मेरा लण्ड आधा भाभी की गांड में चला गया। वो और जोर से चिल्लाई। मैंने उसका ध्यान न देते हुए एक और धक्के के साथ अपना पूरा लण्ड उनकी गांड में अंदर तक डाल दिया और फ़िर मैं थोडी देर रुका रहा।
थोड़ी देर बाद मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। भाभी रो रही थी और कह रही थी कि बाहर निकालो। २० मिनिट बाद मैं भाभी की गांड में झड़ गया. फ़िर मैं भाभी के उपर ही लेट गया। ५ मिनिट बाद भाभी ने मुझे उठने को कहा और बाथरूम में जा कर अपनी गाण्ड और चूत को धोया. मैं भी वहाँ पर आ गया और भाभी ने बड़े ही प्यार से मेरा लण्ड भी धोया। फ़िर मैंने कपड़े पहने और जाकर दरवाजा खोल कर अंदर आ गया।तभी भाभी की सास भी आ गई कि इतनी देर से क्या कर रही है। उस दिन तो बाल बाल बच गए। तब भाभी वहाँ से चली गई यह कह के कि मैं रात में १० बजे आऊँगी और रात में गांड नहीं मारने दूंगी बहुत दुःख रही है। मैं भी मुस्करा दिया और वो चली गई.
मैं बेसब्री से रात का इंतजार करने लगा. भाभी ठीक १० बजे मेरे पास आ गई और हमने सुबह ५ बजे तक मजे किए। वो मैं अगली बार की कहानी में बताऊँगा. आप को यह कहानी कैसी लगी? मेल करें! Sex Stories
यह Sex Stories कहानी उस वक्त की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था।
मध्यप्रदेश के जबलपुर में चौधरी चाल में मैं रहता हूँ। हमारे चाल में कविता, रेशमा, और पिंकी ये तीन लड़कियाँ रहती हैं। जब वे स्कूल में थी तब उनका मेरे घर में आना जाना रहता था। अब वे 18 साल की हो चुकी हैं। जब स्कूल में थी, उस वक्त से मैं उन तीनों बहुत चाहता हूँ। उनको मैंने कैसे चोदा, यही कहानी हैं।
एक दिन की बात है, उस वक्त मेरे घर में मैं अकेला था, और मैं कम्प्यूटर पर ब्ल्यू फिल्म देख रहा था। तभी कविता, रेशमा और पिंकी मेरे घर चली आई। उन्हें देखते ही मैंने फिल्म बंद कर दी। वे मुझे सुहास नाम से बुलाती हैं।
सुहास.. तू घर पर अकेले क्या कर रहा है? ऐसे कविता ने पूछा।
मैंने कहा- कुछ नहीं ! कम्प्यूटर पर काम कर रहा था…
पर आज तुम तीनों मेरे घर अचानक.. एक साथ ? क्या कुछ काम था..? मैंने पूछा तो पिंकी ने कहा- कॉलेज को छुट्टी है तो तुम्हारे साथ कुछ खेल खेले ऐसा सोचकर हम चली आई ! तू भी तो अकेला है…
क्या खेलें…..?
तो रेशमा बोली- आँख मिचौली खेलते हैं…
मैंने भी कहा- ठीक है….
वैसे मेरा घर बहुत बड़ा है, चाल में हमारा घर ही बड़ा है, एक बेडरुम, किचन और हॉल – ऐसे तीन कमरे थे, जिनमें हॉल सबसे बड़ा है।
कविता बोली- राज कौन लेगा….
तो मैंने कहा- हम लॉटरी निकालते हैं….
ठीक है- तीनों ने माना।
फिर मैंने परची डाली और पिंकी से कहा- इनमें से एक उठाओ ! जिसका नाम आयेगा वो राज लेगी….
ठीक है !
पिंकी ने परची उठाई तो रेशमा पर राज आई।
उस वक्त उन तीनों ने स्कूल की ड्रेस पहनी थी। घर में भी वे तीनों अक्सर स्कूल ड्रेस ही डाला करती थी। रेशमा ने उस वक्त चॉकलेटी रंग का पेटिकोट और अंदर से शर्ट पहना हुआ था, पिंकी ने पंजाबी ड्रेस की तरह नीले रंग का कुरता और आसमानी रंग का पज़ामा पहना था, ऊपर से दुपट्टा लिया था और कविता ने पीले रंग का स्कर्ट और टॉप पहना था।
मैं उस वक्त बरमुडा और टी-शर्ट में था।
पिंकी बोली- रेशमा पर राज आया है ! उसकी आँखों पर पट्टी बांधो….
मैंने कहा- पिंकी, मेरे पास तो पट्टी नहीं है….
तो कविता बोली- अरे सुहास ! पिंकी का दुपट्टा कब काम आयेगा….
पिंकी बोली- ठीक है… दुपट्टा ही बांधती हूं….
पिंकी ने अपना दुपट्टा निकाला और और रेशमा की आँखों पर बांधा।
रेशमा जिसे छुएगी उसको फिर राज लेना होगा… ऐसे पिंकी ने कहा और खेल शुरू हुआ। हम तीनों इधर उधर भागे, आँख पर पट्टी बंधी रेशमा हम तीनों को खोजने लगी। मैं रेशमा को हाथ लगा कर पीछे हट जाता था। वैसे ही पिंकी और कविता ने शुरु किया।
अचानक मेरा हाथ रेशमा के स्तनों पर लग गया और उस वक्त मैं पकड़ा गया। अब मेरे बारी थी। मेरे आँखों पर पिंकी ने पट्टी बांधी। पट्टी बांधते समय पिंकी के स्तन मेरे पीठ पर छू रहे हैं, ऐसा मुझे महसूस हुआ। तभी मेरा लंड खड़ा हुआ। अब मैं तीनों को खोज रहा था।
अचानक कविता बोली, अरे सुहास तुम्हारी जेब ऐसे फ़ूली क्यों है, कुछ जेब में है क्या….?
मैं घबरा गया- नहीं नहीं ! कुछ नहीं ! यह तो ककड़ी है जो मैं रोज खाता हूँ….
अच्छा मुझे भी चाहिए ! कविता बोली और जिद करने लगी।
देता हूँ…. खेल तो पूरा होने दो !
नहीं पहले दो ! नहीं तो मैं निकाल लूंगी ! पिंकी तो जिद पर आ गई।
मैं बोला- पास मत आना पिंकी ! आऊट हो जाओगी…
पर पिंकी नहीं मानी, उसने रेशमा और कविता से कुछ छुपी बातें की।
सुहास ! तुझे छूने ही नहीं दूंगी तो कैसे आऊट होऊँगी? खेल शुरु रख कर भी मैं ककड़ी निकाल सकती हूँ… पिंकी बोली।
उस वक्त मैं कुछ नहीं समझा मैं तीनों को ढूँढ रहा था कि अचानक रेशमा और कविता ने मेरे हाथ कस के पकड़ लिए।
मैं बोला- अरे यह क्या कर रही हो…?
तो कविता बोली- सुहास, तू हमें छू नहीं सकता क्योंकि हमने तुम्हारे हाथ पकड़े हैं…
मैं उस वक्त डर गया। तभी पिंकी ने मेरे जेब में हाथ डाला. और ककड़ी खींचने लगी… पिंकी ने ककड़ी नहीं, मेरा लंड पकड़ लिया था पर उसे कुछ नहीं पता था। इधर दोनों ने मुझे कस कर पकड़ लिया था।
रेशमा बोली- पिंकी ककड़ी निकालो…
पिंकी बोली- नहीं निकल रही है…
कविता बोली- अरे शायद सुहास ने अंदर में ककड़ी रखी होगी…. ऊपर वाली पैंट उतारो…
कविता झट से बोल गई तो पिंकी शरमा गई।
अरे, क्या शरमाना ! सुहास तो अपना दोस्त है….
अब मेरा भांडा फ़ूटने वाला है, मैं बहुत घबरा गया क्योंकि मैंने अंडरवीअर नहीं पहना था, सिर्फ बरमुडा पहना था।
तभी पिंकी ने मेरा बरमुडा खींचना शुरु किया। मैं हलचल करने लगा पर आखिर में पिंकी ने मेरा बरमुडा खींच ही लिया। बरमुडा नीचे आते ही मेरा सात इंच का लंड तीनों को सलामी देने खड़ा हुआ था। तीनों दंग रह गई। रेशमा चिल्लाई- बाप रे ! कितना बड़ा है सुहास तेरा लंड….
नहीं, यह इतना बड़ा नहीं है, यह तो तुम तीनों को देखकर बड़ा हो गया है….
अब मैंने हथियार डाल दिए और सच सच बातें करने लगा।
रेशमा, पिंकी कविता सुनो ! मैं तुम तीनों को चाहने लगा हूँ ! तुम्हारी जवानी का रस पीने की कोशिश कर रहा हूँ !
कविता बोली- कौन सा रस…?
तब मैंने कविता से कहा- बुरा नहीं मानेगी तो मैं साफ बात करुँ….?
तभी पिंकी बोली- अरे सुहास ! तू बिदांस बात कर…. कुछ मदद चाहिए वो भी हम देंगे….
तब मैंने खुलकर बातें करना शुरू किया, मैं बोला- मैंने तुम तीनों के बहुत बार स्तन दबाये हैं और अपना लंड तुम्हारे शरीर को छुआया है। तभी मेरा लंड ऐसे ही खड़ा हो जाता है…. अभी तुम्हारे स्तन देखकर इन्हें चूसने का मन कर रहा है ! और..
रेशमा बोली- सुहास और क्या….
तो मैंने कहा- मेरा लंड तुम तीनों चूसें ! ऐसी मेरी इच्छा है…. और मेरा लंड तुम्हारी चूत में डालने की इच्छा है….
तो कविता बोली- तो उसमें क्या है सुहास ! अभी तक तो तूने हम तीनों से ऊपरी-ऊपरी मज़े लिए, अब सच में इस नये खेल का हम आनंद उठाते हैं….
रेशमा और पिंकी ने कहा- हाँ सुहास…. तुम जैसे चाहे हमें चोद सकते हो ! शादी के बाद तो हमारा पति हमें चोदेगा, उससे पहले कैसे चोदते हैं यह सीख लिया तो शादी के बाद परेशानी नहीं होगी।
कैसे शुरुआत करें….? कविता बोली।
मैंने फिर परची डाली और रेशमा को कहा- एक एक कर के तीनों को उठाओ।
रेशमा ने उठाई तो पहली परची में पिंकी का नाम था, दूसरी में रेशमा का और तीसरी में कविता का नाम आया।
मैंने कहा- देखो, परची में जैसे नाम आएँ हैं, वैसे ही मैं एक एक को चोदूँगा….
ठीक है ! तीनों मान गई।
पिंकी, तेरा नाम पहले आया है, तू तैयार है ना….?
पिंकी बोली- हाँ, मैं तैयार हूँ, मुझे क्या करना होगा?
पिंकी तू कुछ नहीं करेगी ! करुंगा तो मैं, जब करना हो तो मैं बोलूँगा। बाद में तुम खुद ही करोगी, ऐसा ही यह खेल है…. पिंकी चलो, बेडरुम में चलते हैं…. मैंने कहा।
तभी रेशमा बोली- सुहास, क्या हम भी आ जायें ?
हाँ चलो, तुम भी देख लो कि कैसे चोदते हैं।
हम चारों बेडरुम में चले गये। मैंने पिंकी को बिस्तर पर लिटाया और उसके गाल चूमना शुरु किया। पिंकी ने थोड़ी हलचल की क्योंकि यह सब वह पहली बार महसूस कर रही थी। मैंने पिंकी के ओंठ पर अपने ओंठ रखे, फिर गले का चुंबन लेने लगा, फिर और नीचे आकर उसके स्तन को चूमने लगा, कपड़ों के ऊपर से मैंने उसके स्तन दबाना शुरु किए। फिर मैं पिंकी का कुर्ता उतारने लगा। पिंकी अब ब्रा पहनती थी, कुर्ता उतारते ही उसके स्तन उभर कर आगे आये।
पिंकी तुम्हारे स्तन तो आम जैसे पक गये हैं ! मैंने कहा।
पिंकी बोली- अब रस पी जाओ भी ?
तभी मैंने पिंकी की ब्रा भी उतारी, अब स्तन पूरे खुले गये थे। मैं स्तन देखकर उन पर लपक पड़ा। पिंकी के स्तन मैंने दबाना शुरु किए। फिर एक स्तन मैंने मुँह में लिया उसके निप्पल चूसने लगा और दूसरा स्तन दबाने लगा।
पिंकी ! तुम जिसे ककड़ी समझ रही थी, वो मेरा लंड था। तुम मेरा लंड हाथ में लेकर मसलना शुरु करो।
तब पिंकी ने मेरा लंड मसलना शुरु किया। सुहास, तेरी इच्छा थी ना कि तेरा लंड मैं मुँह में लूँ और चुसूँ ! तो अपनी इच्छा पूरी कर !
हाँ पिंकी, आय लव यू, फिर मैंने अपना लंड पिंकी के मुँह में दिया। पिंकी मेरा सात इंच का लंड मुँह में चूसने लगी। उधर कविता और रेशमा हमारा खेल देखकर गरम हो रही थी।
तभी रेशमा बोली- सुहास ! अरे, पिंकी को चोदना भी शुरु करो ! मुझे कुछ हो रहा है !
हाँ रेशमा डार्लिंग ! अभी चोदता हूँ ! मैंने पिंकी का पजामा उतार दिया। अब पिंकी पूरी नंगी थी, अपने बोबे दिखा कर बोली- सुहास … इन्हें दबाओ ! … और दबाओ !
मैं फिर टूट पड़ा। फिर मैंने पिंकी की चूत के पास अपना लंड ले गया। पिंकी ने मेरा लंड का पकड़ कर चूत के सामने रखा। मैंने कहा- पिंकी, अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूं….
हाँ तैयार हूँ !
फिर मैंने जोर का धक्का देकर लंड पिंकी के चूत में धकेल दिया। लंड चूत में जाते ही आऽऽ आऽ आहह्हह्ह ! पिंकी चिल्ला उठी।
फिर थोड़ी देर बाद मैं लंड अंदर-बाहर करने लगा। पिंकी मदहोश होकर चुदाई का आनंद ले रही थी।
पिंकी अब बस करो ! अब रेशमा को चोदने दो… वो तरस रही है !
ठीक है ! पिंकी बोली और कविता के बगल में जा बैठी।
रेशमा डार्लिंग आओ.. मैंने कहा।
रेशमा तुरंत बिस्तर पर लेट गई…
रेशमा ने स्कूल पेटिकोट और शर्ट पेहना था। मैंने उसके ओंठ के चुंबन लेकर रेशमा का पेटीकोट उतारना शुरु किया फिर मैंने उसका शर्ट खोल दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे ही मैंने शर्ट खोला तो उसके दूध उछल के बाहर आ गये, मैं उन्हें दबाने लगा। कितने दिनों के बाद इसके पूरे के पूरे स्तन देखने को और दबाने को मिले। फिर मैंने उसके निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा। रेशमा आ आह्हह्ह हा आआ आऽऽह्हह्हह कर रही थी। मैं उसे चूसता ही रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। पिंकी की चुदाई देखकर रेशमा की चूत बहुत गरम हो गई थी। मैं उसकी चूत को फैला कर चाटने लगा। वो सिसकारी भर रही थी- अहाऽऽआआ असऽऽ स्सहस आआअह्ह्हस् स्सशाआ आआहस्सह्हस्स अह्हह्हह ह्ह्हह हस्साआ आअह्ह ह्हहा ह्ह्हाआ ह्हाहहवो !
वो मेरे लंड को हाथ में लेकर खींच रही थी- सुहास अरे लंड मुझे चूसने दो ना….
हाँ रेशमा…
और मैंने लंड रेशमा के मुँह में दिया। वो आयस्क्रीम की तरह उसे चूसने लगी। फिर रेशमा ने कमर को ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघों के बीच लेकर रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके। उसकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था। अचानक उसने अपनी एक चूची मेरे मुंह में ठेलते हुए कहा- सुहास, चूसो इनको मुंह में लेकर।
मैंने उसकी चूची को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिये मैंने उसकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारी कसी चूची की सोचता था और परेशान होता था, इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह में लेकर चूसूँ और इनका रस पीऊं। पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ न हो जाओ। तुम नहीं जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है !
अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो ! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही करो ! रेशमा ने कहा।
फिर क्या था, हरी झंडी पाकर मैं जुट पड़ा रेशमा की चूची पर। मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ को उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया। मैं दोनों अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूंगा। रेशमा भी पूरा साथ दे रही थी। उसके मुँह से ओह! ओह! अह! सी, सी! की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी। उसने अपनी बाईं टांग को मेरे कंधे के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघों के बीच रख लिया। मुझे उसकी जांघों के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ। यह उसकी चूत थी। उसने पैंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी झांटों में घूम रहा था। मेरा सब्र का बांध टूट रहा था।
रेशमा ने तब हाथ में मेरा लंड लेकर निशाने पर लगा कर रास्ता दिखाया और रास्ता मिलते ही मेरा लंड एक ही धक्के में सुपाड़ा अंदर चला गया। इससे पहले कि वो सम्भले या आसन बदले, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया।
रेशमा चिल्लाई- उईई ईईईइ ईईइ माआआ हुहुह्हह्हह ओह , ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं, सुहास…हाय ! बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड। मार ही डाला !
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उसकी बुर में घुसा था। मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर चुपचाप पड़ा था। उसकी चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी। उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी।
मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा। रेशमा को कुछ राहत मिली और उसने कमर हिलानी शुरु कर दी। मेरा लंड धीरे धीरे चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। रेशमा को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी। रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया।
इधर चुदाई जोरदार शुरु थी उधर कविता तड़फ रही थी। सुहास, बस भी करो अब मुझे कब शांत करोगे… कविता बोली।
कविता डार्लिंग ! हाँ अब तुन्हें ही चोदना है ! रेशमा अब बस करो ! कविता मुझे घूर-घूर कर देख रही है !
ठीक है सुहास ! तुम कवितो को चोदो !फिर रेशमा पिंकी के साथ जा बैठी।
कविता मेरी जानेमन ! आओ ! ऐसे कहते ही कविता तुरंत बिस्तर पर आ गई।
कविता, तुम स्कर्ट-टॉप में बहुत सुंदर दिखती हो ! तुम्हो बोबे भी अब पिंकी और रेशमा की तरह बड़े हो गये हैं।
सुहास ! अब तो बड़े हो गये हैं और तुम्हें बुला रहे हैं…
फिर मैं कैसे रुक सकता था। मैंने धीरे से कविता के टॉप के हुक खोल दिए और उसकी ब्रा उतार दी। अब वह एकदम परी लग रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया।, उसकी चिकनी चूचियाँ मैं चूसने लगा, उसकी घुंडियाँ कड़ी हो रही थीं और वह कह रही थी- सुहास बहुत मज़ा आ रहा है !
फिर मैं होंठ चूसने लगा, इस बीच कविता का एक हाथ मेरे लंड को पकड़ चुका था। कविता मेरा लंड मसलने लगी। तभी मैं उसके बोबे दबाने शुरु किया, उसकी चूचियाँ चूसने लगा- कविता, तेरा दूध पीने की बहुत इच्छा है !
अरे सुहास ! अभी तो मेरी शादी नहीं हुई, शादी के बाद माँ बन जाऊंगी तो जरुर मेरा दूध पीना !
सच कविता..? और मैं फिर कविता की चूचियाँ जोर-जोर से चूसने लगा। उउउउउउऊऊऊऊऊ… .आआआआआहहहहह… उसके होंठों पर किस किया और दोनों हाथों से उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाया। अब मैं उसकी स्कर्ट उतारने लगा। उसने काले रंग की पैन्टी पहन रखी थी।
तभी उसने कहा- सुहास अब रहा नहीं जाता, मुझे दे दो, मुझे चाहिए !
अब मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लंड खड़ा था। मैंने कविता की पैन्टी अपने मुँह से उतारनी शुरु की। वहाँ बाल बहुत कम थे। उसकी पैन्टी उतार कर मैंने उसको बीच में से सूँघा। गज़ब की खुशबू थी। उसकी चूत की लाईन चाटने लगा। मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था। कविता ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसके सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मैं भी दोनों हाथों से कविता की गोल चूचियां दबा रहा था। मैं भी गरम हो रहा था, कविता ने मेरा लंड पकड़ के मुँह में भर लिया और सटासट चाटने लगी.. वो मेरा सारा रस पी गई। कविता ने चूस-चूस कर फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया….
कविता बोली- सुहास, जान अब और न तड़पाओ ! अपनी रानी को चोद दो ! मेरी प्यास बुझा दो..
मैं तो तैयार था।उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रखा और कहा- धक्का मारो !
मैंने भी बहुत जोर से पेल दिया पर चूत बहुत टाइट थी, लंड घुसा ही नहीं तो उसने लंड पकड़ कर ढेर सारा थूक मेरे सुपाड़े पर पोत दिया…..
अबकी बार मैंने धीरे धकेला तो आधा लंड अंदर चला गया….
वो दर्द से पागल हो गई, बोली- निकालो ! बाहर करो ! मैं नहीं सह पाऊँगी !
पर अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कविता की कमर से पकड़ कर पूरे जोर से एक धक्का मारा और लंड उसकी चूत की गहराइयों को छू गया……वो दर्द से रोने लगी पर मैं धीरे धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में कविता को भी मजा आने लगा, उसके मुँह से आवाज निकलने लगी थी- चोदो….और जोर से…..आह…आह….मेरे राजा…..मुझे जन्नत की सैर कराओ….और अंदर डालो …आह ….सी…सी ….आह….
मैं पूरे जोर से पेले जा रहा था- हाँ रानी… ले… खा ले … पूरा मेरा खा जा … ले … ले … पूरा ले …
आह …राजा….मैं गई….सी….थाम लो….मुझे…..आह….
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी….. थोड़े धक्कों के बाद हम दोनों साथ ही झड़ गये..
कुछ देर बात कविता, पिंकी, रेशमा ने साथ-साथ मुझसे चुदवाया। जब मैं रेशमा के स्तन दबाता और चूसता तब पिंकी मेरा लंड चूसती। जब मैं कविता के स्तन दबाता और उसकी चूचियाँ चूसता, तब रेशमा मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चूसती। जब मैं पिंकी के स्तन दबाता और चूचियाँ चूसता तो कविता मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चूसती। कुछ देर बाद मेरा लंड पिंकी की चूत में जाकर उसे चोदता तब रेशमा अपने स्तन और चूचियाँ मुझसे दबवाती और चुसवाती। जब मैं रेशमा की चूत में मेरा लंड डालकर उसे चोदता तब कविता अपने स्तन मुझे दबाने को देती।
इस तरह यह चोदा-चोदी हमने दो घंटे की।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी ? Sex Stories
लेकिन मुझे इस संबंध में बहुत सारे ईमेल आये जिसमें पाठकों ने कहा था कि वे मेरी कहानियों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
इसलिए मुझसे भी रुका न गया और मैंने फिर से अपनी चुदाई की कहानी लिखना शुरू किया।
तो फ्रेंड्स, शादी के बाद मैंने चुदाई के खूब मजे लिए हैं, मेरे पति ने मुझे जमकर चोदा है।
मुझे कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी।
मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं इसलिए काम के कारण कई दिनों तक भी शहर के बाहर रह जाते हैं।
जितने दिन वो घर पर नहीं होते हैं, मेरी चूत को लंड भी नहीं मिल पाता है और मैं तड़प जाती हूं।
मेरी आज की हॉट अंकल Xx कहानी इसी बारे में है।
बात तब की है जब हमारे घर के बगल वाले घर में एक परिवार रहने के लिए आया था।
उस फैमिली में एक अंकल, आंटी और उनका बेटा था।
वो अंकल वन विभाग में काम किया करते थे।
जॉब के चलते उनका ट्रांसफर होता रहता था और अब वो हमारे साथ वाले घर में आकर रह रहे थे। हमारी छतें मिली हुई थी.
उनका बेटा एक बैंक में काम करता था।
चूंकि वो हमारे पड़ोसी थे तो धीरे-धीरे बातचीत भी होने लगी; धीरे-धीरे आपस में आना-जाना भी होने लगा।
ऐसे ही एक दिन मैं छत पर सुबह-सुबह जल्दी कपड़े सुखाने चली गई।
मैंने देखा कि अंकल और उनका बेटा दोनों वहां योग, एक्सरसाइज वैगरह कर रहे थे।
मेरी नजर उन पर पड़ी तो हट नहीं पाई।
दोनों ने बदन पर बस शॉर्ट्स डाले हुए थे।
उन दोनों की छाती नंगी थी और जांघें भी नंगी थीं।
मेरा ध्यान कपड़े सुखाने में कम और उनके शरीर पर ज्यादा लगा हुआ था।
पांच मिनट बाद उनका बेटा उठा और ऑफिस का बोलकर वहां से चला गया।
मेरी नज़र बार-बार अंकल की तरफ ही जा रही थी।
कुछ देर बाद शायद अंकल ने मुझे देखा होगा तो उन्होंने मुझे गुड मॉर्निंग बोलकर विश किया।
मैंने भी मुस्कराते हुए उन्हें गुड मॉर्निंग विश की।
वो बोले- रोमा, आज इतनी सुबह-सुबह तुम यहाँ छत पर?
मैने कहा- हाँ अंकल, आज सुबह ही कपड़े धुल गए थे तो मैं इन्हें सुखाने के लिए तार पर डालने चली आई। आप क्या रोज इसी तरह यहाँ योग और एक्सरसाइज करते हैं?
(माफ करना दोस्तो, मैंने आप लोगों को अंकल का नाम नहीं बताया, अंकल का नाम अशोक राठौर था.)
अशोक अंकल- हाँ, मैं और मेरा बेटा, हम दोनों ही रोज सुबह योग और एक्सरसाइज करते हैं। ये हमारी दिनचर्या का हिस्सा है।
मैं- अंकल, आप की उम्र क्या होगी?
अशोक अंकल- मैं 48 साल का हूँ।
मैं- आपको देख कर लगता नही अंकल कि आप 48 साल के होंगे।
अशोक अंकल- क्या लगता है तुम्हें, मेरी उम्र क्या होगी?
मैं- यही कोई 38-40 साल की।
अशोक अंकल- नहीं, मैं 48 का ही हूँ। मेरा बेटा 25 साल का हो गया है। मैंने अपने आपको शुरू से ही काफी मेंटेन किया हुआ है योग और एक्सरसाइज करके, यही मैं अपने बेटे को भी सिखाता आ रहा हूँ।
मैं- सच में आप 48 के तो लगते ही नहीं हो।
अशोक अंकल- ठीक है, चलो तुम्हारी बात भी मान लेते हैं। अब मैं भी चलता हूँ, मुझे ऑफिस जाना है।
अंकल का गठीला बदन अब मेरी आंखों में बस गया था, मेरी चूत में आग लग गई थी।
मैं नीचे आकर अपने कमरे में आई तो पति सो रहे थे।
मैंने उनको सहलाकर जगाया और चोदने के लिए गर्म किया।
पति गर्म हो गए और उनका मूड भी अपनी प्यासी बीवी की चुदाई करने का बन गया।
वो मुझे नीचे लिटाकर मेरे ऊपर चढ़ गए।
लंड चूत में अंदर बाहर होने लगा तो मुझे बहुत मजा आने लगा।
मगर यहां चुदाई मेरे पति कर रहे थे और मैं ख्यालों में अंकल को सोच रही थी कि वो ही मुझे चोद रहे हैं।
उनके गठीले बदन को याद कर चुदने में और ज्यादा रस मिल रहा था मेरी चूत को!
अंकल के लंड को मैं कल्पना में ही सोच रही थी कि बदन इतना गठीला है तो लंड भी कितना मस्त होगा उनका!
कुछ दिन बाद मेरे हस्बेंड को अपने ऑफिस के काम से कहीं जाना पड़ गया।
कुछ दिन तो मेरे बिना चुदाई करवाए निकल गए लेकिन फिर मेरी चुदाई की वासना बढ़ने लगी।
अब मेरा मन मचलने लगा था।
रह-रहकर अब मेरे अंदर चुदाई की प्यास जग रही थी।
मुझे बस अब किसी का लंड चाहिए था।
तो फिर अब मेरे अंदर अंकल से चुदने का ख्याल आने लगा।
एक दिन मैं कुछ काम से अंकल के घर गई तो उनके घर का दरवाजा खुला हुआ ही था और अंदर से कुछ आवाजें आ रही थीं जो चुदाई की लग रही थीं।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था।
मैंने किसी तरह की आवाज किए बिना आगे कदम बढ़ाए।
आवाजें अंकल के कमरे से ही आ रही थीं।
मैं दबे पैर कमरे के पास गई और देखा तो कमरे का दरवाजा भी खुला हुआ था।
अंदर का नज़ारा देख मेरे होश उड़ गए।
अंकल-आंटी आपस में बहुत ही जबरदस्त चूमा चाटी कर रहे थे और दोनों बहुत ही रोमांटिक मूड में थे।
यह देख मुझे तो वहाँ से चले जाना चाहिए था लेकिन मुझे मजा आने लगा।
ऊपर से मेरे अंदर अंकल का लंड देखने की प्यास भी लगी थी।
अंकल-आंटी पूरे नंगे थे।
इस तरह उन्हें पूरा नंगा देख मुझे उत्तेजना हो रही थी।
इधर मेरी भी चूत गीली होने लगी थी।
अंकल का मुंह आंटी की तरफ था तो अंकल की मुझे सिर्फ गांड ही दिख रही थी, अंकल का क्या गठीला शरीर था, एकदम मस्त! आंटी नीचे बैठ कर उनका लंड चूस रही थी।
कुछ देर बाद आंटी ने कहा- चलो अब चोदो मुझे!
तो अंकल कहने लगे- इतनी भी क्या जल्दी है! अभी मजे तो लेने दो!
फिर अंकल ने आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत चाटने लगे।
मुझे अभी तक अंकल के लंड के दर्शन नहीं हुए थे।
कुछ देर बाद अंकल ने आंटी की चुदाई चालू कर दी।
दोनों खूब मजे ले कर चुदाई कर रहे थे।
इधर मेरी चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी।
मैं भी अपनी साड़ी उठाकर अपनी चूत को रगड़ने लगी।
चुदाई देख कर मुझे मज़ा आने लगा था।
कुछ देर बाद अंकल आंटी की चुदाई पूरी हो गई।
फिर जैसे ही अंकल मेरी तरफ मुड़े, मुझे उनके लंड के दर्शन हुए।
लंड काफी बड़ा था लेकिन अब वो कुछ ढीला हो गया था।
मगर ढीला होने के बाद भी लंड साइज में काफी बड़ा और मोटा था।
अंकल कमरे से बाहर आने के लिए दरवाजे की तरफ आये और मैं दरवाजे पर ही साड़ी ऊपर उठाए हुए चूत को रगड़ रही थी।
जैसे ही अंकल की नज़र मुझ पर पड़ी, मैंने भी उनको देख लिया और मैं तुरंत वहां से भागी।
जब मैं घर आई तो मेरी सांसें फूल रही थीं और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
मैं थोड़ी घबरा गई थी क्योंकि मुझे अंकल ने देख लिया था।
अब क्या होगा ये सोचते हुए मैं बिस्तर पर लेट गई और थोड़ा रिलेक्स होने की कोशिश करने लगी।
फिर सोचने लगी कि अब मैं अंकल के सामने कभी नहीं जाऊंगी, और उनसे नज़रें भी नहीं मिलाऊंगी।
मगर फिर मैंने सोचा कि इसमें मेरी क्या गलती थी।
अगर वो लोग दरवाजा बंद किए बना चुदाई कर रहे थे तो इसमें उनकी ही गलती है।
मेरी जगह कोई और होता तो वो भी देख ही लेता।
वैसे भी लाइव चुदाई देखने का मौका कौन छोड़ता है।
फिर मैं तीन-चार दिन तक अंकल के घर नहीं गई, न ही उनसे मैंने नजरें मिलाईं।
कई दिन बाद छत पर अंकल-आंटी बैठे हुए चाय पी रहे थे।
मुझे देखकर उन्होंने चाय पीने का न्यौता दिया।
मैं बोली- नहीं, आप लोग पीजिए, मैं बस छत पर घूमने आई हूं, मौसम बहुत अच्छा है।
अंकल बोले- हां, मौसम तो है ही मस्त, इसलिए मैं और तुम्हारी आंटी यहां चाय पीने का मजा ले रहे हैं।
कुछ देर बाद आंटी वहाँ से चली गई.
तो अंकल ने मुझे बुलाया और पूछा- उस दिन तुम कुछ काम से आई थी क्या? फिर बिना कुछ बोले ही भाग गई?
ये सुन कर मैं घबरा गई।
मैं बोली- हां, आंटी से कुछ काम था।
अंकल बोले- तो क्या तुमने हमें सब कुछ करते हुए देख लिया था?
अंकल बहुत खुलकर सवाल कर रहे थे और मैं पसीना पसीना हो रही थी शर्म से!
फिर किसी तरह मैंने भी हिम्मत की और बोली- हां, मैंने आप लोगों को वो सब करते हुए देखा था। आप तो काफी स्टेमिना रखते हो। बहुत देर से मैं देख रही थी।
अंकल बोले- ओह्ह, तभी तो तुम चूत रगड़ने लगीं थी! लगता है कि तुम्हारी चूत ने पानी भी छोड़ दिया होगा।
मैंने भी हां में सिर हिला दिया।
धीरे-धीरे अंकल और मैं अब खुल गए और हमने खुलकर बातें कीं।
अब हम दोनों हंस रहे थे।
इतने में ही आंटी वहां आ गईं।
तभी अंकल ने बात को घुमा दिया।
अंकल से सेक्स की बात करने के बाद मेरी अब चूत चुदवाने की इच्छा और ज्यादा तीव्र हो गई थी।
मैंने सोच लिया था कि जैसे ही मौका मिलेगा, मैं अंकल से चुदाई करवा लूंगी।
अब मेरा ध्यान अंकल में रहने लगा था।
अगली सुबह मैं जानबूझकर कपड़े सुखाने छत पर गई।
रोज की तरह अंकल और उनका बेटा वहां योग-व्यायाम कर रहे थे।
मैं उन दोनों को बहाने से देखने लगी।
दोनों ने सिर्फ शॉर्ट्स पहन रखे थे।
कुछ देर बाद अंकल की नजर भी मेरे ऊपर गई।
मैंने पहले ही साड़ी को अपनी नाभि से नीचे बांध लिया था ताकि अंकल मेरी पतली कमर का नजारा ले सकें।
मैंने जानबूझकर ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी ताकि चूचियों की शेप और निप्पलों का आकार अंकल को सही से दिख जाए।
मैं अब ध्यान दे रही थी कि अंकल अब मेरी ओर ज्यादा देख रहे थे और अपने व्यायाम पर कम ध्यान दे रहे थे।
कुछ ही देर बाद मैंने नोटिस किया कि अंकल का लंड टाइट हो गया था।
उनके शॉर्ट्स में से लंड नजर भी आने लगा था।
अंकल अब जानबूझकर अपने लंड के आसपास सहला रहे थे और देख रहे थे कि मेरी नजर भी उनके लंड पर है या नहीं!
इधर मैं भी अंकल की हरकतों को पूरे ध्यान से देख रही थी।
अंकल का लंड पूरा टाइट होकर अब तना हुआ अलग से दिखने लगा था।
हम दोनों अब एक दूसरे को पूरी लाइन दे रहे थे।
दोनों के मन में ही शायद चुदाई का ख्याल चल रहा था।
कुछ देर बाद उनका बेटा उठकर चला गया।
मैं भी इसी पल के इंतजार में थी।
बेटे के जाते ही अंकल ने मुझे आवाज देकर पास बुला लिया।
पास पहुंची तो उन्होंने गुड मॉर्निंग कहा और मैंने भी जवाब दिया।
फिर वो बोले- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- कपड़े सुखाने आई थी अंकल!
वो बोले- लेकिन यहां तो कुछ गीला हो गया रोमा!
कहकर अंकल ने अपने लंड को सहला दिया।
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया और मैं मुस्करा कर हंसने लगी।
फिर वो बोले- कल की बात अधूरी रह गई थी।
मैंने कहा- कौन सी बात अंकल? (मुझे अच्छी तरह याद था कि कल चुदाई की बात हुई थी, लेकिन फिर भी मैं जानबूझकर अनजान बन रही थी)
वो बोले- वही बात, जब तुमने मुझे और तुम्हारी आंटी को चुदाई करते हुए देख लिया था!
मैंने शर्माते हुए कहा- तो अंकल जब कोई दरवाजा खोलकर बिना किसी की परवाह किए ऐसे चुदाई करेगा तो सामने वाले की नजर कैसे नहीं जाएगी! वैसे भी आपका बदन इतना गठीला और जवान लगता है कि मैं भी देखने से रोक नहीं पाई। आपको देखकर तो मेरी भी (चूत) गीली हो गई थी।
इस बात पर वो हँस दिए।
फिर बोले- तो कैसा लगा तुम्हें वो सब देखकर?
मैंने कहा- बहुत अच्छा, बड़ा मजा आ रहा था आप दोनों की चुदाई देखकर! जब आंटी की दोनों टांगें आप कंधों पर रखवाकर जोर-जोर से शॉट मार रहे थे, और आंटी मजे लेकर चुद रही थी तो बहुत मजा आ रहा था। लेकिन …
इतना कहकर मैं रुक गई।
अंकल बोले- लेकिन क्या …
मैंने कहा- कुछ नहीं।
वो बोले- बताओ ना रोमा … ऐसी कौन सी बात है जो छुपा रही हो!
मैं बोली- अंकल … मैंने आपकी पूरी चुदाई देख ली, लेकिन लंड नहीं देख पाई। मुझे बस आपके चूतड़ ही दिख रहे थे। तभी आप मेरी ओर मुड़ गए थे और मैं वहां से भाग आयी थी।
अंकल इस बात पर हंसने लगे।
फिर उन्होंने जो किया, मुझे उस पर यकीन नहीं हुआ।
उन्होंने यहां-वहां देखा और एकदम से अपने शार्ट्स को नीचे खींच दिया।
उनका लंड एकदम से फनफना रहा था।
मैं लंड देखकर जैसे सुन्न सी हो गई।
फिर मैं साथ ही घबरा भी गई।
वो बोले- डरो नहीं, कोई नहीं है देखने वाला … आराम से देख लो!
अंकल का लंड देखकर मेरे मुंह में पानी आने लगा।
लंड बड़ा ही दमदार, मोटा और एकदम से सख्त था।
इससे पहले मैं कुछ बोलती, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे नीचे खींच लिया और एक हाथ से मुझे आगोश में समाते हुए मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया।
उनके लंड को छूते ही मेरे बदन में करंट दौड़ गया।
लंड एकदम से रॉड जैसा सख्त हो गया था।
लेकिन मैं बहुत घबरा रही थी और उठने लगी।
वो बोले- अरे कहां भाग रही हो, कोई नहीं है यहां, तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा क्या इसे छूकर? देखो कैसे तड़प रहा है तुम्हारे लिए!
मुझे अंकल का लंड पकड़ने में बड़ा मजा आ रहा था लेकिन मैं कुछ कह नहीं रही थी।
फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर ऊपर नीचे करना शुरू किया।
मैं भी अंकल के लंड पर हाथ ऊपर नीचे चलाने लगी।
इससे अंकल को भी मजा आने लगा और वो आहें भरने लगे।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
डर तो बहुत लग रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था।
मैं और जोर जोर से अंकल का लंड हिलाने लगी।
उनकी सिसकारियां तेज हो गईं।
वो अब कहने लगे- आह्ह … रोमा … क्या नर्म हाथ हैं तुम्हारे, और जोर से चलाओ हाथ … आह्ह … हाय … मेरी जान!
अंकल का हाथ मेरी पीठ पर से होता हुआ दूसरी तरफ मेरी चूची तक पहुंच कर उसे दबाने की कोशिश कर रहा था।
मेरा भी मन कर रहा था कि ब्लाउज उतार कर अंकल से यहीं चूचियां भिंचवा लूं लेकिन छत पर इतना रिस्क नहीं ले सकती थी।
दो मिनट के बाद ही अंकल के लंड ने माल फेंक दिया और मेरा पूरा हाथ उनके वीर्य में सन गया।
अंकल ने जल्दी से पास पड़े हैंड टावल से मेरा हाथ पौंछा और अपना लंड भी साफ कर लिया।
मैं भी फटाक से वहां से उठी और बाल्टी उठाकर नीचे आ गई।
मेरी चूत में पानी आ गया था।
मुझे चूत में गीलापन बिना हाथ लगाए ही महसूस हो गया था।
अब चूत को लंड लेने की खुजली मची थी।
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