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Massage Girl in Mirzapur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Mirzapur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Mirzapur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Mirzapur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Mirzapur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Mirzapur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Mirzapur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Mirzapur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Mirzapur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Mirzapur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Mirzapur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Mirzapur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

प्रेषक : सुनील Antarvasna

मैं आप लोगों को एक गर्म सच्ची कहानी Antarvasna बता रहा हूं अपने दोस्त की बीवी की चुदाई की !

मेरा एक बचपन का दोस्त है। हम दोनों एक साथ बड़े हुए और उसकी शादी हो गई। शादी के कुछ दिनों बाद वो हमेशा अपनी बीवी की चुदाई कैसे करता है, बताता रहता था। जिसे सुनकर मेरा मन भी चुदाई करने को करता था और मैं सोचता था कि वो कैसे भाभी को चोदता होगा और भाभी कैसे चुदवाती होगी।

एक दिन मैंने उसे कहा- यार ! मेर मन चुदाई के लिए करता है और मेरे पास कोई जुगाड़ भी नहीं है। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन उसने मुझे कहा कि मैं उसकी बीवी को चोदना चाहूं तो चोद सकता हूं, उसे कोई परेशानी नहीं। मैंने कहा कि भाभी क्या चुदाई के लिए मान गई

तो उसने कहा- नहीं, लेकिन मान जाएगी क्योंकि उसे ग्रुप सेक्स की कहानियाँ सुनने में अच्छी लगती हैं और मैं उसे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। आज रात को जब मैं उसे ग्रुप सेक्स की कहानी सुना कर उसकी आंखों पर पट्टी बांध कर चोदूंगा, तभी तुम भी चोद लेना। बाद में उसे बताएंगे कि तुमने भी उसकी चुदाई की है।

रात को मैं उसके कमरे में छुप गया। फ़िर भाभी आई और बोली कि तुम्हारा दोस्त गया क्या?

तो वो बोला- हाँ ! गया।

तो भाभी ने दरवाज़ा बंद कर लिया और बोली- कोई सेक्सी नग्न फ़िल्म दिखाओ ना !

मेरे दोस्त ने XXX फ़िल्म लगा दी। भाभी फ़िल्म देखते देखते गरम हो गयी और मेरे दोस्त के कपड़े उतारने लगी। फ़िर अपने कपड़े भी उतार दिए। मैं तो भाभी का जवानी से भरा बदन देख कर पागल हो गया- क्या फ़ीगर थी उनकी ३६-२६-३४ उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, उनकी इतनी खूबसूरत चूत छूने के लिए मेरा मन मचलने लगा। मेरे दोस्त ने भाभी की आंखों पर पट्टी बांध कर मुझे पास आने के लिए इशारा किया और भाभी के बदन से लिपट गया। सामने भाभी को नंगी देख कर मेरे लंड में तूफान आ गया।

फिर मेरा दोस्त भाभी की चूत घोड़ी बना कर लेने लगा थोड़ी देर में उसने अपना लंड निकाल लिया और मुझे इशारा किया कि मैं लंड डाल दूँ। मैंने तुंरत ही अपना लंड भाभी की चिकनी चूत में डाल दिया।

लंड जाते ही भाभी बोली- अचानक तुम्हारा लंड इतना मोटा क्यों लग रहा है? तो मेरे दोस्त ने उसकी आंखों पर से पट्टी खोल दी तो भाभी ने पलट कर मुझे देखा तो मुस्कराई और कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है मैं भी यही चाहती थी कि मेरी चुदाई दो दो लंड से हो, मुझे आज खूब जोर जोर से चोदो।

फिर क्या था मैं तो भाभी को खूब मस्ती में चोदने लगा और भाभी आहें भरने लगी। मैं कभी भाभी की कमर पकड़ता तो कभी चूची। फिर थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकल लिया और भाभी को लेटा दिया और कहा कि तुम बहुत सेक्सी लग रही हो और भाभी की चूत को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा भाभी सिसकने लगी और मैं चूत को अपने होटों से जोर जोर से चूमने लगा। भाभी एक दम तड़पने लगी और कहा कि मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर इसकी प्यास बुझा दो।

फिर मैंने भाभी के उप्पर चढ़ कर चूत में लंड डाल दिया और चूची मुंह में लेकर स्वर्ग का मजा लेने लगा उस समय मेरे दोस्त ने भाभी से कहा कि मैं तो पहले ही जानता था कि तुम चुदवा लोगी क्योकि ग्रुप सेक्स की कहानी सुन कर तुम बहुत जोशीली हो जाती थी। आज तुम्हें चुदते हुऐ देखने में बड़ा मज़ा आ रहा है, लेकिन तुम दोनों मेरे सामने ही चुदाई करना ! नहीं तो लोगों को शक हो सकता है।

तो भाभी ने कहा कि अगर किसी को न पता लगे तो हर औरत चुदवाना चाहती है और यहाँ तो आप मुझे चुदवा रहें हैं, अब तो मैं हर रात आप दोनों से चुदवाना चाहती हूँ।

फिर रात भर मैंने और मेरे दोस्त ने मिल कर भाभी को खूब चोदा उसके पूरे बदन को खूब प्यार किया फिर हर दो तीन दिन में हम तीनो साथ साथ चुदाई करने लगे। फिर एक दिन मेरे दोस्त की बदली पुणे हो गई और हम लोग अलग हो गए। आज कल मेरा मन चुदाई के लिए तड़पता है दिल करता है कि भाभी वापस आ जाए लेकिन ये हो नहीं सकता। Antarvasna

मैं सुनील, 26 साल का राजस्थान से हूँ। यह बात उन दिनों की है जब मैं नया-नया जवान हुआ था।

मैं एक लड़की को पसंद करने लगा, कब प्यार हुआ पता ही न चला।
इतनी ज्यादा जानकारी भी नहीं थी।

स्कूल में मुझे सब अक्षय कुमार कहते थे।
स्कूल में बहुत लड़कियों से दोस्ती थी, लेकिन उनके लाइन देने के बाद भी मुझे उनसे प्यार नहीं था। मुझे प्यार अम्रता से हुआ जो कि मेरी ही कालोनी में रहने आई थी। वो दिल्ली से आई थी।

मैं वहाँ पर क्रिकेट खेलने जाता था। उसका कद 5.5 फुट का था, गोरा-चिट्टा रंग, कालोनी के सब लड़के उसे लाइन मारते थे।

नए साल पर मैंने हिम्मत करके उसे लव-लेटर दिया तो उसने जवाब दिया।

‘आई एम सीनियर.. यू आर जूनियर…’

वो मुझसे एक साल बड़ी थी, लेकिन मुझे उससे प्यार हो गया। मैं उसे किसी भी कीमत पर प्यार करना चाहता था।

मैंने उसकी सहेली जिसका नाम अंजलि था, उससे कहा- अम्रता मुझसे रिश्ता बनाए, चाहे जो भी रिश्ता बना ले, पर मुझसे बात करे।
मैं वास्तव में उसे बहुत प्यार करता हूँ।

मेरी हालत पागलों से भी बदतर थी। मुझे न भूख लगती थी, न प्यास.. सिर्फ़ वही दिखती थी।

आखिर वो दिन आ ही गया जब उसने मुझे अपने घर बुलाया बात करने के लिए। एक बात बताऊँ वो मेरी सीनियर थी, मेरी गांड फ़ट रही थी कि कहीं मेरे घर में बता न दे।

मैं एक टॉपर स्टूडेन्ट था इसलिए मेरे सभी इज़्ज़त करते थे। मैं उसके दरवाजे पर पहुँचा तो मुझे 103 डिग्री बुखार था।

उसके छोटे भाई ने मुझे कागज़ का एक टुकड़ा दिया और बोला- दीदी ने आपको देने को कहा है।

उस पर लिखा था- आई लव यू.. माई अक्षय कुमार और इसके आगे हम क्या कहें.. जानम समझा करो। शाम 6 बजे घर पर आना। कोई नहीं होगा। मैं आपको चाय पिलाऊँगी। प्लीज़ आ जाना- तुम्हारी अम्रता।

अब तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। शाम 6 बजे मैं उसके घर गया।

उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था मेरी अम्रता बहुत खूबसूरत थी, गोरा रंग 5.5 फुट का कद.. अच्छी फिगर.. गोल चूचियाँ… गोरी जांघें.. वो सब कुछ उसमें था, जो किसी को भी पागल कर दे, लंड को खड़ा कर दे.. हाथ से लौड़ा मसलने को मजबूर कर दे।

वो 18 साल की कमसिन चुदाई वाली उमर।

यहाँ तक कि अगर कह दें तो मैं किसी को भी गोली मार देता।

उसने मुझसे नमस्ते किया तो मैं बोला- सॉरी.. आप मेरी सीनियर हैं।

वो बोली- पहले सीनियर थी.. पर आप अब मेरे सब कुछ हो।

मुझे वो महसूस हुआ जो मैं शब्दों में नहीं कह सकता हूँ।

अम्रता मेरा पहला प्यार थी उससे मुझे बेइंतेहा मुहब्बत थी।

प्रिय पाठकों, मैं उसे आज भी प्यार करता हूँ।

अब आगे सुनिए उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा- डरो नहीं.. रियली आई लव यू… मैं भी आपको चाहती थी, पर डरती थी कि कहीं आप नाराज न हो जायें.. इसलिए कभी कहा नहीं, डियर सुनील जब तुम्हारे पास लड़कियाँ होती हैं तो मैं बहुत जलन महसूस करती हूँ, मुझे दूर मत करना।

इतना कहकर वो मेरे सीने से लिपट कर रोने लगी।

मैं भी रो रहा था। पहली बार कोई लड़की मेरे सीने से लिपटी थी, उसकी चूचियां मेरे सीने से चिपक रही थीं।

मेरा लंड खड़ा होने लगा, फ़िर उसने अपने गुलाबी होंठों से मेरे होंठों को चिपका दिया और हम लोग चुम्बन करने लगे।

मैं उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर रहा था वो रो रही थी।

चुम्बन करते समय वो अपनी जीभ से मेरी को जीभ चाटने लगी ये मेरे लिए पहल अनुभव था। मेरा लंड खड़ा हो गया और उसकी चूत के पास छूने लगा।

मुझे लगा इससे वो बुरा मान जाएगी मगर वो धीरे से बोली- सुनील क्या पहले ही दिन यह सब ठीक रहेगा?

मैं बोला- क्यों.. क्या मतलब?

वो बोली- अच्छा चलो कोई बात नहीं मैं तो तुम्हारी ही हूँ.. जो करना चाहो.. करो। अब मेरे समझ में न आए कि क्या करूँ? कैसे करते हैं?

वो मेरे लौड़े पर हाथ रखती हुई बोली- सामान तो दिखाओ।

मैंने अपनी जीन्स की ज़िप खोल दी। उसके मुलायम गोरे हाथों ने मेरा 7 इन्च लम्बा मोटा लंड बाहर निकाला तो आँख मार कर बोली- यार ये तो बहुत बड़ा है।

मैं अब पूरे जोश में था।
मैं उसको बिस्तर पर ले गया और जींस उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में था।

मैं उसके होंठों को कसकर चूमने लगा। उसका कमीज उतारा, फ़िर ब्रा उतारी, मेरे हाथ में उसके गोरे-गोरे, गोल-गोल दूध थे उन पर भूरे रंग की भुंडी.. बहुत ही मस्त लग रहे थे।

वो ब्रा नहीं पहने हुए थी, सलवार का नाड़ा पकड़ कर खोला। तो उसने शरमा कर आँखें बंद कर लीं।

मैं बोला- डियर अब काहे की शरम.. मैं आपका पति हूँ।

वो बोली- तो मैं कुछ कह रही हूँ क्या…? अब आप ही मेरे सब कुछ हो… मेरा सब कुछ आपका ही है.. जो चाहो करो।

उसे विश्वास था कि हम लोगों की शादी हो जाएगी.. क्योंकि हम एक ही जाति के थे। उसके मेरे बीच प्यार बहुत था, हम दोनों के ही पिता अधिकारी हैं, इसलिए कोई दिक्कत का सवाल ही नहीं था।

मैं भी उससे शादी करना ही चाहता था। उसकी सलवार खोल कर अलग किया उसकी गोरी-गोरी जांघें मेरा स्पर्श पाकर और भी गरम हो गईं। उसकी पैंटी में थोड़ा छेद था, देखा तो मैंने उंगली डाली।

तो बोली- अरे यार दोनों पैंटी गीली थीं इसलिए यह पुरानी पहन ली थी।

मैं मुस्कुराने लगा, तो हँस कर बोली- यार तुम तो मेरी गरीबी का मज़ाक बना रहे हो।

मैं बोला- डियर आप बहुत ही मालदार हैं। बोली- माल तो नीचे है मेरे सजना.. इस चड्डी को उतार कर फ़ेंक दो और अपने माल को ले लो।

इतना कहकर वो शरमा गई।

मैंने उसकी पैंटी को उतारा तो उसकी बुर बिल्कुल गोरी.. और उस पर भूरे छोटे-छोटे बाल थे।

अब तो मैं पागल हो गया, बुर को छुआ तो लगा जैसे गरम-गरम भट्टी हो।
मैं बुर को सहलाने लगा।

‘आह ओह्ह.. क्या कर रहे हो.. प्लीज़्ज़..!’

मैंने उसकी बुर की दरार में ऊँगली डाली तो बोली- क्या ऊँगली ही डालेंगे आप? इतना कह कर चुप हो गई।

मैंने कहा- रुको डार्लिंग.. अभी सब डालूँगा जी भर कर तुझे चोदूँगा.. पहले तेरी चूत तो चाट लूँ।

मैं जीभ से उसकी चूत के दोनों हिस्सों को चाट कर चोदने लगा, इससे मैं तो उत्तेजित हो ही रहा था, वो भी ‘आह.. ओह्ह.. मार डालोगे… चोद दो.. प्लीज़्ज़..’ सिसकार रही थी।

फ़िर मैंने उसके मुँह में अपना लंड डाला वो मेरा लौड़ा चाटने लगी।
बहुत मज़ा आ रहा था।
इस 69 की अवस्था में हम दोनों पागल हो रहे थे।

अब बारी चुदने-चुदाने की थी।

वो बोली- सुनील.. लंड धीरे से डालना प्लीज़.. वरना मेरी खूबसूरत बुर फ़ट जाएगी..समझ रहे हो न…

मैंने अब उसकी बुर पर सुपारा रखा तो लंड बुर में नहीं गया..

फ़िसल गया तो हँस कर बोली- बुद्धूराम ऐसे नहीं होगा।
उसने अपने मुँह से थूक निकाल कर मेरे लंड पर मल दिया और लंड को बुर के मुँह पर खींचा।

मैंने हल्के से धक्का दिया तो बुर में दो इंच अन्दर घुस गया। वो आँखें फैला कर बोली- दर्द हो रहा है।

अब मेरे लंड को चूत की गरमी मिल गई थी।

मैं होंठों को चूसे जा रहा था… धीरे-धीरे 5-6 बार अन्दर-बाहर किया।

अब उसे भी मजा आ रहा था, वो नीचे से कमर भी हिला रही थी।
वो बोली- आप अभी इतना ही डालो… अब दर्द में भी मजा आ रहा है।

लेकिन मैं तो पूरा लंड उसकी बुर में डालना चाह रहा था।

मैं बोला- देखो अम्रता अब तुम्हें पूरे लंड का मजा देता हूँ।

मैंने दूसरा झटका लगाया तो मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी बुर में घुस गया।
वो इतनी तेज़ चिल्लाई कि मैं डर गया कि कोई पड़ोस से न आ जाए।
अब जोर से मैंने उसके शरीर पर दबाया कि वो उठ न जाए। वो दर्द से तड़फ कर बोली- हटो.. मैं मर गई प्लीज़्ज़.. खून आ गया है.. मुझे छोड़ दो प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है।

मैं जानता था कि अगर इसे छोड़ा तो फ़िर इस डर की वजह से कभी नहीं चुदवाएगी तो मैंने धीरे-धीरे 7-8 शॉट लगाए, तो उसका विरोध कुछ कम हुआ, बोली- मार डालोगे क्या?

अब वो हल्की मुस्कुराहट के साथ कमर भी हिलाने लगी।

Sex Stories

हाय ! मेरा नाम मुकेश है। मैं 22 साल 5’8 ” का लड़का हूं। मेरे Sex Stories उसका साईज़ 7″ है। आज मैं आपको अपनी एक ट्यूशन वाली स्टूडेन्ट की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूं। मैं कंप्यूटर साइंस स्टुडेंट हूँ, मैं पार्ट टाइम के लिए टूशन पढाता हूँ। 2 साल पहले की बात है उस समय मेरी एक स्टुडेंट थी सिया, साली बहुत सेक्सी थी, कहने को 10वी में थी मगर बूब्स का साइज़ देख कर लगता था कि पूरी जवान है, चलती थी तो कयामत ढा देती थी, वैसे ये बात मेरे दोस्त बोलते थे मैंने उसे ऐसी नज़र से कभी नहीं देखा था

एक दिन उसे मैथ्स में प्रॉब्लम आ गया, बेचारी ने सारी रात सोल्व करने कि कोशिश कि मगर झांट सोल्व नहीं कर पाई, उसने दूसरे दिन मुझसे वोह प्रॉब्लम पूछा मैंने एक ही बार में सोल्व कर दिया वोह पूरी इम्प्रेस हो गई, उसको हाव भाव बदलने लगे, वैसे मैं अपने स्टूडेंट्स से क्लो्ज रहता हूँ पर वोह कुछ ज्यादा ही क्लोज हो रही थी.

एक दिन उसने मुझसे कहा- सर मुझे आपसे कुछ कहना है.

मैंने कहा- बोलो सिया क्या बात है?

उसने कहा- सर अकेले में बात करनी है.

मैंने कहा- ठीक है छुट्टी के बाद रुक जाना.

उसकी आँखे चमक गई, मेरे और भी स्टूडेंट्स थे पर उनमे सबसे बड़ी सिया ही थी. सबके जाने के बाद सिया ने मुझसे कहा सर अगर मैं आपसे कुछ कहूं तो आप बुरा तो नहीं मानेगे, मैंने कहा पहले कहो तो, उसने कहा पहले प्रोमिस करिए कि बुरा नहीं मानेंगे मैंने कहा अच्छा बाबा नहीं मानूगा अब बोलो उसने कहा सर आप… आप .मुझे…अच्छे लगते है.

मैं चौंक गया, फिर सोचा मस्त माल मिल रही है छोड़ा क्यों जाए मैंने कहा वैसे मैं भी तुम्हे पसंद करता हूँ उसके बाद हमारी लव स्टोरी शुरू हुई (ऐसा वो समझती थी ), पर मुझे तो बस अपनी चूत की प्यास बुझानी थी एक दिन मैंने मौका देख कर उसे अकेले में अपने घर बुलाया, घर के सभी लोग बाहर गए थे, और 2 -3 घंटे तक उनके आने की उम्मीद नहीं थी, हम काफी करीब आ गए थे और मैंने उसे सेक्स करने के लिए मना लिया था आज अच्छा मौका था.

डोर बेल बजा मैंने दरवाजा खोला तो वो खड़ी थी जींस और टॉप में क़यामत लग रही थी, मैंने उसे अन्दर बुलाया और बोला आई लव यू सिया और उसे बाँहों में भर लिया और लिप किस करने लगा वोह भी मेरा पूरा साथ देने लगी मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और चूसने लगा, ये मेरा पहला सेक्स था,

उसके बाद मैंने उसके एक बूब को पकड़ कर दबाया, इतना मजा आया की क्या बोलूं, उसके बाद मैं अपना हाथ जींस के ऊपर ही उसके चूत पर फेरने लगा अब वोह गरम होने लगी, मैंने सबसे पहले उसका टॉप उतारा अन्दर ब्रा थी, उसके बाद जींस उतारी, फिर उठा कर बिस्तर पर ले गया वहाँ अपनी जींस और शर्ट उतार दी उसके बाद मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके मस्त गोरे गोरे टमाटर जैसे बूब्स को आजाद कर दिया.

उसके बाद मैं उसे दबाने लगा वोह सिसकियाँ ले रही थी अह ह्ह्ह्ह्ह्छ…ऊओअया अआः…

मुकेश बहुत मजा आ रहा है जान, फिर मैंने पैंटी उतारी और अपना अंडरवियर भी, वोह मेरा लंड देख कर खुश हो गई उसके बाद मैंने एक ऊँगली उसके बूर में डाल दी वोह बोली हाई…मैं मर गई उसके बाद मैं ऊँगली करने लगा, एक हाथ से ऊँगली कर रहा था और एक से उसकी बूब्स दबा रहा था.

अब वोह पूरी तरह गरम हो गई थी मैंने उसके बूर से ऊँगली निकली और खड़़ा हो गया वोह भी घुटनों के बल बैठ गई मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया फिर उसने थोडी देर तक मेरा लंड चूसा फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा, दोनों ही वर्जिन थे इसलिए किसी का गिरा नहीं फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया.

वोह चिल्लाई आआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह। ..मुकेश… धीरे .

उसके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था उसके बाद मैं लेट गया और वोह अपनी चूत मेरे लंड पर सेट करके बैठ गई अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा जब मैं झड़ने वाला था तो रुक गया और उसे के बाद गोद में बिठा के फिर से मारने लगा करीब 1 घंटे तक हमने चोदा -चोदी का खेल खेला मेरी चूत की प्यास उस दिन ठंडी हो गई. उसके बाद हम दोनों झड़ गए।

उसके बाद जब कभी भी हमे मौका मिला तो हमने होनीमून मनाया, मेरे पढ़ाने के कारण उसे 10वी में 90% मार्क्स मिले और वोह अब एक मेडिकल कॉलेज में है जब भी छुट्टी में आती है तो हम पूरा एन्जॉय करते हैं। Sex Stories

आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

Antarvasna

मेरा नाम राम है. मेरी उम्र अभी 42 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता Antarvasnaथा. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.

खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम अनिता था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.

क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.

अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर अनिता, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो अनिता मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और अनिता को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. अनिता की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.

अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.

मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.

फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद अनिता मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.

बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. अनिता ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.

बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.

करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.

मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.

अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ अनिता के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.

उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.

उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.

अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- राम … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … राम … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तो समझो कि मेरे रामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ राम मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”

मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.

कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.

मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.

अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में अनिता की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.

इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड अनिता मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.

आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान अनिता मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.

फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.

रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो अनिता मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.

आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.Antarvasna

मेरी दीदी रेशू मुझसे दो वर्ष बड़ी है उसकी शादी को दो साल हो चुके हैं। हमारा घर छोटा ही है सो इन दो सालों में मैंने जीजू और दीदी की चुदाई छुप-छुप के कई बार देखी है।

जैसे ही उनकी वासना भरी आवाज मेरे कानों से टकराती है, मेरा मन भी तड़प उठता है। मुझे भी ऐसा लगता है कि हाय राम… कोई मुझे भी आकर बजा जाये… सारा जिस्म का रस निकाल दे।

ऐसा नहीं है कि चुदाई का मजा मैंने नहीं लिया है। अपने दोस्तों से मैं आठ-दस बार चुद चुकी हूँ।
पर इस जालिम चूत का क्या करें और ये दिल… मानता ही नहीं है।

मेरी चूचियाँ भी ठीक ठाक हैं, टाईट बनियाननुमा टॉप पर ये किसी को भी घायल कर कर सकती हैं। मेरी सफ़ेद टाईट पैण्ट के तो कॉलेज में सभी दीवाने हैं…

और घर पर जीजू की तो जैसे आंखें ही नहीं हटती हैं। उनकी ललचाई आंखें मैं खूब पहचानती हूँ। जब तब वो मेरे पर कोशिश भी करते रहते थे।

मुझे भी घर में एक ही मर्द नजर आया था सो मैं भी कितनी बार उनसे द्विअर्थी शरारत करती थी, जिससे वो और उत्साहित हो जाते थे।

जब हम घूमने जाते थे तो उनके हाथ अन्जाने में… नहीं जी… काहे के अनजाने में… जान कर के कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार देते थे और कभी कोहनियों से मेरे स्तन दबा देते थे। मुझे उनकी यह अदा मस्त कर देती थी।

कल ही जीजू ने बड़ी हिम्मत की और इत्मिनान से मेरे चूतड़ सहला दिये और फिर हाथ हटा भी नहीं रहे थे। मैंने भी उन्हें गाण्ड सहलाने का पूरा मौका दिया।
जीजू को ऐसा लगा कि शायद लाईन साफ़ है।

पर मैंने जानकर के उसे अनदेखा किया। पर इससे मुझे भी जीजू के मन की इच्छा मालूम हो गई। दिल ही दिल में मैं तड़प उठी। घर आने पर भी मैं जीजू के सपनों में खोई रही।

आज सवेरे से मौसम बड़ा सुहावना हो रहा था, बरसात होने जैसा हो रहा था। जीजू बाज़ार जाने वाले थे, उन्होंने मोटर साईकल बाहर निकाली और मैंने भी जिद पकड़ ली कि मैं भी साथ चलूंगी।

दीदी ने भी मुझे ले जाने को कहा।

मैं तुरंत अन्दर गई और बनियाननुमा टॉप और सफ़ेद टाईट पैन्ट पहन आई। मैं अन्दर ब्रा नहीं पहनती थी।
मैं लपक कर मोटरसाईकल के पीछे बैठ गई।

आगे जाते ही बूंदा-बांदी शुरू हो गई। मौसम मेरे मन को भड़का रहा था। ठण्डी हवा के झोंके मेरे जिस्म को गुदगुदाने लगे थे। मेरी कठोर चूचियाँ और कस गई। मेरे चुचूक कड़े होने लगे। मैं अपनी स्थिति बयान नहीं कर सकती।

ऐसे में मैंने प्यार से अपनी कठोर चूचियाँ जीजू की पीठ पर गड़ा दी और धीरे धीरे ऊपर नीचे हिलाने लगी। जीजू के बदन में मुझे कंपकपी उभरती हुई साफ़ नजर आने लगी।

रास्ते में कई बार मैंने अपनी चूचियाँ जीजू की पीठ पर गड़ा कर मस्ती की और जीजू को उत्तेजित किया।

कुछ ही देर में बड़ी सब्जी मण्डी आ गई। हमने सब्जियाँ और फ़ल बैग में भरे और सामने हेन्डल पर लटका दिये। तभी बरसात आने लगी। जीजू और मैं भाग कर मोटरसाईकल पर बैठ गये और रवाना हो गये।

हम दोनों ही लगभग भीग चुके थे… जीजू एक बन्द दुकान के सामने रुक गये और हम शेड में खड़े हो गये। मेरी बनियान में से मेरी चूचियाँ और चुचूक यू साफ़ नजर आने लगे थे, जीजू की नजरें वहाँ से हट ही नहीं रही थी।

उनके घूरने से मुझे लगा कि आज ये तो गये काम से… बस उन्हें खोलने की आवश्यकता थी। मेरी सफ़ेद पैन्ट में से मेरे चूतड़ और सामने के कट नजर आने लगे थे।

मैं जान कर के बाहर आकर बरसात में भीगने लगी। आस पास मैंने नजर दौड़ाई, वहाँ कोई नहीं था।

‘अरे, बिल्कुल भीग जाओगी… यहाँ आ जाओ…!’ जीजू ने हाथ बढ़ाया तो मैंने जीजू का हाथ खींच लिया और उन्हें भी बरसात में खड़ा कर दिया।

‘जीजू, भीगने का मजा तो लो, अब नहीं भीगोगे तो कब भीगोगे?’ मैंने उन्हें नशीली आवाज में कहा।
जीजू भी अब भीगने लगे थे। मुझे देख कर उनका लण्ड भी खड़ा होने लगा था जो भीगे हुये पैन्ट से साफ़ नजर आ रहा था।

लोहा गर्म था… मैंने मौका चूकना उचित नहीं समझा- जीजूराम, रास्ते में आपने जाने मुझे क्या कर दिया… मैं तो अपने काबू में ही नहीं रही थी!’
मैं अपनी भीगी हुई चूचियाँ और आगे उभार कर उन्हें रिझाने लगी।

‘नीलू, ये तेरे कठोर मस्त पहाड़ मेरी पीठ पर गुदगुदी कर रहे थे, बड़े ही कठोर हैं!’ जीजू ने भी अपना पत्ता डाल दिया।

अब मेरी बारी थी- नहीं जीजू, ये ये कठोर नहीं, नरम हैं… भले ही ही छू कर देख लो!
मुझे उन्हें अपने कब्जे में लेने के लिये न्योता देना ही पड़ा। मैंने अपनी बनियान-नुमा टॉप को ऊपर से खींचते हुये कहा।

बारिश की बूंदें मेरे उरोजों पर गिर कर आग पैदा कर रही थी। जीजू ने मेरे पास आकर मेरी चूचियों को स्पर्श किया और फिर हौले से दबा दिया। मैं दिल दी दिल में खुशी से भर गई।

सारा बदन पानी में तर हो चुका था। तेज बारिश में सड़क का दूसरा किनारा भी दिखाई नहीं दे रहा था।

जीजू मुझे खींचते हुये दुकान के एक सुरक्षित कोने में ले गए और मुझे लिपटा कर मेरे चूतड़ों को मसलने लगे। उनका जोश देखते ही बनता था। कभी मेरे स्तनों को मसलते और फिर मेरे चूतड़ों की शामत आ जाती…

मुझसे भी अब रहा नहीं गया- जीजू राम, मुझे भी तो कुछ करने दो ना…
मैंने झिझकते हुए कहा।

उन्होंने प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखा…

इतना तो बहुत था। जगह पाते ही मेरा हाथ उनके नीचे पैन्ट पर उभरे हुये लण्ड से जा टकराया। एक ही झटके में मैंने उनकी पैन्ट की ज़िप खोल दी और हाथ भीतर पहुंचा दिया। उसका भारी लण्ड चड्डी के ऊपर से ही मेरे हाथों में था।

जीजू का लण्ड दबते ही उनके मुख से एक प्यारी सी कसक भरी सिसकारी निकल पड़ी। पंछी पूरी तरह से मेरे काबू में था।

हम दोनों जबरदस्त तरीके से एक दूसरे को नोच रहे थे.

जीजू ने मेरी पैन्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी चूत दबा दी। फिर उनकी एक अंगुली चूत में अन्दर सरक गई। मेरे दाने को सहलाते हुये मेरी चूत में अंगुली हिलने लगी। मैं सिसक उठी और उसी समय मैं झड़ने लगी।

जीजू का लण्ड भी मैंने खूब मसला और खींच खींच कर मस्त कर दिया, तभी जीजू के लण्ड ने अपना रस छोड़ दिया। मेरा हाथ वीर्य से चिकना हो उठा। उसके लण्ड को मसलते हुए मैंने पूरा निचोड़ दिया और फिर हाथ बाहर निकाल लिया।

जीजू ने मुझसे लिपटे हुये मेरे अधरों से अधर मिला लिये। कुछ देर तक अधरपान किया फिर हंसते हुये मैंने जीजू को पिंजरे में कैद करते हुये कहा- जीजू, आम रास्ते पर अब क्या क्या करोगे… चलो घर चलते हैं…’ मैंने सड़क पर ये सब करना उचित नहीं समझा।

‘नीलू मेरा तो माल निकल गया… अब…?’

‘सारा बारिश में धुल कर साफ़ हो जायेगा… अब खुश हो जाओ… क्या इरादा है?’

‘ऐसी घनघोर बारिश में… फिर ऐसा मौका फिर कहा मिलेगा…चलो और करें!’ जीजू का मन नहीं भरा था।
‘घर पर तो मौके ही मौके है ना…अब चलो…’ मैंने जिद की।

जीजू ने अपनी बाईक स्टार्ट की और हम भीगते हुये जिस्म की आग को ठण्डा करने का प्रयत्न करने लगे।

घर पहुंचते ही दीदी ने हमारी हालत भांप ली और उन्हे कुछ शक सा हो गया।

उन्होंने मुझ से तो नहीं पर जीजू को कहा- जल्दी से कपड़े बदल लो… अपनी जवान साली से अब चिपकना बन्द करो!’
दीदी ने कटाक्ष किया।

जीजू सुनते ही घबरा गये और अपनी सफ़ाई देने लगे। शायद उनका दीदी से कुछ कहासुनी भी हुई।
मैं सावधान हो गई। जीजू कहीं मिलते भी तो मैं बस आंख मार देती और उन्हें भी सावधान रहने को कहती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं कॉलेज से जल्दी आ गई। दीदी बाजार गई हुई थी।

मैंने तुरन्त मोबाईल से जीजू को बात की। दूसरे ही क्षण जीजू मेरे कमरे में थे।

मैं बिना कुछ सोचे समझे जीजू से लिपट गई। जीजू की लुंगी मैंने खींच दी। जीजू ने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था। उनका खड़ा लण्ड बाहर आ गया।

हाय गोरा गोरा, चिकना सा, खूबसूरत सा सलोना, लाल चमकदार सुपारा देख कर मैं तो निहाल हो गई।

मैंने भी अपनी पैन्ट उतार दी… और नीचे से नंगी हो गई। मैंने जीजू को धक्का मार कर बिस्तर पर गिरा दिया और उनके मुख पर अपनी चूत का द्वार रख दिया। मेरी चिकनी चूत पर उसकी जीभ घूमने लग गई। मेरा दाना उनकी जीभ से हिल उठा।

‘जीजू राम, आज मौका मिला है… मेरी चूत को चाट चाट कर साफ़ कर दो… बहुत तरस रही है!’

मेरी उत्तेजना से भरी आवाज को वो समझ गए। मैं अपनी चूत उनके मुख पर दबाने लगी। जीजू का हाथ मेरे टॉप के भीतर घुस पड़ा।

मैंने अपना टॉप भी उतार दिया और और पूरी नंगी गई। अब मैंने अपनी चूत नीचे सरकाई और लण्ड से टकरा दी।

जीजू के सब्र के बांध टूटने लगा था। मैंने उनका लण्ड पकड़ा और तीर को निशाने पर लगा दिया। बस कमान छोड़ने भर की देर थी… और तीर चूत के अन्दर…

‘मेरे जीजू राम… चलो शुरू करो…’ हम दोनों ने खुमारी में आंखे बंद कर ली और मैंने उनके लण्ड पर हल्का सा दबाव डाला… लण्ड भीतर समाता चला गया।

दोनों ही सिसक उठे।

‘नीलू, जरा धीरे से, झिल्ली फ़टेगी तो दर्द होगा!’ उसने आशंका जताई।

‘जीजू राम, ऐसा मत कहो ना… मैं तो कई बार चुदा चुकी हूँ… बस आपका लण्ड लेना था!’ मैंने कसकती आवाज में कहा।

‘क्या?… क्या कहा… फिर कोई बात नहीं…’ वो अब इत्मिनान से था।

‘चल ना… मस्ती से चोद यार… लगा अपना लौड़ा पूरी ताकत से कि मैं अच्छी तरह से चुद जाऊँ!’

‘नीलू, मैं तो तुम्हें मन ही मन प्यार करने लगा था…’ उसने आह भरते हुये कहा।

‘नहीं जीजू राम… मेरी बहन बहुत प्यारी है… उसका आप ध्यान रखो… और प्यार करना है ना… मैं तो यही हूँ ना… खूब करना!’

हमारी चुदाई तेज हो गई थी। मैं ऊपर से उसके लण्ड पर चूत पटक रही थी और भरपूर आनन्द ले रही थी।
‘नीलू, नीचे आ जा, जरा जोर से चोदना है मुझे, चल पलट जा!’ जीजू को अब घमासान करने की लग रही थी।

मुझे नीचे लेकर अब वो ऊपर आ गया था। उसका पहला धक्का ही मुझे मस्त कर गया। भीतर तक या जड़ तक ठोकर मार गया।

अब दूसरा उससे भी जोर का था… मैं हिल उठी… पर मस्ती में झूम गई। ऐसा जबरदस्त चोदा मारा कि मेरा सारा जिस्म जैसे जीजू का गुलाम हो गया।

‘मार और जोर से चोदा मार मेरे राजा… साली चूत को अन्दर से भी फ़ाड दे…’ वासना के नशे में मैं पसीने पसीने हो रही थी।

जीजू का पसीना भी मेरे जिस्म पर टपक रहा था। जीजू मेरी चूचियों का दुश्मन हो गया था। पूरे मन से और तरीके से उन्हें मसलते हुये मुझे जन्नत की ओर ले जा रहा था। धकाधक लण्ड पेल रहा था। मेरी चूत उसका लण्ड उछल उछल कर गपागप ले रही थी।

अचानक मुझे लगा कि बस अब मुझे कोई नहीं रोक सकता। चूत में लहरें उठने लग गई थी। मुझे लगा कि मैं अब सीमा तोड़ कर झड़ने वाली हूँ।

‘ज्ज ज ज्ज जीजूराम… अह्ह्ह्ह्ह… मैं हाय… जीजू… मुझे सम्भाल रे… मेरा रस निकला रे…जोर लगा कर चोद दे रे…’

‘मैं भी नीलू… आह्ह माल निकलने वाला है!’ और जीजू ने अपना मेरी चूत में एक भरपूर शॉट मारा और लण्ड चूत में जोर से गड़ा दिया।

मेरी चूत चू पड़ी… और झड़ने लग गई। गड़े हुए लौड़े ने भी जड़ के पास गहराई में वीर्य छोड़ दिया और दोनों ही झड़ने का लुत्फ़ लेने लगे। चुदाई मस्त थी, मैं तो पूरी संतुष्ट थी।

हम दोनों ने सफ़ाई की और कपड़े पहन लिये।

यह साली की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

ज़ीजू ने तुरन्त फ़रमाईश की- नीलू, तेरी गाण्ड मस्त है यार… अगली बार तेरी गाण्ड का नम्बर लगाते हैं!
‘धत्त… अभी नहीं…’

‘तुम आज से ही गाण्ड में तेल लगा कर दो अंगुलियों को गाण्ड में चलाओ, देखो तीन दिन में शानदार मराने लायक तैयार हो जायेगी।’
मैं हंस दी।

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