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Xxx ओरल चूत लिक कहानी में मेरी साली मेरे घर आई हुई थी. एक दिन मैंने उसे चूत में उंगली करती देख लिया. बस मुझे मौक़ा मिल गया. मैंने उसे पकड़ लिया और उसकी चूत चाटी.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम हितेश है. मैं गुजरात से हूँ.
मैं आपके लिए अपनी एक सच्ची घटना लिख रहा हूँ.
मेरी यह पहली कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आएगी. फर्स्ट टाइम लिख रहा हूँ तो थोड़ा मसाला कम मिलेगा लेकिन सच्ची कहानी है.
साली साहिबा की Xxx ओरल चूत लिक कहानी पांच महीने पहले की है.
चलो दोस्तो, पहले थोड़ा परिचय कर लेते हैं.
हमारे घर में मम्मी – पापा, मेरी पत्नी और मैं!
मैं प्राइवेट जॉब करता हूं तो हम दोनों शहर में रहते है, मेरी आयु 28 साल, मीडियम बॉडी, 5 फुट की हाइट!
मैं और मेरी पत्नी Sex लाइफ को खूब एंजॉय करते हैं.
अकसर मैं कई बार नींद में अपनी पत्नी को चूत को चाटता था.
यह मेरी आदत थी और मजा भी खूब आता था.
मैं चूत चाटने में माहिर था, मेरी बीवी को चटवाने में बड़ा मजा आता था.
अगर कोई एक बार मेरे से चूत चटवा ले तो वह दुबारा चटवाने पुनः से आयेगी.
बात उन दिनों की है जब मेरी साली हमारे यह कुछ दिनों के लिए रहने के लिए आई थी.
उसकी आयु 20 वर्ष थी.
वह काफी सेक्सी है. उसकी पतली कमर है, उसका जिस्म 34-28-32 का है मानो एकदम आलिया भट्ट!
उसके शरीर की खुशबू, उनकी नशीली आंखें, उसके रसीले होंठ, पतली कमर, गोल सुडौल चूचे … देख कर ही कितनों का पानी निकल जाता होगा।
वह अक्सर जीन्स और टीशर्ट पहना करती है और उन कपड़ों में भी मादक लगती है।
पहले अपनी साली को लेकर मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं थे.
परंतु एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद से सब बदलने लगा.
हमारे घर में 2 कमरे हैं जिनमें एक में हम और दूसरे में साली सोती थी।
मेरी पत्नी कुछ काम से पड़ोस में गई थी तो घर पर मैं और साली अकेले थे.
मैं छत पर घूमने गया और साली कमरे में अकेली थी।
जब मैं अचानक नीचे आया तो साली साहिबा के कमरे में से कुछ आवाज आ रही थी.
तो मैंने नजदीक जाकर देखा.
उसने कमरे के दरवाजे की कुंडी नहीं लगाई थी.
झांक कर देखा तो क्या नजारा था दोस्तो … क्या बताऊं … साली साहिबा मोबाइल में कोई वीडियो चला रही थी और बेड पर लेट कर अपनी जीन्स खोल कर अपने एक हाथ से चूत में उंगली आगे पीछे कर रही थी।
कभी वह उंगली मुंह में डालती, कभी चूत में!
वह अपनी मस्ती में मस्त होकर उस पल का मजा ले रही थी.
क्या चूत थी … एकदम चिकनी कुंवारी चूत … एकदम नई चूत … एक भी बाल नहीं था उसकी चूत पर!
जी कर रहा था कि अभी पूरी चाट लूं और पूरा रस पी लूं।
तभी उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी और वह शर्माती हुई थोड़ी ठीक ठाक हो गई.
वह पूरी गर्म थी.
तो मैंने उसी का फायदा उठाया.
मैं अंदर गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.
वह पहले तो मना करने लगी लेकिन वह भी गर्म थी तो खुद को रोक नई पाई और मुझे चूमने लगी कभी कान के पीछे, कभी गर्दन पर, कभी होठों पर!
वह भी मादक आवाजें निकाल रही थी- ओह जीजाजी, किस मी … आह आह!
मैं भी पूरे जोश में था.
फिर उसने मेरी शर्ट उतारनी चालू कर दी.
बदले में मैंने भी उसका टी शर्ट उतारा और उसे ब्रा में देख कर मेरा दिमाग एकदम पागल हो गया था.
मैं उसके पेट पर उसे चूमने लगा.
उसे काफी गुदगुदी होने लगी थी.
मैं उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा और काफी देर तक दबाने के बाद उसकी ब्रा की हुक खोल दी.
उसके चूचे एकदम से उछल कर मेरे सामने ऐसे आ गए जैसे उन्हें काफी दबा कर जकड़ा हुआ हो.
उन्हें आजाद करके मैं उसके एक चूचे को चूसने लगा और निप्पल पर दांतों से काटने लगा.
साली साहिबा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … ओह्ह … स्स्स … आराम से … काटो मत … ऊईई … दर्द हो रहा है … उफ्फ आआआ!
मैं- थोड़ा सा दर्द तो झेल लो मेरी साली साहिबा, इनका दूध पीना है मुझे!
वो सेक्सी हॉट गर्ल भी बहुत मज़े ले रही थी और मेरे बालों में हाथ फेर रही थी.
मैंने उसकी जींस को निकाला और उसके पैरों पर चूमने लगा.
चूमते चूमते उसकी जांघों तक आ गया और पैंटी उतारी.
उसकी चूत का नजारा देखा तो देखता रह गया … ऐसी गुलाबी एकदम साफ चिकनी चूत।
उसकी पैंटी साइड में करके मैं उसकी सील पैक चूत पे उंगली करने लगा.
इससे उसको काफी मजा आ रहा था और वह जोर जोर सांसें लेने लगी थी.
मैंने साली की चूत को हल्का सा होंठ का स्पर्श किया और उसकी चूत पर जीभ फिराने लगा.
वह कामुक आवाजें निकाल रही थी.
फिर मैंने धीरे धीरे पूरे होंठ उसकी चूत पर लगा दिये.
वह फर्स्ट टाइम अपनी चूत चटवाने का आनंद ले रही थी।
फिर मैं पूरे जोश के साथ पूरी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा.
वह मादक सिसकारी ले रही थी- और चाटो जीजा जी … और जीभ को अंदर घुसाओ … पूरा खा जाओ!
ऐसे बोली जा रही थी.
और मैं यहां रुकने वाला कहाँ था- आज तो तेरी पूरी चूत खाकर ही तुझे जाने दूँगा।
वह बोली- कही नहीं जाना मुझे … बस ऐसे ही मेरी चूत चाटे जाओ!
ऐसे ही काफी देर चूत चाटने के बाद वह झड़ने वाली थी तो बोली- मैं आने वाली हूँ … मेरी चूत के रस की एक भी बूंद बाहर नहीं जानी चाहिए जीजाजी … पूरा पी जाओ!
मैंने भी पूरा मुंह घुसा दिया.
वह अकड़ के झड़ने लगी।
मैंने एक एक कतरा रस पी लिया.
क्या स्वाद था कुंवारी चूत का … एकदम टेस्टफुल!
मैंने पूरी चूत चैट कट साफ कर दी।
तब तक टाइम काफी हो गया था तो मेरी बीवी के आने का डर था, वह कभी भी आ सकती थी तो हम दोनों फटाफट ठीक ठाक होकर फिर नॉर्मल हो गए.
इसके बाद से तो मेरी साली को चूत चटवाने का इतना शौक चढ़ गया कि उसने रात तक अलग अलग तरीके से 2 बार मेरे से चूत चटवाई.
उसके बाद जब भी मौका मिलता था तो वह Xxx ओरल चूत लिक करवा के अपनी चूत का रस मुझे पिला देती थी.
फिर मैंने भी कहा- मेरा रस कब लोगी?
तो उसने मुझे एक वादा किया कि मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी!
मैंने पूछा- वो क्या?
तो उसने कहा- उसी वक्त बताऊंगी.
तो मैंने भी हाँ कर दी।
वह बोली- ठीक है! तो बहन शाम को बाहर जायेगी तब देखेंगे।
शाम हो गई, मेरी बीवी बाजार गई।
तब मेरी साली आंखों पर बाँधने के लिए एक पट्टी ले के आई और मेरी आंखें बन्द कर दी.
गअब मैं कुछ भी नहीं देख पा रहा था।
अब वह पूरी नंगी होकर अपनी चूत फैला कर बिस्तर पर लेट गयी. चूत में उसने बहुत सारी चॉकलेट लगा ली और मुझे नजदीक लाकर मेरा मुंह पकड़ कर सीधा अपनी चूत पर लगा दिया और दबा दिया.
मैं तो सोच में पड़ गया कि यह क्या हुआ!
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और वह मजे लेने लगी.
वह बोल रही थी पूरी आवाज के साथ- पूरी चाट लो … पूरी चॉकलेट चाट कर साफ करनी है।
मैंने भी पूरी जोश के साथ उसकी चूत को कहता और सारी चॉकलेट चाट कर साफ कर दी.
उसने फिर दोबारा चूत के अंदर तक लिक्विड चॉकलेट भर ली और बोली- जीभ से निकाल कर खा जाओ!
क्या सीन था … एकदम बड़ा मजे वाला!
मैंने भी पूरी जीभ अंदर तक घुसा दी.
वह भी उछल उछल कर अपनी चूत चटवा रही थी.
और फिर साली झड़ गई और मैंने पूरा रसपान कर लिया।
तो दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है जो मैंने पहली बार लिखी है.
कहने कैसी लगी आपको?
Xxx ओरल चूत लिक कहानी पर आपकी राय जरूर देना, मेल जरूर करना.
मेरा नाम सुरेश है मैं दिल्ली में Indian Sex Stories रहता हूँ। मैं अपनी पहली स्टोरी लिखने जा रहा हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
बात उन दिनों की है जब मैं बी.ए. में था। उन दिनों मेरी चाची की बहन घर पर आई हुई थी। देखने में वो बहुत सुंदर थी और मन ही मन मैं उसको चाहने लगा था लेकिन उसको कहने से डरता था।
एक दिन घर में सब बाहर गए हुए थे और घर में सिर्फ़ मैं और वो थे। हम म्यूज़िक सिस्टम पर गाने सुन रहे थे हम दोनों बिस्तर पर एक साथ लेटे हुए थे अचानक उसके हाथ मेरे शरीर पर चलने लगे, मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिए मुझे पता चल गया की आग उस तरफ़ भी लगी हुई है।
अब मैंने उसकी चूचियों को मसलना शुरू किया, उसके मुँह से सिस्कारियां निकलने लगी। फ़िर उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और उसको सहलाने लगी। मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा, एक हाथ से उसकी गांड को मसलने लगा। उसकी गांड एक दम चिकनी और गोरी थी।
अब उसके हाथ बड़ी तेजी से मेरे शरीर पर चलने लगे। मैंने उसकी कमीज को धीरे से उतार दिया उसने कोई भी विरोध नहीं किया अब उसकी चूचियां मेरे सामने थी मैंने पागलों की तरह उनको चूसना शुरू कर दिया। उसके हाथ भी मेरी गांड पर चलने लगे और उसने मेरी पेंट को उतार दिया अब मैं सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर में था और मेरे लंड अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब था उसने जल्दी से मेरे अंडरवियर उतार दिया और मेरे लंड को चूसने लगी और अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में घुसा दी और मेरे चूतड़ों को मसलने लगी।
मैंने उसको उठाया और बिस्तर पर पटक दिया। उसके बाद मैंने उसकी सलवार को भी उतार दिया उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था मैंने पहली बार किसी की चूत देखी थी। उसकी बिना बालों की चूत को देख कर मैं पागल हो गया और चूत को चाटने लगा। उसने अपनी दोनों टाँगे मेरे कन्धों पर रख दी और बोलने लगी जोर से चाटो !
मैं भी पागल हो गया था मैंने उसके गांड की दोनों गोलाईयों को जोर से भींचा तो उसके मुँह से हल्की सी चीख निकल गयी। उसने कहा- सुरेश अब चोद दो मुझे कब से मेरी चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है।
मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को रखा और घुसाने लगा लेकिन उसकी चूत बड़ी टाइट थी और मेरा लंड उसमें घुस नहीं रहा था। यह उसका और मेरा पहला अनुभव था। अब मैंने थोड़ा और जोर लगाया तो मेरे लंड की सुपारी उसकी चूत में घुस गयी। उसने चिल्लाना शुरू कर दिया मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिया ताकि कोई आवाज़ न सुन ले और अपना पूरा जोर लगा कर लंड को उसकी चूत में घुसा दिया।
वो छटपटाने लगी। मैंने अपने शरीर के भार से उसको पूरा दबा दिया ताकि वो कहीं निकल न सके और जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिया। अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी और अपने चूतडों को उठा उठा कर धक्के मारने लगी।
मैंने उसको अपने ऊपर ले लिया और फिर से अपना लंड उसकी टाइट चूत में घुसा दिया और उसके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर धक्के लगाने लगा। सच दोस्तों ऐसा मज़ा मुझे पहली बार आ रहा था। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में भी घुसा दी और उसको अंदर बाहर करने लगा।
थोडी देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा मैं समझ गया कि वो अब छूटने वाली है मैंने झटके से उसको दोबारा अपने नीचे ले लिया और धक्के लगाने लगा उसके मुँह से आह आह की आवाज़ निकल रही थी और कह रही थी सुरेश और जोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को और यह कहते हुए वो झड़ गयी।
अब मैंने और जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और १५ मिनट तक उसको चोदता रहा। उसके बाद मैंने कहा कि मैं भी आने वाला हूँ उसने कहा मेरी चूत को भर दो अपने इस वीर्य से !
उसके बाद मैं भी जोर से आवाज़ करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके उपर ही लेट गया। हम दोनों थोडी देर उसी अवस्था में पड़े रहे। उसके बाद उसने मेरे लंड को अपने मुँह से साफ़ किया और कहा- अगली बात कब चोदोगे?
मैंने कहा अगली बार तुम्हारी गांड की बारी है।
दोस्तों आगे की कहानी अगली बार प्लीज़ मुझे बताइए कि मेरी यह सच्ची कहानी आपको कैसी लगी। Indian Sex Stories
जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मेरे पति विकास एक एम एन सी में जॉब करते हैं और अक्सर उनके पास हमारे लिए समय नहीं होता है।
हम जमींदारों के खानदान से संबंध रखते हैं और हमारी गांव में काफ़ी जमीन है और हमारा पुश्तैनी मकान भी है।
गांव के लोग विकास को ठाकुर साहब और मुझे ठकुराइन कहते हैं।
लेकिन गांव में कोई रहता नहीं है इसलिए मकान गांव के ही एक लड़के के हवाले रहता है, जिसका नाम राजू है.
वह वहां का केयर टेकर है और वहां की गौशाला में अपना तबेला भी चलाता है।
राजू विकास को भईया और मुझे भौजाई कहता है।
वह एक 28 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है और वो अकेले ही तबेले और हवेली को संभालता है।
एक बार जमीन के सिलसिले में मेरा और मेरे पति का गांव जाना हुआ।
गांव पहुंचकर मैं और मेरे पति उसी पुश्तैनी मकान में रुकने वाले थे।
हमारे आने की खबर पाकर राजू ने पहले ही हवेली की साफ सफाई करवा दी थी और हमारे रुकने की अच्छी व्यवस्था की थी।
खैर आते आते शाम हो गई थी इसलिए रात का खाना पीना करके हम दोनों हवेली में ही सो गए।
राजू हवेली के पीछे बने गौशाला के पास सोता था इसलिए वह भी वहीं सो गया।
कमरे में बहुत गर्मी थी इसलिए मुझे बड़ी मुश्किलों से नींद आई।
अगली सुबह हमें अपने खेतों का मुआयना करने जाना था।
मेरे पति अपनी कुछ जमीन बेचना चाहते थे इसलिए पहले हमारा मुआयना करना जरूरी था।
राजू के साथ हम दोनों खेतों की तरफ गए और जाकर अपनी जमीन का मुआयना किया।
लेखपाल की मौजूदगी में सारी नपाई की गई और फिर खरीददार पार्टी से फोन पर बात हुई, उन्होंने 4 दिन बाद आने की बात कही।
क्योंकि हम गांव एक हफ्ते के लिए आए थे इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं थी।
इसी तरह हमारा दिन निकल गया और फिर रात आई।
क्योंकि हम दोनों ही पूरी हवेली में अकेले थे इसलिए आज मेरा दिल कुछ मस्ती करने का कर रहा था।
मैंने आज अपने पति से कहा- क्यों न आज हम आंगन में सोएं क्योंकि कल रात गर्मी बहुत ज्यादा थी।
मेरे पति ने राजू को आवाज दी।
राजू आया और पूछा- क्या हुआ भैया, आपने मुझे इस वक्त बुलाया?
विकास ने कहा- राजू, आज तुम्हारी भाभी बहुत गर्मी लग रही है, तुम हमारा बिस्तर यहीं जमीन पर लगा दो, कुछ राहत मिलेगी।
राजू ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और कहा- अब भौजाई को गर्मी लग रही है तो गर्मी का इलाज तो करना पड़ेगा ना!
उसने मुझे देखकर मुस्कान दी और फिर आंख मारी।
मैं कुछ न बोली और शर्मा कर नजर नीची कर ली।
राजू हमारे कमरे में गया और फिर हमारे गद्दे निकाल कर आंगन में जमीन पर लगा दिए और हमारा बिस्तर तैयार कर दिया।
उसके बाद राजू चला गया।
मैं विकास के साथ लेटी थी और हम सोने की तैयारी कर रहे थे।
आज मेरा मन सेक्स करने का कर रहा था लेकिन विकास कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे।
इसलिए मैंने उन्हें उत्तेजित करने का फैसला किया।
मैंने अपनी साड़ी उतार दी और पेटिकोट ब्लाउज में आ गई।
फिर मैंने धीरे धीरे विकास के सीने को सहलाना शुरू किया।
विकास मेरे इरादे समझ गए और बोले- डार्लिंग, आज मैं बहुत थका हुआ हूं, प्लीज हम कल करें?
मैं नाराज होकर बोली- आपका रोज का यही हाल है, एक तो घर पर नहीं रहते हो ऊपर से तुम्हारी थकावट! अगर मुझसे प्यार नहीं था तो शादी ही क्यों की?
विकास मेरी बात सुनकर हंस पड़े और कहा- अच्छा बाबा सॉरी, मेरी गलती है कि हम अपनी बीवी को खुश नहीं रख पाते हैं।
यह कहकर उन्होंने मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया ‘उउम्ह उउम्ह्ह’
मैं भी इस काम में उनका बखूबी साथ दे रही थी।
कुछ देर के चुम्बन के सिलसिले के बाद मैंने अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए और विकास मेरे स्तनों को चूसने लगे।
मेरे स्तनों को पीने के बाद उन्होनें अपना पजामा उतार दिया और मैंने उनके लिंग को चूसना शुरू कर दिया।
क्योंकि हमारे बीच अक्सर ऐसा होता रहता था इसलिए मेरे लिए उनका लिंग कोई विशेष नहीं था।
कुछ देर तक उसे गीला करने के बाद मैंने अपनी पैंटी उतार दी जिसे मैंने पेटीकोट के नीचे पहना हुआ था।
अब मेरे जिस्म पर पेटीकोट और ब्लाउज थे जिसके हुक खुले हुए थे।
मैं बिस्तर पर लेट गई और विकास ने मेरे पेटिकोट को ऊपर उठा दिया।
मेरी चूत पर थूक लगा कर विकास ने अपना लंड अंदर डाला और उसे आगे पीछे करने लगे।
मेरी आंखे इस अहसास से बंद हो गई और मैं धीरे धीरे आहें भरने लगी- उफ विकास, चोदो मेरी मुनिया को … आह!
इस तरह के अश्लील वाक्य मेरे मुंह से निकलने लगे।
इस दौरान मैं एक बार झड़ गई लेकिन विकास ने ये सब जारी रखा।
काफी देर बाद विकास भी झड़ने की कगार पे आ गए और मेरी चूत में ही झड़ गए।
जब उनका गर्म वीर्य मेरी योनि में भर गया तो मैंने आंख खोली तो छत पर कोई दिखा.
कद काठी से वह राजू लग रहा था।
मैं उसे गौर से देखने का प्रयास करने लगी.
लेकिन हल्की चांदनी की वजह से मुझे उसका चेहरा साफ़ नहीं दिखा लेकिन कद काठी से मैं ये समझ चुकी थी कि वह राजू ही है।
मेरे दिल में शरारत सूझी इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा और पतिदेव को अपने ऊपर लिटा लिया.
उनको भनक भी नहीं लगी कि कोई हमें इस हालत में देख रहा है।
जैसे ही राजू को आभास हुआ कि मैं उसे देख चुकी हूं, वह दबे पांव वहां से निकल गया और अपनी खाट पर लेट गया।
मेरा मन संतुष्ट तो नहीं हुआ था लेकिन मैंने अब विकास को जगाना उचित नहीं समझा और फिर उसी के साथ उसी अवस्था में सो गई।
अगली सुबह हम दोनों मियां बीबी नंगे ही सो रहे थे।
सुबह के 7 बजे थे।
सूरज निकल रहा था और उसकी रोशनी हमारे आंगन में आने लगी थी।
इतने में ही हमारे दरवाजे पर दस्तक हुई तो हमारी आंख खुली।
मैंने झट से अपने कपड़े उठाए और पास बने कमरे में घुस गई।
विकास ने भी अंडरवियर पहनी और जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने राजू खड़ा था।
राजू के हाथ में एक जग था, वह हमारे लिए दूध लाया था।
राजू ने अन्दर झांका तो मैं उसे नहीं दिखी।
कल रात में मेरी ठुकाई देखकर जरूर उसका दिल नहीं भरा था।
राजू दूध देकर चला गया और फिर हम दोनों अपने काम काज में लग गए।
फिर हम दोनों कुछ देर के लिए खेतों की तरफ गए।
वहां विकास के पास उसकी कम्पनी का कॉल आया था कि उसे दिल्ली आना होगा क्योंकि अप्रेजल होने वाला था और उसके प्रमोशन के पूरे आसार थे।
विकास ने मुझे बुझे मन से बताया कि उसे कल दिल्ली के लिए निकलना होगा।
हमारी जमीन की डील दो दिन बाद होने वाली थी इसलिए विकास ने मुझे गांव में ही रुकने को कहा।
मैंने हामी भर दी और घर वापस आ गए।
रात को हम दोनों फिर से आंगन में लेटे।
मुझे पता था कि आज भी राजू हम दोनों को देखेगा.
लेकिन मुझे तो मजा आ रहा था इसलिए मैंने आज रात फिर से पतिदेव को गर्म करने का फैसला किया।
क्योंकि कल उन्हें जाना था इसलिए वे भी आज पूरे दिल से मेरी फुद्दी मारना चाहते थे।
मैंने उनको रोका और कहा- 10 बज जाएं तब करिएगा क्योंकि तब तक गांव के लोग सो जाते हैं।
उनको मेरी बात ठीक लगी और रात 10 बजे के करीब हमारी रतिक्रिया शुरू हुई।
छत पर कुछ आहट सुनाई दी तो मैं समझ गई कि अब राजू छत पर आ गया है।
आज रात मैं राजू को पूरी तरह से अपना बेशर्म रंग दिखाना चाहती थी।
मैंने खुद ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और जन्मजात नंगी हो गई।
मेरा गोरा बदन चांदी की तरह चमक रहा था।
मैंने विकास का लंड चूसना शुरू किया।
मैं जोर जोर से विकास का लंड चूस रही थी और मुंह से ‘ऊंह ऊऊउम्म’ की आवाजें निकाल रही थी.
आज मेरी आवाज कुछ तेज थी ताकि ऊपर बैठा राजू भी अच्छे से सुन सके।
लंड चूसने के बाद मैंने विकास को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर 69 पोजीशन में आ गई।
मैं अच्छे से उनके लंड को चूस रही थी और विकास भी अच्छे से मेरी चूत चाटने में लगे थे।
इसके बाद मैं उनके लंड को पकड़ कर अपनी योनि पर सटाया और एक झटके में वो मेरी चूत में घुस गया।
मेरे मुंह से तेजी से आहें निकल रही थीं और मैं जोर जोर से धक्के लगा रही थी।
इस तरह चोदते हुए 10 मिनट हुए थे और विकास स्खलित होने वाले थे.
इसलिए मैंने उनके लंड को चूत से निकाल दिया और उसे चूसने लगी।
विकास का वीर्य मेरे मुंह में ही छूटा और वे हांफने लगे।
मैंने भी खुद को उनके बगल में लिटा दिया और एक हाथ से उनके लंड को सहलाने लगी।
इस दौरान मैंन्र चोर नज़रों से छत पर बैठे राजू को देखा।
वह चारदीवारी की आड़ में छुपा हमारी रतिक्रीड़ा देख रहा था।
फिर जब विकास का लंड तैयार हुआ तो हमने फिर से चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया।
पूरी रात हमने 3 बार चुदाई की और सुबह 3 बजे तक हमारी मस्ती चली।
इसके बाद हम दोनों सो गए।
अगले दिन सुबह हम दोनों उठे और मैंने उनके लिए नाश्ता बनाया।
नाश्ता कर के विकास जाने की तैयारी करने लगे।
राजू उनके साथ उन्हें स्टेशन पर छोड़ने जाने वाला था।
उन दोनों को विदा कर के मैं लेट गई और मेरी आंख लग गई।
उठी तो अब तक सुबह के 11 बजे थे।
राजू विकास को छोड़कर वापस लौट आया था और गौशाला के पास बैठा था।
मुझे शरारत सूझी।
मैं राजू को छेड़ना चाहती थी इसलिए मैंने एक प्लान बनाया।
मैंने अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार दिया और सिर्फ पेटिकोट से अपना वक्ष स्थल ढक लिया जैसे अक्सर गांव की महिलाएं नहाते वक्त कर लेती हैं। मेरी आधी नंगी चूचियां और आधी नंगी जांघें प्रदर्शित हो रही थी.
मैं अपनी इस हरकत से मन ही मन बहुत उत्तेजित हो रही थी.
मैं वैसे ही राजू के पास पहुंची तो वह मुझे देखकर हैरान रह गया।
मेरा चांदी सा जिस्म उसके सामने था और मेरे पेटीकोट से मेरी वक्षरेखा झलक रही थी।
राजू ने मुझे देखा तो ऊपर से नीचे तक निहारता रहा।
फिर कामुक अंदाज़ में बोला- क्या भौजी, आज खेतों में जाकर नहाने का इरादा है क्या? कहो तो ट्यूबवेल चला दें?
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और कहा- अरे नहीं रे … खेतों में नहीं यहीं घर पर नहाऊंगी.
जब मैं नहाने बैठी तो देखा कि साबुन खत्म हो गया है.
“तुम मेरे लिए नहाने वाला साबुन ला दो।” यह कहकर मैंने राजू के हाथ में 100 का नोट रखा।
राजू ने मुस्कुरा कर कहा- वैसे आप जैसी गोरी गोरी भौजाई को साबुन में मजा नहीं आयेगा, आप कहो तो गाय का कच्चा दूध भिजवा दूं, उसी में नहा लीजिए, आप का गोरा बदन और निखर जाएगा।
मैंने कुछ नहीं कहा और हंसकर राजू की बात को टाल दिया।
मेरा नाम राहुल Antarvasna Stories है, मेरी उम्र २२ साल है। मैं ६ फ़ुट २ इंच लम्बा सांवला लड़का हूँ। मेरे लण्ड का साइज़ ७ इंच है। मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ. मैंने अपना पहला सेक्स अपनी पड़ोसन अंजलि आंटी के साथ किया था। यह उन दिनों की बात है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था। अंजलि आंटी बहुत सेक्सी थी। उनकी उस समय नई नई शादी हुई थी। उनका पति चालीस साल का था और वो केवल पच्चीस साल की ही थी। उनका गोल-मटोल बदन, उनके उभरे हुए वक्ष देख कर कोई भी अपना काबू खो दे !
मैंने मन ही मन उन्हें चोदने का सोचता था लेकिन शुरुआत कैसे की जाए यह मुझे समझ नहीं आ रहा था। उनका पति शाम की पारी में काम करके आधी रात को घर आता था और रात को अंजलि आंटी की चुदाई करता था।
एक बार उनका पति रात को एक बजे आया, मैं उस वक्त जगा हुआ था, अचानक आह आह की आवाज सुनाई दी। मैंने बाहर जाकर देखा तो उनके घर से आवाज आ रही थी। उस समय बहुत अँधेरा था और रात में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था तो मैंने हिम्मत करके उनकी खिड़की में झांकने की कोशिश की।
खिड़की में छेद थे और पर्दा लगा हुआ था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तो मैंने डंडी से खिड़की का पर्दा हटाया, अंदर जीरो-बल्ब की रोशनी थी। अन्दर का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। मैंने अन्दर देखा कि अंकल अंजलि आंटी के स्तन दबा रहे थे और वो आहऽ आहऽऽ की आवाज निकाल रही थी। कुछ देर के बाद अंकल अंजलि आंटी के ऊपर चढ़ गए और एक जोरदार धक्के के साथ अपना काला लिंग उनकी योनि में डाल दिया। अंकल दो-तीन धक्कों के बाद झड़ गये और आंटी के ऊपर सो गए। आंटी अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई थी, उनकी कामना उनकी चेहरे से मुझे साफ़ नजर आ रही थी। अंकल की ज्यादा उम्र होने के कारण आंटी संतुष्ट नहीं हो पाती थी।
तब उनकी शादी को एक साल बीत चुका था लेकिन आंटी को बच्चा नहीं हो रहा था। शायद अंकल की ज्यादा उम्र के कारण ऐसा हो रहा था। इस बात से आंटी हमेशा परेशान रहती थी। और उनकी परेशानी उनके चेहरे से साफ नजर आती थी।
एक दिन आंटी को बाजार जाना था, आंटी और मेरी खूब जमती थी। हम दोनों एक दूसरे से मजाक-मस्ती किया करते थे और नॉन-वेज़ चुटकले मारा करते थे। वो मुझसे केवल ३ साल ही बड़ी थी लेकिन अंकल की उम्र ज्यादा होने के कारण मुझे भी उन्हें आंटी कहना पड़ता था।
उस दिन मैं उनको मार्केट में शॉपिंग कराने ले गया। मार्केट में काफी भीड़ थी तो कई बार धक्के की वजह से मेरे हाथ उनके वक्ष से छू जाते थे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। मेरे साहस और बढ़ गया, मैंने जानबूझ कर उनकी गांड पर हाथ फ़िराया- वोह आह…. करके रह गई। लेकिन मुझे कुछ नहीं कहा। मैं आंटी के मन की इच्छा समझ चुका था। मार्केट से शॉपिंग करने के बाद वो घर पर आई, उन्होंने मुझे उनके साथ आने के लिए धन्यवाद कहा। अब उस पल के बाद तो मैं एक दम बेकाबू सा हो गया था।
मैंने एक दिन साहस करके उन्हें अपने दिल की बात बता दी। पहले तो उन्होंने इंकार किया लेकिन बाद में मान गई। उनके घर में टीवी नहीं था, वो अक्सर सीरियल देखने के लिए मेरे घर आया करती थी।
मेरे बीच वाले कमरे में टीवी था और वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। दोपहर का समय था, मेरी बहन अन्दर वाले कमरे में टीवी देख रही थी जहां टीवी रखा हुआ था और वो हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी उस समय घर में कोई नहीं था। मैंने दरवाजा बंद कर दिया जिससे घर में थोड़ा अँधेरा हो गया।
फिर मैं आंटी के पास गया और उन्हें चुम्बन देने के लिए कहा। पहले तो वो हिचकिचाई लेकिन मेरी जबरदस्ती के आगे उन्होंने हार मान ली और धीरे से एक चुम्बन दिया। हाय क्या जादू था उस चुम्मे में ! मैं तो एकदम बेकाबू हो गया।
दूसरे दिन मैं उनके घर पर गया, वो सोई हुई थी। जैसा कि मैंने आपको बताया कि उनका पति दिन भर कम करता था और रात को लेट ही आता था जिससे घर में दोपहर को वो अकेली ही होती थी। उनको सोता देख मैं उनके पास गया, मेरी आहट सुनकर वो जग गई। मैं झट से उनके ऊपर आ गया और उनके होटों पे अपने होंठ लगा दिए। उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरु किया। मैंने अब उनके स्तन दबाने शुरु किया- हाय, क्या गोल-गोल चूचे थे !
वो अब आह.. आह………. की सिसकारियाँ भर रही थी। उन्होंने कहा- मैं दरवाजा बंद कर देती हूँ, फिर जो करना हैं वो करना !
उन्होंने दरवाजा बंद किया और मुझसे आकर लिपट गई। मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया। उन्होंने भी मुझे जोर से जकड़ लिया। मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और उन्हें चूमने लगा. मैं उनके पूरे बदन पर पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उनके बदन से एक एक करके कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब मैंने उनकी ब्रा को उनसे अलग किया तो उनके स्तन बाहर आ गए, उन्हें देखकर मैं और बेकाबू हो गया और उनके गोरे-गोरे चूचों को जोर जोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी को उतारा। उन्होंने काले रंग की पैंटी पहन रखी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से हाथ फेरा तो वो आह…………….. करके आवाज निकालने लगी। फिर मैंने उनकी पैंटी को उनसे जुदा किया। उसके बाद का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग हो गया। उनकी चूत एकदम गुलाबी थी और हल्के-हल्के बाल थे।
मैंने उनसे पूछा- आपके तो बाल ही नहीं आये हैं?
तो उन्होंने जवाब दिया- मैं हमेशा इन्हें साफ़ करती रहती हूँ।
फिर मैंने उनके पेट पर चूमना शुरु किया तो वो एकदम मदहोश हो कर सिसकारियाँ लेने लगी। वो एकदम से गर्म होती जा रही थी। फिर मैंने उनकी चूत पे हाथ फ़िराया तो वो और रोमांटिक मूड में आ गई और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। पूरा कमरा आह………… आह की आवाजों से गूँज रहा था। अब वो एकदम सुलग चुकी थी, उन्होंने मुझे कहा- राहुल अब नहीं बर्दाश्त होता, अब मेरी प्यास बुझा दो !
लेकिन मैं धीरे धीरे सब करना चाहता था इसलिए मैं उन्हें और गर्म कर रहा था। वो अब जोर जोर से सिसकारियाँ मार रही थी। अब मैं समझ चुका था कि वो अब चरम सीमा पर पहुँच चुकी है। तो मैंने अपनी पैंट उतार दी। अब मैं उनके सामने अंडरवीअर में था। उन्होंने मेरा अंडरवीयर सरकाया, जिससे मेरा ७ इंच लम्बा लण्ड बाहर आ गया। मेरा लण्ड ७ इंच लम्बा और चार इंच चौड़ा हो गया था।
मेरा लण्ड देख कर वो थोड़ी सहम गई। मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी ?
तो उन्होंने कहा- तुम्हारा लण्ड कितना मोटा और लम्बा है ! तुम्हारे अंकल का तो छोटा और पतला है।
फिर मैंने उनको सीधा बेड पर लिटा दिया और किस करने के लिए कहा। उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लिया और हिलाने लगी। मुझ बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी तो वो चिल्ला उठी- हाई…मर गई रे. !
मैं अब अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
उन्होंने कहा- अब बस राहुल ! अब बर्दाश्त नहीं होता ! अब मेरी प्यास बुझा दे !
तो मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया, लेकिन मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। फिर मैंने एक जोरदार झटका लगाया और पूर लण्ड अन्दर चला गया और वो चिल्ला उठी- हाई मर गई रे ! निकाल इसे जल्दी ! मेरी चूत फट गई रे ! कितना मोटा लण्ड है तेरा !
तो मैं कुछ देर के लिए रुक गया और फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उन्हें भी मजा आ रहा था, वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। तक़रीबन २५ मिनट की चुदाई के बाद मैं अब झड़ने वाला था। मैंने उन्हें बताया कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि बाहर मत गिराना ! सारा का सारा मेरे अन्दर ही गिरा दो ! मुझे गर्भवती बना दो ! मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बना दो !
मैंने वैसा ही किया, मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में गिरा दिया और उनके ऊपर सो गया।
हाय क्या चूत थी उनकी ! एकदम आग थी उनकी चूत में जिससे मैं जल्दी झड़ गया। उनकी चूत मेरे वीर्य के कारण पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनसे एक बार फिर सेक्स करने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे एक बार फिर गरम किया और मेरा लण्ड तन गया।
इस बार मैंने उन्हें कुतिया स्टाइल में झुकने के लिए कहा। वो झुक गई और मैंने अपना लण्ड पीछे से उनकी चूत में डाल दिया। चूत गीली होने की वजह से जल्दी से घुस गया। अब मैं अपने धक्कों की रफ़्तार तेज करने लगा और जोर जोर से उनको चोदने लगा।
वोह आः………आह आह……..करके चिल्ला रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं झड़ गया इस दरमियान वो तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर हम दोनों एक दूसरे में उलझ कर सो गए।
उस रात को हमने छः बार चुदाई की।
अब जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई की खेल खेला करते थे।
मेरी चुदाई से वो गर्भवती हो गई और ९ महीने बाद उन्हें लड़का हुआ।
अब भी हम चुदाई का खेल खेलते रहे और दो साल के बाद वो फिर गर्भवती हुई, इस बार उन्हें लड़की हुई।
इस तरह मैंने पड़ोस वाली आंटी को गर्भवती बनाया।
अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई तो मुझे अपने विचार मेरी ईमेल पर भेजें। Antarvasna Stories
औरत की गांड की चुदाई की कहानी में मेरी छोटी बहन के पति ने मेरी गांड पहली बार मारी तो दर्द से मैं बेहाल हो गयी. पर बाद में मुझ मजा भी बहुत आया.
प्रिय पाठको,
आपने मेरी पिछली कहानी
जीजू ने किया मेरा अल्ट्रा साउंड
बहुत पसंद की.
धन्यवाद.
अब आगे औरत की गांड की चुदाई की कहानी:
अस्पताल में चुदाई के कुछ दिन बाद मेरे पति विकास को अमेरिका जाने का आदेश मिला और उन्हें इस बार करीब एक महीने तक अमेरिका में रहना था।
इस दौरान करवा चौथ का त्यौहार भी आ रहा था लेकिन मेरे पति इस समय मेरे साथ नहीं रह सकते थे।
उनके जाने के बाद मेरी आनन्द के साथ बातचीत चालू हो गई।
मैंने उन्हें बताया कि विकास अमेरिका गए हैं और मैं महीने भर चारु के साथ ही रहूंगी।
यह सुनकर आनन्द की खुशी का ठिकाना न रहा।
उन्होंने कहा- साली साहिबा, इस बार करवाचौथ हम आपके साथ मनाएंगे और आपको हमारे हाथों ही अपना व्रत खोलना पड़ेगा।
मैंने कहा- लेकिन रागिनी भी तो है, उसका क्या?
आनन्द- चिंता मत करो साली साहिबा, मैंने सारा प्लान बना लिया है।
मैंने उनके इरादे के लिए हामी भर दी।
हमारे यहां रस्म है कि लड़की शादी के बाद अपना पहला करवाचौथ अपने मायके में ही मानती है।
रागिनी करवाचौथ के दो दिन पहले ही मायके पहुंच गई थी।
आनन्द के कहे अनुसार मैंने चारु को भी अपने मायके भेज दिया।
करवाचौथ के एक दिन पहले मेरे घर पर एक पार्सल आया।
मैंने भेजने वाले का नाम देखा तो डॉक्टर आनन्द लिखा था।
मैंने पार्सल रिसीव किया और फिर बेडरूम आकर देखा कि उसमे क्या क्या है?
उस पार्सल में एक लाल रंग की साड़ी, कंगन, एक सोने का नेकलेस, झुमके, करधनी, पायल थी।
मैंने आनन्द को कॉल किया।
मैं- हेलो जीजू, आपके गिफ्ट के लिए शुक्रिया।
आनन्द- शुक्रिया मत बोलो, बस कल इसे पहनकर तैयार रहना. लेकिन एक बात का ध्यान रखना, इस पार्सल में जो है सिर्फ वही पहनना है, उसके सिवा कुछ भी नहीं।
मैं हैरान रह गई क्यूंकि उसमें पेटीकोट, ब्लाउज और ब्रा पैंटी तो थे ही नहीं।
मैंने कहा- लेकिन इसे पहनूंगी कैसे क्यूंकि बाकी कपड़े तो हैं ही नहीं?
आनन्द- मुझे नहीं पता, तुम जानो कि क्या करना है, मैं जो कह रहा हूं उतना काम होना चाहिए बस!
मैंने बेमन से हामी भर दी।
अगले दिन करवाचौथ का व्रत था।
मैं सुबह से भूखी प्यासी थी और अपने बदन को निखारने में जुटी हुई थी, मैंने सुहागन स्त्रियों की तरह मेंहदी लगाई और फिर अपने प्राइवेट पार्ट के बाल साफ़ किए।
जैसे तैसे दिन बीत गया।
रात हुई तो आनन्द मेरे मायके गए और चांद निकलने पर उन्होंने रागिनी का व्रत खुलवाया।
फिर कुछ देर बाद वो अस्पताल जाने के बहाने से निकल गए और मेरे घर पर आ गए।
इधर मैंने अपनी कमर पर एक मोटी डोरी लपेटी और उसी के सहारे साड़ी पहन ली।
मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ यही लाल साड़ी थी।
मैंने अपने वक्ष को ढका और फिर अपना शृंगार किया।
मैंने गजरा, काजल, ज्वैलरी सब कुछ पहना हुआ था और खासकर के आनन्द की दी हुई करधनी!
मैं छत पर गई और पूजा की।
मेरा गोरा बदन चांदनी में चमक रहा था, मैं अपनी साड़ी संभाल रही थी कि कहीं सरक न जाए।
पड़ोस की औरतें मुझे ही देख रही थी क्योंकि 
मैंने ब्लाउज नहीं पहना था और मेरे मोटे स्तन लटके हुए थे।
खैर किसी तरह बचते बचाते मैंने पूजा की और नीचे आ गई।
अब मैं आनन्द के आने का इंतजार करने लगी ताकि वे आकर मेरा व्रत खुलवा सकें।
दरवाजे पर घंटी बजी तो मैंने दरवाजा खोला, सामने आनन्द खड़े थे।
मैंने उन्हें अंदर बुलाया और झट से दरवाजा बंद कर दिया।
फिर मैं उनसे चिपट गई और बोली- कितनी देर लगा दी, कब से मैं प्यासी हूं, कहां थे अब तक आप?
आनन्द- आपकी बहन की प्यास बुझा रहा था, आखिर उनका पहला करवा चौथ था ना!
मैंने पानी का लोटा उठाया और कहा- लीजिए और मेरी प्यास बुझाइए।
आनन्द ने लोटा टेबल पर रख दिया और कहा- आपकी प्यास पानी से नहीं, प्रोटीन शेक से बुझाएंगे हम!
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
हमारे होंठ एक दूसरे के साथ चिपक गए और अब हमारे बीच मुख रस का आदान प्रदान होने लगा।
हम दोनों एक दूसरे की जीभ के साथ खेलते हुए एक दूसरे को चूमते जा रहे थे।
उन्होंने मेरा पल्लू मेरी छाती से हटा दिया तो मेरा बदन अर्ध नग्न हो गया।
मेरे लटकते हुए स्तन अब उनकी छाती पर दबाव डाल रहे थे और मेरी कमर उनके मजबूत हाथों के कब्जे में थी।
मैं उनका इरादा भांप गई थी इसलिए मैं जमीन पर बैठ गई और फिर उनकी पैंट को सहलाने लगी।
आनन्द तो जैसे मुझे तरसाने के इरादे से आए थे इसलिए वो चुपचाप खड़े होकर मेरी हरकत का मजा ले रहे थे।
मैंने उनकी बेल्ट उतारी और फिर उनकी जिप खोल कर उनकी पैंट उतार दी।
उनके अंडरवियर को अपने दांतों से हल्के हल्के कुरेदने लगी और फिर उसे भी नीचे कर दिया।
उनका लिंग अब मेरे सामने था लेकिन आज उसका तनाव कुछ अलग ही था शायद आनन्द ने गोली ली थी।
मुझे तो ये सोचकर और खुशी हुई और मैंने उनके लिंग के सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
आनन्द चुपचाप सावधान मुद्रा में खड़े थे और मैं अपने एक हाथ से उनके लिंग को रगड़ती जा रही थी और अपने होंठ उनके सुपारे पर टिकाए हुए थी।
पांच मिनट बाद मेरी मेहनत रंग लाई और आनन्द का लावा फूट पड़ा।
मेरा मुंह उनके वीर्य से लबालब भर गया और मैं उनके वीर्य की हर बूंद गटक गई।
उसके बाद आनन्द ने मुझे पानी पिलाया और बेडरूम में ले गए।
फिर वो किचन आए और मेरे खाने के लिए कुछ फल और दूध लेकर बेडरूम में आ गए।
आनन्द बड़े ही प्यार से मुझे फल खिला रहे थे और मैं दिनभर की भूखी बिना संकोच के उनके दिए फलों का सेवन कर रही थी।
खाने के बाद अब मेरे हलाल होने की बारी थी।
आनन्द ने कहा- साली साहिबा, आज हम आपका नाच देखना चाहते हैं, सुना है कि आप बहुत अच्छा नाचती हैं।
मैं- ठीक है जीजू, जैसा आप कहो।
मैं उठी तो आनन्द ने मेरी साड़ी का पल्लू थाम लिया और कहा- बिना साड़ी के नाचिए साली साहिबा!
मेरे जिस्म पर कपड़े के नाम पर एक यही वस्त्र था।
मैंने साड़ी उतार दी तो मैं पूर्ण नग्न अवस्था में आ गई।
मेरे गले में हार, बालों में गजरा, कमर मे करधनी, हाथों में कंगन, पैरों में पायल जरूर थे लेकिन बदन पर कपड़े के नाम पर चीथड़ा तक न था।
खैर जब इज्जत नीलाम ही हो चुकी हो तो शर्माना कैसा?
मैंने गाना लगाया
‘मुन्नी बदनाम हुई’
और उस पर थिरकना शुरू कर दिया।
मेरे लटके झटके देखकर आंनद भी जोश में आ गए और अपने कपड़े उतार कर नग्न होकर अपना लिंग सहलाने लगे।
गाना खत्म होते होते उनका लिंग पूरी तरह तन्नाया हुआ था।
मेरा मटकना अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि आनन्द मेरे पास आए और उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने निकट किया और खड़े खड़े ही अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया।
अब हम दोनों की कमर लय में एक दूसरे के साथ थिरकती जा रही थी और मेरे मुंह से काम वासना की आहें निकल रही थी।
मैंने अपनी एक टांग उठा कर उनकी कमर पर लपेट ली तो आनन्द ने सहारा देकर मेरी टांग को धर लिया।
अब मैंने अपनी बाहों को आनन्द के गले में डाल कर सहारा लिया और खुद को संतुलित किया।
आनन्द ने मेरे होंठों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया।
नीचे उनका औजार मेरी मुनिया की खुदाई करता जा रहा था।
आज आनन्द का लिंग अलग ही तरह का तनाव और आकार लिए हुए था।
गोली की वजह से उनका सुपारा टमाटर जैसा फूला हुआ था और उसकी नसें खुरदरापन लिए फूली हुई थी जिसकी वजह से मेरी योनि में रगड़ बढ़ गई थी.
उनका सुपारा जब मेरी बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो मुझे मीठा मीठा दर्द होता।
मेरी योनि तो अब झरना बन चुकी थी जिससे लगातार योनि रस बहता जा रहा था.
उनके लिंग की रगड़ और धक्के की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि मैं ज्यादा समय तक इस आनन्द को झेल नहीं पाई और मेरी योनि से फव्वारा फूट पड़ा।
झड़ने के बाद मेरी योनि ढीली पड़ गई लेकिन आनन्द अभी भी धक्के बखूबी तरीके से लगाते जा रहे थे।
मैंने अपनी दोनों टांगे कैंची की तरह उनकी कमर पर लपेट ली और फिर खुद को उनको हवाले कर दिया।
आनन्द ने मेरे नितम्बों पर हाथ लगाया और उनके सहारे मुझे उठा उठा कर धक्के लगाने लगे।
उनके हर धक्के से मेरे बदन में कम्पन पैदा हो जाता और मेरे कंगन और पायल आवाज करने लगते।
आनन्द मुझे उठाकर बेडरूम में ले आए और मेरे बेड के पास बने ड्रेसिंग टेबल पर बिठा दिया।
उन्होंने मुझे शीशे से सटा दिया और फिर मेरी चुदाई करने लगे।
मेरी आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई थी और मुंह से जोर जोर की आवाजें आ रही थी।
करीब आधा घंटा चोदने और मुझे दो बार स्खलित करने के बाद आनन्द की जवानी अपने चरम पर पहुंच गई और उन्होंने मेरी चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया।
वे किसी जोंक की तरह मुझसे चिपक गए और अपने लिंग का एक एक हिस्सा मेरी योनि की गहराई में उतार दिया।
मेरी योनि उनके लिंग का गर्मागर्म वीर्य पाकर सिकुड़ गई.
जब उन्होंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया तो उनका वीर्य मेरे कामरस के साथ मिक्स होकर चूत के दरवाजे से बहता जा रहा था।
मैंने उंगली से उनके गाढ़े वीर्य को उठाया और मजे से चाट गई, फिर टिशू पेपर से खुद को साफ किया।
अब तक मैं दो बार झड़ी थी इसीलिए मेरी भी सांसें आनन्द की तरह ही तेज हो गई थी।
मैं बेड पे लेट गई और खुद को संभालने लगी।
मेरे बदन से पसीना बहा जा रहा था और दिनभर से भूखी होने की वजह से मुझे कमजोरी सी लग रही थी।
आनन्द आकर मेरे बगल में लेट गए और मेरे स्तनों और योनि को सहलाने लगे।
मैं सिसकी भरती हुई उनके साथ इस खेल का मजा ले रही थी।
आनन्द ने एक एक कर के मेरे जिस्म से जेवर उतार दिए और अब मैं पूर्ण रूप से नग्न अवस्था को प्राप्त कर चुकी थी।
10 मिनट बाद जब मेरा जिस्म जरा संभल गया तब मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी तो आनन्द भी मेरे साथ आ गए।
मैं कमोड पर बैठ गई और मुत्ती करने लगी।
उधर आनन्द ने शॉवर चालू कर दिया।
मैं उठकर आनन्द के पास आई तो उन्होंने मेरे हाथ दुपट्टे से बांध दिए और एक पाइप में फंसा दिया।
उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया और फिर मुझे घुमाकर मेरी पीठ अपनी और और मेरा मुंह दीवार की ओर कर दिया।
इस दौरान शॉवर खुला हुआ था और उसकी बूंदें मेरे बदन को भीगा रही थी।
आनन्द ने मेरे बाल पकड़ कर उनको पोनीटेल की तरह से बांध दिया और फिर मेरे नितम्बों पर चपत लगाई।
मैं मदहोशी में इस दर्द का मजा लेने लगी।
आनन्द ने अपने हाथ मेरे नितम्ब पर फेरने शुरू कर दिए और फिर मेरे नितम्बों की दरार से अपनी उंगलियां गुजारने लगे।
उनका यह अहसास मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।
उनकी उंगली मेरी गांड पर हलचल मचाने लगी, इसका अहसास मुझे बहुत उत्तेजक लगा और मैं तनिक तनिक देर में अपनी गांड को अंदर की तरफ भींचने लगी।
अचानक वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी।
आनन्द की उंगली मेरी गांड में घुसने लगी तो मैं चीखी- आआह आनन्द … ये क्या कर रहे हो, दर्द होता है मुझे, प्लीज ये मत करो!
लेकिन आनन्द ने मेरी एक नहीं सुनी और अपनी बीच की पूरी उंगली मेरी गांड में घुसा दी।
मैं दर्द और जलन से सिसकी लेने लगी- आनन्द, प्लीज निकाल लो इसे, बहुत दर्द हो रहा है! जीजू प्लीज मान जाइए, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।
आनन्द- डरो मत साली साहिबा, मैं इतनी आराम से करूंगा की दर्द नहीं बल्कि मजा आयेगा।
आनन्द आज मेरी गांड मारने के इरादे से आए थे।
उन्होंने कंडीशनर की शीशी उठाई और उससे कंडीशनर निकालकर मेरी गांड पर मलने लगे और फिर अपने लिंग पर भी लेपन लिया।
अब उनका लिंग इतना चिकना हो गया था जैसे मोबिल आयल डालने के बाद इंजन का पिस्टन।
उन्होंने मुझे 60 डिग्री पर झुका दिया और मेरी कमर को बाहर की तरफ निकाला।
फिर वो अपना लिंग मेरी कुंवारी गांड में डालने लगे।
पहले तो वो कुछ फिसला लेकिन किसी तरह वो अपना सुपाड़ा मेरी गांड के छल्ले में उतारने में सफल हो गए।
मेरे चेहरे पर दर्द के भाव थे।
मैं होंठों को भींचे किसी तरह अपनी सिसकी रोक कर खड़ी थी।
आनन्द ने एक हाथ से मेरी चोटी पकड़ी और फिर धीरे धीरे मेरी पीठ पर किस करने लगे।
उनके चुम्बन ने मेरा दर्द कम कर दिया और फिर मैं भी तैयार हो गई, अपनी आबरू लुटवाने के लिए।
आनन्द ने अचानक से एक धक्का लगाया और उनका आधा लिंग मेरी आंत में जा घुसा- हाय दईया … मर गई मैं!
मेरे मुंह से यही आह निकली तो आनन्द ने मेरी चोटी अपनी तरफ खींच ली और फिर से एक धक्का लगाया.
इस बार मैं दर्द से चीख उठी और इसी के साथ उनका लिंग पूरा मेरी आंत में उतर गया।
मेरी आंखें दर्द के मारे भर आई और मेरे होंठ कांपने लगे।
मेरे मुंह से एक घुटी हुई आह निकली- जीजू….. दर्द हो रहा है।
लेकिन मर्द अपनी हवस मिटाने के लिए औरत को हमेशा दर्द देता आया है।
आनन्द पर मेरी सिसकी का कोई असर नहीं पड़ा।
मेरी गांड अंदर की तरफ सिकुड़ गई और आनन्द के लिंग को पूरी ताकत से भींच लिया।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मोटा गर्म लोहे का रॉड मेरी आंत में घुसा हुआ हो।
आनन्द को मेरी गांड की कसावट की वजह से धक्के लगाने में दिक्कत पेश आ रही थी- साली साहिबा, अपनी गांड को ढीला करो वरना धक्के कैसे लगाऊंगा।
मैं सुबकती हुई बोली- मुझसे नहीं हो पाएगा जीजू, प्लीज बाहर निकाल लीजिए।
आनन्द- ठीक है निकाल लूंगा लेकिन इसे ढीला करो तभी तो निकलेगा।
मैंने उनकी बात सुनकर अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया।
आनन्द ने अपना लिंग बाहर खींचना शुरू किया और जैसे ही उनका सुपारा मेरी गांड के छल्ले के पास पहुंचा, उन्होंने पूरे जोर से मेरी गांड में अपना लिंग दोबारा उतार दिया।
मेरे मुंह से दर्द भरी चीख निकल पड़ी।
अब आनन्द को मेरी गांड मारने का तरीका पता चल गया था।
वो धीरे धीरे कर के मेरी गांड को चोदने लगे और अपना एक अंगूठा मेरे मुंह में और अपनी उंगली से मेरी योनि को सहलाने लगे।
अब मुझे दर्द में कुछ कमी जान पड़ी तो मैं भी आनन्द के साथ अपनी चुदाई का मजा लेने लगी।
आनन्द का हर धक्का अब मेरे जिस्म में दर्द के साथ साथ मजे की लहर भी उत्पन्न करने लगा।
मेरी गांड को पहली बार लंड का स्वाद मिला था।
आनन्द मेरी कसी कुंवारी गांड को चौड़ा करने की भरपूर कोशिश कर रहे थे और हर धक्के के साथ ही बाथरूम में थप थप का संगीत गूंज उठता।
मेरी गांड का दबाव इतना ज्यादा था कि आनन्द ज्यादा देर तक कायम न रह सके और करीब 15 मिनट बाद ही उनका वीर्य फूट पड़ा।
मुझे मेरी गांड में बहा उनका गर्मागर्म वीर्य एक अनोखा अहसास दे रहा था।
यह पहला मौका था जब किसी ने मेरी गांड मारी थी.
लेकिन आखिरी नहीं … इसके बाद तो जैसे एक सिलसिला ही शुरू हो गया।
औरत की गांड की चुदाई के बारे में मैं आपको आगे की कहानियों में बताऊंगी।
खैर झड़ने के बाद आनन्द ने मुझे आजाद किया और फिर शॉवर तले नहला धुला कर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरे बदन में बहुत तेज दर्द हो रहा था इसलिए आनन्द ने मुझे पेन किलर दी और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ नग्नावस्था में ही सो गए।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको ये औरत की गांड की चुदाई की कहानी?
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