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Massage Girl in Angul: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Angul who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Angul that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Angul massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Angul who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Angul massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Angul massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Angul who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Angul employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Angul helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Angul

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Angul at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

मेरा नाम श्याम कुमार, उम्र Hindi Sex Stories बीस वर्ष है। मेरे पापा दुबई में एक पांच सितारा होटल में काम करते हैं। पापा की अच्छी आमदनी है, काफ़ी पैसा घर पर भेजते हैं। घर पर मम्मी और मैं ही हैं। मम्मी एक स्कूल में टीचर हैं और मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ।

घर में काम काज के लिये एक नौकरानी अंजलि रखी हुई है। अंजलि बाईस साल की शादीशुदा लड़की है। उसका पति एक प्राईवेट स्कूल में चपरासी है। अंजलि एक दुबली पतली पर गोरी चिट्टी लड़की है। वो घर पर काम करने छ: बजे आ जाती और साढ़े सात बजे तक घर का काम पूरा करके चली जाती है। फिर मम्मी भी स्कूल चली जाती हैं।

अंजलि जब सवेरे काम करने आती है तब मैं सोता ही होता हूँ। वह मुझे बड़ी देर तक सोता हुआ देखती रहती थी। उस समय मैं सुस्ती में पड़ा अलसाया सा बस आंखे बन्द किये लेटा रहता था। मुझे सुबह पेशाब भी लगता था, पर फिर भी मैं नहीं उठता था। नतीजा ये होता था कि पेशाब की नली मूत्र से भरी होने के कारण लण्ड खड़ा हो जाता था तो मेरे पजामे को तम्बू बना देता था। अंजलि बस वहीं खड़े लण्ड को देखा करती थी। मुझे भी ये जान कर कि नौकरानी ये सब देख रही है, सनसनी होने लगती थी। मुझे सोया जान कर कभी कभी वो उसे छू भी लेती थी, तो मेरे शरीर को एक बिजली जैसा झटका भी लगता था।

फिर जब वो दूसरा काम करने लगती थी तो तो मैं उठ जाता था। वो अधिकतर सलवार कुर्ते में आती थी। कुर्ता कमर तक खुला हुआ था जैसा कि आजकल लड़कियाँ पहनती है। जब वो सफ़ाई करती थी तब या बर्तन करती थी तब, वो कुर्ता कमर तक ऊपर उठा कर बैठ कर काम करती थी तो उसकी चूतड़ की गोलाईयां मुझे बड़ी प्यारी लगती थी। उसके गोल गोल चूतड़ उसके बैठते ही खिल कर अलग अलग दिखने लगते थे। उसके खूबसूरत चूतड़ मेरी आंखों में नंगे नजर आने लगते थे। मुझे उसे चोदने की इच्छा तो होती थी पर हिम्मत नहीं होती थी। कभी कभी उसे आने में देर हो जाती थी तो मम्मी स्कूल के लिये निकल जाती थी। तब वो मुझ पर लाईन मारा करती थी। बार बार मेरे से बात करती थी। बिना बात ही मेरी बातों पर हंसती थी। मेरी हर बात को ध्यान से सुनती थी। इन सब से मुझे ऐसा जान पड़ता था कि वो मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है। तब मैंने उसे पटाने की एक तरकीब सोची।

मैं उस दिन का इन्तज़ार करने लगा वो कभी लेट आयेगी तो मम्मी की अनुपस्थिति का फ़ायदा उठा कर जाल डालूंगा। फ़िलहाल मैंने उसके सामने रुपये गिनना और उसे दिखा दिखा कर अपनी जेब में रखना चालू कर दिया था। एक दिन वो लेट हो ही गई। मम्मी स्कूल जा चुकी थी। मैंने कुछ रुपये अपनी मेज पर रख दिये। दाना डालते ही चिड़िया लालच में आ गई।

मुझसे बोली- श्याम, मुझे कुछ रुपये उधार दोगे, मैं तनख्वाह पर लौटा दूंगी।”

मैंने उसे पचास का एक नोट दे दिया। एक दो दिन बाद उसने फिर मौका देख कर रुपये और उधार ले लिये। मुझे अब यकीन हो गया कि अब वो मुझसे नहीं बच पायेगी। हमेशा की तरह उसने मुझसे फिर पैसे मांगे। मैंने सोचा अब एक कोशिश कर ही लेनी चाहिये। उसकी बेकरारी भी मुझे नजर आने लगी थी।

“आज उधार एक शर्त पर दूंगा।” वो मेरी तरफ़ आस लगा कर देखने लगी। जैसे ही उसकी नजर मेरे पजामे पर पड़ी, उसका उठान उसे नजर आ गया। उसने नीचे देख कर मुझे मुस्करा कर देखा, और कहा,” मैं समझ रही हूँ, फिर भी आप शर्त बतायें।”

“आज एक चुम्मा देना होगा” मैंने शरम की दीवार तोड़ ही दी। पर असर कुछ और ही हुआ।

“अरे ये भी कोई शर्त है, आओ ये लो !”

उसे मालूम था कि ऐसी ही कोई फ़रमाईश होगी। उसने मेरे गाल पर चूम लिया। मुझे अच्छा लगा। लण्ड और तन्ना गया। पर ये भी लगा कि चुम्मा तो इसके लिये मामूली बात है।

“एक इधर भी !” मैंने दूसरा गाल भी आगे कर दिया।

“समझ गई मैं !” उसने मेरा चेहरा थाम लिया और मेरे होंठों पर गहरा चुम्मा ले लिया।

“धन्यवाद, अंजलि !”

“धन्यवाद तो आपको दूंगी मैं … जानते हो कब से मैं इसका इन्तज़ार कर रही थी !”

मैं सिहर उठा। ये क्या कह रही रही है? पर उसने मेरी हिम्मत बढ़ा दी।

“अंजलि, नाराज तो नहीं होगी, अगर मैं भी चुम्मा लू तो”

“श्याम, देर ना करो, आ जाओ।” उसकी चुन्नी ढलक गई। उसके उरोज किसी पहाड़ी की भांति उभर कर मेरे सामने आ गये। वो मुझे आकर्षित करने लगे। मैंने उसका कुर्ता थोड़ा सा गले से खीच कर उसके उभार लिये हुए उरोजों को अन्दर से झांक कर देखा। उसकी धड़कन बढ़ गई। मेरा दिल भी जोर जोर से धड़कने लगा। उसके उरोज दूध जैसे गोरे और चिकने थे। मैंने अन्दर हाथ डाला तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

“श्याम सिर्फ़, चुम्मा की बात थी, ये मत करो… !” उसने सिसकते हुये मेरा हाथ अपनी छातियों से हटा दिया।

“अंजलि, मेरे मन की रख लो, मैं तुम्हें सौ रुपये दूंगा।”

रुपये का नाम सुनते ही वो बेबस हो गई। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। मैंने उसके कुरते के भीतर हाथ डाल दिया और उसके कोमल और नरम स्तन थाम लिये और उन्हें सहलाने लगा। उसके शरीर में उठती झुरझुरी मुझे महसूस होने लगी। वो अपने धीरे धीरे झुकने लगी। पर उससे उसके चूतड़ो में उभार आने लगा। वो सिसकते हुए जमीन पर बैठ गई। उसके बैठते ही उसके चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ फिर से खिल उठी। वही तो मेरा मन मोहती थी।

मैं उसके पास बैठ गया और उसके चूतड़ो की फ़ांको को हाथ से सहलाने लगा। उसकी दरारों में हाथ घुमाने लगा। मेरा लण्ड बुरी तरह से कड़कने लगा था। उसके चूतड़ों को सहलाने से मेरी वासना बढ़ने लगी। अंजलि भी और झुक कर घोड़ी सी बन गई। मैंने उसका कुर्ता गांड से ऊपर उठा दिया ताकी उसकी गोलाईयाँ और मधुर लगे। जोश में मैंने उसकी गाण्ड के छेद में अंगुली दबा दी।

अंजलि से भी अब रहा नहीं जा रहा था, उसने हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पजामे के ऊपर से ही थाम लिया। मेरे मुख से आह निकल पड़ी।

मैंने उसे पकड़ कर खड़ा कर दिया और कहा,”अंजलि, तुम्हारी गाण्ड कितनी सुन्दर है, प्लीज मुझे दोगी ना !”

“तुम्हारा लण्ड भी कितना मस्त है, दोगे ना !”

“अंजलिऽऽऽऽ !”

अंजलि ने नाड़ा खोल कर अपनी सलवार उतार दी और कुर्ता ऊंचा कर लिया। उसके चूतड़ों की गोरी गोरी गोलाईयाँ मेरे सामने चमक उठी। मैं तो उसकी गाण्ड का पहले से ही दीवाना था। उसे देखते ही मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने हाथ में थूक लगा कर उसकी गाण्ड के छेद में लगा दिया और पजामा नीचे करके लण्ड छेद पर रख दिया। मेरे दिल की इच्छा पूरी होने के विचार से ही मेरे लण्ड के मुख पर गीलापन आ गया था। मेरी आंखे बन्द होने लगी। मेरा लण्ड उसके भूरे रंग के छेद पर बार बार जोर लगा रहा था। गुदगुदी के मारे वो भी सिसक उठती थी।

छेद टाईट था पर मर्द कभी हार नहीं मानता। किले को भेद कर अन्दर घुस ही पड़ा। अंजलि दर्द से कराह उठी। मुझे भी इस रगड़ से चोट सी लगी। पर मजा अधिक था, जोर लगा कर अन्दर घुसाता ही चला गया। मेरे दिल की मुराद पूरी होने लगी। कमर के साथ मेरे चूतड़ भी आगे पीछे होने लगे। अंजलि की गाण्ड चुदने लगी। उसके मुँह से कभी दर्द भरी आह निकलती और कभी आनन्द की सिस्कारियाँ। इतनी सुन्दर और मनमोहक गाण्ड चोद कर मेरी सारी इच्छायें सन्तुष्टि की ओर बढ़ने लगी।

उसके टाईट छेद ने मेरी लण्ड को रगड़ कर रख दिया था। मैं जल्दी ही उत्तेजना की ऊंचाईयों को छूने लगा और झड़ने लगा…मैंने तुरन्त ही अपना लण्ड बाहर खींच लिया और वीर्य की बौछार से गाण्ड गीली होने लगी। मैंने तुरन्त कपड़े से उसे साफ़ कर दिया। हम दोनो ही अब एक दूसरे को चूमने लगे।

वो अब भी प्यासी थी…उसकी चूत मेरे लण्ड से फिर चिपकने लगी थी। मेरा लण्ड एक बार फिर खड़ा हो गया था। मैंने अंजलि को बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर छाने लगा। वो मेरे नीचे दब गई। लण्ड ने अपनी राह ढूंढ ली थी। नीचे के नरम नरम फूलों की पंखुड़ियों के पट को खोलते हुए मेरा सुपाड़ा खाई में उतरता चला गया। तले पर पहुंच कर गहराई का पता चला और वहीं पर तड़पता रहा।

खाई की दीवारों ने उसे लपेट लिया और लण्ड को सहलाने लगी। मुझे असीम आनन्द का अनुभव होने लगा। लण्ड में मिठास भरने लगी। मेरे धक्के तेज हो चले थे, अंजलि भी अपने चूतड़ों को झटका दे दे कर साथ दे रही थी। उसके मटके जैसी कमर और कूल्हे सरकस जैसी कला दिखा रहे थे। मैं चरमसीमा पर एक बार फिर से पहुंचने लग गया था। पर मेरे से पहले अंजलि ने अधिक उत्तेजना के कारण अपना पानी छोड़ दिया। मैं भी जोर लगा कर अपना वीर्य निकालने लगा। उसकी चूत वीर्य से भर गई। मेरा पूरा भार एक बार फिर अंजलि के शरीर पर आ गया। हम दोनो झड़ चुके थे। अंजलि जल्दी से उठी और अपने आप को साफ़ करने लगी।

“श्याम, सच में मजा आ गया… कल भी मौका निकालना ना !”

चाची की भोसड़ी का भोसड़ा बनाया-Antarvasnaअब उसकी नजरें मेरे पर्स पर थी। मैं समझ गया, उसे एक पचास का नोट और दे दिया। अब वो अपनी ऊपरी कमाई से खुश थी। उसने नोट सम्भाल कर रख लिये। और मुस्कुरा कर चल पड़ी…शायद अपनी सफ़लता पर खुश थी कि मुझे पटा कर अच्छी कमाई कर ली थी। और उसे आगे भी कमाई की आशा हो गई थी। लण्ड में ताकत होनी जरूरी थी पर साथ में शायद पैसे की ताकत भी मायने रखती थी… जो कुछ भी हो मैंने तो मैदान मार ही लिया था। Hindi Sex Stories

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मैं शहर की एक घनी आबादी में Hindi Porn Stories रहती हूँ। आस पास दुकानों के अलावा कुछ नहीं है।
मेरे पड़ोस में मेरे ऊपर वाले कमरे के सामने ही एक कॉलेज का विद्यार्थी रहता था। मैंने जब पढ़ाई के लिये ऊपर वाले कमरे में शिफ़्ट किया था तो मेरी नजर उसकी खुली हुई खिड़की पर पड़ी। मैंने अपनी खिड़की पर पर्दा लगा लिया कि जो कोई भी वहाँ रहता हो मुझे नहीं देख पाये। पर कुछ ही दिनों में मुझे पता चल गया कि उस कमरे में rahul रहता था जो मेरे ही कॉलेज में पढ़ता था। शायद उसे कमरा अभी ही किराये पर दिया था।

मैं रात को देर तक पढ़ती थी। rahul भी रात को देर तक पढ़ता था। मैं कभी कभी झांक कर खिड़की से उसे देख लेती थी।

एक बार हमारी नजरें मिल ही गई। अब हम दोनों छुप छुप कर एक दूसरे को देखा करते थे। एक बार तो rahul खिड़की पर आ कर खड़ा ही हो गया। मुझे सनसनी सी आ गई। मैंने जल्दी से पर्दा कर दिया और पर्दे के पीछे से उसे देखने लगी, मेरा पर्दे में से देखना उसे पता था। अब वो मुझ में रूचि लेने लगा था। मुझे देख कर वो मुस्कुराता भी था। एक दिन उसने मुझे हाथ भी हिला कर अभिवादन किया था। धीरे धीरे मैं भी उससे खुलने लग गई और उसे देख कर मुस्कुराती थी।

कुछ ही दिनो में हम रात को जब कभी एक दूसरे को देखते थे तो मैं भी हाथ हिला देती थी। एक बार पत्थर में लिपटा हुआ एक कागज मेरे खिड़की के अन्दर आ गिरा। मेरा दिल धक से रह गया। मैंने उसे उठाया। तो वह rahul का पत्र था। एक साधारण सा पत्र, जिसमें सिर्फ़ शुभकामनायें थी। मैंने उसे फ़ाड़ कर नीचे फ़ेंक दिया। एक दिन मैंने भी उसे पत्र लिख दिया और उसे भी शुभकामनायें दी। बस पत्रों का सिलसिला चालू हो गया। एक दिन उसकी एक फ़रमाईश आ गई।

“स्वीटी, सिर्फ़ एक हवाई किस करो!”

मैंने शरारत में उसे हवाई किस कर दिया। अब हम पत्रों में खुलने लगे। उसने एक बार लिख दिया कि वो मुझे प्यार करता है और मिलना चाहता है। मेरा दिल बस इसी चीज़ से डरता था। मैंने मना कर दिया।
एक बार उसने लिखा- मुझे अपनी चूचियाँ खिड़की से दिखा दो।
मैंने शर्माते हुए मेरा एक स्तन उसे दिखा दिया।

मैंने जवाब में लिखा- मैं भी कुछ देखना चाहूंगी, क्या दिखाओगे?
तो उसने अपना पजामा नीचे खींच कर अपना खड़ा हुआ लण्ड दिखाया।
मुझे बड़ा रोमान्च हो आया; मुझे मजा भी आया। अब जब तब हम एक दूसरे को अपने गुप्त अंग दिखा दिखा कर मनोरंजन करने लगे।

मुझे ये नहीं पता था कि मैं जो पत्र फ़ाड़ कर नीचे फ़ेंक देती थी उसे मेरा छोटा भाई उठा कर जोड़ कर पढ़ लेता था। यहाँ हमारी प्यार और सेक्स की पींगे बढ रही, वही भैया भी मुझे चोदने का प्लान बनाने लग गया था।

एक रात को मैंने पत्र rahul की खिड़की में फ़ेंका तो वो खिड़की से टकरा कर नीचे गिर गया। मैं भाग कर नीचे गई तो वो मुझे नहीं मिला, रात में कहाँ गिरा होगा मुझे पता नहीं चला। सुबह ढूँढने की सोच लेकर मैं ऊपर आ गई; देखा तो भैया मेरे कमरे में था; उसने कहा- इसे ढूँढने गई थी क्या?”
“भैया, मुझे वापस दे दो, देखो किसी को बताना नहीं!”

उधर rahul ने देखा कि कमरे में भैया है तो उसने खिड़की बन्द कर ली।
“बताऊँगा तो नहीं अगर, जो मैं कहूँ वो करेगी तो!”
हम बिस्तर के बिस्तर पर दीवार का सहारा ले कर बैठ गये।
“हाँ हाँ कर दूंगी, इसमें क्या है… फिर वो दे देगा!”
“हाँ ज़रुर दे दूंगा… तो फिर टॉप को थोड़ा ऊपर कर दे…”
“क्या कहा…मैं तेरी बहन हूँ!” मैं उछल पड़ी।
“तो क्या… पापा से बचना है तो मुझे दुद्धू दिखा दे!” उसने मुझे धमकी दी।

मैंने हिम्मत करके अपनी आंखे बन्द कर ली और टॉप ऊपर उठा लिया। मेरे दोनों स्तन बाहर छलक पड़े। भैया ने तुरन्त मेरे स्तनों को पकड़ लिया और दबा दिया।
“ना कर भैया…” पर जैसे मेरे शरीर में बिजली कड़क उठी; सारा जिस्म एक बारगी कांप गया; मीठी सी लहर दौड़ गई।
“अब अपना स्कर्ट ऊपर कर…”
“ऐसे तो मैं नंगी दिख जाऊँगी ना!”
“वही तो देखना है…rahul को तो खूब दिखाती है!”
“पर वो मेरा भाई थोड़े ही है” मैं नर्वस होती जा रही थी पर जिस्म में एक सनसनी फ़ैल रही थी; मैं भी अब वासना में बह निकली।
“दीदी, दिखा दे ना, अच्छा देख फिर मैं भी अपना तुझे दिखाऊँगा!”
“सच, तो पहले दिखा दे, कैसा है तेरा?” मेरे स्वर भी बदलने लगे।

मुझे भैया अब सेक्सी लगने लगा था। उसकी बाते मुझे रंग में लाने लगी थी। मेरा मन अब डोलने लगा था। भैया ने जल्दी से अपना पैन्ट उतार दिया दिया और उसका लण्ड बाहर निकल आया।
“मैं छू लूँ इसे?” मुझे सनसनी सी लगी।
“नहीं नहीं छूना नहीं, पकड़ ले इसे और मसल डाल!”
“हट रे!” मैंने उसके लण्ड को पकड़ लिया, गरम हो रहा था, लाल सुपाड़ा भी चमक उठा था।

“अब बता ना तू भी!”
मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा दी।
“तूने तो पेंटी ही नहीं पहनी है!”
“अभी rahul को दिखा रही थी ना…!”
“अच्छा, तो अब ये ले!” ये कह कर उसने मुझे दबोच लिया और मेरे ऊपर आ कर कुत्ते की तरह अपने चूतड़ चलाने लगा।
“क्या कर रहा है? क्या चोदेगा मुझे…? सुन ना rahul को बुला दे ना!” मैंने मौका देख कर उसे कहा।
“पहले मेरी बारी है, फिर उसे बुला लूंगा, बहन मेरी है, पहले मैं चोदूंगा!” उसने अपना हक बताया।

“तो चोद ना जल्दी, या कहता ही रहेगा!” उसने अब जोर लगाया और लण्ड चूत में घुस पड़ा।
“अरे यार, तू तो चुदी चुदाई है, किस किस से लण्ड लिया है अब तक?”
“अरे तो चोद ना, खुद भी कौन सा पहली बार चोद रहा है?”
“तुझे क्या पता? जरूर आशा ने कहा होगा!”
“नहीं तो… अरे धक्के मार ना…!”
“तो पारुल ने कहा होगा?”
“हाय रे पारुल? मेरी सहेली? नहीं यार… लगा जरा जोर से!”
“अच्छा तो दीपिका ने बताया होगा?” एक के बाद एक सारी पोल खोलता गया।

“अरे चोद ना मुझे ठीक से, तू तो मेरी सारी सहेलियों को तो चोद चुका है, पर इन्होंने नहीं कहा, वो तो तेरे लण्ड के सुपाड़े की त्वचा फ़टी हुई है इसलिये कह रही हूँ!” मैंने हंसते हुए कहा।
“धत्त तेरे की, मैंने तो सारी पोल खोल दी… साली तू तो एक नम्बर की हरामी निकली!” उसने धक्के बढ़ा दिये।

“भैया! हाय रे दम है रे तेरे लण्ड मे…मजा आ रहा है, लगाये जा रे!” मुझे मजा आने लगा था। मैं भी उसका लण्ड चूतड़ उछाल उछाल कर ले रही थी। वो मेरे बोबे मसलता जा रहा था।
“मेरी बहन कितनी प्यारी है! क्या चूत है! अब तो रोज चोदूंगा तुझे!”
“भैया, rahul को बुला देना ना, फ़िर दोनों मिल कर चोदना, आगे से भी और पीछे से भी!”

उसके धक्के तेज हो उठे थे, मेरा भी हाल अब बुरा हो चला था। मेरी चूत अब रस छोड़ने वाली थी, मैंने भैया को जकड़ लिया और अपने चूत का जोर लण्ड पर लगाने लगी। एक लम्बी सांस के साथ
मैंने आंख बन्द कर ली और अपना बदन कसने लगी, इतने में पानी छूट पड़ा और मैं झड़ने लगी। उसी समय भैया ने भी अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरे ऊपर पिचकारी छोड़ने लगा। मेरा सारा शरीर और कपड़े सभी कुछ वीर्य से गन्दे कर दिये।
“मजा आ गया स्वीटी, अब मैं रोज चोदूंगा तुझे, तू तो यार बहुत मजा देती है!”
मैं भी झड़ कर शान्त लेटी थी और भैया को देखती रही।

भैया कुछ देर तक तो बातें करता रहा फिर जाने को हुआ।
“मैं अब जाता हूँ, रात बहुत हो गई है” पर मैं कैसे जाने देती
“चले जाना ना, अभी एक बार और मजे करे?” ये सुनते ही भैया खुश हो गया और फिर से मेरे बिस्तर पर आ गया। हम दोनों फिर आपस में गुथ गये। उसका लन्ड मेरी चूत के दरवाजे पर आ टिका… और कमरे में एक बार फिर सिसकारियाँ गूंज उठी। Hindi Porn Stories

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राजस्थान में मैं जयपुर, बीकानेर Antarvasna Sex Stories और उदयपुर में घरों में काम कर चुकी थी। यहाँ उदयपुर में मुझे इस घर में काम करते हुए करीब दो महीने हो गये थे। राज सिन्हा साहब की पत्नी नहीं थी, उनका स्वर्गवास हुए कई वर्ष गुजर चुके थे। वे राजपूत थे, सभी राज साब को बन्ना सा कहते थे। उनके दो लड़कियाँ थी जो अजमेर में कॉलेज में पढ़ती थी। घर में वो अकेले ही रहते थे। राज की उम्र लगभग पचास वर्ष की थी। वो अक्सर मुझे घूरते रहते थे। मैंने उस तरफ़ ज्यादा ध्यान नहीं कभी नहीं दिया।

मेरे पति मजदूरी के काम से आस पास के शहर में चले जाया करते थे। घर पर भी मैं अकेली ही रहती थी। चुदाने आस और प्यास की ललक बढ़ती ही जा रही थी। जवानी का आलम मुझ पर भी चढ़ा हुआ था। जब डाली फ़लों से लद जाती है तो स्वमेव ही झुकने लग जाती है। मेरे भी अंग-अंग में से जवानी छलकती थी। मेरे फ़ल भी लद कर झूल रहे थे। मन करता था कि इन फ़लों का रस कोई चूस ले, कोई मेरे फ़लों को खींचे, मसले और मरोड़ डाले। मेरे चूतड़ों की गोलाईयां मस्त लचकदार थी, दोनों चूतड़ चिकने और अलग अलग खिले हुए थे। दरार तो मानो दूसरों के लण्ड को अन्दर समाने के लिये आमन्त्रित करती थी। मेरे मन की बैचेनी भला कोई क्या जाने ?

इसी प्यास में कभी कभी मेरी नजर उनके पजामे पर भी चली जाती थी और उनके झूलते हुए लण्ड को पजामे के ऊपर से ही महसूस कर लेती थी। जब राज मूड में होता था तब वो सोफ़े पर बैठ कर अखबार पढ़ने का बहाना करता था और अपना खड़ा हुआ लण्ड पजामे में से मुझे दिखाने की कोशिश करता था। अपनी अन्डरवियर जिसमें वीर्य भरा हुआ होता था, मुझे धोने के लिये देता था। उसकी इस हरकत पर मुझे हंसी आती थी। मुझ पर डोरे डालने के तरीके मैं जानती थी। मेरे मन में कसक भी उठती थी कि इस पचास साल के जवान को पकड़ लूँ और उसकी ढलती जवानी को चूस डालूँ। मुझे भी जब वो अपनी हरकतों पर मुस्कुराते देखता तो उसकी हिम्मत बढ़ जाती थी।

पर एक दिन ऐसा समय आ ही गया कि वो चक्कर में आ ही गया। क्यों ना आता, आग जो दोनों तरफ़ बराबर सुलग रही थी। उसका लण्ड मुझे चोदने के लिये बेताब हो रहा था और मेरी चूत उसे देख कर पानी छोड़ रही थी और लार टपका रही थी।

उस दिन मुझे यह भी पता चला कि काम करते समय मेरे ब्लाऊज में से मेरे बोबे को वो झांक-झांक कर देखता था। मेरा ध्यान ज्योंही मेरे ब्लाऊज की तरफ़ गया, मैं शरमा गई। मेरे बैठ के काम करने से मेरे चूतड़ों की गोलाईयां उभर कर दिखती थी, जिन्हें वो बडे शौक से निहारता था। उसकी बैचेनी मैं समझने लगी थी कि बिना औरत के आदमी की इच्छायें कितनी बढ़ जाती हैं। मुझे उन पर दया आने लगती थी। कभी कभी उसकी यह हालत देख कर मेरी चूत भी गरम हो उठती थी, तो गीली हो कर मेरी चड्डी भिगा देती थी। मैं उसकी बैचेनी बढ़ाने के लिये अपने स्तनों के दर्शन उसे रोज़ कराने लगी, उसे उत्तेजित करने लगी। बस इस दया ने मेरी चुदाई करवा दी।

उसका लण्ड खड़ा था और उस पर उनका हाथ कसा हुआ था। बस देखते ही मेरी चूत फ़डक उठी। मेरी वासना भी जाग उठी। इच्छा हुई कि उसका लौड़ा पकड कर मसल डालूँ।

“बाबूजी, नीचे तो देखो… ” राज ने कुछ ओर समझा और झट से लण्ड पर से हाथ हटा लिया,”क्या हुआ…?”

“वो सोफ़े के नीचे से सफ़ाई करना है…” उसकी बौखलाहट पर मैं हंस पडी…

“ओह्ह… मैं कुछ और समझा…”

“मैं बताऊं… आप समझे कि आप रे नीचे…” मैंने मुँह दबा कर हंस दी।

“चल हट… अब अकेला हूं तो मजाक बनाती है !”

” आप अपने आप को अकेला मती समझो जी… मैं भी तो हूँ ना !” मैंने उसके खडे लण्ड को देख कर मसखरी की।

“सच लच्छी… ” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मेरे शरीर में करण्ट दौड़ गया। उसका उतावलापन भड़क उठा।

“साब… हाथ छोड़ दो…” पर मैंने हाथ छुड़ाया नहीं।

वो और आगे बढ़ा और मुझे अपनी तरफ़ खींचा। उसके जिस्म में जैसे ताकत भर गई। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसकी आंखो में वासना की प्यास और दया की भावना दिखी।

“देख लच्छी, तू भी जवान है और मैं भी, देख मुझे खुश कर दे… मैं तुझे पैसे दूंगा !”

मैं लड़खड़ाती हुई उसके सीने से टकरा गई। पैसे का लालच भी आ गया, और चुदाने की इच्छा भी जागृत हो उठी। दबी जुबान से नीचे देखते हुए बोली,”साब पूरे सौ रूपिया लूंगी…फ़ेर तो जो मर्जी हो आपरी !” मेरे इतना कहते ही उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया और लण्ड मेरी चूत में दबाने लगा।

“साब अभी नहीं … माने तो सरम आवै…रात ने आ जाऊंगी…!” दिन को चुदने में शरम आती थी सो धीरे से बोली।

“दिन को यहाँ कौन है… !”

मैंने उसके जिस्म को सहलाया। राज ने भी मेरे स्तनों पर हाथ रख कर उन्हें सहलाना आरम्भ कर कर दिया। मेरे जिस्म में बिजलियाँ दौड़ने लगी। मैंने यह तो कभी सोचा ही नहीं था कि बात सीधे ही चुदाई तक आ जायेगी। पर उसका कई दिन का प्यासा लण्ड कुलांचे मारने लगा था। उसकी ऐसी हालत देख कर मुझे दया आ गई और धीरे से उसका लण्ड थाम लिया। उसका लण्ड फ़ड़क उठा और जोर मारने लगा। मेरी चूत भी चुदने के लिये लपलपाने लगी।

“बाबू जी, ये तो घणों मोटो है … माने तो डर लागे…!”सच में उसका लण्ड मोटा था।

“लच्छी, अब कुछ ना बोल, बस मेरे गले से लग जा…!”

राज ने मुझे जोर से भींच लिया। मेरी पीठ पर उसके हाथ खरोंचे मारने लगे। मेरा बदन भी वासना से जल उठा। मैं धीरे धीरे रंगत में आने लगी और मेरी नौकरों वाली भाषा पर आ गई

“बाबू जी, आपरो लौड़ो तो मस्त हो गयो है … अब तो मने चोद ही मारेगो…!” मैं आह भरती हुई बोली।

मेरी भाषा सुन कर उसके शरीर में सनसनी दौड़ गई। उसके जिस्म में जोश भर गया। मेरा ब्लाऊज के बटन खुलने लगे, ब्रा का हुक भी खुल गया। कुछ ही समय में मेरा ऊपर का तन नंगा हो गया। मेरे तने हुए सुन्दर गोल उभार उसके सामने थे। उसके कपड़े मुझे अब नहीं सुहा रहे थे।

“थारी कच्छी भी तो उतार नाक नी… कई सरमाने लागो है !” मैं हंस कर बोली।

“ले मैं तो चड्डी बनियान सभी उतार देता हू… पर तेरा पेटीकोट…” उसने भी नंगी होने की फ़रमाईश कर दी।

“ना रे बाबू जी, मारो भोसड़ो दीस जावेगो…” मैं नंगी होने को उतावली हो रही थी।

“क्या… भोसड़ा…” राज को हंसी आ गई। “साली बड़ी बेशरम है !”

मैंने अपना पेटीकोट उतार दिया। और अपनी चूत राज के सामने उभार दी। राज देखता ही रह गया।

“अब उतारो नी… आपरो लौड़ो रो दर्सन कर लूँ… मोटो और लाम्बो है नी, म्हारो भोसड़ो पसन्द आयो…?” राज को हंसी आ गई, उसने अपने पैन्ट और चड्डी उतार दिये। सच में उसका लण्ड मोटा और लम्बा था। हम दोनों अब पूरे नंगे थे और आपस में लिपटने की कोशिश कर रहे थे। उसका लण्ड मेरी चूत के आस पास ठोकर मार रहा था पर मुख्य द्वार पर से फ़िसल जा रहा था। मैं भी अपनी चूत को लण्ड के निशाने पर ले रही थी कि छेद पर लगते ही भीतर समा लूँ। राज ने मुझे मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे कस लिया। तभी लण्ड छेद से टकरा गया और मेरी चूत खुल गई। दोनों ही निशाने पर थे। मैंने चूत पर जरा सा जोर लगाया और लण्ड ने मेरी चूत चीर कर भीतर झन्डा गाड़ दिया।

“आह, बन्ना सा… घुसेड़ मारियो…यो तो घणों तगड़ो है… कांईं तेल पिला राख्यो है… आह्ह !”

“ले आजा पलंग पर चुदाई करे…”

मैं अपनी चूत हिलाते हुए लण्ड को अन्दर बाहर करने लगी,”बाई रे… भीतर मारो नी… भोसड़ो मार दो बन्ना सा… हाय बाबूजी…”

राज ने मुझे पास ही लण्ड घुसाये ही पलंग पर धीरे से लेटा दिया… और मुझे नीचे दबा डाला,”तू तो बिलकुल नयी लगे है रे… तेरी चूत तो टाईट है…फिर भोसड़ा क्यों कहती है?” उसने वासना भरी नज़र से मुझे देखा।

“इसे कूण चोदे ! साली भुक्खी है लौड़े की… भोसड़ा तो म्हारी भासा है बन्ना सा !” मैं उसके मोटे लण्ड को पाकर निहाल हो गई थी। दीवारों को रगड़ता हुआ लण्ड भीतर समा रहा था। दर्द उठने लगा था। चूत से लण्ड की मोटाई सहन नहीं हो रही थी। राज तो मस्ती में अपना लण्ड अन्दर बाहर करने में लगा था।

“थारा लौड़ा है या लक्कड़… धीरे धीरे चूत मारो जी…”

मेरी भाषा सुनकर वो और जोश में आ गया और मुझे दबा कर लण्ड पूरा जोर लगा कर पेल दिया। मैं चीख उठी… उसने फिर एक और झटका दिया पूरा लण्ड निकाल कर पूरा ही फिर से घुसेड़ मारा…

मैं फिर से चीख उठी… मेरी चीखे शायद उसकी उत्तेजना बढ़ा रही थी, उसने जोर जोर से लण्ड चूत पर पटकना चालू कर दिया… मैं चीखती रही और अब धीरे धीरे मजा आने लगा। मैं सीधी लेट गई और अपनी सांसे ठीक करने लगी। अब मैंने नीचे से हौले हौले कमर हिला कर उसका साथ देना चालू कर दिया। मुझे अब मजा आने लगा था। मोटे लण्ड ने मेरी टाईट चूत को खोल दिया था। अब मैं भी राज से चिपकने लगी थी। मेरे शरीर में रंग भरने लगा था। तबीयत मचल उठी थी। चूत में चिकनाई और खून मिल कर लण्ड को चिकना रास्ता दे रही थी।

“मारो… भोदी ने चोद मारो… हाय रे बन्ना सा… म्हारी तो फ़ाड़ डाली रे…” मैं चिहुंकती हुई सिसकारियाँ भर रही थी। राज के चेहरे पर पसीने की बून्दें छलक आई थी जो मेरे चेहरे पर टपक रही थी। मैं चुदाई से मदहोश होती जा रही थी। ऐसे मस्त और जानदार लण्ड जब जम के चोदे तो समझ लो जन्नत तो दिख ही जायेगी और मजा तो भरपूर आ जायेगा। राज की कमर अब मस्ती से चल रही थी और लण्ड मेरी चूत को भरपूर मजा दे रहा थ। हाय राम कब तक झेलती इस मोटे लौड़े को मेरी जान निकली जा रही थी… और अम्मां रे … मैं तो गई…। मेरा रस छूट गया…

” बन्ना सा, म्हारो तो पाणी निकली गयो रे… थां को पाणी निकाल मारो नी…” मैंने हांफ़ते हुए कहा।

“ये लो मैं तो अब कितनी देर का हूँ मेरी लच्छो रानी… ये ले … मुँह खोल दे रे अपना… मेरा माल चूस ले !” वो लगभग ऐठता हुआ बोला और उसने अपना लण्ड खींच के बाहर निकाल लिया और अपनी मुठ्ठी में भींचता हुआ वीर्य निकाल दिया। सारा वीर्य मेरे चेहरे पर फ़ैल गया। उसका वीर्य निकलता ही रहा… हाय रे इतना ढेर सारा… उसने अपने हाथ से सारा वीर्य मेरे चेहरे पर मल दिया। मुझे पहले तो घिन आ गई पर जब उसने अपनी जीभ से मेरा चेहरा चाटना आरम्भ कर दिया तो मुझे उस पर प्यार उमड़ पड़ा। हम एक दूसरे पर अब निढाल से पड़े थे।

“लच्छी, बहुत सालों से मैंने चुदाई का आनन्द नहीं उठाया था… तूने तो मुझे स्वर्ग का मजा दे दिया रे !”

“हाँ बाबू जी, औरत की कमी तो औरत ही पूर कर सके है… और आपरो लौड़ो तो क्या ही मस्त है !”

“ये लो लच्छी पूरे सौ रुपये और ये सौ रुपये तुम्हें तकलीफ़ हुयी उसके !”

मैं उसकी तरफ़ देखती ही रह गई। सौ की जगह दो सौ रुपये… मैंने राज का एक चुम्मा लिया और शरमा कर मुड़ गई।

“बन्ना सा, सान्झे फ़ेर आंऊगी… थाने फ़ेर खुस कर दूंगी, अबार के रुपया भी को नी लूंगी…” मैंने पीछे मुड़ कर देखा और मुसकरा कर भाग खड़ी हुई।

मेरी चूत उस भारी लण्ड से चुदने के कारण दर्द कर रही थी, शायद सूजन भी आ गई थी। देखा तो चूत लाल हो रही थी। मैंने एन्टीसेप्टिक क्रीम लगा ली। दो सौ रुपये को प्यार से देखा और सम्भाल कर रख दिये। शाम के बर्तन करने मैं ज्योंही पहुंची तो राज ने मुझे मुस्करा कर देखा और बिस्तर पर धकेल दिया।

“ये काम को छोड़, आज मेरी सेवा कर दे… खूब रुपया दूंगा !” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“ना बन्ना सा, मारी तो भोसड़ी का कचूमर निकली गयो है, जबरी मत करना जी, अबार को नी चोदो…दर्द करे है जी…फिर पैइसा … ना जी, अब नाहीं !”

“लच्छो रानी… चूत में दर्द है तो गाण्ड मरवा ले… पर ना मत कर…”

“मैंने गाण्ड ज्यादा नहीं मरवाई नहीं है… पर वा जी… आप मार लो म्हारी गाण्ड…”

“चल फिर घोड़ी बन जा…”

मैंने पैसे के लिये तो मना किया था पर मुझे पता था कि वो देगा जरूर…मैं घोड़ी बन गई…और अपना घाघरा ऊँचा कर लिया। मेरी चिकनी गाण्ड की खूबसूरती देख कर उसका लण्ड तन्ना उठा।

“ये नीचे देखो बन्ना सा, मेरी भोसड़ी को तो आपने पकौड़ा बना दिया !” मैंने शिकायत करते हुए कहा। पर गाण्ड के दर्शन होते ही जैसे उसने कुछ नहीं सुना। उसने तेल में अंगुली डाल कर मेरी गाण्ड में घुसा दी और उसे चिकनी करने लगा। फिर लण्ड पर तेल मल कर तैयार हो गया। मेरी गाण्ड चुदने के लिये तैयार थी…

“लच्छो, तैयार हो जा… ये लण्ड गया तेरी गाण्ड में…”

“हाय रे बन्ना सा… धीरे से डालना…”

पर कौन सुनता मेरी, लण्ड का सुपाड़ा अन्दर बैठते ही उसने तो पूर जोर लगा डाला। और तेज धक्का दे कर लण्ड पूरा घुसेड़ मारा।

मेरे मुख से चीख निकल पड़ी…”आईईई …… आप तो मेरी गाण्ड भी फ़ाड़ डालेंगे… राम रे…” मैं लगभग चीख सी उठी।

“चुप बे साली… मुझे तो मजा आ रहा है… बहुत सालों बाद कोई मिली है… मजा तो लेने दे…”

उसका दूसरा बेदर्द धक्का मुझे अन्दर तक हिला गया। हरामजादे का लौड़ा गाण्ड के हिसाब से बहुत ही भारी और मोटा था। उसके दिल में जरा भी रहम नहीं था। तेल की चिकनाई भी ज्यादा काम नहीं कर रही थी। गाण्ड की अन्दर से दीवार शायद, रगड़ से छिल चुकी थी। उसके धक्के बढ़ने लगे। उसके लण्ड पर भी शायद चोट लगने लगी थी। दर्द के मारे आंखों से आंसू निकल पड़े। मैंने होंठ सिल लिये। दर्द बर्दाश्त करने लगी।

लण्ड को पेलते हुए अचानक उसे लगा कि उसने कुछ अधिक क्रूरता दिखा दी है, उसने अपना लण्ड धीरे से बाहर निकाल लिया। मैं निढाल सी एक तरफ़ लुढ़क पड़ी। पर राज का वीर्य तो छूटा ही नहीं था। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।

मैंने आंखो में आंसू लिये उसे अपने मुख की ओर इशारा किया। उसने अपना लण्ड मेरे मुख में डाल दिया। और धीरे धीरे मेरा मुख चोदने लगा। मैंने भी उसका लण्ड पकड़ कर मुठ मारते हुए चूसना चालू कर दिया।

उसका लण्ड मस्ती में आ गया और फ़ूल उठा। मौका देखते हुए मैंने उसके लण्ड को मुठ्ठी में जोर से कस लिया और उसे घुमा घुमा कर मोड़ने लगी, उसके मुँह में धक्के की रफ़्तार बढ़ गई। मेरे मुख में चोट लगने लगी। उसका लण्ड कभी कभी तो मेरी हलक में भी उतर जाता था। मैं उसका लण्ड दबा दबा कर उसका वीर्य निकालने की भरपूर कोशिश करने लगी। अन्त में उसके लण्ड ने जोर से ऐंठन भरी और मेरी हलक में अपना वीर्य निकाल दिया। मैं कुछ ना कर सकी, वीर्य मेरे गले में उतरता चला गया। उसका लण्ड रह रह कर वीर्य की फ़ुहारे छोड़ता रहा और सारा माल मेरे हलक में सीधे ही उतर गया। राज ने लण्ड मेरे मुख से बाहर निकाल कर झटका और मेरे होठों से बाकी का वीर्य पौंछ डाला। मैंने उसे भी जीभ निकाल कर चाट लिया। अब राज धीरे से मुझ पर लेट गया और प्यार से चूमने लगा। मुझे आत्मा तक ठण्डे प्यार का आभास हुआ। मैंने अपनी आंखें आत्मविभोर हो कर बंद कर ली और अलौकिक आनन्द का मजा लेने लगी। उसके जिस्म का प्यारा सा भार जैसे ही कम हुआ मेरी तन्द्रा टूट गई। मेरी गाण्ड और चूत आज बहुत दर्द कर रही थी। पर जिस्म का आनन्द अपूर्व ही था।

राज ने मुझे पांच सौ रुपये दिये जिसे मैंने मना कर दिया। पर वो नहीं माना… मेरे दिल में इच्छा तो लेने की थी पर जो आनन्द मिला था उसका कोई मोल नहीं था। मैंने चुप से पैसे ले कर रख लिये।

“बन्ना सा, मुझे आपने तो आसमान पर बैठा दिया… पर देखो तो मेरी अगाड़ी और पिछाड़ी का क्या हाल कर दिया है !”

“लच्छी, जाओगी कहां, अब तो आप बन्ना सा री लाडली बन चुकी हो। अब कुछ दिन का आराम… फिर आपकी मरजी हो तो … तन और मन को एक बार नहीं रोज ही स्वर्ग की सैर करायेंगे !”

मैं राज से लिपट गई और उन्हें चूमते हुए बोली,”आप कितने भले हो साब, मैं तो आपकी दासी बन चुकी हूँ… आपरी लाडली को आपणे सीने में छुपा लो, मती छोड़जो मने !”

राज ने मुझे अपने से चिपका लिया और बिस्तर पर सुला कर मुझे प्यार करने लगे… मैं फिर से प्यार में खो गई… और आने वाले दिनों के सपने संजोने लगी… Antarvasna Sex Stories

Hindi Sex Stories

मेरा नाम संजीव Hindi Sex Stories है। मेरी उम्र 24 साल है। यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है। उन दिनों मैं जयपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र था। मैं जुलाई 2008 जयपुर में आया था। मैंने जयपुर आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी। चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 24 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था। मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था। मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया।

मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी। उन दोनों में से एक थी गार्गी ! गार्गी क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी। उसी दिन मुझे लगा कि गार्गी की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है।

अगले दिन गार्गी ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है। कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी। मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली।

फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद गार्गी और मैं बाइक पर चल दिए। मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था। उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था।

उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि गार्गी का फ़ोन आ गया। अब मैंने गार्गी से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा। लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था।

अगले दिन क्लास में गार्गी मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी। उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा।

क्लास छुटने के बाद मैं गार्गी को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया। बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है। अब तो मुझे गार्गी की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई।

एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था। मैंने गार्गी को अपने दिल की बात कह दी। उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में गार्गी के होंठों का सारा रस चूस लिया। अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए। मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया। उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था। उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी। अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी।

अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड गार्गी के मुँह में दे दिया। पहले तो गार्गी ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी। मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था। एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने गार्गी के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो।

मैं झड़ चुका था लेकिन गार्गी की आग अभी बाकी थी। उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई।

अगले दिन मुझे गार्गी को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया। लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था। शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरह जींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था। आज किस्मत ने मेरा साथ दिया। एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था। इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी।

मैं गार्गी को लेकर ऑफिस में आ गया। मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था। ऑफिस में घुसते ही मैंने गार्गी को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा। मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और गार्गी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था। गार्गी की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे।

मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा। अब मेरा हाथ अपने आप गार्गी की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। गार्गी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी। मैं चूत को सहलाने लगा।

अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि गार्गी की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड गार्गी की चूत में !

जैसे ही पहल झटका लगा, गार्गी कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा। उधर गार्गी दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी।

और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो गार्गी को मजा आने लग गया।

अब गार्गी कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने गार्गी को खूब पेला। अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया। लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था। उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था। लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से गार्गी की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा। फिर जल्दी जल्दी गार्गी और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था।

दरवाजा खोला तो टीचर ने गार्गी से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा !

गार्गी मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था। टीचर ने भी गार्गी को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा।

आज भी गार्गी और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर गार्गी की ले लेता है।

लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है।

दोस्तो, कहानी कैसी लगी, बताना जरूर ! Hindi Sex Stories

स्टेप मॉम सेक्स कहानी मेरे पापा की दूसरी बीवी की चुदाई की है. एक दिन मैंने उन्हें नंगी होकर किसी लड़के संग वीडियो सेक्स करते देखा. तो मैंने भी फ़ायदा उठाया.

दोस्तो, ये चुदाई कहानी मेरी और मेरी स्टेप मॉम रश्मि की है. अगर आपको ये रिश्ता ग़लत लगता हो तो प्लीज़ इस कहानी को आगे मत पढ़ें, इसे नजरअंदाज कर दीजिए.

अगर अपने लंड का पानी निकालना है और चूत में उंगली करनी है, तो पूरी कहानी पढ़ कर मजा लें.
इसस्टेप मॉम सेक्स कहानी में सब कुछ रियल है.

मेरा नाम आर्यन है. मैं यूपी से हूँ. मेरी सगी मॉम की डेथ के बाद डैड ने दूसरी शादी कर ली थी.

मेरे डैड का अपना बिजनेस है और वो हमेशा अपने काम में लगे रहते हैं, मॉम को ज़्यादा टाइम नहीं देते हैं.
डैड अपने व्यापार के लिए सुबह से ही निकल जाते हैं और वापस आने का कोई समय निश्चित नहीं रहता है.

मेरी मॉम का नाम रश्मि है, उनकी उम्र 44 साल की है और फिगर 36-32-38 का है.
मॉम के मस्त सेक्सी बूब्स और उठी हुई गांड एकदम हॉट लुक वाली लगती है. उनका रंग भी गोरा है.

मेरी मॉम इतनी ज्यादा कामुक दिखती हैं कि उनको देखकर किसी बुड्ढे का भी लंड खड़ा हो जाए.

यह चुदाई कहानी उस समय की है, जब मेरी उम्र 23 साल की थी.

एक बार की बात है, मैं घर पर था और अपने रूम में लैपटॉप पर पॉर्न देख रहा था.
उस वक्त मेरा लंड पूरे जोश में था और मैं मुठ मार रहा था.
कान में हेडफोन लगे होने की वजह से मुझे पता नहीं चला कि मॉम मेरे रूम में कब आ गईं.

मॉम ने मुझे पॉर्न देखने के साथ साथ मुठ मारते हुए भी देख लिया.
फिर जैसे ही मेरी नज़र मॉम पर पड़ी, मेरी तो गांड फट गई कि ये क्या हुआ.
मैं एकदम से डर गया था.

लेकिन अब तक जो होना था, वो तो हो ही चुका था.

मॉम ने गुस्से में मुझसे कहा- शर्म नहीं आती, ये सब करते हो!
मैंने सॉरी बोला लेकिन वो गुस्सा होकर रूम से चली गईं.

अब मुझे बहुत डर लग रहा था.
ये सोचकर मेरी फट रही थी कि मॉम इस बात को पक्का डैड को बोलेंगी और मेरी क्लास लगने वाली है.

ऐसे ही सारा दिन निकल गया … मैं अपनी फटी हुई गांड लिए मॉम से बचता रहा.

शाम को डैड आए, उन्होंने फ्रेश होकर खाना खाया और अपने रूम में सोने चले गए.
मैं देख रहा था कि डैड ने मुझसे कुछ नहीं कहा.
इससे मुझे समझ में आया कि मॉम ने अभी तक डैड को कुछ बताया नहीं होगा.

अगले दिन मैं दोस्त के घर चला गया और जब वापस आया तो आवाज से अंदाजा लगा कि मॉम अपने रूम में हैं और मोबाइल पर किसी से बात कर रही हैं.
मैं कान लगाकर ध्यान से सुनने लगा तो ऐसा लगा कि मॉम अपनी चूत में उंगली कर रही थीं क्योंकि उनकी आवाजों में कुछ कामुक स्वर शामिल थे.

मैं धीरे से रूम के अन्दर घुस गया क्योंकि रूम लॉक नहीं था.
मम्मी एकदम नंगी थीं.
मेरी खोपड़ी सनक गई कि ये क्या माजरा है.

मैं चुपचाप अन्दर आ गया. मॉम अपनी आंखें बंद करके चूत में उंगली करने में इतनी मगन थीं कि वो मुझे नहीं देख पाईं.

मैंने मोबाइल निकाला और उनका वीडियो बनाने लगा.
वो किसी सनी नाम के लड़के से बात कर रही थीं.

मैंने पूरी वीडियो ढंग से बना लीं और चुपचाप वहां से बाहर निकल कर अपने रूम में जाकर लेट गया.
अब मैं मॉम को सोचकर मुठ मारने लगा.

पहली बार मैंने मॉम को पूरी नंगी देखा था.
क्या मस्त गोरा बदन और बड़े बड़े मिल्की एकदम टाइट मम्मे थे. एकदम चिकनी चूत, जैसे आज ही शेव की हो

मेरा तो लंड फटा जा रहा था.
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मन कर रहा था कि अभी जाकर मॉम को चोद दूँ लेकिन इतनी हिम्मत नहीं थी.
आज के इस सीन से एक बात तो साफ़ हो गई थी कि डैड, मॉम की प्यास सही से नहीं बुझा पाते हैं.

अब मैं अपनी मॉम को चोदने के सपने देखने लगा.
मैं चाहता था कि मॉम खुद ही मुझसे चुदवाने को बोलें इसलिए मैं प्लान करने लगा.

शाम को डैड आ गए, फिर वही रूटीन, खाना खाकर सोने चले गए.

अगले दिन मॉम किचन में काम कर रही थीं.

मैं गया और पीछे से उनसे चिपक कर उस दिन के लिए सॉरी बोलने लगा क्योंकि उस दिन के बाद मॉम मुझसे बता नहीं कर रही थीं.
मॉम ने कुछ नहीं कहा.

उन्होंने मुझे नाश्ता दिया और मैं खाने के बाद दोस्त के पास चला गया.

अब मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया कि क्यों ना मॉम को वो वीडियो भेजूं, जो मेरे पास थी.
कुछ देर तक हर बिंदु पर सोचने के बाद मैंने ठान लिया कि कुछ भी हो जाए मॉम को अब चोद कर ही रहूँगा.

फिर मैं ज़रूरी काम से कुछ दिन के लिए अपनी मौसी के घर चला गया.
मैं मॉम को मिस कर रहा था.

रात को मैंने मॉम की वीडियो देखी और लंड हिलाते हुए मॉम के नंबर पर कॉल की.
मॉम ने हैलो बोला.
मैंने हालचाल पूछे और पूछा- डैड क्या कर रहे हैं?

मॉम बोलीं- डैड सो गए हैं.
मैंने कहा- मॉम नेट खोलो, मैंने आपको कुछ भेजा है.

उन्होंने कहा- क्या भेजा है?
मैंने कुछ नहीं कहा और कॉल कट कर दी.

फिर मैंने मॉम की न्यूड वाली वीडियो उन्हें भेज दी और थोड़ी देर के लिए अपना मोबाइल ऑफ कर दिया.

शायद मॉम का मूड खराब हुआ होगा इसलिए वो कॉलबैक कर रही होंगी.
लेकिन मेरा नंबर लगा ही नहीं.

इसलिए दस मिनट बाद मॉम ने मौसी के मोबाइल पर कॉल कर दी और उनसे बोलीं- आर्यन से बात करा दो.

मौसी का मोबाइल लेकर मैंने हैलो बोला.
मॉम बोलीं- ये कहां से मिली?

मैंने जानबूझ कर बोला- क्या?
मॉम बोलीं- पहले अपना मोबाइल ऑन करो और मुझसे बात करो. मैं उसी पर बात करूंगी.

मैंने तुरंत अपने मोबाइल से कॉल लगाई.
मॉम बोलीं- बेटा प्लीज़ बताओ, ये वीडियो कहां से मिला?
मैंने कहा- आप परेशान न हों.

तब मॉम मुझसे फोर्स करके पूछने लगीं.
मैंने कहा- डैड को भी भेज दूँ क्या?

वो रोने लगीं और बोलीं- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत करना.
मैंने कहा- मैं तो आपको बहुत सती सावित्री समझता था और आप एक ब्वॉयफ्रेंड से बात करती हो!
मॉम बस सॉरी सॉरी बोल रही थीं.

मैंने कहा- मेरी बात सुनो और बताओ. सन्नी के साथ आप कितनी बार चुदी हो?
मॉम ने मेरे मुँह से ‘कितनी बार चुदी हो …’ शब्द सुने, तो मॉम हिल गईं और बोलीं- ये क्या बकवास कर रहे हो?

मैंने कहा- ठीक है, मत बताओ. फिर खुद ही समझना.
मॉम धीमे से बोलीं- बस अब तक 3 बार … उससे मिले ज़्यादा दिन नहीं हुए हैं.
मैंने कहा- डैड क्या अच्छे से चोदते नहीं हैं?

मॉम बोलीं- बहुत सालों से मेरे साथ तेरे डैड ने सेक्स नहीं किया इसलिए ग़लती हो गयी. अब आगे से किसी के साथ कभी नहीं करूंगी. लेकिन प्लीज़ वीडियो डिलीट कर दो.
मैंने कहा- एक ही शर्त पर. जब आप मुझे खुश करोगी.

तो मॉम गुस्सा हो गईं और उन्होंने फोन कट कर दिया.
मैंने मैसेज किया- अगर मुझे भी चोदने दोगी, तो डैड को नहीं बताऊंगा … और हां सोच लो आराम से. आपके पास अभी दो दिन का टाइम है.

अब अगले दिन सुबह 10 बजे मॉम ने कॉल किया.
शायद डैड के जाने के बाद फोन किया था.

मैंने पूछा- बोलो जान क्या सोचा!
मॉम बोलीं- लेकिन ये सब एक बार होगा … और वीडियो डिलीट करनी पड़ेगी.

मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मैं घर पर नहीं करूंगा, कहीं बाहर चलो.
मॉम फिर डरने लगीं और बोलीं- घर पर क्या दिक्कत है?

मैंने कहा- मैं अच्छे से एंजाय करूंगा.
वो बोलीं- ठीक है, सब कुछ खुद ही मैनेज करो.

अब मेरे अन्दर सेक्स की आग भड़क रही थी.
मैं उसी दिन मौसी के घर से वापस निकल आया और शाम को घर आ गया.

मॉम अभी भी मुझसे डर रही थीं.
हम दोनों ने बात नहीं की.

डैड के आने बाद मैं डैड से कहा- मैं मॉम के साथ 4 दिन के लिए मसूरी जा रहा हूँ.
मॉम एकदम से बोलीं- अरे 4 दिन क्यों?

मगर तब तक डैड ने हां कर दी- हां चार दिन से कम में मसूरी का क्या मजा आएगा.
मॉम कसमसा कर रह गईं और मैं उन्हें देख कर मुस्कुराने लगा.

फिर अगले दिन हम दोनों अपनी कार से मसूरी निकल गए.
सफ़र में हम दोनों ने कुछ ज्यादा बात नहीं की और वहां पहुंचकर होटल में चैकइन कर लिया.

मैं इस होटल में अपनी बुकिंग पहले से ही कर ली थी.
ये एक अच्छा होटल था और हिल्स पर था.

कमरे में आकर मैं फ्रेश होने चला गया.
मॉम को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे क्या होगा.

मेरे फ्रेश हो कर आने के बाद मॉम बाथरूम में चली गईं और थोड़ी देर बाद मॉम एक काले रंग के मस्त गाउन में बाहर आ गईं.
उनको देखकर मेरा लंड टाइट हो गया.

मैंने मॉम को ज़ोर से अपनी बांहों में भर लिया.
मैं उनकी गांड दबाने लगा. मॉम के गले पर किस करने लगा.

मॉम कुछ उदास थीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ, आप घर से इतनी दूर आई हो, एंजाय करो न मेरी जानू मॉम!

मॉम बोलीं- वीडियो डिलीट करो, मुझसे ग़लती हो गयी.
लेकिन मैंने कहा- आप खुद को किसी दूसरे से संतुष्ट करवाओ, ये मुझे मंजूर नहीं है.

वो मेरी बात सुनकर चुप हो गईं.
मैं उन्हें चुप देखकर नहीं रुका और उनको किस करने लगा.
अब मैं मॉम के बूब्स भी दबा रहा था.

मॉम धीरे धीरे गर्म हो रही थीं और उनका विरोध भी ना के बराबर हो गया था.

अब मॉम ने धीरे से कहा- ये सब तो घर पर भी हो सकता था, यहां क्यों लाए हो. मेरी तुमसे रिक्वेस्ट है, प्लीज़ वीडियो डिलीट कर दो.

मैंने उनकी एक नहीं सुनी. मैं अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और किस करने लगा.
पहले तो काफ़ी देर तक मॉम ने होंठ नहीं खोले, लेकिन मेरे हाथ उनकी चूत में चलने की वजह से अब मॉम की चूत का रस निकलने लगा था.

मतलब उनका मूड बन चुका था.
तभी मॉम ने मेरे होंठों को चूसना स्टार्ट कर दिया और उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी.

अब मुझसे भी सब्र नहीं हुआ. मैंने मॉम को बेड पर पटक दिया और उनके गाउन को हटा दिया.
मॉम ने कुछ नहीं बोला.

मैं उनके बूब्स ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
कुछ ही देर में मॉम मस्ती में आ गई थीं और आहें भरने लगी थीं.

मैंने अपनी दो उंगलियां चूत में एकदम से घुसा दीं.
मॉम एकदम से उछल गईं ‘आह मर गई …. ऊऊह …’
कुछ देर में मॉम ने मेरी उंगलियों से अपनी में मजा लेना शुरू कर दिया.

फिर मॉम ने मेरा लंड ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भर लिया और दबाने लगीं.

अब मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारे और मॉम के नंगे जिस्म पर चढ़ गया.
मैंने मॉम की ब्रा को भी फाड़ डाला.
मॉम ने कुछ नहीं कहा. मॉम ने अपनी पैंटी पहले ही उतार दी थी इसलिए अब वो मेरे सामने पूरी नंगी लेटी थीं और मस्त माल लग रही थीं.

मैं मॉम के दूध चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
मैंने मॉम के मम्मे इतने अधिक दबाए कि चूचे एकदम लाल हो गए.

मैं मॉम के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा और उनके दूध चूसते हुए नीचे आ गया.

मैंने अपनी जीभ उनकी नाभि में घुसा दी और फिर सीधा चूत पर आ गया. मैंने अपना मुँह मॉम की चूत पर रख दिया और जीभ डालकर चूत का स्वाद लेने लगा.

एकदम रसदार नमकीन पानी बह रहा रहा था.
मेरी मॉम भी पूरे जोश में आ गई थीं. वो बोलीं- अब जल्दी से पेल दो.

मैंने दस मिनट तक मॉम की चूत को जीभ डालकर चूसा.
कुछ ही देर में मेरी मॉम ने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया था.

कुछ देर तक और चूत चाटने के बाद मैं उठा और मॉम से लंड चूसने के लिए बोला.
पहले तो मॉम ने मना किया लेकिन फिर मुँह में लंड ले लिया.

मुझे मजा आने लगा और मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड मॉम के मुँह में घुसेड़ दिया.

मेरा लंड उनके गले में जाकर फंस गया था.
मॉम बुरी तरह से छटपटा रही थीं लेकिन मैं जोरदार तरीके से लंड पेलता रहा.
कुछ ही पलों में मॉम का मुखड़ा एकदम लाल हो गया.

पूरा मुझे इतना जोश चढ़ गया था कि मैंने मॉम के मुँह में ही अपना सारा माल निकाल दिया.
लंड उनके गले में था तो लंड का सारा माल मॉम के मुँह के अन्दर चला गया.

मॉम हौ हौ करने लगीं और तुरंत उठ कर थूकने के लिए जाने लगीं.
उनके मुँह में बचा हुआ माल जो उन्हें थूकने के लिए मजबूर कर रहा था.

मैंने उनके बाल पकड़े और अपना मुँह मॉम के होंठों पर रख दिया, उन्हें किस करने लगा.
मैं पहली बार अपने लंड का माल अपने मॉम के मुँह से लेकर स्वाद ले रहा था. मैं मॉम के मुँह में जीभ डालकर उन्हें किस करने लगा.

मुझे इतना मज़ा आया कि मेरा लंड फिर से फनफ़ना गया.
कुछ देर किस करने के बाद मैंने मॉम को बेड पर लिटाया और मैंने नीचे खड़े होकर अपना मोटा लंड मॉम की टाइट चूत में लगा दिया.

एक बार मैंने मॉम की तरफ देखा और ज़ोर से धक्का दे दिया.
मॉम की चूत गीली होने की वजह से सट से पूरा लंड चूत के अन्दर घुस गया.

उनके मुँह से चीख निकल गई.
वो सीत्कार करने लगी- आआहह उआहह बेटा ऊऊओह आहह ऊऊउ अया बेटा आराम से कर ना … प्लीज़ दर्द हो रहा है.

तभी मैंने मॉम के होंठों को अपने मुँह में लॉक किया और ज़ोर के झटकों के साथ उनकी चूत चुदाई करने लगा.

दो मिनट बाद बाद मॉम को भी चूत चुदवाने में मज़ा आने लगा. वो अपनी गांड उठाकर लंड लेने लगीं.

अब मैंने मॉम से कहा- मजा आ रहा है.
मॉम मुस्कुरा दीं और बोलीं- मैं चुदाई के लिए कबसे तरस रही थी … इसी वजह से मुझे सनी से अपनी चूत चुदवानी पड़ी. मगर अब मैं खुश हूँ.

मैंने कहा- अब आप लंड की सवारी करो,
मैंने लंड चूत से खींचा और बेड पर लेट गया. मॉम को मैंने अपने लंड पर बैठा लिया. मॉम भी अपनी चूत फंसा कर लौड़े पर बैठ गईं और अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी थीं.

मॉम की चूचियां मस्त हिल रही थीं और उनकी मादक सिसकारियां मुझमें जोश भर रही थीं.
कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई होने के बाद मॉम अकड़ने लगीं और मेरे ऊपर गिर गईं.
वो मेरे सीने पर गिर कर निढाल हो गईं.

मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और उनके चेहरे को चूमने लगा.
मेरा लंड अभी भी कड़क था और मॉम की चूत में घुसा हुआ था.

कुछ देर बाद मैंने मॉम को उल्टा किया और मॉम के ऊपर चढ़ गया.
एक बार फिर से मैं लंड पेल कर पूरे जोश के साथ मॉम की चूत को चोदने लगा.

मॉम बोलीं- आंह जल्दी जल्दी से चोद दे बेटा … आअह हहह बहुत मज़ा आ रहा है.

मैंने उनकी गर्दन को चूमते हुए कहा- मॉम, अब आपको लंड की कमी कभी महसूस नहीं होगी. मेरे लंड से आप जब चाहे मजा ले सकती हैं.
मॉम मुझसे चुदवा कर खुश थीं.

अब मॉम ने मुझे अपनी दोनों टांगों में दबा लिया और एकदम से मेरा सारा माल उनकी चूत में निकल गया.

मॉम ने जब तक मुझे दबाए रखा जब तक पूरा माल उनकी चूत में नहीं गिर गया.
उनकी गर्म चूत से निकल रहे लावा का अहसास भी मेरे लंड को हो रहा था.

अब मेरा लंड ढीला पड़ गया और मैं भी ऐसे ही मॉम के ऊपर लेटा रहा.
हम दोनों मां बेटा इस मधुर चुदाई से इतना थक गए थे कि पता ही नहीं चला, कब नींद आ गई.

देर शाम को करीब 9 बजे मेरी आंख खुली.
मैंने देखा मॉम नंगी ही सो रही थीं.
मेरे बगल में नंगी मॉम मुझे बहुत हॉट लग रही थीं.

तभी मैंने मोबाइल की रोशनी जलने लगी. मोबाइल साइलेंट मोड पर था. मैंने फोन उठाया और देखा कि डैड की कॉल आ रही है.

मैंने डैड से हैलो बोला.
डैड ने हालचाल पूछे और मॉम के बारे में पूछा.

मैंने मॉम को जगाया और उनके हाथ में मोबाइल थमा दिया.
मॉम अब भी शर्मा रही थीं.
वो उठ कर बाथरूम में जाने को हुईं लेकिन मैंने उन्हें उठने नहीं दिया.

मैं उनके बूब्स दबाने लगा.

मॉम डैड से फोन पर बता कर रही थीं और अपने बेटे के साथ नंगी पड़ी थी.

मेरे ज़ोर से बूब्स दबाने की वजह से मॉम की आह निकल गई.

पापा ने पूछा- क्या हुआ?
मॉम- कुछ नहीं.

फिर मॉम ने कॉल कट कर दी.
उसके बाद मैं उठकर फ्रेश होने चला गया.
मॉम भी अन्दर नंगी ही आ गईं.

मैंने मुस्कुरा कर उनकी तरफ देखा.
वो बोलीं- मुझे सुसु करना है.
मैंने कहा- हां कर लो.

तभी मुझे मस्ती सूझी. मैंने मॉम को दीवार के सहारे खड़ा किया और उनकी चूत में अपनी जीभ लगा दी.
मैंने इशारे कहा- अब मूतो.

मुझे मॉम ने बहुत रोका लेकिन मैं नहीं माना.

मॉम की चूत पानी टपकाने लगी. मॉम खुद से मेरे मुँह में झटके मारने लगीं और एकदम से बोलीं- अब हटो … सुसु आ रही है.

लेकिन मैंने पीछे से उनकी गांड को इतनी ज़ोर से पकड़ा हुआ था और जीभ अन्दर चूत में डालकर चूस रहा था कि मॉम कुछ कर ही ना सकीं और उनका मूत निकलने लगा.

मॉम की चूत से पूरी पेशाब मेरे मुँह में चली गई; कुछ बाहर भी टपक गई.

मुझे अपनी मॉम की पेशाब पीकर इतना मज़ा आया दोस्तो कि क्या बताऊं.

उधर मेरी मॉम शर्म से लाल हो गयी थीं और शरारती मुस्कान देती हुई बोलीं- पागल, ऐसे कौन करता है.
मैंने कहा- मॉम, तेरा बेटा करता है.

फिर मैं उठा और तभी मॉम ने शॉवर ऑन कर दिया.
हम दोनों पानी के नीचे नंगे खड़े थे पानी से नहाने लगे और मस्ती करने लगे.

हम दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और चुदास भड़क गई तो फिर से एक राउंड चुदाई की.

अब मॉम मुझसे खुलने लगी थीं.
मॉम ने मुझसे कहा- इतना मज़ा मुझे अपनी लाइफ में कभी नहीं आया.

मैंने मॉम को आई लव यू बोला.
मॉम ने भी मुझे लव यू टू आर्यन बोला.

ऐसे ही 4 दिन तक हम दोनों ने बहुत मस्ती की.
मैंने मॉम को बहुत सारी हॉट सेक्सी ड्रेस भी दिलाईं.

मॉम ने मुझसे एक प्रॉमिस लिया कि ये बात डैड को पता नहीं चलना चाहिए और अकेले में मैं मॉम को उनके नाम से बुलाऊं.
मेरी मॉम मुझसे बोली- अब से तू मुझे मॉम समझ कर नहीं, बीवी बनाकर चोदेगा.

इस तरह से मॉम ने अपने बेटे के लंड को चूत की मस्ती देना शुरू कर दी थी.
आज भी डैडी को स्टेप मॉम सेक्स की बात नहीं मालूम है कि मेरी मॉम मुझसे चुदवाती हैं.

दोस्तो, आपको अगली चुदाई कहानी में लिखूँगा कि घर वापस आने के बाद मॉम ने मुझे किस किस तरह से चूत और गांड चुदाई का मजा दिया और उनकी एक ख़ास सहेली को भी बिना अपनी चुदाई की जानकारी दिए मुझसे चुदवा दिया.

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