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मैं अपनी चालीस की उम्र Hindi Sex Stories पार कर चुकी थी। पर तन का सुख मुझे बस चार-पांच साल ही मिला। मैं चौबीस वर्ष की ही थी कि मेरे पति एक बस दुर्घटना में चल बसे थे। मेरी बेटी की शादी मैंने उसके अठारह वर्ष होते ही कर दी थी। अब मुझे बहुत अकेलापन लगता था।
पड़ोसी रीना का जवान लड़का मोनू अधिकतर मेरे यहाँ कम्प्यूटर पर काम करने आता था। कभी कभी तो उसे काम करते करते बारह तक बज जाते थे। वो मेरी बेटी वर्षा के कमरे में ही काम करता था। मेरा कमरा पीछे वाला था … मैं तो दस बजे ही सोने चली जाती थी।
एक बार रात को सेक्स की बचैनी के कारण मुझे नींद नही आ रही थी व इधर उधर करवटें बदल रही थी। मैंने अपना पेटीकोट ऊपर कर रखा था और चूत को हौले हौले सहला रही थी। कभी कभी अपने चुचूकों को भी मसल देती थी। मुझे लगा कि बिना अंगुली घुसाये चैन नहीं आयेगा। सो मैं कमरे से बाहर निकल आई।
मोनू अभी तक कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। मैंने बस यूं ही जिज्ञासावश खिड़की से झांक लिया। मुझे झटका सा लगा। वो इन्टरनेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख रहा था। मैं भी उस समय हीट में थी, मैं शान्ति से खिड़की पर खड़ी हो गई और उसकी हरकतें देखने लग गई। उसका हाथ पजामे के ऊपर लण्ड पर था और धीरे धीरे उसे मल रहा था।
ये सब देख कर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मेरे हाथ अनायास ही चूत पर चले गये, और सहलाने लग गये। कुछ ही समय में उसने पजामा नीचे सरका कर अपना नंगा लण्ड बाहर निकाल लिया और सुपाड़ा खोल कर मुठ मारने लगा। मन कह रहा था कि तेरी प्यासी आंटी चुदवाने को तैयार है, मुठ काहे मारता है?
तभी उसका वीर्य निकल पड़ा और उसने अपने रूमाल से लण्ड साफ़ कर लिया। अब वो कम्प्यूटर बंद करके घर जाने की तैयारी कर रहा था। मैं फ़ुर्ती से लपक कर अपने कमरे में चली आई। उसने कमरा बन्द किया और बाहर चला गया।
उसके जाते ही मेरे खाली दिमाग में सेक्स उभर आया। मेरा जिस्म जैसे तड़पने लगा। मैंने जैसे तैसे बाथरूम में जा कर चूत में अंगुली डाल कर अपनी अग्नि शान्त की। पर दिल में मोनू का लण्ड मेरी नजरों के सामने से नहीं हट पा रहा था। सपने में भी मैंने उसके लण्ड को चूस लिया था। अब मोनू को देख कर मेरे मन में वासना जागने लगी थी। मुझे लगा कि सोनू को भी कोई लड़की चोदने के लिये नहीं मिल रही है, इसीलिये वो ये सब करता है। मतलब उसे पटाया जा सकता है। सुबह तक उसका लण्ड मेरे मन में छाया रहा। मैंने सोच लिया था कि यूं ही जलते रहने से तो अच्छा है कि उसे जैसे तैसे पटा कर चुदवा लिया जाये, बस अगर रास्ता खुल गया तो मजे ही मजे हैं।
मोनू सवेरे ही आ गया था। वो सीधे कम्प्यूटर पर गया और उसने कुछ किया और जाने लगा। मैंने उसे चाय के लिये रोक लिया। चाय के बहाने मैंने उसे अपने सुडौल वक्ष के दर्शन करा दिये। मुझे लगा कि उसकी नजरें मेरे स्तनों पर जम सी गई थी। मैंने उसके सामने अपने गोल गोल चूतड़ों को भी घुमा कर उसका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की और मुझे लगा कि मुझे उसे आकर्षित में सफ़लता मिल रही है। मन ही मन में मैं हंसी कि ये लड़के भी कितने फ़िसलपट्टू होते हैं। मेरा दिल बाग बाग हो गया। लगा कि मुझे सफ़लता जल्दी ही मिल जायेगी।
मेरा अन्दाजा सही निकला। दिन में आराम करने के समय वो चुपके से आ गया और मेरी खिड़की से झांक कर देखा। उसकी आहट पा कर मैं अपना पेटीकोट पांवों से ऊपर जांघों तक खींच कर लेट गई। मेरे चिकने उघाड़े जिस्म को वो आंखे फ़ाड़-फ़ाड़ कर देखता रहा, फिर वो कम्प्यूटर के कमरे में आ गया। ये सब देख कर मुझे लगा चिड़िया जाल में उलझ चुकी है, बस फ़न्दा कसना बाकी है।
रात को मैं बेसब्री से उसका इन्तज़ार करती रही। आशा के अनुरूप वो जल्दी ही आ गया। मैं कम्प्यूटर के पास बिस्तर पर यूँ ही उल्टी लेटी हुई एक किताब खोल कर पढने का बहाना करने लगी। मैंने पेटीकोट भी पीछे से जांघो तक उठा दिया था। ढीले से ब्लाऊज में से मेरे स्तन झूलने लगे और उसे साफ़ दिखने लगे। ये सब करते हुये मेरा दिल धड़क भी रहा था, पर वासना का जोर मन में अधिक था।
मैंने देखा उसका मन कम्प्यूटर में बिलकुल नहीं था, बस मेरे झूलते हुये सुघड़ स्तनों को घूर रहा था। उसका पजामा भी लण्ड के तन जाने से उठ चुका था। उसके लण्ड की तड़प साफ़ नजर आ रही थी। उसे गर्म जान कर मैंने प्रहार कर ही दिया।
“क्या देख रहे हो मोनू…?”
“आं … हां … कुछ नहीं रीता आण्टी… !” उसके चेहरे पर पसीना आ गया था।
“झूठ… मुझे पता है कि तुम ये किताब देख रहे थे ना ……?” उसके चेहरे की चमक में वासना साफ़ नजर आ रही थी।
वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और मेरे पास बिस्तर के नजदीक आ गया।
“आण्टी, आप बहुत अच्छी हैं, एक बात कहूँ ! आप को प्यार करने का मन कर रहा है।” उसके स्वर में प्यार भरी वासना थी।
मैंने उसे अपना सर घुमा कर देखा,”आण्टी हूँ मैं तेरी, कर ले प्यार, इसमे शर्माना क्या…”
वो धीरे से मेरी पीठ पर सवार हो गया और पीछे से लिपट पड़ा। उसकी कमर मेरे नितम्बो से सट गई। उसका लण्ड मेरे कोमल चूतड़ों में घुस गया। उसके हाथ मेरे सीने पर पहुंच गये। पीछे से ही मेरे गालों को चूमने लगा। भोला कबूतर जाल में उलझ कर तड़प रहा था। मुझे लगा कि जैसे मैंने कोई गढ़ जीत लिया हो।
मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली, उसका लण्ड गाण्ड में फ़िट करने की उसे मनमानी करने में सहायता करने लगी।
“बस बस, बहुत हो गया प्यार … अब हट जा…” मेरा दिल खुशी से बाग बाग हो गया था।
“नहीं रीता आण्टी, बस थोड़ी सी देर और…” उसने कुत्ते की भांति अपने लण्ड को और गहराई में घुसाने की कोशिश की। मेरी गाण्ड का छेद भी उसके लण्ड को छू गया। उसके हाथ मेरी झूलती हुई चूंचियों को मसलने लगे, उसकी सांसें तेज हो गई थी। मेरी सांसे भी धौकनीं की तरह चलने लगी थी। दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। लगा कि मुझे चोद ही डालेगा।
“बस ना… मोनू …तू तो जाने क्या करने लगा है …ऐसे कोई प्यार किया जाता है क्या ? …चल हट अब !” मैंने प्यार भरी झिड़की दी उसे। वास्तव में मेरी इच्छा थी कि बस वो मुझे पर ऐसे ही चढ़ा रहे और अब मुझे चोद दे… मेरी झिड़की सुन कर वो मेरी पीठ पर से उतर गया। उसके लण्ड का बुरा हाल था। इधर मेरी चूंचियां, निपल सभी कड़क गये थे, फ़ूल कर कठोर हो गये थे।
“तू तो मेरे से ऐसे लिपट गया कि जैसे मुझे बहुत प्यार करता है ?”
“हां सच आण्टी … बहुत प्यार करता हूँ…”
“तो इतने दिनों तक तूने बताया क्यों नहीं?”
“वो मेरी हिम्मत नहीं हुई थी…”उसने शरमा कर कहा।
“कोई बात नहीं … चल अब ठीक से मेरे गाल पर प्यार कर… बस… आजा !” मैं उसे अधिक सोचने का मौका नहीं देना चाहती थी।
उसने फिर से मुझे जकड़ सा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। तभी उसके होंठ मेरे होठों से चिपक गये। उसने अपना लण्ड उभार कर मेरी चूत से चिपका दिया।
मेरे दिल के तार झनझना गये। जैसे बाग में बहार आ गई। मन डोल उठा। मेरी चूत भी उभर कर उसके लण्ड का उभार को स्पर्श करने लगी। मैंने उसकी उत्तेजना और बढ़ाने के लिये उसे अब परे धकेल दिया। वो हांफ़ता सा दो कदम दूर हट गया।
मुझे पूर्ण विश्वास था कि अब वो मेरी कैद में था।
“मोनू, मैं अब सोने जा रही हूं, तू भी अपना काम करके चले जाना !” मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कमरे के बाहर चल दी। इस बार मेरी चाल में बला की लचक आ गई थी, जो जवानी में हुआ करती थी।
कमरे में आकर मैंने अपनी दोनों चूंचियाँ दबाई और आह भरने लगी। पेटीकोट में हाथ डाल कर चूत दबा ली और लेट गई। तभी मेरे कमरे में मोनू आ गया। इस बार वो पूरा नंगा था। मैं झट से बिस्तर से उतरी और उसके पास चली आई।
“अरे तूने कपड़े क्यों उतार दिये…?”
“आ…आ… आण्टी … मुझे और प्यार करो …”
“हां हां, क्यों नहीं … पर कपड़े…?”
“आण्टी… प्लीज आप भी ये ब्लाऊज उतार दो, ये पेटीकोट उतार दो।” उसकी आवाज जैसे लड़खड़ा रही थी।
“अरे नहीं रे … ऐसे ही प्यार कर ले !”
उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझसे लिपट गया।
“आण्टी … प्लीज … मैं आपको … आपको … अह्ह्ह्ह्… चोदना चाहता हूं !” वो अपने होश खो बैठा था।
“मोनू बेटा, क्या कह रहा है …” उसके बावलेपन का फ़ायदा उठाते हुये मैंने उसका तना हुआ लण्ड पकड़ लिया।
“आह रीता आण्टी … मजा आ गया … इसे छोड़ना नहीं … कस लो मुठ्ठी में इसे…”
उसने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिये और लण्ड को मेरी तरफ़ उभार दिया।
मैंने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया। मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा। आखिर मैंने उसे फ़ंसा ही लिया। बस अब उसकी मदमस्त जवानी का मजा उठाना था। बरसों बाद मेरी सूनी जिंदगी में बहार आई थी। मैंने दूसरे हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया, वह जाने कब नीचे सरक गया। मैंने मोनू को बिस्तर के पास ही खड़ा कर दिया और खुद बिस्तर पर बैठ गई। अब उसका लौड़ा मैंने फिर से मुठ्ठी में भरा और उसे आगे पीछे करके मुठ मारने लगी। वो जैसे चीखने सा लगा। अपना लण्ड जोर जोर से हाथ में मारने लगा। तभी मैंने उसे अपने मुख में ले लिया। उसकी उत्तेजना बढ़ती गई। मेरे मुख मर्दन और मुठ मारने पर उसे बहुत मजा आ रहा था। तभी उसने अपना वीर्य उगल दिया। जवानी का ताजा वीर्य …
सुन्दर लण्ड का माल … लाल सुपाड़े का रस … किसे नसीब होता है … मेरे मुख में पिचकारियां भरने लगी। पहली रति क्रिया का वीर्य … ढेर सारा … मुँह में … हाय … स्वाद भरा… गले में उतरता चला गया। अन्त में जोर जोर से चूस कर पूरा ही निकाल लिया।
सब कुछ शान्त हो गया। उसने शरम के मारे अपना चेहरा हाथों में छिपा लिया।
मैंने भी ये देख कर अपना चेहरा भी छुपा लिया।
“आण्टी… सॉरी … मुझे माफ़ कर देना … मुझे जाने क्या हो गया था।” उसने प्यार से मेरे बालों में हाथ फ़ेरते हुये कहा।
मैं उसके पास ही बैठ गई। अपने फ़ांसे हुये शिकार को प्यार से निहारने लगी।
“मोनू, तेरा लण्ड तो बहुत करारा है रे…!”
“आण्टी … फिर आपने उसे भी प्यार किया… आई लव यू आण्टी!”
मैंने उसका लण्ड फिर से हाथ में ले लिया।
“बस आंटी, अब मुझे जाने दीजिये… कल फिर आऊंगा” उसे ये सब करने से शायद शर्म सी लग रही थी।
वो उठ कर जाने लगा, मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और दरवाजे के पास जा खड़ी हुई और उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगी। उसने मेरी चूत और जिस्म को एक बार निहारा और कहा,”एक बार प्यार कर लो … आप को यूँ छोड़ कर जाने को मन नहीं कर रहा !”
मैंने अपनी नजरें झुका ली और पास में रखा तौलिया अपने ऊपर डाल लिया। उसका लण्ड एक बार फिर से कड़क होने लगा। वो मेरे नजदीक आ गया और मेरी पीठ से चिपक गया। उसका बलिष्ठ लण्ड मेरी चूतड़ की दरारों में फ़ंसने लगा। इस बार उसके भारी लण्ड ने मुझ पर असर किया… उसके हाथों ने मेरी चूंचियां सम्भाल ली और उसका मर्दन करने लगे। अब वह मुझे एक पूर्ण मर्द सा नजर आने लगा था। मेरा तौलिया छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।
“क्या कर रहे हो मोनू…”
“वही जो ब्ल्यू फ़िल्म में होता है … आपकी गाण्ड मारना चाहता हू … फिर चूत भी…”
“नहीं मोनू, मैं तेरी आण्टी हू ना …”
“आण्टी, सच कहो, आपका मन भी तो चुदने को कर रहा है ना?”
“हाय रे, कैसे कहूँ … जन्मों से नहीं चुदी हूँ… पर प्लीज आज मुझे छोड़ दे…”
“और मेरे लण्ड का क्या होगा … प्लीज ” और उसका लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में दबाव डाल दिया।
“सच में चोदेगा… ? हाय … रुक तो … वो क्रीम लगा दे पहले, वर्ना मेरी गाण्ड फ़ट जायेगी !”
उसने क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में लगा दी और अंगुली गाण्ड में चलाने लगा। मुझे तेज खुजली सी हुई।
“मार दे ना अब … खुजली हो रही है।”
मोनू ने लण्ड दरार में घुसा कर छेद तक पहुंचा दिया और मेरा छेद उसके लण्ड के दबाव से खुलने लगा और फ़क से अन्दर घुस पड़ा।
“आह मेरे मोनू … गया रे भीतर … अब चोद दे बस !”
मोनू ने एक बार फिर से मेरे उभरे हुये गोरे गोरे स्तनों को भींच लिया। मेरे मुख से आनन्द भरी चीख निकल गई। मैंने झुक कर मेज़ पर हाथ रख लिया और अपनी टांगें और चौड़ा दी। मेरी चिकनी गाण्ड के बीच उसका लण्ड अन्दर-बाहर होने लगा। चुदना बड़ा आसान सा और मनमोहक सा लग रहा था। वो मेरी कभी चूंचियां निचोड़ता तो कभी मेरी गोरी गोरी गाण्ड पर जोर जोर से हाथ मारता।
उसक सुपाड़ा मेरी गाण्ड के छेद की चमड़ी को बाहर तक खींच देता था और फिर से अन्दर घुस जाता था। वो मेरी पीठ को हाथ से रगड़ रगड़ कर और रोमांचित कर रहा था। उसका सोलिड लण्ड तेजी से मेरी गाण्ड मार रहा था। कभी मेरी पनीली चूत में अपनी अंगुली घुसा देता था। मैं आनन्द से निहाल हो चुकी थी। तभी मुझे लगा कि मोनू कहीं झड़ न जाये। पर एक बार वो झड़ चुका था, इसलिये उम्मीद थी कि दूसरी बार देर से झड़ेगा, फिर भी मैंने उसे चूत का रास्ता दिखा दिया।
“मोनू, बस मेरी गाण्ड को मजा गया, अब मेरी चूत मार दो …” उसके चहरे पर पसीना छलक आया था। उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी। उसने एक झटके से अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो उसका लण्ड फ़ूल कर लम्बा और मोटा हो चुका था। उसे देखते ही मेरी चूत उसे खाने के लिये लपलपा उठी।
“मोनू मार दे मेरी चूत … हाय कितना मदमस्त हो रहा है … दैय्या रे !”
“आन्टी, जरा पकड़ कर सेट कर दो…” उसकी सांसें जैसे उखड़ रही थी, वो बुरी तरह हांफ़ने लगा था, उसके विपरीत मुझे तो बस चुदवाना था। तभी मेरे मुख से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई। मेरे बिना सेट किये ही उसका लण्ड चूत में प्रवेश कर गया था। उसने मेरे बाल खींच कर मुझे अपने से और कस कर चिपटा लिया और मेरी चूत पर लण्ड जोर जोर से मारने लगा। बालों के खींचने से मैं दर्द से बिलबिला उठी। मैं छिटक कर उससे अलग हो गई। उसे मैंने धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया और उससे जोंक की तरह उस पर चढ़ कर चिपक गई। उसके कड़कते लण्ड की धार पर मैंने अपनी प्यासी चूत रख दी और जैसे चाकू मेरे शरीर में उतरता चला गया। उसके बाल पकड़ कर मैंने जोर लगाया और उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। उसने मदहोशी में मेरी चूंचियां जैसे निचोड़ कर रख दी। मैं दर्द से एक बार फिर चीख उठी और चूत को उसके लण्ड पर बेतहाशा पटकने लगी। मेरी अदम्य वासना प्रचण्ड रूप में थी। मेरे हाथ भी उसे नोंच खसोट रहे थे, वो आनन्द के मारे निहाल हो रहा था, अपने दांत भींच कर अपने चूतड़ ऊपर की ओर जोर-जोर से मार रहा था।
“मां कसम, मोनू चोद मेरे भोसड़े को … साले का कीमा बना दे … रण्डी बना दे मुझे… !”
“पटक, हरामजादी … चूत पटक … मेरा लौड़ा … आह रे … आण्टी…” मोनू भी वासना के शिकंजे में जकड़ा हुआ था। हम दोनों की चुदाई रफ़्तार पकड़ चुकी थी। मेरे बाल मेरे चेहरे पर उलझ से गये थे। मेरी चूत उसके लण्ड को जैसे खा जाना चाहती हो। सालों बाद चूत को लण्ड मिला था, भला कैसे छोड़ देती !
वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल रहा था, जबरदस्त ताकत थी उसमें, मेरी चूत में जोर की मिठास भरी जा रही थी। तभी जैसे आग का भभका सा आया … मैंने अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया… लण्ड चूत की गहराई में जोर से गड़ने लगा… तभी चूत कसने और ढीली होने लगी। लगा मैं गई… उधर इस दबाव से मोनू भी चीख उठा और उसने भी अपने लण्ड को जोर से चूत में भींच दिया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मैं भी झड़ रही थी। जैसे ठण्डा पानी सा हम दोनों को नहला गया। हम दोनों एक दूसरे से जकड़े हुये झड़ रहे थे। हम तेज सांसें भर रहे थे। हम दोनों का शरीर पसीने में भीग गया था। उसने मुझे धीरे से साईड में करके अपने नीचे दबा लिया और मुझे दबा कर चूमने लगा। मैं बेसुध सी टांगें चौड़ी करके उसके चुम्बन का जवाब दे रही थी। मेरा मन शान्त हो चुका था। मैं भी प्यार में भर कर उसे चूमने लगी थी। लेकिन हाय रे ! जवानी का क्या दोष … उसका लण्ड जाने कब कड़ा हो गया था और चूत में घुस गया था, वो फिर से मुझे चोदने लगा था।
मैं निढाल सी चुदती रही … पता नहीं कब वो झड़ गया था। तब तक मेरी उत्तेजना भी वासना के रूप में मुझ छा गई थी। मुझे लगा कि मुझे अब और चुदना चाहिये कि तभी एक बार फिर उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। मैंने उसे आश्चर्य से देखा और चुदती रही। कुछ देर में हम दोनों झड़ गये। मुझे अब कमजोरी आने लगी थी। मुझ पर नींद का साया मण्डराने लगा था। आंखें थकान के मारे बंद हुई जा रही थी, कि मुझे चूत में फिर से अंगारा सा घुसता महसूस हुआ।
“मोनू, बस अब छो … छोड़ दे… कल करेंगे …!” पर मुझे नहीं पता चला कि उसने मुझे कब तक चोदा, मैं गहरी नींद में चली गई थी।
सुबह उठी तो मेरा बदन दर्द कर रहा था। भयानक कमजोरी आने लगी थी। मैं उठ कर बैठ गई, देखा तो मेरे बिस्तर पर वीर्य और खून के दाग थे। मेरी चूत पर खून की पपड़ी जम गई थी। उठते ही चूत में दर्द हुआ। गाण्ड भी चुदने के कारण दर्द कर रही थी। मोनू बिस्तर पर पसरा हुआ था। उसके शरीर पर मेरे नाखूनों की खरोंचे थी। मैं गरम पानी से नहाई तब मुझे कुछ ठीक लगा। मैंने एक एण्टी सेप्टिक क्रीम चूत और गाण्ड में मल ली।
मैंने किचन में आकर दो गिलास दूध पिया और एक गिलास मोनू के लिये ले आई।
मेरी काम-पिपासा शान्त हो चुकी थी, मोनू ने मुझे अच्छी तरह चोद दिया था। कुछ ही देर में मोनू जाग गया, उसको भी बहुत कमजोरी आ रही थी। मैंने उसे दूध पिला दिया। उसके जिस्म की खरोंचों पर मैंने दवाई लगा दी थी। शाम तक उसे बुखार हो आया था। शायद उसने अति कर दी थी…। Hindi Sex Stories
मेरी कहानी में आपको रोमांच भरा सेक्स देखने को मिलेगा। मैं अपनी कार में जंगल से गुजर रहा था, बारिश हो रही थी और रात भी घिरने लगी थी. तभी सड़क पर कोई जानवर आया और मेरी कार खड्डे में उतर गयी.
मेरा नाम अरमान है. मैं राजस्थान के कोटा शहर का रहने वाला हूँ। मेरा कद 6 फीट और उम्र 22 साल है. अच्छी बॉडी वाला लड़का हूँ।
मैं दूसरों की तरह यह तो नहीं कहूंगा कि मेरा लण्ड 8 इंच का है, मगर यह जरूर कहूंगा कि मेरा लंड किसी भी औरत और लड़की को संतुष्ट कर सकता है।
वो बरसात के दिन थे. मुझे किसी काम से मेरे शहर से 200 किलोमीटर दूर जाना था। मैं शनिवार को आपनी कार से निकल पड़ा।
मौसम बहुत सुहाना था तो मैंने रास्ते में वाइन शॉप से एक बीयर ले ली और कार में ही उसे पीने लग गया और कार भी चला रहा था।
मैं अपने शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर आ गया था. रास्ते में बरसात बहुत तेज हो गयी थी। बीयर भी अपना असर दिखा रही थी. हल्का नशा हो रहा था.
बरसात तेज होने के कारण मुझे रोड साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था।
रास्ते में बहुत डरावना जंगल था. दूर-दूर तक सुनसान रास्ता था और रोड पर गाड़ियां भी बहुत कम चल रही थीं।
रात के करीब 8 बज चुके थे और मुझे भूख लग रही थी, मगर आस-पास दूर-दूर तक कुछ नहीं था।
तभी अचानक मेरे सामने जंगल में से भागता हुआ एक नीलगाय (हिरन जैसा जानवर) मेरी कार के सामने आ गया.
मैंने एकदम हड़बड़ा कर गाड़ी को साइड में घुमा दिया.
मेरी गाडी स्पीड में ही रोड से नीचे उतर कर झाड़ियों में घुस गयी और पीछे का टायर एक गड्ढे में फंस गया और गाड़ी बंद हो गयी।
मैंने मन ही मन ऊपरवाले को कोसा कि कैसे सुनसान रोड पर गाडी ख़राब करवा दी. अब आस-पास दूर-दूर तक इंसान तो दूर, कोई झोपड़ी भी नहीं दिख रही थी.
मैंने सोचा चलो जैसे तैसे रात कार में ही गुजारते हैं. सुबह किसी को ढूंढ कर निकलने का जरिया खोज लूंगा।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मेरे दिमाग में आया कि चलो रात यहाँ बिताने से अच्छा है कुछ दूर तक चला जाये. क्या पता कोई घर या झोपड़ी मिल जाये?
मैंने कार को लॉक किया और चल पड़ा जंगल की ओर.
फिर अचानक से बहुत तेज बिजली कड़की और मुझे एक पुरानी फिल्मों की तरह की एक हवेली नजर आई मैंने सोचा कि चलो रात तो बिताई जा सकती है।
मैं उस हवेली की तरफ बढ़ चला.
अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
मैं हवेली के पास पंहुचा और मैंने आवाज लगाई पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई.
फिर मैंने जोर से दरवाज़े को बजाया मगर फिर भी कोई आवाज नहीं आई.
मैंने सोचा यहाँ कोई नहीं रहता, तो मैं जैसे ही वापस जाने के लिए मुड़ा, अचानक हवेली की लाइट जली और अंदर से आवाज आई- कौन है?
वो आवाज़ इतनी मधुर थी कि मैं उस औरत की सुंदरता को सिर्फ कल्पना कर रहा था कि इसकी आवाज इतनी सुन्दर है तो यह कितनी सुन्दर होगी?
तभी फिर से अंदर से आती आवाज ने मेरी कल्पना को तोड़ा- कौन है?
मैंने जवाब दिया- मेरी कार पास में ही ख़राब हो गयी है और रात भी बहुत हो गयी है इसलिये मैं आपके यहाँ रात गुजार सकता हूं क्या?
अंदर से आवाज आई- मैं तुम पर यकीन क्यों करूं?
मैंने फिर अपनी कार ख़राब होने की दास्तान सुनाई.
तभी हवेली का दरवाजा खुला और तभी अचानक जो मैंने देखा उसे मैं कभी नहीं भूल सकता.
काली साड़ी में मेरे सामने खुद काम की देवी खड़ी थी. वैसी सुंदरता मैंने मेरी जिंदगी में कहीं नहीं देखी थी. जैसे स्वर्ग की अप्सराएं भी इसके सामने फीकी पड़ जायें।
उसके जिस्म को शब्दों में बयां करना नामुमकिन सा था. कद 5 फीट 8 इंच.
चेहरा ऐसा जैसे कोई भी देखते ही मोहित हो जाये.
होंठ सेब की फ़ांकों की तरह लाल, जिस्म का आकार 34, 30, 34 था.
उस काम की देवी के पास से ऐसी खुशबू आ रही थी कि बस मैं उसके वश में होता जा रहा था.
ऐसी तराशी हुई हुस्न की मूरत थी कि खुदा ने अपनी सारी सोच इसे बनाने में ही लगा दी हो।
मैंने मन ही मन ऊपरवाले को शुक्रिया कहा कि ऐसी सुंदरी के दर्शन करवाए जिसे असल जिंदगी में देखना ही जिंदगी धन्य कर दे।
तभी उसकी आवाज ने फिर से मेरी कल्पना की दुनिया से मुझे जगाया- यहाँ ही खड़े रहना है या अंदर भी आओगे?
मेरे गले से धीमी सी आवाज निकली- हाँ जी.
उसे देखते ही सारे अरमान जाग गए. मैंने मन ही मन ऊपरवाले को धन्यवाद दिया।
मेरे मन में कुछ और सवाल भी थे कि इतने सुनसान जंगल में यह अकेली और यहाँ कोई नहीं?
अचानक मुझे गीले कपड़ों की वजह से छींकें आने लग गयीं तो उसने कहा- जाइये कपड़े बदल लीजिये.
मैंने कहा- मेरे पास कपड़े नहीं है. उसने कहा कि मेरे पति के कपड़े दे देती हूं मैं आपको. आप जाइये फ्रेश हो जाइये।
मैं जाकर फ्रेश हो कर आ गया और मैंने उसके पति का पायजामा और टी-शर्ट पहन ली.
फिर भी मेरे मन में बहुत से सवाल थे तो मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम अक्षिता बताया और मैंने पूछा कि इस सुनसान जंगल में आप अकेली वो भी इतने बड़े घर में?
तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- ये मेरे पति के पुरखों की हवेली है और वो एक वन विभाग में अफसर हैं उनकी पोस्टिंग इसी जंगल में हो गयी तो हम यहाँ आ गये.
उसने आगे बताया कि घर के नौकर अपने गांव गये हैं और मेरे पति मीटिंग करने कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं.
फिर मैंने उसको अपना नाम बताया।
उन्होंने कहा- मैं अभी खाना लगाती हूं. आप खाने की टेबल पर चलिये.
फिर हमने साथ में खाना खाया. फिर अक्षिता ने बर्तन किचन में रखे.
जब वो चलती थी तो ऐसे लग रहा था कि कोई हिरणी अपनी सुंदरता पूरे जंगल में बिखेर कर जा रही हो।
मैं बार-बार ऊपरवाले को इस रात के लिये धन्यवाद दिये जा रहा था।
अक्षिता ने फिर मुझसे पूछा- आप कुछ पीएंगे?
मैंने अचानक ही कह दिया- मेरे काम की चीज़ अभी यहाँ नहीं मिलेगी.
तो वो मुस्कुरा दी और उनके पति की एक रम की बोतल ले आयी। जिसे देखते ही ऐसा लगा कि प्यासे को रेगिस्तान में शरबत मिल गया हो।
फिर कुछ देर के बाद वो कपड़े बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया.
ब्लैक कलर की जालीदार नाईटी में वो किसी नामर्द का भी लण्ड खड़ा करवा दे. उसके सेंट की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.
एक तो बरसात की रात … ऊपर से काम की देवी मेरे साथ में … बहुत मुश्किल से खुद पर काबू करके बैठा था मैं। वो 2 गिलास ले कर आई और कुछ आइस क्यूब भी साथ में ले आई.
मैंने पूछा- आप भी ड्रिंक लेती हैं?
तो उसने कहा- हां कभी-कभी ले लेती हूं.
मैं खुद की किस्मत पर यकीन नहीं कर पा रहा था। बस कामदेव से यही कह रहा था कि कोई प्यार का तीर इस पर भी चला दीजिये।
उसने टीवी चालू किया और मैंने 2 छोटे पेग बनाये। हम दोनों ने ड्रिंक खत्म की और टीवी पर कोई रोमांटिक मूवी चल रही थी. दोनों पर रम अपना असर दिखा रही थी.
तभी अचानक बहुत तेज बिजली की आवाज आई और वो डर कर मेरी बांहों में आ गयी.
डर से दुबक कर उसका मुंह मेरी छाती पर आ गया था. मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था।
मैं धीरे-धीरे उसकी कमर सहलाने लग गया और वो भी मेरे आगोश में आ रही थी। मेरी बढ़ी हुई धड़कन की आवाज बिल्कुल साफ़ सुनाई दे रही थी।
बड़े ही प्यार से मैंने उसे उठाया और उसके साथ खड़ा हो गया.
तभी अचानक फिर बिजली की आवाज हुई. वो फिर मुझसे चिपक गयी और मेरा लिंग महाराज, जो कि तन गया था, उसके बदन से सट गया था. वो भी उस पल का मजा ले रही थी।
मैंने उसके फूल जैसे कोमल चहरे को उठाया.
उसकी आँखों में कामवासना की झलक साफ दिख रही थी.
मैंने अपने होंठ उसके लाल होंठों पर धीरे से रखे और दोनों के होंठ एक दूसरे से रेस लगा रहे थे कि कौन किसे सबसे ज्यादा प्यार करता है!
मैं मन ही मन सोच रहा था कि बस ये समय यहीं रुक जाये और वो एक ऐसा सुखद अनुभव था जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
जैसे ही मैंने उसे खुद से अलग किया तो उसने एक सवाल वाली निगाह से मुझे देखा।
मैं उसकी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा और मैं उसकी सुंदरता का गुलाम बनता जा रहा था.
मैंने उसकी नाइटी पूरी उतार दी.
वो अंदर लाल रंग की ब्रा और पेंटी में संगमरमर की मूरत के समान चमक रही थी।
मैं ऊपरवाले से मन ही मन कह रहा था कि मैं इस रात के लिए हमेशा तेरा गुलाम रहूँगा।
उसके वक्ष बिल्कुल सुडौल, गोल आकार के, सपाट पेट, गोल और गहरी नाभि. उसके तन पर कहीं भी अतिरिक्त मांस नहीं था. साक्षात प्रकृति की खूबसूरती का नमूना थी वो.
मैं सोच रहा था कि देवताओं के पास ऐसी ही अप्सराएं थीं जिनसे वो तपस्या में लीन मुनियों में भी कामवासना जगा देते थे। मैं सारी उम्र इसका गुलाम बन कर रहने को तैयार था.
कहने को शब्द नहीं हैं उसकी सुंदरता की तारीफ में … मैं सोच रहा था कि देवता भी इसे धरती पर भेज कर पछता रहे होंगे.
तभी उसकी आँखें मुझे फिर सवाल भरी निगाहों से देख रही थीं.
मैं फिर अपनी कल्पना से बाहर आया और धीरे से उसकी ओर बढ़ा. उसके पीछे जाकर उसके सुनहरे बालों को आगे कर दिया.
फिर मैंने एक किस उसकी गर्दन पर किया तो उसके मुँह से प्यारी सी आह्ह निकली।
मैंने फिर 3-4 किस उसके कंधों और गर्दन पर जड़ दिए. मैंने उसकी ब्रा की डोरी को धीरे से खोला और ब्रा को हटा दिया.
फिर मैं आगे की तरफ गया और उसके उरोजों को देखा तो बस मेरे मुँह से एक आह्ह निकली. बिल्कुल संगमरमर जैसे सफ़ेद गोल वक्ष थे. उन पर गुलाबी रंग के तने हुए निप्पल और उसका एलोरा भी गुलाबी कलर का. बस मन हुआ कि सारी उम्र इन्हें चूसता रहूं।
मैंने आगे बढ़ कर उन्हें अपने हाथों में पकड़ा.
इतने कोमल जैसे कोई स्पंज दबाया हो.
मैंने धीरे से उन्हें दबाया … अक्षिता के मुँह से एक आह्ह निकली।
अक्षिता ने मेरी टी-शर्ट उतार दी मैंने उसके एक उरोज के एलोरा पर अपनी जीभ फिराई तो अक्षिता के मुँह से फिर एक कामुक सिसकारी स्स्स … करके निकली. मैंने उसके निप्पल को होंठों में दबाया और एक छोटे बच्चे की तरह उसे चूसने लगा.
अक्षिता भी कामवासना के सागर में गोते लगाने लगी.
मैं जब उन्हें काटता तो अक्षिता के मुँह से सिसकारी निकल जाती.
अक्षिता भी जोर जोर से कह रही थी- जोर से चूसो … आह्ह …
मैंने चूस-चूस कर उसके दोनों उरोजों को लाल कर दिया था.
फिर मैं उसे उठा कर बेडरूम में ले आया. वहां मैंने उसे किसी फूल की तरह लेटाया और उसके ऊपर खुद भी लेट कर किस करने लग गया।
मैं किस करते-करते नीचे की ओर जाने लगा.
उसकी गर्दन पर किस किया. फिर दोनों उरोजों के बीच से उसके पेट को चाटते हुए उसकी गहरी नाभि पर पहुंचा. मैंने उसमें अपनी जीभ घुसा दी. अक्षिता ने फिर वही प्यारी सी सिसकारी भरी.
मैंने उसके पेट को चाट चाट कर गीला कर दिया।
अब मैं बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो गया और उसके पैरों को हाथो में लेकर चाटने लगा.
वो लगातार वासना में बहती जा रही थी और सिसकारियां भर रही थी.
मैंने उसकी पैर की उंगलियों को चूसना शुरू किया. फिर धीरे-धीरे उसकी टांगों को चाटते-चूमते उसकी जांघों पर पहुंचा.
वहाँ भी अपने प्यार की निशानियां दे रहा था. हम दोनों अपनी वासना में बहे जा रहे थे।
अब मैं धीरे से उसकी पैंटी की तरफ बढ़ा. उसे जैसे ही मैंने छुआ तो अक्षिता ने फिर एक आहहह … भरी.
उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो गयी थी. उसके कामरस की बहुत ही मोहक गंध मुझे पागल किये जा रही थी।
फिर मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी उतार रहा था और चूमता भी जा रहा था.
उसकी चूत के ऊपर की बालों वाली जगह बिलकुल क्लीन थी. वहाँ रोम छिद्रों के अलावा कोई निशान नहीं था.
मैंने उस जगह को चूमा.
मैं उसके हर हिस्से पर अपने प्यार की निशानी छोड़ रहा था।
फिर मैंने पूरी पेंटी उतार दी और उसकी चूत बिल्कुल छोटी सी, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह लग रही थी.
उसकी फांकों को मैंने प्यार से किस किया और चुम्बनों की झड़ी लगा दी उसकी कोमल चूत पर.
अक्षिता मेरे इस प्यार से पागल होती जा रही थी।
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी फ़ांकों को फैलाया. अंदर से ऐसी जैसे खून उतर आया हो.
बिल्कुल लाल थी उसकी चूत. ऐसी चूत मैंने कहीं नहीं देखी.
मैं धीरे से उसके पास गया और उसे चाटने लग गया.
अक्षिता जोर-जोर से आहें भर रही थी और अपने हाथ को मेरे सिर पर रख कर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी.
उसका दबाव मुझ पर बढ़ता जा रहा था. वो जोर-जोर से सिसकी भर रही थी.
वो झड़ने के करीब थी.
मैंने अपनी चाटने की स्पीड और बढ़ा दी और उसके क्लीट को भी चूसने लग गया.
उसकी सिसकारियां और तेज हो गयीं और उसने अपनी टांगों को मेरे सिर पर जोर से दबा दिया.
वह जोर से झड़ने लग गयी. उसकी चूत के अमृत रस से मेरा पूरा चहरा गीला हो गया।
वो अपनी सांसों पर काबू कर रही थी. मैं ऊपर जा कर उसे फिर किस करने लग गया।
अब उसने मुझे नीचे लेटाया और मुझे किस करने लग गयी. वह धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ रही थी. उसने मेरे पाजामे और अंडरवियर को एक साथ उतार दिया और मेरा लिंग महाराज पूरे जोश में उसे सलामी दे रहा था।
अक्षिता ने मेरे लिंग महाराज को एक प्यारी सी निगाह से निहारा. फिर उसने अपने कोमल से होंठों से किस किया. फिर मेरे लिंग महाराज को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लग गयी.
उसका यह प्यार मुझे दीवाना किये जा रहा था.
वो पूरा नीचे तक लिंग महाराज मुँह में लेती और फिर ऊपर आते वक्त मेरे लिंग के टोपे को जोर से चूसती.
उसकी इस अदा ने मुझे उसका गुलाम बना लिया. बस मैं मन ही मन कामदेव को धन्यवाद दे रहा था और कह रहा था कि अब मौत भी आ जाये तो कोई गम नहीं. ऐसी सुंदर काया वाली अप्सरा को पाकर मेरी जिंदगी तो धन्य हो गयी।
मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूं!
तो उसने मेरी बात को नजर अंदाज किया और वो और जोर-जोर से मेरे फटने को हो चुके लौड़े को चूसने लग गयी.
मेरी वासना का ज्वार भी एक तूफ़ान की तरह फूट पड़ा.
पहले एक धार, फिर दो, फिर तीन-चार-पांच और न जाने कितनी ही बार मेरे लिंग ने मेरा वीर्य को पिचकारी दर पिचकारी करके उसके मुंह में उड़ेल दिया.
वह उसको पी गई.
कुछ वीर्य उसको उरोजों पर गिर गया और कुछ उसके मुंह पर लग गया.
इतना वीर्य मेरे लिंग से पहले कभी नहीं निकला था.
मगर हैरानी की बात ये थी कि अब भी मेरा लिंग बैठने को राजी नहीं था.
अब मैंने अक्षिता को वापस अपने नीचे लेटा दिया. अब बारी थी लिंग महाराज के मिलन की. मैंने अक्षिता के होंठों पर किस किया.
जैसे उसे इस सुख के लिए धन्यवाद कह रहा हूं. उसने भी किस में पूरा साथ दिया। अब अक्षिता का भी सब्र जवाब दे रहा था. वो बोली- जान … अब डाल दो अपने लण्ड को मेरी चूत में … अब और नहीं सहा जा रहा।
मैंने भी रुकना उचित नहीं समझा. उसकी टांगें फैलाईं और अपने लिंग महाराज को उसकी चूत की गुलाबी फ़ांकों पर रख कर एक धक्का मारा.
तो लिंग का मुंड अंदर फंस गया और अक्षिता के मुँह से एक हल्की चीख निकली- उइई माँ … मैंने सोचा कि ये काम की देवी तो नाम की तरह ही अक्षत है.
मैंने फिर अपने लिंग को बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का मारा.
उसकी एक जोर की चीख निकली- आआईई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गयी।
फिर मैंने उसे प्यार से किस किया और धीरे-धीरे धक्के लगाने लग गया.
उसकी चूत किसी भट्टी की तरह गर्म थी और मेरे लण्ड को अंदर की ओर खींचे जा रही थी, जैसे मुझे पूरा ही अपने अंदर समा लेना चाहती हो. अब उसकी सिसकारियां बढ़ गयीं. मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढा दी.
वो जोर-जोर से ऊह्ह आह्ह … कर रही थी और बोल रही थी- और जोर से चोदो जान … बहुत मजा आ रहा है! और तेज … और तेज चोदो … और चोदो … आज मुझे अपनी बना लो. मैं भी तेज धक्के मार रहा था.
चुदाई का खेल अपनी पूरी रफ़्तार पर चल रहा था.
लेकिन मैं थक चुका था जिसे वो समझ गयी थी.
फिर मैं उसके नीचे आ गया और वो मेरे लिंग को हाथ में पकड़ कर उस पर कूदने लग गयी.
कुछ देर ऐसे ही रफ़्तार से चुदाई चलती रही. तभी उसकी आवाजें तेज हो गयीं और वो जोर से झड़ने लग गयी।
लेकिन मैं पहले लंड चुसाई से एक बार झड़ चुका था तो मेरा नहीं हुआ था. वो धम्म से मेरी छाती पर गिर गयी।
मैंने वापस अपना पोज़ बदला. मैं उसके ऊपर आ गया और वो भी एक कातिल निगाह से मेरी ओर देख कर मुस्करा दी.
उसका कहना था- तुम नहीं थके तो आ जाओ, मैं भी तैयार हूं जंग के लिये।
फिर मैंने अपना लिंग एक ही झटके में अंदर डाल दिया और अक्षिता के मुँह से फिर एक सिसकारी निकली.
हमने रफ़्तार पकड़ ली और दोनों एक दूसरे को बराबर टक्कर दे रहे थे. मेरा लिंग महाराज भी झड़ने को था तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी.
अक्षिता भी जोर-जोर से धक्के मार कर बोल रही थी- जोर से चोदो जान … मैं झड़ने वाली हूं. तेज चोदो जान … और तेज!
मैं भी झड़ने वाला था और उसके हाथ मेरी कमर पर दबाव बनाये जा रहे थे.
फिर अचानक ही दोनों का शरीर अकड़ गया और दोनों की वासना का ज्वार उमड़ पड़ा.
मैं भी थक कर उसके ऊपर गिर गया. मेरी पूरी ताकत खत्म हो चुकी थी. मैं उसके ऊपर ही लेट गया.
जब सुबह मेरी आँख खुली तो मैं अपनी ही कार में था.
अचानक मुझे एक झटका लगा कि जो भी बीती रात मेरे साथ हुआ वो क्या कोई सपना था?
लेकिन मेरी कमर पर जलन महसूस हुई तो मैंने कार के मिरर में देखा तो मेरी कमर पर नाखूनों के कई निशान थे.
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. मेरी कार भी सड़क किनारे सही सलामत खड़ी थी।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि ये कोई डरावना सपना था या हकीकत?
मैंने कार स्टार्ट की और अपनी मंजिल की ओर बढ़ चला. मगर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वहाँ ना कोई हवेली थी ना कोई मकान तो फिर मैं किस अक्षिता से मिला और कौन सी थी वो हवेली।
कैसी अजीब पहेली थी ये जो आज तक मेरे लिए एक सवाल बनी हुई है. आखिर उस रात मेरे साथ हुआ क्या था. मैं आज भी सोच कर सहम जाता हूँ.
तो दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी थी. अगर कोई गलती हुई हो तो माफ़ कीजियेगा. फिर जल्द ही लौटूंगा एक नई कहानी लेकर. मुझे कमेंट करके बतायें कि आपको कहानी कैसी लगी।
मैं जय कुमार कालबाय हूँ और एक बार फिर से नई Antarvasna कहानी लिख रहा हूँ जो एक हकीकत है, आप लोग मानो या ना मानो मुझको कोई फर्क नहीं पड़ता है।
मेरा परिचय एक बार फिर : नाम जय, रंग साफ, कद 5 फीट 8 इन्च, एकदम से स्लिम, दिल्ली में रहता हूँ।
एक बार मैं अपनी ड्यूटी खत्म करके कुन्डली (नरेला) से रात को 11 बजे घर वापिस आ रहा था तो अलीपुर से आगे (बाई पास की तरफ) मुझे एक गाड़ी खड़ी नजर आई। जैसे ही मैं गाड़ी के नजदीक आया तो मैंने आपनी बाइक धीरे की तो गाड़ी के साथ एक महिला खड़ी हुई नजर आई।
मैंने बाइक रोककर पूछा- मैडम, क्या हुआ?
तो उसने कहा- शायद गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया है।
मैंने कहा- यहाँ पर तो आसपास कोई पेट्रोल पम्प नहीं है, क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?
तो वो कहने लगी- नहीं, आप जाओ, मैं किसी और से मदद ले लूँगी।
मैंने कहा- मैडम, इतनी रात को कौन आपकी मदद करेगा। और फिर यहाँ तो आसपास कोई भी नजर नहीं आता है बस ट्रकों के अलावा। फिर यहाँ सुनसान इलाका है।
तो वो बोली- कोई बात नहीं ! जो होगा सो देखा जायेगा।
मैंने कहा- नहीं, ऐसे कैसे हो सकता है मैडम।
तो वो कहने लगी- नहीं, कोई बात नहीं, आप जाओ, मैं कुछ ना कुछ कर लूंगी।
तो मैंने कहा- नहीं मैडम। पैट्रोल तो आपको यहाँ नहीं मिल सकता ! हाँ अगर आपके पास कोई बोतल हो तो वो मुझे दो, मैं कुछ इन्तजाम कर देता हूँ।
तो उसने कहा- हाँ, गाड़ी में पानी की बोतल है।
तो मैंने कहा- वो मुझे दे दो।
तो उसने गाड़ी से निकाल कर पानी की खाली बोतल मुझे दे दी और कहने लगी- आपको ज्यादा कष्ट करने की जरुरत नहीं, मैं अपने आप चली जाउँगी।
मैंने कहा- मैडम, इसमें कष्ट की क्या बात है? आदमी ही आदमी के काम आता है।
फिर मैंने उनसे पानी की खाली बोतल लेकर आपनी बाइक का नीचे से पेट्रोल का पाईप निकाल कर बोतल में पेट्रोल भरने लगा तो वो मेरे पास आकर कहने लगी- मैंने सोचा था कि आप पेट्रोल पम्प से पेट्रोल लेने के लिये जाओगे, इसलिये मैंने आपको मना कर दिया था। सॉरी !
मैंने कहा- कोई बात नहीं।
और मैंने पेट्रोल को बोतल में भरकर उनको कहा- आप अपनी गाड़ी का ढक्कन खोलो !
तो उसने गाडी के पेट्रोल टैक का ढक्कन खोल दिया और मैंने बोतल से उसकी गाड़ी में पेट्रोल डाल दिया और फिर दोबारा से बोतल में बाईक से पेट्रोल भरने लगा तो वो भी मेरे पास आकर बात करने लगी। उसने कहा- मेरा नाम वन्दना है !
मैंने अपना नाम जय बताया और बोतल में पेट्रोल भर कर गाड़ी में डाल दिया।
उसके बाद हम दोनों उसकी गाड़ी के पास खड़े होकर बात करने लगे। मुझे उसके साथ बात करते-2 वन्दना के मुँह से शराब की बू आई क्योंकि हम अब काफी नजदीक खड़े होकर बात कर रहे थे।
मैंने कहा- वन्दना जी, आप ड्रिन्क करती हैं क्या ?
तो वन्दना झेंप कर कहने लगी- नहीं तो !
मैंने कहा- फिर आपके मुँह से बू क्यों आ रही है।
वन्दना ने कहा- जय मैं अलीपुर शादी में आई थी और वहाँ अपने दोस्तों के कहने पर थोड़ी सी ले ली और कुछ नहीं।
मैंने देखा कि रात के 12 बज चुके हैं तो मैंने कहा- वन्दना जी, आप अब अपने घर जाइए, मैं भी अपने घर जाता हूँ।
वन्दना कहने लगी- ठीक है !
और मुझे पेट्रोल के पैसे देने लगी तो मैंने मना कर दिया।
तो वन्दना ने कहा- जय, आपके घर पर कौन-2 हैं ?
मैंने कहा- मैं अकेला ही रहता हूँ ! और आप वन्दना जी?
वन्दना ने कहा- जय, मैं रोहिणी में रहती हूँ और मेरे साथ मेरे पति रहते हैं वो ज्यादतर काम के कारण बाहर ही रह्ते हैं।
मैंने कहा- वन्दना जी अब घर चलते हैं !
तो वन्दना ने कहा- जय, अपना फोन नम्बर तो दे दो !
मैंने कहा- किसलिये ?
तो वन्दना ने कहा- क्यों? नहीं देना चाहते?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं ! और मैंने अपना फोन नम्बर वन्दना को दिया और हम दोनों चल दिये। बाई पास पहुँच कर हम दोनों ने एक दूसरे को बाय किया और अपने-2 घर चल दिये।
अगले दिन दस बजे वन्दना का फोन आया- जय कहाँ पर हो?
मैंने कहा- अभी तो घर पर हूँ !
वन्दना कहने लगी- आज मुझसे मिल सकते हो ?
तो मैंने कहा- नहीं, आज नहीं ! फिर कभी !तो वन्दना कहने लगी- नहीं, आज आप मेरे घर पर मिलो !
मैंने कहा- नहीं वन्दना जी ! आज मैं नहीं आ सकता !
तो वन्दना कहने लगी- नहीं जय ! आज आपको आना ही पड़ेगा !
मैंने कहा- नहीं वन्दना ! आज नहीं फिर कभी सही ! ओके ?
और मैंने फोन रख दिया। उसके बाद मैं नहाने के लिये चला गया और मैं 15 मिनट के बाद मैं जैसे ही देखता हूँ कि मेरे फोन पर 15 मिस काल हैं वन्दना जी की। मैंने जैसे ही काल किया तो वन्दना बोली- जय आप बात नहीं करना चाहते तो बोल देते !
मैंने कहा- वन्दना जी, मैं तो नहाने के लिये गया था ! तो फोन कैसे उठाता ? मैं तो अपने काम पर जाने के लिये तैयार हो रहा था। मैंने तो आपको पहले ही मना कर दिया था तो आप क्यों बार-2 फोन कर रही हैं?
यह कहकर मैंने फोन रख दिया।
मैं जैसे ही घर से निकला तो वन्दना का फिर से फोन आ गया।
मैंने झुंझलाहट मैं कहा- वन्दना जी, आपको मुझसे क्या चाहिये ? मैं तो आपसे परेशान हो गया ! बोलो, मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ ? बोलो ?
वन्दना कहने लगी- नहीं, आज ही मिलो !
तो मैंने कहा- ठीक है ! अपना पूरा पता दो ! मैं आपसे अभी एक घन्टे बाद आकर मिलता हूँ !
वन्दना ने अपना पता बताया। उसके बाद मैं थोड़ी देर के लिये अपने काए पर गया और उसके बाद रोहिणी, वन्दना के घर, पहुँचकर मैंने घण्टी बजाई तो वन्दना ने दरवाज़ा खोला और देखते ही बोली- जय, आप आ गये ! आओ अन्दर।
वन्दना ने दरवाज़ा बन्द किया और मैं भी वन्दना के साथ अन्दर आ गया।
उसने मुझे बैठने के लिये कहा और मेरे लिये पानी लेकर आई। मैंने पानी पीने के बाद कहा- वन्दना जी, आपको मुझसे क्या काम है जो आप इतना परेशान हैं?
वन्दना ने कहा- जय मैं अपने पति से खुश नहीं हूँ !
मैंने कहा- मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिये?
तो वन्दना ने कहा- मैं आपके साथ सेक्स करना चहाती हूँ !
मैंने कहा- मैं एक काल बोय हूँ और अपने काम की फीस लेता हूँ ! और अपने बारे में वन्दना को सब कुछ बताया तो वन्दना ने कहा- मुझे मन्जूर है, आप जो भी लोगे, मैं देने के लिये तैयार हूँ !
मैंने कहा- वन्दना जी, अब मैं चलता हूँ, ड्यूटी के लिये लेट हो जाउँगा !
तो वन्दना ने कहा- नहीं जय ! आज आप ड्यूटी मत जाओ ! मैं भी अकेली हूँ, दोनों मजा करते हैं !
मैंने कहा- नहीं !
तो वन्दना नाराज होने लगी, कहने लगी- जय, आप मेरे लिये एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते ?
मैंने कहा- नहीं वन्दना जी ! ऐसी कोई बात नहीं ! मैं आपको रात को 10-30 बजे मिलता हूँ ! ड्यूटी खत्म करके आता हूँ !
मेरे इतना कहते ही वन्दना के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने भी उनका साथ देते हुए अपने होंठ वन्दना के होंठों पर रख दिये और एक लम्बा सा चुम्बन लिया और बाय करके ड्यूटी के लिये निकल गया।
उसके बाद मैं अपनी ड्यूटी जल्दी खत्म करके जल्दी से निकल गया क्योंकि मैंने अपने रिलीवर को जल्दी आने के लिये बोल दिया था। और मैं 9-00 बजे कुन्डली से निकल गया।
ठीक 9-25 पर मैंने वन्दना के घर पर घण्टी बजाईं तो वन्दना ने जल्दी से दरवाज़ा खोला और बहुत ही जल्दी से बन्द करके मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी।
मैं भी वन्दना का साथ देने लगा। बस फिर क्या था, तूफान तो दोनों तरफ उठ रहा था और हम दोनों इक-दूजे को मसलते रहे और चूमते रहे।
8 से 10 मिनट तक हम दोनों लगे रहे, उसके बाद मैंने कहा- वन्दना जी, कुछ खाने पीने के लिये तो होगा !
वन्दना ने कहा- जय आपने भी क्या बात कर दी? मैंने पहले से ही तैयारी करके रखी हुई है।
बस फिर टेबल पर वन्दना ने सारा समान तुरन्त ही लगा दिया और दो बहुत ही बड़े-बड़े पैग बनाये, हम दोनों ने चियर किया और अपना अपना पैग खत्म किया। दोनों ने एक दूसरे को चूमा और थोड़ा सा खाया जो भी खाने के लिये वन्दना ने रखा था।
और फिर हम दोनों आपस में लिपट गये और एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे। 5 से 10 मिनट तक हम दोनों आपस में लिपटे रहे।
फिर मैंने कहा- वन्दना, एक-एक पैग और हो जाये ! पर हल्का-हल्का !
वन्दना बोली- जय यार, आप कम पीते हो क्या?
मैंने कहा- वन्दना, मैं बहुत ही कम लेता हूँ !
तो कहने लगी- ठीक है !
फिर वन्दना ने दो पैग बनाये और फिर वही बड़े-बड़े और हम दोनों ने खत्म किये।
मैं कहने लगा- वन्दना, मुझे बहुत भूख लगी है !
वन्दना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ।
और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया। Antarvasna
इस कहानी Sex Stories का पूरा मज़ा लेने के लिए पढ़िये कैसे मौसी ने मुझे बना दिया कोठे की कुतिया
हम लोग ९ बजे मौसी के कमरे में थे। मौसी ने मेरे और मोनी के लिए कमरे में ही खाना मँगा लिया। खाने में मुर्गे की टांगें और मटन था।
मौसी बोली- लो खाओ, देसी मुर्गा हैं, चूत में आग लगा देगा ! खाओ पियो और मस्तियाओ ! थोड़ी देर बाद ग्राहकों के लौड़ों पर बैठना और अपनी जवानी का रस पिलाना !
खाना बहुत स्वादिष्ट था, हम लोगों ने पेट भर के खाया।
खाने के बाद मौसी बोली- अब तू मस्तिया बहुत ली है, चल अब तुझे धंधे पर बैठाती हूँ ! मुफ़्त में तो मैं पानी भी नहीं पिलाती। अब ध्यान से मेरी बात सुन, नीचे स्पेशल हाल में तुझे मिलाकर कोठे की सबसे हसीन सात लड़कियां खड़ी होंगी और दो लड़कियां नंगी होकर नाचेंगी। ग्राहक तुम्हें खरीदेंगे और गोद में बैठाकर तुम्हें नंगा करेंगे और तुम्हारी चूत और चूचियों को मसलेंगे। तुम सब उनके लंड बाहर निकाल कर चूसोगी और मसलोगी।
डांस देखने का टिकट ५०० रुपये है, गोद में बैठाकर रंडियों की मसलाई करने के कम से कम १००० रूपये १० मिनट के हैं, उसके बाद हर ५ मिनट के ५०० रुपए हैं। लौड़ा चुसवाने के १००० रूपये अलग से हैं। कोई ५००० या ज्यादा देता है तो लोंडी १० मिनट के लिए उसकी ! वो इन १० मिनट में वो लोंडी की चूत मार सकता है।
१ घण्टा यह धंधा चलता है, हर लोंडिया को कम से कम ५००० रुपए कमा के देने होते हैं। चल १० मिनट के लिए तुझे ट्रेनिंग दिलवा देती हूँ !
मौसी ने घन्टी बजा दी, एक लड़की अंदर आई, मौसी बोली- शो कराने वाले चारों मुस्टंडों को भेज ! चारों मुस्टंडे थोड़ी देर में अंदर थे, उनके नाम रोकी, पिंटू, टीनू और भूरा थे। सब खतरनाक चेहरे के गुंडे लग रहे थे।
मौसी बोली- रोकी, तू जहाँ लड़कियां बिकेंगी, वहां खड़ा होगा ! पिंटू जहाँ रंडियां मसली जा रही होंगी वहाँ बैठेगा और रंडी अगर ५ मिनट के अंदर लौड़ा नहीं निकालेगी तो उस पर सिगरेट की चिंगारी डालेगा, टीनू पैसे इकठा करेगा, भूरा देखने वाले ग्राहकों को कण्ट्रोल करेगा।
मौसी पिंटू से मेरी तरफ इशारा करते हुए बोली- बाकी रंडियां तो सब खेली खाई हैं, यह नई है, तू जरा इसे गोद में बैठा ! बाकी मैं सिखाती हूँ !
पिंटू ने मुझे गोद में उठाया और पलंग पर अपनी जांघों पर बिठा लिया सभी गुंडे कुटिल मुस्कान के साथ मुझे देख रहे थे। पिंटू ने मेरे ब्लाउज़ और पेटीकोट उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया और बोला- रंडी, साली ! अब तू पूरी कोठे की कुतिया लग रही है ! उसने कस कस कर मेरी चूचियां मसलनी शुरू कर दीं।
मौसी मेरे पास आईं और मेरा हाथ पिंटू के लौड़े पर रख दिया और बोली- जरा इसके शेर को तो बाहर निकाल !
मुझे लौड़ा निकलने मैं शर्म आ रही थी, तभी एक गुंडे ने मेरे ऊपर जलती हुई सिगरेट की राख़ डाल दी, मैं उई मर गई ! कहकर उठने लगी लेकिन पिंटू इतनी कस कर पकड़ा हुआ था कि मैं उठ नहीं पाई।
मौसी बोली- लौड़े को नहीं निकलेगी तो यही हाल होगा ! चल सारे बटन खोल इसके और लौड़ा मसल !
मैं घबरा गई, मैंने जल्दी जल्दी पिंटू की पैंट के सारे बटन खोल दिए नीचे मुस्टंडा कुछ नहीं पहना था, उसका सात इंच मोटा लंड तनतना के निकल आया, जिसे मैंने कस कस कर मुठी में दबा लिया। मौसी ने एक ट्यूब पिंटू की तरफ बढ़ा दी जिसे उसने मेरी चूत पर लगा दिया। मेरी चूत में चुदने की कुलबुलाहट भर गई। मौसी ने दो मिनट लगातार मुझसे पिंटू के लंड की मुठ मरवाई। इसके बाद मौसी ने मुझे उठा दिया और खड़े खड़े ही मुझसे सभी मुस्टंडों के लंड निकलवाए जिसमें से दो चड्डी पहने हुए थे और उनकी चड्डी नीचे सरका के मुझे उनके लंड निकालने पड़े।
इसके बाद मौसी ने उनमें से जो सबसे भद्दा और गन्दा दिख रहा था, जिसका नाम भूरा था, उसका लौड़ा मुझे पकड़ाया और बोली ले इसका लंड चूस !
भूरा काफी गन्दा था, मैं बोली- मौसी मैं इसका लंड मुँह में नहीं लूंगी !
मौसी ने पिंटू के हाथ से सिगरेट ली और मेरे नंगे चूतड़ों पर मसल कर बुझा दी। मैं जोरों से चीख उठी। मौसी गुर्राते हुए बोली- हरामखोर, साली, मैं प्यार से बात कर रही हूँ और तू अपने को कोठे की रानी समझ रही है? यह साले मोटे मोटे मुस्टंडे मुझे ना नहीं करते, तू ना कर रही है? और उन्होंने मेर बाल खींच दिए। मैं बिलबिला गई। मरती क्या नहीं करती, मैंने भूरा का गन्दा सा काला लंड अपने मुँह में डाल लिया।
मौसी बोली- कुतिया, ठीक से आगे पीछे कर के चूस ! यहाँ रानी कोई नहीं, सब रंडियां हैं अपने को अब तू कोठे की कुतिया मान ! इतने नखरे करेगी तो हाल में क्या लौड़ा चूसेगी।
मैं बहुत डर गई थी, मैं लपालप भूरा का लौड़ा चूसने लगी। आज तक मैंने लौड़ा नहीं चूसा था। भूरा गन्दा जरूर था लेकिन उसका लौड़ा चूसने में मुझे मज़ा आ गया। चिकना लौड़ा मेरे मुँह में आगे पीछे हो रहा था। मुझे लौड़ा चूसने में गज़ब का मजा आने लगा। मैंने ५ मिनट तक मस्त होकर लौड़ा चूसा। मौसी ने मुझसे भूरा के टट्टों पर भी जीभ फिरवाई।
मौसी ने थोड़ी देर बाद सबको बाहर भेज दिया और मुझसे बोली- देख, धंधे के मजे ले ! मैं जैसा कहूँगी वैसा करेगी तो बहुत मज़ा आएगा और नहीं करेगी तो तेरी चमड़ी को जला दूँगी ! कल मैं तुझे छोड़ दूंगी। तू कोठे से चली जाना। लेकिन जो सेक्स का मजा यहाँ ले लेगी वो तुझे और कहीं नहीं मिलेगा !
उसके बाद मौसी मुझे एक कमरे में ले गईं, वहां मोनी और मुझे मिलाकर सात लड़कियां थी। मौसी ने हम सबके कपड़े उतरवा दिए। अब हम सातों रंडियां पूरी नंगी थीं।
मौसी बोली- तुम्हारी चुचियों पर एक पतली चुन्नी रहेगी और चूत पर पतली चड्डी होगी जिसे ग्राहक उतार कर तुम्हारी चूत सहलाएगा और तुम सब उनके लौड़े मसलना ! चलो अब हाल में चलने को तैयार हो जाओ। जो भी कुतिया नखरे करेगी उसकी गांड और चूत जला दूँगी ! हर ग्राहक को पूरा मजा देना है और उनको इतना मस्त करना है कि वो अपना लौड़ा चुसवाएं और १०-१० हज़ार तुम्हारी चूत मारने के दें ! चलो अब हाल में चलें !
हाल में एक तरफ गद्देदार कुर्सियां पड़ी थीं, मोनी ने बताया कि इन सोफों पर ग्राहक हमारी चूत और चूचियां मसलेंगे। पास में ही एक काउंटर था जहाँ हम सातों रंडियां जाकर खड़ी हो गईं। मौसी ने हम सब की चूत पर जेली लगा रखी थी जिससे चूत में एक अजीब सी खुजली हो रही थी। बार बार हाथ चूत खुजलाने को चला जा रहा था। सामने डांस के लिए जगह थी, जहाँ दो रंडियां लहंगा पहन कर नाचने के लिए तैयार थीं।
मोनी ने बताया कि नाचते-नाचते ये दोनों नंगी करी जाएँगी और बीच बीच में मुस्टंडे इनकी चूत और चूतड़ों को मसलेंगे। आधे घंटे के बाद यह बदल जाएँगी और दूसरी दो लड़कियां नाचने आएँगी। सभी नाचने वाली लड़कियां बॉम्बे से आती हैं और एक शो के १०-१० हज़ार लेती हैं। यह लड़कियां १-२ घटिया हिंदी फिल्मों में छोटा मोटा रोल करे होती हैं। आज जो लड़कियां डांस करेंगी, ‘वो लुट गई लैला’ और ‘मस्त जवानी’ फिल्म की हेरोइन रह चुकी हैं।
मौसी अंदर आई और बोली- लो मेरे कोठे की कुत्तियों, एक एक कड़े पहनो !
सभी कड़े अलग-अलग रंग के थे। मेरे हिस्से में हरा कड़ा आया।
मौसी बोली- ग्राहक कड़े के रंग से तुम्हारी बोली लगायेंगे ! चलो सब लाइन से खड़ी हो जाओ और थोडा मस्तीयाओ ताकि तुम सबके रेट ज्यादा लगें।
पिंटू चल घंटी बजा और ग्राहकों को अंदर बुला, तब तक रोकी और भूरा, तुम इनकी घुन्डियाँ मसल कर खड़ी कर दो जिससे कि इनकी चूत की आग जोरों से भड़के।
रोकी और भूरा ने नोच नोच कर हमारी निप्प्लें खड़ी कर दीं। हम सब नग्न दूधों पर पतली चुन्नी डाले खड़ी थी।
ग्राहकों का अंदर आना शुरू हो गया था, रंडियां नाचनी शुरू हो गईं थीं। मेरे साथ की रंडियां कभी अंगड़ाई ले रही थी, कभी अपने संतरे दबाते हुआ ग्राहकों पर चुम्मे फ़ेंक रही थीं।
रोकी हमारे पास घूम रहा था ! उसने मेरे चूतड़ पर हाथ फेरते हुए कहा- जरा मचल ! देख बाकी कुतियां कैसे मचल रही हैं !
मौसी पास ही घूम रही थीं, मुझसे बोली- कुतिया, जैसे सभी रंडियां मचल रही हैं, वैसे मचल ! अब तू धंधे पर बैठ गई है, नखरे न कर, इस समय तू मेरे कोठे की कुतिया है, मेरी कुतियां जैसा मैं कहती हूँ, वैसा करती हैं ! नहीं तो उनकी गांड जला देती हूँ !
मौसी ने मेरा एक हाथ उठाया और मेरी चड्डी में डाल दिया और दूसरा हाथ मेरी चूची पर रख दिया। उसके बाद बोलीं- दोनों को धीरे धीरे मसल ! तेरा रेट अपने आप चढ़ेगा ! आज कोठे पर तू सबसे सेक्सी कुतिया लग रही है ! ५ मिनट बाद मस्त होकर अपने राजा का लौड़ा मसलना ! तुझसे इस शो में मुझे १०००० रु कमाने हैं।
नाच जोरों पे था, लड़कियों की ब्रा उतार दी गई थी, उनके नंगे स्तन बिलकुल सीधे तने हुए थे, वो अपनी चुचियाँ कभी लेट कर कभी झुककर हिला रही थीं, उनका नंगा डांस जोरों पर चल रहा था।
एक दो ग्राहक अपने लंड निकाल कर वहीं पर सहला रहे थे। हम सबकी बोली की आवाजें लग रही थी- कोई चिल्ला रहा था लाल वाली २००० हरी वाली १६०० !
१० मिनट बाद मौसी हमारी तरफ आई और रोकी से बोली- चल इन रंडियों को इनके खरीददारों के साथ भेज और इनका धंधा शुरू करा ! मेरा ४ नंबर था पहली ३ को उनके ग्राहक उनकी चूचियां मसलते हुए सोफे की तरफ ले गए। मेरा खरीददार एक नेताजी जैसा लगने वाला आदमी था जो मुझे बुरी तरह कामुक नज़रों से घूर रहा था। मौसी बोली- पूरे २२०० में उठी है तू ! जरा मस्त होकर नेताजी का लौड़ा गरम करियो ! नेताजी अगर खुश हो गए तो मालामाल कर देंगे और तुझे हेरोइन बनवा देंगे !
मौसी ने मेरा हाथ नेताजी के हाथ में दे दिया।
नेताजी ने मेरी चुन्नी उतार कर फ़ेंक दी और अपना एक हाथ पीछे से डालकर मेरी एक चूची अपने हाथ में दबा ली उसे दबाते हुए बोलने लगे- साली बहन की लोड़ी ! तेरा माल तो बड़ा गज़ब का है ! आज तो तेरा पूरा रस पीकर ही यहाँ से जाऊँगा ! और वो मुझे सोफे की तरफ ले गए। नेताजी के मुँह से दारू की जोर की बदबू आ रही थी। उन्होंने सोफे पर मुझे अपनी एक जांघ पर बैठा लिया और मेरे स्तनों की मालिश करते हुए मेरे होठ चूसने लगे।
बगल में मोनी की मसलाई हो रही थी। मोनी मुझे देख कर बोली- लौड़ा निकाल के खेल, वर्ना अभी पिंटू सिगरेट से जला देगा।
मैं संभल गई और नेताजी के पजामे का नाड़ा खोलने लगी। नेताजी अंदर कुछ नहीं पहने थे, उनका ६ इंच लम्बा लौड़ा खड़ा हुआ था, जिसे मैंने अपने हाथों में कस कर पकड़ लिया और दबाने लगी। मेरी चूत बुरी तरह से खुजला रही थी। नेताजी ने मेरी पतली चड्डी एक झटके में खींच कर फाड़ दी और जोर जोर से चूत की मसलाई करने लगे।
मेरी बुर बुरी तरह से गरम हो रही थी, मैंने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं थीं और मेरी गरम खुली हुई चूत साइड में खड़े कुत्तों को मस्तिया रही थी।
नेताजी मेरे चूत का दाना रगड़े जा रहे थे। नेताजी के लौड़े पर मेरी पकड़ मजबूत होती जा रही थी और मैं उनका लोड़ा जोरों से सहला रही थी। मेरे आस-पास भी इसी तरह की रंडीबाजी चल रही थी। वाकई मैं अब कुतिया बन गई थी।
कहानी अभी बाकी है ! अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर शीघ्र ही प्रकाशित होगी। Sex Stories
बात उस समय की Indian Sex Stories है जब मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैं उसी समय एक स्कूल में टीचर के रूप में भी काम करता था। मैं दसवीं तक के बच्चों को पढ़ाता था। उसमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही थी। दसवीं क्लास की लड़कियों को मैं हमेशा पटाने की कोशिश में रहता था। उनकी चूचियों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ जाता था।
उसी समय दसवीं की एक लड़की मेरे से पट गई। वो बहुत ही सुंदर थी, उसकी चूची देख कर तो मैं पागल ही ही जाता था। वो उस समय ब्रा नहीं पहनती थी, केवल टॉप पहनती थी और ऊपर से शर्ट ! जब वो चलती थी तो उसकी चूचियाँ इस तरह से उछलती थी जैसे कि दो गेंदें उछल रही हों।
एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने स्कूल से छुट्टी ले ली और उसको भी बहाने से घर पर ही बुला लिया। वो सलवार कमीज़ पहन कर आई थी। उसके आते ही मैंने सारे दरवाजे बंद कर दिए और उसको अपनी गोद में उठा लिया। मैं उसको होठों को चूसने लगा और वो मुझसे लिपटने लगी।
मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसकी शमीज भी उतार दी और अब मेरे सामने उसके दो बड़े बड़े संतरे जैसी चूचियाँ थी। मैंने एक को अपने हाथ में लिया और एक को अपने मुँह में !हाथ वाली को मैं बेदर्दी से मसलने लगा और मुँह वाली को मैं जोर से दांत से काट रहा था। वो बुरी तरह से तड़प रही थी पर मैं तो पागल हो गया था और उसकी कोई बात नहीं सुन रहा था।
फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके सलवार को भी उतार दिया। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया और उसकी बुर को देखने लगा। बुर पर पूरा पानी पानी हो रहा था और झांटों से भरी थी। उसकी बुर पर एक छोटा सा दाना था।
मैंने उसकी बुर में सीधे एक ऊँगली पेल दी।
बाप रे !
उसकी बुर तो भट्टी की तरह गरम थी। उसने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने अपनी ऊँगली को अंदर-बाहर करना शुरु किया और वो सिसकियाँ भरने लगी। मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वो उसको चूसने लगी। शुरु में तो कुछ नखरा दिखाया पर बाद में तो वो लंड को मुँह से छोड़ने को तैयार नहीं थी, मैंने किसी तरह से उसके मुँह से अपना लंड निकला और उसकी टांगों को फैला कर बुर के छेद पर अपने लौड़ा को टिकाया और उसके कमर के नीचे एक तकिया दिया जिससे कि उसकी बुर ऊंची उठ जाये और मुझे बुर पूरी खुली हुई मिले।
अब मुझे बुर का छेद पूरा खुला हुआ दिख रहा था और मैंने अपने लंड को छेद पर रख कर दबाना शुरु किया, वो तड़पने लगी। लेकिन मुझे पहले से पता था कि वो कुंवारी है इसी लिए मैंने उसको इस तरह से जकड़ लिया था कि वो मेरे चुंगल से निकल नहीं सके। मैंने अपने होठों से उसके होंठ दबा रखे थे जिससे कि वो चीख भी नहीं सकती थी।
अब मैंने एक बार पूरी ताकत लगा कर धक्का मारा और अपने लंड को उसकी बुर के जड़ तक पेल दिया। वो पूरी ताकत लगा कर चीखना चाहती थी पर ऐसा हो न सका। वो दर्द की अधिकता से अर्ध- बेहोशी के हाल में पहुच गई क्यूंकि उस समय उसकी उमर केवल 18 साल थी और वो पहली बार चुद रही थी। मैंने बिना रुके उसी हालत में धक्के लगाने शुरु किये और जब देखा कि कोई प्रतिरोध नहीं हो रहा है तो और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और अपने लंड को बुर के अंत तक पहुँचाने लगा।
दस मिनट तक मैं उसको बेदर्दी से चोदता रहा और वो अर्ध बेहोशी की हालत में रही। फिर उसे होश आया और उसने लंड को अपनी बुर में महसूस किया। अब शायद उसे भी मजा आने लगा था। अचानक ही उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछालना शुरु किया और अब वो मेरे लंड को अपने बुर की अंतिम गहराई तक लेने की कोशिश करने लगी। यह देख कर मैंने भी अपना स्पीड बढ़ा दी और पूरी ताकत से उसको चोदने लगा।
जल्दी ही मैंने महसूस किया कि उसके बुर से कुछ रिस रहा है और उसने अपने आंखें बंद कर ली हैं। अचानक ही उसने मुझे इस कदर जकड़ा कि मुझे अपनी हड्डियाँ टूटती हुई महसूस हुई और उसने जोर से मेरे कंधे पर अपने दाँत गड़ा दिए। उसकी बुर से पानी साफ़ निकलता हुआ महसूस होने लगा।
मैं भी रुका नहीं और धक्के लगाता रहा और मैंने भी अपना सारा माल उसकी बुर में ही डाल दिया और निढाल हो कर उसके ऊपर गिर पड़ा। थोड़ी देर के बाद हम दोनों को होश आया कि यह हमने क्या किया ! क्यूंकि हमने कंडोम का इस्तेमाल ही नहीं किया और मैंने सारा माल उसकी बुर में ही छोड़ दिया था।
वो रोने लगी- अब मै प्रेगनंट हो जाउंगी !
डर तो मै भी गया था पर मैंने शो नहीं किया और एक केमिस्ट की दुकान पर जाकर एक गोली लाकर उसको खिला दी।
उसके बाद हमारा एक महीना कैसे बीता, यह हम ही जानते हैं क्यूँकि उसकी अगली माहवारी तक हमारी फटी रही !
लेकिन जब सही समय पर उसकी माहवारी हुई तब जाकर मैंने चैन की सांस ली। इस बीच लगभग एक सप्ताह तक वो सही रूप से चल नहीं पाई क्यूँकि जब भी वो चलती थी, उसकी बुर में बहुत जोरों का दर्द होता था।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी? Indian Sex Stories
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