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रोज की तरह Antarvasna मेरे पति शराब की बोतल ले कर घर आ गये थे। मैंने उनके लिये शराब के साथ मांस पका कर रख लिया था। उसका दोस्त राजेश जो अभी कुँवारा था, साथ ही आता था। राजेश मुझे अक्सर घूरता तो रहता था पर मुझे उसकी नजरें बुरी नहीं लगती थी। उसकी शराफ़त मुझे भाती भी थी। शराब पीने के दौरान मेरे साथ पति की हरकतों को वो एन्जोय करता था।
आज भी वो दोनों शराब पी रहे थे। मैं नहाने के लिए बाथरूम में चली गई थी। मेरा पति ने तब तक हल्ला मचा कर मुझे बहुत गालियां दे डाली थी।
“मादरचोद रण्डी, गोश्त तेरा बाप लायेगा क्या… ?”
“रुको ना ला तो रही हूँ… “
मैंने जल्दी से मात्र पेटीकोट पहना और ऊपर एक हल्का सा टॉप डाल कर प्लेट में भुना मांस लेकर आ गई।
“भोसड़ी की ! गाण्ड मराने गई थी क्या … इधर ला… !”
राजेश मुझे देख कर मुस्करा रहा था। मुझे बहुत शर्म आ रही थी, पर ये गालियाँ मेरे लिये कोई नई नहीं थी। राजेश को मैंने चुपके से देखा और मन ही मन मुस्करा दी।
“जा कहाँ रही है… इधर आ… नहा कर आई है … तेरी भेन की चूत मारूँ … चिक्कन लग रही है !”
“बस भी करो ना … ” राजेश के सामने गालियाँ देना मुझे और भी आनन्दित कर रहा था।
“आजा मेरे लौड़े पर बैठ जा … हिच्च … तेरी चूत मार दूँ … “
मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी… जाने राजेश क्या सोच रहा होगा।
क्या वो भी मुझे चोदने की सोच रहा था या …
नशे में धुत्त सा रहमान बोलता ही जा रहा था। उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे खींच लिया,” तेरी मां का भोसड़ा … ये देख मेरा लण्ड … आजा तेरी चूत में घुसेड़ दूँ !”
उसने सच में अपना लण्ड पैण्ट में से बाहर निकाल लिया … राजेश ने रहमान को सम्भालने की कोशिश की और फिर मेरी तरफ़ देखा।
“मां के लौड़े … चल हट … मेरी बीवी है … साली को चोद चोद कर मस्त कर दूंगा।”
पर शराब अधिक पी जाने से वो राजेश के हाथों में झूल गया। उसने रहमान को सोफ़े पर लेटा दिया। मैं जल्दी से उसका लण्ड पैण्ट में अन्दर डालने लगी।
मैंने राजेश को देखा और मुस्करा दी।
राजेश ने कहा,”बानो, मैं डाल दूंगा … ये तो कुछ भी नहीं है… ये ले … अब ज़िप लगा दे !”
यह सुनते ही मैं शरमा गई। उसने ही लण्ड अन्दर करके ज़िप लगा दी। उसने मेरी पीठ पर हाथ फ़ेरते हुये कहा,”शमीम, इसकी शराब छुड़ानी होगी !”
“अरे पीने दे, पी पी के साला मर जायेगा।”
तभी मुझे लगा कि उसका हाथ मेरी पीठ पर आ गया है। साले को नीचे आग लग रही है, पर कैसे कहूँ आग तो मेरी फ़ुद्दी में भी लगी हुई थी। उसके पीठ पर हाथ फ़ेरने से मुझे झुरझुरी सी होने लगी। मैंने तिरछी निगाहों से उसकी तरफ़ देखा। उसका लण्ड उठान पर था।
मैं समझ गई थी कि वो हाथ यूँ ही नही फ़ेर रहा है।
“भैया, ये तो देखो ना, मुझे कितनी गालियाँ देते हैं… “
“सच कहती हो भाभी, तुम हो ही इतनी प्यारी … दो जाम उतरते ही आपके लिये दिल में … “
मैंने उसके होंठो पर अंगुली रख दी,”धत्त भैया, ऐसा मत कहो, मुझे शर्म आती है … आप तो इनके जैसा मत कहो।”
उसके हाथ अब मेरे चूतड़ों की गोलाईयों तक पहुंच चुके थे। उसने एक बार नशे में धुत्त रहमान को देखा और मेरी तरफ़ बड़ी आस से देखा। मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई। उसने धीरे से मेरा एक चूतड़ का गोला दबा दिया। उसका लण्ड अब पूरा तन गया था। मैंने कोई विरोध नही किया। उसके हाथ मेरे दूसरे गोले पर भी पहुंच कर सहलाने लगे थे। मैंने धीरे से उसका हाथ हटा दिया।
अचानक उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं घबरा सी गई। पर मेरा जादू उस पर चल गया था।
“भैया … छोड़ो मुझे … यह क्या कर रहे हो… “
“ओह… सॉरी … तुम्हें देख कर मुझे भी नशा हो गया था … ” उसने मुझे छोड़ दिया।
मुझे बहुत ही बुरा लगा, मुझे लगा था कि वो मेरे साथ जोर जबरदस्ती करेगा और फिर मैं अपने आप को उसको सौंप दूगी। इस तरह मुझे एक ताजे नये लण्ड का मजा मिल जायेगा। पर ये तो बुद्धू निकला। हाय … पर मेरा अनुमान गलत निकला… कैसे भला … वो बुद्धू नहीं निकला ? मेरे बेडरूम में घुसते ही वो भी पीछे-पीछे आ गया और उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर पीछे से अपने से चिपका लिया।
“बानो … तू तो बहुत चिकनी है रे … मां कसम … चुदा ले एक बार… !”
“देखो राजेश … रहमान को पता चल गया ना तो तेरी गाण्ड मार देगा !”
उसने मेरे सीने के उभार अपनी हथेलियों में भींच लिये। मैं तड़प कर परे हट गई। उसने भी यूं तो शराब पी रखी थी पर नशा उसे शराब का नहीं, मेरा चढा हुआ था। उसने झपट कर मुझे अपने से चिपका लिया।
“अरे छोड़ ना, बड़ा मर्द बनता है … मुझे चोदना है तो ऐसे करेगा क्या ?”
“सच कहता हू बानो, तेरी आस तो मुझे कब से है … तेरे नाम की मैं तो रोज मुठ मारता हूँ … एक बार चुदा ले बस… मेरे दिल की हसरत निकल जाये !”
मैंने उसे अपने से फिर दूर किया और कहा,”चल ठीक है, मेरी बात मानेगा… पहले इस रहमान की गाण्ड मार … हरामी मुझे बहुत गालियाँ देता है !”
“बस , इतनी सी बात… ये तो मुझसे अक्सर गाण्ड मराता है … तू कहे तो इसकी मां को ही चोद दूँ !”
“चल उठा इसे, नीचे दरी पर सुला दे… “
राजेश ने उसे खींच कर नीचे दरी पर उल्टा लेटा दिया। मैंने तो सिर्फ़ पेटीकोट ही पहन रखा था, सो उसे उठा कर मैंने राजेश को अपनी चिकनी चूत दिखा दी…
“ये देख, है ना मस्त चूत … पर अब इसकी गाण्ड मार दे, तुझे ये चूत फ़्री में दूंगी।”
मैं जोर से खिलखिला कर हंस पड़ी। उसे भी हंसी आ गई। मैंने और राजेश ने मिलकर उसकी पैण्ट खींच के उतार दिया और चड्डी भी उतार कर गाण्ड खोल दी। वो नशे में कुछ बड़बड़ा रहा था।
“बानो इसे देख कर तो लौड़ा खड़ा तक नहीं हो रहा है !”
“धत्त तेरे की, फिर क्या दम है तेरे में… ला तेरा लौड़ा मसल कर खड़ा कर दूँ।”
मेरा हाथ लगते ही उसका लौड़ा फ़ूल कर बड़ा होने लगा। जैसे जादू हो गया था। कुछ पलों में उसका लौड़ा सात आठ इन्च का हो गया। लण्ड खासा मोटा था पर थोड़ा टेढ़ा था। मैंने उसकी चमड़ी पीछे खींच कर सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। लण्ड की फ़ूली हुई नसें और चमकदार गुलाबी सुपाड़ा मुझे भी भा गया।
“चल सेट कर इसकी गाण्ड में लौड़ा… !” मैंने झुक कर रहमान के चूतड़ों के पट खोल दिये। बीच में काला-भूरा छेद नजर आने लगा था। मैंने एक थूक का लौंदा उस पर टपका दिया। फिर मैं अपनी चूची खोल कर उसके सामने मसलने लगी। मुझे देख कर उसका लण्ड और कड़क हो चला था। उसने रहमान की गाण्ड में अपना लण्ड घुसा दिया। रहमान थोड़ा सा बेचैन हुआ, पर नशे में बड़बड़ा कर रह गया। वो पूरा नशे में धुत्त हो चुका था।
मैंने राजेश की बनियान भी ऊपर खींच ली और अपनी कठोर चूचियाँ उसकी पीठ से रगड़ने लगी। वो और उत्साह से रहमान की गाण्ड मारने लगा। मैं भी उत्तेजना से भर गई। मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया। राजेश के सामने मैं नंगी हो कर खड़ी हो कर उसे अपनी चूत हिला कर दिखाने लगी।
“तेरी कसम बानो, मेरा निकल जायेगा … अब चूत मारने दे प्लीज !”
“अरे राजेश, मेरी चूत तो अब तेरी है … मस्ती से इसे चोद डालना … पर पहले इसकी गाण्ड तो पूरी मार … और अपना माल निकाल दे… !”
“आह्ह् … साले की गाण्ड अन्दर से गरम है … !” उसने जल्दी जल्दी लण्ड चलाना आरम्भ कर दिया। कुछ देर में गाण्ड के अन्दर ही उसका वीर्य निकल पड़ा।
“ले … हो गया ना … अब चूत मरा ले… !”
“जा ठीक से लण्ड धो कर आ … फिर आजा मेरे राजा… देख यह सब देख कर मेरी चूत क्या, चूतड़ भी लण्ड खाने को तैयार हैं… देख तबियत से चोदना मेरे राजा !”
फिर से उत्तेजित करने के लिये मैं उसे रिझाने लगी। उसने वहीं पर पानी के गिलास से अपना लण्ड धो लिया और कुछ ही क्षणों में वो फिर से तैयार था। मैं सीधे अपने बेडरूम में भागी। वो भी अपने खड़े लण्ड के साथ मेरे पीछे पीछे आ गया।
“बानो … तेरी कसम … तू तो चिक्कन माल है रे… अब तो खूब मजा आयेगा ना… “
“अभी नंगी खड़ी हूँ तेरे सामने, इसलिये ना … साला चूत देख कर मुँह में पानी आ रहा है, जब चोद देगा तो कहेगा, कौन बानो … कैसी बानो… !”
वो मुझसे लिपट पड़ा और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाने लगा। मुझे भी उसके लण्ड के चुभन की मीठी मीठी सी टीस उठने लगी। वह बड़ी कोमलता से मेरी चूचियाँ सहलाने लगा, उसके हाथों स्पर्श मेरी चूत में गुदगुदी करने लगा। मैं अपने आप घोड़ी बनने लिये के लिये बेताब हो उठी, मैंने अपनी टांगें फ़ैला कर खूबसूरत गाण्ड पीछे उभार दी।
“राजेश, कुछ चिकनाई लगा दे रे … वर्ना गाण्ड फ़ट जायेगी !”
“वो तो पहले ही इतनी चिकनी है … फिर भी तेरी कोल्ड क्रीम क्या काम आयेगी।”
उसने कोल्ड क्रीम मेरे छेद पर लगा दिया और अंगुली को छेद में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा।
“हाय मेरे अल्लाह, बहुत मजा आ रहा है … और कर … पर जरा प्यार से … “
“तो मेरे लण्ड का क्या होगा… ?”
“उसके लिये तो चूत है ना… आह्ह्ह जल्दी जल्दी कर … यह तो मेरी चूत को झड़ा देगा रे … उफ़्फ़, इतना मजा … तेरी अंगुली है या … जरा और अन्दर घुसेड़ ना… “
“बानो, मेरा लौड़ा झड़ जायेगा ना… चोदने दे अब… “
“तो अंगुली को मेरी गाण्ड में डाले रख और ये ले मेरी चूत … “
उसने मेरा इशारा समझा और अपना लण्ड थोड़ा सा नीचे झुकाते हुये मेरी चूत पर रख दिया। उसके सुपाड़े का स्पर्श से लगा कि मेरी चूत के लायक वो बहुत मोटा है। फिर भी लगा कि चूत तो लण्ड के साईज़ के हिसाब से फ़ैल जाती है। सो मैंने उसके सुपाड़े पर जोर लगाया। उसका जोर भी लगा … पर लण्ड के घुसते ही जैसे मेरी चीख निकलने को हुई। वो तो बहुत मोटा था … रहमान का तो उसके सामने पतला और छोटा था। उसने अपने चूतड़ों का और जोर लगाया और बहुत ही कसता हुआ आधा लण्ड अन्दर उतर गया। मेरी आंखें दर्द से उबल पड़ी… ।
“मादरचोद फ़ाड़ ही डालेगा क्या ? … साला क्या लोहे का है… ?”
“बस हो गया बानो … ” वो मेरी गाण्ड में अंगुली घुमा कर मुझे आनन्द देने की कोशिश कर रहा था। पर अब मुझे बस जोर का दर्द हो रहा था। उसने गाण्ड में से अंगुली निकाल ली। मेरे कूल्हों को कस कर पकड़ कर उसने जोर का धक्का दे ही दिया। मेरी चूत को चीरता हुआ लण्ड पैंदे में बैठ गया। मेरे मुख से एक चीख फिर से निकल पड़ी।
“अल्लाह रे … ये क्या कर रहा है … लगता है तूने तो रहमान की गाण्ड की तो मां चोद कर रख दी होगी।”
“अरे नहीं … उसकी तो मैं अक्सर मारता रहता हूँ… उसकी तो आदत है।”
“अम्मी रे … मेरे तो भोसड़े में नहीं ही घुसता है तो … गाण्ड तो … अरे ये क्या… चिकना चिकना क्या है ” उस समय मुझे पता नही चला, पर खून निकल आया था।
“अरे कुछ नहीं … चल अब मस्त हो जा… ” उसका लण्ड मेरी चूत में पीछे से धीरे-धीरे अन्दर बाहर होने लगा … मेरा दर्द भी शनैः शैनेः कम होने लगा। कुछ ही देर में मेरी चूत का साईज़ लण्ड जैसा हो गया और वो आसानी से मुझे पेलने लगा। अब मुझे भी आनन्द आने लगा था। उसके मोटे लण्ड ने मेरे शरीर में तेज उत्तेजना भर दी। सच में मोटे लण्ड का तो मजा ही कुछ और ही है… ।
मैं झुकी हुई थी, मेरे हाथ पलंग पर टिके हुये थे। मेरी चूचियाँ नीचे झूल रही थी, वो तो बस कभी कभी मेरे चुचूकों को अपने अंगूठे और अंगुलियों से मसल डालता था और एक मीठी सी टीस शरीर में उभर आती थी। उसकी लण्ड को अन्दर बाहर करने की गति तेज होने लगी। मेरे जिस्म में तेज मीठी सी तरावट भरने लगी। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत में कसता हुआ चल रहा था। रगड़ की मधुर आग तेज होने लगी थी।
चुदाई का असली मजा मुझे आने लगा था। रहमान का लण्ड अब मुझे नूनी सा लग रहा था। बस वो तो चूत में गुदगुदी ही कर पाता था, इतना मोटा लौड़ा खाने के बाद रहमान की चुदाई को तो मैं चुदाई अब कह ही नहीं सकती थी।
अब मुझे चुदाई की उत्तेजना चरम बिन्दु तक ले जा रही थी। मुझे तो बहुत आनन्द आ रहा था। अति उत्तेजना के कारण मेरे जिस्म में लहरें उठने लगी। चूत फ़ड़कने लगी। मेरी आंखें बन्द होने लगी। तभी मेरा सारा शरीर जैसे ऐंठ गया और चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं झड़ने लगी… मेरा चूत में लसलसापन बढ गया, इस पर सोने पर सुहागा … जैसे चूत के अन्दर बाढ़ सी आ गई। राजेश का वीर्य तेजी से छूट गया और मेरी चूत में भरने लगा। मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली। वो अन्दर वीर्य भरता रहा और फिर उसकी बूंदें मेरी चूत से अब चू पड़ी- टप टप करके वो जमीन को गीली करने लगी। वो अपना लण्ड चूत में घुसेड़े हुये हांफ़ने लगा। तभी उसका लण्ड सिकुड़ कर धीरे धीरे चूत के बाहर आ गया। मैं भी सीधी खड़ी हो गई। तभी मैं चौंक गई, वीर्य के साथ मेरी चूत में से खून भी टपक रहा था। शायद अन्दर चोट लग गई थी या लण्ड ने चूत को अपने साईज़ में लाने के लिये उसे रगड़ मारा था। मैं जल्दी से बाथ रूम में गई और साफ़ पानी से चूत को धो लिया। अब मेरी चूत में दर्द होने लगा था।
राजेश मुझे चोद कर जा चुका था। मैं बिस्तर पर लेटी हुई सोच रही थी कि अब तक मैं इस छोटे से लण्ड साथ चुदा कर बहुत खुश थी, पर अब मैं खुश थी मोटे लण्ड से चुद कर। रहमान के चूतड़ पर राजेश का वीर्य पड़ा हुआ चमक रहा था … सोच में अब थी कि क्या ये रहमान सच में गाण्ड मराता था … साला गाण्डू निकला ये तो ! उसे ही निहारते हुये मेरी आंखें सपनों में खो गई … मुझ पर गहरी नींद छाने लगी … शायद सपने में वो दूर खड़ा राजेश ही था जो अपना मोटा लण्ड हिला हिला कर मुझे अपनी ओर बुला रहा था … Antarvasna
सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद Indian Sex Stories करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को समझा और आप लोगों तक प्रकाशित किया। और उन फड़कती हुई चूतों को भी मेरा सलाम जो हमेशा किसी लण्ड की तलाश में रहती हैं। चूतें हमेशा चुदने के लिए ही होती हैं।
पहली घटना के एक महीने बाद मैं फिर से सुमन भाभी के शहर में चला गया। मैंने वहां होटल में कमरा लिया और पॉँच दिन तक रुका। मैंने सुमन को फ़ोन कर कमरे पे शाम को बुला लिया. वो मेरी पसंद की काली साड़ी में शाम को पाँच बजे वहां आ गई। उसके आते ही मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसे उठाया और बेड पे लिटा दिया।
मैंने उसके होंठों को जी भरके चूसा। फिर मैंने उसकी काली साड़ी को निकाल फेंका। फिर मैं उसके स्तनों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही मसलने लगा। वो भी मुझे कस के बाहों में लिए हुए थी और बहुत ही खुश थी क्योंकि मेरी पहली चुदाई से ही वो गर्भवती हुई थी। जिन्दगी में उसे मेरी वजह से पहली बार माँ का सुख मिल रहा था।
मैंने उसके ब्लाऊज़ और पेटीकोट को उतार दिया। अब वो ब्रा और पेंटी में थी और बड़ी ही सेक्सी लग रही थी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसे चूमने लगा। एक हाथ से मैं उसके छोटे-२ स्तन सहला रहा था। मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाला तो वो गीली हो चुकी थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था। मैं उसकी चूत में ऊँगली घुमाने लगा।
मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल फेंका, अब हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे। मैं उसके दोनों बूब्स को बारी-२ से सहला रहा था और उसके रस भरे होंठों को चूम रहा था।
अब सुमन ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। अब हम दोनों ६९ पोज़िशन में आ गए। वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह बड़े ही मजे से चूस रही थी और मैं उसकी चूत को चाट रहा था। करीब पन्द्रह मिनट बाद हम अलग हुए। वो दो बार झड़ चुकी थी। अब उससे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
उसने मुझसे कहा- अब जल्दी से ऊपर आ जाओ !
मैंने अपने लण्ड को निशाने पे फिट किया और उसकी बूर पे रखकर एक जोरदार झटका मारा, वो दर्द के मारे कराहने लगी। मैं उसके स्तन मसलने लगा।
जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने एक और जोरदार शोट मारा और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में समां गया। वो एक बार फिर दर्द से चिल्ला उठी और आऽऽआआऽऽऽऽऽऽआ आह्ह्ह्ह्ह् ईईइऽऽऽ ऊऊऊऊऊह्ह्ह् की आवाजें करने लगी। मैंने उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए।
जब उसका दर्द कम हो गया तो वो कहने लगी- जोर से चोदो मेरे राजा ! आज इस चूत का भोसड़ा बना दो ! और जोर से ………. और जोर से ! आज मुझे छोड़ना नहीं मेरे रजा ………….. मुझे आज पेल दो आज …………………..!
मैं जोर-२ से धक्के लगाने लगा। सुमन भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और नीचे से गांड उठा २ झटके मार रही थी। करीब पन्द्रह मिनट बाद मैंने कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ।
इससे पहले वो दो बार झड़ चुकी थी, तो उसने कहा- स्पीड बढ़ा दो !
मैं तेज-२ झटके लगाने लगा और १०-१५ झटकों के बाद मेरा लावा उसकी चूत में समां गया। वो आज बहुत ही खुश हुई।
फिर मैंने उसे अगले दिन कुतिया बना के भी चोदा।
इस तरह आज वो माँ बनने वाली है और आज भी मुझसे बहुत प्यार करती है।
दोस्तों सुमन करता हूँ मेरी यह कहानी भी पहली कहानी की तरह आपको बहुत पसंद आएगी, इसी विश्वास के साथ यहीं ख़त्म कर रहा हूँ पर मेल भेजना न भूलिएगा।
आपकी मेल का इंतजार रहेगा !
आप सभी को ढेर सारा प्यार ! Indian Sex Stories
मैं, मेरी बीवी और मेरा छोटा Sex Stories सा करीम पाँच साल का, हम तीन लोग हमारे घर में, घर कानपुर के तल्सोयी मोहल्ले में और उसी मोहल्ले में मेरी सालीजान निकाह कर आई। अब साली और बीवी दोनों अच्छी तरह कभी उसके घर कभी हमारे घर गपशप करतीं। हाँ, मैं भी कभी कभार बात कर लिया करता!
एक दिन साली ‘फरेज़’ आई, उस समय मैं अकेला घर पर था, बीवी ‘तारेज़’ बच्चे को स्कूल ले गई थी।
फरेज़ ने मुझसे बोला- जीजू, ये चार दिनों के लिए बाहर जा रहें हैं, मैं यहाँ रह सकती हूँ क्या?
मेरे मन में कुछ भी ख़राब नहीं था, मैंने कह दिया- तेरा घर है! बस गैस की टंकी और सब्जी-भाजी का खर्चा तेरे मियाँ से ले लूँगा या वो मुझे एक दिन ‘ग्रीन लेबल’ पिला दे!
तो फरेज़ बोली- वो तो दारू-शारू छूते भी नहीं हैं! मुझसे ही ले लेना आप!
और मुँह बना कर घर के अन्दर आ गई।
मैं फिर अपने काम में लग गया, तारेज़ आई, उसे सब बताया गया।
उसने मुझसे पूछा- क्यों जी! मेरी बहन से तुम दारु पीना चाहते हो या कोई और इरादा है?
मैंने कहा- क्या फ़िज़ूल की बात करती हो? तुझे मालूम है मैं इन बातों से दूर रहता हूँ!
मेरी बीवी यह सोचती थी कि मैं उसके साथ कुछ ज्यादा करता नहीं हूँ तो मैं वो हूँ! पर बात ऐसी है कि मेरी बीवी को मैं कितना भी करूँ, मुझे कोई मजा ही नहीं आता।
दूसरे ही दिन से मेरी परीक्षा चालू हो गई जिसमें मेरा पास होना जरूरी था।
मैं सब समझ गया था!
हुआ यूँ ..
तारेज़ रोज़ की तरह हमारे छत वाले बिना कुण्डी के बाथरूम में नहा रही थी, तभी फरेज़ मेरे पास बोली- जीजू, मेरे लिए शम्पू लेकर आओ, मुझे नहाना है।
मैंने कहा- तू कहाँ नहाएगी? अभी तेरी जीजी तो नहा ले!
उसने कहा- मैं आपके बाथरूम में नहा लूंगी!
मैंने कहा- उसमें तो दरवाजा नहीं है! सिर्फ परदे से काम चलाना पड़ेगा!
उसने कहा- आप तो बस शैम्पू ले आओ!
मेरा क्या! मैं शैम्पू लेने नीचे दुकान पर गया, शैम्पू ख़रीदा और लौट कर देखा कि मेरी साली फरेज़ तो पर्दा लगाकर नहाने लगी थी। अंदर बल्ब जलने के कारण उसका छरहरा बदन साफ दिख रहा था। उसने सब कुछ उतार दिया था।
मेरी इच्छा हुई कि अंदर चला जाऊँ क्योंकि पिछले तीन महीनों से कुछ भी नहीं किया था। पर मैं सिर्फ देखता रहा।
थोड़ी देर में मैंने कहा- फरेज़, मैं शैम्पू ले आया हूँ! तुम्हें चाहिए क्या?
फरेज़ बोली- जीजू, अंदर फेंक दो!
मैंने अंदर फेंका पर बाथरूम की रेक पर जा गिरा।
फरेज़ बोली- जीजू अब क्या करूँ? वो तो ऊपर चला गया है! एक काम करो आप उसे उतार दो!
मैं इसी बात का इंतज़ार तो कर रहा था, मैं अंदर गया और बिना कुछ देखे मैंने शैम्पू उतार दिया और जब मैं शैम्पू उसके हाथ में रख रहा था तो उसने सिर्फ एक तौलिया लपेटा था ऊपर से नीचे तक!
मैंने कहा- तू तो बहुत सुंदर दिखती है अंदर से! तेरे मियाँ को तो बहुत मजा आता होगा!
उसने शरमा कर कहा- कहाँ! उनके पास मुझे देखने का समय नहीं है!
मैंने कहा- तो मेरे पास समय है ना! मैं पूरा देख सकता हूँ!
फ़रेज़ शरमा गई और मुझे बाहर धक्का दे दिया। मेरा सामान बहुत दिनों बाद एकदम कड़क हो गया था, अब मेरे पास मुठ मारने के अलावा कोई हल नहीं था।
रात को तारेज़, फरेज़ एक ही बिस्तर में सोई और मैं और बच्चा एक बिस्तर में!
मुझे नींद नहीं आ रही थी, मेरी बीवी बहुत गहरी नींद सोती है, उसके सोते समय मैंने उसे कई बार चोदा है, उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता था। मैंने सोच लिया कि फरेज़ को चोदूँगा।
मैंने धीरे से तारेज़ को उठाने की कोशिश की, मैंने कहा- करीम बार बार उठ रहा है! तू उसके पास सो जा!
तारेज़ नींद में उठ कर करीम के पास आकर सो गई और खुर्राटे मारने लगी। एक नशे की दवा मैंने एक कपड़े में मसल के फरेज़ को सुंघा दी और मैं बेफिक्र हो गया। मैंने फरेज़ को बाँहों में भरा और हाथों से उठा कर छत पर ले गया। वहाँ उसके पूरे कपड़े उतार कर देखा!
दूध तो माशा! अपने मुँह से इतने पिए कि दोनों दूध लाल हो गये, कमर चूसी, इतनी चूसी कि दांत के निशान बन गए और अपने साढ़े सात इन्च के लण्ड को उसकी गुलाबी चूत में डाल दिया।
तब फरेज़ ने थोड़ी उम-अहा की। पर उसे कहाँ पता चलने वाला था! आधे घंटे तक चोदने के बाद मैंने उसे जैसे के तैसे कपड़े पहना कर जहाँ के तहाँ सुला दिया और मैं अपनी संतुष्टि की नींद छत पर लेता रहा।
सुबह मैंने देखा कि फरेज़ जब उठी तो उसका रवैया बदला नहीं पर मेरी तरफ देखकर हंसी।
मैंने उससे पूछा- कैसी तबीयत है? कैसा लग रहा है?
उसने कहा- जीजू मेरी तबियत को क्या हुआ! और हाँ जीजू! ये परसों आ जायेंगे!
कह कर चली गई।
मैंने बिल्कुल पिछली रात की तरह तीनों रात किया।
चौथे दिन तारेज़ ने सुबह मुझसे बोला- साहब, करीम तो रोज़ अच्छा सोता है, तुम मुझे उठाते हो! मैं समझती नहीं हूँ क्या?
कल रात मैंने सब देख लिया- तुम फरेज़ को नशा देकर चोदते हो! अरे मुझसे बोल देते! मैं बिना नशे के चुदवा देती! कोई बात नहीं! फ़रेज़ को भी पता है!
कह कर फरेज़ के मियाँ के आ जाने पर वो अपने घर चली गई और तारेज़ उस दिन से रोज और फ़रेज़ भी कभी-कभी मुझसे चुदवाने लगी। Sex Stories
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