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Massage Girl in Sundergarh: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Sundergarh who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Sundergarh that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Sundergarh massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Sundergarh who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Sundergarh massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Sundergarh massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Sundergarh who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Sundergarh employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Sundergarh helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Sundergarh

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Sundergarh at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi porn Stories

कैसे हैं आप सब? एक बार फ़िर से आरज़ू Hindi porn Stories अपनी अधूरी कहानी पूरी करने आप सबके सामने हाज़िर है.
मेरी कहानी का पहला भाग जिसका टाइटल था
भाई और बहन की आपस में चुदाई-1
तो हाज़िर है इसी कहानी का पार्ट 2

उस दिन छत पर जब हम दोनों चुदायी लीला कर रहे थे तब ही मेरी मुमानी की बड़ी लड़की अफ़रोज़ छत पर आ गयी थी और चुपके से छुप कर हमारी बातें सुन रही थी और देख भी रही थी.
भाई ने मुझे बांहों में भर लिया और अपना तना हुआ लंड मेरी चूत से रगड़ने लगे. मैं अफ़रोज़ को दिखाने के लिये मादक सिसकियां निकाल रही थी मुंह से- आआययीई … भाई जान, बहुत गुदगुदी हो रही है … आआह्हह प्लीज़ … अब घुसा दीजिये अपना लंड मेरी चूत में!
और मैंने अपने दोनों हाथ से भाई का लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.

भाई भी अफ़रोज़ को दिखाने के लिये ज़ोर ज़ोर से कराह रहे थे ताकि इसकी चूत में भी खुजली होने लगे और वो भाई की टांगों के नीचे खुद ब खुद चूत फ़ैला कर पसर जाये. अब उन्होंने अपने हाथ से मेरी चूत को फ़ैलाया और अपने लौड़े का मुहाना मेरी चूत पर रख कर मुझसे धीरे से बोले देखो- इस तरह की एक्टिंग करना कि अफ़रोज़ पूरी तरह से चुदासी हो जाये! पता है कि तुम्हारी चूत ढीली हो चुकी है मगर फ़िर भी नाटक करना कुंवारी होने का!

इतना कहकर भाई ने जरा सा लंड ही अंदर ठेला था कि मैं चिल्ला पड़ी- आआह्हह भाईईजान … बहुत दर्द कर रहा है प्लीज़ आहिस्ता आहिस्ता कीजिये आराम से!
भाई ने अपने होठों में मेरी चूची भर ली और चूसने लगे और एक धक्का और मारा. इस बार उनका करीब 5″ लंड अंदर समा गया. मैंने उनकी कमर जोर से पकड़ ली और अपनी दोनों टांगें उनकी पीठ से किसी कैंची की तरह फ़ंसा ली और अपने चूतड़ को ऊपर की तरफ़ उछालने लगी- आआआ आह्हह्ह ह्ह भाई … बहुत मज़ा आ रहा है. अब तो घुसा दीजिये अपना पूरा बाकी का बचा हुआ लंड भी! अययीईई आअह्हह … कसम से जवानी में चुदवाने का मज़ा ही अलग है!
ये सब मैं अफ़रोज़ को सुनाने के लिये कह रही थी जिसे वो सुन भी रही थी और बहुत मज़े लेकर हम दोनों को देख भी रही थी. उसे नहीं पता था कि हम लोग उसे देख चुके हैं.

तब ही भाई ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में जोरदार धक्के के साथ घुसेड़ दिया. मैं आआय यययीईई इस्सस्स इस्सस्स अम्मी माआअर्रर डालाआआअ भाईईइ बहुत दर्द हो रहा है. आप ज़रा भी तरस नहीं खाते अपनी बहन पर … पूरे जल्लाद बन जाते हैं. चोदते वक्त कहीं इतनी जोर से भी धक्का मारा जाता है?

और तब ही भाई मेरी निप्पल को दांत से दबाते हुए बहुत ही आराम से धक्के मारने लगे. अब मैं ऊऊओफ़्फ़ ऊऊओफ़्फ़ फ़्फ़फ़ कर रही थी और अब इस तरह दर्शा रही थी कि मुझे बहुत मस्ती मिल रही है.
“आअहाआ भाई … बहुत मज़ा आ रहा है. थोड़ा और जोर से धक्का मारो ना प्लीज़! तुम्हें अपनी बहन की कसम है … आज सारी ताकत झोंक देना मेरी चूत में! ज़रा भी तरस ना खाना! साली बहुत कुलबुलाती रहती है.”

फ़िर तो भाई ने धक्कों की झड़ी लगा दी, फ़चा-फ़च की आवाज़ निकल रही थी और मैं भी अपने चूतड़ को उछाल रही थी.

तब ही भाई का लंड झड़ने के करीब आया और भाई ने कहा- आरज़ू बहन, अब मैं झड़ने वाला हूँ. तुम्हारी क्या पोजिशन है?
मैंने कहा- क्या बात है, आज आप मुझसे पहले डिस्चार्ज हो रहे हैं? वरना तो मेरा पानी दो बार निकलता था तब कहीं आप झड़ते थे?
भाई ने कहा- बहुत दिन बाद आज चुदायी कर रहा हूँ ना, इसलिये ऐसा हो रहा है. क्या बतायें, वहां घर की बात ही और थी यहां तो साला मौका ही नहीं मिलता है.

तब मैंने कहा- यहां किसका डर है?
भाई ने कहा- कहीं मुम्मानी की लड़कियां न देख लें! या मामुजान को पता न चल जाये.
अब हम लोग काम की बात पर आये थे. तब मैंने भाई से कहा- भाई अफ़रोज़ भी तो जवान है, उसका भी तो मन करता होगा अपनी जवानी का मज़ा लेने का! रही मुमानी की बात … तो उनको तो मैं अकसर मामुजान से चुदाते हुए देखती हूँ. वो अब भी टांगें उठा उठा कर बहुत मज़े से चुदवाती हैं मामुजान से … और मामु जान भी कम नहीं हैं बहुत दम है उनके लौड़े में … इस उमर में भी थका डालते हैं मुमानी को! उस दिन तो मैंने देखा कि वो मुमानी की गांड मार रहे थे और मुमानी चिल्ला रही थी.

भाई ने बड़ी हैरत से पूछा- अच्छा, मामूजान भी गांड मारते हैं? शकल से तो बहुत शरीफ़ नज़र आते हैं.
तब मैंने कहा- भाई, पता है मैंने मुमानी की बातें भी सुनी थी, वो कह रही थी मामु से कि अब आप में पहले की तरह मज़बूती नहीं रह गयी. पहले तो सारी रात ही पड़े रहते थे मेरी ओखली में अपना मूसल डाले … अब पता नहीं क्या हो गया है आपको. तब मामू ने कहा ‘क्या बतायें बेगम, अब बच्चियां जवान हो गयी हैं, डर लगा रहता है कहीं हम दोनों की चुदायी देख कर बहक ना जायें. तब मुमानी ने कहा ‘अरे वो अपने रूम में सो रही हैं तुम उनकी फ़िकर क्यूं करते हो, जम कर मारो आज मेरी गांड!’ और फ़िर मामू ने बहुत जोरदार गांड चोदी थी मुमानी की!

मैं आगे बोली- मुझे तो अफ़रोज़ और आज़रा पर तरस आता है कि बेचारी इतनी कातिल जवानी लेकर भी प्यासी हैं.
तब भाई ने कहा- क्या किया जा सकता है?
तब मैंने कहा- भाई अगर अफ़रोज़ तुमसे चोदने को कहे तो क्या तुम चोदोगे उसे?
तब भाई ने कहा- हां क्यूं नहीं, कहीं न कहीं तो वो अपनी चूत की प्यास बुझायेगी ही तब घर में ही क्यूं नहीं. अम्मी का कहना भी यही है कि चुदायी की पहल हमेशा घर से ही करनी चाहिये. तभी तो मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखता हूँ.

तभी मैं भी झड़ने के करीब आ गयी और भाई से कहा- अब बातें बाद में चोदना, मैं झड़ रही हूँ, पहले मुझे सम्भालो!
भाई बातें भूल कर फ़िर से मुझे चोदने लगे और मैं झड़कर एक तरफ़ लेट गयी.

मैंने भाई से कहा- भाई, मैं अफ़रोज़ से बात करुंगी. हो सकता है काम बन जाये, बेचारी को तरसना ना पड़े!
और फ़िर धीरे से दरवाज़े की तरफ़ देखा तो अफ़रोज़ नीचे जा चुकी थी.

तब ही मैंने हंस कर कहा- साले बहुत मज़ेदार नाटकबाज़ हो तुम! खूब जोरदार चुदायी का नाटक करते हो.
तब भाई ने कहा- साली रण्डी, तू भी किसी कुतिया से कम नहीं है. ऐसे चिल्ला रही थी जैसे पहली बार मरवा रही हो चूत! अच्छा ये बताओ कि अब क्या अफ़रोज़ की चूत में खलबली हुई होगी?
तब मैंने कहा- 100% खलबली हुई होगी. अरे तुम्हारा हलब्बी लंड देखकर अफ़्फ़ो क्या उसकी तो अम्मी भी अपनी चूत पसार देगी तुम्हारे आगे! ये तो अच्छा ही हुआ कि उसने हमारी चुदायी देख ली अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. काम आसान हो गया है साली खुद ही राज़ी हो जायेगी.

तब भाई ने कहा- ये तो अच्छा हुआ कि अफ़रोज़ ही आयी थी. अगर कहीं मामु जान आय होते तो क्या होता?
मैंने कहा- तुम्हारा क्या होता? जो होता मेरा होता वो अपना बम पिलाट लंड लेकर आ जाते और मेरी खुली चूत में डाल देते. हालत मेरी खराब होती!
तब भाई ने कहा- हालत क्यूं खराब होती मेरी जान? तुम्हें तो मैं इतना एक्सपर्ट कर चुका हूँ कि तुम तो चार लंड एक साथ अपनी चूत में ले चुकी हो. फ़िर भला मामू किस खेत की मूली हैं.
मैंने कहा- साले मूली नहीं, पूरा बांस है उनका लंड मैंने देखा है कितना लम्बा है. अगर तेरी गांड में डाल दे तो बरदाश्त नहीं कर पायेगा. बातें चोद रहा है!

तब भाई ने हंसते हुए कहा- अच्छा अच्छा मेरी छिनाल बहन, अब कपड़े पहन लो क्योंकि मामू को तो तुम्हारी चूत झेल लेगी. अगर कहीं अफ़रोज़ अपनी अम्मी और बहन दोनों के साथ आ गयी तो मेरा लंड अभी इस हालत में नहीं है कि मैं उन तीनों को एक साथ झेल जाऊँ.
मैंने कहा- सिर्फ़ तीन क्यों? मुझे नहीं गिन रहे हो? चारों को चोदना पड़ेगा तुम्हें!
और ये कह कर मैं हंसने लगी और भाई भी हंसने लगे.

मैंने पहले वहीं छत की नाली पर जाकर पेशाब किया तो भाई भी वहीं खड़े हो कर मूतने लगा.
तब मैंने कहा- यार आराम से बैठ कर मूतो, अभी अभी नहा कर आयी हूँ तुम्हारी छींटें आ रही हैं.
तब भाई भी वहीं बैठ कर मूतने लगा. हम दोनों ने साथ में मूतकर अपने अपने कपड़े पहने.

वह तो पूरे कपड़े पहन कर नीचे चला गया पर चूंकि मैं सिर्फ़ तौलिये में थी और अब तक नीचे मामूजान आ चुके थे तो मैंने अफ़रोज़ को अवाज़ दी कि मेरे कपड़े लेकर ऊपर चली आये और जब अफ़्फ़ो उपर आयी तो मुझे देख कर शरमा रही थी. मैं समझ रही थी कि ये साली क्यूं शरमा रही है. उसकी आंखें अभी भी गुलाबी हो रही थी और होंठ थरथरा रहे थे.

वो कांपते हाथों से मुझे कपड़े देकर नीचे जाने लगी तो मैंने कहा- जरा रुको, मैं भी चेंज कर लूं तो साथ साथ चलते हैं.
और उसके सामने मैंने तौलिया वहीं उतार दिया. वो बहुत गौर से मेरे दोनों बूब्स देखने लगी जो उसकी चूची से काफ़ी बड़े थे और मेरी बुर को भी अज़ीब नज़रों से निहार रही थी.

तब मैंने उसकी जम्पर के ऊपर से हाथ रखते हुए कहा- क्या देख रही हो इतने गौर से?
वो घबरा गयी पर खामोश रही. मैं उसकी चूची पर थोड़ा सा जोर देकर फ़िर से बोली- आखिर देख क्या रही थी तुम? जो मेरे पास है वो तुम्हारे पास भी तो है.
तब उसने झिझकते हुए कहा- पर आपा आपकी तो हमसे बहुत बड़ी हैं?
मैंने कहा- बतायेगी भी क्या?
तब उसने मेरी चूची पर हाथ रख कर कहा- ये!

मुझे हंसी आ गयी उसके भोलेपन पे, मैंने कहा- नाम नहीं पता है इसका?
उसने शरमाते हुए कहा- दुधू है!
तब तो मुझे बहुत जोरदार हंसी आयी फ़िर मैंने उसकी चूची को कपड़े के ऊपर से ही जोर से दबा कर कहा- धत्त बेवकूफ़ लड़की, दुधू नहीं चूची कहते हैं इसे! इतनी बड़ी हो गयी है, अभी तक नाम नहीं पता, क्या देखती है तू टीवी वगैरह में?
तब उसने कहा- आपा यहां कहां टीवी देखने देते हैं अब्बु जान … उन्हें तो सिर्फ़ न्यूज़ ही पसंद है.

मेरा चूची मसलना उसे शायद अच्छा लग रहा था, वो कुछ बोल नहीं रही थी और मैं अपना काम कर रही थी.
मैंने कहा- मैं तेरी चूची सहला रही हूँ तो कैसा लग रहा है?
उसने शरमाते हुए कहा- अच्छा लग रहा है.
तब मैंने कहा- अभी तो कपड़े के ऊपर से ही मसल रही हूँ. अगर पूरी नंगी होकर चूची दबवाओगी तो बहुत मज़ा आयेगा.

अब वो थोड़ी थोड़ी खुल रही थी और अपने हाथ धीरे से मेरी चूची पर रखते हुए बोली- आपा, आपकी चूची इतनी बड़ी कैसे हो गयी? जबकि आपकी उमर भी मेरे बराबर ही है.
तब मैंने कहा- ये सब मेरे अब्बु और भाई की करतूत है.
उसने चौंकते हुए पूछा- क्या मतलब?
मैंने कहा- मेरी नन्ही जान, जब जवानी की प्यास लगती है तब चुदवाने का मन करता है. और जब घर में लंड मौजूद हों तो बाहर का रुख नहीं करना चाहिये. ज़माना बड़ा खराब चल रहा है. हमारी अम्मी का कहना है कि भले ही घर में चुदवा लो, पर बाहर वालों से नहीं क्योंकि साला आजकल एड्स का बहुत लफ़ड़ा है.

मेरे मुंह से चूत और लंड की बात सुनकर उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया, वो बोली- हाय आपा, आप कैसे गंदी बात करती हो? आपको शरम नहीं आती?
तब मैंने कहा- जो लड़की अपने भाई और अब्बु से चुदवा चुकी हो, वो भी अपनी अम्मी के सामने … उसे शरम कहां आयेगी. शरम तो तुझ ऐसे कुंवारी कमसिन छोकरियों को आती है. अब देख तू भी मज़े लेना चाहती है पर शरमा भी रही है. अगर तू शरमा न रही होती तो तुझे थोड़ा सा मज़ा तो मैं ही दे देती.

उसे लाइन पर लाने की गरज़ से मैंने कहा तो वो एकदम से बोली- कहां शरमा रही हूँ आपा आप दबाइये न मेरी चूची … बहुत मज़ा आ रहा है मुझे. प्लीज़ दबाइये न!
मैं समझ गयी अब साली भाई से चुदवा लेगी!
और मैंने उसकी समीज़ भी उतार दी उसकी छोटी छोटी संतरे की तरह चूची एकदम टाइट थी और उसके निप्पल तने हुए थे. मुझे उसकी चूची देखकर अपनी पुरानी चूचियों की याद आ गयी जब मेरी चूची भी कड़ी हुआ करती थी. एक तरह से मुझे उससे जलन का एहसास होने लगा था मगर मैं उसकी निप्पल को मसलते हुए बोली- पता है लड़कियों की जब निप्पल लड़के लोग मसलते है तब उनकी जवानी फ़ड़क उठती है.

और फ़िर मैंने सोचा कि आज तक मैंने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स का मज़ा नहीं लिया है क्यों ना आज इसका भी अनुभव कर लिया जाये!
यही सोच कर उसके हाथ अपनी चूची पर रखे और उससे कहा- इन्हें मसल डालो, जोर जोर से दबाओ मेरी चूची को!
वो मेरी चूची दबा रही थी, तब ही मैंने उसकी सलवार की तरफ़ हाथ बढ़ाया तो उसकी सलवार मुझे भीगी भीगी सी लगी. मैं समझ गयी कि साली अभी थोड़ी देर पहले भाई और मेरी चुदायी का नज़ारा देख कर झड़ी है.

मैंने उसकी बुर को सलवार के ऊपर से सहलाते हुए कहा- ये गीली कैसे है अफ़रोज़?
पहले तो उसने वहां से मेरा हाथ हटाया और फ़िर अपने पैर सिकोड़ते हुए बोली- पता नहीं!
तब मैंने उसकी सलवार का इजारबंद (नाड़ा) खोलते हुए कहा- अभी बताती हूँ कि ये गीली क्यों है.

वो अपने दोनों हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए बोली- नहीं आपा, मैं नंगी हो जाऊँगी. प्लीज़ इसे मत खोलो!
मैंने हंसते हुए कहा- मेरी रानी, मुझे देख, मैं भी तो नंगी हूँ.
और उसके इजारबंद को खोल डाला, उसकी सलवार सरसरा कर पैरों में आ गिरी जिसे मैंने निकाल दिया.

उसकी बुर पे अभी हल्के हल्के सुनहरे बाल थे जो बहुत खूबसूरत लग रहे थे. मुझे इस तरह से अपनी बुर को निहारते देख कर उसने अपने दोनों हाथ से अपनी बुर छुपा ली. मैंने उसकी दोनों चूची को मसलते हुए एक निप्पल मुंह में भर ली और चुभलाने लगी. वो सिसकियां लेने लगी और अपने हाथ अब बुर से हटा कर मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी.

मैं तो यही चाहती ही थी, मैंने उसकी चूची की चुसायी कायदे से करना शुरु कर दी. मैंने अपने हाथ उसकी बुर की तरफ़ सरकाना शुरु कर दिया और जब हाथ को उसकी बुर पर रख कर सहलाया तो वो बहुत जोर से सिसक पड़ी- ईईस्स स्सस्सस्स आपा … क्या कर रही हैं आप? बहुत गुदगुदी हो रही है!
उसकी बुर बहुत फ़ूली हुई थी और गोल्डन बाल तो कयामत का मंज़र लग रहे थे.

मैंने उसकी झांटें सहलाते हुए उसकी बुर की फ़ांक फ़ैलायी तो अंदर का गुलाबी हिस्सा देख कर मेरा भी मन उसकी बुर चाटने का करने लगा. मैंने सोचा कि आज पहली बार किसी लड़की की बुर चाट कर मज़ा लिया जाये.
और फ़िर उसकी चूची मुंह से बाहर निकाल कर अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच में लकर उसकी बुर की खुशबू लेने लगी. मैंने उससे कहा- अफ़्फ़ो, तुम ऐसा करो कि लेट जाओ, तब ज्यादा मज़ा आयेगा.
मैंने ऐसा इसलिये कहा क्योंकि मुझे अपनी भी चूत तो उससे चुसवानी थी.

और ये कह कर अफ़रोज़ वहीं फ़र्श पर लेट गयी. मैंने उसके बुर की तरफ़ अपना मुंह ले जाकर पहले अपनी जबान से उसकी बुर की फ़ांक को सहलाया, फ़िर धीरे से अपने होंठों में उसकी बुर की फ़ांकों को रख कर चूसने लगी और अपनी चूत को उसके मुंह पर रखते हुए उससे कहा- अफ़्फ़ो, तुम भी ऐसे ही करो मेरे साथ!
उसने कहा- नहीं आपा, मुझे घिन आती है.
तब मैंने उसकी बुर की चिकोटी काट कर कहा- वाह मेरी चुद्दो रानी, मैं चूस रही हूँ तेरी गीली बुर और तुझे शरम आ रही है? चल जल्दी से चुम्मा ले चूत का!

और ये कह कर अपनी चूत को ज़बरदस्ती उसकी मुंह पर अड़ा दिया. वो न चाहते हुए भी चूमने लगी मगर मैं तो बहुत चाव से उसकी छोटी सी बुर को चूस रही थी और अब वो आह आह करने लगी थी, उसकी बुर से बहुत ढेर सारा रस बाहर निकल पड़ा जिसे मैं चूस कर चाट गयी. फ़िर जब उसकी बुर पूरी तरह से चिकनी हो गयी तब उसमे मैंने अपनी एक उंगली घुसेड़ दी.
वो कराह उठी- आआआह आपाजान … क्या कर रही हैं? बहुत दर्द हो रहा है.
तब मैंने कहा- मेरी रानी, अभी बहुत अच्छा लगेगा तुम्हें जरा बरदाश्त करो!

और फ़िर दो उंगली एक साथ उसकी बुर में डाल दी और आगे पीछे करने लगी. अब तो अफ़्फ़ो को भी मज़ा आने लगा, वो मेरी चूत को जोर से शिप करते हुए अपनी चूतड़ को उछालने लगी. मैं भी अपनी अपनी उंगली को बहुत तेज़ी के साथ डालने लगी थी.
तभी वो एक बार और झड़ी और फ़िर सुस्त हो गयी.

तब मैंने पूछा- क्यों रानी मज़ा आया?
उसने कहा- अल्लाह कसम आपा, बहुत मज़ा आया!
तब मैंने कहा- रानी, अगर तुम थोड़ी देर पहले आ जाती तो भाई से चुदवा भी देती तुझे! अभी थोड़ी देर पहले ही तो मैंने चुदवाया है.
वो बोली- मैं देख चुकी हूँ आपा आपकी चुदायी! मेरी सलवार तभी गीली हुई थी.
मैंने कहा- हां मुझे पता है तू छुप कर सारा तमाशा देख रही थी. मैंने देखा था. ऐ तुझे आ जाना चाहिये था न! चलो कोई बात नहीं, अब तो तू खुल ही गयी है. मैं भाई से कह दूंगी वो तुझे मज़ा देगा

तब अफ़रोज़ ने कहा- आपा बहुत दर्द होता है क्या चुदवाने में?
मैंने कहा- नहीं, पहले तो थोड़ा सा होगा बाद में सब ठीक हो जायेगा.
“पर आपा, भाई का हथियार भी तो बहुत मोटा ताज़ा है!”
तब मैंने कहा- देख अफ़रोज़, अगर हमारे साथ रहना है तो सब बात खुल कर करनी होंगी. बता उसको क्या कहते हैं?
तब वो शरमाते हुए बोली- लौड़ा कहते हैं आपा.

मैंने कहा- ये हुई न बात! चल अब जल्दी से कपड़े पहन लेती हूँ, भूख भी बहुत लगी है.
तब अफ़रोज़ ने कहा- किस चीज़ की भूख लगी है आपा?
मैं उसकी शरारत समझ गयी, बोली- ज्यादा शरारत न करो. वरना भाई से कह कर तेरी नन्ही सी बुर की धज्जियां उड़वा दूंगी.
तब वो माफ़ी मांगते हुए बोली- रहम करना मेरी आपा, अपनी बहन की इस नाजुक सी चूत पर!

और फ़टाफ़ट हम लोग कपड़े पहन कर नीचे चले आये.

उसके बाद की कहानी मैं अगली बार बताऊँगी.
ओ के तो फ़्रेंड्स … हर बार की तरह इस बार भी मुझे बताइयेगा की कैसी रही मेरी कहानी! Hindi porn Stories

चार दिन आरामे से बीते। Hindi Porn Stories

काजल के साथ ताश के बहाने नंगापने के Hindi Porn Stories खेल के बादि सुमित और अनवर इस बीच घर नहीं आए, पर फोन पर हमेशा मुझसे पूछा कि मैंने अब तक काजल को चोदा या नहीं।

मुझे इतना होने के बाद भी हिम्मत नहीं हो रही थी काजल से सेक्स के लिए कहने की। काजल भी ऐसे थी जैसे उस दिन कुछ हुआ ही ना हो।

खैर, जब सुमित ने अल्टिमेटम दे दिया कि अगर आज मैंने काजल को नहीं चोदा तो वो उसे पटा के मेरे सामने चोदेगा तब मुझे भी जोश आ गया, और शाम में डिनर टेबल पर मैंने काजल से कहा,’काजल, आज रात मेरे साथ सो जाओ ना प्लीज, उस दिन के बाद से मुझे बहुत बेचैनी हो रही है।’

यह बात मैंने अपना सर नीचे करके खाना खाते हुए कहा।

मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं काजल से नजरें मिलाऊँ।

काजल ने मेरे झिझक या शर्म को समझ लिया और फिर मेरे पास आ कर मेरे सर को उठाया और कहा,’आज नहीं, दो-तीन दिन बाद!’

और मेरे होंठ चूम लिए।

मुझमें अब हिम्मत आ गई और मैंने पूछा,’आज क्यों नहीं, दो-तीन दिन बाद क्यों?’

अब काजल मुस्कुराते हुए मेरे कान के पास फ़ुसफ़ुसा कर बोली,’थोड़ा समझा करो संजीव भैया! अभी पीरियड्स चल रहे हैं, इसीलिए कह रही हूँ दो-तीन दिन बाद। तब तक इससे खेलो!’

कहते हुए उसने अपने स्तनों पर मेरा हाथ रख दिया। मैं खुश हो गया कि चलो अब दो-तीन दिन बाद काजल जैसी एक मस्त लौंडिया मिलेगी चोदने को।

तीसरे दिन जब मैं ऑफ़िस से लौटा तो काजल एकदम फ़्रेश लग रही थी, मुझसे बोली,’संजीव भैया! आज कहीं बाहर चलिए डिनर के लिए।’

वो तैयार थी। करीब एक घंटे बाद हम लोग एक चाईनीज रेस्ट्रां में बैठे थे। वो मेरे साथ ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे वो मेरी गर्लफ़्रेंड हो। मुझे भी मजा आ रहा था। करीब 9 बजे जब हम लौट रहे थे तब काजल ने मुझसे कहा,’रास्ते में कहीं से कन्डोम खरीद लीजिएगा संजीव भैया।’

यह सुनके मेरा लण्ड गरम होने लगा। मैंने बात हल्के से लेते हुए पूछा,’क्यों, आज रात मेरे साथ सोना है क्या?’

और मैंने उसका हाथ जोर से दबा दिया।

वो एक कातिल मुस्कान के साथ बोली,’आपके साथ बेड पे जब मैं रहूँगी, तब आप सोएँगे या जागेंगे?’

मैंने उसको घूरते हुए कहा,’बहुत गहरी चीज हो काजल तुम, एकदम कुत्ती चीज़ हो भई।’

वो भी पूरे मूड में थी, बोली,’आप और आपके दोस्तों का किया है सब, वर्ना मैं जब आपके पास आई तब तक मुझे हेयर रिमूवर तक यूज करना नहीं आता था।’

मैंने उसके चूतड़ पे एक चपत लगाया और कहा,’हाँ, वोह तो उस दिन तेरी झांट देख कर पता चल गया है। तुम चिंता ना करो, बिना कन्डोम भी मैं जब करुंगा तो अपना माल भीतर नहीं बाहर निकालूँगा।’

और हम दोनों घर आ गए।

काजल बोली- आप चलिए, मैं तैयार हो कर आती हूँ।

पर मेरे लिए अब रुकना मुश्किल था, बोला,’इसमें तैयार क्या होना है, नंगा होना है बस।’

और मैं अपने शर्ट के बटन खोलने लगा। कुछ समय में ही मैं सिर्फ़ अपने फ़्रेंची अंडरवीयर में था।

काजल पास खड़ी देख रही थी, बोली,’बहुत बेचैनी है क्या?’

वो मुझे चिढ़ाने के मूड में थी। मैं उसकी ये अदा देख मस्त हो रहा था, पर उपर से बोला- ‘अब जल्दी से आ और प्यार से चुदवा ले, वर्ना पटक के चूत चोद दूंगा। साले यार लोगों ने रोज़ पूछ पूछ कर कान पका दिया है।’

काजल अब सकपकाई और पूछा,’क्या आप अपने दोस्तों से मेरे बारे में बात करते हैं?’

उसके चेहरे से चिंता दिखी तो मैंने सच कह दिया,’सुमित और अनवर रोज़ पूछते हैं, उस दिन का ताश का खेल भी मेरे और तुम्हारे बीच यही करवाने के लिए ही तो था। असल में, जब से तुम आई हो उस दिन से वो दोनों तेरे बदन के पीछे पड़े हैं।’

काजल अब सामान्य हुई,’अच्छा वो दोनों, मुझे लगा कि कोई और दोस्त को भी आपने बताया हैं। क्या आप आज रात की बात भी उनको बताएँगें?’

मैंने देखा कि अब सब ठीक है, सो सच कह दिया- ‘जरूर, वो जरूर पूछेंगे, और तब मैं बता दूंगा!’

और मैंने काजल को पास खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होठों का रस पीने लगा।

काजल भी सहयोग कर रही थी, हम लोग कोई 5 मिनट तक सिर्फ़ होठ ही चूसते रहे। काजल की साँस थोड़ी गहरी हो गई थी।

मैंने काजल को कहा,’चलो अब बेड पर चलते हैं।’ उसने एक बच्चे की तरह मचलते हुए कहा,’मैं खुद नहीं जाऊँगी, गोदी मे ले चलो मुझे। मैं तुमसे छोटी हूँ या नहीं।’

उसे बच्चों की तरह मचलते देख मुझे मजा आया, बोला,’साली, नखरा कर रही है, छोटी है तू, अभी दो मिनट में जवानी चढ़ जायेगी!’ और उसको मैंने गोदी में उठा लिया।

वो मेरे सीने से लग गई और बोली,’ऐसे कभी गोदी लेते क्या आप, अगर मैं न कहती!’

मैंने जवाब दिया,’अरे तेरे जैसी मस्त लौंडिया अगर बोले तो अपने सर पे बिठा के ले जाऊँ उसे!’

मैंने उसको अपने बेड पे ला कर पटक दिया। मुझे पेशाब आ रही थी, तो बाथरूम जाते हुए मैंने कहा,’अब उतार अपने कपड़े, और नंगी हो जा, जब तक मैं आता हूँ’।

मैं जब लौटा तब भी काजल अपने पूरे कपड़ों में बेड पर दिखी। मैं थोड़ा चिढ़ गया इस बात पर। मैं बोला- ‘क्या साली नखरे कर रही है, मेरा लण्ड खड़ा करके। मेरे से कपड़े उतरवाना है तो आ जरा लण्ड चूस मेरा।’

वो भी थोड़ा तुनक कर बोली,’अच्छा, तो अब मैं आपकी साली हो गई। आप दो बार मुझे साली बोल चुके हैं!’

फ़िर मुस्कुराने लगी।

मैंने हँसते हुए कहा,’तो क्या तुम मुझे बहनचोद बनाना चाहती हो?’

इस बार वह सेक्सी अंदाज़ में बोली,’आप मुझे रंडी बना रहे हो तो कोई बात नहीं और मैं आपको बहनचोद भी ना बनाऊँ?’

और वो मेरे से सट गई। मैंने उससे नज़र मिला के कहा,’मैं तो तुम्हें अपनी रानी बना रहा हूँ जान, रन्डी नहीं। पर तुम्हारे लिये बहनचोद, क्या तू जो बोल वही बन जाऊँगा मेरी प्यारी काजल।’

मैं फ़िर उसके होंठ, गाल चूमने लगा। वो साथ देते हुए बोली,’थैंक्स संजीव भैया, पर मुझे तो रन्डी बनना पड़ेगा अब। आपके दोनों दोस्त मुझे ज्यादा दिन छोड़ेंगे ही नहीं!’

मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई,’यह बात तो है, काजल, पर कोइ बात नहीं एक-दो बार से ज्यादा वो लोग नहीं करेंगे। मैं जानता हूँ उनको!’

काजल थोड़ा गरम होने लगी थी, बोली,’अब छोड़ो ये सब बात और चलो शुरु करो संजीव भैया!’

मुझे यह सुनकर मजा आया,’क्या शुरु करे तुम्हारा संजीव भैया, जरा ठीक से तो कहो मेरी छोटी बहना।’

मेरा हाथ अब उसकी दाहिनी चुची को कपड़े के उपर से ही मसल रहा था। एक बार फ़िर मैंने पूछा,’बोल न मेरी बहना, क्या शुरु करे तुम्हारा भैया! बात करते हुए ज्यादा मजा आयेगा मेरी जान। इसलिए बात करती रहो, जितना गंदा बात बोलोगी, तुम्हारी चूत उतना ज्यादा पानी छोड़ेगी। अब जल्दी बोलो बहन, क्या शुरु करूँ मैं?’

उसकी आँखें बन्द थी, बोली- ‘मेरी चुदाई’

चुदाई या तेरे चूत की चुदाई?

‘मेरी चूत की चुदाई’, वह बोली।

मेरे दोनों हाथ अब उसके चूतड़ों पर थे, मैं हल्के हल्के उन्हें दबा रहा था।

फ़िर मैंने उसको बेड पर बिठा दिया, और उसकी कुर्ती धीरे धीरे सर के ऊपर से निकाल दी। इसके बाद मैंने उसकी सलवार खोल दी। अब काजल मेरे सामने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैंटी में थी।

मैंने कहा,’अब ठीक है, आओ लण्ड चूस कर एक पानी निकाल दो!’

काजल अब मजाक के मूड में थी, अपनी गोल गोल आँख नचाते हुए बोली,’किसका लण्ड चुसूँ, मुझे तो कोई लण्ड दिख नहीं रहा।’

मुझे उसकी ये अदा भा गई, मैंने गन्दे तरीके से कहा,’अपने प्यारे भैया का लण्ड निकालो और फ़िर उसको मुँह से चूसो, मेरी रन्डी बहना! अपने भैया को सैंया बना के चुदवाओ अपनी चूत और फ़िर अपनी गांड भी मरवाओ!’

मैं सीधा लेट गया। काजल ने मेरा लण्ड चूसना शुरु कर दिया। मैंने उसको लण्ड से खेलना सिखाया और वो जल्दी ही समझ गई और मुझे मजे देने शुरु कर दिये।

कोई 10 मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झरने वाला था, मैंने काजल को कहा कि वो तैयार रहे और फ़िर मैं उसके मुँह में झर गया। मेरे कहने से उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया।

अब मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी खोल दी। काली काली झांटों से भरी हुई उसकी चूत का एक बार फ़िर दर्शन कर मैं निहाल हो गया। जैसे ही मेरे हाथ काजल की चूत की तरफ़ गये, वो बोली,’भैया, कुछ होगा तो नहीं। डर लग रहा है, कहीं बदनामी ना हो जाए।’

मैंने समझाते हुए कहा,’कुछ नहीं होगा। आज तक जब तुम्हारी बदनामी नहीं हुई तो अब क्यो डर रही हो?’

उसका जवाव सुन के मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो बोली थी,’आज पहली बार करवाऊँगी, इसीलिए डर रही हूँ।’

मैं बोला-‘क्या, क्या तुम कुँवारी हो अब तक?’ उसके हाँ कहने पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने बोल ही दिया,’मुझे विश्वास नहीं हो रहा। एक कुँवारी लड़की होते हुए तुम उस दिन तीन तीन जवान लड़कों के सामने नंगी हो कर खेल रही थी?’

वो हँसते हुए बोली,’इसमें विश्वास न करने वाली बात क्या है? आप तीनों मुझ पर लाईन मार रहे थे कई दिन से, सो उस दिन मैं भी सोचा कि चलो आज लाईन दे देती हूँ, बस। आप लोग को मजा आया तो मुझे भी तो मजा आया।’

मैं हँस दिया,’बहुत कुत्ती चीज है तू बहना। चल लेट, जरा तेरी चूत की जाँच करूँ, कैसी कुँवारी कली है तू!’

और मैंने उसकी चूत की फ़ाँक खोल करके भीतर की गुलाबी झिल्ली की जांच की। साली सच में कुँवारी थी। सांवले बदन की काजल की चूत थोड़ी काली थी, जिससे उसके चूत का फ़ूल ज्यादा ही गुलाबी दिख रहा था।

करीब 10 मिनट तक उसकी चुची और चूत को चुमने चाटने के बाद मैंने उसकी टांगों को चौड़ा कर के उसकी चूत को खोल दिया और खुद बीच में बैठ के लण्ड को काजल की चूत की फ़ाँक पर सेट कर लिया।

मजे से काजल की आँख बन्द थी। वह अब सिर्फ़ आह-आह-आह सी सी सी जैसा कर रही थी।

मैंने काजल से पूछा,’तैयार हो काजल रानी चुदवाने के लिए? मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को चुम्मा ले रहा है। कहो तो पेल दूँ भीतर और फ़ाड़ दूँ तुम्हारी चूत की झिल्ली? बना दूँ तुम्हें लड़की से औरत? कर दूँ तुम्हारे कुँवारेपन का अंत? बोलो जान, बोलो मेरी रानी, बोल मेरी बहना, चुदवाएगी अपने भैया के लण्ड से अपना बूर?’

अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वह बोल पड़ी,’हाँ मेरे भैया, चोद दो मेरी बूर अपने लण्ड से। बना दो मुझे औरत। अब मुझे कुँवारी नहीं रहना।’

मैं अपना लण्ड पेलने लगा वो थोड़ा कसमसाई, शायद उसको दर्द हो रहा था। पर मैं नहीं रुका, उसकी गीली बूर में लण्ड ठाँसता चला गया।

काजल इइइस्स्स्स आह करती जा रही थी और बोलती जा रही थी,’कर दो मेरे कुँवारेपन का अंत आज। मेरी बूर को जवानी का मजा दो मेरे भैया, लूट लो मेरे जवानी को और चोद कर बना दो मुझे रन्डी। चोदो मुझे भैया, खूब चोदो मुझे। मेरी जवानी का रस लूटो संजीव भैया।’

मैं जोश में चोदता जा रहा था। हम दोनों साथ साथ बोलते जा रहे थे।

मैं बोल रहा था,’चुद साली चुद। अब फ़ट गई तेरे बूर की झिल्ली। गया तेरा कुँवारा पन। लूटो मजा अपनी जवानी का। साली अभी थोड़ी देर पहले बच्ची बनी हुई थी। गोदी में घूम रही थी। अब इसी चूत से बच्चे पैदा करेगी तू मेरी बहना। मैं तुम्हें चोद कर बच्चे पैदा करुँगा। चुदो साली चुदो, खूब चोदवाओ।’

काजल भी बड़बड़ा रही थी,’अभी बच्चा नहीं। अभी मुझे अपने बूर का मजा लूटना है। खूब चुदवाऊँगी। जवानी का मजा लूटूँगी। फ़िर बच्चे पैदा करुँगी। आआआहह चोदो और चोदो मुझे। रन्डी बना के चोदो। बीवी बना के चोदो। साली बना के चोदो। बहन बना के चोदो, नहीं बहन तो हूँ ही। और आप बहनचोद हो। संजीव भैया, बहनचोद भैया, चोदो अपनी छोटी बहन को।’

मैंने अब उसको पलट दिया और पीछे से उसकी बूर में लण्ड पेल दिया और एक बार फ़िर चुदाई चालू हो गई। अब वोह थक कर निढाल हो गई थी, मैंने 8-10 जोर के धक्के लगाये और फ़िर मैं भी झर गया। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था, मेरा माल उसके नितम्बों पर फ़ैल गया।

काजल मेरे नीचे पेट के बल बेड पे थी और मैं उसके ऊपर था। मेरा लण्ड उसके गांड की दरार पर चिपका था। हम दोनों जोर जोर से हाँफ़ रहे थे, जैसे मैराथन दौड़ कर आये हों।

तभी घड़ी ने 11 बजे का घंटा बजाया।

मैंने काजल से कहा,’अब?’

वोह हाँफ़ते हुए बोली,’अब कुछ नहीं, बस सोना है’

और उसने करवट बदल ली। हम दोनों नंगे ही सो गये।

आप सब को यह कहानी कैसी लगी, बताना साथ ही यह भी बताना कि मुझे काजल के साथ और क्या-क्या हुआ वो लिखना चाहिए या नहीं। Hindi Porn Stories

Antarvasna

हाय मैं राजेशमेरी उम्र २० वर्ष है आपके लिये मै एक ऐसे स्टोरी Antarvasna लेकर आया हूँ जिसे पढकर आपका मन चोदने और चुदवाने का करने लगेगा

मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा
भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी
हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी
भी मुझसे मजाक किया करती।

एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर
लाती हूँ मेने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो
दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे
बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी्।

इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया.
इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था.

इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं।
पर शाम को वह मुझसे बोली कि राजेशतुम मुझसे नाराज़ हो क्या?
तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि राजेशमैं
नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना,
तो मैं बोला- नहीं भाभी, मैं तो उस बात को कब का भूल चूका हूँ।

तभी नहाते हुए भाभी बोली कि राजेशमुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि
दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे
ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी
चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन
बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।

तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना 7″ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी

मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआह्ह्ह् ईईइह्ह् ऊऊह्ह् फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया

लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं

वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ … ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।

फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआह्ह ऊऊउह्ह्ह् ईईह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है Antarvasna

दोस्तो! सनी का आप सब को फ़िर से खुली गांड से प्रणाम! Hindi Porn Stories

दोस्तो, अब तक मैं अपनी Hindi Porn Stories चुदाई के दो किस्से लिख चुका हूँ, पहली बार गांड किस तरह सुनसान बाग़ में एक बिहार से पंजाब में काम करने आए हुए एक मोची से करवाई, फ़िर दूसरा लंड भी मोची के साथ में ही कमरे में रहने वाले उसके ही एक दोस्त से उसकी गैर मौजूदगी में लिया।

और फ़िर एक बार आपके सामने अपनी एक और चुदाई पेश करने जा रहा हूँ, तो वैसे भी मैं लड़की ही बन गया हूँ मुझे अलग अलग लंड लेने का चस्का पड़ गया है।

मेरे पापा का दिल्ली से कपड़े ला कर पंजाब में बेचने का है, अब उनके ठीक न होने की वजह से मुझे जाना पड़ता है।

दिल्ली से वापिस आने के लिए इस बार भी मुझे रात को ट्रेन लेनी थी मैंने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस पकड़ ली। मैं खिड़की के पास अपना बैग रख बैठ गया।

गाजियाबाद स्टेशन से सहारनपुर तक के काफी लोग चढ़ आए। डिब्बा दिल्ली से पीछे से ही भर के आया था।
लगता है बिहार के मर्दों के लंड मेरी गांड की किस्मत में ज्यादा हैं, मेरठ केंट से दो हट्टे-कट्टे फौजी डिब्बे में घुसे।

पैर पे पैर पहले से चढ़ रहे थे, मैं उनके आगे खड़ा था, पहले ही गांड घिसा के मजे ले रहा था, दोनों ने शॉल औढ़ रखे थे।
मेरी गांड उनमें से एक के लंड पे पूरी तरा दबाव डाल रही थी उसका लंड सॉलिड लगा।

उसने पहले ध्यान नहीं दिया पर मुझे कुछ होने लगा, गांड में खुजली मचने लगी।
मैंने गांड को पीछे धकेला और उसके लंड पे घिसा दिया।

उसको अब लगा कि यह माल ही है, उसका अकड़ने लगा।

मैंने फ़िर से गोल गोल गांड को गोल गोल तरीके से घिसाया अभ उसको विश्वास होने लगा कि मैं ख़ुद गांड घिसा रहा हूँ।

उसने मेरी लोई में हाथ डाल अपनी ऊँगली मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरी गाण्ड में डाल दी।
मैंने कुछ कहने की बजाये ख़ुद गांड को उसकी ऊँगली की तरफ़ धकेला जिससे ऊँगली अच्छी तरह घुस जाए।

उसने पीछे खड़े दूसरे फौजी को सब बता दिया, दूसरा वाला भी मेरे पीछे ही खड़ा हो गया।
पहले वाले ने ऊँगली देनी चालू रखी दूसरा पास आ बोला- बहुत भीड़ है!

मैंने कहा- हाँ!
‘कहाँ से हो?’
मैंने कहा- पंजाब!

‘ओह हमें भी अमृतसर जाना है, फ़िर तो पूरे सफर के साथी हो।’
पीछे वाला कान के पास आकर बोला- अच्छा लग रहा है?
बहुत अच्छा!

इतनी भीड़ में नीचे किसी का ध्यान न था। दूसरे वाला मेरे सामने खड़ा हो गया।
उसके और मेरे चेहरे में बहुत कम फासला था।
हवा में चुम्बन देकर आंख मारते हुए मेरा हाथ पकड़ अपनी लोई में ले गया उसने जिप खोल मेरा हाथ अपनी पैंट में घुसा दिया, मैं उसका लण्ड सहलाने लगा।

पीछे वाला अन्दर हाथ डालना चाहता था लेकिन मैंने आगे से इलास्टिक की गांठ खोल दी। उसने इलास्टिक खींच ली और मेरा लोअर नीचे खिसका मेरी गांड पे हाथ फेरने लगा, थूक लगा ऊँगली डाल दी।
आगे वाले के लंड को मैं प्यार से सहला रहा था।

तभी सहारनपुर आने वाला था, आधे से ज्यादा डिब्बा यहीं खाली होने वाला था।
लोग सीट से उठ खिड़की की तरफ़ बढ़े, हम तीनों कपड़े ठीक कर साइड पे खड़े हो गए।
काफी सीट खाली हुई लेकिन कोई तीन लोगों का एक साथ बैठने वाली नहीं।

ट्रेन चली, हम तीनों बैठ गए अलग अलग! मायूस!

तभी आधे घंटे में जगाधरी आया और डिब्बा लगभग खाली ही हो गया, बैठने क्या लेटने के लिए एक केबिन तो पूरा खाली था।

इसके बाद सीधा अम्बाला में गाड़ी रुकनी थी, हमने बैग सीट पे रख लिए।
उनमें से एक ने अपना बिस्तर-बंद खोल नीचे फ़र्श पर बिस्तर लगा लिया।
दोनों एक तरफ़ मुँह कर लेट गए।
मैं बीच में उनकी पैर की तरफ़ मुँह करके लेट गया। मैं इकट्ठा सा हो अपना मुँह उनकी जांघों तक ले आया।

दोनों ने लंड निकाल रखे थे, मैं आराम से चूसने लगा।
उन दोनों ने मेरी गाण्ड नंगी कर दी और सहलाने लगे।
वो बोला- यार तेरी गांड मारनी है, कैसे मारूँ? यह चूसना वगैरा तो अन्दर छिप के हो जाता है।

तभी हमने फैसला किया कि सामने वाली सिंगल सीट पे उनमें से एक बैठेगा ताकि कोई आए तो वो बोल दे!

मैं उल्टा होकर लेट गया, पूरा घोड़ा नहीं बना। गांड थोडी सी ऊपर कर दी, उसने पीछे से अपना मजबूत लंड को थूक लगा धक्का दे थोड़ा अन्दर किया।
फौजी का लंड था, फाडू तो होगा, मैंने सह लिया।

उसने अहिस्ता से सारा पेल डाला और चोदने लगा।
मैं भी गांड धकेल धकेल के चुदने लगा।

दूसरा उठा और पूरे डिब्बे का मुआयना करके आया, सामने घुटनों के बल बैठ गया। मैंने उसका लंड मुँह में लिया। अब मैं पीछे से गांड आगे से मुँह चुदवा रहा था।

तभी उसने तेज धक्के मारने चालू किए, किसी के आ जाने के डर से उसने जल्दी ही अपना सारा गाढ़ा माल धार से उगल दिया।

तभी दूसरे वाला पीछे आया, पहला फ़िर डिब्बा देखने गया। दूसरे वाले ने मुझे अपने लण्ड पे बिठा लिया और मैं उछल उछल के चुदने लगा। हाय! क्या लण्ड है तेरा! फाड़ डाल आज मेरी गांड! लगा दे फौजी वाला दम!

उसने एक दम से मुझे अपने नीचे डाल लिया, दोनों टांगें कंधों पे रख कर चोदने लगा।

मुझे यह तरीका सबसे अच्छा लगता है क्यूंकि नंगे मर्द के नीचे लेटने से मुझे बहुत सुख मिलता है।

यह ज़बरदस्त खिलाडी था ज़ोर ज़ोर से चोदते चोदते उसने एक ज़बरदस्त धक्का मारा और सारा पानी मेरी गांड में डाल दिया, मेरे ऊपर लुढ़क गया।

हम तीनों ने अपने कपड़े ठीक किए। वैसे भी लुधियाना आते ही डिब्बे में चाय वाले घुस गए। हमने चाय पी, दोनों ने मुझे अपने बीच बिठा रखा था मुझ से लण्ड सहलवा रहे थे।

ट्रेन चलते ही, अब यह जालंधर रुकेगी, दोनों ने मुझे फ़िर से पकड़ लिया और चोदने लगे। दूसरे वाले को ज्यादा मजा आ रहा था तभी उसने लगतार दो शिफ्ट लगाने की सोची। दोनों मुझे एक एक बार फ़िर चोदने के बाद भी नहीं रुके, बोले- अब अमृतसर रुकेगी!

मैंने सोचा- ले सनी! तेरी गांड तो ये दोनों सुजा के घर भेजेंगे। वो थे ही इतने हट्टे-कट्टे!

ब्यास से ट्रेन चली ही थी कि दोनों ने फ़िर लण्ड निकाल लिए। अब कोई कम्बल नहीं था। वो दोनों सीट पे बैठ गए, मैं नीचे घुटनों पे बैठ बारी बारी से दोनों के लंड चूसने लगा। इस बार मैंने दोनों बाहें सीट पे रख गांड उनकी तरफ़ घुमा ली, उसने डाल दिया।

अमृतसर आने तक रेल में वो मेरी गांड की रेल बना रहे थे। रात के साढ़े दस बजे से उनके लंड कभी मेरे हाथ में, कभी मुहं में, कभी गांड में!

दोनों ने मुझे बहुत ज़ोर लगाया कि मैं उनके साथ केंट में उनके क्वार्टर में चलने का।

मैंने कहा- अपने मोबाइल नम्बर दे दो, मैं कॉल कर लूँगा, तभी प्रोग्राम बना के में आपके सरकारी क्वार्टर में चुदने आ जाऊँगा।

दोनों ने मिलकर मुझे वो सुख दिया जो एक हफ्ते से मेरी गांड को नहीं मिला था। मेरी गाण्ड की सारी खुजली मिटा डाली।

जाते वक्त बोले- और भी लंड तेरी गांड में घुसवाएँगे!

दोस्तो, यह थी मेरी एक और चुदाई की कहानी! Hindi Porn Stories

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मैं उस समय लगभग hindi Sex Stories अट्ठारह साल की थी, तब का यह किस्सा है। मेरे माता-पिता किसी की शादी में बाहर गए हुए थे।

उस दिन मैं एक सेक्सी प्रोग्राम टीवी पर देख रही थी। उसमें एक लड़का लेटा था तथा एक लड़की उसके पास बैठ कर उसके बदन से मस्ती कर रही थी। फिर लड़की ने अपना कुरता खोल दिया, अब वो ब्रा में थी। फिर लड़के से उसने अपनी ब्रा का हुक खुलवा लिया। फिर लड़की ने लड़के के कमीज के सारे बटन खोल दिए। अब लड़का उसके स्तनों से खेलने लगा। लड़की को बड़ा मजा आ रहा था, लड़के का लंड भी उठ गया था तथा वो ऊपर को तन गया था। लड़के ने लड़की की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। अब लड़की ने भी लड़के की पैंट के बटन खोल कर उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया।

मैं यह सब देख रही थी तथा बहुत मजा आ रहा था। मेरी भी चूत अभी गीली हो रही थी। मैंने अपनी चूत में अंगुली डाली तो बड़ा मजा आया। मैंने सोचा कि बिस्तर पर लेट कर मजा लूँगी लेकिन इसी वक्त मुझे लगा कि मरे पीछे भी कोई टीवी देख रहा है। मैंने जल्दी से टीवी बंद किया और पीछे देखा। मेरे अंकल जो फौज में काम करते थे, वो भी देख रहे थे। मैं उनको देख कर मुस्करा दी और बिस्तर पर चली गई, मैं नींद का बहाना करने लगी।

आधे घंटे बाद मुझे लगा कि मेरे साथ कोई सोया हुआ है। मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह फौजी अंकल ही होंगे। उन्होंने अपने शरीर को मेरे शरीर से छुआ दिया। मैंने नींद का बहाना जारी रखा। धीरे धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे वक्ष पर रखा। फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने हाथ को फिराने लगे। एक चूची से दूसरी चूची तक धीरे धीरे हाथ फिराते रहे।

मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।

धीरे धीरे वो अपने हाथ को मेरी कमर पर ले गए और फिर वो अपना हाथ मेरी टांगों के बीच में ले गए। उन्होंने मेरी चूत पर अपना हाथ फेरा।

मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।

अब वो मेरी कुर्ती के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगे। वो अपने हाथ मेरी कमर के नीचे डाल कर मेरी कुर्ती की ज़िप तक पहुँचाना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए। मैं धीरे से टेढ़ी हो गई। इसका फायदा उन्होंने उठाया और जल्दी से मेरी कुर्ती की ज़िप खोल दी। इसके बाद उन्होंने मेरी कुर्ती को भी उतार दिया।

मैंने फिर भी नींद का बहाना जारी रखा।

अब मेरी कमर पे सिर्फ ब्रा थी। अंकल मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी चूची को दबाने लगे। अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मेरे तन-बदन में आग लग रही थी।

इसी बीच मेरे हाथ के पास एक कड़क चीज थी, यह अंकल का लंड था। अंकल अपना हाथ मेरे नंगे बदन पर घुमाने लगे, मेरे बदन पर चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया और वो मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगे। उनसे नाड़ा खुला नहीं और उल्टा उलझ गया।

अब मैं सोचने लगी कि क्या किया जाए !

किस तरह नींद में रह कर नाड़े को खोला जाए?

मैंने नींद में ही कहा- दरवाजा खुला न रहे ! नहीं तो बिल्ली आकर सब दूध पी लेगी।अंकल जल्दी से उठ कर दरवाजा बंद करने चले गए. मैंने जल्दी से अपना नाड़ा खोल कर इस तरह थोड़ा सा बांध दिया कि आसानी से खुल सके।

अंकल दरवाज़ा बंद करके आये। थोड़ी देर बाद हाथ फिरा का मेरा नाड़ा भी खोल दिया। अभी सलवार उतारने के लिए मुझे फिर अंकल की मदद करनी जरुरी थी। अंकल ने मेरी सलवार को नीचे खिसकाना चालू किया तो मैं थोड़ा सा ऊपर हो गई ताकि मेरी सलवार आसानी से उतर सके। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अंकल का लंड भी बहुत बड़ा और कड़ा हो गया था जो कि मेरे बदन, जांघ से तथा मेरे हाथ से छू रहा था। अंकल कभी मेरी ब्रा में हाथ डालते तो कभी मेरी पैंटी में !

मैं अब तरपने लगी थी। अब अंकल ने अपने होंट मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और उनको चूमने लगी।

अंकल ने पूछा- यह तुमको अच्छा लग रहा था?

मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा था।

उन्होंने बोला- अब मैं जो करूँगा वो तुम्हें बहुत ज्यादा मजा देगा।

उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। फिर अपनी लुंगी भी खोल दी। उनका लंड एक दम कड़ा और लम्बा था। फिर उन्होंने मुझे पूछा- वैसलीन या घी कहाँ रखा है?

मैंने उनको पूछा- यह क्यों चाहिए?

तब उन्होंने बताया- तुम पहली बार चुदवा रही हो, इसलिए जरुरी है। इससे मेरा लंड तुम्हारी चूत में आराम से घुस जायेगा।

मेरी चूत तथा अपने लंड पर वैसलीन लगा कर वो मेरा चुम्मा लेने लगे तथा जोर जोर से मेरे वक्ष की मालिश करने लगे।

उन्होंने कहा- अब तुम अपने दोनों पांव फ़ैला लो !

मैंने दोनों पांव फ़ैला लिए।

उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, फिर धीरे धीरे उसे दबाने लगे। मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा था तथा दर्द भी हो रहा था। फिर उन्होंने थोड़ा सा लंड और दबा दिया।

अंकल बोले- घबराओ नहीं ! पहली बार दर्द होता हैं लेकिन इतना मजा आता है कि पूछो मत !

सही था, मैं तो पूरा लंड लेना चाहती थी। थोड़ी सी देर में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मुझे भी दर्द हुआ तथा खून भी निकला लेकिन इतना मजा आया कि पूछो मत।

अब अंकल ऊपर-नीचे होने लगे और मैं भी अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। बहुत ज्यादा मजा आ रहां था…

कुछ मिनट तक ऊपर-नीचे करने के बाद अंकल एकदम अकड़ से गए और इसी बीच मेरे चूत के अन्दर भी जूस निकल गया।

इसके बाद तो अंकल मुझे एक जगह लेकर गए, वहाँ हमने चुदाई का बहुत मजा लिया। लेकिन यह सब अगली कहानी में लिखूंगी। hindi Sex Stories

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