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मैं सुनील शर्मा इंदौर में रहता हूँ और अन्तर्वासना का Hindi Antarvasna Stories नियमित पाठक हूँ। लगभग सारी प्रकाशित कहानियाँ मैंने पढ़ीं हैं। आज मैं पहली बार अन्तर्वासना में अपने जीवन की एक वास्तविक घटना प्रकाशित करने के लिए भेज रहा हूँ। आशा है आदरणीय गुरूजी इसे प्रकाशित करेंगे।
आज से ठीक 3 माह पहले की घटना है। मुझे एक ईमेल मिला ‘मैं संजना (परिवर्तित नाम) हूँ और आपका यह ईमेल पता मुझे अपनी सहेली मीना से प्राप्त हुआ है और मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।’
मैंने भी मेल किया- देखो, मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ और यदि आप मेरी सेवाएँ लेना चाहती हों तभी मुझसे सम्पर्क करें।
दूसरे दिन मुझे पुनः मेल मिला और मिलने का समय दोपहर के बाद 2 बजे ट्रेज़र आयलैंड पर तय हुआ और उसने यह भी लिखा कि मैं नीली जीन्स और पीले टीशर्ट में रहूँगी। टीशर्ट पर ‘कैच मी’ लिखा हुआ है। मैं भी निर्धारित समय पर पहुँच गया।
जैसे ही मैं पहुँचा संजना वहीं खड़ी मिली।
मैं जाते ही कहा- मैं सुनील, आपने मुझे मेल किया था।
‘हाँ आप मेरे साथ चलिए, बाकी बातें हम गाड़ी में करेंगे।’
लिफ्ट से नीचे जाकर हम लाल रंग की स्कोडा कार में बैठ गए। जैसे ही हम वहाँ से बाहर आए, उतने बातें करनी शुरु कीं…
मैं शादीशुदा हूँ। शादी किए हुए मुझे 2 साल हो गए हैं पर मैंने अभी तक अपना कौमार्य नहीं खोया है। क्या आप मुझे वह सुख दे सकते हैं जो मुझे मिलना चाहिए था।
मैंने मन में सोचा कि अभी तक जितनी चूतें मिलीं हैं, सभी तो पहले से ही चुदी-चुदाई ही मिलीं हैं। अगर इसे मुफ़्त में भी चोदने को मिले जाए तो क्या यह सपने से कम है!!!’
‘क्या सोच रहे हो?’
‘नहीं… नहीं… कुछ भी नहीं।’
‘कुछ समस्या है क्या?’
‘नहीं…’
‘आपका शुल्क क्या है?’
‘1500 रुपये में एक स्त्री के साथ सम्भोग… और अगर स्त्रियों का समूह हो तो अलग… पूरी रात का पुनः अलग है…’
‘मैं इससे कहीं अधिक दूँगी… कृपया आप मेरे साथ चलिए, आप मेरी मज़बूरी समझ रहे हैं ना?’
‘हाँ… पर चलना कहाँ हैं?’
‘खंडवा रोड पर हमारा फार्म-हाउस है, हम वहीं चलेंगे।’
‘ठीक है… चलो…’
लगभग 50 मिनट बाद हम फार्म-हाउस पर पहुँचे। मेरे मन में एक ही बात चल रही थी कि आख़िर बात क्या है, जो ये हूर की परी होते हुए भी अभी तक चुदी नहीं?
उसने ताला खोला और उस आलीशान फार्म-हाउस के अन्दर ले जा कर सीधे बेडरूम में ले गई। एसी चालू किया और मुझे पानी पिलाया।
‘सुनील कृपया बताओ, क्या हुआ? जब से तुम मुझे मिले हो, कुछ भी नहीं बोल रहे हो?’
‘नहीं… कुछ नहीं… मैं कम ही बोलता हूँ पर ये बात मुझे अभी तक समझ में नहीं आई कि आपने अभी तक सम्भोग नहीं किया?’
‘हाँ… हाँ… हाँ… मैं सच कह रही हूँ, मैं सब कुछ बताऊँगी, पर अभी मुझे संतुष्ट करो। क्योंकि शाम 8 बजे तक मेरे पति घर आ जाएँगे।’ और यह कहते हुए उसने अपनी टीशर्ट उतारी।
टीशर्ट उतारते ही उसकी फिगर देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और अपने आप पर क़ाबू करते हुए उसकी जीन्स उतारी, अपनी बाँहों में खींच कर गालों पर चुम्बन लेते हुए बिस्तर पर लिटा दिया। संजना की आँखें अभी भी खुलीं थीं। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमा और धीरे से ब्रा के हुक भी खोल दिए। पेट पर चूमते हुए उसकी पैन्टी निकाल दी।
उसकी चूत से एक अलग ही महक आ रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपनी ज़बान घुमानी शुरु की। उसने मेरा सिर पकड़ लिया और कमर उठा कर चूत मेरे मुँह में धकेलने लगी। मैं अब उसकी चूत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ को पहुँचा पा रहा था और उसकी चूत से निकलने वाले नमकीन पानी को बहुत अच्छी तरह महसूस कर रहा था। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा।
चूत में जब मैंने गहराई तक अपनी ऊँगली पहुँचाई तो उसके कुँवारेपन को मैं महसूस कर चुका था। संजना अपना आपा खोती जा रही थी और मैं भी। पर मुझे तो स्व-नियंत्रण करना ही था वरना इसे संतुष्ट नहीं कर पाता और ना मुझे पैसे ही मिलते। संजना मुझे खींच कर अपने ऊपर ले आई और मेरे होठों को बुरी तरह से चूसना शुरु कर दिया।
उधर मेरे हाथ संजना के स्तनों को मसल रहे थे। संजना पूर्णतः उत्तेजित हो चुकी थी, साँसे गर्म हो चुकी थी, और उसने मुझे ज़ोर से पकड़ा और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी। मैं इस स्थिति में था कि अभी अपने अण्डरवियर से लंड निकाल कर इसकी चूत में डाल दूँ। किन्तु अभी ऐसा नहीं कर सकता था- कॉलब्वॉय जो ठहरा। जब तक पार्टनर कुछ कहे नहीं, अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकते।
मैं उसके स्तनों का मर्दन करता जा रहा था, और निप्पल को ऊँगलियों से दबा रहा था। संजना से अब रहा नहीं गया, उसने मेरे अण्डरवियर को नीचे किया और निकाल फेंका। मैं संजना के ऊपर नग्नावस्था में था। उसके हाथ में मेरा मोटा लण्ड आ चुका था, उसे जाने क्या सूझी, अचानक उसने एक पलटी मारी और वो मेरे ऊपर आ गई।
जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा, ऊपर की चमड़ी हटा कर सुपाड़े को बाहर कर दिया और मेरे लंड को मुट्ठी में ज़ोर से पकड़ कर सुपाड़े को फचाक् करके मुँह में ले लिया। मैंने संजना से पूछा- क्या इसे पहली बार देखा है?
उसने कहा- अभी बात नहीं, सिर्फ काम।
और उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया, और कुल्फी की तरह चूसने लगी। उसके मुँह की गर्मी मेरी उत्तेजना को चरम तक पहुँचा रही थी।
मुझे लगा कि यदि यह दो मिनट और चूसती रही तो मैं यहीं ढेर हो जाऊँगा। मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकालने की असफल कोशिश की, पर उसने दोनों हाथों से पकड़े हुए टूटी पड़ी रही और चूसती रही…
अब मुझसे रुकना सम्भव नहीं था और वो थी कि लंड को मुँह से बाहर निकलने नहीं दे रही थी, और मैंने आँखें बन्द कर लीं, मेरा लावा अन्दर से फूट पड़ा था, उसने गर्म लावे को अपने मुँह में एकत्रित किया और जब पिचकारी का वेग कम हुआ, तो उठकर उसने वॉश-बेसिन में थूक दिया।
जिस जगह उसकी चूत थी, वहाँ पर मलमल बेडशीट भी गीली हो चुकी थी। अब मुझे अपना असली काम शुरु करना था। झड़ने के बाद मेरे लंड की उत्तेजना थोड़ी कम हो गई थी, जो मेरे लिए अच्छी बात थी। वापिस आकर उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में ले लिया और चटखारे ले-लेकर चूसना शुरु कर दिया।
मेरा लंड फिर से तन गया। इस बार 69 की मुद्रा थी। वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूस रही थी। मैं अपनी दोनों उँगलियों को उसकी चूत में डाल कर भग्नासा को जीभ से हिला रहा था। संजना की चूत अब तक फूल चुकी थी। मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटाया और उठकर अपनी जेब में से मूड्स का पैकेट निकाल कर एक कॉण्डोम निकाला…
‘यह क्या कर रहे हो?’
‘कॉण्डोम है… इसे लगा रहा हूँ… मेरी और आपकी सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है।’
‘पर ये नहीं, प्लीज़ जो मैं लाई हूँ उसका प्रयोग करो।’
उसने अपना गुलाबी पर्स उठाया और उसमें से मेन-फोर्स का स्ट्राबेरी खुशबू वाला कॉण्डोम निकाला और मुझे दे दिया। मैंने अपने लंड पर चढ़ाया और उसे सीधा लिटाकर चूत को गहराई तक चाटकर अपनी लार से उसे तर कर दिया। वह अपनी दोनों टाँगों को उठाकर मेरे कंधे पर रख चुकी थी, और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी पूरी चूत में मुँह में घुसेड़ने का प्रयास कर रही थी। मैं लगातार उसकी भग्नासा को जीभ से उत्तेजित कर रहा था।
जब मुझे नमकीन स्वाद का अहसास होने लगा, तब उसके पाँव कंधे से उतारकर चौड़े कर दिए, अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया और एक हल्का सा झटका दिया। लंड का कुछ भाग अन्दर गया और मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड को रोक दिया है। संजना ने आँखें बन्द कर रखीं थीं, और मेरी कमर उसके दोनों हाथों में थी। मैं पूर्णतः सन्तुष्ट हो गया था कि शादीशुदा होते हुए भी अभी तक यह कुँवारी है।
आज मैं इस अक्षत चूत को क्षतिग्रस्त करने वाला था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर के पास रख दिए, और कहा कि अपने पाँव हाथों के बार निकाल कर चौड़े कर दो। उसने ऐसा ही किया। अब मेरे लंड पर चूत का कसाव थोड़ा कम हुआ। मैंने पूरी ताक़त से चूत में लंड डाला… वह अपने होंठ दाँतों तले दबाते हुए मुझे लगातार अपनी ओर खींच रही थी. मैंने बिना देर किए हुए पूरी ताक़त से झटका दिया।
लंड लगभग आधा अन्दर जा चुका था। उसने मेरी कमर ज़ोरों से पकड़ रखी थी, और लगातार अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही थी। मैंने भी उसके मन की बात भाँप कर एक और झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत में पहुँचा दिया। अब उसने दाँतों से अपने लबों को आज़ाद किया और कहा- 2 मिनट रुको।
मैं अपने लंड पर एक अजीब सी गरमाहट महसूस कर रहा था। मेरी आँखें उसकी गोरी बिना बालों वाली चूत पर एकटक देख रहीं थीं। जैसे ही उसने अपने पाँव मेरे हाथों से निकाल कर सीधे किए तब मेरे लंड पर लगा खून देखकर मैं सबकुछ सम्झ गया।
उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि ये अपना दर्द छुपा रही है। ख़ैर मुझे तो उसे सन्तुष्ट करना था, सो मैं लम्बे धक्के मारने लगा। संजना ने मुझे अपनी बाँहों में मुझे जकड़ रखा था। मैं लगातार पूरा लंड बाहर करके फिर से अन्दर डाल रहा था।
कुछ समय बाद संजना ने भी नीचे से मुझे सहयोग दिना शुरु कर दिया। वह कमर उछाल-उछाल कर हर धक्के को प्रतिकार दे रही थी। 15 मिनट तक लगातार चोदते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी। ए. सी. की ठंडक पूरे कमरे में होने के उपरांत भी हम पसीने में भीगे हुए थे।
मैं अपनी पूरी गति से चोदे जा रहा था, और नीचे संजना पागलों की तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी -सीईईईसीई… आआआ… सुनील और ज़ोर से डालो… बहुत मज़ा आ रहा है… और और और हम्म्म औरररर हाँ हाँ और… यस्स्स्ससस… यस्स्ससस फक्क… फक्क इट यार… यस… यस… ऑऑऑ यस यस यस गीव मी यस यस फक्क इट यार… फक्क इट प्लीज़…
मैं लगातार लम्बे-लम्बे धक्के लगाते जा रहा था। पूरे 15 मिनट तक यह चलता रहा। उसकी चूत से फच्च-फच्च की आवाज़ें आ रहीं थीं। वह 3 बार झड़ चुकी थी और मैं भी अब चरम उत्कर्ष पर आ गया था। उधर कॉण्डोम फटने का भी डर था सो मैंने भी अपनी पूरी रफ्तार बढ़ा कर वीर्य स्खलित कर दिया।
5 मिनट तक मैं संजना के ऊपर ही लेटा रहा। जब मेरा लंड अपने आप बाहर आया तो मैंने पाया कि पूरा कॉण्डोम खून से सना था।
मैंने संजना की ओर देखा, वह मुझे ही देख रही थी। वह मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कोई बहुत ही बड़ा क़िला जीत लिया हो। थकान भरी आवाज़ में उसने कहा- आज मैं समझी कि पेट की भूख से अधिक सेक्स की भूख क्यों होती है! आज आपने मुझे वह अहसास दिलाया है जो शादी के बाद आज तक मेरा पति मुझे नहीं दे पाया।
मैंने बिना कुछ कहे अपने लंड से कॉण्डोम उतारा और बाथरूम में जाकर उसे साफ किया। संजना अपने स्कार्फ से चूत और आस-पास लगा खून साफ करने लगी। जैसे ही मैं बाहर आया, देखा संजना मोबाईल पर बातें कर रही थी।
‘हैलो… हाँ मैं… क्या कर रहे हो?… मैं अभी मीना के साथ बाहर हूँ, रात 9:30 तक घर आऊँगी… ओके!
मैं समझ गया कि वह अपने पति से बातें कर रही थी।
मैंने बिस्तर पर पड़ा मूड्स का पैक उठाया, तभी उसने कहा- इसे अन्दर क्यों रख रहे हो? भला कोई तीर को तरकश से निकालने के बाद वापस भी रखता है क्या?’ यह कहते हुए उसने मूड्स का पैकेट मेरे हाथ से ले लिया और घुटने के बल नीचे बैठकर मेरे सोए हुए लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और खींच-खींच कर चूसने लगी।
उसके चूसने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मेरा लंड पूरी तरह से तन गया। उसने कॉण्डोम चढ़ा दिया।
इस बार मैंने उसे कुतिया बना कर चोदा। उसकी गोरी गाँड उठ-उठ कर मुझसे टकरा रही थी। 10 मिनट तक लगातार चोदने के बाद मैंने लंड उसकी चूत ने निकाल कर ऊपर लगा कॉण्डोम निकाल दिया और लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया। उसने लंड को चूस-चूस कर हाथ से मुठ मारी और चूचियों पर सारा वीर्य निकाला, और फिर से मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चाट कर साफ कर दिया।
बिस्तर पर थोड़ा आराम करने के बाद हमने कपड़े पहने। उसने पर्स से 1000 के चार नोट निकाले और मेरी तरफ बढ़ा दिए। मैंने कहा ‘संजना मैडम, मेरी फीस मात्र 1500 रुपये है। मैं ये नहीं ले सकता।’
उसने मेरे गाल पर चुटकी लेते हुए कहा- ‘सुनील 1500 तो तुम्हारी फीस के बदले और बाक़ी दूध-रबड़ी के लिए हैं। 56 दुकान से पेट भर खाना क्योंकि परसों पूरी रात तुम्हें मेरे साथ बितानी है।’
‘अब चलें, क्योंकि मेरी सास घर आ गई होगी।’ उसने जाने के लिए पूछा।
हम ठीक 8:30 पर वहाँ से निकल गए। रास्ते भर मैंने उससे उसकी वास्तविकता जाननी चाही, किन्तु उसने सारी बातें परसों तक टाल दी।
संजना ने मुझसे मेरा मोबाईल नम्बर ले लया और अपना नम्बर भी मुझे देकर मुझे रीगल स्क्वेयर पर उतार कर क़ातिल मुस्कान चेहरे पर लिए हुए कहा- परसों मैं ठीक 7 बजे कॉल करूँगी और कहाँ मिलना है, कैसे मिलना है बताऊँगी।’
दोस्तों यह कहानी नहीं, एक सत्य घटना है। संजना की वास्तविकता क्या है? शादी के 2 वर्षों के बाद भी क्यों वह आज तक कुँवारी थी, मैं आपको अगले अंक में बताऊँगा।
आपको मेरा यह लघु-प्रयास कैसा लगा, कृपया मुझे बताएँ। Hindi Antarvasna Stories
वैसे तो मेरे कई सारे सुखद अनुभव रहे हैं और आज मैं आपके सामने उनमें से ही एक सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ।
इस यूनिवर्सिटी प्रोफेसर सेक्स कहानी को मैं अपनी एक प्रशंसिका ऋतु नामक लड़की के आग्रह पर लिख रहा हूँ।
कहानी शुरू करने से पहले मै अपने बारे में आपको बता दूं, मेरा नाम अमित (बदला हुआ) है और मैं एक मार्केटिंग प्रोफेशनल हूं।
मैं 29 वर्ष का अविवाहित युवक हूँ और मेरे लंड का साइज़ भी इतना मस्त है कि ये किसी भी लड़की या भाबी को चुदाई का पूरा मज़ा देता है।
मैं वाराणसी, उत्तर प्रदेश मैं रहता हूं और मेरी यह हॉट टीचर फक़ स्टोरी भी यहीं की है।
मुझे लड़कियों से ज्यादा भाभियों और शादी-शुदा महिलाओं की चुदाई करनें में ज्यादा मजा आता है।
मेरा आपसे यह अनुरोध है कि कृपया कोई भी पाठक मुझसे किसी भाभी या लड़की का नंबर या आइडी ना मांगे।
किसी भी भाभी या लड़की के लिए उसकी प्राइवेसी और गोपनीयता बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है और मैं हमेशा ऐसा ही करता हूं।
इसलिए ये देखते हुए मैंने कहानी में नाम बदल दिए हैं।
पहले मैं आपको अपनी कहानी की नायिका यानि कि उस खूबसूरत प्रोफेसर के बारे में बता देता हूं.
वे इसी शहर की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं,
मेरी उनसे मुलाकात एक प्रोग्राम के दौरान हुई जिसमें मैं अतिथि बनकर गया हुआ था।
हालांकि उस दिन मेरा ध्यान उन पर ज्यादा नहीं गया लेकिन उनका ध्यान मुझ पर ही था.
और यह मुझे प्रोग्राम खत्म होने के बाद मिले उनके पर्सनल व्हाट्सएप से पता चला जिसमें उन्होंने मेरी स्पीच के साथ-साथ मेरी भी तारीफ की थी।
उसके बाद से जब भी मैं यूनिवर्सिटी में जाता तो उनसे जरूर मिलता था.
और वे भी मुझसे उतनी ही खुशी के साथ मिलती थी.
धीरे-धीरे हमारी बात व्हाट्सएप पर होने लगी.
और कई बार मैं बिना काम के भी उनसे बातें करने लगा.
वे भी मुझसे सहर्ष बातें करती थी.
जिससे मुझे यह समझ में आने लगा कि वे भी मुझ में रूचि ले रही हैं।
बातों ही बातों में उन्होंने मुझे बताया था कि यहां पर स्टाफ क्वार्टर में वे अकेली ही रहती हैं. उनके पति और बच्चे दूसरे शहर में रहते हैं।
तो बस मैंने एक योजना बनाई और फिर एक दिन बातों ही बातों में मैंने उनसे कहा- कभी अपने घर चाय पर बुलाइए!
पहले तो उन्होंने मना किया.
लेकिन फिर मैंने कहा- यूनिवर्सिटी में तो साथ में चाय नहीं पी सकते. तो अच्छा होगा कि आपके घर पर ही चाय पी जाए!
इस पर वे मान गईं … शायद उनका भी मन मुझसे मिलने का था।
लेकिन अब अगली समस्या यह थी कि उनके घर किस समय जाया जाए क्योंकि स्टाफ क्वार्टर की बिल्डिंग में और भी लोग रहते थे.
और वे नहीं चाहती थी कि मुझे उनके यहां आते हुए लोग देखें.
नहीं तो बातें बनना शुरू हो जाएंगी।
गर्मी का मौसम का और सभी लोग सुबह 9:00 बजे तक अपने ऑफिस चले जाते थे.
इसलिए उन्होंने मुझे अपने घर 9:15 बजे तक बुलाया क्योंकि वे 11:00 बजे तक अपने ऑफिस जाती थी.
बस फिर क्या था … मुझसे भी इंतजार नहीं हो रहा था और मैं सुबह 9:00 बजे ही उनकी कॉलोनी के बाहर पहुंच गया.
फिर उनका फोन आया तो उन्होंने बताया कि दरवाजा खुला रहेगा.
9:15 बजते ही तुरंत मैं उनकी बिल्डिंग में दाखिल हुआ और उनके घर में घुस कर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.
पहले तो उन्होंने मुझे पानी, फिर चाय ऑफर की.
फिर हम बैठकर बातें करने लगे.
अब क्योंकि हम इस तरह पहली बार मिल रहे थे तो दोनों ही थोड़ा शर्मा रहे थे.
लेकिन मेरी नजर उनके मस्त गोरे बदन और चूचों पर थी.
उनके मस्त फिगर की बात करूं तो गोरा कसा हुआ बदन, चूचे 32″, कमर 30″, और गांड 32″ रही होगी.
उन्होंने स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था जिसमें से झांकती उनकी ब्रा मेरा तापमान बढ़ा रही थी.
उनको देखकर बातों ही बातों में मैं उन्हें चोद चुका था.
लेकिन अब असल में चुदाई होनी थी।
जब घड़ी में 10:00 बजे तो मैंने उनसे कहा- मुझे थोड़ा पानी चाहिए.
जिसके लिए वे रसोई में गई.
मैं यही चाहता था। मैं भी उनके पीछे किचन में गया और जाकर उनको पीछे से पकड़ लिया.
पहले तो वह थोड़ा शर्माई और मना करने लगी.
लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी और पीछे से ही उनकी गर्दन और गालों पर किस करने लगा और मेरे हाथ उतनी ही तेजी से उनके मम्मों और पेट पर चलने लगे।
मैंने उनके कानों पर किस किया और धीरे से अपनी गर्म सांस उनके कानों में छोड़ी जिससे वे और उत्तेजित हो गई और मेरी तरफ को घूम कर मुझे किस करने लगी.
किचन का तापमान अब हमारी गर्मी से बढ़ने लगा था.
वे मेरे होठों को चूसती और मैं उसके चूचों को दबाता.
इसी बीच मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी में डाला तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि उन्होंने पहले से अपनी चूत के बाल साफ कर रखे थे.
मेरा हाथ एक नर्म मुलायम सी चूत पर चलने लगा.
फिर धीरे से मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली तो वे अचानक से सिहर उठी और मेरे होठों को और जोर जोर से चूसने लगी.
उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और हाथ रखते ही बोली- हाय राम, कितना बड़ा है … तुम्हारा जल्दी से दिखाओ मुझे!
कहते ही कहते मेरी बेल्ट खोलकर मेरी पैंट भी खोल दी और फिर मेरा अंडरवियर निकालकर मेरा लंड अपने हाथ में लेकर खेलने लगी।
अब हम किचन से निकलकर ड्राइंग रूम में आ गए थे.
रूम में चल रहा AC मानो कह रहा था कि कमरे का तापमान थोड़ा बढ़ाया जाए और हमने भी वैसा ही किया.
अब मैंने उनकी ब्रा उतार कर उनके चूचों को अपने हाथों में ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगा.
उनके चूचुक सहलाने से वे और उत्तेजित हो उठी.
उसकी उत्तेजना मेरे होठों पर साफ पता चलती।
देर ना करते हुए मैंने तुरंत उनके चूचों को चूसना शुरू कर दिया; कभी बायां तो कभी दायां!
एक अलग ही मजा था उनके चूचों को चूसने में!
और फिर बेड पर बैठ कर मैंने उनके सर को अपने लंड के ऊपर रखा और उसे इशारे से उसे चूसने को कहा.
पहले तो वे थोड़ा डरी कि कैसे मैं इतना बड़ा लंड चूस पाऊंगी.
लेकिन फिर अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए उन्होंने चूसना शुरू किया.
और सच बताऊं दोस्तो, ऐसा लंड चूसा उम्होंने कि मुझे लगा जैसे मैं जन्नत में हूं.
10 मिनट के बाद वे बेड पर लेट गई और अपने पैर फैला कर कहने लगी- डाल दो अंदर, अब रहा नहीं जाता, जल्दी से डालो जान!
मैंने भी लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसे गीला किया क्योंकि वह कॉन्डम इस्तेमाल नहीं करना चाहती थी.
फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा.
पर वे उतनी ही तेज मचल रही थी- जल्दी से डालो मेरी चूत में!
फिर मैंने झटका दिया तो लंड थोड़ा साइड में हो गया.
उसने अपने हाथ से पकड़ कर लंड सेट किया और धक्का लगाने को कहा.
मैंने भी उसकी हां मिलते ही पहले अपने होंठ उसके होंठों पर रखे क्योंकि मुझे पता था कि वे चिल्लायेंगी.
फिर पूरी ताकत से मैंने उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया.
वे बहुत जोर से चिल्लाई.
लेकिन उसके होंठ मेरे होंठो से दबे हुए थे जिससे उनकी आवाज बाहर नहीं आई।
वे मुझे नाखून गड़ाने लगी और गालियां देने लगी.
मैं भी और तेज उसे चोदता गया और कोई 5 मिनट बाद वो थोड़ा नॉर्मल हुई और कहने लगी- तुमने तो फाड़ दी पूरी चूत मेरी! बहुत बड़ा है तुम्हारा!
वे यही सब बोले जा रही थी और मैं मस्त चुदाई में व्यस्त था।
अब थोड़ी देर बाद हमने पोजिशन बदली और अब वे मेरे ऊपर आ कर बैठ गई.
उन्हें लंड पर बैठ कर चुदना बहुत पसंद था तो मैंने उन्हें इस तरह भी खूब चोदा।
और फिर थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें लेटा कर जोर जोर से चोदना शुरू किया.
चुदाई के दौरान वे गंदी गालियां भी देती जा रही थी.
बातों ही बातों में उन्होंने बोला- और किसे चोदना चाहते हो?
तो मैंने उनकी पड़ोसन रश्मि ( बदला हुआ नाम) का नाम बताया.
वे बोली- उसकी तो चूत ही फट जायेगी तुम्हारे लंड से!
रश्मि की बातें करते करते मैं उन्हें चोदता रहा और इस बीच वो दो बार अपने चूत का पानी निकल चुकी थी और उसका तीसरी बार निकलने वाला था.
अब मेरा माल भी निकलने वाला था तो मैंने पूछा उनसे- कहां निकालूं?
तो बोली- अंदर नहीं!
मैं मान गया.
फिर उन्होंने कहा- पहले मेरा पानी निकल जाए तो फिर तुम निकालना!
मैंने कहा- ठीक है.
और फिर वे दोबारा से मेरे ऊपर आकर मुझे पेलने लगी.
यह उनकी फेवरेट पोजिशन थी।
फिर मैंने अपने दिमाग को थोड़ा इधर उधर किया ताकि मेरा माल तुरंत न निकल जाए.
दोस्तो, यह ट्रिक होती है जल्दी झड़ने से रोकने की।
फिर अचानक से उन्होंने बहुत जोर से मुझे पकड़ा और चिल्लाते हुए 5-6 जोरदार झटके मारते हुए मेरे ऊपर ही लेट गई.
तो मैं समझ गया कि इन्होंने अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया है.
अब बारी मेरी थी।
मैंने तुरंत उनकी गांड को हाथ लगा कर हल्के से उठाया और उनकी पोजिशन में जोर जोर से पेलने लगा.
वे बोली- बस करो!
लेकिन मैं कहां रुकने वाला था, मैंने पेलना जारी रखा और कुछ मिनटों में मेरा माल बाहर आ गया जो मैंने उसके बिस्तर पर गिरा दिया.
और फिर उसे अपने ऊपर ही लिटाए हुए धीरे धीरे चूमता रहा।
ऐसा लग रहा था मानो मेरे शरीर से पूरा मैं खुद बाहर आ गया हूं.
हॉट टीचर फक़ के बाद मैं एकदम निढाल हो चुका था.
हमारी यह चुदाई का खेल लगभग 40 मिनट चला था जिसके बाद हम दोनों ही एकदम से ढीले हो चुके थे.
लेकिन फिर भी उसकी चूचियों को देख कर मेरा मन नहीं माना, मैं उन्हें पीने लगा.
वे मेरा सर सहलाने लगी.
फिर उन्होंने मुझसे वादा किया- अगली बार मैं रश्मि की चुदाई का भी जुगाड़ करने की कोशिश करूंगी जिससे हम तीनों ही चुदाई का मजा ले पाएं।
दोस्तो, यह तो थी मेरी और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की चुदाई की कहानी.
उम्मीद करता हूं कि मेरा पहला लेख आपको पसंद आया होगा और मैं आग्रह करता हूं कि कॉमेंट में आप अपने विचार बताएं इस हॉट टीचर फक़ स्टोरी पर.
मेरा नाम सुरेश है, मैं Sex Stories ग्वालियर में रहता हूँ। मुझे पहली बार सेक्स का अनुभव करने का मौका तब मिला जब मैं २१ वर्ष का था, आज मैं वह अनुभव आप सब से बाँटने जा रहा हूँ। इस समय मेरी उम्र २३ साल की है और मेरा शरीर तंदुरुस्त है और मेरी लम्बाई ५’९” है।
मैंने अपना कुँवारापन अपनी पड़ोस में रहने वाली भाभी के साथ खोया। उनकी सुन्दरता के बारे में क्या बताऊँ आप लोगों को ! फिगर ३५-३०-३६ की होगी। उनके मनमोहक शरीर को देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। उनके साथ सेक्स करकने की तमन्ना दिल में कब से थी। उनकी उम्र ३० साल की होगी।
एक दिन ऐसा आया जब मुझे उनके बदन को चूमने का मौक़ा मिला। भैया एक बिज़नेसमैन हैं और वो सुबह ही निकल जाते हैं। उनके २ बच्चे भी स्कूल चले जाते हैं। सुबह जब वह कपड़े सुखाने आती है, तब मैं हमेशा उनकी चूचियों और पेट को देखा करता हूँ। उन्होंने कई बार शायद मुझे देखा भी है कि मैं उन्हें छुप कर उन्हें देखता हूँ, पर उन्होंने कभी किसी से कुछ कहा नहीं। उनके मम्मों को देख कर उनका दूध पीने की इच्छा जाग जाती है। तो दोस्तों आपको अधिक बोर नहीं करते हुए मैं आपको अपना अनुभव सुनाता हूँ।
एक दिन की बात है, मुझे शहर में किसी काम से बाहर जाना था। घर में माँ और पिताजी दोनों ही नहीं थे, और घर में हेलमेट भी नहीं था और कविता भाभी के घर में सिर्फ कविता भाभी ही थी। मुझे अचानक याद आया कि भाभी के घर हेलमेट हो सकता है। तो मैं घर पर ताला लगा कर भाभी के घर हेलमेट लेने चला गया। भाभी कपड़े धो रही थी। जब वह कपड़े धोते हुए उठी तो उनकी साड़ी एक ओर हटी हुई थी और मुझे उनकी दोनों चूचियाँ ब्लाऊज़ में से दिखाई दे रहे थे। मन हो रहा था कि दूध पी लूँ। मैं उन्हें टकटकी लगा कर देखता जा रहा था, भाभी ने भी यह ग़ौर किया और अपनी साड़ी ठीक करते हुए मुझसे काम पूछा।
मैंने बताया कि हेलमेट चाहिए। भाभी ने कहा कि हेलमेट तो कमरे के ऊपर स्टोर में रखा है, चढ़कर उतारना पड़ेगा। भाभी और मैं कमरे में आ गए। मैं एक कुर्सी लेकर आ गया। भाभी ने मुझसे पूछा,”तुम रोज़ मुझे छुप-छुप कर क्यों देखते हो?”
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर भाभी से क्या कहूँ,”आप बहुत सुन्दर हैं और आपका शरीर ऐसा है कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए। भैया बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें आप जैसी पत्नी मिलीं।”
भाभी ने एक शरारत भरी मुस्कान से मुझे देखा. मैंने उनसे कहा कि मैं उन्हें एक बार चूमना चाहता हूँ। उन्होंने थोड़ा झिझकते हुए हामी भर दी। मैंने उनके गालों पर चूम लिया और उसके साथ ही अपना एक हाथ उनकी कमर पर रख दिया और सहलाने लगा।
भाभी ने हँस कर कहा, “अब ठीक है, या कुछ और भी करना है?”
मन तो कर रहा था कि कह दूँ, पर हिम्मत नहीं हो रही थी। तो मैंने भी हँस कर कह दिया, “अनुमति मिल जाए तो सब कुछ कर दूँगा।”
वह मुझे शैतान कह कर कुर्सी पर चढ़ गई। अब भाभी अपने दोनों हाथ ऊपर कर के हेलमेट तलाश कर रही थी। उसे इस अवस्था में खड़ा देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया। मैं उनके मम्मों और पेट को ही देखे जा रहा था। पहली बार मैंने उन्हें इतने नज़दीक से देखा था। अब मेरा नियंत्रण छूट रहा था। तभी भाभी ने मुझसे कहा कि कुर्सी हिल रही है, मुझे आकर पकड़ लो, नहीं तो मैं गिर जाऊँगी।
अब क्या था, मैंने भाभी की गाँड के नीचे से इस तरह पकड़ा कि मेरा चेहरा उनके पेट के सामने रहे। मेरे और उसके पेट के बीच कुछ ही सेन्टीमीटर का फ़ासला था। अब मेरा नियंत्रण छूट गया और मैंने भाभी के पेट पर चूम लिया।
भाभी सहम गई पर कुछ कहा नहीं। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने उसके पेट पर किस करना शुरु कर दिया। मैं उन्हें पेट पर चूम रहा था और उनकी नाभि को खा रहा था। अब वो मेरा सिर पकड़ कर अपने पेट से चिपकाने लगी और लम्बी-लम्बी साँसों के साथ हल्की सिसकियाँ लेने लगी।
उन्हें भी बड़ा मज़ा आ रहा था। १५ मिनटों तक उनके पेट को खाने के बाद वह कुर्सी पर बैट गई और मुझसे लिपट गई। अब मुझे हरी झंडी मिल गई थी। मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और उसकी साड़ी भी। वह सच में कितनी सेक्सी लग रही थी – काम की देवी। मैं उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी प्रत्युत्तर देने लगी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके गले से होते हुए उसकी चूचियों तक पहुँचा।
उसकी चूचियों को चूसता और दबारा रहा और वह सिसकियाँ निकालती रही। अब मैंने उसकी ब्लाउज़ उतार दी और पेटीकोट में घुस कर उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा। अब मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया। उसकी चूत में अपनी ऊँगलियाँ प्रविष्ट कर दीं और लगभग १५ मिनट तक उसे उँगली से ही चोदा। उसकी चूत को खूब चाटा।
वह उउम्म्म्म्म…. आहहहहहहह ओओओह्ह्ह्हहहह, और चाटो! की आवाज़ निकाल रही थी। उसका पानी एक बार निकल गया। मैंने वो पूरा पी लिया। अब उसे भी मेरा लंड चूसने था। मेरा लंड साढ़े छः इंच का है। हम 69 की मुद्रा में आ गए। मैं उसकी चूत खा रहा था और वह मेरा लंड। इसी तरह २० मिनट के बाद वो मुझसे कहने लगी कि और मत तड़पाओ, मुझे जल्दी से चोट दो।
मैंने अपने लंड का सिरा उसकी चूत पर रखा, उसके पाँवों को पैला दिया और ज़ोर के धक्के के साथ लौड़ा अन्दर पेल दिया। वह चिल्लाई और तड़पने लगी। कहने लगी कि धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उसे चोदता चला गया। थोड़ी देर के बाद वह भी मस्त हो गई और गाँड हिला-हिला कर साथ देने लगी। उसके मुँह से ओओहहहह… आआआआहहहह… और ज़ोर से… हाएएएएए…. म्म्म्म्महह्हहहहह… आआआआआहहहहह की आवाज़ें निकलना रुक ही नहीं रहीं थीं। और अब मैं उसकी एक चूची को मसल रहा था और दूसरे को चूस रहा था। उसकी घुँडियों को काट रहा था। उसे चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही बह गया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
वह मुझसे खुश थी। उस दिन के बाद जब भी मुझे मौक़ा मिलता है, मैं जाकर उसका दूध ज़रूर पीता हूँ और उसे चोदता भी हूँ।
मेरी कहानी आप को कैसी लगी, मेल कर के बताएँ Sex Stories
यह घटना ५ साल पहले हुई थी जब Hindi Porn Stories मैं २० साल का था ! उस वक़्त मैं बी.एस.सी. कर रहा था ! मेरा पहला सेक्स अनुभव तो मेरी पड़ोस की लड़की फातिमा के साथ हुआ, जो बहुत ही सेक्सी थी ! जब भी मैं उसे देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था ! मैं उसके बारे में सोच कर न जाने कितनी बार मुट्ठ मार चुका हूँ !! उसका फिगर भी गज़ब का था ! वो १८ साल की होते हुए भी २२ साल की दिखती थी और उसकी हाईट ५.५” थी !
उसने अपनी पढ़ाई के दौरान कंप्यूटर क्लास ज्वाइन किया ! लेकिन उसके घर में कंप्यूटर नहीं था इसलिए वो हर शाम हमारे घर प्रैक्टिस करने के लिए आती थी ! हर बार की तरह वो प्रैक्टिस के लिए घर आई ! वो गुलाबी सलवार पहने हुए बहुत ही सेक्सी लग रही थी ! वो मुझे देख कर मुस्कुराती थी तभी मैं समझ गया कि लड़की हँसी तो फंसी !!!! यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा !
फिर एक दिन मेरे घर के लोग बाहर गए थे, सो मैं घर में अकेला था ! मैंने मन ही मन सोच लिया था कि आज चाहे कुछ भी हो जाये, मैं फातिमा के मम्मों को जरुर दबा दूंगा ! अगर वो इन्कार करेगी तो सॉरी बोल दूंगा, मगर मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया ! जब वो कंप्यूटर पे काम कर रही थी तब मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसकी कॉलेज लाइफ के बारे में पूछने लगा ! अंत में मैंने उससे सेक्स के बारे पूछा तो वो शरमा गई !
मैंने पूछा,”कभी तूने सेक्स मूवी देखी है ?”
उसने कहा,”नहीं !!”
मैंने उसके हाथ से माउस लिया और कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म चला दी ! मूवी में दो लड़कियों की एक लड़के द्वारा चुदाई का दृश्य चल रहा था ! उसने शर्म के मारे अपने चेहरे को हाथ से छुपा लिया ! मैंने उसके हाथ को हटाया और कहा,” देख लो, बाद में फिर मौका नहीं मिलेगा !!”
वो बोली,”तुम यह सब देखते हो क्या ?”
मैंने कहा,”हाँ ! और करना भी चाहता हूँ !!!”
अब वो बिंदास हो कर मूवी देख रही थी ! मैं समझ गया कि यही सही मौका है !! मैंने कुर्ते के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने शुरू किये !!! पहले तो वो मना करती रही पर बाद में मान गई !! मैंने उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर उसके मम्मों को दबाना शुरू किया तो वो ऊऊह्ह्ह्हह्ह आआ ह्ह्ह्हह्ह करने लगी !! मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला तो मैं हैरान हो गया क्यूंकि उसकी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी ! मैं अपनी ऊँगली उसकी चूत के अन्दर डाल कर आगे-पीछे करने लगा ! वो अब नियंत्रण से बाहर हो गई थी !
वो आआह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊओह्ह्ह करते हुए चिल्लाने लगी,”घुसाना है तो अपना लंड घुसा ! इस ऊँगली से किसे सहला रहा है ??”
उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गया ! मैंने तुरंत अपनी पैंट उतार दी और अपना ७.५” इंच का लौड़ा बाहर निकाल लिया ! मेरे लंड को देखते ही वो बोली,” इतना लम्बा और मोटा ??? मुझसे नहीं होगा ……..! “
मैंने अपना लौड़ा उसके मुंह में डाल दिया और वो ५ मिनट तक मेरे लौड़े को चूमती रही ! फिर उसके मुंह से लौड़ा निकाल कर उसकी चूत पर रख कर घुसाना शुरू किया तो वो बोली, ” आआह्ह्ह्ह ! बाहर निकाल दो ! मुझसे और दर्द…………………………. आह्ह्ह ………… .बर्दाश्त नहीं होता ………….!!!!”
अब मैंने अपना लौड़ा पूरी ताकत से उसकी चूत में घुसा दिया और जोर-जोर के झटके लगाने शुरू कर दिए ! थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई और मेरे लंड का पूरा मज़ा लेना शुरू कर दिया !! मैंने जम कर आधे घंटे तक उसकी चूत की धुलाई की ! इसी बीच वो २ बार झड़ चुकी थी ! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में घुसा दिया और उसका सिर पकड़ के जोर-जोर से हिलाया ! तभी मैंने देखा की उसकी चूत के खून से मेरा लंड लाल हो गया था ! मैं एकदम से डर गया तो वो बोली,” डरो मत ! मैं ठीक हूँ !” तब जाकर कहीं मेरी जान में जान आई !!
मैंने अपना पूरा वीर्य उसके मुंह में ही झाड़ दिया ! वो जल्दी से बाथरूम में अपना मुंह धोकर आई और मुझसे पूछने लगी,” अगर झड़ना ही था तो मेरी कमर पर या मेरे मम्मों पर करते!! मुंह में क्यूँ किया ??”
मुझे उसके भोलेपन पर हंसी आने लगी ! मुझे बाद में पता चला कि मैं उसे जितनी भोली समझता था, वो उतनी भोली थी नहीं !!! मुझसे पहले वो अपने किसी आशिक से पूरे एक साल तक चुदवा चुकी थी !!
उसके बाद मैं फातिमा को कई बार चोद चुका हूँ किन्तु अब वो अपने पति के साथ न जाने कहाँ चली गई, मुझे पता नहीं !
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