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मेरा नाम राकेश है, मेरी Antarvasna उम्र 23 साल है. मुझे कंप्यूटर पर अच्छी तरह लिखना नहीं आता फ़िर भी कोशिश कर रहा हूँ. आपको लगे या ना लगे, यह मेरी सच्ची कहानी है.
बंटी हमारे घर के बगल में रहती है. वो दिखने में बहुत सुंदर ओर सेक्सी है. उसका कद करीब 5’5′ है. रंग गोरा है. उसके मम्मे छोटे हैं. मुझे छोटे मम्मे वाली लड़कियाँ ही पसंद हैं. मैं उसके बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मार चुका था. मैं उसे चोदने का मौका ढूँढ रह था. जब भी मौका मिलता मैं उसे और वो मुझे देखकर मुस्कुराती थी. मैंने उससे आगे बढ़ने की सोची.
एक दिन जब वो कपड़े सुखाने आई तो मैंने सेक्सी तसवीरों वाली किताब उसके बगल में फेंकी और मैं दीवार के पीछे छिप गया. उसने वो किताब नहीं उठाई. मैं घबरा गया कि अगर उसने घरवालों को बताया तो मैं मर ही गया समझो.
लेकिन कुछ देर बाद वो फ़िर आई और उसने वो किताब उठाई और चली गई. दो दिन बाद जब वो दिखी तो शरमा के किताब मेरी तरफ फेंकी और धीमी आवाज में बोली- और किताबें हैं क्या?
मैं बोला- यह पसंद आई क्या?
उसने शरमा के हाँ में सिर हिलाया तो मैंने उसे हमारे घर के पिछवाड़े बुलाया.
उसने कहा- कल शाम को आऊँगी.
दूसरे दिन शाम को जब वो आई, मैंने किताब देने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया. वो घबराकर छुड़ाने लगी, बोली- कोई आ जायेगा!
मैंने कहा- कोई नहीं आयेगा!
शाम का समय था, इसलिये वहाँ कोई नहीं आता था.
मैंने उसे कहा- सिर्फ किताबों में ही पढ़ेगी या असल में भी कुछ करोगी?
उसने कहा- ना बाबा! बच्चा हो गया तो?
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा.
ऐसा कहते ही मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके गालों को चूम लिया. वो मुस्कुराई. फ़िर मैंने उसके होठों को चूसा, मुझे पता चल गया कि यह उसका पहला ही चुम्बन है.
उसके बाद मैं धीरे धीरे उसका स्कर्ट ऊपर उठाने लगा. उसने मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था. मैं धीरे धीरे उसकी जांघ सहलाने लगा. उसे मजा आने लगा था, मेरे हाथ उसकी पेंटी पर लग रहे थे. मैं पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा. उसके बाद मैं उसके टॉप के बटन खोलने लगा. जब मैंने देखा तो मैं दंग रह गया, उसके मम्मे बहुत गोरे और बिल्कुल छोटी नाशपाती की तरह थे. मैं उसकी एक चूची अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. बंटी कसमसाई उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी, मेरा भी ख्वाब पूरा हो रहा था. मैं एक हाथ से उसका एक मम्मा दबा रहा था.
फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाल दी और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा. मेरे हाथ को उसकी चूत के नये छोटे छोटे बाल लगे. फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाली तो वो एकदम से चीखी- आऊच और बोली जरा धीरे! मैंने पहले ऐसा कभी किया नहीं!
मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा. फ़िर मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया. इतना बड़ा लंड उसके छोटे हाथों में बैठ भी नहीं रहा था. उसे मेरा लंड गरम लगा तो वो बोली- तुम्हारा लंड गर्म है, तुम्हें बुखार है क्या?
मैं हंसने लगा और बोला- जब आदमी का लंड खड़ा होता है तब वो गर्म भी होता है.
मैंने उसे हाथ से लंड को हिलाने को कहा. उसके कोमल हाथ मेरे लंड को मसलने लगे. मैं मानो जैसे जन्नत में सैर कर रहा था. फ़िर मैंने उसे दीवार से टिकाकर खड़ा कर दिया. उसके बाद मैंने उसकी एक टांग उठाई, अब मुझे उसकी चूत पूरी तरह दिख रही थी. मैं अपना लौड़ा उसकी चूत पर रख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत कसी थी, इसलिये अंदर नहीं जा रहा था. मैंने उसे लंड चूसने को कहा पर वो नहीं मानी.
मैंने भी सोचा कि अच्छा खासा मौका हाथ से निकल जायेगा इसलिये उसे सिर्फ सुपारे पर चाटने को कहा. उसने मेरे सुपारे पर अपनी जीभ फ़िराई.
मैं नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने लगा. वो आँख बंद करके मजा लेने लगी. जब मैंने देखा कि उसकी चूत गीली हो चुकी है तो मैंने फ़िर से अपना सुपारा उसकी चूत पर रख कर अंदर डालने की कोशिश की. इस बार मेरा लंड आधा उसकी चूत में घुस गया, वो दर्द से चिल्लाने लगी. मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और आधा ही लंड अंदर-बाहर करने लगा. फ़िर धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाला, वो दर्द से और भी चिल्लाने लगी. मैं फ़िर कुछ देर वैसे ही रुका. फ़िर अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा. वो सिसकारियाँ भरने लगी.
मैं धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा. मैं उसे खड़े-खड़े ही चोदने लगा. कुछ देर बाद उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, इसलिये मैंने अपनी गति बढ़ा दी.
उसके मुँह से अअऽऽ आआ शशससउ ऐसी आवाजें निकलने लगी और वो मुझे कसकर पकड़ कर झड़ गई. उसकी चूत में से पानी और कुछ खून निकलने लगा. यह देख कर मुझे भी जोश आने लगा और अब हम दोनों सातवें आसमान पर थे. इस बीच वो दूसरी बार झड़ गई. करीब छः सात मिनट बाद मैं भी झड़ने के करीब पहुँचा, बंटी आय लव यू! कहकर उसे जोर जोर से चोदने लगा. अब मैं झड़ने ही वाला था कि झट से मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और मेरा सारा वीर्य बंटी के पेट और चूत के ऊपर गिर गया और मैं ढीला होकर उसके ऊपर गिर गया. कुछ देर बाद हमने अपने अपने कपड़े पहन लिये, जाते वक्त फ़िर से उसके चूचे दबाये और उसे चूमा.
बंटी से दोबारा मिलने का वादा करके उसे मैंने लाई हुई किताब दी और वो शरमा के बोली- माँ तो नहीं बनूंगी ना?
मैंने कहा- इसी लिये तो मैंने अपना वीर्य तुम्हारी चूत में गिरने नहीं दिया.
उसने कहा- आज बहुत मजा आया.
मेरी भी बरसों की तमन्ना पूरी हो गई थी.
दोस्तो, कहानी अच्छी लगी या बुरी जरूर बताना. Antarvasna
ये मेरी अपनी आपबीती है, ये कोई कहानी नही है और Sex Stories इसमे कुछ ऐसा भी नही है जो मैंने कल्पना से लिखा हो.
बचपन में जब मैं पांच साल का था तब मेरी ताईजी का देहाँत होने के कारण उनकी लड़की जो मुझसे सात साल बड़ी हैं हमारे साथ रहती थी. उनका नाम गीता है. मेरे पिताजी सरकारी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे. हमें सरकारी मकान मिला हुआ था. मकान बहुत बड़ा था और उसके कमरे भी बहुत बड़े थे. चार बैडरूम, रसोई और बैठक थे उस मकान में. जबकि उस समय मैं अमन, मेरा छोटा भाई छोटा और छोटी बहिन मुन्नी, मां, बाबूजी और गीता जीजी कुल छः लोग ही उस मकान में रहते थे.
जैसे जैसे बड़ा हुआ एक्सरसाइज़ ठीक होने से लंड का साइज़ भी सात इंच का हो गया. पिताजी का तबादला राजस्थान के अलग अलग शहरों में होता हुआ जयपुर में कुछ समय रुका तो पिताजी ने यहाँ घर बनवा लिया. अब स्कूल में उसके बाद लड़को के कोलेज में पढ़ा लेकिन लड़कियों से बात करने में गांड फटती थी इसलिए हमारी गली में आठ लड़कियां होते हुए भी खूब इच्छा होने पर भी मैं उनमे से एक को भी पटा नही पाया. इच्छा बहुत होती थी चोदने कि लेकिन मुट्ठ मारकर ही काम चलाना पड़ता था. साइंस का छात्र था इसलिए पढ़ा सबकुछ लेकिन प्रैक्टिकल हो नही पाया. बाईस साल का होने पर मेरा कद छः फुट आ गया रंग साफ़ और चेहरा आकर्षक.
मैंने इलेक्ट्रॉनिक आइटम की रिपेरिंग की दुकान खोली. ठीक ठाक चलने लग गई. दुकान के बहार से कुछ लड़कियां मुझे देख कर चक्कर लगाती, लेकिन बात करने में अब भी मेरी गांड फटती थी. अब मुझे देखने लड़की वाले आने लग गए. एक लड़की, जो की आज मेरी पत्नी है, ठीक ठाक लगी तो जुलाइ में सगाई हो गई. सगाई छः महीने तक रही. हमने ढेरों फोन किए लेकिन लंड चूत की कोई बात करने की हिम्मत नही होती थी तो शादी होने तक उसको भी नही चोद पाया. मन में लड्डू फूटते थे कि अब मेरी कहने को भी कोई है. सगाई होने के बाद मैंने मुठ मरना बंद कर दिया.
खैर शादी हो गई और अब बहुत साल प्रतीक्षा के बाद आया सुहागरात का समय. शाम को ससुराल आनीजानी रस्म थी सो पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर छोटे सगे व रिश्ते के भाई बहिनों को साथ लेकर ससुराल गया. रात को साडे दस बज गये रस्मो रिवाज निबटाते हुए. जैसे ही फ्री हुए मैंने सभी भाई बहिनों को ऑटो रिक्शा में घर भेज दिया और पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर उसका हाथ अपनी कमर पर कस कर सटे चिपके से घर के लिए रवाना हुए.
लंड महाराज आज अपनी पूरी जवानी में तने खड़े थे लग रहा था कि सूट फाड़ कर अभी बाहर आ जायेंगे. इच्छा तो बहुत हो रही थी कि इस जनवरी की ठण्ड में घर से सात किलोमीटर दूर कहीं सुनसान में रोक कर चोद चाद दूँ. साला लंड फेरे में हाथ पकड़ते ही कंट्रोल से बाहर था. लेकिन अपने को ये सोचकर कंट्रोल किया की माल अपना है और जरा देर बाद घर पहुँचते ही मेरा ही होने वाला है. साडे ग्यारह बजे घर पहुंचे तो चाचाजी के बेटे, मेरे बड़े भाई की पत्नी मेरी भाभी ने रस्म निभाई की ये मेरी देवरानी आज तुम्हारे साथ सोएगी. दिल उछल कर गले में आ गया. कमरे में आकर एक दूसरे की ओर पीठ करके हमने कपड़े बदले. कंडोम का पैकेट मेरे दोस्त ने पहले ही इंतजाम कर दिया था.
पत्नी ने जेवर भी उतारे और मैंने सजे धजे पलंग पर पत्नी को बिठाया. कमरे में पन्द्रह वाट का बल्ब जल रहा था. कैमरे से चार छः फोटो लिए और उसकी बगल में बैठ गया. फोन पर ढेरो बात करने वाली मेरी पत्नी के जबान पर ताला लग गया और वो नीची नजर किए बैठी थी, उसके होंट सूख रहे थे. मैंने इधर उधर की दो चार बातें करने के बाद कहा कि किस करूँ तो उसने नजरें नीचे किए धीरे से गर्दन हिला दी. लंड बैठने का नाम नही ले रहा था. मैंने उसके गाल पर किस किया जो मेरी जिन्दगी का किसी जवान लड़की का पहला किस था. फ़िर मैंने उसको बोला किस करने को तो उसने भी मेरे गाल पर धीरे से किस किया अब मैंने उसके बूब्स पर हाथ रखा, वो सिहर गई लेकिन हाथ नही हटाया. अब धीरे धीरे मैंने बूब्स दबाना शुरू किया मुझे वैसे ही बहुत चढी हुई थी, जिन्दगी में पहली बार बूबू दबा रहा था, मजा बहुत आ रहा था, धीरे धीरे उसका ब्लाउज खोल दिया. ब्रा भी हटा दी. सेब के साइज़ से थोड़े बड़े उसके गोरे स्पंज की बोल की तरह सख्त नरम बूबू बाहर आ गए.
पत्नी निढाल सी मेरे सीने से चिपकी पड़ी थी धीरे धीरे किस चल रहा था. अब मैंने उसके पेटीकोट को ऊपर सरकाना शुरू किया. एक बात माननी पड़ेगी की उसने किसी भी बात के लिए रोका नही. बस निढाल सी चिपकी रही. आज एक जवान नंगी लड़की मेरे बिस्तर पर थी और उसके गोरे सवा पाँच फुट के बदन पर एक बाल भी नही था और उबटन लगने से पूरा बदन मक्खन जैसा चिकना हो गया था. झांटे थी इसका मुझे ज़रा भी बुरा नही लगा. क्यूंकि झांटों से मुझे जवानी का एहसास होता है न की नादानी का. उसका बदन देखकर कोई भी फख्र कर सकता था. हालाँकि कद में हमारे नौ इंच का फर्क था.
मैंने उसे धीरे से लिटाया अपने कपड़े उतारे, तन्नाया फन्नाया लंड इतना तन चुका था की टंकार तक नही मार रहा था. लंड पर कंडोम चढाया, उत्तेजना इतनी ज्यादा थी की कभी भी क्रीम बाहर आ सकती थी. पत्नी के ऊपर आया तो उसकी टाँगे मेरी टांगों पर आ गई, मेरा माथा ठनक गया कि इसका कोई चक्कर तो नही चल चुका. उसी वक्त मुझे एक परिचित की बात याद आ गई की कुंवारी लड़की के ऊपर लड़का आते ही लड़की की टाँगे अपने आप लड़के की टांगों पर आ जाती है. और कहीं किसी किताब मैं पढ़ा था कि अच्छा चोदक वो है जो अपना वजन अपने घुटनों और कोहनी पर रखता है. अब हालत ये थी कि यदि अपना वजन घुटनों और कोहनी पर रखता तो लंड अपनी जगह से हिल जाता और यदि लंड को गीले छेद पर सेट करता तो एक कोहनी से दम नही लग रहा था. इतने में उत्तेजना इतनी ज्यादा हुई कि लंड से छः महीने का स्टॉक क्रीम बह निकला. लंड अपनी अकड़ खो चुका था. मैंने बहुत कोशिश की कि लंड दोबारा खड़़ा हो जाए लेकिन वो सारी रात खड़़ा नही हुआ. कंडोम निकाल कर मैंने पलंग से नीचे डाल दिया.
पत्नी को हलकी सिहरन हो रही थी. मैं समझ रहा था, उत्तेजना से उसकी तबियत बिगड़ रही थी और मैं कुछ भी कर नही पा रहा था. उसको अपनी बाँहों में लेकर पडा रहा. उसने एक बार कहा कि करो लेकिन मेरा लंड सिकुड़ चुका था.
सुबह चार बजे माँ ने आवाज लगाई तो मेरी बीवी चली गई, कोई घंटे भर सोया हूँगा. नींद नही आई, सुबह साडे छः बजे बाहर निकलने कि हिम्मत नही हो रही थी. कोई सामने आएगा तो क्या होगा. जैसे तैसे हिम्मत करके कमरे से बहार आया. बुआ की लड़की सामने थी जो मुझसे दो साल छोटी थी और कुंवारी थी, हम दोनों में अच्छी पटती थी. वो गहरी नजरों से देख रही थी, मैंने पूछा क्या है. तो वो बोली “कुछ नही”. पिताजी सामने आए मैंने नजरें घुमा ली. अब मैं गुसलखाने में गया. अपने दिमाग को ठिकाने पर लाने की कोशिश करने लगा. लंड को हाथ में लिया. धीरे धीरे सहलाने लगा, दिमाग को केंद्रित किया. लगभग पाँच मिनट में लंड खड़़ा होने लगा, मैंने हाथो को तेज चलाना शुरू किया. मुठ मारने में जरुरत से ज्यादा समय लगा. लेकिन सब कुछ सही हो गया. मैंने छः महीने मुठ नही मारकर अपनी उत्तेजना ख़ुद बढ़ा ली थी.
अब मुझको रात का इंतजार था. खैर धीरे धीरे रात पास आती गई. रात के साडे दस ग्यारह के करीब मेरी जान कमरे में आई, मैंने कमरे की सांकल बंद की, जान को अपनी आगोश में लिया. किस किया. लंड अब अपनी दस्तक देने लग गया. दो मिनट बीते होंगे की पत्नी दूर हो गई. मैंने कहा कि क्या हुआ. वो बोली एमसी हो गई. उसने अपनी अभी तक कुंवारी चूत पे हाथ लगा कर देखा. बोली मम्मी को बोलती हूं. मैंने कहा “क्यूँ ” तो बोली कि नीचे सौउंगी. वो मेरी माँ को बोलके आई तो साथ में कम्बल और रजाई लेके आई.
उसने बिस्तर बेड से नीचे किए. कमरा बंद किया. अब तक मैं कुछ नही बोला था. मन लेकिन थोड़ा उदास हो गया था. आज मेरा लंड तैयार था तो उसकी चूत ने धोखा दे दिया. जैसे ही वो नीचे लेटने को हुई तो मैंने उसे अपने पलंग पे खींच लिया. पत्नी बोली कि मम्मी को पता चल गया तो? मैंने कहा कौन बताएगा ? तुम या मैं. वो समझ गई और मेरे साथ पलंग पर आ गई. उसने चूत पर कपड़ा लगा लिया था. आज दिनभर में वो घरवालो के साथ घुलमिल गई थी, शर्म भी बहुत कम हो गई थी.
अब मैंने उसके होटों को अपने होटों से चिपका के किस करना शुरू किया. होंट थे कि अलग होने का नाम नहीं ले रहे थे. मैंने उसके बोबे दबाने शुरू किए. मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के लिपट चुके थे. मेरे हाथ उसके बोबों को मसल रहे थे. धीरे धीरे ब्लाउज और ब्रा अलग हो गई. फ़िर थोडी देर में पेटीकोट भी खींच कर अलग कर दी. जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फैके, मैंने बीवी को अपने ऊपर ले लिया और घमासान चालू हो गया वो ऊपर से अपनी गांड को चला रही थी और मैं नीचे से लंड को उसकी कपड़ा लगी चूत पे दबा के घिस रहा था.
होंट एक दूसरे का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थे, मेरा एक हाथ उसके बोबे दाब रहा था जो मेरे सीने से चिपके पड़े थे और दूसरा हाथ मेरी बीवी का मखमली शरीर को ऊपर से नीचे तक नाप रहा था, मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के नीचे कसे थे. हम दोनों अपनी मंजिलों कि तरफ़ बढ़ रहे थे कि मेरी बीवी अकडी और ढीली पड़ गई. उसके होंट खुल गए, हाथ ढीले हो गए, मैं रुक गया, उसकी आँखें मुंदी हुई थी. दो मिनट बाद मैंने उसके बोबे वापस दबाने शुरू किए, उसका मुह अपनी और किया उसके होंट चूसने लगा, मेरी बीवी में जान आने लगी, उसके होंट मेरे होटों से चिपक गए, हाथ मेरी गर्दन पर कसते गए. अब वो अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी, मैं भी नीचे से उसकी चूत को लंड से दबाते हुए रगड़ने लगा, एक बार फ़िर घमासान होने लगा और लगा जैसे पलंग पर भूचाल आ गया हो. हम दोनों अपनी अपनी मंजिल कि और बढ़ने लगे फ़िर मेरी बीवी को ओर्गास्म हो गया।
लेकिन अबके मैं रुका नही. ढीली पड़ी बीवी को अपनी बाँहों में कसे नीचे से उसकी चूत को अपने लंड से रगड जा रहा था. अब मुझे भी ओर्गास्म आने लगा. मैं फ़िर भी रगड़ता गया और मुझे खूब जोर का ओर्गास्म आया. मैं भी ढीला पड़ गया. दोनों पसीने में लथपथ थे उस जनवरी कि ठंडी रात में भी. मैं ने अपने पैरों से रजाई धीरे से मेरे ऊपर पड़ी बीवी के कूल्हों तक ऊपर कर ली ताकि पसीना सूखने के बाद कोई गड़बड़ न हो. हम दोनों की एमसी की चार रातें ऐसे ही एक रात में चार चार पांच पाँच राउंड लगाते निकली. हम रात को सिर्फ़ दो घंटे मुश्किल से सो पाते थे. सुबह वो साडे चार बजे कमरा छोड़ देती थी. चारों दिन वो बिस्तर नीचे लगाती रही और मेरे पास सोती रही.
अब पांचवी रात को उसको पलंग पर लेकर कपड़े उतारने के बाद किस शुरू किया, बोबे दबाने शुरू किए, धीरे धीरे वो गरमाने लगी, उसके हाथ मैंने अपने लंड पर रख दिए आज उसकी पैंटी भी उतार फेंकी. उसकी चूत पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा, गर्मी बढ़ने लगी, उसके हाथ मेरे लंड पर कसने लगे, आज उसको एमसी में ब्लड भी जरा सा आया था. उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा. मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में सरकानी शुरू की, करीब डेढ़ इंच अन्दर जाने के बाद उंगली अड़ गई, छेद छोटा था, मैंने बड़ी लाइट जलाई, उसकी टांगो को चोडा करके उसकी चूत को फैला कर अन्दर देखा तो हाईमन साफ़ नजर आया, छेद बहुत छोटा था, वापस छोटी लाइट जलाई, दोनों वापस पहले वाली पोजीशन में आ गए. अब मेरे दिमाग में ये बात आई की यदि ऐसे ही मैंने अपना सात इंच का रोड अन्दर डालने की कोशिश की तो इसको बहुत दर्द होगा, ये सोचकर मैं अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
शुरू में थोड़ा सा दर्द हुआ फ़िर उसको अच्छा लगने लगा. अब मैंने उसको सारी बात समझाते हुए कहा कि या तो तुम ज्यादा दर्द सहो या कम. वो बोली कि कम दर्द करो. फ़िर मैंने कहा कि अब मैं तुम्हारी चूत में दो उंगली करूंगा, सहयोग करो, ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी निकाल कर दोनों बड़ी उँगलियों पर अच्छी तरह वैसलीन लगाई, अब धीरे से उसकी चूत फैला कर दो उंगली उसकी चूत में डालना शुरू किया, हाईमन को चीरने पर उसको दर्द हुआ मैंने अपनी उंगली को रोका. मैं उसको दर्द नही करना चाहता था क्यूंकि फ़िर आनंद की चरम सीमा एकदम से कम हो जाती है, फ़िर एक बात और भी है, यदि अपने भी ऐसा ही दर्द हो तो क्या अपन भी मजा ले पाएंगे. धीरे धीरे करके मैंने उसके हाईमन को थोड़ा चोडा कर दिया, अब अंगूठा उसकी चूत में जाने पर दर्द नही हुआ.
मैंने सोच लिया के अब मेरी बीवी लंड ले सकती है, इतना दर्द तो वो सहन कर ही लेगी, मैं उसके ऊपर आ गया, लेकिन प्रैक्टिकल प्रॉब्लम वोही थी, की एक हाथ से लंड सही जगह पर लगाता तो लंड को घुसाने में जोर नही लगा पा रहा था, उस रात को फ़िर पिछली चार रातों जैसे ही रगड़ना पडा, समझ नही आ रहा था की अन्दर कैसे डालना है,
मेरे एक दोस्त की शादी एक महीने पहले हुई थी, उस से मिला, उसने बताया की पत्नी की गांड के नीचे तकिया रख ले, उसकी टांगो के बीच में बैठ कर लंड को उसकी चूत पर सेट कर ले, घुटने मोड़ दे, फ़िर बैठे बैठे ही उसकी दोनों जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर धक्का लगा कर लंड चूत में पेल दे. सील टूटने दे. इसी को सील टूटना कहते हैं. मैंने उसको नही बताया कि उसकी सील मैं ढीली कर चुका हूँ.
अब टाइम निकलने लगा, रात आई, मेरी बीवी वोही ग्यारह बजे कमरे में आई, धीरे धीरे कपड़े उतारते गए, हम एक दूसरे से चिपकते गए, पसीना चुहचुहाने लगा, उसकी चूत गीली हो चुकी थी, अब वो समय आ गया, जिसके लिए मेरा लंड बाइस साल से तरस रहा था, मैंने वैसलीन कि शीशी का ढक्कन खोला, बीवी कि चूत पर खूब सारी वैसलीन अन्दर तक लगाई, गांड के नीचे तकिया लगाया, उसकी टांगो को फैला कर उनके बीच में बैठ गया, लंड को उसकी चूत पर सेट किया, टांगो को घुटने से मोड़ दिया, आज मेरे लंड उसकी चूत पर एकदम सही सेट हुआ, उसकी जाँघों पर अपना हाथ जकडा, धीर से दमदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसके हाईमन को तोड़ता हुआ डेढ़ इंच अन्दर चला गया।
बीवी बोली कि जलन होने लग रही है, मैंने अपने आपको रोका और बीवी को पूछा कि इतना तो सहन कर सकती हो न, बोली हाँ इतना तो सहन कर लुंगी, अन्दर जाने के अहसास से मेरे लंड में एक नया कड़कपॅन महसूस हो रहा था, मैंने डेढ़ इंच में ही बीवी कि चूत को अपने लंड से सम्भोग किया, धीरे धीरे आसानी से. पहली बार मेरी क्रीम किसी चूत में छूटी थी. पास में से नेपकिन उठा कर उसकी चूत साफ़ की, सिर्फ़ दो बूँद खून और थोडी क्रीम.
अब वापस वो ऊपर और मैं नीचे, अब बिना घुसाए फ़िर घमासान चालू हुआ और जब रुका तो पन्द्रह बीस मिनट शांत पड़े रहे, धीरे धीरे फ़िर दोनों के शरीर में गर्मी आने लगी, अबके जो किस और दबाने का कार्यक्रम चला तो बेधड़क, बिना किसी दर्द के डर के, बिना नयेपन के एहसास के. मुझे पता था कि लंड को अन्दर कैसे जाना है, जीभें एक दूसरे को चाट रही थी, उसकी चूत से पानी टपकने लगा, मैं उसकी टांगो को चौडी करके बीच में बैठ गया, लंड को चूत के छेद पर सेट किया, हलके से धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बीवी के मुंह को दर्द के लिए देखते हुए अपने लंड को अन्दर देता चला गया।
क्या अहसास था लंड के चूत में अन्दर तक जाने का. लंड स्टील की रोड के माफिक सख्त हो गया था, थोड़ा सा कसमसाने के बाद सब कुछ ठीक हो गया, अब मैं पहली बार, लंड बीवी की चूत में दिए उसके ऊपर आ गया, हमारी जीभें एक दूसरे पर फिरने लगी, फ़िर मैं उसके बोबे चूसने लगा, उसकी चूत गीली हो गई, हमारे होंट एक दूसरे के चिपक गए और हमने एक दूसरे को बाँहों में जकड कर जो चक्की चलाई की उसके मुकाबले में क्या कोई भूकंप होगा, सच में आज पूरा मजा आ रहा था, आज पता चल रहा था की क्यूँ अप्सराएं ऋषि मुनियों की तपस्या भंग कर देती थी. दोनों ने अपना अपना काम बखूबी निबटाया. फ़िर पस्त से एक दूजे पर यूँ ही पड़े रहे, इस तरह से सातवें दिन पूरा सम्भोग हुआ.
एक महीने तक हम लोगों का कार्यक्रम रोज रात चार पाँच बार होता था, हम कई बार एक दूर पर ही सो जाते थे, लंड जब देखो खड़़ा ही मिलता था, आज इस बात को सत्ताईस साल हो गए हैं, मेरी बीवी को अब मैं जो कर लूँ वो अपनी तरफ़ से पहल नहीं करती है, मुझे आज भी चार पांच बार डेली मुठ मारनी पड़ती है, मेरे पहले साल एक बेटी और उसके दो साल बाद एक बेटा हुआ लेकिन आज मैं प्यासा हूँ, मुझे कोई साथी चाहिए, बिल्कुल अपनापन सा, प्यारा सा, एक दूसरे को साथ देने वाला,… Sex Stories
मेरा नाम प्रकाश है, 24 Hindi Sex Stories साल का हूँ, हैदराबाद में रहता हूँ और मैं एक अच्छा बॉडी बिल्डर हूँ क्योंकि मैं रोज़ जिम जाता हूँ।
यह कहानी मेरी और मेरी सेक्सी चाची की है।
हमारे घर पर हम 5 लोग रहते है मैं मेरे मम्मी पापा मेरे चाचा और मेरी सेक्सी चाची।
आज से 2 साल पहले मेरा जन्म दिन था और मैंने मेरे घर पर सब को बता दिया था कि आज रात को घर पर पार्टी है और सब लोग समय पर आ जाएँ।
सब के सब घर पर समय पर आ गये और मैंने 9 बजे रात को केक काटा। सब ने मुझे गिफ्ट दिया पर मेरी चाची ने मुझे कोई तोहफ़ा नहीं दिया। जब मैंने चाची को गिफ्ट देने को कहा तो उन्होंने कहा कि सही समय आने पर वो दे देंगी। तो मैं उस समय कुछ नहीं समझा और कुछ दिन बाद मेरे चाचा को उन के काम से शहर से बाहर जाना था और उसी बीच मेरी दादी की तबियत ख़राब हो गई। मेरी दादी गाँव में रहती हैं और मेरे मम्मी पापा को वहाँ जाना था। सभी लोग चले गए और घर पर मैं और मेरी चाची ही थे।
मम्मी और पापा के जाने के बाद मैंने चाची से कहा- मैं मूवी देखने जा रहा हूँ अपने दोस्तों के साथ! शाम को लौटूंगा!
फिर मैं शाम को 5.30 बजे घर आया, चाची ने मुझे खाना दिया। खाना खा कर घूमने के लिए बाहर चला गया और रात को 9 बजे घर आया और फिर चाची ने मुझे खाने के लिए बुला लिया।
चाची ने मुझे पूछा- कौन सी मूवी देखी है?
तो मैंने शरमाते हुए चाची से कहा- मर्डर देखी है।
तो चाची बोली- तो तू इतना क्यों शरमा रहा है?
मैं समझा कि चाची को वो मूवी के बारे में कुछ नहीं पता है और फिर मैंने मजाक में चाची से पूछा- चाची क्या हुआ, एक हफ्ते पहले आप और चाचा डॉक्टर के पास गए थे, क्या हुआ? क्या बोला डॉक्टर ने? आप माँ बनने वाली हैं? और मैं कब भैय्या बोलने वाला का मुँह देखूँगा?
तो चाची एकदम रोने लगी। तो मैंने उनके करीब जाकर पूछा- क्या हुआ चाची? आप क्यों रो रही हैं?
तो उन्होंने कहा- मैं कभी माँ नहीं बन सकती हूँ!
तो मैंने चाची से कहा- ऐसे कैसे नहीं बनेगी आप माँ! ये डॉक्टर लोगों को क्या मालूम कि जो करता है सब ऊपर वाला करता है! चाची खामोश हो गई और फिर मैंने खामोशी को तोड़ते हुए चाची को मजाक मैं कह दिया कि अगर मैं होता तो आपको माँ बना देता!
इस पर चाची ने मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और बोली- धत!
और फिर हम दोनों ने खाना ख़त्म किया और हम लोग सोने चले गए। पर रात को गर्मी के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने जाकर चाची से कहा- क्या मैं यहाँ सो सकता हूँ।
चाची ने कहा- क्यों तुम्हारे कमरे को क्या हुआ?
मैंने कहा- वहाँ बहुत गर्मी हो रही है।
चाची ने कहा- सो जाओ!
मैंने अपना बिस्तर नीचे लगा लिया और सो गया कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा और एक रात चाची ने मुझे कहा- तुम यहाँ मेरे साथ ऊपर सो जाओ।
तो मैंने उनसे कहा- मुझे अकेले ही सोने की आदत है!
चाची ने कहा- मुझे साथ सोने की आदत है पर मैं तो अकेली ही सो रही हूँ, आओ, मेरे साथ सो जाओ!
मैं उनके साथ सोने के लिए ऊपर बिस्तर पर चला गया। पर चाची उस समय सिर्फ ब्रा और पेटिकोट में ही थी। मैंने चाची से कहा- आप तो सिर्फ ब्रा और पेटिकोट में ही सो रही हैं?
तो क्या हुआ! तुम जैसे सोते हो वैसे ही सो जाओ!
मैंने चाची को कहा- मुझे तो सिर्फ अन्डरवीयर में ही सोने की आदत है!
तो चाची ने कहा- तो क्या हुआ, तुम यहाँ भी वैसे ही सो जाओ!
मैं अपने अंडरवीयर पहने ही उनके साथ सो गया। रात को मुझे मेरे पेट पर किसी का हाथ महसूस हुआ, मैंने अपनी आँख खोली तो वो चाची का हाथ था। मैं समझा कि वो नींद में हैं, इसी लिए उनका हाथ मेरे ऊपर आ गया होगा। मैं वैसे ही सो गया और फिर दूसरे दिन भी हम लोग वैसे ही सोये। आज चाची मेरे करीब आई। मैंने चाची को कहा- मुझे नींद नहीं आ रही है। तो हम लोग बातें करने बैठ गए और बातों बातों में मैंने चाची से मेरा गिफ्ट पूछ लिया तो चाची ने कहा कि उनके पास मुझे देने के लिए एक गिफ्ट है जो वो आज मुझे देना चाहती है।
मैंने चाची को कहा- मुझे वो गिफ्ट अभी चाहिए!
तो चाची ने अपनी ब्रा का हूक खोला और कहा- यही है जो मैं तुमको देना चाहती थी।
मैंने चाची से कहा- यह गलत है!
पर चाची ने कहा- तुमने ही तो मुझे कहा था कि तुम मुझे माँ बनाओगे! तो तुम मुझे माँ बना दोगे तो मैं तुम को ये रोज़ दूँगी!
और उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ लिया और जैसे ही उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा तो मेरे बदन मैं एक करंट दौड़ा और मैंने चाची के बूब्स को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया। वो भी गरम हो रही थी, मैंने उनके पेटिकोट का नाड़ा खोला, उन्होंने पेंटी नहीं पहनी हुई थी। फिर मैंने उनकी फुद्दी में अपनी उंगली घुसाई और अन्दर बाहर करने लगा। वो उत्तेज़ना के कारण अजीब आवाजें निकल रही थी आऽऽऽह आऽऽऽ आऽऽअ ऊऽऽ ऊँह श्श्श्श्श्श म्म्म्मम्म आऽऽह और बोल रही थी- और करो और करो!
अब मुझे भी जोश आने लगा था तो मैंने चाची को बेड पर लिटाया और उनकी फुद्दी को अपनी जीभ से चाटने लगा। अब वो और जोश के कारण आऽऽऽ अअऽ अआअ अहहहहः श्श्श्श्श्श अम्म्म्म उम्म्म ऊऊऊऊ कर रही थी!
फिर कुछ देर उनकी फुद्दी को चाटने के बाद उन्होंने मुझ से कहा कि वो झड़ने वाली है, और झड़ गई, मैंने उनका सारा रस पी लिया और वाह दोस्तो, उनका जूस पीने के बाद मुझे तो जैसे नशा सा चढ़ गया। फिर मैंने चाची को मेरा लण्ड चूसने को कहा पर उन्होंने मना कर दिया और कहा कि उन्होंने आज तक किसी का नहीं चूसा है!
मैंने उनसे कहा- मैंने भी आज तक किसी की फुद्दी को नहीं चाटा है, आज मैंने आपकी ही फुद्दी को पहली बार चाटा है।
मेरे ऐसा कहने के बाद उन्होंने मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। वाह दोस्तो, उन्होंने मेरा लण्ड ऐसे चूसा जैसे कोई छोटा बच्चा लॉलीपॉप चूसता है। कुछ देर मैंने चाची से कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि मैं उनके मुँह में झड़ जाऊँ!
मैंने उनके मुँह में एक लम्बी पिचकारी मारी जिससे उनका मुँह मेरे वीर्य से भर गया और उन्होंने मेरा सारा वीर्य पी लिया।
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैं चाची के स्तन चूसने लगा और इसी बीच मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया, मैंने चाची से कहा- मैं तैयार हूँ!
उन्होंने अपनी टाँगें फ़ैलाई और मैंने अपना लण्ड उनकी फुद्दी के द्वार पर रख कर एक धक्का मारा जिससे मेरा आधा लण्ड उनकी फुद्दी में घुस गया और उन्होंने मेरे कान में चुपके से कहा की ज़रा धीरे!
मैंने एक और धक्का मारा, चाची के मुँह से एक छोटी सी चीख निकली और फिर मैंने अपना काम चालू किया। मैं जैसे जैसे स्पीड बढ़ाता, चाची जोश में आयी और उनके मुँह से आवाजें निकलती- ऊऊऊऊ अहहहाहा श्श्श्श्श्श्श म्म्म्म्म् म्म्मम्म अहह हहहहः और कहती- और जोर से! और जोर से!
फिर मैंने चाची को कुतिया बनाया और उनके पीछे से मारना चालू किया। वो और भी मज़े लेने लगी और जोश के कारण श्श्श्श्श्श्श अहहह म्म्म! और कहती- और डालो! और डालो! आज फाड़ दो अपनी चाची की फुद्दी!
और फिर 25 मिनट की चुदाई के बाद मैंने चाची से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ!
तो उन्होंने कहा- तू मेरी फुद्दी में ही झाड़ना!
तो मैंने उनके फुद्दी में एक लम्बी पिचकारी मारी।
हम दोनों ने उस रात कई बार चुदाई की और आज चाची एक बच्चे की माँ बन चुकी है।
जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं चाची को चोदता हूँ और वो मुझसे बड़े मज़े से चुदवाती है।
मुझे मेल करो! Hindi Sex Stories
मेरे सारे प्यारे Sex Stories दोस्तों को मेरा सेक्सी सलाम! आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, मैं इसे पहली बार नेट पे डाल रहा हूँ।
मेरा नाम राहुल है और मैं गुजरात में सूरत का रहने वाला हूँ। मैं एक 32 साल का युवक हूँ और दिखने काफी स्मार्ट और लम्बा चौड़ा हूँ।
मेरी कहानी आज से चार साल पहले की है। मेरी एक चाची है, उसका नाम सोनिया है जो एक विधवा औरत है। काफी सालों पहले मेरे चाचा का देहांत हो गया था। अभी चाची की उम्र करीब चालीस साल है लेकिन दिखने में 28-30 की लगती हैं। हालांकि उनकी दो लड़कियाँ हैं दोनों सुन्दर और सेक्सी हैं।
पहले मैं चाची के बारे में सोच-सोच कर मुठ मारता था। चाची के घर मैं कभी-कभी जाता था और उनको देख-देख के लम्बी-लम्बी साँसें भरता था।
एक दिन दोपहर को चाची का फ़ोन आया कि घर पर नया एसी लिया है जो इंस्टाल करवाना है। मैं तुंरत ही पहुँच गया, देखा के डीलर के यहाँ से दो लोग आये थे और आंटी के कमरे में एसी लगाने के बारे में बातचीत कर रहे थे।
इतने में मैं पहुंचा तो चाची ने मुझसे पूछा- राहुल इसको कहाँ डलवायेंगे?
मैंने कहा- जहाँ आपकी मर्जी हो, डलवा लो!
यह सुनकर वो तिरछी नजरों से मुझे देखने लगी। लेकिन उस वक्त कुछ नहीं हुआ। कुछ दिन बाद मुझे फिर से उनका फोन आया कि एसी में कुछ गड़बड़ है, तो मैं चला गया।
मैंने देखा कि चाची कमरे में अकेली है और किसी से फोन पर बातें कर रही हैं। उतने में उनके हाथ से कॉर्डलेस फोन गिर गया और वो उसे उठाने के लिए नीचे झुकी…
माय गॉड! क्या नजारा था… उनके सफ़ेद स्तन जो कि पारदर्शक साड़ी से बाहर आने के लिए तड़प रहे थे, उन्हें मैंने देख लिया और तुंरत ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
चाची की अनुभवी नजरों ने यह देख लिया और मेरी तरफ एक हल्की सी मुस्कान दी। मैंने भी सामने मुस्करा दिया। उस वक्त दोपहर के करीब ढाई बजे थे और घर में कोई नहीं था। हम दोनों के अलावा। चाची ने मुझे बैठने को कहा और सीधा ही पूछ लिया- क्या देख रहा था?
मैंने बिना घबराए जवाब दिया- आपको और आपके शरीर को देख रहा था, जो कि बहुत ही सुन्दर है।
चाची का फिगर बहुत बढ़िया है, उनके स्तन ऊपर की तरफ उठे हुए और 42 साइज़ के हैं। गांड का आकार भी करीब उतना ही होगा और उसका रंग एक दम दूधिया है जिसे देखकर कोई भी चूतिया मुठ मार लेगा तुरंत उसी स्थान पर!
चाची ने फिर मुझे कहा- तूने कभी मेरे बारे में सोचा है कि मैं कैसे रहती हूँ? (चाची की दोनों लड़कियाँ हॉस्टल में पढ़ती हैं। उनकी कहानी बाद में)
मैंने जवाब दिया- बहुत मुश्किल होता है अकेले रहना और जीना!
मेरे इतना कहने पर चाची मुझसे लिपटकर रोने लगी और कहने लगी- मेरा जीवन दुशवार हो गया है, तुम्हें क्या मालूम कि औरत के क्या-क्या ख्वाब होते हैं!
मैंने कहा- मुझे पता है!
और वो सुनने के बाद खुश हो गई।
मैंने सारी शर्म छोड़ कर कहा- मैं आपको नंगा देखना चाहता हूँ!
वो जल्दी ही मान गई।
उसने कहा- रुको और वो अपने कमरे में चली गई, वहाँ से लौटी तो उसने पारदर्शी कपड़े पहने थे। उसे देख कर मैं उनसे लिपट गया और चूमने लगा।
उसने कहा- रुक जाओ मेरे राजा! धीरे धीरे करो!
थोड़ी ही देर में उनका पेटीकोट बिल्कुल ऊपर तक आ चुका था। शायद वो चड्डी नही पहनती थीं, जिस कारण उनकी चूत मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी जिस पर हल्के से बाल थे।
उनकी चूत देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी जांघ पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया और उनके जिस्म के भी रोंगटे खड़े हो गए थे, थोड़ी ही देर में उन्होंने करवट ले ली और अब उनकी चूत के दर्शन मुझको साफ़ तरीके से होने लगे थे। तो मैंने भी देर ना करते हुए उनके गड्ढे में अपनी एक ऊँगली डालना शुरू कर दी पर उनकी चूत बहुत ही टाईट थी जिस वजह से मैं और पागल हो चुका था और थोड़ी देर में मैंने एक ऊँगली से दो उँगलियाँ उनकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दी।
मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। मैंने उनकी चूत में लण्ड डालना चाहा, वो बोली- रुक जा यार! और मेरा लण्ड पकड़ के मुंह में ले लिया खूब जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में बोली- मेरे से रहा नहीं जाता, प्लीज़, मुझे पलंग में पटक कर चोद! प्लीज़ चोद! प्लीज़ चोद! यार चूत में बहुत खुजली हो रही है!
मैंने कहा- चाची, मैं अभी सीधा लण्ड आपकी चूत में नहीं डालूँगा!
तो बोली- क्या करेगा ?
मैंने कहा- आप पलंग के कोने पे पैर फैला के रखो, मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है!
वो खुश हो गई- यार! पहली बार कोई मेरी चूत चाटेगा! चाट ले… जल्दी से चाट… चाट!
करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत और उसने मेरा लण्ड चाटा।
फ़िर बोली- तुम सामने सोफे पे बैठ जाओ। मैं सोफे पे बैठ गया और वो मेरे ऊपर इंग्लिश स्टाइल में बैठ गई और मेरा लण्ड अपनी चूत में डालकर पागलों की तरह गोद में कूद रही थी।
तब मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर चुचूकों को मसलते हुए उनके होटों को चूमा और बोला- अरे मेरी रानी! इतनी भी क्या जल्दी है? पहले मैं ज़रा तुम्हारे सुन्दर नंगे बदन का आनन्द तो उठा लूं! फ़िर तुम्हें जी भर के चोदूंगा।
मैंने उन्हें पलंग पर लिटा कर अपना सुपारा उनकी पहले से ही भीगी चूत के दरवाजे के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपारे को ही अन्दर किया।
सोनिया चाची ने मेरे फ़ूले हुए सुपारे को अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटका दिया और मेरा आठ इन्च का लण्ड पूरा का पूरा उनकी चूत में घुस गया।
तब चाची ने एक आह सी भरी और बोली- आह! क्या शान्ति मिली तुम्हारे लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर। यह अच्छा हुआ, मुझे बहुत दिन से इच्छा थी कि किसी लम्बे लण्ड से चुदने की, आज वो पूरी हो गई। नहीं तो मेरी इच्छा पूरी नहीं होती।
अब मैं अपना लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। उन्होंने पहले कभी अपनी चूत में इतना मोटा लण्ड कभी नहीं घुसवाया था। शायद चाचा का लण्ड छोटा होगा, उन्हें कुछ तकलीफ़ हो रही थी। मुझे भी उनकी चूत काफ़ी टाईट लग रही थी। मैं मस्त हो कर उनकी चूत चोदने लगा।
वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गई और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गई। अब मैं और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा।
चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।
कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार स्खलित हो चुकी थी।
उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग तरीकों से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।
इस तरह मैंने चाची की चूत की प्यास बुझाई। उसके बाद मैंने चाची की दोनों लड़कियों को बारी बारी चोदा, लेकिन वो कहानी बाद में!
पहले इस कहानी के बारे में अपनी राय लिखें! Sex Stories
मैं उन दिनों गांव में Hindi Sex Stories अपनी दीदी के घर आया हुआ था. उनके पास काफ़ी जमीन थी, जीजा जी की उससे अच्छी आमदनी थी. उनकी लड़की कमली भी जवान हो चली थी. कमली बहुत तेज लड़की थी, बहुत समझदार भी थी. मर्दों को कैसे बेवकूफ़ बनाना है और कौन सा काम कब निकालना है वो ये अच्छी तरह जानती थी.
एक दिन सवेरे जीजू की तबीयत खराब होने पर उन्हें दीदी शहर में हमारे यहाँ पापा के पास ले गई. हमारे गांव से एक ही बस दोपहर को जाती थी और वही बस दूसरे दिन दोपहर को चल कर शाम तक गांव आती थी.
कमली और मैं दीदी और जीजू को बस पर छोड़ कर वापस लौट रहे थे. मुझे उसे रास्ते में छेड़ने का मन हो आया. मैंने उसके चूतड़ पर हल्की सी चिमटी भर दी. उसने मुझे घूर कर देखा और बोली- खबरदार जो मेरे ढूंगे पर चिमटी भरी…’
‘कम्मो, वो तो ऐसे ही भर दी थी… तेरे ढूंगे बड़े गोल मटोल है ना…’
‘अरे वाह… गोल मटोल तो मेरे में बहुत सी चीज़ें है… तो क्या सभी को चिमटी भरेगा?’
‘तू बोल तो सही… मुझे तो मजा ही आयेगा ना…’ मैंने उसे और छेड़ा.
‘मामू सा… म्हारे से परे ही रहियो… अब ना छेड़ियो…’
‘कमली! थारे बदन में कांई कांटा उगाय राखी है का’
‘बस, अब जुबान बंद राख… नहीं तो फ़ेर देख लियो…’
उसकी सीधी भाषा से मुझे लगा कि यह पटने वाली नहीं है. फिर भी मैंने कोशिश की… उसकी पीठ पर मैंने अपनी अन्गुली घुमाई. वो गुदगुदी के मारे चिहुंक उठी.
‘ना कर रे… मने गुदगुदी होवे…’
‘और करूँ कई… मने भी बड़ो ही मजो आवै…’ और मैंने उसकी पीठ पर अंगुलियाँ फिर घुमाई. उसकी नजरे मुझ पर जैसे गड़ गई, मुझे उसकी आँखों में अब शरारत नहीं कुछ और ही नजर आने लगा था.
‘मामू सा… मजा तो घणो आवै… पर कोई देख लेवेगो… घरे चाल ने फिर करियो…’
उसे मजा आने लगा है यह सोच कर एक बार तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. उसका मूड परखने के लिये रास्ते में मैंने दो तीन बार उसके चूतड़ो पर हाथ भी लगाया, पर उसने कोई विरोध नहीं किया.
घर पहुंचते ही जैसे वो सब कुछ भूल गई. उसने जाते ही सबसे पहले खाना बनाया फिर नहाने चली गई. मैंने बात आई गई समझते हुये मैंने अपने कपड़े बदले और बनियान और पजामा पहन कर पढ़ने बैठ गया. पर मन डोल रहा था. बार बार रास्ते में की गई शरारतें याद आने लगी थी.
इतने में कमली ने मुझे आवाज दी- मामू सा… ये पीछे से डोरी बांध दो…’
मैं उसके पास गया तो मेरा शरीर सनसनी से भर गया. उसने एक तौलिया नीचे लपेट रखा था मर्दो वाली स्टाईल में… और एक छोटा सा ब्लाऊज जिसकी डोरियाँ पीछे बंधती हैं, बस यही था. मैंने पीछे जा कर उसकी पीठ पर अंगुलियाँ घुमाई…
‘अरे हाँ मामू सा… आओ म्हारी पीठ माईने गुदगुदी करो… मजो आवै है…’
‘तो यह… ब्लाऊज तो हटा दो!’
‘चल परे हट रे… कोई दीस लेगा!’ उसकी इस हाँ जैसी ना ने मेरा उत्साह बढ़ा दिया.
‘अठै कूण है कम्मो बाई… बस थारो मामू ही तो है ना… और म्हारी जुबान तो मैं बंद ही राखूला!’
‘फ़ेर ठीक है… उतार दे…’
मैंने उसका छोटा सा ब्लाउज उतार दिया. फिर उसकी पीठ पर अंगुलियों से आड़ी तिरछी रेखाएँ बनाने लगा. उसे बड़ा आनन्द आने लगा. मेरा लण्ड कड़क होने लगा.
‘मामू सा, थारी अंगुलियों माणे तो जादू है…’ उसने मस्ती में अपनी आंखें बंद कर ली.
मैंने झांक कर उसकी चूचियाँ देखी. छोटी सी थी पर चुचूक उभार लिये हुये थे. अभी शायद उत्तेजना में कठोर हो गई थी और तन से गये थे. मैंने धीरे से अंगुलियाँ उसके चूतड़ों की तरफ़ बढा दी और उसके चूतड़ों की ऊपर की दरार को छू लिया. उसे शायद और मजा आया सो वह थोड़ा सा आगे झुक गई, ताकि मेरी अंगुलियाँ और भीतर तक जा सके. उसका बंधा हुआ तोलिया कुछ ढीला हो गया था. मैंने हिम्मत करके अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर सरकाते हुये उसकी चूंचियों की तरफ़ आ गया और उसकी एक एक चूची को सहला दिया. कमली ने मुझे नशीली आंखों से देखा और धीरे से मेरी अंगुलियाँ वहाँ से हटा दी. मैंने फिर से कोशिश की पर इस बार उसने मेरे हाथ हटा दिये.
कुछ असमंजस में मुझे घूरने लगी .
‘बस अब तो घणा होई गयो… अब… अब म्हारी अंगिया पहना दो…’
‘अह… अ हाँ लाओ’
मुझे लगा कि जल्दबाजी में सब कुछ बिगड़ गया. उसने अपने चूतड़ तक तो अंगुलियाँ जाने दी थी… अब तो वो भी बात गई… उसने अपना ब्लाऊज ठीक से पहना और भाग कर भीतर कमरे में बाकी के कपड़े पहनने चली गई.
रात को मैं कमली के बारे में ही सोच रहा था कि वो दरवाजे पर खड़ी हुई नजर आ गई.
‘आओ कम्मो… अन्दर आ जाओ!’ उसकी आँखों में जैसे चमक आ गई. वो जल्दी से मेरे पास आ गई.
‘मामू सा… आपरे हाथ में तो चक्कर है… मने तो घुमाई दियो… एक बार और अंगुलियाँ घुमाई दो!’ उसकी आँखों में लगा कि वासना भरी चमक है. मेर लण्ड फिर से कामुक हो उठा.
‘पर एक ही जगह पर तो मजो को नी आवै… जरा थारे सामणे भी तो करवा लियो…’ मैंने अपनी जिद बता दी. यदि चुदाई की इच्छा होगी तो इन्कार नहीं करेगी. वही हुआ…
‘अच्छा जी… कर लेवो बस…’
उसकी इजाजत लेकर मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और अपनी अंगुलियाँ उसके बदन पर घुमाने लगा. उसका ब्लाऊज मैंने उतार दिया और अपनी अंगुलियाँ उसकी चूचियों पर ले आया और उससे खेलने लगा. मेरे ऊपर अब वासना का नशा चढ़ने लगा था. उसकी तो आंखें बंद थी और मस्ती में लहरा रही थी. मेरा लण्ड कड़ा हो कर फ़ूल गया था. जब मुझसे और नहीं रहा गया तो मैंने दोनों हाथों से उसके बोबे भींच डाले और उसे बिस्तर पर लेटा दिया.
‘ये कांई करो हो… हटो तो…’ उसे उलझन सी हुई.
‘बस कमली… आज तो मैं तन्ने नहीं छोड़ूंगा… चोद के ही छोड़ूंगा!’
‘अरे रुक तो… यु मती कर यो… हट जा रे…’ उसका नशा जैसे उतर गया था.
‘कम्मो… तु पहले ही जाणे कि म्हारी इच्छा थारे को चोदवां की है?’
‘नहीं वो आप, मणे अटे दबावो, फ़ेर वटे दबावो… सो मणे लागा कि यो कांई कर रिया हो, फेर जद बतायो कि चोदवा वास्त कर रिओ है तो वो मती करो… माणे अब छोड़ दो… थाने म्हारी कसम है!’
मैंने तो अपना सर पकड़ लिया, सोचा कि मैं तो इतनी कोशिश कर रहा हू और ये तो चुदना ही नहीं चाहती है. मैंने उसका घाघरा और ब्लाऊज उतारने की कोशिश की. पर वो अपने आप को बचाती रही.
‘मामू सा… देखो ना कसम दी है थाणे… अब छोड़ दो!’
पर मेरे मन में तो वासना का भूत सवार था. मैंने उसका घाघरा पलट दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अब मैंने उसे अपनी बाहों में दबा कर चूमना चालू कर दिया. मेरा लण्ड उसकी चूत पर बहुत दबाव डाल रहा था. छेद पर सेटिंग होते ही लण्ड चूत में उतर गया. कमली ने तड़प कर लण्ड बाहर निकाल लिया.
‘मां… मने मारी नाक्यो रे… आईईई…’ मैंने फिर से उसे दबाने की कोशिश की.
‘देख कमली , थाने चोदना तो है ही… अब तू हुद्दी तरह से मान जा…’
‘और नहीं मानी तो… तो महारा काई बिगाड़ लेगो…’
‘तो फिर ये ले…’ मैंने फिर से जोर लगाया और लण्ड सीधा चूत की गहराईयों में उतरता चला गया…
‘हाय्… मैया री माने चोद दियो रे… अच्छा रुक जा… मस्ती से चोदना!’
मैं एक दम से चौंक गया. तो ये सब नाटक कर रही थी… वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
‘कम्मो, जबरदस्ती में जो मजा आ रहा था… सारा ही कचरो कर मारा!’
‘अबे यूं नहीं, म्हारे पास तो आवो, थारा लवड़ा चूस के मजा लूँ… ध्हीरे सू करो… ज्यादा मस्ती आवैगी!’
उसने मुझे अपने पास खींचा और मेरा फ़नफ़नाता हुआ लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैं मस्ती में झूम हो गया, मैं अपनी कमर यूं हिलाने लगा कि जैसे उसके मुँह को चोद रहा हूँ. मेरे लण्ड को अच्छी तरह चूसने के बाद अब वो लेट गई. उसने अपनी योनि मेरे मुँह के पास ले आई और अपनी टांगें ऊपर उठा दी… उसकी सुन्दर सी फ़ूली हुई चूत मेरे सामने आ गई. हल्के भूरे बाल चूत के आस पास थे… उसकी चूत गीली थी… मैंने अपनी जीभ उसकी भूरी सी और गुलाबी सी पंखुड़ियों पर गीलेपन पर रगड़ दी, मुझे एक नमकीन सा चिकना सा अहसास हुआ… उसके मुख से सिसकारी निकल गई.
‘आह्ह्ह मामू सा… मजो आ गयो… और करो…’ कमली मस्ती में आ गई.
मैंने अपनी जीभ उसकी गीली योनि में डाल दी. उसकी चूत से एक अलग सी महक आ रही थी. तभी उसका दाना मुझे फ़ड़फ़ड़ाता हुआ नजर आ गया. मैं अपने होठों से उसे मसलने लगा.
‘ओई… ओ… मेरी निकल जायेगी… धीरे से…चूसो…!’ वो मस्ती में खोने लगी थी. हम दोनों एक दूसरे को मस्त करने में लगे थे…
तभी कमली ने कहा- मामू सा लण्ड में जोर हो तो म्हारी गाण्ड चोद ने बतावो!’
‘इसमें जोर री कांई बात है… ढूंगा पीछे करो… और फ़ेर देखो म्हारा कमाल…!’
कम्मो ने पल्टी मारी और बिस्तर पर कुतिया बन गई. उसके दोनों सुन्दर से गोल गोल चूतड़ उभर कर मेरे सामने आ गये. मैंने उन्हें थपथपाया और दोनों चूतड़ हाथों से और अधिक फ़ैला दिए. उसका कोमल सा भूरा छेद सामने आ गया. मैंने पास पड़ी कोल्ड क्रीम उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया और अपना मोटा सा लण्ड का सुपाड़ा उस पर रख दिया.
‘मामू सा नाटक तो मती करो… म्हारी गाण्ड तो दस बारह मोटे मोटे लण्ड ले चुकी है… बस चोदा मारो जी… मने तो मस्ती में झुलाओ जी!’
मैं मुस्करा उठा… तो सौ सौ लौड़े खा कर बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ कर रही है. मैंने एक ही झटके में लण्ड गाण्ड में उतार दिया. सच में उसे कोई दर्द नहीं हुआ, बल्कि मुझे जरूर लग गई. मैं उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा. मुझे तो टाईट गाण्ड के कारण तेज मजा आने लगा. मेरी रफ़्तार बढ़ती गई.
फिर मुझे उसकी चूत की याद आई. मैंने उसी स्थिति में उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया… सच मानो चूत का में लण्ड घुसाते ही चुदाई का मधुर मजा आने लगा. चूत की चुदाई ही आनन्द दायक है… कम्मो को भी तेज मजा आने लगा. वो आनन्द के मारे सिसकने लगी, कभी कभी जोर का धक्का लगता तो खुशी के मारे चीख भी उठती थी. उसके छोटे छोटे स्तनो को मसलने में भी बहुत आनन्द आ रहा था.
‘मामू… ठोको, मने और जोर सू ठोको… म्हारी तो पहले सु ही फ़ाट चुकी है और फ़ाड़ नाको…’
‘म्हारी राणी जी… मजो आ रियो है नी… उछल उछक कर थारे को ठोक दूंगा… पूरा के पूरा लौड़ा पीव लो जी!’
‘मैया री… लौड़ो है कि मोटो डाण्डो लगा राखियो है… मजो आ गियो रे… दे मामू सा…चोद दे!’
मेरा लण्ड उसकी चूत में तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था. मेरा लण्ड में अब बहुत तरावट आ चुकी थी. वह फ़ूलता जा रहा था. उसकी चूत की लहरें मुझे महसूस होने लगी थी. उसने तकिया अपनी छाती से दबा लिया और मेरा हाथ वहाँ से हटा दिया.
तभी उसकी चूत लप लप कर उठी… ‘माई मेरी… चुद गई… हाई रे… मेरा निकला… मामू सा… मेरा निकला… गई मैं तो… उह उह उह.’
उसका रज छूट पड़ा. मेरा भी माल निकला हो रहा था. मैंने समझदारी से लण्ड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा. एक दो मुठ मारने पर ही मेरा वीर्य पिचकारी के रूप में उछल पड़ा. लण्ड के कुछ शॉट ने मेरा वीर्य पूरा स्खलित कर दिया था. मैं पास ही में बैठ गया.
‘तू तो लगता है खूब चुदी हो…’
‘हाँ मामू सा… क्या करूँ… मेरे कई लड़के दोस्त हैं… चुदे बिना मन नहीं लागे… और वो छोरा… हमेशा ही लौड़ा हाथ में लिये फिरे… फिर चुदने की लग ही जावे के नहीं!’
‘तब तो आपणे घणी मस्ती आई होवेगी…’ मैंने उसकी मस्ती के बारे पूछा.
‘छोड़ो नी, बापु और बाई सा तो काले हाँझे तक आ जाई, अब टेम खराब मती कर… आजा… लग जा… फ़ेर मौका को नी मिलेगा!’ उसके स्वर में ज्वार उमड़ रहा था.
अब हम दोनों नंगे हो कर बिस्तर पर लेट गये थे और प्यार से धीरे धीरे एक दूसरे को सहला रहे थे. जवान जिस्म फिर से पिघले जा रहे थे… जवानी की खुशबू से सरोबार होने लगे थे… नीचे छोटा सा सात इंच का कड़क शिश्न योनि में घुस चुका था. हम दोनों मनमोहक और मधुर चुदाई का आनन्द ले रहे थे. ऐसा लगता था कि ये लम्हा कभी खत्म ना हो… बस चुदाई करते ही जायें… Hindi Sex Stories
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