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Massage Girl in Bhadrak: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bhadrak who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bhadrak that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bhadrak massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bhadrak who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bhadrak massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bhadrak massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bhadrak who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bhadrak employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bhadrak helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bhadrak

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bhadrak at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

प्रेषक : राकेश
अभी तक आपने पहले दो भागों में पढ़ा Antarvasna कि प्रिया की मैंने पहली बार कैसे चुदाई की थी। वो पूरी तरह से संतुष्ट होकर मेरे घर से गयी थी। अब आगे की कहानी और जानें कि आगे की चुदाई कैसे हुई।

शाम को मैं करीब 8:30 पर खाना खा करके फ़्री हुआ और प्रिया के आने का इंतज़ार करने लगा करीब 8:45 पर अनिल प्रिया को लेकर आ गया और उसे छोड़कर चला गया और बोला मैं काम निबटाकर जल्दी से आता हूं अगर देर हो जाये तो मेरा इंतज़ार करना घबराना नहीं राजू शरीफ़ आदमी है।

प्रिया ने आज प्रिंटेड बलोउस, लाईट कलर की साड़ी और और अंदर गहरे रंग का ब्लाउज़ पहना था। उससे अंदर के कपड़े का आइडिया मुझे नहीं लग पाया।

प्रिया और मैं फ़िर पेपर तैयार करने में लग गये, पर आज मैं थोड़ा मस्ती के मूड में था तब भी हमारा काम एक घंटे में हो गया।

मैं आज बीच में दो तीन बार प्रिया की कभी जांघ पर तो कभी उसकी कमर पर और कभी उसके ब्लाउज़ के बाहर से उसके बूब्स पर छू रहा था।

प्रिया मुझे रोक देती और कहती अरे पहले काम पूरा करने दो फ़िर अगर मौका मिला तो मैं मना थोड़े ही कर सकती हूं।

जब काम पूरा हो गया तो मैं अब प्रिया के साथ मस्ती के मूड में था पर कोई सिग्नल प्रिया ने नहीं दिया तो मैं उसे एम्ब्रस नहीं करना चाहता था।

प्रिया से मैंने पूछा- आज जब अनिल तुमको छोड़ कर गये तो उसने ये क्यों बोला की राजु शरीफ़ आदमी है।

तब प्रिया बोली- कल अनिल मुझसे बोल रहे थे कि राजू बहुत ही बेवकूफ़ है अगर उसे मौका मिलता (किसी की वाइफ़ के साथ अकेले रहने का) तो वह जरूर मौके का फ़ायदा उठाता।

फ़िर प्रिया बोली- जब मैंने कहा कि अगर औरत ने गड़बड़ कर दी तो वह बोल रहे थे कि अगर वह किसी औरत को एक्साइट करे तो वह मना कर ही नहीं सकती है।

प्रिया फ़िर बोली- इसीलिये मुझे भी उनकी बात सुनकर मरदों की मानसिकता के बारे में पता चल गया और वह कोई गलती नहीं कर रही है और मैं भी ऐसा न करूं।

अब मैंने कहा- ये बात तो ठीक है पर आपको तो मालूम है न मैं भी बड़ा कमीना हूं और आज तो मैं अब तुमको इस समय नहीं छोड़ सकता हूं जब दोनों फ़्री हैं।

प्रिया कुछ ज्यादा नहीं बोली तो मैंने कहा- पर आज मैं तुमको पूरी तरह से प्यार करना चाहता हूं क्योंकि आज हमारे पास टाइम काफ़ी है।

फ़िर मैं प्रिया का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर ले आया, और उसे आराम से चूमते हुए उसकी इच्छा जानने की कोशिश करने लगा.
प्रिया बोली- हाँ राज आज मैं चाहती हूं कि तुम मुझे ऐसे प्यार करो जैसे अनिल पहले पहले किया करते थे।

मैं बोला- चलो पहले ऐसा करते हें एक दूसरे के कपड़े उतारते हैं मुझे महाभारत की दरौपदी की तरह अपनी पार्टनर के कपड़े उतारने में बड़ा मज़ा आता है और अगर वह विरोध करे तो और मज़ा आता है। क्या मैं स्टार्ट करूं,

प्रिया बोली- नहीं पहले मैं तुम्हारे कपड़े उतारुंगी, अगर मेरे कपड़े पहले उतर गये तो तुम मुझे मौका ही कहाँ दोगे, मैं मर्दों की आदत जानती हूँ।

मैंने कुरता पायजामा पहना था और प्रिया ने एक झटके मेरे कुरता और बनियान खींचकर मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया और तब तक मैंने भी अपना अंडरवियर नीचे कर दिया।

प्रिया ने मेरे लंड को देखकर थोड़ा हैरान सी हुई मैं जानता था कि उसे तो अनिल के लम्बे लंड की आदत थी न और फ़िर मेरा लंड उस समय खड़ा भी नहीं था।

फ़िर मैंने प्रिया के साड़ी के पल्लू को खींचना शुरु किया और प्रिया घूम घूम कर अपनी साड़ी उतारने लगी।
जब साड़ी उतर गयी तो मैंने प्रिया को पकड़ कर उसके ब्लाउज़ के हुक एक एक करके खोलकर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया।

उसी समय अनिल का फोन आया तो मैं समझा कि आज तो काम का सत्यानाश हो गया पर अनिल ने पूछा कितना काम बाकी है तो मैंने कहा आधे से थोड़ा कम!

तो अनिल बोला- आराम से काम कर लो मुझे अभी एक घंटा और लगेगा मैं 11:00 बजे तक आऊँगा।

प्रिया ने कहा- ठीक है, पर जल्दी की कोशिश करना ज्यादा लेट से सभी परेशान होंगे।

अब तो हम और भी रिलेक्स हो गये प्रिया ने अंदर सफ़ेद ब्रा पहन रखी थी उसकी ब्रा एकदम टाइट थी और उसके बूब्स उसके अंदर कैद हो गये थे।

मैंने एकदम से प्रिया को पकड़ कर उसकी टांगों को पेटीकोट सहित अपनी टांगों के बीच फ़ंसाकर उसे जकड़ लिया और फ़िर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया जैसे ही उसकी ब्रा से उसके बूब्स आज़ाद हुए ऐसा लगा जैसे कोई धमाका हुआ उसके बूब उछलकर मेरे सामने आ गये।

क्या टाइट गोल एकदम क्रिकेट बाल की तरह ही लाल, मन तो कर रहा था कि एक झटके में दोनों को मसल दूं पेर मैं उसे पूरा नंगा करना चाहता था।

उसके बाद मैंने प्रिया के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया पर उसका पेटीकोट नीचे नहीं आया।

उसके पेटीकोट में इलास्टिक लगी हुई थी इसलिये वो नीचे नहीं गिरा तो मैंने उसके पेटीकोट को नीचे को जोर से खींचा तो उसका काले रंग का पेटीकोट एकदम नीचे आ गया।

जैसे ही प्रिया का पेटीकोट नीचे हुआ मेरी तो मस्ती का ठिकाना ही नहीं रहा जब मैंने देखा कि प्रिया ने तो पैंटी पहनी ही नहीं थी।

अब हम दोनों एकदम नंगे हो गये थे, प्रिया ने आज शायद अपनी चूत साफ़ की थी इसीलिये उसके पूरी बोडी पर सर के सिवा कहीं एक बाल भी नज़र नहीं आ रहा था।

जब तक मैं प्रिया के बदन पर नज़रें फ़ेर पाता प्रिया मेरे लंड को देखकर बोली अरे ये तो बहुत छोटा है चलो मैं अभी इसे तैयार करती हूं और उन्होंने उसको धीरे से पकड़ा और उसके टोपे (टोप) पर अपनी जीभ से लिक करने लगी।

मुझे बड़ी सरसराहट सी होने लगी, प्रिया बीच में मेरे लंड के टोपे को अपने लिप्स से भी दबा देती। इससे मेरे लंड का साइज़ अब बढ़ने लगा तो प्रिया ने भी उसे अपने मुंह के अंदर लेना शुरु कर दिया और मुझे ये बड़ा अजीब लग रहा था।

ऐसा मैंने केवल कुछ ब्लू फिल्म्स में ही देखा था और मैं ये नहीं सोच सकता था कि किसी दिन मेरे साथ भी ऐसा होगा।

मैं ये भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि एक सीधी साधी औरत प्रिया ऐसा कर सकती है, पर उसका पति अनिल बड़ा स्मार्ट, हैंडसम और हरामी भी है उसने उसको ट्रैंड कर रखा था।

मैं तो सेक्स का मतलब बस चुदायी तक ही समझता था और जब ऐसा सीन मैंने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था तो मुझे उल्टी सी आने लगी थी। पर आज जब मेरे साथ ये हो रहा था तो बड़ा मज़ा आ रहा था यहाँ तक कि मुझे इस में अब प्रिया की चुदायी से ज्यादा आनंद आ रहा था बेसौसे इसमे मुझे कोई ताकत नहीं लगानी पड़ रही थी।

जैसे जैसे मेरे लंड का साइज़ बढ़हा गया प्रिया ज्यादा मस्त होने लगी और अब जब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया तो वह मेरे लंड को लेमन जूस वाली टोफ़ी की तरह से चूसने लगी।

दोस्तों जब वह मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करती तो मुझे तो उसमें अब तक की गयी चुदायी से ज्यादा मज़ा आने लगा था। मैं जोश में कभी कभी प्रिया के मुंह को उसकी चूत समझ कर चुदायी वाले एक्शन में अपना लंड उसके मुंह में डाल देता था।

प्रिया मेरे लंड को पूरा खाने वाली स्टाइल में मुंह में लिये हुए थी और कभी मुंह से बाहर निकाल देती और फ़िर पूरा मुंह में ले लेती। मस्ती में वह कभी कभी मेरे लंड को दांतों से भी दबता देती ऐसे में मेरी तो चीख ही निकल गयी तो घबरा कर प्रिया थोड़ा ढीली हो गयी।

फ़िर प्रिया ने मेरे लंड को जड़ से पकड़ कर कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया।
थोड़ी देर में प्रिया ने मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी।
कभी वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के टोपे पर लिप्स रखकर उसे चूसने लगी।

ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे मेरी सांसें ही बंद हो जायेंगी। पर प्रिया मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती।

मेरे लिये सेक्स का ये अलग एक्सपेरिएंस था पर था बड़ा मज़ेदार एक्सपेरिएंस।

प्रिया की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी और वह मेरे लंड को कैंडी आइस क्रीम की तरह उसे कर रही थी मुझे भी थोड़ा बहुत डर के बावजूद बड़ा मज़ा आ रहा था।

यारों, सेक्स में पता नहीं क्यों दर्द में ही मज़ा आता है जैसे किसी कड़वी दवा से ही आराम मिलता है।

प्रिया की मस्ती तो बढ़ रही थी पर अब मेरे लंड के अंदर से फ़्लो बाहर को होने का अहसास सा हुआ तो मैंने चिल्लाकर कहा- प्रिया अब नहीं रुका जरा है, रुको।

प्रिया तो पुप्रिया खिलाड़ी थी, उसने लंड से मुंह हटा लिया और मेरे लंड के टोपे को हाथ से दबाकर बोली- लल्ला चिंता न करिये मैं तो तुम्हारा ये आइस क्रीम खाने के लिये पूरी तरह तैयार हूं और इसके बाद उसने मेरे लंड को पूरा मुंह के अंदर ले लिया।

इसके तुरंत बाद मेरे लंड से हुई सारी बरसात प्रिया के मुंह के रास्ते उसके पेट में चली गयी।
जब मेरा पूरा क्रीम झड़ गया तो प्रिया फ़िर से मेरे लंड को अच्छी तरह से चूसने लगी।
प्रिया ने मेरे लंड को सावधानी से चाटना शुरु कर दिया और मेरे लंड के माल का एक एक कतरा भी वह चूस लेना चाहती थी।

मेरा लंड दुबारा से सिकुड़ कर छोटा हो गया था पर उतना नहीं जितना प्रिया की चुदायी के बाद।
प्रिया को जब ये लगा कि अब मेरे लंड का सरा माल वो चाट चुकी है तो उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया।
प्रिया को शायद बड़ा मज़ा आया था मेरी तरह से ही वह बड़ी खुश थी जैसे कोई अच्छी चीज़ बहुत दिनो के बाद मिली हो।

प्रिया बोली- लल्ला ये मेरा भी पहला तज़ुर्बा है ऐसे केरने पर बड़ा मज़ा दिया राजु तूने। मैंने तो एक बार टीवी में तेरे भैया के साथ देखी थी तो तेरे भैया मुझे छेड़ते हुए बोले थे कि उनका चूसेगी तो मैंने मना कर दिया था। पर आज तेरा लंड देखते ही मैं मचल रही थी एक बार ऐसा करके देखूं, आज़ राजु बड़ा मज़ा आया।

मैं बोला- हाँ प्रिया मुझे बड़ा अच्छा लगा पर अब बहुत देर हो गयी है अब हमें चलना चाहिये।

फ़िर प्रिया ने मेरे लंड को कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया और कभी प्रिया मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी।
फ़िर वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के ऊपर लिप्स रखकर उसे चाटने लगी।

ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे कोई मेरे लंड को सहला रहा हो और उसका साइज़ बढ़ने लगा। पर अगले पल प्रिया मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती और मेरा लंड एकदम लोहे की तरह कड़ा और चुदायी के लिये तैयार होता चला गया। Antarvasna

शेष अगले भाग में और यह भी जानें कि अगली बार कैसे चुदाई और ट्रीट कैसे मिली। जानने के लिये अगला भाग अवश्य पढ़ें…

हाय दोस्तों Sex Stories

एक बार फिर आपके लिए Sex Stories इस साईट पर आया हूँ।

आपने इतना प्यार दिया है, तभी तो एक और कविता लिख पा रहा हूँ।

तो दोस्तों, मामला है एक सेक्स भरी रात का,

किस्सा है ये एक चुदाई की रात का।

उस रात मेरे मन में जाने क्या झमेला था,

क्योंकि मैं घर पर एकदम अकेला था।

अकेलेपन में मैं तन्हाई के गीत गुनगुना रहा था,

और बीच-बीच में अपने लंड को भी हिला रहा था।

क्योंकि किसी कन्या का ख़्याल आते ही ये दिल बड़ा हो जाता है,

यह मासूम लंड भी, उसकी तमन्ना समझते हुए ख़ुद ही खड़ा हो जाता है।

अब है तो खड़ा होगी ही,

छोटा है तो बड़ा होगा ही।

अचानक मुझे लगा कि कोई बुदबुदा रहा है,

दिमाग गन्दा हो तो लगता है कि कोई चुदवा रहा है।

मैंने दरवाज़ा खोला तो वहाँ एक गोरी थी,

उसके मम्मे और गाँड देखकर लग रहा था कि आज तक कोरी थी।

-मैंने उसे अपना घर में अन्दर बुला लिया,

ठंड बहुत थी, सो मैंने कुन्डा लगा लिया।

मैंने माज़रा पूछा तो पता चला, वो रास्ता भूल गई थी,

मेरी हिम्मत भी उसकी हालत देखकर खुल गई थी।

मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया था,

क्योंकि उसे चोदने का इरादा पक्का कर लिया था।

वो मेरी बाँहों में आकर शरमा रही थी,

और मेरी साँसों की गरमी से वो भी गरम हुई जा रही थी।

मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके मम्मों पर धर दिया,

इन हाथों ने ही उसका सारा काम कर दिया।

मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत पे था,

मेरा ध्यान उसकी सूट पे था।

आख़िर उसकी जवानी को जो सँवारना था,

इसलिए उसका सूट भी उतारना था।

मैंने उसकी कमीज़ उताकर उसके मम्मे दबाने शुरु कर दिए,

सलवार को अलग कर दिया और शॉट लगाने शुरु कर दिए।

वो आहें भर के मज़ा दे रही थी,

या यूँ कहें कि लड़की होने की सज़ा ले रही थी।

मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर था,

ये भी मज़े का एक और मंज़र था।

वो कह रही थी कि चोदते रहो-चोदते रहो और चूत को फाड़ डालो,

आज अपने लंड के झंडे मेरी चूत में गाड़ डालो।

मैं भी पूरे दम से उसे चोदे जा रहा था,

और चूत-चुदाई के इस खेल में दोनों को मज़ा आ रहा था।

मेरे लंड से पानी निकला तो वह सन्तुष्ट हो गई,

नंगी ही वो मुझसे लिपट करके सो गई।

थोड़ी देर बाद उसने मेरे लंड को पकड़ लया,

मुझे कुछ समझ आता, इससे पहले ही अपने होठों से जकड़ लिया।

वो मेरे लंड को चूस रही थी इसलिए लंड बड़ा हो गया,

एक बार फिर से ये लंड चुदाई के लिए खड़ा हो गया।

अब उसे अपनी गाँड मुझसे मरवानी थी,

उसकी चूत की तरह उसकी गाँड भी सुहानी थी।

मैंने भी पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी गाँड में डाला,

और एक ही बार में उसकी गाँड को फाड़ डाला।

उसकी चीख़ ने मुझे झिंझोड़ दिया,

साथ ही मेरे लंड ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।

अब मुझे पता चला मैं कहाँ था,

जिसमें मैं था वो एक दूसरी ही जहाँ था।

मैंने गाँड और चूत दोनों ही मारी थी,

लेकिन यारों सच तो यह है कि मैंने सपने में मुठ मारी थी।

मेरा अंडरवियार एकदम गीला हो गया था,

मुठ इतनी ज़ोर से मारी कि लंड भी नीला हो गया था।

यारों सपना ही सही लेकिन मज़ा तो किया,

अपने लंड को चूत के अन्दर तो दिया।

कोई जिए या कोई मरे,

आप कृपया मुझे टिप्पणी मेल करें।

मेरा लंड हमेशा आ*की गाँड के पीछे है,

ग़ौर से देखो मेरा मेल आईडी नीचे है Sex Stories

(Saali se Jaipur Me Maza) Hindi sex stories

हाय दोस्तो Hindi sex stories , मेरा नाम नवीन है, मैं जयपुर से हूँ. मेरी उम्र 28 साल है और मैं शादीशुदा हूँ. मैंने अन्तर्वासना की काफी सारी सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं.

मुझे देसी सेक्स में चुदाई की कहानी पढ़ने में बहुत ही ज्यादा मज़ा आता है. अक्सर सुबह की चाय के बाद मैं सबसे पहले अन्तर्वासना खोल कर रोज प्रकाशित होने वाली नई सेक्स स्टोरी को पढ़ता हूँ.

तमाम सेक्स स्टोरी पढ़ने के बाद मैंने भी अपनी अन्तर्वासना लिखने का सोचा. मेरी भी एक स्टोरी है, लेकिन मैंने झिझक के चलते उसे कभी लिखा नहीं, पर आज आप सबके लिए मैं अपनी उस कहानी को लिख रहा हूँ.

जैसा कि मैंने लिखा कि मैं शादीशुदा हूँ और मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं. मेरी एक साली है. वो 18 साल की है. अभी एक साल पहले तक तो मैंने उससे इस तरह की नज़र से नहीं देखा था, लेकिन उसकी तरफ से हरी झंडी मिलने पर मैं उसके लिए कुछ उत्तेजित हो गया.

इधर समस्या ये थी कि पहल कौन करे. मैं जयपुर में था और वो जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे में थी. उससे फोन पर ही बातें होती थीं. मैं फोन पर उसे इस बात के लिए राजी कर भी लेता कि मैं क्या चाहता हूँ. तब भी मुझे कुछ शंका थी. क्योंकि लड़कियों की आदत होती है ना कि जल्दी से सब चाहते हुए भी हां नहीं करती हैं.

इसालिए एक दो बार जब उसकी खुली हंसी मजाक से आगे बढ़ कर, मैंने उसे एडल्ट जोक आदि सुना कर चुदाई के पूरे मूड में ला दिया और ये तय हो गया कि वो चुद सकती है. लेकिन वो सब बात हो जाने के बाद मना कर देती थी कि किसी को पता चल जाएगा … तो क्या होगा जीजाजी.
मैंने उससे कहा- किसी को पता नहीं चलेगा, मैं मौका देखकर ही काम करूंगा.

वो मुझ पर पूरा भरोसा करती थी और मुझे पसंद भी बहुत करती थी. उसे मेरी नाराज़गी पसंदगी सबका बड़ा ख्याल रहता है.

उससे यूं ही बात होती रही. हम दोनों अब बातों में पूरी तरह से खुल गए थे.

फिर उससे मिलने की चाहत ने जोर मारा तो एक दिन मैं अपनी ससुराल आ गया. मेरी ससुराल में सास ससुर दो साले … दो सालियां … और साले की बीवियां हैं.

मेरे पास उस वक्त 800 मारुति कार थी. मैं उसी से ही ससुराल गया था. मैं जब भी ससुराल जाता हूँ, तो दो दिन तक उधर रुकता हूँ. इस दौरान सब लोग आस पास कहीं भी मेरी कार में बैठकर घूमने भी जाते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ. वो मेरे बगल की सीट पर आगे बैठ गई. पीछे दोनों सलहजें थीं.

वहां पर वो मौका लगते ही मेरे करीब आ जाती और सेक्सी बातें करने लगती थी.

सच बताऊं तो मैंने अभी तक उसे टच नहीं किया था क्योंकि मैंने उससे कह दिया था कि जब तक वो खुद से नहीं चाहेगी, मैं उसे टच नहीं करूंगा. इसलिए मैं उससे बस ये ही बात करता और उस पर जोर देता कि वो मान जाए.

लेकिन वो चाहती थी कि मैं सही मौके के इन्तजार में रहूँ. ये कहा तो नहीं उसने पर मुझे ऐसा लगा.

इस बार भी मैं खाली हाथ लौट आया. साली मेरे लंड के नीचे नहीं आ सकी. इस तरह मैंने दो तीन बार ससुराल के चक्कर लगाए, पर वो मुझसे चुद न सकी.

आखिरी बार अभी तीन महीने पहले जब मैं अपनी ससुराल गया, तब तक मैं उससे अन्दर टच नहीं कर सका था. पर मैं उसे और वो मुझे, सेक्सी बातों से उत्तेजित कर देते थे.

इस बार मैं ससुराल गया, तो हम लोग वहां से हरियाणा के एक धार्मिक जगह पर घूमने गए. जो वहां से डेढ़ घंटे की दूरी पर थी. मारुति में कितनी सी जगह होती है, तब भी तीन आगे और 4 पीछे बैठ गए. मेरे ससुर और बड़े साले सलहज को छोड़कर बाकी सब गए थे. वो हमेशा की तरह मेरे बाजू में आगे बैठ गई थी. मतलब आगे मैं ड्राईवर सीट पर और मेरे बगल में मेरी साली और उसके बगल में मेरा छोटा साला था. यानि वो बीच में थी. बीच में जहां पर गाड़ी के गियर होते हैं, उसके दोनों तरफ उसकी टांगें थीं. एक टांग तो मेरी टांग से सटी हुई थी और एक टांग मेरे साले से. उसकी दोनों टांगों के बीच में गाड़ी का गियर था.

मैं तो पहले से ही गरम था. उधर वो भी मुझे बड़ी ही नशीली आंखों से देख रही थी. मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था … तो गियर लगाते हुए मैंने पहल कर दी. जब भी मैं गियर बदलता, उसकी जांघों को टच करता था.

वो सलवार सूट में थी. लड़कियों का पजामा ढीला ढाला होता ही है, उसमें से मैं उसकी जांघ को रगड़ कर टच करता … फिर अपना हाथ गियर पर ही रखे रहता. मौका पाते ही मैं अपना अंगूठा उसकी चूत के पास रगड़ देता था.

जब हम जा रहे थे, तो दिन का उजाला था, सो मैंने ज्यादा रिस्क लेना ठीक नहीं समझा. मैं उसको सिर्फ टच ही करता रहा. जब भी मैं गियर लगाता, तो उसकी जांघों को सहला देता था. वो कसमसा जाती थी और मेरी तरफ झुकी नज़रों से देखती थी.

गियर लगाते टाइम मेरी कोहनी उसके मम्मों पर आती थी, तो वो भी अपने मम्मों को मेरी कोहनी पर रगड़ देती थी. ये सिलसिला करीब करीब पूरे रास्ते चला. फिर हम वहां पहुंच गए.

वो मुझसे वहां पर नजरें मिलाती और मुस्कुरा देती थी. मैं भी चुदास से भर कर मुस्कुरा कर जबाब दे देता. बस ये ही चलता रहा … हम दोनों एक दूसरे से कहते कुछ भी नहीं.

अब वापस आते टाइम शाम हो चुकी थी और अंधेरा हो चुका था.

उस अंधेरे में मैं अपने आपको उसकी तरफ से आमंत्रित समझ कर अपने बाएं हाथ को गियर लगाने के बाद उसकी जांघों को कस कर दबाता रहा. उसने भी अपनी टांगें खोल रखी थीं. मैं अपने हाथ को उसकी चुत पर भी ले जाने लगा, तो वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी. मेरी कोहनी उसके मम्मों को रगड़ रही थी. इससे मेरा लंड काफी कड़क हो चुका था.

फिर मैं थोड़ी देर बाद उसकी चुत में पजामे के ऊपर से ही अपनी उंगली से रब करने लगा और उंगली से धक्का लगाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उस अंधेरे में महसूस किया कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वो मस्त हो गई थी. इस दौरान ना मैं उससे कुछ बोल रहा था … और न ही वो मुझसे कुछ कह रही थी. बाकी सब लोग गाड़ी में बातें कर रहे थे और किसी को हमारी इस रासलीला का कुछ पता नहीं था. क्योंकि वो लोग सब मुझे बहुत ही शरीफ़ मानते हैं.

जब हम सब घर पर पहुंचे, तो वो मुझसे कुछ नहीं बोली, पर मैंने उससे मुस्कुरा कर एक आंख से इशारा किया. वो मुस्कुरा कर बाथरूम में चली गई.

फिर वो मेरे पास जिस कमरे में मुझे सोना था, उधर आ गई थी. ये कोई नया नहीं हुआ था, पहले भी जब भी मैं कमरे में जाता था, तो वो मेरे पास आ कर बैठ जाती थी और मुझसे बातें करने लगती थी, इसलिए उस दिन भी वो मेरे पास आ गई. मैं बेड पर लेटा हुआ था और उससे कोई बात नहीं कर रहा था.

पर मैं उसकी बेचैनी को समझ सकता था. उसने आंखों ही आंखों में मुझसे बहुत कुछ बोल दिया था.

मैंने मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया और दबाने लगा. वो कुछ भी नहीं बोली. तो मैंने उसके हाथ को सहलाते हुए मेरे हाथ को उसके कंधों पर ले गया और सहलाने लगा. उसने सर झुका लिया, तो मैंने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसके मम्मों को दबा दिया और सहलाने लगा.

तभी वो बोली कि जीजू कोई देख लेगा.
मैंने कहा कि सब सो गए हैं, कोई नहीं देखेगा.

वो नहीं मानी, तो मैंने उससे कहा कि मैं ऊपर छत वाले बाथरूम में जा रहा हूँ, तुम भी आ जाना.

उन दिनों गर्मी के दिन थे, मैं चला गया. वो कुछ देर बाद आ गई.

मैंने उसे वहां पर पकड़ लिया और चूमने और सहलाने लगा. मैं उसके शरीर के हर हिस्से को सहलाने लगा. वो नाइटी में थी और अन्दर उसके मम्मों पर ब्रा भी नहीं थी. मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी.

पर मैं उसे वहां पर चोदूं कैसे, ये समझ नहीं आ रहा था. क्योंकि कोई भी वहां आ गया, तो मेरी तो वाट लग जाती. वो भी डरी हुई थी. लेकिन मैं मौका भी जाने नहीं दे सकता था.

मैंने अपना हाथ उसकी नाइटी में डालकर उसके मम्मों को दबाने लगा और नाइटी को ऊपर करके एक दूध चूसने लगा. इस दौरान मैंने उसकी पेंटी में एक हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगा. उसकी चूत पहले से ही गीली हुई पड़ी थी. वो और मस्त हो गई.

तभी उसने कहा कि जीजू अब रहा नहीं जा रहा है.

मैंने फर्श पर बैठ कर उसे मेरी गोद में दोनों तरफ टांगें करके बैठा लिया. फिर अपना लंड बाहर निकाल कर उसकी चूत पर लगा दिया … और धीरे धीरे अन्दर करने लगा. लेकिन मेरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में घुस ही नहीं रहा था. उसे दर्द भी हो रहा था.

चुदाई तो न हो सकी, पर उस रात वो दो घंटे तक मुझसे मज़े लेती रही और मैं भी उसके साथ मज़े लेता रहा.

हालांकि उस रात मैं उसके साथ पूरा मज़ा नहीं ले पाया था और बेकरारी और भी ज्यादा बढ़ गई थी.

दूसरे दिन हम दोनों ने फिर कभी मिलने के लिए बाय की.

अब मैं जल्दी ही वहां पर जाने की तैयारी में हूँ. तब मैं आगे की Hindi sex stories लिखूँगा.

मेरा नाम शेखर है और मैं 21 साल का हूं. मैं अपने मम्मी पापा के साथ मुंबई में रहता हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरे मौसाजी जी की तबीयत खराब हो गयी थी और वो मुंबई के हॉस्पिटल में भरती थे. इधर मेरी मौसी जी को गाँव से लाने का काम मुझे करना था इसलिए मैं गाँव (उत्तर प्रदेश) चला गया. मौसाजी की शादी अभी २ बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद से वो मुंबई में काम करने लगे थे. दो तीन महीने में एक दो दिन के लिए वो गाँव जाते थे. इधर बीमारी के वजह से वो तीन महीने से गाँव नहीं जा सके थे.

गाँव में पहुँचा तो मौसाजी दादा दादी जो कि मौसाजी जी के साथ रहते थे, अपने किसी रिश्तेदार से मिलने 3-4 दिन के लिए चले गये और घर में सिर्फ़ मैं और मौसी अकेले रह गये.वैसे तो मौसाजी दादाजी और मैं घर के बाहर बरामदे में सोते थे और मौसी जी और दादीजी घर के अंदर, पर अब मौसी जी ने कहा कि तुम भी अंदर ही सो जाओ. रात में खाना खाने के बाद मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के दादीजी के कमरे में सोने चला गया. मौसी बोली कि “आकाश तुम मेरे ही कमरे में आ जाओ, बात करते करते सोएंगे” मैंने कहा कि ठीक है और उनके कमरे में चला गया.

मौसी जी के कमरे में एक ही पलंग था और मैंने पूछा कि आप कहाँ सोएंगी.

वो बोली- मैं नीचे ज़मीन पर सो जाऊँगी.

मैंने कहा- नहीं, आप पलंग पर सो जाओ मैं नीचे सो जाता हूँ.

वो बोली- नहीं तुम पलंग पर सो जाओ.

मैं नहीं माना और मज़ाक में बोला कि आप इसी पलंग पर सो जाओ, काफ़ी बड़ा तो है, दिक्कत नहीं होगी. पहले तो वो हँसी पर फिर बोली कि ठीक है, तुम दीवार के तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हूँ. मैं दीवार के तरफ सरक गया और मौसी जी ने लालटेन बिल्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी. लगभग आधा घंटा हम लोग बात करते करते सो गये.

अब तक मैं सिर्फ़ मौसी जी को अपनी मौसी के तरह ही देखता था. वो जबकि काफ़ी जवान थी, लगभग 25-26 साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी. पर वहाँ मौसी जी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी. मेरा लंड एक खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ मौसी की जवानी ही दिख रही थी. किसी तरह मैंने इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो गया.

लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी. मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए मौसी के उपर से लाँघना पड़ता था. लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था. अंदाज़ से मैं उठा और मौसी जी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा. हाथ रखा तो जैसे करेंट लग गया. मौसी जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था. मौसी जी को कोई आहट नहीं हुई और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद मेरा मन फिर मौसी जी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया.

मैंने सोचा कि मौसी तो सो रही है, अगर मैं भी थोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको मालूम नहीं पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और कुछ नहीं कहेंगी. दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं मौसी के बगल में लेट गया. मौसी जी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी. मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं मौसी के पास सरक कर अपना एक हाथ मौसी जी के पेट पर रख दिया. थोड़े इंतजार के बाद जब देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया. उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया और कुछ ही देर में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी. मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था.

मौसी जी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था. सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था. मुंबई के बस और ट्रेन में ना जाने कितने ही लड़कियों की चुची दबाई है मैने. मैंने सोचा कि अब असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर मौसी जी की जाँघ पर रख दिया. मेरा हाथ मौसी की साडी पर पड़ा पर मुझे मालूम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो जाँघ खुली मिलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया मौसी की नंगी जांघ मेरे स्पर्श में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी मौसी की। तभी मेरा स्पर्श पाकर मौसी जी ने थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी.

मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा. साथ में साडी भी उपर होते जा रही थी. मौसी जी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी. मेरा मन अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ मौसी के दोनो जांघों के बीच में ले जाने की सोची. पर मैंने पाया कि मौसी की दोनो जाँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी. फिर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश की. मौसी फिर से हिली और नींद में ही उन्होने अपना एक पैर घुटनों से मोड़ लिया जिससे उनकी जांघें फैल गयी.

मौके का फ़ायदा उठाकर मैंने भी अपना हाथ उनके जांघों तक ले गया और जब की मेरा अंगूठा अब मेरे मौसी के बुर के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उंगली मौसी के जांघों के बीच उनकी पैंटी के थ्रू बुर के असली पार्ट पर थी. मौसी की बुर की गर्माहट मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी था. मेरा दिल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ मौसी के बुर पर था और कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. मैंने सोचा कि अब क्या करूँ. मौसी की बुर तो उनकी पैंटी से ढकी है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएँगी.

फिर भी मैं नहीं माना और मैंने सोचा कि धीरे से अपनी एक उंगली उनकी पैंटी के साइड में से अंदर डालूं. मैंने धीरे से अपनी उंगली मोडी और उनकी जांघों के बीच में पैंटी को थोडा खीच कर एक उंगली अंदर डाल दी. मेरी उंगली उनकी बुर के फोल्ड्स पर पहुँच गयी और मैंने पाया कि उनकी बुर एकदम गीली थी जिससे मेरी उंगली का टिप उनके बुर के मुहाने के अंदर आसानी से घुस गया. मैंने अपनी उंगली धीरे धीरे से मौसी के बुर में हिलाने लगा और तीन चार बार हिलाने पर ही मौसी जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से सन्न रह गया और सोचा कि अब तो मरा.

पर मौसी ने अपना हाथ से अपने बुर को टटोला और मेरा हाथ वहाँ पाकर थोड़ी देर उनका हाथ वहीं रुक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक कर रहा था और सोचा कि अब मौसी मेरा हाथ वहाँ से निकाल कर मुझे दूर धकेल देंगी. पर मौसी जी ने वो किया जो मैं सोच भी नहीं सकता था. उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बुर खुजाने लगी और खुजाते खुजाते अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जिससे कि उनका बुर आधा खुल गया और फिर सोने का नाटक करने लगी. मेरी उंगली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं भी समझ गया कि मौसी जी चुप चाप मज़ा ले रही है.

फिर भी मैं थोड़ा रुका और फिर अपना हाथ बिल्कुल उनकी जाँघ पर से उठाकर सीधे उनके बुर पर रख दिया. मौसी की पैंटी का एलास्टिक अब भी मेरी उँगलियों और उनके बुर के बीच आ रहा था तो मैंने हिम्मत करके धीरे से एलास्टिक उठा कर अपनी उंगलियों को उनकी पैंटी के अंदर घुसा दिया. मेरी बीच की उंगली मौसी के बुर के स्लिट पर थी और जब मैंने धीरे से अंपनी उंगली मोडी तो वो उनकी गीली बुर में चली गयी मौसी ने भी अब पैर और फैला दिए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया. लेकिन वो अब भी सोने का नाटक कर रही थी. मैंने भी अब अपनी दूसरी उंगली मोडी और वो भी मौसी की बुर में पेल दी.

रूम में वैसे भी सन्नाटा था और अब मौसी जी की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. अब तक तो सिर्फ़ मेरे हाथ मौसी की जवानी को टटोल रहे थे पर अब मैं बिल्कुल मौसी के करीब उनसे सट गया और अपना मूह उनके मूह के पास ले गया. हमारी गाल आपस में छू गये और मौसी ने अपना चेहरा इतना घुमाया की उनके होंठ मेरे होंठों से बस धीरे से छू भर गये. उनकी साँस की गर्मी मेरे होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ बिल्कुल उनकी होंठों पर सट गया.

उधर मेरी उंगलियाँ मौसी की बुर में अपना कमाल दिखा रही थी और मौसी भी अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर पर दबा के रखा था. मौसी की गरम गरम गीली बुर में अब मैं खुल्लम खुल्ला उंगली कर रहा था और मौसी अब भी नींद में होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली जवानी का खेल हो जाए. मैंने मौसी की बुर में अपनी तीन उंगली डाल कर ज़ोर से दबा दिया और साथ में मौसी के होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.

मौसी के मुंह से आह निकल गयी और उनका मुंह थोड़ा सा खुल गया. तुरंत ही मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी और मौसी की बुर से हाथ निकाल कर तुंरत उनको अपने बाहों में कस कर लिपट लिया. “उह्ह… शेखर यह क्या रहा है तू…छोड़ मुझे तू.. मौसी ने मुझे यह कहते हुए धकेलना चाहा. पर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और बोला कि मुझे मालूम है तुम पिछले आधे घंटे से जाग रही हो मेरी उंगली करने का मज़ा ले रही हो. तब मौसी ने मचलना बंद कर दिया और मेरी बाहों में शांत हो कर पड़ी रही. मौसी बोली” शैतान कहीं के, तुझे डर नहीं लगा मेरे
साथ यह करते हुए?”

मैंने कहा कि डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तुम ना भी बोलोगी, तब भी तुम्हारा जबरन चोदन कर दूँगा इसी बिस्तर पर. कौन जानेगा कि इस घर के अंदर यह भतीजा अपनी मौसी के साथ क्या कर रहा है. यह कहते हुए मैंने अपना हाथ मौसी के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गांड के गोलाईयों पर ले गया और पीछे से उनकी पैंटी की एलास्टिक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी.

वो बोली “आकाश जोर आजमाइश करने की क्या ज़रूरत है. तूने तो वैसे ही मुझे गरम कर दिया है. अब तो मैं ही तेरा जबर चोदन कर दूँगी” बस अब क्या था. मौसी जी ने अपना पैंटी पैर में से निकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लूँगी खोल कर अंडरवीयर निकाल फेंका. फिर मौसी को बिस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके ब्लाउस के बटन खोलने लगा.

“आज तुम्हारी जवानी का स्वाद लूँगा मेरी जान” मैंने ब्लाउस खोलते हुए एकदम फिल्मी अंदाज़ में मौसी से बोला. मौसी ने भी उसी अंदाज़ में कहा, “भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ”

सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउज़ को पकड़ कर साइड में कर दिया और मौसी के ब्रा से ढके हुए चुचियों पर अपना मुह रख दिया. मौसी ने भी अब बेशरम हो कर मेरा सर को अपनी चूची पर दबा दिया और बोली, “आकाश क्या यह पैकेट नहीं खॉलोगे”

उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तुंरत उन्हे उठाया और पलंग के बगल में खड़ा करके उनकी ब्लाउज और ब्रा उनसे अलग कर दी. फिर पेटिकोट का नाडा भी खींच कर खोल दिया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गया. मौसी को इस तरह नंगा कर उनको पलंग पर खींच लिया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब में उनकी चुचियों को आराम से चूस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से सहला रही थी.

कुछ देर बाद मौसी ने अपना हाथ मेरे लंड पर ले गयी और बोली” आकाश नाश्ता हो गया. अब डिनर हो जाए?”

मैं भी तैयार था, पूछा- वेज या नॉन वेज?

वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो” यह कहते हुए मौसी ने मेरा लंड उनके बुर के मुहाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल दिया. पेलते पेलते मौसी एकदम मस्त हो गयी और अपने दोनो पांव मेरे कमर के उपर लपेट दिया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चूमता रहा.

मौसी ने तभी अपना हाथ मेरी गाण्ड की तरफ ले गयी और एक उंगली मेरी गांड में घुसा दी. मैंने भी अपना एक हाथ मौसी के गांड के पीछे ले जाकर उनकी गांड में एक उंगली घुसा दी. तभी मौसी एकदम ऐंठने लगी और कस कर मुझे पकड़ लिया. आकाश और ज़ोर से चोदो…ऽउर छोड़ो …बोलते बोलते वो आख़िर वो झड़ गयी और फिर शांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चालू था और लगभग १०-१५ झटकों के बाद मैं भी मौसी के बुर में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये थे और में मौसी के उपर ही पड़ा हुआ था.

कुछ देर बाद मौसी उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अंडरवीअर पहन चुका था. मौसी ने सिर्फ़ पेटिकोट पहन रखा था. आकर बोली ” आकाश, तुम्हारे साथ जो किया वो तो अभी हम आगे भी बहुत बार करेंगे. पर यह बात किसी और को मालूम नहीं होने पाए. सबके सामने मैं तुम्हारी मौसी ही हूं” मैंने भी उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला” सबके सामने क्यों मौसी , यहाँ पलंग पर भी तुम मेरी मौसी ही हो. और तुम्हारी यह जवानी की मिठाई तो मैं अकेले ही खाऊँगा. सब मौसाजी जी को ही मत खिला देना मौसी हँसी और अपना हाथ फिर से मेरे अंडरवीअर में डाल दिया.

Antarvasna

अभी तक अपना कौमार्य बचा Antarvasna कर रखा था। मैं तो चाहती थी कि अपना अनछुआ बदन अपने पति को ही सुहागरात में समर्पित करुँ पर इस शमा की बातें सुन सुन कर और इस पिक्की में अंगुली कर करके मैं भी थक चुकी थी। मेरी रातों की नींद इस शमा की बच्ची ने हराम कर दी थी। पर अब मैंने भी सोच लिया था कि एक बार चुदाई का मज़ा ले ही लिया जाए।

…. इसी कहानी से

मैं बी.ए. में पढ़ रही हूँ। पिछले सावन तक तो मेरा नाम मेरा नाम मीनल ही था। लेकिन पिछले सावन की उस बारिश भरी रात में नहाने के बाद तो मैं मीनल से मैना ही बन गई हूँ। आप भी सोच रहे होंगे कि अजीब झल्ली लड़की है ! भला यह क्या बात हुई- कोई सावन की बारिश नहा कर कोई लड़की भला मीनल से मैना कैसे बन सकती है ?

ओह.. मैं बताना ही भूल गई।

दरअसल बात यह है कि मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है शमा खान। एक नंबर की चुद्दक्कड़ है। अपने भाईजान के साथ चुदाई के किस्से इस तरह रस ले ले कर सुनाती है कि मेरी मुनिया भी पीहू पीहू बोलने लग जाती है। मेरे साथ बी.ए. कर रही है। अगले महीने उसकी शादी भी होने वाली है अपने चचा के लड़के के साथ। पर उन्हें शादी की कोई जल्दी नहीं है क्योंकि वो तो शादी से पहले ही रोज अपनी सुहागरात मनाते हैं।

शमा बताती है कि उनके भाईजान (गुल खान) उनके चचा का लडके हैं। उनका परिवार भी उनके साथ वाली कोठी में ही रहता है। उनका कपड़े का बहुत बड़ा कारोबार है। शमा अपने माँ-बाप की इकलोती औलाद है और गुल भी अपने माँ बाप का इकलौता लड़का और 5 बहनों का एक ही भाई है। दोनों की सगाई हो चुकी है और अगले महीने शादी है।

क्लास रूम में हम दोनों साथ साथ ही बैठती हैं। जब भी कोई खाली पीरियड होता है तो हम दोनों कॉलेज के लॉन या कैंटीन में चली जाती हैं और फिर शमा अपनी चुदाई के किस्से रस ले ले कर सुनाती है कि कल रात भाईजान ने किस तरीके या किस आसन में उसकी धमाकेदार चुदाई की थी।

एक बार मैंने उससे पूछा था कि तुम्हें शादी से पहले यह सब करने में डर नहीं लगता? तो उसने जो जवाब दिया था- आप भी सुन लें “चुदाई में डर कैसा ? खूब मस्त होकर चुदवाती हूँ मैं तो और रही हमल (गर्भ) ठहरने की बात तो आज कल बाज़ार में बहुत सी पिल्स (गोलियाँ) मिलती हैं जिनसे उसका भी कोई खतरा नहीं है।”

“लेकिन वो .. पहली चुदाई तो सुहागरात में की जाती है ना… तुमने तो शादी के पहले ही सब कुछ करवा लिया अब सुहागरात में क्या करोगी ?” मैंने पूछा तो वो हंसते हुए बोली

“अरे मेरी भोली बन्नो मेरी चूत की सहेली फिर किस काम आएगी ?”

मैंने हैरानी से उसे देखते हुए पूछा “वो क्या होती है ?”

“तुम तो एक नंबर की बहनजी हो अरे भाई मैं गांड बेगम की बात कर रही हूँ !” उसने आँख मारते हुए कहा तो मेरी हंसी निकल गई।

“छी … छी… उसमें भी भला कोई करता है ?” मैंने कहा।

“अरे मेरी जान इसमें नाक चढ़ाने वाली क्या बात है, चुदाई में कुछ भी गन्दा या बुरा नहीं होता ! इस जवानी का पूरा मजा लेना चाहिए। मेरे भाईजान तो कहते हैं असली मजा तो गांड बाजी में ही आता है ये तो जन्नत का दूसरा दरवाजा है !” वो जोर जोर से हंसने लगी।

“तो क्या उन्होंने तुम्हारी ? … मेरा मतलब …” मैं गड़बड़ा सी गई।

“नहीं उसके लिए मैंने ही मना कर दिया है। गांड तो मैं उनसे जरूर मरवाउंगी पर सुहागरात को !” शमा ने कहा “अच्छा चल मेरी छोड़, तू बता तूने कभी कुछ किया है या नहीं ?”

“मैंने ?? अरे ना बाबा ना … मैंने कभी किसी के साथ कुछ नहीं किया ”

“तुम भी निरी बहनजी हो। शादी से पहले की गई चुदाई में अलग ही मज़ा होता है। लड़की की खूबसूरती चुदाई के बाद और भी बढ़ जाती है। ये देख मेरे मम्मे और चूतड़ (नितम्ब) कितने गोल मटोल हो गए हैं एक साल की चुदाई में ही। तू किसी को क्यों नहीं पटाती ? क्यों अपनी जालिम जवानी को बर्बाद कर रही है। इन मम्मों का दूध किसी प्यासे को पिला दिया कर 32 से 36 हो जायेंगे।”

कितना गन्दा बोलती है ये शमा। मुझे तो इन अंगों का नाम लेते हुए भी शर्म आती है फिर चुदाई की बात तो दूर की है। पर जब भी शमा अपनी चुदाई की बात करती है तो मेरी मुनिया भी चुलबुला कर आंसू बहाने लग जाती है और फिर मुझे टॉयलेट में जा कर उसकी पिटाई करनी पड़ती है।

मैंने अभी तक अपना कौमार्य बचा कर रखा था। मैं तो चाहती थी कि अपना अनछुआ बदन अपने पति को ही सुहागरात में समर्पित करुँ पर इस शमा की बातें सुन सुन कर और इस पिक्की में अंगुली कर करके मैं भी थक चुकी थी। मेरी रातों की नींद इस शमा की बच्ची ने हराम कर दी थी। पर अब मैंने भी सोच लिया था कि एक बार चुदाई का मज़ा ले ही लिया जाए।

पर सबसे बड़ा प्रश्न तो यह था कि किसके साथ ? मोहल्ले में तो कई शोहदे अपना लंड हाथों में लिए फिरते है पर मेरे ख़्वाबों का शहजादा तो उनमें से कोई भी नहीं है। हाँ कॉलेज में जरूर एक दो लडके मेरी पसंद के हैं पर वो भी किसी न किसी लड़की के चक्कर में पड़े रहते हैं।

और फिर जैसे भगवान् ने मेरी सुन ली। प्रेम भैया 3-4 दिन पहले ही तो हमारे यहाँ आये है अपनी ट्रेनिंग के सिलसिले में। पहले तो मैंने ध्यान ही नहीं दिया था। ओह… मैं भी निरी उल्लू ही हूँ इतना सुन्दर सजीला जवान मेरे पास है और मैं अपनी चूत हाथों में लिए बेकार घूम रही हूँ। प्रेम भैया मेरी जोधपुर वाली मौसी के लड़के है। बचपन में तो हम साथ साथ ही खेलते और बारिश में नहाते थे पर पिछले 4-5 साल में मैं उनसे नहीं मिल पाई थी। परसों जब वो आये थे तो उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया था। तब पहली बार मुझे लगा था कि मैं अपने भैया के नहीं किसी मर्द के सीने से लगी हूँ। मेरे उरोज उनके सीने से लग कर दब से गए थे। पर वो तो मुझे अभी भी छोटी बच्ची ही समझ रहे होंगे। मैंने सोचा क्यों ना प्रेम भैया से …..

ओह … पर यह कैसे संभव हो सकता है वो मेरे सगे तो नहीं पर मौसेरे भाई तो हैं और भाई के साथ… ओह ये नहीं हो सकता ? वो तो अभी भी मुझे बच्ची ही समझते होंगे। उन्हें क्या पता कि मैं अब बच्ची नहीं क़यामत बन चुकी हूँ। मेरे नितम्ब देख कर तो अच्छे अच्छों के पपलू खड़े हो जाते हैं और उनके सीने पर सांप लोटने लग जाते है रास्ते में चलते हुए जब कोई फिकरे कसता है या सीटी बजाता है तो मुझे बहुत गुस्सा आता है पर फिर मैं रोमांच से भी भर जाती हूँ। काश मैं भी शमा की तरह होती तो मैं भी प्रेम के साथ आसानी से सब कुछ करवा लेती और शादी के बारे में भी सोच सकती थी पर हमारे धर्म और समाज में ऐसा कैसे हो सकता है। पता नहीं इन धर्म और समाज के ठेकेदारों ने औरत जाति के साथ हमेशा ही अत्त्याचार क्यों किया है। औरत और मर्द का रिश्ता तो कुदरत ने खुद बनाया है। शमा बताती है कि उनकी एक रिश्तेदार है उसने तो अपने सगे भाई से ही चुदवा लिया है।

और फिर मैंने भी सब कुछ सोच लिया ….

बचपन में मुझे बारिश में नहाना बहुत अच्छा लगता था। पर मेरी मम्मी तो मुझे बारिश में भीगने ही नहीं देती थी। बात दरअसल यह थी कि जब भी मैं बारिश में नहाती तो मुझे जोर की ठण्ड लग जाती और मैं बीमार पड़ जाती तो मम्मी बहुत ही गुस्सा होती। अब भी जब बारिश होती है तो मैं अपने आप को नहीं रोक पाती भले ही मुझे बाद में तकलीफ ही क्यों ना हो। और फिर सावन की बरसात तो मैं मिस कर ही नहीं सकती।

हमारा घर दो मंजिला है। ऊपर एक कमरा बना है और उसके साथ ही बाथरूम भी है। अगर कोई मेहमान आ जाए तो उसमें ही ठहर जाता है। प्रेम भैया को भी वही कमरा दिया है। वो इस कमरे में बिना किसी विघ्न बाधा के अपनी पढ़ाई लिखाई कर सकते हैं। उस समय रात के कोई 10.30 बजे होंगे। हम सभी ने खाना खा लिया था। मम्मी पापा सो गए थे। मैं प्रेम भैया के पास बैठी गप्प लगा रही थी। बाहर बारिश हो रही थी। मेरा जी बारिश में नहाने को मचलने लगा। मैंने प्रेम से कहा तो वो बोले “तुम्हें ठण्ड लग जायेगी और फिर मौसीजी बहुत गुस्सा होंगी !”

“ओह कुछ नहीं होता ! प्लीज भैया, आप भी आ जाओ ना ! बहुत मजा आएगा साथ नहाने में !”

और फिर हम दोनों ही बाहर आ गए। मैंने हलके पिस्ता रंग का टॉप और पतला सा कॉटन का पाजामा पहन रखा था। आप तो जानती ही हैं कि मैं रात को सोते समय ब्रा और पेंटी नहीं डालती। भैया ने भी कुरता पाजामा पहन रखा था। मैं कोई 2-3 साल बाद ही बारिश में नहा रही थी। नहाने में पहले तो मुझे बड़ा मजा आया पर बाद में ठण्ड के कारण मेरे दांत बजने लगे और मुझे छींके आनी शुरू हो गई। मेरे सारे कपड़े भीग चुके थे और गीले कपड़ों में मेरा सांचे में ढला बदन साफ़ नजर आ रहा था। मेरे गोल गोल उरोज भीगे शर्ट से साफ़ नजर आ रहे थे। भैया की घूरती आँखें मुझ से छुपी नहीं थी। भगवान् ने औरत जात को ये गुण तो दिया ही है कि वो आदमियों की नजरों को एक मिनट में ही पहचान लेती है, फिर भला मैं उनकी आँखों की चमक कैसी नहीं पहचानती ?

मुझे अपनी और देखते हुए पाकर भैया बोले, “मैंने तुम्हे मना किया था ना ! अब मौसीजी कितना नाराज होंगी ?”

“ओह भैया प्लीज मम्मी को मत बता … न … ओ … छीईईइ …..” मुझे जोर की छींक आ गई और उसके साथ ही मेरे उरोज टेनिस की गेंद की तरह उछले।

भैया मेरा बाजू पकड़ कर नीचे ले जाने लगे मैंने कहा, “नहीं, नीचे मम्मी देख लेंगी आपके कमरे में ही चलते हैं !” और हम लोग वापस कमरे के अन्दर आ गए। मेरे दांत बजते जा रहे थे भैया ने तौलिये से मेरा शरीर पोंछना शुरू कर दिया शरीर पोंछते हुए उनका हाथ मेरे उरोजों और नितम्बों से छू गया। मेरे शरीर में जैसे कोई बिजली सी दौड़ी। मैं तो रोमांच से ही भर उठी मेरा अंग अंग गीले कपड़ों में साफ़ झलक रहा था।

“ओह इन गीले कपड़ों को उतारना होगा… पर….. वो… तुम्हारे लिए सूखे कपड़े ?”

“कोई बात नहीं आपकी कोई लुंगी और शर्ट तो होंगी ?”

“आन … हाँ ” उन्होंने अपनी धुली हुई लुंगी और शर्ट मुझे दे दी। हम दोनों ने बाथरूम में जाकर कपड़े बदल लिए। ढीली शर्ट में मेरे उरोजों की घुन्डियाँ साफ़ दिख रही थी। गोल गोल संतरे जैसे मेरे उरोज तो इस समय तन कर खड़े क़यामत बने थे। भैया की नज़रें तो उन पर से हट ही नहीं रही थी। इतने में जोर से बिजली कड़की तो डर के मारे मैं भैया की ओर खिसक आई। मेरे दांत अब भी बज रहे थे।

भैया बोले,“तुमने तो जानबूझकर मुसीबत मोल ली है। लाओ, तुम्हारे हाथ और पैर के तलवे मल देता हूँ इससे तुम्हारी ठण्ड कम हो जायेगी !” और उन्होंने मेरे नाजुक हाथ अपने हाथों में ले लिए। मेरे लिए किसी मर्द का ये पहला स्पर्श था। मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ने लगी। भैया मेरे हाथ मलते जा रहे थे। मैंने कनखियों से देखा था उनका ‘वो’ कुतुबमीनार बन गया था। हे भगवान् ये तो कम से कम 7-8 इंच का तो जरूर होगा। उनकी साँसे गरम होती जा रही थी। मेरा भी यही हाल था। मेरे होंठ काँप रहे थे पर इस बार ठण्ड के कारण नहीं बल्कि रोमांच के कारण। पर मैंने ठण्ड का बहाना बनाए रखा।

फिर भैया बोले “मीनू लाओ तुम्हारे पैर के तलवे भी मल देता हूँ ”

मैं भी तो यही चाहती थी। मैं बेड से टेक लगाए उकडू बैठी थी। मैंने एक पैर थोडा सा आगे कर दिया। उन्होंने मेरे पैर के तलवों को मलना शुरू कर दिया। जैसे ही उन्होंने मेरा पैर थोड़ा सा ऊपर किया मेरी ढीली लुंगी नीचे हो गई। मैंने जान बूझ कर इसकी और कोई ध्यान नहीं दिया। मैं जानती थी मेरी मुनिया अब उनको साफ़ दिख रही होगी। मैंने अधखुली आँखों से देखा भैया की कनपटी लाल हो गई है। थोडा सा पसीना भी आने लगा है। उनके होंठ भी कांपने से लगे हैं। भैया का बुरा हाल था। वो तो टकटकी लगाए मेरी जाँघों की और ही देखे जा रहे था। केले के पेड़ की तरह मेरी चिकनी जांघें और छोटे छोटे रेशमी बालों से लकदक मेरी पिक्की देख कर वो तो जैसे निहाल ही हो गए थे। और पिक्की की मोटी मोटी गुलाबी फांकें को देखकर तो उनकी आँखें जैसे फटी की फटी ही रह गई थी। उनके हाथ कांप रहे थे। मैं भी आँखे बंद किये रोमांच के सागर में गोते लगा रही थी। मैंने छेड़ने के अंदाज में उनसे कहा “भैया आपको भी ठण्ड लग रही है क्या ?”

“आन…. हाँ शायद ऐसा ही है !”

“पर ठण्ड में तो दांत बजते है, आपको तो पसीना आ रहा है ?”

“वो.. वो … ओह कुछ नहीं ” उनकी आँखें अब भी मेरी पिक्की की ओर ही थी। मैंने झट से अपना पैर खींचते हुए लुंगी से ढक लिया।

“ओह सॉरी ….” भैया की हालत तो अब देखने लायक थी।

“भैया ये चीटिंग है ?” मैंने झूटमूठ का गुस्सा किया।

“ओह सॉरी बाबा ! मैंने कुछ नहीं देखा !”

“तो फिर आप इतना घबरा क्यों रहे हैं ?” मेरी हंसी निकल गई।

“ओह.. आई एम… सॉरी !”

“अच्छा भैया एक बात पूछूं ?”

“क… क्या …?”

“सच बताना आपकी कोई गर्ल फ्रेंड है ?”

“अरे… वो … वो… नहीं तो … पर तुम ये क्यों पूछ रही हो ?”

“प्लीज बताओ ना भैया ?”

“अरे मैंने बताया ना कि मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है। मुझे तो पढ़ाई से ही फुर्सत नहीं मिलती। पर एक बात है ?”

वो क्या ?”

“तुम्हारी वो जो फ्रेंड है ना ! अरे वो ही जो सुबह आई थी ?”

“ओह… शमा ?”

“हाँ….”

“क्यों क्या बात है ?”

“यार … वो बहुत खूबसूरत है ?”

“ओह … तो मेरे भैया उस पर मर मिटे हैं ?” मैं हँसने लगी।

“नहीं ऐसी बात नहीं है। वैसे वो है लाजवाब !” भैया की आँखों में जैसे चमक सी आ गई थी।

“अरे उसका वीजा लग चुका है वो हाथ आने वाली नहीं है ?”

“ओह…”

“पर ऐसी क्या बात है उसमें ?”

“यार मीनू उसके बूब्स और नितम्ब तो कमाल के हैं” भैया बोले।

उनकी आंखों में अब लाल डोरे तैरने लगे थे। ये मर्द भी सभी एक जात के होते हैं. औरत की खूबसूरती तो उन्हें केवल नितम्बों और उरोजों में ही नजर आती है. मैंने अपने मन में कहा ‘एक बार मेरे देख लोगे तो सब कुछ भूल जाओगे” पर मैंने कहा “अच्छा मेरी फिगर कैसी है ?”

“अरे तुम तो हुस्न की मल्लिका हो अगर कोई फ़रिश्ता भी तुम्हारे भीगे बदन को देख ले तो जन्नत का रास्ता भूल जाए !”

जी में तो आया कह दूं ‘फिर तुम क्यों नहीं रास्ता भूल रहे हो’ पर मैंने उनकी आँखों में झांकते हुए कहा “क्या वाकई मैं इतनी खूबसूरत हूँ ?”

“सच्ची मीनू कभी कभी तो मैं ये सोचता हूँ अगर तुम मेरी मौसेरी बहन नहीं होती तो मैं किसी भी कीमत पर तुमसे शादी कर के छोड़ता …” उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा “ओह … पर ऐसा कहाँ संभव है ?”

“क्यों ?” मैंने अनजान बनाते हुए कहा। मैं उनकी उखड़ी हुई साँसे अच्छी तरह महसूस कर रही थी। उनका पाजामा तो तम्बू ही बना था।

“ओह … मीनू … सच कहता हूँ मैं इन तीन दिनों से तुम्हारे बारे में सोच सोच कर पागल सा हो गया हूँ। लगता है मैं सचमुच ही तुम्हें पर … प्रेम … ओह … चाहने लगा हूँ। पर ये सामाजिक बंधन भी हम जैसो की जान ही लेने के लिए बने है !” भैया की आवाज कांप रही थी।

शेष अगले भाग में !

इस कहानी का मूल्यांकन दूसरे भाग में करें ! Antarvasna

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