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मेरा नाम राहुल शर्मा है मैं २५ साल का हूँ। मैं आज Sex Stories अपने सभी दोस्तों को अपने सेक्स और अपने कुँवारापन खोने के पहले अनुभव के बारे में बताना चाहता हूँ। तब हम लोग इलाहबाद में रहते थे और गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा के घर लखनऊ जाते थे। वहां हमारे दादा दादी के साथ हमारे ताऊ और ताई भी रहते थे। उनका बेटा भी वहीं रहता था और कॉलेज में पढ़ता था। वो लगभग २२ साल का था। उसका नाम था गोरव और हम उन्हें राजू भैया कहते थे।
उस साल हम जब छुट्टियों में वहां गए तो मैंने एक नया और अत्यधिक रोमांचक अनुभव किया। एक दिन रात को मैं उनके ही साथ सो रहा था अचानक मेरी नीद खुली और कुछ अजीब सा लगा मैंने देखा भैया मेरे बगल में नंगे लेटे हैं और वो मेरी निक्कर में हाथ डालकर मेरी लुल्ली को सहला रहे हैं।
मुझे शर्म आ गई मैंने कहा- भैया ये क्या कर रहे हो?
आखिर वो मेरा बड़ा भाई था। वो बोला- कुछ नहीं ! अब तुम बड़े हो गए हो और मैं यह देख रहा था कि तुम कितने बड़े हुए हो?
मैंने कहा- ऐसे कैसे पता चलता है?
उन्होंने कहा- पहले अपनी चड्ढी उतारो फ़िर समझाता हूँ !
मैंने कहा- मुझे शर्म आती है।
वो बोला- अगर मुझसे शरमाओगे तो लड़की के साथ कैसे सेक्स करोगे?
सेक्स का तो नाम ऐसा है कि कोई भी अपने आप उसकी तरफ़ बह जाएगा मैं भी तैयार हो गया पर शरमा रहा था। उन्होंने अपने लण्ड को हिला कर खड़ा किया तो मेरी तो साँस ही अटक गई, वो मेरे हाथ की कलाई के बराबर मोटा था और करीब ७ इंच लंबा था। मुझे उनका लण्ड देखने में बड़ा मजा आया। वो बोले- तुम्हारा भी खड़ा होता है या ऐसे ही लटका रहता है?
उनके लण्ड को देख कर मेरा भी लण्ड टाइट होने लगा और धीरे धीरे खड़ा हो गया। उनके लण्ड के सामने मेरे छोटे से लण्ड की क्या औकात जो उनके पैर के अंगूठे से थोड़ा पतला और लम्बाई में ४.5 इंच का था।
भैया बोले- अब तुम भी बड़े होने लगे हो !
मैंने कहा- अच्छा ! कैसे?
बोले- कभी मुठ मारी है?
मैंने कहा- वो क्या होता है?
बोले- इसको यानि लण्ड को हिलाने से सफ़ेद सफ़ेद जो निकलता है उसे माल कहते हैं।
मुठ मारने में तो मुझे भी बहुत मज़ा आता था।
भैया वैसे भी इतने सुंदर थे कि कोई भी लड़की उनके आगे अपनी टांगे फैला देती ! और वो थे भी बहुत बड़े चुद्दकड़।
बोले- कभी किसी लड़की की चूत देखी है?
मैंने कहा- नहीं !
वो बोले- रुको ! मैं दिखाता हूँ !
उन्होंने अपनी अलमारी से किताबों की एक गड्डी निकाली जो सारी नंगी तस्वीरों, चुचियों, गाण्डों और चुदवाती हुई लड़कियों और गाण्ड मराते हुए लड़कों की तस्वीरों से भरी पड़ी थी। उन्हें देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि अपने घर में ये सब मुझे कहाँ से मिलता और मुँह से ज्यादा पानी मेरे लण्ड से निकलने लगा था।
वो बोले- क्या हुआ? झड़ गया?
मैंने कहा- नहीं ! गीला हुआ है। क्यूंकि माल नहीं टपका था।
भैया बोले- लड़की चोदने का मज़ा लोगे?
मैंने कहा- हाँ ! पर लड़की कहाँ है?
वो बोले- मेरी गाण्ड मारो ! वही लड़की चोदने जैसा मज़ा और गर्माहट मिलती है।
बस फ़िर क्या था, वो पेट के बल बेड पर लेट गए और बोले- डालो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दो।
मेरे लिए अजीब सा था पर चोदने का मज़ा लेने के लिए मैंने लण्ड बढ़ा दिया। पहले तो हल्का सा गया और मुझे दर्द सा होने लगा तो बोले- तुम्हें क्यों दर्द हो रहा है? गाण्ड तो मैं मरवा रहा हूँ !फ़िर उन्होंने थोड़ा सा तेल अपनी गाण्ड में लगाया और फ़िर तो मेरा लण्ड ऐसा दौड़ा कि माइकल शूमाकर की फरारी भी हार जाती पर मैं तीन मिनट में ही झड़ गया।
भैया बोले- ऐसे करोगे तो मज़ा नही आयेगा। पहले थोड़ी देर हलके हलके करो जब मज़ा आने लगे तब स्पीड बढ़ाओ।
मुझे सबक मिल चुका था। फ़िर मैं करीब घंटे भर तक उनकी नंगी नंगी फोटो वाली किताबें और चुदाई वाली कहानियाँ पढ़ता रहा। अब मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया था और मैंने फ़िर से भैया की गाण्ड मारी। इस बार मैंने १० मिनट तक अपने लण्ड को झड़ने नहीं दिया मैंने और भैया ने बराबर मज़ा लिया।
फ़िर मैंने उनसे कहा कि तुम भी मेरी गाण्ड मारो ! मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहता हूँ।
उन्होंने बहुत मना किया, बोले- तेरी गाण्ड अभी बहुत छोटी है, फट जायेगी !
जब मैंने बहुत जिद की तो वो मान गए और जैसे ही अपने लंबा चौड़ा खली जैसा लण्ड मेरी गाण्ड में डालने की कोशिश की तो मेरी आँखों से आंसू निकल गए।
वो बोले- अब मैं नहीं मारूँगा !
मैंने कहा- भैया धीरे धीरे करना और पहले मेरी गाण्ड में तेल लगा दो।
उन्होंने ढेर सारा तेल मेरी गाण्ड में उड़ेल दिया फ़िर लण्ड को सहलाते सहलाते मेरी गाण्ड में डाला। कसम से बहुत दर्द हुआ। फ़िर हल्के हल्के अन्दर बाहर करते हुए उन्होंने पूरा मज़ा लिया और मुझे भी बहुत मज़ा आया।
फ़िर तो हम लोग हर रात यही लण्ड गाण्ड का खेल खेलते रहे। मैं अक्सर उनके साथ नहा भी लेता, हम लोग बाथरूम में देर तक नहाते, एक दूसरे के लण्ड से खेलते और फ़व्वारे के नीचे लेट कर गाण्ड गाण्ड खेलते थे। किसी को हम पे शक भी नहीं होता था कि हम इतनी देर तक बाथरूम में क्या करते हैं क्यूंकि घर वालों के लिए तो हम भाई थे पर आपस में हम बहुत अच्छे दोस्त हो गए थे।
मैंने पूरी छुट्टियाँ ऐसे ही मज़े लेकर बिताईं। जब भी घर वाले कहीं जाते तो हम दोनों घर पर ही रुकते और गाण्ड गाण्ड खेलते। मैंने तभी पहली बार अपने झांट के बाल भी उनके साथ शेव किए।
ये छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद हम इलाहबाद वापस आ गए। मुझे उनकी बहुत दिनों तक याद आई। फ़िर जब भी कोई छुट्टी होती तो मैं लखनऊ चला जाता और उनके साथ मजे लेता था इस गाण्ड गाण्ड के खेल के। मेरी कई गर्ल फ्रेंड भी बनी उन्हें भी बहुत चोदा, वो कहानियाँ फ़िर कभी सुनाऊंगा।
अब मेरी शादी हो चुकी है और उनकी भी पर आज भी जब कभी हमे मौका मिलता है हम गाण्ड गाण्ड खेलते हैं। आप लोग भी इस खेल का मज़ा लीजिये क्यूंकि इसमे न तो लड़कियों के नखरे उठाने पड़ते हैं न ही लड़की के गर्भ वाला खतरा होता है और लण्ड और चूत दोनों की प्यास बुझ जाती है। Sex Stories
मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर Antarvasna उसके होठों को छुआने लगा और जैसे ही वो कुछ बोलने लगी मैंने झट से उसका मुँह पकड़ कर लंड अंदर डाला और उसको बोला- प्लीज़ एक बार इसको चूसो!
और मैं निर्मला के बाल को पकड़ कर धक्का मारने लगा और मैं भी खुद आगे पीछे होने लगा. मैंने उसकी मुँह चुदाई चालू कर दी. करीब दस मिनट के बाद मैंने सारा लंडरस उसके मुँह में डाल दिया और उसके पास लेट गया.
करीब पाँच मिनट के बाद उसका एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख मैं खुद उसका हाथ पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और उसकी चूत को मसलने और उंगली से चोदने लगा.
तो उसने कहा- भैया प्लीज़ मुझे जाने दो.
मैंने कहा- निर्मला, असली काम अब चालू होगा!
तो वो बोली- क्या?
हाँ, मैं तुझे अब चोदूँगा!
उसने कहा- नहीं आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते!
मैंने कहा- निर्मला, ऐसा हर लड़की और लड़का चोदते हैं और चुदवाते हैं जैसे कि तुम्हारी मम्मी पापा से चुदवाती है, तुम्हारी भाभी भैया से चुदवाती है, मेरी पत्नी मेरे से चुदवाती है, फिर तुम क्यों मना कर रही हो!
उसका हाथ मेरे लंड पर रखते ही मेरा लंड टाइट होने लगा था और वो भी गरम हो गई इन सब बातों से, और बोली- भैया मैंने पहले कभी भी नहीं किया है!
(दोस्तो, मैं उसकी शरम मिटाना चाहता था और मैंने कल की तरह उस टॉपिक छेड़ दिया)
मैंने उससे पूछा- कल तो तुमने इतना नाटक नहीं किया, आज अचानक इतना नाटक क्यों?
वो बोली- भैया, कल जो हुआ वो एक हादसे की तरह था!
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने उससे पूछा- कल तुमने अपनी मम्मी-डैडी की चुदाई देखी या नहीं?
तो बोली- भैया, नहीं!
मैंने कहा- क्यों?
बोली- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ!
मैंने उसको कहा- मैंने कब कहा कि तुम ऐसी लड़की हो! मैं तो तुझे बता रहा था कि तुम सिर्फ एक बार देखो और तुमको सीखने को भी मिलेगा! खैर कल नहीं देखी तो तुम आज देखना और मुझे बताना कि कैसी है! ठीक है? और मैंने चूत में उंगली आगे पीछे करना ज़ाऱी रखा और वो मेरे लंड को हिलाने लगी.
मैं अब उसके ऊपर आया और उसकी टाँगों को थोड़ा अलग किया और उसकी गीली चूत पर लंड को और मुँह पर मुँह को रख कर दोनों हाथों को उसकी गांड के नीचे रख कर एक ज़ोऱ का धक्का मारा, उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और लंड एक इन्च अंदर चला गया. मैं दोनों हाथों को नीचे से निकाल कर उसकी दोनों चूची के चूचुक मसलने लगा, साथ में चुम्बन भी कर रहा था. लंड अंदर रखा और धीरे धीरे उसको चोदने लगा.
थोड़ी देर के बाद मैंने फिर एक ज़ोऱ का झटका मारा और लंड 3 इंच अंदर घुस गया और वो मेरी पीठ पर मारने लगी क्योंकि उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और उसकी झिल्ली भी फट गई. वो एक दम कुंवारी थी, खून निकलने लगा और वो तड़पने लगी, मेरे बालों को खींचने लगी. मैंने मुँह को हटाया और बोला- क्या हुआ?
वो बोली- भैया! मुझे बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- निर्मला, मुझे भैया मत कहो और मेरे नाम से ही पुकारो! ऐसा दर्द पहली बार करने से होता है, तुम घबराओ मत, मैं हूँ ना!
और मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मुँह पर हाथ रखा और एक हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रख और ज़ोऱ का झटका मारा, इसके साथ ही मेरा लंड 6 इंच उसकी चूत में चला गया.
मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया और चूची मसलने लगा- निर्मला, तेरी चूत तो कमाल की है!
वो बोली- भैया, प्लीज़ आप बाहर निकालो, मुझे बहुत जलन हो रही है और दर्द भी बहुत हो रहा है!
मैंने कहा- क्या निकालूँ रानी?
भैया, आप इतने गंदे हो, इधर मैं मरी जा ऱही हूँ और आप मज़ाक के मूड में हो!
मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ एक बार कहो कि क्या निकालूँ!
वो बोली- प्लीज़ भैया! मैं नहीं कहूँगी, आप बाहर निकालो!
मैंने कहा- ठीक है, जब तक तुम नहीं कहोगी, मैं बाहर नहीं निकालूँगा!
और इसके साथ ही उसको धीरे धीरे चोदने लगा और उससे बोला- तुम कितनी अच्छी हो, तुम्हारे बूब्स कितने प्यारे हैं, तुम्हारी चूत का कोई जवाब नहीं!
इतना कहने के बाद मैं उसकी चूची चूसने लगा साथ में धीरे धीरे चोदने लगा. थोड़ी देर के बाद उसको मजा आने लगा तो बोली- भैया प्लीज़ आप और अंदर मत डालना! नहीं तो मैं मर जाऊँगी!
मैंने कहा- क्या अंदर नहीं डालूँ?
और मैंने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा, मेरा फिर 6 इंच तक अंदर गया. निर्मला सिसकारी लेने लगी- ऊऊऊवीई ईईईई ईम्म्म्म् म्म्म्मा आआआ! मार डाला इस पागल ने! मैंने कहा था कि अंदर मत डालो! फिर डाल दिया!
मैंने कहा- क्या डाल दिया?
तो बोली- भैया, मैं सिर्फ एक बार ही कहूँगी!
मैंने कहा- ठीक है, बोलो!
इसके साथ ही मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा और वो भी पूरी गरम हो गई और बोली- भैया, आप भाभी के साथ भी ऐसे ही करते हैं?
मैंने कहा- नहीं!
तो मेरे साथ में ऐसा क्यों?
मैंने कहा- मेरी बीवी तो मेरे साथ खुलकर पेश आती है, तुम्हारे जैसे नहीं है, जब मैं चोदने के मूड में नहीं होता हूँ तो मेरे पास आकर बोलती- जी आप मुझे चोदिए ना! देखो मेरी चूत कितनी तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए!
भैया आप झूठ बोल रहे हैं!
मैंने कहा- तुम एक काम करो, मेरी पत्नी से कभी भी पूछ लेना!
भाभी को शरम नहीं आती?
मैंने कहा- तुमको कल ही बता दिया था- सब तेरी मम्मी ने ही सिखाया है, जब चुदाई करते हैं तो हम लोगों को गंदी भाषा बोलनी चाहिए, इससे प्रेम बढ़ता है और जीवन भर प्यार रहता है आपस में!
अब मैंने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया और मैं उसके ऊपर लेट गया.
निर्मला बोली- भैया प्लीज़ बाहर निकालो! बाहर निकालो!
मैंने कहा- जब तक तुम नहीं कहोगी मैं तुझे ऐसे ही चोदता रहूँगा और रगड़ता रहूंगा!
तो बोली- भैया, मुझे शरम आती है!
मैंने कहा- अपनी आंख बंद करके एक बार कहो- प्लीज़ लंड को बाहर निकालो!
तो बोली- भैया मैं नहीं कह पाऊँगी!
मैंने कहा- एक बार बोल लोगी तो टईक रहेगा, नहीं तो जिंदगी भर नहीं बोल पाओगी! और कुछ नहीं जल्दी से बोल दो!
तो बोली धीरे से- भैया प्लीज़ लंड को बाहर निकालो!
मैंने कहा- क्या निकालूँ?
तो बोली- लंड को!
मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से चोदने लगा साथ में चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बोली- प्लीज़ आप मुझे मत पूछो!
मैंने उससे कहा- निर्मला, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है, तुम्हारी आज प्रमोशन हुई है, तुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा है, ऐसा मजा तो मुझे कभी नहीं आया!
मैं ऐसे ही उसे गरम करके चोद रहा था और वो भी मेरा खुल्लम-खुल्ला साथ देने लगी थी.
दोस्तो मुझे इसको चोदने में इतना मजा आया कि आपको नहीं बात सकता! आप समझ लीजिए कि मुझे जन्नत मिल गई थी!
मैं उसकी चूत से धीरे धीरे लंड बाहर निकालता और अंदर चूत में डाल कर चोद रहा था, बीच बीच में ज़ोऱ से शॉट भी लगाता था और वो हर शॉट के साथ वो सिहर उठती और मुझे बोलती -भैया, मुझे कुछ हो रहा है!
मैंने उसकी चूची को रगड़ते हुए पूछा- क्या हो रहा है रानी?
तो बोली- मैं नहीं बता सकती!
मैं अब उसे ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलते हुए बोला- ले मेरी रानी, मेरा लंड ले! और ले! अभी तेरी चूत को भी मजा आ रहा है! तू मुझे नहीं बताएगी तो तेरी चूत बताएगी!
मेरे हर शॉट का जवाब उसकी ओओ… आआईईई! जल्दी! प्लीज़ जल्दी करो! ओओ आआआ! में था.
मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा और पूरे कमरे में पच पच और उसकी आवाज़ें गूंज रही थी. मैंने निर्मला को करीब़ 10 मिनट और चोदा!
वो कितनी बार झड़ी, मुझे नहीं मालूम! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- निर्मला, मैं अब झड़ने वाला हूं, कहाँ निकालूं मेरा प्रेम रस? तेरी चूत में या फिर तेरे मुँह में?
वो बोली- भैया चूत में मत डालना! आप बाहर ही निकाल लो!
मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लेकर उसको बोला- रानी मुँह खोलो!
वो ना करने लगी और अपने मुँह पर हाथ रख लिया. मैंने उसका हाथ हटाया और लंड को मुँह में डालकर मुँह चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और मैंने उसे प्रेम-रस पिला दिया. जब मेरा लंड सिकुड़ गया तो मैंने बाहर निकाला. निर्मला के मुँह से लंड निकालते ही वो बेड पर निढाल हो गई और मैंने बाथरूम ज़ाकऱ शॉवर लिया और बाहर निकल अपने कपड़े पहनने लगा, साथ में निर्मला को आवाज़ लगाई- निर्मला, उठो!
तो वो उठ नहीं पा रही थी, मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम ले गया और उसको मूतने के लिए बोला. वो बैठ कर मूतने लगी और मुझसे बोली- भैया तुम बाहर बैठो!
मैंने कहा- अब मेरे से शरम कैसी! अब तो हम पति-पत्नी की तरह हैं!
कैसी लगी मेरी कहानी, अपनी राय मुझे लिखें! Antarvasna
यह एकदम १००% सच्चा अनुभव Hindi Porn Stories है जो कि मैंने अपनी पत्नी के साथ महसूस किया। मेरा मान राम है और मेरी उम्र ३२ साल है। मेरी पत्नी का नाम मुस्कान है, उसकी उम्र ३० साल है।
पिछले साल हम लोग केरल गए थे घूमने के लिए। वहाँ केरल में मालिश बहुत मशहूर है। दुनिया भर के लोग केरल की मालिश पसन्द करते हैं। मैंने अपनी बीवी को बताया कि यहाँ मालिश का बहुत मज़ा आएगा तुम्हें। पहले तो वो थोड़ा शरमाई फिर बाद में राजी हो गई।
हम लोग एक छोटे से मालिश-पार्लर में गए। वहाँ केवल एक ही आदमी था और वही वहाँ पर मालिश करता था। उसका नाम जोशीन था और उसकी उम्र २८ साल थी और वह केरल का ही रहने वाला था, वह यह छोटा सा मसाज पार्लर चलाता था।
जोशीन ने मुजे बताया कि वहाँ पर कोई लड़की नहीं है जो कि किसी और लड़की की मालिश कर सके। वहाँ सब की मालिश वह ख़ुद करता है, चाहे कोई लड़का हो अथवा लड़की। मैंने अपनी पत्नी को बताया तो वह पहले तो गुस्सा करने लगी, फिर बाद में मान गई, वह भी इस शर्त पर कि वह ब्रा और पैन्टी पहने हुए ही मालिश करवा लेगी। यह सुनकर मैं भी राजी हो गया।
हमने जोशीन से बात करके अगली सुबह ७ बजे का समय तय कर लिया, क्योंकि हमारी ट्रेन दिन में ११:४५ को थी। हम दोनों सुबह जोशीन के मसाज पार्लर में चले गए। वहाँ जोशीन अकेला टी-शर्ट और शॉर्ट में था, मेरी पत्नी ने ब्रा और पैन्टी के ऊपर गाऊन पहना हुआ था।
जब हम वहाँ गए तो उसने कहा कि पहले मैं मैडम की मालिश कर देता हूँ, बाद में आप करवा लेना। हम दोनों सहमत हो गए। मेरी पत्नी ने गाऊन उतार कर बगल में रख दिया और लाल रंग की ब्रा और पैन्टी में मालिश करने की मेज पर लेट गई। मैंने उसे छेड़ने की नीयत से कहा, “ये ब्रा और पैन्टी भी उतार दो, और पूरी नंगी होकर मालिश करवा लो यार!”
यह सुनकर पत्नी गुस्से भरी नज़रों से मुझे देखने लगी और कहा, “एक कसकर थप्पड़ लगा दूँगी अभी।”
जोशीन को कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि उसे हिन्दी नहीं आती थी, वह सिर्फ मलयालम जानता था। जोशीन ने मालिश करना शुरु किया, लेकिन १५ मिनट में ही उसने कहा, “मैडम आपको ये ब्रा और पैन्टी उतारनी पड़ेगी क्योंकि मालिश करने में मेरा हाथ फ्री होकर नहीं चल रहा है।” यह सुनकर मेरी पत्नी कुछ सोचने लग गई कि तभी जोशीन बोला, “मैडम मैं भी शादीशुदा हूँ और चिन्ता करने की कोई बात नहीं है।”
तभी मैंने पीछे से हाथ डालकर पत्नी की ब्रा की कप को ऊपर कर दिया और पत्नी की दोनों चूचियों को पूरा नंगा करकके जोशीन को दिखा दिया। पत्नी ने कहा, “ये क्या कर रहे हो राम?” तब मैंने कहा, “जोशीन भी विवाहित हूँ और ये चूचियाँ उसके लिए कोई नई चीज़ नहीं है, उसकी बीवी के भी ऐसी ही होंगी यार। और वैसे भी जब उसने सब कुछ देख ही लिया है तो पूरी ब्रा निकाल देने में कोई हर्ज़ नहीं है।” तभी मैंने एक ही झटके से अपनी पत्नी की पूरी ब्रा खोलकर निकाल दी।
जोशीन मेरी पत्नी की दोनों चूचियों को देखने लगा, ये देख मुझे बहुत मज़ा आया। फिर जोशीन ने कहा, “पैन्टी भी उतारनी पड़ेगी।”
यह सुनकर मैंने पत्नी को टेबल से उतार ज़मीन पर खड़ा किया और एक ही झटके में उसकी पैन्टी भी खींच दी। जोशीन मेरी पत्नी के पीछे खड़ा था और उसके बड़े-बड़े चूतड़ों को बड़े ध्यान से देख रहा था। तभी मेरी पत्नी ने कहा कि मेरी चूत पर आगे थोड़ा तो कपड़ा लगा दो। तब जोशीन ने एक पतला सा लम्बा सा कपड़ा दे दिया, जिसे मेरी पत्नी ने अपनी कमर पर बाँध कर अपनी चूत के आगे से लटका दिया। लेकिन वह कपड़ा ऐसे ही चूत के ऊपर लटक सा रहा था कहीं पर चूत के नीचे से बँधा हुआ नहीं था। और मेरी पत्नी फिर से मालिश करवाने के लिए ऊपर से नंगी मेज पर लेट गई और जोशी उसकी मालिश करने लगा।
तभी मैंने जोशीन को इशारा किया कि वह उसकी चूचियों की मालिश कर दे। यह सुनकर वह मुस्कुराया और थोड़ा सा तेल उसकी चूचियों पर डालकर मालिश करने लगा। यह सब देखकर मुझे बहुत मस्ती आई और मेरा लंड खड़ा हो गया। जब मैंने देखा तो मुझे लगा कि जोशीन का लंड भी खड़ा हुआ है।
काफी देर मालिश करने के बाद जोशीन ने मेरी पत्नी को पलटने के लिए कहा। जब वह पलट कर पेट के बल लेट गई तो उसके चूतड़ पूरे नंगे जोशीन के सामने थे जिन्हें देखकर वह मचल उठा और तबीयत से उसके चूतड़ों की मालिश करने लगा और बीच-बीच में वह उसकी गाँड और चूत पर भी हाथ लगा देता था, और मेरी ओर देखकर मुझे आँख मार देता।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरी पत्नी एकदम मस्त होकर पूरी नंगी होकर अपनी मालिश एक अजनबी आदमी से मेरे सामने ही करवा रही थी और काफ़ी मज़े भी लूट रही थी। जोशीन ने फिर मेरी बीवी को पलटने को कहा, अबकी बार जब मेरी पत्नी पलटी तो उसकी चूत से कपड़ा सरक गया और चूत पूरी नंगी दिखने लगी। यहाँ पर बात कहनी ज़रूरी होगी कि एक रात पहले ही मैंने अपने शेविंग रेज़र से उसकी चूत को पूरा शेव किया था और आज उसकी चूत बहुत चिकनी दिख रही थी।
मैंने देखा कि जोशीन वह कपड़ा हटा कर उसकी चूत देख रहा था। मैंने वह छोटा सा कपड़ा हटा दिया और जब मेरी पत्नी ने पूछा कि वह कपड़ा क्यों हटा रहे हो तो मैंने कहा कि जोशीन ने सब कुछ देख लिया है और अब जोशीन से शरमाने का कोई फ़ायदा नहीं। मेरी पत्नी ने कुछ नहीं कहा और अब वह पूरी नंगी होकर जोशीन से मालिश करवाने लगी थी। जोशन भी मालिश करने के बहाने से उसकी चूत और चूचियों पर मज़े से हाथ फेर रहा था। यह सब देखकर मुझे तो बड़ा ही मज़ा आ रहा था, और मेरी पत्नी भी मज़े ले रही थी।
तभी जोशीन ने मुझसे कहा – “मैडम की मालिश पूरी हो गई, अब तुम्हारी बारी है। पर इससे पहले मैडम को आयुर्वेदिक-गरम पानी से नहाना पड़ेगा, क्योंकि शरीर पर काफी मात्रा में तेल है।”
टेबल और उसके शरीर पर बहुत सारा तेल होने की वज़ह से वह टेबल पर से उतर नहीं सक रही थी, तो वह उठकर बैठ गई। बैठने से उसकी नंगी चूत खुल कर अन्दर के नज़ारे भी दिखाने लगी, जिसे देख मुझे और जोशीन दोनों को बहुत मज़ा आया। मैंने जोशीन से कहा – “काफी तेल लगा हुआ है, इसलिए मेरी पत्नी को तुम ही टेबल से नीचे उतार दो।” यह सुनकर उसने मेरी पत्नी की गाँड के नीचे हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठाकर नीचे उतार दिया और मैंने देखा कि जोशीन का हाथ उसकी चूत व चूचियों को भी छू रहा था। यह देखकर मुझे काफ़ी मज़ा आया।
मेरी बीवी साथ में लगे बाथरूम में चली गई, और मैं और जोशीन बाहर खड़े होकर उसे नंगे देख रहे थे, और तभी मैंने पत्नी को पलटने को कहा। जैसे ही वह पलटी, उसे सामने से नंगी देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने ग़ौर किया कि जोशीन का लंड पहले से ही खड़ा है। उसने सिर्फ एक अन्डरवियर पहना रखा था, तो उसमें से एक तम्बू जैसा उठाव देखा जा सकता था। मेरी पत्नी पूरी तरह से नंगी होकर बाथरूम में टेबल पर बैठ गई और फिर गरम पानी भरने लगी। तभी जोशीन ने मेरी पत्नी की पीठ पर आयुर्वेदिक साबुन घिसना शुरु किया, मेरी नंगी बीवी उसका मज़ा ले रही थी। बाद में जोशीन अलग हटकर खड़ा हो गया, और उसे नंगी नहाते मेरे साथ ही देखने लगा। हमें काफ़ी मज़ा आया।
फिर जोशीन ने मुझे मालिश करवाने का इशारा किया और तभी मैं पूरा नंगा होकर टेबल पर लेट गया और मालिश करवाने लगा। कुछ देर के बाद मेरी पत्नी नहाकर बाहर निकली। वह पूरी नंगी थी, मैंने उसे बुलाया और अपना लंड पकड़ने को कहा, क्योंकि जोशीन ने मेरे लंड पर मालिश करने से मना कर दिया था। मैंने जोशीन को कहा कि तुम मेरी पत्नी की चूत और गाँड पर ख़ूब मालिश कर रहे थे, लेकिन मेरे लंड पर मालिश करने में क्या समस्या है, तो उसने बस मुस्कुरा दिया।
मेरी पत्नी मेज़ के किनारे नंगी ही खड़ी होकर मेरे लंड की मालिश करने लगी। जोशीन मेरी मालिश करते-करते मेरी पत्नी के नंगे बदन को देख रहा था और मज़ा ले रहा था। कभी-कभी वो उसकी चूचियों को छू लेता, तो कभी उसकी गाँड पर हाथ फेर देता। मैं भी ऐसा ही कर रहा था। हमें बहुत ही मज़ा आ रहा था।
मैंने अपनी पत्नी को अपना लंड चूसने को कहा, जोशीन के कारण पहले वह मना करती रही, पर बाद में राज़ी हो गई और फिर उसके सामने ही मेरे लंड को बिल्कुल लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। जोशीन मेरी मालिश में मशरूफ था।
काफ़ी देर तक चूसने के बाद मेरा लंड झड़ गया और मेरी पत्नी ने उसे एक कपड़े से साफ़ कर दिया। तभी मैंने जोशीन को कहा कि तुमने मुझे और मेरी पत्नी को पूरा नंगा देखा, मगर हमने तुम्हें कपड़ों में देखा, तुम भी पूरे नंगे होकर अपना लंड मेरी पत्नी को दिखाओ। यह सुनकर मेरी पत्नी को गुस्सा आया और वह बोली कि मैं होटल जा रही हूँ, तुम्हें जो करना हो, करो। लेकिन मेरे समझाने पर वह राज़ी हो गई और जोशीन भी नंगा होने के लिए राज़ी हो गया।
जोशीन ने अपनी अन्डरवियर और बनियान उतार दी, और पूरा नंगा होकर मेरी मालिश करने लगा। मेरी पत्नी जो कि बगल में पूरी नंगी खड़ी थी जोशीन का लम्बा लंड देखकर घबरा कर बोली, “जोशीन, तुम्हारा तो काफ़ी लम्बा है। क्या केरल में सबके लंड ऐसे ही लम्बे होते हैं?” यह सुनकर जोशीन ने बस एक मुस्कान देकर कहा, “मुझे नहीं मालूम मैडम सबका होता है, या किसका होता है।”
तभी मैंने जोशीन का लण्ड पकड़ लिया और उससे खेलने लगा। यह देख मेरी पत्नी को मस्ती सूझी और वह जोशीन का लण्ड पकड़ने के लिए किनारे पर आ गई और नीचे झुक कर बैठ गई। जोशीन मेरी मालिश में मगन था। मेरी पत्नी नीचे बैठ उसका लण्ड चूसने लगी, वह उसे बिल्कुल लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। यह देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
जोशीन ने मुझे पलटने के लिए कहा और मेरी गाँड पर मालिश करने लगा, नीचे मेरी पत्नी को लंड भी चुसवाता रहा। यह सब देखकर मेरा लण्ड बहुत कड़क हो गया और मैंने चुदाई का मन बना लिया और मैंने अपनी पत्नी को कहा कि तुम टेबल पर किनारे में घोड़ी बन जाओ, मेरा चोदने का मन कर रहा है। पहले थोड़ा ना-नुकर करने के बाद वह राज़ी हो गई।
मैंने उसकी जम कर चुदाई की जोशीन के सामने ही। फिर जोशीन से भी उसे चुदवा दिया घोड़ी बना कर ही। यह सब करने में काफी समय निकल गया, पर हमें मज़ा बहुत आया था। उसके बाद हमने एक ऑटो किया और रेलवे-स्टेशन से ट्रेन लिया और अपने घर वापिस आ गए।
उस घटना को आज भी याद करने पर मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
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मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.
थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.
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