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आज मैं आपको जो Antarvasna कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी मामी की है। मुझे पूरा भरोसा है कि ये कहानी आपको बहुत अच्छी लगेगी होगी।
मैं अपनी मामी के संग चूत चुदाई की दूसरी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस कहानी में जैसा कि मैं आपको बता चुका था कि मामी जो एक विधवा हैं और उनकी एक बेटी भी है.. जिसकी उम्र पांच साल की है।
उस कहानी में मैंने मामी से सेक्स करते समय बताया था कि उनकी कोई समस्या थी जिसका समाधान स्वामी जी के द्वारा ही हो सकता है।
आज मैं वो कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ। ये मामी की स्वामी जी से मुलाकात की कहानी है। मैं जब दोबारा मामी के यहाँ गया तो उनसे स्वामी जी के पास चलने के लिए बोला।
मैंने उनसे बता दिया कि मैंने उनके लिए स्वामी जी से समय लिया है। मैं मामी के यहाँ शनिवार को गया था। रविवार को स्वामी जी जन साधारण से नहीं मिलते थे। इसलिए मैंने मामी से रविवार को स्वामी जी के पास चलने के लिए बोला।
मामी तैयार हो गईं। उन्होंने अपनी लड़की को एक रिश्तेदार के पास छोड़ दिया और मेरे साथ स्वामी जी से मिलने चल दीं।
जब हम लोग स्वामी जी के आश्रम पर पहुँचे.. तो उस समय शाम का छह बज रहा था। स्वामी जी अकेले ही थे।
मैंने स्वामी जी को पैर छूकर प्रणाम किया तो स्वामी जी ने ‘खुश रहो..’ कह कर आशीर्वाद दिया।
जब मामी ने उनको प्रणाम किया तो स्वामी जी ने मामी की पीठ पर हाथ फेरते हुए आशीर्वाद दिया और उन्होंने अपने दोनों हाथों से मामी के कंधों को पकड़ कर उठाया।
हमने अपनी समस्या स्वामी जी को बताई तो स्वामी ने सोचते हुए हम दोनों को बैठने के लिए कहा और वे खुद अन्दर चले गए।
कुछ देर के बाद स्वामी जी ने मामी को नहाने के बाद पूजा पर आकर बैठने के लिए बोला।
मैं आश्रम का मेन गेट को बन्द करके ऊपर चला गया और ऐसी जगह पर बैठा जहाँ से सब कुछ साफ़ दिखाई दे रहा था।
मामी ने नहाने के बाद दूसरे कपड़े पहन लिए और आकर स्वामी जी के सामने बैठ गईं।
स्वामी जी ने आँखों को बन्द कर लिया। आँखें बन्द करने के बाद स्वामी जी कुछ देर तक मन में कुछ गुनगुनाते रहे। इसके बाद उन्होंने मामी के सर पर हाथ रख कर मामी के बारे में वो सब कुछ बताया.. जो मैंने उनसे बताया था।
इस तरह स्वामी जी ने मामी को अपने विश्वास में ले लिया।
अब स्वामी जी मामी से बोले- अब तेरे पति की आत्मा मेरे पास में यहीं आ चुकी है.. वो तुमसे मिलना चाहता है। लेकिन वो सीधे तुम्हारे अन्दर नहीं आ सकता.. इसके लिए मैं उसे अपने अन्दर बुलाता हूँ। मैं जो भी कहूँगा.. उसे तुम चुपचाप करते जाना।
मामी ने सर हिला कर उनका जबाव दिया।
अब स्वामी जी ने आँख बन्द करके मामी से बोला- वो तुम्हारे साथ सम्भोग करना चाहता है। इसके लिए तुम बिल्कुल से निर्वस्त्र हो जाओ।
मामी ने खड़े होकर अपने तन के सारे कपड़े उतार दिए। अब वो स्वामी जी के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हो गईं।
स्वामी जी ने आँखें खोल कर मामी को देखा और पास पड़े बिस्तर पर जाकर लेट जाने का इशारा किया.. मामी लेट गईं।
अब स्वामी जी वहाँ से उठ कर जब मामी के पास पहुँचे तो उनके हाथ में तेल की एक शीशी थी। स्वामी जी मामी के पूरे नंगे शरीर को ध्यान से देखते रहे। इसके बाद स्वामी जी ने मामी की चूत पर तेल डाल दिया। तेल डालने के बाद स्वामी जी ने मामी की चूत के कोमल बालों को सहलाना शुरू किया। मामी ने आँखें बन्द कर लीं।
कुछ देर के बाद स्वामी जी मामी के जांघों पर बैठ गए और मामी से बोले ‘अब तुम्हारा पति तुम्हारे अन्दर जाना चाहता है।’
इतना कहकर स्वामी जी ने अपने हब्शी लंड को.. जो लगभग बहुत लम्बा और मोटा था और मामी की चूत के बहुत बड़ा था.. उसको मामी की चूत से सटा दिया।
मामी ने उसे अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैलाते हुए लंड को रास्ता दिखाया।
स्वामी जी ने अपनी कमर को एक जोर का झटका देने के बाद कमर को हिलाना शुरू किया तो कमरे में मामी की ‘आआआ.. अह्हह्ह.. आह्हह.. ऊउईई.. औऊ.. आआअह्ह..’ की आवाज गूँज उठी।
स्वामी जी चूत में लंड पेल कर मामी के ऊपर पूरी तरह से चढ़ गए और उन्होंने कमर को हिलाना बन्द कर दिया।
फिर स्वामी जी ने पास रखी शीशी से सरसों का तेल निकाल कर मामी की दोनों चूचियों पर लगाया।
मामी की चूचियां तेल से चमक उठीं और स्वामी जी ने चूचियों को अपने हथेलियों में लेकर मसलना शुरू कर दिया।
अब जब मामी धीरे-धीरे शिथिल पड़ने लगीं.. तो स्वामी जी ने फिर से कमर को झटका देना शुरू कर दिया।
लंड की शंटिंग से कमरे में ‘आआह्ह.. आआऔऊ.. आआआह्ह..’ की आवाज आने लगी।
कुछ देर तक स्वामी जी मामी की चूत में धीरे-धीरे झटके लगाते रहे। जब उन्होंने देखा कि मामी के मुँह से आवाज बन्द नहीं हो रही है.. तो उन्होंने मामी के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसना शुरू कर दिया।
अब एक तरफ़ स्वामी जी मामी की चूत में तेज रफ्तार से झटके लगा रहे थे.. तो दूसरी तरफ़ मामी की दोनों चूचियों को मसलते जा रहे थे व साथ में उनके होंठों को बुरी तरह से चूस रहे थे।
मामी एक जल बिन मछली की तरह छटपटा रही थीं।
स्वामी जी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। कुछ देर के बाद मामी धीरे-धीरे शांत पड़ने लगीं।
तब स्वामी जी ने उनके होंठों को अपने होंठों से आजाद कर दिया और कमर को झटका देते हुए उठकर बैठ गए।
जब मैंने ध्यान से देखा तो पाया कि मामी की चूत में स्वामी जी का पूरा लंड चला गया था।
स्वामी जी की झांटें मामी की कोमल झांटों से टकरा रही थीं।
अब मामी भी मुस्कुरा रही थीं और साथ में कमर हिला-हिला कर स्वामी जी का साथ दे रही थीं।
मामी ने स्वामी जी से पूछा- और कितना बाहर है?
तो स्वामी जी ने बोला- पूरा का पूरा अन्दर जा चुका है।
मामी इतना सुन कर कमर उठा-उठा कर झटका लगाने लगीं। कुछ देर तक झटका लगाने के बाद स्वामी जी जब मामी के होंठों को चूसने के लिए उनके चेहरे के ऊपर झुके तो मैं समझ गया कि अब स्वामी जी का माल मामी की चूत में गिरने जा रहा है।
मामी भी उनके होंठों को चूस कर साथ दे रही थीं। थोड़ी देर में दोनों शांत पड़ गए।
दस मिनट तक मामी के ऊपर पड़े रहने के बाद स्वामी जी उठकर बैठ गए और मामी की चूत से लंड को निकाल कर उनके ऊपर से हट गए।
स्वामी जी कुछ देर के बाद मामी से करवट बदलने के लिए बोला.. तो मामी ने उनकी तरफ़ अपनी पीठ कर ली। अब स्वामी जी ने मामी की गांड में तेल लगाया।
गांड में तेल लगाते समय स्वामी जी मामी की चूत की तारीफ़ करते हुए बोले- कितना कसा हुआ शरीर है। आज भी जवानी तुम्हारे पोर-पोर में भरी हुई है।
इतना सुन कर मामी बोलीं- आपके लंड में जवानी इस कदर भरी हुई है कि वो मेरी चूत को फाड़ देने के लिए बेताब था।
स्वामी जी मामी के बगल में लेट गए। लेटने के बाद स्वामी जी ने मामी की गांड पर लंड को सटाया। मामी ने लंड को अपने हाथ में ले लिया।
स्वामी जी ने मामी की गांड पर पहले हाथ फेरा फिर गांड के छेद को फैलाते हुए अपने लंड के लिए उसमें रास्ता बनाया।
मामी ने लंड को अपनी गांड के रास्ते पर ले जाकर जैसे ही सटाया.. स्वामी जी ने मामी की कमर को पकड़ कर एक जोर से झटका मारा।
मामी- आअह्हह्ह.. उह्हह.. धीरे आआ.. फट गई.. आईईई.. बाबाजी
मामी कराह उठीं।
स्वामी जी ने बोला- क्या हुआ.. घुस गया न?
मामी बोलीं- अह्हह.. उह.. थोड़ा आहह.. धीरेऐईईए.. ऊऊहह.. धीरे धक्का मारिए।
स्वामी जी ने मामी की कमर को पकड़ कर फिर से जोर का झटका मारा।
जब मैंने ध्यान से देखा तो पाया कि मामी की गांड में स्वामी जी का आधा लंड चला गया था।
स्वामी जी ने अब मामी की चूची को एक हाथ से पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया।
स्वामी जी ने मामी से पूछा- मजा आ रहा है?
मामी ने सर हिलाते हुए हामी भरी।
अब स्वामी जी ने अपने पूरे लंड को मामी की गांड में एक साथ पेलने के लिए उनकी कमर को पकड़ कर एक जोर की ठाप मारी।
मामी की तो जैसे जान ही निकल गई। कुछ देर तक कराहने के बाद मामी शांत हो गई।
स्वामी जी ने जोर-जोर के झटके मारने शुरू कर दिए और कई मिनट तक जोर-जोर से झटका लगाने के बाद शांत पड़ गए।
मैं समझ गया कि स्वामी जी ने अपनी टंकी को मामी की गांड में खाली कर दिया है।
अब स्वामी जी और मामी जैसे थे वैसे ही ढेर हो गए। मैं भी अपने बिस्तर पर सो गया।
मैं भोर के पांच बजे अचानक जब मेरी नींद खुली.. तो मैंने नीचे कुछ आवाज सुनी। मैंने जब नीचे देखा तो पाया कि मामी पीठ को ऊपर करके लेटी हुई थीं। स्वामी जी उनकी जाँघों पर बैठ कर उनकी गोरी गांड में तेल लगा रहे थे। तेल लगाने के बाद स्वामी जी अपने लंड में तेल लगाया।
अब स्वामी जी ने मामी की गांड पर जैसे ही लंड सटाया.. मामी ने उसे अपने गांड का रास्ता दिखाया।
स्वामी जी अपना लंड मामी के गांड में पेलने के बाद मामी पर लेट गए और जोर-जोर से कमर को हिलाने लगे।
कुछ देर में ही उनका पूरा लंड मामी की गांड में चला गया। लगभग बीस मिनट तक कमर को हिलाने के बाद स्वामी जी ने अपना बीज मामी की गांड में गिरा दिया।
अब स्वामी जी ने लंड निकाल लिया और बाथरूम में पेशाब करने के लिए चले गए।
मामी भी उठ कर चली गईं।
दोनों लोग एक साथ वापस रूम में आए। रूम में आने के बाद स्वामी जी ने मामी से बोला- अब तुम पहले मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसो।
स्वामी जी बिस्तर पर बैठ गए। मामी ने उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ देर के बाद स्वामी जी गरम हो चुके थे। स्वामी जी ने मामी से लेटने के लिए बोला। मामी बिस्तर पर लेट गईं। स्वामी जी उठकर मामी के जाँघों पर बैठ गए।
इससे पहले की मामी कुछ समझतीं.. स्वामी जी अपना लंड पकड़ कर मामी के दोनों पैरों को फैला कर उसके बीच में समा गए।
मामी के पैरों को समेटते हुए स्वामी जी ने मामी के चूत पर लंड टिका कर एक जोरदार झटका मारा।
मामी के मुँह से ‘आहह.. ऊहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आऊऊ.. उईईई..’ की आवाज निकल उठी।
स्वामी जी ने मामी की दोनों चूचियों को बच्चे के तरह चूसना शुरू कर दिया और जोर-जोर से झटके मार के पूरे लंड को मामी की चूत में पेल दिया।
इस बार उन्होंने बहुत देर तक मामी की चुदाई की।
मामी की चूत से जब स्वामी जी ने लंड निकाला.. तो मामी की चूत फूल कर सूज चुकी थी। मामी को उठा नहीं जा रहा था।
कुछ देर तक मामी ने अपने चूत की सिकाई गरम पानी से की।
इसके बाद हम लोग तैयार होकर अपने घर वापस आने के लिए वहाँ से चल पड़े।
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दोस्तों मेरा नाम सुरेश है।मेरी उम्र २३ Sex Stories वर्ष कद ५’८” है। मैं आपको प्रीति के साथ अपने सेक्स अनुभव को अपनी पिछली कहानी में बता चुका हूं। अब मैं अपने जिन्दगी के एक और सेक्स अनुभव को आपको बताने जा रहा हूँ।
तब मेरी उम्र १९ वर्ष थी मेरे अन्दर सेक्स का कीड़ा भड़क रहा था। मेरी छुटि्टयाँ चल रही थी। हमारे घर के सामने वाले घर में एक लड़की रहती है। उसका नाम रोशनी है। हम दोनों बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं। इस बार मैं घर दो सालों के बाद आया था। मतलब की हम दोनों पूरे दो सालों के बाद मिले थे। और अब वह पहले वाली रोशनी नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गई थी।
उसके अट्ठारह वर्ष के भरपूर जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भड़का दिया था। उसके स्तन काफी बड़े थे। वो उसकी टाईट टी-शर्ट में बिल्कुल गोल दिखते थे जिन्हें देखकर उन्हें हाथ में पकड़ने को जी चाहता था। वह अकसर शार्ट-ड्रेस पहना करती थी। बचपन में मैंने बहुत बार खेलते हुए रोशनी के स्तनों को देखा था जो कि शुरू से ही आम लड़कियों के स्तनों से बड़े थे और कभी कभी छू भी लेता था लेकिन मेरा मन हमेशा उनको अच्छी तरह दबाने को करता रहता था। लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं वो अपने घर वालों न बता दे क्योंकि मेरी उसके बड़े भाई के साथ बिल्कुल भी नहीं बनती थी। वो रोशनी को भी मेरे साथ न बोलने के लिये कहता रहता था लेकिन रोशनी हमेशा मेरी तरफ ही होती थी।
लेकिन अब रोशनी बड़ी हो चुकी थी और जवानी उसके शरीर से भरपूर दिखने लगी थी। मैं उसको चोदने के लिये और भी बेकरार हो रहा था। लेकिन अब वह पहले की तरह मेरे साथ पेश नहीं आती थी। ऐसा मुझे इस लिये लगा क्योंकि वो मेरे ज्यादा पास नहीं आती थी। दूर से ही मुस्करा देती थी।
लेकिन एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका और मैंने पहली बार ऐसा दृश्य देखा था।
उस दिन मैं तकरीबन ११ बजे सुबह अपनी छत पर धूप में बैठने के लिये गया क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी। मैं अपनी सबसे ऊपर वाली छत पर जा कर कुरसी पर बैठ गया। वहाँ से सामने रोशनी के घर की छत बिलकुल साफ दिख रही थी। मैं सोच रहा था कि रोशनी तो स्कूल गई होगी। लेकिन तभी मैंने नीचे रोशनी की आवाज सुनी। मैंने नीचे देखा- रोशनी के मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे। थोड़ देर बाद रोशनी अन्दर चली गई।
मैं सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है और मैं नीचे जाकर रोशनी को फोन करने के बारे में सोच ही रहा था कि मैंने देखा रोशनी अपनी छत पर आ गई थी। मैं उसको छुप कर देखने लगा क्योंकि मैं रोशनी को नहीं दिख रहा था।
उस दिन रोशनी ने शर्ट और पज़ामा पहन रखे थे और ऊपर से जैकिट पहन रखी थी। वह अभी नहाई नहीं थी। तभी उसने धूप तेज होने के वजह से जैकिट उतार दी और कुरसी पर बैठ गई। उसने अपनी टांगें सामने पड़े बैड पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गई जिसकी वजह से उस के बड़े बड़े वक्ष बाहर को आ गये थे।
मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था और मैं बड़े गौर से उसके शरीर को देख रहा था। तभी अचानक रोशनी अपने स्तनों की तरफ देखने लगी और उन्हें अपने हाथ से ठीक करने लगी। उसके चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नहीं होगा कि उसको कोई देख रहा है। उसी वक्त उसने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल दिये। मेरे को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं यह सब देख रहा हूं। मैंने अपने आप को थोड़ा संभाला। लेकिन तब मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नहीं रोक पाया जब मैंने देखा कि उसने नीचे ब्रा नहीं डाला हुआ था और आधे से ज्यादा बूब्स शर्ट के बाहर थे। मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठ मारने लगा।
जब मैंने फिर देखा तो रोशनी का एक हाथ शर्ट के अन्दर था और अपने एक मुम्मे को दबा रही थी और आंखे बन्द कर के मज़े ले रही थी। तभी उस ने एक मुम्मे को बिल्कुल शर्ट के बाहर निकाल लिया जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग का था। उसका चूचुक बहुत ही बड़ा था जो कि उस समय तना हुआ था और हलके भूरे रंग का था। मैं यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था और अपनी मुठ मार रहा था। तभी उसने अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया और अपने दोनों स्तन बाहर निकाल लिए। फिर वो अपने दोनों हाथों की उंगलियों से चूचुकों को पकड़ कर अच्छी तरह मसलने लगी। काफी देर तक वो अपने वक्ष को अच्छी तरह दबाती रही। थोड़ी देर बाद वह कुर्सी से उठी और बैड पर लेट गई। एक हाथ से उसने अपने स्तन दबाने शुरू कर दिए और दूसरा हाथ उसने अपने पजामे में डाल लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
अब उसको और भी मस्ती चढ़ने लगी थी और वह अपनी गांड को भी ऊपर नीचे करने लगी थी। मैं अभी सोच ही रहा था कि खड़ा हो कर उसको दिखा दूं कि मैं उसको देख रहा हूं तभी मेरा हाथ में ही छुट गया और मैं अपने लण्ड को कपड़े से साफ करने लगा। जब मैंने फिर देखा तब तक रोशनी खड़ी हो गई थी लेकिन उसके स्तन अभी भी बाहर ही थे और वो वैसे ही नीचे चली गई। लेकिन फिर भी मैं बहुत खुश था लेकिन फिर मेरे को लगा कि मैंने रोशनी को चोदने का मौका गंवा दिया। मुझे खड़ा हो जाना चाहिए था, ऐसा करना था वैसा करना था।
तभी मेरे दिमाग में एक विचार आया और मैं जल्दी से नीचे गया और रोशनी के घर फोन किया। पहले तो वह मेरी आवाज सुन कर थोड़ी हैरान हुई क्योंकि फोन पर हमारी ऐसे कभी बात नहीं हुई थी लेकिन वह बहुत खुश थी। मैं उससे सेक्स के बारे में कोई भी बात नहीं कर सका, इधर उधर की बातें करता रहा। उस दिन हमने २ घण्टे बातें की और फिर उसका भाई विशाल आ गया था। शाम को उसने मुझे फिर फोन किया और हमने १ घण्टा बातें की और फिर रोजाना हमारी फोन पर बातें होने लगी। घर पर भी अकसर आमने सामने हमारी बातें हो जाती थी। छत पर भी हम एक दूसरे को काफी काफी देर देखते रहते थे। लेकिन मुझे उसके भाई से बहुत डर लगता था, इसलिए जब वह घर पर होता था मैं रोशनी से दूर ही रहता था।
एक बार विशाल की वजह से हमारी पूरे दो दिन बात नहीं हुई और हम दोनों बहुत परेशान थे। हम छत पर भी नहीं मिल पाए। विशाल ने उसको हमारे घर भी नहीं आने दिया। मैं पूरा दिन बहुत परेशान रहा क्योंकि रोशनी मुझे सिर्फ एक बार दिखी थी और हमारी बात भी नहीं हुई थी। रात के ९ बज चुके थे। मैं बैठा रोशनी के बारे में सोच रहा था। तभी बाहर की घण्टी बजी। जब मैंने गेट खोला तो देखा बाहर रोशनी खड़ी थी।
उसने मुझसे सिर्फ यह कहा,”आज रात साढ़े बारह मैं फोन करूंगी ! सुरेश, मेरा मन नहीं लग रहा है !” और वापस चली गई।
मैं एक दम से हैरान रह गया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन मैं बहुत खुश था। पहली बार किसी से रात को बात करनी थी। गेट बन्द करके अन्दर गया और मम्मा से कहा पता नहीं कौन था? घण्टी बजा कर भाग गया।
११ बजे सभी सो गए, लेकिन मुझे नींद कैसे आ सकती थी। मैंने दूसरे फोन की तार निकाल दी थी और अपने कमरे वाले फोन की रिंग बिल्कुल धीमी कर दी थी, कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लिया था। तकरीबन १२:३५ पर फोन आया। रोशनी बहुत ही धीमे स्वर में बोल रही थी। उसने बताया,”विशाल ने हम दोनों को बात करते हुए देख लिया था। इसलिए उसने मुझे तुमसे मिलने और फोन पर बात करने से मना किया है, वह कहता है कि तुम अच्छे लड़के नहीं हो ! लेकिन मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो। तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगता है। मैं तुम से बात किए बगैर नहीं रह सकती। इसलिए सुरेश हम रात को बात किया करेंगे और इस समय हमें कोई डिसटर्ब भी नहीं करेगा ! खास कर विशाल !”
ऐसे ही हमारी बहुत देर बातें होती रहीं और अब रोशनी पूरी तरह मेरे जाल में फँस चुकी थी।
मैंने पूछा- तुम कमरे में अकेली ही हो न ? इतनी धीमे क्यों बोल रही हो?
उसने कहा- मेरे कमरे का दरवाजा खुला है और मम्मी पापा साथ वाले कमरे में हैं।
तो मैंने उसको दरवाजा बन्द करने को कहा।
उसने पूछा- क्यों ?
मैंने कहा- उसके बाद मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा, बैड के ऊपर बिलकुल तुम्हारे साथ।
तो वह कहने लगी- नहीं ! मुझे तुमसे डर लगता है। तुम मेरे साथ कुछ कर दोगे।
तब मैंने उससे कहा- मैं कभी तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा। जो तुम्हें अच्छा लगेगा हम वही करेंगे।
मैंने कहा- लेकिन रोशनी मैं तुम से लड़कियों के बारे में एक बात पूछना चाहता हूं। बताओगी?
उसने कहा “पूछो क्या पूछना चाहते हो।”
मैंने हिचकचाते हुए कहा मैं मासिक धर्म के बारे में सब कुछ जानना चाहता हूं।
पहले रोशनी चुप कर गई लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मुझे सब कुछ बताया और उसके बाद हमारी सेक्स के बारे में बातें शुरू हो गई।
मैंने उसको कहा कि मैंने उसके बूब्स देखे हैं। तो उसने कहा आप झूठ बोल रहे हो।
तब मैंने छत वाली बात बता दी कि मैं सब कुछ देख रहा था। वह थोड़ा शरमा गई और कहने लगी कि आप बहुत खराब हो। उसने कहा कि ऐसा करने से उसको मजा आता है।
मैंने रोशनी को अपना हाथ पकड़ाने के लिए कहा।
उसने कहा- फ़ोन पर कैसे ?
मैंने कहा- बस समझ लो कि हम जैसे बोल रहे हैं, वैसे ही कर भी रहे हैं।
उसने कहा,”ठीक है ! पकड़ लो लेकिन आराम से पकड़ना !”
थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा “तुम्हारे हाथ पकड़ने से सुरेश मेरे को कुछ हो रहा है, प्लीज अभी मेरा हाथ छोड़ दो !”
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि जब मैंने पहले उसका हाथ पकड़ा था तब उसकी टांगो के बीच में कुछ हो रहा था उसको बहुत मजा आ रहा था और उसकी चूत में से बहुत पानी निकल रहा था जिस की बजह से वह घबरा गई थी और इसीलिए उसने मुझे हाथ छोड़ने को कहा था।
तब उसने फिर से हाथ पकड़ने को कहा।
मैंने कहा- ठीक है पकड़ा दो।
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि उसकी पैंटी चूत के पानी से बिलकुल गीली हो गई है और उसके चूचुक भी बिलकुल तन गए हैं। तब मैंने उसको अपने कपड़े उतारने को कहा। उसने उठ कर दरवाजा बन्द कर लिया और सारे कपड़े उतार दिए। फिर उसने बूब्स दबाने शुरू कर दिए और सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी। मेरा लण्ड भी बिल्कुल खड़ा हो चुका था।
रोशनी अपनी उंगली से चूत के ऊपर अपनी शिश्निका को दबाने लगी और फिर उसने उंगली चूत के अन्दर डाल ली।
उसके मुंह से आवाजें आ रही थी- आहहहहहहहहहहहहहहह आह आहहहह वह कह रही थी ” सुरेश प्लीज चोदो मेरे को। अपना लण्ड मेरी चूत में डालो। मेरे मुम्मों को चूसो। जोर जोर से चोदो मेरे को।”
उस रात हमने सुबह ५ बजे तक बात की। उसको बाद हम अकसर रात को बातें करते थे। लेकिन मैं उस दिन के इंतजार में था जिस दिन मैं उसको असली में चोदूं। आखिर वह दिन आ ही गया जब मेरा सपना सच हो गया।
रोशनी के एक रिश्तेदार अचानक बीमार हो गये उसके मम्मी और पापा को उन्हें देखने के लिये जाना पड़ा। किसी भी हालत में उनके तीन दिन तक लौटने की कोई उम्मीद नहीं थी। विशाल दिन भर दुकान पर था। रोशनी घर में अकेली थी। लेकिन मम्मा की वजह से मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था। मैं अपने कमरे में चला गया।
मैंने एक सेक्स मैगजीन निकाला और देखने लगा। उसमें कुछ नग्न तस्वीरें थी। मैं उन्हें देख रहा था तभी अचानक पीछे से रोशनी आ गई। उसने पूछा- क्या देख रहे हो? और वह मेरे बेड पर बैठ गई।
मैंने पूछा- मम्मा से क्या कहा है?
उसने कहा- आन्टी ने मुझे यहां आते हुए नहीं देखा।
तभी मैं उठा और मम्मा से कहा- मैं सोने लगा हूं !
और मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। फिर मैंने उसके सामने वह किताब रख दी वह उसे देखने लगी। फिर हम दोनों सेक्स के बारे में बातें करने लगे। मैं उठकर उसके पीछे खड़ा हो गया। मैंने उसके कन्धे पर अपना हाथ रखा और झुककर उसके कन्धों को चूम लिया। उसने कुछ भी प्रतिरोध नहीं किया यह मेरे लिये बहुत था।
मैं उसके सामने बैठ गया और उसके होठों को चूम लिया। मेरा हाथ तेजी से उसकी कमर में पहुँच गया और कसकर पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया। मेरे हाथ उसके वक्ष पर पहुँच गए और ऊपर से ही दबाने लगा।
उसके मुँह से प्रतिरोध के शब्द निकले- ओहहहहहहहहहहह नहीं ! बस करो सुरेश।
लेकिन उसके हाथो ने उतना एतराज नहीं जताया। उसने एक ढीली ढाली टी-शर्ट और साइकलिंग-शॉर्ट पहन रखा था। मेरा हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके उभारों को दबाने लगा। मेरी जीभ उसके मुँह में घूम रही थी। अब उसकी तरफ से भी सहयोग मिलने लगा था। मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी। उसने पहले ना नुकुर की लेकिन मेरे हाथ का जादू उसके दिलो दिमाग पर छा रहा था। उसका प्रतिरोध नाममात्र का था। मैं उसके स्तनों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही मुँह में लेने लगा।
मेरा दूसरा हाथ उसकी जांघों के बीच के भाग को उसके कपडों के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसका भरपूर यौवन मेरे सामने था, जिनको मैंने बिना एक पल की देरी किये अपने मुँह में ले लिया। वह अपने वश में नहीं थी उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।
मैंने उसके बाकी बचे कपड़ों को उतार फेंका और उसे बेड पर लिटाया। मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे थे, मैंने अपने कपड़े उतार दिये। मैं अब सिर्फ अन्डरवियर में था और उसके ऊपर वापस झुक गया, उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा। मेरे हाथ उसकी जांघों के बीच की गहराइयों तक पहुँच गये और उसके जननांग को सहलाने लगे। उसने अपना हाथ मेरी अन्डरवियर में डालकर मेरे हथियार को बाहर निकाल लिया।
मैं नीचे गया और अपने होंठ उसके जननांगों पर रख दिये। उसके मुँह से एक सीत्कार निकल पड़ी। उसने मुझे अपने पैरो में फँसा लिया। मेरी जीभ उसकी चूत के अन्दर बाहर हो रही थी। उसने पानी छोड़ दिया, मेरी जीभ को नमकीन स्वाद आने लगा। उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालने के लिये मुझे ऊपर की ओर खींच लिया और बोलने लगी- प्लीज इसे अन्दर डालो अब बरदाश्त नहीं होता।
मैंने एक पल की भी देरी नहीं की। उसकी टांगों को फैलाया और अपने लण्ड को उसके चूत के ऊपर रखा, एक धीमा सा धक्का दिया, वह पहले झटके को आसानी से सहन नहीं कर पाई और दर्द से कराह उठी और चिल्लाने लगी- ़़़़ ज़ल्दी निकालो मैं मर जाऊँगी।
मैंने उसको कस कर पकड़ा और उसके निप्पल को मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटने और दांतों से काटने लगा। थोड़ी देर में ही वह अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। मेरा लण्ड जो कि अभी तक चूत के अन्दर ही था और बड़ा होने लगा था। मेरे लिये अब यह पल बरदाश्त के बाहर था। मैंने भी आगे पीछे जोरों से धक्के लगाने लगा। मेरी स्पीड लगातार बढ़ती रही, उधर उसके मुँह से उत्तेजित स्वर और तेज होते रहे और थोड़ी देर में हम दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये। फिर वासना का एक जबरदस्त ज्वार आया और हम दोनों एक साथ बह गये।
मैं उसके ऊपर ही लेटा रह गया। उसने मुझे कसकर पकड़ रखा था। थोड़ी देर में मैं मुक्त था। रोशनी छुप कर अपने घर चली गई। बाद दोपहर जब विशाल खाना खा कर वापस दुकान पर चला गया तो मैं मम्मा से यह कह कर कि मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूं, रोशनी के घर चला गया। फिर हमने शाम तक एक दूसरे के साथ सेक्स किया, इक्कठे नहाए और रोशनी ने मेरे लण्ड को अपने मुंह में डाल कर खूब चूसा, उसको लण्ड को चूसने में बहुत ही मजा आ रहा था। शाम को जब मैं जाने लगा तो उसने कहा कि आज रात को वह मेरे साथ सोना चाहती है।
मैंने कहा- यह कैसे हो सकता है।
उसने कहा कि आज रात को वह नीचे अकेली होगी और उसने कहा कि ११ बजे बाहर आ जाना वह गेट खोल देगी।
रात को मैं ११ बजे मैं छोटे गेट से उसको बाहर से ताला लगाकर रोशनी के घर के बाहर गया तब उसने गेट खोल दिया और मैं अन्दर चला गया। रोशनी गेट बन्द करके अन्दर आ गई।
मैंने पूछा- विशाल सो गया क्या ?
उसने कहा कि विशाल तो एक घंटे से सोया हुआ है।
तब मैंने पूछा कि वह क्या कर रही थी। उसने कहा,” आपसे अच्छी तरह चुदने की तैयारी कर रही थी।”
वह मेरे को अपने मम्मी पापा के बैडरूम में ले गई और आप बाथरूम में चली गई। थोड़ी देर बाद जब वह बाहर आई उसने छोटी सी नाईटी जो कि बिलकुल पारदरशी थी पहनी हुई थी। उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था। उसके मुम्मे और चूत दिख रहे थे। उसने कहा- यह नाईटी मम्मा की है और आज वह मम्मा की तरह ही चुदना चाहती है।
मैंने पूछा- मम्मा की तरह का क्या मतलब है?
उसने कहा कि एक रात वह बाथरूम जाने के लिए उठी तो उसने देखा कि मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल रही थी। उसने खिड़की में से देखा तो मम्मा ने यह ही पहनी हुई थी। उसके बाद उसने २ घण्टे मम्मा को पापा से चुदते देखा।
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि रोशनी ने सारे बाल साफ कर हुए थे। उसके बाद हम फिर से एक दूसरे के लिए बिल्कुल तैयार थे। उस रात सुबह ५ बजे तक बिल्कुल नंगे एक दूसरे की बाहों में रहे और इस बीच मैंने उसको तीन बार चोदा। उसने मेरे लण्ड को बहुत चूसा।
अगले दो दिन भी हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में मजे करते रहे। अब हमें जब भी मौका मिलता है हम इसका आनन्द उठाते हैं। Sex Stories
हाय दोस्तो, मैं अन्तरवासना का Sex Stories नियमित पाढ़क हूँ और मैं इस पर छपने वाली हर कहानी को बड़े ही मजे से पढ़ता हूँ।
तो चलो आते हैं मेरी कहानी पर।
मेरा नाम देव है और मैं दिखने में ठीक-ठाक और 20 साल का एक अच्छा लड़का हूँ। मैंने कभी भी किसी लड़की को गलत नजर से नहीं देखा था।
यह घटना लखनऊ की है और मेरे पापा की पोस्टिंग के बाद मैं बटिण्डा(पंजाब) चला गया। इस घटना के बाद मेरा लडकियों के प्रति नजरिया बदल गया।
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवी कक्षा में पढ़ता था। चूँकि मैं सांइस विषय से था इसलिए मुझे लड़कियों के साथ पढ़ने का काफी मौका मिलता था। मैं और मेरी कुछ 2 या 3 लडकियाँ दोस्त अक्सर गेम्स के समय थोड़ा पढते थे और थोड़ा मौज-मस्ती किया करते थे।
यह बात मेरी ही क्लास के कुछ लड़के और लड़कियों को अच्छी नहीं लगती थी और वह मुझे कभी-कभार इस बात को लेकर मजाक भी किया करते थे।
मेरी ही क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम पूजा था। वह दिखने में एकदम किसी फिल्म की हीरोइन की तरह लगती थी, उसकी आँखों में एक अजब सा नशा दिखाई पढ़ता था। वह अभी कच्ची उम्र यानि कि करीब 18 साल की रही होगी और वह देखने में गोरी और चिकनी थी। वह मुझसे जब भी मिलती तो मुस्कुरा देती और मुझसे शरारत भरे सवाल पूछती कि तुम उन लड़कियों के साथ क्या करते रहते हो? वगैरह-वगैरह और मैं कह देता था कि बस पढ़ता ही तो हूँ और क्या करता हूँ। उस समय मैं उसकी शरारत भरी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था और उसे अक्सर टाल जाता था।
ऐसे ही महीने बीतते गये और मेरे फाइनल पेपर के लिए कुछ महीने शेष रह गये। तब मुझे भी अन्य विद्यार्थीयों की तरह पेपर में अच्छे नंबर लाने के लिए एक कोचिंग सेन्टर में प्रवेश लेना पडा़। एक दिन मैं थोड़ा सा बिमार पड़ गया और मैं उस दिन कोंचिग क्लास नहीं ले पाया। मेरी आदत थी कि मैं कोचिंग शुरु होने से पहले ही वहाँ पहुँचकर अपने दोस्तों के साथ थोड़ी यहाँ-वहाँ की बातें करता था।
अगले दिन रोज की तरह मैं कोचिंग गया तो मेरे दोस्तो ने बताया कि कल ही तुम्हारे स्कूल की एक लड़की ने यहाँ ऐडमिशन लिया है और उसका नाम पूजा है। मेरी तो यह सुन कर सिटी-पिटी गुम हो गई। मैन सोचा कि अब वह मुझे यहाँ भी चिढ़ायेगी।
मैं उसकी शरारतों से बहुत ही डरता था। अभी कुछ ही देर हुई थी कि वह कोचिंग क्लास में आ गई। मैंने उसे वहाँ देखा तो देखते ही रह गया, वह पीले पटियाला सूट में एकदम पटाका लग रही थी। उसने मुझे देखते ही हाय किया और मैंने उसे अनदेखा करते हुए यहाँ-वहाँ देखने लगा। जब क्लास खत्म हो गई और मैं वहाँ से जाने लगा तो उसने मुझे पीछे से रोका और मुझे आवाज दी। मैं वहाँ ही रुक गया।
उसने कहा- तुम भी यहाँ पढ़ते हो?
तो मैंने कहा- हाँ!
उसने कहा- कबसे?
मैंने कहा- 10 दिन से।
उसने कहा- क्या हम साथ चल सकते हैं?
तो मैंने बहाना बना दिया और वहाँ से चला गया। दरअसल उसका घर मेरे घर के रास्ते में ही पड़ता था।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गये और एक दिन क्लास के समय पूजा की तबीयत अचानक खराब हो गई। सर ने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- कुछ नहीं! बस सर दर्द हो रहा है! और वह एक तरफ सर झुका कर बैठ गई।
जब क्लास खत्म हो गई तो भी वह वैसे ही बैठी हुई थी। सर उसके पास गये और उसकी तबीयत देखकर कहा- क्या कोई इसके घर के पास रहता है?
तो उसकी सहेलियों में से एक ने मेरा नाम बताया।
सर ने मुझे कहा- अब तुम इसको घर तक पहुँचाओगे।
मैं भी क्या करता, मुझे भी हाँ करनी पड़ी। हम दोनों साइकिल से ही जाते थे तो रोज की तरह मैंने साइकिल उठाई और आज पूजा को साथ लेकर चलने लगा।
पहले तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा, क्योंकि घर थोड़ी दूर था इस लिए उसने ही पहले शुरुआत करते हुए पढ़ाई कैसी चल रही है वगैरह-वगैरह के बारे में पूछा। रास्ते में बातें करते करते अब मैं उससे थोड़ा नजदीक आ गया था। उसने अपने घर के बारे में बताते हुए कहा कि उसको घर में रहना बहुत बेकार लगता है क्योंकि उसके मम्मी-पापा हमेशा लड़ते रहते थे। मेरी बातों ही बातों में उससे दोस्ती हो गई।
अब मैं जानने लगा कि वह इतनी भी दिल की बुरी नहीं है जितना कि मैं उसको समझता था। अब तो क्या था वह रोज मेरे साथ कोचिंग जाने और आने लगी। अब वह मेरे लिए दोस्त से बढ़कर थी। परीक्षा शुरु होने में अभी दो हफ्ते शेष रह गये थे और अब हम लोग घर में रहकर ही परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे।
एक दिन अचानक मुझे उसका फोन आया और उसने कहा कि उसके सर के दिए हुए कुछ नोटस खो गये हैं और मुझसे मेरे नोटस मँगवाये। मैं कुछ ही देर बात उसके घर पहुँच गया।
उसने मेरा स्वागत किया और कुछ चाय-बिस्किट वगैरह लाकर टेबल पर रख दी।
मैंने उससे पूछा- क्या घर पर कोई नहीं है?
तो उसने कहा- चाचा जी के लड़के की शादी है इसलिए सब कानपुर गये हुए हैं!
अब वह मुझे अपने कमरे में ले गई और उसने मेरे नोटस ले लिए और फिर हम दोनों कुछ बाते करने लगे। आज मैंने उसकी आँखों में कुछ अजीब से शरारत देखी।
बातें करते-2 उसने मुझे कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
उसकी यह बात सुन कर मेरा दिल उछलने लगा क्योंकि दिल ही दिल में मैं भी उसको चाहने लगा था। उसकी यह बात सुनकर मैंने भी उसे अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसी समय टीवी पर ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ आ रही था और उसमें पल-पल हर पल वाला गाना चल रहा था। आप लोग तो जानते ही होंगे कि वह कितना प्यारा रोमांटिक गाना है।
गाने को देखकर पूजा मुझसे लिपट गई और कहने लगी- देव मुझे इतना प्यार दो कि मैं आज तुम्हारे प्यार से भर जाऊँ।
उसने मेरे औंठों पर अपने गुलाबी औंठ रख दिया। इतना प्यार पाकर मेरे अन्दर का मर्द भी जाग गया और मैंने भी उसे जी भरकर चाटना-चूमना शुरु कर दिया। इतना प्यार पाकर हम दोनों काम वासना की ज्वलंत अग्नि में जलने लगे। हम दोनों का शरीर गर्मी से जला जा रहा था।
अब मैंने हिम्मत दिखाते हुए उसके कमीज को अलग कर दिया। वह थोड़ा शरमाने लगी। मैंने कहा- जान, अब क्यों शरमाती हो, मैं तो तुम्हारा ही हूँ। फ़िर सलवार निकालने के बाद तो उसके शरीर पर केवल ब्रा और पेन्टी ही शेष बाकी रह गये थे। उसके रसीले यौवनयुक्त शरीर को देखकर मैं पागल हुए जा रहा था।
उसने कहा कि मुझे ही नंगा किये जा रहे हो। अपने शरीर को भी तो दिखाओ?
मैंने कहा- अभी लो जान!
और मैं झट से नग्न अवस्था में उसके सामने खड़ा हो गया, उसने मेरे शरीर को ऊपर से नीचे तक निहारा और प्यार से मेरे छाती पर अपने औंठों का घुमाने लगी।
मेरा 6 इंच का लंड देखकर उसके मुँह खुला का खुला रह गया। मैं तो बस पागल ही हुए जा रहा था। अब मैं उसकी ब्रा को उठाने लगा तो उसने अपने हाथ आगे कर लिए। धीरे धीरे मैंने आगे बढ़ते हुए उसकी ब्रा को उसके कोमल से शरीर से अलग कर दिया। वह अब किसी परी की तरह लग रही थी। मैंने अब उसके स्तन चूसने प्रारंभ किये। हाय!! कितने सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी मैं आपको बता नहीं सकता।
वह अब सिसकियाँ लेने लगी… हाय!! ऐसे ही! हाँ ऐसे ही!…हाय!!
यह सब उसके मुख से निकल रहा था। कुछ देर तक चूची का रस चूसने के बाद मैंने उस कच्ची कली की पैन्टी भी उतार दी।
अब उसके शरीर पर एक धागा तक शेष ना बचा था। उसके इस नग्न छरहरे कामुक बदन को देखकर तो शायद कामदेव भी शरमा जाए।
मैंने अब उसकी चूत को निहारा, बिल्कुल गुलाबी सा रंग, एक भी बाल न था उसकी चूत पर। अब तो सारा काम मुझे ही करना था।
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरु किया, पहले तो उसे कुछ गुदगुदी सी हुई फिर उसे मजा आने लगा, मैं अब एक अँगुली उसकी गुलाबी चूत के मुहाने पर रखकर अन्दर-बाहर करने लगा।
वह तो मानो पागल हो गई और कामवासना की आग में जलने लगी और कहने लगी- हाँ राजा!! ऐसे ही हाँ ऐसे ही!! ऊम… ऊमममम… ऊईईईईईई…
अब उसे बर्दाशत नहीं हो रहा था… थोड़ी देर बाद मैंने सोचा- अब बस बहुत खेल लिया अब इस लंड की प्यास भी बुझाई जाए और मैं अपने लंड को आगे लेकर उसकी चूत की ओर बढ़ा़।
उसने कहा- इतना बडा! मेरी चूत में कैसे जाएगा?
मैंने कहा- जानम! तुम बस देखती जाओ…!
उसने कहा- दर्द होगा?!
मैंने कहा- तुम्हें बिल्कुल भी दर्द न होने दूँगा।
यह सुनकर उसकी जान में जान आई। अब मैंने लंड को उसके योनि-द्वार पर रखा और हल्के से झटका मारा, लंड अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया होगा कि उसकी चीख निकल पड़ी- हाय!!!! मर गईईईईई… आआआआ…
मैंने सोचा- लगता है गई भैंस पानी में। थोड़ी देर तक हम इसी अवस्था में रहे। उसकी कुंवारी चूत जानकर मैं पास ही पड़ी एक क्रीम उठाकर उसकी चूत के अन्दर बाहर लगाने लगा।
उसके कहा- यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- जान घबराओं मत, इसको लगाने से तुम्हें दर्द की अनुभुति कम होगी और मेरा लंड आसानी से तुम्हारी इस प्यारी चूत में समा जायेगा।
उसने कहा- ठीक है!
उसकी तरफ से हरी झंडी मिलते ही मैंने फिर से एक बार चूत पर अपने लंड की दस्तक दी और मारा एक जोरदार शॉट, ऐसा करते ही उसकी चूत की सील फट गई और उसकी चूत का खून रिस-रिस कर चूत के छेद से बाहर बहने लगा और वह जोर से चिल्लाई-… हाय!! माँ मर गईईईई ईईईईईई…
हाय!!, मैंने सोचा कि यह क्या हो गया!!
मैंने जल्दी से नैपकिन लाकर उसकी चूत की सफाई करी। थोड़ी देर बात मैंने उससे कहा- क्या फिर से शुरु करें।
उस समय तक उसका दर्द कुछ कम हो गया था। मैंने उसे अपनी कसम दी तो वह मान गई।
मैंने अब फिर से एक बार डरते हुए लंड डाल दिया, वह अबकी बार थोड़ा कम चिल्लाई, मैंने अब हौले-हौले चुदाई शुरु कर दी।
थोड़ी देर बाद उसको भी मजा आने लगा और वह कहने लगी- हाँ राजा ऐसे ही ऐसे ही… उममम… आआआ… हाय…
अब मैंने भी अपने पूरे जोर से चोदना चालू रखा।
मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ।
लगभग 15 मिनट की तेज चुदाई के बाद में झड़ने लगा, उसने कहा- बस थोड़ी और देर! मैं भी झडने वाली हूँ।
मैंने कहा- ले! मैं गया! और मैं अपने पूरे तेज के साथ उसकी चूत में झड़ गया और वह भी मेरे साथ झड़ गई। हम दोनों का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और हम लगभग आधे घन्टे तक एक दूसरे के ऊपर ही चिपकर लेटे रहे।
फिर आधे घन्टे बाद मैंने उसे उस दिन फिर दो बार चोदा वह भी अलग-2 स्टायल में।
दूसरे ही दिन पूजा के मम्मी-पापा शादी से आ गये। फिर पेपर के बाद मेरे पिताजी की पोस्टिंग आ गई और उसके बाद फिर मैं उससे कभी नहीं मिल पाया।
यह थी मेरे पहले सेक्स की सच्ची कथा अन्तर्वासना डॉट कॉम पर। आशा करता हूँ कि आपको पसंद आयेगी।
किसी भी प्रकार की गलती के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। Sex Stories
मैं अपना परिचय Antarvasna दे दूँ, मेरा नाम सुरेश खुराना है, उम्र ५२ साल, कद ५’-१०”, रंग गोरा और बदन गठीला है। मैं स्टेट बैंक में मैनेजर हूँ, मेरे घर में मेरी पत्नी और दो बेटे हैं, जो कक्षा ८ और १० में पढ़ते हैं।
बात लगभग एक साल पहले की है जब मेरा तबादला आगरा से जयपुर हुआ तो पत्नी और बच्चों को आगरा में ही छोड़कर मैं अकेले जयपुर आ गया। जयपुर में मैंने जो मकान किराये पर लिया उसके मालिक का नाम था मूल चंद मनवानी, उसकी उम्र लगभग ५४ साल, कद ५’-६”, रंग गोरा और बदन ढीला ढाला, पेशा जूते की दुकान। उसके घर में उसकी पत्नी सीमा, उम्र लगभग ५० साल, कद ५’-५”, रंग गोरा और बदन भरा-पूरा। खंडहर बताते थे इमारत कभी बुलंद थी। इनकी एक लड़की पायल थी जिसकी उम्र करीब अट्ठारह-उन्नीस साल, कद ५’-५”, रंग गुलाबी और बदन अपनी मां की तरह भरापूरा था, एक नज़र में फिल्म स्टार ममता कुलकर्णी लगती थी।
मैं सुबह नहा धोकर निकलता, रेस्तरां में नाश्ता करता और बैंक चला जाता, दोपहर का खाना टिफन वाला बैंक में दे जाता और रात को होटल में खाता था।
इस तरह दिन कट रहे थे कि एक दिन मूल चंद जी बोले- खुराना साब, क्यूँ होटल बाज़ी करते हैं, यहीं घर में खाया कीजिये।
मेरे मना करने पर बोले- जो मुनासिब हो, पैसे दे दिया करिए, यानी आप किरायेदार से पेइंग गेस्ट बन जाइए। मुझे भी ठीक लगा और मैं उनके घर मैं खाने लगा। उनके घर खाना खाने से हुआ यह कि मैं सीमा की तरफ आकर्षित होने लगा और उसको चोदने की सोचने लगा।
एक दिन मैंने बैंक से छुट्टी ली और सिरदर्द का बहाना बनाकर घर मैं लेटा रहा।
जब नाश्ता करने उनके घर नहीं गया तो मूल चंद और पायल के जाने के बाद सीमा आई और पूछा- आज आप नाश्ता नहीं करेंगे क्या?
मैंने बताया- तबियत खराब है !
तो बोली- मैं चाय बनाकर लाती हूँ !
मैंने कहा- चाय ना लाइये, कोई बाम हो तो ले आइये !
वो गई और बाम ले आई तथा मेरे कहने पर मेरे माथे पर मलने लगी। दोनों के शरीर करीब आये साँसे मिलने लगीं तो मैंने पहल की और उसने भी विरोध नहीं किया, हम दोनों नंगे हो गए और मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया। उस दिन से लगभग रोज़ हमारा प्रोग्राम बन जाता।
एक दिन मैं उसको चोद रहा था, कमरे का दरवाजा बंद था, खिड़की का पर्दा लगा था, मुझे एहसास हो गया कि पायल आ गई है और खिड़की के बाहर से अन्दर के माहौल का अंदाज़ लगा रही है।
उसको सुनाने के उद्देश्य से मैंने सीमा से पूछा- सीमा जब मेरा लंड तुम्हारी चूत के अन्दर बाहर होता है तो मज़ा आता है?
तो बहुत सेक्सी आवाज में सीमा ने कहा- राजा इतना मज़ा इससे पहले कभी नहीं आया !
सीमा को चोदते हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि उसकी बेटी पायल यह जान गई थी कि मैं उसकी माँ सीमा को चोदता हूँ। हालाँकि सीमा को यह नहीं मालूम था कि पायल यह सब जानती है। मेरा ध्यान अब कच्ची कली को फूल बनाने पर लगा हुआ था। जल्दी ही भगवान ने मेरी सुन ली, सीमा का मायका अलवर में था और उसकी माँ की तबियत खराब होने की खबर आई तो वह एक हफ्ते के लिए अलवर चली गई, जाते समय मुझसे बोली- तुम्हें बहुत मिस करूंगी !
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मैं भी !
उसके जाने के बाद मैं नाश्ता करने गया तो पायल से इधर उधर की बातें होने लगीं। मैं उसकी झिझक दूर करना चाहता था। बातों बातों में उसने बताया कि परसों मेरा जन्मदिन है और मैं १८ साल की हो जाऊंगी।
मैंने पूछा- तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हें क्या तोहफ़ा दूं ?
बोली- कुछ नहीं !
मैं जानता था कि मूल चंद बहुत कंजूस टाइप का आदमी है और परिवार पर ज्यादा खर्च नहीं करता है। मैंने कहा- रात को जब तुम्हारे पापा आ जायेंगे तो उनसे बात करूंगा और कल तुमको मार्केट ले जाऊंगा, एक सुन्दर सा सूट दिलाऊँगा।
मेरी बात सुनकर बहुत खुश हो गई। मैं नाश्ता कर चुका था इसलिए उठा और बैंक चला गया। रात को खाने के समय मैंने मूल चंद से कहा- परसों पायल का जन्मदिन है और मैं इसे एक सूट उपहार में देना चाहता हूँ, अगर आपकी इजाज़त हो तो कल इसको मार्केट से दिलवा दूं?
मूल चंद लालची तो था ही, हल्की सी मनाही के बाद बोला- जो आपकी मर्ज़ी !
खाना खाकर मैं अपने कमरे में आ गया और आगे की योजना बनाने लगा। सुबह मूल चंद के जाने के बाद मैं नाश्ता करने गया तो मैंने पायल से कहा- ११ बजे तक तैयार हो जाना, मार्केट चलेंगे, पिक्चर देखेंगे और वहीं खाना खायेंगे ! पायल के चेहरे और मेरे लंड की रौनक देखने लायक हो रही थी।
मैं बैंक गया और बहाना बनाकर ११ बजे वापस आ गया, पायल तैयार थी, गज़ब ढा रही थी। हम लोगों ने पहले सूट ख़रीदा, फिर उसकी झिझक खोलते हुए उसको ब्रा और पैंटी भी दिलवा दी। इसके बाद हम लोग पिक्चर देखने लगे। इंटरवल तक हम लोग आराम से बैठे रहे, इंटरवल में पोपकोर्न लिए, खाते खाते पिक्चर शुरू हो गई। अब पोपकोर्न लेने के चक्कर में हमारे हाथ छुए तो शुरुआत हो गई। पोपकोर्न खत्म होने के बाद मैंने उसका हाथ पकड़ा, कुछ नहीं बोली तो मैंने उसका हाथ सहलाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में मेरा लंड एकदम टाइट हो गया तो मैंने पायल का हाथ अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा तथा सहलाने लगा।
मैंने उससे कहा- तुम भी सहलाओ ! तो वह मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी। मैंने अपना दूसरा हाथ उसके मम्मे पर रखा और हल्के-हल्के दबाने लगा। इसी समय पिक्चर खत्म हो गई और हम खाते पीते घर आ गए। आज पहला दिन था और उसे खाना भी बनाना था, इसलिए घर आकर हमने कुछ नहीं किया। वह अपने घर चली गई और मैं अपने कमरे में ! मैंने बाथरूम जाकर मुठ मारी, अपने लंड को ठंडा किया और सो गया।
रात को करीब १० बजे मूल चंद की आवाज से नींद खुली, सबने एक साथ खाना खाया। खाने के दौरान पायल की भूखी प्यासी आँखें मुझे और मेरी आँखें उसे देखती रहीं। मूल चंद तो १५००/- का सूट देखकर गीला हो गया था।
अगले दिन सुबह सोकर उठा तो पहला काम पायल को फ़ोन करके हैप्पी बर्थडे कहा।
बोली- थैंक्यू !
तो मैंने कहा- पायल, आई लव यू !
शर्माते हुए बोली- आई लव यू टू !
रास्ता साफ़ था, बस मूल चंद के दुकान जाने की देर थी, मुझे मालूम था कि आज १८ साल की नई नवेली चूत मिलने वाली है, मैं भी डाबर शिलाजीत गोल्ड के २ कैप्सूल खाकर अपनी जवानी में चार चाँद लगा चुका था। मूल चंद को दुकान गए १० मिनट हो गए तो मैं पायल के कमरे की तरफ गया, कमरा अन्दर से बंद था, आवाज़ देने के २ मिनट बाद दरवाज़ा खुला तो मैं गश खाकर गिरने वाला था, मेरी दुल्हन पायल मनवानी गुलाबी रंग के नए सूट में बिजली गिरा रही थी। मैं कमरे के अन्दर गया तो उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने अपनी बाहें फैलाईं तो चली आई।
मैंने कहा- पायल आज तुम १८ साल की हो गई हो और १८ साल की लड़की को सरकार इजाज़त देती है वह जो चाहे कर सकती है, वह चाहे तो नया सूट पहन सकती है और चाहे तो सूट दिलाने वाले को सूट उतारने का मौका दे सकती है, क्या तुम मुझे ये मौका दोगी कि मैं देख सकूं कि तुम नई ब्रा और पैंटी में कैसी लगती हो ?
कुछ नहीं बोली, बस सीने से लग गई, मैंने उसका सूट उतारा फिर थोड़ी देर तक चूमने चाटने के बाद ब्रा और पैंटी भी उतार दी, उसे गोद में उठाया और बेड पर ले आया। बेड पर लिटाते ही अपने होंठ उसकी चूत पर रखे तो उसे करंट सा लगा, मुझे लगा लोहा गरम है, अपने कपड़े उतारे, जेब से कंडोम निकालकर अपने तन्नाये हुए लंड पर चढ़ाया और लंड को उसकी चूत के मुंह पर रखते हुए कहा- पायल डार्लिंग ! यह रहा तुम्हारा असली बर्थडे गिफ्ट !
पहले झटके में आधा और दूसरे झटके में पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, थोड़ा सा कसमसाई लेकिन झेल गई।
अब मेरा लंड उसकी चूत में था और उसका एक मम्मा मेरे मुंह में तथा दूसरा मेरे हाथ में था। आधे घंटे से ज्यादा देर तक चोदने के बाद जब मेरे लंड से पिचकारी छूटी तो भूचाल आ गया। अपना लंड जब उसकी चूत से निकाला तो चादर पर फैला खून देखकर एक बार तो मैं घबरा गया लेकिन पायल का सुकून भरा चेहरा देखकर राहत की सांस ली। हम दोनों बाथरूम गए मिलकर नहाए और बेड पर आ गए।
कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके होठों को चूसना शुरू किया और उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया जिसे वह सहलाने लगी। थोड़ी देर में लंड खडा हो गया तो मैंने पोजीशन बनाकर लंड उसके मुंह में दे दिया. कुछ देर बाद उसने मुंह से मेरा लंड निकाला और मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया, मैं समझ गया चुदासी है !
मैंने जेब से दूसरा कंडोम निकाला, लंड पर चढ़ा कर लंड उसके हाथ में दे दिया, उसने लंड को अपनी चूत पर रखा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। उस दिन मैंने उसको चार बार चोदा और सीमा के आने तक यह कार्यक्रम चलता रहा।
सीमा के आने के बाद कहानी में कहाँ मोड़ आया, यह अगले भाग में…. Antarvasna
पंचम भाग से आगे : जब मैं Antarvasna टॉयलेट से लौट रही थी तो मैंने सोचा कि मम्मी के बेडरूम में झांक कर देखा जाए कि यहाँ क्या चल रहा है !
मैंने देखा कि फूफा जी मम्मी को कुतिया की तरह बहुत तेजी से चोद रहे थे और मुँह से अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे, साथ ही साथ उत्तेजना में गाली भी बक रहे थे।
इतने में मम्मी की नजर मेरे ऊपर पड़ी। मैं तुरन्त खिड़की से भागी लेकिन मम्मी ने आवाज दे कर मुझे अन्दर बुला लिया।
दरवाजा खुला था। मैं अन्दर चली गई।
फ़ूफा जी लगातार मम्मी को आँख बन्द कर के चोदे जा रहे थे। मेरी उपस्थिति का उन्हें पता ही नहीं चला। मम्मी ने मुझे धीरे से बगल में बैठने के लिए इशारा किया और मैं उनके बगल में बैठ गई। लेकिन शायद फ़ूफा जी को कुछ आभास हुआ और उन्होंने अपनी आँखें खोल दी।
मुझे अपने सामने नंगी देख कर बोले- तुम कब आई? चलो अच्छा है, अब मैं झड़ने वाला हूँ ! तुम इसे पी लो…
यह कहते हुए उन्होने मम्मी के भोसड़े से अपना लंड बाहर निकाला और खुद बेड से उतर कर खड़े हो गए। मैं घुटनों के बल उनकी टांगों के बीच बैठ कर हुंकार मारते हुए लंड को एक हाथ से पकड़ कर, गप से अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और दूसरे हाथ से मैं अपनी चूत को सहलाने लगी। मेरी चूत अभी भी पूरी तरह गीली थी। मैं अपनी दो उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी। इधर फूफा जी कुछ ही पलों में अपना पूरा लंड मेरे मुंह में घुसेड़ते हुए झड़ने लगे, मैं उनका वीर्य पीने लगी। जब उनका लंड झड़ना बन्द हुआ, तब मैंने उनका लंड मुँह से बाहर निकाला और भाग कर मैं अपने कमरे में आ गई।
यहाँ प्रदीप और विशाल अपना अपना लंड खड़ा किए हुए सहला रहे थे। मुझे देखते ही विशाल बोला- इतनी देर से तुम कहां थी?
कुछ नहीं… दरअसल फ़ूफा जी मम्मी को चोद रहे थे तो मम्मी ने मुझे उनका वीर्य पीने के लिए बुला लिया था, इसलिए थोड़ी देर लग गई।
विशाल बोले- ओह… यह बात थी। खैर उसी तरह से तुम मेरी टांगों के बीच डॉगी स्टाइल में आ जाओ। तुम्हारी चूत रंवा हो चुकी है और अब प्रदीप तुम्हें हचक कर चोदेगा।
मैंने वैसा ही किया जैसे विशाल ने कहा। प्रदीप अपना हलब्बी लंड हाथ से पकड़े मेरे चूतड़ों के पीछे पहुँच गया और उसने एक साथ अपनी तीन उंगलियों को मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मैं एकदम से उचक गई। इसकी मुझे कतई आशा नही थी कि प्रदीप पहले उंगलियों से चोदेगा। वो अपनी तीनों उंगलियों से कुछ देर चोदता रहा। मैं विशाल का लंड चूसे जा रही थी।
फिर प्रदीप ने चार उंगलियों से चोदना शुरू किया। मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था। अब मेरी चूत पूरी की पूरी गीली हो चुकी थी मेरी चूत से पानी बिस्तर पर टपकना शुरू हो गया था, शायद प्रदीप के लंड के स्वागत के लिए तैयार थी। यह बात प्रदीप भी जान गया था, तभी उसने उंगलियों से चोदना बन्द कर अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपने खड़े लंड का सुपारा मेरी चूत के गुलाबी होठों पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मेरे पूरे बदन के रोएँ खड़े हो गए इस एहसास से कि जब प्रदीप अपना हलब्बी लंड घुसेड़ेगा तो कैसा लगेगा। मैं यह सोच ही रही थी कि तभी लंड का सुपारा मेरी चूत में घुसा। मुझे लगा कि कोई बहुत मोटा लट्ठ मेरी चूत को फाड़ कर अन्दर घुस रहा हो।
मैं दर्द के मारे कराहने लगी, प्रदीप बोले- बस रश्मि जान ! थोड़ा सा दर्द सह लो, अभी तुमको आराम मिल जायेगा।
मैं करती तो क्या करती? प्रदीप मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए थे और विशाल मेरा सिर को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़े हुए थे। मेरे मुँह से तो कराह की आवाज तक ठीक से नहीं निकल पा रही थी, मैं तो दोनों के बीच में फंसी थी। मेरी मजबूरी थी दर्द सहना।
लेकिन थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो गया क्योंकि अब प्रदीप का सुपारा मेरी चूत में थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था और बीच बीच में प्रदीप अपने लंड को मेरी चूत की थोड़ी गहराई में झटके से पेल देता था, फिर जल्दी से पूरा लंड बाहर निकाल लेता था। वह मुझे बड़े आहिस्ता आहिस्ता चोद रहा था अब मुझे धीरे-धीरे मजा आने लगा था। साथ ही साथ मैं विशाल के लंड को भी चूस रही थी। मैंने विशाल के लंड से अपना मुँह हटाया और प्रदीप से बोली- प्रदीप ! मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल सकते हो।
यह सुनते ही प्रदीप ने एक झटके में अपना पूरा 8 इन्ची लंड मेरी चूत में पेल दिया। एक पल के लिए मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। इसके बाद तो चुदाई का मजा आने लगा। प्रदीप लगातार पूरी गति से मुझे चोद रहा था और उसी गति से मैं अपनी गाण्ड आगे-पीछे कर के उसका साथ दे रही थी। दोनों लोग मुझको कस कर चोदते रहे, एक मुँह को, और दूसरा मेरी चूत को। इस बीच मैं कम से कम कम 7-8 बार झड़ चुकी थी।
करीब 30 मिनट के बाद विशाल ऐंठने लगा और वह मेरे मुँह के अन्दर ही झड़ गया। मैंने उसका वीर्य पी लिया। इधर प्रदीप ने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी। फिर एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर बोले- मैं झड़ने वाला हूँ ! मेरे लंड को अपने मुँह में ले लो।
मैं बिल्कुल उल्टा घूम कर अपनी चूत विशाल की तरफ कर के प्रदीप का लंड, जोकि चुदाई के बाद और भी ज्यादा मोटा हो गया था, अपने मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन सुपाड़ा चुदाई के बाद इतना बड़ा हो गया था कि मैं उसको अपने मुँह में नहीं ले सकी सिर्फ चाट चाट कर वीर्य पीना पड़ा।
उधर जैसे ही विशाल ने मेरी चूत को देखा तो चिल्लाया- अबे प्रदीप, तूने तो रश्मि की चूत को भोसड़ा बना दिया। देखो तो इसकी चूत बिलकुल कमल की तरह खिल गई है।
प्रदीप मुस्कराने लगे और बोले- यार मैं जिसकी एक बार ले लेता हूँ उसकी बुर जिन्दगी भर के लिए भोसड़ा बन जाती है। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यार ! मेरा लंड ही ऐसा है, मैं क्या करूं।
मैंने सोचा- देखें ! मेरी चूत प्रदीप की एक चुदाई से भोसड़ा कैसे बन गई।
मैं तुरन्त बेड से उतर कर ड्रेसिंग मिरर के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और अपनी दोनों टागें ऊपर उठा कर अपनी चूत को शीशे में देखते ही मेरे मुँह से निकला- ओह माई गॉड ! यह तो वाकई एक खूबसूरत भोसड़ा बन गई है।
अभी भी इसके दोनों लब दरवाजे की तरह दाएँ बाएँ खुले हुए थे और बीच में एक बड़ा सा दो इन्ची व्यास का छेद नजर आ रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों को उसमें डाला। मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरी भोसड़े में दो उंगलियां हैं !
मुझे बहुत खुशी हुई।
इसके बाद मैं उठ कर बेड पर दोनों के साथ लेट गई।
उस रात उन दोनों ने मेरी दो बार और चुदाई की। करीब तीन बजे हम सब थक कर वैसे ही नंगे सो गए।
कहानी अभी बाकी है दोस्तो ! Antarvasna
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