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Massage Girl in Neemuch: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Neemuch who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Neemuch that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Neemuch massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Neemuch who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Neemuch massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Neemuch massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Neemuch who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Neemuch employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Neemuch helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Neemuch

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Neemuch at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

मेरा नाम श्याम कुमार, उम्र Hindi Sex Stories बीस वर्ष है। मेरे पापा दुबई में एक पांच सितारा होटल में काम करते हैं। पापा की अच्छी आमदनी है, काफ़ी पैसा घर पर भेजते हैं। घर पर मम्मी और मैं ही हैं। मम्मी एक स्कूल में टीचर हैं और मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ।

घर में काम काज के लिये एक नौकरानी अंजलि रखी हुई है। अंजलि बाईस साल की शादीशुदा लड़की है। उसका पति एक प्राईवेट स्कूल में चपरासी है। अंजलि एक दुबली पतली पर गोरी चिट्टी लड़की है। वो घर पर काम करने छ: बजे आ जाती और साढ़े सात बजे तक घर का काम पूरा करके चली जाती है। फिर मम्मी भी स्कूल चली जाती हैं।

अंजलि जब सवेरे काम करने आती है तब मैं सोता ही होता हूँ। वह मुझे बड़ी देर तक सोता हुआ देखती रहती थी। उस समय मैं सुस्ती में पड़ा अलसाया सा बस आंखे बन्द किये लेटा रहता था। मुझे सुबह पेशाब भी लगता था, पर फिर भी मैं नहीं उठता था। नतीजा ये होता था कि पेशाब की नली मूत्र से भरी होने के कारण लण्ड खड़ा हो जाता था तो मेरे पजामे को तम्बू बना देता था। अंजलि बस वहीं खड़े लण्ड को देखा करती थी। मुझे भी ये जान कर कि नौकरानी ये सब देख रही है, सनसनी होने लगती थी। मुझे सोया जान कर कभी कभी वो उसे छू भी लेती थी, तो मेरे शरीर को एक बिजली जैसा झटका भी लगता था।

फिर जब वो दूसरा काम करने लगती थी तो तो मैं उठ जाता था। वो अधिकतर सलवार कुर्ते में आती थी। कुर्ता कमर तक खुला हुआ था जैसा कि आजकल लड़कियाँ पहनती है। जब वो सफ़ाई करती थी तब या बर्तन करती थी तब, वो कुर्ता कमर तक ऊपर उठा कर बैठ कर काम करती थी तो उसकी चूतड़ की गोलाईयां मुझे बड़ी प्यारी लगती थी। उसके गोल गोल चूतड़ उसके बैठते ही खिल कर अलग अलग दिखने लगते थे। उसके खूबसूरत चूतड़ मेरी आंखों में नंगे नजर आने लगते थे। मुझे उसे चोदने की इच्छा तो होती थी पर हिम्मत नहीं होती थी। कभी कभी उसे आने में देर हो जाती थी तो मम्मी स्कूल के लिये निकल जाती थी। तब वो मुझ पर लाईन मारा करती थी। बार बार मेरे से बात करती थी। बिना बात ही मेरी बातों पर हंसती थी। मेरी हर बात को ध्यान से सुनती थी। इन सब से मुझे ऐसा जान पड़ता था कि वो मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है। तब मैंने उसे पटाने की एक तरकीब सोची।

मैं उस दिन का इन्तज़ार करने लगा वो कभी लेट आयेगी तो मम्मी की अनुपस्थिति का फ़ायदा उठा कर जाल डालूंगा। फ़िलहाल मैंने उसके सामने रुपये गिनना और उसे दिखा दिखा कर अपनी जेब में रखना चालू कर दिया था। एक दिन वो लेट हो ही गई। मम्मी स्कूल जा चुकी थी। मैंने कुछ रुपये अपनी मेज पर रख दिये। दाना डालते ही चिड़िया लालच में आ गई।

मुझसे बोली- श्याम, मुझे कुछ रुपये उधार दोगे, मैं तनख्वाह पर लौटा दूंगी।”

मैंने उसे पचास का एक नोट दे दिया। एक दो दिन बाद उसने फिर मौका देख कर रुपये और उधार ले लिये। मुझे अब यकीन हो गया कि अब वो मुझसे नहीं बच पायेगी। हमेशा की तरह उसने मुझसे फिर पैसे मांगे। मैंने सोचा अब एक कोशिश कर ही लेनी चाहिये। उसकी बेकरारी भी मुझे नजर आने लगी थी।

“आज उधार एक शर्त पर दूंगा।” वो मेरी तरफ़ आस लगा कर देखने लगी। जैसे ही उसकी नजर मेरे पजामे पर पड़ी, उसका उठान उसे नजर आ गया। उसने नीचे देख कर मुझे मुस्करा कर देखा, और कहा,” मैं समझ रही हूँ, फिर भी आप शर्त बतायें।”

“आज एक चुम्मा देना होगा” मैंने शरम की दीवार तोड़ ही दी। पर असर कुछ और ही हुआ।

“अरे ये भी कोई शर्त है, आओ ये लो !”

उसे मालूम था कि ऐसी ही कोई फ़रमाईश होगी। उसने मेरे गाल पर चूम लिया। मुझे अच्छा लगा। लण्ड और तन्ना गया। पर ये भी लगा कि चुम्मा तो इसके लिये मामूली बात है।

“एक इधर भी !” मैंने दूसरा गाल भी आगे कर दिया।

“समझ गई मैं !” उसने मेरा चेहरा थाम लिया और मेरे होंठों पर गहरा चुम्मा ले लिया।

“धन्यवाद, अंजलि !”

“धन्यवाद तो आपको दूंगी मैं … जानते हो कब से मैं इसका इन्तज़ार कर रही थी !”

मैं सिहर उठा। ये क्या कह रही रही है? पर उसने मेरी हिम्मत बढ़ा दी।

“अंजलि, नाराज तो नहीं होगी, अगर मैं भी चुम्मा लू तो”

“श्याम, देर ना करो, आ जाओ।” उसकी चुन्नी ढलक गई। उसके उरोज किसी पहाड़ी की भांति उभर कर मेरे सामने आ गये। वो मुझे आकर्षित करने लगे। मैंने उसका कुर्ता थोड़ा सा गले से खीच कर उसके उभार लिये हुए उरोजों को अन्दर से झांक कर देखा। उसकी धड़कन बढ़ गई। मेरा दिल भी जोर जोर से धड़कने लगा। उसके उरोज दूध जैसे गोरे और चिकने थे। मैंने अन्दर हाथ डाला तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

“श्याम सिर्फ़, चुम्मा की बात थी, ये मत करो… !” उसने सिसकते हुये मेरा हाथ अपनी छातियों से हटा दिया।

“अंजलि, मेरे मन की रख लो, मैं तुम्हें सौ रुपये दूंगा।”

रुपये का नाम सुनते ही वो बेबस हो गई। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। मैंने उसके कुरते के भीतर हाथ डाल दिया और उसके कोमल और नरम स्तन थाम लिये और उन्हें सहलाने लगा। उसके शरीर में उठती झुरझुरी मुझे महसूस होने लगी। वो अपने धीरे धीरे झुकने लगी। पर उससे उसके चूतड़ो में उभार आने लगा। वो सिसकते हुए जमीन पर बैठ गई। उसके बैठते ही उसके चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ फिर से खिल उठी। वही तो मेरा मन मोहती थी।

मैं उसके पास बैठ गया और उसके चूतड़ो की फ़ांको को हाथ से सहलाने लगा। उसकी दरारों में हाथ घुमाने लगा। मेरा लण्ड बुरी तरह से कड़कने लगा था। उसके चूतड़ों को सहलाने से मेरी वासना बढ़ने लगी। अंजलि भी और झुक कर घोड़ी सी बन गई। मैंने उसका कुर्ता गांड से ऊपर उठा दिया ताकी उसकी गोलाईयाँ और मधुर लगे। जोश में मैंने उसकी गाण्ड के छेद में अंगुली दबा दी।

अंजलि से भी अब रहा नहीं जा रहा था, उसने हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पजामे के ऊपर से ही थाम लिया। मेरे मुख से आह निकल पड़ी।

मैंने उसे पकड़ कर खड़ा कर दिया और कहा,”अंजलि, तुम्हारी गाण्ड कितनी सुन्दर है, प्लीज मुझे दोगी ना !”

“तुम्हारा लण्ड भी कितना मस्त है, दोगे ना !”

“अंजलिऽऽऽऽ !”

अंजलि ने नाड़ा खोल कर अपनी सलवार उतार दी और कुर्ता ऊंचा कर लिया। उसके चूतड़ों की गोरी गोरी गोलाईयाँ मेरे सामने चमक उठी। मैं तो उसकी गाण्ड का पहले से ही दीवाना था। उसे देखते ही मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने हाथ में थूक लगा कर उसकी गाण्ड के छेद में लगा दिया और पजामा नीचे करके लण्ड छेद पर रख दिया। मेरे दिल की इच्छा पूरी होने के विचार से ही मेरे लण्ड के मुख पर गीलापन आ गया था। मेरी आंखे बन्द होने लगी। मेरा लण्ड उसके भूरे रंग के छेद पर बार बार जोर लगा रहा था। गुदगुदी के मारे वो भी सिसक उठती थी।

छेद टाईट था पर मर्द कभी हार नहीं मानता। किले को भेद कर अन्दर घुस ही पड़ा। अंजलि दर्द से कराह उठी। मुझे भी इस रगड़ से चोट सी लगी। पर मजा अधिक था, जोर लगा कर अन्दर घुसाता ही चला गया। मेरे दिल की मुराद पूरी होने लगी। कमर के साथ मेरे चूतड़ भी आगे पीछे होने लगे। अंजलि की गाण्ड चुदने लगी। उसके मुँह से कभी दर्द भरी आह निकलती और कभी आनन्द की सिस्कारियाँ। इतनी सुन्दर और मनमोहक गाण्ड चोद कर मेरी सारी इच्छायें सन्तुष्टि की ओर बढ़ने लगी।

उसके टाईट छेद ने मेरी लण्ड को रगड़ कर रख दिया था। मैं जल्दी ही उत्तेजना की ऊंचाईयों को छूने लगा और झड़ने लगा…मैंने तुरन्त ही अपना लण्ड बाहर खींच लिया और वीर्य की बौछार से गाण्ड गीली होने लगी। मैंने तुरन्त कपड़े से उसे साफ़ कर दिया। हम दोनो ही अब एक दूसरे को चूमने लगे।

वो अब भी प्यासी थी…उसकी चूत मेरे लण्ड से फिर चिपकने लगी थी। मेरा लण्ड एक बार फिर खड़ा हो गया था। मैंने अंजलि को बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर छाने लगा। वो मेरे नीचे दब गई। लण्ड ने अपनी राह ढूंढ ली थी। नीचे के नरम नरम फूलों की पंखुड़ियों के पट को खोलते हुए मेरा सुपाड़ा खाई में उतरता चला गया। तले पर पहुंच कर गहराई का पता चला और वहीं पर तड़पता रहा।

खाई की दीवारों ने उसे लपेट लिया और लण्ड को सहलाने लगी। मुझे असीम आनन्द का अनुभव होने लगा। लण्ड में मिठास भरने लगी। मेरे धक्के तेज हो चले थे, अंजलि भी अपने चूतड़ों को झटका दे दे कर साथ दे रही थी। उसके मटके जैसी कमर और कूल्हे सरकस जैसी कला दिखा रहे थे। मैं चरमसीमा पर एक बार फिर से पहुंचने लग गया था। पर मेरे से पहले अंजलि ने अधिक उत्तेजना के कारण अपना पानी छोड़ दिया। मैं भी जोर लगा कर अपना वीर्य निकालने लगा। उसकी चूत वीर्य से भर गई। मेरा पूरा भार एक बार फिर अंजलि के शरीर पर आ गया। हम दोनो झड़ चुके थे। अंजलि जल्दी से उठी और अपने आप को साफ़ करने लगी।

“श्याम, सच में मजा आ गया… कल भी मौका निकालना ना !”

चाची की भोसड़ी का भोसड़ा बनाया-Antarvasnaअब उसकी नजरें मेरे पर्स पर थी। मैं समझ गया, उसे एक पचास का नोट और दे दिया। अब वो अपनी ऊपरी कमाई से खुश थी। उसने नोट सम्भाल कर रख लिये। और मुस्कुरा कर चल पड़ी…शायद अपनी सफ़लता पर खुश थी कि मुझे पटा कर अच्छी कमाई कर ली थी। और उसे आगे भी कमाई की आशा हो गई थी। लण्ड में ताकत होनी जरूरी थी पर साथ में शायद पैसे की ताकत भी मायने रखती थी… जो कुछ भी हो मैंने तो मैदान मार ही लिया था। Hindi Sex Stories

Antarvasna

जब मेरा ट्रान्सफर Antarvasna जयपुर से जालन्धर हुआ तो अपने एक दोस्त की वजह से मुझे एक कर्नल साहब की कोठी में पेइंग-गेस्ट के रूप में रहने का ठिकाना मिल गया। कर्नल साहब करीब १० साल पहले भगवान को प्यारे हो गए थे, घर में उनकी ७० वर्षीया पत्नी, ४० वर्षीय पुत्र तथा ३६ वर्षीया बहू कुल जमा तीन प्राणी रहते थे। रहने के लिहाज से घर और घर वाले बहुत अच्छे थे। कर्नल साहब की पत्नी का नाम रणवीर कौर था, वो एक बहुत ही शिष्ट, सौम्य, गंभीर और आकर्षक महिला थीं, उनको देखकर बार बार मन में एक ही बात आती थी कि काश ये मेरी माँ होतीं। उनके पुत्र का नाम महिंदर सिंह था, वह सुंदर, लम्बा और योग्य आदमी था। महिंदर की पत्नी का नाम मंजीत कौर था, वह गोरी, सुंदर और सेक्स से भरपूर महिला थी। दुर्भाग्य से इनके कोई संतान नहीं थी।

यहाँ रहते हुए मुझे २ महीने हो गए तो मैं मंजीत का दीवाना हो चुका था, जब वो चलती तो उसके भारी भारी चूतड़ मेरे लंड को खड़ा कर देते। ४-६ दिन में एक बार मुठ मार कर अपनी गर्मी निकालने के अलावा और कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था।

एक दिन पता चला कि दिल्ली में मंजीत के भाई की शादी है और वो अपने पति के साथ १५ दिन के लिए दिल्ली जा रही है। मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी जान निकाल ली हो।

जिस दिन ये लोग दिल्ली गए, मैं शाम को घर आया तो माँ जी अकेली थी, माँ जी को वो लोग बीजी कहते थे, इसलिए मैं भी बीजी कहने लगा। मैंने कहा- बीजी, जो काम मेरे लायक हो बता दीजिएगा, मैं कर दूंगा।

मैंने खाना बनाने में बीजी की मदद की, दोनों ने खाना खाया और मैं अपने कमरे में चला गया। मेरा और बीजी का कमरा अगल-बगल था और दोनों के बीच एक कॉमन बाथरूम था जिसका दरवाजा दोनों कमरों में खुलता था।

मैं अभी लेटा ही था कि जोर से कुछ गिरने की आवाज आई, मैं बाहर आया तो देखा किचन में बीजी गिर गई हैं, मैंने जल्दी से उन्हें उठाया और सहारा देकर उनके कमरे में लाकर बेड पर लिटा दिया। बीजी लगभग ५’६” लम्बी और टीवी / फिल्म स्टार रीमा लागू की तरह भरे बदन की थीं। लेटने के बाद भी बीजी का कराहना कम नहीं हो रहा था, मेरे पूछने पर बताया कि बांह और कूल्हे पर बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने देखा कि उनकी दाहिनी बांह कुहनी के पास काफी लाल थी।

बीजी ने कहा- पुत्तर, सम्मने बारी विच मूव पई ऐ, कड से ल्या !

मैंने मूव निकाली और बीजी से कहा- लाइए, मैं लगा देता हूँ।

बांह पर मूव लगाने के बाद मैंने कहा- बीजी, आप उल्टे लेटो, मैं हिप पर भी लगा दूं !

एक पल की हिचक के बाद बीजी पलटीं और बोलीं- ला दे पुत्तर, रब्ब तेरा भला करे, तैन्नू सुखी रखे, जे आज्ज तूं नां हुंदा ते मैं ताँ उठ के कमरे विच बी नई आ पादीं।

बीजी पेट के बल लेट गईं तो मैंने उनके गाऊन को कमर तक उठा दिया, उनकी केले के तने जैसी चिकनी, सुडौल और गोरी गोरी टाँगे देखकर मेरा मन मचल गया। मरून कलर की पैंटी उनके जिस्म की शान में चार चाँद लगा रही थी। मैंने तुंरत अपने आप को कोसा, खुद को काबू में किया कि ये तो माँ है।

बीजी की कमर पर कुछ नहीं दिखा तो मैंने पूछा कहाँ दर्द है बीजी ?

बीजी ने अपने दाहिने चूतड़ पर हाथ रखकर कहा- ऐत्थे !

मैंने बीजी की पैंटी थोड़ी नीचे खिसकाई तो देखा मेरी हथेली के बराबर जगह एकदम लाल थी, मैंने छुआ तो बीजी कराह उठीं। मैंने पैंटी थोड़ा और और नीचे खिसकाई ताकि मूव अच्छे से लग सके। हलके हलके हाथों से मूव लगाई और पैंटी ऊपर करके गाऊन नीचे कर दिया। मैंने बीजी से कहा- मैं आपके लिए हल्दी डालकर दूध लाता हूँ, आप पियोगे तो सारा दर्द चला जाएगा।

किचन में जाकर दो गिलास दूध गरम किया, एक गिलास खुद पी लिया और दूसरे में हल्दी डालकर बीजी के लिए ले आया। बीजी को सहारा देकर उठाया और वो धीरे धीरे दूध पीने लगीं। बीजी दूध पी रही थीं और मेरी आँखों के सामने बार बार उनकी गोरी टाँगें और चूतड़ आ रहे थे। मैंने तय कर लिया कि आज बीजी की बजानी है। बीजी के दूध पीने के बाद उनसे खाली गिलास लेकर किचन में रखा और आकर बीजी से पूछा- अब दर्द कैसा है?

तो बोली- अज्जे ते औंवे ई हैगा पुत्तर।

मैंने कहा- बीजी, एक बार मूव फिर लगवा लो, सुबह तक आराम आ जाएगा।

हाथ का सहारा देते हुए बीजी को उल्टा किया और उनका गाऊन कमर से और थोड़ा ऊपर तक उठा दिया। मूव की ट्यूब उठाई और अपने पास रखकर बीजी की पैंटी नीचे खिसकाने लगा। पैंटी नीचे खिसकाते खिसकाते उनके घुटनों तक कर दी। अपनी हथेली पर मूव ली और उनके चूतड़ों पर मलने लगा। मेरा ध्यान मूव मलने में कम और चूतड़ सहलाने में ज्यादा था। इस बीच मेरा लंड ७० साल की औरत को चोदकर एक नया अनुभव करने के लिए तैयार हो चुका था और लुंगी के अन्दर फड़फड़ा रहा था।

जब मैं काफी देर तक सहलाता रहा तो बीजी ने कहा- पुत्तर ! तेरे अंकल जी नू गए १० साल हो गे ने, आज्ज तूं मैंन्नू ओन्ना दी याद ल्या दित्ती ऐ ! ओ वी ऐन्जे ई सहलांदे रहंदे सी ! मैंन्नू बौह्त चान्हदे सी, रोज जैतून दे तेल नाल मेरियां लत्तां दी मालश करदे सी ! फ़ेर लत्तां से विच ई वड़ जांदे सी। मैं ओन्ना नूँ प्यार नाल पुच्चु कहंदी सी ते ओ वी मैंन्नू प्यार नाल पुच्चु कहंदे सी।

मैंने कहा- बीजी, क्या मैं आपको पुच्चु कह सकता हूँ ?

कहने लगी- आहो पुच्चु ! तूं मैंनू पुच्चु कह सकना ऐ।

मेरा काम लगभग बन चुका था।

मैंने कहा- पुच्चु ! वो जैतून का तेल कहाँ रखा है ?

बीजी ने अलमारी के ऊपर वाले खाने की ओर इशारा कर दिया। मैं उठा बाथरूम गया, पेशाब किया और अपना अंडरवियर उतार कर रख आया। जैतून के तेल का डिब्बा निकाला, बीजी यानि अपनी पुच्चु की पैंटी उतार दी और टांगों पर जैतून के तेल से मालिश करने लगा।

कुछ देर बाद मैंने कहा- पुच्चु, आप सीधे हो जाओ तो आगे भी कर दूं।

वो सीधी होकर पीठ के बल लेट गईं। मैं उनकी टांगों के बीच बैठ गया और हल्के हल्के हाथों से उनकी जांघो को सहलाने लगा, धीरे धीरे मैं थोड़ा सा आगे खिसक गया और लुंगी में से अपना लंड बाहर निकाल कर पुच्चु की चूत से छुआया तो बड़ी सेक्सी आवाज में बोलीं- की कर रहया ऐ पुच्चु ?

मैंने लंड को अन्दर सरकाते हुए कहा- कुछ नहीं पुच्चु।

मेरा पूरा लंड ७० साल की बीजी की चूत में चला गया था, ताज्जुब यह था कि बीजी की चूत किसी २० साल की कुंवारी चूत से कम नहीं थी।

उस रात बीजी को दो बार चोदा, हम दोनों संतुष्ट होकर सोये। उस दिन से आज तक हमें जब भी इच्छा होती है रात को बाथरूम के रास्ते एक कमरे में आ जाते हैं और मजे लेते हैं। Antarvasna

(Jawan Ladki Ki Sex Story)

हाय, मेरा नाम नीरू है. आज मैं आपको अपनी के एक सहेली की Sex story स्टोरी बता रही हूं. जिसका नाम पूजा है.

मेरी सहेली सामने नहीं आना चाह रही थी इसलिए उसने मुझे ये स्टोरी बताई. अब आप स्टोरी को उसी के शब्दों में सुनिये.

मेरा नाम पूजा है. मेरी उम्र 24 साल है. मेरा फिगर 37-26-36 है. मेरी शादी दो साल पहले एक सिविल इंजीनियर से हुई थी. मेरे पति मुझे बहुत खुश रखते हैं. मगर अभी वो डेढ़ साल से अमेरिका में हैं और मैं यहां मुम्बई में हूं.

नासिक में मेरा मायका है और मैं उधर ही पली-बढ़ी हुई हूं. मेरे साथ छोटी उम्र में ही कुछ घटनाएं हुई थीं जिनके बारे में मुझे उस वक्त पता नहीं था. उस वक्त मुझे लगता था कि यह सब केवल एक खेल का हिस्सा है.

फिर जैसे जैसे मैं बड़ी होती गयी तो मेरे जीवन में हर बार अलग अलग सेक्स पार्टनर आये. जब मैं 19 साल की थी तो मैं सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी. यही वह साल था जब मेरी लाइफ में पहला आदमी आया था.

वो लड़का मेरा भाई था. उस वक्त मेरे भाई की उम्र 22 साल थी. उस वक्त मेरे फर्स्ट ईयर के एग्जाम खत्म हुए थे. मैं अपने घर आ गयी थी.

मेरी मां काम में लगी रहती थी. पापा भी अपने काम पर चले जाते थे. भैया घर में टीवी देख कर टाइम पास करते रहते थे.
घर आने के बाद मैंने मां से एक दिन कहा- मुझे बाहर घूमने के लिए जाना है.
वो बोली- क्यों, अभी 2 दिन पहले तो आई है तू.

मैं बोली- मैं पढ़ाई करके थक गयी हूं. अभी तो एग्जाम खत्म हुए हैं. मैं एक महीने से कहीं भी बाहर नहीं गयी हूं.
मां बोली- तो फिर तुम एक काम करो कि अपने भाई के साथ पास वाले तालाब तक चली जाओ.

उनकी बात सुनकर मैं खुश हो गयी. मैंने दौड़कर अपने नहाने के लिए कपड़े ले लिये और भैया के साथ साइकिल पर बैठ कर चल दी. तालाब हमारे घर से डेढ़ घंटे की दूरी पर था. मगर भैया ने शार्टकट ले लिया.

रास्ता काफी पथरीला था. एक बार तो रास्ते में हमारी साइकल एक बड़े से गड्ढे में घुस गयी. भैया ने मुझे झट से पकड़ लिया. उनके हाथ मेरे सीने पर थे. हम डर गये लेकिन भैया ने संभाल लिया और साइकिल निकाल ली. मगर उनके हाथ अभी तक मेरे सीने पर ही थे. वो धीरे धीरे मेरे बूब्स को दबा रहे थे.

उस वक्त मेरे बूब्स का साइज 31 का था. उस घटना के दौरान मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे भैया नहीं बल्कि कोई और मर्द है. मैंने भैया को अपने बूब्स पर से अपना हाथ निकालने के लिए कहा. हम फिर आगे चल दिये.

इस तरह से हम शार्टकट के कारण हम आधे घंटे के अंदर ही तालाब पर पहुंच गये. वहां पर जाकर हमने खूब मस्ती की और भैया के साथ मैंने वहां के नजारे देखे. उसके बाद हमने तालाब में जाने का फैसला किया.

दोपहर का वक्त हो चला था. लगभग 1 बजने वाला था और हमने पहले कुछ खाने के बारे में सोचा. हल्का फुल्का खाने के बाद हम तालाब में गये. अन्दर जाने से पहले मुझे याद आया कि मैं अपना स्विमिंग सूट तो लेकर ही नहीं आई.

मेरा दिमाग खराब हो गया और मैं अपने आप पर गुस्सा होकर बैठ गयी. भैया अपनी शर्ट-पैंट उतार कर अपनी निक्कर पहने हुए तालाब में चला गया था. वो अंदर जाकर मुझे भी आने के लिए कहने लगा. मैंने उसको सारी बात बताई.

वो बोला- कोई बात नहीं. तुमने अंदर से ब्रा और निक्कर तो पहना ही होगा?
मैं बोली- हां भैया.
वो बोला- तो फिर तुम तौलिया से भी काम चला सकती हो. चलो जल्दी से अब अंदर आओ.

मैं बोली- लेकिन भैया, मुझे शर्म आ रही है.
वो बोला- शर्म कैसी, यहां पर हम दोनों ही तो हैं और मौसम भी कितना अच्छा हो रहा है.
मैंने सोचा- मैं किसी मर्द के सामने इस तरह से कैसे आधी नंगी हो सकती हूं!
फिर सोचने लगी कि यह तो मेरे ही भैया हैं. इनके सामने क्या शर्माना.

इसलिए फिर मैं अपनी ब्रा और निक्कर में नहाने के लिए तालाब में अंदर चली गयी. अंदर जाकर मैंने भैया के साथ पानी में खूब मस्ती की. नहाने के बाद जब मैं पानी के बाहर आने लगी तो मेरी ब्रा निकल गयी और बहकर पानी में अंदर चली गयी.

मैं अपनी चूचियों को छिपा कर वहीं पर पानी में ही बैठ गयी.
भैया बोले- चल खेलते हैं. मैं तुझे पकडूंगा.
जब वो मेरे पास आये तो मैं बैठी हुई थी.
वो बोले- क्या हुआ?

नीचे गर्दन किये हुए मैंने कहा- मेरी ब्रा पानी में चली गयी है.
वो बोले- तो क्या हुआ?
मैं बोली- मैं पूरी नंगी हूं भैया.
वो बोले- हां, तो क्या हो गया, कुछ नहीं होता. चल खेलते हैं.

भैया ने कहा- ऐसा करते हैं कि मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हूं और तू भी अपनी निक्कर उतार ले. फिर तुम भी पूरी नंगी हो जाओगी और मैं भी. फिर तुमको शर्म नहीं आयेगी.

मैं भैया की बात मान गयी. पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के अंदर ही अंदर उतार दी और तैर कर किनारे पर डाल दी. फिर मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी.

भैया बोले- अब मैं भागता हूं और तू मुझे पकड़.
इस तरह से हम पानी के अंदर खेलने लगे.
फिर भैया बाहर की ओर भागने लगे. मैं भी उनके पीछे दौड़ने लगी लेकिन ये भूल गयी कि मैं पूरी नंगी हूं.

बाहर निकल कर मुझे ध्यान आया कि मैं पूरी नंगी हूं. मैं वहीं पर अपनी चूचियों और चूत को छिपाने लगी. इतने में ही भाई ने मुझे देख लिया. वो मेरी ओर आने लगे.

भैया की टांगों के बीच में कुछ लम्बा सा लटका हुआ था. मैं ध्यान से उनके उस अंग को देख रही थी. फिर भाई मेरे पास आ गये और मैंने उनसे कहा- भैया ये क्या है लम्बा सा?

उस वक्त भैया मेरे पूरे शरीर को गौर से देख रहे थे. मैं पूरी नंगी थी और भैया मुझे घूर रहे थे. भैया की जांघों के बीच में वो लम्बा सा लटकता हुआ अंग अब आकार बढ़ा रहा था.

भैया बोले- ये जो लम्बा सा लटक रहा है इसको लंड या जादुई छड़ी कहते हैं.
मैंने कहा- क्या? जादुई छड़ी!
वो बोले- हां. अगर तुम्हें यकीन नहीं होता तो इसको अपने हाथ में लेकर एक बार मसल कर देखो.

उनके कहने पर मैंने उसको हाथ में ले लिया और वैसा ही हुआ. देखते ही देखते उनका वो लटकता हिस्सा मेरे हाथ से बाहर जाने लगा. वो अपना आकार बढ़ा रहा था. फिर वो कुछ ही पल में लोहे के जैसा सख्त हो गया.

मैंने पूछा- भैया, इससे क्या करते हैं?
वो मेरी चूत पर हाथ लगा कर बोले- इसको यहां पर अन्दर डालते हैं. मुंह में भी डालते हैं और पीछे वाले छेद में भी डालते हैं.

मैं शरमा कर जाने लगी तो भैया बोले- किधर जा रही हो?
मैंने कहा- कपड़े पहनने के लिए.
वो बोले- खाना ऐसे अधूरा नहीं छोड़ा जाता.
मैंने कहा- खाना कहां है?
वो बोले- ये जो तुमने अभी गर्म किया है, इसकी बात कर रहा हूं. एक बार ये गर्म हो जाता है तो फिर इसको ठंडा करना होता है.

तभी भैया मेरे पास आये और मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को किस करने लगे. मेरे बूब्स को दबाने लगे. मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा. इससे पहले किसी ने मेरे बूब्स को ऐसे नहीं छेड़ा था.

फिर भैया ने कहा कि घूम कर झुक जाओ.
मैंने कहा- क्यों भैया?
वो बोले- तुम्हारे छेद में डालना है इसको, तभी ये शांत होगा.
मैं बोली- नहीं भैया. मुझे डर लग रहा है.

वो बोले- कुछ नहीं होगा. तुम चुपचाप सेक्स का मजा लो. मैं दो साल से इस दिन का इंतजार कर रहा था.
इतना बोल कर भैया ने मुझे पलटा दिया और मेरी पीठ को झुका कर मेरी गांड के बीच में लंड को रगड़ने लगे.

फिर वो मेरी चूत पर लंड को रगड़ने लगे. मेरी चूत के हिसाब से भैया का लंड काफी बड़ा था.
मैं बोली- नहीं जायेगा भैया.
वो बोले- चुप रह साली रंडी, अब तू मुझे समझायेगी कि क्या छोटा है और क्या बड़ा है?

ऐसा बोल कर उन्होंने आहिस्ता आहिस्ता से मेरे छेद में लंड को अंदर डालना शुरू किया. भैया ने जोर लगाया तो मेरी चूत में आधा लंड घुस गया. मैं छुड़ाने लगी लेकिन भैया ने मुझे पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगे.

मैं बोली- भैया दुख रहा है.
वो बोले- कुछ नहीं होगा. एक बार दर्द होता है फिर बहुत मजा आता है.
उसके बाद भैया ने रुक कर एक बार फिर से पूरा जोर लगा कर पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा दिया.

दर्द से मैं चिल्लाने लगी. मुझसे दर्द सहन नहीं हो रहा था. धीरे धीरे भैया ने मेरी चूत में लंड को चलाना शुरू किया. पहले मुझे दर्द होता रहा लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे मजा आने लगा.

अब मैं ही भैया से कहने लगी- मारो, और जोर से मारे भैया. आह्ह … आई … वाह … डालो भैया. आह्ह मजा मिल रहा है.
भैया भी जोर जोर से मेरी चूत में चुदाई करने लगे.
उसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में देकर चूसने को कहा.

मैं भैया का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे मजा आ रहा था. फिर भैया का पानी मेरे मुंह में निकल गया. मैंने भैया के लंड को पानी को पी लिया और मुझे बहुत अच्छा लगा.

उस दिन के बाद से भैया के साथ मेरा रिश्ता भाई-बहन का नहीं बल्कि पति-पत्नी का हो गया. हम घर चले गये. भैया ने पापा को तालाब वाली बात बता दी थी. मुझे इसके बारे में बाद में पता लगा.

तीन दिन के बाद मुझे चाचा के पास जाना था. पापा ने मुझे चाचा के घर छोड़ने का फैसला किया.
हम ट्रेन में जा रहे थे. हमारा सेकेंड क्लास का केबिन था. हमारा सफर 3 घंटे का था. जिस केबिन में हम बैठे थे उसमें हमारे अलावा 2 अमरीकी थे. उसमें एक लड़की और एक आदमी था.

हमने सोचा कि ये दोनों मियां बीवी होंगे क्योंकि वो दोनों इसी तरह से बर्ताव कर रहे थे. जब ट्रेन चली तो आधे घंटे के बाद उन दोनों ने आपस में एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया. 10 मिनट तक वो दोनों किस करते रहे. पापा उनको देख रहे थे लेकिन फिर नजर घुमा लेते थे.

उसके बाद उस लड़की ने उस आदमी की पैंट में हाथ डाल दिया और उसका लंड मसलने लगी. फिर वो कुछ देर के लिए रुक गये.
फिर पापा उनसे पूछने लगे- आप कहां जा रहे हो?
तभी उस लड़की ने उस आदमी को पापा कह कर पुकारा.

हम दोनों दंग रह गये.
पापा बोले- ये आपकी लड़की है?
वो बोले- हां.
पापा बोले- तो फिर ये आप क्या कर रहे थे?

वो आदमी बोला- हमारे यहां पर ये नहीं देखा जाता कि सामने भाई-बहन है या पिता-पुत्री है. सेक्स तो आखिर सेक्स ही होता है. उसको फील किया जाना चाहिए.

वो आदमी मेरी ओर देख कर पापा से बोला- आप भी मेरी तरह मजा ले सकते हैं. आपको आनंद मिलेगा इसमें. फिर उन्होंने हम दोनों को एक गोली दे दी.

पापा मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगे और मैं भी उनको देख कर स्माइल करने लगी. उसके बाद पापा मेरे करीब आ गये. उन्होंने मुझे किस करना शुरू कर दिया. मैं भैया के साथ सेक्स का मजा ले चुकी थी इसलिए पापा के साथ भी दिक्कत नहीं हो रही थी. फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतारना शुरू किया.

सीट छोटी थी इसलिए हम लोग खुल कर कुछ नहीं कर पा रहे थे. उसके बाद हम सीट के नीचे बैठ गये. पापा ने मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया मेरी चूत में लंड डाल कर चोदने लगे. मैं भी चुदने लगी. जल्दी ही पापा ने लंड बाहर निकाल लिया और पापा का पानी निकल गया और वो एक तरफ बैठ गये. मगर मैं अभी भी प्यासी थी. मैं अभी और सेक्स करना चाहती थी.

तभी वो ओल्ड मैन बोला- क्या हुआ, इतने में ही थक गये? मैं तो तीन बार करने के बाद ही रुकता हूं.
फिर वो लड़की उस आदमी के पास आ गयी और उसके लंड को पकड़ कर मसलने लगी.

उस आदमी का लंड खड़ा हो गया और वो लड़की उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. उस लड़की को लंड चूसते हुए देख कर मैं भी उसको सेक्स की भूख से देखने लगी.

तभी उस आदमी ने अपने कपड़े मेरे सामने निकालने शुरू कर दिये और मेरे पास आकर मेरे मुंह पर लंड को रगड़ने लगा. मैं उसके लंड को मस्ती में पकड़ कर चूसने लगी. फिर उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरी टांगों को पकड़ कर लंड अंदर मेरी चूत में डाला और मुझे पकड़ कर चोदने लगा.
मेरे मुंह से आवाजें आने लगीं. आह्ह … आऊऊ … हूह् .. आह्ह करके मैं चुदने का मजा लेने लगी.

मुझे चोदने के बाद उसने लंड को निकाल लिया और फिर अपनी लड़की को चोदने लगा.
फिर वो पापा से बोले- मजा आया?
पापा बोले- हां.

आदमी बोला- तुमने अपने लंड का पानी नहीं डाला अंदर?
पापा बोले- तुम पागल हो क्या? वो मेरी बेटी है.
आदमी बोला- तो क्या हुआ, ये भी मेरी बेटी है. अब ये मेरे बच्चे की मां बनने वाली है. इससे जो बड़ी है उसकी तो शादी भी हो गयी है लेकिन वो अपने पति से नहीं बल्कि अपने पापा यानि कि मुझसे ही बच्चा चाहती थी. इसलिए मैंने उसको भी चोदा और आज वो मेरे बच्चे की मां है.

वो बोला- हमारे घर में मेरी एक बीवी और दो बेटी हैं. बेटी का पति संडे को मेरे साथ मिल कर सेक्स इंजॉय करता है. मेरी बीवी अब अस्पताल में है और मेरी बेटी के पति के बच्चे की मां बनने वाली है.
मेरी ये बेटी शादी नहीं करना चाहती है. ये बोलती है कि अगर सेक्स ही चाहिए तो घर में पापा हैं, जीजा हैं इसलिए ये बिना शादी के ही मां बनना चाहती है.

उनकी ये बात सुन कर मैं और पापा दंग रह गये. फिर हमारा स्टेशन आ गया और हम लोग नीचे उतर गये. फिर हम चाचा के घर पहुंच गये.
चाचा के पास दो लड़कियां थीं और उनकी बीवी यानि कि मेरी चाची गुजर चुकी थी.

चाचा की दो जवान बेटियाँ थी. मेरे पापा ने ट्रेन में हुई सारी घटना चाचा को बता दी और बोले कि अब मैं सेक्स के बारे में इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि अपने ही घर वालों के साथ सेक्स हो सकता है.

ये सुन कर चाचा ने मेरी ओर देखा. पापा भी चाचा को देख रहे थे. फिर पापा बोले- आज रात को हम भी इसी तरह से सेक्स इंजॉय करेंगे.
फिर खाना खाने के बाद हम लोग गार्डन में बैठे हुए थे.
चाचा बोले- मेरी बड़ी बेटी को इस बारे में कैसे मनाया जायेगा.

मैं बोली- वो मैं देख लूंगी.
उसके बाद मैं चाची की लड़की के पास गयी. मैंने उसको सेक्स के बारे में बात करके गर्म किया और उसके साथ लेस्बियन सेक्स करने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली और जीभ देकर उसकी चूत को पूरी गर्म कर दिया.

इतने में ही पापा और चाचा भी वहां आ गये. उन दोनों ने मिल कर मेरी और चाचा की बेटी यानि कि मेरी बहन को मिल कर एक साथ चोदा. चाचा के लंड में जितना वीर्य इतने दिन से रुका हुआ था सब निकल आया और चाचा ने मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया.

कुछ दिनों के बाद मुझे अजीब सा लगने लगा तो डॉक्टर को बुलाया. वो बोले- कान्गरैचुलेशन, आप मां बनने वाली हैं.
यह सुन कर मेरे होश ही उड़ गये. फिर मेरा अबॉर्शन करवाया गया.

इलाज होने के बाद कुछ महीनों तक मैं चाचा के पास रहने लगी. मैंने दो महीने से सेक्स नहीं किया था. इसलिए मेरे पूरे बदन में सेक्स चढ़ने लगा था.

एक दिन मैं दोपहर को सोकर उठी तो देखा कि चाचा और बाकी के सब लोग घर में नहीं थे. तभी मेरी नजर घर के नौकर पर गयी. उसकी उम्र 42 साल के पास थी.

मैंने उसको मेरे लिये चाय लाने के लिए बोला और फिर मैं अपने रूम में आ गयी. मैंने रूम का दरवाजा खुला ही रखा हुआ था और अपने सारे कपड़े निकाल लिये थे. मैं अपनी बॉडी पर ऑयल लगाने लगी.

पांच मिनट के बाद नौकर मेरे रूम में चाय लेकर आया. उसने मुझे पूरी की पूरी नंगी देख लिया.
वो सॉरी बोल कर जाने लगा.
मैं बोली- कोई बात नहीं रामू.

ये बोल कर मैं उठ कर उसके पास गयी और उसकी धोती में हाथ डाल कर उसके 2 इंच चौड़े और 7 इंच लम्बे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.

उसका लंड तनाव में आने लगा. फिर मैं उसके घुटनों में बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे उसका लंड बहुत मस्त लगा. उसको भी मजा आ रहा था लेकिन वो घबरा भी रहा था.

नौकर का लंड मैंने चूस चूस कर एकदम से लोहे जैसा कर दिया और वो मुझे बेड पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने मेरी टांगों को खोला और मेरी चूत में लंड घुसा कर मुझे जोर से चोदने लगा.

मेरी सेक्स की प्यास बुझने लगी. मैं 10 मिनट में झड़ गयी और फिर रामू भी मेरी चूत में ही झड़ गया.
इस तरह से पहले मैंने भाई के साथ, फिर पापा के साथ और फिर अपने चाचा के साथ चुदाई का मजा लिया और घर के नौकर का लंड भी लिया.

उसके बाद मेरी शादी हो गयी. शादी के बाद भी मैंने पति और देवर का लंड लिया. उसके बारे में मैं आपको फिर कभी बताऊंगी.
आपको मेरी sex story स्टोरी कैसी लगी मुझे प्लीज अपने कमेंट्स करके बतायें.


मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं पिछले दो साल से दिल्ली में जॉब कर रही हूँ.

मेरे पिताजी फौज में थे और जब मैं अबोध थी, तभी कश्मीर में वो शहीद हो गए थे.
उसके बाद से मुझे मेरी मां ने ही पाला.

मैं एक अच्छे घर से हूं लेकिन मैंने काफी छोटी उम्र से ही अपनी मां की चुदाई देखी है इसलिए चुदाई के नाम से मेरा दिल मचल उठता है.
जैसी चुदक्कड़ मेरी मां है, आज मैं भी वैसी ही चुदक्कड़ हूं.

मैं आज आपको अपने द्वारा देखी पहली सच्ची घटना बता रही हूं.
इसके बाद मैं खुद के साथ घटी घटनाओं को भी लेकर आऊंगी, अतः आप सभी से अनुरोध है कि कृपया मुझे Xxx डॉक्टर सेक्स कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दीजिएगा.

मैं बिल्कुल नयी हूं, इसलिए लिखने में अगर कोई भूल हो जाए तो उसे नजरअंदाज कर दीजिएगा.

यह बात काफी पुरानी है लेकिन मुझे यह बात आज तक बिल्कुल सही सही याद है.

मैं और मेरी मां, जिनका नाम विमला है.
हम हमारे नये घर में रहते थे. हमारा घर नया था और शहर से थोड़ा बाहर के इलाके में बना था.

हमारे घर के आस-पास उस वक्त केवल 3 घर और थे.
उनमें से एक घर में कोई नहीं रहता था और एक में एक अंकल और आंटी रहते थे.

एक अन्य घर में मेरी सहेली मेघा और उसके पापा, जो पेशे से डॉक्टर थे, वो रहते थे.
उसकी मम्मी नहीं थीं.
मेघा मेरे साथ ही स्कूल में पढ़ती थी और ज्यादा समय मेरे पास ही रहती थी.

मेघा के पापा का नाम सुरेन्द्र था.
वो जब भी अपने क्लिनिक जाते तो मेघा को मेरे घर पर ही छोड़ जाते थे.

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन उस दिन से मेरी जिंदगी एक अलग मोड़ लेने वाली थी.

मेरी मां की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही थी तो सुरेन्द्र अंकल ने उन्हें अपने क्लिनिक पर चेकअप के लिए बुलाया.
मां ने मुझे कहा- मैं थोड़ी देर में आ जाऊंगी, मेरी तबियत ठीक नहीं है. मैं दवाई लेकर आ जाऊंगी.

यह सुनकर कि वो शहर तरफ जाने वाली हैं, मैं भी उनसे साथ चलने को कहने लगी.
पहले तो मां ने मना कर दिया मगर मैं जिद करने लगी तो बाद में वो मान गईं और मुझे और मेघा को अपने साथ स्कूटी पर बैठाकर ले गईं.

हम लोग दोपहर के करीब दो बजे सुरेन्द्र अंकल के क्लिनिक पर पहुंचे.
वहां केवल एक मरीज था तो अंकल ने हमें बाहर बैठने को कहा और रेशमा आंटी, जो अंकल की सहयोगी थीं, उनको क्लिनिक बंद करके घर जाने को कहा.

वो क्लिनिक बंद करके पांच मिनट बाद चली गईं.
कुछ देर बाद वो मरीज भी वहां से चला गया और अंकल ने क्लिनिक को अन्दर से बंद कर दिया.

उसके बाद वो मेरे और मेघा के लिए कुछ चिप्स और बिस्किट लाने चले गए.

थोड़ी देर बाद अंकल खाने की ढेर सारी चीजें लेकर आए और हमें खाने को दे दीं.

फिर मम्मी बोलीं- बेटा, मैं चेकअप करवा कर आती हूं, आप लोग यहीं बैठो.
इतना कहकर मम्मी वहां लगे टीवी में एक कार्टून चैनल लगाकर अन्दर चली गईं.

मैं और मेघा खाने और कार्टून देखने में व्यस्त हो गए.
धीरे धीरे काफी समय बीत गया और मेघा टीवी देखते हुए सो गई.

मैंने कुछ देर टीवी देखा, फिर सोचा कि बहुत देर हो गई, मम्मी अभी तक नहीं निकलीं, एक बार जाकर बुलाती हूं.

यह सोचकर मैं अन्दर चेम्बर के तरफ जाने लगी.
जैसे ही मैं गेट के पास पहुंची, तो मैंने जो देखा, वो मुझे आज तक याद है.

मैंने देखा कि मेरी मां की सलवार और पैंटी नीचे जमीन पर गिरी हुई थी और मेरी मां अपनी टांगें फैलाए कुर्सी पर बैठी हुई थीं.
उनकी चूत में अंकल अपनी उंगली पेल रहे थे.

उस वक्त मैं बहुत छोटी थी. ये सब मेरे समझ में बिल्कुल नहीं आ रहा था कि चल क्या रहा था.
मैंने वहीं से आवाज लगाई- मम्मी क्या हुआ आपको?

मेरी आवाज सुनकर मेरी मां और अंकल दोनों अकबका गए.
मां ने मेरी तरफ देखा और घबराहट में बोलीं- कुछ नहीं बेटा, अंकल मेरा चेकअप कर रहे हैं और इलाज करेंगे, आप बाहर जाकर बैठो.

मां के इतना कहते ही अंकल झट से उठकर आए और मुझे केबिन से बाहर ले आए.
वहां अंकल ने मुझे कुछ चॉकलेट आदि दिए और समझाने लगे- बेटा, मैं मम्मी का इलाज कर रहा हूँ, इसमें थोड़ा टाइम लगेगा. तब तक आप कार्टून देखो और ये चॉकलेट खाओ.

इतना कहकर अंकल ने मुझे टीवी के सामने बिठा दिया और खुद वापस अन्दर चले गए.
उन्होंने केबिन का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया.

मैं दुबारा कार्टून देखने में व्यस्त हो गई. मैं इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि अन्दर अंकल मेरी मां चोदने वाले हैं.

कुछ देर तक सब कुछ सामान्य रूप से चलता रहा, मगर इधर मैं बिल्कुल अकेली पड़ गई थी.
मैंने सोचा कि जरा एक बार जाकर देखूं कि मां का इलाज हुआ या नहीं.

जब मैं वहां गई, तो दरवाजा बंद था.
तब मैंने बाहर से आवाज भी लगाई मगर अन्दर से कोई जवाब नहीं आया.

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
तभी मैंने सोचा कि एक बार खिड़की से देखती हूँ कि अन्दर क्या चल रहा है.

यह सोचकर मैं खिड़की के पास गई और देखने कि कोशिश की, मगर खिड़की ऊंची थी.
तब मैंने इधर-उधर देखा तो मुझे मोटी मोटी किताबें एक शेल्फ में रखी दिखाई दीं.

मैंने उनमें से कुछ किताबों को निकालकर एक के ऊपर एक करके सीढ़ी जैसी बनाई और खिड़की से अन्दर देखने लगी.

इस बार का नजारा तो पहले से काफी अलग था. वहां पर मेरी मां पेशेंट वाले बेड बिल्कुल ही नंगी लेटी थीं और अंकल जोर जोर से मेरी मां को चोद रहे थे.
यह सब मेरे सामने पहली बार हो रहा था मगर पता नहीं क्यों, मुझे यह पसंद आ रहा था.

मेरी मां का गोरा जिस्म किसी परी के जैसे मखमली था.
अंकल काफी जोश के साथ मेरी मां को चोदे जा रहे थे.

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद उन्होंने मेरी मां को कस कर पकड़ लिया और उनके जिस्म पर लेट गए.
मां ने अंकल को अपने ऊपर से हटाया और उठ कर खड़ी हो गईं.

अब वो अपने कपड़े पहनने लगीं.
यह देख मैं भी वहां से नीचे उतर गई और सारी किताबों को उनकी जगह पर रखने लगी.

दो किताबें अभी भी मेरे हाथ में ही थीं. तभी अचानक से पीछे से मेरी मां की आवाज आई- क्या कर रही हो बेटा?

उनकी आवाज सुनकर मैं घबराहट में बोली- कुछ नहीं मां, अंकल की बुक देख रही थी. ये किताब भी न कितनी मोटी है, मुझसे गिर गई थी. वापस रख रही हूँ.

मां ने कहा- तुम छोड़ दो, अंकल रख लेंगे.
मैं दौड़कर मां के पास गई और बोली- अब घर चलो.

उनको देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि वो अभी अभी चुद कर आ रही थीं.
थोड़ी देर बाद अंकल भी बाहर निकले और बोले- ऐसे ही इलाज कराओगी, तो जल्दी ठीक हो जाओगी.

मैं बोल पड़ी- हां अंकल, आप मम्मी का इलाज अच्छे से कीजिए.
यह सुनकर मां मुस्कुराती हुई बोलीं- आज रात खाना आप हमारे घर पर ही खा लीजिए डॉक्टर साहब!

यह सुनकर अंकल मुस्कुराते हुए बोले- मैं तो मीट खाऊंगा, वो भी लाल लाल!
यह सुनकर मां हंसती हुई बोलीं- आपको जो खाने का मन हो, खा सकते हैं. कोई रोक नहीं है.

यह कह कर मां ने मुझसे चलने का कहा.
मैं और मां वहां से निकल गए.
मेघा वहीं रूक गई.

उस दिन मां बहुत मुस्कुरा रही थीं. मुस्कुराएं भी क्यों न, आखिर चुद कर जो आई थीं.

इसके बाद रास्ते में मुझे बहुत सारी चीजें बिना बोले ही मां ने दिला दीं.
रात के लिए मीट लेकर हम लोग वापस घर आ गए.

उनको भनक तक नहीं लगी थी कि मैंने उनकी चुदाई देख ली थी.
मैं भी चुप रही क्योंकि मेरी समझ में भी उस वक्त कुछ खास नहीं आया था.

रात को ठीक आठ बजे अंकल और मेघा हमारे घर आ गए.
मैं मेघा को लेकर अपने कमरे में चली गई.

उस वक्त मेरी मां बाथरूम में नहा रही थीं.

मैंने मां को आवाज दी कि मां, डॉक्टर अंकल और मेघा आए हैं.
कुछ देर बाद मां ने मुझे और मेघा दोनों को आवाज लगायी कि तुम दोनों बहनें खाना खाने नीचे आ जाओ.

यह सुनकर हम दोनों नीचे हॉल में आ गए.
तब मैंने देखा कि मां किसी परी की तरह सफेद ड्रेस में सजकर तैयार थीं.
उनके पूरे बदन से परफ्यूम की अच्छी खुशबू आ रही थी.

अंकल ने मां की तारीफ की और कहा- आप बहुत सुंदर दिख रही हैं.
हमने साथ बैठकर खाना खाया.

खाने के बाद मैं मेघा के साथ अपने कमरे में, जो ऊपर की तरफ था, वहां चली गयी और उसे अपने खिलौनों से खेलने देने लगी.
कुछ देर खेलते खेलते हम दोनों की आंख लग गई.

बहुत रात को मुझे प्यास लगी तो मेरी नींद खुली.
मैंने देखा कि मेघा मेरे बाजू में सोयी हुई है. मैंने सोचा कि नीचे किचन में जाकर पानी पी लेती हूँ.

यह सोचकर मैं धीरे धीरे सीढ़ियों से उतरकर हॉल में आई और वहां पानी पिया.
मैं जब पानी पी रही थी, तब मैंने देखा कि मेरी मम्मी के कमरे की लाईट अभी तक जल रही थी, जबकि मम्मी लाइट बंद करके सोती थीं.

तो मैं लाइट्स बंद करने जाने लगी तो वहां मैंने बुदबुदाने की आवाज सुनी.
वो आवाज मेरी मां की थी.

मैंने पर्दे के पीछे से झांक कर देखा, तो मेरे सामने बिल्कुल दोपहर वाला नजारा था.
मां और डॉक्टर अंकल दोनों बेड पर नंगे लेटे हुए थे और मां डॉक्टर अंकल से कह रही थीं कि दोनों बच्चियां जाग जाएं, इससे पहले आप मुझे जी भर के चोद दो.

इतना कहकर मां डॉक्टर अंकल को चूमने लगीं.
वो दिसम्बर का ठंडा महीना था. कमरे में गर्म वाला ब्लोअर चल रहा था, जिससे अन्दर का वातावरण अनुकूल था.

चुदाई की कह कर मेरी मां ने अपनी गोरी टांगों को फैला दिया और उनकी एकदम गुलाबी चूत मेरी आंखों के सामने आ गई थी.
अंकल मां के ऊपर चढ़े और बोले- साली छिनाल, तीन बार चुदवाकर भी मन नहीं भरा तेरा?

इस पर मेरी मां वासना भरे स्वर में बोलीं- मैं बहुत प्यासी हूं … मेरी इस मादरचोद चूत को एक बार और रगड़कर चोद दो.
इतना सुनते ही अंकल ने मेरी मां को अपनी ओर खींचा और दोनों टांगों को कस कर फैला कर चोदना शुरू कर दिया.

मेरी मां के मुँह से निकलने लगा- आ आह आह … और चोदो मेरी जान … ऐसे ही … आह ये चूत तुम्हारी ही है.
उनकी मादक आवाजें निकलने लगीं.

अंकल- अब तुम्हारी जवानी लंड के लिए नहीं तरसेगी विमला रानी.
ये कहकर अंकल मेरी मां को धकापेल चोदे जा रहे थे.

पूरा कमरा फच्च फच्च की आवाजों से गूंज उठा था.

ऐसे ही काफी देर तक और चोदने के बाद अंकल ने मेरी मां की खूबसूरत चूत में अपना सारा रस डाल दिया.

मेरी मां और अंकल दोनों काफी हांफ रहे थे. दोनों एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे.
अंकल मेरी मां से बोले- तुम्हारी चूत बेहद खूबसूरत है विमला, मैं तो इसका दीवाना हो गया. जिंदगी में मैंने पहले कभी इतनी प्यारी चूत नहीं चोदी थी.

यह सुनकर मेरी मां मुस्कुराती हुई बोलने लगीं- क्या आप भी डॉक्टर साहब … मुझे तो शर्म आ रही है.
इस पर शायद अंकल भड़क गए और कड़क आवाज़ में मेरी मां को देखते हुए बोले- साली छिनाल, चार बार चुदवाने में तुझे शर्म नहीं आई … और अब तुझे शर्म आ रही है. साली आज तुझे इतना चोदूंगा कि तू शर्माना भूल जाएगी.

मेरी मां घड़ी की ओर देखती हुई बोलीं- डॉक्टर साहब, साढ़े तीन बजने वाले हैं. बच्चियां जाग गईं, तो दिक्कत हो जाएगी. आप कल या परसों फिर चोद लेना, मैं आज बहुत थक गई हूं. और वैसे भी कौन सा मैं कहीं भागी जा रही हूं.

इस पर अंकल बोले- तुम बच्चियों की चिंता मत करो. सुबह 5 बजने से पहले मैं तुम्हें चोद कर निकल जाऊंगा. तुम चुदने के लिए ही बनी हो, अपनी चूत के साथ अन्याय मत करो. इसे जी भरके चुद लेने दो.
यह बोलते ही अंकल मेरी मां के ऊपर फिर से चढ़ गए.

अब वो अपने लंड को धीरे से मेरी मां की चूत में डालने लगे.
मेरी मां मुस्कुराती हुई बोलीं- बड़े मादरचोद हो आप डॉक्टर साहब!

अंकल बोले- काश तुम मेरी बीवी होती.
मेरी मां उनको चूमते हुए बोलीं- अभी तो आपकी ही बांहों में हूँ, तो बीवी समझ कर ही मजा लीजिए.

यह कहकर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और Xxx डॉक्टर अंकल ने भी चुदाई तेज कर दी.
मेरी मां फिर से कराहने लगीं- ओह डॉक्टर साहब, बहुत मजा आ रहा है … ऐसे ही चोदो डॉक्टर साहब.

ये बातें सुनकर अंकल ने रफ्तार और बढ़ा दी … और वो मेरी मां को बहुत जोर जोर से चोदने लगे.
मुझे ये सब देखने में बहुत मजा आ रहा था.

अंकल बोलने लगे- कैसा लग रहा है?
मां बोलीं- बस ऐसे ही चोदते रहो डॉक्टर साहब.

दोनों चुदाई में इतने मगन थे कि उन्हें कोई दीन दुनिया का कोई होश ही नहीं था.
जल्द ही फिर से पूरा कमरा फच्च फच्च की आवाजों से गूंज उठा.

चोदते चोदते अंकल कभी मां के चूचों को दबाते, तो कभी उन्हें अपने मुँह में भरकर चाटने लगते.
मां भी उनका पूरा साथ दे रही थीं और किसी रंडी की तरह धकापेल लंड खाए जा रही थीं.

ऐसे ही बहुत देर तक ताबड़तोड़ चुदाई चलती रही.
तभी अंकल ने रफ्तार बहुत तेज कर दी और एक झटके में सारा वीर्य मेरी मां की चूत में टपका दिया.

अब वो निढाल होकर मेरी मां के ऊपर ही लेट गए और मां ने भी उन्हें कसकर जकड़ लिया.
कुछ देर तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे.

फिर अंकल ने धीरे से अपना लंड मेरी मां की चूत से बाहर निकाला और बोलने लगे- विमला, तुम्हें चोदने में बहुत मजा आया.
मां ने समय देखा और बोलीं- चोदते चोदते एक घंटा से ज्यादा हो गया. बच्चियां जाग जाएंगी, अब आपको जाना चाहिए.

अंकल बोले- हां विमला, अब मैं निकलता हूं. लेकिन वादा करो कि दुबारा फिर चोदने दोगी.
इस पर मेरी मां मुस्कुराती हुई बोलीं- मैं कहां भागी जा रही हूं. आपका जब मन करे, तब आप मुझे चोद सकते हैं. मेरी चूत का ख्याल तो अब आपको ही रखना है.

अंकल ने कहा- तुम फिक्र मत करो, तुमसे ज्यादा ख्याल मैं तुम्हारी चूत का रखूंगा.
यह कहकर वो उठ कर अपने कपड़े पहनने लगे.

कपड़े पहनकर वो मां को किस करके बोले- विमला, अब तुम भी अपने कपड़े पहन लो.
मेरी मां बोलीं- मेरा अभी मन नहीं है. बाद में पहन लूँगी.

अंकल बोले- तुम समय निकालकर क्लिनिक आ जाना, मैं तुम्हारी नसबंदी करवा दूँगा. उसके बाद तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी और उसके बाद हर शनिवार रात मैं तुम्हें ऐसे ही चोदूंगा.
मां ने हां कहकर सिर हिलाया और कंबल के अन्दर नंगी ही लेट गईं.

मैं भागकर मेघा के पास आ गई और सोने का नाटक करने लगी.
मुझे अभी तक समझ नहीं आया था कि आखिर अंकल ने मेरी मां के साथ क्या किया.

थोड़ी देर बाद अंकल मेघा को लेने आए.
जैसे ही वे हमारे पास आए, तो उनके शरीर से वही परफ्यूम की खुशबू आ रही थी जो मेरी मां ने शाम को अपने जिस्म में लगाई थी.
वो मुझे बिना जगाए मेघा को गोद में उठाकर चले गए.

जब वो दोनों चले गए तो मैं भी नीचे उतरकर मां के कमरे की तरफ चली गई.
अब वहां कोई लाइट नहीं जल रही थी और काफी अंधेरा था.

मैं अन्दर गई और एक डंडे से लाईट का बटन चालू किया.
मां सोयी हुई थीं, तो मैं भी धीरे से बेडपर जाकर कंबल में घुसकर उनके बगल में लेट गई.

मेरी मां के जिस्म से मस्त खुशबू आ रही थी.
थोड़ी देर बाद मैंने मां की जांघों पर अपनी टांग को रख दिया और मां से लिपट गई.

मेरे मन में वो सब चल रहा था, जो मैंने देखा था.
मैं जानना चाहती थी कि आखिर हुआ क्या?

यही जानने के चक्कर में मैंने अपना हाथ मां के पेट पर रख दिया और धीरे धीरे हाथ को नीचे की तरफ ले जाने लगी.
कुछ देर में ही मेरे छोटे हाथ मेरी मां की चूत तक पहुंच गए. उनकी चूत बहुत ज्यादा चिपचिपी थी और सारा माल मेरे हाथों में लग गया.

मैंने धीरे से अपने हाथों को मां की झांटों में रगड़कर साफ कर लिया.
अब मैंने सोचा कि ये क्या चीज थी, जो मेरी मां की सुसु में अंकल ने डाल दी.

यह जानने के लिए जैसे ही मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में डालीं, वैसे ही झट से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और उंगली को बाहर कर दिया.
वो घबराहट में बोलीं- हंषु बेटा, तुम यहां क्या कर रही हो?

मैं भी घबराकर बोली- मम्मी मुझे आपके पास रहना है.
यह कहकर मैं अपनी मां से लिपट गई और रोने लगी.

मां मुझसे पूछने लगीं- क्या हुआ बेटा, रो क्यों रही हो?
मैं रोती हुई बोली- मां अंकल ने आपके सुसु में क्या डाला?

यह सुनते ही मां के होश उड़ गए. वो समझ गईं कि मैंने सब कुछ देख लिया था.
वो कुछ देर के लिए बिल्कुल चुप रहीं. शायद उनको समझ नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दूं.

वो सोचने लगीं और तब उन्होंने मुझसे पूछा- तुमने क्या देखा?
मैंने सब कुछ सच सच बता दिया.

मेरी मां समझ गईं कि मैंने उनकी चुदाई देख ली.
अब मां को ये डर था कि कहीं मैं किसी को ये सब न बता दूं.
कुछ देर सोचने के बाद मां बोलीं- बेटी, तुम ये बात किसी से मत बताना.

मैं जिद करने लगी कि पहले आप बताओ, अंकल ने आपके साथ क्या किया?
इस पर वो मुझे समझाती हुई बोलीं- हंषु बेटा, तुमको तो पता हैं कि मां की तबियत कितनी खराब थी. जब आज हम लोग चेकअप के लिए गए, तब अंकल ने मुझे चेक करके बताया कि मुझमें प्रोटीन की कमी है. मेरे पैरों में और पेट में बहुत कम प्रोटीन है, इसलिए मुझे प्रोटीन शेक लेना होगा. तो अंकल मेरा इलाज कर रहे थे और मुझे प्रोटीन दे रहे थे बेटा.

ये सुनकर मुझे लगा कि हां अंकल मेरी मां का इलाज कर रहे होंगे.

मैंने पूछा- मगर वो आपकी सुसु करने वाली जगह से क्यों प्रोटीन दे रहे थे?
मां मुस्कुराती हुई बोलीं- वो इसलिए बेटा, क्योंकि सुसु वाली जगह से मेरा पेट और पैर पास में है न. उधर से वहां तक जल्दी प्रोटीन पहुंच जाएगा और मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगी.

मैं खुश होकर बोली- अच्छा तो ये प्रोटीन दवाई है और आप इससे जल्दी ठीक हो जाओगी?
मां ने कहा- हां बेटा, ऐसे ही अंकल मेरा फिर से इलाज करेंगे, तो मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगी. लेकिन तुम ये किसी को मत बताना वर्ना सब तुम्हें ये बोलकर चिढ़ाएंगे कि तुम्हारी मां बीमार है.

मैंने कहा- ठीक है मां, मैं किसी को नहीं बताऊंगी.
यह कहकर मैं अपनी मां की बांहों में लेट गई.

इसके बाद तो लगभग हर बार मैंने अपनी मां को चुदते देखा … और हर बार अंकल मेरी मां को ऐसी ही बेरहमी से चुदाई करते थे.
पिछले बीस सालों से वो मेरी मां को चोद रहे हैं. मेरी मां अब भी दिखने में काफी सेक्सी हैं, तभी तो अंकल अभी भी उन्हें जमकर चोदते हैं.

हेलो दोस्तो, कैसे हो आप! Antarvasna

मैंने बहुत सारी कहानियाँ Antarvasna अन्तर्वासना पर पढ़ी, सभी कहानियाँ मुझे अच्छी लगी. खास तौर से अगम्यागमन भाग पसंद है.
मैं भी अन्तर्वासना डॉट कॉम के माध्यम से अपना अनुभव आप के सामने रखता हूँ.

सबसे पहले मैं आप लोगों को पात्र-परिचय करा दूँ!
संजय : 25 साल, शादीशुदा युवक
मनोहर : संजय के पिताजी
सीता देवी : संजय की माताजी
सुष्मिता : संजय की बुआ
सुरेन्द्र : संजय के फ़ूफ़ा (सुष्मिता बुआ के पति)
सविता : 22 साल, संजय की बहन
निर्मला : 22 साल, संजय की बुआ की लड़की
अशोक : 27 साल का संजय की बुआ का लड़का
सुधा : 26 साल की संजय की भाभी (अशोक की बीवी)

सब लोग मुंबई में ही रहते हैं : संजय का परिवार मीरा रोड पर और बुआ का परिवार रहता है अंधेरी वेस्ट पर!

यह बात छः महीने पहले की है जब संजय के पिताजी मनोहर ने सुरेन्द्र से दो लाख रुपए कुछ महीने पहले उधार लिए थे.

तो एक दिन पिताजी ने संजय को दो लाख रुपए से भरा बैग देकर कहा- ज़ाओ अपनी बुआ के घर जा कर यह दे आओ.
संजय नाश्ता करके बैग लेकर सीधा अपनी बुआ के घर पहुँच गया. समय दोपहर का एक बजा होगा.
आगे की कहानी संजय की जुबानी!

मैंने डोर-बेल बजाई लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. मैंने 3 बार कोशिश की लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला. मैंने दरवाज़े को धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया, मैं जूते निकाल कर दरवाज़े को बंद करके सीधा अंदर गया और बुआ को आवाज़ देने लगा.

फिर मैं सीधा किचन में गया. वहाँ पर भी कोई नहीं था. फिर मैंने बुआ के बेडरूम के पास जा कर देखा कि बेड रूम लॉक है. मैं वहाँ से निर्मला के बेडरूम के पास गया और दरवाज़े को धकेला, दरवाज़ा खुला ही था. मैं अंदर गया और देखा कि निर्मला सिर्फ़ लाल रंग की पेंटी पहने हुए थी और अपने बाल तौलिये से सुखा रही थी.

वाह! क्या नज़ारा था! क्या मम्मे-चूची थी- एकदम दूध की तरह सफेद और गोल-गोल और कड़क और उसका फिगर- वाऽऽह! 32-34 मम्मे, 25 कमर और 34 गाण्ड!

और मेरा लंड पैन्ट में खड़ा होने लगा. मेरे अंदर की वासना जाग गई क्योंकि मैंने एक महीने से चुदाई नहीं की थी क्योंकि मेरी पत्नी की तबीयत खराब चल रही थी और डॉक्टर ने साफ मना किया था.

मैंने सोचा- मस्त माल है क्यों ना मजा ले लूं! मैंने बैग को नीचे रखा और सीधा निर्मला के पीछे गया और चूचियों पर हाथ रख कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा.
निर्मला एक दम घबरा गई और मेरा हाथ पकड़ कर चिल्लाई- कौन हो तुम? यह क्या कर रहे हो? निकल ज़ाओ मेरे कमरे से बाहर!!
तो मैंने उसके कान में धीरे से कहा- मैं हूँ तुम्हारा संजू! ( सब लोग मुझे संजू कहकर बुलाते थे)

संजू!! (उसने मेरी आवाज़ से पहचान लिया था) तुम यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं!
तुम अंदर कैसे आए?
मैंने कहा- दरवाज़ा खुला था और मैंने जब बुआ और तुमको आवाज़ लगाई तो किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हारे कमरे में देखने आया कि तुम हो या नहीं! और अंदर आकर देखा तो तुम नंगी खड़ी हो.

इतना कहते ही मैंने फिर निर्मला को अपनी बाहों में लिया और चूची पर हाथ रख कर धीरे धीरे मसलने लगा और उसकी तारीफ करने लगा- तुम कितनी सुंदर हो! ऐसी सुंदर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी. गले पर चूमने लगा और लंड को उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा.
निर्मला छटपटाने लगी और बोली- मुझे छोड़ दो भैया!
मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़!

और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी पेंटी में डालने लगा और बोला- निर्मला तुम असल में अप्सरा से भी बहुत सुंदर हो! अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मैं तुमसे ही चिपका रहता! एक पल भी अलग नहीं होता.

इतने में निर्मला ने मुझे धक्का दिया और कहने लगी- नहीं भैया! यह पाप है आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते! तुम अपनी बहन के साथ ऐसा नहीं कर सकते!
मैंने कहा- मैं तुम्हारा भाई नहीं हूँ, हम आज से हम दोस्त हैं बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड की तरह! और दोस्ती में यह सब ज़ायज़ है.

मैं अपने दोनों हाथों से निर्मला के चेहरे को पकड़ कर चूमने लगा और एक हाथ से बाईं बूब को मसलने लगा. मैंने फिर निर्मला को बेड पर लिटा लिया और निर्मला के उपर आकर चूची को मुँह में लेकर को चूसने लगा और एक हाथ को चूत के ऊपर रख कर मसलने लगा.

दोस्तो, अब निर्मला ने साथ देना शुरू कर दिया और धीरे धीरे बोलने लगी- नहीं भैया! प्लीज़ मत करिए!
और मैंने खड़े होकर जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया. फिर मैं निर्मला के ऊपर आया और उसको बाहों में लेकर आंख से आंख मिलाकर कहने लगा- वास्तव में तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो! आई लव यू! निर्मला आई लव यू! निर्मला आज मैं बहुत खुश हूँ कि एक अप्सरा जैसी लड़की के साथ मस्ती कर रहा हूँ!
वो अपनी आँखें बंद करके बोली- भैया आप बहुत गंदे हो! मैं आपके साथ कभी भी बात नहीं करूंगी!
मैंने कुछ नहीं कहा और एक हाथ से चूची की घुंडी को ज़ोऱ-ज़ोऱ से मसलने लगा और वो छटपटाने लगी और सिसकारी निकालने लगी- ओइए माआआआ ओइए! माआआआआआ!

मैंने भी उसे चूमना चालू कर दिया और वो भी साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो वो भी मेरी जीभ को चूसने का प्रयास करने लगी. करीब 5 मिनट के बाद मैंने उस का हाथ लेकर मेरे लंबे और मोटे लंड पर रख कर कहा- लो मेरे लंड से खेलो!
वो शरम के मारे आंख बंद करते हुए हाथ छुड़ाकर बोली- नहीं! मैं नहीं खेलूंगी, तुम मुझे छोड़ दो!
मैंने कहा- एक बार हाथ में लोगी तो फिर कभी नहीं छोड़ोगी!

और उसको ज़बरदस्ती हाथ में पकड़ा दिया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाने लगा. मेरा लंड करीब 9 इंच का है और हाथ लगने से और भी टाइट और लंबा होकर तड़पने लगा. निर्मला उसको देख कर घबरा गई और बोली- यह तो बहुत ही बड़ा है! मैं नहीं लूंगी अपने हाथ में! मुझे डऱ लगता है!
मैंने कहा- कैसा डर? तुम एक जवान लड़की हो! इस लंड को आज कल की लड़कियाँ अपनी चूत में लेने के लिए तड़पती हैं तुम इतनी बड़ी हो कर भी डरती हो? कल जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति तुमको सुहागरात में चोदेगा तो तुम क्या करोगी? डर के मारे तुम वापस अपने मायके आओगी या फिर पति से चुदवाओगी?
निर्मला बोली- तुम इतनी गन्दी बात क्यों कर रहे हो? मुझे तो बहुत शरम आ रही है, प्लीज़ ऐसी गंदी बात मत कऱो!
मैंने कहा- निर्मला तूने कभी अपनी मम्मी और डैडी की चुदाई देखी है?

दोस्तो, मैं उसकी शरम को हटाना चाहता था और उसको पूरी तरह से उकसा रहा था और मैं उसका हाथ अपने लंड पर रख कर धीरे धीरे से सहलाने लगा था.
तो वो बोली- नहीं!
इसलिए तो तुम को मालूम नहीं है कि चुदाई करते समय किस किस तरह की बातें होती हैं!
उसने मुझसे पूछा- भैया, आप भी भाभी के साथ ऐसे ही बातें करते हो?
मैंने कहा- हाँ! इससे भी ज्यादा गंदी!
तो वो आश्चर्य-चकित होते हुए बोली- आपको शरम नहीं आती?
मैंने कहा- पहले बहुत शरम आती थी, अब नहीं! क्योंकि हम लोगों आदत पड़ गई है और हमको सिखाने वाली कौन है, तुमको पता है? नहीं? अगर बता दिया तो तुम पागल हो जाओगी सुन कर! और शायद तुम मेरा विश्वास भी नहीं करोगी!

तो वो बोली- कौन है?
मैंने कहा- पहले तुम अन्दाज़ा करो! बाद में मैं तुम्हें बताऊँगा!
वो बोली- तुमको बताना हो तो बताओ, नहीं तो भाड़ में जाओ!
मैंने कहा- बताता हूँ.
और बोल पड़ा- तुम्हारी मम्मी! मेरा मतलब- बुआ!
तो बोली- मेरी मम्मी?
मैंने कहा- हाँ! तेरी मम्मी!
मैं नहीं मानती!

मैंने कहा- मत मानो! लेकिन मैंने तुम्हें अगर सबूत दिया तो तुम मुझे क्या दोगी?
वो बोली- पहले सबूत, बाद में मैं तुझे क्या दूँगी, तुम को बाद में पता चल जाएगा!
तो मैंने कहा- तुम को एक काम करना पड़ेगा!
क्या, कैसा काम? मैं कोई काम नहीं करूंगी!
मैंने कहा- ऐसा वैसा कुछ नहीं बस मेरी आइडिया मानो और मैं जो कहूँ, तुम वैसा करो!

दोस्तो, मैं बातें करते हुए उसकी चूत में अंगूठाअ और उंगली डाल कर दाने को मसलने लगा था, वो बातें करते हुए तड़प रही थी और मेरे को बोल रही थी कि छोड़ दो भैया प्लीज़! आप ऐसा मत करो! मुझे बहुत दर्द हो रहा है! आप बहुत खराब हैं!

मैंने उसे कहा- आज रात को जब सब लोग सो जाए तो तुम बिना आवाज़ किए ही मम्मी के कमरे के दरवाजे पर अपना कान लगा कर उनकी बातें सुनना! तभी तुम को पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है!
तो बोली- ठीक है! मैं आज ही पता कर लूंगी!

मैं चूत में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा और अब वो मेरे काबू में आने लगी और मीठी मीठी सिसकारी लेने लगी. उसकी चूत से पानी भी बहने लगा था. मैंने अब नीचे आकर उसकी चूत को हाथों से खोला और चूत के पास मुँह रख कर चूत को सूंघने लगा.

वाह! क्या मीठी सुगंध थी! ऐसी सुगंध तो मोंट ब्लांक के पर्फ्यूम में भी नहीं आती होगी! मैं तो पूरा मदहोश हो गया और स्वर्गलोक के कमल के फूल की कल्पना करने लगा.
तभी निर्मला बोली- भैया, वहाँ मुँह लगाकर क्या कर रहे हो?

मैंने कोई ध्यान नहीं दिया और मैं चूत सूंघने में मस्त था. तो निर्मला मेरे बाल खींच कर बोली- भैया, क्या कर रहे हो?
मैंने सिर उठा कर कहा- कुछ नहीं डार्लिंग! तुम्हारी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है! यह कह कर मैं उसकी चूची चूसने लगा और उंगली को चूत में डाल कर आगे पीछे करने लगा. तभी वो बोली- भैया, मुझे कुछ हो रहा है! प्लीज़ आप मुझे छोड़ दो!
मैंने कहा- क्या हो रहा है?
तो बोली- मेरी चूत से कुछ आने वाला है!
मैंने कहा- प्लीज़ रुको! और मैं मुँह को नीचे ले कर चूत में जीभ डाल कर चूत को चाटने लगा औऱ एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा और वो पूरी पागलों की तरह होकर बोली- प्लीज़ भैया! जल्दी कऱो! नहीं तो मैं मर जाऊँगी!

मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत को चाटने लगा और हाथ से उसकी चूची मसलने लगा. करीब पाँच मिनट में ही वो ज़ोऱ से आऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ कर के झड़ गई और सारा चूतरस (प्रेमरस) मेरे मुँह में छोड़ दिया. मैंने पूरा माल चाट चाट कर साफ किया.
तभी मैंने उससे पूछा- मजा आया या नहीं?
तो शरमाते हुए बोली- भैया प्लीज़!
मैंने कहा- अब आगे का खेल खेलें या नहीं?
तो बोली- इससे आगे का खेल कौन सा है?
मैंने उसे सीधे ही कहा- अब मैं तुझे चोदूँगा!
तो बोली- कैसे?
मैंने लंड हाथ में लेकर हिलाते हुए उसकी चूत पर हाथ रखकर कहा- मैं इसे तुम्हारी चूत में डाल कर ज़ोऱ से चोदूँगा!
तो बोली- भैया, प्लीज़ आप अभी मुझे छोड़ दो! आप कल कर लेना!
मैंने कहा- क्यों?
तो बोली- मुझे कहीं जाना है! और मैं पहले ही लेट हो गई हूँ! प्लीज़ मुझे जाने दें, मैं आपसे वादा करती हूँ!
तो दोस्तो, मैंने भी कोई जबरदस्ती न करते हुए उसके चूचुक को मुँह में लेकर हल्का सा काट कर कहा- मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ, मैं तेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करूंगा! तुम जब तुम्हारी मर्जी हो, मुझे बुला लेना, मैं हाज़िर हो जाऊँगा!

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आकर हाल में बैठ कर टीवी. चला कर सोफ़ा पर बैठ गया. तभी वो पाँच मिनट के बाद निर्मला बाहर आई, मुझसे बोली- तुम आए क्यों थे?

मैं भी भूल गया था कि मेरे पास कैश का बैग था. मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में मेरा कैश का बैग पड़ा है, मैं कैश देने आया था. लेकिन बुआ घर में नहीं थी तो मैंने सोचा कि तुम को दे दूँ. तो बोली- बैग कहाँ है?
मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में कुर्सी के पास रखा है, तुम मुझे बैग ला कर दे दो.

निर्मला बैग लेने कमरे में गई. मैं भी पीछे गया और निर्मला को पकड़ कर घुमाया और उसके वक्ष मसलते हुए चूमने लगा. वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर घुमाने लगी. करीब़ पाँच मिनट के बाद हम अलग हुए और मैंने बैग निर्मला के हाथ में देकर कहा- यह बैग अपने पापा को दे देना और सेल पर बात करा देना! और मैंने अपना सेल नम्बर उसे दे दिया.

और मैंने भी उसका सेल नम्बर ले लिया. उसको कहा- यह बात तुम किसी से मत करना और मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, क्योंकि इसमें तुम्हारी और मेरे खानदान का इज़्ज़्त का सवाल है.
निर्मला बोली- मैं नहीं कहूँगी!
मैंने कहा- तुम्हारी फ्रेंड्स को भी नहीं बताना!
वो बोली- नहीं बताऊँगी भैया! आप मुझे इतना भी बेवकूफ़ मत समझो!
मैंने कहा- ठीक है! तुम मुझे फोन करोगी या मैं तुझे फोन करूँ?
तो बोली- मैं तुझे फोन करूंगी!
मैंने कहा- प्रॉमिस?
तो बोली- प्रॉमिस!
मैंने कहा- बाय!

और मैं घर से निकल गया और सीधा घर आकर सो गया. कब रात के नौ बजे, मुझे पता ही नहीं चला. मम्मी ने मुझे जगाया. मैं खाना खाकर घूमने चला गया, रात को ग्यारह बजे घर आकर सो गया.
अगले दिन मैं फोन का इन्तज़ाऱ करने लगा.
कहानी के अगले भाग की प्रतीक्षा करें! शीघ्र ही अन्तर्वासना पर प्रकाशित होगी. Antarvasna

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