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हॉट साली सेक्स कहानी मेरी अविवाहित साली की चूत चुदाई की है. मैंने अपने ससुराल में रात भर साली के साथ सेक्स किया. सर्दियों की रात में मेरा बहुत बढ़िया जुगाड़ चला.
मेरा नाम आर्यन (बदला हुआ नाम) है.
मेरी उम्र इस समय 23 साल है और मैं जयपुर में हॉस्टल में रहकर चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहा हूँ पर मैं शादीशुदा हूं।
अन्तर्वासना पर मेरी यह पहली सेक्स कहानी है।
हॉट साली सेक्स कहानी के पात्रों के नाम, प्राइवेसी और सुरक्षा कारणों के कारण बदल दिए गए हैं।
यह घटना मेरे साथ दिसंबर 2020 में घटित हुई जो आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ.
मेरे मामा के लड़के की शादी थी तो एग्जाम खत्म होने के दूसरे दिन ही में शादी के लिए निकल गया.
वहीं पास के ही गांव में मेरा ससुराल था और बीवी की प्रेगनेंसी का नौवां महीना चल रहा था तो मेरी बीवी अपने मायके आई हुई थी.
एग्जाम की वजह से 3 महीने से मेरी पत्नी से मिलना हो नहीं पाया था.
इस कारण मामा के घर से मैंने सीधा ससुराल चला गया।
मेरे ससुराल वाले अपने खेत वाले घर में रहते हैं.
ससुराल में मेरे सास ससुर, मेरे दो साले और मेरी एक साली है.
दोनों साले पास के शहर में रहते हैं.
इस कारण अभी घर पर मेरे सास ससुर, मेरी पत्नी और मेरी साली ही थे.
थोड़ी देर तक औपचारिक बातें हुई।
रात को सबके साथ खाना खाने के बाद तकरीबन 10 बजे मैं दूसरे रूम में सोने के लिए चला गया.
अन्य लोग दूसरे कमरे में सोने चले गए थे.
मेरा बिस्तर वहीं चरपाई पर ही लगा हुआ था. वहीं पास में जमीन पर मेरी साली भी सोई हुई थी।
उसका सरदर्द हो रहा था तो मैंने उसे बोला- तुम चारपाई पर सो जाओ।
तो वह चारपाई पर आ गयी.
मैंने नीचे लेट गया.
इस समय तक मेरे मन में मेरी साली साहिबा जिसका नाम रूबिया (बदला हुआ) के लिए कोई गलत ख्याल नहीं आया था।
मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं अपना फोन चलाने लग गया.
रूबिया के सर में दर्द हो रहा था तो वो उठकर अपने सर पे विक्स लगाने लगी.
लेकिन उसका सरदर्द कम नहीं हो रहा था तो मैंने उसे बोला- मैं मालिश कर देता हूँ.
तो वह चारपाई से उतरकर नीचे आ गई।
सर्दी का समय था तो वह अपना सर मेरी गोदी में रखकर सो गई और मैं मालिश करने लगा.
मालिश करते करते मेरा लन्ड भी खड़ा होने लगा. जिसका उसे भी पता लग गया लेकिन वो ऐसे ही लेटे रही और मेरे लन्ड का जायजा लेने लगी.
थोड़ी देर मालिश करवाने के बाद वह वापस चारपाई पे लेट गई।
अब मेरे मन में भी उसे चोदने का विचार आने लगा.
लेकिन मैं पहल भी नहीं करना चाह रहा था तो मैं ऐसे ही लेटे लेटे फोन चलाने लगा और रूबिया भी चारपाई पर लेटी हुई मेरी ओर देख रही थी।
अब उसकी भी चूत में खुजली होने लगी तो वापस चारपाई से उतरकर मेरी रजाई में घुस गई और अपनी गान्ड को लन्ड से लगा दिया।
मुझे अब रूबिया की ओर से संकेत मिल चुका था तो मैंने भी उसके बूब्स को मसलना और उसकी गर्दन पे किस करना शुरू कर दिया.
और इसके साथ ही उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी।
अब मेरे हाथ उसके बूब्स को मसलते मसलते उसके सलवार तक पहुंच चुके थे.
मैंने सलवार का नाड़ा खोलकर उसे घुटनों तक कर दिया।
नीचे उसने पैंटी पहन रखी थी तो मैंने पैंटी के अंदर से ही चूत सहलाना शुरू कर दिया।
उसकी चूत पहले से ही गीली हो रही थी.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, उंगली चूत में जाते ही उसकी सिसकारियां और तेज हो गई इसके साथ ही मैंने उसकी पैंटी भी नीचे कर दी।
तब मैंने अपनी लोअर को भी नीचे घुटनों तक कर दिया. अब मेरा छ: इंच लंबा और 3 इंच मोटा लन्ड पीछे से ही उसकी चूत से रगड़ने लगा।
अब रूबिया की चूत में भी आग लग चुकी थी और वह कहने लगी- जीजू, अब और मत तड़पाओ अब डाल भी दो मेरी चूत में अपना लन्ड!
उसके इतना कहते ही मैं उसके ऊपर आ गया और लन्ड का सुपारा उसकी चूत के मुंह पर लगा दिया.
तब उसको मैंने बोला- लन्ड डाल दूँ अंदर?
तो उसने हां में अपना सर हिला दिया।
हॉट साली सेक्स के लिए तैयार थी, यह इशारा मिलते मैंने एक हल्का सा झटका दिया तो आधा लन्ड चूत में चला गया और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई.
लेकिन समय रहते मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.
अब मैंने दूसरा झटका दिया तो पूरा लन्ड उसकी चूत में जा चुका था.
साली की चूत में मेरा लन्ड जाते ही मुझे पता चल गया था कि साली की चूत चुदी चुदाई है.
मैंने उससे उसकी चुदाई के बारे में पूछा तो पहले तो पूछने पर उसने मना कर दिया.
लेकिन मेरे दोबारा पूछने पर बताया उसने कि दो बार पहले भी वह चुद चुकी है.
अब वह धीरे धीरे आहें भर रही थी.
धीरे धीरे अब मैंने लन्ड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और गर्म गर्म फव्वारा मुझे अपने लन्ड पे महसूस होने लगा.
हालांकि मेरा अभी तक हुआ नहीं था तो मैंने उसके बाद पांच मिनट तक ऐसे ही उसकी चूत को चोदना जारी रखा.
फिर मैं पीछे से उसके साइड में आ गया और साईड से उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया और पीछे से उसकी चूत को पेलना शुरू कर दिया.
करीब 10 मिनट तक पीछे से चोदने के बाद मैं भी झड़ने वाला था तो मेरे धक्के और तेज हो गए और 20-25 धक्कों के साथ ही मैंने अपना लन्ड बाहर निकाला और सारा माल उसकी गांड पे गिरा दिया।
उस रात मैंने उसकी एक बार और चूत मारी.
और अब सुबह हम दोनों अपने अपने बिस्तर पे जाकर सो गए क्योंकि गांव में सभी लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं।
उसके बाद मैं एक रात और वहाँ पर रुका और मैंने जमकर साली की चुदाई की।
उसके बाद मैं वापस जयपुर आ गया.
आज जब मैंने लॉग-इन किया तो वह Antarvasna ऑनलाईन थी। चैट में उत्तर में उससे पूछा, “आप आगरा में कहाँ की रहने वाली हो, और आप की उम्र क्या है?
तो उसका उत्तर आया कि, “मैं शाहगंज में रहती हूँ, और मेरी उम्र २२ वर्ष है।”
फिर मैंने उससे पूछा, “कभी किसी के साथ सेक्स किया है?”
“नहीं।”
“क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने के लिए?”
“मन तो बहुत करता है, पर मुझे डर लगता है। कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता न चल जाए।”
“इस मामले में मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, अगर तुम मान जाओ तो।” – मैंने उसे समझाने की कोशिश की।
“कैसे?” – उसने उत्सुकतावश पूछा।
“मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ, और मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा, ये मेरा वादा है।”
“लेकिन यह कैसे सम्भव होगा। तुम मुझे कहाँ मिलोगे, और हम लोगों को ऐसी जगह कहाँ मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई न हो?”
“हम लोग होटल जाएँगे, वहाँ एक कमरा ले लेंगे और पूरा दिन मज़े करेंगे” – मैंने लिखा।
“नहीं, मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा-सीधा हो गया तो?”
“ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं कॉण्डोम चढ़ा लूँगा अपने लण्ड पर, फिर कुछ नहीं होगा। तुम मुझसे शुक्रवार को बहू प्लाज़ा पर मिलो, सुबह ९:०० बजे।”
“ठीक है”
और इस तह वह शुक्रवार को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, ना ही उसकी आवाज़ सुनी थी। मैं पूरे जोश़ में था कि मुझे शुक्रवार को एक अनछुई चूत मिलने वाली है, जिसका उदघाटन सील तोड़कर मैं ही करने वाला हूँ।
शुक्रवार को नियत स्थान पर मैं सुबह ८:४५ को ही पहुँच गया, दवा की दुकान से कामासूत्र कॉण्डोम लिए, फिर उसका इन्तज़ार करने लगा। उसने कहा था कि मैं गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनकर आऊँगी, मैंने भी उसे बताया था कि मैं काली टी-शर्ट और नीली जीन्स और जैकेट पहने रहूँगा। इससे हम लोग एक-दूसरे को पहचान सकते थे।
लगभग २० मिनटों के बाद एक लड़की मेरे सामने आई, और पूछा – “राज?”
“हाँ! तुम प्रिया हो?” – मैंने प्रत्युत्तर कहा।
उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीची कर दी। वह एकदम ख़ूबसूरत थी। क़द ५.४ फीट, फ़िगर ३८-२६-३८। दिखने में एकदम सेक्सी थी. उसने गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनी हुई थी। ऊपर से उसकी चूचियाँ साफ दिखाई दे रहीं थीं, वो भी पूरे माल्टा के आकार में थे। उसकी चूचियाँ देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैं उसको लेकर एक होटल में गया और वहाँ एक कमरा लेकर हम उस कमरे में चले गए। कमरे में जाते ही देखा कि वहाँ एक बिस्तर, और बाथरूम-टॉयलेट था। मैंने दरवाजा बन्द कर दिया, वह बिस्तर पर बैठी थी। मैं बाथरूम जाकर तरोताज़ा हुआ, आकर उसे भी तरोताज़ा होने को कहा, तो वह उठकर बाथरूम चली गई। थोड़ी देर के बाद वह बाथरूम से जैसे ही बाहर आई, वैसे ही मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसको धीरे-धीरे चूमने लगा। वह शरमा कर अपने आप को छुड़ाने लगी। मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
“मुझे शर्म आती है।”
“हम लोग यहाँ मज़े करने आए हैं। अगर तुम ऐसे शरमाओगी तो न तो तुम मज़े कर पाओगी, न ही मुझे मज़ा आएगा। तो तुम भी शुरु हो जाओ, मुझे प्यार करो।”
और मैं उसकी गर्दन पर, होठों पर चूमने लगा। बीच-बीच में मैं उसके कान को भी चूमता। इन सब हरक़तों से वह भी उत्तेजित हो गई और मुझे प्रतिक्रिया भी देने लगी। मैंने अपना एक हाथ आगे की ओर लाते हुए उसकी एक चूची पर रख दिया और मेरी उँगली कपड़ों के ऊपर से ही चूची पर धीरे-धीरे गोल-गोल घूमने लगीं। वह एकदम सिहर गई और मुझसे कहने लगी – “प्लीज़ ऐसा करते रहो, उसे ज़ोर से दबाते रहो।”
मैं कुछ देर बाद फिर उसे फिर धीरे-धीरे दबाने लगा। वाह! क्या माल्टा थी। एकदम टाईट। फिर मैंने अपना दूसरा हाथ भी आगे लाते हुए उसकी दूसरी चूची पर रख दिया और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचियाँ दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया वह मेरा हाथ हटाने का प्रयास करने लगी। मैंने उससे कहा, “प्लीज़!”
वह मान गई और दोनों हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा। वह मुँह से सिर्फ आआआआआआआहहहह की आवाज़ें निकाल रही थी। अब मैंने वही हाथ ऊपर ले जाकर उसकी कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियाँ दबानी शुरु कर दीं। उसने अन्दर ब्रा भी पहन रखी थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ एक-एक करके दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमीज़ की चेन खोल दी, और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वो मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में खड़ी थी, वह कोमल सी सुन्दर लग रही थी।
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर दोनों हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, और उसकी ब्रा उसके हाथों से अलग कर दी। वाह! क्या दूध थे उसके। पूरा गोलाकार था। न ही छोटे, ना ही अधिक बड़े बिल्कुल मध्यम आकार की थी उसकी चूचियाँ। चूचियों के ऊपर गुलाबी रंग के दाने थे। क्या ख़ूबसूरत नज़ारा था? मैंने मेरी ज़िन्दगी में पहली बार इतनी अच्छी चूचियाँ देखी थीं। ऐसी चूचियाँ किसी-किसी की ही होती होंगी। मैं तो पागल हो गया था। मैंने उसके दोनों माल्टा हाथों में ले लिया और दबाने लगा। क्या कसाव था उनमें। वाह! मैं तो बस उसे दबाते ही रह गया। ऐसा लग रहा था कि इन्हें छोड़ कर कहीं ना जाऊँ।
१५-२० के बाद मैंने एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। और फिर धीरे से उसके सलवार का नाड़ा खींचा। जैसे ही खींचा, उसकी सलवार नीचे गिर गई। तभी मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया, और सलवार पैरों से आज़ाद कर दी। उसने सफ़ेद रंग की चड्डी पहनी थी। वह शरमा के दूसरी ओर देख रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, बनियान निकाली और पैन्ट भी उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ अन्डरवियर में था, और वह मेरे सामने सिर्फ छोटी सी चड्डी में। मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था। मैं बिस्तर पर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
मैंने उसे कहा मेरा लंड चखोगी, तो उसने कहा, “मुझे मुँह में नहीं लेना।”
“ठीक है, तुम्हारी मर्ज़ी।”
अब मैं फिर अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चड्डी गीली थी। मैंने हाथ फिर उसकी चड्डी में डाल दिया, वह सिहर गई। मेरे हाथ को उसकी झाँट के बाल लग गए। मैंने उससे पूछा – “कभी इसे साफ़ नहीं करती?” उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। मैं एक उँगली उसकी चूत की छेद पर फेरने लगा। वह आआआहहहहह करती रही। मैं फिर वही ऊँगली उसकी चूत में घुसाने लगा, वह फिर से चिल्लाने लगी। मेरी पूरी उँगली उसकी चूत में चली गई। उसकी चूत काफी कसी हुई थी। फिर मैं मेरी उँगली अन्दर ही गोल-गोल घुमाने लगा। वह सिर्फ आहें भर रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी से निकाला और उठ बैठा। अब मैं उसकी चड्डी उतारने लगा। वह शरमा रही थी। मैंने उसकी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा। तभी उसने अपने दोनों पैर एक दूसरे के ऊपर चढ़ा कर रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके दोनों पाँव अलग करके पकड़ लिए।
और अब मुझे उसकी चूत दिख रही थी। क्या चूत थी! एकदम कोरी चूत। चूत पूरी तरह से सील पैक थी। मैंने फिर अपनी एक उँगली उसकी चूत में घुसा दी और उसकी चूत के गुलाबी होंठों पर रखकर चूमने लगा, साथ ही उँगली अन्दर-बाहर भी करने लगा। वह एकदम पागल होने लगी, और मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उँगली अन्दर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया।
मैंने सोच लिया यही सही समय है उसे चोदने का क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी। मैंने अपना अन्डरवियर उतार दिया। मेरा खड़ा हुआ लण्ड ९ इंच लम्बा था, देखकर वह हैरान हो गई और बोली मैं तो झूठ समझी थी पर तुम्हारा तो सच्ची में बहुत ही लम्बा है। मैंने कहा कि डरो नहीं, मेरा बड़ा तो है, पर कुछ समय बाद तुम्ही कहोगी कि पूरा डालो, ज़ोर-ज़ोर से। फिर पैन्ट में से कॉण्डोम का पैकेट निकाला। मैंने उससे कहा, “यह कॉण्डोम है। कभी देखा है?”
उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। मैंने उसमें से एक कॉण्डोम बाहर निकाला और उससे कहा, “देख लो इसे, लण्ड पर कैसे चढ़ाते हैं। अगली बार तुम्हें ही ऐसा वाला दूसरा कॉण्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाना होगा।”
वह ग़ौर से देखने लगी। मैंने कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया फिर मैंने उसकी दोनों टाँगें घुटनों से मोड़ दीं और जितना हो सका फैला दिया। अब उसकी चूत थोड़ी खुली लग रही थी।
मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया। मैंने अपना लण्ड एक हाथ से उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वह पूरी तरह से पागल हो गई और मुझसे कहने लगी, “प्लीज़, जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत इस लण्ड से प्लीज़।”
मैंने एक जोर का धक्का मारा। वह तड़प उठी और चिल्लाने लगी, फिर थोड़ी देर मेरा लण्ड ऐसे ही रख कर एक और जोर का धक्का मारा, उसकी सील टूट गई, वह रोने लगी। वह चिल्ला उठी… आहहहहहहह…. प्लीज़ निकालो इसे, मैं मर जाऊँगी… प्लीज़।
वह तो शुक्र था कि मैंने टीवी की आवाज़ पहले ही तेज़ कर रखी थी वरना होटल वाले आ जाते। मैंने कहा, कुछ नहीं होगा। पहले ऐसा होता है, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जाएगा। फिर हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे। उस वक्त मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। और दूसरा चूस रहा था।
५ मिनटों के बाद वह अपनी गाँड हिलाने लगी, मैं समझ गया कि अब चूत चुदवाने के लिए लण्ड के धक्कों का इन्तज़ार कर रही है। मैं अपना लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। वह भी अपनी गाँड ऊपर-नीचे करके प्रतिक्रिया दे रही थी। मैंने फिर अपनी गति बढ़ाते हुए ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। वह चिल्ला रही थी। जिससे मुझे और भी मज़ा और जोश आ रहा था। थोड़ी ही देर में वह मुझसे लिपट गई और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लण्ड अब भी जोश में था। फिर मैंने उसको कहा कि अब मैं तुम्हें कुतिया की तरह चोदूँगा। वह झट से कुतिया जैसी मुद्रा में आ गई। पीछे से क्या लग रही थी। मैंने वक्त गँवाए बिना उसकी चूत पर अपना लण्ड रखा और ज़ोरदार धक्का मारा। एक ही धक्के में पूरा का पूरा ९ इंच लम्बा लण्ड उसकी चूत फाड़ता हुआ जड़ तक पहुँच गया। वह चीखते हुए बोली, “प्लीज़ आराम से…” फिर मैं अपना लण्ड धीरे-धीरे उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद वो ख़ुद पीछे की ओर धक्के मारने लगी और कहने लगी, “आज अपनी पूरी ताक़त से मेरी चूत चोदो… जो होगा देखा जाएगा।”
फिर क्या था, मैं पूरे जोश के साथ उसकी चूद चोदने लगा। लगभग १५-२० मिनटों के बाद मैंने कॉण्डोम में ही पानी छोड़ दिया और वह भी झड़ गई। फिर उसकी पीछे ही उसकी चूत में लण्ड डाले हुए मैं लेट गया।
१० मिनटों के बाद मैंने उसकी चूत से लण्ड निकाला और उसके ऊपर से हट गया। मैंने देखा कि उसकी चूत से थोड़ा सा खून निकला था। खून और उसकी चूत के पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा और उसे अपनी बाँहों में उठा कर टॉयलेट ले गया। वहाँ उसे बिठाकर ठण्डे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उँगली डाल कर साफ करने की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसकी चूत साफ करके फिर से उसे अपनी बाँहों में उठाया और बिस्तर पर लाकर रख दिया। अब मेरा लण्ड मेरा पसन्दीदा शॉट मारने के लिए बेक़रार था।
पैन्ट से मैंने एक कॉण्डोम निकाला और उसके हाथ में देकर कहा, “चढ़ा दो इसे मेरे लण्ड पर।”
उसने पैकेट फाड़कर उसमें से कॉण्डोम बाहर निकालकर मेरे लण्ड पर रखा और उसे मेरे लण्ड पर चढ़ा दिया। मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखीं, नीचे अपना लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाँहों में से अपने दोनों हाथ डालकर उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था। उसकी दोनों टाँगें मेरे कंधों पर थीं और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे थे। अब वह पूरी तरह से बंधी हुई थी, और मेरा लण्ड उसकी चूत में था। मैंने अपनी थोड़ी सी पीठ सहारे के लिए दीवार से लगाई, और फिर अपनी कमर आगे-पीछे करने लगा। इस स्थिति में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला जा रहा था। जब मैं प्रिया को इस मुद्रा में चोदता तो मुझे दीवार का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती, क्योंकि वह सिर्फ २२ साल की थी और उसका वज़न बहुत ही कम था।
मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था। मैंने उससे पूछा, “मज़ा आ रहा है?” उसने हाँ कहते हुए कहा, “ऐसे ही चोदते रहो। मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। शादी के बाद भी मैं तुमसे ही चुदवाऊँगी। और ज़ोर से चोदो… फ़ाड़ डालो मेरी चूत को… और ज़ोर से आआआहहहह।”
२०-३० मिनटों के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और कुत्ते की तरह होने को कहा. उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका दिए और घुटनों के बल वह कुतिया की मुद्रा में आ गई। मैंने उसके पाँव थोड़े से फैला दिए और पीछे से मेरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और मैं उसे कुत्तों की तरह शॉट मारने लगा।
१५ मिनटों के बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वह २ बार झड़ चुकी थी। मैंने अपने लंड से कॉण्डोम उतारा। दोपहर के १२:३० बज गए थे। मैंने उससे कहा कि कपड़े पहन लो, खाना खा लेते हैं। वह उठकर बाथरूम में चली गई। मैं भी उसके पीछे चला गया। हम दोनों बाथरूम से बाहर आए। मैंने कपड़े पहन लिए। उसने पहले अपनी चड्डी पहनी, फिर ब्रा। मैंने उसकी ब्रा के हुक बन्द किए। फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ाई और अन्त में कमीज़ पहनी। फिर उसने अपने बाल और कपड़े ठीक किए। फिर हम खाना खाने के लिए चले गए।
खाना खाने के बाद उसने कहा कि एक बार और होना चाहिए। मैंने कहा, नहीं मुझे २:२० तक कहीं काम से जाना है, अब तुम घर जाओ। हम दोनों ने एक दूसरे को अपने नम्बर दिए। फिर वह मुझे चूमने के लिए एक कोने में ले गई और मुझे चूम कर कहा, प्लीज़ जल्दी मिलना। फिर वह वहाँ से चली गई। मैंने होटल का बिल चुकाया और अपने काम के लिए चल पड़ा। Antarvasna
हाय दोस्तो! मैं सोनू, एक बार फिर से आपके लिए हिंदी सेक्सी Antarvasna स्टोरी लाया हूँ। जिसमें मेरे एक मित्र सोनू ने अपनी सौतेली माँ और नानी की गाँव में चुदाई की। मैंने नीचे उसकी कहानी का वर्णन उसी के शब्दों में किया है:
मैं सोनू 18 साल का तंदरुस्त जवान हूँ, हम लोग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में रहते हैं।
जब मैं 10 साल का था तभी मेरी माँ का देहान्त हो गया और पिताजी ने 22 साल की एक गरीब लड़की से दूसरी शादी कर ली। हम लोग खेती-बाड़ी करके अपना दिन गुजारते थे।
मेरे ज्यादा पढ़ा लिखा न होने की वजह से पिताजी ने एक छोटी सी किराने की दुकान खोल ली। पिताजी खेती पर जाते थे और मैं या मेरी सौतेली माँ दुकान पर बैठते थे। जब मैं 19 साल का हुआ तो पिताजी का अचानक देहान्त हो गया। अब घर में केवल मैं और मेरी सौतेली माँ रहते थे। मेरी सौतेली माँ को मैं माँ कहकर बुलाता था। घर का इकलौता बेटा होने के कारण मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती थी।
मेरी माँ थोड़ी मोटी और सावली हैं, और उनकी उम्र 31 साल की है। उसके चूतड़ काफी मोटे हैं, जब वो चलती है तो उसके चूतड़ हिलते हैं। उसके बूब्स भी बड़े-बड़े हैं। मैंने कई बार नहाते समय उनके बूब्स देखे हैं।
पिताजी के देहान्त के बाद हम माँ बेटे ही घर में रहते थे और अकेलापन महसूस करते थे। दुकान में रहने के कारण हम लोग खेती नहीं कर पाते थे इसलिए खेत को हमने किसी और को जुताई के लिए दे दिया था। मैं सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक दुकान में बैठता था और तीन बजे तक घर में रहता था। फिर दुकान खोलकर सात बजे तक दुकान बंद कर घर चला जाता था।
जब मुझे दुकान का माल खरीदने शहर जाना पड़ता तो माँ दुकान पर बैठती थी।
एक दिन माँ ने दोपहर में खाना खाते वक़्त मुझसे पूछा- सोनू बेटे! अगर तुम्हे ऐतराज न हो तो, क्या मैं अपनी माँ को यहाँ बुला लूँ, क्योंकि वो भी गाँव में अकेली रहती है। उनके यहाँ आने से हमारा अकेलापन दूर हो जाएगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं माँ! आप नानी जी को यहाँ बुला लो!
अगले हफ्ते नानी जी हमारे घर पहुँच गईं। वो करीब 45 साल की थी और उनके पति का देहान्त 3 साल पहले हुआ था। नानी भी मोटी और सांवली थी और उनका बदन काफी सेक्सी था।
जाड़े का समय था, इसलिए सुबह दुकान देर से खुलती थी और शाम को जल्दी ही बंद भी कर देता था।
घर पर माँ और नानी दोनों साड़ी और ब्लाउज पहनती थीं और रात को सोते समय साड़ी खोल देती थी और केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर सोती थी।
मैं सोते समय केवल अंडरवियर और लुंगी पहन कर सोता था।
एक दिन सुबह मेरी आँख खुली तो, देखा नानी मेरे कमरे में थी और मेरी लुंगी की तरफ आँखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी।
मैंने झट से आँखे बंद कर ली ताकि वो समझे कि मैं अभी तक सो रहा हूँ।
मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा होकर अंडरवियर से बाहर निकला था और लुंगी थोड़ी सरकी हुई थी इसलिए मेरा लंड जो 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, नानी उसे आखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी।
कुछ देर इसी तरह देखने के बाद वो कमरे से बाहर चली गई। तब मैंने उठ कर मेरा मोटा लंड अंडरवियर के अन्दर किया और लुंगी ठीक करके मूतने चला गया।
नहा धोकर जब हम सब मिलकर नाश्ता कर रहे थे, नानी बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थी। शायद वो इस ताक में थी कि उसे मेरे लंड के दर्शन हो जायें!
जाड़े के दिनों में हम दुकान देर से खोलते थे इसलिए मैं बाहर आकर खेत पर बैठकर धूप का आनंद ले रहा था।
बाहर एक छोटा पार्टीशन था जिसमें हम लोग पेशाब वगैरह करते थे।
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि नानी आई और पेशाब करने चली गई। वो पार्टीशन में जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊंची की और इस तरह बैठी की नानी की काली फांकों वाली, झांटों से घिरी चूत मुझे साफ दिखाई दे रही थी।
नानी का सर नीचे था और मेरी नजर उनकी चूत पर थी। पेशाब करने के बाद नानी करीब पांच मिनट उसी तरह बैठी रही और अपने दाहिने हाथ से चूत को रगड़ रही थी।
ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और जब नानी उठी तो मैंने नजर घुमा ली। मेरे पास से गुजरते हुए नानी ने पूछा- आज दुकान नहीं खोलनी है क्या?
मैंने कहा- बस नानी जी, दस मिनट में जाकर दुकान खोलता हूँ!
और मैं दुकान खोलने चला गया।
शाम को दुकान से जब घर आया तो नानी फिर से मेरे सामने पेशाब करने चली गई और सुबह की तरह पेशाब करके अपनी चूत रगड़ रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं बाहर घूमने निकल गया। जाते वक़्त माँ ने कहा! बेटा जल्दी आ जाना, जाड़े का समय है न! मैंने कहा ठीक है माँ, और निकल गया।
रास्ते में, मेरे दिमाग में केवल नानी की चूत ही चूत घूम रही थी। मैं कभी-कभी एक पौवा देशी शराब पिया करता था। हालाँकि आदत नहीं थी। महीने दो महीने में एक आध बार पी लिया करता था।
आज मेरे दिमाग में केवल चूत ही चूत घूम रही थी इसलिए मैंने देसी ठेके पे डेढ़ पौवा पी लिया और चुपचाप घर की ओर चल पड़ा। मेरे पीने के बारे में मेरी माँ जानती थी। लेकिन कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं पी कर चुप चाप सो जाता था।
रात करीब नौ बजे हम सबने साथ में खाना खाया। खाना खाने के बाद माँ घर के काम में लग गई और मैं और नानी खेत पर बैठकर बातें करने लगे। थोड़ी ही देर में माँ भी आ गई और बातें करने लगी।
नानी ने कहा- चलो! कमरे में चलते हैं, वहीं बातें करेंगे क्योंकि बाहर ठण्ड लग रही है।
इसलिए हम सब कमरे में आ गए। माँ ने अपना और नानी का बिस्तर जमीन पर लगाया और हम सब नीचे बैठकर बातें करने लगे।
बातों-बातों में नानी ने कहा- सोनू! आज तू हमारे साथ ही सो जा!
माँ ने कहा- ये यहाँ कहाँ सोयेगा। और वैसे भी मुझे मर्दों के बीच सोने में शर्म आती है और नींद भी नहीं आती है।
नानी बोली- बेटी क्या हुआ? ये भी तो तेरे बेटे जैसा ही है। हालाँकि तुम इसकी सौतेली माँ हो लेकिन इसका कितना ध्यान रखती हो। अगर बेटा साथ सो रहा है तो इसमें शर्म की क्या बात है।
खैर नानी की बात माँ मान गई। मैं माँ और नानी की बीच में सो गया। मेरी दाहिनी तरफ माँ सो रही थी और बाईं तरफ नानी।
शराब के नशे के कारण पता नहीं चला कि मुझे कब नींद आ गई।
करीब 1 बजे मुझे पेशाब लगी। मैंने आँख खोली तो बगल से अआह उम्म्ह… अहह… हय… याह… की धीमी आवाज सुनाई दी। मैंने महसूस किया कि ये तो माँ की फुसफुसाहट थी इसलिए मैंने धीरे से माँ की ओर देखा।
माँ को देखकर मेरी आखें खुली की खुली रह गईं।
माँ अपने पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बाएं हाथ से चूत रगड़ रही थी जबकि दाहिने हाथ की उँगलियाँ चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।
इसी तरह करीब दस मिनट बाद वो पेटीकोट नीचे कर के सो गई, शायद उसका पानी गिर गया होगा।
थोड़ी देर बाद मैं उठ कर पेशाब करने चला गया और पेशाब करके वापिस आकर नानी और माँ के बीच सो गया। अब मेरी नजर बार बार माँ पर थी और नींद नहीं आ रही थी। इसलिए मैं नानी की तरफ करवट लेकर सो गया। लेकिन फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि नानी की ओर सोने के कारण अब मेरे दिमाग में नानी की चूत नाच रही थी।
मैं काफी कशमकश में था और इसी तरह करीब एक घंटा बीत गया। अचानक मेरी नजर नानी के चूतड़ पर पड़ी मैंने देखा कि उनका पेटीकोट घुटनों से थोड़ा ऊपर उठा हुआ था।
अब मेरे शराबी दिमाग में शैतान जाग उठा, मैं उठा और तेल की शीशी ले आया और नानी के पास मुँह करके ख़ूब सारा तेल मेरे सुपारे पर और लंड के जड़ तक लगाया, फिर धीरे धीरे से नानी का पेटीकोट चूतड़ के ऊपर कर दिया।
नानी का मुँह दूसरी तरफ था इसलिए उनकी चूत के थोड़े दर्शन हो गए। अब मैंने हिम्मत करके अपने लंड का सुपारा नानी की चूत के मुँह के पास रखा।
मैंने महसूस किया कि नानी अहिस्ता-अहिस्ता अपनी गांड को मेरे लंड के पास कर रही हैं।
मैं समझ गया कि शायद नानी चुदने के मूड में है इसलिए मैंने भी अपनी कमर का धक्का उनकी चूत पर डाला जिससे मेरा सुपारा नानी की चूत में घुस गया और उनके मुँह से एक हल्की चीख निकली- हाय.. सोनू! आहिस्ता डाल न, तेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है, मैंने भी सालों से चूत चुदवाई नहीं है बेटा… धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता करो।
कह कर नानी सीधी लेट गई और अपना पेटीकोट कमर तक ऊँचा कर दिया। अब मैं नानी के ऊपर चढ़ कर धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था। जैसे जैसे लंड अन्दर जाता था वो उह्हह हफ़्फ़ उफ़्फ़ ह्हह हहाआआ अनन्न आआऐ की आवाज निकालने लगी।
मैं जब अपना पूरा लंड नानी की चूत में डाल चुका था तो मैंने नानी की आँखों में आंसू देखे, मैंने पूछा- क्या आप रो रही हैं?उन्होंने कहा- नहीं रे! ये तो ख़ुशी के आंसू हैं। आज कितने बरसों बाद मेरी चूत में लंड घुसा है।
फिर मैं अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा और जोर जोर से नानी की चूत को चोद कर फाड़ने लगा, फिर नानी भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी और बीच-बीच में कह रही थी- और जोर से चोदो! मेरे राजा! वाकई तुम्हारा लंड इंसान का नहीं घोड़े या गधे का है।
मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में अपना मोटा-तगड़ा हथियार अन्दर-बाहर कर रहा था।
इसी बीच मैंने महसूस किया कि माँ हमारी इस क्रिया को सोये-सोये देख रही थी और मन ही मन सोच शायद रही थी कि जब मेरी माँ अपने नाती से चुदवा सकती है तो क्यों न मैं भी गंगा में डुबकी लगा लूँ। कब तक मैं अपने हाथों का इस्तेमाल करती रहूंगी? आखिर ये मेरा सगा बेटा थोड़े ही है?
और उठकर कर उसने अपना पेटीकोट खोल दिया फिर अपनी चूत नानी के मुँह पे रखकर रगड़ने लगी।
पहले तो नानी सकपका गई, फिर समझ गई कि उसकी बेटी भी प्यासी है और अपने सौतेले बेटे का लंड खाना चाहती है।
फिर नानी माँ की चूत में जीभ डालकर जीभ से चोदने लगी। इसी दरमियान नानी झड़ चुकी थी और कहने लगी- बस सोनू, अब सहा नहीं जाता है।
मैंने कहा- बस नानी, 5 मिनट और!
5 मिनट बाद मेरा सारा वीर्य नानी की चूत में जा गिरा।
अब नानी थक कर सो गई, माँ ने कहा- चलो पलंग पर चलते हैं, वहीं तुम मुझे चोदना।
हम दोनों पलंग पर आ गए, मेरा लंड अभी सिकुड़ा हुआ था, इसलिए माँ ने लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और मैं भी 69 की अवस्था में उनकी चूत चाटने लगा।
हम दोनों यह क्रिया करीब 10 मिनट तक करते रहे और मेरा लंड तानकर विशालकाय हो गया।
अब मैंने माँ की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी दोनों टांगों को मेरे कंधे पे रखकर लंड पेलने लगा।
लंड का सुपारा अन्दर जाते ही बोली- हाय रे दैया! कितना मोटा है रे तेरा लंड… खूब मजा आएगा।
और फिर मैं माँ को जोर-जोर से चोदने लगा। वो भी मेरा खूब साथ दे रही थी। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थी। हम काफ़ी देर तक कई तरीकों में चुदाई करते रहे।
और बाद में मैंने माँ की गांड भी मारी, जिसमें मेरी माँ को काफी मजा आया।
अब रोज मैं दोपहर में नानी को चोदता था क्योंकि उम्र होने के कारण कभी-कभी साथ नहीं दे पाती थी और माँ को मध्य रात्रि तक चोदता था।
चूँकि माँ बाँझ थी इसलिए उन्हें कोई डर नहीं था और हम लोग खूब चुदाई करते थे। Antarvasna
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