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Massage Girl in Tikamgarh: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Tikamgarh who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Tikamgarh that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Tikamgarh massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Tikamgarh who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Tikamgarh massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Tikamgarh massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Tikamgarh who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Tikamgarh employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Tikamgarh helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Tikamgarh

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Tikamgarh at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषक : उमेश Sex Stories

आज तक मैं अन्तरवासना Sex Stories पर यही पढ़ते आया हूँ कि दोस्तों मैं अगली कहानी लेकर हाजिर हूँ। इसका मतलब पाठक काल्पनिक कहानी भी भेजते हैं।

परन्तु मेरे पास ऐसी काल्पनिक नहीं अपितु सत्य घटना है जो मेरे साथ घटी है।

बात कुछ साल पहले की है मेरे एक दूर के रिश्ते के मामा जी एक बड़े शहर में उच्च अधिकारी हैं। मेरी मम्मी ने गर्मी की छुटिटयों में मुझे उनके घर भेज दिया कि जाओ घूम कर आ जाओ।

घर में मामा, मामी, व उनकी बेटी गीता जो उस समय १८ वर्ष की थी । वह बहुत सुन्दर है।

एक दिन मामी जी ने कहा- राज ,तुम गीता को स्कूटी चलाना सिखा दो !

हालाँकि मैं दीदी से छोटा था फिर भी मैं गाड़ी चलाना जानता था।

मैं दीदी को आगे बिठाता था और मैं पीछे बैठता था । यूँ तो मेरा लंड रोज ही अकड़ जाता था लेकिन एक दिन दीदी ने अपने पिछवाड़े पर कुछ दबाब महसूस किया। घर आकर गाड़ी खड़ी करते ही गुस्सा करने लगी और कहने लगी- अभी मम्मी को बताती हूँ।

शायद उसने अपनी मम्मी को कुछ बताया भी क्योंकि मामी जी ने एक दो बार मेरे अंग की तरफ गौर से देखा, जब मैं लन्च के लिए नेकर पहन कर टेबल पर आता था।

फिर दो दिन के बाद दीदी ने फिर गाड़ी निकाली। लेकिन इस बार भी उसमें तनाव आ गया, परन्तु गीता दीदी ने घर आकर मुझे डांटा नहीं बल्कि दूसरी मंजिल में अपने कमरे में ले गई और वहाँ जाकर उन्होंने मुझसे कहा- जरा दिखाओ पैंट खोलकर ! मैं भी तो देखूं क्या चुभता है मुझे ।

मैं शरमा गया और दीदी का कहना टाल दिया ।

फिर अगले दिन मामा जी व मामी जी को अचानक दो दिन के लिए गाँव जाना पड़ा तो मामी जी बोलकर गईं कि डरना नहीं, दोनो भाई बहन नीचे ही सोना और कोई बात होने से तृप्ति आँटी को फोन करके बुला लेना।

आज देखा कि गीता दीदी बहुत खुश थीं। रात को खाना खाने के बाद दीदी ने जल्दी टी वी बन्द कर दिया और ताश ले आई और कहा- जो हारेगा उसे दूसरे की पीठ मालिश करनी पड़ेगी।

मैं पहले से ही डरा था इसलिए समहत हो गया। अब मैं जीत गया तो भी मैं मालिश कराना नहीं चाहता था लेकिन दीदी ने कमर पर ऐसे ही हाथ फिराते हुए एक बार हाथ को लन्ड से छू दिया जो अपने पूरे आकार में था।

फिर इस बार दीदी जीत गई। जब मैंने मालिश शुरू की तो दीदी ने उल्टी होकर धीरे धीरे अपना पजामा और कच्छा नीचे कर दिया। दीदी की दूध जैसी सफेद गाण्ड देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मेरे लन्ड से कुछ चिपचिपा पदार्थ रिसने लगा।

अचानक दीदी ने पलटकर कहा- राजू, तुम क्या देख रहे हो? मम्मी से कह दूंगी और अगर कुछ नहीं देख रहे हो तो यह क्या है दिखाओ पैन्ट खोलकर !

आज मैंने पैन्ट खोलकर दिखा ही दिया।

दीदी तो जैसे पागल हो गई, कहने लगी- बाप रे ! इतना बड़ा और मोटा !

मैंने कहा- अब क्या तुम भी दिखा सकती हो?

गीता दीदी तैयार हो गई और उन्होंने नीचे के सारे कपड़े उतार दिये। अब उनकी गुलाबी चूत की फ़ांके काली छोटी छोटी झांटों से ढकी दिख रही थीं।

दीदी ने कहा- राजू देखो, जो मैं करती हूं, मुझे करने दो।

और दीदी ने मेरा ८ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा लन्ड चूसना शुरू कर दिया।

मैंने कहा- दीदी, यह गन्दी बात है।

दीदी ने बताया- मैंने एक दिन अपने मम्मी पापा को रात में ऐसा करते देखा है।

कुछ देर चूसने के बाद दीदी ने डॉगी पोज़िशन बना ली और कहा- राजू पकड़ कर धीरे से लगाना, क्योंकि बहुत मोटा है !

इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था इसलिए बहुत देर के बाद दीदी ने खुद पकड़ कर लगाया। लेकिन ६-७ धक्के मारने के बाद ही मेरी पिचकारी छूट पड़ी।

उस रात को दीदी ने चार बार चुदवाया, परन्तु मेरी इच्छा थी कि एक बार दीदी गोरी गाण्ड में लन्ड डालने दे।

दीदी ने कहा- ना बाबा ! गाण्ड फड़वानी है क्या !

दोस्तो और सहेलियो ! अभी दीदी की शादी हो गई है।

मैंने एक दिन मौका मिलने पर गुजारिश की तो दीदी ने मना कर दिया परन्तु थोड़ी देर बाद उन्होंने कुछ सोचकर मुझे अपने घर बुलाया और उस दिन कहा- तुझे मेरी गाण्ड मारने की बहुत इच्छा थी ना?

मैंने पूछा- यह खयाल कैसे आया?

तो उन्होंने कहा- आजकल सीडी देखकर सब मर्द बिगड़ गये हैं, मेरे श्रीमान भी हफ़्ते में एक बार मेरी पिछली मारते हैं और अब मुझे भी मजा आने लगा है।

और फिर दीदी ने उस दिन गाण्ड भी दो बार मरवाई।

मेरे दोस्तो और कन्याओं ! अब आप ही बताये कि इस वास्तविक घटना में क्या मेरा कोई दोष है?

हाँ, जब से गीता दीदी को चोदा है मुझे एहसास हुआ कि सचमुच मेरा काफी बड़ा है।

मेरी सच्ची कहानी पसन्द आने पर मेल करें। Sex Stories

Hindi Sex Stories

मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के Hindi Sex Stories लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई राज मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और राज एक ही कमरे में रहते और सोते थे।

एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैंने देखा कि राज घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड… उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया… पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में राज का लन्ड और दिख गया… मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी।

राज रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले… वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था…पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो राज सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है…तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा…धत्त… ये क्या… सोचने लगी।

मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।

मैंने भी जानबूझ कर के राज के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैंने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैंने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो राज मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।

मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैंने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर राज की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी राज नजर आ रहा था… मैंने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि राज उसे बाहर से आईने में देख ले। मैंने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। राज ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी।

मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे… पर मेरा ध्यान तो राज पर लगा था…और राज का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने शुरुआत कर दी…”क्या बात है राज… आज तुम बैचेन से लग रहे हो…? ”

“हां दीदी… मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है… ” उसका लन्ड खडा हुआ था… उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा… मुझे सिरहन सी आ गयी… मैं उसकी हालत समझ रही थी… दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैंने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। राज ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई… पर झिझक के मारे वापस उठ गयी… ।

रात के ११ बज रहे थे …पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। राज ने कमरे की लाईट बुझा दी…और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था… दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। राज भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा …फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया… मैंने उसे कुछ नहीं कहा… बस झुरझुरी सी आ गयी।

उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।

उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैंने राज की तरफ़ देखा। राज ने मेरी आंखों में देखा … मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।

राज ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये..और दबा दिये… मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी…वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।

“भैय्या… हाय रे… मत कर ना…” मैंने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा…और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये… नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।

“दीदीऽऽऽ…” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया… मेरे स्तन जोर से दबा दिये।

“भैय्या… मर गयी … हाऽऽऽय…” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। राज ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। राज ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे…मैं तो खुशी से मरी जा रही थी… हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा… मैं भैया से चुद जाऊंगी… राज ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी।

“भैय्या… हाय मत कर ना… ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है…”

“जाने दे बहना… आज इसे जाने दे… वर्ना मैं मर जाऊंगा… दीदी … प्लीज…”

मेरी सिसकारी निकल पडी… उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था… पर मैंने कुछ कहा नहीं… ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई…उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया… और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे … उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे।

“नेहा दीदी… आप कितनी अच्छी है… हाय…मुझे कितना मजा आ रहा है…” राज मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था… पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी…

“भैय्या … अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़… आगे भी तो आग लगी है राज…” मैंने राज से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था।

“भैया… देखो मैं झड़ जाऊंगी… प्लीज़… अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना…।”

राज ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।

गली में सन्नाटा था… बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे…कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी … लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी… मन में कसक सी उठी… और एक हूक सी उठी… एक सिसकारी निकल पड़ी।

“चोद दे राज… चोद दे… अपनी बहन को चोद दे… आज मुझे निहाल कर दे…” मैं सिसकते हुए बोली।

“हाय दीदी…इसमें इतना मजा आता है… मुझे नहीं मालूम था… हाय दीदी…” राज ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी… शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध… गलत काम … चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था… जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।

“राज… हाय तेरा मोटा लन्ड रे… कितना मजा आ रहा है…फ़ाड दे रे मेरी चूत…”

“दीदी रे… हां मेरी दीदी… खा ले तू भी आज भैया का लन्ड… मुझे तो दीदी… स्वर्ग का मजा दे दिया…”

उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी… मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था… मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी… आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया… उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।

“अब जोर से चोद दे भैय्या … दे लन्ड… और जोर से लन्ड मार … मेरी चूत पानी छोड़ रही है… ऊऊउईईई… दे …और दे… चोद दे राज…”

मेरी चरमसीमा आ रही थी… मैं बेहाल हो उठी थी… मुझे लग रहा था मुझे और चोदे… इतना चोदे कि… बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे … और और… अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी…मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर… मेरा रोकना किसी काम ना आया… बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया… मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा… एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा… मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं राज का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था… लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था… मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी…

“भैया…छोड़ दो अब… हाय लग रही है…”

पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा… ओह ओह ये क्या… राज ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया… मैं छटपटा उठी… तेज अन्दर दर्द हुआ… शायद जड़ तक को चीर दिया था…

“राज छोड़…छोड़ … हाय रे… फ़ाड़ डालेगा क्या…”

पर वो वास्तव में झड़ रहा था… उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी…पूरा जोर लगा कर … मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था… उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी… अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। राज ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया…

“दीदी… आज से मैं आपका गुलाम हो गया… आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है… मैं क्या कहूं…”

उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैंने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा… हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई… मेरे बोबे तन गये…राज का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा… और… और… फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा … मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई…Hindi Sex Stories

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प्रेषिका : उषा Sex Stories

कोठे की कुतिया में आपने Sex Stories पढ़ा कि मौसी ने किस तरह से मुझे एक रंडी बना दिया था।

अब पढ़िए कि किस तरह से मौसी ने मेरी चूत और गांड का भोंसङा बना दिया।

मैं और मोनी मौसी के साथ एक पारदर्शी मैक्सी पहन कर ऊपर की तरफ चले गए जहा मोंटी अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। अंकल को देखकर मौसी बोली- डार्लिंग मस्त लोंडिया तुम्हरे लिए बचाकर रखी हुई है, छूते ही मस्तिया जाओगे और तुम्हारा चेला कहाँ है? मोनी को उसके लिए बचाकर रखा है।

अंकल बोले- टीनू आ रहा है, वो जरा दारू का इंतजाम कर रहा है।

मौसी ने पहले ही मुझे काफी बातें सिखा दी थी कि ग्राहक की सेवा कैसे की जाती है। मैं अंकल के पास जाकर बेठ गई और उनके लौड़े को जींस के ऊपर से रगड़ने लगी।

अंकल मेरे चूतड़ मसलते हुए बोले- मौसी, तुम यह झबले क्यों पहना लाती हो ?

मौसी के इशारे पर मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।

अंकल मुस्कराए और बोले- समझदार है !

उन्होंने आगे से मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेर कर कहा- साली की पाव रोटी तो बड़ी चकाचक है ! ज्यादा चुदी भी नहीं लगती है !

मौसी बोली- बिलकुल ताजा माल है ! पीछे से तो पूरी कुंवारी है आगे से भी लंड छुली हुई है बस। आज तुम्हें इसकी चूत का भोंसड़ा बनाना है।

अंकल गरम हो रहे थे उन्होंने जींस में से लौड़ा निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया। थोड़ा सहलाने के बाद मैंने अंकल का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरी चूत चुदने को पगला रही थी। मौसी बाहर जाने लगीं और मुझसे बोली- अंकल जैसे कहें वैसा करना ! अगर अंकल खुश नहीं हुए तो तेरी चूत और गांड की भोंसड़ी तो बनाउंगी ही, साथ ही साथ चेहरा भी इतना सुंदर कर दूँगी कि कोई तुझे चोदने के दो रुपए भी नहीं देगा।

मौसी मोनी को लेकर बाहर चली गई और बोली- अंकल, मौज करो ! टीनू को दूसरे कमरे में बैठा दूँगी।

अंकल का लंड बहुत सुंदर था। आट इंच लम्बा लंड किसी भी औरत की चूत चोद चोद कर फाड़ने के लिए काफी था।

मैं अंकल का लंड मुँह में आगे पीछे करते हुए मस्ती से चूस रही थी। सच मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने मेरे चूतड़ थपथपाते हुआ कहा- थोड़ा अपनी चूत चुसवा ! बहुत मस्त लग रही है।

उन्होंने मेरी टाँगें खींच कर अपने मुँह की तरफ कर ली अब मैं और अंकल 69 कि अवस्था में एक दूसरे के ऊपर थे, अंकल नीचे से मेरी चूत के होंठ चूस रहे थे और मेरे मुँह में उनका लौड़ा गरम हो रहा था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए चूत और लंड की चुसाई का मज़ा ले रहे थे।

थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे ऊपर से हटा दिया और सीधे पलंग पर लेटा दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत पर फिराने लगे। मैं चुदने के लिए बुरी तरह से पगलाने लगी। मेरे मुँह से ऊह आह आह आह अंकल चोदो मुझे चोदो जैसी आवाजें निकलने लगी।

अंकल ने थोड़ी देर में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी दोनों चूचियां दबाकर कर एक जोर का झटका दिया। मैं एकदम से बुरी तरह से चिल्ला उठी। अंकल का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस चुका था। मेरी चीख निकल गई- उईऽऽ मर गई ! मर गई ! मर गई, छोड़ो ! बहुत दुःख रही है छोड़ो !

अंकल ने मेरे दूध भोंपू की तरह दबाते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में मुझे चुदने में मजा आने लगा। अब मैं मस्त होकर चिल्ला रही थी, मेरे मुँह से ऊ ऊहं ऊहं ओह आह आह अहह बड़ा मज़ा आया और चोदो चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है जैसे आवाजें निकलने लगी।

अंकल चोदने में बहुत माहिर थे, कभी धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करते थे और कभी तेज कर देते थे। बराबर वो चूचियां और चुचक भी मसल रहे थे और होठों पर भी काट रहे थे। उनकी चुदाई में एक मज़ा था। मेरे होठों में अपने होंठ डालते हुए अंकल बोले- कुतिया थोड़ी गांड हिला हिला कर लंड अंदर ले ! बहुत मज़ा आयेगा।

मैं अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी। अब मेरी चुदने की मस्ती बढ़ गई थी, चुदने का मज़ा दुगना हो गया था। थोड़ा चोदने के बाद अंकल ने मुझे तिरछा कर दिया और मेरी टांग उठाकर पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और पीछे से मेरी चूत में धीरे धीरे धक्के मारने लगे।

मैं इस समय चरम सीमा का अनुभव कर रही थी, मेरी चूत बहुत तेज धार से पानी छोड़ रही थी। अंकल ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरी चूत पूरी वीर्य से भर गई थी। मुझे आज चुदाई में एक चरम सीमा का आनंद आया।

बहुत दिनों के बाद मैं चुदी थी, चुदने के बाद मैं मस्तिया कर लेट गई। अंकल उठे और उन्होंने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और कमरे में रखे फ़्रिज से दारू की बोतल निकाल ली और दारू का ग्लास बना लिया। मूवी में दो हब्शी एक लड़की की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे। अंकल अपना लौड़ा सहलाने लगे, थोड़ी देर में अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया था। उन्होंने मुझे इशारा किया, मैं उठकर अंकल के पास आ गई। अंकल ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।

उनका लौड़ा पूरा तन गया था। उन्होंने दारू का ग्लास मुझे पकड़ा दिया और मेरी टांगें चौड़ी कर थोड़ा नीचे को फिसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मैं अंकल के लौड़े पर बैठी हुई थी। एक हाथ से अंकल दारू का ग्लास पकड़े हुए थे और एक हाथ से कभी मेरी चूत का दाना सहला देते और कभी चुचक दबा देते। ब्लू फिल्म मैं भी बड़े प्यार से देख रही थी अंकल ने मेरी चूत में अपना लौड़ा फिट कर रखा था। बीच बीच में वो एक दो धक्के मुझे उचका के मार देते थे। मेरा बदन एक बार फिर गरम होने लगा था।

हम दोनों सोफा कुर्सी पर बैठे थे जिसके हत्थे नहीं थे। अंकल ने मेरी चुचकों पर चुटकी काटी और मेरे स्तन दबाते बोले- जरा साइड में देख !

साइड में एक बड़ा शीशा लगा हुआ था, मैं नंगी शीशे में देखकर शरमा गई। अंकल ने मुझे बैठे हुए ही कुर्सी मोड़ दी अब मैं शीशॆ के सामने थी और नंगी उनके लंड पर बैठी हुई अपने को देख रही थी। मैं पूरी रंडी बनी हुई थी अंकल ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी।मेरी चूत और उसमें घुसा हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था। अंकल मुझे कमर से पकड़ कर धीरे धीरे उछालने लगे और बोले- थोड़ा लौड़े पर कूद ले ! मौसी की रंडियां इतनी शर्माती तो नहीं हैं ! मस्ती से चुदवा, नहीं तो मौसी से शिकायत करनी पड़ेगी।

मौसी का नाम सुनकर मैं डर गई और उनके लौड़े पर उछल-उछल कर खुद चुदने लगी। आज तक मैं अपने पति से कभी रौशनी में नहीं चुदी थी। अब यहाँ चूत चौड़ी कर खुद चुद रही थी और अपनी चुदाई शीशे में देख रही थी। अंकल भी अब अपना लौड़ा गांड हिला हिला कर तेजी से पेल रहे थे, लेकिन मुझे चुदाई में जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं चुदाई की मस्ती में नहा रही थी। अंकल ने कुछ देर बाद मुझे सोफे के नीचे बैठा दिया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अपना सारा लंड रस मेरे मुँह में उतार दिया। मेरा मुँह अंकल के लंड रस से भर गया जिसे मुझे अपने अंदर लेना पड़ा इसके बाद अंकल ने मुझे छोड़ दिया। मैं पेशाब करने बाथरूम में चली गई बाथरूम में दरवाज़ा नहीं था केवल पर्दा पड़ा था।

रात के तीन बज़ रहे थे, अंकल ने दूसरी ब्लू फ़िल्म लगा ली और मुझे बगल में बैठा लिया। उन्होंने मेरे गले में हाथ डाल लिया और थोड़ी देर बाद बोले- जा जरा मेरी पैंट की जेब में एक थैली पड़ी होगी, उसे लेकर आ।

मैं थैली लेकर आ गई। उसमें एक गोली का पत्ता था और एक ट्यूब रखी थी। अंकल ने एक गोली निकाल कर खा ली और ट्यूब साइड में रख ली। ब्लू देखते हुए अंकल मेरी चूचियां दबा रहे थे और चूचक नोच रहे थे। मैं अब थक रही थी और मेरी चूत की प्यास शांत हो चुकी थी।

थोड़ा इतरा कर मैं बोली- डार्लिंग, नींद आ रही है, सोने जाने दो न !

अंकल बोले- बस अभी से? अभी तो तुम्हरी गांड भी नहीं मारी है। अच्छा एक काम करो इस ट्यूब से क्रीम निकाल कर मेरे लौड़े पर मलो, मरती क्या नहीं करती ! मैं झुककर अंकल के लौड़े पर क्रीम मलने लगी। अंकल ने क्रीम से सनी दो ऊँगली एक साथ मेरी गांड में अंदर तक घुसा दी। मैं अनमने मन से उई उई करते हुए अपनी गांड में ऊँगली घुसवा रही थी और अंकल के लौड़े और सुपाड़े पर क्रीम की मालिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे लौड़ा चूसने के लिए बोल दिया। अब अंकल का क्रीम लगा चिकना लौड़ा मैं मुँह में चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स मस्ती की जगह मैं जैसे कोई सेक्स की मजदूरी कर रही हूँ।

अंकल अब ऊँगली की जगह अपने पैन को मेरी गांड में आगे पीछे कर रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मेरी गांड फाड़ी जाएगी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे फिर बगल मैं बैठा लिया। अंकल का लंड तनतना रहा था। लेकिन अब मेरा चुदने का मन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आने लगी। मैं उठी और मुस्करा के बोली- अंकल पेशाब कर के आती हूँ !

अंकल कुटिलता से मुस्कराए और बोले- ठीक है !

मैं उठी और बाथरूम में चली गई।

जब मैं पेशाब कर के उठी तो देखा अंकल पीछे खड़े थे और उनका लंड उछाल मार रहा था। अंकल ने पीछे से कमर से मुझे पकड़ लिया और बोले पीछे का माल तो तेरा बड़ा मस्त है, चल झुक जरा तेरी गांड तो चोद दूँ ! क्या मस्त दिख रही है !

अंकल की पकड़ बड़ी मजबूत थी, मुझे कुतिया की तरह झुकना पड़ा। मैंने अपने हाथ इंग्लिश टोइलेट सीट पर लगा दिए। उन्होंने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी और कस कस के गोल गोल गांड के अंदर घुमा दी। मैं ऊई ऊई कर के कराह उठी। अंकल ने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे डाल कर अपना सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया और एक तेज झटका मारकर सुपारा मेरी गांड में घुसा दिया। मेरी चीख निकल गई और मैं चिल्ला उठी- उई उई मर गई मर गई !

लेकिन रंडी तो बजने के लिए ही बनी है, अंकल अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा रहे थे, चिकना लंड मेरी गांड में अंदर तक घुसता जा रहा था। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। अंकल ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठूस दिया था मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाउंगी। मैं चीख कम और रो ज्यादा रही थी। मेरे दोनों चूतड़ फाड़ दिए गए थे। अगले दो मिनट बाद ही में बहुत तेजी से चिल्ला उठी। अंकल ने पूरा लंड बाहर खींच कर फिर दुबारा एक झटके में अंदर डाल दिया था। मेरी चीख बहुत तेज थी। पूरी नीचे गली तक गई होगी क्योंकि रात के तीन बज़ रहे थे और एक शांति सी थी। लेकिन यहाँ तो रोज लड़कियां बजती थीं इसलिए मुझे उम्मीद नहीं थी कि कोई मुझे बचायेगा अब कोठे की कुतिया के दोनों छेद फट गए थे, अंकल ने मेरी गांड बजाना शुरू कर दी थी। वाकई चुदाई तो मेरी अब हो रही थी, अभी तक तो मैं चूत लौड़े की मस्ती ले रही थी जो शरीफ औरतें रोज़ अपने पति से लेती हैं। चुदाई क्या होती है यह तो बस रंडी ही जानती है।

वाकई मौसी ने मुझे कुतिया बनाकर कोठे पर चुदवा दिया था। मेरे मुँह से बार बार उई मर गई फट गई बचाओ छोड़ो मुझे छोड़ो ऊ मर गई ऊ ओई ऊ ओई ऊ ओई फट गई की आवाजें निकल रही थीं अंकल ने दस मिनट तक मेरी गांड बुरी तरह से ऐसे चोदी जैसे कि सड़क की कुतिया की कुत्ते चोदते हैं। उसके बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं बाथरूम में ही लेट गई थी। अंकल ने मुझे उठाकर पलंग पर डाल दिया।

अब मेरी गांड और चूत दोनों फट गई थीं। अंकल मेरी बगल में लेट गए थे।

आधे घंटे बाद मौसी एक आदमी और एक रंडी जिसका नाम शोभा था, के साथ अंदर आई और बोली- अंकल, क्या हुआ ? ठंडे पड़ गए?

अंकल मुस्कराए और बोले- तीन राउंड निपटा चुका हूँ, तेरी कुतिया ठंडी पड़ी है।

अंकल उठकर पलंग के पास सोफा कुर्सी पर बैठ गए। मौसी ने मेरी चूत पे हाथ फिराया और बोली- तेरी मुनिया तो बड़ी चकाचक हो रही है। बड़े आराम से लेटी हुई है, लगता है जैसे कि हनीमून के मज़े ले रही हो ! चल उठ और धंधा कर साली ! जब तक तेरी मुनिया बुरी तरह से सुजेगी नहीं, तब तक चुद ! उसके बाद तुझे खुद ही नींद आ जाऐगी। चल उठ और ग्राहक के लिए ग्लास बना। मैं खड़ी हो गई। जानी पलंग पर बैठ गया।

शेष दूसरे भाग में ! Sex Stories

Antarvasna

मैं और जानकी बचपन की Antarvasna सहेलियाँ है. हम स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े. और अब मेरी और जानकी की शादी भी लगभग एक ही साथ हुयी थी. मेरा घर और उसका घर पास में था. जानकी का पति बहुत ही सुंदर और अच्छे शरीर का मालिक था. मेरा दिल उस पर शुरू से ही था. मैं उस से कभी कभी सेक्सी मजाक भी कर लेती थी. वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था. जानकी भी मेरे पति पर लाइन मारती थी ये मैं जानती थी. जब हमारे पति नहीं होते तो हम दोनों साथ ही रहते थे.

उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद मैं जानकी के घर चली जाती थी. जानकी आज कुछ सेक्सी मूड में थी.

मैंने जानकी से कहा- ‘आज चाय नहीं..कोल्ड ड्रिंक लेंगे यार.’

‘हाँ हाँ क्यों नहीं…’

हम सोफे पर बैठ गए. जानकी मुझसे बोली- ‘सुन एक बात कहूं… बुरा तो नहीं मानेगी…’

‘कहो तो सही..’

‘देख बुरा लगे तो सॉरी… ठीक है ना…’

‘अरे कहो तो सही…’

‘कहना नहीं… करना है…’

‘तो करो… बताओ..’ मैं हंस पड़ी.

उसने कहा- ‘आरती.. आज तुझे प्यार करने की इच्छा हो रही है…’

‘तो इसमे क्या है… आ किस करले..’

‘तो पास आ जा..’

‘अरे कर ले ना…’ मुझे लगा कि वो कुछ और ही चाह रही है

जानकी ने पास आकार मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए. और उन्हे चूसने लगी. मैंने भी उसका उत्तर चूम कर ही दिया. इतने में जानकी का हाथ मेरे स्तनों पर आ गया और वो मेरे स्तनों को सहलाने लगी. मैं रोमांचित हो उठी.. ‘ये क्या कर रही है जानकी…’

‘आरती मुझसे आज रहा नहीं जा रहा है… तुझे कबसे प्यार करने कि इच्छा हो रही थी…’

‘अरे तो तुम्हारे पति… नहीं करते क्या..’

‘कभी कभी करते है… अभी तो 7-8 दिन हो गए हैं… पर आरती मैं तुमसे प्यार करती हूँ… मूझे ग़लत मत समझना..’

उसने मेरे स्तनों को दबाना चालू कर दिया. मूझे मजा आने लगा. मेरी सहेली ने आज ख़ुद ही मेरे आगे समर्पण कर दिया था. मैं तो कब से यही चाह रही थी. पर दोस्ती इसकी इज़ज्ज़त नहीं देती थी. मुझे भी उसे प्यार करने का मौका मिल गया. अब मैंने अपनी शर्म को छोड़ते हुए उसकी चुन्चियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मन में अन्दर से खुश हो गयी. वो उठी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी उसके पीछे उठी और उसके नर्म नर्म चूतड पकड़ लिए. जानकी सिसक उठी. बोली -‘मसल दे मेरे चूतडों को आज… आरती… मसल दे…’

मैंने जानकी का पजामा और टॉप उतार दिया. अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी. पर वो बोली- नहीं आरती… तू मुझे बस ऐसे ही देखती रह… मेरे बूब्स मसल दे… मेरी छूट को घिस डाल… उसे चूस ले… सब कर..ले ‘

मैं उसे देखती रह गयी. मैंने धीरे उसके चमकते गोरे शरीर को सहलाना चालू कर दिया. पर मुझसे रहा नहीं गया. मैं भी नंगी होना चाहती थी. मैंने भी अपना पजामा कुरता उतार दिया, और नंगी हो कर उस से लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे को मसलते दबाते रहे और सिसकियाँ भरते रहे.

अब हम बिस्तर पर आ गए थे, हम दोनों 69 की पोसिशन में आ गए. उसने मेरी चूत चीर कर फैला दी और अपनी जीभ से अन्दर तक चाटने लगी. अचानक उसने मेरा दाना अपनी जीभ से चाट लिया. मैं सिहर गयी. मैंने भी उसकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ दिया. उसने अपनी चूत मेरे मुंह पर धीरे धीरे मारना चालू कर दिया. और मेरी चूत को जोर से चूसने लगी. मैंने उसकी चूत मैं अपनी उंगली घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगी. वो आनंद से भर कर आहें भरने लगी. मेरी चूत में उसकी जीभ अन्दर तक घूम चुकी थी. मुझे मीठा मीठा सा आनंद से भरपूर अह्स्सास होने लगा था. हम दोनों की हालत बुरी हो रही थी. लगता था कि थोडी देर में झड़ जाएँगी.

उसी समय मोबाइल बज उठा. जानकी होश में आ गयी. हांफती हुयी उठी और मोबाइल उठा लिया.

वो उछल पड़ी. मोबाइल बंद करके बोली- ‘अरे वो बाहर खड़े हैं… जल्दी उठ आरती… कपड़े पहन…’

‘जल्दी कैसे आ गए… ???????’

हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने और बालकनी पर आ गए. नीचे अमन खड़ा था. वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया.

अन्दर उसने मुझे देखा और मुस्कराया. मैं भी मुस्करा दी.

‘सुनो तुम्हे अभी मायके जाना है… मम्मी बहुत बीमार हैं…’

उसकी मम्मी शहर में 10 किलोमीटर दूर रहती थी. मैं जानकी से विदा ले कर घर आ गयी. उसे करीब 1 घंटे बाद कार में जाते हुए देखा.

शाम को मैं घर के बाहर ही फल, सब्जी खरीद रही थी. मैंने देखा कि अमन कार में घर की तरफ़ जा रहा था.

मैंने घड़ी देखी तो 4 बजे थे. मेरे पति 7 बजे तक आते थे. मेरे मन में सेक्स जाग उठा. मैंने तुंरत ही कुछ सोचा और सामान सहित जानकी के घर की तरफ़ चल दी. अमन घर पर ही था. मैंने घंटी बजाई. तो अमन बाहर आया.

‘मम्मी कैसी हैं ?…’

‘ठीक हैं, 4 -5 दिन का समय तो ठीक होने में लगेगा ही.. आओ अन्दर आ जाओ..’

‘तो खाना कौन बनाएगा… आप हमारे यहाँ खाना खा लीजियेगा…’

वो मतलब से मुस्कुराते हुए बोला- ‘अच्छा क्या क्या खिलाओगी..’

मैंने भी शरारत से कहा- ‘जो आप कहें… नारंगी खाओगे… जीजू…’ उसकी नजर तुरन्त मेरे स्तनों पर गयी. मेरी नारंगियों के उभारों को उसकी नजरें नापने लगी.

‘हाँ अगर तुम खिलाओगी तो… तुम क्या पसंद करोगी..’ अमन ने तीर मारा

‘हाँ… मुझे केला अच्छा लगता है…’ मैंने उसकी पेंट की जिप को देखते हुए तीर को झेल लिया.

‘पर..आज तो केला नहीं है…’

‘है तो… तुम खिलाना नहीं चाहो तो अलग बात है…’ मैंने नीचे उसके खड़े होते हुए लंड को देखते हुए कहा.. उसने मुझे नीचे देखते हुए पकड़ लिया था.

‘अच्छा..अगर है तो फिर आकर ले लो..’ अमन मुस्कराया

‘अच्छा मैं चलती हूँ… जीजू… केला तो अन्दर छुपा रखा है..मैं कहाँ से ले लूँ?.’ मैंने सीधे ही लंड की ओर इशारा कर दिया. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो तुंरत मेरे पीछे आया और मुझे रोक लिया- ‘केला नहीं लोगी क्या… मोटा केला है…’

मैंने प्यार से उसे धक्का दिया- ‘तुमने नारंगी तो ली ही नहीं.. तो मैं केला कैसे ले लूँ..’ मैंने तिरछी नजरों का वार किया.

उसने पीछे से आ कर- धीरे से मेरी चुंचियाँ पकड़ ली. मैं सिसक उठी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली. ‘ये नारंगियाँ बड़ी रसीली लग रही हैं ‘

‘अमन… क्या कर रहे हो…’

‘बस आरती… तुम्हारी नारंगी… इतनी कड़ी नारंगी… कच्ची है क्या…’

उसका लंड मेरे चूतडों पर रगड़ खाने लगा. मैंने उसका लंड हाथ पीछे करके पकड़ लिया.

‘इतना बड़ा केला… हाय रे… जीजू ‘

‘ आरती… नीचे तुम्हारे गोल गोल तरबूज… हैं… मार दिया मुझे. उसके लंड ने और जोर मारा. लगा कि मेरा पजामा फाड़ कर मेरी गांड में घुस जायेगा.

मैंने मुड कर अमन की ओर देखा. उसकी आंखों में वासना के डोरे नजर आ रहे थे. मैं भी वासना के समुन्दर में डूब रही थी. मैंने अपने आप को ढीले छोड़ते हुए उसके हवाले कर दिया. उसने मेरी आंखों में आँखें डालते हुए प्यार से देखा… मैं उसकी आंखों में डूबती गयी. मेरी आँखें बंद होने लगी. उसके होंट मेरे होटों से टकरा गए. अब हम एक दूसरे के होटों का रस पी रहे थे.

अमन ने मेरे एलास्टिक वाले पजामे को धीरे से नीचे खींच दिया. मैंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी. उसका हाथ सीधे मेरी चूत से टकरा गया. उसने जोश में आकर मेरी चूत को भींच दिया. मै मीठी मीठी अनुभूति से कराह उठी. उसके दूसरे हाथ ने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मेरे उरोज कड़े होने लग गए थे. मेरा पाज़ामा धीरे धीरे नीचे तक सरक गया। सहिल ने ना जाने कब अपनी पैन्ट नीचे सरका ली थी।

उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड से सट गया। लण्ड की पूरी मोटाई मुझे अपने चूतड़ों पर महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि मैं लण्ड को अन्दर डाल लूं और मज़ा लूं। मेरे चिकने चूतड़ों की दरार में उसका लण्ड घुसता ही जा रहा था। मैंने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर कर ली उसका लंड अब सीधे गांड के छेद से टकरा गया. गांड के छेद पर लंड स्पर्श अनोखा ही आनंद दे रहा था. उसने अपने लण्ड को वहां पर थोड़ा घिसा और मुझे जोर से जकड़ लिया. उसके लंड का पूरा जोर गांड के छेद पर लग रहा था. लण्ड की सुपारी छेद को चौड़ा करके अन्दर घुस पड़ी थी. मैं सामने की मेज़ पर हाथ रख कर झुक गयी और चूतडों को पीछे की और उभार दिया. टांगे थोड़ी और फैला दी.

‘आह… आरती… बड़ी चिकनी है… क्या चीज़ हो तुम. ..’

‘अमन… कितना मोटा है… अब जल्दी करो…’

‘हाय… इतने दिन तक तुमने तड़पाया… पहले क्यों नहीं आयी…’

‘मेरे राजा… अब गांड चोद दो… मत कहो कुछ ..’

‘ये लो मेरी आरती… क्या चिकने चूतड हैं…’

‘हाँ मेरे राजा… मैं तो रोज तुम पर लाइन मारती थी… तुम समझते ही नहीं थे… हाय मर गयी…’

उसने अपना पूरा लण्ड मेरी गांड की गहरायी में पहुँचा दिया.

‘राजा मेरे… अब तो मेहरबानी कर ना…’

‘बस अब… कुछ ना बोलो… अब मजा आ रहा है… हाय… आरती… मस्त हो तुम तो…’

अमन के धक्के बढ़ते जा रहे थे… मुझे असीम आनंद आने लगा था. वो गांड मारता रहा… मैं गांड चुदाती रही. उसके धक्के और बढ़ने लगे. उसका लण्ड मेरी गांड की दीवारों से रगड़ खा रहा था. छेद उसके लण्ड के हिसाब से थोड़ा छोटा ही था… इसलिए ज्यादा रगड़ खा रहा था. मेरी गांड चुदती रही. मैं आनंद के मारे जोर जोर से सिस्कारियाँभर रही थी.

अब अमन ने धीरे से लण्ड छेद से बाहर खींच लिया. और मुझे चिपका लिया मेरे हाथ ऊपर कर दिये. पीछे से उसने मेरी छातियाँ कस कर पकड़ ली और मसलने लगा.

‘आरती… अब मैं कहीं झड़ ना जाऊं… एक बार लण्ड को चूत का सामना करवा दो…’

मैं हंस पड़ी- ‘आज मैं इसी लिए तो आई थी… मुझे पता था कि जानकी नहीं है… तुम अकेले ही हो… और अगर आज तुमने लाइन मारी तो तुम गए काम से…’

दोनों ही हंस पड़े… हम दोनों बिस्तर पर आ गए… मैंने कहा…’अमन… मैं तुम्हें पहले चोदूंगी… प्लीज़… तुम लेट जाओ… मुझे चोदने दो…’

‘ चाहे मैं चोदूं या तुम… चुदेगी तो आरती ही ना… आ जाओ…’ कह कर अमन हंसने लगा.

वो बिस्तर पर सीधे लेट गया. उसके लण्ड कि मोटाई और लम्बाई अब पूरी नजर आ रही थी. मैं देख कर ही सिहर उठी. मेरे मन में ये सोच कर गुदगुदी होने लगी कि इतने मोटे लण्ड का स्वाद मुझे मिलेगा. मैं धीरे से उसकी जांघों पर बैठ गयी. उसके लण्ड को पकड़ कर सहलाया और मोटी सी सुपारी को चमड़ी ऊपर करके सुपारी बाहर निकाल दी. मैंने अपनी लम्बी चूत के होठों को खोला और उसकी लाल लाल सुपारी को मेरी लाल लाल चूत से चिपका दिया. पर अमन को कहाँ रुकना था. सुपारी रखते ही उसके चूतड़ों ने नीचे से धक्का मार दिया. सुपारी चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गयी. मैं आनंद से सिसक उठी.

‘हाय रे… घुसा दिया अन्दर… मेरी सहेली के चोदू , मेरे राजा…’

कहते हुए मैं उस पर लेट गई. वो गया नीचे दबा हुआ था इसलिए पूरी चोट नहीं दे पा रहा था. पर मेरे आनंद के लिए उतना ही बहुत था. मैंने उसे जकड़ लिया. अब मेरे से भी उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. मैंने अपनी चूत लण्ड पर पटकनी चालू कर दी. फच फच की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. हम दोनों आनंद में सिस्कारियाँभर रहे थे.

‘हाय मेरे राजा… मजा आ रहा है… हाय चूत और लंड भी क्या चीज़ है… हाय रे…’

‘आरती… लगा… जोर से लगा… और चोद… निकाल दे अपने जीजू के लण्ड का रस…’

मैंने अपनी गति बढ़ा दी. चूतड़ों को हिला हिला कर उसका लण्ड झेल रही थी. उसका लण्ड मेरे चूत के चिकने पानी से भर गया था.

‘हाँ ..मेरे राजा… ये लो… और लो…’

पर अमन को ये मंजूर नहीं था… उसने मुझे कस के पकड़ा और एक झटके में अपने नीचे दबोच लिया. वो अब मेरे ऊपर था. उसका लण्ड बाहर लटक रहा था. उसने अपना कड़क मोटा लण्ड चूत के छेद पर रखा और उसे एक ही झटके में चूत की जड़ तक घुसा डाला.

मुझे लगा कि सुपारी मेरे गर्भाशय के मुख से टकरा गयी है. मैं आह्ह्ह भर कर रह गयी. अपनी कोहनियों के सहारे वो मेरे शरीर से ऊपर उठ गया. मेरे जिस्म पर अब उसका बोझ नहीं था. मैं एक दम फ्री हो गयी थी. मैंने अपने आप को नीचे सेट किया और टांगे और ऊपर कर ली.

अमन ने अब फ्री हो कर जोरदार शोट मरने चालू कर दिए. मुझे असीम आनंद आने लगा. मैंने भी अब नीचे से चूतड़ों को उछाल उछाल कर उसका बराबरी से साथ देना चालू कर दिया. मैं अब कसमसाती रही… चुदती रही… उसकी रफ्तार बढती रही… मुझे लगने लगा कि अब सहा नहीं जाएगा… और मैं झड़ जाऊंगी… मैंने धक्के मारने बंद कर दिए .. और ऑंखें बंद करके आनंद लेने लगी… मैं चरम सीमा पर पहुच चुकी थी..

जैसे जैसे वो धक्के मारता रहा मेरा… रज निकलने लगा… मैं छूटने लगी… मैं झड़ने लगी… रोकने की कोशिश की पर… नहीं… अब कुछ नहीं हो सकता था… मैं सिस्कारियाँभरते हुए पूरी झड़ गयी… मैं ढीली पड़ गयी… अब उसके धक्के मुझे चोट पहुचने लगे थे… लेकिन उसकी तेजी रुकी नहीं… कुछ ही पलों में… सुहानी बरसात चालू हो गयी. उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था… और उसका पानी मेरी छातियों को नहला रहा था. मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही. वो अपने वीर्य पर ही मेरी छाती से लग कर चिपक गया. उसका वीर्य बीच में चिकना सा आनंद दे रहा था… अमन मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ… मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा. और प्यार से मुस्कुरा दी.
मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था. Antarvasna

अगले भाग का इतंज़ार करें.

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