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Massage Girl in Mandla: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Mandla who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Mandla that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Mandla massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Mandla who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Mandla massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Mandla massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Mandla who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Mandla employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Mandla helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Mandla

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Mandla at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

मेरी यह कहानी एकदम Sex Stories सच्ची है जो आप लोगो को एकदम अपने करीब लगेगी। मेरा अगला सैक्सपिरियन्स चाँद के साथ था। फिर नीना, फिर शैलजा, फिर कल्पना और फिर साक्षी के साथ मेरा सैक्सपिरियन्स हुआ।

पर आज ना जाने क्यों मुझे साक्षी बहुत याद आ रही है। इसलिये मैं चाँद, नीना, शैलजा और कल्पना को साईड करते हुए पहले साक्षी के साथ हुए सैक्सपिरियन्स को आप लोगो के साथ शेयर करता हूँ। उस वक़्त मैं 20 साल का और साक्षी 19 साल की थी।

मेरे माता-पिता दोनों टीचर थे। मेरी एक बडी बहन है। जो मेरे से लगभग दो साल बड़ी है। मेरी बहन की शादी बनारस में हुई।

मेरे जीजाजी एक मल्टी-नैशनल कम्पनी में परचेज़ मैंनेजर हैं। बी.एस सी के बाद मैंने बनारस युनिवर्सिटी में बी.फ़ार्मेसी में प्रवेश लिया। मैं होस्टल में रहने लगा। फिर दीदी ने अकेले होने की वजह से मुझे अपने साथ ही रहने को कहा। मैं होस्टल छोड़ कर दीदी-जीजाजी के साथ में रहने लगा।

दीदी के पड़ोस में एक दुमंज़िला मकान था। जहाँ दो बहनें रहा करती थी। ऊपर बड़ी बहन जो कि मकान मालकिन भी थी और नीचे यानी ग्राउंड-फलौर पर छोटी बहन।
बड़ी बहन लगभग 55 साल की थी और छोटी बहन लगभग 50 साल की थी।

हम उन्हें ऊपर वाली आन्टी और नीचे वाली आन्टी कहते थे। ऊपर वाली आन्टी के तीन बच्चे थे। दो लड़के और एक लड़की। लड़की सबसे बड़ी थी।

तीनों बच्चों की शादी हो चुकी थी और सभी बाहर रहते थे। इसलिये उपर वाली आन्टी-अकल ने अपनी सबसे बड़ी लड़की की लड़की को अपने साथ रखा हुआ था। उसका नाम लीनू था। लीनू बनारस महिला कॉलेज़ में बी.ए. प्रथम वर्ष में पढ़ती थी।
लीनू बहुत ही ख़ूबसूरत थी। खैर वो बाद में…

नीचे वाली आन्टी के भी तीन ही बच्चे थे। दो लड़के और एक लड़की। लड़की सबसे बड़ी थी। तीनों बच्चे पढ़ रहे थे। लड़की का नाम मीनाक्षी था। घर में सब उसे साक्षी कहते थे। साक्षी लगभग 19 साल की थी और बनारस महिला कॉलेज़ में ही बी. एस सी. (बायो) अन्तिम वर्ष में पढ़ती थी।

साक्षी भी बहुत ही ख़ूबसूरत थी मगर लीनू से कुछ कम। मेरी बहन ने भी बी.एस सी. (बायो) की थी। इसलिये साक्षी मेरी बहन से कभी-कभी पढ़ने आती थी। जब मैं दीदी-जीजाजी के साथ में रहने लगा तो दीदी साक्षी को मेरे से पढ़ने के लिये कह देती। साक्षी को मेरा समझाना अच्छा लगता था, इसलिये वो अकसर मेरे से पढ़ने आने लगी।

धीरे-धीरे मैं और साक्षी एक दूसरे को बहुत पसन्द करने लगे। साक्षी से मेरी मुलाक़ातें बढ़ने लगी। ये मुलाक़ातें धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।

फिर एक दूसरे को बाँहो में भरना, किस करना, फिर एक दूसरे के अंगों को छूना भी शुरु हो गया। मैं साक्षी के स्तनों को दबाने और सलवार के उपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच गया। साक्षी भी मेरी पैंट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई।

एक दिन साक्षी घर आई। उसे मुझ से केमिस्ट्री में कुछ पढ़ना था। हम दोनों ड्राइंगरूम में पढ़ने लगे। हमें पढ़ते देख कर मेरी बहन बोली कि तुम लोग पढ़ाई करो और मैं मार्केट हो कर आती हूँ। दो-तीन घंटे तक आ जाउँगी। कह कर वो चली गई। बहन के जाते ही मैं साक्षी को छेड़ने लगा।

साक्षी ने कहा- क्या कर रहे हो।
मैं बोला- मौके का फायदा उठा रहा हूँ।

मैंने साक्षी को खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया।

मैं साक्षी के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा। मैं उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगा। साक्षी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। फिर मैं उसके कुरते के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके स्तनों को दबाने लगा। फिर मैं उसके कुरते को उतारने लगा।

साक्षी बोली- क्या करते हो! दीदी आने वाली होंगी।

मैंने कहा- वो दो-तीन घंटे तक नहीं आँएंगी। कह कर मैं फिर उसके कुरते को उतारने लगा।

साक्षी बोली- प्लीज़! कोई आ जाएगा।

मैंने उठ कर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर मैं साक्षी का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया। मैंने साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया, अपने जलते हुए होंठ साक्षी के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

साक्षी ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ साक्षी के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने साक्षी को बैड पर लिटा दिया। फिर साक्षी का कुरता उपर करके उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुए होंठ रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। साक्षी के मुँह से आह निकलने लगी।

फिर मैं उसके कुरते को उतारने लगा। साक्षी ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसका कुरता उतार कर फ़ेंक दिया। साक्षी के गोरे-गोरे स्तन गुलाबी ब्रा में फँसे थे। फिर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। साक्षी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी।

कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी। फिर मैं उसके गोरे-गोरे सख्त स्तन दबाने लगा। साथ-साथ उसके गुलाबी निप्पल को हल्के-हल्के मसलने लगा। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। साक्षी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।

फिर मैं उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी सलवार के अन्दर ले गया। मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो साक्षी ने कोई विरोध नहीं किया।

मैंने उसकी सलवार उतार कर फेंक दिया। साक्षी ने गुलाबी पैन्टी पहनी हुई थी। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और सिर्फ जॉकी में साक्षी से लिपट गया।

फिर मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। साक्षी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उसके तन से जुदा कर दी।

मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और जॉकी को फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। मैंने जॉकी उतार कर फेंक दी। मैं साक्षी की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं साक्षी की चूत के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंनें अपनी उँगलियॉ साक्षी की चूत के अन्दर डाल दी।

फिर उंगलियों से साक्षी की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। फिर मैं साक्षी की चूत के जी-पॉन्यट को रगड़ने लगा।

साक्षी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। साक्षी ने मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर ली। मेरा लण्ड साक्षी की जांघों से रगड़ खा रहा था। साक्षी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी।

मेरा लण्ड तन कर सख्त हो गया था। साक्षी मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर उपर-नीचे और आगे-पीछे करने लगी। मैं साक्षी की चूत मारने को बेताब हो रहा था।

मैंने साक्षी को कहा- साक्षी! बहुत मन हो रहा है। कर लें क्या!

साक्षी कुछ नहीं बोली।
मैंने इसे साक्षी की हाँ समझ लिया। मैं साक्षी के उपर लेट गया।

साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नीचे दबा हुआ था। मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर साक्षी की चूत के जी-पॉन्यट के उपर-नीचे करके रगड़ने लगा। फिर मैं अपने लण्ड को पकड़ कर साक्षी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।

साक्षी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- हमें डर लगता है। प्लीज़! कंडोम के बिना कुछ नहीं करेंगे। प्लीज़! कंडोम हो तो लगा लीजिए।

मैंने एक बार दीदी के साथ साफ-सफाई में हाथ बँटाते हुए बैड की दराज में कंडोम देखे थे। मैंने फौरन उठ कर बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। साक्षी ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। कंडोम लगा कर मैं फिर से साक्षी के ऊपर लेट गया। साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नीचे दब गया।

फिर साक्षी मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी और बोली- प्लीज़! ऐसे करते रहिए। अपने आप चला जाएगा।

साक्षी की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। शायद उसको यह करना अच्छा लग रहा था। वो मेरे लण्ड को अपनी चूत से रगड़े जा रही थी। मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी। इसी उत्तेजना में मैंने साक्षी का हाथ पकड़ लिया। इससे पहले मैं कुछ समझ पाता मैं साक्षी की चूत के ऊपर झड़ गया।

कंडोम लगे लण्ड को चूत से रगड़ने की वजह से कंडोम फट गया था और मेरा वीर्य साक्षी की चूत के बालों में भर गया था। मैं साक्षी के बगल में लेट गया।

साक्षी उठ कर बाथरुम चली गई। कुछ देर बाद वो बाथरुम से अपनी चूत साफ करके आकर मेरी बगल में लेट गई। कुछ देर हम चुपचाप लेटे रहे।

थोड़ी देर बाद साक्षी ने मेरी तरफ करवट ले कर अपनी टांगों को मेरी टांगों पर रख लिया। मैंने भी करवट ले कर साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया।

मैंने अपने जलते हुए होंठ साक्षी के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। उसने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ साक्षी के गोरे-गोरे और चिकने-चिकने जिस्म पर फिर रहे थे। साक्षी भी अपने हाथों को मेरी पीठ पर फिर रही थी। कुछ देर मैं साक्षी के होठों को चूसता रहा। फिर मैं साक्षी के ऊपर लेट गया।

फिर मैं साथ-साथ उसके गुलाबी निप्पल को हल्के-हल्के मसलने लगा। मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया था और साक्षी की चूत के बालों से रगड़ खा रहा था। मैं साक्षी की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा।

मेरा लण्ड साक्षी की जांघों के बीच फंसा हुआ था। साक्षी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। मैं साक्षी को चोदने को बेताब हो रहा था। साक्षी की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। फिर कुछ देर बाद मैं अपने लण्ड को पकड़ कर साक्षी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।

साक्षी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- प्लीज़ कंडोम लगा लीजिए।

मैंने फौरन फिर से बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। कंडोम लगा कर मैं फिर से साक्षी के उपर लेट गया। मैंने अपने को साक्षी की टांगों के बीच में सैट कर अपने लण्ड को पकड कर साक्षी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। साक्षी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया और अपनी चूत के सुराख पर लगा दिया और बोली- अब धीरे से डालिए।

मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा साक्षी की चूत में घुस गया। साक्षी के मुँह से आह निकली।

उसने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया और अपनी आँखें कस कर बन्द कर ली। मैंने थोड़ा ओर जोर लगाया। मेरा लगभग आधा लण्ड साक्षी की चूत में घुस गया। साक्षी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने तीसरा और आखिरी धक्का दिया तो मेरा पूरा लण्ड साक्षी के कौमार्य को चीरता हुआ चूत में समा गया। साक्षी के मुँह से जोर से आह निकली। उसने मुझे अपनी बाँहो में पूरी ताकत से कस लिया।

मैंने भी साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए।

मेरा पूरा लण्ड साक्षी की चूत के अन्दर समाया हुआ था। हम दोनों ने एक दूसरे को इस कदर अपनी बाँह में जकड़ा हुआ था कि हवा भी हम दोनों के बीच से पास नहीं हो सकती थी।

साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दबा हुआ था। मेरी टांगें साक्षी की टांगों के बीच में फंसी हुई थी। मैं साक्षी के माथे पर, फिर आँखों पर तथा गालों को किस करने लगा। साक्षी भी मेरे गालों को किस करने लगी।

कुछ देर हम दोनों इसी तरह से एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने अपने लण्ड को धीरे से साक्षी की चूत से थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अपने लण्ड को धीरे से साक्षी की चूत में अन्दर घुसा दिया। फिर मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से साक्षी की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ देर बाद साक्षी ने अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे साक्षी की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी। अब मेरा लण्ड साक्षी की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था।

मैं साक्षी की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मार रहा था। हम दोनों सेक्स के नशे में चूर हो रहे थे। साक्षी को भी मजा आने लगा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी।

उसने मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लिया। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स ऊपर-नीचे कर रही थी।

जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स पीछे खींच लेती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर साक्षी को चोदने लगा। मैं बैड पर हाथ रख कर साक्षी के उपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड साक्षी की चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था।

साक्षी भी अब आँखें खोल कर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। मैं साक्षी को पागलों की तरह से चोद रहा था। अब मैं पूरी तेजी से साक्षी के उपर कूद-कूद कर उसे चोद रहा था। साक्षी इस चुदाई के नशे से मदहोश हो रही थी।

मैंने रुक कर साक्षी से कहा- साक्षी अच्छा लग रहा है क्या?
साक्षी बोली- हां बहुत अच्छा लग रहा है। करो ना। तेज-तेज करते रहो।

साक्षी के मुहँ से ये सुन कर मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। मैंने साक्षी के हिप्स को हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर साक्षी को चोदने लगा।

साक्षी के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह होहोह सस्स्स ह्ह्ह हाहाह्ह्ह आआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ राज, तेज-तेज करो ना।”

मैं साक्षी के उपर लेट गया और मैंने साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर मैंने अपने होंठ साक्षी के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसते हुए उसे ओर तेजी से चोदने लगा। मेरा लण्ड सटासट साक्षी की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था।

अब मैं साक्षी की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मार रहा था। हम दोनों सेक्स के नशे में चूर हो रहे थे। साक्षी भी अपने होठों से मेरे होठों को चूसती हुई मजे से चुदाई का मजा ले रही थी। मैं साक्षी को काफ़ी देर तक ऐसे ही चूमते हुए कस कर चोदता रहा। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए चुदाई का मजा लेते रहे। फिर अचानक साक्षी ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया।

उसने अपने होंठ मेरे होठों से अलग करके कहा- ओह राज, मैं तो होने वाली हूँ। प्लीज़ तुम भी हो जाओ। दोनों साथ-साथ होंगे। जब तुम होने लगो प्लीज़ तो इसे मेरे अन्दर से बाहर निकाल लेना। कंडोम का भी कोई भरोसा नहीं होता है। प्लीज़ बाहर ही होना।

मैंने कहा- ठीक है साक्षी।

और यह कह कर मैं तेज-तेज धक्के मार कर साक्षी को चोदने लगा।

लगभग 2 मिनट बाद अचानक साक्षी ने एक जोर से आह भरी और अपने हिप्स और अपनी चूत को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया और फिर बैड पर अपने पैर पसार दिये। मैं समझ गया कि साक्षी डिस्चार्ज हो चुकी है।

मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं बैड पर हाथ रख कर साक्षी के उपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड साक्षी की चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था। साक्षी आँखें बंद करके बैड पर सपाट लेट कर मेरे डिस्चार्ज होने का इंतजार कर रही थी।

लगभग 2 मिनट तक साक्षी को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगा तो मैंने साक्षी के कहने के मुताब़िक, अपना लण्ड साक्षी की चूत में से बाहर खींच लिया और साक्षी की चूत के बाहर कंडोम में ही डिस्चार्ज हो गया।

फिर मैं साक्षी के उपर लेट गया। साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नीचे दब गया। मेरा लण्ड कंडोम में सिकुड़ा हुआ साक्षी की झाटों के ऊपर पडा था। कुछ देर तक मैं साक्षी के ऊपर लेटा रहा और अपनी तेज-तेज चल रही सांसों को काबू में आने का इंतजार करता रहा। साक्षी भी मेरे नीचे दबी हुई अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई थी।

कुछ देर बाद मैंने उठ कर अपने लण्ड पर से कंडोम उतार कर एक अखबार के कागज़ में लपेट कर डस्टबिन में फेंक दिया। फिर अपने अन्डरवियर से अपना लण्ड साफ करके साक्षी की बगल में लेट गया। साक्षी आँखें बंद करके लेटी हुई थी। कमरे की हल्की रोशनी में उसका गोरा और नंगा बदन चमक रहा था।

कुछ देर बाद मैंने साक्षी की तरफ करवट ली और अपनी टांग साक्षी की टांगों पर रख दी। फिर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा।

साक्षी बोली- हो गई तुम्हारे मन की!
मैंने कहा- हाँ साक्षी, बहुत अच्छा लगा। मजा आ गया।

कह कर मैंने करवट ले कर साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया।

कुछ देर तक हम ऐसे ही लिपटे हुए बातचीत करते रहे। फिर साक्षी बोली- चलो अब उठो। दीदी आने वाली होंगी।

मैंने कोई खास नखरा नहीं किया और साक्षी के कहते ही मैंने उठ कर अपने अन्डरवियर से अपना लण्ड फिर से साफ किया और अपने कपड़े पहन लिये। साक्षी ने भी उठ कर अपने कपड़े पहन लिये। फिर हम दोनों ड्राइंगरूम में बैठ कर बातें करने लगे। हमने कुछ देर बातचीत की।

फिर साक्षी बोली- मैं चलती हूँ। दीदी के आने से पहले मेरा चले जाना ही ठीक रहेगा। वरना दीदी को खामख्वाह शक होगा।

कह कर साक्षी घर जाने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

फिर मैंने उससे कहा- प्लीज़ कुछ देर ओर रुको ना।
वो अपना हाथ छुड़ाने लगी और बोली- क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी। मैं जा रही हूं।

वो जाने लगी। मैंने उसे खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया।

साक्षी बोली “क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी। प्लीज़ छोड़ो मुझे।

मैंने उसे छोड़ने की बजाय अपने सीने से चिपका लिया। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगा।

मैं साक्षी से बोला- साक्षी, एक बार फिर करने का मूड़ हो रहा है। एक बार फिर करें क्या?

यह सुनते ही वो एकदम छिटक कर अलग हो गई और बोली- पागल तो नहीं हो गये हो। दीदी आने वाली होंगी। मैं जा रही हूं। ओ.के बाय!

उसने हाथ हिला कर बाय किया। फिर वो दरवाजा खोल कर तेजी से अपने घर जाने लगी। मैं उसे जाते हुए देखता रहा।

तो यह था मेरा साक्षी के साथ ये मेरा पहला सैक्सपिरियंस। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग एक साल में हमने 18 बार खुलकर सेक्स किया। हर बार सेक्स करने का अन्दाज और मजा अलग ही था। अगर समय मिला तो साक्षी के साथ बाकी के 18 में से कुछ खास-खास सैक्सपिरियंस के बारे में भी जरुर बताऊँगा।

साक्षी के साथ इसके बाद लगभग एक साल तक ही सेक्स हो पाया। क्योंकि साक्षी की मम्मी और मौसी की आपस में अनबन हो गई और उन्होंने मकान बदल लिया। फिर जीजाजी ने भी बनारस वाली कम्पनी छोड़ कर फरीदाबाद में एक दूसरी कम्पनी ज्वाईन कर ली। मैं फिर से होस्टल में शिफ्ट हो गया। मकान बदलने के बाद, दीदी-जीजाजी के जाने के बाद मैं साक्षी से मिलने उसके घर तो कई बार गया तथा साक्षी से मिलना भी हुआ। मगर सेक्स ना हो सका।

फिर मेरे बी.फ़ार्मा अन्तिम वर्ष के पेपर शुरु हो गये। पेपर दे कर मैं साक्षी से मिलने उसके घर गया और साक्षी से जल्द मिलने का वादा करके गुड़गाँव वापस आ गया।

लगभग 3 महीने बाद मैं अपना रिजल्ट लेने फिर बनारस गया। चूंकि मैं होस्टल छोड़ चुका था, इसलिये मैं होटल में ठहरा था।

रिजल्ट लेकर मैं साक्षी से मिलने उसके घर पास होने की खुशी में मिठाई ले कर गया। साक्षी और उसके घरवालों ने मेरा जोर-शोर से स्वागत किया।

मैं काफी देर वहां रुका। वहीं लन्च किया। फिर लन्च के बाद जब मैं चलने लगा तो साक्षी मुझे मेन-गेट पर छोड़ने के बहाने आ गई।

मैंने गेट पर साक्षी को कहा- साक्षी, परसों मैं वापस गुड़गाँव जा रहा हूँ। अब ना जाने कब मुलाकात होगी। मैं सम्राट होटल में रूम न:11 में ठहरा हूँ। क्या तुम कल मुझसे मिलने वहां आ सकती हो? प्लीज़ साक्षी, प्लीज़ जरूर आ जाना। मैं पूरा दिन तुम्हारा इन्तज़ार करुंगा। ओके! बाय!

यह कह कर मैं साक्षी की हां या ना सुने बगैर चल दिया। मैं जानता था कि साक्षी जरुर आएगी और ऐसा हुआ भी।

अगले दिन साक्षी लगभग 12 बजे होटल आई। मैं होटल लॉबी में उसका इन्तज़ार कर रहा था। फिर साक्षी को साथ लेकर मैं होटल के कमरे में आ गया।

उस दिन हमने होटल के कमरे में और फिर बाथटब में कुल 3 बार सेक्स किया। बड़ा मजा आया। अगले दिन मैं गुड़गाँव वापस आ गया फिर चाहते हुए भी हम दोबारा नहीं मिल सके और हमारे प्यार की कहानी यहीं खत्म हो गई।

एक बार साक्षी का भाई मेरे पास गुड़गाँव में मेरे घर पर आया। उसने बताया कि साक्षी की शादी हो गई है और वो गुड़गाँव में ही किसी काल-सेन्टर में जॉब कर रही है। उसके दो बेटे है। उसका पति दिल्ली में किसी न्यूज़ चैनल में जॉब कर रहा है।

मैंने साक्षी के भाई को अपना मोबाईल नम्बर दिया और कहा कि साक्षी को कहना कि मेरे से बात करे। मगर आज इस बात को लगभग तीन साल हो गये है। मगर साक्षी का आज तक फोन नहीं आया। या तो उसके भाई ने उसे मेरा नम्बर दिया ही नहीं। या फिर वो चूंकि अब शादीशुदा है, इसलिये वो शायद मुझसे बात ना करना चाहती हो। खैर जो भी हो।

सो साक्षी आज तुम कहाँ हो। अगर तुम यह कहानी पढ़ोगी, तो जरूर मुझे पहचान लोगी।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये कहानी। Sex Stories

हाय दोस्तो ! Hindi Porn Stories

मेरा नाम अजय है। मैं चण्डीगढ़ का Hindi Porn Stories रहने वाला हूँ, ५ फ़ुट ८ इंच, देखने में स्लिम और गोरा हूँ। मैंने कई कहानियाँ पढ़ी और सोचा मैं भी कुछ अपनी बातें आपको बताऊँ !

मैं अकसर चैटिंग करता रहता था और आँटी ढूँढा करता था, पर कभी कोई आंटी नहीं मिली।

एक दिन अचानक बातें करते हुए एक लड़की से चैट शुरू हुई … उस का नाम रानी था, पँजाब की रहने वाली थी .. बातें शुरू हुई फिर मेसेज से बातें होने लगी। यूँ ही कुछ महीने बाद उस का एक रात को फ़ोन आया, फिर वो धीरे धीरे प्यार की बातें करने लगी और बातों बातों में वो सेक्स चैट पे आ गई और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। फिर तो पूरी रात मैं उससे फ़ोन पे सेक्स करता रहा।

यूँही जब भी उसका मूड करता, वो रात को सेक्स-चैट करती और पानी निकल जाने पर ही फोन काट देती। अब मैं भी उससे मिलना चाहता था। कुछ महीने बाद वो चंडीगढ़ आई और मिलने के लिए फ़ोन किया।

जब उस से पहली बार मिला, या खुदा … ! क्या लड़की थी ! पतली पतली लम्बी ५-९ होगी, वैसे मुझे मोटे मोटे मोमे बहुत पसंद हैं पर उसके छोटे-छोटे तीखे स्तन देख केर मेरा उनको छूने का दिल करने लगा ! सच में एक हसीन रानी थी, हम लोग एक होटल में मिले, खाया पिया और बातें की, फिर चले गए, पर मेरे मन में उसको चोदने को कर रहा था।

कुछ महीने बाद वो फिर चंडीगढ़ आई, इस बार मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने उसको मिलने के लिए अपने घर पर ही बुलाया। जब वो कमरे में आई तो उस ने कसा सूट पहना हुआ था, मेरा मन उसका जूस पीने को हो रहा था, हम लोग बिस्तर पे बैठ कर बातें करने लगा।

फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया और बिस्तर पर लेट जाने को बोला वो मान गई। फिर मैंने उसकी आँखें बंद की और उसकी आँखों पर चूम लिया, फिर उसके गालों पे, फिर उसके होंटो को चूमा। उसके होंठ क्या गुलाबी थे !

कम से कम बीस मिनट तक मैं उसके होंठ चूसता रहा !

फ़िर मैंने उसके स्तनों को ऊपर से दबाना शुरू किया, वो सिसकारी भरने लगी। मैंने उसके स्तनों की नोकों को उंगलियों में पकड़ के जोर से मसल दिया, वो चीखी- क्या कर रहे हो? प्यार से करो !

फ़िर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए, पहले शर्ट, फ़िर ब्रा खोल कर दोनों बूब्स को अपने हाथों में ले लिया और उनके साथ खेलने लगा, उसके चूचुक को प्यार प्यार से रगड़ने के बाद उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया, वो एकदम गरम हो गई थी। फिर मैंने अपने प्यारे इलाके (नाभि) पेट को चूसना शुरू किया। वो तड़प रही थी और मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी।

नाभि को चूसने के बाद मैंने उसके हिप्स को अपने हाथों में ले कर दबाना शुरू कर दिया और उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत देखी। क्या छोटी सी प्यारी चूत थी ! हल्के हल्के बाल थे ! मैंने एक ऊँगली उसकी चूत पर रखी तो वो पागल सी हो गई। मैंने धीरे से एक ऊँगली उसकी चूत के अंदर डाली, ऊँगली आराम से अंदर चली गई, शायद चूत गीली थी इसलिए, फिर मैंने दो उँगलियाँ डाली, फिर तीन ऊँगली एक साथ में डाल दी।

वो बोली- बस मत करो !

मैंने फिर दो ऊँगलियों से उसको चोदना शुरू किया, अब तक वो पूरी तरह तैयार हो गई थी।

फिर उसने बोला- अब डाल भी दो !

मैंने अपना लण्ड निकला और उस के। होंटों पे रखा, उस ने किस किया और एक बार में ही पूरा लण्ड मुंह के अंदर ले लिया, फिर निकाल के बोली- अब इसको डाल दो मेरी चूत में !

मैंने लौड़ा उसकी चूत पे रखा और धीरे से चूत को रगड़ने लगा, फिर एकदम एक ही झटके से उसकी चूत में डाल दिया अपना लौड़ा। उसकी गीली गर्म चूत में पहले थोड़ी सी परेशानी हुई फिर सारा का सारा लण्ड अंदर चला गया, उसने मुझे कस के पकड़ लिया।

मैंने भी धक्के मारना शुरू कर दिया, मैं धक्के मार रहा था और लण्ड अन्दर बाहर आ जा रहा था। कम से कम २० मिनट तक चोदने के बाद मेरा रस निकलने लगा। मैंने अपना लण्ड निकाल के उसके होंटों के बीच में घुसा दिया, वो चूसती रही और सारा रस पी गई।

दोस्तों यह थी मेरी कहानी !

अब सब भाई, आंटी, लड़की से प्रार्थना है कि आप अपने विचार मेल करें : Hindi Porn Stories

Antarvasna

ऑफिस का एक कमरा बतौर गेस्टAntarvasna -रूम इस्तेमाल होता था जिसमें बाहर से आने वाले कंपनी अधिकारी रहा करते थे। उधर रहने की सब सुविधाएँ उपलब्ध थीं। प्रगति, अमन का हाथ पकड़ कर, उसे गेस्ट-रूम की तरफ ले जानी लगी। कमरे में पहुँचते ही उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया और अमन के साथ लिपट गई।

उसकी जीभ अमन के मुँह को टटोलने लगी। प्रगति को जैसे कोई चंडी चढ़ गई थी। उसे तेज़ उन्माद चढ़ा हुआ था। उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारने शुरू किए और थोड़ी ही देर में नंगी हो गई। नंगी होने के बाद उसने अमन के पांव छुए और खड़ी हो कर अमन के कपड़े उतारने लगी। अमन हक्का बक्का सा रह गया था। सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।

वह मंत्र-मुग्ध सा खड़ा रहा। उसके भी सारे कपड़े उतर गए थे और वह पूरा नंगा हो गया था। प्रगति घुटनों के बल बैठ गई और अमन के लिंग को दोनों हाथों से प्रणाम किया। फिर बिना किसी चेतावनी के लिंग को अपने मुँह में ले लिया। हालाँकि अमन की शादी को 20 साल हो गए थे उसने कभी भी यह अनुभव नहीं किया था।

उसके बहुत आग्रह करने के बावजूद भी उसकी पत्नी ने उसे यह सुख नहीं दिया था। उसकी पत्नी को यह गन्दा लगता था। अर्थात, यह अमन के लिए पहला अनुभव था और वह एकदम उत्तेजित हो गया। उसका लिंग जल्दी ही विकाराल रूप धारण करने लगा।

प्रगति ने उसके लिंग को प्यार से चूसना शुरू किया और जीभ से उसके सिरे को सहलाने लगी। अभी 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे कि अमन अपने पर काबू नहीं रख पाया और अपना लिंग प्रगति के मुँह से बाहर खींच कर ज़ोरदार ढंग से स्खलित हो गया। उसका सारा काम-मधु प्रगति के स्तनों और पेट पर बरस गया। अमन अपनी जल्दबाजी से शर्मिंदा था और प्रगति को सॉरी कहते हुए बाथरूम चला गया।

प्रगति एक समझदार लड़की थी और आदमी की ताक़त और कमजोरी दोनों समझती थी। वह अमन के पीछे बाथरूम में गई और उसको हाथ पकड़ कर बाहर ले आई। अमन शर्मीला सा खड़ा था। प्रगति ने उसे बिस्तर पर बिठा कर धीरे से लिटा दिया। उसकी टांगें बिस्तर के किनारे से लटक रहीं थीं और लिंग मुरझाया हुआ था। प्रगति उसकी टांगों के बीच ज़मीन पर बैठ गई और एक बार फिर से उसके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मुरझाये लिंग को पूरी तरह मुँह में लेकर उसने जीभ से उसे मसलना शुरू किया।

अमन को बहुत मज़ा आ रहा था। प्रगति ने अपने मुँह से लिंग अन्दर बाहर करना शुरू किया और बीच बीच में रुक कर अपने थूक से उसे अच्छी तरह गीला करने लगी। अमन ख़ुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। उसके हाथ प्रगति के बालों को सहला रहे थे। धीरे धीरे उसके लिंग में फिर से जान आने लगी और वह बड़ा होने लगा। अब तक प्रगति ने पूरा लिंग अपने मुँह में रखा हुआ था पर जब वह बड़ा होने लगा तो मुँह के बाहर आने लगा। वह उठकर बिस्तर पर बैठ गई और झुक कर लिंग को चूसने लगी। उसके खुले बाल अमन के पेट और जांघों पर गिर रहे थे और उसे गुदगुदी कर रहे थे।

अब अमन का लिंग बिल्कुल तन गया था और उसकी चौड़ाई के कारण प्रगति के दांत उसके लिंग के साथ रगड़ खा रहे थे। अब तो अमन की झेंप भी जाती रही और उसने प्रगति को एक मिनट रुकने को कहा और बिस्तर के पास खड़ा हो गया। उसने प्रगति को अपने सामने घुटने के बल बैठने को कहा और अपना लिंग उसके मुँह में डाल दिया। अब उसने प्रगति के साथ मुख-मैथुन करना शुरू किया। अपने लिंग को उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा। शुरू में तो आधा लिंग ही अन्दर जा रहा था पर धीरे धीरे प्रगति अपने सिर का एंगल बदलते हुए उसका पूरा लिंग अन्दर लेने लगी। कभी कभी प्रगति को ऐसा लगता मानो लिंग उसके हलक से भी आगे जा रहा है।

अमन को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने अपने धक्के तेज़ कर दिए और मानो भूल गया कि वह प्रगति के मुँह से मैथुन कर रहा है। प्रगति को लिंग कि बड़ी साइज़ से थोड़ी तकलीफ तो हो रही थी पर उसने कुछ नहीं कहा और अपना मुँह जितना ज्यादा खोल सकती थी खोल कर अमन के आनंद में आनंद लेने लगी।
अमन अब दूसरी बार शिखर पर पहुँचने वाला हो रहा था, उसने प्रगति के सिर को पीछे से पकड़ लिया और जोर जोर से उसके मुँह को चोदने लगा। जब उसके लावे का उफान आने लगा उसने अपना लिंग बाहर निकालने की कोशिश की पर प्रगति ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और दोनों हाथों से अमन के चूतड पकड़ कर उसका लिंग अपने मुँह में जितना अन्दर कर सकती थी, कर लिया।

अमन इसके लिए तैयार नहीं था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह किसी लड़की के मुँह में अपने लावे का फव्वारा छोड़ पायेगा। इस ख़ुशी से मानो उसका लंड डेढ़ गुना और बड़ा हो गया और उसका क्लाइमेक्स एक भूकंप के बराबर आया। प्रगति का मुँह मक्खन से भर गया पर उसने बाहर नहीं आने दिया और पूरा पी गई।

अमन ने अपना लिंग प्रगति के मुँह से बाहर निकाला और झुक कर उसे ऊपर उठाया। प्रगति को कस कर आलिंगन में भर कर उसने उसका जोरदार चुम्बन लिया जिसमे कृतज्ञता भरी हुई थी। प्रगति के मुँह से उसके लावे की अजीब सी महक आ रही थी। दोनों ने देर तक एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ से गहराई से खोजबीन की और फिर थक कर लेट गए। अमन कई सालों से एक समय में दो बार स्खलित नहीं हुआ था। उसका लिंग दोबारा खड़ा ही नहीं होता था। उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

दिन के डेढ़ बज रहे थे। दोनों को घर जाने की जल्दी नहीं थी क्योंकि ऑफिस शाम 5 बजे तक का था और वैसे भी उन्हें ऑफिस में देर हो ही जाती थी। आमतौर पर वे 6-7 बजे ही निकल पाते थे। दोनों एक दूसरे की बाहों में लेट गए और न जाने कब सो गए।

करीब एक घंटा सोने के बाद अमन की आँख खुली तो उसने देखा प्रगति दोनों के टिफिन खोल कर खाना टेबल पर लगा रही थी। उसने अपने को तौलिये से ढक रखा था। अमन ने अपने ऑफिस की अलमारी से रम की बोतल और फ्रीज से कोक की बोतलें निकालीं और दोनों के लिए रम-कोक का ग्लास बनाया। प्रगति ने कभी शराब नहीं पी थी पर अमन के आग्रह पर उसने ले ली। पहला घूँट उसे कड़वा लगा पर फिर आदत हो गई। दोनों ने रम पी और घर से लाया खाना खाया। खाने के बाद दोनों फिर लेट गए।

अमन को अचानक ध्यान आया कि अब तक उसने प्रगति को ठीक से छुआ तक नहीं है। सारी पहल प्रगति ने ही की थी। उसने करवट बदलकर प्रगति की तरफ रुख़ किया और उसके सिर को सहलाने लगा।

प्रगति ने तौलिया लपेटा हुआ था। अमन ने तौलिये को हटाने के लिए प्रगति को करवट दिला दी जिस से अब वह उल्टी लेटी हुई थी। अमन ने उसके हाथ दोनों ओर फैला दिए और उसकी टांगें थोड़ी खोल दीं। अब अमन उसकी पीठ के दोनों तरफ टांगें कर के घुटनों के बल बैठ गया और पहली बार उसने प्रगति के शरीर को छुआ। उसके लिए किसी पराई स्त्री को छूने का यह पहला अनुभव था।

कुछ पाप बड़ा आनंद देते हैं। उसके हाथ प्रगति के पूरे शरीर पर फिरने लगे। प्रगति का स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था और उसकी पीठ और चूतड़ का दृश्य उसमें जोश पैदा कर रहा था।

प्रगति एक मलयाली लड़की थी जो नहाने के लिए साबुन का इस्तेमाल नहीं करती थी। उसे पारम्परिक मुल्तानी मिट्टी की आदत थी जिससे उसकी काया बहुत चिकनी और स्वस्थ थी। वह बालों में रोज़ नारियल तेल से मालिश करती थी जिस से उसके बाल काले और घने थे। इन मामलों में वह पुराने विचारों की थी।

उसके पुराने विचारों में अपने पति की आज्ञा मानना और उसकी इच्छा पूर्ति करना भी शामिल था। यही कारण था की इतने दिनों से वह अपने पति का अत्याचार सह रही थी। अमन प्रगति के शरीर को देख कर और छू कर बहुत खुश था। उसे उसके पति पर रश्क भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था कि ऐसी सुन्दर पत्नी को प्यार नहीं करता था।

अमन ने प्रगति के कन्धों और गर्दन को मलना और उनकी मालिश करना शुरू किया। कहीं कहीं गाठें थी तो उन्हें मसल कर निकालने लगा। जब हाथ सूखे लगने लगे तो बाथरूम से तेल ले आया और तेल से मालिश करने लगा। जब कंधे हो गए तो वह थोड़ा पीछे खिसक गया और पीठ पर मालिश करने लगा। जब वह मालिश के लिए ऊपर नीचे होता तो उसका लंड प्रगति की गांड से हलके से छू जाता।

प्रगति को यह स्पर्श गुदगुदाता और वह सिहर उठती और अमन को उत्तेजना होने लगती। थोड़ी देर बाद अमन और नीचे खिसक गया जिस से लंड और गांड का संपर्क तो टूट गया पर अब अमन के हाथ उसकी गांड की मालिश करने लगे। उसने दोनों चूतडों को अच्छे से तेल लगाकर मसला और मसाज करने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। प्रगति भी आनंद ले रही थी।

उसे किसी ने पहले ऐसे नहीं किया था। अमन के मर्दाने हाथों का दबाव उसे अच्छा लग रहा था। अमन अब उसकी जाँघों तक पहुँच गया था। अमन की उंगलियाँ उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को टटोलने लगी। प्रगति ने अपनी टांगें थोड़ी और खोल दीं और ख़ुशी से मंद मंद करहाने लगी। अमन ने हल्के से एक दो बार उसकी योनि को छू भर दिया और फिर उसके घुटनों और पिंडलियों को मसाज करने लगा।

प्रगति चाहती थी कि अमन योनि से हाथ न हटाये पर कसमसा कर रह गई। अमन भी उसे जानबूझ कर छेड़ रहा था। वह उसे अच्छी तरह उत्तेजित करना चाहता था। थोड़ी देर बाद प्रगति के पांव अपने गोदी में रख कर सहलाने लगा तो प्रगति एकदम उठ गई और अपने पांव सिकोड़ लिए। वह नहीं चाहती थी कि अमन उसके पांव दबाये। पर अमन ने उसे फिर से लिटा दिया और दोनों पांव के तलवों की अच्छी तरह से मालिश कर दी। प्रगति को बहुत आराम मिल रहा था और न जाने कितने वर्षों की थकावट दूर हो रही थी। अब प्रगति कृतज्ञता महसूस कर रही थी।

अमन ने प्रगति को सीधा होने को कहा और वह एक आज्ञाकारी दासी की तरह उलट कर सीधी हो गई। अमन ने पहली बार ध्यान से प्रगति के नंगे शरीर को सामने से देखा। जो उसने देखा उसे बहुत अच्छा लगा। उसके स्तन छोटे पर बहुत गठीले और गोलनुमा थे जिस से वह एक 16 साल की कमसिन लगती थी। चूचियां हलके कत्थई रंग की थी और स्तन पर तन कर मानो राज कर रही थी। अमन का मन हुआ वह उनको एकदम अपने मुँह में ले ले और चूसता रहे पर उसने धीरज से काम लिया।

हाथों में तेल लगा कर उसने प्रगति की भुजाओं की मालिश की और फिर उसके स्तनों पर मसाज करने लगा। यह अंदाज़ लगाना मुश्किल था कि किसको मज़ा ज्यादा आ रहा था। थोड़ी देर मज़े लेने के बाद अमन ने प्रगति के पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। उसके पतले पेट पर तेल का हाथ आसानी से फिसल रहा था। उसने नाभि में ऊँगली घुमा कर मसाज किया और फिर हौले हौले अमन के हाथ उसके मुख्य आकर्षण की तरफ बढ़ने लगे।

प्रगति ने पूर्वानुमान से अपनी टांगें और चौड़ी कर लीं। अमन ने हाथों में और तेल लगाकर प्रगति की योनि के इर्द गिर्द सहलाना शुरू किया। कुछ देर तक उसने जानबूझ कर योनि को नहीं छुआ। अब प्रगति को तड़पन होने लगी और वह कसमसाने लगी। अमन के हाथ नाभि से लेकर जांघों तक तो जाते पर योनि और उसके भग को नहीं छूते। थोड़ी देर तड़पाने के बाद जब अमन की उँगलियाँ पहली बार योनि की पलकों को लगीं तो प्रगति उन्माद से कूक गई और उसका पूरा शरीर एक बार लहर गया। मसाज से ही शायद उसका स्खलन हो गया था, क्योंकि उसकी योनि से एक दूधिया धार बह निकली थी।

अमन ने ज्यादा तडपाना ठीक ना समझते हुए उसकी योनि में ऊँगली से मसाज शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी भगनासा को सहलाने लगा। प्रगति की योनि मानो सम्भोग की भीख मांग रही थी और प्रगति की आँखें भी अमन से यही प्रार्थना कर रही थीं। उधर अमन का लिंग भी अंगडाई ले चुका था और धीरे धीरे अपने पूरे यौवन में आ रहा था।

अमन ने प्रगति को बताया कि वह सम्भोग नहीं कर सकता क्योंकि उसको पास कंडोम नहीं है और वह बिना कंडोम के प्रगति को जोखिम में नहीं डालना चाहता, इसलिए वह प्रगति को उँगलियों से ही संतुष्ट कर देगा। पर प्रगति ने अमन को बिना कंडोम के ही सम्भोग करने को कहा। उसने कहा- अगर कंडोम होता भी तो भी वह उसे इस्तेमाल नहीं करने देती। जबसे उसके बेटे की मौत हुई है उसे बच्चे की लालसा है और अगर बच्चा हो भी जाता है तो उसके घर में खुशियाँ आ जाएँगी। उसने भरोसा दिलाया कि वह कभी भी अमन को इस के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराएगी और ना ही कभी इसका हर्जाना मांगेगी।

उसने अमन को कहा कि अगर उसे प्रगति पर भरोसा है तो हमेशा बिना कंडोम के ही सम्भोग करेंगे। उसने यह भी कहा कि जितना सुख उसे आज मिला है उसे 14 साल की शादी में नहीं मिला और वह चाहती है कि यह सुख वह भविष्य में भी लेती रहे। उसने कहा कि शायद वह एक निम्न चरित्र की औरत जैसी लग रही होगी पर ऐसी है नहीं और उसके लिए किसी गैर-मर्द से साथ ऐसा करना पहली बार हुआ है।

अमन ने उसे समझाया कि कई बार जल्दबाजी में लिए हुए निर्णय बाद में पछतावे का कारण बन जाते हैं इस लिए अच्छे से सोच लो।

प्रगति ने कहा कि कोई भी औरत ऐसे निर्णय बिना सोचे समझे नहीं लेती। वह पूरे होशो-हवास में है और अपने निर्णय पर अडिग है और शर्मिंदा नहीं है।

अमन को प्रगति के इस निश्चय और आत्मविश्वास पर गर्व हुआ और उसने तेल से सनी हुई प्रगति को उठा कर सीने से लगा लिया। इस दौरान अमन का लिंग मुरझा गया था। प्रगति ने लिंग की तरफ देखते हुए अमन को आँखों ही आँखों में आश्वासन दिलाया कि वह उस लिंग में जान डाल देगी।
उसने अमन को लिटा दिया और उसके ऊपर हाथों और घुटनों के बल आ गई। पहले उसने अपने बालों की लटों से उसके मुरझाये लिंग पर लहरा कर गुदगुदी की और फिर अपने स्तनों से लंड को मसलने लगी। अपनी उभरी हुई चूचियों से उसने लंड को ऊपर से नीचे तक गुलगुली की। अमन का बेचारा लिंग इस तरह के लुभाने का आदि नहीं था और जल्दी ही मरे से अधमरा हो गया।

प्रगति ने अमन के लंड की नींव के चारों तरफ जीभ फिराना शुरू किया और उसकी छड़ चाटने लगी। एक एक करके उसने दोनों अण्डों को मुँह में लेकर चूस लिया। अपनी गीली जीभ को लंड के सुपारे पर घुमाने लगी और फिर उसके अधमरे लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी। इस बार चूसते वक़्त वह लंड को निगलने की कोशिश कर रही थी और हाथों से उसके अण्डों को गुदगुदा रही थी। अमन को इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। उसका लंड एक बार फिर अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हो गया।

उसके पूरे तरह से तने हुए लंड को प्रगति ने एक बार और पुच्ची दी और अमन को बिना बताये उसके लंड पर अपनी योनि रखकर बैठ गई। अमन का मुश्तंड लंड उसकी गीली चूत में आसानी से घुस गया। प्रगति ने अपने कूल्हों को गोल गोल घुमा कर अमन के लंड की चक्की चलाई और फिर ऊपर नीचे हो कर मैथुन के मज़े लूटने लगी।

अमन भी अपनी गांड ऊपर उछाल उछाल कर प्रगति के धक्कों का जवाब देने लगा। प्रगति के स्तन मस्ती में उछल रहे थे और उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी। थोड़ी देर इस तरह करने के बाद अमन ने प्रगति को अपनी तरफ खींच कर आलिंगनबद्ध कर लिया और उसे पकड़े हुए और बिना लंड बाहर निकाले हुए पलट गया।

अब अमन ऊपर था प्रगति नीचे और चुदाई लगातार चल रही थी। प्रगति उसके प्रहारों का जमकर जवाब दे रही थी और अपनी तरफ से अमन के लंड को पूरी तरह अन्दर लेने में सहायता कर रही थी। दोनों बहुत मस्त थे। यकायक प्रगति के मुँह से आवाजें आने लगीं- .. ऊऊह आः हाँ हाँ .. और ज़ोर से… हाँ हाँ .. चलते रहो… और .. और… मुझे मार डालो… मेरे मम्मे नोंचो… ऊऔउई…’

अमन यह सुन कर और उत्तेजित हो कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। चार पांच छोटे धक्कों के बाद लंड पूरा बाहर निकाल कर पेलने लगा। जब वह ऐसा करता तो प्रगति ख़ुशी से चिल्लाती ‘ हाँ ऐसे… और करो…और करो .. ‘

अमन का स्खलन आम तौर पर 4-5 मिनटों में हो जाया करता था पर आज चूंकि यह उसका तीसरा वार था और उसे प्रगति जैसी लड़की का सुख प्राप्त हो रहा था, उसका लंड मानो चरमोत्कर्ष तक पहुंचना ही नहीं चाहता था। यह जान कर अमन को अपने मर्दानगी पर नया गर्व हो रहा था और वह दुगने जोश से चोद रहा था।

उसने प्रगति को अपने हाथों और घुटनों पर हो जाने को कहा और फिर पीछे से उसकी चूत में प्रवेश करके चोदने लगा। उसके हाथ प्रगति के मम्मों को गूंथ रहे थे। अब हर बार उसका लंड पूरा बाहर आता और फिर एक ही झटके में पूरा अन्दर चला जाता। अमन ने एक ऊँगली प्रगति की योनि-मटर के आस पास घुमानी शुरू की तो प्रगति एक गेंद की तरह ऊपर नीचे फुदकने लगी। उस से इतना सारा मज़ा नहीं सहा जा रहा था।

उसकी उन्माद में ऊपर नीचे होने की गति बढ़ने लगी तो अचानक लंड फिसल कर बाहर आ गया। इस से पहले कि अमन लंड को फिर से अन्दर डालता प्रगति ने करवट लेकर उसको अपने मुँह में ले लिया और अपने थूक से अच्छे से गीला कर दिया। और फिर अपनी चूत लंड की सीध में करके चुदने के लिए तैयार हो गई। अमन ने प्रगति को फिर से पीठ के बल लेटने को कहा और आसानी से गीले लंड को फिच से अन्दर डाल दिया।

प्रगति आराम से लेट गई और अमन भी उसके ऊपर पूरा लेट गया। लंड पूरा अन्दर था और अमन का वज़न थोड़ा प्रगति के बदन पर और थोड़ा अपनी कोहनियों पर था। अमन के सीने के नीचे प्रगति के सख्त बोबे पिचक रहे थे और तनी हुई चूचियां अमन को छेड़ रहीं थीं। रह रह कर अमन अपने कूल्हे ऊपर उठा कर अपने लंड को अन्दर बाहर करता रहता पर ज्यादातर बस प्रगति पर लेटा रहता। वह बस इतनी ही हरकत कर रहा था जिस से उसका लंड शिथिल ना हो। उसने प्रगति से पूछा कि वह ठीक है या उसे तकलीफ हो रही है? जवाब मैं प्रगति ने ऊपर हो कर उसके होटों पर पुच्ची दे दी।

अमन अब बहुत आराम से सम्भोग का मज़ा ले रहा था। उसने प्रगति की भुजाओं को पूरा फैला दिया था और उसकी टांगों को जोड़ दिया था जिस से उसके लंड को योनि ने और कस लिया। जब अमन मैथुन का धक्का मरता तो उसे तंग और कसी हुई योनि मिलती।
अमन को ऐसा लग रहा था मानो वह किसी कुंवारी बाला का पहला प्यार हो। उधर प्रगति को टांगें बंद करने से अमन का लंड और भी मोटा लगने लगा था। दोनों के मज़े बढ़ गए थे। कुछ देर इसी तरह मगरमच्छ की तरह मैथुन करने के बाद अमन ने प्रगति कि टांगें एक बार फिर खोल दीं और नीचे खिसक कर उसकी योनि मटर पर जीभ फेरने लगा।

प्रगति को मानो करंट लग गया.वह उछल गई। अमन ने उसके मटर को खूब चखा। प्रगति की चूत में पानी आने लगा और वह आपे से बाहर होने लगी। यह देखकर अमन फिर पूरे जोश के साथ चोदने लगा। पांच-छः छोटे धक्के और दो लम्बे धक्कों का सिलसिला शुरू किया।

एक ऊँगली उसने प्रगति की गांड में घुसा दी एक अंगूठा मटर पर जमा दिया। अमन को यह अच्छा लग रहा था कि उसे स्खलन का संकेत अभी भी नहीं मिला था। उसे एक नई जवानी का आभास होने लगा। इस अनुभूति के लिए वह प्रगति का आभार मान रहा था। उसी ने उसमें यह जादू भर दिया था। वह बेधड़क उसकी चुदाई कर रहा था।

प्रगति अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रही थी। उसका बदन अपने आप डोले ले रहा था उसकी आँखें लाल डोरे दिखा रही थी, साँसें तेज़ हो रहीं थीं। स्तन उफ़न रहे थे और चूचियां नई ऊँचाइयाँ छू रहीं थीं। उसकी किलकारियां और सिसकियाँ एक साथ निकल रहीं थीं। प्रगति ने अमन को कस के पकड़ लिया और उसके नाखून अमन कि पीठ में घुस रहे थे।

वह ज़ोर से चिल्लाई और एक ऊंचा धक्का दे कर अमन से लिपट गई और उसके लंड को चोदने से रोक दिया। उसका शरीर मरोड़ ले रहा था और उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। थोड़ी देर में वह निढाल हो गई और बिस्तर पर गिर गई।

अमन ने अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की तो प्रगति ने उसे रोक दिया, बोली कि थोड़ी देर रुक जाओ। मैं तो स्वर्ग पा चुकी हूँ पर तुम्हें पूरा आनंद लिए बिना नहीं जाने दूँगी। तुमने मेरे लिए इतना किया तो मैं भी तुम्हें क्लाइमेक्स तक देखना चाहती हूँ। अमन ने थोड़ी देर इंतज़ार किया।

जब प्रगति की योनि थोड़ी शांत हो गई तो उसने फिर से चोदना शुरू किया। उसका लंड थोड़ा आराम करने से शिथिल हो गया था तो अमन ने ऊपर सरक कर अपना लंड प्रगति के मम्मों के बीच में रख कर रगड़ना शुरू किया। कुछ देर बाद प्रगति ने अमन को अपने तरफ खींच कर उसका लंड लेटे लेटे अपने मुँह में ले लिया और जीभ से उसे सहलाने लगी।

बस फिर क्या था। वह फिर से जोश में आने लगा और देखते ही देखते अपना विकराल रूप धारण कर लिया। अमन ने मुँह से निकाल कर नीचे खिसकते हुए अपना लंड एक बार फिर प्रगति की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा।
उसकी गति धीरे धीरे तेज़ होने लगी और वार भी पूरा लम्बा होने लगा। प्रगति भी साथ दे रही थी और बीच बीच में अपनी टांगें जोड़ कर चूत तंग कर लेती थी। अमन ने अपने शरीर को प्रगति के सिर की तरफ थोड़ा बढ़ा लिया जिससे उसका लंड घर्षण के दौरान प्रगति के मटर के साथ रगड़ रहा था। यह प्रगति के लिए एक नया और मजेदार अनुभव था।

उसने अपना सहयोग और बढ़ाया और गांड को ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी। अब अमन को उन्माद आने लगा और वह नियंत्रण खोने लगा। उसके मुँह से अचानक गालियाँ निकलनी लगीं,’ साली अब बोल कैसा लग रहा है?… आआअह्ह्ह्हाअ अब कभी किसी और से मराएगी तो तेरी गांड मार दूंगा… आह्हा कैसी अच्छी चूत है !!… मज़ा आ गया… साली गांड भी मराती है क्या?… मुझसे मरवाएगी तो तुझे पता चलेगा… ऊओह .’

कहते हैं जब इंसान चरमोत्कर्ष को पाता है तो जानवर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल अमन का हो रहा था। वह एक भद्र अफसर से अनपढ़ जानवर हो गया था। थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के प्रगति के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य प्रगति की योनि में पिचकारी मार रहा था। अमन क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी योनि को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति प्रगति के ऊपर पड़ गया।

अमन ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर प्रगति भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। अमन ने प्रगति को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। प्रगति भी पास में बैठ गई और उसने अमन के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।

अमन ने कहा- और मत चूमो नहीं तो तुम्हें ही मुश्किल होगी।

प्रगति बोली कि ऐसी मुश्किलें तो वह रोज झेलना चाहती है। यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसा मानो उसकी आखिरी बूँद निकाल रही हो। उसने लंड को चाट कर साफ़ कर दिया और फिर खड़ी हो गई।

घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे। प्रगति अमन को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। अमन के लिंग को पुच्ची करते हुए उसने अमन को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये।

अमन ने उसी अंदाज़ में प्रगति की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये। प्रगति ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना? अमन ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?

प्रगति ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।

अमन ने कहा कि अगर तुम्हे आपत्ति न हो तो मैं तुम्हें सिखाऊंगा। प्रगति राजी राजी मान गई। अमन ने अगले शुक्रवार के लिए तैयार हो कर आने को कहा और फिर दोनों अपने अपने घर चले गए।

अगर आप जानना चाहते हैं कि अगले शुक्रवार को क्या हुआ तो मुझे ज़रूर लिखें।
आपके विचार मुझे भेजिए ! Antarvasna

Sex Stories

मैं अन्तर्वासना का Sex Stories नियमित पाठक हूँ। यहाँ कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे भी अपनी सेक्स अनुभव के बारे में आपको बताना चाहिए, जिसे पढ़ते हुए लड़के बार-बार मुठ मारने लगेंगे और लड़कियाँ, भाभियाँ और आन्टियाँ लण्ड की तलाश करने लग जाएँगी।

दोस्तो, मैंने कई कहानियाँ पढ़ी हैं। और सबको मेल भी किया वो सारी कहानियाँ बनावटी हैं। कोई भी आदमी इतनी आसानी से सेक्स के लिये औरतो को तैयार नहीं कर सकता, और किसी भी औरत को इतनी भूखी नहीं होती जितना वो अपनी कहानी में आपको बताते हैं। अगर है तो वो सब मेल का जवाब जरुर देती।

यह सब छोड़ो! हम आते हैं अपनी बात पर! हम कहानी पर आते हैं।

सबसे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ, मैं 24 साल का हूँ, कद 5″7′ है और मैं एक सामान्य सा दिखने वाला लड़का हूँ। मैं वाराणसी (चौक) से हूँ।

बात करीब दो साल पहले की है, मेरे भैया की शादी थी, सारे रिश्तेदार, नातेदार सब आए हुए थे, उन सबमें मेरे गांव के चाचा की लड़कियाँ भी आई थी। उनमें से एक थी साधना। उसकी फ़िगर दोस्तो समझ लीजिये कयामत थी। स्वर्ग से उतरी अप्सरा जैसी तो नहीं थी, पर उससे कम भी नहीं थी।

मेरे खानदान में सब मेरी बहुत इज्जत करते हैं। वो लड़की भी मेरी बहुत इज्जत करती थी। शादी में दो दिन रह गये थे। मैं तो उसे देखकर पागल तो हो ही रहा था, सो मैंने उसे प्यार का इजहार करने का सोचा, मेरी गांड तो बहुत फट रही थी, लेकिन मैंने आखिर में हिम्मत जुटा ही ली। उस वक्त घर में कोई नहीं था, तो मैंने उससे चाय बनाने के लिये बोल दिया। थोड़ी देर में वो चाय बना कर लाई तो मैंने उससे उसकी चाय के बारे में पूछा तो उसने कहा कि मैंने अपनी चाय नहीं बनाई है।

तो मैंने उसे जबर्दस्ती कप मंगाकर चाय दी और उसे अपने पास बैठने को कहा। चाय पीते पीते मैंने उससे अचानक पूछा कि क्या मैं उसे अच्छा लगता हूँ?
तो उसने हाँ में जवाब दिया।

बस मैंने तपाक से अपने दिल कि बात कह डाली और अपनी आंखें बन्द कर ली।
उसने मुझसे कहा,”जान यह सुनने के लिये मैं कब से बेकरार थी, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।”

बस फ़िर क्या! मैंने अपना होंठ उसके होठों पर चिपका दिए और उसके गुलाबी होठों का रसपान करने लगा, वो भी मेरे होठों को पीने लगी जैसे कई जन्मों की प्यासी हो। मैं उसके कभी ऊपर के होठों को चूसता तो कभी नीचे के होठों को। करीब-2 दस मिनट तक मैं उसके होठों में चिपका रहा। जैसे ही मैं उसके होठों से दूर हुआ, वो रोने लगी। मैंने उसे बाहों में ले लिया और पीठ सहलाने लगा …

फ़िर धीरे-धीरे वो भी गर्म होने लगी, उसको छूते ही मेरा सामान एक्शन में आ गया। बस फ़िर मैंने उसके गले में किस करना शुरू कर दिया।

इस पर उसने कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ मत कहो, बस करने दो, बहुत दिनों से तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूँ.

वो शरमा गई … और अपने चेहरे को दोनों हाथों से छिपा लिया। मैंने मौका देखा और … और … धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, नाड़ा खोलते ही उसकी सलवार उसकी कमर से अलग हो गई। अब मैंने उसकी नंगी जांघ पर हाथ रख दिया। उसकी पैन्टी के भीतर मेरा हाथ चूत की तरफ़ सरकने लगा। उसके बदन की झुरझुरी मुझे महसूस होने लगी। मेरा हाथ उसकी झांटों तक पहुंच गया था। उसने झट से अपने हाथ से मेरा हाथ थाम लिया।

“कमल … ना … ना … कर … मैं मर जाऊंगी … ” उसकी वासना भरी आंखे मुझे बुला रही थी … पर शरम उसका रास्ता रोक रही थी।
“साधना … प्लीज़ … मत रोको … तुम्हारा जिस्म आग है … मुझे जल जाने दो।”
“हाय कमल … नहीं … यह पाप है.”
“नहीं … यह तो मर्द और औरत की जरुरत है … इसे देखो तो … यह क्या मांग रहा है … ”

मैंने जान करके अपने पेंट की ज़िप खोल कर अपना बेकरार तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकाल कर उसे दिखाया।
“हाय रे … ऐसे नहीं करो … ना … इसे सम्हालो … ” उसने हाथ बढ़ा कर उसे प्यार से पकड़ लिया.
“इसे इसका साथी चाहिये … साधना … प्लीज़ … मिला दो ना …”
“कमलऽऽऽ हाय … मत करो न …” उसने मुझे अपने हाथों खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया.
“होंठों पर ना है … पर दिल में हां है … तुम्हारा जिस्म आग हो रहा है … कपड़े जल जायेंगे … हटा दो इनको … ”

मैंने फिर से उठ कर उसका पैन्टी नीचे खींच लिया। उसकी गदराई जवानी निखर आई। उसकी चूत के आसपास की झांटे उसकी चूत को सजा रही थी … चूत की दोनों पन्खुड़ियाँ फ़ड़फ़ड़ा रही थी। पानी से पूरी गीली थी। मैंने भी अपनी पैन्ट और अन्डरवीयर उतार दी। अब मैंने उसकी समीज को भी उतार दिया। उसके दोनों बोबे छलक उठे … एकदम गोरे और भारी से … भूरे रंग के कड़े चूचक …

मैंने बिना किसी संकोच के उसके दोनों बोबे अपने हाथो में भर लिये।
“कमल … हाय रे …” वो तड़प उठी।

उसने मेरा लण्ड खींच के अपने हाथ से मेरे लन्ड का हस्त मैथुन करने लगी। मैं उत्तेजित हो उठा और साधना के हाथ को ही धक्के मार मार कर चोदने लगा। मेरा सुपाड़ा वो कस कस कर हिला रही थी। सुपाड़ा भी और फूल कर चिकना हो कर चमक उठा था।

इतने में साधना ने मेरा लण्ड छोड़ा और मुझे कहा,” कमल … देख आज मेरी चूत कितना तड़प रही है … मेरी चूत चोद दे …”
मैं उसकी चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा और अपनी दो उन्गली झट से उसकी चिकनी चूत में सरका दी, वो मचल गई और स्स्स्स्स की आवाजें निकालने लगी।

मुझसे भी ज्यादा इन्तजार नहीं हो रहा था, मैने उसे अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया। मैं उसकी चूचियों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा। उसके बाद हम फिर एक बार एक दूसरे के होठों में खो गये।

करीब 15 मिनट के बाद मैं उसके होठों से अलग हुआ और उसे नीचे लिटाकर मैंने उसकी टान्गें फैला दी, और उसकी चूत को अपने हाथों से फैला कर निरीक्षण करने लगा, मैं अपनी किस्मत पर बहुत खुश हो रहा था, मैंने अब देरी नहीं की और अपना 7.5″ लम्बा और 2.5″ चौडे लन्ड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर टिका दिया और अन्दर सरका दिया।

साधना तो चीख पड़ी और बोली,”बस कमल अब निकालो इसे, नहीं तो मैं मर जाउंगी।

पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने कस कर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में समा गया। साधना दर्द के मारे तड़प रही थी, मैंने उसका दर्द कम करने के लिये थोड़ी देर उसकी चूत में ही लन्ड को छोड़ दिया, जब उसने चिल्लाना बन्द किया तो मैंने अपना लन्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।

क्या मजा आ रहा था, आ…ह आआआआ… हुम्म हुम्म्म्म, फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च,
अब उसे भी मजा आने लगा था, और गान्ड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी।

आखिर वो घड़ी आ ही गई, मेरा पूरा शरीर एक अद्भुत आनन्द में खो गया, और मैं शाट पे शाट दिये जा रहा था, फिर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई हो और मेरे लन्ड में से कुछ निकलता हुआ महसूस हुआ, जो उसकी चूत में गिर रहा था। थोड़ी देर बाद मैं निढाल हो कर उसके ऊपर गिर गया, जैसे शरीर में जान ही खत्म हो गई हो।

थोड़ी देर में हम लोगों को होश आया तो हम लोग उठे और अपने अपने कपड़े पहने।

फिर उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और मुझे चूम लिया और बाथरूम में चली गई, जब वो आई तो मैंने उसे एक बार फिर चोदा, और इससे पहले कि कोई आ जाये, हम लोग अलग अलग कमरे में जा कर लेट गये।

उस रात मैं सोया नहीं और रात भर अपनी चुदाई के बारे में सोचता रहा। खैर उसके बाद भैया की शादी हो गई, और साधना भी अपने घर चली गई। उसके बाद हम कभी मिल नहीं पाये। और आज साधना की शादी हो चुकी है।

खैर आप लोगों को ये मेरी सच्ची घटना कैसी लगी, कमेंट्स में जरूर बताइयेगा। Sex Stories

Hindi Porn Stories

मेरे प्यारे दोस्तो!इस कहानी को पढ़ने वाली लड़कियों, भाभियों Hindi Porn Stories और आंटियों को मेरा प्यार!मेरे बचपन के दोस्त राहुल की शादी को तीन महीने ही हुए थे। उसकी पत्नी का नाम पूनम है। उसकी शादि चूंकि पूनम के परिवार वालों ने हमारे शहर में आकर की थी तो उनकी देखरेख का काम मैंने ही किया था। इसी कारण पूनम भी मुझे पहचानने लगी थी। जब मैंने उसे पहली बार देखा तो मैं मन ही मन सोचने लगा कि बेटा राहुल तेरी तो किस्मत ही खुल गई क्योंकि पूनम बहुत सुन्दर है, 5’4″, लम्बे बाल, गुलाबी होंट, आंखें बड़ी बड़ी और नशीली और आवाज कोयल की तरह है। पूनम और राहुलदोनों एम एस सी पढ़े हैं।

अब मैं राहुल के घर कम ही जाने लगा और राहुल इस बात की शिकायत भी करता कि मैं उसके घर नहीं आता। तो मैंने एक दिन कहा कि मैं आने लगूंगा तो भाभी मन ही मन कहेंगी कि अमन जब देखो यहीं पड़ा रहता है। यह बात सुन कर वो नाराज़ हो गया और कहने लगा कि अमन तू ऐसी बात करता है और पूनम कहती है कि अमन जी आते ही नहीं हैं, क्या अमन जी मुझसे नाराज़ हैं। यह बात सुनकर मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैंने राहुलसे कल आने का वायदा किया, वैसे तो हमारे घर पास पास ही हैं।

अगले दिन मैं उसके घर गया तो मुझे पूनम भाभी मिली, वो रसोई में नाश्ता बना रही थी। मैंने भाभी को हेलो बोला और राहुलके बारे में पूछा।

पूनम मुझे देख कर काफ़ी प्रसन्न हुई और बोली- अमन जी! आज आप कैसे सुबह सुबह आ गए! चलो आए हो तो अपने दोस्त से ही मिलने आए होंगे।

मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं, बस काफ़ी दिनों से कुछ ज्यादा काम आ गया था, इसलिए नहीं आया।

पूनम बोली- राहुलबाज़ार गए हैं, आज शाम को उन्हें ओफ़िस के काम से इन्दौर जाना है, इसलिए घर का सामान लेने गए हैं। आप बैठिए, मैं नाश्ता लाती हूँ।

मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं नाश्ता नहीं करूंगा।
तो पूनम बोली- अमन जी! एक बार नाश्ता कर के देखें कि मैं कैसा नाश्ता बनाती हूँ।
तो मैं पूनम भाभी को मना नहीं कर पाया। फ़िर भाभी ने पूछा- आप चाय लेंगे या जूस?
तो मैंने कहा- भाभी, मैं तो सुबह चाय ही लेता हूँ।

भाभी दो कप चाय ले आई और हम साथ साथ ही नाश्ता करने लगे। मैंने पूनम की ओर देखा, वो काले रंग के गाऊन में थी। पूनम के दूध के समान गोरे रंग पर काला गाऊन काफ़ी जच रहा था। शायद पूनम ने ब्रा नहीं पहनी थी फ़िर भी उसकी छाती काफ़ी आगे को उभरी हुई थी। उसे देख कर मेरे मन में अजीब सी हरकत होने लगी लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जो पूनम को बुरा लगे।

थोड़ी देर बाद राहुलभी आ गया और मुझे देख कर बहुत प्रसन्न हुआ, बोला- अच्छा हुआ अमन तुम मुझे यहाँ पर ही मिल गए।

मैंने पूछा- कुछ काम था क्या?

राहुलबोला कि मैं एक सप्ताह के लिए इंदौर जा रहा हूँ और तुम्हारी भाभी को बाज़ार से कुछ सामान की आवश्यकता थी इसलिए तुम और पूनम बाज़ार से सामान ले आना।
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो।

फ़िर अगले दिन पूनम का फ़ोन आ गया कि अमन जी आज हम बाज़ार चलें अगर आप को कोई और काम ना हो तो।

मैंने पूनम को शाम पांच बजे का समय दिया और शाम को जब मैं भाभी के घर गया तो वो बाज़ार जाने के लिए तैयार थी। आज भाभी ने सफ़ेद कमीज़ और काले रंग की जींस पहन रखी थी और आज भी काफ़ी सुन्दर दिख रही थी। मैंने भाभी को बताया कि मैं कार ले कर आया हूँ तो भाभी ने कहा कि बाज़ार में कार बहुत तंग करती है इसलिए आओ अपनी बाईक ले लो। फ़िर मैं बाइक ले आया और वो बाईक पर लड़कों की तरह बैठी। ब्रेक लगने पर भाभी की चूची मेरी कमर से लग जाती। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि कम से कम भाभी और मैं आपस में स्पर्श तो हुए।

खरीदारी के बाद मैंने भाभी से पूछा कि आप क्या खाएंगी तो वो बोली कि कुछ भी जो आप खाएं। हमने एक होटल में जाकर कुछ खाया पिया और घर की ओर चल दिए। शाम के साढ़े सात से ज्यादा बज गए थे तो भाभी को घर छोड़ कर मैं बोला- भाभी मैं चलता हूँ।

भाभी बोली-मैं चाय ला रही हूँ, काफ़ी थक चुके हैं! फ़िर मैंने और भाभी ने चाय पी और थोड़ी देर बाद मैं अपने घर आ गया।

आज भाभी के साथ रहने से हम दोनों काफ़ी खुल गए थे और मजाक भी कर लेते थे। अगले दिन रविवार होने के कारण मैं पूनम के घर गया तो भाभी एक किताब पढ़ रही थी। मुझे देख कर बोली- अच्छा हुआ अमन जी आप आ गए, मैं बहुत बोर हो रही हूं। अगर आप कहें तो कोई मूवी देखने चलें?

मैंने हाँ कर दी तो भाभी बोली- मैं तैयार हो कर आती हूँ।

जब भाभी आई तो मैं देखता ही रह गया क्योंकि भाभी लाल रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ में थी। मैं भाभी को देखता ही रहा तो वो बोली- अमन जी क्या हुआ! कहाँ खो गए?

मैंने तुरन्त कहा- भाभी जी! आपको देख कर खो गया हूँ, आप बहुत सुन्दर लग रही हैं। तो भाभी हंसने लगी। फ़िर हम दोनों माल आ गए और मूवी देखने लगे। अच्छी मूवी थी। जैसे ही हम माल से बाहर निकले तो मेरे एक अच्छे मित्र ने मुझे देखा और पुकारा- अमन!

मैंने देखा तो वो रमण था। मैं रुका और रमण और उसकी पत्नी से मिला और पूनम से मिलवाते हुए कहा- यह पूनम है…

मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि रमण बोल पड़ा- भाभी जी नमस्ते! और मुझसे बोला- यार! शादी भी कर ली और बताया भी नहीं!

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं…!

लेकिन मेरी बात काट कर रमण बोला- भाभी चलो, हमारे घर चलते हैं, तो मैंने मना किया और कहा कि बाद में आऊँगा। पर रमण ने कहा कि नहीं आज ही!

तो हम रमण के घर चल दिए। घर आकर रमण ने कहा- यार! शादी में क्यों नहीं बुलाया? इससे पहले कि मैं कुछ कहता। पूनम बोल पड़ी- रमण जी! हमारी लव मैरिज़ है और अचानक ही हो गई, इसी कारण किसी को भी नहीं बुला पाए। रमन और उसकी बीवी ने हमें खाना खाने के बाद ही आने दिया। अब रात भी हो चुकी थी। हम घर के लिए निकले और मैंने कहा- भाभी जी! आपने ऐसा क्यों कहा?

तो भाभी बोली- आपको बुरा लगा क्या?
मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं!
तो वो बोली- फ़िर क्या बात है?
मैंने कहा- भाभी! हमारी ऐसी किस्मत कहाँ कि आप हमारी पत्नी बनें!
भाभी बोली- पत्नी नहीं पर भाभी तो हूं!
मैंने कहा- हाँ! यह तो है!

फ़िर हम घर आ गए और मैंने कहा कि भाभी रात के ग्यारह बज गए, मैं चलता हूँ।

भाभी ने कहा- रुको! ज़रा मैं कपड़े बदल लूँ! और भाभी काले रंग का गाऊन पहन कर मेरे पास बैठ गई और बोली- अमन जी, शादी कब करोगे?

मैंने कहा- जब आप जैसी कोई मिल जाएगी तो कर लूंगा, आज मिले तो आज ही कर लूंगा।
पूनम ने कहा- अगर मैं ही मिल जाऊँ तो?
भाभी की इस बात को सुन कर मैं दंग रह गया और कुछ बोल नहीं पाया।

भाभी बोली- अमन जी! क्या हुआ, सांप सूंघ गया क्या?
मैंने कहा- नहीं भाभी पर मैं समझ नहीं पाया कि आपने क्या कहा।
तो पूनम ने कहा- मैं आप से प्यार करती हूँ।
मैंने कहा- सिद्धार्थ?

भाभी ने कहा- राहुलको कुछ पता नहीं चलेगा। इतना कह कर भाभी मेरे पास लेट गई और मुझे किस किया। मैंए भी उसे पसन्द करता था इसलिए मैं भी विरोध ना कर सका।

फ़िर भाभी बोली- अमन, अगर आपको मैं पसन्द नहीं तो रहने दो।
मैंने कहा- नहीं भाभी! ऐसी कोई बात नहीं, आप मुझे अच्छी लगती हो।
पूनम ने कहा- तो मुझे पूनम नाम से पुकारो!

मैंने कहा- पूनम! मैं तुमसे प्यार करता हूँ और मैंने पूनम को उसके लाल रंग के होटों पर किस किया और फ़िर तो मैं और पूनम एक दूसरे के मुँह में जीभ देने लगे। आधे घण्टे इस तरह एक दूसरे के साथ चिपके रहे। तब पूनम ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मैंने भी पूनम के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।

पूनम बोली- अमन, आज तुम्हारी मेरे साथ पहली सुहागरात है, अभी रुको, आज हम सुहागरात मनाएंगे, मैं तैयार होती हूँ।, तुम एक अच्छी सी नग्न फ़िल्म लगाओ।

मैंने एक ब्लू फ़िल्म लगा दी और देखता रहा। काफ़ी देर बाद पूनम आई तो उन्हीं कपड़ों में थी जो उसने अपनी शादी के दिन पहने थे और काफ़ी सुन्दर दिख रही थी। आते ही मैंने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और किस करने लगा। मैं कुछ जल्दी कर रहा था तो पूनम ने कहा- जल्दी ना करो, पूरी रात बाकी है।

मैं पूनम की चूची जोर जोर से दबाने लगा तो पूनम गर्म हो गई। मैंने एक एक कर के पूनम के सारे गहनें उतार दिए और फ़िर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया। फ़िर जब लहंगा भी उतार दिया तो पूनम के शरीर पर केवल ब्रा और पेंटी ही बची थी। उसकी आंखें बंद थी और वो गर्म सांसें छोड़ रही थी। मैं पूनम के शरीर के सब हिस्सों पर किस करने लगा और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को भी फ़ाड़ के उसके शरीर से अलग कर दिया। जैसे ही मैंने उसकी पेंटी को हाथ लगाया तो वो गीली थी।

मैंने पूनम से कहा- पूनम! तुम तो झड़ चुकी हो।
उसने कहा- हाँ!

लेकिन मैं तो अब भी पागल हो रहा था, शायद मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सच है। मैंने पूनम के शरीर से पेंटी अलग कर दी और उसकी पेंटी अपने लण्ड से रगड़ने लगा तो पूनम ने कहा- इसे छोड़ो, मैं हूँ ना!

उसके बाद पूनम ने मेरे लण्ड को पहला स्पर्श किया तो लण्ड पहले से भी ज्यादा गर्म और कड़क हो गया। वो मेरे लण्ड को आगे पीछे कर रही थी और मैं उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। पूनम के मुँह से सी सी की आवाज़ें आने लगी और वो अपने चूतड़ ऊपर करने लगी।

फ़िर पूनम ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया तो ऐसा लगा कि मैं उसके मुँह में झड़ जाऊँगा।

मैंने पूनम से पूछा- पूनम, तुमने राहुलसे पहले किसी के साथ यह काम किया है?
तो उसने कहा- पहले मुझे पता ही नहीं था कि इसमें इतना मजा आता है।
मैंने कहा- तुम्हें राहुलके साथ मजा नहीं आता क्या?

तो पूनम ने कहा- आता है! लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे ही बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। अगर मैं तुमसे प्यार ना करती तो क्या मैं ऐसे सुहागरात मनाती।

यह सुन कर मुझे अच्छा लगा और मैंने पूनम के मुंह में अपनी जीभ दे दी। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पास कन्डोम होगा? तो पूनम ने कहा- कंडोम की जरूरत नहीं है।

फ़िर मैंने पूनम की चूत पर अपना लण्ड रख कर अन्दर किया तो आधा उसकी चूत में चला गया। एक और झटके में मैंने पूरा का पूरा लण्ड पूनम की चूत में डाल दियाऔर जोर जोर से झटके मारने लगा तो पूनम को भी मजा आने लगा। दस बारह झटकों में मैं झड़ गया और पूनम भी झड़ गयी और उसकी चूत में अपना वीर्य डाल दिया।

पूनम ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया तो मेरा लण्ड पाँच मिनट में ही पहले की तरह खड़ा हो गया। फ़िर मैंने पूनम को घोड़ी बना कर चोदा। इस प्रकार हम सुबह के चार बजे तक चुदाई करते रहे और हमें कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

सुबह साढ़े पाँच बजे घर पर बैल बजी तो पूनम ने अपना गाऊन पहना और गेट पर जाकर आई तो मैंने पूछा कि कौन था?

उसने कहा- दूध वाला था। अमन! तुम चाय लोगे?

तो मैंने हाँ कर दी। पूनम चाय ले कर आई तो मैं नंगा ही लेटा था। मैंने पूनम को अपने पास खींच लिया तो उसने कहा कि अब भी कोई कमी रह गई है क्या!

मैंने कहा- हाँ! और उस कमी को पूरा करना है।

तो पूनम ने कहा- सुबह हो चुकी है, अमन अब रहने दो!

लेकिन मेरे लण्ड को तो गर्मी चढ़ी थी। पूनम मना करती रही और मैं पूनम को खींचता रहा। ऐसा करने से पूनम का गाऊन फ़ट गया और पूनम मुझ से लिपट गई। फ़िर हमने तीन बार काम किया और एक बार पूनम के मुँह में झाड़ा। पूनम काफ़ी खुश थी।

पूनम ने कहा- अब जब तक राहुलनहीं आ जाता, आप ही मेरे पति की तरह यहाँ पर रहोगे। इस प्रकार हम एक दूसरे को मजा दिलाते रहे।

और अब जब भी राहुलबाहर जाता है तो हम खूब चुदाई करते हैं। Hindi Porn Stories

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