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मेरा नाम अनिल है मैं Hindi Porn Stories कानून का छात्र हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। अन्तर्वासना पर मैं एक अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी ऐसी है जो आज तक मैंने अपने दिल में दबा कर रखी है और जिसे पढ़ कर सभी चूत और लंड पानी छोड़ देंगे! जब बच्चे यह भी नहीं जानते कि मुठ मारना क्या होता है, मैं तब से और आज तक मुठ मारता आ रहा हूँ। जिससे मेरा लंड भी टेढ़ा हो गया है, तो तुम अंदाजा लगा सकते हो कि मैं कितना गुंडा हूँ!
बात उस समय की है जब मेरी जवानी पूरे जोश पर थी मेरा वीर्य निकलना शुरू ही हुआ था और कोमल-कोमल झांट आई थी और चूत मारने का इतंना मन करता था कि बस चूत हो! कैसे ही हो!
मेरे बड़े भाई की शादी हुई, बड़ी सुंदर भाभी आई, नाम है मनोरमा, जिसके गोल-गोल चूचे, उठी हुई गांड है!
शुरू से ही मैं अपनी भाभी से एक हद तक मजाक करता था पर मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था! भाई की रात की ड्यूटी लगी हुई थी, मम्मी और पापा भैंसों के प्लाट में सोते थे।
अब मम्मी बोलने लगी- अनिल बेटा, तेरे भाई की रात की ड्यूटी है, तू अपने कमरे में सोने की बजाय अपनी भाभी के साथ सो जाना, कभी वो अकेली डर जाये!
एक बार तो मैंने मना किया पर मम्मी के कहने पर तैयार हो गया। तब तक मेरा मन बिल्कुल शुद्ध था और सोच रहा था कि डबल बेड है, एक तरफ मैं सो जाऊँगा और एक तरफ भाभी!
बस एक अजीब सी खुशी थी कि भाभी के बेड पर सोऊँगा!
अब भाभी ने सारा घर का काम खत्म कर लिया और आ गई सोने के लिए अपने बेड पर। मैं पहले से ही बेड पर था, भाभी बोली- अनिल, सो जाओ!
हमने लाइट बुझाई और सो गए, डबल बेड पर एक तरफ मैं और एक तरफ भाभी थी।
रात को लगभग बारह बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ पर था और मुँह भाभी के पैरों के तरफ था। बस वो पल मेरे लिए तूफान बनकर आया जिसने मेरी माँ समान भाभी मुझसे चुदवा दी।
अब मेरी नींद उड़ गई और मुझे अपनी भाभी एक लंड की प्यास बुझाने का जुगाड़ दिखने लगी। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कहाँ से शुरुआत करूँ!
कम से कम एक घंटा मैं एक अवस्था में ही लेटा रहा, जब तक भाभी गहरी नींद में थी।
अब मेरा सबर का बांध टूट गया, मैंने भाभी की तरफ करवट ली और अपना ग्यारह इंच का लंड भाभी की गांड क़ी दरार में धीरे से भिड़ा दिया। उस समय मैं बहुत डरा हुआ था, फिर धीरे से पैरों पर एक चुम्बन लिया! उसके बाद मेरा कुछ होंसला बढ़ा कि भाभी कुछ नहीं बोल रही! मेरे हिसाब से भाभी जग गई थी और आराम से मजा ले रही थी।
फिर मैं भाभी क़ी गांड से हाथ हटाकर पेट पर हाथ ले गया, पर मेरी गांड फट रही थी!
मैंने धीरे से कमीज़ ऊपर कर दिया और धीरे-धीरे सलवार के अन्दर हाथ ले गया, फिर कच्छी क़ी इलास्टिक ऊपर क़ी और भाभी क़ी चूत पर हाथ रख दिया। लगता था कि भाभी ने सात-आठ दिन पहले ही झांट काटी होंगी क्योंकि छोटे-छोटे बाल आ रहे थे जो मेरे हाथ में चुभ रहे थे!
भाभी ने एक अंगड़ाई ली और सीधी हो गई। मेरी गांड फट कर हंडिया हो गई, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और सोने का नाटक करने लगी। मेरा लंड तन कर पूरा लक्कड़ हो रहा था। अब मेरा डर दूर था, मैंने भाभी का नाड़ा खोलकर सलवार और कच्छी उतार दी।
भाभी जग गई और बोलने लगी- अनिल, यह क्या बद्तमीजी है?
मैं बोला- भाभी, एक बार मुझे अपनी चूत में अपना लण्ड घुसाने दे! यह बात किसी को नहीं पता चलेगी।
वो कहने लगी- अनिल, यह गलत है!
मैं भाभी क़ी अनसुनी करते हुए भाभी के होंठ चूसने लगा, अब भाभी भी गर्म हो गई थी और मेरा विरोध नहीं किया, इसलिए मैंने देर नहीं क़ी और भाभी क़ी चूत में उंगली डाल दी। चूत कुंवारी जैसी थी क्योंकि अभी मेरी भाभी एक बार भी गर्भवती नहीं हुई थी।
अब भाभी तड़प गई और कहने लगी- अनिल जल्दी कर!
मैंने अपना टेढ़ा लंड भाभी क़ी कोमल चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा, एक ही धक्के में लंड तो अन्दर चला गया पर भाभी दर्द से तड़प गई और बोली- अनिल, तेरे टेढ़े लंड ने तो मेरी जान ले ली!
मैंने भाभी को जोर-जोर से धक्के मारे, भाभी तड़पती रही और अपनी गांड हिला कर मेरा साथ देती रही।
पंद्रह-बीस मिनट में पहले भाभी झड़ गई और फिर मैं!
उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा!
भाभी सुबह जल्दी उठ गई और बोली- अनिल, यह बात मेरे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिए!
मैंने कहा- ठीक है भाभी!
दोस्तो, अन्तर्वासना पर मेरी पहली और सच्ची कहानी कैसी लगी?
अगली कहानी में बताऊँगा कि किस तरह मेरी भाभी ने मुझे फंसवा दिया! Hindi Porn Stories
मेरा नाम संजीव Hindi Sex Stories है। मेरी उम्र 24 साल है। यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है। उन दिनों मैं जयपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र था। मैं जुलाई 2008 जयपुर में आया था। मैंने जयपुर आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी। चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 24 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था। मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था। मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया।
मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी। उन दोनों में से एक थी गार्गी ! गार्गी क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी। उसी दिन मुझे लगा कि गार्गी की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है।
अगले दिन गार्गी ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है। कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी। मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली।
फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद गार्गी और मैं बाइक पर चल दिए। मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था। उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था।
उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि गार्गी का फ़ोन आ गया। अब मैंने गार्गी से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा। लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था।
अगले दिन क्लास में गार्गी मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी। उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा।
क्लास छुटने के बाद मैं गार्गी को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया। बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है। अब तो मुझे गार्गी की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई।
एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था। मैंने गार्गी को अपने दिल की बात कह दी। उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में गार्गी के होंठों का सारा रस चूस लिया। अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए। मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया। उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था। उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी। अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी।
अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड गार्गी के मुँह में दे दिया। पहले तो गार्गी ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी। मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था। एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने गार्गी के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो।
मैं झड़ चुका था लेकिन गार्गी की आग अभी बाकी थी। उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई।
अगले दिन मुझे गार्गी को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया। लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था। शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरह जींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था। आज किस्मत ने मेरा साथ दिया। एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था। इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी।
मैं गार्गी को लेकर ऑफिस में आ गया। मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था। ऑफिस में घुसते ही मैंने गार्गी को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा। मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और गार्गी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था। गार्गी की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे।
मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा। अब मेरा हाथ अपने आप गार्गी की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। गार्गी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी। मैं चूत को सहलाने लगा।
अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि गार्गी की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड गार्गी की चूत में !
जैसे ही पहल झटका लगा, गार्गी कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा। उधर गार्गी दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी।
और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो गार्गी को मजा आने लग गया।
अब गार्गी कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने गार्गी को खूब पेला। अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया। लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था। उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था। लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से गार्गी की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा। फिर जल्दी जल्दी गार्गी और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था।
दरवाजा खोला तो टीचर ने गार्गी से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा !
गार्गी मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था। टीचर ने भी गार्गी को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा।
आज भी गार्गी और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर गार्गी की ले लेता है।
लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है।
दोस्तो, कहानी कैसी लगी, बताना जरूर ! Hindi Sex Stories
अंजलि का महीना हुए चार दिन हो चुके Hindi Sex Stories थे और मैं उसको चोदने की योजना बना रहा था। शाम के समय मैं अपने कमरे में चाय पी रहा था तो मैंने देखा कि अंजलि अपने छज्जे पर खड़ी होकर सड़क का नज़ारा देख रही है, मुझसे नज़र मिली तो हल्के से मुस्कुरा दी। मुझसे चुदवाने के बाद आज पहली बार सामना हुआ था। मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकला और अंजलि का नम्बर डायल कर दिया, घंटी बजने पर उसने अपना मोबाइल देखा, फ़िर मुझे देखा तो मुस्कुरा कर फ़ोन काट दिया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
मैंने हाल चाल पूछा तो बोली- ठीक है !
मैंने पूछा- आज रात को आओगी?
तो शरमाकर बोली- नहीं ! मैंने कहा- मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।
रात को लगभग १२ बजे मेरे मोबाइल पर मिस्ड कॉल आई, देखा तो अंजलि की थी। मैंने कॉल-बैक किया तो बोली- क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- तुम्हारा इंतज़ार !
तो बोली- अभी आ रही हूँ।
५ मिनट बाद अंजलि मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा तो पाया कि उसने सिर्फ़ गाउन पहना हुआ था। गाउन के अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मैं समझ गया बंदी चुदवाने की पूरी तैयारी कर के आई है।
दीवान के पास आकर उसका एक पैर मैंने दीवान पर रख दिया और उसका गाउन कमर तक उठा दिया। अपना लोअर मैंने उतार दिया और लंड उसकी चूत पर रखना चाहा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, अपनी झांटे साफ़ करके उसने चूत की सुन्दरता को चार चाँद लगा दिए थे। मैंने चोदने का इरादा फिलहाल छोड़ा और उसकी चूत चाटने लगा।
उसने भी पोजीशन बदली और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। १० मिनट तक मुख-मैथुन का मज़ा लेने के बाद मैंने अपने लंड पर कंडोम चढाया और उसकी चूत में डाल दिया। जमकर चोदने के बाद जब मैं उसकी चूत में स्खलित हुआ तो मैं ख़ुद को जन्नत में महसूस कर कर रहा था। अब हमारी चुदाई की गाड़ी पटरी पर हौले हौले चल रही थी, दूसरे तीसरे दिन वह मुझसे चुदवा लेती थी, इतना मेरे लिए भी काफ़ी था और उसके लिए भी।
अब हमारी कहानी में एक तीसरा पात्र आ गया।
मेरी पत्नी की एक ममेरी बहन श्वेता इसी शहर में रहती थी। एक दिन लगभग ११ बजे मैं ऑफिस में था कि मेरी पत्नी का फ़ोन आया कि वह श्वेता के घर जाना चाहती है !
मैंने कहा- चली जाओ !
तो बोली- मैंने खाना बना दिया है और चाभी रागिनी भाभी को दे दी है, शाम को ४-५ बजे तक आ जाऊंगी।
मैंने कहा- ठीक है।
दोपहर को १ बजे मैं लंच करने घर आया, घंटी बजाई तो रागिनी भाभी बोली- चाभी लेकर आ रही हूँ। उन्होंने मुझे चाभी दी, मैंने ताला खोला और वो भी अन्दर आ गईं, उनके घर में भी कोई नहीं था, डॉक्टर साहब क्लीनिक और लड़कियाँ कॉलेज गई थीं।
अन्दर आकर बोली- रेखा दाल सब्जी बनाकर गई है और मुझसे कह रही थी कि रोटी मैं सेंक दूँ।
रागिनी का गदराया हुआ बदन और एकांत मेरे लंड को खड़ा कर चुके थे और मैंने उनको चोदने की ठान ली थी। मैंने कहा- भाभी आप कुछ देर बैठिये, मैं नहा लूँ फ़िर खाना खाऊँगा।
भाभी वहीं कुर्सी पर बैठ गईं। मैंने उनको गरम करने के लिए जानबूझकर वहीं अपनी शर्ट उतारी और फ़िर बनियान भी उतार दी, भाभी शर्म के मारे इधर उधर ना देखें इसलिए उनसे कुछ ना कुछ बात करता रहा। मैंने कहा- दोपहर में नहा लेने से शरीर में ताजगी आ जाती है और मैंने अपनी पैंट भी उतार दी। अंडरवियर में से मेरा तन्नाया हुआ लंड साफ़ नज़र आ रहा था। मैंने अपना तौलिया कमर पर लपेटा और अंडरवियर उतारते उतारते बोला- भाभी जी अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात कहूं?
बोलीं- कहिये।
मैंने कहा- ऐसा लगता है जैसे भगवान् जोड़ियाँ बनाते समय गलती कर गया है, मैं आप जैसी पत्नी पाने का हकदार था और रेखा को डॉक्टर साहब की पत्नी होना चाहिए था। अगर ऐसी जोड़ियाँ होतीं तो मेरी ज़िन्दगी जन्नत से कम न होती।
भाभी उठीं और बोलीं- काश ऐसा होता तो मैं हर पल तुम्हारी बाहों में ही गुजारती।
इतना सुनते ही मैंने उनका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी आंखों से इस तरह लगाया कि मैं धन्य हो गया। मैं एक कदम उनकी ओर बढ़ा ओर अपनी बाहें फैलाकर उन्हें अपने करीब आने का इशारा किया, वो मेरे सीने लग गईं, मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर पर और दूसरा टांगों के पास ले जा कर उनको अपनी गोद में उठा लिया, मेरे कसरती बदन को निहारते हुए बोलीं- उतार दो दीपक ! मैं बहुत भारी हूँ।
मैंने कहा- भाभी मेरे प्यार के सामने आपका भार कुछ भी नहीं।
मैं उनको रेखा के बेडरूम में ले आया और पलंग पर लिटाकर उनसे लिपट गया। वो मेरे से लिपटी हुई छुई मुई हुई जा रहीं थीं। एक एक करके उनके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और उनके होठों पर अपने होंठ रखकर एक हाथ से उनके मम्मे और दूसरे से उनकी चूत सहलाने लगा। थोड़ी देर में जब उनकी चूत गीली हो गई तो मैं उठा और अलमारी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगा तो भाभी बोलीं- दीपक जी इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं कई साल पहले नसबंदी करा चुकी हूँ।
मैं वापस पलंग पर आया, उनकी टाँगे फैला कर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुंह पर रखा और पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर कर दिया।
भाभी बोलीं- दीपक जी एक बात पूछूं?
मैंने कहा- पूछिए !
तो बोलीं- तीन साल बाद आपका लंड किसी की चूत में जा रहा है तो कैसा लग रहा है।
मैंने कहा- आपको ये कैसे पता है?
तो बोलीं- रेखा ने मुझे बताया था कि मेरी इच्छा नहीं होती।
इस बातचीत के साथ साथ मेरा लंड अपना काम कर रहा था। उस दिन १ बजे से ४ बजे तक भाभी को दो बार चोदा, मैंने पूछा- भाभी सच बताना तुम्हारा देवर चोदने में कैसा है?
तो बोलीं- टचवुड ! बहुत अच्छा।
मैंने कहा- अच्छा भाभी एक बात और बताओ, कभी गांड मराई है?
बोली- नहीं ! कभी नहीं ! शुरू शुरू में एक दो बार डॉक्टर साहब ने मारनी चाही थी लेकिन उनका लंड गांड में घुसा ही नहीं !
मैंने कहा- भाभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा, मराओगी ?
बोलीं- हाँ मेरे राजा ! जरूर मराउंगी।
फ़िर भाभी ने रोटियां सेंकी, हम दोनों ने खाना खाया और भाभी अपने घर चली गईं।
बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए !!! Hindi Sex Stories
मैं अन्तर्वासना की पिछले Hindi Sex Stories कुछ समय से नियमित पाठिका हूँ, मैंने देखा कि बहुत से दोस्त और सहेलियां अपना-अपना अनुभव यहाँ बताते हैं तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी अपना अनुभव आपको बता कर आपका मनोरंजन करूँ !
दोस्तों यह बात उस समय की है जब मैं केवल १८ साल की थी, आज से २० साल पहले सन् १९८८ की !
मेरे घर में मेरे एक अंकल जिन्हें मैं चाचू कहती थी (वो मेरे दूर के रिश्ते में चाचा थे, उनकी उम्र ३३-३४ साल थी) जो काफी समय से आते थे, जो अक्सर मुझे अपनी गोद में लेने की कोशिश किया करते थे (मैं बाद में समझी कि वो ऐसा क्यों करते थे)
उस दिन मैं एक पार्टी में थी मेरे अंकल के यहाँ। उस दिन वो मुझे बड़े अजीब से देख रहे थे, जनवरी का महीना था और मैं जींस शर्ट पहने थी, जो मम्मी ने मुझे पहली बार पहनने दिए थे और जैकेट था। मुझे कुछ ठण्ड सी लग रही थी, मुझे छींक आई तो अंकल ने देखा तो बोले- नीतू बेटे ! तुझे ठण्ड लग रही होगी ! चल अन्दर चलते हैं, नहीं तो तुझे ज्यादा ठण्ड लग जायेगी तो तू बीमार हो जायेगी !
मैं बोली- नहीं चाचू ! ठीक है !
वो बोले- नहीं ! तू चल !
उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले आये और रजाई में लिटा दिया और खुद भी बगल में लेट गए और बोले- मुझे भी बहुत ठण्ड लग रही है ! उसके बाद चाचू ने टीवी चला दिया, मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन मैं कुछ बोली नहीं। २-३ मिनट बाद बोले- नीतू, तू एक काम करेगी ! बहुत मजा आएगा !
मैं बोली- क्या?
तो उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और बोले- इसे रगड़ती रह ! तुझे गर्मी मिलेगी।
मैं कुछ शरमाई लेकिन वो बोलने लगे- बहुत मजा आता है, तू एक बार कर !
फिर मैं शरमाते हुए (मेरे भी मन में कुछ उत्सुकता थी) लण्ड हिलाने लगी, वो मुस्कराने लगे। फिर तकिये के नीचे से एक किताब जिसमें सब ब्लू फिल्म वाली तस्वीरें थी निकाल कर दिखाने लगे, थोड़ी देर लण्ड हिलाने से उनका लण्ड गीला सा हो गया, कुछ चिपचिपा सा निकलने लगा और मेरी उँगलियाँ गीली हो गईं।
वो बोले- तू रुक जा !
और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे चूमने लगे और एक हाथ से मेरी बेल्ट और जींस खोलकर हाथ अन्दर डाल कर मेरी योनि के पास सहलाने लगे।
मैं बहुत सकुचाई और बोली- चाचू ये सब ठीक नहीं लग रहा !
(हालाँकि मुझे भी मन ही मन अच्छा लग रहा था)
वो बोले- अब तू बड़ी हो गई है, बच्चों की तरह बात मत कर !
और मेरी चूत रगड़ने में लगे रहे। खैर थोड़ी देर बाद मेरी योनि से भी थोड़ा सा पानी आया तो वो मुस्करा दिए और हल्के-हल्के से हाथ चलाने लगे। मेरे मुंह से आह सी निकली तो उन्होंने दुबारा मेरे होटों पर अपने होंठ रख दिए और होंठ चूसते हुए मेरी चूत में ऊँगली डाल कर हिलाते रहे।
उसके बाद वो उठे और टीवी में एक वीडियो-कैसेट-प्लेयर जोड़ कर एक ब्लू फिल्म लगा दी, जो थोड़ा फँस फँस कर चल रही थी। मुझे भी कुछ रोमांच महसूस होने लगा।
फिर उन्होंने रोशनी बंद कर दी, मेरी जींस उतार दी, चड्डी (जो थोड़ी गीली थी) भी उतार दी और अपनी भी पैंट और चड्डी उतार दी। चाचू ने मेरी दोनों टांगें फैला दी और अपनी जाँघों पर रख कर हवा में ऊपर उठा दिया। फिर अपने लण्ड में सरसों का तेल लगाया और मेरी योनि के होंठों पर रख दिया और हलके से धक्का लगाया। मैं चीख पड़ी, वो थोड़ा डरते हुए रुक गए और मेरी जैकेट और शर्ट के बटन खोलते हुए मेरे स्तनों (जो कि उस समय बहुत छोटे थे) को दबाने लगे और मेरे होंठ चूसने लगे, २-३ मिनट बाद फिर से जोर से धक्का मारा तो लगभग आधा लण्ड अन्दर चला गया और मैं जोर से चिल्लाई तो वो वहीं रुक गए और फिर से मेरे होंठ चूसने लगे।
३-४ मिनट बाद जब मैं कुछ सामान्य हुई तो उन्होंने फिर जोर से धक्का मारा और पूरा लण्ड अन्दर चला गया, मैं जोर जोर से चीखने लगी और वो डर कर वहीं रुक कर मेरे लबों पर किस करने लगे, ३-४ मिनट बाद जब मेरे चेहरे पर कुछ मुस्कान सी आई तो वो भी मुस्कुराने लगे और उठ कर जोर से अन्दर बाहर धक्के मारने लगे और एक हाथ मेरे मुंह पर रख दिया ताकि मैं जोर से चीख नहीं पाऊँ। मैं मछली की तरह छटपटाने लगी और वो जोर जोर से धक्के पे धक्के मार रहे थे, ५-७ मिनट बाद मुझे अपनी चूत में कुछ गरम सा, गीला-गीला सा महसूस हुआ और वो हांफते हुए मेरे ऊपर निढाल हो कर गिर पड़े।
मैं बोली- चाचू ! आपने यह क्या किया?
वो बोलने लगे- नीतू तुझे मजा नहीं आया?
मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है !
खैर फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी योनि से निकाला और चादर से पोंछ दिया और मेरी चूत को भी पोंछा, टी वी बंद किया और बोले- अपने कपड़े पहन लो !
मैं उठी तो बदन में बहुत दर्द हो रहा था। खैर फिर मैंने कपड़े पहने और चाचू अपने कपड़े पहनने लगे। फिर उन्होंने बिजली जलाई तो मैंने देखा चादर पर काफी खून था, मैं बोली- चाचू यह क्या है?
वो बोले- कुछ नहीं !
मैंने कहा- बहुत दर्द हो रहा है !
तो चाचू ने मुझे दर्द की दवा दे दी और बोले- चल कर बाथरूम में मुंह धो ले !
फिर जब मैं बाहर आई तो मुझे चॉकलेट दिए और कहने लगे- किसी से तू कहना मत ! बहुत मजा आएगा तुझे इसी तरह से !
और मेरे स्तन दबा के मुस्कुराने लगे, मैं भी मुस्कुराने लगी।
दोस्तों ! उसके बाद डैड से कह कर चाचू ने मुझे एक हफ्ते के लिए वहीं अपने घर पर ही रोक लिया, दोस्तों ! आप लोग समझ सकते होंगे कि एक हफ्ते में मैं कितनी बार चुदी !
खैर मैं ये सब बातें आप लोगों को आगे की कहानी में लिखूंगी और राज की बात यह है कि वो अभी भी मुझे चोदते हैं लेकिन साल में केवल २-३ बार !
दोस्तों उस समय ओरल सेक्स इतना नहीं होता था और चाचू ने मुझे ३-४ साल तक लगातार चोदा लेकिन कभी भी मुझसे अपना लण्ड नहीं चुसवाया। मेरे बॉय-फ्रेंड ने मुझे पहली बार लण्ड का स्वाद चखाया।
ये सारी कहानी भी मैं बाद में लिखूंगी।
उम्मीद है आप लोगों को मेरी चुदाई अच्छी लगी होगी। Hindi Sex Stories
मंजू आँटी की चुदाई से मैं ऊब Antarvasna Sex Stories चुका था। उनकी बेटी मधु जवान हो रही थी। बड़ी-बड़ी चूचियाँ, उभरी हुई गाँड, क़यामत लगती थी। ख़ैर मंजू आँटी मुझे उसके पास फटकने भी नहीं देती थी।
एक दिन मैं उसके यहाँ किसी काम से गया तो मधु ने दरवाज़ा खोला। उसने स्कर्ट पहन रखी थी. मेरी नज़र उसके चिकने-गोरे पैरों पर पड़ी। मेरा लंड खड़ा होने लगा तो मैंने अपनी साँसों रोककर किसी तरह स्वयं पर नियंत्रण किया। उसने मुझे ड्राईंगरूम में बिठाया। ख़ुद मेरे सामने बैठ गई।
मैंने पूछा- ‘आँटी कहाँ हैं?’ तो मालूम हुआ कि बाहर निकली हुईं हैं। हमारे बीच काफी बातें हुईं। उस दौरान उसने इस बात का ख़ास ख़्याल रखा कि कहीं से उसकी स्कर्ट न उठे और उसके जाँघें मुझे न दिखाई दे।
फिर वह पानी लाने के लिए उठी और जाने लगी। उस दौरान मैं उसकी गाँड निहारता रहा। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। तभी वह पानी लेकर आ गई। इस बार बैठते समय मुझे उसकी काली पैन्टी दिख गई। ख़ैर बातों-बातों में मुझे मालूम हुआ कि उसके कम्प्यूटर पर कुछ प्रोजेक्ट बनाने हैं, तो मैंने तुरन्त उसे प्रस्ताव दिया कि मेरे यहां बना लो।
उसने कहा- ठीक है, माँ से पूछकर आऊँगी।
फिर मैं वहाँ से चला आया।
एक दिन मैं अपने कमरे में सोया था कि मधु मंजू आँटी के साथ आई। मैं नीचे गया तो मालूम हुआ कि मधु को मुझसे कुछ काम है। जब मैंने पूछा तो मालूम हुआ कि वह कम्प्यूटर पर प्रोजेक्ट बनाना चाहती है। शायद उसने अपनी माँ से हमारी पिछली मुलाक़ात का विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया था।
मैंने कहा- ठीक है चलो। तो वह मेरे पीछ आने लगी। मंजू आँटी भी उठी और आने लगी, तो मेरी माँ ने कहा- आप बच्चों के पीछे कहाँ जा रहीं हैं?
इस पर आँटी ने कहा- कहीं नहीं भाभीजी, मैं भी देखूँ यह कम्प्यूटर क्या बला है।
माँ- ठीक है, तब तक मैं चाय बनाती हूँ।
मैं दोनों को अपने कमरे में लाया और कम्प्यूटर को चालू किया। मधु काम करने लगी तो आँटी ने कहा, चलो तुम्हारे छत से अपना मक़ान देखते हैं।
मैं उन्हें ऊपर ले जाने लगा। ऊपर पहुँचकर मैं बाहर का दरवाज़ा खोलने लगा तो मंजू आँटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक लिया।
मैंने कहा,’क्या हुआ आँटी?’
तो वे मेरे कान के पास आकर बुदबुदाई,’ऊपर आना तो एक बहाना था, असल में तुमसे चुदवाना था।’ यह कहकर वो मुझसे लिपट गई और चुम्मा-चाटी करने लगी। उसने मेरा लोअर सरका दिया और सीढ़ियों पर बैठ गई, फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं भी जोश में था। मैंने उनकी चोटी पकड़ी और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। उनका गला घुट गया और आँखों में आँसू आ गए पर मैं नहीं रुका। हाँलाँकि उन्होंने छूटने की कोशिश की पर चूँकि वह सीढ़ियों के बीच बैठीं थीं और मैं ठीक सामने खड़ा था इसलिए उनके छूटने की सम्भावना नहीं थी।
तभी नीचे से चाय के लिए आवाज आई। चूँकि हम सीढ़ी पर ही थे इसलिए मुझे रुकना पड़ा क्योंकि हमारी चुदाई की आवाज़ें नीचे तक जा सकतीं थीं। इसका फ़ायदा उठाकर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और फिर उसने अपना एक पैर उठाकर सीढ़ियों की रेलिंग पर रख दी और अपनी साड़ी कमर तक उठा दी।
फिर उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत फैलाकर मुझे निमंत्रण दिया। मैं घुटनों पर बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उनकी जाँघ पकड़कर उन्हें अपनी ओर खींचकर उनकी चूत चाटने लगा। फिर अपना लंड उसकी चूत में लगाया और पेल दिया। चूत गीली होने के कारण बिना रुके सीधे जड़ तक पहुँच गया। फिर मैंने धक्के लगाने शुरु किए। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहा था। कुछ ही देर बाद उनकी चूत कुछ टाईट हुई और वे झड़ गईं। मैं भी तेज़ी से झड़ा। फिर उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए, मुझे एक चुम्मा दिया और नीचे चली गई।
मैं अपने कपड़े ठीक कर नीचे अपने कमरे में आया। वहाँ मधु कम्प्यूटर पर अभी भी काम कर रही थी। मैं पीछे से उसके अंगों को देख रहा था। कुछ देर बाद उसने कहा कि उसका काम खत्म हो गया। वह उठी और जाने लगी। ज्यों ही वह खड़ी हुई, मेरा ध्यान उसकी स्कर्ट पर गया। उसकी स्कर्ट ठीक उसकी गाँड के नीचे गीली हो गई थी।
मैंने उसे रोका और कहा- ज़रा यहाँ तो आना।
मधु- क्या है? कहते हुए मेरे पास आई।
मैं- तुम्हारी स्कर्ट पीछे से गीली हो गई है।
मधु- बैठे-बैठे पसीना हो रहा था ना, इसलिए हो गई होगी।
मैं- सिर्फ एक गोल सा धब्बा है, अजीब सा लग रहा है।
उसने स्कर्ट घुमाकर पीछे का हिस्सा आगे किया और यह देखकर असमंजस में पड़ गई। फिर उसने कहा- मैं नीचे कैसे जाऊँगी? माँ और आँटी क्या सोचेंगी।
मैंने कहा- कुछ देर खड़ी रहो, सूख जाएगा।
मैं कम्प्यूटर पर बैठ गया और वह मेरे पीछे खड़ी हो गई। मैंने उससे कहा- तुमने अभी तक जो भी काम किया, वह इसमें ही होगा।
उसने कहा- प्लीज़ उसे खोलिएगा मत।
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- बस ऐसे ही।
मैंने कहा- मैं खोलता हूँ, और बताता हूँ कि उसे कैसे ग़ायब करते हैं।
मैंने खोला तो देखा कि उसने मेरी गुप्त फाईलों को खोला था और नंगी चुदाई वाली तस्वीरें देखीं थीं।
मैंने उसे यह साफ करना सिखाया। फिर उसने कहा कि अच्छा हुआ आपने बता दिया वरना मैं किसी दिन पकड़ी जाती।
मैंने कहा- पकड़ी तो तुम फिर भी जाओगी।
उसने पूछा- वह कैसे?
मैं- इसी तरह, यदि तुम नैपकिन का प्रयोग नहीं करोंगी और स्कर्ट गीली करोगी तो कोई भी पकड़ लेगा।
वह शरमा गई, उसका चेहरा लाल हो गया।
मैंने कहा- फिल्म देखोगी?
उसने कहा- नहीं मैं सबसे नई फिल्म देख चुकी हूँ।
मैं- बेवक़ूफ, वो वाली।
मधु- है?
मैं- हाँ।
मधु- तो दिखाईए।
मैंने एक डीवीडी निकाली और उसे चालू किया। फिल्म शुरु हुई, 69 की मुद्रा दिखा रहे थे। मेरा खड़ा हो गया और लोअर उठ गया। ख़ैर उसका ध्यान फिल्म पर था। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, वह गर्म हो गई। वह मेरी बगल वाली कुर्सी पर बैठने लगी तो मैंने उसे अपना रुमाल दिया और कहा- उसे अपनी चड्डी में डाल लो। उसने उसको मोड़कर अपनी चड्डी में डाल ली।
फिल्म में लड़का लड़की को तरह-तरह की मुद्राओं में चोद रहा था। तभी नीचे से उसकी माँ की आवाज़ दी कि जाना नहीं है क्या?
उसने कहा- बस दो मिनट माँ।
फिर वह उठी और जाने लगी।
मैंने कहा- मेरा रुमाल?
उसने कहा- बाद में नया दे दूँगी।
मैंने कहा- मुझे वही चाहिए।
मधु- अच्छा, साफ़ करके दे दूँगी।
मैं- मैं कर लूँगा।
तब उसने चड्डी में हाथ डाला और रुमाल निकालकर टेबल पर रख दिया। मैं उठा और रुमाल लेकर सूँघने लगा।
उसने पूछा- यह क्या कर रहे हो?
मैं- देख रहा हूँ, कैसी ख़ुशबू है!
उसने पूछा- कैसी है?
मैं- बिल्कुल मदहोश कर देने वाली।
फिर वह चली गई। शाम को वह और उसकी माँ छत पर टहल रहे थे। मैं भी अपने छत पर आया। उनसे दो-चार बातें हुईं। फिर मैंने अपना रुमाल निकाला और पसीना पोंछने लगा। तभी उनकी काम वाली बाई आ गई और मंजू आँटी नीचे लगी गईं। फिर मैं रुमाल सूँघकर मधु को चिढ़ाने लगा। बीच-बीच में उसे रुमाल चाटकर भी दिखाता। मानों वह रुमाल उसकी बुर है। वह शरमा जाती।
एक दिन वह फिर अपनी माँ के साथ कम्प्यूटर पर काम के बहाने आई। मैं समझ गया कि माल गर्म है।
उसने कहा- आज बाकी की मूवी देखनी है।
मैंने फिर वही डीवीडी लगा दी। चुदाई का सीन चलने लगा, वह गर्म हो रही थी।
शेष दूसरे भाग में ! Antarvasna Sex Stories
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