Important Notice: Mail for rent - info@tottaa.com

Massage Girl in Shahdol: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Shahdol who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Shahdol that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Shahdol massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Shahdol who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Shahdol massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Shahdol massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Shahdol who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Shahdol employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Shahdol helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Shahdol

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Shahdol at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

हैलो दोस्तो! Hindi Porn Stories

उस दिन मैं और काजल बहुत Hindi Porn Stories खुश थे, हमने एक दूसरे को बहुत प्यार किया। हमने रात को भी सेक्स किया और सो गए। अगले दिन सुबह मुझे कुछ अजीब सी फीलिंग हुई। मैं उठा तो मैंने देखा की काजल मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी और उसे चूस भी रही थी। मेरा लण्ड भी काफ़ी खड़ा हो रखा था।

मैंने उसको उठाया और उसे किस करने लगा, वो भी मुझे किस करने लगी। हम दोनों काफ़ी देर तक एक दूसरे को प्यार करते रहे। तब मैं उठा, किचन में गया और फ्रूट क्रीम ले कर आया। तब मैंने फ्रूट क्रीम उसके बूब्स पर और उसकी चूत पर गिरा दी अब मैं फ्रूट क्रीम को उसके बूब्स पर मलने लगा इस तरह करने से वो गरम होने लगी। थोडी देर बाद मैं फ्रूट क्रीम को उसकी चूत पर भी मलने लगा।

मलने के बाद मैंने उसके बूब्स पर से फ्रूट क्रीम चाटनी शुरू कर दी। मैं अच्छी तरह से उसके बूब्स चाट रहा था और हर तरफ़ से। कभी उसके चुचूक चाटता और कभी उसके बूब्स को साइड से चाटता। मैं उसके बूब्स को चाटने का मज़ा भी ले रहा था और फ्रूट क्रीम का भी। फिर काफ़ी देर तक उसके बूब्स चाटने के बाद मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी चूत पर बाल नहीं थे इसलिए मुझे उसकी चूत चाटने का बहुत मज़ा आ रहा था। सचमुच ऐसा स्वाद मुझे आज तक कभी नहीं आया था मैं बहुत मज़े से फ्रूट क्रीम चाट रहा था और वो तड़प रही थी मैंने उसकी चूत को हर तरफ़ से चाटा।

थोडी देर के बाद उसने मुझे उठाया और कहा- अकेले अकेले ही खाओगे मुझे नहीं खाने दोगे?
मैंने कहा- इसका क्या मतलब?
उसके कहा- अभी बताती हूँ।

उसने मुझे नीचे लिटाया और बाकी बची हुई फ्रूट क्रीम मेरे लण्ड के ऊपर डाल दी। अब वो मेरे लण्ड को अच्छी तरह से मलने लगी। उसके इस तरह करने से मेरा लण्ड और भी ज़्यादा खड़ा हो गया। फिर उसने मेरे लण्ड के आस पास से क्रीम चाटनी शुरू कर दी। आस पास की क्रीम ख़त्म करने के बाद उसने मेरे लण्ड के ऊपर जो क्रीम थी उसे चाटना शुरू कर दिया। जब वो क्रीम भी ख़तम हो गई तब उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया। वो काफ़ी देर तक मेरे लण्ड को चूसती रही और मैं पागलों की तरह तड़प रहा था।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसे कहा- काजल अब मुझ से और कंट्रोल नहीं हो रहा प्लीज इसे अपनी चूत में जाने का रास्ता दिखाओ।
तब वो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड के आस पास घुमाने लगी।

मैंने उसको कहा- यह क्या कर रही हो? लण्ड को अपनी चूत में डालो।
तब उसने कहा- एक शर्त पर कि मेरे लण्ड से जो माल निकलेगा वो मैं उसके स्तनों पर डालूँगा!
मैंने कहा- ठीक है तुम पहले इसको अपनी चूत में तो डालो!

तब उसने अपनी चूत को मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया मैंने एक झटका मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। उसकी चूत और मेरे लण्ड में काफ़ी क्रीम लगी हुई थी इसलिए तब बहुत मज़ा आ रहा था। वो भी धीरे धीरे हिल रही थी और मज़े ले रही थी और मैं भी बीच बीच में उसके बूब्स को मसलता और कभी उसके निप्पल चूसता।

इस तरह हम काफ़ी देर तक करते रहे जब मुझे लगा कि मेरा झड़ने वाला हो गया है तब मैंने कहा- काजल! मैं झड़ने वाला हूँ!

उसने तभी मेरे लण्ड को निकाला और अपने बूब्स को मेरे लण्ड के नीचे कर दिया तभी मेरे लण्ड से माल निकला और उसके बूब्स पर गिर गया तब उसने पूरे माल को अपने बूब्स पर मलना शुरू कर दिया। मेरे माल को अपने स्तनों पर मलते हुए वो काफ़ी संतुष्ट लग रही थी।

फिर तो हमने कई बार ऐसा किया कभी किसी चीज के साथ और कभी किसी चीज के साथ। एक बार तो मैंने केक के ऊपर की क्रीम उसकी चूत पर मलकर उसको चाटा वैसा स्वाद भी मुझे कभी आज तक नहीं आया। आप सब को मेरा यह किस्सा कैसा लगा प्लीज़ मुझे ज़रूर बताएँ। Hindi Porn Stories

नमस्ते Anatrvasna

मेरा नाम है कोमल। मैं Anatrvasna बीस साल की हूँ। दो साल पहले मेरी शादी राहुल से हुई।

परिवार में मैं, मेरे पति राहुल, मेरे ससुर जी रसिकलाल और मेरा छोटा सा बेटा किरण हैं। ससुर का बहुत बड़ा बिज़नेस है और हमें किस चीज़ की कोई कमी नहीं है।

मेरे पिताजी का परिवार बहुत ग़रीब था। चार बहनों में से मैं सबसे बड़ी संतान थी। मेरी माँ लम्बी बीमारी के बाद मर गई। तब मैं सोलह साल की थी। माँ के इलाज के लिए पिताजी ने क्या कुछ नहीं किया। ढेर सारा कर्ज़ा हो गया। पिताजी रेवेन्यू ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करते थे। इनकी आमदनी से मुश्किल से गुज़ारा होता था। मैं छोटे-मोटे काम कर लेती थी। आमदनी का और कोई साधन नहीं था कि हम कर्ज़ा चुका सकें। लेनदार लोग तकाज़े करते रहते थे। फिक्र से पिताजी की सेहत भी बिगड़ने लगी थी। ऐसे में मेरे सम्भावित ससुर रसिकलाल ने मदद दी। उनका इकलौता बेटा राहुल कुँवारा था। दिमाग़ से थोड़ा सा पिछड़ा होने के कारण उसे कोई कन्या नहीं देता था। रसिकलाल की पत्नी भी छः माह पहले ही मर चुकी थी। घर सँभालने वाली कोई नहीं थी। उन्होंने जब कर्ज़ के बदले में मेरा हाथ माँगा तो पिताजी ने तुरन्त ना बोल दी। मैं हाईस्कूल तक पढ़ी हुई थी। आगे कॉलेज में पढ़ने वाली थी। मेरे जैसी लड़की कैसे राहुल जैसे लड़के के साथ ज़िन्दगी गुज़ार सकेगी?

इस पर मैंने पिताजी से कहा,”आप मेरी फिक्र मत कीजिए। मेरी तीनों बहनों की सोचिए। आप रिश्ता मंज़ूर कर लीजिए, और सिर पर से कर्ज़ का बोझ दूर कीजिए। मैं सँभाल लूँगी।”

अपने हृदय पर पत्थर रख कर पिताजी ने मुझे राहुल से ब्याह दिया। तब मैं १८ साल की थी। मैं ससुराल में आई। पहले ही दिन ससुरजी ने मुझे पास बिठा कर कहा: “देख बेटी, मैं जानता हूँ कि राहुल से शादी करके तूने बड़ा बलिदान दिया है। मैंने तेरे पिताजी का कर्ज़ा पूरा करवा दिया है। लेकिन तूने जो किया है उसकी क़ीमत पैसों में नहीं गिनी जा सकती। तूने तेरे पिताजी पर और साथ ही मुझपर भी बड़ा उपकार किया है।”

मैंने कहा,”पिताजी…”

उन्होंने मुझे बोलने नहीं दिया। कहने लगे: “पहले मेरी सुन ले। बाद में कहना… जो तेरा जी चाहे… ठीक है? तू मेरी बेटी बराबर है। ख़ैर, मुझे साफ़-साफ़ बताना पड़ेगा।”

उन्होंने नज़रें फिरा लीं और कहा,”मैंने राहुल का वो देखा है, मुझे विश्वास है कि वो तेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकेगा और बच्चा पैदा कर सकेगा। मेरी यह विनती है कि तू ज़रा सब्र से काम लेना, जैसी ज़रूरत पड़े वैसी उसे मदद करना।”

यह सब सुनकर मुझे शरम आती थी। मेरा चेहरा लाल हो गया था और मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी। मैंने कुछ न कहा।

वो आगे बोले,”तुम्हारी सुहागरात परसों है, आज नहीं। मैं तुम्हें एक क़िताब देता हूँ, पढ़ लेना। सुहागरात पर काम आएगी। और मुझसे शरमाना मत, मैं तेरा पिता जैसा ही हूँ।”

मुझसे नज़रें चुराते हुए उन्होंने मुझे किताब दी और चले गए। किताब कामशास्त्र की थी। मैंने ऐसी किताब के बारे में सुना था लेकिन कभी देखी नहीं थी। किताब में चुदाई में लगे जोड़ों के चित्र थे। मैं ख़ूब जानती थी कि चुदाई क्या होती है, लंड क्या होता है, छुटना क्या है इत्यादि। फिर भी चित्रों को देखकर मुझे शरम आ गई। इन में से कई तस्वीरें तो ऐसी थी जिनके बारे में मैंने तो कभी सोचा तक ना था। एक चित्र में औरत ने लंड मुँह में लिया हुआ था। छिः छिः, इतना गंदा? दूसरे में उसी औरत की चूत आदमी चाट रहा था। एक में आदमी का पूरा लंड औरत की गाँड में घुसा हुआ दिखाया था। कई चित्रों में एक औरत दो-दो आदमी से चुदवाती दिखाई थी। ये देखने में मैं इतनी तल्लीन हो गई कि कब राहुल कमरे में आए, वो मुझे पता ना चला। आते ही उसने मुझे पीछे से मेरे आँखों पर हाथ रख दिया और बोले,”कौन हूँ मैं?”

मैंने उनकी कलाईयाँ पकड़ लीं और बोली,”छोड़िए, कोई देख लेगा।”

मुझे छोड़कर वह सामने आए और बोले: क्या पढ़ती हो? कहानियों की किताब है?”

अब मेरे लिए समस्या हो गई कि उन्हें वह किताब मैं कैसे दिखाऊँ। किताब छुपा कर मैंने कहा,”हाँ, कहानियों की किताब है। रात में आपको सुनाऊँगी।”

खुश होकर वो चला गया। कितना भोला था! उसकी जगह कोई दूसरा होता तो मुझे छेड़े बिना नहीं जाता। दो दिन बाद मैंने देखा कि लोग राहुल की हँसी उड़ा रहे थे। कोई-कोई भाभी कहती: देवरजी, देवरानी ले आए हो, तो उनसे क्या करोगे?

उनके दोस्त कहते थे: भाभी गरम हो जाए और तेरी समझ में न आए तो मुझे बुला लेना।

एक ने तो सीधा पूछा: राहुल, चूत कहाँ होती है, वो पता है?

मुझे उन लोगों की मज़ाक पसन्द ना आई। अब मैं ससुरजी के दिल का दर्द समझ सकी। मुझे उन दोनों पर तरस भी आया। मैंने निर्णय किया कि मैं बाज़ी अपने हाथ में लूँगी, और सबकी ज़ुबान बन्द कर दूँगी, चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े।

तीसरी रात सुहागरात थी। मेरी उम्र के दो रिश्ते की ननदों ने मुझे सजाया-सँवारा और शयनकक्ष में छोड़ दिया। दूसरी एक चाची राहुल को ले आई और दरवाज़ा बन्द करके चली गईं। मैं घूँघट में पलंग पर बैठी थी। घूँघट हटाने के बदले राहुल नीचे झुक कर झाँकने लगा। वो बोला: देख लिया, मैंने देख लिया। तुमको मैंने देख लिया। चलो अब मेरी बारी, मैं छुप जाता हूँ, तुम मुझे ढूँढ़ निकालो। वह छोटे बच्चे की तरह छुपा-छुपी का खेल खेलना चाहता था। मुझे लगा कि मुझे ही शुरुआत करनी पड़ेगी।

घूँघट हटा कर मैंने पूछा: पहले ये बताओ कि मैं तुम्हें पसन्द हूँ या नहीं?

राहुल शरमा कर बोला: बहुत पसन्द हो। मुझे कहानियाँ सुनाओगी ना?

मैं: ज़रूर सुनाऊँगी। लकिन थोड़ी देर तुम मुझसे बातें करो।

राहुल: कौन सी कहानी सुनाओगी? वो किताब वाली जो तुम पढ़ रहीं थीं वो?

मैं: हाँ, अब ये बताओ कि मैं तुम्हारी कौन हूँ?

राहुल: वाह, इतना नहीं जानती हो? तुम मेरी पत्नी हो, और मैं तेरा पति।

मैं: पति-पत्नी आपस में मिलकर क्या करते हैं?

राहुल: मैं जानता हूँ, लेकिन बताऊँगा नहीं।

मैं: क्यों?

राहुल: वो जो सुलेमान है ना! कहता है कि पति-पत्नी गंदा करते हैं!

मैंने यह नहीं पूछा कि सुलेमान कौन है, मैंने सीधा पूछा: गंदा मायने क्या? नाम तो कहो, मैं भी जानूँ तो।

राहुल: चोदते हैं।

लम्बा मुँह करके मैं बोली: अच्छा?

बिन बोले उसने सिर हिला कर हाँ कही।

गम्भीर मुँह से मैंने फिर पूछा: लेकिन यह चोदना क्या होता है?

राहुल: सुलेमान ने कभी मुझे यह नहीं बताया।

शरमाने का दिखावा करके मैंने कहा: मैं जानती हूँ, कहूँ?

राहुल: हाँ, हाँ, कहो तो।

उस रात राहुल ने बताया कि कभी-कभी उसका लंड खड़ा होता था। कभी-कभी स्वप्न-दोष भी होता था। रसिकलाल सच कहते थे। उन्होंने राहुल का खड़ा लंड देखा होगा।

मैंने बात आगे बढ़ाई: ये कहो, मुझमें सबसे अच्छा क्या लगता है तुम्हें? मेरा चेहरा? मेरे हाथ? मेरे पाँव? मेरे ये…? मैंने उसका हाथ पकड़ कर स्तन पर रख दिया।

राहुल: कहूँ? तेरे गाल।

मैं: मुझे पप्पी दोगे?

राहुल: क्यों नहीं?

उसने गाल पर चूमा, और मैंने फिर उसके गाल पर। उसके लिए यह खेल था। जैसे ही मैंने अपने होंठ उसके होंठो से लगाया, तो उसने झटके से छुड़ा लिया और बोला: छिः छिः ऐसा गन्दा क्यूँ करती हो?

मैं: गंदा सही? तुम्हें मीठा नहीं लगता?

राहुल: फिर से करो तो।

मैंने मुँह से मुँह लगा कर चूमना शुरु कर दिया।

राहुल: अच्छा लगता है, करो ना ऐसी पप्पी।

मैंने चूमने दिया। मैंने मुँह खोल कर उसके होंठ चाटे, और वही सिलसिला दोहराया।

मैंने पूछा: प्यारे, पप्पी करते-करते तुमको कुछ होता है?

राहुल शरमा कर कुछ बोला नहीं।

मैंने कहा: नीचे पेशाब की जगह में कुछ होता है ना?

राहुल: तुमको कैसे मालूम?

मैं: मैं स्कूल में पढ़ी हूँ, इसलिए। कहो, उधर गुदगुदी होती है ना?

राहुल: किसी से कहना मत।

मैं: नहीं कहूँगी। मैं तुम्हारी पत्नी जो हूँ।

राहुल: मेरी नुन्नी में गुदगुदी होती है और कड़ा हो जाता है।

मैं: मैं देख सकती हूँ?

राहुल: नहीं। अच्छे घर की लड़कियाँ लड़कों की नुन्नी नहीं देखा करतीं।

मैं: मैंने तो स्कूल में ऐसा पढ़ा है कि पति-पत्नी के बीच कोई भी राज़ नहीं रहता है। पत्नी पति की नुन्नी देख सकती है और उनसे खेल भी सकती है। पति भी पत्नी की वो… वो… भोस देख सकता है, तुमने मेरी देखनी है?

राहुल: पिताजी जानेंगे तो बड़ी पिटाई होगी।

मैं: शह्ह्हह… कौन कहेगा उनसे? हमारी ये बात गुप्त रहेगी, कोई नहीं जान पाएगा।

राहुल: हाँ, हाँ कोई नहीं जान पाएगा।

मैं: खोलो तो तुम्हारा पाजामा।

पाजामा खोलने में मुझे मदद करनी पड़ी। निकर उतारी। तब फनफनाता हुआ उसका सात इंच का लम्बा लंड निकल पड़ा। मैं खुश हो गई, मैंने मुट्ठी में पकड़ लिया और कहा: जानते हो? ये तुम्हारी नुन्नी नहीं है। यह तो लंड है।

राहुल: तुम बहुत गन्दा बोलती हो।

मैंने लण्ड पर मुठ मारी और पूछा: कैसा लगता है?

लंड ने एक-दो ठुमके लगाए।

वो बोला: बहुत गुदगुदी होती है।

मैं: मेरी भोस देखनी नहीं है?

राहुल: हाँ, हाँ।

यह वक्त मेरे शरमाने का नहीं था। मैं पलंग पर चित्त लेट गई, घाघरी उठाई और पैन्टी उतार दी। वह मेरी नंगी भोस देखता ही रह गया। बोला: मैं इसे छू सकता हूँ?

मैं: क्यों नहीं? मैंने जो तुम्हारा लंड पकड़ रक्खा है।

डरते-डरते उसने भोस के बड़े होंठ छुए। मेरे कहने पर चौड़े किए। भीतरी हिस्सा काम-रस से गीला था। आश्चर्य से वो देखता ही रहा।

मैं: देखा? वो जो चूत है ना, वो इतनी गहरी होती है कि सारा लंड अन्दर समा जाए।

राहुल: हो सकता है, लेकिन चूत में लंड डालने की क्या ज़रूरत?

मैं: प्यारे, इसे ही चुदाई कहते हैं।

राहुल: ना, ना, तुम झूठ बोलती हो।

मैं: मैं क्यूँ झूठ बोलूँ? तुम तो मेरे प्यारे पति हो। मैंने अभी अपनी भोस दिखाई कि नहीं?

राहुल: मैं नहीं मानता।

मैं: क्या नहीं मानते?

राहुल: वो जो तुम कहती हो ना कि लंड चूत में डाला जाता है।

मुझे वो किताब याद आ गई। मैंने कहा: ठहरो, मैं दिखाती हूँ। किताब के पहले पन्ने पर रसिकलाल लिखा हुआ था. वो दिखा कर मैंने कहा: ये किताब पिताजी की है। तस्वीरें देख वह हैरान रह गया। मैंने कहा: देख लिया ना? अब तसल्ली हुई कि चुदाई में क्या होता है?

उसपर कोई असर न पड़ा। वो बोला: मुझे पेशाब लगी है।

मैं: जाईए पेशाब करने के बाद लंड पानी से धो लीजिए।

वह पेशाब कर आया। उसका लंड नर्म हो गया था। मैंने लाख सहलाया, फिर से हिला नहीं। मुँह में लेकर चूसना चाहा, पर राहुल ने ऐसा करने ना दिया। रात काफ़ी बीत चुकी थी। मैं उत्तेजित भी हो गई थी, लेकिन राहुल अनाड़ी था। लंड खड़ा होने के बावज़ूद उसके दिमाग़ में चोदने की इच्छा पैदा नहीं हुई थी। वो बोला: भाभी, मुझे नींद आ रही है।

उस रात से वो मुझे भाभी कहने लगा। मैंने उसे गोद में लेकर सुलाया, तो तुरन्त नींद में खो गया। मैंने सोचा आगे-आगे चुदाई के पाठ पढ़ाऊँगी और एक दिन उसका लंड मेरी चूत में लेकर चुदवाऊँगी ज़रूर। लेकिन मेरे नसीब़ में कुछ और लिखा था।

उनके कुछ शरारती दोस्तों ने उनके दिल में ठसा दिया कि चूत में दाँत होते हैं, नूनी जो चूत में डाली तो चूत उसे काट लेगी। फिर पेशाब कहाँ से करेगा। मैंने लाख समझाया, लेकिन वो नहीं माना। मैंने कहा कि ऊँगलियाँ डाल कर देख लो कि अन्दर दाँत हैं या नहीं। उसने वह भी नहीं किया। बिन चुदवाए मैं कँवारी ही रही। रसिकलाल की पहचान वाले और राहुल के कई मुँह-बोले दोस्तों में से कितनी ही ऐसे थे जिन्होंने मुझ पर बुरी नज़र डाली। दूर के एक देवर ने खुला पूछ लिया: भाभी, राहुल चोद ना सके, तो घबराना नहीं, मैं जो हूँ। चाहे तब बुला लेना। उन सबको मैंने कह दिया कि राहुल मेरे पति हैं और मुझे अच्छी तरह चोदते हैं। दिनभर मैं उन सब का हिम्मत से सामना करती थी। रात अनाड़ी बलम से बिन चुदवाए फूट-फूट कर रो लेती थी। रसिकलाल लेकिन होशियार थे, उन्हें यकीन हो गया था कि राहुल ने मुझे चोदा नहीं था। मुझे शक है कि चुपके से वो हमारे बेडरूम में देखा करते थे। जो कुछ भी हो, उन्हें पितामह बनने का उतावलापन था।

एक दिन एकांत पाकर मुझसे पूछा: क्यूँ बेटी? सब ठीक हैना? उनका इशारा चुदाई की ओर था जानकर मुझे शर्म आ गई। मैंने सिर झुका लिया और कुछ ना कह सकी… मैं रो पड़ी। मेरे कंधों पर हाथ रखकर वो बोले: मैं सब जानता हूँ, तू अभी भी कँवारी है। राहुल ने तुझे चोदा नहीं है सच है ना? ससुरजी के मुँह से चोदा शब्द सुनकर मैं चौंक गई, उनकी बाँहों से निकल गई, कुछ बोली नहीं। आँसू पोंछ कर सिर हिला कर हाँ कहा। वो फिर मेरे नज़दीक आए, मेरे कंधों पर अपनी बाँह रख दी और बोले: बेटी, ये राज़ हम हमारे बीच रखेंगे कि राहुल चोदने के क़ाबिल नहीं है। लेकिन मुझे पोता चाहिए, इसका क्या? मेरी इतनी बड़ी जायदाद, इतना बड़ा कारोबार सब सफ़ा हो जाएँगे, मेरे मरने के बाद। वो तो वो लेकिन जब मैं इस दुनिया में ना रहूँ तब तेरी और राहुल की देख-भाल कौन करेगा जब तुम दोनों बुड्ढे हो जाओगे? मुझे लड़का चाहिए। है कोई ईलाज तेरे पास?

मैंने कहा: मैं क्या कर सकती हूँ पिताजी?

रसिकलाल: तुझे करना कहाँ है? करवाना है समझीं?

मैं: हाँ, लेकिन किस के पास जाऊँ? आप की इच्छा है कि मैं कोई और मर्द छिः छि:। मुझसे यह नहीं हो सकेगा।

रसिकलाल: मैं कहाँ कहता हूँ कि तू ग़ैर मर्द से चुदवा।

ससुरजी फिर चुदवाओ शब्द बोले। मुझे शरम आ गई। सच कहूँ तो मुझे बुरा नहीं लगा, थोड़ी सी गुदगुदी हो गई और होंठों पर मुस्कान आ गई जो मैंने मुँह पर हाथ रख कर छुपा ली।

मैंने पूछा: आपकी क्या राय है?

कुछ मिनटों तक वे चुप रहे, सोच में पड़े रहे, अन्त में बोले: कुछ ना कुछ रास्ता मिल जाएगा, मैं सोच लूँगा। मुझे तू वचन दे कि तू पूरी सहायता करेगी। करेगी ना?

मैंने वचन दे दिया। वो चले गए। उस दिन के बाद ससुरजी का रंग ही बदल गया। अब वो अच्छे कपड़े पहनने लगे। रोज़ शेविंग करके स्प्रे लगाने लगे। बाल जो थोड़े से सफेद हुए थे, वो रंग लगवा कर काले करवा लिए। एक बार उन्होंने पानी का प्याला माँगा। मैंने प्याला दिया तब लेते वक्त उन्होंने मेरी ऊँगलियाँ छू लीं। दूसरी बार प्याला पकड़ने से पहले मेरी कलाई पकड़ ली। बात-बात में मुझे बाँहों में लेकर दबोच लेने लगे। मुझे यह सब मीठा लगता था। आख़िर वो एक हट्ठे-कट्ठे मर्द थे, भले ही राहुल की तरह जवान ना थे लेकिन मर्द तो थे ही। सासूजी का देहान्त हुए एक साल हो गया था। मेरे ख़्याल से उन्होंने उसके बाद कभी चुदाई नहीं की थी किसी के साथ। मेरे जैसी जवान लड़की अगर घर में हो, एकांत मिलता हो तो उनका लंड खड़ा हो जाए, इसमें उनका क्या क़सूर?

थोड़े दिन तक मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। फिर सोचने लगी कि क्यों ना मैं उनका साथ दूँ! अधिक से अधिक वो क्या करेंगे? मुझे चोदेंगे! हाय यह सोचते ही मुझे गुदगुदी सी होने लगी। ना, ना, ऐसा नहीं करना चाहिए। क्यूँ नहीं? बच्चा पैदा होगा तो सब समस्याएँ हल हो जाएँगीं। किसे पता चलेगा कि बच्चा किसका है?

सच कहूँ तो मुझे भी तो चाहिए था कोई चोदने वाला। ऐरे-गैरे को ढूँढूँ, इनसे मेरे ससुरजी क्या कम थे? मैंने तय किया कि मेरे कौमार्य की भेंट मैं अपने ससुरजी को दूँगी और उनसे चुदवा कर जब चूत खुल जाए तब राहुल का लंड लेने की सोचूँगी। उस दिन से ही मैंने ससुरजी को इशारे भेजना शुरु कर दिया। मैंने ब्रा पहननी बन्द कर दी। सलवार-कमीज़ की जगह चोली-घाघरी और ओढ़नी डालने लगी। वो जब कलाई पकड़ लेते थे तब मैं शरमा कर मुस्कुराने लगती। मेरी प्रतिक्रियाओं व प्रतिभावों को देखकर वे बेहद खुश हुए। उन्होंने छेड़-छाड़ बढ़ाई। एक-दो बार मेरे गाल पर चिकोटी काट ली उन्होंने। दूसरी बार मेरी गाँड पर हाथ फिरा लिया। मैं अक्सर ओढ़नी का पल्लू गिरा कर चूचियाँ दिखाती तो कभी-कभी घाघरी खिसका कर जाँघें दिखाती रहती। दिन-ब-दिन सेक्स का तनाव बढ़ता चला। एक समय ऐसा आया कि उनकी नज़र पड़ते ही मेरी शरम जाने लगी, उनके छू जाने से ही मेरी चूत गीली होने लगी। उनकी मौज़ूदगी में घुण्डियाँ कड़ी की कड़ी रहने लगीं। अब वो अपनी धोती में छुपा टेन्ट मुझसे छुपाते नहीं थे। मैं इन्तज़ार करती कि कब वो मुझ पर टूट पड़ें।

आख़िर वो रात आ ही गई। राहुल सो गया था। ससुरजी रात के बारह बजे बाहर गाँव से लौटे। मैंने खाना तैयार रक्खा था। वो स्नान करने गए और मैंने खाना परोसा। वो नहाकर बाथरूम से निकले तब मैंने कहा: खाना तैयार है, खा लीजिए।

वो बोले: तूने खाया?

मैं: नहीं जी, आप के आने की राह देख रही थी।

वो बोले: कोमल, ये खाना तो हम हर रोज़ खाते हैं। जिसकी भूख मुझे तीन सालों से है, वो कब खिलाओगी?

मैं: मैं कैसे खिलाऊँ? कहाँ है वो खाना?

वो: तेरे पास है।

मैं समझ रही थी जो वह कह रहे थे। मुझे शर्म आने लगी। नज़रें नीची करके मैंने पूछा: मेरे पास? मेरे पास तो कुछ नहीं है।

वो: है, तेरे पास ही है, दिखाऊँ तो खिलाओगी?

सिर हिला कर मैंने हाँ कही। उधर मेरी चूत गीली होने लगी और दिल की धड़कन बढ़ गई। वो मेरे नज़दीक आए। मेरे हाथ अपने हाथों में लिए, होंठों से लगाए। बोले: तेर पास ही है बताऊँ? तेरी चिकनी गोरी जाँघों के बीच।

मैं शरमा गई, उनसे छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन उन्होंने मेरे हाथ छोड़े नहीं, बल्कि उठाकर अपनी गर्दन में डाल दिए। मैं सरक कर नज़दीक गई। मेरी कमर पर हाथ रखकर उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया और बाँहों में जकड़ लिया। मैंने मेरा चेहरा उनके चौड़े सीने में छुपा दिया। मेरे स्तन उनके पेट के साथ दब गए। उनका खड़ा लंड मेरे पेट से दब रहा था। मेरे सारे बदन में झुरझुरी फैल गई। एक हाथ से मेरा चेहरा उठाकर उसने मेरे मुँह पर अपना मुँह लगाया। पहले होंठों से होंठ छुए, बाद में दबाए, आख़िर जीभ से मेरे होंठ चाटे और अपने होंठों के बीच लेकर चूसे। मुझे कुछ होने लगा। ऐसी गरमी मैंने कभी महसूस नहीं की थी। मेरे स्तन भारी हो गए। घुण्डियाँ कड़ी हो गईं। चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। मुझसे खड़ा नहीं रहा जा रहा था।

चुम्बन का मेरा यह पहला अनुभव था, और बहुत मीठा लग रहा था। उन्होंने अपने बन्द होंठों से मेरे होंठ रगड़े। बाद में जीभ निकाल कर होंठ पर फिराई। फिराते-फिराते उन्होंने जीभ की नोंक से मेरे होंठों के बीच की दरार टटोली। मेरे रोएँ खड़े हो गए। अपने-आप मेरा मुँह खुल गया और उनकी जीभ मेरे मुँह में पहुँच गई। उनकी जीभ मेरे मुँह में चारों ओर घूम गई। जब उन्होंने जीभ निकाल दी तब मैंने मेरी जीभ से वैसा ही किया। मैंने सुना था कि ऐसे चुम्बन को फ्रेंच किस कहते हैं। फ्रेंच किस करते-करते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया और बेडरूम में चल दिए, जाकर पलंग पर चित्त लिटा दिया।

ओढ़नी का पल्लू हटाकर उन्होंने चोली में क़ैद मेरे छोटे स्तनों को थाम लिया। चोली पतले कपड़े की थी और मैंने ब्रा पहनी नहीं थी इसलिए मेरी कड़ी घुण्डियाँ उनकी चुटियों में पकड़ी गईं, इतने से उनको संतोष हुआ नहीं। फटाफट वो चोली के हुक खोलने लगे। मैं चुम्बन करने में इतनी मशगूल थी कि कब उन्होंने चोली उतार फेंकी, उसका मुझे पता न चला। जब मेरी घुण्डियाँ मसली गईं तब मैंने जाना कि मेरे स्तन नंगे थे और उनके पंजे में क़ैद थे। स्तन सहलाना तो कोई ससुरजी से सीखे। ऊँगलियों की नोक़ से उन्होंने स्तन पंजे में दबोच लिया। मेरे स्तन में दर्द होने लगा। लेकिन मीठा लगता था। अन्त में उन्होंने एक के बाद एक घुण्डियों और स्तन का गहरा घेरा च्यूँटी में लिया और खींचा और मसला। इस दौरान चुम्बन चालू ही था। अचानक चुम्बन छोड़कर उन्होंने अपने होंठ घुण्डियों से चिपका दिए। उनके होंठ लगते ही घुण्डियों से करंट जो निकला वो चूत के भग्नों तक जा पहुँचा। वैसे ही मेरी घुण्डियाँ बहुत नाज़ुक थीं, कभी-कभी ब्रा का स्पर्श भी सहन नहीं कर पाती थी।

उस रात पहली बार मेरी घुण्डियों ने मर्द की ऊँगलियों व होंठों का अनुभव किया। छोटे लड़की की नुन्नी की तरह चूचियों का गहरा घेरा, और घुण्डियाँ सभी कड़े हो गए थे। एक-एक करके उन्होंने दोनों घुण्डियाँ चूसीं, दोनों स्तन सहलाए और मसल डाले। उन्होंने मुझे धकेल कर चित्त लिटा दिया, वो औंधे और मेरे बदन पर छा गए। मेरी जाँघ के साथ उन का कड़ा लंड दब गया था। ज़्यादा देर उनसे बर्दाश्त ना हो सकी। वो बोले, अब में देर करूँगा तो चोदे बिना ही झड़ जाऊँगा। तुम तैयार हो?

मेरी हाँ या ना कुछ काम के नहीं थे। मुझे भी लंड तो लेना ही था। मेरी सारी भोस सूज गई थी और काम-रस से गीली-गीली हो गई थी। मैंने ख़ुद पाँव लम्बे किए और चौड़े कर दिए वो ऊपर चढ़ गए। धोती हटा कर लंड निकाला और भोस पर रगड़ा। मेरे नितम्ब हिलने लगे। वो बोले: कोमल बेटी, ज़रा स्थिर रह जा, ऐसे हिला करोगी, तो मैं कैसे लंड डालूँगा?

मैंने मुश्किल से मेरे नितम्ब हिलने से रोके। हाथ में लंड पकड़कर उन्होंने चूत में डालना शुरु किया लेकिन लंड का मत्था फिसल गया और चूत का मुँह पा न सका। पाँच-सात धक्के ऐसे ही बेकार गए। मैंने जाँघें ऊपर उठाईं, फिर भी वो चूत ढूँढ़ ना सके। लंड अब ज़रा सा नर्म होने लगा। उनका उतावलापन बढ़ गया। उस वक्त मुझे याद आया कि नितम्ब के नीचे तकिया रखने से भोस का कोण बदलता है और चूत उठ जाती है। उनसे पूछे बिना मैंने तकिया नितम्ब के नीचे रख दिया। अबकी बार जब धक्का लगाया तब लंड का मत्था चूत मे मुँह में घुस गया। मेरी चूत ने संकुचन किया।

अब आगे क्या रहा बताने को?

( कहानी अधूरी लगती है पर रोचक है, इसलिए प्रकाशित की गई है !) Anatrvasna

दोस्तो, मुझे बहुत खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.

बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं भाभी को जरूर हासिल करूँगा.

स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.

जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं भाभी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.

बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और भाभी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.

ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ भाभी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.

एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, भाभी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और भाभी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.

आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और भाभी से पूछा- भाभी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि भाभी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“भाभी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“आशीष तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“भाभी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”

अब भाभी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- आशीष उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”

“भाभी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”

“देखो आशीष ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“भाभी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“आशीष मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“भाभी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“आशीष , मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“भाभी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है आशीष !”

मैंने भाभी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही भाभी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको आशीष , अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”

मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही भाभी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.

जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“भाभी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”

अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह भाभी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. भाभी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.

मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने भाभी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.

मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“भाभी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”

इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.

मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!

मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“आशीष , वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों भाभी भैया नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”

मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“भाभी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं आशीष , जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”

मैं हैरान था, यह वही भाभी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर भाभी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“आशीष अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है भाभी जी!”

मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.

“भाभी, बहुत जल्दी है क्या?”
“आशीष , तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“भाभी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. भाभी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“आशीष , जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ भाभी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और भाभी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“आशीष , तुम नीचे आ जाओ!”

अब मैं नीचे था और भाभी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ आशीष इनको! तुम्हारे भैया को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“आशीष …! मैं तो गई आशीष ! हऽऽस्सऽऽऽ!”

वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
आशीष ! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई आशीष आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“आशीष आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“भाभी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”

यह सुनते ही भाभी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“भाभी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं आशीष ! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! भाभी! मैं तो गया भाभी आऽऽस्स!”

भाभी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. भाभी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों आशीष ? हो गए खाली?”
“हाँ भाभी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या आशीष ? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम भाभी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”

यह कह कर मैंने भाभी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में!

Hindi Sex Stories

Antarvasna

अंश और अभिनव दोस्त हैं. अंश अपनी बहन उषा के साथ Antarvasnaअभिनव के गाँव गया है वहाँ अभिनव की छोटी बहन सपना उन से मिलती है अभिनव सुमन नाम की नौकरानी को अक्सर चोदता आया है अंश भी सुमन को चोदना चाहता है दीवाली के दिन होने से अभिनव की माताज़ी ने महेमान घर की सफ़ाई का काम निकाला है महेमान घर गाँव से बाहर है उषा और सपनासुमन के साथ वहाँ गयी है. अभिनव और अंश महेमान घर जा पहुँचते हें और उषा और सपना को चाय नाश्ता लेने बड़े घर भेज देते हें.सुमन अकेली रह जाती है दोनों दोस्त एक साथसुमन को चोदते हें.
चुदाई चालू है आगे पढ़िए:

अभिनव सुमन के सर के पास बैठ गया और अपना लंड उस के मुँह में धर दिया.सुमन को अपना मुँह पूरा खोलना पड़ा अभिनव का मोटा लंड अंदर लेने के लिए इधर मैंने उसकी जांघें फैला के लंड भोस पर टिका दिया और एक धक्के से सारा का सारा लंड चूत में घुसेड़ दिया. उधर अपने हिप्स हिला कर अभिनव सुमन का मुँह चोदने लगा तो मैं धीरे धक्के से उस की टाइट चूत चोदने लगा.सुमन के मुँह से उन न न न न आवाज़ आने लगी और उसके चुतड़ घूमने लगे.

थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने फटाके मारने शुरू किया. मैंने लंड को पूरा बाहर निकल कर क्लाइटोरिस पर रगडा. अचानक सुमन का बदन अकड़ गया और रोएँ खड़े हो गये मैंने झट से लंड चूत में डाला और तेज़ रफ़्तार से चोदने लगा.सुमन की चूत ने सिकोड़ कर मेरा लंड निचोड़ लिया. जब उस का ओर्गेज़्म शांत हुआ तब हमने लंड निकाले. दोनों लंड कड़े ही थे क्योंकि हममें से कोई झड़ा नहीं था.
पद्मा बोली : हाय दईया, ऐसी चुदाई तो कभी नहीं करवाई.

हम दोनों ने कन्डोम लगाए. मैं पलंग पर लेट गया. अभिनव ने सुमन को मेरी जांघों पर बिठाया. मैंने लंड सीधा पकड़ रखा.सुमन ने लंड के मत्थे पर चूत टिकाई. जैसे उसने नितंब गिराए मेरा लंड स र र र करता चूत में घुसने लगा. जब मोन्स से मोन्स टकराई तब मूल तक का लंड चूत में पैठ गया था.
अभिनव ने कहा: अंश, अभी ज़रा रुकना, धक्के मत देना.सुमन, तू आगे झुक और गांड उधर कर.
मैं देख नहीं पाता था लेकिनसुमन के कराहने की आवाज़ से समझ गया कि अभिनव उसकी गांड में लंड डाल रहा था. जब पूरा लंड डाला गया तब अभिनवसुमन की पीठ पर झुका और बोला: अंश, मैं गांड मार रहा हूँ औरसुमन भी हिप्स हिलाएगी वैसे ही तेरा लंड चूत में आता जाता रहेगा तुझे धक्के लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

अभिनव उपर से सुमन की गांड मारने लगा. उस के धक्के सेसुमन के नितंब आगे पीछे हिलते थे. बिना कुछ किए मेरा लंड चूत में आता जाता था. जब सुमन गांड सिकॉड़ती थी तब साथ साथ चूत भी सिकुड़ती थी और मेरा लंड दब जाता था. अभिनव ने शुरुआत धीरे धक्के से की थी लेकिनसुमन की उत्तेजना तेज़ी से बढ़ने लगी अभिनव ने धक्के की रफ़्तार बढ़ाई पीछे से हाथ डाल कर अभिनव नेसुमन के स्तन थाम लिए थे. मैं उसका मुँह चूम रहा था. मैंने एक हाथ हमारे बदन बीच से भोस पर लगा दिया.सुमन की सारी भोस गीली हो गयी थी. जैसे मैंने उसकी कड़ी क्लाइटोरिस को छुआ वैसे उसको ओर्गाज़्म हो गया. हमने धक्के लगाने रोक लिए.

ओर्गाज़्म के फटाके शांत हुए तब अभिनव ने कहा :सुमन, प्यारी, तू कहे तो हम दोनों जगह बदल कर चुदाई करें?सुमन मुँह से बोली नहीं, छूट सिकोड़ कर जवाब दिया.

हमने जगह की अदला बदली की. गांड मारने का ये मेरा पहला अनुभव था. चूत के बजाय गांड इतनी टाइट होती है वो मैंने पहली बार जाना.

गांड में लंड डालने की तकनीक अलग है जो मुझे अभिनव ने सिखाई. जब मेरा लंडसुमन की गांड में पूरा बैठ गया तब अभिनव ने मुझे फिर चित लेटाया. अपनी गांड में मेरा लंड लिएसुमन ऊपर आ गयी उसने जांघे चौड़ी कर दी. अभिनव उपर चढ़ गया. एक ही धक्के से उसने अपना लंड चूत में घुसेड़ दिया. पाँच सात धक्के मार कर वो रुक गया और बोला : अंश, अब तेरी बारी. तू धक्के लगाएगा तब मैं स्थिर रहूँगा.

मैंने धीरे धक्के से गांड मारनी शुरू की. दोस्तो, चूत और गांड में बहुत फ़र्क है उसे चोदने का आनन्द भी अलग अलग है हाथ की मुट्ठी में पकड़ा हो वैसेसुमन की गांड ने मेरा लंड पकड़ा था, मानो कि वो गांड से मुठ मार रही थी. जब वो चूत सिकॉड़ती थी तब उसकी गांड भी सिकुड़ जाती थी और लंड और ज़ोर से भिंच जाता था. लंड में इतनी गुदगुदी होती थी कि वहाँ से निकल कर सारे बदन में फैल जाती थी.

थोड़ी देर बाद मैंने और अभिनव ने एक साथ धक्के लगाने शुरू किए. मैं अब पूरी ताक़त सेसुमन की गांड मारने लगा. अभिनव भी ऐसे ही उसकी चूत मार ने लगा. दूसरी दस मिनट तक चुदाई चली तबसुमन बोली : मैं तीन बार झड़ चुकी हूँ अब तो बस कीजिए.

हम दोनों ने तेज़ी से धक्के लगाए और एक साथ झड़े.सुमन भी एक बार और झड़ी.. लंड निकाल कर हम उतरे.

थकी हुईसुमन थोड़ी देर पड़ी रही, बाद में उठ कर बाथरूम में चली गयी हमने भी सफ़ाई की और कपड़े पहन लिया. आगोश में ले कर अभिनव नेसुमन को किस किया और पूछा : तुझे लगा तो नहीं न? मजा आया?
वो बोली : बहुत मजा आया
अभिनव : कैसा लगा मेरे दोस्त का लंड? फिर से चुदवायेगी?
धत्त कह केसुमन ने हलकी चपत लगाई और अपने आपको छुड़ा कर भाग गयी

पद्मा के जाने के बाद हम अगले कमरे में गये वहाँ सपना और उषा चाय नाश्ता साथ हमारी राह देख रही थी. हमें देख वो खिल खिल हँसने लगी अभिनव ने पूछा : कब की आई हो तुम? और ऐसे हँस क्यों रही हो?
एक दूजे की ओर देख कर वो दोनों फिर से हँसने लगी
मैं: चाय लाई हो या नहीं?
जवाब में उषा ने चाय नाश्ता लगाया. हम चारों ने नाश्ता किया. बाद में बातें चली.

उषा : अभिनव भैया, सपना कहती है कि आप दोनों को दूध पीना चाहिए.
अभिनव :क्यूं भला?
अपने मुँह पर हाथ रख कर सपना हँसती हुई बोली: इतना जो दूध अभी आपने निकाल दिया वो दूध पीने से नया बन जाएगा.
उषा : सपना, भैया ने जो निकाला वो दूध कहाँ था? क्रीम था क्रीम, दूध इतना खट्टा कहाँ होता है?
थोड़ी देर अभिनव सोच में पड़ गया, बोला: कितना क्रीम निकाला ये तुम्हें कैसे मालूम?
उन दोनों की हँसी बढ़ गयी.
अभिनव: समझा, अब मैं समझा. तुम दोनों ने हमारी चुदाई देख ली है सही ना? सपना?

सपना शर्म से हमसे नज़र नहीं मिला सकती थी. बोले बिना उस ने हाँ कही.
अभिनव: अंश, इन दोनों ने हमारी चुदाई देख ली है क्या करेंगे उनका?
सपना : दूध ले आ?
सपना ज़ोर से हँस पड़ी.

अभिनव : उषा, दूध की ज़रूरत नहीं है जहाँ क्रीम बनता है वो फेक्टरी ओवर टाइम काम करती है अभी काफ़ी क्रीम पड़ा है चाहिए तुझे?
उषा ने अपना चेहरा ढक दिया. आश्चर्य से सपना की आँखें फट गयी वो बोली : मैंने कहा था ना? अभिनव भैया को मत उकसाना? सुन लिया जवाब?
मैं: मेरे पास भी काफ़ी क्रीम है किस को चाहिए?
लड़कियों के मुँह से सेक्स की बातें सुन कर हमारे लौड़े खड़े होने लगे थे. उन दोनों की नज़रें बार बार उस तरफ़ जाती थी. दोनों के चेहरे लाल लाल हो गये थे.
मैं बनावटी मुँह लंबा कर के बोला : अभिनव ये तो बुरा हुआ. उषा तो कँवारी नहीं है उस के लिए चुदाई नयी चीज़ नहीं है लेकिन सपना?
अब की बारी थी अभिनव की खड़ खड़ हँसने की. वो बोला: सपना, तू कँवारी है?
सपना नज़र नीची कर बोली: ऐसे भी क्या पूछ रहे हैं भैया? आप जानते तो हैं.

ज़ाहिर हुआ कि सपना को भी किसी ने चोदा था. मैं मन ही मन ख़ुश हुआ कि चलो इस लड़की को चोदना आसान होगा. मैंने प्रार्थना की हे! भगवान एक मौक़ा दे दे मुझे इस कुड़ी को चोदने का.
अभिनव : उषा, ये बता कि तुझे किसने चोदा पहली बार?
सपना ने मेरी ओर इशारा कर दिया. अभिनव बोला: अच्छा तो ये है बहन चोद. कहाँ और कब?
उषा: मंजुला भाभी के घर उसी वक़्त.

अभिनव: उसी वक़्त? वाह रे मेरे शेर, तूने दो दो चूत मार दी एक साथ. लेकिन बदमाश, तू तो कहता था कि तूने अकेली भाभी को चोदा था.
मैं: मैं क्या करता? मुझे भाभी को चोदते देख उषा गर्म हो गयी और…
अभिनव: …और तूने उसे भी चोद लिया. शाबाश.
मैं: बात ये है कि… बताऊँ उषा?
उषा ने हाँ कहा.

मैं: बात ये है कि बचपन से ही उषा जल्दी गर्म हो जाती है मैंने तो तब जाना जब एक दिन…

एक दिन उषा के घर कुछ मेहमान आए तांगा लिए जैसे तांगा रुका, घोड़े ने अपना दो फुट लंबा लंड निकाला और पेशाब किया. अंश और उषा वहाँ मौजूद थे. बारह साल की उषा घोड़े का लंड देख उत्तेजित होने लगी उसकी पीकी गीली हो गयी वो अपनी पीकी खुजलाने लगी. रात को जब माताज़ी और पिताजी सो गये तब वो अंश के पास जा कर बोली : भैया, मेरी पीकी तो देखो, कितनी सूज गयी है और गीली भी हो गयी है.
अंश ने उस दिन पहली बार अपनी बहन की भोस देखी. उषा के बदन में जवानी खिल रही थी. सीने पर बड़े नींबू की साइज़ के स्तन उभर आए थे. भोस पर काले झांट उग निकले थे. अंश को मालूम था क्या करना. उषा को लेटा कर उसने उगालियों से भोस सहलाई और क्लाइटोरिस मसली. उषा बोली : भैया बहुत गुदगुदी होती है दो पाँच मिनट में उषा को ओर्गेज़्म हो गया. इसके बाद बैठकर अंश ने उसे समझाया कि लंड क्या है चूत क्या है चुदाई क्या है वग़ैरह.
मैं : याद है उषा तेरा वो पहला ओर्गेज़्म?

अभिनव : तब से ओर्गेज़्म का मजा लेती हो तुम?
उषा : शुरू शुरू में इतने ज़ोरदार नहीं होते थे.
अभिनव : अब कैसे होते हैं?
उषा : मैं क्या कहूँ? आप ही देख लीजिए न.

अभिनव ख़ुश हो गया. उसके लंड ने पाजामा का तंबू बना दिया.
अभिनव : सपना तो लंबे अरसे तक बेख़बर रही थी, क्यूं सपना?
मैं : आख़िर किस ने ज्ञान करवाया?
अभिनव : एक बार ऐसा हुआ कि…
एक बार सपना को साइकिल पर बिठा कर अभिनव कहीं जा रहा था कि रास्ते में एक गधी दौड़ आई. उसके पीछे गधा पड़ा था. जैसी गधी उनके पास आकर खड़ी हो गयी वैसे ही गधा ऊपर चढ़ गया और चोदने लगा. उसका दो फुट का लंड गधी की चूत में आता जाता सपना और अभिनव दोनों देखते रहे. सपना घबरा गयी और बोली : ये क्या कर रहा है? गधी मर जाएगी?
अभिनव ने सपना के कान में कहा : घर जा कर सब समझाऊँगा.

गधे गधी की चुदाई देख कर अभिनव का लंड तो खड़ा हो गया लेकिन सपना पर कोई असर पड़ा नहीं. घर पहुँचे तब घर में कोई था नहीं. अभिनव बहुत एक्साइट हो गया था. सपना की मौजूदगी की परवाह किए बिना वो बाथरूम में गया और मुठ मारने लगा. ताज्जुब हो कर सपना देखती रही. उस ने पहली बार बालिग लंड देखा था, बोली : भैया इतना तेज़ी से घिसते हो तो कहीं लग जाएगा.

अभिनव जवाब देने के मूड में नहीं था. फ़च्छ फ़च्छ करती वीर्य की चार पाँच पिचकारियाँ छोड़ कर वो झड़ा. अभिनव ने उस वक़्त सपना को समझाया कि चुदाई क्या है लोग क्यों करते हैं. सुनकर सपना बोली: चलो ना भैया, हम दोनों चुदाई करें?

अभिनव: न, अभी तू छोटी हो. तेरी चूत सिकुड़ी है तू ज़रा बड़ी हो जाए, तेरी महवारी शुरू हो जाए बाद में तू चुदवा सकेगी, इनसे पहले नहीं.
सपना: ऐसा? लेकिन भैया, जब मैं बड़ी हो जाऊँ तब आप ही मुझे पहली बार चोदना!
अभिनव: ऐसा हुआ भी सही, क्यों सपना?
उषा: अभिनव भैया, पूरी कहानी कही ये. कब, कहाँ, कैसे? आपने हमारी तो सुन ली है अब आपकी सुनाईये.

अभिनव: वक़्त आने पर कहूँगा. फिलहाल मैं देख रहा हूँ कि अंश के बदन में क्रीम का प्रेशर बढ़ गया है उसका कुछ करना पड़ेगा वरना बेचारे की गन फट जाएगी
अभिनव सच कह रहा था. मेरा लंड तन कर लोहे जैसा हो गया था.
मैं: उषा, हमारी चुदाई देख तुझे कुछ नहीं हुआ?
उषा: भैया, कैसी बात करते हैं आप? मैं पत्थर की बनी हूँ क्या?
मैं: तो अब तक तू राह किसकी देख रही है? निमंत्रण चाहिए तुझे? देखती नहीं है अभिनव का…
अभिनव बीच में बोला: अंश, उषा लड़की है बुलाए बिना नहीं आएगी, क्यूं उषा?

अभिनव उठकर उषा के पास गया. उसने बाहें लंबी की, उषा ने उसके हाथ पकड़ लिए खींचकर उषा को उसने खड़ा कर दिया और अपनी बाहों में भर लिया. उन दोनों के मुँह किस में जुट गये.
मैं सोफ़े पर बैठा था. हाथ लंबे करके मैंने सपना को बुला लिया. सपना मेरे पास चली आई और खड़ी हो गई. वो शरमा रही थी. दाँत से उंगली काट रही थी. उसका चेहरा लाल लाल हो गया था. दो तीन बार मुझसे आँख चुरा कर उसने अभिनव और उषा की ओर देखा. उन दोनों को चुंबन में लगे हुए देख सपना ज़्यादा शरमाई. बहुत प्यारी लग रही थी वो. उसने रेशमी चोली, घाघरी और ओढ़नी पहनी थी. चोली छोटी होने से उसकी गोरी गोरी कमर और सपाट पेट का काफ़ी हिस्सा खुला था. मैंने उसे कमर से थाम लिया. उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी. मैंने उसे पास खींच लिया. मेरा सिर उसके सीने से दब गया. सिर हिला कर मैंने उसके स्तन टटोला. ऐसे में ओढ़नी का पल्लू थोड़ा खिसक गया. खुले हुए गोरे पेट पर मैंने किस कर दिया. गुदगुदी से वो छटपटाई. उसे पकड़ कर मैं किस करता रहा.

आख़िर मेरे बाल पकड़ कर उसने मेरा सिर हटा दिया. बोली: मुझे बहुत गुदगुदी होती है
मैं: ये तो तेरा पेट है यहाँ (भोस पर हाथ रखते हुए) किस करूँगा तब क्या होगा?
उसने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया. एक उंगली मेरे होठों पर रख कर बोली: धत्त, ऐसा नहीं बोलते.

मैंने होंठ खोल उंगली मुँह में ली और चूसने लगा. मेरा दूसरा हाथ कमर पर से उतार कर उसके भरे भरे नितंब पर जा पहुँचा. मैंने कूल्हे सहलाए और दबाए. उसने मेरे मुँह से उंगली निकाल ली और सिर झुकाकर अपने होंठ मेरे होंठ से लगा दिए जांघें चौड़ी कर मैंने उसे मेरी बाई जाँघ पर बिठा दिया. हमारे होंठ किस में जुटे हुए थे. बंद होंठ से ही मैंने उसके कोमल होंठ रगड़े. मुँह खोल मैंने उसके होंठ मेरे होंठ भींच लिए और जीभ से चाटे. फूल की पंखुड़ी जैसे कोमल उसके होंठ मुझे इतने मीठे लगे कि मेरा लंड अकड़ने लगा.
जीभ से मैंने होंठ टटोले तब वो फिर छटपटा गयी.

मैंने कहा : मुँह खोल तो ज़रा.
थोड़ी हिचकिचाहट के बाद उसने मुँह खोला. मेरी जीभ अंदर जाकर चारों ओर घूम चुकी और उसकी जीभ से खेलने लगी. मैंने जीभ लंड जैसी कड़ी बनाई. कड़ी जीभ अंदर बाहर करके मैंने सपना का मुँह चोदा. जब मैंने मेरी जीभ वापस ले ली तब उसने अपनी जीभ से वो सब किया जो मैंने किया था. हम दोनों एक्साइट होने लगे.

उधर अभिनव ने उषा को पलंग की धार पर लेटाया था और ख़ुद ज़मीन पर बैठ उसकी भोस सहला रहा था. भोस के होठ चौड़े करके वो जीभ से क्लाइटोरिस टटोल रहा था. उसकी दो ऊँगलियाँ उषा की चूत में डाली हुई थी जो उस के जी स्पोट का मर्दन कर रही थी. अचानक अभिनव ऊँगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर करके उषा की चूत को चोदने लगा. उषा के कूल्हे हिलने लगे. वो मुँह से सी सी सी आवाज़ करने लगी, अभिनव क्लाइटोरिस चूसता रहा और ऊँगलियों से चूत मारता रहा. किस चालू ही थी कि मेरा हाथ सपना के पेट पर चला गया. ओढनी का पल्लू हटा कर मैंने पेट सहलाया. उसकी बाहें मेरे गले में थी इसलिए दोनों स्तन खुले थे. पेट पर से मेरा हाथ चोली में क़ैद सपना के स्तन पर गया. पहले मैंने हलके स्पर्श से स्तन सहलाया, बाद में दबाया. चोली पतले कपड़े की थी और लो कट भी थी. मेरी ऊँगलियों ने कड़ी निप्पल ढूँढ निकाली. दो ऊँगलियों से टटोलने के बाद मैंने निप्पल चिपटी में ली.

सपना ने मेरी कलाई पकड़ ली और हाथ हटाने का प्रयत्न किया. मुट्ठी में स्तन भर के मैंने हटाने दिया नहीं. उधर फ़्रेंच किस की मस्ती में वो अपना स्तन भूल गयी चिपटी में पकड़ी हुई निप्पल मैंने मसली और खींची. उसकी बाहों की पकड़ ज़्यादा ज़ोरदार हो गयी निप्पल छोड़ मेरी ऊँगलियों स्तन के खुले हिस्से पर घूमने लगी मैंने चोली के अंदर उगली डालने का प्रयत्न किया लेकिन डाल न सका क्योंकि चोली छोटी और टाइट थी. किस करते करते मैंने एक एक कर चोली के सब हुक खोल डाले. चोली हटते ही उसके नंगे स्तन मेरी हथेलियों में क़ैद हो गये. सपना के स्तन इतने बड़े तो नहीं थे जितनेसुमन के थे. लेकिन संपूर्ण गोल और कठोर थे. दबाने से दबे नहीं जाते थे. अनजाने में मुझसे ज़रा ज़ोर से स्तन दब गया. सपना कराह उठी. किस छोड़ कर उसने अपना सिर मेरे कंधों पर रख दिया और बोली: मुझे दर्द होता है
मैंने स्तन सहलाया और कहा: जब तक तेरे स्तन बढ़ते रहेंगे तब तक उसे दबाने से दर्द होता रहेगा. पूरे विकसित हो जाने पर दर्द नहीं होगा.

अब मैंने उसकी ओढनी और चोली निकाल दिए उसने शर्म से आँखें बंद कर दी. उसके प्यारे प्यारे स्तन मैं अच्छी तरह देख सका. क्या स्तन पाए थे उस लड़की ने? इतने ख़ूबसूरत स्तन की मुझे उम्मीद नहीं थी. गोरे गोरे गोल गोल छोटे श्रीफ़ल की साइज़ के उसके स्तन कड़े थे. चिकनी मुलायम चमड़ी के नीचे ख़ून की नीली नसे दिखाई दे रही थी. स्तन की चोटी पर बादामी कलर की दो इंच की एरोला थी. एरोला के मध्य में कि के दाने जैसी कोमल छोटी सी नीपल थी. उस वक़्त एक्साइटमेंट से एरोला उभर आई थी और निप्पल कड़े हो गये थे. मैंने पहले हलके स्पर्श से सारा स्तन सहलाया, बाद में मुट्ठी में लिया. निप्पल को चिपटी में लेकर मसला. सपना के मुँह से आह निकल पड़ी.

स्तन साथ खेलते हुए मैंने सपना का हाथ लंड पर रख दिया. पाजामा के आर पार मेरे तने हुए लंड को छूते ही उसने हाथ हटा लिया.
मैं: पकड़ ले, डरती क्यूं हो? काटेगा नहीं.
उसे हँसी आ गयी मैंने फिर लंड पकड़ाया. इस वक़्त उसने मुट्ठी में लिया और होले से दबाया. लंड ने ठुमका लगाया.
मेरे आश्चर्य की हद न रही जब वो मेरे कान में बोली: इतना बड़ा और मोटा? मुझे मुँह में लेना है ले सकती हूँ?

इसके बाद क्या हुआ? कैसे सपना और उषा की चुदाई हुई? ये जानने के लिये अगला भाग अवश्य पढ़ें…
कहानी का अगला भाग : हम पाँच : बहनों की अदला बदली-2 Antarvasna

इंडियन देसी मॉम सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी सौतेली मम्मी खुले आंगन में नहाती हैं. मैं उन्हें नहाते हुए देखता हूँ और उनकी चूत मारने का मन होता है. तो मैंने क्या किया?

हाय, मेरा नाम राहुल है. मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ.
यह बात अभी से लगभग 2 साल पहले की उस वक्त की है जब मैंने पहली बार अपनी सौतेली मम्मी की चुदाई की थी.
उसके बाद तो मैं उन्हें बहुत बार चोद चुका हूँ.

इंडियन देसी मॉम सेक्स कहानी का पूरा मजा लें.

मेरी सगी मम्मी का देहांत अठारह साल पहले किसी बीमारी की वजह से हो गया था.
मेरे परिवार में हम दो भाई हैं. दूसरा भाई मुझसे बड़ा है.

हम दोनों भाइयों को पालने के लिए पापा ने दूसरी शादी कर ली थी.
मगर पापा की मृत्य भी आज से तेरह साल पहले हो गई थी.

मेरी सौतेली मम्मी की उम्र अभी 45 साल की है. बड़े भाई की 23 और मेरी 21 साल है.
आज से कुछ साल पहले हमारे घर में बाथरूम नहीं था तो मम्मी खुले में ही नहाती थीं.

उस टाइम मैं उन्हें नहाते हुए देखता था. मेरी मम्मी का गोरा शरीर बड़ा मस्त लगता था. वो मुझे हमेशा से ही एक माल लगती थीं.
लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरा मन उनको चोदने को होने लगा था.

पापा के देहांत के बाद उनको किसी ने नहीं चोदा था.
उनका रंग एकदम गोरा है, शरीर एकदम पतला सा और चूचियां भी छोटी छोटी हैं.

ये बात तब की है जब मेरे भाई की शादी होने के बाद भाई भाभी एक रूम में सोते थे और मैं और मम्मी एक रूम में!
मैं रात में उठ उठ कर उनकी जांघों को देख कर मुठ मारता था पर कभी हिम्मत नहीं होती थी कि कुछ कर पाऊं.

फिर एक दिन मेरा एक दोस्त मुझे एक मज़ार पे ले गया, मैं भी उसके साथ चला गया.
वहां हमें एक मौलवी जी मिले.

मेरा दोस्त उनके पास कुछ काम से गया था.
उसका काम होने के बाद हम दोनों आ गए.

मैंने दोस्त से पूछा- क्या काम था?
उसने बताया- ये मौलवी जी कोई भी काम करवा सकते हैं. इनकी मदद से किसी को भी तू अपने वश में कर सकता है.

मैंने पूछा- कैसे मदद?
उसने बताया- मौलवी जी कुछ ताबीज वगैरह देते हैं.

मैंने उसको बोला- चल छोड़ … मैं नहीं मानता.
उसने कुछ नहीं कहा.

हम दोनों अपने अपने घर आ गए.

घर आने के बाद जब रात में मैंने मम्मी को देखा, तो वो गहरी नींद में सोई हुई थीं और उनका पेटीकोट जांघों तक उठा हुआ था.
लाइट बंद होने के बाद भी मम्मी की गोरी जांघें चमक रही थीं.

मैंने मन बना लिया कि एक बार मम्मी को तो चोदना ही है.
मगर मैं बिना मम्मी की राजी के उन्हें नहीं चोदना चाहता था.

मैं अगले दिन अपने उसी दोस्त से मिला और मैंने उससे मौलवी जी का फोन नंबर ले लिया.

दोस्त ने पूछा- क्या काम है मौलवी जी से?
मैंने उसको बोला- कुछ ख़ास नहीं यार, ऐसे ही अपनी जॉब के बारे में बात करनी है.

शाम को मैंने मौलवी जी को कॉल किया.
मैंने उनको अपना नाम ग़लत बताया और कहा कि एक औरत को अपने वश में करना है.

पहले तो वो मना करते रहे लेकिन काफ़ी बार कहने के बाद वो मान गए.
उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया.

मैं गया तो उन्होंने मुझे पहचान लिया, पर मैंने उनसे कहा- आप मेरे दोस्त को नहीं बताना.
वो मान गए.

फिर जो भी जानकारी उन्होंने मांगी, मैंने उन्हें दे दी.
उन्होंने मुझसे कहा- जाओ कोई भी मिठाई लेकर आ जाओ.

मैं बर्फी ले आया.
मेरी मम्मी को बर्फी बहुत पसन्द थी.

मौलवी जी ने उस बर्फी के डिब्बे में से एक पीस लिया और उसपर कुछ मंत्र बोलने के बाद मुझे देकर बोले- ले … उसको खिला देना.

मैं घर आ गया और रात में अपने कमरे में चला गया.
जब भाई और भाभी सो गए, तब मैं मिठाई लाया और वो पीस मम्मी को खाने को दे दिया.

उन्होंने पूछा- ये कहां से लाया है?
मैंने बोला- एक दोस्त के साथ था, तो वहां ले ली थी. दोनों ने खाई मगर ये दो पीस बच गए थे.

मम्मी ने बड़े प्यार से बर्फी खा ली.

मौलवी जी ने बताया था कि असर 3 दिन बाद होना शुरू हो जाएगा और 7 दिन में काम पूरा हो जाएगा.

दोस्तो, दो दिन बाद ही असर दिखना शुरू हो गया था. अब मम्मी मुझसे रात में देर तक बात करने लगी थीं और जानबूझ कर पेटीकोट को ऊपर करने लगी थीं.

लेकिन मौलवी जी ने बोला था कि 7 दिन से पहले तू कोई अपनी तरफ से कोई हरकत नहीं करना इसलिए मैंने कुछ नहीं किया.

फिर इस दौरान मेरे मामा के घर में एक फंक्शन आ गया तो मैं दो दिन के लिए वहां चला गया.

लेकिन जिस दिन मैं वापस आया, मम्मी के चहरे पर उस दिन अलग ही ख़ुशी नजर आ रही थी.
उन्होंने बड़े प्यार से मुझसे बात की और रात को हम दोनों सोने चले गए.

उन्होंने मुझसे कहा- कल तू मेरे साथ खेत में चलना.
ये कहते समय मम्मी के चेहरे में एक विशेष ख़ुशी सी झलक रही थी.

मैं बोला- ठीक है मम्मी.
हम दोनों रात में देर तक बातें करते रहे.

सुबह उठने से पहले ही वो मेरे लिए चाय लेकर आईं और बोलीं- जल्दी से खड़ा हो ज़ा, आज हमें खेतों के चलना है.

हमारे खेत गांव से थोड़े दूर हैं, हमने अपने खेत एक बंदे को बटाई पर दे रखे हैं. हम दोनों कभी कभी ही खेत पर जाते हैं.

हम दोनों तैयार हुए. भाई के काम पर जाने के बाद हम दोनों बाइक पर बैठ कर खेत के लिए निकल गए.

रास्ते में मैंने कई बार ब्रेक मारे और वो भी हंस हंस कर बात करती जा रही थीं.

वहां पहुचने के बाद हम दोनों हमारे खेत पर बने कमरे में आ गए.
वहां एक चारपाई पड़ी है. उस पर जाकर मम्मी बैठ गईं.

कुछ देर बाद आराम करने के बाद वो बाहर आईं और खेती करने वाले आदमी को बुला कर उससे बात करने लगीं.

मैं कमरे की छत में ऊपर चढ़ गया और चारों ओर इधर उधर देखने लगा.
मैंने देखा दूर दूर तक बाजरे के खेतों में फसल लहलहा रही थी.

मम्मी उस आदमी और उसकी बीवी से बात करती रहीं.

फिर उस आदमी को कहीं काम से जाना था, उसने मम्मी से कहा- मालकिन मुझे बाजार जाना है, कुछ सामान लाने के लिए.
मम्मी ने उसे जाने के लिए हां कह दिया.

वो चला गया.
उसकी बीवी और मम्मी बातें करती रहीं.

थोड़ी देर बाद मम्मी ने मुझे आवाज़ दी- बेटा, नीचे आ जाओ, चलते हैं.
मैं नीचे आ गया.

मम्मी ने उस औरत से पूछा- खरबूजे कहां लगे हैं?
उसने इशारा करके बताया- मालकिन उस वाले खेत में लगे हैं.

मम्मी ने मुझसे कहा- घर जाने से पहले कुछ तोड़ लाते हैं.
मैंने बोला- ठीक है चलो.

मम्मी आगे आगे चल रही थीं और मैं उनके पीछे पीछे.
वो बहुत सेक्सी लग रही थीं.

खेतों के काफ़ी अन्दर जाने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा- क्या हम लोग बहुत अन्दर आ गए हैं?
मैंने कहा- हां मम्मी.

वो बोलीं- एक बात बोलूँ?
मैं समझ गया कि असर हो गया.

उनकी नज़रों से साफ़ लग रहा था.
वो बोलीं- तेरी कोई दोस्त लड़की है?
मैंने कहा- नहीं.

वो बोलीं- शर्मा मत, सच बता.
मैंने कहा- नहीं है, आपकी कसम.

वो बोलीं- क्यों नहीं बनाई?
मैंने कहा- कोई बनती ही नहीं.

मम्मी हंसने लगीं.

मैंने कहा- आप बन जाओ.
वो बोलीं- तू पागल है, मैं मम्मी हूँ तेरी, किसी को पता चल गया तो?

मैंने कहा- कौन बताएगा. ना आप किसी से कहोगी और ना मैं.
यही सब बातें करते करते हम बहुत अन्दर चले गए.

वहां जाकर वो रुक गईं और मेरी तरफ देख कर हंसने लगीं.
मैं समझ गया कि मम्मी मेरे वश में आ गई हैं.

मैंने थोड़ी हिम्मत करके उनका हाथ पकड़ लिया.
वो बोलीं- कोई आ जाएगा पागल … छोड़.

मैंने कहा- यहां कौन आएगा?
वो मुस्कुराती हुई बोलीं- कोई नहीं आएगा तो तू क्या करेगा?

मैंने थोड़ी हिम्मत करके मम्मी के दोनों कंधे पकड़ लिए. वो मेरी तरफ़ देखती रहीं और मुस्कुराती रहीं.
मेरी हिम्मत और बढ़ गई.

मैं उन्हें गले लगाने के लिए आगे को बढ़ा और वो शर्माते हुए मेरे सीने से लग गईं.
उनको गले से लगाते ही मेरा लंड खड़ा हो गया था.

मैंने सबसे पहले मम्मी के माथे पर एक किस किया.

वो बोलीं- लेकिन कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने कहा- आपकी कसम कभी किसी को पता नहीं चलेगा.

अब मैंने मम्मी को अपने गले से जोर से चिपका लिया और उनकी पतली कमर पर हाथ फेरने लगा.

उन्होंने इतने साल से किसी के साथ सेक्स नहीं किया था तो वो कांप रही थीं.

मैंने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया.
उन्होंने आंखें बंद कर लीं.
मैंने पूरी साड़ी खोल दी.

मेरे दिल की धड़कन भी तेज हो गई थी.
मैंने उनकी साड़ी को नीचे बिछा लिया और उनको पकड़ कर नीचे लेटा दिया.
मम्मी आंखें बंद करके लेट गईं.

मैं सबसे पहले उनके ऊपर चढ़ गया और उनके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया.
मम्मी ने भी अपना मुँह खोल दिया ओर पूरा साथ देने लगीं.

मैंने किस करते करते मम्मी के ब्लाउज के हुक खोल दिए.
मेरे सामने उनकी बिल्कुल छोटी छोटी चूचियां ब्रा में दिख रही थीं.

मैंने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए और उनकी एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मम्मी ने कामुक सिसकारियां भरनी शुरू कर दीं.
मैंने अपना एक हाथ नीचे उनके पेटीकोट में डाल दिया. उनकी चूत पानी छोड़ रही थी, लेकिन एकदम मस्त थी.

मैंने अपनी लाइफ में मम्मी के जैसी चकाचक चूत नहीं देखी थी.
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उनका पेटीकोट निकाल दिया और उनकी टांगों के बीच में हाथ ले आया.

फिर मम्मी की दोनों टांगों को चौड़ा करके उनकी चूत पर अपना हाथ रख दिया.

मम्मी के मुँह से एक तेज आह की आवाज़ आई और मैंने उनकी चूत को मींजना शुरू कर दिया.
उन्होंने अपने हाथ मेरे सर पर रख दिए और दबाने लगीं.

मम्मी सिसयाती हुई बोलीं- आह बस कर … क्या कर रहा है … रहने दे.
मैंने कहा- क्यों पहले किसी ने नहीं किया?

वो बोलीं- सच में तेरी कसम आज … पहली बार तूने ही नीचे किस की है. तेरे पापा ने भी कभी नहीं की.
मैंने कहा- मजा नहीं आया क्या?
मम्मी बोलीं- बहुत ज्यादा मजा आ रहा है यार!

मैंने अपना लोवर निकाल दिया और देखा वो मेरा लंड देखने की कोशिश कर रही थीं.
तो मैंने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए.

मेरा कड़क लंड देख कर मम्मी की आंखें फटी की फटी रह गईं.
लंड को देख कर मेरी मम्मी घबरा गई थीं, वो बोलीं- ये इतना बड़ा … मैं नहीं ले पाऊंगी. तेरे पापा का तो इससे बहुत छोटा था.

मैं आपको बताऊं, मैंने अपना लंड मालिश कर कर कर बहुत बड़ा कर रखा है. मेरे लंड का साइज़ काफी बड़ा है, ये मोटा भी बहुत है.
मैंने उनका हाथ पकड़ कर लंड पर रखा.

वो बोलीं- बेटा मैं इसे नहीं ले पाऊंगी. इससे मेरी फ़ट जाएगी.
मैंने कहा- सब हो जाएगा, प्यार से करूंगा मैं!

ये कह कर मैंने मम्मी की चूत के मुँह पर हाथ से दबा दिया और चूत के अन्दर एक उंगली डाल दी.
वो सिसकारी लेने लगीं.

उनकी पतली पतली टांगों को मैंने ऊपर उठा लिया.
उनकी आंखों में डर दिखाई दे रखा था.

इधर मुझसे रुका नहीं जा रहा था.
मैं मम्मी की टांगों के बीच में आ गया और अपना लंड उनकी चूत पर रख दिया.

मम्मी ने आंखें बंद कर लीं और मैं उनके ऊपर लेट गया.
मैंने मम्मी के होंठों को अपने मुँह में ले लिया और एक जोर का झटका दे दिया.

एक ही धक्के में मेरा आधा लंड मम्मी की चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
मम्मी के होंठ मेरे मुँह के अन्दर होने की वजह से वो चिल्ला नहीं पाईं, पर वो छटपटाने लगीं और उनकी आंखों से आंसू निकल आए.

मैंने उनकी टांगें थोड़ी सी ऊपर की और फिर से एक जोर का धक्का दे दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड, छूट को फाड़ता हुआ जड़ तक घुसता चला गया.

मैं थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा.
थोड़ी देर में वो नॉर्मल हो गईं.

मैंने उनके होंठों से मुँह हटा लिया.

वो बोलीं- बेटा निकाल ले, मर जाऊंगी.
मैंने कहा- नहीं मरेगी मेरी जान.

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
पहले तो मम्मी को दर्द हुआ, लेकिन फिर वो भी साथ देने लगीं.

मैंने मम्मी की टांगें उठा कर कंधों पर रख लीं और उन्हें जोर जोर से चोदने लगा.
अब वो भी मस्ती में बोल रही थीं- आह ऐसे ही चोद दे … ऐसे तो पहले कभी किसी ने नहीं चोदा.

मैंने थोड़ी देर चोदने के बाद मम्मी को घोड़ी बनने के लिए कहा.
पर वो बोलीं- अभी ऐसे ही पेल ले. रात में घर में कुतिया बना कर चोद लेना. अभी बहुत दर्द हो रहा है.

मैं लग गया और 15 मिनट तक मम्मी को ताबड़तोड़ चोदने के बाद मेरा माल निकलने वाला था.

मेरी सौतेली मम्मी का अब तक दो बार पानी निकल चुका था.

वो हाथ जोड़ने लगीं और बोलीं- छोड़ दे यार आज ही मार देगा क्या?
मैं बोला- मेरी जान माल निकलने वाला है, क्या करूं?
वो बोलीं- अन्दर ही निकाल दे जानू.

मैंने अपने लंड का पूरा माल मम्मी की चूत के अन्दर ही निकाल दिया.
फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और घर आ गए.

ऐसे मौलवी जी की मदद से मेरा मॉम सेक्स का सपना पूरा हुआ.

रात में मैंने मम्मी को दबा कर चोदा और दो दिन बाद उनकी गांड भी मारी.

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆