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Massage Girl in Datia: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Datia who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Datia that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Datia massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Datia who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Datia massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Datia massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Datia who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Datia employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Datia helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Datia

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Datia at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

प्रेषक : अनिल Antarvasna

मैं अपने कमरे में म्यूजिक Antarvasna सुन रही थी कि अचानक किसी गाने के गायक के नाम का नहीं पता होने से अपने भैया को मैंने जोर से आवाज़ दी। घर में मेरे और भैया के सिवा और कोई नहीं था। हमारे माता-पिता किसी रिश्तेदार की शादी में दो दिन के लिए बाहर गए थे। दो-तीन बार बुलाने पर मुझे भैया का कोई जवाब नहीं आया। मुझे कुछ अजीब सा लगा। मैं अपने कमरे से निकल कर नीचे आई और फिर से आवाज़ दी पर फिर भी कोई जवाब नहीं आया। सारे कमरे मैंने देखे पर भैया कहीं भी नहीं थे। मैं फिर बाथरूम की तरफ गई।

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा धीरे से खोला तो देखा की भैया की जींस घुटनों तक नीचे थी। मुझे लगा कि मेरे भैया ने एक हाथ से अपने पेशाब वाली चीज़ को पकड़ रखा है और उसे आगे पीछे कर रहे हैं। उनके गले से कुछ अजीब सी आवाज़े निकल रही थी। मैं यह सब देख कर दंग रह गई और वहाँ से हिल न सकी। मेरी आँखें उनके पेशाब वाली चीज़ पर अटक गई। वो उस वक्त बहुत लम्बा और मोटा लग रहा था।

मैंने ऐसे अभी तक कुछ नहीं देखा था।

मुझे अचानक लगा कि मेरी टांगों के बीच मैं कुछ होने लगा है। मैं अपने गाने के बारे मैं सब-कुछ भूल चुकी थी।

तब भैया ने नज़र उठा कर मेरी तरफ देखा और एकदम से चौंक गए और अपनी पेशाब वाली चीज़ को हाथों से छुपाने की कोशिश की। पर मैं तो उनकी पेशाब वाली चीज़ को ही देख रही थी कि जैसे किसी ने मुझे मन्त्रमुग्ध कर दिया हो। तब भैया मेरी तरफ बढ़े और मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं भी उनकी तरफ खिंचती चली गई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे ऊपर किसी ने कोई जादू कर दिया है।

तभी भैया ने मेरा दायां हाथ पकड़ा और उसे धीरे से अपनी पेशाब वाली चीज़ पर रख दिया। मैंने अभी तक भैया की तरफ नहीं देखा था। मैंने उनकी पेशाब वाली चीज़ अपने हाथ में पकड़ ली और मुझे जैसे करंट सा लगा। उनकी पेशाब वाली चीज़ बहुत गर्म सी थी और उसकी आगे वाली मोरी से कुछ लेस जैसी चीज़ भी निकल रही थी।

भैया ने अपना हाथ मेरे उस हाथ पर रख दिया जिस हाथ से मैंने उनकी पेशाब वाली चीज़ पकड़ रखी थी। उनका हाथ मेरे हाथ पर रखते ही मुझे लगा कि मेरा पेशाब निकल गया है। मेरी कच्छी भीग गई हो पर इस पेशाब करने से मुझे जैसे कोई बेहोशी सी आ गई हो। इस तरह की अनुभूति मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं हुई थी। तब भैया अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर अपनी पेशाब वाली चीज़ को आगे पीछे करने लगे। थोड़ी देर बाद भैया ने अपना हाथ मेरे हाथ से उठ लिया और मैं तब भी उनकी पेशाब वाली चीज़ आगे पीछे करने लगी। मेरे भैया ने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए। मैं तो जैसे जल उठी और अपने हाथ से जोर जोर से उनकी पेशाब वाली चीज़ को आगे पीछे करने लगी।

अभी तक हम भाई बहन ने कोई भी शब्द आपस में नहीं बोला था।

अचानक मुझे लगा कि भैया एकदम से अकड़ गए हैं और उसी वक्त उनकी पेशाब वाली मोरी से एक पिचकारी सी निकली और मेरे पेट पर और कई छींटे मेरे मुँह पर पड़े। मेरे भैया उसके बाद एकदम से नीचे बैठ गए और लम्बी सी सांसें लेने लगे। मुझे पता नहीं था कि मैं क्या करूँ क्योंकि मेरी पेशाब वाली जगह से भी पानी निकल रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या है। यह पेशाब नहीं था पर मैं तो जैसे उड़ रही थी, मेरे जिस्म में एक आग सी लगी थी जो इतना मज़ा दे रही थी कि कुछ न पूछो।

फिर मैंने एक ऊँगली से वो लेस उठाया जो मेरे भैया की पेशाब वाली जगह से निकला था और अपने मुँह में चाट लिया। इतना स्वाद आया कि मैंने हर जगह जो वो लेस गिरा था, अपनी ऊँगली से उठाया और चाटना शुरू कर दिया।

जब मैं वो लेस चाट रही थी तो अचानक भैया ने पूछा- मेरी बहना, स्वाद लग रहा है क्या ?

मैं तो शर्म के मारे जैसे लाल हो गई और अपनी नज़रें नीचे कर ली।

भैया ने कहा- बोल न ? अच्छा लगा मेरा जूस ?

मैंने नज़रें नीचे करके कहा- भैया क्यों पूछते हो ऐसी बातें !

भैया बोले- तूने तो मेरा जूस चख लिया, मुझे भी अपना चखने दे ना !

मैंने कहा- कैसे चखोगे?

भैया बोले- तुझे नंगी होना पड़ेगा !

मैंने कहा- मुझसे यह नहीं होगा।

भैया बोले- तूने तो मुझे नंगा देख ही लिया, तो फिर मैं तुझे क्यों न देखूं ! और मैं तुझसे वादा करता हूँ कि तुझे बहुत ही मज़ा आएगा जब मैं तेरा जूस पिउँगा तो।

मैं कुछ देर कुछ ना बोली तो भैया ने एकदम मुझे अपने बाँहों में घेर लिया और मेरे को चूमना शुरू कर दिया।

उनके हाथ मेरे वक्ष पर आ गए और मुझे लगा जैसे मेरे चुचूक अपने आप अकड़ गए हों। मेरी चूचियाँ छोटी हैं पर बहुत कड़क हैं। मेरे चुचूक काफी लम्बे हैं। मेरे भैया ने मुझे उसी वक्त फर्श पर लिटा दिया और मेरी शोर्ट्स नीचे कर दी। मेरे में कुछ भी हिम्मत नहीं थी कि मैं उनको रोक सकती। मेरे जिस्म में तो जैसे एक आग थी जो बुझना चाहती थी।

मेरे भैया ने मेरी कच्छी भी उतार फेंकी। मैं नीचे से बिल्कुल नंगी हो गई थी। फिर मेरे भैया नीचे झुकते चले गए और अपनी जीभ मेरी पेशाब वाली जगह पे रख दी, मुझे लगा जैसे मेरी जान ही निकल गई हो।

उनकी जीभ मेरी पेशाब वाली जगह पर लगते ही मुझे लगा जैसे मेरा पूरे साल का पेशाब एक बार ही निकल गया हो और मैंने भैया का सर अपनी टांगों में दबा लिया।

भैया ने अपना सर ऊपर किया और पूछा- क्या मैंने गलत कहा था कि तुझे मज़ा आयेगा जब मैं तेरे जूस पिउँगा?

मैंने आँखे बंद किये ही कहा- भैया, प्लीज़ ले लो जितना जूस चाहिए तुम्हें। मैं तो तुम्हारी गुलाम हूँ, जैसे बोलेगे वैसे ही करूँगी।

आगे की कहानी अगली बार Antarvasna

Antarvasna

दोस्तो ! मैं सेक्सी कहानियाँ सात महीनों Antarvasna से पढ़ रहा हूँ। मैं २५ साल का शादीशुदा मिडल परिवार का राजस्थान के एक छोटे से कसबे का सेक्सी लडका हूँ। मैं कम्प्यूटर इन्जीनियर हूं। मैं मेरी शादी को दो साल हो गये है।

आपने मेरी कहानी “कुंवारी सलहज को प्रेगनेंट किया” पढ़ी और बस एक मेल ही आया। दोसतो ये कहानी आपको लगता है पसंद नही आई। दोस्तो ! मैने वो पहली बार कहानी लिखी थी।

अब एक बार फिर हाज़िर हूँ अपने दोस्तो के लिए एक मसाले से भरी कहानी लेकर !

२००४ के दिसम्बर की छुट्टियों में मेरे मामा की लडकी हमारे घर १०-१५ दिन के लिए आई। वो २४ साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर २८-२४-२८, ऊंचाई ५’३”, वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको जमकर चोदने का मन करता लेकिन मैं कुछ नही कर पाता,वो मुझे तिरछी नजर से देखती थी।

बस तो सरदियों के दिन थे। सब लोग {परिवार वाले} रजाई ओढ़ के रात को बातें करते थे। वो मेरी वाली साईड में बैठ गयी। मैने धीरे से उसकी टांग पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। वो मेरी तरफ़ देख के मुस्करायी तो मुझे ग्रीन सिगनल मिल गया। मैने उसके बुबस दबाने शुरु किये वो मस्त हो रही थी। वो कहने लगी- मुझे कम्प्यूटर सिखाओ !

मैने कहा क्लास लगेगी, वो भी रात के ९ बजे के बाद !

वो कहने लगी ठीक है। मैं डिनर करके आपके कमरे में आ जाऊगी। वो रात को मेरे कमरे में आयी। गांव में सब ८:३० बजे तक सब सो जाते है। हमारा घर बहुत बड़ा था। मैने उसे कम्प्यूटर ओन करके दिया। उसको गाने चलाना, ओफ़ीस ,सीडी चलाना बताने लगा। मैं उसको बताते हुए छू रहा था। उसे अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी। उसका ध्यान मेरी ओर हो गया। धीरे से मैं सेक्सी फ़िल्म पर क्लिक करके सोने का नाटक करने लगा। उसने वो फ़िल्म एक दम डर के बंद कर दी और फ़िर कुछ देर तक वो कम्प्यूटर चलाने के बाद सोने को जाने लगी। लेकिन उसका मन उस फ़िल्म को देखने का था तो वो उठ कर मेरी ओर देखा तो मैं सोने का नाटक करने लगा। वो इत्मिनान से फ़िल्म देखने लगी।

फ़िल्म देखने के बाद वो गरम हो गई। वो अपने बूबस को मसलने लगी। मैने धीरे से उसको किस किया तो वो चोंक गयी। मैं उसे अपने बैड पर उठा लाया तो वो बोली- भैईया यह क्या कर रहे हो?

मैने कहा जो तुम्हें चाहिए वो दे रहा हूं। मैं उसके बूबस दबाने लगा वो मस्त होती जा रही थी। और मैं होठ किस भी करने लगा। वो बोली ये नीचे मेरे से एक डंडा सा क्या है इतने में उसने मेरे लंड पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी। मैने धीरे से उसकी सलवार को खोल दिया अब मैं सलवार को पैर से उतारने लगा वो बोली किसी को पता चल गया तो?

मैने कहा तुम बताओगी?

वो बोली- नहीं। मैने उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिये। हम दोनो एकदम नंगे थे। मैं उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे ‘चूमते रहो’ कह रही थी, इतने दिन पहले क्यों नहीं मिले। मेरा ९” का लंड एकदम खडा था। वो बेसबरी से उसे देखने लगी ओर बोली- इतना बडा पहली बार देखा है।

वो एकदम नंगी मस्त दिख रही थी उसकी छोटी छोटी चूचियाँ पूरी कसी हुई थी। मैने पहली बार उसे नँगी देखा था। मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो मस्त हो कर तडफ़ रही थी। मैं उसके पूरे शरीर को चूमता हुआ उसकी चूत को चूसने लगा। बाद में हम लोग ६९ पोजीसन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी,मैं उसकी गोरी साफ़ चूत को जीभ से चूस रहा था।

‘चूसो मेरी चूत को……आ.आ..आआया.आआआआआअ..आआआ..उ.ऊउऊ.ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ’ वो मस्त हो रही थी। अब मैं झड़ने वाला था वो भी इस दौरान दो बार झड़ गई थी। मैं उसका नमकीन रस पीता रहा। मेरा रस उसके मुँह में झड़ गया। वो सारा रस मस्ती से पी गई।अब मैं फ़िर उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो बहुत खुश थी। मैने एक उँगली उसकी चूत में डाली। वो मेरे लँड को फ़िर चूसने लगी और मेरा ९” का लँड खडा हो गया।

अब वो बोली कि मुझे कुछ हो रहा है जल्दी करो, मेरी प्यास बुझाओ।

मैने कहा- इतनी भी जल्दी क्या है? मैने कहा दर्द बहुत होगा ! झेल लोगी?

वो बोली- चाहे मेरी चूत फ़ट जाये, मैं चाहे जितना भी चिल्लाऊँ, छोडना मत, बस अब जल्दी करो, चोद डालो, फ़ाड डालो मेरी चूत, जल्दी करो।

मैने ९” के लंड पर तेल लगाया और थोड़ा सा उसकी चूत पर लगा के, चूत पर लंड रखा और धक्का दिया तो लंड २” अंदर ही गया था कि वो चिल्लाने लगी- छोड दो, बस करो, मर जाऊगी।

मैं रुक गया और फिर वो शाँत हो गयी। मैने एक जोर से झटका मारा और चूत की सील तोड़ते हुए अँदर घुस गया। वो चिल्लाती रही, मैं रुक गया और उसके बूब्स चूसने लगा। वो मस्त हो रही थी। थोड़ी देर में मैंने झटके लगाने शुरु किये। वो भी मेरा साथ देने लगी थी। वो चूतड़ उठा उठा के चुद रही थी। २००-२५० झटके लगाने के बाद मैं झड़ गया, इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी।

वो रात ३१ दिसम्बर २००४ की रात थी, मैने उसे नये साल के जश्न में पूरी रात में लगभग १५ बार चोदा। वो अब पूरी तरह से टूट चुकी थी। उससे उठना ही मुश्किल हो गया था। सुबह के ६ बज चुके थे। वो उठ के अपने कमरे में चली गयी। ये सिलसिला १० दिन तक चलता रहा। वो पूरी पूरी रात मस्त होकर चुदवाती थी। १० दिन बाद वो अपने घर चली गयी। पर जब भी मौका मिलता था वो चुदने को तैयार रहती थी।

आपको कहानी कैसी लगी ? Antarvasna

मुझे लिखें !

(Callgirl Ka Pahla Call) - Antarvasna (एक प्रतिष्ठित बिजनेस वुमन, जो आज 35 वर्ष की है, के मेल पर आधारित)

मैंने अभी अभी 18वें वर्ष में कदम रखा है। antarvasna इतने सालों से मैं घर में माँ को ही देखते आ रही हूँ। मेर एक छोटा भाई भी है तो अभी सिर्फ़ 10 वर्ष का ही है। मेरी माँ की उमर लगभग 40 वर्ष की है। यूँ तो दिखने में वो आकर्षक लगती हैं, पर शायद अधिक काम की वजह से वो थकी हुई रहती है। मेरे पापा का देहान्त हुए 6 साल हो चुके थे। तब से मम्मी ही घर को सम्भालती आ रही है।

मुझे पता था कि माँ एक काल गर्ल के रूप में काम करती थी। अधिकतर वो जीन्स और शर्ट में रहती थी। और अपने आप को एक कम उम्र की लड़की बताया करती थी। पर अब लोगों की नजर मुझ पर भी पड़ने लग गई थी। उभरती जवानी की खुशबू फ़ैलने लगी थी। मैं भी अपनी माँ की तरह सुन्दर थी और मेरे नाक नक्शे और कट्स भी अच्छे थे। मैं अब कॉलेज जाने लगी थी। मुझे सेक्स का ज्ञान तो पहले से ही था। अब मुझे सहेलियों के द्वारा चुदाने और गाण्ड मरवाने की कहानियाँ भी सुनने को मिल जाती थी। चुदाने के बाद लड़कियाँ आई-पिल्स को भी बहुत काम में लाती थी। मेरे दिल में भी कभी कभी सेक्स की भावना जागृत हो उठती थी। पर मुझे इससे डर भी लगता था कि लड़के ना जाने क्या करते होंगे।

एक बार माँ रात को घर नहीं आई तो मैं घबरा उठी। मैंने बहुत बार मोबाईल पर सम्पर्क करने की कोशिश की पर फोन का स्विच ऑफ़ था। माँ के कॉल गर्ल होने के कारण, मैंने डर के मारे आस पास किसी की मदद भी नहीं ली। मैं आस पास धीरे धीरे सभी से पूछती रही, पर निराशा ही हाथ लगी।

फिर एक दिन एक पुलिस वाला घर आया और मुझे थाने में एक लाश की पहचान करनी थी। होस्पिटल में शव-गृह में एक बर्फ़ में रखी लाश को मैं पहचान गई। वो मम्मी ही थी, उनकी हत्या हुई थी। मुझे ये तो पता नहीं था कि क्या करना चहिये था पर डर के मारे मैंने मना कर दिया कि इसे मैं नहीं पहचानती हूँ। पर घर आ कर मैं बहुत रोई।

दिन ऐसे ही गुजरते गये, इस घटना को एक साल बीत गया। मेरा छोटा भाई भी बीमार रहने लगा था। अब मुझे पैसों से परेशानी आने लगी थी। हमें कभी खाना नसीब होता था कभी तो भूखे ही रहना पड़ता था।
माँ के मरने का प्रमाण पत्र मेरे पास नहीं था तो उनका पैसा भी मेरे काम नहीं आ सका। गरीबी मेरे सिर पर आ चुकी थी, मैंने एक घर में बर्तन और झाड़ू पोंछा का काम शुरु कर दिया था।

इस दिनों कॉलेज में मेरी एक लड़के कुलदीप से पहचान हो गई थी। बातों बातों में मेरे मुख से निकल गया कि इस बार पढ़ाई जैसे तैसे करके परीक्षा दे दूंगी पर आगे से तो ईशवर ही मालिक है।
वो लड़का एक बिजनेस मेन का लड़का था, शायद वो मुझे चाहता था, उसने अपने पापा से कह कर मुझे अपनी फ़ैक्टरी में लगवा दिया था।

अब मेरी मुश्किलें थोड़ी कम हो गई थी। उसके पापा रमेश चंद की बुरी नजरें मुझ पर पड़ चुकी थी।

एक दिन उन्होंने मुझे अपने दफ़्तर में बुला कर कहा कि यदि तुम अधिक पैसा कमाना चाहती हो तो तुम अपनी माँ का धन्धा अपना लो, मालामाल हो जाओगी। मैं घबरा उठी कि ये सब कैसे जानते हैं। पर जल्दी ही पता चल गया कि वो कॉल-गर्ल के शौकीन थे। शायद मेरी माँ उनके पास जाया करती थी। उनके पास दूसरी लड़कियाँ भी आती थी जिनके साथ वो मौज मस्ती करते थे।

एक बार उसने मुझे एक रात के लिये 1000 रु ऑफ़र किये। मैं चुप ही रही। पर पैसों की तंगी और पढ़ाई को देखते हुए एक बार मैंने यह निश्चय कर लिया कि जब मेरी माँ यह काम कर सकती थी तो मैं क्यों नहीं कर सकती हूँ। एक दिन मैंने उन्हें हिम्मत करके हाँ कर दी।

उन्होंने मुझे नई जीन्स और टॉप दिलाया। कई तरह की खुशबू और तरह तरह के कॉस्मेटिक्स दिलाये और रात को बुला लिया। यह वो घर नहीं था जहाँ वो रहते थे, इसे वो फ़ार्म हाऊस कहते थे। पूरा खाली था सिर्फ़ एक बड़ी उमर की औरत वहाँ काम करती थी। मैंने जिंदगी में पहली बार इतना मंहगा और स्वादिष्ट खाना खाया था।

बहुत देर तक तो वो मेरे से बातें करते रहे, फिर अपना फ़ार्म हाऊस घुमाया और अन्त में मुझे अपना बेड रूम दिखाया जहा मुझे उसके साथ खेल खेलना था।
खूबसूरत सा बेड रूम, नरम गद्दे, एयर कन्डीशन, कमरे में शानदार खुशबू, मन को खुश करने को काफ़ी था। उसे देख कर मैं अपने आप को बहुत छोटा समझने लगी।

उन्होंने मुझे कहा कि मैं अब आराम करूं, उन्हें कुछ काम करना है।

मैं बिस्तर पर लेटी तो जैसे स्वर्ग में आ गई। बदन को सहलाता नर्म गद्दा, और भीनी भीनी खुशबू ने मुझे कब सुला दिया मुझे पता ही नहीं चला।
पता नहीं कब, रात को मेरे बदन के अन्दर उनका हाथ रेंगने लगा। नींद में मुझे सपना जैसा लगा। मेरे बोबे में मिठास सी भरने लगी। इतना प्यारा सा अह्सास हुआ कि मैंने आंखे बन्द ही रहने दी और आनन्द लेने लगी।

मेरा टॉप ऊँचा हो गया, मेरी छातियाँ नंगी हो गई थी। मेरे निप्पल को होंठों से दबा कर चूसने लगा। मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने धीरे से अपनी आँखें खोली तो वो रमेश ही था। उसका नंगा बदन मेरे सामने था।
रमेश सेक्स के मामले में एक अनुभवी इन्सान था। उसने मुझे आहिस्ता से उत्तेजित किया और जब मैं वासना से भर गई तो उन्होंने मेरे कपड़े एक एक करके उतार दिये। मुझे उनका लण्ड बहुत प्यारा सा लगने लगा। मैं बार बार उसे पकड़ लेती थी और अपनी तरफ़ खींचती थी।

वो मेरे निप्पल को अपनी अंगुलियों से धीरे धीरे मसलने लगे। एक तीखा सा मजा आने लगा। मेरे उरोज को भी वो सहलाने और मसलने लगा। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल पड़ी, चूत गीली हो उठी, धीरे धीरे चिकना रस छोड़ने लगी।
उसका बलिष्ठ शरीर मेरे जिस्म से रगड़ खा कर गुलाबी सा मीठा सा मजा दे रहा था। मेरे अंग अंग को मसल कर वो मस्त किये दे रहा था।

मैं चुदने के लिये बिल्कुल तैयार थी। अब महसूस हो रहा था कि वो मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दे और बस अब चोद दे। बिना इस बात को जाने कि ये मेरी पहली चुदाई होगी और मेरी झिल्ली फ़ट जायेगी। चूत में एक अन्दर वासना युक्त मिठास भरने लगी थी। मुझे पहली बार ऐसे अनोखे आनन्द का मजा आ रहा था। सोचा कि लोग इसे बुरा क्यो कहते हैं? जिस काम से इन्सान मस्त हो जाये, असीम सुख मिले, उससे परहेज़ क्यूँ?

तभी उसने अपना लण्ड मेरे मुख के पास लाकर होंठों से सटा दिया। यह मेरा नया अनुभव था।
‘यह क्या कर रहे हो?’ एकाएक मुझे घिन सी आई।
‘इसे किस कर लो!’ रमेश ने कहा।
मैंने मजबूरी में उसे किस कर लिया।
‘ऐसे नहीं, मुँह में ले कर चूसो!’ उसने फिर से अपना मोटा सा लण्ड मेरे होंठों से छुला दिया।

‘हटो, ये नहीं करूंगी।’ मैंने घिन से अपना चेहरा घुमा दिया।
वो थोड़ा सा निराश हो गया।

मैंने ऐसा कभी नहीं किया था सो मुझे इस काम से और भी घिन आने लगी थी। मेरा सोचना था कि भला पेशाब करने की जगह को कौन मुँह में ले सकता है?

उसने कुछ नहीं कहा पर उसका चेहरा अब मेरी चूत पर झुक गया था और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया।
‘अरे ये क्या कर रहे हो,… ये तो पेशाब की जगह है छी:, हटो, जाने क्या कर रहे हो?’ मुझे उसकी ये हरकत बड़ी अजीब सी और घिनोनी लग रही थी कि ये पेशाब करने की जगह को ही क्यों मुख से लगा रहा है। बस लण्ड घुसेड़ना हो तो घुसेड़ दो, दोनों ही पेशाब करने जगह ही तो हैं…

‘अब तुम मुझे कुछ करने दोगी या नहीं…!!’ वो कुछ नाराज़ से लगे।
‘तो करो ना, चालू करो ना वो, यहाँ वहाँ गन्दी जगह मुँह मत लगाओ।’ मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
रमेश मुस्करा उठा, और मेरे ऊपर चढ़ गया।

‘क्या पहला मौका है?’ रमेश मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया, उसका लण्ड तन्ना रहा था.
मुझे भी चुदाई का आनन्द पहली बार मिलने वाला था। मेरी चूत की दरारों में उसने अपना लण्ड ऊपर नीचे घिसा। मेरा दाना फ़ड़क उठा, एक मीठी सी टीस उठी।
‘हाँ, यह पहला मौका है, पर जल्दी करो ना, घुसा डालो ना…!’
‘मजा आ रहा है ना?’
‘जी हाँ, बहुत मजा आ रहा है!’ मैंने हाँ में सर हिला दिया।

मुझे चुदाने के लिये उन्होंने एक हज़ार रुपये भी दिये थे, और स्वर्ग सा आनन्द भी मिल रहा था, सो मैंने अपनी टांगें ऊपर कर ली और अपनी चूत खोल दी।
‘तुम्हें डर नहीं लगता है ऐसे?’ मेरे होंठों को चूमते हुए बोले।

‘डर कैसा, आप तो मेरे दोस्त के पापा हो ना, आपके पास तो मैं बहुत सुरक्षित हूँ।’ मैंने भोलेपन से कहा।
‘तुम्हारा कुंवारापन चला जायेगा, फिर मैं जो करने वाला हूँ उससे सुरक्षित कैसे रहोगी?’
‘मैं पैसे के लिये यहाँ वहाँ भीख मांगती हूँ, मुझे कॉलेज छोड़ना पड़ेगा, अब मैं फ़ीस दे सकूंगी और परीक्षा दे सकूंगी, मेरी माँ नहीं है ना अब… घर में छोटा भाई भी है, भूख से बीमार रहता है। मुझे तो ये सब करना ही पड़ेगा ना। मेरी माँ भी यही करती थी ना।’

रमेश ने मुझे एक गहरी नजर से देखा, उनके चेहरे पर शर्मिन्दगी सी दिखी। उनका फूला हुआ लण्ड सिकुड़ता सा लगा। मैंने अपनी चूत का जोर उनके लण्ड पर लगाया, पर शायद वो मुरझा कर लटक गया था। मुझे लगा शायद ये कर नहीं पाते होंगे। पर ऐसा नहीं था।

‘तुम मेरे पास कैसे सुरक्षित हो, मुझे समझ में नहीं आया…!’ रमेश कुछ असमंजस में दिखा।
‘संदीप कहता है, आप बहुत अच्छे है, मुझे पता है आप ये सब करने के बाद मुझे पैसा देंगे।’ मैंने अपनी जरूरतें उसे बताई।
‘हाँ वो तो दूंगा ही!’ वो हैरान होता जा रहा था।

‘बस, तो मेरी कॉलेज की फ़ीस हो जायेगी, मेरे भाई को भी आगे पढ़ाऊँगी.’ मैंने सहजता से कहा।

वो बिस्तर छोड़ कर उठ खड़े हुए, कपड़े पहनते हुए बोले ‘उठो, और कपड़े पहन लो…! बस बहुत मजा कर लिया!’
मैं घबरा गई, और उनके पांव पकड़ लिये- नहीं नहीं जी, ये क्या… लाओ मैं चूस लेती हूँ, आप चाहे जो करो… पर प्लीज जाओ मत!’
‘दुनिया में यही सब कुछ नहीं है, बस अब नहीं… तुम इस काम के लिये फ़िट नहीं हो!’

मुझे अपने 1000 रुपए जाते हुए लगे। मेरी नजरों के सामने वही भूख और मजबूरियाँ नजर आने लगी। मुझे फिर वही अन्धेरे डराने लगे। मन में सोचा अरे मैंने यह क्या कर दिया… अब क्या होगा। इतना क्यूँ बोला मैंने… मैं रूआंसी हो उठी।
रमेश ने अपने पास बुलाया और मेरा टॉप मुझे पहना दिया, मेरी जीन्स उठा कर कहा- चलो पहनो इसे!

चेहरा उदास हो गया, जैसे मेरी जान निकल गई हो, मैंने जीन्स पहन ली और फ़फ़क के रो पड़ी ‘अब मैं परीक्षा नहीं दे पाऊँगी…’ रोते हुये हिचकी बंध गई।

रमेश ने मुझे गले से लगा लिया। उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। शायद वो खुद पर शर्मिन्दा हो रहे थे।
‘मुझे माफ़ कर दो… इस उमर में भी मैं जाने क्या करता रहा हूँ, तुमने तो मेरी आंखें खोल दी… क्या मैं तुम्हें कॉल गर्ल बनाने जा रहा था।’ रमेश के चेहरे पर से वासना गायब हो चुकी थी। हाँ, मुख पर एक उजाला सा जरूर नजर आ रहा था। मैं उन्हें देखती रह गई।

उनकी छाती पर सर रखे मैंने विनती की- मुझे आप फ़ीस जमा कराने लायक पैसे दे दें तो मेरी तन्ख्वाह में से काट लेना, प्लीज… नहीं तो हमें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जायेगा।

‘मुझे माफ़ कर दो, अपने सीने में ये राज दबा लो कि मैंने तुम्हारे साथ ऐसा कुछ किया था, और मुझे नहीं पता कि मेरा तुम से क्या रिश्ता रहेगा, पर तुम मेरी दोस्त बन कर रहो, चाहे बेटी बन कर, चाहे जो रिश्ता बना लो, पर अब से तुम मेरे साथ ही रहोगी, मेरी फ़ैक्टरी में ऑफ़िस का सारा काम तुम ही सम्हालना… फिर से ध्यान रखना ये बात अपने दिल में ही रखना!’

‘जी… पर आप तो… आप अब मेरे साथ कुछ भी नहीं करेंगे… पर मुझे तो कुछ करने की लग रही है!’

‘अब चुप भी हो जाओ, ये उमर ही ऐसी होती है, शादी के बाद तो रोज ही करना… मुझे अब ये नहीं करना है बस!’
‘अंकल जी… मुझे नहीं पता है ये सब… पर मैं क्या कहूँ…’
‘कुछ नहीं कहो बस, मुझे मजबूरी, मासूमियत का फ़ायदा नहीं उठाना…!’ कहते हुए वो दूसरे कमरे में चले गये।

मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। ये सब कैसे हो गया, ये मेरे पर अचानक इतने मेहरबान कैसे हो गये। मेरी मजबूरी और सच्चाई जान कर क्या उनका दिल पिघल गया था। क्या सच में मेरे अच्छे दिन आने वाले थे।

मैं धीरे धीरे उसके कमरे में आ गई, वो खिड़की पर खड़े हुए थे, मैंने उनकी पीठ पर हाथ लगाया, जैसे उन्हें झटका लगा। तुरन्त उन्होंने मुड़ कर मुझे देखा। उनकी आंखों के आंसू छिप नहीं सके। मैंने धीरे से अपना सिर उनकी छाती पर रख दिया।

‘अंकल मुझे माफ़ कर देना, पैसों के लालच में मैं बहक गई थी, आप नहीं होते तो जाने क्या हो जाता, मेरी तो इज़्ज़त ही लुट जाती…! फिर मेरी शादी भी नहीं होती ना!’
रमेश ने मेरे सर में चूम लिया और अपनी बांहों में भर लिया।

मुझे भी शायद इसी प्यार की तलाश थी जिसे मैं वासना में खोज रही थी। मेरे दिल में ठण्डक आने लगी। सुकून सा आ गया। ऐसा प्यार मेरी आत्मा तक को छू रहा था।

रमेश ने मुझे देखा फिर अपनी पत्नी की तस्वीर को देखा और सर झुका कर मुझसे मुस्करा कर कहा- गुड नाईट, अब सो जाओ… मुझे अब इनसे भी माफ़ी मांगनी है।
कह कर उन्होंने अपनी पत्नी की तस्वीर की ओर देखा, फिर अपने बिस्तर की शरण ली और मुँह तक चादर ओढ़ ली।

मैंने कमरे की बत्ती बुझा दी और बाहर जाने लगी। फिर जाने क्या ख्याल आया, मेरे मन में उनके लिये प्यार उमड़ पड़ा। मैं भाग कर गई और उनकी चादर के अन्दर घुस गई और उनसे लिपट गई। मैं भावना में बह गई थी। उनके मुख पर चुम्बनों की बौछार कर दी और रो पड़ी। मुझे प्यार से उन्होंने एक तरफ़ लेटाया और मैं उनसे लिपट कर सो गई। मेरे प्यासे दिल को माँ-बाप जैसा प्यार मिल गया था। शायद बहुत दिनों बाद इतनी गहरी नींद, सुकून भरी नींद, प्यार भरी नींद आई थी।

सुबह उठी तो रमेश अंकल ने फ़ार्म हाउस की चाबी मुझे दे दी और अपने घर चले गये। मुझे वो सुबह एक नई सुबह लगी, शायद एक नई जिन्दगी की शुरुआत थी… तभी मुझे अपना भाई याद आया कि वो मेरी राह ताक रहा होगा और मैं अपने घर की ओर जल्दी जल्दी चल पड़ी! Antarvasna

हम तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक साथ पढ़ते थे, बड़ी गहरी दोस्ती थी हम तीनों की।

कुछ ऐसा संयोग हुआ कि हम तीनों की नौकरी दिल्ली में लग गयी और हम लोग एक कॉलोनी में एक एक फ्लैट में रहने लगे।

हम लोग रोज़ शाम को मिलते, दारू पीते और खूब एन्जॉय करते।
ज़िन्दगी अच्छी तरह गुज़रने लगी।

फिर एक एक करके हम तीनों की शादी भी हो गयी।

मेरी शादी रेखा नाम की लड़की से हो गयी.
अरुण की शिल्पा से और आनंद की नेहा से!

हम लोग अपनी अपनी बीवी के साथ अपने अपने फ्लैट में रहने लगे और एक दूसरे के घर आने जाने लगे।
हमारी बीवियां भी आपस में मिलने जुलने लगी, उनकी भी आपस में वही दोस्ती हो गयी जो हम लोगों के बीच में थी।
तो हमारी नजदीकियां और बढ़ने लगीं.

मैंने यह देखा कि ये तीनों बीवियां जब भी मिलतीं हैं तो खूब हंस हंस कर बातें करती हैं।
बातें क्या होतीं हैं … यह तो पता नहीं … पर होतीं जरूर मजेदार हैं यह बात उनके चेहरे से मालूम हो जाती थी।

एक दिन रात में मैं पूरा नंगा अपनी बीवी रेखा के साथ लेटा था और वह भी नंगी थी।
वह बड़े प्यार से मेरा लण्ड सहला रही थी और मैं उसका नंगा बदन।
हम दोनों वासना में डूबे थे।

मैंने पूछा- यार रेखा, ये बताओ कि तुम तीनों बीवियां आपस में कौन सी बातें किया करती हो?
वह बोली- क्यों क्या हो गया? हम लोग तो बस ऐसे ही हंसी मजाक किया करतीं हैं।

“नहीं नहीं खुल कर बताओ न मुझे?”
“क्यों बताऊँ? तुम लोग जब बातें करते हो तो क्या हमें बताते हो?”

“कुछ तो बताओ यार? किसके बारे में बातें करती हो और क्या बातें करती हो?”
“हमारी बातें बड़ी गुप्त होतीं हैं किसी को बताई नहीं जाती!”

“अच्छा तो क्या तुम लोग लण्ड चूत चूत की भी बातें करती हो?”
“ये तो सब छोटी छोटी बातें हैं, इससे भी आगे करती हैं।”

“अच्छा तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि मुझे शिल्पा भाभी और नेहा भाभी बहुत अच्छी लगतीं हैं।”
“इसमें भी कोई खास बात नहीं है। हर मर्द को परायी बीवी अच्छी लगती है और हर बीवी को पराया मर्द अच्छा लगता है।”

“तो इसका मतलब तुमको अरुण और आनंद अच्छे लगते हैं?”
“हां हां … बिल्कुल अच्छे लगते हैं।”

“तो तुम उन दोनों के लण्ड पकड़ोगी?”
“तुम पकड़ने दोगे तो पकड़ लूंगी।”

“उन दोनों से चुदवा भी लोगी?”
“तुम कहोगे तो चुदवा भी लूंगी.”

“मेरे कहने पर चुदवा लोगी या तुम अपने मन से चुदवाना चाहोगी?”
“चुदवाना तो चाहती हूँ पर बिना तुम्हारी अनुमति के नहीं चुदवा सकती।”

“अच्छा अगर मैं उन दोनों की बीवियां चोदूँ तो तुम मुझे चोदने दोगी?”
“क्यों नहीं चोदने दूँगी? बिल्कुल चोदने दूँगी। जब कोई तुम्हारी बीवी चोदेगा तो तुम भी उसकी बीवी चोदो; मैं मना नहीं करूंगी। अपनी बीवी चुदाओ तो उनकी बीवी चोदो।”

“वादा खिलाफी तो नहीं करोगी? मैं तेरे सामने ही उनकी बीवियां चोदूंगा।”
नहीं करूंगी वादा खिलाफी … पर मैं भी तेरे सामने उन लोगों से चुदवाऊंगी।”
“ठीक है।”

अगले दिन मैंने अरुण और आनंद से बात की और उनको बताया- यार मेरी बीवी तो ‘वाइफ स्वैपिंग’ के लिए एकदम तैयार है। तुम अपनी वाली से पूछ कर देखो!
अरुण ने कहा- मेरी बीवी तो पहले से ही राज़ी है. मेरी बात होती है उससे इस टॉपिक पे!

और आनन्द ने बताया- यार, मेरी बीवी तो ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गयी। वह तो शायद खुद ही यह बात मुझसे कहना चाहती थी।

दरअसल दो दिन पहले जब हम तीनों आपस में बैठ कर दारू पी रहे थे तो ख्याल आया कि क्यों न हम लोग ‘वाइफ स्वैपिंग’ करें और एन्जॉय करें?
सबने हां कह दी पर सवाल यह था कि क्या हमारी बीवियां तैयार होंगी?

जब हमने अपनी अपनी बीवी से बात की तो मालूम हुआ कि वो भी पतियों की अदला बदली करना चाहती है।
अब तो वाइफ एक्सचेंज Xxx में मज़ा ही मज़ा आएगा।
बस अगले दिन मैंने अपने घर में ही एक डिनर पार्टी रख ली।

मैंने जब यह बात अपनी बीवी रेखा को बताई तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और फ़टाफ़ट सारा इंतज़ाम करने लगी।

उसने कहा- डिनर का आर्डर तुम कर देना और ड्रिंक्स का इंतज़ाम मैं कर लूंगी. और सुनो चुदाई का भी सारा इंतज़ाम कर लूंगी मैं! कल तुम मेरे सामने दोनों बीवियों की चूत का बाजा खूब बजाना।
मैंने कहा- और तुम भी कल उन दोनों के लण्ड अपनी चूत में डाल कर भून डालना।
वह बोली- वो तो मैं करूंगी ही! उनके लण्ड भुने हुए बैगन की तरह निकालूंगी मैं अपनी चूत से! तुम देखते रहना।

अगले दिन अरुण अपनी बीवी शिल्पा के साथ और आनंद अपनी बीवी नेहा के साथ आ गए।

शिल्पा भाभी ने साड़ी पहनी थी और उसके नीचे एक छोटी सी ब्रा जिसके अंदर से उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ बाहर निकलने के लिए बेताब हो रही थीं।

नेहा भाभी ने जींस और टॉप पहना था, ब्रा तो थी ही नहीं। टॉप का गला इतना गहरा था कि एक बटन खुल जाए तो चूचियाँ पूरी नंगी हो जायेंगी।
उसकी भी चूचियाँ बड़ी भी थी और सुडौल भी। जींस उसकी बहुत ही लो वेस्ट की थी अगर एक बटन खुल जाए तो चूत की झांटें दिखाई पड़ने लगेंगी। उसकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी।

फिर मेरी बीवी ने ड्रिंक्स चालू कर दी और हम सब लोग दारू पीने लगे और एक दूसरे की बीवी ललचायी नज़रों से देखने लगे।

हमारी बीवियां भी एक दूसरे के पति को ललचायी नज़रों से निहारने लगीं, उनकी टांगों के बीच का उभार देखने लगीं।
एक दूसरे के पति के लण्ड के साइज का आईडिया लगाने लगीं।

नशा चढ़ने लगा तो बातें भी ज्यादा खुल कर होने लगीं, अश्लील होने लगीं और बीच बीच में प्यार से गालियां भी निकलने लगीं।
जोश बढ़ने लगा और उत्तेजना भी बढ़ने लगी।

दूसरा पैग चालू हो गया।

फिर मैंने कहा- शिल्पा भाभी, आप कोई नॉन वेज चुटकुला सुनाइये।
सबने जोर डाला तो वह बोली- अच्छा सुनाती हूँ।

उसने कहा:
एक बार एक औरत डॉक्टर के पास गयी और बोली- डॉक्टर साहेब, मेरे पति का लण्ड बहुत लंबा है, कलेजे तक आ जाता है।
डॉक्टर बोला- तो क्या लण्ड काट कर छोटा कर दूँ?
वह औरत बोली- नहीं डॉक्टर साहेब, लण्ड नहीं कटवाना है, मेरा कलेजा थोड़ा ऊपर कर दो।

सबने खूब तालियां बजाईं।

फिर नेहा भाभी बड़े प्यार से बोली:
कांटों का तो नाम ही बदनाम है यार …
पर हकीकत यह है की चुभता तो लण्ड भी है।

सबने खूब एन्जॉय किया और तालियां बजाई।

फिर मेरी बीवी रेखा ने भी सुनाया:

एक बार दो लण्ड बात कर रहे थे।
पहला- चलो आज मैं तुम्हें एक फिल्म दिखाता हूँ।
दूसरा- अरे यार ब्लू फिल्म मत दिखाना?
पहला- क्यों?
दूसरा- मुझे खड़े खड़े देखनी पड़ेगी।

सब लोग खूब ठहाका लगा कर हंस पड़े।

अब किसी को भी किसी से कोई शर्म नहीं रही।

मेरी बीवी उठी और अरुण के गले में बांहें डाल दी और उसके गाल चूमकर बोली- हाय मेरे राजा, तुम मुझे बड़े अच्छे लगते हो।
वह भी मेरी बीवी के बदन पर हाथ फेरने लगा।

अरुण की बीवी शिल्पा आनंद से चिपक गयी और दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे।

आनंद की बीवी नेहा मुझसे लिपट गयी और मेरा लण्ड टटोलने लगी, बोली- तेरा लण्ड भोसड़ी का बड़ा मोटा लग रहा है यार आकाश!
मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

फिर धीरे धीरे सबके कपड़े उतरने लगे; नंगे बदन सबके दिखाई पड़ने लगे।

बस 5 मिनट तीनों बीवियां मादरचोद एकदम नंगी हो गयीं और और तीनों मर्द भी बहनचोद नंगे हो गए।

तीन तीन पैग शराब का नशा ये सब बड़ी मस्ती से करवा रहा था।
किसी को न कोई झिझक, न कोई डर, न कोई संकोच … सब कुछ बिंदास अपने आप ही होने लगा।

मेरी बीवी ने फर्श पर ही चुदाई का सारा इंतज़ाम किया था।
गद्दे मसनद लगे थे, चादरें बिछीं थीं, नैपकीन रखे थे, कंडोम काफी मात्रा के रखे थे।

बाकी सारा इंतज़ाम था.
यहाँ तक कि झांटें बनाने का भी प्रबंध था।
लेकिन इत्तिफाक से किसी की झांटें थीं ही नहीं।
तीनों लण्ड एकदम चिकने थे और चूत भी नेहा भाभी की एकदम चिकनी थी।

मेरी बीवी और शिल्पा भाभी की चूत पर छोटी छोटी झांटें थीं जो बहुत ही सेक्सी लग रहीं थीं।

सब लोग गोला बनाकर कर बैठे थे।
फिर सब लेट कर मज़ा लेने लगे।

नेहा भाभी मेरा लण्ड चाटने लगी और मैं शिल्पा भाभी की चूत चाटने लगा,
शिल्पा भाभी आनंद का लण्ड चाटने लगी और आनंद मेरी बीवी रेखा की चूत चाटने लगा.
मेरी बीवी अरुण का लण्ड चाटने लगी और अरुण नेहा की चूत चाटने लगा।

इस तरह सबको डबल मज़ा मिलने लगा।
हर एक बीवी एक पराये मरद का लण्ड चाटने लगी और दूसरे पराये मरद से अपनी चूत चटवाने लगी।

इसी तरह हर एक मर्द एक परायी बीवी से लण्ड चटवाने लगा और दूसरी परायी बीवी की फुद्दी चाटने लगा।

इतनी मस्ती तो बस वाइफ स्वैपिंग के खेल में आ सकता है … और कहीं नहीं।

मेरी बीवी बोली- यार शिल्पा, तेरे पति अरुण का लण्ड तो बड़ा मोटा और सख्त है यार! ये बहनचोद आज ही मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा। और देखो न नेहा का पति कितनी मस्त से मेरी चूत चाट रहा है। चाट क्या अपनी जबान से चोद रहा है मेरी चूत। आज वह सब सच हो रहा है जो मैं सोचा करती थी।

शिल्पा बोली- हां यार, मुझे भी नेहा के पति का लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है। पराये मरद का लण्ड तो मजेदार होता ही है। आज मैं पहली बार अपने पति के आगे किसी और के पति का लण्ड चूस रही हूँ। मैं सच में बड़ी खुश हूँ बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी चूत किसी और का मरद चाट रहा है। वाह क्या बात है … कितनी अय्याशी हो रही है आज!

नेहा बोली- आज तो वाकई बड़ा मज़ा आ रहा है. दो दो पराये मर्दों को नंगा देख रही हूँ, उनके लण्ड देख रही हूँ, उनके लण्ड चाट रही हूँ, उनसे अपनी चूत चटवा रही हूँ। और क्या चाहिए एक चूतचोदी बीवी को? आज मैं बिल्कुल रंडी बनकर इन दोनों लण्ड का मज़ा लूंगी।

इन सब बातों से माहौल में और ज्यादा गर्मी हो गयी।

मैंने आनंद की बीवी नेहा की चूत में पेल दिया और चोदने लगा.
आनंद अरुण की बीवी चोदने लगा और अरुण मेरी बीवी चोदने लगा।

हम तीनों बड़ी दूसरे की बीवी चोदने लगे और मज़ा लूटने लगे।
दूसरे की बीवी चोदने कितना मज़ा आता है, इसका अनुभव आज हम सबको हो रहा था।

अरुण बोला- यार आकाश, अपनी बीवी के सामने किसी और की बीवी चोदना कितना मजेदार होता है।
आनंद बोला- हां बात तेरी सही है। मुझे तो जितना मज़ा दूसरे की बीवी चोदने में आ रहा है उतना ही मज़ा अपनी बीवी किसी और से चुदवाने में आ रहा है। मैं आज पहली बार अपनी बीवी को किसी और से चुदते हुए देख रहा हूँ और मुझे अच्छा लग रहा है.

इस तरह हम तीनों खूब मस्ती से दूसरे की बीवी की चूत का बाजा बजने लगे।

दूसरी पारी में मैंने अरुण की बीवी चोदी, अरुण ने आनंद की बीवी चोदी और आनंद ने मेरी बीवी चोदी।

दूसरे दिन जब सब लोग चले गए तो मेरी बीवी ने कहा- देखो जी, अब मुझे पराये मरद से चुदवाने का चस्का लग गया है। मुझे पराये मरद का लण्ड अच्छा लगने लगा है। अब तो मैं पराये मर्दों से ही चुदवाऊंगी इसलिए अब और भी कपल ढूंढो जो हमारे साथ बीवियों की अदला बदली कर सकें।

मैंने कहा- हां यार, मुझे भी थोड़ा थोड़ा चस्का लग गया है दूसरे की बीवी चोदने का। अब तो मैं अपनी बीवी चुदाने में भी कोई झिझक नहीं करूंगा।
वह बोली- मैं भी तुम्हें दूसरे की बीवियां चोदने दूँगी।

कहते हैं न कि जहाँ चाह है वहां राह है।
हमें दो कपल एक ही हफ्ते में मिल गए।

पहला पवन और उसकी बीवी प्रेमा और दूसरा सूरज और उसकी बीवी सीमा।
दोनों कपल की उम्र हमारी उम्र के बराबर ही थी।

पहले मैंने पवन की बीवी चोदी और पवन ने मेरी बीवी चोदी।
हम दोनों रात भर एक दूसरे की बीवी चोदते रहे।

दूसरे हफ्ते में मैंने सूरज की बीवी सूरज के सामने चोदी और सूरज ने मेरे सामने मेरी बीवी चोदी।
खूब एन्जॉय किया हम सबने!

फिर हमारा एक बड़ा सा वाइफ एक्सचेंज Xxx ग्रुप बन गया।
आज हमारे पास 8 / 10 कपल हैं और हम हर शनिवार और इतवार को एक ही जगह आमने सामने एक दूसरे की बीवियां चोदते हैं।
हमारी बीवियां भी एक दूसरे के पतियों से चुदवातीं हैं और खूब मज़ा लूटतीं हैं।

Hindi Sex Stories

एक दिन ऑफिस में शाम को जब Hindi Sex Stories काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है…… इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”

“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”

“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”

“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”

“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।

“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना…… मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”

मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।

“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”

“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।

शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था…. प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”

“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।

“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ…… एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”

“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”

“सुनील! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।

“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ… अब तुम बताओ क्या खबर है?”

“घर से खत आया है…. राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।

“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”

“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।

“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।

“एक महीना तो लग ही जायेगा।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”

“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“लड़कियाँ तो आज भी हैं…. पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”

“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है….” मैंने नाराज़गी जाहिर की।

“अरे बाबा! नाराज़ मत हो….. मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”

“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”

“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।

दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”

मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।

मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।

“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।

“अनिता! सुनील तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत…. वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।

“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग……?” अनिता ने पूछा।

“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”

“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह…ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।

“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।

“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।

“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई… अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”

मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही…” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।

एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।

थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”

अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।

थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।

“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”

“ओहहहहहह हाँआँआँ……. हाँआँ…… ऊऊऊहहहह….” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”

एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।

अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह सुनील सर! रुकिये मत….. चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में…. मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है…… हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।

वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह….. सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।

“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।

मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।

“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।

“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब सुनील जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।

“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”

दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।

अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।

मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो…….. मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।

अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।

“सुनील! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।

थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “सुनील! ये तो बहुत चुदासी लग रही है…… लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।

“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।

“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो… शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।

आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”

समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।

एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”

“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”

“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”

“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”

“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”

“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है… सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।

“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।

दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।

“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये…” अनिता ने परिचय कराया।

इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।

अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”

ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”

“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण…. हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है…… सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।

ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”

“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।

“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है….. सो डरो मत…… बताओ!!” अनिता ने कहा।

“ये कुछ साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”

“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।

“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।

“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था….. मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।

“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।

“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।

“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”

“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।

अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।

ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह…. और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना….. जैसे आज पहने हुए हो।”

“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”

“सुनील! तुम इसकी चूत चोदो….. मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।

जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”

मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे…. लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।

थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”

“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।

उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।

“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।

“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है…….. मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।

“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“ठीक है… अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”

“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।

“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।

“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।

“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।

“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ…आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।

“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम सुनील सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”

ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।

“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।

“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।

“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ओहहहहह ज़ुबैदा….. जोर-जोर से चूसो….. मेरा छूटने वाला है….” मैंने कहा।

जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।

आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।

“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।

“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“अच्छा है…. तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है….. कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”

ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”

“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।

हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से सुनील सर तेरी गाँड मारेंगे।”

“पर मैडम! सुनील सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।

“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो…. दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।

एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।

मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।

“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।

“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना…. मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”

“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।

ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो सुनील?”

“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।

मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”

“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।

दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।

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