Important Notice: Mail for rent - info@tottaa.com

Massage Girl in Khandwa (East Nimar): Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Khandwa (East Nimar) who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Khandwa (East Nimar) that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Khandwa (East Nimar) massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Khandwa (East Nimar) who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Khandwa (East Nimar) massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Khandwa (East Nimar) massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Khandwa (East Nimar) who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Khandwa (East Nimar) employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Khandwa (East Nimar) helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Khandwa (East Nimar)

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Khandwa (East Nimar) at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

हाय दोस्तो,Antarvasna

यह मेरा पहला मौका है अन्तर्वासना को Antarvasna कहानी भेजने का, आशा है कि आपको पसंद आयेगी.

मैं अभी अहमदाबाद में रहता हूं. बात ३ साल पहले की है, हमारा एक छोटा सा घर है, लेकिन मैं तो बड़े ठाट-बाट से रहता हूं. एक बार मैं और मेरा परिवार सब साथ में बैठे थे। हमारा एक नौकर था जिसका नाम राजू था। पापा ने कहा कि घर का काम करने के लिए एक औरत की जरुरत है, तो राजू ने कहा कि मेरे गांव में एक नेपाली है, उसका पति उसको छोड़ के भाग गया है, तो पापा ने कहा उसको यहाँ ले आ।

अगले दिन वह उसको लेने चला गया। शाम तक वह उसको ले के आ गया। हम सब वहीं बैठे थे। वो कसम से इतनी सुंदर थी आप तो जानते ही हो कि नेपाली कितने सुंदर होते हैं। तो पापा ने उससे थोड़ी पूछ ताछ की, फ़िर उस दिन से वह हमारे यहाँ काम करने लगी. मेरा तो मन उस पर आ ही गया था, अब तो मैं बस समय का इंतजार कर रहा था।

उसका नाम रितु था. उसकी उम्र ३२ के आसपास होगी लेकिन अगर आप उसके ब्रेस्ट देखो तो आपका भी खड़ा हो जाए। वह उनको अपने ब्लाउज में छुपा भी नहीं पाती थी। उसको अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढकना पड़ता था. एक बार रात को सब सो गए, फ़िर मैंने सोचा कि शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी।

मैं धीरे से खांसा तो उसकी नींद नही खुली. मैंने सोचा कि अब क्या करू? मैं थोड़ा तेज खांसा. फ़िर उसकी नींद खुल गई, उसको हम हमारे कमरे में ही सुलाते थे। मैं, मेरी दादी और रितु हम तीन एक कमरे में सोते थे और पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे। मैंने एक बार और खांसा तो वो उठी और मेरे लिए पानी लेकर आई। मैं पानी पीते हुए उसके बूब्स को देख रहा था तो उसने मुझे देख लिया. उसने अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढक लिया. मैंने तुंरत उसके सामने देखा, मुझे हंसी आ गई वह भी हलके से मुस्कुरा दी। फ़िर वह सो गई मेरा हाथ तो मेरे लंड पर था सोच रहा था कि उसकी चूत के दर्शन कब होंगे।

अगले दिन मैं दुकान से पहले ही कंडोम लेकर आया। रात के ८ बजे थे, वह दादी के बाल बना रही थी। मैंने कहा मेरे भी बना दो ! उस समय मेरे बाल लंबे थे, मैं तेल की शीशी लेकर आया और उसको दे दी तो उसने कहा- इसका मैं क्या करूं?

मैंने कहा- मेरे बालों पर तेल से मालिश कर दो तो वो मेरे पीछे बैठ गई, मैं उसके आगे पीठ करके बैठ गया, दादी अन्दर वाले कमरे में चली गई तो मैंने अपने सर से उसको बूब्स पर स्पर्श किया वो पीछे हो गई। मैंने थोडी देर बाद फ़िर ऐसा किया लेकिन इस बार वह पीछे नही हुई। मैंने थोडी देर तक ऐसे ही किया तो कहने लगी कि ये क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- मालिश करवा भी रहा हूं और कर भी रहा हूं, तो वो हंस पड़ी। मैंने कहा- रात को मैं आऊंगा तो वह मना करने लगी, बोली- तुम्हारी दादी यही पर है।

मैंने कहा- मैं जब खांसु, तब तुम अन्दर वाले कमरे में चली जाना।

उसने कहा- नही किसी को पता चल गया तो मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

मैंने कहा- उसकी चिंता तुम मत करो। देखो तुम्हारा पति भी तुमको जवानी में छोड़ कर चला गया है। मुझे पता है इच्छा तो तुमको भी होती ही होगी, लेकिन वह कुछ बोली नही, फ़िर वो वहा से उठ कर चली गई।

रात को मैं जल्दी सो गया था। मैं करीबन २ बजे उठा तब तक घर में सब सो चुके थे। रितु भी सो गई थी, मैं खांसा लेकिन वह नही उठी। मैं फ़िर से जोर से खांसा तो उसकी नींद खुल गई। हल्का सा उजाला था कमरे में, दादी दूसरी तरफ़ मुह करके सोई थी। मैंने उसको अन्दर का इशारा किया, लेकिन वह तो डरी हुई थी तो मैं ख़ुद अन्दर चला गया और ।उसको इशारे में कहा अन्दर आ जाना।

थोडी देर बाद वह अन्दर आई और बोली- क्या है सो जाओ कोई जग गया तो?

मैंने कहा कुछ नही होगा।

उसने मेरे दोनों गाल दबाए और कहा कि तुम बहुत शरारती हो। मेरी उम्र 21 साल की है। वह मुझसे १२ साल बड़ी है. मैंने अपने हाथ उसके गालों पर रखे तो उसने अपनी आंखे बंद कर ली। मैंने अपने हाथ धीरे धीरे नीचे किए तो वह सकपकाने लगी। अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे और उनको अहिस्ता अहिस्ता दबा रहे थे उसने मेरी तरफ़ देखा और मेरे होटों को अपने मुह में ले लिया। वह वो नमकीन स्वाद तो मुझे आज भी याद है।

मैं उसके बूब्स को थोड़ा जोर से दबाने लगा तो वह स्स्स्स्स की आवाज निकलने लगी। उसने मेरा मुंह पकड़ा और अपने गोल गोल पहाड़ जैसे बूब्स पर घुसा दिया। मैं उनको मदमस्त हो कर चूमने लगा, मुझे तो मानो प्यासे को पानी मिल गया जैसी हालत हो चुकी थी। ओम्म्म ओम्म्म करके मैं तो लगा हुआ था धीरे धीरे पर वो बोली खा जाओ इनको। दोनों हाथ से दबाता हुआ उनको चूस रहा था और वह मेरा सर पकड़ के उसमे दबा रही थी।

मेरा लंड तो इतना टाइट हो चुका था मानो जैसे सरिया. और वह हलके से उसकी चूत पर छुआ, थोडी देर तक मैं ऐसे ही उसके बूब्स चाटता रहा। अचानक उसका हाथ मेरे लंड पर आया और उसको मसलने लगा मुझे तो इतना मजा आ रहा था उसका इतना कोमल हाथ मेरे टाइट लंड को छू रहा था। उसने उस समय साड़ी पहनी थी। मैंने उसका ब्लाउज अभी तक खोला नही था।

मैंने धीरे से अपने एक हाथ से उसका घगरा ऊँचा किया तो पता चला कि उसने अन्दर चड्डी नही पहनी है। मेरा हाथ उसके हिप्स पर था मैंने उसके अभी तक कपडे उतारे नही थे। मैं उसी समय नीचे बैठा और उसके घगरे के अन्दर घुस गया। वो बोली- क्या कर ऽऽऽ ! इतना बोली उसके बाद बोली आआह्ह्छ आःह्छ ह्ह्ह्म्म्ह्ह्म उस समय मैं उस की चूत चाट रहा था। वह धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और अपने दोनों हाथों से घगरे को ऊँचा करती हुई लेट गई। मैंने उसकी दोनों हाथों से टांगे फ़ैला दी लेकिन अपना मुह उसकी चूत से नही हटाया। वो भी मेरे मुंह को अपनी चूत में दबा रही थी, बार बार अपनी कमर ऊँची करती फ़िर नीचे रखती और ह्म्म्म्ह्म्म्म्हम की आवाजे निकालती।

वह अपने घगरे का नाड़ा खोल रही थी और मैं उसकी चूत में मस्त था। उसने कहा- बस करो, अब मेरी बारी है।

मैंने कहा- क्या मतलब?

उसने मुझे एक झटके में अपने नीचे ले लिया। अब मैं उसके नीचे था और वो मेरे ऊपर। वो मेरे होटों को चूमती हुई मेरे सीने को चूमने लगी और धीरे धीरे मेरे लंड के उपर वाली जगह को चूमने लगी फ़िर उसने मेरे दोनों हाथ पकडे और मेरे खड़े लंड को अपने मुंह में ले लिया और हलके से काटने लगी।

मैंने कहा- यह आइसक्रीम थोड़े ही है?

उसने मेरा लंड इतना चूसा कि वह झड़ने की तैयारी में आ गया। मैंने कहा- मैं झड़ जाऊंगा तो वो बोली रुको अभी मत झड़ो। उसने मुझे अपने ऊपर आने के लिए कहा। मैं उसके ऊपर आ गया और उसके मुंह के दोनों तरफ़ टांगे रख के उसके मुह में अपना लंड डाल दिया। वो दोनों हाथों से मेरे लंड को हिलाती भी रही और जोर जोर से चूसने भी लगी।

मैं अब झड़ने वाला हूं, तो वो बोली- हां ! अब झड़ जाओ और मेरा लंड एक दम से पिचकारी छोड़ने लगा। मैं देखता ही रह गया, उसने एक भी बूंद को बाहर जाने नही दिया, सारा का सारा रस पी गई।

फ़िर उसने अपना ब्लाउज खोला और मुझे कहा- अन्दर से थोड़ा तेल लेकर आओ। मैंने अपना पेंट चढाया और नारियल तेल की शीशी लेकर आया उसने अपने हाथ में थोड़ा तेल लिया और मेरे लंड पर लगाने लगी।

मैंने बोला- इससे क्या होगा?

तो कहने लगी- इतने समय बाद चुदवा रही हूं दर्द नहीं होगा क्या ! इसको लगाने से दर्द नही होगा।

उसके खुले बूब्स मुझे तेल लगाते समय तेज तेज हिल रहे थे, उनको देख कर मेरा लंड फ़िर से हरकत में आने लगा और थोडी ही देर में तन तना गया।

मैंने अपने दोनों हाथ से उसके बूब्स को दबाना चालू किया और कहा कि तुम्हारे बूब्स इतने बड़े क्यों हैं?

तो वो बोली- तेरे लिए ही किए है मेरे राजा, उसने फ़िर से मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और जी भर के चूसने के बाद बोली- लो अब अच्छा चिकना हो गया है इसको चूत का रास्ता दिखा दो और और अपने दोनों हाथ से अपनी टांगे फ़ैला दी।

मैंने कहा- वाह ! कितनी उभरी हुई चूत है तुम्हारी !

तो वो बोली- अब बस करो, मत तड़पाओ, डाल दो।

मैंने अपने टॉप पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसके अन्दर डाला। उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा हुआ था और उसको छेद बता रही थी। लंड को छेद मिल गया था, धीरे से मैंने उसको झटका दिया तो स्स्स्स करने लगी।

मैंने जोर से झटका दिया तो आआ करके चिल्लाने लगी। मैंने कहा- क्या कर रही हो, सब जग जायेंगे। तो बोली थोड़ा धीरे करो। मैंने अपना हाथ उसके मुंह पर रखा और दो तीन झटके जोर से दे दिए। उसकी आवाज तो नहीं निकली लेकिन आंख से पानी निकल गया। अब मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा देखा अब उसको मजा आ रहा है तो अपने झटकों की गति को बढाया अब तो वह कहने लगी,” और जोर से डालो फाड़ डालो इसको और जोर से।”

अब तो मैं और जोश में आ गया था। करीबन ५ -७ मिनट मैंने उसको वैसे चोदा और कहा कि अब तुम खड़ी हो जाओ। वह खड़ी हो गई मैंने उसको घुमा दिया और आगे से झुका दिया।

अब मैं पीछे से उसकी चूत में लंड डालने लगा उसके हिप्स बार बार मेरे लंड के साइड में लग रहे थे उससे इतना मजा आ रहा था, मेरे दोनों हाथ उसकी कमर में थे और उसको बार बार मेरी और खीच रहे थे। आगे से उसके स्तनों की घंटी बज रही थी वह धम धम करके इतने तेज हिल रहे थे।

मैंने उसको कहा कि अब मैं नीचे लेट जाता हूं और तुम ऊपर आ जाओ। फ़िर मैं नीचे लेट गया और वह ऊपर आ गई ऊपर बैठ कर उसने जैसे ही मेरे लंड को अपने अन्दर डाला फ़िर बोली अब देख मैं तुझको कैसे चोदती हूं ! मेरे मुंह की तरफ़ अपना मुह लाकर जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी। मैं आ हह आह्ह कर रहा था लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसको कहा- मैं झड़ने वाला हूं तो वो बोली मैं भी झड़ने वाली हूं, लो मैं तो झड़ गई ! वो पूरी तरह से झड़ चुकी थी।

मेरा लंड ऊपर से ले के नीचे तक पूरा चिकना हो गया लेकिन उसने अपनी रफ्तार रोकी नहीं। मैंने कहा- बस अब आने वाला है वह तुंरत उठी और मुझे खड़ा कर दिया और हाथ से हिलाती हुई मेरे रस का इंतजार करने लगी। मैंने कहा- वह तो फ़िर से चला गया अब मुझे खड़ा कर दिया है तो अपने मुंह में चुदवा लो। मैंने एक हाथ से उसके सारे बाल पकड़े और उसके मुंह में लंड अन्दर बाहर करने लगा। थोडी ही देर में मैं झड़ गया उसने सारा रस पी लिया।

मैं पहले कपडे पहन कर अन्दर आ गया वह बाद में अन्दर आई और हम एक दूसरे के सामने हंस के देख कर सो गए। Antarvasna

Hindi Sex Stories

अंजलि का महीना हुए चार दिन हो चुके Hindi Sex Stories थे और मैं उसको चोदने की योजना बना रहा था। शाम के समय मैं अपने कमरे में चाय पी रहा था तो मैंने देखा कि अंजलि अपने छज्जे पर खड़ी होकर सड़क का नज़ारा देख रही है, मुझसे नज़र मिली तो हल्के से मुस्कुरा दी। मुझसे चुदवाने के बाद आज पहली बार सामना हुआ था। मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकला और अंजलि का नम्बर डायल कर दिया, घंटी बजने पर उसने अपना मोबाइल देखा, फ़िर मुझे देखा तो मुस्कुरा कर फ़ोन काट दिया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई।

मैंने हाल चाल पूछा तो बोली- ठीक है !

मैंने पूछा- आज रात को आओगी?

तो शरमाकर बोली- नहीं ! मैंने कहा- मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।

रात को लगभग १२ बजे मेरे मोबाइल पर मिस्ड कॉल आई, देखा तो अंजलि की थी। मैंने कॉल-बैक किया तो बोली- क्या कर रहे हैं?

मैंने कहा- तुम्हारा इंतज़ार !

तो बोली- अभी आ रही हूँ।

५ मिनट बाद अंजलि मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा तो पाया कि उसने सिर्फ़ गाउन पहना हुआ था। गाउन के अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मैं समझ गया बंदी चुदवाने की पूरी तैयारी कर के आई है।

दीवान के पास आकर उसका एक पैर मैंने दीवान पर रख दिया और उसका गाउन कमर तक उठा दिया। अपना लोअर मैंने उतार दिया और लंड उसकी चूत पर रखना चाहा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, अपनी झांटे साफ़ करके उसने चूत की सुन्दरता को चार चाँद लगा दिए थे। मैंने चोदने का इरादा फिलहाल छोड़ा और उसकी चूत चाटने लगा।

उसने भी पोजीशन बदली और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। १० मिनट तक मुख-मैथुन का मज़ा लेने के बाद मैंने अपने लंड पर कंडोम चढाया और उसकी चूत में डाल दिया। जमकर चोदने के बाद जब मैं उसकी चूत में स्खलित हुआ तो मैं ख़ुद को जन्नत में महसूस कर कर रहा था। अब हमारी चुदाई की गाड़ी पटरी पर हौले हौले चल रही थी, दूसरे तीसरे दिन वह मुझसे चुदवा लेती थी, इतना मेरे लिए भी काफ़ी था और उसके लिए भी।

अब हमारी कहानी में एक तीसरा पात्र आ गया।

मेरी पत्नी की एक ममेरी बहन श्वेता इसी शहर में रहती थी। एक दिन लगभग ११ बजे मैं ऑफिस में था कि मेरी पत्नी का फ़ोन आया कि वह श्वेता के घर जाना चाहती है !

मैंने कहा- चली जाओ !

तो बोली- मैंने खाना बना दिया है और चाभी रागिनी भाभी को दे दी है, शाम को ४-५ बजे तक आ जाऊंगी।

मैंने कहा- ठीक है।

दोपहर को १ बजे मैं लंच करने घर आया, घंटी बजाई तो रागिनी भाभी बोली- चाभी लेकर आ रही हूँ। उन्होंने मुझे चाभी दी, मैंने ताला खोला और वो भी अन्दर आ गईं, उनके घर में भी कोई नहीं था, डॉक्टर साहब क्लीनिक और लड़कियाँ कॉलेज गई थीं।

अन्दर आकर बोली- रेखा दाल सब्जी बनाकर गई है और मुझसे कह रही थी कि रोटी मैं सेंक दूँ।

रागिनी का गदराया हुआ बदन और एकांत मेरे लंड को खड़ा कर चुके थे और मैंने उनको चोदने की ठान ली थी। मैंने कहा- भाभी आप कुछ देर बैठिये, मैं नहा लूँ फ़िर खाना खाऊँगा।

भाभी वहीं कुर्सी पर बैठ गईं। मैंने उनको गरम करने के लिए जानबूझकर वहीं अपनी शर्ट उतारी और फ़िर बनियान भी उतार दी, भाभी शर्म के मारे इधर उधर ना देखें इसलिए उनसे कुछ ना कुछ बात करता रहा। मैंने कहा- दोपहर में नहा लेने से शरीर में ताजगी आ जाती है और मैंने अपनी पैंट भी उतार दी। अंडरवियर में से मेरा तन्नाया हुआ लंड साफ़ नज़र आ रहा था। मैंने अपना तौलिया कमर पर लपेटा और अंडरवियर उतारते उतारते बोला- भाभी जी अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात कहूं?

बोलीं- कहिये।

मैंने कहा- ऐसा लगता है जैसे भगवान् जोड़ियाँ बनाते समय गलती कर गया है, मैं आप जैसी पत्नी पाने का हकदार था और रेखा को डॉक्टर साहब की पत्नी होना चाहिए था। अगर ऐसी जोड़ियाँ होतीं तो मेरी ज़िन्दगी जन्नत से कम न होती।

भाभी उठीं और बोलीं- काश ऐसा होता तो मैं हर पल तुम्हारी बाहों में ही गुजारती।

इतना सुनते ही मैंने उनका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी आंखों से इस तरह लगाया कि मैं धन्य हो गया। मैं एक कदम उनकी ओर बढ़ा ओर अपनी बाहें फैलाकर उन्हें अपने करीब आने का इशारा किया, वो मेरे सीने लग गईं, मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर पर और दूसरा टांगों के पास ले जा कर उनको अपनी गोद में उठा लिया, मेरे कसरती बदन को निहारते हुए बोलीं- उतार दो दीपक ! मैं बहुत भारी हूँ।

मैंने कहा- भाभी मेरे प्यार के सामने आपका भार कुछ भी नहीं।

मैं उनको रेखा के बेडरूम में ले आया और पलंग पर लिटाकर उनसे लिपट गया। वो मेरे से लिपटी हुई छुई मुई हुई जा रहीं थीं। एक एक करके उनके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और उनके होठों पर अपने होंठ रखकर एक हाथ से उनके मम्मे और दूसरे से उनकी चूत सहलाने लगा। थोड़ी देर में जब उनकी चूत गीली हो गई तो मैं उठा और अलमारी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगा तो भाभी बोलीं- दीपक जी इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं कई साल पहले नसबंदी करा चुकी हूँ।

मैं वापस पलंग पर आया, उनकी टाँगे फैला कर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुंह पर रखा और पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर कर दिया।

भाभी बोलीं- दीपक जी एक बात पूछूं?

मैंने कहा- पूछिए !

तो बोलीं- तीन साल बाद आपका लंड किसी की चूत में जा रहा है तो कैसा लग रहा है।

मैंने कहा- आपको ये कैसे पता है?

तो बोलीं- रेखा ने मुझे बताया था कि मेरी इच्छा नहीं होती।

इस बातचीत के साथ साथ मेरा लंड अपना काम कर रहा था। उस दिन १ बजे से ४ बजे तक भाभी को दो बार चोदा, मैंने पूछा- भाभी सच बताना तुम्हारा देवर चोदने में कैसा है?

तो बोलीं- टचवुड ! बहुत अच्छा।

मैंने कहा- अच्छा भाभी एक बात और बताओ, कभी गांड मराई है?

बोली- नहीं ! कभी नहीं ! शुरू शुरू में एक दो बार डॉक्टर साहब ने मारनी चाही थी लेकिन उनका लंड गांड में घुसा ही नहीं !

मैंने कहा- भाभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा, मराओगी ?

बोलीं- हाँ मेरे राजा ! जरूर मराउंगी।

फ़िर भाभी ने रोटियां सेंकी, हम दोनों ने खाना खाया और भाभी अपने घर चली गईं।

बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए !!! Hindi Sex Stories

नमस्कार मेरे प्यारे पाठको ! Hindi Sex Stories

मैं एक बार फ़िर से हाज़िर हूं अपनी Hindi Sex Storiesकहानी का अगला भाग लेकर। आपने मेरी पिछली कहानियाँ
टीचर्स डे और ऐन्नुअल डे
तो पढ़ी होंगी। आप वरुण और मुझ से तो वाकिफ़ ही होंगे। यह कहानी ठीक वहीं से शुरू है जहां ‘ऐन्नुअल डे’ खत्म हुई थी।

सभी कहानियों में यह कहानी मेरे दिल के सबसे करीब है। कई बार इस कहानी को लिखते वक्त मुझे शब्दों की कमी महसूस हुई, अपने मन के भावों को शब्दों में ढालना सचमुच एक कठिन कार्य है, फ़िर भी मैंने अपनी पूरी कोशिश की है।

अगर आपका प्यार इसी तरह बना रहा तो मैं अन्तर्वासना के माध्यम से आपको अपनी कहानी के अगले भाग भी पहुंचाती रहूंगी।

उस दिन बस में वरुण के मुंह से इतनी सीरियस बातें सुनने के बाद मैं उससे अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और मैंने सोच लिया कि अपने मन की बात उसे कभी नहीं बताऊंगी, क्योंकि मैं वरुण को किसी भी रूप में खोना नहीं चाहती थी। उसके साथ के लिए अगर मुझे उसकी दोस्ती निभानी पड़ती है तो वही सही।

इसीलिए मैंने अपने दिल के अरमान अपने होठों तक कभी ना पहुंचने देने का तय किया, पर नज़रें हमेशा दिल का साथ देती हैं…दिमाग और जुबान चाहे कितनी भी कोशिश करके खुद को जताने से रोक लें… पर दिल की बात कहने के लिए सिर्फ़ एक नज़र ही काफ़ी होती है।

उस दिन शाम को हम होटल पहुंचे। जयपुर वाली ब्रांच ने दो कमरे बुक करा रखे थे, एक बिना ऐ सी डबल बेडरूम दो विद्यार्थियों के लिए और एक ऐ सी सिंगल बेडरूम हमारे अध्यापक के लिए।

सर ने वरुण से कहा- मैं बेड शिफ़्ट करवा देता हूं, तुम मेरे कमरे में मेरे साथ सो जाना और कृति वहां आराम से सो जाएगी। सर को मुझ पर और वरुण पर भरोसा नहीं था और हो भी क्यों??? कच्ची उमर में ही ऐसी गलतियाँहोती हैं, पर वरुण ने सर को भरोसा दिलाते हुए कहा,’आप जैसा सोच रहे हैं, वैसा कभी नहीं होगा, मुझे अपनी मर्यादा और समाज के बंधनों का पूरा ख्याल है, मुझे आपके साथ सोने में कोई दिक्कत नहीं है अगर आपका कमरा भी बिना ऐ सी हो तो। मुझे ऐ सी से अलर्ज़ी है, ऐ सी की हवा में मेरे सर में तेज़ दर्द हो जाता है।’

उसकी वाजिब परेशानी सुनकर सर मान गए और सर और हम अपने अपने बैग लेकर अपने कमरे में चले गए। सर के कमरे का तो पता नहीं पर हमारा कमरा काफ़ी अच्छा था। वहां कमरे के बीचों बीच दो बिस्तर लगे थे। दोनो के बीच का फ़ासला करीबन चार फ़ीट रहा होगा।

जिसपे क्रीम कलर की बेडशीट थी उसपे एक ओढ़ने के लिए कम्बल और एक चादर थी .. अटैच्ड बाथरूम था कमरे में घुसते ही सबसे पहले सामने की तरफ़ एक खिड़की थी, जिस के उस तरफ़ एक खूबसूरत बागीचा था। उस खिड़की पर जाली वाले परदे लगे थे और दरवाजा सरकाने वाला था वहीँ खिड़की के बायीं तरफ़ एक टेबल रखी थी जिस पर एक रूम सर्विस के लिए फोन, इंटर कॉम नम्बर की लिस्ट, एक पानी का जग और दो गिलास पड़े थे।
टेबल के ठीक बायीं तरफ़ कुछ दूरी पे एक टेबल और थी जिस पर टीवी रखा था (पर उसपे सिर्फ़ न्यूज़ चैनल ही आते थे ) टीवी की टेबल के निचले हिस्से में एक कपबोर्ड था, उसमें उस दिन का न्यूज़ पेपर था हिन्दी और इंग्लिश दोनों और एक स्पोर्ट्स मैगजीन थी.

टीवी से दोनों बिस्तर की दूरी एक बराबर थी. दोनों बिस्तर के बीच में एक और साइड टेबल रखी थी जिसपे एक लैंप रखा था जिसके दो स्विच कनेक्शन दोनों बिस्तर की तरफ़ थे. वरुण मेरे से आगे चल रहा था इसीलिए कमरे में भी पहले वोही घुसा था और उसने घुसने के साथ ही खिड़की के पास वाले बिस्तर पर अपना बैग पटक दिया और राक्केट पास वाली मेज़ पर रख दिया.

मेरे पास और कोई चोइस न थी इसीलिए मैंने अपना सामान दूसरे बिस्तर पर रख दिया .. और बाथ रूम देखने चली गई .. बाथ -रूम कमरे के मुकाबले बेहद सुंदर था .. व्हाइट टाईल्स, व्हाइट कमोड, व्हाइट वाश बेसिन, सुंदर सजावटी शीशा .. के साथ सभी टोंटियाँसिल्वर कलर की थी। वहाँ हस्त फव्वारा भी था और सीलिंग फव्वारा भी .. सलैब पर दो व्हाइट टोवेल्स रखे थे साथ में साबुन, शैंपू, कंघा.

खैर मैं वापिस कमरे में आई .. वरुण ने कमेन्ट किया .. अन्दर जाके सो गई थी क्या .. इत्ती देर लगा दी .. कभी किसी होटल में नहीं गई हो क्या .. ऐसे देख रही हो जैसे कभी देखा न हो…

मैंने उसे कहा .. तुम्हे देखूं तो तुम्हे दिक्कत है, होटल को देखूं तो तुम्हे दिक्कत है ..मतलब अब मुझे सब काम तुम्हारे हिसाब से करने होंगे… इसपे उसका मुंह सड़ गया ..और वो अपने बैग से चेंज करने के लिए कपड़े निकलने लगा .. कपड़े निकलने के बाद उसने बाथ रूम में जाकर कपड़े बदल लिए ..और उसके बाद मैंने भी जाकर कपड़े बदल लिए .. हम दोनों ने अपने अपने बैग अपने पलंग के नीचे घुसा दिए ..!!

वो खिड़की से बाहर का नज़ारा देखने लगा .. बगीचे में बहुत सरे पेड़ थे खूब सारे फूल और उन पर मंडराते भँवरे और तितलियाँ…पर मेरे भँवरे का मूड ऑफ़ था वो अपने फूल से नाराज़ था…!!!

मैंने टीवी के नीचे से अखबार उठाया और पलंग पे बैठ के पढ़ने लगी थोड़ी देर बाद फोन की घंटी बजी… वरुण फोन के पास था इसीलिए उसी ने फोन उठाया .. सर का फोन था वो चाए, नाश्ता लेने के लिए हमें होटल के वेटिंग एरिया में बुला रहे थे।

फोन रखते ही उसने कहा- चलो!
मैंने कहा- कहाँ?
.. तो वरुण कहने लगा अब आई हो तो सोच रहा हूँ तुम्हे थोड़ा आस पास घुमा लाऊ .. !!!
मैंने कहा सच ..!!!
कहता ..’ इतनी खुश मत होवो .. सर नीचे बुला रे हैं चलो ..’

ये वरुण की पुरानी आदत थी .. दिल में सपने जगा के तोड़ देना ..!!! पहले भी उसने ऐसा मेरे साथ कई बार किया था…

मैंने थके हुए भाव से कहा चलो .. !! और हम नीचे पहुंचे सर पहले ही तीन चाय का आर्डर दे चुके थे .. सर ने पूछा की कमरे में कोई दिकत तो नहीं है .. हम दोनों ने एक ही स्वर में कहा हाँ .. सर ने फ़िर पूछा क्या दिक्कत है .. हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ़ इशारा करते हुए ऊँगली उसके कहा इस से ..!!

सर हँसने लगे .. कहते अभी से लड़ रहे हो साथ में खेलोगे कैसे .. हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे ..

और साथ साथ बोले… हम और साथ में… ना ह ..!!!!

सर फ़िर से मुस्कुरा दिए .. तब तक चाए आ गई और कुछ बढ़िया से पकोड़े भी ..मुझे पकोड़े बेहद पसंद हैं और तब मैंने जाना कि वरुण को भी पकोड़े बहुत पसंद हैं ..!!!

चाय पीने के बाद सर ने हमें बताया कि चूँकि अलग अलग शहरों से स्कूल के बच्चे आए हुए हैं इसीलिए उन सभी के डिनर का इन्तेजाम स्कूल मैंनेजमेंट ने ही किया है .. जिस से बच्चे आपस में घुल मिल सकें और एक दूसरे को जन सकें .. जिस से उनमें खेल भावना जागृत हो… हम दोनों ह्म्म्म स्वर निकला…!!!

चाय पीने के बाद सर ने मुझसे पूछा कि अगर तुम प्रक्टिस करना चाहती हो तो में तुम्हे ले चलता हूँ साथ में दोनों मिलके प्रक्टिस कर लेना .. वहां और बच्चे भी होंगे .. और तुम्हारी ट्यूनिंग भी सेट हो जायेगी .. ..!!!

मैंने सर से कहा सर अब तो आ गई हूँ… न भी चाहूँ तो भी खेलना ही पड़ेगा .. अब जो होगा देखा जाएगा .. ये तो आपको मुझे लाने से पहले सोचना चाहिए था. सर कहते तुम नहीं जाना चाहती वो दूसरी बात है… चलो तुम दोनों जा के रेस्ट करो .. थक गए होंगे लंबे सफर में ..

वरुण उठने लगा .. मैंने सर से कहा .. सर इसे समझा लो .. जब देखो मुंह सड़ाये रखता है अब यहाँ कोई और है भी तो नहीं जिस से मैं बात कर सकूँ ।

सर कहते वरुण इसका ख्याल रखो और हाँ जो कहती है सुन लिया करो .. कम से कम सिर्फ़ कहती ही है न .. बीवी की तरह बेलन थोड़े ही मारती है ..!! सर मुस्कुराते हुए बोले ..!!!

इसके जवाब मैं वरुण बोला .. सर हम तो बेलन खाने को भी तैयार हैं पर मरने वाली तो आये…!!! और हंस पड़ा…

फ़िर हम दोनों अपने कमरे की तरफ़ चले गए .. जा ही रहे थे कि सर ने पीछे से वरुण को आवाज लगाई .. ‘कोई तकलीफ हो तो .. मुझे इंटर कॉम से कॉल कर लेना ..और हाँ तुम्हे याद है ना मैंने क्या कहा था ..’

वरुण ने उन्हें आश्वस्त करते हुए हाँ मैं सर हिलाया ..!!

हमारे कमरे में आते ही वरुण भड़कते हुए बोला .. कमसे काम मोका देख के तो बोल लिया करो की क्या बोल रही हो…क्या जरूरत थी ये कहने की सर से .. ये हम दोनों के बीच की बात है ओरों को हमारे बीच मैं क्यूँ लाती हो ..

मुझे अच्छा लगा कि उसने मुझे अपने मन की डांट लगायी .. और हम दोनों के झगडे को अपनी पर्सनल बात मानी और सार्वजनिक करने से मना किया।

मैंने उस से कहा .. अगर यही बात पहले आपके होठों से फूट पड़ती तो मुझे गैरों से आपको सिले हुए होंठो को खुलवाना ना पड़ता…

बस इतना कहने की देर थी उसने कहा .. कृति यू आर टू मच .. यू आर जस्ट इम्पोस्सिब्ल ..!!!

तुम्हारे साथ रहना तो दूर , बात करना ही बेकार है…

उसके बात ख़तम होने से पहले ही मैंने उसे कहा- सो यू डू ..!!

(जाने क्यूँ हम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए बे-इन्तहां प्यार होते हुए भी हमारा ज्यादातर वक्त झगडों और लडाइयों में गुजरता था )

ये सब सुनने के बाद .. वो बिस्तर पर खिड़की की ओर करवट लेके सो गया… ठीक दो घंटे बाद दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी .. मैंने खोलने से पहले अंदर से पूछा .. वो सर थे…

मैंने दरवाजा खोला .. और सर अंदर आये मैंने सर को बैठने के लिए कुर्सी दी… सर वरुण की तरफ़ देख के बोले .. इसे क्या हुआ .. मैंने कहा सर .. इसे कुछ हो भी नहीं सकता .. कुम्भकरण की इस छटी पुश्त को कहाँ से उठा के लाये हो… जब से आया है सो ही रहा है…पिछले दो घंटे से देख रही हूँ .. इस मनहूस टीवी पे भी तो न्यूज़ के अलावा कुछ और नहीं आता .. और फ़िर इन्सान एक दिन की अखबार कितनी बार पढ़ लेगा।

सर ने कहा तुम इतना ही बोरे हो रही हो तो मेरे साथ चलो मैं डिनर के लिए स्कूल कम्पाउंड में जा रहा हूँ ..(मुझे सर से ज्यादा वरुण पे भरोसा था .. इसीलिए मैंने जाने से मना कर दिया) मैंने कहा- नहीं सर मुझे भूख नहीं है, शाम को पकोड़े कुछ ज्यादा ही हो गए थे, अगर पेट ख़राब हो गया तो सुबह खेलना मुश्किल हो जाएगा .. और वैसे भी मैं भी सोने की ही तैयारी कर रही थी .. सर कहते- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो .. पर हाँ कल सुबह 8 बजे नीचे मुख्य हॉल में पहुँच जाना .. 9 बजे तुम दोनों का मैच है चंडीगढ़ के साथ ..!! सर ने मुझे गुड नाईट किया

.. और सर के जाने के बाद में अपने बिस्तर पे लैंप जला के अपना नोवेल पढ़ने लगी…पर थोड़ी थोड़ी देर बाद मुझे उसे देखने की इच्छा होती .. जाने मुझे क्या हो रहा था… वो इतना पास होते भी मुझे ख़ुद से दूर जाता हुआ महसूस हो रहा था .. पर मैं उसे चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी ..आँखों में उसे देखने की प्यास थी की ख़तम होने का नाम नहीं ले रही थी .. रात के 11 बज चुके थे .. और मैं सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी .. परेशां थी .. ख़ुद से या उस से पता नहीं ..!!

बिस्तर पर उठ के बैठी ..तो देखा कि .. खिड़की से आती चाँद कि चंचल चांदनी परदे से छन छन के उसके चेहरे पे पड़ रही है .. उसके रेशमी धागों से बाल उसकी आँखों पे थे .. मैंने खिड़की के पास पड़ी कुर्सी उठाई और उसके चेहरे के ठीक आगे कुर्सी लगा के बैठे बैठे उसे निहारने लगी

..कुछ भी कहो .. उसे जितना देखती थी .. उसे और देखने कि इच्छा होती थी .. मैं उसके मोह जाल मैं फंसती जा रही थी. उसकी दांई हथेली उसके दांए गाल के नीचे ऐसे लग रही थी जैसे पत्ते पर ओस की पहली बूंद होती है… इतनी सौम्य कि बस देखते रहने का मन कर रहा था और वो इतने भोलेपन से सो रहा था जैसे बच्चा अपनी मां की गोद में सिर रख के सोता है…दुनिया से बेखबर, एकदम निश्चिन्त होके।

उसका बायाँहाथ उसके दाएं हाथ के नीचे रखा था और उसकी टांगें सुकड़ी हुई थीं… उसे पंखे की हवा में भी ठण्ड लग रही थी शायद ! मैंने उसे अपनी चादर औढा दी।

उसके रेशम से बाल कभी उसके माथे को चूमते तो कभी उसकी आंखों को हल्के से सहला के चले जाते, मानो उसकी आंखों में सपने भर रहे हों !!

यूं ही देखते देखतेवक्त गुज़र गया, सुबह के चार बज गए, पता ही नहीं चला…!!! इस से पहले वो जागता, मैंने कुर्सी वापिस उसी जगह रख दी जहां पड़ी थी और खिड़की के पास जा के खड़ी हो गई क्योंकि नींद तो मुझे आने वाली थी नहीं… और फ़िर आए भी क्यूं… मैं अपनी जिन्दगी के कुछ यादगार लम्हें गुजार रही थी जिन्हें शायद ही मैं कभी भूल पाऊंगी…!!!

धीरे धीरे रात की कालिमा को भोर के उज़ियारे ने धो दिया। आसमान में चिड़ियाँगश्त लगाने लगी थी, पन्छी हर तरफ़ गाने लगे थे, मानो सभी को उठने का संदेश दे रहे हों… और सबको शुभ-प्रभात कह रहे हो ! तकरीबन साढे पांच बजे वो आंखें मलता हुआ उठा- अरे तुम तो काफ़ी जल्दी उठ गई… मुझे लगा कि अब तक तुम सो रही होगी !

तो मैंने कहा,’कुछ मूर्ख लोग होते हैं जो वक्त को इस तरह सो के बरबाद कर देते हैं पर मैं उन में से नहीं हूं…!!!

कहता- तुम सोई नहीं क्या…

मैंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा- हैं…???
वो फ़िर बोला- तुम्हारी आंखें क्यों सूजी हुई हैं, रो रही थी क्या?!?!

मैंने कहा- आंसू पौंछने वाला अगर कोई होता तो शायद जरूर रोती… सहारा देने वाला होता तो शायद ठोकर खाकर जरूर गिरती… कोई हाथ थामने वाला होता तो शायद जरूर बहकती… पर अफ़सोस ऐसा कोई नहीं है…!!!

वो आंखें झुका के सब सुन ध्यान से रहा था.. खड़े होके मेरे पास आया..कन्धे पे हाथ रखके उसने मुझ से पूछा- क्या बात है?..सुबह सुबह शेर-ओ-शायरी ! क्या हुआ मेरी स्वीटी को…इतनी सेन्टी क्यूं हो?? किसी की याद आ गई क्या???

मैंने उसे कहा- याद उसकी आती है जो दूर हो… कोई है जो सब कुछ देखके भी आंखें बंद कर लेता है, सुन कर भी अनसुना कर देता है। वो हर वक्त मेरे पास होता है…पर मेरे साथ नहीं होता… पर पता नहीं मैं भी उसके इतने ही करीब हूँ या नहीं…

उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा .. कोई पागल ही होगा जो तुमसे प्यार करना नहीं चाहेगा .. तुम उसे कह के तो देखो शायद कुछ हो जाए ..

मैंने कहा .. उसे कहने से कुछ फायदा नहीं उस बेदर्द में दिल ही नहीं है .. दिल होता तो शायद अब तक समझ जाता… (उसे अब तक पता नहीं चला था कि मैं उसी की बात कर रही थी .. इडियट कहीं का )

उसने कहा .. और ऐसा भी तो हो सकता है कि वो सब कुछ समझता हो, जानता हो.. वो सब कुछ तुम्हारी आँखों में पढ़ लेता हो, पर शायद तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हो .. शायद उसे लगता हो कि अगर वो कहेगा तो कहीं तुम उसे मना न कर दो .. कहीं उसे ये डर न हो कि उसकी इगो हर्ट हो जायेगी…

उसके शब्द सुन के मेरी आंखें भर आई .. क्यूंकि बस में जिसने मेरे दिल को इतनी चोट पहुंचाई .. क्या ये वरुण वही इन्सान था जो तब मुझसे इतने प्यार से बात कर रहा था…

मैं उसे तब भी कुछ नहीं कह सकी. . बस उसकी आँखों में झांकती रही और कब आखों से आंसू छलक गए पता भी नहीं चला .. उसने कंधे से हाथ हटा के मेरे आंसू पौंछे और मेरे सर पर अपना हाथ रख दिया .. उसने कहा .. थोड़े आंसू बचा लो .. तुम लड़कियों के पास एक यही तो हथियार है… उसे बर्बाद मत ।करो .. और हाँ थोड़े इसीलिए बचा के रखा करो क्यूंकि ये अनमोल हैं. और मैं तुम्हे रोते हुए नहीं देख सकता…

मुझे चुप कराने के बाद उसने कहा मैं मोर्निंग वाक् पे जा रहा हूँ, चलोगी?.. थोडी फ्रेश भी हो जोगी .. और थोड़ा वार्म अप भी कर लोगी .. लेग्स की मस्सल्स भी खुल जाएँगी .. और तुम्हे खेलते वक्त दिक्कत भी नहीं होगी ..मुझे उसकी बात ठीक लगी और मैं उसके साथ ट्रैक सुइट पहन कर मोर्निंग वाक् पे चली गई। वापिस आकर हम दोनों फ्रेश हुए अपने स्पोर्ट्स ड्रेस पहने और अपने अपने बल्ले ले के नीचे हॉल मैं चले गए .. जहाँ सर नाश्ता कर रहे थे…

हमारे पहुँचते ही सर ने कहा- अरे आ गए तुम दोनों .. वैरी गुड ! वरुण ने व्हाइट शोर्ट्स और टी -शर्ट पहनी थी .. और सर पे हेयर-बैंड था ताकि बाल खेलते वक्त उसकी आखों में ना आयें… मैंने चोटी बनाई थी .. एक व्हाइट टी -शर्ट और व्हाइट मिनी स्कर्ट पहनी थी ..हाँ इस बार वरुण ने मेरी स्कर्ट को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई .. क्यूंकि उसे मालूम था टेनिस में कभी कभी एक और से दूसरी और तेज़ और बड़े क़दमों से भागना पड़ता है .. जो कि लम्बी स्कर्ट में नहीं किया जा सकता ..

हम दोनों तैयार थे। नाश्ते में हमने एक एक ग्लास ओरंज़ जूस और कुछ फल लिए ..और पहुँच गए गेम वेन्यु पर ..9 बजे खेल शुरू होना था .. हमारी प्रतिद्वंदी टीम चंडीगढ़ के स्कूल की थी। लड़की सुंदर थी (ज्यादातर सरदारनियाँ सुंदर होती हैं ) उसके नैन नक्श एक दम टिपिकल सरदारनियों जैसे थे और लड़का सरदार था। हमारा खेल शुरू हुआ, हम दोनों को शुरू में तालमेल की वजह से कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर ब्रेक में वरुण ने मुझे उसके साथ खेलने के कुछ टिप्स सिखाये और नेक्स्ट हाफ में हमने बहुत अच्छा किया और हम मैच जीत गए।

12 बजे खेल ख़तम हुआ। ये हमारा क्वाटर फाईनल था। इसके बाद हमें सेमी फाइनल में जयपुर के स्कूल की टीम के साथ खेलना था और वो मैच उसी दिन 2 बजे होना था। मुकाबला कड़ा था। खेल शुरू होने से पहले हम दोनों ने एक दूसरे को बेस्ट ऑफ़ लक कहा और कड़ी मेहनत के बाद हम वो गेम 6 -4, 5 -4, 6 -5 से जीत गए। गेम 4.30 बजे ख़तम हुआ। निकलते समय मैंने दूसरी टीम की लड़की से हाथ मिलाया और वरुण ने लड़के से .. उसके बाद वरुण ने लड़की से मिलाया और मैंने लड़के से।

सामने वाली टीम के लड़के ने मुझसे हाथ मिलते वक्त कहा कि मैं ये मैच जीत जाता अगर तुम न खेल रही होती, मेरा सारा ध्यान तो तुम्हारी टांगों पर था, सच कहूँ युअर लेग्स आर सो स्टन्निंग .. ये सुनने के बाद मैंने सीधा वरुण के चेहरे पे देखा, उसने बात सुनी थी पर उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, हाथ छुड़ाने पर मुझे अपने हाथ मैं एक पर्ची मिली, जो हाथ मिलाते वक्त उस लड़के ने मेरे हाथ पे रखी थी, उसपे लिखा था .. ‘7 बजे शाम को इसी मैदान की पार्किंग में मिलो.!!!!’

हम सर के साथ वापिस होटल आ गए। उस वक्त 5 .30 बजे थे। सर हमारी बहुत तारीफ़ कर रहे थे, पर मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि अभी डेड़ घंटा बाकी है। हम दोनों कमरे में गए, और मैंने वो स्लिप मेज़ पे रख दी। पहले वरुण फ्रेश हो के बाहर आया, और मैं फ्रेश होने बाथ रूम में चली गई। मैं नहा ही रही थी, मुझे लगा कि कमरे का दरवाजा खुला है। मैंने वरुण को अंदर से ही आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नहीं मिला। जल्दी जल्दी में मैंने नहाना धोना ख़तम किया और कपड़े पहन के बाहर आई। 6.45 हुए थे, मुझे पता था वरुण कहाँ गया है।

मैं भी उसके पीछे पीछे चल दी। वहां पहुँच के मैंने सिर्फ़ इतना देखा कि वरुण पार्किंग से बाहर आ रहा है, मैं छुप गई और उसके जाने के बाद मैं पार्किंग में गई। वहां वो लड़का एक गाड़ी के पीछे जख्मी पड़ा था। वरुण ने उसे बहुत मारा था, मेरे पहुँचते ही वो रो रो के सॉरी मैडम, सॉरी दीदी कहने लगा और तो और पाँव छूने लगा।

उसने मुझसे कराहती हुई आवाज़ में कहा- वो आपका भाई है क्या?
मैंने कहा- नहीं! उसने फ़िर से पूछा- प्रेमी???

मैंने कहा नहीं ! हम दोनों का रिश्ता इन सब रिश्तों से ऊपर है .. वो तुम नहीं समझोगे .. आज जो तुमने गलती की .. दोबारा किसी के साथ मत करना .. ये कह के मैं वहां से निकल गई .. निकलते समय मैंने…ग्राउंड की अथॉरिटी को इन्फोर्म किया कि पार्किंग मैं कोई लड़का जख्मी पड़ा है और उसे फर्स्ट ऐड की जरूरत है।

उसके बाद मैं होटल पहुँची, करीबन 7 .30 बजे। उसने आते ही पूछा- कहाँ गई थी? मैंने कहा- जहाँ तुम गए थे! कहता- मैं तो कहीं नहीं गया, यहीं था, थोड़ी देर के लिए सर के कमरे में गया था, लौटा तो देखा तुम कमरे में नहीं हो।

मैंने कहा,’ जब तुम्हे झूठ बोलना आता नहीं तो बोलते क्यूँ हो… क्यूँ मारा तुमने उस लड़के को…’ वरुण कहने लगा ..’किस लड़के को .. तुम किसकी बात कर रही हो .. ‘

मैं चुप हो गई मैं उसके जख्मों को कुरेदना नहीं चाहती थी .. और न ही दोबारा झगड़ा करना चाहती थी .. हम दोनों बहुत थक गए थे .. और आज भी कल ही की तरह बिना खाए पिए सो गए .. और उस दिन मुझे चैन की नींद आई .. क्यूंकि मैं आश्वस्त हो चुकी थी की वरुण के दिल में भी मेरे लिए कुछ न कुछ तो जरूर है…

सुबह 10 बजे हमारा फाइनल था मुंबई टीम के साथ .. मैं जल्दी उठ गई .. आज का दिन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था .. इसलिए नहा धोकर पूजा की .. तब तक वरुण भी उठ गया .. रोज़ की तरह आज फ़िर से वो मोर्निंग वाक् पे गया ..जाने से पहले उसने मुझसे पूछा ..पर मैंने ही मना कर दिया .. क्यूंकि कमरे पर और भी काम थे करने को .. पैकिंग करनी थी .. चेक आउट करना था…

जब वो मोर्निंग वाक् से आया तब तक मैं दोनो बिस्तर ठीक कर चुकी थी, हम दोनों के बैग पैक कर चुकी थी उसके पहनने वाले कपड़े निकाल के रख दिए थे (बिल्कुल बीवियों की तरह ) आने के बाद उसने पूछा- अरे! ये कमरा इतना व्यवस्थित कैसे हो गया? मैंने कहा- मैंने किया और कौन करेगा? कहता- तुम कबसे इस होटल की सफाई कर्मचारी बन गई… और यह कहके हंसने लगा… मैंने भी उसकी बैटन को मजाक मैं लेते हुए कहा .. जब से तुम जमादार बने हो तभी से…

मैं उसके आने तक तैयार हो चुकी थी, आने के बाद वो भी नहा धो के तैयार हो गया, हम दोनों अपने अपने बैग ले के नीचे पहुंचे। सर हमारा इंतजार कर रहे थे। हम तीनों ने रजिस्टर पर चेक आउट करने के लिए हस्ताक्षर किए और सामान उठा के स्टेडियम चले गए। वहां लॉकर में सामान रख दिया। तब तक 9 .45 हो चुके थे, मैच शुरू होने में सिर्फ़ 15 मिनट बाकी थे।

मैच शुरू हुआ। मुंबई टीम का लड़का बेहद स्मार्ट था, और लड़की सांवली सी थी लेकिन उसके फीचर बहुत अच्छे थे। उनकी टीम बहुत अच्छे खेल के प्रदर्शन के बाद यहाँ तक पहुँची थी। मैं बहुत नर्वस थी (ऐसे मौकों पर मैं अक्सर नर्वस हो जाया करती हूँ ) मुझे ख़ुद पे भरोसा नहीं था कि मैं इन्हे चुनौती दे भी पाऊँगी या नहीं, पर वरुण पे भरोसा था…उनकी टीम ने हमारा खेल पिछले दो मैचों में देखा था।

खैर पहला सेट हम जीत गए, पर दूसरा सेट शुरू होने के साथ बाल बार बार मेरी तरफ़ ही आ रही थी और वरुण बार बार भाग कर बाल अपने बल्ले पर ले रहा था। वो जानता था कि मैं कांफिडेंट नहीं हूँ और ये बात सामने वाली टीम को भी पता थी। इसीलिए वो हमारी कमजोरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर कार वही हुआ जिसका डर था- वरुण भी आखिर कब तक अकेले मोर्चा संभालता, वो भी इन्सान है उसे भी थकन होती है, नतीजतन हम दूसरा सेट हार गए और फ़िर एक के बाद एक तीसरा और चौथा भी ..

हम मैच हार गए ..

और सब कुछ हुआ मेरे कारण .. जब ये बात मैंने वरुण से कही .. तो उसने कहा हम मैच तुम्हारी वजह से नहीं हारे .. हम मैच इसलिए हारे क्यूंकि .. मेरी प्रक्टिस वंशिका के साथ हुई थी, तुम्हारे साथ नहीं, ऐसे में दिक्कतें तो आती ही हैं। सर ने भी मुझे दिलासा देते हुए कहा- कोई बात नहीं बेटे ! तुम तीन में से 2 मैच तो जीते न, ये मत देखो कि तुम आखिर में हारे या जीते .. तुम ये देखो कि तुमने खेल भावना से खेले या नहीं .. अगर हाँ तो तुम हारने के बावजूद जीत गए क्यूंकि इस से तुम्हे बहुत कुछ सीखने को मिला और फ़िर हर हार के बाद कोई कुछ न कुछ तो सीखता ही है, तुमने भी सीखा ही होगा .

जब तक खेल में कोई हारेगा नहीं तो सामने वाला जीतेगा कैसे…!! सर की बातों ने मुझ पे और मेरे मूड पे काफी असर किया .. उसके बाद हमने कुछ रेफ्रेश्मेंट्स ली और थोड़ी देर आराम करने के बाद हम वहां से 2 बजे निकल पड़े बस लेने के लिए। बसों की हड़ताल थी इसलिए हमें टैक्सी करनी पड़ी। सर साथ में थे इसलिए रास्ते भर हमने ज्यादा बातचीत नहीं की और सर ने मुझे करीबन 7 बजे और वरुण को मेरे बाद टैक्सी से ही हमारे घर छोड़ा।

इस एक्सपेरिएंस के बाद मुझे तो पूरा यकीन हो गया भले वरुण बाहर से दिखाता न हो .. पर उसके मन में एक सॉफ्ट कार्नर जरूर है मेरे लिए .. शायद इसलिए क्यूंकि .. मैं उसकी सबसे करीबी और अच्छी दोस्त थी .. या फ़िर शायद कुछ और…

ये आपको मेरी आगे वाली कहानियों में पता चलेगा… कि उसके दिल में आखिर क्या था .. और वो मुझ से दूर जाने की कोशिश क्यूँ करता था ….

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे अपने विचार केवल और केवल ईमेल के ज़रिये भेजें .. मुझे आपके फीड बैक का इंतज़ार रहेगा ..

मेरी मेरे पाठकों से तहे दिल से गुजारिश है कि वो मुझसे केवल कहानी से जुड़े सवाल ही करें… अश्लील सवालों के उत्तर नहीं दिए जायेंगे ..
पाठको से ये भी अनुरोध है कि आप अपनी लेखिका कि मजबूरी को समझ कर निजी से ज़िन्दगी से जुड़े सवाल भी न करें… मैंने वरुण और अपनी कहानी अन्तर्वासना पर भेजने से पहले वरुण से ये वायदा किया है कि .. मैं अपनी से जीवन से जुड़ी कोई बात यहाँ नहीं लिखूंगी .. जैसे कि मेरा नाम, शहर, मेरी उमर, मेरी फिगर .. इसलिए आपसे अनुरोध है कि ऐसे सवाल न करें जिनका मैं जवाब न दे सकूँ…
कहानी पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद… Hindi Sex Stories

Sex Stories

लकी प्रोजेक्ट गाइड ‘ मेरी Sex Stories ज़िन्दगी का वो रूहानी अनुभव है जिसे मैं ताज़िन्दगी नहीं भूल पाऊंगा… उसे शब्दों में बयाँ कर पाना बहुत मुश्किल है। मैंने सोचा नहीं था कि कहानी इतनी लंबी हो जायेगी कि उसे दो-तीन किश्तों में लिखना पड़ेगा… इसीलिये मैंने उसे सिर्फ़ “लकी प्रोजेक्ट गाइड” नाम दिया था.. पर अब तो उसे “लकी प्रोजेक्ट गाइड-१” ही कहना पड़ेगा…

खैर.. “लकी प्रोजेक्ट गाइड” में आपने पढ़ा कि हम दोनों ऑर्गाज़्म पर पहुँच चुके थे… पसीने से तर-बतर हो चुके थे.. मेरा लंड शशि की चूत द्वारा निचोड़ा जा चुका था…. मैंने उसकी कमर के खम को पकड़ा और एक झटके से पूरे लंड को बाहर निकाल दिया…शशि के योनिपटों पे घिसटता हुआ लंड जैसे ही बाहर निकाला.. उसके नितंब थरथराये और उसके मुंह से एक संतुष्ट और मादक आवाज़ निकली…”आऽऽऽऽऽऽह…..”

हम दोनों फ़र्श पर ही लेट गये…निर्वस्त्र…उनींदी आँखों से छत को ताकते हुये…

जाने कब मेरी आँख लग गई थी पता ही नहीं चला….

अचानक खुली तो देखा कि शशि मेरे सुकड़े हुये लंड का फ़ोरस्किन खिसका रही थी…और सुपाड़े के सुराख को (जहाँ से वीर्य निकलता है) बड़े प्यार से निहार रही थी….

और धीरे-धीरे अपने जीभ के अग्रभाग को नुकीला सा करके उसमें मानो घुसेड़ने की कोशिश कर रही थी…

नसों में फ़िर से संचार शुरू हो गया…. और इतनी तेज़ हुआ कि कुछ ही पलों में मेरा लंड अपनी पूरी लम्बाई में आ गया…

उसने फ़ोरस्किन को पूरा नीचे खींच दिया…. सुपाड़ा बड़ा ही भयावह लग रहा था… लाल… खूब फ़ूला हुआ…

उसने अपना थ्री-मेगापिक्सेल कैमरे वाला मोबाइल उठाया… क्लिक… क्लिक… क्लिक… अलग-अलग कोणों से तकरीबन दस फ़ोटो लिये…. कैमरा एक तरफ़ रखा…. अपनी दोनों टाँगों को मेरे पूरी अदा से इठलाते हुये मेरे कमर के आजू-बाजू रखा….. अपना मुँह मेरी तरफ़ झुकाया… अपने सुडौल स्तन मेरी छाती पे दबाए…. चुम्बन लिया… इस तरह उसके नितम्ब थोड़ा ऊपर हुये…. मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा…. और सुपाड़े को योनिद्वार पर रगड़ने लगी….

जितनी सिसकारियाँ उसके मुँह से निकल रही थीं उससे ज़्यादा मेरे मुँह से निकल रही थीं…. रहा नहीं जा रहा था… हाय ये भूख…. जितना खाओ उतनी ही बढ़ती है…. हाय ये प्यास… कभी ना खत्म होने वाली प्यास…

आधे घंटे पहले लग रहा था कि बस आज के लिये काफ़ी हो गया.. और अब… देर करने का मन नहीं हो रहा था…. मैं बेसाख़्ता उसके होठों को चूसने लगा… उसकी गर्दन चाटते हुये मेरी जीभ उस दरार में पेवस्त होने लगी जिसे वो ऑफ़िस में छलकाती दिखाती थी…. मेरी नाक भी दोनों स्तन के बीच आ गई थी….और मैं उस खुश्बू से मदहोश होता जा रहा था….दोनों हाथों से उसके स्तन अगल-बगल से इस तरह भींचा..कि मेरी नाक…मेरा मुँह….मेरी जीभ…और मेरा पूरा वज़ूद उसके अमृत कलशों के बीच समा गया…मुझे लगा…स्वर्ग अगर कहीं है….तो यहीं है…यहीं है…बस यहीं है….

अचानक मुझे लंड पे कुछ नमी का अहसास हुआ….

“आय एम ड्रिपिंग”…. उसने वही शोख…. वही मादक… वही सरसराती सी आवाज़ में मेरे कान में कहा…..

और आहिस्ता-आहिस्ता मेरा सुपाड़ा उसकी गहराइयाँ नापने लगा…. अंदर काफ़ी लसलसापन था.. गर्माहट थी….

उसने कुछ सेकंड के लिये अपने चूतड़ों को वैसे ही हवा में रखा…. फ़िर धीरे धीरे इस तरह ऊपर-नीचे हिलाने लगी कि लंड का सिर्फ़ तीन-चार इंच अंदर-बाहर हो रहा था…..

करीब उसके बीस बार ऐसा करने के बाद मैं इतना उत्तेजित हो गया कि अपने कूल्हे की सारी मांस्पेशियों की ताकत इकट्ठा करके एक जोरदार झटका ऊपर की ओर दिया..

कि पूरा का पूरा लंड सरसराता हुआ अंदर हो गया….

“ओ माय गॉड”…वो चीखी…

और भरभराते हुये मेरे लंड को चूत में निगलते हुये बैठ गई….

लंड को अंदर लिये-लिये ही अपने चूतड़ों को आगे-पीछे और गोल-गोल घुमाने लगी…..

उसकी झाँटें मेरी झाँटों को रगड़ते हुये अजीब उत्तेजना पैदा कर रही थी….. पन्द्रह-बीस मिनट तक यही चलता रहा। कभी मैं उसके दोनों स्तनों को पकड़ता… उन्हें चूसता… चाटता…. और कभी उसके चूतड़ों में चपत लगाता… उन्हें मसल देता फिर नीचे को ओर(अपनी ओर) धक्का देता..।

अब मैं भी अपनी गांड़ का छेद सिकोड़कर अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे कर रहा था… वो और जोर सी चीखने लगी… चीखते-चीखते उसका पूरा शरीर मेरे ऊपर गिर सा पड़ा…. धड़कनें और साँसें धौंकनी की मानिन्द चल रही थीं….वो अभी भी चूतड़ों को धीरे-धीरे हिला रही थी….उसकी चूत से निकला कामरस मेरी झाँटों और अंडों को भिगोता हुआ अनवरत बहता जा रहा था ….

कुछ देर में वो निश्चेष्ट सी मेरे ऊपर पड़ी थी, अचानक मैंने अपने चूतड़ उछालने की स्पीड बढ़ा दी….करीब पच्चीस धक्कों के बाद मैं इतने जोर से स्खलित हुआ कि एक तेज़ धार उसके चूत के अंदर के दीवारों पर पड़ी और वो चिहुँक उठी….मैं धीरे-धीरे हिलाता हुया शांत हो गया…..पुरसुकून शांत…संतुष्ट और तृप्त…!!

शशि….अगर तुम कहीं यह पढ़ रही हो… तो शुक्रिया… मुझे वह शाम देने के लिये… वो यादगार लम्हा देने के लिये… ( और अपनी दो और सहेलियाँ देने के लिये..)

काफ़ी देर तक वैसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठे… चाय बना के पी … और मैं उसे एक और शाम का वादा करके उसके कज़िन के घर छोड़ आया… मेरे लंड की फ़ोटो उसके पास रह गई थीं… उसके चूत की यादें मेरे साथ आ गईं थीं।

समय अपनी गति से चलता रहा… प्रोजेक्ट अपनी गति से चलता रहा….

उस दिन मैं शाम को ऑफ़िस से लेट लौट रहा था…. ट्रैफ़िक बहुत ज़्यादा थी… मेरी बाइक बस स्टॉप के ठीक सामने थी… अचानक पीछे से आवाज़ आई.. “सर”

मैंने ध्यान नहीं दिया… एक हाथ ने मेरे कंधे को छुआ… वो स्मिता थी… साँवली… बड़ी-बड़ी आँखों वाली… ढीला-ढाला सा सलवार कुर्ता पहने हुये… दुपट्टा पूरे वक्षस्थल को ऐसे ढके हुये कि जिसमें देखकर लगता था कि अंदर खाली है।…कुर्ता इतना ढीला और बड़ा था कि नितम्भ का आकार भी नहीं दिखता था। कुल मिला कर उसमें कोई सेक्स-अपील नहीं नज़र नहीं आती थी।

“स्मिता?… हियर?… व्हाट हैप्पेंड?… मिस्ड योर बस?”

“यस सर…वुड यू प्लीज़ ड्रॉप मी टू नेक्स्ट स्टॉप?”

“ओह श्योर?” ऊपर से उत्साहित और अंदर से खीझा हुआ मैं बोला।

स्मिता पीछे क्रॉस-लेग (टाँगों को दोनों तरफ़ करके) बैठी, जैसे ही ट्रैफ़िक कम हुआ, मैंने बाइक बढ़ा दी। मैं उसको जल्दी से पहुँचा देना चाहता था पर अफ़सोस कि अगले स्टॉप में भी कोई बस नहीं थी। रिमझिम बारिश शुरू हो गई थी।

“अब क्या करें?” मैंने कहा।

“सर… मैं अपना मोबाइल भूल गई… आपके मोबाइल से एक कॉल कर लूँ?”

“श्योर..”

तब तक बारिश कुछ तेज हो गई थी, हम दोनों भीगने से बचने की नाकाम कोशिश करते रहे।

बादल छाये रहने के कारण शायद मोबाइल में नेटवर्क नहीं था, आसपास कोई बूथ भी नज़र नहीं आ रहा था।

“अर्जेंट है?” मैंने पूछा।

“हाँ…” उसने कहा।

मेरा घर वहाँ से सौ कदम पे था।

मैंने बेमन से कहा,”चलो मेरे घर.. लैंडलाइन से कर लेना !”

सुनते ही उसकी आँखों में अजीब सी चमक आई…

खैर हम लोग घर पहुँचे…. काफ़ी भीग चुके थे… उसने फ़ोन लगाया और जाने क्या-क्या बातें करती रही… मैं भीतर जाकर कपड़े बदल कर आ चुका था, वो तब भी फ़ोन पे लगी हुई थी… बात करते-करते अनजाने में (यह मुझे तब लगा था… बात में पता चला कि वह हरकत जान-बूझकर की गई थी) उसने भीगा दुपट्टा निकालकर एक तरफ़ रख दिया और मेरे पूरे शरीर में एकबारगी झुरझुरी सी हो गई…. सामने का नज़ारा ही कुछ ऐसा था…

उसने लो-कट (गहरे गले वाला) कुर्ते के अन्दर एक महीन सा शमीज़ पहन रखी थी जो कि पानी में उसके बदन से चिपक गई थी और उसके ठंड से नुकीले हो चुके काले-काले निप्प्ल साफ़ नज़र आ रहे थे ! पॉपिन्स के साइज़ का ऐरोला भी दिखाई दे रहा था और झटका खाने वाली बात यह थी कि उसके स्तन एकदम तने हुये बहुत बड़े-बड़े थे, इतने बड़े जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी, जिनको वो ढीले-ढाले कुर्ते और दुपट्टे के नीचे ढकी रहती थी। स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मेरी हालत वैसी ही हो रही थी जैसे उपवास के दिन मिठाइयों को देखकर होती है…

उसने फ़ोन रखा और अचानक अपना सर ऊपर उठाया और मेरी चोरी पकड़ी गई (तब तक तो मैं उसे चोरी ही समझ रहा था…. मुझे थोड़ी पता था कि जाल बिछा हुआ था… मैं दाना चुग रहा था… और सैयाद की आँखों में चमक थी… शिकार को दाना चुगते देखने की चमक….. या खुदा…. इन लड़कियों के लिये कितना आसान होता है लड़कों को पटाना…)

कातिल मुस्कुराहट के साथ उसने पूछा,”सर आपके पास आयरन बॉक्स है?”

“य.य..यस….है !” मेरी तंद्रा भंग हुई…

“मैं ये कुर्ता आयरन कर लेती हूँ…थोड़ा सूख जायेगा… तब तक इफ़ यू डोंट माइन्ड… आपका कोई शर्ट पहन लूंगी !”

“नो प्रॉब्लम…”

मैं आगे-आगे बेडरूम की तरफ़ चला… वो पीछे-पीछे आई… मैं एक शर्ट निकालने लगा… वो मेरी तरफ़ पीठ करके कुर्ता उतारने लगी… मैंने शर्ट उसको दिया..

“प्लीज़ बाहर जाइये ना !”

तब तक भी मैं उसे शर्मीली सी लड़की समझ रहा था।

मैं हॉल में चला गया… अंदर एक तूफ़ान सा उठा हुआ था… स्मिता के निप्पल.. ऐरोला.. पुष्ट स्तन… मेरी आँखों के सामने घूम रहे थे और मन ही मन आत्मग्लानि भी हो रही थी कि मैं इतनी सीधी-साधी लड़की के बारे में इस तरह से सोच रहा था। अचानक स्मिता आ गई… मेरी शर्ट पहने हुये…. चुस्त… इतना चुस्त कि दूसरे नम्बर का बटन जैसे खुला जा रहा था… वक्ष बाहर छलक रहे थे… थोड़ी सी झिर्री से स्तन की अंदर की मादक दरार और गोलाइयाँ झाँक रहे थे… और मेरी नज़र हट नहीं रही थी…. हालांकि स्मिता साँवली सी थी पर उसके स्तनों का रंग गोरा-गोरा था…

शर्ट चूँकि शॉर्ट-शर्ट थी…. उसकी कमर तक ही आ रही थी और कमर के नीचे का हिस्सा सिर्फ़ भीगे हुई सी सलवार में ढका था…… उस जगह मुझे चूत का त्रिकोण साफ़ दिखाई दे रहा था…उस त्रिकोण का रंग थोड़ा गहरा था, शायद उसकी झाँटें भी भीगकर कपड़े से चिपक गई थीं… त्रिकोण…. जादुई त्रिकोण..!! मेरी नीयत डोल चुकी थी…. अगर स्मिता सीधे मेरी आँखों में देखती तो लाल डोरे मेरी चुगली कर देते।

“इसको कहाँ लटका दूँ?” उसने अपना कुर्ता हवा में लहराया…

“उस कमरे में…! चलो…!” मैंने दूसरे कमरे की तरफ़ इशारा किया…

वो आगे-आगे चली…और मानो कयामत ही आ गई…उसके पुष्ट नितम्बों के आगे शशि के नितम्ब कुछ भी नहीं थे… मस्त उभरे हुये… गोल-गोल आकार के… जैसे साँचे में ढले हुये… कसे हुये… एक लय में ऊपर नीचे होते हुये… तीव्र इच्छा हुई कि इन्हें छू लूँ.. सहला लूँ… भींच लूँ…… उस दरार को महसूस कर लूँ जो इन मदभरी घाटियों के बीच है…

मैं कितना ग़लत था…. स्मिता में सेक्स अपील था… और गज़ब का सेक्स अपील था…. बस छुपा हुआ था…. अनछुआ था… आवृत था… और यहाँ मैं बेचैन था… उसे छूने उघाड़ने के लिये… छूने के लिये… अनावृत करने के लिये…

“यहाँ?”….उसने पूछा…एक रस्सी बांध रखी थी मैंने…कपड़े सुखाने के लिये…

“यस !”

उसके हाथ ऊपर उठाये….स्तन और भी तन गए…अब मैं जायजा लेने और भी करीब पहुँच गया… वह रस्सी तक नहीं पहुँच पा रही थी… पास पड़ा स्टूल खिसकाया.. उसपे चढ़ के सुखाने लगी…. मैं उसके सामने खड़ा था…उसके मधुघटद्वय के ठीक नीचे… उसने दोनों हाथ उठाये और सन्तुलन खोने के कारण भरभरा के मेरे ऊपर आई… मैं इस अप्रत्याशित घटना के लिये तैयार नहीं था.. प्रतिक्रिया में मैंने अपने दोनों हाथ उठाये.. ठीक वैसे ही जैसे कोई चीज़ सिर पे गिरने वाली हो और आप बचना चाहते हों….

स्टूल एक तरफ़ लुढ़का… वो मेरे ऊपर गिरी… उसके दोनों सुरा-कलश मेरे हाथों में आ गये… मैं उन्हें पकड़े-पकड़े नीचे गिर पड़ा…. उसके लम्बे-घने-खुशबूदार बाल मेरे चेहरे पर आ गये… उसके गाल मेरे गाल से सट गये… उसके होंठ मेरे कनपट्टी के नीचे… और मैं उसकी तेज़-तेज़ चलती साँसों को महसूस कर रहा था।

उसने अपने स्तनों को छुड़ाने की चेष्टा नहीं की.. मैंने खुद ही अपने हाथ हटा लिये… उसके स्तन मेरे सीने से चिपट गये और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने धीरे से मेरे गर्दन में चूमा हो..

मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया… लंड की नसों और रगों में गरम खून उफ़नने लगा…. मेरा लोवर पतले वूलकॉट का होने के कारण लंड का कठोरता का अहसास स्मिता को हो चुका था और मुझे उसकी चूत के उभार का… उसने अपने चूत को लंड के ठीक ऊपर लाकर थोड़ा सा दबाव बढ़ाया… दिल की धड़कन… लंड की फ़ड़कन और चूत का स्पंदन… तीनों तेज हो गये थे…

अब मैं समझ चुका था कि स्मिता चाहती क्या है….

मैंने उसके मांसल नितम्बों को पकड़कर अपने लंड पे और दबाव बढ़ाया… उसने मुझे इतनी जोर से भींचा कि उसके स्तन पिघलने से लगे… और उसकी गर्मी से मैं पिघलने लगा…

उसने अपने सुलगते हुये होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और मैं बेसाख्ता उन्हें चूसने लगा…

उसने अपने चूतड़ हिलाना शुरू कर दिया… उसने अपने हाथ फ़र्श पर टिकाये और चेहरा और कंधा ऊपर उठाया…मैंने उसके शर्ट के ऊपर के दोनों बटन खोल दिये और दोनों गोलाइयों को अपने हाथ में ले लिया… थोड़ा सहलाया… चुचूक पे चुटकी काटी और मुँह में लेकर चूसने लगा…

स्मिता सिसकारी भरते हुये अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी।

उसने मेरे लोवर के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया… अपनी तर्जनी से सुपाड़े के सुराख का जायजा लिया जिसमें लसलसा प्रि-कम निकल रहा था….

अचानक वो नीचे की तरफ़ सरकी, मेरा लोवर पूरा उतार दिया और मेरे तन्नाये हुये लंड को चूमने-चाटने लगी…

मैं बेकाबू होता जा रहा था… लंड चूसते-चूसते उसने अपनी गांड घुमा के मेरे मुँह के सामने कर दिया.. मैं इशारा समझ गया… उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैंटी सरका दी..

एक मदहोश कर देने वाली सुगंध से मेरे नथुने भर गये… उसकी टाँगों को चौड़ा करके मैंने अपनी जीभ उसकी योनि की पंखुड़ियों के बीच धंसा दी… बीच-बीच में अपनी उंगली उसकी चूत में घुसेड़कर उसके जी-स्पॉट को छेड़ देता था और फ़िर जीभ की नोक से उसके क्लाइटोरिस को चाटने लगा….

स्मिता अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगी… दस मिनट के बाद हम वुमन-ऑन-टॉप पोज़िशन पे आ गये… स्मिता जैसे ही सीधी होकर मेरे ऊपर आई मैंने उसने चूचकों को अपने मुँह के हवाले कर दिया। वो अपने चूतड़ उठाकर मेरे लंड के सुपाड़े को चूत के फ़ाँकों में रगड़ने लगी। जब चूत पूरी तरह गीली हो गई तो उसने धीरे से सुपाड़ा चूत के अंदर ले लिया…

थोड़ी देर तक ऐसे ही पूरे तरह फ़ूले हुये सुपाड़े का साइज़ नापने के बाद और हाथ से पकड़ कर लंड की लम्बाई का अंदाजा लगाने के बाद, पूरी तरह इस बात से आश्वस्त होने के बाद कि वो इस लम्बाई को झेल लेगी, वो धीरे से नीचे बैठी और मेरा लंड करीब चार इंच अंदर धंस गया।

“आआआह” वो थोड़ा सा तड़पी… और उतना ही अंदर डाले-डाले करीब दो मिनट तक ऊपर-नीचे हिलती रही, फ़िर एक झटके के साथ पूरा नीचे बैठ गई और उसकी चूत ने मेरा पूरा साढ़े आठ इंच का लंड निगल लिया… पूरा साढ़े आठ इंच…. चूत की लीला अपम्पार है!

एक चीख सी निकली स्मिता के कंठ से और शरीर ऐंठने सा लगा… चुपचाप बैठकर… लंड को निगले हुये वो दर्द पीती रही… जब दर्द का अहसास कम हुआ तो फ़िर से चूतड़ हिला-हिलाकर मुझे चोदने लगी… जिन आंखों में चंद लम्हों पहले असीम दर्द था… अब उनमें चमक थी… मस्ती थी… नशा था… उन्माद था…

जिस चूत में सुपाड़ा भी बमुश्किल जा रहा था उसमें मेरा पूरा लंड बल्कि मेरा पूरा वज़ूद समाया हुआ था…!

कॉलेज में किसी ने ये लाइनें सुनाई थीं:

पहले तो न जाती थी कील चूत में

और अब तो बन गई है झील चूत में

एक दिन घुस गई चील चूत में

वहाँ उसको मिल गया वकील चूत में

वकील ने ठोक दी अपील चूत में

कि मैंने तो लगाई थी सील चूत में

फ़िर किसने बना दी झील चूत में

इतना कोमल होती है यह चूत कि एक इंच का कड़ा सुपाड़ा भी उसके लिये कष्टप्रद होता है…और इतनी लचकदार होती है यह चूत कि चार इंच से लेकर आठ-नौ इंच के लंड को निगल सकती है….!

हे चूत…तुझे नमन है…प्रचंड लंड का नमन…!!!

फ़िलोसॉफ़ी बहुत हुई… बहरहाल… जब उसके दर्द का अहसास कम हुआ तो फ़िर से चूतड़ हिला-हिलाकर मुझे चोदने लगी..

और मैं भी नीचे से पिल पड़ा… कभी उसके चूतड़ों को भींचकर… कभी उसके स्तनों को भींचकर…

चालीस मिनट के जद्दोज़हद के बाद आखिर हमें मंज़िल मिल ही गई… स्मिता निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गई… ना वो मेरी प्रोजेक्ट स्टूडेंट रही… ना मैं उसका गाइड रहा… सब बराबर हो गया था… कोई अंतर नहीं था…

करीब दस मिनट बाद मैंने उसका चेहरा उठाया और चूम लिया… और उसने मुझे बांहों में कस लिया…

बाहर बारिश भी थम चुकी थी…

हम दोनों उठे… उसके कपड़े सूख चुके थे… उसने कपड़े पहने….

अपना पर्स उठाया.. मुझे किस किया और शोखी से मुस्कुराये हुये कहा,”अगर मैं आपको एक राज़ की बात बताऊँ तो आप नाराज़ तो नहीं होंगे?”

“नहीं…बोलो !”

उसने अपना पर्स खोला और अपना मोबाइल निकालकर दिखाया..

मैं भौंचक..”तो तुमने झूठ कहा था कि तुम अपना मोबाइल भूल गई थी ?”

“सर आपने वादा किया था… आप नाराज़ नहीं होंगे… जबसे शशि ने मुझे आपके किंग साइज़ प्राइवेट पार्ट्स के फ़ोटो दिखाये थे तबसे मैंने ठान लिया था.. कि अगर मेरी जवानी किसी के लिये बेनकाब होगी, बेपर्दा होगी..तो इसी के लिये होगी”

“तो वो तुम्हारा बस छूटना…”

“सब प्लानिंग थी सर… मैं तो अपनी स्कूटी लेकर आती हूँ…” उसने खिलखिलाते हुये राज खोला।

मैं उल्लू की तरह उसे देख रहा था… फ़िर मैंने पूछ ही लिया,”तुमने तो इतना खूबसूरत शरीर पाया है… आज अगर तुम यहाँ नहीं आती तो मुझे पता भी नहीं चलता.. लेकिन तुम ये सब इतना छुपा-छुपा के क्यों रखती हो…?”

“मेरा परिवार थोड़ा दकियानूसी ख़यालों वाला है.. और हमें अपने आपको अच्छा दिखाने का अधिकार नहीं है !”

“बट यू आर फ़ैबुलस.. !”

“थैंक्स फ़ॉर द कॉम्प्लिमेंट… और आप भी सर.. कितने अच्छे हैं.. .कितने पैशनेट और पावरफ़ुल लव्हर हैं…. आपकी बीवी कितनी खुशकिस्मत होगी !”

हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भरा… उसने फ़ुसफ़ुसाते हुये मेरे कानो में कहा,”आपके फोटोग्राफ़्स नेहा ने भी देखे हैं… और वो जल जायेगी जब मैं उसको आज की बात बताऊँगी… बाय सर !”

“टेक केयर !”…मैं किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ा रह गया…

फ़िर नेहा का मासूम चेहरा मेरी आंखों के सामने घूम गया… और मेरे होठों पे एक भेदभरी मुस्कान ना चाहते हुये भी आ ही गई !

शब्दार्थ :

मधुघटद्वय- मधु यानि शहद, घट यानि घड़ा, द्वय यानि जोड़ा !

शहद भरे घड़ों का जोड़ा ! Sex Stories

Sex stories

मेरे साथ जो पहली बार Sex stories हुआ, उसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता। इस बात को मैं आज तक दो साल बीत जाने पर भी किसी को नहीं बता पाया, लेकिन आज इस कहानी के माध्यम से आप को बता रहा हूँ।
जब मैं यूरेका फोर्ब्स कम्पनी में सेल रैप पर काम कर रहा था। मैं देखने में स्मार्ट हूँ, लम्बा हूँ, सब कुछ ठीक-ठाक है। एक दिन मैं सेल्स के लिए एक पॉश कॉलोनी में गया। बारह बजे तक कोई भी सेल नहीं हुई, मैं बड़ा उदास था। लंच के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे सो मैंने सोचा कोई बुकिंग हो जाए तो कुछ एडवांस मिल जाएगा फिर लंच करूँगा। इसी उम्मीद में मैं दोबारा ग्राहक तलाशने लगा।
काफ़ी देर बाद एक औरत ने दरवाजा खोला, मैंने कहा- मैं एक्वा बेचता हूँ, आप देखना चाहेंगी..!
उसने कहा- हमारे पास तो पहले से ही है।
और वो वापस जाने लगी, मेरी ये उम्मीद भी जाती हुई लगी। मैंने जाते-जाते पूछ लिया- मैम.. ठीक चल रहा है…!’
उसने कहा- रुको.. मैं देख कर आती हूँ..!
वो औरत करीब 30 साल की रही होगी और शादी-शुदा भी थी। थोड़ी देर के बाद वो वापस आई और बोली- नहीं.. ठीक नहीं चल रहा है, तुम चैक कर लो..!
और मैं अन्दर चला गया। अन्दर जाकर मैंने मशीन को चैक किया तो, वैसे वो ठीक थी… बस थोड़ी सी सफ़ाई करनी थी।
मैंने कहा- मैम इसमें थोड़ी प्रोब्लम है, ठीक करने के 300 रुपये लगेंगे..!
उसने मुझसे कहा- ये तो ज्यादा हैं..!
मैंने कहा- ठीक है आप 200 दे देना, लेकिन बिल नहीं दूँगा..!
(जबकि मुझे मशीन ठीक करने के परमीशन नहीं थी)
उसने कहा- ठीक है.. करो..!
और मैं उसको ठीक करने लगा, थोड़ी देर बाद मशीन ठीक होने पर मैंने उनसे रुपये मांगे। तो वो अन्दर से आई और कहा- मशीन चैक करा दो..!
मैंने कहा- आप चला कर देख लीजिए..!
और वो मेरे आगे खड़ी होकर चैक करने लगी, ठीक उनके पीछे मैं खड़ा था। मैंने पहली बार ध्यान दिया उसने नाईटी के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था। उसकी फिगर भी 34-24-36 के आस-पास थी। अचानक वो पलटी और कहा- ठीक है.. अब बताओ कितने पैसे देने हैं..!
मैंने कहा- मैम 200 रुपये..!
उसने कहा- तुमने इसमें क्या सामान डाला है..! अपने ऑफिस में बात करो..!
मैं डर गया और मैंने कहा- ठीक है, आप 100 रुपये ही दे दीजिए..!
लेकिन वो फिर कहने लगी- नहीं.. मेरी अपने ऑफिस में बात कराओ..!’ और वो धीरे-धीरे स्माइल कर रही थी।
हार कर मैंने उनसे कहा- मैम मुझे मशीन ठीक करने की परमीशन नहीं है, इसलिए मैं आपकी ऑफिस में बात नहीं करा सकता..!
तो उसने कहा- तो तुमने मशीन को क्यों हाथ लगाया..!
मैंने कहा- पॉकेट-मनी के लिए..!
उसने कहा- क्यों सेलरी नहीं मिलती?
मैंने कहा- मैम अभी मैं नया हूँ..!
तो वो बोली- इसके लिए तुम गलत काम करोगे..!
मैंने कहा- मैम वैसे तो मैंने कोई गलत काम नहीं किया, लेकिन आप को लगता है तो मैम आधा दिन हो चुका है और मेरे पास पैसे नहीं है जिससे मैं लंच कर सकूँ.. इसलिए मैंने आप की मशीन ठीक की है..!
तो वो बोली- ओके.. ठीक है बैठो..!
और मेरे बारे सब कुछ पूछने लगी, मेरी शादी के बारे में पूछा।
मैंने मना कर दिया, फिर मेरे गर्ल-फ़्रेंड के बारे पूछा, मैंने कहा- पहले थी..!
उसने कहा- उसके साथ क्या-क्या किया?
मैंने कहा- मैं समझा नहीं..!
तो वो बोली- उसके साथ सेक्स किया था?
पहले तो मैं शर्मा गया, फिर उसके जोर देने पर मैंने कहा- नहीं..!
वो बोली- तुम झूठ बोल रहे हो..!
मैंने कहा- नहीं..!
तो वो बोली- सच बोलो, मैं तभी तुम्हारे पैसे दूँगी..!
मैंने कहा- हाँ.. किया था..!
तो वो बोली- क्या तुम एक्स्ट्रा इनकम करना चाहते हो? साथ में गिफ़्ट भी मिलेंगे..!
मैंने कहा- जरूर..!
तो वो बोली- उसके लिए तुम्हें पहले टेस्ट पास करना पड़ेगा, अगर तुम टेस्ट में पास हो गए तो तुम्हें 1000 रुपये आज ही मिल जायेंगे और हर महीने 10000 रुपये मिलेंगे..! महीने में 15 दिन 2 घंटे रोज देने होंगे..!
मैंने कहा- ठीक है..!
मैं बड़ा खुश हुआ, मैंने काम के बारे में पूछा तो वो बोली- केवल तुमको थोड़ी सी मसाज करनी है।
मैंने कहा- मुझे तो आती नहीं..!
वो बोली- मैं सिखा दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
‘तो चलो.. तुम्हें मसाज सिखाती हूँ और तुम्हारा टेस्ट भी हो जाएगा..!’
मैंने कहा- ठीक है।
फिर वो मुझे लेकर अपने बेडरूम में गई, वहाँ जाकर बोली- पहले अपने कपड़े उतारो..!
मैं अब सब कुछ समझ रहा था और खुश भी था। मैंने अपने कपड़े उतारे, बस अंडरवियर पहने रखा।
फिर वो अपने कपड़े उतार कर बेड पर बैठ गई और बोली- अपना लण्ड दिखाओ..!
मैं थोड़ा हिचकचाया, उसने आगे आकर अपने हाथ से मेरा अंडरवियर नीचे किया और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे किया और कहा- अंडरवियर भी उतार दो..!
मैंने वैसा ही किया। उसने मेरे हाथ में एक बॉडी-लोशन दिया और कहा- इसको मेरे बॉडी पर लगाओ..!
उस समय उसने ब्रा-पैंटी पहन रखी थी। मैंने डिब्बे से पहले लोशन उसके पेट पर लगाया फिर उसके पैरों पर, फिर मैंने उनसे ब्रा और पैंटी के लिए पूछा, तो उसने उसको उतारने के लिए कहा। उसकी ब्रा उतरते ही मेरा मन उसको चूसने के लिए करने लगा और मैंने अपना मुँह उसके मम्मे पर रख दिया और उसको चूसने लगा और वो मेरा लण्ड पकड़ कर दबाने लगी। उसके मम्मे काफ़ी टाइट थे। काफ़ी देर मम्मे चूसने के बाद मैंने लोशन दुबारा लगाना शुरु किया। कभी आगे, कभी पीछे मेरा लण्ड अब गीला होने लगा था। मेरा मन अब उसको चोदने को कर रहा था। उसने अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर मेरा अंडरवियर भी उतार दिया।
और मेरा फ़ेस अपनी चूत पर रख कर कहा- इसको चाटो..!
मैंने भी वैसा ही किया, मैं पहली बार किसी की चूत चाट रहा था। फिर उसने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी। अब तो जैसे मैं पागल हो गया था और लगने लगा मेरा पानी निकल जाएगा।
मैं अपने लण्ड को उसके मुँह से हटाने लगा, तो उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- पानी निकलने वाला है..!
तो उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और कहा- अब तुम सबसे पहले अपना लण्ड मेरी गांड में डालो..!
मैंने कहा- आगे से नहीं..!
तो वो बोली- आगे से ज्यादा मजा पीछे से आता है।
मैं भी उसके पीछे से उसको चोदने लगा। काफ़ी देर बाद जब मेरा लण्ड से पानी निकलने वाला था, तो उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। मेरा लण्ड अब पानी छोड़ रहा था, लेकिन वो सारा पानी पी रही थी। जब मेरा लण्ड बैठ गया, तो उसने छोड़ा।
फिर उसने कहा- अब मेरी चूत में अपनी उंगली डाल कर आगे-पीछे करो। मैं वैसा ही करने लगा। थोड़ी देर के बाद मेरा लण्ड फिर तन गया और उसने देख कर कहा- चलो अब मेरी चूत मारो..!
मैंने अब उसकी चुदाई शुरु की और उसके मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसता रहा।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लण्ड अपनी चूत से बाहर निकाल कर अपने दोनों मम्मे के बीच में मेरा लण्ड दबा लिया और कहा- अब यहीं पर रगड़ते रहो और अपना पानी यहीं पर निकाल दो..!
मैं भी वैसा ही करता रहा। मेरे लण्ड उसके मम्मे के बीच में रगड़ रहा था, फिर मेरे लण्ड ने उसके मम्मे पर पानी छोड़ दिया। उसने दोबारा मेरा लण्ड अपने मुँह से साफ़ किया और मुझे कपड़े पहनने को कहा और वो बाथरूम चली गई। थोड़ी देर बाद फ़्रेश होकर आई और मुझे 1000 रुपये देकर कर कहा- ये तुम्हारा एडवांस..!
और मुझे एक फोन नम्बर देकर कहा- कल यहाँ पर फोन करके चले जाना..!
तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी। आप लोगों को कैसी लगी? Sex stories

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆