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सौम्या उनकी इकलौती बेटी है.
वह बचपन से ही थोड़ी समझदार टाइप की थी.
बचपन में मेरी मां कह देती थीं कि तुम दोनों शादी कर लेना.
हम दोनों ही झेंप जाते.
पर शायद उसे मैं हमेशा से पसंद था.
फिर मैं इंजीनियरिंग करने बाहर चला गया.
वह भी चली गई.
यह बात लॉकडॉउन की है.
मैं घर पर था.
मेरी गर्लफ्रेंड ने भी मुझसे ब्रेकअप कर लिया था.
सौम्या मेरे घर में आती जाती रहती थी.
हम दोनों आपस में बातचीत भी करते थे.
घर पर भी लोग हमें देखने तक नहीं आते थे कि हम दोनों अकेले में क्या कर रहे हैं.
उनके विचारों में हमारे जवान होने के बाद भी किसी तरह का बदलाव नहीं आया था.
एक दिन की बात है. मैं सोया हुआ था और वह सुबह घर आई.
मम्मी ने उसे कहा- राज को जगा लो, दोनों चाय पी लेना.
वह चाय लेकर आई.
उसने चाय की ट्रे रखी और मुझे जगाने लगी.
मैं गहरी नींद में सोया हुआ था.
दो तीन बार जगाने पर भी जब मैं नहीं उठा, तो वह मेरा हाथ पकड़ कर खींचने लगी.
मैंने नींद में ही उसे अपने करीब खींच लिया और हग करके उसके होंठों पर किस कर दी.
दरअसल मैं नींद में उसे अपनी गर्लफ्रेंड समझ रहा था.
पर फिर अन्दर याद आया वह तो मुझे छोड़ कर जा चुकी है तो ये कौन है!
यह याद करते ही मेरी फटी और नींद खुल गई.
वह भी उठ कर बैठ गई.
मैंने देखा सौम्या कांप रही थी.
मैंने उससे सॉरी कहा और कहा मैंने तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड समझ लिया.
यह सुनकर वह उठी और चाय छोड़ कर चली गई.
मुझे लगा मेरी वजह से नाराज हो गई है.
वह तीन दिन तक घर नहीं आई.
फिर एक दिन शाम को आई.
मैंने कहा- सॉरी सौम्या, उस दिन मुझसे भारी भूल हो गई थी.
उसने हंस कर बात को टाल दिया.
फिर यूं ही हम दोनों में बातचीत होती रही.
एक दिन शाम को हम बात कर रहे थे.
तो उसने पूछा- तुम उस दिन किसके बारे में सोच रहे थे?
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- क्या?
उसने कहा- मैं समझ गई कि तुमने सॉरी क्यों कहा.
मैंने पूछा- इतना गौर करती हो मेरी बातों पर?
उसने कहा- अब इतना तो हक है!
मैंने सब बता दिया.
उसने मेरी आंखों में देखते हुए कहा- तुम्हें भी कोई खोना चाहेगी क्या?
मैं समझा नहीं.
वह चली गई.
फिर दीवाली आई.
हम सब मिल कर घर पेंट कर रहे थे.
वह भी काम में हाथ बंटाती थी.
मेरे कमरे में पेंट की बारी आई, तो उसने रंग पसंद करके बताया. मैंने भी वही रंग सोचा था. मुझे सौम्या और ज्यादा अच्छी लगने लगी.
फिर वह कमरे में आई तो मैं पेंट कर रहा था.
वह मेरे लिए चाय लेकर आई थी.
मैं चाय पीने लगा तो वह खुद ब्रश उठा कर पेंट करने लगी थी.
उस वक्त मुझे उसको देखने में बड़ा सुखद लग रहा था, मुझे उस पर प्यार आ रहा था.
आज मैं उसका फिगर देखने लगा था.
उसकी काया मुझे बड़ी ही कमनीय लग रही थी.
मैं आपको भी उसकी फिगर बता दूँ.
वह 34-30-36 की थी.
उसकी आखें एकदम गहरी मानो कोई नेचर का पोर्ट्रेट देख रहे हों.
दूसरे दिन बाहर की ओर पेंट चल रहा था.
वह मुझे चाय देकर खुद सीढ़ी के ऊपर चढ़ कर पेंट कर रही थी.
मैं उसे देखते हुए चाय पीने लगा.
पेंट का ब्रश डिब्बे में डुबोने के चक्कर में वह एकदम से फिसल गई.
मैंने चाय का कप छोड़ा और उसे लपक लिया.
वह आह करती हुई मेरे एकदम करीब हो गई थी.
मैं उसकी आंखों में खो गया.
चाय का कप गिरने की आवाज हुई.
तो मम्मी की आवाज आई- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं … कप गिर गया मेरे हाथ से.
फिर वह संभली और मुझे देख कर स्माइल करके बोली- हमेशा बचाओगे क्या?
मैंने भी उस अहसास को पहली बार महसूस किया था.
मैंने पता नहीं कैसे बस कह दिया- हां.
वह मेरे पास आई और बोली- सच में?
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए उसे अपने गले से लगा लिया और कहा- हां हमेशा.
वह भी मेरी बांहों में कटी हुई डाली की तरह गिर सी गई.
मैंने उसका चेहरा उठाया और कहा- आई लव यू.
उसने कुछ भी नहीं कहा और चली गई.
मैं फिर उसका इंतजार करने लगा.
दीवाली के दिन वह फिर से आई.
मैंने कहा- प्रपोज किया था, घर नहीं आने के लिए नहीं कहा था.
उसने कहा- अच्छा जी, मिस कर रहे थे अपनी मिसेज को!
मैंने उसकी आंखों में देखा तो वह शर्मा गई.
तो मैंने कोहनी मारते हुए कहा- हां, मिसेज राज.
उसने सर झुका लिया और मुस्कुरा दी.
फिर हम सब दीवाली मनाने लगे.
दीवाली के अगली सुबह वह सुबह सुबह आई और मम्मी और मेरे लिए चाय बना कर लाई.
मम्मी को देने के बाद वह मेरे कमरे में आई और मुझे उठाने लगी.
मैं उठ गया था पर मैंने जानबूझ कर उसे फिर से खींच लिया और किस कर दिया.
उसने मुझे धक्का दिया और कहा- बचपन से तुम्हें प्यार किया है. क्या तुम भी करते हो?
मैंने कहा- देख लो.
उसने कहा- ठीक है.
फिर उस दिन के बाद हम दोनों नहीं मिले.
मैं जॉब पर वापस आ गया और वह भी.
6 महीने बाद मैं अपने घर गया.
वह भी आई हुई थी या शायद उसे पता था कि मैं आऊंगा.
अगले दिन फिर से मेरी पत्नी की तरह चाय लेकर आ गई.
मैं जाग कर बैठा हुआ था.
वह देख कर ऐसे मुस्कुराई जैसे जानती हो कि मैं उसका इंतजार कर रहा था.
चाय लेते हुए मैंने एक सिप ली और उससे पूछा- पूरी लाइफ केयर करोगी?
उसने कहा- तुम्हें पता नहीं क्या?
फिर मैंने अपना कप उसकी तरफ बढ़ा दिया.
उसने बेहिचक मेरी जूठी चाय से एक सिप ले लिया और अपने हाथ से में खुद मुझे पिलाने के लिए आगे झुकी.
मैंने भी पी ली.
उसने मेरे सर पर हाथ फेरा और कहा- गुड ब्वॉय.
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने कहा- किस्सी चाहिए मेरे बाबू को!
यह कह कर वह मेरे चेहरे पर झुकी और एक जोरदार किस दे दिया.
फिर कहा- सो स्वीट.
मैंने उसकी आंखों में प्यार से देखा.
उसने कहा- ये रोजाना चाहिए है तो सोच लो.
मैंने कहा- सोच कर ही आया था.
उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- अभी देख लेना.
वह चली गई.
मैं उसकी मम्मी के पास गया और अपने और उसके बारे में बात की.
उन्होंने कहा- वह मेरी बेटी है और खुद समझदार है. वह जॉब भी करती है, उसे ही अपना फैसला लेना है. हम उसके साथ हैं.
फिर ये बात हमारे घर वालों ने की और हमारी शादी हो गई.
पहली रात को वह पहले से ही कपड़े चेंज करके बैठी थी.
मैं अन्दर आया तो उसने कहा- आप भी चेंज कर लो पतिदेव.
यह सुन कर मुझे अच्छा लगा.
मैं चेंज करके आया तो उसने हमारे लिए वाइन के दो ग्लास तैयार करके रखे थे.
मैंने कहा- वाह दूध की जगह सोमरस!
उसने मुझे ताना मारते हुए कहा- पुराने ख्यालों की नहीं हूँ मैं!
मैं उसके पास गया और उसके बालों में पीछे से साथ डाल कर उसे अपने चेहरे के पास लाकर कहा- तुम बचपन से इंतजार कर सकती हो … और मैं तुम्हारे दिल की बात नहीं समझता तो फिर प्यार किस बात का?
वह मेरी आंखों में देखने लगी और फिर उसने कांपते होंठों से मुझे चूम लिया.
मैंने भी उसे चूम लिया.
हम दोनों अलग हुए और हमने वाइन का पैग लिया.
कुछ देर बात करते हुए हम दोनों बिना कुछ किए वैसे ही सो गए.
सुबह 4.30 पर आंख खुली.
हल्की हल्की रोशनी आ रही थी.
मैं उठने लगा तो उठ नहीं पाया.
उसने मुझे जकड़ रखा था.
मेरे हिलने से वह भी उठ गई.
उसने ऐसे ही मुझे अपनी ओर खींच लिया और एक लंबा किस हुआ.
उसके बाद उसने कहा- ये तो हुआ मेरे हक का … अब आप कुछ पियेंगे?
मैंने उसकी तरफ देखा.
वह मुस्कुरा रही थी.
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा.
वह घूम कर मेरी गोद में सीने से सीना लगा ऐसे बैठ गई जैसे चंदन से लिपटा सांप.
मैंने उसकी गर्दन पर एक छोटा सा किस किया.
उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे बालों में अपनी उंगलियां फंसा लीं, फिर अपनी ओर खींच कर किस कर लिया.
मैंने पीछे से उसके गाउन का स्ट्रैप खोल दिया और दोनों हाथ आगे ले आया.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया.
मेरा दूसरा हाथ सरकते हुए उसके पेट और नाभि से खेलने लगा.
अब उसकी काम वासना से भरी हुई सिसकारी निकल गई.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल को निचोड़ रहा था.
हमें दस मिनट हो चुके थे.
अब वह गोद से उतरी और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे खाने लगी.
वह किस करते करते मेरी चड्डी तक पहुंच गई.
मैं उसकी चूचियों से खेल रहा था.
उसने सीधे ही मेरी चड्डी खींच दी.
मेरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड उसके सामने था.
उसने उसे अपने हाथों में भरा और लौड़े की मुठ मारती हुई बोली- बचपन से एक ही सपना था कि तुम्हारी होना है. मेरी सहेलियों ने मुझसे कहा भी कि मजे कर ले, पर मुझे तुम्हारी होना था. तुम तो कर चुके हो!
मैंने उसके मुँह पर हाथ डाला और उसे अपने पास खींचते हुए कहा- अब बस तुम्हारा ही तो हूँ.
उसने कहा- यदि भरोसा ऐसा था तो बचपन में कहते … एक बार भी तुम्हें छोड़ कर नहीं गई होती.
मैंने कहा- फिर तुमसे प्यार कैसे होता?
वह मुस्कुरा दी.
उसने मेरे लंड को पकड़ा और मुँह में भर कर चूसने लगी.
फिर जब मुझे लगा कि अब रुक पाना मुश्किल है, तो मैंने उसे सीधा उठाया और बेड पर गिरा दिया.
उसने मेरी तरफ देख कर मुझे उंगली से इशारा करके चूत का रास्ता दिखाया.
मैंने कहा- ऐसे नहीं.
उसने मेरी तरफ देखा.
मैंने उसे उठाया और उसके शरीर पर कसे हुए ब्रा पैंटी को उतार दिया.
फिर दीवार से चिपका कर उसके दूध पीने लगा.
मैं एक चूची मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसका गला दबा रखा था.
थोड़ी ही देर में वह मचलने लगी और मेरे लौड़े को हाथ में लेकर दबाने लगी.
उसने कहा- बस पतिदेव, अब चोद दीजिए ना!
मैंने कहा- ठीक है.
मैं भी खड़ा खड़ा थक गया था.
मैंने उसे बेड पर लिटाया और चूत चाटने लगा.
उसने कहा- कल भी यहीं रहूँगी और मेरी चूत भी … अभी पहले चोद दो ना प्लीज!
मुझे उसकी मासूमियत भरे चेहरे पर प्यार आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर लगा दिया.
काफी गीली चूत थी.
थोड़ा इधर उधर करने पर लंड का सुपारा अन्दर फंस गया.
उसे हल्का सा दर्द हुआ.
वह उछली.
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने दर्द भरे भाव से कहा- कुछ भी नहीं … बस रुकना मत, डाल दो तुम.
मैंने एक ही बार में पूरा लंड जड़ तक पेल दिया.
उसकी बहुत जोर से चीख निकली, जिसे सुन कर उसकी चचेरी बहन मानसी जो दिल्ली में डॉक्टर थी और शादी में आई थी, वह हमारे ही बाजू वाले कमरे में रुकी हुई थी.
मानसी जाग गई और अपने कमरे से उठ कर आकर दरवाजा खटखटाने लगी.
पर मेरी बीवी जो अपने नाखून मेरे पीठ में चुभो चुकी थी, अब चुप थी.
फिर उसकी बहन चली गई.
इधर मैंने भी उसे प्यार से सहलाते सहलाते उसका दर्द कम किया.
उसने मेरी आंखों में ऐसे देखा मानो उसने मुझे जीत लिया हो.
अपने आंसू पौंछते हुए आंखों से ऑर्डर दिया- आगे बढ़ो.
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए चोदना शुरू किया और 15 मिनट चोदने के बाद वह झड़ गई.
मैंने उसे अपनी गोद में ले लिया और उसकी चूत में लंड पेल दिया.
इस आसन में मेरा लौड़ा सीधा उसकी बच्चेदानी में ठोकर मारकर वापस आ गया.
वह चिहुंक उठी और उसने कराहते हुए कहा- पतिदेव मर गई.
मैं खड़ा हुआ और उसे दीवार से लगा दिया.
एक तरह से वह हवा में लटकी हुई थी.
मेरा लंड उसकी चुत में फंसा था.
मैं उसे चोदने लगा.
वह मेरी ताकत की कायल हो गई थी और चुदाई का मजा लेने लगी थी.
काफी देर बाद मैं थक गया तो मैं उसे वैसे ही लेकर लेट गया.
वह मेरे ऊपर आ गई और अपनी गांड उठा उठा कर चूत में लंड लेने लगी.
इधर मैं उसकी चूचियों को निचोड़ रहा था.
वह पागलों की तरह आह आह कर रही थी.
फिर हम दोनों एक साथ आह आह करते हुए झड़ गए.
मैं उसे उठा कर बाथरूम में लेकर जाने लगा तो उसने मेरे चेहरे को अपने चेहरे से ढक दिया और होंठ चूसने लगी.
लेकिन मुझे गेट बंद होने की आवाज आई.
मुझे लगा बाथकमरे में कोई है.
मेरा और मेरे बगल वाले कमरे का साझा बाथरूम है.
मैं रुक गया.
फिर मैं आगे बढ़ा.
दरवाजा हल्का सा खुला था.
पर उस टाइम मैंने गौर भी नहीं किया, बस बाथरूम में आ गया.
उधर भी साफ सफाई के बाद हमारी चुदाई होने लगी और बहुत देर तक हुई.
चुदाई की आवाज़ शायद मानसी ने सुनी ही होगी, जो उस टाइम हम दोनों के ध्यान में नहीं आई.
कुछ दिन बाद मेरा जन्मदिन था। Hindi sex stories Antarvasna कोमल ने पूछा- क्या उपहार चाहिए? मैंने कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ।
वो उपहार को कैसे मना करती, उसने कहा- ठीक है, पर देखोगे कहाँ? मैंने कहा- तुम्हारी किसी सहेली के घर पर !
उसने बोला- मेरी एक सहेली अकेली रहती है कमरा लेकर, मैं उससे बात करुँगी। पर तुम सिर्फ देखोगे।
मैंने कहा- सेक्स नहीं करूँगा, यह वादा करता हूँ!
उसकी सहेली मान गई। फिर तो मैं उस दिन का इन्तजार करने लगा और वो दिन भी आ गया। उसने सफेद स्कर्ट और काले रंग का टॉप पहना था। वो उस दिन बहुत सेक्सी लग रही थी। फिर हमने केक ख़रीदा और चले गए उसके घर !
कोमल की सहेली का नाम दीप्ति था। दीप्ति बहुत खुश हुई हमें देख कर !
हमने मिल कर केक काटा, लंच किया, फिर कुछ दीप्ति ने कहा- मुझे कुछ काम है, तुम दोनों बैठो। मैं 1-2 घण्टे में वापिस आउंगी।
और वो चली गई। अब हम दोनों अकेले रह गए थे। मैंने अब कोमल को बाँहों में लिया ले लिया और जोर से कस लिया। वो भी मुझसे चिपक गई। पहली बार हमें यह मौका मिला था। हम एक दूसरे की सांसें महसूस कर सकते थे। मैंने उसके होंठ चूमने शुरू कर दिए। वो भी आँखें बंद करके मेरे होठों को चूसने लगी। हम कोई दस मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे। उसकी सांसें तेज चले लगी थी।
मैंने कहा- कोमल मेरा उपहार कहाँ है?
उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- जो वादा किया था ! मुझे बिना कपड़ों के अपना बदन दिखाओ !
वो शरमा गई और अपना सर मेरी छाती छुपा लिया।
हम बिस्तर पर बैठे थे, मैंने कहा- प्लीज़ जान !
वो बोली- मैं नहीं कर सकती। मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा- क्या मैं खुद उतार लूं !
वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी।
मैं समझ गया, मैंने धीरे से उसका टॉप ऊपर किया और उतार दिया। अब वो ब्रा में थी। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसके चूचे अब दिखने लगे थे। उनका आकार कोई 32 होगा। वो बिलकुल गोरी थी। मैं तो पागल हो गया। किसी लड़की को पहली बार इस तरह तरह देख रहा था। वो शरमा गई और अपने चुचों को अपने हाथों से छुपा लिया!
मैंने उसके हाथ हटाये और चूम लिया। उसके चूचे बहुत मुलायम थे, जैसे ही मैंने उसके स्तन पर अपने होंठ रखे, उसके मुँह से आह-आह्ह निकल गई !
अब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसे उतार दिया। मेरी तो आँखें ही मानो फट गई- क्या चूचे थे उसके गोल गोल।
मैंने जैसे ही उनको छुआ तो उसकी तो आँखें ही बंद हो गई। मैं उसके वक्ष को चूमने लगा। वो अह्ह्ह अआः ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हम मम मम्ममम करने लगी। मैं चूचियों को हाथ में लेकर दबाने लगा और एक चुचूक मुँह में ले लिया और उस पर जीभ फिराने लगा। कोमल की तो हालत ही खराब हो गई। वो एकदम गर्म हो गई थी। मैंने जोर से चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरे सर को अपने वक्ष पर दबा दिया। मैं और तेज चूसने लगा और उन्हें दबाने लगा।
मैंने कहा- अब अपनी छोटी जान को दिखाओ।
(मैं उसकी चूत को छोटी जान बोलता था)
वो कुछ कहने की हालत मे नहीं थी। मैंने उसकी स्कर्ट को नीचे किया और उतार दिया। वो लेट गई। अब उसकी बदन पर सिर्फ गुलाबी रंग की पैन्टी रह गई थी। मैं उसे चूमने लगा। मैं उसकी टांगों को चूमता हुआ ऊपर आने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने उसकी पैन्टी नीचे खिसका दी, उसकी चूत दिखने लगी, बिल्कुल साफ चूत थी, बाल साफ किये थे। उसने अपनी टांगें एक के ऊपर एक चढ़ा कर चूत को छुपा लिया। मैंने उसकी टांगें खोल दी और हाथ उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत एक दम गर्म थी और चूत का रंग हल्का गुलाबी था। मैं उसे मलने लगा।
कोमल तड़पने लगी, उसके मुँह से कई आवाजें निकल रही थी- मम्म मम …..अआः ह्ह्ह ऊऊऊ जांण ऊऊईईईइ ऊऊओ ऊऊ य्य्यय्य।
उसकी चूत गीली हो गई थी।
मैंने कहा- मैं छोटी जान को चूमना चाहता हूँ।
उसने कुछ नहीं कहा। वो तो जैसे नींद में थी ……वो तो सिर्फ यही बोल रही थी- म्मम्म आआ ह्ह्ह्ह ऊऊओ जाआअन्न्न म्मम्मम मम्म आअ आआआ ऊऊउ ऊउऊओ ऊऊऊ।
मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और उसे चूमने लगा, जीभ फ़िराने लगा। उसकी हालत और खरब हो गई, आवाजें और तेज हो गई …म्मम्मम आआह्ह्ह्ह आआह्हू ऊऊईइ ईईइ मम्म मम्म ।
उसने मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया। मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो पैर पटकने लगी। उसकी चूत का रस मेरी जीभ पर आ रहा था। मैंने पीना शुरू कर दिया। उस वक़्त तो वो भी अमृत लग रहा था। मैंने सारा रस चाट लिया। मेरी ऊँगली पर खून लगा था। शायद उसकी सील टूट गई थी। वो सेक्स के लिए तयार थी। पर मेरे पास कंडोम नहीं था और मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था । मैंने उसे चौपाये स्टाइल में खड़ा किया और उन्गली से ही उसकी प्यास बुझाने लगा। वो मम्म मम्म मु ऊऊऊऊ ऊउईई ईई जांण कर रही थी। वो एकदम पागल हो गई थी …..वो बोल रही थी- तेज करो न और तेज करो . ऊऊयाआआ म्मम्म म्मम्म !
फिर वो गिर गई मेरी बाँहों में। उसकी आग ठंडी हो गई थी। लेकिन मेरी हालत खराब थी। वैसे भी फ़ोन सेक्स पर हम सब कुछ कर चुके थे और उसे अब सेक्स की हर बात का पता था। मैंने कहा- क्या लंड देखोगी?
उसने कहा- हाँ, मुझे देखना है।
मैंने जिप खोल दी और अपना लिंग निकाला।
वो उसे देखते ही बोली- ओह गॉड ! यह तो बहुत बड़ा है। मैंने तो सोचा ही नहीं था।
मैंने कहा- तो क्या सोचा था?
बोली- मैंने तो बच्चों के देखे हैं, वो तो छोटे होते हैं।
मैंने कहा- बच्चे बड़े होते हैं तो यह भी तो बड़ा होगा। इसे छू कर देखो।
उसने लंड को हाथ में ले लिया और मालिश करने लगी। फिर उसने एकदम से उसे चूम लिया।
मैंने कहा- यह कैसे कर लिया?
तो उसने कहा- जब तुम मेरी चूत को चूम सकते हो तो मैं क्यों नहीं !
मैंने कहा- आई लव यू सो मच जान।
वो मुस्कुराई और मेरे लंड को चूमने लगी। फिर उसे मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी। उसे भी मजा आ रहा था। मेरी तो हालत खरब हो रही थी, मैंने उसका सर पकड लिया और मुँह में ही सेक्स करने लगा। वो मम मम्म म्मम्म मम मम्म कर ही थी। मेरा सारा रस उसके मुँह में ही निकल गया। मैंने उसका सर पकड़ रखा था तो सारा उसके अंदर चला गया। उसे पता नहीं था कि कुछ निकलता भी है लंड से।
उसने पूछा- वो क्या था जो मेरे पेट में गया?
मैंने कहा- वही तो असली चीज़ थी।
उसे वो रस पसंद आया था।
फिर हमने एक दूसरे को गले लगा लिया। तभी दीप्ति आ गई। आज कोमल खुश थी कि मैंने अपना वादा निभाया था और उससे सेक्स नहीं किया।
कुछ दिनों बाद हमारी शादी की तिथि निश्चित हो गई। उसके मम्मी-पापा कुछ दिन के लिए घर से बाहर गए थे। अब उसके घर पर उसकी बहन पूजा और कोमल ही थी। हमने योजना बनाई कि हम घर पर ही मिलेंगे। पूजा तो जॉब पर चली जाती थी दिन को।
कोमल ने कहा- मुझे सेक्स का पूरा एहसास करना है।
मैंने कहा- ओके ! इस बार हम सेक्स करेंगे।
उसे दिन पूजा का ऑफिस था। मैंने कंडोम ले लिए और शनिवार शाम को दिल्ली से निकल गया. रात को कोई 12 बजे चंडीगढ़ कोमल के घर पहुँच गया। वो दोनों जाग रही थी। हमने खाना खाया और बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद पूजा सोने चली गई उसका तो ऑफिस था अगले दिन। जाते हुए बोली- कुछ् गलत मत करना ! ओके?
हम हंसने लग पड़े। एक घंटे तक हम बातें करते रहे। फिर कोमल उठी और मेरी गोद में आकर बैठ गई। मैंने उसे बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मेरे होंठ चूसने लगी। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसे चूसने लगा। वो भी मेरी जीभ चूसने लगी। हम दोनों ही गर्म हो गए थे। हम दोनों अन्दर चले गए जहाँ मेरा बिस्तर था। हम रजाई में थे। मैंने उसकी कमीज ऊपर कर दी और उसके चूचों को चूमने लगा। वो भी मेरे कंधों, मेरी छाती पर चूम रही थी और काट रही थी।
मैंने उसकी सलवार को नीचे किया और रजाई के अन्दर ही उसकी चूत को चाटने लगा।
वो धीरे-2 सिसकारियाँ भर रही थी- म्मम्मम आआ आआः ह्ह्हह ह्हहह ऊऊ ऊऊओईई ईईई ईऊऊऊम मम मम्म।
उसने कहा- मुझे चोद दो अब जान ! फाड़ दो मेरी चूत को !
मैंने कहा- कंडोम मेरी पैंट में है।
पैन्ट दूसरे कमरे में थी जहाँ पूजा सो रही थी।
कोमल ने कहा- रहने दो ! वो जाग जाएगी।
मैंने ऊँगली उसकी चूत में दाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसने भी मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। ऊँगली से ही मैंने उसकी प्यास बुझाई और उसने मेरा रस पिया। फिर हम सो गए। फिर वो पता नहीं कब पूजा के पास चली गई सोने के लिए !
सुबह जब उठा तो पूजा ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी। हमने नाश्ता किया और वो चली गई। अब हम दो ही थे घर पर। मैं तीन कंडोम लाया था। वो रसोई कुछ काम कर रही थी और मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया। मैं उसे गर्दन पर चूमने लगा। वो मुड़ी और मुझसे लिपट गई। आज हम दोनों सेक्स के लिए तैयार थे।
मैंने उसे गोद में उठाया और लेजाकर बिस्तर पर लेटाया और ऊपर चढ़ कर हर जगह चूमने लगा। उसकी कमीज निकाल दी, उसके चूचों को चूमने लगा और हाथों से दबाने लगा। वो जोर जोर से सिसकियाँ भर रही थी …मम्म म्मम्म म्मम्म ऊऊ ऊऊम्म्म म्मम्म मम्मी ईईई ईईइऊईईई।
उसने मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे हर जगह चूमने लगी। उसने मुझे अपने मम्मों पर कस लिया और कहा- इन्हें जोर से दबाओ……।
मैंने उसकी सलवार निकाल दी और पैंटी भी निकाल कर उसकी चूत को चूमना शुरु कर दिया। उसने टांगें पूरी फ़ैला दी थी। मैंने जीभ अन्दर डाल दी। वो जोर जोर से सिसकार रही थी- आआअ अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह हूऊ ऊऊऊओ ओऊ स्स्स् म्म्मम्मम्म म्माआआअम मम्मम्म !
उसने मुझे नीचे गिराया और मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे बुरी तरह चूमने लगी। मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे खा जाएगी ………
मैं उसके चूचों को चूस रहा था।
फिर वो बोली- अब मुझे चोद डालो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! अपना लंड डालो और फाड़ दो इसे।
मैंने कंडोम लगाया, कोमल को नीचे लिटाया और ऊपर आ गया। फिर लंड को चूत पर रखा और धक्का लगाया। लंड का सर थोड़ा सा अन्दर गया। एक और धक्का दिया, लंड और अन्दर गया तो उसके मुँह से चीख निकल गई।
वो बोली- धीरे करो ! दर्द हो रहा है।
मैंने थोड़ा सा बाहर निकाल लिया फिर धक्का दिया। इस बार पूरा लंड अन्दर था, कोमल जोर से चिल्लाई, उसकी आँखों में पानी आ गया था, मैं रुक गया और उसके होंठ और स्तन चूमने लगा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था और उसे मजा भी आ रहा था। वो भी नीचे से गांड हिला कर मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी- य्य्य्याआ आआआआअ आया तेज और तेज करो बेबी. मुझे चोदते रहो ….आआआ आआऊऊऊऊ मम्म म्मनन्न न्न्न्न स्स्सस्स्सम्मम्म म्मम् म्मम्म !
मैंने भी तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। फिर मैंने उसे घोड़ी बना कर चोदा। जो भी सेक्स मुद्राएँ मैं जानता था, सब की …दीवार के साथ खड़ा करके, उसे गोद मैं लेकर चोदा। फिर वो मेरे ऊपर आ गई। वो सेक्स को पूरा मजा ले रही थी, जैसे इंग्लिश मूवी में करते हैं! उसकी चूत से खून भी निकल रहा था, उसकी सील पूरी टूट गई थी। अब उसकी चूत से पच पच की आवाज आ रही थी। हम एक हो गए थे।
उसके बाद हम साथ साथ नहाये। हमारा मूड फिर बन गया। तो हमने एक ट्रिप बाथरूम में और फिर लंच में किचन में भी एक ट्रिप लगाया। उस दिन जो तीन कंडोम ले के गया था वो सारे लगा दिए !
उसके बाद कोमल बोली- मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं शादी से पहले सेक्स करुँगी। आपके प्यार में यह एक ऐसा उपहार है जो कभी नहीं भूलूंगी। आई लव यू सो मच। और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समां गए।
आज हमारी शादी को दो साल हो गए हैं। हम खूब सेक्स करते हैं पर आज भी हमें बरसात का पहला किस और पहला सेक्स नहीं भूला है। हम उस पल को हमेशा याद करते हैं। Hindi sex stories Antarvasna
सभी अन्तर्वासना-पाठकों को मेरा Sex Stories सलाम, मेरी तरफ़ से प्रणाम! मैं आपको बता दूँ कि मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ। मैंने इसकी सारी कहानियाँ पढ़ी हैं और आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर!
मैं शैल जोधपुर का रहने वाला हूँ। दिखने में मैं बहुत सुन्दर और प्यारा हूँ। मेरा कद ६’२” है और मेरा लण्ड करीब ६.५ इन्च लम्बा और ३.५ इन्च मोटा है।
कोलेज में मेरी बहुत सी लड़कियों से दोस्ती रही है और शारीरिक सम्बंध भी रह चुके हैं। यह घटना पिछले साल नवम्बर की है उस वक्त मैं एक टेलिकॉम कंपनी में काम करता था। एक दिन मेरे बॉस ने मुझे एक मोबाइल नम्बर देते हुए कहा कि ये उनके किसी दोस्त का नम्बर है और मुझे उनके यहाँ इन्टरनेट कनेक्शन लगाने जाना होगा।
मैंने उस नम्बर पे फोन किया तो किसी महिला ने उठाया मैंने पूछा क्या मैं मिस्टर विशाल से बात कर सकता हूँ तो उन्होंने कहा कि वो तो ऑफिस गए हैं कहिये क्या काम है?
मैंने सारी बात बताई तो उन्होंने कहा कि कनेक्शन करने अभी आ सकते हैं। मैंने कहा मैं अभी एक घंटे में आ जाता हूँ।
मैं दिए हुए पते पे पहुँचा और घंटी बजाई, एक महिला ने आकर दरवाज़ा खोला, उसकी उम्र करीब २५-२६ साल की रही होगी और उसकी फिगर ३६-२८-३८ रही होगी, उसने गहरे हरे रंग की साड़ी पहनी थी, रंग दूध जैसा सफ़ेद! दोस्तों मैं क्या कहूँ! उसके जैसी खूबसूरत औरत मैंने अपनी जिन्दगी में कभी नहीं देखी थी, मेरी आँखें सीधी उसके बूब्स पे जाकर गड़ गई।
उसने कहा- क्या काम है?
मैंने सामान्य होते हुए कहा- मैं शैल!
उसने कहा- ओके! प्लीज़ आइये।
मैं उसके पीछे चल दिया, उसके बदन से आ रही खुशबू मुझे मदहोश बना रही थी। उसने मुझे बैठक में बिठाया और अपना लैपटॉप लेकर आई। मैं उसपे डाटा-कार्ड (इन्टरनेट कनेक्ट करने का डिवाइस) इंस्टाल करने लग गया, वो अन्दर से २ कोल्ड ड्रिंक लेकर आई और मेरे सामने सोफे पर बैठ गई। मेरी नज़रें बार बार उसके बूब्स पे जा रही थी, मेरा लण्ड तो अकड़ कर तम्बू के बम्बू हो गया था जैसे अभी पैंट फाड़ के बाहर आ जाएगा।
अचानक उसने मुझे कहा- क्या देख रहे हो?
मैं एकदम से सकपका गया।
उसने कहा- शरारती कहीं के! और एक प्यारी सी मुस्कान दी।
ये सुनकर मेरा हौंसला भी थोड़ा बढ़ गया, मैंने कहा- आप इतने खूबसूरत हो कि नज़रें हटाने को मन ही नहीं करता!
वो बोली- फ्लर्ट करने में काफी अच्छे हो! और खिलखिला कर हँस पड़ी। उसकी हँसी इतनी प्यारी थी न दोस्तों ऐसा लग रहा था जैसे चारों तरफ़ मोती बिखर गए हो।
मैंने इन्टरनेट कनेक्शन कर के उससे कहा कि कनेक्शन हो गया है, आप कृपया चेक कर लीजिये। और वो आकर मेरे पास बैठ गई, मैंने उसे समझाने के बहाने २-३ बार छू लिया और हर बार वो मेरी तरफ़ मुस्कुरा देती उसकी तरफ़ से हरी झंडी मिलते देख मैं मन ही मन इतरा रहा था, तभी उसने मेरे गाल पे हौले से किस कर दी और कहा तुम बहुत क्यूट हो!
मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो, मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा- मैं आपको एक बार हग करना चाहता हूँ!
तो उसने कहा बस इतनी सी बात!
मैं उठा और उसे कस के गले लगा लिया, दोस्तों ऐसा लग रहा था जैसे मुझे जन्नत मिल गई हो।
तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी, मेरे बॉस का फ़ोन आ रहा था, मैंने फ़ोन उठाया तो उन्होंने कहा कि ऑफिस में एक जरूरी मीटिंग है तो जल्दी से आ जाओ, मैं मन ही मन अपने बॉस को गालियां दे रहा था. मैंने कहा अभी जाना पड़ेगा तो वो बोली गर्म करके ऐसे प्यासा छोड़ के जाना अच्छी बात नहीं है मैंने उसे अपना सेल नम्बर देते हुए कहा कल मुझे फोन करना, और मैं ऑफिस चला गया।
अगले दिन सुबह ही उसका फ़ोन आया, उसकी आवाज़ में अलग ही कशिश थी, उसने मुझे कहा कि अभी मेरे घर आ जाओ मेरे पति ऑफिस गए हैं. मैं तैयार होकर उसके घर चला गया। मैंने रास्ते में मेडिकल स्टोर से ४-५ कंडोम ले लिए, मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि आज तो मस्त माल चोदने को मिलेगा।
मैं उसके घर पहुँचा और दरवाजे की घंटी बजाई। जैसे ही दरवाजा खुला मैं तो उसे देखता ही रह गया! उसने काले रंग की नाईटी पहन रखी थी जो कि बहुत ही बारीक थी, उसकी ब्रा और पैंटी भी नज़र आ रही थी, उन कपडों में वो क़यामत लग रही थी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला मैंने उसे गले लगा लिया, उसने कहा- क्या कर रहे हो? दरवाजा तो बंद कर लेने दो उसके बाद जो करना हो करो! फिर उसने दरवाजा बंद किया और मुझसे लिपट गई, दोस्तों उस वक्त मेरी क्या हालत हो रही थी मैं बयां नहीं कर सकता। मेरा लण्ड तो लोहे की छड़ जैसा कड़क हो गया था।
तभी उसने कहा कि सब कुछ यहीं करोगे या अन्दर भी चलोगे?
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और उसे बेडरूम में ले गया, उसे बेड पे लिटा कर उस पे टूट पड़ा। उसके सारे बदन को चूमने चाटने लगा। इतनी देर में वो भी गरम हो चुकी थी। उसके मुंह से शी इ … शी ऐ की आवाजें आ रही थी तो माहौल को और भी उत्तेजक कर रही थी।
मैं अपने हाथ उसके बदन पे फिराते हुए उसके स्तनों पे ले गया और जोरों से दबाने लगा. मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे लगा दिए और उसे जोरों से चूमने लगा, चूमते चूमते उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैंने धीरे धीरे उसकी नाईटी उतार दी और उसने मेरी पैंट और शर्ट उतार दिए।
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी। मेरा लण्ड अंडरवियर के अंदर कोबरा सांप के जैसे फुफकार रहा था. उसने अपना हाथ मेरे लण्ड पे रखा और बोली ह्म्म्म … काफी बड़ा लण्ड है तुम्हारा तो! ज़रा बाहर तो निकालो इसे!
और मैंने अपना अंडरवियर निकाल दिया … अब मेरा लण्ड उसके हाथ में था और वो उसकी चमड़ी को धीरे धीरे ऊपर नीचे कर रही थी।
मैंने समय ना खोते हुए उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी. उसके बूब्स इतने प्यारे थे कि क्या कहूँ, एकदम गुलाबी, उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था शायद आज ही साफ की थी। मैं उसके बूब्स बुरी तरह दबा दबा के चूस रहा था और एक हाथ उसकी चूत पे फेर रहा था, मेरी उंगलियाँ उसके शिश्निका को मसल रही थी।
तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी … उसकी चूत काफी कसी थी, शायद ज्यादा चुदी हुई नहीं थी, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, मैं धीरे धीरे अपनी उंगली को अन्दर बाहर करने लग गया। वो मुंह से श हह ही ईई … शी ईई … आ अ आह ह्ह्ह आः … ऊन नंह आवाजें निकाल रही थी।
तभी मैं उठा और अपना मुंह उसकी प्यारी सी चूत पे रख दिया। अब मैं उसकी चूत चाट रहा था … पहले मैंने अपनी जीभ उसके क्लिट पे फिराई … जिस से वो ऐसे तड़प उठी जैसे जल बिन मछली, वो कहने लगी प्लीज़ अब चोद दो और बर्दाश्त नहीं होता, पर मैं उसे और तडपाना चाहता था, अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी. उसके मुंह से सीत्कार निकल गई. वो मेरी मिन्नतें करने लगी कि प्लीज़ अब बर्दाश्त नहीं होता … अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो और उसकी प्यास बुझा दो!
मैं उठा और कंडोम अपने लण्ड पे चढ़ाने लगा। तभी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा इसकी कहाँ जरुरत है!
मैंने कहा- तुम गर्भवती हो सकती हो!
ये सुनकर वो बहुत भावुक हो गई और कहने लगी कि मैं तो बच्चे के लिए तरस रही हूँ।
मैंने कहा- मैं समझा नहीं!
तो वो बोली कि उसके पति में कमी है, वो कभी बाप नहीं बन सकते।
उसने कहा कि वो मेरे बच्चे की माँ बनना चाहती है। ये सुन कर मुझे इतनी खुशी हुई कि मैं बयां नहीं कर सकता और मैंने अपने लण्ड-मुंड पर से कंडोम हटा दिया और उसके ऊपर लेट गया, उसे बेतहाशा चूमने लगा … वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैंने अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के मुँह पर रखा … उसकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे कमल के फूल की अधखुली पंखुडियां, मैंने अपना लण्ड इसकी चूत पे रखा और रगड़ने लगा … उसने कहा प्लीज़ अब अन्दर भी डाल दो। मैंने हौले से धक्का लगाते हुए अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत में डाल दिया … उसकी चूत ज्यादा खुली हुई नहीं थी इसलिए लण्ड घुसने में दिक्कत हो रही थी, १ मिनट रुक के मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाते हुए अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया …
वो इतनी ख़ूबसूरत लग रही थी कि मैं उसके चेहरे पे बिल्कुल भी दर्द नहीं देखना चाहता था। तभी उसने नीचे से अपनी कमर उठा के धक्के लगाने लग गई, मैं समझ गया कि अब उसे दर्द नहीं हो रहा है, मैं भी अब धीरे धीरे उसे चोदना शुरू कर दिया, उसकी चूत काफी गीली हो गई थी इसलिए फच-फच की आवाजें आ रही थी। मैं उसके होठों पे लगातार किस किए जा रहा था ,,,,मेरे हाथ उसके स्तनों को प्यार से मसल रहे थे।
उसके चेहरे पे एक संतुष्टि का भाव था और आँखों में खुशी के आंसू … उसने कहा कि उसके पति ने कभी उसे इतने प्यार से नहीं चोदा! तुम प्लीज़ आज मेरी प्यास बुझा दो …
अब मैं उठा और उसकी टाँगें उठा के मेरे कन्धों पे रख दी और लण्ड फिर से चूत में डाल दिया … अब मैं उसे स्पीड से चोद रहा था।
वो भी कह रही थी शैल प्लीज़ और ज़ोर से चोदो … आ अह हह ह श ह ह्ह्ह … ऊ उ ऊ ऊई ई ई मा … उन नन्ना … की आवाजों से पूरा कमरा गूँज रहा था। तभी उसने मुझे अपनी बाँहों में कस के पकड़ लिया और मेरे गाल पे एक ज़ोर से, मगर प्यार से सराबोर, काट लिया। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है …
मैंने धक्के मारने का काम और तेज कर दिया। तभी उसकी चूत ने गरम गरम पानी छोड़ दिया जो उसकी चूत से बहता हुआ बेडशीट तक पहुँच गया … झड़ने के कारण उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरा लण्ड आराम से उसकी चूत में फिसल रहा था … करीब २० मिनट उसे चोदने के बाद मैंने भी अपना ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में उड़ेल दिया और उस पे निढाल होकर गिर गया …
अब हम दोनों एकदूसरे को चूम रहे थे … मैंने उसके चेहरे कि तरफ़ देखा उसके चेहरे पे एक संतुष्टि थी … वो मुझे लगातार किस किए जा रही थी। फिर हम लोग आधे घंटे तक ऐसे ही लेटे रहे। … आधे घंटे बाद मेरा लण्ड फिर हरकत में आ गया … और इस बार मैंने उसे अपने ऊपर लेटा के चोदा, आधे घंटे तक चोद के मैं फिर से उसकी चूत में ही झड़ गया …
उस दिन मैंने उसे शाम तक ५ बार चोदा।
फिर उसके पति के आने का समय हो गया तो हम लोगों ने कपड़े पहने और बैठक में आ गए … वो अन्दर जाकर काफ़ी बना कर लाई, वो बहुत खुश लग रही थी। काफ़ी पीकर मैं जाने लगा तो वो मेरे गले लग कर रोने लगी और कहा कि तुमने मुझे आज वो खुशी दी है जो किसी ने नहीं दी, और मेरे होठों पे अपने होंठ रख कर चूमने लगी। मैं भी काफी भावुक हो गया। उसने मुझे कहा कि जब भी मैं बुलाऊँ तब जरुर आना …
फिर मैं हफ्ते में २-३ बार उसके घर जाने लगा और हम लोग खूब चुदाई करते, फिर अगले महीने जब मैं उसके घर गया तो वो बहुत शरमा रही थी मेरे काफी पूछने पे उसने शरमाते हुए बताया कि वो माँ बनने वाली है … ये सुनकर मुझे इतनी खुशी हुई … ऐसा लगा जैसे सारे जहाँ की खुशियाँ मिल गई हों। आज हमारा एक २ महीने का बच्चा है ..जो दिखने में बिल्कुल मेरे जैसा है … मैं बहुत खुश हूँ।
माफ़ करना दोस्तो, मैं आपको उसका नाम नहीं बता सकता जिसने मुझे इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशी दी। Sex Stories
हाय! अन्तर्वासना के पाठकों को Sex Stories नमस्कार! अपनी पिछली कहानी “पापा के दोस्तों ने चोदा- 1” में आपने पढ़ा कि किस प्रकार पापा के दो दोस्तों ने सीमा हमारे घर में ही चोदा। वो अलग बात है कि इसके लिये उन्हें कोई विशेष कोशिश नहीं करनी पड़ी। सीमा तो वैसे ही चुदने के लिये मरी जा रही थी। उसी कड़ी में पेश आगे की कहानी …
यह कहानी भी मैं सीमा की ओर से ही पेश कर रहा हूं …
उस रात गुरुबचन अंकल और अकील अंकल ने जो कमरतोड़ चुदाई की उसका असर दूसरे दिन तक रहा। तीसरे दिन अकील का फोन आया, मैं घर में अकेली थी …
हैलो …
हाय रानी!!! कैसी है … ?
कौन बोल रहा है … मैं चौंक गई।
आय! हाय! दो दिन में ही लन्ड पच गया …
ओह! अकील अंकल … … मैं आवाज पहचानते ही बोली। अनायास ही मेरा हाथ चूत पर पहुँच गया।
अब अंकल तो मत कह रानी … क्या कर रही थी … अकेली ही है ना?
हाँ … क्यों … क्या करना है … मैं शोखी से बोली।
चोदना है तेरी प्यारी चूत को …
ना बाबा ना … अब तक नहीं सम्भल पाई हूँ … …
अरे जान … वो तो मौका प्रोपर नहीं था … वर्ना एक हफ़्ते तक बिस्तर से नहीं उठती …
तभी तो कह रही हूं … मुझे मरना नहीं है …
अच्छा! देख शनिवार को तेरे पापा टूर पे जा रहे हैं और गुरु की वाइफ़ भी बाहर है तो उस दिन गुरू के घर पे प्रोग्राम रखेंगे …
और फ़िर शनिवार का इन्तजार होने लगा।
पापा सुबह 5 बजे की बस से चले गये। मैं एक बार फ़िर चूत चिकनी की और फ़िर तैयार होके 11 बजे गुरू के घर पहुंच गई। मेरे पहुंचते ही उन्होंने मेरा दिल खोलकर स्वागत किया और सीधे बैडरूम में ले गये जहाँ एक शानदार बैड था। पूरा कमरा इत्र की खुशबू से महक रहा था … मैं रोमांचित हो रही थी … … गुरू ने नाश्ते का इन्तजाम किया हुआ था। नाश्ते के दौरान हम खूब गन्दी गन्दी बातें कर रहे थे मैं भी पूरी तरह खुल चुकी थी।
इस सब में एक घंटा गुजर गया तो …
अकील बोला … चल अब शुरू करें …
और हम नंगे हो गये। अकील सोफ़े पर बैठ गया। मैंने जमीन पर कुतिया बनके उसके लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। गुरू मेरे पीछे आया और चूत चाटने लगा। जब अकील का लंड पूरी तरह तैयार हो गया तो मैं गुरू की ओर मुड़ी। गुरू घुटने के बल खड़ा हो गया तो मैंने उसका लंड मुँह में ले लिया और इधर अकील चूत चाटने लगा।
फ़िर अकील ने अपना लंड पीछे से ही चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा तो गुरू का लंड मेरे गले तक घुस गया मेरी सांस रुकने लगी पर वे रुके नहीं और मैं दोनों तरफ़ से चुदने लगी …
ले मादर चोद आज देख हमारे लंड का कमाल … … अकील दनादन ठोकते हुए बोला तो गुरू ने भी मेरे बाल पकड़ कर मुँह में ही अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। मुँह बन्द होने के बावजूद भी मैं कराह रही थी पर बहुत मजा आ रहा था। फ़िर उन्होंने साइट बदली और चालू हो गये। लगभग आधा घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद उन्होंने मुझे जमीन पर सीधा लिटाया और एक साथ अपने लंड मुँह डाल दिये, मैं लपालप चूसती रही। थोड़ी ही देर में वे मेरे मुँह में झड़ गये। उनके लंड से निकले गरम गरम वीर्य ने मेरा मुँह भर दिया। मेरी चूत भी झड़ चुकी थी। हम तीनों निढाल हो कर पड़ गये।
दूसरा राउंड 2 बजे शुरू हुआ और ये पहले से भी भारी था। मेरा रोम रोम दर्द करने लगा। ये मेरी जिन्दगी की सबसे यादगार चुदाई थी। Sex Stories
शाम गहरी होते ही Antarvasna दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
‘क्या बातें हो रही है…?’ साहिल ने पूछा।
‘अकेले अकेले पिये जा रहे हो, पूछ भी नहीं नहीं रहे है।’ अंजलि ने शिकायत भरे स्वर में कहा।
‘पहले अपने गिफ़्ट कबूल करो, फिर एक एक जाम!’
दोनों खुशी से उछल पड़ी। साहिल ने दो पैकेट राज को दिये। खुद ने भी दो अलग रख दिये।
‘अब हमारी गोदी में आ जाओ तो मिलेगा!’
अंजलि उठ कर राज की गोदी में बैठ गई।
‘जानू, मेरी गोदी में तो तुम रोज ही बैठती हो , आज साहिल को खुश कर दो!’
अंजलि इठला कर उठी और मुस्कराते हुये तिरछी नजरों से साहिल को देखा, उसका लण्ड खड़ा था। उसने अपनी चूतड़ पीछे उभारी और उसके उभार को देख कर अपने चूतड़ सेट करके धीरे से बैठ गई। रूपल थोड़ा शरमा रही थी, वो बस राज के पास आकर खड़ी हो गई। राज ने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
‘आ जाओ, आपकी गद्दी तैयार है।’
‘धत्त, साहिल के सामने ही…’ रूपल शर्मा उठी।
‘गिफ़्ट नहीं लेना क्या…’ राज ने रूपल की साड़ी ऊँची कर दी और उसके नंगे चूतड़ों को अपने कड़क लण्ड पर रख दिया। राज ने अपना लण्ड ठीक से दरार में फ़िट कर लिया।
‘ये आपका गिफ़्ट…’ साहिल ने अंजलि को एक सोने का हार और बालियों का सेट भेंट कर दिया। उसे देखते ही वो उससे लिपट गई और उसे चूमने लगी। राज ने भी वैसा ही सेट रूपल को दे दिया। उसने भी अपनी खुशी राज को चूम कर जाहिर की और उसकी गोदी में उछल सी पड़ी। और… और… लण्ड रूपल की गाण्ड में घुस गया। रूपल की आंखे खुली की खुली रह गई और उसने राज की तरफ़ आश्चर्य से देखा।
‘शैतान…! मेरी!’ और उसके अधर से अधर मिला दिये। साहिल ने भी राज को देखा, अंजलि ने भी इतरा कर कहा- अब मेरी भी मार दो ना, साहिल!’
‘राज, रूपल को छोड़ दे, साला फ़ाऊल कर रहा है’ साहिल ने राज को झिड़की दी।
‘ओह सॉरी…’ उसने धीरे से रूपल की गाण्ड से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
‘अब चलो, अपनी जगह बैठ जाओ और एक पैग पी लो, और फिर दूसरा गिफ़्ट।’
दोनों उठ कर सोफ़े पर बैठ गई। चारों ने एक एक पैग पूरा पी लिया। साहिल ने एक पतला लम्बा सा पेकेट राज की ओर उछाल दिया।
‘ये लो…’ दोनों पैकेट दोनों ने आगे झुक कर भेंट कर दिये।
उत्सुकतापूर्वक दोनों ने पैकेट खोला और फिर दोनों चीख उठी- ये क्या… हाय रे! तुम दोनों कितने खराब हो?’
दोनों के हाथ में एक साधारण लम्बाई का पतला सा डिल्डो था। राज और साहिल दोनों ही जोर से हंस पड़े।
अंजलि बोली- अब देखो कमाल!’
‘अरे नहीं अंजलि… मत करो ये… शरम आयेगी।’ रूपल ने उसे रोका।
‘अभी तो राज का लौड़ा खाया था, फिर क्या है?’ अंजलि शराब और वासना में बहक रही थी।
शायद यह एक पैग का भी असर था। उसने अपनी साड़ी उतार दी। मजबूरन रूपल को भी उतारनी पड़ी। यह देख कर राज और सहिल ने एक दूसरे को देखा और उनके कपड़े भी उतर गये। अब चारों नंगे खड़े थे। रूपल राज से जाकर लिपट गई और अंजलि साहिल से चिपक गई। वो सभी धीरे धीरे पास के कमरे में जमीन पड़े बिस्तरों की ओर बढ़ चले। इस कमरे को खाली करके पूरे कमरे में नीचे ही मोटे मोटे गद्दे डाल दिये थे।
रिमोट से उन्होंने एयर कन्डीशन चालू कर दिया। वहाँ पहुँचते ही वो नीचे बिस्तर पर लोट लगाने लगे। राज और साहिल को लगा कि जैसे दो मछलियाँ बिन पानी के तड़पती है, वैसे ही ये चुदने के लिये तड़प रही हैं। दोनों की चूत गीली हो चुकी थी।
‘राज तुम घोड़ी बनो…’ रूपल ने राज को घोड़ी बना दिया और वही डिल्डो लेकर राज की गाण्ड की तरफ़ आ गई। डिल्डो उसने गाण्ड पर सेट किया और अन्दर घुसा दिया। थूक से चिकना डिल्डो उसकी गाण्ड में सरक गया। दूसरी और अंजलि भी यही कर रही थी। रूपल ने डिल्डो गाण्ड में पूरा उतार दिया और अन्दर बाहर करने लगी। रूपल और अंजलि दोनों ऐसा करके बहुत उत्तेजना महसूस कर रही थी।
‘ऐ अंजलि, डिल्डो का मजा आया ना…! ‘ रुपल हंसी में चीखते हुये बोली।
‘इन्हीं से इनकी शुरूआत अच्छी रही…’ अंजलि भी नशे में हंसने लगी।
दोनों का लण्ड मस्ती से फ़ूलने लगा था। बेहद कड़क भी होने लगा था। यह देख कर रूपल ने राज का लौड़ा थाम लिया और उसे घिस कर और उत्तेजित करने लगी। राज का शरीर मीठी सी गुदगुदी के कारण तन सा गया। रूपल ने डिल्डो को गाण्ड में पूरा घुसा दिया और स्वयं उसके शरीर के नीचे घुस गई।
‘ना ना… डिल्डो मत निकालो, बस अपना असली डिल्डो मेरी चूत में गड़ा दो…
देखो, तुम्हारा लौड़ा कैसा फ़ूल रहा है!’
‘डिल्डो के मजे से ही तो मेरा लौड़ा तन कर फ़ट रहा है… अब चुदोगी तो मजा आयेगा।’
राज की ग़ाण्ड में पतला सा डिल्डो किसी रॉड की भांति घुसा हुआ था। वो धीरे से रूपल के ऊपर चढ़ गया। रूपल ने चुदने के लिये अपनी दोनों टांगे चौड़ा दी।
उसकी गीली चूत राज ले लण्ड को घुसने का न्यौता दे रही थी। राज और साहिल ने एक दूसरे को देखा, साहिल ने राज को आंख मारी, राज मुस्कुरा दिया। राज ने अपना लण्ड पकड़ कर हिलाया और उसकी चूत पर रगड़ा। उसका लण्ड गीला हो गया।
अब उसने अपना लाल सुपाड़ा उसके उभरे हुये दाने पर रख कर दबा दिया। रूपल सिसक उठी। उसके लाल टोपे से उसका दाना रगड़ने लगा।
‘राज… अब बस करो… पूरा अन्दर घुसेड़ दो ना… हाय रे मेरी मां…’
राज के सुपाड़े की दरार में उसके दाने की मीठी चुभन कहर ढा रही थी। उसने हाथ से पकड़ कर अपने लौड़े को जोर जोर से हिलाया और उसकी चूत के द्वार पर तीन चार बार जोर जोर से मारा… रूपल वासना के मीठे दर्द से तड़प गई। तब राज ने अपना लण्ड हाथ से पकड़ कर उसकी करारी चूत में रख कर अन्दर डाल दिया।
रूपल ने अपनी आंखे बन्द किये उसे जोर से अपनी ओर खींच लिया। वो अपने हाथों के बल पर रूपल पर छा गया। रूपल में अपना हाथ पीछे ले कर उसका डिल्डो पकड़ कर उसकी गाण्ड में भींच दिया। दोनों लौड़े उनकी गहराईयाँ नापने लगे थे।
उधर अंजलि भी साहिल से चिपके जा रही थी। उसकी चूत में भी साहिल का लण्ड गहराई तक घुसा हुआ था। अंजलि की सिसकारियाँ राज तक आ रही थी।
‘अंजू… चुदा लो तबीयत से… साहिल, जरा मस्ती से चोदना मेरी बीवी को…’
‘मेरी बीवी तो तुझसे चुदाने को मरी जा रही थी, साली का चोद चोद कर कचूमर निकाल देना!’ फिर जोर से हंस दिया।
‘राज, उधर मत देखो… वो तो चुदेगी ही, मेरी मारो ना जरा जोर से…’ रूपल ने राज का ध्यान अपनी ओर खींचा। राज के हाथ रूपल के सीने पर चल रहे थे… रूपल ने उसे अपनी तरफ़ खींच कर उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिये। कुछ ही देर में साहिल और अंजलि झड़ चुके थे और अब वे दोनों अपने कपड़े पहन रहे थे। वे दोनों राज और रूपल के पास आकर बैठ गये और उन्हें और उत्तेजित करने लगे।
अंजलि को राज के बारे में पता था… इसलिये वो राज की गाण्ड में डिल्डो धीरे धीरे अन्दर बाहर करने करने लगी। राज की उत्तेजना बढ़ने लगी। उसका लण्ड और फ़ूलने लगा। उधर साहिल ने भी रूपल के चुचूकों को हिला हिला कर मसलने लगा। झड़ने के कगार पर दोनों आ चुके थे। उन्होंने मस्ती में जोर से आंखे बन्द कर रखी थी, उनके जबड़े भी कस गये थे। तभी रूपल ने राज का साथ छोड़ दिया और जोर से झड़ने लगी। राज ने भी कस कस कर तीन चार जोर के शॉट मारे और उसका लण्ड पिचकारी मारने को हुआ। अंजलि ने उसका लण्ड तुरन्त रूपल की चूत से बाहर निकाला और एक मुठ मारते ही उसका वीर्य छूट पड़ा।
अंजलि तैयार थी इसके लिये… उसने लण्ड खींच कर अपने मुख में ले लिया और आम चूसने की तरह उसे पीने लगी।
‘आह… राज आज तो तुम्हारा खूब माल निकला…’
‘यह दोनों तरफ़ से आनन्द मिलने के कारण था। रूपल को चोदने में बड़ा मजा आया!’
सभी बहुत खुश थे। कार्यक्रम समाप्ति पर था। सभी ने डिनर किया और राज और अंजलि को विदा किया। दोनों घर आये तो करीब रात के ग्यारह बज रहे थे। घर आते ही राज ने प्यार से अंजलि के मम्मे दबा दिये।
‘कैसा लगा, मेरी जानू, मजा आया ना चुदवा कर…?’
‘तुम कितने अच्छे हो राज! तुम्हारी वजह से मेरी आज मनभावन चुदाई हुई!’
‘चलो, अब किसी ओर का नम्बर लगाना है क्या…?’
‘सुनो राज… वो विपुल कैसा रहेगा?’
‘और तुम वो क्षिप्रा को मेरे लिये पटा दो ना!’
दोनों ठहाके मार कर हंस दिये और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे… हाँ क्षिप्रा का तो पता नहीं पर अगले दिन अंजलि विपुल से लिपट लिपट कर चुदवा रही थी और राज उन्हें छिप छिप कर देख कर मुठ मार रहा था… Antarvasna
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