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हेल्लो मैं हरजीत, पंजाब से, मैं Antarvasna अन्तर्वासना पर लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। मुझे यह सारी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी ये सब पढ़ने के बाद मुझे मेरी कहानी लिखने का मन किया सो मैं लिख रहा हूँ।
मैं आप लोगों को मेरी ज़िन्दगी में हुई असली और सच्ची सेक्स कथा लिखने जा रहा हूँ। मेरे उसका आकार दस इन्च है। मैं आपको अपनी एक ट्यूशन पर मुझसे पढ़ने आने वाली लड़की की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूं।
जब मैं बाईस साल का था। मैं पार्ट-टाइम के ट्यूशन पढ़ाता था। पाँच साल पहले की बात है उस समय मेरी एक छात्रा थी हरिता। वह बहुत सेक्सी थी, कहने को ११वीं में थी मगर स्तनों का आकार देख कर लगता था कि पूरी जवान है, चलती थी तो कयामत ढा देती थी, पर मैने कभी भी अपनी किसी छात्रा को इस नज़र से नहीं देखा। पर मुझे मेरे कई अन्य विद्यार्थियों से पता लगा कि हरिता एक चुद्दकड़ किस्म की लड़की है। मुझे उन की बात पर विश्वास नहीं हुआ।
जब भी मैं उसके उभरे संतरे जैसे चुचियों को देखता था तो मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि अभी जाकर उनका सारा रस निकालकर पी जाऊं। स्कर्ट पहने हुए उसकी कमर एवं जांघों को देखकर मुंह में पानी आ जाता था। वह कभी भी अपने होंठों पर लिपस्टिक नहीं लगाती थी फिर भी उसके होंठ गुलाबी थे, हर वक्त उसके होंठों को चूसने का दिल करता था।
एक दिन के बात है, मैं पढ़ा रहा था तभी मुझे अपने पैरों पर कुछ अजीब सा महसूस हुआ। जब मैंने देखा तो हरिता अपने पैर से मेरे पैर को सहला रही थी और उसकी आँखों में एक अलग ही नशा था। उस दिन के बाद लगभग एक महीना बीत गया।
फिर एक दिन जब मैं पढ़ा रहा था तो मुझे जाँघ पर किसी के पैर महसूस हुये। मुझे सिगनल मिल चुका था। मैंने उसे बहाने से रविवार को बुलाया। वो दोपहर के समय आई। उसने जीन्स ओर टॉप पहना हुआ था। मैंने दरवाजा खोला जब वो अन्दर आई तो मैंने दरवाजा बन्द कर दिया, उसे उठा कर अपने बेडरूम में ले गया और उसे चूमने लग़ा। उसके बाद मैंने उसके एक स्तन को पकड़ कर दबाया, इतना मजा आया कि क्या बोलूं, उसके बाद मैं अपना हाथ जींस के ऊपर ही उसकी चूत पर फेरने लगा।
अब वो गरम होने लगी, मैंने सबसे पहले उसका टॉप उतारा, अन्दर ब्रा थी, उसके बाद जींस उतारी, फिर उठा कर बिस्तर पर ले गया। वहां अपनी जींस और शर्ट उतार दी। उसके बाद मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके मस्त गोरे गोरे टमाटर जैसे स्तनों को आजाद कर दिया।
उसके बाद मैं उसे दबाने लगा, वोह सिसकियाँ ले रही थी अह ह्ह्ह्ह्ह्छ …ऊओअया अआः … श बहुत मजा आ रहा है जान !
फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपना अंडरवियर भी, वो मेरा लंड देख कर खुश हो गई। उसके बाद मैंने एक ऊँगली उसकी बूर में डाल दी।
वो बोली- हाई…….मै मर गई !
उसके बाद मैं ऊँगली करने लगा, एक हाथ से ऊँगली कर रहा था और एक से उसके बूब्स दबा रहा था।
अब वो पूरी तरह गरम हो गई थी। मैंने उसके बूर से ऊँगली निकाली और खड़ा हो गया। वो भी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया फिर उसने थोड़ी देर तक मेरा लंड चूसा। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।
वोह चिल्लाई आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह . .. …….धीरे !
उसके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। उसके बाद मैं लेट गया और वो अपनी चूत मेरे लंड पर सेट करके बैठ गई। अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा, जब मैं झड़ने वाला था तो रुक गया और उसके बाद गोद में बिठा के फिर से मारने लगा। करीब १ घंटे तक हमने चोदा-चोदी का खेल खेला। मेरी चूत की प्यास उस दिन ठंडी हो गई। उसके बाद हम दोनों झड़ गए।
उसके बाद जब कभी भी हमे मौका मिला तो हमने हनीमून मनाया, मेरे पढ़ाने के कारण उसे ११वी में ९०% मार्क्स मिले और जब भी छुट्टी में आती है तो हम पूरा एन्जॉय करते हैं।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी Antarvasna
आज मैं आपको अपनी एक सहेली की Sex stories सुनाने जा रही हूं। मेरी एक कहानी
सपनों की बारात के नाम से आ चुकी है
लेकिन उस पर किसी ने कोई रिएक्शन नहीं मिला तो बहुत दुख हुआ। प्लीज इस बार अपने रिएक्शन ज़रूर भेजें।
इस कहानी की शुरुआत हम दो दोस्तों से हुई है और आगे जाकर इसमे कई मोड़ आते हैं जिसे आप लोग पसंद करेंगे। मैं क्योंकि एक लड़की हूं इस लिये ये चाहूंगी कि लड़कियां अपनी रिएक्षन ज़रूर लिखें, क्योंकि शायद लड़कियां एक दूसरे को अच्छे से समझ पाती हैं।
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है बरखा।
उसकी उमर मेरे बराबर कोई २८ साल, हाइट ५.६, फ़ीगर ३४ सी-२८-३६ , गुलाबी रंग, बड़ी-२ आंखें, गुलाबी होंथ, खूब फूले हुए बूब्स, भरे-२ चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनो कोलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कोलेज के ज़माने मैं ही हम दोनो के बीच एक रिश्ता और बन गया।
एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गयी तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनो मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि संडे को तुम अविनाश से मिली थी तुम दोनो ने क्या किया था बताओ न मुजे और वो शरमा रही थी। अविनाश उसका कजिन था और दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनो अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे।
मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन अविनाश ने उसे किस किया था। मैं ने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया, हे बेईमान अब बता रही हो, तो वो शरमा कर हंस दी। हे शालु बता न और क्या किया था तुम दोनो ने।
बस न, सिर्फ़ किस किया था उसने, वो शरमा कर मुस्कराई। ऐ शालु बता न प्लीज कैसे किया था। हट बदतमीज़ वो प्यार से मुझे धक्का दे कर हंस दी। मैं उसकी भरी-२ जांघों पर सिर रख कर लेट गयी उसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थे, मैं ने धीरे से उसके राइट दूध पर उंगली फेरी, क्यों शालु ये नहीं दबाये अविनाश ने? तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली – हां, तो मैं ने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनो हाथों मैं लेकर गाल चूम लिये। कैसा लगा था शालु, है सुमन क्या बताउं मेरी तो जैसे जान निकल गयी थी जब उनकी गरम-२ ज़बान मेरे मुंह मैं आयी मैं मदहोश हो गयी उन्होंने मुझे अपनी बाहों मैं ले लिया और एक दम से अपना हाथ यहां रख दिया वो सुमन का हाथ अपने राइट दूध पर रख कर सिसकी। मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।
फिर शालु?
सुमन बड़ी मुश्किल से उन्होंने मुझे छोड़ा। शालू की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे पूरे जिस्म मैं चीटियां दौड़ रही हों। मेरा ये हाल देख कर शालू मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली तुमको क्या हो गया सुमन? तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों मैं मुं ह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गरम हो रही थी और महक रही थी।
मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी आह आह आह सुमन उफ़ नहीं न प्लीज मत करो और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे। शालु के थे। शालु के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी सुमन, और मैं भी ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये।
एक आग सी लगी हुई थी हम दोनो के जिस्मों में। मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर सिसक उठी, शालू प्लीज मुझे बताओ न अविनाश ने कैसे चूमे थे ये प्यारे-२ होंठ। तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दातों में दबा कर मुस्कुराई, सुमन उसके लिये तो तुमको शालू बनना पड़ेगा। मैं हंस दी उसके गाल तोर कर, चलो ठीक है तुम अविनाश बन जाओ। शालू ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमे समा गयी और वो मेरे गाल, होंठ, आंखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी तो मैं तड़प उठी आह आआह शा शाआलु ऐए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊओम्म ऊऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी। उसके एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया मेरी चीख निकल गयी नाआहि आअह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूसतुइ हुई सिसकिउ वो ही जो अविनाश ने मेरे साथ किया था।
वो मुझ से जूम गयी और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धेरे-२ और फिर अंदर घुस गयी तो मैं उसकी ज़बान की गरमी से पागल हो उठी और उस से लिपट गयी, शालू ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनो दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गरम और इतनी लम्बी थी के मेरे पूरे मुंह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी। हम दोनो के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूस रही थी और सिसक रही थी आह अह शालु अह अह हां अह सुमन मेरी जान, ऊफ़ शालु कितनी मज़े की ज़बान है तेरी इतनी लम्बी ऊफ़ सच्ची अविनाश को मज़ा आ गया होगा, आअह ही धीरे सुमन अह आअह सच्ची सुमन बहुत मज़ा आया था क्या बताउं तुझे आह धीरे से मेरे होंठ।
आह सुमन उठो न प्लीज अब, तो हम दोनो उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुंह में सिसकी उतारो न सुमन प्लीज और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया, आअह शालु ये आह तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी कुछ न बोलो सुमन सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है मैं उसके सामने टोपलेस बैठी थी शरम से मेरी बुरी हालत थी। मैं ने अपने दोनो हाथों से अपने भरे भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालु ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग कर दी और मैं देखती रह गयी। उफ़ कितने प्यारे दूध हैं शालु के खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बी चूचियं जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा उस ने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया और मेरी आंखें चूम लीं और मेरे दोनो हाथ मेरे दूधों पर से हताये और अपने दूधों पर रखे और होंठ चबा कर सिसकी ऊई मां आह आह और फिर मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गयी आऐए आआऐर अह्ह अह आआअह ऊओह ऊऊम आआआआअह नहीं शाल्लल्ललु और मैं ने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालु भी मुझे से लिपट कर सिसक उठी आईईए ऊऊउइ ऊऊउइ अह अह अह धीएरे आह निक्कक्ककि धीएरे आह मेरे दूधु और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनो की ज़बाने मुंह के अंदर घुस पड़ी।
उसकी लम्बी चिकनी और गरम ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गयी। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनो की चीखें निकल पड़ी और हम दोनो झूम गये और मेरी चूत रस से भर गयी। मैं ने उसे लिपटा लिया और उसकी पीठ और चिकनी कमर और नरम-२ चूतड़ सहलानी लगी तो वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी मैं ने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आंखें नहीं खुल पा रही थीं बहुत हसीन लग रही थी शालु मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी उसके गोल नरम नरम दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती मैं ने उसको थोड़ा उपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी वो मस्ती में चिल्ला पड़ी आईईई मा मर जाउंगी मैं आह अह ओह ऊओफ़ अह सुमन आह अह्ह हान ये ये ये भी किया था अश… अह अश्वनि ने।
और मैं ने उसका पूरा का पूरा दूध मुंह में ले लिया तो मज़ा आ गया और शालु ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी आआइए सुमन धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री मा धीर से न आअह बहुत अच्छा लग रहा है आह पूरा पूरा चूसो न ऊफ़ मेरा दूध आह सुमन सची ऐईए ऐसे नहीं न काटों मत प्लीज उफ़ तुम तो अह अविनाश से अच्छा चूसती हो आअह आराम से मेरी जान और वो मेरे दूध दबाने लगी है सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे सुमन मुझे दो न प्लीज सुमन तो मैं ने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकना हो रहा था तो मैं ने जैसे ही दूसरा दूध मुंह में लेना चाहा वो सिसक उठी आह सुमन प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी-२ चूचियां कितनी मुलायम हैं उइ सच्ची मैं और मेरी चूचियां मसलने लगी तो मैं ने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये अह आअह शालू आराम से मेरी जान आह और और क्या किया था अविनाश ने बताओ न तो मेरे दूध पर अपने चिकने गुलाबी गाल रख कर मुस्कुरायी और धीरे से बोली और कुछ नहीं करने दिया मैं ने। क्यों शालु दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे उपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- सुमन सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका। क्योंकि डर लग रहा था। तो मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गयी मज़े में और मेरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम पेट पर आया और उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी। आह शाल्लु सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी और मैं क्या करूं आह मेरे दूध आऐए मा अह्ह धीरे न इतनि ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध आह आह ओह ऊओफ़ शालू प्लीज नहीं न। आअह हन हाअन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है। सुमन मेरी जान सच्ची कहां छुपा रखे थे येह प्यारे-२ दूधु। तो मैं शरम से लाल हो गयी उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हंस पड़ी ऊऊउइ मा सुमन। तो मैं ने उसके होंठ चूम लिये। शालु, हूं, तुम ने बताया नहीं अविनाश और क्या कर रहा था तो वो शरमा कर मुसकराई सुमन वो तो, हां बोलो ना शालु प्लीज तो शालू ने मेरा हाथ अपने शलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली वो तो ये खोलने के मूड में थे, फिर शालू, मैं ने रोक दिया उसे। क्यों शालू क्यों रोक दिया बेचारा अविनाश, तो मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी बड़ी आयी अविनाश वाली। मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया तो वो मुसकराई, मैं ने कह दिया ये सब अभी नहीं, शादी के बाद।
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह शालू आराम से मेरी जान
और मैं ने उसकी शलवार खोल दी तो वो चोंक गयी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ये सुमन क्या कर रही हो?
तो मैं ने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये मेरी शालू जान शादी तो अविनाश से होगी मुझे तो दिखा दो तो वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी हाय मेरी सुमन कब से सोच रही थी मैं आह मेरी जान और एकदम से उसने मेरी शलवार भी खोल दी और उसक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था मैं मज़े में चिल्ला पड़ी ऊऊउइ शाआलु नाआहि
और वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी और मैं मचल रही थी नहीं शालु प्लीज मत करो आइए ऊऊओफ़ नाआहि न ओह मैं क्या करूं!
उसने एकदुम से मेरी जलती हुई चोर पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी, हाय रे आह ये ये क्या कर दिया शालु, मुझे कुछ होश न था उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुंह में हलचुल मचा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है.
मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गयी उसकी शलवार भी उतर चुकी थी अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और बेड पर मचल रहे थे। आह सुमन ऊओफ़ सच्ची बहुत गरम चूत है उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत सच्ची बहुत तरसी हूं इस प्यारी चूत के लिये मैं, दे दो न प्लीज सुमन ये हसीन छोटी सी चूत।
हाय शालू मैं ऐन निकल रही हूं प्लीज आह मैं क्या करूं मेरा पूरा जिस्म जल उठा और मैं ने शालु के नरम गरम चूतड़ दबाए और एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी ऊऊउइ नीईइकि और मैं तो जैसे निहाल हो गयी.
उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी खूब फूली हुई मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गयी बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था और शालु की चूत लाल हो रही थी, क्या देख रही हो सुमन ऐसे तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी शालू और एक दम से मैं ने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गयी हम दोनो एक दूसरे की चूत सहला रहे थे। शालू, हूं, अविनाश को नहीं दी ये प्यारी सी चीज़, तो वो शरमा कर मुस्कुराई ऊन हूनह। क्यों? तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है। तो मैं हंस दी हट बदतमीज़। सच्ची सुमन, वो मेरी चूत धीरे-२ दबा कर सिसकी हमेशा सोचती थी के तुम्हारी ये कैसी होगी। तो मैं अहरमा कर मुसकुराई मेरे बारे मैं क्यों सोचती थीं तुम। पता नहीं बस तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो दिल चाहता है कहां प्यार करूं। तो मैं मुस्कुरा कर उस के होंठ चूम लिये, तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया ये सब। तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली डर लगता था के तुमको खो न दूं कहीं।
मैंने उसे लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये और आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उठी आअह्ह आआह सुमन मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत मेरी जान मेरे प्यार और मैं ने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो मेरे नरम चूतहर पकड़ कर नीचे किये और चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गयी आह आह आह ऊऊऔइ शालु.
और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आयी मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी। हम दोनो की चीखें निकल पड़ी. दोनो के चूतड़ उछल रहे थे.
शालु मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर आऐईए माअ मर जाआअओनगि नाआअहि शलु अर्रर्र आह ऊओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हह्हिअ आआइ मैं निकल रही हूऊऊओन शालु मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालु के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी सुमन चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर रीईईए आआआअह ऊऊओमफ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह ह्हाआआअ!
मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झड़ना बह निकला हो रोकते-२ मेरे गले से नीचे उतर गया यही हाल शालू का भी था हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये। Sex stories
मैं 31 वर्ष का 6 फीट लंबा Antarvasna शादीशुदा पुरूष हूँ।मेरी सबसे बड़ी कमजोरी चोदने की मेरी तीव्र इच्छा है।
मेरी पत्नी भी इससे परेशान रहती है क्योंकि शायद ही कोई रात ऐसी होती है जिसमें मैं उसे चोदे बिना सोने देता हूँ।
उसके नहीं रहने पर मैं अपने कमरे में बैठ कर ब्लू फ़िल्म देखते हुए मुठ मार कर अपने 7 इंच मोटे लंड की तड़प शांत करता हूँ।
यह घटना पिछले महीने की है।
मेरी पत्नी मायके गई थी और रात में करीब 10 बजे मैं अपने बिस्तर पर लेटा डीवीडी में एक ब्लू फ़िल्म की सीडी डालकर अपने लंड को सहला रहा था।
फ़िर मैंने बगल में पड़ा मोबाइल उठाया और मेरी पत्नी सुनीता को फोन लगाने लगा।
सामने ब्लू फ़िल्म चल रही थी और उसमें एक मर्द एक औरत की चूत चाटने में लगा हुआ था।
मेरे कानों में उधर से रिंग होने की आवाज आ रही थी फ़िर उधर से आवाज आई- हेल्लो!
मैं मूड में बोलने लगा- सुनीता डार्लिंग! तुम वहां मायके में आराम से हो और यहाँ मेरा लंड तुम्हारे लिए बेकरार है। सामने ब्लू फ़िल्म में मस्त चुदाई का सीन चल रहा है और मैं अपने कड़कते लंड को सहला रहा हूँ। आओ न और अपने चूत में इसे लेकर इसकी तड़प को शांत कर दो।
इतना कहकर मैं सुनीता की आवाज सुनने को रुका.
पर उधर से कोई आवाज नहीं आई और तब मैंने मोबाइल को कान से हटा कर उसके स्क्रीन पर देखा और मेरे होश उड़ गए।
मैं सुनीता के नहीं बल्कि अपने पड़ोस में रहने वाले सुनील जी के घर के फ़ोन पर बातें कर रहा था और वह हेल्लो की आवाज सुनीता की नहीं बल्कि उनकी पत्नी रूबी की होगी जिन्हें मैं भाभी कहता था।
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
मेरे लंड की उत्तेजना जा चुकी थी और मैंने डीवीडी बंद कर दिया।
मैंने फ़िर कुछ विचार करने के बाद पुनः सुनील जी के यहाँ फ़ोन किया, रूबी भाभी ने फ़ोन उठाया तो मैंने कहना शुरू किया- सॉरी भाभी, मैं सुनीता को फ़ोन लगा रहा था पर फ़ोन में सुनील जी और सुनीता का नम्बर आस पास होने के कारण आपका नम्बर लग गया और मैंने बिना ध्यान दिए उल-जुलूल बातें कह दी। प्लीज मुझे माफ़ कर दें!
रूबी भाभी ने कुछ नहीं कहा और फ़ोन रख दिया।
मैं चिंतित सा था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ।
खैर मैंने सोने का निर्णय लिया पर नींद नहीं आ रही थी।
लगभग 10 मिनट बाद मेरा मोबाइल बज़ने लगा, वह सुनील जी का नम्बर था।
मैंने रिसीव किया, उधर से रूबी भाभी थी- देखो देवर जी, तुमने गलती तो की है और इसकी सजा भी भुगतनी पड़ेगी, तुम जरा मेरे घर में आओ अभी फ़िर मैं सोचती हूँ कि क्या सजा दूँ!
“अभी आया” मैंने इतना कहा ही था कि रूबी भाभी ने फ़ोन काट लिया था।
मैं गंजी और तौलिया में था सो मैं बिस्तर से बाहर आया और पजामा और टी-शर्ट निकाल कर पहनने लगा।
दोस्तो, अब जरा रूबी भाभी के बारे में बता दूँ।
सुनील जी मेरे पड़ोसी हैं और रूबी भाभी उनकी पत्नी हैं।
रूबी भाभी की उम्र 36-38 वर्ष होगी और वो एक 10 साल के बच्चे की माँ हैं।
उनका बेटा होस्टल में रहकर पढ़ाई करता है और यहाँ सुनील जी और रूबी भाभी रहते हैं।
मैं कभी-कभार उनके घर जाता था।
रूबी भाभी का कद ज्यादा नहीं है वो कुछ 5’3″ के आस पास होंगी पर उनकी चूचियां बहुत बड़ी थी और वो 38 या 40 साइज की ब्रा अवश्य पहनती होंगी।
उनकी फिगर लगभग 38-32-38 होगी।
ठंड के कारण मैंने ऊपर से जैकेट डाला और फ़िर अपने मकान का बाहरी दरवाजा बंद कर रूबी भाभी के मकान की ओर चल पड़ा।
मैंने वहाँ पहुँच कर देखा कि उनका दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था सो मैंने काल बेल न बजाकर धीरे से दरवाजा खटखटाया।
रूबी भाभी कि आवाज आई- आ जाओ!
मैं अन्दर गया।
रूबी भाभी सामने नाईटी के ऊपर शाल लपेटे खड़ी थी।
मैंने पूछा- सुनील जी कहाँ हैं?
तो उन्होंने बताया कि वो काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं और चार दिनों बाद लौटेंगे।
मैंने फ़िर कहा- भाभी! वो मैं सुनीता को फोन लगा रहा था पर गलती से!
रूबी भाभी ने मेरी बात काटते हुए कहा- चलो मान लिया! पर अब जब तुमने मुझसे इस तरह बात की तो इसकी तुम्हे कुछ तो सजा मिलेगी ही, तुम्हें मेरा एक काम करना होगा!
“क्या काम?” मैंने पूछा।
इस पर उन्होंने जबाब दिया- सुनीता ने मुझे बताया है कि तुम बहुत अच्छा मसाज करते हो, मेरा शरीर बहुत दर्द कर रहा है सो मुझे एक मसाज चाहिए!
मैं समझ गया कि रूबी भाभी मेरी बातों को फोन पर सुनकर उत्तेजित हो चुकी हैं और शायद चुदना चाहती हैं।
दरअसल मैं पत्नी के साथ सेक्स के दौरान नई-नई तरकीबें आजमाता रहता हूँ।
मसाज का तरीका भी एक है, बेबी आयल का प्रयोग कर मैं पीठ से मसाज प्रारम्भ कर फोरप्ले की शुरुआत करता हूँ।
मेरा लंड अब रूबी भाभी की चुदाई के बारे में सोच कर खड़ा हो चुका था।
“क्या सोच रहे हो? चलो बेडरूम में!” रूबी भाभी ने कहा और आगे बढ़ गई।
मैं पीछे चल पड़ा।
बेडरूम में पहुंचकर उन्होंने शाल हटा दिया और नाइटी के भीतर बिना ब्रा की बड़ी चूचियों का आभास मुझे हो गया।
मैंने भी जैकेट उतार दिया।
तब मैंने बेबी आयल के बारे में पूछा तो उन्होंने अपने ड्रेसिंग टेबल में से निकाल कर दिया।
कमरे में हीटर होने के कारण ठंड नहीं लग रही थी।
मैंने भाभी को पेट के बल लेटकर नाइटी को ऊपर करने को कहा।
उन्होंने ऐसा ही किया और उनकी चिकनी गोरी पीठ देखकर मेरी उत्तेजना बढ़ गई थी।
नीचे पेटीकोट उनके चूतड़ों को ढके जरूर था, पर उनकी गोलाई और बड़े आकार का स्पष्ट आभास हो रहा था।
खैर मैंने उनकी पीठ पर बेबी आयल डाला और धीरे-धीरे मसाज शुरू किया और कुछ ही मिनटों बाद उनके पेटीकोट के फीते को खोल दिया.
मसाज करते हुए ही पेटीकोट को आधे चूतड़ों तक खिसका दिया और उनके चूतड़ों के ऊपरी हिस्से का मसाज करने लगा।
पुनः अपने हाथों में तेल लेकर उनकी दबी हुई चुचियों के बाहर निकले हिस्से पर हाथ ले गया और रूबी भाभी ने अपने शरीर को हल्के से ऊपर उठा कर मेरे हाथ चूचियों तक पहुँचने दिया।
मैंने पीछे से ही उनकी चूचियों की मालिश शुरू की।
फ़िर नीचे आते हुए उनके पेटीकोट को धीरे से बाहर निकलने लगा तो उन्होंने चूतड़ों को ऊपर उठा कर पेटीकोट निकालने में मदद की।
मैंने भी अपना टी-शर्ट खोल दिया और अब पाजामा और बनियान में था और रूबी भाभी केवल नाइटी में जो ऊपर की ओर सिमटी थी और उनकी पीछे का सारा सेक्सी भाग मेरे सामने था।
अब मैंने उनके चूतड़ों के बीच की घाटी के ऊपरी छोर पर तेल की एक धार डाली और वह उनकी गांड की घाटी में बह चली।
मैंने अपनी दो उँगलियों को उस धार के साथ नीचे सरकाया तो उन्होंने पैरों को फैला कर रास्ता दिया।
मेरी उंगलियाँ तेल के साथ उनकी गांड के छेद को सहलाते हुए चूत की छेद तक पहुँच गई और इससे पहले कि मेरी उंगलियाँ कुछ छेड़-छाड़ करती रूबी भाभी पलट गई और उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और हल्के झाँटों वाली चूत मेरे सामने थी।
वो बोली- क्या केवल पीछे ही मसाज करोगे या आगे भी?
मैंने धीरे से उनकी नाइटी खोल दी और अपने बनियान को भी!
तो वह पाजामा खोलने का इशारा करने लगी सो मैंने उसे भी खोल दिया और नीचे कुछ नहीं होने के कारण मैं भी नंगा हो चुका था।
रूबी भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथो में जोर से पकड़ कर दबाना शुरू किया और मेरा लंड अत्यन्त कठोर हो चुका था।
मैं उनकी निपल्स को उँगलियों से सहलाने लगा और वो एकदम कड़ी हो चुकी थी।
मैंने थोड़ा सा तेल उनकी चूचियों के बीच डाला और थोड़ा नाभि में और फ़िर एक हाथ से चूचियों का मसाज करना शुरू किया जबकि दूसरे हाथ की उंगली नाभि में डालकर धीरे से घुमा रहा था।
बेबी आयल की चमक से रूबी भाभी का गोरा शरीर दमक रहा था और मेरा मजा भी बढ़ता जा रहा था पर मुझे पता था कि सेक्स में धैर्य चुदाई के मजे को दूना-चौगुना कर देता है।
वह बीच-बीच में सिसकारी भी भर रही थी।
मैंने नाभि से उंगली निकाली और उनके चूत के बालों को सहलाने लगा।
और फ़िर अपने हाथ को और नीचे ले जाने लगा तो रूबी भाभी ने अपने पैरों को घुटने से मोड़ते हुए हल्का सा फैला लिया और उनकी फूली हुई रसदार चूत मेरे सामने थी।
मैंने चूत के बाहरी होठों को अपनी उंगली से रगड़ना शुरू किया और वो चूतड़ उचकाते हुए आह … सी … सी … की आवाज निकाल रही थी।
फ़िर मैं उनकी चूत के सामने बैठ गया और उनकी चूत में अपनी ऊँगली डालकर गोल-गोल घुमाने लगा।
चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
अब मैंने ऊँगली निकाली और बैठे हुए चूत के और करीब आया तथा लंड के सुपारे से रूबी भाभी की शिश्निका को रगड़ने लगा।
वो कह रही थी- आह! चोद दो मेरी चूत को अपने लंड से … प्लीज चूत में लंड डालो न!
मैंने लंड को चूत में डाला और उनकी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींचा जिससे मेरा आधा लंड चूत में घुस चुका था और मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियां मसलना शुरू किया।
रूबी भाभी धक्का मरवाना चाहती थी पर मैंने धक्का नहीं दिया और उनकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उन्हें सामने खींच कर बिठा दिया पर लंड को चूत में से निकलने नहीं दिया।
अब मैंने उनके निप्पल को चूसना शुरू किया।
एक निप्पल मुँह में और दूसरा मेरी उँगलियों में।
फ़िर अपनी जीभ को उनके मुँह में डाल दिया वो इसे चूसने लगी।
मैंने उनको अपनी बाँहों में भरा और मैंने पीछे की ओर लुढ़क गया नतीजा मैं नीचे था और रूबी भाभी ऊपर।
मैंने नीचे से धीरे धीरे चुदाई शुरू की तो उन्होंने भी ऊपर से अपने कमर को ऊपर नीचे करके साथ देना शुरू कर दिया।
इसी अवस्था में करीब 20-25 धक्कों के बाद मैंने रूबी भाभी को पकड़ा और करवट ले लिया।
अब मेरा लंड उनकी चूत से निकल चुका था और वो मेरे बगल में पड़ी थी।
वो बोली- आह, ये क्या किया चोदो ना!
मैंने कहा- भाभी, तुम बस मजे लेती रहो और मेरा जादू देखो!
और मैंने उठकर उनकी टांगों को घुटने से मोड़ दिया और उनकी चूत के होठों के फैला कर शिश्निका को अपने होठों से चूसने लगा।
वो छटपटाने लगी।
मैंने अपनी जीभ को चूत में घुसा दिया और गोल-गोल घुमाने लगा, वह अपने चूतड़ उचकाने लगी और चोदने के लिए गिड़गिड़ाने लगी।
मैंने उनकी जांघों के इर्द-गिर्द अपने बाजू कस लिए और चूत के बाहरी होठों के जोर जोर से चूसने लगा।
वह आह … आह … ससी. सी… कर रही थी.
चूत रस से लबालब भर चुकी थी चूत का रस चूत से लगातार बह रहा था।
फ़िर मैंने ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और बेड से उतर कर खड़ा हो गया।
रूबी भाभी को धीरे से खींच कर उनके चूतड़ों को बेड के किनारे पर लाया और उनके नीचे एक तकिया लगाया।
अब उनकी चूत मेरे लंड के सामने थी, उनके पैरों को अपने कंधे पर रखते हुए लंड उनकी चूत में अन्दर तक पेल दिया।
और वो एक बार तो चीख पड़ी पर साथ ही अपने गांड को हिलाने लगी तो मैंने धक्के देने शुरू कर दिए।
कमरे में फच फच की आवाज फ़ैल चुकी थी साथ ही भाभी की सीत्कार और आहों से कमरा गूंज रहा था।
थोड़ी ही देर में चुदाई के दौरान उन्होंने अपने पैरों को कंधे से उतार कर मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया और मेरे हाथों को पकड़ने के लिए अपने हाथ बढ़ाये।
मैं समझ गया कि अब वो चरम पर पहुँच चुकी हैं।
मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी और उनकी चूत में झड़ने लगा।
मैं झुका और उनकी निप्पल को चूसने लगा, हम दोनों झड़ चुके थे और अब मैं उनके मुख को चूम रहा था।
उन्होंने अपनी आँखें बंद की हुई थी पर हांफ रही थी और मैंने भी पसीने से तर हांफ रहा था।
लगभग दो मिनट बाद मैंने धीरे से लंड को चूत में से निकालना शुरू किया तो उन्होंने अपनी आँखें खोली।
मैंने धीरे से लंड बाहर निकाला और फ़िर तौलिया लेकर उनकी चूत से बह रहे अपने लंड और उनकी चूत के रसों के मिश्रण को धीरे-धीरे पौंछना शुरू किया तो उन्होंने भी अपने पेटीकोट से मेरे लंड को पौंछने का काम शुरू किया।
अगली बार नए तरीके से चुदाई की घटना!
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जून 2006 की बात है जब Hindi Porn Stories मैं क्लास 12वीं में दिल्ली में पढ़ता था और दोस्तों से ढेर सारे किस्से सुनता था। कुछ दोस्तों की गर्ल-फ्रेंड थी और वो उनके मुम्मे दबाते थे या उनकी किस लिया करते थे। मुझे भी यह सब सुन कर बहुत ज़रुरत महसूस होती थी कि मैं भी किसी लड़की के साथ वो सब करूं। मैं मुठ तो मारता ही था तो शरीर की ज़रूरत तो पूरी हो जाती थी पर हमेशा एक जिज्ञासा बनी रही कि किसी लड़की के साथ वो सब करके कैसा लगेगा।
मेरे एक चाचा हैं जिनकी लड़की सीमा मेरी हम उम्र है और लड़का सोनू मुझ से 4 साल छोटा है। वो लोग जींद में रहते थे और अक्सर छुट्टियों में हम उनके घर जाते थे या फिर वो सब लोग हमारे घर आ जाते थे। गर्मियों की छुट्टियों में भी ऐसा ही होता था। चाचा ज्यादातर 2-3 दिन रूककर वापिस चले जाते थे और चाची, सोनू और सीमा हमारे साथ 3-4 हफ्ते बिताते थे। ऐसा काफी सालों से चल रहा था और हम सब आपस में बहुत घुल मिल गए थे।
यह बात 2006 की जून की हे। चाची विथ फॅमिली हमारे घर आई हुई थी। मैं सीमा से पूरे 2 साल के बाद मिल रहा था। मैंने नोटिस किया की वोह अब बड़ी हो गयी थी और उसके मम्मे भी बड़े साइज़ के हो गए थे। लेकिन मेरे मन में कोई बुरा विचार नहीं था। फिर भी मैं थोडा हैरान था कि 2 साल में उसके मम्मे कहाँ से आ गए।
पहले 2-3 दिन तो हम सब खेलते रहे- मोनोपोली, ताश, लूडो, लुका-छिपी वगैरह। हमारे घर के सामने कुछ नए गवर्नमेंट मकान बन रहे थे। लुका छिपी खेलते हुए हम लोग अक्सर उन्हीं मकानों में छुप जाते थे। वहाँ कुछ घर पूरे बन गए थे और कुछ आधे! किसी भी कमरे में दरवाज़े नहीं लगे थे तो खेलना आसान था। तो हम लोग कभी किसी स्टोर-रूम में, तो कभी किसी टंकी के पीछे, तो कभी दीवारें टाप कर खुद तो आउट होने से बचाते थे।
ऐसे ही एक दिन शाम को हम सब कालोनी के बच्चे लुका-छिपी खेल रहे थे। सीमा और मैं योजना बना कर के खेलते थे ताकि हम पकड़े न जाएँ। वो और मैं एक छोटे स्टोर रूम में छुप गए। वो स्टोर रूम एल आकार का था और हम उसके छोटे वाले कोने में थे। अचानक मैंने देखा कि जिस लड़के की बारी थी वो हमारी ही तरफ आ रहा था। मैं छुपने के लिए और साइड पे हो गया। मैंने इशारे से सीमा को बता दिया कि वो इसी तरफ आ रहा था। वो भी सांस खींच कर अन्दर को हो गई। मैं भी और पीछे होने लगा और अब मेरी कोहनी और हाथ उसकी साइड बॉडी से छू रहा था। मेरी बाजू को कुछ नर्म नर्म सा लगा और मुझे जानते हुए समय नहीं लगा कि उसके मम्मे मेरे हाथ से दब रहे हैं। उसने कुछ नहीं कहा और मैं भी ऐसे ही खड़ा रहा। वो लड़का कोई दो मिनट आस पास घूम कर चला गया पर उसे हम नहीं दिखे।
वो तो चला गया लेकिन मैंने अपनी जगह नहीं बदली। मैं उसके साथ ही चिपका रहा। मेरा दिमाग सुन्न हो गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। कुछ 5 मिनट के बाद मैंने कहा- लगता है कि अब वोह लड़का चला गया है। यह कह कर मैं बाहर आ गया। मैं सीमा से नज़र नहीं मिला रहा था क्योंकि मुझे लगा कि कहीं वो मेरी हालत समझ न जाए।
रात को मुझे नींद नहीं आई। बार बार वही नर्म-नर्म स्पर्श का ख्याल आ रहा था। बिलकुल अजीब सा अहसास था।
2-3 दिन ऐसे ही निकल गए और कुछ ख़ास नहीं हुआ। फिर एक रोज़ सीमा नहा रही थी और मेरी मेरी मम्मी और चाची बोली- हम ज़रा मार्केट जा रहे हैं।
सोनू जिद करने लगा कि मैं भी साथ जाऊँगा तो चाची ने उसे भी ले लिया। वो तीन घंटे से पहले नहीं आने वाले थे। अब मैं घर पे अकेला ही था और सीमा बाथरूम में नहा रही थी। उसे नहाने में पूरा एक घंटा लगता है। मैं बोर हो रहा था तो मैंने सीमा को बोला- मैं ज़रा अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और एक घंटे तक आऊँगा। बाहर से ताला लगा दूंगा। सीमा बाथरूम से ही चिल्ला कर बोली- ठीक है।
मैं अपने पड़ोस के दोस्त के घर गया पर उनके यहाँ ताला लगा हुआ था। मैं वापिस आ गया और कमरे में आकर लेट गया। सीमा दूसरे कमरे के बाथरूम में नहा रही थी और उस कमरे का दरवाजा खुला था। मेरे कमरे से ऐसा एंगल था कि मैं बाथरूम से निकलते हुए सीमा को देख सकता था। मैंने चादर ले रखी थी और आँखें आधी बंद थी तो ऐसा ही लगता था कि मैं सो रहा हूँ।
कुछ 20 मिनट बाद मैंने देखा कि सीमा ने बाथरूम का दरवाजा खोला। उनसे केवल ब्रा और पैंटी ही पहन रखी थी। उसने सोचा होगा कि कोई घर पर हैं नहीं तो सूट बाहर आकर पहन लेती हूँ। उसको ऐसा देख कर मेरा तो दिमाग हिल गया। मैं उसी पोजिशन में लेटा रहा ताकि उसे शक न जो जाए। सीमा ने मुझे लेटा देखा तो अचानक सकपका गई पर जब उसने देखा कि मैं सो रहा हूँ तो उसने दरवाजा बंद किया और अपना सूट पहन लिया। मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की को इस रूप में देखा था।
उस रात फिर मुझे नींद नहीं आई और मैंने रात को उठ कर दो बार मुठ मारी। मेरे ख्याल में सीमा की नंगी काया ही थी। अगले पूरे दिन उसकी लम्बी टांगें और गोल-गोल मम्मे मेरी आँखों में घूम रहे थे। मैं सीमा को देख रहा था और उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मे और टांगों का नज़ारा ले रहा था।
शनिवार को हमारे घर मेरे मामा अपनी पूरी फॅमिली के साथ आ गए। उनके 3 बच्चे थे जो तक़रीबन हमारी ही उम्र के थे। मामा सपरिवार सिंगापुर जा रहे थे और उन्हें सोमवार को जाना था। वो दो रात को हमारे ही घर रुकने वाले थे। सोने के लिए यह फ़ैसला हुआ कि सब बच्चे ड्राइंग रूम में ही सोयेंगे। ड्राइंग रूम में एक बड़ा कूलर लगा हुआ था। हम सब बच्चे रात को 12 बजे तक खेल कर सो गए।
सीमा बिल्कुल कूलर के पास में सोई थी और मैं उसके साथ, फिर सोनू और फिर 3 बच्चे। लेटते साथ ही सभी को नींद आ गई क्योंकि हमने पूरे दिन बहुत मस्ती की थी। रात को मैं बाथरूम करने के लिए गया। कमरे में बाहर से थोड़ी रौशनी आ रही थी और अन्दर की चीज़ें साफ़ दिख रही थी। मैंने लाइट नहीं जलाई और वैसे ही बाथरूम हो आया। जब मैं वापिस आया तो मैंने देखा कि सीमा की चादर एक साइड से पूरी उठी हुई थी। उसकी स्कर्ट भी ऊपर उठ गई थी और उसकी एक टांग पूरी नंगी थी। यह देख कर मेरा एक दम खड़ा हो गया। मैं उस के साइड पर लेट गया पर आँखों में नींद नहीं थी। मैं बार बार आँख खोल कर उसकी टांग देख रहा था। थोडी देर में मैंने लेटे ही लेटे हिम्मत कर के उसकी स्कर्ट और ऊपर कर दी और चुपचाप फिर आँख बंद कर ली। दो मिनट के बाद आँख खोली तो देखा कि स्कर्ट उठी हुई ही है और उसकी पैंटी दिख रही है। मैंने 4-5 मिनट तक यह नज़ारा लिया। आँखों से नींद कोसों दूर थी। अब मैं सोच रहा था कि और क्या कर सकता हूँ कि पकड़ा न जाऊँ और कुछ और दिख भी जाए।
मैं फिर लेट गया और धीरे से उसकी चादर ऊपर से भी हटाने लगा। मैं सोच रहा था कि अगर सीमा जाग गई तो मैं बिलकुल पत्थर की तरह लेटा रहूँगा और उसे लगेगा कि चादर खुद ही ऊपर हो गई। कुछ 5 मिनट में उसकी चादर पूरी उतर गई थी। सीमा की स्कर्ट पैंटी तक ऊपर थी और उसने बटन वाला टॉप डाल रखा था। मैं पूरा नज़ारा लेने के लिए चुपचाप उठा और बाथरूम की तरफ जा कर खड़ा हो गया।
सीमा की नंगी टांगें और पैंटी देख कर मेरी हालत ख़राब हो रही थी। मैंने मुठ मारी और कर वापिस लेट गया। आधे घंटे तक तो मन शांत रहा पर फिर सीमा के साथ कुछ करने की इच्छा हुई। मैंने देखा कि वो अभी भी उसी हालत में है- चादर उतरी हुई और स्कर्ट ऊपर चढ़ी हुई। मुझे इत्मिनान हुआ की सीमा बहुत पक्की नींद में है। मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने उसकी बटन वाली टॉप को देखा और उसका एक बटन खोल दिया। उसमे से उसके मम्मे की झलक दिखने लगी। मैंने हिम्मत कर के एक और बटन खोला और शर्ट साइड पर की, उसने ब्रा पहन रखी थी। अब पूरा एक मम्मा दिख रहा था। मेरा मन मम्मे को छूने का कर रहा था।
मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। मैंने एक और प्लान सोचा। मैंने उसका एक बटन बंद किया और लेट गया। फिर मैंने इस करवट लेते हुए अपना हाथ उसके मम्मे पे रख दिया, ताकि अगर सीमा की नींद खुले तो उसे लगे कि यह नींद में ही हुआ। मेरा हाथ उसके मम्मे पे था और ऐसा एहसास कि मानो जन्नत! मैं उस हालत में कुछ 30 मिनट पड़ा रहा। मैं हिल भी नहीं रहा था कि कहीं उसकी नींद न खुल जाए।
कुछ देर के बाद सीमा हिली। मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी कि जैसे मैं सो रहा हूँ। सीमा ने मेरा हाथ अपने ऊपर से उठाया और करवट ले कर सो गई। मुझे डर लगा और मैं सो गया। कुछ 1 घंटे बाद मैंने फिर वही प्लान आजमाया और करवट लेते हुए अपना हाथ उसके मम्मे पे रख दिया। अब की बार उधर से कोई हरकत नहीं हुई और मैंने खुद ही लगभग एक घंटे बाद हाथ हटा लिया क्योंकि सवेरा होने को था।
सुबह मैं सबसे लेट उठा और मैंने देखा कि सब उठ चुके हैं। मैं सीमा से बच रहा था और काफी डरा भी हुआ था कि रात वाली बात का कोई उल्टा असर न हो। नाश्ते की टेबल पे वो आमने सामने हो गई और बोली- तुम इतने चुप चुप क्यों हो।
मैं- ऐसे ही! बोल के उठ गया।
नहाते हुए मैं सोचने लगा कि शायद सीमा जाग रही हो और चुपचाप सोने का नाटक कर रही हो। खैर पूरा दिन हम सब बच्चे मस्ती करते रहे और रात को फिर सोने की बारी आई। सीमा बोली कि चलो सब लोग अपनी अपनी कल वाली पोजिशन पर सो जाओ। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। इसका मतलब कल रात जो भी हुआ उसमें सीमा को भी मज़ा आया।
मैं चुपचाप आ कर लेट गया और सब के सोने का इंतज़ार करने लगा। एक एक मिनट एक घंटे के सामान लग रहा था। आखिर आधे घंटे बाद मैंने करवट ली और हाथ सीमा के मम्मे पे।
वो कुछ नहीं बोली। मैंने हिम्मत करके उसके दो बटन खोले और हाथ अन्दर घुसा दिया। नंगे मम्मे का एहसास कुछ और ही था। मैं धीरे धीरे मम्मे दबाने लगा क्योंकि मुझे मालूम था की सीमा को कोई ऐतराज़ नहीं। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरा हाथ उसकी टांग पे रख दिया। मैंने दोनों हाथ धीरे धीरे फेर रहा था। सीमा की साँसे तेज़ चल रही थी और मैं महसूस कर रहा था। मैंने थोड़ी और हिम्मत कर के अपने होंठ उसके गालों को छू दिए। सीमा की तरफ से कुछ नहीं हुआ।
मैं समझ गया कि कोई प्रॉब्लम नहीं। अब मैंने अपने होंठ उसके होंठ पे रख दिए- ऐसा लगा जैसे करंट लग गया हो। सीमा भी थोड़ा सा कसमसाई। मैं कुछ 2-3 मिनट उसके होठों से चिपका रहा। अब मन कुछ और भी करने को हो रहा था। मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। उँगलियों से मैं पैंटी के अन्दर टटोलने लगा। मुझे कुछ अंदाजा नहीं था कि क्या होगा। मैं बस उँगलियों से इधर उधर टटोल रहा था। अचानक कुछ गीला गीला लगा। मैं उस जगह ही मसलता रहा। मैंने अपनी आँखें खोल रखी थी लेकिन सीमा की आँख बंद थी। वो अभी भी सोने का नाटक कर रही थी। मैंने एक हाथ में अपना पकड़ा और एक हाथ से उसकी पैंटी और मम्मे मसलता रहा। बीच बीच में किस भी कर लेता था। आखिर में मैं जोरदार तरीके से झड़ गया। और यह हमारी शुरुआत थी। Hindi Porn Stories
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