Important Notice: Mail for rent - info@tottaa.com

Massage Girl in Satna: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Satna who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Satna that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Satna massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Satna who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Satna massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Satna massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Satna who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Satna employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Satna helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Satna

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Satna at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna Sex Stories

नई जवानी थी … कुछ Antarvasna Sex Stories ही देर में वो फिर से तरोताज़ा था।

मेरी चूत को अब उसका लंबा और मोटा लौड़ा चाहिये था। उसके लिये मुझे अधिक इन्तज़ार नहीं करना पड़ा।

मैंने उसे अपनी चूंचियाँ दर्शा कर प्यार से फिर उकसाया। उसका नंगा बदन मुझे बार बार चुभ रहा था … मेरी चूत उसका लण्ड देख कर बार बार फ़ड़फ़ड़ा रही थी। पर मन की बात कैसे कह दूँ … स्त्री सुलभ लज्जा के कारण बस मैं उसके लण्ड को बड़ी तरसती हुई नजरों से देख रही थी।

“भाभी आपने तो कपड़े पहन लिये … ये क्या … मुझे देखो … मेरा तो लण्ड … ” मैंने शरम के मारे उसके मुख पर अंगुली रख दी, पर वो तो मेरी अंगुली ही चूसने लगा।

“आह्ह्ह सुनील, ऐसा मत बोल … तूने तो मेरी पिछाड़ी को आज मस्त कर दिया … अब और क्या मुझे पूरी नंगी करेगा … “

“देखो अगर नहीं हुई तो ,मैं जबरदस्ती नंगी कर दूंगा … तुम्हें एक बार तो दबा के चोदना तो है ही !” मेरा मन एक बार फिर से उसके हाथों नंगा होने को और चुदने को मचल उठा।

“देखो बात तो बस छूने तक ही थी ना … ये और कुछ करोगे तो मैं मारूंगी … हांऽऽऽऽऽ !”

मुझे पता था कि अब वो मुझ पर लपकेगा। ऐसा ही हुआ … उसने मुझे हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और एक झटके में मेरा टॉप उतार दिया। मेरा पतला और झीना सा पजामा उतारने में भी उसे कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि मैं स्वयं भी तो चुदना चाह रही थी … वो भी पूरी नंगी हो कर, मस्ती से शरीर को उसके हवाले करके … अब हम दोनों कुछ ही पलों में पूरे नंगे थे। मेरा दिल फिर से लण्ड के चूत में घुसने के अहसास से धड़क उठा … उसने मुझे अपनी बाहों में कस कर ऊपर उठा लिया, और अब … … मैंने भी शरम छोड़ दी … अपनी दोनों टांगे उसकी कमर से लपेट ली। उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर फिर से छूने लगा। उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया। मैंने उसे झटके से पलट कर नीचे कर दिया और उस चढ़ बैठी और अपनी चूंचियाँ उसके मुख में ठूंस दी।

“मेरे सुनील … मेरा दूध पी ले … जरा जोर से चूस कर पीना … !” मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ लिया और चूंचियां उसके मुँह में दबाने लगी। उसका मुख खुल गया और मेरे कठोर निपलों को वो चूसने लगा।

मेरा हाल बुरा होता जा रहा था। चूत बेहाल हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी। पानी की बूंदें चूत से रिसने लग गई थी। लण्ड को निगलने के लिये चूत बिलकुल तैयार थी।

उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ भींच लिये। मेरी चूत के आस पास उसका लण्ड तड़पने लगा। मैं थोड़ा सा नीचे सरक गई … और लण्ड को चूत के द्वार पर अड़ा लिया। अब देर किस बात की बात की … उसके लण्ड ने एक ऊपर की ओर उछाल मारी और मेरी चूत ने उसके लण्ड को लीलते हुये, नीचे लण्ड पर दबा दिया … फ़च की आवाज के साथ भीतर तक रास्ता बनाता हुआ जड़ तक बैठ गया।

मैंने अपनी चूंचियाँ उसके मुख से निकाली और अपने होंठ से उसके होंठ दबा लिए।

“आह्ह्ह्ह् … ठोक दिया ना … ईह्ह्ह्ह्ह … साला अन्दर मुझे गुदगुदा रहा है !” मुझे चूत में उसके लण्ड का मीठा मीठा अहसास होने लगा था।

“मुझे भी भाभी … आपका जिस्म कितना मस्त है चोदने लायक …! ” उसके मुँह से चोदना शब्द बड़ा प्यारा लगा। मुझे लगा कि सुनील मुझसे इसी भाषा में मुझसे बोले …

पति के सामने ये सब नहीं कह सकते थे ना। सो मैंने भी जानकर ऐसी भाषा प्रयोग की।

“तेरा लण्ड भी सॉलिड है … मेरी गाण्ड भी कितनी प्यारी मारी थी … सुनील !”

मैं उसके लण्ड पर अपनी चूत मारने लगी। लण्ड बहुत ही प्यारी रग़ड़ मार रहा था। मुझे चूत घर्षण करते चुदाने में आनन्द आ रहा था। कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद मुझे जाने क्या लगा कि मैं उस के ऊपर सीधी बैठ गई और धच से उसके लण्ड पर चूत मारी और खुद ही चीख पड़ी … भूल गई थी कि उसका लण्ड मेरे पति से पूरे एक इन्च अधिक लंबा था। वो तो मेरी बच्चेदानी से जोर से टकरा गया था। पर दर्द के साथ बहुत ही जोर का आनन्द भी आया।

” सुनील … उईईईईई चुद गई, तेरे लण्ड का तो बहुत मजा आ रहा है … तू भी नीचे से मार ना … चोद दे राजा … मेरी चूत को फ़ाड़ दे … !”

“भाभी … मेरा लण्ड भी तो चुद गया … आह्ह आपकी प्यारी चूत … मादरचोद इस चूत को चोद डालूँ … “

“तेरी मां की चूत … भेन चोद … तू मुझे आज चोद चोद कर निहाल कर दे … !” मैं गालियां बोल बोल कर अपनी मन की भड़ास निकाल रही थी। मेरे दिल को ऐसा करने से बहुत सुकून आ रहा था। मैंने कुछ रुक कर फिर से ऊपर से चूत को फिर से जोर से मारी … एक नया और सुहाना मजा … लम्बे लण्ड का … फिर तो ऊपर से धचा धच लण्ड के ऊपर अपने आप को पटकते चली गई ।

” आप गालियाँ देती हुई बहुत प्यारी लग रही हैं … आजा अब मैं तेरी मां चोद देता हूँ … भोसड़ी की … रण्डी … कुतिया … फ़ुड़वा दे अपनी भोसड़ी को … दे चूत … चुदवा ले मस्त हो कर … !”

“मेरे प्यारे हरामी … मादरचोद … मेरी भोसड़ी चोद दे … बस अब मुझे नीचे दबा ले और साली चूत की चटनी बना दे …! ” कहते हुये हम दोनों ने पलटी मार ली और वो मेरे ऊपर सवार हो गया। उसकी कमर, मैंने सोचा भी नहीं था, ऐसी जोर जोर से चलने लगी, कि मुझे आनन्द आ गया। मैं तबियत से चुदने लगी।

“हाय मेरे चन्दा, चोद दे मुझे … राजा … मेरी फ़ुद्दी को मसल डाल … तेरा लौड़ा … तेरी मां की … चूत फ़ाड़ दे मेरी … !” मैं अनाप शनाप गालियाँ देकर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी।

“आह, मेरी रानी … तेरी चूत का चोद्दा मारूँ … भोसड़ी की मदरचोद … चुदा ले जी भर के … मेरी कुतिया … छिनाल … साली रण्डी … आह्ह्ह्हऽऽ !” उसकी प्यारी सी मीठी गालियाँ जैसे मेरे कानो में शहद घोल रही थी, मेरे शरीर में तरावट आने लगी, सारा जिस्म मीठे जहर से भर गया। लग रहा था मैं कभी ना झड़ूँ … बस जिन्दगी भर चुदाती ही रहूँ … ये मजा पति की चुदाई से अलग था … कुछ जवानी का अल्हड़पन … थोड़ा सा जंगलीपना … मीठी मीठी गालियोँ की मीठी चुभन … मैंने भी आज जी खोल कर सारी गन्दी से गन्दी गालियाँ मन से निकाली … और एक जबरदस्त सुकुन महसूस किया … ।

पर ये आनन्द कब तक बरकरार रहता …! मेरी चूत और जिस्म जिस तरह से रगड़े और मसले जा रहे थे … उसका असर चूत पर ही तो हो रहा था। मेरा जिस्म ऐंठने लगा और आनन्द को मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकी … मेरी चूत जोर से झड़ने लगी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी … तभी सुनील ने मेरे ऊपर अपने आपको बिछा लिया और लण्ड को चूत में भीतर तक दबा लिया। उसके कड़कते लण्ड ने मेरी बच्चादानी को रगड़ मारा … और चूत में उसका वीर्य छूट पड़ा। वो अपने लण्ड को बार बार वीर्य निकालने के लिये दबाने लगा। वीर्य से मेरी चूत लबालब भर चुकी थी। वो निढाल हो कर एक तरफ़ लुढ़क पड़ा। मैंने भी मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली थी। सारा सुख और आनन्द अपने में समेट लेना चाहती थी।

रात के बारह बजने को थे … मैंने अपनी एक टांग सुनील की कमर में डाल दी और जाने कब मेरी आंख लग गई। हम दोनों नंगे ही लिपटे हुये सो गये।

मेरी आंख सुबह ही खुली। उजाला हो चुका था। सुनील सो रहा था। मैंने उसके लण्ड को और उसके आण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। वह नींद में सीधा लेट गया।

उसके लण्ड में तनाव आने लगा था। उसकी नींद भी उचटती जा रही थी। अब उसका लण्ड पूरा खड़ा हो गया था … मैं धीरे से उठ कर दोनों पांव इधर उधर करके उसके लण्ड के पास सरक आई। मैंने अपनी चूत के दोनों पटो को खोला और उसके लाल सुपाड़े पर रख दिया। मेरी गुलाबी चूत और उसका गुलाबी सुपाड़ा, लगता था कि दोनों एक दूजे के लिये ही बने हैं। मैंने सुपाड़ा अपनी चूत में डाल कर थोड़ा सा दबाव डाल कर उसे भीतर समा लिया। फिर सुनील पर झुकते हुये उस पर लेट गई। चूत को और दबा कर लण्ड को भीतर तक समेट लिया। सुनील जाग उठा था।

उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे चिपका लिया। मैं उसे चूमने लगी। उसकी कमर अब हौले हौले नीचे से चलने लगी और अपनी कमर भी ऊपर से चूतड़ दबा दबा कर मैं चलाने लगी। मैं फिर से चुदने लगी … एक दूसरे में समाये हुये फिर से आनन्द में भर उठे … मैंने झुक कर उसकी गर्दन के पास अपना चेहरा छुपा लिया और अपनी जुल्फ़ों को उसके चेहरे पर बिछा दिया, और आंखे बंद करके चुदाई का मधुर आनन्द लेने लगी … । हम दोनों नंगे जिस्म की रगड़ का मद भरा अनोखा आनन्द लेने लगे …

पाठको से भी मेरा निवेदन है कि उन्हें भी जब चुदाई का ऐसा सुनहरा मद भरा मौका मिले तो उसका लुफ़्त नजाकत से पूरा पूरा उठाईये … क्योंकि ऐसे सुनहरे मौके जिन्दगी में कम ही आते हैं … शादी-शुदा को दूसरों से चुदाने का कोई हक नहीं है ऐस ना सोचें ! … यह तो बस दो पल का मधुर आनन्द है … किसी को पता भी नहीं चल पायेगा … ये छोटे छोटे पल ही आपकी जिन्दगी की खुशी हैं … ये आपको भविष्य में भी सोच सोच कर गुदगुदाती रहेंगी … Antarvasna Sex Stories

Antarvasna

मैं जब 24 साल की थी उस समय मेरी नौकरी भोपाल Antarvasna में लग गई थी. टेम्परेरी थी. जीजू ने कोशिश करके लगवा दी थी. मैं अपनी बड़ी बहन के यहाँ रहने लगी थी. उन्होंने मुझे घर के पीछे वाला रूम खाली करके दे दिया था. वो कमरा बड़ा और हवादार था. जीजू और दीदी दोनों ही नौकरी करते थे. जीजू इंजिनियर है और दीदी हॉस्पिटल मैं नर्स हैं.

कुछ ही दिनों में सुनील भी मेरे से घुल मिल गया था. वो मुझसे छेड़ छाड़ भी करता था. मुझे उसे देख कर तरह तरह के विचार भी आने लगते थे. सुनील एक सजीला जवान था. मुझे तो वह पहले से ही खूबसूरत लगता था. दीदी को नाईट शिफ्ट भी करनी पड़ती है. जब हम घूमने जाते थे तो सुनील दीदी का हाथ पकड़ कर चलता है. दीदी भी चलते समय कभी कभी सुनील के चूतड़ों को सहला देती थी. उसे देख कर मुझे भी झुरझुरी होने लगती थी. मेरे मन में भी हलचल होने लगती थी कि कोई मेरे भी गांड की गोलाईयों को भी सहलाये. वो कभी कभी मेरा हाथ भी पकड़ लेता था, मैं भी उसका हाथ नहीं छुडाती थी. मेरे हाथ काँप जाते थे, जिसे वो महसूस कर लेता था. कितने ही मौकों पर उसका हाथ मेरे बूब्स या चूतड से भी टकरा जाता था. शायद जीजू जान करके ऐसा करता था. मैं जान कर के भी अनजान बनी रहती थी.

घर पर रात को मैं उनके रूम के पास छुप कर आती, और कुछ सुनने की कोशिश करती थी. उस समय वो लोग चुदाई में लगे रहते थे… मुझे बाहर उनकी आवाजे आती थी… मुझे भी चुदवाने की फीलिंग होने लगती थी.

मैं किसी तरह अपने मन को काबू में रख रही थी. मेरी उत्तेजना जब अधिक बढ़ जाती तो मैं उंगली को चूत में डाल कर अन्दर बाहर करके अपना पानी निकल देती थी. हाथ से करते समय भी सुनील को ही सोच कर अपना पानी निकाल देती थी. अब सुनील ने मुझे कैसे चोदा… इसके बारे में बताती हूँ…

दीदी की नाईट ड्यूटी थी. घर के पास सर्कल पर बी एच इ ऐल की बस पर हम तीनों मोटरसाईकल पर दीदी को पहुँचाने गए. दीदी की बस आने पर वो उसमे चली गई. उसी समय बरसात शुरू हो गई. हम दोनों भीगने लगे थे.

वहाँ से भीगते हुए हम दोनों सीधे घर आ गए. भीगने से मेरे कपड़े बदन से चिपक गए थे. घर आ कर वो मेरे शरीर के उभारों को आनंद ले कर देखने लगा. मैं शरमा गई. मेरे मुंह से निकल गया..” जीजू, मत देखो न ऐसे…मुझे शर्म आती है…” सुनील ने शरारत से आँख मार दी… और मैं शरमा कर मेरे रूम में अन्दर भाग गई.

हम दोनों नहा कर फ्रेश हो कर जीजू के कमरे में बैठ गए. सुनील अलमारी से व्हिस्की की बोतल निकाल लाया.

“यार ठण्ड लग रही है…एक पैग पी लेता हूँ…तुम भी थोडी सी ले लो..”

“नहीं..नहीं…” मैं उसकी हरकते नोट कर रही थी. मुझे लग रहा था आज जीजू मूड में हैं. मैंने सोचा आज अच्छा मौका है, पटाने का…

उसने धीरे धीरे पीना चालू कर दिया. कह रहा था – “नेहा तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या…”

“हाँ…था..अब नहीं है..”

“अच्छा, वो तुम्हारे साथ कुछ करता था..”

” धत्त…जीजू… मुझे शर्म आती है…”

” मत बताओ…लो थोड़ा सा पी लो…अच्छा लगेगा…”

मैंने सोचा अच्छा मौका है… जीजू समझेगा मैं नशे में हूँ… और नशे में ऐसा कर रही हूँ…

“अच्छा जीजू…थोड़ा ही देना..”

“वाह ये हुई न बात…ये लो ” उसने एक पैग बना कर दिया.

मैंने पीने का नाटक किया. थोडी सी ड्रिंक पास में गिरा दी..और गिलास मुंह से लगा लिया..

कुछ ही देर में सुनील को व्हिस्की चढने लगी. बोला- “यार तेरी दीदी तो एकदम मस्त है…”

वो कुछ आगे बोलता उसके पहले ही मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी… मैंने भी नशे में होने का नाटक किया..

“मस्त आप है..जीजू…”

“नहीं…मस्त तो तू है… जरा देख अपने को..”

“क्या देखूं…मुझे तो तुम ही दिखाई दे रहे हो…”

अब सुनील मस्ती में आ गया था… उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया… मैं जान करके उसकी गोदी में गिर गई. उसने मुझे बाँहों में कस लिया…

मैंने कहा- “जीजू…ये नीचे क्या लग रहा है…”.

मैं थोड़ा कसमसाई… पर उसका लंड था की घुसता ही जा रहा था. मैं थोड़ा उठ गई… मैंने जान कर के ऐसे उठी की अपनी चूतड की गोल गोल फ़ांकें उसके सामने हो गई…

उसने मेरे दोनों चूतडों को दबा दिया…

मैं जैसे नशे में बोली- “हाय रे..जीजू मर गई…क्या कर रहे हो…”

सुनील ने कहा – ” नेहा… मज़ा आया न..अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ…”

“नहीं..नहीं…तुम कुछ गड़बड़ करोगे…”

ज्यादा नहीं…बस थोड़ा सा…”

“अच्छा.. ठीक है..”

मेरा मन तो खुशी के मरे उछल रहा था…मैं धीरे से जा कर बिस्तर पर लेट गई.

जीजू ने कहा – “अब आँखे बंद कर लो…”.

“हटो जीजू…जरूर तुम… देखो छेड़ना मत…”मैंने आँखें बंद कर ली… जीजू पलंग पर पास आकर बैठ गए…और उनका हाथ हौले हौले से मेरे बदन को गुदगुदाने लगा. वो मेरी दोनों टांगों को धीरे धीरे सहलाने लगे…और ऊपर की तरफ़ आने लगे. मेरे नितम्बों पर उनका हाथ घूमने लगा… मुझे सनसनी सी होने लगी… वो जान करके अपना हाथ मेरी चूत पर भी टकरा देता था… तब जोर का करंट जैसा लग जाता था…

फिर धीरे धीरे उसने मेरी चूत पर कब्जा कर लिया… मैं सी सी कर सिस्कारियां भरने लगी. अब उसका हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था… एक हाथ चूत पर…और एक हाथ बूब्स पर… “नेहा…कैसा लग रहा है…”

मेरे मुंह से अचानक निकल गया – ” जीजू…तुम्हारे हाथो में तो कमाल है… अब कुछ कर दो न… कुछ भी करो..”

जीजू ने मेरे बूब्स भींचने चालू कर दिए…दूसरा हाथ मेरी चूत की गहराई नापने लगा…उसकी बेताबी बढाने के लिए मैंने कहा – “जीजू… बस अब नहीं… दूर हटो…”

मैं बिस्तर से नीचे उतर गई. सुनील भी मेरे पीछे आ गया था…उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरे बूब्स पकड़ लिए… “नेहा… प्लीज़ करने दो… तुम्हे देख कर मेरा मन कब से कर रहा था की बस एक बार तुम्हे दबा दूँ. तुम्हारे ये उभार…गोलाईयां देख कर मुझसे रहा नहीं जाता है अब…”

सुनील का लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा था. मुझे उसके लंड का साइज़ तक चूतड़ों में महसूस हो रहा था.

मैंने मुस्करा कर जीजू की तरफ़ देखा… और कहा ” पहले अपना ये मेरे हाथ में दो..”

“क्या…हाथ में क्या दूँ ?”

“वो… अपना मोटा सारा लंड…”

लंड का नाम सुनते ही वो तो जैसे पागल हो उठा.” मेरा लंड… वऊऊ… अरे पकड़ लो न… पूरा लंड तुम्हारा ही है…”

मेरी तमन्ना पूरी होने लगी थी. मेरा मन आनंद से भर उठा. मुझे लगा अब चुदाई में ज्यादा देर नहीं है… मैंने नशे में होने का नाटक करते हुए कहा – “हाय रे जीजू…मत करो न…मुझे गुदगुदी होती है… देखो न तुम्हारा नीचे का डंडा…मेरी गांड में लग रहा है…”उसका लंड नीचे से गांड में घुसने के लिए जोर मार रहा था. उसके मोटे लंड का स्पर्श मुझे पूरा महसूस हो रहा था. मैंने अपने आप को उसके हवाले करते हुए कहा- “दूर हटो न…जीजू… तुम्हारा लंड तो गांड में घुसा जा रहा है..”.

लंड और गांड का नाम सुनते ही सुनील बेकाबू हो गया और जोश में भर कर बोला – “नेहा..तुम्हारी गांड ही इतनी प्यारी है..की उसे देखते ही लंड को घुसा देने का मन करता है…”. जीजू ने भी खुली भाषा का इस्तेमाल किया… देसी भाषा सुनते ही मैं तरंग में डूब गई.

अब उसने और कास के पकड़ लिया था. मेरे बूब्स मसलने लगा, चुन्चियों को खीचने लगा… और ऊपर से कमर हिला हिला कर लंड को गांड की दरारों में मारने लगा…

“जीजू…बस भी करो…कोई आ जाएगा न…”

“नेहा…कोई नहीं आएगा… “. उसने अपना पजामा उतार दिया और कहा…”देख ये कितना टन्ना रहा है..” फिर उसने अपना कुरता भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया…

मैंने कहा – “जीजू…ये क्या करते हो… मुझे शर्म आ रही है…”

उसने मेरी एक नहीं सुनी. और मुझे उठा लिया…और बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया. उसका लंड कड़क हो गया था. बहुत ही टन्ना कर फुफकार रहा था…

मेरा पजामा और कुरता खींच कर उतार दिया.मैं तो यही चाह रही थी. कहा – “अरे क्या कर रहे हो… मैं तो नंगी हो जाऊँगी न…”

बोला – “नंगे बदन आपस में रगड़ खायेंगे तो मज़ा भी तो आएगा “उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया. मेरी चूत भी गीली हो गई थी. मैं बहुत खुश थी कि अब मैं चुद जाऊँगी. मैंने अपनी टांगे फैला दी और सुनील को अपने ऊपर चढ़ने का न्योता दिया.

वो मुस्करा कर पास आया और मेरी दोनों टांगो के बीच में आकर बैठ गया. उसने मेरी चूत सहलाई और चेहरा पास लाकर चूत को प्यार किया. मेरे चूत के दाने को जीभ से घुमा कर चाटना शुरू कर दिया. मैं झनझना उठी… मुंह से आह निकल गई. अब वो मेरी चूत चाटने लगा. उसके हाथों ने मेरे बूब्स को मसलना चालू कर दिया. मुझे नशा सा आने लगा. कहने लगी – ” मज़ा आ रहा है…जीजू…आ ह…हाय रे…और चूसो…निकाल दो मेरा पानी…आह्ह्ह्ह…”

सुनील ने मेरी टांगे और ऊपर कर दी अब मेरी गांड उसके सामने थी. टांगे थोडी और फ़ैलाकर उसने अपना मुह मेरी गांड के छेद पर लगा दिया और जीभ निकर कर छेद को चाटने लगा. मुझे गुदगुदी होने लगी. उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद में घुसा दी. मैं आनंद के मारे मैंने आंखे बंद कर ली. मैं समझ गई थी कि वो मेरी गांड मारने कि तय्यारी कर रहा है. सुनील ने कहा – “तुमने तो पहले से ही गांड में चिकनाई लगा रखी है ”

“हाँ जीजू…मुझे आज लग रहा था कि तुम आज कुछ न कुछ ऐसा ही करने वाले हो…इसलिए मैंने तो पूरी तय्यारी कर ली थी… आह जीजू… मज़ा आ रहा है…और करो…मैंने खुशबू वाली क्रीम लगाई है… आह रे…पूरी जीभ अन्दर डाल दो…”

सुनील उठा और तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया. मेरी गांड अब थोडी ऊपर हो गई थी… उसने अपना लंड छेद पर रख दिया…

“नेहा… मेरी प्यारी नेहा… गांड मराने को तैयार हो जाओ…”

“हाँ मेरे राजा… घुसा दो अन्दर… मार लो गांड मेरी…”… तो लो मेरी जान… ” उसके लंड की सुपारी गांड में घुस गई… मेरी गांड की चुदाई शुरू हो गई थी… मैं मन ही मन झूम उठी…

“..हाय… घुस गया रे… राजा…लगाओ…जोर लगाओ जीजू…”

” येस…येस… ये लो… आह… आया…आह…”

सुनील का लंड अन्दर घुसा जा रहा था…मुझे अन्दर जाता हुआ महसूस हो रहा था…फिर उसने बाहर निकाला और जोर लगा कर एक ही झटके में पूरा ही घुसेड दिया…

“हाय जीजू… मज़ा आ गया… धक्के लगाओ…हाँ…हाँ… थोड़ा जोर से… और जोर से…”

“मेरी जान… तुम्हारी गांड तो बिल्कुल मक्खन मलाई है… इतनी चिकनी कि बहुत मज़ा आ रहा है… देखो लंड कैसे फटाफट चल रहा है…”

गांड में लगाई हुयी चिकने से दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था. और अब तो मीठा मीठा मज़ा भी आ रहा था. मुझे लग रहा था सुनील लम्बी रेस का घोड़ा है… वो जोर जोर से धक्के मारने लगा…मैं तकिये के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी. पर उसके धक्को का पूरा मज़ा ले रही थी…

अचानक वो रुक गया और धीरे से अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया. मुझे छेद के अंदर ठंडी सी हवा लगी…जैसे कुछ खाली हो गया हो… उसने नीचे से तकिया हटा दिया.

अब वो मेरे ऊपर आकर धीरे से लेट गया और अपना बदन का पूरा भर मेरे पर डाल दिया. मेरे होटों को अपने होटों में दबा लिया… और चूसने लगा… उधर नीचे भी लंड अपना रास्ता दूंढ रहा था. मैं भी कसमसा कर लंड को निशाने पर लेने की कोशिश कर रही थी. मेरी चूत पानी से चिकनी हो गई थी. आखिर लंड ने रास्ता दूंढ ही लिया. उसके लंड की मोटी सुपारी मेरी चूत में सरक गई. मेरी आह निकाल गई.. मैंने नीचे से जोर लगाया तो लंड और अन्दर सरक गया. मैं तड़प गई. कहा – ” जीजू…आह…धक्का मरो ना… क्या कर रहे हो…हाय रे…चोदना शुरू करो ना..”

सुनील ने अपना बॉडी अपनी दोनों कोहनियों पर उठा लिया. मेरा बदन अब फ्री हो गया था. उसने लंड को बाहर खींचा और जोर से अन्दर धक्का दे दिया. उसका पूरा लंड भीतर तक बैठ गया. मेरे मुंह से चीख निकल गई. चूत गीली होने से धक्के मारने पर फच फच की आवाजें गूंजने लगी…

” राजा और जोर से…लगाओ…हाय रे…पूरा घुसा दो…जड़ तक… घुसेड दो… हाँ…हाँ… चोद दो..राजा…जोर से.. चोद दो…”

“हाँ मेरी रानी… तुम्हे देख कर ये लंड कब से तड़प रहा था… चोदूंगा रे… कस के चोदूंगा… ले… ले…और ले… फाड़ ही दूँगा..आज तो…”

“आह रे.. मेरे जीजू…सुच में..फाड़ मेरी चूत…लगा..जोर से…दे…दे…जोर दे दे..हाय…सी..सी…सी…चुद गई रे… मेरी माँ…”

“हाँ..हाँ… मेरी जान…आज तो फाड़ डालूँगा…तेरी चूत को…ये ले…पूरा लंड..ले..ले..ये ले..और ले… मेरी जान… क्या चीज़ हो तुम…”

उसके धक्के तेज होने लगे लगे. फच फच की आवाजे भी तेज होने लगी. मैं भी नीचे से चूत उछाल उछाल कर जोर से चुदवा रही थी. मेरी कमर भी तेजी के साथ चल रही थी. मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था. मेरी सिसकियाँ भी बढ़ने लगी… मेरे मुंह से अपने आप निकलता जा रहा था – “मेरी चूचियां मसल डालो जीजू… हाँ…जरा जोर से मसलो… मज़ा आ रहा है… हाय…मसलो डालो… झटके दे दे..के चोदो राजा..हाँ..हा…ऐसे ही…चोद डालो मेरे राजा…”

मेरी सिस्कारियां बढती जा रही थी. मेरे चूतड अब तो अपने आप ही नीचे से उछल उछल कर उसके लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे. सुनील के धक्के भी जोरदार पड़ रहे थे… उसके मुंह से सिस्करिआं तेज होने लगी… अचानक ही उसके मुंह से निकला – “नेहा… नेहा… मैं तो गया… हाय..मैं गया…मुझे कस के पकड़ ले ना…अरे..रे..रे..गया…हा आया… हा आया. ”

मैं सुनील से जोर से चिपक गई मेरा भी निकलने ही वाला था… वो अपना लंड जोर से चूत में दबाने लगा ने…और मैं… मैंने अपने दोनों टंगे ऊँची करके चूत को लंड पर गडा दिया… और पूरा जोर लंड पर लगा दिया…

ऊऊईई ए…हाय राम…मर गई ए… पानी निकल गया या…अरे…निकला रे…हाय…चोद दे…चोद दे..हाय रे आह…आह…आआह्ह्… गई ..गऽऽई…अआः…चुद गई…चुद गई…आह…आःह्छ ” सिसकारी भर कर मैंने पानी छोड़ दिया… उधर सुनील ने अपना लंड निकला और मेरे बूब्स पर अपना लावा उगलने लगा… रुक रुक कर उसका लंड रस उछाल रहा था…

मैंने तुंरत उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. और उसका चिकना चिकना रस चाटने लगी. लंड को पूरा साफ़ करके मैं आराम से लेट गई. सुनील भी मेरी बगल में लेट गया… वो हाँफ रहा था. मैं करवट लेकर उस से लिपट गई… हम वैसे ही नंगे पड़े रहें और हम दोनों कब सो गए हमें पता भी नहीं चला…

मेरी जीजू के साथ चुदाई की कहानी बहुत दिनों तक चलती रही…पर ऐसी बातें ज्यादा दिन छुपती नहीं… दीदी को शक हो गया था… दीदी ने शांत रह कर समझदारी से काम लिया.. और कोशिश करके मुझे मेरा अपोंय्ट्मेन्ट इंदौर की एक इन्स्टीच्यूट में करवा दिया. मुझे इंदौर जाना पड़ा. Antarvasna

रेखा ने अब आशु से खुशामद की कि अब पहले अंदर आ जाओ।

आशु ने उसकी आग को और भड़काया और नीचे होकर रेखा की टांगें पूरी फेला कर खोल दीं और एक बार दोबारा अपनी जीभ घुसा दी।

रेखा तड़फ उठी।
अब वो मचलते हुए आशु से बोली- अब और न तड़फाओ, पहले मेरी चूत की प्यास बुझा दो, अपना औज़ार अंदर करो।

आशु ने भी अब बिना समय गँवाए अपना मूसल एक ही झटके में पूरा पेल दिया।

हालांकि रेखा की चूत चुदी-चुदाई थी और खूब गीली हो गयी थी, फिर भी नये लंड का झटका उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीख उठी।

अब आशु ने पेलमपाल शुरू कर दी। रेखा भी उसका पूरा साथ दे रही थी।

आशु ने रेखा को हर पोज़ में चोदने का मन बनाया था।
उसने अब रेखा की चूत से लंड निकाल कर रेखा को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया।

आशु ने कोशिश तो की थी गांड में घुसने की, पर रेखा ने साफ मना कर दिया।

अब पीछे से चिपट कर आशु ने अपने हाथों से रेखा के मम्मे दबोच लिए थे।

रेखा भी मदमस्त हो गयी थी; उसने गर्दन घुमा-घुमाकर आशु को चूमना जारी रखा।

नौकर मालकिन की चुदाई अपने चरमोत्कर्ष पर थी।

रेखा ने अप आशु को नीचे लिटाया और चढ़ गयी उसके ऊपर!
उसने अपनी चूत को लंड के ऊपर सेट किया और लगी जोर ज़ोर से उछलने!

पता नहीं लंड चूत चोद रहा था या चूत लंड को चोद रही थी।

रेखा हाँफ रही थी, अब उसके बोल निकल रहे थे- आशु, मज़ा आ गया यार आज तो! आज तूने अपनी मेमसाब को खुश कर दिया। आज दिन भर सिर्फ और सिर्फ चुदाई ही होगी.
आशु भी बोला- हाँ मेमसाब, आज आपको वो मज़ा दूँगा कि आप भी क्या याद रखोगी।

कुछ पल बाद आशु ने रेखा को वापिस नीचे लिटा दिया और अबकी बार पूरे ज़ोर शोर से चुदाई शुरू की।

अब आशु कह रहा था- कि आया मज़ा मेमसाब या अभी और अंदर करूँ?
रेखा भी बोली- मेरे राजा, आज तो फाड़ ही दो मेरी मुनिया को … मैं भी तेरा लंड खा जाऊँगी।

पूरे कमरे में सीत्कारें और फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी।

आशु का अब होने वाला था, रेखा को तो पहले ही हो चुका था।
रेखा से आशु ने पूछा- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ?

और रेखा तो बिना कंडोम के चुदाई करवाती ही नहीं थी, पर वो आज लंड को बाहर निकालने को तयार नहीं थी।
उसने आशु को भींच लिया और बोली- अंदर ही निकाल दो। मैं बाद में दवाई ले लूँगी।

रेखा की चूत आशु के गाढ़े माल से भर गयी।
आज इतने सालों बाद रेखा की चूत को माल मिला था।

दोनों निढाल होकर बेड पर पड़े रहे।

तभी डोरबेल बजी।
शायद लंच की डिलीवरी थी।

आशु ने फटाफट अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल कर लंच लिया।

सामने से 115 नंबर वाली मोनिका मेम आ रही थीं।
आशु को इस समय देख कर वो मुस्कुराई।

इसपर आशु बोला- दीवाली की सफाई करवा रहा हूँ।
वो कुछ और पूछतीं, इससे पहले आशु ने दरवाजा बंद कर दिया और रेखा को सारी बात बता दीं।

रेखा ने बुरा सा मुंह बना कर मोनिका को बहन की भद्दी गाली दी और उठकर अपने लिए सिगरेट सुलगा ली।
आशु ने जल्दी से कमरा ठीक किया।

रेखा के मोबाइल पर मोनिका का फोन बज रहा था, वो दोबारा बोली कि बहन की लौड़ी को चैन नहीं है।

लेकिन रेखा बड़ी मीठी आवाज़ में मोनिका से बात करते हुए अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम में चली गयी।
आशु ने इस अंदेशे से कि कहीं मोनिका न आ जाये, पूरे घर के माहौल पर निगाह दौड़ाई और ठीक ठाक किया।

उसने रेखा की प्लेट मेज़ पर लगा कर लंच खोल दिया।

तभी रेखा कपड़े पहन कर आ गयी और बोली- फटाफट लंच कर लो. वो कुतिया सूंघते सूंघते यहाँ आएगी जरूर!

दोनों ने लंच किया और मेज़ साफ करी।

आशु ने अपने पहने कपड़ों में ही रही सही सफाई निबटानी शुरू की।

अब उसने वैक्युम क्लीनर चला लिया था ताकि आवाज़ बाहर तक जाये।

रेखा का मन अब सफाई में कहा था, वो इधर उधर से आते जाते आशु को चूम रही थी।

तभी डोरबेल बजी.
मोनिका थी।

रेखा मोनिका को लेकर सोफ़े पर पसर गयी।

आशु ने मौका देख कर रेखा से कहा- आप लोग बात कीजिये, मैं लंच करके आता हूँ, एक घंटे में आ जाऊंगा।
अब रेखा क्या कहती … उसने हाँ कह दी.
आशु चला गया।

एक घंटे बाद रेखा का फोन आया कि मोनिका चली गयी है, काफी कुरेद-कुरेद कर पूछ रही थी आशु के बारे में, तो वो जरूर उसे भी फोन करेगी।

रेखा ने आशु को कहा कि वो उसे ठीक 3 बजे बाहर चौराहे पर मिल जाये, शॉपिंग पर चलना है।
आशु क्या कहता, उसे तो पूरे दिन के लिए बूक कर ही लिया था रेखा ने … और फिर जो आज उनके बीच हुआ है उससे तो अब आशु रेखा का और भी दीवाना हो गया है।

तभी मोनिका का फोन आया आशु के पास!
उसने पूछा- कहाँ हो?
तो आशु ने कह दिया- अपने रूम पर हूँ।

मोनिका बोली कि कल उसके फ्लैट की भी सफाई में हेल्प कर दे।
अब आशु मना भी कैसे करता … उसने कहा- ठीक है, मैं फ्री होने पर आपको बताता हूँ।

मोनिका पीछे पड़ी- नहीं कल ही आ जाओ।
आशु ने काफी कहा कि ये उसका पेशा नहीं है, वो तो रेखा मेमसाब ने कहा तो उसने उनकी मदद कर दी।

पर मोनिका पीछे ही पड़ गयी।
आखिर आशु को कहना पड़ा कि रात को बता दूँगा।

तीन बजे आशु कपड़े चेंज करके चौराहे पर इंतज़ार कर रही रेखा की गाड़ी में स्टीयरिंग सीट पर बैठ चल पड़ा।

उसने रेखा से मुस्कुराकर मोनिका के फोन के बारे में बताया।
रेखा ने मुस्कुरा कर उसे चूम लिया और बोली- चले जाना … पर खबरदार जो किसी को भी लिफ्ट दी तो!
आशु हंस पड़ा।

दोनों ने तय किया कि कल आशु को मोनिका के पास चले ही जाना चाहिए वर्ना वो फिर रेखा के फ्लैट पर चक्कर लगाएगी।
रेखा ने आशु से गुरुग्राम चलने को कहा। उसे डर था कि मोनिका उन्हें कहीं ट्रेस न करे।

रास्ते भर रेखा आशु से चुहलबाजी करती रही।
एक बार तो उसने उसकी ज़िप खोल कर उसका लंड निकाल लिया और चूस दिया।

आशु को कहना पड़ा कि ऐसे तो ड्राइविंग नहीं हो पाएगी।

गुरुग्राम दोनों मूवी देखने चले गए।

मूवी में आशु ने भी रेखा के मम्मे जम कर दबाये और दोनों ने चूमचाटी में तो टीन्स को भी पीछे छोड़ दिया।

रेखा चुदासी हो रही थी।

मूवी के बाद डिनर खाते समय रेखा ने उतावलेपन में आशु से कहा कि आज रात वो उसके बिना नहीं रह पाएगी।

अब डर यह भी था कि गेट पर गार्ड्स की जानकारी में न आ जाये कि आशु रात को अंदर रहा है और रात को मोनिका को कैसे भी पता न चल पाये।

लौटते में मेडिकल स्टोर से रेखा ने गर्भ से बचने के लिए दवाई ले ली।

गार्ड्स की निगाहों से बचने के लिए आशु अपने सुबह पहनने वाला ट्रेक सूट अपने रूम से लेकर सोसाइटी से पहले ही गाड़ी की डिग्गी में बैठ गया।

रात के दस बज रहे थे।
रेखा ने सहज स्वभाव गाड़ी सोसाइटी के गेट में घुसाई।

गार्ड ने उसे नमस्ते की और बताया कि मोनिका मेम उसे पूछ रही थीं, और पूछ रही थीं कि अकेले गयी हैं या कोई और साथ था क्या!
रेखा मुस्कुरा दी।

उसने गाड़ी पार्किंग में न ले जाकर अपने टावर की ओर ले ली।

एक कोने में जहां अंधेरा था, वहाँ उसने आशु को बाहर निकाला।
आशु के हाथ में दो बड़े शॉपिंग बेग्स थे।

उन लोगों ने ये तय कर लिया था कि अगर मोनिका या कोई और मेमसाब पूछती हैं तो कह देंगे शॉपिंग को गए थे।
पर गनीमत रही कि रेखा के फ्लैट तक कोई नहीं मिला।

रेखा भी गाड़ी पार्क कर के आ गयी।

दोनों फ्लैट में घुस गए और घुसते ही बेल की तरह लिपट गए।

अब रेखा कोई भी मिनट नहीं खोना चाहती थी।

पर मोनिका को चैन कहाँ … उसका फोन आया आशु के फोन पर!
आशु ने उठाते ही कहा- मेम सो रहा हूँ. और हाँ कल मैं 10 बजे तक आ जाऊंगा।

मोनिका बोली- बच्चे स्कूल 8 बजे तक चले जाएंगे, तुम जल्दी ही आ जाना फिर दोपहर तक काम निबट जाएगा। नाश्ता तुम मेरे घर ही कर लेना।
आशु ने हाँ कह दी पर उससे कह दिया- आप अब सो जाओ, सुबह आपको मेरे साथ मदद करनी होगी।

रेखा आशु को लेकर वाशरूम में घुस गयी।
दोनों के कपड़े प्याज़ के छिलके जैसे उतर गए। दोनों शावर के नीचे चिपट कर खड़े हो गए।

ऊपर से गुनगुना पानी … नीचे आग लगाती चूत और तम्बू बना लंड!
आज तो रात मस्तानी होनी ही थी।

आशु ने शावर के नीचे ही रेखा के मम्मे मसल मसल कर चूसे।

रेखा भी नीचे बैठ गयी और उसका लंड लालीपोप बना कर चूसती रही।

आशु ने रेखा को खड़ा किया और उसकी एक टांग उठाकर सहारा देकर टोंटी पर रख दी रेखा उसे थाम कर खड़ी थी।

आशु ने अपना मूसल पेल दिया उसकी चूत में!
धकापेल शुरू हो गयी।

रेखा ज्यादा हिल नहीं पा रही थी … उसने तो आशु का सहारा लिया हुआ था।
आशु उसके होंठों से होंठ भिड़ा कर चुदाई कर रहा था।

चुदाई तो हो रही थी, पर मज़ेदार नहीं थी।
रेखा ने अपने को अलग किया और तौलिया लपेट कर बाहर आ गयी।
आशु भी पीछे पीछे बाहर आ गया।

रेखा ने दो छोटे ड्रिंक्स बनाए।
आशु ने कहा भी कि वो नहीं पीता!
पर रेखा ने उसे जबर्दस्ती पिला ही दी।

दोनों फिर बेड पर आ गए।
फिर चुदाई का जो घमासान शुरू हुआ तो देर रात तक ही थमा।

इस बीच आशु ने रेखा को हर पोज़ में चोदा।
रेखा में भी गजब का माद्दा था चुदाई का … उसने पूरा साथ दिया आशु का!
जितना आशु ने उसे दबा कर पेला उतना ही पलट कर उसने भी आशु के ऊपर चढ़ कर घुड़सवारी की।

आशु ने रेखा के मुंह से इतनी अश्लील भाषा पहली बार सुनी।
वो सोचता रह गया की आखिर पढ़े लिखे घर की महिलाएं भी इतना गंदा बोल सकती हैं।

रेखा ने उसे खूब गालियां देते हुए चोदने को उकसाया।
वो कहती रही- अरे, तेरे लोंडे का तो दम निकल गया, तू दिन में तो बड़ा चुदक्कड़ बन रहा था गांडू … अब तेरी मर्दानगी कहाँ माँ चुदाने चली गयी? आजा मेरे राजा … आज फाड़ दे मेरी चूत को! प्यास बुझा दे मेरी!

जब आशु ज्यादा बेरहमी से चोदता तो बोलती- बहनचोद … हराम का माल समझकर चोद रहा है? मेरी चूत फट गयी तो तेरा बाप जवाब देगा मेरे आदमी को?
इसी तरह अब आशु भी खुलकर बोल रहा था- हाँ आज तो आपकी फाड़ ही दूँगा. ऐसा मज़ा दूँगा कि हर रोज चुदवाने को मुझे ही बुलाएँगी। कुतिया बना कर चोदूँगा रोज़!

आशु ने आखिर में वेसलीन लगा कर रेखा की गांड भी मार ही ली।
रेखा बहुत उछली पर आशु गांड फाड़ कर ही रहा।
उसके आँसू निकल आए।

वो बहुत बिफरी- मना किया था तुम्हें, अब मैं पूरे दिन हिल भी नहीं पाऊँगी।
आशु ने भी पलट कर जवाब दिया- पूरे दिन मैंने वो किया जो तुमने चाहा. अब अगर एक काम मैंने अपनी मर्जी से कर दिया तो हल्ला क्यों मचा रही हो?

पर जो भी हो चुदाई का पूरा लुत्फ लिया दोनों ने!
पूरा बेड रूम ऐसा लग रहा था जैसे कोई तूफान आया हो।
पूरी बेडशीट वीर्य से जगह जगह चिपचिपी हो रही थी.

रेखा को यही पसंद था कि उसके साथ जंगलीपना हो।

पूरे रूम में जगह जगह सिगरेट के टुकड़े पड़े दे।
रेखा ने आज दसियों सिगरेट फूँक दी थीं।

थक कर रेखा आशु से चिपट कर नंगी ही सो गयी।

आशु की आँख सुबह चार बजे खुल गयी।
उसे सोसाइटी से बाहर निकलना था तो उसने रेखा को उठाया।

वो खुद तैयार हुआ और धीरे से खिसकता हुआ सोसाइटी के गेट तक आया।
उसे मालूम था कि इस समय दोनों गार्ड उनींदे हो रहे होते हैं और गेट भी अधखुला सा होता है।

उसने साधारण तरीके से गार्डों को उठते हुए कहा- आज मैं जल्दी आ गया हूँ, पहले गाड़ी सफाई कर देता हूँ, फिर दूध लेने जाऊंगा।
गार्ड भी सोचते रह गए कि आखिर उनको ऐसी झपकी कैसे आ गयी कि वो बाहर से आ गया और उन्हें मालूम भी न पड़ा।

पर आशु रोज जल्दी ही आता था, तो उन्हें भी चिंता नहीं हुई।

आशु ने एक घंटे में गाड़ियाँ साफ करीं और दूध लाकर सभी को देता हुआ अपने फ्लैट पर 7 बजे तक आ गया।

रेखा के फ्लैट कि जब उसने घंटी बजाई तो रेखा ने गेट खोला और उसे अंदर खींच लिया।
उसने अपने होंठ चिपटा दिये आशु से!
वो सेक्स के मूड में थी.

तब आशु ने समझाया कि मोनिका इंतज़ार कर रही होगी, क्या फायदा वो इधर आ जाये।

घर आकर आशु सो गया।

Sex Stories

करीब एक हफ़्ते के बाद भाभी लौट कर घर आई तो हमारे Sex Stories घर मिलने चली आई, एकान्त पाते ही मैने पूछा कि कहाँ गई थी? तो उसने कहा दोपहर में घर आना वहीं पर बातें होंगी, मैं तो तुम्हें ही बताने आई थी कि मैं लौट आई हूं। दोपहर में मैं स्कूल से ही उनके घर चला गया, बेल बजाने पर भाभी ने दरवाजा खोला, मैने देखा भाभी बहुत प्रसन्न दिख रही है मैने पूछा तो उसने कहा अन्दर तो आओ मैं अन्दर सीधे बेडरूम में चला गया बेड पर छोटू सो रहा था इसलिए मैं सोफ़े पर बैठ गया।थोड़ी देर में भाभी दो कप कोफ़ी लेकर आई और मेरे से सट कर बैठ गई उसने गुलाबी रंग की सलवार कमीज पहने थी काले रंग की ब्रा ऊपर से दिख रही थी। भाभी अक्सर काली ब्रा और काली पैंटी पहनना पसन्द करती है। मैने पूछा कहा गई थी? तो उसने कहा मैं इलाहाबाद अपनी बहन के घर गई थी वो मुझसे केवल दो साल छोटी है और वो मुझसे पूरी तरह खुली हुई है मैने उसे तुम्हारे बारे में बताया तो वो कह रही थी मैं भी मिलना चाहती हूं।कोफ़ी खत्म होने के बाद मैने भाभी को अपनी तरफ़ खींचा भाभी मेरी गोद मे गिर गई मैने उसकी चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा तो मुझे महसूस हुअ कि साइज़ में कुछ अन्तर आ गया है, मैने पूछा तो वो हसने लगी और कहा लगता है दवा का असर हो रहा है, मैने तबतक सलवार खोल दी थी भाभी जब खड़ी हुई तो सलवार नीचे सरक गई, उसने कहा लो मैं पूरा काम किए देती हूं यह कह कर उसने अपनी कमीज भी निकाल दी फ़िर से मेरे सामने उसका भरा हुआ शरीर सामने था। मेरे लंड में तनाव भरता जा रहा था, मैने भाभी को नीचे कालीन पर लिटा कर अपने होंठों को उनके होंठों से जकड़ दिया, भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी।ऊऊह कितना मीठा स्वाद लग रहा था, मैने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया मैं अपने हाथों से उसके चेहरे को पकड़ रखा था उसकी लार मेरे अन्दर बह रही थी कुच देर के बाद मैने अपनी जीभ उसके अन्दर डाल दी और उसे पूरा अन्दर डाल कर चारों ओर घुमाता रहा काफ़ी देर तक हम एसा करते रहे फ़िर उसने कहा चलो ६९ करते हैं, मैने पूछा ये क्या होता है तो उसने कहा पहले अपने कपड़े उतारो तो बताती हूं। मैने अपनी पैंट और शर्ट निकाल दी और बेड के किनारे बैठ कर भाभी को कपड़े उतारते देखने लगा अब उसने अपनी ब्रा को उतार दिया और मेरे पास आ कहा चलो मैं तुम्हारी सफ़ाई कर दूं यह कह कर उन्होंने वही बोतल निकाली और उसे मेरे लंड के चारों ओर लगा दिया तो मैने कहा लाओ मैं भी तुम्हारी पूरी सफ़ाई कर दूं तो उसने कहा ये बहुत अच्छा रहेगा यह कह कर वो बेड पर लेट गई मैने उनकी पैंटी निकाल दी उसकी फ़ूली हुई बुर पर छोटे छोटे काले बाल थे मैने उंगली डाल कर बोतल से ढेर सारी क्रीम निकाल कर उसकी चूत पर लगा दिया और धीरे धीरे मालिश करने लगा मेरा लंड हिलोरे लेने लगा, मैने उसकी चूचियों को दबाना चाहा तो उसने कहा पहले क्रीम को पोंछ लो, तभी मेरी नजर उसके बगल के बालों पर पड़ी मैने कहा इसे भी साफ़ कर दूं तो बोली नहीं ये जब कुछ बड़े हो जायेंगे तो तुम्हें अच्छे लगेंगे इसे रहने दोमैं सोफ़े पर बैठ गया और हम बातें करने लगे तो भाभी ने बताया तुम्हारे भैया तो रात में कपड़े निकाल कर अपना लंड मेरी बुर में डालने की कोशिश में लगे रहते हैं उन्हे ये भी जानने की जरुरत नहीं महसूस होती कि मेरी चूत सूखी होने के कारण कितना दर्द कर रही होती है जब तक मेरी चूत गीली होती है तब तक वो अपना पानी छोड़ चुके होते हैं इस तरह मैं असन्तुष्ट रह जाती हूं। मैने भाभी से पूछा अच्छा बताओ तो जरा लेडीज़ को क्या करना अच्छा लगता है तो भाभी ने कहा ये कोई नियम की बात नहीं है सेक्स तो महसूस करने की बात है केवल महसूस करके भी सेक्स में संतुष्टि मिल सकती है, तुम निश्चिंत रहो मैं तुम्हें सब कुछ बता दूंगी तो तुम शादी के बाद अपनी बीवी को पूरी तरह सन्तुष्ट कर पाओगे, मैने कहा भाभी तुम कितनी प्यारी हो और मेरा कितना ख्याल रखती हो, भाभी ने कहा देखो सेक्स तो एक भूख की तरह है इस तो सन्तुष्ट करना ही पड़ता है, कुछ लोग अपने हाथों से अपने आपको सन्तुष्ट कर लेते हैं तो कुछ लोग बाहर किसी को खोज लेते हैं इसमें तो कोई बुराई नहीं है केवल इस बात का ध्यान रखना है कि आस पास के लोगों में ये बात पता नहीं चले क्योंकि ये सब हमारे समज में अच्छा नहीं माना जाता।बातें करते काफ़ी देर हो गई तो भाभी ने कहा चलो बाथरूम में नहा लें, हम दोनो साथ ही बाथरूम में घुस गये शोवर चला कर हम एक दूसरे से लिपट कर देर तक भीगते रहे। मैं बीच बीच में भाभी के पीठ पर हाथ फ़िरा रहा था हम दोनो ने अच्छी तरह एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया। भाभी की चूचियों पर साबुन वाला हाथ रगड़ने में बहुत अच्छा लग रहा था उसने भी मेरे लंड की अच्छी तरह से रगड़ाई की, हम दोनो बाहर आ कर टोवल से अपना बदन पोंछ लिए तो भाभी ने कहा चलो एक खेल खेलते हैं, हम दोनो बेड पर लेट गै भाभी ने पोंड्स का पाउडर निकाल कर उसे मेरे बदन पर पोत दिया और एसा ही करने को कहा मैने भी उनके बदन पर पाउडर डालकर पूरे शरीर पर लगा दिया तो भाभी ने कहा चलो मेरे ऊपर लेट जाओ मैं पूरी तरह उनके ऊपर लेट गया अब हम आपस में बदन रगड़ते रहे मेरा लंड भाभी की फ़ूली हुई चूत में घुसने के लिए बेताब हो रहा थाभाभी ने कहा तुम मेरी ऊपर की तरफ़ से धीरे धीरे नीचे की तरफ़ जाओ मैने भी चूत पर पहुंच कर अपनी जीभ को चूत में घुसाना चाहा तो भाभी ने कहा अभी समय नहीं हुआ है, अब मेरा मुंह भाभी के पैर की तरफ़ था और मेरा लंड भाभी के चेहरे को छू रहा था उसने मेरा लंड अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया और अपने मुंह में डाल दिया अपने आप मेरा मुंह भाभी की चूत से सट गया अब भाभी की चूत से रस बह रहा था मैने चूत में अपनी पूरी जीभ घुसा कर चूसने लगा भाभी भी मेरे लंड को अपने मुंह से चूस रही थी कि अचानक मेरे लंड का पानी छूट गया भाभी ने उसे पूरा पी लिया अब भाभी जोर जोर से सिसकियां ले रही थी यस और करो और करो और करो यह कहते हुए भाभी ने अपने दोनो पैरों से मेरे सिर को दबा लिया और अब भाभी ने पलटने की कोशिश शुरु कर दी अब मैं भाभी के नीचे था भाभी मेरे मुंह पर धक्के मार रही थी और उसकी चूत से गरम गरम कुछ निकल रहा था जो सीधे मेरे गले में जा रहा था

भाभी, बोले जा रही थी ओह ऊओह ओह ओह ओह अंत में भाभी मेरे ऊपर पसर गई हम एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे भाभी का चिकना बदन बहुत ही कोमल लग रहा था मेरा मन कह रहा था कि काश ये समय खत्म ही न हो। हम दोनो एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे, थोड़ी देर बाद हम उठ गये तो भाभी ने कहा अब समझ में आया कि ६९ क्या होता है, मैं भाभी से लिपट गया हम दोनो काफ़ी देर तक लिपटे ही रहे तब भाभी ने मेरे माथे को चूमते हुए कहा जानते हो जब दो लोग सेक्स करते हैं तो उनका आपस में रिश्ता बहुत मजबूत हो जाता है। काफ़ी देर हो गई थी हालांकि मन नहीं हो रहा लेकिन भाभी ने कहा अब घर जाओ नहीं तो तुम्हारी मम्मी खोजेंगी, अधूरी प्यास लिए मैं अपने घर आ गया। आगे की कहानी पार्ट ५ में। Sex Stories

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆