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मेरा नाम सुजाता है, मैं राजकोट के एक गाँव से हूँ। मेरे पति लखनऊ में सरकारी पद पर कार्यरत हैं इसलिए साल में मुश्किल से 25-30 दिन हम साथ गुजारते हैं।
हमारे दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की, दोनों ही दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
दोस्तो, मैं बाकी लड़कियों या औरतों की तरह नही कहूँगी कि मेरा फिगर ऐसा है वैसा है।
मेरे जिस्म का सही आकार इस तरह से है- मेरे मम्मे 34″ हैं, कमर 38″ और मेरे चूतड़ 42″ के हैं, मेरे मम्मे थोड़े ढीले से ही हैं।
मेरे पति मुझे शुरू से ही संतुष्ट नहीं कर पाते थे, उनका दो मिनट में ही वीर्यपात हो जाता था किन्तु शुरू में मैं इसे ही अपना नसीब मानकर अपनी जिंदगी बिता रही थी।
बात उन दिनों की है जब मेरे पति का लखनऊ तबादला हुआ। तब हम एम पी के एक शहर में रहते थे किन्तु इनका ट्रान्सफर हो जाने के बाद मैं अकेली रह गई थी घर पर।
तब मेरे पति ने मुझे मेरे पति के पिताजी यानि कि मेरे ससुर के पास रहने का सुझाव दिया।
वो एक गाँव में रहते हैं, वहाँ हमारी कुछ पुश्तैनी ज़मीन भी थी। ससुर जी अकेले ही घर रहते थे, सासू माँ की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी। ससुर जी की आँखों की रोशनी और सुनने की क्षमता भी अब कम सी हो गई थी।
मैं अपने ससुर जी के पास रहने आ गई। वहीं मेरी मुलाकात संजू जी से हुई।
हुआ यूँ कि अगले दिन मैं छत पर कपड़े सुखाने गई तो मेरी नज़र सामने वाली छत पर पड़ी।
उस वक़्त संजू जी कसरत कर रहे थे, उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना था, उनका कसरती जिस्म देखकर तो जैसे मैं मंत्रमुग्ध सी हो गई थी।
5’10” का कद, चौड़ा सीना, उठे हुए चौड़े कंधे, सुंदर चेहरा और उनके कोई तोंद भी नहीं थी, उनको देखकर दिल में कुछ कुछ सा होने लगा था… जब नज़रें मिली तो हम दोनों मुस्करा दिए।
फिर थोड़ी देर बाद वो घर पर आ गये और ससुर जी से बात करने लगे, तब ससुर जी ने हमें मिलवाया।
संजू भी घर पर अकेले रहते हैं, उनकी बीवी 5 साल पहले गुजर चुकी है, दोनों लड़के एम पी से बाहर कहीं जॉब करते हैं।
अब उनका हमारे घर आना जाना काफी ज्यादा हो गया, जल्दी ही हम दोनों की नजदीकियाँ भी बढ़ने लगी।
एक तरफ मैं थी जिसके पति ने कभी न तो पूरी तरह संतुष्ट किया था न ही साथ रहते हैं। दूसरी तरफ संजू जी जिनकी बीवी भी 5 साल पहले उन्हें छोड़ कर जा चुकी थी।
आग दोनों तरफ लगी थी दोस्तों।
एक दिन मैं रसोई में खाना बना रही थी, ससुर जी खेतों में घूमने गये थे, संजू जी रसोई में आये और मेरी कमर मे पीछे से हाथ डाल दिया। मैंने भी थोड़ा शरमाने का एहसास कराया।
किन्तु संजू जी भी जानते थे कि अभी कोई नहीं है घर पर… मैं बाहर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी और खींच लिया और मैं सीधे उनके सीने से जा लगी।
उन्होंने बिना एक पल गँवाए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मैं भी जन्मों से प्यार की प्यासी की तरह उनके होंठों को चूमने लगी।
करीब दस मिनट तक हम यों ही एक दूसरे को चूमते रहे।
इतने में ससुर जी के कदमों की आहट हुई तो हम अलग हुए, तब मैंने उन्हें आज रात हमारे स्टोररूम में आने को कहा।
हमारे घर का स्टोर रूम करीब दो कमरों की जगह में बना है जिसमें आराम करने की सारी सुविधाएँ मौजूद हैं।
रात में ससुर जी को खाना खिलाकर अब तो बस उनके आने का इंतजार था।
थोड़ी देर में संजू जी चुपचाप स्टोररूम में आये, आते ही उन्होंने रूम का दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी मजबूत बाहों में कस के जकड़ लिया।
मेरी रूह को तो जैसे इसी पल का इंतजार था।
उन्होंने अपने होंठों में मेरे होंठों को ले लिया और दस मिनट तक मुझे चूमते चूसते रहे।
फिर उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरा ब्लाउज भी उतार दिया। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरे 34 साइज़ के मम्मे उनके सामने झूलने लगे।
उन्होंने मेरा एक मम्मा अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे, साथ ही दूसरे मम्मे को अपने हाथ से मसलने लगे।
मेरी एक लम्बे अरसे की प्यास आज बुझ रही थी तो मेरे मुँह से अपनेआप मादक सिसकारियाँ निकलने लगी- ऊम्म्म उम्म्म आहाह्ह आह्ह ऊम्म।
फिर उन्होंने मुझे पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया और अपने कपड़े भी उतार दिए।
जैसा उनका शरीर बलवान और मजबूत था, वैसा ही उनका लिंग भी करीब 8″ लम्बा और 3″ मोटा, मेरे पति से डेढ़ गुना।
उसे देखते ही मेरी आँखों में चमक आ गई।
तब उनका इशारा पाकर मैंने उनके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरु किया।
उसके बाद उन्होंने मुझे लिटाया और अपना बलवान लिंग मेरी चूत पर सेट किया, एक धक्के में ही आधा लिंग चूत में प्रवेश करा दिया। मेरी तो एकदम चीख ही निकल गई।
फिर उन्होंने समझते हुए मेरे मम्मों को सहलाया, मेरे होंठों को चूसा और फिर धीरे धीरे मेरी चूत में अपना लिंग डालने लगे।
दो मिनट बाद मैं भी अपने चूतड़ों को उठाकर उनका साथ देने लगी।

तब उन्होंने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू किये, करीब 15 मिनट तक ऐसे ही मेरी जमकर चुदाई की। इस बीच मेरा तो एक बार पानी भी निकल चुका था पर अभी तक उनका लिंग एकदम तना हुआ था।
फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर पीछे से मेरी चूत में अपना बलिष्ठ लिंग डालकर मेरी चुदाई शुरू की, वो तेज़ तेज़ धक्के मारते रहे।
ऐसे ही बीस मिनट तक मेरी धुआंधार चुदाई की, इसके बाद उन्होंने मुझे अपने ऊपर बैठाकर भी चोदा, करीब 45 मिनट तक मेरी जमकर चुदाई करने के बाद उनके लिंग ने अपना कामरस बाहर निकाला।
उस रात मुझे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरी चूत की संतुष्टि की है, मैं तीन बार झड़ी थी, मेरी हालत तो ऐसी हो गई थी कि मैं उठकर वाशरूम तक भी नहीं जा सकती थी।
उस रात हमने एक बार और चुदाई की थी। सुबह ससुर जी के उठने से पहले संजू जी अपने घर चले गये।
तब से आज तक संजू जी और मैं एक दूसरे की काम वासना की तृप्ति करते हैं।
संजू जी मेरे पति के न होने पर मेरा हर तरह से ख्याल रखते हैं।
आज मेरे लण्ड में Indian Sex Stories वही खुजली हो रही थी … न जाने आज उसके मुंह में पानी क्यूँ रिस रहा था।
मेरे घर में एक जवान लड़की काम करने आती है आज कल…
माँ बीमार है ! छोटे साहब डॉक्टर ने आराम करने को कहा है … कहकर वो काम में जुट गई।
घर में आज कल कोई नहीं रहता … पापा का टूरिंग चल रहा था और मम्मी मामाजी के घर में रहती थी।
मेरी परीक्षा नजदीक आ रही थी इसलिए पढ़ाई की चिन्ता थी।
उसका नाम रचना था .. पास ही झोंपड़ी में रहती थी।
बाबूजी ये कपड़े धोने के है? .. यह पूछ कर मेरी चड्डी उठा ली उसने !
रात में मैंने उसमें मुठ मारा था, उसका गीलापन और महक अभी भी थी।
मैंने कहा- अरी रहने दे ! मैं धो लूँगा उसे ! छोड़ दे ..
वो चले गई और बाकी के कपड़े धोने लगी… उसकी काली ब्रा पीछे से दिख रही थी .. उसकी मांसल जांघें और उसके उरोजों के बारे में सोचने लगा।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. मैंने अपने चड्डी में मुठ मारा और फिर उसे धोने को कहा।
क्या बाबूजी ! कितना गन्दा हो गया … ख्याल नहीं रखते क्या ?? हँसकर वो चड्डी धोने लगी ..
उसके कमसीन उरोजो को मैं छुप कर देख रहा था …
वो हँसने लगी …
कभी देखा नहीं है क्या बाबूजी ? .. आपकी तो बहुत गर्लफ्रेंड होगी ना??
मुस्कुरा कर मेरे मुठ वाली चड्डी को रगड़ने लगी … ओह्ह हो यही मिली थी माल निकलने के लिए …
मैं डर गया मेरा लण्ड सिकुड़कर मूंगफली बन गया … इतनी तेज़ चीज़ ..इतनी तेज़ तो अंजू भी नहीं है ??
मैं जल्दी से अपने कमरे घुस गया … रात भर नींद नहीं आई … मैंने सोचा- अगर मुठ मार लिया तो कल चोदना पड़ गया फिर … ना ना नौकरानी को नहीं चोदूंगा .. पापा को पता चल गया, फिर ?
अगले दिन वो नहीं आई उसकी माँ आई थी।
मेरे खड़े लण्ड पर डंडा हो गया ! मैं सोचने लगा कल ही मौका था … फिर एक सेक्सी आवाज़ आई … माँ ! रहुआ फिर आ गयी .. जहियो ! मैं हूँ ना ! घर जहियो…
मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. रचना मेरे कमरे की सफाई करने लगी। मैंने उसे बांहों में भर लिया और चुम्मियाँ लेने लगा …
अरे बाबूजी ! बस भी करो ! कहकर वोह बेड पैर गिर पड़ी.. ओह्ह इतना आरामदेह बेड ! इसमें चुदवाने का मज़ा ही कुछ और होगा !
उसने समय का सदुपयोग करके अपना आवरण त्याग दिया, उसकी सांवली देह पर फटे पुराने पैंटी और ब्रा थी।
मैं उसके और पास आया और पूछा- तुम पहले भी चुदवाई हो क्या ?
वो हंसी और पूछा- क्यों ? शादी करने का इरादा है क्या बाबूजी ?
मैं शरमा गया !
मैंने भी अब तक सिर्फ दो बार ही अंजू को चोदा था। पर कहाँ उसकी पतली सुखी हुई काया और कहाँ इसका चरमरा हुआ .. भरा हुआ मांसल बदन … मैंने अपने कपड़े खोल दिए और उसकी पैंटी खोलकर उसी को चाटने लगा।
उसने कहा- अरे बाबूजी ! आपकी जगह वहां नहीं है !
कहकर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
आह आह आराम से .. आज तक अंजू ने भी मुझे मुँह से मुठ नहीं मारी !
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मैंने उसकी टांगो को अलग किया और अपना भाला घोंप दिया ..
आह बाबूजी ! चोद दो इस रांड को .. और दम लगाओ आह आह और घस्से मारो ..
मैं पूरे जोर से अन्दर बाहर कर रहा था- आह अहह अंजू !
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नहीं जानेमन यू आर तो सेक्सी ?? आह सच में साहब आप भी बहुत सेक्सी हो …
उसने मेरी गांड कस ली और मैं स्खलित हो गया …. आह अ अआहा
ओह्ह साहब ! आज इस गरीब को आपने वीर्य से नहाकर शुद्ध कर दिया !
थैंक्यू साहब ! कहकर वो पीछे घूम गई …
मैंने उसकी गांड मारी ! क्यूंकि अंजू की सूखी गांड क्या मारता !
उस दिन मैंने उसको पॉँच बार पेला !
आह रचना ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया !
मैंने अपने तिजोरी से गर्भ निरोधक गोली दी और और उसे खिला दिया।
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बाय बाय ! छोटे साहब फिर मिलूंगी …. Indian Sex Stories
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एक बार मेरे एक दूर के भैया हमारे यहां अपनी बीवी के साथ रहने आये। बात एक रात की है कि मुझे गरमी के कारण नींद नही आ रही थी। हम ऐसे ही बाहर आंगन में निकल आ गये। सामने बेडरूम की खिड़की से हल्की ट्यूब लाइट की रोशनी बाहर आ रही थी क्योंकि खिड़की के कांच पर कपड़ा पड़ा था। परन्तु खिड़की का एक दरवाज़ा हल्का टेढ़ा खुला था ताकि साफ़ हवा कमरें में आ जा सके। मैने सोचा ये भैया क्या पढ़ रहे हैं? मैने बस हल्के से दबे पांव पास जाकर खिड़की के नीचे से अन्दर देखा तो मेरी सांस जैसे रुक गयी। भाभी पूरी नंगी होकर पेट के बल लेटी थी और उनकी मस्त, मांसल गांड ऊपर की ओर थी। भैया उनकी पीठ पर सरसों के तेल से मसाज कर रहे थे साथ-साथ वो उनके चुतड़ की भी मसाज कर रहे थे। भाभी हल्के-हल्के मुंह से अह्हह्हह्हह।।।स्सस्सस्स। अह्हह्हह।। कर रहीं थी। ह्हह्हह्हह्हम्मम्मम्म।।म्मम्मम्मम्म।।ऊऊ। और जब भैया तेल लगा कर अपनी उंगली भाभी के चूतड़ को फैला कर गांड में अन्दर घुसा डालते तो भाभी कह उठती, “धीरे-धीरे डालो बाबा दर्द होता है।” भैया लुंगी पहने अपने दोनो हाथो से उनके ऊपर जांघो पे बैठ कर दोनो चूतड़ों की मालिश कर रहे थे। गांड की मालिश से भाभी बहुत खुश नज़र आ रही थी। भाभी के उल्टा हो लेटने से मैने देखा, कि भैया हल्के से लेट कर पीछे से उनकी गांड में अपनी ज़बान भी लगा रहे थे, जिस से भाभी आआह्हह।।। ऊ।। करती जाती फिर पीछे से ही भैया ने भाभी के जांघों को को फैलाया जिससे उनकी चूत भी दो फांकों में बंट गयी और Sex stories
दोस्तो! मेरा नाम आरव है।
मैं एक बार अपने एक दोस्त अरमान के घर गया हुआ था.
वहां उसकी कोई दूर के रिश्ते में दो लड़कियां आईं हुईं थीं।
वहां एक मेला लगता था तो मैं और मेरा दोस्त मेला देखने गए।
हमारे साथ उसकी वह दोनों रिश्तेदार लड़कियां भी थीं।
वे दोनों आपस में बहनें थीं।
उनमें से एक का नाम पलक था जो उस वक्त करीब उन्नीस साल की होगी।
यह न्यू चूत सेक्सी कहानी इसी पलक की है.
हम लोगों ने वहां पर बहुत मस्ती की।
इस दौरान मैंने महसूस किया कि इस पलक का ध्यान मेरी तरफ ही रहा और वह बार-बार मेरी तरफ देखकर अजीब से अंदाज में मुस्कुरा रही थी।
बहरहाल रात करीब साढ़े बारह बजे हम लोग घर वापस आए तो इतना थक गए थे कि एक बजे तक हम सोने के लिए लेट चुके थे।
मैं काफी दिन बाद यहां आया था तो हम सब सोने के लिए एक ही कमरे में लेट गए कि कुछ बातें और कर लेंगे।
अब स्थिति यह थी कि एक तरफ अरमान की चारपाई थी, उसके बाद मेरी और मेरे साथ वाली चारपाई पर पलक और महक की चारपाई थी।
हम लोग कुछ देर बातें करते रहे.
और इसी दौरान मैंने देखा कि पलक और महक सो गई हैं और अरमान भी ऊंघने लगा था.
तो मैंने कहा- अरमान यार, बाकी बातें सुबह करेंगे. अभी तो मुझे भी नींद आ रही है।
अरमान ने कहा- हां यार, मुझे भी नींद महसूस हो रही है। ठीक है सुबह बात करेंगे।
और वह दूसरी तरफ मुंह करके लेट गया।
अभी पांच मिनट ही हुए होंगे कि मुझे ऐसे लगा जैसे पलक की चारपाई हिली है।
मैंने आंखें खोलकर देखा तो पलक उठकर लाईट बंद करने जा रही थी।
लाईट बंद करके जब वह अंधेरे में वापस अपनी चारपाई पर आई तो मैंने पूछा- पलक, लाईट क्यों बंद करदी?
उसने कहा- मुझे रोशनी में नींद नहीं आती।
मैंने कहा ‘चलो ठीक है’ और में भी आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा।
अभी कुछ देर ही हुई थी कि मुझे अपने जिस्म पर किसी का हाथ महसूस हुआ जोकि धीरे-धीरे मेरी पिंडली पर से फिसलता हुआ मेरी जांघों की तरफ जा रहा था।
मैंने अंधेरे में उस हाथ पर हाथ रखा तो पता चला कि वह पलक का हाथ है।
उसने मेरा हाथ दबाकर मुझे खामोश रहने का इशारा किया।
मैं हैरान था कि ये लड़की क्या कर रही है?
पलक का हाथ फिसलता हुआ मेरे लंड तक पहुंच गया।
उसने बहुत प्यार से मेरे अकड़ते हुए लंड को अपने हाथ में लिया और उसके सुपारे को सहलाने लगी।
करीब पंद्रह मिनट तक वह मेरे लंड से खेलती रही जिसकी वजह से मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो गया।
इसी दौरान मैंने भी अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और पहले धीरे-धीरे पलक के पेट पर फेरा और फिर उसके बाद उसकी छाती तक पहुंच गया।
पलक ने अपनी बत्तीस साइज की चूचियों पर फोम वाली ब्रा पहनी हुई थी।
मैंने भी ब्रा के ऊपर से ही पलक की नर्म और गर्म चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
उसे लंड से खेलते और मुझे चूचियों को सहलाते हुए करीब आधा घंटा गुजर चुका था।
अचानक ही पलक अपनी चारपाई से उठी और धीरे से मेरे बराबर में आकर लेट गई।
आते ही उसने मेरे चेहरे पर अपने होंठों से चुम्मियों की बौछार कर दी।
एक तो उसका नर्म और गर्म जवानी से भरपूर जिस्म मेरे जिस्म के साथ लिपटा हुआ था जो मेरे अंदर आग लगा रहा था और दूसरी तरफ उसके रसीले और गुदाज होंठ मेरे गालों और होंठों को चूम रहे थे।
मैंने पलक के कान के बिल्कुल करीब जाकर कहा- पलक, कहीं अरमान और महक जाग ना रहे हों!
इस पर उसने भी इसी तरह धीरे से मेरे कान में जवाब दिया- नहीं कोई बात नहीं; अरमान तो काफी गहरी नींद सोता है, इसको तो अब तक होश भी नहीं होगा. तुम बेफिक्र हो जाओ।
मैंने कहा- पलक, क्या ये सब ठीक रहेगा जो हम कर रहे हैं?
तो वह बोली- मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो और मैं कब से तुम्हें इस तरह प्यार करने और तुमसे प्यार करवाने के लिए बेताब थी। आज सब कुछ भूल जाओ और बस ऐसे मुझसे प्यार करो जैसे कोई अपनी बीवी से करता है।
पलक ने यह बात कह तो दी मगर मुझे डर लग रहा था कि अगर अरमान जाग गया और उसको ये सब पता चल गया तो क्या होगा.
जब मैंने पलक से ये सब कहा तो वह बोली- चलो फिर चुपके से छत पर चलते हैं. और इस बात से तो बेफिक्र हो जाओ कि घर में से कोई उठ जाएगा और हम पकड़े जाऐंगे।
यह कहकर पलक मेरे पास से उठी और अंधेरे में गायब हो गई।
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कमरे का दरवाजा खुला और पलक मुझे पीछे-पीछे आने का इशारा करके दरवाजे से हट गई।
मैं समझ गया कि वह छत पर गई है तो मैं भी हिम्मत सी करके उठा और उसके पीछे-पीछे छत पर चला गया।
छत पर एक स्टोररूम बना हुआ था।
चांद की हल्की-हल्की रोशनी में मैंने देखा कि पलक स्टोररूम के दरवाजे पर खड़ी थी और उसने अपनी कमीज उतार दी थी।
अब वह सिर्फ सलवार और ब्रा पहने हुए थी।
चांद की रूमानी रोशनी में पलक का रूप बहुत भला लग रहा था।
चन्द्रमा की हल्की-हल्की चांदनी में उसका गोरा जिस्म मेरे अंदर आग सी लगा रहा था।
जैसे ही में पलक के करीब पहुंचा, उसने मुझे जोर से अपनी तरफ खींचा और मुझे बांहों में लेकर अपने होंठों से मेरे होंठों को कस लिया।
पलक बहुत ज्यादा गर्म हो रही थी और खड़े-खड़े ही अपने जिस्म को इस तरह हरकत दे रही थी कि मेरा खड़ा हुआ लंड बार-बार उसकी चूत के साथ रगड़ खा रहा था।
मैंने एक हाथ में उसकी गर्म गुदाज चूची पकड़ी हुई थी जिसको मैं धीरे-धीरे दबा और मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गोल और नर्म गांड से खेल रहा था।
उसने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थामा हुआ था और हम दोनों एक-दूसरे के होंठ और जीभ चूस रहे थे।
तभी मैंने पलक की चूचियों पर से अपना हाथ हटाया और धीर-धीरे उसकी सलवार में डाल दिया।
जहां मेरा स्वागत चूत पर आए हुए बालों के गुच्छे ने किया.
तो मैंने पलक से पूछा- यार, तुम चूत के बाल साफ नहीं करती हो क्या?
तो पलक ने कहा- मेरी जान, अगर मुझे पता होता कि ये सब होने वाला है तो मैं अपनी चूत को मक्खन की तरह मुलायम कर लेती। मगर ये सब हुआ ही अचानक है।
बालों के ऊपर से गुजर कर जब मेरी उंगलियां उसकी चूत के दाने तक पहुंचीं तो मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी।
जब मैंने उसकी चूत के दाने को छुआ तो पलक का जिस्म एकदम से कांप सा गया और वह नशीली सी आवाज में सिसकारी भरकर बोली- जान, तुम्हारी उंगलियों में जादू है। मेरी चूत जलने लगी है। प्लीज कुछ करो … मुझे और मत तड़पाओ।
अब हम स्टोर रुम के दरवाजे से हटकर अंदर आ गए।
वहां पर एक पुराना सोफा पड़ा हुआ था।
पलक सोफे के पास जाकर खड़ी हो गई और मुझे दरवाजा बंद करने का इशारा किया।
मैंने दरवाजा बंद करके उस के आगे एक कुर्सी रख दी क्योंकि दरवाजे को अंदर से बंद करने के लिए कोई कुंडी या चिटकनी नहीं थी।
अंदर एक बल्ब जल रहा था जिसकी वजह से स्टोर में अच्छी खासी रोशनी हो रही थी।
पलक ने अपनी सलवार भी उतारकर सोफे पर रख दी और अपनी टांगें खोलकर सोफे पर इस तरह बैठ गई कि उसकी चूत पूरी तरह खुलकर मेरे सामने आ गई।
मैं भी नजदीक आकर उसकी चूत के सामने पैरों के बल बैठ गया।
पलक की चूत बाहर से गोरी थी और उसकी चूत का रंग गुलाबी था।
मैंने पहले धीरे-धीरे उसकी चूत को हाथ से सहलाया और इसके बाद दो उंगलीयों से उसकी चूत को खोलकर अंदर के गुलाबी हिस्से पर जीभ से मसलना शुरू कर दिया और कहा- पलक तुम्हारी चूत की खुशबू बहुत अच्छी है और ये कुछ ज्यादा ही गर्म हो रही है।
इस पर पलक ने हंसते हुए कहा- इसकी सारी खुबसूरती सिर्फ तुम्हारे लिए है मेरी जान! खा जाओ मेरी चूत को … ये इसलिए गर्म हो रही है ताकि इसकी गर्मी से तुम भी गर्म हो जाओ और मेरी चूत को खा जाओ।
पलक के मुंह से इस तरह के गंदे-गंदे लफ्ज सुनकर आज मुझे पता नहीं क्यों लेकिन बहुत मजा आ रहा था।
मैं दीवानों की तरह पलक की कुंआरी चूत को चाटता रहा।
दो बार पलक की चूत ने चिकना-चिकना सा पानी छोड़ा जो सब का सब मैंने चाट लिया।
अब पलक ने अपनी ब्रा भी उतारकर फैंक दी और वह सिसकारियां भरते हुए अपनी चूचियों को दबा और सहलाने लगी।
इधर मैं दीवानों की तरह उसकी चूत की भूल-भुलैया में घूम रहा था।
थोड़ी देर बाद पलक ने कहा- चलो कुछ और ट्राई करते हैं।
तो मैं बोला- ठीक है, मैं बताता हूं कि अब हमें क्या करना है।
मैंने उसे सोफे पर लेटने को कहा और जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार कर खुद उसके ऊपर 69 की पोजीशन में लेट गया।
अब मेरा लंड बिल्कुल पलक के होंठों के करीब था और उसकी चूत मेरे मुंह के पास!
बस फिर क्या था?
मैं फिर से भूखों की तरह उसकी चूत के साथ चिपक गया और उसकी चूत के अंदर जीभ डालकर जीभ से चोदने लगा।
पलक ने मेरा लंड देखा तो कहने लगी- जान, ये तो बहुत मोटा है।
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उसने पहले मेरे लंड के सुपारे को हल्का सा चूमा और फिर एक हाथ से लंड और एक हाथ से मेरे टट्टे पकड़कर धीरे से लंड को पूरा मुंह में ले लिया और जीभ से लंड की मालिश सी शुरू कर दी।
शायद पलक को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि वह लंड चूसने के साथ-साथ अपनी चूत को मेरे होंठों पर धीरे-धीरे हिला भी रही थी।
लगभग 10 मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा और वह मेरा लंड चूसती रही।
उसकी चूत से बार-बार चिकना-चिकना पानी निकल रहा था जिसे चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
लगभग 10 मिनट बाद हम उठ गए और मैंने पलक को इस तरह लिटा लिया कि मैं उसकी चूत में लंड डाल सकूं।
पलक ने पूछा- जान क्या अब तुम मुझे चोदोगे?
तो मैंने कहा- हां पलक, अब मैं खुद को तुम्हें चोदने से नहीं रोक सकता।
पलक ने कहा- हां मेरी जान, मैं तो खुद चाहती हूं कि तुम अपने इस तने हुए लंड से मेरी चूत मारो।
अब मैंने लंड के सुपारे को पलक की चूत पर रगड़कर थोड़ा सा चिकना किया और उसे चूत के मुंह पर रखा.
तो पलक ने मस्ती में आकर आंखें बंद कर लीं और दोनों हाथों से अपनी छोटी-छोटी कड़क चूचियों को दबाते हुए मस्ती भरी आवाज में सिसकारी भरती हुई बोली- जान, अपना लंड मेरी चूत में डालो ना! क्यों तरसा रहे हो मेरी इस मासूम चूत को?
उसकी बात सुनकर मैंने पलक के ऊपर लेटकर उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और धीरे-धीरे लंड को उसकी सेक्सी चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया।
पलक की चूत बहुत टाइट और गर्म थी।
उसकी नर्म नर्म और टाइट चूत में मेरा लंड धीरे-धीरे घुस रहा था और तकलीफ की वजह से उसने अपनी आंखें कसके बंद की हुईं थीं।
पलक की न्यू चूत के अंदर आधा लंड घुस गया तो उसने मुझे रुकने को कहा।
मैंने लंड को वहीं रोक लिया और उसकी 32 साइज की चूचियों पर अपने होंठ रख दिए।
उसके छोटे-छोटे निप्पल चुदाई की आग में जलकर काफी कड़े हो गए थे।
मैं थोड़ी देर तक उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी चूमता और चूसता रहा तो थोड़ी देर बाद पलक ने नीचे से अपनी चूत को हरकत देना शुरू कर दी।
मैंने भी लंड को धीरे-धीरे और अंदर करना शुरू कर दिया था।
इस बार शायद उसे दर्द कम हो रहा था क्योंकि जैसे-जैसे लंड चूत में घुसता जा रहा था वह अपनी टांगों को और ज्यादा खोलती जा रही थी।
जब लंड पूरा अंदर चला गया तो पलक के मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई।
मैं फिर से रूक गया और उसकी जबरदस्त चूचियों से खेलना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद फिर से पलक की सेक्सी चूत ने नीचे से हरकत शुरू कर दी तो मैंने भी लंड को धीरे-धीरे बाहर खींचा और पूरा लंड बाहर आने से पहले ही दोबारा उसकी चूत में धकेल दिया।
पलक के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई ‘हाय मेरी चूत!’
मेरा लंड एक ही झटके में पूरे का पूरा उसकी न्यू चूत में स्थापित हो गया।
पलक ने कहा- जान, तुम्हारा लंड बहुत जालिम है। इससे तो मेरी चूत फटती हुई सी महसूस हो रही है।
मैंने कहा- मेरी जान, मेरा लंड मोटा नहीं है बल्कि तुम्हारी चूत ही बहुत टाइट है।
अब मैंने धीरे-धीरे पलक की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था और पलक चुदाई के मजे में सिसकारियां भर रही थी- आह आह आह … हाय मेरी चूत … धीरे-धीरे चोदो … आह आह … मेरी चूत फट रही है। आह प्लीज जान धीरे चोदो … मेरी चूत फट जाएगी।
उसके मुंह से ऐसी सेक्सी सिसकारियां सुनकर मेरे अंदर और भी आग धधकने लगी तो मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से चूत में धक्के मारने लगा।
दस मिनट की इस चुदाई ने हम दोनों को पसीने में सराबोर कर दिया क्योंकि स्टोर में कोई पंखा नहीं था।
मेरा लंड कस-कस के पलक को चोद रहा था।
मैं अपने लंड को उसकी चूत से निकालता और फिर से एकदम उसको चूत में धकेल देता जिसकी वजह से पलक की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी।
उसकी चूत से पचक-पचक की आवाजें आ रही थीं।
पलक की चूत इतनी टाइट और जिस्म इतना सेक्सी था कि कुछ ही देर में मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूं।
अब मैंने लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसे घोड़ी बनने को कहा तो वह उठी और सोफे पर इस तरह घोड़ी बन गई कि मैं जमीन पर खड़ा होकर उसको चोद सकता था।
मैंने पहले डोगी स्टाइल में ही उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया जो कि मेरे लंड और उसकी चूत के पानी से चिकनी हो रही थी।
तब मैंने उसकी चूत को चाटकर खूब साफ किया और फिर उसकी गोल-मटोल छोटी सी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर रखा ही था कि पलक ने पीछे को एक धक्का मारा.
जिसकी वजह से मेरा पूरे का पूरा लंड पलक की चूत में घुस गया और उसके मुंह से चीख निकल गई- हाय मैं मर गई … आह … मेरी चूत फट गई … आह आह!
और फिर कुछ देर रुके रहने के बाद उसने खुद ही धीरे-धीरे से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
जब उसके धक्कों की स्पीड कुछ कम हुई तो मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरते हुए उसकी चूत में लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
घोड़ी बनने की वजह से उसकी चूत और भी टाइट महसूस हो रही थी।
अभी इस तरह चुदाई करते हुए कुछ पांच मिनट ही हुए होंगे कि मुझे लगा कि किसी भी लम्हे मेरा लंड उसकी चूत में अपना लावा उगल देगा.
तो मैंने पलक को कहा- जान, मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है।
उसने कहा- मेरी चूत में मत झड़ना प्लीज!
लेकिन मुझ पर तो जैसे जुनून सवार था; मैं जोर-जोर से धक्के मार रहा था और कब मेरे लंड ने पलक की चूत में गर्म-गर्म पानी छोड़ दिया मुझे पता भी नहीं चला।
मैं लंड को उसकी चूत में ही रखकर उसके ऊपर पसर गया.
और जब हमारी हालत कुछ संभली तो मैंने अपने लंड को पलक की चूत से बाहर निकाला और अपनी बनियान से अपने लंड और पलक की चूत को साफ किया.
तब पलक को अपने सामने खड़ा करके मैं उसको अपने सीने से लगाकर उसके होंठों पर किस करने लगा।
कुछ देर बाद हमने कपड़े पहने और फिर से कमरे में आकर लेट गए।
जब मैं बिस्तर पर लेट गया तो पलक ने लाईट जलाई और महक और अरमान को चैक किया तो वे दोनों बेखबर सो रहे थे।
पलक मेरे साथ ही मेरे बिस्तर पर लेट गई और थोड़ी देर हम एक-दूसरे को चूमते रहे और फिर मैंने उसको अपने बिस्तर पर जाने को कहा।
वह उठी और अपने बिस्तर पर जाकर महक के साथ लेट गई.
और मैं पलक के सेक्सी जिस्म और अपनी इस चुदाई के बारे में सोचता हुआ जाने कब सो गया पता ही नहीं चला।
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