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मेरा नाम अभिनव है, मैं गुजरात का रहने Hindi Sex Stories वाला हूँ और मैं अपनी एक कहानी बताने जा रहा हूँ जो काफ़ी दिलच़स्प है।
अब मैं मुख्य बात पर आ रहा हूँ। स्कूल के दिनों में मेरे साथ एक लड़का पढ़ता था जिसका नाम राहुल था। हमारे स्कूल में हमने एक समूह बना रखा था जो मौज-मस्ती करता था और साथ-साथ खेलते-कूदते भी थे। एक दिन राहुल आया और उसने हमसे पूछा कि मैं भी तुम्हारे समूह में सम्मिलित होना चाहता हूँ। पर हमने उसे मना कर दिया और वह वहाँ से चला गया।
उसने लगातार दस दिनों तक प्रयास किया कि वह हमारे साथ शामिल हो जाए पर उसे निराशा ही हाथ लगी। एक दिन राहुल ने मुझसे कहा कि तुमसे मेरी माँ मिलना चाहती है, तुम्हें बुलाया है। तो मैंने उसे टालने के लिए कह दिया कि ठीक है, मैं मिलकर आ जाऊँगा, पर मैं गया ही नहीं।
एक दिन मैं रास्ते पर जा रहा था कि सामने राहुल की मम्मी आती दिखीं, उन्होंने मुझसे कहा- मैंने तुम्हें बुलाया था, आते क्यों नहीं?
मैंने कहा- ठीक है, आज आ जाऊँगा।
और मैं चला गया।
उसके बाद मैं दोपहर को उसके घर गया तो राहुल घर पर नहीं था, उसकी मम्मी थी। उसने मुझे कुर्सी पर बिठाया और कहा कि तुम मेरे बेटे को अपने समूह में शामिल क्यों नहीं करते हो?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही।
तो आंटी ने कहा- ऐसा नहीं करते, तुम उसे शामिल कर लो।
मैंने हामी भर दी।
फिर उसने मुझसे पूछा कि थम्स अप पीओगे?
तो मैंने हाँ कहा।
उसने उस समय क्रीम रंग की साड़ी और उसी रंग की ब्लाऊज़ भी पहन रखी थी। अन्दर काली ब्रा पहनी थी, वो भी साफ़ दिख रही थी और उसकी गांड इतनी मोटी और गोल-मटोल थी कि कोई देख ले तो पागल हो जाए।
वह किचन में चली गई, थम्सअप लाने के लिए।
जब वह थम्सअप लेकर आई तो मैं हैरान हो गया कि उसने साड़ी उतारकर सफेद पारदर्शी गाऊन पहना हुआ था और अन्दर काली ब्रा और काली पैन्टी साफ़ दिख रही थी, और भरा हुआ बदन जैसे संगमरमर का ताज़महल हो।
वह थम्सअप के दो गिलास लेकर मेरे पास बैठ गई और एक गिलास मुझे दिया और एक ख़ुद पीने लगी।
पीते-पीते मेरे जाँघों पर हाथ रख कर घुमा रही थी, मुझे गुदगुदी हो रही थी, लेकिन मुझे मज़ा भी आ रहा था, इसलिए कुछ नहीं बोला।
धीरे-धीरे उसका हाथ मेरे लण्ड के पास ले गई और पकड़ के मसलने लगी तो मैं खड़ा हो गया और कहा- मैं जा रहा हूँ।
तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिठा दिया, पूछा- क्या हुआ।
मैंने कहा- गुदगुदी हो रही है।
तो उसने कहा- आज तुझे कुछ सिखाऊँगी जो तेरे बहुत काम आएगा।
फिर मैं बैठ गया।
पहले तो उसने मुझे गाल पर किस किया और मेरी शर्ट उतार दी।
मैंने मना किया तो वह बोली- कुछ नहीं होगा, तुझे बहुत मज़ा आएगा।
फिर मैंने विरोध करना छोड़ दिया, उसने मेरी पैन्ट की चेन खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल कर उसे किस्स किया और मुँह में लेकर कैण्डी की तरह चूसने लगी और मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था।
मेरे दोस्त की मम्मी 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही, इसी दौरान मेरे सारे कपड़े भी उतार दिए। उसने मुझसे कहा कि मेरा गाऊन उतार दो!
तो मैंने उसका गाऊन उतार दिया और काली ब्रा-पैन्टी में जैसा आगरा का ताज़महल मेरे सामने आ खड़ा हुआ।
उसने कहा मेरी ब्रा भी उतार दो, तो मैंने वैसा ही किया।
ब्रा खोलते ही जैसे दो कबूतर आज़ाद होकर उछलकर बाहर आ गए।
उसने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुँह उसकी चूचियों पर रख कर मुझे चूसने को कहा तो मैं जीभ घुमाने लगा और चूसने लगा। तब उसके मुँह से आआआ आआ… हहह हहह… निकने लगी। वह मेरा लण्ड पकड़कर दबाने लगी।
थोड़ी देर में वह काफ़ी गरम हो गई और मुझे नोचने-खसोटने लगी, उसने कहा- तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा है और मेरे पति का तो इसका आधा ही है।
मैं तो मानो अपने होश में ही नहीं था। वह जैसा कह रही थी मैं वैसे ही करता जा रहा था। मेरे अन्दर इतनी समझ नहीं थी मैं कुछ कर सकूँ।
फिर वह बिस्तर पर लेट गई और बोली- तुम मेरी भोस को चाटो!
तो मैं उसकी पाँवों के बीच में बैठ कर जीभ घुमा-घुमा कर चाटने लगा। वह मेरा मुँह दबा कर जोर से चिल्ला रही थी… चाटो… चाटो… चाटो… मुझे खत्म कर दे, खत्म कर दे।
उसी समय उसकी भोस से कुछ चिकना-चिकना क्रीम निकलने लगा वो मैं पी गया वह मुझे काफी मज़ेदार लगा, तो मैंने पूरा चाट लिया।
अब उसने कहा- अब उठो और मेरी भोस में डालो!
तब मैं पोज़ीशन लेकर उसकी पाँवों के बीच बैठ गया और लण्ड पकड़कर उसकी भोस पर रख कर थोड़ा धक्का दिया। चिकनाई की वज़ह से मेरा लण्ड सटाक से अन्दर चला गया।
उसने कहा- शाबास बेटे तुमने सिक्सर लगाया, चालू रख!
मैं तो धक्के पर धक्का लगा रहा था, वो खुशी से पागल हो रही थी, नीचे से गांड उठा उठाकर साथ दे रही थी.
थोड़ी देर बाद वह उठकर खड़ी हो गई और मुझसे कहा- मेरी गांड में डाल और फाड़ दे।
उसने मुझे क्रीम दी और कहा- पहली बार गांड में डलवा रही हूँ इलसिए मेरी गांड पर ये थोड़ा लगा, और थोड़ा अपने लण्ड पर भी लगाकर पेल दे।
मैंने ऐसा ही किया और उसकी गांड पर रख कर धक्का दिया तो उसकी एक लम्बी चीख निकल गई, और बोली, बाहर निकाल नहीं तो मैं मर जाऊँगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना और धक्के जारी रखे, उसकी गांड से थोड़ा सा खून भी निकला, मैं घबरा गया तो उसने कहा कि डार्लिंग, कुछ भी नहीं, तू चालू रख, ये खुशी का खून है।
कुछ देर तक धक्के मारने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वह मेरा लण्ड चूसने लगी और मेरा क्रीम सारा उसके मुँह में चला गया और उसने पूरा पी लिया। फिर चाटकर मेरा लण्ड साफ कर दिया.
फिर उठकर कपड़े पहनने लगा तो उसने कहा- कल आना, मैं तुझे दूसरा मज़ा दूँगी जो तेरी शादी के बाद तुझे काम आएगा और तुझे तक़लीफ नहीं होगी और बहुत मज़ा आएगा।
अगली कहानी दूसरी बार। Hindi Sex Stories
मेरे साले की बीवी का नाम स्वरा (बदला हुआ नाम) है. उसका फिगर 30-28-32 का है. वो दिखने में एकदम सुंदर माल जैसी है. उसका रंग मक्खन सा सफेद है.
उसकी शादी के बाद से ही हम दोनों में खूब जमती थी क्योंकि आपको तो पता ही है कि सलहज और जीजा में कुछ ना कुछ तो चलता ही रहता है.
स्वरा मुझसे अपनी हर बार साझा करती रहती थी, जिस कारण से हम दोनों काफ़ी क्लोज हो गए थे.
उसकी बातों से मुझे ये भी मालूम थी कि उसका पति उसमें कम इंटरेस्ट लेता था.
पता नहीं क्यों … लेकिन मेरे लिए तो ये सही था.
एक दिन मेरी सासू मां और उसके बेटे को उनके कोई निजी काम से एक दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा.
उन्होंने मुझसे कहा- आप या तो यहां रुक जाना या स्वरा को वहां अपने घर ले जाना.
स्वरा ने कहा- मैं जीजा जी के घर जाऊंगी तो घर सूना हो जाएगा. जीजू यहीं रुक जाएंगे. एक रात की तो बात है.
ये बात सुनकर उन्होंने भी हां कर दी और मैं उन दोनों को बस पर छोड़ कर उनके घर दस बजे के करीब पहुंच गया.
स्वरा ने नाइट सूट पहना हुआ था. नीचे पज़ामा और ऊपर बटनों टी-शर्ट वाली.
तो स्वरा ने मुझसे कहा- जीजू आपको चेंज करना है, तो कर लीजिए, फिर आराम से बैठते हैं.
मैं बाथरूम में चेंज करने चला गया.
मैंने जानबूझकर बाथरूम का गेट पूरा बंद नहीं किया. जब मैं अन्दर गया तो अन्दर स्वरा की ब्रा टंगी हुई थी. मैं वहां उसकी ब्रा अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारने लगा.
कुछ ही देर में मैंने अपने लंड का पानी ब्रा में निकाला और चेंज करके बाहर आ गया.
मुझे ये नहीं पता था कि उस ब्रा को थोड़ी देर में ही उठा कर मशीन में डालने वाली है.
मैं अन्दर बैठा था तो मैंने देखा कि वो बाथरूम में गई और उसने बाथरूम से कपड़े उठाए.
फिर उसने मेरी और थोड़ा अजीब सी नजरों से देखा. फिर वो वॉशिंग मशीन की तरफ चली गयी.
मैं समझ गया कि इसे पता चल चुका है कि मैंने इसकी ब्रा के साथ क्या किया है.
फिर वो कमरे में आ गई.
कमरे की लाइट्स ऑफ होने के बाद रूम में अंधेरा हो गया था.
हम दोनों ही बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
बातों बातों में वो मुझे बताने लगी थी कि इनको सेक्स में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है. मैं कुछ कहूँ तो उन्हें मेरी बात बुरी लगती है.
मैंने कहा- नहीं तुम नहीं कहा करो, तुम क्यों ये सब कह कर अपनी वैल्यू कम करती हो.
वो बोली- हां, अब मुझे उनसे कुछ नहीं कहना है. मुझे उनसे अब कोई शिकायत नहीं है.
उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था. मैंने अंडरवियर भी नहीं पहनी थी, तो पजामे में मेरा लंड तम्बू बना रहा था.
रात के 12.30 बज चुके थे और स्वरा को नींद आ चुकी थी.
फिर भी मैंने चैक करने के लिए उसको आवाज लगाई.
उसका कोई जवाब नहीं आया.
मुझे कुछ हिम्मत मिली और मैं धीरे धीरे सरक कर उसके पास चला गया.
वो चित सोई हुई थी और उसने अपने बदन पर चादर डाला हुआ था.
शायद एसी के कारण उसे ठंड लग रही थी.
मैंने चादर को धीरे से एक तरफ किया और जहां उसकी टी-शर्ट के बटन थे, वहां हल्के हाथों से बटन खोलने लगा.
उसकी शर्ट में बटन आराम से खुलने वाले थे, तो जरा सी कोशिश में ही उसके दो बटन खुल गए.
एसी की एलईडी की रोशनी कमरे में काफी उजियाला कर रही थी जिसमें से में मुझे उसका पेट साफ़ दिखाई देने लगा था.
फिर मैं ऊपर वाले बटनों की तरफ गया तो वो उसके फूले हुए मम्मों के कारण उधर के बटन काफी टाइट लगे थे.
मुझसे बड़ी मुश्किल में उसमें से एक ही बटन खुल पाया.
तभी वो हिलने लगी और करवट लेकर पलट गई.
मुझे बहुत खीज हुई क्योंकि मुझे उसके बूब्स टच करने थे और अब वो उस साइड मुँह करके सो गई थी.
फिर भी मैंने अपनी कोशिशें जारी रखीं और कुछ मिनट बाद उसकी पीठ तरफ से उसका पज़ामा नीचे करने की कोशिश करने लगा.
स्वरा की फूली हुई गांड होने के कारण पजामा ने नीचे उतरने से मना कर दिया और मुझसे झांट कुछ नहीं हो पाया.
अब जब तक वो वापिस नहीं मुड़ जाती, तब तक मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.
थोड़ी ही देर बाद मुझे ऐसे लगा जैसे शायद उसको सुसु आई क्योंकि वो हिल रही थी और उठने की कोशिश में थी.
मैंने इसे एक मौक़ा माना और मैं फटाफट उठ कर वॉशरूम में चला गया.
बाथरूम का गेट बिना बंद किए मैं मूतने लगा. मैं इस तरह से खड़ा था कि मेरा लंड उसे दिख जाए.
एक मिनट बाद ही वो आंखें मसलती हुई जब बाथरूम के पास आई तो मैं अपने लंड को हिला रहा था.
उसने मेरे लंड को देखा और वो एक तरफ हो गई.
वो बोली- जीजू, गेट बंद नहीं किया आपने.
मैंने कहा- कोई और था नहीं घर पर, मुझे नहीं पता था कि तुम भी उठ जाओगी. गर्मी कुछ ज्यादा थी तो नहीं किया.
वो बोली- ओके.
कुछ पल बाद मैं बाहर आ गया और वो अन्दर चली गई.
उसने सुसु की और हम दोनों वापिस बेड में आ गए.
हम दोनों फिर से सोने लगे.
उस समय रात के 3 बजे से ज्यादा का समय हो गया था.
उसने ठंड की वजह से एसी बंद कर दिया था और चादर भी हटा दिया था.
वो जब सो गई तो मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू किया.
उसका कोई विरोध नहीं हुआ तो मुझे हिम्मत आ गई.
मेरी सोच यही थी कि आज कैसे भी करके ये मौका नहीं छोड़ना है.
मैंने हल्के से उसको आवाज दी, ‘स्वरा …’
उसका कोई उत्तर नहीं आया.
मैंने फिर से उसे जगाया, तो वो नींद में ही बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- स्वरा यार, मैं तुझे पसंद करता हूँ.
ये बात सुनकर वो हंसने भी लगी और शर्मा गई.
वो बोली- मैं नींद में इतनी भी बेसुध नहीं हूँ, जो मुझे पता नहीं चल रहा कि आप क्या कर रहे हो. पहले मेरी ब्रा में अपना पानी गिराया, फिर मेरी शर्ट के बटन खोले. मुझे सिड्यूस करने के बाद भी आपने कुछ नहीं किया और 3 बजा दिए.
मैंने कहा- क्या मतलब?
वो बोली- मुझे भी जरूरत है जीजू … बहुत दिन से मैं भी प्यासी हूँ.
इतना कहते ही वो मेरे गले लग गई और हम दोनों लिपकिस करने लगे.
वो मेरे ऊपर आ गई और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया. वो मेरे सीने को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगी.
मैंने उसकी शर्ट को उतार दिया और वो ऊपर ब्रा में रह गई. मैंने उसका पज़ामा उतार कर उससे कहा- हनी 69 में आ जाओ.
उसके पति ने कभी उसकी चूत नहीं चाटी थी तो वो 69 समझ नहीं पा रही थी.
फिर मैंने खुद ही उसकी चूत की तरफ आकर उसकी चूत चाटी, तो वो कंट्रोल से बाहर हो गई. मैं लगा रहा और वो आंह आंह करती रही अपनी चूत मेरे मुँह में देती रही.
कुछ ही पलों में उसकी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में आ गया.
वो झड़ कर मेरे बाजू में लेट गई.
कुछ मिनट बाद मैं नंगा हो गया और उसको गोदी में उठा कर उसे चूमने लगा.
मेरा लंड उसकी चूत में रगड़ मार रहा था.
उसने मेरे लंड को हाथ पकड़ कर रास्ता दिखाया और मैंने लंड चूत में डाल दिया.
वो आंह कह कर सिसक उठी.
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
साले साहब का लंड एक तो छोटा था और काफी दिन से चूत में गया भी नहीं था.
कुछ देर की उन्ह आह के बाद वो चुदाई के पूरे मजे लेने लगी.
हमारी चुदाई धकापेल चलने लगी.
पहली बार का मामला था तो ये चुदाई 10 मिनट ही चली और मेरा लंड पानी छोड़ने को हो गया.
मैंने लंड चूत से निकला और पानी बाहर ही छोड़ दिया.
वो काफी खुश थी.
कुछ देर बाद हॉट फॅमिली पोर्न का दूसरा राउंड शुरू हो गया.
उस बार मैंने उसे हचक कर चोदा.
वो भी अपनी चूत को हर आसन में चुदवाने को मचल रही थी.
मैंने रात भर अपनी सलहज की चूत का मजा लिया.
पूरी रात चुदाई के चार राउंड करने के बाद हम दोनों काफी थक चुके थे.
स्वरा को भी नींद आ रही थी.
मैंने उसको सोने के लिए कहा और हम दोनों बिना कपड़ों के सो गए.
अगली सुबह मॉर्निंग जब मैं उठा तो देखा कि वह बिस्तर पर नहीं थी.
जब मैंने बाहर देखा, तो वो किचन में काम पर लगी हुई थी.
मैंने उसे आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए कहा. मेरे दिमाग़ में अभी भी सेक्स करने की इच्छा चल रही थी.
मैंने उसके रूम में आने से पहले ही लंड सहलाना शुरू कर दिया था.
कुछ ही देर में वो अन्दर आई और मुझे लंड सहलाते देख कर मुस्कुराने लगी.
उसने कहा- जीजू, अभी तक शांत नहीं हुए आप!
मैंने कहा- तू है ही इतनी सेक्सी कि कंट्रोल करना मुश्किल है.
मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आकर मुझे लिपकिस करने लगी.
मैंने उसे कपड़े उतारने के लिए कहा.
वो झट से अपना सलवार कुर्ता उतार कर मेरे पास आ गई.
उसने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा डाल रखी थी.
मैंने उसे मेरे मुँह पर बैठने को कहा.
वो अपनी चूत चटवाने के लिए मेरे मुँह पर बैठ गई.
मैंने जीभ से उसकी फुद्दी चाटना शुरू कर दिया. मेरी जितनी जीभ अन्दर तक जा सकती थी, मैंने डालकर मजा लिया.
मेरी इस हरकत से वो फिर से चुदासी हो गई और मेरे मुँह से चूत हटा कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
वो और ज़्यादा गर्मा गई और मुझे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.
मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड सैट करके एक ही झटके में पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया.
वो ‘आह मर गई …’ कह कर सिहर उठी.
कुछ ही मिनट में ही उसको चरम सुख की प्राप्ति होने लगी और उसकी चूत से पानी बाहर बहने लगा.
वो चिल्लाने लगी.
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर मुठ मारने लगा, अपने लंड का सारा पानी उसके मम्मों और पेट पर निकाल दिया.
वो खुश हो गई.
उस दिन शाम को मेरे साले और सासू मां को वापस आना था.
मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली और तीन बजे तक अपनी सलहज को चोद चोद कर तृप्त कर दिया.
मैं बड़ौदा का रहने वाला Hindi Sex Stories हूँ। मैं कई दिनों से अन्तर्वासना में आप लोगों की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूँ।
तो बात ऐसी थी कि मैं अकेला रहता हूँ। मेरी जॉब शाम को होता था तो मैं पूरा दिन अपने घर पर खाली रहता था। मेरे घर के एकदम बाजू के घर में एक सुन्दर सी भाभी रहती है। इंसान तो वो बहुत अच्छी है और मेरे साथ बहुत दोस्ताना बात भी करती है। कभी कभी मुझे खाना भी बना देती है। ऐसे करते करते एक सामान्य सा रिश्ता बन गया था। उनका एक लड़का भी है। लड़का शायद ११-१२ साल का होगा। वो स्कूल जाता है। उनकी पति नौकरी करते हैं। लेकिन थोड़ा दुबले पतले हैं।
उनकी समस्या यह थी कि वो तीनों एक ही कमरे में रहते हैं। इसीलिए पति- पत्नी के बीच सेक्स कभी-कभार ही होता था। जब उनका लड़का कहीं बाहर होता था। ११ साल का लड़का स्कूल के अलावा कहीं जाता नहीं था। उनका कोई खास रिश्तेदार भी नहीं थे। इसलिए सेक्स की भूखी रहती थी।
उनकी फिगर मैं क्या बताऊँ दोस्तों, बहुत ही अच्छी सेक्सी है। मैं जब भी उनको देखता था मेरा तो लण्ड कन्ट्रोल से बाहर हो जाता था। मैं कई बार मेरे घर में उनको सोचते सोचते मुठी मार देता था। लेकिन मैंने एक दिन सोचा कि यह रोज रोज मुठी मारने से अच्छा है कि एक बार साहस करके उनको बोल दूँ।
तो दोस्तो, मैंने ऐसा ही किया।
एक दिन उनका लड़का स्कूल गया था, पति भी नौकरी पे ! मैं घर पर अकेला था। वो कुछ काम के लिए आई। सॉरी, काम तो नहीं था, सुबह मुझे चाय पिलाने आई, बोली- मैं चाय बना रही थी तो सोचा कि तुम्हारी लिए भी बना लूँ ! लो चाय पियो !
तो मैंने उनको थैंक्स बोला। वो जाने लगी। मैंने सोचा कि अभी उनका मूड अच्छा है तो मैं अपनी गेम खेल सकता हूँ। तो मैंने उनको बोला- भाभी, आप अपनी चाय भी लेकर यहीं आ जाओ ! साथ में बैठ के पीते हैं और कुछ बात भी करेंगे।
वो बोली- ठीक है !
और वो चाय लेकर आ गई। हम दोनों ने चाय पी और कुछ बातें करने लगे।
तो मैंने उनको पूछा- भाभी, कई दिनों से मैं देख रहा हूँ कि आप कुछ उदास उदास लगती हो ! क्या बात है? आप तो उम्र में इतनी बड़ी नहीं लगती, तो अभी से आप को क्या टेंशन है? क्यूँ उदास-उदास रहती हो?
वो बोली- नहीं ऐसा कुछ नहीं है !
तो मैंने बोला- ऐसा ही है ! आप मेरे साथ शेयर कर सकती हो !
तो थोड़ी देर के बाद वो बोली- लाइफ में अभी मजा नहीं रहा ! सुबह से लेकर शाम तक बस काम करो और सो जाओ ! और कुछ नहीं !
मैंने पूछा- तो काम बहुत करना पड़ता है? मैं कुछ मदद कर सकता हूँ क्या आपकी?
पहले तो वो न बोली कि नहीं इस बात में तुम कुछ मदद नहीं कर सकते। लेकिन मैं भी जिद पकड़ के बैठ गया कि कौन सी बात में मदद नहीं कर सकता?
तो अन्त में उसने अपनी वास्तविक समस्या बताई।
मैं बोला- भाभी, मैं क्यूँ मदद नहीं कर सकता ! मैं कर सकता हूँ !
वो बोली- क्या बात करते हो ! मजाक मत करो !
मैंने बोला- मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ !
वो बोली- ठीक है !
तो मैं आगे एक भी मौका न गंवाते हुए उनको चूम लिया ! ना आगे देखा न पीछे ! बस चूम लिया।
वो भी कामुक थी तो वो भी कुछ नहीं बोली और मेरे साथ मजा लेने लगी। पहले तो वो दरवाज़ा बंद कर दिया कि कोई आ न जाए !
वो थोड़ी मोटी थी और मुझे मोटी औरत बहुत अच्छी लगती है। उनके स्तन भी बहुत बड़े थे। उनकी गांड तो इतनी कामुक थी ….
मैं पहले से ही छोटी निककर में था। पहले पाँच मिनट तो मैं उनको किस करता रहा। इतने में उनकी आंसू निकल पड़े और बोली- बहुत दिनों के बाद आज मुझे मेरी प्यास बुझाने का मौका मिलेगा।
मैंने तो उनके आँसू भी पी लिए और उनका पूरा मुंह चाट लिया। वो गाऊन में थी। धीरे धीरे मैंने उनका गाऊन निकाल फेंका। अब वो खाली ब्रा और पैंटी में थी। धीरे से मैंने उनको बेड पर लिटा दिया और उनकी ब्रा खोलने लगा। ब्रा को खोलते ही मेरे पसंद की चीज मेरे हाथों में थी। मैंने जम क उनको किस किया। जैसे जैसे मैं चूसता रहा वो भी उतेजित होने लगी।
तब तक मैं उनको होठों से ले कर नाभि तक किस करता रहा। इतने में उसने खुद ही अपने पैंटी निकाल फेंकी और बोली- अब रहा नहीं जाता, तुम अपना लण्ड उसमें डालो ! मैंने कहा- इतनी जल्दी भी क्या है, आज तो पूरा दिन पड़ा है, सालों का मजा आज ले लो अच्छी तरह से !
धीरे धीरे मैं उनकी चूत चाटने लगा तो वो और भी गर्म हो गई और तरह तरह की आवाज निकालने लगी। इसक मतलब उनको भी मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने अपना हथियार उनकी चूत में डाल दिया। मुझे भी थोड़ा जोर लगाना पड़ा क्यूँकि काफी दिनों से उनके छेग में कुछ घुसा नहीं था। और वो भी चिल्ला उठी- धीरे धीरे करो !
मैं तो नहीं रुका और अपने काम में लग गया, धक्का देने लगा। वो भी उह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह् अह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह् करने लगी- ओह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्छ ओह्ह्ह्छ करने लगी।
ऐसे करते करते १० मिनट के बाद वो झड़ गई और थोड़ी देर में मैंने भी अपना सारा का सारा माल उनके अन्दर डाल दिया।
वो बोली- नो प्रॉब्लम ! मेडीसिन ले लूंगी !
उस दिन हम लोगों ने ५ बार चोदा-चुदाई की। वो भी बहुत खुश हो गई और उस दिन के बाद तो हम लोग सप्ताह में तीन-चार बार तो सम्भोग कर लेते थे।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे लिखिए जरूर ! Hindi Sex Stories
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ औरHindi Porn Storiesइसकी तकरीबन सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। आज मेरा भी मन किया अपनी कहानी आप लोगों को बताने का!
मेरा नाम राहुल है और मैं गाँव जुलाना, हरियाणा का रहने वाला हूँ।
बात उस समय की है जब मैं 18 साल का था और बिल्कुल कुंवारा था। मैं एक क्लीनिक पर काम करता था मेरी वहां रात की ड्यूटी थी। मैं रात को वही सोता था। वहां सुबह-सुबह एक लड़की सफाई करने के लिए आती थी। उसके बारे में क्या बताऊँ मामू! क्या लड़की थी!
वैसे वो बहुत चालू थी साली! बहुत लड़कों से चूत मरवा चुकी थी, लेकिन वो बहुत सेक्सी लगती थी। लम्बाई यही कोई 5’3″, फिगर सही-सही तो नहीं बता सकता लेकिन मस्त भरा हुआ जिस्म था उसका। चूची भी देखने में अच्छी थी काफी बड़ी-2! शक्ल सूरत तो ठीक ठाक ही थी, लेकिन उसकी जो एक चीज दिलकश थी वो थी उसकी बाहर को निकली हुई गांड!
जब वो चलती थी ना तो उसके दोनों कूल्हे आपस में ऐसे रगड़ खाते थे कि अगर उसकी गांड में लंड डाल के उस लड़की को चलाया जाए तो लंड पिस जाए साला! वो मुझसे हमेशा सेक्सी सी बातें करती थी, मेरे पास से निकलती तो मुझे छूते हुए, लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं तब तक लड़कियों के बारे में ज्यादा नहीं जानता था।
उस समय सर्दी के दिन थे, वो सुबह 5 बजे आती थी सफाई करने। मैं वही सोता था, जब वो आती तो मैं अपने दोस्तों के साथ सैर करने के लिए जा चुका होता था तो …
उस दिन मेरे दोस्त मुझे उठाने के लिए नहीं आए थे, लगता था साले रात में ब्लू फ़िल्म देख के मुठ मार के सो गए थे। तो मैं आराम से सो रहा था। वो आई और मुझे हिला कर उठाने लगी। मैंने सोचा कि मेरे दोस्त उठाने के लिए आए हैं और मेरा उस दिन जाने का मूड़ नहीं था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और एक तरफ़ झटका दिया तो वो सीधी मेरे ऊपर ही आ पड़ी। मुझे अपने ऊपर वजन महसूस हुआ तो मैंने उसे उसकी छाती पर हाथ लगा कर उठाने की कोशिश की तो मुझे लगा कि मेरे हाथ में किसी लड़की के चुचे हैं। मैंने आँख खोल कर देखा तो देखा कि मेरे ऊपर तो वही लड़की है। मैंने उससे कुछ भी नही पूछा और चुपचाप उसे अपने नीचे डाल लिया और उसके होठों को चूसना शुरु कर दिया। मुझे मजा आने लगा था।
उस समय मेरा दिमाग सुन्न हो गया था, मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा हूँ, क्योंकि मेरी जिन्दगी की पहली लड़की मेरी बांहों में थी और मैं उसे चोदने वाला था। ऐसा लग रहा था जैसे जिन्दगी में इससे ज्यादा मजेदार चीज कोई हो ही नहीं सकती।
मैं उसके मुंह के अन्दर अपनी जीभ घुमाने लगा, वो भी मेरे मुंह में जीभ डाल के चाट रही थी। मैं एक हाथ से उसके चुचे दबाये जा रहा था। कुछ देर के बाद मैं उसके ऊपर से उठा और उसकी सलवार-कमीज उतार के एक तरफ़ फैंक दी। उसके जिस्म पे अब काली ब्रा और पैंटी बाकी थी। ट्यूब लाइट की रोशनी में उसका गोरा जिस्म चमक रहा था।
मैं उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाटने लगा। फ़िर उसके चुचियों के उभारो को चूमना चाटना शुरु कर दिया। वो भी सिसक रही थी मुझे भी मजा आ रहा था। मैंने उसकी ब्रा को उतार फैंका और उसकी चूची चूसने लगा। साली की चूची बड़ी सख्त थी, उसके निप्पल तन के खड़े हो गए थे।
मैं उसके जिस्म के एक एक हिस्से को चूमते हुए नीचे जाने लगा, उसके चिकने पेट को चूमते हुए मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। मैंने सोचा कि उसकी चूत भी चाट लूँ पर उसकी चूत चाटने को दिल नहीं माना।
उसने चूत की शेविंग करके एक दम चिकना बना रखा था। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और उसे अपना लंड चूसने के लिए कहा। उसने बहुत मना किया लेकिन मैंने उसके बाल पकड़ के खींच दिए। उस वक्त मुझे पता नहीं क्या हो गया था वरना आम तौर पर मैं जानवरों जैसा व्यवहार नहीं करता।
हाँ तो मैंने उसके बाल पकड़ के खींच दिए। जैसे ही उसका मुंह खुला, मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और पूरा अन्दर ठेल दिया। उसके मुँह से घूं-घूं की आवाज आ रही थी। मुझे पता चल रहा था कि मेरा लंड उसके गले में जाके फंसा हुआ है, फ़िर मुझे उस पे थोड़ी दया आई और मैंने अपना लंड थोड़ा वापस खींच लिया और धीरे-2 अन्दर बाहर करने लगा। मुझे उस वक्त ऐसा मजा आ रहा था कि दिल कर रहा था कि पूरी जिन्दगी ऐसे ही करता रहूँ। काफी देर के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसके मुँह से लंड निकाल लिया।
और उसकी टांग उठा के लंड उसकी चूत के अन्दर डाल दिया। लंड एकदम से अन्दर चला गया। मेरा लंड अच्छा खासा मोटा ताजा है लेकिन उसकी साली की चूत ही कुआँ बन चुकी थी। वो एकदम जोर से चिल्लाई हरियाणवी में- आह मेर तो दर्द होव है बाहर काढ ले”
मुझे उस वक्त हँसी भी आई और गुस्सा भी आया कि साली आधे गाँव के लंड खा चुकी है और ऐसे चिल्ला रही है जैसे साली सील मुझसे ही पड़वा रही है।
मैंने उसकी बात सुने बगैर चुपचाप उसे पेलना जारी रखा। वो मुझसे जोर से चिपकी हुई थी उसके निप्पल कड़े होकर मेरी छाती में गड़े हुए थे और नीचे से गांड उठा-2 के धक्के लगा रही थी। धक्के क्या लगा रही थी साली एक कुंवारे लंड की इज्जत लूट रही थी। बेशक मेरा लंड उसकी चूत में था और मैं उसके ऊपर था लेकिन मैं उसे नहीं, वो मुझे चोद रही थी क्योंकि वो इस चुदाई की माहिर थी मैं तो सिखधर ही था अभी।
थोड़ी देर के बाद उसने मुझे जोर से भींच लिया और मेरे कंधे पे दांत गाड़ने लगी। मैं हिल नहीं पा रहा था, ना ही अपना लंड आगे पीछे कर पा रहा था। उसने अपनी चूत को एक बार सिकोड़ना और एक बार ढीला करना शरु कर दिया।
शायद वो टपक रही थी फ़िर उसने मुझे ढीला छोड़ दिया और मैंने जैसे ही धक्के लगाने शुरु किए, मुझसे कहने लगी हरियाणवी में- हाय बाहर काढ ले मेर तो दर्द होण लाग्या इब.
मैंने कहा- साली मेरा स्वाद क्या तेरी माँ निकलावाएगी!
और मैंने उसे जोर से पकड़ के धक्के लगाने शुरु कर दिये तो वो बार-2 निकालने के लिए कहने लगी।
मैंने कहा- गांड में डलवाएगी तो छोड़ दूंगा।
तो वो मान गई। मैंने उसकी चूत से लंड निकाल लिया, वो उसकी चूत के पानी में भीगा हुआ था और टपक रहा था। मैंने उसको मरीजों को लेटाने वाली मेज के पास खड़ा किया और उसकी छाती को मेज पे टिकवा दिया। अब उसके पैर जमीन पे थे और वो मेज पे छाती टिका के झुकी हुई थी। मैंने उसके दोनों हाथों को उसकी पीठ पे एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ के उसकी गांड पे टिका के एक जोर का धक्का लगाया। मेरा करीब आधा लंड उसकी गांड में चला गया, वो जोर से चिल्लाने लगी और अपने हाथो को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
मैंने एक हाथ उसके मुँह पर रख के जोर से दबा लिया और दूसरे हाथ से उसके दोनों हाथों को जोर से पकड़ लिया। वो छटपटा रही थी और उसकी आंखों से आंसू निकल के मेरे हाथों पे बह रहे थे। शायद उसने अपनी गांड अब तक कुंवारी रखी हुई थी जो आज मैंने फाड़ डाली। यह सोच के मैं बहुत खुश हुआ और मैंने एक जोर का धक्का और लगा के अपना पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया और जोर-2 से धक्के लगाने लगा।
उसके नीचे की मेज भी मेरे धक्कों के साथ-2 आगे पीछे हिलते हुए चरमरा रही थी। करीब 10 मिनट बाद में मेरे वीर्य की पिचकारी उसके अन्दर अन्दर छुटने लगी। मैंने उसके हाथों और मुँह पर से हाथ हटा के दोनों हाथों से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और उन्हें जोर-2 से भींचते खींचते हुए उसके अन्दर झड़ने लगा, पूरी टंकी खाली करने के बाद मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
करीब 10 मिनट के बाद हम लोग उठे मैंने देखा की मेरा लंड कई जगह से छिला हुआ है। मैंने बाथरूम में जाके अपना लंड साफ किया, उसने अपनी गांड और चूत साफ की और क्लिनिक की सफाई करने लगी। मैं भी थक चुका था।
लड़के ने आज बहुत मेहनत की थी भाई, अपनी जिन्दगी की पहली गांड मारी थी और पहली चुदाई हर आदमी के लिए खास होती है।
मैं उसी चुदाई के बारे में सोचते हुए घर चला गया.
तो कैसी लगी मेरी कहानी?
जिसको मेरी कहानी पसंद आई वो भी और जिसको पसंद नहीं आई वो भी और हरियाणा की सब कुंवारी लड़कियाँ या मेरी सेक्सी भाभी और आंटियां मुझसे इस पते पर ई-मेल करें- Hindi Porn Stories
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