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Massage Girl in Dhar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dhar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dhar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dhar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dhar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dhar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dhar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dhar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dhar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dhar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dhar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dhar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

मम्मी और पापा आज सवेरे दिल्ली जाने वाले थे। मैं Hindi Sex Stories घर पर अकेली थी। पापा ने पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी को कहा था की वो मेरी और घर की देखभाल करें। शर्मा जी की बेटी मेरी सहेली है। उसका भाई राहुल२० साल का है और कॉलेज में पढता था। वो मम्मी – पापा के जाने के बाद अपनी किताबें ले कर घर पर आ गया था। उसे बैठक का कमरा दे दिया था।

दो जवान जिस्म और एकांत…फिर पूरी आज़ादी। कुछ तो होना ही था। वो शुरू से ही मुझे पसंद करता था। वो मुझसे बात करने के लिए बार बार मेरे कमरे में आ जाता था। मैं मन ही मन उसकी बात समझती थी और मुस्कुराती थी। मुझे भी वो अच्छा लगता था।

जिस समय वो मेरे कमरे में आया उस समय मैं बाथरूम में नहाने घुसी ही थी। मैंने बाथरूम के दरवाजे के छेद में से झांक कर देखा तो वो बाथरूम की तरफ़ ही देख रहा था। मैं कपड़े उतरने लगी। तभी मुझे लगा कि राहुल दरवाजे के पास आ गया है। मुझे मौका मिल गया उसे पटाने का।

मैंने चुपके से देखा कि बाथरूम के दरवाजे के उसी छेद से… एक आँख झिलमिला रही थी। मैं समझ गयी कि वो मुझे अब देख रहा है। मैंने उसे अपनी और आकर्षित करने के लिए अनजान बनते हुए अपना टॉप उतारा… मेरी चुंचियाँ उछल कर बाहर आ गयी। मैंने चुन्चियो को धीरे से सहलाया और नोकों को मसल दिया।

फिर मैंने छेद की ओर अपनी पीठ करते हुए अपना पजामा उतर दिया। पेंटी भी उतर दी। मेरे चूतडों की गोलाईयां और गहराइयाँ उसकी नजरों के सामने थी। ऐसा करते समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी, क्योकि मुझे पता था कि राहुल मुझे नंगा देख रहा है। मैंने अपना बदन अब उसके सामने कर दिया जिस से उसे मेरी छूट साफ़ दिख जाए। उसकी नजरे अभी भी छेद में चमक रही थी।

मैंने झरना खोला और गरम गरम पानी मेरे शरीर पर पड़ने लगा। मैंने कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं चाहती थी वो मुझे देखे और उत्तेजित हो जाए। मैं नहा चुकी तो मैंने दरवाजे के छेद के पास अपनी चूत सामने कर दी। मेरी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी।

मुझे लगा कि उसे अब मेरी चूत साफ़ नजर आ रही होगी। मैंने अपना बदन तोलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। अब उसकी आँख वहाँ नहीं थी।

मैं बाथरूम से बाहर आयी और अनजान बनते हुए बोली-‘अरे… राहुलकब आए..?’
‘बस अभी ही आया हूँ…’ उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। उसका लंड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।

‘क्या बात है… तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…’ मैं बालों पर कंघी कर रही थी। उसे छेड़ने में मुझे मजा आ रहा था। मैं उसके सामने बैठ गयी और झुक कर पंखे की हवा में बाल सुखाने लगी। उसकी नजरों के सामने मेरी उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी।
उसकी नजरें मेरे स्तनों पर गड़ गयी।

मैंने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और उसके गर्माते शरीर पर सीधे चोट की…’विनोद… अन्दर क्या देख रहे हो …झांक कर ?’
‘हाँ… नही… क्या…?’ वो बुरी तरह झेंप गया।

‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ राहुलएकदम से शरमा गया।
‘नेहा… वो… नही… सो… सॉरी…’
‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’
‘नेहा… अच्छी लग रही थी…सॉरी कहा न ‘

मैं उसके पैंट पर से लंड के उभर को देख रही थी। उसने ऊपर हाथ रख लिया।
‘नही देखो… इधर.. ‘ वो शरमा गया। मैं मुस्कुरा उठी।
‘तो कान पकडो…’
राहुलने अपने कान पकड़ लिए… ‘बस…ना…’

हाथ हटाने पर लंड का उभार फिर से दिखने लगा।
मैं हंस पड़ी।
वो देखो… जो है वो तो दिखेगा ही… ‘

अब राहुलको समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। उसका लंड का आकार तक दिखने लगा था। राहुलउठ कर मेरे पास आ गया। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा-‘नेहा…तुम्हारी भी तो उभार है… एक बार दिखा दो…’

‘अरे…मैं तो मजाक कर रही थी… तुम अन्दर देख रहे थे… इसलिए मजाक किया था…’
राहुलसे रहा नही गया उसने एकदम से मेरे गालों को चूम लिया। मैं शरमा गयी…
‘विनोद… ये क्या कर रहे हो…’

उसने तुंरत ही मेरे होंट पर अपने होंट रख दिए। मैंने सोचा अब इसे और आगे बढ़ने दो। मुझे मजा आने लगा था।

उसने मेरे भारी स्तनों को पकड़ लिया। उसने स्तनों को मसलना चालू कर दिया। मैं सिमटी जा रही थी। पर उसके हाथों ने मेरे उभारों को मसलना जारी रखा। मैं अपने को बचाती भी रही…पर उसे रोका भी नहीं।

जब उसने मेरे उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब मैंने जान कर के उसे पीछे की ओर धक्का दे दिया-‘बहुत बेशरम हो गए हो…’ मेरे हाथ से कंघी नीचे गिर गयी। मैं जैसे ही उठ कर कंघी उठाने को झुकी, मेरे पजामे में से मेरी गांड की गोलाईयां उभर कर राहुलके सामने आ गयी। राहुलबोल उठा-‘नेहा बस ऐसे ही रहो…’ मैं जान कर के वैसे ही झुकी रही।
‘क्या हुआ…?’

उसने मेरे नरम नरम गोल चूतडों को हाथ से सहला दिया। गोलाईयां सहलाते हुए उसके हाथ दोनों फाकों की दरार में घुस पड़े ओर फिर अपनी उंगली घुसा कर मेरी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं वैसे ही जान कर के झुकी रही। अब उसके हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढ गए।

मैं सिहर उठी। जैसे ही उसने चूत दबी… चूत का गीलापन उसके हाथ में लग गया। अब उसने मेरी चूत को भींच दिया। मैंने जल्दी से उसका हाथ हटा दिया। और सीधी खड़ी हो गयी।

राहुलमुस्कुराया ‘नेहा… मज़ा आ गया… तुम्हें कैसा लगा…?’
‘अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो… कालेज़ नहीं जाना क्या…?’ मैंने भी उसे मुस्कुरा कर कहा।

हम दोनों ने दोपहर का खाना खाया। फ़िर राहुलकालेज़ चला गया। मैंने अपने कपड़े बदले, पैन्टी और ब्रा उतार दी और सिर्फ़ स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन लिया। मैंने सोचा कि अब जब राहुलआएगा तो मुझे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। मैंने हमेशा की तरह अपनी गाण्ड में क्रीम लगा कर चिकनी कर ली और बिस्तर पर लेट गई। राहुलके बारे में सोचते सोचते जाने कब मुझे नींद आ गई।

अचानक मेरी नींद खुल गई। मुझे अपनी पीठ पर एक जिस्म का भार महसूस हुआ। मैं सिहर उठी और समझ गई कि यह राहुलहै पर मैंने आंख नहीं खोली। राहुलमेरी पीठ पर सवार था और उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड पर स्पर्श हो रहा था।

मैं नीचे दबी हुई थोड़ी इधर उधर हुई तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर टिक गया। मैंने अपनी टांगें थोड़ी और फ़ैला दी।
‘नेहा… तुम बहुत अच्छी हो…’

‘आऽऽऽह… विनोद…’ उसके लण्ड की सुपारी से चिकनाई निकलने लगी जो मेरी गाण्ड को भी चिकना कर रही थी। उसके लण्ड ने अपनी मर्दानगी दिखानी शुरू कर दी, उसके चूतड़ों ने लण्ड पर जोर लगाया और सुपारी छेद में आराम से घुस गई।

‘आऽऽऽऽह… अन्दर गया…ऽऽ विनोद…’ मेरे मुंह से सिसकारी फ़ूट पड़ी। उसने हल्का सा जोर लगाया तो लण्ड गाण्ड की गहराईयों में रगड़ खाता हुआ उतरने लगा। अब मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी और टांगें पूरी खोल दी। अब उसके लण्ड का जोर पूरा लग रहा था।

मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी चुन्चियों पर रख दिए. मैं कोहनियों पर हो गयी और आगे से शरीर को थोड़ा ऊपर कर लिया. उसने अब मेरी चुंचियां पकड़ ली और मसलने लगा. मेरे ऊपर वो चिपका हुआ था. लंड उसका मेरी गांड में पूरा घुसा था पर वो अभी धक्के नहीं मार रहा था. वो मुझे चूमने चाटने में लगा था. उसके होंट मेरे होंट तक नहीं पहुँच पा रहे थे. मैं मस्ती में नीचे दबी पड़ी थी.

अब उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रखे और मेरे बदन को उसने मुक्त कर दिया. अब उसने धीरे धीरे धक्के मारने चालू कर दिए. मैं फिर से बिस्तर पर चिपक कर लेट गयी. और आराम से आंखे बंद कर ली. मैं पूरे मन से गांड चुदाई का आनंद ले रही थी. उसकी स्पीड अब तेज हो गयी थी. उसके लंड से चिकनाई भी निकल रही थी.
‘नेहा… आःह्ह… मजा आ रहा है…’

‘हाँ रे…सी सीई.. आः…’ मैं नीचे लेटे लेटे आँखें बंद करके सिस्कारियां भरती रही. मेरे अन्दर अब मीठी मीठी सी गुदगुदी बढने लगी. नीचे मेरी चूत भी बहुत पानी छोड़ रही थी. सारे बदन में वासना की रंगीन कसक सी बढ रही थी. मुझे ऐसा महसूस होने लगा था की राहुलमेरे अंग अंग को दबा दे , उसे मसल डाले… मेरा सारा कस बल निकाल दे.

‘विनोद… करते रहो…जोर से…करो… हाय…’ ऐसा लगा आवाज़ मेरी अंतरात्मा से निकाल रही हो. उसके धक्के मेरी गांड में ऐसे आराम से चल रहे थे जैसे कि चूत चुद रही हो. उसी सरलता से… उसी तेजी से…मजा भी उसी के समान आ रहा था…

‘हाय… आ अहह हह… नेहा… मैं गया… निकला मेरा…नेहा…’
उसके लंड ने मेरी गांड के अन्दर ही सारा वीर्य भर दिया. मेरी गांड में उसका लंड फूलता पिचकता का सा अहसास दे रहा था. उसका पूरा वीर्य निकल चुका था. राहुलमेरे ऊपर ही लेट गया. उसका लंड सिकुड़ कर अपने आप धीरे से गुदगुदी करता हुआ बाहर आ गया. वो एक तरफ़ लुढ़क गया. मेरी गांड में से वीर्य टपक टपक कर बिस्तर पर चूने लगा. मैं वैसे ही उलटी लेटी रही.

मैंने आँख खोली और गहरी साँस ली. मैं तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी. तौलिये से अपनी गांड साफ़ की, फिर राहुलका लंड भी साफ़ किया. अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गयी. राहुलने अपनी आँख खोली… और मुस्कराया… मैंने उसे चूमना चालू कर दिया. एक हाथ नीचे ला कर उसका मुरझाया हुआ लंड पकड़ लिया. और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…

उसके लंड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. मैंने उसे अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी. कुछ ही देर में उसका लंड चोदने के लिए तैयार था. मैं राहुलके ऊपर लेट गयी. अपनी दोनों टांगे फैला दी.

लंड का स्पर्श मेरी चूत के आस पास लग रहा था. मैंने उसके होंट अपने होटों में दबा लिए. हम दोनों अपने आप को हिला कर लंड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे. उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड लिया. मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी.

अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी. उसका लंड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया. वो मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया. मेरे मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकाल पड़ी…’विनोद… अ आह हह हह हह… सी ई स स स ई एई…’

‘मजा आ रहा है न नेहा…’
‘विनोद… आआह्ह्छ… करते रहो…आ आह हह ह… लगाओ धक्का… आ अह ह्ह्ह्छ..’

मेरे मुख से आहें फूट पड़ी. गांड चुदाने से मेरी उत्तेजना पहले ही बढ़ी हुयी थी. अब उत्तेजना और भी बढाती जा रही थी. उसके लंड के मोटेपन का चूत में अहसास हो रहा था. लंड जड़ तक जा रहा था. मैं आनंद से सराबोर हो गयी थी. सिस्कारियां… आहे… फूट रही थी. मेरे चूतड ऊपर से तेजी से चल रहे थे. मैंने उसके हाथ अपनी चुन्चियों पर रख दिए. उसने मेरे स्तनों को मसलना…मरोड़ना… चालू कर दिया. उसने जैसे ही मेरी नोकों को मसलना और खींचना चालू किया. मेरी तो जान निकलने लगी.

‘जोर से खींच… मेरे राजा… मसल दे… आः ह्ह्छ… मेरे धक्के तेज होने लगे… मैं चरम सीमा पर पहुँचने लगी थी.

‘विनोद…हाय… मैं गयी… हाय… मैं गयी…सी सी ई… अरे..विनोद… रे…’
मैंने अचानक ही उसके हाथ मेरी चुन्चियो पर से हटा दिए…और चूत का पूरा जोर उसके लंड पर लगा दिया.
‘आ आह्ह ह्ह्ह… विनोद… निकला…निकला… हाय… रे…निकला… हाय… छूट गयी..रीई… आह्ह्ह्छ…’

मैं झड़ने लगी… मेरे चूत की लहरें उसके लंड पर लग रही थी. मैं पूरी झड़ चुकी थी. मैं तुंरत उठी और उसका लंड चूत में से निकाल गया. मैंने उसे अपने हाथों में लेकर कस के दबा लिया…और तेजी से दबा कर मुठ मारने लगी… जोश में उसके चूतड ऊपर उठे और उसके लंड ने फुहार छोड़ दी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ छोड़ रहा था. मैंने उसका सारा वीर्य उसके लंड पर लगा कर उसकी मालिश करने लगी. थोड़ा वीर्य उसके चूतडों पर और उसकी गांड के छेद पर भी मल दिया.

वो शान्ति से आँखे बंद करके लेट गया था. उसने थकान से अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उठ कर बाथरूम में नहाने चली गयी. मैं जब बाहर आयी तो राहुलने बिस्तर की चादर बदल दी थी. अब वो कपड़े पहन रहा था.

‘नेहा तुम आराम करो… मैं चाय बना कर लता हूँ.’

मैंने घड़ी देखी…दिन के 4 बज रहे थे. मैं बिस्तर पर लेट गयी. वो चाय कब लाया मुझे पता नहीं चला। मैं गहरी नींद में सो गयी थी…
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देसी चाची सेक्स कहानी में मैं अपनी सेक्सी चाची को चोदने की तमन्ना से उसे देखा करता था.मैंने उसे कैसे सेट करके चोदा, दोस्तो, मेरा नाम सोम है. मैं एक गांव में रहता हूँ. यह देसी चाची सेक्स कहानी उन दिनों की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी. मेरे पापा एक व्यापारी हैं. उनके अच्छे व्यापार के चलते हमें कभी भी पैसों की कमी नहीं हुई. मैं शुरू से ही सेक्स का दीवाना था. मेरी चाची उम्र करीब 30 साल की रही होगी. चाची की हाइट 5 फुट 1 इंच की थी. वे देखने में माल थीं. उनकी गांड और चूचियां भरी हुई थीं. कुल मिलाकर चाची का फिगर मस्त था. चाची मुझसे काफ़ी बातें किया करती थीं. उनसे बात करते समय मैं उनकी चूचियों को निहारता रहता था और मेरे मन में बस यही चलता कि काश एक बार चाची को चोदने का मौका मिल जाए. एक दिन की बात है, चाची को कुछ पैसों की ज़रूरत थी तो वह पैसे उधार लेने के लिए आई थीं. मेरी मम्मी ने उन्हें पैसे देने से मना कर दिया. मैं उन दोनों की सब बातें सुन रहा था. चाची को पैसों की सख्त ज़रूरत थी, उनका पति कुछ काम नहीं करता था. उनको सट्टा खेलने की बुरी आदत भी थी. मैंने चाची की बात सुन कर सोचा कि क्यों ना मैं ही इन्हें पैसे दे दूँ और मौका मिला तो इन्हें सैट भी कर लूँगा. यही सब सोच कर मैंने चाची के बाहर निकलते ही उन्हें एक तरफ ले जाकर कहा- आप मुझसे पैसे ले लो, जब आपके पास हो जाएं … तब वापस दे देना, पर यह बात मेरे घर वालों को पता नहीं चलनी चाहिए! अब चाची तो पैसे के लिए परेशान थी हीं, उन्होंने झट से हां बोल दी. मैंने उनको पैसे दे दिए. वह अपनी गांड मटकाती हुई चली गईं. उन्होंने पैसे लेने के बाद मेरे से बात करना ही बंद कर दिया. कुछ तो मेरी अम्मी ने भी उनसे बात करना कम कर दी थी कि कहीं ये फिर से पैसे मांगने की बात न करने लगें. दूसरी तरफ चाची को मेरे पैसे वापस करने थे तो वे अब मुझे भी नहीं देखना चाहती थीं कि कहीं मैं उनसे पैसे वापस मांगने की बात न करने लगूँ. इस तरह से काफ़ी दिन हो गए. उन्होंने पैसे वापस ही नहीं किए. मैंने भी उनसे पैसे नहीं माँगे. फिर एक दिन पापा और मम्मी को कोई काम आ गया और वे दोनों इंदौर चले गए. वे दोनों दो दिन के लिए गए थे. उस दिन मैं उनके साथ नहीं गया था क्योंकि मुझे मन में ख्याल आया कि आज मैं चाची को बुला कर सेक्स का बोल ही दूँगा. जैसे ही मेरे मम्मी पापा गए, मैं चाची के घर के बाहर ही जाकर बैठ गया. मैं सोचने लगा कि इनको कैसे चोदूं? कुछ देर बाद मैं उनके घर में चला गया. वे सामने ही दिख गईं. मुझे देख कर उनके चेहरे पर कुछ घबराहट के से भाव आ गए थे कि मैं उनसे पैसे की बात करने आ गया हूँ. उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा. मैं चाची से बातें करने लगा- और सुनाओ चाची आप कैसी हैं? वे कहने लगीं- अब क्या सुनाऊं बेटा. बस अपनी बदनसीबी के दिन काट रही हूँ. मैंने उनके चूचे देखते हुए कहा- अरे सब ठीक हो जाएगा चाची … चिंता मत किया करो. उन्होंने मेरी नजरों को ताड़ लिया और कहा- मुझे तो अभी तुम्हारे भी पैसे देने बाकी हैं. इस पर मैंने कहा- अरे कोई बात नहीं, दे देना. वे बोलीं- हां, पैसों को भी लिए हुए काफी दिन हो गए हैं. मैंने कहा- कोई बात नहीं … पैसे नहीं भी देना है, तो मत दो. पर आपको मेरा एक काम करना है. वे पैसे माफ होने की खुशी को दबाती हुई बोलीं- क्या काम? मैंने कहा- चाची, आज घर में कोई नहीं है और मुझे आप बहुत पसंद हो, तो क्या आप मेरे घर आ सकती हो? उन्होंने पहले तो मुझको देखा, उनकी नजरों से मैं डर सा गया कि साला रायता न फैल जाए. फिर चाची ने एक पल सोचने के बाद हां बोल दी. पर उन्होंने कहा- अभी सब लोग वापस आने वाले भी हैं. मैं कल सुबह जल्दी आ जाऊंगी. मैंने भी ज़्यादा फोर्स नहीं किया और घर आ गया. उसके बाद मैंने अपने एक फ्रेंड के घर जाकर खाना खा लिया और घर वापस आ गया. रात हो गई थी तो बस चाची के बारे में सोच सोच कर लंड सहलाने लगा, लंड कड़क हो गया तो मुठ मार कर सो गया. जब सुबह हुई, तो मैं उठ कर फ्रेश हुआ और चाय बनाकर पीने लगा. तभी वे मेरे घर आ गईं. चाची जैसे ही मेरे घर में आईं, मैंने चाय का कप एक तरफ रखा और चाची को कामुक नजरों से देखते हुए पकड़ कर सोफ़े की तरफ किया और उनसे बैठने का इशारा किया वे मुझे देखती हुई सोफ़े पर बैठ गईं और मैंने दरवाजा बंद कर दिया. चाची मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं. मैं उन्हें बांहों में लेकर चूमने लगा. वे भी कुछ नहीं बोलीं बस मेरे होंठों से चुंबन का मजा लेने लगीं. मैंने दस मिनट तक उसके होंठों को चूसा. फिर उन्होंने कहा- कोई आ न ज़ाए? मैंने कहा- कोई नहीं आएगा. मैंने दोनों तरफ़ से दरवाजे बंद कर दिए हैं. अब मैंने चाची को लिटाया और उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. वे भी धीरे धीरे गर्म होना चालू हो गईं. मैंने उनकी साड़ी के अन्दर हाथ डाल दिया और जांघों के सहलाते हुए मैं उनकी चूत तक आ गया. वे चुदवाने का मूड बना कर ही आई थीं. चूत एकदम सफाचट थी. मैंने उनकी चूत में उंगली डाली तो मेरी उंगली बड़े आराम से चाची की चूत में सरकती चली गई. चूत में रस भरा पड़ा था. इसका मतलब साफ था कि चाची भी चुदाई के पूरे मूड में आई थीं. उनकी सफाचट चूत से लग तो रहा था, पर गीली चूत से ये भी साफ हो गया था कि वे खुद अपनी चूत की सर्विसिंग करवाने की सोच कर आई थीं. अब मैंने चाची की चूत में दो उंगलियां डालीं, तो वे दोनों भी घुसती चली गईं, लेकिन थोड़ा कसावट के साथ गई थीं. फिर मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेड पर लाकर पटक दिया. उन्हें ब्रा पैंटी में चुदने के मचलते हुए देख कर मैं अपने कपड़े उतारने लगा. चाची भी अपने होंठों पर जीभ फिराती हुई अपने दूध मसल रही थीं और मेरी तरफ वासना से देख रही थीं. मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उन्हें किस करने लगा. वे भी मेरा साथ दे रही थीं. मैंने चूमते और सहलाते हुए चाची की ब्रा को उतार दिया और उनके दोनों दूध बारी बारी से पीने लगा. वे कामुक सिसकारियां ले रही थीं ‘उउम्म आहहह उफ्फ्फ …’ थोड़ी देर दूध पीने के बाद मैंने अपना लंड आंटी के होंठों पर रख दिया. वे मेरे लौड़े का टोपा चाटने लगीं. मैंने उनके बाल पकड़े और अपना पूरा 7 इंच का लंड चाची के मुँह में घुसा दिया, फिर उनके बाल पकड़ कर उनके मुँह में लौड़े को अन्दर बाहर करने लगा. वह ‘उगुऊन्नं गुऊँन्न …’ की आवाज़ निकाल रही थीं. मेरा पूरा लंड चाची के मुँह में होने की वजह से वे सही से बोल भी नहीं पा रही थीं. मेने उनहे गाली देते हुए कहा ले साली लंड …बहन की लौड़ी कुतिया...साली रंडी चाची … बता और जोर से चोदूं? चाची.आं … आह … और जोर से कर … और जोर से … साले मम्मी का दूध नहीं पिया क्या? ले साली रंडी … पूरा लंड ले … अहा अहा..’ करते हुए मेने चाची के मुँह में लंड ठोक रहा था.आह … मज़ा आ … गया! चूस … चूस … इसे रंडी … खा जा मेरे लौड़े को … चूस भैंन चोद, चूस … और ज़ोर से चूस. चाची. उईई माँ … आआह हह्ह … मर गईईईई … आहहह … आहहह …आहहह् … उम्हह! फिर मैने उनकी पेंटी उतार दी और उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया बड़ी मस्त गर्म चूत है साली मे लपर लपर करके चाची की चूत चाटे जा रहा था. मेरी जीभ चूत की गहराई तक जा रही थी. आज तक मेने चूत नहीं चाटी. काफी दिन बाद किसी मर्द ने मेरी चूत को इस मस्ती से चाटा था, तो चाची भी अपनी गांड उठा उठा कर चूत चटवाने के मजे ले रही थी. मेने चाची की चूत को काफी देर तक चाटा और पूरी लाल कर दी थी.चूत चाटने के साथ मे काट भी रहा था.चाची चूत पर मेरे दांत के निशान भी दिखाई देने लगे थे. चाची भी अब सिसकारियां लेने लगी और कहनी लगी आआह हह्ह … मर गईईईई … आहहह … आहहह …आहहह् … उम्हह...आहहह …आहहह् … उम्हह...और तेज चाट मेरी चूत को बहुत परेशान करती है चाट ले इसे....आआह हह्ह … मर गईईईई … मैने चाची की चूत चाट कर साफ कर दी मेने दोबारा से चाची के मुंह में लंड दे दिया और चाची जोर जोर से उसको चूसने लगी मेने फ़िरसे चाची को गाली देना शुरु कर दिया आह चाची चूस ले भैन की लौड़ी .. आह पूरा लंड चूस ले आज तेरी चुत का भुर्ता बना दूँगा. साली चुत फाड़ कर रख दूँगा. इस तरह से कुछ देर बाद मेने चाची के मुँह में ही झड़ गए. चाची ने सारा माल (वीर्य) मुँह में ही ले लिया और लंड को जीभ से साफ़ कर दिया. फिर मेने चाची को ऊपर उठाया और होंठों पर किस करने लगे.चाची भी साथ दे रही थीं, हम एक दूसरे की बांहों में थे. कुछ देर बाद किस करके मेने चाची को बेड पर लिटा दिया मेने कहा-चाची आज तुम बहुत मस्त लग रही हो. आज हम सुहागरात मनाएंगे. अब मेने चाची की गर्दन पर धीरे धीरे किस कर रहा था और चाची बालों को सहला रही थीं. चाची आहें भर रही थीं.मे चाची के होंठों पर किस कर रहा था .चाची के होंठों पर जैसे चिपक ही गए थे मेने चाची के पैरों को फैला दिया और अपने पैरों से चाची के पैरों को दाब लिया. चाची के हाथों को अपने दोनों हाथों में जकड़ा और नीचे चूत में लंड को सैट करके एक जोर से धक्का दे मारा. लंड चुत में घुसा तो चाची के मुँह से तेज आवाज निकल गई- हाय मैं मर गई. उसी समय मेने चाची के मुँह पर होंठ रख दिए और उन्हें किस करना चालू कर दिया ताकि उनकी आवाज बाहर ना निकले. मेने नीचे से लंड को चूत में पेलना चालू रखा लेकिन इतना बड़ा लंड चाची से सहन नहीं हो रहा था … वो दर्द से रोने लगीं. और उसकी चूत से खून निकलने लगा। लेकिन मेने ताबड़तोड़ चुदाई चालू रखी. मे अपने पूरे लंड को बाहर निकाल कर एक जोर से धक्का लगा रहा था इस तरह मेरा लंड चुत की पूरे अन्दर तक घुसने लगा था. लंड चूत के होंठों को रगड़ता हुआ चुदाई कर रहा था. थोड़ी देर बाद चाची को भी मज़ा आने लगा. अब वो भी साथ देने लगीं. मां ‘आह आह ऊ ऊ ऊ आह …’ की आवाज़ निकालने लगीं.आह मर गई … आह लंड है या लोहा … साले चुत फाड़ेगा क्या … आंह … मार दिया साले ने! चाची ने कहा- आह आज मुझे इतना चोदो, इतना चोदो कि मुझे रंडी बना दो. मैं बिना लंड के रह ही न पाऊं! साली … तुझे आज इतनी रंडी ही बना देता हूँ … तुझे इतना चोदूंगा कि तू जब भी चुदाई की बात करेगी तो मुझे ही बुला लेने की बात करेगी. अभी तुझे और दूसरे लौड़े की भी जरूरत नही पड़ेगी.आज तुझे पूरी रंडी बना दूँगा! चाची-हां खा जा मेरे लौड़े … आह खा जा मेरी चूत को मादरचोद … आह बहुत प्यासी है मेरी चुत … इसने दो साल से लंड नहीं खाया! मैं- साली बहन की लौड़ी रांड … आज तेरी रसीली चूत का भोसड़ा बना दूँगा मेरी कुतिया...वाह रे रंडी, क्या माल है तू! अपनी इस माल को अपनी रखैल बना ले मेरे राजा! मैं- आज से तू मेरी रखैल ही है साली रांड … अब रोज़ तुझे अपने लौड़े पर नचाऊंगा मेरी रानी … आह … मस्त माल है तू. चाची-लव यू बेबी … आज से तू जब चाहे, मैं तेरा बिस्तर गर्म कर दूँगी मेरे राजा … बस चोद दे मुझे … फिर से चोद न! चाची का इतना कहना हुआ कि लौड़ा मैंने एक ही बार में पूरा अंदर पेल दिया और मैं मस्ती से चोदने लगा चाची की चूत। लौड़ा घुसते ही उसकी चीख निकल पड़ी और फिर मैं बिना रुके दनादन चोदने लगा तो चाची चिल्ला पड़ी- उई माँ मर गई मैं! फट गई मेरी चूत, बुर चोदी। मैं कहीं मुंह दिखाने काबिल नहीं रही। मेरा मुंह काला कर दिया इस मादरचोद ने। इसकी माँ का भोसड़ा! आआह आआ हह उह ऊऊऊ आए हहह! स्पीड बढ़ने लगी और चाची की सिसकारियां निकलने लगी, बोली- हाय रे … मुझे आज तक किसी ने इतनी मस्ती ने नहीं चोदा। बड़ा मज़ा आ रहा है. अअअ अअहू हूह ऊऊओ … आआ मर गई मैं! वाह वाह क्या मस्त लौड़ा है तेरा! हह अहह हहय हह इतने मेंने चाची के मुंह कपड़े से दबा दिया, बोल- चुपचाप चुदवा ले चिल्ला मत। मैं तेरी चूत को लण्ड खिला रहा हूँ। तेरी चूत साली लण्ड की भूखी है। थोड़ी देर रुक … अभी तुझे बड़ा मज़ा आने वाला है। मैं बिना रुके उसे घपाघप चोदने लगा, चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने लगा इन बातों से उत्तेजना इतनी बढ़ी की चाची चूत ने पानी छोड़ दिया. पूरा बिस्तर पानी से भीग गया इसी बीच मेरे भी लण्ड से पिचकारियां निकलने लगीं जो चाची की चूत पर, चूचियों पर पेट पर और मुंह पर गिरी। चाची ने झट्ट से लण्ड मुंह में भर लिया और सारा माल चूस लिया। फिर हम दोनों बाथ रूम गए, वहां साफ़ सुथरे होकर नंगे बेड पर लेट गए फिर उन्होंने मुझे सोफा पर बैठा दिया और खुद नीचे फर्श पर बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी। उन्होंने आधे से ज्यादा लण्ड अपने मुंह में घुसेड़ रखा था। वे अंदर ही अंदर टोपा के चारों ओर जबान घुमाने लगी. मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। चाची इसी तरह बड़ी देर तक मेरा लण्ड बिना बाहर निकाले चूसती रहीं। मुझे लगा कि मैं खलास हो जाऊंगा तो बोला- चाची लण्ड बाहर निकालो. नहीं तो मैं अंदर ही झड़ जाऊंगा। उन्होंने आँखों से इशारा किया- झड़ जा, मैं लण्ड बाहर नहीं निकालूँगी। आखिर हुआ वही … मेरे लण्ड ने 4/5 पिचकारी अंदर ही छोड़ दी. चाची ने सारा माल बड़ी मस्ती से पी लिया। तब मुझे चाची से सच में प्यार हो गया। फिर वे मुझे बाथरूम ले गई और वहां साबुन लगा कर मुझे और मेरे लण्ड को मजे से नहलाया। नहलाते नहलाते लण्ड साला फिर से खड़ा हो गया। बाथरूम बड़ा था। चाची अपनी टाँगें फैलाकर वहीं ज़मीन पर चित लेट गई और बोली- बेटा अब तुम पेल दो अपना लण्ड मेरी चूत में! मुझे चोदो। मैं बहुत चुदासी हूँ बेटा! मुझे आज बहुत दिनों के बाद कोई मस्त लौड़ा मिला है। मुझे खूब घपाघप चोदो। मैं तेरे लण्ड से चुदने के लिए बहुत दिनों से तड़प रही थी। आज मेरी इच्छा पूरी कर दो बेटा। फाड़ डालो मेरा भोसड़ा! चाची का इतना कहना हुआ कि लौड़ा मैंने एक ही बार में पूरा अंदर पेल दिया और मैं मस्ती से चोदने लगा चाची की चूत। लौड़ा घुसते ही उसकी चीख निकल पड़ी और फिर मैं बिना रुके दनादन चोदने लगा। धीरे धीरे स्पीड बढ़ने लगी और उसकी सिसकारियां निकलने लगी, बोली- हाय रे … मुझे आज तक किसी ने इतनी मस्ती ने नहीं चोदा। बड़ा मज़ा आ रहा है. अअअ अअहू हूह ऊऊओ … आआ मर गई मैं! वाह वाह क्या मस्त लौड़ा है तेरा! हह अहह हहय हह! मैंने उन्हें बाथरूम में खूब जी भर के चोदा उसके भोसड़े की पूरी गर्मी निकाल दी. खलास हो गया उसका मादर चोद भोसड़ा। चोदने के बाद जब मैं जाने लगा तो चाची ने कहा- बेटा अब तुम मुझे रोज़ चोदा करो। तेरा जब मन हो तब मेरे पास आ जाना. मैं चुदवा लूंगी। मुझे चुदवाना हुआ तो मैं तुझे बुला लिया करुँगी। हम दोनों का कई दिनों तक ऐसा ही खेल चलता रहा। मैं उन्हें हर रोज़ चोदने लगा. हर तरफ से मैंने आंटी का भोसड़ा चोदा, गांड में भी लण्ड ठोका और चूचियों के बीच में भी लण्ड खूब पेला।

मेरे घर पर मैं, पापा और मम्मी हैं.
पापा और मम्मी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं.

दोस्तो, इस वेबसाइट की सेक्स कहानियां मैं 2011 से पढ़ती आ रही हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
मुझे अन्तर्वासना वेबसाइट के बारे में मेरी सहेली ने बताया था, तभी से मैं यहां पर कहानिया पढ़ती आई हूँ.

यह 2013 की बात है.
मैं स्कूल की पढ़ाई गांव से पूरी कर चुकी थी. मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए शहर में आई थी.

शहर आते वक्त मेरे साथ स्कूल की दोस्त छवि ही थी जिसने मेरे कॉलेज में दाखिला लिया था.
बाकी सभी सहेलियां शहर में तो थीं पर अलग कॉलेज और कोर्स में थीं.

इधर कॉलेज के हॉस्टल में हम दोनों साथ में ही रहती थी.

कॉलेज में हमारे नए दोस्त बन गए थे.
क्लास में मेरी बहुत लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गई थी.

मेरी क्लास में ही संजय भी था.
वह देखने में लंबा, तगड़ा और मिलनसार लड़का था.
मेरी दोस्ती संजय से थी.
हम बहुत कम समय में एक दूसरे से बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे.

संजय और मैं फोन पर एक दूसरे को मैसेज भेज कर बातें करते थे.
हमारे बीच कभी कभी नॉनवेज बातें भी हो जाती थीं.

छवि भी इस बात को जानती थी.
उसने तो 3 महीनों में ही अपना एक ब्वॉयफ्रेंड भी बना लिया था.

इसी तरह से कॉलेज का एक सेमेस्टर निकल चुका था.
हर लड़की चाहती है कि उसे हर लड़का देखे.

मैं ज़्यादातर सलवार कमीज़ ही पहन कर कॉलेज जाया करती थी. मैं जानबूझ कर थोड़ा गहरे गले वाला कुर्ता पहनती थी ताकि जरा सा ही झुकने पर मेरा क्लीवेज दिख जाए.

संजय देखने में अच्छा लड़का था.
उसके पापा एक फैक्ट्री के मलिक थे.
उसकी एक छोटी बहन थी जो 12 वीं में थी.
उसकी मम्मी भी पापा के बिज़नेस में हाथ बंटाती थीं.

उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, यह बात हमें भी कुछ दिनों पहले ही पता चली थी जब हम सभी फ्रेंड्स संजय के बर्थडे पर उसके घर गए थे.

संजय के घर का वैभव देख कर साफ पता चलता था कि उसके पापा रईस आदमी हैं.
पर संजय ने कभी भी अपने धन का घमंड नहीं किया था.
वह दिल का साफ और अच्छा इंसान था.

संजय और मैं अक्सर क्लास बंक करके गार्डन में बातें करते रहते थे.
धीरे धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ती गईं.

वह मेरे करीब आने की कोशिश करता, मुझे छूने की कोशिश भी करता.
मैं भी उसे मना नहीं करती थी.

उसने वैलेंटाइन पर मुझे प्रपोज किया.
मैंने भी कुछ ज्यादा सोचा नहीं और हां कर दी.
ऐसे ही समय गुजरता रहा.

कभी कभी वो मुझे मौका पाकर छेड़ता, मेरी गांड को मसल दिया करता था.

उसका ये स्पर्श अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था.

हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे को किस भी कर लिया करते थे.

वह मेरे मम्मे दबाने का मौका भी कभी नहीं छोड़ता था.

फिर धीरे धीरे अब बात किस से बढ़कर बूब्स दबाने और चूसने तक आ चुकी थी.
मुझे कोई ऐतराज नहीं था. असल में मैंने ही फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा ले लेना चाहती थी.

संजय चाहता था कि मैं लंड चूसूं … पर मैंने मना कर दिया, मैंने उसका लंड कभी नहीं चूसा था.

बस इसी तरह चल रहा था.

संजय सेक्स के लिए आतुर हुआ जा रहा था.
पर मैं एक अनजाने डर की वजह से उसे मना करके टाल दिया करती थी.

कुछ दिन बाद संजय ने कहा- आज रविवार है. पास में ही कहीं घूमने चलते हैं.

मैं भी फटाफट तैयार हो गयी.
वह मुझे लेने के लिए आया और हम दोनों बाइक पर घूमने के लिए निकल गए.

मैं छवि को बोल कर आई थी कि संजय के साथ में बाहर घूमने जा रही हूँ.

मैंने संजय से पूछा- कहां चलना है?
तो उसने बताया- शहर से पास में ही बहुत बड़ा तालाब है. वहां चारों ओर जंगल हैं, घने पेड़ हैं, प्रकृति का नज़ारा है. मजा आएगा, वहीं चलते हैं.
मैं राजी हो गई.

वहां जाकर देखा तो कुछ ही लोग थे.
उनमें भी ज़्यादातर कपल दिख रहे थे.

तालाब के दूसरी ओर पानी बह रहा था तो वहां कुछ लोग नहा भी रहे थे.
हम भी वहीं चले गए.

संजय ने कहा- क्या विचार है?
मैंने कहा- मैं नहीं आती.

वह मुझे ज़बरदस्ती खींच कर पानी में ले गया.
और हम दोनों पानी में मस्ती करने लगे.

वह मुझ पर पानी उड़ाता और गीला करने की कोशिश करता.

थोड़ी देर बाद हम दोनों थक कर वहीं पेड़ के नीचे बैठ गए और बातें करने लगे.

भीड़ कम होती गयी.

संजय ने कहा- अनुक्ति, चलो थोड़ा आगे आस-पास घूम कर आते हैं.
मैंने कहा- यहां क्या ही घूमेंगे?

पर वो नहीं माना और हम दोनों पैदल ही आगे बढ़ गए.
वहां कोई नहीं दिख रहा था.

थोड़ा और आगे गए तो एक बड़ी चट्टान के पीछे झाड़ियों में पेड़ के नीचे हमने एक कपल को देखा.
वो दोनों कपड़े पहन रहे थे.
उन्होंने हमें नहीं देखा.

फिर संजय ने कहा- चलो अनु, उनके निकलते ही वहीं चलते हैं.

मैं समझ गयी थी कि वहां पर जाने के बाद क्या होना है.
पर बिना कुछ कहे मैं भी चल दी.

वहां जाने के बाद संजय मेरे करीब आया और कहा- अनु यहां अच्छा मौका है.
मैंने कहा- यहां खुले में किसी ने देख लिया तो … नहीं बिल्कुल नहीं!
उसने कहा- ठीक है, पर किस तो कर ही सकते हैं.

इतने में उसने मेरे होंठों में अपने होंठों को डाल दिया.
उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन को पकड़े थे और मेरे हाथ उसकी कमर को.

उसने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक डाल दी और मैंने भी.

मैं अपने बारे में बता दूँ कि मेरी उम्र उस समय 19 साल से थोड़ी ज़्यादा ही थी.
मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच की थी और 32-27-34 का मेरा फिगर था.

मैं काले रंग का टॉप पहने थी. वह बटरफ्लाई आस्तीन वाला था और उसके साथ मैंने जींस पहनी थी.

संजय की हाइट 5 फुट 10 इंच की थी.
वह जिम करता था तो बॉडी भी अच्छी थी.

उसकी उम्र भी 20 के आस पास ही थी.
उसकी छाती पर हल्के बाल थे पर वह छाती को क्लीन नहीं करता था.

उसके लंड का साइज़ सच बोलूं तो 5.5 इंच का ही था.
बाकी सेक्स स्टोरी की तरह 8 या 10 इंच का नहीं था.

वह मुझे चूमने लगा.

करीब 5 मिनट के बाद उसने कहा- यहां जगह साफ़ है, आराम से बैठ जाओ.
मैंने कहा- नहीं, कपड़े खराब हो गए तो प्राब्लम हो जाएगी. हॉस्टल भी जाना है.
उसने कहा- ठीक है.

तब उसने मुझे किस किया और मेरे मम्मे दबाने लगा.
फिर उसने कहा- अनुक्ति आज तो लंड चूस लो प्लीज़.

उसके बहुत कहने पर मैंने कहा- ठीक है … पर तुम मुँह में नहीं झड़ोगे!
उसने कहा- ठीक है.

उसने अपनी जींस और अंडरवियर घुटनों तक उतार दी.
वह वहीं पेड़ के नीचे पत्थर पर टेक लेकर बैठ गया और उसने मुझे लंड चूसने के लिए इशारा किया.

मैंने अपने हाथ से उसके 5.5 इंच और 2.5 इंच मोटे लंड को पकड़ा.
तो संजय बोला- तुमने सेक्स क्लिप्स पॉर्न में देखा ही है.

मैंने हां में इशारा करते हुए मुँह में लंड को लिया और चूसने लगी. मुझे स्वाद कुछ अच्छा नहीं लगा.
फिर भी धीरे धीरे करके मैं मुँह से लंड चूसने लगी.

वह जैसे दूसरी दुनिया में चला गया हो, आंखें बंद करके सिसकारियां लेने लगा.

मैं भी उसके लंड को मुँह में पूरा ले लेती और बाहर करती तो जीभ से उसके टोपे को चाट लेती.
उसका रंग हल्का गुलाबी सा हो गया था.

फिर कुछ देर में उसने मेरे सर को धक्का देकर अलग किया और अपना सारा माल बाहर निकाल दिया.

उसने मुझसे कहा- टेस्ट करना चाहोगी?
मैंने कहा- नहीं.

उसने कहा- प्लीज एक बार देख लो, अच्छा लगे तो ठीक … नहीं तो कोई बात नहीं.

मैंने जीभ से थोड़ा चखा तो गर्म और नमकीन सा स्वाद आया.

अच्छा या बुरा कुछ समझ में नहीं आया.

संजय ने कहा- डार्लिंग लंड को थोड़ा सा चाट कर साफ कर दो प्लीज.

मैंने अपने मुँह से उसके लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मुझे स्वाद ठीक लगा.

उसने अपने कपड़े पहन लिए.
तो मैंने कहा- अब चलते हैं.

उसने कहा- अनु अभी कहां, रुको तुमने आज तक अपनी चूत के दर्शन नहीं कराए हैं.
मैंने कहा- पर यहां खुले में नहीं बिल्कुल भी नहीं.

उसने मुझे खींच कर अपने करीब किया और मुझे किस करके कहा- अनुक्ति, प्लीज आज अपने मम्मे और चूत के दर्शन करा दो, यहां कोई नहीं है.
मैंने कहा- देखो कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं हूँ … सब संभाल लूंगा.

उसने मेरी जींस खोल दी और मेरे टॉप के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा.
वह उसमें ऊपर से हाथ डालने लगा.

मैंने कहा- ऐसे तो तुम टॉप फाड़ दोगे.
तब मैंने जींस को नीचे किया ही था कि उसने झटके से मेरी पैंटी को घुटनों तक नीचे खिसका दिया.

फिर उसने कहा- मम्मे चूसना है.
मैंने टॉप को ऊपर किया और साथ ही ब्रा को भी, जिससे बिना उतारे मेरे बूब्स वो चूस सके.

पहली बार उसने मेरे बूब्स को पूरी तरह ढंग से देखा था और चूत को भी.
चूत में हल्के हल्के बाल थे.

वह मेरे बूब्स को एक बच्चे की तरह पीने की कोशिश करने लगा.
मुझे भी मजा आने लगा.

मेरे दोनों बूब्स को चूसने के बाद उसने उन्ह हटाया ही था कि मैंने टॉप और ब्रा ठीक कर ली.

उसने कहा- अनु अब तुझे जींस उतारनी पड़ेगी.
मैं भी उतावली हो रही थी तो जींस उतार दी.

उसने कहा- अनु एक टांग पत्थर पर रखो.
वह मेरे नीचे आकर बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा.

उसकी खुरदुरी जीभ मेरे अन्दर आग लगा रही थी.
वह अपनी उंगली से मेरी चूत को अन्दर बाहर कर रहा था.

इसी तरह मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और संजय ने उसे चाट कर चूत को साफ़ कर दिया.

फिर फटाफट कपड़े पहन कर हम दोनों वहां से निकल आए.

अब वासना की भूख दोनों को लग चुकी थी तो वापस हॉस्टल की ओर जाते समय संजय ने कहा- अनु, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है.
मैंने भी हामी भरी लेकिन फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स के लिए कोई सेफ जगह चाहिए थी.
होटल के लिए मैंने मना कर दिया था.

संजय अपने दोस्त के फ्लैट के लिए जुगाड़ करने लग गया.
बस फिर जुगाड़ हो गया.

मैंने संजय से कहा- मैं बिना प्रोटेक्शन के नहीं करूंगी.
उसने कहा- ठीक है अनु.

उस दिन पहले रास्ते में रुक कर हम दोनों ने खाना खा लिया और उसने मेडिकल से प्रोटेक्शन के लिए कंडोम ले लिया.
फिर हम दोनों फ्लैट पर पहुंच गए.

दोस्त ने चाभी दी और कहा- फ्री हो जाओ तो कॉल कर देना.
वह किसी काम से बाहर चला गया.

संजय ने अन्दर से दरवाजा लॉक किया और मुझसे लिपट गया.
पहले उसने मेरे टॉप को निकाल दिया और मेरी नाभि को चूमा. ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.

ब्रा को खोलने से पहले उसे ऊपर की ओर खिसका कर बूब्स को चूमने लगा और फिर खड़े खड़े ही मुझे दीवार पर टिकाते हुए पलटा दिया.
मेरी ब्रा को पीछे से खोल कर वहीं फेंक दी.

उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.

वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया और पलंग पर आते ही मेरी जींस उतार दी.

फिर वह मेरे दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा और उनका रसपान करते हुए निप्पल को काट देता, जिससे मुझे दर्द के साथ साथ उत्तेजना भी बढ़ जाती.

वह मेरे कान गले गर्दन गालों को भी चूमता जिससे मैं और उत्तेजित हो जाती.

मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह पूरी बॉडी पर किस करने लगा.

मेरे मुँह से हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं.

उसने कहा- अनु अब 69 करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.

वह मेरी चूत चाटता और अपनी उंगली रगड़ने लगता.
इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जैसे मेरे शरीर में करंट का झटका लग रहा हो.

मैं भी उसके लंड को चूस रही थी.
मेरी चूत गीली हो चुकी थी.

वह फिर उठा और जींस से कंडोम का पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया.

मैंने पैकेट से कंडोम निकाल और संजय के लंड को पहना दिया.

बस उसने मुझे सीधा लेटाया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया, लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा.
जिससे मैं पागल सी हो गयी.

फिर उसने चूत को थोड़ा सा अपने हाथ से खोला और अपना लंड मेरी चूत पर सैट कर दिया.

मेरा दिल धक धक करने लग गया था क्योंकि वो कभी भी झटके से लंड अन्दर डालने वाला था.

उसने कहा- अनु रेडी!
मैंने इशारे में कहा- हम्म्म.

उसने झटके से लंड अन्दर किया.
वो अभी लगभग आधा ही गया था कि मेरी एकदम से जोरदार चीख निकली.

उसने लंड को झट से बाहर किया और अन्दर पूरी ताकत के साथ डाला.
इस बार शायद लगभग पूरा चला गया था.

उसने फिर से एक बार लंड निकाल कर अन्दर डाला और मुझे चूमा.
मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.

उसने कहा- पहली बार में होता है अनु!

फिर वह लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अब दर्द धीरे धीरे कम हो रहा था और मजा आने लगा था.

वह स्पीड में मुझे चोदता जा रहा था.
मुझे भी मजा आ रहा था.

वह मेरे मम्मे दबाता हुआ लंड को स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा.
कुछ देर मैं पहले झड़ गयी और वो मेरे बाद.

वह मेरे ऊपर ऐसे ही लंड अन्दर डाल कर पड़ा रहा और मुझे किस करता रहा.

कुछ देर में उसका लंड छोटा सा हो गया और वह उसे बाहर निकाल कर बाथरूम में चला गया.

मैं बैठी और उंगली चूत की तरफ़ बढ़ाई तो उंगली पर लाल लाल खून सा था.
मेरी चूत फट चुकी थी.

तभी संजय आया और मेरी उंगली में लाल खून देखकर बोला- अब तुम वर्जिन नहीं रही.

मैं बाथरूम में गयी.
जब मैं वापिस आई तो मैंने देखा संजय मेरी ब्रा पैंटी अपने हाथ में लिए देख रहा था.
मैंने कहा- लाओ दो इधर.

उसने कहा- नहीं, ये मैं ले जाऊंगा. पहली निशानी है. इसमें तुम्हारी चूत की खुशबू है और ब्रा में भी.
मैंने कहा- फिर मैं!
उसने कहा- मैं तुम्हें दूसरी गिफ्ट कर दूंगा.

मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
संजय बोला- अनु मजा आया?

मैंने कहा- आया तो सही, पर दर्द अब भी महसूस हो रहा है.
उसने कहा- ठीक हो जाओगी.

मैंने पूछा- मैं वर्जिन थी, तुम?
संजय ने कहा- मेरा भी पहला सेक्स था … बस मुठ मार लिया करता था.

मैं कुछ नहीं बोली.

उसने कहा- मैं तुम्हें फैशनेबल ब्रा पैंटी दूँ?
तो मैंने कहा- क्यों?

उसने कहा- थोड़ा सेक्सी पहनो.
मैंने कहा- घर?

उसने कहा- घर जाओ तो घर के हिसाब से … और यहां रहो तो यहां के हिसाब से.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर उसने मुझे हॉस्टल छोड़ा और मेरी चाल देखकर छवि मुस्करा दी.

उसने कहा- अनु, आज तो चाल ही बदल गयी.

हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थीं, एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाती थीं.
उसे मैंने बताया कि आज मेरी पहली चुदाई कैसे हुई.

वह खुश हुई और बोली- आगे अब तो चुदाई में मजे ही आने हैं.
क्योंकि वह चुद चुकी थी उसके ब्वॉयफ्रेंड से … तो उसे सब मालूम था.

Desi girlfriend first time sex – हेलो दोस्तों, मेरा नाम अर्जुन है। मैं 24 साल का हूँ और ये कहानी तब कि हैं जब में 12वीं में पढ़ता था। मेरी गर्लफ्रेंड का नाम प्रियंका है, वो भी 24 साल की है और मेरे साथ ही 12वीं में पढ़ती थीं। हम दोनों के घर पास ही हैं। मेरे घर में कुल 5 लोग हैं – मम्मी, पापा, मैं और मेरे दो छोटे भाई। प्रियंका के घर में भी 5 लोग हैं – उसकी मम्मी, पापा, प्रियंका और उसकी एक बहन और एक छोटा भाई। आज मैं आपको प्रियंका के साथ मेरे पहले सेक्स की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो आज से 2 साल पहले की बात है। प्रियंका और मैं पिछले 3 साल से रिलेशनशिप में हैं। शुरू-शुरू में मैं बहुत शर्मीला था, इसलिए हम दोनों ज्यादा खुलकर बात नहीं करते थे। बस नॉर्मल सी बातें होती थीं, जैसे स्कूल, पढ़ाई और दोस्तों की बातें। धीरे-धीरे समय बीतता गया और हम एक-दूसरे के साथ थोड़ा फ्रैंक होने लगे। हम रोज़ शाम को मिलने लगे। हमारे मोहल्ले में एक अपार्टमेंट बन रहा था, जो शाम को खाली रहता था। हम वहाँ मिलते थे, क्योंकि वहाँ कोई नहीं आता था। वह जगह हमारी मुलाकातों का अड्डा बन गया था। रिलेशनशिप के 8 महीने बाद मैंने प्रियंका को पहली बार किस किया। वो भी बस उसके गाल पर। मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ थी कि मुझे लगा मेरा दिल बाहर निकल आएगा। उसने भी हल्के से मुस्कुराते हुए मेरे होंठों पर किस किया। फिर मैंने भी हिम्मत करके उसके होंठों को चूमा। उस दिन हमने पहली बार लिपलॉक किया। मैं तो सातवें आसमान पर था, लेकिन प्रियंका मुझसे भी ज्यादा खुश थी। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, जो मैं आज तक नहीं भूल पाया। उसके बाद जब भी हम मिलते, किसिंग तो जैसे हमारा रूटीन बन गया। हम एक-दूसरे के होंठों को चूमते, हल्का-फुल्का गले लगाते, और हर बार थोड़ा और करीब आते। 2 महीने बाद, एक दिन जब मैं प्रियंका को किस कर रहा था, मेरा हाथ गलती से उसके बूब्स को छू गया। मुझे डर लगा कि वो नाराज़ हो जाएगी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। बस हल्का सा मुस्कुराई और मेरी तरफ देखने लगी। अगली बार जब हम मिले, मैंने जानबूझकर उसके बूब्स को छुआ। इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा, बल्कि और ज्यादा मुस्कुराने लगी। मुझे समझ आ गया कि वो भी चाहती है कि मैं आगे बढ़ूँ। फिर मैंने हिम्मत करके उसके बूब्स को दबाना शुरू किया। प्रियंका के बूब्स मीडियम थे , लेकिन मुलायम और गुदगुदे। मैंने उसकी टी-शर्ट में हाथ डाला, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली, “अभी नहीं, बाद में। कोई देख लेगा।” मैंने तुरंत अपना हाथ बाहर निकाल लिया, लेकिन मेरा मन अब बेकाबू हो रहा था। उस रात मैं प्रियंका के बारे में सोचते-सोचते पागल हो गया। मेरा मन कर रहा था कि प्रियंका के साथ और आगे बढ़ूँ। रात के 1 बज रहे थे। मैंने प्रियंका को फोन किया। अर्जुन: “प्रियंका, मुझे तुमसे अभी मिलना है।” प्रियंका: “सुबह मिल लेना, अभी कैसे आ सकती हूँ?” अर्जुन: “तुम्हारे घर में कौन-कौन जाग रहा है?” प्रियंका: “सब सो रहे हैं।” अर्जुन: “मैं आता हूँ, तुम अपना रूम खुला रखना।” प्रियंका: “नहीं, प्लीज़ मत आओ। मम्मी-पापा घर पर हैं।” अर्जुन: “ठीक है, कल मिलते हैं।” अगले दिन शाम को हम फिर अपार्टमेंट में मिले। मैं थोड़ा डरते हुए बोला, “प्रियंका, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है।” वो हल्का सा मुस्कुराई और बोली, “फाइनली तुमने बोल तो दिया। मैं तो रिलेशनशिप के पहले हफ्ते से ही तुमसे सेक्स करना चाहती थी, लेकिन मैं लड़की हूँ ना, मैं बोल नहीं सकती थी। मुझे डर था कि तुम बुरा मान जाओगे। आज मैं बहुत खुश हूँ।” उसकी बात सुनकर मेरा डर खत्म हो गया। उसने कहा, “टेंशन मत लो। आज रात मेरे घर आ जाना। पापा बाहर गए हैं, और मेरे भाई बहन जल्दी सो जाते हैं।” मैंने कहा, “ठीक है, तुम रूम खुला रखना। मैं 11 बजे आऊँगा।” शाम को घर वापस आने के बाद मैंने मम्मी-पापा से कहा कि मैं अपने दोस्त के घर रात को रुकने जा रहा हूँ। उन्होंने हाँ कह दिया। मैंने 9 बजे खाना खाया और 10 बजे घर से निकल गया। एक घंटे तक सड़कों पर घूमता रहा, ताकि समय पास हो जाए। ठीक 11 बजे मैं प्रियंका के घर पहुँचा। उसकी मम्मी अपने रूम में सो रही थीं। प्रियंका ने मुझे चुपके से अपने रूम में बुला लिया। प्रियंका के रूम में घुसते ही मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। कमरे में हल्की सी रौशनी थी, और प्रियंका ने एक टाइट टी-शर्ट और स्कर्ट पहनी थी। वो मुझे देखकर मुस्कुराई और धीरे से मेरे पास आई। मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और धीरे-धीरे उसके होंठों को चूमने लगा। उसकी साँसें तेज़ थीं, और मैं उसकी गर्माहट को महसूस कर रहा था। मैंने उसके बूब्स को हल्के से दबाया, और वो सिहर उठी। मैंने उसकी टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया और उसे उतार दिया उसने पिंक कलर की ब्रा पहनी थीं। उसे इस रूप में देखकर मेरा तो लंड खड़ा हो गया. मैंने उसके दोनों मम्मों को पकड़ लिया और बुरी तरह से मसलने लगा. इसके बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. हुक खोलते ही उसकी ब्रा छिटक कर नीचे गिर गई और उसके दोनों कबूतर आज़ाद हो गए. शर्म के मारे वो एक हाथ से अपना चेहरा और एक हाथ से अपने उभारों को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगीं. अब मेरा बहुत बुरा हाल हो गया तो मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लम्बा लंड उसके मुँह के सामने ले आया, जिसे देखकर प्रियंका ने अपनी आँखें बंद कर लीं, पर मैं कहाँ रुकने वाला था. मैंने पहले उसके दोनों हाथ उठा कर ऊपर कर दिए और उसके मम्मों पर टूट पड़ा. जैसे मैंने अपनी जीभ उसके निप्पलों पर फिराई, उनके मुँह से आह निकल गई और वो मेरा मुँह वहाँ से हटाने लगीं. पर मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने उसको बेड पर अपने नीचे दबोच लिया और उसके दोनों हाथ ऊपर करके दोनों मम्मों को एक साथ पकड़ कर बुरी तरह चूसने लगा और जीभ फिराने लगा. मेरी इस हरकत से प्रियंका ज़ोर से सिसकारियां लेने लगीं- आआऊऊ.. ऊओह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्ह्ह.. ह्ह्ह ह्ह्हम्म ऊओ म्मम्म प्लीज़ मत करो आह.. कुछ मिनट तक प्रियंका के मम्मों को चूस कर मैं नीचे प्रियंका की चूत की ओर बढ़ने लगा. मेरे बुरी तरह चूसने की वजह से प्रियंका के चूचे एकदम लाल हो गए थे. प्रियंका की साँसें और तेज़ हो गईं। वो बोली, “अर्जुन, आज रात बस बूब्स ही चूसते रहोगे या कुछ और भी करोगे?” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, इतनी जल्दी में क्यों हो? मैं तो 18 महीनों का इंतज़ार आज पूरा करने वाला हूँ।”प्रियंका ने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड पकड़ लिया। उसका हाथ मेरे 6 इंच के लंड पर था, और वो उसे सहलाने लगी। मैंने उसकी स्कर्ट उतार दी। उसने पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी. उसकी ये पैंटी इतनी पतली थी कि उसकी चूत की दरार मुझे साफ़ दिखाई दे रही थी. मन तो कर रहा था कि काट कर खा जाऊं. मैंने उसकी पैंटी नीचे की तरफ खींचा,अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। मैंने प्रियंका की जांघों पर हाथ फेरना शुरू किया, और धीरे-धीरे उसकी चूत तक पहुँचा। आह … अन्दर का क्या मस्त नजारा था. किसी जन्नत से कम नहीं था. इतनी गोरी चिकनी चूत पहली बार देख रहा था, कोई भी पहली बार देखता, तो पागल हो ही जाता. मुझसे रहा नहीं गया मैंने झट से अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और चूसने लगा. एकदम ठंडा नमकीन जैसा, मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था. जी तो कर रहा था, बस चूसता ही जाऊं. वह मस्ती में एक हाथ से अपने चूचे को दबा रही थीं और एक हाथ में मेरे सर को सहला रही थीं. उसकी चूत गीली थी, और जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली अंदर डाली, वो सिहर उठी। मैंने धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर की, और प्रियंका की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “आह… अर्जुन… और करो…” वो धीरे-धीरे कह रही थी। मैंने दूसरी उंगली भी डाल दी, और अब वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसकी चूत से पानी निकल रहा था, और वो बेकाबू हो रही थी। 10 मिनट तक उंगली करने के बाद प्रियंका पूरी तरह जोश में थी। उसने कहा, “अर्जुन, अब और मत तड़पाओ। डाल दो…” मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके पास तेल की बोतल देखी। मैंने अपने लंड पर और उसकी चूत पर तेल लगाया। उसकी चूत बहुत टाइट थी, क्योंकि ये हम दोनों का पहला सेक्स था। मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और अंदर धकेलने की कोशिश की। लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड अंदर नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया, और मेरा लंड का सुपारा अंदर चला गया। प्रियंका को दर्द हुआ, और वो बोली, ऊई … मां … मर गई … आह सी … सी …’ “आह… धीरे करो, दर्द हो रहा है।” मैं रुक गया और उसके होंठों को चूमने लगा, ताकि उसका ध्यान दर्द से हटे। थोड़ी देर बाद मैंने फिर से धीरे-धीरे लंड अंदर डाला। इस बार तेल की वजह से मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया। प्रियंका ज़ोर से चीखी, और उसकी आँखों से आंसू निकल आए। मैंने तुरंत उसके होंठों को चूम लिया और उसे शांत किया। थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। प्रियंका अब मज़े में थी। वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… आह… अर्जुन… और ज़ोर से…” ‘आह आह आह …’ कर रही थीं. तभी प्रियंका की जोर की सिसकारी निकली- आहह हहहह ऊईईई ईईईई मर गई ऊईई. उसकी आवाज़ मुझे और जोश दिला रही थी।आहह हहह ऊईई ईईई ऊईई मां … मर गई अर्जुन प्लीज धीरे धीरे करो. मगर मैंने झटकों की रफ़्तार तेज ही रखी और उसकी कमर पकड़ कर तेज़ी से चोदने लगा. ‘आहह ऊईईई ईई आहह ऊईईई …’ मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, और अब कमरे में सिर्फ हमारी साँसों और चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थीं – थप-थप-थप। मैंने प्रियंका को पलटा और उसे घोड़ी बनाया। इस पोजीशन में उसकी चूत और टाइट लग रही थी। मैंने फिर से लंड अंदर डाला और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा “आहह हऊ हह ऊईईई ऊईई मां बचाओ … मर गई … मेरी चूत फट गई … मां बचाओ … अर्जुन निकाल लंड.” मैं चुप रहा और धीरे धीरे उसकी चूचियों को मसलने लगा, उन्हें चूमने लगा प्रियंका की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गई थीं, “आहह अर्जुन चोद मुझे … और चोद आहह आहह फ़ाड़ दे … आहह हहह चोद मुझे … ले ले मेरी आहह.” “आह… आह… अर्जुन, चोदो मुझे… और ज़ोर से…” उसका ये गंदा बोलना मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, और अब हम दोनों पूरी तरह चुदाई के नशे में डूबे थे। करीब 20 मिनट तक चुदाई करने के बाद मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है। प्रियंका ने कहा, “अर्जुन, मेरी चूत में मत झड़ना।” लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैंने उसकी बात नहीं सुनी और उसकी चूत में ही झड़ गया। प्रियंका थोड़ा नाराज़ हुई और बोली, “ये क्या किया? मैंने बोला था बाहर निकालो।” मैंने कहा, “सॉरी, प्रियंका। मैं कंट्रोल नहीं कर पाया। मैं कल तुम्हें i-पिल ला दूँगा।” वो बोली, “ठीक है।” अब मैं प्रियंका को हर महीने 3-4 बार चोदता हूँ। एक बार तो प्रियंका प्रेग्नेंट भी हो गई थी, लेकिन हमने उसका अबॉर्शन करवा दिया। अब उसकी चूत इतनी ढीली हो गई है कि उसमें दो लंड भी आराम से चले जाएँ। लेकिन मैं प्रियंका से बहुत प्यार करता हूँ। आपको मेरी कहानी कैसी लगी? कमेंट में ज़रूर बताएँ या मुझे मेल करें arjunx359@gmail.com।

कहा जाता है कि ‘बीवियों की अदला बदली’ का खेल यानि ‘Wife Swapping’ पश्चिमी देशों में बहुत होता है, हमारे देश में बहुत कम होता है लेकिन ऐसा नहीं है।

हमारे देश में भी यह खेल होता था और आज भी होता है लेकिन हां … खुले आम नहीं होता, चुपके चुपके छिप छिप कर होता है।
लोग इस खेल का मज़ा लेते हैं और खूब लेते हैं.

हमारे यहाँ अधिकतर बीवियां पहले तैयार नहीं होतीं।
उनको मनाना पड़ता है लेकिन जब मान जाती है, तैयार हो जाती हैं तो फिर कभी पीछे नहीं हटतीं।

फिर तो उन्हें इस खेल में इतना आनंद आता है कि वो इसे हर रोज़ खेलना चाहती है।

यह भी ऎसी ही न्यूड इंडियन वाइफ हॉट स्टोरी है. मजा लीजिये.

एक समय ऐसा था जब हम तीन पक्के दोस्त थे।
मैं आकाश, मेरा एक दोस्त अरुण और दूसरा मेरा दोस्त आनंद।

हम तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक साथ पढ़ते थे।
बड़ी गहरी दोस्ती थी हम तीनों की!

कुछ ऐसा संयोग हुआ कि हम तीनों की नौकरी दिल्ली में लग गयी और हम लोग एक कॉलोनी में एक एक फ्लैट में रहने लगे।

हम लोग रोज़ शाम को मिलते, दारू पीते, हंसी मजाक करते, गप्पबाजी और खूब मजे से एन्जॉय करते।
ज़िन्दगी अच्छी तरह गुज़रने लगी थी।

एक एक करके हम तीनों की शादियां भी हो गयी।

मेरी शादी रेखा नाम की लड़की से हो गयी. रेखा बहुत खूबसूरत थी हसीन थी। मैं उससे शादी करके बहुत खुश था।

अरुण की शादी सरीना से हो गयी।
मैं उसकी शादी में गया था। मैं तो सरीना भाभी को देख कर मस्त हो गया था।

फिर कुछ दिन बाद आनंद की भी शादी नेहा से हो गयी।

इस शादी में हम सब शामिल हुए।

नेहा भाभी तो अपनी शादी में बहुत जम रहीं थीं; एकदम फ़िल्मी हीरोइन लग रहीं थीं।

आगे चल कर हम लोग अपनी अपनी बीवी के साथ अपने अपने फ्लैट में रहने लगे और एक दूसरे के घर आने जाने लगे।
हमारी नजदीकियां और बढ़ने लगीं।
अच्छाई यह थी कि हमारी बीवियां भी आपस में मिलने जुलने लगी।

उनकी भी आपस में वही दोस्ती हो गयी … शायद उसी तरह की दोस्ती जैसे की हम तीनों के बीच थी।
हमारी ज़िन्दगी हंसी ख़ुशी गुज़रने लगी।

मैंने यह देखा कि ये तीनों बीवियां जब भी मिलती हैं तो खूब हंस हंस कर बातें करती हैं।
बातें क्या होतीं हैं यह तो पता नहीं पर होतीं जरूर मजेदार हैं यह बात उनके चेहरे से मालूम हो जाती थी।

एक दिन रात में मैं नंगा नंगा अपनी बीवी रेखा के साथ लेटा था और वह भी नंगी थी।
वह बड़े प्यार से मेरा लण्ड सहला रही थी और मैं उसका नंगा बदन!
हम दोनों वासना में डूबे थे।

मैंने पूछा- यार रेखा, ये बताओ की तुम तीनों बीवियां आपस में कौन सी बातें किया करती हो?
वह बोली- क्यों क्या हो गया? क्यों हमारी बातें जानना चाहते हो? हम लोग तो बस ऐसे ही हंसी मजाक किया करती हैं। अब हम सब जवान हैं तो मस्ती तो करेंगी ही?

“नहीं नहीं … चूतिया मत बनाओ मुझे! खुल कर बताओ न क्या बातें होतीं हैं तुम लोगों के बीच?”
“क्यों बताऊँ … तुम लोग जब बातें करते हो तो क्या हमें बताते हो? तुमको औरतों की बातें जानने की क्या जरूरत है? ऐसे साल मत पूछो!”

“कुछ तो बताओ यार? किसके बारे में बातें करती हो और क्या बातें करती हो?”
“हमारी बातें बड़ी गुप्त होती हैं, किसी को बताई नहीं जाती!”

“अच्छा तो क्या तुम लोग गन्दी गन्दी बातें भी करती हो? लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा की भी बातें करती हो?”
“ये तो सब छोटी छोटी बातें हैं, इससे भी आगे करती हैं।”

“कोई बात नहीं … मत बताओ मुझे … लेकिन मैं तुम्हें बताता हूँ कि मुझे सरीना भाभी और नेहा भाभी बहुत अच्छी लगती हैं। बड़ा मज़ा आता है उनसे बात करने में!”

“इसमें भी कोई खास बात नहीं है। हर मर्द को परायी बीवी अच्छी लगती है और हर बीवी को पराया मर्द अच्छा लगता है। ये तो सब कुदरती है, इसमें कोई नयापन नहीं है।”

“तो इसका मतलब तुमको भी अरुण और आनंद अच्छे लगते हैं?”
“हां हां बिल्कुल अच्छे लगते हैं। सही बात है।”

“अगर तुमको मौका मिले तो क्या तुम उन दोनों के लण्ड पकड़ोगी?”
“तुम पकड़ने दोगे तो पकड़ लूंगी। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है.”

“तो क्या उन दोनों से चुदवा भी लोगी?”
“तुम कहोगे तो चुदवा भी लूंगी. जब पति अपनी बीवी चुदवाने के लिए तैयार हो बीवी तो चुदवा ही लेगी।”

“मेरे कहने पर चुदवा लोगी या तुम अपने मन से चुदवाना चाहोगी?”
“चुदवाना तो चाहती हूँ पर बिना तुम्हारे अनुमति के नहीं चुदवा सकती और न कभी चुदवाऊंगी।”

“अच्छा अगर मैं उन दोनों की बीवियां चोदूँ तो तुम मुझे चोदने दोगी?”
“क्यों नहीं चोदने दूँगी? बिल्कुल चोदने दूँगी। जब कोई तुम्हारी बीवी चोदेगा तो तुम भी उसकी बीवी चोदोगे, मैं मना नहीं करूंगी। अपनी बीवी चुदाओ तो उनकी बीवी चोदो।”

“वादा खिलाफी तो नहीं करोगी? मैं तेरे सामने ही उनकी बीवियां चोदूंगा।”
“नहीं करूंगी वादा खिलाफी … पर मैं भी तेरे सामने उन लोगों से चुदवाऊंगी। तुम भी वादा खिलाफी न करना!”
“ठीक है।”

अगले दिन जब हम लोग बैठ कर दारू पी रहे थे तो मैंने खुलकर अरुण और आनंद को बताया- यार मेरी बीवी तो ‘वाइफ स्वैपिंग’ के लिए एकदम तैयार है। अब तुम लोग अपनी अपनी बीवी से पूछ लो। अगर वो दोनों राज़ी हों तो फिर मज़ा लिया जाए।

हमारी बातें होने लगीं।

दारू खत्म होने के बाद हम सब अपने अपने घर चले गए।

अगले दिन दोनों ने कहा- यार हमने अपनी अपनी बीवी से पूछ लिया है।
अरुण ने कहा- मेरी बीवी भी राज़ी है.
और आनन्द ने कहा- यार मेरी बीवी तो ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गयी। वह तो शायद खुद ही यह बात मुझसे कहना चाहती थी।

दरअसल दो दिन पहले जब हम तीनों आपस में बैठ कर दारू पी रहे थे तो ख्याल आया की क्यों न हम लोग ‘वाइफ स्वैपिंग’ करें और एन्जॉय करें?
सबने हां कह दी थी.
पर सवाल यह था कि क्या हमारी बीवियां तैयार होंगीं?
जब हमने अपनी अपनी बीवी से बात की तो मालूम हुआ कि वे भी पतियों की अदला बदली करना चाहती हैं।
अब तो मज़ा ही मज़ा आएगा।

बस अगले दिन मैंने अपने घर में ही एक डिनर पार्टी रख ली।

मैंने जब यह बात अपनी बीवी रेखा को बताई तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और फ़टाफ़ट सारा इंतज़ाम करने लगी।
उसने कहा- डिनर का आर्डर तुम कर देना और ड्रिंक्स का इंतज़ाम मैं कर लूंगी. और सुनो चुदाई का भी सारा इंतज़ाम कर लूंगी मैं!

उसने हंस कर मजाक करते हुए कहा- कल तुम मेरे सामने दोनों बीवियों की चूत का बाजा खूब बजाना।
मैंने कहा- और तुम भी कल उन दोनों के लण्ड अपनी चूत में डाल कर भून डालना। उनके लण्ड की चटनी बना देना। तेरी चूत बड़ी दमदार है।

वह बोली- वो तो मैं करूंगी ही! उनके लण्ड भुने हुए बैंगन की तरह निकालूंगी मैं अपनी चूत से, तुम देखते रहना।

अगले दिन अरुण अपनी बीवी सरीना के साथ और आनंद अपनी बीवी नेहा के साथ आ गए।

सरीना भाभी ने साड़ी पहनी थी और उसके नीचे एक छोटी सी ब्रा जिसके अंदर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए बेताब हो रहीं थीं।

नेहा भाभी ने जींस और टॉप पहना था. ब्रा तो थी ही नहीं … टॉप का गला इतना गहरा था कि एक बटन खुल जाए तो चूचियाँ पूरी नंगी हो जायेंगी।
उसकी भी चूचियाँ बड़ी भी थी और सुडौल भी।
जींस उसकी बहुत ही लो वेस्ट की थी अगर बटन खुल जाए तो चूत की झांटें दिखाई पड़ने लगेंगी।
उसकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी।

फिर मेरी बीवी ने ड्रिंक्स चालू कर दी और हम सब लोग दारू पीने लगे.
तीनों मर्द एक दूसरे की बीवी ललचायी नज़रों से देखने लगे।

हमारी बीवियां भी एक दूसरे के पति को ललचायी नज़रों से निहारने लगीं।
उनके टांगों के बीच का उभार देखने लगीं।
एक दूसरे के पति के लण्ड के साइज का आईडिया लगाने लगीं।

नशा चढ़ने लगा तो बातें भी ज्यादा खुल कर होने लगीं, अश्लील होने लगीं.
और बीच बीच में प्यार से गालियां भी निकलने लगीं।

जोश बढ़ने लगा और उत्तेजना भी बढ़ने लगी।

दूसरा पैग चालू हो गया।
फिर मैंने कहा- सरीना भाभी आप कोई नॉन वेज चुटकुला सुनाइये।
सबने जोर डाला तो वह बोली- अच्छा सुनाती हूँ।

एक बार पति जब शाम को घर आया तो देखा कि उसकी बीवी पड़ोसन से लड़ रही है।
दोनों में खूब जोर जोर से लड़ाई हो रही थी।
पति अपनी बीवी से बोला- यार, तुम चाय वगैरह बनाओ मैं पड़ोसन से निपट लेता हूँ।
पत्नी चाय बनाने लगी।

लेकिन उसका मन तो लड़ाई में लगा हुआ था।

तब तक पति अपनी लुंगी खोल कर एकदम नंगा नंगा अपना लण्ड खोले हुए पड़ोसन के आगे खड़ा हो गया।

पड़ोसन उसका लण्ड देख कर और भड़क गयी. गन्दी गन्दी गालियां बकने लगी।

तो इसकी बीवी किचेन से बोली- अरे तुम कुछ बोलते क्यों नहीं? पड़ोसन देखो कितनी गालियां दे रही है?
पति बोली- तुम चिंता न करो, मेरा वकील लड़ रहा है।

सबने खूब तालियां बजाईं।

फिर नेहा भाभी ने सुनाया:

एक बार तीन लड़के बात कर रहे थे।
पहला बोला- देखो, मैं पानी से भरी तीन बाल्टी उठा सकता हूँ। एक दाहिने हाथ से, एक बाएं हाथ से और एक अपने लण्ड पर टांग लूँगा।

दूसरा बोला- मैं चार बाल्टी पानी उठा सकता हूँ। एक इस हाथ से, एक उस हाथ से, तीसरी अपने लण्ड पर और चौथी अपने दांत से उठा लूंगा।

तीसरा बोला- मैं सात बाल्टी पानी उठा लूँगा।

सब लोग बड़ी हैरान हो गए इस बात पर!
तब उसने बताया- एक इस हाथ से एक उस हाथ से … तीसरी बाल्टी अपने दांत से और फिर अपना लण्ड इसकी गांड में घुसा कर इसे उठा दूंगा इसके पास तो चार बाल्टी हैं ही!

सबने खूब एन्जॉय किया और तालियां बजाई।

फिर मेरी बीवी रेखा ने भी सुनाया:

एक बार लण्ड और टट्टे आपस में बात कर रहे थे।
टट्टे बोले- चलो आज मैं तुम्हें एक फिल्म दिखाता हूँ।
लंड- अरे यार ब्लू फिल्म मत दिखाना!
टट्टे- क्यों?
लण्ड- मुझे खड़े खड़े देखना पड़ेगा।

सब लोग खूब ठहाका लगा कर हंस पड़े।

बीवियों के मुंह से सबने लण्ड के चुटकुले सुने तो सबको खूब मज़ा आया और सबने खूब एन्जॉय किया।

अब किसी को भी किसी से कोई शर्म नहीं रही।
जोश सबको आ गया और उत्तेजना सबकी बढ़ गयी।

मेरी बीवी ने पहल की और वह उठी और अरुण के गले में बाहें डाल दी और उसके गाल चूम लिए.
वो बोली- हाय मेरे राजा, तुम मुझे बड़े अच्छे लगते हो। बड़े हैंडसम लगते हो।

वह भी मेरी बीवी के बदन पर हाथ फेरने लगा और बोला- रेखा भाभी, तुम बहुत सुन्दर हो हॉट हो।

इतने में अरुण की बीवी सरीना आनंद से चिपक गयी और दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
दोनों ऐसे एक दूसरे को चिपका कर मज़ा लेने लगे जैसे वो मियां बीवी हों!

आनंद की बीवी नेहा मुझसे लिपट गयी और मेरा लण्ड टटोलने लगी, बोली- तेरा लण्ड भोसड़ी का बड़ा मोटा लग रहा है यार आकाश!

मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

फिर धीरे धीरे सबके कपड़े उतरने लगे, नंगे बदन सबके दिखाई पड़ने लगे।

बस 5 मिनट तीनों बीवियां मादरचोद एकदम नंगी हो गयीं और और तीनों मर्द भी बहनचोद नंगे हो गए।

तीन तीन पैग शराब का नशा ये सब बड़ी मस्ती से करवा रहा था।
किसी को न कोई झिझक, न कोई डर, न कोई संकोच।
सब कुछ बिंदास अपने आप ही होने लगा।

मेरी बीवी ने फर्श पर ही चुदाई का सारा इंतज़ाम किया था।
गद्दे मसनद लगे थे चादरें बिछीं थीं नैपकीन रखे थे कंडोम काफी मात्रा के रखे थे।

बाकी सारा इंतज़ाम था यहाँ तक कि झांट बनाने का भी प्रबंध था।
लेकिन इत्तिफाक से किसी की झांटें नहीं थीं। तीनों लण्ड एकदम चिकने थे और चूत भी नेहा भाभी की एकदम चिकनी थी।

मेरी बीवी और सरीना भाभी की चूत पर छोटी छोटी झांटें थीं जो बहुत ही सेक्सी लग रहीं थीं।
सब लोग गोल बनाकर कर बैठे थे।

फिर सब लेट कर मज़ा लेने लगे।

नेहा भाभी मेरा लण्ड चाटने लगी और मैं सरीना भाभी की बुर चाटने लगा.

सरीना भाभी आनंद का लण्ड चाटने लगी और आनंद मेरी बीवी रेखा की बुर चाटने लगा.

मेरी बीवी अरुण का लण्ड चाटने लगी और अरुण नेहा की बुर चाटने लगा।

इस तरह सबको डबल मज़ा मिलने लगा।

हर एक बीवी एक पराये मरद का लण्ड चाटने लगी और दूसरे पराये मरद से अपनी बुर चटवाने लगी।

इसी तरह हर एक मर्द एक परायी बीवी से लण्ड चटवाने लगा और दूसरी परायी बीवी की बुर चाटने लगा।

इतनी मस्ती तो बस वाइफ स्वैपिंग के खेल में आ सकता है और कहीं नहीं!

मेरी बीवी बोली- यार सरीना, तेरे पति अरुण का लण्ड तो बड़ा मोटा और सख्त है यार! ये बहनचोद आज ही मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा। और देखो न नेहा का पति कितनी मस्त से मेरी बुर चाट रहा है। चाट क्या अपनी जबान से चोद रहा है मेरी बुर! आज वह सब सच हो रहा है जो मैं सोचा करती थी।

सरीना बोली- हां यार, मुझे भी नेहा के पति का लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है। पराये मरद का लण्ड तो मजेदार होता ही है। आज मैं पहली बार अपने पति के आगे किसी और के पति का लण्ड चूस रही हूँ। मैं सच में बड़ी खुश हूँ बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी बुर किसी और का मरद चाट रहा है। वाह क्या बात है कितनी अय्याशी हो रही है आज!

नेहा बोली- आज तो वाकयी बड़ा मज़ा आ रहा है. दो दो पराये मर्दों को नंगा देख रही हूँ, उनके लण्ड देख रही हूँ, उनके लण्ड चाट रही हूँ, उनसे अपनी बुर चटवा रही हूँ। और क्या चाहिए एक बुर चोदी बीवी को? आज मैं बिल्कुल रंडी बनकर इन दोनों लण्ड का मज़ा लूंगी।

इन सब बातों से माहौल में और ज्यादा गर्मी हो गयी।

मैंने आनंद की बीवी नेहा की बुर में पेल दिया और चोदने लगा.
लण्ड पूरा घुस गया तो वह बोली- हाय दईया बड़ा मोटा लण्ड है तेरा! मेरी चूत कहीं फट न जाए बहनचोद! आज मैं पहली बार किसी पराये मर्द से चुदवा रही हूँ।

मैंने कहा- नेहा भाभी, इस समय मैं ही तेरा मर्द हूँ। तुम मेरी बीवी हो। मैं तुमको अपनी बीवी समझ कर चोद रहा हूँ।
वह बोली- हां हां यार, मैं तेरी ही बीवी हूँ, मुझे चोदो खूब चोदो। बड़ा मज़ा आ रहा है। आज मैं तुमसे चुदने ही आयी हूँ। आज ही नहीं … आगे भी मुझे इसी तरह चोदते रहना।

तब तक आनंद अरुण की बीवी चोदने लगा।
आनंद को भी सरीना की बुर बड़ी अच्छी लग रही थी। वह पूरा लण्ड पेले हुए बड़ी मस्ती से चोद रहा था और उतनी ही मस्ती से सरीना भाभी चुदवा भी रही थी।
ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि सरीना किसी और मरद से चुदवा रही है।

उधर हमारे सामने ही अरुण मेरी बीवी चोदने लगा।
मेरी बीवी तो जाने कबसे इंतज़ार कर रही थी कि उसे कोई पराया आदमी चोदे; उसकी बुर में कोई ग़ैर आदमी अपना लण्ड पेले।

वह तो लण्ड पलवाने के लिए एकदम तैयार बैठी थी। उसकी बातों से लग गया था की वह पराये मरद के लण्ड की दीवानी है।

मेरी बीवी अरुण के लण्ड से जितनी मस्ती से चुदवा रही थी, उतनी मस्ती से उसने कभी मुझसे नहीं चुदवाया।
मैं उसकी ख़ुशी देख कर खुश हो रहा था।

इस तरह हम तीनों एक दूसरे की बीवी चोदने लगे और मज़ा लूटने लगे।

दूसरे की बीवी चोदने में कितना मज़ा आता है इसका अनुभव आज हम सबको हो रहा था।

माहौल भी बड़ा आशिकाना बन गया था।

अरुण बोला- यार आकाश, अपनी बीवी के सामने किसी और की बीवी चोदना कितना मजेदार होता है।
आनंद बोला- हां बात तेरी सही है। मुझे तो जितना मज़ा दूसरे की बीवी चोदने में आ रहा है उतना ही मज़ा अपनी बीवी किसी और से चुदवाने में आ रहा है। मैं आज पहली बार अपनी बीवी को किसी और से चुदते हुए देख रहा हूँ और मुझे अच्छा लग रहा है.

इस तरह हम तीनों खूब मस्ती से दूसरे की बीवी की बुर का बाजा बजने लगे।

दूसरी पारी में मैंने अरुण की बीवी चोदी, अरुण ने आनंद की बीवी चोदी और आनंद ने मेरी बीवी चोदी।

अगली सुबह जब सब लोग चले गए तो मेरी बीवी ने कहा- देखो जी, अब मुझे पराये मरद से चुदवाने का चस्का लग गया है। मुझे पराये मरद का लण्ड अच्छा लगने लगा है। अब तो मैं पराये मर्दों से ही चुदवाऊंगी इसलिए अब और भी कपल ढूंढों जो हमारे साथ बीवियों की अदला बदली कर सकें।
मैंने कहा- हां यार, मुझे भी थोड़ा थोड़ा चस्का लग गया है दूसरे की बीवी चोदने का। अब तो मैं अपनी बीवी चुदाने में भी कोई झिझक नहीं करूंगा।

वह बोली- मैं भी तुम्हें दूसरे की बीवियां चोदने दूँगी।

कहते हैं ना कि जहाँ चाह है वहां राह है।
मैं भी नए कपल ढूंढने में लग गया और मेरी बीवी भी!

इसी बीच मैंने कई लोगों से बात की, कई लोगों की इच्छा जानने की कोशिश की।
मुझे यह पता चला कि लोग वाइफ स्वैपिंग करना तो चाहते हैं पर उनके मन में थोड़ा हिचक है।

मैं वो हिचक दूर करने लगा, तभी हमें दो कपल एक ही हफ्ते में मिल गए।

पहला पवन और उसकी बीवी प्रेमा और दूसरा सूरज और उसकी बीवी सीमा।
दोनों कपल की उम्र हमारी उम्र के बराबर ही थी।

मैंने सबको अपने घर बुलाया और एक बड़ी सी सेक्स पार्टी रखी।

उसमें मैं मेरी बीवी रेखा, पवन और पवन की बीवी प्रेमा, सूरज और उसकी बीवी सीमा को शामिल किया।
ड्रिंक्स शुरू हो गयी और खुल कर बातें भी होने लगीं.

पवन की बीवी ने बताया- हम लोग एक बार पहले भी दिल्ली के दो कपल के साथ बीवियों की अदला बदली कर चुके हैं। मुझे तो पहली ही पार्टी में पराये मर्द से चुदवाने में मज़ा आ गया था। मेरे पति को भी दूसरे की बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आया था। तब से हम लोग वाइफ स्वैपिंग के लिए कपल की तलाश में रहते हैं। आज आप लोग मिल गए तो मज़ा आ गया।

सूरज ने भी यही कहा- हां हम लोग 2 / 3 बार वाइफ स्वैपिंग कर चुके हैं। मुझसे ज्यादा मेरी बीवी सीमा को मज़ा आया था। वह तो अब हर रोज़ इसी तरह की पार्टी करना चाहती है।

ड्रिंक्स का नशा चढने लगा, बातें और खुल कर होने लगी और फिर पहले मैंने पवन की बीवी चोदी और सूरज की बीवी चोदी।

पवन ने मेरी बीवी चोदी और सूरज की बीवी चोदी।
सूरज ने मेरी बीवी चोदी और पवन की बीवी चोदी।

हमने एक दूसरे की बीवी चोद चोद कर खूब एन्जॉय किया।

फिर हमारा एक बड़ा सा ग्रुप बन गया।
आज हमारे पास 8 / 10 कपल हैं और हम हर शनिवार और इतवार को एक ही जगह आमने सामने एक दूसरे की बीवियां चोदते हैं।
हमारी बीवियां भी एक दूसरे के पतियों से चुदवातीं हैं और खूब मज़ा लूटतीं हैं।

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