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Massage Girl in Bhopal: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bhopal who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bhopal that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bhopal massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bhopal who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bhopal massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bhopal massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bhopal who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bhopal employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bhopal helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bhopal

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bhopal at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषक :रेनू Hindi Porn Stories

दोस्तो, मेरी यह Hindi Porn Stories पहली और सच्ची कहानी है। मैंने इंटर कर लिया था और मेरा सेलेक्शन एयर फोर्स में हो गया था। मेरा सेलेक्शन १९९३ में हुआ था उसके बाद मैं दिल्ली में अपने मामा के घर रहता था। १९९४ में मुझे किसी कारणवश एयर-फोर्स से निकाल दिया क्योंकि दुबारा मेडिकल हुआ था और मैंने रिश्वत नहीं दी थी। एयर फोर्स वाले ऐडवांस में सेलेक्शन करते हैं और जैसे जैसे जरूरत होती हैं बुलाते रहते हैं।

एयरफोर्स से निकलने के बाद मेरा मूड काफी बिगड़ा हुआ था। मैं सुबह ५:३० पर नहा लेता था। फरवरी का महीना था।

मैं एक रोज सुबह नहा रहा था तो देखा कि एक लड़की जिसका नाम सपना था, वो अपनी छत पर खड़ी थी और मेरी तरफ इशारा कर रही थी। मैंने कोई खास ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं इन चीजों की तरफ खास तवज्जो नहीं देता और मेरे मामा का काफी रुतबा है। मुझे वैसे भी उनसे डर लगता था। इसी वजह से मैंने उसे ठीक तरह से नहीं देखा और सोचा कि शायद मेरे मामा के किसी बच्चे की तरफ देख रही होगी। उस वक्त मेरी उम्र अट्ठारह के आस पास होगी और उसकी उम्र भी मुझसे किसी भी सूरत में ज्यादा नहीं होगी।

अगले दिन वह अपनी छत पर खड़ी थी और मैं नहा रहा था। मैंने देखा तो वह मेरी तरफ इशारा कर रही है। मैंने अपने पीछे देखा कि कोई बच्चा तो नहीं खड़ा है, जिसकी तरफ वह इशारा कर रही है। मेरे पीछे कोई बच्चा नहीं था। अब मुझे पक्का यकीन हो गया कि वो मेरी तरफ ही इशारा कर रही है।

दोपहर बाद सपना मुझे मिली तो मेरी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई और मेरा दिल धड़कने लगा, मैं उससे नहीं बोला। वह शाम को मुझसे मिली और उस वक्त अँधेरा हो रहा था, कहने लगी- तुम तो बिलकुल बुद्धू हो और कहने लगी मेरे साथ चलो ! मैं भैसों के लिए खल लेने जा रही हूँ।

मैं पहले भी उनके घर जाता आता रहता था क्योंकि मैं उसकी माँ को मौसी बोलता था और सभी को पता था कि मैं एक शरीफ लड़का हूँ, मैं कोई शरारत भी नहीं करता था, मेरा चाल-चलन भी अच्छा था !

मैं सपना के साथ बाज़ार चला गया! रास्ते में काफी प्लाट खाली पड़े थे। सपना मुझसे लिपटने लगी परन्तु मैं बहुत डर रहा था! फिर उसने मेरा लंड पकड़ लिया। वो तो एकदम से तोप की तरह सलामी दे रहा था। मैं सपना की चूचियाँ उसके सूट के ऊपर से ही दबाने लगा तो वह सिसकारी मारने लगी- आ आह ! और जोर से दबाओ ! इन्हें मसल डालो !

मैं और जोर से मसलने लगा क्योंकि मुझे कोई तजुर्बा नहीं था। अतः वह सिसकारी जोर जोर से भरने लगी। जाड़ा पड़ रहा था और जो घर पड़ोस में बने थे कभी उनमें आवाज न चली जाए इसलिए मैं काफी हद तक डर रहा था परन्तु वह नहीं डर रही थी। उसने अपनी सलवार और कमीज़ दोनों उतार दिए जिसके नीचे उसने कुछ भी नहीं पहन रखा था! मैं उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था और वो मेरे लंड पर हाथ फेर रही थी क्योंकि मैंने लुंगी बांध रखी थी और उसके नीचे अंडरवीयर पहन रखा था। मैंने अपना अंडरवीयर नहीं उतारा। उसने कहा- मेरी चूत में अपना लंड बाड़ दो !

मैंने उसे नीचे लिटा लिया और उसके ऊपर लेट कर लंड उसकी फ़ुद्दी में घुसाने लगा पर वो तो अन्दर जा ही नहीं रहा था।

मैंने काफी कोशिश की परन्तु मैं इस काम के बारे में बिलकुल अनाड़ी था। मैंने उससे कहा- सपना, तुम खल लेकर आ जाओ, फ़िर दो घंटे बाद घर के बाहर मिलते हैं !

क्योंकि मुझे डर था कि मामा या मामी मुझे खाना खाने के लिए न ढूँढ रहे हो !

और ऐसा ही हुआ। मुझे घर जाकर पता लगा कि मेरे छोटे मामा जो बंगलौर में फार्मेसी की पढ़ाई कर रहे हैं, वो आने वाले हैं !

छोटा मामा मुझसे केवल दो साल बड़ा है, मुझे बड़ी ख़ुशी हुई! जब मामा आ गया तो मैंने उससे सपना का जिक्र किया क्योंकि मैं और मामा आपस में एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते और मित्रों जैसा बर्ताव करते हैं।

मामा एक नम्बर का चुदक्कड है, बचपन से ही यह बात मैं अच्छी तरह से जानता हूँ ! मामा सपना की बात सुनकर मुझे कुरेद कुरेद कर पूछ रहा था कि कहीं मैं झूठ तो नहीं बोल रहा हूँ।

मैंने उसे बताया और यकीन दिलाया। परन्तु सपना ने मुझसे कहा था कि यह बात मैं किसी को भी न बताऊँ, परंतु मुझे तो आग लगी थी और कुछ हो भी नहीं पाया था!

मामा ने अपने मकान की बाहर की तरफ किराये के लिए दो दुकानें बना रखी थी जिनमें एक दोतरफ़ा खुलती थी जिसमें कोई दरवाजा अथवा शटर नहीं था। जबकि दूसरी दुकान में दरवाजा बंद रहता था, जिसमे भैंसों के लिए खल पड़ी होती थी, क्योंकि मामा १०-१२ भैंसे रखते थे और दूध भी सप्लाई करते थे और सरकारी नौकरी भी थी। वे दिल्ली में एक स्कूल में टीचर हैं!

मैंने सपना को उस बंद दुकान में आने के लिए कह दिया और घर में मैंने और छोटे मामा ने दुकान में लेटने के लिए कह दिया। मामा योजना के अनुसार पहले दुकान में जाकर छिप गया। हमने दुकान की लाइट भी बंद कर दी थी। मैं सपना का बाहर ही इंतजार करता रहा, तब तक मामा दुकान में सो गया! कुछ देर बाद सपना आई तो मैंने उसे दुकान में अन्दर कर लिया और मामा के बराबर में ही उससे लिपट गया।

उसने पूछा- यह कौन है?

तो मैंने बताया- छोटा मामा है !

तो वह डर गई और जाने का लिए कहने लगी। मैंने कहा- यह तो सफ़र से आया है और थका होने का कारण सो गया है, यह नहीं जागेगा !

मैं सपना और अपने कपड़े उतार कर उसकी टांगो बीच आकर अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर झटके मारने लगा। मेरे लंड का सुपाड़ा ही अन्दर जा पाया था। वह धक्का देने लगी और चिल्लाने लगी- मैं मर जाउंगी ! अपना लंड बाहर निकालो !

मैं भी डर गया, परन्तु मैंने चालाकी से मामा के पैर पर अपना घूँसा मार दिया जिससे मामा की नींद खुल गई। मामा जागते ही सारा किस्सा समझ गया और खुद सपना के ऊपर सवार हो गया और मुझसे कहा- इसका मुंह बंद करले नहीं तो रास्ता चल रहा है, हम मारे जायेंगे ! क्योंकि यह चिल्लाएगी, क्योंकि सपना की यह पहली चुदाई होने जा रही थी!

मामा ने जबरजस्ती उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया। फिर धीरे धीरे सपना शांत हो सकी और मस्ती लेने लगी और अपनी गांड उठा उठा कर नीचे से धक्के देने लगी। हमेशा से मैं और मामा एक साथ सोते थे! अब तो हमारी रोज की दिनचर्या बन गयी सपना रोज रात को १२ बजे के बाद आती और मैं और मामा उसे तबियत से चोदते !

यह सिलसिला हमारा लगभग एक साल तक चलता रहा। परन्तु उसके घर वालो को शक हो गया और हमने उससे मना कर दिया ताकि हमारी वहां बदनामी न हो सके, क्योंकि वो रात रात भर घर से गायब रहने लगी थी और शराब भी पीने लगी थी क्योंकि उसने कहीं और भी सम्बन्ध बना लिए थे।

हमारे बीच वाले मामा और बीच वाली मामी को पता लग गया था। मामा ने कहा कि कोई बात नहीं है, बच्चे हैं, इस उम्र में ऐसा होता है !

परन्तु हमारी बीच वाली मामी बोली कि तुम्हारी मम्मी और बड़ी मामी को बता देगी क्योंकि हमारी बड़ी मामी बड़ी कड़क और गुस्से वाली है। तो बड़े मामा को भी पता चलता और मेरे पापा को भी पता चलता ! परन्तु हम फिर भी मौका देखकर सपना के साथ सेक्स कर लेते थे।

उसके बाद उसकी शादी हो गई।

दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसे लगी जरूर लिखियेगा। यह मेरी पहली कहानी है और मैं कोई लेखक नहीं हूँ. जैसे जैसे विचार आते रहे, मैं लिखता गया ! जल्दी ही आपसे रूबरू होता हूँ। आपके जवाब और विचार के इंतजार में !! Hindi Porn Stories

अन्तर्वासना के सभी साथियों को अभिवादन !Hindi Sex Stories

अन्तर्वासना पर ज्यादातर कहानियो में यह लिखा होता है कि शेष कहानी अगली बार बताऊंगा !Hindi Sex Storiesअरे यार ! क्या अगली बार तक कोई व्यक्ति उसी मूड में रह सकता है?

क्या तब तक आदमी अपना लंड पकड़ कर या औरत अपनी चूत में उंगली डाल कर बैठी रहेगी?

जो लिखना है वो उसी वक्त पढ़ने के काम आएगा और उसी वक्त मजा देगा !

आप लोगों का प्यार मुझको वास्तविक और साइंस आधारित कहानियाँ और लोगों के अनुभव लिखने को प्रेरित करता है। यह भी इसी तरह एक और जानकार के जीवन के कुछ अंश हैं।

मैं एक बात बता दूँ कि मैं स्वयं सेक्स में बहुत रूचि रखता हूँ, एवं घनिष्टता जिस किसी से भी बढ़ी, हम लोग सेक्स की बातों में बहुत रूचि लेते हैं और आपस में वार्तालाप भी करते हैं।

मैंने साइंस से पढ़ाई की और कई बायोलोजी की एवं सेक्स से सम्बंधित अन्य किताबों को मिलने पर उनको अच्छी तरह से पढ़ा। इससे कई तरह के फंडे क्लिअर हुए।

इसका फायदा ये होता है कि हम सेक्स के ज्ञान को तो बढाते ही हैं, नया अनुभव भी जानने को मिलता है और मनोरंजक सेक्स को और भी आनंदित बनाने में मदद भी मिलती है.

एक लड़का मोहित मेरे संस्थान में पढ़ने आया, यह उसकी कथा है !

मेरी जिस से भी पटरी बैठी वो सब बोलने में मेरी तरह तमीजदार और अपने रिश्तों में विश्वास रखने वाले रहे हैं, अर्थात माँ के पेट से बने रिश्तों की इज्जत करने वाले। गन्दी भाषा में बात करने वालो को मैं पास भी नहीं फटकने देता हूँ।

जब मोहित पढ़ाई कर रहा था तो इसके साथ इसके मामा का लड़का और लड़की तीनो होस्टल में रह कर पढ़ाई करते थे। तीनों को अलग अलग कमरे मिले हुए थे। इसके मामा की लड़की का नाम हम रीटा मान लेते हैं। ख़ुद मोहित लगभग पांच फुट नौ इंच कद का है। सुता हुआ शरीर और बोलने में तमीजदार।

रीटा की एक सहेली भी होस्टल में ही थी। मोहित का दिल उस लड़की स्वाति पर था। धीरे धीरे दोनों में घनिष्टता बढ़ने लगी। जैसा कि विपरीत सेक्स वालों में होता है, फ़िर आपस में थोडी बहुत सेक्स से रिलेटेड बातें भी होने लगी।

जब भी दोनों अकेले मिलते हाथ फेरने का सिलसिला भी चलने लगा। और क्योंकि होस्टल में रहते थे इसलिए मौका भी काफी था। स्वाति को भी मजा आता था। वो भी एक ऐसे घर से सम्बंधित थी जो परम्परा में बंधा था। इसलिए स्वाति भी एक हद से ज्यादा बढ़ने में डरती थी। इसलिए हाथ फेरने में बोबे तक तो सब कुछ चलता था लेकिन जैसे ही मोहित नाभि से नीचे हाथ डालने लगता स्वाति उठकर कमरे से बाहर भाग कर ख़ुद के कमरे में आ जाती।

मोहित ने उसको पूछा भी कि मजा आता है तो उसने बताया कि हाँ सनसनाहट होती है। लेकिन आगे नहीं बढ़ेंगे। मोहित ने भी स्वाति को जाहिर कर दिया कि जब तक तू अपने मुह से सेक्स के लिए नहीं बोलेगी तब तक मैं सेक्स नहीं करूँगा।

अब मोहित ने नाभि से नीचे जब भी बढ़ना होता स्वाति को भींच के बैठता ताकि वो उठ कर यूँ न भाग जाए और उसके बोबे दबाता धीरे धीरे टोपर ऊपर करके ब्रा खोलकर उसके बोबों को मसलता। तो स्वाति की आहें निकल जाती और आँखें गुलाबी डोरों में लिपट जाती। लेकिन एक सीमा के बाद वो छुडा कर भाग जाती।

मोहित भी इरादे का एकदम पक्का था। वो लगा रहा कि कभी तो बहार आएगी। कोई भी मौका नहीं छोड़ता। मिलते ही मसलना, चूमना , जीभ चूसना बदस्तूर चलता।

क्रम से मोहित आगे बढ़ता रहा। स्वाति को भींच कर बैठता उसके बोबे नंगे करता, चूसता। आहों से कमरे में संगीत गूंजने लगता। होटों में होंट लेके चूसता, स्वाति भी साथ देती। लेकिन जब भी चूत की ओर बढ़ने की बारी आती स्वाति के मन में भारतीय परम्परा सर उठाती और जो उसने अपने पति के लिए इतने वर्ष सम्हाल कर रखा उसको यू किसी को सौंप देना उसको गवारा ना होता। जाने कैसे उसने अपने आपको कंट्रोल किया हुआ था।

अब मोहित उसको ज्यादा ध्यान से पकड़ कर रखता ताकि भागने का मौका कम से कम मिले। अब मोहित सलवार के ऊपर चूत पर हाथ फेरने लगा। उसकी चूत की दरार में भी मसलने लगा। स्वाति की हालत पहले से ज्यादा ख़राब होने लगी।

लेकिन मानना होगा स्वाति को। सच में ऐसी होती हैं भारतीय लड़कियां। उस ने चार महीने इसी तरह से कंट्रोल किया। जाने ख़ुद के कमरे में जाने के बाद वो कैसे अपनी चूत की खुजली को काबू करती होगी। लेकिन उस ने अपने मुंह से नहीं बोलना था तो नहीं बोली सेक्स के लिए.

मोहित भी पक्का डीठ। वो कसम खाए बैठा था। उसके मामे का लड़का उकसाता था कि गधे देख मैंने भी तेरे साथ ही मेरी दोस्त से सेटिंग की थी। मैं उसको चोद चुका और तू है कि तपस्या कर रहा है। लेकिन फ़िर भी मोहित ने बड़ी तसल्ली से अपनी जिद पकड़े रखी।

आख़िर एक शनिवार को स्कूल में जल्दी छुट्टी हो गई तो जो भी स्टुडेंट आसपास के गाँव से थे घर जाने वाले थे वो सब चले गए। लेकिन ये चारों और कुछ स्टुडेंट और भी थे जो नहीं गए। लेकिन होस्टल थोड़ा सूना हो गया।

रात को लगभग १० बजे जब रीटा और मामा का लड़का सो गए तो मोहित स्वाति के कमरे के दरवाजे पर थाप दे कर दरवाजा खुलने पर स्वाति के कमरे में आ कर दरवाजा बंद कर के स्वाति को लिए हुए उसके बिस्तर पर आ गया।

स्वाति को बाँहों में लिए उसके होटों को चूसना शुरू कर दिया। स्वाति ने भी साथ दिया। वो भी चूसने लगी। और अपनी जीभ निकाल कर मोहित के मुह में डाल दी। मोहित ने एक हाथ स्वाति के बोबों पर ले कर बोबे दबाने लगा और दूसरा हाथ स्वाति की गर्दन पर कस दिया।

धीरे धीरे दोनों की आँखे मदमस्त होने लगी। सेक्स का सुरूर स्वाति पर चढ़ने लगा। उसकी साँसे भारी होने लगी।

वो भी मोहित की जीभ चूसने लगी। मोहित ने स्वाति की कमीज के बटन खोल दिए फ़िर बोबे दबाने लगा। थोडी देर में हाथ स्वाति की पीठ के पीछे ले कर उसकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया। और मुह नीचे लाकर स्वाति के बोबे चूसने लगा। स्वाति की आहें निकलने लगी। कमरे में इस नए संगीत के साथ सेक्स की गर्मी चढ़ने लगी। अब मोहित ने स्वाति के सलवार का नाडा खोलकर सलवार नीचे सरका दी और पैंटी के ऊपर से चूत पर हाथ फेरने लगा।

एक तो बोबे चूस रहा था फ़िर चूत भी सहला रहा था। स्वाति लम्बी लम्बी गरम साँसे लेने लगी और वो आँखें बंद किए लेटी थी।

आज स्वाति के पास कमरे से भाग जाने का कोई रास्ता नहीं था। वो ख़ुद के ही कमरे में थी। और मोहित के पास भरपूर टाइम था।

मोहित ने स्वाति की पैंटी और सलवार को उतार कर टांगो से बाहर किया। अब स्वाति नीचे से पूरी नंगी थी। फ़िर मोहित ने स्वाति की चूत की दरार में ऊँगली कर के धीरे धीरे सहलाने लगा। आज स्वाति हीटर की तरह तप गई।

अब उस से कंट्रोल नहीं हो रहा था। और वो इंतजार कर रही थी। कि काश उसको सेक्स के लिए नहीं बोलना पड़े और मोहित ख़ुद ही उस को चोद दे।

लेकिन मोहित फोरप्ले में लगा हुआ था। उसका लंड कड़क ठोस हो चुका था। मोहित ने अब अपनी पैंट और अंडरविअर उतार दिए और लंड को स्वाति को पकड़ा दिया और ख़ुद स्वाति कि नाभि की और झुक कर नाभि में जीभ डाल कर चूसने लगा। स्वाति की साँसे चढ़ गई। वो हिचकियाँ लेने लगी और मोहित को पकड़ कर अपने ऊपर लेने लगी। मोहित पक्का डीठ हो गया। वो फ़िर स्वाति के बोबे चूसने लगा।

स्वाति की चूत पानी छोड़ने लगी। बिस्तर गीला होने लग गया। आख़िर जब ऐसी हालत हो गई तब मोहित ने स्वाति को कहा कि देख अब सेक्स के लिए बोल दे नहीं तो आज मैं चला जाऊंगा।

आख़िर स्वाति ने मोहित को बोला कि प्लीज मेरे साथ सेक्स करो।

अब मोहित स्वाति की टांगे चौड़ी कर के बीच में घुटनों के बल बैठ गया और स्वाति की चूत पर हाथ लगा कर गीला छेद ढूंढ कर अपने लंड को उस छेद पर टिकाया और स्वाति की टांगो को घुटनों से मोड़ कर अपने घुटने स्वाति के घुटनों के नीचे देता गया इस कारण से मोहित का लंड स्वाति की चूत पर बहुत अच्छी तरह से सेट हो गया अब मोहित ने लंड पर जोर लगाया चूत में घुसा देने को।

लेकिन नहीं जा पाया और स्वाति का मुंह दर्द से लाल होने लगा। फ़िर एक बार मोहित ने जोर लगाया लेकिन फ़िर नहीं गया। तो एक जोर से धक्का लगा कर लंड को जबरदस्ती से थोड़ा घुसा दिया। अब स्वाति को खूब तेज ब्लेड से कटने जैसा एहसास हुआ और उसका मुंह लाल हो गया और उस पर पीड़ा की लकीरें आ गई, बहुत मुश्किल से उसने चीख निकलने से बचाया। स्वाति ने होंट दांतों के बीच दबा लिए। इधर मोहित का भी दर्द के मारे हाल अच्छा नहीं रहा। लेकिन अब चुदाई तो पूरी करनी थी ना। इसलिए और धक्के मार कर पूरा लंड स्वाति की चूत में उतार दिया और स्वाति के ऊपर लेटता गया।

स्वाति को धीरे धीरे किस किया अपने हाथ बोबों पर लेकर सहलाने लगा। और धीरे धीरे स्वाति के होंट चूसने लगा। पहले तो स्वाति ने कोई सहयोग नही दिया फ़िर जैसे जैसे उसका दर्द कम हुआ वो फ़िर गर्म होने लगी। लगभग १० मिनट बाद स्वाति क्रियाशील होने लगी। लेकिन अब भी सामान्य नहीं थी।

फ़िर धीरे धीरे धक्के लगा कर मोहित ने चोदना शुरू किया। उसने अपनी जीभ स्वाति के मुंह में दे दी और धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ाता गया जैसे जैसे ओर्गास्म नजदीक आता गया धक्के तेज लगने लगे। स्वाति को मजा और दर्द दोनों हो रहे थे और वो इन्तजार कर रही थी कि चुदाई कब पूरी हो। स्वाति को ओर्गास्म हुआ लेकिन मजा नहीं आया और दर्द को सहते हुए मोहित ने भी स्वाति की चूत की तराई कर दी।

थोडी देर में जब लंड ढीला होकर बाहर आया तो मोहित ने अपना लंड देखा तो सुपाड़े के पीछे का धागा कट चुका था, सुपाड़े के ऊपर की खाल भी पीछे होकर कर लंड पर आ गई थी और लंड ३-४ जगह से छिल गया था।

उधर स्वाति की चूत भी खून से लिप गई थी। दोनों ने नेपकिन से लंड और चूत साफ़ किए और कपड़े पहन लिए।

अगले दिन मोहित ने स्वाति को दर्द के लिए दवाई की दूकान से गोली लाकर दी।

बस गनीमत यह हुई कि इस चुदाई से स्वाति को गर्भ नहीं टिका। दोनों ही नादानी में बिना किसी साधन के काम कर गए।

एक बात और भी थी। कि स्वाति भी क्षत्रीय ही थी। एक दिन दोनों को आपस में एक दूसरे की आँखों में देखते रीटा ने देख लिया। लेकिन चुप रही और अकेले में स्वाति से पूछा तो स्वाति ने बता दिया कि वो मोहित को पसंद करती है। फ़िर रीटा ने मोहित से पूछा तो मोहित ने भी बता दिया कि स्वाति उसको पसंद है।

रीटा ने अपने फूफा यानि मोहित के पिता से और स्वाति की माताजी से बात की और स्वाति के पिताजी को मोहित के घर रिश्ता लेकर भेजा। दोनों की सगाई हो गई।

फ़िर एक दिन मौका पाकर रात को मोहित ढाणी में अपनी ससुराल मोटरसाईकिल पर १०:३० पर पहुँच गया। स्वाति को उसने मोबाइल पर बता दिया। मोटरसाइकिल उसने दूर खड़ी की। रात को ढाणी में लोग जल्दी सो जाते हैं और स्वाति ने धीरे से दरवाजा खोल कर मोहित को अन्दर लिया। दोनों रसोई में घुस गए। स्वाति ने बाकी पिता और भाई दोनों के कमरों के बाहर से धीरे से सांकल लगा दी।

फ़िर दोनों ने रसोई में जश्न किया। दो घंटे वो मजे करते रहे। दोनों ने ही खुल कर सेक्स का मजा लिया। इस बार भी स्वाति थोड़ा चिंतित थी लेकिन अब के दर्द नहीं हुआ तो खुल कर खेली। इस बार मोहित ने कंडोम काम लिया। फ़िर मोहित अपने गाँव चला आया।

मोहित बता रहा था कि सर चूमना, चूसना, दबाना, हाथ फिराना, जो जो मैं कर सकता था किया, और स्वाति ने खूब साथ दिया और मजे भी लिए ………

जब मैंने मोहित को कहा कि पगले पहली बार में इतना दर्द करने की क्या जरूरत थी। ऊँगली डाल कर ओ आकर में घुमा कर थोड़ा तो चूत का छेद चौड़ा कर सकता था न। ना तो स्वाति को दर्द होता न तुझको इतनी दिक्कत उठानी पड़ती। और थोड़ा तेल ही लगा लेता। तो मोहित बोला कि सर किसी ने बताया ही नहीं कि दर्द कम भी हो सकता है। ये तो अब आपने बताया। मेरे मामा के लड़के ने भी नहीं सिखाया।

सच में दूसरी बार में मजा आया। पहली बार में तो दर्द से मजा ही नहीं आया। पहली बार में तो चोदने की रस्म पूरी की बस………..

अब २ महीने बाद उनकी शादी है।

मोहित ने कहा कि सर मुझको क्या पता था जिस लड़की के साथ मैं मजे के लिए चुदाई कर रहा हूँ उसी के साथ शादी हो जायेगी।

तो मैंने कहा कि ये तो बहुत अच्छा है। कम से कम तुझको तो पता है न कि वो कुंवारी लड़की है। वरना खेली खाई मिलती तो भी तो सब्र करना पड़ता। फ़िर जिसको तूने चोदा वो भी तो किसी की पत्नी बनती ही न। फ़िर यार आदमी ही लड़की को चालू करता है तो लड़की को दोष देना बेकार है। फ़िर सेक्स पर किसी का जोर थोड़े ही है। सबको अच्छा लगता है। मजे कर, खुश रह।

यदि आपको कहानी अच्छी लगी और कोई भी परेशानी शेयर करना चाहते हो या दोस्ती खास कर स्त्रियों से तो लिखिए, आपका स्वागत है. Hindi Sex Stories

हैलो दोस्तो, Hindi Sex Stories

मैंने तो सपने में भी Hindi Sex Stories नहीं सोचा था कि मेरी वासना की संतुष्टि की कहानी ‘सीमा की मस्ती’ पढ़ कर आप सभी मुझे इतना प्यार देंगे। आपके ई मेल्स के लिए मैं तहे-चूत से आपका धन्यवाद करती हूँ। मैं अपनी उन सहेलियों का भी शुक्रिया अदा करती हूं जिन्हें मेरी कहानी पसंद आई और उनका भी जिन्होंने अपना वैसा ही अनुभव मुझे बताया।

कहाँ तो मैं एक अदद लँड के लिये तरस रही थी और आज तो करीब-करीब आप सभी ने मेरी लेने की इच्छा जतलाई है। और सबसे ज्यादा खुशी तो मुझे इस बात की है कि आप सभी बड़े-बड़े लँडों के मालिक हैं और सभी को चोदने में महारत हासिल है। आपके ईमेल पढ़ कर मेरी चूत में जबर्दस्त खुजली मचने लगती है।

सीमा के जाने के बाद तो अब फिर उंगली मारने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था। मेरे लिये तो यह फैसला करना मुश्किल हो गया है कि मैं आप में से किसका लँड लूँ और किसका छोड़ूं।

फिर भी, लँड लेने की चाहत में आप में से जिसे भी मैंने मेल किया है, प्लीज मुझे और ज्यादा लँड का लालच मत दीजिये क्योंकि मैं एक छोटे शहर में रहती हूं और मेरे लिये आप में से किसी से भी मिलना सम्भव नहीं हो पायेगा।

चुदवाने के चक्कर में अगर बदनामी हो गई तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी। काश मैं किसी महानगर में होती तो रोजाना ही आप में से किसी न किसी से मरवाने जरूर पहुँचती।

वैसे मुझे लगता है कि हम छोटे शहरों वालियों को ही यह समस्या है, नहीं तो गांव की लड़कियाँ तो खेत खलिहानों में जा जा के अपनी चूत की जबर्दस्त रगड़ाई करवाती हैं। और बड़े शहरों की बातें तो आप जानते ही हैं।

इसके अलावा, मेरी जिंदगी में एक और घटना पिछ्ले हफ्ते घट गई है जो मैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ।

कहते हैं भगवान के घर देर है पर अँधेर नहीं है। मेरी प्यासी चूत के लिये सामान खुद-ब-खुद चल कर मेरे घर पहुँच गया। मेरे पति किसी काम के सिलसिले में चंडीगढ़ गये हुए थे और अभी तक नहीं लौटे हैं।

पीछे उनके मामे का लड़का पवन अचानक टूर पर आ गया, जो करीब 24 साल का है और एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करता है। हालांकि वो हमारे घर पहली बार ही आया था क्योंकि उसकी नई नई नौकरी लगी थी और उसे हमारे वाला क्षेत्र मिला था।

अगले दिन सुबह वह अपने स्थानीय दफ़्तर चला गया और रात करीब आठ बजे लौटा।

मैंने खाना बना रखा था और हम दोनों खाना खाकर सिटिंग रूम में आ गए।

मैंने टीवी चला दिया और पवन अपने पेपर वगैरह देखने लगा।

मैं नीचे कालीन पर बैठी हुई थी और पवन ऊपर सोफे पर।
मैं टीवी देखने में मशगूल हो गई और कुछ देर बाद मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कमरे में मेरे अलावा कोई और भी है।

मैं यूँ ही चैनल बदल रही थी और तभी एक इंग्लिश पिक्चर का सीन दिखाई दिया जिसमें हीरो-हीरोइन चुम्बन कर रहे थे।

मैं उसी चैनल पर रुक गई और देखने लगी।
कुछ देर बाद हीरो ने हीरोइन के कपड़े उतार डाले और उसके ऊपर आ गया।

सीन में हीरो-हीरोइन के ऊपरी हिस्से को ही दिखाया था पर दोनो के हिलने डुलने से साफ पता चल रहा था कि नीचे क्या खिचड़ी पक रही है।

हीरोइन आँखे बंद कर के आँ ऊँ करे जा रही थी और कुछ ‘फक मी हार्ड’ या ऐसा ही कुछ बोल रही थी और हीरो महाशय लगातार धक्का-पेली में लगे हुए थे।
कुल मिला के काफी गर्मागरम चुदाई चल रही थी। सीन देख कर मेरी चूत पनियाने लगी और मैंने अपनी टांगे चौड़ी करके गाउन ऊपर कर लिया.

पैन्टी तो मैंने शाम को ही उतार के बाथरूम में टांग दी थी क्योंकि रोज रात को मुठ मारे बिना तो मुझे नींद ही नहीं आती है, जिसके लिए चूत को मैं पहले ही आज़ाद कर लेती थी ।

पवन का तो मुझे ध्यान ही नहीं था, इसलिए बड़े आराम से अपनी गोरी टांगों को सहलाते हुए मैंने एक हाथ से अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया।

चूत के रस में गीली कर के मैंने एक उंगली धीरे से अँदर कर ली और हौले हौले आगे पीछे करने लगी।

मुझे लगता है कि मेरी हरकत देखकर पवन का लँड तो तुरंत ही टन्ना गया होगा। थोड़ी देर बाद पवन ने एक गहरी साँस ली और इससे मुझे उसकी उपस्थिति का एहसास हो आया।

लेकिन मेरे दिमाग में एकदम से पवन के लौड़े की शक्ल कौंध गई, और मैंने बेशर्मी से उसकी तरफ कनखियों से देखा और उंगली चलाती रही। वह थोड़ा शरमा गया।

मैं उसे छेड़ते हुए बोली- क्या हाल है, सब ठीक तो है?

पवन बोला- क्या मतलब है आपका?

मैंने कहा- भोले मत बनो ! मुझे सब नज़र आ रहा है तुम्हारे पैंट के तंबू के नीचे ! जिससे लगता है कि तेरा लँड काफी बड़ा है। तुझे पता है, तेरे भैया ने तो आज तक मुझे छुआ तक नहीं है। मेरी कुंवारी चूत तो बरसों से लौड़े की प्यासी है। मैं जैसे तैसे मुठ मार मार के अपना काम चला रही हूँ। तुम चाहो तो आज मेरी जी भरके ले डालो, मैं भी कुछ मज़े कर लूंगी। मेरी सभी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से सुनाती रहती हैं। उनके पति उन्हें रात-रात भर कई कई बार चोदते हैं और वह भी अच्छी तरह रगड़ कर। और एक मैं हूँ जिसे आज तक सही लँड तक नहीं मिला। प्लीज़, आज तो मुझे तुम्हारा लौड़ा चाहिए और सच कह रही हूँ अब तो मैं इसे अँदर लेकर ही रहूँगी।

पवन के कोई जवाब देने से पहले ही मैंने पलट कर अपना हाथ पवन के तने हुए लँड पर रख दिया।

पवन के लौड़े को तो जैसे करेंट लग गया और वह एकदम फनफना गया।
मैंने जल्दी से उसके पैंट का हुक और ज़िप खोल दिया और फिर अँडरवियर नीचे कर के लँड को बाहर निकाल लिया। लँड क्या था, पूरा 8 इंच का बेलन था बिल्कुल टन्नाया हुआ।

उसका लाल सुपाड़ा देख कर मेरी आँखों में नशा छा गया और पूरा बदन थरथरा उठा। जिस चीज़ की मैं कल्पना ही करती रहती थी वह आज मेरे इतने पास थी। पवन के लँड की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी थी।

मैंने उसके लँड को चूमा और फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।

लँड की जड़ से शुरू कर के मैं जीभ उसके टोपे तक ले जाती और फिर सुपाड़े को चारों तरफ से चाट चाट कर मैंने लँड को पूरा गीला कर डाला। इसके बाद मैं लँड को पूरा मुँह में ले कर उसे आम की तरह चूसने लगी और साथ साथ एक हाथ से उसे मुठ भी लगा रही थी।

पवन तो जैसे स्वर्ग में था बोला- भाभी, बहुत अच्छा लग रहा है, चूस डालो … मेरे लौड़े को, निकाल डालो इसका पानी।

पर मैंने लँड मुँह से निकाल कर कहा- बस बस अभी रहने दे और अब इसे अँदर डालकर मेरी चूत की प्यास बुझा दे।

पवन बोला- भाभी, पर मैंने तो आज तक किसी को नहीं चोदा है, ये कैसे होगा।

मैं बोली- यह तो और भी अच्छी बात है, आज तो समझो हमारी सुहागरात है, कुंवारी चूत को कुंवारा लँड जो मिल रहा है। तुम्हें तो बस ऊपर आकर लँड मेरे हाथ में देना है, बाकी काम तो मेरा है।

इतना कहकर मैंने अपना गाउन खोल दिया। काली ब्रा के ऊपर से मेरे गोरे और सुडौल मम्मे झाँक रहे थे।
पवन ने हल्के से मेरे उभारों को छूकर सहलाना शुरू कर दिया। मेरी तो आँखें बंद हो गईं और दिल भी धकधक होने लगा।

पवन की हिम्मत बढ़ गई और उसने ब्रा के स्ट्रेप मेरे कंधे से हटा कर मेरी गोल और दूधिया छातियों को नंगा कर डाला। मेरे मम्मों के बीचोंबीच मेरी हल्के बादामी रंग की चूचियां तन कर खड़ी हो गईं थीं।

पवन ने अब मुझे गोद में बिठा लिया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को दो उंगलियों के बीच लेकर हल्के से दबा दिया। मैंने एक सिसकारी भरी और पवन से लिपट गई।

पवन ने भी अपने गरम होंठ मेरे होंठों से सटा दिए और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। साथ ही पवन मेरे मम्मे दबाने और चूचियाँ मसलने में लगा हुआ था।

सच बता रही हूँ, मैं तो लगा कि हवा में उड़ने लगी थी। चूमते चूमते मैंने अपनी जीभ पवन की जीभ से सटा दी और उसका लँड जोर से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।

कुछ देर बाद पवन मेरे सामने आ गया और मेरी चूची पर जीभ लगा कर चाटने लगा, फिर एक एक कर के उसने दोनों चूचियों को चूस चूस के सुजा डाला।

पवन के हाथ अब मेरी जाँघों पर थे और उन्हें सहलाते हुए वह मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था। मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर के उसका रास्ता साफ कर दिया और बोली- हाँऽऽऽ… करो न ।

पवन मेरा इशारा समझ कर तुरंत मेरी चूत के होंठ फैला कर अपनी उंगली मेरी गीली चूत पर फिराने लगा। पवन की उंगली मेरे बटन पर लगते ही मेरे मुँह से आह निकल गई और मैं चिल्लाई- डालो न प्लीज़ ।

पवन ने अपनी उंगली मेरी चूत में धीरे से घुसा दी और अँदर-बाहर करने लगा।

मेरी चूत की खुजली कुछ कम होने लगी, पर चुदाई की इच्छा तेज होने लगी इसलिए जल्दी ही मैं पवन का लँड पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी और अपनी टाँगें फैला कर बोली- अब देर मत करो, लँड अँदर दे दो।

पवन को लगता है विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं सचमुच उससे चुदवाना चाहती हूं और वह अब मुझे चोदने वाला है, वो बोला- भाभी, क्या आप सच में मेरा लँड लेना चाहती हैं?

मैं पवन से बोली- प्लीज़ पवन, अब तंग मत करो, मुझसे अब और नहीं रुका जाता, जल्दी से डाल दो ना ऽऽऽ…

इतना सुनते ही पवन ने मुझे गोद में उठा कर दीवान पर लेटा दिया और अपना पैंट और टीशर्ट उतार फैंके, अपना टनटनाया हुआ लँड मेरी चूत की तरफ कर के वो घुटनों के बल मेरी टाँगों के बीच आ गया।

मैंने लँड पकड़ के अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और फिर अपनी गाँड ऊपर कर के पवन की कमर को दोनों हाथों से अपनी ओर खींचा ।
लँड थोड़ा रुक कर मेरी चूत के अँदर सटाक से जा घुसा।
मेरे मुँह से एक आह निकल गई पर तसल्ली भी हो गई कि चलो जिंदगी के 28वें साल में आखिरकार मेरी सील तो टूटी।

मेरी चूत अब भट्टी की तरह धधक रही थी और पवन का लँड भी अँदर जाते ही लाल लोहे की तरह तपने लगा था।

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद पवन ने अपना लँड धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया और मुझे चोदने लगा।
मैं भी नीचे से ताल मिला के अपनी चूत ऊपर नीचे कर रही थी।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे पर मुझे नहीं लगता है कि चुदाई सीखने सिखाने कि ज़रूरत पड़ती है। हमारा कार्यक्रम तो मस्त चलने लगा था।

पवन ने पूछा- क्यों भाभी, मज़ा आ रहा है या नहीं?

मैंने कहा- बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते जाओ। काश तुम्हारे जैसा बड़ा और मोटा लँड मुझे पहले मिल जाता तो मैं अपनी चूत का सही उपयोग कर लेती।

पवन ने हिलते हिलते पूछा- भाभी, क्या हर औरत मोटा लँड चाहती है?

मैंने कहा- यार, जहाँ तक मुझे लगता है, कि अगर किसी को पता न चले तो हर औरत मन ही मन किसी बड़े और मोटे लँड वाले से ज़रूर चुदवाना चाहती है, बस मौका मिलना चाहिए। ये सब छोड़ो और अब तो तुम बस मुझे जी भर के ज़ोर ज़ोर से चोदो।

यह सुन कर पवन अपना लँड मेरी रसदार चूत में अँदर-बाहर करने लगा।
मैं भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लेने में लग गई।
पवन ने मेरे होंठ अपने होंठों में दबा लिए और चूसने लगा। साथ ही अपने एक हाथ से वह मेरे मम्मों और चूचियों को मसले जा रहा था। मेरे मुँह से तो ईऽऽस्स ईऽऽस्स की आवाजें निकलने लगी थीं।

मैं बोली- पवन, प्लीज़ ऐसे ही चोदो और चोदते जाओ, रुकना मत, बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ओह माँ … मम्मी … ये क्या हो रहा है।

पवन मस्त होकर अपना लँड मेरी चूत में कड़छी की तरह हिलाने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला के दनादन शॉट मारने लगी। दीवान तो झूले की तरह हिल रहा था।

मैंने अपनी टाँगें उठाकर पवन की कमर पर लपेट लीं और अपनी चूत ऊपर कर के किसी कुतिया की तरह उसके लँड को अँदर दबोच लिया। फिर मैंने मुँह की तरह ही अपनी चूत से उसके लँड को चूसना शुरू कर दिया।

पवन भी बड़बड़ाता हुआ गचागच अपना लँड मेरी चूत में पेल रहा था- ‘ले सीमा ले, आज तो तेरी फाड़ डालूंगा’।

मेरे सिर पर तो चुदाई का भूत सवार हो चुका था और अब मैं सारी लाज शरम छोड़ कर किसी रंडी के जैसे चोदने-चुदवाने में लगी हुई थी। पूरा कमरा हमारी चुदाई के संगीत से गूंजने लगा था।

काफी देर तक ऐसी ठुकाई के बाद मेरे बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं और मैंने पवन को जोर से जकड़ लिया अपनी चूत जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। पवन भांप गया कि मैं अब झड़ने वाली हूँ और उसने फटाफट मेरी एक चूची अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगा।

मैं बोली- पवन, लगता है तुम तो आज मुझे मार ही डालोगे। इतना सुख मुझे कभी नहीं मिला, लग रहा है कि चूत में आग लगी हुई है।

पवन बोला- भाभी, मेरे लँड में भी झुनझुनी हो रही है, और बदन में तो लगता है चींटियाँ रेंग रही हैं।

पवन ने चुदाई की स्पीड बहुत तेज़ कर दी।
मेरी चूत और सारा बदन उत्तेजना से अकड़ने लगा और अचानक मैं चिल्ला उठी- हाय, मैं मरी … … प्लीज़ … मेरी फाड़ दो न… अपना लँड मेरे पेट तक घुसेड़ दो। हो सके तो मेरी गाँड़ भी फाड़ दो। हे रामऽऽऽऽ, आऽऽह, मैं तो ये गईऽऽऽ मम्मी … … पवनऽऽऽ तुम भी आ जाओ नऽऽ … …

और मैं टाँगे फैला के झटके मार मार के झड़ने लगी।
पवन का बदन भी अकड़ गया था और उसने अपना लँड मेरी चूत में जड़ तक घुसा कर पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दीं और सारा माल मेरे अँदर उड़ेल दिया।
मैंने एक हाथ से उसके टट्टे पकड़ के निचोड़ डाले।
मेरी चूत तो लबालब भर गई थी और दोनों का रस मिल कर बहने लगा।
हम दोनों पसीने से तर हो चुके थे और काफी देर इसी तरह लँड-चूत का संगम किए लेटे रहे।
इतनी ज़बर्दस्त चुदाई से दोनों निढाल हो गए थे, पर ऐसा लग रहा था कि हम स्वर्ग में हैं।

मैंने पवन को प्यार से चूमा और बोली- आज मैं पूरी औरत हो गई हूँ। तुम्हारी खटियातोड़ रगड़ाई ने मेरी चूत को सही में चुदाई का मतलब सिखा दिया है। थैन्क्स ए लॉट यार ।

पवन भी प्यार से मेरे मम्मे और सारा बदन सहलाने लगा और उस रात हम यूँ ही बाहों में बाहें डाले नंगे ही सो गए।

पवन यहाँ दो दिन के लिए आया था पर मैंने उसे अभी तक रोक रखा है और हम दोनों अपनी जवानी का भरपूर मज़ा ले रहे हैं।
कामसूत्र के करीब करीब सारे आसन भी आज़मा डाले हैं।
पवन के ऊपर चढ़ कर चोदने में तो सच इतना मज़ा आया कि क्या बताऊँ।
पर कल मेरे पति आने वाले हैं और पवन उनसे मिल कर निकल जाएगा। तब क्या होगा? मैं सोचना भी नहीं चाहती … … ये तो पक्का है कि आज की रात कयामत की रात होगी … … Hindi Sex Stories

प्रेषक – राहुल छेड़ा Hindi Sex Stories

अन्तर्वासना के पाठकों को Hindi Sex Stories पुलकित झा का नमस्कार। घरेलू कहानियों के शौकीन पाठकों के लिए हाज़िर है एक और मस्त कहानी…

जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ कि मेरी कहानियाँ मेरी कल्पनाओं पर आधारित हैं, परन्तु पाठकों ने इन्हें इतना पसन्द किया कि मैं फिर एक नई कहानी पेश कर रहा हूँ।

मेरे पिताजी का तबादला हो गया और हम एक नए शहर में आ गए और एक साधारण से मुहल्ले में किराए पर रहने लगे। मुझे अपने से बड़ों से दोस्ती करने का शौक था सो मेरी दोस्ती राजन और रमेश से हो गई। वे दोनों दीदी के कॉलेज में ही पढ़ते थे और बिगड़े हुए रईसज़ादे थे। दीदी बस से कॉलेज जाती थी। कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा फिर एक लड़का दीदी के पीछे पड़ गया और उसने दीदी को छेड़ना शुरु कर दिया।

दीदी बहुत परेशान रहने लगी, फिर एक दिन मुझे बता दिया। मैंने राजन से इस बारे में बात की तो उन्होंने उस लड़के को पीट दिया, और कुछ दिन तक दीदी के आने-जाने पर भी नज़र रखी। कॉलेज में भी वे उसका ध्यान रखने लगे। इधर मेरी दोस्ती भी उनके साथ बढ़ने लगी। मैं जब भी उनके साथ होता था तो अक्सर सेक्स की, विशेष रुप से घरेलू सेक्स की बातें करते थे। मुझे बहुत मज़ा आता था।

उनकी बातों से प्रेरित होकर मैंने दीदी के लिए ताक-झाँक करनी शुरु कर दी, और फिर एक दिन बाथरूम में उसे नंगी नहाते हुए देखा। पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा… आआआहहहह्हहहह… नंगी तस्वीरें तो बहुत देखी थीं, पर वास्तविक लड़की… आआहह्हह। फिर मैंने बार-बार झाँकना शुरु कर दिया। मुझे यह हज़म नहीं हो रहा था। अब जब भी राजन और रमेश बातें करते थे, उसकी चूत-गाँड-चूचियाँ मेरी आँखों के सामने तैरने लगती थीं। राजन और रमेश ने इसे ताड़ लिया। अब वे मुझे अपनी बातों में अधिक शामिल करने लगे और मैं भी खुल गया और बातों ही बातों में उन्हें बता दिया।</p

“अरे वाह, तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला…! ” राजन ने मेरी पाठ पर एक धौल जमाते हुए कहा।

“तुम लोग ऐसी बातें करते हो, तो मेरा मन फिसल गया…”

“अरे बहुत बढ़िया किया… हाय… कुँवारी चूत को आँखों से चोद रहा है….” रमेश बोला।

“यार कुछ भी कहो… तेरी बहन है माल… शरीर पर बाल हैं या चिकनी-चिकनी एक दम…”

“तू कहे तो चोद लें…”

“बात करना अलग बात है… ऐसी लड़की नहीं है वो…” मैंने कहा, तो वे दोनों मुस्कुराए।

“अब जब बात खुल ही गई है, तो तुझे बता दें कि पटा तो हमने लिया है उसे… पर तेरा लिहाज़ था सो हमने बात बढ़ाई नहीं है…” राजन ने कहा।

“वरना, वो तो कब से टाँगें फैलाए लेटी है हमारे लिए…” रमेश हँसते हुए बोला।

“शट अप… वो ऐसी नहीं है… मैं नहीं मानता…”

“तू अगर शर्त लगाए तो तेरे सामने चोद के दिखा दें…”

“शर्त मतलब…?”

“हम जीते तो तू हमें अपना जीजा मान लेना।”

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“और फिर हम तेरे घर में आकर ही उसे चोदा करेंगे!!!!” राजन ने कहा।

मुझे उनकी बातें बुरी नहीं लग रहीं थीं, पर बनावटी नराज़गी दिखाते हुए मैंने उनकी शर्त मान ली। फिर कुछ दिनों तक हमारे बीच कोई बात नहीं हुई। फिर एक दिन शाम को सात बजे राजन का फोन आया और उसने मुझे साढ़े आठ बजे कॉलेज की कैन्टीन में आने को कहा। दरअसल उस दिन कॉलेज का वार्षिक महोत्सव था। दीदी शाम छः बजे ही चली गई थी और दस बजे तक आने की कह गई थी। राजन के फोन का मतलब तो मेरी समझ में नहीं आया पर मैं आठ बजकर बीस मिनट पर वहाँ पहुँच गया। राजन बाहर ही खड़ा मिला और मुझे देखते ही अँधेरे कोने में ले गया…

“क्या बात है, मुझे क्यों बुलाया…”

“चुप आवाज़ मत कर… आज हम शर्त जीतने वाले हैं… राजन लेने गया है…” वह कुटिलता से हँसते हुए बोल…।

“किसे…” मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा…।

“तेरी बहन को… साले… आज तुझे अपना साला बनाएँगे…”

“मैं जा रहा हूँ… मुझे अजीब सा लग रहा है…”

“पागल है… आज सीधा प्रसारण देख… और फिर तूने वायदा किया है कि तू हमें सपोर्ट करेगा…”

मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा। तभी राजन दीदी को लाते हुए दिखा। रमेश ने मुझे एक ऐसी जगह छुपा दिया, जहाँ एक खिड़की थी। कमरे में एक बिस्तर था। तभी राजन दीदी को लेकर कमरे में आया। दीदी कुछ सहमी सी तो थी, पर आई अपनी मर्ज़ी से थी। रमेश भी वहाँ पहुँच गया और उसने दरवाज़ा बन्द कर लिया।

“ये कहाँ ले आए हो… कोई आ गया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी…” दीदी ने कुछ सहमते हुए कहा तो रमेश ने उसे बाँहों में भींचते हुए कहा…

“चिन्ता मत कर रानी… यहाँ कोई डर नहीं है…”

“नहीं.. यहाँ… नहीं…”

“अब नखरे मत कर… इतने दिनों से मौक़ा तलाश कर रहे थे…” और फिर रमेश ने उसे नंगा करना शुरु किया तो वह कुछ विरोध करने लगी, पर उन्होंने उसकी परवाह नहीं की। राजन भी वहाँ आ गया। रमेश ने उसकी शर्ट उतारी तो राजने ने उसकी जीन्स खोल दी और कुछ ही पल में वह ब्रा और पैन्टी में थी।

मेरी साँसें फूलने लगीं। राजने ने ब्रा भी खोल दी, तो दीदी नीचे बैठ गई। फिर वे भी नंगे हो गए। उनके लंड तने हुए थे। उन्होंने दीदी को उठाया और सीधे बिस्तर पर ले गए और फिर दोनों ओर से लिपट गए। वह ना-ना करती रही और वे उसके अंगों से खेलते रहे। उसे पता भी नहीं चला कि कब उसकी ब्रा-पैन्टी उसका साथ छोड़ गई। थोड़ी देर में वह भी गरम हो गई और फिर उनका साथ देने लगी, तो उन्होंने उसे सीधा किया और फिर पहले राजने ने नम्बर लिया। वह टाँगों के बीच में आया और उसकी टाँग उठा कर अपना लंड उसकी चूत की छेद पर टिका दिया। रमेश इस बीच चूचियों को सँभाल रहा था और दीदी उसके लंड से खेल रही थी कि राजन ने एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया… दीदी की चीख निकलने को हुई कि रमेश ने उसका मुँह अपने होंठों से बन्द कर दिया और फिर राजन पिल पड़ा… वह कराह रही थी, पर वह पूरी ताक़त से चोदे जा रहा था। दो सौ से भी अधिक चोट मारने के बाद वह चूत में झड़ गया। दीदी निढाल सी हो गई। उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था। रमेश ने उसकी चूत कपड़े से पौंछी तो वह उठ बैठी…

“अब नहीं…”

“अच्छा… अब मेरा नम्बर आया तो नहीं कर रही है…?” चूत पौंछ कर वह बगल में लेट गया।

“थोड़ा रुक कर, कर लेंगे…”

“चिन्ता मत कर, मैं उस राजन की तरह गँवार नहीं हूँ… प्यार से चोदूँगा।”

और फिर वह उसे चूमने-चाटने लगा। जब वह थोड़ी सामान्य हुई, तो वह ऊपर लेट गया और लंड चूत की दरार में रगड़ने लगा। दीदी की चूत फिर गरम होने लगी तो रमेश ने धीरे से लंड चूत में उतार दिया और फिर पहले धीरे-धीरे चोदने लगा। जब वह पूरी तरह से मज़े लेने लगी तो उसने गति बढ़ा दी। वह आह्ह्हह… आह्हहह करने लगी, पर रमेश ने भी पूरी ताक़त से उसकी चूत ठोंकी। वह निढाल हो चुकी थी। वे दोनों भी उसकी बगल में लेट गए तो मैं भाग आया।

दूसरे दिन फिर शर्त के अनुसार मैंने दोनों को जीजाजी कहा। Hindi Sex Stories

नेहा वर्मा Antarvasna

रोशन और राम नये नये कॉलेज Antarvasna में आये थे और शहर में ही कॉलेज के पास उन्होंने एक कमरा किराये पर ले रखा था। जवानी का नया नया जोश भी था और वो जवानी का पूरा लुत्फ़ भी उठाना चाहते थे। उन्हें स्वतन्त्र माहौल मिल गया था। मां बाप का कोई डर नहीं, यहां कोई भी कुछ कहने वाला नहीं था। सबसे पहले उन्होंने लुत्फ़ शराब का उठाया। वे दोनों लगभग रोज शाम को एक आधी बोतल ले आते थे और पीते थे। कुछ दिनों के बाद उन्होंने एक सी डी की दुकान से ब्ल्यू फ़िल्म भी किराये पर लाना आरम्भ कर दिया था। एक दिन…

शाम के आठ बजे थे। नहा धो कर वे दोनों ही बोतल खोल कर पीने बैठ गये थे। टिफ़िन आ चुका था। राम ने टी वी खोल कर कर किराये पर लाई हुई सीडी प्लेयर पर लगा दी और दारू का दौर चलने लगा। ब्ल्यू फ़िल्म भी चल रही थी। एक के बाद एक चुदाई के सीन आने लगे थे। रोशन और राम पर भी रंग चढ़ने लगा।

‘भेनचोद अन्ग्रेज औरतें क्या मस्त होती हैं…’ गर्म होता हुआ बोला।

‘हाँ यार, साली की चूत तो देख… लगता है अभी चोद डालूं…!’ राम अपना लण्ड पजामे के ऊपर से मसलता हुआ बोला। रोशन ने राम को देखा, राम का लण्ड खड़ा हुआ था। उसे देख कर रोशन का लण्ड भी जोर मारने लगा। पहले तो वो शरमा कर लण्ड दबा रोशनरहा था, पर राम को देख कर वो भी अपना लण्ड को हल्के हाथों से उपर नीचे करने लगा।

– अन्ग्रेजों का लण्ड भी देख कितना मोटा और लम्बा होता है… अपना तो उनके सामने कुछ भी नहीं है। रोशन ने अपना लण्ड सहलाते हुए कहा।
‘तो क्या हुआ, लण्ड तो तेरा भी बहुत जोर मार रहा है ‘ राम ने उसके लण्ड को मसलता हुआ देख कर कहा।
‘अरे ! ये मादरचोद… लण्ड को कैसे चूस रही है… ! हाय मेरा लण्ड भी ये मां की लौड़ी चूस ले…! ‘ रोशन ने अपना लण्ड दबाते हुए कहा।

‘उसे मां चुदाने दे…तू कहे तो…तेरा मसल दूं?’ कहते हुए राम ने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया। रोशन एकबारगी सिहर गया। उसका हाथ हटाते हुए कहा- मत कर यार ! गुदगुदी होती है।

गुदगुदी तो होगी ही, पर मजा भी तो आता है, राम ने अपना हाथ लण्ड के पास रोशन के हाथ पर रख दिया और लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगा। पहले तो रोशन को अच्छा नहीं लगा, पर उसके हाथ की रगड़ से उसे मजा आने लगा। धीरे धीरे रोशन ने विरोध करना बंद कर दिया। अब लण्ड राम की गिरफ़्त में आ गया। पाजामे के ऊपर से ही वो लण्ड को सहलाने लगा। रोशन को मजा आने लगा। उसका लण्ड अब फ़ड़फ़डाने लगा।

राम, तेरा कैसा है?…लगता तो मस्त है! कैसे पजामे में से बाहर निकलने को बैचेन हो रहा है!’ रोशन ने अपना हाथ राम के लण्ड पर रख दिया और उसे दबा दिया। राम के मुख से आह निकल पड़ी। उसने कोई विरोध नहीं किया।
दोनो नशे में मदहोश थे। आंखें लाल हो चुकी थी। दोनों धीरे धीरे पास आने लगे और एक दूसरे को नशीली निगाहों से देखने लगे। रोशन के पाजामे का नाड़ा खुल चुका था। राम ने रोशन का लण्ड बाहर निकाल लिया। पास में देसी घी का डब्बा पड़ा था, राम ने उसमें से थोड़ा सा घी निकाल कर रोशन के लण्ड पर मल दिया और उसे चिकना कर दिया।

अब चिकने लण्ड पर मुठ मारने में राम को भी आनन्द आने लगा था। रोशन भी आहें भरने लगा था। अचानक राम ने रोशन को चूम लिया और चूमते हुए उसके होंठों तक आ गया। रोशन भी अपना आपा खो बैठा और और उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिये और एक दूसरे को चूमने लगे।

– रोशन, आई लव यू…यार !
– राम, चूमते रह, मजा आ रहा है ! इतने दिन तक तू कहाँ था भोसड़ी के?
– मुठ मारने में कितना मजा रहा है, रस निकाल दे मेरे लौड़े का !

– हाँ रे ! बहुत मजा आ रहा है… और घिस दे यार…माँ चोद दे मेरे लण्ड की !’ दोनो के पजामे उतर चुके थे। लण्ड की घिसाई चल रही थी। दोनों के लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहे थे। मुठ अब जोर जोर से मार रहे थे। अचानक राम ने रोशन को जोर का धक्का दिया और वहीं चित लेटा दिया और उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से सुपाड़े को चूसने लगा। रोशन तड़प उठा और राम को खींचने लगा। राम ने इशारा समझा और 69 पोजिशन में आकर अपना लन्ड उसके मुँह में डाल दिया।

दोनो तरफ़ से कस कर लण्ड की चुसाई हो रही थी। इतने में रोशन का शरीर कसमसाया और उसके लण्ड ने लावा उगल दिया। राम ने तुरन्त मुँह हटा दिया और हाथ में वीर्य भर लिया। पर साथ में उसका लण्ड मसलता ही रहा। उसके लण्ड के आस पास उसका वीर्य फ़ैल गया था। इतने में राम भी छूट गया और रोशन का मुख वीर्य से भर उठा।

रोशन ने वीर्य को मुख से निकाल दिया और गले के पास से बहता हुआ नीचे बिस्तर पर गिरने लगा। दोनों ही झड़ चुके थे। ब्ल्यू फ़िल्म पर किसी का भी ध्यान नहीं था। पास में पड़ा तौलिया उठा कर दोनों ने अपने लण्ड और मुख साफ़ किये और नंगे ही बैठ गये। माहौल गर्म हो गया था। उन दोनों ने अब अपनी बनियान भी उतार कर मरजात नंगे हो गये थे। पंखे की हवा उनके शरीर को सहला रही थी। दोनों के जवान चिकने शरीर और उनकी कसी हुई मसल्स उभरी हुई दिख रही थी।

– मजा आ रहा है ना राम…
-हाँ यार, इसमें इतना मजा आता है मुझे तो पता ही नहीं था।
-देख घी लगा कर कितना चिकना लग रहा है तेरा लण्ड, रोशन।
– तू भी लगा ले यार…चल मैं लगा देता हूँ…

रोशन घी निकाल कर राम के लन्ड पर मलने लगा। राम का लण्ड फिर से तन्ना उठा। राम ने रोशन का लण्ड फिर से पकड़ लिया। दोनो फिर से झूम उठे। दोनों एक बार फिर एक दूसरे का मुठ मारने लगे।

अचानक राम बोला- रोशन मेरी गाण्ड में खुजली होने लगी है, शान्त कर दे यार ! राम ने अपनी गाण्ड रोशन की तरफ़ करते कहा।
रोशन ने घी के डब्बे में से घी निकाल कर उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और घिसने लगा। राम के मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
‘रोशन यार पेल दे लौड़ा गाण्ड में, मजा आ जायेगा !
– सच ! पेल दूँ क्या?

राम घोड़ा बन गया। रोशन ने अपना कड़कता लण्ड उसकी गाण्ड की छेद पर रख दिया। उसकी चिकनी मस्कुलर गाण्ड पर हाथ फ़ेरा और लण्ड गाण्ड के फ़ूल पर दबाने लगा। छेद चिकना था, लण्ड अन्दर घुस पड़ा।

-मजा आ गया रोशन, चोद डाल साली हरामी गाण्ड को। रोशन ने जोर लगाया और लन्ड घी की सहायता से अन्दर घुसने लगा।
राम दर्द से भरे स्वर में बोला- तेरी तो टाईट गाण्ड है… मेरे तो लण्ड की भी मां चुद जायेगी यार, कहीं छिल ना जाये?
-हाय रे, रोशन, दर्द होता है, पर पेल दे लण्ड, इस की तो मां दी फ़ुद्दी।

रोशन ने लण्ड बाहर निकाल कर फिर से अन्दर पेल दिया। और अब धक्के चल निकले। राम की गाण्ड चुदने लगी। रोशन का लौड़ा फूलने लगा और कड़कने लगा। राम को भी अब दर्द कम हो रहा था। पर उसे गाण्ड मराने में मजा आ रहा था। राम का लण्ड भी नीचे फ़ुफ़कारे भर रहा था, लन्ड नीचे लटकता हुआ फ़ड़क रहा था। कुछ ही देर में रोशन का वीर्य छूट पड़ा और राम की गान्ड में भरने लगा। रोशन झड़ चुका था।

अब दोनों ने अपना पोज बदला और राम का कड़कता लण्ड रोशन की गाण्ड में टिका था। रोशन की गाण्ड टाईट नहीं थी, फिर देसी घी का असर, लण्ड फ़क से रोशन गाण्ड में घुस गया, रोशन एक बार तो दर्द से कराह उठा पर सम्भल गया।
राम अपना लण्ड रोशन की गाण्ड में पेलने लगा। रोशन गान्ड चुदाई को एन्जोय कर रहा था। वो धीरे से नीचे पांव पसार कर पेट के बल लेट गया और अपनी आन्खे बंद कर ली और गाण्ड मराने क भरपूर आनन्द लेने लगा।
राम रोशन की पीठ पर लिपट कर लण्ड पेल रहा था। गाण्ड के फ़ूल की चमड़ी लण्ड के साथ साथ बाहर निकल रही थी और अन्दर जा रही थी। दोनों के चिकने शरीर एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे।

अचानक राम के लण्ड ने पिचकारी छोड दी और वीर्य निकल पड़ा। राम हाय कह कर रोशन की पीठ से चिपक गया और वीर्य रोशन की गान्ड में भरने लगा। राम अब पूरा झड़ चुका था। उसका लण्ड अपने आप बाहर आ गया था। अब राम और रोशन आराम से बैठ गये। उन्होंने शराब का अन्तिम जाम बनाया और आज के मजे के नाम पर चीअर्स करके पीने लगे।

आज दोनों जवानी का पूरा लुत्फ़ उठा कर सन्तुष्ट थे। जाम समाप्त हो चुका था और अब टिफ़िन की तैयारी हो रही थी।

वो दोनों इस बात से अन्जान थे कि उन्हें किसी जगह से मेरी दो आंखें उन्हें ये सब करते हुए देख रही थी। इस दौरान मैं दो बार अपनी भोसड़ी में अंगुली डाल कर रस निकाल चुकी थी।… हमेशा की तरह मैं उन दोनों से चुदने का कोई बढ़िया प्लान बना रही थी… उन्हें अपने चक्कर में लेकर दो दो लण्ड का मजा लेने का प्लान। Antarvasna

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