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अन्तर्वासना डॉट कॉम पर Hindi Sex Stories पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मुश्ताक और अंजुम दोनों ने मेरा एक एक मम्मा मुंह में लिया हुआ था जिससे मस्त हो कर मैं स्खलित हो गई थी और उनके बालों में हाथ फिराते हुए सिमटते हुए उनको अपने सीने में भींच रही थी।
उन्हें भी पता चल गया कि मैं झड़ गई हूँ, मेरी सांसें तेज़ हो गई थी और हल्की सी आवाज़ें भी निकाल रही थी और जोर जोर से उनके बालों को सहलाने लगी थी। पहली बार ऐसा एहसास हुआ था, इससे पहले मैंने खुद ही अपने मम्मे सहलाये थे पर आज दो व्यक्ति एक साथ मेरे चूचियों से खेल रहे थे, चूस रहे थे, मैं जन्नत की सैर कर रही थी।
अब अंजुम ने वहां से मुंह हटाया और नीचे की तरफ ले जाने लगा। मुश्ताक ने मेरे मम्मे चूसते हुए हाथ को नीचे ला मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया। उसका कठोर हाथ में सलवार के अंदर मेरी पेंटी के ऊपर घूमने लगा।
मेरी योनि मचलने लगी, मेरी कामवासना बढ़ने लगी, मैं फिर से गर्म होने लगी। तभी अंजुम ने मेरी सलवार नीचे खिसका दी और नीचे से टांगों चूमता हुआ ऊपर आने लगा। मुश्ताक पेंटी से हाथ हटा कर फिर मम्मे पर ले आया। अंजुम ने अपना मुँह मेरी पेंटी पर रख दिया।
मैं अपनी हालत बता नहीं सकती!
तेज़ सांसों के साथ सिसकरियाँ भी निकलने लगी थी। एक व्यक्ति मेरे दोनों मम्मो से खेल रहा था दूसरा मेरी योनि में हलचल पैदा कर रहा था।
तभी अंजुम ने अपने दांतों से मेरी पैन्टी नीचे सरका दी और चूत पर हाथ फिराने लगा। मैं गनगना उठी, ऊपर से नीचे तक सिहर उठी और कांपने लगी।उसने एकदम से अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चीख निकल गई।
फिर उसने मुझसे पूछा- रीना तुमने पहले किसी से चुदवाया है?
मैंने न में सर हिला दिया।
“तब तो बड़े प्यार और आराम से चोदना पड़ेगा!”
मुश्ताक मेरी ऊपर सरकी ब्रा का हुक खोल रहा था। ब्रा के खुलते ही उसने मेरे ऊपर के कपड़े उतार दिए, मैं उनके सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी।
अंजुम ने मुश्ताक से कहा- भाई, क्या करें? यह अभी कुंवारी है, कहीं पंगा न पड़ जाए?
“इसी से पूछ लो! अगर शोर न मचाये तो ले लेंगे!” मुस्ताक ने कहा।
उसने मुझसे पूछा- करवाने का मन है?
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी!
“चीखोगी तो नहीं ना?”
मैंने ना में सर हिला दिया।
मुश्ताक ने कहा- हम जरा देख लें कि कितनी कसी है!
उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मैंने होंठों को भींच लिया, मेरी चूत गीली हो गई थी पर फिर भी दर्द हुआ था।
अंजुम ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अपने लिंग को मुझे दिखाता हुआ पूछने लगा- इसे ले लोगी?
मैंने हाँ में सर हिलाते हुए उसे स्वीकृति दे दी क्योंकि मै अब पूरा मज़ा लेना चाहती थी।
अब अंजुम ने मेरी टाँगें फैला दी और धीरे से ऊँगली डाली और थोड़ी देर तक उसे अंदर बाहर करता रहा।
मुश्ताक ने अपना पजामा उतार दिया और अपने लिंग को मेरे हाथ में दे दिया। बीच-बीच में वो मेरे मम्मे भी मसल देता था और चूस भी लेता था और फिर अपना लिंग पकड़ा देता था।
मेरी आँखों में नशा सा छा गया था, मदहोश होती जा रही थी मैं!
इसी बीच अंजुम ने अपना लिंग मेरी योनि के ऊपर रखा और एक धीरे से झटका मार कर योनि में प्रवेश कर दिया।
मैंने आवाज़ को दबाते हुए हल्की चीख मारी- आ हह हह हाय मर गई, बहुत दर्द हो रहा है अंजुम! छोड़ दो!
उसने कहा- अभी ठीक हो जायेगा रानी! थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो!
और उसके तीन चार झटकों ने ही मुझे फिर चरमसीमा पर ला दिया। मैंने मुश्ताक का लिंग जोर से भींच दिया और सिमटती चली गई पर अंजुम मेरी लिए जा रहा था, मेरा दर्द पहले से हल्का हो गया था पर इस दर्द में भी बहुत मज़ा आया। अंजुम के झटके भी पहले से तेज़ हो गए थे।
कुछ देर में उसने मेरी चूत को कुछ गर्म सा एहसास करवाया यानि कि उसने अपना वीर्य मेरी योनि में उड़ेल दिया। थोड़ी देर मेरे ऊपर लेटने के बाद वो हटा, मैं भी उठ कर बैठ गई। तभी मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी जिस पर खून लगा हुआ था।
मैंने कहा- अंजुम देखो, तुम्हारे वहाँ से खून बह रहा है!
वो बोला- रानी, यह मेरा नहीं है, तुम्हारी चूत से बह रहा है, तुम्हारी सील टूट गई है!
मैं यह देख कर रोने लगी तो दोनों मुझे समझाने लगे- बेबी, पहली बार सब के साथ होता है! घबराओ मत!
मुश्ताक मुझे प्यार करने लगा, पहले मेरे बालों को सहलाया फिर मुझे लिटा दिया।
अंजुम बगल में लेट गया, मुश्ताक मेरे नंगे बदन पर हाथ फेरता मुझे गर्म कर रहा था। रह रह कर वो मेरे गालों को, गले को, मम्मों को चूसता जा रहा था। अंजुम बगल में लेटा रहा, मुश्ताक ने तो मेरे मम्मे चूस चूस कर लाल कर दिए थे, मेरे चुचूक तन गए थे जिससे मुश्ताक को एहसास हो गया कि लड़की गर्म है।
अब उसकी बारी थी मेरी लेने की, उसने कहा- मेरे ऊपर आओगी?
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी!
उसने मुझे उठा दिया और नीचे लेट गया। फिर अपने लिंग की और इशारा कर के कहने लगा- बेबी इसको थोड़ी देर के मुँह में डाल लो और चूसो!
मैंने मना किया तो कहने लगा- इससे अंदर डालने पर तुम्हें कम दर्द होगा!
इसका लिंग अंजुम से ज्यादा बड़ा लग रहा था, मैंने फिर उसका लिंग मुँह में डाल लिया कुछ देर तक चूसती रही।
फिर उसने कहा- अब इसे अपनी फुद्दी में ले लो!
उसने मुझे अपनी टांगों पर बिठाया और लिंग मेरी योनि में डाल दिया।
मैं चीख पड़ी, इसमें ज्यादा दर्द हुआ था क्योंकि एक ही बार में सारा का सारा लंड मेरी चूत में समां गया था। पर थोड़ी देर में मैं दर्द के साथ मजे भी लेने लगी थी। रात के ढाई बज चुके थे, ऊपर से चुदते हुए मैंने कहा- अब मुझे जाने दो, बहुत समय हो गया है!
बस थोड़ी देर! मेरा हो लेने दो!
मैं मस्ती से भरी हुई थी, हल्की आवाज़ें निकालती हुई फिर झड़ने वाली थी। मुश्ताक ने तो बुरा हाल कर दिया था।
मैं झड़ गई, उसके सीने पर गिर गई और लिपट गई पर उसके झटके नीचे से चालू थे।
फिर उसने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरी टाँगें फैला कर ऊपर से मेरी लेने लगा। यह बहुत बुरी तरह से मुझे चोद रहा था। अंजुम साथ में लेटा सब कुछ देख रहा था। अब उसने भी मेरी चूचियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी।
तीन बजने वाले थे पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं एक बार फिर स्खलित हो गई तब कही थोड़ी देर में जाकर उसने तेज़ झटको के साथ मेरी चूत में फव्वारा मारा और निढाल हो कर मुझसे लिपट गया।
मैंने कहा- अब मुझे जाने दो! घरवालों के जागने का समय हो गया है।
दर्द बहुत हो रहा था, मुश्ताक से ब्रा की हुक लगवाई और किसी तरह सलवार कमीज़ पहनकर लंगड़ाती हुई नीचे अपने कमरे में आ गई।
कमरे में आकर मैंने देखा कि मेरी योनि से अभी भी खून निकल रहा था।
उसके कुछ दिन बाद तक यानि कि 3-4 दिन तक मैंने उनसे बात भी नहीं की। वो नज़रें मिलाने की कोशिश करते रहे।
लेकिन चौथे दिन मेरा मन फिर मचलने लगा और इशारों में रात का आमंत्रण दे दिया।
करीब दो महीने वो हमारे यहाँ रहे और मैं हर दूसरे-तीसरे दिन उनसे चुदवाने चली जाती थी।
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आपके ढेर सारे प्यार के लिए धन्यवाद! Hindi Sex Stories
मैं लुधियाना से उषा, 33 Hindi Porn Stories साल, 36-32-40, एक बार फ़िर अपनी नई कहानी के साथ !
यह बात तब की है जब मैं अपनी शादी के करीब छः महीने बाद अपनी छोटी मौसी के घर कुछ दिन रहने के लिए गई थी। मेरे पति को किसी ज़रूरी बिज़नस के सिलसिले में सिंगापुर जाना पड़ गया था और वो करीब एक-डेढ़ महीने बाद आने वाले थे। पीछे से मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गई और वहां से एक हफ्ते बाद ही मेरी छोटी मौसी मुझे लेने आ गई कि चल संजू कुछ दिन हमारे साथ भी रह जा ! मैं भी फ्री थी सोचा चलो मौसी के घर ही चलते हैं।
जब हम मौसी के घर पहुंचे तो मेरा स्वागत मौसी के बेटे 18 वर्षीय बिट्टू और उसकी छोटी बहन १५ साल की सुंदर सी कोमल ने किया। मैं भी सबको बड़ी गर्मजोशी से मिली, शाम को मौसा जी आये उन्होंने भी बड़ा प्यार दिया।
3 दिन बाद मौसी कपड़े धो रही थी तो उन्होंने कहा- अरे संजू ज़रा यह कपड़े छत पर सुखा आ !
मैं भी खाली बैठी थी, सोचा कि चलो थोड़ा काम ही कर लूं ! मैंने कपड़ों वाली बाल्टी उठाई और सुखाने के लिये छत पर चली गई। छत पर बिट्टू बैठा पढ़ रहा था। मैं बाल्टी से कपड़े निकाल निकाल कर लोहे की तार पर डाल रही थी। अचानक मुझे अहसास हुआ कि जैसे कोई मुझे बहुत घूर घूर के देख रहा हो।
मैंने देखा तो ये बिट्टू ही था। जब भी मैं कपड़े उठाने के लिए झुकती तो बिट्टू मेरे भरे भरे गुन्दाज स्तनों को बड़े धयान से देखता।
कपड़े सुखाते सुखाते मैंने बिट्टू से इधर उधर की बातें शुरू की तो वो भी पढ़ाई छोड़ के मुझ से दिलचस्पी लेकर बातें करने लगा। जब कपड़े सूखने के लिए डाल दिए तो मैं जानबूझ कर बिट्टू के पास जा कर बैठ गई। मैंने दुपट्टा नहीं ओढ़ रखा था इसलिए मेरी वक्ष-रेखा स्पष्ट रूप से दिख रही थी और बिट्टू की आँखें मेरे स्तनों पे गड़ी हुई थी। मैं भी शर्म न करते हुए उसके सामने ही चटाई पर उलटी लेट गई और उससे बातें करने लगी।
अब मेरे स्तनों को वो बड़े आराम से देख सकता था और मैं भी देख रही थी कि उसकी आँखें मेरे बूब्स से नहीं हट रही थी। फिर मैंने एक और शरारत की और बोली,” बिट्टू, तुम्हारा दिल १ मिनट में कितनी बार धड़कता है?”
वो बोला- 72 बार !
“पर मुझे लगता है जैसे मेरा दिल ज्यादा धड़कता है, कहीं मुझे हार्ट-अटैक तो नहीं आ जायेगा !” मैं बोली।
“अरे दीदी पागल हो गई हो क्या? इतनी छोटी सी उम्र में भी कहीं हार्ट-अटैक हो सकता है !” उसने जवाब दिया।
“अच्छा चलो, मुझे अपनी दिल की धड़कन सुनाओ !”
यह कह कर मैं अपना कान उसके सीने पर लगा कर उसके दिल की धड़कन सुनने का नाटक करने लगी।
एक मिनट बाद मैंने सर हटा कर कहा,” बिलकुल ठीक ! पूरे ७२ बार ! अब मेरी सुनो !”
जबकि मुझे उसके दिल की धड़कन बढ़ी हुई लगी थी। मैंने जानबूझ कर उसका सर पकड़ कर अपने सीने पर इस तरह से रखा कि उसके होंठ मेरे स्तन-रेखा को छूते रहें।
उसने कान मेरे सीने से लगा तो लिया पर मैं जानती थी कि उसकी हालत खराब हो रही थी।
उसके बाद सारा दिन कोई ख़ास बात नहीं हुई, पर बिट्टू बात-बे-बात मेरे आस पास ही मंडराता रहा।
रात को खाना खाने के बाद सोने से पहले दूध लेकर जब मौसी ऊपर बिट्टू के कमरे में जाने लगी तो मैंने उन्हें कहा,”मौसी ! लाइए, दूध मैं ले जाती हूँ और हाँ मेरा गिलास भी इसके साथ ही रख दीजिये, दूध पीकर मैं भी कोमल के साथ ही सो जाउंगी।” “ओ के बेटा ! ये लो, और गुड नाईट !”
“गुड नाईट !” कह कर तीन गिलास दूध लेकर मैं ऊपर चौबारे में बिट्टू और कोमल के कमरे में चली गई। ऊपर कमरे में बैठे दोनों अपने अपने बिस्तर पर बैठे पढ़ रहे थे। मैंने जाकर ऊंची आवाज़ में कहा,”दूध पियो भाई दूध पियो !”
दोनों ने मुस्कुरा कर मेरी और देखा फिर हमने इकट्ठे बैठ कर दूध पिया और थोड़ी देर इधर उधर की बातें करके लाईट बंद कर दी और सोने लगे। पर मुझे तो नींद ही नहीं आ रही थी। अभी शादी को सिर्फ छः महीने ही हुए थे और पति महीने-डेढ़-महीने के लिए बाहर चले गए थे, अभी तो मेरा दिल भी नहीं भरा था।
मैं लेटी लेटी सोच रही थी और मेरे साथ लेटी कोमल तो गहरी नींद में थी। फिर मैंने देखा कि बिट्टू उठ कर बाथरूम गया है और खिड़की से अन्दर आ रही चाँद की रौशनी उसके सारे बिस्तर पर पड़ रही थी। मैं चुपके से उठी और जाकर उसके बिस्तर पर लेट गई। जब बिट्टू आया तो मुझे वहां देखकर बोला,” अरे दीदी ! आप यहाँ? कोमल के पास नींद नहीं आई क्या?”
मैं बोली,”नहीं, पर मुझे चांदनी में सोना अच्छा लगता है।”
तो वो बोला,”ठीक है ! आप यहाँ सो जाओ, मैं वहां सो जाता हूँ।”
मैंने तभी पलट कर कहा,”अरे नहीं ! तुम भी यहीं आ जाओ मेरे पास !”
तो बिट्टू भी उसी बेड पर मेरे साथ लेट गया पर कुछ फासला बना कर !
मैंने जो नाईटी पहन रखी थी उसका गला बहुत गहरा था और नाईटी के नीचे मैंने सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन रखी थी। गहरे गले के कारण मेरे स्तनों का ज्यादातर हिस्सा दिख रहा था, यहाँ तक कि मेरी आधी ब्रा भी गले से बाहर झांक रही थी और मैं जानती थी कि चांदनी में नहाया हुआ मेरा बदन बिट्टू को अपनी तरफ खींच रहा था।
थोड़ी देर हम दोनों फुसफुसा कर इधर उधर की बातें करते रहे ताकि कहीं कोमल की नींद न खुल जाये। फिर मैंने जान बूझ कर बहाना बनाया,”बड़ी गर्मी सी लग रही है ! क्या तुम्हें नहीं लग रही?”
“नहीं दीदी, मुझे तो मौसम ठीक लग रहा है।” बिट्टू बोला।
पर मैं तो बहाना बना रही थी इसलिए मैं उठ कर बाथरूम में गई और एक मिनट बाद अपनी ब्रा उतार कर और अपनी सारी नाईटी आगे की तरफ खींच कर वापिस आकर बिस्तर पर लेट गई।
“अब ठीक है, असल में मेरी ब्रा बहुत कसी थी, शायद इसीलिए मुझे घुटन महसूस हो रही थी !” कह कर मैं फिर बिट्टू की तरफ मुंह कर के लेट गई। अब ब्रा न होने की वजह से बिट्टू मेरे बूब्स के कट्स ज्यादा अच्छी तरह देख सकता था क्योंकि सिर्फ मेरे चूचुक को छोड़ के तकरीबन मेरा दायाँ स्तन उसे सारा का सारा दिख रहा था।
मैंने फिर उसकी गर्लफ्रेंड की और आलतू फालतू की सेक्सी बातें करनी शुरू की ताकि उसमे थोड़ी गर्मी आये और उसका हाथ पकड़ कर अपने बूब्स के साथ लगा कर रख लिया। पहले तो वो थोड़ा डर रहा था पर मैं महसूस कर सकती थी कि उसकी मर्दानगी जागने लगी थी। मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया पर उसने अपना हाथ अब भी मेरे वक्ष से सटा रखा था वो हल्के हल्के हाथ हिलाने के बहाने मेरे बूब्स को दबा कर देख रहा था।
मैंने सोचा कि अब ज्यादा औपचारिकता की ज़रुरत नहीं, सीधा मुद्दे पे आ जाना चाहिए, तो मैंने सीधे-सीधे ही बिट्टू से पूछ डाला- बिट्टू क्या तुम्हें इन्हें दबाना अच्छा लग रहा है?
उसने नज़र उठा कर मेरी तरफ देखा और बोला,” हाँ दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है !”
मैंने अपनी नाईटी का गला एक तरफ से हटा कर अपना दायाँ स्तन पूरा बाहर निकाल कर उसके सामने कर दिया और बोली,”लो, अब आराम से इसे दबा कर देखो।”
वो हिचकिचाया तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर खुद ही अपने बूब पर रख दिया। उसने धीरे से दो एक बार मेरा बूब दबाया पर शायद यही उसके सब्र की आखरी हद थी, उसने बिना कुछ कहे अपना मुंह आगे किया और मेरा निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगा। मैंने भी समझ लिया कि गाड़ी अब पटरी पर चल पड़ी है। मैंने अपना दूसरा स्तन भी नाईटी से बाहर निकाला और हाथ उसके पायजामे के ऊपर से उसके लण्ड पे फेरने लगी जो पहले से ही अकड़ा हुआ था।
“दीदी, सीधी होकर लेटो !” बिट्टू बोला।
जब मैं सीधी होकर लेटी तो बिट्टू ने उठ कर मेरी दोनों छातियाँ अपने हाथों में पकड़ी और बारी बारी से चूसने लगा और मैं उसकी पीठ सहलाने लगी। थोड़ी देर बूब्स चूसने के बाद बिट्टू ने मेरे गालों और होंटों को चूमना शुरू किया, मैंने भी मज़े लेते हुए उसका भरपूर साथ दिया। हम दोनों बारी बारी से अपनी जीभें एक दूसरे के मुंह में डाल कर चूस रहे थे।
फिर मैंने उससे कहा,”बिट्टू, पजामा उतारो !”
बिट्टू ने अपने पायजामा और अंडरवियर उतारा और अपना लण्ड लाकर मेरे मुंह के पास कर दिया और मैंने भी उसका इशारा समझते हुए उसका पत्थर जैसा अकड़ा हुआ लण्ड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। लण्ड चूसते-२ बिट्टू ने अपनी शर्ट और मेरी नाईटी भी उतार कर फ़ेंक दी। कुछ देर लण्ड चुसवाने के बाद बिट्टू टेढा होकर लेट गया और अपने हाथों के दोनों अंगूठों से मेरी पेंटी उतार दी। अब उसने मेरे पेट, कमर और जांघों को चूमना-चाटना शुरू किया और धीरे-२ मेरी टाँगें चौड़ी करके अपनी जीभ मेरी चूत में फिराने लगा। मैं भी चूत से टप-टप पानी छोड़ रही थी और उसका लण्ड चूस रही थी।
फिर मैंने कहा,”बिट्टू, अब ऊपर आ जाओ !”
यह सुन कर बिट्टू मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गया और अपना लण्ड मेरी चूत के होठों में फिराने लगा, जिससे मेरी चूत के पानी से उसके लण्ड का सुपाड़ा गीला और चिकना हो गया। जब उसने अपना लण्ड अन्दर डालना चाहा तो उसके मुंह से हल्की सी “ऊऽऽऊऽऽहऽऽ” करके चीख सी निकल गई। मैं समझ गई कि संजू तुझे तो कच्चा कुँवारा लौड़ा मिल गया। उसने ३-४ बार कोशिश की पर हर बार तकलीफ के साथ उसे अपना लण्ड बाहर निकालना पड़ा।
वो बोला,”दीदी मुश्किल है, ये अन्दर ही नहीं जा रहा, और डालता हूँ तो दर्द होता है !”
मैंने कहा,”ऐसे नहीं जायेगा, मैं तुम्हें तरीका बताती हूँ !”
मुझे पता था कि अगर इससे ना डाला गया तो मैं तो प्यासी रह जाउंगी, इसलिए मैंने उसको अपने ऊपर लिटाया, अपनी टांगों का घेरा उसकी कमर के चारों तरफ बना कर अपनी एडियाँ उसके चूतडों पे रखीं, फिर अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ा और उससे बोली,” अब धीरे धीरे से घस्से मारते हुए अपना लण्ड मेरी चूत में डालने की कोशिश करो और अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दो ताकि मैं उसे चूस सकूं !”
उसने ऐसा ही किया और धीरे धीरे लण्ड चूत में डालने की कोशिश करने लगा, पर तकलीफ उसे अब भी हो रही थी। मैं भी मौक़ा देख रही थी, जब उसने कमर थोड़ी ढीली की तो मैंने पूरा जोर लगा अपने पांव से उसके चूतड़ और हाथों से उसकी कमर अपनी ओर खींची जिससे एक ही झटके में उसका लण्ड मेरी चूत में आधे से ज्यादा घुस गया।
अपने होंठों से मैंने उसके होंठ पकड़ रखे थे जिस वजह से वो चीख भी ना सका और उसकी चीख मेरे मुंह में ही दब गई। मुझसे अपने होंठ छुड़वा कर बोला,”दीदी प्लीज़ ! बाहर निकलने दो, बहुत दर्द हो रहा है, मुझे लगता है शायद खून निकल रहा है !”
मैं बोली- रुको ! ऐसे नहीं निकालते ! तुम्हें और ज्यादा दर्द होगा, मैं बताती हूँ, धीरे धीरे आगे पीछे करके निकालना !
वो जब दर्द से तड़पता हुआ आगे पीछे हो रहा था तो मैंने उसे दूसरा झटका मारा जिससे उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में समां गया और वो दर्द से तड़प उठा,”नहीं दीदी, अब नहीं सहा जाता, प्लीज़ निकाल दो !” बिट्टू बोला।
“बेवकूफ, मर्द बन ! ज़रा से दर्द से डर गया? सिर्फ आज ये दर्द होगा उसके बाद सारी उम्र का आराम है, मुझे भी पहली बार में बहुत दर्द हुआ था मैं लड़की हो कर सह गई और तू लड़का हो कर रोता है? डर मत ! चुपचाप चोदता रह !”
मेरे कहने पे वो धीरे-२ लगा रहा। मैंने उसके साथ पूरा सहयोग करके उससे सम्भोग करवाया और उसे अपने बूब्स और चूमा-चाटी से बांध के रखा। सेक्स करते-करते वो मेरे होंट और चूचियां चूसता रहा। मैं जानती थी कि उसे दर्द हो रहा है पर मर्द का बच्चा लगा रहा ! पीछे नहीं हटा ! और फिर तो स्पीड बढ़ा कर मुझे चोदने लगा।
जब उसे मज़ा आने लगा तो वो भी दर्द भुला के मुझे चोदने का स्वाद लेने लगा और ५-६ मिनट बाद हम दोनों बारी बारी से झड़ गए। मैं तृप्त हो कर सो गई और वो बाथरूम में अपना लण्ड धोने चला गया। अक्सर मर्द अपनी छाती फुला कर कहते हैं,”अरे मैंने तो कच्ची कली फाड़ दी !” आज मैं भी अपनी छातियाँ फुला कर कह सकती हूँ,”अरे मैंने तो कच्चा केला छील दिया !
दोस्तों आपको यह कहानी अच्छी लगी? Hindi Porn Stories
दोस्तों, मेरा नाम मनीष है, मैं Antarvasna दिल्ली मैं नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र २४ वर्ष है, यानि कि जवान हूँ। मैं अपने बारे में कुछ बता देना चाहता हूँ। मैं सेक्सी दिखता हूँ, ग़लती से या सही से, भगवान ने मुझ ग़रीब को अच्छे व्यक्तित्व का मालिक बनाया है। मेरा क़द ५.७ फीट है, देखने में कोई बॉडी-बिल्डर तो नहीं पर एक अच्छे बद़न का मालिक ज़रूर हूँ। मैं अन्तर्वासना में प्रकाशित हुई लगभग सारी कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ। यह साईट मुझे काफ़ी अच्छी लगती है। आज मैं भी आप लोगों को अपनी आपबीती में शामिल करता हूँ।
बात तब की है जब मैं अपने चाचा-चाची और भाई-भाभी के पास रहने और नौकरी तलाश करने के लिए दिल्ली आया था। उस समय मेरे चाचा के घर में किरायेदार के रूप में मेरे ही गाँव का एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक लड़की बुलबुल, जिसकी उम्र १८ वर्ष है और दूसरी उसकी छोटी बहन जो १० साल की है और उनके एक छोटा भाई है जिसका नाम अमित है और वह ६ साल का है।
बात बुलबुल की है, जो मुझसे प्यार करती थी, और मुझे पता भी नहीं था, पर एक दिन क्या हुआ… यह आप ख़ुद ही जान जाएँगे।
जब मैं रहने के लिए वहाँ गया था, तो शुरू-शुरू में तो वह मुझसे बात भी नहीं करती थी, सोचती थी मैं पहल करूँ। पर मैं तो ठहरा गाँव का आदमी, भला कहाँ से पहल करूँ? वैसे तो मुझे गाँव में काफी अवसर मिले पर मैं एक बार भी कर नहीं पाया क्योंकि डर रहता था कि अगर मैं कुछ ग़लत करता हूँ तो बद़नामी मेरे घरवालों की होगी। आप को तो पता ही होगा कि गाँव में अगर कुछ ग़लत करो तो बद़नामी घरवालों के सिर आती है। वैसे तो गाँव में मेरे काफी दोस्त ये सब काम मेरे सामने भी करते थे पर मैं मना कर देता था, इसलिए गाँव में काफी कम ही दोस्त थे। जो थे मेरी ही तरह के थे जो खीर देख तो सकते थे, पर खा नहीं सकते।
अब कहानी पर आता हूँ। तो दोस्तों काफी समय तक ना तो वो मुझसे कुछ कहती, ना ही मैं उसमें दिलचस्पी लेता, क्योंकि उस समय वहाँ कुछ बनने के लिए आया था। ऐसे ही दिन-महीने गुज़रते रहे। बात तो हो ही जाती पर कभी प्यार वाली बात नहीं होती। एक दिन शाम को मैं ऑफिस से घर आया और हाथ-पैर धोकर छत पर चला गया। वहाँ पर वह, उसका भाई और मेरी २ साल की भतीजी वहाँ खेल रहे थे। इतने में वे तीनों आकर मुझे च्यूँटी काटने लगे, तो मैंने भी बुलबुल की चुटकी ली। मेरे चुटकी काटने से वह रोने लगी और छत से नीचे चली गई। मैंने सोचा कि कहीं उसने नीचे जाकर सब को बता दिया तो मेरा जीना हराम हो जाएगा, क्योंकि मेरा भाई बड़ा हरामी है, साले ने मेरा जीना मुश्किल कर रखा था।
थोड़ी देर बाद वह फिर से ऊपर आई और आकर मेरे साथ खड़ी हो गई, तो मेरी जान में जान आई, वरना मैं तो सोच रहा था कि बेटा मनीष, आज पिटने के लिए तैयार हो जा। कुछ ही देर बाद उस के मुँह से अपना नाम सुनकर मैं चौंक गया। उसकी वह आवाज़ आज भी मुझे याद आती है। आए भी क्यों नहीं, आख़िर पहली बार मैं किसी के मुँह से ‘आई लव यू’ सुन रहा था। मेरा तो माथा ही ठनक गया। और वह यह बोलकर चली गई, फिर मैं काफी देर तक सोचता रहा कि मैं क्या करूँ। अन्त में बिना किसी निर्णय पर आए हुए मैं भी नीचे आ गया।
रात को खाना खाकर सोने के लिए अपने बिस्तर पर चला गया। मैं जहाँ सोता था वहाँ पर बर्तन धोने जाने का रास्ता था। मैं सो रहा था या यों कहें कि मैं उसी के बारे में सोच रहा था कि तब तक वह हाथ में बर्तन लेकर धोने के लिए वहाँ आकर खड़ी हो गई और मुझे देखने लगी। मैं आँखें बन्द करके सोच रहा था, तो उसने आराम से बर्तन नीचे रखे और मेरे होठों को किस कर लिया, वह मेरा किसी लड़की द्वारा किया गया पहला किस था। तो मैं उठ पड़ा और सोचा कि अगर यह एक लड़की होकर इतना कर सकती है, तो मैं लड़का होकर क्यों शान्त सोया पड़ा हूँ। मैंने भी उसी स्टाईल में लगभग १५-२० मिनट तक उसे किस किया। फिर मैंने जाना कि किस क्या होता है। फिर वह वहाँ से चली गई। अब ना तो मैं ठीक से काम कर पाता था, ना ही ठीक से पढ़ पाता था, दिन-रात उसी के बारे में सोच-सोच कर मैं ५४ से ४८ किलो का हो गया था। मेरे चाचा-चाची कहते कि द़िल लगाकर पढ़ाई कर रहा है तो बीमार हो गया है, एक काम कर यो तो तू काम कर या पढ़ाई कर, थोड़ा बोझ हल्का हो जाएगा।
पर उनको तो पता नहीं था कि मेरा द़िल तो कहीं और ही लगा हुआ है, तो पढ़ाई में कहाँ से लगेगा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैं जहाँ भी उसे अकेले में देखता था या पाता तो तुरन्त ही जाकर उसके होठों को चूमने लगता। वह भी मना नहीं करती, क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तब तक होली भी नज़दीक आ रही थी। हमारे चाचा-चाची ने घर जाने का फैसला किया कि इस बार गाँव में ही होली मनाएँगे।
मैं तो जा नहीं सकता था। अगर मैं जाता तो मेरी कमाई, पढ़ाई, और चुदाई तीनों पर कोई और होली खेल जाता। तो वे लोग गाँव चले गए, घर में मैं रह गया, साथ में मैं मेरी भाई-भाभी और मेरी दो भतीजियाँ। और वह तो पहले से ही अपने पूरे परिवार के साथ वहाँ थी ही।
एक रात हम सब छत पर सो रहे थे कि तेज़ बारिश शुरू हो गई, सब नीचे भाग आए सोने कि लए। मौसम तो ऐसा था कि जिनकी शादी हो गई थी वो तो बीवी के साथ लगे होंगे, जिनकी नहीं हुई वह लण्ड पकड़कर सो रहे होंगे, मेरी तरह। उस रात मैं भगवान को कोस रहा था, आप को अगर पता न हो तो एक बात बता दूँ कि दिन में एक बार आप जो भी बोलते हैं, वह सच हो जाता है, शायद वही हुआ।
रात के लगभग २ बज रहे थे, मैं बरामदे में ही अकेला सो रहा था, भाई-भाभी अन्दर कमरे में कुण्डी लगाकर सो रहे थे। अचानक मुझे पायल की आवाज़ सुनाई पड़ी, मैंने आँखें खोली तो देखा कि बुलुबल आराम से नीचे उतर रही है। वह सीधा मेरे बिस्तर पर आई और मेरे साथ लेट गई। मैं तो अचानक हवा में उड़ने लगा, हे भगवान, आख़िर वह दिन आ ही गया ! मैंने उसकी तरफ मुँह किया और उसे किस करने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक किस किया, वह तो जाने कितने जन्मों की प्यासी लग रही थी पता नहीं।
जब मैं उसे किस कर रहा था तो इतने में उसने मेरा लण्ड पजामे में से बाहर निकाल लिया और हिलाने लगी। मैं तो हैरान रह गया, ये सब इसने कहाँ से सीखा? मैंने उसके होठों को जी-भर चूसा और लाल कर दिया। फिर उसकी शमीज खोलकर मस्त हो रहीं चूचियों को जी भरकर चूसा। उसकी ओओओओओओ… उउउउउउउ… आआआआआआ आआआआआआहहहह की आवाज़ मेरे जोश भर रही थी। मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूचियों को दबा व चूस रहा था। फिर मैं धीरे से एक ऊँगली उस कभी खत्म न होने वाली गहराई यानि उसकी योनि के ऊपर घुमा रहा था, अचानक वह ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी और कुछ देर बाद शान्त हो गई। फिर मैंने अपना लण्ड उस के मुँह में दे दिया और वह दनादन चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाट रहा था कि कहानी में ट्विस्ट आ गया।
मुझे लगा कि कोई अन्दर से कुण्डी खोल रहा है। हम शान्त हो गए। फिर धीरे-धीरे कुण्डी खुलने की आवाज़ हुई तो हमारी जान ही निकल आई, वह वहाँ से उठकर सीढ़ियों से ऊपर चली गई, और मैं शान्ति से सो गया। फिर पाया कि काफी देर तक कोई अन्दर कमरे से नहीं आया फिर भी कुण्डी जैसी कुछ आवाज़ रह-रहकर आतीं, तो मैंने ध्यान दिया तो पाया कि हवा के कारण गाँधी की तस्वीर दरवाज़े में रगड़ खाकर आवाज़ पैदा कर रही थी। मैंने मन ही मन सोचा क्या यार सही में तुम गाँधी हो, अच्छी खासी चुदाई में तुमने आन्दोलन कर दिया। मैं लण्ड पकड़कर सो गया। थोड़ी ही देर में वह आई और अपना दुपट्टा लेकर जाने लगी तो मैंने उसे ज़बरदस्ती लिटा लिया, वो मना करती रही फिर भी मैं नहीं माना और उसे फिर से नंगा कर दिया, फिर से उसको चूमा-चाटा फिर कुछ देर तक ना-ना करने के बाद वह मान गई और साथ देने लगी।
फिर मैंने उस को उसकी कच्छी उतारने के लिए कहा तो वो बोली- सब तो तुमने उतार ही दिया है, अब ये मैं क्यों उतारूँ, तुम ही उतार दो।
मैंने फिर वह भी उतार दी और अपनी छोटी ऊँगली को ओ बना के घुमाने लगा तो मुझे ऐसा लगा कि वह अभी मझे धक्का देकर गिरा देगी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे ही घुमाना उचित समझा और उसकी चूचियों को एक-एक करके चूसता भी रहा। फिर मैंने ऊँगली निकाल कर अँगूठा डाला और फिर ओ की तरह घुमाने लगा तो वह उछलने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी। अब ना तो मुझ से रहा जा रहा था ना ही उससे सहा जा रहा था।
मैंने उससे कहा- यार ! कब तक ये चूसते रहेंगे?
तो वह बोली- मैं तो कब से कहना चाह रही हूँ पर तुम हो कि चूस-चूस कर ही निकालते जा रहे हो।
तो मैंने कहा कि पहले बताना चाहिए था ना, मैं यह काम पहली बार कर रहा हूँ।
तो वह बोली- तो मैं कौन सी मास्टर हूँ, मेरा भी तो पहली बार ही है।
फिर मैं उसे चित लिटाकर उसके ऊपर आ गया और सारा काम अपने लण्ड के भरोसे छोड़ दिया। वह अन्दर जाने के लिए बेताब़ हो रहा था और रास्ता था कि लाख ढूंढने पर भी नज़र नहीं आ रहा था, फिर मैंने भी कोशिश की, पर बेकार। जब भी झटका मारता, लण्ड अन्दर जाने की बजाए पेट की तरफ निकल भागता।
फिर उसने कहा- कि किचन से थोड़ा तेल ले लो।
मैं किचन से तेल ले आया और उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब मालिश करवाई और की। फिर उसने लण्ड अपने हाथ में ले लिया और कहा- अबकी बार मैं कोशिश करती हूँ, पर धीरे-धीरे करना।
मैंने कहा- मुझे पता है जानम कि तुम और मैं दोनों ही नए हैं इस खेल में ! पर चिन्ता मत करो, मैं ख़्याल रखूँगा।
फिर उसने अपने हाथों से मेरा लण्ड अपने चूत की छेद के पास रखा और बोली- जानेमन थोड़ा रहम करना मेरे ऊपर और धीरे से धक्का लगाना !
तो मैंने पहला धक्का धीरे से लगाया, मुझे पूरा महसूस हो रहा था कि मेरे लण्ड का कितना हिस्सा बाहर है, और कितना अन्दर जा चुका है। मैंने अपने पहले ही झटके में अपना पूरा सुपाड़ा अन्दर पेल दिया तो वह तिलमिला उठी और अपने दाँतों को ज़ोर-जो़र से चबाने लगी फिर बोली- मुँह में कुछ दो नहीं तो मैं चिल्ला उठूँगी।
फिर मैंने अपनी जीभ उसे चूसने के लिए दी और वह चूसने लगी। इस बार मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा और मेरा आधा लण्ड अन्दर समा गया और वह इतनी ज़ोर से छटपटाई कि मैं घबरा गया, कि कहीं कुछ हो तो नहीं गया। उसने लाख़ छूटने का प्रयास किया पर मैंने छूटने नहीं दिया और फिर मैं वहीं रूक गया। उसकी जुबान को चूसने लगा, जब उसे थोड़ा आराम मिला तब उसने खुद ही कहा कि अब क्या चूस रहे हो, अब तो पूरा ही डाल दो, तो मैंने एक आख़िरी ज़ोरदार झटका मारा और वह उछल कर शान्त हो गई, फिर मैंने उसे हर कोण से चोदा और वह आ आआआआ आइ…. आआआआआ… आआआआआ उउउउउउ आआआहहह… उउउउभभभ… आआआआहहहह आआआआआ करती रही।
मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा। यारों अगर आप चुदाई का असली मज़ा लेना चाहते हैं तो फिर आप ख़ुद लेट जाइए और उसे करने के लिए बोलें, फिर देखेंगे कि चुदाई क्या चीज़ होती है। और फिर वह मेरे ऊपर आकर पहले तो धीरे-धीरे फिर ज़ोर-ज़ोर से आटे की चक्की चलाने लगी। मेरा तो मत पूछिए, मैं तो जैसे हवाओं में था। तभी वह बोली- अब ज़रा ज़ोर-ज़ोर से कर दो, मैं आने वाली हूँ।
फिर मैंने उसे लिटा के जो झटके मारे, १०-१५ में ही उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मुझे भी एक ऐसी सुखदायक कँपकँपी लगी जैसे कोई मुझे स्वर्ग की सैर करवा रहा हो। फिर शुरू से लेकर अन्त तक कर मैंने उसके एक पल का भी मज़ा खराब न करके वो मुझमें और मैं उसमें समाने की कोशिश करते रहे और वह मेरा हौसला बढ़ाती रही। मैंने ज़ोरदार शाट्स मारे, फिर हम शान्त होकर वहीं पड़े रहे। १५ मिनट बाद हम उठे, बाथरूम में साथ-साथ गए, एक-दूसरे को साफ़ किया। उसने मुझे गुडनाईट किस दिया और चली गई।
१५ दिन बाद मेरी नौकरी फ़रीदाबाद में डेवेलपमेन्ट में एक कैड ऑपरेटर के रूप में लग गई और मैंने दिल्ली छोड़ दी।
उसके बाद आज तक कभी सेक्स करने का दुबारा मौका नहीं मिला, उसके बाद ना तो उसने कभी मुझे फोन किया, ना मैंने उसे ही। उसकी शादी हो चुकी है, और वह काफी खुश है। Antarvasna
हम फ़िर डिज्नी लैंड के मुख्य Sex Stories पार्क में आ गए, शाम ढल चुकी थी। दोनों थक गए थे। पर मालती को इलेक्ट्रिक परेड देखना था। मैंने भी सोचा, चलो, इतनी महँगी टिकट ली है तो वह भी देखा जाए, उसके लिए समय था। मैं रात के लिए योजना बना रहा था। काश ! किसी तरह मालती तैयार हो जाए !
“क्या सोच रहे हो?” मालती ने कहा,” मुझे डिज्नी की यादगार चाहिए ! मुझे एक पेनी और दो क्वाटर दो।”
वह एक मशीन के पास खड़ी थी जिसमें एक पेनी और दो क्वार्टर डालने पर वह पेनी को चपटा करके डिज्नी के किसी चरित्र का चेहरा छाप देती थी।
मैंने हाथ ऊपर कर लिए,”पैन्ट से निकाल लो !”
“दो ना !” वह बोली।
“अरे बाबा, निकाल लो ना !” मैंने कहा।
उसने जेब में हाथ डालकर टटोला। उसकी उंगलियाँ लिंग से टकराई, लिंग ने अंगडाई ली और वह लाल भभूका हुई।
मैंने सोच लिया, आज रात को इसे समागम के लिए तैयार किया जाए तो मज़ा आ जाए।
इलेक्ट्रिक परेड में जबरदस्त भीड़ थी और हम थोड़ा विलंब से पहुंचे। मालती अपने पंजों पर खड़ी हुई, पर उसे कुछ दिख नहीं रहा था।
“धत,” वह निराशा से बोली,”विशाल, सब तुम्हारी गलती है !”
मैंने उसकी जाँघों को पकड़ा और उसे हवा में उठा लिया।
“ओह विशाल, क्या कर रहे हो?”
“अपनी, प्यारी प्यारी प्रेमिका की छोटी सी मुराद पूरी कर रहा हूँ !” मैंने उसके गाल चूमते हुए कहा।
जब तक परेड चलती रही, मैं उसे बाँहों में उठाये रहा। वह डिजीटल कैमरे से क्लिक क्लिक करते रही, हर क्लिक पर मैं उसके गाल एक बार चूम लेता था। मैं महसूस कर रहा था कि उसका बदन भी धीरे धीरे तप रहा है।
मैं स्वप्न लोक में था पर तभी मुझे एक झटका लगा।
परेड ख़त्म होने के बाद हम वापिस आ रहे थे। मैंने उसके कान में धीरे से प्रणय का इज़हार किया,”मालती ! क्या आज रात में हम यौन-आनन्द लें?”
वह रुक गई, मेरी ओर देख कर बोली,” विशाल, बुरा मत मानना ! तुम बहुत अच्छे इंसान हो ! मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे तुम्हारे जैसा दोस्त मिला ! पर मैं अक्षत-यौवना हूँ ! मैं अपना कौमार्य अपने पति को भेंट देना चाहती हूँ।”
मुझे एक झटका लगा, साथ ही मुझे लगा कि किसी ने मुझे एक झापड़ मारा हो ! रास्ते भर हमने बात नहीं की। बस में उसे नींद आ गई। वह मेरे कंधे पर सर रखकर सो गई। मैं उसके मासूम चेहरे को देखता रहा। वह कितनी मासूम है ! अब मुझे आत्म-ग्लानि होने लगी ! मैंने उसके बालों में धीरे से हाथ फेरा,”माला ! उठो ! नोरवाक आ गया है, यहाँ से हमें ग्रीन लाइन की ट्रेन पकड़नी है।”
हम ग्रीन लाइन की ट्रेन से एविएशन स्टेशन आये, वहां से टैक्सी से उसके होटल चले गए।
मुझे अपना टीशर्ट और अंडरवियर याद नहीं रहा। मालती ने ही कहा,”चलो, मेरे कमरे में चलो, तुम्हारा टीशर्ट देती हूँ।”
“और वो भी !” मैंने कहा।
“हाँ, वो भी !” वह मुस्कुराई।
कमरे में आकर वह बाथरूम में कपड़े बदल कर आई और बोली,”विशाल ! आज यहीं रुक जाओ।”
“मालती, नहीं ! मुझे जाने दो !”
“नहीं, विशाल ! प्लीज ! रात हो गई है, ये एक सुइट है, सोने के लिए काफी बिस्तर हैं।”
मेरे बैग में टीशर्ट के अलावा एक बरमूडा भी था। रात वाकई काफी हो गई थी, पर मेरा मन खिन्न हो गया था।
फ़िर मैंने कहा, अच्छा, मैं सुइट के फ्रंट-रूम में सो जाता हूँ।”
बत्तियां बंद हुई पर मेरी आंखों से नींद ना जाने कहाँ गायब हो गई थी। अचानक कमरे में सरसराहट हुई। मैंने नाईट लैंप जलाया, देखा- सामने मालती खड़ी थी।
“मालती !” मैंने मुंह फेर लिया, वह पारदर्शी नाईट ड्रेस में सामने खड़ी थी।
“विशाल ! नाराज हो मुझसे?”
“नहीं !” मैंने कहा।
“मेरी ओर देखो प्लीज़ ! एक बार !”
मैंने उसकी ओर देखा, उसकी आंखों में आंसू उमड़ आए थे।
“मेरी मज़बूरी समझो विशाल ! मैं पुराने ख्यालों की लड़की हूँ। मेरा कौमार्य मेरे पति की अमानत है। तुम बहुत अच्छे इंसान हो। अगर तुम मेरे पति बन जाओ तो मुझसे खुशकिस्मत कोई नहीं होगा।”
“हो सकता है !” मैंने कहा।
“हाँ, पर वो शादी के बाद होगा ना ! मैं तुम्हें निराश नहीं करना चाहती, पर मेरी मज़बूरी समझो विशाल !”
और उसकी आंखों से आंसू की धार बह निकली। मैंने तड़पकर उसे बाँहों में भर लिया। हम एक दूसरे की बाँहों में खोये रहे। फ़िर मैंने पूछा,”मालती, हो सकता है, मैं तुम्हारा पति बन पाऊं, पर अभी तुम मुझे अपना क्या मानती हो?”
“एक अच्छा दोस्त।” वह बोली।
“बस ! मैंने कहा,” ओह नो !”
“अच्छा, मेरे खास, मेरे प्रियतम !”
“बस, यही तो मैं सुनना चाहता था। देखो मालती, प्रेमी और प्रेमिका बिना कौमार्य भंग किए यौवन मधु पी सकते हैं.यह यौन क्रीडा की चरम सीमा तो नहीं, पर उसके आस पास है समझो. . .बोलो पिलाओगी?”
“हाँ, वादा करो कि कुमारित्व …”
“हरगिज नहीं, पर पिलाओगी, न.”
“क्या ? ” वह शरमा गई,”यौवन मधु ?”
“मधु बाद में, पहले दूध !” मैंने कहा।
हम एक दूसरे की बाँहों में खो गए। मैंने उसके दोनों गालों पर कई चुम्बन लिए, फ़िर मेरे ओंठ सरककर उसकी सुराहीदार गर्दन पर घूमने लगे। फ़िर मैंने गर्दन के आधार पर चुम्बन लिया। वह शरमाकर बाँहों से निकल भागी, मैं उसके पीछे भागा और उसे बाँहों में उठा कर उसके बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया।
वह कसमसाने लगी, मैंने अपने ओंठ उसके ओंठों पर चिपका दिये और रस पीने लगा। धीरे धीरे मैंने उसके ओंठों की पंखुडियाँ फैलाई और अपनी जीभ उसके मुंह के अन्दर डाली। मेरी जिह्वा ने उसकी जिह्वा को ललकारा, उसकी जिह्वा शर्म से बाहर आई और मेरी जिह्वा से भिड़ गई। उसकी पलकें बंद हो गई थी।
मैंने उसकी स्लीवलेस गाउन के कंधे की तनी खोली और उसे धीरे धीरे नीचे सरकाया, वह शरमा कर फ़िर भागना चाहती थी पर जैसे ही उठी, उसकी गाउन कमर तक खुल गई और गुन्दाज तने हुए कबूतर चोंच उठाये बाहर आ गए।
मैंने भी तुंरत अपनी टीशर्ट हवा में उछाल दी, मेरी छाती देखकर मालती ने उँगलियाँ मुंह में डाली।
अब मुझे लगा कि मेरी प्रेयसी अपना इरादा ना बदल दे। मैंने फ़िर उसकी ग्रीवा के आधार पर कई चुम्बन जड़ दिए।
“सी, आहऽऽऽ सी..” वह सिस्कारियाँ भरने लगी, मैंने ओंठ नीचे सरकाए। फ़िर उसके उरोजों पर मुलामियत से हाथ फेरा। उरोजों के आधार पर उँगलियाँ फिराते हुए धीरे धीरे उपर ले गया, पर निप्पल जान बूझकर छोड़ दिए। मेरी उँगलियों ने मेरे ओंठों को रास्ता दिखाया। मैंने उसके कान में कहा,”मेरी रानी, दूध पीने की इजाजत है?”
“स्स्सिस, उन्ह हाँ”
मुझे कोई जल्दी नहीं थी। मैंने इस बार ओंठों से उसके स्तनाधार पर कई चुम्बन लिए।पहले बाएं स्तन पर, फ़िर दाएं स्तन पर। धीरे धीरे मेरे ओंठों का दायरा दाहिने स्तन पर कम होता गया और वह निप्पल के पास पहुंचे। मैंने अभी निप्पल पर एक गरम गरम साँस छोड़ी ही थी कि मालती में मेरा सर थाम लिया और उसे कस कर निप्पल पर जमा दिया।
उफ़, क्या स्वादिष्ट था उसके निप्पल का स्वाद। मैं निप्पल पर पिल पड़ा और जोरों से चूसने लगा, दूसरे हाथ से मैंने शरारत से दूसरे स्तनाग्र को चुटकी से मसल दिया…
“उईई, मां !”
मेरे हाथ उसके पेट और नाभि में घूम रहे थे।
‘उह उई, उई मां, धीरे, और जोर से, आह धीरे।”
मैंने निप्पल बदला और बाएं निप्पल पर आक्रमण कर दिया। अचानक उसने मेरा सर जोरों से दबाया और उसका शरीर जोर से कांपा, फ़िर वह निढाल हो गई।
“मालती !” मैंने उसके कानों में सीटी बजाई,” मेरी रानी, आगे बढ़ें?”
उसने गहरी साँस लेकर कहा,” उह, हाँऽऽऽ “
मेरी उंगलियाँ नाभि पर घूम रही थी। फ़िर मैंने नाभि का एक चुम्बन लिया और नाभि में जिह्वा घुसा दी। काफी गहरी थी उसकी नाभि। उत्तेजना में उसका शरीर लगा कि लहरों में नाव की तरह उपर नीचे हो रहा है। मैंने उसके नितम्बों पर एक थपकी दी, मालती इशारा समझ गई और उसने नितम्ब उठाये, मैंने गाउन उसके शरीर से अलग करके नीचे फेंक दिया और पेंटी में उंगलियाँ फंसी ही थी कि मालती शर्म से दोहरी हो गई।
“नहीं, यह नहीं !”
“क्या हुआ मेरी रानी?”
मालती पेट के बल लेटी थी,”नहीं विशाल, पेंटी नही !”
मैंने उसके नितम्ब पर हल्का दंत-प्रहार किया।
“सी ऽऽ काटो नहीं ! ” मैंने पेंटी के कटाव पर नितम्ब में गुदगुदा स्पर्श करना शुर किया और हलके हाथ नीचे ले गया। मालती अभी भी औंधी लेटी थी, फ़िर मैंने उसके नितम्बों के बीच उंगलियाँ फिराई और पेंटी के अन्दर से हाथ ले जाकर उसके गुदा-छिद्र को हल्के से कुरेदा।
“उई मां, मालती हवा में उछल पड़ी। इतना ही मेरे लिए काफी था, मैंने पेंटी नीचे सरका दी। मालती ने हार मानकर करवट बदली और टाँगें उपर उठाई पर तुंरत उसने योनि को हाथों से ढँक लिया।
“विशाल, नो ! प्लीज़ !”
“क्यों?”
“मुझे शर्म आती है ! तुम अब भी …”
“ओह हो !यह तो तुम्हारा काम था। खैर मैं कर देता हूँ अपनी प्यारी-प्यारी प्रेयसी की खातिर।” मैंने एक झटके से बरमूडा और अंडरवियर उतार फेंके। मेरा लिंग ज्यादा लंबा तो नहीं है, सिर्फ़ छः इंच का, पर उस समय वह भूखे शेर की तरह दहाड़ता हुआ बाहर आ गया।
“मालती, इसे छू कर तो देखो मेरी जान !” मैंने प्यार से कहा,” काटेगा नहीं !”
मालती का लाल भभूका चेहरा, उसकी आँखें भी बंद ! योनि पर उसकी हथेलियाँ और कस कर जम गई। मैंने लिंग के अग्र भाग से उसकी योनि में ढँकी उँगलियों को स्पर्श किया तो मेरे लिंग ने प्री-कम की एक बूंद उगल दी।
अब ?
इस हसीना के साथ जबरदस्ती का मेरा कोई इरादा नहीं था।
मैं फ़िर उसके उरोजों से रस पीने लगा।
“सी, उई आह इस्स्स्स्सी, .” योनि पर उसके उसके हाथ थोड़े ढीले पड़े। मैंने लिंग के अग्र भाग से उसके बाएं निप्पल को स्पर्श किया, वह सिसक पड़ी और उसकी उँगलियों ने मेरे लिंग को धकेला ..
इसी का तो मुझे इन्तजार था, योनि से उसकी हथेलियाँ हटते ही मैंने उसकी जांघों में अपना सर घुसा दिया और उसकी योनि का एक मधुर चुम्बन ले लिया।
“उई ऊऊऊऊउईईईईइ माँ मम्मी, मम्मी !”
और मैं उसकी आर्द्र झिरी में जीभ चलाने लगा। जीभ उपर ले जाकर मैंने उँगलियों से उसकी योनि के ओंठ खोले और जीभ कड़ी करके अन्दर घुसा दी और मथानी की तरह चलने लगा।
“अहा, अहा, उई, सीई, सीईईईईईईई, ”
और मैंने भगनासा खोज लिया और जिह्वा से एक करारा प्रहार किया।
“ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईइ, सीईईईईईईइ”
उसने मेरा सर जांघों से जोर से दबाया, उसकी योनि में मानो मदन-रस की बाढ़ आ गई.. मैं उसका यौवन मधु पीने लगा और वो उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर निढाल हो गई। जैसे ही उसने आँखें खोली, मैंने फ़िर एक बार भगनासा का जीभ से मर्दन किया।
“ऊऊऊऊईईईई मर गाआआआआआईईईईईइ”
वो फ़िर शिखर पर पहुँची और निढाल हो गई।
इस बार मैंने अपना लिंग उसकी दरार से भिड़ाया। उसने चौंक कर आँखें खोली- नहीं विशाल नहीं ! प्लीज़, वादा?”
हाँ, वादा याद है मेरी रानी !”
मैंने लिंग के अग्र भाग से उसकी भगनासा के साथ घर्षण किया।
“सीईईईईईईए, ऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईई,आआया ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् “
वह फ़िर मानो आकाश में ऊँची उड़ी, एक रॉकेट की तरह, फ़िर झड़कर निढाल हो गई। जैसे ही उसकी आँखें खुली, मैंने उसका प्रगाढ़ चुम्बन लिया ।”मेरी रानी, देखा न, यौवन-क्रीड़ा का मधुर आनंद . .अब खुश हो ना?”
“हाँ, मजा तो आया, पर !”
“पर क्या?”मैंने पूछा।
“तुम प्यासे रह गए !”
“मेरी चिंता मत कर पगली”मैंने उसका एक और चुम्बन लिया।
“क्यों नहीं? मैंने कहा था न, कि अगर तुम मेरा वो चूसोगे तो मैं भी तुम्हारा वो चूसूंगी।”
और इससे पहले मैं कुछ कहता, उसने मेरा लिंग पकड़कर जोर से मरोड़ा मैं दर्द से कराहकर बिस्तर मैं पीठ के बल गिरा और वह मेरे उपर छा गई।उसने पहले मेरे निप्पल चूसने शुरू किए।
“आह, मालती, आह, प्लीज़ दांत नहीं आह !”
वह धीरे धीरे नीचे सरकी, नाभि पर अपन जिह्वा धुमाई, फ़िर और नीचे…फ़िर ना जाने उसे क्या सूझा, उसने रेशमी जुल्फों से तन्नाये लिंग को छेड़ा, लिंग उछल पड़ा।
फ़िर उसने शरमाते हुए लिंग थाम लिया और उंगलियाँ उपर नीचे फिराने लगी, लिंग के अग्र भाग को उसने नाखून से कुरेदा।
“आह, अचानक मुझे लगा, लिंग के अग्र भाग में कोई ठंडा अंगूर घिसा जा रहा है। वह अपने स्तनाग्र बारी बारी से घिसने लगी।
उसकी जिव्हा अब मेरे अंडकोष चूम रही थी।
“आह, आह” मैंने उसके लंबे बाल पकड़कर सर आगे धकेला।
“आआआह्ह्ह” मैं उत्तेजना के सागर मैं गोते लगाने लगा। उसने पहले लिंग का अग्र भाग चूसा फ़िर पूरा लिंग मुंह में भर लिया।
“आया ह्ह्ह … वह जीभ का सञ्चालन कर रही थी। अचानक मेरे शरीर की मसें कड़ी हुई,”आ ह्ह्ह्ह् ऊऊऊ आआआ ह्ह्ह्हा ” मैंने उसे पीछे धकेलना चाहा, पर कुछ नहीं, मेरा शेर उसके मुंह के पिंजरे मैं कैद था। मेरे लिंग से वीर्य की धारा फ़ूट पड़ी।
अगले ही क्षण बिस्तर में हम एक दूसरे की बाहों में थे।
इस तरह बिना मैथुन या गुदामैथुन के हमने यौन-क्रीड़ा का भरपूर आनंद उठाया।
तीसरे दिन मालती चली गई। मैंने मालती से कहा कि मैं जल्दी भारत आऊंगा और तुम्हारे मम्मी-पापा से तुम्हारा हाथ मांग लूँगा पर मैं अभी जल्दी भारत जाने के मूड में नहीं हूँ। मैं यहाँ यौवन के नए अनुभव अर्जित करना चाहता हूँ ताकि जब मालती से शादी हो तो उसे यौन-क्रीड़ा का सम्पूर्ण आनन्द दे सकूँ !! हम अभी भी ऑनलाइन भीनी भीनी मीठी रसभरी बारें करते हैं ! Sex Stories
भैया दोपहर का भोजन Antarvasna करके एक बजे ड्यूटी पर चले गये। भाभी को आज मैंने दूसरी सीडी ला कर दी। हमें सीडी देखने की बहुत बेचैनी थी… शायद सीडी नहीं बल्कि आपस में कुछ करने की बेचैनी थी। आज भी ब्ल्यू फ़िल्म देखते देखते हमने फिर से एक दूसरे को रगड़ा। खूब तबियत से आपस में दाबा-दाबी की और अन्त में अपना रस निकाल दिया।
अब तो जैसे ये रोज ही होने लगा। एक दिन यूँ ही हम दोनों एक दूसरे को दबा रहे थे तो भाभी ने कह ही दिया,”एक बात कहूं, शरम तो आती है पर…”
“भाभी, अब क्या शरमाना, रोज तो मस्ती करते हैं …”
“आप समझते तो हो नहीं …, आपका लण्ड बहुत मोटा है, आप लेट जाईये सोफ़े पर, इसे चूमने की इच्छा हो रही है, फिर भैया, आप भी मेरी चूत का चुम्बन ले लेना !”
“भाभी, यह तो गन्दी बात है ना…”
“फ़िल्म में भी तो इसे चूसते हैं ना !”
“वो तो बस मजे के लिये दिखाते हैं…”
“अरे लेटो ना ! बहुत बोलते हो…” भाभी ने मुझे धक्का मार कर लेटा दिया।
मेरा खड़ा लण्ड उसके सामने खड़ा हुआ इठला रहा था।
“अपनी आंखें बन्द करो ना…”
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। मुझे अपने लण्ड पर गीला गीला सा नरम से होंठों का अहसास हुआ। उसने मेरा लण्ड मुठ में भर कर अपने मुँह में भर लिया और हाथ चलाते हुये लण्ड चूसने लगी। मीठे मीठे वासनायुक्त अह्सास से मैं तड़प उठा।
“मजा आ रहा है भैया…”
मैंने उत्तर में अपना लण्ड और उभार दिया। लण्ड चूसने की विचित्र सी आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरा हाल बुरा होने लगा था। इसमें मुझे पहले से अधिक मजा आने लगा था।
कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने माल उगल दिया और भाभी ने बिना मुझे कुछ कहे चुपचाप से सारा वीर्य पी लिया। लण्ड चाट कर पूरा साफ़ कर लिया फिर उसने अपना पेटीकोट थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और अपनी गोरी सी चूत मेरे सामने कर दी। मैंने अपना मुख झुकाया और चूत को ध्यान से देखा।
चूत गीली सी हो चुकी थी मैंने चूत को अपनी अंगुलियों से खोल दी। अन्दर की लालिमा नजर आने लगी, और उसमें कुछ चिकना सा बुलबुले दार झाग सा नजर आया।
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और चूत में घुसा दी। जीभ ने अन्दर का जायका लिया और उसका वो लसलसा सा द्रव जीभ में लपेट लिया। फिर मैंने उसे चूस कर साफ़ कर किया।
भाभी की टांगें कांप सी गई। एक मीठी सी सिसकी निकल पडी। तभी मुझे वहाँ एक छोटा सा दाना नजर आया। बस उस पर जीभ लगते ही भाभी जैसे कराह उठी। उसकी चूत ऊपर नीचे हिलने लगी, मेरी जीभ चूत में रगड़ खाने लगी। मैंने हिम्मत करके अपनी एक अंगुली भाभी की चूत में घुसा डाली।
वो चिहुंक उठी और जैसे बल सी खाने लगी। मैं अब जोर जोर से उसकी चूसने लगा। भाभी की तड़प देखने लायक थी।
कुछ देर में भाभी झड़ गई और गहरी सांसें भरने लगी।
बस अब तो रगड़ा-रगड़ी छोड़ कर हम दोनो मस्ती से एक दूसरे के गुप्तांग को चूसते थे। ये सिलसिला भी काफ़ी दिनों तक चलता रहा।
भाभी को अब भी तसल्ली नहीं थी, सो एक बार भाभी ने कहा,”भैया, आओ आज कपड़े उतार कर मजे लें !”
“वो कैसे…?”
“नंगे हो कर बिस्तर पर लेट कर ऐसे ही करें !”
यह सुन कर मुझे लगा कि भाभी का मन लण्ड लेने को कर रहा होगा। पर वो चुदाने के लिये कभी नहीं कहती थी, और ना ही कभी मैंने उन्हें कहा।
मैंने कभी भी किसी को नहीं चोदा था, पर हां, रोज की इस रगड़ा-रगड़ी में मेरे लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी और मेरा लण्ड पूरा खुलने लगा था, चमड़ी ऊपर तक चढ़ जाया करती थी।
हम दोनों ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये। हम नंगे हो चुके थे, पर भाभी शरमा रही थी। एक कपड़े की आड़ में वो अपने को छुपा कर बिस्तर की ओर बढ़ गई। मैं अपना सीधा तना हुआ कड़क लण्ड ले कर उनके पीछे पीछे बिस्तर पर आ गया।
“भैया, आ जाओ, मेरे ऊपर लेट जाओ और मेरा अंग प्रत्यंग दबा डालो !”
“आह भाभी, सच में ऐसे तो बहुत आनन्द आ जायेगा !” मैं धीरे से भाभी के ऊपर आ गया और उस पर लेट गया। भाभी मेरे शरीर के नीचे दब गई।
मैंने उसके नंगे शरीर को सहलाना और मलना आरम्भ कर कर दिया। भाभी की आंखें मस्ती से बंद होने लगी। उसके हाथ मेरे शरीर के इर्द गिर्द लिपट गये। मेरे हाथों में उनके स्तन मचल उठे।
वो बार बार अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर डाल रही थी कि अचानक फ़क से मेरा लण्ड चूत में घुस गया। भाभी में अपने होंठ काट लिये और पूरे लण्ड को अपनी चूत में समा लिया।
“अह्ह्ह, भैया जी… जरा जोर लगाओ, उठा कर मार दो अपना लण्ड…”
मैंने हल्के से लण्ड बाहर खींचा और अन्दर दे मारा। हम दोनों के ही मुख से मस्ती की सिसकारी फ़ूट पड़ी। मेरे लण्ड में इस यौन-क्रिया से तनाव बेहद बढ़ गया और मजा आने लगा। भाभी भी मस्ती में भाव विहल हो उठी। साथ में अधरों से अधर मिला कर चुम्बनों का सिलसिला भी तेज हो गया।
यह पहली बार था जब मैं यौन क्रिया कर रहा था। लण्ड से चुदाई करने में इतना मधुर आनन्द आता है यह पहली बार अनुभव हुआ।
भाभी तो उन्मुक्त भाव से चोदन क्रिया में लीन थी। मैं लण्ड चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा। मेरी अधीरता बढ़ती गई।
भाभी का चुदाते समय चीखना चिल्लाना मुझे बहुत भा रहा था, लग रहा था कि भाभी को असीम सुख प्राप्त हो रहा है।
चोदते चोदते मुझे ऐसा अहसास होने लगा कि मेरा वीर्य स्खलन होने वाला है।
“भाभी, मेरा तो लण्ड तो हाय … बहुत मजा आ रहा है … मैं तो आह …”
“क्या हुआ भैया, लगा जोर लगा … हाय मेरी चूत भी जवाब देने वाली है।”
“मैं तो गया … अस्स्स्स्स ह्ह्ह्ह … मेरा तो निकला भाभी…”
“ठहर जा रे … मेरा तो होने दे ना … उईई ईईई … मै…मैं… भैया रस छूट रहा है…”
“मेरी भाभी … हाय …मुझे भींच लो !”
“आजा, निकाल दे अब अन्दर ही… जोर लगा … निकाल … हाय रे निकाल…”
और वो झड़ने लगी। उसकी चूत में लहरें चलने लगी… रति रस छूट चुका था। भाभी ने मेरे चूतड़ कस कर दबा दिये… और मेरा जोर भी चूत पर बढ़ गया।
तभी मेरा वीर्य भी स्खलित हो गया। बार बार जोर लगा कर उसकी चूत में माल भरने लगा था।
भाभी अब निश्चल सी पड़ी हुई थी और इस सम्भोग का अपने नयन बंद करके लुफ़्त उठा रही थी।
तभी लगा कि समय बहुत बीत चुका है, संध्या ढल आई थी। समय कितनी तेजी से बीत गया, मालूम ही नहीं पड़ा।
भाभी ने तुरन्त उठ कर स्नान किया और रात का भोजन पकाने में जुट गई। मैं भी उनकी मदद करने लगा। भाभी चुद कर बहुत खुश नजर आ रही थी। मुझे लगा कि अब मेरी लाईन साफ़ हो गई है … यानि रोज की चुदाई का आनन्द पक्का है।
पाठको, इस कहानी का स्वरूप मुझे अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका श्रीमती यशोदा पाठक ने भेजा है, इसे कहानी के रूप में मेरे द्वारा ढाला गया। Antarvasna
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