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हाय दोस्तो, मैं मुकेश, मैंने पहले भी एक Hindi Porn Stories बार एक कहानी “चुदाई या छुप्पम-छुपाई” लिखी थी। मुझे कुछ लोगों के उत्तर भी मिले थे पर उतने अधिक नहीं। हो सकता है कि शायद ज्यादा लोगों को मेरी कहानी पसन्द नहीं आई हो, अगर आज की कहानी अच्छी लगे तो कृपया अवश्य लिखें।”
बात उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में पढ़ता था। एक बार मैं अपने मामा के सेब के बगीचे में गया जो कि हिमाचल में है। मेरे सबसे बड़े मामा और उनका परिवार भी वहीं रहते हैं। उनका लड़का बाहर पढ़ता था। मामी, मामा, और उनकी लड़की सभी सरकारी नौकरी में हैं। मैं अक्तूबर के महीने में उन लोगों के पास गया था, यानि की बात अक्तूबर माह की है। उस समय अभी बर्फ नहीं गिरी थी, तो पालतू जानवरों के लिए घास काटकर सुखा ली जाती है जो बर्फ गिरने के समय जानवरों को खाने के लिए दी जाती है। वास्तव में बर्फबारी के बाद हरी घास नहीं मिल पाती है इसलिए पहले ही काट कर जमा कर ली जाती है।
मामी ने विद्यालय से छुट्टी ले रखी थी, और हमारे माली की घरवाली यानि मालिन भी उन के साथ घास काट रही थी। उसका नाम स्वाति था। मैंने जब मालिन को देखा तो देखता ही रह गया… यार क्या बताऊँ, क्या सॉलिड माल थी। उम्र तकरीबन २६-२६ की थी और एकदम मस्त फिगर, काम वगैरह करते रहने की वजह से उसकी डील-डौल एकदम कमाल की थी, और बदन कसा हुआ था। ठीक से तो नहीं बता सकता पर शायद ३६-२६-३४ की फिगर रही होगी, जिसे याद कर के आज भी मुझे बहुत मज़ा आता है। जब मैंने उसे देखा तो मैंने सोचा कि अगर इसकी मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
इस चक्कर में मामी के मना करने के बावज़ूद भी उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। घास काटने का काम ८-१० दिनों तक चलना था और उस दिन तो पहला ही दिन था, और मेरे कॉलेज में छुट्टियाँ भी थीं तो मैंने सोचा, अभी तो काफी समय है, मुझे प्रयास करना चाहिए, शायद किस्मत मेहरबान हो जाए।
मैं ज्यादातर उसके आस-पास ही काम करता रहता था। मैं घास को इकट्ठा कर के उस को बाँधता था। जब वह घास काटने के लिए झुकती तो उस के मम्मे उस की कमीज के ऊपर से दिख जाते। पहाड़ों में काम करते समय, औरतें ज्यादातर ब्रा नहीं पहनतीं। तो बार-बार देखने पर कभी-कभी मुझे उसके निप्पल भी दिख जाते, कसम से मेरा एकदम खड़ा हो जाता था। मैं बड़ी मुश्किल से उसे छुपाता था। डरता था कहीं मामी को पता न चल जाए। मैं इसलिए उनसे दूर ही रहता था।
मालिन ने मुझे कई बार घूरते हुए देख लिया था और शायद उसने पैन्ट के अन्दर मेरे खड़े लण्ड को भी देख लिया था। इसलिए वह कभी-कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी। मैंने धीरे-धीरे उससे बात करनी शुरू कर दी और वह भी मुझसे बात करने में खुलने लगी। जब शाम हुई तो मामी कहने लगी कि मैं घर जाकर कुछ खाने के लिए बनाती हूँ, तुम लोग थोड़ी देर बाद आ जाना। और वह वहाँ से चलीं गईं।
अब मैं और वह अकेले रह गये, तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा पति कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसकी ननद बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, जो यहाँ से करीब ४० किलोमीटर दूर है। और मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा तो बोली कि दो हैं, एक लड़का ४ साल का, और लड़की २ साल की, वे उसकी सास के पास रहते हैं। उनका घर भी वहीं पर थोड़ी सी दूरी पर था, मतलब मामाजी के घर से दिख जाता था। और मैं उससे ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहा, वो भी मेरे बारे में पूछती रही। समय हो गया और हम दोनों वापस मामा के घर आ गए, जहाँ मामी ने कुछ खाने के लिए बना रखा था। और वह उस दिन मेरे लण्ड को खड़ा ही छोड़कर चली गई। अब मुझे जल्दी से अगले दिन का इन्तज़ार था कि कब सुबह हो और वह आए।
अगले दिन वह फिर आई और मैं उस दिन भी उस के साथ काम कर रहा था, मैं कभी उस के मम्मे देखता और कभी उस के पीछे जा कर उसकी गाँड देखता। तभी उसके हाथ में काँटा चुभ गया और वह दर्द की वजह से हल्के से चिल्लाई। मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने जवाब दिया कि हाथ में काँटा चुभ गया। तब मैंने उसका काँटा निकालने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया और काँटा निकालने लगा। धीरे-धीरे उस के बाज़ू को सहलाने लगा, मगर वह काँटा इतनी जल्दी नहीं निकल रहा था, मैंने उसे कहा कि इसे पकड़ कर बाहर खींचना पड़ेगा, तो वह बोली, कैसे खींचें, यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तभी मैंने उसका अँगूठा अपने मुँह के पास लाया और अपने दाँतों से उसे निकालने लगा, मगर वह इतनी आसानी से नहीं निकल रहा था, थोड़ी मेहनत करने के बाद वह निकल गया। मगर उस के हाथ से खून बहने लगा, तो मैंने उसका अँगूठा चूस लिया, तो वह बोली, छोड़ दो, कोई देखेगा तो जाने क्या समझेगा। हालाँकि वहाँ कोई और नहीं था पर मैंने फिर भी छोड़ दिया। ओर हम फिर से काम करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- स्वाति एक बात बताऊँ?
तो वह बोली- क्या?
मैंने कहा- यार तुम बड़ी टेस्टी हो !
तो वह बोली- क्या मतलब?
तो मैंने कहा- मतलब कि तुम्हें खाने में बहुत मज़ा आएगा !
वह मेरा मतलब समझ गई और बोली- “धत्त” ! अपना काम करो।
तो मैंने कहा- नहीं सच में तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, और टेस्टी भी हो, तुम्हें खाने में सही में बहुत मज़ा आएगा।
तो वह बोली- सही में मुझे खाना चाहते हो?
तो मैंने कहा- चाहता तो मैं बहुत कुछ हूँ पर…। और मैं चुप हो गया तो वह बोलने लगी- क्या चाहते हो बताओ?
मैंने कहा- कल बताऊँगा, तो वह बोली- नहीं अभी बताओ।
हम बातें कर ही रहे थे कि मामी आ गईं और बोलीं- चलो काफी शाम हो गई है। और हम तीनों वापिस घर आ गए।
फिर अगले दिन मामी को स्कूल जाना था और पीछे हम दोनों ही रह गये थे और हम दोनों साथ-साथ काम कर रहे थे और वह मुझसे पूछने लगी कि हाँ अब बताओ कि क्या चाहते हो।
तो मैंने कहा- छोड़ो तुम बुरा मान जाओगी।
इस पर वह बोली- नहीं तुम बताओ मैं बुरा नहीं मानूँगी।
तो मैंने कहा- मेरा दिल तुम्हें चूमने का करता है।
वह थोड़ी देर खामोश बैठी मेरी तरफ देखती रही और मैं डर गया कि शायद यह कहीं मेरी शिकायत न कर दे। पर थोड़ी देर बाद वह बोली कि ऐसा नहीं बोलती, तब मैं थोड़ा सामान्य हुआ फिर कहा- तुम ही बार-बार पूछ रही थी, तो मैंने बता दिया।
उसके बाद वह कुछ चुपचाप रहने लगी, और मैंने सोचा सारा खेल ही खराब हो गया। हम पूरा दिन थोड़ी-बहुत बात करते रहे, शाम के समय वह ऊपर वाले खेत पर जा रही थी, और मैं ठीक उस के पीछे था। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा एक हाथ उसकी कमर में और दूसरा उसकी दाईं चूची पर आ गया। मैं भी ठीक से संतुलन नहीं बना पाया, और हम दोनों ही नीचे वाले खेत में गिर गये, मैं नीचे और वह मेरे ऊपर।
हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और फिर वो और मं जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने तब भी उसका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ रखा था और उसकी गाँड बिल्कुल मेरे लण्ड पर थी, मैंने पतले से सूट के अन्दर उसकी निप्पल पकड़ ली और मसलने लगा। वह फिर भी हँसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाल पर चूम लिया, मैं गरम हो चुका था। तब वह हँसते-हँसते उठ गई। मैं भी उठ गया और उससे कहने लगा कि मेरे पीठ में जलन हो रही है, वास्तव में खेत में पत्थरों पर गिर पड़ा था और थोड़ी बहुत खरोंच भी लग गई थी।
उस पर वह बोली- दिखाओ !
मैंने कहा- मुझे टी-शर्ट उतारनी पड़ेगी, अगर किसी ने देख लिया तो…?
वह बोली- उधर घने पेड़ों के बीच चलते हैं, वहीं देखते हैं। तो मैं और वह घने पेड़ों के बीच चले गये और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मेरी पीठ पर रगड़ लगी थी, और वह बोली कि थोड़ा सा छिल गया है, अब यहाँ तो कोई क्रीम भी नहीं है, उसने बताया कि उसकी बाँह भी थोड़ी सी छिल गई है, तो मैंने कहा कि तुम्हारी बाँह के लिए क्रीम तो है, पर निकालनी पड़ेगी, वह थोड़ी देर से समझी और फिर हँसने लगी।
मैंने उससे कहा कि मेरे ज़ख्म ठीक हो सकते हैं, अगर तुम थोड़ा चूम लो तो। वह बोली ठीक है, और मेरी पीठ पर २-३ जगह चूम लिया। मैंने कहा कि मेरे होठों पर भी रगड़ लगी है, यहाँ भी चूम लो ना… तब वह बोली, आज नहीं, आज बहुत देर हो गई है, फिर कभी… मगर मैं मान नहीं रहा था, मैंने ग्रीन सिग्नल तो देख लिया था इसलिए उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। वह भी गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी।
तब मैंने उसका मोम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। वह उम्म्म्म… आआआहहहह हह… की आवाज़ों में सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसका एक मम्मा चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा। मैं बारी-बारी से उस के दोनों मम्मे चूस रहा था। तभी मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत थोड़ी गीली हो गई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी कि मामी हम दोनों को जोर-जोर से आवाज़ लगा रही थी। और हम दोनों को जाना पड़ा। तो मैंने उसे कहा कि बाकी का कल करेंगे, तो उसने कहा कि अब तो यह बस होता ही रहेगा। और हम दोनों वापिस घर आ गये।
कुछ खाने के बाद मामी ने कहा कि जा इसे इसके घर छोड़ दे। आज थोड़ी देर हो गई है, जल्दी ही अँधेरा हो जाएगा तो मैं उसे उस के घर छोड़ने चल पड़ा। हम रास्ते में भी खूब चूम्मा-चाटी करते रहे और मैंने उसके मम्मे चूसे। वो रात मेरी बहुत मुश्किल से कटी।
मैं सुबह ही उठ गया और उसका इन्तज़ार करने लगा। मामा-मामी सुबह ७ बजे ही स्कूल निकल जाते थे। वह तकरीबन ९:०० बजे आई और हम दोनों फिर बगीचे में चले गये। बगीचे के साथ-साथ एक दूसरे गाँव का रास्ता भी जाता है, इसलिए वहाँ सुबह थोड़ी चहल-पहल होती है तो हम सिर्फ बातें ही करते रहे। उसने बताया कि उसके पति ने कभी भी उसके निप्पलों को नहीं चूसा, वह सिर्फ मम्मे ही दबाता है। अब तो वह सेक्स भी हफ्ते में शायद एक बार ही करता है। और रोज़ शाम को देसी दारू पी लेता है और सो जाता है।
वह बोली कि मैं सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रही और सो नहीं पाई। दोपहर के समय हम दोनों फिर घने पेड़ों में गये और मैंने उसे जाते ही चूमना शुरू करक दिया। और मैंने उसके मम्मे दबाने और कमीज़ के ऊपर से ही चूसने शुरू कर दिये, वह केवल सिसकारियाँ भर रही थी, और मेरे सिर को अपने मम्मों के बीच दबा रही थी। मैं सच में उस वक्त ज़न्नत में था।
मैंने उसको ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी सलवार खोल दी, उसकी चूत एकदम गोरी-चिट्टी ती। उसपर थोड़े बाल भी थे, मैंने हाथ से बाल हटाकर देखा, उसकी चूत अन्दर से गुलाबी थी। मैंने उसमें अपनी एक ऊँगली डाल दी। वह एकदम गीली और चिकनी थी, मैं ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा और उसके मम्मे चूसने लगा। वह उफ्फ्फ्फ… आआआहह हह… उईईई मममाँआआ की आवाज़ें निकाल रही थी। बीच-बीच में उसे चूम भी रहा था।
मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, तो वह बोली- नहीं यह गन्दा होता है। पर मैंने उसे काफी प्रयास करने के बाद मना लिया, फिर वह मेरा लण्ड चूसने लगी। उसने थोड़ी देर चूसा और मैं फिर से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और मम्मे चूसने लगा। अब मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ उस की चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।
वह ज़ोर-ज़ोर से हम्म्म… आआ आआहह हहह… उउफ्फ्फ्फ… आआआहहह… करने लगी और जब वह अपनी दोनों टाँगें इकट्ठी करने लगी तो मैं रूक गया। मैं समझ गया कि वह पूरी तरह तैयार हो गई है। तभी मैंने अपनी पैंट की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया, जो कि लोहे की तरह सख्त हो रहा था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत के मुहाने पर लगाई और हल्का सा झटका दिया। वह दर्द से आआआआह हहहह… करने लगी, तो मैंने कहा तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?
तो वह बोली- तुम्हारा मेरे पति से मोटा है, और लम्बा भी। तभी बातें करते-करते मैंने दूसरा ज़ोर का झटका दिया और अपना सारा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और वह दर्द से उफ्फ्फ करने लगी। और मैंने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी सी रफ्तार बढ़ा दी। वह आँखें बन्द करके मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी। मैंने ७-८ मिनट बाद उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के लगाने लगा और उसे ऊपर-नीचे होने को कहा। अब वह ऊपर-नीचे हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और एक पेड़ से उसकी पीठ लगा दी और उसकी दोनों टाँगें हाथ में उठा लीं और उसे हवा में उठाकर चोदने लगा। मैं बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैंने फिर उसे नीचे लिटा दिया और धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी थी। उसने एकदम अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, मैं समझ गया कि वह छूट गई है, मैं फिर भी धक्के लगा रहा था। थोड़ी देर बाद जब मैं छूटने वाला था तो वह बोली कि मैं दुबारा छूटने वाली हूँ, और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गए।
मैंने उससे पूछा कि मज़ा आया या नहीं? तो वह कहने लगी कि आज पहली बार यह हुआ कि मैं दो बार छूटी हूँ, और ऐसे तरह-तरह से पहली बार चुदी हूँ। उसके बाद हम दोनों फिर काम पर लग गए। फिर तो हम दिन में कम से कम ३-४ बार कर ही लेते थे।
तो यह थी मेरी कहानी। कैसी लगी दोस्तों, ज़रूर बताना, मैं इन्तज़ार करूँगा। अगर आपलोगों ने उत्तर दिये तो मैंने मालिन की जेठानी को कैसे चोदा, इसकी कहानी भी लिखूँगा।
एक ज़रूरी बात मैं और कहना चाहता हूँ कि कृपा करके दोस्तों, किसी पराई-स्त्री के साथ सेक्स करते समय अच्छी क्वालिटी का कॉण्डोम ज़रूर लगा लें, क्योंकि दोस्तों “जान है तो जहान है”। अलविदा दोस्तों, मेरे पास बहुत से किस्से हैं, समय मिला तो ज़रूर सुनाऊँगा। Hindi Porn Stories
मेरा नाम अनु अरोड़ा हैमेरा नाम अनुक्ति है मुझे घर पर सभी अनु नाम से ही बुलाते हैं., मैं बी टेक 3र्ड इयर की स्टूडेंट हूँ. मेरी उमर 21 साल है.
मैं मध्य प्रदेश से हूँ और बी टेक करने दिल्ली आई हूँ, मेरा कॉलेज गुरुग्राम में है.
मेरे परिवार में मेरे पिता जी, माँ और एक छोटा भाई है जो मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मैं भी अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूँ, शायद यही कारण था कि मैं आज तक किसी ग़लत चक्कर में नहीं पड़ी और ना ही कभी बॉयफ्रेंड बनाया.
मेरा फिगर 36-24-36 का है, मैं अपने फिगर को लोगों को आकर्षित करने के लिए नहीं पर अपनी खुशी के लिए मेंटेन रखती हूँ. मेरे कॉलेज के सब लड़के मेरे दीवाने हैं. बहुत लड़कों ने मुझे प्रपोज़ किया है पर मैंने कभी किसी को कभी हाँ नहीं कहा और ना ही कभी किसी लड़के से कभी दोस्ती की.
लेकिन किस्मत ने जब जिससे जहाँ मिलना होता है, मिला देती है और शायद किस्मत को संदीप को मुझसे मिलना था.
संदीप मेरा एक दोस्त है जो मुझे गुरुग्राम में ही मिला. संदीप दिखने में भी बहुत अच्छा है, मन में एक बार तो आया था कि उसे अपना बॉयफ्रेंड बना लूँ पर अपने माँ बाप की इज़्ज़त पर कोई आँच नहीं आने देना चाहती इसलिए सिर्फ़ दोस्त ही रहने दिया उसे भी.
संदीप रहने वाला मेरठ का है और मुझे गुरुग्राम के एक माल में मिला था. वो यहाँ एक कंपनी में डेटा अनालिस्ट है.
एक बार मॉल में कुछ लड़के मुझे छेड़ रहे थे तब संदीप ने मुझे उनसे बचाया था और हॉस्टल तक छोड़ा था. तब से मेरी और संदीप की दोस्ती हो गई. संदीप ने मुझे बाद में प्रपोज़ भी किया तो मैंने उससे बता दिया- संदीप, मैं सिर्फ़ अरेंज मैरिज करना चाहती हूँ वो भी उससे जो मेरे माँ बाप मेरे लिए ढूंढेंगे. तुम एक अच्छे लड़के हो इसलिए मैं तुम से दोस्ती नहीं तोड़ना चाहती.
संदीप एक शरीफ लड़का था तो उसने मुझे समझा और उसने इसलिए भी मुझे समझा क्योंकि वो मेरे बारे में सब जानता था. संदीप को पता था कि अनु एक शरीफ लड़की है और कभी बॉयफ्रेंड ना बनाया है और ना बनाएगी.
एक बार संदीप ने मुझे पूछा कि क्या मैं वर्जिन हूँ. तो मैंने उससे बहुत सुनाया कि क्या मतलब है उसका कि मैं वर्जिन हूँ.
मैंने उससे बोला- एक बात, जब आज तक मैं किसी लड़के के साथ नहीं हुई तो यह सवाल कैसा और दूसरा उसे शर्म आनी चाहिए यह सवाल पूछते हुए मुझसे!
मैंने उससे दोस्ती तोड़ दी, उसने माफी माँगी पर मैंने उससे माफ़ नहीं किया.
उस पर तरस तो आया पर हिम्मत नहीं हुई उससे नज़रें मिलाने की… उसके इस सवाल के बाद!
एक दिन मुझे कॉलेज की फीस भरनी थी तो मैंने पिता जी को फोन कर दिया. हालांकि मुझे पिता जी से पैसे लेना अच्छा नहीं लगता था पर मैंने सोच रखा था की मेरी पढ़ाई कंप्लीट होते ही और नौकरी लगते ही पिता जी को एक एक रूपया लौटा दूँगी.
मेरे फोन करते ही पिता जी ने मेरे अकाउंट में 1 लाख 30 हज़ार जमा करवा दिए. शनिवार का दिन था, तब बैंक हाफ डे के लिए ही खुलता था, मैंने अपनी रूममेट को बोला- मेरे साथ बैंक चल… पर उसकी तबीयत कराब थी तो मैं अकेली चली गई.
एक बार तो सोचा संदीप को फोन करके बुला लूँ, वैसे भी अब नाराज़ हुए काफ़ी दिन हो गये थे, पर फिर सोचा छोड़ो. बाद में देखते हैं. और पहले फीस का काम निपटा लूँ.
मैं सुबह 10 बजे बैंक पौंछ गई, वहाँ पर्ची भर के पैसे ले लिए. मैंने पैसे बैंग में डाले और कैब बुलवा कर हॉस्टल आ गई. किस्मत से ट्रॅफिक ना मिलने के कारण मैं 12 बजे तक हॉस्टल पहुंच गई थी. हॉस्टल में एंट्री लेते हुए समय मैंने देखा कि फीस विंडो पर लाइन नहीं लगी हुई है और विंडो भी खुला था तो सोचा क्यूँ ना अपनी फीस ही भर दूं और यह काम पूरे से निपटा दूं और वैसे भी सोमवार को काफ़ी लंबी लाइन लगने वाली थी.
मैं फीस काउंटर पर गई और फॉर्म लेकर अपना नाम, बेच, रोल नंबर और सब भर दिया. जैसे मैं विंडो पर पहुंची और पैसे निकालने के लिए बैग में हाथ डाला तो देखा बैग में से पैसे गायब थे. मैंने घबरा कर बैग में से सारा सामान निकल दिया और देखा बाद में एक छेद हुआ पड़ा था और पैसे बैग से गायब थे. मैं वहीं चक्कर खाकर गिर गई.
तभी हॉस्टल की वॉर्डन ने और ना जाने किसने मुझे मेरे हॉस्टल रूम में पहुंचाया.
जब मुझे होश आया तो एक पल कि मुझे लगा कि सपना था पर पास में बैग देख कर समझ आया कि सपना नहीं यह सच था कि मैंने अपनी फीस के 1 लाख 30 हज़ार गुमा दिए थे. मैं एकदम से घबरा गई और समझ नहीं आया कि क्या करूँ!
घबराहट में मुझे कुछ नहीं सूझा और मैंने तुरंत अपने दोस्त संदीप को फोन घुमा दिया. संदीप ने जैसे ही मेरा फोन उठाया, मैंने उससे रोते रोते सब बताया कि क्या हुआ.
संदीप ने मुझे फोन पर चुप करवाया और बाहर बुलाया क्योंकि वो गर्ल्स हॉस्टल की अंदर तक नहीं आ सकता था.
मैं बाहर संदीप का वेट कर रही थी और 5 ही मिनट में संदीप अपने किसी दोस्त की मोटरसाइकल लेकर आ गया. संदीप के आते ही मेरा रोना फिर छूट गया तो उसने मुझे बोला- चुप हो जाओ और यहाँ से चलो पहले!
और यह कह कर वो मुझे दूर एक पार्क में ले गया और पूरी बात पूछी. पूरी बात जानने के बाद वो मुझे मोटरसाइकल से बैंक के रास्ते और बैंक से हॉस्टल के रास्ते ले गया पर कुछ नहीं मिला.
मुझे रोता देख संदीप बोला- देखो अनु, पैसे तो मेरे पास भी नहीं है, नहीं तो मैं तुम्हें दे देता… पर मैं वादा करता हूँ कि 2 दिन का समय दो तो मैं कुछ कर पाऊंगा.
मैंने संदीप की बात मान ली और हम दोनों सोचने लगे.
तीसरे दिन मैंने संदीप को फोन किया और बोला- संदीप, फीस भरने की आख़िरी डेट आने वाली है, जल्दी कुछ नहीं किया तो बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाऊँगी.
तभी संदीप ने बोला- अनु तुम परेशान मत हो, पैसों का इंतज़ाम 80% हो गया है पर पहले तुम मिलो मुझे.
मैं संदीप से मिलने पहुँची और फिर वो मुझसे मोटरसाइकल पर बिठा कर एक पार्क में ले गया और बेंच पर हम बैठ गये.
तभी संदीप ने मुझे एक बात बोल कर हैरान और परेशन दोनों कर दिया.
संदीप ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- देख अनु, मैं तुझे अपना बहुत प्यार दोस्त मानता हूँ, समझ नहीं आ रहा कि कैसे बोलूं तुझे… पर मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
संदीप ने कहा- अनु, मैंने 2 दिन पहले अपने एक दोस्त से बात की पैसों के लिए और मैंने उसे तुम्हारी पूरी कहानी भी बता दी थी कि क्यों एकदम से इतने पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है पर उसके पास भी पैसे ना होने के कारण उसने मना कर दिया था.
संदीप मुझसे बोला- अनु, आज मेरे उसी दोस्त का फ़ोन आया था और वो बोला की 1 लाख 30 हज़ार की जगह 2 लाख मिल जाएँगे अगर तुम एक आदमी के साथ पूरी रात गुजार लो तो!
यह सुनते ही मुझे सब समझ तो आ गया था पर यकीन नहीं हुआ था कि यह संदीप ने क्या बोल दिया.
मैंने संदीप को कहा- वॉट डू यू मीन कि पूरी रात गुज़ारनी होगी?
संदीप बोला- तुम्हें एक आदमी के साथ सेक्स करना होगा और पूरी रात उसी पास रहना पड़ेगा.
मुझे संदीप पर बहुत गुस्सा आया और मैंने उससे तमाचा मार दिया और रोते हुए अपने हॉस्टल आ गई.
मेरे हॉस्टल आने के बाद मैंने संदीप को सॉरी का मेसेज किया और सोने की कोशिश करने लगी पर टेंशन में और संदीप की बात सुन कर नींद नहीं आ रही थी. मैं बहुत डरी हुई थी, समझ नहीं आ रहा था कि कैसे क्या करूँ. एक बार तो सोचा कि घर पर ही बता दूं पर फिर अपने घर की आर्थिक हालत के बारे में सोच कर मैंने चुप रह कर खुद से सब संभालने की सोची.
पर संभालना कैसे था… यह समझ नहीं आ रहा था.
अब 5 दिन बीत चुके थे और आज गुरुवार था और सोमवार को फीस भरने की आख़िरी तारीख थी. गुरुवार की रात तक सब कुछ सोचने के बाद जब कुछ रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था तो संदीप की बात मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. एक बार दिमाग़ ने कहा कि अनु एक रात किसी और के साथ… तेरी सब दिक्कत दूर कर देगी और सेक्स कभी ना कभी तो करना ही पड़ेगा और आजकल सब शादी से पहले कर चुके होते हैं पर किसी अंजान आदमी के साथ कैसे?
पूरी रात सोचते सोचते निकल गई और फिर मैंने शुक्रवार की सुबह संदीप को फोन किया, कहा- संदीप मैं तैयार हूँ, पर यह बात प्लीज़ तुम्हारे और मेरे बीच में ही रखना!
संदीप बोला- ठीक है, मैं पता करके बताता हूँ कि कब जाना होगा.
आधे घन्टे बाद संदीप ने मुझसे मेरा अकाउंट नंबर माँगा और कहा- इसमें अभी 50 हज़ार आ जाएँगे और बाकी के बाद में… और तुम्हें आज की रात ही जाना पड़ेगा तो तुम वॉर्डन को बोल दो कि तुम घर जाओगी आज शाम को!
मैंने संदीप की बात मान ली और वैसा ही किया.
संदीप मुझे 6 बजे हॉस्टल से ले गया और फिर एक जगह जाकर हम खड़े हो गये. मुझे बहुत ड़र लग रहा था.
तभी वहाँ एक सफेद गाड़ी आकर रुकी और उसमें से एक लड़का निकला. लड़के ने संदीप से हाथ मिलाया और मुझे कहा- डरो मत, मैं संदीप का दोस्त हूँ, मैं आपको वहाँ छोड़ कर आऊंगा और फिर कल दोपहर लेने भी आऊंगा और फिर संदीप आपको यहीं से ले जाकर हॉस्टल छोड़ देगा.
और फिर मुझे साथ चलने को कहा.
मैं चुपचाप गाड़ी में बैठ गई और संदीप का दोस्त, जिसका नाम अंशुल था, आगे की सीट पर ड्राइवर के साथ बैठ गया.
रास्ते में अंशुल ने मुझे कहा- तुम बहुत प्यारी हो और तुम्हें मैं संजय सर के पास छोड़ के आने वाला हूँ.
रास्ते में उसने मुझे अपने संजय सर के बारे में बताया.
अंशुल ने बताया- संजय सर करीब 34 साल के हैं और बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं, भारत में उनके कई बिजनेस हैं..
और सब कुछ बताया.
अंशुल ने यह भी बताया- संजय सर की कभी शादी नहीं हुई है, एक बार शादी तय हुई थी पर जिस लड़की से उनकी शादी तय हुई थी, वो लड़की मंडप से अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई थी और उसके बाद संजय सर ने कभी शादी नहीं की और अपने काम में लग गये.
करीब 45 मिनट में हम संजय सर के घर पहुंच गये. उसे घर कहना शायद ठीक नहीं होगा, वो एक महल से काम नहीं था, घर के गेट पर ही 2 गार्ड खड़े थे.
गाड़ी अंदर गई, ड्राइवर ने घर के दरवाजे पर कार रोक दी. मैं और अंशुल गाड़ी से उतर के अंदर गये तो देखा एक बहुत बड़ा हॉल था जिसमें सोफे पर कोई आदमी बैठा था. देखने में तो 34 की उमर का संजय नहीं लगा तो मुझे लगा कोई होगा… यह संजय का छोटा भाई हो सकता है. उसका शरीर जिम जाने वाले लड़कों की तरह तना हुआ था और हाइट उसकी 5 फुट 11 इंच होगी.
हम जैसे ही थोड़ा करीब पहुंचे तो अंशुल ने बताया- ये ही संजय सर हैं!
और फिर मुझे इंट्रोड्यूस करवाया.
मैंने घबराते हुए अपने काँपते हाथ से उनसे हाथ मिलाया.
उन्होंने हमें बैठने को कहा.
तभी अंशुल ने कहा- चलो, मैं चलता हूँ कल दस बजे तक आ जाऊँगा आपको लेने!
यह बोल कर अंशुल चला गया और संजय अंदर कहीं चले गये.
थोड़ी देर बाड 2 चाईनीज या पहाड़ी सी दिखने वाली लड़कियाँ आई और मुझे कहा- चलो हमारे साथ!
और एक कमरे में ले गई, वो कमरा वैसा था जैसा मॉडेल्स या हीरो हेरोइन के तैयार होने के लिए होता है.
उन्होंने ने मुझे कहा- हम तुम्हें यहाँ दुल्हन की तरह तैयार करेंगे क्योंकि संजय सर तुम्हें अपनी दुल्हन की तरह देखना चाहते हैं.
मैं समझ गई कि आज मेरी बिना शादी के सुहागरात मनेगी. मैं बहुत घबराई हुई थी.
उन्होंने मुझे एक कुर्सी पर बैठा दिया और फिर मेरी टीशर्ट और जीन्स उतार कर बैठने को कहा.
मैं बोली- मुझे बहुत शर्म आएगी आप दोनों के सामने!
तब उन्होंने समझाया कि वो भी लड़कियाँ ही हैं और शरमाने की कोई बात नहीं है.
मैंने उनकी बात मान ली और अपने कपड़े उतार दिए.
फिर उन्होंने मेरे वक्ष का साइज़ चेक किया और मेरे साइज़ से 1 नंबर छोटी ब्रा और पेंटी के 4-5 सेट मंगवा लिए. फिर वो दोनों मेरे हाथों पैरों की वैक्सिंग करने लगी.
उसके बाद उन्होंने मेरे हाथों पैरों पर मेहंदी लगाई.
फिर उन्होंने मेरा फेशियल किया और नहलाया और पूरा अच्छे से तैयार कर दिया. उन्होंने मेरी बुर पर से भी बाल पूरी तरह साफ कर दिए थे.
फिर उन्होंने मुझे एक डार्क ब्लू कलर की ब्रा और पेंटी पहना दी जो थोड़ी टाइट थी और मेरे शरीर को और उभार रही थी. मुझे जो पेंटी पहनाई थी वो भी डार्क ब्लू की थी जिसके आगे थोड़ा सा जाली वाला डिज़ाइन था.
मुझे एक लहंगा पहनाया गया और हाथ में कुछ चूड़ियाँ और दुल्हन वाला चूड़ा पहनाया और पैरों में पायल पहनाई. यहाँ तक कि उन्होंने मुझे गले में एक मंगल सूत्र पहनने को भी दिया.
मुझे पूरी तरह दुल्हन की तरह सज़ा दिया गया.
मैंने जब खड़े होकर खुद को शीशे में देखा तो खुद को एक बार यकीन नहीं हुआ कि मैं इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी.
फिर मुझे वो लोग एक कमरे में ले गये. कमरे में जाते ही मैंने देखा कि कमरे में बेड को फूलों से सजाया हुया था. मुझे उस बेड पर बैठा कर वो दोनों वहाँ से चली गई.
मैं बहुत डर रही थी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला था. हालांकि मुझे पता था कि आज मेरे साथ क्या होने वाला है.
करीब 15 मिनट में संजय कमरे में आए, दरवाज़ा बंद कर दिया और ए.सी. का टेंपरेचर 16 पर कर दिया. वो मेरे करीब आकर बैठ गये और फिर मेरा हाथ पकड़ कर कहा- आज रात तुम मेरी पत्नी हो, मुझे अपने पति की तरह प्यार करना है तुम्हें आज!
मैंने नज़रें नीचे झुका ली…
उन्होंने मुझे गले से लगाया और बेड पर लिटा दिया और वो भी मेरे पास ही लेट गये और मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैं बहुत घबरा रही थी. उन्होंने फिर मेरे माथे पर किस किया, फिर मेरी आँखों पर और फिर मेरे गाल पर!
जैसे ही वो मेरे लिप्स पर किस करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.
कहानी जारी रहेगी..........
दोस्तो, मेरा नाम रणवीर है, मैं Antarvasna Stories अबोहर(पंजाब) शहर का निवासी हूँ। मैं आज पहली बार अपनी सच्ची कहानी आपके सामने पेश कर रहा हूँ। यह कहानी मेरी गर्लफ्रेंड दीपिका और मेरी है। आपका समय बर्बाद न करते हुए मैं कहानी शुरू करता हूँ।
मैं और मेरी गर्लफ्रेंड दीपिका एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। हमारी फ्रेंडशिप फ़ोन के जरिये हुई थी। एक महीने तक हमने एक दूसरे को देखे बिना केवल फ़ोन पर ही बात की। आखिर एक दिन हमारे मिलने का समय आ गया, मैंने उसे एक होटल में बुलाया।
वो देखने में इतनी सुन्दर नहीं थी। उसका रंग सांवला था लेकिन उसका फिगर “32-24-36” था। क्या मस्त लग रही थी वो ! उसके स्तन बड़े मस्त लग रहे थे। होटल में हम कुछ देर बैठे और मैंने उसे पहली बार चूम लिया, मैं 15 मिनट तक चूमता रहा और उसके वक्ष भी दबाता रहा। पहली बार मिलने पर तो सिर्फ उसने चूमने ही दिया लेकिन सेक्स के मामले में वो पूरी कठोर थी। कहती थी कि सेक्स तो हम शादी के बाद ही करेंगे !
फिर वो मेरे साथ ही पढ़ने लगी। हम इकट्ठे पढ़ाई के लिए जाने लगे। धीरे-धीरे मेरा उसके घर आना-जाना हो गया। उसके घर में केवल उसकी माँ रहती थी, उसके बाप का देहांत हो चुका था। उसके घर पर मैंने उसे बहुत बार चूमा, थोड़े दिनों के बाद मैं उसके स्तनों पर भी रोज़ किस करने लगा। मैं ही उसे पढ़ाई के लिए उसके घर से लेकर जाता और छोड़ने भी मैं आता। इसलिए मुझे मौका मिल जाता उसे किस करने का।
फिर एक दिन दोपहर का वक़्त था उसने मुझे फ़ोन किया कि रणवीर, मेरे घर पर कोई नहीं है, तुम पढ़ाई करने के बहाने मेरे घर आ जाओ।
मैं कुछ किताबें लेकर उसके घर पहुँच गया ताकि उसके आस-पड़ोस वालों को शक न हो। वो अपने कमरे मैं बैठी थी और उसने लोअर और टीशर्ट पहन रखी थी। बड़ी कयामत दिख रही थी वो ! फिर मैं उसके करीब गया और उसे चूमने लगा और तक़रीबन बीस मिनट तक मैंने उसे किस किया और उसकी चूचियाँ दबाता रहा। वो पूरी तरह गर्म हो गई थी और मुझसे पूरी तरह चिपक गई।
फिर मैंने मौका देखकर उसका लोअर नीचे कर दिया। उसने अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी। फिर अचानक उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और थोड़ा सा नाराज़ हो गई और कहने लगी- शादी से पहले यह ठीक नहीं !
और मैं चला आया वहाँ से।
मैं हर वक़्त उसे चोदने के सपने देखने लगा लेकिन वो तो साली मान ही नहीं रही थी। हमारे परीक्षाएं शुरू होने वाली थी, हमारी दोस्ती को छः महीने से ऊपर हो चुके थे लेकिन मैं अभी तक पूरी तरह चूत भी नहीं देख पाया था। लेकिन वो कहते है ना कि सब्र का फल मीठा होता है।
एक रात के 11 बज रहे थे और हम फ़ोन पर बात कर रहे थे तो मैंने उसे बातों बातों में कहा- दीपिका, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ !
और वो भी झट से मान गई और कहने लगी- कोई जगह है क्या ?
तो मैंने कहा- हाँ ! मेरे एक दोस्त का कमरा है, वहाँ चलेंगे !
तो उसने कहा- ठीक है ! कल मैं सुबह 11 बजे पढ़ाई के बहाने घर से निकलूंगी और मुझे बता देना कि कहाँ आना है ! लेकिन कंडोम जरुर लेते आना !
मैंने सोचा कि कहीं वो मजाक कर रही है और नहीं आएगी !
लेकिन अगले दिन 11 बजे उसका फ़ोन आया और वो बोली- रणवीर, मैं घर से चल रही हूँ ! बोलो, कहाँ आना है ?
तो उस वक़्त मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं क्योंकि इससे पहले मैंने कभी किसी को नहीं चोदा था।
वो सही 11-30 बजे मेरे बताये हुए दोस्त के घर पर पहुंच गई। मैं और दीपिका कमरे में चले गए।
सबसे पहले तो मैंने उसे किस किया, वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर धीरे-धीरे मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और थोड़ा शरमा भी रही थी। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और केवल अण्डरवीयर में खड़ा था। फिर मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसके स्तन चूसने शुरू किये। वो धीरे-धीरे गरम हो रही थी। उसके बाद मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी। उसके बाद मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, कितनी मस्त चूत थी उसकी गुलाबी रंग की ! हाय !
फिर मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ लगाई तो उसने बड़ी जोर से सिसकारी भरी। मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से रगड़ता रहा। उसकी चूत ने जल्द ही पानी छोड़ दिया।फिर मैंने अपना फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला तो वो देखकर डर गई और बोली- इतना मोटा मेरी छोटी सी चूत में कैसे जायेगा ? यह तो मेरी चूत फाड़ देगा ! मुझे तो बहुत डर लग रहा है !
तो मैंने उसे कहा- जान, तुम फिकर क्यों करती हो ! मैं हूँ ना ! मैं बड़े आराम से डालूँगा !
फिर मैंने कंडोम लगाया और उसकी चूत पर प्यार से अपने लंड को रगड़ने लगा। उसने अपनी आँखें बंद कर ली, सिसकारियाँ भरने लगी और कहने लगी- अब नहीं रहा जाता ! चोद दो जल्दी से मुझे। मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में अपना लंड डालना शुरू किया। उसकी चूत की सील अभी टूटी नहीं थी इसलिये लंड अंदर घुस नहीं रहा था। फिर मैंने थोड़ा जोर लगाया और सुपारे को अन्दर करते ही उसने जोर से चीख मारी और कहने लगी- रणवीर, अपना लंड बाहर निकालो !बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किये और थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई। उसके बाद मैंने दुबारा जोर लगाया तो आधा लंड उसकी चूत में चला गया इस बार तो वो मुझे धकेलने लगी लेकिन मेरे होंठ उसके होंठों पर थे इसलिए वो चिल्ला नहीं पाई लेकिन वो मुझे धकेलने की नाकाम कोशिश करती रही।
उसके बाद उसके दोबारा शांत होने पर मैंने फिर जोर लगाया और इस बार पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। इस बार तो जैसे उसकी जान ही निकल गई हो और वो रोने लगी लेकिन मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा- जान रोओ मत ! बस अब दर्द नहीं होगा।
मैं उसे किस करता रहा, थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई और मैं भी अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी अच्छा लगने लगा था लेकिन थोड़ा दर्द तो उसे अब भी हो रहा था। फिर मैंने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और उसने कस के मुझे पकड़ लिया। मैं भी उसके झड़ने के 5 मिनट बाद झड़ गया और तक़रीबन 15 मिनट हम एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहे।
फिर उस दिन मैंने उसे तीन बार चोदा और फिर अंत में हमने एक दूसरे को चूमा और अपने घर आ गए।
उसके बाद मैंने उसे चार बार चोदा। फिर किसी कारण हमारी दोस्ती टूट गई। लेकिन आज भी जब वो मुझे कहीं देखती है तो मुझसे नज़रें नहीं मिला पाती। इसलिए दोस्तो मैं आपको एक हिदायत देता हूँ कि कभी किसी लड़की पर विश्वास मत करो। अगर हम उसे नहीं चोदेंगे तो वो हमें हमेशा धोखा ही देगी। इसलिए जब भी अपनी गर्लफ्रेंड को चोदने का मौका मिले तो उसे गंवाना मत।
और पंजाबी में एक कहावत भी है “सप्प ते फुदी जिथे मिले, मार देओ !”
दोस्तो अन्तर्वासना में मेरी इस कहानी को पढ़ने के बाद मुझे मेल अवश्य करें। Antarvasna Stories
पहली बार सम्भोग Antarvasna यानि सेक्स करते वक़्त डर लगना स्वाभाविक है। आखिर उन खूबसूरत पलों को कौन यादगार नहीं बनाना चाहता।
लेकिन अगर ज़रा सी भी चूक हो जाए तो ये खूबसूरत लम्हे ज़िन्दगी के सबसे डरावने अनुभवों में से एक बन जाते हैं। लेकिन अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए, तो फर्स्ट टाइम सेक्स को बेहद खुशगवार यादगार बना सकते हैं।
सबसे पहले सुरक्षा- ज़्यादातर लोग अपने पहले सम्भोग को लेकर काफी भावुक और अधीर होते हैं। अधीर होना जायज़ भी है। लेकिन दो पल की खुशी के लिए सुरक्षा से समझौता न करें।
यौन सम्बन्धी रोगों और अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कॉन्डम का इस्तेमाल ज़रूर करें। अपने लिए एक भरोसेमंद साथी चुनें जो आपकी कद्र करता हो। मस्ती के लिए सेक्स करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ज़्यादा उम्मीदें न रखें- हर कोई सोचता है कि उनका पहली बार एक जादुई और यादगार अनुभव हो। लेकिन ऐसा होगा ही, यह ज़रूरी नहीं है। अच्छे से सेक्स करना एक कला है, जो वक़्त के साथ आती है। ज़्यादा उम्मीदें रखने से आपको ही निराशा होगी।
फोरप्ले यानि सेक्स पूर्व क्रीड़ा करना न भूलें- चाहे कितने ही उत्सुक और उत्तेजित क्यों न हों- सीधा वहाँ’ पहुँचने से बचें। समय लें और अपने साथी को भी मुख्य कार्य के लिए गर्म होने, तैयार होने का वक़्त दें। पहली बार में आप जितना ज़्यादा फोरप्ले करेंगे उतना ही अच्छा रहेगा।
सम्भोग से पहले पूरी तरह उत्तेजित हों- इंटरकोर्स तक पहुँचने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आप पूरी तरह उत्तेजित हैं। वरना पहली बार सेक्स में आपको काफी दर्द होगा। लड़की की झिल्ली फ़टने पर और लड़के के लिंग के तन्तु कटने पर दर्द अवश्यभावी है।
यह न सोचें कि वो अनुभवी है- अधिकतर मामलों में, पुरुषों को यह दिखावा करने में बहुत मज़ा आता है कि वे सेक्स के एक्सपर्ट हैं। ऐसा शायद इसलिए कि वह अपनी साथी के सामने अपना भय और अनुभवहीनता व्यक्त करने से डरते हैं। इसलिए, कभी भी यह मान कर न चलें कि वो इसके एक्सपर्ट हैं। अपनी अन्तर्वासना यानि सेक्ष की इच्छा को भी अपने साथी के सामने रखें और कोशिश करें कि हमेशा वो ही लीडिंग न हों।
झूठ न बोलें- कई लोग सिर्फ इसलिए कह देते हैं कि वो संतुष्ट हैं ताकि उनके सहभागी को बुरा न लगे। ऐसा करने से आप असंतुष्ट ही रह जाएँगे और आपका रिश्ता खतरे में पड़ सकता है, इसलिए सच बोलें। और पहली बार सेक्स करने जा रहे लोग तो कतई झूठ का सहारा न लें।
चरमोत्कर्ष परम आनन्द चरमसीमा पर पहुँचने की आशा न रखें- हालांकि चरमोत्कर्ष से काफी सुख मिलता है, लेकिन बिना उसके भी आप सेक्स को इंजॉय कर सकते हैं। पहली बार इसकी आशा न रखें। अगर होता है तो बहुत अच्छा और नहीं होता तो कोई बात नहीं। बस अपने अनुभव का आनंद लें।
दर्द ज़्यादा देने का मतलब प्यार नहीं? जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। पहली बार सेक्स करने में थोड़ा ज़्यादा दर्द ज़रूर होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अच्छे प्रेमी नहीं हैं। लेकिन अगर आपको दर्द हो तो उसे ज़रूर बताएँ। अगर आपका साथी संवेदनशील हैं तो वह इसे ज़रूर समझेगा और इस बात का ख़्याल रखेगा। Antarvasna
क्या करूँ दोस्तो ! मेरे में सेक्स कूट कूट Sex Stories के भरा है, यह दो इंच की गहराई दो चिकनी जांघों के बीच भगवान ने दी है, यह औरत को पागल बना देती है। इसकी आग ऐसी है कि बुझती ही नहीं, बढ़ती जाती है।
शादी से पहले अपनी माँ और बहन को देख कम उम्र में लगी यह आग बुझवाने के लिए कई लड़को से संबंध बना लिए- कालू, जग्गा, सोनू, राजू के इलावा भी कुछ लड़को से मैंने खूब चुदवाया। शादी के कुछ घंटे पहले आखरी बार अपने आशिकों को खुश किया, फिर सुहाग सेज पे नंदोई जी के साथ गुलछर्रे उड़ाये।
शादी के ठीक ३ दिन बाद फेरा डालने में मायके गई, वहाँ अपने आशिकों से खुद को मिलने से फिर न रोक पाई मौका देख कालू, सोनू, जग्गा, राजू जैसे हटे कटे मर्दों से फिर चुदवा लिया।
उसके बाद जिन्दगी आगे बढ़ने लगी, पति मुझे ठंडी ना कर पाता, नंदोई जी वापिस अमरीका चले गए। घर में मेरे अलावा मेरी सासू माँ, ससुर जी और एक ननद। घर बहुत बड़ा था, इसलिए बिलकुल सामने वाला हिस्सा जिसका गेट भी अलग था, किराये पे दिया हुआ था। पति सुबह दूकान पर चले जाते, ससुर जी भी !
किराए वाले हिस्से में चार लड़के रहते थे, सभी के सभी एक से बढ़कर एक। मैं उनकी तरफ़ कभी न गई थी लेकिन वो कोई चीज़ लेने का बहाना कर सासू माँ के पास आते, मुझे देख मुस्करा देते। पति से शांत ना होने की वजह और मेरा चुदासापन सर चढ़ बोलने लगा। अब मैं भी उनको देखने का मौका ढूंढती !
रहती सर्दी के दिन थे, वो लड़के काफी समय से किराये पर रहते थे तो सासू माँ उनको अपने बच्चों सा ही समझती थी, सुबह की चाय अपने घर से भिजवाती थी। अब मैं चाय देने के लिए जाती।
उनमें से बबलू नाम के लड़के की नज़र मेरे ऊपर थी, चाय पकड़ते हुए वो मेरे हाथों को छूता। मैंने भी अब उससे चुदने की सोची। अब चाय हाथ में देने की बजाय मेज़ पर रखते हुए झुकती और उनको सुबह सुबह ही अपनी छातियों के दर्शन करवाती, बाल सुखाने छत पर जाती, उनको निहारती रहती, कसी हुई ब्रा पहनती, पीछे से और आगे से भी गहरे गले के कमीज़ पहनती, ताकि उनको अधिक से अधिक जिस्म दिखाऊं।
बबलू को मैंने बस में कर लिया, आग बराबर लगी थी लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। तभी एक दिन फ़ोन आया कि मेरी मासी-सास गुज़र गईं हैं, सभी वहाँ के लिए निकलने की तैयारी में थे, में भी !
लेकिन लाल चूड़ा अभी मेरी बाँहों में देख सासू माँ ने मुझे रुकने को कह दिया। मेरी ननद तैयार होकर कॉलेज चली गई।
मैंने झट से कमीज़ के नीचे पहनी हुई अंडर-शर्ट उतार दी, कमीज़ पारदर्शी था, नीचे मैंने सिर्फ ब्रा पहनी थी, वो भी ऐसी जो अब मुझे तंग हो गई थी। कसाव की वजह से काली ब्रा में से मेरे दूधिया रंग के स्तन निकल निकल पड़ रहे थे। पारदर्शी सलवार के नीचे एक ऐसी पैंटी थी जो मुश्किल से मेरी चूत को छुपा रही थी, पीछे से गांड के चीर में फंसी पड़ी थी, पूरा पटाका बन मैं चाय लेकर उनके कमरे में चली गई।
मुझे देख बबलू की आंखें फटी रह गई- भाभी आप ! आओ आओ ! आज अपनी चाय भी हमारे साथ पी लो !
मैं बैठ गई उनके सामने !
बबलू ने मुझे घूरते हुए कहा- आज क़यामत लग रही हो, एक कमसिन हसीना !
बबलू ! आप चाय में ध्यान दो, नहीं तो ऊपर गिर जायेगी !
तुम हो ना साफ़ करने के लिए ! इसी बहाने मेरे पास तो आओगी !
मैं वैसे ही आ जाती हूँ बबलू ! कह मैं उसकी रजाई में घुस गई उसके साथ सट कर बैठ गई, अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया, सामने टी.वी देखते हुए मैंने हाथ आगे बढ़ा दिया, उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखते हुए मेरी चूंची दबा दी।
उईईईईई ईईईईई की आवाज मेरे मुँह से निकल गई। तभी पास में बैठे पिंटू को भी उसकी शरारत का पता चल गया। उसी वक्त बबलू ने मुझे दबोच लिया और तीन-चार चुम्बन मेरे गाल पर जड़ दिये। शर्म एक तरफ कर मैं पिंटू के सामने ही बबलू से लिपट गई। बबलू ने मेरी कमीज़ उतार दी और मेरे भारी मम्मों को दबा दबा के चूसने लगा।
पिंटू ने मौका देख मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार खींच के उतारते हुए मेरी जाँघों पर हाथ फेरते हुए उनको चूमना सहलाना शुरू किया और बोला- भाभी बहुत तड़फ़े हैं आप के लिए !
हाय राजा ! जवानी तो मेरी तुम सबको देख अंगड़ाई लेती है !
देखते ही हम तीनो नंगे एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे। मैंने दोनों के मोटे लंड हाथ में ले बारी बारी चूसने शुरू किए- हाय कितने मोटे लंड हैं !
खाओ भाभी जान !
तभी रवि और मुकुल बाज़ार से ब्रेड और अंडे ले कर आ गए। उनको देख मैं रजाई में घुस गई।
हाय भाभी ! क्या हुआ? इनसे ज्यादा मैं आपको चाहता हूँ ! मुकुल बोला- अपनी कसम ! मैं किसी दिन सबके सामने आपको पकड़ लेता !
जब मैंने रजाई से मुँह बाहर निकाला तो मुकुल नंगा खड़ा अपना लंड सहला रहा था। रवि कॉलेज चला गया। तभी बबलू ने मेरी टाँगे खोल, बीच में बैठ लंड अन्दर डाल दिया।
हाय पूरा डाल के चोद ! क्या लंड है !
ले साली ! बहुत तड़पाया है तूने !
मुकुल तो मेरे मम्मे चूसने में मस्त था।
हाय भाभी !
यह दूध के बड़े बड़े बर्तन खाली कर ले राजा !
पिंटू लंड मेरे मुंह के पास रख चुसवाने लगा। तभी बबलू तेज़ हो गया- हाय भाभी ! मैं छुटने वाला हूँ ! वो तेज़ तेज़ धक्के देने लगा, ओह भाभी ! क्या करू ! बहुत गर्मी है अन्दर !
डाल दे न अन्दर ही ! मुझे माँ बना दे ! मेरा पति निक्कमा है !
तभी मुकुल मम्मा मुँह से निकाल कर बोला- साली बच्चा मैं दूंगा तुझे !
तभी बबल ने लंड खींच लिया और सारा माल मेरे मुँह में निकाल दिया। मैंने चाट के एक एक कतरा साफ़ कर डाला। वो भी तैयार होने भाग गया।
अब पिंटू ने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला, बीच में आते हुए बोला- भाभी मेरे लंड पर अपनी चूत रख इस पर बैठ जाओ !
उसको सीधा लिटा, मैंने अपनी गांड में खुद गीली ऊँगली डाल चिकनी कर उसके लंड को अपनी गाण्ड में टिकाते हुए नीचे बैठी, उसका लंड मेरी गांड में घुसता चला गया। सारा लंड मेरी गांड में समां गया।
वाह भाभी ! वाह ! धन्य हो गया आज !
मैं जोर जोर से उछलने लगी।
मुकुल सबमें से जानदार मर्द निकला, वो बोला- एक साथ दो डलवाओ रानी ! फ़िर देखना स्वाद !
उसने आगे से आते हुए अपना आठ इंच से भी ज्यादा लम्बा लण्ड एक साथ मेरी चूत में डाल दिया।
कुछ देर में पिंटू अपना पानी मेरी गांड में छोड़ हांफने लगा और लुढ़क गया।
वो भी गया !
मुकुल मुझे घोड़ी बना के चोदने लगा- हाय रानी ! सारा दिन चोदूंगा !
सच में ? हाय !
तेज़ तेज़ धक्के बजने लगे।
उईईइ अह्ह्ह फाड़ डाल इसको !
ले साली खा ! इसको ले ले !
उसने मुझे भरपूर सुख देना चालू किया।
एक सम्पूर्ण मर्द था वो ! वो हर ढंग जानता था औरत को भोगने का !
जब उसको लगता कि झड़ने वाला है तो वो रुक के चुम्मा चाटी वगैरा करता !
उसने मुझे खड़ा कर लिया और बोला- दीवार को थाम के गांड पीछे की ओर झुका के घोड़ी बन जाओ !
वो खड़ा होकर पीछे से मेरी चूत मारने लगा।
कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटा कर मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख कर अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया- लो भाभी लो !
लंड डाल कर फाड़ डाल मुकुल इस राण्ड की चूत ! मुझे बच्चा दे दे ! सासू माँ के ताने ख़त्म कर दे ! उनको क्या पता उनके बेटे में ही दम नहीं !
लो भाभी लो ! आज सारा दिन ठोक-ठोक के आपकी बच्चेदानी का मुंह खोल दूंगा !
लो सम्भालो ! लो ! कह उसने फिर डाल दिया और ओह्ह्ह्ह भाभी तुम माल हो साली ! तेरी कच्छी चुरा चुरा महक ले ले मुठ मारता रहा !
तेज तेज धक्के लगा उसने अपना गाढ़ा माल मेरे अन्दर डाल मुझे कस लिया। मैंने भी सांस खीच उसके लंड को भींचते हुए सारा माल अपने अन्दर निचोड़ लिया। मुझे घर का ख्याल न रहा और सारा दिन मुकुल से जिस्म का खेल खेलती रही।
कब ननद कॉलेज से आई, रवि, बबलू सब आ गए। तब तक वो तीन बार मुझे चोद चुका था। बबलू भी आते फिर लग गया।
मुझे ढूंढते हुए ननद वहां आई, उन चालाक लड़कों ने जानबूझ के दरवाज़ा खुला रखा था। ननद अन्दर आई तो मुझे चुदते देख उसका मुंह खुला रह गया।
बोली- भाभी? यह? ओह नो ! तुम पीछे से यह गुल खिलाती हो? सोचा भी नहीं था। सब भाई से कह दूंगी !
इससे पहले वो मुड़ती बबलू ने उसको खींच बाँहों में ले लिया- ललिता ! मेरी लाडो ! कह देना !
रवि ने उसको पीछे से बाँहों में कसते हुए उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए तो वो पलट कर उसके साथ चिपकते हुए हंसने लगी, बोली- मुझे मालूम है भाभी ! भाई तुम्हें खुश नहीं कर पाते ! बबलू और मुझे चोदने में लगे रहे पिंटू और रवि ने ललिता को चोदा। शाम के ७ बजे तक हम सभी नंगे चुदाई का खेल खेलते रहे।
उस दिन के बाद मैं और ललिता मौका देख उनको बुला लेते या उनके पास चले जाते। अब चार लंड घर में थे, मायके जा कर कालू, यहाँ मुकुल, बबलू, रवि और पिंटू !
मेरी कोख भी हरी हो गई, मैं मुकुल के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ क्यूंकि उसने किसी और को अपना पानी मेरे अन्दर डालने से मना किया था, या निरोध लगाते या बाहर निकाल लेते !
सासू माँ बहुत खुश है ! पति सोचता है कि शायद पाँच-सात मिनट की ठुकाई से उसने मुझे गर्भवती किया है।
पंगा तब पड़ा जब ललिता का गर्भ ठहर गया।
सबने मिलकर एक नर्स को पॉँच हज़ार रुपये दे उसका पेट साफ़ करवाया।
समय ज्यादा होने से इतने पैसे लगे इस तरह मैंने चार और लोगों के साथ संबंध बना लिए।
उसके बाद क्या क्या हुआ सब बताऊँगी अगली बार !
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