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Massage Girl in Umaria: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Umaria who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Umaria that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Umaria massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Umaria who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Umaria massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Umaria massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Umaria who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Umaria employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Umaria helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Umaria

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Umaria at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

अगले दिन से मैं Antarvasna अलग कमरे में सोने लगी। भाभी अब भैया के साथ सो रही थीं। मुझे घर में रहते हुए बीस दिन से ज्यादा हो गए थे। भाभी अब मुझसे थोड़ा चिढ़ने लगी थीं।

एक दिन मैं बाज़ार घूमने गई। मुझे बाज़ार में मेरी पुरानी सहेली उमा मिल गई, वो मुझसे बोली कि उसके पति बाहर गए हुए हैं और मुझे अपने साथ रहने को कहा।

उमा मेरी अच्छी दोस्त थी। मेरी दोस्त होने के कारण उसकी भाभी से भी दोस्ती थी लेकिन वो बदमाश टाइप लड़की थी और पैसे के लिए बहुत लालची थी, शादी से पहले वो मेरे साथ हॉस्टल में रहती थी तो उसकी एक कॉल गर्ल के दलाल से दोस्ती थी और महीने में एक दो बार उमा पंच-तारा होटल में चुदने जाती थी। मुझे वो बताती थी कि उसके एक रात के दस हज़ार लगते हैं जिसमें से पाँच उसको मिल जाते थे और ग्राहक टिप अलग से देता था। मुझे भी उसने चुदने के लिए कई बार कहा, लेकिन मैं कभी चुदने नहीं गई। बाद में उमा की शादी एक कम्पनी के मैनेजर से हो गई।

मुझे घर में रहते हुए 20-22 दिन हो गए थे, भाभी मुझसे चिढ़ने सी लगी थीं। मैंने सोचा की दो दिन बाद मैं उमा के पास जाकर रह लूंगी। मेरी मौसी दो दिन के लिए आ रही थीं।

मैंने उमा से कहा- मैं दो दिन बाद तेरे साथ आकर रहूंगी।

अगले दिन मेरी मौसी आ गईं पूरा दिन गपशप में चला गया। रात में मुझे भाभी के कमरे में सोना पड़ा। मैं भाभी के कमरे में भाभी के साथ सोई। आदमी लोग अलग कमरे में सोये। मौसी और माँ एक अलग कमरे में सोई थीं। अगले दिन भैया को सुबह टूर पर जाना था, भाभी भन्ना सी रही थीं क्योंकि आज उन्हें बिना चुदे सोना था। मुझसे एक दो बार बोली भी थीं कि तू बिना चुदे कैसे रह लेती है? मेरी तो चूत एक दिन न चुदे तो खुजियाने लगती है। रात बारह बजे भाभी मुझसे बोली- प्यारी ननद जी, आप एक घंटा छत पर टहल आओ, तब तक मैं इनसे से चुदवा लेती हूँ! फिर तो यह 5 दिन बाद वापस आयेंगे।

मुझे पहले से ही नींद नहीं आ रही थी, मैं बाहर छत पर टहलने चली गई। मौका देखकर भाभी ने भैया को अंदर बुला लिया और अपनी चूत की सेवा करवाने लगीं।

थोड़ी देर बाद मैंने सीढ़ियों के पास मौसी और मौसा को कुछ फुसफुसाते देखा। मैं चुप हो कर बातें सुनने लगी। मौसी मौसा का लंड पैंट से निकाल कर पकड़े हुए थीं और कह रही थीं- कुत्ते, तेरा घोड़ा तो बड़ा टनटना रहा है लेकिन चूत में घुसते ही पिचक जाता है। एक जमाना था कि एक एक घंटे तक मेरी सुरंग में हल्ला मचाता रहता था।

मौसी की दोनों चूचियाँ खुली हुई थीं और पपीते की तरह लटक रही थीं। मौसा मौसी की चूचियाँ मसल रहे थे, मौसी के चूचुक पर चुटकी काटते हुऐ मौसा बोले- कुतिया, बहुत गाली दे रही है? तेरी जवानी की आग भी तो बहुत बुझाई है इसने!

मौसी लंड को मसलते हुए बोलीं- अरे गाली क्यों दूँगी मेरे कुत्ते! तेरे शेर को तो मैं अब भी सबसे जयादा प्यार करती हूँ! इधर ला जरा एक पप्पी तो लेने दे इसकी!

इतना कह कर मौसी ने मौसा का लौड़ा मुँह में रख लिया और पूरी मस्त होकर चूसने लगी। मैं हैरान थी कि पचास साल की मौसी भी लौड़ा चूस सकती हैं। मौसी मौसा की गोदी में सर रखकर मस्ती से 5 मिनट तक लौड़ा चूसती रहीं, 55 साल के मौसा ने 55 मिनट बाद रस छोड़ दिया, मौसी उसे अपने मुँह में गटक गई।

मौसा बोले- चल भाग चलें! किसी बच्चे ने देख लिया तो क्या सोचेगा!

मैं 2-3 मिनट खड़ी यह सोचती रही कि पता नहीं लोग लौड़ा कैसे चूस लेते हैं?

अगले दिन मौसी ने मुझे अकेले में पकड़ लिया और बोली- क्यों? रात को छिप कर क्या देख रही थी? इतनी चूत में आग लग रही है तो आदमी से दूर क्यों रह रही है? घर जा और चुदवा! यह गन्दी बात होती है किसी को छिप कर देखना!

भाभी मुझसे चिढ़ी-चिढ़ी सी रह ही रही थीं, ऊपर से मौसी की बात से मेरा दिमाग ख़राब सा हो रहा था। इन सबके बाद एक असली बात यह भी थी कि मेरी चूत में खुजली भी जोरों की हो रही थी क्योंकि मेरे पति चूत तो मेरी रोज़ ही चोदा करते थे और अब भाभी मौसी की चुदाई होते देखकर मेरी चूत रोज़ पानी छोड़ रही थी। मैंने सोचा कुछ दिन उमा के पास जाकर रह आती हूँ।

उमा एक मस्त स्वभाव की लड़की थी कॉलेज के दिनों में उसने काल गर्ल बनकर, बॉय फ्रेंड बनाकर कई बार कई लोगों से अपनी चूत को चुदवाया था। मेरी रूम मेट रही थी, कई बार गर्मी में हम दोनों नंगी होकर सोती थीं इसलिए मुझमें और उसमे शर्म की कोई बात नहीं थी। मेरी उससे अच्छी दोस्ती थी। रात को नौ बजे मैं उमा के घर पहुँच गई। मुझे देखकर उमा खुश हो गई। हम दोनों ने खाना खाया, इसके बाद उमा मेरी साड़ी उतार कर बोली- चल, आज नंगे सोते हैं! तेरी सुहागरात और चुदाई की कहानी भी तो मुझे सुननी है!

चूंकि पहले भी हम नंगी होकर सो चुकी थीं इसलिए रात को हम दोनों नंगी होकर सो गईं।

उमा बोली- अब तो तेरी शर्म छुट गई होगी! तीन महीने हो गए तेरी शादी को! अब तक तो सौ से ज्यादा बार चुद चुकी होगी? बोल, चुदने में मजा आता है या नहीं?

और वो मेरा चूत के होटों से खेलने लगी। मैंने कभी खुल कर अतुल से चूत नहीं चुदवाई थी लेकिन रोज़ रात को अतुल जबरदस्ती मेरी चूत चोद देते थे। अब 20-25 दिन से मैं बाहर थी तो मुझे चूत की खुजली पता चल रही थी। मैं भी उमा की चूत खुजाने लगी। थोड़ी देर में हम दोनों गर्म थीं, उमा बोली- खुजली ज्यादा हो रही हो तो बोल! धंधे पर चलते हैं! नोट भी कमाएंगे और मौज भी लेंगे!

मैं बोली- नहीं बाबा! नहीं! मुझे तो बड़ा डर लगता है! तू क्या शादी के बाद भी धंधा करती है?

उमा बोली- भाई कभी कभी अब भी लगवा लेती हूँ! पटी जब बाहर होते हैं! एक रात के पाँच हज़ार मिल जाते हैं और मजा भी आ जाता है। लेकिन सिर्फ अपने पुराने यारों से लगवाती हूँ नहीं तो बदनाम हो जाऊँगी। मैं तो साली बदनाम हो गई थी इसलिए तो 5000 रुपए कमाने वाले से शादी हुई नहीं तो तेरी तरह सॉफ्टवेयर इंजिनियर से शादी होती! चल यह छोड़, यह बता कितना मोटा लंड है तेरे पति का? अभी नई नई शादी हुई है, 3-4 बार तो चूस ही लेती होगी एक दिन में?

मैं हूँ हाँ करती रही! मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि सब लौड़ा चूसने की बातें क्यों करती हैं!

12 बजे के करीब मैं सो गई। रात को 3 बजे के करीब उमा का मोबाइल बजा। उमा ने तुंरत काट दिया। मैं नींद में थी इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया। लेकिन दस मिनट बाद उमा उठ कर गाउन पहन कर गई तो मैं चौंक गई। दबे पाँव मैंने पीछे जाकर देखा तो मैं हैरान थी। उमा ने अपने फ्लैट का दरवाज़ा खोला, एक जवान सा लड़का अंदर आया, उमा उसे दूसरे कमरे में ले गई और बोली- राजीव जी, पहले फीस निकालिए!

राजीव ने सौ के नोटों की गद्दी उमा के हाथ में रख दी। उमा मुस्करा दी, गद्दी अलमारी में रख दी और राजीव की पैंट की चैन खोल दी। उसके बाद उसका लौड़ा निकाल कर चूसने लगी। राजीव ने अपनी पैंट उतार दी। राजीव का लौड़ा सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा होगा। पूरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था और उमा लौड़ा लप लप कर के चूस रही थी।

मैं छुप कर देखने लगी। कुछ देर में दोनों नंगे थे। राजीव उमा को पलंग पर लिटा कर उसकी चूत चूसे जा रहा था, उमा की आह ऊह ओह की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी। होती भी क्यों नहीं! आज मुझे चुदे हुए पूरा एक महीना हो गया था।

उमा थोड़ी देर बाद चूत फ़ैला कर लेट गई। राजीव ने उसकी चूत में अपना सात इंच लम्बा लंड ठोंक दिया और धक्के मरना शुरू कर दिया। उमा की चुदाई शुरू हो गई थी। उमा जोर जोर से चिल्ला रही थी- उई! बड़ा मजा आ रहा है! और जोर से पेल कुत्ते! क्या चोदता है! क्या मस्त लंड है! महीने में एक बार तो आ जाया कर! अगली बार से 10% छूट दूँगी साले! हरामी क्या मस्त बजाता है! और जोर से पेल कुत्ते!

राजीव ने 15 मिनट तक उमा की चूत बजाई। उसके बाद उसका लंड खाली हो गया और उसने लंड बाहर खींच लिया। उमा की चूत की प्यास शांत नहीं हुई थी, उसने राजीव को जबरदस्ती अपनी तरफ खींच कर एक बार दुबारा उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी। मैं तो हैरान थी कि भाभी, मौसी उमा सब लंड चूसने में होशियार हैं और मैं लण्ड चूसने को लेकर लड़ कर आ गई। मेरे मन में एक बार लण्ड चूसने का ख्याल आया लेकिन अपने अहं के कारण मैं लंड नहीं चूसना चाहती थी और अतुल के पास वापस नहीं जाना चाहती थी।

मेरी बुर उमा की चुदाई देखकर बुरी तरह गरम हो गई थी। मैं वापस आकर लेट गई कुछ देर और चुदवाने के बाद उमा भी वापस आकर सो गई।

सुबह हम दोनों 12 बजे उठे। उमा बिल्कुल तरो-ताज़ा दिख रही थी। दिन में मुझसे उमा बोली- चुदना हो तो बता दियो! मेरे यारों की संख्या अभी कम नहीं हुई है!

मैंने अनजान बन कर पूछा- उमा, शादी के बाद भी औरों से चुदवाती है क्या?

छोटी मेम आइ लव यू- Antarvasna Storiesआगे की कहानी अगले भाग में! Antarvasna

Hindi Sex Stories

मेरे पतिदेव का एक Hindi Sex Stories तथाकथित भाई जो उन दिनों मेरे परिवार का हिस्सा बना हुआ था… मेरा भी दोस्त बन गया था, बल्कि काफ़ी अन्तरंग हो गया था। उसने मुझसे एक बार सेक्स करने का वादा ले लिया था, मैंने शर्त रखी थी कि अपने शहर से बाहर ही उसके साथ सेक्स करूँगी। मैं करूँ या न करूँ का फ़ैसला नहीं कर पा रही थी। वह हमेशा मौके की तलाश में रहता, एक बार दूसरे शहर में मौका मिला भी तो मैंने खुद को बचा लिया था।

अब वह जब भी अकेले मिलता या फ़ोन पर बातें करता तो शिकायत जरूर करता कि आपने वादा करके उसे निभाया नहीं !

मैं उसे यह कह कर टालती कि मैं कोई मरी या भागी जा रही हूँ आगे और भी मौके आयेंगे। यूँ वह घर में मुझे अकेले पाकर भी कभी छेड़ता नहीं था बस मीठी-2 बातें करके मुझे पटाने की कोशिश करता और इस तरह वह मेरा विश्वास ही जीत रहा था।

उस घटना के करीब दो माह बाद मेरे पति 3-4 दिनों के लिये बाहर गये हुए थे, उस दौरान वह रोज ही मुझे अपना वादा पूरा करने की याद दिलाता। मेरे यह कहने पर कि शहर से बाहर का वादा है मेरा, तो वह कहता कि तब तो मिल चुका मुझे आपका संसर्ग……… जब भैया शहर से बाहर हैं यानि कि आपका पोल तो खुलने से रहा, और कोई समस्या तो है नहीं। चूँकि वह तकरीबन रोज ही आता था अतः पड़ोसियों को भी कोइ शक नहीं होता। अन्ततः उनके लौटने से एक दिन पहले उसके लगातार मनुहार करने पर मैं पिघल गई, और रात में देने का वादा इस शर्त पर किया कि आज के बाद वह फ़िर कभी मुझसे सम्बन्ध बनाने की कोशिश नहीं करेगा अन्यथा मैं पति को सब कुछ बता दूँगी।

उसने मुझसे वादा किया कि ऐसा ही होगा। उस शाम वह सात बजे ही आ गया और बच्चों के साथ टी वी देखता और बातें करता रहा। डिनर के बाद तीनों बच्चे मेरे बेडरूम में सो गये क्योंकि उसी में ए सी था, पति के बाहर जाने पर हम चारों उसी में सोते थे। दस बजे तक नौकर भी बालकनी में चला गया, हम दोनों बैठक में टी वी देखते बैठे रहे, मेरा तो घबराहट के कारण दिल धक-धक कर रहा था, जब नौकर भी सो गया तो उसने धीरे से दरवाजा बन्द कर दिया और बैठक के कमरे की लाइट बुझा कर मुझे पकड़ कर दीवान पर ले गया।

मैं उस दिन एक टू-पीस-नाइटी पहने थी। अंधेरे में वह मुझे बेतहाशा चूमने लगा और अपनी बाहों में लेकर दीवान पर लोट-पोट होने लगा……… वह अत्यन्त ही उत्तेजित था और मेरी भी हालत बुरी थी……… डर, घबराहट और शायद कुछ हद तक उत्तेजित भी हो चुकी थी मैं !……… शायद मानसिक रूप से मैं उसके साथ सम्भोग के लिये तैयार हो चुकी थी………

उसने ज्यादा देर न करके मेरी नाइटी और साया ऊपर करके अपने पैण्ट की जिप खोल कर अपना लिंग निकाल कर मेरी योनि में डाल ही दिया ………

मुझे तो कुछ होश ही नहीं रहा कि आगे क्या-क्या हुआ और कैसे-कैसे उसने किया………

बस इतना याद था कि उसका लिंग मेरे पति की तुलना में बहुत बड़ा और मोटा था। शायद पूरा गया भी नहीं था और मैं चिल्लाई भी थी आहिस्ता से ……… शायद मैं भी सहयोग करने लगी थी, उसका जल्दी ही पतन हो गया जिसका मुझे अन्दाज नहीं हुआ ……… फ़िर पता नहीं मैं या वह मुझे खींचकर बच्चों के खाली बेडरूम में ले गया और दरवाजा अन्दर से बन्द करके हम दोनों फ़िर गुत्थम-गुत्था हो गये………

शायद उसने अपनी पैण्ट उतार दी थी पर मैं नाइटी में ही थी, चूँकि मासिक के दिनो के अलावा मैं पैण्टी नहीं पहनती इसलिये मेरी योनि तक पहुँचने में उसे कोई रुकावट नहीं हुई। मुझे इतना ही याद है कि वह बहुत ही जोर-जोर से मुझे मुझे चोद रहा था और मस्ती में मैं उसके ऊपर चढ़ कर अपनी बुर उसके पोल जैसे लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगी थी। सचमुच मुझे भी काफ़ी अनन्द आ रहा था और उस समय कोई अपराध-बोध नहीं हो रहा था, बस एक आदिम-तृप्ति की चाह बच रही थी ………… मुझे और कुछ याद नहीं कितनी देर तक उसने मुझे किया ……… मैं स्खलित हुई या नहीं ……… वह कब स्खलित हुआ !

उसने बाद में बताया कि मेरा अत्यन्त उत्तेजित और रौद्र रूप देखकर (महसूस कर क्योंकि अंधेरा था न) वह अन्दर ही अन्दर डर गया कि मुझे कुछ हो न जाये।

अच्छा, एक बात और …… हमेशा चटर-पटर करने वाली उसकी जुबान उस सारे क्रिया-कलाप के दौरान एक बार भी नहीं खुली। बस चुपचाप वह मुझे लिये जा रहा था …… और ज्वार शान्त होने पर रात ही में बारह-एक बजे के बीच चला गया। हमारे काम्प्लेक्स में उस वक्त तक लोगों का आना जाना लगा रहता था अतः कोई बदनामी का डर नहीं था। मैं उसी कमरे में सो गई।

सुबह मेरा तेरह वर्षीय बड़ा बेटा पूछने लगा- मम्मी चाचा और आप रात में हम लोगों के कमरे में सोये थे क्या? मैं रात में पेशाब करने उठा तो आप दोनों के चप्पल दरवाजे के बाहर देखे थे?

मुझे काटो तो खून नहीं, पर मैं अपने धड़कते दिल को सामान्य रखने का यत्न करते हुए बोली- तुम्हें नींद में गलतफ़हमी हुई होगी क्योंकि चाचा तो साढ़े दस तक चले गये थे। मुझे तुम तीनों के साथ सोने में दिक्कत हो रही थी तो मैं उस कमरे में चली गई। खैर उस दिन के बाद मुझे कुछ अपराध-बोध भी हुआ और मन को तसल्ली भी देती कि अब ऐसा नहीं करूँगी, एक अनुभव ही काफ़ी है। वरना पाँव फ़िसला तो इज्जत जाते देर नहीं लगनी। Hindi Sex Stories

हाय दोस्तो! कैसे हो! Sex Stories

आप लोगों ने याद किया और मैं Sex Stories हाज़िर हो गया आप लोगों के लिए फिर से एक नया अनुभव लेकर!

दोस्तो, फिर एक नया अहसास, सेक्स से भरा, मज़े से भरा और साथ ही ढेर सारी मस्ती, जो मैंने महसूस की वही मस्ती लेकार आया हूँ आप सभी के लिए!

कसम खुदा की क्या वो हसीं सूरत थी,

चढ़ती उसके हुस्न पे जवानी की मस्ती थी,

छलक गया यौवन उसकी नज़र से वो कातिल,

कि जिसमें डूब गई मेरी जवानी की कश्ती थी!

दोस्तो, अबकी बार मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ राजस्थान घूमने गया था।
जाते वक़्त हम भरतपुर से होकर गुजरे थे तो सभी ने योजना बनाई कि भरतपुर पक्षी अभयारण्य देख कर ही आगे जायेंगे।
इसलिए हम लोगों ने टिकेट लिए और अंदर चले गए।

अभयारण्य का दायरा कई किलोमीटर में फैला हुआ था।
चलते चलते हमारा ग्रुप बिखर गया और मोबाइल से हम एक दूसरे के संपर्क में रहे।

मज़े की बात, मैं अपने ग्रुप से अकेला अलग हो गया। काफी दूर चलकर एक परिवार के कुछ लोग वहां से निकले, वो अलग साइकलों पर थे।
वहां घूमने के लिए साईकलें मिलती हैं। उन लोगों में से एक लड़की पीछे रह गई।

मैंने देखा उसकी साईकल के पैडल फ्री हो गए थे। वो थोड़ी आगे तक बढ़ी और रुक कर चेन को देखने लगी।
इतने में उसका फॅमिली परिवार आगे निकल गया।

मैं पास से गुजरा तो उसने कहा- अगर आप को बुरा न लगे तो कृपया मेरी साईकल की चेन लगा दोगे?

मैंने उसे एक नज़र भर देखा तो देखता ही रह गया! हुस्न इतना कातिल कि किसी को फनाह करने के लिए किसी और चीज़ कि जरूरत ही न पड़े!

नीली जींस उस पर लाल टॉप!

माशा अल्लाह! शरीर का हर एक अंग अलग अलग दिखाई दे रहा था। टॉप के ऊपर के खुले बटन मानो उसकी छुपती खूबसूरती को बेशर्मी से जग-जाहिर कर रहे थे। गोरे से चेहरे पर ऊपर से ढलते हुए सुनहले बाल उसके हुस्न की बिजली को मेरे अंग अंग पे गिरा रहे थे। कमर इतनी नाजुक कि अगर जोर से पकड़ लूँ तो लचक जाये, बिलकुल हल्की फुल्की! लेकिन एक उत्तम बदन की मलिका!

खैर मैंने अपनी हसरतों को काबू किया और बिना कुछ बोले उसकी चेन लगा दी हाथ चेन पर और नज़र उस हुस्न की परी पे!

और इसी गुस्ताखी में दब गई मेरी ऊँगली चेन में। ऊँगली में मामूली सी चोट लगी थी, थोड़ा सा खून निकल आया, मैंने सोचा अब फ़िल्मी स्टाइल में ये दुपट्टा फाड़ेगी और मेरी ऊँगली पर बांधेगी, लेकिन यहाँ तो सीन ही उल्टा हो गया, उंगली से खून बहता देख कर वो तो गश खाकर बेहोश हो गई। वो गिरने लगी तो मैंने सीधे ही उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

हमने तो खुदा से माँगा कि

उसके हाथों का छूना नसीब हो जाये,

हम देख लें उसे नज़र भर के,

तेरी हम पर इतनी रहामत हो जाये,

के वो बेखौफ आ गए बाँहों में मेरी,

के न अब उनसे दूर रहा जाये!

न उनको खुद से दूर किया जाये!

वो मेरी बाँहों में बेहोश थी और मैं सर से लेकर पाँव तक उसे देखे जा रहा था। दिल में डर था कि वो होश में आते ही मुझसे दूर हो जायेगी।

लेकिन मैंने उसके गालों को छुआ और उसके चेहरे को हिला कर उसे बेहोशी से जगाया। उसने आँख खोली और मेरी बाँहों में लेटी हुई एक टक मुझे देख रही थी। उसके चेहरे पर सर्दी में भी पसीना छलक आया। मैंने अपने रूमाल से उसका चेहरा साफ़ किया। उसके गोरे गालों को छूकर मेरी उँगलियाँ मदमस्त हो रही थी।

खैर वो मेरी बाँहों से अब दूर हो गई और उसने सॉरी कहा।
उसने कहा- मेरी वजह से आप को चोट लग गई!

मैंने भी बिना सोचे समझे कह दिया- अगर मुझे चोट ना लगती तो आप को बाँहों में लेने का मौका कहाँ मिलता!

वो इस बात पर नाराज़ भी हो सकती थी लेकिन वो शरमा गई और मेरी हिम्मत बढ़ गई।

तभी उसकी मम्मी का फ़ोन आ गया, उसने अपने बेहोश होने की बात छोड़ कर बाकी सब अपनी मम्मी को बता दिया।
उसने मुझसे कहा- मेरे घर वाले आगे मेरा इंतज़ार कर रहे हैं और वो आपसे भी मिलना चाहते हैं।

मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम मधु बताया।
उसने मेरा नाम पूछा, मैंने भी अपना नाम बता दिया।

उसने कहा- अपनी उंगली दिखाओ!
मैंने कहा- रहने दो तुम बेहोश हो जाओगी।
तो उसने कहा- कोई बात नहीं तुम मुझे थाम लेना!

चलते चलते हम बात करते रहे और एक दूसरे को अपने नंबर दे दिए।

कुछ दूरी पर उसके परिवार वाले मिल गए।
उसके घर वाले बिल्कुल आजाद विचारों वाले थे। उनसे बात करके मैं अपने दोस्तों के पास जाने लगा।

जाते जाते मधु ने अपना रूमाल मेरी उंगली पे लपेट दिया।
वो रूमाल मैंने अपने दोस्तों से छुपाया, कह दिया- यार मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं यही बैठता हूँ, तुम घूम आओ!

वो लोग चले गए।
मैंने मधु को फ़ोन किया और काफी देर तक उससे बात की। वो लोग भरतपुर में ही होटल पार्क में ठहरे थे।

मैंने शाम को अपने दोस्तों से कहा- यार! मेरी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए मैं आज यहीं रुकना चाहता हूँ, तुम लोग जयपुर पहुँचो, मैं कल आकर तुमको मिलूँगा।

वो लोग वहाँ से निकल गए।

अब मैंने भी जाकर होटल पार्क रेज़िडेन्सी में एक कमरा बुक कराया।
मधु और उसका परिवार पहली मंज़िल पर थे और मैं दूसरी मंज़िल पर!

मैंने मधु को इसके बारे में बताया कि मैंने भी तुम्हारे होटल में ही कमरा ले लिया है, तो यह सुन कर मधु कुछ उत्साहित सी हो गई।
मुझे लगा शायद मधु भी यही चाहती थी।

एक बार फिर हमारी मुलाकात डिनर के समय पर हुई।
अब की बार मधु ने एक जामुनी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। कसम से क्या कयामत थी वो उस वक्त!
और उस पर बैक-लैस ब्लाऊज़ उस कयामत को और भी भड़का रहा था।

भोजन के बाद उसके घर वालों ने मुझे फ़िर अपने साथ बुला लिया और हम सभी पार्क में टहलने लगे।

अब मैंने मौका देख कर टहलते टहलते मधु की नंगी कमर पर हाथ रख दिया।

चलते चलते मधु ठहर सी गई लेकिन कुछ ही पलों में मैं मधु से दूर हो गया।
फ़िर हम लोग अपने अपने कमरों में चले गए।

मैं बिस्तर पर था लेकिन कमबख्त नींद किस की सगी थी जो आ जाती।
मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन मधु की जवानी के परदे एक-एक करके मेरी आँखों पर पड़ते जा रहे थे जिन्होंने नींद को मेरी आँखों से दूर कर दिया।

रात के लगभग 11 बजे होंगे, मैंने मधु को फ़ोन किया, एक दो बार रिंग बज़ते ही उसने फ़ोन उठा लिया, ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे फ़ोन का इन्तज़ार कर रही थी।

दिन में ज्यादा घूमने के कारण उसके घर वाले थक कर सो रहे थे।
मैंने उसे अपने कमरे में बुला लिया।

मधु ने आने में जरा भी देर नहीं की।

दो तीन मिनट में वो कयामत उसी लिबास में मेरे कमरे में आ गई।
कसम से, मानो, किसी दुल्हन की तरह शरमाई सी वो बेड के पास खड़ी हो गई।

मैंने भी पहले उसका अंग अंग जी भर कर देखा फ़िर धीरे से बाहों में भर लिया। मानो कोई फ़ूल मेरी बाहों में सिमट आया हो।

मैंने उसे बिस्तर पर बैठा लिया और उसके चेहरे को साड़ी के पल्लू से ढक दिया।
उसने भी पल्लू को दुल्हन की तरह थामे रखा फिर धीरे से मैंने उस चाँद से घूँघट के बादलों को हटाया और उसके मदमाते होटों पर एक किस कर दिया तो वो एकदम ही मुझसे लिपट गई।

मैंने उसकी सांसों की गर्मी को अपने सीने पर महसूस किया।

वो बिलकुल तैयार थी, मैंने अपना हाथ धीरे धीरे उसकी साड़ी में डालना शुरू किया, वो नीचे की तरफ झुकती सी चली गई।
मैंने एक हाथ उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों पे रख दिया और उन्हें दबाने लगा।

वो टूट कर अब मेरी बाँहों में बिखरने लगी थी, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना नरम नाज़ुक शरीर मुझे सौंप दिया।

मेरा एक हाथ अब उसकी नरम, गरम और गुलाबी चूत पर पहुँच कर उसके साथ शरारत कर रहा था।
शायद वो अब सहन नहीं कर पा रही थी।

मैंने एक एक करके उसके शरीर से सारे कपडे अलग कर दिए।
अब वो गुलाब की गुलाबी कली मेरे सामने अपनी सारी पंखुडियों से बाहर आ चुकी थी।

उसके पूरे नंगे बदन को देख कर तो कोई भी अपना आप खो दे!

मैंने अपने कपड़े उतार दिए। हम दोनों एक दूसरे की बाँहों की गिरफ्त में जाने के लिए बेताब थे।

मैंने बिस्तर पर जाकर मधु को कस के अपनी बाँहों में ले लिया।
उसके जिस्म का अंग अंग सेक्स की आग में जल रहा था।
अब इस सावन को मधु के जिस्म पर बरस कर उसके जिस्म की प्यास को बुझाना था।

मैंने मधु की खामोशी तोड़ी और उससे पूछा कि क्या कभी पहले सेक्स किया है तो उसने चेहरे को हाथों से ढक लिया और इन्कार में सर हिला दिया।
यानि कि मधु बिल्कुल अनछुई थी।

अब मुझे उसके साथ थोड़ी ऐहतियात बरतनी थी क्योंकि उसकी चूत बिल्कुल कोमल थी।

मैंने ऊँगली से उसकी चूत को धीरे धीरे से सहलाया तो मधु कि सिसकियाँ सी छूटने लगी।

उस कमरे का माहौल आऽऽ आहऽहऽहऽ ऊऽउऽ उफ़ऽफ अऽअऽ आ स ओऽऽऊहऽ नऽऽनाऽ सावन करोऽ हम्मऽ … ऊऽऽऊफ ओ ओह येसऽस स से और भी सेक्सी हो गया।

मैंने उसके शरीर पर हर जगह चूमा, उस कली को हर तरफ से चूमा।

अब मैंने उसकी हालत को समझते हुए धीरे से अपना लण्ड उसकी चिकनी और मुलायम चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसके अंदर लण्ड को डालने लगा।
मधु अपने पैरों को भींचने लगी और कहा- दर्द हो रहा है!
मैंने उस से कहा- अगर टांगें भींचोगी तो दर्द होगा!

अब उसने अपने पैर खोल लिए।
मैंने एक झटके से जोर से लण्ड चूत के अंदर डाला तो मधु की चीख निकल गई और लण्ड चूत के अंदर था।

मधु बेहाल सी हो गई, मैंने उसे थोड़ा शांत किया, उसका चेहरा पसीने से भीग गया।
अब मैंने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो लण्ड पर खून लगा था, उसे देख कर मधु बोली- कुछ होगा तो नहीं?

मैंने कहा- कुछ नहीं होगा!

मैंने धीरे धीरे लण्ड को हिलाना शुरू किया तो मधु सिसकियाँ अब सेक्स की आवाजों में बदलने लगी थी और उसका चेहरे का डर एक चमक में बदल गया था।

फिर तो उल्टा मधु सेक्स करने में मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसे धीरे से चोदा, अपने लण्ड को उसकी गहराइयों तक उतारा, जितना गहरा लण्ड चूत में जाता, उतनी ही मधु मुझसे चिपक जाती और उतनी ही जोर से उसकी सिसकी आती थी।

उसके बाद तो पता नहीं हम दोनों इतना समय खींच गए कि इतने गरम होने के बावजूद हम लगभग 25 मिनट तक सेक्स करते रहे।
काफी देर बाद मैं मधु के ऊपर निढाल सा हो गया और साथ ही साथ मधु ने भी खुद को मुझसे जकड़ लिया।

अरे! यानि कि यारो उसका भी सेक्स पूरा हो गया था।

अब हम दोनों काफी देर एक दूजे पर निढाल लेटे रहे और आधे घंटे बाद दोबारा से एक बार फिर एक दूजे में समां गए।

और फिर मधु अपनी साड़ी पहन कर थके से कदमों से वहां से अपने कमरे में चली गई। खैर एक दूजे की कुछ मिठास दिल में लिए नींद के आगोश में समां गए।

अगली सुबह जब हम उठे और नाश्ते के लिए नीचे आए तो मैंने मधु की आँखों में एक अजीब सी चमक और चेहरे पर एक मुस्कान देखी।

सुबह 11 बजे तक मुझे होटल से चेक आउट करना था।
मैंने मधु को यह बताया तो वो बोलने लगी- हम शाम 4 बजे यहाँ से चेक आउट करेंगे!

सुबह मधु के घर वाले भरतपुर घुमने के लिए निकलने लगे तो मधु ने उनसे बहाना कर दिया कि उसके सर में बहुत दर्द है।
मधु की मम्मी उसके पास रुकने लगी लेकिन मधु ने कहा कि मैं थोड़ा सोना चाहती हूँ, फिर आप मेरे पास अकेली बैठी बोर हो जाओगी, इसलिए आप भी थोड़ी देर घूम आइये!

उसकी मम्मी मान गई।

अब मधु अकेली ही कमरे में थी।
कुछ देर बाद मैं मधु के कमरे में गया।

मेरे वहां जाते ही मधु भागकर मुझसे लिपट गई और नज़रें नीचे करके कहने लगी- सावन! क्या रात वाला अहसास तुम मुझे अभी करा सकते हो?
उसने मेरे दिल की बात कह दी।

फिर क्या था हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए और बेड पर बैठ गए।
मैंने मधु के तन के हर हिस्से को किस किया। जैसे मैं उसे किस करता तो मधु उतनी ही उत्तेजित होती जाती।

फिर हमने आधे घंटे तक एक दूसरे को वो अहसास कराया, जिस अहसास को आप मेरे इस अनुभव को पढ़ने के बाद करना और पाना चाहते हो।

उसके बाद मैंने मधु को कपड़े पहनाये और उसके नरम नाज़ुक होटों पे एक प्यारा सा “गुड बाय किस” किया और मैं होटल से चेक आउट कर गया।

दोस्तो, ये थे मधु के साथ बिताये कुछ हसीं पल!

आपको मेरा ये अनुभव कैसा लगा?
मुझे मेल कर के जरूर बताना! Sex Stories

Skip to content Free Hindi Sex Stories अन्तर्वासना की हॉट हिंदी सेक्स कहानियाँ ☰ श्रेणियाँ आपकी कहानी भेजिए Live Cams XXX videos 3Sex Instagram ज्वार के खेत में कुंवारी बुर को लंड से खोला by शैलेश शर्मा 31-03-2022 542,618 हरियाणा सेक्स कहानी हिंदी में पढ़ें कि लॉकडाउन में मैंने अपने पड़ोस की कुंवारी लड़की को अपनी चाची की मदद से पटा कर खेतों में बुलाकर चोद दिया. दोस्तो, मेरा नाम शैलेश है। (काल्पनिक नाम) मैं हरियाणा में रोहतक के पास एक गांव है, वहाँ का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 21 साल है और हम तीन भाई हैं जिनमें मैं सबसे बड़ा हूं। मैं देखने में ठीक ठाक हूं, मेरा कद 5’6″ है और मेरे लन्ड का साइज 6 इंच है। मुझे अन्तर्वासना बहुत पसंद है. यह हरियाणा सेक्स कहानी तब की है जब मैं अपना डिप्लोमा करके अपने गांव में 2 साल बाद वापिस आया था। मेरे पड़ोस में एक निकिता नाम की एक लड़की रहती है, वह दिखने में बहुत ही सैक्सी है। मैं कभी उस पर ध्यान नहीं देता था। वो भी कॉलेज में बी. काम की पढ़ाई करती है, उसकी उम्र 19 साल है। उसका फिगर 32-28-32 होगा क्योंकि वो कुंवारी है। उसका गोरा रंग मानो किसी को भी मोह ले। उसके घर में उसके मम्मी पापा और उसके दो बड़े भाई थे जिनमें से एक लव मैरिज करके दिल्ली में सेटल हो गया था। उसके पापा ट्रक ड्राइवर हैं तो अक्सर बाहर ही रहते हैं। घर में उसका बीच वाला भाई और उसकी मम्मी और वो ही रहते है। शुरू से हम दोनों साथ में ही खेला करते थे। 2020 मार्च में लॉकडाउन लगने के कारण वो भी घर पर ही रहने लगी। वह कई बार मेरे घर पर आती तो मुझे अजीब तरह से देखती. पर मैं उस पर ध्यान नहीं देता था। एक दिन वो मेरे घर पर आई तो उस टाइम मेरे घर पर मैं अकेला था और फोन में यूट्यूब पे वीडियो देख रहा था। उसने पूछा- शैलेश, तुम्हारी मम्मी कहाँ है? तो मैंने कहा- वो तो बाहर गई हुई हैं. अगर कुछ काम है तो बता दो, मैं बता दूंगा। वो बोली- नहीं उन्हीं से काम था। मैं बोला- ठीक है! वो बोली- फोन में क्या करता रहता है सारा दिन? मैंने कहा- कुछ नहीं. ऐसे ही मूवी देखता रहता हूं. उसने पूछा- कोई गर्लफ्रेंड बनाई बाहर जाकर? मैंने कहा- गर्लफ्रेंड कहाँ है हमारी किस्मत में! उसने बोला- हो जायेगी। यह बात उसने थोड़े अजीब ट्रिक से की. मैं समझ गया कि ये लडकी कुछ चाहती है। हमारे पड़ोस में चाची रहती है। उससे मैं बहुत खुला हुआ हूँ जिससे मैं अपने सारी बातें बताया करता था। तो एक दिन मैंने उस चाची सारी बात बताई और बोला- चाची, निकिता से मेरी सेटिंग करवा दो। पहले तो उसने मना किया। फिर मेरे बहुत कहने पर उसने हामी भर दी। उसने कहा- मैं पूछ कर बताती हूं। उस रात मुझे नींद नहीं आई क्योंकि आज तक मैंने किसी लड़की को टच नहीं किया था। 2 दिन बाद चाची घर पर आई और बोली- मैंने तेरा काम करवा दिया है. और उसने मुझे निकिता का नंबर लाकर दे दिया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। चाची ने बताया- शाम को वो कॉल करेगी। मैंने कहा- ठीक है। शाम को करीब 6 बजे उसका एक अज्ञात नंबर से मुझे फोन आया. मैंने पिक अप किया. तो वह निकिता का ही फोन था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उससे कैसे बात करूं; मेरे मन में घबराहट सी हो रही थी। फिर मैंने उससे पूछा- क्या तुम भी मेरे से बात करना चाहती थी? उसने कहा- हां, मैं तो तुम्हें बहुत दिन से लाइन दे रही थी. पर तुमने कभी नोटिस ही नहीं किया। मैंने कहा- अच्छा जी, ऐसी बात है क्या! उस दिन सिर्फ हमारी नॉर्मल बातें हुई। उसने बताया- कॉल मैं खुद करूंगी, तुम मत करना. मेरा भाई मेरा फोन चेक करता रहता है। मैंने कहा- ठीक है। फिर हमारी डेली बातें होने लगी। बीच बीच में मैं गंदी बातें भी करता था. उससे उसे भी मजा आने लगा। और कभी हम घर पर अकेले होते तो सेक्स चैट भी करते थे। वो कितनी देखने में सुंदर थी, उतनी ही ज्यादा सेक्सी बातें भी करती थी। एक दिन उसका फोन आया तो मैंने उसे एक मैंने कहा- आज तुम किसी अलग कमरे में सोना. आज रात हम वीडियो कॉल पर बात करेंगे. उसने बोला- ठीक है। फिर रात को उसकी वीडियो कॉल आई। मेरे मन में मानो खुशी की कोई हद ही नहीं थी। मैंने कुछ देर तो ऐसे ही बात की. फिर मैंने उससे पूछा- आज तक तुमने कभी सेक्स किया है? तो उसने मना कर दिया, बोली- नहीं, मैंने आज तक सेक्स नहीं किया। मैंने कहा- तुम मुझे अपनी चूची दिखा दो! पर उसने मना कर दिया. फिर मेरे 2-4 बार कहने से वो मान गई, उसने अपना शर्ट ऊपर करके मुझे चूची दिखाई। निकिता की नंगी चूची देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया. मैंने उसे अपना लन्ड दिखा दिया. मेरा खड़ा लंड देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई और बोली- हाय राम … इतना बड़ा? मैंने उससे कहा- अपनी चूत के दर्शन और करा दे! फिर उसने अपने सलवार उतार अपनी चूत दिखाई. उसकी चूत बिल्कुल गुलाबी थी और उसने अपनी झांटें कुछ दिन पहले ही काटी थी. अब मैंने कहा- अपनी चूचियों को दबाओ! वो अपने उरोज दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने लगी. कुछ देर बाद उसकी सांसें तेज होने लगी। मैंने उससे कहा- रूम की लाइट ऑन कर ले! अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी तो उसने लाइट ऑन की. तब मैंने उसके सारे कपड़े उतरवा दिए. वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. अब मैंने उसे उसकी चूत में उंगली करने को बोला. वो अपनी चूत में धीरे धीरे उंगली डालने लगी। मैंने तेज करने को बोला तो कहने लगी- दर्द हो रहा है! अब मुझे पता चल गया कि वो वर्जिन है। “आह आ … दर्द हो रहा है आ …” वह सिसकारियां भर रही थी। फिर वो एकदम ढीली पड़ने लगी. मैं समझ गया कि अब वो झड़ गई है. और उस रात मैंने भी मुठ मारी और फिर हम सो गए। अगले दिन उसका दिन मैं फोन आया. तो मैंने पूछा- रात को तुझे मजा आया? वह खुश होकर बोली- मुझे क्ल रात बहुत मजा आया। मैं समझ गया कि अब ये कुंवारी लड़की अपनी बुर चुदाई के लिए तैयार है। पर उस टाइम लॉकडॉउन लगा हुआ था तो कहीं बाहर भी नहीं जा सकते थे। मैंने कहा- अगर तुम्हें मजा आया तो क्यों ना हम दोनों कहीं बाहर मिलें? तो उसने हां कर दिया. अब वो भी बुर चुदाई के लिए उत्सुक हो रही थी. उसने बोला- कल मेरी मम्मी मेरे मामा के घर पर जा रही हैं। क्यों ना हम हमारे खेत में मिलें? उनके खेत गांव से 2 किलोमीटर दूर हैं। उसने कहा- कल मैं अकेली जाऊंगी ज्वार लेने! मैं जाने से पहले तुम्हें कॉल करूंगी। तुम मुझे वहीं पर मिलना। मुझे शुरू में तो डर लगा। पर चूत भी तो चाहिए थी. तो सोचा इतना रिस्क को लेना ही पड़ेगा। मैंने कहा- ठीक है। मैं उससे पहले ही उसके खेत में जा कर बैठ गया। मैंने उससे दूर से ही आती देख लिया. उसे देखते ही मेरा लन्ड खड़ा हो कर सलामी देने लगा। उसने भी मुझे देख लिया और उसके चहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। मैंने चारों तरफ देखा और मैं उसे ज्वार के खेत में ले घुसा। वह अपने साथ एक ओढ़नी भी लाई थी ज्वार बांधने के लिए! उस ओढ़नी को हमने नीचे बिछा लिया। अब हम पूरी तरह से तैयार थे। मैं सीधा उसके गुलाबी होंठों को पागलों की तरह चूमने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. फिर मैं अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल देता कभी उसकी जीभ मेरे मुंह में आ जाती! साथ के साथ उसके बोबे भी दबा रहा था। उसके हाथ मेरे बालों में थे। अब मैंने उसका एक हाथ लिया और अपने लन्ड पर रख दिया। उसकी आंखें एकदम चौंधिया गई. और फिर वो मेरे लन्ड को सहलाने लगी। अब मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और चूत को सहलाने लगा. साथ साथ मैं उसे किस भी कर रहा था। उसने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी … मानो वो परी जैसी दिख रही हो। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। अब मैंने उसके सारे कपड़े निकलवा दिये और अपने भी सारे कपड़े निकाल दिए। हम दोनों बिलकुल नंगे थे। मैंने उसे लन्ड मुंह में लेने को बोला. उसने मेरे लन्ड के टोपे को मुंह में ले लिया. मैंने पहली बार लन्ड को किसी के मुंह में डाला था. मुझे तो लगा कि मानो मैं स्वर्ग में चला गया हूं। उस दिन वह चूत बिल्कुल साफ करके आई हुई थी। अब मैंने भी उसकी चूत चाटनी थी तो हम 69 की पोजिशन में आ गए. वह मेरा लन्ड चूस रही थी और मैं उसकी कुंवारी बुर चाट रहा था। मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था और उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां भी निकल रही थी। अब हम दोनों झड़ने वाले थे। 2 मिनट बाद हम झड़ गए. मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया. उसकी चूत का स्वाद नमकीन था. और उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया। अब हम दोनों लीप किस करने लगे. थोड़ी देर बाद मेरा लन्ड फिर उठ खड़ा हुआ। फिर मैंने उसे ओढ़नी पर लेटाया और उसके ऊपर आ गया। मेरा लन्ड उसकी चूत में जाने के लिए तैयार हो गया था. मैंने अपना लन्ड उसकी चूत के ऊपर शुरू कर दिया. वो मानो पागल सी हो रही थी जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी। फिर वो बोली- अब रहा नहीं जा रहा … डाल दो मेरी चूत में! तभी मैंने उसकी चूत पर अपना गर्म लंड रखा. पर उसकी चूत टाइट होने के कारण अंदर नहीं जा रहा था. फिर मैंने थूक लगाया और जोर लगा कर एक झटका मारा. मेरे लन्ड का टोपा उसकी चूत में चला गया. वर्जिन होने की वजह से उसे बहुत दर्द हो रहा था और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था. मैं समझ गया कि उसकी सील टूट चुकी है पर मेरे लंड में भी दर्द होने लगा था. मैंने एक और झटका मारा तो आधे से ज्यादा उसकी चूत में मेरा लन्ड जा चुका था क्योंकि उसकी चूत बिल्कुल गीली हो रही थी। इतने वो चिल्लाने की कोशिश करती, मैंने उसके होठों से अपने होंठ चिपका दिए और तीसरे झटके में मेरा 6 इंच का लन्ड उसकी चूत में समा गया. उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे. पर मैं उस पर ध्यान न देते हुए अपना लंड धीरे धीरे उसकी फटी चूत में आगे पीछे करने लगा। मैं अपने दोनों हाथों से उसकी चूची दबाता रहा। उसकी चूची मुझे मानो मक्खन जैसी लग रही थी. अब उसका दर्द कम होने लगा था तो उसे भी मजा आने लगा. अब वो भी मेरा कमर उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी, जोर जोर से सिसकारियां भी भरने लगी- आह शैलेश … फाड़ दो मेरी चूत! मैं भी बोला- बहन की लोड़ी … आज मैं तेरी चूत बिल्कुल फाड़ दूंगा। और मैं जोर जोर झटके मार रहा था। अब मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया और उससे बोला- मेरे लौड़े पर बैठ जा! वो मेरे लन्ड पर बैठ गई और मजे से उछल रही थी. मैं मानो जन्नत में था। वो अब दूसरी बार झड़ने वाली थी पर मेरा अभी बाकी था. करीब 10 मिनट तक चली जबरदस्त चुदाई के बाद मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपना सारा गाढ़ा माल उसकी चूत में ही निकाल दिया। 5 मिनट तक मैं उसके नंगे जिस्म के ऊपर ही लेटा रहा और उसके बोबे चूसता रहा। अब मैंने उससे उसकी गांड मारने को बोला. पर उसने मना कर दिया, बोली- मुझे पहले ही बहुत दर्द हो रहा है. अब अगर पीछे गांड में भी करोगे तो मुझसे चला भी नहीं जायेगा. और मुझे भैंसों के लिए चारा भी तो लेकर जाना है. तब मैंने कहा- ठीक है। और मैंने देसी लड़की की गांड चुदाई का विचार फिलहाल के लिए छोड़ दिया. मेरा लन्ड फिर खड़ा हो गया और मैंने 20 मिनट तक फिर से उसकी चूत चुदाई की। फिर हम दोनों ने कपड़े पहने, उसे खड़ी होने में थोड़ी दिक्कत आ रहा थी। उसने कहा- अब तुम घर जाओ. कहीं किसी ने देख लिया तो गलत हो जायेगा. मैं तुम्हें घर जाकर फोन करती हूं. और फिर मैं अपने घर पर आ गया. करीब 30 मिनट बाद उसका फोन आया तो मैंने उसे पूछा- तुझे मजा आया आज की चुदाई में? तो वो शर्मा गई और हंस पड़ी. मैं समझ गया कि मैंने उसे आज अच्छी तरह से खुश कर दिया। उसके बाद हमने बहुत बार चूत चुदाई के मजे किए। अब जब भी वो कभी शहर जाती तो मुझे बता देती और हम बार बार चुदाई के मजे लेते। आगे की बात मैं अपनी अगली स्टोरी में बताऊंगा। मेरी हरियाणा सेक्स कहानी पसंद आई होगी. मुझे मेल करके जरूर बताएं। धन्यवाद! 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दोस्तों मैं अपनी एक मस्त कहानी आप लोगों को बताना चाहता हूँ। Antarvasna

मेरे घर में रोज सुबह के Antarvasna समय घर का काम करने के लिए एक नौकरानी आती है। मैं रोज उसे देखता था, दिखने में अच्छी थी। एक दिन उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ।

एक दिन मेरी बीवी नहाने के लिए गई थी। रविवार का दिन था, ठीक १० बजे वो आई, मैंने गेट खोला, वो अन्दर आई और अपने रोजमर्रा के काम करने लगी। वो झाडू लगा रही थी, मैं पलंग पर बैठ कर टीवी देख रहा था। वो जैसे ही मेरे पास आई, मुझे उसके स्तन दिखाई देने लगे। मुझ से रहा नहीं गया, कुछ न सोचते हुए मैंने एक हाथ सीधे उसके ब्लाऊज़ में डाल दिया। पहले तो उसने विरोध किया, बोली- मेमसाब देख लेंगे ! फ़िर मेरे नहीं मानने पर वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने उसी उस दिन तो नहीं चोदा क्योंकि मेरी बीवी घर पर ही थी।

कुछ दिनों के बाद मेरी बीवी को उसके पापा के घर जाना था सो वो चली गई। अब मैं घर में अकेला था। मैं भी सोच कर बैठा था कि आज जरुर कर के रहूँगा।

जैसे ही सुबह नौकरानी आई, मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसका पेटीकोट ऊपर कर दिया। अब मुझे उसकी चूत के साफ-साफ दर्शन होने लगे थे। वो कुछ शरमा रही थी उसकी अभी ३-४ महीने पहले ही शादी हुई थी पर पता नहीं शायद वो अपने पति से संतुष्ट नहीं थी।

उसकी उम्र २३ साल होगी, एकदम गोरी तो नहीं पर गेंहुआ रंग था।

फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी, वो कराह उठी। मैंने देर न करते हुए अपना ८ इंच का लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी। हम दोनों चुदाई में मस्त थे, इसी मस्ती में हम लोग दरवाज़ा बंद करना भूल गए थे। जब हमारा ध्यान गया तो मैंने देखा की मेरे मकान-मालिक की बड़ी बेटी हमारे सामने खड़ी है।

वो मुझसे बोली- ये क्या हो रहा है? भाभी को गए अभी तो एक दिन भी नहीं हुआ और आप यह सब करने लगे? आने दो भाभी को ! सब कह दूंगी !

मैंने कहा- अरे ऐसी बात नहीं है !

तो वह बोली- फिर कैसी बात है…. ?

कहते कहते वो जाकर दरवाज़ा बंद करने लगी और बोली- इस तरह के काम गेट लगा कर किया करो…. ! चलो अब तैयार हो जाओ मुझे भी चोदना होगा तुम्हें ! हम दोनों मिलकर मज़ा लेंगे। मैं भी बहुत दिनों से अन्तर्वासना पर व्यस्क कहानियाँ पढ़ पढ़ कर सोच रही थी कि मेरी प्यास कौन बुझायेगा, पर मुझे क्या पता था कि बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा है ! चलो भइया, शुरू हो जाओ ! अब डबल बैटिंग करना है तुम्हें !

मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि मेरे मकान मालिक की बेटी बला की खूबसूरत है। फिर पहले मैंने कहा- तुम दोनों मिलकर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ करो !

जिस पर मकान मालिक की बेटी ने इंकार कर दिया पर नौकरानी शुरू हो गई। उसे देख कर वो भी रुक न सकी और शुरू हो गई। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मानो मैं स्वर्ग में था।

थोड़ी देर बाद मैंने दोनों को जी भर कर चोदा। पूरे महीने हमारा यह कार्यक्रम चलता रहा। मकान मालिक की बेटी तो कई रात मेरे साथ ही सोई। उसे पूरी रात नंगी करके अपने पास सुलाता था। अब उसे पूर्ण नग्न होकर सोने की आदत हो गई है। अब वो कई बार मुझसे कहती है करने के लिए, पर ऐसा मौका नहीं मिल पाता। पर फिर भी हम महीने में एक-दो बार जल्दी जल्दी वाला सेक्स तो कर ही लेते हैं। पर उसमें हमें पूरी तरह मज़ा नहीं आता। Antarvasna

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