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हाय !मेरा नाम मोहन है, मैं जयपुर से हूँ।मैं आज Indan Sex Stories अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, इससे पहले सभी प्यासी चूतों को मेरे लंड का सलाम !
मेरे दोस्त ने एक लड़की से दोस्ती करी हुई थी। उस लड़की के साथ उसकी एक दोस्त आती थी, मुझे उसकी दोस्त बहुत पसंद थी वो बेचारी जब भी उसके साथ आती थी अकेले तरसती रहती थी मन मेरा भी बहुत करता था उससे बोलने के किए।
एक दिन मुझे मौका मिल गया उससे बात करने का। मैंने उसको विश किया। आग उसके अन्दर भी जल रही थी ! जब भी मेरा दोस्त अपनी फ्रेंड के साथ अंदर किस्सिंग कर रहा होता था, वो शोला बन जाती थी।
मैंने उसको लॉन्ग ड्राइव पे साथ चलने के लिए प्रोपोज़ किया। मेरे मन ही मन में लड्डू फूट रहे थे। हम कार में बैठे, कुछ खाने का लिया, वो चाह रही थी मैं उसे स्पर्श करूँ, मैं चाह रहा था वो शुरुआत करे, फिर मैंने सैंडविच निकाले, उसको खिलाने के लिए उसके लिप्स के पास ले गया, मैंने महसूस किया कि वो सैंडविच कम खा रही है, मेरी ऊँगली ज्यादा। बस फिर क्या था मैंने तो उसके लिप्स को चूसना चालू किया वो तड़पने लग। इतनी देर में एक होटल आ गया। हम दोनों कार से उतरे और एक कमरा लिया।
वो तो जाते ही बेड पे आँखे बंद कर के लेट गई मै समझ गया रास्ता साफ़ है। मैं भी उसके उपर लेट गया उसकी टीशर्ट में से उसके बूब्स हाथ में ले के मसलने लग गया। वो सिसकारियाँ भरने लग गई, उसने मुझे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया। उसके सख्त स्तन मुझे चुभने लग गए। कसम खा कर कहता हूँ कि इतने सख्त स्तन मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखे थे। और चूचूक तो ऐसे गुलाबी कि पूछो मत, बिल्कुल गुलाबी मैंने जैसे ही मुह में लेकर चूसना शुरू किया वो पागलों की तरह मुझे चूमने लग गई। उसने मेरे कपड़े कब उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला।
उसने मेरा सख्त लंड मुँह में ले के चूसना चालू किया। वो पागलों की तरह चूसे जा रही थी मेरा भी मन उसकी गर्मागर्म चूत चूसने का कर रहा था फिर बड़ी मुश्किल से मैंने उसको पोसिशन बदलने के लिए तैयार किया। अब हम ६९ की पोसिशन में थे। मैंने उसकी चूत का रस जैसे ही मुँह में लिया, वो अपनी चूत को मेरे लंड के पास ले आई। मेरा तना हुआ गर्मागर्म लंड अपनी चूत के मुँह पर लगा लिया। चूत इतनी कसी हुई कि लंड छिलने जैसा हो गया वो तड़पने लग गई और बोली- और जोर से ! और जोर से !और जोर से ! बोले जा रही थी। फिर हमने पोसीशन बदली, उसको घोड़ी बनाया, उसको तस्सल्ली से खूब चोदा।
इस बीच मैंने क्या महसूस किया कि वो मेरे लंड को पकड़ के अपनी गांड में डालने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसकी मदद की और जोर जोर से धक्के मारना शुरू किया। वो मेरे लंड को एक बार आगे चूत में डाले, एक बार पीछे ले ! ऐसे करते करते वो डिस्चार्ज हो गई अब वो मुझे तृप्त लग रही थी, फिर हम साथ-साथ फ़व्वारे के नीचे नहाए और हल्के नाश्ते के बाद फिर चुदाई का आनंद लिया।
अब उसकी शादी हो गई है। पर आज भी जब वो हमारे शहर में आती है तो मुझसे जरूर चुद के जाती है !
मेल करें, मेरा इमेल है Indian Sex Stories
नमस्ते दोस्तों। मेरा नाम Antarvasna गौरी है। दोस्तों मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी ज़िन्दगी में तरह-तरह की लड़कियाँ आतीं हैं, या फिर यूँ कहिए किशोरियों से लेकर अधेड़ तक, हर कोई। ऐसा ही एक वाक़या आप लोगों को बता रहा हूँ।
आप सोच रहे होंगे कि मेरी ज़िन्दगी में इतनी लड़कियाँ कहाँ से आतीं हैं। दोस्तों मैं एक प्लेब्वॉय हूँ, यानि कि पुरुष-वेश्या।
एक बार दिन के समय मुझे एक ४५ वर्षीय स्त्री ने अपने यहाँ बुलाया। मैं उसके घर चला गया। वहाँ जाकर मैंने उससे बात की। उसने मुझे २ घंटों के लिए तय किया। वह ४५ साल की थी, लेकिन देखने में बद़न से काफी अच्छी लगती थी।
पहले वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई, वहाँ जाकर उसने अपने-आप को मेरे ऊपर छोड़ दिया। मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया। मैडम ने जीन्स-टॉप पहन रखी थी। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी टॉप उतार दी। उसकी मोटी-मोटी हिलती हुई चूचियाँ बाहर आ गईं। मैंने उन विशाल चूचियों को दबाना चालू कर दिया। जैसे-जैसे मैं चूचियों को दबाता जाता, वह बिस्तर पर गिरती जाती।
मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और सरका कर उसकी चिकनी और सेक्सी पैरों तक उतार दिया। उसकी पैन्टी के भीतर से उसकी उभरी सी चूत साफ दिखाई दे रही थी। पैन्टी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कपड़े उसके तन से अलग कर दिए। उसने फटाक से मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर अपना हाथ मेरे लण्ड तक पहुँचा दिया। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और उसने मुझे मुख-मैथुन करने को कहा।
हमने 69 की मुद्रा बनाई और उसकी चूत को चाटने लगा। उसने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसकी चूत को इस कद़र चूसा कि उसकी सिसकियाँ निकल गईं। अब वह जल्दी ही अपनी चूत का पानी छोड़ने वाली थी। मैंने एक कॉण्डोम अपने लण्ड पर लगाया, उसे सीधा करके उसे अपने नीचे ले लिया और उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया।
चूत थोड़ी सी ढीली थी लेकिन वह पूरा साथ दे रही थी। वैसे भी कुछ ही झटके लगे और उसकी चूत से पानी बाहर आ गया। वह मुझे कसके पकड़े हुई थी। मैंने भी थोड़ी ही देर में अपना काम पूरा कर लिया।
मैं थोड़ी देर तक उसकी चूत को सहलाता रहा, उसके बाद वह मुझे अपने साथ अपने बाथरूम में ले गई। हम दोनों घर में अकेले ही थे। वह वहाँ जाकर बाथ-टब में चली गई और मुझे भी आने का आमंत्रण दिया। काफी देर तक मैं उसकी चूत को सहलाता रहा। वह फिर से सिसकियाँ भरने लगी। उसने कहा कि इस बार पानी के भीतर ही सेक्स करेंगे। मैंने कॉण्डोम लगाया और पानी के भीतर ही उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। अभी हम दोनों का चूत-लण्ड का खेल शुरू ही हुआ था कि दरवाज़े की घंटी बजी। थोड़ी देर के लिए वह सोच में पड़ गई कि आख़िर कौन आ गया। उसने सोचा कि दरवाज़ा नहीं खोलूँगी, जो भी होगा वापस लौट जाएगा। लेकिन दरवाज़ा खुल गया, और जो अन्दर आई, वो थी उसकी बेटी।
वह इधर-उधर देखती हुई सीधी हमारे पास आई। वह हमे इस हालत में देख चौंक पड़ी। वह बोली, मम्मी ये सब क्या है? तो वह बोली, बेटा हम तो बस मज़े कर रहे हैं। अगर तुम्हें पसन्द हो तो तुम भी कर सकती हो, तुम भी इसका मज़ा ले सकती हो। उसकी बातें सुनकर मैं तो हैरान ही रह गया। उसकी लड़की ने कहा, “मम्मी, ये सेक्सी है कौन?”
“बेटी, ये गौरी है, एक प्लेब्वॉय।” – माँ ने कहा।
“यानि मज़ा का मज़ा और राज़ भी छुपा का छुपा।” बेटी बोली।
तब तक मेरे दो घण्टे पूरे हो चुके थे। मैंने जाने की बात कही, कि तभी उसकी बेटी सिमी (काल्पनिक नाम) ने मुझे जाने से रोक दिया और बोली, “कोई बात नहीं सेक्सी ! दोगुने पैसे ले लेना और अगर ख़िदमत अच्छी की तो टिप भी मिलेगी।”
अब तक सिमी भी टब में ही आ गई थी। सिमी की मम्मी ने मेरा एक हाथ अपनी चूत पर रखा और दूसरा हाथ रिमी की मस्त प्यारी-प्यारी चूत पर रख दिया। दोनों ने मिलकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। सिमी की मम्मी एक बार अपनी चूत चुदवा ही चुकी थी, इसलिए उसने सिमी से कहा, “जाओ, बेडरूम में जाओ, और खुलकर लण्ड के मज़े लो। सिमी ने कहा, “नहीं मॉम, मैं आप के सामने ही चूत मरवाना चाहती हूँ। सिमी की चूत चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और एक झटके में लण्ड उसकी चूत में पहुँचा दिया। सिमी की मॉम को डर था कि सिमी को खून निकलेगा, लेकिन सिमी की चूत से खून नहीं निकला। सिमी की मॉम ने पूछा, तो सिमी ने कहा, “मॉम क्या तुम्हारी चूत से अभी खून निकला था?”
“नहीं।” – मॉम ने कहा।
“तो फिर मेरी से भी नहीं निकला।”
उसकी मॉम समझ गई कि सिमी ने पहले भी चूत चुदवाई हुई है। अब तक मैं सिमी को कस कर चोदने लगा था और सिमी भी पूरी तरह से चुदाई का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर में ही सिमी झड़ने वाली थी, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ज़ोरों से सिसकियाँ भरने लगी। झड़ते-झड़ते सिमी ने कम से कम पूरा एक मिनट का समय लगाया। अब मैं भी सिमी की चूत में ख़ुद को झड़ने से रोक नहीं पाया और उसकी प्यारी सी कसी हुई चूत में अपना स्खलन पूरा किया।
वह चुदाई मेरे कॅरियर की सबसे अहम चुदाई थी, जिसमें एक ही जगह माँ बेटी एक ही बार चुदी थी।
ख़ैर उस दिन के बाद तो अक्सर वह मुझे बुलाती रहती थी, और मज़े की बात तो यह कि दोनों एक ही साथ।
तो दोस्तों, कैसा लगा आपको? मुझे प्रतिक्रिया अवश्य दें। Antarvasna
दोस्तो, मैंने पिछले दिनों अन्तर्वासना की Antarvasna कहानियाँ पढ़ीं तो मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपने अनुभव आपके साथ बाटूँ। मैं आपको अपने बारे में बताती हूँ.
मेरा नाम मंजू है. मैं 34 साल की शादीशुदा औरत हूँ. मेरे पति बिज़नस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं.
कुछ दिन पहले की बात है मेरे पति दो दिन के लिए घर से बाहर गए हुए थे और मैं घर में अकेली टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रही थी. ब्लू फ़िल्म देख देख कर मेरी चूत में से पानी आने लगा था. मेरा मन कर रहा था कि कोई मज़ेदार लंड मिल जाए तो जी भर के चुदाई करवाऊं.
वो कहते हैं ना कि सच्चे दिल से मांगो तो सब कुछ मिलता है. घर की कॉल बेल बजी तो मुझे लगा कि भगवान् ने मेरी सुन ली. मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि मेरे पति के ख़ास दोस्तों वर्मा और गुप्ता बाहर खड़े थे.
अचानक उनको देख कर मैं चौंक गई. मैंने उनसे कहा कि ‘ये’ तो बाहर गए हैं दो दिन बाद आयेंगे. यह बात सुन कर वो दोनों भी उदास हो गए और बाहर से ही वापस जाने लगे.
मैंने सोचा कि अगर इन लोगों को अन्दर नहीं बुलाऊंगी तो ये लोग बुरा मान जायेंगे, मैंने उनसे कहा कि आप लोग अन्दर आ जाईये.
ये सुन कर मेरे पति के खास दोस्त वर्मा ने कहा कि नहीं भाभी हम लोग चलते हैं. हम लोग तो ये सोच कर आए थे कि पाटिल घर में होगा तो बैठ कर दो दो पैग लगायेंगे.
मैं आप लोगों को बता दूँ कि पाटिल मेरे पति का नाम है और ये सारे दोस्त हमारे घर में अक्सर दारू पार्टी करते हैं. क्योंकि इन लोगों के घरों मैं दारू पीना मना है.
मेने एक अच्छे मेजबान का फ़र्ज़ निभाते हुए कहा कि कोई बात नहीं आप लोग अन्दर बैठ कर पैग लगा लीजिये मुझे कोई परेशानी नहीं है. मेरी बात सुन कर दोनों खुश होते हुए बोले ‘क्या सचमुच हम लोग अन्दर बैठ कर पी सकते हैं.’
मैंने कहा- क्यों नहीं आप का ही घर है आप लोग अन्दर आ जाईए, मैं आप लोगों के लिए पानी और सोडा का इंतजाम कर देती हूँ.
ये सुन कर गुप्ता ने कहा कि एक शर्त है ‘आपको भी हमारा साथ देना होगा !’
मैं पहले भी कई बार अपने पति के सामने इन लोगों के साथ दारू पी चुकी थी इसलिए इन लोगों को पता था कि मैं भी दारू पीती हूँ. मैंने तुंरत हाँ भर दी और वो दोनों अन्दर आ गए.
अन्दर आते ही उनकी निगाह टीवी पर चल रही ब्लू फ़िल्म पर गई जिसे मैं बंद करना भूल गई थी. मैंने जल्दी से शरमा कर टीवी बंद कर दिया. लेकिन वो दोनों ये सब देख कर मुस्करा रहे थे. मैं किचेन मैं पानी और सोडा लेने चली गई.
किचन में जाकर मैंने सोचा कि मैं तो एक लंड के इंतज़ार मैं थी और भगवान् ने मुझे दो दो लंड गिफ्ट में भेज दिए. क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए और ये सोच कर मैंने सोडा और पानी की बोतल फ्रीज़ में से निकली और तीन गिलास साथ में ले कर वापस कमरे में आ गई.
वर्मा ने अपनी जेब से व्हिस्की कि बोतल निकाल कर मुझे दी और मैं तीन पैग बनाने लगी. वो लोग साथ मैं खाने के लिए स्नेक्स भी लाये थे. हम लोग बातें करते हुए पैग लगा रहे थे. कुछ ही देर में हम सभी पर थोड़ा थोड़ा सुरूर छाने लगा.
उन दोनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया और फ़िर गुप्ता ने मुझसे पूछा ‘भाभी आप टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रहीं थीं तो फिर आपने टीवी बंद क्यों कर दिया. टीवी चलाओ ना हम लोग भी फ़िल्म देखना चाहते हैं. ‘
अब तक मुझ पर भी शराब नशा चढ़ने लगा था. मैंने सोचा कि यही मौका है चुदाई का माहौल बनाने का. ये सोच कर मैं उठी और टीवी चालू करने लगी.
टीवी चालू करते हुए मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया जिसे मैंने जानबूझ कर ठीक नहीं किया. मेरे कसे हुए ब्लाउज में से बड़े बड़े बूब्स आधे बाहर निकल आए थे.
मैंने तिरछी नज़र से देखा कि वो दोनों मेरे बूब्स पर निगाह गड़ाये हुए मुस्करा रहे हैं.
मैंने टीवी पर ब्लू फ़िल्म चालू कर दी और उसी सोफे पर जा कर बैठ गई जिस पर वो दोनों बैठे हुए थे. अब मैं उन दोनों के बीच में बैठी थी. टीवी पर चल रही फ़िल्म मैं भी एक औरत को दो आदमी चोद रहे थे.
ये सीन देख कर हम तीनो ही गर्म हो गए. मैंने जान बूझ कर अपना पल्लू नीचे सरका दिया और सोफे पर आधी लेट गई. मेरे बगल में बैठे वर्मा ने पहल की और धीरे से मेरे बूब्स के ऊपर हाथ फिराने लगा.
मैंने कोई विरोध नहीं किया और आँखे बंद कर लीं. थोडी ही देर में उन दोनों ने मिल कर मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरे बड़े बड़े फलों का रस चूसने लगे.
अब हम लोग खुल चुके थे इसलिए मैंने भी हाथ बढ़ा कर पैंट के ऊपर से ही उनके लंड को टटोलना शुरू कर दिया था. वर्मा मेरे होटों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और गुप्ता मेरी एक चूची को मुंह में भर कर पीने लगा.
अभी हमारा खेल चालू हुआ ही था कि अचानक घर कि कॉल बेल फ़िर से बज गई. हम तीनो चौंक गए. मैंने कहा कि अब कौन हो सकता है.
तभी गुप्ता ने कहा- अरे यार में समझ गया, शर्मा और ठाकर होंगे हमने उन लोगों को भी बुलाया था.
मैंने जल्दी से टीवी बंद कर दिया और अपने कपडे ठीक करने लगी तो वर्मा ने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया और कहा- रहने दो भाभी ये लोग भी अपने ही दोस्त हैं इनसे क्या शरमाना?
जब तक मैं कुछ कहती तब तक गुप्ता ने दरवाजा खोल दिया था और मेरे सामने तीन नए लोग खड़े थे. जिनका नाम शर्मा, ठाकर और नारंग था.
अब घर में पॉँच मर्द थे और मैं अकेली औरत. शराब का दौर चल रहा था सब लोग नशे में थे. मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे. मेरी बरसों की इच्छा आज पूरी होने जा रही थी. मेरी इच्छा थी की मैं एक साथ पॉँच मर्दों के साथ चुदाई का खेल खेलूं और आज ये सपना सच होने वाला था.
किसी ने मेरे बदन से ब्लाऊज़ उतार दिया था.
वर्मा और गुप्ता मेरी एक एक चूची को मुंह में लेकर चूस रहे थे.
ठाकर जो बाद में आया था उसने अपना लंड निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और नारंग और शर्मा मेरे नीचे के कपडे हटाने की कोशिश कर रहे थे.
मैंने उन सब को रोक कर कहा कि चलो अन्दर बेड रूम मैं चलते हैं. ये सुन कर उन पांचों ने मुझे गोदी में उठा लिया और ले जा कर बेड पर डाल दिया. अब मेरे बदन पर कोई कपडा नहीं था.
ठाकर जिसका लंड काला और ज्यादा ही लंबा था उसने मेरे मुंह में अपना पूरा लंड डाल दिया. मैं उसके लंड को लेमनचूस की तरह चूसने लगी.
नारंग और वर्मा ने मेरे बोबे मसलने और चूसने चालू कर दिए.
वर्मा ने मेरी दायीं तरफ़ आ कर मेरे हाथ में अपना मोटा लंड पकड़ा दिया. जिसे मैंने आगे पीछे करना चालू कर दिया.
गुप्ता पलंग के नीचे बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा. मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था.
मेरे चारों तरफ़ अलग अलग तरह के लंड थे. मैं किसी भी लंड को हाथ में लेकर खेलने लगती. मेरे मुंह में भी अलग अलग साइज़ के लंड डाले जा रहे थे और मैं सभी लंड बड़े प्यार से चाट और चूस रही थी. तभी उनमे में से किसी ने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी. खुशी के मारे मेरे मुंह से चीख निकल गई.
मैं जोर से चिल्लाई ‘वैरी गुड… ऐसे ही चूसो मादरचोदों चाटो मेरी चूत को…’. मैं पूरे नशे में थी और उछाल उछाल कर चूत चुसवा रही थी.
ठाकर ने मेरे मुंह में लंड डालकर मुंह की ही चुदाई शुरू कर दी. दो लोग मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर मुठ मरवा रहे थे. एक जन अभी खाली था इसलिए मैंने कहा- मेरे यारो… अभी तो एक छेद बाकी है उसमे भी तो कुछ डालो!
मेरी बात सुनते ही वर्मा ने सब को रोक कर कहा कि रुको पहले आसन लगा लेते हैं. सब ने अपनी अपनी पोसिशन ले ली.
नीचे वर्मा सीधा लेट गया और मुझसे कहा- आओ भाभीजान मेरे ऊपर आओ मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डाल कर मज़ा देता हूँ.
मैं तुंरत अपनी गांड चौड़ी करके उसके लंड पर बैठ गई. वर्मा का लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा मोटा नहीं था इसलिए आराम से मेरी गांड में चला गया.
दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि मेरे पति भी काफी माहिर चुद्दकड़ हैं और मुझे बहुत मज़ेदार ढंग से चोदते हैं लेकिन मेरी प्यास उतनी ही बढ़ जाती है जितना मैं चुदवाती हूँ. यही कारण है कि आज मैं अपने पति के पाँच दोस्तों से एक साथ चुदवाने को तैयार हूँ.
हाँ तो दोस्तों वर्मा का लंड मैंने अपनी गांड में डाल लिया और सीधी होकर अपनी चूत ऊपर की तरफ करते हुए बोली ‘ चलो कौन मेरी चूत का बाजा बजाना चाहता है वो आगे आ जाए.’
नारंग जिसका लंड थोडी देर मैंने मुंह में डाल कर चूसा था वो मेरे ऊपर आ गया और निशाना लगाते हुए बोला ‘मेरी जान सबसे पहले मेरा स्वाद चखो.’
गुप्ता भी मेरे सर कि तरफ़ आते हुए बोला ‘मेरी प्यारी भाभी मुझे अपने मुंह में डालने दो प्लीज़.’
अब शर्मा और ठाकर बच गए थे, मैंने उनसे कहा कि आओ मेरे यारो, अभी तो मेरे दोनों हाथ खाली हैं.
इस तरह पोसिशन लेने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई. मेरी गांड और चूत में एक साथ लंड अन्दर बाहर हो रहे थे. मुझे जम कर मज़ा आ रहा था.
मैं बीच बीच में अपने मुंह से लंड निकाल कर सिस्कारियाँ लेने लगी ‘आआ… और जोर से… चोद… ओऊऊ… फाड़ डालोऊऊओ… मेरी चूत… बहनचोदों एक भी छेद मत छोड़ना… सब जगह डाल दोऊऊओ… फाड़ डाल मेरी गांड… वर्मा…के बच्चे… और जोर से नारंग… अन्दर तक डाल अपना हथियार…यार… आर आर अअअ आ आ आ…मज़ा आ गया.’
काफी देर तक पोसिशन बदल बदल कर ये चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा. कभी किसी ने मेरे मुंह में लंड डाला कभी किसी ने. अलग अलग लंडों का स्वाद मेरे मुंह में आता रहा. करीब एक घंटे तक चले इस खेल में मैं पॉँच बार झड़ चुकी थी. अब मेरी चुदाई की आग शांत होने लगी थी.
मैंने उन सबसे कहा- मेरे यारों… एक बात ध्यान रखना कोई भी अपना पानी इधर उधर नहीं डालेगा…सबको मेरे मुंह में ही अपना पानी डालना है… मैं बहुत प्यासी हूँ…मेरी प्यास तुम्हारे पानी से ही बुझेगी. कम से कम पचास ग्राम पानी पिलाना मुझे.’
वो सब लोग भी अब अपनी मंजिल पर पहुँच चुके थे.
गुप्ता ने कहा- चल भोसड़ी की अब नीचे लेट जा और पानी पी… आज नहला देंगे तुझे मेरी जान.
मैं पलंग पर सीधी लेट गई और उन पांचों ने मेरे मुंह के चारों तरफ़ घेरा डाल लिया. मैंने एक एक करके सबके लंड को मुंह में ले कर पानी निगलना चालू कर दिया.
मेरा पूरा मुंह और गला लिसलिसे वीर्य से भर गया. सबका मिलाजुला स्वाद मुझे कॉकटेल का मज़ा दे रहा था और मैं स्वाद ले ले कर उन सबका पानी पीती चली गई और सबके लंडों को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
मेरी बरसों की तम्न्ना आज पूरी हो गई थी.
दोस्तों मेरी चुदाई के और भी मज़ेदार किस्से मैं आप को बताऊंगी पहले आप मुझे जरूर बताएं कि ये किस्सा आप को कैसा लगा.Antarvasna
मैं शाम को सोनम का इन्तज़ार Hindi Porn Stories करता रहा. सात बजने पर मैंने अपनी पेन्ट कमीज़ उतार कर पज़ामा और बनियान पहन ली. मुझे लगा कि अब वो नहीं आयेगी.
तभी नीचे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने झांक कर देखा तो सोनम के पापा गैराज़ से गाड़ी निकल कर सड़क पर ले आए थे और शायद तनूजा और सोनम की प्रतीक्षा कर रहे थे, शायद कहीं जा रहे थे.
मेरा मन उदास हो उठा.
इतने में मेरा मोबाईल बज उठा. सोनम का फोन था.
सोनम के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोल पड़ा- कहाँ हो जानम! कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा! कहीं जा रहे हो तुम लोग?
‘मैं नहीं, मम्मी और पापा जा रहे हैं, उनके जाते ही मैं ऊपर आती हूँ…!’
मैं खुश हो उठा. मेरे मन तार बज उठे… सोनम जैसी कमसिन… कुंवारी लड़की के साथ मजे करने के ख्याल से ही मेरे लण्ड में उफ़ान आने लगा. मैंने अंडरवियर पहले ही नहीं पहन रखी थी. लण्ड का कड़ापन पजामे में से साफ़ उभरने लगा था. इतने में किसी के ऊपर आने की आवाज आई… तो देखा तनूजा थी.
तनूजा को देखते ही मैंने फ़ोन बंद कर दिया.
‘हम लोग थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं इनके दोस्त के घर और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है बाज़ार से!… तुम घर का ख्याल रखना…!’ अचानक उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी…’अरे वाह! मुझे देखते ही ये तो खड़ा हो गया…!’
उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले कर मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.
‘अभी आती हू बाज़ार से… ये रात की शिफ़्ट पर चले जायेंगे… तब तक लण्ड पकड़े रहो हाथ में…’ शरारत से मुस्कराते हुए बोली.
‘अब मेरे लण्ड को छोड़ तो दो…’
‘हाय कैसे छोड़ दूं… मस्त मुस्टन्डा है…’ और झुक कर मेरे लण्ड को दांतो से काट लिया और लहराती हुई चली गई. मेरा हाल बुरा हो चला था. नीचे से कार के जाने की आवाज आई और कुछ ही क्षणों में सोनम ऊपर आ गई… छोटी सी स्कर्ट में वो काफ़ी अच्छी लग रही थी.
‘मैं आ गई भैया…’ वो इठलाते हुए बोली.
‘भैया नहीं राहुल!… मुझे मेरे नाम से बुलाओ सोनम!’ मैंने समझाया.
सोनम की नज़र मेरे पूरे शरीर पर घूम रही थी कि उसने मेरे पज़ामे पर वहीं हाथ रख दिया जहाँ अभी अभी सोनम की मम्मी तनूजा ने काटा था.
‘यह क्या है लाल लाल? कुछ गुलाबी सा!’ सोनम ने पूछा.
‘क्या है?’ मुझे भी कुछ मालूम नहीं था.
सोनम ने पज़ामे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ कर कुछ ऊँचा उठा कर दिखाया. मैं चौंक गया. यह तो तनूजा के होंठों की लिपस्टिक का निशान था जो अभी कुछ क्षण पहले ही वो छोड़ गई थी.
मैंने उसे टालते हुए कहा- ‘पता नहीं! ऐसे ही कुछ लग गया होगा.’
‘नहीं यह तो शायद लिपस्टिक का निशान है! अच्छा! समझ गई! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा! मम्मी भी ना बस! सुबह मन नहीं भरा उनका?’ सोनम बोली.
‘छोड़ो ना…! अब यह सब तो चलता ही रहेगा! चलो अब सुबह वाला खेल खेलें… तुम तो देखती ही रह गई सुबह और तुम्हारी मम्मी सारे मज़े ले गई!’ मैंने कहा.
हाँ चलो! वही बड़ों वाला खेल…’ सोनम चहकते हुए बोली.
मुझे लगा आज ये चुद कर ही जायेगी. मजा आ जायेगा…! मैंने प्यार से उसकी कमर में हाथ डाल दिया और चूतड़ों को सहला दिया. उसने भी स्कर्ट के अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी.
‘बोलो सोनू… क्या करूँ?’
‘कुछ भी… मुझे क्या पता? पर तुम्हारा ये खड़ा क्यों है…?’ उसने मेरा लण्ड पकड़ते कहा.
‘पकड़ ले सोनम…जोर से मसल दे…’ मैंने उसके चूतड़ सहलाने चालू रखे. एक हाथ स्कर्ट के अन्दर उसके नंगे चूतड़ो पर फ़िसलने लगा.
‘भैया… जोर से दबाओ ना… मुझे जाने कैसा अच्छा सा लग रहा है!’ उसकी जिस्म में कंपकपी छूट रही थी.
‘साली! तुझे कहा ना! मुझे भैया नहीं पकंज कह!’ मेरी सांसे भी बढ़ गई थी. उसकी नंगी जांघे आज ज्यादा सेक्सी लग रही थी. एक कमसिन कुंवारी लड़की को चोदने का ख्याल ही मेरे रोंगटे खड़े कर रहा था. उसने मेरा पज़ामा उतार दिया और नीचे से नंगा कर दिया. मेरा लण्ड अब मैदाने जंग में खड़ा था.
‘राहुल…अब पापा की तरह मेरे साथ खेलो ना… मेरे पर चढ़ जाओ और मेरी छाती को मसलो…’
‘सच सोनम…आ जाओ… यहाँ सो जाओ…’
मैंने उसका स्कर्ट और टोप उतार दिया. उसकी गोरी और छोटी सी नीबू सी उभरी हुई अनछुई चूंचियाँ, सीधी तनी हुई खड़ी थी. उसकी पहली चुदाई मैं करने वाला था. मैं उसके नीचे आ कर बैठ गया और लण्ड उसकी पनीली और चिकनी चूत पर रख दिया. मैंने लण्ड ने धीरे से जोर लगा कर उसकी चूत की पंखुड़ियो को चीरते हुए द्वार पर दस्तक दी. सोनम खुश हो उठी…
‘भैया अब मैं चुद जाऊँगी ना… जैसे सुबह मम्मी चुदी थी…’
‘फ़िर भैया? भैया नहीं सैंया करते हैं ये काम मेरी जान!’ मैंने सोनम को डाँट लगाई.
‘अच्छा बाबा अब आगे भी कुछ करेंगे मेरे सैंया या यूँ ही डाँट डपट चलेगी!’ सोनम रूआंसी सी बोली.
‘हा मेरी बेबी… ये लो…’ मैंने धीरे से लण्ड अन्दर घुसा दिया. उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. मैंने हौले से थोड़ा और घुसाया.
‘जोर से घुसाओ ना… कितना कड़ा हो रहा है तुम्हारा लण्ड…’ मुझे डर था कि झिल्ली फ़टने से कहीं वो डर ना जाये.
‘सोनू… देखो अब जब तुम्हारी झिल्ली फ़टेगी तो थोड़ा दर्द होगा… देखो झेल लेना… फिर मजा ही मजा है…!’
‘अब चोदो ना… सब सह लूंगी… मुझे पता है दर्द होता है…कितना होता है जरा देखूं तो…’ मैं मुसकरा उठा. तो ये पहले से तैयार है.
मैंने धीरे धीरे और जोर लगा कर अन्दर डाला. मुझे भी लगा कि जैसे नरम सा कुछ छुआ हो… हल्का सा और जोर लगाया तो उसे थोड़ा सा दर्द हुआ.
‘हुआ ना दर्द…’
‘ना ऐसा तो कोई खास नही.’ मैंने और धीरे से घुसाया तो चूत चिकनी सी लगी. सोनम चिहुंक उठी.
‘हुआ ना दर्द…अब तो…’
‘नहीं नहीं…हाँ हुआ तो पर खास नही…’
मुझे ताज्जुब हुआ लण्ड आधा घुस चुका था…पर उसे कुछ नहीं हुआ था. अब मेरी सीमा टूट चुकी थी. मैंने जोर लगा कर अब धीरे धीरे पर बिना रुके पूरा लण्ड घुसा डाला.
‘आह्… अब हुआ थोड़ा सा दर्द…’
मैंने सोचा ये तो चुदी चुदाई है…बस नाटक कर रही है. अगला धक्का मैंने फिर मारा… और फिर मारता ही गया. वो मस्ती से झूम उठी. उसकी चूत मेरे लण्ड को लपेट रही थी. घर्षण बढ़ता ही जा रहा था. उसकी कमर जबरदस्त उछाले मार रही थी. मैंने भी लण्ड के झटके मारने चालू कर दिये… वो दांत भींच कर चुदवा रही थी.
‘मेरी रानी…तू तो बड़ी चुदक्कड़ निकली रे…तेरी जवान चूत तो कमाल की है…क्या गजब की चिकनी है…’
‘बोलो मत!… बस लगाओ जोर से और मस्त हो जाओ… तुम्हारे सुख में मेरा सुख है…’
‘बड़ा अच्छा डायलोग है रानी…तूने तो मेरा दिल ले लिया…’
मैं अपनी पूरी तेजी पर था. सोनम भी मुँह कठोर बना कर आंख बन्द कर…दांत भींच कर चुदा रही थी. उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे… पर जोश गजब का था. मुझे लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है… मेरा शरीर जैसे अकड़ने लगा…सारी नसें खिंचने लगी. इतने में सोनम ने मुझे कस के थाम लिया और चूत ऊपर उठा कर चीखी…
‘हाय…मैं मर गई! क्या हो रहा है मुझे!… मैय्या री…चोद दिया रे…भैया…हाय…भींच लो मुझे…मैं तो गई…उईईईऽऽऽ’ और उसकी चूत की कसावट के साथ मेरा वीर्य भी निकल पड़ा. दोनों के चूत और
लन्ड का मिलन दबाव के साथ एक हो रहा था. जैसे दोनों एक होना चाहते हो. हम दोनों अब एक दूसरे पर चिपक कर लेट गये. और लम्बी लम्बी सांसे भरने लगे. कुछ ही देर में मैं उठ खड़ा हुआ. उसने भी करवट बदली… ये क्या…चादर पर खून ही खून… पर उसे तो कोई खास दर्द भी नहीं हुआ था…फिर ये इतना खून तो कुंवारी चूत से ही…
‘सोनम ये खून…’
‘झिल्ली फ़टी ना तो खून तो आयेगा ही…’
‘पर तुम्हें तो दर्द हुआ ही नहीं था…’
‘हुआ था… पर तुमने इतने प्यार से झिल्ली फ़ाड़ी थी…दर्द ज्यादा नहीं हुआ…सह गई…तुम्हारा मजा खराब हो जाता ना…’
‘क्या… सोनू… तूने मेरा इतना ख्याल रखा…’
मैंने प्यार से उसे गले लगा लिया.
उसने भी अपने ऊपर एक बार और गिरा लिया. अब सोनम चुद कर तैयार हो चुकी थी… उसने मेरा दिल जीत लिया था.
‘तेरी मम्मी आने वाली होगी… तू अब जा… अब मम्मी को भी तो चोदना है ना…’
‘नहीं मुझे और चोदो…’ सोनम मचलने लगी.
आज नहीं कल चुदाई करेंगे…देखो अभी चादर भी गन्दी हो गई है और तुमने ही धोनी है…!’ मैंने सोनम को समझाया.
सोनम मान गई और उसने अपने कपड़े सम्भाले और ठीक से पहन लिये. मेरी चादर को सावधानी से लपेटा और लेकर नीचे चली गई.
थोड़ी देर बाद सोनम फ़िर आ गई ऊपर खाना ले कर… मैंने अपना डिनर लिया… और आराम करने लगा. सोनम मेरे पास बैठी कभी मुझे चूमती और कभी अपनी चूंची मेरी छाती पर रगड़ती. खाना खा कर मेरे में नई ताकत आ गई थी. अब मैं अपने आप को फ़्रेश महसूस कर रहा था.
इतने में कार की आवाज आई. तनूजा आ चुकी थी. सोनम लपक कर खाने के बरतन उठा कर नीचे जाने लगी. तनूजा ऊपर ही आ रही थी.
‘अरे खाना खा लिया… जा सोनम तू बरतन लेजा नीचे!… हेल्लो…मेरे राजा…’ तनूजा चहकते हुए बोली.
‘आ गई…? सोनम के पापा कहाँ हैं? उन्हें छोड़ कर तुम सीधा ऊपर आ गई…?’ मैंने पूछा.
‘हाँ! उन्हें कह कर आई हूँ कि तुम्हें खाना खाने के लिए बुलाने जा रही हूँ, पर तुम तो पहले ही खाना खा चुके हो!’ तनूजा बोली.
‘हम दोनों तो बाहर ही खा कर आए हैं और वो अब ड्यूटी पर जा रहे हैं… अब मैं बिल्कुल फ़्री हूँ… आज की रात हमारी सुहागरात होगी… खूब चोदना मुझे…’ अपनी रात भर की आज़ादी से वो खुश नजर आ रही थी. ‘पर आज तुम्हें मेरे दिल की एक तमन्ना पूरी करनी होगी.’
‘आज्ञा दो मेरी रानी…’
‘तुम्हें गालियाँ आती हैं ना!… चोदते समय अपन दोनों खूब गालियाँ बकेंगे…जैसे इसके पापा देते हैं…’
‘और कहिये…’
‘और हाँ…’ फिर शरमाते हुए बोली…’ गाण्ड मार सकते हो…प्लीज… मुझे अच्छा लगता है…’
मेरे मन में तरंगें उठने लगी…कही मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. गाण्ड मारना मुझे भी अच्छा लगता था…फिर ऊपर से गालियाँ… आज तो मजा आ जायेगा. इतने में सोनम वापस आ गई.
मैंने तनूजा से कहा- ‘इसे नीचे भेज दो…फिर प्रोग्राम चालू करते हैं!’
‘पहले इसे शान्त करना पड़ेगा…फिर जायेगी ये…’ तनूजा बोली.
मैंने सोनम को प्यार से उसके कोमल होंठों को चूमा…और इशारा किया तो वो समझ गई.
‘तो मैं एक घन्टे बाद आ जाऊँगी… प्लीज इस बार मुझे भी मज़े लेने हैं इस खेल के! दोगे ना…?’
‘अच्छा प्लीज अभी नीचे जाओ…मैं चुद जाऊँ तो आ जाना बस…’ तनूजा ने जरा जोर से कहा. सोनम नीचे चली गई.
सोनम के जाने के बाद मैंने तनूजा को कहा- साली! अपना भोंसड़ा तो दिखा जिसे तू चुदवा कर गई थी मेरे से! अब तक दुःख रहा होगा तेरा भोंसड़ा?’
‘मादरचोद… मेरी भोंसड़ी देखेगा तू…’ उसने अपना भोंसड़ा अपनी साड़ी ऊपर करके दिखाया.
‘तेरी बहन की चूत… ले देख ये रहा मेरा लौड़ा… ये तेरी गाण्ड चोद देगा अब!’ मैंने भी उसका जवाब गाली दे कर पूरा किया.
उसने अपनी साड़ी उतार फ़ेंकी और पेटीकोट भी उतार दिया. उसका भोसड़ा चमक उठा. क्लीन शेव चिकना लाल फूला हुआ. उसका ब्लाऊज और ब्रा मैंने प्यार से उतार दिया. मैंने भी अपना पजामा और बनियान उतार दी. उसका गोरा जिस्म चिकना और लुनाई से भरा था. उसकी गोरे गोरे चूतड़ चमक रहे थे. मैंने उन्हे प्यार से सहलाया.
‘आज गाण्ड की मां चोद दे राजा… बड़ी तरस रही है लवड़ा लेने को…’
मैंने तेल की शीशी उठाई और उसे झुका कर घोड़ी बना दिया और गाण्ड में तेल भर दिया.
‘लो हो गई तैयार तेरी प्यारी गाण्ड…अब देख मेरे लौड़े का कमाल. ‘
तनूजा ने तुरन्त मेरा लण्ड पकड़ा और चमड़ी ऊपर करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल दिया…
‘ये हुई ना बात…अब जाने दे मेरी लपलपाती गाण्ड मे…’ तनूजा मुस्कराई.
मैंने लण्ड को गाण्ड के छेद पर रखा. गाण्ड का फ़ूल खिला हुआ था… पहले से थोड़ी खुली थी. मैंने अपना लौड़ा छेद पर दबा दिया. फ़क से अन्दर उतर गया और उतरता ही गया. तेल का चिकनापन और अभ्यस्त गाण्ड में एक ही झटके में जड़ तक पहुंच गया. गाण्ड की नरम चमड़ी, लण्ड को रगड़ाती हुई मीठा सा अहसास दे गई. गाण्ड का ऐसा आरामदेह चुदना भी मजा दे रहा था.
‘आह मेरी गाण्ड रे… चुद गई गाण्ड रे… भोंसड़ी के लगा धक्के…’
‘मेरी कुतिया… देख मेरा लण्ड अभी कुत्ते की तरह फ़ंसाता हूँ… तेरी माँ चोद दूंगा…रानी!’
‘साले! तू मेरी माँ कैसे चोदेगा! वो तो गई ये दुनिया छोड़ के! अब तू सोनम की माँ चोद! कमीने!’ तनूजा ने कहा.
‘सोनम क्या मैं तो सोनम को ही चोद दूंगा साली तू देखती जा, तेरे सामने तेरी सोनम को नंगी करके चोद दूंगा!’
‘चोद क्या दूंगा! चोद दिया साली को!’
‘तेरी लण्ड टुकड़े कर के कच कच करके खा जाऊ हरामी के पिल्ले… तुझे मना किया था ना! कितना रोई होगी मेरी बच्ची! मेरी चूत से तेरा मन नहीं भरा था जो उस कच्ची कली को मसल दिया तूने छोकरी चोद! हाँ लगा जोर…चोद दे…इस खड्डे को…’ उसे पसीना आने लग गया था.
वो मस्त हुई जा रही थी. अपनी गाण्ड हिला हिला कर उसका जवाब भी मिल रहा था. मैं जम कर जोर जोर से चोद रहा था. मेरा लण्ड लगता था बस छूट ही जायेगा. मैंने अब अपना लण्ड निकाला और पीछे से ही उसकी चूत में पेल दिया.
‘हाय रे मैं मर गई…मजा आ गया…चूत मार दी रे… चोद इस रंडी को…राजा…’
‘हाय मेरी रानी…तुझे रंडी की तरह ही चोदूंगा मै… साली की चूत फ़ाड़ के रख दूंगा…’ मैं गालियों से अति उत्तेजना का शिकार हो चुका था.
‘मेरे राजा, फ़ुद्दी चोद…निकाल दे कचूमर मेरे भोंसड़े का…’ वो नशे में बोले जा रही थी… मैंने हाथ नीचे डाल कर उसका दाना मसल दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूंची खींचने लगा.
‘मर गई भोंसड़ी के… मा चोद दी तूने मेरी चूत की…मैं गई…चोदू रे…मार दे…चोद दे… निकाल दे सारा पानी…हाय रेऽऽऽऽ’ एक चीख के साथ वो झड़ने लगी…
मेरा लण्ड ने भी उसी समय पिचकारी छोड़ दी. मैंने उसकी कमर जोर से पकड़ ली और जोर लगा कर सारा माल उड़ेलने लगा. वीर्य पूरा निकलते ही मेरा लण्ड भी चूत से बाहर आ गया. मैं पास ही बिस्तर पर गिर पड़ा, साथ ही तनूजा भी मेरे ऊपर आ गिरी. सांसे जोर जोर से चल चल रही थी… आज कुछ ज्यादा ही हो गया था. मेरा जिस्म अब टूटने लगा था.
‘राजा… थक गये ना… ये गाण्ड होती ही ऐसी चीज़ है…साली सारा रस निकाल देती है’
‘तनूजा मेरी तो माँ चुद गई आज… तूने भोसड़ी की… मेरा सारा ही माल निकाल दिया…’
‘बस अब गाली नही…सिर्फ़ चोदते समय… मजा आता है…’
‘हाँ मेरी रानी…सॉरी… पर मजा आ गया…’
थोड़ी देर तनूजा और मैं लेटे रहे.
तभी तनूजा ने पूछा- सचमुच चोद दिया तूने मेरी लाड़ली सोनम को क्या?’
‘नाराज मत हो तनूजा…तेरी सोनम भी अभी थोड़ी देर पहले ही चुदी है…’
‘चलो अच्छा हुआ…उसकी झिल्ली फ़टी तो… मैंने सोचा कि उसे दर्द होगा…इसलिये मना करती थी…पर अब उसे चाहे जितना चोदना…’
‘थेंक्स तनूजा… मुझसे नहीं तो वो कहीं ओर चुदवा लेती…इसीलिये मैंने उसे चोद कर सील तोड़ने का आनन्द ले लिया…’
तनूजा उठी और मेरे पर चादर डाल दी और अपने कपड़े पहन कर मेरे पास ही लेट गई. कुछ ही देर में सोनम भी आ गई. और मेरे पास वो भी लेट गई. तनूजा ने कहा- सोनम…चुद गई रे तू तो…’
‘मम्मीऽऽऽ…’ शरम से उसने मुँह छुपा लिया. तनूजा अब उसे बार बार छेड़ रही थी… और सोनम ने शरम के मारे मुँह छुपा लिया. Hindi Porn Stories
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