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आपको हमने बहुत से किस्से Hindi Porn Stories पहले भी सुनाये हैंआप शायद हमें भूल गए, लेकिन हम भूल नहीं पाये हैं
आपने इतना प्यार हमको दिया कि हम आप के लिए एक बार फ़िर से आए है
तो एक बार फ़िर से आता हूँ असली बात पे
अपनी औकात पे
बात है उस कमसिन की, गर्मी के एक दिन की
मैं बैठा था उदास, क्यूंकि लंड को लगी थी बड़ी ज़ोर की प्यास
मेरा लंड भी तो दशहरा मनाना चाहता था
और किसी की चूत में ठिकाना चाहता था
एक चुलबुली लड़की को देख कर मेरा मन बहक गया
लंड का चेहरा खिल गया और चहक गया
आख़िर उस लड़की ने मेरी तरफ़ देख लिया
मैंने भी उस लड़की की तरफ़ देखते हुए एक स्माइल को फेंक दिया
वो हँसने लगी, मुझे लगा कि फंसने लगी
मैंने हिम्मत की उसके पास जाने की
उसे चुदाई के लिए मनाने की
मैंने कहा की आप बहुत सुंदर हो
सुन्दरता का समुन्दर हो
वो बोली कि सब यही कहते हैं
और बस मुझे ही देखते रहते हैं
मैंने कहा चलो कहीं चलते हैं
आपको ले जाने के लिए दिल में अरमान मचलते हैं
वो मान गई,
मेरी तो जैसे कि जान गई
मैं उसे ले के अपने रूम पे आ गया
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मैंने उसे अपने बिस्तर पे लिटा दिया
और घर का दरवाज़ा बंद कर दिया
उसने कुरता और ब्रा उतार के अपने मोम्मो को मेरे सामने धर दिया
उसके मोम्मे देख के मुंह में पानी आ गया
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वो बोली इन्हे पकड़ोगे ही या मुंह में भी लोगे
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मैंने कहा कि पैसे कि क्या बात करती हो
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मुझे देखने दो।
वो बोली- प्लीज़ जीतू बंद कर दो इसे।
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इस बार वो कुछ नहीं बोली और उसने अपना सर दूसरी तरफ घुमा लिया।
मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया तो उसने मेरा हाथ झटक दिया। मैंने फिर पूछा- हम दोनो ही कुंवारे हैं और आज अच्छा मौका है। तुम भी जवान हो और मैं भी। घर पर भी कोई नहीं है। हमें ट्राइ करना चाहिए।’
वो एक दम चुप रही।
मैंने उसकी जांघों पर हाथ फिरना शुरू कर दिया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
उसने अपनी दोनों जांघों को एक दूसरे पर रख कर ज़ोर से दबा लिया।
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थोड़ी देर तक उसकी चूत सहलाने के बाद मैं उठा। मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में ले जाने लगा तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया।
बेडरूम में ले जा कर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया।
मैंने उसकी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार दी। उसके कपड़े उतारने के बाद मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।
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उसका संगमरमर सा गोरा बदन एक दम नंगा मेरे सामने था। मुझे जोश आने लगा।
मैंने उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक होठों को चूमने के बाद मैंने धीरे धीरे उसके चुचियों को, पेट को, जांघों को और फिर उसकी चूत को चूमने लगा।
वो एकदम गरम हो गयी और सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरा लंड भी खड़ा हो कर जोश से एक दम लोहे जैसा हो गया था और झड़ने वाला था।
मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास कर दिया और चूसने को कहा।
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने उसके मुँह में अपना लंड घुसाने की कोशिश की तो उसने अपना मुँह इधर उधर करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर ना नुकर करने के बाद आख़िर में उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी।
मैं उसके उपर लेट गया और मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी। दो मिनट बाद ही मैं उसके मुँह में झड़ गया और उसने मेरे लंड का सारा पानी निगल लिया। लंड का सारा पानी निगल जाने के बाद भी उसने मेरा लंड चूसना ज़ारी रखा।
वो भी अब तक बहुत जोश में आ गयी थी और उसकी चूत से भी पानी निकलने लगा।
मैंने भी उसकी चूत का सारा पानी चाट लिया। वो एक दम नमकीन और कुछ कुछ खट्टा था।
दस मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैं भी अभी तक उसकी चूत को चाट रहा था और वो भी अपना चूतड़ उठा उठा कर मज़ा ले रही थी।
हम दोनो बहुत जोश में आ गये थे। मैं उसके उपर से हट गया और उसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा। वो कुछ नहीं बोली और चुप-चाप उठ कर डॉगी स्टाइल में हो गयी। उसने अपना सर तकिये पर टिका दिया।
मैं समझ गया कि वो चुदवाने के लिए एकदम बेकाबू हो रही है। मैं उसके पीछे आ गया। मैंने उसकी चूत को फ़ैला कर अपने लंड का सूपाड़ा उसकी चूत के बीच रख दिया। वो कुछ नहीं बोली।
मैंने अपना लंड थोड़ा सा अंदर दबाया। उसकी चूत बहुत टाइट थी और केवल मेरे लंड का सूपाड़ा ही उसकी चूत के अंदर घुस पाया।
मैंने थोड़ा और दबाया तो वो पहली बार बोली- प्लीज़। ज़रा धीरे।
मैं समझ गया कि वो एक दम जोश में आ गयी है। मैंने अपना लंड थोड़ा और अंदर दबाया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरा लंड उसकी चूत में अब तक 2″ घुस चुका था।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
उसने भी अपना चूतड़ पीछे की तरफ दबाया और सिसकारियाँ भरने लगी, उफ़फ्फ़… जीत… धीरे… प्लीज़। दर्द हो रहाआ है… उईए… म्माआआआ… आआआहह… रुक्कक… जाओ…
मैं रुक गया।
वो बोली- जीतू, मैं पहली बार करवा रही हू। ज़रा आराम से धीरे धीरे करो। बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम घबराओ मत। मैं धीरे धीरे और आराम से ही करूँगा। मैं जानता हूँ कि तुम अभी तक कुँवारी हो और तुम्हारी चूत एक दम टाइट है।
मैंने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
छः सात मिनट तक चोदने के बाद उसे भी और ज़्यादा मज़ा आने लगा। वो बोली- जीतू, तुम अपना लंड थोड़ा सा और अंदर डाल दो। मैं तैयार हूँ।
मैंने थोड़ा सा और दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 3″ तक घुस गया।
वो फिर बोली- बस, रुक जाओ प्लीज़। दर्द हो रहा है। अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे।
उसकी सील टूट चुकी थी और वो अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी।
मैंने उसे धीरे धीरे चौदना शुरू कर दिया।
दो तीन मिनट में ही उसका दर्द जब कुछ कम हुआ तो उसे मज़ा आने लगा।
वो बोली- थोड़ा और अंदर डाल कर और तेज़ीसे चोदो… मुझे…
मैंने थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 4″ तक घुस गया।
मैं अपनी स्पीड को बढ़ाते हुए उसे चोदने लगा। वो अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी।
पाँच मिनट तक चोदने के बाद वो बहुत ज्यादा जोश में आ गयी और बोली- जीतू, और अंदर डालो अपना लंड मेरी चूत में। खूब तेज़ चोदो मुझे। अब रुकना नहीं, पूरा लंड अंदर घुसा देना। मैं एक दम बेकाबू हो रही हू और मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैंने अपना लंड थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 5″ तक घुस गया। मैंने उसे धीरे धीरे चौदना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया।
मेरा लंड उसकी चूत में 6′ तक घुस गया।
वो चिल्ला उठी लेकिन उसने मुझे रुकने के लिए नहीं कहा।
मैंने एक फाइनल शॉट लगा दिया तो वो बहुत तेज़ चिल्लाने लगी।
मेरा पूरा लंड उसकी चूत में एकदम ज़ड़ तक घुस चुका था।
वो बोली- जीतू, तुमने आख़िर मुझे आज एक लड़की से औरत बना ही दिया। मैंने अपनी चूत में तुम्हारा पूरा लंड अंदर ले ही लिया। बहुत दर्द हो रहा है। थोड़ा रुक जाओ, तब चौदना।
मैं रुक गया।
थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई तो उसने मुझसे चोदने के लिए कहा। मैंने सोनू की चुदाई शुरू कर दी। पहले बहुत धीरे धीरे उसके बाद मैंने बहुत तेज़ी के साथ चौदना शुरू कर दिया।
5 मिनट तक उसे चुदवाने में थोड़ा दर्द हुआ लेकिन उसके बाद वो एकदम शांत हो गयी और उसे मज़ा आने लगा, उसने अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
2 मिनट बाद ही वो बोली- और तेज़ चोदो, मेरे जीतू राजा। ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और बहुत तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा। वो अब अपनी चूत में मेरा पूरा लंड आराम के साथ अंदर ले रही थी।
2 मिनट भी नहीं बीते की वो फिर बोली- जीतू, मुझे कुछ हो रहा है। लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है। खूब ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाओ।
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी।
वो बोली- आआआ!!! मैंऽऽऽ आआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया।
मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा। लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी 2 बार झड़ चुकी थी। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।
हम दोनो तक गये थे। कुछ देर आराम करने लगे।
15 मिनट बाद वो बोली- जीतू, प्लीज़। एक बार और करो ना। मुझे बहुत अच्छी लग रही थी यह चुदाई।
उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। दस मिनट में ही मेरा लंड एक दम तैयार हो गया।
मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके चूतड़ के नीचे 2 तकिये रख दिए। उसकी चूत एक दम उपर उठ गयी।
मैंने उसकी चूत के बीच जैसे ही अपना लंड रखा तो वो बोली- जीतू, मुझे बहुत मज़ा आया था। इस बार तुम अपना लंड को एक ही धक्के में पूरा अंदर डाल दो।
मैंने अपनी सासें रोक कर अपने को थोड़ा तैयार किया और पूरा ज़ोर लगते हुए एक करारा धक्का मारा। मेरा पूरा लंड सनसंता हुए उसकी चूत में घुस गया। वो बहुत तेज़ चीख पड़ी।
मैंने बिना रुके उसकी चुदाई शुरू कर दी। 2 मिनट में ही वो अपना चूतड़ उठा उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। 5 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गयी। उसकी चूत एक दम गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत के पानी से एक दम गीला हो चुका था।
मैं रुका नहीं, उसको चोदता रहा। कमरे में फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। इस बार मैंने उसे बिना रुके उसको चौदा और उसकी चूत में ही झड़ गया। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकाल देने के बाद मैं हट गया और उसके बगल में ही लेट गया।
वो भी थक कर चूर हो गयी थी और एकदम निढाल हो गयी थी। वो बेड पर ही पड़ी रही। Sex Stories
मेरा नाम खुशबू है। अभी मैं २२ वर्ष की हूँ। इसी Sex Stories साल मैंने एम ए किया था। मेरे कॉलेज समय में यानि एक साल पहले मैं एक क्लास में पढ़ने वाले साथी के साथ प्यार कर बैठी थी, यह जानते हुए भी कि मेरी सगाई हो चुकी है।
आलोक एक सुन्दर और व्यवहारिक लड़का था। वो जिम में जाने वाला कसे जिस्म का लड़का था। मैं उसकी शरीर के कट देख कर उस पर मर मिटी थी। जब मैं उससे अधिक बात करने लगी तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित हुआ। धीरे धीरे ये निकटता में बदल गई और एक दिन उसने मुझे प्रोपोज कर ही दिया। मैं तो पहले ही उस पर मरती थी। उसके प्यार को मैंने तुरन्त स्वीकार कर लिया। अब हम छुप छुप कर गार्डन में, झील के किनारे, लाइब्रेरी में या रेस्टोरेन्ट में मिलने लगे थे पर कॉलेज में सावधान रहते थे कि कही बदनाम ना हो जाये।
अभी तक बस उसने मेरा हाथ ही पकड़ा था। पर मेरी इच्छा तो अपनी हवस पूरी करने की थी, बस जिस्म की जरूरत को पूरा करना चाहती थी। मैं उसे हर तरह से उत्तेजित करती रहती थी कि वो मौका मिलते ही मेरी छातियाँ दबाये और मेरे दूसरे अंगों को मसल दे। कभी ऐसा भी हो जाये कि मुझे अकेले में चोद दे और मेरी प्यास बुझा दे। पर वो मेरे अंगो को हाथ लगाने से भी डरता था। वैसे मुझे चुदाई का कभी भी मौका नहीं मिला था। मैं एक दम अनछुई कली थी, जो खिलने को बेताब थी।
एक दिन आलोक ने मुझे बताया कि शाम को उसके मम्मी पापा एक दिन के लिये मथुरा जा रहे है। शाम को घर पर आ जाना। मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। मुझे लगा कि आज मौका है, सारी इच्छायें पूरी कर लूंगी। मेरा जिस्म तरावट से भर उठा। मेरे बदन में झुरझुरी सी आने लगी, चुदाई की सोच से मैं बैचेन होने लगी, सपनों में डूबने लगी।
बड़ी मुशकिल से शाम हुई। मैंने मोबाईल से पता किया, उसके मम्मी पापा जा चुके थे। मैंने अपनी स्कूटी उठाई और आलोक के घर पहुंच गई। जैसे ही मैं उसके घर पहुंची, उसके चेहरे पर खुशी झलकने लगी। अन्दर आते ही उसने मेरा गर्म जोशी से स्वागत किया। फिर हम एक सोफ़े पर बैठ गये। उसने धीरे से मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और बातें करने लगी। पर मेरे दिल में तो कुछ और ही था। मेरा तो जिस्म ही जल रहा था। मैं चाह रही थी कि आज हम दोनों अकेलेपन का भरपूर फ़ायदा उठायें। वो सब कर डालें जो हमारे मन में है।
मैंने ही पहल करना उचित समझा… आलोक तो बस अपना प्रेमालाप ही करता रहा। मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख कर उसे दबाया और उसकी काम वासना को जगाने की कोशिश की। उसके जिस्म की कंपकंपी मैंने महसूस कर ली। वो बोलता रहा, मेरी आँखें बन्द होने लगी और जाने कब वो मेरे कब्जे में आ गया। उसके होंठ मेरे होंठो से लग गये और उसका बोलना बन्द हो गया। पुचकारी की आवाजें गूंजने लगी। जीभ मुँह में अन्दर बाहर आने जाने लगी। उसका लण्ड खड़ा हो गया और मेरा काम बन गया।
उसने मुझे चूमते हुए सोफ़े पर गिरा दिया और मेरे जिस्म पर उसका बोझ आ गया। मेरे सीने पर उसके हाथ घूमने लगे। मेरी दिल इच्छा पूरी होने लगी। मुझे सोफ़े में तकलीफ़ हो रही थी। मैंने उसे कहा कि मुझे बिस्तर पर ले चलो। उसने मुझे अपनी बाहों में एक खिलौने की तरह उठा लिया। उसके बाहों की ताकत मुझे मालूम हो गई। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे जिस्म पर अपना बोझ डाल दिया।
उसकी काया मेरी काया से चिपकी जा रही थी और लण्ड नीचे मेरी चूत पर दबाव डाल रहा था। बिस्तर में मुझे सहजता लग रही थी। उसके हाथ मेरे स्तन दबाने लगे थे और मुझे असीम आनन्द दे रहे थे। मेरी चूत पनीली हो चुकी थी। मेरा जिस्म अब चुदाई मांग रहा था, पर कैसे कहूँ? मैंने इशारों से काम लेना बहतर समझा। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
इसका तेज असर हुआ और उसने अपनी पेन्ट उतार फ़ेंकी और नंगा हो गया। मैंने जानबूझ कर शरमाने की एक्टिंग की और उसे नंगा देख कर कहने लगी,’ये क्या आलोक? क्या कर रहे हो? ‘
‘प्लीज खुशबू, मुझे मत रोको… वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा !’
‘नहीं, आलोक नहीं, देखो मेरी सगाई हो चुकी है, ये ठीक नहीं है?’ पर इतनी देर में वो मेरे कपड़े खींच चुका था। मैंने भी सरलता से उसे उतारने दिये, चुदना जो था।
‘बस खुशबू अब चुप हो जाओ, इस अन्तर्वासना की लजन में कुछ सही गलत नहीं होता है !’ कह कर वो मेरे ऊपर फिर से चढ़ गया।
मैंने अपनी दोनों टांगें खोल ली और चूत का द्वार खोल दिया। पहले तो वो मेरा जिस्म दबाता, मसलता रहा। फिर उसका लण्ड मेरी चूत में घुस पड़ा और उसने चूतड़ों का पूरा जोर लगा कर अन्दर तक उतार दिया। मेरे मुख से जोर की चीख निकल पड़ी। साथ में वो भी कराह उठा। जल्दी से उसने अपना लण्ड निकाल लिया।
‘हाय रे मुझे लग गई है… ! ‘ उसके लण्ड के सुपाड़े के पास की झिल्ली फ़ट गई थी। मेरी चूत में से भी खून निकल आया था।
‘अरे ये खून !’ मैंने भी घबरा गई, मुझे भी अन्दर दर्द हो रहा था। सारा नशा काफ़ूर हो गया था। हम दोनों बाथरूम की ओर भागे। पानी से साफ़ करने लगे, मैंने देखा तो उसके लण्ड की पतली सी स्किन थी, जो सुपाड़े के आस पार से चिर गई थी, साफ़ नजर आ रही थी। मेरी चूत में से बून्द बून्द करके अभी भी खून बह रहा था। मैं घबरा उठी। यह तो मैं जानती थी कि झिल्ली होती है और पहली बार चुदने पर वो फ़ट जाती है पर नहीं मालूम था कि उसके बाद क्या करना चाहिये।
मैंने तो अपने बेग में से सेनेटरी नेपकिन निकाला और नीचे लगा दिया। हमारा पहला अनुभव था इसलिये कुछ समझ में नहीं आया तो मन मार कर मैंने चुदाने का विचार अभी छोड़ दिया। हम दोनों आपस में यही सोचते रहे कि अब क्या करें। कुछ देर बाद मैं घर चली आई। दर्द अभी भी था।
सुबह मैंने पैड हटा कर देखा तो सभी कुछ सामान्य थ, दर्द भी नहीं था। कॉलेज जाने से पहले मैं आलोक के घर गई कि उसे बता दू कि मैं अब ठीक हूँ। उसने भी भी बताया कि वह भी अब ठीक है।
उसने कहा- क्या अब फिर से ट्राई करें?
मैंने सोचा- अगर दर्द नहीं हुआ तो ठीक है वर्ना नहीं करेंगे।
हम जल्दी से बिस्तर पर आ गये। आलोक ने और मैंने जल्दी से कपड़े उतार लिये। कपड़े उतारते ही हम एक दूसरे को देखते ही रह गये। आज तो मैं होश में थी, उसका नंगा जिस्म, मसल्स उभरी हुई, लण्ड मदमस्त सा लहराता हुआ मेरे होश उड़ाने के लिये काफ़ी था। मेरे सेक्सी बदन को देख कर उसका हाल भी बुरा होने लगा। हम भाग कर एक दूसरे से लिपट गये। दो जवान जिस्म टकरा उठे, आग बरसने लगी। उसका मर्द मेरी गहराईयों को ढूंढने लगा। हम बिस्तर पर गिर पड़े और एक दूसरे को ऊपर नीचे लोट लगाने कर मचलने लगे। मन चुदने के लिये मचल उठा।
लोट लगाते हुए वो मेरे ऊपर आ गया और अब उसके चूतड़ मेरी चूत पर अपने लण्ड को दबाने लगे… आश्चर्य हुआ कि इस बार बिना किसी तकलीफ़ के उसका लण्ड मेरी चूत में उतर गया। मेरी पनीली चूत ने सहजता से लण्ड को अपना लिया। मुझे मीठे से अहसास के साथ खुमारी चढ़ने लगी। आज लगा कि लड़कियाँ चुदने के लिये इतना मरती क्यूँ हैं। मैंने भी अपनी चूत का पूरा दबाव उसके लण्ड पर डाल दिया।
धक्के चल पड़े। आलोक की कमर आगे पीछे होने लगी। हम मस्ती की सीढ़ियाँ चढ़ने लगे। सिसकारियाँ निकलने लगी… आलोक का भी यह पहला अनुभव था और मेरा भी। धक्कों की तेजी बढ़ती गई। हम दोनों आनन्द की दुनिया में मस्त हो गये। चूत-लौड़े की मीठी मीठी आग में हम जलते रहे।
‘हाय मेरे राजा, मस्त कर दे मुझे… चोद दे… जरा और … हाय रे !’
‘मेरी जानू, मस्त है रे तू… कितना मजा आ रहा है !’ हम चुदाई करते रहे और कुछ कुछ मस्ती में बोलते भी जा रहे थे।
कुछ ही देर में मैं चरमसीमा पर आ गई। और मस्ती के मारे मेरा रस छूटने लगा। मैं झड़ने लगी। मेरी आंखें बन्द हो गई। झड़ने का सुहाना आनन्द आने लगा। कुछ ही देर में आलोक ने भी अपना लण्ड बाहर खींच लिया और मेरी छाती पर अपना वीर्य छोड़ने लगा। मुझे बड़ा गन्दा सा लगा। मैंने उसे कहा कि वो दूसरी तरफ़ अपना रस गिराये। मैंने पानी से साफ़ किया और हम अब सुस्ताने लगे। इस के बाद मैं कॉलेज चली गई।
इसके बाद हमारा इस तरह का कार्यक्रम कभी मौका मिलने पर ही होता था।
मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। एक साल बीतने को आ गया था। हम दोनों कितनी ही बार घर से भाग कर शादी करने का प्रोग्राम भी बना चुके थे। पर हममें इतनी हिम्मत ही नहीं थी। मेरी एम ए की डिग्री भी मिल चुकी थी। मेरी शादी भी कुछ दिनों बाद हो गई। मैं अपने पति के साथ एक अलग घर में रहने चली गई थी।
एक बार दिन को आलोक मेरे घर आ गया। मेरे पति काम पर गये हुए थे। उसने बताया कि टीचर की कुछ जगह निकली है, आवेदन भर दो। तब मैंने अपने पेपर टटोले और सभी निकाल कर आवेदन जमा करा दिया। आलोक ने एकान्त पाकर मुझसे एक बार चुदाई के कहा तो मैं मान गई। मेरा मन फिर मचल गया। आलोक का लण्ड ही इतना प्यारा था कि मन चुदने को बेकरार हो उठा।
हम दोनों ने अपने कपड़े उतारे और चुदाई में लग गये। मस्ती का सफ़र चल ही रहा था कि जैसे बिजली गिर पड़ी। आलोक का लण्ड मेरी चूत में ही था और मेरा पति सामने खड़ा था। हमारा सारा नशा गायब हो गया। आलोक तुरन्त उछला और अपनी पेन्ट पहनने लगा। मेरा पति आपे से बाहर हो चुका था। उसने पास में पड़ी कुर्सी उठा कर आलोक को दे मारी। वो पेन्ट पहन भी नहीं पाया था कि कुर्सी का वार उस पर आ पड़ा। वो बुरी तरह से गिर कर घायल हो गया। पर उसकी फ़ुर्ती गजब की थी। मेरा पति दूसरा वार करता उसने अपनी पेन्ट ठीक की और एक तरफ़ हो गया। दूसरे ही पल आलोक ने लपक कर उसे पकड़ लिया और उसके पेट पर जबर्दस्त घूंसा मारा और साथ में दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर वार कर दिया। मेरा पति आलोक से कमजोर था। वो लहरा कर गिर पड़ा। आलोक ने फ़ुर्ती से छलांग लगाई और वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
मेरा पति जब उठा तो उसका चेहरा खून से भरा था। उसने डंडा उठाया और मुझे बुरी तरह से मारना चालू कर दिया। मैं जोर जोर से रो कर उससे पांव पड़ कर माफ़ी मांगती रही पर उस पर तो जैसे खून सवार था। मैं रोती रही, मेरे जिस्म पर डण्डों की मार से नील पड़ चुकी थी। मेरे बालों का एक गुच्छा टूट कर वहाँ पड़ा था। पीठ में असहनीय दर्द हो रहा था। मुझे उसने एक कमरे में बन्द कर दिया। मैं दरवाजा भड़भड़ाती रही और माफ़ी मांगती रही। वो मुझे माँ बहन की गालियाँ देता रहा। अचानक उसके बाहर जाने की आवाज आई। मेरी नजर खिड़की पर पड़ी, मैंने जल्दी से पट खोला और कूद कर बाहर निकल आई। भाग कर बाहर आई तो दो-तीन पड़ोसी बाहर खड़े थे। मेरी चीख पुकार से शायद वो वहाँ आ गये थे।
पड़ोसी ने कहा,’खुशबू बेटी, वो शायद पुलिस थाने गये हैं !’
मैं और डर गई। आलोक के बारे में वहाँ कोई कुछ नहीं जानता था। मुझे लगा अब मुझे यहाँ रहने में खतरा है। मैंने तुरन्त अन्दर गई और और एक एयर बैग में सलवार, कुर्ते जल्दी जल्दी भरे, तभी मेरी नजर मेरे सर्टिफ़िकेट्स पर पड़ी, उन्हें भी मैंने रखा और कमरे में जहाँ मैं पैसे रखती थी, रुपये पैसे लिये और अपने गहने उठा लिये, फिर पति कि अलमारी से उसके पैसे निकाले और बाहर आ गई। तब तक घर के बाहर आठ दस लोग इकठ्ठे हो गये थे।
मैंने कहा,’भाई साहब ! मैं मायके जा रही हूँ… और पिटाई नहीं सह सकती हूँ !’ पड़ोसियों मेरी मदद की और पास में जा रहे टूसीटर को रोका और मां के घर की तरफ़ रवाना हो गई। फिर मुझे लगा कि वो तो वहां भी आ जायेगा। आगे जाकर मैं टूसीटर से उतर गई। वही खड़ी खड़ी सोचती रही। मुझे अपनी जिन्दगी इस छोटी सी गलती के कारण अन्धकारमय नजर आने लगी थी।
मैंने एक बड़ा कदम उठाने का निश्चय कर लिया और रेलवे स्टेशन पहुंच गई। दिल्ली की ट्रेन खड़ी थी। टिकट लिया और बैठ गई। गाड़ी जाने में एक घंटा का समय और था। मैं एक कोने में चुन्नी सर पर डाल कर मुँह छुपाये हुए थी। दिमागी परेशानी के मारे मुझे पता ही नहीं चला कि ट्रेन कब चल दी और मैं दिल्ली कब आ गई। बिना किसी लक्ष्य के मैं निजामुद्दीन से बाहर आ गई। सवेरे का समय था। एक रेस्टौरेन्ट में चाय बिस्किट खाये और फिर मैं आगे बढ़ी। थक कर एक चर्च के बाहर बैठ गई। मुझे नहीं पता था कि दो नजरें मुझे कब से देख रही हैं। बैठे बैठे मेरी झपकी लग गई। अचानक मेरे सर पर किसी का हाथ लगा। मैं चौंक गईऔर घबरा गई। नींद से जाग गई।
‘उठो, बेटी, ये जीजस का घर है… सभी दुखियारों का आसरा… !’
सामने चोगा पहने कोई पादरी था। मुझे प्यार भरी नजरों से देख रहा था। मुझे लगा कि ये दया का फ़रिश्ता कौन है।
‘आ जाओ… मेरे साथ… ‘ उसने अपना हाथ बढ़ा दिया। उसके बूढ़े हाथों को मैंने थाम लिया और मेरी रुलाई अब जोर से फ़ूट पड़ी… ।
‘रो लो बेटी, मन हल्का हो जायेगा।’ मेरी रुलाई कम हुई तो मन मजबूत करके मैं उनका हाथ थामे चर्च परिसर में प्रवेश कर गई।
खुशबू जिंदगी के किस मोड़ पर पहुंची … पढ़े भाग 2 में Sex Stories
हाय दोस्तों, मेरा नाम करण है। मैं Indian Sex Storiesबंगलोर में रहता हूँ और एक बहुत बड़ी कंपनी में काम करता हूँ। वैसे तो मैंने यह कंपनी कुछ दिनों पहले ही ज्वाइन की है लेकिन जो हुआ उसका अंदाजा भी नहीं था मुझे।
मैं ट्रेनिंग में था और हमारे ग्रुप में लगभग २० लोग थे। उनमें एक लड़की भी थी जिसका नाम सलोनी है। मैं और सलोनी काफ़ी अच्छे दोस्त हैं। वैसे मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देता हूँ लेकिन वो मेरी दीवानी है। उसका फिगर मस्त है लेकिन गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी है। कुल मिला के पटाका आइटम है। जब बाल खुले रखती है तो क्या क़यामत गिरती है, बता नहीं सकता।
चलो अब कुछ मजेदार बात हो जाए !
क्यूंकि मैं रात में ड्यूटी करता हूँ इसलिए सुबह देर तक सोया रह गया। मेरा ऑफिस टाइमिंग ११.३०-७.३० था। १४ अगस्त को मैंने सलोनी को कॉल किया और इस तरह बोला कि मैं तुमसे कुछ मांगूंगा।
उसने बोला- जो तुम्हें चाहिए वो मिलेगा। लेकिन तुम क्या चाहते हो?
मैंने बोला- तुम सोचो कि मैं क्या मांग सकता हूँ?
उसने कुछ सोचा और पूछा- क्या तुम मुझे किस करना चाहते हो?
मेरे मुँह से हां निकल गया।
उसने बोला- ठीक है !
उस रात को मैं ऑफिस जाने लगा और कैब से सलोनी को मेसेज किया, मैंने बोला- मैं बहुत बेताब हूँ !
वो भी बेताब थी। लेकिन मेरी किस्मत पर कुत्ता मूत गया क्यूंकि वो रात में ऑफिस कुछ देर से आई। खैर वो आ गई. ट्रेनिंग रूम में घुसते ही उसने एक किलिंग लुक मुझे दिया. मैं तो वहीँ फ़िदा हो गया और चेयर से पीछे लुढ़क गया. सब हंसने लगे. सलोनी मेरे पास आ के बैठी और पूछा- क्यूँ बेताब हो?
मैं कुछ नहीं बोला, मेरी बोलती ही बंद हो गई थी। जैसे-तैसे उससे बात की मैंने। वो समझ गई थी कि मेरी क्या हालत है। हम दोनों पागल हो गए थे किस करने के लिए। डिनर ब्रेक हुआ और मैं छत पर गया, वो लू में चली गई और मेरा इन्तज़ार करने लगी। मैंने कॉल करके कहा कि ग्राउंड फ्लोर पर मिलो। मैं दौड़ के वहां गया, वो भी आ गई। फ़िर हम दोनों किसी कोने की तलाश में इधर- उधर भटकने लगे। जगह नहीं मिलने से मेरा दिमाग गरम हुआ जा रहा था, मैंने सलोनी से कहा की अगर २ मिनट में मुझे किस नहीं मिला तो मैं पागल हो जाऊंगा !
वो मेरी हालत समझ रही थी, उसने मेरे सीने पे अपना सर रख दिया और मेरे हाथ को पकड़ कर कहा- लिफ्ट में चलते हैं।
मैंने बोला- ठीक है।
फ़िर हम दोनों लिफ्ट में गए, ग्राउंड फ्लोर से सीधे १३वीं मंज़िल का बटन दबाया। बीच में कोई रोक-टोक नहीं थी। हम दोनों ने काफ़ी लंबा समूच किया एक दूसरे को, दोनों निहाल हो गए थे लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा था। डिनर ब्रेक ख़त्म हो गया। दोनों कमरे में जा के बैठ गए। मैंने सलोनी से १ और किस माँगा, उसने मना कर दिया तो मुझे गुस्सा आ गया।
मैं कमरे से बाहर चला गया। सलोनी को बुरा लगा तो वो भी बाहर आ गई। मैंने बोला कि अगर १ किस और नहीं दिया तो मैं कमरे में नहीं जाऊंगा। उसने कुछ नहीं बोला। मैंने उस दिन ट्रेनिंग नहीं किया।
मैं घर जाके सो गया और १५ अगस्त को अपने एक दोस्त को बुलाया। जैसे ही वो मेरे घर आया, सलोनी का भी कॉल आया। उसने पूछा- क्या कर रहे हो?
मैंने बोला- मैं सो रहा हूँ और मेरा मूड ठीक नहीं है।
वो समझ गई। फ़िर मैंने पूछा- तुम क्या कर रही हो?
तो उसने बोला- पापा-मम्मी चर्च गए हुए हैं और शाम में आएंगे।
अब मैं समझ गया कि क्या करना है लेकिन कल का भाव दिखाने लगा। मैंने पूछा- क्या मैं तुम्हारे घर आ सकता हूँ? उसने बोला- जल्दी आओ।
मैं उठा और बिना ब्रश किए उसके घर चला गया, मेरा दोस्त भी था मेरे साथ। मुझसे ज्यादा मेरा दोस्त ही उछल रहा था।मैंने माउथ फ्रेशनर खाया और उसके घर पहुँचा। और हाँ, जब मैं उसके घर जा रहा था तो उसने मुझे काल करके पूछा कि क्या पियोगे? मैंने बोला- मैं तो सिर्फ़ गर्म दूध पीता हूँ ! मैं उसको छेड़ रहा था।
उसने पूछा- कुछ कोल्ड ड्रिंक्स वगेरह?
मैंने बोला- बस रहने दो, अब मुझे सिर्फ़ तुम्हारे घर पहुँचने का इंतज़ार है !
जैसे-तैसे उसके घर पंहुचा, वो बाहर निकली, खुले बालों में क्या लग रही थी वो। मैं तो उससे देखता ही रह गया। इससे पहले कि मैं संभल पाता, उसने मेरा हाथ पकड़ा और घर के अन्दर जाने को कहा। मैं अन्दर चला गया और सोफे पे बैठ गया। उसने शीशे के ग्लास में कोल्ड ड्रिंक मेरे सामने रखा। वो टी-शर्ट और ज़ींस पहने हुए थी।
जैसे ही ग्लास रखने के लिए वो झुकी, मुझे उसका बूब्स दिखने लगा. मैंने अपने आप को संभाला. फ़िर वो मेरे सामने बैठ गई. हम दोनों ने थोड़ी देर दुनिया-जहान की कुछ फालतू बातें की और ड्रिंक ख़त्म किया. फ़िर उसने मुझे बोला उसके बेडरूम में बैठने को। मैं चला गया और उसने मेन-गेट और डोर लाक कर दिया।
मेरे बगल में बैठते ही उसने मुझे किल्लिंग लुक दिया. मैंने बिना देर किए उससे पकड़ लिया और जम कर आधे घंटे तक किस किया. उसके पसीने आने लगे। उसने कहा थोड़ी देर रुक जाओ, मैं भी थक गया था। फ़िर दूसरा राउंड शुरू हुआ. मैं लेटा हुआ था कि वो मेरे ऊपर आ गई और एकदम से मुझे चाटने लग गई। मैं जन्नत की सैर कर रहा था।
उसने मेरे पूरे कपड़े खोले और ऊपर से नीचे तक चाट, खाया और चूसा। मैं भी मस्ती में अपना लंड चुसवा रहा था। फ़िर मैंने उसके कपड़े खोलने शुरू किए। मैंने उसे बेड पे पटक दिया और पहले उसके बूब्स दबाये, फ़िर टी-शर्ट खोला, फ़िर ब्रा फ़िर सो ओन….. ३० सेकंड्स के बाद वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी।
मैंने देर न करते हुए उसके मम्मों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। फ़िर उसके गले से होते हुए उसके कानों को चूसा। वो भड़क रही थी, मुझे कस के पकड़े हुए वोह बहुत सिसक रही थी जिससे मुझे और भी जोश आ रहा था। फ़िर मैंने उसके होठों को चूसना शुरू किया और उससे खाया भी। वो भी मेरा बहुत साथ दे रही थी।
थोड़ी देर किस करने के बाद मैंने उसके नाभि के आस-पास अपने जीभ से सहलाना शुरू किया, वो मदहोश हुए जा रही थी। मेरा १ हाथ उसके कमर में था और १ हाथ उसकी चूत पर. मैंने महसूस किया कि उसकी चूत से पानी निकल रहा है, मैं समझ गया कि अब वो तैयार है, मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया और वो उससे ज़ोर से रगड़ने लगी, मेरा लंड खड़ा हो गया, वो ८” का है।
सलोनी ने बोला धीरे से डालने को। मैंने बोला ठीक है। फ़िर मैंने अपना लंड उसकी भीगी चूत पर रखा और और अपना वचन तोड़ते हुए एक ही झटके में पूरा लंड घुसा दिया, वो बिल्कुल उठ कर मेरे लंड पे बैठ गई, मेरे बालों को ज़ोर से पकड़ लिया और रोने लगी। पूरे बेड पर खून के धब्बे लग गए, वो बहुत रो रही थी, मैंने थोडी देर के लिए धक्का लगना बंद कर दिया।
२ मिनट के बाद वो शांत हुई और फ़िर से लेट गई। मैं समझ गया कि अब उससे मज़ा आएगा। मैंने १ और ज़ोर का धक्का लगाया. वो फ़िर उछल गई। फ़िर मैंने उसे इतना चोदा, इतना चोदा कि उसकी माँ तक चुद गई, हर एंगल से उसकी चुदाई की। उसके मुँह से निकलती आवाजें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी. यही कारण था कि मैंने एक ही बार में अपना पूरा लंड डाल दिया था। उससे भी बहुत मजा आया। उसके शरीर का एक भी ऐसा हिस्सा नहीं बचा था जो मेरे मुँह से बचा हो, मैंने उसे हर जगह चूमा था, उसके चेहरे से वो सन्तुष्ट दिख रही थी। वोह बहुत खुश थी।
हमने ५० मिनट तक चुदाई की थी। बाद में मैंने फ़िर से उसको चूमा और उन यादगार पलों के लिए थैंक्स कहा। उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और एक गहरा चुम्बन दिया। उसने भी मुझे थैंक्स कहा। मैंने उसे वो खून के धब्बों वाली चादर हटाने के लिए कहा। फ़िर हमने साथ में स्नान किया और एक दूसरे को किस करते रहे। नहाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ के कोल्ड ड्रिंक्स पीने लगे। मैं अभी भी उसको भूखी नज़रों से देख रहा था. वो भी मुझे तड़पा रही थी। हमने एक और गहरा चुम्बन किया और मैंने उसके कान पर ज़ोर से काट के, बूब्स को दबा के और चूत को सहला के सिगरेट पीने लगा।
तो दोस्तों कैसे लगी मेरी कहानी, ज़रूर बताइयेगा। Indian Sex Stories
हाय दोस्तों, मैं यानि करण गुप्ता फ़िर Sex Stories एक बार आपके लिए एक कहानी तो नहीं बल्कि एक सच्ची दास्तान लिखने जा रहा हूँ.
दोस्तों समय बरबाद न करते हुए अपनी असली बात पर आते हैं,
बात उन दिनों की है जबकि मैंने नया नया मोबाइल ख़रीदा था. उन दिनों प्रीपेड कनेक्सन नहीं होते थे, सब कोई पोस्ट पेड यानी बिल वाले मोबाइल ही प्रयोग किया करते थे.
मैंने मोबाइल ख़रीदा तो कॉल का आना जाना भी जरुरी था. लेकिन किसी का फ़ोन ही नहीं आता था. एक दिन मुझे एक कागज़ पर एक नम्बर लिखा हुआ मिल गया, उस पर नम्बर के साथ किसी लड़की का नाम भी लिखा हुआ था. मेरे मन में आई कि क्यूँ ना इस नम्बर पे कॉल की जाए. सो मैंने कॉल कर दिया. वहां से लड़की की आवाज़ आई -जी कौन?
मैंने कहा- जी क्या मैं शालू से बात कर सकता हूँ?
वो बोली- जी आप बात कर रहे हैं !
मैं हैरान था क्योंकि कागज़ पर जिस लड़की का नाम लिखा था उसका नाम अंजना था. मैंने भी बातों का सिलसिला जारी रखा। मैंने कहा कि आप तो भूल ही गए हमें लेकिन हम आपको नहीं भूल पाए.
वो भी बात से बात जोड़ती गई कि आपने ही हमें भुला दिया वरना हम तो ऐसा सोच भी नहीं सकते.
मैं हैरान था कि मैं तो वैसे ही झूठ बोल रहा हूँ लेकिन ये तो हर एक बात का जवाब ऐसे दे रही है जैसे हम काफ़ी समय से एक दूसरे को जानते हों.
आधा घंटे बात करने के बाद वो बोली कि आपने ग़लत नम्बर डायल किया है और मेरा नाम शालू नहीं है, मैं बोर हो रही थी तो बस आपका फ़ोन आया और मैं टाइम पास करने लगी. आप दोबारा इस नम्बर पर फ़ोन न करें.
मैं उदास हो गया. लेकिन मैं मानने वाला नहीं था, २ दिन बाद फ़िर से उसका नम्बर डायल किया तो वो बोली- तुम्हे मैंने मना किया था और तुमने फ़िर से फ़ोन कर दिया !
तो मैंने कहा कि आज मैं बोर हो रहा हूँ तो क्या कंपनी नहीं दोगी?
तो वो मान गई और हम दोनों बात करने लगे. बातों -२ में उसने कहा कि मेरा बॉय फ्रेंड है और हम जल्दी ही शादी करने वाले हैं. तो मैं उसके बारे में ग़लत ना सोचूं और कोई ऐसी बात भी ना करूँ जिस से उसका दिल टूटे.
मैंने उसकी बात मान ली. उस दिन के बाद हम हर रोज़ बातें करने लगे. धीरे-२ हम सब तरह की बातें करने लगे. एक दिन हम दोनों एक दूसरे से मिलने को तैयार हुए. हम एक रेस्तौरां में मिले, तो मैं उसे देख कर दंग रह गया. वो एक खूबसूरत बदन की मालकिन थी. कद ५’६” ,३० /२६ /३० का फिगर होगा. रंग थोड़ा सांवला था लेकिन बहुत ही सेक्सी थी.
हमने साथ बैठकर काफ़ी ली। मैंने उसे कहा कि आप बहुत खूबसूरत हो तो वो शरमा गई। दिल में था कि उसे पकड़ के चूम लूँ लेकिन मैं उससे डरता भी था.
इस दिन के बाद हम कई बार मिले लेकिन मैं उसे कभी हाथ भी नहीं लगा पाया. हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे और हम सब तरह की बातें करने लगे.
एक दिन उस ने बताया कि उसकी शादी फिक्स हो गई है तो मैं उदास हो गया कि अब मेरी एक अच्छी दोस्त मुझ से जुदा हो जायेगी, उस का पति पता नहीं उसे मुझसे बात करने भी देगा या नहीं.
उसने मुझे अपनी शादी में बुलाया लेकिन मैं गया नहीं, थोड़े समय के बाद मेरी भी शादी फिक्स हो गई. इस के बाद मैं भी अपनी लाइफ में व्यस्त हो गया. ३ साल बीत गए और मेरे घर पे मेरी पत्नी ने एक चाँद से बेटे को जन्म दिया.
एक दिन मैं बाज़ार में घूम रहा था तो अचानक किसी ने मुझे आवाज़ दी तो मैं हैरान था कि अंजना मेरे सामने थी, उसने कहा कि वो २ दिन
पहले ही मायके आई थी.
मैंने उसका मोबाइल नम्बर पूछा तो उसने कहा कि तुमने अपना नम्बर बदल दिया है लेकिन मैंने नहीं बदला. उसने बताया कि उसके पति किसी ऑफिस के काम से टूर पर गए हैं तो वो १ महीने के लिए मायके में ही रहेगी. उसने मुझे किसी भी समय फ़ोन करने को कहा और कहा कि मुझसे उसे बहुत सी बातें करनी हैं.
अगले दिन मैंने उसे फ़ोन मिलाया. हम ने काफ़ी बातें की. बातों बातों में पता चला की अभी उसके कोई भी औलाद नहीं हुयी थी. उसने बताया कि उस के पति हर रोज़ शराब पी कर आते हैं और वो शराब के बाद सेक्स करना ठीक नहीं समझती.
मैंने उसे समझाया कि सब ठीक हो जाएगा. हम फ़िर से हर रोज़ बातें करने लगे.
एक दिन अंजना ने मुझे अपने घर बुला लिया. मैं उसके घर चला गया. उसके मोम और डैड से मैं पहली बार मिला. उस का घर सड़क से
करीब एक किलोमीटर था, मतलब एक किलोमीटर पैदल का रास्ता था.
उसके घर पर बैठे हुए मुझे करीब ५ बज गए. मैंने कहा कि अब मुझे चलना चाहिए.
अंजना ने कहा कि वो मुझे मेरी गाड़ी तक छोड़ कर आएगी। मैंने मना किया तो वो नहीं मानी और साथ चलने को तैयार हो गई. रास्ते में चलते हुए उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं हैरान था कि आज उसने ये कैसे किया क्योंकि ३ साल कि दोस्ती में जिसने मुझे कभी हाथ भी नहीं लगाने दिया वो आज मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी है.
मैंने कहा कि ये क्या?
तो वो बोल पड़ी कि मैं ग़लत थी, मेरी पसंद ग़लत थी, मुझे तुम से अच्छा जीवन साथी नहीं मिल सकता था.
मैंने उसे कहा कि अब हम दोनों की शादी हो चुकी है और जैसे भी हो हमें अपने साथी को खुश रखना चाहिए.
वो बोली- मैं इन बातो को नहीं मानती. मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हूँ और तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ. मेरा पति हर रोज़ शराब के नशे में आता है और कुछ भी नहीं कर पाता.
मैं तुमसे एक दोस्त के रिश्ते से बस एक रात मांग रही हूँ. प्लीज़ मना मत करना.
मैंने कुछ समय माँगा और कहा कि मैं सोच कर बताऊंगा.
तो दोस्तों ये है किस्सा मेरा और मेरी दोस्त अंजना का.
तो दोस्तों अब आप ही बताओ कि मैं क्या करूँ क्या मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए ?
मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूँ लेकिन मैं अपने दोस्त का साथ भी नहीं छोड़ सकता !
अंजना बहुत दुखी है ,तो क्या मुझे उस की बात मान लेनी चाहिए?
आप मेरी मदद करें और मुझे बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?
मैं आपका तहे दिल से शुक्र गुजार रहूँगा !
आपकी सलाह का मुझे मेरे मेल पर इन्तेज़ार रहेगा Sex Stories
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