Our site can help you find a professional massage girl in Kochi who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Kochi that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Kochi massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Kochi who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Kochi massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Kochi massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Kochi who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Kochi employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Kochi helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Kochi
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Kochi at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
मेरा नाम साधना है और मेरी उम्र 23 साल है. मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ.
मैं अपने जिस्म की बात करूँ तो मेरे बूब्स 36 इंच के एकदम टाइट हैं, मेरी कमर 30 की है और गांड 38 इंच की है, जो चलते समय बहुत मटकती है.
मेरा जिस्म किसी पेप्सी की 300 एमएल की बोतल के जैसे है.
ये सेक्स कहानी मेरी और मेरे ब्वॉयफ्रेंड की चुदाई की तो है ही, पर उसके बाद भी मैंने इसमें चुदाई की दुनिया के कुछ और सच भी उजागर किए हैं, उनका आनन्द लीजिए.
मेरे घर में मैं, मेरी मॉम, डैड और एक भाई है … जो मुझसे बड़ा है.
भाई की शादी हो चुकी है.
मेरी भाभी बहुत अच्छी हैं, वे मेरे साथ सहेली की तरह रहती हैं.
मैं एक कंपनी में जॉब करती हूँ और मेरा ब्वॉयफ्रेंड मेरे ऑफिस की सामने वाली बिल्डिंग में जॉब करता है.
हमेशा की तरह मैं सुबह तैयार होकर लैगिंग्स और टॉप पहन कर अपने घर से निकली.
घर से बाहर निकल कर कुछ ही दूर मुझे मेरा ब्वॉयफ्रेंड अपनी कार से लेने आया हुआ था.
वह रोज ही आ जाता था और हम दोनों साथ में ऑफिस जाते थे.
हम दोनों ऑफिस के लिए निकल गए.
थोड़ी ही देर में हम ऑफिस पहुंच गए.
अपनी टेबल पर आकर मैं अपना काम करने लगी.
मैं अपना काम कर रही थी कि तभी मेरा बॉस मेरे पास आया और उसने मुझसे अपने केबिन में आने के लिए कहा.
मैं कुछ पल बाद उनके केबिन में गई और मैंने बाहर से ही उनसे अन्दर आने की आज्ञा मांगी.
उन्होंने सर हिला कर अन्दर आने का इशारा कर दिया.
मैं अन्दर गई और उनसे पूछा कि क्या बात है सर?
उन्होंने मुझे एक नए प्रोजेक्ट के बारे में बताया और कहा- ये प्रोजेक्ट तुम्हें पूरा करना है.
मैंने ‘ओके सर’ बोल कर पेपर्स ले लिए और बाहर आ गई.
अब मैंने उस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया.
काम करते करते दो बज गए.
मैं काम रोक कर लंच करने चली गई.
हमारा एक घंटे का लंच होता है.
मैं दस मिनट में खाना खाकर बाहर निकली और तभी ब्वॉयफ्रेंड की कॉल आ गई.
मैंने कॉल उठाई तो उसने कहा- जहां हम मिलते हैं, वहां आ जाओ.
मैं कॉल कट करके वहां जाने लगी.
मैं वहां पहुंच कर अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिली.
हमने साथ में सिगरेट पी और फिर हम दोनों घूमने निकल गए.
मेरे ब्वॉयफ्रेंड के ऑफिस से थोड़ी ही दूर पर एक टॉयलेट है, जो हमेशा खाली रहता है.
वहां कोई नहीं आता है.
हम दोनों घूम ही रहे थे कि उसने मुझसे कहा- चलो ना बेबी, आज इसके अन्दर चलते हैं.
मैंने उसे मना किया पर वह जिद करने लगा.
उसकी काफी जिद के बाद मैं उसके साथ जाने को रेडी हो गई.
हम दोनों अन्दर गए.
वहां हम दोनों एक खाली वाशरूम में घुस गए.
उसने डोर लॉक किया और मुझसे लिपट कर मुझे चूमने लगा.
मैं एक Xxx लड़की हूँ, उसका साथ देने लगी.
चूमते चूमते उसने मेरा टॉप उतार दिया और मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए.
उसने मुझे दीवार से चिपकाया और मेरी ब्रा के हुक खोल कर उतार कर एक तरफ लटका दी.
अब वह मेरे मोटे मोटे बूब्स पर टूट पड़ा.
मैं उसके बाल सहलाने लगी और एक हाथ से उसके पैंट की जिप खोल कर उसका लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगी.
वह पागलों की तरह मेरे बूब्स चूस रहा था.
कभी वह निप्पल पर काट लेता तो कभी दूध को पूरा मुँह में भरने की कोशिश करने लगता.
मैं भी वासना में मदहोश हो गई और कामुक सिसकारियां लेती हुई जोर जोर से उसका लंड हिला रही थी- उम्म्म्म सीसीई आह अह्ह्ह्ह ओह गॉड बेबी … खा जाओ … इन्हें चूसो!
थोड़ी देर बाद वह मुझसे अलग हुआ और उसने नीचे बैठने को कहा.
मैं झट से नीचे बैठ गई और उसका लंड हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी, उसके पूरे लंड पर जीभ फिराने लगी.
‘उम्म्म उम्मम्म आह बेबी…’ वह पागल होने लगा और मेरे बाल पकड़ सहलाता हुआ सिसकारियां भरने लगा.
‘आह्ह्हह साधना चूसो बेबी … ओह तुम कितना मस्त लंड से खेलती हो यार!’
उसके लंड को जीभ से चाटने के बाद एक ही झटके में मैंने उसका पूरा लंड मुँह में भर लिया और तेज तेज चूसने लगी.
‘ऑव्व गुओ गुओ गाफ़ गाफ़ ग्लो ग्लो …’
वह भी मेरे बालों को पकड़ कर तेज तेज झटके देने लगा.
पांच मिनट तक ऐसे ही लंड चूसने के बाद उसने मुझे खड़ा कर दिया.
मैं वहीं दीवार पर हाथ रख कर घोड़ी बन गई और वह मेरे पीछे आ गया.
उसने तुरंत मेरी लैगी खींच कर घुटनों तक उतार दी और पैंटी भी नीचे कर दी.
अब उसने मेरी चूत पर अपना लंड रखा और जोर जोर से रगड़ने लगा.
मैं Xxx लड़की मचलने लगी- सी सी आआह बेबी प्लीज डाल दो ना!
मुझे ऐसे तड़पती हुई देख उसने मेरी कमर पकड़ी और पूरी दम से एक झटका लगा कर लंड चूत में घुसा दिया.
मैं चिल्ला पड़ी- आआहह आह आह्ह मेरी चूत फट गई … मैं तुमसे कहती हूँ ना कि पहले मेरी चूत चाट लिया करो!
उसने लंड दबाते हुए कहा- बाबू तुम्हें पता तो है कि मुझे उसे चाटना पसंद नहीं है.
वह मेरी कमर पकड़ कर लौड़े के झटके दिए जा रहा था.
थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने लगा.
मैं अपनी गांड आगे पीछे करती हुई उसका साथ देने लगी- आह आआह आआह … फक चोदो चोदो मुझे … आह और तेज … और तेज बेबी आह्ह साले मां के लौड़े चोद मादरचोद मेरी चूत … साले बहन के लौड़े!
वह भी पूरे जोश में मेरी चूत में झटके देने लगा- आआआह आह आआ आह ले साली कुतिया रंडी साली … तू Xxx लड़की कितनी बड़ी रांड है मादरचोद पब्लिक टॉयलेट में मेरा लंड ले रही है छिनाल! कुतिया गंदा सेक्स कर रही है!
मैं भी गांड आगे पीछे करती हुई उसका पूरा साथ दे रही थी- आआ आह … आआह चोद … साले चोदता रहे साले … फाड़ दे मेरी चूत रंडी के जने!
हम दोनों चुदाई में मगन ऐसे ही सिसकारियां लेते हुए मजा लेने लगे.
फिर पांच मिनट बाद ही वह जोर जोर से झटके देता हुआ मेरी चूत में झड़ने लगा.
मैंने जैसे ही उसके माल का अहसास किया, अपने मुँह को पीछे करके उसे देखने लगी.
मैं गुस्से में बोली- बहन के लौड़े ने आज फिर इतनी जल्दी रस छोड़ दिया. साले … हरामी की औलाद … हमेशा तू ऐसे ही करता है!
उसने लंड झाड़ कर उसे चूत से बाहर निकाल लिया.
मैं झट से नीचे बैठी और उसका लंड मुँह में भर कर चूसने लगी.
‘आआह आआह साले इसे खड़ा कर भोसड़ी के … मेरी चूत की प्यास अभी नहीं बुझी … पहले मेरा पानी निकाल कुत्ते.’
मैं तेज तेज लंड को चूस रही थी.
तभी उसने लंड निकाल लिया और बोला- बेबी अब बस … अब ये खड़ा नहीं होगा.
इतना बोल उसने लंड चड्डी के अन्दर किया और पैंट पहनने लगा.
उसने पैंट के हुक लगा कर दरवाजा खोला और बोला- मैं जा रहा हूँ, तुम भी कपड़े पहन कर आ जाओ.
वह निकल गया.
मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया.
वह हमेशा मुझे बिना झड़े छोड़ देता है.
मैंने दरवाजा बंद किया और अपनी चूत में तेज तेज उंगली करने लगी- आह आआअह आआआह मेरी चूत कोई चोदो … इसे शांत कर दो … आह!
मैं अपनी आंखें बंद किए हुई अपने मम्मों को मसलती हुई चूत में उंगली किए जा रही थी.
पांच मिनट के बाद मेरी जांघें कांपने लगीं और मैं जोर जोर से सिसकारियां लेती हुई झड़ने लगी.
मेरी चूत से पानी की धार बहने लगी.
‘आआअह आआअह ओह माय गॉड मेरी चूत … आह आआअह आआहह.’
मैं चिल्लाती हुई झड़ गई.
फिर मैंने अपनी चूत से उंगलियां निकालीं और उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगी- उम्म्म्म उम्मम्म सो टेस्टी!
यही बुदबुदाती हुई मैंने खुद को साफ किया और कपड़े पहनने लगी.
फिर बाल ठीक करके लिपस्टिक लगाई और दरवाजा खोल कर बाहर आ गई.
जैसे ही मैं बाहर निकली, मैंने देखा कि एक काला सा आदमी गंदे फटे कपड़ों में खड़ा पेशाब कर रहा है.
वह एक भिखारी था.
मैं Xxx लड़की उसे देखने लगी.
वह अपनी आंखें बंद करके मस्ती से मूत रहा था.
मेरी नजर उसके लंड पर गई और मैं लंड देखती ही रह गई.
इतना बड़ा और इतना मोटा लंड … मैंने आज तक नहीं देखा था.
मेरी नजरें उसके लंड से हट ही नहीं रही थीं.
तभी उसने आंखें खोल दीं और मुझे लंड को घूरते हुए देख लिया.
वह दांत निकाल कर बोला- क्या चाहिए मैडम?
उसकी आवाज सुन कर मैं डर गई और वहां से तुरंत निकल गई.
मैं अपने ऑफिस में आ गई और प्रोजेक्ट पर काम करने लगी.
मुझे काम करते करते 5 बज गए.
मैंने अपने लिए एक कॉफी मगायी और तसल्ली से पी.
उस समय मेरे दिमाग में अपनी प्यासी चूत और उस भिखारी का मोटा लंड ही घूम रहा था.
कॉफी खत्म करके मैं दोबारा काम में लग गई.
धीरे धीरे स्टाफ जाने लगा.
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो 7 बज चुके थे.
तब मैंने लैपटॉप बंद करके बैग में रखा और घर के लिए बाहर निकल गई.
बाहर आकर मैंने ब्वॉयफ्रेंड को कॉल की.
उसने कहा- मैं बस पांच मिनट में आ रहा हूँ.
मैं वहीं खड़ी हो गई और सिगरेट पीती हुई उसका इंतजार करने लगी.
करीब दस मिनट बाद ब्वॉयफ्रेंड आया.
मैं कार में बैठ गई और हम दोनों घर के लिए निकल गए.
आज मैं थका थका फील कर रही थी.
मेरी आंख लग गई और मैं सो गई.
पांच मिनट बाद मुझे ब्वॉयफ्रेंड ने उठाया और कहा- हम पहुंच गए बेबी.
मैं अपने अपार्टमेंट के बाहर पहुंच गई थी.
मैंने ब्वॉयफ्रेंड को हग किया और बाई बोल कर उतर कर घर आने लगी.
मैं घर पहुंची और डोर बेल बजाई.
मॉम ने दरवाजा खोला और बोली- अरे बेटी आ गई तू!
मैं हां कह कर अन्दर आई और अपने रूम में आकर बेड पर बैग फेंक कर सीधा बेड पर गिर गई.
मुझे कब नींद आ गई, मुझे पता ही नहीं चला.
मेरी आंख खुली जब मेरा दरवाजा खटखटाया गया.
मैंने आंखें खोलीं तो बाहर भाभी आवाज लगा रही थीं- साधना साढ़े आठ बज गए हैं, उठो खाना खाने आ जाओ.
इसका मतलब था कि मैं करीब आधा घंटा सो चुकी थी.
मैंने कहा- ओके भाभी, आती हूँ.
मैं अपने बेड से उठी और अपने सारे कपड़े उतार नंगी हो गई और शॉवर लेने चली गई.
मैं शॉवर के नीचे खड़ी होकर नहाने लगी और जल्दी से नहा कर बाहर आ गई.
फिर बिना ब्रा पैंटी के एक शॉर्ट्स और टी-शर्ट डाल कर बाहर आ गई.
बाहर देखा तो सब डिनर टेबल पर बैठे थे.
मैं अपनी जगह पर जाकर बैठ गई.
भाभी ने मुझे खाना सर्व किया और मैं खाना खाने लगी.
थोड़ी देर में ही मैंने खाना खत्म किया और उठ कर अपने कमरे में आ गई.
आज जो Hindi sex stories मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे साथ बीती हुई सच्ची कहानी है। यह वाकिया आज से क़रीब एक महीने पहले की है। सबसे पहले मैं आपको मेरे परिवार से परिचित करा दूं ताकि आप मेरी सत्य कथा का आनन्द ले सके।
मैं सोनू अपने माँ बाप का एकलौता बेटा हूँ। अभी मेरी उम्र 20 साल की है और मैं सभी बैंकों का एग्जाम दिया है। मेरा शरीर हट्टा कट्टा बलिष्ठ है पर मेरा रंग सांवला है। हम मुंबई के चोल मे सिंगल रूम में रहते हैं। जब मैं 5 साल का था पिताजी का स्वर्गवास हो गया था।
मेरी माँ अब जो कि 38 साल की हैं और शरीर सांवला और मोटा है। जिसके कारण जब वो चलती है तो उसके चूतड़ काफ़ी हिलते हैं।
उन्होंने फैक्ट्रीज में काम कर कर मेरी पढ़ाई लिखाई करा रही थीं और पिछले 2 साल से मैं एक प्राइवेट कम्पनी में पार्ट टाइम को-ओपेरटर का काम करता हूँ और कॉलेज भी जाता हूँ।
हमारे घर में अब केवल 3 सदस्य रहते हैं मैं मेरी माँ और मेरी मौसी। मेरी मौसी की उम्र 36 साल की हैं और वो भी विधवा हैं।

उनके पति का देहांत क़रीब 3 साल पहले हुआ था और उनकी कोई औलाद नहीं थीं। इसलिए माँ ने मौसी को अपने पास बुला लिया और दोनों साथ साथ फैक्ट्री में काम करने लगे।
एक ही रूम होने के कारण हम तीनों साथ साथ सोते थे। मेरे बाजू में मौसी सोती थीं, मौसी के बगल में माँ सोती थीं।
सोते समय माँ और मौसी अपने ब्रा और लहंगा उतार कर केवल नाईटी पहनती थीं (वो दोनों नाईटी यूज़ नहीं करती थीं दिन में साड़ी ब्लाउज और इनर गारमेंट्स में ब्रा और लहंगा पहनती थीं।) और मैं केवल लूंगी और अंडरवियर पहनकर सोता था।
एक दिन अचानक क़रीब 01:30 बजे रात को मेरी नींद खुली, क्यों कि मुझे पेशाब लगी थी पर मैंने देखा कि मौसी की नाईटी कमर तक उठी हुई थी।
वह धीरे धीरे आहह उईई की आवाज़े निकाल रही थी और वह अपने दाहिने हाथ की उंगलियों से अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थीं और उनका बायां हाथ माँ की चूत को सहला रहे थें।
यह देखते ही मेरा लण्ड तन कर 7 इंच लंबा और क़रीब 2.75 इंच मोटा हो गया था। कुछ देर के बाद मौसी सो गई थीं शायद उनका पानी झड़ गया था और वो सो गई थीं, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और बार बार मौसी की हरकत मेरी नज़रों के सामने नाच रहा था।
खैर कुछ देर बाद उठ कर मैं पेशाब करने चला गया और ना जाने कब नींद आ गई।
अब मैं मौसी को वासना की नज़रों से देखता था।
अगले दिन शनिवार था मैंने माँ से कहा कि ‘माँ शाम को चिकन बनाना।’
माँ ने कहा- ऑफिस से आते समय चिकन ले आना।
मैंने कहा- ठीक हैं माँ।
चुदाई की हिंदी सेक्स कहानियाँ- Hindi sex stories
एक बात मैं आपको बताना भूल गया कि 1-2 महीने में माँ और मौसी कभी कभी व्हिस्की का 1-1 पेग पीती थीं।
एक दिन मैं दोस्तो के साथ होटल में पी कर घर आया तो माँ ने आते ही पूछा- बेटा क्या तुमने शराब पी है?
मैंने कहा- हाँ माँ, एक दोस्त मुझे होटल ले गया और वहाँ हम लोगो ने व्हिस्की पी।
माँ ने कहा- बेटा अब तू बड़ा हो गया है और अगर तुझे पीना है तो घर पर पिया करो क्योंकि बाहर पीने से पैसे ज़्यादा लगते हैं और आदत भी ख़राब होती है।
मैंने कहा- ठीक है! माँ, अब से मैं घर में ही पिया करूँगा।
उस दिन के बाद जब भी मेरा मन 1-2 महीने में पीने का होता है, तो मैं घर पर ही व्हिस्की पिया करता हूँ और पीते समय माँ और मौसी भी मेरा साथ देती हैं।
शनिवार के शाम को ऑफ़िस से आते समय मैं चिकन लाया और साथ में व्हिस्की की बोतलें भी लाया। क़रीब 9:45 बजे माँ ने आवाज़ दीं ‘चलो खाना तैयार है आ ज़ाओ।’
मौसी 3 गिलास और व्हिस्की ले आई और हम तीनों पीने लगे माँ और मौसी केवल 1-1 पेग पिये और मैंने 3 पेग पिया।
खाना खाने के बाद माँ और मौसी ने सब काम ख़त्म करके सोने की तैयारी करने लगी। रोज़ाना की तरह हम तीनों सो गए।
रात क़रीब 1:15 बजे मैं पेशाब करने उठा तो देखा कि मौसी, माँ की तरफ़ करवट करके लेटी थीं और उनका दाहिना पैर माँ के पैर पर था और माँ की नाईटी घुटनों के थोड़े ऊपर सी उठी हुई थीं जबी मौसी की नाईटी चूतड़ों से थोड़ी नीचे तक सरकी हुई थीं।
मैंने बिना आवाज़ किए पेशाब करके लेटा तो देखा कि दोनों गहरी नींद में सोए थे शायद व्हिस्की के असर से उन्हे गहरी नींद आ गई थीं। मैंने धीरे से मौसी की नाईटी को कमर तक उठा दिया। अब मौसी की झांटों से भरी चूत साफ़ नज़र आ रही थीं।
मौसी का दाहिना पैर माँ के पैर पर होने के कारण मौसी की चूत की दोनों काली फांकें फैली थीं और अन्दर का गुलाबी भाग साफ़ नज़र आ रहे थें। उनकी चूत को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अंडरवियर से बाहर आ गया।
मुझसे रहा नहीं गया और सोचा कि मौसी की चूत में लण्ड पेल दूं पर हिम्मत नहीं हो रही थी, फिर मैंने मौसी की तरफ़ करवट करके सोने का नाटक करने लगा और मैंने मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर मौसी की चूत के पास रख दिया।
डर की वजह से मैं लण्ड को उनकी चूत में घूसा नहीं सका क्यों कि अगर मौसी जाग जाएगी तो शायद नाराज़ हो कर माँ से शिकायत कर देगी। इसलिए लण्ड को चूत के पास लगा कर धीरे धीरे लण्ड को रगड़ने लगा।
ऐसा करते हुए कुछ ही देर के बाद मेरे लण्ड ने बहुत सारा वीर्य मौसी की चूत पर और झांटों पर जा गिरा।
सुबह सुहावना होने के कारण मैं क़रीब 10 बजे उठा, तो मैंने मौसी और माँ को धीमे आवाज़ में बात करते सुना।
मुझे लगा शायद मौसी मेरी शिकायत माँ से कर रही है इसलिए मैं ध्यान लगाकर उनकी बातें सुनने लगा।
मौसी- दीदी, पता है रात को क्या हुआ?
माँ- क्या हुआ?
मौसी- रात जब मैं क़रीब 2:30 बजे पेशाब के लिए उठी तो देखा कि सोनू बेटा का लण्ड बाहर निकला हुआ था।
माँ- शायद उसका अंडरवियर ढीला होगा इसलिए उसकी नूनी बाहर निकल आई होगी?
मौसी- दीदी अब उसकी नूनी, नूनी नहीं रही, अब तो मर्दों की तरह लण्ड बन चुका है।
माँ- अच्छा, तब तो उसकी शादी की तैयारी करनी पड़ेगी, खैर यह बताओ कितना बड़ा लण्ड था उसका।
मौसी- उसका सिकुड़ा हुआ लण्ड ही काफ़ी बड़ा लग रहा था।
माँ आश्चर्य से- अच्छा, तब तो जब उसका लण्ड खड़ा होगा तो काफ़ी बड़ा होगा!
मौसी- दीदी और जब मैं पेशाब करके उठी और चूत को साफ़ करने लगी तो मेरी हथेली पर झांटों से और चूत की फांकों से कुछ चिपचिपा सा चीज लग गया था। शायद नींद में बेटे का लण्ड का पानी गिरा होगा।
माँ- इसलिए कहती हूँ, रात में नींद में अपनी नाईटी का ख्याल रखाना चाहिए तुझे। क्यों कि अक्सर मैं देखती हूँ तेरी नाईटी कमर पे आ जाती है।
अब मैं समझ गया कि रात को जो कुछ भी मैंने किया उसका मौसी ने बुरा नहीं माना, और मैं उठ कर नहा धोकर नाश्ते का इन्तजार करने लगा।
इतने में माँ ने मौसी से कहा- सोनू को नाश्ता दे दो में कपड़े सुखाने जा रही हूँ।
मौसी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और पास ही बैठ गई रात की घटना के बाद मैं मौसी को कामुक निगाहों से देखता था।
जब मेरी नज़र उनकी चूची पर पड़ी, तो उन्होंने पूछा- क्या देख रहे हो बेटा?
मैंने कहा- मौसी, आज आप खूबसूरत लग रही हो।
मौसी हँसी और उठकर चली गईं।
रात को खाना खाने के बाद हम सब सोने की तैयारी में लग गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं केवल सोने का नाटक कर रहा था और मौसी को कैसे चोदा जाए यह प्लानिंग बना रहा था।
करीब 12:45 को मैंने आँख खोल कर देखा तो मौसी आज रात भी कल रात की तरह सोई थीं लेकिन आज उनकी नाइटी पूरी कमर के ऊपर थी और उनकी चूत मुझे साफ़ नज़र आ रही थी।
उनकी चूत देख कर मेरा लण्ड खड़ा होकर चोदने के लिए तैयार हो चुका था।
इतने में मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा के आया।
अब मैं मौसी की ओर करवट कर कल रात की तरह उनकी चूत के मुख पर लण्ड रख दिया। मेरा लण्ड का सुपारा चिकना होने के कारण थोड़ा मौसी की चूत में चला गया।
मुझे मौसी की चूत का एहसास लण्ड पर महसूस हुआ। जिस कारण मैं और उत्तेजित हो गया और धीरे से जोर लगा कर आधा सुपारा मौसी की चूत में डाल दिया।
आधा सुपाड़ा जाते ही मौसी के शरीर में कुछ हरकत हुई। मैंने सोचा शायद मौसी जाग गई होंगी इसलिए कुछ देर तक ऐसे ही सोने का नाटक करने लगा।
जब कुछ देर तक मेरे शरीर से कुछ हरकत ना होने पर मौसी ने थोड़ी गांड मेरी ओर सरका दी जिस कारण मेरा पूरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया।
मैं समझ नहीं पाया कि मौसी ने नींद में यह हरकत की या जानबूझ कर रखीं।
मैंने हिम्मत जुटाई और एक हाथ उनकी बूब्स पर रख दिया और हौले हौले दबाने लगा।
इतने में मौसी सीधी होकर सो गई जिस कारण मेरा लण्ड चूत से बाहर निकल गया।
थोड़ी देर बाद मैंने मौसी का हाथ मेरे लण्ड पर महसूस किया। वह मेरे लण्ड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थीं। मैं भी एक हाथ से उनके बूब्स दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत सहला रहा था।
यह काम हम लोग करीब 5 मिनट तक करते रहे.
फिर मौसी ने मेरे कान में कहा- बेटा तुम मेरी चूत की ओर मुंह रख कर मेरी चूत को चाटो, मैं तुम्हारा लण्ड चाटूंगी।
अब हम 69 कि पोजीशन में होकर एक दूसरे के चूत और लण्ड चूमने चाटने लगे।
मैं जब अपनी जीभ से उनकी चूत के फ़न को रगड़ रहा था तो वह आआह्ह ऊऊईई माँआ की धीरे धीरे आवाजें करती थीं।
कुछ देर बाद उनकी चूत से सफ़ेद पानी आ गया और उस वक़्त उन्होंने मेरा सिर पूरी तरह से चूत पर दबा रखा था जिस कारण मेरे मुंह पर पूरा चूत का पानी लग गया।
फिर मौसी ने मुझे अपनी तरफ़ करते हुए कहा- बेटा, अब रहा नहीं जाता है जल्दी से तुम्हारा यह मोटा लण्ड मेरी चूत में डाल दे।
मैं भी जोश में आ गया था और मौसी की चूतड के नीचे तकिया रख कर उनकी चूत को थोड़ा उठा दिया और अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया।
एक ही धक्के में मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया था और जोरदार धक्के के कारण उनकी मुंह से हल्की सी चींख निकल गई।
‘ऊऊईई माँआ धीरेरेए डालोओ!’ उनकी हल्की चीख सुन कर माँ जाग चुकी थीं लेकिन अँधेरा होने के कारण वह हमें या हमारे चुदाई को देख ना सकी और पूछा ‘क्या हुआ?’
मौसी ने धीमे से माँ के कान में कहा- कुछ नहीं, मैं अपनी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं हल्की सी चींख उठी।
माँ ने कहा- ठीक है, आवाज़ धीरे करो क्योंकि बगल में सोनू सोया है।
हालांकि उन दोनों ने इतनी धीमी आवाज़ में बातचीत की फिर भी रात होने के कारण मुझे उनकी बातचीत सुनाई पड़ी।
अब मैं कुछ देर रुक गया था। मेरा आधा लण्ड अभी भी मौसी की चूत में घुसा था।
थोड़ी देर बाद मैं मौसी के होंठों को चूसना शुरु किया और फ़िर से एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा लण्ड पूरा चूत में चला गया।
मेरा लण्ड जड़ तक घुसते ही मौसी चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मेरा मुँह मौसी के मुँह में था इसलिए वह चिल्ला ना सकी।
थोड़ी देर बाद मैं अपना लण्ड अन्दर बाहर करने लगा जिससे मौसी को जोश आ गया और धीरे धीरे ‘ऊऊईई ऊऊफ़्फ़!!’ और चोदो मुझे कहने लगी।
मैं करीब 20 मिनट तक उन्हें चोदता रहा इसी बीच मौसी 4 बार झड़ चुकी थी जब मेरा पानी निकलने वाला था।
मैं अपना लण्ड उनकी चूत से निकाल कर मुँह में दे दिया और मेरा पानी मौसी के मुँह में पूरा भर गया और वह मेरे पानी तो गटगट पीने लगी।
फिर मैं मौसी के बगल में आकर लेट गया।
कुछ देर बाद मैंने मौसी के हाथ में अपना सिकुड़ा हुआ लण्ड पकड़ा दिया।
मौसी मेरे लण्ड को सहलाने लगी और पूछा कि ‘अभी भी पेट भरा नहीं क्या मुझे चोद कर?’
मैंने कहा- मौसी मैं अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।
उन्होंने कहा- बेटा, मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई और तुम्हारा लण्ड भी काफी बड़ा और मोटा है मुझे तकलीफ होगी।
मैंने कहा- डरो मत मैं आहिस्ता आहिस्ता डालूंगा।
तो मौसी बोलीं- बेटा पहले अपने लण्ड पर और मेरी गांड में ढेर सारा तेल लगा लो तो लण्ड आसानी से गांड में चला जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है मैं तेल की बोतल ले के आता हूँ तुम पेट के बल अपनी गांड फैला कर रखना’ और मैं तेल लेने चला गया।
अँधेरा होने के कारण मुझे तेल की शीशी नहीं मिल रही थी। तेल की शीशी जब लेकर आया तो काफी समय लग गया तो देखा कि मौसी पेट के बल लेटी हुई थीं।
मैंने कहा- अपने दोनों हाथों से अपनी गांड फैला दो ताकि मैं गांड में अच्छी तरह से तेल लगा सकूं।
उन्होंने कुछ नहीं कहा और अपने दोनों हाथों से चूतड़ पाकर गांड फ़ैला दी, मैंने अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल डाल कर उसकी गांड के छेद में तेल लगाने लगा।
जब ढेर सारा तेल लगा चुका तो मैंने अपनी एक उंगली उनकी गांड में डाल दी।
उंगली में तेल लगा होने के कारण मेरी बीच की उंगली आसानी से आराम से घूस गई, लेकिन उनहोने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर खींचा जिस वजह से मेरी उंगली गांड से बाहर निकल आई शायद उनको दर्द हुआ होगा।
अब मैं अपने लण्ड पर भी काफी तेल लगा लिया था। मेरे लण्ड के सुपाड़े पर भी काफी तेल लगा लिया था ताकि सुपाड़ा आसानी से उनकी गांड में जा सके। अब मैं उनसे कहा- अपने दोनों हाथों से चूतड को फ़ैला लो ताकि गांड में लण्ड डालने मे आसानी हो जाएगी।
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूतड़ उठा कर फ़ैला दी।
अब मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गांड की छेद पर रख कर हल्का सा पुश किया थोड़ा सा सुपाड़ा जाते ही उन्होंने अपनी गांड सिकोड़ ली, जिस कारण मेरा सुपाड़ा गांड से बाहर निकल गया।
मैंने पूछा- गांड क्यों सिकोड़ी? क्या दर्द हो रहा है?
उन्होंने केवल अपना सिर हिला कर ‘हाँ’ का जवाब दिया।
मैंने कहा- आप अपने मुँह में नाईटी का कुछ हिस्सा दबा लें’ ताकि दर्द होगा तो आवाज़ नहीं निकालेंगी वरना आवाज़ सुनकर माँ जाग जाएंगी।
उन्होंने अपने मुँह में नाईटी का कुछ भाग डाल लिया, अब मैंने दुबारा उनसे चूतड़ फैलाने को कहा और उनकी गांड की छेद पर लण्ड का सुपाड़ा लगा कर एक जोर का धक्का मारा।
मेरा लण्ड का सुपाड़ा पूरा गांड में घुस गया और उनके मुँह से गूं गूं की आवाज़ आने लगी क्योंकि मुँह में कपड़ा दबा हुआ था।
कुछ देर बाद मैं फिर से एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लण्ड गांड में घुस गया था और दर्द के मारे उनका शरीर कांप रहा था।
अब मैं अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा।
अभी गांड मारते हुए मुझे 15 मिनट ही हुए थे कि अचानक किसी ने लाइट जला दी और रोशनी में मैंने देखा कि मौसी की जगह माँ लेटी हुई थीं और मैं माँ की गांड मर रहा था।
अचानक लाइट जलाने वाली मौसी पास ही नंगी खड़ी मुझे माँ की गांड मारते हुए देख रही थीं।
अचानक माँ को देख कर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाल लिया और माँ ने भी अपने मुँह से कपड़ा निकाल लिया और कहने लगी- फिर से मेरी गांड मारो, जब तुमने गांड में पूरा लण्ड डाल दिया था तो अब क्या डरना!
माँ से अनुमति लेकर मैंने फिर अपना लण्ड माँ की गांड में घुसा दिया और माँ की गांड मारने लगा।
मैं जब माँ की गांड मार रहा था तो माँ कह रही थीं- बेटा आज तुमने अपने माँ की गांड की सील तोड़ दी। और जोर जोर से अन्दर बाहर करो अपना यह घोड़े जैसा लण्ड।
अब मैं माँ से पूछा- अच्छा माँ यह तो बताओ कि तुम मौसी के जगह कैसे आ गई?
उन्होंने कहा- उस दिन जब तुम मौसी को चोद रहे थे तब मुझे कुछ शक हो गया क्योंकि तुम्हारी मौसी के मुँह से ऊउईई म्माँआ की आवाजें निकाल रही थी और आज जब तुम तेल लेने गए तब तुम्हारी मौसी ने मुझे सब बता दिया। इस तरह मौसी की जगह में मैं आ गई तुमसे गांड मरवाने। चल जल्दी से अब मेरी चूत में अपना लण्ड पेल दे अब रहा नहीं जाता।
मैंने तुरंत ही अपना लण्ड निकाल कर माँ की चूत में डाल कर पेलने लगा और जब मैं माँ को चोद रहा था तब मौसी माँ की मुँह पर अपनी चूत रख कर रगड़ रही थीं।
करीब 25 मिनट के बाद मैंने अपना वीर्य माँ की चूत में डाल दिया। इसी दरमियान माँ 3 बार झड़ चुकी थीं।
अब 3 महीने से मैं माँ और मौसी को रोज़ रोज़ नई नई स्टाइल में चोदता हूँ।
Hindi sex stories कहानियाँ यहाँ क्लिक करें
एक दिन ऑफिस में शाम को जब Hindi Sex Stories काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है…… इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”
“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”
“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”
“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”
“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।
“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना…… मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”
मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।
“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”
“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।
शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था…. प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”
“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।
“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ…… एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”
“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”
“सुनील! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।
“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ… अब तुम बताओ क्या खबर है?”
“घर से खत आया है…. राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।
“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”
“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।
“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“एक महीना तो लग ही जायेगा।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”
“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“लड़कियाँ तो आज भी हैं…. पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”
“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है….” मैंने नाराज़गी जाहिर की।
“अरे बाबा! नाराज़ मत हो….. मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”
“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”
“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।
दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”
मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।
मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।
“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।
“अनिता! सुनील तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत…. वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।
“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग……?” अनिता ने पूछा।
“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”
“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह…ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।
“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।
“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई… अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”
मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही…” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।
एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।
थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”
अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।
थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।
“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”
“ओहहहहहह हाँआँआँ……. हाँआँ…… ऊऊऊहहहह….” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”
एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह सुनील सर! रुकिये मत….. चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में…. मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है…… हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।
वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह….. सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।
“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।
मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।
“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।
“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब सुनील जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।
“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”
दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।
अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।
मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो…….. मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।
अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।
“सुनील! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।
थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “सुनील! ये तो बहुत चुदासी लग रही है…… लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।
“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।
“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो… शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।
आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”
समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।
एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”
“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”
“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”
“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”
“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”
“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है… सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।
“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।
“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये…” अनिता ने परिचय कराया।
इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।
अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”
ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”
“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण…. हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है…… सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।
ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”
“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।
“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है….. सो डरो मत…… बताओ!!” अनिता ने कहा।
“ये कुछ साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”
“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।
“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।
“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था….. मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।
“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।
“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।
“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”
“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।
ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह…. और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना….. जैसे आज पहने हुए हो।”
“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”
“सुनील! तुम इसकी चूत चोदो….. मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।
जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”
मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे…. लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।
थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”
“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।
उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।
“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।
“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है…….. मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।
“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“ठीक है… अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”
“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।
“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।
“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।
“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ…आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।
“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम सुनील सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”
ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।
“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।
“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।
“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओहहहहह ज़ुबैदा….. जोर-जोर से चूसो….. मेरा छूटने वाला है….” मैंने कहा।
जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।
आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।
“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।
“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“अच्छा है…. तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है….. कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”
ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”
“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।
हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से सुनील सर तेरी गाँड मारेंगे।”
“पर मैडम! सुनील सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।
“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो…. दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।
एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।
मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।
“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।
“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना…. मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”
“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।
ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो सुनील?”
“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।
मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”
“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।
दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।
पंद्रह दिन बाद प्रीती अपने भाइयों की शादी अटेंड कर के वापस आ गयी। Hindi Sex Stories
मेरी शादी हुये लगभग Antarvasna Sex Stories चार साल हो चुके थे। कुछ अभागी लड़कियों में से मैं भी एक हूँ। शादी के दिन मैं बहुत खुश थी। लगा था कि जवानी की सारी खुशियाँ मैं अपने पति पर लुटा दूंगी। मैं भी मस्ती से लण्ड खाऊंगी… कितना मजा आयेगा। पर हाय री मेरी किस्मत… सुहाग रात को ही जैसे मुझ पर वज्र प्रहार हुआ। मेरा पति रात को दोस्तों के साथ बहुत दारू पी गया था। आते ही जैसे वो मुझ पर चढ़ गया। मेरे कपड़े उतार फ़ेंके और खुद भी नशे में नंगा हो गया। लण्ड देखा तो मामूली सा… शायद पांच इन्च का दुबला सा… जैसे कोई नूनी हो… एक दम कडक… मैंने भी लण्ड खाने के लिये अपनी टांगे ऊपर उठा ली… तेज बीड़ी की सड़ांध उसके मुख से आ रही थी जो दारू की महक के साथ और भी तेज बदबू दे रही थी। मैंने अपना चेहरा एक तरफ़ कर लिया, राह देखने लगी कि कब उसका लण्ड चूत में जाये और मेरी जवानी की आग बुझाये।
वो दहाड़ता हुआ मेरे से लिपट गया और अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश करता रहा। जैसे तैसे उसका लण्ड घुस ही गया, मैं आनन्द से भर गई तभी मेरी चूत में जैसे कीचड़ सा भर गया। वो झड़ चुका था। मैं तड़प कर रह गई। मैंने उसे धक्का दे कर एक तरफ़ किया और उठ कर बाथरूम में जाकर अंगुली चला कर अपना पानी निकाल लिया। अब वो नशे में बेसुध पड़ा खर्राटे भर रहा था।
“साली… रण्डी… चोद कर क्या मिल गया… साली चुदी चुदाई है!” सवेरे मेरा पति मुझ पर गुर्रा रहा था। उसकी मां ये सब सुन रही थी। पर शायद वो उनके बारे में जानती थी।
“चुप रहो… ऐसी गन्दी बातें करते हुये शरम नहीं आती… “मैंने धीरे से उलाहना दिया।
“तो बता तेरे भोसड़े में से खून क्यों नहीं निकला रात को…?”
“वो तो आपका करते ही निकल गया था।” मेरी बात सुन कर उसकी मां सर नीचे करके चली गई।
बस अब दिन-ब-दिन यूं ही झग़ड़ा होने लगा। मैंने अपने पति के पास सोना बन्द कर दिया।
एक दिन वो बिना दारू पिये… और बिना बीड़ी पिये मेरे पास आये तो मुझे लगा शायद ये सुधर गये हैं। पर लण्ड घुसाते ही वो झड़ गये… अब वो मुझ पर हर रोज़ कोशिश करते, पर नहीं बना तो नहीं बना…
मैं अब जान गई थी कि ये काम के नहीं है। मैं मन ही मन सुलगती रहती थी। लगा मेरी जवानी यूँ ही चली जायेगी… यह कसक मन में उठने लगी थी। परिस्थितिवश मेरी निगाहें अब घर के बाहर उठने लगी थी।
मेरी सहेली मुमताज मेरी सभी बातें जानती थी। मेरे दिल की आग की लपटें वो भी महसूस करती थी।
“गौरी, मेरा चचेरा भाई आज आ रहा है… तू कहे तो तुझे उससे मिलवा दूँ!”
“नहीं, मम्मो… मुझे शरम आवेगी… जाने दे!”
मैं उसकी बातों से सकपका गई थी। पर वो जानती थी कि दबी चिंगारी से मैं कैसे जल रही थी।
दूसरे दिन सवेरे ही मोबाईल पर मुमताज ने मुझे खबर भेजी कि भैया आ गया है… बस एक मिनट के लिये मिलने आजा।
मैं सोच में पड़ गई, कि कैसा होगा… कहीं यह भी मेरे पति जैसा ना हो। इसी उधेड़बुन में मैं उसके यहाँ पहुंच गई।
“अल्लाह रे अल्लाह… ये… तेरा भाई है…?!!” यूनानी मूर्ति की तरह एक हसीन लौण्डा सामने मुस्कुरा रहा था। मैं तो उसे देखते ही जैसे घायल सी हो गई। मैंने अपने लिये इतने हसीन नौजवान की कल्पना तक नहीं की थी।
“चुप हो जा गौरी… मस्त लण्ड है इसका… जैसे मुझे चोदता है ना… तुझे भी भचक-भचक करके चोद देगा… देख है ना छः फ़ुटा… गोरा चिट्टा… पहलवान…!”
“मेरे मौला… इसकी पोन्द कितनी मस्त है… तू भी उससे चुदाती है ?”
“ऐसी मस्त चीज़ को भला मैं हाथ जाने देती… ये मेरी किस्मत का है गौरी!”
मम्मो मुस्करा उठी। उसकी कसी हुई जीन्स देख कर जैसे मैं तड़प उठी। यही है जिसकी बात मम्मो कर रही थी। ये तो मुझे पूरा लूट ही लेगा।
“ऐ मोडी… हां तू… इसे अन्दर रख दे…! ” साजिद ने पुकार कर कहा। मैंने अपनी तरफ़ अंगुली कर के कहा,”क्या मैं… ?” मैं झिझकते बोली।
“अरे… आप…! आप कौन है…! आं हां… नहीं मोहतरमा, मैं तो सुरैया को बुला रहा था।” उसने मुझे घूर कर देखा। मैं शर्मा सी गई। मैं तो दिल ही दिल में उस पर मर मिटी। वो धीरे धीरे चलता हुआ मेरे करीब आ गया… “आप तो बहुत खूबसूरत है… खुदा ने कैसा तराशा है…!” उसने मुझे नीचे से ऊपर तक देखा।
“हाय अल्लाह… तेरे अकेले पर ही जवानी फ़ूटी है क्या… “मैंने उसे गाली सी दी और हंस पड़ी।
“नहीं आप पर जवानी फ़ूट रही है… जरा कभी आईने में देखो… बला की खूबसूरती है आप में!” वो बेशर्मी से बोले जा रहा था।
“मर जा मरदूद… आग लगे तेरी जवानी को… ” मैं उसकी बेबाकी पर उसे गालियाँ देने लगी।
“अरे गौरी… साजिद का प्यार भरा पैगाम कबूल तो कर ले!” मम्मो ने मुझे बहलाया।
“हाय री मम्मो देख तो कैसी मुह-जोरी कर रहा है!” फिर मैंने एक तिरछी नजर की उस पर कटार चलाई। लगा कि तीर दिल पर चल गया है। मैंने मुस्करा कर उसे देखा। अब तो वही मेरा तारणहार था… उसे मेरा उदघाटन करना था… मेरा उद्धार करना था। मेरी मुस्कराहट को उसके मेरा जवाब समझ कर मुस्करा दिया।
तभी मुमताज उसके पास गई और उसके कान में कुछ कहा। उसने अपना सर हिलाया और वो मुमताज के पीछे पीछे चल दिया। मुमताज ने मुझे आंख मार कर इशारा कर दिया। मेरा दिल धड़क उठा। क्या मामला अभी… नहीं… नहीं… इतनी जल्दी कैसे होगा।
पर नजर का जादू चल जाये तो क्या जल्दी और क्या देर… मेरा घायल दिल और परेशां दिमाग… खुदा की मरजी… हाय मेरे दिलदार… मन की कश्ती मौजों से घिर गई। मेरे कदम मुमताज के कमरे की ओर बढ़ चले।
“दिल नर्म… जबां गरम… जिस्म शोला… जाने किस की जान लोगी!”
“हाय अल्लाह… ऐसे ना कहो…! ” मैं शर्म से जैसे लाल हो गई।
“जवानी बला की, खूबसूरती जहां की… तन तराशा हुआ… खुदा ने जवानी की यही तस्वीर बनाई है!” साजिद मेरे गुणगान में लगा था। मेरी उलझी हुई लटें मेरे चेहरे पर आ गई। जुल्फ़ों के बीच में से मैंने उसे देखा… वो जैसे तड़प उठा,” सुभान अल्लाह… ये हंसी चेहरा… जनाब का क्या इरादा है।”
साजिद को आशिकाना लहजे में देख कर मुमताज वहाँ से चली गई। साजिद मेरे करीब आ गया।
“आदाब… संजू जी!”
मैंने झुकी पलकों और चुन्नी में चेहरे को लपेटे शरमाते हुये कहा।
“आपने कहा आदाब… हमने कहा जनाब हमारी तकदीर… आ दाब दूँ!” उसकी शरारत मेरे दिल को चीर गई।
“धत्त… आपकी बातें बहुत मन को भाती है… “मैंने उसे बढ़ावा दिया।
नतीजा तुरन्त सामने आया। उसने मुझे अपने पास खींच लिया.
“गौरी… मम्मो ने मुझे आपके बारे में बताया है… आप फ़िक्र ना करें… आप मुझे लूट सकती हैं… ये मुजस्मां आपका ही है… जैसे चाहो… जहां चाहो… इसे अपने रंग में रंग लो!”
“हमें डर लगता है… कहीं उनको पता ना चल जाये…!” मेरे माथे पर पसीना छलक आया था।
“देखिये मोहतरमा… इश्क और मुश्क छिपाये नहीं छिपता है… ये तो तन की प्यास है कोई इश्क मुश्क नहीं… मम्मो को रोज चोदता हूँ… आप भी वहीं पर… ”
मैंने उसके अधरों पर अंगुली रख कर उसे चुप कर दिया। मैं उसकी बातों पर रीझ गई थी, शरम से लाल हो रही थी। वह तो बेहयाई से बोला जा रहा था।
“बस ऐसे ना कहो… शरम भी कुछ चीज़ है!”मैंने उसकी चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया।
“गौरी… ऊपर वाले कमरे में चले जाओ… मैं बाहर से ताला लगा देती हूँ… वहाँ बाथरूम भी है… संजू अभी जा रहे हो क्या ?” मुमताज ने हमें ऊपर का रास्ता बता दिया।
“आजा गौरी… ऊपर आ जा!” और हंसता हुआ वो छलांगें मारता हुआ ऊपर चला गया।
मैं मुमताज से शरम के मारे लिपट गई। मुमताज की आंखों में आंसू थे…
“जा मेरी गौरी… अपना सपना पूरा कर ले… मन भर ले… तेरी आज सुहागरात नहीं सुहाग दिन है ऐसा समझ ले… जा मेरी प्यारी सहेली… मैं तुझ पर सदके जाऊं!”
“मम्मो, मेरी जान… मेरी सच्ची सहेली, तुझ पर कुर्बान जाऊं… “मैंने प्यार से उसके होंठो को चूम लिया। मैंने अपने नजरें नीची की और चुन्नी चेहरे पर डाल ली और धीरे धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी… ।
मुमताज नीचे से ऊपर जाते हुये मुझे देखती रही। अन्तिम सीढ़ी चढ़ कर मैंने पलट कर मुमताज को देखा। मुमताज ने प्यार से हाथ हिला दिया। मैंने भी उसे हाथ से एक प्यार भरा बोसा दे दिया और शरमा गई।
मैंने दरवाजा खोला और कमरे के अन्दर समा गई। उसी समय बाहों के घेरे मेरी कमर से लिपट गये। मैं सिमट सी गई। मेरे गालों पर एक प्यार भरा चुम्बन भर दिया। मैंने पलट कर संजू को देखा। मैंने अपने आपको छुड़ाने की असफ़ल कोशिश की। उसकी आंखों में प्यार उमड़ रहा था। उसने मुझे गले से लगा लिया और मुख से मुख रगड़ खा गये। उसकी खुशबू भरी सांसें मेरे जिस्म में बसने लगी। उसके हाथ मेरे सर पर नरम बालों में अंगुलियों से मालिश से सहलाने लगे। उसकी शरीर की गर्मी मुझे पिघलाने लगी।
“मेरे मालिक… मेरे आका… मुझे अपनी दासी बना लो… अपने दिल में जगह दे दो” मैं उसके कदमो में झुक सी गई।
उसने मुझे सम्भालते हुये कहा,”हुस्न-ए-मलिका, तुझ पर बहार आई हुई है… तेरे ख्वाब अब मेरे हैं… इन्शा अल्लाह… आज से तू मेरी हुई… तुझ पर खुदा का फ़जल बना रहे… तू मेरी बने रहना… आज से तेरा दुख मेरा है और मेरी खुशी तेरी है… या मेरे अल्लाह…!”
मैं संजू के शरीर से लिपटती चली गई। एक मोहक सी वासना घर करने लगी। सुन्दर, मनमोहक, काम देवता सा कामुक रूप जैसे शरीर का मालिक था संजू।
मेरे नसीब में उसका सुख लिखा था। मेरी चूनरी मेरी छाती से ढलक गई थी। मेरे उन्नत उभार जैसे पहाड़ियों के तीखे शिखर उसके हाथों में मचल उठे। उसने मेरे ब्लाउज के बटन चट चट करके खोल डाले। मेरा गोरा तन उसकी आंखो में समा गया। मेरे उभार कठोर हो चुके थे। जिया धक धक करने लगा था। दिल जैसे उछल कर बाहर निकला जा रहा था। मेरी साड़ी उसने धीरे से उतार कर पास में रख दी। शायद मेरे पोन्द और चूत की कल्पना उसके दिल को बींध रही थी। ऐसे में उसने अपना जीन्स और चड्डी भी उतार दिया और अपना लण्ड मेरे सामने कर दिया।
“हुजूर की तमन्ना हो तो शौक फ़रमायें… आपकी सेवा में लण्ड हाजिर है!”
उसका मर्दाना लण्ड देख कर मैं एकबारगी सिहर गई। आह्ह्ह्… लण्ड इसे कहते हैं!!! मैं असली मर्द को देख कर शरमा गई। उसने बड़े सम्मान के साथ अपना लण्ड मेरे होंठों के आगे पेश कर दिया। मैं अपना बड़ा सा मुह फ़ाड़ कर उसे जैसे निगलने की कोशिश करने लगी। इतना बड़ा और मोटा था कि मुँह में भी ठीक से नहीं आ रहा था। थोड़ी देर तक लण्ड का रस पान किया, पर मैंने ऐसा कभी नहीं किया था।
“मेरे दिलवर, आपकी नजरे-इनायत चाहिये… बस मेरी गहराईयों में अब शहद भर दीजिये… मुझे जन्नत की सैर को जाना है… “मैंने शरमाते… और झिझकते हुये मन की बात कह दी।
“जनाबे आली, बिस्तर हाजिर है… इल्तिजा है आप अपने नरम और गरम चूतड़ों की तशरीफ़ यहां रखें!”
“धत्त्… आप तो मजाक करते हैं… ” उसके मजाक से मैं झेंप सी गई।
मैं बिस्तर पर लेटते हुये बोली,” नहीं, ये मजाक नहीं… सच है कि अब आपका दिल मैं खुश कर दूंगा!”
वो बिस्तर पर चढ़ आया। उसने मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया और कमर तक नंगी कर दिया। मेरी नंगी चूत उसके सामने थी। उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये और झांट को अलग करके चूत खोल दी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली। उसकी लपलपाती जीभ मेरी रसीली चूत का रसपान करने लगी।
मैंने अपना पेटीकोट शरम के मारे उसे ओढ़ा दिया। अब वो मेरे पेटीकोट के भीतर था। मेरी चूत का रस चूसने के बाद वो मेरी टांगो में बीच में सेट हो गया। उसने चमड़ी खींच कर सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और उसे मेरी चिरी हुई धार के अन्दर घुसाने लगा। मुझे लगा कि यह अन्दर नहीं जा पायेगा। पर आश्चर्य हुआ कि थोड़ा जोर लगाते ही लाल सुपाड़ा अन्दर चूत की छेद में फ़ंस गया।
तभी बाहर से आवाज आई,”गौरी… ताला लगाना है… सुना क्या…?”
तभी मेरे मुख से एक आह निकल पड़ी। मुमताज ने सिसकी सुन ली और समझ गई कि चुदाई चल रही है… इसलिये उसने ताला बाहर से लगाया और चली गई।
साजिद भी अब बेकाबू होता जा रहा था। उसका लण्ड धीरे धीरे मेरी चूत में घुसता चला जा रहा था। दर्द बढ़ता ही जा रहा था। उसने एक जोर से धक्का देकर अपना मोटा लण्ड पूरा भीतर घुसेड़ दिया। मेरे मुख से एक जोर की चीख निकल गई। लगा कि चूत फ़ट गई। मैंने संजू को हटाने की कोशिश की, पर उसने मुझे जकड़ रखा था। तभी दूसरा भरपूर शॉट लगा। फिर एक चीख निकल पड़ी।
“उह्ह्ह… अम्मी जाऽऽऽऽन, अरे बस करो… लगता है फ़ट गई है…” मैं दर्द से तड़प उठी थी।
“गौरी, तुम तो शादी शुदा हो, फिर ये चीख, ये खून… पहली बार चुद रही हो?”
मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े। मैंने हां में सर हिलाया।
“फिर मेरी जान, ये तो कभी तो होना ही था… आपका पर्दा हटा है… अब कोई परेशानी नहीं आयेगी!” वो मुझे फिर प्यार करने लगा। मुझे चूमने चाटने लगा। मेरे उरोज दबाने लगा। कुछ ही देर मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया। पर इस बार वो मुझे बहुत धीरे धीरे और प्यार से चोद रहा था। मेरे शरीर में एक बार फिर से उन्माद भरने लगा। वासना भरने लगी। मेरी आंखों में नशा चढ़ने लगा।
“क्यो गौरी… चूत में मिठास भरी या नहीं…? ”
उसकी भाषा मेरे दिल पर कसकती हुई सी मिठास भर गई। मैं शरमा उठी। एक तो मेरा पति जब गालियाँ देता था तो मुझे ग्लानि होने लगती थी… पर यहाँ तो वही गाली मेरी उत्तेजना बढ़ा रही थी। उसकी चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी थी। मैं मदहोश होती जा रही थी। प्यार भरी चुदाई ऐसी होती है, यह मुझे पहली बार अनुभव हुआ। मैंने अब मस्त हो कर चुदाना शुरू किया। नीचे से उसकी ताल में ताल मिलाने लगी… अपनी दोनों टांगें चौड़ा कर हाथ फ़ैला कर मस्तानी हो कर लेटी थी। आंखें बन्द करके रूमानी दुनिया की सैर करने लगी। कभी मेरी चूंचियाँ मसली जा रही थी, तो कभी उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की पिटाई कर रहा था।
उसका लण्ड अब पूरी ताकत से चूत में अन्दर बाहर हो कर अपनी गुदगुदी शान्त करना चाह रहा था। जन्मों से प्यासी चूत लण्ड को गपागप निगले जा रही थी। चुचूक तो मरे रबड़ की तरह खिंचे जा रहे थे।
“या अल्लाह, चुद गई आज तो… इसे कहते हैं चुदाई… ” मेरी सिसकियाँ तेज हो उठी थी।
“मेरी जान, तेरी नई चूत का स्वाद मिला है आज तो, क्या तेरा आदमी तुझे हाथ भी नहीं लगाता था…?”
“संजू, वो तो हिजड़े की तरह है… उसका लण्ड तो छोटा सा है… और घुसते ही अपना माल निकाल देता है… चोदेगा कैसे भला… संजू… मुझे तो तेरा यह सदा बहार मुन्ना मिलेगा ना?”
“हट रे… ये इतना सोलिड तुझे मुन्ना लगता है… ये तो मदमस्त लौड़ा है… खायेगी तो मेरी गौरी इसे मांगेगी मोर… एण्ड वन्स मोर… ”
“अब जोर लगा के बजा दे राजा… ” मैं वासना से भरी उससे लण्ड मांगने लगी।
“गौरी, आज तो तेरी बजाने में ही मजा आ रहा है… मस्त झांटों भरी ओरिजनल चूत है!”
साला, कितना रसीला बोलता है… दिल और चुदाने को भड़क उठता है। मैं उसे अपनी ओर खींचने लगी और चिपटने लगी। मेरी चूत लपलपा उठी। मिठास से भर उठी।
तभी जैसे मेरी नसें चूत की ओर खिंचने लगी। मेरे तन में एक लहर सी उठने लगी। जैसे मैं तड़प गई… मेरा पानी उतरने लगा… मैं खाली सी होने लगी… झड़ने लगी… “सन्जू, मेरे मालिक… मुझे ये क्या हो गया है… मेरी मुनिया तो आह्ह्ह्ह… गई मैं तो… मेरे राजा… निकल गया पानी…!”
“अरे अभी नहीं, अभी तो शुरू ही किया है गौरी…!” संजू ने चुदाई ओर तेज कर दी।
“हाय मैं तो मर गई… सारा निकला ही जा रहा है…!” मेरी चूत पानी से फ़च फ़च करने लगी। मैं झड़ रही थी। उसने तभी अपना फ़ूला हुआ लौड़ा निकाला और मुझे पलटने को कहा। पहले तो मुझे समझ में नहीं आया कि इसका क्या मतलब है। मैं पलट कर उल्टी हो गई। संजू ने मेरे पोन्द को अपने हाथों से चीर दिया।
मेरा खूबसूरत गुलाब खिल उठा। उसने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे गुलाब पर टपकाया और फ़ूला हुआ सुपाड़ा छेद पर दबा डाला। मुझे मालूम हो गया कि ये गाण्ड मारने का शौकीन भी है।
“अरे सन्जू… नहीं रे… मैं मर जाऊंगी… ” उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड में अन्दर घुस कर फ़ंस सा गया।
“गाण्ड ढीली छोड़ ना… मुझे लग जायेगी… ” संजू का लण्ड दब सा गया।
मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी। लण्ड का डण्डा गाण्ड में उतरने लगा। मैं दर्द से तड़प उठी।
“बस कर मेरे मालिक… ये फ़ट जायेगी… “मैं रुआंसी हो गई, आज तो मेरा अंग अंग जैसे खूब पिट गया हो।
“एक दिन तो फ़टना ही है ना… ये पोन्द को तो मैं मारूंगा ही… साली ने मुझे बहुत तड़पाया है… तू मस्त रह… इसे कुछ नहीं होगा… बस चुद जायेगी… ”
“हाय अम्मी जान… बचा ले मुझे… मर गई मैं तो… ”
तभी उसने अपना लण्ड बाहर खींचा, मुझे राहत सी हुई… पर दूसरे ही पल भचाक से लण्ड गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया। उसका हाथ मेरे मुख पर आ गया और मेरी चीख दब गई। उसने मेरा मुख दबा कर दो तीन शॉट्स और खींच मारे… हर बार मेरी चीख वो दबा देता…
“सहना सीखो मेरी जान… अब तो ये रोज का मामला है… मम्मो को देख, क्या चुदती है साली… मेरा तो पूरा माल जैसे निचोड़ कर पी जाती है… ”
उसने मेरे मुख से अब हाथ हटा दिया था और धीरे धीरे धक्के मार रहा था।
दर्द कम हो गया था। पर मैं निढाल सी हो गई थी… तभी उसका लण्ड छूट गया… ढेर सारा वीर्य मेरी पीठ पर फ़ुहारों के रूप में फ़ैल गया। मैं उल्टी लेटी निश्चल सी पड़ी हुई थी। मेरी लम्बी लम्बी सांसें अभी तक कन्ट्रोल में नहीं आई थी। साजिद ने बडे प्यार से मेरी चूत, गाण्ड और पीठ को साफ़ कर दिया।
“अब उठ जाओ… मजा आया?” साजिद ने मुस्कराते हुये पूछा।
मैंने धीरे से अपना सर हां में हिला दिया। वास्तविक चुदाई तो मेरी आज ही हुई थी। सारा जिस्म तोड़ कर रख दिया था। मेरी कमर, चूत, गाण्ड और चूचियाँ दर्द से जैसे कसमसा रही थी। हमने अपने कपड़े ठीक से पहन लिए और साजिद ने मोबाईल करके मुमताज को बता दिया कि सारा कार्यक्रम सफ़लता पूर्वक निपट गया है। तभी मुझे साजिद ने अपनी गोदी में बैठा लिया और प्यार करने लगा। उसके प्यार से मेरा दिल खिल उठा। काश…… मेरे नसीब में ऐसा प्यार होता… ”
तभी ताला खोल कर मुमताज़ अन्दर आ गई। मैंने उसकी गोदी से उठने की कोशिश की, पर साजिद ने मुझे नहीं छोड़ा।
“संजू! छोड़ो ना… देखो मम्मो देख रही है!” मैं उसकी गोदी में कसमसा गई।
“गौरी, तुम्हें प्यार की बहुत जरूरत है… प्यार कर लो… मुझसे क्या शरमाना… देखो रात को ये तुम्हारे सामने ही ये मुझे चोदेगा… अब मुझसे शरम छोड़ दो… मुझे तो अपनी बहन समझ ले!”
पर स्त्री-सुलभ-लज्जा कहाँ छूट पाती है, वह भी जब कोई तीसरा हो सामने तो… । मैं जोर लगा कर सिमट कर एक तरफ़ चेहरा छुपा कर खड़ी हो गई। मुमताज़ ने मेरी बांह पकड़ी और कमरे से बाहर ले आई। शरम मारे तो उससे आँख भी नहीं मिला पा रही थी।
“बस ना… बहुत शरमा ली अब… चल अब बेशरम हो जा… रोज रोज चुदना है तो ये सब नहीं चलेगा!” उसकी बात मेरे दिल पर किसी मीठे तीर की तरह लगी।
“हाय मम्मो… बडी बद्तमीज़ हो गई है!” उससे बांह छुड़ा कर कर मैं तेजी से भागी और सीढ़ियाँ उतरने लगी। वो हंस पड़ी। नीचे आकर मैंने ऊपर खड़ी मुमताज को देखा और खुशी में चुन्नी अपने मुख पर लपेट कर भाग ली। मुमताज की आंखों में मेरी खुशी देख कर आंसू के दो मोती उभर आये थे।
शाम तक मेरा शरीर किसी फ़ोडे के समान टीस रहा था। मेरे चुचूक सूज गये थे। चूचियों के गोले भीतर से दर्द से कसक रहे थे। ग़ाण्ड के फ़ूल पर भी सूजन थी… और चूत पर तो जैसे अभी तक कोई लोहा घुसा हुआ सा जान पड़ रहा था।
मेरे मौला, चुदाई क्या ऐसी होती है… तौबा मेरी… अब नहीं चुदना मुझे। पर मन में ये कैसी शान्ति सी थी। रात को मुझे बहुत ही प्यारी नींद आई थी। ऐसी संतुष्टि पहली बार महसूस की थी।
तीन चार दिन में जा कर मेरा दर्द ठीक हो पाया… तब मुझे साजिद फिर से याद आने लगा था… उसकी चुदाई मन को रोशन कर रही थी, मन में बस गई थी… रोज मैं मम्मो से पूछती… कि अब वो कब आयेगा… कब आयेगा… कब आयेगा. Antarvasna Sex Stories
मैं अमन इलाहबाद से हूँ। मेरी Hindi Sex Stories उम्र २४ साल है मेरा लंड ७ लम्बा है ३ चौड़ा है। मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ।
बात ६ साल पुरानी है। तब मैं १२वीं में था और हम लोग जहाँ रहते हैं उसके सामने वाली बिल्डिंग में एक औरत रहने आई थी। उसके पति दुबई में जॉब पर थे और उसकी एक लड़की थी, वो लड़की १८ साल की थी।
जब मैंने उस लड़की को पहली बार बिल्डिंग के नीचे देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। वो दुकान में कैडबरी लेने आई थी और मैं भी उसी दुकान में रेज़र लेने आया था। मैंने उसे देखा तो मैं देखता ही रह गया।
उसने नीली रंग का स्कर्ट पहना था जोकि घुटनों तक ही था और पीले रंग की शर्ट पहनी थी। शर्ट के ऊपर से उसके छोटे छोटे दो मुसम्बी साफ साफ दिखाई दे रहे थे। वो कमाल की थी।
मै सोचने लगा अगर यह लड़की मुझे चोदने को मिले तो बहुत ही मज़ा आएगा और मैंने उससे दोस्ती करने का फैसला किया।
मैंने उसको बोला,”हई !
उसने सामने से उत्तर देते हुए ‘हय’ कहा फिर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने उसको नाम पूछा तो उसने बताया “फ़िज़ा”
मैंने फिर उसे अपना नाम बताया और कहा कि मैं उस सामने वाली बिल्डिंग में रहता हूं ! तो उसने भी कहा कि मैं तुम्हारे सामने वाली बिल्डिंग में रहती हूँ।
फिर मैंने उसको पूछा,”फ़्रेंड्स ?”
वो हाथ सामने करती हुई बोली,”फ़्रेंड्स !”
फिर हम दोनों अपने अपने घर गये। उसके बाद वो मुझसे मिलती रही और कभी कभी मैं उसके घर भी जाता था। इस बीच मुझे एक बात का पता चल गया कि उसकी कमजोरी कैडबरी है और मैं जब भी उससे मिलने जाता तो उसे कैडबरी ले कर जाता।
उस दिन रविवार था। मैं उसके घर गया, देखा तो उसकी माँ एक रिश्तेदार के पास गई हुई थी और फ़िज़ा घर में अकेली थी। मैं सोफे में बैठ के टी.वी. देख रहा था और वो मेरे साथ मजाक करने लगी, मुझे चिड़ाने लगी और मारने लगी। तो मैं भी उसे मारने लगा। ऐसे ही उसने एक बार मेरी छाती पर मारा तो मैंने भी जानबूझ कर उसकी छाती पर मारा। फिर उसने मेरे पेट पर मारा तो मैंने भी उसके पेट पर मारा। फिर उसने मेरे लंड पर मारा तो मैंने भी उसकी चूत पर मारा।
उस वक़्त मैंने पहली बार किसी लड़की के दूध और चूत को छुआ था।
मैं समझ गया कि फ़िज़ा को क्या चाहिए।
जब उसने फिर से मेरी छाती पर मारा तो मैंने उसके दूध को पकड़ लिया और दबाने लगा।
तो वो पूछने लगी- तुम क्या कर रहे हो?
मैं उसकी दूध दबाते हुए बोला- जो तुझे चाहिए !
और वो कुछ नहीं बोली, चुपचाप बैठी रही। उसने लाल रंग का स्कर्ट और पीले रंग का टी-शर्ट पहना था। मै उसके वक्ष दबाते दबाते उसके होंठों को चूसने लगा।
मैंने उसको पूछा- कभी किसी से दबवाया है क्या ?
तो उसने शरमाते हुए न कहा तो मैं समझ गया कि फ़िज़ा अभी तक कुंवारी है। उसके स्तन एकदम मस्त थे। मैं फिर उसके दूध की घुंडी दो उंगलियों से मसलने लगा तो वो सिसक उठी- अ अ ह ह ह
फिर मैंने उसे उठाया और बेडरूम में ले गया और बेड पे लिटा दिया। फिर मैंने अपना शर्ट उतार दिया और पैन्ट की जिप खोल कर पैन्ट उतार दी। मैं अब बस अंडरवियर में था और मेरा लण्ड लोहे की तरह सख्त हो गया था, मेरे अंडरवियर का तम्बू (टेंट) बना हुआ था। मैं उसके पास लेट गया और उसे नजदीक लेते हुए उसके रसीले होंठ चूसने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी मुसम्बी पर रखे और धीरे धीरे सहलाने लगा।
कुछ देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी टी-शर्ट में ले जाकर उसके बूब्स दबाने लगा। उसने ब्रा पहनी थी। फिर मैं उसका टी-शर्ट उतारने लगा तो उसने हाथ ऊपर करते हुए मेरी मदद की। उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही वक्ष दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं अपना एक हाथ उसके पीछे लेते हुए उसकी ब्रा का हूक खोल दिया और उसकी ब्रा निकाल के बेड पर फेंक दी। अब वो मेरे सामने नंगी बैठी थी। मैं उसे फिर लिटाते हुए उसके ऊपर लेट गया और उसके दूध चूसने लगा।
कभी कभी मैं उसके निप्प्ल दाँत के बीच ले कर उसे काटता तो वो चिल्लाती थी। मैं एकदम मदहोश हो गया था क्योंकि मैं आज पहली बार किसी लड़की को चोदने जा रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी स्कर्ट में डाल दिया। मेरे हाथ को उसकी नरम नरम चड्डी लगी। मैं उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। जैसे ही मेरा हाथ उसके चूत पे लगा, वो सिसक उठी- अ अ अ ह ह ह ह ह ह ह !
फिर मैंने उसकी स्कर्ट का हूक खोल दिया और उसकी स्कर्ट निकाल दी। उसने पीले रंग की चड्डी पहनी थी और चड्डी गीली हुई थी। मैं उसकी चूत चड्डी के ऊपर से ही सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद मैं बैठ गया और उसकी चड्डी निकालने लगा। तभी वो इंकार करने लगी तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- मुझे शर्म आती है !
तो मैं बोला- अभी तो मेरे सामने नंगी हो ! अब काहे की शर्म और वैसे भी तेर पति के सामने तुझे नंगा होना ही है तो अभी क्यों नहीं !
ऐसा कहते हुए मैंने उसकी चड्डी निकाल दी। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी। वो शरमा रही थी और उसने अपने दोनों पैर एक के ऊपर एक रख लिए। मैंने उसके पैर अलग कर के फैला दिए और उसकी बुर देखने लगा। वाह क्या बुर थी उसकी ! एकदम कुंवारी !
मै तो पागल हो उठा था क्योंकि मैं पहली बार किसी लड़की की चूची और चूत देख रहा था। वो शरमा रही थी। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी बुर में डालने लगा। उसकी बुर एकदम कसी थी, मैं जोर लगा के अपनी ऊँगली उसकी बुर में घुसाने लगा।
तभी वो- ह ई इ ई ई इ र इ इ इ इ सो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ कर के सिसक उठी।
फिर मै घुसाने की कोशिश करने लगा। कुछ देर के बाद मेरी दो उंगलियां उसकी बुर में गई। अब मैं उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसको मज़ा आने लगा और वो मस्त होकर सिसक उठी- अ अ अ अ ह ह ह ह ह ह ह अअह !
कुछ देर बाद मैंने अपना अंडरवीयर उतार दिया। तभी मेरा ७” लम्बा और ३” मोटा लण्ड स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया। वो मेरा लण्ड देख के हैरान हो गई और अपनी बुर को देखती हुई बोली “अमन, इतना बड़ा तेरा लण्ड मेरी चूत में कैसे घुसेगा? मेरी चूत का छेद तो इसके सामने काफी छोटा है ! यह मेरी चूत में गया तो मैं तो मर जाउंगी !”
तभी मैं बोला,”टेंशन मत लो ! यह तो तेरे छेद में आराम से जायेगा ! पहले पहले दर्द होगा लेकिन फिर मज़ा आएगा और फिर जब बच्चा होता है तो इसी छोटे से छेद से निकलता है न “
ऐसा कहते हुए मैंने उसको मेरा लण्ड चूसने को कहा तो वो मना करते हुए बोली,”चीईई, मैं नहीं चूसुंगी इसे !”
मैंने पूछा,”क्यों ?”
तो उसने बोला,”मुझे गन्दा लगता है !”
तब मुझे याद आया, मैं उसके लिए एक कैडबरी लाया था और उसे देना ही भूल गया था। मैंने झट से अपनी पॉकेट से कैडबरी निकाली और उसे खोल दी। वो कैडबरी थोड़ी सी पिघल गई थी। मैंने वो कैडबरी अपने लण्ड पे लगाई और उसके मुँह में मेरा लण्ड घुसाते हुए बोला,”कैडबरी तो चाट सकती हो ना ?”
और मैंने उसका सर पकड़ के रखा। पहले वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन छुड़ा न पाई। फिर मैं अपनी कमर आगे पीछे करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो मेरा लण्ड पकड़ के खुद ही चूसने लगी। मैंने हाथ उसके सर से हटाते हुए कहा,”कैसी लगी कैडबरी ?”
उसने लण्ड को मुंह से निकालते हुए कहा,”ये कैडबरी तो तेरे लण्ड के सामने कुछ भी नहीं है !” और वो मेरा लण्ड फिर से मुंह में लेकर चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे पैर फैला के लेटने को कहा। वो पैर फैला के लेट गई। उसकी गीली चूत मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उसे पूछा,”घर में मक्खन है?”
उसने कहा,”हाँ फ्रीज़ में रखा है !”
और मैं मक्खन ले के आया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं मक्खन क्यों लाया।
फिर मैंने खूब सारा मक्खन उसकी चूत के अन्दर डाला और अपना लण्ड उसकी बुर के मुंह पर रखा। जैसे ही मैंने लण्ड उसकी बुर पे रखा, वो सिसक उठी, “आह्ह आः जल्दी करूऊऊ नहीं तो माँ मर जाउंगी !”
मैंने एक धक्का देते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया, उसकी चूत से खून निकलने लगा और वो चिल्लाने लगी,”ऊउईईई मा आ या मैं मर गई आआअह्ह्ह्ह्ह्ह !”
मैं थोड़ी देर शान्त हो कर लेट गया। थोड़ी देर रुकने के बाद दूसरा धक्का लगाया और वो फिर से चिल्ला उठी,”प्लीज़ अमन ! लण्ड बाहर निकालो ! नहीं तो मैं मर जाउंगी !”
मैंने कहा,”कुछ नहीं होगा, बस थोड़ी देर और सहन कर लो !”
और उसको किस करते हुए और एक धक्का लगाया इस वक्त मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया था और वो चिल्लाने वाली थी पर उसका मुँह मैंने अपने मुंह में ले के बंद किया था। उसकी सील टूट चुकी थी और वो रो रही थी और मछली की तरह तड़प रही थी। थोड़ी देर तक ऐसे ही रहा। फ़िर मैं अपनी कमर धीरे धीरे हिलाने लगा। तब तक उसको भी मज़ा आने लगा था और वो भी अपनी कमर ऊपर नीचे करती मुझे सहयोग दे रही थी।
फिर मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ाई और जोर जोर से कमर हिलाने लगा। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी। करीब १५ मिनट बाद मैं भी झड़ गया और उसके चूत में ही अपना वीर्य डाल दिया। कुछ देर तक ऐसे ही सोने के बाद वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी।
तभी मैंने देखा उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी। उसकी चूत में मेरा वीर्य, उसका पानी और बहुत सा खून भी था। वो उठ के बाथरूम गई और पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत साफ की और अपनी चड्डी पहन ली और बाद में अपनी ब्रा पहनी और फिर टी शर्ट पहन के उसने स्कर्ट कमर पे चढ़ाई और बाहर आ गई।
उस दिन के बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा। Hindi Sex Stories
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.