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अंतर्वासना के प्रिय Antarvasna Sex Stories पाठकों को मेरा नमस्कार ! मेरा नाम राज है (बदला हुआ नाम ) और मैं दिल्ली के पास के शहर मेरठ से हूँ। आज सोचा कि क्यूँ ना अपनी भी कहानी यहाँ लिखी जाये !
तो दोस्तो आप मेरी कहानी पढ़ो और मजे लो !
वैसे तो मै इक्कीस साल का एक साधारण सा युवक हूँ पर थोड़े दिन पहले तक काम के सुख से वंचित था ! दूसरे लोगों की तरह मेरे दिल में भी कामवासना के लिये बहुत तड़प थी और चाह कर भी मैं इस तड़प को कम नहीं कर पा रहा था क्यूँकि ना तो मेरे पास कोई पार्टनर थी और मुझे डर भी लगा रहता था कि कहीं किसी जानने वाले को पता चल गया तो !
यही बात मेरे कॉलेज के दो दोस्तों को भी पता थी कि मुझे काम-क्रिया करनी तो है पर कोई मौका नही मिल रहा ! उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि किसी काल-गर्ल को बुला ले। पर बदनामी और पकड़े जाने के डर से मेरी हिम्मत ना हुई और मैने मन ही मन फैसला किया कि मुझे किसी पचड़े में नहीं फंसना और जब भी मौका लगेगा तब हाथ आजमा लेंगे !
फिर अचानक एक दिन मेरी किस्मत ने जोर मारा। छुट्टी का समय था और मैं कॉलेज के गेट पर खड़ा था कि तभी मेरी ही क्लास की एक लड़की अदिति (बदला हुअ नाम) मेरे पास आई और बोली- मुझे तुमसे बात करनी है !
मुझे लगा कि इसे कोई काम ही होगा और मैं लेट भी हो रहा था सो मैंने उसकी बात पर ज्यादा गौर नहीं किया। पहले आप लोगो को अदिति के बारे में थोड़ा बता दूँ… क्या कहूँ बिल्कुल साधारण लड़की थी, औरों के लिए तो ठीक-ठाक एक सामान्य लड़की पर मेरे लिए तीखे नयन नक्शों वाली एक हूर की परी…..
उसने बात शुरू की- मैं और तुम एक ही नाव में हैं !
मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने जोर से बोल दिया- अबे क्या कह रही है?
वो थोड़ा डर सी गई..
मैंने समझाया कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि तू क्या कहना चाहती है…
वो सहमी सी खड़ी रही।
मैंने तब उससे कहा- डर मत ! बोल जो बोलना है !
उसने कहा- मुझे पता चला है कि तुम्हें एक पार्टनर की जरुरत है !
अब मैं समझ गया कि वो कहाँ बोल रही थी !
मैंने कहा- हाँ है तो पर तुझे कैसे पता चला?
फिर वो बोली- मेरी दोस्त से !
जो कि मेरे उन दोनों दोस्तों में से ही एक की गर्लफ्रेंड थी!
वो आगे बोली- मैं तुम्हारी पार्टनर बन सकती हूँ पर मुझे डर है कहीं किसी को पता न चल जाये !
मैंने उसका डर दूर किया और कहा- यह डर मुझे भी है तभी तो आज तक कुछ नहीं किया !
बस फिर क्या था, बात आगे बढ़ी और अगले दिन का कार्यक्रम तय हुआ…
मैं अपना जोर जोर से धड़कता हुआ दिल हाथ में लेकर किसी तरह घर पंहुचा पर दिमाग में तो उसकी बातें ही घूम रही थी। घर जाते ही अपने कमरे में गया और खाना भी नहीं खाया…
वही बातें दिमाग में घूमने लगी और तब अहसास हुआ कि उसने अभी तक सेक्स तो किया ही नहीं है। मतलब साफ़ था कि चूत एक दम टाइट होगी और उसे दर्द भी होगा…
बस फिर तो सारा दिन उसको चोदने के तरीके सोचने लगा … पहले ये करूँगा.. फिर वो … लेकिन एक बात दिमाग में थी कि उसे पूरी तरह गत्म करने के बाद ही कुछ शुरू करूँगा और उसके दर्द का भी ध्यान रखूँगा.. क्योंकि मुझे पता था कि अगर लड़की को दर्द ज्यादा हो तो ना वो खुद मजा ले पाती है और न तुम्हें दे पाती है…
बस देर रात तक यही सोचता रहा कि किसी भी तरह उसे अपने से पहले चरम-सुख दे सकूँ .. और उसे आनंद की चरम सीमा से भी परे ले जा सकूँ … ताकि उसका पहला सेक्स अनुभव यादगार बन जाये और वो मेरी दीवानी हो जाये !
खैर अगला दिन आया… सुबह दस बजे हम मिले और ऑटो पकड़ कर चल दिए होटल की ओर ….
वहाँ पहले अन्दर वो गई, कमरा बुक कराया दूसरे नाम से…. और कमरे में चली गई …
फिर कमरे में से मुझे कॉल किया कि रूम नंबर इतना है…
मैं होटल के बाहर ही खड़ा था तब तक ! ताकि किसी को शक न हो….
मैं सीधे होटल में गया.. किसी की तरफ नहीं देखा और सीधे कमरे की तरफ बढ़ गया ताकि अगर कोई देख भी रहा हो तो उसे लगे कि इसका कमरा पहले से बुक्ड है…
खैर कमरे तक पहुंच कर दरवाज़ा खटखटाया…
उसने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी। मैं कमरे के अन्दर आया और सबसे पहले उसे मेरा पार्टनर बनने के लिए धन्यवाद दिया ! इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसे अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और बोला- इस दिन के लिए कब से तड़प रहा था..
और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए! अब मैं जोश से भर चुका था और जोर जोर से उसके होंठों को चूसे जा रहा था..
वो गर्म होने लगी- वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल कर मुझे आनंद दे रही थी। इसके साथ ही उसने अपने हाथों से मेरे हाथ अपने वक्ष पर रख लिए .. मैंने भी झट से उसके स्तन दबाने शरू कर दिए…
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था सो मैं उसे जोर से चूसने लगा और उसके स्तन इस तरह दबाने लगा कि वो तड़पने लगी…
फिर मैं कुछ देर बाद उससे अलग हुआ और एक ही झटके में उसके सारे कपड़े उतार दिए… अभी भी मैं उसके स्तन सहला रहा था… और वो आवाजें निकाल रही थी कि तभी मैंने पाया की उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है..
मैंने उसके रुमाल से उसकी चिकनाई साफ़ की और थोड़ी सी वेसलीन अपनी बीच वाली ऊँगली पर लगा कर अन्दर दे दी !
अब मैं पूरे हरामी मूड में आ चुका था सो मैंने अपनी ऊँगली गोल गोल घुमानी शरू कर दी और अब तो वो मचलने लगी और जोर जोर से आवाजे निकाल कर कह रही थी- और जोर से करो और जोर से !
मैं तो अपने होश खो बैठा और लगा उसकी चूत मसलने…
वो मजे से उछलने लगी..
मुझे बस इतना पता था कि उसे चरम-सुख पहले देना है बस चाहे जो हो जाये..
उसकी चूत एक दम गीली हो गई। मैंने दोबारा से चूत साफ़ की और अपना मुँह उस पर लगा दिया। जीभ अन्दर डाली और उसकी चूत को कुरेदने लगा, उसकी मदहोश करने वाली आवाजें आने लगी…
उसने अपने दोनों हाथ मेरे सर के पीछे किये और मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया! मैं जंगली भूत की तरह उसकी चूत कुरेदने लगा और तभी उसकी अपनी टांगें बंद करनी शरू कर दी और उसका शरीर ऐंठने लगा… और फिर उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूटा और इसके साथ ही उसका शरीर ढीला पड़ने लगा पर मैं नहीं रुका, मैं लगातार उसके स्तन मसलता रहा और थोड़ी देर बाद उसने कहा- अब नहीं रहा जा रहा ! अब डाल दो !
मैंने भी देर न करते हुए अपना लण्ड निकाल लिया, मुझे पता था कि पहली पहली बार तो आदमी ज्यादा देर टिकता ही नहीं पर मैं तो उसे ओर्गास्म दे ही चुका, अब जल्दी झड़ भी गया तोशर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। पर फिर भी अभी तो चरम-सीमा आनी बाकी थी।
मेरा लण्ड देखकर उसने कहा- इतना बड़ा मैं कैसे लूंगी ?
पर मैंने उसे समझाया तो मान गई। बस फिर क्या था, मैंने रखा उसकी चूत पर और थोड़ा सा डाल कर ही अन्दर बाहर करने लगा और फिर धीरे धीरे शरू हुई रफ़्तार !
जिसके साथ ही बढ़ता गया आनंद !
टूटी उसकी सील, निकला उसका खून पर दोनों ही थे नशे में चूर !
अब वो लगी चिल्लाने ! मैंने भी पूरा अन्दर देकर कराया मिलन बच्चेदानी से ! रफ़्तार पे रफ़्तार, रफ़्तार पे रफ़्तार, रफ़्तार पे रफ़्तार और आखिर फिर फूट पड़ा उसका ज्वार ! मैं तो अब भी नहीं छूटा था….
तो चला एक दौर और ! इस बार थी मेरी साँसों और शरीर में गज़ब की गर्मी, चेहरा था लाल, साँस रही थी फूल ! पर फिर भी दम लगा कर था मैं मशगूल !
बस अब मेरा समय था.. मैंने उसे कहा तो बोली कि मैं भी आ रही हूँ ! दोनों साथ में होंगे…. और थोड़ी ही देर में हो गया ऐसा धमाका कि बस मत पूछो कि क्या साला हिरोशिमा पे बम गिरा होगा !!
खैर थोड़ी देर तो यूँ ही पड़े रहे, फिर पहने अपने अपने कपड़े …
अब हुए हम चलने को तो मैडम ने पास बुलाया सर पर चूमा और कहा- तुम्हारा दिया प्यार हमेशा याद रहेगा !
कमरे से एक एक करके निकले, फिर साथ खाना खाया …..
एक बार फिर जरुरत पड़ी उन्हें आश्वस्त करने की कि किसी को कभी नहीं बताऊंगा….
और चल दिए अपनी अपनी मंजिल की ओर….
मेरी सभी प्रिय पाठकों को स्नेह, धन्यवाद !! Antarvasna Sex Stories
मेरे जीजू और दीदी नासिक Antarvasna Stories में नई नौकरी लगने के कारण मेरे पास ही आ गये थे. मैंने यहाँ पर एक छोटा सा घर किराये पर ले रखा था. मेरी दीदी मुझसे कोई दो साल बड़ी थी. मेरे मामले में वो बड़ी लापरवाह थी. मेरे सामने वो कपड़े वगैरह या स्नान करने बाद यूँ आ जाती थी जैसे कि मैं कोई छोटा बच्चा या नासमझ हूँ.
शादी के बाद तो दीदी और सेक्सी लगने लगी थी. उसकी चूंचियाँ भारी हो गई थी, बदन और गुदाज सा हो गया था. चेहरे में लुनाई सी आ गई थी. उसके चूतड़ और भर कर मस्त लचीले और गोल गोल से हो गये थे जो कमर के नीचे उसके कूल्हे मटकी से लगते थे. जब वो चलती थी तो उसके यही गोल गोल चूतड़ अलग अलग ऊपर नीचे यूँ चलते थे कि मानो… हाय! लण्ड जोर मारने लगता था. जब वो झुकती थी तो बस उसकी मस्त गोलाईयाँ देख कर लण्ड टनटना जाता था. पर वो थी कि इस नामुराद भाई पर बिजलियाँ यूं गिराती रहती थी कि दिल फ़ड़फ़ड़ा कर रह जाता था.
बहन जो लगती थी ना, मन मसोस कर रह जाता था. मेरे लण्ड की तो कभी कभी यह हालत हो जाती थी कि मैं बाथरूम में जा कर उकड़ू बैठ कर लण्ड को घिस घिसकर मुठ मारता था और माल निकलने के बाद ही चैन आता था.
मैंने एक बार जाने अनजाने में दीदी से यूं ही मजाक में पूछ लिया. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो मेरे पास ही कपड़े समेट रही थी. उसके झुकने से उसकी चूचियाँ उसके ढीले ढाले कुरते में से यूं हिल रही थी कि बस मेरा मुन्ना टन्न से खड़ा हो गया. वो तो जालिम तो थी ही, फिर से मेरे प्यासे दिल को झकझोर दिया.
‘कम्मो दीदी, मुझे मामा कब बनाओगी?’
‘अरे अभी कहाँ भैया, अभी तो मेरे खाने-खेलने के दिन हैं!’ उसने खाने शब्द पर जोर दे कर कहा और बड़े ठसके से खिलखिलाई.
‘अच्छा, भला क्या खाती हो?’ मेरा अन्दाज कुछ अलग सा था, दिल एक बार फिर आशा से भर गया. दीदी अब सेक्सी ठिठोली पर जो आ गई थी.
‘धत्त, दीदी से ऐसे कहते हैं…? अभी तो हम फ़ेमिली प्लानिंग कर रहे हैं!’ दीदी ने मुस्करा कर तिरछी नजर से देखा, फिर हम दोनों ही हंस पड़े. कैसी कन्टीली हंसी थी दीदी की.
‘फ़ेमिली प्लानिंग में क्या करते हैं?’ मैंने अनजान बनते हुये कहा. मेर दिल जैसे धड़क उठा. मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने की कोशिश में लगा था.
‘इसमें घर की स्थिति को देखते हुये बच्चा पैदा करते हैं, इसमें कण्डोम, पिल्स वगैरह काम में लेते हैं, मैं तो पिल्स लेती हूँ… और फिर धमाधम चुद… , हाय राम!’ शब्द चुदाई अधूरा रह गया था पर दिल में मीठी सी गुदगुदी कर गया. लण्ड फ़ड़क उठा. लगता था कि वो ही मुझे लाईन पर ला रही थी.
‘हाँ… हाँ… कहो धमाधम क्या…?’ मैंने जानकर शरारत की. उसका चेहरा लाल हो उठा. दीदी ने मुझे फिर तिरछी नजर देखा और हंसने लगी.
‘बता दूँ… बुरा तो नहीं मानोगे…?’ दीदी भी शरमाती हुई शरारत पर उतर आई थी. मेरा दिल धड़क उठा. दीदी की अदायें मुझे भाने लगी थी. उसकी चूंचियाँ भी मुझे अब उत्तेजक लगने लगी थी. वो अब ग्रीन सिग्नल देने लगी थी. मैं उत्साह से भर गया.
‘दीदी बता दो ना…’ मैंने उतावलेपन से कहा. मेरे लण्ड में तरावट आने लगी थी. मेरे दिल में तीर घुसे जा रहे थे. मैं घायल की तरह जैसे कराहने लगा था.
‘तेरे जीजू मुझे फिर धमाधम चोदते हैं…’ कुछ सकुचाती हुई सी बोली. फिर एकदम शरमा गई. मेरे दिल के टांके जैसे चट चट करके टूटने लगे. घाव बहने लगा. बहना खुलने लगी थी, अब मुझे यकीन हो गया कि दीदी के भी मन में मेरे लिये भावना पैदा हो गई है.
‘कैसे चोदते हैं दीदी…?’ मेरी आवाज में कसक भर गई थी. मुझे दीदी की चूत मन में नजर आने लगी थी… लगा मेरी प्यारी बहन तो पहले से ही चालू है… बड़ी मर्द-मार… नहीं मर्द-मार नहीं… भैया मार बहना है. उसे भी अब मेरा उठा हुआ लण्ड नजर आने लगा था.
‘चल साले… अब ये भी बताना पड़ेगा?’ उसने मेरे लण्ड के उठान पर अपनी नजर डाली और वो खिलखिला कर हंस पड़ी. उसकी नजर लण्ड पर पड़ते ही मैंने उसकी बांह पकड़ पर एक झटके में मेरे ऊपर उसे गिरा लिया. उसकी सांसें जैसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई और फिर उसकी छाती धड़क उठी. वो मेरी छाती पर थी.
मेरा छः इन्च का लण्ड अब सात इन्च का हो गया था. भला कैसे छिपा रह सकता था.
‘दीदी बता दो ना…’ उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकराने लगी. हमारी सांसें तेज हो गई.
‘भैया, मुझे जाने क्या हो रहा है…!’
‘बहना… पता नहीं… पर तेरा दिल बड़ी जोर से धड़क रहा है… तू चुदाई के बारे में बता रही थी ना… एक बार कर के बता दे… ये सब कैसे करते हैं…?’
‘कैसे बताऊँ… उसके लिये तो कपड़े उतारने होंगे… फिर… हाय भैया…’ और वो मुझसे लिपट गई. उसकी दिल की धड़कन चूंचियों के रास्ते मुझे महसूस होने लगी थी.
‘दीदी… फिर… उतारें कपड़े…? चुदाई में कैसा लगता है?’ मारे तनाव के मेरा लण्ड फ़ूल उठा था. हाय… कैसे काबू में रखूँ!
मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा. लण्ड उछाले मारने लगा. दीदी ने मेरे बाल पकड़ लिये और अपनी चूंचियाँ मेरी छाती पर दबा दी… उसकी सांसें तेज होने लगी.
मेरे माथे पर भी पसीने की बूंदें उभर आई थी. उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास आ गया. उसकी सांसों की खुशबू मेरे नथुने में समाने लगी. मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर कस गये. उसका गाऊन ऊपर खींच लिया. मेरे होंठों से दीदी के होंठ चिपक गये. उसकी चूत मेरे तन्नाये हुये लण्ड पर जोर मारने लगी. उसकी चूत का दबाव मुझे बहुत ही सुकून दे रहा था.
आखिर दीदी ने मेरे मन की सुन ही ली. मैंने दीदी का गाऊन सामने से खोल दिया. उसकी बड़ी-बड़ी कठोर चूंचियाँ ब्रा में से बाहर उबल पड़ी. मेरा लण्ड कपड़ों में ही उसकी चूत पर दबाव डालने लगा. लगता था कि पैन्ट को फ़ाड़ डालेगा.
उसकी काली पेंटी में चूत का गीलापन उभर आया था. मेरी अँडरवियर और उसकी पेंटी के अन्दर ही अन्दर लण्ड और चूत टकरा उठे. एक मीठी सी लहर हम दोनों को तड़पा गई. मैंने उसकी पेंटी उतारने के लिये उसे नीचे खींचा. उसकी प्यारी सी चूत मेरे लण्ड से टकरा ही गई. उसकी चूत लप-लप कर रही थी. मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी गीली चूत में अन्दर सरक गया. उसके मुख से आह्ह्ह सी निकल गई. अचानक दीदी ने अपने होंठ अलग कर लिये और तड़प कर मेरे ऊपर से धीरे से हट गई.
‘नहीं भैया ये तो पाप है… हम ये क्या करने लगे थे!’ मैं भी उठ कर बैठ गया.
जल्दबाज़ी में और वासना के बहाव में हम दोनों भटक गये थे. उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया. मुझे भी शर्म आ गई. उसके मुख की लालिमा उसकी शर्म बता रही रही थी. उसने मुँह छुपाये हुये अपनी दो अंगुलियों के बीच से मुझे निहारा और मेरी प्रतिक्रिया देखने लगी. उसके मुस्कराते ही मेरा सर नीचे झुक गया.
‘सॉरी दीदी… मुझे जाने क्या हो गया था…’ मेरा सर अभी भी झुका हुआ था.
‘आं हाँ… नहीं भैया, सॉरी मुझे कहना चहिये था!’ हम दोनों की नजरे झुकी हुई थी. दीदी ने मेरी छाती पर सर रख दिया.
‘सॉरी बहना… सॉरी…’ मैंने उसके माथे पर एक हल्का सा चुम्मा लिया और कमरे से बाहर आ गया. मैं तुरंत तैयार हो कर कॉलेज चला गया. मन ग्लानि से भर गया था. जाने दीदी के मन में क्या था. वह अब जाने क्या सोच रही होगी. दिन भर पढ़ाई में मन नहीं लगा. शाम को जीजाजी फ़ेक्टरी से घर आये, खाना खा कर उन्हें किसी स्टाफ़ के छुट्टी पर होने से नाईट शिफ़्ट में भी काम करना था. वो रात के नौ बजे वापस चले गये.
रात गहराने लगी. शैतान के साये फिर से अपने पंजे फ़ैलाने लगे. लेटे हुये मेरे दिल में वासना ने फिर करवट ली. काजल का सेक्सी बदन कांटे बन कर मेरे दिल में चुभने लगा. मेरा दिल फिर से दीदी के तन को याद करके कसकने लगा.
मेरा लण्ड दिन की घटना को याद करके खड़ा होने लगा था. सुपाड़े का चूत से मोहक स्पर्श रह रह कर लण्ड में गर्मी भर रहा था. रात गहराने लगी थी. लण्ड तन्ना कर हवा में लहरा उठा था. मैं जैसे तड़प उठा. मैंने लण्ड को थाम लिया और दबा डाला. मेरे मुख से एक वासनायुक्त सिसकारी निकल पड़ी. अचानक ही काजल ने दरवाजा खोला. मुझे नंगा देख कर वापस जाने लगी. मेरा हाथ मेरे लण्ड पर था और लाल सुपाड़ा बाहर जैसे चुनौती दे रहा था. मेरे कड़क लण्ड ने शायद बहना का दिल बींध दिया था. उसने फिर से ललचाई नजर से लण्ड को निहारा और जैसे अपने मन में कैद कर लिया.
‘क्या हुआ दीदी…?’ मैंने चादर ओढ़ ली.
‘कुछ नहीं, बस मुझे अकेले डर लग रहा था… बाहर तेज बरसात हो रही है ना!’ उसने मजबूरी में कहा. उसका मन मेरे तन्नाये हुये खूबसूरत लण्ड में अटक गया था. मैंने मौके का फ़ायदा उठाया. चादर एक तरफ़ कर दी और खड़े लण्ड के साथ एक किनारे सरक गया.
‘आजा दीदी, मेरे साथ सो जा, यहीं पर…पर पलंग छोटा है!’ मैंने उसे बताया.
मेरे मन के शैतान ने काजल को चिपक कर सोने का लालच दिया. उसे शायद मेरा लण्ड अपने जिस्म में घुसता सा लगा होगा. उसकी निगाहें मेरे कठोर लण्ड पर टिकी हुई थी. उसका मन पिघल गया… उसका दिल लण्ड लेने को जैसे मचल उठा.
‘सच… आ जाऊँ तेरे पास… तू तौलिया ही लपेट ले!’ उसकी दिल जैसे धड़क उठा. दीदी ने पास पड़ा तौलिया मुझे दे दिया. मैंने उसे एक तरफ़ रख लिया. वो मेरे पास आकर लेट गई.
‘लाईट बन्द कर दे काजल…’ मेरा मन सुलगने लगा था.
‘नहीं मुझे डर लगता है भैया…’ शायद मेरे तन की आंच उस तक पहुंच रही थी.
मैंने दूसरी तरफ़ करवट ले ली. पर अब तो और मुश्किल हो गया. मेरे मन को कैसे कंट्रोल करूँ, और यह लण्ड तो कड़क हो कर लोहा हो गया था. मेरा हाथ पर फिर से लण्ड पर आ गया था और लण्ड को हाथ से दबा लिया. तभी दीदी का तन मेरे तन से चिपक गया. मुझे महसूस हुआ कि वो नंगी थी. उसकी नंगी चूंचियाँ मेरी पीठ को गुदगुदा रही थी. उसके चूचक का स्पर्श मुझे साफ़ महसूस हो रहा था. मुझे महसूस हुआ कि वो भी अब वासना की आग में झुलस रही थी… यानी सवेरे का भैया अब सैंया बनने जा रहा था. मैंने हौले से करवट बदली… और उसकी ओर घूम गया.
काजल अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मुझे देख रही थी. उसकी आंखों में वासना भरी हुई थी, पर प्यार भी उमड़ रहा था. लगता था कि उसे अब मेरा मोटा लण्ड चाहिये था. वो मुझे से चिपकने की पुरजोर कोशिश कर रही थी. मेरा कड़ा लण्ड भी उस पर न्योछावर होने के लिये मरा जा रहा था.
‘दिन को बुरा मान गये थे ना…’ उसकी आवाज में बेचैनी थी.
‘नहीं मेरी बहना… ऐसे मत बोल… हम तो हैं ही एक दूजे के लिये!’ मैंने अपना लण्ड उसके दोनों पांवों के बीच घुसा दिया था. चूत तो बस निकट ही थी.
‘तू तो मेरा प्यारा भाई है… शरमा मत रे!’ उसने अपना हाथ मेरी गरदन पर लपेट लिया. मेरा लण्ड अपनी दोनों टांगों के बीच उसने दबा लिया था और उसकी मोटाई महसूस कर रही थी. उसने अपना गाऊन का फ़ीता खोल रखा था. आह्ह… मेरी बहना अन्दर से पूरी नंगी थी. मुझे अब तो लण्ड पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. उसने अपनी चूत मेरे लण्ड से चिपका दी. जैसे लण्ड को अब शांति मिली. मेरा मन फिर से उसे चोदने के लिये मचल उठा. मैंने भी उसे कस लिया और कुत्ते की तरह से लण्ड को सही स्थान पर घुसाने की कोशिश करने लगा.
‘भैया ये क्या कर रहे हो… ये अब नीचे चुभ रहा है!’ उसकी आवाज में वासना का तेज था. उसकी आंखें नशीली हो उठी थी. चूत का गीलापन मेरे लण्ड को भी चिकना किये जा रहा था.
‘अरे यूं ही बस… मजा आ रहा है!’ मैंने सिसकी भरते हुये कहा. चूत की पलकों को छेड़ता हुआ, लण्ड चूत को गुदगुदाने लगा.
‘देखो चोदना मत…’ उसकी आवाज में कसक बढ़ती जा रही थी, जैसे कि लण्ड घुसा लेना चाहती हो. उसका इकरार में इन्कार मुझे पागल किये दे रहा था.
‘नहीं रे… साथ सोने का बस थोड़ा सा मजा आ रहा है!’ मैं अपना लण्ड का जोर उसकी चूत के आसपास लगा कर रगड़ रहा था. अचानक लण्ड को रास्ता मिल गया और सुपाड़ा उसकी रस भरी चूत के द्वार पर आ गया. हमारे नंगे बदन जैसे आग उगलने लगे.
‘हाय रे, देखो ये अन्दर ना घुस जाये…बड़ा जोर मार रहा है रे!’ चुदने की तड़प उसके चेहरे पर आ गई थी. अब लण्ड के बाहर रहने पर जैसे चूत को भी एतराज़ था.
‘दीदी… आह्ह्ह… नहीं जायेगा…’ पर लण्ड भी क्या करे… उसकी चूत भी तो उसे अपनी तरफ़ दबा रही थी, खींच रही थी. सुपाड़ा फ़क से अन्दर उतर गया.
‘हाय भैया, उफ़्फ़्फ़्फ़… मैं चुद जाऊँगी… रोको ना!’ उसका स्वर वासना में भीगा हुआ था. इन्कार बढ़ता जा रहा था, साथ में उसकी चूत ने अपना मुख फ़ाड़ कर सुपाड़े का स्वागत किया.
‘नहीं बहना नहीं… नहीं चुदेगी… आह्ह्ह… ‘
काजल ने अपने अधरों से अपने अधर मिला दिये और जीभ मेरे मुख में ठेल दी. साथ ही उसका दबाव चूत पर बढ़ गया. मेरे लण्ड में अब एक मीठी सी लहर उठने लगी. लण्ड और भीतर घुस गया.
‘भैया ना करो… यह तो घुसा ही जा रहा है… देखो ना… मैं तो चुद जाऊँगी!’
उसका भीगा सा इन्कार भरा स्वर जैसे मुझे धन्यवाद दे रहा था. उसकी बड़ी-बड़ी आंखें मेरी आंखों को एक टक निहार रही थी. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने जोर लगा कर लण्ड़ पूरा ही उतार दिया. वो सिसक उठी.
‘दीदी, ये तो मान ही नहीं रहा है… हाय… कितना मजा आ रहा है…!’ मैंने दीदी को दबाते हुये कहा. मैंने अपने दांत भींच लिये थे.
‘अपनी बहन को चोदेगा भैया… बस अब ना कर… देख ना मेरी चूत की हालत कैसी हो गई है… तूने तो फ़ोड़ ही दिया इसे!’ मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत में समेटती हुई बोली.
‘नहीं रे… ये तो तेरी प्यारी चूत ही अपना मुह फ़ाड़ कर लण्ड मांग रही है, हाय रे बहना तेरी रसीली चूत…कितना मजा आ रहा है… सुन ना… अब चुदा ले… फ़ुड़वा ले अपनी फ़ुद्दी…!’ मैंने उसे अपनी बाहों में ओर जोर से कस लिया.
‘आह ना बोल ऐसे… मेरे भैया रे… उफ़्फ़्फ़्फ़’ उसने साईड से ही चूत उछाल कर लण्ड अपनी चूत में पूरा घुसा लिया. मैं उसके ऊपर आ गया. ऊपर से उसे मैं भली प्रकार से चोद सकता था. हम दोनों एक होने की कोशिश करने लगे. दीदी अपनी टांगें फ़ैला कर खोलने लगी. चूत का मुख पूरा खुल गया था. मैं मदहोश हो चला.
मेरा लण्ड दे दनादन मस्ती से चूत को चोद रहा था. दीदी की सिसकारियाँ मुख से फ़ूट उठी. उसकी वासना भरी सिसकियाँ मुझे उत्तेजित कर रही थी. मेरा लण्ड दीदी की चूत का भरपूर आनन्द ले रहा था. मुझे मालूम था दीदी मेरे पास चुदवाने ही आई थी… डर तो एक बहाना था. बाहर बरसात और तेज होने लगी थी.
हवा में ठण्डक बढ़ गई थी. पर हमारे जिस्म तो शोलों में लिपटे हुये थे. दीदी मेरे शरीर के नीचे दबी हुई थी और सिसकियाँ भर रही थी. मेरा लण्ड उसकी चूत में भचाभच घुसे जा रहा था. उसकी चूत भी उछाले मार मार कर चुद रही थी.
तभी उसने अपना पोज बदलने के लिये कहा और वो पलट कर मेरे ऊपर आ गई. उसके गुदाज स्तन मेरे सामने झूल गये. मेरे हाथ स्वतः ही उसकी चूंचियाँ मसलने को बेताब हो उठे… उसने मेरे तने हुए लण्ड पर अपनी चूत को सेट किया और कहा- भैया, बहना की भोसड़ी तैयार है… शुरु करें?’ उसने शरारत भरी वासनायुक्त स्वर में हरी झण्डी दिखाई.
‘रुक जा दीदी… तेरी कठोर चूंचियाँ तो दाब लू, फिर…’ मैं अपनी बात पूरी करता, उसने बेताबी में मेरे खड़े लण्ड को अपनी चूत में समा लिया और उसकी चूंचियाँ मेरे हाथों में दब गई. फिर उसने अपनी चूत का पूरा जोर लगा दिया और लण्ड को जड़ तक बैठा दिया.
‘भैया रे… आह पूरा ही बैठ गया… मजा आ गया!’ नशे में जैसे झूमती हुई बोली.
‘तू तो ऐसे कह रही है कि पहले कभी चुदी ही नहीं…!’ मुझे हंसी आ गई.
‘वो तो बहुत सीधे हैं… चुदाई को तो कहते हैं ये तो गन्दी बात है… एक बार उन्हें उत्तेजित किया तो…’ अपने पति की शिकायत करती हुई बोल रही थी.
‘तो क्या…?’ मुझे आश्चर्य सा हुआ, जीजाजी की ये नादानी, भरी जवानी तो चुदेगी ही, उसे कौन रोक सकता है.
‘जोश ही जोश में मुझे चोद दिया… पर फिर मुझे हज़ार बार कसमें दिलाये कि किसी मत कहना कि हमने ऐसा किया है… बस फिर मैं नहीं चुदी इनसे…’
‘अच्छा… फिर… किसी और ने चोदा…’
‘और फिर क्या करती मैं… आज तक मुझे कसमें दिलाते रहते है और कहते हैं कि हमने इतना गन्दा काम कर दिया है… लोग क्या कहेंगे… फिर उनके दोस्त को मैंने पटा लिया… और अब भैया तुम तो पटे पटाये ही हो.’
मुझे हंसी आ गई. तभी मेरी बहना प्यासी की प्यासी रह गई और शरम के मारे कुछ ना कह सकी… ये पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा होता है. यदि मस्ती में चूत अधिक उछाल दी तो पति सोचेगा कि ये चुद्दक्कड़ रांड है, वगैरह.
‘सब भूल जाओ काजल… लगाओ धक्के… मेरे साथ खूब निकालो पानी…’
‘मेरे अच्छे भैया…मैंने तो तेरा खड़ा लण्ड पहले ही देख लिया था… मुझे लगा था कि तू मेरी जरूर बजायेगा एक दिन…!’ और मेरे से लिपट कर अपनी चूत बिजली की तेजी से चलाने लगी. मेरा लण्ड रगड़ खा कर मस्त हो उठा और कड़कने लगा. मेरे लण्ड में उत्तेजना फ़ूटने लगी. बहुत दिनों के बाद कोई चोदने को मिली थी, लग़ा कि मेरा निकल ही जायेगा. मेरा जिस्म कंपकपाने लगा… उसके बोबे मसलते हुये भींचने लगा. मेरा प्यासा लण्ड रसीला हो उठा. तभी मेरे लण्ड से वीर्य स्खलित होने लगा. दीदी रुक गई और मेरे वीर्य को चूत में भरती रही. जब मैं पूरा झड़ गया और लण्ड सिकुड़ कर अपने आप बाहर आ गया तो उसने बैठ कर अपनी चूत देखी, मेरा वीर्य उसकि चूत में से बह निकला था. मेरा तौलिया उसने अपनी चूत पर लगा लिया और एक तरफ़ बैठ गई. मैं उठा और कमरे से बाहर आ गया.
पानी से लण्ड साफ़ किया और मूत्र त्यागा. तभी मुझे ठण्ड से झुरझुरी आ गई. बरसाती ठण्डी हवा ने मौसम को और भी ठण्डा कर दिया था. मैं कमरे में वापस आ गया. देखा तो काजल भी ठण्ड से सिकुड़ी जा रही थी. मैंने तुरंत ही कम्बल निकाला और उसे औढ़ा दिया और खुद भी अन्दर घुस गया. मैं उसकी पीठ से चिपक गया. दो नंगे बदन आपस में चिपक गये और ठण्ड जैसे वापस दूर हो गई.
उसके मधुर, सुहाने गोल गोल चूतड़ मेरे शरीर में फिर से ऊर्जा भरने लगे. मेरा लण्ड एक बार फिर कड़कने लगा. और उसके चूतड़ों की दरार में घुस पड़ा. दीदी फिर से कुलबुलाने लगी. अपनी गान्ड को मेरे लण्ड से चिपकाने लगी.
‘दीदी… ये तो फिर से भड़क उठा है…’ मैंने जैसे मजबूरी में कहा.
‘हाँ भैया… ये लण्ड बहुत बेशर्म होता है… बस मौका मिला और घुसा…’ उसकी मधुर सी हंसी सुनाई दी.
‘क्या करूँ दीदी…’ मैंने कड़कते लण्ड को एक बार फिर खुला छोड़ दिया. अभी वो मेरी दीदी नहीं बल्कि एक सुन्दर सी नार थी… जो एक रसीली चूत और सुडौल चूतड़ों वाली एक कामुक कन्या थी… जिसे विधाता ने सिर्फ़ चुदने के लिये बनाई थी.
‘सो जा ना, उसे करने दे जो कर रहा है… कब तक खेलेगा… थक कर सो ही जायेगा ना!’ उसकी शरारत भरी हंसी बता रही कि वो अपनी गाण्ड अब चुदाने को तैयार है.
‘दीदी, तेरा माल तो बाकी है ना…?’ मैं जानता था कि वो झड़ी नहीं थी.
‘ओफ़ोह्ह्ह्ह… अच्छा चल माल निकालें… तू मस्त चुदाई करता है रे!’ हंसती हुई बोली.
मैं दीदी की गाण्ड में लण्ड को और दबाव दिये जा रहा था. वो मुझे मदद कर रही थी. उसने धीरे से अपनी गाण्ड ढीली की और अपने पैर चौड़ा दिये. मैंने उसकी चूंचियाँ एक बार से थाम ली और उसके चूंचक खींच कर दबाने लगा.
‘सुन रे थोड़ी सी क्रीम लगा कर चिकना कर दे, फिर मुझे लगेगी नहीं!’
मैंने हाथ बढ़ा कर मेज़ से क्रीम ले कर उसके छेद में और मेरे लण्ड पर लगा दी. लण्ड का सुपाड़ा चूतड़ों के बीच घुस कर छेद तक आ पहुंचा और छेद में फ़क से घुस गया. उसे थोड़ी सी गुदगुदी हुई और वो चिहुंक उठी. मैंने पीछे से ही उसके गाल को चूम लिया और जोर लगा कर अन्दर लण्ड को घुसेड़ता चला गया. वो आराम से करवट पर लेटी हुई थी. शरीर में गर्मी का संचार होने लगा था.
क्रीम की वजह से लण्ड सरकता हुआ जड़ तक बैठ गया. काजल ने मुझे देखा और मुस्करा दी.
‘तकिया दे तो मुझे…’ उसने तकिया ले कर अपनी चूत के नीचे लगा लिया.
‘अब बिना लण्ड निकाले मेरी पीठ पर चढ़ जा और मस्ती से चोद दे!’
मैं बड़ी सफ़ाई से लण्ड भीतर ही डाले उसकी गाण्ड पर सवार हो गया. वो अपने दोनों पांव खोल कर उल्टी लेटी हुई थी… मैंने अपने शरीर का बोझ अपने दोनों हाथों पर डाला और अपनी छाती उठा ली. फिर अपने लण्ड को उसकी चूतड़ों पर दबा दिया. अब धीरे धीरे मेरा लण्ड अन्दर बाहर आने जाने लगा. उसकी गाण्ड चुदने लगी. वो अपनी आंखें बन्द किये हुये इस मोहक पल का आनन्द ले रही थी. मेरा कड़क लण्ड अब तेजी से चलने लग गया था. अब मैं उसके ऊपर लेट गया था और उसके बोबे पकड़ कर मसल रहा था. उसके मुख से मस्ती की किलकारियाँ फ़ूट रही थी…
काफ़ी देर तक उसकी गाण्ड चोदता रहा फिर अचानक ही मुझे ध्यान आया कि उसकी चूत तो चुदना बाकी है.
मैंने पीछे से ही उसकी गाण्ड से लण्ड निकाल कर काजल को चूत चोदने के कहा.
वो तुरन्त सीधी लेट गई और मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया सेट कर दिया. उसकी मोहक चूत अब उभर कर चोदने का न्यौता दे रही थी. उसकी भीगी चिकनी चूत खुली जा रही थी. मेरा मोटा लण्ड उसकी गुलाबी भूरी सी धार में घुस पड़ा.
उसके मुख से उफ़्फ़्फ़ निकल गई. अब मैं उसकी चूत चोद रहा था. लण्ड गहराई में उसकी बच्चे दानी तक पहुंच गया. वो एक बार तो कराह उठी.
मेरे लण्ड में जैसे पानी उतरने लगा था. उसकी तकिये के कारण उभरी हुई चूत गहराई तक चुद रही थी. उसे दर्द हो रहा था पर मजा अधिक आ रहा था. मेरा लण्ड अब उसकी चूत को जैसे ठोक रहा था. जोर की शॉट लग रहे थे. उसकी चूत जैसे पिघलने लगी थी. वो आनन्द में आंखे बंद करके मस्ती की सीत्कार भरने लगी थी. मुख से आह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़ और शायद गालियाँ भी निकल रही थी. चुदाई जोरों पर थी… अब चूत और लण्ड के टकराने से फ़च फ़च की आवाजें भी आ रही थी.
अचानक दीदी की चूत में जैसे पानी उतर आया. वो चीख सी उठी और उसका रतिरस छलक पड़ा. उसकी चूत में लहर सी चलने लगी. तभी मेरा वीर्य भी छूट गया… उसका रतिरस और मेरा वीर्य आपस में मिल गये और चिकनाई बढ़ गई. हम दोनों के शरीर अपना अपना माल निकालते रहे और एक दूसरे से चिपट से गये. अन्त में मेरा लण्ड सिकुड़ कर धीरे से बाहर निकलने लगा और उसकी चूत से रस की धार बाहर निकल कर चूतड़ की ओर बह चली. मैं एक तरफ़ लुढ़क गया और हाँफ़ने लगा. दीदी भी लम्बी लम्बी सांसें भर रही थी… हम लेटे लेटे थकान से जाने कब सो गये. हमें चुदाई का भरपूर आनन्द मिल चुका था.
अचानक मेरी नींद खुल गई. दीदी मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी.
‘भैया, बस एक बार और… ‘ बहना की विनती थी, भला कैसे मना करता. फिर मुझे भी तो फिर से अपना यौवन रस निकालना था. फिर जाने दीदी की नजरें इनायत कब तक इस भाई पर रहें.
मैंने अपनी अंगुली उसके होंठों पर रख दी और तन्मयता से सुख भोगने लगा. मेरे लण्ड ने उसकी चूत को गुडमोर्निंग कहा और फिर लण्ड और चूत दोनों आपस में फ़ंस गये… दीदी फिर से मन लगा कर चुदने लगी… हमारे शरीर फिर एक हो गये… कमरा फ़च फ़च की आवाज से गूंजने लगा… और स्वर्ग जैसे आनन्द में विचरण करने लगे…
बारिश बन्द हो चुकी थी… सवेरे की मन्द मन्द बयार चल रही थी… पर यहाँ हम दोनों एक बन्द कमरे में गदराई हुई जवानी का आनन्द भोग रहे थे. लग रहा था कि समय रुक जाये… तन एक ही रहे… वीर्य कभी भी स्खलित ना हो… मीठी मीठी सी शरीर में लहर चलती ही रहे…
पाठको, जैसा कि आपको मालूम है कि यह एक काल्पनिक कहानी है, वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नहीं है… और यह मात्र आपके मनोरंजन की दृष्टि से लिखी गई है. यदि आपको लगता है कि यह कहानी मनोरंजन करती है तो प्लीज, एक बार लण्ड को कस कर पकड़ कर मुठ जरूर मार लें.
धन्यवाद! Antarvasna Stories
बनारस में कहावत है कि Antarvasna किसी जवान लड़की की गाण्ड देख कर अगर लौड़ा खड़ा नहीं हुआ तो वो बनारसी नहीं है। यहाँ लोग गाण्ड के दीवाने होते हैं। कोई चिकना लौण्डा हो तो भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा उठता है। फिर मैं और नसीम तो जवान, कम उम्र, और सुपर गोल गाण्ड वाली लड़कियाँ थी, किसी की नजर पड़ गई तो समझो लण्ड से नहीं तो उनकी नजरों से तो चुद ही जाती थी। हम दोनों ऐसी नजरें खूब पहचानती थी।
मैं और मेरी रिश्ते की बहन नसीम, जो मेरी अच्छी सहेली भी थी, हम दोनों बाल्कनी में खड़ी बाते कर रही थीं। नीचे ही देख रही थी कि मुझे दो लड़के नज़र आये।
“नसीम, ये दो नये लौण्डे कौन हैं?”
“वो तो अनवर है और ये जीन्स वाला फ़िरोज़ है, अपने ही रिश्ते में है।”
“यार, मस्त लौण्डे हैं, आज इनको पटाते हैं…”
“यार, तेरी तो बहुत जल्दी फ़ड़कने लगती है बानो…”
“सच कह रही हूँ, मुझे इन चिकने लौण्डों से चुदवाने में बड़ा मजा आता है…”
“हाय, दो सहेलियां खड़ी खड़ी, दोनों चुदायें घड़ी घड़ी …”
हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी। नीचे से दोनों ने हंसी सुन कर ऊपर देखा और दोनों हमें देखते ही रह गये। फिर दोनों ने एक दूसरे को मुस्कुरा कर देखा।
“लगा तीर दिल पर…!” मैंने कहा,”अब ये तो गये काम से…समझ लो आज रात का काम बन गया !”
नसीम मुझे हैरानी से देखने लगी…”देख, वो फ़िरोज़ मेरा वाला है…!”
“भेनचोद, तुझे लण्ड चाहिये या शकल… जो पट जाये वही ठीक है… चल अब एक्टिंग शुरू करें !”
नसीम भी पटाने की अपनी तरह से तैयारी करने लगी। मैंने भी अपना मूड बना लिया और अन्दर जा कर तंग काली वाली कैप्री पहन ली और एक नीचे गले वाला छोटा सा स्लीवलेस टॉप डाल लिया। ऐसा टॉप था कि जरा सा पास आने से चूंचियो के दर्शन हो जाते थे। थोड़ा सा मेक-अप किया और कंटीली नार बन कर नीचे उतर कर आ गई। उनमें से एक युवक अन्दर की ओर आ रहा था। मैंने आव देखा ना ताव, सीधे उससे टकरा गई।
“हाय अल्लाह, आह्ह्ह, …” मैंने कराहते हुए उसे देखा।
“सॉरी…सॉरी… लगी तो नहीं…?” उस युवक ने कहा।
“हाय अम्मी… आप देख कर नहीं चलते…?” मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखे धीरे से उठाई… उसने ज्योंही मुझे देखा … उसका दिल धक से रह गया… आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर मुझे देखने लगा…
“या खुदा… रहम कर… ये हूर… आप कौन हैं…?”
उसके मुख से आह सी निकली। लगा कि काम बन गया।
“मैं… मैं.. शमीम बानो… ” नाटक चालू था… मैंने अपनी आंखे धीरे से झुका ली… और जान करके उसके और पास आ गई। उसके दिल पर कई कांटे गड़ चुके थे। उसकी नज़र मेरे पास आते ही मेरे टॉप के अन्दर पड़ गई, जहाँ मेरे उभार उसकी आंखो को रस पिलाने के लिये बेताब हो रहे थे। उसे समय दिये बिना डोरे डाले जा रही थी।
“सुभान अल्लाह… ये जिस्म है या जादू … !!” मेरा अगला तीर भी निशाने पर बैठा। मेरी नजर अचानक नसीम पर पड़ी तो बराबर हाथ हिला कर कुछ कहना मांग रही थी, पर मैं मौके की नजाकत को समझ रही थी, मुर्गा फ़ंसने को तैयार था…
“हाय… ये क्या कह रहे है आप…” मैं हाथ से छूटे कपड़े उठाने के लिये यूं झुकी कि कैप्री में से चूतड़ की दोनों गोलाईयां उभर कर उसके चेहरे के सामने आ गई। दोनों चूतड़ खुल कर खिल उठे… उसकी नजर ने इसका पूरा जायजा लिया, मेरे उठते ही काप्री मेरे चूतडों की दरार में घुस गई… उसके मुख से आह पर आह निकलती गई। तीर जिगर में धंसते चले गये।
“बानो, मैं फ़िरोज़… आपने तो जाने क्या जादू कर डाला ?” मैं नसीम का इशारा अब समझी। पर काम तो हो चुका था। मैंने तुरन्त उसकी तरफ़ कंटीली चिलमन से मुसकरा कर देखा।
“जादू… देखो आपने तो मुझे चोट लगा दी…” मैंने तिरछी नज़रों का एक वार और कर डाला।
“और मुझे जो चोट लगी है वो…?” घायल सा वो बोला।
“ओह… सॉरी… कहां लगी है…बताईये तो…!” मैंने अनजान बनते हुए कहा। उसका लण्ड का उठान शुरू हो चुका था, और पैंट में से उभर रहा था।
“यहां पर…!” उसने अपने दिल पर हाथ रख कर कहा।
“धत्त… हाय अल्लाह… !!” मैं कह कर नसीम वाले कमरे में भाग आई। फ़िरोज वहीं घायल सा तड़फता खड़ा रह गया। जाने कितने तीर लग चुके थे उसके दिल पर…।
नसीम ने मुझे देखते ही नाराजगी जाहिर की…”वो तो मेरा वाला था… साला बेईमान निकला… देखा नहीं तुझे देख कर मादरचोद ने लण्ड हिलाना चालू कर दिया।”
“अभी तो लण्ड हिला रहा है…देखना भेनचोद रात को यही लण्ड खड़ा मिलेगा… फिर क्या तेरी चूत और क्या मेरी चूत… सबको चोद देगा !”
“बानो, तू बड़ी खराब है… अब अनवर को मुझे पटाना पड़ेगा…!”
“सॉरी नसीम… साला वो पहले सामने आ गया… इरादा तो अनवर को पटाने का ही था!”
मैं ऊपर अपने कमरे में चली आई… । फ़िरोज मेरा पीछा कर रहा था। मेरे पीछे पीछे फ़िरोज भी आ गया। मैं कपड़े बदल चुकी थी और सिर्फ़ एक गाऊन जान करके डाल रखा था, अन्दर कुछ नहीं पहना था। पर अब तक वो आया क्यूं नहीं। उसने दरवाजा खटखटाया और अन्दर झांका… मैं उसके अचानक आने का मैंने घबराने का नाटक किया।
“आप… फ़िरोज जी…”
“खुदा कसम… मन नहीं माना… तो आपके पास आ गया…।”
“कहिये… क्या हुआ…” मुझे पता था कि हरामी का लौड़ा खड़ा हो रहा होगा… तो पीछे पीछे आ गया आशिकी झाड़ने। पर मुझे तो उसका पूरा आनन्द जो लेना था। सोचा चलो शुरुआत अभी कर लेते है…रात को चुदवा लेंगे। मेरी तैयारी पूरी थी, अन्दर से मैं पूरी नंगी थी, बस काम चालू होते ही मेरे नंगे जिस्म को मसल देगा वो…।
“बानो… आप मेरे मन को भा गई है… देखिये खुदा के लिये इन्कार मत करना…”
मैंने अपना मुख दोनों हाथों से ढक लिया…और शर्माने का भरपूर नाटक करने लगी।
“ऐसे मत कहिये… खुदा की मार मुझ पर… आप तो मेरे लिये खुद ही खुदा है…”
“क्या कहा… कबूल है… ओह्ह मेरी किस्मत… अल्लाह रे… आपने बन्दे की सुन ली…”
साला मरा जा रहा था मेरे पर… पर मुर्गा इतनी जल्दी लपेटे में आ जायेगा यकीन नहीं हो रहा था। मेरा जिस्म फ़ड़कने लगा कि अब उसके हाथ मेरे तन को सहलायेंगे। इतना सुन्दर, गोरा, लम्बा और सुडोल शरीर वाला लड़का… बिलकुल जैसे खजाने में से निकाला हो, नया नया जवान … 18-19 साल का… हाय… बेचारा गया काम से। आगे बढ़ कर मेरे हाथो को उसने पकड़ लिया। मैंने जैसे कांपने का नाटक किया।
“हाय अल्लाह, ना छुओ … मैं मर जाऊंगी” मैंने शरमाने का भरपूर नाटक किया। उसने जोश में मेरा मुख चूम लिया और उसके हाथ मेरी चूंचियों पर आकर उसे नापने लगे। मैंने शरम से झुक गई और उसे दूर हटाने लगी… “फ़िरोज… बस करो… छोड़ दो मुझे…”
“पहले वादा करो, रात को मेरे कमरे में मिलोगी ना…”
“बस करो ना… हाँ आ जाउंगी ना… बस” कहते ही फ़िरोज ने मुझे छोड़ दिया। मुझे निराशा हुई कि मेरा बदन तो कोरा ही रह गया। लेकिन नहीं … वो इतनी जल्दी मानने वाला नहीं था। फिर से नजदीक आया और मुझे लिपटा लिया। गाऊन के अन्दर उसके हाथ पहुंचने लगे। मेरा तन पिघल उठा। मेरा अंग अंग नपा तुला सा दबा जा रहा था। सभी उभारों को उसने एक कली की तरह मसल दिया। मेरी सिसकियाँ गूंज उठी। चूत पानी टपकाने लगी। मैं उसकी बाहों में तड़प उठी। फिर धीरे से उसने छोड़ दिया। मैंने अपना गाऊन ठीक किया। वो मुझे प्यार से निहारते हुए जाने लगा।
“तो फिर रात को…। बाय …बाय…” वो जैसे ही मुड़ा तो मुझे लगा कि मैंने तो उसे झटका दिया ही नहीं।
“फ़िरोज, रुको तो…” जैसे ही वो रुका , मैं उसके पास आ गई और उससे चिपक गई। वो कुछ समझता मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
“बानो… मैं मर गया… छोड़ दे रे…”
“फ़िरोज प्लीज… दबाने दो… मेरी बहुत इच्छा थी इसे हाथ में लेकर दबाने की… बहुत मोटा और लंबा है?”
उसका लण्ड तन्ना उठा। वो तड़प उठा। मेरा हाथ हटाने लगा पर मैं कोई कच्ची खिलाड़ी थोड़े ही थी। जम के उसक लौड़ा पकड़ा और मसलने लगी। उसका डन्डा था भी लम्बा और हाथ में ऐसे फ़िट आया कि उसका मुठ ही मार दिया। वो लहरा उठा…
“बानो, अरे मेरा लण्ड तो छोड़ दे, हाय रे”
“प्लीज फ़िरोज… बहुत अच्छा है… मसलने दे ना” मैंने जिद करके मसलना चालू रखा। कुछ ही पलों में पेण्ट में एक काला धब्बा उभर आया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मेरा काम हो गया था। उसके मुंह से एक आह निकली…
मैंने कहा,”फ़िरोज… शाम को मेरा निकाल देना बस…” और हंस पड़ी।
“मेरी तो मां चोद दी बानो… तुझे भी नहीं छोड़ने वाला… तेरी भी फ़ोकी चोद डालूंगा देखना !” फ़िरोज़ भी झड़ने से थोड़ा शर्मिन्दा हो गया था।
रात के एक बज रहे थे। मेरे मोबाईल का अलार्म बज उठा, सुस्ती के मारे उठने का मन नहीं कर रहा था। पर फ़िरोज़ के मोटे लण्ड का ख्याल आते ही जिस्म तरावट से भर गया। मैं झट से उठी। मैंने नसीम के कमरे में झांक कर देखा और धीरे से उसे जगाया। हम दोनों ही दबे पांव कमरे से बाहर आ गये। हम दोनों ही रात के सोने वाले वाले कपड़े पहने थे। बस एक झीना सा पजामा और एक उटंगा सा कुर्ता…
“चल यार चुदना ही तो है क्या मेक-अप करना…” मैंने कहा और सीढ़ियां चढ़ कर फ़िरोज के कमरे के बाहर आ गई।
“अभी तू बाहर से देखना, फिर मैं तुझे बुला लूंगी” मैंने नसीम को तरकीब बताई।
“नहीं, मैं अनवर को बुलाती हूँ… तू जा…”
“पर अनवर… “
“मैंने उसे पटा लिया है… दिन को एक बार चुदा भी चुकी हूँ।” नसीम में फ़ुसफ़ुसा कर कहा। मुझे जलन हो उठी… साली भोसड़ी की… मेरे से पहले ही चुदा लिया। मैं तो चाह रही थी कि अनवर पर भी लाईन मार कर उसे फ़ंसा लेती और उससे भी खूब चुदाती…।
नसीम साईड वाले कमरे में अनवर के पास चली गई। मैंने फ़िरोज़ का दरवाजा खोला। मुझे किसी ने अचानक ही पीछे से दबोच लिया। सामने फ़िरोज़ खड़ा था… तो फिर मेरी गाण्ड में ये लण्ड किसका गड़ा जा रहा था।
“आज तो बानो की मां चोदनी है… साली ने मेरा दिन को मेरा माल निकाल दिया था” फ़िरोज़ ने मुस्करा कर कहा।
“चल तू क्या चोद रहा है…” ये आवाज अनवर की थी… मेरा मन मयूर नाच उठा… अनवर तो बिन पटाये ही लण्ड लिये हुए खड़ा है।
“मैं इसकी चूत चोदता हूँ और तू गाण्ड चोद इस… नमकीन की…” फ़िरोज़ बोला।
“साला हरामी, चोदने का मुझे वादा किया और चूत बानो की चोदेगा…” कमरे में अनवर को नहीं पा कर नसीम आ चुकी थी। मैं एक बार फिर ईर्ष्या से जल उठी। ये माँ की लौड़ी यहाँ कैसे मर गई। दो दो लण्ड की आश खत्म हो गई थी। फ़िरोज़ ने ज्योंही नसीम को देखा , वो उसकी ओर लपक उठा…
“अनवर , मेरे दिल की रानी आ गई…” और नसीम को अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर आ गया। फ़िरोज़ का लण्ड देखते ही बनता था, नसीम को देखते ही वो फ़नफ़ना उठा था। मैं अब और निराश हो चली थी कि ये हरामी तो नसीम का आशिक निकला।
“मेरा पजामा मत फ़ाड़ना… नहीं तो नीचे नहीं जा पाउंगी !” नसीम में खुद ही अपना पजामा उतार दिया। मुझे भी अपना पजामा उतारने में भलाई ही लगी। अब कौन हमें छोड़ता… फ़िरोज़ ने नसीम को दबा डाला और लण्ड चूत में घुसेड़ दिया। नसीम ने फ़िरोज़ को जोर से कस लिया और सिसक उठी। मुझे नीचे पड़े बिस्तर पर अनवर ने प्यार से लेटाया और अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत पर हौले हौले घिसने लगा। डबलरोटी की तरह फ़ूली हुई मेरी चूत के पट खुलने लगे। दोनों फ़ांकें खुल गई। बीच की पलकें जो हल्की भूरी सी, टेढी मेढी सी लहराती हुई मांसल चमड़ी और बीच में पानी का गीलापन और फिर झाग से बुलबुले से भरी मेरी रसीली चूत पर अनवर मर मिटा। उसके होंठ मेरी चूत से लग गये और उनका रसपान करने लगा। मेरी चूत से लगा मेरा दाना फ़ड़क उठा, उसके होंठ बार बार मेरे दाने को भी चूस लेते थे…
“अनवर मियां… मैं मर जाउंगी… प्लीज फ़िरोज की तरह चोद डालो ना…”
“नहीं, बानो… चोदेगा तो तुम्हें फ़िरोज ही, मैं तो गाण्ड का दीवाना हूँ…”
मुझे फिर थोड़ी सी निराशा हुई, पर कुछ ही देर में नसीम को चोद कर फ़िरोज़ मेरे पास हाज़िर हो चुका था। चूस चूस कर लगा था कि झड़ना बाकी है। पर मैंने अपने आप को कंट्रोल किया। फ़िरोज़ का खड़ा लण्ड, सुपाड़े की चमड़ी कटी हुई, सच्चा मुसलमान लग रहा था… उसकी मर्दानगी भी एक पठान की तरह लग रही थी। अनवर सामने से हट गया और फ़िरोज़ ने कमाण्ड सम्हाल ली। वो मेरे पर चढ़ गया और मुझे नीचे दबा लिया। मेरा सारा जिस्म कसमसा उठा। उसका भार बड़ा प्यारा लग रहा था। कुछ ही क्षणों में उसका गरम गरम लण्ड मेरे जिस्म के भीतर समाने लगा। मैं तड़प उठी।
“मेरे खसम… मजा आ गया… पूरा समा दे अन्दर… हाय…” उसने मेरा मुख अपने मुख से दबा लिया और निचले होंठ दबा कर चूसने लगा। अब उसका लण्ड अन्दर बाहर होने लगा। उधर नसीम की गाण्ड को अनवर लण्ड घुसेड़ कर चोद रहा था। नसीम भी मेरी ही तरह गाण्ड चुदाने में माहिर थी।
“बानो, आज आई है नीचे तू… तेरी आस तो मुझे कब से थी रे…अब तो चोद ही दिया !”
” हाय रे मेरे जिगर… तेरे नाम से ही मर मिटी थी जानू…मेरे दिल, मेरी जान… आह रे…” मैं भी अपने मन के लड्डू फ़ोड़ रही थी… साला ऐसा जवां मर्द कहाँ मिलेगा मुझे।
“मैंने कहा था ना तेरी फ़ोकी चोद कर मजा लूंगा… मस्त भोसड़ी है !”
“बस कुछ मत बोल, बस जोर से चोद दे…” मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी, पर मेरी चूत को और गहरी चुदाई चाहिये थी। उसके धक्के तेजी से चल रहे थे। मुझे भी वासना की आग घेर चुकी थी। जिस्म आग में सुलगने लगा था। मीठी मीठी आग तन को जला रही थी। पर मुझे और दबा कर चुदना था। मुझे लगा कि अभी लण्ड पूरा दम लगा कर नहीं चोद रहा है। बिना हल्के दर्द के कैसा चुदना। मैंने दांत भींचते हुये फ़िरोज को दबाया और पलटी मार कर उसके ऊपर आ गई।
“मादरचोद… लौड़े में दम नहीं है क्या… लौड़ा तो साले का मस्त दिखता है…” मैंने फ़िरोज़ को दबाते हुये चूत में उसका सुपाड़ा फ़ंसा लिया और उस पर सीधे बैठ गई और चूत पर पूरा जोर लगा कर लण्ड को अन्दर समा लिया। मुझे लगा कि अब सुपाड़ा की गद्दी ने जड़ में ठोकर मार दी है तब मैंने कस कस कर उसके लण्ड पर अपनी चूत पटक पटक कर मारनी चालू कर दी। हर बार मेरे मुख से आह निकल जाती… चूत की गहराई को उसका लण्ड और गहरा कर रहा था। गहराई की चोट एक अलग ही मजा दे रही थी, थोड़ा सा दर्द और खूब सारा मजा…। उसका लण्ड फ़ूलता सा लगा उसकी पकड़ मजबूत होने लगी। तभी अनवर ने मेरी गाण्ड थपथपा कर इशारा किया। मैं फ़िरोज पर लेट गई और गाण्ड ऊंची कर ली। मेरी गाण्ड में अनवर का लण्ड सरसराता हुआ घुस पड़ा। अनवर के लण्ड के झटके, मेरी चूत को फ़िरोज के लण्ड पर मार कर रहे थे।
फ़िरोज तो झड़ने के कगार पर था… और तभी फ़िरोज के मुख से सिसकारी निकल पड़ी और उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया। उसके बलिष्ठ हाथों ने मुझे जकड़ लिया। उसका लण्ड मेरी चूत में गरम गरम लावा भरने लगा… तभी मेरा शरीर भी गर्मी पा कर लहरा उठा और मेरा रज भी छूट पड़ा। मैंने अनवर को धक्का मार कर पीठ पर से उतार दिया और
फ़िरोज के ऊपर लेट कर सुस्ताने लगी। तभी अनवर अपना मुठ मार कर अपना वीर्य मुझ पर उछालने लगा। मेरा चेहरा और बदन उसके वीर्य से भीग उठा……
फ़िरोज़ ने मुझे अलग कर दिया और बाथ रूम में चला गया। मैंने भी सुस्ती छोड़ी और उठ खड़ी हुई, नसीम सो चुकी थी, उसको उठाया और हम दोनों ने अपने चूतडों और चूत के आस पास लगे वीर्य को धो कर साफ़ कर लिया। थोड़ा सा पानी से मैंने अपनी पीठ और सामना साफ़ कर लिया।
“शब्बा खैर… मेरे जानू…” फ़िरोज़ और अनवर ने मुसकरा कर हमें विदा किया। पर नसीम मुड़ मुड़ कर चुदासी आंखों से उन्हे निहार रही थी… मुझे हंसी आ गई…
“अरे कल फिर और चुदा लेना… अब चल साली, नहीं तो सुबह हो जायेगी…”
हम दोनों भारी मन से चुदने की इच्छा लिये दरवाजे से दोनों को एक बार और देखा और अंधेरे में कदम बढ़ा दिये…। Antarvasna
उम्मीद है आप सभी को Antarvasna मेरी पहली कहानी ‘अतृप्त पड़ोसन की तृप्ति’ पसन्द आई होगी।
सबसे पहले तो मैं गुरूजी का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने ना सिर्फ़ मेरी कहानी को आपके सामने पेश किया, बल्कि उसे एक अच्छा नाम भी दिया।
मुझे इस कहानी के लिए बहुत से पत्र आए जिनसे मेरा काफ़ी उत्साहवर्धन हुआ। मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
जैसा कि मैंने वादा किया था, मैं आपके सामने इस कहानी का अगला भाग पेश कर रहा हूँ।
उस दिन के बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम उसका पूरा पूरा फ़ायदा उठाते। मैंने उसे उसके घर में हर जगह और हर ढंग से चोदा, बेडरूम, रसोई, बाथरूम, सीढ़ियाँ जहाँ मौका मिला हमने अपनी वासना शांत की।
कई दिनों तक उसकी चूत चोदने के बाद मुझे उसकी उभरी गाण्ड में लण्ड डालने की जबरदस्त इच्छा होने लगी। पर जब भी मैं उसकी गाण्ड में लण्ड डालने की बात करता, वो मुझे मना कर देती कि इसमें बहुत दर्द होगा। पर मैं भी कहाँ मानने वाला था।
एक दिन जब उसके घर पे कोई नहीं था तो मैं वहाँ गया। वो रसोई में काम कर रही थी। मैंने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसकी गर्दन पर प्यार करने लगा। साथ ही उसकी मैक्सी पीछे से उठा दी और गाण्ड पे हाथ फ़ेरने लगा।
वो उस वक्त रिफ़ाईण्ड तेल को पैकेट से डिब्बे में डाल रही थी। मेरे पकड़ने से उससे थोड़ा सा तेल स्लैब पर गिर गया। उसने पैकेट को डिब्बे पे रखा और घूम कर मेरे बालों में हाथ फिराने लगी। मेरे हाथ अभी भी उसकी कोमल गांड पर फिसल रहे थे। हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया। कभी मेरी जीभ उसकी होठों से होती हुई उसके मुंह में घूम कर आती कभी उसकी जीभ मेरे मुंह का स्वाद लेती।
उसकी गांड से खेलने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था। अचानक मेरी नज़र स्लैब पर गिरे तेल पर पड़ी। मैंने उससे अपनी हथेलियों पर लगा लिया और गांड पर मलने लगा। वो बोली यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने जवाब दिया कि मालिश कर रहा हूँ।
वो हंसने लगी और हम फिर अपने चूमा चाटी के खेल में मशगूल हो गए। मैं तेल अच्छी तरह से उसकी गांड और गांड के छेद पर मलने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा। वो समझ गई कि आज मैं मानने वाला नहीं हूँ पर उसने कुछ कहा नहीं। फिर मैंने उसे बाहों में भर लिया और उठाकर सोफे पे लिटा दिया। फिर मैंने उसकी मैक्सी को उसके बदन से अलग कर दिया। फिर उसे घुमाकर पीठ को चूमते और चाटते हुए मैंने उसकी ब्रा को दांतों से खोल दिया।
अब मैं उसके रसीले मोम्मों को मसलने लगा और उसके गर्दन का किस भी करने लगा। फिर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरी शर्ट और पैंट को उतार दिया। अब मेरा हथियार उसके हाथों में था और वो उससे खेलने लगी। फिर वो नीचे बैठ गई और मेरा अंडरवियर उतारकर मेरे लंड को चूसने लगी। जैसा कि मैं अपनी पहली कहानी में जिक्र कर चुका हूँ कि उसके चूसने का तरीका बहुत अच्छा था और मुझे बड़ा आनन्द मिलता था।
फिर मैंने उसे उठाकर उसकी पैंटी भी अलग कर दी और उससे सोफे पे लिटाकर उसके चूत में अपना लंड दे दिया। पहले झटके से उसके सिसकारी निकल गई। मैं कुछ देर रुका और धीरे धीरे धक्के मारने लगा। अब हमारा खेल पूरी रफ्तार से आगे बढ़ने लगा। मैं उसे चोदते चोदते कभी उसकी चूचियां मसल देता था और कभी उसे किस करने लग जाता था। मेरे हर एक्शन को उसका पूरा साथ मिल रहा था।
मैंने उसे कुतिया की तरह किया। जैसा कि मैं आप सभी को बता चुका हूँ कि कुतिया की तरह बना कर भी मैं उसकी पीछे से चूत ही मारता था। उसकी चूत मारते मारते गांड पे हाथ फेरने लगा। जैसे ही उसने अपनी गांड को ढीला छोड़ा और चुदाई का मज़ा लेने लगी, मैंने एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी।
मेरी उंगली वैसे ही चिकनी हो रखी थी और उसकी गांड भी, सो उंगली आसानी से उसकी गांड में चली गई। वो कराह उठी और उसने अपना सर पीछे फ़ेंक दिया। पर चूंकि चुदाई बहुत तेज़ हो रही थी और एक ऊँगली जाने से ज्यादा दर्द भी नहीं हो रहा था सो उसने कुछ बोला नहीं।
अब मैं चूत मारने के साथ साथ धीरे धीरे गांड में ऊँगली भी कर रहा था तो उसे बहुत मज़ा आ रहा था और मुझे पूरी उम्मीद थी की आज तो मैं इसकी मोटी गांड की भी चुदाई कर सकूँगा।
उसने पूछा- आज इरादे नेक नहीं लगते जनाब के !
तो मैंने कहा कि जब इरादों का पता चल ही गया है तो मज़ा उठाओ। इतनी मस्त गांड होने के बावाजूद अगर मरवाई नहीं तो ग़ाण्ड जलन के मारे हड़ताल कर देगी !
तो वो हँसने लगी और बोली कि मैं अपना बदन तुम्हारे नाम कर चुकी हूँ पर जो भी करना आराम से करना ! मुझे बहुत दर्द होगा!
तो मैंने कहा कि चिंता न करो जानेमन, दर्द तुम्हें होता है तो आँख मेरी भर आती है। यह सुनकर वोह मेरी और भी दीवानी हो गई। और उधर मैंने अपना काम जारी रखा। फिर धीरे से मैंने अपनी दूसरी ऊँगली भी उसकी गांड में डाल दी। उसे थोड़ा दर्द और हुआ पर वो सह गई। तभी मैंने अपनी चुदाई तेज़ कर दी और दूसरे हाथ से उसकी चूत दबाने लगा और वो झड़ गई।
मैंने उसे घोड़ी बनाए रखा, और अपने लंड को गांड के छेद पे रखकर एक तेज़ धक्का मारा। मेरा लंड डर्बी रेस के घोड़े की तरह उसकी गांड में समां गया। और वो दर्द से तड़प उठी। मैं रुक गया और उसकी चूचियां मसलनी शुरू कर दी और धीरे धीरे उसे मज़ा आने लगा। फिर मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा और वो मजे से सिसकारियां लेने लगी।
उसकी मादक सिस्कारियों से मेरा लंड मचलने लगा और मैंने अपने धक्के तेज़ कर दिए। अब वो भी मेरे धक्कों के साथ अपनी गांड आगे पीछे करने लगी। पूरे कमरे में हमारी सिसकारियां और बदन के आपस में टकराने की मदमस्त आवाज़ गूंजने लगी। इस सबसे वो समां बहुत ही उत्तेज़क हो चला था। हम दोनों को पहली बार गांड मारने और मरवाने का आनंद आ रहा था। थोडी देर में मैं उसकी मस्त गांड में झड़ गया और वोह मेरे गरम गरम लावे को अपनी गांड के अंदर महसूस करने लगी।
मैंने पूछा कैसा लग रहा है तो वो बोली कि इसमें बहुत मज़ा आया। ऐसा मज़ा मुझे अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं मिला।
फिर वो मुझसे चूत के साथ साथ गांड भी मरवाने लगी।
इसके बाद हमारा खेल करीब तीन साल तक चला और हम दोनों ने एक दूसरे को भरपूर मज़ा दिया।
दोस्तो, जैसा कि मैंने आपसे वादा किया था यह मेरी कहानी का दूसरा भाग था। अपनी मेल मुझे भेजते रहिएगा। और मैं अपनी कहानी आपके सामने पेश करता रहूँगा। Antarvasna
हाय. आय ऍम सोना. इससे पहले कि Antarvasna आप ये स्टोरी पढ़ें, आपको इसका भाग १ पढ़ना जरूरी है। ये स्टोरी जहां रुकी थी मैं वहीं से शुरु करती हूं।
बाहर से हंसने की और बातचीत की आवाजें आ रही थी। मुझे चिंता हो रही थी। पूजा मेरे साथ ही थी। मैं चाय की ट्रे लेकर बाहर आ गयी। सब बातचीत बंद हो गई। मैने अपनी गर्दन कहने के अनुसार नीचे की हुई थी। मैने लड़के को और उसकी बुआ को कप दे दिये। किसी ने सन्नाटा तोड़ते हुए फीर से बोलना शुरु किया बुआ मेरी और देख के बोली “कितनी सुन्दर है हमारी होने वाली बहु” मैं ये सुनकर अन्दर चली गयी। सब देखने लगे पर फिर से बातें, हंसना शुरु हो गया। पूजा की मां ने मुझे कहा “पूजा दुल्हा नहीं देखोगी”? मैने कहा “मुझे किसी से बात नहीं करनी” इतने में पीछे से आवाज आई “लेकिन मुझे पूजा जी से अकेले में कुछ बात करनी है” मैने पलट कर देखा तो वो पूजा का होने वाला पति था। वो लड़का अनाथ था उसकी परवरिश उसकी बुआ ने की थी। वो अच्छे स्वभाव और संस्कार का था। वो यूके में पढ़ाई करके वापस आया था और उसका शिपिंग कम्पनी का बिजिनेस था। उसने कहा कि मैं पूजा से अकेले में कुछ बातें करना चहता हूं। पूजा की मां ने कहा “जरूर मिलना” कहके हम दोनो को मकान के पीछे के गार्डन में जाने को कहा। मेरा काम बस उसे हां कहना था।
हम दोनो गार्डन में चले गये। वो गार्डन बड़ा और जंगल की तरह घना था। हम दोनो एक जगह खड़े हो गये। वहां से मकान के लोग हमें पहली मन्ज़िल से भी नहीं देख सकते थे। हम बेंच पर बैठ गये। मैं चुप थी। उस लड़के का नाम लोकेश था। लोकेश ने मुझे कहा कि “मैं तुम्हारी फोटो देखकर ही तुम्हारा दीवाना हो गया था। तुम जिसकी दुल्हन बनोगी वो सबसे खुशनसीब होगा तुम्हे पाकर मैं वो खुसनसीब बनना चाहता हूं”। लोकेश ने मुझसे पूछा “क्या तुम इस शादी से खुश हो”? मैने हां कहा। मैं उस वक्त डरी हुई थी पूजा की मां ने मुझे साड़ी टाइट पहनाई हुई थी इसलिये मेरे चूतड़ बड़े सेक्सी लग रहे थे।
मेरे हां कहते ही उसने मेरे गाल पर किस किया। मैं चौंक गई। तो वो बोला “अब तुम मेरी बीवी बनोगी तो इससे क्यों शरमाना” मेरे जिस्म में एक सनसनी फ़ैल गयी। वो सुन्दर था हाइट लगभग ६ फ़ीट होगी। मेरी हाइट ५’३” थी। मैं खड़ी हो कर वापस जाने लगी लेकिन लोकेश ने मेरा पल्लू पकड़ लिया तो वो मेरे सीने से सरक गया। अब मेरे बूब्स और नंगे पेट उसके सामने थे उसने पल्लु खींचकर अपनी और ले लिया वो बेंच पर बैठा था मैं खड़ी थी। लोकेश ने मेरी कमर में अपने दोनो मजबूत हाथों से पकड़ लिया और मेरे पेट पर हल्के से किस किया ये मुझे भी अच्छा लगा।
इतने में पूजा की मां की आवाज आई और मैने साड़ी ठीक की। हम वापस चले गये। इस बात ने मेरे अन्दर आग लगा दी थी। लेकिन मैं शादी शुदा थी पर मुझे लोकेश की आवाज और उसका किस याद आ रहा था। वो मेरे लिये पागल सा हो गया था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करुं। अगले दिन लोकेश की बुआ ने मैसेज भेजा कि “दूसरे दिन ही शादी करनी होगी लोकेश यही चाहता है” शादी की तैयारी पहले ही पूरी हो गई थी। मैं डर गई कि लोकेश को पता चला कि मैं पूजा नहीं हूं तो वो क्या कर लेगा। उस रात मैने पूजा की मां की डेयरी से लोकेश का फोन चुरा लिया और उसे फोन पर ही सारी बात बता दी। उसने कहा कि “अगर तुम उस नरक से निकलना चाहती हो तो इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा। तुम मुझसे ही शादी कर लो मैं तुम्हे हमेशा खुश रखूँगा तुम भी कभी यही चाहती थी” मैने हां कर दी।
अगले दिन शादी के मंडप में हम आ गये। रूपा और मैने एक ही रंग की साड़ी पहनी थी। मुझे शादी के जेवर पहनाये गये थे। सब लोग आ चुके थे शादी की सब तैयारी हो चुकी थी। मुझे और रूपा को ड्रेसिंग रूम में लया गया। मेरे जेवरात उतार कर उसे पहनाये गये। उसका चेहरा पल्लु से ढका गया तभी बूढ़ी बुआ अपने कुछ नौकरानियों के साथ अन्दर आ गयी। सब चुप हो गये मैं रूम के एक अंधेरे कोने में खड़ी थी। बुआ ने दुल्हन का चेहरा देखने के लिये घुंघट उठाया तो वो चौंक गई। और कुरसी पर बैठ गई। इतने में लोकेश आ गया सब डर गये थे। रूपा के पिता ने कहा कि” बेटा हमे माफ़ करो हमसे गलती हो गई” लोकेश ने मुझे सामने बुलाया और कहा कि” अगर आप लोगो ने मेरी शादी इससे कर दी तो मैं आपको माफ़ कर सकता हूं। तो वो बोले कि ये शादी शुदा है तो लोकेश बोला कि आपने इसे ही मेरे सामने पेश किया था तब आपने ये क्यों नहीं सोचा अगर आप मेरी शादी इससे नहीं कराओगे तो मैं पुलिस को बुलाकर तुम्हे जेल भेजूंगा और कोर्ट में भी घसीटुंगा। रूपा के पिताजी ने मेरी सास और शराबी पति की और देखा तो वो उनसे बोले अगर आप हमे इसके बदले में लाख रुपये दोगे तब ये शादी हो सकती है। उन लोगों ने मेरा सौदा कर लिया था पर मैं इससे खुश थी क्योंकि मैं उनके चंगुल से छूट गई थी। पर मैने ये एहसास किसी को होने नहीं दिया। मुझे लोकेश के लाये हुए जेवर पहनाये गये और फिर मंडप में ले जाकर मेरी शादी हो गई।
बाद में मैं लोकेश की शानदार कार से उसके घर पर आ गई। साथ में बुआजी भी थी। मैने उसका घर देखा तो वो एक महल जैसा शानदार मकान था। हम अन्दर आ गये। शाम होने को आयी थी। लोकेश ने मुझे बाहों में भर कर किस किया तो बुआजी बोली “उसे छोड़ो और रात का इन्तज़ार करो आज से वो तेरी है” लोकेश अपने बेडरूम में चला गया। बुआजी ने अपनी दो बूढ़ी नौकरानियों को बुलवाया और कहा कि मेरी बहु को आज की सुहागरात के लिये तैयार करो” वो मुझे लेकर दूसरे कमरे में आ गयीं। लोकेश के घर में सारे काम वो दोनो ही करती थी। लोकेश के घर में वो दोनो, लोकेश और बुआजी के अलावा कोई नहीं था।
कमरे में आने के बाद उन्होनें दरवाजा बंद कर लिया और मेरे जेवरात उतारने लाग गईं। उसके बाद उन्होनें मेरी साड़ी उतारी मैने कहा “साड़ी क्यों उतार रही हो” तो वो बोली कि अब तुम्हे नहा कर मालिक के लिये तैयार होना है। उन्होनें मेरे सारे कपड़े उतार दिये। मैं उनके सामने नंगी हो गई। वो मुझे बाथरूम ले गईं और नहलाने लगी। वो ७५ साल की थी पर बड़ी होट बातें कर रही थी वो मुझे कुछ सेक्सी लग रही थी। नहाने के बाद उन दोनो ने मेरा बदन पोंछा। उसमे से एक ने मुझे पैंटी पहनाई। मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं थी। दूसरि ने एक पेटीकोट पहनाया। मैने साड़ी देखी तो वो हरे रंग की और पारदर्शी थी। ब्लाउज़ भी हरा और पतले कपड़े का डीप लो कट था। मैने कहा कि मैं इतने हल्के कपड़े नहीं पहनूंगी मेरे पहले वाले कपड़े लाओ। वो हंस पड़ी बोली के ऐसे वक्त यही कपड़े पहनते हैं। वो मेरी कमर पर साडी लपेटने लगी। दूसरि ब्लाउज़ पहनाने लगी मैने कहा ब्रा तो दो वो फिर हंसी कहा कि तुम्हारा बदन तो कसा हुआ है तुम्हे उसकी क्या जरूरत? ब्लाउज़ पहनाकर हुक्स भी लगा दिये। ब्लाउज़ डीप नेक का था। वो टाइट और छोटा पर मखमली कपड़े का था। उसमें से मेरे बूब्स उभर कर दिख रहे थे। मुझे कुछ गहने चूड़ियां पहनाकर लाल लिपस्टिक लगाई फ़ेस पर हल्का सा मेकअप भी किया।
बाद में मुझे शीशे के सामने ले आई। मैने एक नज़र अपने आपको देखा। मेरी साड़ी नाभि के नीचे बांधी गयी थी मेरे चूतड़ उभरे लग रहे थे। ब्लाउज़ में मेरे सेक्सी बूब्स थोड़ी सक्ति से भर गये थे क्लीवेज में से बड़े बूब्स का नज़ारा दिख रहा था। मेरे निप्पले भी झलक रहे थे। और मंगलसूत्रा बूब्स के खुले हिस्से पर था। दोनो में से एक ने कहा वाह! क्या गठीला बदन है इसका और ये कसी छाती(बूब्स) मालिक तो इसे चूस ही डालेंगे। दूसरी ने मेरा पल्लू रख दिया। साड़ी बहुत ही ट्रास्पेरेंट थी उसमें से मेरी नाभि और खुला हुआ पेट साफ़ दिख रहा था।
फिर वो चली गई। मैं बेड पर बैठ कर लोकेश का इन्तज़ार करने लगी। थोड़ी देर बाद लोकेश आया। आते ही उसने मुझे बाहों मे भरकर किस किया। मैं उस से दूर हो गई और बेड के दूसरी तरफ़ जाने लगी। तो लोकेश ने बेड पर बैठ कर पिछली बार की तरह पल्लू खींचा। मेरा गठीला बदन और बूब्स वो पहली बार देख रहा था वो मेरी तरफ़ कामुकता से देखने लगा। मैं उससे शरमाकर दूर जाने की कोशिश करने लगी पर उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया। वो मेरे पेट, नाभि पर हाथ फिराने लगा। वो मेरी गर्दन, पीठ को किस कर रहा था। अब वो हाथ मेरे बूब पर ले गया और धीरे से गोल गोल फिराने लगा।
मैं गरम होने लगी थी, उसने मुझे अपनी तरफ़ करके बेड पर लिटा दिया। अब मेरे टाइट बूब्स ब्लाउज़ के ऊपर से चूमने और चूसने लगा वो मेरी क्लीवेज को भी किस कर रहा था। अब उसने अपने सारे कपड़े उतारे मेरे भी उतारने लगा। ब्लाउज़ के उतरते ही वो बूब्स चूसने लगा। वो मेरे निप्पले मुंह में लेकर बारी बारी चूस रहा था। उसने अपना मोंस्टर टूल मेरी चूत में घुसा दिया और तेज़ी से झटके देने लगा थोड़ी देर बाद उसने अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया वो शान्त हो गया मैं भी थक गई थी हम दोनो सो गये। सुबह मैं उठी तो वो सो रहा था मैने वापस सब कपड़े पहन लिये तभी मेरी नज़र उसके लंड पर पड़ी मैने उसे हाथ में लेकर आगे पीछे किया अब लोकेश जग गया था और मुझे देखकेर उसका लंड चार्ज हो गया। मैं उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। लंड से निकला हुआ वीर्य मैने चूस लिया। बाद में लोकेश उठकर नहाने चला गया आने के बाद उसने मुझे पकड़ लिया और ब्लाउज़ में से मेरे बूब्स चूमने लगा। ये सब अब तो हमेशा होने वाला था। सो इस तरह मेरा सेक्सी सपना सच हो गया। Antarvasna
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