Our site can help you find a professional massage girl in Palakkad who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Palakkad that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Palakkad massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Palakkad who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Palakkad massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Palakkad massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Palakkad who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Palakkad employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Palakkad helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Palakkad
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Palakkad at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
अन्तर्वासना में अपनी Antarvasna कहानियाँ भेजने वालों को सीता का प्रणाम! खुली फुदी से मेरी कहानी पढ़ने वालों को प्रणाम! यानि की सीता मेहरा का नमस्कार!
बहुत सी कहानियाँ पढ़ी जिन्हें पढ़ते ही चूत में आग लग जाती है, इस तरह मैंने भी अपनी ज़िंदगी के अब तक के सफ़र में कितना और कैसे चुदवाया? आज पहली दास्तान –
अब तो मैं शादीशुदा हूँ। जब पहली बार चुदी थी तो मैं कॉलेज़ में थी। मेरे पड़ोसी के घर में उनका लड़का था राम। राम का गारमेंट्स का बिज़्नेस था वैसे तो वो शादीशुदा था, उसकी बीवी सरिता भी मेरे साथ घुलमिल गई थी। हम दोनों अकेले होकर गप्पें लड़ाते!
गर्मियों की एक दोपहर की बात है हमारा फ्रिज़ खराब हो गया था। मम्मी ने मुझे कहा- उनकी फ्रिज़ से बर्फ़ की ट्रे लेकर आना!
हम पड़ोसियों में बहुत प्यार था और घुलमिल के रहते थे। मैंने सोचा- सरिता अकेली होगी, ज्यादातर वो घर पे रहती थी नई नई शादी जो हुई थी। मैं सीधा अंदर गई फ़्रिज़ से बर्फ़ की ट्रे निकाली और सरिता को हेलो बोलने उसके कमरे में चली गई। वहाँ पे राम टीवी पे ब्लू फिल्म देखने में मस्त था। उसको नहीं पता था कि मैं दरवाज़े पर आई हूँ। उसने अपना लण्ड हाथ में पकड़ रखा था और मूठ मार रहा था। उसको देख मेरे मुँह से आह निकल गई और उसने मुझे देख लिया।
मैं शरमा के, हंस के वहाँ से निकल आई, थोड़ी देर बाद मम्मी बाज़ार चली गई।
तभी फोन बजा। मैं अकेली थी। फ़ोन उठाया- राम था! बोला- तुम आई और देख कर मुड़ क्यूँ गई? वो भी हंस के?
मैं घबरा सी गई। वैसे मैंने कभी चुदाई का मजा पहले नहीं लिया था। लेकिन अपने बॉयफ़्रेन्ड के साथ ओरल-सेक्स, चूमा-चाटी का खेल, टॉपलेस होकर अपने चूचुक चुसवाना, यह सब मैंने किया था, यहाँ तक कि गाण्ड भी मरवाई थी। किसी भी बॉयफ़्रेन्ड को मैंने चूत नहीं दी थी, मैंने लण्ड भी चूसा। राम का लण्ड मुझे अब तक देखे लण्डों के मुक़ाबले बड़ा लगा था।
मैंने फोन पे कहा- मम्मी घर पर नहीं है राम जी, बाद में कॉल करना! मैं बता दूँगी अगर कोई काम है तो।
वो बोलने लगा। मैंने फोन काट दिया।
तभी फिर फोन आया और उसने कहा- सरिता नहीं है प्लीज़! मेरे लिए खाना बना दो, सब्ज़ी बना ली है, बस रोटियाँ उतार के दे जाओ।
मैं गई, किचन में तवा चढ़ाया ही था कि पीछे से राम ने मुझे पकड़ लिया और कहा- जानेमन! कितने साल से मैं तुझे चाहता था! कह नहीं पाया था।
उसने मेरे सूट में हाथ डाल कर मेरे मोम्मे दबाने शुरू कर दिए।
मैंने कहा- सरिता से मजा नहीं आता? इसीलिए मूठ मार रहे थे?
बोला- ब्लू फिल्म देख रहा था, मारनी ही पड़ी।
उसने गैस बंद की और मुझे बाहों में उठा लिया। मैंने कहा- राम! यहाँ ठीक नहीं! अगर कोई आ गया तो मुझे से पीछे वाली दीवार नहीं कूदी जाएगी। तुम छत से मेरे घर आ जाओ ताकि कोई आए तो तुम आसानी से निकल जाओ।
मैंने बाहर का गेट लॉक कर दिया, वो ऊपर से अंदर घुस आया और मुझे जंगलीपने से प्यार करने लगा। उसने जल्दी से मेरा नाला(नाड़ा) खोल कर सलवार उतार दी। बोला- क्या पट्ट(जांघें) हैं? मक्खन जैसे!
वो उनके चूमने लगा और फ़िर उसने मेरी कमीज़ उतार दी और मेरी छातियाँ मसलने लगा, चूचुक ऊँग्लियों के साथ मसलने लगा। मैं आहें भर भर कर बार बार उसके सर को पकड़ उसको और चूसने के लिए कह रही थी। तभी मैंने उसका लण्ड कच्छे से निकाल हाथ में लिया और सहलाते सहलाते पता नहीं कब चूसने लगी। फिर मेरे बस में कुछ नहीं था, मैं नहीं रोक पाई आज! आख़िर मेरी चूत चुदने ही वाली थी।
क्या मर्द था! कभी ऐसा आनन्द नहीं लिया था मैंने! वो मुझे 69 में करके मेरी चूत चाटने लगा। मेरे दाने को चबाने लगा। मैं पागलों जैसे उसका लण्ड चूसने में मस्त थी। वो जब अपनी ज़ुबान तेज़ करता तो मैं भी लण्ड उतनी तेज़ी से चुसती। उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और मेरी टांगों के बीच में बैठ अपना लण्ड मेरे दाने पे रगड़ने लगा। मुझसे जवानी की आग सही नहीं गई, मेरे मुंह से निकल गया- अंदर डालोगे या बाहर ही छुटने का इरादा है!
उसने झटका मारा, आधा लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मेरी चीखें निकल गई। उसने मेरी दोनों बाहें पकड़ कर अपने होंठों से मेरे होंठ दबा लिए।
मैं चीखती रही- मर गई! अहह! निकाल कमीने! फट गई मां! मैं चुद गई री ईईईईई ईईई जैसे???
फ़िर लण्ड अंदर-बाहर आसानी से होने लगा, मानो मैं स्वर्ग में पहुँच गई।
‘चोद राम! चोद दे आज मुझे! तेरी रखैल बन जाऊँगी! कायल हो गई तेरी मर्दानगी पे! कभी किस से चूत नहीं मरवाई मेरे दिलबर! आशिक़ फाड़ दे! अब करता ही जा! ज़ोर ज़ोर से! हाए दैया रे! दैया मसल डाल मुझे! फाड़ डाल मेरी! अपना बीज आज मेरे अंदर बो दे!’
उसने लण्ड निकाल लिया और मुझे कहा- कुतिया! कमीनी! हरामजादी! चल हो जा घुटनो पे! बन जा कुत्ती! और वो पीछे से आकर मेरी चूत मारने लगा, घोड़ी बना के लेने लगा, साथ साथ में उसने अपनी उंगली मेरी पोली पोली गाण्ड के छेद में डाल दी। मुझे दोहरा मजा दिया उसने!
एकदम से चूत से उसने लण्ड खींचा और मेरी गाण्ड में पेल दिया।
‘हाए साले यह क्या किया? इसको तो बहुत चुदवाया है! तू चूत मार मेरी, प्यास बुझा मेरी!’
‘थोड़ी देर मारने दे कमीनी…’
फिर उसने निकाल लिया अपना लण्ड मेरी गाण्ड से। मुझे खड़ा करके कहा- अपने हाथ दीवार से लगा ले और उसने पीछे से चूत मारी।
‘हाए! गई! गई!’
वो बोला- आह! मैं झड़ने वाला हूँ!
मैंने कहा- ले चल बिस्तर पे! मेरे उपर लेट जा! ताकि जब झड़ जायें तो तुझे अपनी बाहों में भींच लूँगी।
उसने मुझे सीधा लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
‘ओईईई ईईईई माआआअ क्या नज़ारा है! हाए सईयाँ दीवाने! मैं झड़ने वाली हूँ! आह!’
वो बोला- हाँ ले साली ले!
मैं झड़ गई और आधे मिनट बाद उसके लण्ड ने शावर की तरह अपना सा माल मेरे पेट में डाल दिया, जब उसका पानी निकलने लगा तब इतना मजा आया चुदाई से भी ज्यादा!
मैंने आँखें बंद कर के उसको जकड़ लिया- निकाल दे सारा माल!
एक एक बूंद उसने निकाल लिया और मेरे मुंह में अपना लण्ड डाल कर बोला- साफ कर दे अपने होंठों से! ज़ुबान से!
दोपहर के दो बजे से शाम के चार बजे तक नंगा नाच ऐसे ही चलता रहा।
मुझे चूत मरवाने का ऐसा चस्का लगा कि अब एक मर्द से बंध कर मजा नहीं मिलता।
जो हर मर्द की बाहों में झूलकर मिलता है!
दोस्तो अगली दास्तान कुछ ही दिनों में बयान करूँगी।
तब तक के लिए सबको चूत से प्यार!
मिलते हैं अगली बार Antarvasna
लकी प्रोजेक्ट गाइड ‘ मेरी Sex Stories ज़िन्दगी का वो रूहानी अनुभव है जिसे मैं ताज़िन्दगी नहीं भूल पाऊंगा… उसे शब्दों में बयाँ कर पाना बहुत मुश्किल है। मैंने सोचा नहीं था कि कहानी इतनी लंबी हो जायेगी कि उसे दो-तीन किश्तों में लिखना पड़ेगा… इसीलिये मैंने उसे सिर्फ़ “लकी प्रोजेक्ट गाइड” नाम दिया था.. पर अब तो उसे “लकी प्रोजेक्ट गाइड-१” ही कहना पड़ेगा…
खैर.. “लकी प्रोजेक्ट गाइड” में आपने पढ़ा कि हम दोनों ऑर्गाज़्म पर पहुँच चुके थे… पसीने से तर-बतर हो चुके थे.. मेरा लंड शशि की चूत द्वारा निचोड़ा जा चुका था…. मैंने उसकी कमर के खम को पकड़ा और एक झटके से पूरे लंड को बाहर निकाल दिया…शशि के योनिपटों पे घिसटता हुआ लंड जैसे ही बाहर निकाला.. उसके नितंब थरथराये और उसके मुंह से एक संतुष्ट और मादक आवाज़ निकली…”आऽऽऽऽऽऽह…..”
हम दोनों फ़र्श पर ही लेट गये…निर्वस्त्र…उनींदी आँखों से छत को ताकते हुये…
जाने कब मेरी आँख लग गई थी पता ही नहीं चला….
अचानक खुली तो देखा कि शशि मेरे सुकड़े हुये लंड का फ़ोरस्किन खिसका रही थी…और सुपाड़े के सुराख को (जहाँ से वीर्य निकलता है) बड़े प्यार से निहार रही थी….
और धीरे-धीरे अपने जीभ के अग्रभाग को नुकीला सा करके उसमें मानो घुसेड़ने की कोशिश कर रही थी…
नसों में फ़िर से संचार शुरू हो गया…. और इतनी तेज़ हुआ कि कुछ ही पलों में मेरा लंड अपनी पूरी लम्बाई में आ गया…
उसने फ़ोरस्किन को पूरा नीचे खींच दिया…. सुपाड़ा बड़ा ही भयावह लग रहा था… लाल… खूब फ़ूला हुआ…
उसने अपना थ्री-मेगापिक्सेल कैमरे वाला मोबाइल उठाया… क्लिक… क्लिक… क्लिक… अलग-अलग कोणों से तकरीबन दस फ़ोटो लिये…. कैमरा एक तरफ़ रखा…. अपनी दोनों टाँगों को मेरे पूरी अदा से इठलाते हुये मेरे कमर के आजू-बाजू रखा….. अपना मुँह मेरी तरफ़ झुकाया… अपने सुडौल स्तन मेरी छाती पे दबाए…. चुम्बन लिया… इस तरह उसके नितम्ब थोड़ा ऊपर हुये…. मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा…. और सुपाड़े को योनिद्वार पर रगड़ने लगी….
जितनी सिसकारियाँ उसके मुँह से निकल रही थीं उससे ज़्यादा मेरे मुँह से निकल रही थीं…. रहा नहीं जा रहा था… हाय ये भूख…. जितना खाओ उतनी ही बढ़ती है…. हाय ये प्यास… कभी ना खत्म होने वाली प्यास…
आधे घंटे पहले लग रहा था कि बस आज के लिये काफ़ी हो गया.. और अब… देर करने का मन नहीं हो रहा था…. मैं बेसाख़्ता उसके होठों को चूसने लगा… उसकी गर्दन चाटते हुये मेरी जीभ उस दरार में पेवस्त होने लगी जिसे वो ऑफ़िस में छलकाती दिखाती थी…. मेरी नाक भी दोनों स्तन के बीच आ गई थी….और मैं उस खुश्बू से मदहोश होता जा रहा था….दोनों हाथों से उसके स्तन अगल-बगल से इस तरह भींचा..कि मेरी नाक…मेरा मुँह….मेरी जीभ…और मेरा पूरा वज़ूद उसके अमृत कलशों के बीच समा गया…मुझे लगा…स्वर्ग अगर कहीं है….तो यहीं है…यहीं है…बस यहीं है….
अचानक मुझे लंड पे कुछ नमी का अहसास हुआ….
“आय एम ड्रिपिंग”…. उसने वही शोख…. वही मादक… वही सरसराती सी आवाज़ में मेरे कान में कहा…..
और आहिस्ता-आहिस्ता मेरा सुपाड़ा उसकी गहराइयाँ नापने लगा…. अंदर काफ़ी लसलसापन था.. गर्माहट थी….
उसने कुछ सेकंड के लिये अपने चूतड़ों को वैसे ही हवा में रखा…. फ़िर धीरे धीरे इस तरह ऊपर-नीचे हिलाने लगी कि लंड का सिर्फ़ तीन-चार इंच अंदर-बाहर हो रहा था…..
करीब उसके बीस बार ऐसा करने के बाद मैं इतना उत्तेजित हो गया कि अपने कूल्हे की सारी मांस्पेशियों की ताकत इकट्ठा करके एक जोरदार झटका ऊपर की ओर दिया..
कि पूरा का पूरा लंड सरसराता हुआ अंदर हो गया….
“ओ माय गॉड”…वो चीखी…
और भरभराते हुये मेरे लंड को चूत में निगलते हुये बैठ गई….
लंड को अंदर लिये-लिये ही अपने चूतड़ों को आगे-पीछे और गोल-गोल घुमाने लगी…..
उसकी झाँटें मेरी झाँटों को रगड़ते हुये अजीब उत्तेजना पैदा कर रही थी….. पन्द्रह-बीस मिनट तक यही चलता रहा। कभी मैं उसके दोनों स्तनों को पकड़ता… उन्हें चूसता… चाटता…. और कभी उसके चूतड़ों में चपत लगाता… उन्हें मसल देता फिर नीचे को ओर(अपनी ओर) धक्का देता..।
अब मैं भी अपनी गांड़ का छेद सिकोड़कर अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे कर रहा था… वो और जोर सी चीखने लगी… चीखते-चीखते उसका पूरा शरीर मेरे ऊपर गिर सा पड़ा…. धड़कनें और साँसें धौंकनी की मानिन्द चल रही थीं….वो अभी भी चूतड़ों को धीरे-धीरे हिला रही थी….उसकी चूत से निकला कामरस मेरी झाँटों और अंडों को भिगोता हुआ अनवरत बहता जा रहा था ….
कुछ देर में वो निश्चेष्ट सी मेरे ऊपर पड़ी थी, अचानक मैंने अपने चूतड़ उछालने की स्पीड बढ़ा दी….करीब पच्चीस धक्कों के बाद मैं इतने जोर से स्खलित हुआ कि एक तेज़ धार उसके चूत के अंदर के दीवारों पर पड़ी और वो चिहुँक उठी….मैं धीरे-धीरे हिलाता हुया शांत हो गया…..पुरसुकून शांत…संतुष्ट और तृप्त…!!
शशि….अगर तुम कहीं यह पढ़ रही हो… तो शुक्रिया… मुझे वह शाम देने के लिये… वो यादगार लम्हा देने के लिये… ( और अपनी दो और सहेलियाँ देने के लिये..)
काफ़ी देर तक वैसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठे… चाय बना के पी … और मैं उसे एक और शाम का वादा करके उसके कज़िन के घर छोड़ आया… मेरे लंड की फ़ोटो उसके पास रह गई थीं… उसके चूत की यादें मेरे साथ आ गईं थीं।
समय अपनी गति से चलता रहा… प्रोजेक्ट अपनी गति से चलता रहा….
उस दिन मैं शाम को ऑफ़िस से लेट लौट रहा था…. ट्रैफ़िक बहुत ज़्यादा थी… मेरी बाइक बस स्टॉप के ठीक सामने थी… अचानक पीछे से आवाज़ आई.. “सर”
मैंने ध्यान नहीं दिया… एक हाथ ने मेरे कंधे को छुआ… वो स्मिता थी… साँवली… बड़ी-बड़ी आँखों वाली… ढीला-ढाला सा सलवार कुर्ता पहने हुये… दुपट्टा पूरे वक्षस्थल को ऐसे ढके हुये कि जिसमें देखकर लगता था कि अंदर खाली है।…कुर्ता इतना ढीला और बड़ा था कि नितम्भ का आकार भी नहीं दिखता था। कुल मिला कर उसमें कोई सेक्स-अपील नहीं नज़र नहीं आती थी।
“स्मिता?… हियर?… व्हाट हैप्पेंड?… मिस्ड योर बस?”
“यस सर…वुड यू प्लीज़ ड्रॉप मी टू नेक्स्ट स्टॉप?”
“ओह श्योर?” ऊपर से उत्साहित और अंदर से खीझा हुआ मैं बोला।
स्मिता पीछे क्रॉस-लेग (टाँगों को दोनों तरफ़ करके) बैठी, जैसे ही ट्रैफ़िक कम हुआ, मैंने बाइक बढ़ा दी। मैं उसको जल्दी से पहुँचा देना चाहता था पर अफ़सोस कि अगले स्टॉप में भी कोई बस नहीं थी। रिमझिम बारिश शुरू हो गई थी।
“अब क्या करें?” मैंने कहा।
“सर… मैं अपना मोबाइल भूल गई… आपके मोबाइल से एक कॉल कर लूँ?”
“श्योर..”
तब तक बारिश कुछ तेज हो गई थी, हम दोनों भीगने से बचने की नाकाम कोशिश करते रहे।
बादल छाये रहने के कारण शायद मोबाइल में नेटवर्क नहीं था, आसपास कोई बूथ भी नज़र नहीं आ रहा था।
“अर्जेंट है?” मैंने पूछा।
“हाँ…” उसने कहा।
मेरा घर वहाँ से सौ कदम पे था।
मैंने बेमन से कहा,”चलो मेरे घर.. लैंडलाइन से कर लेना !”
सुनते ही उसकी आँखों में अजीब सी चमक आई…
खैर हम लोग घर पहुँचे…. काफ़ी भीग चुके थे… उसने फ़ोन लगाया और जाने क्या-क्या बातें करती रही… मैं भीतर जाकर कपड़े बदल कर आ चुका था, वो तब भी फ़ोन पे लगी हुई थी… बात करते-करते अनजाने में (यह मुझे तब लगा था… बात में पता चला कि वह हरकत जान-बूझकर की गई थी) उसने भीगा दुपट्टा निकालकर एक तरफ़ रख दिया और मेरे पूरे शरीर में एकबारगी झुरझुरी सी हो गई…. सामने का नज़ारा ही कुछ ऐसा था…
उसने लो-कट (गहरे गले वाला) कुर्ते के अन्दर एक महीन सा शमीज़ पहन रखी थी जो कि पानी में उसके बदन से चिपक गई थी और उसके ठंड से नुकीले हो चुके काले-काले निप्प्ल साफ़ नज़र आ रहे थे ! पॉपिन्स के साइज़ का ऐरोला भी दिखाई दे रहा था और झटका खाने वाली बात यह थी कि उसके स्तन एकदम तने हुये बहुत बड़े-बड़े थे, इतने बड़े जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी, जिनको वो ढीले-ढाले कुर्ते और दुपट्टे के नीचे ढकी रहती थी। स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मेरी हालत वैसी ही हो रही थी जैसे उपवास के दिन मिठाइयों को देखकर होती है…
उसने फ़ोन रखा और अचानक अपना सर ऊपर उठाया और मेरी चोरी पकड़ी गई (तब तक तो मैं उसे चोरी ही समझ रहा था…. मुझे थोड़ी पता था कि जाल बिछा हुआ था… मैं दाना चुग रहा था… और सैयाद की आँखों में चमक थी… शिकार को दाना चुगते देखने की चमक….. या खुदा…. इन लड़कियों के लिये कितना आसान होता है लड़कों को पटाना…)
कातिल मुस्कुराहट के साथ उसने पूछा,”सर आपके पास आयरन बॉक्स है?”
“य.य..यस….है !” मेरी तंद्रा भंग हुई…
“मैं ये कुर्ता आयरन कर लेती हूँ…थोड़ा सूख जायेगा… तब तक इफ़ यू डोंट माइन्ड… आपका कोई शर्ट पहन लूंगी !”
“नो प्रॉब्लम…”
मैं आगे-आगे बेडरूम की तरफ़ चला… वो पीछे-पीछे आई… मैं एक शर्ट निकालने लगा… वो मेरी तरफ़ पीठ करके कुर्ता उतारने लगी… मैंने शर्ट उसको दिया..
“प्लीज़ बाहर जाइये ना !”
तब तक भी मैं उसे शर्मीली सी लड़की समझ रहा था।
मैं हॉल में चला गया… अंदर एक तूफ़ान सा उठा हुआ था… स्मिता के निप्पल.. ऐरोला.. पुष्ट स्तन… मेरी आँखों के सामने घूम रहे थे और मन ही मन आत्मग्लानि भी हो रही थी कि मैं इतनी सीधी-साधी लड़की के बारे में इस तरह से सोच रहा था। अचानक स्मिता आ गई… मेरी शर्ट पहने हुये…. चुस्त… इतना चुस्त कि दूसरे नम्बर का बटन जैसे खुला जा रहा था… वक्ष बाहर छलक रहे थे… थोड़ी सी झिर्री से स्तन की अंदर की मादक दरार और गोलाइयाँ झाँक रहे थे… और मेरी नज़र हट नहीं रही थी…. हालांकि स्मिता साँवली सी थी पर उसके स्तनों का रंग गोरा-गोरा था…
शर्ट चूँकि शॉर्ट-शर्ट थी…. उसकी कमर तक ही आ रही थी और कमर के नीचे का हिस्सा सिर्फ़ भीगे हुई सी सलवार में ढका था…… उस जगह मुझे चूत का त्रिकोण साफ़ दिखाई दे रहा था…उस त्रिकोण का रंग थोड़ा गहरा था, शायद उसकी झाँटें भी भीगकर कपड़े से चिपक गई थीं… त्रिकोण…. जादुई त्रिकोण..!! मेरी नीयत डोल चुकी थी…. अगर स्मिता सीधे मेरी आँखों में देखती तो लाल डोरे मेरी चुगली कर देते।
“इसको कहाँ लटका दूँ?” उसने अपना कुर्ता हवा में लहराया…
“उस कमरे में…! चलो…!” मैंने दूसरे कमरे की तरफ़ इशारा किया…
वो आगे-आगे चली…और मानो कयामत ही आ गई…उसके पुष्ट नितम्बों के आगे शशि के नितम्ब कुछ भी नहीं थे… मस्त उभरे हुये… गोल-गोल आकार के… जैसे साँचे में ढले हुये… कसे हुये… एक लय में ऊपर नीचे होते हुये… तीव्र इच्छा हुई कि इन्हें छू लूँ.. सहला लूँ… भींच लूँ…… उस दरार को महसूस कर लूँ जो इन मदभरी घाटियों के बीच है…
मैं कितना ग़लत था…. स्मिता में सेक्स अपील था… और गज़ब का सेक्स अपील था…. बस छुपा हुआ था…. अनछुआ था… आवृत था… और यहाँ मैं बेचैन था… उसे छूने उघाड़ने के लिये… छूने के लिये… अनावृत करने के लिये…
“यहाँ?”….उसने पूछा…एक रस्सी बांध रखी थी मैंने…कपड़े सुखाने के लिये…
“यस !”
उसके हाथ ऊपर उठाये….स्तन और भी तन गए…अब मैं जायजा लेने और भी करीब पहुँच गया… वह रस्सी तक नहीं पहुँच पा रही थी… पास पड़ा स्टूल खिसकाया.. उसपे चढ़ के सुखाने लगी…. मैं उसके सामने खड़ा था…उसके मधुघटद्वय के ठीक नीचे… उसने दोनों हाथ उठाये और सन्तुलन खोने के कारण भरभरा के मेरे ऊपर आई… मैं इस अप्रत्याशित घटना के लिये तैयार नहीं था.. प्रतिक्रिया में मैंने अपने दोनों हाथ उठाये.. ठीक वैसे ही जैसे कोई चीज़ सिर पे गिरने वाली हो और आप बचना चाहते हों….
स्टूल एक तरफ़ लुढ़का… वो मेरे ऊपर गिरी… उसके दोनों सुरा-कलश मेरे हाथों में आ गये… मैं उन्हें पकड़े-पकड़े नीचे गिर पड़ा…. उसके लम्बे-घने-खुशबूदार बाल मेरे चेहरे पर आ गये… उसके गाल मेरे गाल से सट गये… उसके होंठ मेरे कनपट्टी के नीचे… और मैं उसकी तेज़-तेज़ चलती साँसों को महसूस कर रहा था।
उसने अपने स्तनों को छुड़ाने की चेष्टा नहीं की.. मैंने खुद ही अपने हाथ हटा लिये… उसके स्तन मेरे सीने से चिपट गये और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने धीरे से मेरे गर्दन में चूमा हो..
मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया… लंड की नसों और रगों में गरम खून उफ़नने लगा…. मेरा लोवर पतले वूलकॉट का होने के कारण लंड का कठोरता का अहसास स्मिता को हो चुका था और मुझे उसकी चूत के उभार का… उसने अपने चूत को लंड के ठीक ऊपर लाकर थोड़ा सा दबाव बढ़ाया… दिल की धड़कन… लंड की फ़ड़कन और चूत का स्पंदन… तीनों तेज हो गये थे…
अब मैं समझ चुका था कि स्मिता चाहती क्या है….
मैंने उसके मांसल नितम्बों को पकड़कर अपने लंड पे और दबाव बढ़ाया… उसने मुझे इतनी जोर से भींचा कि उसके स्तन पिघलने से लगे… और उसकी गर्मी से मैं पिघलने लगा…
उसने अपने सुलगते हुये होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और मैं बेसाख्ता उन्हें चूसने लगा…
उसने अपने चूतड़ हिलाना शुरू कर दिया… उसने अपने हाथ फ़र्श पर टिकाये और चेहरा और कंधा ऊपर उठाया…मैंने उसके शर्ट के ऊपर के दोनों बटन खोल दिये और दोनों गोलाइयों को अपने हाथ में ले लिया… थोड़ा सहलाया… चुचूक पे चुटकी काटी और मुँह में लेकर चूसने लगा…
स्मिता सिसकारी भरते हुये अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी।
उसने मेरे लोवर के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया… अपनी तर्जनी से सुपाड़े के सुराख का जायजा लिया जिसमें लसलसा प्रि-कम निकल रहा था….
अचानक वो नीचे की तरफ़ सरकी, मेरा लोवर पूरा उतार दिया और मेरे तन्नाये हुये लंड को चूमने-चाटने लगी…
मैं बेकाबू होता जा रहा था… लंड चूसते-चूसते उसने अपनी गांड घुमा के मेरे मुँह के सामने कर दिया.. मैं इशारा समझ गया… उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैंटी सरका दी..
एक मदहोश कर देने वाली सुगंध से मेरे नथुने भर गये… उसकी टाँगों को चौड़ा करके मैंने अपनी जीभ उसकी योनि की पंखुड़ियों के बीच धंसा दी… बीच-बीच में अपनी उंगली उसकी चूत में घुसेड़कर उसके जी-स्पॉट को छेड़ देता था और फ़िर जीभ की नोक से उसके क्लाइटोरिस को चाटने लगा….
स्मिता अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगी… दस मिनट के बाद हम वुमन-ऑन-टॉप पोज़िशन पे आ गये… स्मिता जैसे ही सीधी होकर मेरे ऊपर आई मैंने उसने चूचकों को अपने मुँह के हवाले कर दिया। वो अपने चूतड़ उठाकर मेरे लंड के सुपाड़े को चूत के फ़ाँकों में रगड़ने लगी। जब चूत पूरी तरह गीली हो गई तो उसने धीरे से सुपाड़ा चूत के अंदर ले लिया…
थोड़ी देर तक ऐसे ही पूरे तरह फ़ूले हुये सुपाड़े का साइज़ नापने के बाद और हाथ से पकड़ कर लंड की लम्बाई का अंदाजा लगाने के बाद, पूरी तरह इस बात से आश्वस्त होने के बाद कि वो इस लम्बाई को झेल लेगी, वो धीरे से नीचे बैठी और मेरा लंड करीब चार इंच अंदर धंस गया।
“आआआह” वो थोड़ा सा तड़पी… और उतना ही अंदर डाले-डाले करीब दो मिनट तक ऊपर-नीचे हिलती रही, फ़िर एक झटके के साथ पूरा नीचे बैठ गई और उसकी चूत ने मेरा पूरा साढ़े आठ इंच का लंड निगल लिया… पूरा साढ़े आठ इंच…. चूत की लीला अपम्पार है!
एक चीख सी निकली स्मिता के कंठ से और शरीर ऐंठने सा लगा… चुपचाप बैठकर… लंड को निगले हुये वो दर्द पीती रही… जब दर्द का अहसास कम हुआ तो फ़िर से चूतड़ हिला-हिलाकर मुझे चोदने लगी… जिन आंखों में चंद लम्हों पहले असीम दर्द था… अब उनमें चमक थी… मस्ती थी… नशा था… उन्माद था…
जिस चूत में सुपाड़ा भी बमुश्किल जा रहा था उसमें मेरा पूरा लंड बल्कि मेरा पूरा वज़ूद समाया हुआ था…!
कॉलेज में किसी ने ये लाइनें सुनाई थीं:
पहले तो न जाती थी कील चूत में
और अब तो बन गई है झील चूत में
एक दिन घुस गई चील चूत में
वहाँ उसको मिल गया वकील चूत में
वकील ने ठोक दी अपील चूत में
कि मैंने तो लगाई थी सील चूत में
फ़िर किसने बना दी झील चूत में
इतना कोमल होती है यह चूत कि एक इंच का कड़ा सुपाड़ा भी उसके लिये कष्टप्रद होता है…और इतनी लचकदार होती है यह चूत कि चार इंच से लेकर आठ-नौ इंच के लंड को निगल सकती है….!
हे चूत…तुझे नमन है…प्रचंड लंड का नमन…!!!
फ़िलोसॉफ़ी बहुत हुई… बहरहाल… जब उसके दर्द का अहसास कम हुआ तो फ़िर से चूतड़ हिला-हिलाकर मुझे चोदने लगी..
और मैं भी नीचे से पिल पड़ा… कभी उसके चूतड़ों को भींचकर… कभी उसके स्तनों को भींचकर…
चालीस मिनट के जद्दोज़हद के बाद आखिर हमें मंज़िल मिल ही गई… स्मिता निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गई… ना वो मेरी प्रोजेक्ट स्टूडेंट रही… ना मैं उसका गाइड रहा… सब बराबर हो गया था… कोई अंतर नहीं था…
करीब दस मिनट बाद मैंने उसका चेहरा उठाया और चूम लिया… और उसने मुझे बांहों में कस लिया…
बाहर बारिश भी थम चुकी थी…
हम दोनों उठे… उसके कपड़े सूख चुके थे… उसने कपड़े पहने….
अपना पर्स उठाया.. मुझे किस किया और शोखी से मुस्कुराये हुये कहा,”अगर मैं आपको एक राज़ की बात बताऊँ तो आप नाराज़ तो नहीं होंगे?”
“नहीं…बोलो !”
उसने अपना पर्स खोला और अपना मोबाइल निकालकर दिखाया..
मैं भौंचक..”तो तुमने झूठ कहा था कि तुम अपना मोबाइल भूल गई थी ?”
“सर आपने वादा किया था… आप नाराज़ नहीं होंगे… जबसे शशि ने मुझे आपके किंग साइज़ प्राइवेट पार्ट्स के फ़ोटो दिखाये थे तबसे मैंने ठान लिया था.. कि अगर मेरी जवानी किसी के लिये बेनकाब होगी, बेपर्दा होगी..तो इसी के लिये होगी”
“तो वो तुम्हारा बस छूटना…”
“सब प्लानिंग थी सर… मैं तो अपनी स्कूटी लेकर आती हूँ…” उसने खिलखिलाते हुये राज खोला।
मैं उल्लू की तरह उसे देख रहा था… फ़िर मैंने पूछ ही लिया,”तुमने तो इतना खूबसूरत शरीर पाया है… आज अगर तुम यहाँ नहीं आती तो मुझे पता भी नहीं चलता.. लेकिन तुम ये सब इतना छुपा-छुपा के क्यों रखती हो…?”
“मेरा परिवार थोड़ा दकियानूसी ख़यालों वाला है.. और हमें अपने आपको अच्छा दिखाने का अधिकार नहीं है !”
“बट यू आर फ़ैबुलस.. !”
“थैंक्स फ़ॉर द कॉम्प्लिमेंट… और आप भी सर.. कितने अच्छे हैं.. .कितने पैशनेट और पावरफ़ुल लव्हर हैं…. आपकी बीवी कितनी खुशकिस्मत होगी !”
हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भरा… उसने फ़ुसफ़ुसाते हुये मेरे कानो में कहा,”आपके फोटोग्राफ़्स नेहा ने भी देखे हैं… और वो जल जायेगी जब मैं उसको आज की बात बताऊँगी… बाय सर !”
“टेक केयर !”…मैं किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ा रह गया…
फ़िर नेहा का मासूम चेहरा मेरी आंखों के सामने घूम गया… और मेरे होठों पे एक भेदभरी मुस्कान ना चाहते हुये भी आ ही गई !
शब्दार्थ :
मधुघटद्वय- मधु यानि शहद, घट यानि घड़ा, द्वय यानि जोड़ा !
शहद भरे घड़ों का जोड़ा ! Sex Stories
दोस्तों मेरा नाम लौड़ा पुजारी Hindi Sex Stories और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरा असली नाम है लक्ष्य !
मैं अन्तर्वासना का पुजारी हूँ, इस वेबसाइट के सामने अब देसीपापा भी कम है, इसमें छपने वाले बिस्तर के हादसे लोगों के सोये हुए सेक्स को जगा देते हैं।
एक यादगार चुदाई का जिकर करने जा रहा हूँ !
मैं किसी काम से गाजियाबाद गया, तीस चालीस मिनट का सफ़र है ट्रेन से।
वहां पर मैं अपनी बुआ के घर गया था। वहां से निकला, रिक्शा किया, ट्रेन में अभी एक घंटा बाकी था। मैंने पास में पड़ते ठेके से विस्की का हाफ लिया। उसके पास पीने के लिए कोई अहाता नहीं था। पास में खड़ी एक उबले अण्डों वाले की ठेली से गिलास लिया, उससे दो उबले अंडे लिए, एक मोटा पैग बना कर पी लिया। जल्दी में एक और पैग पिया।
जिस रिक्शा वाले के साथ आने जाने की बात करके लाया था उसने कहा- जनाब ट्रेन छूट जाएगी !
मैंने खटाक से बाकी बचा भी पी लिया और उसके रिक्शा पे बैठ गया। हवा से मुझे ज्यादा ही चढ़ गई।
मैं रिक्शा में बैठा बैठा डोलने लगा तो रिक्शा वाले ने मुझे थामा और बोला- आप इस हालत में कहीं नहीं जा पाओगे। बोलो तो जहाँ से आये हो वहीं छोड़ देता हूँ !
मैंने कहा- वहां नहीं जा सकता इस हालत में ! बोला- फिर मुझे अपने घर ले जाओ, सुबह निकल जाऊंगा !
वो बोला- जनाब हम गरीब लोग हैं, एक कमरा है, तीन बन्दे रहते हैं !
कोई बात नहीं, मैं भी आपके बीच लेट जाऊंगा, चलो !
रास्ते से मैंने फुल बोतल खरीद ली, रास्ते से एक तंदूरी लगवा लिया, उसने अपना पउआ पहले खरीद लिया था।
उसके कमरे में पहुँच गए। वहां हमें दो बन्दे मिले, उसने उन्हें मेरे बारे में बताया। मेरे पास कोई कपडा नहीं था, मैंने अपनी पेंट उतार किल्ली पे टांग दी। उनकी नज़र मेरी गोरी चिकनी जांघों में गड़ गई। एक भी बाल नहीं था मेरी टांगों पर !
मैंने टीशर्ट नहीं उतारी।
वो चार ग्लास ले आये। मैंने मोटे मोटे पैग बना दिए, साथ में उनको तंदूरी खाने को दिया। वो खुश थे- साब आप बहुत अच्छे हो !
मुझे ज्यादा होने लगी इसलिए दूसरा पैग अपना नहीं बनाया, उनको पिला दिया। उनको भी नशा होने लगा। वो मेरे साथ घुल-मिल कर बातें करने लगे। मेरी नज़र उनमें से एक पर चली गई सामने वाले पर ! उसकी लुंगी से उसका मोटा लौड़ा दिख रहा था। मेरे साथ सट के बैठे बन्दे ने नोट किया कि मेरा ध्यान कहाँ लगा है।
नशा होने लगा था, मैंने आखिरी पैग फिर मोटा कर दिया और हम पी गए। जिसके साथ में मैं आया था, उसने अपना पउआ निकाला, ब्रांड चेंज की वजह से मैंने नहीं लिया।
साथ वाले ने मेरी जांघ पे हाथ फेरते हुए कहा- बहुत चिकना है तू !
मैंने अपना हाथ उसकी लुंगी में डाल दिया और उसके कच्छे में हाथ डाल उसके लौड़े को पकड़ लिया। सामने वाला हैरान रह गया।
मैं बोला- क्या देख रहा है तेरा लौड़ा देख कर ही मेरी गाण्ड में आग लगी थी।
मैंने शर्ट उतार फेंकी। सब मेरी लड़कियों जैसी छाती देख दंग रह गए। जिसका लौड़ा मेरे हाथ में था, उसने मुझे वहीं लपेट लिया और मसलने लगा। इतने में दूसरा आगे बढ़ आया, मैंने उसकी लुंगी खींच दी। उसने कच्छा नहीं पहना था, उसका लौड़ा आधा खड़ा लटक रहा था। उसको पास खींच मैंने मुँह में भर लिया।
वो आँखें बंद करके आहें भरने लगा- कभी सोचा न था की कोई मेरा चूसेगा।
मुँह में डालते ही तन गया था।
जिसके रिक्शा पे मैं आया था। उसे कहा- तुम भी पास आओ न ! तेरी वजह से आज मुझे लौड़े मिले !
तीनों के लौड़े निकाल अपने मुँह के पास घुटनों के बल बिठा बारी बारी चूसने लगा। हाय क्या लौड़े हैं आपके ! साले जब डालेंगे तब और अच्छा लगेगा !
मैं घोड़ी बन गया। एक ने पीछे से अपना लौड़ा घुसा दिया, मैंने आराम से ले लिया और वो तेज तेज धक्के देने लगा, ज़बरदस्त वार करने लगा। इतने में बाकी के दोनों लौड़े मैंने खूब चूसे। एक ने चोदा, दूसरा चढ़ गया, उसने चोदा, तीसरा चढ़ गया, तीसरा उतरा, पहला फिर चुसवा कर खड़ा !
तीनों ने सारी रात मुझे ठोका, सुबह उठा तो गांड दुःख रही थी, लेकिन मुझे बहुत मजा आया।
सो यह थी मेरी एक नमकीन, हसीं, रंगीन चुदाई !
जल्दी दुबारा एक और मस्त ठुकाई लेकर आऊंगा !
कभी अलविदा मत कहना !!!!!!!! Hindi Sex Stories
मेरा कॉलेज हमें हर साल कॉलेज ट्रिप पर लेकर जाता था.
मैं पहले तीन साल तो कॉलेज ट्रिप पर नहीं गया क्योंकि मैं मेरे पापा के दोस्त की कम्पनी में काम सीख रहा था.
कॉलेज खत्म होते ही एक अच्छी पोस्ट मिलने की लालच में मैं ज्यादा छुट्टियां भी नहीं लेता था.
पर मैंने लास्ट ईयर में कॉलेज ट्रिप जाने की सोची और साथ चलने के लिए सारे कॉलेज फ्रेंड्स को भी मना लिया.
कॉलेज के प्रिंसिपल सर मेरे पड़ोसी हैं और मेरे पापा के अच्छे दोस्त भी हैं.
तो मैंने उन्हें बाली ले जाने का आईडिया दिया और वह मान गए.
अब मैंने प्रिंसिपल सर और कॉलेज मैंनेजर ने बाली जाने का, वहां रहने और घूमने की पूरी तैयारी कर ली.
कॉलेज में अनाउंस भी करवा दिया.
मैं और मेरे सारे दोस्त तो पहले से ही तैयार थे … और भी बहुत से छात्र थे, पर सबके सब फ्रेशर थे.
हमें मिला कर कुछ ही सीनियर थे.
ट्रिप पर जाने से एक दिन पहले मैनेजर सर का एक्सीडेंट हो गया और वे अब हमारे साथ नहीं चल सकते थे.
प्रिंसिपल सर ने ट्रिप कैंसल करने की सोची, पर मेरे बहुत मनाने पर मान गए.
अब इस ट्रिप का नया लीडर और गाइड मैं हो गया था.
मेरे साथ प्रिंसिपल सर ने एक सर और दो मैडम को भी ट्रिप पर भेज दिया, जिनमें से एक का नाम सरोज है.
सरोज मैडम की हाईट 5 फीट है, रंग सांवला और शरीर भी थोड़ा मोटा है उनकी उम्र 50 साल होगी. वे दिखने में भी ठीक ठाक हैं.
हमारी दूसरी मैडम प्रिया कातिल फिगर की मालकिन हैं.
पूरा कॉलेज उन पर मरता है.
मैडम की उम्र 35 साल, रंग गोरा, हाईट 5.5 फीट और फिगर 36-30-38 का.
प्रिया मैडम के फिगर को देख कर ही लगता है कि वे रोज जिम जाती होंगी.
अब हम सब हवाई जहाज में बैठ गए.
मैं विंडो सीट पर बैठा था.
मेरे पास में प्रिया मैडम और उनके पास में सरोज मैडम बैठी थीं.
आज मैंने मौका देख कर प्रिया मैडम के साथ बहुत खुल कर बातचीत की.
वे भी बहुत ही फ्रैंक होकर मुझसे बात कर रही थीं.
हम सभी शाम को अपने रिज़ॉर्ट में पहुंच गए थे.
मैंने लड़कों के रूम्स का अलग और लड़कियों के रूम्स का अलग फ्लोर लिया था.
मेरा रूम लड़कियों के फ्लोर पर था जो मैंने जानबूझ कर प्रिया मैडम के रूम से लगा हुआ लिया था.
अब सब सुबह पूल में पहुंच गए.
पूल भी लेडीज का अलग था.
मैं लेडीज पूल में था.
प्रिया मैडम पूल के किनारे बैठी हुई थीं.
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके पास स्विमिंग ड्रेस नहीं है.
तो मैंने उनके लिए स्विमिंग कॉस्ट्यूम अरेंज करवा कर दिया.
पर उनकी टी-शर्ट ज्यादा ढीली थी और निक्कर थोड़ी टाइट.
उन्होंने वह ड्रेस ले ली और जैसे ही वह उस ड्रेस को पहन कर आयी तो क्या कातिल लग रही थीं.
वह जैसे ही पूल में उतरीं, उनकी टी-शर्ट उनके बूब्स से चिपक गयी.
आह क्या नजारा था.
चौड़ी गांड, मोटे मोटे बूब्स देख कर तो मेरा लंड ही खड़ा हो गया.
मैडम को स्विमिंग नहीं आती थी तो वे पानी से थोड़ा डर रही थीं.
मैंने उन्हें दिलासा दी कि मैं आपको स्विमिंग सिखा देता हूँ.
थोड़ा समझाने के बाद वह मान गईं.
अब मैं उनको स्विमिंग सिखाने लगा.
मेरा एक हाथ उनके पेट पर और एक हाथ उनके पैरों को पकड़े हुए था.
वे पानी में पैर हिला रही थीं.
बीच बीच में मेरा हाथ उनके बूब्स पर टच हो रहा था पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.
अब मैंने धीरे धीरे अपना हाथ पैरों से जांघ पर शिफ्ट कर दिया और बैलेंस बनाने के नाम पर उनकी जांघों को बार बार मसलने लगा.
उन्होंने अब भी कुछ नहीं कहा.
अब मेरा दूसरा हाथ धीरे धीरे उनके बूब्स को टच करने लगा और मेरी उंगलियां उनके बूब्स को मसलने लगीं.
मुझे लगा कि मैडम को भी मजा आ रहा था.
मैं अभी कुछ और कर पाता, पर तभी हमें पूल से निकलना पड़ा क्योंकि हमें घूमने जाना था.
पूरा दिन मैडम मुझे एक हल्की सी शरारत वाली स्माइल दे रही थीं.
शाम को रिज़ॉर्ट में लौट कर सब फिर से पूल में चले गए.
इस बार मैडम ने मुझे खुद से स्विमिंग सिखाने को बोल दिया.
अब मैं वापिस वही हरकतें करने लगा, धीरे धीरे मैं उनके बूब्स दबाने लगा, उनकी जांघों को मसलने लगा और एक दो बार मैंने उनकी गांड भी मसल दी.
कुछ देर बाद मैडम ने मुझे रोक दिया.
सब लोग पूल से निकल कर अपने अपने रूम में चले गए.
मैं बार बार बस मैडम को ही याद कर रहा था.
काफी रात गहरा गई थी.
तभी मेरे रूम की घंटी बजी.
मैंने जैसे ही रूम खोला, सामने प्रिया मैडम थीं.
वे एक टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट में थीं.
मैंने उन्हें अन्दर बुलाया.
हम दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे.
तभी मैडम ने कहा- मेरे कंधे बहुत दुख रहे हैं, क्या तुम थोड़े दबा दोगे?
मैं उनके कंधे दबाने लगा.
इससे मैडम बहुत ही रिलेक्स फील कर रही थीं.
तभी मैडम मुझसे पूछने लगीं कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने मैडम को मना कर दिया.
तो मैडम ने कहा- तुम झूठ बोल रहे हो.
मैंने मैडम से कहा- अभी नहीं है, पर पहले थी.
मैडम ने पूछा- तो उसके साथ सेक्स भी किया होगा?
मैं यह सुन कर दंग रह गया.
मैंने कहा- थोड़ा बहुत किया है.
मैडम ने कहा- ऐसा क्यों?
मैंने मैडम को बताया कि उसे ये सब ज्यादा पसंद नहीं था.
मैडम हंस पड़ीं और बोलीं- सेक्स किसको पसंद नहीं होता!
अब मैंने मौका देखते हुए मैडम से कहा- अगर आपका शरीर ज्यादा थक गया हो, तो मैं आपके पैरों की भी मसाज कर दूँ?
कुछ पल सोचने के बाद वह मान गईं और बोलीं- पर आराम से करना.
मैंने उनके कहने के अंदाज से यही समझा कि ये चुदाई आराम से करने की कह रही हैं.
वे बेड पर उल्टा लेट गईं.
अब मैं उनके पैरों की उंगलियां दबाने लगा.
मैडम को मजा आने लगा.
मैं धीरे धीरे पैर दबाते दबाते उनकी जांघ तक पहुंच गया और जांघों को मसलने लगा.
अब मैडम थोड़ी थोड़ी कामुक आवाज निकालने लगीं.
मैं उनकी जांघ के अन्दरूनी हिस्से को भी मसलने लगा और धीरे धीरे मेरा हाथ उनकी चूत के करीब पहुंच गया, पर मैंने चूत को टच नहीं किया.
मैंने मैडम से कहा- अगर आपको मसाज पसंद आयी हो, तो मैं आपकी पीठ की ऑयल मसाज भी कर सकता हूँ.
मैडम ने थोड़ा झिझक कर हां कह दिया पर कहा कि किसी को बताना मत!
मैंने हामी भरी और बाथरूम से मसाज ऑयल लेकर आ गया.
तब तक वे भी टी-शर्ट उतार कर पीठ के बल बेड पर लेट गईं.
उन्होंने लाल कलर की डिजाइनर ब्रा पहन रखी थी.
उनके बूब्स ब्रा के साइड से बाहर आ रहे थे.
यह देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा.
मैंने अपने को काबू किया और उनकी लोवर बैक की मसाज करने लगा.
धीरे धीरे मैं उनकी पूरी की पूरी पीठ को मसलने लगा.
मैडम को भी मजा आने लगा.
वे बहुत ज्यादा कामुक होकर मादक आवाजें निकाल रही थीं.
मुझे ब्रा की स्ट्रेप की वजह से मसाज करने में दिक्कत हो रही थी, तो मैंने मैडम को ब्रा स्ट्रिप को खोलने को कहा.
वे वासना में इतनी ज्यादा डूब चुकी थीं कि उन्होंने ब्रा की स्ट्रिप खोल दी.
अब मुझे उनके गोरे बूब्स साइड से साफ दिख रहे थे.
बिल्कुल दूध से सफेद.
मैं उनकी रगड़ कर मालिश करने लगा और मैडम जोर जोर से आह आह की कामुक आवाजें निकालने लगीं.
मैं हल्के हाथों से उनके बूब्स को साइड से सहलाने लगा.
मैडम और भी ज्यादा प्यार भरी आवाजें निकालने लगीं.
यहां मेरा लंड पैंट में दर्द करने लगा.
मैंने मौका पाकर मैडम से पेट की मालिश के लिए पूछ लिया.
पहले तो मैडम ने मना कर दिया, फिर तुरंत ही हां भी बोल दिया.
पर मुझसे आंखें बंद करके मालिश करने को कहा.
मैं मान गया और मैडम के आदेश को फॉलो करते हुए अपनी आंखें बंद करके उनके पेट पर धीरे से बैठ गया और उनकी मालिश करने लगा.
मेरा हाथ जैसे ही बूब्स के करीब पहुंचा, तो मैडम ने टोक दिया और नीचे नीचे मालिश करने को कहा.
मैंने भी डर के मारे आंखों को बंद रखा और मालिश जारी रखी.
थोड़ी देर में ही मैडम की कामुक आवाज फिर से शुरू हो गयी.
मैंने हिम्मत करके थोड़ी सी आंख खोली तो मैडम आंखें बंद करके मादक आवाजें निकाल रही थीं.
मैं अब आंख खोल कर मालिश करने लगा.
उनके बूब्स ब्रा से ढके हुए थे पर बहुत ही मस्त लग रहे थे.
मैं धीरे धीरे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाने लगा तो मैडम अपनी ब्रा धीरे धीरे खिसकाने लगीं.
उन्होंने अपनी ब्रा पूरी तरह से साइड में कर दी.
क्या तो बूब्स थे उनके … मैं तो देखते ही पागल हो गया.
मैं धीरे धीरे उनके बूब्स को नीचे से टच करने लगा.
मैडम ने कुछ नहीं कहा.
मैंने हिम्मत करके उनके बूब्स पर हाथ रख दिया और आंखें बंद करके धीरे धीरे मालिश करने लगा.
मैडम ने अब भी कुछ नहीं कहा.
मैं मैडम के बूब्स मसलने लगा.
मैडम कराहने लगीं.
मैंने मालिश करते हुए अपने होंठ मैडम के होंठों पर रख दिए और उन्हें किस करने लगा.
मैडम भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.
हॉट मैम पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसे जा रही थीं और मैं उनके बूब्स दबा रहा था.
कुछ देर बाद मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा तो वे मचल उठीं.
पर उनकी आंखें अब भी बंद थीं.
मैं उन्हें चूमते हुए नीचे आया और उनके बूब्स को चूसने लगा.
बूब्स चूसते चूसते मैंने मेरा एक हाथ उनके शॉर्ट के अन्दर डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उनकी चूत मसलने लगा.
उनकी चूत पूरी गीली थी.
मेरी इस हरकत से वह जल बिन मछली की तरह तड़पने लगीं.
अब मैंने उनके शॉर्ट को खोल दिया और पैंटी उतार कर Xxx मैम की चूत को देखने लगा.
बिल्कुल क्लीन शेव, किसी कुंवारी लड़की की चूत की तरह लग रही थी.
मैं उनकी चूत पर टूट पड़ा और उनकी चूत को चाटने लगा.
उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया और मेरे सर को चूत की तरफ दबाने लगीं.
साथ ही वे जोर जोर से उह आह आह हो आह की आवाजें निकालने लगीं.
उनकी ये कामुक आवाजें सुन कर मैं और जोर से उनकी चूत चाटने लगा.
कुछ देर बाद उन्होंने छटपटाते हुए सारा पानी निकाल दिया और खुद बेसुध हो कर लेटी रहीं.
मैं उनका सारा पानी पी गया.
क्या स्वाद और क्या खुशबू थी.
अब मैंने फटाफट अपने सारे कपड़े उतारे और उनके बूब्स पर बैठ गया.
मैंने मैडम को आंखें खोलने को कहा. उन्होंने जैसे ही आंखें खोलीं, मेरा बड़ा लंड ठीक उनके मुँह के ऊपर था.
वे मेरा लंड देख कर चौंक गयी और शर्म के मारे आंखें चुराने लगीं.
मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को ऊपर उठाया और लंड उनके मुँह में दे दिया.
वे भी बड़े प्यार से मेरा लंड चूसने लगीं.
लंड चूसने में वे पक्की खिलाड़ी थीं.
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उन्हें पेट के बल पलंग के किनारे लेटने को कहा और मैं पलंग के किनारे खड़ा हो गया.
मैंने उन्हें फिर से लंड चूसने को कहा, वह मेरा लंड पूरा अन्दर गले तक उतार कर चूसने लगीं.
मेरा लंड उनके मुँह में ठीक से आ भी नहीं रहा था, फिर भी उन्होंने वह पूरा अन्दर तक लेकर चूस लिया.
मैंने उनके बाल पकड़े और उनके मुँह को चोदने लगा.
उनकी सांस फूलने लगी पर वे बराबर अपना मुँह चुदवाने लगीं और मैं अपनी चरम सीमा पर आ गया.
मैंने अपना पूरा सारा वीर्य उनके मुँह में खाली कर दिया और उनके पास में लेट गया.
वे मेरा सारा वीर्य चूस गईं और मेरे पास में लेट कर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगीं, मेरे लंड को सहलाने लगीं.
कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से चार्ज हो गया.
उन्होंने मुझसे कहा- आकाश, चोद दे अब मुझे … मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, कब से बड़े लंड के लिए तरस रही थी.
मैंने भी देर न करते हुए उनके ऊपर चढ़ कर अपना लंड उनकी चूत पर सैट कर दिया और एक जोर का धक्का दे दिया.
मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया.
वे जोर से चीख पड़ीं, मैं रुक गया.
मैंने थोड़ा इंतजार किया और एक और जोर का धक्का दिया.
अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया.
उनकी आंखों से आंसू आ गए.
चूत लंड के हिसाब से थोड़ी टाइट थी.
मैं थोड़ा रुक कर उनके होंठों को चूसने लगा.
वे जैसे ही नॉर्मल हुईं, मैं धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा और उनके होंठ चूसने लगा.
कुछ देर बाद वह भी अपनी गांड हिलाने लगीं तो मैंने अपने हाथों को पलंग पर रख कर पकड़ बनाई और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते हुए उन्हें जोर जोर से चोदने लगा.
वे जोर जोर से चिल्ला रही थीं- आह और जोर से … और तेज आकाश फाड़ दे मेरी चूत … भोसड़ा बना दे इसका.
मैं उन्हें और जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें बिस्तर से उठाया और बालकनी में ले आया.
उधर मैंने मैडम से बालकनी की रेलिंग पकड़ कर झुकने को कहा और पीछे से एक जोर का झटका दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड एक बार में अन्दर चला गया.
वे जोर से चीखने लगीं.
मैंने Xxx मैम को चोदना जारी रखा और पूरी रफ्तार से चोदने लगा.
वे जोर जोर से चिल्लाती हुई ‘उह आह ओह … यस लाइक दैट …’ कहने लगीं.
कुछ देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उनकी पीठ पर निकाल दिया और हम दोनों जकुजी में जाकर आराम से बैठ गए.
बाद में बाहर आकर मैंने हॉट मैम को काउगर्ल और मिशनरी स्टाइल में चोदा.
उस पूरी रात में मैंने मैडम को चार बार चोदा.
अगली सुबह मैडम जल्दी अपने कमरे में जाकर सो गईं.
अगले पूरे दिन मैडम से ठीक से चला नहीं जा रहा था.
उस दिन के बाद मैडम और मुझे जब भी मौका मिलता, हम दोनों चुदाई कर लेते हैं.
वैसे हम दोनों को बालकनी में चुदाई करते हुए स्वाति और राधिका ने देख लिया था.
उसी ट्रिप पर मैंने उन दोनों को एक साथ कैसे चोदा, ये मैं अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.