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मैं एक क्लब रिसॉर्ट में रिसेप्शन पर Antarvasna काम करता हूं। मेरी उम्र २९ साल है। हमारे यहाँ रूम भी है और हेल्थ क्लब भी है। हमारे यहाँ बहुत सी लड़कियां कसरत करने आती हैं और मैं उनको रोज देखता हूं। किसी के बोब्श बड़े हैं तो किसी की गांड देख के मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है। मैं सोचता रहता हूं कि किस दिन ऐसी प्यारी आंटी चोदने को मिलेगी लेकिन वो दिन आ गया।
एक दिन एक आंटी मेरे पास आई और कहा कि आप का फोन नम्बर हमें दो, हमें काम है और फ़िर पूछा कि आप कब फ्री होगे? हमने हमारा ओफ़िस टाइम बताया। फ़िर वो चली गई। मैं उनके बारे में सोचने लगा कि ऐसा क्या काम होगा। दो दिन बीत गए, वो सुबह एरोबिक में भी नही आ रही थी और थोड़े दिनों के बाद अचानक उनका फोन आया कि मैं कामिनी बोल रही हूं। मैं आप के वहां रोज सुबह आती थी, मैंने आप से आप का फ़ोन नम्बर लिया था।
हां ! हमने कहा- हां ! बताओ मैडम क्या काम था?
तो उन्होंने कहा कि आप हमारे घर अभी आ सकते हो,
तो हम ने उनका पता मांगा तो वो हमारे यहाँ से करीब ही था तो हमने कहा कि हम १० मिनट में आते है
और मैं उनके घर पे पहुंचा और डोर बेल बजाई तो वो आंटी दरवाजा खोलने आई और हमे अंदर बुलाया।
उन्हें देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया, उनकी सुंदरता की क्या तारीफ करू, ऐसा नही था कि मैंने पहले चुदाई नही की थी। मैं पहले से ही शादीशुदा हूं, लेकिन मुझे चुदाई का बड़ा शौक है। मैं सबको वोही नजर से ही देखता हूं। आंटी की उचाई ५.५’ थी और ३६.२०.३८ की फिगेर थी और उनका गोरापन देख के उसको छूने से भी डर लगे, ऐसी हसीन थी। उन्होंने हमें उन के बैठक रूम में बिठाया था और वो हमारे लिए पानी ले के आई, तो हम ने पानी पीने के बाद जब उन्हें पूछा कि क्या काम है तो उन्होंने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा बहुत जल्दी में हो?
हमने कहा- नही !
लेकिन वो मेरी बात काटते हुए बोली- डर लगता है? जब मैं सुबह आती थी तब देखते हुए डर नही लगता था? आज जब तुम्हारे सामने बैठी हूं तो क्या डर रहे हो?
मैंने उनसे पूछा कि आप के पति?
वो बोली वो देहली गए है काम से और वो मेरे पास आके बोली चलो हम दूसरे कमरे में जाते हैं मैं खड़ा हो के उनके पीछे चलने लगा हम उनके कमरे में गए तो उन्होंने पलट के उनकी बाहों में भर लिया और मैंने उन्हें पकड़ लिया।
थोडी देर ऐसे ही हम एक दूसरे को सहलाते रहे। फ़िर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी। उसके सफेद बदन पे रेड ब्लाउज और भी खूबसूरत लगता था। मैं उसे निकालता रहा कि उसने मेरा शर्ट और पैन्ट दोनों उतार दिए। हम दोनों नंगे हो गए थे। वो मुझे पूरा नंगा देख के बोलने लगी- मेरे राजा, तुम्हें जबसे देखा है तब से सोचती थी कि तुम्हें एक दिन चोदूंगी।
हमने भी कहा- ये तो हम भी सोचते थे, आज मौका मिला है। ये बोल के हमने उनको उठा के बेड पर डाल दिया। फ़िर उसके बालों में हाथ डाल के उसको किस की। वो भी इतनी उतेजित हो गई कि उसने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल के चूसने लगी और मैं उसके बूब्स दबाने लगा और उसकी निपल थोडी ब्राउन सी थी, मैं उसको मसलने लगा वो चीख पड़ी- धीमे से !
हमने कहा अब जो भी होगा ऐसे ही होगा जान ! वो मेरे लण्ड को पकड़ के मसलने लगी, बोली- कितना बड़ा है !
मैंने कहा- अभी देख लो कि कहां तक जाता है।
वो बोली- पहले मैं इसे चूस लूं। हम ६९ के पोज़ में हो गए। मैंने भी उसकी चूत चू्सना शुरू किया तो वो उछल पड़ी।
फ़िर मैंने उसे नीचे उतारा और उस पे मैं सवार हो गया और मेरा लण्ड उसकी चू्त में जाने को बेहाल हो उठा था। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला तो वो चिल्ला के बोली निकाल लो। फ़िर मैं पूरा अन्दर ही रहने देकर उसको सहलाने लगा और उसके बूब्स को चू्सने लगा। थोडी देर में उसने नीचे से धक्का देना शुरू किया और फ़िर मैंने धीरे धीरे हिलना भी स्टार्ट कर दिया फ़िर तो वो उछल उछल के जैसे वो मुझे चोद रही हो ऐसे चोदने लगी फ़िर मैंने उसे कहा कि कुतिया की तरह हो जाओ।
फ़िर तो बाकी ही क्या रहा। चोद दे ठोक दे ठोक ! वो चिल्लाती रही और मैं चोदता रहा। ३० मिनट के बाद मेरा पानी उसकी भोस को भरने लगा। वो तो पूरे टाइम में ५ बार हो चुकी थी और बुरी तरह थक गई थी फिर मेरे लण्ड को मुंह में लेते बोली ऐसा आज तक लण्ड नहीं देखा।
वो आज भी जभी उसका मन करता है मुझे बुलाती है और उसकी ५ सहेली से भी मिलवाया है। हम टाइम होने पे मिलकर अलग मजा लेते हैं मैं उनका लेता हूं और वो मेरा! Antarvasna
में आपने पढ़ा कि मैं ललित, मेरे पड़ोस में रहने वाली मालविका को बचपन से प्यार करता था और कहता था मैं मालविका से शादी करूँगा। हमारी शादी नहीं हो सकी क्योंकि मालविका मुझसे 3 महीने बड़ी थी। मालविका की शादी उससे 15 साल बड़े आदमी से हुई। उसका तलाक हो गया।
मैंने घर वालों को मनाकर मालविका से शादी कर ली।
सुहागरात को मुझे पता चला मालविका अभी तक कुंवारी थी।
बहुत पूछने पर मालविका ने बताया कि उसके पहले पति का लंड खड़ा नहीं होता था। मालविका के तलाकशुदा होने पर भी मैंने उससे शादी की इसलिए मालविका बार बार कहती कि वह मेरी गुलाम बनाकर रहेगी.
अब आगे पेनफुल सेक्स ऐनल कहानी:
मालविका ने कई बार कहा कि वह मेरी गुलाम बनकर रहेगी.
तो मैंने सोचा कि आज रात गुलाम का खेल खेला जाये।
बैडरूम में मैं नंगा होकर चित लेट गया और मालविका को कहा- अपने कपड़े उतारकर, घुटनों पर मेरे बाजू में बैठकर लंड चूसो, तुम्हारे कूल्हों पर मेरे हाथ पहुंचने चाहिए।
मालविका ने गुलाम की तरह मेरी बात मानी।
वह मेरा लंड चूसने लगी.
मैंने उसके कूल्हों पर चांटे मारकर कहा- पूरा लंड गले तक लेकर चूसो।
मालविका पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
उसके गेहुंये कूल्हे चांटों से लाल हो गए.
मैं उसके मुँह में झड़ गया.
उसने वीर्य पी लिया, लंड चाट कर साफ किया.
मैं- मालविका, मुँह धोकर आओ और पलंग पर लेट जाओ।
थोड़ी देर बाद मैं मालविका के लब चूसने लगा, चूचे दबाने लगा.
मालविका की चूत गीली हो गयी।
मैंने मालविका को घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे खड़ा किया, फर्श पर खड़ा होकर मैं उसकी चूत पीछे से चोदने लगा.
साथ ही मैं मालविका के कूल्हों पर चांटे मारने लगा.
हर चांटे के बाद मालविका को और जोश आता, उसकी सिसकारी तेज हो जाती, वह कमर हिलाकर लंड और अंदर लेने लगती।
मालविका की चूत से दो बार कामरस का फव्वारा निकला.
वह थक गयी थी पर उसने मुझे रुकने नहीं कहा।
मैं थोड़ी देर पहले झड़ा था, चोदते समय मैं बहुत देर टिका.
उसके बाद से हम दोनों साथ में सेक्स वीडियो देखते, खासकर BDSM, गुलाम वाली … फिर वैसा ही करते।
मैं मालविका से प्यार करता हूँ, मैंने कभी उसे इतनी जोर से नहीं मारा कि चोट लगे।
मैंने मालविका को कहा- तुम लंड, चूत, गांड शब्दों को यौन क्रीड़ा के समय बोला करो, सेक्स में खुलकर भाग लो!
उसने वैसा ही किया.
इससे मजा और बढ़ गया।
मैं मालविका के साथ इंटरनेट पर और शॉपिंग माल में टंगे सेक्सी कपड़े देखता, जो कपड़े अच्छे लगते उनकी फोटो ले लेता।
दुकान में वे कपड़े महंगे थे, मेरी नयी नौकरी थी, तनखाह ज्यादा नहीं थी।
मालविका के पास सिलाई मशीन थी, वह वैसे कपड़े घर में सिलती।
उसने मिनी स्कर्ट, जालीदार ब्रा पैंटी, बिना बांह का बैकलेस ब्लाउज आदि सिला।
वह उन कपड़ो में सेक्सी लगती।
हमने खिड़कियों पर मोटे परदे लगा दिए ताकि बाहर से कोई हमने देख ना सके.
एक बार हमने गुलाम के गले में पट्टा डालकर, उसमें चेन लगाकर गुलाम को कुत्ते की तरह घुमाने का वीडियो देखा।
मैंने कहा- ऐसा हो जाये?
मालविका बोली- कल ही मैं गले का गुलाबी पट्टा बनाती हूँ, घर में रस्सी है ही!
मैं घुटनों की कैप ले आया, जिससे मालविका के घुटने कुत्ते की तरह फर्श पर चलने से न दुखें।
हम अक्सर यह खेल खेलते, मालविका को कुतिया की तरह चलाते समय मैं धीरे से उसके कूल्हों पर बेल्ट से मारकर उसे रुकने / चलने को कहता.
मेरी इच्छा थी मालविका की गांड भी मारने की।
मैंने नेट में पढ़ा कि बिना ज्यादा दर्द दिए गांड मारने के लिए गांड को तैयार करना पड़ता है, गांड के छेद को थोड़ा ढीला करना पड़ता है.
इसके लिए Ass Plug उत्तम उपाय है।
मैंने छोटा और मध्यम साइज का पूंछ लगा आस प्लग ऑन लाइन खरीदा।
तब मैंने मालविका को पूँछ लगा आस प्लग दिखाकर कहा- इसे पीछे लगाने से जब तुम कुत्ते की तरह चलोगी तो असली कुतिया लगोगी।
मालविका राजी हो गयी,
मैंने मालविका को पेट के बल लिटाकर कहा- गांड ढीली करो.
उंगली में तेल लगाकर मैंने एक उंगली उसकी गांड में डाली, फिर दो उंगलियां डाली।
मालविका को थोड़ा दर्द हुआ, वह सह गयी।
मैंने छोटा पूँछ लगा आस प्लग गांड में डालकर कहा- अब कुतिया की तरह चलो।
चलने से आस प्लग के गांड में घर्षण से मालविका को मजा आ रहा था।
कुछ दिन बाद मैंने मध्यम साइज का आस प्लग लगाकर घुमाया.
छुट्टी के दिन मैंने लड़की की गांड मारने का वीडियो लगाया।
तब मालविका को कहा- एक बार इसको करके देखते हैं.
मालविका बोली- मेरी सहेली ने बताया था कि पीछे बहुत दर्द होता है. फिर भी यदि तुम्हारी इच्छा है तो पेनफुल सेक्स ऐनल करके देखते हैं।
मैंने कहा- आस प्लग से तुम्हारी गांड थोड़ी ढीली हो गयी है, ज्यादा दर्द नहीं होगा। आस प्लग लगाकर चलने में तुम्हें मजा आता है. सोचो लंड जब गांड में जायेगा कितना मजा आएगा, तुम गांड ढीली छोड़ना और सम्भोग से पहले गांड अंदर से साफ़ करना होगा.
मैंने बाथरूम में मालविका की गांड में पिचकारी से करीब आधा गिलास पानी भरकर कहा- अब कमोड में बैठकर पानी बाहर निकाल दो!
दो तीन बार ऐसा करने के बाद मालविका को बहुत फ्रेश लगा।
मालविका ने वीडियो के समान पलंग पर पेट बल लेटकर पांव फैला दिए, अपने कूल्हे हाथ से पकड़कर गांड की छेद से दूर कर दिए तो छेद दिखने लगा।
मैंने उंगली से तेल मालविका की गांड में अंदर तक लगा दिया.
फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और धीरे धीरे लंड गांड में डालने लगा।
मालविका ने अपना हाथ कूल्हों से हटाकर तकिये को कस कर पकड़ लिया।
मैंने पूछा- दर्द ज्यादा हो रहा है क्या?
मालविका बोली- ज्यादा नहीं, पहली बार तो चूत में डलवाने में भी दर्द हुआ था।
मैं धीरे धीरे गांड मारने लगा.
मालविका ने तकिया छोड़ दिया.
मैंने मालविका के ऊपर से उतरकर कहा- अब मिशनरी पोजीशन में करते हैं।
मालविका ने चित होकर अपने पैर छाती की तरफ करके पकड़ लिए.
मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और गांड मारने लगा।
मैंने पूछा- मजा आ रहा है?
मालविका- हाँ अलग तरह का मजा आ रहा है!
करीब 15 मिनट बाद मैं झड़ गया, मैंने लंड बाहर निकाला, मालविका की गांड से वीर्य टपकने लगा।
हम बाथरूम गए, मैंने अपना लंड साबुन से धोया.
गांड में कीटाणु हो सकते हैं तो साबुन से धोना जरूरी है.
मालविका ने अपनी गांड धोयी.
उसके बाद से जब भी हम सम्भोग करते, मैं पहले मालविका की चूत मारता, जब लगता मैं थोड़ी देर में झड़ जाऊंगा तो मैं लंड बाहर निकालकर लंड की जड़ उंगलियों से कसकर पकड़ लेता, साँस रोकता या लम्बी साँस लेता, ध्यान दूसरी तरफ लगाता, झड़ना टल जाता।
मैं लंड पर तेल लगाकर गांड मारने लगता।
मैंने कभी गांड मारने के बाद चूत नहीं मारी क्योंकि लंड में लगे गांड के कीटाणु चूत में जाकर इन्फेक्शन कर सकते हैं.
हम बी डी एस एम का खेल भी खेलते।
मैं मालविका के कपड़े उतारकर उसके हाथ पलंग से सिरहाने रस्सी से बांध देता, उसकी आंख पर पट्टी बांध देता, उसके पैर छाती की तरफ करके पैरों को पलंग के सिरहाने रस्सी से बांध देता।
कमर में नीचे तकिया लगाता, कूल्हों पर चांटे मारता, निप्पल मरोड़ता, चूत सहलाता।
इससे मालविका की चूत से पानी निकलने लगता।
मालविका बोलती- अब और इन्तजार मत करवाओ।
उसके बाद चूत और गांड की घमासान चुदाई होती!
जब ठंडी ज्यादा नहीं होती तो मेरे घर आने के बाद मालविका छोटा स्कर्ट और सेक्सी बिन बाहों का ब्लाउज बिना ब्रा पैंटी के पहनती।
टी वी देख़ते समय मैं उसकी मांसल चिकनी जांघों पर हाथ फेरता, ब्लाउज में हाथ डालकर चूचे दबाता.
वह मेरे लंड पर हाथ फेरती.
कई बार हमने ड्राइंगरूम में सम्भोग किया।
अक्सर कई बार जब मालविका खाना बनाती तो मैं उसका स्कर्ट उठाकर उसके कूल्हों पर हाथ फेरता.
वह किचन टेबल पकड़कर झुक जाती, मैं पीछे से चुदाई करता.
हम दोनों छुट्टी के दिन एक दूसरे की मालिश करते, साथ नहाते।
मेरी इच्छा थी मालविका का मूत्र पीने की … पर मैं उसे बोल नहीं पाया।
एक दिन जब मैं मालविका की मालिश कर रहा था तो वह बोली- थोड़ा रुको, मैं शु शु करके आती हूँ!
मैंने मालविका को थोड़ी देर और रोका.
मालविका बाथरूम जाने लगी तो मैं उससे पहले बाथरूम में घुस गया।
मैंने मालविका को पकड़कर उसके कंधे दीवार से लगा दिए, मैं छोटा स्टूल लेकर उसकी चूत पर मुँह लगाकर बैठ गया।
तब मैंने मालविका की कमर पकड़ ली और कहा- पांव फैलाकर मूतो … मैं पीना चाहता हूँ।
मालविका की मना कर रही थी.
पर वह अपना मूत रोक नहीं पायी, वह पांव फैलाकर मूतने लगी, मैं मूत पीने लगा.
मुझे मजा आया.
मैंने कहा- मजा आ गया।
मालविका स्टूल पर बैठकर मुँह खोलकर बोली- मुझे भी पीकर देखना है।
मैं मालविका के खुले मुँह में मूतने लगा.
वह कुछ मूत पी रही थी, बाकी उसके शरीर पर गिर रहा था।
मालविका को भी मजा आया।
तब से हम लोग साथ नहाते समय एक दूसरे का मूत्र पीते, एक दूसरे को मूत्र स्नान कराते।
हाय दोस्तों
उमीद है आप भी मज़े में होंगे और स्टोरीज़ का मज़ा लेते हुये ज़िंदगी का आनन्द Antarvasna उठा रहे होंगे।
तो दोस्तों बात उस दिन कि है जब बारिश हो रही थी और मैं भीगता हुआ अपने घर की तरफ़ अपनी बाइक पे जा रहा था। शाम के करीब ५:३० का समय था। अचानक मैने देखा कि मेरी तरफ़ कोई लिफ़्ट के लिये कोई हाथ हिला रहा था, गौर से देखा तो वो २५-३० साल की एक युवती थी। मैने बाइक रोकी। वो मेरे पास आके पूछने लगी कि आप कहां जा रहे हो? मैने कहा-आपको कहां जाना है?
वो रेलवे स्टेशन जाना चाहती थी। मैने कहा कि मैं भी वहीं जा रहा हूं (जबकि मैं अपने घर जा रहा था)। वो मेरे पीछे बैठ गयि। मैं बाइक को रफ़्तार से दौड़ाने लगा। उसके मोम्मे मेरी पीठ से सटे हुये थे। मैं गरम हो रहा था। बातों बातों में पता चला कि वो शिमला में जोब करती है, उस का पति दिल्ली में कोई प्राइवेट जोब करता था और वो अपनी बेटी को लेने के लिये जा रही थी जो आज़ ट्रैन से आने वाली थी।
हम रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे, ट्रैन आने में अभी थोड़ा टाइम था, हम कैंटीन में चाय पीने चले गये। कैंटीन में उस ने जैसे ही उस ने अपना रैन कोट उतारा तो मुझे उस की जवानी के दर्शन हुये। गज़ब की खूबसूरति थी उस की। व्हाइट कलर के टोप में उस की ब्रा भी चमक रही थी सो उस के मोम्मो के साइज़ का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। एक दम गोरी चिट्टी थी वो। चाय पीते हुये मैने उस के हुस्न का नज़ारा लिया और खूब बातें भी की। सर्दी के मौसम में उस की गरम जवानी ने मेरे रोम रोम में गरमी भर दी थी और मेरा लंड अपने आपे से बाहर हो रहा था।
तभी ट्रैन भी आ गयी। हमने उस की ५ साल की बेटी को साथ लिया और फ़िर मैने उसे कहा-मैं आपके घर तक छोड़ देता हूं, उस ने मना किया लेकिन मैं जानना चाहता था कि वो कहां रहती है क्योंकि वो मुझे बता चुकी थी कि वो अकेली ही रहती है। मैने दोनो को बाइक पे बैठाया और उस के घर की तरफ़ चल दिया। उस का घर आते ही बारिश भी तेज़ हो गयी। उस ने मुझे बारिश रुकने तक रुकने के लिये कहा और मैं भी तो यहि चाहता था। मैं पूरी तरह भीग चुका था। उसने कोफ़ी बनायी और चेंज कर के जब वो मेरे सामने आयी तो ब्लैक सिल्की नाइटी में वो कोफ़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही थी। दिल कर रहा था कि अभी चोद डालु साली को।
सफ़र की वजह से उसकी बेटी आते ही सो गयी थी, बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी। तभी लाइट भी चली गयी। वो केंडिल लेने के लिये उठी, मैं भी उसकी मदद करने लगा लेकिन केंडिल नहीं मिली। अंधेरे में वो मुझपर गिर गयी। वाह क्या गरमी थी। उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और छोड़ा ही नहीं, पहले उस ने विरोध किया लेकिन वो भी शायद कैइ दिनो की प्यासी थी तो उस ने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की।
मैने उसके मोम्मे दबाने शुरु कर दिये, वो गरम हो रही थी। मैने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी नाइटी उठाते हुये उसकी पैंटी में डाल दिया। वो सिहर उठी। मैने अपना मुँह उस की चुत के पास लाके उस की पैंटी को अलग कर दिया। उस की बालों वाली चूत एकदम सेक्सी थी। मैने उसे चाटना शुरु कर दिया। वो आआअह कर रही थी। मैं अपनी जीभ उस की चूत में डाल चुका था। मस्ती उफ़ान पे थी। मेरे दोनो हाथ उस के मोम्मो पे और जीभ उसकी चूत पे थी। वो आंखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी। जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा प्लीज़ अब चोद भी दो, मैं बहुत दिन से प्यासी हूं।
मैने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गयी। मैने उसकी दोनो टांगों को खोला और फ़िर अपना अंडरवियर।
अपना लंड एक ही झटके में उस की चूत में डाल दिया। वो ऊऊउह की आवाज़ में मज़ा ले रही थी। अब कमरे में उस की आहें और फ़चाक फ़चाक की आवाज़ें गूंज रही थी।
वो बोली-और ज़ोर से चोदो मुझे, फ़ाड़ डालो मेरी चूत को। यो साली बड़े दिन से लंड की भूखी है।
आज इस की भूख और मेरी प्यास बुझा दो। चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो मुझे। उसके बोलने के साथ ही मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी। ये सिलसिला करीब २५ मिनट चला फ़िर हम दोनो शांत होकर एक दूसरे से लिपट के लेटे रहे। १० मिनट बाद वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। उसने बड़े प्यार से मेरे लंड को कहा-यू आर सो स्वीट और अपने मुँह में डाल लिया। वो लंड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपोप चूस रही हो। मेरा लंड दोबारा से चुदाई के लिये तैयार हो गया था। १५ मिनट के बाद मैने उसे घोड़ी बनाया और फ़िर पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया। वो चुद रही थी, मैं चोद रहा था। ये चुदायी सारी रात में ६ बार हुयी। बारिश भी तभी रुकी जब सुबह हुई और उसकी प्यास मैने बुझा दी।
उसके बाद जब भी वो या मैं चाहते तो मिलकर ये चुदाई का खेल खेलते हैं। Antarvasna
दोस्तो ! मैं हंस ! एक कालबोय दिल्ली से !
आपने मेरे पिछले अनुभव पढ़े होंगे।मेरे Antaravsna लण्ड का आकार ७.५ इन्च है। जिन लड़कियों, आंटियों, भाभियों को मैंने अभी तक चोदा है वो ही समझ सकती हैं मेरे लण्ड की महिमा। मैं ज़िगालो हूं और मेरा काम अच्छा चल रहा है। पूरे दिल्ली से मुझे काल आते हैं और पिछले हफ़्ते मुझे एक २९ साल की अविवाहित लड़की की मेल आई। उसने बताया कि वो एक प्राइवेट नौकरी करती है और उसे मेरी सेवाएं चाहिएं।
मैंने हां कर दी। उसने मुझे तारीख बताई और अपना मोबाइल नम्बर दिया कि इस दिन शाम को आठ बजे के बाद आप मुझे फ़ोन करना, मैं बता दूंगी कि कहां आना है। उसने अपने घर का पता नहीं बताया।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं उसकी बताई तारीख पर शाम को तरोताज़ा होकर ८:३० पर मैंने उसको काल किया तो उसने मुझे एक शादी-स्थल पर बुलाया और कहा कि वहां बाहर से ही तुम मुझे फ़िर काल करना।
मैं आटो से वहां पहुंचा, बाहर से काल किया और अपना हुलिया बताया तो उसने मुझे बाहर ही रुकने को बोला। बाहर बहुत भीड़ थी, बहुत गाड़ियाँ खड़ी हुई थी, किसी पैसे वाले की शादी थी।
कुछ देर बाद एक बेहद खूबसूरत २८-३० साल की लड़की साड़ी पहने, बालों में फ़ूल लगाए हुए एकसम सज़ी-धज़ी गेट से बाहर आई। वो अपने कान से मोबाइल लगाए हुए किसी को खिज़ रही थी कि तभी मेरे मोबाइल की घण्टी बज़ी। अब तक वो मेरे पास पहुंच चुकी थी, मेरे मोबाइल की घण्टी उसे भी सुनाई दे गई थी। मैं अपनी जेब से मोबाइल निकाल भी नहीं पाया था कि मेरे मोबाइल की घण्टी बंद हो गई। मैं भी उसे देख रहा था।
उसने मेरे बगल में खड़े होकर फ़िर रि-डायल किया तो मेरा मोबाइल बजने लगा। वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी, मैं भी मुस्कुराने लगा। फ़िर उसने मोबाइल बंद किया और मुझसे पूछा- क्या तुम हंस हो?
मैंने कहा- जी हाँ ! मैं ही हंस हूँ।
हम दोनों ने हाथ मिलाया। उसने बताया कि यहाँ उसकी सहेली की शादी है, बस कुछ देर में कार्यक्रम समाप्त हो जाएगा, आओ तुम मेरे साथ खाना ख लो।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं मन ही मन हँस रहा था- बेगानी शादि में अब्दुल्ला दीवाना !
मैं अन्दर गया और भीड़ में शामिल हो गया। वो स्टेज़ पर चली गई। मैं खाना खाने लगा पर वो वो मुझे स्टेज़ से लगातार देखे जा रही थी, मैं भी उसे देख रहा था। वो २९-३० साल की परिपक्व लडकी थी। उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था बिल्कुल प्रियंका चोपड़ा की तरह।
मैं खाना खा चुका था और एक कुर्सी पर बैठ कर कोफ़ी पीने लगा। तभी देखा कि दुल्हा-दुल्हन और सब लोग स्टेज़ से उतर कर खाना खाने जा रहे हैं इतने में वो उन लोगों को छोड़ कर मेरे पास आई और कोफ़ी लेकर मेरे पास बैठ गई। भीड़ से अलग हम दोनों कोफ़ी पीते हुए बातें करने लगे। उसने पूछा- आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
मैंने कहा- नहीं।
उसने बताया- यह मेरे बोस की बेटी की शादी है और वो मेरी सहेली भी है। मेरे बोस बहुत बड़े और अमीर आदमी हैं।
मैंने कहा- इन्तजाम देखने से ही पता चलता है।
वो बहुत बड़ी जगह थी। उसने बताया कि ये जो आजू-बाजू दो कोठियाँ दिख रही हैं, इनमें एक में लड़की वाले रुके हुए हैं और दूसरी में लड़के वाले। हम सभी को अलग अलग कमरे दिए हुए हैं। मेरा कमरा फ़ेरों वाली जगह के पास ही है। जहाँ इतनी भीड़ है कि कोई किसी के बारे में नहीं सोच रहा है कि कौन लड़की वाला है और कौन लड़के वाला।
मैं उसकी बातें सुन रहा था, बोलते बोलते उसकी सांस फ़ूल रही थी। मैं उसकी स्थिति समझ रहा था।
फ़िर उसने बताया कि मंगलीक होने की वजह से उसकी शादी कहीं तय नहीं हो पा रही है जबकि उसके साथ की सब लड़कियों की शादी हो चुकी है और कई माँ भी बन चुकी हैं। इस उम्र में सेक्स को लेकर मेरा क्या हाल हो रहा है, तुम समझ सकते हो। इसीलिए मैंने तुमसे सम्पर्क किया, पर हंस यह हमारी पहली और आखिरी मुलाकात होगी।
मैं उसकी सब बातें सुनने के बाद बोला- अगर कभी आप बाज़ार जाते हैं और आपकी जूस पीने की इच्छा होती है तो आप दुकान पर जाकर जूस पीते हैं और पैसे देकर घर आ जाते हैं ना ?
वो बोली- हाँ !
तो मैंने कहा- एक बात बताओ आप वो गिलास क्यों नहीं लाती साथ में जिसमें आपने जूस पिया?
तो वो बोली- गिलास नहीं खरीदा था, उसमें रखा हुआ जूस ही खरीदा था।
मैंने कहा- हाँ ऐसे ही आपने मेरी सेवाएँ खरीदी हैं, मुझे नहीं। आज के बाद मुझे आप से कोई मतलब नहीं रहेगा, आप निश्चिंत रहें।
वो मुस्कुराने लगी। हम काफ़ी देर बातें करते रहे। इसी बीच दुल्हा-दुल्हन उस कोठी की तरफ़ जाने लगे जहाँ मण्डप बना हुआ था और उधर ही उसका कमरा था, वो बोली- उठो ! साथ में चलो, हम भी दुल्हा-दुल्हन की भीड़ में शामिल हो गए। कोठी अन्दर से बहुत शानदार थी, बिल्कुल टीवी सीरियल के सेट की तरह।
दुल्हा-दुल्हन और कुछ लोग, लड़के, लड़कियाँ मण्डप के पास बैठ गए और कुछ अपने अपने कमरे में जाने लगे। प्रिया ने मुझे इशारा किया और मैं भी सामान्य होकर प्रिया के पीछे पीछे मगर कुछ दूरी से हो लिया। उसने कमरे का दरवाज़ा खोला और अन्दर हो गई, मैं भी मौका देख कर कुछ पल बाद कमरे के अन्दर हो गया।
एक पाँच सितारा होटल की तरह का कमरा था। बड़ा बेड, टीवी, फ़ोन वगैरह और कमरा महक भी रहा था। उसने ऐ सी चला दिया। बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था। मैंने झांक कर देखा तो बहुत बड़ा और सुन्दर बाथरूम था।
उसने कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लिया। मैं जूते निकाल कर बेड पर दीवार से पीठ लगा कर लेट गया। मैंने टीवी चला लिया। प्रिया बेड के पास खड़ी मुझे देखे जा रही थी। उसके सांस लेने के कारण उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे। मैंने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाया। कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसे बेड पर खींच लिया।
वो बड़ी अदा से मेरे सीने पर गिर पड़ी। हम दोनों अधलेटे थे। उसका सर मेरे सीने पर था। एक हाथ से मैं उसे थामे हुए था और एक हाथ से मैंने उसके गालों को छुआ। उसने आँखें बंद कर ली। वो दुल्हन की तरह सज़ी हुई थी। परफ़्यूम की मदहोश कर देने वाली उसकी महक से मैं दीवाना हो गया। मैंने उसके माथे को चूमा।
आज़ मैं भी सुहागरात मनाने के मूड में था। प्रिया एक अविवाहित लड़की थी, मैं अच्छी तरह से जानता था उसे क्या चाहिए। मेरा मतलब है कि एक अच्छा और पूरी सन्तुष्टि देने वाली यौन-क्रिया प्यार और ध्यान के साथ।
फ़िर मैंने उसकी बंद आँखों को चूमा और एक हाथ उसके बालों में फ़िराने लगा। वो किसी नई दुल्हन की तरह शरमा रही थी। उसका एक हाथ मुझे अपने घेरे में लिए हुए था। फ़िर मैं उस के ऊपर कुछ झुका और मैंने आपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए वो कांप गयी और जोर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं उसके होंठ चूस रहा था, वो भी मेरे होंठ चूस रही थी। कुछ देर होंठ चूसते हुए वो इतनी बेचैन हो गई कि उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों गाल पकड़े और जोर जोर से सर घुमा घुमा कर मेरे होंठ चूसने लगी, बेतहाशा मेरे होंठ चूमती रही, एक समय तो मैं भी छटपटाने लगा था। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि भूखी शेरनी हो गयी थी।
इस समय उसके बड़े बड़े स्तन मेरे सीने पर दब रहे थे। फ़िर मैं भी अपना एक हाथ उसके सर के पीछे डाल कर उसका सर पकड़ कर पूरे जोर से उसके होंठ चूसने लगा। करीब २० मिनट तक हम बस किस करते रहे।
ये फॉर प्ले का पहला भाग था।
फ़िर कुछ देर बाद हम अलग हुए, दोनों ही बुरी तरह हांफ रहे थे। हम दोनों बिस्तर पर अलग अलग लेटे हुए थे। कुछ देर बाद जब हम सामान्य हुए तो मैं उसकी तरफ़ पलटा, वो आँख बंद किए हुए लेटी थी। मैं उसे गर्दन पर चूमते हुए उसके स्तनों पर चूमने लगा साड़ी का पल्लू उसके सीने पर से अलग करते ही मैं हैरान रह गया, क्या मस्त बड़े बड़े स्तन थे यार ! गोरे ! गोल !
मैं मचल उठा। मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों बूब्स पर रख दिए और सहलाने लगा उसकी साँसे तेज़ चलने लगी और वो मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने बूब्स सहलाते हुए अपना मुंह उसके ब्लाउज में घुसा दिया। वो मचल उठी और मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर बूब्स पर दबा दिया। मैं अपने होंठ उसके बूब्स पर फेरे जा रहा था।
फ़िर मैंने एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए। वो गुलाबी रंग की रूपा की ब्रा पहने हुए थी। क्या सेक्सी ब्रा थी ! मजा आ गया। फ़िर मैं कुछ देर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाता रहा और अपने होंठ फिराता रहा। फिर मैं बूब्स से नीचे होते हुए उसके पेट और नाभि पर आया, उसकी कमर को खूब चूसा। उसकी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी।
फ़िर मैं एक झटके से बिल्कुल नीचे उसके पैर के पास पहुँच गया। उसके पैर चूमते हुए उसकी साड़ी ऊपर करते हुए जाँघों तक आ गया।
क्या खूबसूरत सेक्सी जांघें थी !
मैं दोनों जाँघों पर अपने होंठ रगड़ रहा था। वो मदहोश हो रही थी और अपना सर जोर जोर से आजू-बाजू घुमा रही थी, अपने होंठ दांतों से चबा रही थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जाँघों पर से सरकाते हुए उसकी पेंटी को पकड़ा और नीचे खींच दिया। मेरी इस हरकत से वो चिंहुक गयी और सिस्कारने लगी।
बहुत ही शानदार चूत थी वो ! बिल्कुल मलाई की तरह और ब्रेड की तरह फूली हुई, बिल्कुल साफ़ ! एक भी बाल नहीं था और महक भी रही थी।
मैंने अपना काम शुरू कर दिया अपने दोनों हाथों से उसके नितम्ब सहलाते हुए उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाली तो वो अपनी कमर जोर जोर से ऊपर उछालने लगी और सी ,सी की आवाज़ निकालने लगी करीब १५ मिनट तक ऐसा करने पर उसने एक बार अपना पानी छोड़ा उसे बहुत आनंद आ रहा था।
फ़िर मैं अलग हुआ तो वो भी बैठ गयी और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी मैंने पैंट खोलना शुरू किया। उसने शर्ट उतारने के बाद मेरे सीने पर बहुत प्यार से हाथ फेरा, अपने होंठ मेरे सीने से लगा दिए और जोर जोर से मेरे सीने पर होंठ फिरने लगी।
मैं पैंट उतार चुका था। फ़िर मैंने उसकी ब्रा अलग की तो उसके बूब्स बाहर आ गये इतने बड़े और शानदार दूध देख कर मैं भी बेकाबू हो गया और मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया जिससे उसके बूब्स मेरे सीने से दब जाएँ। इससे उसे और मुझे भी अच्छा लगा।
कुछ देर बाद मैंने उसके नाभि के नीचे साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया। वो मुझे देखने लगी कि मैं क्या कर रहा हूँ। मैं मुस्कुराया और मैंने अन्दर से उसकी साड़ी की तह किया हुआ भाग पकड़ा और हाथ बाहर खींच लिया जिससे एक ही झटके में साड़ी बिकुल खुल गई। वो हँसने लगी। मैंने साड़ी अलग की।
अब वो पेटीकोट में थी। पेटीकोट में से ही उसके चूतड़ों का आकार देख कर मैं पागल हो गया। उसकी गांड बहुत गोल और ऊपर उठी हुई थी और बड़ी थी। मुझे साड़ी में चूतड़ देखना बहुत पसंद है। राह चलती औरतों में सबसे ज्यादा उनकी गांड देखता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि अगर औरत के चूतड (गांड) अच्छे आकार में न हों तो उसे देख कर सेक्स की बिल्कुल भी इच्छा नहीं होती और अगर कोई साड़ी पहने हुए अच्छे बड़े गोल चूतड़ दिख जाएँ तो लंड तभी झटके से खड़ा हो जाता है।
ऐसे चूतड थे प्रिया के जिसे देख कर मेरा लंड और कठोर हो गया। मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड को खूब प्यार किया सहलाया चूमा अब उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया। मैं अभी भी अंडरवियर में था वो ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी फ़िर अचानक उसने मेरे अंडरवियर को नीचे खींच दिया।
वो बोली- अब कब तक तड़फाओगे? जल्दी अन्दर डाल लो न प्लीज़ !
मैंने भी उसके दोनों पैर अपनी कमर पर रखे और चूत पर अपना लंड रख दिया। उसने आँखे बंद कर ली। पहले मैंने अपना लंड उसकी कुंवारी चूत पर रगडा, फ़िर धीरे से अंदर डाला। वो छटपटा उठी।
अभी मेरा थोड़ा सा ही लंड अन्दर गया था पर वो बेकाबू होने लगी। अभी उसे दर्द का अहसास नहीं था क्यूँकि मैंने अभी थोड़ा सा लंड चूत के अन्दर किया था पर वो इतनी मचल रही थी। अचानक उसने अपने दोनों पैर से मुझे जम कर जकड़ लिया और अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका कर अपनी कमर में जोर दार झटका देकर मेरे लंड पर भरपूर वार कर दिया मेरा लंड पूरा चूत में घुस गया मेरे लंड की चमड़ी ऊपर चढ़ गयी थी। मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं चीख पड़ा, मेरे साथ वो भी चीख पड़ी क्यूंकि उसे भी बहुत दर्द हो रहा था। उसकी चूत पर मेरे लंड छूते ही वो इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि ऐसा कर दिया।
हम कुछ देर रुक गये। मेरा लंड उसकी चूत में था। कुछ देर बाद दर्द कम होने पर मैं आगे पीछे हुआ। अब कुछ अच्छा लगने लगा था उसे, फिर मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढाई। उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। करीब ४५ मिनट तक मैंने कई तरीकों से उसकी चुदाई की। इतने समय में न जाने वो कितनी बार झड़ चुकी थी।
फ़िर वो बोली- अब बस करो हंस ! तुम अपनी शूट कर दो, मुझे सहन नहीं हो रहा है, तुमने मुझे जीते जी स्वर्ग की सैर करा दी। मेरी आत्मा ना जाने कब से प्यासी थी। हाँ ! मैं तुम्हारी बहुत अहसानमंद हूँ हंस !
ये कहकर उसने मुझे बाँहों में भर लिया। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। करीब १० मिनट और करने के बाद भी मैंने शूट नहीं की तो वो बोली कि शूट क्यूँ नहीं कर रहे हो हंस ! प्लीज़ ! अब मेरी कमर दर्द कर रही है।
मैं मुस्कुराया क्यूंकि मैं उसको तो संतुष्ट तो कर चुका था पर मैं भी संतुष्ट होना चाहता था। मैंने कहा- ओके ! अच्छा तुम मेरे ऊपर आओ।
वो बोली- ठीक है पर जल्दी कर देना !
मैंने कहा- ठीक है !
वो मेरे ऊपर आई, मैंने उसकी चूत में लंड डाला और उसने अपनी चूत का पूरा भार मेरे लंड पर रख दिया वो कुछ आगे पीछे हुई, मुझे अच्छा लगने लगा। फ़िर मैंने अचानक उसकी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे कुछ ऊपर उठा दिया जिस से अब उसका भार उसके ही दोनों घुटनों पर था।
अब मैंने अपने दोनों पैर बिस्तर पर टिका कर अपनी गांड ऊपर उठा दी और जोर जोर से उसकी चूत पर अपने लंड से प्रहार करने लगा।
मुझे कुछ परेशानी हुई तो मैं रुका और अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया और फ़िर शुरू हो गया। मैं १०० की स्पीड से उसे चोद रहा था वो भी मथानी की तरह हिल रही थी।
करीब १५ मिनट तक लगातार छोड़ने के बाद मैंने उसकी चूत में सारा पानी छोड़ दिया अब मैं शांत पड़ गया वो मेरे ऊपर लेट गयी १० मिनट तक हम यूँ ही लेटे रहे। फ़िर हम अलग हुए दोनों बाथरूम गये, हमने अपने आपको साफ़ किया। हम दोनों ही नंगे थे, शरीर पसीने से लथपथ हो रहा था तो मैंने शावर खोल दिया। हम दोनों उसके नीचे खड़े थे उसका गीला बदन देख कर मैं फ़िर जोश में आ गया। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और हमारे ऊपर पानी लगातार गिरे जा रहा था।
हम १५ मिनट तक एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे। फ़िर मैं उसके पीछे आया और उसे आगे की तरफ़ झुका दिया और अपना लंड लेकर पीछे से उसकी गांड में डालना चाहा तो उसने मना कर दिया। मैं भी मान गया। फ़िर मैंने अपना लंड उसी तरह उसे और आगे झुका कर उसकी चूत में घुसा दिया। वो झुकी हुयी थी और दोनों हाथों से नल पकड़े हुए थी।
मैंने आगे पीछे होना शुरू किया। उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढाई मेरे दोनों हाथ उसके चूतड को जम कर पकड़े हुए थे। १५ मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद वो बोली कि मेरी कमर दर्द कर रही है, प्लीज़ हंस ! अब शूट कर दो !
मैंने अपनी स्पीड बढाई और जोर जोर से धक्के मार कर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। पानी हमारे ऊपर लगातार गिरे जा रहा था। गिरते पानी में चुदाई का क्या आनंद आता है ये वो ही समझ सकता है जिसने ऐसा किया हो।
फ़िर हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को बाँहों में भर कर खूब प्यार किया।
रात के ३ बज रहे थे और हम बाथरूम में नहा रहे थे। नहा कर हम लोग बाहर आए तो प्रिया बहुत खुश थी। हमने अपने अपने कपड़े पहने और निकलने के लिए तैयार हो गये। प्रिया ने अपने पर्स में से रूपये निकाल कर मुझे दिए और बोली- थैंक्स ! तुम न होते तो जीवन के इस सुख से ना जाने कब तक मैं महरूम रहती !
ये कहकर वो फ़िर मुझसे लिपट गयी, बोली- तुम्हें जाने देने को मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है।
मैंने उसे चूमा और कहा कि अगर फ़िर मेरी याद आए तो मुझे कॉल कर देना। ओ के ! लेकिन अब ये कोशिश करना कि मेरी जरूरत ना पड़े तुम्हें। अपना ख्याल रखना !
ठीक है अब हम चलते हैं !
वो बोली- रुको ! पहले मैं बाहर देखती हूँ कोई है तो नहीं ?
मैंने कहा- ठीक है !
उसने दरवाज़ा खोला और बाहर से लाक करके चली गई। वो २ मिनट में ही वापस आ गई, बोली कि सब कार्यक्रम हो चुके हैं अब विदाई हो रही है। सब लोग उधर ही हैं तुम निकल जाओ।
मैं उसके साथ बाहर आ गया। बरामदे में आने पर मैंने देखा कि उधर अभी लोग इकट्ठा थे। हम भी भीड़ में शामिल हो गये और अलग अलग हो गये मैं धीरे धीरे बाहर कि ओर बढने लगा।
प्रिया भी अपनी साहिलियों के साथ शामिल हो गई थी। वो मुझे लगातार देखे जा रही थी। मैंने मुड़ कर देखा तो प्रिया की आंखों में आंसू थे। मैंने उसे एक हलकी मुस्कान दी और तेज़ी से बाहर निकल गया किसी को कोई शक नहीं हुआ।Antaravsna
मेरा प्लैन है कि एम-डी महेश की Hindi Sex Stories बेटी मीना को उसकी आँखों के सामने चोदें”, प्रीती ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा।
“क्या तुम्हें लगता है कि एम-डी अपने खास दोस्त की बेटी को चोदेगा?” मैंने कुछ सोचते हुए पूछा।
“एम-डी इतना हरामी है कि अगर मौका मिले तो वो अपनी बहन और बेटी को भी चोदने से बाज़ नहीं आयेगा, तुम इस बात की परवाह मत करो, सब मुझपर छोड़ दो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम मीना को कैसे तैयार करोगी?”
“कुछ महीने पहले की बात है, मैं मीना से उसके ग्रैजुयेशन के बाद मिली थी और पूछा था कि वो आगे क्या करना चाहती है। तब उसने ‘एम-ए करना है’, कहा था। लेकिन अब वो नौकरी ढूँढ रही है। उसने मुझे तुमसे बात करने के लिये भी कहा है। जबसे महेश ने अपना सब कुछ गंवा दिया है, वो नौकरी कर के पैसा कमाना चाहती है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“इस बात को तुम महेश से कैसे छुपाओगी?”
“मुझे छुपाने की कोई जरूरत नहीं है, मीना ही इस बात को छुपाएगी। क्योंकि जब मैंने उस से कहा कि तुम खुद अपने पिताजी से बात क्यों नहीं करती तो उसने मुँह बनाते हुए कहा कि वो नहीं चाहते कि मैं नौकरी करूँ”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“लगता है तुमने काफी सोच कर ये प्लैन बनाया है, लेकिन तुम ऐसा क्या करोगी कि महेश अपनी बेटी को चुदवाते देखता रहे और कुछ ना कर पाये?” मैंने पूछा।
“उसी तरह जिस तरह तुम खड़े-खड़े अपनी बहनों को चुदवाते देखते रहे और कुछ नहीं कर पाये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“ठीक है! फिर मीना का चुदाई दिवस कौन सा है?”
“पाँच दिन के बाद, इस महीने की १९ तारीख को”, उसने जवाब दिया।
“कुछ खास वजह ये दिन तय करने का?”
“हाँ मेरे सुनीला! वो दिन तुम्हारे एम-डी का जन्मदिन है और मीना की कुँवारी चूत एम-डी को महेश की तरफ से जन्मदिन का तोहफ़ा होगी”, प्रीती जोर से हँसते हुए बोली।
१९ तारीख की सुबह मुझे ऑफिस में प्रीती का फोन आया, “सुनील! तुम साढ़े तीन बजे तक घर पहुँच जाना। मैंने मीना को यहाँ बुलाया है, वो चाहती है कि हम उसके साथ एम-डी के सूईट में जायें। मैंने एम-डी को बोल दिया है कि हम चार बजे पहुँच जायेंगे इंटरव्यू के लिये।”
मैं ठीक साढ़े तीन घर पहुँचा तो प्रीती और मीना को कोक पीते हुए देखा। मीना को मुँह बनाते देख मैंने पूछा, “तुम क्या पी रही हो मीना?”
“मीना जब यहाँ आयी तो कुछ नर्वस लग रही थी, इसलिये मैंने इसे कोक पीने को दे दिया जिससे ये कुछ शाँत हो जाये और इंटरव्यू देने में आसानी हो”, प्रीती ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
“तुमने ठीक किया, इससे जरूर आसानी हो जायेगी”, मैंने कहा।
“आपको ऐसा लगता है सर?” मीना ने पूछा।
“अब हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है, मीना तुम अपना कोक फिनिश कर के चलने के लिये तैयार हो जाओ, हमें देर हो रही है?” प्रीती ने बात को बदलते हुए मीना से कहा।
जब हम ठीक चार बजे एम-डी के सूईट में दाखिल हुए तो उसे हमारा इंतज़ार करते पाया, “महेश कहाँ है?”
“महेश रास्ते में हैं और थोड़ी देर में यहाँ पहुँच जायेंगे, तब तक आपको इंटरव्यू स्टार्ट कर देना चाहिये।”
इतने में मीना ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, “प्रीती दीदी मुझे पता नहीं क्यों चक्कर आ रहे हैं।”
प्रीती ने एम-डी को आँख मारते हुए कहा, “सर! आप इसे सोफ़े पर क्यों नहीं लिटा देते।”
एम-डी ने मीना को कंधों से पकड़ कर सोफ़े पर लिटा दिया और उसके मम्मों को दबाने लगा। अब वो उसकी चूत कपड़ों के ऊपर से ही सहला रहा था। जब मीना को इस बात का एहसास हुआ तो एम-डी का हाथ झटकते हुए बोली, “सर ये आप क्या कर रहे हैं?”
“तेरी कुँवारी चूत का इंटरव्यू लेने की तैयारी कर रहे हैं!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तो क्या एम-डी मुझे चोदेंगे?” मीना ने घबराते हुए पूछा।
“हाँ मीना! पहले ये तेरी कुँवारी चूत चोदेंगे और बाद में तेरी गाँड मारेंगे”, प्रीती बोली।
“क्या ये सब जरूरी है?”
“हाँ मीना, एम-डी का इंटरव्यू लेने का यही तरीका है। अब ये तुम पर निर्भर करता है। अगर तुम्हें नौकरी चाहिये तो एम-डी से चुदवाना होगा, क्या तुम्हें नौकरी नहीं चाहिये?” प्रीती बोली।
“प्रीती दीदी! मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है”, मीना अपनी चूत को सहलाते हुए बोली। कोक ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था।
“तो क्या तुम सहयोग देने को तैयार हो?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ दीदी! मैं वो सब करूँगी जो मुझसे करने को कहा जायेगा”, मीना खुले आम अपनी चूत खुजलाते हुए बोली।
“सर! आप मीना को बेडरूम में ले जाइये।” प्रीती ने एम-डी से कहा, “और हाँ सर! जरा संभल कर करना, ये मेरी छोटी बहन की तरह है।” एम-डी ने सिर हिलाया और मीना को बेडरूम में ले गया।
उनके जाते ही प्रीती मुझसे बोली, “सुनील! जल्दी से महेश को फोन करके बोलो कि वो दस मिनट में यहाँ पहुँच जाये नहीं तो बहुत देर हो जायेगी। मैं चाहती हूँ कि वो अपनी आँखों से एम-डी को मीना की कुँवारी चूत चोदते देखे।”
मैंने महेश को फोन लगाया, “सर! सुनील बोल रहा हूँ!”
“कहाँ हो तुम, मैं तुम्हें एक घंटे से ढूँढ रहा हूँ।”
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “सर! मैं एम-डी के साथ उनके सूईट में हूँ। उनके साथ एक कुँवारी चूत भी है, आपको जल्दी से पहुँचने के लिये कहा है।”
“मुझे पहले क्यों नहीं बताया? एम-डी से कहना मैं दस मिनट में पहुँच जाऊँगा और मेरे आने से पहले वो शुरुआत ना करें”, कहकर महेश ने फोन पटक दिया।
“वो यहाँ दस मिनट में पहुँच जायेगा, और वो चाहता है कि एम-डी उसके आने से पहले शुरुआत नहीं करें”, मैंने कहा।
“ठीक है, आने दो उसे। आओ सुनील! हम देखते हैं कि एम-डी क्या कर रहा है”, प्रीती ने टीवी ऑन करते हुए कहा।
हमने टीवी पर देखा कि एम-डी मीना को नंगा कर चुका था और उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी छातियाँ चूस रहा था। “एम-डी ने अब तक उसकी चूत क्यों नहीं फाड़ी?” मैंने पूछा।
“पता नहीं क्यों? वरना तो उसे एक मिनट का भी सब्र नहीं है।”
अब एम-डी मीना की चूत चाट रहा था। उसकी दोनों टाँगें हव में उठी हुई थी, और उसकी चूत का छेद साफ दिखायी दे रहा था। इतने में महेश सूईट में दाखिल हुआ, “एम-डी कहाँ है?”
“लो तुम खुद अपनी आँखों से देख लो?” प्रीती ने टीवी की ओर इशारा करते हुए कहा। टीवी की और देखते हुए महेश ने कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि मैं भी बेडरूम में चला जाऊँ।”
“नहीं महेश! तुम अंदर नहीं जा सकते, एम-डी बहुत नाराज़ थे तुम्हारे देर से आने पर, इसलिये खास तौर पर बोले कि जब तक मैं ना बोलूँ, कोई अंदर नहीं आयेगा। आओ यहाँ बैठो और व्हिस्की पियो”, प्रीती ने महेश को व्हिस्की का ग्लास पकड़ाते हुए कहा। हम दोनों तो पहले से ही व्हिस्की पी रहे थे।
“मेरा नसीब! सुनील तुमने मुझे पहले क्यों नहीं फोन किया?” महेश झल्लाते हुए बोला।
“सर! मुझे जैसे ही कहा गया, मैंने आपको फोन किया।”
“महेश वो देखो! इस लड़की की चूत का छेद कितना छोटा है!” प्रीती ने टीवी की और इशारा करते हुए कहा।
“हाँ काफी छोटा है, पर मैं जानता हूँ ये छेद ज्यादा देर तक छोटा नहीं रहेगा”, महेश ने हँसते हुए ग्लास में से बड़ा घूँट लिया।
एम-डी अब मीना के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी कुँवारी चूत को फाड़ने को तैयार था। “तुम्हें थोड़ा दर्द होगा संभाल लोगी ना?” एम-डी की आवाज़ आयी।
“सर! प्लीज़ धीरे-धीरे करना, मेरी चूत अभी भी कुँवारी है”, मीना ने जवाब दिया।
“ये… ये आवाज़…… ये आवाज़ किसकी है, मुझे कुछ जानी पहचानी लग रही है”, महेश सोफ़े पर से उछलते हुए बोला। टीवी पर अपनी नज़रें गड़ाते हुए वो जोर से चींखा, “ओह गॉड! ये तो मेरी बेटी मीना है, मुझे अभी और इसी वक्त एम-डी को रोकना होगा”, और एक ही साँस में अपना ग्लास खाली कर दिया। उसी वक्त एम-डी ने जोर से अपना लंड मीना की चूत में डाल दिया।
“ओहहह माँ… आँ मर गयी, वो जोर से चिल्लायी, बहुत दर्द हो रहा सर।”
“क्या रोकोगे?” प्रीती जोर से हँसते हुए बोली, “एम-डी का लंड मीना की चूत में घुस चुका है। महेश, अब मीना कुँवारी नहीं रही, बेहतर होगा कि चुपचाप बैठ कर देखो और व्हिस्की पियो। अपना सब कुछ तो गंवा चुके हो… अब नौकरी से भी हाथ धो बैठोगे।” प्रिती ने कहते हुए उत्तेजना में अपना व्हिस्की का ग्लास एक साँस में पी लिया।
महेश सोफ़े पर ढेर होते हुए बोला, “हे भगवान! ये क्या हो गया! अब मैं क्या करूँ! ये कैसे हो गया।”
प्रीती मजे लेते हुए महेश को और जलाने लगी, “देखो महेश! कैसे एम-डी जोर-जोर से मीना की चूत में अपना लंड डाल रहा है। तुमने देखा सुनील! कैसे एम-डी ने मीना की कुँवारी चूत फाड़ दी? सुनील! महेश को एक ग्लास व्हिस्की का और बना के दो, लगता है इसे इसकी जरूरत है”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
मैंने महेश को ग्लास बनाकर दिया। ग्लास लेते हुए महेश गुस्से में बोला, “साली कुत्तिया! मुझे मत सिखा कुँवारी चूत कैसे चोदी जाती है, मुझे मालूम है, पहले ये बता मीना यहाँ कैसे पहुँची।”
“अच्छा वो! मैं उसे नौकरी के लिये इंटरव्यू दिलवाने यहाँ लायी थी।”
“मगर एम-डी ने तो मीना को पहचान लिया होगा और उसके बावजूद एम-डी ने ये सब किया”, महेश थोड़ा शाँत होते हुए बोला।
“तो क्या हुआ? तुम्हें तो मालूम है कि हमारी कंपनी में नौकरी देने का रूल क्या है। मीना तुम्हारी बेटी है तो क्या एम-डी कंपनी के रुल बदल देते? माना एम-डी ने मीना को पहचान लिया था लेकिन कुँवारी चूत चोदने के खयाल ने ही उन्हें इतना बेचैन कर दिया कि वो तुम्हारे बिना ही शुरू हो गये”, प्रीती खिल खिलाते हुए बोली। वो शराब के नशे और खुशी से सातवें आसमान पर थी।
“ओह गॉड! मैं क्या करूँ? उसकी माँ को मैं क्या जवाब दूँगा?” महेश ने अपना सिर दोनों हाथों से पकड़ लिया।
“अब तुम्हें सब याद आ रहा है! जब तुम्हारा कोई अपना तुम्हारे इस गंदे खेल में फँस गया।”
“इसका मतलब तुमने ये सब जानबूझ कर किया?” महेश ने पूछा।
“हाँ! तुम क्या समझते हो?” प्रीती ने जवाब दिया।
“पर क्यों? प्रीती! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो तुमने मुझे ऐसी सज़ा दी?” महेश की आँखों से आँसू बह रह थे।
“कितने हरामी आदमी हो तुम। कितनी जल्दी सब भूल जाते हो। क्या तुम्हें याद नहीं कि किस तरह तुमने मेरे पति को ब्लैकमेल किया, रिशवत का लालच दिया, जिससे तुम मुझे चोद सको? हाँ महेश! ये मेरा बदला था तुम्हारे साथ। तुम्हारी वजह से मैं एक पतिव्रता औरत से एक ऐय्याश, सिगरेट-शराब पीने वाली वेश्या बन गयी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“हे भगवान! मैंने अपने आप को किस मुसीबत में फँसा लिया है।”
“महेश देखो! मीना के चूतड़ कैसे उछल-उछल कर साथ दे रहे हैं, लगता है उसे अपनी पहली चुदाई में कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा है”, प्रीती ने टीवी की तरफ इशारा करते हुए कहा। बदले में महेश ने व्हिस्की की बॉटल उठा ली और नीट पे नीट पीने लगा।
“ओहहह सर! अच्छा लग रहा है”, मीना सिसकरी भर रही थी, “हाँ सर! ऐसे ही करते जाइये, और तेजी से ओहहह आआआहहह हाँ!!! और तेजी से सर! मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।”
“चूत में खुजली हो रही है? तुमने इस लड़की के साथ क्या किया?” महेश जोर से चिल्लाया।
“वही जो तुमने मेरे साथ किया था”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैंने तुम्हारा वो स्पेशल दवाई मिला हुआ कोक इसे इतना पिला दिया है कि ये सारी रात दस-दस मर्दों से भी चुदवा लेगी तो इसकी चूत की खुजली नहीं मिटेगी।”
इससे पहले कि महेश कुछ कहता मीना जोर से चिल्लायी, “ओह सर!!!! जोर से, हाँ और जोर से हाँआंआंआंआं इसी तरह करते रहो… ऊऊऊऊईई माँआंआंआं! हाँआंआं सर!! लगता है मेरा छूट रहा है।”
महेश ने दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिये। प्रीती जोरों से हँस रही थी। इतने में ही एम-डी भी चिल्लाया “हाआआआ ये ले… और ले…” और अपना पानी मीना की कुँवारी चूत में छोड़ दिया। अब दोनों अपनी साँसें संभालने में लगे थे।
कमरे में एक दम खामोशी छायी हुई थी। महेश ड्रिंक पर ड्रिंक ले रहा था। प्रीती भी ड्रिंक पीते हुए ना जाने किस सोच में डूबी हुई थी कि इतने में एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, “मीना! अब तुम घोड़ी बन जाओ! मैं तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालुँगा।” मीना एम-डी की बात मानते हुए घोड़ी बन गयी।
महेश ने चौंक कर टीवी स्क्रीन की ओर देखा और जोर से चिल्लाया, “नहीं!!! अब ये उसकी गाँड भी मारेगा?”
“मीना तुम्हें पता है? महेश हमेशा मुझसे कहता था कि सर आपको कुँवारी गाँड मारना नहीं आता, आज मैं उसकी बेटी की कुँवारी गाँड मार कर सिखाऊँगा, क्या कहती हो?” कहकर एम-डी ने अपना खड़ा लंड उसकी गाँड के छेद पर रख दिया।
“आप जैसा कहें सर! मेरा जिस्म आपके हवाले है”, मीना ना जवाब दिया।
“नहीं सर प्लीज़ नहीं! मेरी बेटी के साथ ऐसा ना करें… ओह सुनील! तुम कुछ करो ना प्लीज़!!” महेश मुझसे गिड़गिड़ाते हुए बोला।
“क्यों अब क्या हो गया? याद है, तुमने मुझे बताया था कि गाँड कैसे मारी जाती है। क्या तुम मेरी बहन मंजू को भूल गये… जब उसने धीरे से डालने को कहा था! तब तुमने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड में डाल कर उसकी गाँड फाड़ दी थी। अब तुम्हारी बेटी की बारी आयी तो चिल्ला रहे हो।”
“सुनील तुम भी मेरे खिलाफ़ हो रहे हो?” महेश रोते हुए बोला।
उसी समय एम-डी ने जोर से अपना लंड मीना की गाँड में घुसा दिया और मीना के मुँह जोर से दर्द भरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊईईई माँ मर गयीईईईई, निकालो अपना लौड़ा मेरी गाँड में से.. निकालो! मेरी गाँड फट रही है… बहुत दर्द हो रहा है।”
उसकी चींखों की परवाह ना करते हुए एम-डी अब और तेजी से अपने लंड को उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था और मीना रो रही थी। “ओह गॉड! मेरी ”, महेश अब और तेजी से ड्रिंक कर रहा था।
मैं और प्रीती महेश को तड़पता हुआ देख रहे थे। उसी समय एम-डी नंगा ही कमरे में आ गया। प्रीती ने जल्दी से टीवी ऑफ कर दिया।
“गुड प्रीती, मज़ा आ गया!” उसने कहा और जब महेश को देखा तो बोला, “महेश! मेरे दोस्त! तुम शानदार दोस्त हो। मीना कमाल की लड़की है। उसकी चूत इतनी टाइट है कि मैं क्या कहूँ! ठीक उस कॉलेज की लड़की की चूत की तरह जिसे हमने कल चोदा था। मुझे नहीं मालूम था कि तुम मेरा इतना खयाल रखते हो।”
“म…म… म…मैं”, महेश ने हकलाते हुए कहा।
“तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं है! मुझे प्रीती ने सब बता दिया है”, एम-डी ने कहा।
“क्या प्रीती ने सब बता दिया?” महेश ने चौंकते हुए स्वर में कहा।
“हाँ मेरे दोस्त! उसने मुझे बताया कि किस तरह तुम कई दिनों से किसी कोरी चूत की तलाश में थे जिसे तुम मेरे जन्मदिन पर तोहफ़ा दे सको और जब तुम्हें कोई नहीं मिला तो अपनी ही बेटी को ये कहकर भेज दिया कि उसका इंटरव्यू है। तुम बहुत समझदार हो महेश”, एम-डी ने कहा, “महेश! उठो, मीना तुम्हारा इंतज़ार कर रही है, जाओ और मजे लो।”
“प्लीज़ सर! महेश को ऐसा करने को कह कर शर्मिंदा ना करें, आखिर में वो इसकी बेटी है”, मैंने धीरे से एम-डी से कहा।
“तुम नहीं जानते सुनील! महेश के लिये चूत, चूत है! वो चाहे जिसकी हो। हाँ, एक आम आदमी मेरी और तुम्हारी तरह शायद शर्म से मर जाये, पर महेश नहीं! इसने मुझे एक बार बताया था कि किस तरह इसने अपनी दो बहनों को चोदा था और तब तक चोदता रहा जब तक उनकी शादी नहीं हो गयी।” एम-डी ने हँसते हुए कहा और महेश से बोला, “उठो महेश! क्या सोच रहो हो? एक बहुत ही कसी और शानदार चूत तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।”
“अभी नहीं! शायद बाद में”, महेश बड़बड़ाया।
“सुनील! जाके देखो तो मीना क्या कर रही है?”
मैं मीना को देखने बेडरूम में गया और थोड़ी देर बाद उसे साथ ले कर कमरे में आया। अपने पिताजी को देख कर मीना अपना नंगा बदन ढाँपने लगी और मेरे पीछे छुप कर अपनी चूत छुपानी चाही।
“मीना! तुम्हें अपनी चूत अपने डैडी से छुपाने की जरूरत नहीं है। अगर ये तुम्हें चोदना नहीं चाहता तो कम से कम इसे तुम्हारी चूत तो देखने दो”, एम-डी ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा, “क्या अब भी तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है?”
“हाँ सर! बहुत जोरों से हो रही है”, मीना ने कहा।
“शायद ये दूर कर दे”, कहकर एम-डी ने सोफ़े पर बैठ कर मीना का अपनी गोद में बिठा लिया और अपना लंड नीचे से उसकी चूत में घुसा दिया।
“अब तुम ऊपर नीचे हो और चोदो”, एम-डी ने मीना से कहा।
मीना उछल-उछल कर एम-डी के लंड पर धक्के मारने लगी।
“सुनील! तुम वहाँ अपना खड़ा लंड लिये क्या कर रहे हो? यहाँ आओ और अपना लंड इसे चूसने को दे दो।” मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड मीना के मुँह में दे दिया। महेश चुपचाप सब देखता रहा और, और ज्यादा व्हिस्की पीने लगा। प्रीती भी काफी उतीजित हो गयी थी और दूसरे सोफ़े पर बैठी, अपनी साड़ी ऊपर उठा कर अपनी चूत रगड़ रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी।
कमरे में हम चारों कि सिसकरियाँ सुनाई दे रही थी। मीना को भी खूब मज़ा आ रहा था और वो और तेजी से उछल रही थी। “और जोर से उछलो”, एम-डी ने कहा, “हाँ ऐसे ही अच्छा लग रहा, शायद मेरा छूटने वाला है, तुम्हारा क्या हाल है सुनील?”
“बहुत अच्छा सर! मैं भी ज्यादा दूर नहीं हूँ”, कहकर मैंने मीना का सिर पकड़ कर अपने लंड को और उसके गले तक डाल दिया।
“मीना सुनील का पानी पीना मत भूलना! तुझे अच्छा लगेगा”, एम-डी ने कहा।
“ओहहहह मीना!! और तेजी से… मेरा छूटने वाला है”, कहकर एम-डी ने अपना सारा वीर्य मीना की चूत में उढ़ेल दिया।
मैं भी कस कर उसके मुँह को चोदने लगा। मीना तेजी से मेरे लंड को चूसे जा रही थी। “हाँआँआँ चूस… और जोर से चूस!” और मेरे लंड ने मीना के मुँह में पिचकारी छोड़ दी। मीना भी एक-एक बूँद पी गयी और अपने होंठों पे ज़ुबान फिरा कर मेरे लंड को चाटने लगी।
“मीना! कपड़े पहनो और चलो यहाँ से?” महेश ने नशीली आवाज़ में कहा।
“महेश सुनो! यहाँ रुको और मज़े लो, अगर मज़ा नहीं लेना है तो घर जाओ! मीना कहीं नहीं जायेगी, अभी मेरा दिल इसे चोदने से भरा नहीं है”, एम-डी ने कहा।
“हाँ पापा! आप घर जाइये! मैं यहीं रुकना चाहती हूँ, मेरी चूत में अभी भी खुजली हो रही है”, मीना ने एम-डी के मुर्झाये लंड को चूमते हुए कहा।
“सुनील! महेश अकेले जाने की स्तिथी में नहीं है। तुम इसे मेरी गाड़ी में बिठा कर आओ और ड्राईवर से कहना कि इसे घर छोड़ कर आये”, एम-डी ने कहा।
मैं महेश को सहारा देकर गाड़ी में बिठाने चला गया। जब वापस आया तो देखा कि एम-डी कस-कस कर मीना को चोद रहा था। प्रीती भी अब बिल्कुल नंगी थी और मीना के चेहरे पर अपनी चूत दबा कर बैठी थी और उससे अपनी चूत चटवा रही थी। उस रात हम दोनोंने कई बार मीना को चोदा और उसकी गाँड मारी। प्रीती ने भी एम-डी से एक-बार चुदवाया। रात को दो बजे मैं, मीना को उसके घर छोड़ते हुए नशे में चूर प्रीती को लेकर घर पहुँचा।
“सुनील उठो!” सुबह-सुबह प्रीती मुझे जोरों से हिलाते हुए बोली।
“प्लीज़ सोने दो! अभी बहुत सुबह है”, कहकर मैं करवट बदल कर सो गया।
“सुनील सुनो! मीना का फोन आया था, महेश रात से घर नहीं पहुँचा है, वो बहुत घबरायी हुई थी।” प्रीती मुझे फिर उठाते हुए बोली।
मैं भी घबराकर उठा, “ये कैसे हो सकता है, मैंने खुद उसे गाड़ी में बिठाया था।”
एक घंटे के बाद हमें खबर मिली कि महेश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी है।
दूसरे दिन ऑफिस में हम सभी ने मिलकर महेश की मौत का शोक मनाया। सभी को इस बात का दुख था।
एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाकर कहा, “सुनील! तुम जानते हो कि महेश अब नहीं है, सो मैं चाहता हूँ कि आज से उसकी जगह तुम ले लो।”
“थैंक यू सर”, मैंने कहा।
“और हाँ सुनील! मैंने मीना को भी नौकरी दे दी है। कल से वो तुम्हें रिपोर्ट करेगी। सुनील! मैं चाहता हूँ कि तुम उसका खयाल रखो और उसे बड़े कामों के लिये तैयार करो। आखिर वो हमारे पुराने दोस्त की बेटी है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि हम उसकी टाइट चूत का मज़ा नहीं लेंगे”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“हाँ सर! पर आप उसकी कसी-कसी गाँड मत भूलियेगा”, मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया।
रात को घर पहुँच कर मैंने प्रीती को सब बताया। मेरी तरक्की की बात सुन वो बहुत खुश हो गयी और हमने स्कॉच की नयी बोतल खोल कर सेलीब्रेट किया। फिर प्रीती मुझे बाँहों में पकड़ कर चूमने लगी। मैं भी उसे चूमने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। मेरे दोनों हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे।
मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसके मम्मों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा।
प्रीती ने भी मेरे कपड़े उतार दिये और अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
“ऊऊहहह सुनील!!!” उसने मुझे बाँहों में भींचते हुए कहा, “तुम्हें क्या पता तुम्हारे मोटे और लंबे लंड के बिना मैंने आज पूरा दिन कैसे गुज़ारा है।” कहकर वो भी कमर उछालने लग गयी। थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गये।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मीना को मेरा इंतज़ार करते हुए पाया, “आओ मीना! मैं तुम्हें तुम्हारा काम समझा दूँ”, मीना मेरे पीछे मेरे केबिन में आ गयी।
“मीना! तुम्हारा पहला और इंपोर्टेंट काम समझा दूँ! अपने कपड़े उतार कर सोफ़े पेर लेट जाओ।”
“पर सर! उस दिन तो आपने और एम-डी ने मेरा इंटरव्यू अच्छी तरह से लिया था”, मीना ने शर्माते हुए कहा।
“मेरी जान! वो तो शुरुआत थी! इस कंपनी में ये इंटरव्यू रोज़ लिया जाता है, चलो जल्दी करो, मेरे पास समय नहीं है”, मैंने कहा।
मीना शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी। मीना वाकय में बहुत सुंदर थी, उसके नंगे बदन दो देख कर मैंने कहा, “मीना! कल ऑफिस आओ तो तुम्हारी चूत पर एक भी बल नहीं होना चाहिये, एम-डी को भी बिना झाँटों की चूत अच्छी लगती है।” फिर मैंने उसके गोरे पैरों में ढाई-तीन इंच उँची हील के सैंडल देख कर कहा, “हाँ! और इस ऑफिस में काम करने वाली हर औरत को कम से कम चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहनना जरूरी है और चुदाई के समय इन्हें कभी मत उतारना।” फिर अगले एक घंटे तक मैं उसके हर छेद का मज़ा लेता रहा।
उस दिन से एम-डी मीना को सुबह चोदता था और मैं शाम को मीना की चूत अपने पानी से भर देता था। मेरी तीनों एसिस्टेंट्स को ये अच्छा नहीं लगा और वो मीना को सताने लगी।
एक दिन मैंने उन तीनों को अपने केबिन में बुलाया और पूछा, “तुम लोग मीना को क्यों सताते हो?”
“जबसे वो आयी है, तुम हमें नज़र अंदाज़ कर रहे हो”, शबनम ने कहा।
“आज कल तुम ज्यादा समय उसके साथ गुजारते हो”, समीना ने शिकायत की।
“या तो उसे नौकरी से निकाल दो, या उसे किसी और डिपार्टमेंट में ट्राँसफर कर दो”, नीता ने कहा।
“तुम तीनों सुनो! ना तो मैं उसे ट्राँसफर करूँगा ना मैं उसे नौकरी से निकालूँगा, आया समझ में?”
मेरी बात सुन तीनों सोच में पड़ गयीं। “तो फिर हमारा क्या होगा, हम तुम्हारे लंड के बिना कैसे रहें?” शबनम ने कहा।
“इसका एक उपाय है मेरे पास”, मैंने मीना को अपने केबिन में बुलाया।
“तुम तीनों इसके कपड़े उतारो! आज मैं तुम चारों को साथ में चोदूँगा, जिससे किसी को शिकायत ना हो।”
तीनों ने मिलकर मीना को नंगा कर दिया। मीना के नंगे बदन को देख शबनम बोली, “सुनील! मीना बेहद खूबसूरत है।”
“हाँ! इसके भरे भरे मम्मे तो देखो… और इसकी चिकनी चूत को! इसलिये सुनील इसकी चूत को ज्यादा चोदता है… हमें नहीं”, समीना बोली।
“तो क्या तुम इन तीनों को भी चोदते हो?” मीना ने सवाल किया।
“हाँ! सिर्फ तीनों को ही नहीं मेर जान! बल्कि इस कंपनी की हर लड़की या औरत को चोदता है”, कहकर नीता उसके बदन को सहलाने लगी।
चलो तुम सब अपने कपड़े उतारो और मीना का हमारे बीच स्वगत करो, मैंने चारों को साइड-बाय-साइड सोफ़े पर लिटा दिया और खुद भी कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मैं अपने लंड से बारी-बारी चारों को चोदने लगा। तीन चार धक्के लगा कर दूसरी चूत में लंड डाल देता और फिर दूसरी चूत में। वो भी एक-दूसरे की चूचियाँ सहलाती और एक दूसरे के होंठ चूमती। इसी तरह मेरा लंड तीन बार झड़ा।
प्रीती बहुत खुश थी और वो अब एम-डी से बदला लेने का प्लैन बना रही थी। Hindi Sex Stories
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