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पहली बार सम्भोग Antarvasna यानि सेक्स करते वक़्त डर लगना स्वाभाविक है। आखिर उन खूबसूरत पलों को कौन यादगार नहीं बनाना चाहता।
लेकिन अगर ज़रा सी भी चूक हो जाए तो ये खूबसूरत लम्हे ज़िन्दगी के सबसे डरावने अनुभवों में से एक बन जाते हैं। लेकिन अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए, तो फर्स्ट टाइम सेक्स को बेहद खुशगवार यादगार बना सकते हैं।
सबसे पहले सुरक्षा- ज़्यादातर लोग अपने पहले सम्भोग को लेकर काफी भावुक और अधीर होते हैं। अधीर होना जायज़ भी है। लेकिन दो पल की खुशी के लिए सुरक्षा से समझौता न करें।
यौन सम्बन्धी रोगों और अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कॉन्डम का इस्तेमाल ज़रूर करें। अपने लिए एक भरोसेमंद साथी चुनें जो आपकी कद्र करता हो। मस्ती के लिए सेक्स करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ज़्यादा उम्मीदें न रखें- हर कोई सोचता है कि उनका पहली बार एक जादुई और यादगार अनुभव हो। लेकिन ऐसा होगा ही, यह ज़रूरी नहीं है। अच्छे से सेक्स करना एक कला है, जो वक़्त के साथ आती है। ज़्यादा उम्मीदें रखने से आपको ही निराशा होगी।
फोरप्ले यानि सेक्स पूर्व क्रीड़ा करना न भूलें- चाहे कितने ही उत्सुक और उत्तेजित क्यों न हों- सीधा वहाँ’ पहुँचने से बचें। समय लें और अपने साथी को भी मुख्य कार्य के लिए गर्म होने, तैयार होने का वक़्त दें। पहली बार में आप जितना ज़्यादा फोरप्ले करेंगे उतना ही अच्छा रहेगा।
सम्भोग से पहले पूरी तरह उत्तेजित हों- इंटरकोर्स तक पहुँचने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आप पूरी तरह उत्तेजित हैं। वरना पहली बार सेक्स में आपको काफी दर्द होगा। लड़की की झिल्ली फ़टने पर और लड़के के लिंग के तन्तु कटने पर दर्द अवश्यभावी है।
यह न सोचें कि वो अनुभवी है- अधिकतर मामलों में, पुरुषों को यह दिखावा करने में बहुत मज़ा आता है कि वे सेक्स के एक्सपर्ट हैं। ऐसा शायद इसलिए कि वह अपनी साथी के सामने अपना भय और अनुभवहीनता व्यक्त करने से डरते हैं। इसलिए, कभी भी यह मान कर न चलें कि वो इसके एक्सपर्ट हैं। अपनी अन्तर्वासना यानि सेक्ष की इच्छा को भी अपने साथी के सामने रखें और कोशिश करें कि हमेशा वो ही लीडिंग न हों।
झूठ न बोलें- कई लोग सिर्फ इसलिए कह देते हैं कि वो संतुष्ट हैं ताकि उनके सहभागी को बुरा न लगे। ऐसा करने से आप असंतुष्ट ही रह जाएँगे और आपका रिश्ता खतरे में पड़ सकता है, इसलिए सच बोलें। और पहली बार सेक्स करने जा रहे लोग तो कतई झूठ का सहारा न लें।
चरमोत्कर्ष परम आनन्द चरमसीमा पर पहुँचने की आशा न रखें- हालांकि चरमोत्कर्ष से काफी सुख मिलता है, लेकिन बिना उसके भी आप सेक्स को इंजॉय कर सकते हैं। पहली बार इसकी आशा न रखें। अगर होता है तो बहुत अच्छा और नहीं होता तो कोई बात नहीं। बस अपने अनुभव का आनंद लें।
दर्द ज़्यादा देने का मतलब प्यार नहीं? जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। पहली बार सेक्स करने में थोड़ा ज़्यादा दर्द ज़रूर होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अच्छे प्रेमी नहीं हैं। लेकिन अगर आपको दर्द हो तो उसे ज़रूर बताएँ। अगर आपका साथी संवेदनशील हैं तो वह इसे ज़रूर समझेगा और इस बात का ख़्याल रखेगा। Antarvasna
हाय, मेरा नाम नीरू है. आज मैं आपको अपनी के एक सहेली की Sex story स्टोरी बता रही हूं. जिसका नाम पूजा है.
मेरी सहेली सामने नहीं आना चाह रही थी इसलिए उसने मुझे ये स्टोरी बताई. अब आप स्टोरी को उसी के शब्दों में सुनिये.
मेरा नाम पूजा है. मेरी उम्र 24 साल है. मेरा फिगर 37-26-36 है. मेरी शादी दो साल पहले एक सिविल इंजीनियर से हुई थी. मेरे पति मुझे बहुत खुश रखते हैं. मगर अभी वो डेढ़ साल से अमेरिका में हैं और मैं यहां मुम्बई में हूं.
नासिक में मेरा मायका है और मैं उधर ही पली-बढ़ी हुई हूं. मेरे साथ छोटी उम्र में ही कुछ घटनाएं हुई थीं जिनके बारे में मुझे उस वक्त पता नहीं था. उस वक्त मुझे लगता था कि यह सब केवल एक खेल का हिस्सा है.
फिर जैसे जैसे मैं बड़ी होती गयी तो मेरे जीवन में हर बार अलग अलग सेक्स पार्टनर आये. जब मैं 19 साल की थी तो मैं सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी. यही वह साल था जब मेरी लाइफ में पहला आदमी आया था.
वो लड़का मेरा भाई था. उस वक्त मेरे भाई की उम्र 22 साल थी. उस वक्त मेरे फर्स्ट ईयर के एग्जाम खत्म हुए थे. मैं अपने घर आ गयी थी.
मेरी मां काम में लगी रहती थी. पापा भी अपने काम पर चले जाते थे. भैया घर में टीवी देख कर टाइम पास करते रहते थे.
घर आने के बाद मैंने मां से एक दिन कहा- मुझे बाहर घूमने के लिए जाना है.
वो बोली- क्यों, अभी 2 दिन पहले तो आई है तू.
मैं बोली- मैं पढ़ाई करके थक गयी हूं. अभी तो एग्जाम खत्म हुए हैं. मैं एक महीने से कहीं भी बाहर नहीं गयी हूं.
मां बोली- तो फिर तुम एक काम करो कि अपने भाई के साथ पास वाले तालाब तक चली जाओ.
उनकी बात सुनकर मैं खुश हो गयी. मैंने दौड़कर अपने नहाने के लिए कपड़े ले लिये और भैया के साथ साइकिल पर बैठ कर चल दी. तालाब हमारे घर से डेढ़ घंटे की दूरी पर था. मगर भैया ने शार्टकट ले लिया.
रास्ता काफी पथरीला था. एक बार तो रास्ते में हमारी साइकल एक बड़े से गड्ढे में घुस गयी. भैया ने मुझे झट से पकड़ लिया. उनके हाथ मेरे सीने पर थे. हम डर गये लेकिन भैया ने संभाल लिया और साइकिल निकाल ली. मगर उनके हाथ अभी तक मेरे सीने पर ही थे. वो धीरे धीरे मेरे बूब्स को दबा रहे थे.
उस वक्त मेरे बूब्स का साइज 31 का था. उस घटना के दौरान मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे भैया नहीं बल्कि कोई और मर्द है. मैंने भैया को अपने बूब्स पर से अपना हाथ निकालने के लिए कहा. हम फिर आगे चल दिये.
इस तरह से हम शार्टकट के कारण हम आधे घंटे के अंदर ही तालाब पर पहुंच गये. वहां पर जाकर हमने खूब मस्ती की और भैया के साथ मैंने वहां के नजारे देखे. उसके बाद हमने तालाब में जाने का फैसला किया.
दोपहर का वक्त हो चला था. लगभग 1 बजने वाला था और हमने पहले कुछ खाने के बारे में सोचा. हल्का फुल्का खाने के बाद हम तालाब में गये. अन्दर जाने से पहले मुझे याद आया कि मैं अपना स्विमिंग सूट तो लेकर ही नहीं आई.
मेरा दिमाग खराब हो गया और मैं अपने आप पर गुस्सा होकर बैठ गयी. भैया अपनी शर्ट-पैंट उतार कर अपनी निक्कर पहने हुए तालाब में चला गया था. वो अंदर जाकर मुझे भी आने के लिए कहने लगा. मैंने उसको सारी बात बताई.
वो बोला- कोई बात नहीं. तुमने अंदर से ब्रा और निक्कर तो पहना ही होगा?
मैं बोली- हां भैया.
वो बोला- तो फिर तुम तौलिया से भी काम चला सकती हो. चलो जल्दी से अब अंदर आओ.
मैं बोली- लेकिन भैया, मुझे शर्म आ रही है.
वो बोला- शर्म कैसी, यहां पर हम दोनों ही तो हैं और मौसम भी कितना अच्छा हो रहा है.
मैंने सोचा- मैं किसी मर्द के सामने इस तरह से कैसे आधी नंगी हो सकती हूं!
फिर सोचने लगी कि यह तो मेरे ही भैया हैं. इनके सामने क्या शर्माना.
इसलिए फिर मैं अपनी ब्रा और निक्कर में नहाने के लिए तालाब में अंदर चली गयी. अंदर जाकर मैंने भैया के साथ पानी में खूब मस्ती की. नहाने के बाद जब मैं पानी के बाहर आने लगी तो मेरी ब्रा निकल गयी और बहकर पानी में अंदर चली गयी.
मैं अपनी चूचियों को छिपा कर वहीं पर पानी में ही बैठ गयी.
भैया बोले- चल खेलते हैं. मैं तुझे पकडूंगा.
जब वो मेरे पास आये तो मैं बैठी हुई थी.
वो बोले- क्या हुआ?
नीचे गर्दन किये हुए मैंने कहा- मेरी ब्रा पानी में चली गयी है.
वो बोले- तो क्या हुआ?
मैं बोली- मैं पूरी नंगी हूं भैया.
वो बोले- हां, तो क्या हो गया, कुछ नहीं होता. चल खेलते हैं.
भैया ने कहा- ऐसा करते हैं कि मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हूं और तू भी अपनी निक्कर उतार ले. फिर तुम भी पूरी नंगी हो जाओगी और मैं भी. फिर तुमको शर्म नहीं आयेगी.
मैं भैया की बात मान गयी. पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के अंदर ही अंदर उतार दी और तैर कर किनारे पर डाल दी. फिर मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी.
भैया बोले- अब मैं भागता हूं और तू मुझे पकड़.
इस तरह से हम पानी के अंदर खेलने लगे.
फिर भैया बाहर की ओर भागने लगे. मैं भी उनके पीछे दौड़ने लगी लेकिन ये भूल गयी कि मैं पूरी नंगी हूं.
बाहर निकल कर मुझे ध्यान आया कि मैं पूरी नंगी हूं. मैं वहीं पर अपनी चूचियों और चूत को छिपाने लगी. इतने में ही भाई ने मुझे देख लिया. वो मेरी ओर आने लगे.
भैया की टांगों के बीच में कुछ लम्बा सा लटका हुआ था. मैं ध्यान से उनके उस अंग को देख रही थी. फिर भाई मेरे पास आ गये और मैंने उनसे कहा- भैया ये क्या है लम्बा सा?
उस वक्त भैया मेरे पूरे शरीर को गौर से देख रहे थे. मैं पूरी नंगी थी और भैया मुझे घूर रहे थे. भैया की जांघों के बीच में वो लम्बा सा लटकता हुआ अंग अब आकार बढ़ा रहा था.
भैया बोले- ये जो लम्बा सा लटक रहा है इसको लंड या जादुई छड़ी कहते हैं.
मैंने कहा- क्या? जादुई छड़ी!
वो बोले- हां. अगर तुम्हें यकीन नहीं होता तो इसको अपने हाथ में लेकर एक बार मसल कर देखो.
उनके कहने पर मैंने उसको हाथ में ले लिया और वैसा ही हुआ. देखते ही देखते उनका वो लटकता हिस्सा मेरे हाथ से बाहर जाने लगा. वो अपना आकार बढ़ा रहा था. फिर वो कुछ ही पल में लोहे के जैसा सख्त हो गया.
मैंने पूछा- भैया, इससे क्या करते हैं?
वो मेरी चूत पर हाथ लगा कर बोले- इसको यहां पर अन्दर डालते हैं. मुंह में भी डालते हैं और पीछे वाले छेद में भी डालते हैं.
मैं शरमा कर जाने लगी तो भैया बोले- किधर जा रही हो?
मैंने कहा- कपड़े पहनने के लिए.
वो बोले- खाना ऐसे अधूरा नहीं छोड़ा जाता.
मैंने कहा- खाना कहां है?
वो बोले- ये जो तुमने अभी गर्म किया है, इसकी बात कर रहा हूं. एक बार ये गर्म हो जाता है तो फिर इसको ठंडा करना होता है.
तभी भैया मेरे पास आये और मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को किस करने लगे. मेरे बूब्स को दबाने लगे. मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा. इससे पहले किसी ने मेरे बूब्स को ऐसे नहीं छेड़ा था.
फिर भैया ने कहा कि घूम कर झुक जाओ.
मैंने कहा- क्यों भैया?
वो बोले- तुम्हारे छेद में डालना है इसको, तभी ये शांत होगा.
मैं बोली- नहीं भैया. मुझे डर लग रहा है.
वो बोले- कुछ नहीं होगा. तुम चुपचाप सेक्स का मजा लो. मैं दो साल से इस दिन का इंतजार कर रहा था.
इतना बोल कर भैया ने मुझे पलटा दिया और मेरी पीठ को झुका कर मेरी गांड के बीच में लंड को रगड़ने लगे.
फिर वो मेरी चूत पर लंड को रगड़ने लगे. मेरी चूत के हिसाब से भैया का लंड काफी बड़ा था.
मैं बोली- नहीं जायेगा भैया.
वो बोले- चुप रह साली रंडी, अब तू मुझे समझायेगी कि क्या छोटा है और क्या बड़ा है?
ऐसा बोल कर उन्होंने आहिस्ता आहिस्ता से मेरे छेद में लंड को अंदर डालना शुरू किया. भैया ने जोर लगाया तो मेरी चूत में आधा लंड घुस गया. मैं छुड़ाने लगी लेकिन भैया ने मुझे पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगे.
मैं बोली- भैया दुख रहा है.
वो बोले- कुछ नहीं होगा. एक बार दर्द होता है फिर बहुत मजा आता है.
उसके बाद भैया ने रुक कर एक बार फिर से पूरा जोर लगा कर पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
दर्द से मैं चिल्लाने लगी. मुझसे दर्द सहन नहीं हो रहा था. धीरे धीरे भैया ने मेरी चूत में लंड को चलाना शुरू किया. पहले मुझे दर्द होता रहा लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे मजा आने लगा.
अब मैं ही भैया से कहने लगी- मारो, और जोर से मारे भैया. आह्ह … आई … वाह … डालो भैया. आह्ह मजा मिल रहा है.
भैया भी जोर जोर से मेरी चूत में चुदाई करने लगे.
उसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में देकर चूसने को कहा.
मैं भैया का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे मजा आ रहा था. फिर भैया का पानी मेरे मुंह में निकल गया. मैंने भैया के लंड को पानी को पी लिया और मुझे बहुत अच्छा लगा.
उस दिन के बाद से भैया के साथ मेरा रिश्ता भाई-बहन का नहीं बल्कि पति-पत्नी का हो गया. हम घर चले गये. भैया ने पापा को तालाब वाली बात बता दी थी. मुझे इसके बारे में बाद में पता लगा.
तीन दिन के बाद मुझे चाचा के पास जाना था. पापा ने मुझे चाचा के घर छोड़ने का फैसला किया.
हम ट्रेन में जा रहे थे. हमारा सेकेंड क्लास का केबिन था. हमारा सफर 3 घंटे का था. जिस केबिन में हम बैठे थे उसमें हमारे अलावा 2 अमरीकी थे. उसमें एक लड़की और एक आदमी था.
हमने सोचा कि ये दोनों मियां बीवी होंगे क्योंकि वो दोनों इसी तरह से बर्ताव कर रहे थे. जब ट्रेन चली तो आधे घंटे के बाद उन दोनों ने आपस में एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया. 10 मिनट तक वो दोनों किस करते रहे. पापा उनको देख रहे थे लेकिन फिर नजर घुमा लेते थे.
उसके बाद उस लड़की ने उस आदमी की पैंट में हाथ डाल दिया और उसका लंड मसलने लगी. फिर वो कुछ देर के लिए रुक गये.
फिर पापा उनसे पूछने लगे- आप कहां जा रहे हो?
तभी उस लड़की ने उस आदमी को पापा कह कर पुकारा.
हम दोनों दंग रह गये.
पापा बोले- ये आपकी लड़की है?
वो बोले- हां.
पापा बोले- तो फिर ये आप क्या कर रहे थे?
वो आदमी बोला- हमारे यहां पर ये नहीं देखा जाता कि सामने भाई-बहन है या पिता-पुत्री है. सेक्स तो आखिर सेक्स ही होता है. उसको फील किया जाना चाहिए.
वो आदमी मेरी ओर देख कर पापा से बोला- आप भी मेरी तरह मजा ले सकते हैं. आपको आनंद मिलेगा इसमें. फिर उन्होंने हम दोनों को एक गोली दे दी.
पापा मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगे और मैं भी उनको देख कर स्माइल करने लगी. उसके बाद पापा मेरे करीब आ गये. उन्होंने मुझे किस करना शुरू कर दिया. मैं भैया के साथ सेक्स का मजा ले चुकी थी इसलिए पापा के साथ भी दिक्कत नहीं हो रही थी. फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतारना शुरू किया.
सीट छोटी थी इसलिए हम लोग खुल कर कुछ नहीं कर पा रहे थे. उसके बाद हम सीट के नीचे बैठ गये. पापा ने मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया मेरी चूत में लंड डाल कर चोदने लगे. मैं भी चुदने लगी. जल्दी ही पापा ने लंड बाहर निकाल लिया और पापा का पानी निकल गया और वो एक तरफ बैठ गये. मगर मैं अभी भी प्यासी थी. मैं अभी और सेक्स करना चाहती थी.
तभी वो ओल्ड मैन बोला- क्या हुआ, इतने में ही थक गये? मैं तो तीन बार करने के बाद ही रुकता हूं.
फिर वो लड़की उस आदमी के पास आ गयी और उसके लंड को पकड़ कर मसलने लगी.
उस आदमी का लंड खड़ा हो गया और वो लड़की उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. उस लड़की को लंड चूसते हुए देख कर मैं भी उसको सेक्स की भूख से देखने लगी.
तभी उस आदमी ने अपने कपड़े मेरे सामने निकालने शुरू कर दिये और मेरे पास आकर मेरे मुंह पर लंड को रगड़ने लगा. मैं उसके लंड को मस्ती में पकड़ कर चूसने लगी. फिर उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरी टांगों को पकड़ कर लंड अंदर मेरी चूत में डाला और मुझे पकड़ कर चोदने लगा.
मेरे मुंह से आवाजें आने लगीं. आह्ह … आऊऊ … हूह् .. आह्ह करके मैं चुदने का मजा लेने लगी.
मुझे चोदने के बाद उसने लंड को निकाल लिया और फिर अपनी लड़की को चोदने लगा.
फिर वो पापा से बोले- मजा आया?
पापा बोले- हां.
आदमी बोला- तुमने अपने लंड का पानी नहीं डाला अंदर?
पापा बोले- तुम पागल हो क्या? वो मेरी बेटी है.
आदमी बोला- तो क्या हुआ, ये भी मेरी बेटी है. अब ये मेरे बच्चे की मां बनने वाली है. इससे जो बड़ी है उसकी तो शादी भी हो गयी है लेकिन वो अपने पति से नहीं बल्कि अपने पापा यानि कि मुझसे ही बच्चा चाहती थी. इसलिए मैंने उसको भी चोदा और आज वो मेरे बच्चे की मां है.
वो बोला- हमारे घर में मेरी एक बीवी और दो बेटी हैं. बेटी का पति संडे को मेरे साथ मिल कर सेक्स इंजॉय करता है. मेरी बीवी अब अस्पताल में है और मेरी बेटी के पति के बच्चे की मां बनने वाली है.
मेरी ये बेटी शादी नहीं करना चाहती है. ये बोलती है कि अगर सेक्स ही चाहिए तो घर में पापा हैं, जीजा हैं इसलिए ये बिना शादी के ही मां बनना चाहती है.
उनकी ये बात सुन कर मैं और पापा दंग रह गये. फिर हमारा स्टेशन आ गया और हम लोग नीचे उतर गये. फिर हम चाचा के घर पहुंच गये.
चाचा के पास दो लड़कियां थीं और उनकी बीवी यानि कि मेरी चाची गुजर चुकी थी.
चाचा की दो जवान बेटियाँ थी. मेरे पापा ने ट्रेन में हुई सारी घटना चाचा को बता दी और बोले कि अब मैं सेक्स के बारे में इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि अपने ही घर वालों के साथ सेक्स हो सकता है.
ये सुन कर चाचा ने मेरी ओर देखा. पापा भी चाचा को देख रहे थे. फिर पापा बोले- आज रात को हम भी इसी तरह से सेक्स इंजॉय करेंगे.
फिर खाना खाने के बाद हम लोग गार्डन में बैठे हुए थे.
चाचा बोले- मेरी बड़ी बेटी को इस बारे में कैसे मनाया जायेगा.
मैं बोली- वो मैं देख लूंगी.
उसके बाद मैं चाची की लड़की के पास गयी. मैंने उसको सेक्स के बारे में बात करके गर्म किया और उसके साथ लेस्बियन सेक्स करने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली और जीभ देकर उसकी चूत को पूरी गर्म कर दिया.
इतने में ही पापा और चाचा भी वहां आ गये. उन दोनों ने मिल कर मेरी और चाचा की बेटी यानि कि मेरी बहन को मिल कर एक साथ चोदा. चाचा के लंड में जितना वीर्य इतने दिन से रुका हुआ था सब निकल आया और चाचा ने मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया.
कुछ दिनों के बाद मुझे अजीब सा लगने लगा तो डॉक्टर को बुलाया. वो बोले- कान्गरैचुलेशन, आप मां बनने वाली हैं.
यह सुन कर मेरे होश ही उड़ गये. फिर मेरा अबॉर्शन करवाया गया.
इलाज होने के बाद कुछ महीनों तक मैं चाचा के पास रहने लगी. मैंने दो महीने से सेक्स नहीं किया था. इसलिए मेरे पूरे बदन में सेक्स चढ़ने लगा था.
एक दिन मैं दोपहर को सोकर उठी तो देखा कि चाचा और बाकी के सब लोग घर में नहीं थे. तभी मेरी नजर घर के नौकर पर गयी. उसकी उम्र 42 साल के पास थी.
मैंने उसको मेरे लिये चाय लाने के लिए बोला और फिर मैं अपने रूम में आ गयी. मैंने रूम का दरवाजा खुला ही रखा हुआ था और अपने सारे कपड़े निकाल लिये थे. मैं अपनी बॉडी पर ऑयल लगाने लगी.
पांच मिनट के बाद नौकर मेरे रूम में चाय लेकर आया. उसने मुझे पूरी की पूरी नंगी देख लिया.
वो सॉरी बोल कर जाने लगा.
मैं बोली- कोई बात नहीं रामू.
ये बोल कर मैं उठ कर उसके पास गयी और उसकी धोती में हाथ डाल कर उसके 2 इंच चौड़े और 7 इंच लम्बे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.
उसका लंड तनाव में आने लगा. फिर मैं उसके घुटनों में बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे उसका लंड बहुत मस्त लगा. उसको भी मजा आ रहा था लेकिन वो घबरा भी रहा था.
नौकर का लंड मैंने चूस चूस कर एकदम से लोहे जैसा कर दिया और वो मुझे बेड पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने मेरी टांगों को खोला और मेरी चूत में लंड घुसा कर मुझे जोर से चोदने लगा.
मेरी सेक्स की प्यास बुझने लगी. मैं 10 मिनट में झड़ गयी और फिर रामू भी मेरी चूत में ही झड़ गया.
इस तरह से पहले मैंने भाई के साथ, फिर पापा के साथ और फिर अपने चाचा के साथ चुदाई का मजा लिया और घर के नौकर का लंड भी लिया.
उसके बाद मेरी शादी हो गयी. शादी के बाद भी मैंने पति और देवर का लंड लिया. उसके बारे में मैं आपको फिर कभी बताऊंगी.
आपको मेरी sex story स्टोरी कैसी लगी मुझे प्लीज अपने कमेंट्स करके बतायें.
आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। Antarvasna हमारे पड़ोस में रूपा आंटी रहने आई थी। वैसे तो वो हमारी दूर की रिश्तेदार थी इसलिए जान-पहचान बनाने की जरूरत नहीं थी।
उनकी लड़की थी गुड्डी, बड़े बड़े स्तनों वाली, जांघें भी गोरी गोरी और थोड़ी कामुक थी लेकिन सीधी होने का दिखावा करती थी। मैं थोड़ा इश्कबाज़ लड़का हूँ इसलिए मेरी उससे जमती थी।
एक बार गुड्डी मुझे सब्जी मण्डी में मिल गई, बोली- बिपिन मेरे पास बहुत वज़न है, मुझे अपनी मोटरसाईकिल पर बिठा लो!
मैंने कहा- चलो!
वो मेरे पीछे बैठ गई। बाज़ार में भीड़ के कारण मोटरसाईकिल चलाते समय मैंने बहुत बार ब्रेक लगाए तो वो मेरे ऊपर गिरती थी। दो तीन बार थोड़ा शरमाई पर बाद में वो सेट हो गई और बोली- एक बार तुम्हारे घर पर मिलते हैं।
दस दिन बाद वो दिन आ ही गया। मेरे घर पे कोई नहीं था। मैंने उसको सुबह ही इशारा कर दिया था। फ़िर गुड्डी सबह नौ बजे आई, बोली- स्कूल जाने के बहाने नज़र छुपा के निकली हूँ।
मैंने कहा- अन्दर आ जा! और उसे बेडरूम में छुपा दिया।
मैंने सारे दरवाज़े बंद कर लिए और बेडरूम में गया तो मेरे से रहा नहीं गया। मैंने उसको जोर से अपनी बाहों में ले लिया।
मैंने कहा- सलवार उतारो!
वो बोली- ऐसे नहीं!
इतना बोल कर वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड सहलाने लगी, फिर मुंह में ले लिया खूब रगड़ा उसने अपने मुंह से। और धीरे धीरे मेरे हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पे ले आई। मेरे से रहा नहीं गया। मैंने अपनी पैन्ट और टी-शर्ट उतार दी, मैं पूरी तरह नंगा हो गया और उसको भी नंगा कर दिया।
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसे बहुत मजा आ रहा था ‘अह्ह्ह…अहह हह…अह हह…अह ह’ करने लगी और उसके नंगे बदन पे मेरे हाथ फिरने लगे।
फिर 69 पोसिशन में सेक्स करते रहे तो वो बोली- सोफे पर बैठ जाओ।
मैं बैठ गया तो वो फ़्रेंच स्टाईल में मेरा लण्ड चूसने लगी। उसके चूसने से मेरा लौड़ा लोहे जैसा हो गया।
फ़िर वो धीरे से मेरे कान में बोली-मुझे उठा कर बिस्तर पर पटक दे!
मैंने वैसा ही किया, उसके दोनों पैर मैंने फ़ैला लिए और चोदने लगा।
मेरे हर एक धक्के पर वो सिसकती थी।
फ़िर अचानक गुड्डी बोली- उतर जाओ!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं!
और मैं उतर गया।
मेरे उतरने के बाद उसने अपनी गाण्ड मेरे लण्ड के सामने रख दी। मैं समझ गया और धीरे से उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पिरो दिया।
शुरू में डालते हुए उसको दर्द हुआ और चिल्ला उठी- ओ… माँ .. ओह… धीरे यार!
बाद में पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया और वो चिल्लाती हुई बोलती जा रही थी- बिपिन! फ़ाड़ दे मेरी गाण्ड को यार! बहुत मजा आ रहा है य्यार!
यह सारा कार्यक्रम दो बार चला। फिर मैंने घड़ी में देखा तो दोपहर के 2 बजने वाले थे, मैंने कहा कुछ खा लिया जाए. मैं रसोई में गया, गुड्डी भी मेरे पीछे पीछे आ गई फिर उसने बहुत सारा मक्खन, जैम और टोमाटो सॉस अपनी चूत और बूब्स पे लगाया वो सारा मैंने चाट लिया और जो मक्खन, जैम और टोमाटो सॉस मैंने अपने लण्ड पे लगाया वो उसने पूरा चूस लिया। फिर चद्दर बिछाके मैंने उसको रसोई में चोदा और चोदते समय बोली तू मुझे चोदते चोदते बिस्तर तक लेजा और मैंने वही किया मेरे लण्ड को उसकी चूत से अलग किए बिना चोदते चोदते बिस्तर तक ले गया और खूब चोदा।
तभी घर की घंटी बजी। मैंने देखा तो रूपा आंटी दरवाजे पे खड़ी थी।
मैंने जल्दी से गुड्डी को कपड़े रखने वाली अलमारी में छुपा दिया। दरवाजा खोला तो आंटी सामने खड़ी थी, बोली- बेटा! तेरी मम्मी कहाँ है?
मैंने कहा- सब जयपुर गए हुए हैं, मैं अकेला ही हूँ।
बोली- कल मैंने तुम्हारी मम्मी के कमरे में दो साड़ियाँ रखी थी, वो लेने आई हूँ।
मैंने कहा- ले लो!
रूपा आंटी बहुत ही हट्टी कट्टी थी जबकि अंकल दुबले और पतले से थे। मैं अपने कमरे में गया और गुड्डी को कहा- मैं अपना कमरा बाहर से बंद कर देता हूँ और आंटी जब जायेगी तब खोलूँगा।
गुड्डी बोली- ठीक है!
और मैं मेरी मम्मी के कमरे में गया जहाँ रूपा आंटी साड़ियाँ ढूंढ रही थी। साड़ियाँ मिलने पर आंटी मुझे कहने लगी- इनमें से मुझ पर कौन सी अच्छी लगेगी?
मैं तो इश्कबाज था ही, मैंने कहा- आंटी आप तो अप्सरा हैं, आप पर तो कोई भी साड़ी अच्छी लगेगी।
वो भी मेरे इशारे समझ गई, बोली- ठीक है मैं एक एक पहन के दिखाती हूँ! तू बता देना कौन सी अच्छी लगती है।
मैंने कहा- आंटी आज फ्री हो क्या?
हाँ, गुड्डी सुबह से स्कूल गई है और तुम्हारे अंकल ऑफिस के ऑडिट में हैं देर से आयेंगे! कहते हुए वो साड़ी बदलने गई। जैसे ही वो साड़ी बदल के बाहर निकली उसका पल्लू गिर गया और बड़े बड़े स्तन दिखने लगे। मेरा लण्ड खड़ा हो गया और नाईट सूट में से लण्ड बाहर उभर कर दिखने लगा।
आंटी समझ गई और वो शीशे के सामने खड़ी हो गई। मैंने पीछे से आंटी की कमर पकड़ी। वो कुछ नहीं बोली। बस इतना बोली- दरवाजा ठीक से बंद किया है न?
और मुझे लगा ग्रीन सिग्नल मिल गया है, मैं टूट पड़ा आंटी के ऊपर। बोली- धीरे धीरे चोद मुझे!
मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। मैंने उनकी चूत में लण्ड डालना चाहा, वो बोली- रुक जा यार! और मेरा लण्ड पकड़ के मुंह में ले लिया खूब जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में बोली- मेरे से रहा नहीं जाता, प्लीज़, मुझे पलंग में पटक कर चोद!प्लीज़ चोद! बिपिन प्लीज़ चोद! यार चूत में बहुत खुजली हो रही है!
मैंने कहा- आंटी मैं भी सीधा लण्ड आपकी चूत में नहीं डालूँगा!
तो बोली- क्या करेगा?
मैंने कहा- आप पलंग के कोने पे पैर फैला के रखो, मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है!
वो खुश हो गई- यार! पहली बार कोई मेरी चूत चाटेगा! चाट ले…जल्दी से चाट ….चाट!
करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत और उसने मेरा लण्ड चाटा। फ़िर बोली- तुम सामने सोफे पे बैठ जाओ। मैं सोफे पे बैठ गया और वो मेरे ऊपर इंग्लिश स्टाइल में बैठ गई और मेरा लण्ड अपनी चूत में डालकर पागलों की तरह गोद में कूद रही थी। मेरा ध्यान सामने लण्ड शेप में पड़ी हुई मोमबत्ती पर था और मेरी उंगली आंटी की गाण्ड में।
मुझे मोमबत्ती देखते हुए देख के बोली- जो तू सोच रहा है, वो कर दे!
और मैंने मोमबत्ती लेकर आंटी की गांड में घुसेड दी। आधे घंटे तक वो मेरे ऊपर सोफे में रही और मोमबत्ती उनकी गांड में।
फिर बोली- चलो बिस्तर पे चलते हैं!
और वो उसकी गांड मेरे लण्ड के सामने रख कर लेट गई। मैंने भी उनकी चूत में से हाथ डालकर चिकनाई को अपने लण्ड पे लगाया और उनकी गांड में घुसेड़ दिया। अब वो बहुत चिल्लाई- ओह माँ…ओह माँ…ओह…ओह…खूब मजा आ रहा है!
मेरा हाथ उसकी चूत में था और लण्ड उसकी गांड में!
तब वो बोली- मोमबत्ती कहाँ है?
मैं समझ गया, मैंने मोमबत्ती लेकर उनकी चूत में डाल दी और जोर से उनके बूब्स खींचने लगा। 2 घंटे तक उसको मैंने प्यार से चोदा।
बाद में बोली- अब मैं थक गई हूँ, तू अपना वीर्य मेरे मुंह में डाल दे!
और फिर मैंने लण्ड को आंटी के मुंह में डाल दिया लेकिन झड़ने का नम नहीं ले रहा था। मैंने आंटी से कहा- अपने बूब्स मेरे हाथ में दो, दूध निकलना है!
तो वो हंस के बोली- दूध निकलना तेरा काम नहीं!
हमने शर्त लगाई कि पहले मेरा वीर्य निकलता है या आंटी के बूब्स में से दूध (पानी)
फिर मैंने शुरू किया उनके स्तनों को मथना! 20 मिनट हुए और अ आ आ अआः…आ अ आ आह…अह हह ह्ह्छ मैं झड़ गया और साथ में ही आंटी के बूब्स में से पानी निकल गया। मैंने पूरा वीर्य आंटी के मुंह में डाल दिया।
अब वो भी थक गई और मैं भी थक गया।
आंटी बहुत खुश होते हुए मेरे लौड़े पे हाथ रखके बोली- कभी भी मेरी याद आए तो मुझे बुला लेना! मैं तुम्हारे साथ किया हुआ सेक्स कभी नहीं भूलूंगी।
वो अपने घर चली गई और मैं दरवाजा बंद करके अपने कमरे मैं आया तो देखा गुड्डी तो सो गई है, खर्राटे लेने लगी है। मैं रसोई में गया, 2 ग्लास दूध पीकर वापस आया। गुड्डी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था और वो पैर फैलाये बिस्तर पे पड़ी थी।
मैं भी उसकी चूत को चाटने लगा और गुड्डी गरम हो गई। आधी नींद में ही कहने लगी- तुम कहाँ चले गए थे यार मुझे अकेली छोड़ कर!
मैं ये नहीं कह सका कि मैं तेरी माँ को चोद रहा था।
फिर वो पुराने रंग में आ गई और मेरा लण्ड चूसने लगी। बाद में बिस्तर पर लेट के दोनों पैर खोल दिए और मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया और बहुत चोदा।
फिर मैंने पूछा कि तेरे बूब्स में से दूध निकलेगा?
तो वो बोली- नहीं! अभी तो पानी निकलेगा!
और मैंने उसके बूब्स खींचना शुरू किया, वो मेरा लण्ड मुंह में ले रही थी। 20 मिनट तक ये चलता रहा और एक जोर से झटके ने मेरा सारा वीर्य गुड्डी के मुंह में डाल दिया और गुड्डी के स्तन से पानी निकल गया।
शाम के 6 बज चुके थे। गुड्डी ने मुझे किस करके कहा- आज का दिन मुझे पूरी जिन्दगी याद रहेगा।
मैंने हंसके गुड्डी से कहा- तुझे याद रहे न रहे पर मुझे आज का दिन सात जन्मों तक याद रहेगा!
पाठकों को मेरा ढेर सारा प्यार!
यह मेरी पहली असली कहानी है पसंद आई या नहीं, जवाब देना! Antarvasna
अन्तर्वासना के सभी Antarvasna पाठकों और गुरुजी को मेरी तरफ से यानि कि पम्मी की तरफ से प्रणाम ! यह अन्तर्वासना पर मेरी तीसरी कहानी है। लोगों की चुदाई की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर चूत गीली हो जाती है। पहली कहानी में जिस तरह मैंने बताया था कि मेरे पति एक फौजी हैं। और मेरे घर में काम करने वाले एक सीरी ने किस तरह दोपहर में मेरी प्यास बुझाई ! आज मैं वहीं से आगे शुरु करने जा रही हूँ।
मैंने बताया था कि जगह और मौका न मिलने से मैं और मेरा सीरी कितने परेशान और प्यासे थे, आने-बहाने हवेली में जाती थी लेकिन कम समय की वजह से चूमा-चाटी तक ही सीमित था, इससे ज्यादा कुछ सिर्फ इतना था कि मैंने दो बार उसका लंड खड़ा किया लेकिन मुँह में ही डालकर उसकी मुठ मारी और फिर कमरे में जा उसकी मुठ मारने वाले सीन को याद कर उंगली डालती और कभी मूली घुसा कर शांत होती।
तभी एक दिन उसने जुगाड़ लगाया और मुझे ट्यूबवेल पर दोपहर में बुलाया। बहुत गर्मी थी लेकिन चूत की प्यास ने मुझे खींच लिया। उस दिन जेठजी किसी काम से शहर गए हुए थे। उनके इलावा ससुर जी वहां जाते लेकिन उस दिन वो भी शहर से बाहर थे। सीरी अकेला था, मैं चली गई उसे मिलने और हम दोनों अकेले में मिलते ही पागल हो गए और एक दूसरे में समा गए। देखते ही देखते उसने मुझे वहीं निर्वस्त्र करके और खुद को निर्वस्त्र करके मुझ पर टूट पड़ा। कितने दिन के बाद दो प्यासे आशिक मिले, मैंने जी भर कर उसका लंड चूसा और उसने मेरे मम्मे दबा कर लाल कर दिए। दांतों के निशाँ साफ़ हवस की कहानी बता रहे थे। जैसे ही असली चीज़ घुसी मेरी आंखें खुद ही बंद होने लगी मेरी चूत में लंड डाल उसका भी वही हाल था।
हम चुदाई में इतने खोये हुए थे दीन-दुनिया से परे, यही सोचा कि इतनी गर्मी में वहाँ कौन आयेगा। चोदते चोदते उसने मुझे उठाया और ट्यूब वेल के आगे बने हुए चुबच्चे पर ले गया। (जिसको शहर में लोग बाथटब कहते हैं) नंगे जिस्म पर जब पानी डला तो साथ में एक मर्द की मजबूत बाँहों का साथ, उसने मुझे किनारे पर बिठा अपना लंड घुसा दिया और तूफ़ान आया जब दो प्यासे जिस्म शांत हुए तो मेरी नज़र जेठ जी पर पड़ी। मैंने पानी में छलांग लगा दी, पूरी नंगी थी मैं, करती भी क्या !
यह सब क्या हो रहा था? मादरचोद ! नमक हराम ! इतने सालों से तू यहाँ रह रहा है और अब यह सब कर रहा है?
इतने में मैं निकल कर ट्यूबवेल के कमरे में घुस गई, कपड़े पहने और वहाँ से निकल आई।
जेठ जी मुझे घूर रहे थे और उनकी इस घूर में हवस के साथ साथ प्यास थी। मैं थोड़ा डर गई लेकिन फिर ठीक सी हुई, उनकी आंखें पड़ने के बाद मुस्कुरा के वापस घर आई। घर पर लॉक लगा देख मैंने अपने पर्स से दूसरी चाभी निकाली और अदंर आई।
प्यास तो बुझ चुकी थी मगर मन बेचैन था, जेठ जी का वासना भरा चेहरा सामने आते ही शर्मा जाती। अब कुछ न कुछ तो होगा यह तो मुझे मालूम था।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला- सामने जेठ जी को देख बिना और देखे अपने कमरे में चली आई।
वो माँ को आवाज़ दे रहे थे, मैंने अदंर से ही कह दिया- वो घर में नहीं हैं !
वो अपने कमरे में चले गए, मैं बिस्तर पर लेट गई और अपने कमरे का टी.वी ऑन कर बैठ गई। तभी जेठ जी मेरे कमरे में आये। मुझे हैरानी नहीं हुई, मैं कई बार अपने ही ख्यालों में उनसे चुदाई करवा चुकी थी। मैं सीधी होकर बैठ गई, चुन्नी का पल्लू करके !
तभी जेठ जी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया।
मैं चुप थी !
वहाँ क्या करवा रही थी? फिर बोले- तेरा भी क्या कसूर है रानी ! तुम हो ही आग !
वो अब बिस्तर पर चढ़ आये, मेरे पास बैठ मेरा चेहरा अपनी ओर घुमाया, मैं शरमा गई, अपने होंठ मेरे होंठों पर रखते हुए मेरी जांघों पर अपनी टांग चढ़ा ली, मेरे होंठ चूसने लगे और एक हाथ मेरी कमर में डाल अपने साथ चिपका लिया, पाँव के अंगूठे से मेरी सलवार को सरका मेरी गोरी टांगों का स्पर्श पाने लगे, हाथ से मेरी चुची दबा दी।
मैं भी आपा खोने लगी और खुद ही उनसे लिपट गई- क्या करती जेठ जी? आपका भाई तो फौजी है, इसमें मेरा क्या कसूर? मैं जवान हूँ ! भरी जवानी है, उसका कोई कसूर नहीं था, मैं खुद उसके पास गई थी।
बोले- मैं जानता हूँ रानी, मुझ से कह देती, मैं तुझे ठंडी कर देता !
उन्होंने मेरा कमीज़ उतार दिया फिर सलवार खोल दी। मैंने भी उनका कुरता उतार दिया और उनकी चौड़ी छाती के घने बालों पर हाथ फेरने लगी। पजामा उन्होंने खुद उतार दिया, खड़ा लंड उनका कच्छा फाड़ने को उछल रहा था। जेठ जी मेरी ब्रा की हुक खोल मेरे मम्मे मसलने लगे- क्या जवानी है तेरे पर ! बहुत देर से तुझे चोदना चाहता था, लेकिन कह नहीं पाता था !
मैं खुद आपकी दीवानी हूँ, मेरा भी आप जैसा हाल था !
जेठ जी मेरी कच्छी को उतारते ही बोले- लगता है आज ही सफाई की है ?
मैं शरमा सी गई, मैंने भी उनके कच्छे को उतार उनका लंड हाथ में पकड़ लिया- जेठ जी, इतना ज़बरदस्त लंड है आपका तो ?
मैंने लण्ड को जड़ तक सहलाया और मुँह में ले लिया।
वाह मेरी जान ! इस सुख से मैं वंचित रहा हूँ, आज जी भर कर चुसवाऊंगा अपना लंड !
फिकर मत करो, मैं खुद लंड चूसने की शौकीन हूँ ! मैंने कुतिया की तरह जुबान निकाल कर चाटा, वो आहें भर-भर मेरा मम्मा दबा रहे थे। उनहत्तर की हालत में लाते हुए मैं अपनी चूत उनके हाथों के पास ले आई वो मेरी चूत से खेल रहे थे दाने को मसल देते तो मैं सिकुड़ सी जाती।
तभी मेरी नज़र खिड़की पर गई, मेरा सीरी सब देख रहा था।
अब फाड़ दो मेरी ! जेठ जी ! रहा नहीं जा रहा अब !मैंने अपनी टाँगें खोल दी और उनको बीच में बिठा लिया और उनका तकड़ा लंड अपनी चूत के अदंर-बाहर करवाने लगी। एक एक रगड़ मेरी आंखें बंद कर देती। चुदवाते हुए मेरी नज़र फिर खिड़की पर गई। मैंने इशारा किया।
बोला- वाह चौधरी जी वाह ! मुझे कितने पाठ पढ़ा रहे थे ! और आते ही वही पाठ भूल कर चढ़ गए इस पर?
जेठ बोले- साले, कुछ तो कहना ही था ना ! तू साले ! हर माल एक साथ बांटते थे, इसको अकेला संभाल बैठा था? वो भी कयामत?
यह सुन मैं हंसने लगी और बोली- तू मुझे चुदवाने दे !
जेठ जी लगे झटके देने !
मैं भी आता हूँ !
मैं जेठ जी के साथ सब भूल मजा लेने लगी।
क्या स्टाइल था उनका चुदाई करने का ! मैं तो उनकी दीवानी होती जा रही थी, सीधा लेटते हुए मुझे अपने लंड पर बिठा उछालने लगे गेंद की तरह ! मैं उनके लंड पर ठप्पे खा रही थी मेरे हिलते मम्मो को देख वो भी जोश के साथ नीचे से मुझे उछालते।
इतने में वो भी खिड़की खोल घुस आया, तब जेठ जी मुझे घोड़ी बना कर चोद रहे थे, वो मेरे सामने आया और लंड निकाला, मुँह में दे दिया। वाह ! एक चूत में ! एक मुँह में ! दो-दो एक साथ !
जेठ जी तूफ़ान की तरह चोदने लगे। उतनी ही तेज़ मैं उसका लुल्ला चूस रही थी।
तभी जेठ जी ने कहा- गांड में डालने वाला हूँ !
मेरे ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम उठाई और अपने लंड पर लगाई और कुछ मेरी गांड पर !
जेठ जी सीधे लेट गए, मैंने उनके लण्ड पर अपनी ग़ाण्ड टिका कर बैठना शुरु किया। कुछ पल में मैं उनका पूरा लंड अंदर ले गई। वो भी मेरे मुँह में लगा हुआ था। फिर जेठ जी ने मुझे कहा- मेरी तरफ पीठ करके अदंर ले, ताकि यह भी तेरी चूत में घुसा दे !
मैंने कहा- फट जायेगी !
बोले- हम दोनों ने कई बार एक साथ दोनों छेदों में डाले हुए हैं ! कोई काम वाली हमसे नहीं बची !
तभी सीरी ने आगे से घुसा दिया और दोनों पागलों की तरह मुझे रौंदने लगे।
क्या अलग सा सुख था यह !
जैसे जेठ जी तेज़ हुए, सीरी ने निकाल लिया। जेठ जी औरत को अपने नीचे डाल कर झाड़ते थे, सारा माल मेरी चूत में भर दिया बाकी मुझ से चटवा कर साफ़ करवा लिया। सीरी ने अब मेरी गांड में घुसा दिया और दन-दना-दन चोदने लगा और जल्दी ही सारा माल मेरी कसी हुई गांड में उगल दिया। दोनों मेरे ऊपर लुढ़क गए। मैं नंगी दो मर्दों के सोये लंड पकड़ मजे ले रही थी।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, हम तीनों की फट गई।
जल्दी से उठकर कपड़े पहने, सीरी किवाड़ से भाग गया, जेठ जी कपड़े उठा अपने कमरे में भाग गए।
मैंने दरवाज़ा खोला- माँ थीं !
सो रही थी क्या बहू?
हांजी, माँ जी ! आंख लग गई थी !
उस रात दोनों ने दारू पी मुझे आधी रात को हवेली में चोदा। कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, तभी मेरी छोटी बहन की शादी तय हो गई और मुझे वहां जाना पड़ रहा था, दिल मेरा भी नहीं था, सासू माँ ने मुझे कहा- छोटी दुल्हन ! चली जा ! बहन की शादी है !
मायके में उनके लंड याद आ रहे थे। एक रोज़ जेठ जी का फ़ोन आया कि वो काम से शहर आये हुए हैं ! मेरे मायके घर के करीब ! बोले- यहाँ मेरे दोस्त का घर है, उसकी बीवी कुछ दिन के लिए मायके गई हुई है, दोपहर में मिलने आ जा !
उसका घर सच में पास था, मैंने कहा- दोपहर में मुश्किल है, रात को बना लो प्रोग्राम !
मैंने इधर माँ से कहा- मुझे एक दिन के लिए सासू माँ के पास जाना है ! उनकी तबियत ठीक नहीं !
माँ बोली- हाँ ! ज़रूर जा ! वो दोनों अकेले होंगे !
मेरे छोटे भाई ने मुझे बस स्टैंड छोड़ दिया और वहीं से जेठ जी के दोस्त अपनी कार पर मुझे अपने घर ले चला, बोला- बहुत सुंदर हो रानी ! उसने मेरी जांघें सहला दी।
वो बहुत हैण्डसम था उसने जानबूझ कर गाड़ी खाली कालोनी की तरफ लम्बे रास्ते डाल ली। जैसे ही उसका हाथ चूत तक गया, मैंने उसका लंड पकड़ लिया।
उसके बाद क्या हुआ, वो अगली बार लिखूंगी ! मैं बहुत चुदासी औरत हूँ, रंडी कह लो, सब चलेगा ! लेकिन मर्द के बिना मैं नहीं रह पाती ! वो भी पराये मर्दों के बिना !!!!!
जवाब लिखो ! Antarvasna
कोठे की कुतिया में आपने Sex Stories पढ़ा कि मौसी ने किस तरह से मुझे एक रंडी बना दिया था।
अब पढ़िए कि किस तरह से मौसी ने मेरी चूत और गांड का भोंसङा बना दिया।
मैं और मोनी मौसी के साथ एक पारदर्शी मैक्सी पहन कर ऊपर की तरफ चले गए जहा मोंटी अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। अंकल को देखकर मौसी बोली- डार्लिंग मस्त लोंडिया तुम्हरे लिए बचाकर रखी हुई है, छूते ही मस्तिया जाओगे और तुम्हारा चेला कहाँ है? मोनी को उसके लिए बचाकर रखा है।
अंकल बोले- टीनू आ रहा है, वो जरा दारू का इंतजाम कर रहा है।
मौसी ने पहले ही मुझे काफी बातें सिखा दी थी कि ग्राहक की सेवा कैसे की जाती है। मैं अंकल के पास जाकर बेठ गई और उनके लौड़े को जींस के ऊपर से रगड़ने लगी।
अंकल मेरे चूतड़ मसलते हुए बोले- मौसी, तुम यह झबले क्यों पहना लाती हो ?
मौसी के इशारे पर मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।
अंकल मुस्कराए और बोले- समझदार है !
उन्होंने आगे से मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेर कर कहा- साली की पाव रोटी तो बड़ी चकाचक है ! ज्यादा चुदी भी नहीं लगती है !
मौसी बोली- बिलकुल ताजा माल है ! पीछे से तो पूरी कुंवारी है आगे से भी लंड छुली हुई है बस। आज तुम्हें इसकी चूत का भोंसड़ा बनाना है।
अंकल गरम हो रहे थे उन्होंने जींस में से लौड़ा निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया। थोड़ा सहलाने के बाद मैंने अंकल का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरी चूत चुदने को पगला रही थी। मौसी बाहर जाने लगीं और मुझसे बोली- अंकल जैसे कहें वैसा करना ! अगर अंकल खुश नहीं हुए तो तेरी चूत और गांड की भोंसड़ी तो बनाउंगी ही, साथ ही साथ चेहरा भी इतना सुंदर कर दूँगी कि कोई तुझे चोदने के दो रुपए भी नहीं देगा।
मौसी मोनी को लेकर बाहर चली गई और बोली- अंकल, मौज करो ! टीनू को दूसरे कमरे में बैठा दूँगी।
अंकल का लंड बहुत सुंदर था। आट इंच लम्बा लंड किसी भी औरत की चूत चोद चोद कर फाड़ने के लिए काफी था।
मैं अंकल का लंड मुँह में आगे पीछे करते हुए मस्ती से चूस रही थी। सच मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने मेरे चूतड़ थपथपाते हुआ कहा- थोड़ा अपनी चूत चुसवा ! बहुत मस्त लग रही है।
उन्होंने मेरी टाँगें खींच कर अपने मुँह की तरफ कर ली अब मैं और अंकल 69 कि अवस्था में एक दूसरे के ऊपर थे, अंकल नीचे से मेरी चूत के होंठ चूस रहे थे और मेरे मुँह में उनका लौड़ा गरम हो रहा था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए चूत और लंड की चुसाई का मज़ा ले रहे थे।
थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे ऊपर से हटा दिया और सीधे पलंग पर लेटा दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत पर फिराने लगे। मैं चुदने के लिए बुरी तरह से पगलाने लगी। मेरे मुँह से ऊह आह आह आह अंकल चोदो मुझे चोदो जैसी आवाजें निकलने लगी।
अंकल ने थोड़ी देर में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी दोनों चूचियां दबाकर कर एक जोर का झटका दिया। मैं एकदम से बुरी तरह से चिल्ला उठी। अंकल का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस चुका था। मेरी चीख निकल गई- उईऽऽ मर गई ! मर गई ! मर गई, छोड़ो ! बहुत दुःख रही है छोड़ो !
अंकल ने मेरे दूध भोंपू की तरह दबाते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में मुझे चुदने में मजा आने लगा। अब मैं मस्त होकर चिल्ला रही थी, मेरे मुँह से ऊ ऊहं ऊहं ओह आह आह अहह बड़ा मज़ा आया और चोदो चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है जैसे आवाजें निकलने लगी।
अंकल चोदने में बहुत माहिर थे, कभी धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करते थे और कभी तेज कर देते थे। बराबर वो चूचियां और चुचक भी मसल रहे थे और होठों पर भी काट रहे थे। उनकी चुदाई में एक मज़ा था। मेरे होठों में अपने होंठ डालते हुए अंकल बोले- कुतिया थोड़ी गांड हिला हिला कर लंड अंदर ले ! बहुत मज़ा आयेगा।
मैं अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी। अब मेरी चुदने की मस्ती बढ़ गई थी, चुदने का मज़ा दुगना हो गया था। थोड़ा चोदने के बाद अंकल ने मुझे तिरछा कर दिया और मेरी टांग उठाकर पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और पीछे से मेरी चूत में धीरे धीरे धक्के मारने लगे।
मैं इस समय चरम सीमा का अनुभव कर रही थी, मेरी चूत बहुत तेज धार से पानी छोड़ रही थी। अंकल ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरी चूत पूरी वीर्य से भर गई थी। मुझे आज चुदाई में एक चरम सीमा का आनंद आया।
बहुत दिनों के बाद मैं चुदी थी, चुदने के बाद मैं मस्तिया कर लेट गई। अंकल उठे और उन्होंने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और कमरे में रखे फ़्रिज से दारू की बोतल निकाल ली और दारू का ग्लास बना लिया। मूवी में दो हब्शी एक लड़की की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे। अंकल अपना लौड़ा सहलाने लगे, थोड़ी देर में अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया था। उन्होंने मुझे इशारा किया, मैं उठकर अंकल के पास आ गई। अंकल ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।
उनका लौड़ा पूरा तन गया था। उन्होंने दारू का ग्लास मुझे पकड़ा दिया और मेरी टांगें चौड़ी कर थोड़ा नीचे को फिसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मैं अंकल के लौड़े पर बैठी हुई थी। एक हाथ से अंकल दारू का ग्लास पकड़े हुए थे और एक हाथ से कभी मेरी चूत का दाना सहला देते और कभी चुचक दबा देते। ब्लू फिल्म मैं भी बड़े प्यार से देख रही थी अंकल ने मेरी चूत में अपना लौड़ा फिट कर रखा था। बीच बीच में वो एक दो धक्के मुझे उचका के मार देते थे। मेरा बदन एक बार फिर गरम होने लगा था।
हम दोनों सोफा कुर्सी पर बैठे थे जिसके हत्थे नहीं थे। अंकल ने मेरी चुचकों पर चुटकी काटी और मेरे स्तन दबाते बोले- जरा साइड में देख !
साइड में एक बड़ा शीशा लगा हुआ था, मैं नंगी शीशे में देखकर शरमा गई। अंकल ने मुझे बैठे हुए ही कुर्सी मोड़ दी अब मैं शीशॆ के सामने थी और नंगी उनके लंड पर बैठी हुई अपने को देख रही थी। मैं पूरी रंडी बनी हुई थी अंकल ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी।मेरी चूत और उसमें घुसा हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था। अंकल मुझे कमर से पकड़ कर धीरे धीरे उछालने लगे और बोले- थोड़ा लौड़े पर कूद ले ! मौसी की रंडियां इतनी शर्माती तो नहीं हैं ! मस्ती से चुदवा, नहीं तो मौसी से शिकायत करनी पड़ेगी।
मौसी का नाम सुनकर मैं डर गई और उनके लौड़े पर उछल-उछल कर खुद चुदने लगी। आज तक मैं अपने पति से कभी रौशनी में नहीं चुदी थी। अब यहाँ चूत चौड़ी कर खुद चुद रही थी और अपनी चुदाई शीशे में देख रही थी। अंकल भी अब अपना लौड़ा गांड हिला हिला कर तेजी से पेल रहे थे, लेकिन मुझे चुदाई में जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं चुदाई की मस्ती में नहा रही थी। अंकल ने कुछ देर बाद मुझे सोफे के नीचे बैठा दिया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अपना सारा लंड रस मेरे मुँह में उतार दिया। मेरा मुँह अंकल के लंड रस से भर गया जिसे मुझे अपने अंदर लेना पड़ा इसके बाद अंकल ने मुझे छोड़ दिया। मैं पेशाब करने बाथरूम में चली गई बाथरूम में दरवाज़ा नहीं था केवल पर्दा पड़ा था।
रात के तीन बज़ रहे थे, अंकल ने दूसरी ब्लू फ़िल्म लगा ली और मुझे बगल में बैठा लिया। उन्होंने मेरे गले में हाथ डाल लिया और थोड़ी देर बाद बोले- जा जरा मेरी पैंट की जेब में एक थैली पड़ी होगी, उसे लेकर आ।
मैं थैली लेकर आ गई। उसमें एक गोली का पत्ता था और एक ट्यूब रखी थी। अंकल ने एक गोली निकाल कर खा ली और ट्यूब साइड में रख ली। ब्लू देखते हुए अंकल मेरी चूचियां दबा रहे थे और चूचक नोच रहे थे। मैं अब थक रही थी और मेरी चूत की प्यास शांत हो चुकी थी।
थोड़ा इतरा कर मैं बोली- डार्लिंग, नींद आ रही है, सोने जाने दो न !
अंकल बोले- बस अभी से? अभी तो तुम्हरी गांड भी नहीं मारी है। अच्छा एक काम करो इस ट्यूब से क्रीम निकाल कर मेरे लौड़े पर मलो, मरती क्या नहीं करती ! मैं झुककर अंकल के लौड़े पर क्रीम मलने लगी। अंकल ने क्रीम से सनी दो ऊँगली एक साथ मेरी गांड में अंदर तक घुसा दी। मैं अनमने मन से उई उई करते हुए अपनी गांड में ऊँगली घुसवा रही थी और अंकल के लौड़े और सुपाड़े पर क्रीम की मालिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे लौड़ा चूसने के लिए बोल दिया। अब अंकल का क्रीम लगा चिकना लौड़ा मैं मुँह में चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स मस्ती की जगह मैं जैसे कोई सेक्स की मजदूरी कर रही हूँ।
अंकल अब ऊँगली की जगह अपने पैन को मेरी गांड में आगे पीछे कर रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मेरी गांड फाड़ी जाएगी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे फिर बगल मैं बैठा लिया। अंकल का लंड तनतना रहा था। लेकिन अब मेरा चुदने का मन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आने लगी। मैं उठी और मुस्करा के बोली- अंकल पेशाब कर के आती हूँ !
अंकल कुटिलता से मुस्कराए और बोले- ठीक है !
मैं उठी और बाथरूम में चली गई।
जब मैं पेशाब कर के उठी तो देखा अंकल पीछे खड़े थे और उनका लंड उछाल मार रहा था। अंकल ने पीछे से कमर से मुझे पकड़ लिया और बोले पीछे का माल तो तेरा बड़ा मस्त है, चल झुक जरा तेरी गांड तो चोद दूँ ! क्या मस्त दिख रही है !
अंकल की पकड़ बड़ी मजबूत थी, मुझे कुतिया की तरह झुकना पड़ा। मैंने अपने हाथ इंग्लिश टोइलेट सीट पर लगा दिए। उन्होंने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी और कस कस के गोल गोल गांड के अंदर घुमा दी। मैं ऊई ऊई कर के कराह उठी। अंकल ने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे डाल कर अपना सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया और एक तेज झटका मारकर सुपारा मेरी गांड में घुसा दिया। मेरी चीख निकल गई और मैं चिल्ला उठी- उई उई मर गई मर गई !
लेकिन रंडी तो बजने के लिए ही बनी है, अंकल अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा रहे थे, चिकना लंड मेरी गांड में अंदर तक घुसता जा रहा था। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। अंकल ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठूस दिया था मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाउंगी। मैं चीख कम और रो ज्यादा रही थी। मेरे दोनों चूतड़ फाड़ दिए गए थे। अगले दो मिनट बाद ही में बहुत तेजी से चिल्ला उठी। अंकल ने पूरा लंड बाहर खींच कर फिर दुबारा एक झटके में अंदर डाल दिया था। मेरी चीख बहुत तेज थी। पूरी नीचे गली तक गई होगी क्योंकि रात के तीन बज़ रहे थे और एक शांति सी थी। लेकिन यहाँ तो रोज लड़कियां बजती थीं इसलिए मुझे उम्मीद नहीं थी कि कोई मुझे बचायेगा अब कोठे की कुतिया के दोनों छेद फट गए थे, अंकल ने मेरी गांड बजाना शुरू कर दी थी। वाकई चुदाई तो मेरी अब हो रही थी, अभी तक तो मैं चूत लौड़े की मस्ती ले रही थी जो शरीफ औरतें रोज़ अपने पति से लेती हैं। चुदाई क्या होती है यह तो बस रंडी ही जानती है।
वाकई मौसी ने मुझे कुतिया बनाकर कोठे पर चुदवा दिया था। मेरे मुँह से बार बार उई मर गई फट गई बचाओ छोड़ो मुझे छोड़ो ऊ मर गई ऊ ओई ऊ ओई ऊ ओई फट गई की आवाजें निकल रही थीं अंकल ने दस मिनट तक मेरी गांड बुरी तरह से ऐसे चोदी जैसे कि सड़क की कुतिया की कुत्ते चोदते हैं। उसके बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं बाथरूम में ही लेट गई थी। अंकल ने मुझे उठाकर पलंग पर डाल दिया।
अब मेरी गांड और चूत दोनों फट गई थीं। अंकल मेरी बगल में लेट गए थे।
आधे घंटे बाद मौसी एक आदमी और एक रंडी जिसका नाम शोभा था, के साथ अंदर आई और बोली- अंकल, क्या हुआ ? ठंडे पड़ गए?
अंकल मुस्कराए और बोले- तीन राउंड निपटा चुका हूँ, तेरी कुतिया ठंडी पड़ी है।
अंकल उठकर पलंग के पास सोफा कुर्सी पर बैठ गए। मौसी ने मेरी चूत पे हाथ फिराया और बोली- तेरी मुनिया तो बड़ी चकाचक हो रही है। बड़े आराम से लेटी हुई है, लगता है जैसे कि हनीमून के मज़े ले रही हो ! चल उठ और धंधा कर साली ! जब तक तेरी मुनिया बुरी तरह से सुजेगी नहीं, तब तक चुद ! उसके बाद तुझे खुद ही नींद आ जाऐगी। चल उठ और ग्राहक के लिए ग्लास बना। मैं खड़ी हो गई। जानी पलंग पर बैठ गया।
शेष दूसरे भाग में ! Sex Stories
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