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प्रेषिका : सोनू वर्मा
मैं अपना पहला सेक्स का अनुभव लिख रही हूं। उस समय मैं बी ए के दूसरे साल में पढती थी। सहेलियों की बातों से मुझे भी लड़कों से बात करने की इच्छा होने लगी थी। मैं दूसरी लड़कियों की तरह बनने संवरने लगी थी, मेक अप भी करने लगी थी। जब मैं कोलेज में पैन्ट पहन कर जाती थी तो उसमें से मेरे चूतड़ों की गोलाइयां बड़ी चिकनी और सुन्दर उभर कर दिखती थी। लड़के चोरी चोरी तिरछी निगाहों से मेरी गाण्ड को निहारते थे। जीन्स में मेरे बदन के कटस उतने उभर कर नहीं आते थे। लड़कों को इस तरह उकसाने में मुझे मज़ा भी आता था। मेरे मन में भी चुदाने की इच्छा होती थी कि सभी सहेलियां तो मज़े लेती हैं और मैं सिर्फ़ सुनती हूं।
मुझे कम्प्यूटर टीचर बहुत अच्छे लगते थे। वो नए नए आए थे, सुन्दर थे। उनके बाल हवा में उड़ते थे तो मैं देखती रह जाती थी। मैं उनके पास पास रहने की कोशिश करती थी। उन्हें सभी लोग अजय सर कह कर बुलाते थे। मेरी अदाओं को अजय समझता तो था, कहता कुछ नहीं था। पर चोरी चोरी मेरे स्तनों के उभार को और चूतड़ों की गोलाइयों को देखता था। मुझे लगा कि ये सर तो पट जाएंगे…थोड़ी कोशिश तो करनी पड़ेगी ही।
एक दिन मैंने उनसे पूछा- सर ! मैं आपसे ट्यूशन पढना चाहती हूं, क्या आप मुझे कम्प्यूटर सिखाएंगे?
“हाँ हाँ जरूर ..अपने पापा को बता देना…”
“पापा ने ही कहा है ..”
“कब से आऊँ ”
“कल से…मोर्निंग 8.30 पर ”
“ थैंक यू सर ”
मैं दूसरे दिन छोटी स्कर्ट पहन कर और अन्दर एक छोटी सी पेंटी पहन कर बड़ी तैयारी के साथ इंतज़ार करने लगी. पेंटी इतनी छोटी थी कि झुकने पर पूरी चूतड दिख जाती थी. टॉप ढीला सा ..जो ऐसा था कि आधे बूब्स तो जरा सी कोशिश करने से ही नज़र आ जाते थे. मुझे लगा अजय के लिए इतना बहुत था.
अजय सर 8.30 पर आ गए. मेरे पापा ने उन से बात की…फिर मुझे बैठक मैं बुला लिया.
पापा मम्मी ऑफिस की तैयारी करने लगे. अजय ने मुझे देखा तो वो देखता ही रह गया.
उसे घूरते देख कर मैं मन ही मन मुस्करा उठी. तीर निशाने पर लगा था.
मैंने कहा – “सर, आज कहाँ से शुरू करें…”
“हाँ हाँ बैठो ..पहले बुक्स ले आओ ..”
“मैं बुक लेकर आयी और सर के सामने उसे गिरा दिया. फिर उसे उठाने के लिए मैंने चूतड अजय की तरफ़ कर दिए और झुक गयी. मेरी गांड की दोनों गोलाईयां और छोटी सी पैंटी उसे दिखने लगी होगी. मैंने उसे तिरछी नज़र से देखा…तो मेरे चूतड की तरफ़ ही देख रहा था… उसे पसीना आ गया था… मेरा दिल भी ये सोच कर धड़कने लगा कि उसने पूरा देख लिया है. मैंने टेबल पर किताब रख दी.
मेरी नज़र उसकी पेंट पर चली गयी, जहाँ उसका लंड खड़ा हो रहा था. वो उसे दबा कर छुपाने लगा. उसने पढाना शुरू किया फिर मुझे कंप्यूटर के पास ले गया. उसने कहा “अब कंप्यूटर पर प्रैक्टिकल कर के बताता हूँ… सीट पर बैठो…”
छोटा गोल स्टूल रखा था, मैं थोडी सी गांड पीछे कि तरफ़ निकाल कर बैठ गयी.
वो कंप्यूटर पर कुछ कुछ बताता जा रहा था, पर मेरा ध्यान अजय पर था. अजय समझ गया था कि मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं है. वो मेरी अदाओं से समझ गया था कि मैं उस से कुछ और ही चाहती हूँ. वो भी गरम होने लगा था. अब उसके इरादे साफ़ नज़र आने लगे थे. उसने अपनी टांगो से बार बार मेरे चूतडों को टच करना शुरू कर दिया.
मैं सिहर उठी…अब मैं जान गयी थी कि अजय मूड में आ गया है. अब वो मेरे हाथ के ऊपर हाथ रख कर और छू कर की बोर्ड और मोउस पर बताने लग गया था. अचानक मेरी नज़रें उसके चेहरे पर पड़ी तो देखा कि वो तो मेरी ढीली टॉप में से मेरे बूब्स को झांक कर देख रहा था. मैंने थोड़ा और अपना एंगल ऐसा कर दिया कि उसे देखने में कठिनाई न हो.
मैंने उसके लंड कि तरफ़ देखा तो वो भी खड़ा हो चुका था. अब वो कभी कभी मेरे कंधे के पास अपना लंड दबा देता था. मैं उसे ये सब करने दे रही थी. उसके लंड का मोटापन और साइज़ तक महसूस होने लगा था. ये सब जान कर मेरे बदन में कांटे खड़े होने लगे. मैंने भी अपना कन्धा ऐसे उछाला कि उसका लंड मेरे कन्धों से भिंच गया. उसके मुंह से आह निकल गई।
इतने में पापा ने आवाज़ लगाई- “हम जा रहे हैं…कोलेज़ जाओ तो घर ठीक से बंद कर देना।”
मैं उठी और बाहर खिड़की पर आकर उन्हें कार में जाते देखने लगी। अब घर में और कोई नहीं था, यह सोच कर मेरे दिल की धड़कन बढ गई। अजय भी खिड़की पर आ गया था। वो मुझे ही गहरी नज़रों से निहार रहा था. उसकी आंखों में सेक्स के डोरे नज़र आ रहे थे। मैंने सोचा अभी ये गरम है…मौका नहीं छोड़ना चहिए। पर हिम्मत नहीं हो रही थी।
अजय मेरे पास खड़ा हो कर अब इस तरह बाहर झांकने लगा कि उसका एक हाथ मेरे चूतड़ों पर आ गया था। उसने अपना हाथ हटाया नहीं। मुझे लगने लगा… हाय ! मेरे चूतड़ दबा दे ! मैं रोमांचित होने लगी। मैंने सोचा कि करने दो उसे…अजय ने शुरूआत कर दी थी, इसलिए मैं चुप ही खड़ी रही। मैंने उसकी तरफ़ मुस्कुरा के देखा। उसने भी नज़रें मिला दी और लगातार देखता ही रहा। उसकी हिम्मत भी बढी। उसने मेरी गाण्ड की गोलाइयों को सहलाना शुरू कर दिया।
मुझे मज़ा आने लगा था। मेरी इच्छा हो रही थी कि अजय कस के मेरे चूतड़ दबा दे। हम दोनो की नज़रें एक दूसरे में डूबने लगी। अजय भी मुस्कुराने लगा।
अचानक उसने नीचे से मेरी स्कर्ट में हाथ डाल कर मेरा एक चूतड़ पकड़ लिया।
मैंने अजय की तरफ़ एक बार प्यार भरी नज़र से देखा्। वो भी मुझे देख कर और पास आने लगा। आंखों आंखों में इशारे होने लगे। फ़िर उसने मुझे खिड़की से अन्दर खींच लिया… और मैं उसकी बाहों में खिंचती चली गई। उसने धीरे से कहा,” नेहा…अब मुझ से सहा नहीं जा रहा है।”
उसने अपने होंठ मेरे नरम नरम होंठों पर रख दिए। उसके होंठ भी नरम नरम थे। वो मेरे होंठ चूसने लगा।
मैंने अपनी अदाएं भी दिखानी शुरू कर दी। मैंने कहा, ” यह क्या कर रहें हैं सर आप ! सर ! मुझे छोड़ो ना…! अब नहीं करो…शरम आ रही है मुझे…”
मेरी बात अनसुनी करके उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मेरी गाण्ड की दोनो गोलाइयों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा।
“आह… नहीं… नहीं करो…बस करो अब… सी स्स्…बस अजय…!
मैं मुड़ कर जाने लगी तो फ़िर पीछे से खींच लिया… और मेरी छोटी सी स्कर्ट उठा कर कमर से कस लिया… उसके दोनों हाथ मेरे स्तनों पर आ गए और उनको मसलने लगे। उसका कड़क लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा जा रहा था। मैं काम-पिपासा से जल उठी। मेरी पैन्टी तो नहीं के बराबर थी।
उसके लण्ड क स्पर्श चूतड़ों में बड़ा आनन्द दे रहा था।
मुझे पता चल गया था कि अब मैं चुदने वाली हूं। इसी समय के लिए मैं ये सब कर रही थी और इस समय का इन्तजार कर रही थी। उसके हाथ मेरे कठोर अनछुए स्तनों को सहला रहे थे, बीच बीच में मेरे चूचकों को भी मसल देते थे और खींच देते थे।
“आह्… सी सी मैं मर जाऊंगी… सर ! ”
“मुझे सर नहीं अजय कहो… तुम्हारे निप्पल कैसे सीधे और कड़े हैं… ”
अजय को उभरी जवानी मसलने को मिल रही थी… और वो आनन्द से पागल हुआ जा रहा था।
उसका लण्ड और जोर मारने लगा और लगभग मेरी गाण्ड के छेद पर पहुंच चुका था। मेरी छोटी सी पैन्टी उसके लण्ड को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रही थी। मैं चुदवाने को तड़प उठी। वो तो मदमस्त हो कर ठोकर पर ठोकर मारे जा रहा था। उसने मेरी पैन्टी नीचे खींच दी और अपनी पैन्ट भी उतार दी और अपना लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया। मैंने उसकी तरफ़ देखा। फ़िर आंखों ही आंखों में इशारे हुए। उसकी अनकही भाषा मैं समझ गई। मैं घोड़ी बन गई। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दबाव डालने लगा… मैं खुशी में झूम उठी। मेरी गाण्ड चुदने वाली थी। उसकी आंखें नशे में बंद हो गई थी। अब मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया। वो मेरे बूब्स भींच रहा था। मैं मस्त हुए जा रही थी…आंखें बंद कर ली और दूसरी दुनिया में आ गई।
उसी समय मेरी गाण्ड पर कुछ ठण्डा ठण्डा लगा। मैं समझ गई कि उसने मेरी गाण्ड में थूक लगाया है। मैं सोच रही थी कि अब मेरी गाण्ड पहली बार चुदेगी… इतना सोचा ही था कि उसने जोर लगा कर अपनी सुपारी मेरे छेद में घुसा दी। मेरे मुंह से आनन्द और दर्द भरी चीख निकल गई।उसने सुपारी निकाल कर फ़िर जोर से धक्का मार दिया। इस बार और अन्दर गया।
“अजय ! दर्द हो रहा है…”
उसने कुछ नहीं कहा और थोड़ा सा निकाल कर जोर से धक्का मारा। उसका लण्ड पूरा मेरी गाण्ड में समा गया। मैं चीख उठी,” अजय बाहर निकालो… जल्दी… बहुत दर्द हो रहा है… ”
पर उसने तेजी से धक्के मारने चालू कर दिए। मैं कहती रही पर उसने मेरी एक ना सुनी। अब मुझे मज़ा आने लगा। उसने अब लण्ड निकाल कर पीछे से खड़े खड़े ही मेरी गीली चूत में घुसा दिया। पहली बार कोई लण्ड मेरी चूत में घुसा था। मुझे इसी का इन्तजार था। मुझे सच में मज़ा आने लगा और मेरे मुंह से निकल ही गया- अजय ! आह… मज़ा आ रहा है… जरा जोर से चोदो ना…
“हां हां मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है… ये लो…”
उसने एक धक्का जोए से मारा, मेरे मुंह से फ़िर चीख निकल गई,” हाइ अजय मैं मर गई”
और जमीन पर थोड़ी खून की बूंदें टपक गई। मैं घबरा गई…”अजय ये क्या हुआ…! ये खून…?”
उसने प्यार से मेरी पीठ सहलाई और कहा,” नेहा ! मैं तो समझा था कि तुमने पहले चुदवा रखा है… पर तुम तो पहली बार चुदी हो… सोरी ! मुझे पता होता तो मैं धीरे धीरे ही करता…”
मुझे लगा कि कहीं राजु मुझे चोदना बंद ना कर दे, मैंने एकदम कहा- “नहीं नहीं मज़ा आ रहा है… चोद दो ना… हाय रे…अब आगे तो बढो कुछ्…”
“हां दर्द तो अभी ठीक हो जाएगा।”
अजय ने फ़िर से अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और हौले हौले धक्के मारने लगा। मुझे अब चूत में मीठी मीठी गुदगुदी होने लगी- मेरे मुंह से निकल गया- अजय… लगा ना जोर से धक्का… और जोर से… अब मज़ा आ रहा है।
अजय भी तेजी से करना चाहता था। उसने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और कूद कर मेरे ऊपर चढ गया। मेरी चूत बहुत ही चिकनी हो गई थी और बहुत सा पानी भी छोड़ रही थी। उसका लण्ड फ़च से अन्दर घुस गया और घुसता ही चला गया। मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई- आह्…घुस गया से… स्…स्… अब रूकना नहीं… चोद दो मुझे…
अजय ने अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। मैं भी नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी।
हाय से मज़ा आ रहा है… लगा… जोर से लगा… ओई उ उईई
हाँ…मेरी रानी…ये ले…येस…येस…पूरा ले ले… सी…सी…”
“अजय…मेरे अजय…हाय…फाड़ दे…मेरी चूत को… चोद दे…चोद ..दे… सी…
सी…आअई ईएई… ऊऊ ऊऊ ओएई ईई…”
“कैसा मज़ा आ रहा है… टांगे और ऊपर उठा लो…हाँ…ये ठीक है…”
उसने अपने आप को और सही पोसिशन में लेते हुए धक्के तेज कर दिए…
मेरे चूतड़ अपने आप ही तेजी से उछल उछल कर जवाब दे रहे थे .
जोश के मारे मैं उसके चूतड हाथ से दबाने लगी। मैं उसे अपने से चिपका कर थोडी देर के लिए उसके होंट चूसने लगी। साथ ही मैन अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेड़ मैं घुसा दी.
…धीरे से… डालना…”वो हांफता हुआ बोला… मैंने और उंगली अन्दर घुसेड दी… और अन्दर बाहर करने लगी। मैंने महसूस किया…कि उंगली गांड में करने से उसकी उत्तेजना बढ गयी थी… मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड चूत के अन्दर ही और कड़कने लगा था। मैंने धीरे से अपनी चूत सिकोड़ ली ..उसका लंड मेरी चूत में भिंच गया
…वो सिसक उठा…“नेहा… हा…मेरा निकल जाएगा…”
“तो फिर चोदो ना… रुक क्यूँ गए…”
“ पहले मेरा लंड तो छोडो…हाय…निकल जाएगा ..ना…”
मैंने चूत ढीली छोड़ दी…मैंने उसकी गांड से उंगली भी बाहर निकल दी। उसने अब मेल इंजन की तरह अपना लंड पेलना शुरू कर दिया .
मुझे भी अब तेज गुदगुदी उठने लगी…हाय ..हाय…मर गयी…हाय…चुद गयी… मेरे रजा… चोद दे… अरे…अरे… लगा .. जोर से… मेरे रजा .. फाड़ डाल…अआया…आ अ अ…एई एई एई…मैं गयी…”
“रुक जाओ…अभी नही…”
“मैं गयी… मेरा पानी निकला…निकला…निकला…हाय ययय ययय… हाय राम…”मेरी साँस फूल गयी…और मैंने जोर से पानी छोड़ दिया…
“अरे नही…ये क्या… तुम तो ..हो गयी…”
उसने मुझे तुंरत उल्टा करके…मेरी गांड पर सवार हो गया…मुझे थोडी ही देर मैं लगा कि उसका लंड मेरी गांड के छेद पर था. उसने जोर लगाया और लंड गांड कि गहराइयों में उतरता चला गया.
मेरी चीख निकल गयी…“अजय…ये क्या कर रहे हो…निकाल लो प्लीज ..”
प्लीज्… करने दो… मैं झड़ने वाला हूं…
नहीं नहीं लण्ड निकालो…
उसने सुनी अनसुनी कर दी और धक्के लगाता ही गया। मैं दर्द से चीखती ही रही“ बस बस छोड़ दो मुझे, छोड़ दो ना… छोड़ दो…”
मुझे मालूम था…वो मुझे ऐसे नहीं छोड़ने वाला है, मैं तकिये में मुंह दबा कर टांगें और खोल कर पड़ गई। वो धक्के मारता रहा, मेरी गाण्ड चुदती रही। फ़िर…“ आह मेरी… रानी… मैं गया… मैं गया… हाऽऽऽ स्स निकला आ आ आह म्म्म हय रए…”
मेरी गाण्ड में उसका गरम गरम लावा भरने लगा। वो मेरी पीठ पर निढाल हो कर गिर गया…मैंने नीचे से अपनी गाण्ड हिला कर उसका ढीला हुआ लण्ड बाहर कर दिया। उसका सारा माल मेरी गाण्ड के छेद से निकल कर बिस्तर पर बहने लगा। अजय करवट लेकर बगल में आ गया।मैं उठी और देखा, उसका पूरा लण्ड मेरे पानी और उसके वीर्य से चिपचिपा हो गया था… मेरी गाण्ड भी वीर्य से लथपथ थी…
मैं सुस्ती छोड़ नहाने चली गई। जब तक नहा कर आई तो अजय जा चुका था। एक कागज की स्लिप पर कुछ लिखा था-
“सोरी नेहा…मुझे माफ़ कर देना…मैं अपने आप को रोक नहीं पाया… अगर माफ़ कर दो तो कोलेज में मुझे माफ़ी की मन्जूरी दे देना…अजय”
मैं मुस्कुरा उठी। उसे क्या पता था कि ये उसकी गलती नहीं थी…
मैं खुद ही उस से चुदवाना चाहती थी। बस डर लग रहा था कि ये पहली चुदाई है…जाने क्या होगा.. पर अब मुझे लग रहा है कि ये तो जिन्दगी का लुत्फ़ उठाने का एक शानदार तरीका है।
पाठको ! यह कहानी कैसी लगी?
मैं आपको एक नई चुदाई कहानी सुनाने जा रही हूँ जो कि बिल्कुल सच्ची कहानी है।
मैं 23 साल की हूँ और सुंदर लड़की हूँ। मेरी कहानी एक माँ और उसके आशिक़ द्वारा एक मासूम लड़की को गंदे कामों में धकेलने की है।
मेरे पापा एक बैंक में काम करते हैं और मेरे पापा की मेरी मम्मी के साथ पटती नहीं है, वे हमेशा देर से घर आते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, मेरी तरफ़ उनका ज़रा भी ध्यान नहीं है।
यह कोई 5 साल पहले की घटना है, तब में 18 साल की थी। मैं बारहवीं में पढ़ रही थी। मैं मैथस में कुछ कमजोर थी तो मम्मी ने मुझे पढ़़ाने के लिए एक मैथ टीचर रखा था, जिस की उम्र क़रीब 28 साल की होगी। वो टीचर देखने में अच्छा था।
पहले ही दिन मम्मी ने उन्हें और मुझे अपने कमरे में बुलाया और हिदायतें देना शुरू कर दी। मम्मी ने मुझ से टीचर के लिए चाय बनाने को कहा और मैं चली गई जब में चाय लेकर आई तब मैंने देखा की मम्मी के कपड़े अस्त व्यस्त थे और टीचर के शर्ट पर मम्मी के लंबे बाल थे। मम्मी का पाऊडर भी उन पर लगा हुआ था।
मैं समझ गई थी कि वे दोनों प्यार कर रहे थे।
मुझे देख कर वे दोनों पहले की तरह ही बैठ गये जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।
टीचर हर रोज शाम के 5 बजे आया करते थे और मुझे पढ़़ाने और समझाने के बहाने इधर उधर हाथ फ़िराया करते थे। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था। मगर मैं किससे अपनी बात कहती।
एक दिन टीचर ने मुझे कुछ याद करने को कहा था और मैंने नहीं किया था। बस उन्होंने मेरी गोल चूचियों की चुटकी ली और बोले- तुम कुछ भी पढ़़ती नहीं हो, मैं तेरी मम्मी से बात करूँगा।
इतना कह कर वे रसोई में चले गये जहाँ मम्मी खाना बना रही थी।
उनके आते ही मम्मी ने पूछा- तुम्हारा काम हो गया?
टीचर ने कहा- हाथ ही रखने नहीं देती, चूत क्या देगी। मेरा तो लंड बड़ा हो गया है, उसे शांत करना पड़ेगा।
मम्मी ने कहा- मैं हूँ ना!
इतना कह कर उन्होंने टीचर की पैंट का ज़ीप खोल कर टीचर के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। टीचर का लंड बहुत बड़ा था जिसे देख कर मेरी चूत में चींटियाँ रेंगने लगी। मैं वो दृश्य देख ना सकी और अपने रूम में आ गई।
यह दृश्य मेरे मन में कई दिनों तक छाया रहा और मैं रात भर टीचर का लंड याद कर कर के मैं सो नहीं पाती थी।
कभी अपनी चूचियों को सहलाती तो कभी चूत को… मेरे बुर से पानी झरने लगता था। मैं यह सोचती थी कि लंड को चूसना शायद अच्छा लगता होगा और यदि मैं किसी का लंड चूसती हूँ तो वो मेरी भी बुर चाटे। ये ओरल सेक्स की बातें सोच कर मेरी चूत में खलबली मच जाती थी। मैं भी टीचर का लंड चूसने बेताब हो गई।
एक दिन टीचर बोले- आओ मैं तुम्हें मैथ का ये फारमूला सिखा दूँ!
मैं टीचर के पास बैठ गई और वे बहाने से मेरी चूचियों सहलाते रहे। मुझे यह अच्छा लग रहा था और मैंने अनजाने में अपनी टाँगें फैला दीं। बस उन्होंने अपना हाथ वहाँ रखा और धीरे से मेरे बटन खोलने लगे।
मैंने कहा- मम्मी आ जाएगी, अभी कुछ मत करो!
उसने कहा- चल मेरी जान, तेरी मम्मी भी मुझ से डलवाती है, आ भी जाए तो भी कोई फ़रक नहीं पड़ेगा।
टीचर ने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूचियों और बुर को चाटने लगे और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया।
इतना बड़ा लण्ड पाकर मैं ख़ुश हो गई और मज़े से चूसने लगी।
तभी मेरी मम्मी आ गई और ग़ुस्से से लाल होकर बोली- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो। ज़रा मुझे भी बताओ?
टीचर ने कहा- मैं तुम्हारी बेटी को तैयार कर रहा हूँ। इसकी चूत बहुत मीठी है इसे तुम भी चाटो।
मेरी मम्मी ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगी। मम्मी का मेरी चूत चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
उधर टीचर ने अपना पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में घुसा दिया और फिर उसने मुझे जी भर के चाटना शुरू किया। मम्मी के साथ चुदाई का यह खेल मुझे नर्वस कर रहा था। मगर मन में यह बात भी थी कि मेरी अपनी मम्मी ने मुझे सेक्स की सारी चीज़ें सिखाईं।
मैं जो Antarvasna स्टोरी आपको बताने जा रहा हूं वो रियल तो है हि, साथ ही ये घटना मेरे साथ सिर्फ़ ६ दिन पहले हुई। तो हुआ ये के मैं अपने पी सी पर बैठा बी ऍफ़ देख रहा था,
तभी कुछ देर में मेरे पापा आ गये, मैने सब बंद कर दिया। बोले के चलो सबको आज घुमा कर लाते हैं। मैने सोचा अगर मैं गया तो सारा मज़ा बेकार हो जायेगा, इसलिये मैने जाने से मना कर दिया। सब चले गये। मैं घर में अकेला था। मैने फिर से बी ऍफ़ स्टार्ट कर दी। तभी मेरी बहन की दोस्त उसे पूछने आ गयी के मेरी सिस कहां है। मैने कहा के सब बाहर गये हैं। तो उसने मुझसे पूछा के तुम क्या कर रहे हो। मैने कहा के पीसी पर बैठा था। तो बोली के मैं अपना मेल चेक कर लूं। मैने हां कह दिया। मैने कहा के मैं ज़रा टॉयलेट से आता हूं।
जब मैं आया तो देखता हूं के मैने वीडियो प्लेयर बंद नहीं किया था और प्रीति सब कुछ देख रही थी। मैं उसे खिड़की से देखता रहा। उसका चेहरा कंप्यूटर की तरफ़ होने से उसने पीछे नहीं देखा के मैं खड़ा हूं। वो सब कुछ देख रही थी और बहुत गरम हो चुकी थी। इतने में उसने अपने मम्मे ऊपर से दबाने शुरु कर दिये। मेरा लंड खड़ा हो चुका था और मैं तो पक्का फ़ैसला कर चुका था के हो ना हो, ये आज मुझसे चुद कर ही जायेगी। फिर मैं थोड़ा और पीछे चला गया और हल्की सी आवाज़ निकली। वो समझ गयी के मैं आ रहा हूं। उसने प्लेयर बंद कर दिया। मैं आया तो उससे कहा के मेल चेक कर लिये तो बोली के हां कर लिये।
फिर मैने हिम्मत बांध कर उससे कह ही दिया के प्रीति तुम जो देख रही थी वो मैं पीछे खिड़की के पास खड़ा होकर देख रहा था। तो वो शरमा गयी और कुछ नहीं बोली। मैं समझ गया के मामला फ़िट हो गया। मैने दोबारा बी ऍफ़ स्टार्ट कर दी। अब हम दोनो देखने लगे। वो तो गरम हो ही चुकी थी। तभी मैने कहा के देखती ही रहोगी या फिर। तो वो हल्की सी मुस्कुराहट लायी। मैने तभी बिना टाइम वेस्ट किये उसके जांघ पर हाथ रख दिया। उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया। फिर मैं अपने हाथ को धीरे धीरे उसके ऊपर की तरफ़ लाने लगा। उसके मम्मे को दबाना शुरु किया। फिर उसे किस करने लगा। फिर मैने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया। वो उसके साथ खेलने लगी। करीब ५ मिनट तक हम किस करते रहे। फिर मैं उसे बेड पर ले आया और धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा।
पहले उसका सूट उतारा तो उसके ब्रा दिखने लगी। मैने उसकी ब्रा भी उतार दी। उसके मुंह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलने लगी मानो कह रही हो के मेरी चूत को जल्दी शांत करो। उसके दूध से भरे मम्मे देख कर मैं दंग रह गया। मैने उसको चाटना शुरु कर दिया। तो बोली के पहले कपड़े तो उतार लो। फिर मैने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार उतार दी। उसने काले रंग की पैंटी पहनी थी। फिर मैने उसे मेरे कपड़े उतारने को कहा तो उसने पहले मेरी पैंट फिर कच्छा उतारा।
मैने बनियान में था। बनियान मैने खुद उतार दी। अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे। पहले मैने उसकी चूत चाटनी शुरु कर दी। तो वो बोली के ये क्या कर रहे हो। मैने कहा के असली मज़ा तो इसी में है। उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। कहने लगी, खा जाओ, फाड़ डालो मेरी चूत को और आऊऊऊउर्र्र्र्र्र ज़ोर्र्र्र्र्र्र्र्सीई …आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म ….फिर मैने अपना ६” इंच का लंड उसके हाथ में दे दिया और कहा के इसे चाटो।
उसने फ़टाफ़ट अपने मुंह में ले लिया और चाटने लगी। मेरे लंड से हल्का हल्का पानी निकलने लगा। मैने कहा इसे पी जाओ। वो पीकर बोली के खट्टा खट्टा है। फिर मैं उसके पैरों के पास गया और उसकी टांगें फ़ैला दी और उससे कहा के अपनी चूत का छेद खोलो। उसने अपने चूत का छेद और चौड़ा कर दिया। फिर मैने अपना लंड जैसे ही उसकी चूत पर रखा तो उसके मुंह से आआआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज़ निकली। मैने एक झटका दिया और आधा लंड उसकी चुत में अटक गया। तो वो चिल्ला पड़ी और बोली के बाहर निकालो प्लीज बहुत दर्द हो रहा है।
मैं कुछ देर हल्के हल्के झटके देता रहा उसकी चूत से खून निकलने लगा, मगर उसने नहीं देखा। फिर जब वो पूरे जोश में आ गयी तो मैने १ झटका और दिया और पूरा ६” का मेरा लंड उसकी चूत में गया और वो फिर से चिल्लायी। मगर मैने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और उसे चिल्लाने नहीं दिया। फिर वो और गरम हो गयी। उसके मुंह से आवाज़ निकली और घुसाओ और ज़ोर से मैने अपनी स्पीड और बढ़ा दी अब वो भी अपने चूतड़ उठा उठा कर साथ देने लगी और हमारी आवाज़ें निकलती रहीं आआअह्हह्हह्हह्हह म्मम्मम्मम्मम्मम्ममहये मार डाला।त्तत्तूऊऊम्मम्मम बाआआहूऊत्तत्तत्त आआआस्सछह्हह्हहीईईईईए हूऊऊऊऊओ और ज़ोर से। उसका पूरा छेद मैने फ़ाड़ डाला। करीब आधे घंटे बाद उसका पानी निकल गया। मगर मैं उसे ५ मिनट तक और चोदता रहा फिर मेरा भी पानी निकल गया। मैने अपना सारा कम उसके मुंह में डाल दिया और उसे पिला दिया।
फिर मैने उसे अपना लंड चाटने को कहा तो बोली के अब चुद तो मैं गयी हूं, अब क्या। तो मैने कहा के दोबारा मेरा लंड खड़ा करो। हम दोनो ६९ की पोसिशन में हो गये। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैने अब उसे घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड में १ हल्का सा झटका दिया और उसकी तो मानो जान ही निकल गयी हो मगर मैं हटा नहीं। थोड़ी देर ऐसे ही रहा। फिर थोड़ी देर बाद १ ज़बरदस्त झटका दिया और उसका मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया। उसकी हालत तो ऐसी हो गयी मानो मरने ही वाली हो। फिर मैं ऐसे ही झटके मारता रहा। फिर वो भी मज़े लेने लगी,,,,और आआआआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह घुसाओ फ़ाड़ो और अपना पूरा बम्बू मेरी चूत में घुसा दूऊऊऊऊ।।।।और ज़ोर से। करीब १० मिनट बाद मैने पानी छोड़ दिया। और सारा कम उसकी गांड में छोड़ दिया। फिर मैं उसे किस करता रहा और थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे। फिर उस दिन से मैने उसे चोदने का सिलसिला रोज़ शुरु कर दिया। जो शायद अब उसकी शादी पर ही खतम हो, Antarvasna
मेरा नाम अंश है. मेरी उम्र २१ साल है. यह उस Antarvasna वक्त की बात है जब में बी एस सी में था और मेरी उम्र १९ साल थी. मेरे चाचा की उम्र ३५ साल थी और मेरी नई चाची की उम्र २३ थी। जिनका नाम सुनीता है उनका फिगर ३६ -२८ -३८ है. उनके बूब्स बहुत सेक्सी हैं. जब वो लाल ब्रा और काली पैंटी पहनती हैं बहुत सेक्सी लगती हैं वो बहुत सेक्सी और प्यारी है। जब वो शादी के बाद हमारे घर में रहने लगी तो उनकी सेक्सी फ़ीगर का दीवाना हो गया। जब भी वक्त मिलता, मैं उनके साथ बैठता और उन से बातें करता। वो भी मुझे पसन्द करने लगी थीं, वो कहती थीं कि मैं उनका भतीजा नहीं बल्कि उनका देवर लगता हूं।
एक दिन घर के सभी लोग मेरे कज़िन की शादी में गए। मेरी वार्षिक परीक्षा चल रही थी इसलिए मैं नहीं गया, तो चाची ने कहा मैं भी नहीं जाऊंगी, मैं यहीं अंश की देखभाल करूंगी। चाचा ने भी हां कर दी।
मैं उनको स्टेशन छोड़ कर आया तो चाची ने खाना के लिए पूछा तो मैंने खाना लगाने को कह दिया। चाची ने कहा कि खाना तो तैयार है, तुम रसोई में ही आ जाओ, वहीं खा लेना। मैं रसोई में चला गया।
चाची खाना लगा रही थी कि बिजली चली गई। कुछ देर बाद गर्मी के कारण चाची का ब्लाऊज़ पसीने से भीग गया और उनकी ब्रा नज़र आने लगी। मैं खुश हो गया और उनके वक्ष देखने लगा। कुछ देर तो चाची को पता नहीं लगा पर बाद में उन्होंने भांप लिया कि मेरी नज़रें उनकी छाती पर हैं तो उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा कि क्या देख रहे हो। मैं घबरा गया और कहा कि कुछ नहीं, आप को गर्मी लग रही होगी, मैं खाना खा चुका हूं, आप कुछ देर बाहर जाकर हवा में बैठ जाएं।
उन्होंने कहा कि नहीं, मैं नहाने जा रही हूं, तुम दरवाजा चैक कर लेना। दरवाजा बंद करके मैं अपने कमरे में चला गया। बराबर में ही बाथरूम है और उस का एक दरवाजा मेरे कमरे में भी खुलता है।
अपने कमरे में पहुंच कर जब मैंने पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो एकदम मेरे जहन में ख्याल आया कि क्यों ना मैं चाची को नंगा देखूं? मैं फ़ौरन उठा और दरवाजे के की-होल से देखने लगा। वो मोमबत्ती की रोशनी में नहा रही थी। बड़ी मादरचोद लग रही थी, रण्डी की तरह मम्मे मसल रही थी अपने।
हे भगवान ! मैंने पहली बार उनको नंगा देखा था। उनके मम्मे इतने बड़े थे कि मैं बस उनको ही देखता रहा। मेरे शरीर में एक अजीब किस्म का करंट दौड़ गया। मेरा लण्ड एकदम खड़ा होने लगा।
मैंने उसे अपने हाथ में ले लिया और हिलाने लगा। हिलाते हिलाते बराबर में मेज़ पर रखा फ़ूलदान गिर गया। उसकी आवाज़ को सुन कर चाची ने मेरे कमरे वाले दरवाजे को खोल कर देखा कि क्या हुआ। मगर जब उन्होंने मुझे अपना लण्ड पकड़े हुए देखा तो एकदम चौंक गई। मैं भी एकदम अपने लण्ड को अन्दर करके ज़िप लगाने लगा। चाची भी तुरन्त चली गई।
45 मिनट के बाद उन्होंने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया तो मैं घबरा गया कि पता नहीं अब क्या होगा। खैर मैंने दरवाज़ा खोल दिया। चाची ने आसमानी रंग की साड़ी और मैचिन्ग ब्लाऊज़ पहन रखी थी। वो अन्दर आई और मेरे बेड पर बैठ गई। कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि मेरे पास आओ। मैं घबराते हुए उनके पास जा कर खड़ा हो गया। उन्होंने मुझ से पूछा कि तुम कितनी बार मुझे नहाते हुए देख चुके हो?
मैं एकदम घबरा गया, मेरे पसीने छूट गए। उन्होंने मेरी यह हालत देखी तो मुस्कुराई और कहा कि तुम मुझे बताओ, मैं किसी को नहीं बताऊंगी, अगर तुमने नहीं बताया तो मैं सबको बता दूंगी। मैंने फ़ौरन कहा – मुझे माफ़ कर दें ! यह पहली बार हुआ है, इससे पहले मैंने कभी ऐसा नहीं किया है।
उन्होंने कुछ देर बाद कहा कि क्या मैं तुम्हें अच्छी लगती हूं? मैंने कहा- हां ! आप मेरी चाची हैं मैं आपको बहुत पसन्द करता हूं।
उन्होंने कहा कि मैं जो कहूं, तुम मान लोगे?
मैंने कहा- आज़मा कर देख लें।
उन्होंने कहा- अपनी पैन्ट उतारो।
मैं सन्न रह गया।
उन्होंने कहा- अगर मेरा कहा नहीं मानोगे तो मैं सब को बता दूंगी कि तुम मुझे नंगा नहाते हुए देख रहे थे।
मैं और ज्यादा परेशान हो गया। उन्होंने फ़िर कहा कि अपनी पैन्ट उतारो।
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा कि तुमने मुझे नंगा देखा है, मैं भी तुम्हें नंगा देखूंगी।
इसके बाद वो मेरे करीब आईं और जबरदस्ती मेरी शर्ट उतारने लगी। इससे मेरी आस्तीनें फ़ट गई तो मैंने कहा- अच्छा ! मैं उतारता हूं और मैंने अपनी कमीज़ उतार दी। फ़िर चाची ने कहा – पैन्ट भी उतारो। मैंने धीरे धीरे वो भी उतार दी। अब मैं अन्डरवीयर में उनके सामने खड़ा था। मुझे बहुत शरम आ रही थी।
इस पर उन्होंने कहा कि यह भी उतारो, मैं तुम्हें पूरा नंगा देखना चाहती हूं। मैंने मना कर दिया तो उन्होंने मेरे पास आ कर मुझे एक चपत लगाई और कहा- मादरचोद उतारता है या नहीं !
मैं उनके मुंह से गाली सुन कर हैरान रह गया। उन्होंने जलदी से मेरा अन्डरवीयर नीचे कर दिया। मेरा लण्ड उस वक्त ५” का था और किसी खम्बे की तरह खड़ा था।
चाची ने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया तो मुझे एक अजीब सा मज़ा आया और मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई। उन्होंने कहा कि तुम्हारे चाचा का तो 3″ ही लम्बा होगा मगर तुम्हारा तो उस से भी बड़ा है। तुम्हारे चाचा तो सेक्स करना जानते ही नहीं हैं, उनका लण्ड मेरे अन्दर जाते ही पानी छोड़ देता है। क्या तुमने किसी से सेक्स किया है?
मैंने कहा कि नहीं। तो उन्होंने कहा कि आज मैं तुन्हें एक नया गेम सिखाऊंगी। तुम्हें फ़ुटबाल बहुत पसन्द है ना, यह खेल उससे भी ज्यादा अच्छा है।
उसके बाद उन्होंने मेरे होंटों पर किस किया। मैं भी अपना काबू खो बैठा और उनको अपनी बाहों में ले लिया। वो किस मुझे हमेशा याद रहेगी, उनके होंटों को जब मैंने अपने दांतों में दबाया तो मुझे बहुत मज़ा आया था। चाची ने मुझे २०-२५ मिनट तक किस किया, फ़िर कहा कि बेडरूम में चलो।
मैं नंगा ही उनके साथ बेडरूम में चला गया। वहां पर चाची ने मुझे बेड पर धक्का दे दिया और मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर आइसक्रीम कई तरह चूसना शुरू कर दिया। मैं तो आसमान पर पहुंच गया। मैं बता नहीं सकता कि कितना मज़ा आया था
कुछ देर बाद मैंने कहा- चाची अब मेरा निकलने वाला है, आप मुंह से मेरा लण्ड निकाल दें तो उन्होंने कहा कि मेरे मुंह में ही गिरा दो, मैं कब से लण्ड का पानी पीने को बेकरार हूं। मैंने ऐसा ही किया। मुझे अच्छी तरह याद है कि इससे पहले मेरा पानी इतना ज्यादा नहीं निकला था।
फ़िर चाची ने पूछा कि तुम्हें मेरे शरीर में सबसे ज्यादा क्या पसन्द है?
मैंने कहा- आप के स्तन।
तो उन्होंने कहा- दूर से तो देख ही चुके हो, क्या छूना चाहते हो?
यह सुनते ही मैंने उनको अपनी ओर खींच लिया और उनके ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगा। ब्लाऊज़ के नीचे काले रंग की ब्रा उनके बूब्स पर कसी हुई थी। मैंने उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाना और चूमना शुरू कर दिया। फ़िर मैंने ब्रा खोलने की कोशिश की मगर मुझसे नहीं खुली। चाची हंस पड़ी और अपने आप अपनी ब्रा उतार दी।
उनके बूब्स देख कर मैं पागल हो गया, उफ़्फ़ ! इतने बड़े ! मैंने एकदम अपने मुंह में ले ली और चाची अजीब अजीब आवाज़ें निकालने लगी। मैंने उनके लाल लाल निप्पल चूस चूस कर बड़े कर दिए।
तब चाची ने कहा कि मुझे किस दो। मैं फ़ौरन उन के होंटों की तरफ़ बढा तो उन्होंने कहा- यहां पर नहीं ! नीचे ! मैंने कहा कि वहां पर मैं कैसे किस कर सकता हूं, तो उन्होंने कहा कि मैंने तो भी तुम्हारे लण्ड को चूसा था, अब तुम्हारी बारी है।
मैंने कहा- अच्छा ! कोशिश करता हूं!
फ़िर मैंने चाची की साड़ी खोली, पेटिकोट भी उतार दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मैंने उन को बेड पर लिटाया और उनकी चूत पर हल्के से किस की। मुझे बड़ा मज़ा आया। मैंने फ़ौरन अपनी जीभ उनकी चूत के होंटों पर रख दी और रगड़ने लगा।
उनकी सिसकारियां निकल गई लेकिन वो कह रही थी कि ” अंश ! खा जाओ मेरी चूत को ! मैं बहुत दिनों से प्यासी हूं ! मेरी चूत का पानी पी लो ! मुझ से बरदाश्त नहीं होता आह ह्ह आ आऽऽ यस फ़क मी यू बास्टर्ड यू मदर फ़कर ऽऽऽ”
मैं सोच रहा था कि कैसे मां की लोड़ी गालियां दे रही है. मुझे चाचा की किस्मत पर रश्क हो रहा था। वो रोज़ कैसे मजे से चाची को बजाते होंगे. कुछ देर बाद चाची की चूत में से भी मनी निकली।
मैं बहुत हैरान हुआ कि लेडीज़ की भी मनी निकलती है।
हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर बेड पर लेट गए। मैंने उन से पूछा कि क्या आपने शादी से पहले किसी के साथ सेक्स किया था? उन्होंने कहा कि यह मैं बाद में बताऊंगी, पहले मेरी चूत को ठण्डी तो कर।
मैंने कहा कि ठीक है मेरा लण्ड दोबारा चूसें।
चाची ने कहा कि ६९ पोज़ीशन में हो जाओ।
मैंने कहा- यह क्या होता है तो वो कहने लगीं कि सीधे लेट जाओ। मैं सीधा लेट गया, वो मेरे ऊपर इस तरह लेटीं कि उनका मुंह मेरे लण्ड की तरफ़ और उनकी चूत मेरे मुंह की तरफ़।
फ़िर उन्होंने कहा कि यह है ६९ पोज़ीशन। अब तुम मेरी चूत चाटो, मैं तुम्हारा लण्ड चूसती हूं।
हम दोनो चूसना और चाटना शुरू हो गए। ५-१० मिनट बाद मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होने लगा था। पता नहीं उनके चूसने में क्या जादू था कि मेरा लण्ड इतना खूबसूरत कभी नहीं लगा।
मैंने कहा- क्या आप की चूत में डाल दूं?
उन्होंने कहा कि देर क्यों कर रहे हो, आ जाओ, लेकिन एक मिनट रुको, वो बेड से उठी और मेज़ की दराज़ से कन्डोम का पैकेट निकाला और मेरे लण्ड पे चढा दिया और कहा- मैं प्रेग्नैन्ट नहीं होना चाहती।
फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड पर क्रीम लगाई और कुछ अपनी चूत पर भी लगाई और घोड़ी बन गई और कहा कि मेरे अन्दर आ जाओ मेरी जान ! मैंने अपने लण्ड की टोपी उनकी चूत पर रगड़ी।
चाची ने कहा कि क्यों तड़फ़ा रहे हो, जल्दी से मेरे अन्दर डाल दो। मैंने एक जोरदार धक्का लगाया तो चाची की चीख निकल गई। उन्होंने कहा – आराम से डालो।
मैंने आराम से धीरे धीरे करना शुरू कर दिया तो वो कहने लगी – मादरचोद ! बहनचोद ! चोद दे मुझे ! मेरी चूत फ़ाड़ दे आ आहऽऽऽ आ मज़ा आ रहा है, जोर से करो। अब मैं जोर से करने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में से निकाल लिया तो उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? मैंने कहा कि मैं अपने अन्दाज़ में करना चाहता हूं। चाची ने कहा- तुम जो चाहो करो।
मैंने चाची को गोद में उठाया और अपना लण्ड उनकी चूत में डाल कर उनको उछालने लगा। मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी मगर इस अन्दाज़ में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
दस मिनट में मैंने चाची से कहा कि मेरी निकलने वाली है तो उन्होंने फ़ौरन मेरा लण्ड निकाल कर उस पर से कन्डोम हटा दिया और अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। मेरी मनी फ़िर निकल गई।
कुछ देर बाद मैंने चाची से कहा कि मैं आपको फ़िर चोदना चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि सब्र करो, अब कल करेंगे, हमारे पास पूरा एक हफ़्ता है।
मैंने कहा- अब आप अपनी कहानी मुझे सुनाएं।
उन्होंने कहा- मैंने सेक्स अपनी बहन के साथ किया था जिस का नाम सनम है। मैंने कहा कि आप उसी को बुला लीज़िए, मैं उसको भी मज़ा दे सकता हूं।
उन्होंने कहा कि ठीक है मैं बात करूंगी। कल तो मैंने उसे वैसे भी बुलाया ही हुआ है, डोन्ट वरी।
वो एक अलग कहानी है.
आपको मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी? Antarvasna
मेरा नाम है कोमल। मैं Anatrvasna बीस साल की हूँ। दो साल पहले मेरी शादी राहुल से हुई।
परिवार में मैं, मेरे पति राहुल, मेरे ससुर जी रसिकलाल और मेरा छोटा सा बेटा किरण हैं। ससुर का बहुत बड़ा बिज़नेस है और हमें किस चीज़ की कोई कमी नहीं है।
मेरे पिताजी का परिवार बहुत ग़रीब था। चार बहनों में से मैं सबसे बड़ी संतान थी। मेरी माँ लम्बी बीमारी के बाद मर गई। तब मैं सोलह साल की थी। माँ के इलाज के लिए पिताजी ने क्या कुछ नहीं किया। ढेर सारा कर्ज़ा हो गया। पिताजी रेवेन्यू ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करते थे। इनकी आमदनी से मुश्किल से गुज़ारा होता था। मैं छोटे-मोटे काम कर लेती थी। आमदनी का और कोई साधन नहीं था कि हम कर्ज़ा चुका सकें। लेनदार लोग तकाज़े करते रहते थे। फिक्र से पिताजी की सेहत भी बिगड़ने लगी थी। ऐसे में मेरे सम्भावित ससुर रसिकलाल ने मदद दी। उनका इकलौता बेटा राहुल कुँवारा था। दिमाग़ से थोड़ा सा पिछड़ा होने के कारण उसे कोई कन्या नहीं देता था। रसिकलाल की पत्नी भी छः माह पहले ही मर चुकी थी। घर सँभालने वाली कोई नहीं थी। उन्होंने जब कर्ज़ के बदले में मेरा हाथ माँगा तो पिताजी ने तुरन्त ना बोल दी। मैं हाईस्कूल तक पढ़ी हुई थी। आगे कॉलेज में पढ़ने वाली थी। मेरे जैसी लड़की कैसे राहुल जैसे लड़के के साथ ज़िन्दगी गुज़ार सकेगी?
इस पर मैंने पिताजी से कहा,”आप मेरी फिक्र मत कीजिए। मेरी तीनों बहनों की सोचिए। आप रिश्ता मंज़ूर कर लीजिए, और सिर पर से कर्ज़ का बोझ दूर कीजिए। मैं सँभाल लूँगी।”
अपने हृदय पर पत्थर रख कर पिताजी ने मुझे राहुल से ब्याह दिया। तब मैं १८ साल की थी। मैं ससुराल में आई। पहले ही दिन ससुरजी ने मुझे पास बिठा कर कहा: “देख बेटी, मैं जानता हूँ कि राहुल से शादी करके तूने बड़ा बलिदान दिया है। मैंने तेरे पिताजी का कर्ज़ा पूरा करवा दिया है। लेकिन तूने जो किया है उसकी क़ीमत पैसों में नहीं गिनी जा सकती। तूने तेरे पिताजी पर और साथ ही मुझपर भी बड़ा उपकार किया है।”
मैंने कहा,”पिताजी…”
उन्होंने मुझे बोलने नहीं दिया। कहने लगे: “पहले मेरी सुन ले। बाद में कहना… जो तेरा जी चाहे… ठीक है? तू मेरी बेटी बराबर है। ख़ैर, मुझे साफ़-साफ़ बताना पड़ेगा।”
उन्होंने नज़रें फिरा लीं और कहा,”मैंने राहुल का वो देखा है, मुझे विश्वास है कि वो तेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकेगा और बच्चा पैदा कर सकेगा। मेरी यह विनती है कि तू ज़रा सब्र से काम लेना, जैसी ज़रूरत पड़े वैसी उसे मदद करना।”
यह सब सुनकर मुझे शरम आती थी। मेरा चेहरा लाल हो गया था और मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी। मैंने कुछ न कहा।
वो आगे बोले,”तुम्हारी सुहागरात परसों है, आज नहीं। मैं तुम्हें एक क़िताब देता हूँ, पढ़ लेना। सुहागरात पर काम आएगी। और मुझसे शरमाना मत, मैं तेरा पिता जैसा ही हूँ।”
मुझसे नज़रें चुराते हुए उन्होंने मुझे किताब दी और चले गए। किताब कामशास्त्र की थी। मैंने ऐसी किताब के बारे में सुना था लेकिन कभी देखी नहीं थी। किताब में चुदाई में लगे जोड़ों के चित्र थे। मैं ख़ूब जानती थी कि चुदाई क्या होती है, लंड क्या होता है, छुटना क्या है इत्यादि। फिर भी चित्रों को देखकर मुझे शरम आ गई। इन में से कई तस्वीरें तो ऐसी थी जिनके बारे में मैंने तो कभी सोचा तक ना था। एक चित्र में औरत ने लंड मुँह में लिया हुआ था। छिः छिः, इतना गंदा? दूसरे में उसी औरत की चूत आदमी चाट रहा था। एक में आदमी का पूरा लंड औरत की गाँड में घुसा हुआ दिखाया था। कई चित्रों में एक औरत दो-दो आदमी से चुदवाती दिखाई थी। ये देखने में मैं इतनी तल्लीन हो गई कि कब राहुल कमरे में आए, वो मुझे पता ना चला। आते ही उसने मुझे पीछे से मेरे आँखों पर हाथ रख दिया और बोले,”कौन हूँ मैं?”
मैंने उनकी कलाईयाँ पकड़ लीं और बोली,”छोड़िए, कोई देख लेगा।”
मुझे छोड़कर वह सामने आए और बोले: क्या पढ़ती हो? कहानियों की किताब है?”
अब मेरे लिए समस्या हो गई कि उन्हें वह किताब मैं कैसे दिखाऊँ। किताब छुपा कर मैंने कहा,”हाँ, कहानियों की किताब है। रात में आपको सुनाऊँगी।”
खुश होकर वो चला गया। कितना भोला था! उसकी जगह कोई दूसरा होता तो मुझे छेड़े बिना नहीं जाता। दो दिन बाद मैंने देखा कि लोग राहुल की हँसी उड़ा रहे थे। कोई-कोई भाभी कहती: देवरजी, देवरानी ले आए हो, तो उनसे क्या करोगे?
उनके दोस्त कहते थे: भाभी गरम हो जाए और तेरी समझ में न आए तो मुझे बुला लेना।
एक ने तो सीधा पूछा: राहुल, चूत कहाँ होती है, वो पता है?
मुझे उन लोगों की मज़ाक पसन्द ना आई। अब मैं ससुरजी के दिल का दर्द समझ सकी। मुझे उन दोनों पर तरस भी आया। मैंने निर्णय किया कि मैं बाज़ी अपने हाथ में लूँगी, और सबकी ज़ुबान बन्द कर दूँगी, चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े।
तीसरी रात सुहागरात थी। मेरी उम्र के दो रिश्ते की ननदों ने मुझे सजाया-सँवारा और शयनकक्ष में छोड़ दिया। दूसरी एक चाची राहुल को ले आई और दरवाज़ा बन्द करके चली गईं। मैं घूँघट में पलंग पर बैठी थी। घूँघट हटाने के बदले राहुल नीचे झुक कर झाँकने लगा। वो बोला: देख लिया, मैंने देख लिया। तुमको मैंने देख लिया। चलो अब मेरी बारी, मैं छुप जाता हूँ, तुम मुझे ढूँढ़ निकालो। वह छोटे बच्चे की तरह छुपा-छुपी का खेल खेलना चाहता था। मुझे लगा कि मुझे ही शुरुआत करनी पड़ेगी।
घूँघट हटा कर मैंने पूछा: पहले ये बताओ कि मैं तुम्हें पसन्द हूँ या नहीं?
राहुल शरमा कर बोला: बहुत पसन्द हो। मुझे कहानियाँ सुनाओगी ना?
मैं: ज़रूर सुनाऊँगी। लकिन थोड़ी देर तुम मुझसे बातें करो।
राहुल: कौन सी कहानी सुनाओगी? वो किताब वाली जो तुम पढ़ रहीं थीं वो?
मैं: हाँ, अब ये बताओ कि मैं तुम्हारी कौन हूँ?
राहुल: वाह, इतना नहीं जानती हो? तुम मेरी पत्नी हो, और मैं तेरा पति।
मैं: पति-पत्नी आपस में मिलकर क्या करते हैं?
राहुल: मैं जानता हूँ, लेकिन बताऊँगा नहीं।
मैं: क्यों?
राहुल: वो जो सुलेमान है ना! कहता है कि पति-पत्नी गंदा करते हैं!
मैंने यह नहीं पूछा कि सुलेमान कौन है, मैंने सीधा पूछा: गंदा मायने क्या? नाम तो कहो, मैं भी जानूँ तो।
राहुल: चोदते हैं।
लम्बा मुँह करके मैं बोली: अच्छा?
बिन बोले उसने सिर हिला कर हाँ कही।
गम्भीर मुँह से मैंने फिर पूछा: लेकिन यह चोदना क्या होता है?
राहुल: सुलेमान ने कभी मुझे यह नहीं बताया।
शरमाने का दिखावा करके मैंने कहा: मैं जानती हूँ, कहूँ?
राहुल: हाँ, हाँ, कहो तो।
उस रात राहुल ने बताया कि कभी-कभी उसका लंड खड़ा होता था। कभी-कभी स्वप्न-दोष भी होता था। रसिकलाल सच कहते थे। उन्होंने राहुल का खड़ा लंड देखा होगा।
मैंने बात आगे बढ़ाई: ये कहो, मुझमें सबसे अच्छा क्या लगता है तुम्हें? मेरा चेहरा? मेरे हाथ? मेरे पाँव? मेरे ये…? मैंने उसका हाथ पकड़ कर स्तन पर रख दिया।
राहुल: कहूँ? तेरे गाल।
मैं: मुझे पप्पी दोगे?
राहुल: क्यों नहीं?
उसने गाल पर चूमा, और मैंने फिर उसके गाल पर। उसके लिए यह खेल था। जैसे ही मैंने अपने होंठ उसके होंठो से लगाया, तो उसने झटके से छुड़ा लिया और बोला: छिः छिः ऐसा गन्दा क्यूँ करती हो?
मैं: गंदा सही? तुम्हें मीठा नहीं लगता?
राहुल: फिर से करो तो।
मैंने मुँह से मुँह लगा कर चूमना शुरु कर दिया।
राहुल: अच्छा लगता है, करो ना ऐसी पप्पी।
मैंने चूमने दिया। मैंने मुँह खोल कर उसके होंठ चाटे, और वही सिलसिला दोहराया।
मैंने पूछा: प्यारे, पप्पी करते-करते तुमको कुछ होता है?
राहुल शरमा कर कुछ बोला नहीं।
मैंने कहा: नीचे पेशाब की जगह में कुछ होता है ना?
राहुल: तुमको कैसे मालूम?
मैं: मैं स्कूल में पढ़ी हूँ, इसलिए। कहो, उधर गुदगुदी होती है ना?
राहुल: किसी से कहना मत।
मैं: नहीं कहूँगी। मैं तुम्हारी पत्नी जो हूँ।
राहुल: मेरी नुन्नी में गुदगुदी होती है और कड़ा हो जाता है।
मैं: मैं देख सकती हूँ?
राहुल: नहीं। अच्छे घर की लड़कियाँ लड़कों की नुन्नी नहीं देखा करतीं।
मैं: मैंने तो स्कूल में ऐसा पढ़ा है कि पति-पत्नी के बीच कोई भी राज़ नहीं रहता है। पत्नी पति की नुन्नी देख सकती है और उनसे खेल भी सकती है। पति भी पत्नी की वो… वो… भोस देख सकता है, तुमने मेरी देखनी है?
राहुल: पिताजी जानेंगे तो बड़ी पिटाई होगी।
मैं: शह्ह्हह… कौन कहेगा उनसे? हमारी ये बात गुप्त रहेगी, कोई नहीं जान पाएगा।
राहुल: हाँ, हाँ कोई नहीं जान पाएगा।
मैं: खोलो तो तुम्हारा पाजामा।
पाजामा खोलने में मुझे मदद करनी पड़ी। निकर उतारी। तब फनफनाता हुआ उसका सात इंच का लम्बा लंड निकल पड़ा। मैं खुश हो गई, मैंने मुट्ठी में पकड़ लिया और कहा: जानते हो? ये तुम्हारी नुन्नी नहीं है। यह तो लंड है।
राहुल: तुम बहुत गन्दा बोलती हो।
मैंने लण्ड पर मुठ मारी और पूछा: कैसा लगता है?
लंड ने एक-दो ठुमके लगाए।
वो बोला: बहुत गुदगुदी होती है।
मैं: मेरी भोस देखनी नहीं है?
राहुल: हाँ, हाँ।
यह वक्त मेरे शरमाने का नहीं था। मैं पलंग पर चित्त लेट गई, घाघरी उठाई और पैन्टी उतार दी। वह मेरी नंगी भोस देखता ही रह गया। बोला: मैं इसे छू सकता हूँ?
मैं: क्यों नहीं? मैंने जो तुम्हारा लंड पकड़ रक्खा है।
डरते-डरते उसने भोस के बड़े होंठ छुए। मेरे कहने पर चौड़े किए। भीतरी हिस्सा काम-रस से गीला था। आश्चर्य से वो देखता ही रहा।
मैं: देखा? वो जो चूत है ना, वो इतनी गहरी होती है कि सारा लंड अन्दर समा जाए।
राहुल: हो सकता है, लेकिन चूत में लंड डालने की क्या ज़रूरत?
मैं: प्यारे, इसे ही चुदाई कहते हैं।
राहुल: ना, ना, तुम झूठ बोलती हो।
मैं: मैं क्यूँ झूठ बोलूँ? तुम तो मेरे प्यारे पति हो। मैंने अभी अपनी भोस दिखाई कि नहीं?
राहुल: मैं नहीं मानता।
मैं: क्या नहीं मानते?
राहुल: वो जो तुम कहती हो ना कि लंड चूत में डाला जाता है।
मुझे वो किताब याद आ गई। मैंने कहा: ठहरो, मैं दिखाती हूँ। किताब के पहले पन्ने पर रसिकलाल लिखा हुआ था. वो दिखा कर मैंने कहा: ये किताब पिताजी की है। तस्वीरें देख वह हैरान रह गया। मैंने कहा: देख लिया ना? अब तसल्ली हुई कि चुदाई में क्या होता है?
उसपर कोई असर न पड़ा। वो बोला: मुझे पेशाब लगी है।
मैं: जाईए पेशाब करने के बाद लंड पानी से धो लीजिए।
वह पेशाब कर आया। उसका लंड नर्म हो गया था। मैंने लाख सहलाया, फिर से हिला नहीं। मुँह में लेकर चूसना चाहा, पर राहुल ने ऐसा करने ना दिया। रात काफ़ी बीत चुकी थी। मैं उत्तेजित भी हो गई थी, लेकिन राहुल अनाड़ी था। लंड खड़ा होने के बावज़ूद उसके दिमाग़ में चोदने की इच्छा पैदा नहीं हुई थी। वो बोला: भाभी, मुझे नींद आ रही है।
उस रात से वो मुझे भाभी कहने लगा। मैंने उसे गोद में लेकर सुलाया, तो तुरन्त नींद में खो गया। मैंने सोचा आगे-आगे चुदाई के पाठ पढ़ाऊँगी और एक दिन उसका लंड मेरी चूत में लेकर चुदवाऊँगी ज़रूर। लेकिन मेरे नसीब़ में कुछ और लिखा था।
उनके कुछ शरारती दोस्तों ने उनके दिल में ठसा दिया कि चूत में दाँत होते हैं, नूनी जो चूत में डाली तो चूत उसे काट लेगी। फिर पेशाब कहाँ से करेगा। मैंने लाख समझाया, लेकिन वो नहीं माना। मैंने कहा कि ऊँगलियाँ डाल कर देख लो कि अन्दर दाँत हैं या नहीं। उसने वह भी नहीं किया। बिन चुदवाए मैं कँवारी ही रही। रसिकलाल की पहचान वाले और राहुल के कई मुँह-बोले दोस्तों में से कितनी ही ऐसे थे जिन्होंने मुझ पर बुरी नज़र डाली। दूर के एक देवर ने खुला पूछ लिया: भाभी, राहुल चोद ना सके, तो घबराना नहीं, मैं जो हूँ। चाहे तब बुला लेना। उन सबको मैंने कह दिया कि राहुल मेरे पति हैं और मुझे अच्छी तरह चोदते हैं। दिनभर मैं उन सब का हिम्मत से सामना करती थी। रात अनाड़ी बलम से बिन चुदवाए फूट-फूट कर रो लेती थी। रसिकलाल लेकिन होशियार थे, उन्हें यकीन हो गया था कि राहुल ने मुझे चोदा नहीं था। मुझे शक है कि चुपके से वो हमारे बेडरूम में देखा करते थे। जो कुछ भी हो, उन्हें पितामह बनने का उतावलापन था।
एक दिन एकांत पाकर मुझसे पूछा: क्यूँ बेटी? सब ठीक हैना? उनका इशारा चुदाई की ओर था जानकर मुझे शर्म आ गई। मैंने सिर झुका लिया और कुछ ना कह सकी… मैं रो पड़ी। मेरे कंधों पर हाथ रखकर वो बोले: मैं सब जानता हूँ, तू अभी भी कँवारी है। राहुल ने तुझे चोदा नहीं है सच है ना? ससुरजी के मुँह से चोदा शब्द सुनकर मैं चौंक गई, उनकी बाँहों से निकल गई, कुछ बोली नहीं। आँसू पोंछ कर सिर हिला कर हाँ कहा। वो फिर मेरे नज़दीक आए, मेरे कंधों पर अपनी बाँह रख दी और बोले: बेटी, ये राज़ हम हमारे बीच रखेंगे कि राहुल चोदने के क़ाबिल नहीं है। लेकिन मुझे पोता चाहिए, इसका क्या? मेरी इतनी बड़ी जायदाद, इतना बड़ा कारोबार सब सफ़ा हो जाएँगे, मेरे मरने के बाद। वो तो वो लेकिन जब मैं इस दुनिया में ना रहूँ तब तेरी और राहुल की देख-भाल कौन करेगा जब तुम दोनों बुड्ढे हो जाओगे? मुझे लड़का चाहिए। है कोई ईलाज तेरे पास?
मैंने कहा: मैं क्या कर सकती हूँ पिताजी?
रसिकलाल: तुझे करना कहाँ है? करवाना है समझीं?
मैं: हाँ, लेकिन किस के पास जाऊँ? आप की इच्छा है कि मैं कोई और मर्द छिः छि:। मुझसे यह नहीं हो सकेगा।
रसिकलाल: मैं कहाँ कहता हूँ कि तू ग़ैर मर्द से चुदवा।
ससुरजी फिर चुदवाओ शब्द बोले। मुझे शरम आ गई। सच कहूँ तो मुझे बुरा नहीं लगा, थोड़ी सी गुदगुदी हो गई और होंठों पर मुस्कान आ गई जो मैंने मुँह पर हाथ रख कर छुपा ली।
मैंने पूछा: आपकी क्या राय है?
कुछ मिनटों तक वे चुप रहे, सोच में पड़े रहे, अन्त में बोले: कुछ ना कुछ रास्ता मिल जाएगा, मैं सोच लूँगा। मुझे तू वचन दे कि तू पूरी सहायता करेगी। करेगी ना?
मैंने वचन दे दिया। वो चले गए। उस दिन के बाद ससुरजी का रंग ही बदल गया। अब वो अच्छे कपड़े पहनने लगे। रोज़ शेविंग करके स्प्रे लगाने लगे। बाल जो थोड़े से सफेद हुए थे, वो रंग लगवा कर काले करवा लिए। एक बार उन्होंने पानी का प्याला माँगा। मैंने प्याला दिया तब लेते वक्त उन्होंने मेरी ऊँगलियाँ छू लीं। दूसरी बार प्याला पकड़ने से पहले मेरी कलाई पकड़ ली। बात-बात में मुझे बाँहों में लेकर दबोच लेने लगे। मुझे यह सब मीठा लगता था। आख़िर वो एक हट्ठे-कट्ठे मर्द थे, भले ही राहुल की तरह जवान ना थे लेकिन मर्द तो थे ही। सासूजी का देहान्त हुए एक साल हो गया था। मेरे ख़्याल से उन्होंने उसके बाद कभी चुदाई नहीं की थी किसी के साथ। मेरे जैसी जवान लड़की अगर घर में हो, एकांत मिलता हो तो उनका लंड खड़ा हो जाए, इसमें उनका क्या क़सूर?
थोड़े दिन तक मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। फिर सोचने लगी कि क्यों ना मैं उनका साथ दूँ! अधिक से अधिक वो क्या करेंगे? मुझे चोदेंगे! हाय यह सोचते ही मुझे गुदगुदी सी होने लगी। ना, ना, ऐसा नहीं करना चाहिए। क्यूँ नहीं? बच्चा पैदा होगा तो सब समस्याएँ हल हो जाएँगीं। किसे पता चलेगा कि बच्चा किसका है?
सच कहूँ तो मुझे भी तो चाहिए था कोई चोदने वाला। ऐरे-गैरे को ढूँढूँ, इनसे मेरे ससुरजी क्या कम थे? मैंने तय किया कि मेरे कौमार्य की भेंट मैं अपने ससुरजी को दूँगी और उनसे चुदवा कर जब चूत खुल जाए तब राहुल का लंड लेने की सोचूँगी। उस दिन से ही मैंने ससुरजी को इशारे भेजना शुरु कर दिया। मैंने ब्रा पहननी बन्द कर दी। सलवार-कमीज़ की जगह चोली-घाघरी और ओढ़नी डालने लगी। वो जब कलाई पकड़ लेते थे तब मैं शरमा कर मुस्कुराने लगती। मेरी प्रतिक्रियाओं व प्रतिभावों को देखकर वे बेहद खुश हुए। उन्होंने छेड़-छाड़ बढ़ाई। एक-दो बार मेरे गाल पर चिकोटी काट ली उन्होंने। दूसरी बार मेरी गाँड पर हाथ फिरा लिया। मैं अक्सर ओढ़नी का पल्लू गिरा कर चूचियाँ दिखाती तो कभी-कभी घाघरी खिसका कर जाँघें दिखाती रहती। दिन-ब-दिन सेक्स का तनाव बढ़ता चला। एक समय ऐसा आया कि उनकी नज़र पड़ते ही मेरी शरम जाने लगी, उनके छू जाने से ही मेरी चूत गीली होने लगी। उनकी मौज़ूदगी में घुण्डियाँ कड़ी की कड़ी रहने लगीं। अब वो अपनी धोती में छुपा टेन्ट मुझसे छुपाते नहीं थे। मैं इन्तज़ार करती कि कब वो मुझ पर टूट पड़ें।
आख़िर वो रात आ ही गई। राहुल सो गया था। ससुरजी रात के बारह बजे बाहर गाँव से लौटे। मैंने खाना तैयार रक्खा था। वो स्नान करने गए और मैंने खाना परोसा। वो नहाकर बाथरूम से निकले तब मैंने कहा: खाना तैयार है, खा लीजिए।
वो बोले: तूने खाया?
मैं: नहीं जी, आप के आने की राह देख रही थी।
वो बोले: कोमल, ये खाना तो हम हर रोज़ खाते हैं। जिसकी भूख मुझे तीन सालों से है, वो कब खिलाओगी?
मैं: मैं कैसे खिलाऊँ? कहाँ है वो खाना?
वो: तेरे पास है।
मैं समझ रही थी जो वह कह रहे थे। मुझे शर्म आने लगी। नज़रें नीची करके मैंने पूछा: मेरे पास? मेरे पास तो कुछ नहीं है।
वो: है, तेरे पास ही है, दिखाऊँ तो खिलाओगी?
सिर हिला कर मैंने हाँ कही। उधर मेरी चूत गीली होने लगी और दिल की धड़कन बढ़ गई। वो मेरे नज़दीक आए। मेरे हाथ अपने हाथों में लिए, होंठों से लगाए। बोले: तेर पास ही है बताऊँ? तेरी चिकनी गोरी जाँघों के बीच।
मैं शरमा गई, उनसे छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन उन्होंने मेरे हाथ छोड़े नहीं, बल्कि उठाकर अपनी गर्दन में डाल दिए। मैं सरक कर नज़दीक गई। मेरी कमर पर हाथ रखकर उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया और बाँहों में जकड़ लिया। मैंने मेरा चेहरा उनके चौड़े सीने में छुपा दिया। मेरे स्तन उनके पेट के साथ दब गए। उनका खड़ा लंड मेरे पेट से दब रहा था। मेरे सारे बदन में झुरझुरी फैल गई। एक हाथ से मेरा चेहरा उठाकर उसने मेरे मुँह पर अपना मुँह लगाया। पहले होंठों से होंठ छुए, बाद में दबाए, आख़िर जीभ से मेरे होंठ चाटे और अपने होंठों के बीच लेकर चूसे। मुझे कुछ होने लगा। ऐसी गरमी मैंने कभी महसूस नहीं की थी। मेरे स्तन भारी हो गए। घुण्डियाँ कड़ी हो गईं। चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। मुझसे खड़ा नहीं रहा जा रहा था।
चुम्बन का मेरा यह पहला अनुभव था, और बहुत मीठा लग रहा था। उन्होंने अपने बन्द होंठों से मेरे होंठ रगड़े। बाद में जीभ निकाल कर होंठ पर फिराई। फिराते-फिराते उन्होंने जीभ की नोंक से मेरे होंठों के बीच की दरार टटोली। मेरे रोएँ खड़े हो गए। अपने-आप मेरा मुँह खुल गया और उनकी जीभ मेरे मुँह में पहुँच गई। उनकी जीभ मेरे मुँह में चारों ओर घूम गई। जब उन्होंने जीभ निकाल दी तब मैंने मेरी जीभ से वैसा ही किया। मैंने सुना था कि ऐसे चुम्बन को फ्रेंच किस कहते हैं। फ्रेंच किस करते-करते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया और बेडरूम में चल दिए, जाकर पलंग पर चित्त लिटा दिया।
ओढ़नी का पल्लू हटाकर उन्होंने चोली में क़ैद मेरे छोटे स्तनों को थाम लिया। चोली पतले कपड़े की थी और मैंने ब्रा पहनी नहीं थी इसलिए मेरी कड़ी घुण्डियाँ उनकी चुटियों में पकड़ी गईं, इतने से उनको संतोष हुआ नहीं। फटाफट वो चोली के हुक खोलने लगे। मैं चुम्बन करने में इतनी मशगूल थी कि कब उन्होंने चोली उतार फेंकी, उसका मुझे पता न चला। जब मेरी घुण्डियाँ मसली गईं तब मैंने जाना कि मेरे स्तन नंगे थे और उनके पंजे में क़ैद थे। स्तन सहलाना तो कोई ससुरजी से सीखे। ऊँगलियों की नोक़ से उन्होंने स्तन पंजे में दबोच लिया। मेरे स्तन में दर्द होने लगा। लेकिन मीठा लगता था। अन्त में उन्होंने एक के बाद एक घुण्डियों और स्तन का गहरा घेरा च्यूँटी में लिया और खींचा और मसला। इस दौरान चुम्बन चालू ही था। अचानक चुम्बन छोड़कर उन्होंने अपने होंठ घुण्डियों से चिपका दिए। उनके होंठ लगते ही घुण्डियों से करंट जो निकला वो चूत के भग्नों तक जा पहुँचा। वैसे ही मेरी घुण्डियाँ बहुत नाज़ुक थीं, कभी-कभी ब्रा का स्पर्श भी सहन नहीं कर पाती थी।
उस रात पहली बार मेरी घुण्डियों ने मर्द की ऊँगलियों व होंठों का अनुभव किया। छोटे लड़की की नुन्नी की तरह चूचियों का गहरा घेरा, और घुण्डियाँ सभी कड़े हो गए थे। एक-एक करके उन्होंने दोनों घुण्डियाँ चूसीं, दोनों स्तन सहलाए और मसल डाले। उन्होंने मुझे धकेल कर चित्त लिटा दिया, वो औंधे और मेरे बदन पर छा गए। मेरी जाँघ के साथ उन का कड़ा लंड दब गया था। ज़्यादा देर उनसे बर्दाश्त ना हो सकी। वो बोले, अब में देर करूँगा तो चोदे बिना ही झड़ जाऊँगा। तुम तैयार हो?
मेरी हाँ या ना कुछ काम के नहीं थे। मुझे भी लंड तो लेना ही था। मेरी सारी भोस सूज गई थी और काम-रस से गीली-गीली हो गई थी। मैंने ख़ुद पाँव लम्बे किए और चौड़े कर दिए वो ऊपर चढ़ गए। धोती हटा कर लंड निकाला और भोस पर रगड़ा। मेरे नितम्ब हिलने लगे। वो बोले: कोमल बेटी, ज़रा स्थिर रह जा, ऐसे हिला करोगी, तो मैं कैसे लंड डालूँगा?
मैंने मुश्किल से मेरे नितम्ब हिलने से रोके। हाथ में लंड पकड़कर उन्होंने चूत में डालना शुरु किया लेकिन लंड का मत्था फिसल गया और चूत का मुँह पा न सका। पाँच-सात धक्के ऐसे ही बेकार गए। मैंने जाँघें ऊपर उठाईं, फिर भी वो चूत ढूँढ़ ना सके। लंड अब ज़रा सा नर्म होने लगा। उनका उतावलापन बढ़ गया। उस वक्त मुझे याद आया कि नितम्ब के नीचे तकिया रखने से भोस का कोण बदलता है और चूत उठ जाती है। उनसे पूछे बिना मैंने तकिया नितम्ब के नीचे रख दिया। अबकी बार जब धक्का लगाया तब लंड का मत्था चूत मे मुँह में घुस गया। मेरी चूत ने संकुचन किया।
अब आगे क्या रहा बताने को?
( कहानी अधूरी लगती है पर रोचक है, इसलिए प्रकाशित की गई है !) Anatrvasna
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