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यह मेरी पहली कहानी है। यहां Antarvasna पर मैं अन्य लेखकों की तरह यह बिल्कुल नहीं कहूँगा कि यह मेरी सच्ची कहानी है। बल्कि मैं यह कह रहा हूँ कि यह मेरी काल्पनिक कथा है जो कि सिर्फ मनोरंजन के लिए है, इसलिए इसे कुछ और न समझें।
मेरा नाम राजेश कुमार है। मैं 19 साल का एक रोमांटिक लड़का हूँ। मेरा कद 5.5 फीट है। मेरा बदन भरा हुआ और हल्का गुलाबी रंग का है। मेरी छातियां एकदम टाइट हैं ऐसे जैसे कि मैं जिम में जाता हूँ लेकिन दोस्तों आज तक मैं जिम कभी भी नहीं गया। मैं गांव का रहने वाला हूँ और मुझे गांव बहुत पसंद है। वहां की ताजी हवा, बड़े-बड़े हरेभरे पेड़, शांत वातावरण शहर की चिलपों से दूर मैं गांव में रहता हूँ।
मुझे जींस और टीशर्ट पहनना बहुत अच्छा लगता है। जब मैं जींस पहनता हूँ तो फिर मेरे चूतड़ों के उभार साफ दिखने लगते हैं। मैंने कई बार लड़कियों को अपने चूतड़ों की तरफ ललचाई निगाहों से देखते हुए पाया है। लेकिन मुझे लड़कियों से जबरजस्ती छेड़खानी करना कतई पसन्द नहीं है। मेरा मानना है कि चुदाई में सहमति से जो मजा आता है वो जबरजस्ती से नहीं आता है।
और हां दोस्तो ! मेरा लण्ड 6 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है। मैंने कई बार अन्तर्वासना में पढ़ा है, लेखक लिख देते हैं- मेरा लण्ड 10 इंच है तो कोई 12 इंच। लेकिन दोस्तो ! मैं ऐसी वैसी बातों को नहीं लिखा करता जो कि पचे नहीं, मैं वही बात लिखा करता हूँ जो कि आराम से गले से नीचे उतर जाए जैसे कि मेरा लण्ड।
दोस्तो ! यह जो कि मैं भूमिका बांध रहा हूँ तो हो सकता है कि आपको बोर कर रहा होऊं इसलिए अब मैं कहानी की शुरूआत कर रहा हूँ।
मेरा शानदार चेहरा, थोड़े मोटे किन्तु गुलाबी रंगत वाले होंठ जैसे कि शहद भरा हुआ हो मेरी काली आंखें, जब शेव करता हूँ तो चिकने गाल, सपाट पेट, भरी-भरी जांघें, पत्थर की तरह कठोर लंड जो कि किसी की भी बुर या चूत फाड़ दे, बाहर को निकले हुए चूतड़, शानदार गांड की दरार, सुनहरी झांटे यानि कि वह सब कुछ है जो कि एक जवान और खूबसूरत लंड को चाहिए।
तो अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।
यह बात बहुत ज्यादा पुरानी नहीं है। करीब एक महीने पहले मैं अपने एक रिश्तेदार के गांव में गया था जो कि मेरे गांव से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है। वे मेरे दूर के अंकल लगते थे। मैं किसी काम से वहां गया था लेकिन काम में इतना मशगूल हो गया कि समय का ध्यान ही नहीं रहा। सो मैं अपने अंकल के घर चला गया।
वहां पर जब मैं पहुंचा तो देखकर हैरान रह गया। मेरी आंटी इतनी हसीन थीं कि मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं। आंटी ने भी इस बात को ताड़ लिया और मुस्कुराकर रह गईं।
मेरे अंकल की उम्र करीब 40 साल है जबकि मेरी आंटी सिर्फ 25 साल की ही हैं। मैं अंकल की शादी में काम के कारण आ नहीं सका था इसलिए आंटी को देख ही नहीं पाया था। उनकी शादी 6 महीने पहले ही हुई थी। मैं आंटी का बायोडाटा बाद में लिखूंगा, पहले यह बता दूं कि उनको चोदने का प्रोग्राम कैसे बनाया।
मेरी आंटी का नाम रम्भा है और अंकल का नाम योगेश।
तो जब मैं घर पहुंचा तो आंटी बोली कि यह कौन है तो अंकल ने बता दिया कि यह हमारा भतीजा है।
तो आंटी ने पूछा कि इसका नाम क्या है तो मैंने खुद ही अपना नाम बताया कि मेरा नाम राजेश है।
तब आंटी चहककर बोलीं- वाह ! यह वही है जिसके बारे में आप हमेशा बाते किया करते हैं।
तब मैंने पूछा- आंटी ! क्या आप मुझे पहले से जानती हैं?
तो उन्होंने बताया- तुम्हारे अंकल तुम्हारे बारे में अक्सर मुझे बताया करते हैं, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ।
तब उन्होंने अंकल से कहा- जाओ ! दुकान से नमकीन बिस्कुट इत्यादि ले आओ, खत्म हो गई है !
अंकल बाहर को चले गये।
तब आंटी मेरे पास बैठकर मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोलीं- तुम शादी में क्यों नहीं आये थे?
मैंने बता दिया कि कुछ काम था इसलिए नहीं आया था। लेकिन उसने फिर शिकायत की- तो इतने दिनों क्यों नहीं आये थे?
मैंने बताया- आजकल बहुत व्यस्त हूँ और आपसे मिलने नहीं बल्कि काम के सिलसिले में आया हूँ।
तो फिर क्या था- आंटी दूसरी तरफ मुंह फुलाकर बैठ गयीं और कहा कि तुम्हें सिर्फ काम ही रहता है, तुम मुझसे मिलना नहीं चाहते, मुझे प्यार करने की क्या जरूरत है तुम्हें ! तुम इतने हैंडसम हो ! पता नहीं कि कितनी गर्लफ्रेन्ड होगी तुम्हारी, इसीलिए तो मुझसे बात नहीं करते।
जब आंटी गुस्सा हो गईं तो फिर तो मेरी बांछें खिल गईं। मैंने तुरंत ही आंटी की गर्दन में हाथ डाल दिया और कहा- आप गलत समझती हैं, मैं आपको चाहता तो हूँ कि प्यार करूं लेकिन आप बुरा न मान जाएँ इसलिए मजाक कर दिया।
तब आंटी मेरी तरफ घूम कर बोली- सच कह रहे हो?
तो मैंने कहा- आपकी कसम।
तब आंटी ने मेरे गले में बांहें डाल दीं और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी और उनके आंसू निकल आए।
मैंने कहा- ओह, आंटी आप तो रोने लगी।
आंटी रोते-रोते बोली- तुम मुझे इतना प्यार करते हो कि आंखे भर आई।
मैंने रूमाल निकाल कर आंटी के आंसू पोछे और कहा- अगर अब रोओगी तो फिर मैं अपनी गर्लफ्रेन्ड के पास चला जाउंगा।
आंटी ने मेरी तरफ क्रोधित नजरों से देखा तो मुझे लगा कि यह सही में नाराज न हो जाये, मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और अपने सिर पर रख कर कहा- आपको मेरी कसम है कि आप मुझसे नाराज नहीं होंगी, मैं मजाक कर रहा था, अगर आप नाराज हुईं तो मैं आत्महत्या कर…
बस फिर क्या था- आंटी ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रख दिया और आंसू भरी आंखों से बोलीं- मेरी कसम से ऐसा न कहो।
मुझे मजाक सूझा और मैंने कह दिया- आंटी मेरे होंठो पर अपना हाथ नहीं बल्कि अपने होंठ रख कर मुझे चुप कर दो !
आंटी ने एक पल मुझे घूर कर देखा, फिर अगले पल ही मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगी। मैंने भी देर करना मुनासिब नहीं समझा और आंटी का चेहरा हथेलियों में भर कर होंठों को चूसने लगा। करीब 2 मिनट बाद आंटी अलग हुईं और मुझसे कहा- भगवान के लिए अब ऐसी बातें नहीं बोलोगे !
मैंने कहा- आंटी ! भगवान को छोड़ो और कहो कि मेरे लिए ऐसी बातें नहीं बोलोगे तो मैं नहीं बोलूंगा।
तब आंटी खिलखिला कर हंस पड़ी और मेरे गालों को चूम लिया।
मैंने कहा- आंटी आपके होंठ और गाल इतने रस भरे हैं कि मेरा जी चाहता है कि मैं देर तक चूसूं ! क्या आप बुरा तो नहीं मानेंगी।
आंटी ने कहा- मेरे होंठों गालों को ही क्या, जो तुम चूमना, चूसना चाहते तो वो चूसो। लेकिन अभी तुम्हारे अंकल घर में आते ही होंगे इसलिए बाद में चूसना।
मैंने कहा- अंकल को मैं रात को बाहर भेज दूंगा कहीं तब आपको खूब प्यार करूंगा।
आंटी ने कहा- ठीक है ! मैं सोचूंगी कि कैसे तुम्हारे अंकल को बाहर भेजूं !
मैंने कहा- आंटी, आप व्यर्थ ही चिंता करती हैं, मैं खेत पर किसी बहाने से भेज दूंगा।
तब आंटी ने कहा- तुम बैठो ! मैं चाय बनाती हूँ तुम्हारे अंकल आते ही होंगे। और आंटी चाय बनाने चली गईं और मैं बाहर दरवाजे पर आ गया यह देखने कि अंकल आ रहे हैं या नहीं। बढ़िया हुआ कि अंकल नहीं आ रहे थे।
मैंने दरवाजे को बंद किया लेकिन जंजीर नहीं लगाई और अंदर आ गया।
अब मैं अपनी आंटी के जिस्म का बायोडाटा बताता हूँ। मेरी आंटी 25 साल की जवान लड़की हैं औरत इसलिए नहीं कह रहा कि मुझे तो बाद में मालूम हुआ कि आंटी की बुर की सील ही अभी नहीं टूट पाई थी ! नुकीली चूचियां, उनके बूब्स 36 के हैं कमर 28 चूतड़ 34 के साइज के हैं।
उनका चेहरा ऐसा लगता है जैसे कि मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो ! होंठ ऐसे जैसे कि अभी खून पीकर आई हों ! लम्बी सुराहीदार गर्दन ! भारी गोल चूचियां, पतली कमर बाहर को निकले हुए हाहाकारी चूतड़ ! केले के तने जैसी चिकनी जांघे लम्बी टांगें ! वाह! वाह! उनमें ऐसा सब कुछ था कि किसी का भी ईमान डोल जाए और फिर मेरी तो बल्ले-बल्ले थी, वो आसानी से मेरी गोद में जो आ गिरी थी।
जबकि इसके विपरीत मेरे अंकल 40 साल की उम्र पर पहुंच गये थे। अब अंकल का बायोडाटा बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि पाठक खुद ही अंदाजा लगा लेंगे कि 40 साल का गांव का आदमी कैसा लगता होगा।
अब आता हूँ कहानी पर।
मैं सीधा रसोईघर में गया और बोला- आंटी ! अभी अंकल आते तो दिख नहीं रहे हैं !
तो आंटी बोली- दुकान दूर है और भीड़ भी लगी रहती है, इसलिए देर लग रही है। क्या तुम्हें कुछ ज्यादा ही भूख लगी है? अगर ज्यादा लगी हो तो बताओ कि क्या खाओगे।
मैंने कहा- आंटी, मैं तो इसलिए कह रहा था कि यदि अंकल देर से आयें तो मैं आपको चूम-चाट तो सकूं।
तब आंटी खिलखिलाकर हंस पडीं और बोली- इसीलिए रसोई में आ गये हो?
तो मैंने कहा- आपको यदि बुरा लगा हो तो मैं चला जाता हूँ।
आंटी बोल पड़ी- तुम जो चाहते हो वो करो, मैं बुरा नहीं मानूंगी और तुम मुझे आंटी नहीं रम्भा कहोगे।
मैंने कहा- ठीक है, मेरी रम्भा रानी ! तुम पीछे घूमकर चाय बनाओ तब तक मैं तुम्हारी गांड को देखता हूँ ! इससे चाय भी बनती रहेगी और मैं तुम्हारी गांड को देखता रहूँगा।
तब रम्भा पीछे को घूमी और मैं उसके चूतड़ों पर साड़ी के ऊपर से हाथ फेरने लगा। मैं जोर-जोर से उसके चूतड़ों को सहला रहा था और रम्भा सिसकारियां भर रही थी। हाथ फेरते हुए मैं उसकी साड़ी को ऊपर को सरका रहा था जिससे कि मुझे उसकी टांगें नजर आ रही थीं। मेरा लण्ड पैंट में खड़ाहोने लगा था जिससे कि मेरी लण्ड वाली जगह फूल गई थी। मेरा जी चाहा कि मैं रम्भा की साड़ी को ऊपर उठा दूं जिससे की उसकी मस्त गांड का नजारा तो देख सकूं।
मैंने साड़ी को ऊपर उठाना जारी रखा। ज्यों-ज्यों साड़ी ऊपर उठ रही थी मुझे उसकी जांघे दिखने लगीं। वाह क्या शानदार नजारा था ! क्या मस्त चिकनी जांघे थी। मैं नीचे बैठ गया और उसको चूमने लगा। चूमते-चूमते मैं रम्भा की गांड को भी देख रहा था। अब मैं सोच रहा था कि चूतड़ों को चाटूं कि अचानक मेरी छठेन्द्रिय ने मुझे खतरे का आभास कराया।
मैं तुरन्त ही उठ गया और बोला- रम्भा मुझे लगता है कि अंकल आ रहे हैं, तुम चाय बनाओ मैं बाहर जाता हूँ। और हां आज रात को ब्रा और पैंटी नहीं पहनना।
मैंने उससे कहा तो उसने प्रत्युत्तर में मुस्कुराकर आंख मार दी। मैं निहाल हो उठा और मैंने उसको पीछे से बांहों में भरकर चूचियां दबा दीं और बाहर को भाग गया। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि अंकल दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ा चुके थे।
मैं बोला- अंकल आप आ गये।
हां आ तो गया हूँ लेकिन तुम जा कहां रहे थे।
मैं बोला- आपने बहुत देर कर दी थी तो मैं बाहर आपको देखने जा रहा था कि देर क्यों लग रही है ! अब चलो।
जैसे ही हम अन्दर पहुंचे तो देखा कि रम्भा चाय लेकर रसोई से निकल रही थी।
ओह ! ” आप इतनी देर से आये हैं चाय तो बन गई है और आप अब आ रहे हैं !” रम्भा ने कहा।
”हां ! वहां दुकान पर भीड़ थी ना ! इसीलिए देर हो गई है !” अंकल ने कहा।
खैर, कोई बात नहीं ! चाय पियो ! रम्भा ने पैकट ले लिया और रसोईघर से प्लेट में नमकीन और बिस्कुट इत्यादि ले कर बाहर आ गई।
चाय पीने के बाद मैंने कहा- अंकल, मुझे आपका खेत देखना है, क्या बोया है खेत में?
”भुट्टा !” अंकल ने कहा।
बस मेरे दिमाग में एक योजना घुस गई।
अंकल आप खेत की रखवाली खुद करते हैं या फिर किसी और से करवाते हैं?
नहीं, तेरे अंकल खुद ही रखवाली करते हैं ! अंकल के बोलने से पहले ही रम्भा बोल पड़ी।
शाम का खाना खाकर मैं बोला- चलो अंकल मुझे अपना खेत दिखाओ चलकर ! शाम होने वाली है इसलिए जल्दी चलो, फिर वापस भी तो आना है।
हां आना तो है लेकिन यह कोई जरूरी नहीं कि मैं भी वापस आऊं ! अंकल बोले।
क्यों?
रम्भा बोली- यहां पर दूसरों के जानवर खेत चर जाते हैं, इसलिए तेरे अंकल ज्यादातर खेत में ही सोते हैं।
फिर हम खेत में चले गये। जब हम खेत में पहुंचे तो अंकल बोले- तुम खेत घूमो ! मैं टट्टी फिर कर आता हूँ।
एक जगह पर मुझे तरीका सूझ गया और मैंने कुछ पौधों को इस अंदाज में तोड़-मरोड़ दिया जैसे कि उसको किसी जानवर ने खा लिया हो। जब अंकल के साथ मैं खेत देख रहा था तो अंकल उस स्थान पर पहुंच कर बोले- आज यहीं पर सोऊंगा ! लगता है कि किसी जानवर ने इसे चर लिया है।
तुम घर चले जाओ ! अंकल ने अपना बिस्तर खेत में ही लगाते हुए बोले।
ठीक है ! कहकर मैं घर वापस आ गया।
घर में जब मैं आया तो देखा कि रम्भा घर के दरवाजे पर मेरे इंतजार में खड़ी थी। मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया।
ओह! मेरी जान ! रम्भा रानी ! तू तो बड़ी कयामत ढा रही है ! क्या तुमने ब्रा और पैंटी पहनी है।
नहीं तुमने ही तो कहा था कि न पहनो तो मैंने न पहनी।
हां तो मैं सबसे पहले तुम्हारे चूतड़ों को चूसूंगा ! चलो अन्दर बेडरूम में चलो।
हम बेडरूम में आ गये तो मैंने उसे सिंगारदार के सामने खड़ा कर दिया जिसमें कि एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था। अब मैंने उससे कहा- अब पीछे मुड़ कर अपनी साड़ी को अपने हाथों से ऊपर उठा कर अपने चूतड़ दिखाओ।
वह चहकती हुई पीछे को घूमी और साड़ी को ऊपर उठा कर अपने चूतड़ों को दिखाने लगी कि देखो बढ़िया हैं ना?
हां बहुत बढ़िया हैं ! मैंने कहा और जाकर उसके चूतड़ों को चाटने लगा। 2 मिनट बाद मैंने उसके हाथों को हटा दिया जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई।
अब मैंने उसे आगे से बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वाह ! क्या मदमस्त होंठ थे, उससे भी ज्यादा मदमस्त उसकी अदायें थी ! जितनी जोर से मैं उसके होंठों को चूसता उससे भी ज्यादा जोर से वो मेरे होठों को चूस रही थी। कुछ देर के बाद मैंने कहा- मेरी रम्भा रानी, अब तो मैं तुझे चोदकर वो मजा दूंगा कि तू सारी जिन्दगी याद रखेगी।
इतना कह कर मैं उससे लिपट गया और बिस्तर पर ले जाकर उसके होठों और गालों चूमने चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसकी चूचियों को ऊपर से ही दबा रहा था। उसके मुंह से मस्त सिसकारियां निकल रही थीं। अब मैंने अपना चेहरा नीचे किया और कहा- रम्भा ! अब इस ब्लाउज को निकालने में मेरी मदद करो।
वो बोली- मदद क्या करना ! मैं ही निकाले दे रही हूँ।
उसने ब्लाउज को ऊपर से पकड़ा और एक ही झटके में खींच डाला। चूंकि ब्लाउज में चुटपिटी लगी हुईं थी इसलिए तुरन्त ही फाटक खुल गया और मेरे आंखे फटी की फटी रह गईं। इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां गोल-गोल जैसे कि हिमालय पर्वत हों। वह लेटी थी लेकिन क्या मजाल कि जरा सा भी ढलकाव आया हो।
मैं उसकी चूचियों पर पिल पड़ा और खूब मरोड़-मरोड़ कर चूसा। चूचियां चूसते हुए मैं एक हाथ उसकी चूत पर भी फिरा रहा था। जिससे कि वह और भी गर्म हो गई थी। वह खूब तेजी से चिल्ला रही थी- चूसो और तेजी से चूसो ! आज भुर्ता ही बना दो इन चूचियों का।
कुछ देर बाद मैंने कहा- अब साड़ी और पेटीकोट को निकाल दो !
तो वह तुनककर उठ खड़ी हुई, बिस्तर के ऊपर खड़ी हो कर गुस्से भरी नजरों से मेरी तरफ देखा और कहा- तुम तो यह सब कपड़े पहने हो और मुझसे कह रहे हो कि निकालो। अब जब तुम पहले निकालोगे तभी मैं निकालूंगी।
मैंने उससे कहा- खुद ही मेरे कपड़े निकाल दो।
बस फिर क्या था- वह चहकती हुई आई और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, अंडरवियर भी नहीं छोड़ा। जैसे ही उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसकी आश्चर्ययुक्त व खुशी मिश्रित चीख निकल गई- अरे ! इतना बड़ा और मोटा लण्ड।
‘क्यों? क्या हुआ?’ अपने लण्ड को बिना हाथों के ही हिलाते हुए मैं बोला।
वह बोली- तुम्हारे अंकल का लण्ड तो 3 इंच लम्बा है और आधा इंच ही मोटा !
खैर कोई बात नहीं ! मैं बोल पड़ा- अब मैं तुम्हें मजा दूंगा, लो छू कर देखो ! उसने किलकारी निकालकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी।
मैं अचानक पीछे हटा और कहा- अब तुम कपड़े पहने हो तो नहीं खेलने दूंगा।
बस फिर क्या था मेरे कुछ भी करने से पहले ही उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये। चूंकि कमरे में भरपूर प्रकाश था इसलिए उसकी बुर बिना झांटों की साफ चमक रही थी।
लेकिन वह तुरन्त ही आई और मेरे लण्ड से खेलने लगी।
मैंने उससे कहा- यह सब लेट कर करें?
वह तुरन्त मान गई और हम लेट गये। वह मेरे लण्ड से खेलते खेलते ही चूमने लगी और चूमते हुए ही चूसने लगी। मैं अब तक बहुत उत्तेजित हो चुका था सो मैंने उससे कहा- अब हम 69 की पोजीशन में आ जायें ! मैं तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ।
अब हम 69 की पोजीशन में थे। वाह ! क्या बुर थी उसकी बिना झांटो के छोटी सी गुलाबी ! मैं बेतहाशा उसको चूसने लगा। कभी मैं जीभ ऊपर करता तो कभी नीचे कभी गोल-गोल घुमाता तो कभी बुर के अन्दर घुसेड़ देता। मैं उसके दाने को जोर-जोर से चूस रहा था सो मैं और वह कन्ट्रोल नहीं रख पाये और हम दोनों ही एक दूसरे के मुंह में झड़ गये। मैंने उसका और उसने मेरा सारा रस पी लिया।
फिर हम सीधे लेट गये और मैं उसकी जांघों पर अपनी एक टांग रखकर और एक हाथ से उसकी एक चूची दबाकर पूछने लगा- क्या अंकल तुमको नहीं चोदते हैं?
वह बोली- अब तक उन्होंने मुझे 10-15 बार ही चोदा है किन्तु उनकी छोटी सी लूली क्या करेगी ! और मैंने अपनी सहेलियों से सुना है कि पहली बार चोदने पर खून भी निकलता है लेकिन मेरे तो नहीं निकला !
मैं समझ गया कि यह अभी कुवांरी ही है ! मैंने उसे बताया कि तुम अभी कुवांरी ही हो ! छोटा सा लण्ड कुछ भी नहीं कर पाया है। अब देखो कि मैं तुमको कैसे चोदता हूँ। तुम अपनी जांघें फैला लो !
मैंने नीचे तकिया लगा दिया जिससे कि उसकी चूत पूरी खुल गई। अब मैं उसके बीच में आ गया और लण्ड को उसके दाने पर रगड़ने लगा। वह चिल्ला पड़ी कि अब सब्र नहीं होता है खोंस दो।
मैंने उससे कहा- तुम मुंह में कपड़ा खोंस लो जिससे कि आवाज नहीं निकलेगी।
तो वह बोली- क्या दर्द होगा?
मैंने कहा- थोड़ा सा होगा ! फिर बहुत मजा आयेगा।
उसने तुरन्त ही कपड़ा खोंस लिया। अब तक उसकी बुर खूब चिकनी हो गई थी। सो मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका दिया।
इतनी जोरदार कि मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी बुर में घुस गया। वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी और पूरा जोर लगा कर मुझे बाहर की तरफ ढकेल रही थी लेकिन मैंने उससे कहा- जोर से बिस्तर को पकड़ लो और मैंने लण्ड बाहर की तरफ खींचा और फिर पुनः अन्दर को खोंस दिया। अगर उसके मुंह में कपड़ा नहीं होता तो फिर आधे गांव में उसकी चीख साफ सुनी जा सकती थी।
लगातार 5 मिनट तक मैं उसकी बुर की चुदाई करता रहा और वह तड़पती रही। 5 मिनट के बाद मैं रूका और लण्ड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची दबाते हुए उसके मुंह से कपड़ा निकाला। उसने एक हिचकी ली और रोते हुए बोली- भला ऐसी कहीं चुदाई की जाती है कि मेरी बुर का भुर्ता ही बन जाए।
मैंने कहा- अब दर्द तो खत्म हो गया है अब तो सिर्फ मजा ही आयेगा।
तना कह कर मैं पुनः उठा और उसकी बुर को धीरे-धीरे चोदने लगा। अब वह चिल्ला रही थी कि स्पीड तेज करो और तेज ! उसके मुंह से मदमस्त सिसकारियां निकल रही थी और अपनी उंगली से बुर को रगड़ रही थी।
15 मिनट तक मैं उसको चोदता रहा। इस दौरान वह दो बार झड़ी।
फिर मैंने कहा- अब तुम मेरे उपर आ जाओ और मुझे चोदो !
जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो उसकी बुर से खून और बुर-रस निकल रहा था तो मैंने उससे कहा- देखो यह तुम्हारी कुवांरी बुर की निशानी है ! और अपना लण्ड उसकी आंखो के सामने कर दिया तो वह शरमा गई। अब वह मेरे उपर थी और जोरदार तरीके से उछल रही थी। कभी मैं उसको रोक कर जोरजोर धक्के लगाने लगता तो कभी वह मुझे रोककर उछलने लगती।
10 मिनट के बाद वह झड़ गई तो धक्के लगाना बंद कर दिया और बोली- अब मैं थक गई हूँ !
लेकिन चूंकि मेरे लण्ड से एक बार माल चूसते समय पहले ही निकल गया था इसलिए मैं झड़ा नहीं था। सो मैंने उसे नीचे लिटाया और जोर-जोर से चोदने लगा। 5 मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो उससे कहा- मैं अपना माल कहां पर छोड़ूं?
तो उसने कहा- बुर में ही छोड़ दो ! मुंह में तो एक बार ले ही चुकी हूँ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अचानक रम्भा के शरीर को झटके लगने लगे मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। जब मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी तो मैंने अपने लण्ड को जड़ तक अन्दर खोंस देता और बाहर खींचता लेकिन सुपाड़ा अन्दर ही रहने देता। मैं यही क्रिया बार-बार दोहरा रहा था। जब हम दोनों पूरे झड़ गये तो मैंने एक करारा धक्का लगा कर अपना लंड पूरा अंदर पेल दिया और रम्भा के ऊपर लेट गया और कहा- कैसा लगा?
उसने कहा- मेरे राजा आज मुझे इतना मजा आया है कि आज तक कभी भी नहीं आया होगा !
तो मैंने कहा- तो चलो इसी बात पर एक रसभरा चुंबन हो जाय !
रम्भा ने मेरे होंठो को चूम लिया और बोली- अब मैं बहुत थक गई हूँ चुपचाप सो जाओ। अब कल चोदेंगे।
गुड नाइट!
मेरे दोस्तों! खासकर लड़कियों ! मैं इस कहानी को लिखना तो लम्बा चाहता था लेकिन मुझे इतना समय और वातावरण नहीं मिला कि मैं इस कहानी को दो-तीन सौ पेजों में बना देता। अगर जो आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो फिर मुझे मेल करो ताकि मैं और भी अच्छी कहानियां लिख सकूं। Antarvasna
दोस्तों मेरा नाम सुरेश है।मेरी उम्र २३ Sex Stories वर्ष कद ५’८” है। मैं आपको प्रीति के साथ अपने सेक्स अनुभव को अपनी पिछली कहानी में बता चुका हूं। अब मैं अपने जिन्दगी के एक और सेक्स अनुभव को आपको बताने जा रहा हूँ।
तब मेरी उम्र १९ वर्ष थी मेरे अन्दर सेक्स का कीड़ा भड़क रहा था। मेरी छुटि्टयाँ चल रही थी। हमारे घर के सामने वाले घर में एक लड़की रहती है। उसका नाम रोशनी है। हम दोनों बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं। इस बार मैं घर दो सालों के बाद आया था। मतलब की हम दोनों पूरे दो सालों के बाद मिले थे। और अब वह पहले वाली रोशनी नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गई थी।
उसके अट्ठारह वर्ष के भरपूर जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भड़का दिया था। उसके स्तन काफी बड़े थे। वो उसकी टाईट टी-शर्ट में बिल्कुल गोल दिखते थे जिन्हें देखकर उन्हें हाथ में पकड़ने को जी चाहता था। वह अकसर शार्ट-ड्रेस पहना करती थी। बचपन में मैंने बहुत बार खेलते हुए रोशनी के स्तनों को देखा था जो कि शुरू से ही आम लड़कियों के स्तनों से बड़े थे और कभी कभी छू भी लेता था लेकिन मेरा मन हमेशा उनको अच्छी तरह दबाने को करता रहता था। लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं वो अपने घर वालों न बता दे क्योंकि मेरी उसके बड़े भाई के साथ बिल्कुल भी नहीं बनती थी। वो रोशनी को भी मेरे साथ न बोलने के लिये कहता रहता था लेकिन रोशनी हमेशा मेरी तरफ ही होती थी।
लेकिन अब रोशनी बड़ी हो चुकी थी और जवानी उसके शरीर से भरपूर दिखने लगी थी। मैं उसको चोदने के लिये और भी बेकरार हो रहा था। लेकिन अब वह पहले की तरह मेरे साथ पेश नहीं आती थी। ऐसा मुझे इस लिये लगा क्योंकि वो मेरे ज्यादा पास नहीं आती थी। दूर से ही मुस्करा देती थी।
लेकिन एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका और मैंने पहली बार ऐसा दृश्य देखा था।
उस दिन मैं तकरीबन ११ बजे सुबह अपनी छत पर धूप में बैठने के लिये गया क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी। मैं अपनी सबसे ऊपर वाली छत पर जा कर कुरसी पर बैठ गया। वहाँ से सामने रोशनी के घर की छत बिलकुल साफ दिख रही थी। मैं सोच रहा था कि रोशनी तो स्कूल गई होगी। लेकिन तभी मैंने नीचे रोशनी की आवाज सुनी। मैंने नीचे देखा- रोशनी के मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे। थोड़ देर बाद रोशनी अन्दर चली गई।
मैं सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है और मैं नीचे जाकर रोशनी को फोन करने के बारे में सोच ही रहा था कि मैंने देखा रोशनी अपनी छत पर आ गई थी। मैं उसको छुप कर देखने लगा क्योंकि मैं रोशनी को नहीं दिख रहा था।
उस दिन रोशनी ने शर्ट और पज़ामा पहन रखे थे और ऊपर से जैकिट पहन रखी थी। वह अभी नहाई नहीं थी। तभी उसने धूप तेज होने के वजह से जैकिट उतार दी और कुरसी पर बैठ गई। उसने अपनी टांगें सामने पड़े बैड पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गई जिसकी वजह से उस के बड़े बड़े वक्ष बाहर को आ गये थे।
मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था और मैं बड़े गौर से उसके शरीर को देख रहा था। तभी अचानक रोशनी अपने स्तनों की तरफ देखने लगी और उन्हें अपने हाथ से ठीक करने लगी। उसके चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नहीं होगा कि उसको कोई देख रहा है। उसी वक्त उसने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल दिये। मेरे को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं यह सब देख रहा हूं। मैंने अपने आप को थोड़ा संभाला। लेकिन तब मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नहीं रोक पाया जब मैंने देखा कि उसने नीचे ब्रा नहीं डाला हुआ था और आधे से ज्यादा बूब्स शर्ट के बाहर थे। मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठ मारने लगा।
जब मैंने फिर देखा तो रोशनी का एक हाथ शर्ट के अन्दर था और अपने एक मुम्मे को दबा रही थी और आंखे बन्द कर के मज़े ले रही थी। तभी उस ने एक मुम्मे को बिल्कुल शर्ट के बाहर निकाल लिया जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग का था। उसका चूचुक बहुत ही बड़ा था जो कि उस समय तना हुआ था और हलके भूरे रंग का था। मैं यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था और अपनी मुठ मार रहा था। तभी उसने अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया और अपने दोनों स्तन बाहर निकाल लिए। फिर वो अपने दोनों हाथों की उंगलियों से चूचुकों को पकड़ कर अच्छी तरह मसलने लगी। काफी देर तक वो अपने वक्ष को अच्छी तरह दबाती रही। थोड़ी देर बाद वह कुर्सी से उठी और बैड पर लेट गई। एक हाथ से उसने अपने स्तन दबाने शुरू कर दिए और दूसरा हाथ उसने अपने पजामे में डाल लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
अब उसको और भी मस्ती चढ़ने लगी थी और वह अपनी गांड को भी ऊपर नीचे करने लगी थी। मैं अभी सोच ही रहा था कि खड़ा हो कर उसको दिखा दूं कि मैं उसको देख रहा हूं तभी मेरा हाथ में ही छुट गया और मैं अपने लण्ड को कपड़े से साफ करने लगा। जब मैंने फिर देखा तब तक रोशनी खड़ी हो गई थी लेकिन उसके स्तन अभी भी बाहर ही थे और वो वैसे ही नीचे चली गई। लेकिन फिर भी मैं बहुत खुश था लेकिन फिर मेरे को लगा कि मैंने रोशनी को चोदने का मौका गंवा दिया। मुझे खड़ा हो जाना चाहिए था, ऐसा करना था वैसा करना था।
तभी मेरे दिमाग में एक विचार आया और मैं जल्दी से नीचे गया और रोशनी के घर फोन किया। पहले तो वह मेरी आवाज सुन कर थोड़ी हैरान हुई क्योंकि फोन पर हमारी ऐसे कभी बात नहीं हुई थी लेकिन वह बहुत खुश थी। मैं उससे सेक्स के बारे में कोई भी बात नहीं कर सका, इधर उधर की बातें करता रहा। उस दिन हमने २ घण्टे बातें की और फिर उसका भाई विशाल आ गया था। शाम को उसने मुझे फिर फोन किया और हमने १ घण्टा बातें की और फिर रोजाना हमारी फोन पर बातें होने लगी। घर पर भी अकसर आमने सामने हमारी बातें हो जाती थी। छत पर भी हम एक दूसरे को काफी काफी देर देखते रहते थे। लेकिन मुझे उसके भाई से बहुत डर लगता था, इसलिए जब वह घर पर होता था मैं रोशनी से दूर ही रहता था।
एक बार विशाल की वजह से हमारी पूरे दो दिन बात नहीं हुई और हम दोनों बहुत परेशान थे। हम छत पर भी नहीं मिल पाए। विशाल ने उसको हमारे घर भी नहीं आने दिया। मैं पूरा दिन बहुत परेशान रहा क्योंकि रोशनी मुझे सिर्फ एक बार दिखी थी और हमारी बात भी नहीं हुई थी। रात के ९ बज चुके थे। मैं बैठा रोशनी के बारे में सोच रहा था। तभी बाहर की घण्टी बजी। जब मैंने गेट खोला तो देखा बाहर रोशनी खड़ी थी।
उसने मुझसे सिर्फ यह कहा,”आज रात साढ़े बारह मैं फोन करूंगी ! सुरेश, मेरा मन नहीं लग रहा है !” और वापस चली गई।
मैं एक दम से हैरान रह गया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन मैं बहुत खुश था। पहली बार किसी से रात को बात करनी थी। गेट बन्द करके अन्दर गया और मम्मा से कहा पता नहीं कौन था? घण्टी बजा कर भाग गया।
११ बजे सभी सो गए, लेकिन मुझे नींद कैसे आ सकती थी। मैंने दूसरे फोन की तार निकाल दी थी और अपने कमरे वाले फोन की रिंग बिल्कुल धीमी कर दी थी, कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लिया था। तकरीबन १२:३५ पर फोन आया। रोशनी बहुत ही धीमे स्वर में बोल रही थी। उसने बताया,”विशाल ने हम दोनों को बात करते हुए देख लिया था। इसलिए उसने मुझे तुमसे मिलने और फोन पर बात करने से मना किया है, वह कहता है कि तुम अच्छे लड़के नहीं हो ! लेकिन मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो। तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगता है। मैं तुम से बात किए बगैर नहीं रह सकती। इसलिए सुरेश हम रात को बात किया करेंगे और इस समय हमें कोई डिसटर्ब भी नहीं करेगा ! खास कर विशाल !”
ऐसे ही हमारी बहुत देर बातें होती रहीं और अब रोशनी पूरी तरह मेरे जाल में फँस चुकी थी।
मैंने पूछा- तुम कमरे में अकेली ही हो न ? इतनी धीमे क्यों बोल रही हो?
उसने कहा- मेरे कमरे का दरवाजा खुला है और मम्मी पापा साथ वाले कमरे में हैं।
तो मैंने उसको दरवाजा बन्द करने को कहा।
उसने पूछा- क्यों ?
मैंने कहा- उसके बाद मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा, बैड के ऊपर बिलकुल तुम्हारे साथ।
तो वह कहने लगी- नहीं ! मुझे तुमसे डर लगता है। तुम मेरे साथ कुछ कर दोगे।
तब मैंने उससे कहा- मैं कभी तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा। जो तुम्हें अच्छा लगेगा हम वही करेंगे।
मैंने कहा- लेकिन रोशनी मैं तुम से लड़कियों के बारे में एक बात पूछना चाहता हूं। बताओगी?
उसने कहा “पूछो क्या पूछना चाहते हो।”
मैंने हिचकचाते हुए कहा मैं मासिक धर्म के बारे में सब कुछ जानना चाहता हूं।
पहले रोशनी चुप कर गई लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मुझे सब कुछ बताया और उसके बाद हमारी सेक्स के बारे में बातें शुरू हो गई।
मैंने उसको कहा कि मैंने उसके बूब्स देखे हैं। तो उसने कहा आप झूठ बोल रहे हो।
तब मैंने छत वाली बात बता दी कि मैं सब कुछ देख रहा था। वह थोड़ा शरमा गई और कहने लगी कि आप बहुत खराब हो। उसने कहा कि ऐसा करने से उसको मजा आता है।
मैंने रोशनी को अपना हाथ पकड़ाने के लिए कहा।
उसने कहा- फ़ोन पर कैसे ?
मैंने कहा- बस समझ लो कि हम जैसे बोल रहे हैं, वैसे ही कर भी रहे हैं।
उसने कहा,”ठीक है ! पकड़ लो लेकिन आराम से पकड़ना !”
थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा “तुम्हारे हाथ पकड़ने से सुरेश मेरे को कुछ हो रहा है, प्लीज अभी मेरा हाथ छोड़ दो !”
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि जब मैंने पहले उसका हाथ पकड़ा था तब उसकी टांगो के बीच में कुछ हो रहा था उसको बहुत मजा आ रहा था और उसकी चूत में से बहुत पानी निकल रहा था जिस की बजह से वह घबरा गई थी और इसीलिए उसने मुझे हाथ छोड़ने को कहा था।
तब उसने फिर से हाथ पकड़ने को कहा।
मैंने कहा- ठीक है पकड़ा दो।
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि उसकी पैंटी चूत के पानी से बिलकुल गीली हो गई है और उसके चूचुक भी बिलकुल तन गए हैं। तब मैंने उसको अपने कपड़े उतारने को कहा। उसने उठ कर दरवाजा बन्द कर लिया और सारे कपड़े उतार दिए। फिर उसने बूब्स दबाने शुरू कर दिए और सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी। मेरा लण्ड भी बिल्कुल खड़ा हो चुका था।
रोशनी अपनी उंगली से चूत के ऊपर अपनी शिश्निका को दबाने लगी और फिर उसने उंगली चूत के अन्दर डाल ली।
उसके मुंह से आवाजें आ रही थी- आहहहहहहहहहहहहहहह आह आहहहह वह कह रही थी ” सुरेश प्लीज चोदो मेरे को। अपना लण्ड मेरी चूत में डालो। मेरे मुम्मों को चूसो। जोर जोर से चोदो मेरे को।”
उस रात हमने सुबह ५ बजे तक बात की। उसको बाद हम अकसर रात को बातें करते थे। लेकिन मैं उस दिन के इंतजार में था जिस दिन मैं उसको असली में चोदूं। आखिर वह दिन आ ही गया जब मेरा सपना सच हो गया।
रोशनी के एक रिश्तेदार अचानक बीमार हो गये उसके मम्मी और पापा को उन्हें देखने के लिये जाना पड़ा। किसी भी हालत में उनके तीन दिन तक लौटने की कोई उम्मीद नहीं थी। विशाल दिन भर दुकान पर था। रोशनी घर में अकेली थी। लेकिन मम्मा की वजह से मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था। मैं अपने कमरे में चला गया।
मैंने एक सेक्स मैगजीन निकाला और देखने लगा। उसमें कुछ नग्न तस्वीरें थी। मैं उन्हें देख रहा था तभी अचानक पीछे से रोशनी आ गई। उसने पूछा- क्या देख रहे हो? और वह मेरे बेड पर बैठ गई।
मैंने पूछा- मम्मा से क्या कहा है?
उसने कहा- आन्टी ने मुझे यहां आते हुए नहीं देखा।
तभी मैं उठा और मम्मा से कहा- मैं सोने लगा हूं !
और मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। फिर मैंने उसके सामने वह किताब रख दी वह उसे देखने लगी। फिर हम दोनों सेक्स के बारे में बातें करने लगे। मैं उठकर उसके पीछे खड़ा हो गया। मैंने उसके कन्धे पर अपना हाथ रखा और झुककर उसके कन्धों को चूम लिया। उसने कुछ भी प्रतिरोध नहीं किया यह मेरे लिये बहुत था।
मैं उसके सामने बैठ गया और उसके होठों को चूम लिया। मेरा हाथ तेजी से उसकी कमर में पहुँच गया और कसकर पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया। मेरे हाथ उसके वक्ष पर पहुँच गए और ऊपर से ही दबाने लगा।
उसके मुँह से प्रतिरोध के शब्द निकले- ओहहहहहहहहहहह नहीं ! बस करो सुरेश।
लेकिन उसके हाथो ने उतना एतराज नहीं जताया। उसने एक ढीली ढाली टी-शर्ट और साइकलिंग-शॉर्ट पहन रखा था। मेरा हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके उभारों को दबाने लगा। मेरी जीभ उसके मुँह में घूम रही थी। अब उसकी तरफ से भी सहयोग मिलने लगा था। मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी। उसने पहले ना नुकुर की लेकिन मेरे हाथ का जादू उसके दिलो दिमाग पर छा रहा था। उसका प्रतिरोध नाममात्र का था। मैं उसके स्तनों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही मुँह में लेने लगा।
मेरा दूसरा हाथ उसकी जांघों के बीच के भाग को उसके कपडों के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसका भरपूर यौवन मेरे सामने था, जिनको मैंने बिना एक पल की देरी किये अपने मुँह में ले लिया। वह अपने वश में नहीं थी उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।
मैंने उसके बाकी बचे कपड़ों को उतार फेंका और उसे बेड पर लिटाया। मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे थे, मैंने अपने कपड़े उतार दिये। मैं अब सिर्फ अन्डरवियर में था और उसके ऊपर वापस झुक गया, उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा। मेरे हाथ उसकी जांघों के बीच की गहराइयों तक पहुँच गये और उसके जननांग को सहलाने लगे। उसने अपना हाथ मेरी अन्डरवियर में डालकर मेरे हथियार को बाहर निकाल लिया।
मैं नीचे गया और अपने होंठ उसके जननांगों पर रख दिये। उसके मुँह से एक सीत्कार निकल पड़ी। उसने मुझे अपने पैरो में फँसा लिया। मेरी जीभ उसकी चूत के अन्दर बाहर हो रही थी। उसने पानी छोड़ दिया, मेरी जीभ को नमकीन स्वाद आने लगा। उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालने के लिये मुझे ऊपर की ओर खींच लिया और बोलने लगी- प्लीज इसे अन्दर डालो अब बरदाश्त नहीं होता।
मैंने एक पल की भी देरी नहीं की। उसकी टांगों को फैलाया और अपने लण्ड को उसके चूत के ऊपर रखा, एक धीमा सा धक्का दिया, वह पहले झटके को आसानी से सहन नहीं कर पाई और दर्द से कराह उठी और चिल्लाने लगी- ़़़़ ज़ल्दी निकालो मैं मर जाऊँगी।
मैंने उसको कस कर पकड़ा और उसके निप्पल को मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटने और दांतों से काटने लगा। थोड़ी देर में ही वह अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। मेरा लण्ड जो कि अभी तक चूत के अन्दर ही था और बड़ा होने लगा था। मेरे लिये अब यह पल बरदाश्त के बाहर था। मैंने भी आगे पीछे जोरों से धक्के लगाने लगा। मेरी स्पीड लगातार बढ़ती रही, उधर उसके मुँह से उत्तेजित स्वर और तेज होते रहे और थोड़ी देर में हम दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये। फिर वासना का एक जबरदस्त ज्वार आया और हम दोनों एक साथ बह गये।
मैं उसके ऊपर ही लेटा रह गया। उसने मुझे कसकर पकड़ रखा था। थोड़ी देर में मैं मुक्त था। रोशनी छुप कर अपने घर चली गई। बाद दोपहर जब विशाल खाना खा कर वापस दुकान पर चला गया तो मैं मम्मा से यह कह कर कि मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूं, रोशनी के घर चला गया। फिर हमने शाम तक एक दूसरे के साथ सेक्स किया, इक्कठे नहाए और रोशनी ने मेरे लण्ड को अपने मुंह में डाल कर खूब चूसा, उसको लण्ड को चूसने में बहुत ही मजा आ रहा था। शाम को जब मैं जाने लगा तो उसने कहा कि आज रात को वह मेरे साथ सोना चाहती है।
मैंने कहा- यह कैसे हो सकता है।
उसने कहा कि आज रात को वह नीचे अकेली होगी और उसने कहा कि ११ बजे बाहर आ जाना वह गेट खोल देगी।
रात को मैं ११ बजे मैं छोटे गेट से उसको बाहर से ताला लगाकर रोशनी के घर के बाहर गया तब उसने गेट खोल दिया और मैं अन्दर चला गया। रोशनी गेट बन्द करके अन्दर आ गई।
मैंने पूछा- विशाल सो गया क्या ?
उसने कहा कि विशाल तो एक घंटे से सोया हुआ है।
तब मैंने पूछा कि वह क्या कर रही थी। उसने कहा,” आपसे अच्छी तरह चुदने की तैयारी कर रही थी।”
वह मेरे को अपने मम्मी पापा के बैडरूम में ले गई और आप बाथरूम में चली गई। थोड़ी देर बाद जब वह बाहर आई उसने छोटी सी नाईटी जो कि बिलकुल पारदरशी थी पहनी हुई थी। उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था। उसके मुम्मे और चूत दिख रहे थे। उसने कहा- यह नाईटी मम्मा की है और आज वह मम्मा की तरह ही चुदना चाहती है।
मैंने पूछा- मम्मा की तरह का क्या मतलब है?
उसने कहा कि एक रात वह बाथरूम जाने के लिए उठी तो उसने देखा कि मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल रही थी। उसने खिड़की में से देखा तो मम्मा ने यह ही पहनी हुई थी। उसके बाद उसने २ घण्टे मम्मा को पापा से चुदते देखा।
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि रोशनी ने सारे बाल साफ कर हुए थे। उसके बाद हम फिर से एक दूसरे के लिए बिल्कुल तैयार थे। उस रात सुबह ५ बजे तक बिल्कुल नंगे एक दूसरे की बाहों में रहे और इस बीच मैंने उसको तीन बार चोदा। उसने मेरे लण्ड को बहुत चूसा।
अगले दो दिन भी हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में मजे करते रहे। अब हमें जब भी मौका मिलता है हम इसका आनन्द उठाते हैं। Sex Stories
अन्तर्वासना पर मेरी यह कहानी ये उन कहानियों Hindi Porn Stories से अलग है जो कोमलता के साथ चुदाई करते हैं। मैं… रहस्य…रोमान्च… रूहों की दुनिया में आपको ले चलता हूं। यहां आपको इन सबके साथ सहवास… उत्तेजना … का भी भरपूर आनन्द मिलेगा।
मेरा नाम विलियम है। मैं २५ साल का इसाई युवक हूँ। मुझे घूमने फ़िरने का बहुत शौक है। इन गर्मी के दिनो में मुझे यह मौका मिल गया। हम सभी लोग जयपुर में एक जगह एकत्र हो गये थे। वहां से हमें बस में जाना था। हम सभी करीब १७ लोग थे। ज्यादातर जोड़े में थे। पर मैं अकेला ही था।
बस रात को लगभग १० बजे रवाना हुई। ऊपर वाले सभी स्लीपर थे और नीचे सीटें थी। मुझे सिंगल वाला स्लीपर मिल गया था। सुबह होते होते हम लोग उज्जैन पहुँच गये थे। यहां पर हम होटल में रुके थे। मुझे कमरा नम्बर २० मिला था।
मैं अपने कमरे में गया और नहा धो कर फ़्रेश हो गया। चाय पी कर सभी लोग घूमने निकल पड़े। मैंने उज्जैन देखा हुआ था इसलिये मैं पास में फ़्रीगन्ज मार्केट चला गया। पर जल्द ही वापस आ गया।
मैने होटेल के काऊन्टर पर देखा तो वहां पर एक खूबसूरत सी लड़की खड़ी थी। उसे देखते ही मैं पहचान गया। मैने अपने कमरे की चाबी मांगी। उसने मुझे १९ नम्बर की चाबी दी। मैने कहा,”अरे… सोनू तुम…!”
“हाय…जो…तुम हो…”
“ये तो १९ नम्बर की है…।”
“हा ये मेरा कमरा है… तुम चलो मैं आती हू।” सोनू मुस्करा कर बोली…
हम दोनो विद्यार्थी जीवन से साथ थे। मैं मन ही मन ही मन में सोनू को चाहता था, पर माईकल को यह पसन्द नहीं था।
“ओह्…हाँ…”
मैने चाबी ली और आराम से सीढियां चढ़ता हुआ कमरा नम्बर १९ पर आ गया। मैने चाभी लगा कर दरवाजा खोला। कमरे में एक अजीब सी ठन्डक थी। एकाएक मैने देखा कि सोनू कमरे में मेरे सामने खड़ी थी। एक झीना सा नाईट गाऊन पहने हुई थी। जिसमें उसका पूरा नंगा बदन नज़र आ रहा था। इतनी बेशर्मी से मै सकपका गया।
“तुम अन्दर कैसे आई…?”
“पीछे से …दरवाजा तो बन्द कर दो… देखो मैं तो …कोई देख लेगा “
“अंह्… हां … पर ये क्या… तुम ऐसे … ?” वास्तव में मै भौचक्का रह गया था।
“आओ ना…थोडी मस्ती करेंगे…भूल गये क्या सब…”
मै कैसे भूल सकता था भला… हम दोनो एक साथ घूमने जाया करते थे … मौका मिलने पर वो कभी मेरे लन्ड को मसल देती थी और कभी मेरी गान्ड पर थपथपाती थी। मुझे उसकी इस हरकत पर शरीर में सनसनी दौड जाती थी। मै भी मौका पाकर उसके उरोजो को दबा देता था। उसके नरम नरम चूतड़ों को दबा देता था। उसके नरम चूतड़ मुझे बहुत ही सेक्सी लगते थे। पर मुझे उसे चोदने का अवसर कभी नहीं मिला था।
आज ये अचानक सब कैसे हो गया। मेरी किस्मत अचानक ही कैसे खुल गयी। मै सीधे उसके पास आ गया और जोश में उसे जकड़ लिया। उसके ठन्डे बदन से मुझे एकबारगी झुरझुरी आ गयी। उसके ठन्डे होठ मेरे होन्ठो से चिपक गये। उसके मखमली बदन का अहसास मेरे जिस्म में होने लगा। मेरा लण्ड तन गया था। उसके नरम और ठन्डे बदन को मैं सहला रहा था। वो भी मेरे बदन से ऐसे लिपट रही थी कि कहीं मैं उसे छोड़ कर ना चला जाऊँ। मेरा लन्ड बहुत टाईट होता जा रहा था। मेरे बदन में सिरहन बढती जा रही थी। मेरा लन्ड रह रह कर चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। सोनू बोली -“रुको…ऐसे नहीं… तुम लेट जाओ… और उतारो ये पेन्ट और कमीज…”
मै अपने कपड़े उतार कर उसके सामने नंगा हो गया। उसके मुँह से सीत्कार निकल गयी।
“जोऽऽऽ … हाय रे… तुम तो गजब के हो … तुम्हारा ये बोडी … कहां छुपा रखा था ये बदन…”
“मै तो शुरु से ही ऐसा हूं …क्यो ऐसा क्या है…” मुझे उसकी इस प्रतिक्रिया पर थोडी हैरानी हुई।
उसने कुछ नहीं सुना… बस मेरे नंगे बदन से लिपट गयी। मेरी तरफ़ उसने सेक्सी निगाहों से देखा और अपना झीना सा गाउन नीचे उतार फ़ेंका। मेरी नजरें उस से मिली। उसकी आखों में वासना के लाल डोरे खिन्चने लगे थे।
मेरे मुँह से भी निकल पड़ा -“हाय… ये चिकना चमचमाता शरीर… सोनू …जान लोगी क्या…” वो मुसकरा उठी।
सोनू ने अपने ठन्डे हाथों से मेरा लन्ड पकड लिया। अब वो मेरे लन्ड से खेल रही थी। मेरा लन्ड फ़ूल कर मोटा और कडक हो गया था। उसने मेरे सुपाडे की चमडी खींच कर उसे खोल दिया। अब वो उसे उपर नीचे कर रही थी। मुझे मीठी मीठी तेज गुदगुदी होने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ना चाहा तो उसने प्यार से मेरा हाथ हटा दिया और मेरे लन्ड को पकड़ कर मुठ मारने लगी। मेरे सारे शरीर में सनसनाहट होने लगी।
“सोनू… हाय… मजा आ रहा है … और मुठ मार … हाय…आज तो बस ऐसे ही मेरा रस निकाल दे सोनू…”
उसने मुठ मारते मारते अपने मुंह में सुपाडा ले लिया। उसके नाखून मेरे शरीर पर खरोन्चे मारने लगे। उत्तेजना में सब अच्छा लग रहा था। उसके हाथ और तेज चलने लगे… मुंह से लन्ड चूसने की मधुर आवाजें आ रही थी। उसके बाल लहरा रहे थे। मुठ मारती जा रही थी… सोनू का जिस्म भी कम्पकंपा रहा था। उसके पीछे उभरे हुये गोल गोल चूतड़ों को मैं मसल रहा था।
“राजा … मजा आ रहा है ना…” उसके नाखून मेरे शरीर पर खरोन्चे मार रहे थे। मै चरम सीमा पर पहुच रहा था। वो उतना ही तेज रगडने लगी थी। अब वो अपने दान्तो से मेरा सुपाडा भी चबा लेती थी। अन्तत: मैं मचल पडा…मेरा लन्ड से पिचकारी छूट पडी।
उसके चेहरे पर पर गाढ़ा गाढ़ा सा सफ़ेद वीर्य लिपट गया। उसने बेहिचक वीर्य को चाट चाट कर साफ़ कर दिया। सोनू उठी और बाथरुम में चली गयी। अपना मुँह साफ़ करके मेरे पास आ गयी।
“मजा आया जो… तुम्हारा लन्ड… लगता है बडे प्यार से पाला है…।”
मै हंसने लगा…
तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया … मैं उठा और पेन्ट पहन ली ।
मैने दरवाजा खोला तो वहां कोई नहीं था। मैने पीछे मुड़ कर देखा तो सोनू भी वहां नहीं थी। इतने में एक बूढा वेटर सामने के कमरे से निकला। मुझे देखते ही वो चोंक गया।
“सर … आपका कमरा तो २० नम्बर है…”
“ना… नहीं… मैं तो यहां…।”
उसने मेरा रूम खोल दिया…। “आईये … उस कमरे में किसी भी हालत में मत जाना…”
” अच्छा …ठीक है ठीक है …” मै हंस दिया।
मैने अपने कपड़े उठाये और अपने कमरे में आ गया। बूढे वेटर ने १९ नम्बर में ताला लगा दिया। मुझे पता था कि सोनू पीछे से निकल गयी होगी।
मै बिस्तर पर जा कर लेट गया। पता ही नहीं चला कि कब नीन्द ने आ घेरा। अचानक मेरी नीन्द खुल गयी। देखा तो रुबी अपने हाथ से मेरे शरीर को सहला रही थी। मै उठ कर बैठ गया। उसके सहलाने से मेरे लन्ड में तरावट आने लगी थी।
“तुम … यहां कैसे आ गयी ? दरवाजा तो बन्द था…”
“हाय।… मेरे राजा… वैसे ही … जैसे वहां आयी थी…”
“अच्छा ये बताओ कि माईकल का क्या हुआ… उसने तुमसे शादी नहीं की…तुम्हे तो वो बहुत प्यार करता था…”
” पर मै उसे इतना सा भी नहीं चाह्ती थी… मै तो तुमसे प्यार करती थी… और तुम ऐसे निकले कि मुझे छोड कर चले गये”
“पर शादी की बात तो उस से चल रही थी ना…”
“मुझे नहीं करनी थी शादी …उन्होने मुझे बहुत मारा पीटा… पर मै नहीं मानी…माईकल ने तो…अब क्या कहूं… और फिर मजबूरन …”
“क्या मजबूरन… बोलो…”
“अरे… छोड़ो ना…इस मस्ती के समय में अच्छी बातें करो… मुझे तो तुम्हारा लन्ड बहुत प्यारा लगा…”
उसने मेरा पेन्ट खीच लिया… फिर से मुझे नन्गा कर दिया। उसने भी बिना समय बरबाद किये अपना गाउन उतार फ़ेन्का। एक बार फ़िर से हम दोनों नन्गे थे।
“मेरे राजा… जल्दी करो…ऐसा मौका बार बार नहीं आता है…” उसने अपना शरीर मेरे शरीर से रगडना चालू कर दिया। फिर से हम एक बार वासना की दुनिया में पहुंचने लगे। उसके तीखे नाखून फिर से मेरे अंगों पर चुभने लगे… पहले की नाखूनो की जलन अब भी थी। पर उत्तेजना के कारण अब मह्सूस नहीं हो रही थी । मेरा लन्ड एक बार फिर उफ़न पडा… मीठी सी जलन बढने लगी। उसके होन्ट मेरे होन्टो से चिपक गये। उसकी आंखे लाल हो उठी।
उसक शरीर जल उठा। उसके बदन में एक कडापन आ गया…। उसके उरोज कडे हो गये थे। मेरा लन्ड अब बहुत ही कडा हो गया था। मुझसे अब और नहीं सहा जा रहा था। मेरा लन्ड उसकी चूत में घुसने को बेताब होने लगा था। मैने थोडी सी हरकत करते हुये अपना लन्ड उसकी चूत में ठेल दिया।
“आऽऽऽह्… जो … घुस गया रे … सोलिड लन्ड है… दे …धक्का मार यार।…”
‘ मेरी सोनू … आऽऽऽऽऽ ह … बहुत चिकनी है रे …” लन्ड सरकता हुआ चूत में अन्दर तक बैठ गया।
“राजा…तुम्हरे लिये ही सम्हाल कर रखी थी…” उसकी लाल लाल आंखो मै वहशीपन साफ़ झलक रहा था। तभी उसने मेरा लन्ड बाहर निकाला और उसने तुरन्त मुझे उठाया और खुद घोड़ी बन गयी।
“राजा मेरी गान्ड मारो …। बडी बैचनी लग रही है… देखो ना…सिर्फ़ तुम्हारे लिये मैने इस गान्ड को कुंआरी रखी है।”
मुझे होश कहां था। मेरा लन्ड कडकता जा रहा था… मेर सुपाडा भी गीला हो रहा था। मैने उसके चूतडो की फ़ान्को को खोला और उसकी गान्ड के छेद पर लन्ड रख दिया। और…वो चिल्ला उठी…।
“धक्का दे जोऽऽऽऽ … घुसेड़ दे लन्ड को…”
‘उसने अपनी गान्ड का छेद को हाथ से फ़ैला दिया। उसका छेद पूरा खुल गया। मैने लन्ड जोर लगा कर अन्दर बैठा दिया। मुझे उसकी गान्ड के छेद नरम लगा। बडी आसानी से…, बिना किसी तकलीफ़ के अन्दर घुसता चला गया। इतना कि मेरा पूरा लन्ड ही अन्दर चला गया। तभी उसने अपनी गान्ड सिकोड़ ली। इतनी जोर से सिकोडने से मेरे लन्ड पर चोट लग गयी। पर उसका चिल्लाना जारी रहा।
“चोद दे राजा …आऽऽऽह्… मजा आ रहा है…” मै दर्द के मारे तडप उठा। उसकी गान्ड का कसाव तकलीफ़ दे रहा था।
“सोनू… ढीला करो… क्या कर रही हो…”
‘उसने पीछे मुड कर मुझे देखा…और अपनी गान्ड ढीली छोड दी… उसकि आंखो में एक वहशीपन था…। उसकी आंखों में जैसे खून उतर आया हो। वो एक कुटिल मुस्कान देती हुयी बोली…”राजा… बडी प्यासी है मेरी गान्ड…प्लीज्… लगाओ धक्के पर धक्का… आज प्यास बुझा दो मेरी…।”
मैने उसकी गान्ड चोदनी शुरु कर दी। वो भी अपने चूतड़ों को हिला हिला कर साथ दे रही थी। मै अपने होश खोता जा रहा था। मै उसकी गान्ड मराने कि स्टाइल पर फ़िदा हो गया… अब उसकी गान्ड मक्खन की तरह नरम लग रही थी। मुझे लगा कि मैं चरमसीमा पर पहुँचने वाला हूँ तभी सोनू ने गान्ड से लन्ड निकाल दिया।
शायद वो जान गई थी कि मैं थोडी देर में झड़ जाऊंगा। और लन्ड गान्ड से निकाल कर अपनी चूत में घुसा लिया…
” हाय मर गयी …” सोनू के मुह से सिस्कारी निकल पडी। चूत पूरी गीली थी… लन्ड सरकता हुआ अन्दर चला गया। मेरे लन्ड में तेज गुदगुदी उठी… ये उसकी कसी हुई चूत का कमाल था। लन्ड पूरा अन्दर घुस कर जैसे ही बाहर निकला … सोनू के मुँह से तेज सिस्कियां निकलने लगी। उसे देख कर मेरा लन्ड भी पिघलने लगा…लन्ड के अन्दर बाहर चलने की मेरी रफ़्तार बढ गयी। जोर लगा कर लन्ड पेलने लगा…। उसके चूतड़ जोर से उछल उछल कर मेरा साथ दे रहे थे।
“हाय…राजा…कस के चोद दे…दे रे जोर से धक्के दे… मेरी फाड़ दे… हाय रे…”
वो पागलो की तरह चुदा रही थी। जैसे कि आगे अब उसे चुदने को नहीं मिलेगा। मेरी अब सहनशीलता खतम होती जा रही थी… पर जैसे सोनू सब जानती थी। स्खलित होने के अन्दाज में वो चीख उठी…”राजा मै तो गयी… लगा दे पूरा जोर…। निकाल दे मेरा पानी… हाय रे… मै तो गयी…॥”
“रानीऽऽऽऽ मैं भी गया…। मेरा भी निकला … हाऽऽऽ निकला ओओओऽऽऽ…”
सोनू झड़ने लगी थी … मेरा लगभग उसके साथ ही वीर्य निकल पडा। वीर्य निकलने के साथ ही मेरा सारा जोश ठन्डा पडता जा रहा था। अचानक मेरी नजरे उसकी चूत पर पडी।
उसमें से वीर्य के साथ खून भी आ रहा था…। मै खुश हो गया कि सोनू अब तक मेरे लिये कुँआरी थी। सोनू ने अन्गडाई ली और तुरन्त उछल कर बिस्तर से नीचे आ गयी। उसने नीचे देखा और उसने अपनी चूत से खून भरा वीर्य टपकते देखा और हंसती हुयी बोली –
“जो… मजा आ गया राजा…फिर कभी मौका मिलेगा तो मै तुम्हारे पास प्यास बुझाने आउंगी…। देखो मना मत करना…। नहीं तो…।” उसने मुझे तिरछी नजरो से घूरा। मैं सहम सा गया। फिर वो बाथरूम में चली गयी। मै थोडी देर बैठा रहा। अचानक मेरे लन्ड में दर्द उठा। मैन देखा तो मेरे लन्ड से खून की बून्दे टपक रही थी। लग रहा था कि लन्ड की कोई नस फ़ट गयी है…। या कोई चोट लग गयी है। लन्ड की त्वचा जगह जगह से फ़ट गयी थी। तो वह खून उसकी चूत में से नहीं… मेरे लन्ड का था…।
मै बाथरूम में गया तो वहां कोई नहीं था… न कोई खिड़की …न कोई दरवाजा… न कोई रोशनदान…। ये क्या हुआ…। कहां गयी सोनू…। मैंने अपने लन्ड को पानी से धोया। मैने पेन्ट पहना और बाहर आया। वही बूढ़ा वेटर वहाँ से निकल रहा था। मैंने उसे बुलाया,”वेटर … सुनो… यहां पर काउन्टर पर जो लड़की बैठती है …वो सोनू नाम है…”
“ज़ीऽऽऽ क्या कहा आपने… हमारे होटल में कोई लडकी काम नहीं करती है…” वो बचता हुआ आगे जाने लगा।
“अरे वो … जिसका कमरा नम्बर १९ है…”
“देखिये साहब … कमरा नम्बर १९ हम किसी को नहीं देते हैं… वहां पर किसी ईसाई लडकी ने आत्महत्या कर ली थी… मैने नहीं कहा था, इस कमरे में मत जाना…।”
“नही… नहीं…कमरे की नहीं… मै सोनू की बात कर रहा हूँ…वैसे उस कमरे में ऐसा क्या है…” उसने मुड कर मुझे देखा …और उसका स्वर कमजोर हो गया…
“हां… मै जानता हूँ…तुम्हें भी… तुम विलियम हो ना…तुम सोनू ही की बात कर रहे हो…और कमरा… उसके कमीने प्रेमी ने उसका देह शोषण यहीं किया था…।”
मै सुन कर सन्न रह गया … तो क्या माईकल ने… उसे सोनू दी बाते याद हो आयी…
“तो क्या वो माईकल था…?”
” हा… तुम उसे जानते हो ना…उसकी कब्र चर्च के पीछे है…” मायूसी भरी आवाज में बोला
“क्या… वो भी मर गया …कैसे…”
“उसे तो मरना ही था… सोनू की रूह उसे छोडती क्या… अरे हाय रे!!!!! मैं उसी सोनू का बाप हूं”
“अन्कल …!!!” उस बूढे वेटर की आंखे गीली गो उठी।
मै लड़खडाता हुआ कमरे में आ गया और सर थाम कर बिस्तर पर बैठ गया। मैने अपने जिस्म पर पडे नाखून के खरोन्चो को स्पिरिट से साफ़ करने लगा। थोडी ही देर में लण्ड में सूजन आ गयी…
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हैलो फ्रेंड्स. मैं राहुल जयपुर से हूँ. मैं देखने में बहुत ही आकर्षक लड़का हूँ. मैं आपको एक Antarvasna कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मेरा एक दोस्त था राहुल. राहुल और मैं साथ साथ पढ़े लिखे, मगर राहुल की शादी मुझसे पहले हो गई. राहुल एक पायलट था.. उसकी शादी शिमला की विनीता नाम की लड़की से हुई थी. वो जब भी बाहर जाता, हमेशा मुझसे कह कर जाता कि विनीता का ख्याल रखना, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
समय बीतता गया राहुल की बीवी विनीता एक बच्ची की माँ बन गई. मैं उनका बड़ा सम्मान करता था.
एक दिन मैं भाभी के घर गया, दरवाजा बंद था.. मैंने बेल बजाई मगर कुछ देर तक कोई नहीं आया. कुछ देर बाद राहुल की 3 साल की बेटी ने दरवाजा खोला. मैंने उससे पूछा कि मम्मी कहां हैं?
तो वो बोली- मम्मी अपने रूम में काम कर रही हैं.
मैं रूम की तरफ़ गया, मुझे वहां कोई नहीं दिखाई दिया, मैं वापस आ रहा था कि इतने में मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ ‘आआह.. ऊऊऊम्म..’ आती सुनाई दी. मुझे आवाज़ कुछ अजीब सी लगी और मैं बाहर चला आया.
कुछ देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर निकलीं, बिना कपड़ों के पूरी नंगी.. उनको नंगा देख कर मेरा लंड जो कि 8 इंच का है, एकदम से खड़ा हो गया. भाभी ने मुझे देखा तो वो जल्दी से बाथरूम की तरफ़ वापस भाग गईं और तौलिया लपेट कर बाहर आईं. मुझे काफी डर लग रहा था कि भाभी मुझ पर चिल्लाएगीं.
मगर भाभी मेरे पास आईं और मुझसे कहने लगीं- अरे राहुल तुम कब आए?
मैं उनकी बातें समझ नहीं पा रहा था. मैंने भाभी से कहा- मैं चलता हूँ.. बाद में वापस आऊंगा.
वे हंस दीं.
मैं शर्मा गया और मैं वहां से निकल कर अपने घर पहुँचा, मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.
अब मुझे हमेशा ही दिन रात भाभी का वो नंगा बदन याद आ रहा था. बार बार मेरा लंड खड़ा हुआ जा रहा था. मैंने उसे बुरा सपना समझकर भूलने की काफी कोशिश की, मगर भूल नहीं पा रहा था.
फिर एक दिन अचनक भाभी का मेरे सेल पे कॉल आया और उन्होंने मुझे घर आने को कहा. मुझे लगा कि शायद भाभी को कोई काम होगा इसलिये बुलाया होगा.
मैं उनके घर पहुँचा. मैंने दरवाजे की घंटी बजाई. कुछ देर बाद भाभी ने गेट खोला और मुझे अन्दर आने को कहा.
मैंने अन्दर आते हुए भाभी से पूछा कि स्वीटी कहां है?
तो वो बोलीं- अपनी सहेली के घर गई है.
मैं कुछ नहीं बोला.
उन्होंने मुझे अपने रूम में आने को कहा और मैं उनके पीछे चला गया.
मैंने वहां एक 18 साल की लड़की को बैठे देखा. मैंने भाभी से पूछा कि ये कौन हैं?
तो भाभी बोलीं- ये मेरे मामा की लड़की है, कल ही शिमला से आई है.
भाभी ने उसका परिचय दिया, उसका नाम रानी था.
मैंने भाभी से पूछा कि भाभी कुछ काम था, जो आपने मुझे याद किया?
तो भाभी बोलीं- क्या जब कोई काम होगा, तभी बुला सकती हूँ क्या?
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि भाभी मुझसे क्या चाहती हैं.
भाभी बोलीं- तुम दोनों बातें करो मुझे जरा काम है मैं अभी आती हूँ.
भाभी हम दोनों को अकेला छोड़ कर चली गईं.
फिर मैं रानी से बातें करने लगा और धीरे धीरे वो मेरे करीब आने लगी. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मेरे इतना करीब क्यों आ रही है. अभी मैं कुछ समझ पाता कि उसने मेरे लंड पे हाथ रख दिया. मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बेकाबू हो गया, मैंने भी उसे पकड़ लिया और उसके होंठों पे किस करने लगा. मुझे कुछ ख्याल नहीं था कि मैं कहां और किस के घर में हूँ.
मुझमें और जोश आने लगा मैंने उसके मम्मों को, जो अभी काफी छोटे और नरम थे, जोर जोर से दबाने लगा.
वो मुझसे कहने लगी- आह.. धीरे करो राहुल.. दर्द हो रहा है.
लेकिन मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लंड बहुत तड़फ रहा था.
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जल्द ही उसके सारे कपड़े उतार दिए. उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए, बस अंडरवियर उतरना बाकी रह गया था.
रानी में भी काफी जोश आ चुका था, वो कहने लगी- तुम अपना हथियार दिखाओ राहुल प्लीज़ शो मी..
ये कहते हुए उसने मेरा अंडरवियर फ़ाड़ दिया और लंड पकड़ लिया.
मेरा मोटा लंड देख कर वो कहने लगी- जल्दी डालो राहुल.. जल्दी करो.
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा, मैंने उसको धक्का देकर बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी छोटी सी चुत में अपना लंड एकदम से पेल दिया. वो जोर से चिल्लाई- आह.. मर गई.. राहुल आआआह आअह्हह्ह ह्हह्हह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… बाहर निकालो.
उसकी चीख सुनकर इतने में भाभी कमरे में आ गईं और उन्होंने हम दोनों को नंगा देखा तो उनमें भी जोश आ गया और वो भी जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगीं. मैं रानी के ऊपर से हट गया. मुझे लगा था कि शायद भाभी घर से बाहर कहीं चली गई होंगी.
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि ये क्या हो रहा है.
फिर उन्होंने मुझे अपने बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर रानी को चढ़ा दिया. भाभी कहने लगीं- अपना पूरा लंड इसकी चुत में डालो.
मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाला. वो फिर से जोर से चिल्लाई- आआ आआआ.. ह्ह ह्ह.. राहुल धीरे..
मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, मैंने पूरा लंड घुसेड़ा और जोर जोर से शॉट मारना शुरू कर दिए.
वो चिल्लाने लगी- आआआअ.. ह्हह.. जी.त्ततू.. ऊउ…रे..
मैं और जोर जोर से शॉट मारने लगा. दस मिनट तक शॉट लगाने के बाद मेरा माल निकल गया और उसकी चुत में से खून निकलने लगा.
खून देख कर वो डर गई, मगर भाभी ने कहा- कुछ नहीं होता, पहली बार ऐसा होता ही है.
उसके बाद मैं अपने कपड़े पहन ही रहा था कि भाभी मुझसे कहने लगीं- नहीं राहुल रुको.. अभी मैं बाक़ी हूँ.
मैं उस दिन काफी जोश में था, सो भाभी के लिए भी तैयार हो गया. अब भाभी मेरे ऊपर चढ़ गई थीं और मैं उनके होंठों पे किस कर रहा था. मुझमें वापस काफी जोश आ रहा था. वो मेरे लंड को चूसने लगीं.
मेरे मुँह से ‘आआआ.. ह्हह्ह.. ओ.. हज.. ह्हह्ह प.. प्पप्प.. स्सस्स.. ह्हह..’ की कामुक आवाजें निकलने लगीं.
मुझे काफी मजा आ रहा था, उन्होंने लंड चूस कर मुझमें और जोश ला दिया, फिर मेरा लंड खड़ा हो गया और मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने भाभी की चुत में लंड डाल दिया.
वो कहने लगीं- राहुल तुममें काफी जोश है मेरी प्यास बुझा दो.
मेरे दिलो दिमाग पर भाभी छा रही थीं. मैं भी बेकाबू हो गया था. मैं भाभी की चूत में शॉट मारने लगा.
भाभी कहने लगीं- आआअ.. न.. इ.. स.. ए.. राहुल.. मजा आ गया..
मैं और जोर जोर से शॉट मारने लगा. हम दोनों को काफी मजा आ रहा था.
वो चिल्ला रही थीं- कम ऑन राहुल.. कम ऑन राहुल..
मैं पूरे जोश से शॉट मार रहा था लेकिन इस बार मेरा माल बाहर नहीं आ रहा था. मैं और जोर जोर से शॉट देने लगा.
भाभी ‘आआआआआ.. ओह.. ह्हह्हहह.. यू आर अ नाइस फकर राहुल..
कुछ देर में भाभी झड़ गईं लेकिन मैं दनादन चुदाई करता रहा. बीस मिनट तक शॉट लगाने के बाद मेरा माल निकल गया. फिर कुछ देर के लिये मैं उनसे लिपट गया.
उसके बाद मैंने कपड़े पहने और भाभी से कहा- मैं अब घर जा रहा हूँ.
भाभी कहने लगीं- राहुल, मुझे चोदने आते रहना.
इसके बाद हम दोनों का चुदाई का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.
लेकिन आखिरकार राहुल दिल्ली शिफ्ट हो गया और हम दोनों जुदा हो गए. मुझे आज भी भाभी की याद सताती रहती है और साथ साथ रानी की कमसिन चूत भी याद आती है, जो शिमला वापस चली गई थी.
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