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हेल्लो Antarvasna । मैं आप सब के सामने पहली बार एक स्टोरी पेश करने जा रहा हूं। उम्मीद है यह स्टोरी मेरे सभी पढ़ने वालों को बेहद पसंद आयेगी।
और खास कर लड़कियों और आंटियों को।
तो सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं। मैं संजू कोलकाता , बंगाल . मुझे क्लास १० से ही सेक्स करने की इच्छा बहुत ज़ोर की थी। मैं हमेशा एक शादी शुदा औरत के साथ ही पहली बार सेक्स करना चाहता था क्योंकि वो बहुत एक्सपेरिएंस और सहयोगी होतीं हैं।
बात उस समय की है जब मैं १२वीं में पढ़ा करता था। मैं अंगरेजी के ट्युशन के लिये एक सर के घर जाता था। हम लोग ५ दोस्त एक साथ जाते थे। टीचर हम सब को दोपहर ३ बजे बुलाते थे और ५ बजे छोड़ते थे। हम लोग रोज ट्युशन जाते थे। सर भी शादी शुदा थे और सर की बीवी एक दम मस्त थी और बहुत ही खूबसुरत थी। जिस दिन से मैने उसे देखा था, मैं बस उसी के बारे में सोचता था। उसका नाम रेखा था। वो एक बंगाली टीचर था। मैं आपको बता दूं कि रेखा हर दोपहर अपने बेडरूम में सोती थी और सर हमें होल मे पढ़ाते थे। उसके उठने का समय ४.३० शाम था। वो हर रोज ४.३० के लगभग सो कर उठती थी और गाउन पहन कर बाथरूम के लिये जाती थी जो एक कोमन बाथरूम था, होल में। हम जहां पढ़ते थे वो प्लेस बाथरूम के जस्ट पास ही था। और वो टोइलेट करती थी तो उसका मूत इतना प्रेसर के साथ निकलता था कि उसकी आवाज़ हमारे कानों तक जाती थी। बस यही तमन्ना मन में होती थी कि एक बार उसके साथ सेक्स करने को मिल जाये तो ज़िंदगी हसीन हो जाये।
ऐसे ही दिन गुज़रते गये, और कुछ दिन बाद हमारे सर जो वहां के एक स्कूल में टीचर थे, उनका ट्रांसफ़र हो गया। तभी सर ने हमें कहा कि उनका ट्रांसफ़र हो गया है इस लिये हम किसी और टीचर का बंदोबस्त कर लें। फ़िर सर ने एक ओप्शन और रखा कि उनकी बीवी भी वोही सब्जेक्ट पढ़ाती है, अगर हम चाहे तो उनसे ट्युशन ले सकते हैं। क्योंकि सर का ट्रान्सफर टैमपरेरी बसिस पर हुआ था और उन्हें अभी फ़ैमिली ले जाने का ओर्डर और फ़्लैट नहीं मिला था। इस लिये सर अकेले जा रहे थे।
मेरे सभी दोस्तों ने मना कर दिया और दूसरे टीचर को ज्वोइन कर लिये। मगर मैं रेखा मैडम से ट्युशन लेने को राजी हो गया। सर ने भी मुझे थेंक्स कहा। जब सर जाने लगे तो उन्होने मुझे कुछ बाते बताईं कि मैं अपनी टीचर का ध्यान रखुं, अगर उन्हे कोई चीज़ चाहिये तो उन्हे ला दूं,। और मैने सर को भरोसा दिलाया कि मैं ऐसा ही करुंगा। फ़िर सर चले गये। मैडम घर में एक दम अकेली। उनको कोई बच्चा भी नहीं था। फ़िर मैं मैडम से ट्युशन लेना शुरु कर दिया और कुछ ही दिन में मैं मैडम का दोस्त भी बन गया और मैडम मेरी दोस्त बन गयी। मैं मैडम का बहुत ख्याल रखता था और मैडम मुझे एक स्टुडेंट की तरह बहुत प्यार भी करती थी। धीरे धीरे १ महीना बीत गया। फ़िर एक दिन मैने मैडम से कहा मैडम आपको सर की याद नहीं आती, मैडम ने कहा याद तो बहुत आती है मगर कोई और रास्ता भी तो नहीं है। फ़िर मैने मैडम को हिम्मत करके कहा मैडम एक बात पूछूं तो मैडम ने कहा तुम मुझसे कुछ बोलो उससे पहले मैं तुम्हे एक बात बोलना चाहती हूं। तो मैडम ने कहा कि “जब हम दोनो एक दूसरे का इतना ख्याल रखते हैं और दोस्त भी हैं तो फ़िर आजसे तुम मुझे मैडम नहीं बल्कि रेखा बोलोगे। और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर में ही तो रहते हो इसलिये मुझे मैडम सुनना अच्छा नहीं लगता।” मैं राज़ी हो गया।
फ़िर रेखा ने कहा कि तुम कुछ पूछ रहे थे तो मैने बहुत हिम्मत कर के कहा कि रेखा …। फ़िर मैं चुप हो गया और आधी बात में ही रुक गया। तो रेखा बोली क्या बात है और मैने कुछ नहीं कहा। फ़िर उसने मुझे अपनी कसम दी और बोली कहो ना नहीं तो मुझसे बात मत करना और मुझसे ट्युशन भी मत पढ़ने आना। मैने फ़िर कहा कि तुम बुरा तो नहीं मानोगी तो उसने कहा नहीं फ़िर मैं बोला कि तुम्हे क्या सेक्स करने का मन नहीं करता। ऐसा केहने पर रेखा चुप हो गयी और मेरी तरफ़ आश्चर्य से देखी। मैं डर गया था और मैने उसे सोरी कहा तो उसने कहा कि तुम्हे सोरी नहीं बल्कि मुझे तुम्हे थैंक्स कहना चाहिये। तुम्हे मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ख्याल नहीं। और उसने मुझे मेरे गाल पर एक किस दिया। फ़िर हमने साथ में डिनर किया और मैं अपने घर चला गया।
फ़िर कुछ दिन बाद, मैं एक दिन रेखा के घर गया मगर वो घर में दिखाई नहीं दे रही थी। मैं हर एक रूम देख रहा था मगर वो कहीं नहीं थी फ़िर मैने एक बाथरूम का गेट खोला और मैने वो देखा जो मैने कभी सोचा भी नहीं था। बाथरूम का गेट लोक नहीं था और जैसे ही मैने गेट खोला तो देखा कि रेखा अपने बाथरूम के कमोड पेन में बैठी थी। उसका गाउन, ब्रा और पेंटी पास ही में रखी थी। वो एक दम न्युड थी और उसने अपने लेफ़्ट हैंड की तीन उंगलियां अपनी चूत में घुसा रखी थी और राइट हैंड से अपनी चूची को दबा रही थी। उसकी आंखें बंद थी और वो मज़ा ले रही थी। मैं करीब ५ मिनट तक बिना कुछ कहे उसे देखता रहा। मेरा लंड पूरा खड़ा और हार्ड हो गया था और मेरा मन कर रहा था कि अभी उसे चोद दूं। मगर मैने अपने आप को सम्भाल कर रखा। कुछ देर बाद मैने कहा “रेखा – यह क्या!” रेखा बिल्कुल डर गई और अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने गाउन से अपने जिस्म को ढकने लगी और मेरी तरफ़ देखती हुई अपने रूम में चली गयी। मैं होल में एक सोफ़े पर बैठ गया।
कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आयी और मेरे पास बैठ गयी और कहने लगी “तुम्हे क्या पता एक शादी शुदा औरत इतने दिन अपने पति के बगैर कैसे रह सकती है। सेक्स तो हर एक को चाहिये” और ऐसा कह कर मुझ से लिपट कर रोने लगी। फ़िर मैने उसे सम्भाला। फ़िर उसने मुझे यह बात किसी से नहीं कहने को कहा, उसके पति से भी नहीं। मैं राज़ी हो गया। फ़िर मैने कहा कि अगर तुम्हे सेक्स कि इतनी ही चाहत है तो मैं तुम्हारी यह चाहत पूरी कर सकता हूं। ऐसा कहने पर वो और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी और मुझे फ़िर से एक चुम्मी दी और कहा “सच? क्या तुम मुझे प्यार करोगे। और मेरे पति को भी नहीं बताओगे। तुम कितने अच्छे हो”। ऐसा कह कर वो मुझे चूमने लगी और मैं भी उसे कस कर अपनी बाहों में दबाने लगा। और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे। फ़िर मैं जाने की लिये उठने लगा तो उसने कहा कहां जा रहे और। मुझे कब प्यार करोगे। मैने कहा मैं शाम को ८ बजे आउंगा। और फ़िर चला गया।
मैं शाम को उसके घर पहुंचा और अंदर गया तो देखा कि उसने एक बहुत ही सुंदर ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन रखी है। उसकी बड़ी बड़ी चूची उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रही थी। उसका पेट पूरा दिखाई दे रहा था। क्योंकि वो शादी शुदा थी, उसका जिस्म पूरा हरा भरा था। और मुझे ऐसी ही औरत अच्छी लगती थी। उसकी कमर बड़ी बड़ी थी और गोल भी थी। वो पूरी गोरी नहीं थी पर उसका रंग बहुत ही मस्त था। वो बहुत ही सुंदर और गरम औरत थी। उसका होंठ बड़े बड़े और आंख मोटी मोटी थी। उसकी उंगली लम्बी लम्बी थी। वो सर से पैर तक चोदने लायक थी। उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे वो चुदवाने के लिये बिल्कुल तैयार है।
वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और अपना बेडरूम लोक कर लिया। उसके बाल खुले थे। मैने उसे कहा, कि आज मैं उसे हर तरह से खुश और उसकी सेक्स की गरमी को थंडा कर दूंगा। वो मुस्कुरा कर बोली चलो देखते हैं। उसके ऐसा कहने पर मेरा लंड और गरम हो गया। और मैने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमने लगा। फ़िर मैने उसे बेड पर बिठाया और उसके पेट पर अपना हाथ फ़ेरने लगा। वो भी फ़िर जोश में आने लगी और मेरे सिर के बाल को सहलाने लगी। मैने उसकी चूंचियों को अपने एक हाथ से जोर से पकड़ लिया और दबाने लगा। वो पहले तो थोड़ा दर्द से कंराहने लगी फ़िर शांत हो गयी और मैं उन्हे दबाता रहा और ऐसा करते करते उसके साड़ी के पल्लू को ऊपर से गिरा दिया। और धीरे धीरे उसकी साड़ी खोल दी। वो अपने लहंगे में और ब्लाउज में थी। फ़िर उसने मेरे शर्ट और पैंट को उतार दिया। मैं सिर्फ़ अंडरपैंट में था। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर सो गयी और मेरी छाती को चूमने और चाटने लगी। उसके ऐसा करने पर मुझे लगा कि ये पूरी अनुभवी है।
और मुझे फ़िर उसके चूत की गर्मी का भी अंदाजा हो गया। वो मुझे कुछ देर तक चूमती रही और कहा कि तुम मेरी चूची का मज़ा नहीं लेना चाहते और ऐसा कहते कहते उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूची को देख कर मैं हैरान रह गया। उसके निप्पल ब्राउन रंग की थे और उसकी चूची का रंग बिल्कुल गोरा था। मैने उसे एकबार में बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसकी एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को दबाने लगा। वो ज़ोर से आहैं भरने लगी और मुझे और ज़ोर से दबाने को कहा। मैने ऐसा ही किया। उसने मेरे सिर को पीची से पकड़ कर जोर से अपनी चूची पर रगड़ने लगी। ऐसा लगता था जैसे वो अपनी पूरी चूची मेरे मुंह में भर देना चाहती हो। कुछ देर बाद मैने उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार कर फ़ेंक दिया।
वो एक सुंदर फूलों वाली गुलाबी रंग की पेंटी पहनी हुई थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी अपना गरम लंड उसकी चूत में घुसा दूं। उसकी गोरी जांघे मोटी मोटी और अच्छी शेप में थी। मैने उससे पूछा कि तुम अपने पति के साथ सेक्स कैसे करती हो, तो उसने कहा कि वो मुझे ज्यादा मज़ा नहीं देते। मेरी चूची को कुछ देर चूसते हैं और अपना लंड मेरी चूत में डाल देते हैं और कुछ ही देर में झड़ जाते हैं। मुझे तो झड़ने का मौका ही नहीं मिलता। तुमने मुझे जिस दिन बाथरूम में उंगली करते देखा था वो तो मैं उनके होते हुए भी करती हूं। मैने कहा और कुछ नहीं करती हो। उसने कहा और होता ही क्या है। तो मैने उसे कहा कि तुम्हे तो अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। उसने कहा सच, अगर ऐसा है तो जल्दी करो न।
और ऐसा कहने पर मैने उसकी पेंटी को धीरे धीरे उतार दिया। मैने उसे बिल्कुल नंगी कर दिया था। मैने पहलि बार किसी औरत की चूत को ऐसे देखा था। उसकी चूत बिल्कुल कड़ी थी। उसपर हल्के हल्के ब्राउन रंग के बाल चारों तरफ़ थे। मैने फ़िर अपना अंडरपैंट उतारा तो मेरा भी मोटा और ७” लम्बा लंड देख कर वो बोली कि ऐसे लंड से चुदवाने का मज़ा मुझे पहली बार आयेगा। मैने कहा इसे टेस्ट करना चाहोगी। उसने कहा मुझे घिन आयेगी। तो मैने कहा कर के तो देखो। फ़िर मैने उसे बिना कुछ कहे उसके दोनो पैर को चौड़ा किया और उसके पैरों के बीच बैठ कर उसकी चूत में एक चुम्मी दे दी। ऐसा करने पर उसने कहा, तुम ऐसा मत करो। तुम्हे घिन आयेगी। मैने कहा, इसी में तो सारा मज़ा है।
फ़िर मैने उसे अपनी जीभ से चाटना शुरु किया और उंगली से उसको फ़ैलाने लगा। ऐसा करने पर उसे बहुत दर्द हो रहा था। उसने मुझे ऐसा नहीं करने को कहा मगर मैं कहां सुनने वाला था। वो जोर जोर से सिसकियां भर रही थी। और मैं पूरे जोर से उसके चूत को चूस रहा था। उसके चूत में एक बहुत ही सुंदर खुशबू आ रही थी। उसकी चूत बहुत गरम थी। मैं करीब १५ मिनट तक उसकी चूत को चूसता रहा। कुछ देर बाद उसे अच्छा लगने लगा। मैने उससे पूछा अब कैसा लग रहा है तो उसने कहा अब कुछ अच्छा लग रहा है। मैने फ़िर अपनी दो उंगली उसके गरम चूत में घुसा दी मगर उसकी चूत इतनी कड़ी थी कि वो अंदर नहीं जा रही थी। मैं आप सब को एक बात बता दूं। मैं बहुत सारी ब्लु फ़िल्म देखता हूं और मुझे मालूम है कि किस लड़की को किस तरह चोदना चाहिये। तो चूंकि उसकी चूत में मेरी उंगली नहीं जा रही थी तो मैने उसकी चूत पर अपना थोड़ा सा मूत गिरा दिया। उसने पूछा ये क्यों तो मैने कहा ये इसलिये ताकि तुम्हे दर्द नहीं हो। और ऐसा करने पर उसकी सूखी चूत गीली हो गयी और मेरी उंगली आसानी से अंदर चली गयी और मैं उसे जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। ऐसा करते करते उसका जिस्म काँपने लगा और उसने कहा कि तुम अपना मुंह और उंगली वहां से हटा लो, मैं अब झड़ने वाली हूं। मैने कहा मैं उसे पीना चाहता हूं इतना कहते कहते वो झड़ गयी और मैं उसके पूरे रस को पी गया और एक बूंद भी नहीं गिराया।
उसने कहा तुमने मुझे बहुत संतुष्ट किया है और मैं भी अब तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूं। उसने भी मेरा लंड अपने मुंह में लिया और उसकी चमड़ी को पीछे करके उसके अंदर वाले सेंसिटिव पार्ट को अपने जीभ से रगड़ने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। वो मेरा पूरा ७” लम्बा लंड अपने मुंह में लेना चाहती थी। उसके चूसते कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था इस लिये मैने अपना लंड उसके मुंह से निकालना चाहा मगर वो भी वही करना चाहती थी जो मैने किया मगर मेरे थोड़ा तनने से मेरा लंड उसके मुंह से बाहर निकल गया और मैं वहीं झड़ गया और मेरा सारा रस उसके पूरे मुंह में पिचकारी की तरह छिटक गया, कुछ उसके होठों पर, कुछ उसके गाल पर और चारों तरफ़। वो उस पूरे रस को अपने होठों और उंगली से चाटने लगी और उसका पूरा मज़ा लेने लगी।। फ़िर उसने मुझे थेंक्स कहा और मेरे लंड को अपने होठों से चाट कर साफ़ कर दिया। और अब मुझे अपना लंड चूत में घुसाने को कहा। मैने ऐसा ही किया।
मैने धीरे धीरे अपने लंड को उसके चूत में घुसाने लगा मगर उसके घुसने से पहले ही वो चीख पड़ी। फ़िर मैने थोड़ा और जोर लगाया और ४” उसके चूत में डाला। उसका दर्द और बढ़ गया। वो और जोर से छटपटाने लगी और मुझे बस करने को कहा। उसने कहा “मेरे पति का लंड तो सिर्फ़ ५” का ही है और अब मैं तुम्हारा ९” लम्बा लंड कैसे घुसाउंगी।” मैने कहा तुम उसकी चिंता मत करो और एक और झटका लगाया और मेरा ७” लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े मगर मैं रुका नहीं और धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत बहुत गरम थी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा। कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। वो अपनी कमर को मेरे साथ साथ आगे पीछे करने लगी।
चूंकि हम दोनो अभी अभी झड़े थे इसलिये दोबारा इतनी जल्दी झड़ना मुम्किन नहीं था। इस लिये मज़ा और ज्यादा आने लगा। ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो झड़ गयी। उसकी गरम चूत गीली हो गयी। और वो शांत पड़ गयी। मगर मैं रुका नहीं और मैं उसे चोदता रहा। उसने मुझे अब रुकने को कहा मगर मैं रुका नहीं और अपना काम करता रहा। लगभग १० मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और मैने अपना पूरा माल उसकी चूत में गिरा कर शांत हो कर उसकी बाहों में सो गया। वोह मुझे चूमती रही और मेरे ऊपर लेट गयी। कुछ देर बाद मैने उसे कहा, अभी तो और एक मज़ा बाकी है। उसने कहा वो क्या। तो मैने कहा, अभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा जिसमे तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा। उसे उसके बारे में कुछ नहीं मालुम था। उसे लगा इसमे भी बहुत मज़ा आयेगा और वो राज़ी हो गयी।
फ़िर मैने उसे उसके बेड के एक कोने मे कुत्ते की तरह खड़े होने को कहा और उसके दोनो हाथ बेड के ऊपर रख दिये। उसका पैर ज़मीन पर और उसकी कमर बीच में। फ़िर मैने उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया ताकि वो कुछ गीली हो जाये। फ़िर मैं अपने होठों से उसकी गांड चाटने लगा और उसे पूरी तरह गीली कर दिया। उसे अच्छा लग रहा था। फ़िर मैने अपना लंड अपने हाथों में लेकर उसके गांड के छेद पर लगाया और अपने हाथों से पकड़ कर एक धक्का मारा। मेरे धक्के मारते ही वो चीख पड़ी और कहा मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैने कहा थोड़ा सहन करो। पहली बार है ना। और फ़िर बार बार धक्का लगाता रहा, बार बार वो चीखती रही और बार बार मेरा लंड कुछ अंदर जाता रहा। ऐसा करते करते मेरा लंड ४” अंदर चला गया। उसने मुझसे रोते हुए उसे छोड़ देने को कहा। मगर मैने उसे समझाया कि बस कुछ देर बाद है उसे मज़ा आयेगा।
ऐसा कहने पर वो मान गयी और मैने फ़िर एक जोरदार धक्का लगा कर अपना लंड १.५” और अंदर ठेला। ऐसा करते करते मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया और वो जोर जोर से सिसकियां भरने लगी। फ़िर मैने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु किया और कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा। फ़िर मैने उसकी चूची को पीछे से पकड़ कर दबाने लगा और उसकी गांड भी मारने लगा। ऐसा करते करते मैं फ़िर से झड़ गया और अपना पूरा रस उसकी गांड में दाल दिया। और फ़िर उसे बेड में लेकर लेट गया और उसकी चूची चूसने लगा।
फ़िर मैं बेड पर लेट गया और उसे मैने अपने लंड पर बैठाया और रेखा ने धीरे धीरे मेरा सारा लंड अपनी गांड में घुसवा लिया। वो मेरे लंड पर नाचने लगी और मज़ा लेने लगी। उसने फ़िर अपनी लम्बी उंगली की बड़े बड़े नैल्स से मेरे गांड के आस पास के एरिया को खरोंचने लगी। ऐसा करने पर मुझे बहुत आराम लग रहा था। फ़िर उसने मेरी गांड के छेद पर अपने मुंह का थूक गिराया और अपनी उंगली मेरे मुंह से गीली कर के मेरी गांड में अपनी उंगली घुसाने लगी। मुझे पहली बार बहुत दर्द हुआ और कुछ देर बाद मज़ा आने लगा और वो करीब १५ मिनट तक ऐसा करती रही।
ऐसा करते करते हम दोनो कब सो गये हमे मालूम ही नहीं चला। फ़िर सुबह हुई और हम दोनो एक दूसरे के जिस्म से लिपटे हुए उठे। और जब भी मौका मिलता मैं उसे दिन में भी चोदने लगता। हम दोनो फ़िर हर रोज़ एक साथ सोने लगे और मैने उसे हर एक पोस मे चोदा और मज़ा दिया। हम ब्लुफ़िल्म भी साथ देखते और उस स्टाइल में एक दूसरे को चोदते। मैने उसकी गांड मार मार कर उसकी कमर को चौड़ा कर दिया था जिससे वो और भी सुंदर लगती थी।
मैने अपनी एक पुरानी ख्वाइस भी पूरी करनी चाही। मैने उसे कहा कि जब मैं सर से पढ़ता था और जब तुम दोपहर को सोने के बाद टोइलेट करने जाती थी तो तुम्हारा प्रेसर सुनकर मुझे तुम्हारे चूत को चाटने का मन करता था। तब उसने कहा कि तुम अपनी इच्छा अभी पूरी कर लो। और फ़िर वो बाथरूम में गयी, उसने मूतना शुरु किया उसी प्रेसर के साथ और मैने उसके मूतते हुए अपना मुंह उसके चूत से सटाया। उसका सारा मूत मेरे मुंह पर गिरने लगा और मैं उसका मज़ा लेने लगा।
Antarvasna
इस तरह जब मेरा मन करता मैं रेखा को चोदने लगता और वो भी पूरी चाहत के साथ मुझसे चुदवाती।
रोज की तरह मैं और Antarvasna दिव्या अपने ऑफ़िस में बैठे हुये काम रहे थे। दिव्या हमेशा अपने कम कपड़ों में मुझे उत्तेजित करने का प्रयास करती रहती थी। उसे देख कर मैं भड़क भी जाता था और फिर वो चुद भी जाती थी पर अब असमय भी चुदाई करने में मजा नहीं आता था। पर आज मुझे ताऊजी फोन आया कि विक्की और सोफिया गोआ घूमने आ रहे हैं। दिव्या विक्की को नहीं जानती थी। उसके आने की सूचना पाकर मुझे बहुत ही खुशी हुई।
ठीक समय पर मैं अपनी कार लेकर दिव्या के साथ रेलवे स्टेशन पहुंच गया। ट्रेन आ चुकी थी। मैंने मोबाईल पर सोफिया को बता दिया था कि मैं और दिव्या बाहर खड़े इन्तज़ार कर रहे हैं। कुछ ही देर में एक बेहद खूबसूरत लड़की और एक सुन्दर सा हीरो जैसा लगने वाला लड़का दिखाई दिया। मेरा अनुमान सही था। वही दोनों सोफिया और विक्की थे। पहले तो वो दोनों बाहर खड़े हो कर यहाँ-वहाँ देखते रहे। दिव्या ने मुझे कहा,”शायद वो ही है … लड़का तो बड़ा मस्त है यार … “
“तुझे तो बस लण्ड ही देखता है … जा कर पता कर … ” दिव्या को तो मौका चाहिये था। कार से उतर कर सीधे उस लड़के पास गई। लड़का दिव्या को देखता ही रह गया। सोचने लगा कि ये अचानक एक जवान सी सुन्दरी उसके सामने कौन आ गई। मैं कार से उतर चुका था और उनकी तरफ़ देखा, वो आपस में कुछ बाते कर रहे थे और सोफिया का हाथ मेरी ओर लहरा उठा। आते ही सोफिया ने मुझे औपचारिक तौर पर किस किया, पर शरारत के साथ … अपनी चूचियाँ मेरी छाती से लगा कर मेरे बदन में सिरहन पैदा कर दी। मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि ये खूबसूरत सी मेरी कजिन शरारती टाईप की है। विक्की और दिव्या साथ बैठ गये और सोफिया मेरे साथ आगे बैठ गई। मुझे लगने लगा कि कुछ समय तो बड़ा मजेदार निकलेगा।
घर पहुंचने पर शाम को हम घूमने का कार्यक्रम बनाने लगे। कुछ ही समय ने दिव्या ने विक्की से अच्छी दोस्ती कर ली। विक्की भी खुश था। इधर सोफिया भी मेरे साथ बहुत ही इनफ़ॉर्मल हो गई थी। कुछ ही समय में मुझसे खुल कर बातें करने लगी थी। दिव्या से मेरे सम्बंध के बारे में पूछने लगी थी। मैंने उसे खुलने पर स्पष्ट बता दिया था कि वो मेरी दोस्त है, आज कल वो मेरे साथ ही रह रही है, और इसमे कोई बुराई नहीं है। सोफिया भी मेरे खुलेपन से बहुत खुश थी … शायद वो अपनी इस यात्रा को मजेदार और मस्त बनाना चाहती थी। घर पहुंचने पर हमने लन्च लिया और वो दोनों आराम करने लगे। दिव्या मेरे साथ लेटी हुई सोफिया की बातें ही कर रही थी और मेरे मन की टोह ले रही थी।
शाम को हमने समुद्र के किनारे जाने का प्रोग्राम बना लिया और लगभग छः बजे हम चारों बीच की ओर रवाना हो गये। रास्ते में हमने दो-दो पेग काजू फ़ेनी के भी लिये और कुछ फ़्राई की हुई फ़िश और चिकन रख लिया था।
कुछ ही देर में हम बेनौलिम बीच पर पहुंच गये। लम्बा सा बीच था। कुछ और भी लोग वहाँ पर थे। हम लोग बीच के पास ही चादर बिछा कर बैठ गये। दिव्या तो अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ ब्रा और पेण्टी में ही समुद्र की ओर भाग ली, विक्की भी अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ अंडरवियर में दिव्या के पीछे हो लिया।
सोफिया ने मुझसे कहा,”आप नहीं चलोगे क्या ?”
“आप साथ चलोगी … ?”
“मुझे शरम आती है दिव्या जैसे कपड़ों में … “
“मुझे तो नहीं आती है, ये देखो … ” मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये … बस अंडरवियर में था। पर ये भूल गया था कि मेरा लण्ड उस छोटे से अंडरवियर में साफ़ उठा हुआ नजर आ रहा था। सोफिया ने मेरे लण्ड के उभार को अच्छी तरह से निहारा और कुछ उत्तेजित हो गई।
“फिर तुम उधर देखो … मैं कपड़े उतार लेती हूँ … ” उसने भी शर्माते हुये अपने कपड़े उतार दिये। उसका गोरा बदन दमक उठा। ब्रा में से चूचियां जैसे उछल कर बाहर आने को बेताब हो रही थी। मेरा मन विचलित हो उठा। लण्ड और कड़ा हो गया।
उसकी बहुत ही छोटी सी पेण्टी में से उसके तराशे हुये चूतड़ और उसकी गोलाईयाँ मेरी जान निकाल रही थी। पतली कमर, उभरे हुये कामुक कूल्हे, तराशी हुई जांघें मुझे मदमस्त कर रही थी। जाने कब मेरे दोनों बाहें उठ गई उसे अपनी आलिंगन में लेने के लिये। और सोफिया भी मंत्र मुग्ध सी मेरी बाहों में सिमट आई। हमारे नंगे बदन आपस में छूते ही ही जैसे आग बनने लगे। सोफिया के होंठ मेरे गर्दन और होंठ के पास रगड़ खाने लगे। अपने चूतड़ों को दबा कर जैसे मेरे लण्ड का स्पर्श अपनी चूत से करने लगी। हम दोनों अब वही दरी पर लेट गये और एक दूसरे से लिपट कर जैसे लोट लगाने लगे। हम लोट लगाते हुये रेत पर आ गये हमें पता ही नहीं चला। मेरे हाथों ने ब्रा के ऊपर से ही उसकी एक चूची दबा दी … सोफिया सिसक उठी। दूसरी लोट में सोफिया मेरे ऊपर सवार थी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी थी। मुझे उसकी चूत के पास कुछ कड़ा सा लगा। शायद इसी हालत में काफ़ी देर तक आनन्द में प्यार करते रहे थे।
“बस करो भई … ये एक समुद्र का तट है … कोई कमरा नहीं ” दिव्या की खनकती हंसी सुनाई दी। हमें समय का ध्यान ही नहीं रहा … वो दोनों वापस आ चुके थे। सोफिया को तो पहले कुछ समझ में नहीं आया फिर जैसे एक दम होश में आई। इतनी देर में विक्की की उत्तेजना बढ़ गई। उसने हमारी हालत देख कर दिव्या को दबोच लिया और उसकी गीली पेण्टी उतार दी। उधर दिव्या ने भी बेशर्मी से विक्की का लण्ड पकड़ लिया। अब विक्की और दिव्या भी नीचे दरी पर एक दूसरे को दबाये हुये चोदने की कोशिश कर रहे थे। सोफिया मेरे उपर से हट चुकी थी और मैं भी उठ खड़ा हुआ था। दोनों को बड़ी मुश्किल से खींच कर अलग किया।
अरे ये सब यहां नहीं … यहां से चलो अभी … दिव्या … चलो कपड़े पहनो, गश्ती जीप आ रही है।
“घर चलो ना … तुम्हें तो बस करने की लगी है … और ये सार्वजनिक स्थल है … ” विक्की को सोफिया ने समझाया, दिव्या अपने बदन पर से रेत साफ़ कर रही थी। मैंने यहाँ-वहाँ देखा … अधिकतर लोग जा चुके थे और एक गश्ती जीप की रोशनी नजर आ रही थी, जो पास आती जा रही थी। कपड़े पहन कर हम कार में बैठे ही थे कि वो गश्ती जीप पास में आकर रुकी,”ओह जो साहब … गुड इवनिंग … कैसे हो … “
“क्या यार … गोआ में रहो तो पूरे समय … रिश्तेदारो को घुमाते ही रहो … “
“हां यार ये तो गोआ में रहने की सजा है … ” और हंसता हुआ आगे बढ़ गया।
हम लोग रेत से निकल कर बाहर आये और कार में बैठ कर वापस मडगांव रवाना हो गये।
घर पर आते ही पोर्ट वाईन का एक एक पेग बनाया और सभी सोफ़े पर बैठ कर सिप लेने लगे। दिव्या और विक्की की शरारतें बढती जा रही थी। वो सब चुपके से कर रहे थे, पर मेरी तेज निगाहें उसकी हर हरकत देख रही थी। सोफिया भी मुझे चोरी चोरी देख रही थी। मैंने सोफिया का हाथ जान कर के दबाया। पर अप्रत्याशित रूप से उसने अपना हाथ खींच लिया। मुझे झटका सा लगा।
“क्या हुआ … ?”
“अपना हाथ दूर रखो … “
“पर वहां समुद्र के किनारे तो … “
“वो तो बस मुझे कुछ हो गया था … सॉरी … जो … ” सोफिया उठ कर चली गई। मैं निराशा से उसे देखता रह गया। दिव्या ने पलक झपकते ही सारा मामला समझ लिया। वो तुरन्त मेरे पास आ गई।
“जो … मैं तो हू ना … उससे अधिक सुन्दर … उससे अधिक मजा दूंगी … ” विक्की भी उठ कर मेरे पास आ गया।
“जो मैं दीदी को समझाता हूँ … ” विक्की को अपना कार्यक्रम भी बिगड़ता नजर आया।
“नहीं विक्की … ये दिल के सौदे है … तुम दोनों मस्ती करो … जाओ … ” मैंने उठते हुये कहा।
“चलो दिव्या … अन्दर चलते हैं … “विक्की ने दिव्या का हाथ पकड़ा … दिव्या ने उसे देखा और गुस्से में बोली,”मेरा जो दुखी है और तुम्हें … जाओ , अब सो जाओ … मैं जो के साथ रहूंगी।” दिव्या ने अपना फ़ैसला सुना दिया।
“दिव्या प्लीज … विक्की को ऐसा मत कहो … उसे खुशी दो … जाओ, दोनों मजे लो और दो !” मैंने कहा और अपने कमरे में चला आया।
मन में थोड़ी सी बैचेनी सी लगी। यूं तो मैंने कई लड़कियों को चोदा था सो आज सोफिया चुदने को नहीं मिली, तो इतना बुरा नहीं लगा। कुछ ही देर में सब कुछ भूल कर मैं गहरी नींद में सो गया। अचानक रात को मेरी नींद किसी की आहट से खुल गई। उसी समय कमरे की बत्ती भी जल गई। देखा तो सोफिया सामने खड़ी थी।
“जो … बुरा लग गया ना … मुझे माफ़ कर दो … ” नींद में अलसाया सा भी उसकी सूरत देख कर मुझे हंसी आ गई।
“अरे नहीं नहीं … ये सब कुछ नहीं … मुझे आपकी फ़ीलिंग्स का ध्यान रखना चहिये था … ” मैंने उस बात को हवा उड़ाते हुये कहा।
“नहीं … मैं सच में बीच पर आप पर मोहित हो उठी थी … और मेरे मन में भावनायें जाग उठी थी … “
“मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था … पर भूल जाईये उस बात को … “
“कैसे भूल जाऊँ … विक्की और दिव्या तो मौज कर रहे है … पर मैं अभागी … हाय रे मैं माहवारी से हूँ … क्या करती … मुझे माफ़ कर दो … ” वो मेरे बिस्तर के सिरहाने आ कर बैठ गई … और मेरे बालों से खेलने लगी।
“सोफी … ऐसे समय में ये होता है … और असमंजस की स्थिति होती है … ” मैंने उसे सामान्य करने की कोशिश की … । पर उसका चेहरा मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ता ही गया और अब उसके नरम होंठ मेरे होंठों से प्यार कर रहे थे। एक व्हिस्की का भभका मेरे नाक के नथुनों से आ टकराया। पर वो अपने पूरे होश में थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और अधरपान का आनन्द लेने लगा। मैंने धीरे धीरे उसे कमर से पकड़ कर अपने शरीर से लिपटाना आरम्भ कर दिया। बिना कोई विरोध किये वो मेरे ऊपर आकर लेट गई और अब अब हम एक दूसरे की आगोश में थे। उसकी चूत ऊपर से ही मेरे लण्ड के ऊपर जोर मार रही थी … पर अब मुझे उसके लगाये गये नेपकिन का अहसास होने लगा था। मुझे कुछ भी करते हुये डर लग रहा था कि कहीं मेरी किसी भी हरकत से नाराज ना हो जाये।
सोफिया की बैचेनी बढ़ने लगी, उसने मेरे हाथ खींच कर अपने स्तनों पर रख दिये। साधारण साईज़ के स्तन थे … पर निपल कठोर और तने हुये थे … कुछ बड़े से लग रहे थे। मैंने उसकी चूंचियाँ धीरे धीरे सहलाना और गुदगुदाना आरम्भ कर दिया। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी …
अब वो मेरे बिस्तर पर मेरी बगल में लेट गई थी। वो मुझे बहुत ही प्यार से देख रही थी … उसकी चूंचियों के सहलाने और निपल को हल्के से मलने पर उसे बहुत आनन्द आ रहा था। उसने मुझे देखा और नजरें दबा कर इशारा किया … और उसका हाथ धीरे से मेरी चड्डी के ऊपर आ गया और हौले से मेरे लण्ड को दबा दिया। कुछ अजीब सी स्थिति थी … चूत पर लाल पट्टा चढ़ा था और उसका मन चुदने को कर रहा था … या कुछ ओर ही … । उसके पतले से सफ़ेद पाजामे पर हाथ घुमाते ही मालूम हो गया कि … पट्टा लगा हुआ था। वो मेरे लण्ड को अब दबाने और सहलाने लगी थी। मेरी छोटी सी चड्डी में से अब मेरा लण्ड नहीं समा रहा था। साईड से सोफिया ने मेरा लण्ड खींच कर निकाल लिया और अब उसके साथ खेलने लगी। कभी वो मुठ मारती और कभी वो लण्ड को अपने शरीर से रगड़ती। उसके निपल और सारे उभारों को मैं सहला कर दबा रहा था। उसकी सिसकारियाँ बढ़ रही थी। मेरा लण्ड भी उत्तेजना के मारे फ़ूल रहा था। सोफिया के आंखो में वासना के गुलाबी डोरे उसकी उत्तेजना को दर्शा रहे थे।
मैंने अपनी सहन शीलता खो दी और सोफिया की चूत दबा डाली। वो एकदम से सिमट गई और एक जोर से सिसकारी भरी और झड़ने लगी। मुझे अहसास हुआ कि शायद वो यही चाह रही थी। अपनी आंखें बंद किये वो झड़ने का आनन्द लेने लगी। मैंने भी उसका शरीर को सहलाना और दबाना जारी रखा। धीरे धीरे सोफिया सामान्य होने लगी। उसका हाथ मेरे लण्ड पर कस गया। मेरे लण्ड में उसके हाथों से मीठी सी सुरसुराहट जागने लगी। मैंने सोफिया को प्यार से अपने शरीर से लिपटा लिया और प्यार करने लगा।
मुठ मारते मारते मेरा लण्ड भी कड़कने लगा … मुझे लगने लगा कि अन्दर से माल अब निकला ही चाहता है। मेरे चूतड़ हिल हिल कर उसके मुठ मारने में सहायता करने लगे … और मेरे उफ़नते हुये लण्ड ने अपनी सीमा तोड़ते हुये अपना रस उसके हाथों में निकाल दिया। उसका हाथ मेरे वीर्य से भर गया। पर उसका हाथ चलता रहा और मेरे लण्ड से रस रह रह कर छलकता रहा। मेरा पूरा लण्ड वीर्य से भर गया … सोफिया का हाथ भी मेरे लसलसे वीर्य से भर गया था। उसने मेरे नाभि के आस पास वीर्य रस को फ़ैला दिया और अपना गीला हाथ मेरे गालो पर रख कर मुझे चूम लिया। उसने जल्दी से अपना पजामा उतारा और नेपकिन को उतार दिया। मैंने तुरन्त अपना मुख दूसरी ओर कर लिया। उसने मुझे देखा और मुस्करा उठी।
“जो … अपना लण्ड तो चड्डी में छिपा लो वर्ना नजर लग जायेगी … ।” दिव्या की हंसी सुनाई दी और नया नेपकिन सोफिया की ओर उछाल दिया।
“अरे रात के दो बज रहे है … तुम सोये नहीं … ?”
“आज की रात कौन सोता है … पर जो, आखिर आपने सोफिया को पटा ही लिया ना … ” दिव्या ने कटाक्ष किया।
“नहीं सोफिया ने मुझे पटा लिया … उसे देखो, उसकी मजबूरी … उसकी सादगी … उसका अन्दाज़” मैंने सोफिया की तारीफ़ की।
“नहीं, जो बहुत समझदार और प्यारा है … उसने मेरे साथ बहुत प्यार किया , मेरी रजामन्दी से !”
दिव्या और विक्की दोनों खुश हो गये। सारा मामला ठीक हो गया था। सोफिया ने मुझे प्यार से चूमा और मुझे अकेला छोड़ कर इठलाते हुये अपने कमरे में चली गई। दिव्या भी विक्की के साथ चली गई। मैं अब ये सोचता हुआ सो गया कि जब सोफिया की माहवारी समाप्त होगी तो मैं उसे किस किस तरह से चोदूंगा। ये सोचते सोचते कुछ समय में ही मैं निंद्रा के आगोश में खो गया। Antarvasna
दोस्तो, मैं यहाँ पहली Antarvasna बार लिख रही हूँ और हिंदी में भी पहली बार ! अगर कोई गलती हो जाए तो माफ़ कर देना।
आज मैं आपको अपना पहला अनुभव बताना चाहती हूँ कि कैसे मैंने अपने बॉय-फ्रेंड के साथ दिन में सुहागरात ओहऽऽ सुहागदिन मनाया।
मैं और वो दोनों अलग अलग शहर में रहते हैं। उसका नाम माणिक है, दिखने में लम्बा, गेहुंआ रंग, मुस्कुराते होंठ, नशीली आँखें जिसमें कोई भी देखे तो डूब जाये ! बहुत ही गठीला बदन और बांहें ऐसी जिसमे कोई भी लड़की आकर मर जाये ! मुझे उसकी बहुत याद सताती थी जब मैं अपनी सहेलियों को उनके बॉय-फ्रेंड से मिलते और घूमते-फिरते देखती थी। मेरा भी बहुत मन करता था कि मैं भी अपने माणिक के साथ घूमूं और उसे बहुत प्यार करूँ। उसके स्पर्श को तरस जाती थी मैं ! पर क्या कर सकती थी, वो और मैं दोनों ही अपनी पढ़ाई में लगे थे तो ऐसे मिल भी नहीं सकते थे। वो रहता था मुम्बई में और मैं दिल्ली में। मैं कभी-कभी उस पर इस बात को लेकर नाराज़ हो जाया करती थी कि सब मिल सकते हैं और हम नहीं। तब एक बार उसने वादा किया कि वो मुझसे मिलने आएगा। मैं बहुत खुश हुई और इंतज़ार करने लगी उस दिन का जब मैं अपनी सैंय्या से मिलूंगी।
खैर एक दिन मैंने उससे कहा कि मेरे जन्मदिन पर मैं उससे मिलना चाहती हूँ क्यूँकि मैं अपना जन्मदिन उसके साथ मानना चाहती थी।
उसने कहा कि वो एक दिन बाद बताएगा आने का।
मैंने कहा कि नहीं उसे आना ही पड़ेगा, हर बार अपनी सहेलियों के साथ मानती थी और इस बार उसके साथ मानना चाहती हूँ।
आखिर काफी जिद करने के बाद वो मान गया और उसने आने का वादा भी किया। मेरी ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था, मैं दिन-रात बस उसके आने का इंतज़ार करने लगी।
एक दिन मैं टीवी पर पिक्चर देख रही थी ”मर्डर”। उसमें इमरान हाश्मी और मल्लिका शेरावत के गरम सीन देखकर मुझे भी कुछ होने लगा। मैं उन दोनों में खुद को और माणिक को देखने लगी। यह सोचकर ही मेरी चूत गरम हो गई और उसमें से पानी निकल गया। मैंने देखा तो कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा पानी था। मैंने उसे चखा तो नमकीन सा था। मेरा भी माणिक के साथ चुदाई करने का मन हुआ और सोच लिया कि उसके साथ यह करके रहूंगी, लेकिन उसे यह बात नहीं कही।
आखिर वो दिन भी आ गया जब वो मुझसे मिलने आया, मैं तो उसे देखकर इतनी खुश हुई कि क्या बताऊँ। मैं उसे बस-स्टैंड पर लेने गई थी। उसे देखकर जाने क्या हुआ कि दिमाग पर रात का सीन छा गया और उसे वहीं चूम लिया सबके सामने !
वो सकपका गया और शरारती मुस्कान लाते हुआ बोला- सब देख रहे हैं !
उसके यह कहते ही मैंने आस-पास देखा और शरमा कर दूर हो गई।
उसने कहा- बहुत मीठा चुम्मा था !
यह सुनकर मैं और शरमा गई क्योंकि सब देख रहे थे। उसने पूछा कि मेरे रहने का क्या किया। वैसे तो मैंने उसके रहने का इंतजाम अपने एक फ्रेंड के यहाँ किया था पर तभी एक शरारत सूझी और मैंने उसे कहा कि मेरा फ्रेंड ज़रूरी काम से बाहर गया है और उसे होटल में रुकना होगा। मेरी आँखों की चमक को देखकर वो शरारत से मुस्काया और कहा- चलो !
मैं भी खुश हो गई अपना काम बनते देख और ”मर्डर” होने और करने का इंतज़ार करने लगी, लेकिन उसके सामने भोली ही बनी रही।
उसने कहा- चल सकोगी होटल मेरे साथ? और अगर किसी ने देखा तो क्या करोगी?
एक बार को तो मैंने भी सोचा कि अगर किसी ने देख लिया तो मैं तो गई काम से, लेकिन दिमाग में जो चल रहा था वो ज्यादा पागल कर रहा था। मैंने उसे कहा- कोई बात नहीं, हम यहीं मिल लेंगे !
फिर हम होटल में गए। वहाँ उसने एक कमरा लिया और फिर हम कमरे में चले गए। उसका साथ पाकर मैं तो पागल हुई जा रही थी।
कमरे में आते ही उसने मुझे चूम लिया और बाहों में ले लिया। मैं तो ख़ुशी से पागल हो रही थी उसकी बाहों में आकर। फिर उसने मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएँ दी और मुझे एक गुलाब दिया। उसका प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर उसने कहा कि वो लम्बे सफ़र से थक गया है और दस मिनट में नहाकर आ रहा है। तब तक मैं टीवी देख लूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
फिर वो नहाने चला गया लेकिन उसने बाथरूम का दरवाज़ा बंद नही किया। शॉवर की आवाज़ आने पर मुझे पता नहीं मुझे क्या सूझी, मैं चुपके से दरवाज़े के पास जाकर खड़ी हो गई और अन्दर देखने की कोशिश करने लगी। उसे बाथरूम में लगे दर्पण में नंगा नहाते देख मैं बहुत रोमांचित हो गई और मेरे हाथ पैर मचलने लगे उसे छूने को।
उसका लिंग मैंने पहली बार देखा उस दिन ! इतना लम्बा और मोटा ! यह देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी और मैं उसे लेने को तड़प उठी। पर यह सोचकर कि वो क्या सोचेगा कि कैसी लड़की है, मैं चुपचाप पलंग पर आकर टीवी देखने लगी। पर टीवी में मन कहाँ लग रहा था, मन कर रहा था कि बस जाकर चिपक जाऊँ उसके नंगे बदन से ! यह सोचकर फिर मेरी चूत गीली हो गई।
इतने में वो नहाकर आ गया, उसके गीले बदन को देख मेरे बदन में तो आग ही लग गई। मन किया बस टूट पडूं अपने शिकार पर ! उसके गीले बालों का पानी मुझ पर पड़ा तो ऐसा लगा जैसे जलते बदन में ठंडक पड़ गई। उसने बस तौलिया लपेट रखा था। फिर उसने पैंट पहनी और पलंग पर आ गया। उसके बाद उसने मुझे अपने पास खिसकाया और मुझे माथे पर चूमा और पूछा- कैसी हो?
मैंने कहा- अब तुम आ गए तो बहुत खुश हूँ और अब हम जन्मदिन साथ मना पाएँगे।
मेरे यह कहते ही उसमे मुझे प्यार से देखा और मेरे गुलाबी होठों को चूम लिया। मैं तो जैसे शर्म से मर ही गई।
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! बस शर्म आ गई।
फिर उसने मेरा मुँह ऊपर उठाया और कहा- बाथरूम में मुझे नहाते देख मुझे शर्म नहीं आई?
यह सुनकर मैं तो चौंक गई और शर्म से और लाल हो गई और कुछ कहते नहीं बना और उससे थोड़ा दूर हो गई। उसने फिर मुझे पास खींच लिया और लगा चूमने ! मेरी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई मानो। उसके सामने सीधी बनने का नाटक करती रही और मन में बुलबुले उठते रहे।
उसने मुझे कहाँ कहाँ नहीं चूमा- होंठ पर, कान पर, हाथ पर, वक्ष पर ! इतने में मैंने फिर उसे दूर कर दिया और उसे तड़पाने लगी।
उसने कहा- क्या तुम ये नहीं चाहती थी जो दूर जा रही हो?
और कहा कि वो आज तो मुझे बहुत प्यार करेगा क्यूंकि मेरा जन्मदिन जो है।
मैंने कहा- कोई ज़बरदस्ती है क्या?
तो बोला- मैं सब जानता हूँ कि तुम्हारे मन में क्या है !
यह सुनकर ऐसा लगा कि बोलूँ- आजा मेरे राजा, मैं भी यही चाहती हूँ जो तुम चाहते हो ! पर फिर चुप हो गई और उसके सामने शर्माने का ढोंग करने लगी।
वो मुझे पकड़ने की कोशिश करता रहा और मैं उससे दूर भागने की। उसने कहा कि चुपचाप उसके पास खुद आ जाऊँ वरना वो मुझे नंगा कर देगा। यह सुनकर मेरी आँखें चमक उठी और लगी उसे और परेशान करने। आखिर कुछ देर परेशान होने के बाद उसने मुझे पकड़ ही लिया और मुझे बेइंतहा चूमने लगा और मैं भी उसकी मस्ती में खोने लगी।
काफ़ी देर चूमने के बाद उसने मुझे कहा कि वो तभी समझ गया था जब मैंने उसे बीच बाज़ार चूम लिया था कि मैं क्या चाहती हूँ और जब उसने बाथरूम में चोरी छुपे देखते हुए मुझे देखा। मैंने कहा- बस आज बहुत प्यार करने को मन चाह रहा है और जब भी मैं दूसरी लड़कियों को उनके बॉय-फ्रेंड के साथ देखती हूँ तब मेरा भी मन करता है कि मैं भी उसके साथ घूमूँ और प्यार करूँ !
उसने कहा कि वो मेरी यह इच्छा ज़रूर पूरी करेगा और ऐसे करेगा कि मैं कभी अकेला नहीं महसूस करुँगी।
मैंने कहा- सच ! और मैं उससे लिपट गई। उसने मुझे कस के बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। फिर उसने मेरे बाल कान पर से हटाये और कानों के आस-पास चूसने लगा और उन्हें किस करता रहा। इससे मेरे बदन में एक अजीब सी खुमारी छा गई और मैं अपना आपा खोने लगी। वो मुझे चूमता रहा और मैं बेहोश सी होने लगी। मन करता रहा कि बस वो मुझे चूमता रहे और मैं जन्नत में चली जाऊँ।
फिर उसने धीरे से अपने हाथ मेरे वक्ष पर रखे और उन्हें दबाया…आआआआआह्ह्ह्ह्ह ऽऽ क्या स्पर्श था वो ! उसने फिर थोड़ा और जोर से दबाया और म्म्म्म्म्म्म्म्म्म बस पागल सी होने लगी मैं। फिर उसने दूसरे स्तन के साथ भी यही किया और अब तो मैं बस और खोना चाहती थी।
फिर उसने मुझे पलंग पर लेटाया, मेरे ऊपर आ गया, मेरी आँखों में देखने लगा और कहा- तुम्हारी आँखें इतनी सेक्सी क्यों हो रही हैं?
मैंने कहा- बस तुम्हारे प्यार का नशा चढ़ा हुआ है !
यह सुनते ही उसने मेरे होंठ फिर चूम लिए और दोनों दूध को दबा दिया- ऊऊऊऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्हह क्या बताऊँ कि कैसा लगा ! ऐसा लगा कि हाँ, बस आजा राजा और मार दे मुझे ! मैं इसी दिन के लिए तड़प रही थी। फिर वो मुझे चूमता रहा- चूमता रहा और धीरे धीरे नीचे जाने लगा। मैं तो बस रंगीन दुनिया में खोई हुई थी, उसने धीरे से मेरा कुरता उठाया और पेट पर चूम लिया….. हाय क्या बताऊँ – क्या हुआ- एक करंट सा दौड़ गया पूरे बदन में ४४० वाल्ट का !
फिर उसने मेरा कुरता ही उतार दिया और मैं आधी नंगी हो गई। उसने मेरी ब्रा भी उतार दी और खड़े होकर मुझे देखने लगा। मैंने कहा- क्या कर रहे हो, ऐसे मत देखो ! शर्म आ रही है.. उसने कहा- मेरी जान, आज शर्म छोड़ दे और मेरा साथ दे !
मैंने कहा- दूंगी मेरे बच्चा…. बहुत साथ दूंगी !
उसने फिर मेरे दूध को जोर से दबाया और कहा- कितने मस्त हैं गोरे-गोरे और गोल-गोल ! मन कर रहा है कि नोच लूँ !
मैंने कहा- नोचने की क्या ज़रूरत, तुम्हारे लिए ही एक महीने से रोज़ मालिश कर रही हूँ कड़ा करने के लिए !
वो बोला- हाय मेरी जान, आज तूने दिल खुश कर दिया।
मैंने कहा- अब तुम मुझे मेरा उपहार दो मुझे खुश करके !
बस फिर क्या था, फिर जो नहीं होना था वो सब होने लगा। उसने झट से मेरे पजामे को उतार दिया और मेरी चड्डी भी फेंक दी। मैं अब पूरी नंगी थी उसके सामने। बहुत शर्म आ रही थी। मैंने दोनों हाथों से दूध छुपा लिए और पैरों को क्रॉस कर लिया।
उसने कहा कि अब क्यों शरमा रही है और मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और मेरे ऊपर चढ़ गया और पैरों को भी खुद के पैरों से अलग कर लिया। फिर उसने मेरे दूध को चूसना शुरू किया और तब तक चूसता और खाता रहा जब तक वो लाल नहीं हो गए। बीच बीच में साले ने इतना काटा कि जान निकल गई पर मीठा सा एहसास भी हुआ मन को, लगा बस ऐसे ही ज़िन्दगी भर हम एक दूसरे के साथ रहें।
फिर उसने पैंट उतार दी और चड्डी भी और मुझे लण्ड चूसने को कहा। मैंने यह कभी नहीं किया था तो मुझे अजीब सा लगा और मैंने कहा- मैं नहीं कर पाऊँगी।
उसने कहा- एक बार कर तो, बहुत अच्छा लगेगा।
मैंने उसकी बात मान ली और उसके लण्ड को हाथ में ले लिया, वो ८ इंच का लण्ड पकड़ के ऐसा लगा जैसे लोहा हो। फिर उसे पहले चारों तरफ से जीभ से चाटा और लगी चूसने धीरे धीरे। कितना मीठा था वो। मन करा बस ऐसे ही इस आइसक्रीम को खाती रहूँ।
अचानक मैंने देखा कि वो बड़ा और मोटा हो गया है। मैं घबरा गई क्यूँकि मैंने इतना मोटा कभी नहीं देखा था।
उसने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- यह इतना मोटा कैसे हो गया?
उसने कहा- यह चोदने को तैयार है बस !
मैं शरमा गई।
फिर उसने मेरी टाँगें फैलाई और मेरी चूत में ऊँगली डाल दी। उईईईईईईईइ ये क्या करा? मेरी जान निकल गई- मैंने कहा।
उसने कहा- क्या हुआ? अभी तो गिफ्ट भी नहीं मिला और पहले ही यह हाल ?
मैंने कहा- जालिम हो तुम, मैंने कभी किया नहीं है यह सब !
उसने कहा- तभी तो वो चोदना चाहता है क्यूँकि कुंवारी चूत का मज़ा अलग ही होता है।
और फिर वो मेरी चूत को खोलने लगा और उसे जीभ से चाटने लगा। उह्ह्ह्ह् आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या कहूँ दोस्तो कि कितना अच्छा लगा। मैंने उसका सर पकड़ के चूत में गाड़ दिया। वो मुझे बहुत देर तक ऐसे ही मेरी चूत के अन्दर चूसता रहा और इस दौरान मेरा दो बार पानी भी निकल गया जिसे वो पी गया। फिर उसने अपने लौड़े को मेरी चूत के छेद पर रखा और अन्दर डालने लगा, लेकिन नहीं डाल पाया क्यूँकि मेरा छेद बहुत ज्यादा टाइट था। उसने फिर कोशिश पर फिर वही हाल।
मैंने कहा- मत करो न राजा ! बहुत दर्द होगा !
उसने कहा- अगर आज उपहार नहीं दिया तो जन्मदिन कैसे मनेगा?
मैं भी चाहती तो यही थी पर दर्द का सोचकर डर भी लग रहा था। उसने फिर क्रीम ली और मेरी चूत पर लगाई और फिर अन्दर धक्का देने लगा और इस बार तो वो आआ आआऽऽ आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् माँ ! थोड़ा सफल भी हो गया लेकिन मेरी नानी याद आ गई मुझे।
मैंने कहा- नहीं ! निकालो इसे ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाउंगी ! प्लीज़ !उसने कहा- नहीं अब वो नहीं रुकेगा ! और फिर एक धक्का दिया और पूरा का पूरा लण्ड अन्दर !
मैं तो जैसे जन्नत से नीचे गिर गई, मुझे रोना आ गया और मेरी चूत से खून भी आने लगा। उसने मुझे चुप कराया और कहा- कुछ नहीं होता जान ! ये सब होता है शुरू शुरू में ! और अब मज़ा आएगा।
और सच में कुछ देर के दर्द के बाद मैं फिर जन्नत में पहुंच गई। उसके बाद उसने मेरी गांड भी मारी और बहुत देर तक हम यही खेल खेलते रहे।
मुझे मेरा बर्थडे गिफ्ट भी मिल गया …।
इस तरह मना मेरा पहला सुहाग-दिन मेरे बॉय-फ्रेंड के साथ।
दो दिन ऐसे ही मिलने के बाद उसने मुझे फिर आने का वादा किया और मैं अब फिर उसका इंतज़ार कर रही हूँ जो शायद जल्दी ही ख़त्म हो जायेगा।
तो दोस्तो …. कैसी लगी आपको मेरी कहानी, ज़रूर बताना !
आपकी दोस्त Antarvasna
मेरा नाम Indian Sex Storiesसुनील है और मैं हरियाणा के कुरूक्षेत्र का रहने वाला हूँ।
मैं अपनी कहानी पर आता हूँ!
सपना जिसकी उम्र १९ साल है उसके सेक्सी होंठ, कातिल जवानी, भरी हुई गांड और मोटे मोटे चुचे किसी भी लंड को खड़ा कर दें। सपना हमारे ही पड़ोस में ही रहती है और उसका हमारे घर आना जाना है।
एक दिन मैं घर में अकेला था और टी वी पर सेक्सी मूवी देख रहा था। तभी बेल बजी, मैंने जल्दी-जल्दी टीवी बंद किया और दरवाजा खोला तो सपना थी।
वो बोली- मेरे कंप्यूटर में कुछ प्रॉब्लम है, तुम ठीक कर दो!
तो मैं उसके साथ उसके घर चला गया। उसके घर पर कोई नहीं था। मैंने कंप्यूटर स्टार्ट किया तो देखा कि उसमें वाइरस की वजह से कुछ प्रॉब्लम थी। इतने में सपना मेरे लिए पानी लेकर आई।
मेरी नजर तो उसके चुचों पर थी। क्या बड़े बड़े चुचे थे ! देख कर किसी के भी मुँह में पानी आ जाये ! मैंने घर से विन्डोज़ की सी डी लाकर इन्सटाल करना शुरू कर दिया और उससे बातें करने लगा। मेरा ध्यान तो उसके चुचों और होठों पर था। थोड़ी देर बाद विन्डोज़ हो गई तो मैंने कंप्यूटर रिस्टार्ट किया और उसके कंप्यूटर पर फ़ाईलें चेक करने लगा तो मैंने देखा कि एक फोल्डर में कुछ हिडेन फ़ाइलें थी। जब मैंने उनको खोला तो देखा कि उसमें सेक्सी फिल्में और वाल-पेपर थे।
तभी सपना वहाँ आ गई।
कंप्यूटर पर चुदाई का सीन चल रहा था। तीन अंग्रेज एक लड़की तो चोद रहे थे। सपना कंप्यूटर बंद करने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और वहीं पर बिठा लिया अपने गोद में, उसके चुचे पकड़ लिए और मसलने लगा। कंप्यूटर पर चुदाई का सीन चल रहा था। पहले तो उसने विरोध किया पर बाद में वो भी गरम होने लगी और उसे भी मजा आने लगा। मैंने उसे पास में सोफे पर गिरा दिया और उसके होठों पर होंठ रख दिए। उसकी कमीज ऊपर कर दी और उसके फिर उसकी ब्रा भी खींच दी। उसके बड़े बड़े चूचों को आजाद कर दिया और मुँह में भर कर उसके तने हुए निप्पलों को चूसने लगा। उसके मुँह से आहें निकलने लगी।
मेरा लंड भी तन कर पैंट से बाहर आने को बेताब था और उसकी टांगों में चुभ रहा था। सपना पूरी तरह से तड़प उठी और उसने हाथ डाल कर मेरे लंड बाहर निकाल लिया।
६ इंच लम्बा लंड देख कर सपना बोली- हाय राम ! कितना बड़ा और मोटा है !
मैंने भी उसकी सलवार और पैन्टी उतार दी और उसको उठा कर बेड पर ले गया और उसकी फुदी को सहलाने लगा। उसकी फुदी पर हल्के हल्के बाल थे। क्या कसी चूत थी ! देख कर मुँह में पानी आ गया।
अब मैं उसके टांगों के बीच आ गया और मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी। वो सीत्कार कर उठी। उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और चुदने के लिए तैयार थी, पर मैं चाहता था कि वो तड़पे ! मैं उसकी चूत तो चाटने लगा तो उसके बदन में तो जैसे आग ही लग रही थी।
फिर मैंने उसके बाल पकड़े और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया। पहले तो वो मना करने लगी पर बाद में उसे भी मजा आने लगा।
१५ मिनट के बाद मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया जिसे वो पी गई।
थोड़ी देर बाद फ़िर मैंने उसे 69 की पोजिशन में लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा और सपना मेरा लौड़ा मुँह में भर कर फिर से चाटने लगी। थोड़ी देर बाद लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी दोनों टाँगे उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोर दार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में फंस गया और वो चिल्लाने लगी। मैंने उसकी परवाह न करते हुए एक और जोर का धक्का मारा तो आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी और उसकी चूत से खून भी आने लगा।
उसकी चूत की झिल्ली फट चुकी थी और वो कलि से फ़ूल बन गई थी। मैंने एक जोर का धक्का और मारा तो सारा लंड उसकी चूत में चला गया। मैं उसको किस करने लगा और उसके चुचे रगड़ने लगा। कुछ देर में जब वो शांत हो गई तो मैंने फिर से धक्के मारने चालू कर दिया। अब उसका दर्द काफी कम हो गया था। उसे भी मजा आने लगा और वो नीचे से चूतड़ उठा उठा कर मजे लेने लगी।
मैंने भी जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिया। उसे बहुत मजा आ रहा था। १५ मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो उसकी चूत खून से लाल हो चुकी थी। उसे काफी दर्द भी हो रहा था और उससे चला भी नहीं जा रहा था तो मैं उसे बाँहों में उठा कर बाथरूम में ले गया।
शॉवर चालू कर दिया मैंने और उसकी चूत पर साबुन लगा कर साफ़ कर दिया और फ़िर हम शॉवर का मजा लेने लगे।
वो फिर से गर्म हो गई और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। लंड खड़ा हो गया !
मैंने उसे डौगी स्टाइल में कर दिया, एक ही बार में अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और मैंने उसे जोर से चोदना शुरू कर दिया। 15 मिनट बाद उसने पानी छोड़ दिया पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था।
मैंने कहा- अब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा !
क्या मस्त गांड थी उसकी! पर वो मना कर रही थी। पर मैंने उसे मना लिया और उसकी गांड में काफी सारा तेल लगाया और अपना लंड उसकी गांड पर रख कर एक जोर कर धक्का मारा और मेरा आधा लंड उसकी गांड में चला गया। वो चिल्लाने लगी!
मैंने कुछ देर रुक कर एक ही झटके में सारा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया और 20 मिनट तक उसकी गांड मारने के बाद सारा वीर्य उसके मुँह और स्तनों पर डाल दिया।
इसके बाद तो मैंने उसे जब भी मौका मिला मैंने उसे और उसकी कई सहेलियों को भी चोदा।
पर वो सब अगली बार !
उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आई होगी।
मुझे मेल कर सकते हैं ! Indian Sex Stories
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