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मेरा नाम सैम है। अन्तर्वासना में मेरी Indian Sex Stories यह पहली कहानी है। यह कहानी तब की है जब मैं कॉलेज में था।
एक दिन जब मैं कॉलेज पंहुचा तो एक लड़की कॉलेज के बाहर खड़ी थी। मस्त माल थी ! उसके गजब के बूब्स थे जो उसकी ब्रा से निकले जा रहे थे। लेकिन उसका रंग काला था पर वो गजब की सेक्सी लग रही थी।
मैंने उससे उसका नाम पूछा।
वो बोली- जी पूनम ! मैं अपनी दोस्त से मिलने आई थी। लगता है कि वो आज नहीं आई है।
उसने मुझसे कहा- क्या आप मुझे बस-स्टैंड तक छोड़ देंगे?
मैं तो मौके की तलाश में था, जो मुझे मिल गया। मैं उसे अपनी बाइक पर लेकर निकल गया, उसके बूब्स मेरे पीठ पर लग रहे थे और मेरा लंड खड़ा हो जाता, उसके नुकीले निप्पल मुझे पागल कर रहे थे। स्टैंड पहुँच कर पता चला कि बस निकल गई है और अगली बस शाम को ६ बजे है। अभी तो सिर्फ़ १ बजा है, तो उसने कहा कि चलो घूम आते हैं, समय भी निकल जाएगा और पता भी नहीं चलेगा।
मैं उसे लेकर एक पार्क में गया। गर्मी के दिनों में वैसे भी कम लोग ही दिन को पार्क में होते हैं। एक पेड़ की नीचे हम दोनों बैठ गए। घास चारों तरफ थी, इसलिए हमें कोई दूसरा नहीं देख पा रहा था, और मेरी नज़र तो सिर्फ़ उसके बूब्स पर थी, बातों का सिलसिला चल रहा था, वो अपने बारे में बता रही थी और मैं अपने बारे में।
अचानक उसने कहा कि मैं लेटना चाहती हूँ ! क्या मैं अपना सर आपकी गोद में रख दूँ?
उसने अपना सर मेरी गोद में रख दिया और बातें करने लगी। मेरी नज़र तो उसकी छाती पर थी, उसके गोल गोल स्तन मैं साफ देख रहा था। जब वो साँस लेती तो उसकी छाती ऊपर नीचे होती, उसके स्तन कभी छोटे तो कभी बड़े हो जाते और मेरा लंड का तो बुरा हाल था। मैं तड़प रहा था उसे चोदने के लिए। मैं जानबूझ कर एक हाथ उसकी छाती पर ले गया और उसके बूब्स को छुआ लेकिन उसने कुछ कहा नहीं।
तब मैंने उससे पूछा कि कभी तुमने सेक्स किया है?
वो मेरे इस सवाल को सुनकर घबरा गई और शरमाते हुए बोली- नहीं !
मैंने तुंरत पूछा- ब्लू फ़िल्म देखी है कभी?
वो बोली- नहीं हाँ एक बार, अपने घर पर !
क्या देखा? – उससे मैंने पूछा।
मतलब- क्या?- क्या देखा?- एक लड़का एक लड़की को नंगा करके चोदे जा रहा है, और लड़की सिस सिस कर रही है।
अब वो मुझसे खुल कर बाते करने लगी। मैं अपना एक हाथ उसके स्तन पर ले गया अब वो भी मज़े लेने लगी, मैंने उसे जोरो से दबाया वो सी स सी सी —- कर रही थी, और दूसरे हाथ उसकी जींस के अन्दर ले गया, पैंटी के नीचे स्वर्ग था जिसकी अनुभूति मुझे मिलने लगी, उसकी चूत पर बाल थे, जैसे ही मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा, वो तिलमिला गई।
मैं अपनी उंगली उसके चूत के अंदर ले गया, साली पहले भी चुदवाई हुई थी, एक बार में पूरी उंगली चली गई। उसके मुंह से अजीब सी आवाजें निकल रही थी।
उसने मेरी जिप खोली और मेरा लंड चूसने लग गई और मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा।
अब वो भी तड़प रही थी और मैं भी। मैंने उसकी जींस खोल दी, उसकी पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी चूत को चूसने लगा।
जोर से — और जोर से चूसो ना मुझे ! आज मेरी चूत को पका दो मेरे राजा !
जैसे जैसे मैं उसकी चूत चूसता उसको मज़ा आता, अब उसने कहा- मादरचोद मुझे चोद ! चोद मादरचोद !
मैंने कहा- रंडी अभी चोदता हूँ तुझे, सच सच बता कितनी बार चुदाई है?
५ बार मेरे बॉय-फ्रेंड्स ने मुझे चोदा है और एक बार टीचर ने अपने मुझे घर पर !
अब मुझे चोद- उसके काले रंग पर उसकी चूत का रंग बहुत खिल रहा था। उसकी चूत लाल रंग और उसका सारा जिस्म काले रंग से ढका हुआ था।
उसके काले-काले स्तन और उस पर काले रंग के निप्पल मुझे पागल किए जा रहे थे।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया, और मेरा पूरा लंड उसके चूत में समां गया, अब वो भी अपनी गाण्ड उठा उठा कर जबाब देने लगी और उसके मुँह से गन्दी गन्दी गलियाँ निकल रही थी।
बहनचोद ! चोद मुझे ! आज चोद मुझे ! उसके चूत की गोलाई कभी फैल जाती कभी सिकुड़ जाती।
रंडी की औलाद ! आज जी भर के चोदूँगा तुझे !
हाँ मेरे राजा ! ये चूत तो तुम्हारी है !
जोर से ! जोर से ! से..से सी.. सी… सी….. अ आई…… अ….अ…आह्ह …. …या….. जोर .. जोर से मेरे रज्जा !
उई उई चोद दे … जोर से… आज ……. सी ! मैं तो गई …. मैं … मैं गयी…….. और वो झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया, उसने मेरा लंड साफ किया और मैंने उसे चूत।
इसी तरह हमने चार बार चुदाई की। Indian Sex Stories
सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों Sex Stories को सन्नी शर्मा का कोटि कोटि प्रणाम!
दोस्तो! अभी तक मैंने अन्तर्वासना में लड़के और लड़की के बीच हुई चुदाई के बारे ही पढ़ा है। मैं इस वक्त कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का कोर्स कर रहा हूँ। मैं देखने में चिकना हूँ और सच पूछो तो मैं कहने के लिए लड़का हूँ मगर मेरे अन्दर एक औरत बचपन से घर कर चुकी है। मैं बचपन से ही लड़कियों के साथ गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलता, चोरी चोरी मम्मी की ड्रेस पहनता और जब घर अकेला रहता तो लड़की की तरह सज-संवर कर तैयार होता था। इन हरक़तों से मुझे अलग सा आनंद मिलता!
मैं स्कूल में भी लड़कियों के साथ ही रहने की कोशिश करता। सभी लड़के स्कूल में मुझे लड़की कहते! बचपन से लड़कियों के साथ रहा था, उनके खाने-पीने में ध्यान देता, उनकी तरह गोलगप्पे-चाट वगेरह खाता। मेरे शरीर की बनावट लड़कियों जैसी है, मेरी छाती बहुत कोमल है, 16 साल की लड़की जितनी मेरी छाती है।
मैंने कई बार अपनी लड़की दोस्तों को उनके बॉय फ्रेंड के साथ अकेले में स्कूल के खाली कमरों में अश्लील हरक़तें करते देखा। लड़कियों में से पूजा से मेरे बहुत अच्छे से दोस्ती और बोलचाल है, वो अक्सर मेरे घर आती नोट्स के लिए। वो एक बहुत बड़े अमीर परिवार की छोरी है।
एक रोज़ मैं उसके घर चला गया, दोपहर का समय था, उस वक्त उसके घर कोई नहीं होता था। जब मैंने दरवाज़ा बंद देखा तो मैं दीवार से कूद कर अन्दर चला गया। हंसने के आवाजें सुन कर मैंने खिड़की के पास पहुँच कर देखा कि मेरे ही स्कूल का एक लड़का था, पूजा उसका लण्ड चूस रही थी, वो अपनी स्कर्ट में बार बार उसका हाथ डलवाती, कभी चुचियों में भी।
मैं वहाँ से चला आया। उस लड़के का लौड़ा देख मेरी गाण्ड में कुछ होने लगा, ना कि पूजा को नंगी देख कर।
उस दिन से मैंने भी किसी का लण्ड चूसने की सोची। स्कूल के लड़के से यह सब करके मेरी और बदनामी हो जाती, पहले ही सभी मुझे छेड़ते हैं।
मैं रोज़ शाम को ट्यूशन पढ़ने जाता था। रास्ते में एक नाशपाती का बाग़ है, वहाँ रोज़ एक मोची मुझे मिलता था, बिहार का था। वो मेरी गाण्ड को देख रोज़ अजीब इशारे करता। पहले मैं कुछ न कहता, लेकिन अब वो देखके लौड़ा खुजलाता। एक रोज़ वो नहीं मिला लेकिन जब मैं वापिस आ रहा था, तब अंधेरा हो चुका था। आज वो अपना सामान पहले ही पास में अपने कमरे में रख आया था। वो दिन में मोची का काम, रात को बाग के चौंकीदार का काम करता था। बीच बाग़ में उसका कमरा था। आज उसको देख मैंने कहा- क्या बात है भाई? तुम रोज़ मुझे क्यों देखते हो?
वो बोला- तेरी गाण्ड मारनी है!
मैंने कहा- चल हट!
बोला- तू क्यों देखता है?
मेरे पास जवाब नहीं था। वो थोड़ा पास आकर अपने हाथ मेरी गोल गाण्ड पे हाथ फेरने लगा।
सीईईईइ!
फ़िर मेरा हाथ पकड़ उसने अपने लौड़े पे रख दिया और पास आकार धीरे से बोला- चल कमरे में!
दोस्तो, जैसे उसने मुझे पेंडुलम दिखा बस में कर लिया हो, मैं बिना बोले उसके पीछे उसके कमरे में चला गया, उसने कुण्डी लगा दी। उसने अपनी पैन्ट उतार कर किल्ली पे टांग दी, फ़िर शर्ट भी। वो सिर्फ़ कच्छे में था, उसका लौड़ा खड़ा था। मोटा ताज़ा लौड़ा देख पूजा याद आई। उसने मेरी कमीज़, पैन्ट सब उतार दी और मुझे लिपटने लगा। मेरे अन्दर की लड़की जागी, वो मेरे निप्प्ल मसलने लगा, मम्मे दबाने लगा!
सीईईईइ क्या मजा था यार!
मैं घुटनों के बल बैठ उसके लौड़े को सहलाने लगा और अपने आप ही उसका 6 इंच का लौड़ा चूसने लगा, चूमने लगा।
वो बोला- साले दबा दबा के चूस!
साथ में वो मेरी गाण्ड थपथपा रहा था। उसने थूक से ऊँगली गीली कर मेरी गांड में डाली और आगे पीछे करने लगा और फ़िर दो ऊँगली!
वो भी पहली बार किसी से लौड़ा चुसवा रहा था। उसने अपना सारा माल मुँह में भर दिया, कुछ मेरी कोमल छाती पे भी गिरा। मैं कपड़े पहनने लगा तो उसने रोक दिया और बोला- चुदेगा तेरा बाप? गांडू! चल खड़ा कर दे! उसने ज़ोर से थप्पड़ मारा।
मैं भी रुक गया और उसके लौड़े को फ़िर मुंह में भर लिया। उसका फ़िर खड़ा हो गया, उसने मुझे घोड़ा बना लिया और सरसों का तेल अपने लौड़े पे लगा कुछ ऊँगली से मेरी गांड में भी लगा दिया और अपने लौड़े का टोपा मेरी मोरी पे रख धक्का दिया।
हाय, मर गया! छोड़ मुझे! प्लीज़ छोड़ दे!
दूसरे झटके से आधा लौड़ा अन्दर घुस गया। मैं दर्द से तड़फ रहा था, वो बिना रहम किए पूरा डालने में लगा था। मैं चिल्लाने लगा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वो ज़ोर जोर से मुझे चोदने लगा। कुछ पल बाद मुझे थोड़ा आराम मिला और अब उसकी रगड़ मुझे अच्छी लगने लगी। उसके बाद उसने सीधा लिटा के अपने कंधों पर मेरी टांगें रख कर फ़िर लौड़ा मेरी गाण्ड में डाल दिया।
मुझे बहुत मज़ा आने लगा। किसी मर्द के नीचे लेट कर वो भी नंगे, वो साथ साथ मेरे मम्मे चूसने लगा और 6-7 मिनट बाद वो झड़ गया और मेरी सारी खुजली उसके गरम माल से मिट गई। वो मेरे ऊपर ही लुढ़क गया। हम दोनों नंगे एक दूसरे की बाँहों में लेटे थे।
वो कमरे में एक और बन्दे के साथ रहता था, वो बन्दा राज मिस्तरी का काम करता था। वैसे मोची के मुताबिक वो रात लेट आता था। तभी वो दूसरा बन्दा आ गया। कुण्डी ठीक से लगी नहीं थी वो सीधा कमरे में घुस आया और मुझे देख कर बोला- पुरषोत्तम! यह गाँडू कहाँ से आया?
उसकी आँखों में वासना के डोरे देख मैं घबरा सा गया।
वो बोला- चल तू भी जा जाकर खाना खा आ! मैं हूँ यहीं पे!
मोची चला गया। मैं अभी कपड़े पहनने लगा था कि उसने रोक लिया और बोला- मुझे खुश कर दे साले!
मैंने मना करने की बजाये बोला- नहीं देर हो गई है, पहले ही घर वाले परेशान होंगे।
वो बोला- साले! खींच के दूंगा कान के नीचे! चल पास आकर ख़ुद ही लण्ड निकाल!
मैं डरता हुआ पास गया और बोला- आज जाने दो! कल सुबह आऊँगा!
वो बोला- चल चूस ही दे थोड़ा, हाथ से निकल दे पानी!
बाप रे बाप! उसका लौड़ा देख मैं डर गया। बहुत सॉलिड था, मैं उसको पकड़ मुठ मारने लगा और फ़िर चूसने लगा। अंदर से मैं बहुत खुश था कि जिस लौड़े की मैं तलाश में था वो आज एक नहीं दो मिले!
करीब पाँच मिनट में मैंने उसके लौड़े को चूस चूस उसका माल निकाल दिया। उसने सारा माल मेरी नंगी गांड पे डाल दिया, झड़ने से पहले उसने मुँह से निकाल लिया था और गांड पे फव्वारा छोड़ दिया।
दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की दास्ताँ!
अगले दिन मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया और फ़िर??
अपना चुदाई का यह किस्सा मैं अगले भाग में डालूँगा।
आपके जवाबों का इंतजार रहेगा! Sex Stories
मेरे प्रिय पाठकों और Hindi Sex Stories पाठिकाओं को मेरा नमस्कार। मेरा नाम एलिस है। मैं भी आपकी ही तरह अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे इस साईट की कहानियों को पढ़कर बहुत मजा आता है। मुझे ये सभी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी और मैं पुरानी वाली कहानियाँ भी पढ़ना चाहता हूँ इसलिये मैंने भी अपनी आपबीती आप लोगों के सामने पेश करने का इरादा अन्तर्वासना के जरिये किया है। यह मेरी पहली कहानी है, अगर आपकी कृपा हुई तो मुझे आगे भी और कहानियाँ भेजने का मौका मिलेगा।
मैं जिस लड़की के बारे में बताने जा रहा हूँ, उसका नाम स्नेहा है। वो मेरे पड़ोस में रहती है। उसका कद करीब 5’6″ है, रंग गोरा है और बदन का क्या कहना ! साली क्या मस्त लगती है कि जो भी देखे तो उसका लंड तो खड़ा हो ही जाता है। उसके मम्मे करीब 34″ के होंगे और उसके गांड करीब 38″ की होगी।
बात उन दिनों की है जब मैं कोचिंग में पढ़ा करता था और छुट्टियाँ होने पर मैं घर जाता था। वो एक अमीर घराने की माडर्न ख्याल की लड़की थी और शायद इसीलिए वो ज्यादातर जींस व टी-शर्ट में रहती थी। इस कारण उसके शरीर के सारे उभारों का अच्छी तरह से प्रदर्शन होता था और यह देख सभी लड़के उस पर फ़िदा रहते थे। पड़ोस में होने के कारण वो मुझे भाई जैसा मानती थी और मैंने भी कभी उसे गलत नजर से कभी नहीं देखा था। पर मुझे पता था कि भाई-भाई करके वो मुझे लाइन देती थी।
बात गर्मियों की है जब छुट्टियाँ हुई और मैं घर गया। मुझे लग रहा था कि इस गर्मियों की छुट्टियों का मैं पूरा आनंद लूँगा। एक दिन मैं अपने नए साल के सत्र के लिए पढ़ाई कर रहा था, वो आई और कहने लगी,”मेरे घर पर सब मेरी मौसी के यहाँ शादी में जा रहे हैं इसलिये मैं आज यहाँ ही सोउंगी।”
वो बहुत खुश नजर आ रही थी और मेरी किस्मत भी देखो यारो कि पापा-मम्मी को भी उसकी मौसी के यहाँ से आग्रहपूर्वक न्योता आया कि आप भी आओ और एलिस को भी ले आना। पर पापा स्नेहा के यहाँ होने से उसे अकेला छोड़ नहीं सकते थे और मुझे पढ़ना भी था, सो मैं यहीं रुक गया और पापा-मम्मी दोनों गेराज से गाड़ी निकाल कर चले गए। मम्मी ने जाने से पहले बहुत हिदायतें दी कि दरवाजे खुले रख कर मत सोना, दोनों एक ही कमरे में सो जाना और बेड अलग अलग रखना। और हम आज रात में भी आ सकते हैं या कल आ जायेंगे वगैरह-वगैरह। मैंने भी हर आज्ञा का पालन किया, सिर्फ एक को छोड़कर, बेड अलग अलग वाला।
रात के नौ बज चुके थे और हम सोने की तैयारी कर रहे थे। उसका आज मूड कुछ बदला-बदला लग रहा था। वैसे मैं उस समय शरीफ बच्चा था। ऊपर के दरवाजे जांचने के लिए हम दोनों ऊपर गए, क्योंकि मुझे रात में अकेले डर लगता है। हम नीचे न आकर वहाँ पर ही बातें करने लग गए। वह वो मुझे बार-बार स्पर्श कर रही थी और गन्दी-गन्दी मतलब यौन सम्बन्धी बातें करने लगी। उसी समय बिजली चली गई। अब तो वो बोलने लगी कि अगर नीचे जायेंगे तो मुझे भी डर लगेगा सो हम वहीं रुक गए और बातें करने लगे। मेरा तो लंड वहीं खड़ा हो गया पर शायद अँधेरा होने के कारण उसे दिखाई नहीं दिया होगा। मैं भी जवाब में थोड़ी-थोड़ी खुलकर बातें करने लग गया। अब दोनों में कुछ-कुछ होने लगा था, हम दोनों वहाँ चिपकने लगे थे। हम दोनों गर्म होने लगे थे और वहाँ आस-पास में कोई न होने के कारण हमने आखिर एक चुम्बन तो कर ही लिया। इतने में बिजली आ गई और वहाँ हमें कोई देख लेता, उससे पहले हम दरवाज़े जाँच कर नीचे आ गए।
उसने नीचे आते ही मेरा एक लम्बा चुम्बन किया। मैंने स्नेहा को अपनी बाँहों में भर लिया, अपनी टांगें स्नेहा की टांगों से चिपका दी और मैंने अपने जलते हुए होंठ स्नेहा के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नर्म-नर्म होंठों को अपने होंठों में भर कर चूमने लगा। स्नेहा ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ स्नेहा के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने स्नेहा को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया। हम दोनों फिर से किस करने लगे और मेरे हाथ उसके शरीर पर कहाँ-कहाँ फिर रहे थे, कुछ पता नहीं।
करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरा भी लंड अब जैसे अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और जल्द ही उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। उसने अपने हाथों से मेरे लंड को मसलना शुरू कर दिया। मैं भी उसके मम्मे दबाने में व्यस्त था। मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए। मैंने उसको खेलने के लिए अपना लंड दे दिया। मैंने उसे बिसतर पर लेटा दिया और फिर उसकी गोरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा। चूत बिलकुल साफ़ थी यानि एक भी बाल नहीं था।
वो बोली,”आज पूरी तैयारी करके आई हूँ !”
स्नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं तो मानो स्वर्ग की सैर कर रहा था।
आप तो उसे देखते ही पागल हो जाते और जंगली सेक्स चालू कर देते। पर जैसे कि मैंने कहा था कि मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, तो मैंने सेक्स करने के नियम पढ़ रखे थे जो किसी सज्जन ने अन्तर्वासना को भेंट किये थे। मैंने बस अपने को नियंत्रित किया।
उसके गुलाबी चुचूकों को हल्के-हल्के मसलने लगा, फिर अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। स्नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। बाद में वो मेरा लौड़ा चूसने लग गई, दो-तीन मिनट में ही मेरी हालत ख़राब हो गई तो मैंने उसे रोका। फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। दो-तीन मिनट बाद वो झड़ गई तो मैं उसका अमृत-पान करने लगा। वाह ! एक अजीब मजा आ रहा था। वास्तव में वो मजा आ रहा था जो जिन्दगी में पहले कभी नहीं लिया। फिर मैं स्नेहा की चूत पर हाथ फिराने लगा। हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ स्नेहा की चूत के अन्दर डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो और जोश में आ गई और तड़पते हुए बोलने लगी,”बस अब और मत तड़पाओ मेरे राजा !”
फिर मैं उसे ज्यादा न तड़पाते हुए उसकी चूत का श्री गणेश करने को तैयार था।
स्नेहा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली,”प्लीज, कंडोम तो लगा लो ! मुझे डर लगता है।”
मैंने बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। स्नेहा ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। फिर अपना लंड उसकी बुर पर रख दिया। लंड धीरे धीरे अन्दर चला गया पर काफी मेहनत करनी पड़ी हमको पहली बार में। वो दर्द से तड़पने लगी थी, मैंने और जोर लगाया तो उसकी बुर से थोड़ा खून निकला। खून मेरे लंड पर व उसकी जांघों पर व थोड़ा चादर पर भी गिरा था। वो पहले तो यह देख कर घबरा गई पर वो जानती थी कि पहली बार में यह सब होता है, उससे उसे काफी हिम्मत मिली।
मैं थोड़ा रुका और उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, हमने खून साफ़ कर फ़िर शुरु किया। तब मैंने फिर से उसे चोदना चालू कर दिया। मैं उसके नर्म-नर्म होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए और करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।
बाद में तो मुझे लग रहा था कि उसकी चूत खुल गई। फिर हमने किस किया और उसके बाद वो मेरे लौड़े को चूसने लग गई ताकि फिर से मेरा लौड़ा खड़ा हो जाये। जल्द ही मेरा लंड एक बार फिर से चुदाई करने के लिए तैयार था। इस बार फिर से चूत को ही अलग-अलग आसनों से चोदने लगा।
स्नेहा बोली,”मुझे कुछ हो रहा है, लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है। खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ।”
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी ।
उसके मुख से आवाजें आने लगी,”आआआ!!! मैंऽऽऽ आआआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ”
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया। मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा। लगभग बीस मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।
अब उसकी गांड की बारी थी पर वो बोलने लगी,”आज नहीं, फिर कभी इसका भी नंबर आएगा, थोड़ा सब्र करो ।”
पर मैं ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहता था इसलिये उसकी एक न सुनी और गांड के लिए नीचे तकिये रखने लगा और फिर से उलटा लिटा कर गांड का पूरा मज़ा लिया। अब भी ऐसा मौका मिलता है तो छोड़ता नहीं हूँ और वो भी नहीं छोड़ना चाहती। जब भी समय मिलता है, मम्मे दबाकर और चूम कर मजे लेता हूँ, अब तक कई बार चोद चुका हूँ और औरों के भी मजे लिए हैं, वो मैं आपको बाद में कहानी के रूप में लिखता रहूँगा। अब तो कहना पड़ेगा कि “वाह ! क्या रात थी”
आप मेरी कहानी के बारे में अपनी राय जरुर दें और मेरी गलतियाँ भी बताएँ ताकि मैं उनको सुधार सकूँ। अच्छा अब के लिए इजाजत चाहता हूँ। Hindi Sex Stories
मैं अमृतसर से मनीष, यह Antarvasna बात तीन महीने पुरानी है जब मैं गर्मी की छुट्टी में अपने नाना नानी के घर गया था वहां मेरे मामा मामी रहते थे.
मेरी मामी मस्त माल थी हमेशा बड़े गले का कुरता पहना करती थी उनको देख कर मेरा मन डगमगाता था ऐसा लगता था जैसे वो मुझे अपनी ओर आकर्षित करती थी मैं बार बार उनके झुकने का इन्तज़ार करता रहता था। मेरी मामी का नाम सोनिया है।
मुझे जब भी लगता था कि वो झुकने वाली है तो मैं सामने जाकर खड़ा हो जाता था और तिरछी नज़र से उनके बड़े बड़े गोरे गोरे और चिकने चिकने बूब्स को देखा करता था मुझे उनके बूब्स बेहद पसन्द थे, मुझे उन्हे छूने का बेहद मन करता था कभी कभी जान बूझ कर मैं उनसे सामने से जाकर टकरा जाता था और बड़ी होशियारी से उनके बूब्स को छू लिया करता था।
लेकिन इतने में मेरा मन नहीं भरता था। मैं उन्हे सहलाना चाहता था वो बहुत गोरी है। उनको देख कर मुझे उनको चोदने का मन करता था।
वो बहुत गदराई हुई बदन की है मैं भी वैसा ही हूं।
एक दिन मेरे मामा को कुछ काम से 6 दिन के लिये दुबई जाना पड़ा।
मैं घर के हाल में बैठा ही था तब मेरी मामी हाल में आयी और उन्होने मुझे एक चिट्ठी दी.
उस चिट्ठी में लिखा था “मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं मुझे तुम्हे देखते ही कुछ कुछ होता है मैं तुम्हारे साथ अकेले में कुछ वक्त गुज़ारना चाहती हूं ये बात मैं ने चिट्ठी में इसलिये कहीं क्योंकि मुझे शरम आ रही थी अगर तुम मुझसे मिलोगे तो आज रात ११.०० बजे मेरे कमरे में आ जाना और तुम्हारी ओर से हां है तो चिट्ठी मुझे वापस लौटा देना मैं तुम्हारा इन्तज़ार करुंगी.”
ये पढ़ कर तो मेरा मन ही उछल पड़ा, मैं ने तुरन्त वो चिट्ठी उनको वापस लौटा दी और ११ बजने का इन्तज़ार करने लगा।
रात हो चुकी है ११ बज रहे है मैं कमरे में चला गया कमरे के अन्दर घुसते ही मैं ने देखा कि मेरी मामी काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था कि उन्होने अंदर कुछ भी नहीं पहना है। उनके बड़े बड़े बूब्स मुझे दिख रहे थे।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं शुरुआत कहां से करुं। तभी अचानक मेरी मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया ये उस हसीन रात की शुरुआत थी।
मैने भी मामी की कमर को पकड़ के अपनी ओर खींच लिया और उन्हे चूमने लगा। उनके गालों को चूमते चूमते मैं उनके होंठों तक पहुंच गया।
जब मैने देखा कि मेरी मामी मेरे चुम्मो का आनंद ले रही है तो मैने अपना हाथ उनके बूब्स पर रख दिया। मेरे हाथों ने जैसे ही उनकी चूचियों को छुआ वो कांप सी गयी मुझे उनके बूब्स छूने में बहुत मज़ा आ रहा था। वो बहुत नरम थे तभी मैने उनकी नाइटी को उनके कंधे से नीचे उतार दिया उनके चिकने बूब्स अब पुरी तरह से मेरे हाथ में थे मैने अपनी उंगलियों से उनके गुलाबी निप्पल को रगड़ना शुरु किया तो वो काफ़ी उत्सुक हो गयी और मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया।
मैं अपना चेहरा उनके बूब्स के पास ले गया और अपने गालो और जीभ से उनके बूब्स को सहलाने लगा। मैने अपने हाथ से उनके बूब को पकड़ लिया और छूने लगा ऐसा करते ही मेरी मामी पागल सी हो गयी उन्होने मेरा लंड और कस कर पकड़ लिया और सहलाने लगी फिर मैने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अनपे छोटु को निकाल के उनके हाथ में दे दिया।
मेरी मामी बहुत अच्छी तरह से मेरे छोटु को सहला रही थी तभी मैने उन्हे पलंग पर बैठा दिया और उनके सामने जाकर खड़ा हो गया। वो समझ गयी कि मैं चाहता था कि वो मेरे लंड को चूसे उन्होने मेरे लंड को कस कर पकड़ा और चूमने लगी।
मैने उन्हे अपने लंड को मुंह में लेने को कहा उन्होने मेरे छोटु के सामने वाले हिस्से को जिसे हम सुपाड़ा कहते हैं उसे मुंह में ले लिया मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था मैं और मज़ा लेना चाहता था मैने अपनी मामी के सिर को पकड़ा और अपना लंड को और अन्दर घुसाता चला गया देखते ही देखते मेरा पूरा का पूरा लंड उनके मुंह के अन्दर था मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था मुझे लगा कि मेरा लस कहीं उनके मुंह में ही न गिर जाये इसलिये मैने अपने छोटु को निकाल लिया।
उसके बाद पता नहीं मामी को क्या हुआ मामी ने फिर से मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया मेरा लंड फ़ुलसाइज़ का हो गया था फिर मैं पूरा नंगा हो गया मामी की नाइटी भी पूरी उतार दी.
उनको नंगा देखकर मेरा लौड़ा पूरा सनसना उठा अब मेरे लौड़े को कुछ चाहिये था तो वो थी मामी की चूत मैं ने मामी को बिस्तर में लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड से उनकी चूत को सहलाने लगा फ़िर थोड़ी देर बाद जैसे ही अपना लंड उनकी चूत में डाला तो मेरी मामी के मुंह से आवाज़ निकली “आऊउ छह्हह” ऐसा लगा जैसे मामा ने उन्हे कभी चोदा ही नहीं।
मैंने कन्डोम भी नहीं लगाया था मैं ने अपनी मामी को कस के पकड़ लिया और अपना लंड और अन्दर घुसाता चला गया मेरी मामी दर्द से सिमट सी गयी थी।
थोड़ी देर बाद उन्हे भी मज़ा आने लगा मैने जब चोदते हुए अपनी मामी के चेहरे की तरफ़ देखा तो वह आंखें बंद कर के मुस्करा रही थी उन्हे काफ़ी आनंद आ रहा था। फिर मैने अपनी मामी को घोड़ी बनने को कहा वो दोनो घुटनो और हाथो के बल अपनी गांड मेरी तरफ़ करके लेट गयी।
मैने अपने हाथो से उनकी गांड को पकड़ कर पहला दिया मुझे उनकी गांड का छेद नजर आ रहा था। मेरा लौड़ा उसमे घुसने को बिल्कुल तैयार था मैने अपना लौड़ा जैसे उनकी गांड में टिकाया तो मेरी मामी ने मना कर दिया कहने लगी कि गांड में घुसाने में बहुत दर्द करता है।
लेकिन लौड़ा है कि मानता नहीं मैं ज़िद करने लगा तो मामी मान गयी और कहा कि धीरे धीरे घुसाना मैं अपना लौड़ा ले कर तैयार हो गया और घुसाने लगा मैं जानता था कि मामी को दर्द हो रहा है लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था उनकी गांड का छेद बहुत छोटा और टाइत था बहुत मुश्किल से अन्दर घुस रहा था मैने भी पूरा ज़ोर लगा दिया।
धीरे धीरे जगह बनती गयी और छेद फैलने लगा मेरा लंड और अन्दर घुसता चला गया। मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करता गया मामी की चिकनी चिकनी गांड में मेरा लंड मज़े कर रहा था फिर मैने अपना लंड उनकी गांड से निकाल लिया और मामी को लिटा दिया और उनके पेट पर बैठ गया और अपने लंड को दोनो बूब्स के बीच सहलाने लगा मैने अपनी मामी से कहा कि क्या चिकनी चूची है तो मामी शरमाने लगी।
मैने अपनी मामी से कहा कि मेरे लंड को चूसो न तो मामी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपने गालों से सहलाने लगी और मुझसे पूछा कि कैसा लग रहा है मैने कहा पहले चूसो तो। तब मामी मेरे लंड को अपनी जीभ से चूसने लगी और दातों से काटने लगी मैं तो मज़े में पागल हो रहा था मुझसे सहा नहीं गया और मैने उनके मुंह में ही गिरा दिया मामी मेरे लस को चाटने लगी।
मेरी मामी ने कहा कि ये तूने क्या किया मैं समझ गया कि मामी अभी और चुदवाना चाहती है। मैने कहा कि घबराओ नहीं अभी मैं तुम्हे और चोदुंगा। लेकिन मेरा लंड मुरझा गया था।
मैं अपनी मामी के बूब्स को पकड़ के चूसने लगा और अपनी मामी की चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा मामी में अभी भी बहुत जोश बाकी था। उन्होने भी मेरे लंड को सहलाना शुरु कर दिया।
धीरे धीरे मेरा लंड फिर से तनने लगा था जैसे ही मेरा लंड थोड़ा कड़ा हुआ मेरी मामी ने उसे अपने मुंह में ले लिया और कस कस के चूसने लगी वो मुझसे किसी भी हाल में और चुदवाना चाहती थी मेरे लंड को बार बार अपने मुंह में घुसाती और निकालती।
वो मेरे लंड को इतनी जोर से चूस रही थी कि उनके चूसने की आवाज़ आने लगी मेरा लंड भी अब तैयार हो गया था मैं भी उनके चेहरे को हाथ में लेके अपने लंड को अन्दर ठेलने लगी, क्या मज़ा आ रहा था।
मामी ने कहा कि मुझे और चोदो न तभी मैने अपनी मामी को लिटा दिया और उनकी जांघ को चाटने लगा चाटते चाटते मैं उनकी कमर तक पहुंचा तो देखा कि मेरी मामी मज़े में तिलमिला उठी तभी मैने उनकी १ टांग को अपने कंधे पर रख लिया और अपने लंड को उनकी चूत में टिका दिया और अन्दर घुसा दिया और फ़िर इतनी रफ़्तार से चोदा उनको मामी बोल रही थी थोड़ा धीरे धीरे करो!
मामी की चूत गीली हो गयी थी चोदने में और मज़ा आ रहा था मेरा लंड चूत में आसानी से फ़िसल रहा था मैं ने मामी की चूत ढीली कर दी थी मुझे डर था कि मामा को पता न चल जाये क्योंकि मामी की चूत बहुत टाइट थी।
और मैंने चोद चोद कर उसे ढीली कर दी थी फिर मैंने मामी को कहा कि चलो कोई और स्टेप करते है.
मामी ने मुझे पलंग में लेटने को कहा और मेरे ऊपर चढ़ गयी वो अपने बूब्स के निप्पल को मेरे होंठों के पास लाने लगी मैं उनके निप्पल काटने लगा फ़िर वो मेरे लंड को पकड़ के मेरे लंड से अपने चूत को सहलाने लगी फ़िर धीरे धीरे अन्दर घुसाने लगी मामी मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और हिलने लगी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जब वो मेरे ऊपर बैठ कर हिल रही थी तब उनके बड़े बड़े बूब्स हिल रहे थे वो नाज़ारा मैं कभी नहीं भूल सकता मामी के गोरे गोरे दूध और गुलाबी गुलाबी निप्पल मामी अपने हाथ से अपने बूब्स को सहला रही थी और अपने निप्पल को दबा रही थी
मैने फ़िर मामी की गांड को कस कर पकड़ा और निकोटने लगा फ़िर मैं ने मामी को नीचे लिटा दिया और मेंढक की तरह चढ़ गया फ़िर मैं मामी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा मामी अपने दोनो हाथो से मेरी गांड को पकड़ने और मारने लगी मैने चोदना और तेज़ कर दिया मामी की चूत से पानी छूट गया और मैं ने भी अपना लस अन्दर ही गिरा दिया मामी ने कहा कि मुझे ऐसा कभी किसी ने नहीं चोदा है मैं एकदम ही लस्त पड़ गया था कुछ करने की हालत में ही नहीं था।
घड़ी की तरफ़ देखा तो ४ बज रहा था।
ये चुदाई मैं ने पूरे 6 दिन की और जब भी मैं वहां जाता हूं तब तब मामी को किसी न किसी बहाने से होटल ले जा कर चोदता हूं। Antarvasna
दोस्तो, मेरा नाम विजय है Antarvasna Stories और मैं अंबिकापुर का रहने वाला हूँ। आज मैं आप लोगो को अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
बात आज से दो साल पहले की है, मेरी दोस्ती नेट से अंबिकापुर के पास में ही रहने वाली एक लड़की से हुई, वो अंबिकापुर से २५ किलोमीटर दूर रहती थी और रोज सुबह अंबिकापुर के कॉलेज आती थी।
पहले २-३ दिन तो हमने नेट में ही ४-५ बजे तक बात की, उसके बाद मैंने उससे उसका मोबाइल नंबर माँगा जो कि उसने देने से मना कर दिया। फिर मैंने उसे अपना नंबर दिया और कहा कि जब तुम्हें लगे कि हमें फ़ोन से बात करनी चाहिए तुम खुद मुझे कॉल कर लेना !
उसने बोला- ठीक है !
जैसा मैंने सोचा था, दो दिन बाद उसका कॉल आया, उससे पहली बार बात करके ही मुझे लगा कि उसमें चुदाई की बहुत प्यास है। मैंने भी देर ना करते हुये पहले ही दिन उसके साथ फ़ोन सेक्स किया, फिर हम रोज ही फ़ोन सेक्स करने लगे।
कुछ दिनों बाद मैंने उसे बोला- मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ !
तो वो पहले तो ना नुकुर करने लगी, फिर मान गईइ। मंगलवार की दोपहर को वो अपने घर में कुछ बहाना करके अंबिकापुर आई, उसने मुझे कॉल करके बोला कि वो एक रेस्टोरेंट में है। मैं जैसे ही रेस्टोरेंट के नीचे पहुंचा, वो मेरी कार में आकर बैठ गई। उसने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी और बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। जैसे ही मैने कार टाऊन से बाहर निकाली, वो मुझसे लिपट गई और मुझे पागलों के जैसे चूमने लगी। मैंने भी देर न करते हुए कार को सुनसान जगह में रोक दिया और उसे चूमने लगा।
वो मदहोश होने लगी थी, मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसके मम्मों को कपड़ो के ऊपर से दबाना शुरु कर दिया। उसने पहले बोला कि यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने बोला- तुझे प्यार कर रहा हूँ मेरी जान !
तो उसने मुझे दिखाने के लिए बोला- ये सब गलत है !
तो मैने बोला- प्यार में कुछ सही-गलत नहीं होता !
फिर वो मान गई, मैंने उसका टॉप ऊपर कर दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी थी। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा खोलनी चाही, उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और बोली- आज नहीं कुछ दिन सबर करो !
मैंने भी जल्दबाजी नहीं की और उस दिन सिर्फ चुम्बन और मम्मों को दबा के काम चला लिया। फिर तो हम रोज मिलने लगे, वो रोज कॉलेज आती और मैं उसे कॉलेज के सामने से अपनी कार में बैठा के ले जाता और कॉलेज ख़त्म होने के पहले कॉलेज के सामने छोड़ देता था, सुबह ७ बजे से लेकर दोपहर को २ बजे तक हम घूमते रहते थे मैं उसके मम्मे चूसता था वो मेरा लौड़ा चूसती थी। मैं कार चलाता रहता और वो मुझे चलती कार में किस करती और मेरे लौड़े से खेलती रहती थी, पर कभी कार में चुदाई का मौका नहीं मिला।
एक दिन नवरात्र की रात को मैं जगराते में घर से बाहर था, रात को ११ बजे उसका कॉल आया कि प्लीज़, आज रात मेरे घर आ जाओ !
मैंने बोला- तू पागल हो गई है? खुद भी मरेगी और मुझे भी मरवाएगी !
तो उसने बोला- घर में सब सो गए हैं, आज मुझे रात भर जी भर के चोदना ! बस एक बार आ जाओ !
उसकी ऐसी बातें सुन कर मेरा भी लौड़ा खड़ा हो गया। मैंने जाकर वोदका के चार पैग पिए और दो पैग कोल्ड ड्रिंक के साथ मिलाकर पैक करवा के उसके घर ले गया। पहली बार उसके घर जाने में मेरी गांड तो फट रही थी पर सामने वो नंगी भी दिख रही थी। मैने सोचा- आज जो भी हो जाये, आज तो उसको चोद के रहूँगा !
मैं जैसे ही उसके घर पहुंचा, वो मुझसे लिपट गई। मैने बोला- मैने तेरी बात मानी, अब तुझे भी मेरी बात माननी होगी और ये वोदका पीनी पड़ेगी !
वो मान गई, उसने एक ही बार में दोनों पैग वोदका पी लिए। फिर वोदका के नशे में झूमते हुए उसने मेरी जींस में हाथ डाल दिया और मेरा लौड़ा बाहर निकाल के चूसने लगी…..
दोस्तो, रात के दो बज गए हैं और यह कहानी लिखते लिखते मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका है, आगे की कहानी आपके विचारों के बाद जारी रहेगी… Antarvasna Stories
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