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Massage Girl in East Singhbhum: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in East Singhbhum who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in East Singhbhum that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The East Singhbhum massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in East Singhbhum who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your East Singhbhum massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This East Singhbhum massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in East Singhbhum who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in East Singhbhum employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in East Singhbhum helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in East Singhbhum

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in East Singhbhum at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

मैं सुनील वर्मा, 21 साल पठानकोट का Antarvasna रहने वाला, 5′ 9″, अच्छी सुगठित काया, सात इन्च का लण्ड, अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटा हूं और प्यार से मुझे सब छोटू कहते हैं।

मेरी भाभी सोनू वर्मा, 24 साल, मेरे बड़े भाई की बीवी, स्तनाकार 34, कमर 28 और कूल्हे 36″, खूब सुन्दर हैं और मुझ से काफ़ी खुली हुई हैं।

मेरे भाई करण वर्मा दुबई में नौकरी करते हैं, 28 साल के हैं और कुछ बेचैन से रहते हैं।
तीन बहनें हैं, तीनों शादीशुदा पर उनमें से एक विधवा है जो यहीं घर पर रहती है और अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है, उसका नाम सुमीना है।

हमारा एक मध्यम श्रेणी का परिवार है, मां बाप और पांच भाई बहन, पापा सरकारी नौकरी से सेवानिवृत हुए हैं और घर पर ही रहते हैं लेकिन आजकल चारों धाम की यात्रा पर गए हुए हैं।

घर पर मैं, मेरी भाभी और सुमीना ही हैं। बहन अकसर कालेज़ में रहती है।
मेरी भाभी की शादी को तीन साल हो गए पर उन्हें मां ना बन पाने का गम है, इसलिए हम दोनों में समझौता है कि जब तक वो गर्भवती ना हो जाएं, मैं उनसे सेक्स कर सकता हूं।

भाई अभी तक यहीं थे, पांच दिन पहले ही दुबई वापिस गए हैं और मेरे लिए मैदान खुला छोड़ गए हैं।
सुमीना के कालेज़ जाने के बाद मैं अक्सर भाभी से छेड़खानी और चुदाई किया करता हूं।

बात कुछ यूं हुई कि एक दिन भैया और भाभी काफ़ी मूड में थे और आपस में गुफ़्तगू कर रहे थे।
मैं भी बैठा था।
भाभी बोली कि आप चले जाते हो दुबई, यहां मेरा मन नहीं लगता, बताओ मैं क्या करूं?

तो भैया बोले- अरे! ये छोटू है ना तुम्हारा मन लगाने के लिए, इसको सब अधिकार है तुम्हारे साथ यह कुछ भी कर सकता है।

भाभी बोली- वो सब भी?

भैया बोले- बाहर वालों से तो घर वाला अच्छा है।

भैया जब चले गए तो एक दिन सुमीना कालेज़ जा चुकी थी, तो मैंने भाभी से कहा- आज बहुत मन हो रहा है कि आपके साथ कोई पिक्चर देखी जाए।
भाभी बोली- कौन सी देखनी है?

मैंने कहा- “ख्वाहिश” देखें?

हम दोनों पिक्चर देखने चले गए।
उस फ़िल्म में कई किस सीन थे, मन हुआ कि भाभी को चूम लूं पर हिम्मत ना कर सका।

पिक्चर खत्म होते होते मैं इतना गर्म हो गयाकि मैंने भाभी की चूची दबा दी।

जिससे वो चोंक गई और बोली- इसलिए पिक्चर देखना चाहते थे!
मैंने कहा- हां भाभी!

हंसी मज़ाक हो रहा था और फ़िल्म खत्म होने पर हम लोग घर आ गए।

इतने में सुमीना के आने का समय भी हो गया था, इस लिए हम दोनों चुप हो गए।

दूसरे दिन सुबह सुबह ही सुमीना को कहीं जाना था और वो तैयार होकर चली गई।

सुबह का सुहाना मौका देखकर मैने पीछे से जाकर भाभी को चूम लिया।
पर मेरे चूमने से नाराज़ ना होकर बोली- देखो छोटू! आओ हम तुम एक समझौता कर लें! तुम जब चाहो मुझको चोद सकते हो पर इन इक्कीस दिनों में मैं गर्भवती होना चाहती हूं।

मैंने हामी भर दी और इस तरह शुरू हुआ अपना सेक्स का सफ़र!

हम दोनों नहा धो कर कमरे में आ गये और मैंने भाभी को किस करना शुरू किया।
चूमते हुए ही मैं उनके ब्लाऊज़ में हाथ डाल कर उनके मम्मे दबाने लगा और धीरे धीरे ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगा।

जैसे जैसे बटन खुलते जा रहे थे, भाभी के चेहरे पर चमक आ रही थी।

पूरा ब्लाऊज़ उतार कर मैंने उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया।
अब भाभी मेरे सामने अपने 34 डी के बूब्स लेकर खड़ी थी और हंस कर मुझे देख रही थी, कह रही थी- छोटू! ये सब कहां से सीखा?

मैंने मुस्कुरा कर कहा- सब आप लोगों को करते देख कर अन्दाज़ा लगाया और सीख लिया।

मैं उनकी चूचियां चूसने लगा और वो आह! उफ़्फ़ ऽऽऽ आह ओहऽऽ करने लगी।

अब मेरा हाथ उनके पेटिकोट पर था और मैंने उसका इज़ारबंद खोल दिया।
इज़ारबंद खुलते ही पेटिकोट नीचे गिर गया और भाभी एकदम नंगी हो गई।

अब उनकी बारी थी।
वो मेरी टीशर्ट उतार कर मेरे जिस्म को चूमने लगी।

मुझे उनके जिस्म से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और मैं मस्त हो रहा था।

भाभी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरे लण्ड को बाहर निकाल लिया और उसे सहला कर खड़ा करने लगी और फ़िर अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।

मैं उनकी चूचियां दबा रहा था और वो मेरा लौड़ा चूस रही थी।

चूसते चूसते थोड़ा सा प्री-कम भी निकला जो उन्होंने चाट लिया।

अब मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
पहले धीरे धीरे फ़िर तेज़ी से अपनी जीभ चूत के अन्दर बाहर करने लगा।

भाभी आनन्दित हो रही थी और धीरे धीरे बोल रही थी- करे जाओ! मज़ा आ रहा है!

इस आनन्द को उठाते हुए करीब एक घण्टा बीत गया था और दोनों तरफ़ से कोई कमी नहीं आ रही थी, कभी वो मुझे कस कर गले लगाती और कभी मैं उनको गले लगाता।

एक दूसरे को चूमते चाटते काफ़ी समय हो गया तो भाभी बोली- अब कर डालो छोटू! नहीं तो सुमीना आ जाएगी।

हम दोनों बिस्तर पर चले गए और भाभी को पलंग पर लिटा कर मैं उनकी जांघें सहलाने लगा।
भाभी ने आनन्दित होकर अपनी टांगें फ़ैला ली जिससे उनकी चूत अब साफ़ दिखने लगी थी।

मेरे लण्ड का भी बुरा हाल था। मैंने भाभी की चूत पर अपना लण्ड रख कर धक्का लगा दिया और अपना आधा लण्ड अन्दर कर दिया।
एक दो धक्कों के बाद पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया।

भाभी जोर से चीखी।
मैंने उनका मुंह बंद कर दिया और झटके मारता रहा।
वो मेरे बदन को चूमती, मैं उनकी चूची को चूमता, इस तरह करते करते मैंने अपना पूरा माल भाभी की बुर में डाल दिया।

वो बुरी तरह से मुझ से चिपक गयी।

इस तरह हम करीब आधा घण्टा पड़े रहे फ़िर सुमीना के आने का समय हो गया था इस लिए एक दूसरे को किस करके अलग हो गए।

अब एक चिन्ता मन में थी कि अगर सुमीना को पता चल गया इस बात का तो क्या होगा।
अभी 21 दिन चुदाई करनी है और अगले पूरे हफ़्ते उसकी छुट्टी है। मैंने भाभी को आग्रह किया कि इस जाल में सुमीना को भी फ़ंसाना पड़ेगा, नहीं तो हम दोनों को मंहगा पड़ेगा।

हम यह सब सोच ही रहे थे कि सुमीना आ गयी।

भाभी ने धीरे से कहा- यह तुम मुझ पर छोड़ दो, दो तीन ब्लू फ़िल्मों की सी डी लाकर मुझे दे दो, मैं उसे पटा लूंगी।

मैंने कहा- ठीक है! मैं ले आऊंगा।

मैंने चार सी डी लाकर भाभी को दे दी और खाना खा कर घर से निकल गया और सारा दिन बाहर रह कर भाभी का जादू देखने को बेताब रहा।
शाम हुए घर आया।

भाभी ने हंस कर स्वागत किया तो तबीयत मस्त हो गई।

क्या मैं सुमीना को भी चोद लूंगा?? Antarvasna

अगले भाग में……

Hindi Sex Stories

मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन Hindi Sex Stories में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं।

“और सब लोग कहाँ हैं?” मैंने महेश से पूछा।
“इस मीटिंग में और कोई नहीं है”, महेश ने हँसते हुए कहा, “एम-डी और मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है, तुम बैठो।”

मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं महेश की बतायी सीट पर बैठ गया।

“सुनील को कुछ पीने को दो महेश”, एम-डी ने कहा।
“क्या लोगे सुनील?” महेश ने बार की तरफ बढ़ते हुए पूछा।
“स्कॉच विद सोडा”, मैंने जवाब दिया।

महेश ने ग्लास पकड़ाया और मैंने उसमें से सिप लिया, “चीयर्स! काफी अच्छी है”, मैंने कहा।

“हाँ! बीस साल पुरानी स्कॉच है और इससे अच्छी स्कॉच मॉर्केट में नहीं मिलेगी”, महेश ने कहा।

“हाँ लगता तो ऐसा ही है… पर मैं इसे अफोर्ड नहीं कर सकता, बहुत महंगी है”, मैंने जवाब दिया।

“क्या पता, आज के बाद तुम यही स्कॉच रोज़ पियो”, महेश ने हँसते हुए कहा।

ये सोच कर कि शायद मुझे मेरी तरक्की के लिये बुलाया है, मैंने एक जोर का घूँट लिया।

“महेश बता रहा था कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो ऑफिस में, और स्टाफ भी बहुत खुश है तुम्हारे कम से”, एम-डी ने कहा।

“सर! ये बहुत ही होशियार और मेहनती लड़का है”, महेश ने कहा।
“थैंक यू सर।”
“सुनील तुम्हारी वाइफ प्रीती बहुत ही सुंदर है, उसका शरीर तो गज़ब का ही है”, एम-डी ने कहा।

“सर! उसके मम्मे मत भूलिये, और उसकी गाँड… जब हाई-हील के सैंडलों में चलती है तो, दिल ठहर जाता है!” महेश ने कहा।

“सर! मेरे काम और मेरी तरक्की के बीच में ये प्रीती कहाँ से आ गयी?” मैंने हकलाते हुए पूछा।

“देखा महेश! मैं ना कहता था कि सुनील होशियार और अक्लमंद लड़का है, ये पहले ही समझ गया कि हमने इसे तरक्की के लिये बुलाया है। महेश इसे वो लैटर दो जो तुमने तैयार किया है”, एम-डी ने महेश से कहा।

महेश ने अपनी पॉकेट से लैटर निकालते हुए मुझे दिया, “पढ़ो बेटा।”

लैटर एम-डी का साइन किया हुआ था। मेरी तरक्की कर दी गयी थी और मेरी तनख्वाह जो मैंने सपने भी नहीं सोची थी, उतनी कर दी गयी थी। अपनी उत्सुक्ता में मैंने महेश से भी कहे बिना खुद ही बॉटल उठा ली और अपने लिये एक तगड़ा पैग बना लिया।

“क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें तरक्की और इतना अच्छा वेतन नहीं चाहिये?” महेश ने मेरे हाथ से लैटर वापस लेते हुए कहा।
“हाँ सिर! मुझे चाहिये”, मैंने जवाब दिया।
“तो इस तरक्की को तुम्हें कमाना पड़ेगा”, महेश ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं कि मुझे ये तरक्की कमानी पड़ेगी…, मगर कैसे?” मैंने पूछा।

“सुनील तुम बहुत ही लक्की लड़के हो कि तुम्हें प्रीती जैसी बीवी मिली। तुम तो रोज़ उसे नंगा देखते होगे, उसके मम्मे दबाते होगे। और उसकी चूत और गाँड भी मारते होगे। मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसकी चूत बहुत ही टाइट होगी”, एम-डी ने कहा।

मैं चौंक गया। ये लोग मेरी बीवी के बारे मैं बात कर रहे थे, पर मैं चुप रहा।

“उसकी गाँड भी प्यारी होगी सुनील, मैं जानता हूँ तुम खूब कस कर उसकी गाँड मारते होगे”, महेश ने कहा।

मन तो कर रहा था कि उठकर इन दोनों की पिटायी कर दूँ। मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें करने का इन्हें क्या हक है, पर डर रहा था कि कहीं मैं अपनी तरक्की और नौकरी ना खो दूँ, इसलिये मैंने हल्के से ऐतराज़ दिखाते हुए कहा, “प्लीज़ सर! आप मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें ना करें।”

एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, “सुनील मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा। ”

नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, “हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?” मैंने खुशी से जवाब दिया।

“सुनील! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो”, महेश ने कहा।

“एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ”, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।

“महेश! सुनील का ग्लास भरो”, एम-डी ने कहा “सच तो ये है सुनील कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।”

“हम दोनों को?” मैं समझा नहीं।

“हाँ! हम दोनों को”, एम-डी ने कनफर्म किया।

मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।

“ये आआआ…प क्या कह रहे हैं सर”, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा, “क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।”

“मैं नहीं कहता था सर! अपना सुनील समझदार लड़का है, हाँ! सुनील हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं”, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

“नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता”, मैंने सुबकते हुए कहा, “प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।”

“हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं”, एम-डी ने कहा।

“सुनील! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो”, एम-डी ने कहा।

“ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया”, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि सुनील हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना… वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था सुनील मना कर दे…! अभी और इसी वक्त!

“वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ”, मैंने जवाब दिया।

“कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी”, एम-डी ने कहा।

“सर आप समझते क्यों नहीं…? मैं जानता हूँ।”

“महेश! तुमने सुनील को वो फोटो दिखाये कि नहीं?” कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।

महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। “आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?” मैंने डरते हुए पूछा।

“किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है”, एम-डी ने जवाब दिया।

मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। “इनका आप क्या करेंगे?” मैंने पूछा।

“ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।”

मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, “ठीक है सर! मैं प्रीती को तैयार कर लूँगा।”

“तुम काफी समझदार हो सुनील! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में”, एम-डी ने मेरी पीठ थपथपायी।

“तुम्हें विश्वास है… तुम ये काम कर लोगे?” महेश ने पूछा।

“हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें”, मैंने जवाब दिया।

“ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे”, एम-डी ने कहा।

“हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है”, महेश ने कहा।

मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।

सुबह प्रीती ने पूछा, “सुनील कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?”

“ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी…” मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। “हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना”, मैंने प्रीती से कहा।

“उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते”, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।

“प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।

बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।

बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा, “ये सब क्या है?”

“बॉस के लिये स्कॉच और कोक…” मैंने जवाब दिया।

जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, “सुनील ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।”

पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।

ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये।

“वेलकम सर, हैव अ सीट”, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।
“नमस्ते सर!” प्रीती ने भी स्वागत किया।

“हेलो सुनील! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो”, एम-डी ने जवाब दिया।

प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।

“थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ”, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।

“कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो”, एम-डी ने कहा।

प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।

“तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा।
“सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी।” मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया।

प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी।

“सुनील तुमने उसे सब बता दिया?” एम-डी ने पूछा।

“नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा”, मैंने समझाया।

थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली।

“ओह आज कितनी गर्मी है”, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया।

हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, “एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी”, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी।

थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, “सुनील! जरा यहाँ आना।”

“सुनील! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?” उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा।

“मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?” मैंने अंजान बनते हुए कहा।

“मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो”, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।

अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। “ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था।” ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के।

“और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?” उसने नाराज़ होते हुए कहा।

“क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?”

“मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो”, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?” कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी।

कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। “ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ”, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा।

उसने मुझे रोका, “ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ”, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी।

मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। “ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।”

“नहीं! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ”, उसने कहा।

मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे।

“कितनी देर में आयेगी सुनील? अब नहीं रहा जाता”, एम-डी ने पूछा।

“सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी”, मैंने जवाब दिया।

ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।

उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे।

प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।”

वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी।

प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी।

मेरे मन में जलान की भावना उठी, पर इस कुरबानी के बदले मुझे जो मिलने वाला था, ये सोच कर मैं खुश हो रहा था।

“अब मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर महेश प्रीती के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर भींचने लगा और अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ने लगा। महेश प्रीती की नंगी गर्दन और पीठ पर चुम्मे ले रहा था।

नाचते हुए जैसे ही वो मेरे पास से गुजरे, मैंने प्रीती के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और उसका पेटीकोट खुल गया और उसके साथ ही उसकी साड़ी। उधर महेश ने उसके ब्लाऊज़ के बाकी के बटन खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी।

दोनों ही काफी उत्तेजित हो चुके थे। उन्होंने अपनी पैंटें उतार दी और अपने अंडरवीयर भी उतार दिये। एम-डी का लंड इतना मोटा और लंबा नहीं था पर महेश का लंड काफी लंबा और मोटा था पर मेरे लंड से ज्यादा नहीं। मैंने प्रीती की पैंटी में अपनी अँगुली फँसा कर उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो उन दोनों के बीच में सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी।

उसके मम्मे दबाते हुए महेश अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ रहा था और एम-डी अपना लंड उसकी चूत पर घिस रहा था।

“मममम… कितना अच्छा लग रहा है”, कहकर प्रीती ने अपने दोनों हाथों से दोनों लंड पकड़ लिये। अब वो उन्हें धीरे-धीरे हिला रही थी।

“महेश मुझसे अब रहा नहीं जाता, मैं अब इसे चोदना चाहता हूँ”, एम-डी ने सिसकरी भरते हुए कहा।

एम-डी ने प्रीती को गोद में उठाकर बिस्तर पे लिटा दिया। और खुद उस पर लेट कर पहले उसके मम्मे चूसने लगा और निप्पल पर अपने दाँत गड़ाने लगा। फिर नीचे की ओर खिसक कर उसकी चूत को चाटने लगा।

“ये आप क्या कर रहे हैं सर! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी।” महेश ने आश्चर्य में कहा।

“तुम्हें नहीं पता तुम आज तक क्या मिस करते आये हो”, ये कहकर एम-डी जोर जोर से प्रीती की चूत चाटने लगा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे चोदने लगा।

महेश ने प्रीती के मम्मे खाली देखे तो उन्हें पीने लगा और जोर से भींचने लगा। प्रीती ने दोनों के सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा, “हाँ इसी तरह मेरी चूत चाटो, पियो मेरे मम्मों को… भींच डालो मेरी चूचियों को।”

“ओहहह कितना अच्छा लग रहा है हाँआँआँ इसी तरह चोदो… ओहहहह गॉड!! हाँआआ आआआँ और अंदर तक अपनी जीभ डाल दो और जोर से चोदो… ऊऊऊहहहह मेरा छूटने वाला है … हाँ और जोर से”, कहकर प्रीती की चूत ने अपना पानी एम-डी के मुँह पर छोड़ दिया।

मगर एम-डी ने उसकी चूत को चाटना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से चाटने लगा। प्रीती में फिर गर्मी बढ़ने लगी। उसने महेश के बाल पकड़ कर अपने मम्मों पर से हटाया और एम-डी के बाल पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, “अब मुझे चोदो, मुझसे रहा नहीं जा रहा।”

उसकी टाँगें चौड़ी कर के एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसेड़ दिया। “महेश क्या शानदार चूत है, काफी टाइट भी लग रही है”, प्रीती की चूत को निहारते हुए एम-डी बोला।

“अरे सालों!! ये तुम्हें क्या हो गया है”, प्रीती ने अपनी टाँगें उछालते हुए उत्तेजना में कहा, “क्या अब तुम्हारी माँ आकर बतायेगी मादरचोद! की चूत में लंड डालने के बाद क्या करना चाहिये, लंड घुसाया है तो चोदो भी।”

प्रीती की बातें सुन कर एम-डी ने उसे चोदना शुरु कर दिया। काफी दिलकश नज़ारा था। मैंने पहले कभी प्रीती का ये रूप नहीं देखा था।

उत्तेजना में महेश से रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड प्रीती के मुँह में देने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को हटाते हुए कहा, “थोड़ा सब्र करो… तुम्हारा भी नंबर आयेगा पहले इसके लंड को तो देख लूँ।”

लेकिन महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और फिर अपना लंड उसके मुँह में घुसाने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को जोर से दबाते हुए कहा, “साले हरामी! एक बार बोला तो समझ में नहीं आता क्या? अबकी बार किया तो तेरे लंड को चबा कर नाश्ता समझ कर खा जाऊँगी।”

घबरा कर महेश पीछे हट गया और फिर एम-डी के पीछे प्रीती के पैरों के पास आकर उसके सैंडल के तलवे पर अपना लंड घिसने लगा। एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। उसका लंड प्रीती की चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। ये देख मुझ में भी गर्मी आने लगी। प्रीती का ये रूप मेरे लिये भी आश्चर्य भरा था। मैं भी अपना लंड बाहर निकाल कर उसे सहला रहा था।

“हूँ… हाँ…” करते हुए एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था।

“हाँ!! इसी तरह चोदो… थोड़ा और जोर से”, प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी।

एम-डी जोर-जोर से अपने लंड को पिस्टन की तरह प्रीती की चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। प्रीती उन्माद के सागर में डूबी हुई थी और अपनी कमर उछाल कर एम-डी की हर थाप का जवाब अपनी थाप से दे रही थी।

“हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और तेजी से इसी तरह चोदते रहो, रुकना नहीं!!!” प्रीती अपनी टाँगें उछालते हुए कह रही थी।

एम-डी की रफ़्तार थोड़ी धीरे पड़ी…

“साले रुकना नहीं, मेरा छूटने वाला है… हाँ!!! चोदते रहो!!! लगता है तुम्हारा छूट गया।”

एम-डी का पानी छूट चुका था पर वो अपना लंड प्रीती की चूत के अंदर बाहर करने की पूरी कोशिश कर रहा था।

“हाँ!! इसी तरह चोदते रहो, मेरा छूटने वाला है अगर रुके तो जान से मार दूँगी… दो तीन धक्कों की बात है… हाँ इसी तरह ऊऊऊ ऊऊहहहह … मेरा छूट गया”, अपना पानी छोड़ कर प्रीती बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।

प्रीती एम-डी का चेहरा अपने हाथों में ले कर उसे किस करने लगी। जैसे ही एम-डी उस पर से उठा तो मैंने देखा कि मुट्ठी भर पानी प्रीती की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर पड़ा। प्रीती ने एम-डी को परे ढकेल दिया और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पाने लगी।

एम-डी ने भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा, “महेश अब तुम इसे चोदो! सच कहता हूँ, आज तक इतनी मस्त चूत नहीं चोदी।”

“हाँ सर! चोदूँगा, पर मैं पहले इसकी गाँड मारना चाहता हूँ, इसकी गाँड ने मुझे पहले दिन से ही दीवाना बना कर रखा हुआ है”, जवाब देते हुए महेश ने पलट कर प्रीती से कहा, “रंडी पलट कर लेट!!! अब मैं अपना लंड तेरी गाँड में घुसाऊँगा।”

मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रीती बिना किसी आनाकानी के घोड़ी बन गयी। महेश ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाना शुरू किया, “ओईईई माँआआआ!, प्रीती जोर से दर्द के मारे चिल्लायी, हरामजादे! क्या मुझे मार डालेगा? पहले इस पर कुछ लगा तो ले।”

महेश ने उसकी गाँड पर थूक कर एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा लंड उसकी गाँड में समा दिया। “ओयीईई ईईईई माँआआआआ बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती चिल्लायी, “साले हरामी!!”

महेश थोड़ी देर के लिये रुक गया, “सर! आप भी इसकी गाँड मार के देखिये, मैं सच कहता हूँ इसकी गाँड इसकी चूत से ज्यादा टाइट और मस्त है, लगता है सुनील इसकी गाँड इतनी नहीं मारता”, महेश ने एम-डी से कहा।

“चुप करो हरामजादों!!! तुम लोग कोई कंपनी की मीटिंग में नहीं हो, दर्द दिया है तो मज़ा भी देना सीखो”, इतना कहकर प्रीती पीछे की और धक्के लगाने लगी, “साले!!! अब मेरी गाँड को चोदना शुरू कर।”

प्रीती की बातें सुन महेश ने अपना लंड जोर से उसकी गाँड में घुसा दिया। “हरामजादी! मुझे हरामी कह रही थी, ले! कितना चुदवाना चाहती है”, महेश अब जोर-जोर से उसकी गाँड को रौंद रहा था, “साली!! आज तेरी गाँड का भुर्ता ना बना दिया तो मुझे कहना।”

करीब पाँच मिनट के बाद प्रीती चिल्लायी, “हाँ!!! ऐसे ही चोदते जाओ, मेरी चूत को रगड़ो… चूत को रगड़ो।”

प्रीती की बातों को अनसुना कर महेश अपना लंड उसकी गाँड के अंदर-बाहर कर रहा था। उन्हें देख कर मैं भी लंड को हिला रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो रही थी।

“मेरी चूत को रगड़ो ना!!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।

महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और जोर से उसे चोदने लगा। उसकी हरकत से लग रहा था कि उसका पानी छूटने वाला है। फिर एक झटके में अपना लंड अंदर तक दबा कर वो ढीला पड़ गया।

प्रीती ने देखा कि जब उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया और अपनी अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगी। उसके मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी, “हाँआआआँ ऐसे ही चोदो … हाँआआआँ … बहुत मज़ा आ रहा है”, कहकर वो शाँत हो गयी।

महेश ने अपना मुरझाया हुआ लंड प्रीती की गाँड से बाहर निकाला। प्रीती की गाँड और चूत से पानी टपक रहा था। ये देख कर मैंने भी अपना वीर्य वहीं ज़मीन पर छोड़ दिया।

“सर! क्या गाँड थी, बहुत मज़ा आया”, महेश ने एम-डी से कहा।

इनकी चुदाई देख कर एम-डी का लंड फिर से तन गया था। महेश के हटते ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसा दिया। “हाँ चोदो!! मेरी गाँड को चोदो, फाड़ दो इसे आज!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।

अगले दो घंटे तक एम-डी और महेश प्रीती को अलग-अलग तरह से चोदते रहे। दोनों थक कर चूर हो चुके थे।

“क्या हो गया है तुम दोनों को? अपना लंड खड़ा करो, अभी मेरा मन नहीं भरा… मैं अभी और चुदवाना चाहती हूँ”, प्रीती उनके लंड को हिलाते हुए कह रही थी।

“लगता है … अब हमारा लंड खड़ा नहीं होगा”, एम-डी ने कहा।

“मैं देखती हूँ… मैं क्या कर सकती हूँ”, कहकर प्रीती ने एम-डी का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसना शुरू किया।

थोड़ी देर में ही एम-डी का लंड फिर से खड़ा हो गया। “आओ!! अब मुझे चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें चौड़ी करते हुए कहा।

जैसे ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में डाला, महेश ने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी ही देर में एम-डी और प्रीती झड़ कर अपनी साँसों को संभाल रहे थे।

एम-डी के हटते ही प्रीती ने महेश से कहा, “महेश अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो।”

महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।

“ओहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो! आआआ आआहहह ओहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।

उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।

“हाँआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो … खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।

अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है … मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना! मेरा भी छूटने वाला है!”

पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।

“साले हरामी! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।”

प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।

“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो… हाँ अब अच्छा लग रहा है…. चाटते जाओ आहहह ऊऊऊहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।

अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?”

“मुझ में तो और ताकत नहीं है…” एम-डी ने कहा।

“…और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला।

“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!”

क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।

जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “सुनील, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।”

मैंने प्रीती की ओर देखा। वो अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थी और छत को बेजान आँखों से घूर रही थी। उसकी हालत को देख कर मैं डर रहा था।

“हाँ सुनील! प्रीती वाकय में दमदार औरत है, कईंयों को चोदा पर प्रीती जैसी कोई नहीं थी”, कहकर महेश ने मुझे वो तस्वीरों वाला लिफाफा पकड़ा दिया, “लो सुनील!! आज तुमने ये सब कमा लिया है।”

“हाँ! प्रीती कुछ अलग ही है, आज पहली बार इसने महेश को चूत चाटने पर मजबूर कर दिया”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

महेश ने हँसते हुए कहा, “सर!! अब चलिये… देर हो रही है।”
“चलिये सर! मैं आप लोगों को कार तक छोड़ आता हूँ”, मैं उनके साथ बाहर की ओर बढ़ा, “सर! प्रीती ठीक हो जायेगी ना?”

“चिंता मत करो सुनील। बीते वक्त के साथ सब ठीक हो जाती हैं, तुम परेशान मत हो”, एम-डी ने मुझे आशवासन दिया।

तस्वीरों को अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपाने के बाद मैं घर में घुसा तो देखा प्रीती बिस्तर पर नहीं थी। मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो वहीं बैठ गया और प्रीती के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर बाद प्रीती नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसने पारदर्शी नाइट गाऊन पहन रखा था।

“प्रीती तुम कमाल की थी … एम-डी और महेश दोनों खुश थे”, मैंने खुश होते हुए कहा।

मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा, “ओह गॉड! इतना रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद भी मुझे लगता है कि मेरे शरीर का मैल नहीं धुला है।”

“फिक्र मत करो डार्लिंग!! थोड़े दिनों में सब ठीक हो जायेगा”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।

“रुक जाओ! मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना”, वो बिफ़रते हुए बोली।

उसका गुस्से से भरा चेहरा और उसका बदला रूप देख कर मैं मन ही मन घबरा गया और चुप हो गया।

संभोग की सलवटों और वीर्य के धब्बों से भरी चादर को देख कर वो रोते हुए बोली, “ओह गॉड! मैं तो इस बेड पर आज के बाद सो नहीं पाऊँगी”, और वो रोने लगी।

“लाओ! मैं ये चादर बदल देता हूँ”, मैंने उसे कहा।

“कोई जरूरत नहीं!!! आज के बाद हर रात तुम इस बिस्तर पर सोगे और मैं वहाँ सोफ़े पर”, कहकर वो तकिया और नयी चादर ले कर सोफ़े पर चली गयी।

मैं कुछ और कर नहीं सकता था। जो होना था वो हो चुका था। शायद समय प्रीती के घावों को भर दे। मेरा मन दुखी था पर क्या कर सकता था। इन ही सब विचारों में घिरा मैं सो गया। Hindi Sex Stories

Sex Stories

सभी साथियों को अभिवादन ! आप सभी Sex Stories को धन्यवाद ! ! आपकी प्रेरणा से मुझे लिखने का उत्साह मिलता है।

ज़रा सोच कर देखिये कि भगवान् ने सेक्स को इतना सुखदायक बनाया कि दुनिया इसकी दीवानी है। यदि यह सुखदायक नहीं होता तो………

दो इंच के खड्डे ने दुनिया को ख़ुद का दीवाना बना रखा है। सारी दुनिया की उत्पत्ति उससे हो गई।

क्या मनुष्य, क्या जानवर और क्या कीड़े मकोड़े….. सभी सेक्स के लिए उत्सुक होते हैं।

और सेक्स …….

इसको जितना तसल्ली से किया जाए उतना ही आनंद दायक हो जाता है।

और इसी सेक्स के कारण कई बार मनुष्य खेदजनक स्थिति में भी आ जाता है।

बहुत सी बार तो किसी में कोई दोष या परेशानी नहीं होती और वो सोचता है कि उसमे कोई दोष है।

यदि तसल्ली से, बिना किसी घबराहट के सेक्स करेंगे तो सेक्स का ख़ुद भी पूरा आनंद ले पाएंगे और साथी को भी सेक्स का पूरा आनंद दे पायेंगे।

जरूरत से ज्यादा उत्तेजित हो जाना, चिन्ता में होना, घबराहट होना और गुप्तांगों में कोई परेशानी होना (घाव या छीलन आदि) ही ज्यादातर परेशानियों का कारण हैं।

इनमे से एक परेशानी है स्त्री के बजाय पुरूष का जल्दी झड़ जाना।

और इस समस्या के निदान है, जो अच्छा लगे उनको अपना कर अनुभव करें —

-कंडोम का प्रयोग करें,

-स्त्री को अपने ऊपर ले लें,

-बैठ कर सम्भोग करें,

-सेक्स करते समय अपने दिमाग को शांत रखें, जरूरत से ज्यादा उत्तेजित न हों और जल्दबाजी न दिखाएँ,

-बहुत जल्दी जल्दी सम्भोग न करें अर्थात ५-७ दिन का अन्तर रखें,

सेक्स में किसी को कुछ ज्यादा अच्छा लगता है और किसी दूसरे को कुछ ओर !

इसलिए अपनी पसंद से दूसरों की तुलना करना बेकार है, यह मत सोचिये कि मुझको कोई बीमारी है।

मैं स्त्री को अपने ऊपर लेना ज्यादा पसंद करता हूँ।

इस आसन में स्त्री सेक्स करते समय जैसे जैसे अपनी गांड चलाती है तो उसकी चूत अदंर से फूलती पिचकती रहती है और लंड को अपार सुख देती है।

दूसरा आसन बैठ कर स्त्री को अपनी जांघों पर बिठा कर सम्भोग करना – इसमे दोनों के मुँह एकदम आमने सामने होते हैं, अतः चूमने में बहुत मजा आता है और पूरा शरीर होता हाथ की पहुँच में है, इस से हम एक दूसरे के पूरे शरीर के टांग से लेकर मुँह तक सहला सकते हैं।

आज मैं आपको जो बताने जा रहा हूँ उससे आप अपनी मन पसंद स्त्री को चोद सकते हैं।

हमारे एक परिचित का गोत्र मेरी मां के गोत्र का था। इसलिए हम लोग उनको मामा कहते थे। उनकी पत्नी का देहांत तीन बच्चों के पैदा होने के बाद, ४५ वर्ष की उम्र में हो गया। तब तक उनके दो लड़के और एक लड़की तीनों की शादी हो चुकी थी। अब मामाजी अकेले रह गए और उनमें सेक्स की प्रबलता देख कर कोई भी बेटा अपने साथ रखने को राजी नहीं था। मामा ५०-५२ के थे।

वो थे भी ज्यादा ही खुले हुए, उनके लिए उनकी बहु भी सेक्स संतुष्टि का एक साधन ही थी। अब अलग रहने से उनके खाने के साथ साथ सेक्स करने की भी समस्या हो गई। रुपयों की कोई कमी नहीं थी तो उन्होंने अपने लिए कोई औरत तलाशनी शुरू कर दी। आख़िर २-३ साल की तलाश के बाद हमारे ही समाज की एक तलाकशुदा ३० साल की औरत से उन्होंने मन्दिर में शादी कर ली।

ये मामी उम्र में मुझसे भी छोटी हैं। कोई सीधा सीधा रिश्ता तो है नहीं। लेकिन मान रखा था।

मामी दिखने में बहुत आकर्षक लगती हैं। जब कभी मेरे साथ स्कूटर पर बैठती तो कंधे पर हाथ रखकर बैठती और स्कूटर हलके से रोकने में भी अपने बोबे मुझसे टकरा देती। ३६+/३८ साइज़ के बोबे मेरी पीठ में गड़ते ही मेरा लंड फन्ना जाता। दिल उछल कर गले में आ जाता।

बात करते करते मेरे हाथो में ताली मार देती। यह जानते हुए भी कि यदि उनके साथ यदि मैं आगे बढूँ तो वो मान जाएँगी, मेरी गांड फटती थी उनसे ऐसी बात कहने में !

उनको चोदने की इच्छा बहुत थी इसलिए उनके बारे में बहुत सोचता था। सोते समय भी कई बार उनके बारे में सोचते सोचते सो जाता और गुसलखाने में नहाते समय कई बार उनकी सोच ले कर उनके नाम से मुठ मारी।

एक बार बरसात के सुहाने मौसम में, रात को खिड़की से छन कर आती मद्धिम रोशनी में उनको याद करते हुए आँख बंद कर के पत्नी के साथ लेटा हुआ था। उनको याद करते करते लंड में कठोरता आ गई। मैंने आँखें खोली तो पास में मामी को सोते हुए पाया। मैं उनके ख्यालों में इतना खोया हुआ था कि जाने पत्नी को कहीं भेजकर कब वो पास आकर सो गई पता ही नहीं चला।

मेरी तबियत बाग़ बाग़ हो गई। मैं करवट लेकर उन पर अधलेटा हो गया और उनके होटों पे अपने होंट रख कर चूसने लगा, लंड तन कर अकड़ गया। उन्होंने भी मेरे होंट चूसने शुरू कर दिए। मैंने उनके बोबे दबाने शुरू कर दिए और धीरे धीरे उनके ब्लाउज के बटन खोलता गया। उनकी तरफ़ से कोई प्रतिवाद नहीं हुआ तो लंड नई औरत के अहसास से एक दम टन्ना गया।

फ़िर उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्लाउज और ब्रा उनके शरीर से अलग कर दी। होंट और जीभ एक दूसरे के मुँह से अलग ही नहीं हो रहे थे। बहुत जोर लगा कर मुँह को हटा कर उनके बोबों पर लाया और चूसने लगा। फ़िर एक हाथ से उनका दूसरा बोबा दबाता रहा। और दूसरा हाथ उनके पेटीकोट को ऊँचा करने में लग गया। पेटीकोट को सरका कर नाभि तक ले आया और उसी हाथ से उनकी चूत सहलाने लगा, उनके मुँह से सीत्कार निकलने लगी जो मुझको और भी कुछ करने के लिए उत्साहित करने लगी।

उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाने लगी तो मैंने अपने पायजामे और अंडरविअर का नाड़ा खोलकर लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया। लंड स्टील के माफिक हो गया।

मन सात समंदर की लहरों पर मचलने लगा। सीत्कार और आहों ने कमरे को एक नए तराने से भर दिया। उनकी चूत पनीली होने लगी। मैं अपनी जीभ से उनका बदन चाटने लगा। उनकी नाभि में जीभ घुसेड़ कर हिलाने लगा।

तो वो मेरा लंड छोड़ कर मुझको अपनी बाँहों में लेकर जकड़ गई। और इतनी जोर से चिपक गई कि यदि मैं उठ जाता तो वो भी मेरे शरीर से जुड़ी हुई उठ जाती। उन्होंने अपना मुँह मेरी गर्दन पर चिपका दिया और चूसने लगी, मुझको अपने आपको सम्हालना भारी पड़ गया, मुझे लगा कि जैसे मैं सूर्य के सामने खड़ा जल रहा हूँ।

हम दोनों के शरीर से जैसे धुंआ उठने लगा, हम पसीने में नहा गए।

मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर दस्तक देने लगा। तो उन्होंने लंड को अपनी चूत के मुँह पर अड़ा लिया। और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने भी लंड पर दबाव डाल कर पूरा लंड उनकी चूत में देता चला गया।

नई औरत के अहसास और उनके मुँह से लम्बी मादक आह ने मेरे मन को सातवें आसमान पर उड़ा दिया। अब मैं अपने घुटनों को मोड़ कर उनकी जांघों के नीचे लाता गया फ़िर जब मेरे घुटने उनकी जांघों के नीचे आ गए तो अपने हाथ उनकी बगल में टिका कर उनको बोला कि अपने हाथों से मुझको मत छोड़ना फ़िर अपने हाथों को कोहनी से सीधा करते हुए उनको अपनी जांघों पर ले आया और बैठ गया। मैं तकिया दीवार के सहारे सीधा लगा कर उसका सहारा लेकर बैठ गया और वो मेरी जांघों पर मुझको अपने हाथो से कसे बैठी थी। मैंने उनके चेहरे को पकड़ कर अपने होंट उनके मुँह से मिला कर उनकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और हाथ उनके बदन पर छुआते हुए सहलाने लगा। तो वो अपने बदन को उत्तेजना के मारे लहराने लगी। दोनों पहली बार एक दूसरे से चिपके थे इसलिए अलग होना मुश्किल हो रहा था। लंड अंदर चूत की गहराई में डूबा हुआ मस्त हो रहा था।

अब मामी पिघलने लगी, मेरे चेहरे और गले पर जगह जगह चूमने और चूसने लगी। फ़िर धीरे धीरे जांघों को टाइट करते छोड़ते हुए चूत को हरकत देने लगी। मैं भी अपने हिप्स को धीरे धीरे धक्के की स्थिति में हिलाने लगा। मैंने अपने हाथ उनके शरीर से हटा कर उनके बोबों पर लगा दिए। उनके दोनों बोबे मेरे दोनों हाथों से दबे जा रहे थे। होंट उनकी जीभ पर और उनके हाथों में मेरा शरीर कसा हुआ। कही भी हवा जाने भर की भी जगह नहीं थी।

उनकी चूत ज्यादा गीली होती गई और उस गीले चिकने गरम पानी में लंड डुबकियां लगा कर नहाने लगा। उनका गदराया शरीर मेरी रग रग में आग भरता गया और मेरा लंड उनकी चूत को गहरे तक खोद कर कुवें में से पानी निकालने लगा। उनका शरीर तनता चला गया। फ़िर थोड़ी देर बाद उनके होंट, उनके हाथ ढीले हो गए। और उनका शरीर मेरे बदन पर ढल गया।

थोड़ी देर तक मैंने उनको समंदर की लहरों और सातवें आसमान की उड़ान का मजा लेने दिया, उनके बोबे धीरे धीरे दबाता रहा।

फ़िर लगभग ३-४ मिनट बाद मैंने उनका चेहरा उठाया और अपने होंट उनके होटों से मिला दिए। उनके शरीर में फ़िर हरकत होने लगी। शरीर जो ढुलका पड़ा था फ़िर कसाव आने लगा। मैंने अपना एक हाथ हमारे बीच में उनकी चूत पर लाकर उँगलियों से चूत के चारों और सहलाने लगा, मामी में आग फ़िर भड़कने लगी।

अब मैंने अपने शरीर को थोड़ा पीछे झुका कर कोहनी बिस्तर पर लगा दी और थोड़ा आगे सरक कर लेटता गया और उनको ऊपर ले लिया।

मैंने उनके बोबे थोड़ा जोर दे कर दबाने शुरू किए। फ़िर थोड़ी देर बाद दोनों हाथ उनकी कूल्हों की गोलाइयों पर सहलाते हुए घुमाने लगा।

फ़िर उत्तेजना के मारे वो अपने हिप्स को हाथों से बचाने के लिए इधर उधर करने लगी। तो लंड को मजा आने लगा। मैं नीचे से धक्के लगाने लगा। उनके भी हिप्स तेज चलने लगे तो मैंने अपने हाथों में मामी को जकड़ लिया और अपनी जीभ उनके मुँह में देकर धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ाता गया। मामी का शरीर फ़िर अकड़ने लगा और ढीला पड़ता गया, मैं नहीं रुका लेकिन धक्के पूरी ताकत से लगाने लगा और ८-१० धक्कों में मैं भी जाने किधर उड़ने लगा।

मेरा पूरा शरीर नए अहसास से सुहागरात की जैसे तरंगित था।

फ़िर जब नींद से आँखें खुली तो मेरी बगल में मेरी पत्नी सोई हुई थी।

लेकिन वो नया अहसास ३-४ दिन तक मुझको तरंगित किए रहा।

आप भी किसी की यादों में इतना खो कर उसकी चुदाई कर सकते हैं।

कर के देखिये फ़िर बताइए ………….

न सिर्फ़ मर्द बल्कि औरतें भी ऐसा कर सकती हैं और नए अहसास से ख़ुद को तरो ताजा कर सकती हैं………। Sex Stories

Antarvasna Sex Stories

अंतर्वासना के प्रिय Antarvasna Sex Stories पाठकों को मेरा नमस्कार ! मेरा नाम राज है (बदला हुआ नाम ) और मैं दिल्ली के पास के शहर मेरठ से हूँ। आज सोचा कि क्यूँ ना अपनी भी कहानी यहाँ लिखी जाये !

तो दोस्तो आप मेरी कहानी पढ़ो और मजे लो !

वैसे तो मै इक्कीस साल का एक साधारण सा युवक हूँ पर थोड़े दिन पहले तक काम के सुख से वंचित था ! दूसरे लोगों की तरह मेरे दिल में भी कामवासना के लिये बहुत तड़प थी और चाह कर भी मैं इस तड़प को कम नहीं कर पा रहा था क्यूँकि ना तो मेरे पास कोई पार्टनर थी और मुझे डर भी लगा रहता था कि कहीं किसी जानने वाले को पता चल गया तो !

यही बात मेरे कॉलेज के दो दोस्तों को भी पता थी कि मुझे काम-क्रिया करनी तो है पर कोई मौका नही मिल रहा ! उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि किसी काल-गर्ल को बुला ले। पर बदनामी और पकड़े जाने के डर से मेरी हिम्मत ना हुई और मैने मन ही मन फैसला किया कि मुझे किसी पचड़े में नहीं फंसना और जब भी मौका लगेगा तब हाथ आजमा लेंगे !

फिर अचानक एक दिन मेरी किस्मत ने जोर मारा। छुट्टी का समय था और मैं कॉलेज के गेट पर खड़ा था कि तभी मेरी ही क्लास की एक लड़की अदिति (बदला हुअ नाम) मेरे पास आई और बोली- मुझे तुमसे बात करनी है !

मुझे लगा कि इसे कोई काम ही होगा और मैं लेट भी हो रहा था सो मैंने उसकी बात पर ज्यादा गौर नहीं किया। पहले आप लोगो को अदिति के बारे में थोड़ा बता दूँ… क्या कहूँ बिल्कुल साधारण लड़की थी, औरों के लिए तो ठीक-ठाक एक सामान्य लड़की पर मेरे लिए तीखे नयन नक्शों वाली एक हूर की परी…..

उसने बात शुरू की- मैं और तुम एक ही नाव में हैं !

मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने जोर से बोल दिया- अबे क्या कह रही है?

वो थोड़ा डर सी गई..

मैंने समझाया कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि तू क्या कहना चाहती है…

वो सहमी सी खड़ी रही।

मैंने तब उससे कहा- डर मत ! बोल जो बोलना है !

उसने कहा- मुझे पता चला है कि तुम्हें एक पार्टनर की जरुरत है !

अब मैं समझ गया कि वो कहाँ बोल रही थी !

मैंने कहा- हाँ है तो पर तुझे कैसे पता चला?

फिर वो बोली- मेरी दोस्त से !

जो कि मेरे उन दोनों दोस्तों में से ही एक की गर्लफ्रेंड थी!

वो आगे बोली- मैं तुम्हारी पार्टनर बन सकती हूँ पर मुझे डर है कहीं किसी को पता न चल जाये !

मैंने उसका डर दूर किया और कहा- यह डर मुझे भी है तभी तो आज तक कुछ नहीं किया !

बस फिर क्या था, बात आगे बढ़ी और अगले दिन का कार्यक्रम तय हुआ…

मैं अपना जोर जोर से धड़कता हुआ दिल हाथ में लेकर किसी तरह घर पंहुचा पर दिमाग में तो उसकी बातें ही घूम रही थी। घर जाते ही अपने कमरे में गया और खाना भी नहीं खाया…

वही बातें दिमाग में घूमने लगी और तब अहसास हुआ कि उसने अभी तक सेक्स तो किया ही नहीं है। मतलब साफ़ था कि चूत एक दम टाइट होगी और उसे दर्द भी होगा…

बस फिर तो सारा दिन उसको चोदने के तरीके सोचने लगा … पहले ये करूँगा.. फिर वो … लेकिन एक बात दिमाग में थी कि उसे पूरी तरह गत्म करने के बाद ही कुछ शुरू करूँगा और उसके दर्द का भी ध्यान रखूँगा.. क्योंकि मुझे पता था कि अगर लड़की को दर्द ज्यादा हो तो ना वो खुद मजा ले पाती है और न तुम्हें दे पाती है…

बस देर रात तक यही सोचता रहा कि किसी भी तरह उसे अपने से पहले चरम-सुख दे सकूँ .. और उसे आनंद की चरम सीमा से भी परे ले जा सकूँ … ताकि उसका पहला सेक्स अनुभव यादगार बन जाये और वो मेरी दीवानी हो जाये !

खैर अगला दिन आया… सुबह दस बजे हम मिले और ऑटो पकड़ कर चल दिए होटल की ओर ….

वहाँ पहले अन्दर वो गई, कमरा बुक कराया दूसरे नाम से…. और कमरे में चली गई …

फिर कमरे में से मुझे कॉल किया कि रूम नंबर इतना है…

मैं होटल के बाहर ही खड़ा था तब तक ! ताकि किसी को शक न हो….

मैं सीधे होटल में गया.. किसी की तरफ नहीं देखा और सीधे कमरे की तरफ बढ़ गया ताकि अगर कोई देख भी रहा हो तो उसे लगे कि इसका कमरा पहले से बुक्ड है…

खैर कमरे तक पहुंच कर दरवाज़ा खटखटाया…

उसने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी। मैं कमरे के अन्दर आया और सबसे पहले उसे मेरा पार्टनर बनने के लिए धन्यवाद दिया ! इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसे अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और बोला- इस दिन के लिए कब से तड़प रहा था..

और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए! अब मैं जोश से भर चुका था और जोर जोर से उसके होंठों को चूसे जा रहा था..

वो गर्म होने लगी- वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल कर मुझे आनंद दे रही थी। इसके साथ ही उसने अपने हाथों से मेरे हाथ अपने वक्ष पर रख लिए .. मैंने भी झट से उसके स्तन दबाने शरू कर दिए…

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था सो मैं उसे जोर से चूसने लगा और उसके स्तन इस तरह दबाने लगा कि वो तड़पने लगी…

फिर मैं कुछ देर बाद उससे अलग हुआ और एक ही झटके में उसके सारे कपड़े उतार दिए… अभी भी मैं उसके स्तन सहला रहा था… और वो आवाजें निकाल रही थी कि तभी मैंने पाया की उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है..

मैंने उसके रुमाल से उसकी चिकनाई साफ़ की और थोड़ी सी वेसलीन अपनी बीच वाली ऊँगली पर लगा कर अन्दर दे दी !

अब मैं पूरे हरामी मूड में आ चुका था सो मैंने अपनी ऊँगली गोल गोल घुमानी शरू कर दी और अब तो वो मचलने लगी और जोर जोर से आवाजे निकाल कर कह रही थी- और जोर से करो और जोर से !

मैं तो अपने होश खो बैठा और लगा उसकी चूत मसलने…

वो मजे से उछलने लगी..

मुझे बस इतना पता था कि उसे चरम-सुख पहले देना है बस चाहे जो हो जाये..

उसकी चूत एक दम गीली हो गई। मैंने दोबारा से चूत साफ़ की और अपना मुँह उस पर लगा दिया। जीभ अन्दर डाली और उसकी चूत को कुरेदने लगा, उसकी मदहोश करने वाली आवाजें आने लगी…

उसने अपने दोनों हाथ मेरे सर के पीछे किये और मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया! मैं जंगली भूत की तरह उसकी चूत कुरेदने लगा और तभी उसकी अपनी टांगें बंद करनी शरू कर दी और उसका शरीर ऐंठने लगा… और फिर उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूटा और इसके साथ ही उसका शरीर ढीला पड़ने लगा पर मैं नहीं रुका, मैं लगातार उसके स्तन मसलता रहा और थोड़ी देर बाद उसने कहा- अब नहीं रहा जा रहा ! अब डाल दो !

मैंने भी देर न करते हुए अपना लण्ड निकाल लिया, मुझे पता था कि पहली पहली बार तो आदमी ज्यादा देर टिकता ही नहीं पर मैं तो उसे ओर्गास्म दे ही चुका, अब जल्दी झड़ भी गया तोशर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। पर फिर भी अभी तो चरम-सीमा आनी बाकी थी।

मेरा लण्ड देखकर उसने कहा- इतना बड़ा मैं कैसे लूंगी ?

पर मैंने उसे समझाया तो मान गई। बस फिर क्या था, मैंने रखा उसकी चूत पर और थोड़ा सा डाल कर ही अन्दर बाहर करने लगा और फिर धीरे धीरे शरू हुई रफ़्तार !

जिसके साथ ही बढ़ता गया आनंद !

टूटी उसकी सील, निकला उसका खून पर दोनों ही थे नशे में चूर !

अब वो लगी चिल्लाने ! मैंने भी पूरा अन्दर देकर कराया मिलन बच्चेदानी से ! रफ़्तार पे रफ़्तार, रफ़्तार पे रफ़्तार, रफ़्तार पे रफ़्तार और आखिर फिर फूट पड़ा उसका ज्वार ! मैं तो अब भी नहीं छूटा था….

तो चला एक दौर और ! इस बार थी मेरी साँसों और शरीर में गज़ब की गर्मी, चेहरा था लाल, साँस रही थी फूल ! पर फिर भी दम लगा कर था मैं मशगूल !

बस अब मेरा समय था.. मैंने उसे कहा तो बोली कि मैं भी आ रही हूँ ! दोनों साथ में होंगे…. और थोड़ी ही देर में हो गया ऐसा धमाका कि बस मत पूछो कि क्या साला हिरोशिमा पे बम गिरा होगा !!

खैर थोड़ी देर तो यूँ ही पड़े रहे, फिर पहने अपने अपने कपड़े …

अब हुए हम चलने को तो मैडम ने पास बुलाया सर पर चूमा और कहा- तुम्हारा दिया प्यार हमेशा याद रहेगा !

कमरे से एक एक करके निकले, फिर साथ खाना खाया …..

एक बार फिर जरुरत पड़ी उन्हें आश्वस्त करने की कि किसी को कभी नहीं बताऊंगा….

और चल दिए अपनी अपनी मंजिल की ओर….

मेरी सभी प्रिय पाठकों को स्नेह, धन्यवाद !! Antarvasna Sex Stories

Sex Stories

जैसे कि मैंने पहले Sex Stories भाग में बताया था कि जैसे ही मेरे और मेरे नौकर के बीच इशारों में बातें हुई तो उसने जल्दी से तौलिया लपेटा और अंदर आने लगा ही था कि कार के होर्न की आवाज़ सुन हम दोनों का मूड खराब हो गया और फिर अपने पति के साथ में शहर वापस घर आ गई लेकिन रह रह कर उसका लौड़ा मेरी आँखों के सामने घूमता रहता था। उसका काला मोटा लौड़ा मुझे सोने नहीं देता था। पति का लौड़ा तो अब और फीका लगने लगा था।

तभी अचानक से मेरे पति को एक कॉल लैटर आई। कनाडा की एक बहुत बड़ा कंपनी होटल, रेस्टोरेंट आदि के बारे में सेमिनार लग रहे थे। मेरे पति ने और उनके एक दोस्त ने यह ट्रिप करने का फैंसला लिया। उनका वहाँ पन्द्रह दिन का सेमिनार था लेकिन घूमने के लिए एक महीने की रिटर्न-टिकट लेकर गए थे।

उनके जाने के बाद मैं खुश थी तभी एक दिन मैंने अपने पुराने बॉय फ्रेंड का स्क्रैप जब ऑरकुट में देखा तो खिल उठी। उसने अपना मोबाइल नंबर छोड़ा था तो मैंने तुरंत कॉल की और उसको अपने नीरस यौन-जीवन के बारे बताया।

उसने कहा- तू मायके आजा ! यहीं हम मौका देख मजे करेंगे !

कहते हैं ना कि जब भगवान् सुनता है तो बहुत पास आकर सुन लेता है ! सासु माँ ने मुझे कहा- गाँव में गेहूं की फसल को पहली खाद डालनी है और फोकल पॉइंट का परमिट यहाँ है और उस पर या मेरे पति के या मेरे हस्ताक्षर होने हैं।

मैंने पति से फ़ोन पर पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि कहाँ पड़ा है परमिट और पैसे वगैरा !

मैं कार लेकर गाँव चली गई। राम ने गेट खोला। मुझे देख उसकी आंखें चमक उठी। उसको देख मैं भी अपनी अदा से मुस्कुरा दी।

कार लगा कर चाबी दे जाना राजा ! मैंने गिरने का नाटक सा किया तो उसने मुझे थाम लिया और अपने लिए राजा सुन कर वो और छाती चौड़ी करने लगा, अभी आया मेरी… ! कहकर चुप हो गया। कुछ देर बाद वो पानी लेकर आया। मैं वाशरूम गई और तरोताज़ा होकर अपने साथ लेकर आई पारदर्शी सेक्सी नाइटी पहन ली। गुलाबी नाइटी में काली ब्रा-पेंटी किसी को भी जला कर राख कर सकते थे। वो चला गया।

दस मिनट बाद मैंने आवाज़ लगाईं और खुद बिस्तर पर उलटी लेट गई, नाइटी सरका कर ऊपर कर दी जिससे मेरे चूतड़ साफ़ उभर कर दिख रहे थे। उसने दरवाज़ा खोला,

मैंने कहा-आ जाओ ! अभी गिरने से मेरी टांग में दर्द होने लगा है, थोड़ा दबा दो, मालिश कर दो ! आराम से ऊपर बैठ जाओ !

वो बाहर से सरसों के तेल की बोतल लेकर आया और कुण्डी लगा दी- आराम से करेंगे, तो दर्द जल्दी भाग जाएगा !

उफ्फफ्फ्फ़ !

वो तेल लगाकर मालिश करने लगा। मैंने धीरे धीरे नीचे से सारी नाइटी उठा दी और उसका हाथ पकड़ कर अपने चूतडों पर रख दिया। फिर दूसरा भी !

उसने थोड़ा तेल लगा कर चूतड़ मसले तो मैं गर्म होने लगी, खुद नीचे से उठने लगी मैं !

मैं एकदम सीधी हुई और उसको पलट कर उसकी जांघों पर बैठ गई, अपनी नाइटी उतार फेंकी और मैंने ब्रा भी उतार फेंकी, उसके सामने दो मम्मे थे। मैंने उसके पजामे को खोल दिया फिर उसकी शर्ट भी और टूट पड़ी उसके ऊपर !

मेरी आग देख वो हैरान रह गया- बहुत प्यासी हो मेरी जान ?

मैंने उसके अंडरवीयर से लुल्ला निकाल लिया और रांड के तरीके से चूसने लगी।

वाह मेरी बुलबुल ! मेरी हसीना और चूस !

हां ! चूसूंगी कमीने ! तेरे मालिक का तो ठीक से खड़ा भी नहीं होता ! फाड़ डालो ! मेरा बस चले तो एक साथ गांड और चूत मरवा लूँ !

इसका भी इंतजाम है मेरी जान !

अबे बिरजू बाबा ! अन्दर आ जाओ ! क्यूँ छुप कर देख कर मुठ मरोगे, इसकी ही मार लो कमीनी की ! बहुत आग है इसकी चूत में !

राम ने मेरी टांगें फैला दी और बीच आकर दोनों टाँगे कंधों पर टिका कर झटका दिया, लौड़ा चीरता हुआ घुस गया जैसे आज मेरी झिल्ली फट रही हो !

लेकिन मैंने हिम्मत रखी, मैं भी खेली खाई महिला थी। उसने जल्दी ही पूरा जड़ तक पहुंचा दिया।

वाह मेरे शेर ! वाह ! फटने दे इसको !

बिरजू मेरे चेहरे के पास आकर बैठ गया। मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोला और फिर उसके कच्छे को उतारा।

मैं चौंक गई, काले रंग का नाग मानो कुंडली मारे बैठा हो ! उसका सोया हुआ लौड़ा भी मेरे पति के खड़े लौड़े से ज्यादा बड़ा था !

उसने दारु पी रखी थी। मैंने जैसे उसको छुआ, उसमें हरक़त होने लगी। मैंने अपना तकिया थोड़ा ऊँचा किया और उसके लौड़े को मुँह में ले लिया।

उसका लौड़ा कभी किसी ने मुँह में नहीं लिया था ऐसा उसने मुझे बाद में बताया और यह भी बताया कि गाँव की कई बड़े घर की औरतें उससे चुदने को आती जिनको बच्चा नहीं होता था। सास बेटे में नहीं बहु में दोष निकालती थी और पति अपनी झूठी मर्दानगी की दुहाई दे औरत को दोष देते !

बिरजू ने तीन चार औरतों की कोख भी हरी की थी।

राम अपनी धुन में मुझे चोद रहा था और मैं बिरजू का चूस रही थी। जैसे ही उसका पूरा तन गया, वो मेरे मुँह में आना बंद हो दिया, सिर्फ उसका टोपा ही चूस पा रही थी मैं ! बाकी जुबान से उसको मजा दे रही थी।

तभी राम ने तेज़ी दिखाई, वो पागलों की तरह उछल कर मुझे चोदने लगा।

बिरजू का भी मेरे मुँह से निकल गया और राम ने मेरी हड्डियाँ हिला दी और एक तूफ़ान के बाद शांत होकर मुझ पर गिर कर हांफने लगा। उसके पानी ने मेरी सारी प्यास बुझा दी।

फिर बिरजू ने मोर्चा संभाला !मुझे डर लग रहा था, उसने काफी थूक लगा गीला किया और रख दिया मेरी चूत पे ! उसने टाँगे इतनी चौड़ी कर दी कि चूत खुल गई ! काफी बड़ा खिलाड़ी लगा ! उसने झटका देने के बजाये धीरे-धीरे घुसाता चला गया। मेरी दर्द से जान निकल रही थी। जब मुझे लगा कि अब घुस गया, मैंने सर ऊपर करके देखा तो अभी आधा बाहर था।

तभी उसने मर्दानगी दिखाई और इतना ज़बरदस्त झटका दिया कि मेरी सांस अटक गई, आंखें पत्थर होने लगी, दोनों हाथों से चादर को पकड़ लिया। लेकिन उसने तुरंत निकाल लिया और फिर डाला फिर उसने मुझे वो सुख दिया जो मुझे वाकई पहले कभी नहीं मिला था। उसके लौड़े से इतना पानी निकला कि जितना कभी नहीं देखा। कुछ चूत में कुछ मम्मों पर कुछ होंठों पर ! इतने पानी से तो एक साथ दस बच्चे ठहर जाएँ !मैं उठी, चादर पर खून के धब्बे लगे थे। वाशरूम गई, चूत कोसे पानी से साफ़ की। मुझसे चला नहीं जा रहा था। वो दोनों वहीं मौजूद थे, मैंने कहा- मेरे कपडे !

बिरजू बोला- साली, दे दूंगा ! क्या जल्दी है ?

मैंने कहा- अब मुझे जाना है !

पर्स से परमिट की कॉपी निकाली, हस्ताक्षर किये और दोनों को पैसे दिए। मैं सिर्फ ब्रा पेंटी में थी, मानो अपने मर्द के सामने खड़ी होऊं !

वो दोनों मुझे देख-देख मजे ले रहे थे।

लाओ कपड़े दो !

कपड़े मिल जायेंगे ! एक बार बाँहों में आजा मेरी जान !

मैंने गुस्से से कहा- अपनी औकात में रहो ! जितना मेरा दिल किया, मैंने तुम्हें मजे दिए !

वो बोला- साली, छिनाल कहीं की ! साली, तू प्यासी थी, तू चल के आई थी ना कि हम !

हरामी जुबान बंद कर ! कपड़े दे दे !

तेरी माँ की चूत, कुतिया ! बिरजू गुस्से से उठा, उसका लौड़ा तन कर हिलौरे खा रहा था, मेरे बालों को खींचते हुए होंठ चूमने लगा।

हरामी छोड़ ! औकात में रह !

औकात दिखाती है हमें ???

उसके बाद उन्होंने जो कुछ मेरे साथ किया !मेरे बार बार औकात शब्द से वो मुझे मेरी औकात दिखाने की धार चुके थे !

उन्होंने क्या किया ?

यह अन्तर्वासना पर अगली बार पढ़ना ! Sex Stories

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