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गरम चूत में ओल्ड लंड ने खूब मजा दिया. मेरे पहचान के एक अंकल मुझे मुंबई बीच पर मिल गए. मैंने उन्हें अपने घर ले आई. अंकल की नजर मेरे जिस्म पर थी. तो बात बन गयी.
मैं मिसेज रागिनी हूँ दोस्तो.
मैं 30 साल की एक मद मस्त, जवान और पढ़ी लिखी औरत हूँ।
मेरी शादी दो साल पहले आनंद नाम के एक लड़के से हो गई थी।
आनद भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लड़का है.
वैसे मैं कानपुर की रहने वाली हूँ।
मेरी ससुराल भी कानपुर में ही है मगर मैं आजकल अपने पति के साथ मुंबई के कोलाबा एरिया में रह रही हूँ।
मैं 5′ 5″ के कद वाली हूँ, गोरी चिट्टी हूँ और चंचल स्वभाव की हूँ।
देखने में सेक्सी, खूबसूरत और हॉट हूँ।
ऐसा मैं नहीं कह रही हूँ लोग कहते हैं।
मेरे मम्मे थोड़ा बड़े बड़े साइज के हैं.
मेरी कमर पतली है, मेरी बाहों की गोलाई बड़ी मनमोहक है इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस कपड़े ही पहनती हूँ।
मेरे कूल्हे थोड़ा बड़े बड़े है जिससे मुझे ठुमके लगाने में बड़ी आसानी होती है।
मेरी जांघें केले के तने जैसी हैं और मेरे चूतड़ भी बड़े आकर्षक हैं।
साथ ही मेरी गांड़ भी ससुरी बड़ी मस्त है.
और फिर गरम चूत के तो कहने ही क्या!
उसके बारे में मैं आपको आगे बताऊंगी।
शादी के पहले कॉलेज के दिनों में मैं दो बातों के लिए बहुत मशहूर थी।
एक तो पढ़ाई के लिए और दूसरे चुदाई के लिए!
मतलब यह कि मैं जितनी बातें पढ़ाई के बारे में करती थी उतनी ही बातें चुदाई के बारे में भी करती थी।
चुदाई में सबसे ज्यादा लण्ड की बातें होतीं थीं।
मैं ही नहीं, सभी लड़कियां खुल कर लण्ड की बातें करती थीं।
‘लण्ड का साइज और लण्ड की बनावट’ कभी ख़त्म न होने वाला टॉपिक था।
कोई ऐसा दिन न था जब लण्ड पर कोई बात न होती हो.
लड़कियां वैसे भी लड़कों से ज्यादा गन्दी गन्दी बातें करतीं हैं।
वैसे भी हर लड़की के मुंह से लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा जैसे शब्द निकलते ही रहते थे।
उसके साथ साथ गालियां भी जैसे बहन चोद, मादर चोद, माँ का लौड़ा, बहन का लौड़ा, भोसड़ी वाली, बुर चोदी, गांडू और भी बहुत कुछ सबके मुंह से सुनाई पड़ता था।
वो सच में बड़े अच्छे दिन थे यार!
मैं याद करती हूँ तो सिहर जाती हूँ।
बस कॉलेज के दिनों में ही मैंने लण्ड पकड़ना शुरू किया, लण्ड मुंह में लेना शुरू किया और फिर लण्ड का सड़का मारना भी शुरू किया।
तभी मुझे एक सहेली ने लण्ड का वीर्य पीने की सलाह दी और उसके फायदे बताये।
उसने मुझे लण्ड का वीर्य पीते हुए दिखाया।
बस मैं भी वही करने लगी.
तो एक साल में ही मेरी चूचियाँ दूनी हो गईं।
मुझे लण्ड पीने में मज़ा आने लगा.
फिर एक दिन लण्ड चूत में पेलवाना भी शुरू कर दिया।
जी हां दोस्तो, मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी।
यह बात किसी को नहीं मालूम सिर्फ आपको बता रही हूँ।
किसी से मत कहना प्लीज!
मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो हमारे पड़ोस में एक प्रशांत नाम के अंकल रहते थे।
वे बड़े मस्त, गोरे चिट्टे, स्मार्ट और हैंडसम थे।
हमारे घर आते जाते थे।
मैं कभी कभी उनके घर जाकर इंग्लिश पढ़ती थी।
अंकल बड़े प्यार से पढ़ाते भी थे।
मैं मन ही मन अंकल का बड़ा आदर और सम्मान करती थी।
मेरी जब शादी हो गयी तो हमारा संपर्क टूट गया।
वे कानपुर में ही थे और मैं यहाँ मुंबई आ गई।
मेरी शादी को दो साल हो गये हैं. इन दो सालों में मुझे अपने पति के लण्ड के अलावा कोई और लण्ड नहीं मिला।
मैं धीरे धीरे किसी पराये मरद के लण्ड के लिए तरसने लगी।
मेरी चूत मुझे बहुत परेशान करने लगी।
मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था।
मुझे कॉलेज के लण्ड बहुत याद आ रहे थे।
एक दिन शाम को मैं अपनी दोस्त अंजलि के साथ चौपाटी पर घूम रही थी।
अचानक किसी के मुंह से निकला- अरे रागिनी तुम यहाँ?
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बोली- आप प्रशांत अंकल है न?
वे बोले – हां रागिनी, मैं प्रशांत ही हूँ।
मैंने कहा- अरे अंकल, कहाँ खो गए थे आप? मैं आपको बहुत याद करती हूँ … आपसे मिलना चाहती थी। आपसे बातें करना चाहती थी। पर यह बताओ यहाँ मुंबई में कैसे?
वे बोले- यहाँ कोलाबा में मेरी बेटी है। मैं उसी के यहाँ ठहरा हुआ हूँ।
मैंने कहा- अरे वाह, मैं तो कोलाबा में ही रहती हूँ।
वे बोले- फिर तो हमारा मिलना होता रहेगा।
मैंने कहा- होता रहेगा ये तो आगे की बात है, मेरे साथ अभी चलो मेरे घर!
फिर मैंने उन्हें अंजलि से मिलवाया और कहा- यह मेरी दोस्त अंजलि है। यह भी साथ चलेगी।
फिर हम तीनों लोग गाड़ी में बैठ कर घर आ गए।
मेरा पति एक हफ्ते के लिए विदेश गया था।
मैंने दोनों को बड़े प्यार से बैठाया और झुक कर पानी दिया।
झुकने से मेरी साड़ी का पल्लू गिर पड़ा।
मेरी छोटी सी ब्रा के अंदर से मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अंकल को दिख गईं।
वे अपने होंठ चाटने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने राहत की सांस ली। मुझे पराये मरद के लण्ड का रास्ता दिख गया।
मैंने ठान लिया कि आज नहीं तो कल मैं अंकल का ओल्ड लंड अपनी गरम चूत में ले ही लूंगी।
सुना है कि बड़े बड़े लोगों के लण्ड भी बड़े बड़े होते हैं।
इतने में नकल बोले- रागिनी, तुम पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। ज्यादा सेक्सी दिखने लगी हो. शादी के बाद तुम्हारा चेहरा ज्यादा खिल गया है।
मैंने कहा- वो तो मैं नहीं जानती अंकल … लेकिन शादी के बाद मैं बहनचोद ज्यादा बोल्ड हो गई हूँ। अब मैं किसी भोसड़ी वाले से शर्माती नहीं हूँ और डरती भी नहीं हूँ। बेशरम हो गई हूँ मैं! मेरे पति के न रहने पर मुझे कोई भी मादरचोद हाथ नहीं लगा सकता!
वे बोले- क्या मैं भी नहीं लगा सकता रागिनी?
मैंने हंस कर कहा- तुम्हारी बात और है अंकल! तुम तो मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हो.
वे हंसने लगे।
इतने में अंकल का अचानक फोन आ गया तो वे चाय पीकर चले गये।
उनके जाने के बाद अंजलि बोली- यार रागिनी, मुझे लगता है कि तेरे अंकल लण्ड बड़ा सॉलिड होगा। उनकी नज़रें बता रहीं थीं कि वे तुम्हें अपना लण्ड पकड़ाना चाहते हैं. उन्हें तुमसे प्यार हो गया है।
मैंने कहा- अरे यार अंजलि, मैं खुद उनका लण्ड पकड़ना चाहती हूँ। मैं तो आज ही पकड़ लेती उनका लण्ड … लेकिन एक फोन ने सब काम बिगाड़ दिया बहनचोद!
अंजलि बोली- अच्छा पकड़ना तो फिर मुझे भी दिलवा देना उनका लण्ड! मैं भी लण्ड की प्यासी हूँ।
दूसरे दिन शाम को फिर घंटी बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो बोली- अरे आप अंकल … अंदर आओ न प्लीज!
मैंने उन्हें बैठाया और फिर एक गिलास पानी का रखा।
आज मेरी चूचियाँ कुछ ज्यादा ही खुली हुईं थीं।
अंकल ने पानी पिया और बोले- थैंक यू रागिनी!
मैं उसके सामने बैठ गई।
इस समय मैं केवल ब्रालेट पहने थी नीचे एक छोटी सी टाइट नेकर।
मैं एकदम एक मॉडर्न गर्ल बनी हुई थी।
फिर मैंने पूछा- अंकल बोलो क्या पियोगे, ठण्डा या गर्म?
वे बोले- आज तो मैं व्हिस्की पियूँगा। तुम मेरा साथ दोगी तो!
मैंने कहा- हां जरूर दूँगी।
उन्होंने अपनी जेब से हाफ निकाला और मुझे दिया.
फिर क्या … हम दोनों व्हिस्की पीने लगे, सिगरेट भी पीने लगे.
हमारा मूड बन गया।
मैंने कहा- आज मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ रहें हैं अंकल!
फिर क्या … थोड़ा नशा हुआ तो दिल की बातें बाहर निकलने लगीं।
मैंने कहा- अंकल कल आपका फोन आया था. कोई खास बात थी क्या?
उन्होंने कहा- नहीं, कोई खास बात नहीं थी। पर हां, कल मुझे तुम्हारी गालियां बड़ी अच्छी लग रहीं थी रागिनी। मन करता था कि बस सुनता जाऊं? तेरी दोस्त न होती तो मैं तुमसे खुल कर बातें करता.
मैंने कहा- तो फिर आज कर लो न खुल कर बातें बहनचोद? आज तो वह बुरचोदी अंजलि नहीं है।
उन्होंने सिगरेट का एक कश लिया और मेरे मम्मों पर धुंआ छोड़ दिया।
मैं कहाँ चूकने वाली थी, मैंने भी कश लिया और उनके लण्ड पर धुआं छोड़ दिया।
वे बोले- तुम बहुत समझदार लड़की हो रागिनी!
मैंने कहा- हां, तभी तो मैंने तुम्हारे सवाल का जबाब देकर अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी।
वे बोले- रागिनी, एक बात है कि हमारे तुम्हारे बीच में उम्र का बड़ा अंतर है।
मैंने कहा- उम्र की माँ का भोसड़ा अंकल! औरत उम्र नहीं देखती, औरत मर्द का हथियार देखती है अंकल। हथियार टना टन हो तो उम्र की माँ चूत!
वे बोले- रागिनी, तुम इतनी हॉट हो कि मैं कल रात भर सो नहीं पाया।
मैंने कहा- अरे यार, मुझे भी तुम्हारी बड़ी याद आती रही रात भर!
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया तो मैं भी उसकी जांघ पर हाथ रगड़ने लगी।
तब उन्होंने मेरी चुम्मी ले ली और मेरी नंगी टांगों पर अपना हाथ फिराने लगे।
फिर मेरा भी हाथ अपने आप उसके लण्ड तक पहुँच गया।
मैं उनकी पैंट के ऊपर से ही लण्ड टटोलने लगी।
मेरे मुंह से निकला- तेरा हथियार तो मादर चोद बड़ा जबरदस्त लग रहा है अंकल?
मैं मन ही मन अंकल से पूरी तरह फंस चुकी थी।
मुझे बिना उनका लण्ड देखे एक मिनट का भी चैन न था।
मैं जल्दी से जल्दी उन्हें नंगा करना चाहती थी और इसी आवेश में मैंने उनकी शर्ट उतार दी।
उनके चौड़े कंधे बलिष्ठ भुजाएं, चौड़ी छाती और पूरा कसरती बदन देख कर मैं उन पर मोहित हो गयी।
तब तक उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल डाला तो मेरी दोनों मम्मे उसके सामने छलक पड़े।
वे मम्मे देख कर मस्त हो गये, उन्हें पकड़ कर सहलाने लगे, मसलने और चूमने लगे।
अंकल मेरे निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगे।
मैं भी उत्तेजित होने लगी, मज़ा लेने लगी।
फिर बड़ी बेशर्मी से मैंने उनकी पैंट उतार दी उनकी नेकर भी खोल डाला।
नेकर खुलते ही लौड़े मियां ताल ठोकते हुए बाहर आ गए।
मैंने उसे देखा तो सन्न रह गयी।
सांप की तरह फनफनाकर खड़ा हो गया था उनका मोटा तगड़ा लण्ड।
लण्ड का अंडाकार 3″ का चिकना टोपा एकदम झकास लग रहा था।
मैंने उसे पकड़ा चूमा और बोली- वाह क्या मरदाना लण्ड है अंकल? ऐसा लौड़ा बहुत कम लोगों का होता है। तुम बड़े लकी हो. तुम्हारा लण्ड लाखों में एक है. मैं तो तुम्हारे लण्ड पर मर मिटी। मेरा तो दिल आ गया इस मादरचोद लण्ड पर! क्या मस्ताना लण्ड है भोसड़ी का! मज़ा आ गया यार ऐसा लौड़ा देख कर!
तब तक उन्होंने मेरी छोटी सी नेकर उतार कर फेंक दी।
मैं माँ की लौड़ी उसके आगे एकदम नंगी हो गयी।
मेरा यह पहला मौका था जब मैं शादी के बाद किसी पराये मर्द के आगे नंगी खड़ी थी वह भी उसका नंगा लण्ड पकड़े हुए!
मैं किसी पराये मर्द को पहली बार नंगा देख भी रही थी।
मुझे किंचित मात्र भी न शर्म थी और न झिझक … मैं बिंदास अपनी जवानी का मज़ा लूटने लगी.
मैंने मन में कहा कि मैं झांट किसी की परवाह नहीं करूंगी। अब तो मैं एक नहीं, कई लण्ड का मज़ा लूंगी।
बस मैं अंकल का लण्ड बड़े प्यार से चाटने लगी और अंकल भी उसी प्यार से मेरी फुद्दी चाटने लगे।
मेरी चूत बहुत गर्मा चुकी थी।
अंकल उसमें बार बार अपनी उं गली घुसेड़ रहे थे।
मैंने धीरे से अपनी टाँगें फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी.
अंकल को यही चाहिए था।
उन्होंने फ़ौरन लण्ड पेल दिया अंदर और बिना रुके चोदने लगे मुझे!
मैं भी अपने कॉलेज के दिनों को याद कर कर के चुदवाने लगी … मैं एन्जॉय करने लगी।
मुझे लगा कि आज मैं सच में अपनी सुहागरात मना रही हूँ।
अपनी सुहागरात में भी मुझे इतना मज़ा नहीं आया था।
मैं बोली- अंकल, मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। मैं ही तुम्हारी असली बीवी हूँ, मुझे चोदो। मेरी बुर चोदो, मेरी चूत चोदो, मेरी गांड चोदो। मैं तुम्हारी ही हूँ, जैसे चाहो वैसे चोदो। तुम्हारा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है यार!
वे बोले- ले भोसड़ी की रागिनी, आज मैं फाड़ डालूँगा तेरी चूत … भोसड़ा बना दूंगा मैं तेरी चूत का! मैंने जब मुंबई में तुझे पहली बार देखा था तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. और आज देख वही लण्ड तेरी चूत में घुसा है। तेरी माँ की चूत … तू भोसड़ी वाली एकदम रंडी है और मैं रंडियां खूब चोदता हूँ। मैं मुंबई में रंडियां चोदने ही आता हूँ। मैं हर रोज़ 2/3 लड़कियों की चूत में लण्ड पेलता हूँ।
अंकल को जोश आ गया था, वे बोलते रहे- मैं खुद बहुत बड़ा हरामजादा हूँ। मैं रंडीबाज हूँ, लौडियाबाज़ हूँ। मैं अपने दोस्तों की बीवियां फंसा फंसा कर चोदता हूँ। बीवियां भी बुरचोदी मेरे लण्ड की दीवानी है और बार बार मुझसे चुदवाने आतीं हैं।
सच में अंकल बड़े मूड में थे और मस्ती से अपनी ही पोल खोल रहे थे।
चुदाई का नशा शराब के नशे से ज्यादा ताकतवर होता है।
दूसरे की बीवी चोदने के नशे में वह सब सच उगल देता है।
मुझे अंकल की बातें, उनका जोश, उनकी गालियां सब कुछ बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं अपनी गरम चूत में ओल्ड लंड एन्जॉय कर रही थी।
मेरा मन सातवें आसमान पर था।
इस तरह उन्होंने मुझे हर तरफ से चोदा और मैं भी खूब मन से चुदी।
मैंने उसे रात में रोक लिया और तब उन्होंने मुझे रात में 3 बार चोदा।
सुबह उठ कर वे चले गये।
गुरुजी को सबसे पहले Sex Stories और फिर अंतर्वासना के पाठक-समूह को मेरी तरफ से यानि कि आंचल की तरफ से बहुत बहुत प्यार- दुलार !
इस वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले किस्से पढ़-पढ़ कर मुझे अपनी प्यास बुझाने का रास्ता मिला।
मेरी उम्र 28 साल की है, मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरे ब्रा का नाप है छत्तीस, कमर अठाईस और गांड छत्तीस !
मैं एक गरीब परिवार से लेकिन सपने आसमान छूने के थे। हम तीन बहने हैं। मैं चौदह साल की थी जब मेरे पापा ने आत्महत्या कर ली थी। तीन बच्चों की माँ होने के बाद भी मेरी माँ में इतनी आग थी, कसा हुआ जिस्म जिसको सम्भालने के लिए मर्द भी ज़बरदस्त चाहिए था। इससे आगे मैं क्या कहूँ आप समझदार हो !
पिता की मौत के बाद बड़ी बहन को नानी ले गई, उसकी शादी, पढ़ाई की जिम्मेदारी ली, अपने किसी अमीर यार से मिलकर उसके खर्चे पर दूसरी वाली को बोर्डिंग में डाल दिया।
रह गई मैं ! मुझे कमरे में सुला कर माँ दूसरे कमरे में रंगरलियाँ मनाती, ऐश करती !
मैं भी जवानी की दहलीज़ पर थी। आए दिन उसका नया आशिक पैदा हो जाता, मैं छुप कर देखती तो पहले पहले मुझे माँ पर बहुत गुस्सा आता, फिर सब देख मुझे अजीब जा एहसास होने लगा, मेरे छोटे-छोटे चूचक तन जाते, पैंटी गीली होने लगती। अब मेरा भी दाना कूदता था। मेरे कदम डोलते वक़्त नहीं लगा।
माँ जवान लड़कों, कॉलेज के लड़कों को भी अपने हुस्न-जाल में फंसाती। उनमे से एक लड़का बबलू जिसकी असल में आँख मुझ पर थी, माँ मुझ तक आने का जरिया थी।
एक दिन वो उस समय आया जब उसे मालूम था कि माँ घर में नहीं है। अन्दर आते ही कुण्डी लगा ली और मुझे दोनों कन्धों से पकड़ कर दोस्ती करने के लिए कहने लगा। मेरी बदन में कर्रेंट सा लगा। इससे पहले मैं कुछ बोलती, उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, मना करने का मौका नहीं दे रहा था। उसने मुझे उठाया और सीधा माँ के कमरे में ले गया और बिस्तर पर डाल मुझे पर छा गया। उसने मेरा एक-एक कपड़ा उतार दिया और खुद के भी सारे कपड़े उतार दिए। फ़िर मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा तो मैं काफी छटपटाई, टांगे मारी लेकिन उसमें बहुत दम था। उसने मुझे इस कदर जकड़ लिया कि मैं हिल नहीं पाई, मुझे उसका चूसना पड़ा और मेरी चूत पर थूक लगाते हुए उसने मेरी सील बंद चूत पर मेरे ही थूक से गीला लौड़ा रख दिया। उसका एक हाथ मेरे मम्मे पर था। सेब जैसे छोटे मम्मे तन गए थे। जब उसने लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ा तो मुझे मजा आने लगा।
अचानक एक ज़बरदस्त वार हुआ और फड़क की आवाज़ से चीरता हुआ उसका आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी चूत में खून से लथपथ !
मेरा मुँह उसने अपने हाथ से दबा रखा था। कुछ पलों के लिए मुझे लगा कि आज मेरा इस दुनिया में आखिरी दिन है। मैं रोने लगी, उसके तरले, मिन्नतें करने लगी। तभी उसने एकदम लौड़ा मेरी चूत से निकाल लिया और पास पड़ी मेरी पैंटी से उसने खून साफ़ किया।
अपने लौड़े को भी थूक लगा फिर घुसा दिया उसने !
कुछ मिनट बाद मैं सामान्य होने लगी और अब वही लौड़ा मुझे मजे देने लगा, खुद चुदवाने लगी। दोनों एक साथ झड़ गए और हांफने लगे। उसने मुझे औरत बना डाला। उसने मुझे एक बार फिर से ठोका।
अब आये दिन मौका देख वो आता, मुझे बजाता, चला जाता !
फिर कुछ और लड़कों से मेरे संबंध बने, जिनकी चर्चा होने लगी !
मेरी जवानी एकदम से आग उगलने लगी, किसी का भी लौड़ा ले लेती थी मैं ! अपनी माँ पर गई थी मैं !
सर्दियों के दिन थे, घना कोहरा पड़ता था। मैं सुबह स्कूल से पहले ट्यूशन पढ़ने जाती थी। मेरे पीछे एक चमकती कार आने लगी और आखिर मेरा भी दिल करता कि मैं भी ऐसे घर जाऊं और एक रोज़ उसकी खिड़की ठीक मेरे पास आकर खुली और मुझे बिठा कर कार चल पड़ी। उसने मुझे अपने बारे में बताया, मेरे बारे में पूछा, मेरा नंबर लिया और फ़िर रोज़ आता।
एक दिन वो कार साइड पर लगा मेरे जिस्म से खेला। उसने मुझे कहा- मैं तुझसे शादी करना चाहता हूँ, उसके बाद ही कुछ करेंगे !
वो मुझसे उम्र में काफी बड़ा लगता था, उसके शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट थे। वो सरदार था और उसकी गाँव में बहुत ज़मीन थी, उसके बाल कटे हुए थे।
जल्दी किसी ने माँ को बता दिया की तेरी छोरी रोज़ किसी की कार में बैठती है।
माँ ने मुझे बिठाया और पूछा।
मैंने सब कुछ बताया।
माँ ने जब देखा कि कितने अमीर घर में उसकी बेटी जा सकती है तो उसके वारे-न्यारे थे।
एक रोज़ वो घर आया और माँ से मेरा हाथ माँगा।
माँ ने कहा- इतनी जल्दी शादी कैसे कर पाऊँगी?
उसने कहा- मुझे कुछ नहीं चाहिए, तीन कपड़ों में ले जाना है !
चुन्नी चढ़ाई हुई और चार फेरे लेकर मैं उसकी हो गई। शादी के चार दिन बाद उसने एक बहुत बड़ी रेसेप्शन पार्टी रखी जिसमें उसने अपने सारे रिश्तेदारों, दोस्तों को बुलाया। मुझ जैसी कातिल हसीना से शादी कर स्टेज पर बैठ कर बहुत खुश था !
अब वो मेरे साथ चिपका रहता लेकिन मेरी तसल्ली नहीं कर पा रहा था। मैं सिर्फ ऊपर से खुश थी लेकिन उसका लौड़ा वैसा नहीं था जिसकी मुझे आदत थी।
एक दिन मुझे पता चला कि वो पहले से शादीशुदा था, उसका तलाक हो चुका था। मैंने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे लिए आलिशान घर बनवा दिया, कई चमकती कारें, नौकर-चाकर सोने से लदी-फ़दी रहती।
दिन बीत रहे थे लेकिन यौन-जीवन से मैं खुश नहीं थी। गाँव में काफी ज़मीन ज़ायदाद थी, जिसपर खूब फसल होती थी। हफ्ते में एक-दो बार गाँव जाते, वहां भी एक आलीशान फार्म-हाउस था और उसकी देखरेख दो नौकर करते थे। मुझे देख उनकी आंखें चमक उठती और वासना साफ़ दिखती थी उनकी आंखों में !
वो थे तो नौकर लेकिन हट्टे कट्टे अच्छी मर्दानगी के मालिक थे। उनकी प्यासी और वासना भरी आँखें देख मेरा दाना कूदने लगता।
फार्म-हाउस में घर के सामने टयूबवेल लगा हुआ था जिसके आगे सीमेंट का बहुत बड़ा टब जैसा था। रात को मैं भी उसमें नहाने चली जाती।
एक बार मैं खिड़की में खड़ी बालों में कंघी कर रही थी और सामने टब में नहा रहे उस नौकर को देख रही थी- चौड़ी छाती, घंने बाल, मजबूत जांघें ! उसका अंडरवीयर गीला होकर चिपका हुआ था, उसका लौड़ा देखने में काफी सोलिड सा लग रहा था।
उसने मुझे खड़ी देख लिया। मैं अपने होंठ चबाने लगी। उसने इधर-उधर देखा और अपना अंडरवीयर नीचे कर दिया साबुन लगाने के बहाने ! उसका काले रंग का लौड़ा देख मेरी हालत खराब होने लगी। वो अनजान बन कर लौड़ा सहलाने लगा, देखते ही उसका तन कर पूरा खड़ा हो गया। मेरा हाथ अपनी कच्छी में चला गया और दूसरा हाथ मम्मे दबाने लगा।
मैंने उसको इशारे से कुछ कहा कि अन्दर आ जा !
वो जल्दी से टब से निकला, तौलिए से बदन पौंछा। तभी कार का होर्न बज गया, मेरे पति आ गए !
हम दोनों उदास हो गए। मुझे लेकर वो वापस शहर आ गए लेकिन मैं दिल वहीं छोड़ चुकी थी, बस मौका तलाश करने लगी !
और फिर आगे आगे क्या-क्या हुआ, जानने के लिए इसका दूसरा अंक पढ़ना अन्तर्वासना पर ! Sex Stories
आज तक मैं अन्तरवासना Sex Stories पर यही पढ़ते आया हूँ कि दोस्तों मैं अगली कहानी लेकर हाजिर हूँ। इसका मतलब पाठक काल्पनिक कहानी भी भेजते हैं।
परन्तु मेरे पास ऐसी काल्पनिक नहीं अपितु सत्य घटना है जो मेरे साथ घटी है।
बात कुछ साल पहले की है मेरे एक दूर के रिश्ते के मामा जी एक बड़े शहर में उच्च अधिकारी हैं। मेरी मम्मी ने गर्मी की छुटिटयों में मुझे उनके घर भेज दिया कि जाओ घूम कर आ जाओ।
घर में मामा, मामी, व उनकी बेटी गीता जो उस समय १८ वर्ष की थी । वह बहुत सुन्दर है।
एक दिन मामी जी ने कहा- राज ,तुम गीता को स्कूटी चलाना सिखा दो !
हालाँकि मैं दीदी से छोटा था फिर भी मैं गाड़ी चलाना जानता था।
मैं दीदी को आगे बिठाता था और मैं पीछे बैठता था । यूँ तो मेरा लंड रोज ही अकड़ जाता था लेकिन एक दिन दीदी ने अपने पिछवाड़े पर कुछ दबाब महसूस किया। घर आकर गाड़ी खड़ी करते ही गुस्सा करने लगी और कहने लगी- अभी मम्मी को बताती हूँ।
शायद उसने अपनी मम्मी को कुछ बताया भी क्योंकि मामी जी ने एक दो बार मेरे अंग की तरफ गौर से देखा, जब मैं लन्च के लिए नेकर पहन कर टेबल पर आता था।
फिर दो दिन के बाद दीदी ने फिर गाड़ी निकाली। लेकिन इस बार भी उसमें तनाव आ गया, परन्तु गीता दीदी ने घर आकर मुझे डांटा नहीं बल्कि दूसरी मंजिल में अपने कमरे में ले गई और वहाँ जाकर उन्होंने मुझसे कहा- जरा दिखाओ पैंट खोलकर ! मैं भी तो देखूं क्या चुभता है मुझे ।
मैं शरमा गया और दीदी का कहना टाल दिया ।
फिर अगले दिन मामा जी व मामी जी को अचानक दो दिन के लिए गाँव जाना पड़ा तो मामी जी बोलकर गईं कि डरना नहीं, दोनो भाई बहन नीचे ही सोना और कोई बात होने से तृप्ति आँटी को फोन करके बुला लेना।
आज देखा कि गीता दीदी बहुत खुश थीं। रात को खाना खाने के बाद दीदी ने जल्दी टी वी बन्द कर दिया और ताश ले आई और कहा- जो हारेगा उसे दूसरे की पीठ मालिश करनी पड़ेगी।
मैं पहले से ही डरा था इसलिए समहत हो गया। अब मैं जीत गया तो भी मैं मालिश कराना नहीं चाहता था लेकिन दीदी ने कमर पर ऐसे ही हाथ फिराते हुए एक बार हाथ को लन्ड से छू दिया जो अपने पूरे आकार में था।
फिर इस बार दीदी जीत गई। जब मैंने मालिश शुरू की तो दीदी ने उल्टी होकर धीरे धीरे अपना पजामा और कच्छा नीचे कर दिया। दीदी की दूध जैसी सफेद गाण्ड देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मेरे लन्ड से कुछ चिपचिपा पदार्थ रिसने लगा।
अचानक दीदी ने पलटकर कहा- राजू, तुम क्या देख रहे हो? मम्मी से कह दूंगी और अगर कुछ नहीं देख रहे हो तो यह क्या है दिखाओ पैन्ट खोलकर !
आज मैंने पैन्ट खोलकर दिखा ही दिया।
दीदी तो जैसे पागल हो गई, कहने लगी- बाप रे ! इतना बड़ा और मोटा !
मैंने कहा- अब क्या तुम भी दिखा सकती हो?
गीता दीदी तैयार हो गई और उन्होंने नीचे के सारे कपड़े उतार दिये। अब उनकी गुलाबी चूत की फ़ांके काली छोटी छोटी झांटों से ढकी दिख रही थीं।
दीदी ने कहा- राजू देखो, जो मैं करती हूं, मुझे करने दो।
और दीदी ने मेरा ८ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा लन्ड चूसना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- दीदी, यह गन्दी बात है।
दीदी ने बताया- मैंने एक दिन अपने मम्मी पापा को रात में ऐसा करते देखा है।
कुछ देर चूसने के बाद दीदी ने डॉगी पोज़िशन बना ली और कहा- राजू पकड़ कर धीरे से लगाना, क्योंकि बहुत मोटा है !
इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था इसलिए बहुत देर के बाद दीदी ने खुद पकड़ कर लगाया। लेकिन ६-७ धक्के मारने के बाद ही मेरी पिचकारी छूट पड़ी।
उस रात को दीदी ने चार बार चुदवाया, परन्तु मेरी इच्छा थी कि एक बार दीदी गोरी गाण्ड में लन्ड डालने दे।
दीदी ने कहा- ना बाबा ! गाण्ड फड़वानी है क्या !
दोस्तो और सहेलियो ! अभी दीदी की शादी हो गई है।
मैंने एक दिन मौका मिलने पर गुजारिश की तो दीदी ने मना कर दिया परन्तु थोड़ी देर बाद उन्होंने कुछ सोचकर मुझे अपने घर बुलाया और उस दिन कहा- तुझे मेरी गाण्ड मारने की बहुत इच्छा थी ना?
मैंने पूछा- यह खयाल कैसे आया?
तो उन्होंने कहा- आजकल सीडी देखकर सब मर्द बिगड़ गये हैं, मेरे श्रीमान भी हफ़्ते में एक बार मेरी पिछली मारते हैं और अब मुझे भी मजा आने लगा है।
और फिर दीदी ने उस दिन गाण्ड भी दो बार मरवाई।
मेरे दोस्तो और कन्याओं ! अब आप ही बताये कि इस वास्तविक घटना में क्या मेरा कोई दोष है?
हाँ, जब से गीता दीदी को चोदा है मुझे एहसास हुआ कि सचमुच मेरा काफी बड़ा है।
मेरी सच्ची कहानी पसन्द आने पर मेल करें। Sex Stories
हाय ! मैं राहुल कुमार एक Antarvasna Stories बार फिर आप लोगों को अपनी एक सत्य कथा लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, हमारी किताबों की दुकान थी और एक आँटी उम्र में लगभग 25-27 की, जब भी वो मुझे अकेले दुकान में देखती थी, वो मुझे सच्चे किस्से, मनोहर कहानियाँ जैसी किताबें दिखाने को कहती थी। आँटी का नाम रमणी था और वो मलयालम थी, उनकी तब तक शादी भी नहीं हुई थी, वो स्टेट बैंक में काम करती थी। वो हमेशा मेरे साथ मजाक कर लिया करती थी और मैं जब भी उन्हें आँटी कहता था वो कुछ नाराज़ सी हो जाती थी।
एक दिन आंटी ने मुझे अपने घर आने को कहा। रविवार का दिन था, मैं आँटी के घर पहुँच गया। मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई तो आँटी ने दरवाज़ा खोला, मुझे देख कर कहा- अरे संजय तुम कब आए?
मैंने कहा- बस आँटी, अभी अभी आया हूँ, क्या घर में कोई नहीं है?
आँटी ने कहा- क्यों नहीं ! मैं और तुम तो हैं, आओ, अन्दर आ जाओ।
मैंने कहा – ओ के।
आँटी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी।
आँटी ने कहा- संजय तुम चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो… अन्दर सारी सहूलियत है…
मैं नहा कर आ गया फिर आँटी ने कहा- संजय मैं भी नहा कर आती हूँ, फिर खाना खायेंगे।
आँटी नहा कर आ गई और आँटी ने जानबूझ कर मेरे सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर मैं आँटी की तरफ़ चोर नज़र से देख रहा था। आँटी ने मेरी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्का सा टॉप डाल लिया। आँटी नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। आँटी ने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और आँटी एकाएक नंगी हो गई। आईने में आँटी ने देखा तो मुझे उनकी ओर देखता पाया, उसने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
आँटी ने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मेरी नजरें बदल रही थी उन्हें निहार रहा था।
मेरा ध्यान तो उन पर लगा था …. और उनका ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
उसने बातचीत शुरू की, उसने हालचाल पूछा, फिर वो पूछने लगी कि तुम हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- यह बात आप अपने आप से पूछो !
तभी वो कहने लगी- सर दर्द हो रहा है।
मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके माथे पर थोड़ा बाम लगा देता हूं, आप मेरे गोद पर सर रख लीजिये !
उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ा बाम हाथ में लिया और धीरे धीरे उसके सर पर लगा कर सहलाना चालू किया। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं मौके को भाँपते हुए बिस्तर के ऊपर बैठ गया, मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?
उसने देखते ही देखते उठ कर मुझे पकड़ा और अपने साथ बराबर में मुझे ले कर लेट गई और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो ! सब तुम्हारा है। हम दोनों ही प्यासे हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं।
उसने मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए और फिर उसने अपनी टांगें फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।
मैंने उस पर लेट के उसको होटों को चूमना चालू किया। फ़िर मैं उसके चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे उसको कुछ होने लगा। वो मस्त हो के उछलने लगी। मैंने उसकी निपल को अपने दोनों दांतों के बीच दबा के जोर से चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरे स्तन को जोर से दबाने लगा।
मैं हब्शी की तरह उन पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कि किसी ने बरसों से खाना ना खाया हो। उनके स्तनों को मैं इतने ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था कि वो बुरी तरह काम्प रही थी।
कभी स्तनों को पीता तो कभी उनके होंठों को चूसता और दूसरे हाथ से स्तनों को मसल रहा था। मैं उनके स्तन को पूरा अपने मुँह में भर लेना चाहता था पर मेरी किस्मत ! स्तन बड़े थे और मेरा मुँह छोटा। पर कोई बात नहीं !
उसने मेरे लण्ड को, जो तन कर मोटा हो गया था, पकड़ लिया। वो हाथ में लेते ही बोली- ये तो बहुत बड़ा है मैं तो मर ही जाऊंगी, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो !
फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाली तो वो पूरी तरह भीग चुकी थी। मैंने उसकी चूत में हाथ घुमाना चालू किया वो अपने आप से बाहर हो गई थी।
मैंने उनके चूत पे अपना मुंह रख के उसमें अपनी जीभ रख दी तो वो मचल उठी और चिल्ला पड़ी- मर गई मेरे राजा।
फ़िर क्या था, मैंने आँटी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया ! लग रहा था कि मानो वो होंठ नहीं गुलाब की पंखुड़ियाँ हों। धीरे धीरे मेरा लण्ड मिनार की तरह खड़ा हो गया।
फ़िर मैंने उनके मुँह में अपना प्यारा और सेक्सी लण्ड रख दिया और 69 की अवस्था में हो गया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं उनकी चूत इतने प्यार से चूस रहा था कि उसके एक बार तो निकल भी गया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये।
वो मुझसे बोली- अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाई मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया। पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया।
पर वो चिल्लाई- प्लीज, आराम से करो ! दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- ठीक है ! पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा !
उसने गर्दन हिलाई। मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया। मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी- राहुल मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो !
मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथों से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।
“तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…”
“मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…”
और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था, मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए।
और इस तरह उस दिन हमने चार बार मजा लिया। फिर उसने मुझे प्यार से गले लगा कर विदा किया।
इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया। जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है।
मेरी कहानी कैसी लगी बताना। Antarvasna Stories
Xxx साली की चूत का मजा लिया मैंने अपने ही घर में! साली मेरे यहाँ रहने आई थी कुछ दिन के लिए. मैंने उसे छेड़ा तो उसके भी मुझे छेड़ा. मैं समझ गया कि माल गर्म है.
मेरा नाम आकाश है दोस्तो. मैं 30 साल का एक हत्ता कट्टा गोरा चिट्टा नौजवान हूँ।
मेरी शादी दो साल पहले दीक्षा नाम की एक लड़की से हुई है।
दीक्षा एक बहुत ही सुन्दर सुशील और सरल स्वभाव वाली लड़की है।
वह एक वर्किंग वुमन है।
Xxx साली की चूत का मजा मुझे मेरे बीवी की बहन ने दिया.
मैं आपको अपने बारे में थोड़ा बता दूँ।
मैं हैंडसम हूँ, स्मार्ट हूँ और घुंघराले वालों वाला हूँ।
कॉलेज की दिनों में मुझे सेक्स में बहुत ज्यादा मज़ा आता था।
मैं लड़कियों से खूब हंस हंस कर बातें करता था और मजे लेता था.
चूँकि मैं पढ़ने में बहुत अच्छा था और स्पोर्ट्स में भी बहुत अच्छा था तो हमारे कॉलेज की लड़कियां मुझ पर मरा करती थीं और मेरे आगे पीछे घूमा करती थी.
मैं भी मौके के फायदा उठाया करता था।
धीरे धीरे मैं लड़कियों को पटाने लगा; उन्हें अपनी मोटर साइकिल पर बैठा बैठा कर घुमाने फिराने लगा।
फिर आहिस्ते आहिस्ते उन्हें अपना लण्ड पकड़ाने लगा।
मुझे लड़कियों को लण्ड पकड़ाने में बड़ा मज़ा आता था तो मैं बहाने से लड़कियों को सिनेमा दिखाने ले जाता था और वहां सबसे पीछे की सीट पर बैठ कर लड़कियों को अपना लण्ड पकड़ाया करता था और उनकी चूचियाँ मसला करता था।
एक बार फरीदा नाम की एक लड़की मुझे अपने पैसों से सिनेमा दिखाने ले गयी।
हम दोनों सबसे पीछे की सीट पर बैठ गए।
फिल्म फ्लॉप थी इसलिए कोई भीड़ तो थी नहीं।
जैसे ही हाल में अँधेरा हुआ वैसे ही उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया।
वह लण्ड खूब प्यार से हिलाती रही, सहलाती रही और मेरे कान में गन्दी गन्दी बातें मुझे सुनाती रही।
फिर वह मुझे बाहर लेडीज टॉयलेट में ले गयी और कमोड पर अपनी चूचियाँ खोल कर बैठ गयी।
उसने मुझे अपने सामने खड़ा किया, मेरी पैंट खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया।
फिर वह बड़े प्रेम से मेरा लण्ड चाटने और चूसने लगी।
मुझे लण्ड चाटवाने और चुसवाने में मज़ा आने लगा।
फिर उसने लण्ड मुट्ठी में लिया और मुट्ठ मारने लगी।
लण्ड ने कुछ ही देर में वीर्य उगल दिया जिसे वह चट कर गई।
यह देख कर मुझे उससे प्यार हो हो गया।
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया।
सिनेमा तो देखना ही नहीं था तो हम दोनों फिर वापस आ गए।
ऐसा मैंने कई लड़कियों के साथ किया और सबको लण्ड पकड़ाने का मज़ा लिया।
मेरी शादी के पहले मेरी नौकरी लग गयी।
मैं बहुत खुश हुआ।
लेकिन शादी के बाद भी मेरा लड़कियों को लण्ड पकड़ाने का सिलसिला रुका नहीं।
मैं अभी भी चुपके चुपके लड़कियों को लण्ड पकड़ा ही देता हूँ।
एक दिन अचानक मेरे घर में मेरी सगी साली साक्षी आ गई।
मैं तो उसे देख कर हैरान हो गया और मस्त भी हो गया।
मुझे उसे देखे दो साल हो चुके थे।
अपनी शादी के बाद आज पहली बार उसे देख रहा था।
वह 21 साल की थी।
उसने साड़ी और डीप नेक का स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना हुआ था. ब्लाउज़ के अंदर से उसकी छोटी सी ब्रा का दायरा भी साफ़ साफ़ दिख रहा था।
उसकी चूचियों का साइज साफ़ साफ़ झलक रहा था।
चूचियाँ तो बहनचोद बाहर निकलने के लिए बड़ी बेताब हो रही थीं।
मुझे यह जानने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि उसके मम्मे मेरी बीवी के मम्मों से बड़े बड़े हैं।
मेरा तो मन हुआ कि मैं अभी इसके मम्मों के बीच अपना लण्ड घुसेड़ दूं।
उसकी खुली खुली बाहें बड़ी सेक्सी लग रहीं थीं और उसकी बाहों की गोलाई तो बड़ा गज़ब ढा रही थी।
उसके बड़े बड़े चूतड़ देख कर, पीछे से उसकी आधे से अधिक नंगी पीठ देख कर, उसकी मोटी मोटी जाँघों का अंदाजा लगा कर मेरा तो लण्ड साला आपे से बाहर हुआ जा रहा था।
लग रहा था कि साला चड्डी फाड़ कर बाहर निकल आएगा।
मैं उसकी चूत और गांड की कल्पना में खो गया.
उसका गोरा गोरा गदराया हुआ बदन मुझे अपनी तरफ खींच रहा था।
उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखें गोल चेहरा और गुलाबी होंठ मेरी जान ले रहे थे।
उसने जब बड़े प्यार से मुझे जीजा जी कहा तो मेरा मन हुआ कि मैं उसे अपनी गोद में उठा लूं।
बस मैं अपनी साली साक्षी के आगे पीछे घूमने लगा, उससे बातें करने लगा और वह सब करने लगा जो वह चाहती थी।
उधर मेरी बीवी दीक्षा ने अपनी बहन के आने पर उसको घुमाने फिराने के लिए 3 दिन की छुट्टी ले ली।
मुझे भी 3 दिन की छुट्टी लेनी पड़ी।
हम तीनों खूब घूमते फिरते रहे।
इन तीन दिनों में मैंने उसे खुश करने के लिए बहुत कुछ किया।
मैं साली जी के साथ दूसरे ही दिन से थोड़ी थोड़ी छेड़खानी करने लगा।
मेरी बीवी जब बाथ रूम में होती या टॉयलेट में होती या अकेली किचन में होती तो मैं साली का कभी हाथ पकड़ लेता, कभी उसकी चुम्मी ले लेता और कभी उसकी चूचियाँ दबा देता।
वह भी जवाब में कभी प्यार से अपना कंधा मेरे कंधे पर मारती, कभी मुझे अपने कूल्हे से छू लेती, कभी मेरी जांघ पर हाथ रख देती तो कभी मुंह बना बना कर जबान निकाल निकाल कर मुझे चिढ़ाती।
वह भी मुझ पर डोरे डालने लगी जैसे मैं उस पर डोरे डाल रहा था।
लेकिन हम दोनों को कभी अकेले में रहने का मौक़ा नहीं मिला इन 3 दिनों में।
एक दिन जब मैं तौलिया लपेट कर एकदम नंगे बदन नहाने जा रहा था तो साक्षी वरांडा में बैठी हुई सब्जी काट रही थी।
मेरी बीवी अंदर किचेन में नाश्ता बना रही थी।
मेरा लण्ड बहन चोद खड़ा था।
मुझे शरारत सूझी।
मैं किचन की तरफ पीठ करके साक्षी के आगे खड़ा हो गया और अपनी तौलियां के दोनों सिरे फैलाकर अपना नंगा लण्ड उसे दिखाते हुए कहा- लो साक्षी, ज़रा इधर देखो!
उसने देखा तो बोली- बाप रे बाप … इतना बड़ा? इतना मोटा?
मैं फिर बाथ रूम में चला गया।
उधर किचन से मेरी बीवी बोली- अरी साक्षी, क्या बड़ा है और क्या मोटा है?
वह बहाना बनाती हुई बोली- दीदी, गोभी के फूल में देखो न कितना बड़ा और कितना मोटा कीड़ा है।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हुआ।
आखिरकार मैंने साली जी को अपना लण्ड दिखा ही दिया।
मुझे मालूम हो गया कि आग अगर मेरे लण्ड में लगी है तो उसकी चूत में भी लगी है।
चौथे दिन मेरी बीवी काम पर चली गयी और मैं भी काम पर चला गया।
लेकिन मैं एक घंटे के बाद वापस घर लौट आया।
साली जी ने जैसे ही दरवाजा खोला तो मैंने दरवाजा बंद कर उसको अपनी बाँहों में भर लिया, चिपका लिया उसे अपने बदन से!
वह बोली- अरे जीजा जी, ये क्या कर रहे हो ? कोई देख लेगा तो?
मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा। यहाँ और कोई नहीं है हम दोनों के अलावा। मैं कई दिन से तड़प रहा हूँ। आज मौक़ा मिला है मेरी रानी!
वह बोली- अगर दीदी को मालूम हो गया तो?
मैंने कहा- उसे मालूम ही नहीं होगा। तुम चिंता न करो।
वह मुझसे अपने आप को छुड़ाती रही लेकिन मैं उसे छोड़ने के मूड में कतई नहीं था।
मैंने उसे कस के चिपका लिया था और उसकी ताबड़तोड़ चुम्मियाँ ले रहा था।
वह बोली- अच्छा रुको, मुझे बाथरूम लगी है।
तब फिर मैंने उसे छोड़ दिया।
उसने एक ताला उठाया और बगल वाले छोटे दरवाजे से बाहर जाकर मेन दरवाजे पर ताला लगा दिया और फिर वापस आ गयी।
अंदर से छोटा वाला दरवाजा बंद कर लिया।
उसने कहा- अब अगर जो भी आएगा वह ताला देख कर चला जायेगा। अगर दीदी आ गयी तो वह मुझे फोन करेगी, तब तुम छत से कूद कर बाहर निकल जाना और मैं कह दूंगी की मैंने अपनी सेफटी के लिए ताला बंद किया था।
मैंने उसकी चुम्मी फिर ली और कहा- हाय मेरी रानी, तुम तो सच में बड़ी चालाक हो, बड़ी बुद्धिमान हो और बड़ी चालू चीज हो। अब तो मैं बिना तुम्हे चोदे जाऊंगा नहीं। आज मैं तुम्हे खूब जी भर के चोदूंगा मेरी रानी!
वह नखरा करती हुई बोली- तुम मुझे बहनचोद तभी चोद पाओगे जब मैं चुदवाऊंगी. वरना मुझे कभी नहीं चोद पाओगे.
मैंने कहा- तो फिर चुदवा लो न मुझसे मेरी रानी। मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।
मैं उसके कपड़े खोलने लगा।
वह बोली- नहीं जीजा, मुझे नंगी मत करो, मुझे शर्म आ रही है।
मैंने कहा- अब तुम जवान हो गयी हो यार! शर्म वरम छोड़ो। मैं तेरा जीजा हूँ कोई बाहर नहीं हूँ। जब तेरी बहन मेरे आगे नंगी हो जाती है तो तुम भी मेरे आगे नंगी हो जाओ मेरी रानी।
मैंने उसकी चूचियाँ खोल डाली तो मेरे लण्ड में करंट लग गया।
फिर मैंने उसका पेटीकोट भी खोल डाला तो उसने अपनी चूत दोनों जांघों दबाकर बैठ गयी।
मैंने कहा- अरे यार, अपनी मस्तानी चूत के दर्शन तो कराओ मेरी साली जी! तुम तो गज़ब की खूबसूरत हो। मैं तेरी चूत देखने के लिए तड़प रहा हूँ।
मैंने उसकी जांघें खोल कर अलग कर दी और झुक कर उसकी चूत की कई बार चुम्मी ले ली।
वह भी गनगना उठी।
उसको भी जोश आ गया।
वह भी उत्तेजित हो गई तो उसने मेरे कपड़े खोल कर मेरा नंगा खड़ा लण्ड पकड़ लिया और उसे चूम कर बोली- हाय दईया, बड़ा मोटा तगड़ा है तेरा भोसड़ी का लण्ड जीजू! उस दिन जब मैंने तेरा लण्ड देखा था तो मुझे एक नजर में पसंद आ गया था। मेरी चूत बुरचोदी गीली हो गयी थी। तब से मेरी आँखों में तेरा लण्ड ही बसा है जीजू! कितना प्यारा और कितना मस्त लौड़ा है तेरा!
मैंने कहा- आई लव यू माय डियर साक्षी! ।
वह बोली- आई लव यू जीजू वैरी मच एंड आई लव योर लण्ड टू!
फिर हम दोनों नंगे नंगे बेड पर गए और एक दूसरे के सामने 69 बन कर लेट गए।
मैं उसकी बुर चाटने लगा और वह मेरा लण्ड!
बुर के साथ मैं उसकी खूबसूरत जांघें भी चाटने लगा।
पोले पोले दांतों से जांघें प्यार से काटने भी लगा।
उसकी मस्तानी गांड भी चाटने लगा, चूतड़ों पर प्यार से थप्पड़ मार मार कर मज़ा लेने लगा।
फिर मैं दोनों उसके दोनों निपल्स भी मसलने लगा।
वह भी मेरे नंगे जिस्म पर सब जगह फिराने लगी, मेरी जाँघों पर मेरे चूतड़ों पर फिर मेरे पेल्हड़ भी प्यार से चूमने चाटने लगी।
मेरे लण्ड पर थप्पड़ मारकर बोली- तू भोसड़ी का बड़ा प्यारा है यार! कितना मोटा है तू … कितना लंबा है तू! तू मेरी जान जान ले लेगा। मुझे तुम पर बड़ा प्यार आ रहा है।
मैंने कहा- मुझे भी रहा है साक्षी!
वह बोली- अरे जीजू, मैं तुमसे नहीं आपके लण्ड से बात कर रही हूँ। मुझे लण्ड से बात करना बड़ा अच्छा लगता है। मैं जब किसी का लण्ड पकड़ती हूँ तो लण्ड से बातें जरूर करती हूँ। मुझे लण्ड से बतलाना बड़ा अच्छा लगता है।
मैंने पूछा- तुम अब तक कितने लण्ड पकड़ चुकी हो साक्षी?
वह बोली- लण्ड तो मैंने बहुत पकड़े हैं जीजा जी, पर किसी मादरचोद का लण्ड इतना जबरदस्त नहीं था जितना आपका है। मुझे तो आपके लण्ड से मोहब्बत हो गई है जीजा जी।
तब तक मैं बहुत जोश में आ गया था.
मैंने उसे बेड कोने में घसीटा और उसकी टांगें फैला दीं और मैं नीचे खड़ा हो गया.
मेरा लण्ड उसकी चूत के सामने आ गया।
मैंने लण्ड गच्च से पेल दिया लण्ड अंदर!
लण्ड सरसराता हुआ अंदर पूरा घुस गया।
उसके मुंह से उफ निकला, वह भी मजे से चुदवाने लगी।
मुझे अहसास हुआ कि वह पहले से चुदी हुई है।
लेकिन मुझे उसे चोदने में मज़ा आने लगा।
मैं स्पीड बढ़ाता गया और वह भी अपनी गांड उचका उचका कर चुदवाती गयी।
उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने नाचने लगीं।
मैं उन चूचियों पर बार बार प्यार से हाथ मारने लगा।
वह बोली- हाय मेरे जीजू, मेरे राजा, आज मुझे खूब अच्छी तरह से चोदो, सच पूछो तो मैं तुमसे चुदवाने ही आयी हूँ। आपके लण्ड का मज़ा लेने आई हूँ। आपका लण्ड अपनी बुर में ठोकवाने आई हूँ. तुमसे चुदने आयी हूँ मेरे भोसड़ी के जीजू! मुझे रंडी की तरह चोदो, मुझे हर रोज़ चोदो, मुझे चोद चोद के रंडी बना दो। मैं बुरचोदी बहुत चुदक्कड़ लड़की हूँ। हर रोज़ लण्ड लेती हूँ। हर रोज़ चुदवाती हूँ। फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी चूत! वॉवो हूँ हो हूँ हो बड़ा !अच्छा लग रहा है. ही हूँ ही हो चोद हाय रे … क्या लौड़ा है क्या मस्त चुदाई है. वाह, मज़ा आ गया. और चोदो दिन रात चोदो मुझे। खुल्लम खुल्ला चोदो मुझे … तेरी बहन का भोसड़ा जीजू। मुझे चोदे जाओ। तेरी बहन की बुर। तुम ही मेरे मरद हो यार। लण्ड पेल पेल कर चोदो!
साक्षी सच में चुदाने में बड़ी मस्त थी।
मेरी साली के साथ पहली चुदाई थी तो न वह बड़ी देर तक रुक सकी और न मैं।
वह भी खलास हो गयी और मैं भी।
तब वह मेरा झड़ता हुआ लण्ड बड़े प्यार से चाटने लगी।
फिर मैं नहा धोकर फ़ौरन अपने ऑफिस चला गया।
शाम को मैं अपने ऑफिस से आ गया और मेरी बीवी अपने ऑफिस से!
हम लोग ऐसे मिले जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
आते ही मेरी बीवी ने बताया- अरे सुनो, आज जेठानी जी का फोन आया था। कल उसके बेटे का मुंडन संस्कार है। उसमें हम सबको सवेरे से ही जाना है। हमारे साथ कुछ और भी लोग हैं जो चलेंगे।
मैंने कहा- ठीक है, मैं कल की छुट्टी ले लूंगा।
मेरे भाई साहब का घर यहाँ से 12 किलोमीटर दूर है।
सवेरे सवेरे हम सब तैयार हो गए और गाड़ी में बैठ गए।
तब तक कुछ और भी लोग आ गए तो मेरी बीवी ने कहा- साक्षी, तुम अपंने जीजू के साथ मोटर साइकिल से आ जाना. अब कार में तो जगह है नहीं।
साक्षी ने कहा- ठीक है दीदी, मैं जीजू के साथ आ जाऊंगी, आप लोग चलिए।
उन लोगों के जाने के बाद साक्षी मुझसे लिपट गयी और बड़े सेक्सी अंदाज़ में बोली में बोली- अब तो मैं तुमसे चुद कर ही जाऊंगी जीजू! तेरे लण्ड का मज़ा लेकर ही जाऊंगी जीजू!
मैंने भी हंस कर कहा- हां हां मेरी रानी, मैं भी तुझे चोद कर ही जाऊंगा। तेरे चूत का मज़ा लेकर ही जाऊंगा।
फिर क्या … उसने अपने कपड़े उतार दिया और मैंने अपने कपड़े!
वह मेरे आगे नंगी हो गयी और मैं उसके आगे नंगा हो गया।
साली मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसके नंगे बदन से खेलने लगा।
मैंने कहा- साक्षी, आज मैं तुम्हे पीछे से चोदूंगा। डॉगी स्टाइल में चोदूंगा।
वह बोली- हां हां, बिल्कुल चोदो। किसी भी स्टाइल में चोदो, मगर चोदो और खूब जम कर चोदो।
मैंने सच में उसे घोड़ी बना दिया और पीछे से पहले उसकी चूत में उंगली डाल कर खूब गर्म किया।
वह भी इतनी मस्त जवान है कि उसकी चूत हमेशा गीली ही रहती है, हमेशा गर्म ही रहती है।
मैंने जैसे ही लण्ड घुसेड़ा तो वह अंदर तक घुसता ही चला गया।
वह भी अपने दोनों हाथ नीचे जमीन पर रखे हुए अपनी गांड को आगे पीछे करती हुई बड़ी मस्ती से चुदवाने लगी।
साक्षी चुदवाने में बड़ी जबरदस्त लड़की है।
इतनी अच्छी तरह से तो मेरी बीवी भी नहीं चुदवा पाती।
वैसे भी साली की चूत बीवी की चूत से कहीं ज्यादा अच्छी और प्यारी लग रही थी मुझे!
मैंने उसे वहां जाने के पहले एक बार नहीं दो बार चोदा और खूब घपाघप चोदा।
अब उसकी शादी हो गयी है मगर वह जब भी मिलती है तो मुझसे चुदवाती जरूर है।
उसकी ससुराल लोकल ही है।
जब जब उसका पति बाहर जाता है तो वह मुझे बुला लेती है और मैं भी उस Xxx साली की चू जी भर के चोदता हूँ और खूब मजे ले ले कर चोदता हूँ।
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