Important Notice: Mail for rent - info@tottaa.com

Massage Girl in Chatra: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Chatra who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Chatra that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Chatra massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Chatra who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Chatra massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Chatra massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Chatra who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Chatra employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Chatra helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Chatra

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Chatra at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi Sex Stories

मेरा नाम मोहित है। मैं इन्दौर में Hindi Sex Storiesरहता हूँ। मेरी उमर अभी ५२ वर्ष है। मैं एक सरकारी नौकरी में हूँ। मैने कुछ ही दिनों से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। मुझे भी अपनी आप बीती लिखने की इच्छा हुई। मुझे ये बताने में जरा भी संकोच नहीं है कि ये सब मैने नेहा वर्मा के कहने पर उसे बताया। और उसी ने मेरी आप बीती आप लोगों को बताने को कहा और आप तक पहुंचाया।

यूं तो मेरी आप बीती आप लोंगो को बहुत साधारण सी लगेगी… क्योंकि ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता है। सच तो यह है कि नेहा की कहानी “अंकल की प्यास” कुछ कुछ मुझे अपनी सी लगी।

मैने अदिति से लव मेरिज की थी। वो बहुत ही सेक्सी लड़की थी। हमने अपनी जिन्दगी में बहुत सेक्स का लुफ़्त उठाया, जैसा कि सभी लुफ़्त उठाते है। मेरी बचपन की गलत आदतों से मेरा लण्ड पिछले कई साल से कुछ ढीला पड़ गया था। अब धीरे धीरे रही सही कसावट भी जाती रही। बाज़ार में मिलने वाली सभी दवाईयों को मैं आजमा चुका था।

मेरा डाक्टर दोस्त ने भी खासे एक्सपेरिमेंट मेरे ऊपर किये…पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। एक बार तो मैने क्रीम का भी उपयोग किया …. पर उसका तो और ही उल्टा प्रभाव हुआ। नीम हकीमों के पास भी गया…कई बार तो मेरी तबियत भी इतनी खराब हो गई कि मुझे होस्पिटल में भरती होना पड़ा। इसलिये मेरा आपसे भी ये अनुरोध है कि आप भी अगर ऐसी कोई समस्या से पीड़ित हो तो कृपया नीम हकीम के चक्करों में ना पड़े।

मेरी इस हालत का असर मेरी पत्नी पर भी हुआ। अब वो मेरे से दूर रहने लगी। सेक्स की बात तक नहीं करती थी। मेरे हाथ भी लगाने से उसे अच्छा नहीं लगता था। धीरे धीरे मेरे सुनने में भी आने लगा कि अदिति के किसी दूसरे के साथ लग गई है। घर में इस बात को लेकर मैं उलझ भी पड़ता था। कइ बार मैने पत्नी से विनती भी की कि मुझे भी बहुत इच्छा होती है…. मुझे ऊपर से सहला कर या मुठ मार कर….या लण्ड चूस कर मेरा वीर्य निकाल दिया करो। पर उसका कहना था कि ऐसे करने से उसके तन बदन में आग लग जाती है….उसे कौन चोदेगा फिर। मेरा कहना था कि फिर मैं कहां जाऊं। किससे कहूं…. किसके साथ अपनी प्यास बुझाऊं।

अब तो ये हाल है कि मेरी पत्नी मुझसे ज्यादा बात ही नहीं करती। अब अलग कमरे में सोता हूँ…. बस देर रात तक मैं पोर्न साईट देखता रहता हूँ और मुठ मार कर अपना माल निकाल देता हूँ। अब तो इसकी मुझे आदत सी हो गई है।

इन्हीं दिनों मेरी मुलाकात नेहा से हुई। वो किसी समय में अदिति की छात्रा थी। उसमें मुझे कोई बात अलग सी लगी। उसके बात करने का अन्दाज़ और उसकी सहानुभूति का अन्दाज़ भी अलग था ….कहा जाये तो बहुत मधुर स्वभाव की जान पड़ी। हालांकि वो तो मेरे से बहुत छोटी थी। करीब २५ साल की होगी। फ़िगर और सेक्स अपील उसमे बहुत थी। मुझे वो सुन्दर भी बहुत लगती थी।

एक दिन बातों बातों में उसने मुझे पूछ ही लिया “अंकल…. आप अलग क्यो रहते हैं…. ये कमरा तो शायद बैठक है….” ये सीधे मेरे दिल पर चोट थी।

“ऐसी कोई बात नहीं है…. बस मैं लिखता पढ़ता बहुत हूँ….इसलिये मुझे डिस्टर्बेन्स नहीं चाहिये….”

“पर आन्टी तो आपको बुरा भला कहती है….कि बुढ्ढा तो किसी काम का नहीं है…. बस परेशान करता रहता है….” नेहा ने मुझसे हंसी में कहा। फिर एक चोट दिल पर लगी। मेरी आंखे कब गीली हो गई मुझे पता ही नहीं चला। पर मेरे छलकते आंसू नेहा की नजरों से नहीं छुप सके।

मै ऊपर से मुस्कराते हुए बोला….”अदिति….बहुत प्यारी है….वो तो मजाक में कहती है….देख मैं बुढ्ढा लगता हूँ….” अपनी लड़खड़ाती आवाज को मैं खुद भी नहीं छिपा सका।

“सॉरी अंकल…. मेरा मतलब ये नहीं था….सच में सॉरी….” उसने मेरा हाथ थाम लिया। मैं अपने आंसू नहीं रोक पाया पर दो बून्दें टपक ही पड़ी। नेहा को शायद दुख हुआ।

मेरे माथे को चूमती हुई बोली,”आप तो मेरे पिता समान है…. पर मैं तो आपको बोय फ़्रेंड मानती हूँ ना….” मैने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। मैने भी हालात को सम्हालने की कोशिश की।

“हाय….मेरी गर्लफ़्रेन्ड…. ” मैने उसके उसके गाल चूम लिये।

“अंकल…. कैसी भी बात हो ….प्लीज़ मुझे बताईये ना….”

“अरे छोड़ ना….जख्मो को कुरेदेगी तो फिर से घाव रिसने लगेगा….”

“एक अन्दर की बात बताऊं….आप को शक है ना कि मैं कामुक कहानियाँ लिखती हूँ….हां अंकल मैं ही वो नेहा हूँ….”

“सच…. देखा मेरा आईडिया सही था ना…. तब मै तुम्हे सब बता सकता हूँ।” मैने उसे धीरज से पूरी कहानी बताई…. नेहा ने मेरी इज़ाज़त लेकर उसे अपने छोटे से रेकोर्डर में रेकॉर्ड कर लिया।

“अंकल बुरा ना माने तो मैं एक बात कहू….”

” हां….हां….कहो मेरी गर्ल फ़्रेन्ड….” मैने उसे हल्का सा मजाक करते हुए कहा।

“आपने बताया कि आप में कमजोरी आ गई है…. मुझे लगता है आप इन्टरकोर्स कर सकते है…. बस आंटी का रूखापन आपको मार गया है….”

” हो सकता है…. आज कल उसके और आनन्द के चर्चे भी हो रहे है…. शायद वो उससे खुश भी है….” मैने अदिति की एक तरह से शिकायत की। पर नेहा का इरादा कुछ और ही था। उसने सीधा मुझ पर वार किया -“मैं कुछ आप पर ट्राई करूं….” उसने मेरी पेन्ट के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ रखते हुए कहा।

मैं एकदम से शरमा सा गया….असंमजस की स्थिति में हो गया कि अचानक ये क्या….। पर दिमाग ने सोचा कि इससे मेरा क्या लेना देना…. करने दो….ज्यादा से ज्यादा मुझे गाली दे कर चली जायेगी और क्या होगा। मेरी सोच कुछ अलग होने लगी। शायद कुछ स्वार्थ समाने लगा था या मैं मजे का मौका नहीं छोड़ना चाह रहा था।

“क्या…. जैसे…. ” उसका हाथ मेरे लण्ड पर कसता जा रहा था। मुझे तेज सिरहन आने लगी थी। मैने उसे निराशा से कहा -“नेहा…. छोड़ो ना…. कोई फ़ायदा नहीं है….”

जवाब में उसने मुस्कराते हुए अपने होंठ मेरे होंटो पर चिपका दिये…. मुझे धकेल कर सोफ़े पर लेटाने लगी। मेरे हाथों को उसने अपनी छातियों पर रख दिया। मेरी इच्छायें बलवती होने लगी। अन्दर का मर्द जाग उठा। मेरा ठन्डा खून एकाएक उबल पड़ा। मैंने उसे कस लिया। नेहा ने भी ऐसा दिखाया कि जैसे उसे नशा सा आ गया हो।

“मैं आपको खुश कर रही हूँ….कुछ इनाम दोगे….?”

“हाय….नेहा…. तुम कितनी अच्छी हो….”

“अंकल…. अपना पजामा उतारो ना….” नेहा ने भी अपनी जीन्स उतार दी…. आश्चर्य ….मेरा लंड खड़ा हो चुका था….

नेहा बिस्तर पर लेट गई और अपने दोनों पांव ऊपर उठा लिये। उसकी गोल गोल गाण्ड और चूत रोशनी में चमक उठी। उसकी जवानी और नीचे के कटाव गजब के थे…. फूल जैसी चूत की दो पन्खुड़ियां खिल उठी।

“अंकल ….आओ न….” नेहा ने मुझे चोदने का न्योता दिया। मैं लपक कर उसके दोनो पांवो के बीच आ गया…. मेरे अन्दर नई उत्तेजना थी….लण्ड को खड़ा देख कर और जवान लड़की को देख कर मेरी उत्तेजना फ़ूटी पड़ रही थी। मेरा सुपाड़ा भी फूल कर लाल हो गया। पर उसी समय मुझे अपना कोन्फ़ीडेन्स डगमगाता हुआ दिखाई दिया और मेरा लण्ड मुझे ठन्डा होता जान पड़ा। मैने अपना लण्ड नेहा की चूत में लगाया और धक्का दिया। पर हाय…. वो अन्दर नहीं गया और फ़िसल कर नीचे आ गया। मैने फिर से ट्राई किया पर नहीं घुसा।

मैं घोर निराशा में डूब गया। मैं धीरे से उठा और बिस्तर से नीचे आ गया। मेरा मुँह उतर गया था। नेहा तुरन्त बिस्तर से उतर आई और अपनी जीन्स पहन ली।

“अंकल …. आप बिलकुल ठीक है….इतना कठोर था…. बस आप कोन्फ़ीडेन्स छोड़ देते है….”

“नही….नेहा सॉरी…. तुम बेकार ही ये सब कर रही हो….”

“नहीं अंकल…. बस आप मुझे अच्छे लगते है…. मेरा तो मन आप पर आ गया है….” नेहा ने मुझे प्यार करते हुए कहा।

“क्याऽऽऽ….तुम्हारा दिमाग तो सही है न…. मै बुढ्ढा ५२ साल का और अभी तो तुम ….”

“आपकी गर्लफ़्रेन्ड…….. अच्छा अंकल कल मैं इसी समय फिर आऊन्गी…. आंटी तो स्कूल जाती है ना इस टाईम….” नेहा इठलाते हुए चली गई।

मैं सोचता रहा कि क्या कुछ जादू हो गया…. नेहा एक दम से मुझसे कैसे प्यार करने लगी…. हुहं मरने दो…….. साली चालू होगी….। वरना कोई क्या ऐसे ही चुदने को तैयार हो जायेगी ??

अगले दिन ठीक उसी समय नेहा आ गई। मैने सोच लिया था कि आज ये जितना मजा देगी उसका मैं उसे पेमेंट कर दूंगा। आते उसने सवधानी से सभी ओर देखा….

“कोई नहीं है…. ” मैने हंस कर कहा। और वो मुझसे लिपट गई…. उसने फिर से मुझे उत्तेजित करना चालू कर दिया। इस बार मैने सोच लिया था कि मजे करूंगा और उसे कुछ रूपये दे दूंगा। मैने भी उसके बोबे मसलने शुरु कर दिये। उसने मेरा पायजामा खोल दिया।

आज वो साड़ी पहन कर आई थी। उसने साड़ी समेत अपना पेटिकोट ऊंचा कर लिया और बिस्तर पर लेट गई। मुझे ख्याल ही नहीं रहा कि मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। बस मैं उसके ऊपर चढ गया और लण्ड नेहा की चूत में घुसा डाला।

“हाय अंकल…. मैं तो चुद गई…. कस के चोद दो….प्लीज….धक्के लगाओ…. हाय रे….”

मैं उसकी नंगी भाषा से और उत्तेजित हो उठा। और मस्त हो कर उसे चोदने लगा। मुझे लगा कि सारी जन्नत मेरे नीचे है…. सारी नसें खिंच कर लण्ड में भरने लगी। शरीर में फ़ुरहरी छूट गई…. और…. मेरे लण्ड ने फ़ुहार छोड़ दी। नेहा ने मुझे कस कर पकड़ लिया…. मै झड़ता रहा …. लगा मेरे शरीर की एक एक बूंद निकल गई है…. मैं हांफ़ उठा था।

अचानक मुझे मह्सूस हुआ….अरे ये कैसे हो गया….क्या मैने अभी अभी चुदाई की थी। नेहा अपनी साड़ी ठीक कर रही थी।

“थेंक यू माय बॉय फ़्रेंड…. फ़ोर ए नाईस फ़क….” नेहा ने मुस्करा कर कहा।

“नेहा….पर ये सब…. हो गया ना….”

“आप मर्द है….अभी आप सब कुछ कर सकते हो…. पर कल मैं फिर आ रही हूँ…. कल जरा और जोरदार फ़क….थोड़ा ज्यादा देर तक…. ठीक है ना….।”

मैं नेहा से लिपट पड़ा। मैने जेब से उसे १००० रु का नोट निकाल कर दिया….

“नेहा प्लीज मना मत करना…. अपने लिये मेरी तरफ़ से कोई गिफ़्ट ले लेना….”

” बस अंकल…. मेरी बोली लगा दी ना आपने….”

“नेहा नहीं….नहीं…. क्या मैं अपनी गर्लफ़्रेन्ड को कोई गिफ़्ट नहीं कर सकता….?” मैने अपनी नजरे शर्म से झुका ली….जिसमे गलती का अहसास भी था और ग्लानी भी थी….शायद पकड़े जाने की….

“अंकल लाओ ये रुपये अब मेरे…. पर देखा आप कहते थे ना…. आंटी आपको बुढ्ढा कह्ती थी…. अरे अपनी मर्दानगी बता दो उसे…. “

“नेहा …. पर ये अचानक ही कैसे हो गया….”

“एक जैसे लाईफ़…….. एक जैसी रोज की चुदाई…. ज़िन्दगी में एकरसता…. कोई नयापन नही…. नया आसन नही…. वगैरह….ना तो आपमे कोई कमी है और ना ही आंटी में….”

मैं उसे देखता ही रह गया। इतनी सी उमर मे….इतना ज्ञान…. फिर क्या नेहा ने सिर्फ़ मेरा आत्मविश्वास उठाने के लिये ये सब किया।

“अब मैं जाती हूँ…. अंकल कल मैं इसी समय फिर आऊंगी…. याद रहे…. कल कस के चुदाई करना…. कि मुझे नानी याद आ जाये….”

वो लहराती हुई चली गई…. मैं दरवाजे पर खड़ा उसे देखता रह गया…. जिसे मैं शुरु से अपनी बेटी की तरह प्यार करता था उसने मुझे ये सब करके मेरी ज़िन्दगी में फिर से एक आत्मविश्वास जगाया। मुझे अपना बॉय फ़्रेन्ड बना कर मुझे बता दिया कि मैं अभी भी सब कुछ कर सकता हूँ।

ये थी मोहित की आप बीती सच्ची कहानी…. जिसमे मैने अपने आपको हिरोइन के रूप में रखा है। इन दोनो चरित्रों के नाम बदले हुए है। ये आप बीती मुझे एक मेल द्वारा प्राप्त हुई थी। पर मेरा मानना है कि ये एक अस्थाई वासना का रूप है…. जो कि एक जवान लड़की को देख कर आग की तरह भड़क जाती है….तो जल्दी बुझ भी जाती है। एक नयापन जिन्दगी में आता है…. । नसों में नया जोश….नया खून दौड़ पड़ता है…. लण्ड एक बारगी तो फ़ड़फ़ड़ा उठता है…. और आगे….Hindi Sex Stories

प्रेषिका : रीना शर्मा Antarvasna Sex Stories

मेरी एक प्रिय पाठिका ने Antarvasna Sex Stories अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर अपनी यह आपबीती मय डायलोग के मुझे भेजी है। हां पाठकों के मनोरंजन के लिए इसमें कुछ मसाला भी डाला गया है। उसका नाम तो चलो गुप्त ही रखेंगे, पर कुछ नाम तो रखना ही है ना, तो चलो मैं हीरोईन को अपना नाम रीना दे देती हूँ।

हां, प्रतीक नाम वास्तविक है। उसका कहना है कि ये तो बस बातों बातों में हो गया, हम दोनों में से किसी का ऐसा इरादा नहीं था।

प्रतीक एक सीधा साधा जवान लड़का था। मैं उस समय पूना में नौकरी करती थी। प्रतीक के पापा और मेरे पापा दोस्त थे। जब प्रतीक का फोन मेरे पास आया तो मुझे उसके आने की बहुत खुशी हुई। वो मेनेजमेन्ट कर रहा था और उसके पास नौकरी का ऑफ़र आ गया था। वो एक प्रथम श्रेणी का विद्यार्थी था।

उसे सवेरे ही बस से पूना आना था। मैं उसे लेने के लिये बस स्टेण्ड आ गई। बीस बरस का जवान लड़का दूर से ही पहचान में आ गया। वो मुझे देखते ही लिपट गया।

“रीना दीदी, तू आई है मुझे लेने…”

“अरे कैसे नहीं आती … तू जो आ रहा था !”

एक जवान लड़के का लिपटना मुझे बहुत भाया… मैंने जोश में उसे चूम लिया, उसने भी प्रति उत्तर में मुझे चूमा। मैं उसे घर ले आई।

“रीना दीदी , इतने बड़े घर में तुझे डर नहीं लगता…”

“नहीं, बिल्कुल नहीं, मेरे जैसी काली लड़की पर कौन ध्यान करेगा?”

“नहीं, वो कोई गुण्डा, बदमाश …?”

“वो तो सुन्दर लड़कियों को खतरा होता है … मैं तो उसे और पकड़ लूँ !”

वो यह सुन कर हंस दिया। हम दोनों नाश्ता करके बतिया रहे थे। दोनो ही एक डबल बेड पर आराम कर रहे थे।

“दीदी, शादी क्यूँ नहीं कर लेती … 26 साल की हो रही हो !”

“तू कर ले यार मुझसे शादी … मैं तेरा पूरा ख्याल रखूंगी ! बस ?”

वो फिर से हंस पड़ा,”यार, मजाक मत कर … तेरी जैसी प्यारी दीदी से शादी कौन नहीं करेगा… कोई बॉय फ़्रेन्ड नहीं है क्या?”

“तू है ना … मेरा दोस्त बन जा और दीदी कहना छोड़ दे !”

“अरे तू तो दोस्त तो है ही, बड़ी है ना इसलिये दीदी कहता हूँ।”

“अरे मेरे भोले पंछी … तुझे कब समझ में आयेगा कि दीदी के साथ कुछ नहीं कर सकते, जबकि दोस्त के साथ सब कुछ कर सकते हैं !”

“हां, पर हम तो दोस्त है ना, अच्छा अब मुझे अब सोने दे !”

“सो लेना यार, आज तो रविवार है … अच्छा तूने कोई लड़की पटाई या नहीं?”

“दीदी, तू है ना पटी पटाई … और किसे पटाना है, वो तृप्ति तो मतलबी है, बस उसी का सारा काम करो !”

“कुछ किया उसके साथ… या यूं ही फ़ोकट में काम करता रहा ?”

“नहीं नहीं… मैं इतना बेवकूफ़ थोड़े ही हूँ, उससे आईसक्रीम तो खा ही लेता हूँ !”

“और दूसरी आईसक्रीम …?”

मेरे स्वर में अब वासना का पुट आने लगा था। वो समझ गया मेरा इशारा…।

“दीदी, यूँ कोई हाथ थोड़े ना लगाने देता है… वो रेशमा तो बस मुझे आंख मार कर ही काम चला लेती है।”

मेरे दिल में बेईमानी आने लगी थी। मैं उसके पास खिसक आई।

“तूने कभी कहीं किसी लड़की को हाथ लगाया है …?”

“कहां पर दीदी …?”

मेरी सांसे तेज सी होने लगी। मैने हिम्मत करके उसे अपने सीने की ओर हाथ करके बताया।

” यहाँ पर … !”

“अरे मारेगी नहीं वो मुझे …?” वो हंसता हुआ बोला।

“पता है ! एक बार इसे छू ले तो वो मस्त हो जायेगी !”

मेरे सीने के उभारों को देख कर वो बोला,”तेरे तो बहुत बड़े है, इन्हें छू लूँ क्या… मारोगी तो नहीं तुम?”

“चल छू ले … देख तुझे कैसा लगता है !”

उसने डरते डरते मेरे उभरी हुई चूचियों को हाथ लगाया। मैंने जानबूझ कर एक मस्ती की सिसकारी ली।

“आह, कितना मजा आया, थोड़ा और छू ले…” उसकी आंखो में चमक आ गई। उसकी सांस तेज होने लगी। उसने मेरे उरोजों की गोलाईयो को हाथ फ़ेर कर सहलाया। एक अनजाने से नशे में मैं खो सी गई। उसका लण्ड धीरे धीरे खड़ा हो गया।

“दीदी, आपको अच्छा लग रहा है क्या … देखो मुझे भी जाने कैसा कैसा हो रहा है !”

“बुद्धू, अन्दर हाथ डाल कर छू ना…” मेरी चूत गीली होने लगी थी।

“तेरा टॉप तो इतना टाईट है कि बस ! दीदी इसे उतार दे तो छू सकता हूँ…”

मुझे लगा कि प्रतीक अब बहकने लगा है … उसकी शरम दूर करने का बस यही मौका था।

“तू उतार दे ना …”

उसने मेरी बनियान नुमा टॉप ऊपर खींच कर उतार दी। मेरे दोनों कबूतर बाहर आकर खिल उठे।

“पता है, मेरी मम्मी के भी ऐसे ही हैं … !”

“ओफ़्फ़ोह, मम्मी की दुम, अब सहला ना !”

उसने ध्यान से मेरे स्तन देखा और मेरे चुचूक छू कर हिलाने लगा। मेरी आंखों में खुमारी आने लगी।

“दीदी, अरे बाप रे, कितने कड़े है ये दुद्धू…”

“ये मस्त गोले भी तो है ना …” मैं और उससे चिपकने लगी।

“अरे दूर रह ना, मुझे दूध थोड़े ही पीना है”

“प्लीज पी ले … इसे चूस ले…”

उसने मुझे देखा और मेरे बोबे को उसने अपने मुख में भर लिया। उसे चूसने लगा। मैं अपने आपे से बाहर हो गई और उसके ऊपर झूल सी गई और अपने उरोज उसके मुख में जोर से दबा दिये ।

“दीदी, ये क्या कर रही हो, मेरी सांस रुक रही है …”

उसका कड़ा लण्ड मेरी चूत से टकरा गया। जींस के ऊपर से ही मैने रगड़ मार दी।

प्रतीक के मुख से आह निकल गई। मैंने भी अब प्यार से उसे अपने दूध को खूब चुसवाया।

“दीदी, इसमें तो बहुत मजा आता है … तेरी जींस कितनी चुभ रही है, पजामा क्यों नहीं पहनती है?”

“हां यार ! चल इसे उतार देते हैं…”

“हट रे … तू तो इतनी बड़ी लड़की है, नंगी हो जायेगी तो शरम नहीं आयेगी?” प्रतीक कुछ असमंजस में बोला।

“अरे तो कौन देख रहा है ? अपन दोनों ही तो हैं ना … चल उतार देते हैं…”

मैंने पहल की और अपनी जीन्स उतार दी, मैं तो पूरी नंगी हो गई। नंगापन महसूस होने से मुझे एक बार तो लाज सी आई और मुझ में रोमान्च सा भर आया, मेरे रोंगटे जैसे खड़े हो गये।

“रीना, तू चादर लगा ले ना, इतनी बड़ी लड़की नंगी देख कर मुझे तो अजीब लग रहा है !”

“छोड़ ना, अपनी जींस तो उतार…!” मैने उसे उलाहना दिया।

उसने झिझकते हुये अपनी पैण्ट उतार दी और अपना हाथ लण्ड के आगे रख कर छुपा लिया। उसका सर झुका हुआ था,”दीदी, मुझे तो शरीर में जैसे सनसनी सी आ रही है, आप ये क्या करवा रही हैं…?”

मैं उससे जाकर लिपट गई। और अपना चेहरा उसके चेहरे के समीप कर दिया। उसकी महकती खुशबू मेरे नथुनों में समाने लगी। उसने भी मेरा ये पोज देख कर मेरे अधरों से अपने अधर मिला दिये। नीचे उसका लण्ड मेरे योनि द्वार पर दस्तक देने लगा था। पर वो इस मामले में नया था सो वो कुछ नहीं कर पा रहा था।

“प्रतीक, अपनी कमीज भी उतार दो ना, मेरी तरह नंगे हो जाओ… शरम ना करो ! प्लीज !”

उसने अपनी कमीज भी उतार दी।

“तुमने मेरे दूध पिया था ना, अब मुझे भी कुछ पीने दो…!”

“मेरे पास दुद्धू नहीं है, तो क्या पीयोगी…?”

“बस चुप …”

मैं धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और उसके लण्ड के पास पहुंच गई, वीर्य जैसी महक से मैं मदहोश सी हो गई। उसके लण्ड को पकड़ कर मैंने उसकी चमड़ी ऊपर कर दी।

“दीदी, मुझे शरम आ रही है … यह क्या कर रही हो…?”

मैंने वासनायुक्त निगाहों से उसे मुस्करा कर देखा और उसका लाल सुपाड़ा अपने मुख में रख लिया। लण्ड नया था उसकी स्किन सुपाड़े से लगी हुई थी। उस

स्किन को चीर कर उसे मर्द बनाना था। मैने उसके डण्डे को कस कर पकड़ लिया और झटके दे देकर मुठ मारने लगी। मेरा मकसद उसकी त्वचा चीरना था। कुछ झटकों से उसकी स्किन चिर गई और खून निकल पड़ा। वो दर्द से कराहा भी … पर अब स्किन फ़टने के बाद मैं धीरे धीरे मुठ मारने लगी,। मुख में सारा खून चूस लिया, उसे खून का पता भी नहीं चला कि उसकी स्किन फ़ट चुकी है। उसके लण्ड की चमड़ी पूरी पलट गई और लण्ड पूरा खुल गया।

मैं उसका लण्ड बड़े चाव से चूसने लगी। उसे दर्द के बीच एक अनोखा सा मजा आने लगा था। मेरी आंखों में वासना के लाल डोरे खिंच चुके थे। काफ़ी दिनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी, इसलिये मेरी चूत बहुत ही लपालपा रही थी। बस लण्ड चूत में घुसा लूं यही लग रहा था।

“बड़ा जोरदार है रे तेरा लण्ड…”

“छीः दीदी गाली होती है ये तो …”

“इसे लण्ड ही कहते हैं और मेरी इसको चूत कहते है… याद रखना …”

“दीदी, आज तो तू सारी गन्दी बातें कर रही है !”

“गन्दी !!!, अच्छा तुझे मजा नहीं आ रहा है क्या…?”

“हां वो तो आ रहा है… पर ये नीचे चूसना … इससे तो सू सू करते हैं ना और तू है कि इसे चूसे जा रही है … रोक मत ना और जोर से चूस …”

“देखा मजा आ रहा है ना … अब तू भी मेरी चखेगा …”

“वो कैसे … क्या तेरा लण्ड भी चूसूँ…?”

“अरे चल हट … मेरी चूत की बात कर रही हूँ।”

मैंने उसका लण्ड छोड़ दिया और बिस्तर पर लेट गई। अपनी चूत खिसका कर एक तरफ़ कर दी। प्रतीक बिस्तर के नीचे बैठ गया और मेरी दोनों टांगों के बीच आ गया।

“ये देख … इसे भी चूसना …” मैंने नीचे हाथ अपने दाने पर लगाया और उसे बता दिया। उसके होंठ मेरी चूत से लगते ही मुझे झुरझुरी सा आ गई। उसकी जीभ लपलपा उठी और उसने मेरी पूरी चूत को चाट लिया। मैंने गुदगुदी के मारे टांगें और उठा ली। तभी उसकी जीभ मेरे गाण्ड के छेद पर आ गई। आनन्द के मारे मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। वो भोला, भला क्या जाने कि क्या चाटना है। पर मुझे तो उसने मस्ती ला दी। तभी उसकी जीभ ने मेरे दाने को बुरी तरह से हिला डाला। जैसे तेज और तीखी चुभन सी हुई। हाय रे ! ये सब कितना अच्छा लग रहा था। मेरा अंग अंग तड़प उठा था। वो कभी मेरी गाण्ड का छेद चाट रहा था, तो कभी चूत में उसकी जीभ घुस पड़ती थी तो कभी मेरे दाने को दबा कर हिला कर मुझे घायल सा कर देता था।

“प्रतीक, अब मेरे पास आजा, मुझे प्यार कर…!”

“हां दीदी, मुझे भी देख कितनी मस्ती आ रही है … ये लण्ड तो देख ना … कैसा हो रहा है !”

मैने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और हम दोनों एक दूसरे से लिपट पड़े। वो मेरे नीचे दबा हुआ जैसे छटपटा रहा था। मैं उसके ऊपर बैठ गई और उसका खड़ा डण्डे जैसा लण्ड थाम लिया। उसका लाल सुपाड़ा खून की एक बारीक धार से और लाल हो गया था। उसे मैंने अपनी चूत खोल कर अन्दर रख लिया।

“दीदी, ये क्या कर रही हो, सू सू को सू सू से मिला दिया?”

“आह्ह्ह, लण्ड चूत में घुसेड़ रही हूँ … अब मत बोल, बस मजे ले ले !”

मैंने धीरे से उसे भीतर ले लिया और अन्दर घुसाने लगी। उसे जलन सी महसूस हुई, पर वो बोला कुछ नहीं, बस थोड़ा सा चेहरा बिगाड़ लिया। उसका लण्ड पूरा लेकर मैं उसके ऊपर झुक गई। मेरे दोनों स्तन उसके चेहरे के नजदीक झूल गये।

“पकड़ ले इसे, मसल डाल…”

“कैसी बोलती हो दीदी, आह तू क्या कर रही है, बहुत मजा आ रहा है !”

मैं और झुक गई। उसने मेरे स्तन मलने शुरू कर दिये। मैंने अपने अधर उसके अधरों से मिला दिये। मैंने अनाड़ी दोस्त को दबोच कर चुदाई करनी चालू दी। हम दोनों एक दूसरे में खो चले, हमारी कमर ऊपर नीचे हो कर सम्भोग में लिप्त हो गई। मेरे साथ प्रतीक भी अपने जीवन काल का प्रथम सम्भोग कर रहा था, मस्ती में खो चुका था। हम खो से गये … मुझे उसने जाने कब अपने नीचे दबोच लिया और चोदने लगा था। मेरे बाल मेरे चेहरे पर बिखर कर उलझ गये थे। दोनों तपते नंगे बदन तृप्ति की ओर बढ़ रहे थे, रफ़्तार तीव्र हो चली थी। मेरा तन जैसे रस से भर गया। जिस्म में मीठी सी गुदगुदी भर गई। मैंने अपने जिस्म को लहरा दिया और मेरा कामरस चू पड़ा… मैं झड़ने लगी… आनन्द से भरी पूरी … आह्ह्ह

मैं झड़ती चली गई। जैसे मेरे ऊपर अब कोई पहाड़ सा बोझ आ पड़ा हो, जान पड़ रहा था। मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया जाने वो कब तक मुझे चोदता रहा …

मेरी तन्द्रा तब टूटी, जब प्रतीक एक तरफ़ झड़ कर लस्त सा पड़ गया था। मैंने अपनी एक टांग उठा कर उसकी कमर में डाल दी। उसका वीर्य मेरी चूत से निकल कर एक तरफ़ बहने लगा। मैंने अपनी बाहें भी उसके गले में डाल दी और उस पर अपना भार डाल कर सो गई।

“दीदी, उठो तो खाना तो खा लें अब, देखो दोपहर के दो बज रहे हैं।”

मैंने देखा तो प्रतीक तैयार हो कर खड़ा था। मैंने अपनी ओर देखा तो शरमा गई, अब तक नंगी पड़ी हुई थी। वो मेरे यौवन को देख कर फिर से ललचाने लगा था। उसे चूत का चस्का लग चुका था। मेरी चिकनी जांघें, काले काले से चमकीले चूतड़, काली झांटे सभी कुछ उसे बहुत उकसाने का काम कर रहे थे। मेरे गोल-गोल बड़े स्तन देख कर वो कसमसा रहा था।

“तू बड़ा लार टपका रहा है रे … शाम है, रात है और फिर तनहाई भी है … और करेंगे शाम को, दिल छोटा मत कर … तेरी सू सू को नीचे कर ले…” फिर मैं खिलखिला उठी।

पाठको, यह बात तो गुप्त है, किसी को बताना नहीं। कोई जान जायेगा तो सभी मुझे चोद-चोद कर मेरा बेड़ा गर्क कर देंगे। ऐसा रिश्ता तो टॉप सीक्रेट होता है …

आपकी

रीना शर्मा Antarvasna Sex Stories

मेरा कॉलेज हमें हर साल कॉलेज ट्रिप पर लेकर जाता था.

मैं पहले तीन साल तो कॉलेज ट्रिप पर नहीं गया क्योंकि मैं मेरे पापा के दोस्त की कम्पनी में काम सीख रहा था.

कॉलेज खत्म होते ही एक अच्छी पोस्ट मिलने की लालच में मैं ज्यादा छुट्टियां भी नहीं लेता था.
पर मैंने लास्ट ईयर में कॉलेज ट्रिप जाने की सोची और साथ चलने के लिए सारे कॉलेज फ्रेंड्स को भी मना लिया.

कॉलेज के प्रिंसिपल सर मेरे पड़ोसी हैं और मेरे पापा के अच्छे दोस्त भी हैं.
तो मैंने उन्हें बाली ले जाने का आईडिया दिया और वह मान गए.

अब मैंने प्रिंसिपल सर और कॉलेज मैंनेजर ने बाली जाने का, वहां रहने और घूमने की पूरी तैयारी कर ली.

कॉलेज में अनाउंस भी करवा दिया.

मैं और मेरे सारे दोस्त तो पहले से ही तैयार थे … और भी बहुत से छात्र थे, पर सबके सब फ्रेशर थे.
हमें मिला कर कुछ ही सीनियर थे.

ट्रिप पर जाने से एक दिन पहले मैनेजर सर का एक्सीडेंट हो गया और वे अब हमारे साथ नहीं चल सकते थे.
प्रिंसिपल सर ने ट्रिप कैंसल करने की सोची, पर मेरे बहुत मनाने पर मान गए.

अब इस ट्रिप का नया लीडर और गाइड मैं हो गया था.
मेरे साथ प्रिंसिपल सर ने एक सर और दो मैडम को भी ट्रिप पर भेज दिया, जिनमें से एक का नाम सरोज है.

सरोज मैडम की हाईट 5 फीट है, रंग सांवला और शरीर भी थोड़ा मोटा है उनकी उम्र 50 साल होगी. वे दिखने में भी ठीक ठाक हैं.

हमारी दूसरी मैडम प्रिया कातिल फिगर की मालकिन हैं.
पूरा कॉलेज उन पर मरता है.

मैडम की उम्र 35 साल, रंग गोरा, हाईट 5.5 फीट और फिगर 36-30-38 का.
प्रिया मैडम के फिगर को देख कर ही लगता है कि वे रोज जिम जाती होंगी.

अब हम सब हवाई जहाज में बैठ गए.
मैं विंडो सीट पर बैठा था.
मेरे पास में प्रिया मैडम और उनके पास में सरोज मैडम बैठी थीं.

आज मैंने मौका देख कर प्रिया मैडम के साथ बहुत खुल कर बातचीत की.

वे भी बहुत ही फ्रैंक होकर मुझसे बात कर रही थीं.
हम सभी शाम को अपने रिज़ॉर्ट में पहुंच गए थे.

मैंने लड़कों के रूम्स का अलग और लड़कियों के रूम्स का अलग फ्लोर लिया था.
मेरा रूम लड़कियों के फ्लोर पर था जो मैंने जानबूझ कर प्रिया मैडम के रूम से लगा हुआ लिया था.

अब सब सुबह पूल में पहुंच गए.
पूल भी लेडीज का अलग था.
मैं लेडीज पूल में था.

प्रिया मैडम पूल के किनारे बैठी हुई थीं.
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके पास स्विमिंग ड्रेस नहीं है.

तो मैंने उनके लिए स्विमिंग कॉस्ट्यूम अरेंज करवा कर दिया.
पर उनकी टी-शर्ट ज्यादा ढीली थी और निक्कर थोड़ी टाइट.

उन्होंने वह ड्रेस ले ली और जैसे ही वह उस ड्रेस को पहन कर आयी तो क्या कातिल लग रही थीं.
वह जैसे ही पूल में उतरीं, उनकी टी-शर्ट उनके बूब्स से चिपक गयी.

आह क्या नजारा था.
चौड़ी गांड, मोटे मोटे बूब्स देख कर तो मेरा लंड ही खड़ा हो गया.

मैडम को स्विमिंग नहीं आती थी तो वे पानी से थोड़ा डर रही थीं.
मैंने उन्हें दिलासा दी कि मैं आपको स्विमिंग सिखा देता हूँ.

थोड़ा समझाने के बाद वह मान गईं.
अब मैं उनको स्विमिंग सिखाने लगा.
मेरा एक हाथ उनके पेट पर और एक हाथ उनके पैरों को पकड़े हुए था.

वे पानी में पैर हिला रही थीं.
बीच बीच में मेरा हाथ उनके बूब्स पर टच हो रहा था पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.

अब मैंने धीरे धीरे अपना हाथ पैरों से जांघ पर शिफ्ट कर दिया और बैलेंस बनाने के नाम पर उनकी जांघों को बार बार मसलने लगा.
उन्होंने अब भी कुछ नहीं कहा.

अब मेरा दूसरा हाथ धीरे धीरे उनके बूब्स को टच करने लगा और मेरी उंगलियां उनके बूब्स को मसलने लगीं.

मुझे लगा कि मैडम को भी मजा आ रहा था.

मैं अभी कुछ और कर पाता, पर तभी हमें पूल से निकलना पड़ा क्योंकि हमें घूमने जाना था.
पूरा दिन मैडम मुझे एक हल्की सी शरारत वाली स्माइल दे रही थीं.

शाम को रिज़ॉर्ट में लौट कर सब फिर से पूल में चले गए.
इस बार मैडम ने मुझे खुद से स्विमिंग सिखाने को बोल दिया.

अब मैं वापिस वही हरकतें करने लगा, धीरे धीरे मैं उनके बूब्स दबाने लगा, उनकी जांघों को मसलने लगा और एक दो बार मैंने उनकी गांड भी मसल दी.

कुछ देर बाद मैडम ने मुझे रोक दिया.

सब लोग पूल से निकल कर अपने अपने रूम में चले गए.
मैं बार बार बस मैडम को ही याद कर रहा था.

काफी रात गहरा गई थी.
तभी मेरे रूम की घंटी बजी.
मैंने जैसे ही रूम खोला, सामने प्रिया मैडम थीं.

वे एक टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट में थीं.
मैंने उन्हें अन्दर बुलाया.

हम दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे.
तभी मैडम ने कहा- मेरे कंधे बहुत दुख रहे हैं, क्या तुम थोड़े दबा दोगे?

मैं उनके कंधे दबाने लगा.

इससे मैडम बहुत ही रिलेक्स फील कर रही थीं.

तभी मैडम मुझसे पूछने लगीं कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने मैडम को मना कर दिया.

तो मैडम ने कहा- तुम झूठ बोल रहे हो.
मैंने मैडम से कहा- अभी नहीं है, पर पहले थी.

मैडम ने पूछा- तो उसके साथ सेक्स भी किया होगा?
मैं यह सुन कर दंग रह गया.

मैंने कहा- थोड़ा बहुत किया है.
मैडम ने कहा- ऐसा क्यों?

मैंने मैडम को बताया कि उसे ये सब ज्यादा पसंद नहीं था.
मैडम हंस पड़ीं और बोलीं- सेक्स किसको पसंद नहीं होता!

अब मैंने मौका देखते हुए मैडम से कहा- अगर आपका शरीर ज्यादा थक गया हो, तो मैं आपके पैरों की भी मसाज कर दूँ?
कुछ पल सोचने के बाद वह मान गईं और बोलीं- पर आराम से करना.

मैंने उनके कहने के अंदाज से यही समझा कि ये चुदाई आराम से करने की कह रही हैं.
वे बेड पर उल्टा लेट गईं.

अब मैं उनके पैरों की उंगलियां दबाने लगा.
मैडम को मजा आने लगा.

मैं धीरे धीरे पैर दबाते दबाते उनकी जांघ तक पहुंच गया और जांघों को मसलने लगा.
अब मैडम थोड़ी थोड़ी कामुक आवाज निकालने लगीं.

मैं उनकी जांघ के अन्दरूनी हिस्से को भी मसलने लगा और धीरे धीरे मेरा हाथ उनकी चूत के करीब पहुंच गया, पर मैंने चूत को टच नहीं किया.

मैंने मैडम से कहा- अगर आपको मसाज पसंद आयी हो, तो मैं आपकी पीठ की ऑयल मसाज भी कर सकता हूँ.

मैडम ने थोड़ा झिझक कर हां कह दिया पर कहा कि किसी को बताना मत!

मैंने हामी भरी और बाथरूम से मसाज ऑयल लेकर आ गया.

तब तक वे भी टी-शर्ट उतार कर पीठ के बल बेड पर लेट गईं.
उन्होंने लाल कलर की डिजाइनर ब्रा पहन रखी थी.
उनके बूब्स ब्रा के साइड से बाहर आ रहे थे.

यह देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा.

मैंने अपने को काबू किया और उनकी लोवर बैक की मसाज करने लगा.
धीरे धीरे मैं उनकी पूरी की पूरी पीठ को मसलने लगा.

मैडम को भी मजा आने लगा.

वे बहुत ज्यादा कामुक होकर मादक आवाजें निकाल रही थीं.
मुझे ब्रा की स्ट्रेप की वजह से मसाज करने में दिक्कत हो रही थी, तो मैंने मैडम को ब्रा स्ट्रिप को खोलने को कहा.
वे वासना में इतनी ज्यादा डूब चुकी थीं कि उन्होंने ब्रा की स्ट्रिप खोल दी.

अब मुझे उनके गोरे बूब्स साइड से साफ दिख रहे थे.
बिल्कुल दूध से सफेद.

मैं उनकी रगड़ कर मालिश करने लगा और मैडम जोर जोर से आह आह की कामुक आवाजें निकालने लगीं.
मैं हल्के हाथों से उनके बूब्स को साइड से सहलाने लगा.

मैडम और भी ज्यादा प्यार भरी आवाजें निकालने लगीं.

यहां मेरा लंड पैंट में दर्द करने लगा.
मैंने मौका पाकर मैडम से पेट की मालिश के लिए पूछ लिया.

पहले तो मैडम ने मना कर दिया, फिर तुरंत ही हां भी बोल दिया.
पर मुझसे आंखें बंद करके मालिश करने को कहा.

मैं मान गया और मैडम के आदेश को फॉलो करते हुए अपनी आंखें बंद करके उनके पेट पर धीरे से बैठ गया और उनकी मालिश करने लगा.
मेरा हाथ जैसे ही बूब्स के करीब पहुंचा, तो मैडम ने टोक दिया और नीचे नीचे मालिश करने को कहा.

मैंने भी डर के मारे आंखों को बंद रखा और मालिश जारी रखी.
थोड़ी देर में ही मैडम की कामुक आवाज फिर से शुरू हो गयी.

मैंने हिम्मत करके थोड़ी सी आंख खोली तो मैडम आंखें बंद करके मादक आवाजें निकाल रही थीं.
मैं अब आंख खोल कर मालिश करने लगा.

उनके बूब्स ब्रा से ढके हुए थे पर बहुत ही मस्त लग रहे थे.

मैं धीरे धीरे हाथ ऊपर की ओर बढ़ाने लगा तो मैडम अपनी ब्रा धीरे धीरे खिसकाने लगीं.
उन्होंने अपनी ब्रा पूरी तरह से साइड में कर दी.

क्या तो बूब्स थे उनके … मैं तो देखते ही पागल हो गया.

मैं धीरे धीरे उनके बूब्स को नीचे से टच करने लगा.
मैडम ने कुछ नहीं कहा.

मैंने हिम्मत करके उनके बूब्स पर हाथ रख दिया और आंखें बंद करके धीरे धीरे मालिश करने लगा.

मैडम ने अब भी कुछ नहीं कहा.
मैं मैडम के बूब्स मसलने लगा.
मैडम कराहने लगीं.

मैंने मालिश करते हुए अपने होंठ मैडम के होंठों पर रख दिए और उन्हें किस करने लगा.
मैडम भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.

हॉट मैम पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसे जा रही थीं और मैं उनके बूब्स दबा रहा था.

कुछ देर बाद मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा तो वे मचल उठीं.
पर उनकी आंखें अब भी बंद थीं.

मैं उन्हें चूमते हुए नीचे आया और उनके बूब्स को चूसने लगा.

बूब्स चूसते चूसते मैंने मेरा एक हाथ उनके शॉर्ट के अन्दर डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उनकी चूत मसलने लगा.
उनकी चूत पूरी गीली थी.

मेरी इस हरकत से वह जल बिन मछली की तरह तड़पने लगीं.

अब मैंने उनके शॉर्ट को खोल दिया और पैंटी उतार कर Xxx मैम की चूत को देखने लगा.
बिल्कुल क्लीन शेव, किसी कुंवारी लड़की की चूत की तरह लग रही थी.

मैं उनकी चूत पर टूट पड़ा और उनकी चूत को चाटने लगा.

उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया और मेरे सर को चूत की तरफ दबाने लगीं.

साथ ही वे जोर जोर से उह आह आह हो आह की आवाजें निकालने लगीं.
उनकी ये कामुक आवाजें सुन कर मैं और जोर से उनकी चूत चाटने लगा.

कुछ देर बाद उन्होंने छटपटाते हुए सारा पानी निकाल दिया और खुद बेसुध हो कर लेटी रहीं.

मैं उनका सारा पानी पी गया.
क्या स्वाद और क्या खुशबू थी.

अब मैंने फटाफट अपने सारे कपड़े उतारे और उनके बूब्स पर बैठ गया.
मैंने मैडम को आंखें खोलने को कहा. उन्होंने जैसे ही आंखें खोलीं, मेरा बड़ा लंड ठीक उनके मुँह के ऊपर था.

वे मेरा लंड देख कर चौंक गयी और शर्म के मारे आंखें चुराने लगीं.
मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को ऊपर उठाया और लंड उनके मुँह में दे दिया.

वे भी बड़े प्यार से मेरा लंड चूसने लगीं.
लंड चूसने में वे पक्की खिलाड़ी थीं.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उन्हें पेट के बल पलंग के किनारे लेटने को कहा और मैं पलंग के किनारे खड़ा हो गया.
मैंने उन्हें फिर से लंड चूसने को कहा, वह मेरा लंड पूरा अन्दर गले तक उतार कर चूसने लगीं.

मेरा लंड उनके मुँह में ठीक से आ भी नहीं रहा था, फिर भी उन्होंने वह पूरा अन्दर तक लेकर चूस लिया.

मैंने उनके बाल पकड़े और उनके मुँह को चोदने लगा.
उनकी सांस फूलने लगी पर वे बराबर अपना मुँह चुदवाने लगीं और मैं अपनी चरम सीमा पर आ गया.

मैंने अपना पूरा सारा वीर्य उनके मुँह में खाली कर दिया और उनके पास में लेट गया.
वे मेरा सारा वीर्य चूस गईं और मेरे पास में लेट कर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगीं, मेरे लंड को सहलाने लगीं.

कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से चार्ज हो गया.
उन्होंने मुझसे कहा- आकाश, चोद दे अब मुझे … मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, कब से बड़े लंड के लिए तरस रही थी.

मैंने भी देर न करते हुए उनके ऊपर चढ़ कर अपना लंड उनकी चूत पर सैट कर दिया और एक जोर का धक्का दे दिया.
मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया.
वे जोर से चीख पड़ीं, मैं रुक गया.

मैंने थोड़ा इंतजार किया और एक और जोर का धक्का दिया.
अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया.
उनकी आंखों से आंसू आ गए.

चूत लंड के हिसाब से थोड़ी टाइट थी.
मैं थोड़ा रुक कर उनके होंठों को चूसने लगा.

वे जैसे ही नॉर्मल हुईं, मैं धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा और उनके होंठ चूसने लगा.

कुछ देर बाद वह भी अपनी गांड हिलाने लगीं तो मैंने अपने हाथों को पलंग पर रख कर पकड़ बनाई और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते हुए उन्हें जोर जोर से चोदने लगा.

वे जोर जोर से चिल्ला रही थीं- आह और जोर से … और तेज आकाश फाड़ दे मेरी चूत … भोसड़ा बना दे इसका.

मैं उन्हें और जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें बिस्तर से उठाया और बालकनी में ले आया.

उधर मैंने मैडम से बालकनी की रेलिंग पकड़ कर झुकने को कहा और पीछे से एक जोर का झटका दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड एक बार में अन्दर चला गया.

वे जोर से चीखने लगीं.

मैंने Xxx मैम को चोदना जारी रखा और पूरी रफ्तार से चोदने लगा.
वे जोर जोर से चिल्लाती हुई ‘उह आह ओह … यस लाइक दैट …’ कहने लगीं.

कुछ देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उनकी पीठ पर निकाल दिया और हम दोनों जकुजी में जाकर आराम से बैठ गए.
बाद में बाहर आकर मैंने हॉट मैम को काउगर्ल और मिशनरी स्टाइल में चोदा.

उस पूरी रात में मैंने मैडम को चार बार चोदा.
अगली सुबह मैडम जल्दी अपने कमरे में जाकर सो गईं.

अगले पूरे दिन मैडम से ठीक से चला नहीं जा रहा था.

उस दिन के बाद मैडम और मुझे जब भी मौका मिलता, हम दोनों चुदाई कर लेते हैं.

वैसे हम दोनों को बालकनी में चुदाई करते हुए स्वाति और राधिका ने देख लिया था.

उसी ट्रिप पर मैंने उन दोनों को एक साथ कैसे चोदा, ये मैं अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.

Sex Stories

आपने अभी तक पढ़ा Sex Stories कि कैसे ट्रेन के सफ़र में मैंने शिल्पा की चुदाई की शुरुआत की और उसने मुझे अपने अंकल द्वारा अपनी पहली चुदाई का किस्सा सुनाया।

मैं उसको चोदने के बाद फिर सीट पर आ कर बैठ गया। वो भी थोड़ी देर में मेरे बगल में बैठ गई और पूछा- मज़ा आया?

मैंने कहा- हाँ, तुम तो प्रोफेशनल हो !

वो बोली- हाँ अब तो काफी अनुभव हो गया है।

मैंने पूछा- फिर तुम्हारे अंकल ने तुम्हें अगले दिन भी चोदा होगा?

वो बोली- नहीं वो मुझे लंड का चस्का लगाकर अगले दिन ही चले गए और मैं तड़प कर रह गई। रोज़ अपने आप ही अपनी चूत रगड़ कर काम चलाती रही।

मैंने पूछा- फिर दुबारा मौका तुम्हें कब मिला?

वो बोली- बताती हूँ !

उन दिनों गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी तो मैं अकेली घर पर ही रहती थी। मम्मी पापा दोनों सुबह निकल जाते थे।

मैंने घर पर ही इन्टरनेट पर गन्दी वेबसाइट्स देखना शुरू कर दिया। फिर लड़कों के साथ चैट करती थी और उनके साथ इन्टरनेट पर ही सेक्स का मज़ा लेती थी।

पर ऐसे मुझे मज़ा नहीं आ रहा था। फिर एक दिन हमारे घर जो कामवाली आती थी वो अपने लड़के को एक दिन अपने साथ काम में हाथ बंटाने के लिए लेकर आई। वो जब तक खाना बनाती थी उसका लड़का घर का झाडू पोंछा करता था।

मुझे एक शरारत सूझी, वो जब काम करने आया, मैं अपने कमरे में अपने बेड पर अपनी स्कर्ट थोड़ी ऊपर करके उलटी लेट गई, और सोने का नाटक करने लगी।

थोड़ी देर में वो लड़का मेरे कमरे में पौंछा लगाने आया। मैंने धीरे से आँखें खोलकर सामने शीशे में देखा, वो बेड के बगल में खड़ा हुआ मेरी टांगों को देख रहा था। उसने फिर अपने लंड को पजामे के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। फिर उसने अपना पजामा और अंडरवियर नीचे किया और लंड बाहर निकाल लिया और मेरी टांगों को देखकर मुठ मारना शुरू किया।

मैं उसको शीशे में देख रही थी और चाह रही थी कि वो लंड मेरी चूत की शोभा बढ़ाये। पर वो आगे उससे ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया।

अगले दिन मैं अपनी पूरी स्कर्ट को उल्टा करके लेट गई। वो मेरे कमरे में आया, फिर अपना लंड निकला और मुठ मारने लगा।

मुझे गुस्सा आ रहा था, एक लड़की अपनी खोल के उसे निमंत्रण दे रही थी और वो मुठ मारने में लगा था।

उस दिन उसने बस इतनी हिम्मत की अपना लंड पीछे से आकर मेरी पैंटी से रगड़ने लगा, थोड़ी देर में वो झड़ गया और मुझे वहीं तड़पता छोड़ कर चला गया।

अगले दिन मैंने पैंटी ही नहीं पहनी और लेट गई। पर उस दिन वो मेरे कमरे में बस झांक कर चला गया।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कोई ऐसा मर्द भी हो सकता है जो ऐसा मौका छोड़कर चला जाये।

थोड़ी देर में कामवाली दरवाज़ा बंद करके चली गई।

मुझे नींद आ गई। अचानक घर में किसी के घुसने की आवाज़ हुई, मैं जाग गई, मैं समझ गई कि कामवाली का लड़का छोटू ही होगा और अब मुझे तृप्त करने आया है।

मैं अपने बेड पर सीधी हो कर अपनी आँखें बंद करके लेट गई. वो मेरे कमरे में आया और मेरे बेड पर चढ़ गया।

मैंने अपनी आँखें नहीं खोली उसने मेरे बगल में आकर मेरे मम्मों को सहलाना शुरू किया। उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर मेरे होठों को चूमना शुरू किया।

मैं निहाल हो गई। फिर मेरी स्कर्ट ऊपर उठाकर अपनी ऊँगली से मेरी चूत को छेड़ना शुरू किया, उसने फिर मेरी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।

मैंने अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दी और आह अ आह की आवाजें निकालनी शुरू कर दीं। अचानक मैंने महसूस किया कि मेरे मम्मों को भी कोई और दबा रहा था।

मैंने आँख खोली तो देखा कि छोटू अपने दोस्त को अपने साथ लेकर आया है और अब तक उसका दोस्त ही मुझे छेड़ रहा था, अब छोटू ने भी मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए।

लेकिन अब मैं लंड के लिए इतना तड़प रही थी कि मैंने विरोध नहीं किया और दोनों के साथ मज़े लेने का फैसला किया।

छोटू ने इस बीच मेरी शर्ट ऊपर उठा दी और मेरे मम्मों को मेरी ब्रा के ऊपर से चूमने लगा। उसका दोस्त मेरी चूत के साथ खेल रहा था।

मैंने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और छोटू ब्रा को ऊपर उठाकर मेरे चूचियां चूसने लगा।

नीचे उसके दोस्त दोस्त ने मेरी टांगों को मोड़ कर फैला दिया और मेरी चूत चाटने लगा। मैं पागल हो चली थी।

इसी के लिए तो इतने दिन से तड़प रही थी. मेरी चूत और मेरे मम्मे चूसे जा रहे थे और मैं पागल हो रही थी।

फिर अचानक उन दोनों ने मुझे छोड़ दिया और उठकर दरवाज़े की तरफ चल दिए। मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैं घबरा गई कि आज भी क्या मैं प्यासी रह जाउंगी।

मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?

वो बोले- आज नहीं, फिर करेंगे !

मैं बोली- प्लीज़, ऐसे छोड़ के मत जाओ !

उन्होंने कहा- ठीक है, पर तुम्हें वही करना होगा जो हम कहेंगे !

मैंने कहा- ठीक है !

छोटू का दोस्त बोला- यहाँ नहीं करेंगे, ड्राइंगरूम में आओ।

वह जाकर सोफे पर बैठ गया और बोला- अब अपने कपड़े उतारो।

मैंने पहले अपनी टीशर्ट और ब्रा उतारी फिर अपनी स्कर्ट उतार कर उनके सामने नंगी खड़ी हो गई।

वो बोला- अब कुतिया बनकर यहाँ आओ और मेरा लंड निकाल कर चूसो !

मैं अपने हाथों पैरों पर कुतिया की तरह चलकर उसके पास पहुंची, फिर मैंने उसकी पैंट की जिप खोलकर उसका लंड बाहर निकाला और मैंने उसको अपने मुंह में लिया। मैं पहली बार किसी का लंड चूस रही थी इसलिए मुझे बड़ी मुश्किल हो रही थी।

वो बोला- साली, अच्छे से चूस ! मज़ा नहीं आ रहा !

और मेरा सर नीचे दबाकर जोर जोर से मेरे मुँह को चोदने लगा।

शुरू में मुझे मुश्किल हुई पर बाद में सब आसान हो गया। वो मेरे मुंह में झड़ गया और उसने अपना सारा जूस मुझसे चुसवाया।

वो बोला- अब छोटू का भी लंड चूस !

मैं कुतिया बन कर छोटू के पास गई और उसका लंड निकाल कर चूसने लगी।

उसका दोस्त मेरे पीछे से आकर मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा। थोड़ी देर में उसका फिर खड़ा हो गया।

इधर छोटू के लंड का भी पानी निकल गया, उसे भी मैं पूरा पी गई।

उसके दोस्त ने अब कहा- चल अब तेरी इच्छा भी पूरी कर देते हैं ! चल कारपेट पर लेट जा !

मैं नीचे लेट गई और टाँगें मोड़ कर फैला दी।

वो बोला- तू साली बहुत बड़ी रंडी बनेगी !

उसने नीचे आकर लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।

मैं इतनी देर से इसी पल का इंतज़ार कर रही थी। फिर उसने मुझे चोदना शुरू किया। मैं पागल होती जा रही थी। बगल में छोटू आकर लेट गया और मेरे मम्मे चूसने लगा। अब छोटू का लंड भी फिर खड़ा हो गया।

जैसे ही मेरी पहली चुदाई ख़त्म हुई उसका दोस्त बोला- चल अब तू इस रांड को चोद !

छोटू ने भी मुझे दबाकर चोदा। पर उसके बाद भी मेरा मन नहीं भरा।

वो जब जाने लगे तो मैंने पूछा- कम से कम मुझे अपना नाम तो बताते जाओ !

वो बोला- मैं सुनील हूँ ! और लगता है तेरी प्यास बुझी नहीं ! तुझे पूरे मोहल्ले से चुदवाना पड़ेगा !

इस तरह उसकी दूसरी चुदाई का किस्सा ख़त्म हुआ और मेरा लंड उसको दूसरी बार चोदने के लिया तैयार था।

पर उससे पहले मैंने पूछा- तुमने अपना नाम नहीं बताया?

वो बोली- शिल्पा !

मैंने कहा- शिल्पा, क्या तुम फिर चुदने को तैयार हो?

वो बोली- मैं तो हमेशा ही चुदने के लिया तैयार रहती हूँ।

मैंने कहा- ठीक है, अब मैं नीचे लेटता हूँ, तुम मुझे ऊपर से चोदो !

मैं नीचे लेट गया उसने दोनों घुटने मेरी दोनों तरफ़ रखकर मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा और उसको अपनी चूत में घुसा लिया।

अब वो ऊपर से धक्के मारने लगी, उसके मम्मे मेरे ऊपर झूल रहे थे। मैंने उनको अपने हाथ से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया।

उसको भी आनंद आ रहा था, उसके धक्के धीरे धीरे तेज होने लगे और वो थोड़ी देर में झड़ गई। साथ में मैं भी झड़ गया।

उसके बाद उसने मुझे अपने बाकी के किस्से बताये जो मैं आपको अगली बार बताऊंगा। Sex Stories

नमस्कार मित्रांनो,आज मी तुम्हाला माझ्यासोबत लहानपणी घडलेले काही खरे किस्से सांगणार आहे.माझे नाव सूरज आहे.मी नाशिक मधील सटाणा या गावी राहतो.माझे वय 14 वर्षे आहे पण माझ्या कमी उंचीमुळे आणि बारीक शरीरयष्टी मुळे मी 9 वर्षाच्या मुलासारखा दिसतो.आमच्या घरात मी ,आई आणि बाबा राहतात.मी नेहमी त्यांचा लाडका होतो.आता मला उन्हाळी सुट्टी लागली होती.म्हणून मी मस्त उशिरा उठायचो.मला नागडे राहायला खूप आवडायचं,पण माझ्या बाबांच्या कठोर स्वभावामुळे मी 10 वर्षांचा असताना च नागडे राहणे बंद झाले होते.माझी एक इच्छा होती,की दिवसभर मस्त नागडे राहावे आणि तसेच सगळ्या गोष्टी कराव्या. मला सुट्ट्या लागून 1 दिवस झाला होता तेव्हा दुसऱ्या दिवशी आमच्या घराच्या मागील बाजूस असणाऱ्या 2 रुमच्या घरासाठी एक भाडेकरू आले.त्यांनी मग त्या खोलीत समान टाकले.त्यांच्याकडे काहीच जास्त समान नव्हते.ते एक जोडपे होते आणि त्यांना 3 वर्षांचा एक मुलगा होता.त्या बाईचे वय जवळपास 30 होते.त्यांचे शरीर एकदम गोरे आणि कमनीय होते.त्यांचे मिस्टर ट्रक ड्रायव्हर होते आणि त्यामुळे ते नेहमी बाहेरगावी फिरतीवर राहायचे. 2 दिवसांनी आमची चांगली ओळख झाली.त्यांचे नाव सुजाता होते मी त्यांना काकू म्हणायचो.तेव्हा त्या मला म्हणाल्या,”बाळा,मी तुझी मावशी आहे त्यामुळे मला मावशी म्हणत जा.”मी हो बोललो.आता मी त्यांच्या लहान मुलासोबत खेळत असे.त्याचे नाव स्वप्नील होते पण मावशी त्याला लाडाने सोनू म्हणायची.आता मी खऱ्या गोष्टीवर येतो.माझी आणि सुजाता मावशीची चांगली गट्टी जमली होती.मी आता जास्त वेळ सुजाता मावशी च्या रूम मध्ये जाऊन सोनुसोबत खेळायचो.मी एक गोष्ट बघितली की सुजाता मावशी अजूनपण सोनूला त्यांचे दूध पाजायच्या.मला खूप आश्चर्य वाटायचं कारण मी फक्त 2 वर्षाच्या मुलाना दूध पिताना पाहिलं होतं.सुजाता मावशी सोनूला फक्त घरी असताना दूध पाजायची.आता तर सुजाता मावशी मी त्याच्या घरी समोर बसलेलो असलो तरी सोनूला जवळ बोलवायची आणि माझ्यासमोर त्यांच्या ब्लाऊज मधून एक स्तन बाहेर काढून सोनुच्या तोंडात द्यायची.ती सुरवातीला दूध पाजताना तिच्या साडीने सोनूला आणि तिच्या स्तनाला झाकून घ्यायची पण आता 2 दिवसापासून ती माझ्यासमोर स्तन बाहेर काढून बिनधास्त पणे माझ्याशी बोलत सोनूला दूध पाजयाची.सोनू बऱ्याच वेळेला घरात नागडा च असायचा आणि तसाच नागडा दूध प्यायचा. मला आता सोनुचा हेवा वाटू लागला होता.मला पण सोनुसारखा नागडा राहून मावशीचे दूध चोखून प्यायची इच्छा होत होती.त्यामुळे मी सुजाता मावशी चे स्तन बघायला मिळतील म्हणून नेहमी त्यांच्या रूम वर जायचो. आता सुजाता मावशी माझ्यासोबत खूप बिनधास्त राहत होती.मग एक दिवस अचानक संध्याकाळी आमच्या आजींची तब्येत बिघडली म्हणून त्यांना तातडीने मुंबई ला हलवले.माझ्या बाबांनी आणि आईने लगेच बॅग भरल्या.आता माझ्या आईला टेन्शन आले की मला तिथे मुंबईत हॉस्पिटल मध्ये कसे घेऊन राहावे.तेव्हा सुजाता मावशी आल्या.आईने सगळी गोष्ट त्यांना सांगितली.तेव्हा सुजाता मावशी आईला म्हणाल्या,”अहो,ताई एवढं का टेन्शन घेता,होईल सगळं चांगलं.तुम्ही जा ,सूरजला मी सांभाळून घेईल.तो पण माझ्या मुलासारखा आहे.त्याला राहू द्या माझ्याजवळ. “मग आई मला बोलली,”मी येते हा बाळा आजीला बरं वाटलं की,तू रहा मावशी कडे.मी मावशीला तुझ्या कपड्यांची बॅग देते.तू जा सोनू जवळ.”मी आईला हो म्हणालो आणि सुजाता मावशीच्या घरी गेलो.इकडे आईने मावशिसोबत थोड्या गप्पा मारल्या आणि मग aai-baba लगेच मुंबईला निघून गेले.मी तेव्हा सुजाता मावशीच्या घरी आलो.आता मी सुजाता मावशीच्या घरी राहणार होतो.मला आता खूप आनंद झाला.थोड्या वेळाने सुजाता मावशी आली.मग रात्र झाली आणि आम्ही जेवण केले.रात्री मग 9:30 ला सुजाता मावशी ने खाली गादी टाकली.आता गादीवर उजवीकडे मी,मध्ये सुजाता मावशी आणि त्यांच्या डाव्या बाजूला सोनू झोपला.झोपण्याच्या आधी सुजाता मावशीने सोनुने कपडे काढून त्याला नागडे केले.मी मावशीला असे का केले म्हणून विचारलं तर त्या म्हणाल्या,”अरे तो रात्री सू करतो कधी कधी,मग सगळे कपडे ओले होऊन जातात.”मग सुजाता मावशी झोपल्या.मला आता झोप येत नव्हती कारण मला रोज फक्त अंडरवेअर झोपायची सवय होती. मी त्यामुळे चुळबुळ करत होतो.तिकडे सुजाता मावशीने डावीकडे कुस बदलली आणि ब्लाऊज चे खालचे हुक उघडुन एक स्तन सोनुच्या तोंडात दिला.सोनू आता दूध पित पित झोपुंन गेला.मग मावशी ने त्यांचा स्तन परत ब्लाऊज मध्ये टाकून माझ्याकडे कुस बदलली आणि माझी तळमळ बघून मला म्हणाल्या,”झोप ना बाळा,असा काय तळमळतो आहे.झोप नाही येत आहे का.काही प्रोब्लेम आहे का?”मी तेव्हा मावशींना सांगितलं तर सुजाता मावशी हसून बोलल्या,”अरे मग काढ ना कपडे,तुला कोणी अडवले आहे.”मी लगेच झोपल्या अवस्थेतच माझा T-shirt आणि Half पँट काढून बाजूला टाकल्या आता मी फक्त underwear वर झोपलो होतो.तेव्हा सुजाता मावशी जे बोलल्या ते ऐकून मला खूप आश्चर्य आणि आनंद पण झाला.सुजाता मावशी,”बाळा ,ती underwear पण काढून टाक ना.रात्री मोकळं झोपायच कधीही.”मी मावशीला नाही म्हणालो. तेव्हा मावशी मला म्हणाली,”अरे एव्हढा काय लाजातो.उलट नागडा झोपल्याने चांगली झोप लागते.काढ ती underwear.”असं बोलून सुजाता मावशीने माझी underwear काढली आणि मला पूर्णपणे नागडा केलं.मला तर खूपच आनंद झाला कारण मी 4 वर्षा नंतर पहिल्यांदा असा नागडा झोपणार होतो.मला आता नागडं होऊन खूप मस्त वाटत होतं.मग मी झोपलो.सकाळी मला जाग आली तेव्हा सुजाता मावशी उठलेल्या होत्या.त्यांनी मला उठलेलं बघितलं आणि म्हणाल्या,”उठला का बाळा,चल ब्रश करून घे.मी आपल्याला चहा करते.”मी तेव्हा म्हणालो,”मला चहा नाही आवडत,मी रोज सकाळी दूध पितो.” सुजाता मावशी:- ” चांगलं आहे ना मग,दूध खरंच चांगलं असतं.मी दूध देते हा तुला.” मग मी तसाच नागडा उठलो,सोनू अजून पण झोपलेला होता.मला असं सकाळी नागडं राहून खूप आनंद होत होता.तेव्हा सुजाता मावशी ने मला ब्रश करून झाल्यावर 1 कप दूध दिले.मी ते पिऊन घेतले.मग सुजाता मावशी ने कपडे धुतले.कपडे धुऊन झाल्यावर मावशी घरात आल्या.तेव्हा मावशीने मला गरम पाणी काढून दिले.सुजाता मावशीच्या घरात किचन मध्ये बाथरूम म्हणजे फक्त एक सिमेंट च छोटा चौकट केली होती आणि पाणी जायला एक पाईप बाहेर जात होता.मी मग त्या उघड्या बाथरूम मध्ये गेलो.मी अंगावर पाणी टाकून आंघोळ करत होतो आणि मावशी तिथेच किचन मध्ये स्वयंपाक करत होत्या.मी पहिल्यांदा असा आंघोळ करत होतो.तेव्हा सुजाता मावशी मला म्हणाल्या,”बाळा ,नीट कर हा आंघोळ,का मी घालू का तुला आंघोळ?” मी नागडी आंघोळ करताना म्हणालो,”नाही मावशी,मी करतो आंघोळ चांगली” चांगली आंघोळ कर नाहीतर तुझी आईल मला म्हणेल की माझ्या सूरज ची काळजी नाही घेतली तुम्ही” मी तसाच नागडा साबण लावून आंघोळ केली.मावशी मला आंघोळ करताना बघत होत्या.आंघोळ झाल्यावर सुजाता मावशी ने मला टॉवेल दिला.मी माझे अंग पुसले आणि हॉल मध्ये जाऊन माझे कपडे ची बॅग शोधू लागलो.मला माझी बॅग नाही सापडली म्हणून मी मावशीला आवाज देऊन माझी बॅग कुठे आहे म्हणून विचारलं.तेव्हा सुजाता मावशी हॉल मध्ये येऊन मला म्हणाल्या,”अरे देवा” मी :- काय झालं मावशी? सुजाता मावशी :- “अरे बाळा,तुझ्या आईने तुझ्यासाठी कपड्याची बॅग भरून ठेवली होती पण मला ती बॅग आणायची आठवण पडली.तुझी बॅग आता तुझ्या बंद घरात आहे.” मी :- मग आता मी काय करू.मावशी तुम्ही माझे काळाचे कपडे द्या.आता तेच घालतो मी. सुजाता मावशी :- अरे बाळा ,मी तर तुझे सगळे कपडे धुऊन टाकले. मी :- मग आता मी काय घालू? सुजाता मावशी:- “अरे बाळा,रहा की असच नागडा.” मी :- नाही मावशी,कोणी आलं तर हसेल मला. सुजाता मावशी :- “अरे ,कोणी नाही येत इथे.रहा असाच. मग मावशी किचन मध्ये गेल्या. खरतर मला पण हेच पाहिजे होतं.मला आता दिवसभर मस्त नागडा राहता येणार होते.मी मस्तपणे माझा नागडेपणा एन्जॉय करू लागलो.थोड्या वेळाने सोनुपण उठला.मग मावशीने त्याला आंघोळ घातली.सोनू आणि मी मग नाश्ता केला.मी पहिल्यांदा असा नागडा घरात नाश्ता करत होतो.नाश्ता झाल्यावर मी आणि सोनू सोबत खेळू लागलो.दुपारी मग आम्ही जेवण केलं.मला असं नागडा जेवण करताना खूप मस्त वाटत होते.जेवण झाल्यावर मावशीने भांडे घासले .मग मावशी आम्हाला बोलल्या,”चला, बाळांनो,आता झोपून घ्या.” मी आणि सोनू मावशीच्या दोन्ही बाजूला नागडे झोपलो.मावशीने मग सोनुच्या बाजूला कुस केली आणि ब्लाऊज चे हुक उघडुन सोनूला दूध पाजले.मला पण इकडे झोप लागली.मी संध्याकाळी उठलो तर सोनू आणि मामी उठलेल्या होत्या.मी उठून फ्रेश झालो आणि सोनुसोबत खेळू लागलो.रात्री मग आम्ही जेवण केलं.जेवण झाल्यावर मावशीने भांडे घासले.सगळं आवरल्यावर आम्ही गादीवर झोपलो.तेव्हा अचानक लाईट गेली.सोनू घाबरून मावशीला बिलगला.आता घरात गरम होऊ लागले.तेव्हा सुजाता मावशी बोलली,”खूप गरम होतं आहे रे.” मी :- “हो ना मावशी,खूपच गरम होतं आहे.” मावशी तेव्हा उठल्या आणि घराचा दरवाजा उघडून बाहेर आल्या तर बाहेर गडद अंधार पसरला होता. सुजाता मावशी आम्हाला म्हणाल्या,”बाळांनो,बाहेर या आपण गच्चीवर जाऊ.मी मावशींना म्हणालो,”मावशी ,नका ना ,मी नागडा आहे,कोणी बघेल मला.” सुजाता मावशी:- अरे कोणी नाही बघणार,सोनू बघ बाहेर उभा आहेच ना नागडा.” मी :- तो अजून लहान आहे मावशी. सुजाता मावशी:- ” मग तू कुठे मोठा आहेस,तूनपन लहानच आहे अजून,आणि असा पण बाहेर अंधार आहे.कोणाला काही दिसणार नाही. मग मी घराच्या बाहेर आलो.बाहेर खरंच खूप गडद अंधार पडला होता.आम्ही मग गच्चीवर आलो.मी पहिल्यांदा असा नागडा घराबाहेर आलो होतो.थंड वाऱ्याची झुळूक माझ्या नागड्या शरीरावर येत होती.मला आता खूप छान वाटत होते.सुजाता मावशीने तिथे बसून सोनूला मांडीवर घेतले आणि त्याला माझ्यासमोर दूध पाजू लागल्या.मग आम्ही तिथे गप्पा मारल्या.थोड्या वेळाने आम्ही घरात परत आलो.आणि लगेच लाईट आली. मग आम्ही झोपून गेलो.सकाळी मी उठलो तेव्हा मी ब्रश केला.मग मावशीने मला दूध प्यायला दिले.मी ते दूध गरम असल्याने थंड होण्याची वाट बघत तिथेच बसलो.तेव्हा सुजाता मावशी ने जे केलं ते बघून मी चाट पडलो.कारण मावशी आता आंघोळ करायची तयारी करत होती.मावशीने तिथेच उभे राहून त्यांची साडी सोडली.मी ते बघून तिथून उठायला लागलो तर मावशी बोलली,”अरे बाळा ,कुठे चालला.थांब ना इथे.मी आंघोळ करते.तू माझ्याशी गप्पा मारत दूध पिऊन घे.” मी नाही बोललो,तेव्हा मावशी बोलली,”अरे लाजू नको,तू माझा बाळच आहेस” मग मी तिथेच बसलो. आता सुजाता मावशी बाथरूम मध्ये गेल्या आणि त्यांनी त्यांचे परकरचा नाडा खोलला.मग त्यांनी त्यांचे ब्लाऊज उघडून परकर छातीवर बांधला.मग त्या आंघोळ करू लागल्या.त्यांनी अंगावर पाणी टाकलं आणि माझ्यासोबत गप्पा मारू लागल्या.मी दूध फुंकून पिऊ लागलो.मावशीने मग अंगाला साबण लावला.आणि अचानक त्यानी चक्क त्यांचा परकर सोडून काढून टाकला.आता सुजाता मावशी चक्क माझ्यासमोर निकरवर होत्या.त्यांचे शरीर खूप कमनीय होते.त्यांची फिगर खूप मेन्टेन होती.मी आता त्यांचे दुधाने भरलेल्या स्तना कडे बघू लागलो.आता माझे मावशीच्या बोलण्याकडे लक्षच लागत नव्हते.मी पहिल्यांदा एक सुंदर स्त्री ला आंघोळ करताना बघत होतो.मावशी आता मस्त त्यांच्या सुंदर स्तनांना साबण लावून चोळत होत्या.मला ते बघून खूप छान वाटत होते.त्या मला त्यांच्याकडे असं बघताना हसत होत्या.मग त्यांनी त्यांच्या सुदंर स्तनांवर पाणी टाकले.मावशीचे स्तन मी आज पहिल्यांदा पूर्णपणे मोकळे बघत होतो.मावशीचे स्तन मस्त गोलाकार आणि गोरे होते.त्यांच्या निप्पल चा कलर फिकट तपकिरी होता.त्या वेळी त्यातून दूध टपकत असताना मी बघितले.तेव्हा मावशी ने मला बघून म्हणाल्या,”बाळा, असं का बघतो आहे.कधी कोणत्या स्त्रीला आंघोळ करताना नाही बघितलं का?” मी काहीच बोललो नाही.माझा चेहरा लाजेने लाल झाला होता. मग मावशीने त्यांच्या नग्न अंगावर पाणी टाकले आणि त्या उभ्या राहिल्या.माझे दूध पिऊन झाले होते.मावशीने मग त्यांचे शरीर टॉवेलने पुसले आणि त्यांच्या कमरेवर टॉवेल गुंडाळून निकर काढून टाकली.मावशीचे स्तन अजून पण उघडे होते.मग त्यांनी परकर घातला आणि नंतर ब्लाऊज घातले.साडी नेसून त्या बाहेर गेल्या. मी आंघोळ केली आणि बाहेर आलो तेव्हा मावशी बोलली,”अरे थांबायचं ना बाळा, मी आंघोळ घालणार होते तुला आज.” मी :- नाही मावशी,मी करतो माझी आंघोळ सुजाता मावशी:- ” नको हा,मी बघितलं काल तुला,तू नीट आंघोळ नाही करत.आता तू माझ्याकडे असे पर्यंत मीच तुला आंघोळ घालणार.” मला आता मी आंघोळ केल्याचा राग येत होता.मग मी माझे कपडे घालू लागलो तेव्हा मावशीने मला अडवले आणि म्हणाली,”अरे बाळा,रहा की असा नागडा.कशाला कपडे घालतो.दे ते इकडे.तू आता इथे असे पर्यंत कपडे नाही घालायचे.” मला हे ऐकून खूप आनंद झाला.आता मी मस्तपणे नागडा घरात फिरत होतो.मग दुसऱ्या दिवशी सकाळी पुन्हा मावशी माझ्यासमोर आंघोळ करू लागल्या.मावशींनी मग मला बाथरूम मध्ये बोलावले आणि म्हणाल्या,”बाळा ,माझ्या पाठीला थोडा साबण लाऊन दे.” मी मग मस्तपणे त्यांच्या पाठीला साबण लावून चोळू लागलो.मला आता खूप छान वाटत होतं.मी त्यांचे पाठीला साबण लावून पाण्याने स्वच्छ केली.त्यांनी मग मला जवळ ओढले आणि माझ्या गालावर एक पप्पी देऊन मला thank you म्हणल्या.मी मग बाहेर आलो.थोड्या वेळाने मावशीने मला बाथरूम मध्ये बोलावले आणि मग माझ्या अंगावर पाणी टाकून मला आंघोळ घालू लागल्या.मला आता मावशीच्या मऊ हातानी आंघोळ करताना खूप उत्तेजना मिळत होती.मावशीने माझ्या पाठीवर साबण लाऊन मस्त चोळली.मग त्यांनी माझ्या पोटाला आणि गळ्याला साबण लावून मस्त धुतले.आता त्यांनी साबण हातात घेऊन मस्त फेस केला आणि माझ्या लवड्या ला पकडून चोळू लागली.मला आता खूप मस्त वाटत होते.मग त्यांनी माझ्या लवड्याला आणि वृषण ला साबण लावून मस्त धुतले.मला आता त्यांच्या हाताने आंघोळ करताना मजा येत होती.माझी आंघोळ झाल्यावर सुजाता मावशीने माझे अंग टॉवेल ने पुसले.त्या दिवशी रात्री मला 1 वाजता अचानक जाग आली.मी डोळे उघडले तर एकदम शॉक झालो कारण माझे तोंड चक्क सुजाता मावशी च्या उघड्या स्तनांमध्ये होते.मावशी मला पूर्ण बिलगून झोपल्या होत्या.माझ्या ओठांना त्यांच्या मऊ स्तनाचा स्पर्श होत होता. त्यांचे ब्लाऊज पूर्ण उघडे होते आणि माझे तोंड दोन्ही स्तनांमध्ये होते.मला त्यांच्या स्तनाचा स्पर्श खूप छान वाटला.म्हणून मी हळूच त्यांच्या स्तनाला तोंडाने किस केलं.आणि मग झोपून गेलो.सकाळी मला जाग आली तर तेव्हा 6 वाजले होते.सुजाता मावशी अजून पण मला बिलगून झोपल्या होत्या.त्यांचे स्तन माझ्या तोंडाला लागलेले होते.त्यांच्या निप्पल मधून दुधाचे थेंब पडत होते.मी हळूच माझ्या जिभेने ते दुधाचे थेंब चाखले.खरंच,दुधाची चव अतिशय गोड होती.मला तर ते दूध पिऊन खूप मस्त वाटलं.मग मी हळूच माझे तोंड उघडे करून सुजाता मावशी चा उजवा स्तन तोंडात घेऊन निप्पल ला तोंड लावले.आता मझ्या छातीची जोर जोरात धडधड होत होती.पण मावशीचे चवदार दूध माझ्या तोंडात जात होते.मग मावशीची हालचाल झाली. म्हणून मी हळूच माझे तोंड काढून झोपेचे नाटक करू लागलो.थोड्या वेळात सुजाता मावशीना जाग आली.तेव्हा त्यांनी बघितले की माझे तोंड त्यांच्या स्तनाला लागले आहे आणि त्यांचे दूध माझ्या गालावर ओघळत आहे.मग त्या उठल्या आणि त्यांनी हळूच माझ्या गलावरचे दूध पुसले.मग त्या तश्याच ब्लाऊज उघडे असताना उठून बाथरूम मध्ये गेल्या.मग त्यांनी ब्रश केला.नंतर मी उठलो तेव्हा मावशी आंघोळीची तयारी करत होत्या.मग त्यांनी माझ्यासमोर नागडी आंघोळ केली.असे जवळपास अजून 5 दिवस चालले.मी या पाच दिवस मस्त नगडेपणा एन्जॉय केला.नंतर माझे आई बाबा परत आले.आणि मी आमच्या घरी गेलो. आता सुजाता मावशीने त्यांचे रूम सोडली आणि त्या आमच्या घरापासून 20 km लांब घर बारीपाडा या छोट्या खेड्यात भाड्याने घर घेऊन राहू लागल्या.मी त्यांना घर शिफ्ट करण्यात खूप मदत केली.तेव्हा त्या मला म्हणाल्या,"सूरज बाळा,येत जा मला भेटायला,हे पण तुझेच घर आहे हा" मी सुजाता मावशीच्या घरून माझ्या घरी येऊन एकच दिवस झाला होतं.मी त्या दिवशी माझा मित्र आनंद च्या घरी गेलो.आनंद च्या घरी त्याची आई आणि बहीण राहत होती.आनंदचे वडील 5 वर्षपुवी मेले होते.त्यांचे घर वडिलांच्या पेन्शन वर चालायचे.मला आनंद च्या घरी जायला खूप आवडायचे कारण आनंद घरात एकुलता मुलगा असल्याने त्याचे खूप लाड होत असत.आनंद आणि मी नेहमी सेक्स विषयी गप्पा मारत असू.आनंद अजून पण त्याच्या घरी नागडा झोपायचा आणि नागडी आंघोळ पण करायचा.मला त्याचा खूप हेवा वाटायचा.मी त्याला एकदा बोललो पण होतो की मलापण तुझ्यासारख नागडा राहायचं आहे आणि झोपायचे आहे रे.तेव्हा तो मला म्हणाला,"मी करेल तुझ्यासाठी नक्की काहीतरी" आनंद ची आई आणि बहिण त्याला अजुंनपण लहानच समजायचे. मला आनंद ची मोठी बहिण निशा खूप आवडायची.ती खूपच सुंदर होती.तिचे स्तन खूप मोठे आणि सुडौल होते.मी आनंद च्या घरी गेल्यावर निशा नेहमी माझे गाल ओढत त्यांची पप्पी घ्यायची.ती नेहमी माझ्यासोबत बिनधास्त पणे बोलायची. मी आनंदला घेऊन त्यांच्या गच्चीवर गेलो आणि मी सुजाता मावशीच्या घरी 7 दिवस कसा नागडा राहिलो,ते सांगितलं.तेव्हा तो मला तू वेडा आहेस असं बोलला. मी :-"का रे ,मी वेडा कसा काय?" आनंद:-"अरे,तुला एवढी चांगली संधी आली होती आणि तू त्याचा फायदा घेतला नाही म्हणून तू वेडा." मी:-"काय बोलतो आहे तू?" आनंद:-"अरे सूरज,तू सुजाता मावशीचे दूध प्यायला पाहिजे होते.तुला त्यांनी नक्की दूध पाजले असते त्यांचे." मी:-"काहीपण हा,त्या कशाला मला त्यांचे दूध पाजतील?" आनंद:-"मी जे सांगतो तसं करशील आणि वागशील तर तुला त्या स्वतःहून त्यांचे दूध पाजतील" मला हे ऐकून खूप आतुरता लागली.मी लगेच आनंद ला विचारले,"यार,सांग ना मला,मी तसाच वागेल नक्की." आनंद:-"आता काय उपयोग,तू थोडी आता त्यांच्या घरी राहणार आहे?" मी :-"ही रे,मी खरंच वेडा आहे" नंतर मी माझ्या घरी आलो. दुसऱ्या दिवशी मला माझ्या आई आणि वडिलांनी सांगितले की ते 1 महिन्यासाठी तीर्थस्थळ दर्शन करत फिरायला जाणार आहेत.तू पण चल आमच्यासोबत. तेव्हा मला idea आली की आता सुजाता मावशीच्या घरी राहायला चांगली संधी आहे,कारण सुजाता मावशीचे पती पण ट्रक ड्रायव्हर असल्याने उत्तर भारतात गेले होते.ते पण जवळपास 1-2 महिन्यांनी घरी येणार होते.त्यामुळे सुजाता मावशी घरी फक्त सोनुसोबतच होत्या.मी तेव्हा माझ्या आई बाबांना सांगीतले,"मला नाही यायचं तुमच्यासोबत.तिथे मोठ्या माणसासोबत मला बोअर होईल." माझ्या घरच्यांना पण ते पटले.तेव्हा माझ्या आईने लगेच सुजाता मावशीला फोन केला. फोन वर बोलणे झाल्यावर आई मला म्हणाली,"आम्ही परवा निघतो आहे.तू आता महिनाभर सुजाता मावशीकडे थांबायचे.त्यांना तू त्यांच्यासोबत राहणार हे ऐकून खूप आनंद झाला.आम्ही तुला परवा सकाळी त्यांचेकडे सोडून जाऊ." मला हे ऐकून माझ्या आनंदाला पारावार उरला नाही.मी लगेच दुसऱ्या दिवशी दुपारी आनंद कडे गेलो आणि त्याला सगळं सांगितलं.तेव्हा मी त्याला बोललो,"यार,सांग ना मला की मिं काय करू ज्याने सुजाता मावशी स्वतः मला दूध पाजेल.?" आनंद हसून बोलला :-,"ठीक आहे सांगतो,पण माझी एक अट आहे" मी ,"काय अट आहे पटकन बोल" आनंद:-,"तुला जर मावशीचे दूध प्यायला मिळाले,तर नंतर मी जे सांगेल ते करावे लागेल हा" मी :- "यार,मी तुला प्रॉमिस करतो,जर मला सुजाता मावशीने दूध पाजले तर तू जे सांगशील ते मी करेल" आनंद :-,"ठीक आहे ऐक मग,मी आज संध्याकाळी तुला माझ्या एका मित्राचे वडील डॉक्टर आहेत, त्यांच्या जवळ स्त्रीचे दूध वाढवणाऱ्या आयुर्वेदिक गोळ्या आहेत,त्या आणून देईल." मी ,"पण तुला हे कसं माहीत,आणि तू त्या गोळ्या कसा आणशील." आनंद:-,"माझ्या त्याच मित्राने मला एकदा त्या गोळ्याबद्दल सांगितले होते.त्या गोळ्या घेतल्याने स्त्रीला खूप जास्त दूध येते." मी :,"मी काय करू मग" आनंद ,"तू त्या गोळ्या रोज एक याप्रमाणे सुजाता मावशीच्या चहा नाहीतर जेवणात मिसळून देत जा.एक - दोन दिवसातच त्यांच्या स्तनात खूप दूध तयार व्हायला लागेल तेव्हा त्यांचे स्तन दुखतील.त्या वेळी त्यांना एक तर त्यांचे दूध सोनूला पाजावे लागेल नाहीतर हाताने दाबून बाहेर काढावे लागेल.पण सोनू जास्त दूध पिणाऱ् नाही आणि हाताने दूध काढताना त्यांना खूप दुखेल.तेव्हा त्यांना तूच एक आसरा राहशील.तेव्हा त्या बरोबर तुला दूध प्यायला सांगतील." मी:-," खरंच, असं होईल का रे?" आनंद :-,"हो नक्कीच,फक्त तू जोपर्यंत गोळ्या देशील तो पर्यंतच त्यांना जास्त दूध येईल.गोळ्या देणं थांबलं की दूध आपोआप कमी होईल.आणि हो या गोळ्या एका दिवसात 2 पेक्षा जास्त देऊ नको,नाहीतर याने थोडी नशा पण येते हा." मी,"ठीक आहे" आनंद :-,"या 3 गोळ्या घे.जेव्हा तुला मावशीचे दूध बंद करायचे असेल तेव्हा तू या 3 गोळ्या त्यांना दे.यामुळे त्यांचे स्तनातले दूध हळू हळू बंद होईल." मी त्या गोळ्या घेऊन लगेच तिथून निघालो.संध्याकाळी आनंद ने मला 100 गोळ्यांचे एक पाकीट आणून दिले.त्या गोळ्या खूप लहान होत्या.मी ते पाकीट माझ्या बॅगेत ठेवले.आणि झोपून गेलो.सकाळी मग मला आई बाबांनी 6 वाजताच झोपेतून उठवले आणि तसेच सुजाता मावशीच्या घरी सोडले.जाताना त्यांनी मावशीला माझी काळजी घ्यायला सांगितली. मला आता परत सुजाता मावशीच्या घरी येऊन खूप छान वाटत होते.सोनू झोपलेला होता.सुजाता मावशीने लगेच मला प्रेमाने त्यांचा जवळ ओढले आणि माझ्या गालाची पप्पी घेत म्हणाल्या,"बाळा ,आता तू आल्यामुळे मला खूप छान वाटले आहे.चल आता ब्रश करून घे.मी नंतर तुझी आंघोळ करेल.मी मग ब्रश घेऊन त्यांच्या घराच्या अंगणात आलो.सुजता मावशीचे हे घर पाड्याच्या वेशीवर होते.मावशीचे घराला 2 रूम होत्या.वर जायला आतून पायऱ्या होत्या. त्यांच्या घराच्या जवळपास एकपण घर नव्हते.घराच्या समोर थोड्या अंतरावर रेल्वेचा रूळ होता.त्या वरून फक्त मालगाडी च जात असे तेपण खूप कमी वेळेस.घराच्या आजूबाजूला खूप सारे झाड लावले होते. मी तिथे अंगणात ओट्यावर उभा राहून ब्रश केला.ब्रश करून घरात आल्यावर मावशीने मला दूध प्यायला दिले.मावशी मग त्यांच्यासाठी चहा बनवू लागली.मी लगेच दूध पिऊन माझ्या बॅगेतून एक गोळी काढली.मावशी गॅस वर चहा तापायला ठेऊन बाहेर गेली तेव्हा मी पटकन त्या गोळीला चहा मध्ये टाकून दिले.गोळी चहा मध्ये टाकताच विरघळून गेली.मावशी मग घरात आल्यावर त्यांनी तो चहा पिला.मी हॉल मध्ये गेलो तर सोनू अजूनपन नागडा झोपलेला होता.त्याला नागडा बघून मला पण आता नग्न व्हावेसे वाटू लागले. मग मी घराच्या मागे मोकळ्या जागेत गेलो.तिथे सुजाता मावशी कपडे धुवत होत्या.मावशीने मला तिथे जवळ बसवले आणि घरातून बादलीत गरम पाणी घेऊन आल्या.तेव्हा मी मावशीला बोललो,"मावशी,मी घरात बाथरूम आहे ना,तिथे आंघोळ करतो ना" तेव्हा मावशी बोलली,"अरे इथेच कर आंघोळ,आता कुठे घरात जातो. मग मी माझे कपडे काढून underwear वर बसलो.मावशी मग माझ्या अंगावर पाणी टाकून माझी आंघोळ घालू लागल्या.त्या माझ्या अंगाला साबण लावू लागल्या आणि मग त्यांनी माझी पॅन्ट काढायला हात लावला तर मी घराबाहेर मोकळ्या जागेत असल्याने मुद्दाम लाजण्याचे नाटक करू लागलो पण मला लवकर नागडं व्हायचं होतं.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"अरे इथे का लाजत आहे.काढू दे ना पँट". मी लाजून म्हणालो,"मावशी इथे कोणीपण येईल ना.नका ना" लागलो. तेव्हा मावशी बोलल्या," बाळा ,काय लाजत आहे तू पण आणि येऊ दे कोणाला पण, तू लहान बाळच आहेस अजून,लहान मुले नागडं असले तर कोणी काही नाही बोलत.चल पटकन आता. असे बोलून मावशीने माझी पॅन्ट काढून मला नागडं केलं.आता मी घराच्या बाहेर मोकळ्या जागेत पूर्णपणे नागडा बसलो होतो.मी पहिल्यांदा असा दिवसा सकाळी 7 वाजता घराबाहेर नागडा झालो होतो.मला आता नागडं होऊन खूप मस्त वाटू लागलं.मावशी मग माझ्या अंगाला साबण लावू लागल्या.मावशी माझ्या नागड्या शरीराकडे बघत होत्या.तेव्हा मावशीने माझ्या चेहऱ्यावर साबण लावला.आता माझे डोळे साबणाने बंद झाले होते.मग मामी मला बोलल्या,"बाळा, थोडा वेळ थांब,मी आले हा." आता मी डोळे बंद करून बाहेर नागडा बसलो होतो.लगेच मावशी आल्या आणि त्यांनी माझ्या अंगावर पाणी टाकून माझे अंग नीट चोळू लागल्या.त्यांनी मला उभे केले व लवड्या ला आणि ढुंगणाला साबण लावून मस्त धुतले.मग त्यांनी चेहऱ्यावर पाणी टाकले.साबण निघाल्यावर मी डोळे उघडले तर समोर चक्क एक बाई मला नागडा बघत होती.ते बघून मला लाज वाटू लागली आणि एक बाई मला नागडं बघत आहे.ती बाई मावशीला म्हणाली,"झालं का आवरून तुझं,हा तुझा भाचा आहे का?" मावशी:-,"हो ताई,आता सुट्ट्या आहेत म्हणून माझ्याकडे आला आहे." ती बाई :-,"ठीक आहे ,येते मी"असे बोलून ती बाई मला नागडं बघून हसत निघून गेली.मी तेव्हा मावशीला मुद्दाम नाटक करत बोललो,"मावशी,मी तुम्हाला बोललो होतो ना,की कोणी बघेल.ती बाई बघ मला बघून कशी हसत होती. तेव्हा मावशी बोलल्या,"अरे,काय झालं मग बघितलं तर.तू अजून लहानच आहे ना.आता रोज मी तुला इथेच आंघोळ घालणार आहे,म्हणजे तुझे हे मुलीसारखं लाजणे बंद होईल".मला हे ऐकून खूप आनंद झाला.मग त्यांनी माझ्या अंगावर पाणी टाकून माझी आंघोळ पूर्ण केली. मग मावशी मला म्हणाली :- "चल सूरज बाळा पटकन अंग टॉवेल ने पुसून घे." माझे अंग टॉवेल ने पुसून झाल्यावर मी घरात हॉल मध्ये गेलो.मला आता इथे या घरात नागडं होऊन मला मस्त वाटत होते.मग मी मुद्दाम मावशिसमोर माझे कपडे घालू लागलो तेव्हा मावशीने मला अडवले आणि म्हणाली,”अरे बाळा,रहा की असा नागडा.कशाला कपडे घालतो.दे ते इकडे.तू मागच्या वेळेस जसा नागडा राहिला आता तसाच रहा इथे. आता इथे असे पर्यंत कपडे नाही घालायचे.” मला हे ऐकून खूप आनंद झाला.आता मी मस्तपणे नागडा घरात फिरू लागलो.थोड्या वेळानं 9 वाजता सोनू पण उठला.त्याला मला बघून खूप आनंद झाला.मी मग त्याचेबरोबर गप्पा मारल्या.मावशीने मग सोनुचा ब्रश केला आणि त्याला घरात आंघोळ घातली.तेव्हा मी मावशीला म्हणालो,"मावशी तुम्ही सोनू ला पण बाहेर आंघोळ घालायचा ना?"तो पण लहानच आहे ना अजून." मावशी:,"बाळा ,आता बाहेर किती उन आहे त्याला चटके बसतील ना."आंघोळ झाल्यावर मावशींनी आमच्यासाठी नाश्ता केला.मी परत असा नागडा घरात नाश्ता करत होतो.नाश्ता झाल्यावर मी आणि सोनू सोबत खेळू लागलो.दुपारी मग आम्ही जेवण केलं.मला असं नागडा जेवण करताना खूप मस्त वाटत होते.जेवण झाल्यावर मावशीने भांडे घासले .मग मावशी आम्हाला बोलल्या,”चला, बाळांनो,आता झोपून घ्या.” मी आणि सोनू मावशीच्या दोन्ही बाजूला नागडे झोपलो.मावशीने मग सोनुच्या बाजूला कुस केली आणि ब्लाऊज चे हुक उघडुन सोनूला दूध पाजले.मला पण इकडे झोप लागली.मी संध्याकाळी उठलो तर सोनू आणि मामी उठलेल्या होत्या.मी उठून फ्रेश झालो आणि सोनुसोबत खेळू लागलो.रात्री मग आम्ही जेवण केलं.जेवण झाल्यावर मावशीने सगळं आवरल्यावर आम्ही गादीवर झोपलो. रात्री मग मावशी सोनूला दूध पाजू लागल्या तेव्हा तो नाटकं करू लागला,पण मावशी त्याला सारखं सारखं पी ना बाळा म्हणत होती.तेव्हा शेवटी नाईलाजाने सोनुने मावशीच्या उजव्या स्तन मधून दूध पिले.मग मावशीने ब्लाऊज बंद केला आणि सोनूला झोपवले.सोनू झोपल्यावर मावशी माझ्याशी गप्पा मारू लागल्या तेव्हा त्यांच्या छातीत दुखू लागले.मी तेव्हा मावशीला म्हणालो,"काय झालं मावशी ,काही त्रास होती आहे का? मावशी,"हो रे बाळा ,मला त्रास होतो आहे." मी :,"मावशी तुम्हाला काय त्रास होतो आहे." तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,सोनू आता माझे दूध पिण्यास टाळाटाळ करत आहे.त्याला आता माझे दूध आवडत नाही.त्यामुळे माझ्या छातीत दूध जास्त राहिल्यामुळे दुखत आहे."जाऊ दे तू.झोपून घे बाळा आता." आम्ही मग झोपलो.रात्री मला अचानक गालाला काहीतरी ओलसर पणा जाणवला म्हणून मला जाग आली.मी डोळे उघडले आणि घड्याळात पाहिलं तर रात्रीचे 2 वाजले होते.मग मी समोर बघितलं तर मला खूपच धक्का बसला.मावशी मला चक्क बिलगून झोपल्या होत्या.त्यांचे ब्लाऊज पूर्णपणे उघडे होते.आणि माझे तोंड चक्क त्यांच्या दोन्ही स्तनांच्या मध्ये होते.त्या वेळेस त्यांचा डावा हात माझ्या पाठीवर होता.त्यांच्या उजव्या स्तनांच्या निपलमधून दुधाचे थेंब बाहेर येऊन माझ्या गालावर ओघळत होते.मला तर ते बघून मामीच्या स्तनाला तोंड लाऊन दूध प्यावेसे वाटत होते.मी हळूच माझ्या जिभेने ते दुधाचे थेंब चाखले.खरंच,दुधाची चव अतिशय गोड होती.मला तर ते दूध पिऊन खूप मस्त वाटलं.मग मी हळूच माझे तोंड उघडे करून सुजाता मावशी चा उजवा स्तन तोंडात घेऊन निप्पल ला तोंड लावले.आता मझ्या छातीची जोर जोरात धडधड होत होती.पण मावशीचे चवदार दूध माझ्या तोंडात जात होते.मी हळू हळू मावशीचे निप्पल तोंडात धरून चोखू लागलो.अचानक मावशीची हालचाल झाली.मी माझे तोंड त्यांच्या निप्पल वरून काढणार पण तेवढ्यात त्यांनी माझ्या पाठीवर हात टाकून मला जवळ ओढले आणि त्यांचा स्तन माझ्या तोंडात घातला.मी बघितलं तर त्या गाढ झोपेत होत्या आणि झोपेतच बोलल्या,"पी माझ्या सोनू बाळा आणि झोप ". मग मी पुन्हा हळू हळू मावशीचे निप्पल तोंडात धरून चोखू लागलो.मावशीचे दूध खूप गोड आणि गाढ होते.मी मावशीचे निप्पल दूध संपेपर्यंत चोखले आणि मग हळूच माझे तोंड निप्पल वरून काढले.मला तर मावशीचे दूध पिऊन खूप छान वाटले.मी मग मुद्दाम मावशीच्या विरुद्ध बाजूला तोंड करून झोपून गेलो.सकाळी मला जाग आली तेव्हा सकाळी मला जाग आली तेव्हा सकाळचे 6 वाजले होते.मावशी अजुंनपण माझ्याजवळ उघड्या झोपलेल्या होत्या.मी मावशीचे उघडे स्तन बघू लागलो.मावशीचे स्तन आता रिकामे झाल्यामुळे loose पडले होते.परंतु त्यांचे गोरे स्तन बघून मला परत ते चोखन्याची इच्छा होत होती.मग मावशीची हालचाल झाली म्हणून मी सरळ होऊन झोपेचे नाटक करू लागलो.मावशी मग उठल्या आणि मग त्यांनी त्यांच्या दोन्ही हातांनी त्यांचे स्तन दाबून बघितले आणि एक सुटकेचा निःश्वास सोडला.मग त्या तश्याच उठल्या आणि बाथरूम मध्ये गेल्या.मला आता स्वतःवर विश्वास होत नव्हता की मी रात्री मावशीचे दूध पिले.मावशीची आंघोळ झाल्यावर मी मुद्दाम डोळे चोळत उठलो.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"उठला माझा बाळ,झोपायचे ना अजून,आता कुठे शाळा आहे तुझी " पण मी काहीच न बोलता उठलो.तेव्हा मावशीने मला त्यांच्या जवळ प्रेमाने ओढले आणि माझ्या केसांवरून हात फिरवून माझ्या गालाची पप्पी घेतली आणि म्हणाल्या,"चल बाळा ब्रश करून घे मग मी तुला दूध पाजते." मला हे ऐकून रात्रीच्या आमु मामी च्या दुधाची आठवण आली. मग मी ब्रश घेतला आणि बिनधास्तपणे घराच्या पुढे ओट्यावर नागडा उभा राहून ब्रश करू लागलो.मी मस्त मोकळ्या अंगणासमोर नागडा उभा होतो.ब्रश करून मी घरात आलो.तेव्हा मावशीने मला दूध प्यायला दिले.मावशी मग पुन्हा त्यांच्यासाठी चहा करू लागल्या.मावशी मग पुन्हा बाहेर गेली तेव्हा आज त्यांच्या चहा मध्ये डायरेक्ट 2 गोळ्या टाकून दिल्या. कारण मला आता मावशीचे दूध लवकर प्यायचे होते.मी दूध पिले आणि मावशीने चहा पीला .आता मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा ,उन वाढायच्या आत आंघोळ करून घे."असे बोलून मावशीने माझा हात पकडुन मला मागच्या बाजूला मोकळ्या जागेत आणले.मी आता पुन्हा घराबाहेर मोकळ्या जागेत आंघोळ करणार होतो.मावशीने मला खाली बसवले आणि त्या पाटावर बसल्या.त्यांनी मग माझ्या अंगावर पाणी टाकले आणि माझ्या शरीरावर साबण लावू लागल्या.मला आज पण असं नागडी आंघोळ ते पण घरा मोकळ्या जागेत करताना खूप मजा येत होती.मग माझी आंघोळ झाल्यावर मावशी मला म्हणाल्या,"अरे बाळा,मी तर तुझं टॉवेल घरातच विसरून आली.तू जा आत आणि पुसून घे.मी पण आली लगेच.तेव्हा सोनू बाहेर आला.मामींनी मला थांबायला सांगितले आणि त्याला म्हणाल्या,"सोनू,आतून तुझा आणि सूरजचा घेऊन ये इकडे,चल पटकन आंघोळ करून घे."मी आता कंपाऊंड मध्ये ओल्या अंगाने नागडा उभा होतो.मला ओल्या अंगाने असं नागडं राहण्यात मज्जा येत होती.सोनू पण नागडा होता,तो बाहेर टॉवेल घेऊन आला.मी माझे अंग टॉवेल ने पुसले आणि तसाच नागडा बाहेर उभा राहिलो.सोनू ला मावशीने आंघोळ घालायला सुरुवात केली तेव्हा तो माझ्या अंगावर पाणी उडवू लागला.मी पण लगेच मग्यात पाणी टाकले आणि त्याच्या अंगावर उडवले.तेव्हा त्याने पण माझ्या अंगावर पाणी टाकले.मी आता परत ओला झालो.तेव्हा मावशीने आम्हाला थांबवले आणि सोनुची आंघोळ केली.आता आम्ही तिघेजण घरात गेलो.मी आणि सोनू लगेच तसेच नागडे टीव्ही बघू लागलो.मामींनी पोहे बनवले आणि आम्ही तसेच नागडे खाली बसून पोहे खाल्ले.दुपारी आम्ही जेवण केले.दुपारी सगळं आटोपल्यावर मावशीने सोनूला दूध पाजले.सोनू आता पण दूध प्यायला नाटक करत होता.त्या दिवशी संध्याकाळी मी उठलो तेव्हा सोनू झोपलेला होता.मी उठून किचन कडे जाऊ लागलो. मी घराचे मागच्या रूम मध्ये गेलो तर तिथे मावशी चक्क ब्लाऊज उघडुन बसल्या होत्या मी लगेच दाराआड लपलो आणि त्यांना बघू लागलो.मावशी एक छोटे पातेले हातात घेऊन त्यांचे स्तन दाबून त्या पातेल्यात त्यांचे दूध काढत होत्या.त्यांचे स्तनाच्या निप्पल मधून दुधाच्या धारा येत होत्या. त्यांच्या स्तनांमधून येणारे दूध बघून माझ्या तोंडाला पाणी सुटले.मग त्यांनी स्तन दाबून दूध काढले. आणि ते दूध ग्लास मध्ये टाकले.मी पटकन हॉल मध्ये झोपून गेलो.नंतर मी 5 वाजता उठलो तेव्हा सोनू आणि मावशी चहा पीत होते.चहा पिऊन झाल्यावर सोनू बाहेर गेला.मला बघून मावशीने मला जवळ बोलावले.मी जवळ गेलो तर मावशी मला म्हणाली,"ये माझ्या बाळ" असे म्हणत त्यांनी मला त्यांच्या मांडीवर बसवले.मला मांडीवर बसवलं. सुजाता मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,तुला दूध देऊ का प्यायला." मी लगेच हो म्हणालो.तेव्हामवशिने मला दूध दिले.मी बघितलं तर हा तोच ग्लास होता ज्यात सुजाता मावशीने त्यांचे दूध काढले होते.मला तो ग्लास बघून खूप आनंद झाला कारण मला आता कळलं होतं की मावशी मला आता त्यांचे दूध पाजणार होत्या.मी तो ग्लास तोंडाला लाऊन दूध पिले,आणि मुद्दाम मावशीला म्हणालो,"मला अजून दूध प्यायच आहे ,द्या ना अजून" हे ऐकून आमु मामी आनंदाने म्हटल्या,"बाळा ,तुला एवढे आवडले दूध?" मी :-,"हो मावशी,मला असे वाटते की हे दूध पितच राहावं" तेव्हा मावशी आनंदाने माझ्या गालाच्या 2 ते 3 पप्पी घेत म्हणाली,"बाळा ,आज रात्री पासून मी तुला हे दूध देणार,पण तुला ते प्यावेच लागेल हा." मला कळून चुकले की आज मावशी मला त्यांचे दूध पाजनार आहे ते म्हणून मी मुद्दाम म्हणालो :,"मामी ,तुम्ही म्हणाल तर मी डायरेक्ट पिशवी लाच तोंड लावूनच दूध संपवतो ते." मावशी ,"मी तुला दुधाची पिशवीच तोंड लावायला देईल.तू फक्त ते पी" मी नंतर सोनुसोबत खेळू लागलो.आज मी मावशीकडे बघत होतो तेव्हा त्या खूप वेळा त्यांच्या दोन्ही स्तन ला हलवत होत्या.गोळीच्या मुले आता मावशीचे स्तन दुधाने भरून गेले होते आणि त्यामुळे त्यांना त्रास होत होता.रात रात्री 8 ला आमचे जेवण झाले.मावशीने घाई घाईने भांडे घासले.मी आणि सोनू घरात खेळत होतो.मग 9:30 ला मावशी आणि सोनू आणि मी हॉल मध्ये झोपलो.सोनू आज थकल्यामुळे लवकर झोपला.सोनू झोपल्यावर मावशीने मला उठवले आणि बोलल्या,"चल बाळा,आपण गच्चीवर जाऊ.मी आणि मावशी मग गच्चीवर गेलो.मी त्यांना विचारलं,"आज तुम्ही सोनूला ला दूध नाही पाजलं" तेव्हा मावशी हसून बोलल्या,"तो आता दूध नाही पिणार" मावशी मग तिथे खाली बसल्या.तिथे खूप छान हवा येत होती.मी पूर्ण नागडा असल्याने माझ्या अंगाला मस्त हवा लागतं होती.मावशीने मग मला त्यांचे जवळ घेतले.आणि त्यांच्या मांडीवर लहान बाळा सारखे झोपवले. .मग मावशीने माझ्या गालाची आणि मग मानेची पप्पी घेतली तेव्हा मला गुदगुल्या झाल्या.मावशी माझ्या शरीरावर हात फिरवू लागल्या.मला त्यांचा तो स्पर्श खूप आवडला.मग त्यांनी मला त्यांचे काही मजेदार जोक सांगितले आणि आम्ही खूप हसलो.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,तुला दूध नाही प्यायचे का आज?". मी,"हो मामी,मला दूध द्या ना प्यायला.मला आज आठवणच राहिली नाही." मावशी मग मला म्हणाली,"मी पाजते हा माझ्या बाळाला दूध" तेव्हा मावशीने मला मांडीवर पकडुन ठेवले आणि त्यांनी त्यांच्या ब्लाऊज चे हुक एक एक करून उघडले.आता त्यांचे दोन्ही मोठे गोरे स्तन माझ्या समोर होते.त्यांनी मग त्यांचा उजवा हात माझ्या डोक्याच्या खाली लाऊन मला आधार दिला आणि मग त्यांचा उजवा स्तन माझ्या तोंडाला लावायला लागल्या.त्यांचे स्तनाचे बोंड रबरसारखे इकडे तिकडे जाऊ लागलो.तेव्हा त्या मला म्हणाल्या,"अरे घे ना तोंडात.तुला दूध पाहिजे ना मग पी ना." मी मुद्दाम नाटक करत ," नाही मावशी,मला ते ग्लास मध्ये देतात ना तेच गोड दूध पाहिजे." आमु मामी त्यांचं उजवा स्तन माझ्या तोंडाला लावत हसून बोलल्या,"अरे बाळा,तू आधी तोंडात तर घेऊन बघ."असं बोलून त्यांनी त्यांचा उजवा स्तनाचे बोंड माझ्या तोंडात टाकलं आणि त्या त्यांचा स्तन दाबू लागल्या.त्यांचे निप्पल मधून गोड दूध माझ्या तोंडात यायला लागले.ते गोड दूध माझ्या तोंडात जाताच मी निप्पल ला माझ्या ओठांनी पकडून चोखू लागलो.लगेच स्तनातून खूपच गोड चवदार दूध यायला लागले.मला तर आता स्वतःवर विश्वास च बसत नव्हता की मी मावशी मला त्याचं दूध पाजत आहे..मी त्यांचे निप्पल आणि एरोला पूर्ण तोंडात घेऊन दूध पिऊ लागलो.सुजाता मावशी त्यांचा एका हाताने माझ्या डोक्याला वर करून स्तनावर दाबत होत्या आणि त्यांचा दुसरा हाताने त्यांनी माझा उजवा हात त्यांच्या डाव्या स्तनावर ठेवला.मी त्यांचे डावे स्तनाचे निप्पल हातात घेऊन त्याच्याशी खेळू लागलो.त्यातले दूध आता माझ्या अंगावर पडत होते.मावशीला आराम मिळतो होता म्हणून त्या हळू आवाजात " आह आह " करू लागल्या.त्या माझ्या केसावर हात फिरवत म्हणाल्या,"चोख बाळा ,पिऊन टाक तुझ्या मावशीचे दूध. सगळं तुझंच आहे.खूप आराम भेटतो आहे मला आता".मी एका लहान बाळा सारखं नागडा मावशीच्या च्या मांडीवर झोपून दूध पीत होतो. थोड्या वेळाने मावशीच्या उजव्या स्तन मधून दूध येणं बंद झालं तेव्हा मी माझे तोंड त्यांचे निप्पल वरून हटवलं. मावशीने माझ्या चेहऱ्यावर हात फिरवत मला विचारलं,"अजून प्यायच का माझ्या बाळाला दूध?" मी लगेच हो म्हणालो.तेव्हा मावशी म्हणाली,"चल बाळा,आपण खाली घरात जाऊ आता.मावशी आणि मी मग खाली जाऊ लागलो.खाली येताना मावशीचे उघडे स्तन मस्त हलत होते. खाली आल्यावर मावशीने मला गादीवर झोपवले.त्यांनी साडी सोडली आणि ब्लाऊज पूर्णपणे काढून त्या वरून नग्न झाल्या.मावशी माझ्या शेजारी झोपल्या.मग त्यांनी मला त्यांच्या छातीजवळ ओढले आणि त्यांचा डावा स्तन माझ्या तोंडाला लावला. मी लगेच निप्पल तोंडात धरला आणि त्यातून दुधाच्या धारा माझ्या तोंडात येऊ लागल्या.मावशीचा डावा स्तन खूप दुधाने भरलेला होता त्यामुळे त्यातून खूप दूध बाहेर येत होते.माझ्या तोंडात जास्त दूध आल्याने ,थोडे दूध माझ्या तोंडाच्या कडेने गालावरून ओघळू लागले.मला दूध पाजताना मावशी आता खूपच उत्तेजित होत होत्या.त्या माझ्या अंगावरून हात फिरवू लागल्या.मी पण माझा डावा हात आणि पाय त्याच्या अंगावर टाकून त्यांना अजून बिलगलो.मी आता मस्त स्तन चोखत होतो.मला आता मावशीचे दूध पिऊन खूप छान वाटत होते.स्तनात दुध संपल्यावर मी माझे तोंड निप्पल वरून काढले.तेव्हा मावशीने माझी पप्पी घेतली आणि मला म्हणाल्या,"कसं वाटलं बाळाला दूध? पोट भरलं ना माझ्या बाळाचे?" तेव्हा सुजाता मावशी बोलल्या,"नुसतं मस्त नसतं,तर तब्येती साठी चांगलं पौष्टिक पण असतं ते बाळा.चल आता झोपू आपण,आणि हो बाळा ,तुला आता रोज माझं दूध प्यावं लागेल हा.सोनू आता दूध नाही पित माझे,आता तूच माझा दूध पिणारा बाळ आहे आणि बाळा,ही गोष्ट फक्त आपल्या दोघातच राहू दे हा,कोणाला सांगू नको.नाहीतर लोकं हसतील हा तुला." मग मावशीने मला त्यांचे स्तनात ओढले आणि मी मग त्यांच्या स्तनावर तोंड लावून झोपून गेलो.मला आज स्वर्गसुख घेतल्यासारखे वाटत होते.सकाळी मला जाग आली तेव्हा सकाळचे 5 वाजले होते.मावशी अजुंनपण माझ्याजवळ उघड्या झोपलेल्या होत्या.मला तेव्हा दूध पिण्याची इच्छा झाली म्हणून मी मावशीचा उजवा स्तन तोंडात घेऊन त्याचे बोंड हळू हळू चोखू लागलो. मावशीला जाग येऊ नये म्हणून मी खूप हळू हळू निप्पल चोखून दूध पीत होतो.काय मस्त दूध होते ते.मला तर असं वाटतं होतं की जणू मी लस्सी च पित आहे.मला निप्पल चोखत चोखत कधी झोप लागली कळलच नाही.मग मला थोडी हालचाल झाली तेव्हा जाग आली.मी हळूच झोपेचं नाटक करू लागलो कारण मी अजूनपन मावशीचा उजवा निप्पल माझ्या तोंडात धरून झोपलो होतो. तेव्हा मावशींनी हळूच माझ्या तोंडातून निप्पल बाहेर काढले तर माझ्या ओठावर दुधाचे काही ठेव पडले.मग त्यांनी माझ्या कपाळाची पप्पी घेतली.आणि ब्लाऊज घालून उठून गेल्या.त्या पुढचे घरात गेल्यावर मी हळूच उठलो आणि आनंदाने उड्या मारू लागलो.मी आता मनातल्या मनात आनंद ला खूप धन्यवाद देत होतो. थोड्या वेळानं सुजाता मावशी घर झाडू लागल्या.मी तेव्हा उठून मावशीकडे गेलो.मला बघून मावशी म्हणाली,"चल बाळा,ब्रौह करून घे लवकर."मावशी चहा ठेऊन घर झाडू लागल्या.मी गुपचूप 2 गोळ्या मावशीच्या चहात टाकून दिल्या.मी पटकन मागे जाऊन ब्रश केला.मावशी मग घरात आल्या आणि त्यांनी चहा घेतला.मी बाथरूम मध्ये ब्रश ठेवला तेव्हा मावशी बाथरूम मध्ये आल्या आणि खाली बसल्या. त्या आंघोळ करणार म्हणून मी उठून जाऊ लागलो तर त्या म्हणल्या,"कुठे चालला बाळा,बस ना इथेच.मी आंघोळ करताना आपण गप्पा मारुया." मावशी आता माझ्यासमोर आंघोळ करणार होत्या.मग मावशीने त्यांचे ब्लाऊज काढले.मावशी आता फक्त परकर वर होत्या.त्यांचे दोन्ही स्तन मस्त दुधाने भरलेले असल्याने खूप मोठे वाटत होते.मग त्या माझ्याशी गप्पा मारत आंघोळ करू लागल्या.त्यांनी मग त्यांच्या स्तनावर साबण लावला आणि त्या दोन्ही स्तनांना चोळू लागल्या. त्यांच्या शरीरावर साबण लावून आंघोळ करत होत्या तेव्हा मला पण त्यांच्या स्तनांना साबण लावून त्यांच्या सोबत आंघोळ करावी अशी इच्छा होत होती.मग त्यांनी आंघोळ केली आणि त्या तशाच उठून मला म्हणाल्या,"बाळा चल आता.मी कपडे घालून लगेच तुझी आंघोळ करते हा.मग मावशी घरात गेल्या.आता मला परत घराबाहेर नागडी आंघोळ करायची होती.थोड्या वेळाने मावशी ब्लाऊज आणि साडी नेसून बाथरूम मध्ये आल्या आणि मला म्हणाल्या,"चल बाळा बाहेर आंघोळ करायला ". मी मुद्दाम नाटक करत म्हणालो,"नाही ना मावशी,मी इथेच बाथरूम मध्ये आंघोळ करतो ना.मला बाहेर लाज वाटते हो." मावशी,"नाही हा बाळा,तू बाहेरच आंघोळ करायची रोज." असे बोलून त्यांनी मला हात धरून उठवलं.मावशी मला घराच्या मागच्या बाजूला मोकळ्या जागेत घेऊन आल्या आणि तिथे बसवले. मी तेव्हा मुद्दाम मावशीला म्हणालो :- "मावशी मी काय लहान आहे का आता" आमु मामी :- मग,तू आहेच माझा लहान बाळ." मी ,"नाही मावशी,मी आता मोठा झालो आहे." तेव्हा मावशी मला हसून म्हणली,"नाही हा.तू अजून लहानच आहे हा. बघ बरं तू आता इथे बाहेर लहान बाळासारखा नागडा बसला आहे.तसच तू रोज लहान बाळा सारखे दिवसभर नागडा राहतो,जेवण करतो, झोपतो आणि आता तर लहान बाळाप्रमाणे माझे दूध पण पितो आहे.मग आहे की नाही तू अजून माझा लहान बाळ.चल आता मला आंघोळ घालू दे तुला." असे बोलून मावशी मला आंघोळ घालू लागल्या.त्या परत मला बोलल्या,"बाळा ,तू कितीही मोठा झाला ना,तरी माझ्यासाठी माझं दूध पिणारा बाळच राहशील तू" मावशी मला आंघोळ घालत होत्या तेव्हा अचानक ती बाई तिथे आली.ती मावशीसोबत गप्पा मारू लागली.मी तेव्हा मावशीला म्हणालो,"माझी पाहिले आंघोळ करा ना" मावशी:-,"थांब बाळा,मला यांच्यासोबत थोडं बोलू तर दे" मी,"मावशी,कोणी येईल ना.मला लाज वाटते आहे" तेव्हा ती बाई मला म्हणाली,"एवढं काय झालं पोरा लाजायला.तू लहान आहेस अजून.लहान मुले नागडी राहिली तर काय झालं लाजयला." तेव्हा मावशी बोलली,"अहो ताई,तो खूप लाजत असतो मुलीसारखं" तेव्हा ती बाई बोलली,"काय एवढं लाजायच त्याने.तो लहान आहे अजून."मग त्यांनी अजून गप्पा मारल्या.ती बाई मग निघून गेली.आता मावशीने मला पाणी टाकून माझ्या लवड्याजवल मस्त साबण लाऊन माझ्या लवड्या ला धुतले आणि मग माझे डोके पण धुवून दिले आंघोळ झाल्यावर त्यांनी माझे अंग टॉवेल ने पुसले.आम्ही घरात आलो.तेव्हा मावशी बोलल्या,"बाळा ,दूध चल पटकन दूध पिऊन घे माझं,नाहीतर सोनू उठून जाईल.त्यने बघितलं तर तो लहान आहे,कोनालापण सांगेल की तू माझे दूध पितो ते.." मी,"द्या लवकर, मला खूप भूक लागलीच होती" सुजाता मावशी :- "बाळा ,मग सांगायचं ना,चल ये इकडे माझ्याकडे." मी मावशी कडे गेल्यावर त्यांनीं मला त्यांच्या मांडीवर झोपवले आणि त्यांचं ब्लाऊज चे खालचे 2 हुक उघडुन डावा स्तन बाहेर काढला.आणि माझ्या डोक्याला खालून हात टाकून थोडे वर केले.मग त्यांनी डाव्या स्तनाचे निप्पल माझ्या तोंडाला लावले.मी लगेच स्तनाचे बोंड तोंडात घेतले आणि त्याला चोखू लागलो.मावशीच्या स्तन मधून लगेच गोड दूध यायला लागले.मावशी माझ्या केसांवरून हात फिरवत म्हणाली,"आरामात पी माझ्या बाळा,तुझंच दूध आहे ते."दूध पिताना मला आता काहीच भान राहिलं नव्हतं.मला आता फक्त मावशीच्या स्तना मधले गोड आणि चवदार दूध प्यायचे होते.मी हळू हळू निप्पल चोखत दूध पीत होतो.सुजाता मावशी आता खूप उत्तेजित होत होत्या आणि माझ्या सर्वांगावर हात फिरवत होत्या. डावा स्तन मधून दूध संपल्यावर मी उठलो.तेव्हा आमु मामी बोलल्या,"बाळा ,अजून पी ना दूध" असं बोलून त्यांनी ब्लाऊज चे बाकी हुक उघडले आणि उजवा स्तन हातात धरला. आमु मामी:-" हे बघ ,यात अजून दूध आहे.पी ना हे पण." मग मी मावशीच्या उजव्या बाजूला मांडीवर झोपलो आणि त्यांचा उजवा स्तन तोंडात घेऊन निप्पल चोखू लागलो.आता माझे पोट भरत आले होते.पण मला स्तन चोखणे सोडू वाटत नव्हते.मी हळू हळू 15 मिनिट स्तन चोखुन त्यातले दूध संपवले.दूध संपल्यावर मी माझे तोंड निप्पल वरून काढले.आता मावशीचे दोन्ही स्तन रिकामे झाल्यामुळे सैल झाले होते. मी :- "मावशी माझं पोट भरलं आता.मी नंतर पितो दूध. आमु मामी :- चालेल बाळा,तू दूध पील्यामुळे मला खरच आराम मिळतो आहे.तुला जेव्हा दूध प्यावेसे वाटेल तेव्हा सांग मला." असे बोलून मावशींनी त्यांचे स्तन ब्लाऊज मध्ये टाकले आणि त्यांचे घरातले काम आवरू लागल्या.थोड्या वेळाने सोनू उठला.मावशीने मग त्याची आंघोळ घातली. दुपारी आम्ही जेवण केले.मी मुद्दाम कमी जेवलो कारण मला मावशीचे जास्तीत जास्त दूध प्यायचे होते.दुपारी 1 वाजता मावशीने सोनूला झोपवले आणि लगेच मला म्हणाली,"सूरज बाळ,इकडे ये लवकर" मी मावशीच्या जवळ गेलो तेव्हा त्यांनी मला त्याच्या जवळ झोपवले आणि लगेच ब्लाऊज चे हुक उघडुन स्तन बाहेर काढले.मावशीने लगेच माझ्या समोर त्यांचा उजवा स्तन धरला.तेव्हा त्या स्तनातून खूप दूध बाहेर टपकु लागले.मी तिकडे बघितले तर लगेच मावशी बोलल्या,"बाळा बघतो काय,ते बोंड तोंडात घेऊन चोख ना.लवकर दूध पी." मी लगेच मावशीचे निप्पल तोंडात घेऊन चोखू लागलो. स्तनात दुध जास्त असल्यामुळे दुधाच्या धारा माझ्या तोंडात येत होत्या.मावशी मला म्हणाली,"बाळा तू दोन्हीकडचे दूध पिऊन घे.मी झोपते आहे.असे बोलून मावशी झोपून गेल्या.माझ्या मते आज मावशी जास्त थकल्या असल्याने गाढ झोपून गेल्या होत्या.मी परत त्यांचे उजवे निप्पल ओठात पकडुन चोखू लागलो.सर सर करत दूध माझ्या तोंडात येऊ लागले.मी स्तन चोखत असताना चोखण्याचा चू चू आवाज येऊ लागला.तेव्हा मी खूप उत्तेजीत झालो.मी हळू हळू निप्पल पूर्ण तोंडात घेऊन दूध पिऊ लागलो. मावशीचे स्तन आता खूपच मऊ झाले होते आणि निप्पल पण आता एका लांबट द्राक्ष एवढे झाले होते.मी मस्त निप्पल ओढू लागलो.उजव्या स्तनाचे दूध संपल्यावर मी लगेच माझे तोंड डाव्या स्तनाला लावणार तेव्हड्यात मावशीने कुस बदलली आणि त्या पाठीवर सरळ झोपल्या.आता त्यांचे स्तन छातीवर पसरून मस्त गोलाकार झाले होते.मला अजून दूध प्यायचे होते.म्हणून मी डायरेक्ट मावशीच्या वर आलो व हळूच त्यांचे डावे स्तनाचे निप्पल तोंडात धरून चोखू लागलो.डाव्या स्तनात कमी दूध येत होते. त्यांचा डावा स्तन लवकर रिकामा झाला.मी तरी मावशीचा चा डावा स्तन तोंडात धरून फक्त चोखन्याचा आनंद घेऊ लागलो.नंतर मग अचानक सुजाता मावशीने परत कुस बदलली आणि त्या उजव्या बाजूला वळल्या.मी तसाच निप्पल तोंडात धरून त्यांचे सोबत उजव्या बाजूला झोपलो.आणि माझा हात त्यांच्या नरम उघड्या पोटावर ठेवला.निप्पल चोखत चोखत मलापण कधी झोप लागली कळलच नाही.मला संध्याकाळी जाग आली तेव्हा मावशी तिथे नव्हत्या.मी उठून बसलो घराबाहेर आलो तर मावशी आंगण झाडत होत्या.मावशींनी मला बघितलं आणि म्हणाल्या,"उठला का बाळा,चल फ्रेश होऊन घे बरं". मी घराचे मागे गेलो आणि हात पाय चेहरा धुवून फ्रेश झालो.मावशी मला बोलली,"बाळा तू बाहेर खेळ मी घरात आवरून स्वयंपाक करते."मी आणि सोनू मग नागडेच घराच्या मागे खेळू लागलो. संध्याकाळी 7 ला आम्ही घरात आलो आणि हात पाय धुऊन फ्रेश झालो.मी मावशीला बोललो,"मला पण भूक लागली आहे." मावशीने मग मला त्याच्या जवळ ओढले आणि माझी पप्पी घेऊन विचारलं,"काय करू मी बाळा तुझ्यासाठी?तू सांग ते जेवण बनवते मे आज."तेव्हा मी त्यांना बोललो, तुम्हाला जे आवडतं ते बनवा" मावशी :- ठीक आहे बाळा. सोनू हॉल मध्ये टीवी बघू लागला. मी तिथेच घरात बसून मावशीसोबत गप्पा मारू लागलो.मावशीने मग डाळ भात केला.आम्ही दाळ भात खाऊन झाल्यावर मावशीने भांडे घासले. थोड्या वेळानं मावशीने सोनूला झोपवले.आता मला मावशीचे दूध प्यायच होतं.मी मावशीला दूध प्यायच बोलणार इतक्यात मावशी बोलली,"बाळा आज खूप गरम होतं आहे रे.चल आपण थोड्या वेळ गच्चीवर जाऊ.मी आणि मावशी गच्चीवर गेलो.तिथे मस्त थंडी हवा लागत होती.तेव्हा मावशी बोलल्या,"ये बाळा इकडे माझ्याजवळ बस."मी मावशीच्या जवळ बसलो तेव्हा त्यांनी माझी पप्पी घेतली आणि माझ्याशी गप्पा मारू लागल्या.त्या मला त्यांचे बालपणीचे किस्से सांगत होत्या.ते ऐकून मला खूप हसू येत होते.तेव्हा अचानक गप्पा मारता मारता त्यांनी त्यांचे ब्लाऊज चे हुक उघडुन दोन्ही स्तन मोकळे केले.आणि तश्याच मला गोष्टी सांगता सांगता माझे डोके धरून त्यांच्या डाव्या स्तनाला लावले.मी आता तसाच त्यांच्या मांडीवर बसून त्यांच्या डाव्या स्तनाच्या निप्पल ला तोंडात घेऊन दूध पिऊ लागलो.थोड्या वेळाने लगेच त्यांनी माझे डोके धरले आणि डाव्या निप्पल वरून माझे तोंड काढले आणि उजव्या स्तनाच्या निप्पल ला लावले.त्या असं करताना पण मला न थांबता गोष्ट सांगत होत्या.मी दूध पिता पिता हू हु करत होतो.मग दूध पिऊन झाल्यावर मी माझे तोंड निप्पल वरून काढले तेव्हा त्यांचे दोन्ही स्तन दूध संपल्यामुळे सैल झाले.ते बघून सुजाता मावशी मला बोलल्या,"चावट ,माझे दोन्ही दूध चाटून पुसून रिकामे करून टाकले.खूप बरं वाटलं आता."मग आम्ही खाली येऊ लागलो.तेव्हा मावशी ब्लाऊज न लावता तसच खाली येत होत्या.त्यांचे दोन्ही स्तन खाली उतरताना मस्त खाली वर हलत होते.खाली घरात मी आणि मावशी जवळ झोपलो.तेव्हा मावशीने चक्क माझ्या ओठांवर पप्पी घेतली आणि बोलल्या,"माझा,गोड दूध पिणारा बाळ" असे बोलून मी त्यांच्या दोन्ही स्तनात तोंड घुसवले आणि त्यांना बिलगून झोपून गेलो.मला त्या स्तनांच्या मऊ स्पर्शाने लगेच झोप लागली. सकाळी मला जाग आली तेव्हा मावशी उठलेल्या होत्या.तेव्हा सकाळचे 6 वाजले होते.मी उठून घरात बघितलं तर सुजाता मावशी वरून अर्धनग्न होत्या.त्यांनी फक्त परकर घातलेला होता.त्या तश्याच घर झाडत होत्या.घर झाडताना त्याने दोन्ही स्तन मस्त हलत होते.आता त्यांचे स्तन रात्रीत दूध भरल्यामुळे कडक झालेले दिसत होते.मला बघून त्या म्हणाल्या,"अरे बाळा एवढा लवकर का उठला ,झोपायच ना तू." मग मी उठून बाहेर ब्रश करू लागलो.तोपर्यंत मावशींनी घरात आंघोळ केली.आंघोळ झाल्यावर मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा दूध पिऊन घे." मी तसच तोंड धुऊन मावशीच्या मांडीवर झोपलो.मावशीने मला त्यांच्या दोन्ही स्तन मधून दूध पाजले.आता घड्याळात 7 वाजले होते.मावशीने मग मला सांगितले की,"बाळा,आज आपल्याला जवळच्या विहिरीवर कपडे धुवायला जायचे आहे.तू आता लगेच माझ्यासोबत चल.मी तिथेच तुला आंघोळ पण घालून देईल."मला मावशीचे बोलणे ऐकून आश्चर्य वाटले आणि मनातल्या मनात आनंद पण झाला.मी मुद्दाम मावशीला बोललो,"नाही हा मावशी,तुम्ही जा कपडे धुवायला.मी नाही येत,मला लाज वाटते." मावशी ,"बाळा,ठीक आहे नको आंघोळ करू,पण माझ्यासोबत तर चल तिथे." मग मी कपडे घातले आणि मावशीसोबत जायला तयार झालो.तेव्हा मी मावशीला म्हणालो,"मावशी ,सोनू ला उठवा ना.तो घरात एकटा कसा राहील?" मावशी:-,"अरे बाळा ,झोपू दे त्याला .तो 9 वाजेपर्यंत नाही उठणार.विहीर जवळच आहे.आपण एक तासात येऊन जाऊ." मग मी आणि मावशी निघालो.जवळपास दीड किमी अंतर चालल्यावर आम्ही विहिरीजवळ आलो.तिथले दृश्य बघून मी शांतच झालो.विहिरीजवळ 8-10 स्त्रिया होत्या.त्यातल्या काही कपडे धुवायला आल्या होत्या आणि काही पाणी भरत होत्या.सगळ्यात आश्चर्य म्हणजे तिथे विहिरीजवळ माझ्या जवळपास वयाची 5-6 मुले चक्क नागडी आंघोळ करत होते.त्यातल्या 3 मुलांच्या आया त्यांना आंघोळ घालत होत्या.मला आता त्या मुलांचा हेवा वाटू लागला.मला माझाच राग आला की मी मावशीला आंघोळीला नाही म्हणालो. आता मावशीने मला एका ठिकाणी बसवले आणि त्या बाकी बायांसोबत गप्पा मारू लागल्या.मी आता त्या नागड्या मुलांना मस्तपणे आंघोळ करताना बघू लागलो.आंघोळ झाल्यावर 3-4 मुले त्यांच्या आयांसोबत चक्क नागड्या अवस्थेत रस्त्याने घरी जात होते.त्या स्त्रियांच्या कपड्यावरून ते खूप गरीब लोक आहेत असे दिसत होते. मावशीचे थोडे कपडे धुतले आणि आता 2 -3 कपडे बाकी होते तेव्हा त्यांनी मला जवळ बोलावले.मी मावशीच्या जवळ गेल्यावर मावशीने मला तिथे एका दगडावर बसवले आणि माझा टीशर्ट काढायला लागली.मला तेव्हा कळून चुकले मी मावशी आता माझी नागडी आंघोळ घालणार इथे.पण मी मुद्दाम मावशीला नाही म्हणू लागलो. मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,करून घे ना इथे आंघोळ" तेव्हा शेजारची एक बाई मला म्हणाली,"अरे पोरा ,कर की आंघोळ ,काय झालं तुला आंघोळ न करायला?" मावशी त्या बाईला म्हणाली,"तो खूप लाजत आहे हो" ती बाई,"अरे काय लाजत आहे एवढा,ते बघ तिकडे ती मुलं कशी नागडी आंघोळ करत आहे.ते पण आहेतच ना नंगे.कर पटकन आंघोळ" आता सुजाता मावशीने लगेच माझा टीशर्ट काढला आणि मग मला उभं करून माझी पँट काढून टाकली.आता मी त्या लोकांमध्ये पूर्णपणे नागडा झालो होतो.मला आता खूप मस्त वाटत होते.तिथे आता पाणी भरण्यासाठी सुमारे ६-८ लोक उपस्थित होते, त्यात सर्व महिला होत्या आणि हातपंपाजवळून रस्त्याने जाणारे बरेच लोक होते. ते सर्व मला नग्न पाहू शकत होते आणि मला ते खूप आवडले.मावशीने मग तिथेच एका स्त्री कडून बादली घेतली आणि त्यात पाणी भरून माझ्या अंगावर पाणी टाकून मला आंघोळ घालू लागल्या.आंघोळ झाल्यावर मावशीने माझे अंग टॉवेलने पुसले.आणि मला तिथे विहिरीजवळ उभं राहायला सांगितलं.मावशी आता उरलेले कपडे धुवायला लागल्या.तो पर्यंत मी तिथे नागडा फिरू लागलो.तेथील स्त्रिया मला नागड्या बघत होत्या तसेच रस्त्यावर येणारे जाणारे लोक सुध्दा. त्यांना त्याचे काहीच वाटत नव्हते पण मला खूप छान वाटत होतं.मावशीचे कपडे धुवून झाल्यावर त्यांनी मला आवाज दिला आणि बोलल्या,"सूरज बाळा,चल आपल्याला घरी जायचं आहे"मी मावशीकडे गेलो आणि त्यांना म्हणालो,"मावशी माझे कपडे द्या.ते कुठे आहेत." मावशी,"कपडे का पाहिजे तुला?" मी :,"आता घरी जायचं आहे ना.मग कपडे नको का घालायला." सुजाता मावशी,"बाळा,मी तुझे कपडे धुऊन टाकले.आता असाच (नागडा) चल घरी." मी ,"मावशी,नका ना रस्त्यावर लोकं बघतील ना मला" तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"कोणी काही बोलत नाही इथे,चल आता पटकन"मी आता मावशीसोबत नागडा च घरी येऊ लागलो.मला असं रत्याने नागडं चालताना खूपच मस्त वाटू लागलं.रस्त्याने जाणारे लोकं मला नागडा बघत होते.घराजवळ आल्यावर मी मुद्दाम हळू चालत नागडेपणाचा आनंद घेऊ लागलो.घरात आल्यावर मामी मागच्या घराचे पाठीमागे दोरीवर कपडे टाकण्यासाठी गेल्या.मला आज खूप आनंद झाला कारण मी आज चक्क लोकांमध्ये नागडा झालो होतो.मला ते आठवून आठवून खूप मस्त वाटत होते.मि आता ठरवले की रोज सकाळी मावशीसोबत विहिरीवर आंघोळ करायला जायचे ते पण नागड्या अवस्थेत.थोडया वेळाने मावशी घरात आली.त्यांनी सोनूला उठवले आणि त्याची आंघोळ केली.आमचा नाश्ता झाल्यावर मावशी आम्हाला म्हणाली,"बाळांनो,आज आपल्याला जवळच्या ताईंनी जेवायला बोलावले आहे.आपल्याला दुपारी त्यांच्या घरी जायचे आहे हा.मला आता त्या बाईच्या घरी नागडेच जायचे होते.दुपारी 12 वाजता मावशी आम्हाला म्हणाली,"चला बाळांनो,आपल्याला जायचे आहे जेवायला." सोनू तसाच नागडा निघायला लागला पण मी तेव्हा मुद्दाम कपडे घालू लागलो.तेव्हा मावशी माझ्या जवळ आल्या आणि त्यांनी माझे कपडे काढून बाजूला टाकले व मला म्हणाली,"आता कशाला कपडे घालतो,चल असाच.जवळच शेजारीच आहे त्यांचे घर." मग मी आनंदाने मावशी आणि सोनुसोबत नागडा त्या बाईच्या घरी पोहचलो. शेजारच्या बाईचे घर शेतात होते. त्या घरात एक म्हातारे आजी बाबा ,त्यांची सून (ती बाई) आणि त्यांचा एक 12 वर्षाचा नातू राहतं होते. आम्ही घरात गेल्यावर त्यांनी आम्हाला पाणी दिले .तिथे सगळेजण गप्पा मारू लागले.त्या बाईच्या मुलाने जेव्हा आम्हाला नागडं बघितलं तेव्हा त्याने लगेच त्याचे कपडे काढले आणि तो पण नागडा झाला.त्याला असं बघून सगळे हसायला लागले. थोड्या वेळाने आम्ही जेवण केले.मला असे दुसऱ्याच्या घरी नागडं जेवण करताना मज्जा आली.जेवण झल्यावर मी त्यांचा नातूसोबत बाहेर येऊन खेळू लागलो. घर रस्त्यालगत असल्याने येणारे जाणारे लोकं आम्हाला नागडं खेळताना बघत होते.तो मुलगा जरी माझ्यापेक्षा वयाने 3 वर्ष लहान होता तरी उंची आणि शरीराने चांगला असल्याने माझ्यापेक्षा मोठा वाटत होतं. खेळून घरात आल्यावर त्या घरातल्या आजीनंमाझ्याकडे बघून मावशीला बोलल्या,"सुजाता याला चांगलं खाऊ पिऊ घाल ना .कसा बारीक आहे हा." मावशी :- "रोजच त्याला खाऊ घालते पण त्याची तब्येत नाही सुधारत" त्या आजी :- "अगं,रोज त्याला सकाळ संध्याकाळ एक ग्लास दूध पाजत जा.आणि हो त्याला केळी पण खाऊ घाल." आमु मामी माझ्याकडे पाहून हसत म्हणल्या,"आजी,मी त्याला रोजच दूध देते.आणि तो आवडीने पितो पण.आता बघा मी कशी त्याची तब्येत सुधारते." थोड्या वेळ अजून गप्पा मारल्यावर आम्ही परत घरी आलो.तेव्हा रात्री मावशीने स्वयंपाक करायला सुरुवात केली.मी त्या रात्री खूप कमी जेवण केले.करणं आज दुपारी मी मावशीचे दूध न पिल्यामुळे त्यांचे स्तन नक्कीच दुधाने भरलेले होते.मला ते सगळं दूध प्यायचे होते.मावशी सगळं आवरून घरात आल्या.सोनू आज आधीच झोपून गेला होता.त्याला झोपलेलं बघून मावशीने सुटकेचा निःश्वास सोडला.त्यांनी लगेच माझा हात धरून मला गच्चीवर नेले.आज आकाशात खूप पावसाचे वातावरण होते त्यामुळे बाहेर काळाकुट्ट अंधार पडला होता.मावशीने लगेच त्यांची साडी सोडली आणि ब्लाऊज उघडुन दोन्ही स्तन बाहेर काढले.मावशीच्या स्तनांतून दूधच दूध ओघळत होते.मावशी मला बोलल्या,"चल बाळा,पटकन दूध पिऊन घे.आज दुपारी तू दूध न पिल्यामुळे माझे स्तनात खूप दूध भरले आहे.हे बघ ते किती कडक झाले आहेत."असं बोलून त्यांनी माझे हात त्यांचे स्तनांवर ठेवले.तर खरंच त्यांचे स्तन खूप कडक लागत होते.आता मला पण खूप भूक लागली होती.म्हणून मी लगेच मावशीच्या उजव्या स्तनाला पकडुन त्याचे निप्पल तोंडात घेऊन चोखू लागलो.आज मावशीच्या स्तन मधून खूप दूध बाहेर येत होते.दुसऱ्या स्तनात जास्त दूध झाल्याने त्यातील थेंब माझ्या पोटावर पडत होते.मी मावशीच्या मांडीवर झोपून मस्त दूध पीत होतो.आता पावसाचे बारीक बारीक थेंब येत होते.विजा चमकत होत्या.विजांच्या उजेडात मावशीचे स्तन खूप छान दिसत होते.मी लगेच दूध पिता पिता मावशी ना विचारलं,"मावशी आज दूध खूप गाढ आणि जास्त चवदार लागतं आहे.मला खूप आवडलं हे दूध."आज मला खूप जास्त दूध आलं म्हणून गाढ असेल कदाचित.आणि बाळा ,आता मला खूप जास्त दूध येत आहे,त्यामुळे तू आता जेवण कमी करायचं आणि माझं दूध जास्त प्यायच.मग बघ कशी तुझी तब्येत सुधारते."असे बोलून आमु मामी मला दूध पाजू लागल्या.आता पाऊस वाढू लागला होता ओला होऊ नये म्हणून मी उठू लागलो तर मावशीने मला हाताने झोपवले आणि उजवा स्तन माझ्या तोंडात दिला.आता पाऊसाचे पाणी आमच्या दोघांच्या अंगावर पडून आम्ही ओले व्ह्यायला लागलो.मावशी आणि मी आता पावसाने पूर्ण भिजलो होतो.पावसाचे पाणी आता मावशीच्या स्तनावर पडून दुधासोबत माझ्या तोंडात येत होते.मला ओले स्तन चोखताना खूप मज्जा येऊ लागली. उजवा स्तन रिकामा केल्यावर मी निप्पल वरून माझे तोंड काढले.तेव्हा मावशी मला बोलल्या,"बाळा,आता डाव्या बाजूचे पण दूध पी"मग मावशींनी मला उठवले आणि त्यांचा ब्लाऊज व परकर काढून टाकला.आता मावशी फक्त निकरवर बसल्या होत्या.मावशीने मला पावसातच त्यांच्या डाव्या बाजूला झोपवले आणि त्यांचा डावा स्तन हाताने पकडून माझ्या तोंडाला लावला.मी मग बोंड तोंडाला लावून दूध प्यायला लागलो.त्या गोड आणि गाढ दुधामुळे मला जास्त जोर आला.मी जोरा जोरात सुजाता मावशीचे निप्पल ओढून चोखू लागलो त्यामुळे त्यांना त्रास होऊ लागला.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"अरे हळू पी ना बाळा,तुझेच आहे ते दूध."मग मी हळू हळू निप्पल चोखू लागलो.आता मावशीने मला मध्येच उठवले.आम्ही आता पावसात गच्चीवर उभे होतो.मावशीने आणि मी आता खाली घरात आलो.घरात आल्यावर मावशीने मला टॉवेल दिला.मी टॉवेलने माझे अंग पुसले.तिकडे मावशीने त्यांचे स्तन आणि बाकी शरीर टॉवेलने पुसले.त्यांनी त्यांचे केस पण नीट कोरडे केले.मावशीने मग बाथरूम मध्ये जाऊन निकर काढली आणि एक परकर घातला.मावशी मग माझ्याजवळ आली आणि मला घेऊन गादीवर झोपली.मी परत मावशीच्या डाव्या स्तन च्या निप्पल ला तोंडात धरुन चोखू लागलो.मावशीला आता गाढ झोप येत होती.थोड्या वेळानं मावशी गाढ झोपून गेल्या.डाव्या स्तनाचे दूध पण कमी यायला लागले.मला आत्ता पोट भरल्यामुळे गाढ झोप यायला लागली.मी तसाच निप्पल तोंडात धरून दूध पिताना झोपून गेलो सकाळी मला जाग आली तेव्हा मावशी तश्याच उघड्या अंगाने घर झाडत होत्या.मी लगेच उठलो..मी मुद्दाम डोळे चोळत त्यांच्या समोर गेलो.तेव्हा त्यांनी मला त्यांच्या उघड्या शरीराला कवटाळले.आणि बोलल्या,"झाली का झोप माझ्या बाळाची.माझ्या बाळा ला आता भूक लागली असेल.चल मी पाहिले चहा पिते,तू तोपर्यंत ब्रश करून घे. मग मला आंघोळ करायची आहे.मी लगेच ब्रश करू लागलो आणि हळूच दोन गोळ्या मावशीच्या चहात टाकून दिल्या.मावशी आता माझ्यासमोरच अर्धनग्न अवस्थेत चहा पिऊ लागल्या.चाह पिऊन झाल्यावर मावशी आंघोळीला बसल्या.मी तेव्हा त्यांच्या समोर बसलो.आता मावशी माझ्यासमोर आंघोळ करू लागल्या.मावशीने मग त्यांच्या सर्व अंगाला साबण लावून चोळायला सुरवात केली.माझ्यासमोर मावशी मस्त आंघोळ करत होत्या.तेव्हा त्यांनी मला आवाज दिला आणि बोलल्या,"बाळा,माझ्या पाठीला जरा साबण लाऊन दे ना. मी मावशीच्या गोऱ्या पाठीला साबण लावून चोळू लागलो.तेव्हा मावशी मला बोलल्या,"बाळा पुढे पण साबण लावून दे." मी लगेच मागून हात टाकून त्यांचे स्तन पकडून त्यांना साबणाने चोळू लागलो.तेव्हा मावशीचे स्तन दुधाने भरलेले असल्याने कडक लागत होते.मी स्तन साबण लावून चोळत असल्याने मावशी खूप उत्तेजित झाल्या.मग मी मावशीच्या अंगावर पाणी टाकले.आंघोळ झाल्यावर मावशी टॉवेल गुंडाळून आत गेल्या. मी पण त्यांच्या मागे गेलो.तेव्हा त्यानी निकर घातली आणि मग परकर ,ब्लाऊज घातला.आता मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा ,आपल्याला विहिरीवर कपडे धुवायला जायचे आहे.तू जा पुढे मी आली लगेच" मी लगेच नागडा घराबाहेर निघून रस्त्याने उड्या मारत विहिरीजवळ गेलो.तिथे मी नागडाच बाकी मुलांसोबत खेळू लागलो.5 मिनिटांनी मावशी आल्या.त्यांनीं कपडे धुवायला सुरुवात केली.आज विहिरीवर बऱ्यापैकी लोकांची गर्दी होती.त्यात जवळपास 15 स्त्रिया मला नागडं बघत होत्या.मला त्या लोकांमध्ये नागडं राहून मस्त वाटत होतं.कपडे धुवून झाल्यावर मावशीनी तिथेच मला नागडी आंघोळ घातली.आणि आम्ही घरी आलो.घरी आल्यावर मावशी लगेच कपडे बाहेर दोरीवर वाळायला टाकून माझ्याजवळ आल्या आणि त्यांनी लगेच घराचे दार बंद करून पटापट साडी सोडली.मी मावशीकडे बघितलं तर त्यांचे ब्लाऊज निप्पल जवळ पूर्ण ओले झाले होते आणि त्यातून दुध मोठ्या प्रमाणात ओघळत होतं.आनंद ने दिलेल्या गोळ्यांमुळे आता मावशीच्या स्तनात अती प्रमाणात दूध तयार होत होते. दुधामुळे मावशीची साडी पण वरून भिजली होती. मावशीने लगेच मला जवळ ओढले आणि त्यांचा ब्लाऊज उघडायला सुरुवात केली.ब्लाऊज चे शेवटचे हुक काढताच त्यांचे दोन्ही स्तन बाहेर आले. निपलमधुन खूप प्रमाणात दूध ओघळत होते.मावशीने लगेच उभ्या उभ्यानेच मला पकडून माझे डोके त्यांचा स्तनाला लावले.मी लगेच त्यांच्या डाव्या स्तनाचे बोंड तोंडात पकडुन चोखू लागलो.मावशीच्या निप्पल मधून आज खूपच दूध येत होते. निप्पल चोखायला सुरुवात करताच मावशींनी सुटकेचा निःश्वास सोडला.दूध अती प्रमाणात माझ्या तोंडात येत असल्याने माझ्या ओठाच्या कडेवरुन दूध बाहेर माझ्या नागड्या अंगावर ओघळत होते. मी उभा राहून दूध पिऊ लागलो.मावशीने लगेच मला तसेच दोन्ही हातानी उचलून बेडवर टाकले.त्या बेड वर आल्या आणि लगेच त्यांनी त्यांचा उजवा स्तन माझ्या तोंडात दिला.मी आता त्यांच्या उजव्या स्तना च्या निप्पल ला तोंडात धरून दूध पिऊ लागलो.आज दूध खूप मोठ्या प्रमाणात येत होते.दूध थोडे गाढ होते पण खूप चवदार लागत होतं.मी अर्धा तास सुजाता मावशीचे दोन्ही स्तन चोखुन त्यातले दूध संपवले.मी माझे तोंड त्यांच्या स्तनावरुन हटवलं आणि मावशीकडे बघितलं तर त्या झोपलेल्या होत्या.माझ्या सुजाता मावशी फक्त पारकर वर झोपल्या होत्या.त्यांचे दोन्ही स्तन आता रिकामे झाले होते.आज माझे दुधाने पोट भरून गेले होते.मी लगेच उठून बसलो.अर्ध्या तासाने मावशीला जाग आली.त्या तश्याच अर्धनग्न अवस्थेत उठल्या आणि त्यांनी मला त्यांच्या जवळ बोलावून त्यांच्या मांडीवर बसवले. मावशी मला प्रेमाने गोंजारत म्हणल्या,"धन्यवाद माझ्या बाळा,तुझ्यामुळेच मला आराम मिळतो आहे." त्या दिवशी दुपारी मी जेवण केले नाही.दुपारी सोनू झोपल्यावर मावशीने परत मला दूध पाजले.संध्याकाळी मी आणि सोनू बाहेर अंगणात खेळू लागलो खेळून झाल्यावर आम्ही घरात आलो.तेव्हा मावशी वरण भात बनवत होत्या.आम्ही जेवण केले. रात्री मग झोपताना आज मावशी सोनूला दूध पाजत होत्या तेव्हा मी त्यांचेकडे बघत होतो.सोनुने थोडं दूध पिले आणि तो दूध पित पिताच झोपून गेला.तो गादीवर झोपल्यावर मावशी मला म्हणाली,"तुलापण दूध प्यायच आहे का?" मी लगेच हो म्हणालो. मावशी मुद्दाम चेष्टेने हसून बोलल्या,"सकाळीच तर पिलं ना तू दूध,मग आता कशाला पाहिजे?" मी लगेच नाराज झालो.पण काहीच बोललो नाही. तेव्हा सुजाता मावशी बेडवर झोपल्या आणि माझ्याकडे बघत म्हणाल्या," ये माझ्या बाळा..” असं म्हणत मावशीने मला कवेत घेतलं आणि आम्ही तिथेच बेडवर आडवे झालो.मावशीने आता दुसरा पण स्तन हाताने दाबून बाहेर काढला. माझ्या तोंडासमोर आता दुधाची भरलेली दोन स्तन होती. मी एकाला धरून चाटु लागलो. “आह….” सुजाता माझ्या डोक्याखाली हात सारत रिलॅक्स होत उद्गारली. मी वर पासून खालपर्यंत तिचा पूर्ण स्तन चाटु लागलो, सगळीकडे जीभ फिरवू लागलो. “असा काय नवीन असल्यासारखा करतोयस?” मावशी हसत कुजबुजली, “ते बोन्ड चोख ना..” सुजाता मावशीने दुसऱ्या हाताने माझ्या तोंडासमोर स्तन पुढे केला. मी वेड्यासारखा तिच्या निप्पलवर तुटून पडलो. सरळ दात रोवत मी आवेशाने निप्पल चोखू लागलो. हाताने स्तन दाबू लागलो. “स्स्स्सस्स्स्स……” करत मावशीने माझं डोकं आपल्या स्तनावर आजूनच घट्ट दाबलं. तेवढ्यात दुधाची एक चिळकांडी माझ्या दातांच्या फटीतून गालावरून खाली गेली. मी पटकन ओठ आवळून धरले आणि “च्चू… च्चू…च्चू….” आवाज करत मावशीचे दूध प्राशन करू लागलो. तिचा दुसरा स्तन माझ्या गालावर विसावला होता. मी इकडे दूध पीत त्याला पण हाताने दाबू लागलो. मावशीने सुद्धा “हुश्श….” करत एक उश्वास सोडला आणि ती पाठीवर सरळ होत झोपली.मावशी आनंदाने माझ्या डोक्यावरून हात फिरवत होती. “बाळा ,ही गोष्ट कोणालाच नाही सांगायची हा” तिने मला समजावलं. “हम्मम… च्चू..च्चू..च्चू..” करत मी एक पाय मावशीच्या मांडीवर टाकला. मावशीने सुद्धा माझा पाय तिच्या मांड्यांत दाबला. माझ्या जणू सर्वांगातून सुखाची लहर जात होती. तोंडात स्तन आणि खाली सुजाता मावशीची मऊ मांडी. मी दोन्ही हातांनी एक स्तन दाबत त्याचे बोंड ओठांनी पुढे ओढू लागलो.या स्तनातलं दूध संपल म्हणून मी क्षणाचा ही विलंब न करता दुसरा स्तन अधाशासारखा तोंडात कोंबला. मावशी हसत कपाळावर हात मारून घेत माझ्याकडे मला बोलली,"अरे हळू हळू चोख ना दूध,मी थोडेच कुठे चालली आहे,तुझेच आहे हे दूध"पण मी त्यांचे बोलण्याकडे दुर्लक्ष करत तिचे निप्पल चोखत जोरात दूध पित होतो.मावशीने माझा एक पाय तिच्या मांड्यांमध्ये आधीच दाबून धरला होता.मी मग त्यांचे दूध पिता पिताच झोपून गेलो.सकाळी मी उठलो आणि लगेच मावशीला जाऊन बिलगलो.मावशीने प्रेमाने गोंजारत माझ्या गालाची पप्पी घेतली.मग त्या मला विहिरीवर घेऊन गेल्या आणि तिथे माझी आंघोळ केली.मावशीने मग मला नाश्ता म्हणून साधा भात बनवला.मी तेव्हा मावशी ना म्हणालो."मावशी ,मला साधा भात नाही आवडत,मला त्याच्याबरोबर काहीतरी द्या." तेव्हा सुजाता मावशी म्हणाली,"काय देऊ आता भातासोबत?रात्रीचे वरण नाही आता." लगेच त्यांना idea आली .त्यांनी लगेच माझ्या हातातून भाताची डिश घेतली.त्यांनी मग त्यांचे ब्लाऊज उघडले.ब्लाऊज उघडल्यावर मावशी त्यांचे निप्पल चिमटीत पकडून ओढू लागल्या.तेव्हा निप्पल मधून दुधाच्या धारा भातावर पडू लागल्या.मावशीने मग माझा हात धरून त्यांच्या स्तनावर ठेवला आणि मला त्यांचे दूध डिश मध्ये सोडायला सांगितले.मी आता माझ्या दोन्ही हातानी मावशीचे निप्पल ओढून त्यांचे दूध भाताच्या डिश मध्ये टाकू लागलो.10 मिनिटात भाताची डिश मावशीच्या दुधाने पूर्ण भरली.तेव्हा मावशी माझ्याकडे भाताची डिश देत मला म्हणाली,"बाळा ,आता खाऊन घे तुझ्या मावशीच्या गोड दुधाचा भात" मी मग आवडीने मावशीच्या दुधाचा भात खाल्ला. त्या दिवशी दुपारी मावशी मला आणि सोनूला म्हणाली,"बाळा ,आज रात्री आपल्याला सोलापूर ला जायचे आहे,माझ्या ओळखीतल्या ताईंच्या मुलीचे लग्न आहे.त्यांनी मला लहानपणी खूप सांभाळले आहे.आपल्याला रात्री जायचे आहे आज.संध्याकाळी आम्ही बस ने नंदुरबार ला आलो.आता रात्रीचे 7 वाजले होते.सोलापूर ला जाणारी ट्रॅव्हल बस 9 वाजता होती.आम्ही तिघांनी तिथे जवळच हॉटेल मध्ये जेवण केले.प्रवास करायचा असल्याने मी खूप कमी जेवण केले.रात्री आमची ट्रॅव्हल बस आली आम्ही बस मध्ये चढलो.बस वाल्याने आम्हाला आमची जागा दाखवली.आम्ही तिथे झोपलो.9 वाजता बस निघाली.बस चालू झाल्यावर मावशीने आमच्या कोच चा पडदा लाऊन घेतला आणि त्याला कोच च्या गाडीत अडकवला.आता आम्ही कोच च्या आता अंधारात होतो.सोनू लगेच झोपून गेला.मावशीने मग त्याला पडद्याच्या बाजूला झोपवले.आता मी बस च्या खिडकीच्या बाजूला झोपलेलो होतो.मी पण आता झोपू लागलो.थोड्या वेळाने मला मावशी कण्हत असल्याचा आवाज आला.मी उठून मावशीला विचारलं,"मावशी,काय झालं,तुम्हाला काही त्रास होतो आहे का?" तेव्हा मावशी मला हळू आवाजात म्हणाली,"हो रे माझ्या बाळा, बरं झालं तू उठला ,मला दुधामुळे खूप त्रास होतो आहे रे.तू झोपला होता म्हणून मी तुला उठवले नाही.आज दुपारी तुला दूध पाजता आले नाही त्यामुळे त्यात खूप दूध भरले आहे.बस हलत असल्याने माझे स्तन आणखी दुखत आहेत.चल पटकन दूध पिऊन घे." मी मावशीला म्हणालो,"नको मावशी,कोणी बघितलं तर" मावशी:,"इथे एवढं अंधार आहे.तरीपण मी माझ्या आणि तुझ्या अंगावर शाल पांघरून घेते म्हणजे कोणी बघितलं तरी त्यांना कळणार नाही." मी लगेच मावशीच्या छातीजवळ तोंड केले.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा मी शाल घेते तो पर्यंत तू माझे ब्लाऊज खोल.मी लगेच माझ्या हातानी मावशीचे ब्लाऊज चे हुक हळूच उघडू लागलो.मावशीच्या ब्लाऊज चे सगळे हुक उघडल्यावर मध्ये मावशीने ब्रा घातली होती.मावशी मग खाली झोपली आणि त्यांनी त्यांच्या हाताने ब्रा वर सरकवून दोन्ही स्तन बाहेर काढले.खिडकीतून बाहेरच्या लाईट च्या उजेडात मला मावशीचे स्तन खूप मोठे आणि भरलेले दिसले.मी आधी डाव्या स्तनाला हळूच तोंडात घेऊन चोखू लागलो.खूपच मोठ्या प्रमाणात दूध माझ्या तोंडात येऊ लागले.मी आता चालू बस मध्ये मावशीचे स्तन चोखुन गोड आणि गाढ दूध पिऊ लागलो.मी मावशीचे दोन्ही स्तन आळीपाळीने तोंडात घेऊन निप्पल चोखू लागलो.त्यामुळे त्यांच्या दोन्ही स्तन मधून दूध कमी होऊ लागले. मावशीला आता आराम मिळू लागला.त्या माझ्या केसांवर हात फिरवू लागल्या.जवळपास अर्धा तास मी मावशीचे दोन्ही स्तन आळीपाळीने चोखू त्यातले दूध संपवले.आता मावशी खूप निवांत झाल्या होत्या.त्यांनी मग माझ्या ओठावर किस केला आणि ब्लाऊज लाऊन घेत साडी नीट केली.मी मावशीच्या स्तनात डोके लाऊन झोपून गेलो.सकाळी मावशीने आम्हाला 6 ला उठवले.आम्ही उठल्यावर 6:00 ला बस सोलापूर ला पोहचली. तिथे उतरल्यावर आम्ही फ्रेश झालो आणि मावशिसोबत घोडतांडा या खेड्यावर जाणाऱ्या बस मध्ये चढलो.जवळपास अर्धा तासानतर आम्ही. घोडातांडा खेड्यात उतरलो.तिथे पोहचल्यावर आम्ही मावशीच्या ओळखीच्या ताईंच्या घरी पोहचलो.त्या ताईंचे घर गावाच्या सुरवातीला रस्त्याच्या कडेला होते.तिथे लग्नाचा मंडप टाकलं होता.त्या घरात भरपूर नातेवाईक लोकं आलेले होते.तसेच त्यांनी लोकांना राहण्यासाठी समोरचे घर पण राखीव ठेवले होते.मावशीच्या ताईंनी आम्हाला बघितले आणि त्यांना खूप आनंद झाला.त्यांनी मावशीला मिठी मारली व म्हणाल्या,"आली का सुजाता तू. बरं वाटलं मला.चल पटकन फ्रेश होऊन घ्या,प्रवास करून थकल्या असणार तुम्ही.मग नाश्ता करू सगळेजण.मावशीने मग आमच्या बॅग समोरच्या घरात ठेवल्या.मावशी आम्हाला त्या घरात बसून आंघोळीला गेल्या.त्यानी लग्न घरात आंघोळ केली.मावशीला गर्दी असल्याने बाथरूम भेटायला 1 तास वाट पाहावी लागली.आंघोळ झाल्यावर मावशी आमच्याकडे आल्या.त्यांनी मग आम्हाला घराच्या बाहेर मोकळ्या जागेत कपडे धुण्याच्या जागेवर आणले.तिथेच मावशीने सोनूला नागडं केलं.आता सोनू त्या लोकांच्या गर्दीत रस्त्याजवळ नागडा होता.मला पण आता त्याला बघून इतक्या लोकांमध्ये नागडा व्हावेसे वाटू लागले.मावशीने मग त्याला आंघोळ घातली.आंघोळ केल्यावर सोनू नागडा च उभा होता.मावशी मला म्हणाली,"चल बाळा ,तू पण इथे आंघोळ करून घे.घरात बाथरूम मध्ये खूप गर्दी आहे आंघोळीसाठी." असं बोलून मावशीने मला तिथेच कपडे काढून नागडं केलं.तिथे सगळे लोकं मला नागडं बघत होते.मला आता खूप छान वाटत होते.मावशीने मला तिथेच आंघोळ घातली.आंघोळ करताना मावशीच्या ओळखीची एक तरुण स्त्री तिथे आली.ती स्त्री आता माझ्या नागड्या शरीराकडे बघत होती.माझी आंघोळ करताना मावशीने तिच्याकडे पाहिलं आणि आनंदाने म्हणाली,"आशा, अगं तू कधी आलीस?किती वर्षांनी भेटतो आहे आपण.चल मी यांची आंघोळ आवरते मग आपण गप्पा मारुया.मावशी आता परत माझी आंघोळ करू लागल्या.आंघोळ झाल्यावर मावशीने मला आणि सोनूला समोरच्या घरात नेले.तिथे आशा काकू बसलेल्या होत्या.त्यांच्या हातात एक 4-5 महिन्यांचे बाळ होते.त्या साडीने स्तन झाकून त्या बाळाला दूध पाजत होत्या.आता मी आणि सोनू मावशी सोबत घरात आशा काकुसमोर नागडं उभे होतो.मावशी तिच्यासोबत बोलत बोलत आम्हाला कपडे देऊ लागली.आम्ही आता कपडे घातले.तेव्हा मावशी आशा काकूला म्हणाली,"अगं आशा,तू आज काय करते आहे?" आशा:,"काही नाही ग सुजाता,मला तर नुसतं बोअर होतं आहे. इथे माझ्या ओळखीचं कोणीच नाही.आई पण लग्नाचा कामात मदत करते आहे.म्हणून मी बसली आहे इथे एकटी,आणि असं पण मला माझ्या बाळा मुळे कुठे जाता येत नाही." मावशी :-,"मला पण लग्नाच्या कामात मदत करायची आहे.तू आज दिवसभर या दोघांना सांभाळशिल का?" आशा :-,"हो नक्कीच.तुम्ही जा ,मी घेईल त्यांची काळजी." तेव्हा सोनू मावशिसोबतच राहण्याचा हट्ट करत रडू लागला.तेव्हा मावशी मला आशा काकुजवळ सोडत म्हणाली,"बाळा ,तू आज आशासोबत रहा.आणि आशा सूरज ला दुपारी जेवण झालं की झोपवून दे कोणाकडे पण" आशा म्हणाली,"नक्की सुजाता,मी घेईल त्यांची काळजी". आता मावशी सोनूला घेऊन गेल्या.तेव्हा आशा माझ्या जवळ बसली आणि म्हणाली,"काय नाव आहे तुझं? मी :- सूरज आशा काकू :- शाळेत जातो का? मी :- हो, आशा काकू:- कोणत्या इयत्ता मध्ये जातो? मी मुद्दाम तिला लहान वाटावं म्हणून आता 6 वी ला गेलो असे सांगितले. आशा काकू :- माझं नाव आसावरी आहे.पण सगळे मला आशा म्हणतात.मी रत्नागिरीला राहते." असे बोलून त्यांनी माझ्या गालाला हाकून पकडुन बोलली,"तू खूप क्युट दिसतो रे. असं बोलून तिने चक्क माझ्या गालाची पप्पी घेतली.मी लगेच लाजलो.तेव्हा आशा काकू हसल्या आणि मला बोलल्या,"लाजतोस काय रे तू."मला आता खूप अवघडल्यासारखं होत होते.आता त्या घरातल्या वरच्या बेडरूम मध्ये फक्त मी आणि आशा काकू होत्या.तेव्हा आशा काकू मला म्हणाली,"बाळा,दरवाज्याला आतून कडी लावून घे.मला माझ्या बाळाला दूध पाजायाचे आहे" मी दरवाजा आतून बंद केला.तेव्हा आशा काकू बाळाला दूध पाजू लागल्या. माझे संपूर्ण लक्ष आणि लक्ष आशा आंटीच्या बुब्सवर होते. त्यांचे स्तन खूपच गोरे होते.त्यांचे स्तनाचे गडद गुलाबी रंगाचे मोठे अरिओला होते. स्तनाग्र देखील गडद गुलाबी रंगाचे होते.मी पहिल्यांदा गुलाबी रंगाचे निप्पल बघत होतो कारण सुजाता मावशीचे निप्पल गडद तपकिरी रंगाचे होते.आशा काकुंचे स्तन सुजाता काकूंच्या स्तनापेक्षा खूप सुंदर ,मोठे आणि गोलाकार होते.सुजाता काकुचे स्तनाग्र 3 सेमी पर्यंत उभे होते.आता त्यांचे बाळ स्तनपान करू लागले. अचानक आशा आंटी ने बाळाला दूध पाजत असताना मी तिच्या बुब्सकडे बघत असताना पकडले. त्या मला म्हणाल्या "काय झालं बेटा. तु कधीही स्त्रीला स्तनपान करताना पाहिले नाही का?” मी काहीच बोललो नाही.तेव्हा आशा काकू मला म्हणाली,"बस बाळा,तू पण माझ्या मुलासारखा च आहे.दुपारी मग आशा काकूनी बाळाला आणि मला रूम मध्ये सोडून माझ्यासाठीे जेवण आणले.मी तिथेच जेवण केले.माझे जेवण झाल्यावर आशा काकूने सगळं आवरले.थोड्या वेळाने आशा काकू मला म्हणाली,"सूरज तू झोपून घे आता.मी जेवण करून आले."मग मी आशा काकूंच्या बाळा सोबत बेडवर झोपलो.मला तेव्हा झोप येऊ लागलीच होती की.लगेच सुजाता मावशी तिथे आल्या आणि त्यांनी सोनूला बेडवर झोपवले.सोनू झोपल्यावर मावशीने दरवाजा आतून बंद केला आणि माझ्याकडे पाहून म्हणाली,"बाळा ,चल पटकन आशा काकू यायच्या आत दूध पिऊन घे.मला खूप त्रास होती आहे."मी लगेच मावशीच्या मांडीवर झोपलो.मावशीने ब्लाऊज उघडुन स्तन बाहेर काढले.मी जोरा जोरात त्यांच्या दोन्ही स्तनातले दूध आळीपाळीने निप्पल चोखत पिले.तेवढ्यात आशा काकू ने दरवाजा पलीकडून आवाज दिला.मी पटकन उठून बेडवर झोपलो.मावशीने त्यांचे स्तन ब्लाऊज मध्ये टाकले आणि साडी नीट करून दरवाजा उघडला.तेव्हा आशा काकू बोलली,"काय ग सुजाता ,दरवाजा लवकर उघडायचा ना. काय करत होती आत तू."मी आता झोपून गेलो.मला जेव्हा जाग आली तेव्हा आशा काकू आणि सुजाता मावशी गप्पा मारत होत्या.मी झोपायचे नाटकं करत त्यांच्या गप्पा ऐकू लागलो.तेव्हा आशा काकूंच्या छातीत दुखू लागले.म्हणून मावशी बोलली,"काय झालं ग,दुखते आहे का?" आशा काकू:- "हो ग,माझ्या स्तनात दुध जास्त बनत आहे आणि माझा बाळ एव्हढ दूध नाही पिऊ शकत,मला दूध जास्त भरल्यामुळे खूप त्रास होतो आहे.सुजाता तुझ्या पण स्तनात दूध आहे.तुला नाही का त्रास होत." सुजाता मावशी,"होतो ग,पण सोनू दूध पितो त्यामुळे मला खूप आराम मिळतो." तेव्हा आशा काकू अचानक म्हणाली,"सोनू नाही सूरज?" आता मावशी आश्चर्यचकित होऊन बोलली,"सूरज नाही सोनू ग" आशा काकू परत बोलली,"सूरज पितो तुझं दूध,म्हणून तुला एव्हढा आराम मिळतो." सुजाता मावशी,"तू काय बोलते आहे,तुला कळते आहे का?" आशा काकू,"एव्हढ काय लपवते आहे.मी जेव्हा दुपारी रूम मध्ये आले तेव्हा तुझा ब्लाऊज निप्पल जवळ ओला होता आणि त्याच वेळी सुरजचे तोंडाला दूध लागलेले होते.तेव्हाच मला कळून चुकलं की तू सूरज ला तुझे दूध पाजते." आता सुजाता मावशी बोलली,"काय करू मग मी आशा,हा माझा मुलगा सोनू आता माझे दूध पित नाही.माझ्या स्तनात अजूनही खूप दूध तयार होते.तुला तर माहीतच आहे किती त्रास होतो दूध जास्त झाल्याने.मला तेव्हा सूरजला दूध पाजण्याशिवाय काहीच पर्याय दिसला नाही.आता जवळपास 20 दिवसापासून सूरज माझे दूध पितो आहे.त्यामुळे मला आता रोज खूप आराम मिळतो." तेव्हा आशा काकू बोलली,"बरं झालं तू सूरज ला दूध पाजले ते.मला पण असं दूध पाजायला भेटलं तर मलाही आराम मिळेल या दुखण्यातून." चल आता आपण आराम करूया.संध्याकाळी हळदीला आम्ही सगळे तयार झालो.रात्री हळद लागल्यावर आम्हीं जेवण केले.त्या रात्री 10 पर्यंत आम्ही नाचलो.10 वाजता मला आणि सोनूला मावशीने रूम मध्ये आणले.मावशीने मग सोनू आणि आशा काकूंच्या बाळाला बेडवर झोपवले.मला तेव्हा मावशी बाहेर येऊन पायऱ्या जवळ मला बोलली,"बाळा तू खाली गादीवर झोप.मी रात्री आले की तुला आणि मला शाल पांघरून घेईल तेव्हा तू माझे दूध पिऊन घे नक्की म्हणजे मला आराम मिळेल.मी जर झोपली तरी माझे दूध पिऊन घे." मी मावशीला हो म्हणालो. मावशी गेल्यावर मी खाली गादीवर झोपलो.आता रूम मध्ये गडद अंधार पडला होता.मी आता मावशीची वाट पाहू लागलो.पण मला झोप लागून गेली.रात्री मला अचानक जाग आली तेव्हा दरवाजा उघडला आणि मावशी माझ्याजवळ येऊन झोपली.मी आता झोपेच्या धुंदीत होतो.आता मावशी माझ्याजवळ सरकली.त्यांचा श्वास आता माझ्या कपाळावर जाणवत होता.मग मावशीने हळूच त्यांचे दोन्ही हातानी ब्लाऊज चे हुक काढले.मला अंधारात काहीच नीट दिसत नव्हते.त्यांनी मग माझे डोके हाताने धरून त्यांचा एक स्तन माझ्या तोंडाजवळ आणलं.मावशी आता डाव्या हाताचा अंगठा, तर्जनी आणि मधले बोट यांच्या मदतीने त्यांचे स्तनाग्र माझ्या तोंडाच्या आत ढकलत होती.मी त्यांचे स्तनाग्र माझ्या ओठांनी पकडून ओढले. माझ्या तोंडात अचानक दुधाची धार येऊ लागली.मी उत्साहात स्तन जोरात चोखून दूध पिऊ लागलो.आज मावशीचे दूध नेहमीपेक्षा खूप गोड आणि चविष्ट लागत होते मावशीचे निप्पल पण मला थोडे मोठे वाटत होते.पण मी त्याकडे दुर्लक्ष करत दूध पिऊ लागलो.एक स्तन मधून दूध संपल्यावर मावशीने लगेच दुसरा स्तन माझ्या तोंडात कोंबला.मी लगेच निप्पल ओढून दूध पिऊ लागलो.मावशीचे दूध आज मला जास्त चवदार लागत होते.मला ती चव खूप आवडली.मी त्यामुळे त्यांचे स्तन जोरात चोखू लागलो.मावशी आता माझ्या नागड्या अंगावर हात फिरवत होत्या.त्या माझ्या डोक्याला मागून धरून त्यांच्या स्तनावर दाबू लागल्या.दोन्ही स्तनातून दूध संपले तरी मी त्यांचे निप्पल तोंडात धरून चोखत होतो.मला निप्पल चोखत चोखत केव्हा झोप आली ते कळालेच नाही.सकाळी मला जाग आली तेव्हा मावशी आणि आशा तयारी करत होत्या.मी आणि सोनू उठल्यावर मावशीने मला आणि सोनूला आज परत बाहेर आंघोळ घातली.आंघोळ झाल्यावर आम्ही घरात आलो.सोनुने कपडे घातले तेव्हा आशा काकू आणि सोनू खाली नाश्ता करायला गेल्या.मावशीने त्यांना आमचा नाश्ता आणायला सांगितले.आशा काकू आणि सोनू गेल्यावर मावशीने मला तसाच नागडा त्यांचे मांडीवर झोपवले आणि त्यांचा उजवा स्तन माझ्या तोंडात दिला.मी आता परत त्यांचे दूध पिऊ लागलो.तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा, थोडं लवकर पी दूध" मी मावशीला म्हणालो,"मावशी,रात्री उशिरा तुमचं दूध पिल्यामुळे मला आता जास्त भूक नाही आहे.मी आता फक्त तुमचं दूध पितो.मला नाश्ता नको." तेव्हा मावशी म्हणाली,"काय?,मी काल रात्री तुला कुठे दूध पाजलं?मी तर थकल्यामुळे झोपून गेली होती.तू खरंच रात्री माझं दूध पिले का?" मी सुजाता मावशीला म्हणालो,"हो ना मावशी,कल रात्री तुम्हीच तर माझ्याजवळ झोपल्या आणि मला स्वतः दूध पाजले. काल रात्री तुमचे दूध जास्त छान लागत होते .म्हणून मी तुमचं सगळं दूध संपवले." तेव्हा मावशी विचार करू लागल्या.मी त्यांना हटकले तेव्हा त्या भानावर येत म्हणाल्या,"बाळा ,मी काल जास्त थकली असल्याने मला रात्रीचं एवढं आठवत नाही आहे.जाऊ दे तू पटकन दूध पी." मी मग मावशीचे स्तन चोखुन त्यातून दूध पिऊन संपवले. दुपारी मग लग्न झाल्यावर आम्ही रूम मध्ये आलो.रूम मध्ये आल्यावर मावशी आम्हाला म्हणाली,"बाळांनो,झोपून घ्या आता .रात्रीं आपल्याला परत आपल्या गावी जायचे आहे."मीं आणि सोनू झोपून गेलो.आता सुजाता मावशी थोड्या वेळाने आम्ही झोपलो याची खात्री करून आशा काकू ला बोलली,"आशा ,तू हे चांगलं नाही केलं?" आशा म्हणाली,"मी काय केलं ग" सुजाता मावशी,"तू काल रात्री काय केलं हे मला माहीत आहे." तेव्हा आशा काकू बोलली,"मग काय झालं त्यात?" सुजाता मावशी,"तू काल रात्री सूरजला तुझे दूध का पाजलं?" मी मावशीचे हे बोलणे ऐकून शॉक झालो. तेव्हा आशा काकू बोलली,"सॉरी ग सुजाता ,काल रात्री पायऱ्यांवर जेव्हा तू सूरजला रात्री दूध पाजेल असं सांगत होती तेव्हा मी ते ऐकले.म्हणून मी रत्रिंतुझ्या आधी घरात येऊन सूरज जवळ झोपले.मलापण तुझ्यासारख सूरजला दूध पाजण्याची इच्छा होत होती.सूरज खरंच खूप छान स्तन चोखतो.त्याने रात्री मला तू समजुन माझे सगळे स्तन चोखुन त्यातले दूध संपवले.मला त्यामुळे खूप खूप आराम मिळाला." सुजाता मावशी," अगं,तो बिचारा खूप भोळा आणि निरागस आहे गं.तू त्याच्या निरागस पणाचा फायदा घेतला." तेव्हा आशा काकू बोलली,"अग,तो पण माझ्यासाठी मुलासारखा च आहे.काय झालं त्याने तुझे दूध पिले तर.सोड आता हा विषय." मग त्या दोघी त्यांच्या बॅग भरू लागल्या.मला आता खूप आनंद झाला , कारण काल रात्री मी आशा काकुचे स्तन चोखुन दूध पिले होते.मग रात्री 8 ला आम्ही सोलापूरला परत आलो.सोलापूर ला रात्री 10 च्या नंदुरबार ट्रॅव्हल्स मध्ये आम्ही झोपलो.मावशीने या वेळी परत कोच चा पडदा लाऊन घेतला.तरी 11 ला मावशीने मला चालत्या ट्रॅव्हल बस मध्ये त्यांचे दूध पाजले.मी रात्री त्यांचे स्तन चोखून रिकामे केले.सकाळी आम्ही परत मावशीच्या गाव बारीपाडा ला आलो.घरी आल्यावर मावशीने माझ्यासमोर आंघोळ केली.मग मावशी मला आणि सोनू ला घेऊन विहिरीवर कपडे धुवायला घेऊन गेल्या.तिथे सगळ्या लोकांसमोर मावशीने माझे आणि सोनुचे कपडे काढून आम्हाला नागडं केलं.आता मावशी आमचे कपडे धुवत होत्या.आणि इकडे मी सोनुसोबत नागडा विहिरीजवळ फिरत होतो.मग मावशीने आम्हाला आवाज दिला.आम्ही मावशी जवळ आल्यावर मावशीने पहिले सोनूला आंघोळ घातली तो पर्यंत मी तिथे नागडा फिरू लागलो.तेथील स्त्रिया मला नागड्या बघत होत्या पण त्यांना त्याचे काहीच वाटत नव्हते पण मला खूप छान वाटत होतं. सोनुची आंघोळ झाल्यावर मावशीने मला तिथेच आंघोळ घातली.आंघोळ झाल्यावर आम्ही तसेच नागडं मावशी सोबत घराकडे नागडं आलो.घरी आल्यावर आता मी रोज मावशीच्या चहात दूध वाढीच्या 2 गोळ्या टाकायचो.त्यामुळे सुजाता मावशीच्या स्तनात दुध बनत राहिले.मावशीच्या घरी मी महिनाभर नागडा राहिलो.मावशी मला रोज दिवसातून 3 वेळा सोनू झोपलेला असताना दूध पाजायची.मावशीच्या स्तन मधून पौष्टीक दूध पिल्या मुळे माझी तब्येत पण थोडी सुधारली.मग शेवटी मी मावशीच्या चहात सलग 3 दिवस दूध बंद होण्याच्या गोळ्या टाकल्या.त्यामुळे 3 - 4 दिवसानंतर मावशीच्या स्तनात दुध येणे कमी झाले.8 व्या दिवसापासून मावशीच्या स्तनात दुध येणे पूर्णपणे बंद झाले .तरीपण मावशी दुपारी आणि रात्री झोपताना मला त्यांचे स्तन तोंडात घेऊन चोखायला द्यायच्या.मी अजून 5 दिवस त्यांचेकडे नागडा राहिलो.पुढच्या दिवशी माझे आई बाबा मला घ्यायला आले.मी मावशीला आणि सोनूला गुड बाय केले तेव्हा मावशी मला म्हणाली,"बाळा ,परत सुट्ट्या लागल्या की नक्की ये माझ्याकडे." मी मावशीला हो म्हणालो आणि परत माझ्या घरी नंदुरबार ला आलो.समाप्त.

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆