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कहानी का पिछला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-2 Hindi sex stories कुछ देर बाद होश आया तो मैंने उनके रसीले होंठों के चुम्बन लेकर उन्हें जगाया.
माँ ने करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फुस-फुसा कर बोली- बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे, लम्बे लण्ड ने तो कमाल कर दिया!
क्या गजब की ताकत है तुम्हारे मोटे लण्ड मे!
मैंने उत्तर दिया- कमाल तो आपने कर दिया है! आज तक तो मुझे मालूम ही नहीं था कि अपने लण्ड को कैसे काम में लिया जाता है?
यह तो आपकी मेहरबानी है! जो कि आज मेरे लण्ड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.
अब तक मेरा लण्ड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड़ मार रहा था. माँ ने अपनी मुलायम हथेलियों मे मेरा लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरु किया.
उनकी उंगली मेरे आण्ड से खेल रही थीं. उनकी नाजुक उंगलियाँ के स्पर्श की पकड़ से मेरा लण्ड भी जाग गया और एक अंगड़ाई लेकर माँ की चूत पर ठोकर मारने लगा.
माँ ने कस कर मेरे लण्ड को कैद कर लिया और बोली- बहुत जान है! तुम्हारे लण्ड में, देखो फिर से साला कैसा फ़ड़क रहा है अब मैं इसको नहीं छोड़ने वाली.
हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थें. माँ ने मुझको चित लेटा दिया और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा चढ़ा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगीं.
साथ ही साथ अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगड़ने लगी.
उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थीं और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुए था. अब मुझसे रहा नहीं गया और करवट लेकर माँ की तरफ़ मुँह करके लेट गया.
उनकी चूची को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा.
उन्होंने एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर लिपट गईं, और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुदवाने लगीं. अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थीं.
मेरा लण्ड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख्त हो गया था. अब माँ की बेताबी हद से ज्यादा बढ गई थीं और, खुद ही चित हो कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोलीं- आओ मेरे राजा! दूसरा राउंड हो जाए.
मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और, मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.
माँ चिल्ला उठी और बोलीं- जियो मेरे राजा! क्या शॉट मारा? अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फ़ाड़ दो मेरी चूत को.
माँ का आदेश पाकर मैं दोगुने जोश मे आ गया और, उनकी चूची को पकड़ कर हुमच हुमच कर माँ की चूत में लण्ड पेलने लगा.
उंगली की चुदाई से उनकी चूत गीली हो गई थीं और, मेरा लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था. वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब मेरा पूरा लौड़ा लेकर जोश के साथ दे रही थीं.
माँ ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी चूत मे लण्ड घुसवा रही थीं.
वो मुझे बस इतना उठाती थीं कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और, फिर नीचे से जोर लगा कर घप से लण्ड चूत मे घुसवा लेती थीं.
पूरे कमरे में हमारी साँस और घपा-घप!फचा-फच! की आवाज गूंज रही थीं.
जब हम दोनों की ताल से ताल मिल गईं, तब माँ ने अपने हाथ नीचे लकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोच कर चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
कुछ देर बाद माँ ने कहा- आओ एक नया आसन सिखाती हूँ! और मुझे अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लण्ड पक्क! की आवाज साथ बाहर निकल आया.
मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लण्ड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था. माँ उठ कर घुटनों और हथेलियों पर मेरे बगल मे बैठ गईं.
मैं लण्ड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा.
माँ ने मेरे लण्ड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा- ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो?
चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लण्ड को घुसाओ!
मैं भी उठ कर उनके पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
क्या मस्त गोल गोल गद्देदार गाण्ड थीं?
माँ ने जाँघ को फैला कर अपने चूतड़ ऊपर को उठा दिए, जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ़ नज़र आने लगी.
उनका इशारा समझ कर, मैंने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.
माँ ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दीं. मैं भी माँ की पीठ से लिपट कर लेट गया, और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनों चुची को पकड़ कर मसलने लगा.
वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगीं.
उनके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी. मेरा लण्ड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.
कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद माँ बोलीं- चलो रज्जा! अब लण्ड आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नहीं जाता.
मैं उठ कर सीधा हो गया, और माँ के चूतड़ को दोनों हाथों से कस कर पकड़ कर, चूत मे हमला शुरु कर दिया.
जैसा कि माँ ने सिखाया था, मैं पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता.
शुरु में तो मैंने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ गया और धक्को की रफ़्तार भी बढती गई.
धक्का लगाते समय मैं माँ के चूतड़ को कस के अपनी ओर खींच लेता, ताकि शॉट करारा पड़े. माँ भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रही थीं.
हम दोनों की साँसें तेज हो गई थीं. माँ की मस्ती पूरे परवान पर थी. नंगे जिस्म जब आपस में टकराते तो घप-घप की आवाज आती.
काफ़ी देर तक मैं उन्हीं की कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा. जब हालात बेकाबू होने लगा, तब माँ को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा.
हम दोनों ही पसीने से लथपथ हो गए थे पर, कोई भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.
तभी माँ ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टांगे मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झड़ गईं.
उनके झड़ने के बाद मैं भी माँ की चूची को मसलते हुए झड़ गया और हाँफ़ते हुए उनके ऊपर लेट गया.
हम दोनों की साँसें जोर जोर से चल रही थीं और हम दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे.
कुछ देर बाद माँ बोलीं- क्यों बेटा, कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?
मैं बोला- हाय मेरा मन करता है कि, जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत में लण्ड डाले पड़ा रहूँ.
माँ बोलीं- जब तक तुम यहाँ हो, यह चूत तुम्हारी है! जैसे मर्जी हो, मज़े लो! अब थोड़ी देर आराम करते हैं.
नहीं माँ, कम से कम एक बार और हो जाए!
देखो! मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है.
माँ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुशबू जो मिल गई है.
पर देखो, रात के तीन बज गए है! अगर सुबह समय से नहीं उठे तो तुम्हारी बुआ जी को शक जाएगा.
अभी तो सारा दीनू सामने है, और आगे के इतने दीनू हमारे पास है. जी भर कर मस्ती लेना!
मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊँगी! माँ का कहना मान कर, मैंने भी जिद्द छोड़ दी और माँ भी करवट ले कर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया.
मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लण्ड फंसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और माँ के कंधे को चूमता हुआ लेट गया.
नींद कब आई? इसका पता ही नहीं चला.
सुबह जब अलार्म बजा तो, मैंने समय देखा, सुबह के सात बज रही थी!
माँ ने मुझे मुस्कुरा कर देखा, और एक गर्मा-गर्म चुम्बन मेरे होंठों पर जड़ दिया.
मैंने भी माँ को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार का जवाब दिया. फिर, माँ उठ कर अपने रोज के काम काज में लग गईं. वो बहुत खुश थीं!
मैं उठ कर नहा, धोकर फ़्रेश होकर आँगन में बैठ कर नाशता करने लगा.
तभी बुआ जी आ गईं और बोलीं, बेटा खेत चलोगे?
मैंने कहा- क्यों नहीं! और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आँखों के सामने नाचने लगा.
इतने में सुमन (दोस्त की बहन) बोलीं, मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूँगी और हम तीनों खेत की ओर चल पड़े.
रास्ते में जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थें, तो देखा की उस खेत में ककड़ियाँ उगी हुई थी.
मैंने ककड़ियों को दिखाते हुए बुआ जी से कहा, बुआ जी देखो! इस खेत वाले ने तो ककड़ियाँ उगाई है. ककड़ियों में काफ़ी गुण होते हैं.
बुआ जी लम्बी साँस भरती हुई बोलीं, हाँ बेटा ककड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता है और कई कामों में इसका उपयोग किया जाता है. जैसे सलाद में, सब्जियों में, कच्ची ककड़ी खाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है!
मैं बोला- हाँ! बुआ जी इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है. इस तरह की बातें करते करते हम लोग अपने खेत में पहुँच गए.
वहाँ जाकर, मैं मकान में गया और लुंगी और बनियान पहन कर वापस बुआ जी के पास आ गया. बुआ जी खेत में काम कर रही थीं और सुमन (दोस्त की बहन) उनके काम में मदद कर रही थीं.
मैंने देखा! बुआ जी ने साड़ी घुटनों के ऊपर कर रखी थीं और सुमन स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहने हुए थीं. मैं भी लुंगी ऊँची करके (मद्रासी स्टाईल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा.
जब सुमन झुककर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी दिखाई देती थी!
हम लोग करीब 1 या 1:30 घण्टे काम करते रहे.
फिर मैं बुआ जी से कहा, बुआ जी मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ!
तो बुआ बोलीं, ठीक है! और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा.
कुछ देर बाद कमरे में सुमन आई और कहने लगी, दीनू भैया आप वहाँ बैठ जाए क्योंकि, कमरे में झाड़ू मारनी है और मैं कमरे के एक कोने में बैठ गया. वो कमरे में झाड़ू मारने लगी.
झाड़ू मारते समय जब सुमन झुकी तो, मुझे उसकी चड्डी दिखाई देने लगी और मैं उसकी चुदाई के ख्यालों में खो गया.
थोड़ी देर बाद फिर वो बोली- भैया, जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है.
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आ गया! देखा सुमन कमर पर हाथ रखी मेरे पास खड़ी है.
मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाड़ू लगाने लगी. मुझे फिर उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था.. पर आज की बात ही कुछ और थी.
रात माँ से चुदाई की ट्रैनिंग लेकर, एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़रिए से देखना चाहता था.
जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया. अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूची साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरा लण्ड फन-फना गया.
रात वाली! माँ जैसी चूची मेरे दिमाग के सामने घूमने लगी कि, तभी सुमन की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया.
उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर, अपनी चूचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी.
उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि, इसकी गाण्ड में लण्ड घुसा कर चूची को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा!
बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लण्ड पर पहुँच गया और, मैं लुंगी के ऊपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा.
तभी सुमन अपना काम पूरा कर के पलटी और, मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई.
थोड़ी देर बाद बुआ जी और सुमन हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि, चलो दीनू बेटे खाना खालो. अब हम तीनों खाना खाने बैठ गए.
बुआ जी मेरे सामने बैठी थीं और सुमन मेरे बाईं साईड की ओर बैठी थी. सुमन पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थीं.
खाना खाते समय मैंने कहा, बुआ जी आज खाना तो जायकेदार बना है.
बुआ जी ने कहा, मैंने तुम्हारे लिए खास बनाया है. तुम यहाँ जितने दीनू रहोगे गाँव का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे!
मैं हँस पड़ा और कहा, अगर ज्यादा मोटा हो जाऊँगा तो मुश्किल हो जाएगी. बुआ जी और सुमन हँस पड़ीं!
थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा, सुमन तुम खाना खा कर खेत में खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सबने खाना खाया.
सुमन बरतन धोकर खेत में खाद डालने लगी. मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे. मुझे नींद नहीं आ रही थी.
आज मैं बुआ जी या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आ गई! पता ही नहीं चला.
कहानी जारी रहेगी.
कहानी का अगला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-4
Hindi sex stories
हाय दोस्तो, मुझे हिंदी लिखनी Antarvasna नहीं आती पर कोशिश कर रहा हूँ, मेरी गलतियों को नज़रान्दाज़ कर दें।
मेरा नाम राज है, मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। मैं जब भी अपने घर जाता था तो हमेशा पड़ोस की आँटी को चोदने के बारे में सोचता रहता था।
इस बार जब मैं अपने घर गया तो मेरे ऊपर कृपा हो ही गई, मुझे चोदने का मौका मिल ही गया। मैं जिम जाने लगा था जिसका असर मुझे घर पर मालूम चला। आँटी के पति दुबले पतले थे और दिन भर को़र्ट में रहते थे।
उस दिन आँटी का हीटर ख़राब हो गया था। हमारे शहर में कई लोग हीटर पर खाना बनाते हैं। आँटी का भी खाना नहीं बना था, मैं गाय को रोटी देने बाहर आया तो आँटी बोली- राज, मेरा हीटर खराब हो गया है, उसे सुधार दो !
मैंने मजाक में कहा- आप तो खुद ही इतनी गर्म हो कि तपेली को हाथ से पकड़ लो तो पानी भाप बन जाये !
वो हंस दी, मैंने आज तो रास्ता साफ समझा और उनका हीटर सही करने उनके घर आ गया। उनकी लड़की जो दसवीं में है, स्कूल जा रही थी।
मैं हीटर को सही करने लगा, उनसे टेस्टर माँगा तो वो उसे लेकर खुद ही हीटर की स्प्रिंग को चैक करने लगी। तब उनके बड़े बड़े स्तन उनके ब्लाउज़ से बाहर दीखने लगे थे। मन तो कर रहा था कि उनके स्तनों को पकड़ कर मसल डालूँ पर मर्यादा मुझे रोक रही थी।
तब मैंने उनसे टेस्टर लेना चाहा तो उनका हाथ मेरे हाथ से छू गया। मुझे लगा कि आँटी इतनी हॉट हैं, अंकल की तो रोज जन्नत की सैर है।
मैंने जब स्प्रिंग से टेस्टर छुआ तो मेरे आँटी के ख्यालों के चक्कर में मुझे करंट का एक झटका लगा, मैं लगभग बेहोश हो गया था। आँटी घबरा गई और उन्होंने पानी लाकर मेरे ऊपर डाला और मुझे अपनी गोद में ले लिया और मुझे उठाने लगी।
मेरा सीना एकदम उभरा था जो शर्ट का बटन खुला होने से आँटी को दिख रहा था। आँटी ने अपना एक हाथ मेरी शर्ट में डाल दिया और धीरे-धीरे मेरे सीने पर फ़िराने लगी।
मुझे होश आने लगा था, आँटी बड़े प्यार से अपना गर्म हाथ मेरे 40 इंच के सीने पर घुमा रही थी।
मेरा लंड घोड़े के लंड की तरह धीरे धीरे बढ़ने लगा था जो मेरे रीबोक की चड्डी से बाहर निकलने को तरस रहा था और आँटी मेरे सीने को रगड़े जा रही थी।
अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मैंने अपनी आंख खोल दी। वो एकदम से मुझसे अलग हो गई।
मैंने बोला- आँटी करो ना ! मुझे मजा आ रहा है।
उसने पूछा- पहले कभी सेक्स नहीं किया?
मैंने मना कर दिया- नहीं !
मेरा दिमाग गर्म हो रहा था कि अगर आज सेक्स नहीं कर पाया तो मैं मर जाऊँगा।
वो शायद मेरी अवस्था समझ चुकी थी, वो मेरे पास आई और हाथ को चूमने लगी। मुझे कुछ होने लगा था। उसने धीरे से मेरे माथे को चूम लिया। मेरा लंड जोर जोर से सांस ले रहा था। आँटी की भी सांसें गर्म होने लगी थी। फिर वो मेरी दोनों आँखों को चूमने लगी। मेरी तो हवा ख़राब होने लगी थी। वो इतनी गोरी थी कि अगर हाथ रख दो तो लाल हो जाये।
उसने मेरे दोनों हाथ अपने वक्ष पर रख दिए और बोली- इनको दबाओ !
वो मुझे अनाड़ी समझ रही थी। मैंने अपने हाथ उसके नर्म-नर्म बोबों पर घुमाने शुरु कर दिए। वो मचलने लगी और मेरे मसल्स को सहलाने लगी।
मैंने धीरे से उसकी साड़ी के अंदर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत के दाने को छू लिया।
वो सिसकने लगी और बोली- तेरे अंकल को तो कोर्ट से ही समय नहीं है, मैं सात महीने से अपनी प्यास मोमबत्ती या अपने हाथ से मिटा रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दे, तेरा मुझ पर उपकार होगा।
मैं उसकी चूत को रगड़े जा रहा था, उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और रगड़ने लगी। मैंने उसके पेट पर हाथ रखा तो वो स्प्रिंग की लहरों की तरह हिलने लगा। अब हमारी धड़कने बढ़ चुकी थी। मैंने अपना लंड उसके कहने पर उसके दोनों बोबों के बीच रख दिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।
उसके बाद वो मुझसे बोली- लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करो !
मेरी उत्तेजना की सीमा पार हो रही थी, साथ ही मजा भी बढ़ता जा रहा था। मेरी सांसें तेज होने लगी थी। मेरा लंड ठीक उसके मुँह के पास आ जा रहा था। वो अपनी जीभ से उसे चाटने की कोशिश कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरा लंड जैसे दो रुई के गोलों के बीच में हो जिनको हल्का गर्म कर दिया हो।
तभी वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- और जोर लगाओ अह अहअहहहह अहह हहहहह…
उसने मेरे कूल्हे कस कर पकड़ लिए और एकदम ढीली हो गई…
कहानी जारी रहेगी.. Antarvasna
मेरी पहली कहानी के लिए Antarvasna कई मेल मुझे मिले। हर एक की सोच एक सी नहीं होती।
माँ और बीवी के घर आने के बाद हम लोग अब एक जीजा-साली की तरह व्यव्हार करने लगे और रात होने का इंतजार भी कर रहे थे और मन ही मन ये सोच कर लण्ड खुश हो रहा था कि आज एक और कुंवारी चूत मिलेगी। खैर दिन कट गया और रात आ गई। फिर हम सभी लोगों ने एक साथ खाना खाया। मम्मी-पापा अपने कमरे में चले गए और हम लोग भी अपने कमरे में आ गये, मैं, मेरी बीवी और साली !
साली ने मेरी ओर ऐसे देखा कि जैसे मुझे बुला रही हो। मैं उसका इशारा समझ गया। मैं बीवी से थोड़ा सा खेला और उससे बोला कि अब तुम सो जाओ मैं भी सो जाऊंगा ! और इतना बोल के मैं उसके चुचूक चूसते-2 सोने का नाटक करने लगा और वो सो गई।
मैंने साली को इशारा किया वो समझ गई कि अब जीजू का लण्ड मिलेगा !
मैंने उसे इशारे से दूसरे कमरे में आने को कहा और वो धीरे से उठ कर आ गई। मैंने कमरे की कुण्डी लगा दी और उसे पकड़ कर खूब किस करने लगा। किस करते समय मुझे यह एहसास हुआ कि वो गाऊन के नीचे कुछ नहीं पहने है। उसकी कड़ी-2 चूची मुझे पागल बना रही थी।
मैं गाऊन के ऊपर से उसकी चूची मसलने लगा। क्या मस्त चूची थी दोस्तो ! मेरा लण्ड खुशी के आंसू रोने लगा।
मैंने उसका गाऊन उतार कर उसे नंगा कर दिया और उसकी चूची मुंह में ले कर चूसने लगा, हाथ की उंगली बुर में डाल कर पानी निकालने लगा।
फिर साली को लिटा कर दोनों टाँगे खोल कर जीभ बुर में डाल कर खूब बुर चाटी जब तक पूरा पानी नहीं निकल आया।
मैंने साली से बोला- माय लव ! अब तुम मेरा लण्ड चूसो !
वो उठी और लण्ड पकड़ के मुंह में डाल लिया और अंदर बाहर करने लगी। मुझे खूब मस्ती छाने लगी। साली मेरा लण्ड चूसते-2 पूरा रस निकाल कर पी गई।
मैं और वो एक-एक बार स्खलित हो चुके थे लेकिन अब समय था बुर-लण्ड का मिलन करने का !
सो हम लोग 69 में आ गए और एक दूसरे को चाटने लगे। कुछ देर तक चाटने के बाद हम लोग फिर तैयार हो गए। इस बार मैंने साली से कहा- सीधे लेट जाओ !
वो लेट गई। मैंने उसकी बुर देखी। क्या बुर थी, एक दम मस्त-2 ! किसी को भी खड़ा-2 झाड़ दे ! इतना दम है उसकी बुर में !
मैंने उसकी बुर में लण्ड डाला तो आ आया आ आय आ आह्ह्ह्ह ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह की आवाजें निकालने लगी। मैंने झटके देने बंद नहीं किया, लगातर झटके देता रहा और करीब 25 मिनट तक मैंने उसकी चुदाई करी !
वो दो बार झड़ी। जब मेरा माल निकलने का समय आया तो मैंने लण्ड बाहर निकाल कर उसके मुंह में लगा दिया। वो लॉलीपॉप की तरह मेरा लण्ड चूसने लगी। मेरी पूरी मलाई उसके मुंह में भर गई ! Antarvasna
मैं राहुल, 32 साल, मैंने Antarvasna अंतर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं. खास कर मुझे अगम्यागमन कहानियाँ ज्यादा अच्छी लगती हैं. वैसे नेहा जी भी अच्छी लिखती हैं. अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.
मैं जब छोटा था, तब दीदी मुझसे पीठ खुजलाने के लिए बोला करती थी. हम एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोया करते थे. फिर कुछ दिनों बाद दीदी मेर हाथ अपने चुच्ची की तरफ आगे बढ़ाने लगी और बोली- यहाँ खुजलाओ!
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं दीदी को मना नहीं कर पाता था क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी. फिर दूसरे दिन रात को दीदी बोली- आज नीचे खुजला दे!
तो मैंने पूछा- कहाँ दीदी?
दीदी ने अपनी पेंटी उतार दी और अपनी बुर की ओर इशारा करके बोली- यहाँ!
मैं बोला- दीदी, यहाँ से तो सु-सु करते हैं!
दीदी बोली- हाँ यहीं बहुत खुजली हो रही है.
फिर मैं दीदी की बुर खुजलाने लगा.
फिर दीदी बोली- उसके अंदर जहाँ से सु-सु आता है ना, वहाँ उंगली डाल के खुजला ना!
मैं दीदी की बुर में उंगली डाल के खुजलाने लगा.
फिर इसी तरह कुछ दिन चलता रहा और फिर कुछ दिनों बाद दीदी मामा के घर आगे की पढ़ाई के लिये चली गई.
हम कई बार बीच बीच में मिलते रहे, मामा के घर तो कभी हमारे घर, लेकिन कभी मौका नहीं मिला हमें वैसा मस्ती करने के लिये.
फिर दीदी अपनी पढाई पूरी करके लौटी तो दीदी 24 की हो गई थी.
कुछ दिनों बाद दीदी ने एक दिन मुझ से पूछा- बचपन की बातें याद हैं?
मैंने सर हिला के हाँ कहा, फिर दीदी बहुत खुश हो गई और मेरे गालों को चूम लिया.
अब भी हम लोगों का कमरा एक ही था लेकिन पलंग अलग अलग था. और फिर जब रात को मैं अपने बिस्तर में बरमु्डा पहने गहरी नीन्द में सोया हुआ था तो दीदी ना जाने कब मेरे बिस्तर आ गई और मेरा लण्ड निकाल के सहलाने लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मेरा लौड़ा अकड़ के जम के खड़ा हो गया था.
अचानक मेरा नीन्द खुली, देखा कि दीदी के हाथों में मेरा लौड़ा है और वो उसे कभी प्यार से देखती है, कभी सहलाती है और कभी मेरे झाटों से खेल रही है.
तो मैं दीदी से अचानक बोला- दीदी, ये क्या कर रही हो?
दीदी बिल्कुल ही नहीं डरी और बोली- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या?
फिर मैं क्या बोलता, मुझे तो मजा ही आ रहा था, मैं यूं ही लेटा रहा, फिर मैंने दीदी को बोला- दीदी, इसे मुँह में ले लो ना!
दीदी बोली- क्यों? अभी तो तुझे बुरा लग रहा था! अब कैसे मुँह में लेने के लिए बोल रहा है?
मैं बोला- दीदी प्लीज़ ले लो ना! नाटक क्यों कर रही हो!
दीदी बोली- मुँह में क्या, सब जगह ले लूंगी, लेकिन पहले मेरे पूरे कपड़े खोल के जम के गरम तो करो!
फिर दीदी ने मेरा बरमुडा निकाल के अलग कर दिया, मैंने दीदी को बेड पे ही खड़ा कर दिया और दीदी का टी-शर्ट निकाला, फिर जीन्स!
अब दीदी ब्रा और पेंटी में थी. दीदी पेंटी-ब्रा में क्या गज़ब की मस्त लग रही थी क्योंकि दीदी का फ़िगर 36 28 36 था, बड़े बड़े स्तन और गांड बड़ी बड़ी थी.
दीदी को नंगी देख मैं बहुत खुश हो रहा था और सोच रहा था कि आज तो दीदी मस्त चुदाई करुंगा क्योंकि ये सब मैं जिन्दगी में पहली बार देख रहा था और इन सब चीज़ों के लिये कब से तड़प रहा था.
मैंने दीदी दे स्तनों को ब्रा के ऊपर से खूब दबाया. फिर मैंने दीदी की पेंटी नीचे खिसका दी.
दीदी की बुर तो देखते ही बनती थी क्योंकि दीदी की बुर बिल्कुल साफ़ और डबलरोटी की तरह फूली हुई थी.
फिर मैंने दीदी की बुर की फांकों को खोल के देखा- क्या बुर थी दीदी की, बिल्कुल गुलाबी-गुलाबी! ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के महल में गुलाबी परदे लगे हों!
मैं अब बिल्कुल रोमांच से भर गया था और ऐसा लग रहा था कि कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने दीदी से बोला- अब तो मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो!
दीदी भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, दीदी ने मुझसे बेड पे लेटने के लिये कहा और खुद मेरे टांगों के बीच में आ के बैठ गई.
मेरा लण्ड बिल्कुल छत की ओर ऐसे खड़ा था जैसे कोइ झंडे का डंडा खड़ा हो.
दीदी बड़े प्यार से मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी और अंडे को चाटने लगी.
मैंने पहले कभी मुठ नहीं मारा था इसीलिये मेरे सील टूटी नहीं थी और ना ही मैंने कभी झांट साफ किये थे इसलिये मेरे बड़े बड़े झांट भी थे.
मेरे अंडों को चाटते हुए दीदी लण्ड की ओर बढ़ने लगी और फिर लण्ड की जड़ के चारों ओर चाटने और हल्का हल्का काटने लगी.
मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब दीदी मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरेगी!
दीदी से स्तन मेरी जांघों में रगड़ खा रहे थे, मैं तो बिल्कुल सातवें आसमान में था.
मेरे लण्ड के चारों ओर से काटते, चाटते हुए दीदी सुपाड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ रही थी.
ऐसा लग रहा था कि दीदी मुझे जानबूझ के तड़पा रही हो.
फिर दीदी ने मेरे सुपाड़े के छेद में जीभ लगाई और धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी और फिर थोड़ी देर बाद आखिर दीदी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर ही लिया.
और जैसे दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में भरा, मेरा पूरा शरिर ही झनझना गया, ऐसा लगा कि मेरा बरसों का इंतज़ार खत्म हुआ और बरसों की तमन्ना पूरी हुई.
फिर दीदी लगी जम के लण्ड चुसाई करने.
थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगी, मैं बोला- दीदी एक मिनट रुको! मैं सु-सु करके आता हूँ!
दीदी बोली- नहीं यहीं करो सु-सु!
मैं बोला- दीदी यहाँ कहाँ करुँ सु-सु?
दीदी बोली- मेरे मुँह में!
मैं बोला- दीदी मुझे बड़ी जोर से सु-सु लगी है और एक बार जो सु-सु करना शुरु होगा तो मैं बीच में नहीं रोक सकूंगा और फिर बिस्तर भी गीला हो जायेगा.
दीदी बोली- मैं नीचे बैठ जाती हूँ, मुझे एक बर थोड़ा सा स्वाद चखना है और अगर अच्छा लगा तो पूरा पी जाऊँगी!
फिर दीदी नीचे बैठ गई, मैं दीदी के मुँह में लण्ड डाल लगा मूतने जोरों से!
दीदी दो चार घूंट पी गई लेकिन पूरा मुँह भर जाने के कारण पी नहीं सकी और फिर अपने चेहरे पर, वक्ष पर, बुर में गिराने लगी.
मैंने पूछा- दीदी, कैसा लगा स्वाद?
दीदी बोली- बहुत ही मजा आ रहा था, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे करते तो मैं पूरा पी जाती!
मैं बोला- ठीक है, अगली बार धीरे धीरे करुंगा!
फिर दीदी ने कमरे में पोंछा लगाया और बोली- अब तुम थोड़ा स्वाद ले के देखो सु-सु का!
मैं बोला- नहीं मुझे नहीं करना है टेस्ट! दीदी बोली- बिल्कुल थोड़ा सा ही करुंगी, अगर अच्छा नहीं लगा तो दुबारा नहीं बोलूंगी!
फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी मेरे मुँह में बुर लगा के ऐसे बैठ गई जैसे बाथरुम में सु-सु करते हैं और लगी जोर लगाने सु-सु करने को.
लेकिन दीदी को तो सु-सु लगी ही नहीं थी इसलिये बहुत जोर लगाने से 4-5 बून्द सु-सु ही कर पाई मेरे मुँह में.
दीदी ने पूछा- कैस लगा टेस्ट?
मैं बोला- बहुत ही नमकीन, खटटा और थोड़ी बदबू भी!
दीदी बोली- मुझे तो अच्छा लगा!
मैं बोला- लेकिन दीदी आपकी बुर चाटने मजा आ रहा था!
तो दीदी बोली- तो फिर जम बुर ही चाट दो!
फिर हम बिस्तर में आ गये और मैं दीदी के होंटो पे चुम्बन करने और चूसने लगा.
दीदी के होंटो को चूसते, चाटते हुए दीदी के कान पे जीभ फिराने लगा. दीदी बहुत ही गरम हो गई थी, कान को चाटते गले से होते हुए वक्ष को चाटने लगा लेकिन दीदी के चुचूकों के पास जा कर चुचूक को मुँह में लिये बगैर ही दूर हो जाता था. दीदी चुचूक चुसवाने के लिये तड़पने लगी और जबर्दस्ती मेरे मुँह में अपने चुचूक पकड़ के ठूंस दिए.
मैं दीदी का एक चुचूक चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने सहलाने लगा.
फिर धीरे धीरे मैं दीदी की बुर की ओर बढ़ने लगा और बुर के चारों ओर चूस-चूस दीदी की बुर लाल कर दी.
दीदी बुर चटवाने के लिये छटपटाने लगी और मेरा सर पकड़ के जबर्दस्ती अपने बुर में धंसा दिया. मैं लगा दीदी की बुर और बुर के दाने चूसने-चाटने!
फिर थोड़ी देर में हम फिर 69 करने लगे. दीदी फिर से मेरा लण्ड जम चूसने लगी.
मैं बेड पे खड़ा हो गया और दीदी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने दीदी का सर पकड़ के लौड़ा घुसा दिया.
दीदी ओ-ओ करने लगी और दीदी की आंख से आंसू आ गये.
मैं दीदी के मुँह को बड़े प्यार चोदने लगा.
दीदी ने एक हाथ से मेरी गांड को सहलाते हुए मेरे गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसेड़ दी.
अब मुझे डबल मजा आने लगा. फिर दीदी दूसरे हाथ मेरे लण्ड को हिलाते हुए चूसने लगी.
मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा. दीदी बड़े जोरों से मेरे लण्ड हिलाने और चूसने लगी और दूसरे हाथ की दो ऊँगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ के अंदर-बाहर करने लगी.
मुझे बहुत मजा आने लगा और पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया.
दीदी मेरा पूरा लण्ड का रस चूस-चूस के पी गई.
मेरा लण्ड खड़ा तो था लेकिन थोड़ा ढीला पड़ गया था और दर्द भी होने लगा था.
दीदी तो लौड़े का रस पी के बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली- भाई, अब मुझे जम के चोद दो!
मैं बोला- दीदी लण्ड तो खड़ा है लेकिन इसमें दर्द बहुत हो रहा है मैं चोद नहीं सकूंगा!
दीदी बोली- कोई बात नहीं, जब तुम्हारा लण्ड सही हो जायेगा तब चोद देना! लेकिन अभी तो इसे चूस-चाट के झड़ा दो!
मैं बोला- दीदी, हाँ! मैं ये कर सकता हूँ!
फिर दीदी टांग फैला के लेट गई और मैं दीदी की चूत चाटने लगा. दीदी मेरा सर पकड़ के जोर जोर से चटवा रही थी. फिर दीदी मेरे मुँह पे ही झड़ गई.
इसी तरह रात भर में 5-6 बार मेरे मुँह में झड़ी और मैं दीदी का सारा माल चाट-चाट कर पी गया और जब घड़ी देखी तो सुबह के पांच बज रहे थे.
हम दोनों थक के चूर हो गये थे और फिर हम लुढ़क के चिपक के सो गये.
और आगे कहानी सुनने के लिये मुझे मेल करें और बताएं कि मेरी कहानी कैसी लगी. Antarvasna
प्रीती की कहानी सुनने के बाद मुझे सही Hindi Sex Stories में लगा कि जो कुछ मैंने किया वो गलत किया था। खैर जो होना था सो हो गया, अब वो बदला नहीं जा सकता था। मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! मैंने कुछ दिन बाद ही तुमसे माफ़ी माँग ली थी, उसके बाद भी मैं कई बार तुमसे माफ़ी माँग चुका हूँ, पर तुमने मेरी एक नहीं सुनी। आज फिर मैं दिल से तुमसे माफ़ी माँग रहा हूँ, मुझे माफ़ कर दो।”
“हाँ मुझे मालूम है, और मैं तुम्हें उस दिन भी माफ़ कर सकती थी, पर मैं तुम्हें एक सबक सिखाना चाहती थी। आज वो पूरा हो गया”, प्रीती ने जवाब देते हुए कहा, “सुनील मैं एक शर्त पर ही तुम्हें माफ़ करूँगी! अगर तुम मुझे एम-डी और महेश से बदला लेने में मेरी मदद करोगे?”
“मेरा वादा है तुमसे! मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगा।” मैंने जवाब दिया। “अब अंजू और मंजू के बारे में क्या करना है? अगर ये दोनों प्रेगनेंट हो गयी तो?”
“इसके बारे में मैंने सोच लिया है, सुबह मैं दोनों को डॉक्टर के पास ले गयी थी, इतनी जल्दी तो कुछ पता नहीं चलेगा किंतु भविष्य के लिये उसने बर्थ कंट्रोल पिल्स दे दी हैं”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन अब इन दोनों का यहाँ क्या काम है, क्या तुम्हारा इनसे मक्सद पूरा नहीं हुआ?” मैंने पूछा।
“भाभी का हो गया होगा पर हमारा नहीं! अभी हम कुछ दिन और यहाँ रुकना चाहते हैं और खूब चुदाई करना चाहते है, क्यों भाभी ठीक है ना?” अंजू ने प्रीती से पूछा।
“क्या तुम लोग भी यहाँ रहकर वेश्या बनना चाहती हो? तुम लोगों का दिमाग खराब हो गया है?” मैंने थोड़ा झल्लाते हुए कहा।
“हाँ भैया! हम लोग पागल हो गये हैं, और एम-डी और उसके दोस्तों से चुदवा कर उनको पागल कर देंगे, जिन्होंने भाभी को उन सबसे चुदवाने पर मजबूर कर दिया था, और साथ ही साथ पैसा भी कमाना चाहते हैं,” मंजू ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“पर मैंने तो प्रीती से नहीं कहा था उन लोगों से चुदवाने को!” मैं थोड़ा गुस्से में बोला।
“नहीं भैया! आप गलत हो, जिस दिन आपने एम-डी और महेश को भाभी को चोदने दिया उसी दिन आपने भाभी को दूसरों से चुदवाने के लिये मजबूर कर दिया था”, अंजू ने कहा।
“हाँ भैया और हमारी शादी से पहले चुदाई भी आपके कारण ही हुई है”, मंजू ने कहा।
“पर ये मैंने नहीं, तुम्हारी भाभी ने किया है”, मैंने रोते हुए कहा।
“अगर आपने प्रीती भाभी के साथ ये सब ना किया होता तो ये हमारे साथ इस तरह ना करती”, अंजू बोली।
“प्रीती! तुम ही इन्हें समझाओ ना कि तुम्हारा बदला पूरा हो चुका है”, मैंने मिन्नत करते हुए कहा।
“करने दो इन दोनों को, इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी… मैं हमेशा साथ रहुँगी। आओ पहले मैं तुम्हें इन दोनों की कुँवारी चूत के फटने की कुछ तसवीरें दिखाती हूँ”, प्रीती ने पर्स में से तसवीरें निकालते हुए कहा।
“भाभी! आप ने हम लोगों की तसवीरें कब निकाली?” अंजू ने पूछा।
“भाभी आप बड़ी बदमाश हो, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था”, मंजू बोली।
उनकी अलग-अलग रूप में चुदाई की तसवीरें देख कर मैं पागल सा हो गया, “बस अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता”, कहकर मैंने वो तसवीरें फेंक दीं।
“चलो लड़कियों! अब नहा धो कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं फोन करके पास के होटल से खाना मंगवा लेती हूँ, आज मैंने बहुत पी ली है… खाना बनाने की हिम्मत नहीं है मुझमें”, प्रीती ने उन दोनों से कहा।
खाना खाते समय हम लोग बातें कर रहे थे कि प्रीती बोली, “चलो अब तुम लोग भी सोने जाओ और मैं भी सोने जा रही हूँ।”
“इतनी जल्दी भाभी? अभी तो बहुत वक्त पड़ा है,” अंजू बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँ इतनी जल्दी! क्योंकि आज मैं तुम्हारे भैया के लंड की एक-एक बूँद अपनी चूत में ले लूँगी। कई दिन हो गये हैं तुम्हारे भैया के मोटे लंड से नहीं चुदवाया है…” कहकर प्रीती मुझे घसीट कर बेडरूम में ले आयी।
रात भर हम जमकर चुदाई करते रहे। प्रीती ने मुझे एक पल भी साँस नहीं लेने दी।
अगले दिन मैं जब ऑफिस पहुँचा तो महेश मुझे एक नये केबिन की और ले गया। दरवाजे पर नेम प्लेट लगी थी, सुनील अग्रवाल {फायनेंस और अकाऊँट्स मैनेजर}। “थैंक यू सर”, मैंने खुश होते हुए कहा।
“मुझे नहीं! अपने एम-डी साहिब को थैंक यू बोलो, उन्होंने रातों रात इसे तैयार करवाया है, जाओ अब मजे लो… स्पेशियली इस नये सोफ़े का। तुम्हारी तीनों एसिस्टेंट्स इंतज़ार कर रही हैं…” महेश हँसते हुए बोला।
नया केबिन पहले केबिन से बड़ा था और उसकी खासियत यह थी कि उसमें सोफ़ा-कम-बेड भी था। अपनी तीनों एसिस्टेंट्स को बुला कर मैंने नये सोफ़े पर चुदाई का आनंद लिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
शनिवार को महेश ने मुझे होटल शेराटन के सूईट में पहुँचने को कहा। शाम को मैंने प्रीती को बताया, तो उसने कहा, “तुम्हारा सही इनाम मिलने का वक्त आ गया है, शायद कोई बिना चुदी चूत हो…”
“मेरा दिल नहीं कर रहा जाने के लिये”, मैंने कहा।
“नहीं सुनील तुम्हें जाना चाहिये! जाओ और चुदाई का मजा लो, मैं बुरा नहीं मानूँगी, कसम से, वैसे भी हम तीनों बिज़ी हैं…” प्रीती ने कहा।
जब मैं होटल के सूईट में पहुँचा तो एम-डी और महेश को मेरा इंतज़ार करते पाया, “आओ सुनील बैठो और अपने लिये ड्रिंक बना लो।”
मैं अपने लिये ड्रिंक बना कर सोफ़े पर बैठ गया और शक की निगाहों से उन्हें देखने लगा।
“डरो मत सुनील! आज हमने तुमसे कुछ लेने नहीं, बल्कि तुम्हें तुम्हारे काम का इनाम देने के लिये बुलाया है, इसलिये निश्चिंत हो जाओ”, एम-डी ने अपने ग्लास में से घूँट भरते हुए कहा।
“सुनील तुमने सुना तो होगा कि मैंने अपनी ऑफिस की हर औरत को चोदा है?” एम-डी ने मुझसे पूछा।
“हाँ सर! कुछ ऐसी अफ़वाह सुनी तो है…” मैंने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ये अफ़वाह नहीं, हकीकत है सुनील! मैंने और महेश ने ऑफिस में काम करने वाली हर लड़की या औरत को खूब चोदा है। नयी-नयी लड़कियों को चोदने के बाद यहाँ काम पर लगाया है। आज हम दोनों तुम्हें अपना राज़दार और हिस्सेदार बनाना चाहते हैं”, एम-डी ने गर्व से कहा, मगर मैंने ये नहीं सोच था।
“इसका मतलब है कि तुम ऑफिस की किसी भी औरत को अपने नये केबिन में बुला कर उसे चोद सकते हो, तुम्हें मेरी परमिशन है इस काम के लिये।”
“थैंक यू सर”, मैंने जवाब दिया।
मेरे ऑफिस में कई लड़कियाँ थीं जिन्हें मैं चोदना चाहता था। इस बात ने मेरा काम और आसान कर दिया था। ये सोच मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी।
महेश ने ताली बजाते हुए कहा, “सुनील… कल का क्यों इंतज़ार करें! आओ आज से ही शुरू करते हैं।”
महेश के ताली बजते ही बेडरूम से दो निहायत ही सुंदर लड़कियाँ बाहर निकल कर आयी। दोनों के हाथों में शराब के ग्लास और सिगरेट थीं। “ये रेहाना है, हमारे डिसपैच डिपार्टमेंट से और ये नसरीन है हमारी ब्राँच ऑफिस से”, महेश ने मेरा उनसे परिचय कराते हुए कहा।
“पहले कभी इन्हें देखा है? मैंने आज की रात सबसे बेहतरीन लड़कियों को अपनी ऑफिस और ब्रन्च ऑफिस से चुना है…” एम-डी ने कहा।
“सर रेहाना को मैंने देखा है, और इसे चोदना भी चाहता था पर नसरीन मेरे लिये नयी है…” मैंने जवाब दिया।
“चिंता मत करो! थोड़े दिनों में सबको जान जाओगे…, लड़कियों! ये सुनील है और आज से इसे मेरी परमिशन है कि ये तुम सबको जब जी चाहे चोद सकता है, ये बात औरों को भी बता देना, समझ गयी तुम दोनों?” एम-डी ने उनसे कहा।
“हाँ सर! हम समझ गये”, रेहाना ने अपनी गर्दन हिलाते हुए सिगरेट का धुँआ बाहर छोड़ते हुए कहा।
“चलो फिर शुरू हो जाओ और अपना छुपा हुआ खज़ाना सुनील को दिखाओ”, महेश ने हुक्म दिया।
दोनों अपने कपड़े उतारने लगी। दोनों ही काफी सुंदर थी, भरी-भरी छातियाँ, पतली-पतली कमर, बिना बालों की चूत काफी शानदार लग रही थी, तरबूज जैसी गाँड, लंबी-लंबी सुडौल टाँगें और अंत में गोरे- गोरे पैरों में बहुत ही सैक्सी और ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल। उन्हें नंगा देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
“चलो महेश यहाँ से! और सुनील को चुदाई का पूरा आनंद लेने दो”, एम-डी ने कहा।
“रुकिये सर, आपने कहा कि मैं आज से आपका पार्टनर और राज़दार हूँ तो क्यों ना हम लोग मिलकर इन्हें चोदें?” मैंने एम-डी से कहा।
“देखा महेश! मैं नहीं कहता था कि अपना सुनील मतलबी नहीं है, ये सब कुछ शेयर करना चाहता है”, एम-डी खुश होते हुए बोला, “लेकिन सुनील ये दो हैं और हम तीन…”
“सर औरत के पास तीन छेद होते हैं, मर्द को मज़ा देने के लिये, चूत गाँड और मुँह… और इसके लिये हम तीन हैं।”
“मेरे लिये ये नयी बात होगी”, एम-डी ने कहा, “चलो महेश… कपड़े उतारते हैं और ट्राई करते हैं।”
“सर हम लोग एक-एक कर के तीनों छेदों का मज़ा लेंगे”, मैंने एम-डी को समझाया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओह गॉड!!!” हम तीनों को नंगा देखते हुए एक ही झटके में अपना पैग गटकते हुए रेहाना बोली।
एम-डी की नज़र जब मेरे लंड पर पड़ी तो उसने हँसते हुए कहा, “महेश! देखो सुनील का लंड तुमसे बड़ा और मोटा है, अब तुम्हारे मोटे लंड के किस्से ही रह जायेंगे।”
रेहाना ने मेरे लंबे लंड को देखते हुए कहा, “सर!!! मैं ये लंबा लंड अपनी गाँड में नहीं लूँगी।”
“रेहाना! तुम्हें पता है मुझे ’ना’ सुनने की आदत नहीं है, इसलिये सुनील तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालेगा।” फिर रेहाना ने विरोध नहीं किया। रेहाना वैसे भी काफी नशे की हालत में थी।
एम-डी बिस्तर पर लेट गया और रेहाना ने एम-डी के ऊपर आकर उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और उछलने लगी। एम-डी का लंड जड़ तक उसकी चूत में समा चुका था। रेहाना की गाँड उभरी हुई थी। अपने लंड को सहलाते हुए मैं अपने थूक से उसकी गाँड को चिकना कर रहा था।
“सुनील ये कोई तरीका नहीं है इतनी सुंदर गाँड मारने का, मैं होता तो एक ही धक्के में पूरा लंड डाल देता…” महेश ने कहा।
“क्या उसे दर्द नहीं होगा?” मैंने कहा।
“हाँ… उसे दर्द तो होगा, पर जब वो दर्द से चींखेगी तो उसके दर्द की आवाज़ मुझे अपने कानों में संगीत की तरह लगती है…” महेश बोला।
“तुम्हें जैसे करना है, वैसे करना, मुझे अपने तरीके से करने दो”, मैंने जवाब दिया। रेहाना मेरी और देख कर मुस्कुरा दी। उसकी आँखें नशे में बोझल थीं। मैंने अपने लंड और उसकी गाँड को चिकना कर अपने लंड को गाँड के छेद पर रख कर थोड़ा अंदर घुसाया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई प्लीज़ सर!!! रुक जाइये, बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊँगी”, रेहाना दर्द से चिल्लायी।
“सुनील रुकना नहीं! और जोर से डालो”, एम-डी ने कहा। मैंने अपने लंड को और अंदर घुसाया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईई……. अल्लाहहहहह मर गयीईईईई…” रेहाना जोर से चींखी।
मैंने रेहाना की गाँड में धक्के लगाते हुए महेश से कहा, “अब तुम अपना लंड रेहाना के मुँह में दे दो।”
मैं ऊपर से गाँड मर रहा था और एम-डी नीचे से धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था। रेहाना जोर-जोर से महेश के लंड को चूस रही थी। करीब पाँच मिनट के बाद हमारे तीनों के लंड ने रेहाना के तीनों छेद मैं पानी छोड़ दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नसरीन!! अब तुम्हारी बारी है”, महेश ने कहा।
“ठीक है सर! सुनील सर का लंड अपनी गाँड में लेकर मुझे खुशी होगी”, नसरीन ने जवाब दिया, “लेकिन सर इजाज़त हो तो पहले मैं अपनी डोज़ ले लूँ?”
“जरूर….” लेकिन जल्दी एम-डी ने कहा।
मुझे कनफ्यूज़्ड देख कर महेश ने बाताया कि नसरीन चुदाई के समय ड्रग्स लेती है और फिर बहुत मस्त हो कर चुदवाती है। मैंने देखा कि नसरीन ने अपने पर्स में से एक पैकेट निकाला और एक सफ़ेद से पाऊडर की मेज पर धारी सी बना दी और फिर एक सौ रुपये के नोट को रोल करके उसके द्वारा वो पाऊडर अपनी नाक में खींचने लगी।
“चलिये सर… अब मैं तैयार हुँ, चुदाई के लिये…” नसरीन अपना बाकी का पैग गटकते हुए बोली। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी और उसकी आँखों की पुतलियाँ फैली हुई थीं।
इस बार महेश बिस्तर पर लेट गया और नसरीन उसके लंड को अपनी चूत में लेकर उस पर लेट गयी। एम-डी ने अपना लंड उसके मुँह में दिया। मैंने ऊपर आकर उसकी गाँड में एक ही धक्के में पूरा लंड पेल दिया।
हम तीनों जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उसे चोद रहे थे। नसरीन की गाँड रेहाना की गाँड से कसी थी इसलिये मुझे और मज़ा आ रहा था। नसरीन की सिसकरियाँ भी तेज थी।
हम तीनों ने जम-जम कर धक्के मारते हुए अपना अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद एम-डी ने कहा, “सुनील तुम मज़े लो, हम लोग जाते हैं, देर हो रही है।”
उनके जाने के बाद मैंने एक-एक बार और उन दोनों की चुदाई की और रात के दो बजे घर पहुँचा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
मैं दूसरे दिन ऑफिस पहुँचा तो मुझे सभी महिला एम्पलोयिज़ की लिस्ट मिल गयी। उनका नाम, उम्र, किस डिपार्टमेंट में काम करती है और कितने साल से। उस दिन के बाद मैं एक-एक करके उनको अपने केबिन में बुला कर उन्हें चोदने लगा।
थोड़े ही दिन में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी कि मेरा लंड महेश के लंड से मोटा है।
थोड़े दिन बाद पिताजी की चिट्ठी आयी कि मैं अंजू और मंजू को वापस भेज दूँ। मैंने उन दोनों की टिकट करा दी। जिस दिन वो जा रही थीं, मैंने उनसे कहा, “तुम दोनों वादा करो कि यहाँ से जाने के बाद ये सब छोड़ दोगी?”
“भैया! हम आपसे वादा करते हैं कि अब शादी से पहले किसी से नहीं चुदवायेंगे”, मंजू ने कहा।
उन दोनों को ट्रेन में बिठा कर मैं घर पहुँचा तो प्रीती ने कहा, “सुनील अब अंजू और मंजू यहाँ से जा चुकी हैं तो क्यों ना हम एम-डी और महेश से अपना बदला लेने का प्लैन बनायें।”
“तुम क्या करना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“सबसे पहले मैं उनके बारे में सब कुछ जानना चाहुँगी”, प्रीती ने कहा।
“तुम उन दोनों से इतनी बार चुदवा चुकी हो, और क्या जानना चहोगी?” मैंने कहा।
“मजाक मत करो, मैं उनकी हर बात जानना चाहती हूँ, जिससे उनकी कमजोरियों का पता चल सके, सुनील! तुम जितना भी जानते हो मुझे बताओ”, प्रीती बोली।
“महेश के बारे में इतना नहीं जानता। पर हाँ एम-डी, मिसेज योगिता के साथ उनके ही बंगले पर रहते हैं, उनकी बीवी का नाम मिली है और उनकी दो बेटियाँ हैं”, मैंने जवाब दिया।
“दो बेटियाँ!” प्रीती के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो पर अभी वो छोटी हैं”, मैंने कहा।
“सुनील! तुम मिस्टर रजनीश, तुम्हारे एक्स एम-डी के परिवार के बारे में क्या जानते हो?” प्रीती ने पूछा।
“यही कि उनकी विधवा मिसेज योगिता, और उनकी लड़की रजनी साथ में रहती हैं। एम-डी रजनी को अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है”, मैंने जवाब दिया।
“तुम्हें ये कैसे मालूम?” उसने पूछा।
“मुझे रजनी ने बताया था, उसने छुट्टियों में कुछ दिन कंपनी में काम किया था।” मैंने जवाब दिया।
“क्या तुमने रजनी को चोदा है? मुझे सच- सच बताना”, उसने पूछा।
कुछ देर सोचते रहने के बाद मैंने सच बताते हुए कहा, “हाँ! मैंने उसे चोदा है पर वो हमारी शादी के पहले की बात है।”
“उस समय वो कुँवारी थी! है ना? क्या उसके बाद तुमने उसे चोदा है?” प्रीती ने फिर पूछा।
“नहीं प्रीती! कसम ले लो, मैंने उसके बाद उसे एक बार ही मिला हूँ, वो भी पार्टी में तुम्हारे साथ”, मैंने जवाब दिया।
“सुनील मैं जानती हूँ तुम सच बोल रहे हो! जब तुम झूठ बोलते हो तो तुम्हारे चेहरे से पता चल जाता है। रजनी तुम्हें प्यार करती है, मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार देखा है, क्या तुम जानते हो?” प्रीती ने कहा।
“मुझे भी ऐसा कई बार लगा है”, मैंने जवाब दिया।
“क्या पता तुम्हें फिर रजनी को चोदना पड़े”, प्रीती ने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, “फिलहाल तो रजनी को भूल जाओ, वो यहाँ नहीं है! पर मैं तो हूँ, सुनील! मुझे चोदो और इतना चोदो कि मेरी चूत माफी माँगने लगे।”
मैं उसे बाँहों में भर कर बेडरूम में ले गया और पूरी रात उसे कस-कस कर चोदता रहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दूसरे दिन से प्रीती एम-डी और महेश के घर जाने लगी। वो बराबर उनसे और उनके परिवार से मिलने लगी। अब वो उनके परिवार की एक सदस्या जैसे हो गयी थी। एक दिन मैंने उससे पूछा, “क्या पता लगाया तुमने इतने दिनों में?”
“कुछ खास नहीं, महेश के दो बच्चे हैं! एक लड़की मीना २२ साल की… जो अपना ग्रैजुयेशन कर रही है और एक लड़का अमित १६ का। लगता है महेश घर से ज्यादा बाहर चुदाई करता है, प्रीती ने हँसते हुए कहा, मीना और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं।”
“एम-डी के बारे में क्या पता लगा?” मैंने पूछा।
“वहाँ भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। मिसेज योगिता और मिसेज मिली, अच्छी सहेलियाँ हैं, और हाँ तुमने सच कहा था! उनकी बेटियाँ छोटी हैं। हाँ! रजनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं। मैंने हार नहीं मानी है, एक दिन भगवान हमारी मदद जरूर करेगा।”
करीब तीन महीने बाद मुझे पिताजी की चिट्ठी मिली कि अंजू और मंजू की शादी पक्की हो गयी। करीब के गाँव के जमीनदार के लड़कों के साथ। हम दोनों को शादी में बुलाया था।
मैं और प्रीती हमारे घर शादी अटेंड करने पहुँचे। देखा अंजू और मंजू बहुत खुश थीं। शादी के दिन जब हम अकेले में मिले तो प्रीती ने उनसे पूछा, “तुम दोनों को कोई शिकायत तो नहीं है?”
अंजू ने मंजू की तरफ देख कर कहा, “सिर्फ़ एक!”
“और वो क्या है?” प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हम इतने दिन वहाँ रहे पर भैया को हम इतने सुंदर नहीं दिखे कि वो हमें चोद सके”, अंजू ने कहा।
“अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम भी यहीं हो और तुम्हारे भैया भी! जाओ और चुदवा लो उनसे, मैं बुरा नहीं मानुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“प्रीती! अपनी सीमा में रहो”, मैंने अपनी बहनों को बाँहों में भरते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं है पगली, जब तुम दोनों का नंगा बदन देखा तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, अगर तुम दोनों मेरी बहनें ना होती तो उसी समय तुम दोनों को चोद देता।”
“मैं भी इस चीज़ को मानती हूँ, रिश्तों की कदर करनी चाहिये”, प्रीती बीच में बोली, “अब तुम दोनों को अपनी सुहागरात का इंतज़ार होगा?”
“हाँ भाभी, तीन महीने हो गये चुदवाये, अँगुली से अपनी चूत चोद-चोद कर देखो हमारी अँगुली भी घिस कर एक इंच छोटी हो गयी है”, मंजू ने अपनी अँगुली दिखाते हुए कहा।
“मैं तो यही प्रार्थना करती हूँ कि सब अच्छी तरह से हो जाये, हमारे पतियों को ये ना पता चले कि हमारी चूत कुँवारी नहीं है”, अंजू थोड़ा सिरियस होते हुए बोली।
“घबराओ मत! सब ठीक होगा”, प्रीती ने उन्हें सांतवना दी।
शादी के बाद हम लोग वापस लौट आये। प्रीती बराबर एम-डी और महेश के घर जाती रही। हमारी चुदाई वैसे ही चल रही थी। मैं ऑफिस में लड़कियों को चोदता और प्रीती को घर पर। प्रीती भी घर पर मुझसे चुदवाती और क्लब में दूसरों से। वो चाहे एम-डी और महेश से कितनी भी गुस्सा हो पर मुझे लगने लगा था कि प्रीती को यह शबाब-शराब से भरपूर ऐय्याश लाइफ स्टाईल रास आ गया था। उसकी चुदाई की आग पहले से बहुत बढ़ गयी थी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो देखा प्रीती एक खत फढ़ रही थी, और जोर-जोर से हँस रही थी।
“किसका खत है?” मैंने पूछा।
“लो तुम ही पढ़ के देख लो”, प्रीती ने मेरे हाथ में खत पकड़ा दिया।
मैंने खत लेके पढ़ा………………………..
“हमारी प्यारी भाभी,
सॉरी हम दोनों आप को खत नहीं लिख पाये।
हम दोनों बहुत मज़े में हैं। हमारे पति बहुत ही अच्छे इनसान है। हर रात को हमारी जमकर चुदाई करते हैं। मैं शुरू से बताती हूँ।
हाँ हमारी सुहागरात की रात से! हमारे पतियों ने पहले किसी लड़की को चोदा नहीं था, इसलिये जल्दबाज़ी में उन्हें हमारे कुँवारे ना होने का पता नहीं चला। फिर भी हम उन्हें कहते रहे, जरा धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
कुछ महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर हमें चुदाई में इतना मज़ा नहीं आता था, क्योंकि हमारे पति बहुत ही सीधे हैं। ना तो वो हमारी चूत चाटते हैं, ना ही हमे अपना लौड़ा चूसने देते हैं। गाँड मारने की बात तो जाने दो।
फिर हम दोनों ने मिलकर इसका उपाय निकाला। हम दोनों ने एक दूसरे के पति को पटाया और उनसे चुदवा लिया। फिर एक बार हमने नाटक करके एक दूसरे को दूसरे के पति के साथ पकड़ लिया। हमारे पति इतने सीधे हैं कि हमसे माफी माँगने लगे। हमने उन्हें माफ़ किया पर एक शर्त पर कि वो हमें साथ-साथ चोदेंगे।
अब हम चारों साथ में ही सोते हैं, जैसे राम और श्याम के साथ सोते थे। हमने उन्हें चूत चाटना भी सिखा दिया है और हम उनका लंड भी मज़े से चूसते हैं। हम चारों का आपके पास आने को बहुत मन कर रहा है।
और आपका क्या हल है? भैया को हमारा प्यार देना।
बाय-बाय!
आपकी रंडी ननदें, अंजू और मंजू।”
“थैंक गॉड! ये दोनों अपने जीवन में सैटल हो गयी”, मैंने खत पढ़कर कहा।
समय गुजरने लगा और प्रीती की एम-डी और महेश से बदला लेने की ख्वाहिश और ज्यादा तेज होने लगी। मैंने उसे सांतवना देते हुए कहा, “प्रीती हिम्मत रखो! कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा।” मुझे क्या मालूम था कि रास्ता भविष्य में हमारा इंतज़ार कर रहा है।
एक दिन मैंने ऑफिस से लौट कर प्रीती को बताया कि महेश बरबाद हो गया है। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“क्यों कैसे?”
“तुम्हें याद है? उसने बताया था कि वो अपना सारा पैसा शेयर मॉर्केट में लगाता है। मॉर्केट बहुत नीचे गिर गया है और उसे भारी नुकसान लगा है। बेचारा रो रहा था मेरे सामने, कि उसके पास अब कुछ भी नहीं बचा है।”
“भगवान ने अच्छा सबक सिखाया है हरामी को!”
“हाँ प्रीती, वो तो आत्महत्या तक करने की सोच रहा है।”
“नहीं सुनील! उसे आत्महत्या नहीं करने देना, पहले मेरा बदला पूरा हो जाये, फिर चाहे वो आत्महत्या कर ले। सुनील तुमने क्या बताया उसे पैसे की तकलीफ है? इससे मेरे दिमाग में एक ऑयडिया आया है”, प्रीती ने कहा।
मैंने प्रीती को बाँहों भरते हुआ पूछा, “जल्दी से बताओ क्या ऑयडिया है?”
“अभी नहीं पहले मुझे सोचने दो, चलो चल कर सैलिब्रेट करते हैं”, कहकर प्रीती ने मुझे बाँहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर चूमने लगी।
उसने दो पैग बनाये और ड्रिंक पीने के बाद हम कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गये। “ओह सुनील! देखो तुम्हारा लंड कैसे तन कर खड़ा है”, प्रीती ने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा।
“पर मैं तो समझा था कि तुम अपने प्लैन के बारे में बताओगी?”
“ओहहह सुनील! प्लैन तो वेट कर सकता पर इस समय इस खड़े लंड की ज्यादा चिंता है, आओ और मुझे कस कर चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें फैला कर कहा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसाया, “ओहहहहहह सुनील!!!” उसके मुँह से सिसकरी निकली।
“सुनील! मैं आज कितनी खुश हूँ, मुझे महेश से बदला लेने का तरीका मिल गया।”
“प्रीती! अब महेश के बारे में सोचना छोड़ो और इस बात पे ध्यान दो कि मैं अब तुम्हारी चूत के साथ क्या करने वाला हूँ”, मैंने अपना लंड तेजी से उसकी चूत के अंदर बाहर करते हुए कहा।
“हाँ सुनील! मुझे चोदो, बहुत अच्छा लग रहा है”, वो कहने लगी और मैं उसे और तेजी चोद रहा था। मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
मेरे ध्क्कों की रफ़्तार बढ़ते देख उसने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ लीं और अपने कुल्हे उछाल कर थाप से थाप मिलाने लगी। उसके मुँह सिसकरियाँ निकल रही थी।
“हाँआंआंआं सुनील!!! और जोर से!!!!!, हाँआँआँ ऐसे ही करते जाओ, हाँ और अंदर तक घुसा दो….. ओहहहहह….. आआआआआआहहहहहह….. मैं तो अपनी मंज़िल के करीब हूँ। मेरा छुटाआआ!!!” कहकर वो निढाल पड़ गयी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
मेरा नहीं छूटा था, इसलिये मैं और तेजी से उसे चोदने लगा। “लगता है तुम्हारा नहीं छुटा”, उसने भी मेरा साथ देते हुए कहा।
“नहीं, पर जल्द ही छूटने वाला है”, और मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर डालने लगा।
वो फिर मेरा साथ देने लगी, “सुनील, रुको मत! हाँआँ चोदते जाओ… हाँआंआं लगता है मेरा फिर छूटने वाला है….” उसकी साँसें उखड़ रही थी।
“ओहहहहहहह सुनील मेरा छूटाआआआ….” वो जोर से चिल्लायी और उसी वक्त मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। इससे मेरे लंड में फिर गर्मी आ गयी और वो खड़ा हो उसकी चूत पर झटके मारने लगा।
वो मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर बोली, “सुनील अब मेरी गाँड मारो।” मुझे भी गाँड मारने का शौक था, इसलिये उसके कहते ही मैं उसके पीछे आकर अपने थूक से उसकी गाँड को गीली करने लगा। “सुनील ये मत करो!!! आज मेरी गाँड में ऐसे ही अपना लौड़ा घुसा दो”, वो बोली।
“पागल हो गयी हो? तुम्हें बहुत दर्द होगा!”
“होने दो सुनील! महेश भी हमेशा मेरी गाँड ऐसे ही मारता आया है। और अब अगर मेरा ऑयडिया काम कर गया तो मैं समझूँगी कि जैसे मैंने महेश की कोरी गाँड मारी है। इसलिये मैं बोलती हूँ वैसा करो”, उसने कहा।
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँआंआंआं…. मर गयीईईईई”, उसके मुँह से चींख निकली। मैं उसकी गाँड मारने लगा और साथ ही उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल कर उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का काम हो गया और दोनों एक दूसरे को बाँहों में ले कर सो गये।
सुबह मैंने उसे फिर पूछा, “प्रीती! अब बताओ तुम्हारा प्लैन क्या है?”
“सुनील प्लैन सिंपल है, बस तुम्हारी मदद चाहिये। तुम्हारी मदद के बिना ये पूरा नहीं हो सकता”, प्रीती खुश होती हुई बोली।
“प्रीती! मैं तुम्हें पहले ही बोल चुका हूँ, तुम्हें मुझसे पूरी मदद मिलेगी जिससे तुम एम-डी और महेश से अपना बदला ले सको, अब बताओ।”
“ठीक है! सुनो मेरा प्लैन क्या है….” Hindi Sex Stories
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