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यह बात आज से 1 साल पुरानी है Sex Stories जब हमारे मकान में एक किरायदार रहने के लिए आए थे। में उन्हें भैया और भाभी कहता था। धीरे धीरे उनसे अच्छे सम्बंध बनते गये और मैं उनके करीब पहुंचता गया।
भाभी का पति तो ज़्यादातर तौर पर बाहर ही रहता था। एक दिन यूँ हुआ कि भाभी के पति गये हुए थे और मेरे घर वाले भी आउट ऑफ मुंबई गये थे और कमरे की चाबी भाभी को दे गये, मुझे घरवालो ने फोन कर के बता दिया था की चाबी भाभी के पास है।
मैं घर पे आया और सीधा भाभी के कमरे की बेल बजाई तो भाभी निकली उस वक़्त उन्होंने क्रीम रंग का गहरे गले सूट पहन रखा था और सिर पे दुपट्टा भी नहीं था। वैसे भाभी का फिगर 36 32 36 होगा, ब्रा इतनी टाइट पहन रखी थी कि मुमे बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे।
मैंने कहा- भाभी चाबी चाहिए!
तो भाभी ने कहा- अंदर आ जाओ! मैं चाबी लाती हूं!
इत्तफ़ाक़ से क्या हुआ कि भाभी चाबी रख कर भूल गई. भाभी थोड़ी देर बाद आई और मुझसे कहा कि चाबी तो पता नहीं कहाँ रख कर भूल गई मैं?
मैंने कहा- भाभी, चाबी तो चाहिए… नहीं तो मैं रात को कहाँ पर लेटूंगा?
तो भाभी ने कहा की ठीक है, मैं और अच्छी तरह से एक बार और देख लूँगी। यह कह कर वो सोफे पर बैठ गई और मुझसे बात करने लगी और फ़्रिज़ में से पेप्सी निकाल कर ले आई। मुझे भाभी ने पेप्सी दी लेकिन खुद नहीं ली।
इस पे मैंने कहा- आप भी लो।
भाभी ने कहा की नहीं मैं नहीं लूँगी मेरे सर में दर्द हो रहा है सुबह से.
तो मैं भाभी के पास उठ कर गया और मैंने कहा कि मैं आपका सर दबा देता हूं भाभी!
वो मना करने लगी कि नहीं तुम तक़लीफ़ मत करो मैं दवाई ले लूँगी तो मैंने कहा- भाभी क्या मुझे इतना भी हक़ नहीं है कि मैं आपका सर दबा सकूं?
मेरे जोर देने पर भाभी मान गई. मैं सोफे पर चढ़ कर भाभी का सर इस अंदाज़ से दबा रहा था कि भाभी की रीड की हड्डी मेरे लंड से छू रही थी।
मेरा लंड भाभी के स्पर्श से ही फ़नफना गया और ऊपर से भाभी के कमीज़ का गला गहरा था जिसके कारण उनकी चूची ऊपर से साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं धीरे धीरे सर दबा रहा था। भाभी मदहोश सी होती जा रही थी।
फिर क्या था मैंने भाभी को अपनी आगोश में ले लिया और वहीं सोफे पर लेट गया तो भाभी ने एकदम से उठ कर कहा कि यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने भाभी से कहा कि भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं आपसे बहुत बहुत प्यार करता हूं, तो भाभी ने इतरा कर कहा कि वाह जी वाह! बड़ा आया प्यार करने वाला प्यार करने वाले इतनी देर नहीं लगाते हैं!
मैंने जो देखा तो भाभी की सलवार नीचे खुली पड़ी थी। मुझे ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं लग गया अपने काम पर।
पहले तो मैंने भाभी के होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया फिर उसके बाद मैंने कहा भाभी से कि भाभी! कभी लंड का भी स्वाद चखा है तुमने?
तो कहने लगी- छी! मुझे तो घिन आती है!
मैंने कहा- घिन किस बात की? अरे यह तो बाहर के देशों में खूब जम के होता है वो लोग तो पहले लंड ही चूसाते हैं और अगर बिना लंड चूसाए वो चोदेंगे तो उनका खड़ा ही नहीं होगा।
तो भाभी ने कहा- जैसे भी हो मैं नहीं चूसूंगी!
मैंने कहा- ठीक है आज नहीं तो कल पता चलेगा इसके ज़ायके का!
तो मैं खड़ा हुआ। लंड तो खड़ा ही था, मैंने अपनी पैन्ट खोली, लंड निकाला, मेरा लंड तकरीबन 6 इंच लंबा है और 2.5 इंच मोटा है भाभी मेरा लंड देख कर चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट ला कर बोली तुम्हारा लंड तो बहुत तगड़ा है!
मैंने कहा- अरे खाते पीते घर का है ऐसे वैसे थोड़ी ना है!
मैं भाभी के पास जा कर खड़ा हो गया और भाभी भी खड़ी थी। मैंने खड़े ही खड़े भाभी की चूत पर हाथ फेरा और भाभी इतनी उतावली थी कि उसने आव देखा ना ताव, फटाफट लंड को अपनी चूत में डालने के लिए कहने लगी।
मैं खड़े खड़े ही उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा था मगर मेरी कोशिश नाकाम हो गई। वहीं एक कुर्सी रखी थी। मैं कुर्सी पर बैठ गया। मैंने कहा भाभी से कि अब आओ मेरे ऊपर, तो भाभी एकदम मेरे पास आ कर मेरे लंड पर बैठ गई और अपनी गांड हिलाने लगी।
थोड़ी देर बाद मेरे झड़ने का टाइम आया तो मुझे याद आया कि भाभी ने कहा था कि अन्दर मत झड़ना दिक्कत हो जाएगी मैंने झट से अपना लंड चूत में से निकाला और दीवार पर पिचकारी छोड़ दी।
उस दिन भाभी और मैंने जम कर 5 बार चुदाई की। यह सिलसिला 4 महीने तक चलता रहा।
जब भी मुझे और भाभी को मौका मिलता हम लोग जम के चुदाई करते थे। मगर 2 महीने पहले भाभी ने अपना घर बदल लिया क्योंकि उनके पति को गाड़ी पार्क करने की दिक्कत थी। उन्होंने ऐसी जगह घर ले लिया जहा पार्किंग का हिसाब ठीक था।
अब 15 20 दिन मे एक-आध बार चुदाई का मौका मिलता है तो हम लोग काम कर लेते है नहीं तो वो अपने घर में अपने घर!
मेरी अपनी राय यह है औरतो के बारे में कि औरत के कभी भी साथ सेक्स करो तो उन्हें पूरी तरह नंगा मत करो क्योंकि नंगी औरत कभी भी अच्छी नहीं लगती एक परदा होना चाहिए जो सेक्स को बढ़ाए!
जैसे मैंने जब भी भाभी की चूत मारी मैंने कभी भी उनके पूरे कपड़े नहीं उतारे कभी उनको ब्रा में चोदा कभी सूट पहने ही पहने सूट को उपर करके उनके चूचियों को चूसा। कभी साड़ी का पेटीकोट उपर करके चूत मारी।
सबसे ज़्यादा मज़ा आता है साड़ी में चूत मारने का! साड़ी को उतारो, पेटीकोट के नीचे से पेंटी को उतारो, पेटीकोट को ऊपर चढ़ा कर खड़े खड़े चूत मारो, गोदी में उठा कर चूत मारो, कितना आनंद आएगा!
यह मेरा एक्सपीरियेन्स है, बाकी किसको कैसे लगा? Sex Stories
दोस्तो, मेरी कहानियाँ Sex Stories सभी को ख़ूब पसन्द आई; बहुत से ईमेल आए।
मेरी सभी कहानियाँ किसी और के जीवन से ली गई हैं, जिन्हें मैं आपसे बाँटता हूँ।
इस बार फिर आपको एक मस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
रामजीलाल एक 58 साल के व्यक्ति हैं जिनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं।
उनकी दो बेटी हैं जिनका नाम सरिता और सीमा हैं।
बड़ी बेटी सरिता की उम्र 24 साल हैं जो शादीशुदा है।
छोटी लड़की अभी 19 साल की है जो पढ़ाई कर रही है।
बड़ी बेटी सरिता की शादी को एक साल ही हुआ था। उसके ससुराल में जाने के बाद रामजीलाल अपने घर में अपनी लड़की के साथ रहते हैं। लड़की छोटी होने के कारण उन्होंने जल्दी वी आर एस ले लिया जिससे लड़की की पढ़ाई तथा परवरिश में कोई कमी न होने पाए।
रामजीलाल दिन का समय तो किसी तरह निकाल लेते लेकिन रात निकालनी उनके मुश्किल हो जाती।
इस उम्र में भी उन्हें सेक्स का कीड़ा काटता था। कभी-कभी अंग्रेज़ी फिल्म देख लिया करते।
लेकिन इससे उनकी सेक्स की भूख और भी बढ़ जाती। इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ मानकर किसी तरह अपनी बेचैनी को कम करना उनकी मज़बूरी थी।
सेक्स का कीड़ा तो बाथरूम में जाते और मूठ मारकर अपना पानी निकाल लेते। इसी तरह उनके दिन कट रहे थे।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी सरिता घर पर आई। साथ में सरिता का देवर अमर तथा उसकी सासु माँ अनुपमा भी थी।
अनुपमा देखने में तेज़-तर्रार और सेक्स बदन की मालकिन थी।
उम्र तो उसकी 40 के आसपास थी लेकिन उसका भरा-पूरा बदन और उस पर गोरी रंगत कमाल ढाती थी। वह चलती तो उसकी चूतड़ इस अन्दाज़ में हिलती कि देखने वाला भी हिल जाए।
इसके विपरीत अमर, जो अनुपमा का बेटा तथा सरिता का देवर है, वह देखने में सीधा-सादा मासूम बच्चा नज़र आता है। उसकी उम्र 18-19 के आसपास है।
सीमा अपनी बहन को देखकर खुश हो गई।
रामजीलाल भी उन्हें देखकर खुश हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद वे घर पर आए थे।
पूरा दिन सबने बातों में ही निकाल दिया। सरिता, सीमा और अमर आपस में ख़ूब बातें करते रहे।
इधर रामजीलाल भी अनुपमा से गप्पे लड़ाने में कम नहीं थे।
रामजीलाल को अनुपमा से बातें करके अपनी पत्नी की याद आ रही थी। उन्हें लगा कि वह जैसे उनकी पत्नी ही है, बस चोदने की देर है।
लेकिन वह अनुपमा के गुस्से से डरते थे। अनुपमा के सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बन्द हो जाती थी फिर रामजीलाल क्या चीज़ है।
शाम को सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गए। सरिता और सीमा एक ही कमरे में सोने चले गए तथा अमर और उसकी माँ अनुपमा भी एक कमरे में चले गए।
रामजीलाल भी अपने कमरे में जाकर सोने का प्रयास करने लगे।
लेकिन उन्हें नींद कहाँ आने वाली थी। आज फिर अपने को तड़पता हुआ पाया।
अनुपमा से बातें करके उन्हें अपनी पत्नी की याद आ रही थी कि किस तरह वह अपनी पत्नी को बाँहों में लेकर उसके नरम नरम होंठों को चूसा करते थे।
अपनी पत्नी के साथ बिताए सेक्स के पलों को याद करके वह और भी अधिक तड़पने लगे। उनका लंड खड़ा हो गया।
वे फिर मूठ मारने बाथरूम में गए, पर आज उनका मूड इसमें भी नहीं लगा। वे हॉल में आकर सोफे पर बैठ गए।
अभी घड़ी में 12 बज रहे थे और पूरी रात उनके सामने पड़ी थी।
रामजीलाल ने टीवी चालू कर लिया और फिल्म देखने लगे।
तभी अमर भी हॉल में आ गया। वह भी बोर हो रहा था। इसलिए टीवी देखने हॉल में आ गया था। वह भी सोफे पर बैठ गया। दोनों टीवी देखने लगे।
फिल्म में एक चुम्बन-दृश्य आया। रामजीलाल ने यह दृश्य देखा तो बेचैन हो गए। उनका लौड़ा उनकी पैन्ट में ही खड़ा होकर अपनी उपस्थिति बताने लगा।
इधर अमर भी यह दृश्य देखकर बेचैन तो हुआ पर उसने जाहिर नहीं होने दिया।
रामजीलाल ने अमर से पूछा- बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है?
अमर- अच्छी चल रही है।
रामजीलाल- अच्छा तुम्हारी मम्मी क्या कर रही है?
अमर- मम्मी थक गई थी इसलिए जल्दी नींद आ गई।
रामजीलाल- अच्छा। और तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेण्ड हैं?
अमर थोड़ा चौंका … लेकिन फिर सँभल कर बोला- एक भी नहीं है।
रामजीलाल- क्या बात कर रहे हो बेटा! इतने बड़े हो गए और एक भी गर्लफ्रेण्ड नहीं! भई मैं जब तुम्हारी उम्र का था तो मेरी चार-चार गर्लफ्रेण्ड हुआ करती थीं।
अमर- अच्छा? मैं अभी-अभी कॉलेज में गया हूँ। इसलिए कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है मेरी।
रामजीलाल- वह तो ठीक है। मैं तुम्हें बताऊँगा कि गर्लफ्रेण्ड कैसे पटाते हैं। लड़कियों को प्रभावित करने के लिए अच्छे साफ-सुथरे और स्टाईलिश कपड़े पहनो और अपनी एक अलग पहचान बनाओ। लड़कियाँ ख़ुद तुम्हारे साथ दोस्ती करेगी और तुम जो चाहोगी वह भी करेगी।
अमर- आप तो बहुत अनुभवी लगते हैं। पर गर्लफ्रेण्ड हमारे लिए क्या कर सकती है?
रामजीलाल- बेटा तुम बहुत भोले हो। लड़कियाँ यदि ख़ुद आकर पटेंगी तो तुम जो कहोगे वह करेगी। मेरा मतलब सेक्स से है। तुम्हें भी सेक्स का अनुभव होना चाहिए। वरना शादी के बाद तुम्हारी पत्नी तुम्हें ताना देगी कि तुम्हें कुछ भी नहीं आता।
अमर- वह तो ठीक है। लेकिन शादी के पहले यह सब करना ठीक होता है क्या?
रामजीलाल- बेटा, अनुभव बुहत बड़ी चीज़ होती है। शादी के पहले यह करना ठीक तो नहीं है लेकिन यदि लड़कियाँ ख़ुद अपनी मर्ज़ी से दें तो इसमें बुरा क्या है? तुम्हें कुछ करना आता भी है या नहीं?
अमर शरमाकर बोला- नहीं। थोड़ा बहुत जानता हूँ लेकिन पूरी तरह मालूम नहीं है कि क्या करते हैं।
अमर अब थोड़ा सा खुल गया था।
रामजीलाल- तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि सेक्स में क्या करते हैं। सेक्स में किसका महत्त्व है। लड़की के गालों पर, माथे पर, गर्दन पर, और होंठों पर किस करने का मज़ा ही कुछ और है। फिर उनका नाज़ुक चिकना बदन तो पागल कर देता है। उनकी चूचियाँ दबाओ, उन्हें चूसो। उनके पूरे कपड़े खोलकर नंगा कर देना अपने-आप में बहुत मज़ेदार होता है। उनकी चूत में अपना लंड डालो तो समझो कि स्वर्ग जीत लिया।
अमर हकलाते हुए- हाँ यह सब तो बहुत मज़ेदार होगा।
रामजीलाल- अरे … इससे ज़्याद मज़ा तब आता है जब वो तुम्हारा लंड मुँह में लेकर चूसती है। इस आनन्द की तो बात ही निराली है।
अमर- क्या? वह हमारी इस गंदी चीज़ को भी मुँह में लेती है।
रामजीलाल- गंदी चीज़? अरे इससे प्यारी चीज़ तो कोई होती ही नहीं है। तुम कैसे मर्द हो? औरतें तो इसे लॉलीपॉप की तरह चूसती हैं।
अमर- आप मुझसे बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बातों का भरोसा नहीं कर सकता।
रामजीलाल- यदि तुम्हें यकीन नहीं आता तो तुम ख़ुद चूसकर देख लो।
रामजीलाल ने अपना पत्ता फेंका था। वह सोच रहे थे कि अनुपमा न सही, उसका बेटा तो कम से कम मेरा लंड चूस सकता है।
अमर- मैं तो जा रहा हूँ, अपने कमरे में। आपसे मुझे कोई बात नहीं करनी।
रामजीलाल अमर के गुस्से से डर गए। यदि कहीं उसने अपनी माँ अनुपमा को बता दिया तो गज़ब हो जाएगा।
रामजीलाल- बेटा मैं सच कह रहा हूँ। यदि तुम अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे। तुम ख़ुद अनुभव लेकर देखो। यदि मैं झूठा निकला तो कभी भी बात मत करना।
अमर पशोपेश में था। आख़िरकार उसने रामजीलाल का लंड मुँह में लेने का निश्चय कर लिया।
रामजीलाल ने टीवी बंद कर दिया और अमर को अपने कमरे में ले गए। रामजीलाल ने अपनी पूरी पैंट खोल दी। उनका 6 इंच लम्बा और मोटा लंड अपनी पूरी औक़ात में तना हुआ था। रामजीलाल बिस्तर पर लेट गए और अमर को लंड मुँह में लेने को कहा।
अमर ने धीरे से लंड को पकड़ा। उसके हाथों में लंड की गर्मी आने लगी। उसे लंड पकड़ना अच्छा लगा।
थोड़ी देर लंड को सहलाने के बाद अमर ने लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। उसके मुँह में लंड की गर्मी भरने लगी।
सुपाड़ा चूसते-चूसते उसने लंड को मुँह में भर लिया और मजे ले-लेकर चूसने लगा।
रामजीलाल तो आँखें बन्द करके ज़न्नत की सैर कर रहे थे। अचानक रामजीलाल का लंड कड़क हो गया।
वह समझ गए कि पानी निकलने ही वाला है, लेकिन लंड मुँह से निकालने के पहले ही सारा माल अमर के मुँह में चला गया। माल मुँह में जाते ही अमर का दिमाग ख़राब हो गया। उसने वहीं पर उल्टी कर दी।
रामजीलाल भी उसकी हालत देखकर डर गए।
किसी तरह अमर सँभला और रामजीलाल पर बिगड़ गया और यह कहकर चला गया- आप बहुत गंदे इंसान हो।
इसके जाने के बाद रामजीलाल ने राहत की साँस ली।
वे यही सोच रहे थे कि यह लड़का समझदार निकले और इस बारे में किसी से कहे नहीं। वर्ना उनकी इज्ज़त ख़राब होगी और अच्छा-ख़ासा हंगामा हो जाएगा।
रामजीलाल ने सारे कपड़े खोल दिए और दूसरी अण्डरवियर पहनकर पलंग पर लेट गए।
तभी दरवाज़े पर उनकी समधन अनुपमा ने आवाज़ लगाई।
रामजीलाल उनकी आवाज़ सुनकर डर गए; घबराते हुए दरवाज़ा खोला।
वह यह भी भूल गए कि वे सिर्फ अण्डरवियर में ही हैं।
अनुपमा दरवाज़ा धकेलते हुए अन्दर आई और बोली- क्या पिला दिया है तुमने मेरे छोरे को? वह उल्टी पर उल्टी किए जा रहा है। अपनी उम्र देखो और मासूम बच्चे को देखो। ज़रा सा भी ख़्याल नहीं आया आपको यह गंदी हरक़त करते हुए।
रामजीलाल डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपमा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी अमर से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।
रामजीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपमा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
रामजीलाल यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं? Sex Stories
Antarvasna, मेरा नाम सुमित है, मैं कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर का काम करता हूँ, मेरा ऑफ़िस है गुजरात में !
मैं और मेरे घर वाले बहुत ही साधारण हैं इसलिए मेरा स्वभाव एक अच्छे लड़के की तरह है, पर क्या पता था कि एक दिन मेरी ज़िंदगी ही बदलने वाली है।
मेरी ज़िंदगी एक भाभी और उसकी सहेली ने बदल दी। उस भाभी का नाम सुषमा है। मैंने कभी उसे नहीं देखा था पर सुषमा भाभी सब कुछ मेरे बारे में जानती थी।
एक दिन शाम को मेरे ऑफ़िस में उसका फोन आया और कहने लगी- यू आर सुमित?
मैंने कहा- यस, हाँ बोलिए क्या काम है?
उसने कहा- मेरे घर का कंप्यूटर खराब हो गया है।
पहले मैंने उनसे पूछा- मेरा नंबर कैसे मिला आपको?
तब उस भाभी ने कहा- कभी कभार मैं तुम्हारे ऑफ़िस के रास्ते से जाती हूँ, तब तुम्हारे ऑफ़िस का नंबर मुझे तुम्हारे ऑफ़िस के बोर्ड पर से मिला और मैंने कॉन्टेक्ट किया तुमसे !
मैंने कहा- अच्छा। कल मैं आ जाता हूँ।
भाभी बोली- नहीं अभी आना होगा !
मैंने कहा- जी अभी नहीं आ सकता, अभी रात के आठ बज रहे हैं तो मैं कल आ जाऊँगा।
तब वो कहने लगी- मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है इस लिए तुम्हें अभी ही आना होगा।
मैंने कहा- जी अभी नहीं ! मैं कल सुबह जरूर आ जाऊँगा।
पर वो भाभी नहीं मानी, कहने लगी- मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है।
फिर मुझे भी उसकी बात माननी पड़ी और कहा- ओके, अपना एड्रेस बताओ?
उसने अपना पता बताया तो वो मेरी बिल्डिंग के ठीक पास वाली बिल्डिंग थी।
मैं उस पते पर गया, मैने कंप्यूटर को देखा तो उसका पीछे का तार ढील था, मैंने उसे ठीक कर दिया, वो कंप्यूटर चालू हो गया।
तब मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ, मुझे घर जाना है, काफ़ी देर हो गई है।
पर भाभी ने मुझे कहा- अब घर नहीं जाओ, यहाँ ही सो जाओ आज, और मैं भी अकेली हूँ आज तो !
मैंने ना कह दिया- नहीं मैं यहाँ नहीं सोऊँगा।
पर उसने मुझसे ज़्यादा रिक्वेस्ट किया और कहने लगी- मेरे पति 15 दिन के लिए आउट ऑफ स्टेट गये हैं, मुझे अकेलापन महसूस हो रहा है और मुझे अकेले सोने में डर भी लगता है।
उसने मुझे अपने घर सुलाने के लिए बहुत मनाया, पर मैंने कहा- नहीं, मेरे घर वाले भी मेरा इंतजार करते होंगे।
भाभी कहने लगी- तुम घर पर फोन कर के कह दो कि आज ऑफीस में काम होने के कारण आज नहीं आ पाऊँगा।
तो मैंने घर पर फोन कर दिया और मैंने भाभी से कहा- मेरे पास तो नाइट ड्रेस भी नहीं है।
और भाभी अपने कमरे में जाकर पज़ामा लेकर आई और कहने लगी- यह पहन लो।
मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर पज़ामा पहन कर बाहर आया। भाभ्हि ने खाना लगा लिया था, हम दोनों ने खाना खाया।
तभी मैंने देखा कि कंप्यूटर चालू है तो भाभी से कहा- कंप्यूटर चालू है, उसे बंद कर दो, इतनी देर से क्यों चालू रखा है।
भाभी कहने लगी- मुझे उस पर अभी काम है।
मैंने कहा- क्या काम है?
उसने कहा- मैं रोज़ रात को ब्लू फिल्म देखती हूँ।
और भाभी मुझसे पूछने लगी- क्या तुम्हें पसंद है ब्लू फिल्म?
मैंने कहा- नहीं, मुझे बिल्कुल नहीं पसंद है ब्लू फिल्म।
मैंने नींद का बहाना कर के कहा- मुझे नींद आने लगी है, मुझे सोना है, तुम बताओ कि कहाँ सोऊँ।
भाभी मुझे सोने का बेड दिखाया और कहा- यहाँ सो जाओ !
मैं बेड पर लेट गया। बाद में ज़रा उठ कर देखा कि आख़िर भाभी क्या कर रही है तो सच में भाभी एक एडल्ट ब्लू सेक्सी फिल्म देख रही थी। मुझे उसमें इंटरेस्ट नहीं था इसलिए मैं वापस बेड पर आकर लेट गया।
थोड़ी देर के बाद मैं देखा कि मेरे पज़ामे पर कुछ है, कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मैंने आँखें खोल कर देखा तो भाभी मेरे पास आकर सोई हुई थी और उनका हाथ मेरे लण्ड पर था। मैं घबरा गया, मैं सोने की एक्टिंग करता रहा।
तब थोड़ी देर देखता रहा तो वो और भी जोश में आकर मेरा लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी। थोड़ी देर बाद वो धीरे धीरे मेरे पज़ामे में हाथ डालने लगी। मैंने उठने की कोशिश की, भाभी को कहने लगा- यह क्या कर रही हो?
भाभी कहने लगी- मुझे बहुत सेक्स चढ़ गया है, मुझे तुमसे चुदवाना है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कहा- नहीं, मैं यह काम नहीं करूँगा। मैंने किसी को यह न करने का वादा किया है।
उस पर भाभी कहने लगी- ओके, मुझे मत चोदना पर मुझसे खेल तो सकते हो?
तब मैंने कहा- प्लीज़, मुझे यह सब भी पसंद नहीं है।
तब भाभी ने थोड़ा गुस्सा करके कहा- अगर तुमने यह मुझसे नहीं किया तो मैं पूरे बिल्डिंग वालों को जगा दूँगी कि तुम मेरे घर जबरदस्ती आए हो और मुझे परेशान कर रहे हो।
तब मैं और घबरा गया पर भाभी सेक्सी फिल्म देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी, इसलिए वो नहीं मान रही थी।
मैंने भाभी को कहा- अगर तुमने मुझे अब छुआ तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।
भाभी भी कहने लगी- ओके !
तब मैंने कहा- ओके, तुम मेरे साथ खेल सकती हो पर मैं तुम्हें नहीं चोद सकता।
उसने कहा- ठीक है।
भाभी ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरा टी-शर्ट उतार दिया, वो मुझसे कहने लगी- अब मेरे ये बूब्स के निप्पल को थोड़ा अपने हाथ की उंगली से मसल दो !
और मैं मसलने लगा।
फ़िर उसने कहा- अपना मुँह ज़रा मेरे मुँह के पास लाओ।
जब मैं मेरा मुँह उसके करीब ले गया तो उसने अपने हाथ से मेरा सर पकड़ कर मुझे किस करने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से स्मूच करने लगी।
मैंने कहा- अब बस करो, मेरा दम घुट रहा है।
तब भी जोश में आकर उसने करीबन दस मिनट तक स्मूच किया।
तब भाभी ने मेरा हाथ लेकर अपने वक्ष पर रख दिया और कहने लगी- अब अपने हाथ से मेरे बूब्स और उसके निप्पल को दबाओ।
फिर उसने अपना हाथ मेरे पज़ामे में धीरे धीरे हाथ डाल दिया और मेरे लंड को हिलाने लगी, कहने लगी- यह तुम्हारा लंड कितना छोटा है।
पर मैंने सच में यह सब कभी नहीं किया था, इसलिए मैं घबरा रहा था, मेरा लंड खड़ा नहीं हो रहा था।
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उसने मेरा पजामा उतारा और ज़ोर ज़ोर से मेरे लण्ड को मसलने लगी। फिर भाभी मुझसे कहने लगी- तुम अब मेरी चूचियाँ मुँह में लो और एक हाथ से मेरी चूत के ऊपर उंगली फिराओ।
और थोड़ी उंगली फिराने के बाद वो और भी गर्म हो गई, मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और कहने लगी- थोड़ा तो करो अभी !
मैंने कहा- नहीं, मैंने किसी को वादा किया है ! मैं नहीं करूँगा।
फिर वो अचानक मेरे मुख पर अपनी चूत रगड़ने लगी और कहा- अब मैं अपनी हवस ऐसे ही पूरी करूँगी।
बस फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह से चूत को रगड़ रही थी, मैंने कहा- इसमें से तो पानी आ रहा है।
भाभी ने कहा- यह मेरी चूत का पानी है।
मेरा पूरा चेहरा उसकी चूत के पानी से भर गया था, फिर भाभी मेरे लंड को चूसने लगी और कह रही थी- तुम मेरी चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसो, नहीं तो मैं तुम्हारे लंड को खा जाऊँगी।
मैं मजबूर होकर थोड़ा थोड़ा चूसता रहा और भाभी मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से मुँह में हिला रही थी। और क्या पता मेरे लंड में एक गर्मी महसूस हुई और मेरे लंड से गर्म पानी निकला और सुषमा भाभी हँसने लगी, कहने लगी- तुम्हारा इतना ज्यादा गाढ़ा पानी निकला।
फिर मैंने कहा- अब मुझे नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ।
पर भाभी मेरे ऊपर पूरे रात तक पड़ी रही और मुझे चूमती रही।
सुबह किसी तरह मैं उनसे पीछा छुड़ा क अपने घर आया।
Antarvasna कहानी जारी रहेगी !
कामिनी की इस घटना को दो दिन बीत Hindi Porn Stories गये थे। इन दो दिनों में मैं विजय से दो बार मिल चुका था। कामिनी के कारण उससे मेरी भी दोस्ती थी। मैंने उसे यह नहीं मालूम होने दिया कि कामिनी की चुदाई के बारे में मुझे मालूम है। आज सवेरे ही मैंने विजय के घर जाने की योजना बनाई। इस बारे में मैंने नेहा को बता दिया था कि विजय की मां और बहन आई हुई हैं, उनसे मिलने जा रहा हूँ।
मैं कॉलेज जाने से पहले उसके घर चला गया। बाहर बरामदे में एक सुन्दर सी लड़की झाड़ू लगा रही थी। मैंने अन्दाज़ा लगाया कि यह विजय की बहन होगी। जैसे ही मैं फ़ाटक के अन्दर घुसा… उसने मेरी तरफ़ देखा और देखती ही रह गई।
मैंने उसे नमस्ते किया तो वो कुछ नहीं बोली। मैं सामान्यतया मुस्कुराता रहता हूँ,”मैं विजय का दोस्त हूँ …. “
“जी… आईये… ” वो कुछ शरमाती सी बोली। मुझे वो अन्दर ले गई और कहा-आप बैठिये… मैं पानी लाती हूँ।
“आप उसकी बहन है ना…” मैंने मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा।
वो एकदम से शरमा गई… और मुझे तिरछी निगाहों से देखती हुई अन्दर चली गई। उसकी पतली छरहरी काया और उसके उभार और कटाव भरे पूरे थे। किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते थे। वो पानी ले कर आ गई।
“आपका नाम जान सकता हूँ ….?”
उसका अन्दाज़ कुछ अलग सा था। मुझे लगा कि वो उमर में विजय से बड़ी है।
इतने में एक मधुर अवाज और आई,”ये मेरी मम्मी है …. मै विजय की बहन हूँ …. दिव्या ….!”
मैं बुरी तरह से चौंक गया …. ये कैसे हो सकता है? “जी ….माफ़ करना …. आप तो इतनी छोटी लगती है कि …. मैं तो समझा कि ….!”
“आप ठीक कह रहे हैं …. मेरी कम उम्र में ही शादी हो गई थी …. फिर ये भी एक एक्सीडेन्ट में गुजर गये थे ….” (उसका मुझे घूरना बन्द नहीं हुआ।) वो एकटक मुझे देखे जा रही थी।
“ओह!!! …. माफ़ करना …. यह सुन कर दुख हुआ …. पर आप तो दिखने में किसी लड़की जैसी ही लगती हैं ….” वो फिर से शरमा गई ….
“आप चाय पीजिये …. इतने में विजय आ जायेगा ….!” उसके हाव भाव ये बता रहे थे कि मैं उसे अच्छा लग रहा हूँ …. मैंने सोचा कि और आगे बढ़ा जाये !
“आप अभी ही इतनी सुन्दर लग रही हैं तो जब बाहर जाती होगी तो और भी अच्छी लगती होंगी ….!” उसका चेहरा लाल हो उठा। बिल्कुल किसी कुंवारी लड़की की तरह वह अदाएँ दिखा रही थी। फिर से उसने मुस्कराते हुए मुझे देखा …. मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। वो सामने किचन में चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे किचन में आ गया।
मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रखा। उसने तुरन्त ही पलट कर मुझे देखा और बोली- “यह क्या कर रहे रहे हो ….”
“सॉरी मैं अपने आपको रोक नहीं पाया, क्योंकि आप में गजब का आकर्षण है !”
वो मुस्करा दी। मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
“आप बहुत खूबसूरत हैं …. ” उसके चेहरे पर पसीन छ्लक आया।
“आप भी तो हैं …. हाय” उसके मुँह से निकल पड़ा। मेरे हाथ उसकी चिकनी कमर पर फ़िसलने लगे। उसका शरीर कांप उठा, वो लरजने लगी और झूठ में ही मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी।
“जी ….चाय ….” उसका चेहरा तमतमा रहा था ….हम चाय ले कर फिर से बैठक में आ गये ….”आपका नाम क्या है ….?”
“मेरा नाम जो हन्टर है ….और आपका ….?”
“जी ….म….मैं सरोज ….” वो हिचकती हुई सी बोली …. “आप दिव्या को रोज पढ़ाने आयेंगे ना …. ऐसा विजय कह रहा था ….!” मैं सकपका गया। क्योंकि पढ़ाने की बात मुझे नहीं पता थी।
“मै आपको सरोज ही कहूँगा …. क्योंकि आपको आण्टी कहना आपके साथ ज्यादती होगी !” सुनते ही उसने अपना चेहरा हाथों में छुपा लिया।
“पर वो दिव्या ….?”
“हां …. हां मैं आ जाऊंगा ….उसे भी पढ़ा दूंगा” मैंने मौके को हाथ से गंवाना उचित नहीं समझा। मैंने चाय समाप्त की और खड़ा हो गया। वो भी खड़ी हो गई और मेरे समीप आ गई। मैंने इधर उधर देखा कि कोई नहीं है तो मैंने सरोज का हाथ पकड़ लिया। वो खुद ही धीरे से मेरे सीने से लग गई। मैंने उसे लिपटाते हुए अपनी बाहों में कस लिया। उसने अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और अपनी आंखे बन्द कर ली। मुझे कुछ समझ में नहीं आया पर मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी, वासना जागने लगी थी। स्वत: ही मेरे होंठ आप ही उसके होंठो की ओर बढ़ गये। कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मैंने अब उसके उरोजो को थाम लिया। वो कसक उठी।
“हाय …. मत करो …. सीऽऽऽ …. हाय रे” उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने धीरे धीरे उसके स्तन दबाने और मसलने चालू कर दिये। उसकी बाहों का कसाव और बढ़ चला था। अब मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ दबाने शुरू कर दिये थे। अब उसका भी एक हाथ मेरे लण्ड पर आ चुका था और कस कर पकड़ लिया था।
“हाय …. छोड़ दो ना …. आऽऽऽऽह …. क्या कर रहे हो ….?” इन्कार में इकरार था ….मेरा लण्ड उसने कस के पकड़ रखा था। कह तो रही थी छोड़ने को और बेतहाशा लिपटी जा रही थी। बाहर फ़ाटक की आवाज आई तो वो मेरे से छिटक के दूर हो गई ….
“कल सवेरे नौ बजे आना …. मैं इन्तज़ार करुंगी ….!” इतने में दिव्या अन्दर आ गई। एकबारगी तो वो ठिठक गई …. शायद उसने माहौल भांप लिया था। मैंने अब दिव्या को निहारा। वो एक जवान लड़की थी …. जीन्स पहने थी …. अपनी मां की तरह चुलबुली थी …. तो इसे पढ़ाना है …. लगा कि मेरी तो किस्मत अपने आप ही मेहरबान हो गई है …. आया था कि इन पर इम्प्रेशन जमा कर पटाऊंगा। पर यहां तो सभी कुछ अपने आप हो रहा था। मैं मुस्करा कर बाहर आ गया।
अगले दिन सवेरे नौ बजे मै विजय के यहाँ पहुंच गया। विजय कहीं जाने की तैयारी कर रहा था।
“थेंक्स यार …. तुमने दिव्या को पढ़ाने के लिये हां कर दी …. मैं जरा हेप्पी से मिलने यहीं पान की दुकान तक जा रहा हूँ ….” कह कर वो चला गया।
दिव्या मेज़ पर बैठी पढ़ाई कर रही थी। मुझे देखते ही उसने अपने पास ही एक कुर्सी और लगा दी।
अन्दर से सरोज ने मुझे देखा और शरमाती हुई मुस्करा दी …. दिव्या ने फिर से एक बार इस बात को देख लिया। मैं कुछ देर तक तो पढ़ाता रहा …. फिर मुझे महसूस हुआ कि उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं मेरी ओर था।
“मुझे मत देखो …. …. इधर ध्यान लगाओ ….” पर दिव्या ने सीधे वार करते हुए मेरी जांघ पर हाथ रख दिया ।
“आपने कल मम्मी को किस किया था ना ….” वो फ़ुसफ़ुसाई, मैं बुरी तरह से चौंक गया।
“क्या ??? ….क्या कहा ….” मैं हड़बड़ा गया.
“मम्मी ने मुझे बताया था …. मैं और मम्मी सब बातें एक दूसरे को बताती है …. मुझे भी किस करो ना ….” मुझे एक बार तो समझ में नहीं आया कि ऐसे मौके पर क्या करना चाहिये……उसके हाथ मेरे लण्ड की तरफ़ बढ रहे थे। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैल रही थी। अचानक वो मेरे से लिपट पड़ी। दरवाजे से सरोज सब देख रही थी। मेरी नजर ज्योंही दरवाजे पर पड़ी सरोज ने अपनी एक आंख दबा कर मुस्करा दी। मैंने इसमें उसकी स्वीकृति को समझा और दिव्या का कुंवारा शरीर मेरी आगोश में आ गया।
उसकी उभरती जवानी पर मेरे हाथ फ़िसलने लगे। वो बेतहाशा अब मुझे चूमने लगी। मेरा हाथ उसकी स्कर्ट में घुस पड़ा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पेन्टी में हाथ डाल कर उसकी चूत दबा दी। जवाब में उसने भी मेरा लण्ड दबा दिया। सरोज ने अन्दर से इशारा किया तो मैंने उसे छोड़ दिया। दिव्या लगभग हांफ़ते हुए अलग हो गई। उसकी आंखो में वासना के लाल डोरे लगे खिंच चुके थे। सरोज चाय बना कर ले आई।
“दिव्या ….कॉलेज में देर हो जायेगी …. तैयार हो जाओ ….” सरोज ने दिव्या को आंख मारते हुए कहा। दिव्या मुस्कराते हुए उठी और लहरा कर चल दी। वो समझ चुकी थी कि मम्मी अब गरम हो चुकी है अब उन्हें चुदाई चाहिये। मैंने चाय समाप्त की और प्याला मेज़ पर रख दिया।
“सरोज …. जरा सा और पास आ जाओ ….” मैंने आज मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोचते हुए अपनी मनमोहक मुस्कराहट बिखेर दी। उसकी आंखें झुक गई। पर उठ कर चुप से मेरी गोदी में बैठ गई। जैसे ही वो मेरी जांघो पर बैठी उसके चूतड़ो का स्पर्श हुआ। वो अन्दर पेन्टी नहीं पहने थी। उसके लचकदार चूतड़ का स्पर्श पा कर मेरा लण्ड फ़ुफ़कार उठा। हम दोनों अब एक दूसरे को चूम रहे थे। मेरा हाथ जैसे ही उसके बोबे पर पड़ा …. उसके बोबे बाहर छलक पड़े। उसके ब्रा भी नहीं पहनी थी ….यानि चुदने के लिये वो बिल्कुल तैयार थी। मेरा लण्ड उसके चूतड़ों पर लगने लगा था। कुछ ही देर में वो बैचेन हो उठी ….
“सुनो जी …. अब देरी किस बात की है ….”कह कर वो बुरी तरह लाल हो गई। मैं उसकी इस अदा पर मर गया …. मैंने उसे गोदी में से उतार कर खड़ा कर दिया और अपनी पेन्ट उतार दी …. वो शरम से सिमटी जा रही थी …. पर उसने बिस्तर पर आने की देर नहीं की। उसके मन की हलचल मैं समझ रहा था ….लगता था बरसों की प्यासी है ….।
मेरा लण्ड देखते ही वो मचल उठी। उसने मेरा लण्ड अपने हाथो में ले लिया और पकड़ कर दबाने लगी …. लण्ड की चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी, इसके कारण मेरा सुपाडा रगड़ खाने लगा ….मुझे तेज मजा आया ….मीठी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी । उसने मेरी तरफ़ देखा …. मैं उसे प्यार से देख रहा था ….
“हाय रे ….मेरी तरफ़ मत देखो ना …. उधर देखो ….” और शरमाते हुए मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया। दोनों हाथो से मेरे चूतड़ भींच लिये और पूरा लण्ड मुँह में भर कर अन्दर बाहर करने लगी। सुपाड़ा जोर से चूस रही थी ….एक तरह से अपने मुँह को चोद रही थी। मेरे मुख से आह निकल रही थी …. कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा।
उसने फिर कहा-“सुनो जी ….अब देर किस बात की है …. ” फिर से एक बार शरमा गई और फिर वो कहने लगी, “तुम्हे देखते ही मुझे लगा कि तुम मेरे लिये ही बने हो ….तुम्हारे में गजब की कशिश है !”
“सरोज तुम बहुत सेक्सी हो …. देखो मुझे कैसे बस में कर लिया ….”
“मैं बहुत महीनों से प्यासी हूँ ….और मेरी बेटी …. उसकी नजरें भी भटकने लगी थी …. मैंने उसे रंगे हाथो पकड़ लिया था …. तब से मैंने उसे अपना राजदार बना लिया और अब हम सही लड़का देख कर दोनों ही अपनी प्यास शान्त करती हैं ….”
मुझे उसकी बातों से कोई सरोकार नहीं था …. मुझे तो एक बदले दो दो चूत बिना मांगे ही मिल रही थी।
वो कहती जा रही थी ….”विजय से मैं परेशान रहती हूँ ! वो जाने क्या करता है? जाने कहां से नशे की चीज़े लाता है और बेचता है …. हमारे मना करने पर वो हम दोनों को पीटता है ….।”
सरोज की सारी बातें मैं ध्यान में रख रहा था पर उसे यही दर्शा रहा था कि मैं सेक्स में ही रुचि ले रहा हूँ।
“बस सरोज अब चुप हो जाओ, मैं अब से तुम्हारे साथ हूँ …. मजे लो अब ….मेरा देखो न कितना बुरा हाल है ….” मैंने उसकी चूत पर अपना तन्नाया हुआ लण्ड का दबाव देते हुए कहा। उसका शरीर वासना से कसक रहा था। उसकी तड़प मुझे महसूस हो रही थी। मैंने उसके बोबे दाबते हुए नीचे जोर लगाया …. लण्ड चूत में उतरता चला गया। उसकी कसी हुई चूत मेरे लण्ड के चारों ओर मीठा सा घर्षण दे रही थी। उसने अपनी चूत को और ऊपर की ओर उभार ली। मेरा लण्ड अभी भी थोड़ा बाहर था। उसके मुख से सिसकारी निकलती जा रही थी। मुझे लगा कि मेरा लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई में घुस चुका था। पर लण्ड अभी भी बाहर था।
“अब धीरे से बाहर निकाल कर अन्दर और दबाओ ….” उसने सिसकते हुए कहा।
मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और अन्दर और दबा दिया। उसे हल्का स दर्द हुआ …. फिर भी बोली,”ऐसा और करो ….”
“पर आपको दर्द हो रहा है ना ….?”
इसी दर्द में तो मजा है ….पूरा घुसेगा तो ही शान्ति मिलेगी ना ….!” उसने दर्द झेलते हुए कहा।
मैंने फिर से लण्ड दबाया …. पर इस बार झटके से पूरा डाल दिया। उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई।
“हाय रे ….! मर गई ….! ये हुई ना मर्दो वाली बात …. ! बस अब थोड़ा रुको ….!” वो अपने स्टाईल में बताते हुए चुदवाने लगी।
उसने कहा,”अब मेरी चूतड़ के नीचे तकिया रख दो …. फिर बस एक धक्का और ….”
“देखो बहुत दर्द होगा ….”
“आज होने दो ….बिना दर्द के मजा नहीं आता है ….”
मैंने उसकी गाण्ड के नीचे तकिया घुसा दिया , उसकी चूत ऊपर की ओर उठ गई और मैंने इस बार पूरा जोर लगा कर लण्ड को चूत में गड़ा दिया। दर्द से उसने दांत भींच लिये और मैंने अब उसके बोबे थामें और मसलते हुए धीरे धीरे पर गहराई तक चोदने लगा। वो पसीने में नहा चुकी थी। उसका सारा बदन उत्तेजना से कांप रहा था। मैं भी अपना आपा खोता जा रहा था। उसकी टाईट चूत मेरे लण्ड को लपेट कर सहला रही थी।
उसने कहा,”राजा …. तेजी से चोदो ना ….आज मुझे मस्त कर दो ….”
मेरे धक्के तेज होते गये। उसकी सिसकारियाँ बढ़ती गई। वो अपने पूरे जोश से अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदवा रही थी। अचानक मुझे लगा कि उसका कसाव मेरे पर बढ़ गया है …. और वो झड़ने लगी।
मैंने उस ओर ध्यान नहीं दिया ….और चुदाई जारी रखी। झड़ कर भी वो उसी जोश में चुदवाती रही …. मैंने उसे चूम चूम कर उसका चेहरा अपने थूक से गीला कर दिया था। वो भी बराबरी से मुझे चाट रही थी। अचानक उसने मुझे इशारा किया और वो मेरे ऊपर आ गई। आसन बदल लिया। वो मेरे पर झुक गई और लण्ड चूत में घुसा कर जबरदस्त धक्के मारने लगी। उसके बोबे जोर जोर से उछल रहे थे। मैंने दोनों बोबे को कस के मसलना शुरू कर दिया। उसके धक्के इतने जबर्दस्त थे कि उसे भी शायद तकलीफ़ हो रही होगी। लगता था जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहती थी।
कुछ ही देर में मैं भी चरमसीमा पर पहुंच गया और और चूत के अन्दर ही लण्ड ने अपनी पिचकारी छोड़ दी। वो कब झड़ गई मुझे पता नहीं चला। पर हाफ़ते हुए मेरे पर लेट गई। उसका जिस्म पसीने में तर था। हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए कुछ देर पड़े रहे। फिर मैं धीरे से उठा।
“सरोज तुम तो चुदाई में मस्त हो …. मेरा सारा माल निकाल दिया ….” सरोज फिर से शरमा गई।
“मैं तो दो बार झड़ गई …. हाय राम …. मेरा पेटीकोट तो दे दो ….” उसने झट से कपड़े पहन लिये।
मैंने भी कपड़े पहने और पूछा,”बाथरूम किधर है ….” उसने उंगली से इशारा कर दिया। मैं बाथरूम में गया और अपना मुख धो लिया ….तभी मेरी नजर हैंगर पर टंगे जैकेट पर पड़ी। वो विजय का था। मैंने तुरन्त उसकी तलाशी ली। उसमें कोई शायद नशे की कोई चीज़ थी। उसमें एक पिस्तौल भी था। सारी चीज़े यथावत रख कर मैं बाहर आ गया।
“अच्छा अब मैं चलता हूँ ….” उसने मुस्करा कर हामी भर दी ….
मैं जैसे ही बाहर निकला, मेरा मन एकदम धक से रह गया, दिव्या एक कुर्सी पर बैठी कोई मेग्ज़ीन देख रही थी।
“त् ….त् …. तुम ….कॉलेज नहीं गई ….?”
“और यहां की चौकीदारी कौन करता ….??? …. कल आओगे ना ….” उसने एक सेक्सी नजर डालते हुए कहा।
“कल ….तुम्हारी बारी है …. तैयार रहना ….!” मै धीरे से झुक कर बोला…
उसकी मुस्कान और झुकी झुकी नजरें उसकी स्वीकृति दर्शा रही थी ….।
समय देखा साढ़े दस बज रहे थे …. मैंने अपनी मोटर साईकल उठाई और सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचा। अंकल मेरा ही इन्तज़ार कर रहे थे।
मैंने उन्हें एक एक करके सब बताना शुरु कर दिया,”अंकल, विजय के अलावा, हैप्पी, सुरजीत और मोन्टी है, चारों एक ही गांव के है …. हेप्पी टूसीटर चलाता है और नशे की चीजें बेचता है। मोन्टी किसी एजेन्ट से ये नशीली चीज़े लाता है। सुरजीत अवैध दारू के पाऊच लाता है और पानवाले के पास रखता है। विजय के पास भी घर पर ये नशे की चीज़े हैं और एक पिस्तौल भी है। और …. ….”सारी रिपोर्ट बताता रहा और रिपोर्ट देने के बाद मैंने उनसे एक दिन का समय और मांगा।
अंकल ने सारी बाते समझ ली थी। अंकल शहर के एस पी थे ….उन्हें शक तो पहले ही था पर नेहा के कहने पर उन्होंने कार्यवाही का वचन दिया था। उन्होंने जरूरी बातें अपनी डायरी में नोट कर ली।
मैं यहाँ से सीधा कामिनी से मिलने नेहा के घर चला आया था …. आज वो बहुत बेहतर लग रही थी …. चल फिर रही थी …. उसमें ताकत आ गई थी।
मैंने जब अपनी बात उसे बताई तो वह सन्तुष्ट नजर आई, पर खुद को रोने से नहीं रोक पाई। अंतत: वो फ़फ़क के फिर रो से पड़ी।
टूटा हुआ मन, आहत भावनाएं ! Hindi Porn Stories
मेरा नाम भीम है। Antarvasna, मैं 22 साल का हूं। मेरी गर्लफ़्रेंड का नाम मैना है, वो 21 साल की है। और उसकी फ़ीगर तो ऐसी थी कि पूछो मत … वो बहुत ही सुंदर है, एकदम गोरी चिट्टी लम्बे लम्बे काले बाल, हाइट करीब 5’5″ और फ़ीगर 36-25-38 है। उसका फ़ीगर मस्त है।
यह करीब दो साल पहले की बात है जब हम दोनों घर से बाहर आगरा में एक ही रूम में रह कर पढ़ते थे। मैंने रूम में अपने पढ़ने के लिये मस्तराम की कुछ गंदी किताबें रखी हुई थी जो एक दिन मैना के हाथ लग गयी। इसलिये मैं अपने लंड और वो अपनी चूत की प्यास नहीं रोक सके।
वो बोली- मैं ही तुम्हारी वाइफ़ बन जाती हूं और मुझे अपनी ही समझो और मेरे साथ सेक्स करो।
वो जींस शर्ट में आयी और बोली- चलो शुरू हो जाओ।
उसने मुझे किस करना शुरु कर दिया मेरे लिप्स को वो बुरी तरह से किस करने लगी। मैं भी जोश में आ गया और उसको किस करने लगा, उसको अपनी बांहों में दबाने लगा। उसको मैंने खींच के बेड पे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया और उसको चूमना शुरु कर दिया। दस मिनट तक मैं उसको चूमता रहा।
फिर मैंने उसका शर्ट खोल दिया। उसके बाद मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा खोली तो उसके दूध उछल कर बाहर आ गये, मैं उन्हें देखकर उसको दबाने लगा। कितने दिनों के बाद इसके पूरे के पूरे बूब्स देखने को और दबाने को मिले.
फिर मैंने उसकी निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा. वो आआआह्ह ह्ह्हहाआआ आह्हह्हा ह्हह्ह कर रही थी।
मैं उसे चूसता ही रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोल कर उसको पैंटी में ला दिया. उसकी चूत बहुत गर्म हो गयी थी, पानी छोड़ रही थी तो उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने पैंटी को निकाल दिया और उसकी चूत को फैला के चाटने लगा।
वो सिसकारी भर रही थी- अहाआआ अस्सस्स शहस आअहह ह्हह स्सस स्सशाआ आहस्सह स्सस अह्हह ह्हह ह्हहह हस्साआ आअह्ह ह्हहा ह्ह्हाआ ह्हह्हा!
वो मेरे लंड को हाथ में लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी।
फिर मैना ने अपनी कमर को ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघों के बीच लेकर रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके। उसकी चूची मेरे मुंह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था।
अचानक उसने अपनी एक चूची मेरे मुंह में ठेलते हुए कहा- चूसो इनको मुंह में लेकर!
मैंने उसकी एक चूची मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़े देर के लिये मैंने उसकी चूची को मुंह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारी कसी चूची के बारे में सोचता था और हैरान होता था। इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुंह में लेकर चूसूँ और इनका रस पीऊं। पर डरता था कि पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ न हो जाओ। तुम नहीं जानती मैना कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है.
“अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं, जैसा चाहे वैसा ही करो! मस्तराम की कहानी जैसे मुझे चोद दो!” मैना ने कहा।
फिर क्या था, मैना की हरी झंडी पाकर मैं जुट पड़ा मैना की चूची पर … मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ मैना के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया। मैं दोनों अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूंगा। मैना भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके मुंह से ओह! ओह! अह! सी सी! की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी।
उसने अपनी एक टांग को मेरे कंधे के उपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघों के बीच रख लिया। मुझे उसकी जांघों के बीच एक मुलायम रेशमी अहसास हुआ। यह उसकी चूत थी। मैना ने पैंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का सुपारा उसकी झांटों में घूम रहा था।
मेरा सब्र का बांध टूट रहा था, मैं मैना से बोला- मैना, मुझे कुछ हो रहा है और मैं अपने आपे में नहीं हूं, प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूँ?
मैना बोली- करो क्या … मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को।
मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा। उसने अपना मुंह मेरे मुंह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली- अपनी मैना को चोदो!
मैना हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा लंड एक ही धक्के में सुपारा अंदर चला गया।
इससे पहले कि मैना सम्भले या आसन बदले, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया।
मैना चिल्लाई- उईई ईईईइ ईईइ माआआ हुहुह्हह ओह रोहित, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड। मार ही डाला मुझे तुमने मेरे राजा।
मैना को काफ़ी दर्द हो रहा था। पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उसकी बुर में घुसा था।
मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर चुपचाप पड़ा था। मैना की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी। उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी। मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और मुंह में लेकर चूसने लगा। मैना को कुछ राहत मिली और उसने कमर हिलानी शुरु कर दी।
फिर मैना बोली- अब लंड को बाहर निकालो!
लेकिन मैं मेरा लंड धीरे धीरे मैना की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। फिर मैना ने स्पीड बढ़ाने को कहा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैना को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी। रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया।
चूत में मेरा लंड समाये हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुंच गया हूं। जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी। कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी मैं मैना के ऊपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा।
मैना ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई में साथ देने लगी। मैं भी अब मैना की चूची को मसलते हुए ठकाठक शोट लगा रहा था। कमरा हमारी चुदाई की आवाज से भरा पड़ा था। मैना अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रही थी और बोले जा रही थी- अह्हह आअह्हह उनह्हह ऊओह्हह ऊऊह्हह हाआआन हाआऐ मीईरे रजज्जजा, माआआअर गययये रए, ललल्लल्ला चूऊओद रे चओद … उईई मीईईरीईइ माआअ, फआआअट गआआयीई रीईई शुरु करो, चोदो मुझे। लेलो मज़ा जवानी का मेरे राज्जज्जा!
और अपनी गांड हिलाने लगी।
मैंने लगातार 20 मिनट तक उसे चोदा। मैं भी बोल रहा था- लीईए मेरीई रानीई, लीई लीईए मेरा लौड़ा अपनीईइ ओखलीईए मीईए। बड़ाआअ तड़पयया है तूनेई मुझे ए लीईए लीई, लीई मेरीईइ मैना ये लंड अब्बब्ब तेराआ हीई है। अह्हह्ह! उह्हह्ह्ह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखयाआअ तुनीईए। मैं तो तेरा गुलाम हो ऊऊ गया अए।
मैना अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड चूत में ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी चूचियों को मसल मसल कर अपनी मैना को चोदे जा रहा था।
मैना मुझको ललकार कर कहती- लगाओ शोट मेरे राज!
और मैं जवाब देता- ये ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत में।
“जरा और जोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत में मेरे राज!”
“ये ले मेरी रानी, ये लंड तो तेरे लिये ही है।”
“देखो राज्जज्जा मेरी चूत तो तेरे लंड की दिवानी हो गयी, और जोर से और जोर से आआईईईए मेरे राज्जज्जजा। मैं गयीईईईईए रीई!” कहते हुए मेरी मैना ने मुझको कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया।
अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला- मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन!
और मैंने भी अपने लंड का पानी छोड़ दिया और मैं हांफ़ते हुए उसकी चूची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी गर्लफ्रेंड मैना की चुदाई की मस्तराम Antarvasna कहानी।
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