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Massage Girl in Deoghar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Deoghar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Deoghar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Deoghar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Deoghar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Deoghar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Deoghar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Deoghar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Deoghar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Deoghar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Deoghar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Deoghar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

मेरी भाभी बहुत ही ख़ूबसूरत व Antarvasna सेक्सी है। उसका नाम रिया है। वह एक पंजाबी है और उसकी उम्र 24 साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गांड भी लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात महीने पहले घटी थी।

मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।

एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था- रिया ज़बरदस्त माल है यार। क्या गांड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।
मनीष ने कहा- उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गांड के लिए तो मैं उसकी पाद भी सूँघने को तैयार हूँ।

उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि रिया काफी सेक्सी औरत है। उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।

जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गांड देखता रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे देखती तो मैं झेंप जाता…

धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ, तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।

मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग कमरे में सोती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।

जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का अनुभव असामान्य बात थी।

मैंने मज़ाक में कहा- आपकी तो पाद भी सेक्सी है!

उसने मुँह बनाकर कहा- तो फिर सूँघो।

वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए उससे कहा- कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?
उसने कहा- वह घर पर रहते ही कब हैं!

मैंने मुँह बनाते हुए कहा- भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?
वह मुस्कुराई और कहा- तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?

मैंने उत्तर दिया- या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही नहीं हैं!

वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया- उसके पास वो चीज़ तो ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।

मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा- तुम्हारे जैसी सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।

उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा- काश! तुम्हारे भैया भी तुम्हारी तरह होते।

मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा- सप्ताह में कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?

उसने उत्तर दिया- पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।

मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा- मैं तो तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।

फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।

मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।

मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ रहा था। उसने देखते हुए कहा- तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।

उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो। उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली- यह वाकई में बहुत बड़ा है- तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।

मैंने पूछा- तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, रिया!

मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था और हम साथ ही चुम्बन में भी लिप्त थे।

तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानो ज़न्नत थी, और ब्रा को फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।

मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा, और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।

रिया आहें भर रही थी- हम्म्म्म्म… ऊम्म्म्म्म!
फिर मैंने उसकी बाईं चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की, मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला पड़ी।

मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।

वह मुस्कुरा कर बोली- ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं… जो गूँथते जा रहे हो।

मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा- अरे क्या हुआ?
मैंने कहा- हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे खुश करूँ।
उसने उत्तर दिया- अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह चूसा और दबाया नहीं… ले और मजा ले इनके साथ!
उसने फिर से अपनी चूचियाँ मुझे पेश कीं।

मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।

वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली- उईईईईईई, माँ… और दबा ना।
मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मजा दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर भाग से उनको मजा देना जानता हूँ।

फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर रहे थे…

उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी, और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।

फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। रिया ने अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. रिया ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।

मैंने उसकी ब्लैक पेंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।

रिया ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा- बहुत बाल हैं ना।

मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में फिराईं, और उत्तर दिया- भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए… वरना वो औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।’

उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा- मुझे नंगी करके भाभी बुलाता है।
मैंने कहा- अभी आप भाभी हो… चोदने के बाद तुम मेरी रिया बन जाओगी।

वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई- ठीक है देवरजी।

मैंने अपनी उंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।

ओह! बड़ी रिया चूत थी रिया की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गांड भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गांड भी मार लूँगा।

रिया शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।

मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी। सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर रिया के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी… उसकी चूत की पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दीं… उसने सिसकारी ली… उसकी चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए और उसकी गुलाबी झलक ली।

फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा, मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी… हमम्म्म्म्मम… मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।

मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी… मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं थीं।

मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड में डाल दीं। मैं उसे अपनी उंगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच में थपथपता रहा। रिया ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी चूत में डूब गया।

मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गांड उचकाते हुए मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी- ओहह्ह्ह! हम्म्म्म! आआआआ!

मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाट कर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।

वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा- आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।
मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।

मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही थी… रिया ने कहा- ऐसा लग रहा है… लंड नहीं, कोई काला नाग है।
उसने कहा- रूक जा… आज मैं तुझे बताती हूँ… तेरी भाभी कैसी औरत है।
उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी, वह मेरे लंड की पूजा कर रही थी- बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?

‘आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।’

उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा- बेचारा! ये अब मेरा हो गया… अब इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें कर रही थी- आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।

रिया ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।

‘ओह यस…’ उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।

इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ था… मैंने एक मादक आह भरी…

तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही थी तो उसकी गांड मेरे सामने थी।

मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़ निकाली… फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गांड की छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा…

वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गांड को अच्छी तरह से चाट रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा- गन्दे लड़के हो तुम।’ फिर उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं उसकी गांड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।

मेरे द्वारा उसकी गांड चाटने से मेरी भाभी रिया उत्तेजना की चरमसीमा पर थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गांड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।

फिर मैंने रिया से कुतिया की तरह होने को कहा।
उसने पूछा- क्यों..?
‘मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ… मुझे तुम्हारी गांड पसन्द है।’

पर उसने कहा- पर कृपा करके मेरी गांड मत मारना!

मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गांड देखकर दीवाना हो गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई- आआआ आजजज्ज आहहह हहहह…
मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा ताकि उसे मजा आए।

उसने सिसकारी भरते हुए कहा- और घुसा!
मैं गन्दी बातें करने लगा- ले राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?

उसने उत्तर दिया- हम्म्… हम्म्म्म!
मैंने अपने झटके लगाने जारी रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो। जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।

हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। रिया ने मुझे उठाया और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा- उठ राजा, चाय पीओगे?
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा- हाँ मेरी जान।

वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उंगली कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों ही सिसकारियाँ ले रहे थे।

मैंने कहा- रिया तेरी गांड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।

वह मुस्कुराई और कहा- लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी को बताओगे नहीं।

मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। पर मैं सबको बताऊँगा कि तुमने आज पादा।

वह शरमा गई और कहा- शटअप, प्लीज़।

मैंने कहा- ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।
हमने एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गांड मुझे प्रस्तुत कर दी।

जब उसकी गांड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया… फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी गांड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी और अपनी रिया की गांड का स्वाद चखा।… रिया मुझे अचरज भरी नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गांड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।

मैंने उससे कहा- रिया, मैं तुम्हें आज ऐसा मजा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी नहीं मिला होगा।
मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गांड की छेद पर लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गांड काफी चिकनी और चमकदार हो गई।

मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गांड की छेद में घुसाया। अब मैं रिया का ‘गांड मसका’ खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गांड की छेद को भी चूसने लगा…

मैंने उसके गांड के छेद में उंगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।

उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गांड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह मेरे लंड के लिए जगह बना सके… मैंने उसके गांड में अपना लंड पेलते हुए कहा- इसको कहते हैं, मसका मारना।
वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा- ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।

मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने उससे पूछा- हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?’

उसने मेरे लंड को चूसा और कहा- आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गांड से खाऊँगी।

जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा हो!

अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गांड की ओर दबाया। उसकी छेद में लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर पकड़ लिया। उसकी गांड बहुत गरम और बहुत टाईट थी… क्या बताऊँ कितना मजा आया। वह आहें भर रही थी- धीरे से आआआहहहहह!

मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। रिया ने अपनी गांड पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे…

चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गांड से फिसल भी जाता था। मैं फिर से प्रयास करता और गांड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड उसकी गांड में पेलता तो रिया आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा का पूरा उसकी गांड की छेद में समा चुका था।

हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी, रिया भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी.. हम्म्म् आआआहह्ह्ह ह्हह ओह्ह्ह!

उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन भरी गांड-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।

मैंने उसकी गांड करीब 20 मिनट तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ… मैंने उसे धीरे से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।

उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया- ओह रियाल’ और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गांड में होने लगी जो करीब 20 सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा गांड में जा गिरा।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में बदल जाएगी और मुझे रिया की गांड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता दूँ कि उसकी गांड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी मुखर्जी या माधुरी की गांड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।

फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे… उसकी गांड और मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे।
रिया ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा- ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।
उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त में रूमाल से पोंछ दिया।

फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।

मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन जो लाया था वह कहाँ गया?

रिया: मैं कह दूँगी कि मैंने गांड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया (खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू टेन्शन मत ले।

मैं: आई लव यू रिया, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी?
रिया: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी… मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-टीचर… वैसे तू चेला काफी अच्छा है… तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया… और एक औरत को क्या चाहिए?

हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।

अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई। हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।

जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गांड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती… जब वह नहीं होते फिर तो पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।

हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो आदमी उसे संतुष्ट करता है… आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन, पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।

उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ। Antarvasna

Hindi Antarvasna stories

पिछले महीने Antarvasna एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़,

वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।

फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे – सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।

थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।

वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।

रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।

अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।

थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख
दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।

पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।

फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने
हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।

थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से
उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।

अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके
ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।

फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।

अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया। Antarvasna

मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.

खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.

क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.

अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.

अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.

मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.

फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.

बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.

बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.

करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.

मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.

अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.

उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.

उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.

अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”

मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.

कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.

मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.

अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.

इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.

आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.

फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.

रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.

आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.

अब पेश है दूसरा भाग : Antarvasna

करीब आधे घण्टे बाद हम Antarvasna दोनों जागे … दिन भर की बेताबी तो निकल चुकी थी, हम दोनों को होटल पहुँच कर फ़्रेश होने तक का ख्याल नहीं रहा, उस वक्त नौ बज चुके थे, हम दोनों बारी-2 से बाथरूम गये, चाय मँगाई, फ़िर सलाद और चिकेन चिल्ली, सोडा आदि का आर्डर किया, साथ ही डिनर भी मँगा लिया ताकि डिस्टर्ब न हों। मेरे पास एक अच्छे ब्राण्ड की व्हिस्की थी, हमने पैग बनाये और आपस में जाम टकराये … बातें करते रहे और दूसरा पैग भी खत्म कर दिये हमने आधे-पौन घण्टे में … अब तक शरीर में गरमाहट आ चुकी थी तथा पहली चुदाई की खुमारी भी उतर चुकी थी। नीलम मेरी गोद में आ के बैठ गई और लगी मेरा गाल सहलाने … छाती सहलाने और चूमने … दो पैग व्हिस्की उसकी आँखों से बोलने लगी थी … हम दोनों एक दूजे के होठों को किस करने लगे, हमारी गरमागरम साँसें आपस में टकराने लगी और वो बेतहाशा मेरे होठों को चूसने लगी … ओह्ह्ह्ह्ह्ह् … क्या मस्त होके मुझे प्यार कर रही थी नीलम … मेरा तो लौड़ा फ़िर फ़नफ़नाने लगा और मैं भी उसे जोर-2 से चूमने लगा और उसके होठों को चूसने और दाँतो से काटने लगा।

उसका एक हाथ मेरे लण्ड को सहलाने लगा और मैं उसकी चूँचियों को दबाते हुए बुर पर हाथ फ़ेरने लगा … और वह अपनी दोनों जाँघो के बीच मेरे हाथ को दबाने लगी … मैंने उसके निप्पल को मुँह में लिया तो वह उछल पड़ी और मुझे जोर से जकड़ लिया … उईईईईइ … राजा क्या करते हो??? मार ही डालोगे आज इस प्यासी आत्मा को ? … ओह्ह्ह्ह … क्या जादू है तुम्हारे मुँह में लेते ही मैं बेकाबू हो जाती हूँ मेरे दोस्त … मेरे सनम … काश मैं तुम्हारी बाँहो में हमेशा-2 के लिये कैद हो जाती ! पर जानती हूँ तुम बीबी-बच्चे वाले हो, तुम और तुम्हारा घर सलामत रहे ! मैं तो इतने प्यार से ही खुश हूँ मेरे राजा … फ़िर वह अचानक ही मेरे लण्ड को अपने मुँह के पास ले जाकर टिप को अपने मुँह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी … ओऽऽऽहऽऽह् … मैं तो बेहाल होने लगा, फ़िर वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में पूरा भर कर जीभ से चाट-2 कर रस ले-ले कर चूसने लगी और मेरी आँखों में आँखें डाल कर नशीले अन्दाज में बोली- आप भी मेरी चूसिये ना प्लीज …

चूँकि वो बहुत सुन्दर नहीं थी अतः मेरा मन उसकी चूत चाटने का नहीं हुआ पर मैंने कहा- मुझे यह अच्छा नहीं लगता और मैंने आज तक किसी की चूत पर मुँह नहीं लगाया है, बस मैं लण्ड से चुदाई करता हूँ और मस्ती अनलिमिटेड … इस बार मैं तुम्हारे हवाले हूँ जैसे मर्जी हो वैसे चुदाओ ! समझी जानेमन …

इस पर वो बोली- अच्छा तो अब आप मेरे हवाले हैं ना ?
मैंने कहा- हाँ।
ठीक है जानू अब आप नहीं चोदियेगा मुझे ! मैं ही आपकी चुदाई करूँगी ! मन्जूर है?

मैंने कहा- चाहे छुरी खरबूजे पर चले या खरबूजा छुरी पर … कटना तो खरबूजे को ही है नीलम रानी !

इस पर उसने एक मोहक मुस्कान फ़ेंकते हुये मुझे लिटा दिया तथा मेरे लण्ड को सहलाते हुये अपनी चूत को मेरे लण्ड पर टिका कर दबाई तो थोड़ा सा अन्दर गया … उसने और दबाया तो आधा लण्ड उसकी बुर में घुस गया …

फ़िर उसने मेरे ऊपर झुक कर मेरे गालों पर एक जोरदार चुम्मा देते हुए मेरे होठों को चूसना शुरु किया और फ़िर एक जोर का धक्का मार कर मेरा पूरा लण्ड अपनी बुर में ले लिया …

मैंने भी उत्तेजना में उसको अपनी बाहों में जकड़ लिया और जोर-2 से उसके होठ चूसने लगा …

ओऽऽहऽ साली क्या चुम्मा लेती थी ओह … पूरी जीभ अन्दर डालकर जोर-2 से चूसते हुए वो लगी धका-धक अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने और कमरे में फ़च-फ़च-फ़च-फ़च की रसीली आवाज गूँजने लगी …

यारों क्या कमर हिला-2 के वो मुझे चोद रही थी और बीच-2 में झुक कर मेरे होठ चूसने लगती ! ओऽहह् … मैं भी उसकी चूँचियों को मसल रहा था … उसके चूतड़ सहला रहा था … कमर सहला रहा था और नीचे से धक्का भी मार रहा था, वाह क्या मस्ती और रिदम था नीलम की चुदक्करी में ! मुझे कभी लगता कि मैं लड़की हूँ और मुझे कोई लड़का उचक-उचक के चोद रहा है।

बहुत देर तक वो यूँ ही मुझे पेलती रही और मैं नीचे से धक्का लगाता रहा। एकाएक वो गनगना गई और जोर से मुझ पर गिर के मुझसे चिपक गई और बोलने लगी … आऽआऽ आऽहहह मेरे राजा आपकी नीलम तो गई काम से … ओह राजाऽ आऽऽऽआ आपने तो मेरा सोया हुआ नारित्व जगा दिया आज तो मैं झरने की तरह झर रही हूँ … ओऽह आपने तो मेरा मन मोह लिया जानू … आई लव यू … मैं तो बिन मोल बिक गई मेरे राजा ! आज तो आपने जिन्दगी में पहली बार इतना मजा दिया कि मन कर रहा है कि सारी जिन्दगी आपके लण्ड को अपनी बुर में ही रखे रहूँ मेरे सनम … मेरे दोस्त … उसने मेरे दोनों गालों पर बारी-2 से चुम्मा लिया … बल्कि यूँ कहिये कि दाँतो से काटा। फ़िर मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे प्यार करने लगी और कहने लगी- आप कहें तो मैं सारी जिन्दगी आपकी सेवा करने को तैयार हूँ, मैं खुद अपने लिये कमा लूँगी, बस आप मुझे कभी-2 प्यार करते रहा करिये।

मैं बोला- अभी आज की बात करो यार … तुम तो दो बार झड़ चुकी हो, मेरा तो अभी एक ही बार गिरा है।

वह बोली- जानू चिन्ता मत करो ! अभी थोड़ी मोहलत दे दीजिये ठाकुर साहब … जल्दी ही मेरी मुनिया आपसे तिबारा चुदवाने को तैयार हो जायेगी … इस बार उसका कचूमर निकाल दो यार … फ़ाड़ डालो साली को … मुझे बड़ा तंग करती है, आज ऐसा चोदो कि फ़िर महीनो नाम ना ले चुदवाने का … मैं देखने में दुबली पतली जरूर हूँ पर हूँ बड़ी सेक्सी।

वह मुझसे चिपक कर मेरे बगल में लेट गई और दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे। मेरा लण्ड तो तना ही था वह उससे खेलने लगी … और मैं उसके होठो तथा निप्पल को चूसने लगा। अहिस्ता-2 नीलम फ़िर उत्तेजित होने लगी … उसकी साँसे तेज होने लगी, वो मेरे लण्ड को दबाते हुए अपनी बुर पर रगड़ने लगी।

अब मुझसे रहा नहीं गया और एक झटके में उसे पटक के मैं उस पर चढ़ गया और दोनों टाँगो को फ़ैला कर उसकी बुर को आसमान की ओर करके मुहाने पर लण्ड टिका कर तत्काल एक ही बार में पूरा लण्ड नीलम की बुर में पेल दिया … वह तड़प उठी और चिल्लाई … उईऽऽऽमाँऽऽऽ अरे आपने तो मार ही डाला … कहते हुए उसने मुझे जकड़ लिया और आँखें बन्द कर ली तथा अपनी बुर को इतना टाइट कर लिया क्या बताऊँ … लगा कि मेरे लण्ड का दम निकल जायेगा … ओऽह क्या सुखद अनुभूति थी ! लगा कि उसने मेरे लण्ड को लॉक कर दिया हो।

वह मुझे झुका कर धीरे से बोली- राजा थोड़ी देर इसे यूँ ही पड़ा रहने दो … अच्छा लगता है।

मैं भी उसी हालत में उसकी छाती आहिस्ता-2 सहलाने लगा, फ़िर दोनों चूँचियों को हौले-2 दबाने लगा, वह और उत्तेजित होने लगी … उसके काले चने के बराबर निप्पल कड़े हो गये और भाले के नोक की तरह तन गये … ओऽओऽहऽऽह् … पिया … ओऽ मेरे रंगीले साँवरिया … अब अपने इस मूसल से मेरी ओखली में दनादन कूटो मेरे राजा … वैसे ही जैसे हमारे क्षेत्र में धान कूटा जाता है, ऐसी कुटाई करो बलमू कि मेरी बुर से मांड़ का सोता बह निकले !!!!!!

अब क्या था … ऐसा खुला आमन्त्रण पाकर सिंह इज किंग हो गया और मेरा शेरू फ़ुफ़कारते हुये दे दनादन नीलम के बिल में अन्दर-बाहर करने लगा … नीलम भी मुझे ललकार रही थी और नीचे से अपनी चूतड़ उछाल-2 कर मेरे हर धक्के का इमानदारी से जवाब देने लगी एकदम एक लय-ताल में … बस हमारी आह-ऊह … ओह … फ़च् … फ़च् … फ़च् … फ़चा-फ़च … की सेक्सी आवाजें गूँज रही थी कमरे में, हम दोनों बस एक दूसरे में डूबकर अपने आप को भूल चुके थे … तकरीबन आधे घण्टे बाद सिर्फ़ उस जन्नत की मन्जिल पर पहुँच कर ही थोड़ा थमें जिसे आचार्य रजनीश ने “सम्भोग से समाधि” की अवस्था कहा है।

मैं तो लगा कि नीलम की बुर में अपना सर्वस्व ही बहा रहा हूँ एक गरम लावे के रूप में, और उसकी बुर स्खलित होने की प्रक्रिया में लगातार संकुचित और फ़ैल रही थी, उसने मुझे चिपक के जकड़ा हुआ था ऐसा कि साँस लेना भी मुश्किल था …

लगभग 10 मिनट तक हम यूँ ही पड़े रहे समाधि की अवस्था में, फ़िर अलग हुए तो देखा कि बिस्तर पर अच्छा खासा दाग लग गया है और नीलम की बुर से अभी भी मेरा वीर्य चू रहा था, उसने तौलिये से पौंछा और फ़िर मुझसे चिपट गई और प्यार से चूमने लगी और बोली- मैं तो कई साल से चुदवा रही हूँ, 4-5 लोगो से चुदाई हूँ, उनमें से एक का लण्ड आपसे भी बड़ा और मोटा था पर कसम खा के कहती हूँ जो आनन्द आपसे मुझे मिला वह कभी नहीं मिला … यह रात मुझे जीवन भर याद रहेगी, आज लगता है मैं सुहागिन बन गई और ये मेरी सुहागरात है … आपको मैं अपना पति मानती हूँ ऐसा कहते हुये वह मेरे पैरों पर अपना सिर रखकर प्रणाम करने लगी।

जब मैंने उसे उठाया तो देखा उसकी आँखे गीली हैं …

मैं भी भावुक होने लगा। फ़िर अपने को सम्भालते हुए व्यवहारिक बनते हुए बोला- पगली तुम जानती हो कि मैं एक शादी-शुदा बाल-बच्चेदार सम्मानित व्यक्ति हूँ, ऐसा सपना पूरा हो ही नहीं सकता, इसलिये यह सब सोचो ही मत, हाँ दुबारा मौका मिला तो फ़िर कभी मज़ा ले लेंगे।

मुझे बड़े जोर की भूख लग आई थी, देखा खाना ठण्डा हो चुका था, होता भी क्यों नही, रात के दो बज चुके थे। हम दोनों ने गरम-2 चुदाई के बाद ठण्डा-2 खाना खाया और नंग-धड़ंग कम्बल में घुस कर एक दूसरे को बाहों में ले के सो गये तो सुबह 8 बजे ही नींद खुली।

जागने पर वो फ़िर मुझसे चिपटने लगी, गरमाहट तो मुझमें भी आने लगी पर 9 बजे डी पी ने जगतगंज बस स्टैण्ड पर पहुँचने को कहा था ताकि नीलम और उसके भाई को चन्दौली की बस पर बैठा कर विदा किया जा सके।

मैंने कहा- जल्दी से तैयार हो जाओ ! चुदी हुई मत दिखो।

करीब नौ बजे हमने होटल छोड़ा, रास्ते में वह बोली- अभी जी नहीं भरा है, 2-3 दिन साथ रहते तो शायद मुझे भरपूर मस्ती मिलती।

और यह भी कहा कि मैं बस से नहीं जाऊँगी, जैसे इज्जत से लाये थे वैसे इज्जत से कार से ही छोड़िये।

मैंने हँस के कहा- तुम्हारी इज्जत अब बची कहाँ? रात भर तो मुझे लुटाती रही.
इस पर वह बनावटी गुस्से से मुझे मुक्के मारने लगी।
मैंने कहा- मेरा लखनऊ जाना आवश्यक है, रिजर्व आटो कर देता हूँ तुम दोनों चले जाओ।

फ़िर वो मान गई। बस स्टैण्ड पर डी पी उसके भाई के साथ इन्तजार करता मिला, हमने एक आटो तय किया और उसे किराया देकर नीलम को कार से निकालने मैं अकेला ही गया, चूँकि उसका भाई पास ही में खड़ा था अतः वह सिर्फ़ मेरा हाथ जोर से दबा कर उतर गई और आटो में बैठकर बोली- फ़िर मिलियेगा और अगली बार डी एम साहब से जरूर मुलाकात करवा दीजियेगा और धीरे से एक आँख मार कर मुस्करा दी … टा-टा करते हुए चल दी।

मेरी सत्यकथा आपको कैसी लगी, जरूर बताइयेगा. Antarvasna

Antarvasna

मेरा भाई पांच दिन के Antarvasna लिए आया था, मेरे पति को दो दिन के बाद फिर टूअर पर जाना पड़ा था.
हम तीनों अब काफी बोल्ड हो गए थे, घर के अन्दर किसी भी तरह के कपड़े पहनना या न पहनना या यूँ कहिये कपड़े का तो कोई महत्त्व ही नहीं गया था.

मेरे पति जब दो दिन के बाद घर से विदा होने लगे तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- डार्लिंग अब तुम तो हमारे बिना प्यासी नहीं रहोगी, लेकिन हम प्यासे मर जायेंगे.
रास्ते में तलाश कर लेना कोई…! मैंने अपनी बाईं आँख दबाते हुए हंस कर कहा.
चलो इस बार यह भी कोशिश करते हैं! यह कह कर उन्होंने मेरे ब्रा में कैद स्तनों पर दो चुंबन और एक चुंबन मेरे अधरों पर रख कर मेरे भाई को गुड लक कह कर विदा ली.

जब वे गए थे तब सुबह के नौ बजे थे. मैं नहाई भी नहीं थी और न ही मेरा भाई नहाया था, क्योंकि सुबह जल्दी उठ कर ही हम लोगों को मेरे पति के सफ़र के लिये आवश्यक पैकिंग व रास्ते के लिये कुछ खाना बनाना था.
भई मैं तो नहाने जा रही हूँ! तुम्हें नहाना है तो साथ ही चलो…! मैंने दरवाजे को लाक करके अपने भाई से कहा था.
ठीक है मैं भी चल रहा हूँ…! वह बोला और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल पड़ा.

हम दोनों बाथरूम में पहुँच गए, बाथरूम का द्वार खुले रहने से या बंद रहने से कोई फर्क नहीं पड़ना था अतः मैंने द्वार की ओर ध्यान दिए बिना ही शावर के नीचे खडे हो कर शावर खोल दिया. मैंने ब्रा और पेटीकोट पहना हुआ था.

जरा हुक खोलना ब्रा का! मैंने अपने सिर पर हाथों से पानी फेरते हुए कहा.
उसने मेरे पीछे खड़े होकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकाल दिया. मेरे गुलाबी सुपुष्ट स्तन नग्न हो गए, वह मेरे पीछे सट कर अपने हाथों को बगलों से निकाल कर मेरे स्तनों पर नाभि पर और गले आदि पर साबुन लगाने लगा. मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, मैं उसके स्पर्श का आनन्द ले रही थी.

उसने आहिस्ते से मेरी पेटीकोट को भी खोल कर नीचे सरका दिया था, वह अब नीचे बैठ कर मेरी जाँघों और नितंबों पर भी साबुन मलने लगा.
मैं सुलगने लगी थी!
कैसी प्यास होती है यौवन की जो कभी बुझती ही नहीं!
मैं उत्तेजना में कामुक सिसकारियाँ छोड़ने लगी थी.

वह अब मेरे आगे की ओर आ गया था. उसनें मेरे नितंबों से मेरी पेंटी पहले ही नीचे सरका कर उसे मेरी टांगों से भी अलग कर दिया था. मेरी नर्म रोयों वाली योनि पर उसने पहले साबुन लगाया फिर हेंड शावर की धार योनि पर मारने लगा.
मैंने उत्तेजना के वशीभूत होकर अपनी अँगुलियों से योनि को जरा खोल दिया तो गुनगुने पानी की तेज़ धार मेरी योनि के मुहाने पर पड़ने लगी.
मैं सिसक उठी- बस… बस…
यह कह कर मैंने अपने दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ कर योनि पर झुका दिया तो वह योनि को चाटने लगा.

तभी काल बेल बजी!
हम दोनों ही चौंक पड़े!
दोनों की कामुकता भंग हो गई, मैंने उसकी आँखों में देखा उसने मेरी आँखों में देखा.
तुम नहाओ… मैं जाकर देखती हूँ कौन है! मैंने टावल अपने शरीर पर लपेटते हुए कहा.
वह प्यासे भंवरे की भांति मुझे बाथरूम से निकलते देखता रह गया.

मैंने जल्दी जल्दी अंतर्वस्त्र पहने, पेटीकोट और ब्लाउज पहने और साड़ी को लपेटते हुए दरवाजे की ओर चली गई.
दरवाजा खोला तो सामने अपनी ननद को मुस्कुराते पाया- क्या भाभी…? कितनी देर से खड़ी हूँ!
उसने अन्दर आते हुए कहा.
मैंने दरवाजा फिर बन्द कर दिया.

“मैं नहा कर कपड़े बदल रही थी, इसलिए देर हो गई!” मैंने साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर कहा.
“तभी मैं कहूँ कि इतनी सुहानी खुशबू कहाँ से आ रही है! अब पता चला भाभी के गीले बाल खुले हुए हैं, वैसे यह बात तो पक्की है न भाभी कि भईया इस समय यहाँ नहीं हैं!” मेरी ननद सोफे पर पसर कर बोली.
हाँ! लेकिन इस बात से तुम्हारा क्या मतलब है? मैं उसके पास बैठ कर बोली.

“मतलब यह है कि अगर वे यहाँ होते तो मुझे दरवाजे पर आधे घंटे तक खड़े रहना पड़ता! कोई दरवाजा खोलने नहीं आता!” मेरी ननद ने अपने स्वर में संशय का पुट देते हुए कहा.
वो क्यों? मैंने उलझन पूर्ण स्वर में पूछा.
“वो इसलिए कि तुम्हारे धुले धुले यौवन से उठती महक भईया को पागल बना डालती और वे तुम्हारे साथ किसी और काम में आधे एक घंटे के लिए व्यस्त हो जाते!” मेरी ननद ने अपनी बाईं आँख दबा कर कहा, मेरी जांघ में शरारत पूर्ण ढंग से चिकोटी काटी.

“अच्छा! कुछ ज्यादा ही हवा लग गई है तुम्हें जवानी की!””
“क्यों…? जवानी में जवानी की हवा नहीं लगनी चाहिए? अब तो अठारहवीं सीढ़ी पर पहुँचने का समय आ गया है…” मेरी ननद ने गर्व पूर्ण स्वर में कहा.
“वो तो देख ही रही हूँ! ये गहरे गले के टाप में कसमसाते दो गुंबज जिनकी गोलाई सहज ही दिख रही है और घुटनों तक की स्कर्ट की चुस्ती से बाहर को उभरते नितंब और पतली कमर! जरूर दो चार को बेहोश करके आ रही हो! अच्छा यह बताओ कि क्या पियोगी?” मैंने विषय बदलते हुए कहा.

“अब वह तो मुझे पीने को मिल नहीं सकता जो आप पीती हो! इसलिए कुछ और ही पिया जा सकता है!” उसने फिर एक अशलील मजाक किया.
“मैं क्या पीती हूँ?” मैंने नादान बनते हुए पूछा.
“तुम मेरे ही मुँह से सुनना चाहती हो! समझ तो गई हो! फिर भी मैं बताती हूँ! तुम पीती हो लिंग रस!” उसने इतना कहा और हंस पड़ी.
“हटो बदमाश… कितनी मुंह फट हो गई हो! चलो रसोई में चलते हैं!” मैंने उठते हुए कहा.

वह मेरे साथ खड़ी हो गई, उसने अपना हैंड बैग सोफे पर ही छोड़ दिया, वह मुझे आज पूरे रंगीन मूड में लग रही थी, इससे पूर्व भी मैंने उसके मजाक तो सुने थे लेकिन ऐसे हाव-भाव नहीं देखे थे.

रसोई में पहुंचते पहुंचते उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे कपोलों को चूम कर बोली- काश भाभी… मैं आपकी ननद नहीं बल्कि देवर होती… तुम्हारे यौवन की कसम! इन दोनों कठोर
पहाड़ों को पीस डालती और तुम्हारी जाँघों के भीतर अपने लिंग को तुम्हारी पसलियों तक पहुंचा कर ही दम लेती! मेरी ननद के इन शब्दों को सुन कर मेरे दिमाग ने एक योजना को जन्म दे डाला.

मैंने गैस पर चाय का पानी चढ़ाते हुए कहा- इन पहाड़ों को तो तुम अब भी पीस रही हो! वैसे एक बात बताओ! क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रैंड नहीं है?

मेरी ननद अपने भाई की ही भांति ही जरूरत से ज्यादा कामुक हो रही थी इस समय, शायद इसलिए और ज्यादा क्योंकि उसे ये भ्रम था कि सिर्फ मैं और वो ही हैं,
“नहीं… कई लड़के कोशिश करते हैं लेकिन मैं ही उन्हें लिफ्ट नहीं देती हूँ…” मेरी ननद ने मेरी ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर कहा.
“यह क्या कर रही हो तुम?” मैंने उसकी क्रिया को देख कर प्रश्न किया.
“करने दो ना भाभी…! मुझे बहुत मजा आता है स्तन पान में..! मैं एक सहेली के साथ ऐसा करती हूँ… हम दोनों लेस्बियन लवर हैं…! अब आपके ऐसे भरे भरे यौवन को देख कर मेरा जी मचल उठा है… यह ही सोच लो कि भैया हैं मेरी जगह…!” उसने कुनकुनाते स्वर में कहा और मेरे ब्लाउज में हाथ डाल कर मेरी ब्रा को सहलाने लगी, उसका दूसरा हाथ मेरे सपाट पेट पर रेंग रहा था.
क्या तुमने अभी तक किसी लिंग को नहीं देखा… मैंने उसकी क्रिया से आनन्दित हो कर पूछा.

मैंने चाय छानने के लिए तीन कप उतार लिये थे, मुझे बाथरूम के दरवाजे के बंद होने की हल्की सी आवाज सुनाई दे गई थी, मैं समझ चुकी थी कि मेरा छोटा भाई नहा चुका है और अब इधर ही आयेगा क्योंकि उसे भी जिज्ञासा होगी यह जानने की कि कौन आया है.
“कहाँ देखा है भाभी… कभी कभी इत्तेफाक से उस पहलवान की एक आध झलक देखने को मिलती है लेकिन उस झलक का क्या फायदा…” वह मेरे ब्लाउज का एक बटन और खोल कर बोली.
मैंने तीन कपों में चाय डाल दी.
“चलो आज दिखा देंगे…” मैंने कहा.
“तुम दिखा दोगी…? वो कैसे…?” उसने चौंक कर मेरी आँखों में देखा.
उसकी दृष्टि उन तीन कपों पर पड़ी जिनमें मैं चाय डाल चुकी थी.
“हैं!!!… यह तीसरा कप किसके लिए है…?” उसने हैरत जताई.

“यह तीसरा कप मेरे लिए है…” मेरे भाई ने रसोई में प्रवेश करते हुए कहा.
मेरी ननद उसे देखते ही मुझसे दूर छिटक गई, उसकी आँखों में असमंजस के भाव आ गये.
“यह मेरा छोटा भाई है…” मैंने अपनी ननद से कहा, फिर अपने भाई से बोली- यह मेरी ननद है… यह ही आई थी… जब हम बाथरूम में थे!
मेरे भाई ने मेरे ब्लाउज के खुले तीन चार बटन देखे तो मुस्कुरा कर बोला- यह भी अपने भाई की तरह आपके स्तनों की प्यासी हैं?
“जी?” मेरी ननद सकपकाई.

मेरी ननद का नाम शिल्पा है, मैंने स्थिति संभाली- डोंट वरी शिल्पा… आज तुम्हारी हसरत पूरी हो जायेगी… मेरे भाई से मैं ही कोई पर्दा नहीं करती… तुम्हारे भईया भी पर्दा नहीं करवाते हैं. बल्कि उन्होंने हम दोनों के साथ मिल कर काम सुख प्राप्त किया है… ना मैं इस चीज को बुरा मानती हूँ और ना तुम्हारे भईया! क्योंकि हैं तो हम स्त्री-पुरुष ही बाकी रिश्ते-विश्ते तो लोगों ने अपने फायदे के लिए बनाये हुए हैं… मुझे तो इतना आनन्द आया है अपने भाई के साथ कि मत पूछो, जब तुम आई थी तो हम दोनों साथ ही तो नहा रहे थे.

शिल्पा धीरे धीरे सामान्य होने लगी, मैंने एक चाय का कप उसकी ओर बढ़ा दिया, दूसरा कप अपने भाई की ओर बढ़ा दिया, उसने अपना कप ले लिया, मैंने अपना कप लिया फिर हम तीनों रसोई से बैडरूम में आ गये. मेरे भाई ने मात्र अंडरवीयर पहन रखा था, जिसमें से उसके सख्त होते लिंग का आभास सहज ही हो रहा था.

हम तीनों बेड पर बैठ गये, शिल्पा बार बार मेरे भाई के शरीर के आकर्षण में बंध रही थी, उसकी नजर बार बार मेरे भाई की पुष्ट जाँघों के जोड़ पर जाकर ठहरती थी.
मैं उसकी स्कर्ट को उसकी फैली टांगों से जरा ऊपर सरका कर उसकी जांघ पर चिकोटी काट कर बोली- तुम्हारे लिए आज का दिन बहुत अच्छा है… अगर यहाँ तुम्हारे भईया होते तब तो और भी ज्यादा मजा रहता, फिर भी मेरा भाई तुम्हें संतुष्ट करने में सक्षम है… .हमने इसे पूरी तरह ट्रेंड कर दिया है!

मैंने अपने भाई के अंडरवीयर की झिरी में से उसके लिंग को बाहर निकाल कर शिल्पा के हाथ में थमा कर कहा- इसे धीरे धीरे सहलाओ! तब देखना यह कैसा कठोर और लंबा हो जाता है!…भभकने लगेगा यह!
मैंने चाय का खाली कप बेड की पुश्त पर रखा और अपने हाथों से शिल्पा के टॉप की जिप खोलने लगी.
मेरे भाई ने भी चाय का खाली कप तिपाई पर रख कर मेरे ब्लाउज को मेरी बाजूओं से निकाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल कर उसके जालीदार कप को स्तनों से नीचे सरका कर मेरे स्तनों को सहलाना और चूसना शुरु कर दिया था, मैं उत्तेजित होने लगी थी, उत्तेजना में मेरा शरीर बेड पर फैलने लगा था.

“भाभी पहले मैं आपके स्तन को चूसूंगी.” शिल्पा ने मेरे भाई के लिंग को छोड़ कर मेरे स्तनों पर आते हुए कहा.
“ठीक है…” मैंने उससे कहा और फिर अपने भाई से कहा- तुम शिल्पा के स्तनों को चूसो… मगर आहिस्ता आहिस्ता… और इसकी स्कर्ट भी निकाल दो!
इतना कह कर मैं उसके लिंग को सहलाने लगी.

शिल्पा ने मेरे स्तनों को चूसना शुरू कर दिया, मेरे भाई ने शिल्पा के टॉप के नीचे की शमीज उसके गोरे गुदाज स्तनों से ऊपर कर उसके निप्पल चूसने शुरू कर दिये. हम तीनों ही की साँसें तीव्र हो उठी थी, बैडरूम का दृश्य उन्मुक्त यौवन के रस में डूबता जा रहा था.

शिल्पा द्बारा निरंतर होते स्तनपान ने मुझे उत्तेजित कर डाला था, अब मैं चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ चली थी, मुझे मालूम था कि मेरा भाई लगातार दो बार स्खलित हो सकता है, इसलिए मैंने पहले शिल्पा को उसके द्बारा आनन्द दिलवाना ठीक समझा और यही सोच कर अपने भाई से कहा- तुम शिल्पा की योनि में लिंग प्रवेश करो… .लेकिन पहले कुछ थूक या क्रीम लगा लेना… लो तेल ही लगा लो… मैंने बेड की पुश्त पर रखी तेल की कटोरी उसकी ओर बढ़ाई.

वह शिल्पा की स्कर्ट को खोल चुका था और उसके नितंबों को व चिकनी जाँघों को सहला रहा था. उसने अपने तपते लिंग के मोटे से मुंड पर तेल चुपड़ा फिर जरा सा तेल शिल्पा की अनछुई नर्म रोयों से सज्जित योनि पर लगाया और अपने लिंग को उसके टाइट मुख में फंसा कर उसकी जांघ को हाथ से ऊपर उठा कर जोर का धक्का मारा, लिंग मुंड शिल्पा की योनि में उतर गया.

शिल्पा जोरों से चीखी, उसका यह पहला अनुभव था, मैंने उसकी पीठ को सहलाया और उसके होंठ अपने होंठ से बंद कर दिये, उसकी गर्म साँसे मेरी गर्म साँसों से उलझने लगी थी, उसके हाथों को मैंने अपनी साड़ी के नीचे प्रवेश दे दिया था, वह उत्तेजना और दर्द के चक्रवात में फंसती जा रही थी, उसके हाथ मेरी चिकनी जाँघों को सहलाने मसलने लगे थे, मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी.

मेरे भाई ने शिल्पा की जाँघों को पकड़ कर एक और धक्का मारा तो शिल्पा तड़पते हुए कह उठी- तुम्हारे भाई तो मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रहे हैं… उफ… आह… कितना दर्द हो रहा है उफ… इनसे कहो जो करे आराम से करें उफ…

वह और कुछ कहती उससे पहले ही मैंने उसके मुँह में अपने एक स्तन का निप्पल दे दिया, वह उसे चूसने लगी, मेरे भाई ने थोड़ा पीछे होकर और जोर का धक्का मारा, इस बार उसका सात आठ इंच का लिंग जड़ तक शिल्पा की योनि में समां गया, शिल्पा की बड़ी तेज़ चीख निकली, मेरे भाई ने लिंग फ़ौरन बाहर खींचा तो शिल्पा ने ठंडी सांस ली और तड़पती हुई बोली- उफ… भाभी तुमने तो कुछ ज्यादा ही ट्रेंड कर दिया है इन्हें… उफ कैसे स्पेशल शॉट खेलते हैं उफ… आप रुक क्यों गए महाशय… इसे आगे पीछे करते रहो… अभी तो मजा आना शुरू हुआ है उफ…
शिल्पा ने मेरे भाई से इतना कहा और मेरे स्तन का निप्पल मुंह में ले लिया, वह निप्पल को किसी भूखे की भांति चूसने लगी.

मेरा भाई उसकी योनि में अपने लिंग से घर्षण करने लगा था और मैं अपने हाथों से शिल्पा के हाथों को पकड़ कर उनसे अपनी पेंटी का वह हिस्सा रगड़ने लगी थी जिसके नीचे मेरी योनि थी, मेरा भाई मुद्रा बदल बदल कर शिल्पा को आनन्द दे रहा था, शिल्पा का शरीर उत्तेजना से काँपने लगा था, वह कराह भी रही थी और मेरे भाई का सहयोग भी कर रही थी.
अंततः थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गये, फिर मेरे भाई ने मेरी भी प्यास बुझाई.

शिल्पा ने मेरे स्तनों को जिस तरह चूस चूस कर मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल कर दिया था वैसे ही मैंने भी उसके स्तनों को चूस चूस कर उसे कंपकंपा डाला था.
हम तीनों की काम-क्रीड़ा तब तक चलती रही जब तक हम थक न गये.

कहानी आगे भी है! Antarvasna

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