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Massage Girl in Deoghar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Deoghar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Deoghar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Deoghar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Deoghar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Deoghar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Deoghar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Deoghar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Deoghar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Deoghar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Deoghar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Deoghar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

समय पीछे चला जाता है लेकिन Hindi Sex Stories उसकी कुछ खट्टी मीठी यादें जो मन पर अपना प्रभाव बनाए ही रखती हैं! और जब वे यादें बेचैन करने लगती हैं तो बस बेचैनी से बचने का एक ही मार्ग होता है वह यह कि उन्हें किसी से बांट दिया जाए! यह कुछ ऐसी ही याद है जो मैं आपसे बांटना चाहता हूँ!

मेरी बी-टेक की परीक्षा का अन्तिम से पहला सेमेस्टर बजाय दिसंबर जनवरी के अप्रैल महीने में समाप्त हुआ। तभी गोरखपुर से चाचा जी की बेटी यानि कि दीदी का फोन आ गया कि घर जाने से पहले तीन-चार दिन के लिए आ जाओ।

मैं बचपन से ही उनसे लगा था। लेकिन इधर कई साल हो गये उन्हें देखा भी नहीं था, उधर गांव से भी फोन आ गया कि गोरखपुर हो कर आना।

दीदी की शादी हुए लगभग दस साल हो गये थे। जीजा जी बिजली विभाग में क्लर्क हैं, ऊपरी आमदनी का प्रभाव घर के रखरखाव से तुरन्त ही लग गया।

स्कूल से लौटे तो मैंने देखा कि टीना और अनिकेत तो इतने बड़े हो गये कि पहचान में ही नहीं आ रहे थे, लेकिन अनुमान लगाने में को कठिनाई नहीं हुई, मगर उनके आने के कुछ देर बाद जो अजनबी लड़की में आई उसे देखकर मैं चौंका। सामान्य से अधिक लम्बी, स्कर्ट के नीचे मेरी निगाह गई तो उसकी लम्बी और पतली सुन्दर और चिकनी टांगे देख कर मन अजीब सा हुआ।

उसने ‘मामा जी नमस्ते’ कहा तो मेरी दृष्टि ऊपर गई। देखा आंखें फट सी गईं। शरीर के अनुपात से कहीं भारी, लम्बी और भारी उसकी दोनों छातियां उसके खूबसूरत प्रिन्टेड ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलने को आतुर दिखीं। उसने संभवतः मुझे देखते हुए देख लिया।

वह शरमाई तो मैंने निगाहें नीचे कर लीं। तभी अन्दर वाले कमरे से दीदी आ गईं। मैंने तब उनको भी ध्यान से देखा। जो दीदी पहले दुबली पतली थी अब उनका शरीर भर गया था और काफी सुन्दर लगने लगी थीं।

दीदी ने बताया- यह सोनम है जेठ की बेटी। गांव से आठ पास करके साथ ही है अबकी बार बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही थी और आज ही अन्तिम पेपर था।

शाम तक सोनम मुझसे काफी घुलमिल गई। वह बेहद बातूनी और चंचल थी। अब तक कई बार वह किसी न किसी बहाने अपने शरीर को मेरे शरीर से स्पर्श करा चुकी थी।

उसकी बातों के केन्द्र में गर्लफ्रेन्ड और लड़के ही अधिक थे। दोनों बच्चे भी परीक्षा देकर अगली कक्षाओं में आ गये थे, अभी पढ़ाई का दबाव भी अधिक नहीं था।

सोनम तो मेरे आने से बहुत ही प्रसन्न थी। असल में मेरा गांव और दीदी के गांव से बहुत दूर नहीं था। दो दिन बाद उसे मेरे साथ उसे भी जाना था।

जीजा जी इधर काम के कारण काफी देर से आने लगे थे इस लिए सब्जी लेने दीदी ही जातीं। शाम में वह अनिकेत को लेकर मार्केट चली गई तो घर में मैं टीना और सोनम ही थे।

टीना अभी नादान थी। फर्श पर बिछे गद्दे पर मैं लेटा था। टीना मेरे पैर की उंगलियों को चटका रही थी।
बातें करते सोनम ने कहा- लाओ मैं सर दबा दूं।

फिर मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे सिर के पास आकर बैठ गई। और सर में अपनी उंगलियां धीरे-धीरे चलाने लगी। धीरे-धीरे उसके शरीर की सुगंध मुझे मस्त करने लगी। मैंने आंखें ऊपर उठाकर देखा तो उसकी बड़ी नुकीली चूचियां मेरे सर पर तनी थी। संभवतः वह भी उत्तेजित सी थी, क्योंकि मुझे लगा कि उसके चूचुक भी तने हैं। उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने हाथ पीछे किया तो मेरे पंजे उसकी चूचियों से छू गये। लेकिन मैंने रुकने नहीं दिया और टीना से कहा- अब बस, जाओ.

वह जाकर टीवी देखने लगी। सोनम उसी तरह मेरे बालों में उंगली किये जा रही थी। मैंने फिर सामने टीना की तरफ देखते हुए फिर हाथों को पीछे ले जाकर उसकी चूचियों से स्पर्श कराते हुए वहीं रोक दिया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, हां हाथ अवश्य रुक गये।

एक पल रुकने के बाद मैं हौले हौले उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगा। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे हाथ को वहां से हटाकर धीरे से कहा- टीना छोटी नहीं!

उसके इस उत्तर से मेरी बांछें खिल उठीं। मैंने हाथ को अंगड़ाई के बहाने ले जाकर उसकी जांघों पर रख दिया। वह चिकनी और संभवतः बरफी की तरह सफेद थीं। मैं रह-रह कर उसके पेड़ू को भी छू देता। उसने कच्छी नहीं पहन रखी थी। उसकी झांटों और मेरे हाथों के बीच उसकी सलवार का झीना कपड़ा ही था।

सामने मेरा लिंग अकड़कर खड़ा हो गया और मेरे लोअर के अन्दर बांस की तरह तनकर उसे उठा दिया। जब सोनम की दृष्टि उस पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी।

मैंने अपने हाथों को फिर ऊपर लेजा कर उसकी चूचियों से स्पर्श कराया तो लगा कि उसकी घुंडियां बिल्कुल तन कर खड़ी हो गई हैं।

छुआ-छुई का यह खेल चल ही रहा था तभी टीना फिर आ गई और पास बैठ गई। हम दोनों रुक गये। मैंने झट अपनी लम्बी टी-शर्ट को नीचे खींच दिया, लेकिन हमारे महाराज जी झुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो मैं झट से उठ गया।

सोनम भी मेरे साथ ही उठ गई। उसने चुन्नी अपने सीने पर नहीं रखी थीं। चूचियां कपड़े के ऊपर से ही वह पूरी तनी बिल्कुल स्तूप की तरह लग रही थीं।
रसोई की तरफ जाते हुए मैंने कहा- चाय पीने का मन हो रहा है।

“चलो बना दूं।” कहते हुए वह मेरे पीछे रसोई में आ गई।

अन्दर जाते ही मैंने उसे कचकचाकर लिपटा लिया और पूरी शक्ति से उसके शरीर को जकड़ लिया। वह कसमसाकर कुछ कहती इससे पहले ही अपने ओंठ उसके ओंठों पर रखकर जबरदस्ती उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी।

ह गों-गों कर उठी तो जीभ को निकाला। तब वह कांपते स्वर में बोली- छोड़ो अभी टीना आ जाये तो!
मैंने उसे छोड़कर कहा- भगवान कसम … अभी तक मैंने इतनी कसी और सुन्दर चूचियां तो फिल्मों की हीरोइनों तक की नहीं देखी!

वह अब स्थिर हो चुकी थी, बोली- तुम तो बहुत हरामी हो मामा!
मैंने धीरे से कहा- सोनम मैं बिना तुमको लिए छोड़ूंगा नहीं!

उसने ठेंगा दिखाते हुए कहा- बड़े आये लेने वाले!
और फिर मेरे अभी तक खड़े लन्ड को ऊपर से नौच कर भाग गई।

दीदी सामान लेकर आईं और रसोई में चली गईं। दोनों बच्चे पढ़ने बैठ गये तो मैं छत पर चला गया और कुछ देर बाद सोनम को भी पुकारकर ऊपर बुला लिया। हमारी दीदी का मुहल्ला निम्न-मध्यवर्गीय मुहल्ला था। छतें एक दूसरे से सटी थीं। अंधेरा पूरी तरह से घिर आया था, इसलिए इक्का-दुक्का लोग ही अपनी छत पर थे।

“सोनम दोगी नहीं?”
“क्या?”
“बुर! या अगर हो गई हो तो चूत!”
“मतलब?”
“मतलब यह कि अगर किसी से चुदवा चुकी हो तो चूत हो गई होगी नहीं तो अभी बुर ही होगी! बताओ क्या है?”
“हट!”

“हट नहीं! नहीं प्लीज सोनम! दे दो न!” मैंने उसे पलसाने के लिए कहा।
“बहुत बड़ा पाप है। फिर तुम तो मामा हो!”
“मैं कोई सगा मामा थोड़ी न हूं?”
“चाहे जो हो, मैं यह काम नहीं करूंगी। मुझे डर लगता है!”

उसने इस अन्दाज में कहा कि मुझे लग गया कि अभी तो बात बनने वाली नहीं, तो मैंने बातो को दूसरी तरफ मोड़कर कहा- अच्छा सच बताओ किसी से करवाया है कि नहीं?
“भगवान कसम नहीं।”
“मिंजवाई हो?”
“भला कौन लड़की होगी जिसकी किसी न किसी ने कभी मींजी न हो।”

फिर उसने कहा- तुमने मामा? तुमने मींजी हैं?
“हां, तुम्हारी ही!”
“धत! पहले?”
“मींजी तो कइयों की है, और ली भी है, लेकिन पूछना नहीं किसकी। कभी बाद में बताऊंगा। अच्छा बताओ तुम इसके बारे में ठीक से जानती हो?”
उसने मुस्कुराकर कहा- किसके?”

मैंने खीजकर कहा- बुर की पेलाई या कहो चुदाई के संबंध में!
“हाय राम यह भला कौन नहीं जानती होगी? इतना तो टीना को भी पता होगा!”
“अच्छा अपनी बताओ कि तुम को कैसे पता चला?”
“क्यों बताऊं?”

मैंने अन्त में कहा-सोनम मैं बिना लिए तुम्हारी छोड़ूंगा नहीं!

और फिर इधर उधर की बातें होने लगीं। बात फिर आकर पेलने, चोदने और लन्ड, बुर पर रुक गई। अन्त में सोनम ने यह वादा किया कि ऊपर से मैं चाहे जो कर लूं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर मेरा लन्ड अपनी बुर में डालने नहीं देगी।

बाद के दो दिनों में वह सोई तो दीदी के कमरे में क्योंकि दीदी को माहवारी आ रही थी। यह भी उसी ने बताया, लेकिन दिन में जैसे ही अवसर मिलता हम दोनो एक दूसरे को नौचने चूसने में लग जाते। एकाध बार तो वह बुरी तरह से उत्तेजित भी हो गई, लेकिन उचित अवसर ही नहीं मिला। दीदी भी न जाने क्यों हमें अकेला नहीं छोड़ रही थीं।

यद्यपि मुझे अन्त तक यह लगने लगा कि अगर अकेले मिल जाए तो करवा लेगी।

मैं तीसरे दिन के बजाय चौथे जाने के लिए तैयार हुआ। उस दिन इतवार था। शहर से हमारे गांव की दूरी अधिक नहीं थी। तीन घण्टे बस से लगते थे। बीच में बदलकर अन्त में चार किलोमीटर का पैदल या फिर अपने निजी वाहन का रास्ता है। पैंसजर ट्रेन भी जाती थी, समय थोड़ा अधिक लगता था परन्तु आराम था।

बारह बजे की गाड़ी थी। प्रोग्राम यह बना कि चार बजे के लगभग गाड़ी पास के कस्बे पहुँच जायेगी फिर वहां से बस पकड़कर एकाध घंटे में अपने गांव की सड़क पर पहुंच जायेंगे। आगे अगर फोन लग गया तो कह दिया जायेगा कोई आ जायेगा, नहीं तो किसी रिक्शा या हम लोग पैदल ही निकल जायेंगे।

हमारा क्षेत्र बहुत शांत है। किसी तरह की चोरी डकैती या दूसरी घटनाओं से मुक्त! इसलिए हम लोगों को आने जाने का भय नहीं होता अक्सर किसी कारण से देर हो जाने के बाद लोग बारह-बारह बजे रात तक में अकेले आ जाते।

यद्यपि सोनम ट्रेन से आने में घबरा रही थी, कहीं लेट न हो जाये!

हुआ भी वही, बारह से एक बज गया फिर दो, तब जाकर कहीं गाड़ी आई। घर फोन से बात करने की कोशिश की लेकिन संभवतः सम्पर्क ना होने के कारण बात नहीं हो पाई। अभी हमारे यहां यह सुविधा उतनी अच्छी नहीं थी। जाते जाते चाचा कह गये कि मुहानी पर कोई आ गया तो आ गया, नहीं तो वहीं सम्पत साह के यहां सामान रख कर पैदल ही चले जाना।

हम लोग बैठे तो देर हो जाने की घबराहट थी लेकिन गाड़ी में बैठते ही हवा हो गई। सोनम खिड़की तरफ बैठी, फिर मैं। हम लोगों की यात्रा तो ऐसे कटी जैसे पति पति पत्नी हों। वह लगातार मेरे हाथों से खेलती रही। कभी-कभी अपने हाथों की कुहनियों को मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से दबाती मेरे हाथ तो पूरी यात्रा में किसी न किसी तरह उसकी चूचियों के संपर्क में ही रहे।

अवसर देखकर कामुक बातें भी होती रहीं। मुझे उसकी जानकारियाँ सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने बताया कि दीदी और जीजा कभी कभी गंदी फिल्म देखते हैं। जिसमे कभी दो आदमी एक की लेते हैं तो कभी एक दो की!

कहने लगी कि चाचा चाची की निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।

ऐसे में यात्रा जब समाप्त हुई तो पता चला कि गाड़ी रास्ते और लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सात बज गये। हल्का अंधेरा हो गया। सोनम डरने लगी। लेकिन बस जल्दी ही मिल गई। कुछ दूर जाने के बाद पहिया पंक्चर हो गया। और देर होती देख सोनम घबराने लगी, लेकिन मेरा मन प्रसन्नता से झूम उठा। मैंने निश्चय कर लिया अब सोनम को कुंआरी नहीं रहने दूंगा।

जब हम लोग मुहानी पर पहुंचे तो आठ का समय हो गया था। अंधेरा घिर आया था, लेकिन चांद भी निकलने की तैयारी में था। सोनम तो रोने लगी कि अब क्या होगा!

मैंने दिलासा दिया तो जाने को तैयार हुई।

सामान साह जी के यहां रखने गये तो योजना के अनुसार सोनम को थोड़ा दूर खड़ा करके कह दिया कि चाची हैं। वह अड़ गये कि सायकिल ले लो, लेकिन मैंने यह कहकर मना का दिया कि वह पैदल ही जायेंगी।

गांव में जाने का एक थोड़ा निकट का रास्ता था, लेकिन वह पलाश और कुश के छोटे से जंगल में से जाता था। मैंने वही रास्ता पकड़ा तो वह रुक गई।

क्योंकि उसे पता था कि एक सड़क भी है, लेकिन मेरे समझाने और डर समाप्त करने के बाद ही वह जाने को तैयार हुई। पगडंडियां तमाम थीं। मैंने जानबूझकर अलग पगडंडी पकड़ी। चूंकि बचपन से मैं इतनी बार इधर से गया था कि मुझे रास्ते का चप्पा चप्पा पता था। मेरे कंधे पर छोटा सा बैग था। जिसमे मेरे कपड़े थे। उसका सामान तो रख दिया था।

उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ लिया था।
थोड़ी दूर जाकर मैंने कहा- हाथ छोड़ो, मैं जरा मूत लूं!
वह बोली- नहीं मुझे डर लग रहा है, यहीं मूतो!

तब तक चांदनी के प्रकाश का प्रभाव वातावरण में उभर गया था। मैं उत्तेजित होने लगा। मुतास के कारण मेरा लंड पहले से ही खड़ा था मैंने उसी के सामने लंड को पैंट से निकाला और छल छल मूतने लगा। मूतने के बाद जब लंड हिलाकर बूंदें गिराने लगा तो वह बोली- बीज गिरा रहे हो मामा?

मैंने कहा- बीज तो तुम्हारी बुर में गिराऊंगा।
“कैसे?”
“तुम्हें चोदकर और कैसे?” इतना कह कर मैं लंड को यूं ही बाहर लटकाये चल पड़ा।

और हाथ उसके कंधे पर रखकर बगल से उसकी चूचियों को सहलाने लगा। वह कड़ी होने लगीं तो और तेज मलने लगा। वह उत्तेजित होकर मुझसे चिपकने लगी। चूचियां बड़े लम्बे आम का रूप धारण करने लगीं। मैंने रुककर मुंह में सटाकर अपनी जीभ उसके मुंह में डालकर जो चूसा तो बोली- मामा लगता है कि आज तुम मुझे खराब करके ही छोड़ोगे!
“मतलब?”
“मतलब न पूछो!” कहकर वह बोली- मुझे भी मूतना है!
कहकर वह वहीं सलवार खोलकर बैठ गई।

जानवरों को चारा खिलाने वाली नाद की तरह उसके चूतड़ सामने आ गये। वह सीटी बजाती शर-शर मूतने लगी। मैं अपने खड़े लन्ड को उसकी कनपटियों से रगड़ने लगा।
मूत कर उठी तो सलवार बांधने से पहले ही मैंने उसकी झांटों से भरी चूत को मुट्ठी में पकड़ लिया वह मूत से गीली हो रही थी। उसने हल्का सा प्रतिरोध किया- छोड़ो न!

अब तक चांदनी खिल चुकी थी। चारों तरफ सन्नाटा था। मुझे याद आया कि थोड़ा अन्दर एक छोटी सी पोखर है। मैं उसी तरफ उसे लिपटाये चला गया।

पोखर में पानी तो कम था, लेकिन उसके किनारे साफ स्थान था। पास में सफेद पुष्प खिले थे। वातावरण मादक था। उसने मस्ती भरे स्वर में कहा- यहां क्यों आये?
मैंने कहा- तुम्हें लेने के लिए।
फिर उससे खड़े ही खड़े ही लिपट गया।

वह मेरे ही बराबर थी। उसके बाल खुल गये थे। उसकी कड़ी होकर पत्थर चूचियां मेरे सीने से टकराकर मेरे अन्दर आग भर रही थीं। मैंने हाथ को पीछे ले जाकर उसके उभरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुंह को उसके मुंह से लगाकर उसके चेहरे और होंठों को चूसने लगा। उसने भी मुझे जकड़ लिया। मेरा लंड खड़ा होकर सलवार के ऊपर से उसकी चूत को चूमने लगा।
वह थोड़ी देर बाद अलग होकर बोली- अब चलो मुझे डर लग रहा है।

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए बैग खोल कर अपनी लुंगी निकाल कर बिछा दी और कहा- अब न तो मैं बिना चोदे रह सकता हूं और नहीं तुम बिना चुदाये!

फिर मैंने उसे भूमि पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर उससे लिपट गया। उसने भी मुझे कस लिया। पांच मिनट की लिपटा-लिपटी के बाद मैं उठा और उसे उठाकर उसकी कुरती को शमीज़ सहित ऊपर खींच कर उतार दिया। वह ऊपर से नंगी हो गई। दोनों छातियां ऐसी गोरी चिकनी और फूलकर खड़ी हो गई थीं मानो उन्हें अलग से चिपका दिया गया हो। उन्हें नीचे से ऊपर मींजते सहलाते हुए कहा- सच बताओ सोनम मेरे अतिरिक्त तुम्हारे दो पपीतों को किसी और मींजा है?”

“भगवान कसम नहीं। जब मैं गांव में थी तो संध्या भाभी जरूर मींजती और कभी कभी चूसतीं भी थीं, लेकिन तब यह छोटी थीं। कामता भैया कलकत्ता रहते थे। वह अपनी चूचियां चुसाती भी थीं। यहां किसी ने कभी नहीं कुछ किया।”

“तो आज मैं सब कुछ करूंगा!”कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को चूसना आरम्भ कर दिया। उसका सीना मेरे थूक भीग गया। वह वहीं लेट गई और अकड़ने लगी।

तब मैं उठा और अपनी पैंट और चड्ढी साथ उतार दी। बल्ल से मेरा लंड सामने आ गया। वह उसे ही देखने लगीं। मेरी झांटे काफी बड़ी हो गईं थीं। नसें तनकर अकड़ गई थीं। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। वह वैसे ही पकड़े रही। उसकी खड़ी चूचियां मेरे होंठों के सामने तनी थीं। तब मैंने कहा- सहलाओ।”

वह बोली- शरम आती है।
“लो अभी मैं शरम मिटाता हूं।” कहकर मैंने उसके सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया।
सलवार खुल गई। नीचे से पकड़कर खींचा तो उतर गई। वह शरमाने लगी। उसकी भी झांटे काफी बड़ी थीं। उसकी बुर उसी में छुपी थी।

“कभी-कभी इसे साफ कर लिया करो।” कहकर मैं हथेली से उसकी बुर सहलाने लगा।
सोनम सिसियाते हुए बोली- तुम्हारी भी तो बड़ी है।
और फिर मेरे लंड पर अपनी हथेलियां चलाने लगी।

मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई, लगा कि अब मैं कही झड़ न जाऊं। उसकी बुर भी गीली हो गई थी। उसकी बुर का दाना उभर आया था। यद्यपि मैंने तो रास्ते में सोचा तो बहुत कुछ करने के लिए था, लेकिन लगा कि अब मैं कहीं बिना अन्दर डाले ही न झड़ जाऊं तो उससे कहा- टांगें फैलाकर लेटो।”
वह लेटते हुए बोली- छोड़ दो न मामा!
“पागल हूं मैं!” कहकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी ओर उसके पूरे शरीर को सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी बुर के छेद को हाथों से टटोलकर उसपर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर औंधे मुंह उसपर लेट गया और कमर पर दबाव डाला तो भीग चुकी उसकी बुर में मेरा लंड सक से चला गया।

“हाय राम मैं मरी!” उसने कहा।
मैंने कहा- झिल्ली फट गई?
“पता नहीं!”

मैं एक पल के लिए रुका फिर कुहनियों को भूमि पर टिका कर उसकी चूचियों को मलते हुए कमर चलाते हुए सोनम को हचर-हचर चोदने लगा। सात आठ धक्के के बाद वह भी कमर चलाने लगी और अपने हाथों से मुझे कस लिया। मैं उसे चोदे ही जा रहा था। उसका शरीर महकने लगा। उसके मुंह से हों-हों का स्वर निकलने लगा।

मेरी कमर और तेज चलने लगी। उसने किचकिचाकर मुझे दबोच लिया। अन्त में मैं भल्ल से उसकी चूत में झड़ गया। मैं कुछ देर बाद उसके ऊपर से उठा। मेरा लंड बीज से सना था। उसकी चूत भी वैसे ही बीज से भरी थी। वह लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी। मैंने पास पड़ी पैंट से रुमाल निकालकर पहले अपने गीले लंड को पौंछा फिर उसकी बुर को।

अब वह स्थिर हो गई थी। बोली- मामा अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो?”
“पागल एक बार में बच्चा नहीं ठहरता है। उठो! बैठकर मूत दो! बीज नीचे गिर जायेगा।”

मूत कर वह उठी तो मैंने उसे अपनी टांगों को सीधे फैला लिया और उसकी टांगों को अपनी कमर के दोनो तरफ करवा कर बैठा लिया। उसकी चूत से मेरा सिकुड़ा लंड स्पर्श कर रहा था। मांसल चूचियां मेरे सीने से पिस रही थीं। उसके खुले बाल उसकी पीठ पर फैलकर वातावरण को मादक बना रहे थे।

वह बोली- अब चलो। अपनी तो कर ही ली। देर हो जायेगी।”
“देर तो हो गई। थोड़ी और सही। ऐसा सुनहरा अवसर अब तो कभी नहीं मिलेगा।”

उसने कोई उत्तर नहीं दिया इसका मतलब था कि उसकी भी मौन स्वीकृति थी। मेरे हाथ उसकी पीठ से लेकर उसके नाद जैसे भारी चूतड़ों की दरार तक चल रहे थे।

वह भी मेरे बालों में अंगुलियाँ चला रही थी। कभी कभी मेरी कनपटियों को भी सहलाने लगती।
मैंने यूं ही पूछा- सोनम कभी सोचा था कि तुम्हारी चुदाई ऐसे रोमांटिक वातावरण में होगी?
उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

मैंने उसे खड़ा किया तो वह रोबोट की भांति खड़ी हो गई। बिल्कुल नंगी! मैं भी मनुष्य के आदिम रूप में था। हम नंगे पोखर के किनारो पर टहलने लगे। उसके चूतड़ चलते में हिल रहे थे। चिकने थे। एक भी रोयां नहीं था। जांघ और पिंडलियां भी चिकनी थी। झांटें जरूर पेड़ू तक फैली थीं। चूची हिल नहीं केवल थरथरा रही थी।

मैंने टहलते हुए बुर पर हथेली रखते हुए कहा- सोनम झांट हेयर रिमूवर से बना लिया करो। अभी लगता है एक बार नहीं किया?

“नहीं साफ तो किया है, लेकिन मुझे शरम आती है। जब चाची को याद आता है तब लाकर देती हैं तो करती हैं, स्वयं तो एकदम चिकना किए रहती हैं।”

फिर दोनों हाथों की अंगुली और अंगूठे को मिलाकर चूत का आकार देते हुए कहा- भोंसड़ा हो गई है, फिर भी!

मैंने कहा- उन्हें चुदना जो होता है, जब तुम लगातार चुदोगी तो अपने आप साफ रखोगी।
“तुम तो चोदते हो तब भी जंगल उगा लिया है।”
कहकर वह मेरे लंड को पकड़ कर खेलने लगी और पेलड़ की गोलियों से खेलने लगी।

मुझे न जाने क्या सूझी कि मैंने उसे उठाकर सामने से उसे अपने कंधे पर बैठा लिया। उसकी टांगें पीठ की तरफ हो गईं। उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आ गई और मन में आया कि लाओ चूम लूं, लेकिन सोचा पता नहीं क्या सोचे तो अपनी ठुड्डी उसकी बुर से रगड़ने लगा। उसकी झांट के बालों का स्पर्श चेहरे को अजब आनन्द दे रहा था।

इसी के साथ मैंने अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसके दोनों दूधों को मसलने लगा। बुर चूत की बातें होती रहीं और हम फिर उत्तेजित हो गये। मेरा लंड दुबारा कील की तरह खड़ा होकर ऊपर उठ गया। इसी तरह पोखर का तीन चक्कर लगाते-लगाते वह उत्तेजित हो गई । तो बोली- मामा चलो फिर चोदो मगर दूसरी तरह से।”

मैं उसके इस खुले आमन्त्रण से हिल गया। कंधे से उतार कर ले जाकर लुंगी पर उसे झुका दिया और हथेली पर अपने और उसके मुंह से थूक लेकर अपने लण्ड पर मला और चूत को ढके झांटों को इधर-उधर करके छेद पर रखकर कसा तो एकदम अन्दर चला गया। फिर कमर हिलाहिलाकर उसे चोदने लगा।

कुछ पल बाद लंड निकाला तो देख कि उसकी बुर का छेद खुल चुका था। उसका चना भी फूल गया था। फिर मैं भूमि पर लेट गया। मेरा लंड हवा में तना था।

मैंने उससे कहा- सोनम आओ! इसपर टांगें फैलाकर बैठो।
वह बोली- नहीं! पूरा अन्दर चला जायेगा! दर्द होगा!
“यह सब कहने की बात है, और मजा आयेगा। बैठकर तो देखो!”

वह दोनों टांगों को इधर उधर करके बुर के छेद को लंड के निशाने पर लेकर बैठी तो एकाएक कमर को पकड़कर दबा दिया। वह घप्प से गिर गई। सट से लंड अन्दर पूरा उसकी बुर की जड़ तक चला गया। पहले मैंने नीचे से अपनी कमर को हिलाया फिर वह भी हचर-हचर अपनी कमर चलाने लगी। मैं सामने उसकी स्तूप की तरह हिल रही चूचियों को सहलाने लगा। बढ़ती उत्तेजना के साथ मेरी और उसकी गति तेज हो गई। अन्त में मैं फल्ल-फल्ल झड़ने लगा। वह अजब अजब स्वर निकालने लगी और औंधे मुंह मेरे ऊपर गिर पड़ी।

तो मित्रो मेरा यह अनुभव या अगर चाहें तो कहानी कहें कैसा लगा? मेल करें. Hindi Sex Stories

Sex Stories

हाय मेरा नाम शिवानी है. मेरी उम्र Sex Stories 18 साल है। मैं लखनऊ के पास के गाँव की रहने वाली हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी और सोचा कि मुझे भी अपनी बात सबको बतानी चाहिए। इसलिए आज मैं आपको एक व्यक्तिगत अनुभव सुनाने वाली हूँ।

हमारे गाँव में बहुत से कच्चे मकानों के बीच हमारा मकान पक्का है जिसमें मेरा, मेरे भाई का, मम्मी पापा का सबका अलग अलग कमरा है।

एक रात की बात है, मैं लगभग 11 बजे बाथरूम जाने के लिए उठी। बाथरूम मम्मी के कमरे को पार करने के बाद पड़ता है। जब मैं उस कमरे के सामने से गुज़री तो मुझे मम्मी के कराहने और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने जैसी आवाज़ें सुनाई पड़ी।

मैं एक बार को तो डर गई, पर मैंने हिम्मत रखते हुए चाबी के छेद से झांका तो मैं दंग रह गई। कमरे में पापा मम्मी बिल्कुल नंगे खड़े थे। पापा मम्मी की चूचियाँ दबा रहे थे और बार बार उनके चूतड़ों पर जोर से चपत सी मारते जा रहे थे।

पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया पर फ़िर मैंने ध्यान से देखा कि पापा मम्मी से चिपटे हुए हिल भी रहे थे। तभी वे थोड़ा सा घूमे तो मेरी बुद्धि घूम गई। पापा ने अपना लण्ड शायद मम्मी की चूत में डाल रखा था और वहीं धक्के मार रहे थे।

मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था। मेरी कोलेज़ की सहेली ने एक बार मुझे अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी। आज़ अचानक वही चुदाई मुझे अपने घर में होती दिखाई दी।

पता नहीं क्यों, पर वो नज़ारा देख कर मेरी चूत में खुज़ली सी होने लगी और मुझे अपनी सांसें कुछ भारी सी लगने लगी। मैं वहाँ पर पूरा कार्यक्रम देखकर बाथरूम जाकर अपने कमरे में तो आ गई पर मुझे फ़िर नींद नहीं आई।

वो दृष्य मेरी आंखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाते हुए अपने पैन को चूत में डाल कर चलाया। फ़िर पैन के बज़ाए दूसरे हाथ की उँगली डाली। थोड़ी देर बाद मेरी चूत में से कुछ सफ़ेद सा निकला और मुझे पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।

सुबह मम्मी की आवाज़ ‘ कोलेज़ नहीं जाना है क्या! जल्दी उठ!’ से मेरी आँख खुली, तो जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आई।

मुझे रात की बात अभी भी याद आ रही थी, पर मैं कोलेज़ जाने के लिए तैयार होने लगी। मैं कच्छी और ब्रा पहन कर ही नहाती हूँ पर उस समय मेरी उत्तेज़ना बढ़ गई और मैं पूरी नंगी होकर नहाई और उँगली, साबुन की सहायता से अपनी चूत का पानी निकाला।

तरोताज़ा होकर, नाश्ता कर मैं कोलेज़ के लिए घर से निकल गई। थोड़ी सी दूर सड़क से बस मिल जाती है, वहीं से मैंने बस पकड़ी जो रोज़ की तरह ठसाठस भरी थी। जैसे तैसे गेट से ऊपर चढ़ कर थोड़ा बीच में आ गई। तो वो रोज़ की कहानी चालू। आप तो जानते ही होंगे, जवान लड़की अगर भीड़ में हो तो लोग कैसे फ़ायदा उठाते हैं, और आप उन्हें कुछ कह भी नहीं सकते।

वही मेरे साथ होता है। मेरे पीछे से कोई मेरे चूतड़ दबाने सा लगा, तो एक अन्कल मेरे कन्धे पर बार बार हाथ रख कर खुश होने लगे। एक महाशय सीट पर बैठे थे, भीड़ की वज़ह से मेरी साईड उनके सिर से दबी थी, जो उन्हें भी मज़ा दे रही होगी।

इतने में मेरी ही क्लास का एक लड़का जो बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था और केवल मेरे लिए ही इस बस से आता-जाता था, अपने गाँव से बस में चढ़ा। लन्बा तगड़ा तो खैर वो है ही, हैण्डसम भी है। पर मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देती थी। आज़ तो वो सबको हटाता हुआ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने उसे देखा पर मैं कोई आपत्ति करने की स्थिति में नहीं थी। कुछ कहा तो बोला- बस में भीड़ ही इतनी है।

मुझे चुप हो जाना पड़ा। मुश्किल से पाँच मिनट बीते होंगे कि अचानक ड्राईवर ने बड़े जोर से ब्रेक लगाए और पता नहीं क्यों ड्राईवर मादरचोद, बहनचोद जैसी माँ बहन की गालियाँ किसी को बकने लगा। शायद कोई बस के आगे आ गया होगा।

लेकिन उसके अचानक ब्रेक मारने से थोड़ सा बैलैंस तो सबका बिगड़ ही गया था। राहुल, मेरा क्लासमेट गिरते गिरते बचा। उसके हाथ में मेरी दाईं चूची आ गई थी, या वो जानबूझ कर उसे पकड़ कर लटका। पर इतना जरूर हुआ कि उसने उसे कायदे से दबा मसल जरूर दिया। मुझे गुस्सा आया, पर मैं कुछ कहती, उससे पहले ही वो वैरी सोरी कहने लगा। तो मुझे भी लगा कि शायद अनायास ही यह हो गया होगा।

वो फ़िर मेरे से सट कर खड़ा हो गया। बस चलने लगी। इतने में मैंने अपने चूतड़ों के बीच अपनी गाण्ड में कुछ चुभता सा दबाव महसूस किया। पहले तो मैंने इस पर खास ध्यान नहीं दिया अप्र मैं समझ गई कि राहुल का लण्ड मेरे चूतड़ों की गरमी खा कर खड़ा हो गया है और वो ही मुझे चुभ रहा है।
यह सोच कर मुझे रात वाला नज़ारा फ़िर याद आ गया और मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। अब मैं बिल्कुल बिना हिले कपड़ों के ऊपर से ही अपनी गाण्ड का तिया-पाँचा कराने लगी।

कुछ देर बाद ही कोलेज़ जाने वली सड़क पर बस रुकी और कोलेज़ जाने वाले सभी लोग उतरने लगे। मैं और राहुल साथ साथ ही उतरे। उतरने के बाद भी आज़ तो वो मेरे साथ ही चलने लगा। कुछ मिनटों बाद मैंने उससे मुस्कुरा कर कह ही दिया कि आप जो बस में कर रहे थे, वो अच्छी बात नहीं है। इस पर वो नाटक करते हुए बोला कि मैंने तो कुछ नहीं किया और कहते कहते ही मेरे चूतड़ों को भी दबाने लगा। मुझे भी अच्छा सा लगा पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा।

अचानक ही हम कोलेज़ जाने वाले मोड़ से कोलेज़ की बजाए जंगल वाली सड़क पर मुड़ गए। शुरू में तो मुझे मज़े मज़े में पता ही नहीं चला पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा तो बोला- कोलेज़ में तो रोज़ ही जाते हैं, चलो आज एक नया नज़ारा दिखाता हूँ।

उसकी बात का मतलब समझते हुए भी मैं उसके साथ चलने लगी, सच में तो मुझे रात से लग रहा था कि कोई मेरी चूत को चोद डाले, जैसे पापा मम्मी को चोद कर मज़ा दे रहे थे।

एक जगह बिल्कुल सुनसान थी। दूर दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमें गन्ने के खेत के बीच में कुछ खाली हिस्सा नज़र आया। वो मुझे वहीं ले गया और मुझसे लिपट कर जगह जगह मुझे चूमने चाटने लगा। इससे मेरी उत्तेज़ना और बढ़ गई। इसके बाद जब उसने मेरी चूचियों को दबाना-मसलना शुरू किया तो मुझे जैसे ज़न्नत दिखाई देने लगी। वो एक हाथ से मेरी चूचियाँ और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को बारी बारी दबा रहा था।

अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं मना करने की स्थिति में नहीं थी, सो मैंने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो मेरा कुर्ता आराम से उतार सके। उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खींच दिया। सलवार बिना लगाम के घोड़े की तरह झट से नीचे गिर गई। अब मैं उसके सामने केवल ब्रा और पैन्टी में रह गई थी।

मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन उत्तेज़ना शर्म पर हावी हो गई थी। सो मैं चुपचाप तमाशा देखती रही। उसने पहले तो मेरे सीने को फ़िर नाभि को ऐसे चूसना शुरू कर दिया मानो कुछ मीठा उस पर गिरा हो और वो उसे चाट कर साफ़ कर रहा हो।
मैं बुरी तरह उत्तेज़ित हो रही थी कि उसने मेरी कच्छी के ऊपर से एक उँगली मेरी चूत में घुसेड़नी शुरू कर दी। मुझे दर्द का भी अहसास हुआ पर मैं उसे मना ना कर सकी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन मैं बेशर्म हो कर अपनी चूचियाँ अपने आप दबाने लगी थी।

उसने धीरे धीरे मेरी पैन्टी और ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया और मुझे मादरजात नंगी कर दिया। मैं तड़प रही थी और उसे मज़ा आ रहा था।

वो अभी तक पूरे कपड़ो में खड़ा था। मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे गाली दे देकर कहना शुरू कर दिया कि अपने कपड़े भी तो उतार। वो झटके से मुझसे अलग हुआ और बिजली की रफ्तार से उसने अपने कपड़े उतार दिये। कच्छा उतारते के साथ मेरी हालत खराब हो गयी। उसका लण्ड मेरे पापा के लण्ड से कम से कम दुगुना लग रहा था। उसकी लम्बाई कम से कम 8 इंच और गोलाई कम से कम 3 इंच से तो किसी भी तरह कम नहीं थी।

उसने अपना हथियार मेरे हाथ में देकर मुझसे सहलाने को कहा। मैं उसे हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी तो उससे डर कुछ कम लगने लगा। फिर उसने मुझे नीचे बैठाया और अपना लण्ड मेरे मुँह में देने लगा। मुझे बहुत घिन्न आ रही थी कि इसी से ये मूतता होगा और अपना पेशाब मुझे पिलाने की तैयारी में है और सच में उसने मेरे मुँह में डालते डालते पेशाब की तेज धार मेरे मुँह और सारे चेहरे पर डाल दी और हंसने लगा।

पहले तो मुझे बहुत घिन्न आयी पर पता नहीं क्यों कैसे मुझे अपने ऊपर पड़ती गर्म पेशाब से अचानक नहाने में बड़ी उत्तेजना का अनुभव होने लगा। मैं उसके पेशाब को चाटने भी लगी और अपनी चुचियों पर भी मला। मुझे सच इसमें बहुत मजा आया। इसके बाद लण्ड में बची बूंदो को खराब न जाने देने के इरादे से मैंने उसका मोटा लण्ड अपने मुँह में बिना उसके कहे डाल लिया और चूसने लगी।

मुझे तो खैर उसमें बहुत मजा आ ही रहा था, मैंने महसूस किया कि उसे भी इसमें बहुत मजा आया होगा क्योंकि उसका लण्ड पहले से अधिक सख्त और गर्म महसूस हो रहा था। वो मेरा सिर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। अब मेरी चूत में उत्तेजना बढती जा रही थी। यह बात मैंने पूरी बेशर्मी से उसको बतायी तो वो अपना लण्ड मेरी चूत में डालने को तैयार हो गया। वो मुझे जमीन पर लिटाकर मेरे उपर आ गया।

उसके लण्ड का अगला भाग जिसे शायद सुपाड़ा कहते हैं जैसे ही मेरी चूत से टकराया लगा कि जैसे गर्म सरिया या रॉड सी मेरी चूत पर छुआ दी हो। सच अगर चूत में लण्ड डलवाने की इतनी खुजली न मची होती तो मैं तुरन्त उसे वहाँ से हटा देती, लेकिन मैं अपनी चूत के हाथो मजबूर थी। अब उसने चूत पर लण्ड का दबाब बढ़ाना शुरू किया। मुझे दर्द का एहसास हुआ तो मैंने थूक लगाकर डालने की सलाह दी जिसे उसने तुरन्त मान लिया।

उसने सुपाड़े पर थूक लगाकर जोर का झटका मेरी चूत के छेद पर मारा, पर निशाना मिस हो गया और लण्ड मेरे पेट के निचले हिस्से की खाल को जैसे चीरता हुआ उपर आया। मैंने उसे अपने पर्स में निकालकर अपनी कोल्ड क्रीम की ट्यूब उसे दी और उसके लण्ड पर लगाने को कहा, अबके उसने लण्ड के साथ साथ मेरी चूत को भी क्रीम से भर दिया, उँगली डाल डाल कर क्रीम अन्दर पहुँचा दी। मेरी हालत प्रति क्षण खराब होती जा रही थी।

मैंने उससे कहा कि मैं रास्ता दिखाती हूँ तुम जोर का धक्का मारो।

फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और दबाया। इशारा समझकर उसने शायद पूरी ताकत से धक्का मार दिया। उस समय ऐसा लगा कि उसने धक्का नहीं मुझे मार दिया। एक झटके में उसका आधे से ज्यादा महालण्ड मेरी चूत में समा गया था। मेरी चूत निश्चित ही फट गयी थी और वह दर्द का अहसास हुआ जो आज तक कभी भी जिन्दगी में नहीं हुआ। मैं सिर पटकने लगी।

सारी उत्तेजना जाने कहाँ हवा हो गयी थी, मैं उससे लण्ड निकालने की रो-रोकर विनती करने लगी, लेकिन उसे तरस न आया, वो तो उल्टा मेरी चुचियों को चूसने और काटने लगा। पर उसने लण्ड को वहीं रोक दिया। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम सा महसूस होने लगा तो मैंने उसे बताया। अब उसने लण्ड को धीरे धीरे गति देनी चालू की। उसने धक्के अब भी मेरी चूत को फाड़े दे रहे थे। भंयकर दर्द हो रहा था लेकिन ये उस जानलेवा दर्द के आसपास भी नहीं था जो पहले झटके में शायद क्रीम के कारण हो गया था।

थोड़ी ही देर में मुझको भी मजा सा आने लगा। उसके धक्के अभी भी दर्द पैदा कर रहे थे पर उस दर्द में भी एक अलग आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी चूत में से पता नहीं क्या कुछ निकल कर रिस रहा था। पर उसका चूमना चाटना और बीच बीच में काटना अलग ही था। मैंनें इतना आनन्द अनुभव किया जो जिन्दगी में पहले नहीं किया था। पर बात उससे आगे की भी थी। करीब 20 मिनट बाद उसने अचानक धक्कों की स्पीड बढा दी। मैंने भी सहयोग करने का निश्चय करके नीचे से चूतड़ उछालने लगी।

दोनों अपने वेग में थे कि अचानक मेरी चूत में कुछ संकुचन सा हुआ और मैंनें उसको कस के चिपटा लिया, अपने नाखून उसकी कमर में गाड़ दिये। तभी मैंनें अपनी चूत में कुछ गर्म गर्म लावा सा गिरता हुआ महसूस किया।

कुछ ही मिनटों में हम दोनों शान्त हो गये थे। पर आखिर के वो एक-दो मिनट में जो आनन्द आया उसके सामने शायद जन्नत का सुख भी फीका हो। मैं उसकी मुरीद हो गयी। उसने उसके बाद लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने उसे बड़े प्यार से चाट-चाट कर साफ किया।

फिर जब मैंनें बैठकर अपनी चूत रानी को देखा तो मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी। चूत का भोसड़ा तो बन ही गया था साथ ही उसमें से खून भी रिस रहा था। मैं यह देखकर डर गयी थी। पर उसने हिम्मत बंधायी। पता नहीं उसने मुझे वापस लिटाकर मेरी चूत में कपड़े से और क्रीम से क्या क्या किया पर सुकून था कि खून रूक गया था। अब थकान बहुत महसूस हो रही थी। सो थोड़ी देर लेटी रही।

फिर उसके सहारे से उठी और बदन झाड कर कपड़े पहने। कपड़े पहनकर उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा तो उसने फिर एक बार मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया और चुचियों को दबाने लगा। मुझे बहुत आनन्द आया और सच में अगर घर वापिस लौटने में टाइम का ख्याल नहीं होता तो मैं उसे हटने को कभी नहीं कहती।

उसके बाद हमने उस जंगल वाले कालेज की कई क्लासेज अटेण्ड की। पर अब गन्ना कट जाने से हमें बड़ी दिक्कत हो गई है। खैर, भगवान ने चाहा तो उसका इन्तजाम भी हो जायेगा। अच्छा मैं अपनी कहानी यहीं पर बन्द करती हूँ।

सम्पादक महोदय से गुजारिश है कि मेरा नाम भले ही छाप दें पर मेरे गाँव और जिले का नाम साइट पर न दें नहीं तो मेरी पूरे कालेज में बदनामी हो सकती है। मैं जानती हूँ मेरे कालेज कई लड़के लड़कियाँ अर्न्तवासना पर कहानियाँ पढने के शौकीन हैं। Sex Stories

लेखक : मुन्ना Sex Stories

यह बात हैं कुछ 12-14 साल Sex Stories पुरानी, तब मैं 19 साल का एक हट्टा- कट्टा नौजवान था।

मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव “सिवामुलिक” में रहता था। हमारे गाँव में हर साल सावन में मेला लगता था और हम सारे दोस्त उस मेले में जाते थे, बहुत मज़े करते थे। मेला काफी प्रसिद्ध था इसलिए आस-पड़ोस के 5-7 गाँव के भी लोग वहाँ आते थे।

मैंने तब तक किसी भी लड़की को चोदा तो क्या नंगा भी नहीं देखा था। मगर हाँ, मेरे दोस्तों ने मुझे किताबों में लड़कियों की नंगी तस्वीरें दिखाई थी। उसमें अनगिनत लड़कियों की तस्वीरें थी, अलग अलग पोज़ेज़ में ! कहीं एक लड़की दो-दो लड़कों के साथ चुदवा रही थी, तो कहीं तीन लड़कियाँ एक लड़के के लौड़े के लिए लड़ रही थी, सभी कुछ सपना सा लगता था और मैं उन्हें देख कर मुठिया मारा करता था।

खैर, उस मेले में जाने का मुख्य तात्पर्य चोदना था, हम हर बार इसी उद्देश्य से वहाँ जाते थे, इस बार भी हम गए।

इस बार का मेला कुछ अलग ही था, इस बार बहुत सी नई दुकानें थी, झूले थे और काफी सुन्दर लड़कियाँ !

एक लड़की मुझे भी भा गई और मैं उसका पीछा करने लगा। वो जहाँ जाती, मैं वहाँ चला जाता, कभी गुबारा लेने तो कभी चूड़ियाँ लेने !

मेरे मामा की भी वहाँ एक चूड़ियों की दूकान थी, वो वहाँ जा पहुंची और भी वहाँ उसके पीछे पीछे मैं भी चला गया।

मुझे आता देख मामा जी ने कहा,” मुन्ना, अच्छा हुआ तू आ गया, आधे घण्टे के लिए दूकान संभाल ! मुझे ज़रा कुछ काम है !

मौका पाकर मैं वहाँ बैठ गया और उसे चूड़ियाँ दिखाने लगा।

उसके गोरे-गोरे हाथ अपने हाथों में लेकर उनमें चूड़ियाँ पिरोने लगा। कभी कोई टाइट चूड़ी से उसे दर्द होता तो वो अपना दर्द अपने होटों को काट कर दर्शाती। यह सब देख-महसूस कर के मेरा तो लौड़ा ही खड़ा हो गया।

मैंने कहा,” आपके हाथ काफी कोमल हैं, मानो रेशम के बने हों !”

और वो शरमा गई। मुझे लगा कि उसे भी मैं अच्छा लगता हूँ।

धीरे धीरे मैं उसका हाथ अपने लौड़े के पास लाते गया, शायद उसने यह महसूस कर लिया और मुझसे कहा,” क्या आप मुझे घर तक छोड़ सकते हैं, रात काफी हो गई है और मेरी सहेलियाँ भी नहीं दिख रही !”

मैं फट से तैयार हो गया, मामाजी आये तो उनसे सायकिल ली और चल पड़ा उसके साथ।

रास्ते में उससे उसका नाम पूछा।

“रति” उसने जवाब दिया।

काफी देर चलने के बाद हम एक सुनसान जगह पर पहुँचे, मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे पास के खेत में ले गया।

उसके होठों को अपने हाथ से छुआ, उन पर शबाब की बूंदें मानो शहद लग रही थी, मैंने हलके से उसके होठों पर अपने होठ रखे और अपनी जबान को उसके मुँह के अन्दर फ़िलाने लगा। उसके हाथ भी मेरे शरीर पर घूमने लगे, कभी वो मेरी गर्दन को चूमती तो कभी मेरे कान को अपनी जुबान से सहलाती।

मेरे अंग-अंग में रोमांच भर गया, मैंने उसकी चोली निकाली तो उसके स्तन बाहर छलक पड़े, उनका आकार बहुत बड़ा था, मेरे हाथ से भी बड़ा !

मैंने एक को मुँह में लिया और चाटने लगा, उसके चुचूक खड़े हो गए। मैं अपनी जुबान से उसके चुचूक के इर्द गिर्द गोला बनाने लगा, उससे उसको बहुत अच्छा लगा “आ…आया…ऊऊओह्ह्ह्ह” की आवाज़ से मेरे लौड़ा पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया।

मैंने उसे नीचे लिटाया, उसका घगरा निकला और फिर उसकी चड्डी। उसकी गोरी गोरी टांगें देखकर तो मेरे मुँह में पानी आने लगा। मैंने जल्दी से अपनी पैन्ट और चड्डी निकली और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत में मेरी जुबान अन्दर तक जा रही थी। वो अपना आनंद ” और ….और जोर से …..आह…” की आवाज़ से जता रही थी।

फिर वो हट गई और मुझे लिटा दिया, वो मेरी टांगों की बीच बैठ गई और मेरे खड़े लौड़े को देखने लगी।

” बाप रे ९ इंच ! बहुत बड़ा हैं यह तो ! क्या मेरी चूत में जा पायेगा?”

मैं भी सोच में पड़ गया। मगर उसने मुझे सोचने का वक़्त नहीं दिया, और फट से मेरे लण्ड को अपने गरम होठों के बीच ले लिया, अपने सिर को ऊपर-नीचे करने लगी, लौड़े के सर पर जुबान से गोले बनाने लगी। ख़ुशी के मारे मैं चिल्लाने लगा,” हाँ, हाँ और जोर से…..और जोर से……रति…….रांड और अन्दर ले …”

इतने में मेरा चीक(वीर्य) निकल गया, वो हँस पड़ी, उसने मेरा पूरा चीक खा लिया।

मेरा लौड़ा छोटा हो गया। वो उसे हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी, मेरी छाती को चूमने लगी, मेरे चुचूकों को चाटने लगी। वो फिर मेरी गोटियों को अपने मुँह में लेकर खेलने लगी। थोड़ी देर में मेरा लौड़ा खड़ा हो गया।

“चल अब डाल दे !” रति बोली।

मैंने कहा,” मैंने कभी किया नहीं, क्या आप मुझे बताएंगी कि कहाँ डालना है !”

उसने मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथ में लिया और अपनी चूत के दरवाज़े पर रख दिया।

“चल अब डाल !” वोह बोली।

और मैंने डाल दिया, थोड़ा सा दर्द हुआ मुझे, पहली बार था ना !

“अब अन्दर-बाहर कर अपने लौड़े को, फिर देख क्या मजा आता है !”

मैं वैसा ही करने लगा, उसके स्तनों को काटने लगा, उसके होठों को चूमने लगा, उसके उभार लाल लाल हो गए थे, उनमें मेरे हाथों के निशाँ भी पड़ गए थे। मैंने अपने धक्कों को गति बढ़ा दी।

” डालो और जोर से डालो, मेरी चूत कब से एक लौड़े के लिए प्यासी थी…. रणजीत… अपने हाथों से मेरी गांड भी दबाओ… !”

मैंने फिर उसके पैर अपने कंधे पर रख लिए और फिर से धक्के देना चालू किया, उसे पैरों को काटता तो कभी चूमता !

मेरे धक्कों के उसके स्तन यूं झूलते मानो आंधी में लालटेन !

” रणजीत, अपने लौड़े की वर्षा से एक बार फिर मेरे चेहरे को नहला दो, जोर से डालो अन्दर……आअह्ह…..ऊऊऊउऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह……मेरे राजा…..बड़ी तेज़ हैं तेरी गाड़ी…….फाड़ डाल मेरी चूत को………आ …और और और…..हाँ हाय हाँ हाँ हाँ…” वो बड़ी ही रोमांचित थी और मैं भी !

मैं फिर से निकलने वाला था, मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसके मुँह की तरफ रख कर हिलाने लगा … एक-दो बार हिलाने के बाद मेरा पूरा चीक निकल गया,”ओह , आ आ….ले…पूरा ले मुँह में रांड……ले ले मेरे लौड़े को !” मैं बोला।

उसके बाद हमने कपड़े पहने और फिर उसे उसके घर छोड़ दिया।

इस घटना के बाद मैंने कई बार कोशिश की उससे मिलने की, मगर वो कहीं नहीं मिली………

आप बताइए, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Sex Stories

Antarvasna

मैं गुजरात का रहने वाला एक २४ साल का हैंडसम लड़का Antarvasna हूं और मेरा लंड का साइज़ ७.५” का है और मेरी बोडी एथलेटिस है और पार्ट टाइम जिम ट्रैनर हूं। यही मेरा काम है और शौक भी, कई बार दिन में ४-४ बार लड़कियों और औरतों को खुश करता हूं.

ये कहानी है मेरी काम वाली की लेकिन ये काम वाली १८ साल की थी क्या मज़ा आया उसको चोदने में

ये बात तब की है जब मैं गिगोलो नहीं था एक दिन घर पर कोई नहीं था मैं अकेला था और मैं उस दिन लेट उठा ११ बजे, तभी दरवाजा खटखटाया हुआ मैने सोचा काम वाली होगी और थी भी वोही, लेकिन ये उसकी बेटी थी मैने जब उसको पूछा तेरे मम्मी नहीं आयी वो बोली वो बीमार है मैने सोचा आज मौका है इसकी जवानी की खूबसूरती का लुत्फ़ उठाने का सो मौका गंवाना नहीं चाहिये, बाद में मैं अपने कमरे में चला गया और उसको बोला प्रिया चाय तो बना दे मुझको वो बोली ठीक है जब वो लेकर आयी तो मैने उससे ऐसे ही बातें करनी शुरु कर दी और उसको अपने पास बैठा लिया, तभी मैने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला एक किस तो दे उसने कुछ नहीं बोला तभी मैने उसको पकड़ कर किस करना शुरु किया पहले तो ५ मिनट तक वो थोड़ा छुड़ाती रही तभी मैने उसकी जुबान पर अपनी जुबान रख कर किस करने लगा और करीब २० मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा उसकी आंखे बंद थी तभी मैने देखा उसको मज़ा आ रहा है और मैने सीधा उसकी फ़ुद्दी में हाथ रख दिया वो तड़पी थोड़ा बाद में मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा जब वो मस्त हो गये मैने उसके कपड़े उतार दिये उसको नंगी देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये क्या जवानी थी उसकी मस्त थी मैं ऊपर उसके मम्मे चूस रहा था तो नीचे उस चूत में दो उंगली डाल दिया क्योंकि वो कुंवारी थी तो।

मैने पहले हाथ उसकी चूत को थोड़ा ढीला किया ताकि उसको दर्द न हो लेकिन दर्द तो मैं ऊपर दे भी रहा था मैं उसके मम्मे पर दबा रहा था बार बार क्योंकि इसे मज़ा और आता है तभी वो झड़ गयी उसके बाद मैने उसके मुंह में जब अपना लंड डाला तो देख कर डर गयी लम्बा तो था ही लेकिन मोटा भी था वो थोड़ा न बोली मैने कहा थोड़ा सा ले अंदर जब उसने अंदर लिया तो मैने एक झटका दिया और उसके मुंह मैं ५” तक अंदर घुसा दिया उसकी आंखों मैं आसू आ गये मैने कुछ नहीं देखा और बोली चुप इसको जितना ज्यादा इसका ख्याल रखेगी उतना ज्यादा मज़ा देगा तुझको

उसने फ़िर चूसना शुरु कर दिया उधर नीचे वो पूरी गरम हो चुकी थी, मैने उसके मुंह से लंड निकला और उसकी चूत पर रख दिया, लेकिन मुझको मालुम था इसको दर्द होगा मैने उसको कस कर पकड़ लिया लगातार झटके दिये वो दर्द से चिल्ला रही थी लेकिन मेरा तरीका यही है सेक्स करने का. क्योंकि जितना ज्यादा आप हार्ड फक्क करोगे उतना ज्यादा आप उत्तेजित होगे और यही तो सेक्स है ,क्योंकि मैं जिम में नियमित जाता हूं सो मेरे अंदर जोश बहुत रहता है सो उसकी मैने उस दिन खूब चुदाई की उसको भी खूब आनन्द आया और मुझको तो आना ही था बाद में मैने उसको बोला कि आज के बाद तू मेरे से ही चुदवायेगी वो बोली क्यों नहीं साहिब अब तो मैं ही आपकी रंडी हूं मैने कहा कोई बात नहीं साली आज तो पहला दिन था सो थोड़ा तरस किया अगली बार देखना Antarvasna

Indian Sex Stories

मेरी शादी के बाद एक महीना Indian Sex Stories तो रोज 4 से 5 बार चुदाई करते हुए निकल गया, और कैसे निकला कुछ पता ही नहीं चला। उसके बाद भी सेक्स के प्रति दीवानापन बना ही रहा। अक्सर औरतों की आदत होती है कि वो पति को ताने मारती रहती हैं कि आपको तो बस सेक्स के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है।

मैंने उससे पूछा कि शायद तुम्हारे मायके में तुमको खिलाने के लिए कम पड़ने लगा होगा इसलिए तुम्हारी शादी करनी पड़ी !

तो पत्नी बोली- हो ओ ओ ओ ओ, कोई नहीं, खूब था !
मैं बोला- फिर लिखाई पढ़ाई लायक धन नहीं होगा !
तो वो बोली- और कितना पढ़ना था, खूब तो पढ़ लिया !
मैंने फिर पूछा- तो ओढ़ने पहनाने में असमर्थ होने लगे होंगे?

पत्नी बोली- आप भी ना कैसी बातें कर रहे हो, रुपये पैसों की कमी तो कोई नहीं थी !
तो मैं बोला- मेरी प्यारी प्राणेश्वरी ! अरे तो जिस चीज की कमी थी वो था लंड, और सेक्स ! समझी ना ! और इसी के लिए अपनी शादी की गई है और जिसके लिए शादी की गई है, उसका अनादर क्यों करें !

यह तो मन की खेती है, जब भी मन करे खूब चुदाई करो। इससे भी कभी मन भरना चाहिए क्या !

अरे यार लोगों में कई तरह की गलत धारणाएँ होती हैं, कई तो उन धारणाओं के चलते सेक्स का मजा नहीं ले पाते हैं, और कई लोग असमर्थ होते हैं, जल्दी ही स्खलित हो जाते हैं या किसी कारणवश उनका मन ही नहीं करता, वो बेचारे वैसे मजा नहीं ले पाते हैं, इसलिए जब तक इस मशीनरी को चालू रखेंगे ये सही तरीके से काम करेगी, वरना खराब हो जायेगी।

और मेरी दीवानगी पर तो तुझको फख्र होना चाहिए, कि इस कारण ही सही मैं तुम्हारे आगे पीछे तो घूमूँगा ना !

और मजे की बात कि मेरी पत्नी को यह बात ठीक से समझ आ गई, उसके बाद उसने कभी मुझे इस बात का उलाहना नहीं दिया।

लगभग बीस साल शादी को हो चुके हैं, अब कुछ समय से मेरी पत्नी में कुछ बदलाव आए हैं, वो सेक्स के लिए मना तो नहीं करती है, लेकिन वो सेक्स में सक्रिय भाग भी नहीं लेती है, मुझे सेक्स करना हो तो फोरप्ले मुझे अकेले को करना होता है, वो नहीं करती, सेक्स के लिए खुद पहल नहीं करती, हाँ सेक्स में ओर्गास्म लेने के लिए जरूर सक्रिय होती है ! बस, हो गयी चुदाई उसकी तरफ से ! चुम्बन लेने को मना करती है, बोलती है मेरा दम घुटता है।

मैंने उसको समझाया कि तुम किस के समय मुँह से सांस क्यों लेती हो, नाक से लो!
तो भी वो मना करने लगी है, बोलती है किस मत करो।

अब बताइये जो चीज मुझको सबसे अच्छी लगती है, जिस क्रिया में मैं 10-20 मिनट आराम से निकाल सकता हूँ, वो ही नहीं करने को मिले…

खैर…
मैंने कई जगह पढ़ा है कि लोग अपने लण्ड को तीन इंच चौड़ा और 9 इंच लम्बा बताते हैं।

एक आम इंसान के लिए यह सोच कर अपना दिमाग खराब करने की कोई बात नहीं है…

मैं एक बहुत साधारण सा उदाहरण दे रहा हूँ-

आप एक बिसलरी की पानी की बोतल ले लीजिये, यह बोतल तीन इंच चौड़ी होती है और इसके ऊपर का मुंह जहां से बोतल घूमना शुरू हो जाती है वहां तक नौ इंच लम्बाई होती है, मैंने 9 इंच लम्बाई का तो सुना है और बन्दे को देखा है लेकिन तीन इंच चौड़ा… मैंने कभी भी नहीं देखा…

मेरी सेक्स पॉवर में कोई कमी नहीं आई, अब मुझे रोज ही अधिकतर मुठ मार मार कर काम निकालना पड़ता है। जहां सेक्स रोज करते थे अब 20 दिन से एक महीना तक निकल जाता है, मन भटकने लगा, कि कोई साथी मिल जाए जो मेरी समस्या को समझे और मेरा साथ दे।

मेरी कंप्यूटर रिपेयरिंग शॉप के बाजू में मोबाइल कम्युनिकेशन की दुकान खुली, कुछ दिन तो बन्दा लगातार बैठा फिर उसने एक लड़की को वहाँ अपोइंट किया और खुद ने किसी और मल्टीप्लेक्स में एक और दूकान खोल ली और वहाँ बैठने लग गया। एकदम स्लिम लड़की जवानी की गोद में सर रखा ही था और जवानी में लड़की को जैसे खूबसूरती और अरमानों के पंख लग जाते हैं, वो थोड़ा बोलने में बोल्ड हो जाती है, वो भी शुरू में तो कम बोलती थी, फिर बोल्ड हो गई, किसी बात को लेकर परेशानी होती तो मुझे बोलती।

हम लोग आपस में खुलने लगे, एक दिन बहुत ही अजीब सा वाकया हुआ…

उसको सू सू जाना था वो मुझसे बोल गई कि मैं अभी आई ! ज़रा इधर दुकान में ध्यान रखना !
वो गई और वापस आई और बहुत परेशान सी लगी, कुछ देर बीत गई…
फिर हिचकती सी बाहर आकर मुझे बोली- सर, प्लीज ! एक मिनट इधर आयेंगे?

मैंने लड़कों को बोला- तुम लोग काम करो, मैं आया !
और उसके पीछे उसकी दुकान में गया, वो अन्दर केबिन में चली गई थी, मैं केबिन के दरवाजे पर जाकर बोला- हाँ क्या हुआ?

तो उसका मुँह लाल हो गया, बोली- मुझे शर्म भी आ रही है और इमरजेंसी इतनी है कि मैं बिना कहे रह भी नहीं सकती।
मैंने कहा- तो कह दे ना, फिर शर्म की क्या बात है।

तो वो हिचकते हुए रुक रुक कर बोली- सर मैं सु सु गई थी… मेरी सलवार… क्या बोलूं,
मैंने कहा- अरे बोल ना…
तो बोली- नाड़े में गाँठ लग गई है…
मैंने कहा- ओह्ह्ह, है तो समस्या ही ! लेकिन जो करना है वो तो करना ही पड़ेगा…

मैं केबिन के अन्दर हो गया, उसको एक साइड में किया और कुरते को ऊपर कर के नाड़े में पड़ी गाँठ को सही किया, और उसको सु सु करने भेज दिया…

मेरी क्या हालत हुई होगी आप भी इस हालत में होते तो… सहज ही अंदाजा लगा लो…
मैंने छोटे को चड्डी में हाथ डाल कर ऊपर की ओर किया और अपनी धड़कन पर काबू करने का यत्न करने लगा।

सपना का क्या हाल हुआ होगा, जिस तरह से बेचारी के हाव भाव लग रहे थे, धड़कन तो उसकी भी बढ़ ही गई होगी…, उसका मुँह एकदम लाल हो गया था। इसका मतलब पहली बार किसी मर्द का हाथ इस तरह से उसको लगा था…

मैंने सोचा कि मैंने तो क्या गलत किया, उसने कहा तो मदद कर दी ! इमरजेंसी थी ही इतनी ! खैर अब होगा जो देखा जायेगा…
अब मेरे मन में एक अरमान जागा कि सपना यदि तैयार हो जाए तो…
जो घुटन मेरे मन में मुझे महसूस होती है वो ख़त्म हो जायेगी।

खैर… मैंने अपना सर झटका, सोचा थ्योरी में और हकीकत में बहुत फर्क होता है…

वो जैसे ही अपनी दुकान में आई मैं अपनी दुकान में चला आया, लेकिन आते आते उसके मुँह से थैंक यू सर… निकला, मैंने उसकी और देखा और मुस्कुरा कर चला आया…

अब हम थोड़ा और खुल गए, कभी कभी जब वो बिल्कुल अकेली होती तो मुझसे कह देती- सर लंच कर लो !

तो हम साथ साथ लंच कर लेते थे…, कुछ हंसी मजाक, जोक्स भी चलता रहने लगा…
लेकिन दिल्ली अभी कितनी दूर थी कुछ पता नहीं…
वो खाली टाइम में कंप्यूटर पर गेम्स खेलती थी, ज्यादातर ताश वाले गेम्स !

एक बार लंच में बुलाया तो वही गेम लगा पड़ा था तो मैंने कहा- बोर नहीं होती इन गेम्स से? रोज रोज यही गेम, बच्चों वाले…
तो उसके मुंह से अचानक ही निकल गया- तो सर आप ही बता दो कुछ !

मैंने मौका देख कर कहा- तू बुरा तो नहीं माने तो बता दूंगा !
तो सपना बोली- आप भी क्या बात करते हो, बुरा काहे का मानना?

तो लंच के बाद मैं उसके कंप्यूटर पर अन्तर्वासना साईट लगा कर बोला- यह देख, एक एक टोपिक पर क्लिक कर, यदि पसंद ना आये तो बुरा मत मानना ! बंद कर देना मैं और कुछ गेम्स में कंप्यूटर पर डाल दूंगा…

उसके बाद 3-4 दिन तक उसने न तो मुझसे बात ही की और ना ही मुझे लंच के लिए आवाज ही दी। मैं यदि बाहर निकलता भी तो वो मेरी तरफ नहीं देख कर नजर नीचे कर लेती..

मैंने समझा कि गलत ही हो गया लगता है… शायद यह लड़की इस तरह की चीजों में रुचि नहीं लेती होगी…, मेरे मन में पछतावा होने लगा, कि क्यों मैंने उसको बिना उसका मन जाने इस तरह की साईट उसको दिखाई… बेचारी अच्छी दोस्त थी..

खैर.. अब जो होना था वो तो हो चुका…

हमारे मॉल में दुकानें लगभग 11 तक पूरी तरह से खुलती थी, लेकिन मैं हमेशा 9:30 पर दुकान खोल लेता हूँ।

इस घटना को लगभग 5 दिन निकल गये होंगे कि एक दिन वो भी 9:30 पर आई और सफाई पूजा के बाद उसने मेरी दुकान के बाहर से मुझे आवाज लगाई- सर एक मिनट प्लीज !

मैंने सोचा- जाने आज क्या होगा, यह क्या कहना चाहती है? मैंने सोचा कि अभी यहाँ कोई आस पास है भी नहीं… जो गलत हो गया उसको सुधरने का मौका भी है, यह सोच कर धड़कते दिल से उसकी दुकान में चला गया। वो मिठाई का डिब्बा हाथ में लेकर खड़ी थी, बोली- मिठाई खाओ सर…!

मैंने मिठाई का पीस हाथ में लेकर पूछा- किस खुशी की मिठाई है?
तो बोली- मैं आज बी ए की परीक्षा में पास हो गई।
मेरे मुंह से निकला अरे वाह…! बधाई हो !

और आधा टुकड़ा उसके मुँह में डाल दिया और बाकी का अपने मुँह में और उस पीस को ख़त्म करके एक और पीस उठाया। फिर मिठाई ख़त्म करके मैंने उसको बोला- सपना मैं तुझसे कुछ कहना चाहता हूँ।

मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और मुँह से शायद लालिमा भी फूटने लगी हो…

सपना का मुँह भी सकपकाहट से लबरेज हो गया, उसको भी भान होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूँ…

मैंने हिम्मत करके कहा- सपना उस दिन जो मैंने तुझको साईट खोल कर दी, यदि तुझे बुरा लगा हो तो मैं सच्चे मन से माफ़ी मांगता हूँ, सच में तेरी मंशा जाने बिना मैंने तुझको वो सब पढ़ने को दिया जो वर्जित माना जाता है, और यह जानते हुए भी कि यदि तुझको सेक्स चढ़ा तो तेरे पास उसको सँभालने का कोई साधन नहीं है। तू किसको कहेगी कि तुझको क्या हुआ है…

सपना का मुँह नीचा हो गया, चेहरा लाल हो गया, और बोली जैसे जम गई हो।
मैंने उसकी ठुड्डी के नीचे अपनी ऊँगली रख कर उसका चेहरा उठाया और मेरी तरफ देखने को बोला।

उसकी नजरें धीरे धीरे मेरी ओर उठी तो मैं बोला- सपना तू मेरी अच्छी दोस्त है, अब तू क्या मानती है यह तो तू जाने, लेकिन मैं तेरी दोस्ती कम से कम तेरी शादी तक तो नहीं खोना चाहता।

तो उसकी आँखों से दो बूँद आंसू टपक आये…
मेरा दिल भारी हो गया।

उसने धीरे धीरे रुक रुक कर कहा- सर मैं भी आपको अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ, मैं नाराज नहीं हूँ…, नहीं तो आज इस समय क्यों आती…, मुझे आपसे बात करना अच्छा लगता है…

मेरे मन को कितना चैन आया, जैसे सर पर से पहाड़ एकदम से हटा दिया गया हो…
मैंने कहा- ठीक है तू थोड़ी देर मेरे पास मेरी दुकान पर बैठ… आ जा !

उसने शटर उठे रहने दिए और अलुमिनियम का दरवाजा लगा कर मेरे पास मेरी दुकान में आ गई और मैं रिपेयरिंग के साथ साथ उससे बात भी करने लगा। धीरे धीरे हम दोनों ही सामान्य होने लगे।

लगभग 45 मिनट बातचीत हुई जिसमें हमने एक दूसरे के घर में कौन कौन है, घर कैसा है, एक दूसरे की रुचियाँ क्या हैं यह सब जाना, फिर वो करीब 10:30- 10:45 पर अपनी दुकान में चली गई। अच्छा भी नहीं लगता था कि कोई उसको और मेरे को इस तरह से आपस में घुट कर बातें करता देखे, लड़की जात जल्दी बदनाम हो जाती है…

फिर वो अक्सर जल्दी ही आने लगी, हम दोनों में बहुत सी बातें होने लगी, धीरे धीरे वो मुझसे मजाक भी बहुत करने लगी, उसके चेहरे को देख कर लगता था कि उसको मेरा साथ अच्छा लगता है, वो ज्यादा से ज्यादा टाइम मेरे साथ निकालना चाहती है।

लेकिन मैंने उसको चेता दिया था कि देख सपना अपनी दोस्ती की बात अपने दोनों तक ही सीमित होनी चाहिए ! पगली, नहीं तो लड़की जात को बदनाम होते देर नहीं लगती।

यह बात उसको भी अच्छे से समझ में आ गई और जो भी हंसी मजाक हमें करना होता था वो सब हम और दुकानों के खुलने से पहले कर लेते थे। वो अकेले में मुझे निक नेम सोनू पुकारने लगी, मुझे बहुत अच्छा लगता था।

एक दिन जब मैं 9:30 पर दुकान पंहुचा तो सपना दुकान खोल चुकी थी और मुझसे बोली- सोनू प्लीज आज तुम थोड़ी देर मेरे साथ मेरे पास बैठो ना !

मैंने कहा- ठीक है आधा घंटा के करीब तुम्हारे साथ बिता लूँगा।
तो वो बोली- हाँ हाँ ठीक है।

मैं उसके पास बैठ गया। मैंने थोड़ा सा मूड हल्का करते हुए सपना से कहा- आज क्या बात है गुन्नू, तुम आज बहुत रोमांटिक मूड में लग रही हो, बिजली गिराने का इरादा तो नहीं है ना?

उसका मुँह लाल हो गया, और मेरे हाथ को अपने हाथो में ले लिया और बाजु के साइड में अपना सर हौले से टिका दिया…, मैं चौंका और सपना की ओर देखने लगा, वो नीचे देखने लगी, मैंने अपनी बांह उस से छुडाई ओर उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया ओर दूसरे हाथ से उसकी ठुड्डी उठाई, उसका चेहरा शर्म से लबरेज था… होंट पर एक गीलापन आ गया था, जो किसी लड़की के गरम होने पर आ जाता है, ओर आँखों में एक कुंवारी लड़की की शर्म भरी लालिमा आ गई थी। मुझे डर था कि कोई आ न जाए।

लेकिन वैसे अभी बाजार खुलने में थोड़ा समय था, मैंने सपना से कहा- गुन्नू मेरी रानू, हम आपस में अच्छे दोस्त हैं ना?

तो उसने हाँ में सर हिला दिया।

मैंने फिर कहा- गुन्नू ! अपनी नजरें मुझसे मिलाओ और बताओ कि क्या बात है?

तो उसने नीचे देखते हुए ना में सर हिला दिया और उसकी पलकें बंद हो गई, मैं बुरी स्थिति में फंस गया था, उसको वास्तव में सेक्स की गर्मी चढ़ गई थी।

अब यदि मैं उससे इस स्थिति का फायदा उठता हूँ तो मेरे दिल को गवारा ना था औजर यदि छोड़ता हूँ तो उसका क्या हाल होगा, मैं समझ सकता था। मैंने भगवान् को याद किया और टेबल पर से बाहर के गेट की चाभी उठाई और अन्दर से एल्यूमिनियम का दरवाजा लॉक कर दिया अन्दर सपना के पास आया और उसको अन्दर केबिन में ले गया और हम दोनों दो स्टूल पर सट कर बैठ गए। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसकी ठुड्डी उठा कर बोला- गुन्नू मेरी ओर देख…

बहुत मुश्किल से उसकी आँखें मेरी आँखों से मिली, मैंने कहा- सेक्स के बारे में जानना है?
तो उसने हाँ में सर हिला दिया.

मैंने उसको सेक्स के बारे में बताना शुरू किया कि कैसे होता है, बच्चे कैसे होते हैं ओर करते में क्या क्या महसूस होता है।

उसने कहा- सोनू, रात को मैंने… अपने मम्मी पापा को… देखा है ! तुम भी करो… मेरे साथ… सब कुछ… वो… ही…
ओह तो यह बात है ! मैंने सोचा…

उसने मेरा दूसरा हाथ अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसका सारा शरीर कांपने लगा, उसके पूरे शरीर में थिरकन हो रही थी। ओ माय गोड… मैंने सोचा और मुझे बस एक ही उपचार नजर आया, मैं उसके एकदम सामने हुआ और मैंने उसको अपने से चिपटा लिया ओर उसके होंटो पर अपने होंट रख दिए… हम दोनों स्मूच (होंट ओर जीभ को चूसते हुए किस) की स्थिति में हो गए।

मैंने अपनी पेंट की हुक और जिप खोल दिए, उसकि सलवार के नाड़े को खोल दिया ओर उसका हाथ उठा कर अपने लण्ड पर रख दिया और उसकी पेंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत पर सहलाने लगा।

उसकी चूत से पानी टपक रहा था और सलवार का कुछ हिस्सा तक गीला हो गया था। मैंने बैठे बैठे ही उसको थोड़ा ऊपर करके उसकी सलवार और पेंटी को टांगो से अलग किया और एक अन्य स्टूल पर सुखाने की स्थिति में डाल दी जैसे तैसे स्विच बोर्ड पर पंखा चालू कर दिया और उसकी टांगों को थोड़ा सा ऊपर करके उसको अपनी जांघो पर खींच लिया, उसकी चूत को थोड़ा सा खोल कर अपना लंड उसकी चूत की दरार में लम्बाई में रख दिया और उसके हिप्स के नीचे मेरे हाथ रखकर उसको अपने हाथों में थोड़ा सा उठा कर उसकी चूत में मेरे लंड की रगड़ देने लगा।

सपना ने कसमसा कर अपने होंट मेरे होंटो से अलग कर के खोले और बोली- सोनू अन्दर घुसा दो, प्लीज ! मैंने कहा- गुन्नू नहीं ! आज नहीं !
सोनू… प्लीज…

मैंने उसको बांहों में कस कर और भी जोर से भींच लिया, होंट से होंट मिला कर जोर से किस करने लगा, और उसको मेरे लंड से रगड़ देने लगा… अब उसको मजे आने लगे थे… सो वो भी धीरे धीरे हिलने लगी और 3-4 मिनट में ही हम एक दूसरे से जकड़े निढाल हो गए…

और तीन चार मिनट इस स्थिति में निकल गए फिर उसको धीरे धीरे होश आने लगा, आँखें खोल कर उसने अपनी स्थिति देखी, मेरी गोद में बैठी है… केबिन में है… नीचे कुछ नहीं पहना हुआ है… और मेरे नीचे के कपडे भी नीचे हुए पड़े हैं और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे हुए हैं… एकाएक उसकी आँखों में लालिमा आई लेकिन उसने अपने हाथ मेरी पीठ से हटा कर मेरे मुँह को अपने हाथों में पकड़ा और और एक किस कर दिया।

सच में इस किस का कोई मुकाबला न था यह अब तक के मजे में सबसे ऊपर था.. आखिर यह किस उसने अपने पूरे होशोहवास में किया था।अब हम जल्दी से अलग हुए, मैंने अपने कपड़े दुरुस्त किये और उसकी सलवार को पंखे के एकदम सामने कर के 5 मिनट में जितना सूख सकता था उतना सुखाया और उसको भी उसके कपड़े पहनाए।

हमने फिर एक बार और किस किया फिर जल्दी से बाहर का दरवाजा खोला, गनीमत कि अभी तक चहल पहल न थी…
फिर मैंने और उसने एक दूसरे को देखकर मुस्कान दी. फिर मैं दुकान खोल कर अपने काम में व्यस्त हो गया।

लंच करते में सपना ने अगले दिन 9 बजे आने को बोला। मैंने उसकी आँखों में देखा तो उसने आँख मार दी…
मैंने कहा- शैतान कहीं की… ठहर तो… कल देखूंगा…

अगले दिन मैं जब नौ बजे पहुंचा तो सपना दुकान में सफाई कर रही थी। जल्दी से फ्री हुई और मुझे अन्दर लेकर दरवाजा बंद किया और मेरे साथ केबिन में घुस गई और मुझे स्टूल पर बिठा कर मेरी गोद में बैठ गई और बोली- हाँ उस्ताद अब फिर से सिखाओ कल तो मैं होश में थी नहीं…

तो मैंने उसको सेक्स के बारे में फिर से बताना शुरू किया… आज न तो उसमे कल जितनी शर्म थी और ना ही मदहोशी…

वो बड़ी तन्मयता से सुन रही थी, समझ रही थी…

फिर उसने मेरे हाथ अपने बोबों पर लगा दिए और खुद मेरे होंटो को चूसने लगी फिर मेरी पेंट के हुक खोलने लगी…, मैंने उसको सहयोग किया तो उसने मेरे हाथ फिर से अपने बोबों पर रख दिए और मेरी पेंट को खोल दिया फिर खुद की सलवार को भी ! फिर खुद खड़ी होने की हालत में हो गई तो मुझे भी खड़े होना पडा तो उसने नीचे के कपड़े सरकाकर उतर जाने दिए…

फिर उसने मेरे लंड को अपनी चूत के दरार में सेट किया और मुझसे एकदम से चिपक गई, फिर अपने हाथ मेरी पीठ पर बाँध कर अपने पैर हवा में लेकर मेरे कूल्हों पर कस लिए और हिल कर चूत को मेरे लंड से रगड़ने लगी, तो मैंने अपने हाथ उसके बोबों से हटा कर उसके कूल्हों के नीचे किये और रगड़ में हिलाने में सहायता करने लगा। हमारा चुम्बन और भी प्रगाढ़ हो गया और धीरे धीरे वो अकड़ती गयी फिर मैं भी…

अब मैं उसको इसी हालत में लिये दिये स्टूल पर बैठ गया और हम अपनी साँसों में काबू पाने लगे…
ज़रा देर में ही सपना फिर चालू हो गई… चूमा-चाटी, बोबे दबाना चूसना, चूत को रगड़ना…!

फिर वो बोली- सोनू अन्दर डालो… चलो…
तो मैंने पूछा- तेरी एमसी कब हुई थी?
तो वो बोली- सत्रह दिन हो गए !

तो मैंने कहा- देवी और 2-3 दिन रुक जा ! नहीं तो फालतू में बच्चे का रिस्क हो जायेगा !
तो वो बोली- फिर अन्दर डाल कर करोगे…
मैंने कहा- हाँ बाबा हाँ !
वो बोली- प्रोमिस?
मैंने कहा- हाँ बिल्कुल पक्का…
तो बोली- लाओ हाथ और कसम खाओ !

मैंने उसके हाथ में अपना हाथ लेकर कसम खाई…
फिर हमारा दूसरा राउंड पूरा हुआ और उसके बाद हम हमारे काम में लग गए। दो और दिन इसी तरह से निकल गए…

इस बीच में मैंने वेसलीन की एक छोटी डिब्बी लाकर उसके केबिन में रख दी। उसने पूछा तो मैंने कहा- अन्दर वाले दिन काम आएगी ! फिर उसको बताया कि ज्यादा दर्द न हो इसके लिए जुगाड़ बिठा रहा हूँ…

तो वो मचल कर बोली- सोनू यार तुम्हारे जैसा आदमी तो बस… ये ध्यान रखते हो कि नादान से नहीं करना… उसको सेक्स का ज्ञान देते हो, उसे बच्चा न हो जाये ये ध्यान रखते हो.., उसे दर्द न हो ये भी ध्यान रखते हो आखिर क्यों…

मैंने कहा- मेरी जान हो तुम ! मैंने मात्र सेक्स के लिए नहीं, प्यार के लिए तुमको पाया है गुन्नू…
तो उसकी आँखों में जोश और विश्वास देखने के काबिल था…

आखिर एमसी के बीसवें दिन सुबह नौ बजे सपना बहुत उत्साह में थी, जैसे वो कोई तीर मारने जा रही हो।

मैंने उसको कहा तो बोली- हाँ ! तीर ही तो मार रही हूँ…, आखिर जिसके तुम जैसे गुरु हो वो कोई कम तीरंदाज होगा भला…

हम दोनों केबिन में बंद हो गए, और आज हमने एक दूसरे को पूरा नंगा किया और मैंने उसके होंट, बोबे और गर्दन चूसी, बोबे दबाये और खूब जोर से चिपटा कर किस करना चालू किया और सपना को कहा- लंड से खेल…!

वो लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी…! उसकी आँखों में खुमारी उतर आई और चूत में से पानी टपकने लगा…

मैं इसी इन्तजार में था… मैंने अपनी एक ऊँगली में खूब सारी वेसलीन लगा कर उसकी टांगों को फैला कर ऊँगली उसकी चूत में अन्दर डालता चला गया, उसका मुँह खुल गया और एक आह उसके मुँह से निकली।

मैंने पूछा तो बोली- कुछ नहीं…! आप तो करो…!
मैंने कहा- दर्द हो तो मुझे बताना !

तो बोली- सोनू दर्द तो एक बार होना ही है चाहे अभी या बाद में…! बाद का तो पता नहीं लेकिन तुम जैसा साथी हो तो इस साले दर्द की ऐसी की तैसी, होने दो एक बार ही तो होगा…

मैं दंग रह गया मुझे सपना पर बहुत प्यार आया, उसको कितना विश्वास था मुझपर…, जाने क्यों…

मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में दिए हुए ओ के आकार में घुमाने लगा… अन्दर उसका हायमन धीरे धीरे खुलने लगा, फिर 2-3 मिनट बाद में अंगूठे पर वेसलीन लगा कर चूत में डाला और उसके चेहरे को देखा तो फिर उसका मुँह किस करते करते रुक गया, और फिर वो किस करने लगी मैंने अंगूठे को आगे पीछे करना शुरू किया तो वो सिसकारी लेने लगी। धीरे धीरे कुछ देर बाद मैं अंगूठे को ओ के आकार में घुमाने लगा…

2-3 मिनट में उसका हायमन काफी खुल गया तो मैंने कहा- गुन्नू, अब तैयार…?
तो वो चहक कर बोली- अरे वाह सोनू ! मैं तो कब से राह देख रही हूँ… चलो… डालो…

मैं उसकी उत्सुकता देख कर दंग रह गया…
फिर मैंने उसको अपनी गोद में बिठाया और खूब सारी वेसलिन उसकी चूत पर मली ओर मेरे लंड पर भी, फिर हाथ बीच में रखकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सेट किया… फिर सपना को बोला- गुन्नू अपनी टांगो को बिल्कुल ढीला छोड़… उसके कूल्हों पर मेरे हाथो का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे अपनी ओर भींचने लगा… , लंड का सुपाडा अन्दर हो गया।

मैंने कहा- गुन्नू संभालो… दर्द होगा थोड़ा…

तो उसने अपनी टांगों को मेरे शरीर की तरफ एक झटका दिया और लंड सरसराता हुआ उसकी चूत में आधा चला गया, उसके होंट भिंच गए और वो और और आने दो … की मुद्रा में गर्दन हिलाने लगी…

मैं धीरे धीरे हिलते हुए धक्के लगाते लंड अन्दर डालता गया… और फिर एक बार हम दोनों के होंट आपस में किस करने लगे। हाथ एक दूसरे के बदन पर फिरने लगे… लंड के अन्दर जाने का स्वाद धीरे धीरे सपना को आने लगा और उसके मुँह से सिसकारी और आह निकलने लगी। फिर जो घमासान होना था वो हुआ और अब तक की चुदाई का सबसे शानदार ओर्गास्म आया हम दोनों को…

उसके बाद हम दोनों लगभग 3 साल तक एक दूसरे के हुए रहे…, उसकी खाने पीने, पिक्चर देखने, घूमने की हर ख्वाहिश मैंने पूरी की। फिर उसकी शादी हो गई…, जिस दिन उसकी शादी पक्की हुई वो मेरे कंधे पर सर रखकर…

उसकी जुबानी कुछ बातें –

सोनू ना जाने क्यों मैं तुम पर मर मिटी, तुम्हारा बोलने चलने का ढंग, तुम्हारा सलीका देखकर तुमको मन ही मन चाहने लगी, फिर जब तुम्हारे यहाँ तुमको देखने तुम्हारे पास चली आती थी, जाने दिल अपने काबू में रखना मुश्किल हो जाता था।

फिर जैसे जैसे समय निकलने लगा मेरी दीवानगी तुम पर बढ़ने लगी. मैं चाहती थी कि तुम्हारे पास बैठ कर तुमको देखती रहूं और तुमसे बातें करती रहूँ, तुम्हारी सारी बातें मुझे अच्छी लगने लगी…

मुझे समझ आने लगा कि शायद यही प्यार है. फिर तो तुम पर विश्वास बढ़ने लगा, मैं खुद नहीं समझ पाती थी कि मुझे क्या हो रहा है…

फिर जब तुमने मेरी हालत का नाजायज फायदा नहीं उठाया तो मेरा विश्वास तुम पर और भी दृढ़ हो गया… और सच में तुम्हारा प्यार पाकर मैं निहाल हो गई…

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