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दोस्तो, मेरा नाम दीपक है. मेरी मां का नाम रूपा है.
मेरी मां 20-22 साल की लड़कियों से ज्यादा सेक्सी लगती हैं.
उनकी बड़ी बड़ी चूचियां और गांड देख कर कोई भी उन पर फिदा हो जाएगा.
मेरे पापा आर्मी के जवान हैं तो साल में बस 2 बार घर आते हैं.
जिसके कारण मेरी मां की शारीरिक भूख नहीं मिटती है.
यह Xxx मॅाम फक स्टोरी तब की है, जब मैं छोटा था. पापा के यहां न होने के कारण मां बहुत उदास रहती थीं.
एक दिन मेरी मां जब मुझे ट्यूशन से घर ले जाने आई थीं तब उनके साथ एक आदमी खड़ा था और उनसे बात कर रहा था.
मैंने मां से पूछा कि ये कौन हैं?
मां बोलीं- बाबू, ये तुम्हारे अंकल हैं.
मैं कुछ नहीं बोला और उन दोनों के साथ घर आ गया.
घर आकर मैं टीवी देखने लगा.
मां कुछ देर बाद मेरे पास आकर बोलीं- बाबू तुम यहीं रुको. अंकल और मुझे काम है, तो हम दोनों दूसरे रूम में जा रहे हैं.
मैंने पूछा- क्या काम है मां?
मां बोलीं- बाबू मुझे टांग में दर्द है तो अंकल मेरी मालिश कर देंगे.
मां और अंकल रूम में चले गए और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मां की कुछ आवाज आने लगी.
तो मुझे लगा मां को ज्यादा दर्द हो रहा होगा.
मैं तब भी उन्हें देखने के लिए खिड़की के पास आ गया.
उधर से मैं अन्दर देखने की कोशिश करने लगा.
मैंने देखा कि मां और अंकल दोनों नंगे हैं.
मां बिस्तर में लेटी हुई हैं और अंकल उनके ऊपर चढ़े हुए थे.
अंकल ने मां की दोनों टांगों को फैला रखा था और पता नहीं क्यों आगे पीछे हो रहे थे.
मैंने ध्यान से देखा कि अंकल जिससे सुसु करते हैं, उसे मां की सुसु वाली जगह में लगा कर अन्दर बाहर कर रहे हैं.
मां आह उह की आवाज़ कर रही थीं.
ऐसा बहुत देर तक होने के बाद अंकल की नुन्नू से कुछ सफेद रंग का रस सा निकल गया.
मां ने उस सफेद रंग के रस को उंगली से उठाया और मुँह में लेकर खा लिया.
फिर मां अंकल की नुन्नू को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
ऐसे करते करते अंकल की नुन्नू से फिर से वही पदार्थ निकला, जो सब अंकल ने मां के मुँह में गिरा दिया.
मां ने अपनी जीभ से अंकल की सुसू को चाट कर साफ कर दिया.
उसके बाद वे दोनों बिस्तर से जैसे ही उठ कर कपड़े पहनने लगे, मैं तुरंत टीवी देखने चला गया.
मां ने दरवाजा खोला और बाहर आईं.
उनके बाद अंकल बाहर आए.
दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कान देते हुए देखने लगे.
फिर अंकल में मां को मेरे सामने ही किस किया और चले गए.
रात को मैंने मां से पूछा- मां आप आह उउह क्यूं कर रही थीं?
मां बोलीं- बेटा, बहुत दर्द कर रहा था.
मैंने कहा- मां अंकल आपके अन्दर क्या डाल रहे थे. मैंने खिड़की से सब देख लिया था.
मां शर्माती हुई बोलीं- अंकल मुझे दवाई दे रहे थे.
हम दोनों ने खाना खाया और सो गए.
मैंने अगले दिन विद्यालय में यह बात एक बड़ी उम्र के अपने दोस्त को बताई.
वो बोला- अबे चूतिये … वे अंकल तेरी मां चोद रहे थे.
मुझे दोस्त ने सब कुछ बताया कि चोदना मतलब सेक्स करना होता है और सेक्स में क्या क्या होता है, वह सब उसने डिटेल में बताया.
अब मैंने ध्यान दिया कि अंकल जब भी घर आते थे, वे मेरी मां को लेकर कमरे में चले जाते थे.
मैं खिड़की से सब देखने लगा था.
एक दिन मैंने मां से कहा- मैं कमरे में रह कर देखना चाहता हूँ कि अंकल आपको कैसे दवा लगाते हैं.
मां ने पहले तो इंकार किया फिर उन्होंने सोचा कि ये तो छोटा है, ये क्या समझेगा. इसे देख लेने देती हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है, मैं देखती हूँ.
अगले दिन अंकल ने मेरे सामने मां को चोद दिया.
मां मेरे सामने अंकल के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में ले रही थीं.
अब ऐसा अक्सर होने लगा.
मैं भी अपनी मां को चुदवाते हुए देखता और आनन्द लेता.
बाद में मुझे मालूम चला कि अंकल का एक सैलून है.
एक दिन उनका एक स्टाफ मुझे घर छोड़ने आया.
मेरी मां ने उसको अन्दर बुलाया.
उन दोनों में थोड़ी बात हुई; फिर दोनों रूम में चले गए.
मां ने दरवाजा खुला रखा था.
मैंने अन्दर देखा तो मां उसके साथ भी सेक्स कर रही थीं.
मुझे पता चल चुका था मेरी मां की प्यास ऐसे नहीं मिटेगी.
कुछ सप्ताह बाद मां और मैं गांव से शहर आ रहे थे.
तब मां को उनके स्कूल का दोस्त मिला.
उसने मां को जाने से रोक लिया.
तब मां और मैं उस आदमी के घर चले गए.
उसके घर के कमरे में उसके साथ 5 और लड़के रहते थे.
सब मेरी मां का फिगर देख कर पागल हो गए थे.
सबने मां को चोदने का प्लान बना लिया था.
रात को जब मैंने सोने का नाटक किया.
मेरी मां मुझे सोता समझ कर उनके पास उनके कमरे में चली गईं.
मैं मां के पीछे उस कमरे की खिड़की के पास आ गया.
मैंने देखा कि छहों लड़के नंगे हैं और मां के साथ बिस्तर में बैठे हैं.
कोई मां का गाल चूम रहा था. कोई मां का दूध दबा रहा था.
फिर सबने मां को पूरी तरह नंगी कर दिया और एक लड़के ने कैमरा लगा दिया.
फिर शुरू हुआ मां का सबसे दर्द भरा चुदाई का खेल!
मां को बिस्तर में लेटाया, फिर एक ने मां की चुत चाटने का काम शुरू किया, एक ने मां के मुँह में लंड पेल दिया.
कुछ देर बाद दो लड़कों ने एक साथ मां की चुत में अपना लंड डाल दिया.
मां दर्द से चिल्ला रही थीं, पर सब आज मेरी मां को चोद कर उनके छेद फाड़ देना चाहते थे.
पूरे 3 घंटे तक मेरी मां की इतनी चुदाई हुई कि मां की चुत का भोसड़ा बन गया था.
मां को देख कर लग रहा था कि वे अभी और चुदाई करने को तैयार हैं.
लेकिन सब लड़के थक गए थे.
मां की और ज्यादा चुदाई नहीं हो पाई. मैं वापस बिस्तर पर आकर लेट गया.
कुछ देर बाद मां मेरे पास आकर सो गईं.
कुछ समय बाद एक लड़का अन्दर आया और मां को मेरी बगल में ही चोदने लगा.
कमरे में अंधेरा था, तो कुछ नज़र नहीं आया. लेकिन मैंने सब कुछ सुन लिया.
मां मजे से आआह उउउ उह्ह्ह कर रही थीं और बोल रही थीं- साले धीरे कर … बाबू जाग जाएगा.
अपनी मां की इतनी चुदाई देख कर मैं भी उन्हें चोदना चाहता था.
अगले दिन हम दोनों उस घर को छोड़कर अपने घर लौट आए.
मां को मैं कामुक नज़रों से देखने लगा.
मैं बस मां को अभी चोदना चाहता था.
मां रोज रोज कॉलोनी के कोई भी अंकल के साथ संभोग कर लेती थीं.
यह खेल जारी रहा.
जब मैं 19 साल का हुआ. मैंने अपनी मां को एक लड़के के चोदते हुए पकड़ा.
मां को शर्म महसूस हुई.
मैं मां से बात नहीं कर रहा था.
तब मां मेरे पास आईं और बोलीं- बेटा तुम्हारे पिता साल में दो बार आते हैं और मैं अकेला महसूस करती हूँ.
मैंने कहा- तो आप किसी के साथ संभोग कर लोगी क्या?
मां बोलीं- किसी के साथ तो करना ही होगा अन्यथा मेरी प्यास कौन मिटाएगा.
मैंने कहा- मैं करूंगा.
मां बोलीं- नहीं, तुम मेरे बेटे हो. मैं यह कैसे कर सकती हूं!
मैंने कहा- मेरे साथ करोगी तो बाहर पापा का नाम बदनाम नहीं होगा.
मां बोलीं- ठीक है. पर किसी को बताना नहीं!
मैंने खुश होकर अपनी मां को चूमा और कहा- किसी को पता नहीं लगेगा.
फिर मैंने अपनी मां की चूचियों को पकड़ा और एक को मुँह में लेकर व दूसरी को हाथ से दबाना शुरू कर दिया.
मां कराहने लगीं- उफ्फ … मेरे बेटे और अधिक जोर के साथ करो.
मेरी मां को पसीना आ रहा था, वे बहुत सेक्सी लग रही थीं.
मैंने उनके सारे कपड़े खोल दिए.
मैं उनका जिस्म देख कर खुश हो गया.
मेरी मां इतना चुदने के बाद भी कितनी सेक्सी हैं.
मैंने माँ की चुत देखी, वह झांट रहित एकदम साफ थी.
मैंने चुत में उंगली करना शुरू कर दिया.
मां जल्दी ही अपने चरम पर आ गई थीं.
उन्होंने रस छोड़ा तो मैंने उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट तक चाटने के बाद वे फिर से झड़ गईं.
फिर मां ने मेरी जींस खोली.
उन्होंने मेरा विशाल लौड़ा देखा तो मां बड़ी उत्साहित हो गई थीं.
वे मेरे लौड़े से चुदवाने के लिए एकदम से व्याकुल हो गईं.
मां ने मेरा लवड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मेरी मां ने अपने बेटे के लंड को 20 मिनट तक चूसा.
तब जाकर मैं झड़ पाया.
मां ने कहा- मुझे मालूम होता कि मेरे बेटे का लौड़ा इतना मस्त है, तो मैं क्यों किसी गैर के लंड से अपनी चुत फड़वाती फिरती.
अब मैंने अपनी मां को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया.
मां मेरे सामने नंगी पड़ी थीं.
मेरा सपना सच होने को था.
मैं मां पर चढ़ गया और अपने लौड़े को उनकी चुत में पेल दिया.
मां दर्द से चिल्लाने लगीं और मुझे धक्का देती हुई भागने को हुईं.
पर मैंने उन्हें हिलने भी नहीं दिया.
मैं उन्हें एक हिम मानव की तरह चोद रहा था.
मां ने चिल्लाना बंद नहीं किया.
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ रुक जाऊं क्या?
उन्होंने जवाब दिया- नहीं मेरे बेटे, यह पहली बार है जब मुझे इतना मज़ा आ रहा है … तुम बस करो.
यह सुनने के बाद मैं उन्हें और तेजी से चोदने लगा.
मैंने उन्हें एक घंटे से ज्यादा चोदा होगा.
उतनी देर में मां न जाने कितनी बार स्खलित हुई होंगी, मुझे पता नहीं.
मैं अपनी आंखें बंद करके Xxx मॅाम फक का मजा ले रहा था.
फिर मैं चरम पर आया और लौड़ा निकाल कर मैं मां के पेट के ऊपर ही झड़ गया.
मेरी मां मुझसे चुदवा कर बेहद खुश थीं.
उन्होंने भरपूर आनन्द लिया था.
मां ने मुझसे कहा- अब से तुम मेरी रोज चुदाई करोगे.
अब मैं 25 साल का हो गया हूं. मैं शादीशुदा भी हो गया हूं. मेरे 2 बच्चे भी हैं लेकिन मैं अभी भी अपनी Xxx मॅाम को चोदता हूँ.
मेरी पत्नी को भी मालूम है कि मेरी मां को लंड की भूख रहती है; वह मां की चुदाई को सामने बैठ कर देखती है.
हॉट सिस्टर्ज़ चुदाई की कहानी में पढ़ें कि तीन सगी बहनें चुदाई के लिए तड़प रही थी. आखिर वे पढ़ाई के बहाने अपने प्रोफेसर के घर गयी. वहां वे तीन सिस्टर्स कैसे चुदी?
दोस्तो, तीन बहनों की चुदाई की कहानी के पहले भाग
चुदाई की प्यासी तीन सगी बहनें
में मैंने अब तक आपको बताया था कि प्रोफेसर आलोक ने सोनम की चुत को उसकी पैंटी के ऊपर से ही सूंघना शुरू कर दिया था. सोनम भी आलोक के लंड को चाट रही थी.
अब आगे हॉट सिस्टर्ज़ चुदाई कहानी:
जैसे ही सोनम आलोक का लंड अपने मुँह में भर कर चूसने लगी, आलोक ने सोनम की पैंटी को भी उतार दिया और सोनम को पूरी तरह से नंगी कर दिया.
सोनम नंगी होने से शर्मा रही थी और उसने अपना चेहरा आलोक के सीने में छिपा लिया.
इसी दौरान आलोक ने सोनम की चूचियों को चूसना फिर से चालू कर दिया.
सोनम की चूची अब पत्थर के समान कड़ी हो गई थीं.
तब आलोक ने सोनम को फिर बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटने लगा; अपनी जीभ सोनम की बुर के अन्दर बाहर फिराने लगा.
अपनी बुर में आलोक की जीभ घुसते ही सोनम को बहुत मजा आने लगा. वो जोर से आलोक का सिर अपने बुर के ऊपर पकड़ दबाने लगी और थोड़ी देर के बाद अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.
आलोक चुदाई के मामले में बहुत माहिर खिलाड़ी था, वो सोनम की कसमसाहट से समझ गया कि अब सोनम की बुर में लंड पेलने का समय आ गया है.
उसने सोनम का मुँह चूम कर धीरे से उसके कान पर मुँह रख कर पूछा- सोनम रानी, अपनी कमर क्यों उछाल रही हो? क्या तुम्हारी चूत में कुछ कुछ हो रहा है?
सोनम बोली- हां मेरे डियर सर, कुछ कुछ नहीं … मेरी बुर में चींटियां सी रेंग रही हैं … मेरा सारा बदन तप रहा है, अब तुम ही जल्दी से कुछ करो.
आलोक ने पूछा- क्या तुम अपनी चूत को मेरे लंड से चुदवना चाहती हो?
सोनम ने झुंझला कर कहा- अरे यार, आपने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े भी उतार दिए और अब भी पूछ रहे हो कि क्या चुदाई करवानी है … मुझे जल्दी से आपका लंड मेरी चुत में चाहिए.
आलोक ने ये सुना तो उसने सोनम से बोला- ठीक है मेरी जान, अब मैं तुमको चोदूंगा, लेकिन तुमको पहले पहल थोड़ा दर्द होगा, पर मैं तुम्हें बहुत ही प्यार से और धीरे धीरे चोदूंगा … मैं कोशिश करूंगा कि तुमको दर्द महसूस न हो.
अब आलोक उठा और सोनम के दोनों पैर उठा कर घुटनों से मोड़ दिए.
उसने सोनम के दोनों पैरों को अपने हाथों से फैला दिया.
इसके बाद उसने ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड में लगाया, फिर सोनम की बुर पर लगाया.
थूक से सनी बुर के छेद पर आलोक ने अपने खड़े लंड को रखा और धीरे से कमर को आगे बढ़ा कर अपना सुपारा सोनम की बुर में घुसा दिया और सोनम के ऊपर लेटा रहा.
अनचुदी बुर में लंड घुसा तो सोनम की चुत परपराने लगी.
मगर अभी लंड ने चुत को चीरा नहीं था तो सोनम को ख़ास दर्द नहीं हो रहा था.
थोड़ी देर के बाद जब सोनम नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी तो आलोक ने धीरे धीरे अपना लंड सोनम की बुर में पेलना शुरू किया.
इससे सोनम का बदन दर्द से कांपने लगा और वो चिल्लाने लगी- आह बाहर निकाल लो सर … आह मेरी बुर फटी जा रही है. हाय मैं मर गई … मेरी बुर फटी जा रही है. आप तो कह रहे थे कि थोड़ा सा दर्द होगा और आप आराम आराम से चोदोगे. मुझे नहीं चुदवाना है, आह … आप अपना लंड बाहर निकालो.
आलोक ने सोनम के मुँह में अपना हाथ रख कर कहा- बस मेरी रानी बस, अभी तुम्हारा सारा दर्द खत्म हो जाएगा और तुम्हें मज़ा आने लगेगा. बस थोड़ी सी देर और बर्दाश्त करो.
सोनम - आह उई … मेरी बुर फटी जा रही है … और आप कह रहे हो कि थोड़ी देर और बर्दाश्त करो. अरे मुझे नहीं चुदवानी है अपनी बुर, आप अपना लौड़ा मेरी बुर से बाहर निकालो!
सोनम की आंखों से आंसू आ गए.
इतनी देर में आलोक अपनी कमर उठा कर एक जोरदार धक्का मारा और उसने महसूस किया कि उसका सारा का सारा लंड सोनम की बुर में घुस गया है और सोनम की बुर से खून निकल रहा है.
सोनम दर्द के मारे तड़पने लगी और आलोक को अपने हाथों से अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगी.
आलोक सोनम को मज़बूती से पकड़े हुए था और उसका हाथ सोनम के मुँह के ऊपर था इसलिए सोनम कुछ ना कर सकी .. वो बस छटपटा कर रह गयी.
आलोक ने अपना लंड सोनम की बुर के अन्दर ही थोड़ी देर के लिए रहने दिया.
उसने सोनम की एक चूची को अपने मुँह में लेकर जीभ से सहलाना शुरू कर दिया और दूसरी चूची को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद सोनम की चुत का दर्द गायब हो गया और अब उसे मज़ा आने लगा. उसने नीचे से अपनी कमर को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.
आलोक भी धीरे धीरे अपनी कमर हिला हिला कर अपना लौड़ा सोनम की बुर में अन्दर-बाहर करने लगा.
कुछ ही देर में सोनम ने भी अपनी गांड उठा कर जोरदार धक्के देना शुरू कर दिए.
जब आलोक का लंड उसकी बुर में अन्दर घुसा होता तो सोनम उसे कस कर जकड़ लेती और अपनी बुर को सिकोड़ लेती थी.
इससे चुदाई की रगड़ उसे भरपूर मजा दे रही थी.
यह महसूस करके आलोक भी समझ गया कि सोनम को चुदाई का मज़ा आने लगा है.
ये समझते ही आलोक ने अपनी कमर को ऊपर खींच कर अपना पूरा का पूरा लंड सोनम की बुर से बाहर निकाला … उसने सिर्फ लंड का सुपारा ही फांकों में फंसा छोड़ा था.
फिर उसने एक जोरदार झटके के साथ अपना लंड सोनम की बुर में पेल दिया.
इस झटके से सोनम बुरी तरह से कलप उठी और आलोक से लिपट गई.
उसने आलोक को अपने हाथ और पैर से जकड़ लिया था. सारे कमरे में सोनम और आलोक की सिसकारियां और उनकी चुदाई की ‘फच … फच .. फट फट …’ की आवाज ही गूंज रही थी.
सोनम अपने मुँह से सीत्कार रही थी- अह अह … ओह हां और जोर से आह और जोर से … हां ऐसे ही अपना लंड मेरी बुर में पेलते रहो … मजा आ गया सर.
आलोक भी पूरी गति से सोनम की बुर में अपना लंड अन्दर-बाहर करके उसको चोद रहा था.
सोनम बुरी तरह से आलोक से चिपकी हुई थी.
काफी देर तक सोनम की बुर चोद रहे आलोक का लंड अब झड़ने वाला हो गया था.
उसने 8-10 धक्के काफी जोरदार लगाए और उसके लंड से ढेर सारा पानी सोनम की बुर में गिर कर समा गया.
आलोक के झड़ जाने के साथ ही साथ सोनम की बुर ने भी पानी छोड़ दिया.
उसने अपने हाथ पैर से आलोक को जकड़ लिया.
आलोक हांफ़ते हुए सोनम के ऊपर गिर गया और थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे.
फिर सोनम उठ कर अपनी बुर में हाथ लगाए हुए बाथरूम की तरफ़ चली गयी.
आलोक इस समय बुरी तरह से थक चुका था और वो बेड पर पड़ा रहा लेकिन उसका लंड अभी भी खड़ा था.
उधर मीनाक्षी और डिंपल दोनों एक दूसरे को बुरी तरह से चूम चाट रही थीं.
पांच मिनट बाद आलोक ने आंखें खोलीं और उन दोनों को इस तरह से खेलते देखा तो वो अपनी जगह से उठ कर उन दोनों के पस चला गया.
वो मीनाक्षी की चिकनी जांघ पर अपना हाथ फेरने लगा.
मीनाक्षी जो पहले ही मदहोश थी, अपने पैर पर आलोक का हाथ लगते ही अपने आप पर काबू नहीं रख सकी.
उसने डिंपल को छोड़ दिया और वो आलोक की तरफ़ मुड़ गयी.
उसके सामने आलोक बिल्कुल नंगा अपना खड़ा लंड लिए खड़ा था.
आलोक एक बार फिर से चुत चोदने के मूड में आ गया था.
मीनाक्षी ने आलोक के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और अपना मुँह उसके लंड पर रगड़ने लगी.
आलोक का लंड अब भी सोनम की चूत के खून और रस से भीगा हुआ था.
उसने मीनाक्षी को अपने दोनों हाथों में बांधा और उसे चूमने लगा.
आलोक का हाथ मीनाक्षी की नंगी सेक्सी जवानी पर घूमने लगा था. उसका हाथ मीनाक्षी की चूचियों पर गया और वो उसकी दोनों कड़क चूचियों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा.
मीनाक्षी अपनी चूचियों पर आलोक का हाथ पाते ही और जोश में आ गयी और उसने अपना हाथ आलोक के खड़े लौड़े पर रख दिया.
आलोक ने अपना लंड मीनाक्षी की मुट्ठी में पाते ही उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा.
वो दूसरी चूची को अपने हाथ में लेकर उसका निप्पल मसलने लगा.
कुछ ही देर में मीनाक्षी ने आलोक के लंड को अपने हाथों में पूरा ले लिया और उसके सुपारे को एक बार खोल कर बंद किया.
उसे लंड देख कर गर्मी चढ़ गई और एकाएक मीनाक्षी ने आलोक के लंड के सुपारे को अपने मुँह में भर लिया.
वो लंड चाटने लगी.
जैसे ही मीनाक्षी ने आलोक का लंड अपने मुँह में लिया, वैसे ही आलोक ने अपनी कमर को हिला कर अपना लंड मीनाक्षी के मुँह के अन्दर पेल दिया.
वो बोला- ले ले मेरी रानी … मेरा लंड अपने मुँह में लेकर इसको खूब चूस … इसके बाद मैं इसको तुम्हारी चूत में डाल का इसे चूत चुसाऊंगा.
मीनाक्षी ने अपने मुँह से आलोक का लंड निकाल कर कहा- बस सिर्फ मेरी चूत से ही अपना लंड चुसवाओगे, गांड से नहीं? मैं तो तुम्हारा लंड अपनी चूत और गांड दोनों से खाऊंगी. क्या तुम मुझको अपना लंड दोनों छेदों में खिलाओगे?
आलोक की तो मानो लॉटरी निकल आई थी. वो तो अब तक तीन छेद ही समझ रहा था, जबकि उसे अब छह सील बंद छेदों की जुगाड़ दिखाई देने लगी थी.
थोड़ी देर के बाद आलोक ने मीनाक्षी को पलंग पर ले जाकर चित करके लेटा दिया और उसके पैरों के पास बैठ कर उसकी सलवार को खोलने लगा.
सलवार खोलने में मीनाक्षी ने भी आलोक को मदद की और नाड़ा खुलते ही उसने अपनी गांड उठा कर सलवार को नीचे सरका दी, फिर अपनी टांगों से उसे अलग कर दिया.
सलवार उतरने के बाद आलोक ने मीनाक्षी की पैंटी को भी इसी तरह खींचते हुए उतार दिया.
अब मीनाक्षी की गुलाबी कुंवारी चूत उसकी संगमरमर सी चिकनी जांघों के बीच चमकने लगी.
आलोक मीनाक्षी की गुलाबी चूत को अपनी दम साधे देखने लगा और अपनी जीभ होंठों में फेरने लगा.
मीनाक्षी ने आलोक को वासना भरी नजरों से देखा और अपनी चुत को हल्की सी जुम्बिश दी तो आलोक ने झुक कर मीनाक्षी की चूत पर चुम्मा धर दिया और अपना जीभ निकाल कर उसकी चूत की घुंडी को तीन-चार बार चाट दिया.
इससे मीनाक्षी की मादक आह निकल गई; उसकी चुत को मानो जन्नत का सुख मिल गया था.
अब आलोक ने मीनाक्षी की टांगों को फ़ैलाया और ऊपर उठा कर घुटनों से मोड़ दिया.
मीनाक्षी को इस वक्त लंड का इंतजार था.
आलोक ने भी देर नहीं की … उसने अपना लंड मीनाक्षी के चूत के मुहाने पर रख दिया.
इतना करने के बाद आलोक मीनाक्षी के ऊपर झुक गया और उसकी चूचियों को चूसने लगा, भंभोड़ने लगा.
मीनाक्षी मस्त होने लगी.
नीचे उसकी चुत पर लंड की गर्मी मजा दे रही थी और ऊपर चूचियों को चुसवाने का सुख मिल रहा था.
उसके मुँह से हल्के स्वर में कामुक आहें निकलने लगीं.
थोड़ी देर के बाद आलोक ने अपना लंड मीनाक्षी की चूत की फांकों में टच किया और चुत में लंड रगड़ने लगा.
लंड के स्पर्श से मीनाक्षी चुदास से भर उठी और अपनी कमर उठा उठा कर आलोक का लंड अपने चूत में लेने की कोशिश करने लगी.
जब मीनाक्षी से नहीं रहा गया तो वो बोली- अब क्यों तड़पाते हो, कब से आपका लंड अन्दर लेने की लिए मेरी चूत बेकरार है और आप अपना लंड सिर्फ मेरी चूत के ऊपर ऊपर ही रगड़ रहे हो. अब जल्दी करो और मुझको चोदो, फाड़ दो मेरी कुंवारी चूत को. आज मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ, अब ज्यादा परेशन मत करो. जल्दी से मुझे चोदो और मेरी चूत की आग को बुझा दो.
मीनाक्षी की इतनी सेक्सी मिन्नत सुनते ही आलोक एक तकिया बेड से उठा कर मीनाक्षी के चूतड़ों के नीचे लगा दिया, जिससे मीनाक्षी की चुत और ऊपर को उठ गई और खुल गयी.
लंड ने भी चुत की फांकों में से काफी रस निकाल दिया था. चुत एकदम रसीली हुई पड़ी थी.
आलोक ने अपने लंड से एक जोरदार धक्का मीनाक्षी की चूत में दे मारा.
चिकनाई के कारण उसका पूरा लंड सरसराता हुआ मीनाक्षी की चूत में जड़ तक घुस गया.
मीनाक्षी के मुँह से चीख निकल गयी और उसकी चूत से खून निकलने लगा.
लेकिन उसे इस बात का पता ही नहीं चला कि खूनाखच्ची हो गई है.
उसे तो भयंकर वाला दर्द हो रहा था इसलिए मीनाक्षी ने आलोक को जोरों से जकड़ लिया और अपनी टांगें आलोक की कमर पर कस दीं.
लंड चुत की जड़ में ठोकने के बाद आलोक ने लंड की पोजीशन को स्थिर कर दिया और वो मीनाक्षी की एक चूची चूसते हुए एक हाथ से दूसरी चूची की घुंडी को मसलने लगा.
धीरे धीरे मीनाक्षी का दर्द कम होने लगा और उसकी गर्मी फिर से बढ़ने लगी.
कोई दो मिनट बाद मीनाक्षी खुद अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी.
आलोक ने भी अब अपनी कमर चलानी चालू कर दी और वो मीनाक्षी की चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.
मीनाक्षी की चुत मोटे लंड के कारण काफी परपरा रही थी और इसी कारण से वो छटपटा रही थी. मगर उसे अपनी बहनों के जैसे चुत फड़वाने की बेचैनी थी इसलिए वो दांत भींच कर दर्द को सहन करने लगी.
हॉट सिस्टर्ज़ चुदाई की कहानी के अगले हिस्से में मीनाक्षी की आगे की चुदाई लिखूंगा … आप मेरी इस सेक्स कहानी के लिए अपने कमेंट्स करना न भूलें.
फिर मैंने रात को Antarvasna रीना के नाम पर दो बार मुठ मारी, बहुत मजा आया… मैं उसी के बारे में सोचता सोचता सो गया… सुबह उठा तो मुझे कमजोरी महसूस हुई जो मुठ मारने के कारण हुई थी..
फिर मैंने अपने सवेरे के सारे काम किये और पढ़ाई करने लगा…
मुझे आज का दिन कैसे भी करके निकलना था क्योंकि कल मुझे रीना को अपने ही घर में चोदना था…
आज शाम को मुझे छोड़ कर घर के बाकी सभी लोग मौसी के घर तीन दिनों के लिए जा रहे थे…
जब सब लोग चले गए तो… मैंने रीना को फ़ोन लगाया और बोला- जान, अभी आ जाओ… अभी मस्ती करेंगे !
बोली- धीरे बोलो ! बॉस पास ही है… हम रात को बात करते हैं..
मैं बोला- ठीक है…
फिर रात को मैंने उसे फ़ोन किया तो पता चला रीना के घर पर सब लोग सो गए, मैंने सोचा तब तो मस्त वाली सेक्सी बातें करुंगा।
फिर मैं बोला- जान, घर पर कोई नहीं है… तुम मेरी रात की पार्टनर बन कर आ जाओ, खूब मस्ती करेंगे…
रीना- जानेमन, तुम आज कल बहुत शैतान हो गए हो… कल तुम्हें बताती हूँ, पार्टनर बन कर दिखाऊँगी… मेरी तो चूत कल से तड़प रही है जबसे तुमने इसे फाड़ा है… कई बार पानी छोड़ चुकी है।
मैं बोला- जानू, मेरा लौड़ा है ही बड़ा मस्त.. तू देखती जा कल क्या मजे आते हैं !
और भी बहुत सारी बाते हुई जो मैं आप लोगों को नहीं बताउंगा… अंत में मैंने पूछा- कल कितने बजे आओगी?
बोली- ऑफिस टाइम दस बजे !
मैं बोला- यार, घर पर यह बोल कर आना कि सहेली के घर जाना है…आठ- साढ़े आठ तक आ जाओ ना ! मैं लेने आ जाउंगा…
रीना- ठीक है आ जाउंगी… बाय !
रात भर मैं रीना के बड़े बड़े स्तनों और उसकी गांड के बारे में सोचता रहा, सोचते सोचते नींद आ गई…
सुबह हुई, मैं जल्दी से तैयार हो गया और रीना को फ़ोन लगाया, उसने फ़ोन नहीं उठाया।
मैंने सोचा कि शायद कोई आस पास होगा…
फिर 15 मिनट बाद फ़ोन आया- 5 मिनट में निकल रही हूँ ! आ जाओ…
मैं उसे लेने चला गया…
हम दोनों घर आ गये घर को मैंने लॉक किया और रीना को उठा कर बेडरूम में ले गया !
वहाँ उसे लेटा कर एक मस्त सा जोरदार चुम्बन लिया..
वो बहुत टाइट जींस और टॉप पहन कर आई थी.. बहुत सेक्सी लग रही थी…
मैंने जल्दी से उसके स्तनों को उसके टॉप और ब्रा से आजाद कर दिया..
फिर उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा…
उसे बड़ा मजा आ रहा था, बोली- करते रहो जान…
मैं बोला- ये ले मेरी जानेमन, तुझे अभी बहुत मजे करवाने हैं !
करीब दस मिनट इस तरह करने पर मैंने उसकी जींस खोल दी, मैंने देखा कि उसकी पैंटी गीली थी…मैं समझ गया कि रीना झड़ चुकी है…
फिर मैं उसकी गीली पैंटी से ही उसकी चूत के छेद में हाथ डालने लगा।
वो बोली- यार, बड़ा मजा आ रहा है…अह आः ओह्ह्ह ऐसी आवाजें आने लगी..
मैं बीच-बीच में उसे चूमने लगा ..
थोड़ी देर बाद वो उठी और उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया।
वो मेरा सीना चाटने लगी…
बहुत मजा आ रहा था…
फिर उसने मेरा पूरे आकार में खड़ा हुआ लंड हाथ में लिया और बोली- जान यह तो बड़ा मस्त लग रहा है ! बड़ा मजा आने वाला है !
फिर उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उसे मुँह में लिया, फिर वो मुँह में लेकर उसे ऊपर नीचे करने लगी।
थोड़ी देर बाद बोली- यार तेरा कितना बड़ा है ! मेरे मुँह में ही नहीं आ रहा है..
मैं बोला- जान, अभी तेरी चूत को इस बड़े लंड से ही मजे आने वाले हैं…
वो फिर से लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी…
बहुत मजा आ रहा था.. मैं उसके स्तन दबा देता, उसकी चूत में ऊँगली भी डाल रहा था…
15 मिनट बाद रीना बोली- तेरा लंड है या कुछ और? मैं कितनी देर से तेरे पानी का इंतजार कर रही हूँ लेकिन ये है कि निकलता ही नहीं..
मैं बोला- यह मर्द का लंड है ! इतनी जल्दी हार नहीं मानेगा..
करीब दस मिनट बाद मैं झड़ गया और उसने मेरा पानी चाट लिया।
मैं बोला- अब खुश…?
बोली- हाँ ..
फिर मैं बोला- अब तेरी चूत की बारी है…
वो बोली- कब से मैं इसका इंतजार कर रही हूँ ! चलो शुरू हो जाओ…
फिर मैंने उसकी चूत में अपना लंड एक झटके में डाल दिया, वो चिल्लाई- आई माँ ! मर गई ऽऽऽ
मैं बोला- क्या हुआ?
बोली- इतनी तेज़ नहीं घुसाना चाहिए था ! तेरा है भी कितना मोटा और बड़ा…
फिर मैंने बहुत तेज़ गति में उसे चोदना शुरू कर दिया…
वो बोली- बहुत अच्छा लग रहा है !
फिर मैं अपनी गति में उसे चोदने लगा…उसके स्तन भी एक साथ दबाने लगा..
थोड़ी देर बाद वो झड़ गई, बोली- तुम चालू रखो…
करीब बीस मिनट बाद मैं भी झड़ गया।
आगे की कहानी बाद सुनाउंगा..
मुझे मेल करते रहें… Antarvasna
मेरी नौकरी शहर में लगने Antarvasna Sex Stories के कारण मेरे भैया ने मुझे शहर में बुला लिया था। मैं एक प्राईवेट संस्था में था जबकि भैया एक फ़ेक्ट्री में ऊंचे पद पर थे। मैं गांव से शहर आ गया था। भाभी ने मुझे अपने घर में बहुत ही प्यार से रखा था। मेरी शादी की बात चल रही थी। लड़की गुजरात से थी, उसका नाम प्रेरणा था। उसकी फोटो तो बहुत ही आकर्षक थी। अक्सर भाभी मुझे लड़की के बारे में कुछ कह कर छेड़ती रहती थी। यूं तो देवर भाभी की मजाक तो चलती ही रहती थी पर उस लड़की का जिक्र आते ही जाने क्यूँ मेरे मन में कोमल भावनायें जाग जाती थी। कितनी बार तो यह सोच सोच कर ही लण्ड खड़ा हो जाता था कि जब मैं उसे अपने नीचे दबा कर चोदूंगा तो कैसा लगेगा, उसकी चूंचियाँ दबाऊंगा तो…. मेरे दिल में इस तरह के विचार आते रहते थे। कभी कभी तो ऐसा लगने लगता था कि काश एक बार भाभी मान जायें तो मैं भी चोदने का मजा भरपूर ले लूँ। बहुत पहले मेरी पास ही रहने वाली पड़ोसन ने मुझे पटा कर चुदवाया था तब मुझे बहुत मजा आया था। पर वो कुछ ही दिन बाद दूसरे शहर चले गये थे। पर वो पड़ोसन मुझे चोदने का एक चस्का लगा गई थी।
मुझे अब भाभी से सेक्स की बाते करने में बहुत मजा आता था। भाभी भी रस ले लेकर सेक्स की बातें करती थी। अक्सर मुझसे भाभी प्रेरणा के बारे में पूछती रहती थी। मुझे मुझे ऐसा मह्सूस भी होता था कि भाभी शायद मुझे पटाना चाहती हैं क्योंकि वो आजकल अपने नीचे गले के ब्लाऊज पहनने लग गई थी। जिसमें से उनकी चूंचियां छलकी पड़ती थी। उनके गोल गोल मस्त उभार मुझे बेचैन कर देते थे। पर वो हमेशा अपने को इससे अन्जान दर्शाया करती थी। मेरा लण्ड कई बार कड़क उठता था। अब तो भाभी का अंग अंग मुझे चुदने को बेताब लगता था। पर ये सब शायद मेरे मन का भ्रम था। वो सब इससे अनजान ही थी। बस मुझे छेड़ने के लिये मुझसे ऐसी बाते करती थी, जाने यह सच था या नहीं ?
मैंने अब कई बार भाभी से पूछा भी था कि भाभी सुहाग रात कैसी होती है, उसमें क्या करते हैं।
भाभी कहती थी कि समय आयेगा तब तुम खुद ही सीख जाओगे। मैं भाभी को खोलने में प्रयास रत था। यह भी पूछ लेता था कि मुझे कुछ तो बताओ ना…. रात को क्या क्या करते हैं।
भाभी मुझे यूँ ही टाल देती थी कि सब बाद में बताउंगी, थोड़ा सबर रखो।
उन दिनों भैया कुछ दिनों के लिये लखनऊ गये हुये थे। आज तो भाभी की उत्तेजक सेक्स की बातें मुझे रात को सोच सोच कर नींद नहीं आ रही थी। मन बहुत बेचैन हो रहा था। मेरा लण्ड रह रह कर कड़क उठता था और मेरा पजामा तम्बू बन जाता था। मुझे लगता कि यदि भाभी चुदने के राजी हो जायें तो मेरा पूरा रस ही उनकी चूत में उतार दूँ। मेरा मन डोल उठा, जाने मेरे मन में क्या आया कि मैं चुपके से भाभी के कमरे की ओर बढ़ गया।
दरवाजा हमेशा की तरह खुला हुआ था। धीमी लाईट जल रही थी। भाभी एक पेटीकोट में सो रही थी जो अभी काफ़ी ऊपर उठा हुआ था। ब्लाऊज की जगह एक ढीला सा टॉप पहना हुआ था। मेरा लण्ड बहुत ही अधीर हो उठा था, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने अपना साहस बटोरा और कमरे में कदम रखा। तभी भाभी ने करवट ली, मेरी सांसे जैसे अटक गई। लण्ड ठण्डा सा होने लगा। पर कुछ ही पलों में मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा।
मैं भाभी के पलंग के पास आ गया, भाभी की चिकनी मांसल और गोरी जांघें कुछ हद तक दिख रही थी, उनके स्तन भी दोनों बाहों के बीच में भिंच कर बाहर आने को बेताब थे। मेरे हाथ बरबस ही उनकी जांघों पर आ गये और उन्हें सहलाने लगे। भाभी थोड़ी सी कसमासाई और दूसरी तरफ़ करवट ले कर सो गई। पेटीकोट फिर थोड़ा सा और उठ गया, मैंने नीचे झुक कर पेटीकोट के अन्दर झांका तो पीछे से उनकी चूत के दर्शन हो गये। मैं तो आंखे फ़ाड़े चूत को देखता ही रह गया।
“राजू, अरे वहां तू क्या कर रहा है….?” भाभी नींद से जाग गई थी, मैं घबरा गया।
“नहीं …. कुछ नहीं भाभी …. वो चू…. चू…. मेरा मतलब कोई कीड़ा था, हटा दिया मैंने !” मेरी मुख सूखने लगा था। पसीना छलक आया था।
“आ जा बैठ जा…. कुछ काम था क्या….”
“नहीं वैसे ही आ गया था।”
” मुझे तो नींद आ रही है…. तू भी मेरे पास ही लेट जा…. और जो तुझे कहना कह डाल !” भाभी ने फिर से दूसरी ओर करवट ली और पांव पसार कर लेट गई। भैया की जगह मैं लेट गया।
“चल लाईट बन्द कर दे …. और बता …. नींद नहीं आ रही है क्या?”
मैंने लाईट बन्द कर दी और भाभी की बगल में लेट गया। मैं भाभी को हल्के अंधेरे में देख रहा था। मेरा लण्ड फिर से तन उठा। कुछ देर तक तो मैं बेचैन सा रहा, फिर ना जाने मुझे क्या हुआ…. मैंने अपना सयंम खो दिया और पीछे से भाभी से लिपट पड़ा। भाभी इस अचानक हमले से घबरा गई। पर जल्दी ही सब समझ गई।
“राजू, क्या कर रहा है…. देख मैं तेरी भाभी हूँ ….!” भाभी ने कसमसाते हुये कहा।
“प्लीज भाभी, मुझसे रहा नहीं जाता है…. आप बहुत प्यारी लगती हैं…. !” मैं हांफ़ता हुआ बोला। मेरे दिल की धड़कन तेज हो उठी थी, भाभी की चूंचियाँ दोनों हाथों से दबा डाली। भाभी कराह उठी।
“अरे छोड़ मुझे …. चल हट जा….!” भाभी मुझे हटाती हुई कहने लगी। पर मुझे कहाँ होश था। भाभी जैसे ही मेरी तरफ़ पलटी, मैंने उनका पेटीकोट ऊंचा कर दिया और अपना लण्ड निकाल कर उनकी चूत पर दबा दिया। भाभी के चूतड़ बुरी तरह से दबा कर अपने लण्ड की ओर खींच लिया। मैं भाभी से लिपट पड़ा और अपना लोहे जैसा लण्ड चूत के आस पास मारने लगा। एक बार तो लण्ड चूत में घुस भी गया था पर भाभी ने एक झटके से उसे निकाल दिया। तभी मुझे एक तमाचा मार दिया। भाभी तमतमा उठी।
“साला जंगली ….! शरम भी नहीं आती …. इतनी चोट लगा दी !” तमाचा पड़ते ही मुझे जैसे होश आ गया और मैं भाभी के ऊपर से हट गया। मैंने शरम के मारे अपना मुख छुपा लिया।
मेरी आंखों में आंसू निकल आये। भाभी ने हाथ बढ़ा कर लाईट जला दी…. मुझे रोता देख कर उन्हें दया भी आई।
“तू यह क्या करने लगा था…. भला ऐसे भी कोई करता है?” भाभी ने प्यार से मुझे झिड़का। मैं उठ कर जाने लगा ।
“भाभी, माफ़ कर देना, मन में पाप आ गया था….” मैंने रोते हुये कहा। फिर मैं अपने आप ही ग्लानि में डूब गया और भाभी के कमरे से भाग कर अपने कमरे में आ गया। मेरे दिल में धुकधुकी लगी हुई थी कि अब जाने भाभी क्या करेंगी और मुझे मार पड़ेगी। मुझे अपनी नई नौकरी छोड़ कर वापस जाना पड़ेगा। मैं सबकी नजरों में गिर जाऊंगा …. मैं अनायास ही फ़फ़क कर रो पड़ा- हाय मैंने ये क्या कर दिया।
तभी भाभी कमरे में आ गई। मुझे रोता देख कर भाभी ने हाथ पकड़ कर मुझे पलंग पर ही बैठा लिया। “तू तो पागल है…. रो मत …. मर्द कभी रोते हैं …. ?” भाभी ने मेरे सर को अपनी छातियों में भींच लिया, जानकर के अपनी चूंचियों में मेरा चेहरा दबा दिया और बालो में हाथ फ़ेरते हुये बोली,”राजू, मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ….?” भाभी ने जैसे मुझे प्यार से बहलाया।
” हां भाभी, आप मुझे बहुत प्यार करती हैं ना…. बस दिल में पाप आ गया….!” उनकी छाती ने मेरा मन फिर से विचलित कर दिया। अपना चेहरा मैं धीरे धीरे उनके स्तनो से रगड़ने लगा। यह मन भी बहुत अजीब है …. अभी ग्लानि से भरा हुआ था अब फिर से वासना छाने लगी थी।
“आह…. तुम फिर से देखो कुछ कर रहे हो ना …. राजू तुम सुधरोगे नहीं !” भाभी ने एक तड़प भरी आह सी भरी। मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो भाभी ने आंखें बन्द कर रखी थी। उनका वासना से भरा चेहरा देख कर मेरा डोल उठा। अनायास ही मेरे होंठ भाभी के होंठों से चिपक गये। इस बार भाभी ने मेरे मुँह को अपने होंठों से भींच लिया और प्यार करने लगी। वो सिसक उठी,”अरे पागल…. भाभी तो तेरी ही हूँ ना…. सभी कुछ प्यार से नहीं कर सकता है क्या…. देख तूने मुझे चोट लगा दी…. फिर वहां से भाग के भी आ गया !” भाभी ने शिकायत की।
“भाभीऽऽऽऽ, आप तो गुस्सा हो रही थी ना….?” मेरा मन अब खुशी से भर उठा था।
“हां जंगलीपने से नाराज हो रही थी…. ऐसे ही प्यार से कर ना….तुझे भी मस्ती आयेगी और मुझे भी सुख मिलेगा !” मेरा मन हल्का हो गया। मन में खुशी भरने लगी। मेरा बदन अब वासना से भरने लगा था। लण्ड ने एक बार फिर से अंगड़ाई ली और सीधा खड़ा हो गया। जैसे कि ग्रीन सिग्नल का इन्तज़ार कर रहा हो।
“भाभी सच में आप बहुत ही अच्छी हैं…. आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूंगा !” मैंने प्यार से भाभी की चूंचियां सहलाते हुये कहा। जीभ से बार बार भाभी के होंठो को चाट लेता था। भाभी की मस्त चूचियाँ कड़ी हो रही थी, चुचूक भी कठोर हो चुके थे।
“देवर जी, शरम आती है …. कहूँ क्या…. आप मेरी नीचे वाली को प्यार करेंगे?” भाभी वासना भरी आवाज में सकुचाते हुये बोली।
मुझे अब बदन में सनसनी सी होने लगी थी। मुझे भाभी की चूत देखने की तीव्र इच्छा होने लगी थी। भाभी के इस इशारे ने मेरा मन मोह लिया और मैंने भाभी का पेटीकोट ऊपर कर दिया और नीचे साफ़ और चिकनी चूत के पास अपने अधरों को धीरे से लाकर चूमने लगा। चूत में से एक महक आ रही थी, जैसे कि मुझे पास बुला रही हो, बुलावा स्वीकार कर के मैंने चूत को भी प्यार किया, दाना भी मुँह में लेकर चूसा। फिर जीभ चूत में घुसा कर नमकीन रस का आनन्द लेने लगा। भाभी ने अपना पेटीकोट ऊपर से खींच कर उतार दिया। मैंने भी अपना पजामा उतार दिया। वो अपनी चूत को धीरे धीरे आगे पीछे करके पूरा आनन्द ले रही थी। मेरी जीभ भी लपलपा कर सारी चूत को चाट रही थी।
फिर भाभी ने मुझे कहा,”देवर जी आपके केले में कितना रस भरा है…. जरा मुझे चखाओ ना….!” भाभी ने मेरे मोटे कड़क लण्ड की ओर इशारा किया। ये सब मैं पहली बार कर रहा था इसलिये एक नया मजा आ रहा था। मैंने अपना लण्ड देखा और पूछा,”भाभी…. साफ़ कहो ना …. क्या करना है….” मेरा लण्ड रह रह कर कड़क रहा था। भाभी ने अंगुली हिला कर मुँह में डाल दी। मैं शरमा गया। मैं धीरे से उठा और अपना लण्ड भाभी के मुख के पास ले गया। भाभी ने मेरे चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर खींच कर लण्ड अपने मुँह में ले लिया। होंठो का नरम सा अहसास, जीभ की गुदगुदी मेरे सुपाड़े को आनन्द देने लगी। मेरा लण्ड और फ़ूल उठा।
भाभी ने मेरे लण्ड का डण्डा थाम कर पूरा सुपाड़ा मुँह में ले लिया और जोर से चूसने लगी। मेरे लण्ड में जैसे आग लग गई। मेरे चूतड़ आगे पीछे हो कर उनका मुँह चोदने लगे। मुझे बहुत ही मजा आने लगा,”भाभी…. आप सच में बहुत प्यारी हैं …. अब मुझे चोदने दो ना….!”
मेरी सीत्कार बढ़ गई थी। भाभी को भी चुदने की लगी थी, सो उन्होंने मुझे ऊपर से हटाया और अपनी दोनों टांगें ऊंची करके आंखें बंद करके चुदने का इन्तज़ार करने लगी।
जैसे ही मेरा लण्ड और भाभी की चूत मिली लगा आग से आग मिल कर और भड़क उठी…. लन्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा और आग से जैसे पानी बरसने लगा…. दोनों मिलते ही जैसे एक दूसरे को निगलने लगे। मेरा लण्ड वासना भरी मिठास से भर उठा, और चूत मेरे लण्ड को जैसे लपेटने लगी। मुझे जैसे होश ही नहीं रहा। चूतड़ ऊपर उठ कर आगे पीछे चूत पर रगड़ खाने लगे। लण्ड जोर से अन्दर जाता और फिर बाहर आकर फिर से अन्दर जा कर अपना सर पटकता। भाभी सीत्कारें भरने लगी। मेरी भी सिसकारियाँ निकल पड़ी जैसे कि कमरे में कोई घमासान छिड़ा हुआ हो। भाभी ने मुझे कस कर लपेटा और मुझे नीचे धकेल कर खुद ऊपर आ गई और मेरे ऊपर चढ़ बैठी। ऊपर से भाभी ने बैठे बैठे ही एक जोरदार शॉट मारा और खुद ही चीख पड़ी। लण्ड को पूरा मजा आ गया था। भाभी की चूत में लण्ड गहरा बैठ गया था, शायद अन्दर तक चूत फ़ाड़ कर लण्ड का साईज़ ले लिया था। भाभी का ऐसा ही दूसरा धक्का आया और फिर से चीख उठी…. अरे ये तो आनन्द भरी चीख थी। मेरा लण्ड अन्दर तक ठूंस ठूंसकर ले रही थी, उसमें ही उनको मजा आ रहा था। उनके लगातार जोर से मचल मचक कर लण्ड लेने से मैं भी अति उत्तेजित हो गया था।
“देवर जी, अरे इतने दिन कहाँ रहे थे…. मेरी तो लगता है आज ही इच्छा पूरी हुई है !”
“भाभी…. और मारो ना झटके …. हाय मुझे तो देखो क्या हो रहा है…. और मारो चूत को!”
“साले, अब तो तुझे रोज ही चोदा मारुंगी…. हाय रे क्या लण्ड है…. खींच मेरी चूंची को खींच दे रे !” भाभी मस्ती में झूम रही थी। चुदने का पूरा मजा ले रही थी। मुझे भी ऐसा जोरदार मजा कभी नहीं आया था। अचानक भाभी मुझसे लिपट गई और चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगाने लगी। जोर लगाते लगाते उनके मुँह से आह निकलने लगी और उनके होंठ मेरे होंठो से जोर से चिपक गये। इसका असर चूत पर हुआ और और उसमें लहरें चलने का अहसास होने लगा। वो बार बार चूत का जोर लण्ड पर लगाती और आह रे …. पानी छोड़ने लगी। भाभी झड़ रही थी।
मैं भी अपना लण्ड को चूत में पूरा घुसेड़ कर दबाने लगा और फिर अन्दर ही लण्ड ने अपना रस छोड़ दिया। अब हम दोनों आपस में जोर लगा कर अपना अपना वीर्य निकालने में लगे थे। भाभी मुझसे लिपटी हुई पड़ी थी और मैंने उन्हें अपनी बाहों में लपेट रखा था। दोनों ही अभी भी झड़ रहे थे, दोनों के चूतड़ एक दूसरे के चूत और लण्ड दबा रहे थे और अपना पूरा माल निकालने में लगे थे।
भाभी और मैं, दोनों ही नंग धड़ंग एक दूसरे से चिपके हुये बिस्तर पर पड़े हुये थे। कुछ ही देर में भाभी के खर्राटो से पता चल गया कि वो सो गई हैं। मुझे पूर्ण सन्तुष्टि हो चुकी थी, भाभी भी निहाल हो कर सो चुकी थी। मैंने भाभी के नंगे शरीर को देखा और मुस्करा उठा…. अब ये बदन मेरा था…. । मैं बिस्तर से उतरा और एक पतली साफ़ चादर भाभी के शरीर पर डाल दी और स्वयं कपड़े पहन कर सोफ़े पर जाकर सो गया। Antarvasna Sex Stories
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