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राजस्थान में मैं जयपुर, बीकानेर Antarvasna Sex Stories और उदयपुर में घरों में काम कर चुकी थी। यहाँ उदयपुर में मुझे इस घर में काम करते हुए करीब दो महीने हो गये थे। राज सिन्हा साहब की पत्नी नहीं थी, उनका स्वर्गवास हुए कई वर्ष गुजर चुके थे। वे राजपूत थे, सभी राज साब को बन्ना सा कहते थे। उनके दो लड़कियाँ थी जो अजमेर में कॉलेज में पढ़ती थी। घर में वो अकेले ही रहते थे। राज की उम्र लगभग पचास वर्ष की थी। वो अक्सर मुझे घूरते रहते थे। मैंने उस तरफ़ ज्यादा ध्यान नहीं कभी नहीं दिया।
मेरे पति मजदूरी के काम से आस पास के शहर में चले जाया करते थे। घर पर भी मैं अकेली ही रहती थी। चुदाने आस और प्यास की ललक बढ़ती ही जा रही थी। जवानी का आलम मुझ पर भी चढ़ा हुआ था। जब डाली फ़लों से लद जाती है तो स्वमेव ही झुकने लग जाती है। मेरे भी अंग-अंग में से जवानी छलकती थी। मेरे फ़ल भी लद कर झूल रहे थे। मन करता था कि इन फ़लों का रस कोई चूस ले, कोई मेरे फ़लों को खींचे, मसले और मरोड़ डाले। मेरे चूतड़ों की गोलाईयां मस्त लचकदार थी, दोनों चूतड़ चिकने और अलग अलग खिले हुए थे। दरार तो मानो दूसरों के लण्ड को अन्दर समाने के लिये आमन्त्रित करती थी। मेरे मन की बैचेनी भला कोई क्या जाने ?
इसी प्यास में कभी कभी मेरी नजर उनके पजामे पर भी चली जाती थी और उनके झूलते हुए लण्ड को पजामे के ऊपर से ही महसूस कर लेती थी। जब राज मूड में होता था तब वो सोफ़े पर बैठ कर अखबार पढ़ने का बहाना करता था और अपना खड़ा हुआ लण्ड पजामे में से मुझे दिखाने की कोशिश करता था। अपनी अन्डरवियर जिसमें वीर्य भरा हुआ होता था, मुझे धोने के लिये देता था। उसकी इस हरकत पर मुझे हंसी आती थी। मुझ पर डोरे डालने के तरीके मैं जानती थी। मेरे मन में कसक भी उठती थी कि इस पचास साल के जवान को पकड़ लूँ और उसकी ढलती जवानी को चूस डालूँ। मुझे भी जब वो अपनी हरकतों पर मुस्कुराते देखता तो उसकी हिम्मत बढ़ जाती थी।
पर एक दिन ऐसा समय आ ही गया कि वो चक्कर में आ ही गया। क्यों ना आता, आग जो दोनों तरफ़ बराबर सुलग रही थी। उसका लण्ड मुझे चोदने के लिये बेताब हो रहा था और मेरी चूत उसे देख कर पानी छोड़ रही थी और लार टपका रही थी।
उस दिन मुझे यह भी पता चला कि काम करते समय मेरे ब्लाऊज में से मेरे बोबे को वो झांक-झांक कर देखता था। मेरा ध्यान ज्योंही मेरे ब्लाऊज की तरफ़ गया, मैं शरमा गई। मेरे बैठ के काम करने से मेरे चूतड़ों की गोलाईयां उभर कर दिखती थी, जिन्हें वो बडे शौक से निहारता था। उसकी बैचेनी मैं समझने लगी थी कि बिना औरत के आदमी की इच्छायें कितनी बढ़ जाती हैं। मुझे उन पर दया आने लगती थी। कभी कभी उसकी यह हालत देख कर मेरी चूत भी गरम हो उठती थी, तो गीली हो कर मेरी चड्डी भिगा देती थी। मैं उसकी बैचेनी बढ़ाने के लिये अपने स्तनों के दर्शन उसे रोज़ कराने लगी, उसे उत्तेजित करने लगी। बस इस दया ने मेरी चुदाई करवा दी।
उसका लण्ड खड़ा था और उस पर उनका हाथ कसा हुआ था। बस देखते ही मेरी चूत फ़डक उठी। मेरी वासना भी जाग उठी। इच्छा हुई कि उसका लौड़ा पकड कर मसल डालूँ।
“बाबूजी, नीचे तो देखो… ” राज ने कुछ ओर समझा और झट से लण्ड पर से हाथ हटा लिया,”क्या हुआ…?”
“वो सोफ़े के नीचे से सफ़ाई करना है…” उसकी बौखलाहट पर मैं हंस पडी…
“ओह्ह… मैं कुछ और समझा…”
“मैं बताऊं… आप समझे कि आप रे नीचे…” मैंने मुँह दबा कर हंस दी।
“चल हट… अब अकेला हूं तो मजाक बनाती है !”
” आप अपने आप को अकेला मती समझो जी… मैं भी तो हूँ ना !” मैंने उसके खडे लण्ड को देख कर मसखरी की।
“सच लच्छी… ” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मेरे शरीर में करण्ट दौड़ गया। उसका उतावलापन भड़क उठा।
“साब… हाथ छोड़ दो…” पर मैंने हाथ छुड़ाया नहीं।
वो और आगे बढ़ा और मुझे अपनी तरफ़ खींचा। उसके जिस्म में जैसे ताकत भर गई। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसकी आंखो में वासना की प्यास और दया की भावना दिखी।
“देख लच्छी, तू भी जवान है और मैं भी, देख मुझे खुश कर दे… मैं तुझे पैसे दूंगा !”
मैं लड़खड़ाती हुई उसके सीने से टकरा गई। पैसे का लालच भी आ गया, और चुदाने की इच्छा भी जागृत हो उठी। दबी जुबान से नीचे देखते हुए बोली,”साब पूरे सौ रूपिया लूंगी…फ़ेर तो जो मर्जी हो आपरी !” मेरे इतना कहते ही उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया और लण्ड मेरी चूत में दबाने लगा।
“साब अभी नहीं … माने तो सरम आवै…रात ने आ जाऊंगी…!” दिन को चुदने में शरम आती थी सो धीरे से बोली।
“दिन को यहाँ कौन है… !”
मैंने उसके जिस्म को सहलाया। राज ने भी मेरे स्तनों पर हाथ रख कर उन्हें सहलाना आरम्भ कर कर दिया। मेरे जिस्म में बिजलियाँ दौड़ने लगी। मैंने यह तो कभी सोचा ही नहीं था कि बात सीधे ही चुदाई तक आ जायेगी। पर उसका कई दिन का प्यासा लण्ड कुलांचे मारने लगा था। उसकी ऐसी हालत देख कर मुझे दया आ गई और धीरे से उसका लण्ड थाम लिया। उसका लण्ड फ़ड़क उठा और जोर मारने लगा। मेरी चूत भी चुदने के लिये लपलपाने लगी।
“बाबू जी, ये तो घणों मोटो है … माने तो डर लागे…!”सच में उसका लण्ड मोटा था।
“लच्छी, अब कुछ ना बोल, बस मेरे गले से लग जा…!”
राज ने मुझे जोर से भींच लिया। मेरी पीठ पर उसके हाथ खरोंचे मारने लगे। मेरा बदन भी वासना से जल उठा। मैं धीरे धीरे रंगत में आने लगी और मेरी नौकरों वाली भाषा पर आ गई
“बाबू जी, आपरो लौड़ो तो मस्त हो गयो है … अब तो मने चोद ही मारेगो…!” मैं आह भरती हुई बोली।
मेरी भाषा सुन कर उसके शरीर में सनसनी दौड़ गई। उसके जिस्म में जोश भर गया। मेरा ब्लाऊज के बटन खुलने लगे, ब्रा का हुक भी खुल गया। कुछ ही समय में मेरा ऊपर का तन नंगा हो गया। मेरे तने हुए सुन्दर गोल उभार उसके सामने थे। उसके कपड़े मुझे अब नहीं सुहा रहे थे।
“थारी कच्छी भी तो उतार नाक नी… कई सरमाने लागो है !” मैं हंस कर बोली।
“ले मैं तो चड्डी बनियान सभी उतार देता हू… पर तेरा पेटीकोट…” उसने भी नंगी होने की फ़रमाईश कर दी।
“ना रे बाबू जी, मारो भोसड़ो दीस जावेगो…” मैं नंगी होने को उतावली हो रही थी।
“क्या… भोसड़ा…” राज को हंसी आ गई। “साली बड़ी बेशरम है !”
मैंने अपना पेटीकोट उतार दिया। और अपनी चूत राज के सामने उभार दी। राज देखता ही रह गया।
“अब उतारो नी… आपरो लौड़ो रो दर्सन कर लूँ… मोटो और लाम्बो है नी, म्हारो भोसड़ो पसन्द आयो…?” राज को हंसी आ गई, उसने अपने पैन्ट और चड्डी उतार दिये। सच में उसका लण्ड मोटा और लम्बा था। हम दोनों अब पूरे नंगे थे और आपस में लिपटने की कोशिश कर रहे थे। उसका लण्ड मेरी चूत के आस पास ठोकर मार रहा था पर मुख्य द्वार पर से फ़िसल जा रहा था। मैं भी अपनी चूत को लण्ड के निशाने पर ले रही थी कि छेद पर लगते ही भीतर समा लूँ। राज ने मुझे मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे कस लिया। तभी लण्ड छेद से टकरा गया और मेरी चूत खुल गई। दोनों ही निशाने पर थे। मैंने चूत पर जरा सा जोर लगाया और लण्ड ने मेरी चूत चीर कर भीतर झन्डा गाड़ दिया।
“आह, बन्ना सा… घुसेड़ मारियो…यो तो घणों तगड़ो है… कांईं तेल पिला राख्यो है… आह्ह !”
“ले आजा पलंग पर चुदाई करे…”
मैं अपनी चूत हिलाते हुए लण्ड को अन्दर बाहर करने लगी,”बाई रे… भीतर मारो नी… भोसड़ो मार दो बन्ना सा… हाय बाबूजी…”
राज ने मुझे पास ही लण्ड घुसाये ही पलंग पर धीरे से लेटा दिया… और मुझे नीचे दबा डाला,”तू तो बिलकुल नयी लगे है रे… तेरी चूत तो टाईट है…फिर भोसड़ा क्यों कहती है?” उसने वासना भरी नज़र से मुझे देखा।
“इसे कूण चोदे ! साली भुक्खी है लौड़े की… भोसड़ा तो म्हारी भासा है बन्ना सा !” मैं उसके मोटे लण्ड को पाकर निहाल हो गई थी। दीवारों को रगड़ता हुआ लण्ड भीतर समा रहा था। दर्द उठने लगा था। चूत से लण्ड की मोटाई सहन नहीं हो रही थी। राज तो मस्ती में अपना लण्ड अन्दर बाहर करने में लगा था।
“थारा लौड़ा है या लक्कड़… धीरे धीरे चूत मारो जी…”
मेरी भाषा सुनकर वो और जोश में आ गया और मुझे दबा कर लण्ड पूरा जोर लगा कर पेल दिया। मैं चीख उठी… उसने फिर एक और झटका दिया पूरा लण्ड निकाल कर पूरा ही फिर से घुसेड़ मारा…
मैं फिर से चीख उठी… मेरी चीखे शायद उसकी उत्तेजना बढ़ा रही थी, उसने जोर जोर से लण्ड चूत पर पटकना चालू कर दिया… मैं चीखती रही और अब धीरे धीरे मजा आने लगा। मैं सीधी लेट गई और अपनी सांसे ठीक करने लगी। अब मैंने नीचे से हौले हौले कमर हिला कर उसका साथ देना चालू कर दिया। मुझे अब मजा आने लगा था। मोटे लण्ड ने मेरी टाईट चूत को खोल दिया था। अब मैं भी राज से चिपकने लगी थी। मेरे शरीर में रंग भरने लगा था। तबीयत मचल उठी थी। चूत में चिकनाई और खून मिल कर लण्ड को चिकना रास्ता दे रही थी।
“मारो… भोदी ने चोद मारो… हाय रे बन्ना सा… म्हारी तो फ़ाड़ डाली रे…” मैं चिहुंकती हुई सिसकारियाँ भर रही थी। राज के चेहरे पर पसीने की बून्दें छलक आई थी जो मेरे चेहरे पर टपक रही थी। मैं चुदाई से मदहोश होती जा रही थी। ऐसे मस्त और जानदार लण्ड जब जम के चोदे तो समझ लो जन्नत तो दिख ही जायेगी और मजा तो भरपूर आ जायेगा। राज की कमर अब मस्ती से चल रही थी और लण्ड मेरी चूत को भरपूर मजा दे रहा थ। हाय राम कब तक झेलती इस मोटे लौड़े को मेरी जान निकली जा रही थी… और अम्मां रे … मैं तो गई…। मेरा रस छूट गया…
” बन्ना सा, म्हारो तो पाणी निकली गयो रे… थां को पाणी निकाल मारो नी…” मैंने हांफ़ते हुए कहा।
“ये लो मैं तो अब कितनी देर का हूँ मेरी लच्छो रानी… ये ले … मुँह खोल दे रे अपना… मेरा माल चूस ले !” वो लगभग ऐठता हुआ बोला और उसने अपना लण्ड खींच के बाहर निकाल लिया और अपनी मुठ्ठी में भींचता हुआ वीर्य निकाल दिया। सारा वीर्य मेरे चेहरे पर फ़ैल गया। उसका वीर्य निकलता ही रहा… हाय रे इतना ढेर सारा… उसने अपने हाथ से सारा वीर्य मेरे चेहरे पर मल दिया। मुझे पहले तो घिन आ गई पर जब उसने अपनी जीभ से मेरा चेहरा चाटना आरम्भ कर दिया तो मुझे उस पर प्यार उमड़ पड़ा। हम एक दूसरे पर अब निढाल से पड़े थे।
“लच्छी, बहुत सालों से मैंने चुदाई का आनन्द नहीं उठाया था… तूने तो मुझे स्वर्ग का मजा दे दिया रे !”
“हाँ बाबू जी, औरत की कमी तो औरत ही पूर कर सके है… और आपरो लौड़ो तो क्या ही मस्त है !”
“ये लो लच्छी पूरे सौ रुपये और ये सौ रुपये तुम्हें तकलीफ़ हुयी उसके !”
मैं उसकी तरफ़ देखती ही रह गई। सौ की जगह दो सौ रुपये… मैंने राज का एक चुम्मा लिया और शरमा कर मुड़ गई।
“बन्ना सा, सान्झे फ़ेर आंऊगी… थाने फ़ेर खुस कर दूंगी, अबार के रुपया भी को नी लूंगी…” मैंने पीछे मुड़ कर देखा और मुसकरा कर भाग खड़ी हुई।
मेरी चूत उस भारी लण्ड से चुदने के कारण दर्द कर रही थी, शायद सूजन भी आ गई थी। देखा तो चूत लाल हो रही थी। मैंने एन्टीसेप्टिक क्रीम लगा ली। दो सौ रुपये को प्यार से देखा और सम्भाल कर रख दिये। शाम के बर्तन करने मैं ज्योंही पहुंची तो राज ने मुझे मुस्करा कर देखा और बिस्तर पर धकेल दिया।
“ये काम को छोड़, आज मेरी सेवा कर दे… खूब रुपया दूंगा !” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“ना बन्ना सा, मारी तो भोसड़ी का कचूमर निकली गयो है, जबरी मत करना जी, अबार को नी चोदो…दर्द करे है जी…फिर पैइसा … ना जी, अब नाहीं !”
“लच्छो रानी… चूत में दर्द है तो गाण्ड मरवा ले… पर ना मत कर…”
“मैंने गाण्ड ज्यादा नहीं मरवाई नहीं है… पर वा जी… आप मार लो म्हारी गाण्ड…”
“चल फिर घोड़ी बन जा…”
मैंने पैसे के लिये तो मना किया था पर मुझे पता था कि वो देगा जरूर…मैं घोड़ी बन गई…और अपना घाघरा ऊँचा कर लिया। मेरी चिकनी गाण्ड की खूबसूरती देख कर उसका लण्ड तन्ना उठा।
“ये नीचे देखो बन्ना सा, मेरी भोसड़ी को तो आपने पकौड़ा बना दिया !” मैंने शिकायत करते हुए कहा। पर गाण्ड के दर्शन होते ही जैसे उसने कुछ नहीं सुना। उसने तेल में अंगुली डाल कर मेरी गाण्ड में घुसा दी और उसे चिकनी करने लगा। फिर लण्ड पर तेल मल कर तैयार हो गया। मेरी गाण्ड चुदने के लिये तैयार थी…
“लच्छो, तैयार हो जा… ये लण्ड गया तेरी गाण्ड में…”
“हाय रे बन्ना सा… धीरे से डालना…”
पर कौन सुनता मेरी, लण्ड का सुपाड़ा अन्दर बैठते ही उसने तो पूर जोर लगा डाला। और तेज धक्का दे कर लण्ड पूरा घुसेड़ मारा।
मेरे मुख से चीख निकल पड़ी…”आईईई …… आप तो मेरी गाण्ड भी फ़ाड़ डालेंगे… राम रे…” मैं लगभग चीख सी उठी।
“चुप बे साली… मुझे तो मजा आ रहा है… बहुत सालों बाद कोई मिली है… मजा तो लेने दे…”
उसका दूसरा बेदर्द धक्का मुझे अन्दर तक हिला गया। हरामजादे का लौड़ा गाण्ड के हिसाब से बहुत ही भारी और मोटा था। उसके दिल में जरा भी रहम नहीं था। तेल की चिकनाई भी ज्यादा काम नहीं कर रही थी। गाण्ड की अन्दर से दीवार शायद, रगड़ से छिल चुकी थी। उसके धक्के बढ़ने लगे। उसके लण्ड पर भी शायद चोट लगने लगी थी। दर्द के मारे आंखों से आंसू निकल पड़े। मैंने होंठ सिल लिये। दर्द बर्दाश्त करने लगी।
लण्ड को पेलते हुए अचानक उसे लगा कि उसने कुछ अधिक क्रूरता दिखा दी है, उसने अपना लण्ड धीरे से बाहर निकाल लिया। मैं निढाल सी एक तरफ़ लुढ़क पड़ी। पर राज का वीर्य तो छूटा ही नहीं था। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।
मैंने आंखो में आंसू लिये उसे अपने मुख की ओर इशारा किया। उसने अपना लण्ड मेरे मुख में डाल दिया। और धीरे धीरे मेरा मुख चोदने लगा। मैंने भी उसका लण्ड पकड़ कर मुठ मारते हुए चूसना चालू कर दिया।
उसका लण्ड मस्ती में आ गया और फ़ूल उठा। मौका देखते हुए मैंने उसके लण्ड को मुठ्ठी में जोर से कस लिया और उसे घुमा घुमा कर मोड़ने लगी, उसके मुँह में धक्के की रफ़्तार बढ़ गई। मेरे मुख में चोट लगने लगी। उसका लण्ड कभी कभी तो मेरी हलक में भी उतर जाता था। मैं उसका लण्ड दबा दबा कर उसका वीर्य निकालने की भरपूर कोशिश करने लगी। अन्त में उसके लण्ड ने जोर से ऐंठन भरी और मेरी हलक में अपना वीर्य निकाल दिया। मैं कुछ ना कर सकी, वीर्य मेरे गले में उतरता चला गया। उसका लण्ड रह रह कर वीर्य की फ़ुहारे छोड़ता रहा और सारा माल मेरे हलक में सीधे ही उतर गया। राज ने लण्ड मेरे मुख से बाहर निकाल कर झटका और मेरे होठों से बाकी का वीर्य पौंछ डाला। मैंने उसे भी जीभ निकाल कर चाट लिया। अब राज धीरे से मुझ पर लेट गया और प्यार से चूमने लगा। मुझे आत्मा तक ठण्डे प्यार का आभास हुआ। मैंने अपनी आंखें आत्मविभोर हो कर बंद कर ली और अलौकिक आनन्द का मजा लेने लगी। उसके जिस्म का प्यारा सा भार जैसे ही कम हुआ मेरी तन्द्रा टूट गई। मेरी गाण्ड और चूत आज बहुत दर्द कर रही थी। पर जिस्म का आनन्द अपूर्व ही था।
राज ने मुझे पांच सौ रुपये दिये जिसे मैंने मना कर दिया। पर वो नहीं माना… मेरे दिल में इच्छा तो लेने की थी पर जो आनन्द मिला था उसका कोई मोल नहीं था। मैंने चुप से पैसे ले कर रख लिये।
“बन्ना सा, मुझे आपने तो आसमान पर बैठा दिया… पर देखो तो मेरी अगाड़ी और पिछाड़ी का क्या हाल कर दिया है !”
“लच्छी, जाओगी कहां, अब तो आप बन्ना सा री लाडली बन चुकी हो। अब कुछ दिन का आराम… फिर आपकी मरजी हो तो … तन और मन को एक बार नहीं रोज ही स्वर्ग की सैर करायेंगे !”
मैं राज से लिपट गई और उन्हें चूमते हुए बोली,”आप कितने भले हो साब, मैं तो आपकी दासी बन चुकी हूँ… आपरी लाडली को आपणे सीने में छुपा लो, मती छोड़जो मने !”
राज ने मुझे अपने से चिपका लिया और बिस्तर पर सुला कर मुझे प्यार करने लगे… मैं फिर से प्यार में खो गई… और आने वाले दिनों के सपने संजोने लगी… Antarvasna Sex Stories
दोस्तो, मेरा नाम विजय है Antarvasna Stories और मैं अंबिकापुर का रहने वाला हूँ। आज मैं आप लोगो को अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
बात आज से दो साल पहले की है, मेरी दोस्ती नेट से अंबिकापुर के पास में ही रहने वाली एक लड़की से हुई, वो अंबिकापुर से २५ किलोमीटर दूर रहती थी और रोज सुबह अंबिकापुर के कॉलेज आती थी।
पहले २-३ दिन तो हमने नेट में ही ४-५ बजे तक बात की, उसके बाद मैंने उससे उसका मोबाइल नंबर माँगा जो कि उसने देने से मना कर दिया। फिर मैंने उसे अपना नंबर दिया और कहा कि जब तुम्हें लगे कि हमें फ़ोन से बात करनी चाहिए तुम खुद मुझे कॉल कर लेना !
उसने बोला- ठीक है !
जैसा मैंने सोचा था, दो दिन बाद उसका कॉल आया, उससे पहली बार बात करके ही मुझे लगा कि उसमें चुदाई की बहुत प्यास है। मैंने भी देर ना करते हुये पहले ही दिन उसके साथ फ़ोन सेक्स किया, फिर हम रोज ही फ़ोन सेक्स करने लगे।
कुछ दिनों बाद मैंने उसे बोला- मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ !
तो वो पहले तो ना नुकुर करने लगी, फिर मान गईइ। मंगलवार की दोपहर को वो अपने घर में कुछ बहाना करके अंबिकापुर आई, उसने मुझे कॉल करके बोला कि वो एक रेस्टोरेंट में है। मैं जैसे ही रेस्टोरेंट के नीचे पहुंचा, वो मेरी कार में आकर बैठ गई। उसने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी और बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। जैसे ही मैने कार टाऊन से बाहर निकाली, वो मुझसे लिपट गई और मुझे पागलों के जैसे चूमने लगी। मैंने भी देर न करते हुए कार को सुनसान जगह में रोक दिया और उसे चूमने लगा।
वो मदहोश होने लगी थी, मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसके मम्मों को कपड़ो के ऊपर से दबाना शुरु कर दिया। उसने पहले बोला कि यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने बोला- तुझे प्यार कर रहा हूँ मेरी जान !
तो उसने मुझे दिखाने के लिए बोला- ये सब गलत है !
तो मैने बोला- प्यार में कुछ सही-गलत नहीं होता !
फिर वो मान गई, मैंने उसका टॉप ऊपर कर दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी थी। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा खोलनी चाही, उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और बोली- आज नहीं कुछ दिन सबर करो !
मैंने भी जल्दबाजी नहीं की और उस दिन सिर्फ चुम्बन और मम्मों को दबा के काम चला लिया। फिर तो हम रोज मिलने लगे, वो रोज कॉलेज आती और मैं उसे कॉलेज के सामने से अपनी कार में बैठा के ले जाता और कॉलेज ख़त्म होने के पहले कॉलेज के सामने छोड़ देता था, सुबह ७ बजे से लेकर दोपहर को २ बजे तक हम घूमते रहते थे मैं उसके मम्मे चूसता था वो मेरा लौड़ा चूसती थी। मैं कार चलाता रहता और वो मुझे चलती कार में किस करती और मेरे लौड़े से खेलती रहती थी, पर कभी कार में चुदाई का मौका नहीं मिला।
एक दिन नवरात्र की रात को मैं जगराते में घर से बाहर था, रात को ११ बजे उसका कॉल आया कि प्लीज़, आज रात मेरे घर आ जाओ !
मैंने बोला- तू पागल हो गई है? खुद भी मरेगी और मुझे भी मरवाएगी !
तो उसने बोला- घर में सब सो गए हैं, आज मुझे रात भर जी भर के चोदना ! बस एक बार आ जाओ !
उसकी ऐसी बातें सुन कर मेरा भी लौड़ा खड़ा हो गया। मैंने जाकर वोदका के चार पैग पिए और दो पैग कोल्ड ड्रिंक के साथ मिलाकर पैक करवा के उसके घर ले गया। पहली बार उसके घर जाने में मेरी गांड तो फट रही थी पर सामने वो नंगी भी दिख रही थी। मैने सोचा- आज जो भी हो जाये, आज तो उसको चोद के रहूँगा !
मैं जैसे ही उसके घर पहुंचा, वो मुझसे लिपट गई। मैने बोला- मैने तेरी बात मानी, अब तुझे भी मेरी बात माननी होगी और ये वोदका पीनी पड़ेगी !
वो मान गई, उसने एक ही बार में दोनों पैग वोदका पी लिए। फिर वोदका के नशे में झूमते हुए उसने मेरी जींस में हाथ डाल दिया और मेरा लौड़ा बाहर निकाल के चूसने लगी…..
दोस्तो, रात के दो बज गए हैं और यह कहानी लिखते लिखते मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका है, आगे की कहानी आपके विचारों के बाद जारी रहेगी… Antarvasna Stories
फ़िर जब मैं भाभी के घर गया तो उस समय लगभग दिन Sex Stories के २ बज रहे थे भाभी ने मुझे देखते ही कहा, कितनी देर से मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रही थी, चलो मेरी आज मालिश करो। ये कह कर भाभी ने एक बोतल निकाली और मुझे दे कर कहा चलो अपना चेहरा घुमा लो, जिससे मैं अपने कपड़े उतार दूँ, मैने भाभी को अपनी तरफ़ खींचते हुए कहा अब किससे शरम कर रही हो? मैं उसके ब्लाउज़ को खोलने लगा। मैने धीरे धीरे उसका ब्लाउज़ को उतारा, भाभी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी जो भाभी के गोरे बदन पर काफ़ी जँच रही थी। भाभी ने अपनी आँखें बंद कर दी थी अब मैने उनसे अपने दोनो हाथों को उठाने के लिए कहा, मेरी नजर भाभी की आर्मपिट पर पड़ी वहाँ पर एक भी बाल नहीं थे वो जगह काफ़ी सेक्सी लग रही थी मुझसे रहा नहीं गया मैने भाभी की आर्मपिट पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा भाभी भी सिसकारियां भरने लगी और बोली पहले मालिश कर लो उसके बाद ये सब करेंगे।
मैने भाभी की ब्रा निकाल दी ओह क्या चूचियाँ थी गुलाबी रंग की चूचियों पर गहरे रंग के निप्पल सितम ढा रहे थे, मैने तुरन्त ही अपने हाथों से एक को पकड़ लिया और दूसरी को अपने जीभ से सहलाने लगा। ५ मिनट के बाद भाभी ने कहा चलो लेट जाती हूँ अब तुम मेरी मालिश करो, भाभी ने समझाया कि तेल निकाल कर सीधे चूचिओं पर गिराओ और क्लोकवाइज़ अपनी हथेलियों से मालिश करो, मैं अपनी हथेलियां फ़ैला कर कुछ तेल उस पर डाला और भाभी के बूब्स पर मालिश करने लगा। भाभी लेटी हुई थी और मैं उसकी बगल में बैठा था मेरे लंड में तनाव आने लगा, मैं बूब्स की तेजी से मालिश करने लगा भाभी बोली एक समान दबाव बना कर ठीक तरह से मालिश करो लेकिन थोड़ी देर बाद मैं फ़िर तेजी से मालिश शुरु कर देता, अब भाभी ने कहा मुझे समझ में आ गया है ऐसा क्यों हो रहा है, भाभी ने कहा तुम अपनी पैंट उतार दो मैने तुरन्त ही आज्ञा का पालन किया, भाभी ने मेरे लंड की तरफ़ देखते हुए कहा चलो मैं तुम्हारे लंड की मालिश करती हूँ तुम मेरे बूब्स की करो जिस तेजी से मैं करूंगी उसी तरह तुम भी करना, अब एक हाथ से भाभी मेरे लंड को आगे पीछे कर रही थी और मैं भाभी की चूचियों की मालिश कर रहा था अचानक मुझे लगा कि मेरे लंड से वीर्य निकलने वाला है और जब तक मैं कुछ समझता सारा वीर्य निकल कर भाभी की चूचियों पर फ़ैल गया.
भाभी ने आँखें खोल कर पूछा क्या झड़ गया क्या? मैं कुछ नहीं बोला तो भाभी ने कहा अब इससे भी मालिश कर दो मैने भाभी की चूचियों पर लग भग २५ मिनट तक मालिश की। उसके बाद भाभी ने कहा चलो लेट जाओ मैं जब लेट गया तो भाभी ने अलमारी से एक क्रीम निकाली और मेरे लंड और मेरे बाल्स पर लगा दिया मैने भाभी से कहा ये क्या लगाया है तो उसने कहा अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा करीब आधे घंटे तक भाभी मेरे लंड से खेलती रही उसके बाद उसने मेरे लंड को कपड़े से पोंछ दिया, आश्चर्य, मेरे लंड के चारों तरफ़ के बाल गायब हो गये थे भाभी ने कहा कल ये मेरे मुंह में घुसे जा रहे थे इस लिए मैने इन्हें साफ़ कर दिया है। अब मेरी समझ में आया कि भाभी की चूत पर कोई बाल क्यो नहीं थे।
भाभी ने मेरी नाभि और लंड पर उपर से तैल डाल दिया और मालिश करने लगी भाभी के मुलायम हाथ और जैतून के तैल ने मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ा दी मेरा लंड भाभी को सलामी देने लगा, मैं भी एक हाथ से भाभी की चूत खोजने लगा वातावरण गरम हो चुका था अब भाभी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट निकाल दिया, मैं भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा, ओह क्या खुश्बू आ रही थी। साइड से मैने जीभ घुसाने का प्रयास करने लगा तो भाभी ने अपने से ही पैंटी निकाल दी अब मेरे सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत सृष्टि थी
भाभी ने कहा इसकी मालिश नहीं करोगे? मैने कहा क्यों नहीं, यह कह कर मैने चूत की मालिश शुरु कर दी चूत के दोनो भाग खोल कर देखे तो उनसे रस बह रहा था मैने उसका स्वाद चखने के लिए अपने होंठों को सही जगह फ़िट कर दिया वाह! क्या स्वाद था दुनिया की किसी चीज में ऐसा नशा नहीं होता जो मुझे मिल रहा था नमकीन स्वाद मेरे मुंह में भर गया और तभी भाभी ने अपने हिप्स को आगे पीछे ढकेलना शुरु कर दिया करीब ७ मिनट बाद भाभी ने मेरे सिर को पीछे ढकेल दिया और निढाल हो गई मैने उनके बूब्स छूने चाहे तो उन्होंने मना कर दिया, कुछ देर तक हम उसी तरह रहे फ़िर भाभी ने कपड़े पहनने शुरु कर दिये मैने भी अपने कपड़े पहन लिए फ़िर मैने कहा मेरा मन तुम्हारी चूत को चोदने को कर रहा है भाभी ने कहा फ़िर किसी दिन करेंगे मैं जब चलने लगा तो भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया हम दोनो एक दूसरे को पकड़ कर काफ़ी देर तक खड़े रहे तभी घड़ी ने ४ बजे की घंटी बजाई तो भाभी ने छूटते हुए कहा अब घर जाओ कल मैं नहीं रहूंगी जब मैं आ जाउंगी तो तुम आना। दूसरे दिन मुझे भाभी की याद आती रही। आगे की कहानी बाद में। Sex Stories
मेरा नाम निलेश Antarvasna है, मैं मुंबई में रहता हूँ और मार्केटिंग का काम होने की वजह से मैं हमेशा घूमता रहता हूँ।
सर्दियों के दिन थे, मैं काम से दिल्ली गया था और वहाँ काम पूरा होते ही मुझे तुंरत आगरा जाना पड़ा।
दोस्तो, कहानी अब शुरु होती है।
मैं दिल्ली के सराय काले खां बस स्टैंड पहुँचा, रात के करीब साढ़े दस का समय था। सर्दियों की वजह से सन्नाटा छाया था। दिल्ली से आगरा जाने वाली बस में मैं बीच वाली सीट पर जाकर बैठ गया। बस पूरी खाली पड़ी थी। थोड़ी देर में दो चार लोग आगे आकर बैठ गए। थोड़ी देर में बस निकली, तभी एक महिला बस में चढ़ी, उसने बस में नज़र दौड़ाई और वो भी बीच वाली सीट में आकर बैठ गई।
मेरा ध्यान उस पर ही था, उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी, साड़ी में वो क़यामत लग रही थी। उसने सिर्फ एक नज़र मेरी ओर देखा और फिर नज़र हटा ली। एक तो सर्दी का मौसम, बस में अँधेरा और एकांत! मैंने सोचा कि जो अगर यह मौका दे तो बस में ही इसे जमकर चोद डालूँ।
थोड़ी देर में टिकट देकर कंडक्टर चला गया, आगे वाले जो दो चार लोग थे वो सो चुके थे। अब बस की सारी बत्तियाँ बुझ चुकी थी।
मेरा ध्यान उस पर ही था। वो थोड़ी झुककर बैठी थी तो उसके पेट का भाग और चुचियाँ दिख रही थी। और यहाँ मेरा हाल बुरा हो चुका था। उसने एक दो बार मुड़कर देखा तो मेरा ध्यान उस पर ही था तो वो थोड़ा मुस्कुराई। मेरे तो जैसे नसीब ही खुल पड़े, मैं खुश हो गया, मैं भी मुस्कुरा दिया।
उसने कहा- मैं तुम्हारे बगल में बैठ जाऊँ? मुझे नींद नहीं आ रही!
मुझे क्या एतराज़ था, मैंने तो फट से हाँ कह दी। वो मेरे बाजु में ही बैठी थी, सीट छोटी थी इसलिए हमारे जिस्म एक-दूसरे से छू रहे थे।
मैंने बात की शुरुआत की तो पता चला कि उसके किसी रिश्तेदार की तबियत ख़राब होने की वजह से उसे तुंरत आगरा के पास के किसी गांव में जाना पड़ रहा है। वो शादीशुदा थी और उसकी उमर 32 साल थी। उसके बच्चे के स्कूल होने की वजह से उन्हें साथ नहीं लाई थी और उसके पति को छुट्टी नहीं मिली थी।
ठण्ड और बढ़ गई थी उसके पास एक ही शॉल थी और मेरे पास भी हम दोनों ही कांप रहे थे। मैंने उसे कहा- मेरी शॉल ले लो, तुम कांप रही हो!
तो उसने कहा- तुम भी तो कांप रहे हो और ठण्ड तो और बढ़ने वाली है!
मैंने कहा- हाँ, सही बात है, मगर तो क्या किया जाये?
वो मुस्करा दी, मैं समझ गया! उसके मुस्कुराने का तरीका उसकी ओर से खुला न्योता था मेरे लिए और मैं उसे छोड़ता?
उसने अपना मोबाइल निकाला, उसमे एक हॉट क्लिप थी, वो प्ले कर दी। मैं तो चौंक गया, एकदम बिंदास थी वो औरत! वो क्लिप एकदम हॉट थी, दो मर्द मिलकर एक लड़की को चोद रहे थे।
उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोली- इतनी सर्दी में भी कितना गरम है!
मैंने कहा- इसे मुँह में लो तो तुम्हारी सारी ठण्ड दूर हो जाएगी।
हम दोनों ने शॉल ओढ़ ली और पीछे वाली सीट पर चले गए। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं एकदम उत्तेजित हो गया था और उसके बड़े बड़े स्तनों को दबा रहा था।
वो जोर जोर से मेरा लंड चूस रही थी और उसने मेरा पानी निकाल दिया और पूरा पी गई और कहने लगी- अब मुझे गर्मी हो रही है, इतना गर्म पानी था तुम्हारा!
मैंने कहा- मगर मुझे अब भी ठण्ड लग रही है!
कहकर उसे सीट पर लेटा कर उसकी साड़ी ऊपर कर दी। बस की पिछली सीट थी और बस उछल रही थी तो मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी चूत चाटनी शुरु की और बाद में उसकी चूत में जोर से लंड घुसा दिया और उसके मुँह में रुमाल, ताकि आवाज़ न आये। मगर वैसे कोई चिंता नहीं थी किसी को पता नहीं था कि हम पीछे थे।
मैंने धक्के लगाना चालू किया, वो आहें भर रही थी और पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और पानी उसके अंदर चला गया। इतनी गर्मी में हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे। थोड़ी देर हम शांत रहे, फिर हमने कपड़े ठीक किये और बस का ब्रेक लगा, चाय नाश्ते के लिए बस रुकी। हम ने नाश्ता किया और फिर आगरा तक मौज करते चले गए।
उसने अपना मोबाइल नम्बर मुझे दिया और कहा- आगरा में मुझे फ़ोन करना! मैं तुम्हें मिलने आऊँगी।
मगर मुझे आगरा में समय नहीं मिला तो उसे फ़ोन नहीं किया।
आज भी उसका फ़ोन आता है और हम सर्दियों की वो गरम रात को याद कर लेते हैं।
यह था मेरा यादगार अनुभव!
ऐसे कई अनुभव मुझे हुए हैं जो आगे मैं आपको बताऊँगा।
पहले इंतज़ार है आपकी राय का! आप को मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरुर बतायें मुझे मेल करके- Antarvasna
मैं सोनू, प्रिया और रिया पक्की सहेलियां Antarvasna हैं। हम तीनों की कोई बात आपस में किसी से छुपी नही रहती थी, हम तीनों में सबसे सुंदर मैं ही हूँ पर प्रिया और रिया भी दिखने में सुंदर ही कहलाती हैं। प्रिया की शादी हुए दो साल हो चुके हैं, उसका एक बेबी बॉय भी है, प्रिया का पति एक तराशे हुए बदन का मालिक है, वो भी हमसे बहुत हिलमिल गया है, अक्सर ही हम लोग एक दूसरे के यहाँ पार्टी रखते हैं और साथ साथ हँसी मजाक करते हैं।
मेरी इच्छा भी अब होने लगी कि मैं भी अंकित के और करीब आऊँ, मुझे वो अच्छा भी लगता है।
मैंने अपनी ओर देखा, मेरा जिस्म भी सेक्सी है, मेरे स्तनों का उभार भी सुंदर है, गोलाई लिए सीधे तने हुए, किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं, मेरी कमर पतली है, मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं, दोनों चूतड़ों की फांकें गोल और कसी हुई हैं, चलते समय मेरी चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ ऊपर नीचे लहराती हैं. अंकित मुझे चोरी चोरी तिरछी निगाहों से देखते रहते थे। मैं उन के करीब रहने की कोशिश करने लगी. मैं प्रिया के यहाँ अधिक जाने लगी. अब अंकित भी मेरे से सेक्सी मजाक करने लगा था।
“हाय अंकित… प्रिया कहाँ है..”
“किचेन में है… अभी आ जायेगी बैठो..”
अंकित सफ़ेद पजामे और बनियान में था. मुझे देखते ही पता चल गया कि उसने अन्दर अंडरवियर नहीं पहना है. उसके सोये हुए लंड तक का आकार ऊपर से ही नजर आ रहा था।
मैं जानबूझ के सोफे पर ऐसे झुक कर बैठी कि उसे मेरे बूब्स आसानी से दिख जाएँ। उसने भी मेरे बूब्स को देखने का लालच नहीं छोड़ा। मैंने उसे देखते हुए पकड़ लिया, मैं मुस्कराई, वो शरमा गया…
“जीजू क्या देख रहे थे… ”
“कुछ नहीं… बस ..”
“शरारती हो… है ना ..”
अंकित का लण्ड अब धीरे धीरे खड़ा होने लगा था, मुझे देख कर वो उत्तेजित होने लगा था।
“कौन शरारत कर रहा है… ” प्रिया कमरे में आते हुए बोली।
“जीजू… मजाक अच्छी मजाक करते हैं ..” मैंने बात बदल दी।
” लो चाय हाजिर है… ”
“प्रिया… जीजू से कहो ना कभी कभी तो हम पर भी लाइन मार लिया करें ..”
“अरे तुम ही लाइन मार लो ना… जीजू तो तुम्हारे ही है ना…”
“क्यों जीजू… क्या इरादा है…”
“अंकित… बताओ भी तो… ”
“अंकित… बता भी दो… ”
“अरे मौका तो मिलने दो… फिर इसका चुम्मा भी लूँगा… और ..और ..”
“और क्या क्या करोगे… अब थोडी शर्म करो… तुम्हारी बीवी पास खड़ी है… ”
“बीवी की पूरी परमिशन है… मुग्धा ये कह रहा है तो चुपके से दे ही देना..”
प्रिया मेरे पास आयी और मेरे कान में धीरे से कहा – “जरा ध्यान दो… तुम्हारे जीजू का खड़ा हो रहा है ..”
मेरी नजर तो पहले ही उसके लंड पर थी, यह सुनकर मैं शरमा गई, मैं धीरे से बोली- “धत्त… ”
“क्या हुआ. .हमें भी तो बताओ..”
उसकी बात सुनकर हम सभी हसने लगे पर जीजू का मजाक मुझे अच्छा लगा…
आज रात को रिया की शादी की होटल में पार्टी थी. हम सभी एक कार में होटल आ गए थे। वहां रिया को उसकी सहेलियों ने घेर रखा था. प्रिया रिया को सजाने सँवारने लगी. तभी प्रिया बोली– तुम दोनों यहाँ क्या करोगे, नीचे हॉल में पार्टी एन्जॉय करो..
मुझे तो मौका मिल गया, मैंने आज पार्टी के लिए खास सेक्सी ड्रेस पहनी थी. ये ड्रेस उसे बहुत पसंद थी. ब्रा इस तरह से कसी थी कि मेरे बूब्स बाहर उभरे हुए नज़र आ रहे थे. टाइट जींस और टॉप पहना था. ताकि अंकित मेरे हुस्न का मजा ले सके. उसे आज पटाना भी था. प्रिया से मुझे हरी झंडी मिल ही चुकी थी.
हम दोनो नीचे हाल में आ गए। थोड़ी देर वहां कुछ खाया पिया और बातें करते रहे। मैं बार बार उसका हाथ पकड़ लेती थी। वो हाथ छुड़ाता भी नहीं था। फ़्लोर पर कुछ जोड़े डांस कर रहे थे।
अंकित बोला- “चलो मुग्धा ! डांस करते हैं… ”
“हां… चलो… ना… ”
हम दोनो डांस फ़्लोर पर आ गए। मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो वो सिहर गया।
” जीजू… शरमा रहे हो… मेरी कमर में भी हाथ डालो… ”
उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और हम थिरकने लगे। मैं जान बूझ कर अपने बूब्स उसके सामने उछाल रही थी। उसकी नज़रें मेरे बूब्स से हट नहीं रही थी। मुझे लगा कि मेरा जादू चल गया। मैंने उससे टकराना शुरू कर दिया। कभी बूब्स टकरा देती तो कभी उससे चिपक जाती। अब अंकित भी समझने लग गया था। वो भी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लग गया था, इतना कि उसके मोटे लण्ड की चुभन मैं कभी अपने चूतड़ों पर महसूस करती तो कभी अपनी चूत के पास। मैं तो यही चाहती थी कि अंकित मुझसे और खुल जाए। कुछ ही देर में हम थक गए। डांस छोड़ कर हम गार्डन की तरफ़ चले गए। अंकित गार्डन में आकर हरी घास पर लेट गया। उसका लण्ड उभर कर दिखने लगा।
मैं भी उसके पास ही बैठ गई। मैंने उसका सर अपनी जांघों पर रख लिया और प्यार से उसके बालों में अपनी उंग्लियों से सहलाने लगी। वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने कहा-“क्या देख रहे हो जीजू… मुझे कभी देखा नहीं क्या?”
“हां.. पर ऐसी मुग्धा नहीं… ” वो मुस्कुरा उठा।
“..नहीं जीजू… तुम आज कुछ अलग लग रहे हो… ”
” तुम कितनी सुन्दर लग रही हो आज..”
“हाय जीजू… ऐसे मत बोलो ना..”
“सच कह रहा हूँ… तुम्हारा बदन भी आज सेक्सी लग रहा है… मुझसे अब सहा नहीं जा रहा है..”
“जीजू… हाय रे… फ़िर से कहो..” मैं खुशी से बेहाल हुई जा रही थी।
वो मेरी आंखों में झांकने लगा। मैने भी अपने नयन उस से लड़ा दिये। आंखों ही आंखों में हम दोनो डूबने लगे। मैं भी अनजाने में उसके ऊपर झुकती चली गयी. हमारे होंट जाने कब एक दूसरे से चिपक गए. मेरी साँसे गहरी हो चली थी. अंकित मेरे होटों को चूस रहा था. मैं भी अपनी जीभ उसके मुंह में डाल चुकी थी. मेरा हाथ अपने आप ही उसके पेट पर से होता हुआ उसके लंड से टकरा गया. मैंने पेंट के बाहर से ही उसे पकड़ लिया. वो सिहर उठा. उसका लंड उत्तेजित हो कर मोटा और लंबा हो गया. बहुत ही कड़क होकर बाहर जोर लगा रहा था. उसका हाथ मेरी चुन्ची पर पहुँच गया था. एक हाथ से उसने मेरी चुन्ची दबा दी. मैं आनंद से निहाल हो गयी. ज्यादा खुशी इस बात की थी कि अब अंकित मुझे जरूर ही चोद कर रहेगा.
मैंने कहा -“हाय जीजू… मेरी चुन्ची और मसल दो… मजा आ रहा है… ” कहते हुए मैंने उसकी पेंट की जिप खोल दी और लंड को पकड़ कर सहलाने और हौले हौले उसे मसलने लगी.
उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. बोला -“थोड़ा जोर से पकड़ कर ऊपर नीचे करो… ”
“जीजू… कितना मोटा लंड है… हाय जीजू मुझे कब चोदोगे… ”
“आज ही रात को… प्रिया से पूछ कर… ”
“वो हाँ कह देगी ?…” मैंने अनजान बनते हुए पूछा. अंकित मुझे देख कर मुस्कराया पर बोला कुछ नहीं.
“अब बस करो नहीं तो मेरा रस निकल जाएगा… ”
“नहीं राजा… थोड़ा और मसलने दो ना… तुम भी चुचियां दबाओ ना… खींचो ना… ” मैं जोश में बोले जा रही थी।
पर अंकित उठ कर बैठ गया. मैं भी अपने कपड़े ठीक करने लगी।
हम दोनों को समय का पता ही नहीं चला. हॉल में आए तो महफिल रंग में थी. रिया और उसका हसबंड सामने वाली सिंहासन पर बैठे थे. प्रिया हमें देखते हुए मुस्कराई. मैं और अंकित भी मुस्करा दिए.
“रात बहुत हो गयी है… अब चलना चाहिये… ” प्रिया बोली. रिया ने भी जाने को कह दिया.
हम चारों यानि अंकित, मैं, प्रिया और बेबी बाहर आकर कार में बैठ गए, अंकित गाड़ी चला रहा था, प्रिया ने पूछा- पार्टी एन्जॉय की या नहीं..?
“हाँ… पार्टी अच्छी थी…”
“क्या अच्छा था.. बताओ तो…?”
“जीजू… वो ही अच्छे लगे…”
“तो बाजी हाथ में आई या नहीं… या मैं कुछ करूँ?”
“तुम ही कुछ कर दो ना… मेरी तो चुदवाने कि बहुत इच्छा हो रही है !”
” हाँ मेरी भोली रानी… आपके चेहरे से सब पता चल रहा है… कि मेरी मुग्धा को किस चीज़ की जरूरत है ..” और हंस पड़ी।
“पर तुम्हारी सहमति तो चाहिए ना…”
“चलो आज घर चल के देखते हैं… आज मन भर लेना… ” प्रिया ने भी अब साफ़ कह दिया.
अंकित का घर आ चुका था. मेरा घर अभी दूर था. और प्रिया ने रुकने को पहले ही कह दिया था.
हम सभी कमरे में गए. और बेबी को बेड पर सुला दिया. हमने अपने कपड़े बदले. मैंने भी प्रिया का एक ढीला सा पजामा पहन लिया. अंकित भी पजामा पहन कर आ गया. पजामे में से उसका उत्तेजित लंड की उठान साफ़ दिख रही थी.
प्रिया ने भी भांप लिया कि मैं क्या देख रही हूँ. वो मुझे देख कर मुस्करा दी. प्रिया अपनी बेबी के साथ लेट गयी फिर अंकित भी लेट गया. मैं किनारे पर अंकित के साथ लेट गयी. कमरे में धीमी बत्ती जल रही थी. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. मुझे पता था आज मेरी चुदाई हो ही जायेगी।
मैंने हिम्मत करके अंकित के पेट पर हाथ रख दिया. उसने मेरी तरफ़ देखा. मैंने हाथ बढा कर उसका लंड पकड़ लिया. वो अन्दर कुछ नहीं पहना था. उसके लंड की मोटाई से मैं सिहर उठी. मैं उसका लंड दबाने लगी. लंड और टन्ना ने लगा. मैंने पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके लंड के ऊपर की चमड़ी को ऊपर चढा दी. उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. उसने मेरे बूब पकड़ लिए और धीरे धीरे सहलाने लगा .मेरे टॉप को ऊँचा करके मेरी चूचियां दबाने लगा. मेरे मुंह से आह निकल गयी।
मैंने उसका लंड पकड़े पकड़े ही उसकी तरफ़ पीठ कर ली. अंकित मेरी पीठ से चिपक गया. उसने मेरा पजामा नीचे उतार दिया. मेरी गांड की दरारों में उसका नंगा लंड टकरा गया. मेरे जिस्म में सनसनी फैलने लगी. फिर उसने लंड को और चूतडों में गडा दिया. मेरी चूतड की फांकों को चीरता हुआ उसका लंड मेरी गांड के छेद से टकरा गया. मेरी चूतडों के बीच उसका मोटा लंड फंसा हुआ बहुत आनंद दे रहा था. मुझे उसका पूरा साइज़ और नंगा स्पर्श अच्छा लग रहा था. उसके हाथ मेरी टॉप में घुस पड़े और चुन्ची मसलने लगे. उसके लंड ने जोर मारा तो मेरी गांड की छेद मे थोड़ा सा घुस गया. मैंने अपनी टांग थोड़ी ऊँची कर ली. फिर तो लंड की सुपारी फक से गांड में घुस गयी. मेरे मुंह से आह निकल गयी. उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर दूसरे ही झटके में लंड अन्दर घुसता चला गया .. मैंने अपना मुंह भींच लिया कि कहीं आवाज ना निकल जाए. उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरी चूत में उसने उंगली घुसा दी. पर मुझे लगा कि उंगली मर्द की नहीं है. मैंने देखा तो वो प्रिया थी.
वो मुझे देख कर प्यार से मुस्कराई .”मजा आ रहा है ना… ”
” हाय… प्रिया… . मैं मर जाऊंगी… मुझे मत देखो ना ..”
“अरे शर्म मत कर ..चुदाने के लिए तो तू तड़प रही थी ना… तेरे जीजू का लंड है… खाए जा… और मस्त हो चुदाए जा… ”
उसने मेरी गांड से अपना लंड निकाल लिया और अब वो बिस्तर के बीच में लेट गया. उसका लंड सीधा और लंबा तना हुआ खड़ा था.
प्रिया बोली – “इस चाकू पर बैठ जा… और अपनी फांकों में इसे घुसने दे और आज तू चोद डाल अपने जीजू को… ”
“थंक यू. ..” कह कर मैं उछल कर उसके लंड पर बैठ गयी… मैंने निशाना लगाया और चूत का छेद खड़े लंड पर रख दिया. मेरी चूत पानी से भीग गयी थी… सारा चिकना रस इधर उधर फ़ैल गया था. लंड ने मेरी चूत को चूमा और चूत ने उसका वैलकम किया. वो फच की आवाज करता हुआ अन्दर जाने लगा साथ ही मेरा बैलेंस भी बिगड़ गया और मैं लंड पर पूरा धच से बैठ गयी।
मेरे मुंह से चीख निकल पड़ी, “हाय ..जीजू… मर गयी ..”
प्रिया बोली – “हाँ… मेरी रानी… अब लंड का पता चला है… ”
“बहुत मोटा है ..राम. ..जड़ से टकरा गया है ..”
अंकित अब नीचे से चूतडों को हिला हिला कर चोद रहा था. इतने में प्रिया ने मेरी गांड में उंगली घुसा दी. और घुमाने लगी. मैंने तो अब ऊपर से कमर हिला हिला कर अंकित को चोद रही थी .सारा कमरा फच ..फच… की आवाज से गूंज उठा.
“हाय मेरी रानी… दे धक्के… प्रिया मेरी गांड में उंगली घुसा दे रे ..” वो आनंद से सिसकारी भरने लगा.
“हाँ ..मेरे राजा… ये लो… ” कहते हुए प्रिया ने अपनी दूसरे हाथ की उंगली अंकित की गांड में घुसा दी. मैं मस्ती में झूम रही थी.
” हाय ..जीजू… चोद दे रे… लगा दे ..रे… और जोर से… फाड़ दे यार… स ई से ऐ… मर गयी… हाय… चोद दे… जीजू… मेरी चुन्ची मसल डाल… खींच… और खींच… ऊऊओए ई ई… रे… क्या कर हो… राजा… लगा ना… जोर से… ”
मेरी हालत चरम सीमा पर पहुँच रही थी . मैं होश खोती जा रही थी.
अचानक उसने मुझे करवट बदल कर अपने नीचे दबा लिया. और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने लंड को दबा कर चूत में घुसा दिया. और उसके धक्के तेज होते गए. ऊधर प्रिया ने फिर से अपनी उंगली हमारी गांड में घुसेड़ दी और अन्दर गोल गोल घुमाने लगी. मुझे दोनों तरफ़ से डबल मजा आने लगा. पर अब मुझे लग रहा था… कि मैं झड़ने वाली हूँ. उसके लंड की तेजी को और उंगली को सह नहीं पा रही थी.
“जीजू… मैं मर गयी… हाय रे… चोद… और चोद… हाय निकल दे पानी… चोद दे रे… .हाय यी ययय… मैं मरी… सी सी ओ ऊ ओए एई मैं मरी… मैं गयी ऐ… अरे निकाला ..निकल अ… अरे… अरे… हाय रे… ”
कहते हुए मैंने अपना पानी निकाल दिया. प्रिया ने मेरी गांड से उंगली निकाल दी. अचानक अंकित के लंड का दबाव मेरी चूत पर बढ़ने लगा .. और फिर वो कराह उठा… “हाय मेरी रानी… मैं गया… मेरा निकलने वाला है… हँ… हँ… ओ ऊ ओह ह्ह्ह ह्ह्ह हह. ओ ऊ ह ह ह हह ह्ह्ह… प्रिया… निकला… निकल अ… आ आह हह आया आह्ह… ”
उसके लंड ने अपना रस उगलना चालू कर दिया. पर प्रिया तो इंतज़ार में थी उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरी चूत से लंड खींच लिया और टांगों के बीच घुस कर लण्ड अपने मुंह में ले लिया. अंकित ये जानता था कि ये रस तो प्रिया का ही है. इसलिए उसने अपनी टांगे ऊँची कर के अपना पूरा लण्ड उसके मुंह में दे दिया. प्रिया पूरा रस गट गट करके पी गयी और अब लण्ड को चाट कर साफ़ कर रही थी. मैं निढाल सी बिस्तर पर पड़ी थी.
“मजा आया मेरी रानी ” प्रिया बोली
“जीजू ने तो बस कमाल ही कर दिया ..इतनी जोर से चोद दिया कि पूछो मत… पर माल मेरे लिए तो छोड़ा होता… ” प्रिया हंसने लगी.
“जीजा साली का रिश्ता ऐसा ही मजेदार होता है… क्यूँ अंकित है ना… ”
” तुम तो लकी हो जो जीजू से रोज़ चुदवा लेती हो… मेरी तरफ़ तो देखो ना… चूत में ज़ंग लग जाता है ..” मैं हंसती हुई बोली.
“अच्छा तो हरी झंडी ..बस ”
“क्या… हरी झंडी…”
‘ये तुम्हारा जीजू… और ये तुम… खूब चुदवाओ जीजू से… और मस्त हो जाओ !”
अंकित और मैं एक दूसरे को मुस्करा कर देख रहे थे. आँखों आँखों में इशारे हो गए थे. हम सब उठे और अपने कपड़े ठीक किए. और सोने की तैयारी करने लगे। Antarvasna
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