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रात आने को थी… मेरा Antarvasna दिल धड़कने लगा था। मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी मां मेरे सामने ही चुदेगी ! कैसे चुदेगी … आह्ह्ह चाचा का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा ? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतरने लगा था।
रात का भोजन मैं और मम्मी साथ साथ कर रहे थे।
“मम्मी, एलू अंकल अच्छे है ना… “
“हूं, बहुत अच्छे है … प्यारे भी हैं !”
“प्यारे भी हैं … क्या मतलब … यानि आपको प्यारे हैं ?”
“अरे चुप भी रह ना, वो हमारा कितना ख्याल रखते हैं … घर को अपना ही समझते हैं ना !”
“मम्मी ! उन्हें यहीं रख लो ना … देखो ना उनका अपने अलावा और कौन है ? उनके तो कोई बच्चा भी नहीं है, बिल्कुल अकेले हैं… वो तो मुझे भी बहुत प्यार करते हैं।”
“हां, जानती हूँ… ” फिर मुझे वो मुस्करा कर देखने लगी। खाना खाकर मैं अपने कमरे में चली आई। कुछ ही देर में चाचा आ गये। मम्मी ने मुझे कमरे में झांक कर देखा, उन्हें लगा कि मैं सो गई हूँ। वो चुपचाप अपने कमरे में चली गई और कमरा भीतर से बन्द कर लिया। मैंने अपने लिये लाईव शो का इन्तज़ाम पहले से ही कर रखा था। उनके दरवाजा बन्द करते ही मैं चुपके से कमरे से बाहर आ गई और खिड़की को ठीक से देखा। अन्दर का दृश्य साफ़ नजर आ रहा था। मेरा दिल धड़क रहा था कि मां की चुदाई होगी।
मां धीरे धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थी। उनके पास आ कर वो रुक गई और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगी।
“माया, तुम कितनी सुन्दर हो … “
मां ने नजर नीची कर ली। अंकल ने आगे बढ़ कर मम्मी को प्यार से गले लगा लिया। मां तो जैसे उनसे चिपट सी गई। दोनों के लब एक दूसरे से मिल गये।
गहरे चुम्बनों का आदान प्रदान होने लगा। मां की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी, मां के भारी भारी चूतड़ों को अंकल ने दबा दिया। मां के मुख से एक प्यारी सी आह निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो हो रहा था। मम्मी ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपना पेटीकोट उनके लण्ड से टकरा दिया। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थी।
अंकल ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की चूचियों को सहला कर दबा दिया। मम्मी सिमट सी गई।
“माया, मेरे लण्ड को प्यार करोगी… ?”
मम्मी धीरे से नीचे बैठ गई और उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया। उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का लण्ड बाहर आ गया। सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था। मां ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल दिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली। अंकल के हाथ मां के ब्लाऊज को खोलने में लगे थे। मम्मी ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपना ब्लाऊज उतार दिया।
हाय रे ! मम्मी के उरोज तो सच में बहुत सधे हुये थे। हल्का सा झुकाव लिये, चिकने और अति सुन्दर।
मम्मी ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी। अंकल के हाथ मम्मी के बालों में चल रहे थे, उनके बाल खुल गये थे। उन्होने मां को अब उठा कर अब खड़ा कर लिया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरा दिया।
“माया, मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?”
पहले तो मां शरमा गई। फिर वो बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगें ऊपर खोल ली।
“हाय … माया … इतनी चिकनी, इतनी प्यारी … लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाये !”
“ऐसे मत बोलो, बस इसे चूम लो, फिर चाहे जो करो। भले ही उसे अन्दर उतार दो !”
मां को चुदने की बहुत लग रही थी, पर अंकल ने अपना मुख मम्मी की चूत पर लगा दिया। उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया। मम्मी अपनी चूत उछालने लगी। मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया। मैं अपने कमरे में से जा कर अंकल का दिया हुआ डिल्डो उठा लाई। पहले तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी।
मां तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। पर अंकल चूत से चिपके हुये उसका रस चूसने में लगे थे।
“अब तड़पाओ मत … जैसा मैं कहूँ वैसा करो !”
“पीछे घूम जाओ, तुम्हारी चिकनी गाण्ड पहले मारूंगा !”
“ओह, तुम्हें गाण्ड मारना अच्छा लगता है… कोई बात नहीं … दोनों तरफ़ छेद है, किसी को भी चोद दो ! पर पहले मुझे मुठ मार कर दिखाओ ना !”
“ओह, जैसी माया जी की इच्छा… “
चाचा नीचे बैठ गए और मुठ मारने लगे। मां बहुत ध्यान से मुठ मारते हुये देखने लगी। मां के मुख से बीच बीच में सिसकी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को मुठ मारते रहे और मां ने अपनी चूत घिसना चालू कर दिया।
जैसे ही अंकल का वीर्य छलक पड़ा। मां के मुख से भी सीत्कार निकल पड़ी।
“इसमें आपको बहुत मजा आता है ना… ?” उनके लण्ड को मां ने हिलाया, मां ने अंकल को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे उनकी छाती पर घिसने लगी।
“माया, अब तुम्हारी बारी है … चलो शुरू हो जाओ !”
मां भी जमीन पर बैठ गई और अपनी चिकनी चूत को पहले तो सहलाने लगी। फिर चूत की धार को मसलने सी लगी। फिर मां ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगी। फिर उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी अंगुली घुसा ली और आह भरते हुये हस्तमैथुन करने लगी। मां जल्दी ही झड़ गई, वो शायद पहले ही उत्तेजित थी।
मां के झड़ते ही अंकल मां की चूत का रस चूसने लगे। मां ने उन्हें अपनी जांघों के बीच दबा लिया।
“अब देखो, मैं तैयार हूँ, अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूंगा… मजा आ जायेगा !”
मां ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी। अंकल तो गाण्ड मारने में उस्ताद थे ही। उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। मुझे देखने में बहुत आनन्द आ रहा था। मम्मी की गाण्ड अंकल ने बहुत देर तक बजाया। मम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रही।
मम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।
“जूस पियोगे या दूध लाऊँ?”
“अभी तो दूध ही पियूंगा, फिर जूस… “
मां जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, चाचा ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया।
“कहां जा रही हो, दूध नहीं पिलाओगी क्या ?”
और मां को गुदगुदाते हुये दूध पीने लगे।
हुंह … मां के खूब चूस चूस के पी रहा है … मेरे तो चूसता ही नहीं है !
मां गुदगुदी के मारे सिसकियाँ भरने लगी।
“बहुत प्यारे हो एलू तुम तो … कैसी कैसी शरारते करते हो… “
दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ खेल रहे थे… खेलते हुये उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। अंकल का लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था।
“अब देरी किस बात की है?” मां ने अनुरोध किया।
“बस हो गया ना … अब कल के लिये तो कुछ छोड़ो !”
“बस एक बार, मेरे ऊपर चढ़ जाओ … मुझे शांत कर दो !”
“कहीं कुछ हो गया तो … ?”
“कुछ नहीं होगा, मेरा ऑप्रेशन हो चुका है … अब तो आ जाओ !”
अंकल का चेहरा खिल गया। मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। अंकल उन टांगों के बीच में समा गये। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड मां की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड मां की चूत में घुसता चला गया। मां खुशी से झूम उठी। मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, मैंने डिल्डो को धीरे से अपनी चूत में घुसा लिया, मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।
मेरी मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा था। मां की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थी। दोनों गुत्थम-गुत्था हो गये थे। कभी अंकल ऊपर तो कभी मम्मी ऊपर ! खूब जम कर चुदाई हो रही थी। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था। वो एक काम की देवी लग रही थी। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो दोनों आज ही कर डालेंगे।
तभी दोनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा। अरे ! क्या दोनों झड़ चुके थे? सफ़र की इति हो चुकी थी। वो दोनों झड़ चुके थे।
मैं अपने कमरे में आ गई और चूत में डिल्डो को फ़ंसा कर अन्दर बाहर करने लगी। साथ में अंकल को गालियाँ भी देती जा रही थी- साला, बेईमान, झूठा ! मम्मी को तो बुरी तरह चोद दिया और मुझे… हरामी घास भी नहीं डालता है।
अब किसे क्या बताऊं, मैं भी तो जवान हूँ, मुझे भी तो एक मोटा, लम्बा, कड़क … हाय, हां … बस आपके जैसा ही… ऐसा ही तो लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ना है। प्लीज आईये ना !!! Antarvasna
मैं एक शानदार शरीर का मालिक हूँ. बचपन से ही बॉडी बिल्डिंग और जुडो कराटे में रूचि होने के कारण हमेशा से ही बहुत सी लड़कियों की नज़रों में चढ़ा रहा हूँ. आज कल इंजीनियरिंग कोचिंग का मालिक होने के कारण तो मेरे आस पास बहार छाई रहती है. यदि आपको नहीं पता तो बता दूं कि 52 इंजीनियरिंग कॉलेज होने के कारण भोपाल बहुत ही हॉट है. आप फैशन देख देख कर के पागल हो जायेंगे और इंजीनियरिंग हॉस्टल की लड़कियों का तो कहना ही क्या. जवानी, आजादी, पैसा और कांफिडेंस तो इनमें कूट कूट कर भरा है.
ऐसे ही तीन लड़कियों का ग्रुप मेरी कोचिंग में आया, और इंजीनियरिंग कोर्सेस के बारे में जानकारी लेने लगा. अपने चैंबर से मैंने उन्हें देखा तो एक शक्ल कुछ जानी पहचानी लगी. अपनी रिसेप्शनिस्ट (वो भी बड़ी सेक्सी है, उसकी कहानी फिर कभी) को इंटरकॉम पर बोला तो उसने उन्हें मेरे पास भेज दिया.
एक लड़की मुझे देखते ही चौंक गयी- अरे सर आप !
3 दिन पहले ही मैंने उसे स्कूटी से गिर पड़ने के कारण अपनी कार से उसके हॉस्टल छोड़ा था, और उसकी स्कूटी मेरा ड्राईवर लेकर आया था. उस वक़्त उसने मेरा कार्ड ले लिया था.
मैंने उन्हें बैठने को कहा और उससे उसकी तबियत पूछी, उसने कहा कुछ नहीं हुआ, आपकी वजह से मैं उस दिन बच गयी नहीं तो मैं तो शायद बेहोश ही हो गयी थी,
उसने अपना नाम बताया, नताशा और उसकी दोनों सहेलियां थी सिमरन, और पल्लवी.
तीनो इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी, और कोर्स करना चाहती थी.
नए बैच में तीनो ने एडमिशन ले लिया. (डिटेल मैं जानबूझ कर छुपा रहा हूँ, और नाम भी दूसरे बता रहा हूँ, क्योंकि डिग्निटी भी कोई चीज़ है, और मैं अपने किसी दोस्त का नुकसान नहीं चाहता.)
पढाते पढाते मैं कई दिनों तक देखता रहा कि नताशा एकटक मुझे देखती रहती है, अच्छे और अंग-प्रदर्शित कराने वाले कपडे पहनना, हंस कर बात करना, सट कर सवाल पूछना तो सभी लड़कियों की आदत है पर इसमें कुछ बात तो थी, मैं भी पुराना खिलाड़ी हूँ।
कुछ दिन बाद जब वो अकेले कुछ पूछने मेरे चैंबर में आई तो मैंने कहा कि कुछ पढाई पर भी ध्यान देती हो या मेरी शकल ही देखती रहती हो?
उसने छूटते ही जवाब दिया सर आपकी शकल ही।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- क्यों?
बोली- आप ऊपर से नीचे तक हो ही देखने लायक !
मैंने कहा- तुम्हे कैसे पता?
वो बोली- मुझे जिस दिन आपने मुझे गोद में उठा कर अपनी कार मैं बिठाया था, उसी दिन मैं आपके एक एक मस्सल को नाप चुकी हूँ।
उसकी बेबाकी से मैं तो खिल उठा, मैंने कहा- दुबारा नापने के लिए फिर मत स्कूटी से गिर पड़ना !
वो बोली- नहीं ! अब सीधे आप पर ही गिरूंगी !
मै कुछ कहता, इसके पहले ही बाकी स्टुडेंट आ गए और वो कुछ खुश कुछ प्यासी सी बाय कर के चली गयी।
दो दिन तक आँखों ही आँखों में नैन-मटक्का और कुछ शिकायत, कुछ प्यार वो छलकाती रही, और शुक्रवार को अचानक वो बोली- सर पचमढ़ी का कुछ आईडिया है आपको?
मैंने पूछा- क्यों?
बोली हम तीनों शनिवार, रविवार को पचमढ़ी घूमना चाहते हैं, सुना है बहुत सुंदर जगह है !
मैंने कहा- है तो, पहले नहीं घूमा क्या?
बोली नहीं- हम तो सब यहाँ के है ही नहीं! मैं पुणे की हूँ, सिमरन अमृतसर की और पल्लवी लखनऊ की, आप बताइए कैसी जगह है?
मैंने कहा है- तो अच्छी लेकिन हनीमून के लिए !
वो बोली- तो फिर आप भी चलिए!
मेरी तो निकल पड़ी, मैंने कहा- चलूँगा तो लेकिन फिर हनीमून मनाना पड़ेगा सोच लो !
बोली- आप चलिए तो सही !
प्रोग्राम तय हुआ, मैं और मेरा पार्टनर सनी दोनों और वो तीनों मेरी कार से निकल पड़े शनिवार की सुबह।
सनी को तो मैंने कार चलने पर लगा दिया और पल्लवी भी आगे बैठ गयी वो सबसे शर्मीली लड़की थी। मैं नताशा और सिमरन पीछे बैठ गए, नताशा ने जिद करके मुझे बीच में बिठा दिया।
दोनों ही मस्त 5 फीट 5 इंच के ऊपर लम्बाई की थी और तीनों के बूब्स बिल्कुल तने हुए थे, ऊपर से स्किन टाइट जींस पहन रखी थी। नताशा और पल्लवी ने। जबकि सिमरन स्कर्ट पहने थी पिंक रंग का।
सिमरन और कैटरिना कैफ में शायद 18-20 का फर्क होगा और सिमरन कैटरिना से दो कदम आगे ही थी, फिगर रंग और बूब्स में। घुटनों तक लम्बे बाल और चिकनी चमकती स्किन, प्राकृतिक गुलाबी होंठ और गाल।
नताशा जो कि एक आर्मी ऑफिसर की बेटी थी, सांवली लम्बी और बिल्कुल तराशे हुए बदन की मालकिन, लेकिन उसके बूब्स और रोम रोम बिल्कुल अलग से खिले हुए थे साथ ही उसकी बेबाक बातचीत किसी तो भी गरमाने के लिए काफी थी।
जबकि पल्लवी एक बिल्कुल मासूम सी शक्ल की कश्मीरी टाइप की लड़की थी, लम्बाई करीब पांच फ़ीट 3 इन्च, जबकि शरीर भरा हुआ लेकिन कमर तो शायद थी ही नहीं, उसके गाल इतने गुलाबी थे जैसे शरमाने पर गोरी लड़कियों के हो जाते हैं, लेकिन उसकी आँखें बताती थी कि उसने दुनिया में कुछ देखा ही नहीं है।
जबकि नताशा की आँखें और बातें साफ़ बता देती थी की उसने दुनिया का पूरा मजा लूटा है और आगे भी लूटना चाहती है।
मैं दोनों के बीच मैं बैठा उनसे बातें शुरू कर चुका था, दोनों की जांघें मेरी जाँघों से सटी हुई थी और सिमरन और नताशा दोनों के बाल उड़ उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे, धीरे धीरे मैंने नताशा की जाँघों पर अपनी जांघें रगड़ना शुरू किया और वो भी मुस्कुराने लगी। माहौल तो मैं समझ ही चुका था, तीन जवान लड़कियां 2 दिन एक रात वो भी दो जवान अंजान लड़कों के साथ बिना किसी जान पहचान के, नताशा का खेल तो पक्का था, अब मेरा ध्यान सिमरन और पल्लवी पर भी था, साथ ही मुझे अपने दोस्त सनी को भी ऐश करवानी थी।
इसलिए मैं संभल कर खेलना चाहता था।
अब तक नताशा मेरी जांघ पर हाथ रख चुकी थी और धीरे धीरे हाथ फेर रही थी। मैंने अपना कोट उतार कर गोद में रख लिया, कोट उतारते वक़्त सिमरन के बूब पर ज़रूर कोहनी फेर दी। सिमरन ने अपना मुँह खिड़की की तरफ घुमा लिया और मैं उसकी प्रतिक्रिया नहीं देख पाया.
अब कोट के नीचे में और नताशा एक दूसरे को खुल कर सहला रहे थे, अचानक नताशा ने मेरी पैन्ट की ज़िप पर हाथ रख दिया और वो ज़िप खोलने की कोशिश करने लगी। मैंने उसका चेहरा देखा- उसके होंठ गीले और मुँह खुला हुआ था। साफ़ था कि वो गरम हो चुकी थी। मैंने धीरे से अपने आप ही अपनी ज़िप खोल दी, नताशा ने अपना हाथ अन्दर डाल कर मेरा 9 इंच लम्बा 3 इंच मोटा सूमो अपने हाथ में ले लिया।
अचानक मेरा पूरा बदन थरथरा गया पता ही नहीं चला कि कब मेरे हाथ उसके बूब्स पर और उसके टी-शर्ट के अन्दर पहुँच गए। उसके बूब्स बिल्कुल गोल और उसके निप्प्ल बिल्कुल खड़े थे, साइज़ क्रिकेट बाल से भी 1 1/2 गुना था. हम दोनों के ही बदन तने जा रहे थे और दोनों ही सातवें आसमान पर थे।
क्या नज़ारा था मेरा सूमो नर्म उँगलियों के बीच खेल रहा था, नताशा मेरे कंधे पर सर टिकाये हुए थी और मेरा हाथ उसकी टी शर्ट के अन्दर सहलाने में लगा था।
अचानक नताशा मेरे कान में फुसफुसाई,’ मुझे लोलीपोप खाना है !’
मेरे तो दिल की बात कर दी उसने, पर मैंने कहा,’ सिमरन देख लेगी तो?’
उसने सड़ा सा मुँह बनाया और बोली,’ इन बहनजी लोगों को सुधारना पड़ेगा, न खुद ऐश करती हैं न करने देती हैं !’
मैंने कहा,’ जो तुम्हें पीने से रोके उसे भी शराबी बना दो, हम तो यही करते हैं।’
वो बोली,’ सही कह रहे हो, इन्हें इस बार ऐश करना सिखाना ही है।’ और फिर हम दोनों अपने काम में लग गए।
अब मैंने सिमरन पर ध्यान देना शुरू किया, वो बिल्कुल ऐसे दिखा रही थी जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं था, इसलिए मैंने नताशा के निप्प्ल जोर जोर से दबाना और बूब्स को मसलना शुरू कर दिया तो उसकी सिसकारियां हल्के हल्के मुँह से बाहर आने लगी।
उधर सिमरन और सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी। अब मैंने उसकी जाँघों पर भी अपनी जांघ का दबाव हल्का सा बढ़ाया लेकिन वो चुप रही। अब तो मैं खुल कर नताशा के होठों को चूमने लगा।
1 घण्टा यही सब चलता रहा, फिर अचानक सिमरन बोली ‘कहीं थोड़ी देर गाड़ी रोक लें?’
हमने कहा- ठीक है कहीं चाय वगैरह पीते हैं !
इस चक्कर में करीब 1/2 घंटा और निकल गया इस बीच वो 3 बार बोल चुकी थी गाड़ी रोकने को !
अचानक वो चिल्ला पड़ी,’ गाड़ी रोकते क्यों नहीं?’
हमने तुंरत गाड़ी रुकवा दी. गाड़ी रुकते ही वो तुंरत उतरी और सड़क किनारे झाड़ियों की ओर दौड़ गई।
मैंने नताशा से पुछा,’ इसे क्या हुआ?’
सिमरन लौट कर आई और शरमाते हुए चुपचाप आकर बैठ गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ था?
वो और शरमा कर लाल हो गई और सर हिलाया कि कुछ नहीं !
नताशा ने उसका चेहरा उठाया और बोली- कहती क्यों नहीं कि जोर की सु-सु आई थी !’
मारे शर्म के सिमरन और लाल हो गई।
और हम सब खिलखिला कर हंस दिए, अब सिमरन भी शर्माती हुई हंस दी।
पहली बार मैंने देखा कि शर्म की लाली कैसी होती हैं, उसके कान, नाक, गाल सब लाल हो चुके थे, और हंसने की वजह से उसकी आँखों में अजीब सा पानी चमक रहा था।
मैंने कहा,’मेरी ओर देखो !’
उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर नज़रें चुरा कर मुस्कुरा दी।
मैंने कहा- 1/2 घंटे से तुम परेशान हो तो बोला क्यों नहीं?’
वो चुप रही।
मैंने फिर कहा- यदि हम दोस्त हैं, तो तुम अब किसी भी चीज़ के लिए परेशान नहीं होंगी हमसे नहीं तो कम से कम नताशा से तो कह सकती हैं’ वो चुप रही।
इस सब से माहौल और हल्का हो गया।
हाँ ! जितनी देर सिमरन कार से बाहर थी, इतनी देर में नताशा की जींस की ज़िप और बटन भी खुल चुकी थी, और वो मेरा सूमो भी मुँह में लेकर जीभ फिरा चुकी थी। साथ ही एक बार मैं भी उसकी जींस के ऊपर से ही उसकी पिंकी को किस कर चुका था। अब सिमरन के आने के बाद मेरा एक हाथ उसकी पिंकी और उसकी कड़ी कड़ी फेंसिंग से और कभी उसके बूब्स से खेल रहा था. और उसकी सिसकारियां फिर गूंजने लगी थीं। सिमरन फिर खिड़की के बाहर देख रही थी और पल्लवी और सनी के लिए हमारे पास टाइम ही नहीं था।
अब तक खाते पीते ऊँगली करते, बूब्स मसलते हम लोग पिपरिया पहुँच चुके थे। इसके आगे पचमढ़ी की घाटियाँ शुरू हो जाती हैं। सनी की ड्राइविंग बहुत अच्छी है। ऐसी जगह पर भी वो 50 की स्पीड पर गाड़ी चला रहा था. अब घुमाव पर गाड़ी में हम पूरे के पूरे दायें या बाएँ झुक जाते थे, मेरी तो ऐश थी, नताशा के साथ साथ अब मुझे सिमरन के बूब्स भी कोहनी से सहलाने का मौका मिल रहा था। अक्सर मैं उसकी तरफ गाड़ी मुड़ने पर उसकी जाँघों पर हाथ रख देता था और कोहनी खड़ी करके उसके बूब्स पर टिका देता था कभी वो संभलने के लिए मेरी जांघ पर।
अब नताशा तो पूरी तरह से तैयार थी अब मैं सिमरन पर पूरा ध्यान दे रहा था। उसके गालों की रंगत लाल होती जा रही थी, उसके होंठों पर एक अजीब सी नमी छाने लगी थी, अब मैंने नींद आने का बहाना कर के उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया था, उसके चेहरे के पास अपना चेहरा टिका कर अपनी सांसें उसके कान के पीछे और गर्दन पर छोड़ रहा था।
मैंने नींद का बहाना करके अपनी हथेली को उसकी पिंकी के ऊपर रख दिया, और अचानक उसकी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी। मुझे अचानक उसकी स्किन लाल और गरम महसूस होने लगी. उसका पूरा बदन थरथरा रहा था। पक्का था कि यह पहली बार थी जो किसी लड़के ने उसे छुआ भी था।
मैंने अचानक नींद से उठने का बहाना किया और सीधा उससे पूछा,’क्या हुआ?’
उसने आँखें उठाकर देखा उसकी हालत ऐसी कार की तरह हो रही थी जिसका ब्रेक और एक्सीलेटर एक साथ दबा कर रखा गया हो. उसका चेहरा तमतमाया हुआ था, उसके होंठ नम हो रहे थे, उसके बूब्स साँसों की वजह से ऊपर नीचे हो रहे थे, उसकी आँखें साफ़ कह रही थी कि वो अपने होशोहवास खो चुकी थी, और उसकी आँखें एकटक मुझे देख रही थी।
मैंने धीरे से उसके सर के पीछे हाथ रख कर उसके होंठों से होंठ सटा दिए, कैसे मुझे भी नहीं पता? दो मिनट बाद जब हम अलग हुए तो उसकी आंखों में आंसू थे, मैंने उसके कंधे से हाथ डाल कर उसे अपने सीने पर टिका लिया।
ऐसा लगा काश दुनिया ख़त्म हो जाए। बीच में मैं एक शानदार शरीर का मालिक, मेरे दायें हाथ में एक सांवली सलोनी लड़की जो ख़ुद मेरे सूमो को सहला रही थी और मेरा दायाँ हाथ उसकी टी शर्ट के अन्दर एप्पल जूस निकलने में लगा था। बाएँ हाथ में मेरे एक सरदारनी थी, अनछुई, कच्ची, गुलाबी और नाज़ुक लेकिन तैयार जो कैटरिना कैफ से भी शानदार थी। अचानक मैंने झुक कर सिमरन के गाल पर अपने होंठ सटा दिए. मेरे होंठ और आँखें दोनों भीग गयी, खुशी और किस्मत की देन पर।
धीरे से मैंने अपना हाथ सिमरन के एक बूब पर टी शर्ट के ऊपर ही टिका दिया। वो फिर थरथरा उठी और कस कर मेरे सीने से चिपक गई, मैंने हाथ फेरना शुरू कर दिया। उसके बूब्स तो बिल्कुल कड़क थे और नताशा के बूब्स से दोगुने थे. फेरते फेरते मैंने हाथ टी शर्ट के अन्दर डाल दिया।
मैंने उसके निप्प्ल को उँगलियों से दबाया तो उसके मुँह से सिसकारी निकल गई, और उसने अपने होंठ मेरे गाल पर सटा कर फुसफुसाई,’ प्लीज़ ! मत करो !’
अचानक मुझे अपने सूमो पर एक चिकोटी का एहसास हुआ, नताशा जिसे मैं भूल चुका था, चहक रही थी,’ सिमरन तू भी?’ ज़माने भर की खुशी और शरारत उसके चेहरे पर थी।
वो कोट उठा कर अलग कर चुकी थी और मेरा सूमो खुली हवा में साँस ले रहा था। नताशा की जींस खुली हुई थी और उसकी पिंकी के ऊपर की सुनहरी फेंसिंग (बाल) साफ़ दिख रहे थे, यह सब देख कर सिमरन का मुँह खुला रह गया वो सन्न रह गई, मानो काटो तो खून नहीं।
अचानक मैंने उसके निप्प्ल ज़ोर से उमेठ दिए, वो कराह उठी फिर शरमा गई और मेरे सीने में घुस गई. मेरा ध्यान आगे गया तो पल्लवी मुँह खोले आँखें फाड़े मेरे सूमो और नताशा की पिंकी को देख रही थी, उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे भूत देख लिया हो। नताशा ने उससे पूछ ही लिया ‘पल्लवी क्या देख रही हो?’ वो बेचारी चुपचाप सामने मुड गई।
अब तो खुल कर खेल रहे थे हम सब, सिमरन की स्कर्ट घुटनों के ऊपर आ चुकी थी, मेरा हाथ कभी उसके शानदार कड़क बूब्स को मसलता कभी चूचुकों को उमेठता, कभी उसकी जाँघों पर सहलाता, वो भी मदमस्त हो चुकी थी, इतना गरम हो चुकी थी कि वो अपनी गर्दन मेरे होंठों पर रगड़ रही थी, उधर नताशा मेरे सूमो को झुक कर मुँह में ले चुकी थी और दूसरे हाथ से भी मैंने सिमरन के दूसरे बूब को भी थाम लिया था।
अब सिर्फ़ पूरी कार में हम तीनों की सिसकारियां गूँज रही थी। नताशा ने सिमरन का हाथ खींच कर उसे भी मेरा सूमो थमा दिया था, सिमरन अब होश में नहीं थी और मुझ पर पूरी तरह टिक कर मेरे सूमो को ज़बरदस्त तरीके से ऊपर नीचे कर रही थी। यह सब करते करते कब सनी ने गाड़ी रोक दी पता ही नहीं चला। अब गाड़ी खड़ी थी और सनी आराम से पलट कर हम तीनो को देख रहा था।अचानक मैंने आँखें खोली तो पाया कि सनी एकटक मुझे देख रहा है और गाड़ी जंगल के अन्दर सुनसान में खड़ी है।
अब मैंने आजू बाजू देखा तो नताशा की जींस और काली पैंटी उसके घुटनों के नीचे थी और उसकी टी-शर्ट ऊपर चढ़ी हुई थी घुटनों से लेकर सीने तक वो पूरी नग्न थी, और वो पूरी तरह से मेरे सूमो पर झुकी हुई थी।
उधर सिमरन तो मेरे सीने पर पूरी तरह टिकी हुई थी पीठ के बल और मेरा एक हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर और पैंटी के अन्दर डाला था और दूसरा हाथ उसके टी शर्ट के अन्दर बूब्स मसल रहा था। उसकी चिकनी मार्बल की तरह चमकती सुडौल जांघें ट्यूब लाइट की तरह दमक रही थी और उसकी स्कर्ट जाँघों के ऊपर चढ़ी हुई थी।
सनी का बस चलता तो जलन के मारे मेरा खून पी जाता।
मैंने उसे आँख मारी और पल्लवी कि तरफ़ इशारा किया। उसने पल्लवी की बाहँ पकड़ कर पीछे देखने को कहा, पल्लवी ने पीछे देखा तो मैंने उसे आँख मार दी।
वो बेचारी बैठे बैठे काँप रही थी, इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वो कुछ देखे।
ऑफिस गर्ल चुदाई का मजा मुझे दिया मेरी एक नयी आई सहकर्मी ने! उससे मेरी दोस्ती हो गयी थी तो उसने मुझे अपने जन्मदिन पर घर बुलाया.
मेरा नाम राजवीर है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच है और मेरी बॉडी भी ठीक-ठाक ही है. मेरे लंड का साइज सामान्य से बड़ा है जो किसी भी औरत के बच्चेदानी तक आराम से पहुंच जाता है.
मैं एक होटल में काम करता हूँ और वहीं की एक लड़की को मैंने चोदा था.
वह सब कैसे हुआ, उसी Xxx ऑफिस गर्ल चुदाई कहानी को आज मैं आप सभी से साझा कर रहा हूँ.
उस लड़की का नाम मनीषा था.
वह मेरी होटल में जॉब के लिए आई और मेरे बॉस ने उसको काम पर रख लिया.
अब वह मेरे साथ काम करने लगी.
जब वह आई, तो मैं उसके पास नहीं बैठता था, उससे दूर ही रहता था.
धीरे धीरे मनीषा मुझे बात करने लगी.
फिर ऑफिस के काम की वजह से उसने मेरा नंबर भी ले लिया और हमारी बात होने लगी.
मैं अब भी मनीषा के पास नहीं बैठता था तो वह मुझे व्हाट्सैप पर मैसेज करती कि क्या हुआ, मेरे पास क्यों नहीं बैठ रहे हो, मुझसे दूर क्यों बैठे हो!
तो मैं उससे कह देता- मुझे अच्छा नहीं लगता, इसलिए दूर रहता हूँ.
मनीषा- अच्छा, मैं आपको अच्छी नहीं लगती?
मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है.
मनीषा- फिर कैसी बात है?
मैं- बस ऐसे ही.
वह मुझसे देर तक बात करना चाहती थी.
लेकिन मैं ही न जाने क्यों उससे अपने आपको दूर रखने की कोशिश करता था.
तब भी उसकी लगातार कोशिशों से धीरे धीरे हमारी बातें होने लगीं और मुझे वह काफी अच्छी लगने लगी.
उसकी आत्मीयता भरी बातें मुझे उसके करीब खींचती ले गईं और हम दोनों काफी अंतरंग होने लगे.
अब हमारा रोज मिलना भी होने लगा.
हालांकि अब तक हम दोनों के बीच प्यार जैसा कुछ भी इजहार नहीं हुआ था.
तब भी हमारे बीच दोस्ती कुछ ऐसी हो गई थी कि देखने वाला यही समझे कि हम दोनों लव कपल हैं.
कभी मनीषा मुझसे कहती कि चाय पिलाओ तो मैं उससे हंस कर कह देता कि नहीं आज तुम पिलाओ.
हम दोनों हंसी मजाक करते हुए एकदम बचपन के दोस्तों की तरह लड़ने लगते.
कभी वह मुझसे कहती कि आज यहां जाना है … आप मेरे साथ चलो.
मैं पहले मना कर देता कि मैं नहीं जा रहा हूँ. मेरे पास टाइम नहीं है.
तो वह मुझसे लड़ कर हक से चलने की कहने लगती.
फिर बस मैं उसको लेकर निकल जाता था.
इसी तरह वह मेरी जरूरत जैसी बन गई थी.
एक दिन उसने कहा- मेरा जन्मदिन है और मैंने पार्टी रखी है. आपको जरूर आना है.
मैं शाम को तैयार होकर उसकी पार्टी में गया.
लेकिन उधर पार्टी में कोई था ही नहीं!
मैंने उससे पूछा- बाकी सब लोग कहां हैं?
उसने कहा- कोई भी नहीं है, बस मैंने आपको ही बुलाया है.
मैंने उससे पूछा- केवल मुझे क्यों?
तो उसने कहा- मेरा यहां कोई नहीं है. मेरी फैमिली वाले सभी बाहर रहते हैं.
मैंने कहा- चलो, कोई बात नहीं. पार्टी करते हैं.
उसने केक के अलावा खाने में और भी बहुत कुछ बनाया था.
हम दोनों ने केक कटिंग की और मैंने उसको गिफ्ट दिया.
उसके बाद खाना खाया और मैं जाने की सोचने लगा.
मैंने उससे कहा- बहुत समय हो गया है, अब मैं चलता हूँ.
उसने कहा- आज यहीं रुक जाओ न!
मैंने कहा- नहीं, कल ऑफिस भी जाना है … और काम भी है.
फिर पता नहीं क्या हुआ, उसने मुझसे कहा- राजवीर, मैं आपसे आज कुछ मांग सकती हूँ … मेरा जन्मदिन है!
मैंने कहा- हां मांगो. मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगा.
उसने कहा- मैं आपको पसंद करती हूँ. इसलिए आज आप मेरे पास यहीं रुक जाओ!
मैंने उसकी आंखों में झाँकते हुए कहा- ठीक है, लेकिन अब से तुम मुझे आप नहीं कहोगी.
वह मेरे गले से लग गई और उसने मुझे किस किया.
मैं भी जवान लड़का हूँ, मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ और मैंने भी उसको किस कर लिया.
वह मेरे चुंबन के जवाब में चुंबन देने लगी.
हम दोनों एक दूसरे के साथ दो बिछुड़े प्रेमियों की तरह से प्यार करने लगे.
उस दिन उसने मुझसे कहा- तुम कुछ कहना भूल नहीं रहे हो?
मैंने कहा- क्या?
वह हंस दी और बोली- मैं क्यों बताऊं?
मैं उसकी आंखों में झाँकने लगा और वह भी मेरी आंखों में कुछ खोजने लगी.
कुछ ही देर तक उसकी आंखों में झाँकने से मैं एकदम से सिहर सा उठा और मुझे मानो उसकी आंखों ने ही वह बता दिया था कि मैंने अब तक मनीषा से अपने प्यार का इजहार नहीं किया है.
अगले ही पल मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और मैंने उसके हाथ को अपने होंठों से लगा कर चूमते हुए उससे पूछा- मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ मनीषा, क्या तुम मेरे प्यार को कुबूल करोगी!
उसने मुझे खींच कर उठाया और मेरे सीने से लिपट गई.
हम दोनों एक दूसरे में खोने लगे थे.
धीरे धीरे मैंने उसके और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
उसका बदन देखने लायक था.
तने हुए 34 इंच के दूध और 28 इंच की पतली कमर और 36 इंच की उठी हुई गांड देख कर मेरा दिल खुश हो गया था.
मैंने मन में सोचा कि आज यहां रुकना सफल हो गया. Xxx ऑफिस गर्ल चुदाई का मजा मिलेगा.
हम दोनों ने खूब चूमाचाटी की और बहुत देर देर तक एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच किया.
मैं एक हाथ से उसके मम्मों को धीरे धीरे दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत पर चल रहा था.
उसका भी एक हाथ मेरे बालों में था, जिससे वह मुझे अपनी ओर खींचे हुई थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड की मालिश कर रही थी.
हम दोनों बिस्तर पर आ गए और हम दोनों ने 69 की पोजीशन ले ली.
वह मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था.
दस मिनट की चुसाई के बाद मेरा पानी उसके मुँह में गिर गया और उसका पानी मैंने चाट कर साफ कर दिया.
हम दोनों ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहे.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू किया और उसने मेरे लंड को उपर नीचे, जिससे मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उसको नीचे लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.
लेकिन मेरा लंड उसकी चूत में गया ही नहीं.
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
मैंने उसकी चूत पर थोड़ा सा थूक लगाया और अब लंड लगा कर दबाव डाला तो इस बार मेरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया.
वह आह आह करती हुई दर्द से कराहने लगी.
पर मैं लगा रहा और उसके मुँह से ज्यादा तेज आवाज न निकले इसलिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए थे.
अब मैंने पोजीशन सैट करते हुए एक और जोरदार धक्का लगाया तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में धँसता चला गया और सीधा बच्चेदानी के मुँह पर जा लगा.
अब चुदाई का खेल शुरू हो गया था.
पहले तो मैं कुछ देर तक ऐसे ही रुका रहा और उसके मम्मों को सहलाता रहा, उसके मुँह में जीभ डाल कर उसकी लार को पीता रहा.
इससे उसकी पीड़ा खत्म हो गई और उसकी चूत ने लंड से हार मान कर उसे अपनी गहराई में समा लिया.
लंड ने अपनी जगह हासिल कर ली थी तो मेरी कमर ने हिल कर लौड़े को सही से चूत में स्थापित कर दिया था.
कुछ पल बाद मैंने फिर से धक्के देना शुरू किये और उसको ताबड़तोड़ चोदने लगा.
कुछ ही देर में मैं पूरी ताकत से जोर जोर धक्के लगाना लगा.
अब उसको भी मजा आने लगा था और वह भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी.
कुछ बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.
वह बन भी गई.
मैं उसकी सवारी करने लगा.
पूरे आधा घंटा की चुदाई के बाद मेरा लंड फूलने लगा और उसकी चूत में टाइट चलने लगा.
वह भी समझ गई थी कि मेरे लंड से लावा फूटने वाला है, तो वह भी जोर जोर से धक्के खाने लगी थी.
कुछ ही पल बाद मैंने उसकी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.
बाद में उसने बताया कि वह पूरी चुदाई के दौरान तीन बार झड़ चुकी थी.
फिर मैंने टाइम देखा, तो रात के 12 बज गए थे.
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसको एक बार और चोदा.
फिर हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.
सुबह मेरी आंख 5 बजे खुली, तो वह मेरी बांहों में दबी हुई नंगी सो रही थी.
मैंने उसके पैर फैला दिए और उसकी चूत में एक बार फिर से लंड पेल दिया.
वह भी जाग गई और लंड से लोहा लेने लगी.
मैंने उसको बहुत देर तक खूब तेज तेज चोदा और उसकी चूत में ही अपना वीर्य टपका दिया.
उसके बाद मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया और कुछ देर बाद वह भी ऑफिस आ गई.
हम दोनों का ऑफिस का काम पूरे दिन चला.
शाम को 6 बजे बॉस को जानकारी हुई कि मनीषा का जन्मदिन कल निकल गया है तो उन्होंने उसके लिए केक मंगवाया और उसने केक कटिंग की और सबको खिलाया.
फिर सब अपने अपने घर चले गए.
वह वहीं थी.
मैंने उससे कहा- अब तुम भी जाओ और मैं भी निकलता हूँ.
उसने कहा- नहीं अभी रुको.
वह मुझे अपने साथ कमरे में ले गई और बोली- मैंने आपको सही से केक नहीं खिलाया है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, कल पार्टी दी थी न तुमने, तो बस हो गया.
लेकिन वह नहीं मानी.
उसने रूम का दरवाजा बंद करके अपने कपड़े उतार दिए और उसने अपने हाथों से अपने होंठों पर, अपने बूब्स पर और अपनी चूत पर केक लगा कर कहा- मैं तुमको ऐसे केक खिलाना चाहती थी.
मैंने उसको किस किया और उसके होंठों को चाटते हुए केक को खाया.
उसके बाद उसके बूब्स का केक खाया, फिर उसकी चूत का केक खाया.
अब मैंने उससे कहा कि मैं भी तुमको केक खिलाना चाहता हूँ.
वह भी समझ गई थी.
मैंने भी अपने लौड़े पर केक लगा कर उसके मुँह में दे दिया और उसके मुँह को चोदने लगा.
कुछ मिनट की लंड चुसाई के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया.
वापस कुछ मिनट की चुसाई के बाद मैंने उसको होटल के कमरे में चोदा और हमारी यह चुदाई 25 मिनट तक चली.
उसके बाद हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाए और मैंने उसको वहां पुनः चोदा.
उसके बाद हम दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ गए.
इसके बाद मैंने उसको बहुत बार चोदा. कभी होटल में, तो कभी उसके रूम पर.
एक दिन मुझे पता चला कि वह अपने मामा से चुदाई करवाती है.
इसलिए मैंने उसको छोड़ दिया.
उसके बाद से मैंने अभी किसी को चोदा नहीं, मेरा लंड आज भी चूत के लिए प्यासा है.
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