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दोस्तों मैं अन्तर्वासना का Antarvasna Sex Stories एक नियमित पाठक हूँ। मैं इसकी सारी कहानियाँ बहुत मज़े से पढता हूँ। आज मेरे दिल में भी यह ख्याल आया कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के समक्ष पेश करुँ। मेरा मकसद सिर्फ वोट पाना नहीं है अपितु आप सब के समक्ष अपने दिल की बात व्यक्त करने का है। यह एक ऐसी कहानी है जिसे मैं सब के साथ शेयर नहीं कर सकता हूँ पर मेरी इच्छा थी कि लोग यह जाने कि इस दुनिया में हर किसी के नसीब में एक चूत होती है।
तो अब आप सबका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी आपके सामने रखना चाहता हूँ, यह कहानी सच्ची है या नहीं यह आप ही फ़ैसला करें तो बेहतर होगा।
तो कहानी शुरू होती है मेरे परिचय से:- मैं बिहार का रहने वाला एक सीधा सादा बीस साल का हट्टा कट्टा नौजवान हूँ और दिल्ली में आई आई टी से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। मैं द्वीतीय वर्ष का छात्र हूँ और पढ़ाई लिखाई में ठीक ठाक हूँ। बचपन से ही मैं अपनी पढ़ाई को लेकर गंभीर था सो कभी भी पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं सोचता था। मैं पुरुष और नारी सम्बन्ध के बारे में बस किताबी ज्ञान ही रखता था, हालांकि थोड़ा बहुत व्यावहारिक ज्ञान भी था मुझे पर मैं चूंकि सीधा सादा था सो मैं आज तक कुंवारा ही था पर मैंने आपको पहले ही बताया कि हर किसी के नसीब में एक चूत होती है सो आखिरकार मुझे भी एक दिन चूत मिल ही गई। हाँ दोस्तो, एक बात और जो मैं बताना भूल गया था वो यह कि मैं पियानो अच्छा बजता हूँ और इसीलिए मैं अपने कॉलेज के बैंड में पियानो बजाता हूँ और यही बात मेरे किस्मत की चाबी बनी।
दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा के बाद मेरे इंस्टिट्यूट में डेढ़ महीने की छुट्टी हुई और मैं अपने घर आ गया जो पटना में राजेंद्र नगर में है। अभी मुझे घर आये एक महीना ही हुआ था कि मुझे खबर आई कि मेरे इंस्टिट्यूट के बैंड का एक कंसर्ट है जो पाँच दिन के बाद होना है और मुझे तुंरत वहां पहुंचना है। अब आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में कितनी भीड़ होती है सो मुझे किसी भी आम ट्रेन में रिज़र्वेशन नहीं मिल पा रहा था।
मैंने अपने बैंड के लीडर को अपनी असमर्थता बताई तो उसने कहा “भाई तेरा आना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि अगर पियानो बजाने वाला नहीं होगा तो फिर हमारा बैंड अधूरा ही है। “
फिर मैंने तय किया कि अब मैं तत्काल में रिज़र्वेशन करा कर जाऊंगा पर अब चार दिन ही बाकी बचे थे सो तत्काल में भी वही हालत थी और मुझे कंसर्ट से एक दो दिन पहले ही पहुंचना था सो आखिरकार मैंने राजधानी एक्सप्रेस में अपना रिज़र्वेशन कराया वो भी सेकंड एसी में। मेरे जेब से पैसे लगे थे सो मैं परेशान था पर दिल में एक तसल्ली थी कि चलो सेकंड एसी में कभी गया नहीं हूँ तो अच्छा ही अनुभव रहेगा। मैं नियत दिन, नियत समय पर ट्रेन पकड़ने राजेंद्र नगर जंक्शन चला गया। ट्रेन वहां पहले से लगी होती है इसलिए मैं सीधा अपने सीट पर चला गया पर राजेंद्र नगर में ज्यादा लोग नहीं चढ़ते हैं इसलिए ज्यादा भीड़ नहीं थी।
ट्रेन अपने समय पर खुली और ट्रेन के खुलने के बाद मुझे ख्याल आया कि इतना लम्बा सफ़र कैसे कटेगा, तो मैंने सोचा कि पटना जंक्शन पर कोई नोवल खरीद लूँगा। पटना जंक्शन पर ट्रेन रुकी तो मैं ट्रेन से नीचे उतर गया और प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े एक व्हीलर के पास गया वहां पर सामने एक नोवल रखी थी जिसका नाम था फाइव पॉइंट समवन ! मैं काफ़ी दिन से वो नोवल पढ़ना चाहता था और उस नोवल का लेखक एक आईआईटीअन था इसलिए मैंने कुछ सोचे बिना वह नोवल खरीद ली।
और फिर ट्रेन खुलने से पहले मैं वापस अपने कंपार्टमेंट में पहुंचा तो देखा कि मेरे सामने वाली सीट पर एक चौबीस-पच्चीस साल की लड़की बैठी थी और वह फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी। मैं चुप चाप आकर अपनी सीट पर बैठ गया और नोवल के पन्ने पलटने लगा और पढ़ने में तल्लीन हो गया कि अचानक उसने मुझसे पूछा- क्या आप भी दिल्ली जा रहे हो?
मैंने कहा- हाँ।
तो उसने मुझसे पूछा- क्या आप वहां जॉब करते हो?
मैंने उसे बताया- नहीं, मैं तो आई आई टी दिल्ली में पढ़ता हूँ और मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।
तो उसने बताया कि उसका भाई भी पुणे के किसी इंस्टिट्यूट से मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहा है और वो अभी सेकंड इयर में गया है।
मैंने उससे कहा- मैं भी सेकंड इयर में ही हूँ।
फिर उसने मुझसे पूछा- क्या तुम चेतन भगत के फैन हो?
तो मैंने कहा- नहीं मैं तो बस इसीलिए यह नोवल लेकर आया क्यूंकि चेतन भगत भी आई आई टी का ही छात्र था।
इसी तरह हमारी बात-चीत का सिलसिला चल पड़ा। पर मैंने आपको पहले ही बताया कि मैं एक निहायती शरीफ और सीधा सादा बन्दा हूँ इसीलिए मैं उसके साथ कोई काम की बात नहीं कर रहा था मेरे सवाल कुछ इस तरह के थे : आप क्या करती हो? जिसका जवाब था मैं एक आकिर्टेक्ट हूँ।
मैंने पूछा- दिल्ली में ही?
जिसका जवाब था- नहीं, मेरा पटना में ही एक ऑफिस है जहाँ मैं क्लिएंट्स के साथ डील करती हूँ।
फिर मैंने पूछा- आप दिल्ली क्यूँ जा रही हो?
जिसका जवाब था- मैं अपने दोस्तों के साथ बर्थडे मनाने जा रही हूँ और हम लोग मौज मस्ती करेंगे।
फिर मेरे इन सवालों से परेशान हो कर उसने कहा- तुम कोई काम का सवाल क्यूँ नहीं पूछ रहे हो?
मैंने कहा- मतलब?
तो उसने कहा- छोड़ो ! तुम अभी बच्चे हो।
मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम श्रेया बताया।
हम बातचीत कर ही रहे थे कि तभी हमारा खाना आ गया और मैं खाना खाने लगा। खाना खा कर मैंने अपने बर्थ पर अपना बिस्तर लगाया और सोने की कोशिश करने लगा पर हर आईआईटीअन की आदत देर तक जागने की होती है सो नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। धीरे धीरे पूरी बोगी की रोशनी बन्द हो गई और खर्राटों की आवाज़ पूरी बोगी में गूंजने लगी। अब तो सोना और भी मुश्किल हो गया। पर फिर भी मैं सोने की कोशिश करने लगा। मुझे लगा कि अब तक तो श्रेया भी सो गई होगी पर शायद मैं गलत था। अभी मुझे नींद का पहला ही झोंका आया था कि मुझे लगा कि मेरे बर्थ पर कोई और आ गया है और वो पर्दा खींच रहा है पर नींद से मेरी आँखें बोझिल थी सो मैंने कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मैंने नज़रंदाज़ कर दिया।
पर थोड़ी ही देर में मेरी आँखों से नींद गायब हो गई जब मुझे मेरे लंड पर किसी का हाथ होने का एहसास हुआ मैंने आँखें खोली तो देखा- श्रेया मेरे बगल में सोई हुई है और उसका हाथ मेरे लंड पर हरकतें कर रहा है।
मुझे जागता देख कर उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया। अब मैं इन सब चीज़ों के बारे में इतना भी अनजान तो नहीं था सो मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा और मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। मेरा लंड बिल्कुल तन गया और मेरी पैंट फाड़ कर बाहर आने की कोशिश में लग गया जिसकी वजह से मुझे हलके दर्द का एहसास होने लगा। पर आज मैं भी उस आनंद की अनुभूति लेना चाहता था जिसके पीछे सारी दुनिया दीवानी है।
मैं आँखें बंद कर के लेटा रहा और मज़ा लेटा रहा क्यूंकि मुझे पता ही नहीं था कि आगे करना क्या है?
तभी उसने मेरे पैंट की जिप खोल दी और मेरा लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से उसे सहलाने लगी।
अब तक मेरा लंड पूरी तरह से कड़ा हो गया था और ६-१/२ इंच लम्बा और २ इंच मोटा हो गया था। फिर उसने मेरा हाथ अपने मम्मों पर रख दिया और मुझे उसे दबाने को कहा। मैंने जब उसके मम्मे दबाये तो वो बिल्कुल नर्म थे रुई के फाहे जैसे और बिल्कुल गोल और बड़े बड़े।
मुझे मज़ा आने लगा। मैंने उसकी टॉप उतारी और ब्रा उतारी और उसके मम्मों को चूमने चाटने लगा। उसके चूचुक सख्त हो गए बिलकुल मटर के दानों की तरह। मैं अभी उसके मम्मों में खोया हुआ था और उन्हें चूमता जा रहा था, तभी उसने मुझसे कहा- सिर्फ इन्हीं से खेलते रहोगे या असली खेल भी खेलना है?
तो मैंने कहा- यह असली खेल कैसे खेलते हैं?
उसने मेरी तरफ देखा और कहा- धत्त ऽऽ ! कैसे मर्द हो तुम ? अब तुम्हें यह भी सिखाना पड़ेगा? चलो अब जब इतना कुछ सिखा ही दिया है तो यह भी सिखा देती हूँ ताकि आगे से तुम किसी लड़की के सामने अनाड़ी न रहो।
फिर उसने अपने और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों बिल्कुल ही नग्न अवस्था में आ गये। फिर उसने मेरा हाथ अपनी चूत के ऊपर रख दिया और कहा- यही तो है वो स्टेडियम जहाँ असली खेल खेलते हैं। फिर उसने अपने रति द्वार के ऊपर मेरी ऊँगली रख दी जो कि काफी गीला लग रहा था। मैंने उसकी योनि में अपनी ऊँगली घुसा दी और अपनी ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा तो उसने मुझे कहा- रुको मैं तुम्हें एक नया एहसास दिलाती हूँ !
वो पलट गई और अपनी चूत मेरे मुँह के पास और मेरा लंड अपने मुँह के पास ले गई। फिर उसने मुझे कहा- अब तुम मेरी फुद्दी चूसो !
मैं तो बस जैसे उसका गुलाम ही बन गया था। खुद मुझे तो कुछ आता नहीं था सो वो जो कह रही थी मैं वही करता जा रहा था। मैंने उसकी फुद्दी चाटनी और चूसनी शुरू की और उसका नमकीन रस मुझे मजेदार लगने लगा। मैंने चूसता रहा चाटता रहा। तभी अचानक मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगा और मैं झड़ गया उसके मुह में ही ! उसने मेरा सारा कामरस पी लिया। तभी उसका बदन ऐंठने लगा और वो भी झड़ गई। पहले तो मुझे अच्छा नहीं लगा पर फिर मुझे उसकी चूत का नमकीन पानी स्वादिष्ट लगने लगा और मैं सारा पानी पी गया।
मैंने उससे पूछा- क्या यही था असली खेल?
तो उसने कहा- नहीं ! अभी तो असली खेल बाकी है ! यह तो पूर्व-क्रीड़ा थी, या यह समझ लो कि यह तो डिनर के पहले लिया गया सूप है।
मैंने कहा- तो फिर असली खेल खेलो ना !
उसने कहा- उसके लिए तुम्हारे लंड को फिर से तैयार करना पड़ेगा !
और उसने फिर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया। अब मैं फिर से तैयार था और मुझे वाकई बड़ा मज़ा आया था। मैंने सोचा कि अगर यह असली खेल नहीं था तो फिर असली खेल में कितना मज़ा आएगा !
उसने मुझसे पूछा- क्या यह तुम्हारा पहली बार है ?
तो मैंने कहा- हाँ ! क्यूँ ? तुम्हें क्या लगता है?
तो उसने कहा- मुझे भी तुम्हारा पहली बार ही लगता है।
फिर मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हारा भी पहली बार ही है?
तो उसने कहा- नहीं ! मैंने तो कई बार मज़ा लिया है इसका।
फिर उसने अपने पर्स से निवेया क्रीम की डिब्बी निकली और उसमें से क्रीम निकाल कर मेरे लंड पर लगा दी।
फिर उसने कहा- अब असली खेल के लिए तैयार हो जाओ।
मैं तो तैयार ही था क्यूंकि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर वो बर्थ पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने को कहा। मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया और फिर उसने मेरा लंड अपनी फुद्दी के मुहाने पर रख दिया और कहा- अब जोर लगाओ।
मैंने जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी फुद्दी में आराम से चला गया यह उसकी क्रीम का असर था। अब वो गांड उठा उठा कर धक्के लगाने लगी। उसकी देखा-देखी मैंने भी अपने कमर के जोर से धक्के लगाने शुरू किये तकरीबन पांच मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर ऐंठने लगा और वो झड़ गई मेरे लंड को बहुत ही गरम एहसास हुआ और फिर दो मिनट के बाद मैं भी उसकी फुद्दी में ही झड़ गया। और उसके ऊपर ही लेट गया। धीरे धीरे मेरा लंड अपने आप उसकी चूत से बाहर आ गया।
इस तरह मैंने अपनी ज़िन्दगी की पहली चुदाई पूर्ण की और वो राजधानी एक्सप्रेस मेरे लिए राजधानी सेक्स्प्रेस बन गया।
फिर तो उस रात हमने दो बार और चुदाई की। सुबह उठा तो मैं बिलकुल फ्रेश महसूस कर रहा था। उसने उतरने से पहले मेरा नंबर लिया और मुझसे वादा लिया कि आज मैं उसकी दोस्त के फ्लैट में उसका जन्मदिन मनाने ज़रूर आऊँ !
मैंने उस रात उसकी दोस्त के फ्लैट में उसको और उसकी दोस्त को भी चोदा जोकि अगली बार मैं आप लोगों को बताऊंगा।
मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल ज़रूर करें।
मेरा ईमेल आई डी है : Antarvasna Sex Stories
यह मेरी पहली कहानी Hindi Porn Stories है जो वास्तविक है, बड़ी हिम्मत करके मैं यह कहानी लिख रहा हूं। मेरे दोस्त चन्दू ने इस कहानी को लिखने में मेरी मदद की है।
यह घटना छः माह पहले की है। मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ अभी जब मेरे पास कम्प्यूटर आया तब पढ़ना आरम्भ की थी। अब हमें पुस्तक से अच्छी और अधिक वासनायुक्त कहानियाँ पढ़ने को मिल जाती हैं और हमारे अब पुस्तकों के किराये के पैसे भी बच जाते हैं।
मेरा एडमिशन बेंगलोर में हो चुका था और मैंने होस्टल में दाखिला ले लिया था। मेरे साथ एक और लड़का था, उसका नाम चन्द्र प्रकाश था। सभी उसे चन्दू कहते थे। यूं तो हम दोनों ही दुबले पतले हैं, और लम्बाई भी साधारण सी ही है। मुझे उसके साथ रहते हुये लगभग दो माह हो चुके थे। उसे फ़ुर्सत में अश्लील पुस्तकें पढ़ने का शौक था। वो मार्केट से किताबें किराये पर ले आता था और बड़े चाव से पढ़ता था।
एक बार मैंने भी उसकी अनुपस्थिति में वो किताब उसके तकिये के नीचे से निकाल कर पढ़ी। उसको पढ़ते ही मेरा भी लन्ड खड़ा हो गया। मुझे उसकी खुली भाषा बहुत पसन्द आई और कहानी को अन्त तक पढ़ डाला। अब मेरे खड़े लन्ड को शान्त करना मुश्किल हो गया था। मैंने अन्त में अपना लण्ड बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारने लगा। जब वीर्य लन्ड से बाहर निकल आया तो मुझे चैन मिला। पर मुझे उस पुस्तक को पढ़ने में बड़ा मजा आया। धीरे धीरे मुझे भी उन पुस्तकों को पढ़ने में मजा आने लगा। मेरा मन पढ़ाई से उचटने लगा। रात को जब तब मैं अब मुठ मारने लगा था।
चन्दू को भी अब मेरी हरकतें मालूम होने लग गई थी। उसे शायद मालूम पड़ गया था कि मैं उसकी अश्लील पुस्तकें छुप कर पढ़ लेता हूँ। उसने एक दिन उसने वो किताब छुपा ली। मुझे ढूंढने पर भी जब वो पुस्तक नहीं मिली तो मैंने हार कर चन्दू से कह ही दिया,”चन्दू, वो जो तू किराये पर पुस्तक लाता है, क्या अब नहीं ला रहा है?”
“देख प्रेम, पुस्तक तो मैं अपने पैसे दे कर लाता हूँ, तू अगर आधा पैसा दे तो तुझे भी दे दूंगा।”
मैंने उसे आधा पैसा भरने के लिये हां कर दी। अब तो मैं उसकी उपस्थिति में भी पुस्तक पढ़ सकता था।
इन सबके चलते एक दिन हम दोनों ही खुल गये और फिर चला एक दूसरे की गान्ड मारने का सिलसिला।
यह कैसे आरम्भ हुआ…
मैं दिन को लंच के बाद कॉलेज नहीं गया, आराम करने लगा। चन्दू का लंच के बाद एक पीरियड लगता था। मैं कमरे में अश्लील पुस्तक पढ़ रहा था। फिर हमेशा की तरह मैं खड़े हो कर मुठ मारने की तैयारी में था। मैंने अपना पजामा उतार लिया था और चड्डी भी उतार कर अपने कड़क लन्ड को हिला रहा था। तभी चन्दू आ गया… और मुझे लन्ड हिलाते हुये देखने लगा।
“ये क्या कर रहा है रे…” उसने मुझे झिड़का।
मैं बुरी तरह चौंक गया। और पास में पड़ा तौलिया उठा कर लपेट लिया।
“अरे यार वो ऐसे ही… ” मैं हड़बड़ा गया था।
“ऐसे क्या मजा आता होगा … रुक जा, मुझे भी किताब पढ़ने दे … साथ मजा करेंगे !” चन्दू ने बड़ी आशा से मुझे कहा।
मैं कुछ समझा नहीं था।
“साथ कैसे… क्या साथ मुठ मारेंगे…?”
“हां यार, उसमे मजा आयेगा…” मुझे भी लगा कि शायद ये ठीक कह रहा है। वो अपना मुठ मारेगा और मैं अपना मारूंगा। कुछ ही देर में उसने किताब पढ़ ली और उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी कॉलेज की ड्रेस उतारी और नंगा हो गया। उसका लण्ड भी तन्ना रहा था।
उसने कहा,”प्रेम, इधर आ और इसे छू कर देख…!” मुझे ऐसा करते हुये हिचकिचाहट हो रही थी। पर मैंने उसके लण्ड को हल्के हाथों से पकड़ कर छू लिया।
“ऐसे नहीं रे … जरा कस कर पकड़… हां ऐसे… अब आगे पीछे कर !” उसने आनन्द से मुझे पकड़ लिया। मुझे दूसरे का लण्ड पकड़ते हुये कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। कड़ा सा, नरम चमड़ी, चमकता हुआ लाल सुपाड़ा… फिर भी मैंने उसके लण्ड पर अपना हाथ आगे पीछे चलाना आरम्भ कर दिया। उसका हाथ मेरी कमर पर कस गया। उसके मुँह से आह निकलने लगी। उसने अब मेरी कमर से तौलिया खींच कर उतार दिया।
“अरे… ये क्या कर रहा है… ?” मैंने हड़बड़ाते हुये कहा।
“तेरा लण्ड की मैं मुठ मार देता हूँ… देख बेचारा कैसा हो रहा है…!” और उसने मेरा लण्ड थाम लिया। किसी दूसरे का हाथ लन्ड पर लगते ही मुझे एक सुहानी सी अनुभूति हुई। लण्ड हाथ का स्पर्श पाते ही बेचारा लन्ड कड़क उठा। उसका हाथ मेरे लन्ड पर कस गया और अब उसने हल्के से हाथ से लन्ड पर ऊपर नीचे करके मुठ मारा। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।
“यार चन्दू, मैं मुठ तो रोज़ ही मारता हूँ… पर तेरे हाथ में बहुत मजा है… और कर यार… आह …” हम दोनों अब एक दूसरे का हल्के हाथों से मुठ मारने लगे। मेरे अन्दर एक तूफ़ान सा उठने लगा… सारी दुनिया रंगीन लगने लगी। चन्दू मुठ बड़ी खूबसूरती से मार रहा था। उसके हाथ में जैसे जादू था। उसकी अंगुलियां कहीं सुपाड़े को हौले से मसलती और कभी डन्डे को बेरहमी से मरोड़ती और कस कर मुठ्ठी में दबा कर दम मारती… कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया। मैं उससे लिपट गया और ना जाने कहां कहां चूमने लगा। मेरे झड़ते ही मुझे होश आया कि मैंने तो जाने कब चन्दू लण्ड छोड़ दिया था और अपने आनन्द में डूब गया था। अब मैं उसका लन्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। वो अपने बिस्तर पर लेट गया और अपने शरीर को आनन्द से उछालने लगा। उसका लण्ड और सुपाड़े को मैं सन्तुलित तरीके से या कहिये चन्दू के तरीके से मुठ मार रहा था। उसकी हालत देख कर मुझे लग रहा था कि शायद मुझे भी ऐसा ही मजा आया होगा… अन्जाने में मैं भी ऐसा ही तड़पा हूंगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने पिचकारी निकाल मारी। उसका वीर्य मेरे हाथो में लिपट गया। मैंने उसका लण्ड धीरे धीरे मल कर उसमे से सारा वीर्य निकाल दिया
एक दूसरे का मुठ मारना रोज़ का खेल हो गया।
एक दिन मुझे चन्दू ने नया खेल सिखाया। उसने नंगे होने के बाद मुझे बिस्तर पर सुला दिया और वो मेरे ऊपर उल्टी पोजीशन में लेट गया। उसने मेरा खड़ा लण्ड अपने मुंह में भर लिया। उसके लण्ड चूसने से मुझे बड़ा मजा आया… मैंने भी उसके लण्ड के अपने मुँह में भर लिया। मैंने भी उसे चूसना शुरू कर दिया। उसकी टांगे मेरी गर्दन के आस पास लिपट गई। मेरा लन्ड तो उसके चूसने से फ़ूलने लगा और मैं आनन्द से भर गया। मेरे चूतड़ नीचे से हिल हिल कर प्रति उत्तर देने लगे थे। उसने भी अपने चूतड़ों को हौले हौले से मेरे मुख में चोदने जैसा हिलाने लगा। मैंने भी उसका लन्ड जोर से होंठ को भींच कर चूसना आरम्भ कर दिया। ये मस्त तरीका मुझे बहुत ही पसन्द आया। मेरा लन्ड भी नीचे फूल कर उसके मुख का भरपूर मजा ले रहा था। वह अपना हाथ से मेरा लण्ड का मुठ भी मार रहा था और मेरे सुपाड़े के रिन्ग को कस कर चूस रहा था। कुछ पलों में मेरा लण्ड मस्ती में हिल हिल कर मस्त हो उठा और ढेर सारा वीर्य उसके मुँह में ही उगल दिया। उसने वीर्य को नीचे जमीन पर थूक दिया और फिर से चूस कर मेरा पूरा वीर्य निकाल कर साईड में नीचे थूक दिया।
अब उसने अपनी कोहनियों पर अपनी पोजीशन ले ली । अब उसका पूरा ध्यान स्वयं के लण्ड पर था जिसे वो मस्ती से हौले हौले मेरे मुख को चोद रहा था। तभी उसने अपने लण्ड का पूरा जोर लगा कर लण्ड मेरे हलक तक उतार दिया और अपना वीर्य छोड़ दिया। उसका सारा वीर्य मेरे गले से सीधे उतर गया और मैं खांस उठा। उसने अपना लन्ड थोड़ा ऊपर करके मुँह में ही रहने दिया और उसका सारा वीर्य मेरे मुँह में भरने लगा। स्वाद रहित चिकना सा वीर्य, पहली बार किसी के वीर्य का स्वाद लिया था। उसके पांवों के बीच मेरा मुख जकड़ा हुआ था, उसका रस गले से नीचे उतर गया और अब उसने मुझे ढीला छोड़ा और मेरे ऊपर से हट गया। इस प्रकार के मैथुन में मुझे आर भी आनन्द आया।
उन्हीं दिनों चन्दू का कम्प्यूटर भी आ गया। हमारा इस तरह का दौर लगभग रोज ही चलता था। हम दोनों सन्तुष्ट हो कर फिर से पढ़ाई में लग जाते थे।
एक बार रात को चन्दू बड़े गौर से एक गे की सीडी देख रहा था। एक लड़का दूसरे लड़के की गान्ड मार रहा था। मैंने भी उस सीन को बहुत बार लगा कर देखा और फिर हम एक दूसरे को प्रश्न वाचक नजरों से देखने लगे।
“ये तो मुश्किल काम है ना… गान्ड का छेद तो इतना सा होता है… कैसे घुस जाता है यार… कहानियों में भी गान्ड की मारा मारी बहुत होती है।” मैंने हैरानी से कहा।
“तू कहे तो एक बार कोशिश करें क्या … अपने पास सोलिड लन्ड तो है ही ना…इस फ़िल्म को देख जब इस सीन में लन्ड गान्ड में घुसा है, ये सच तो लगता है… ये कुछ चिकनाई भी तो लगाते हैं ना…!”
उस सीन को देख कर लन्ड तो दोनों का ही खड़ा था… दोनों ने कपड़े उतार लिये… मैंने ही पहल की।
“देख मैं झुक जाता हूँ… तू अपना लन्ड मेरी गाण्ड में घुसाने की कोशिश कर…”
चन्दू ने यह देखा और तेल की शीशी देख कर कहा, “तेल लगा लेते हैं…!”
उसने तेल की शीशी से तेल मेरी गान्ड में लगा दिया और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गान्ड से चिपका दिया। मेरी गान्ड का छेद डर के मारे और कस गया।
“अरे… गान्ड को ढीली छोड़ ना…” मैंने हिम्मत करके छेद को ढीला छोड़ दिया। उसने थोड़ा जोर लगाया और अन्ततः उसका सुपाड़ा अन्दर चला ही गया। मुझे बड़ा अजीब सा लगने लगा… ये मेरी गाण्ड में मोटा सा ये क्या फ़ंस गया… उसका मोटा सा लन्ड मुझे उसकी मोटाई का अहसास दिला रहा था। उसने जोश में आकर लण्ड को जोर से अन्दर की ओर मारा… उसके मुख से आह निकल पड़ी और उसने तुरन्त अपना लन्ड बाहर निकाल लिया। मुझे भी एक बार गान्ड में दर्द हुआ पर उसके लन्ड निकालते ही आराम हो गया।
“मुझसे नहीं होता है यार …” चन्दू ने अपना लण्ड सम्भालते हुये कहा।
“क्या हो गया… साले तेरे में दम नहीं है गान्ड मारने का, चल तू घोड़ी बन, मैं चोदता हूँ तेरी मस्त गान्ड को… चल घोड़ी बन जा…” मैंने भी उसे घोड़ी बना दिया… और तेल उसकी गान्ड में भर दिया। लण्ड की चमड़ी ऊपर खींच कर मैंने सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी गान्ड ने अंगुली कर के देखा, मुझे तो उसकी गान्ड मस्त लगी। मैंने अंगुली घुमाते हुये उसके छेद को खोला और सुपाड़ा उस पर रख दिया। दबाव डालते ही मेरा लन्ड छेद में घुस गया। चन्दू थोड़ा सा बैचेन हो उठा … मैंने जोर लगा कर लण्ड को धक्का दिया… मुझे अचानक ही तेज जलन हुई, जैसे आग लग गई हो… मैंने लण्ड जल्दी से बाहर निकाल लिया। देखा तो मेरे लण्ड की झिल्ली फ़ट गई थी और कुछ खून की बून्दें उस पर उभर आई थी। कमोबेश चन्दू का भी यही हाल था। हम समझ गये थे कि ये तो लण्ड के कुंवारेपन की निशानी थी, जो अब फ़ट कर जवानी की याद दिला रही थी। हमने अपने लण्ड को साफ़ किया और असमन्जस की स्थिति में सो गये।
अगले दिन भी हम दोनों के लण्ड में दर्द था, सो बस रात को हम कम्प्यूटर पर यूं ही सर्च कर रहे थे। अचानक एक जगह सेक्स कहानियों के बारे लिखा हुआ नजर आया, यह अन्तर्वासना साईट थी। साईट के खुलने पर हमें बहुत सी या कहिये कि अनगिनत कहानियाँ वहां पर मिली। उन कहानियों के पढ़ने पर हमें यह मालूम हुआ कि हमारी स्किन जो फ़टी थी वो तो एक दो दिन में ठीक हो जाती है। गान्ड मारने के बारे में भी पढ़ा और हम दोनों उत्साहित हो उठे। इन रस भरी कहानियों का भरपूर संग्रह मिल जाने से हमने मार्केट से अश्लील पुस्तकें लाना बन्द कर दिया।
अगले दिन हम दोनों ने सच में महसूस किया कि हमारे लण्ड अब ठीक हो चुके है तब हमने कहानियों के अनुसार ही किया। पहले मैंने ट्राई की, मैंने अंगुलिया घुमा कर गाण्ड का छेद चौड़ा किया। मैं तेल लगाता गया और अंगुली घुमाता गया, फिर अपना सुपाड़ा छेद पर रख कर अन्दर धकेला तो आराम से घुस गया। पर हां, गान्ड कसी हुई थी। मैंने डरते डरते लण्ड और अन्दर घुसेड़ा… लण्ड में तो दर्द नहीं हुआ पर चन्दू के मुख से कराह निकल गई। पर मुझे तो लण्ड में मीठी सी वासनायुक्त कसक भरने लगी। इस मीठी सी सुरसुरी का आनद लेने के लिये मैंने अपना लण्ड धक्का दे कर पूरा घुसेड़ दिया।
उसे शायद दर्द हुआ… पर मैं आनन्द के मारे झूम उठा था और उसकी गाण्ड में लन्ड अन्दर बाहर करना आरम्भ कर दिया। अब मुझे मालूम चल रहा था कि लड़कियों की चूत मारने में भी ऐसा ही मजा आता होगा। उसकी तंग़ गाण्ड मारने में मुझे एक अनोखा ही आनन्द आ रहा था। लन्ड खूब रगड़ रगड़ चल रहा था। मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो पूरा जोर लगा कर लन्ड को उसकी गान्ड में मारने लगा… फिर मेरे लण्ड से रस निकल पड़ा और उसकी गाण्ड में भरने लगा। मैंने लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया और बाकी का वीर्य बाहर निकाल दिया। उसकी गान्ड का छेद लण्ड निकालने पर खुला रह गया था और कुछ ही पलों में अब बन्द हो गया था। चन्दू के चेहरे पर पसीना था।
कुछ ही देर में उसने मुझे घोड़ी बना दिया और उसने भी मेरे साथ वही किया। वो मेरी गान्ड का छेद अंगुली डाल कर खींच खींच कर चौड़ा करने लगा। मुझे ऐसा करने से छेद में जलन तो हुई पर अधिक नहीं… बल्कि उसकी अंगुली गान्ड में मीठा सा मजा दे रही थी। कुछ ही देर में उसका सोलिड लन्ड मेरी गान्ड में घुस पड़ा। उसने मेरी गाण्ड में लण्ड धीरे से घुसाया और बड़े प्यार से मेरी गाण्ड मारने लगा। मुझे दर्द तो हो रहा था पर अधिक नहीं। उसका लन्ड मुझे गान्ड में चलता हुआ बहुत मजा दे रहा था। पर जोश में उसके तेज झटके दर्द दे जाते थे…। कुछ ही देर में वो भी झड़ गया। पर उसने अपना वीर्य पूरा ही गान्ड में भर दिया। उसका लन्ड गान्ड में ही सिकुड़ गया था और चिकने वीर्य के साथ सुरसुराता हुआ अपने आप बाहर आ गया।
हम दोनों ही बहुत खुश थे कि अब हमें लडकियों की कोई आवश्यकता नहीं थी… हमें अपना वीर्य निकालने के लिये एक छेद मिल गया था। एक दूसरे के चूतड़ों की नरम गद्दी का एक मधुर सा मजा लण्ड के आस पास गान्ड मारने पर आता था। हम दोनों धीरे धीरे गान्ड मारने और मराने के अभ्यस्त हो चुके थे … अब इस कार्य में बहुत ही मजा आने लगा था। हम अब सप्ताह में दो बार पूरी तैयारी के साथ गान्ड मारते थे। हम अब व्हिस्की लाते, साथ में चिकन और नमकीन लाते और ब्लू फ़िल्म लगा कर रात को कम्प्यूटर पर आराम से देखते और फिर उत्तेजित हो कर आपस में गाण्ड मारते और मराने लगे थे। Hindi Porn Stories
हेल्लो दोस्तो ! फ़िर से आपका Hindi Sex Stories पुराना दोस्त अजय, हरयाणा से हाज़िर है आपके लिए एक सेक्स भरी कहानी लेकर !
कहानी शुरू करने से पहले आज मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं कि मुझे स्कूल टाईम से ही सेक्स का बड़ा शौक था इसीलिए मेरे दोस्त मुझे सेक्स-गुरु कहते थे। किसी को भी कोई परेशानी होती थी, किसी लड़की को लेकर, वो मेरे पास आता था और मैं उसकी समस्या हल कर देता था। एक तरह से कहो तो दोस्तों मैंने सेक्स में और प्यार में पी.ऐच.डी. की हुई है ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका मेरे पास हल नहीं।
चलो बहुत देर हुई आपको बोर करते हुए अब आते हैं आज की कहानी पे !
मेरी पिछली कहनी चूत का प्यासा के मुझे बहुत उत्तर मिले। बहुत सी लड़कियों और औरतों की मेल्स मिली मुझे बहुत ही अच्छा लगा।
यह कहानी है मेरे एक पड़ोस की लड़की की जो देखने में कयामत थी उसका नाम था पिंकी। और वो देखने में भी किसी फूल से कम नहीं थी वो। क्या कहूँ, बिल्कुल कैटरिना लगती थी। मैं जब भी उसे देखता मेरा लंड मेरी पैन्ट को फाड़ने लगता था, जिसको कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल होता था।
मैं हमेशा उसे चोदने की तरकीब सोचता और कई बार तो उसके बारे में सोच कर मुठी भी मारता। मैं हर किसी को समस्या का हल देता लेकिन मेरी हिम्मत ही न होती उससे बात करने की।
एक दिन मैं कुछ सामान लेने बाजार जा रहा था वो मुझे रास्ते में मिली और मुझे देख कर मुस्कुरा के निकल गई। उस दिन मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ। फ़िर एक दिन शाम के समय वो अपने घर के बाहर खड़ी थी और मैं जा रहा था तो उसने मुझे रोका और कहा- अजय ! क्या आपके पास ऍम.बी.ए. के नोट्स हैं?
यह सुन कर मैं हैरान था कि उसे कैसे मालूम कि मेरा नाम अजय है और उसे कैसे मालूम कि मैंने ऍम.बी.ए. किया है। फ़िर मैंने उसे नोट्स देने का वादा करके वहाँ से निकल गया। इसी तरह उसकी और मेरी दोस्ती आगे बढ़ी अब तो हम फ़ोन पे भी बात करने लगे। बस मैं तो मौके की तलाश में था कि कब मुझे उसकी चोदने को मिले।
एक दिन वो मेरे घर पे आई उस समय मैं घर पे अकेला था, घर पे कोई नहीं था, और मैं सुबह से ही बड़े ही रोमांटिक मूड में था। उसको देखते ही मेरे लंड ने फ़िर से सलामी दी और मैं मन ही मन बडा खुश हुआ। उसने मुझसे कुछ प्रोबलेम्स समझनी थी. उस दिन वो लॉन्ग स्कर्ट और शोर्ट टॉप पहने हुई थी। दोस्तों क्या कयामत लग रही थी वो। उसका फिगर एक दम परफेक्ट था 36-24-36 जिसे देख कर मैं पागल हो गया।
हम दोनों मेरे बेडरूम में गए और मैं उसके लिए कोल्ड ड्रिंक लाया। फ़िर हम प्रोब्लेम्स हल करने लगे। जब वो झुकती तो उसके बूब्स देख कर मेरा मन उसे चोदने को करता। थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पे हाथ रखा और मसलने लगा उसने कोई भी आपत्ति नहीं की। मेरी हिम्मत बढ़ गई। धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसके बूब्स पे रखा और उन्हें दबाने लगा वो फ़िर भी चुप चाप बैठी रही। फ़िर मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट में हाथ डाला तो वो मेरी तरफ देखने लगी और बोली क्या कर रहे हो?
मैंने उसके दोनों होंठ जो गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे अपने होठों में दबा लिए और उसे किस करने लगा। वो भी थोड़ी देर बाद मेरा साथ देने लगी। यह देख कर मैंने उसके बूब्स जोर जोर से दबाने शुरू कर दिए। उसकी आँखों में मस्ती छाने लगी। उसने अपने दोनों हाथ मेरे बालो में डाल लिए और मुझे पागलो की तरह किस करने लगी।
मैंने उसक टी-शर्ट उतार दी उसने काले रंग की ब्रा डाली हुई थी और उसके बूब्स उसमें से बाहर झांक रहे थे। मैंने उसके दोनों कबूतरों को ब्रा की कैद से आजाद करवाया और उन्हें अपने हाथो से दबाने लगा।फ़िर मैंने उसका एक बूब अपने मुँह में लिया और उसे बच्चों की तरह चूसने लगा।
वो ऊऊऊउ… आआआअ… आ आआ आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह की तरह सेक्सी आवाजें निकालने लगी। उसका हाथ मेरे लंड पे चला गया और उसने अन्दर हाथ डाल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसके साथ खेलने लगी। फ़िर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी। उसने क्रीम रंग की पैंटी डाली हुई थी। मैंने जैसे ही उसकी पैंटी उतारी उसकी चूत देख कर मैं अपने होश गंवा बैठा। ऐसी चूत मैंने अपनी पूरी लाइफ में नहीं देखी थी।
उसके होठों से भी नाजुक और गुलाबी गुलाबी उसकी चूत जिस पे एक भी बाल नहीं था। मैंने उसकी चूत को जैसे ही छुआ, वो चिहुक पड़ी। मैंने उसकी चूत को अपने होठों की कैद में ले लिया वो पागलों की तरह अपने हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी और ऊ ऊऊऊऊ आ आआ आआ ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्छ सेक्सी आवाजे निकलने लगी।
मैंने फ़िर उसे अपना लौड़ा मुँह में लेने को कहा। उसने पहले तो मना किया फ़िर मेरे जोर देने पे उसने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और फ़िर खूब चूसा जैसे एक छोटा बच्चा लोली-पॉप को चूसता है। थोड़ी देर में मैं जब आने वाला था तो मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में दे दिया और वो भी बड़े प्यार से पी गई।
उसके बाद मैंने उसकी टांगें फ़ैलाई और उसकी चूत पे अपना लंड रखकर एक धक्का दिया और वो पागलो की तरह चिल्लाने लगी। उसकी चूत कुँवारी थी। मैंने देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था। वो रोने लगी और मुझे कहा कि बाहर निकाल लो। पर मैं उसके होठों को चूसने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा थोडी देर में जब वो शांत हुई तो मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लाई जैसे पता नहीं क्या हो गया हो।
मैंने उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए। उसकी आँखों से आंसू निकल आए। थोडी देर बाद वो सामान्य हुई तो मैं अपना लण्ड अन्दर बाहर करने लगा और वो भी पूरा सहयोग देने लगी और पूरा कमरा ह्ह्ह्हो क्क्क क्छ्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह ऊऊउ आआआअ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह की सेक्सी आवाजों से गूंजने लगा। 10-15 मिनट बाद वो झड़ गई थोडी देर में मैं भी झड़ गया। फ़िर हम दोनों ने उस दिन 3-4 बार सेक्स किया और वो बहुत ही खुश नज़र आ रही थी…और वो घर चली गई…
कुछ दिन बाद उसने मुझे अपने घर बुलाया और उस दिन उसके साथ उसकी एक फ्रेंड भी थी और वो भी बहुत सेक्सी थी। दोनों के साथ सेक्स की कहानी मैं बताऊंगा आपको अगली कहानी में जल्दी ही !
अब आपसे इजाजत चाहूँगा आपका प्यारा अजय और उसका लण्ड।
प्यासी चूत ! मुझे मेल्स भेजना मत भूलना…
म्मूऊआआह Hindi Sex Stories
मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई चूत थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.
मेरा नाम राम है। मैं आपको जो कहानी Hindi Porn Stories सुनाने जा रहा हूँ, यह तब की बात है जब मैं कालेज में पहले सेमस्टर में पढ़ता था। मेरे कोलोनी में ही मेरा एक दोस्त अमित(बदला हुआ नाम) रहता था जो मेरे साथ ही कालेज में था, वो कमरा किराए पर लेकर रहता था। सो मैं उसके यहाँ स्टडी या ऐसे ही कभी कभी मिलने चला जाता था। उसके साथ उसकी एक दीदी रीना और उनकी एक सहेली नेहा भी रहती थी। वो दोनों आई आई टी कर रही थी। वे लोग एक ही कमरे में रहते थे।
एक बार जब मैं उससे मिलने उसके कमरे पर गया तो मैंने देखा कि नेहा वहाँ अकेली थी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि रीना ओर अमित बाज़ार गये हैं। फ़िर मैं जाने को हुआ तो नेहा ने मुझे ये कह कर रोक लिया कि वो लोग बस आते ही होंगे। सो मैं वहीं रुक गया।
मैंने कभी नेहा से ज्यादा बाते नहीं की थी, ना ही उसके बारे में जानता था, वो मुझसे उमर में शायद तीन साल बड़ी होगी। मैं एक कुर्सी लेकर बैठ गया और अमित के आने का इन्तज़ार करने लगा।
मैने सोचा क्यूँ ना नेहा से ही बातें कर ली जाये। मैं उठ कर उसके पास गया और उससे इधर उधर की बाते करने लगा। बातों ही बातों में मैने उससे पूछ लिया कि क्या उसका कोई बाय फ़्रेन्ड है?
तो उसने शरमाते हुये कहा- नहीं !
मुझे यह बात पूछ्ने में डर इसलिए नहीं लगा क्योंकि वो मुझसे तब तक खुल के बातें करने लगी थी। फ़िर उसने मुझसे पूछा तो मैने भी बता दिया कि मेरी भी कोइ गर्ल फ़्रेन्ड नहीं है।
फ़िर उसने कहा- तुम बैठो ! मैं चाय बना के लाती हूँ।
तो मैं अमित का लेपटोप ओन करके गाने सुनने लगा। तभी मुझे एक शरारत सूझी। मुझे याद आया कि अमित के लेपटाप में बहुत सी ब्लू-फ़िल्में हैं। मैने सोचा क्यूं ना इसे नेहा को दिखाऊँ और अगर काम बन जाता है तो उसकी चुदाई भी कर दूँ!
इस ख्याल से ही मेरे पैन्ट के अन्दर सो रहा मेरा हथियार जाग गया। जैसे तैसे मैंने अपने आप को सम्भाला और गाने सुनने लगा। मैंने 4 गाने एक साथ सिलेक्ट किये और उसके बाद एक ब्ल्यू-फ़िल्म का वीडियो लगा दिया। मेरी उम्मीद के मुताबिक दो गाने खत्म होते ही नेहा चाय लेकर आ गई और मेरे पास बैठ के बातें करने लगी। मैने भी लेपटोप की आवाज को इतना कम कर दिया कि वो कमरे से बाहर ना जाये।
मैंने नेहा से बाथरुम जाने का बहाना किया और बाथरुम चला गया।
बाथरुम दूसरी तरफ़ था। मैं बाथरुम में रुककर चौथे गाने के खत्म होने का इन्तजार करने लगा। फ़िर जैसे ही वो पल आया मैं धीरे से कमरे में आ गया। नेहा तो लेपटोप में ब्ल्यू-फ़िल्म ऐसे देख रही थी जैसे छोटे बच्चे टी वी देखते हैं। उसका मुँह खुला हुआ था, शायद किसी का लन्ड मांग रही थी।
मैं चुपके से जाकर उसके पीछे खड़ा हो गया और उससे कहा- क्या देख रही हो?
तभी वो हड़बड़ा गई और लेपटोप की स्क्रीन बन्द कर दी। वो मूवी देखने में इतनी खो गई थी कि उसे होश ही नहीं था कि मैं भी वहीं हूँ।
शायद उसका यह पहला अनुभव था नग्न फ़िल्म देखने का !
लेपटोप से आहह्ह्ह्ह उउहहहहह की आवाजें आ रही थी जिन्हें सुन कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया। उसने शायद यह देख लिया था।
मेरे पूछ्ने पर कि क्या कर रही थी, वो कुछ नहीं बोली, शायद शरमा गई थी।
मेरे बार बार पूछ्ने पर भी उसने कुछ नहीं कहा तो मैने लेपटोप की स्क्रीन ऊपर कर दी। चूंकि मूवी बहुत लम्बी थी इसलिये वो अभी भी चल ही रही थी। फ़िर मैने नेहा की तरफ़ देखा तो उसने अपनी आँखें अपने हाथों से बन्द कर ली।
उसे देख कर मन तो एसा कर रहा था कि पकड़ कर अभी चोद डालूँ लेकिन मैं थोड़े मजे लेना चाहता था। फ़िर मैने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उससे कहा- इसमें शरमाने की क्या बात है? ये तो सब लोग देखते हैं !
और उसको आँखें खोलने को कहा। उसने अपनी आँखें खोली और मुझसे पूछ्ने लगी- क्या तुमने कभी ऐसी मूवी देखी है?
तो मैने कहा- हाँ ! एक दो बार देखी है !
उसने बताया- मैंने कभी ऐसी मूवी नहीं देखी थी !
मुझे तो यह पहले ही पता चल गया था जब उसे मुँह खोल के मूवी देखते देखा था। खैर फिर मैने उससे कहा- चलो साथ में देखते हैं !
पहले तो वो मना करने लगी पर थोड़ा सा मनाने पर मान गई। फ़िर हम दोनों साथ में मूवी देखने लगे। मैं और वो एक ही बिस्तर पर बैठे थे। मूवी देखते हुए मैंने महसूस किया कि उसकी सांसें बहुत तेज चलने लग गई थी।
तो मैंने भी सोचा- अब मौका है !
मैं धीरे से अपना हाथ उसकी जांघों पर लाया और उसे सहलाने लगा।
तो उसने कुछ भी नहीं कहा। फ़िर मैं हाथ थोड़ा ऊपर करके उसकी गाण्ड पर लाया और उसको दबाने लगा। कसम से क्या गान्ड थी उसकी ! एक दम मुलायम !
तो उसने कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- वही जो तुम मूवी में देख रही हो ! और पूछा- क्यूँ? अच्छा नहीं लगा क्या?
तो उसने कहा- अगर करना ही है तो अच्छे से करो !
मैं भी यह सुन कर जोश में आ गया और उसे पकड़ कर उसके होंठों पे किस करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
क्या रसीले होंठ थे उसके ! मजा आ गया उसे चूमने में !
फ़िर मैने उसके सारे कपड़े उतार दिये, उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ लगा दी और उसे चाटने लगा। वो तो जैसे पागल सी हो गई और मेरा मुँह पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं भी मदहोश हो कर उसकी चूत चाट रहा था। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई मैंने उसका सारा रस पी लिया। उसके बाद मैंने उसे अपना लन्ड चूसने को कहा। पहले तो उसने मना किया पर मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में डाल कर उसे मुँह में चोदने लगा। उसे भी मेरा लन्ड चूसने में मजा आने लगा। करीब 5 मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसके बाद मैंने उसकी तीन बार चुदाई की और एक बार गाण्ड भी मारी। उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस किया।
फ़िर अमित ओर उसकी बहन भी आ गये।
अगली बार आपको बताउँगा कि रीना को मैंने कैसे मनाया चुदाई के लिये !
आप मुझे मेल करके बताना आपको मेरी कहानी कैसी लगी। Hindi Porn Stories
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