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दोस्तो, मुझे बहुत Antarvasna खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.
बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं मामी को जरूर हासिल करूँगा.
स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.
जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं मामी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.
बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और मामी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.
ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ मामी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.
एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, मामी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और मामी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.
आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और मामी से पूछा- मामी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि मामी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“मामी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“नयन तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“मामी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”
अब मामी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- नयन उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”
“मामी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”
“देखो नयन ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“मामी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“नयन मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“मामी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“नयन, मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“मामी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है नयन!”
मैंने मामी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही मामी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको नयन, अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”
मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही मामी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.
जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“मामी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”
अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह मामी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. मामी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.
मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने मामी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.
मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“मामी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”
इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.
मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!
मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“नयन, वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों मामी मामा नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं मामी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”
मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“मामी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं नयन, जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”
मैं हैरान था, यह वही मामी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर मामी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“नयन अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है मामी जी!”
मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.
“मामी, बहुत जल्दी है क्या?”
“नयन, तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“मामी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. मामी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“नयन, जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ मामी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और मामी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“नयन, तुम नीचे आ जाओ!”
अब मैं नीचे था और मामी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ नयन इनको! तुम्हारे मामा को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं मामी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“नयन…! मैं तो गई नयन! हऽऽस्सऽऽऽ!”
वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
नयन! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई नयन आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“नयन आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“मामी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”
यह सुनते ही मामी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“मामी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं नयन! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! मामी! मैं तो गया मामी आऽऽस्स!”
मामी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मामी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों नयन? हो गए खाली?”
“हाँ मामी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या नयन? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम मामी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”
यह कह कर मैंने मामी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में! Antarvasna
Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी में मैं अपनी बीवी की सहेली को चोदना चाह रहा था कि एक बार वह मेरे साथ ट्रेन में लंबा सफ़र करने वाली थी. मैंने ट्रेन में ही जुगाड़ बनाया.
फ्रेंड्स, मैं आपको अपनी बीवी की सहेली मधुलिका की ट्रेन में चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
बीवी की सहेली को चोदने की तमन्ना
में अब तक आपने पढ़ा था कि मधुलिका मेरे साथ सेक्स करने के लिए राजी हो गई थी.
अब आगे Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी:
मैंने आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उसकी गर्म आहें और भारी सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थीं.
उसके होंठों को मैंने अपने होंठों में भर लिया.
अब वह मछली की तरह मेरी बांहों में मचल उठी और तुरंत अपना हाथ निकाल कर किसी चुदासी कुतिया की तरह मुझसे चिपट गई.
वह मुझे चूमने चाटने लगी.
मेरे पूरे बदन में सिहरन सी होने लगी.
मैं भी मचलने लगा.
उसने कहा- जीजा प्यारे … और गर्म करो मुझे … बड़ा मज़ा आ रहा है. इतनी देर तक तो मेरे पति ने मुझे कभी गर्म नहीं किया.
इसके बाद मैं उसके चूचों को दोनों हाथों से दबाने लगा.
उसने झट से अपनी टी-शर्ट उतार दी.
टी-शर्ट के हटते ही उसके दो बॉल जैसे चिकने गोरे चूचे, काले रंग की 34B ब्रा से झांकने लगे.
मैंने उसकी जींस का बटन खोल दिया और जींस उतार दी.
अब उसका संगमरमर जैसा सफ़ेद चिकना बदन सामने था.
वह सिर्फ एक काली पैंटी ब्रा पहने हुई थी.
उसका यह रूप मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर गया था.
इसके बाद वह खड़ी हो गई और उसने मेरे सारे कपड़े जल्दी जल्दी उतार दिए.
अब मैं केवल अंडरवियर में था जिसके ऊपर से मेरे लौड़े का उभार साफ़ नज़र आ रहा था.
उसने मेरे नंगे भरे बदन को देख कर कहा- जीजा प्यारे … पहले पता होता कि तुम इतने सेक्सी हो तो मैं कब का तुमसे चुद चुकी होती!
Xxx फ्रेंड सेक्स के लिए उतावली लग रही थी.
मैंने कहा- जानेमन, मुझे भी यह अगर पहले पता होता कि तुम चुदासी कुतिया हो … तो मैं कब का तुमको चोद चुका होता … चल अब तू मुझसे चुद ले मादरचोदी.
उसने अपने कोमल हाथों से मेरी चड्डी के ऊपर से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया.
मेरा लंड खड़ा होकर सख़्त गर्म रॉड की तरह हो गया.
लंड मसलते हुए उसने मेरी छाती का निप्पल अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
अब मेरे लंड के साथ मेरी गोलियां भी टाइट होने लगी थीं.
मेरे बदन से हल्का हल्का पसीना बाहर आ रहा था.
इसके बाद उसने झट से मेरी चड्डी नीचे करके मेरे लंड को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
उसके मुँह से उम्म उम्म उम्म की आवाज़ आने लगी.
मैं तो पहले ही बहुत गर्म हो गया था.
लंड चूसते चूसते वह मेरी गोलियां चूसने लगी.
मैंने उससे कहा- तुमको गर्म करने का बहुत अनुभव है!
तो उसने कहा- हां सब पोर्न देख देख कर सीखा है. पर अपने भोसड़ पति को इतना गर्म करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. वह साला एक मिनट में ही फुच्च फुच्च हो जाता है.
मैं हंस दिया.
वह मेरे लंड की गोलियां चूसती गई और मेरे लंड से एक तरल कामुक व चिकना द्रव्य स्रावित होने लगा जिसे मधुलिका ने जीभ से चाट कर खा लिया.
अब मैं जंगली शेर की तरह उस पर झपटा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसे अलग फेंक दिया.
उसकी ब्रा को खोलते ही उसके 34 साइज के दूध और भूरे व तने हुए निप्पल देख कर मैं पागल सा हो गया.
मैंने झट से उसके दूध पूरी ताक़त से दबाए और उसके एक निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा.
उसकी चीख निकल गई- उई माँ मर गई … मुझे लग रही है कुत्ते … धीमे कर.
लेकिन मैंने नहीं छोड़ा और जी भर कर उसके दोनों मम्मों को चूसा.
दूध चूसने के बाद मैंने उसकी पैंटी उतार दी.
अब उसको बर्थ पर लेटा कर उसकी टांगों को हल्का सा फैलाया और टांगों के बीच में अपना सर घुसेड़ दिया.
मैंने उसकी चूत को देखा, तो चूत ज़्यादा फटी नहीं थी, अभी भी गुलाबी रंग की चूत ही थी.
उसका पति अभी तक उसकी चूत का भोसड़ा नहीं बना पाया था.
मैंने मधुलिका से कहा- तुम्हारी अभी ज़्यादा फटी नहीं है!
उसने कहा- हां, मेरे पति का खड़ा होने के बाद भी 5 इंच का ही होता है और उसका तुम्हारे लंड जितना मोटा भी नहीं है. साला दो मिनट में ही झड़ जाता है. आज मुझे यक़ीन हो रहा है कि तुम इसको ज़रूर भोसड़ा बना दोगे!
मैंने कहा- क्यों नहीं जानेमन, अभी लो … भोसड़ा बनाने के लिए ही तो मैं मरा जा रहा हूँ.
मैंने उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
वह गर्म आहें भरने लगी- उम्म उम्मह उम्म और चाटो जीजा प्यारे … आह मेरी चूत का रस पी लो और अपनी प्यास बुझा लो … उम्म उम्म!
अपनी साली की चूत को चाटते हुए उसकी बुर में एक बीच वाली उंगली डाली और कुरेद तो आराम से चली गई.
दूसरी डाली तो आधी ही गई.
फिर दोनों उंगली निकाल कर उसके मुँह में डाल दीं और थूक से चिकनी करके फिर से जोर लगा कर डालीं, तो घप से चली गईं.
उसके मुँह से आह निकल गई.
मैं उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
मैंने उससे कहा- चल, अब कुतिया बन!
उसने कहा- क्यों पहले गांड चोदोगे क्या?
मैंने कहा- हां.
उसने कहा- नहीं, दर्द होगा. मैंने पीछे कभी नहीं चुदवाया है.
मैंने कहा- मैं आराम से करूँगा, तुम भरोसा करो.
उसने कहा- नहीं. आगे की लो.
वह नहीं मान रही थी … लेकिन मेरा मन उसकी गांड मारने का ही ज़्यादा था क्योंकि उसकी गांड ही लंड खड़ा कर देती थी.
मैंने कहा- अच्छा सीधी लेट जाओ.
मैंने उसे सीधी लेटा दिया और अपने सामान से निरोध निकाल कर उसे पकड़ा दिया.
उसने पैकेट फाड़ा और निरोध को मेरे लंड पर अच्छे से चढ़ा दिया.
वह लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
कुछ देर चूसने के बाद उसने कहा- मेरा फ़ैवरेट फ्लेवर लाए हो!
मैंने कहा- और क्या … मुझे पता है तुम्हारा टेस्ट.
इसके बाद मैंने उसकी टांगें उठाईं और अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत की फांकों पर घिसने लगा.
वह गर्म होकर लंड लेने को छटपटा रही थी.
उसके मुँह से आहें निकल रही थीं- आह आह उम्म उम्म.
तभी मैंने झटके से लंड से प्रहार किया.
मेरा लंड चूत फाड़ते हुए पूरा अन्दर चला गया.
वह चीख पड़ी- आह मादरचोद … मर गई.
उसकी आंख से आंसू निकल आए और मेरी आंख से भी … क्योंकि उसकी चूत टाइट थी और मैंने बहुत जोर से पेला था.
फिर मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया.
अब उसे आनन्द आने लगा.
मुझे भी ऐसा लग रहा था कि लंड किसी गर्म भट्टी की दीवार से रगड़ रहा है.
वह आहें भरती हुई कह रही थी- आह आह उम्म उफ उफ़ … चोद डाल चोद डाल मुझको … जीजा भोसड़ी वाले … चोद मुझे … मेरा सारा पानी निकाल दे … आज बुझा दे मेरी प्यास और तेजी से चोद बहन के लौड़े!
मैंने अपने लंड की गति को और बढ़ा दिया और तेज तेज अन्दर तक झटके देने लगा.
उसकी चूत से पक पक की अवाज आने लगी और वह खूब मचलने लगी.
मैं दोनों हाथ चूचियों पर रख कर मसलने लगा, निप्पल मींजने लगा.
वह और तेज़ आहें भरने लगी- आह उफ़्फ उफ़ … फाड़ दी तूने चूत … मादरचोद आह आह मैं झड़ रही हूँ … आह आह मेरा पानी निकल रहा है.
इतने में उसका ख़ुशबूदार काम रस बाहर आ गया.
चूत के रस की सुगंध क्या मस्त सुगंध थी.
मैंने कहा- मैं अभी नहीं झड़ा हूँ, चल कुतिया बन!
उसने कहा- नहीं, मैं गांड नहीं चुदवाऊंगी … दर्द होगा.
मैंने कहा- रंडी रोना नहीं … चुपचाप चुदवा ले छिनाल कहीं की.
उसने कहा- नहीं.
मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने कहा- अगर नहीं चुदवाया तो इस चुदाई का वीडियो मैं अभी तुरंत तुम्हारे पति को भेज दूँगा क्योंकि मैंने यहां स्पाई कैम लगा दिया है और सारी रिकॉर्डिंग मेरे फ़ोन में सेव हो रही है.
उसने कहा- नहीं नहीं ऐसा मत करो … मैं तैयार हूँ लेकिन आराम से करना, दर्द होगा.
मैंने कहा- दर्द तो पहली बार सील तुड़वाने में भी हुआ होगा, लेकिन बाद में मजा तो आया होगा ना!
उसने कहा- हां.
मैंने कहा- बस वैसे ही इसमें भी है.
मैंने अपने लंड से निरोध निकाल कर नीचे फेंका और दूसरा निरोध निकाल कर पकड़ा दिया.
मधुलिका ने अपने हाथों से निरोध मुझे पहनाया.
मैंने उसे कुतिया बनाया और उसकी मख़मली गांड पर एक थप्पड़ मारा.
उसकी गांड लाल हो गई.
फिर उसकी गोरी गांड को फैलाया तो भूरे रंग का गांड का छोटा सा छेद दिखा.
मैं उसके छेद की सिलवटों पर जीभ को फिराने लगा.
मधुलिका को अच्छा लगने लगा.
वह कहने लगी- गांड चटवाने में मुझे चूत चटवाने से भी ज़्यादा उत्तेजना हो रही है … आह और चाटो मेरे छेद को.
मैं छेद को चाटते हुए उसके छेद में अपनी जीभ को घुसेड़ने लगा और उसकी गांड के छेद का नमकीन स्वाद मुझे कामुक बनाने लगा.
मैंने अपने कसे हुए रॉड जैसे लंड टोपे पर अपना थूक लगाया और ढेर सारे थूक से मधुलिका की गांड के छेद को नहला दिया.
फिर लंड के टोपे को उसकी गांड के छेद पर रख कर धीरे धीरे जोर लगाने लगा.
मेरे लंड का टोपा धीरे धीरे उसकी गांड में जाने लगा.
उसकी चीख निकलने लगी- उयी मम्मी … मर गई … हाय उफ़ आह आह जीजा मर जाऊंगी … एक तो तुम्हारा मोटा लंबा लंड है … ऊपर से तुमने डॉटेड निरोध पहना है साले ऐसा लग रहा है जैसे नागफनी का पत्ता घुसा दिया है.
मैंने कहा- साली मादरचोद यह जो तू 36 इंच की फूली हुई गांड लेकर चलती ना … आज इसको फाड़ कर रख दूँगा मैं … ले माँ की लौड़ी रंडी.
इतना कह कर मैं ट्रेन की रफ़्तार में झटके देने लगा.
फट्ट फट्ट फट्ट की आवाज़ उसकी गांड से आती रही और मेरे झटके इतने जोर के होने लगे थे कि मेरा निरोध अन्दर फट गया.
वह चीखती रही.
मैं उसी स्पीड में उसे चोदता रहा और मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.
सारा गाढ़ा ढेर सारा माल उसकी गांड में ही भर दिया.
वह पूरी तरह से थक के टूट गई थी.
उसने कहा- तुम्हारा सड़का मेरी गांड में भर गया है, इसे निकाल साले!
मैंने अपना हाथ तुरंत उसकी गांड के नीचे किया.
उसने जोर लगाया, तो एक जोड़ की आवाज़ पुर्र पुर्र पुर्र के साथ सारा सड़का मेरे हाथ में आ गया.
मैंने उसे दिखाया.
उसने कहा- बहुत ही गाढ़ा माल है, मैं इसे पियूँगी.
मैंने उसे अपना माल तुरंत अपने हाथों से उसे पिला दिया और हम दोनों चिपक कर सो गए.
अगले दिन ग्यारह बजे हमारी ट्रेन गोरखपुर पहुंच गई और हमने शादी अटेंड की.
तब से आज तक इस बात को दो साल हो गए हैं.
किसी को पता भी नहीं चला है.
आज भी जब मौक़ा मिलता है, वह घर में अकेली होती है तो उसको जाकर चोद आता हूँ.
मज़े की बात बताऊं कि ट्रेन में गांड मरवाने बाद से आज तक वह सबसे ज़्यादा मुझसे गांड ही मरवाती है.
दोस्तो, अब विदा लेता हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप सबको सेक्स कहानी ज़रूर पसंद आयी होगी.
अपनी अगली सेक्स कहानी के साथ मैं जल्द आपसे मिलूँगा.
और हां, यह Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी कैसी लगी, आप कमेंट में रिप्लाई ज़रूर करें.
मैं मोहित उम्र 37 साल Antarvasna Sex Stories गुड़गाँव निवासी एक बार फिर आपके सामने अपनी नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
जैसे कि मैंने आपको बताया था कि मेरा अपनी पत्नी के साथ महीने में लगभग एक या दो बार सैक्स हो पाता है। इसलिए मैं और मेरा एक दोस्त देवेन्द्र कभी-कभी घर में दिन में लड़की लाकर या कभी-कभी बाहर किसी काल-गर्ल के साथ सैक्स करते थे। मेरा दोस्त देवेन्द्र एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सेल्स-मेनेजर है। वो हफ्ते में अकसर 3-4 दिन बाहर रहता है।
सोनिया से मेरी मुलाक़ात उसी ने करवाई थी। मेरे दोस्त को सोनिया बस में मिली थी। बस में ही उनका परिचय हो गया। रात काफी हो गई थी, इसलिये मेरे दोस्त ने सोनिया को घर तक छोड़ दिया। अगले दिन उसने मुझे सोनिया के बारे में बताया और यह भी बताया कि सोनिया की शक्ल मेरी एक पुरानी गर्ल-फ़्रेंड से मिलती है। मैं सोनिया से मिलने को बेचैन हो गया। मैंने मेरे दोस्त को सोनिया से मिलवाने के लिये कहा।
उसने सोनिया को फोन किया। सोनिया ने शाम को मार्केट में मिलने का वादा किया। शाम को हम दोनों सोनिया से मार्केट में मिलने गये। सोनिया को देख कर मैं वाकई हैरान रह गया। उसकी शक्ल मेरी एक पुरानी गर्ल-फ़्रेड रेखा से मिलती-जुलती थी। अगले दिन मैंने सोनिया को फोन किया और उसे मिलने को कहा। वो मिलने आई और हमने काफी देर बातचीत की और गाड़ी में घूमे। धीरे-धीरे सोनिया से मेरी मुलाक़ातें बढ़ने लगी। एक दिन मैंने सोनिया को फोन करके घर बुलाया।
सोनिया घर आई। हम दोनों ड्राइंगरूम में बैठ कर बाते करने लगे। फिर मैंने सोनिया से कुछ लेने को कहा। सोनिया ने मना किया तो मैंने सोनिया को कहा कि थोड़ी-थोड़ी बियर लेते है। सोनिया मान गई। मैंने बेडरूम में बियर व स्नैक्स का इंतजाम कर दिया। फिर हम दोनों बेडरूम में बैठ कर बियर पीने व बातचीत करने लगे। सोनिया ने जीन्स व टी-शर्ट पहनी थी। जीन्स की वजह से उसे बैड पर बैठने में दिक्कत हो रही थी। बार-बार वो अपने पैर इधर-उधर कर रही थी।
मैंने सोनिया को कहा कि जीन्स उतार कर आराम से बैठ जाए। सोनिया मना करने लगी। मैंने ज़िद की और लगभग जबरदस्ती उसकी जीन्स उतार दी। सोनिया लाल रंग की पैंटी में अपने पैर सिकोड़ कर बैठ गई। हम दोनों फिर से बियर पीने व बातचीत करने लगे। एक बियर खत्म होते ही मैं दूसरी खोलने लगा। सोनिया ने मना किया तो मैंने सोनिया को कहा कि थोड़ी-थोड़ी और लेते है। सोनिया मान गई।
जब दूसरी बियर की बोतल भी खत्म हो गई तो मैंने स्नैक्स की प्लेटें उठा कर अलग रख दी और सोनिया को छेड़ने लगा।
सोनिया ने कहा- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मौके का फायदा उठा रहा हूँ।
मैंने सोनिया को खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया। फिर मैं सोनिया के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगा। सोनिया ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी। फिर मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके स्तन दबाने लगा।
फिर मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो सोनिया बोली,”क्या करते हो? प्लीज इसे मत उतारो। मुझे डर लगता है।”
मैंने कहा,”डरने वाली क्या बात है।” कह कर मैं फिर उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा।
सोनिया बोली,”कोई आ जाएगा?”
मैंने कहा,”कोई नहीं आएगा !” कह कर मैंने ज़िद की और लगभग जबरदस्ती उसकी टी-शर्ट उतार दी।
सोनिया के गोरे-गोरे वक्ष गुलाबी ब्रा में फँसे थे। मैंने उठ कर मेन-दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और सिर्फ जौकी में सोनिया से लिपट गया। मैंने सोनिया का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ लिटा लिया। फिर मैंने लाईट बंद कर दी। कमरे में लाल रंग का नाइट लैम्प जल रहा था।
मैंने सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। मैंने अपनी टांगे सोनिया की टांगों पर रख दी और मैंने अपने जलते हुए होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सोनिया ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ सोनिया के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने सोनिया को बैड पर सिधा लिटा दिया। फिर उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुऐ होंठ रख दिए।
फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सोनिया के मुँह से आह निकलने लगी। लगा। फिर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को दबाने लगा। सोनिया ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। फिर मैंने उसकी ब्रा के अन्दर से हाथ डाल दिया।
कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी। सोनिया ने कोई विरोध नहीं किया, उसके गुलाबी निप्पल को हल्के-हल्के मसलने लगा, फिर मैं अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सोनिया के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैं उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। सोनिया ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चिकनी और क्लिन-शेव चूत पर हाथ फिराने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं उसकी पैन्टी को उतारने लगातो सोनिया बोली “प्लीज इसे मत उतारो।” सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया, बोली “नहीं इसे मत उतारो !”
मैंने कहा,”देखो सोनिया हम कुछ करेंगे नहीं ! बस कपड़े उतार कर नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटेंगे और प्यार करेंगे !” कह कर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।
सोनिया का नंगा बदन और उसकी चिकनी चूत लाल रौशनी में नहाकर लाल हो गये। मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और जौकी को फ़ाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। मैंने जौकी उतार कर फेंक दी। फिर मैं सोनिया से लिपट गया।
मैंने सोनिया को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर सोनिया की चिकनी चूत से टकरा रहा था। मैं सोनिया की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं सोनिया की चूत पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ सोनिया की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों से सोनिया की चूत की फाँक को खोलने और बन्द करने लगा। फिर सोनिया की चूत के दाने को रगड़ने लगा। सोनिया के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मेरा लण्ड सोनिया की जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने सोनिया का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। सोनिया ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। सोनिया मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर उपर-नीचे और आगे-पीछे करने लगी। मैं सोनिया की चूत मारने को बेताब हो रहा था।
मैंने सोनिया को कहा “सोनिया जरा सा इसे ऊपर घिस लूं क्या ? बहुत मन हो रहा है !”
सोनिया कुछ नहीं बोली। मैंने इसे ही सोनिया की हाँ समझ लिया। मैं सोनिया के ऊपर लेट गया। सोनिया का नंगा जिस्म मेरे नीचे दबा हुआ था।
मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर सोनिया की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगा। फिर मैं अपने लण्ड को पकड़ कर सोनिया की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। सोनिया ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। फिर सोनिया मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर अपनी चूत के दाने के ऊपर रगड़ने लगी। कुछ देर बाद सोनिया की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था।
शायद उसको यह करना अच्छा लग रहा था। वो मेरे लण्ड को अपनी चूत से रगड़े जा रही थी। मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी। इसी उत्तेजना में मैंने सोनिया का हाथ पकड़ लिया।
मैंने सोनिया को कहा,”कुछ करें क्या ? बहुत मन हो रहा है। लाओ मैं करता हूँ।”
सोनिया कुछ नहीं बोली।
उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी थी। वह बोली,”प्लीज ऐसे ही करते रहो !”
मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। मैं सोनिया को चोदने को बेताब हो रहा था। सोनिया की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। फिर मैं अपने लण्ड को पकड़ कर सोनिया की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।
सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली।”प्लीज कंडोम तो लगा लो ! मुझे डर लगता है।”
मैंने बैड की दमोहित में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। सोनिया ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। फिर मैं सोनिया के ऊपर लेट गया। सोनिया का नंगा जिस्म मेरे नीचे दब गया। फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। उसने भी मुझे अपनी बाँहो में भर लिया। मेरा लण्ड सोनिया की जांघों के बीच फंसा हुआ था। कुछ देर बाद मैंने अपने लण्ड को सोनिया की चूत के सुराख पर लगा दिया और फिर मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा सोनिया की चिकनी चूत में घुस गया। सोनिया के मुँह से आह निकली। उसने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया और अपनी आँखें कस कर बन्द कर ली।
मैंने थोड़ा और जोर लगाया। मेरा लगभग आधा लण्ड सोनिया की चूत में घुस गया। सोनिया के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने तीसरा और आखिरी धक्का दिया तो मेरा पूरा लण्ड सोनिया की चूत में समा गया। सोनिया के मुँह से जोर से आह निकली और उसने मुझे अपनी बाँहो में पूरी ताकत से कस लिया। मैंने भी सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए। मेरा पूरा लण्ड सोनिया की चूत के अन्दर समाया हुआ था। हम दोनों ने एक दूसरे को इस कदर अपनी बाँहो में जकड़ा हुआ था कि हवा भी हम दोनों के बीच से पास नहीं हो सकती थी। सोनिया का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दबा हुआ था। मेरी टांगें सोनिया की टांगों के बीच में फँसी हुई थी। मैं सोनिया के माथे पर, फिर आँखों पर तथा फिर गालों को किस करने लगा। सोनिया भी मेरे गालों को किस करने लगी।
कुछ देर हम दोनों इसी तरह से एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने अपने लण्ड को धीरे से सोनिया की चूत से थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अपने लण्ड को धीरे से उसकी चूत में अन्दर घुसा दिया। फिर मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद सोनिया ने अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे सोनिया की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी।
हम दोनों बियर के तथा सैक्स के नशे में चूर हो रहे थे। सोनिया को भी मजा आने लगा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी। उसने मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लिया। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स उपर-नीचे कर रही थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स पीछे खींच लेती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर सोनिया को चोदने लगा।
मैं बैड पर हाथ रख कर सोनिया के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड उसकी चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था। वो भी अब आँखें खोल कर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। मैं सोनिया को पागलों की तरह से चोद रहा था। अब मैं पूरी तेजी से सोनिया के ऊपर कूद-कूद कर उसे चोद रहा था। सोनिया इस चुदाई तथा बियर के नशे से मदहोश हो रही थी।
मैंने रुक कर सोनिया से कहा “सोनिया अच्छा लग रहा है क्या?”
सोनिया बोली,”प्लीज रुको मत। तेज-तेज करते रहो।”
सोनिया के मुँह से यह सुन कर मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। मैंने सोनिया के हिप्स को हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर सोनिया को चोदने लगा।
सोनिया के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह्ह्होहोहोह सिस्स्स्स्स्स्सह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाहाह्ह्हआआआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज तेज-तेज करो।”
मैं सोनिया के ऊपर लेट गया और मैंने सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर मैंने अपने होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसते हुऐ उसे और तेजी से चोदने लगा। सोनिया भी अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसती हुई मजे से चुदाई का मजा ले रही थी। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते हुऐ चुदाई का मजा लेते रहे।
फिर अचानक सोनिया ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया। उसने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग करके एक जोर से आह भरी। मैं समझ गया कि सोनिया डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मार कर सोनिया को चोदने लगा। सोनिया आँखें बंद करके मेरे डिस्चार्ज होने का इंतजार कर रही थी। लगभग 2 मिनट तक सोनिया को तेज-तेज चोदने के बाद मैं सोनिया की चूत के अन्दर कंडोम में डिस्चार्ज हो गया।
कुछ देर तक मैं सोनिया के ऊपर लेटा रहा और अपनी तेज-तेज चल रही सांसों को काबू में आने का इंतजार करता रहा। सोनिया मेरे नीचे आँखें बंद करके लेटी हुई थी। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड सोनिया की चूत में से बाहर खींच लिया।
फिर उठ कर अपने लण्ड पर से कंडोम उतार कर डस्टबिन में फेंक दिया। फिर अपने अन्डरवियर से अपना लण्ड साफ करके सोनिया की बगल में लेट गया। सोनिया आँखें बंद करके लेटी हुई थी। कमरे की लाल रौशनी में उसका गोरा और नंगा बदन लाल हो कर चमक रहा था। कुछ देर बाद सोनिया मेरी तरफ करवट ली और अपनी टांग मेरी टांगों पर रख दी। फिर वो मेरी छाती के बालों पर हाथ फिराने लगी।
फिर सोनिया बोली,”हो गई तुम्हारे मन की।”
मैंने कहा,”हाँ बहुत अच्छा लगा। मजा आ गया !” कह कर मैंने करवट ले कर सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर कुछ देर तक हम ऐसे ही लिपटे हुऐ बातचीत करते रहे।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह कहानी ? मुझे मेल करेंगे ना ? Antarvasna Sex Stories
विधवा भाभी की चुदाई-1 मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने संध्या को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।
संध्या ने रीना से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।
वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। रीना की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।
मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की रीना तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।
मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।
मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।
मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।
वो चुपचाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।
वो बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।
वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।
वो मुस्कराते हुये चली गई।
मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। रीना ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने संध्या को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।
वो बोली- अभी आती हूँ।
संध्या मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।
संध्या समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।
उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।रीना मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद संध्या जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।
संध्या ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।
10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो संध्या ने कहा- रीना के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।
मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।
उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने रीना को पुकारा।
रीना आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?
मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।
उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।
मैंने पूछा- संध्या कहाँ है?
वो बोली- फ़्रेश होने गई है।
मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।
वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी संध्या आ गई। उसने पूछा- रीना का सामान ले आये?
मैंने कहा- हाँ, ले आया और इसे दिखा भी दिया। इसे बहुत पसन्द भी आया।
मैं टीवी देखने लगा। संध्या रीना के साथ खाना बनने चली गई। रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये। आज रीना बहुत खुश दिख रही थी। उसने आज जरा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिये और मैक्सी पहन ली। हम सब बिस्तर पर लेट गये।
संध्या ने मुझसे कहा- मुझे नींद आ रही है। तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो।
मैं समझ गया। मैंने अपनी लुंगी उतार दी। संध्या ने भी अपनी मैक्सी खोल दी और पैंटी उतार दी। रीना देख रही थी। आज वो कुछ बोल नहीं रही थी, केवल चुपचाप लेटी हुई थी। मैंने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि रीना आज ध्यान से हम दोनों को देख रही थी।
15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया तो आज मैंने संध्या की चूत को चाटना शुरु कर दिया। रीना ने मुझे संध्या की चूत को चाटते हुये देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। मैं समझ गया की अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है। संध्या की चूत को चाटने के बाद मैंने अपना लण्ड संध्या के मुँह के पास कर दिया तो संध्या ने भी मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं लेट गया।
तभी रीना ने कहा- दीदी, आप दोनों को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुये?
संध्या ने कहा- कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी। उसके बाद हम सो गये।
सुबह मैं नहाने गया तो मैंने रीना को पुकारा और कहा- तौलिया ले आ।
वो बोली- अभी लाई, जीजू।
वो तौलिया लेकर आ गई। मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ़ कर लूं।
मैंने अपने लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। आज रीना ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। वो अब ज्यादा नहीं शरमा रही थी। मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और फिर उससे तौलिया ले लिया। वो चली गई। मैं बाथरूम से बाहर आया तो संध्या ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और फिर मेरे लण्ड को चूमा और किचन में चली गई। रीना इस दौरान मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। मैंने नाश्ता किया और दुकान चला गया।
रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुछ मिठाई ले आया था। मैंने रीना को पुकारा। रीना आ गई तो मैंने उसे मिठाई दे दी। उसने मिठाई ले ली और कहा- आपके लिये अभी ले आऊँ?
मैंने कहा- हाँ, थोड़ा सा ले आ। वो मिठाई ले कर आई तो मैं मिठाई खाने लगा। तभी संध्या आई। उसने मुझे मिठाई खाते हुये देखा तो बोली- आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है।
मैंने कहा- क्या करूं। मेरी तो कोई साली ही नहीं थी। अब जब मुझे एक साली मिल गई है तो उसकी सेवा तो करूंगा ही। लेकिन मेरी साली मेरा ज्यादा ख्याल ही नहीं रखती।
रीना बोली- जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिये मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है। आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो।
मैंने कहा- क्या तुम मेरा कहा मानोगी?
वो बोली- क्यों नहीं मानूंगी।
मैंने कहा- ठीक है, जब मुझे जरूरत होगी तो तुम्हें बता दूंगा।
अगले 2 दिनों में मैंने रीना से मजाक करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे वो भी मुझसे मजाक करने लगी। अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी। अब रीना खुद ही तौलिया ले आती थी। उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो तौलिया ले कर आई और खड़ी हो गई और मेरे लण्ड को देखने लगी।
मैंने कहा- साली जी, आज तुम ही मेरे लण्ड पर साबुन लगा दो।
वो बोली- क्या जीजू, मुझसे अपने लण्ड पर साबुन लगवाओगे?
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
वो बोली- दीदी क्या कहेंगी?
मैंने संध्या को पुकारा तो वो आ गई और बोली- क्या है?
मैंने कहा- मैं रीना से अपने लण्ड पर साबुन लगाने को कहा तो यह कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी। अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी।
संध्या ने कहा- मैं तो कहूँगी कि रीना तुम्हारे लण्ड पर साबुन लगा दे। आखिर वो तुम्हारी साली है। मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ।
मैंने रीना से कहा- देखा, यह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगी।
रीना ने कहा- फिर मैं साबुन लगा देती हूँ।
संध्या चली गई। रीना ने थोड़ा सा शरमाते हुये मेरे लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मुझे खूब मज़ा आने लगा। उसकी आंखे भी गुलाबी सी होने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब बस करूं या और लगाना है।
मैंने कहा- थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वो साबुन लगाती रही। थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा रस निकल जायेगा तो मैंने कहा- अब रहने दो।
उसने अपना हाथ साफ़ किया और चली गई।
मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्राईंग रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मैंने संध्या को पुकारा, संध्या , जरा तेल तो लगा दो।
रीना मेरे पास आई और बोली- मैं ही लगा दूं क्या?
मैंने कहा- यह तो और अच्छी बात है। तुम ही लगा दो।
रीना मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया। रीना ठीक मेरे लण्ड के सामाने जमीन पर बैठ थी। मेरे लण्ड से रस की धार निकल पड़ी और सीधे रीना के मुँह पर जाकर गिरने लगी।
रीना शरमा गई और बोली- क्या जीजू, तुमने मेरा मुँह गन्दा कर दिया।
मैंने कहा- तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लण्ड का रस निकल गया। आओ मैं साफ़ कर देता हूँ।
वो बोली- रहने दो, मैं खुद ही साफ़ कर लूंगी।
रीना बाथरूम में चली गई। संध्या किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। संध्या ने कहा- अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है।
नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया। रात को मैं रीना के लिये एक झुमकी ले आया। मैंने उसे झुमकी दी तो वो खुशी के उछल पड़ी और संध्या को दिखाते हुये बोली- देखो दीदी, जीजू मेरे लिये क्या लाये हैं।
संध्या ने कहा- तू ही उनकी एकलौती साली है। वो तेरे लिये नहीं लायेंगे तो और किसके लिये लायेंगे।
रात को खाना खाने के बाद हम सोने के लिये कमरे में आ गये। मैंने रीना से मजाक किया, क्यों रीना , मेरा लण्ड तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- जीजू, यह भी कोई पूछने की बात है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को तो बहुत पसन्द है, तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
मैंने पूछा- तुझे क्यों अच्छा लगा।
वो बोली- इस लिये कि आपका बहुत बड़ा है।
मैंने पूछा- जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है?
वो बोली- तब तो और ज्यादा अच्छा लगता है। लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अन्दर पूरा का पूरा घुस जता है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गई है।
वो बोली- लेकिन पहली बार जब आपने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी?
मैंने कहा- दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है। इसे भी हुआ था और यय खूब चिल्लाई भी थी। लेकिन रीना बाद में मज़ा भी तो खूब आता है। तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो।
रीना ने संध्या से पूछा- क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं?
संध्या ने कहा- हाँ रीना , तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ। बिना करवाये मुझे नींद ही नहीं आती। तुम भी एक बार इनका अन्दर ले लो। कसम से इतना मज़ा आयेगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी।
रीना बोली- ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्योंकि मेरा तो अभी बहुत छोटा है।
संध्या ने कहा- छोटा तो सभी का होता है।
रीना बोली- मुझे दर्द भी तो बहुत होगा।
संध्या ने कहा- पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आयेगा कि तू सारा दर्द भूल जायेगी। तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटासट अन्दर बाहर होता है।
वो बोली- हाँ, देखा तो है।
संध्या बोली- फिर एक बार तू भी अन्दर ले कर देख ले। अगर तुझे मज़ा नहीं आयेगा तो फिर कभी मत करवाना।
वो बोली- बाद में करवा लूंगी।
संध्या ने कहा- आज क्यों नहीं।
वो बोली- मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ।
संध्या ने कहा- तो फिर आज तू इसे मुँह में ले कर चूस ले। जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अन्दर लेना।
वो बोली- ठीक है, मैं मुँह में लेकर चूस लेती हूँ।
संध्या ने मुझसे कहा- तुम रीना के बगल में आ जाओ।
मैं रीना के बगल में आ गया। रीना ने मेरी लुंगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फनफनता हुआ खड़ा हो गया। रीना उसे सहलाने लगी। मुझे मज़ा आने लगा, मैंने कहा- अब इसे मुँह में ले लो।
वो बोली- जरूर लूंगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर तक सहलाने के बाद रीना उठ कर बैठ गई। उसने शरमाते हुये मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
संध्या ने मुस्कराते हुये पूछा- क्यों रीना , कैसा लग रहा है?
वो बोली- दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है।
संध्या ने कहा- मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अन्दर भी ले ले। फिर और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- बहुत दर्द होगा।
संध्या ने कहा- तू इतना डरती क्यों है। मैं हूँ ना तेरे पास।
उसने कहा- अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अन्दर लेने की कोशिश करुंगी।
रीना मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया तो वो सिसकारियां भरने लगी।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?
वो बोली- बहुत अच्छा।
रीना अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने कहा- जब तू मेरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लेगी तो तुझे और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना।
मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, ज्यादा चिल्लाना मत।
वो बोली- मैं अपना मुँह बन्द रखने की कोशिश करुंगी।।
मैंने कहा- ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे।
वो बोली- मैंने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं।
मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- फिर ये क्या है?
वो बोली- क्या इसे भी उतारना पड़ेगा।
मैंने कहा- हाँ, तभी तो मज़ा आयेगा।
उसने कहा- ठीक है, उतार देती हूँ।
इतना कह कर रीना खड़ी हो गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। संध्या मुझे देख कर मुसकुराने लगी तो मैं भी मुसकुरा दिया। रीना बेड पर लेट गई तो मैं रीना के पैरों के बीच आ गया। मैंने उसके पैरों को एकदम दूर दूर फैला दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया। वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और जोर जोर की सिसकारियां भरते हुये बोली- जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।
मैंने और ज्यादा तेजी के साथ रगड़ना शुरु कर दिया तो 2-3 मिनट में ही रीना जोर जोर की सिसकारियां भरने लगी और झड़ गई।
रीना की चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी इसलिये मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसकी चूत के होंठ को फैला कर अपने लण्ड का सुपाड़ा बीच में रख दिया। उसके बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली- जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।
मैंने कहा- बस थोड़ा सा बरदाश्त करो।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने फिर से थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो जोर जोर से चीखने लगी। उसने रोना शुरु कर दिया तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- दर्द को बरदाश्त कर तभी तो तू मज़ा ले पायेगी।
वो बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी।
संध्या उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शान्त हो गई।
मेरा लण्ड इस उसकी चूत में 2″ तक घुस चुका था। जब रीना चुप हो गई तो मैंने फिर से जोर लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लण्ड के रास्ते में आ गई। वो फिर से चीखने लगी और बोली- जीजू, बाहर निकल लो, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी।
मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुये कहा- बस थोड़ा सा ही और है।
थोड़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शान्त हो गई। मुझे अब उसकी सील को फ़ाड़ना था।
मैंने रीना की कमर को जोर से पकड़ लिया पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा। उसकी चूत से खून निकलाने लगा। मेरा लण्ड उसकी सील को फ़ाड़ते हुये 4″ से थोड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया। रीना इस बार कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चिल्लाने लगी तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- क्या पूरा अन्दर घुस गया?
संध्या ने कहा- अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।
वो बोली- जब जीजू बाकी का घुसायेंगे तो मुझे फिर से दर्द होगा।
संध्या ने कहा- नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आयेगा।
रीना जब शान्त हो गई तो मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी। उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी थी इसलिये मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उसे चोदता रहा तो वो कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शान्त हो गई। अब उसे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था। उसने सिसकारियां भरनी शुरु कर दी। संध्या ने पूछा- अब कैसा लग रहा है।
वो बोली- अब तो मज़ा आ रहा है।
संध्या ने कहा- पूरा अन्दर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आयेगा, यह तो अभी शुरुआत है।
मैंने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरु कर दिया।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद रीना झड़ गई। उसकी चूत और मेरा लण्ड अब एकदम गीला हो चुका था। मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। रीना पूरे जोश में आ चुकी थी। वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी। मैंने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरु कर दिया। इससे मेरा लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज्यादा गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो रीना केवल एक आह सी भरती थी। वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही रीना फिर से झड़ गई। अब तक मेरा लण्ड उसकी चूत में 7″ अन्दर घुस चुका था। मैंने अपनी स्पीड बढाते हुये उसकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। संध्या ने जब देखा कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने रीना से कहा- इनका पूरा का पूरा लण्ड तेरी चूत के अन्दर घुस गया है। अब तुझे केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।
संध्या ने कहा- अगर तुझे विशवास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले।
रीना ने हाथ लगा कर देखा तो बोली- दीदी, यह पूरा अन्दर कैसे घुस गया? मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।
संध्या ने कहा- जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गई थी तब ये बीच बीच में जोर का धक्का लगा देते थे। इससे इनका लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अन्दर घुसा जाता था। तू जोश में थी इस लिये तुझे कुछ पता ही नहीं चला।
मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। 2 मिनट के अन्दर ही मैं झड़ गया तो रीना भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल कर रीना से पूछा- चाटोगी?
उसने मेरा लण्ड देखा तो उस पर रस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। वो बोली- जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है। मैं अगली बार चाट लूंगी।
संध्या ने कहा- तेरी चूत का ही तो खून है और यह पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे।
वो बोली- तुम कहते हो तो मैं चाट लेटी हूँ।
उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
संध्या ने पूछा- चुदवाने में मज़ा आया?
वो बोली- हाँ, मज़ा तो आया लेकिन ज्यादा नहीं।
संध्या ने पूछा- क्यों। वो बोली- जब मुझे ज्यादा मज़ा आना शुरु हुआ तो जीजू झड़ गये।
संध्या ने कहा- अगली बार ज्यादा मज़ा आयेगा। इस बार तो इनका सारा समय तेरी चूत में रास्ता बनने में ही लग गया।
मैं रीना के बगल में लेट गया। वो मेरी पीठ को सहलाते हुये मुझे चूमती रही। 10 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने रीना को डॉगी स्टाईल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे इस बार चुदवाने में ज्यादा मज़ा आया और मुझे भी। उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुये खूब जम कर चोदा। इस बार मैंने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की। रीना इस दौरान 4 बार झड़ गई थी।
मैं रीना के बगल में लेट गया। हम सब आपस में बातें करते रहे। लगभग 1 घण्टे के बाद संध्या ने मुझसे कहा- क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या। साली की कुंवारी चूत का मज़ा पाकर मुझे भूल गये क्या?
मैंने कहा- भला मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो। मैं रोज रोज घर का ही तो खाना खाता हूँ। कभी कभी होटल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिये। तुम तो मेरे लिये घर का खाना हो और रीना होटल का। आज मैंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिये मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाऊगा। आज तो मैं तुम्हारी गाण्ड मारूंगा।
संध्या बोली- फिर मारो ना।
रीना बोली- जीजू क्या कह रहे हो?
मैंने कहा- ठीक ही कह रहा हूँ। यह कभी कभी मुझसे गाण्ड भी मरवाती है। गाण्ड मरवाने में भी खूब मज़ा आता है। तुम भी मरवाओगी?
वो बोली- पहले आप दीदी की गाण्ड मार लो। जरा मैं भी तो देखूँ कि दीदी आपका इतना लमबा और मोटा लण्ड अपनी गाण्ड के अन्दर कैसे लेती है।
संध्या घोड़ी बन गई तो मैंने संध्या की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को संध्या की गाण्ड में अन्दर बाहर होते हुये देखती रही। मैं 2 बार रीना की चुदाई कर चुका था इस लिये मैं जल्दी झड़ नहीं पा रहा था। संध्या सिसकारियां भरते हुये मुझसे गाण्ड मरवा रही थी। रीना संध्या को गाण्ड मरवाते हुये देख रही थी। उसकी आंखो में भी जोश की झलक साफ़ दिख रही थी। मैंने रीना से पूछा- कैसा लग रहा है।
वो बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है, जीजू।
मैंने पूछा- गाण्ड मरवाओगी?
वो बोली- फिर से दर्द होगा।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने में तो बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।
वो बोली- ना बाबा ना, मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी।
संध्या ने कहा- रीना , पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले। उसके बाद एक बार गाण्ड भी मरवाने का मज़ा भी ले लेना।
मैंने लगभग 45 मिनट तक संध्या की गाण्ड मारी और झड़ गया।
मैंने कई दिनों तक रीना को खूब जम कर चोदा। उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे भी कुंवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एकदम टाईट चूत को चोद रहा था। मैं रीना की गाण्ड भी मारना चहता था लेकिन उसे मैं खूब तड़पा तड़पा कर उसकी गाण्ड मारना चहता था। मैंने कई बार रीना के सामने संध्या की गाण्ड मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई। वो मुझसे कहने लगी- जीजू, एक बार मेरी भी गाण्ड मार लो, मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होगी।
वो बोली- होने दो।
मैंने उससे कहा- तू नहीं जानती है कि मैंने संध्या की गाण्ड पहली पहली बार कैसे मारी थी।
वो बोली- बताओगे तभी तो जानूंगी।
मैंने कहा- तो सुन, तूने वो पिल्लर देखा है ना जो आंगन में है।
वो बोली- हाँ, देखा है।
मैंने कहा- मैंने संध्या को खड़ा करके उसी पिल्लर में कस कर बांध दिया था। उसके बाद मैंने इसके मुँह में कपड़ा ठूंस कर इसका मुँह भी बन्द कर दिया था जिससे यह ज्यादा चिल्ला ना सके। उसके बाद ही मैं संध्या की गाण्ड मार पाया था। गाण्ड में लण्ड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है। गाण्ड से बहुत ज्यादा खून भी निकलता है।
वो बोली- चाहे जो भी हो आप मेरी गाण्ड मार दो, मैं कुछ नहीं जानती।
मैंने कहा- तू कई दिनों तक बिस्तर पर से उठ भी नहीं पायेगी।
वो बोली- जब दीदी ने आप से गाण्ड मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती।
मैंने कहा- सोच ले, बहुत दर्द होगा। तेरी गाण्ड भी फट सकती है।
वो ज़िद करने लगी, मैं कुछ नहीं जानती, तुम मेरी गाण्ड मार दो बस।
मैंने कहा- अच्छा, कल मैं तेरी गाण्ड मार दूंगा।
वो बोली- नहीं आज ही और अभी मेरी गाण्ड मार दो।
संध्या मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी। वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। वो यह भी समझ गई थी मैं उसकी गाण्ड को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ।
संध्या ने रीना से कहा- चल आंगन में। मैं संध्या और रीना के साथ आंगन में आ गया। संध्या कुछ कपड़े और रस्सी ले आई। उसके बाद मैंने रीना से कहा- तू पिल्लर को जोर से पकड़ कर खड़ी हो जा।
वो पिल्लर को पकड़ कर खड़ी हो गई। उसके बाद मैंने रस्सी से उसकी कमर को पिल्लर से बांध दिया। उसके बाद मैंने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिल्लर से बांध दिया। फिर मैंने रीना के दोनों हाथ भी पिल्लर से बांध दिये।
वो बोली- जीजू, आपने तो मुझे ऐसे बांध दिया है कि मैं जरा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती।
मैंने कहा- गाण्ड मारने के लिये ऐसे ही बांधना पड़ता है।
उसके बाद मैंने रीना के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उसके मुँह को बांध दिया।
मैंने संध्या से कहा- अब तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से सख्त हो जाये।
संध्या ने मेरे लण्ड को चूसना शुरु कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड पूरी तरह से लक्कड़ जैसा हो गया। मैंने संध्या के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकला और रीना के पीछे आ गया। मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रखा और पूरे ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। रीना दर्द के मारे तड़पने लगी। वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी। उसका मुँह बंधा हुआ था इसलिये उसके मुँह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी। एक धक्के में ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ 2″ तक घुस गया। उसकी गाण्ड से खून निकल आया।
मैंने दूसरा धक्का लगाया तो रीना के मुँह से बहुत जोर जोर से गूऊ गूऊ की आवज़ निकलने लगी। मेरा लण्ड 4″ अन्दर घुस गया। रीना की गाण्ड से और ज्यादा तेजी के साथ खून निकलने लगा। मैंने फिर से एक धक्का मरा तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने एक ही झटके से अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया। पुक की आवज़ के साथ मेरा लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर आ गया। रीना के मुँह से अभी भी जोर जोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी।
मैंने संध्या को अपना लण्ड दिखाते हुये कहा- इसकी गाण्ड तो बहुत ही तंग है। देखो कितना खून निकल आया है।
संध्या बोली- क्यों तड़पाते हो बेचारी को। घुसा दो ना अपना पूरा लण्ड इसकी गाण्ड में। मैंने कहा- ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ।
मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर फिर से अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। उसकी गाण्ड खून से भीगी हुई थी। मैंने बहुत ही जोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने 2 धक्के और लगये तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 7″ तक अन्दर घुस गया। रीना का सारा बदन पसीने से भीग गया था। वो अपना सिर पिल्लर पर पटक रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मैं रीना की गाण्ड इसी तरह से मारना चाहता था। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।
संध्या आंखे फ़ाड़े मुझे देख रही थी, उसने कहा- रहम करो इस बेचारी पर। क्यों तड़पा रहे हो इसे।
मैंने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाये तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड रीना की गाण्ड में समा गया।
पूरा लण्ड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैंने तेजी के साथ रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना के मुँह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी गाण्ड बहुत ही ज्यादा टाईट थी इस लिये मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में आसानी से पूरा अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था। मैंने पूरे ताकत के साथ धक्के लगा रहा था। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर होने लगा। रीना के मुँह से भी ज्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी। मैंने रीना से पूछा- मुह खोल दूं।
उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया।
मैंने पूछा- चिल्लओगी तो नहीं। उसने अपना सिर ना में हिला दिया।
मैंने रीना का मुँह खोल दिया और उसके मुँह से कपड़ा बाहर निकल लिया। वो रोते हुये बोली- जीजू, आपने तो मुझे मार ही डाला। क्या इसी तरह से गाण्ड मारी जाती है।
मैंने कहा- हाँ, गाण्ड इसी तरह से मारी जाती है। अगर मैंने तुम्हारा मुँह बांधा नहीं होता तो तुम कितनी जोर जोर से चिल्लाती, यह तुम अब समझ गई होगी।
वो बोली- आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती।
मैंने कहा- अगर मैंने तुम्हें पिल्लर से ना बांधा होता तो अब तक कई बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लण्ड नहीं घुसा पाता।
वो बोली- जीजू, आप एकदम सही कह रहे हो। मैंने तो आप को धकेल ही दिया होता।
मैंने कहा- अब तुम ही बताओ मैंने सही किया या नहीं?
वो बोली- आपने बिलकुल ठीक किया। ऐसे ही करना चाहिये था। अब तो मुझे पिल्लर से खोल दो।
मैंने कहा- पहले मैं तुम्हारी गाण्ड तो मार लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- तो मारो ना।
मैंने पूछा- कुछ मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है।
मैंने रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। मैं पूरे ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहा था। रीना को भी अब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। 10 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया। मैंने अपना लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर निकाला और रीना को दिखाते हुये कहा- देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गाण्ड से।
वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।
मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- कमरे में मार लेना।
मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।
वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।
मैंने संध्या से कहा- खोल दो रीना को।
संध्या ने रीना के हाथ पैर खोल दिये। रीना बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। संध्या उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। रीना ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर संध्या उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो रीना बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से रीना की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।
धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। रीना मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी रीना की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर रीना को देखा तो रीना उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे रीना के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो संध्या के गावँ की रहने वाली है।
उसने मुझसे कहा कि वो रीना से शादी करना चहता है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं रीना से पूछ लूं फिर बता दूंगा।
रात में जब मैं घर आया तो मैंने रीना से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।
उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।
मैंने पूछा- वो क्या?
वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?
मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।
वो बोली- फिर ठीक है।
मैंने रीना के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद रीना की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। रीना हर रविवार के दिन संध्या से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।
एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो रीना घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।
मैंने रीना से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?
वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।
मैंने कहा- तू क्या कह रही है?
वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।
मैंने कहा- यह कुंवारी थोड़े ही है।
रीना बोली- इसने मुझे बतया था कि भैया का लण्ड केवल 4″ का ही है और आपका लण्ड तो बहुत लम्बा और मोटा है। आपके लण्ड के लिये इसकी चूत कुवांरी जैसी ही है।
मैंने कहा- ठीक है मैं इसका इलाज़ कर दूंगा। लेकिन जैसे मैंने तेरी गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह मैं पहले इसकी गाण्ड मारुंगा।
उसके बाद ही मैं इसकी चूत को हाथ लगाऊँगा।
तभी मीना बोल पड़ी- जीजू, मुझे तो केवल माँ बनना है और आप से चुदवने का खूब मज़ा लेना है। आप जो भी चाहो मेरे साथ करो, बस मुझे माँ बना दो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो।मैंने रीना से कहा- जब मैं इसे चोद दूंगा तो इसकी चूत एकदम चौड़ी हो जायेगी। उसके बाद जब यह तेरे भैया से चुदवायेगी तो उनहेन इसकी चूत एकदम ढीली लगेगी तो वो क्या कहेंगे।
रीना बोली- वो कुछ भी नहीं कह पायेगे। मैं वही बहाना बना दूंगी जो मैंने रामू से से बनाया था।
मैंने पूछा- तूने रामू से क्या कहा था?
रीना बोली- जीजू, रामू को जब मेरी चूत चुदी हुई लगी थी तो मैंने रामू से कहा था की मेरी चूत में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने मेरी चूत में एक औजार डाला था जिस से मेरी चूत का मुँह एकदम चौड़ा हो गया।
मैंने कहा- तू तो बड़ी चालाक निकली।
रीना मुस्कुराने लगी।
मैंने रीना और संध्या से कहा- तुम दोनों इसे भी आंगन में ले जाओ और पिल्लर से बांध दो।
रीना और संध्या उसे लेकर आंगन में चले गये। थोड़ी देर बाद रीना मेरे पास आई और बोली- जीजू, आपका खाना तैयार है, चल कर खा लो।
मैं समझ गया कि रीना क्या कह रही है, मैंने कहा- चलो।
मैं रीना के साथ आंगन में आ गया। मैंने जैसे रीना की गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह उसकी भाभी की गाण्ड भी मारी। मुझे मीना की गाण्ड मरने में ज्यादा मज़ा आया क्योंकि मोटी होने की वजह से उसकी गाण्ड गद्देदार थी। उसे भी बहुत दर्द हुआ और उसकी गाण्ड से भी ढेर सारा खून निकला। उसके बाद रीना और संध्या उसे कमरे में ले आये। मैंने सारी रात कमरे में ही खूब जम कर उसकी गाण्ड मारी। 2 बार जब मैं उसकी गाण्ड मार चुका तो उसके बाद उसे भी गाण्ड मरवाने में खूब मज़ा आने लगा।
दूसरे दिन से मैंने उसकी चुदाई शुरु की। उसकी चूत भी गद्देदार थी। पहली पहली बार वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे खूब मज़ा आने लगा। मुझे उसकी चूत की चुदाई करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। उसे भी मेरा लण्ड बहुत पसन्द आ गया। उसकी चूत मेरे लण्ड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी। 1 महीने तक मैंने उसकी तरह तरह के स्टाईल में खूब जम कर चुदाई की और उसकी गाण्ड मारी। वो मुझसे अभी चुदवाना चाहती थी। उसने रीना से अपने मन की बात बता दी। रीना के भैया आये तो रीना ने उनसे कहा की अभी इलाज़ पूरा नहीं हुआ है। डॉक्टर ने 2 महीने और रुकने को कहा है। वो खुशी खुशी वापस गावँ चले गये।
15 दिनों के बाद जब मीना को महीना नहीं हुआ तो रीना और संध्या उसे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने बताया कि वो माँ बनने वाली है। मीना बहुत खुश हो गई। उसने मुझे और ज्यादा जम कर चुदवाना शुरु कर दिया। मुझे मीना की गद्देदार चूत ज्यादा पसन्द आ गई थी इसालिये मैंने ज्यादातर उसके चूत की ही चुदाई की। मैंने अगले 1 1/2 महीने तक मीना को खूब जम कर चोदा और उसकी गाण्ड भी मारता रहा। उसके बाद वो गावँ चली गई। अब मैं केवल संध्या और रीना को ही चोदता हूँ। संध्या भी अब मां बनने वाली है।
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