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Massage Girl in Solan: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Solan who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Solan that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Solan massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Solan who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Solan massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Solan massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Solan who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Solan employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Solan helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Solan

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Solan at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Antarvasna

दोस्तो, मुझे बहुत Antarvasna खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.

बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं मामी को जरूर हासिल करूँगा.

स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.

जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं मामी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.

बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और मामी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.

ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ मामी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.

एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, मामी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और मामी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.

आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और मामी से पूछा- मामी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि मामी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“मामी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“नयन तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“मामी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”

अब मामी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- नयन उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”

“मामी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”

“देखो नयन ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“मामी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“नयन मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“मामी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“नयन, मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“मामी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है नयन!”

मैंने मामी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही मामी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको नयन, अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”

मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही मामी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.

जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“मामी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”

अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह मामी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. मामी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.

मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने मामी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.

मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“मामी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”

इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.

मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!

मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“नयन, वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों मामी मामा नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं मामी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”

मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“मामी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं नयन, जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”

मैं हैरान था, यह वही मामी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर मामी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“नयन अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है मामी जी!”

मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.

“मामी, बहुत जल्दी है क्या?”
“नयन, तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“मामी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. मामी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“नयन, जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ मामी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और मामी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“नयन, तुम नीचे आ जाओ!”

अब मैं नीचे था और मामी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ नयन इनको! तुम्हारे मामा को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं मामी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“नयन…! मैं तो गई नयन! हऽऽस्सऽऽऽ!”

वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
नयन! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई नयन आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“नयन आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“मामी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”

यह सुनते ही मामी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“मामी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं नयन! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! मामी! मैं तो गया मामी आऽऽस्स!”

मामी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मामी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों नयन? हो गए खाली?”
“हाँ मामी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या नयन? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम मामी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”

यह कह कर मैंने मामी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में! Antarvasna

मेरा नाम अंशु है। ये कहानी 2004 मे शुरू हुई उस टाईम मै 22 साल का था। उस टाईम मेरे बड़े भाई की शादी हुई थी, हम तीन भाई हैं। एक मेरे से बड़ा और एक छोटा। उस टाईम मेरा मेरे बड़े भाई की नौकरी लगने वाली थी रेलवे मे, उससे पहले ही शादी हो गई थी। मै अपनी पढ़ाई खत्म कर घर पर ही रहता था। मेरे पास बहुत जमीन है और उस टाईम 12 ट्रक और 4 बस चलती थी हमारी बिहार मे। 3 राइस मील थीं तो मै पापा के साथ उसी मे लगा रहता था। मै 5 फिट 8 इंच का अच्छी बॉडी वाला लड़का था और मेरा औरतों और लड़कियों से रिश्ता कच्ची उम्र से ही बन गया था। जिससे मै चुदाई मे एक्सपर्ट बन गया था। बस ज्यादा अब आपको बोर ना करते हुए बस इतना कहना चाहूंगा कि आज कल तो लड़कियों की चूत चाटने वालों की संख्या बढ़ गई है लेकिन हम 2001 _02 मे ही चूत चाट लड़कियों और औरतों को पागल कर देते थे। उस जमाने मे जिस किसी भी शादी शुदा महिला या लड़की के साथ मेरे सम्बन्ध बने थे तो उन्होंने ये ही कहा था कि मेरे से पहले ना बाद किसी ने उनकी ना कभी बुर चाटी ना चूत। जिससे मेरे सम्बन्ध बनते तो लम्बे समय तक बनते। उस समय तक मै अपनी दो चार फीमेल दोस्त, स्कूल की एक मैडम, अपने पड़ोस की तीन भाभी या जो भी कहो 35 + की। , कॉलेज की एक मैडम 4 फीमेल दोस्त। आदि को चोद चुका था। अब कहानी पर आते हैं मेरे भाई की शादी एक गाँव मे हुई थी अप्रैल मे। एक महीने भाभी रहीं फिर मायके चली गई। फिर बरसात शुरू हो गई तो उनके गांव के तरफ रोड था नही। आप सब तो जानते ही होंगे कि बिहार मे उस टाईम सड़क नही होती थी । अब भाई, भाभी अलग हो गए थे। अब ठंड जब आई धान जब कट गई तो गाड़ी जाने का रास्ता खेतों से बना तो मै और भाई भाभी को लाने गाड़ी से गए। हम सुबह 10 बजे ही पहुंच गए थे कि आज ही शाम तक आ जाएंगे क्योंकि भाई को अगले महीने जॉब पर जाना था उसकी ज्वाइनिंग थी। अब हम भाई के ससुराल पहुंचें तो आपको तो पता ही है कि एक दिन मे कौन तो जाने देता है। सब परिवार के लोग रोक लिए कि आज कैसे जाएगी कुछ समान नही खरीदारी हुआ है वैगैरह बेगैरा। तो हम रुक गए। अब भाभी के परिवार मे भाभी 25 साल उनकी बड़ी बहन 27 साल उनकी भी शादी डेढ़ साल पहले हुई है। उनके मम्मी पापा एक छोटा भाई। और उनके सबसे छोटे चाचा की बीबी और 2 बच्चे थे। उसके छोटे चाचा बाहर जॉब करते थे। उनका घर गांव के किनारे था एक मंज़िल का बड़ा सा आंगन का जैसा गांव मे होता है। ऊपर की मंज़िल पर दो कमरे थे और ऊपर की छत पर जाने के लिए बांस की सीढ़ी थी। भाभी की बड़ी बहन काफी मजाकिया थी और मेरे से काफी मजाक करी दिन भर और मेरे भाई से भी। अब हुआ यूं कि शाम को भाभी की बड़ी बहन जिसका नाम अर्चना था उसने गांव दिखाने का दिन मे वादा किया था जब शाम को मैने कहा तो वो मुझे अपने सबसे ऊपर छत पर बांस की सीढ़ी से ले गई। वहां से गांव दिखता था और खेत और एक नदी दिखती दूर कहीं। बहुत मनोरम दृश्य था खेत मे बच्चे खेल रहे हैं साइकिल चला रहे हैं टायर दौड़ा रहे हैं धान के पुआल और पुंज बने हैं। कुछ देर देखा उधर ही दोनो बातें किए। थोड़ा अंधेरा सा हुआ था कि छत पर लालटेन लेकर भाभी नीचे सीढ़ियों से आई भाई के कमरे मे रखने क्योंकि भाई ऊपर के कमरे मे ही था। कुछ देर हमने खेत की ओर सूरज की लालिमा को देखा और जैसे ही पीछे पलटा नीचे आने के लिए कि नीचे छत पर देखा की भाई भाभी को खुले छत पर ही बाहों मे भरने की कोशिश कर रहे हैं भाभी छूटने की कोशिश करती हैं और कुछ दोनो फुसफुसा भी रहे थे शायद भाभी कह रही होंगी कि कोई देख लेगा। मैने अर्चना यानि भाभी की बड़ी बहन को कहा कि रोकिए उनको। बताईए कि हम ऊपर हैं और सब दिख रहा है। अर्चना: अरे करने दो प्यार कितने दिन बाद दो पंछी मिले हैं। मै: अरे नही मै रोकता हूं। मै आवाज देने वाला था कि अर्चना ने मुझे नीचे बैठा लिया और मेरा मुंह बन्द कर दिया। मै:( धीरे से) अरे रोकिए ना उन्हें। अर्चना: अरे रहने दो ना, पति पत्नी हैं प्यार कर रहे हैं करने दो और देखो क्या क्या करते हैं। मै: अरे खुले छत पर कर रहे हैं रूम मे जाने को तो बोलिए। कोई देख लेगा तो। अर्चना: अरे कोई नही देखेगा अंधेरा काफी हो गया है। मै थोड़ा उनसे छूट कर जाने कि कोशिश किया और दीवाल से ऊपर सर उठा कर देखा। भाई अब तक भाभी का ब्लाउज खोल चुका था और उनके सीने पर चूम रहा था भाभी अभी भी ब्रा मे थीं और ब्लाउज स्वेटर उनकी कन्धे से लगे थे। हम दोनो जिस छत पर थे वो 2 फीट के करीब घेरा हुआ था और नीचे वाला छत 4 फीट के करीब क्योंकि बच्चों का घर था। हम दीवाल से ऊपर की छत से छुपे हुए थे और वो दोनो ठीक सामने लगे हुए थे। भाभी थोड़ा ना नुकर करते हुए इधर उधर देख रही थीं लेकिन धीरे धीरे मदहोश होने लगी थीं। मै: रोकिए ना उन्हें। अर्चना ने भी सर उठा कर देखा। अर्चना: अरे छोड़ो ना, अब बात आगे बढ़ गई है अब वो हमे देख लेंगे तो शर्मिन्दा हो जाएंगे। मै:(पास से एक इट का टुकड़ा लेते हुए) ये फेंकता हूं डर कर अपने आप चले जाएंगे। अर्चना मुझे पकड़ ली और इट हटा दी वो मुझे कस कर पकड़ी थी वो दीवाल से लगी थीं और मेरी पीठ उनके सिने से मै लगभग उनकी गोद के नीचे था उन्होने अपनी दाई टांग मेरे टांग पर चढ़ा दबोच रखा था उनका एक हाथ मेरे मुंह पर और एक हाथ मेरे कमर को कस कर पकड़े थीं। अब मै कुछ नही कर सकता था बस उनके जाने का इंतज़ार। मै सर नीचे कर लिया। अर्चना: क्या हुआ? मै: कुछ नही। अब वो सर हल्का उठा देखने लगीं पीछे मुड़ कर। अब वो थोड़ा घूम गई और अर्चना अपनी बाईं ओर सर घुमा देख रही थीं हल्का सर उठा। मै पूरा सर उठाता तो दिखने लग सकता था। मै देखना नही चाहता था तो हट कर छत की दूसरी साईड जाने लगा लेकिन अर्चना ने पकड़ लिया और इस बार सामने सामने बैठा ली। मै पैर जैसे तैसे कर सर नीचे कर बैठा था और वो सर उठा देख रही थी। एक बार उसने मेरा सर उठा दिखाया तब भाई भाभी के खुले चूंचियां चूस रहा था और मर्दन कर रहा था। मै सर नीचे कर लिया। अर्चना देखे ही जा रही थीं। मै: मत देखिए। अर्चना: अरे देखो ना। मै थोड़ा सा सर उठा देखा तो भाई अब भाभी की साड़ी उठाने के कोशिश कर रहा था भाभी जबरदस्ती हाथ पकड़े रोक रही थीं। मै सर वापस नीचे कर लिया। अर्चना भाभी की सांसे भारी होने लगी थीं और वो मेरे में चिपकी हुई थीं हम आमने सामने बैठे थे मेरे दायां पैर मुड़ा था जिसपर उन्होंने अपना बायां पैर लंबा फैला रखा था और मेरा बायां पैर लंबा फैला था जिसपर उन्होंने अपना बायां पैर मोड़ कर रखा हुआ था। कुछ देर मे वो अपनी बाईं टांग मेरे पीठ के पीछे चूतड के पास कर मोड़ ली जिससे हम और करीब आ गए मेरा हाथ उनके जांघ पर था मै अपना सर गोद मे नीचे किए हुए था वो एक हाथ से मेरे हाथ को और दूसरे हाथ को मेरे पीठ सर गर्दन पर कभी रखती कभी हटाती। अर्चना: ये तो खड़े खड़े ही शुरू हो गए। मै उनको देखने से मना किया और उनका चेहरा पकड़ नीचे किया। लेकिन वो वापस से देखने लगीं। वो देख कर एक दम गर्म हो गई थी मैने भी अब अर्चना भाभी की बाई टांग को सहलाना शुरू कर साड़ी को घुटने तक कर दिया। अब उनकी पायल खोलने लगा और एक खोल दिया और दूसरा भी खोल दिया। अर्चना: क्या कर रहे हो। मै: आपका अभी टांग उठाऊंगा तो आपकी पायल आवाज करेगी। अर्चना: (वो मुझे मुक्का मारते हुए) इतना हिम्मत है आप मे। मै: आपकी बहन करवा ही रही है और आप देख ही रही हैं तो आप भी करवा लो। अर्चना: हमारे साथ करिएगा तो कमर टूट जाएगा। मै: अच्छा वो तो वक्त ही बताएगा। हम एक दूसरे की आंखों मे देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे। मै उनके चेहरे को पकड़ होंठ पर हल्का सा चूम लिया वो हटा दी और वापस भाई भाभी को देखने लगीं। मुझे लगा इंटरेस्टेड नही हैं तो मै हटने लगा। तभी वो मेरा सर ऊपर कर दिखाने लगी भाई का लगता है होने वाला था तो वो तेज झटके दे रहा था और भाभी के मुंह को दबा रखा था। मै वापस सर नीचे कर लिया। अर्चना: हो गया लगता है। मै देखा फिर तो दोनो अपने कपड़े सही कर रहे। मै: तो चले फिर। अब भाई भाभी वहीं खड़े हो कर बातें करने लगे अब जब तक वो हट नही जाते हम जा नही सकते थे। इधर अर्चना की सांसे भारी हो फूल रहीं थीं। उधर भाई भाभी को दोबारा चूमने लगा था। मै ईंट उठाने लगा फेंकने के लिए। अर्चना ने मेरे चेहरे को पकड़ गाल पर कस कर काट ली। मै:(अपने गाल को सहलाते हुए) ये क्या किए आप। अर्चना: ये जो तुम अभी किए थे उसका बदला। मै: मै तो इधर किया था। उनके होंठ को छूते हुए बोला। अर्चना कुछ नही बोली। मै: आप होंठ पर किस नही करी है कभी। वो कुछ ना बोली। मै वापस उसका चेहरा पकड़ होंठ से होंठ मिला दिए, और चूसने लगा। वो कुछ नही कर रही थी मै धीरे से उनके गाल दबा मुंह खोल दिया और उनकी जीभ चूसने लगा उनके मुंह मे जीभ दे दिया। मै: आप भी धीरे धीरे होंठ और जीभ चलाओ। धीरे धीरे वो भी करने लगी। मेरा एक हाथ उनके पीठ से कमर पर और दूसरा सीने से गर्दन को सहला रहा था। अब मै उनके कान गले गर्दन को चूसने चूमने लगा मै अब उनके मम्मो पर हाथ लगा स्वेटर खोलने लगा एक हाथ से वो भी ब्लाउज खोलने मे मदद करी। वो थोड़ी देर मे हाथ पीछे कर ब्रा खोल हटा दी। उनके नंगी चूचियां मेरे सामने थीं। अर्चना: कैसे हैं। मै: एकदम अनार जैसे। मै उनके दोनो मम्मे सहला रहा था और पूरे सीने को चूस चाट रहा था उनके निप्पल चूस रहा था। अब वो हांफने लगी थीं और मुझे गर्दन से पकड़ पीछे की ओर लेटने लगीं। मै अब पूरा उनके ऊपर था साड़ी उनकी कमर पर हो गई थी मै हाथ उनकी गांड़ पर फेर दबाया और चड्डी निकालने लगा वो भी चूतड़ उठा पैंटी निकाल दी। उनकी बुर को छुआ तो वो पूरी तरह से गीली थी मैने भी पैंट चड्डी सहित नीचे किया और अपना खड़ा लण्ङ उनकी बुर से भीरा दिया। दो तीन बार घिसा और बुर मे उतार दिया वो सी सी करने लगी। मेरा पूरा भार उनपर था बस दोनो घुटने जमीन पर थे। धीरे धीरे से मै अपना पूरा लण्ङ उनकी बुर मे घुसा दिया वो छटपटाने लगी थीं लेकिन कस कर पकड़े हुए थीं। मै अब उन्हें स्मूच करते हुए कमर चला रहा था और उनके गले गर्दन कान होंठ गाल मम्मे सब कुछ चूम चूस रहा था। वो आह आह करने लगी थीं और जल्दी ही झड़ गई क्यूंकि भाई भाभी को देख वो एकदम गरम हो रखी थीं। अर्चना: बस बस, रुक जा। मै कमर चलना रोक दिया और लण्ङ उनकी चूत मे डाले ही उनके ऊपर लेटा रहा उनकी सांसे नॉर्मल होने देने लगा। मै: क्या हुआ इतने मे ही। अर्चना: अभी कुछ हुआ कहां है अभी तो शुरू किए हैं। अर्चना अब मेरे कमर पर पैर लपेट लीं और दबा दी मै भी अब अपने हाथ पर थोड़ा भार लिया और सटा सट चुदाई करने लगा 10 मिनट हुए थे। अर्चना: बस इतने दम है जी। मै अब जोर जोर से चोदने लगा कि 40 सेकेंड में ही वो थोड़ा धीरे करने बोलीं मै धीरे हो गया। अब मै कभी धीरे कभी जोर से चोदने लगा वो तीन बार और झड़ गई थीं। और पस्त होने लगी थीं। अर्चना: आह अब बस करो। मै: हो गया ना।। हार मान ली ना। अर्चना: किसी और दिन हराएंगे आपको अभी बस कर दो कमर दुख रहा है। मै: बस होने ही वाला हूं। किधर। अर्चना: निकाल दो अभी कुछ नही होगा। मै कुछ शॉट मारते हुए उनके अन्दर ही झड़ गया। हम दोनो हटे और मै प्यार से थोड़ा उनको सहलाता और चूमता रहा। अर्चना जी निचले छत पर देखी तो अभी भी वो दोनो छत पर ही थे। हम अभी भी नही जा सकते थे। अर्चना: क्या कर रहे हैं ये दोनो। मै: बात कर रहे हैं और क्या। हम दोनो थोड़ी देर दीवाल से सट बैठे रहे मै उनको पैंटी पहनाया और पायल भी। अर्चना: बहुत खिलाड़ी हो तुम। मै: अच्छा जी, मै कैसे खिलाड़ी हूं। अर्चना: पहले तो लगे थे कि सीधे साधे हो, अब असली रूप सामने आया है। कितनो के साथ किए हो अब तक। मै: पहले आप बताओ, आप कितनो के साथ। अर्चना: तुम दूसरे हुए। मै: सच मे, यानि पहले आपके पति। अर्चना: हां, अब तुम बताओ। मै: (उनके दोनो हाथ अपने हाथ मे लेते हुए) जितनी ये चारों हाथ की उंगली हैं। अर्चना: बाप री, मतलब 20 । मै:2 ,4 कम ज्यादा हो सकता है। तभी नीचे से आवाज आई कोई भाई भाभी को आवाज दे रहा था। हमने निचले छत पर देखा वो दोनो जा रहे थे। थोड़ी देर बाद हम भी नीचे आ गए। सात साढ़े सात बज गया था खाना खा कर सब एक कमरे मे जमीन पर पुआल बिछा था वहीं रजाई मे पैर डाल दीवाल से पीठ लगा बैठे थे। और बैट्री से ब्लैक एंड वाइट टीवी पर VCR से मूवी चल रही थी गोविंदा की। फिर भाई का साला भाई की शादी का वीडियो लगा दिया सब देख रहे थे। मेरे बगल मे कोई नही बैठा था अर्चना सब थाली बर्तन का काम निपटा कमरे मे आई मै उसे अपने पास बैठने का इशारा किया। वो कुछ देर इधर उधर देखी और मेरी बाई साईड रजाई मे बैठ गई। उसके बाद दीवाल था और मेरी दाई साईड उसका चाचा का बेटा था जो छोटा था। मै रजाई के अन्दर उसका ठंडा हाथ पकड़ सहलाने लगा उसके जांघ पर हाथ ले जाने लगा। तभी उसकी चाची ने उसे बुला लिया। कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई तो मैं वहीं सो गया। अब अगले दिन सब बाजार जा रहे थे कपड़ा खरीदने घर के सब बड़े चले गए सिर्फ मै अर्चना , उसके चाची के बच्चे नही गए क्योंकि वो स्कूल गए थे। अर्चना नहा कर कपड़े सुखाने छत पर आई थीं मै छत पर ही नहा कर धूप मे बैठा था। मै: आप क्यों नहीं गई? अर्चना: आपको नही पता है! मै सोचा कि मेरे लिए नही गई तो मै उसे पीछे से बाहों मे भरने लगा। वो मुझसे छिटक गई। मै: क्या हुआ। अर्चना::(हंसते हुए मुझे हल्का मारती है) राते से अभी तक दर्द कर रहा है और तुम को की। मै:(हँसते हुए) सच मे दर्द हो गया था। अर्चना: हां, तो। चलने मे अच्छा से बन ही नही रहा। ऐसे बाजार जाती तो सब कहते की कैसे चल रही है। मै: मुझे तो आपके चाल मे कोई अन्तर नही दिख रहा है। अर्चना: हां, चाची कल रात मे ही पूछ रही थीं। मै: क्या? अर्चना: कि ऐसे कैसे चल रही है। मै:( हंसते हुए) तो आप क्या बोलीं? अर्चना: मै बोली कि मँझले चाचा के यहां सीढ़ी पर चोट लग गया था,। मै: लेकिन मँझले चाचा के यहां तो गई ही नही। अर्चना: अरे जब नीचे ही गई थी तो चाची ने पूछा था कि इतनी देर कहां थी तो बोल दी थी कि मँझले चाचा के यहां गई थी। मै: आपको इतने मे ही दर्द हो गया आप से अच्छी तो आपकी छोटी बहन है उन्हें तो कुछ नही हुआ। अर्चना: तुमने कितनी बेदर्दी से किया है तुमको मालूम है। मै: झूठ कितना प्यार से किया था, आप ही बड़ा टांगें कमर पर कस रहीं थीं। तभी नीचे से किसी ने आवाज दी। वो नीचे चली गई। मै कुछ देर बाद नीचे गया वो ढेर सारा दाल लेकर बैठी थीं और बिन रही थीं। मै भी वहीं बैठ गया और बातें करते हुए दाल बिन रहा था। अर्चना: सच मे तुम 20 के साथ किए हो या ऐसे ही फेंक रहे थे। मै: आपको क्या लगता है? अर्चना: विश्वास तो नही होता दो चार तक होता है लेकिन खिलाड़ी तो हो तुम, एक दो के बारे मे बताओ तो विश्वास हो। मै: हां ताकि आप सबको बताती फिरें। अर्चना: नही बताऊंगी मै किसी को बताओ ना। मै: कसम खा कर कहो। अर्चना: तुम्हारे उसके कसम किसी से नही कहूंगी। उसने मेरे लण्ङ की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा। अब मैने उसे दो तीन के बारे मे बताया। उसने भी मेरे पूछने पर अपनी सुहागरात की कहानी बताई। अर्चना: अच्छा, कहीं तुमने मेरी बहन के साथ भी तो ऐसा वैसा कुछ नही किया ना। मै:(हंसते हुए) पागल हो क्या, उनके साथ क्यूं करुंगा। अर्चना: क्यों, अच्छी नही लगती है क्या? मै: मेरे भाभी है वो ऐसी बात मत करो उनके बारे मे कम से कम। और वैसे भी अगर वो मेरे पाले मे आई गई तो आप उनकी बड़ी बहन हो तंदरुस्त हो तो आपका ये हाल है वो तो अभी जवानी मे कदम ही रखी है। मेरे चक्कर मे पड़ गई तो 3 दिन बुखार नही उतरेगा। अर्चना:(हंसते हुए) अच्छा जी, पहले हमारा तो बुखार उतार दो। मै: आज भी वैसा मौका मिलेगा क्या? अर्चना: (हंसते हुए) देखते हैं। मै: आज अगर मौका मिला तो एक नया चीज दिखाऊंगा जो आपने कभी नही देखा होगा। अर्चना: ऐसा क्या नया चीज है। मै: वो तो करके ही दिखाया जा सकता है? हम दोनो ऐसी बातें कर काफी गरम हो गए थे हम घर मे अकेले थे दोनो कुछ करना भी चाहते थे लेकिन कुछ देर देर मे कोई ना कोई आ जाता था इसलिए हम दरवाज़ा बन्द कर भी नही सकते थे क्योंकि सब गांव मे कोई आता है तो जानते हैं। कुछ देर मे बच्चे भी आ गए तो उन्होंने बच्चों को खाना खिलाया हमने भी कुछ खाया और अब वो दाल समेट ड्रम मे रखने लगी। उसके बाद वो उसे अनाज रखने के लिए जो कोठी बनती है उसपर रखने के लिए कुर्सी ढूंढने लगी। अब वो कुर्सी पड़ चढ़ गई और मै ड्रम नीचे से देता और वो कोठी पर रख देती। मै उसे कमर से पकड़ भी लेता ऐसे हमने सात ड्रम रखे। मै उसे कमर से ही उठा बेड पर पटक दिया। अर्चना: क्या कर रहे हो,? मै: बच्चे बाहर खेलने चले गए हैं। अर्चना: घर वाले आ जाएंगे शाम हो गई है अब आते ही होगें। मै: थोड़ा सा ही टाईम लगेगा! मै उसे बेड पर लेटा दिया और साड़ी ऊपर कर कमर पर कर दिया उसकी पैंटी गीली हो रखी थी उसकी बुर सफेद एक दम गोरी थी अब दिन के उजाले मे देख पा रहा था मै सीधा अपनी जीभ उसकी बुर पर लगा दिया वो मचल उठी और कमर ऐंठने लगी मै उसके बुर को पूरी जीभ से चाट रहा था और पी रहा था। वो मजे से दोहरी हो रही थीं और उसे गुदगुदी भी जबरदस्त हो रही थी वो सी सी करने लगी और कुछ ही देर मे उसकी चूत ने ढेर सारा पानी उगल दिया जिसे मै चाट गया। अब मै उसके ऊपर लेट गया और स्मूच करने लगा उसकी सांसे नॉर्मल होने लगी थीं। मै: कैसा लगा? अर्चना: इतना मजा की क्या बताए। मै उसके गले चूमने लगा कि तभी घर मे किसी के आने की आवाज आई अर्चना झट से उठी और कमरे से बाहर गई और जल्द ही अन्दर घुसी और मुझे कोठी के पीछे छिपाई और वापस बाहर गई। सब बाजार से आ गए थे हम जिस कमरे मे थे वो उसकी चाची का ही था क्योंकि चाची कमरे मे आई। अर्चना भी उनका बैग चेक करने के बहानें से वही रही और पूछती रहीं कि क्या क्या शॉपिंग किया चाची ने भी उससे बच्चों के बारे मे और मेरे बारे मे पूछा तो उसने कहा कि बच्चे बाहर खेलने चले गए और मेरे बारे मे कहा कि वो ऊपर है। कुछ देर मै वहीं छुपा रहा जब वो दोनो चली गई तो मै निकल गया। अब शाम हो गई तो कल ही तरह हम आज भी छत पर जाने लगे लेकिन आज छत पर भाभी भाभी और भाभी की चाची कुर्सी लगा बैठी थीं और गप्पे कर रही थीं मै कुछ देर इधर उधर टहला फिर भाई के साले के साथ थोड़ा नदी की तरफ गया और शाम के खाने तक आ गया और खाना खा वापस रजाई मे जा बैठा और वही शादी की वीडियो चल रही थी। अर्चना ने इशारों मे पूछा कि कहां चले गए थे तो मैने बताया कि नदी की तरफ। आज भी उसे मेरे पास ही बिठा लिया और मै जल्दी ही रजाई के अन्दर चला गया और सर तक ढंक लिया वो दीवाल से पीठ लगा टांगें रजाई मे कर बैठी थीं मै उनकी दाई टांग को सहलाते हुए साड़ी थोड़ा ऊपर कर दिया और कपड़े के ऊपर से ही जांघ कभी पैर सहलाने लगा। धीरे धीरे साड़ी कमर तक हो गई और मै उसकी चिकनी गोरी गुद्देदार जांघें चूमने चूसने लगा और धीरे से हाथ उनकी बुर पर रख सहलाने लगा उन्होंने पैंटी नही पहनी थी शायद चाची के कमरे जो उतारी थी वो वहीं रह गई थी। कुछ देर मे वो उठ कर चली गई और वापस आ बैठ गई और मेरे हाथ मे रजाई के अन्दर एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दे चली गई मै भी चुपके से बाथरुम के तरफ गया और कागज खोला उसमे लिखा था रात को सबके सोने के बाद ऊपर छत पर आ जाना। मै कागज फाड़ कर फेंका और कुछ देर लेटा रहा तो मुझे नींद आ गई लेकिन 11 बजे खुल भी गई। मै देखा सब सो रहे हैं तो मै उठा चुपके से और छत पर गया फिर बांस के सीढ़ी से दूसरी मंज़िल पर गया जहां अर्चना पहले से ही एक कपड़ा बिछा और एक चादर ओढ़ बैठी थीं। हम दोनो सीधे लिपटा चिपटी हो गए और स्मूच करने लगे मै उसके गाल कान होंठ गर्दन सब जगह चूमा चूसा और अब सीने और मम्मों को चूसा पेट और नाभि चूसी अब साड़ी उठा बुर चूसने लगा वो छटपटाने लगी और कुछ ही देर मे झड़ गई। अब वो मुझे अपने ऊपर ले जाने लगीं मैने थोड़ी देर उन्हें मिशनरी पोजीशन मे चोदा अब उन्हें अपने ऊपर आने बोला वो धीरे धीरे मेरे लण्ङ पर बैठ गई और कुछ देर मे कमर भी चलाने लगी। हमने उस रात 3 बजे तक चुदाई करी ठंडी रात मे सिर्फ हम एक चादर ओढ़ चुदाई करते रहे और चुप चाप दोनो जाकर अपने अपने जगह सो गए। अब अगले दिन भी हमारा जाना कैंसिल हुआ क्यूंकि आज मँझले चाचा अपने घर पर बुलाने के लिए आए थे जिनका घर दो चार गली आगे था तो वो भाई भाभी और उनकी मम्मी को अपने साथ ले गए। ससुर जी स्कूल मे हेडमास्टर थे तो वो भी चले गए बच्चे स्कूल चले गए। घर मे सिर्फ मै अर्चना और उनकी चाची ही थी। मै छत पर कमरे मे लेटा था दरवाजा सटा हुआ था। दरवाजा खुला हल्के से फिर वापस बन्द हो गया मै उठा तो बाहर से किसी के सिसकने की आवाज आ रही थी। मै बाहर गया तो अर्चना रो रही थीं। मै: क्या हुआ, रो क्यों रहीं हैं। पहले तो वो कुछ नही बोली तो मै पहले उन्हें कमरे मे ले गया,चुप कराया तब वो बताई कि चाची को हमारे बारे मे पता चल गया है और वो मम्मी पापा को बता देंगी और मेरे यानि अर्चना के ससुराल वाले भी उसकी चाची के रिलेशन मे हैं तो वो उन्हें भी बता देंगी। मैने उन्हें समझाया कि कुछ नही होगा मै सब सम्भाल लूंगा आप बस मुझ पर भरोसा रखो और चाची से मेरी बात कराओ। वो शान्त हुई तो हम नीचे गए मै एक कमरे मे गया वो चाची को बुलाने गई मै उस कमरे मे अलमारी के पीछे छिप गया अर्चना अपनी चाची को उस कमरे मे लाई मुझे कमरे मे ना देख वो वापस बाहर जाने लगीं पर चाची ने उसे कहा कि क्या कर रही है मुझे बुला कर कहां जा रही है। अर्चना: चाची प्लीज किसी को मत बताइएगा। ममता चाची: एक शर्त पर नही किसी को बताऊंगी। अर्चना: कौन सी शर्त? ममता: तू अगर उसकी शादी गुड्डी से करा देगी तो। अर्चना: ठीक है मै बात करूंगी। अब मै अलमारी के पीछे से निकला मुझे देख चाची झेंप गई और जाने लगीं मै उनका हाथ पकड़ लिया और बेड पर बैठा लिया उनसे माफी मांगने लगा किसी को ना बताने के लिए कहने लगा। मै ये सब ऐसे ही बोल रहा था क्योंकि मेरा मकसद तो चाची को पटाना था वो 35 साल की गदराई महिला थीं गोरी चित्ती बड़े चूंचे और बड़े बड़े गांड़। मै उनका हाथ पकड़े ही बैठा था और उनकी आंखों मे देखते हुए बात कर रहा था और उनके मोटे चूंचे भी घूर रहा था जिसे वो भांप रहीं थीं मैने इशारे से अर्चना को बाहर जाने के लिए कहा। मै: अभी आपकी शर्त सुनी मैने। मैने उनसे गुड्डी के बारे मे पूछा वो उनकी बड़ी बहन की बेटी है। मैने कहा मै एक बिगड़ा हुआ लड़का हूं मेरे कई लड़कियों और महिलाओं के साथ संबंध हैं सोच लीजिए। उन्हें लगा मै शादी से बचने का बहाना बना रहा हूं। तो उन्होंने कहा कि शादी नही करोगे तो मै सबको बता दूंगी। इतना कह कर वो जाने लगीं लेकिन अर्चना बाहर ही थीं जो उन्हें वापस लेकर आ गई और उन्हें समझाने लगीं। ममता: ये तो शादी नही करने बोल रहा है, मै सबको बता दूंगी। मै: मैने ऐसा कब कहा कि मैं शादी नही करुंगा बस बता रहा था कि मै कैसा हूं शादी के बाद कुछ हुआ तो मुझे मत कहना। अर्चना: हां चाची ये बहुत बदमाश है गुड्डी बहुत सीधी सादी लड़की है उसके साथ इसकी नही जमेगी। ममता: तुम दोनो मिलकर मुझे उल्लू बना रही हो ठीक नही होगा अर्चना देख लो तुम। मै: अरे मै शादी कर लूंगा मगर लड़की सुन्दर होनी चाहिए और कुंवारी। अर्चना: सुन्दर बहुत है मै मिली हूं। उसकी फोटो होगी मेरे पास रुको मै लाती हूं। वो चली गई। मै: कुंवारी भी होनी चाहिए, अगर नही हुई तो मै जिन्दगी भर आपसे वसूली करुंगा। ममता: मतलब क्या है कैसे वसूली करोगे। इतनी देर तक मै बात कर रहा था तो उनका हाथ पकड़े हुए ही था। मै सीधा उनका चेहरा पकड़ा और उनके होंठ पर अपने होंठ लगा दिए और स्मूच करने लगा वो धक्का देने लगी पर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी मै उनके होंठों को चूसता ही रहा थोड़ी देर मे वो शान्त हो गई। अर्चना के आने की आहट हुई तो मै उनको छोड़ा, वो कुछ बोलने वाली थी लेकिन अर्चना के आ जाने से वो कुछ ना बोलीं। अर्चना:(उनके होंठ देखते हुए) बोली थी ना चाची की बदमाश है ये। मै: अब भी सोच लो। ममता: शादी तो तुम्हें करनी पड़ेगी। मै: ठीक है करुंगा, लेकिन उससे पहले आपको तो छोडूंगा नही। ममता: क्या मतलब। मै उनको गोद मे बिठा लिया और उनके दोनो मम्मे दबोच लिया पीछे से। वो मुझे छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी। मै: ज्यादा जोर मत लगाई ए ब्लाउज फट जाएगा। मै अर्चना को भी बगल मे बैठा लिया और उसे फोटो दिखाने बोला वो एक फैमिली फोटो की एल्बम से एक फोटो निकाल दिखाई। काफी सुन्दर लगी गुड्डी मुझे। मै ममता के मम्मे मसल ही रहा था अर्चना बाहर चली गई। मै: शादी करुंगा उससे पहले आपको खाऊंगा। मै ममता को गर्दन गाल गले सब जगह चूसने चूमने लगा वो विरोध कर रही थीं लेकिन गर्म भी हो चुकी थीं। मै अब उन्हें सीधा बेड पर पटका साड़ी ऊपर कर उनकी बिना पैंटी वाली हल्के बालों से भरी बुर चूसने लगा वो मुझे हटाती रही फिर जब बुर रस टपकाने लगी तो आह उफ़ छोड़ दो करने लगी कमर इधर उधर मचला रहीं थी और कुछ देर की बुर चुसाई से ही झड़ गई और हांफने लगीं। मै उनके साईड मे लेटा। मै: कैसा लगा! उन्होंने मेरे गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारा और फिर उन्हें लगा कि गलती कर दी तो प्यार से गाल को चूम लिया। और उठ कर बैठ गई। मै उनके होंठ चूसने लगा उन्होंने मुझे दूर हटाया इस बार मै हट गया। मै: आपने बताया नही कैसा लगा? ममता:(शर्माते हुए) अच्छा लगा और क्या! मै: अब भी सोच लो। ममता: देखो अंशु गुड्डी मेरी प्यारी भांजी है मै बस चाहती हूं कि उसकी शादी अच्छे घर मे हो,प्लीज शादी कर लो उससे। मै: ठीक है, मैने मना कब किया है,। आप घर वालो मे बात बढ़ाओ। मैने थोड़ी देर और गुड्डी के बारे मे पूछा उनसे तब तक अर्चना भी आ गई थी कमरे मे। अर्चना; क्या हुआ? मै: चाची को भी मै वो वाला मजा दे दिया, पूछो चाची से मजा आया। मैने अर्चना को साथ मे होंठ से इशारा भी किया। अर्चना::(हंसते हुए) कैसा लगा चाची। ममता: धत् बेशर्म। मै: अब इनकी मजे देने की बारी है। ममता: इतना हो गया बहुत है अब ज्यादा आगे मत बढ़ो। उनके कहने पर भी मै उनके बड़े बड़े38 के मम्मे थाम लिया और उन्हें चूसने लगा वो कुछ देर मे आह उफ़ करने लगी। मैने अपना पेंट नीचे कर अपना लण्ङ निकाल दिया। ममता: ये क्या कर रहे हो ये गलत है मै वहां कुछ नही करने दूंगी। मै: अरे मै वहां कुछ अभी करुंगा भी नही। ममता: मतलब? मै: मुझे आपके चूंचे चोदना है। ममता और अर्चना दोनो मुझे देखने लगीं आश्चर्य से की ये क्या बोल रहा है। मै दोनो को बताया और ममता को मना लिया चूंचे चुदवाने के लिए। मै उनका ब्लाउज खोल दिया और ब्रा के नीचे से दोनो चूचों के बीच लण्ङ घुसाने लगा उनकी ब्रा इतनी टाइट थी कि जा नही रहा था तो मैने ब्रा खोल चूचों के बीच लण्ङ डाल दे दना दन चूचे ऊपर नीचे करने लगा वो दोनो हंस रहीं थीं। मुझे उनके चूचों के बीच जन्नत महसूस हो रहा था मेरा लण्ङ उनके गले तक जा रहा था बहुत देर करने पर ममता थक गई। ममता: आह मै थक गई अब छोड़ दो, बच्चे भी स्कूल से आते होगें। मै छोड़ा नही। मै: बस थोड़ा सा और। मै अर्चना से तेल मंगाया और उनके मम्मो के बीच डाल तेजी से लण्ङ चलाने लगा और कुछ देर मे एक लम्बी सांस लेते हुए झड़ गया। वो अपने को साफ करी और चली गई। अब मै ममता को पकड़ लिया और उसके बुर को चूस चूस पानी निकाल दिया क्योंकि उसकी बुर चू रही थी। अब वो भी अपने मम्मे चुदवाना चाहती थीं तो उसके साथ भी ब्लाउज खोल उसके 36 के मम्मे चोदने लगा कि तभी ममता नेआ कर कहा कि बच्चे आ गए हैं हट जाओ हम अलग हो गए। पर मैने ममता को कह दिया कि रात को देना होगा। अब शाम हुई तो भाई का साला मँझले चाचा के यहां से आया और बताया कि आज भाई भाभी और उनकी मम्मी वहीं रुकेंगी। अब घर पर बच्चे साला ससुर मै ममता और अर्चना ही थे। सब खाना बना खा लिए और सोने चले गए बच्चे टीवी देख रहे थे भाई के साले के साथ और मै भी और वो वहीं सो भी गए मै चाची के कमरे मे गया तो वहां अर्चना भी थीं। मै उनको बोला तो अर्चना तो झट से राजी हो गई पर ममता ना नुकर कर रहीं थीं तो मै और अर्चना ही ऊपर के कमरे मे आ गए और शुरू हो गए थोड़ी देर मे हमे लगा कि कोई दरवाजे पर है हम डर गए पर बाहर ममता ही थीं मै उन्हें भी खींच लिया और दोनो की दो दो बार चूत मारी। मै ऊपर ही सो गया और वो दोनो नीचे चली गई। अब अगले दिन भी हमारा घर आने का प्लान कैंसिल हुआ क्यूंकि आज वो अपनी बेटी की विदाई के लिए कुछ बना कर दे रहे जैसे ठेकुआ नीमकी स्नैक्स जो कि गांवों मे पहले रिवाज था। तो उस दिन भी मौका देख दोनो को एक एक राऊंड छत पर लगा ही दिया शाम मे ही एक सीढ़ी पर रखवाली करतीं तो दूसरी को पीछे से झुका पेला और दूसरी रखवाली करती तो पहली को। मै जाते जाते ममता चाची से क्लीयर बोल दिया कि अगर कुंवारी नही मिली तो आपको कुंवारी लड़की की दिलाना होगा। उन्होंने ने भी कह दिया कि ठीक है। मेरा कोई ऑब्सेशन नही था और ना अब है कुंवारी या वर्जिन लड़की के प्रति बस मै छेड़ने के लिए उन्हे बोला था। अब हम घर आ गए समय बीता धीरे धीरे एक साल बाद अर्चना भी मां बनी और उसके 6 महीने बाद मेरी भाभी भी। शादी की बात परिवार मे अर्चना और ममता ने चला दी थी पहले ही और शादी ठीक भी हो गई थी लेकिन भाभी का बेबी अभी छोटा था तो डिसाइड हुआ था कि कुछ महीने का बेबी हो जाए तो ठीक रहेगा क्योंकि मेरे घर मे लोग कम थे मै पापा भाभी बस मेरा बड़ा भाई तो जॉब पर ही रहता था और मेरा छोटा भाई बेगलुरु मे बीटेक कर रहा था और मां थी नही। हमारा घर एक छोटे शहर मे था तीन मंज़िल का जिसमें नीचे के फ्लोर पर पापा और सबसे ऊपर के फ्लोर पर मै और भाभी अलग अलग कमरे मे सोते थे बीच का फ्लोर खाली रहता या गेस्ट रहते थे। एक बार हुआ क्या की मेरा भतीजा जब 10 महीने का रहा होगा तब एक रात मै उठा तो बेटा रो रहा था मै भाभी के कमरे मे झांका और अन्दर गया तो देखा कि बेटा बेड से नीचे गिर गया है और उसकी मां सो रहीं हैं। मै बेटे को गोद मे उठाया और भाभी को जगाया वो बेड पर लेटे हुए ही बोलीं कि क्या हुआ मै उन्हें बताया कि बेटा गिर गया था बेड पर से साईड मे तकिया लगा कर सोया करो। अब सुबह उठा तो फिर वो नीचे गिर रो रहा था मै उसे गोद मे लिया और भाभी को लगभग झकझोड़ते हुए उठाया और डांट भी लगा दिया। और बेटे को ले बाहर आया और उसे बोतल से दूध पिलाने लगा। भाभी फिर आई और बेटे को लेने लगीं मुझे थोड़ी चिढ़ थी मै धक्का हल्का सा दे दिया और हल्के से झिड़क दिया। और बेटे को दूध पिलाते हुए नीचे गार्डन मे चला आया। मेरे साथ बच्चा खूब खेला और ना रोया आज दिन भर कहीं नही गया बच्चे के साथ ही रहा और भाभी को देने भी नही गया और ना वो लेने आईं। अब रात को उन्होंने खाना बना दिया था नीचे पापा को खिला कर खुद खा कमरे मे चली गई मै भी खा लिया और बच्चे को भी कुछ खिला दूध पिला दिया। अब मुझे अच्छा नही लग रहा था भाभी से बात ना करने के कारण और बेबी भी थोड़ी थोड़ी देर मे रोने लगता क्योंकि वो भी मेरे साथ खेल थक गया था और नींद आ रही होगी। मै भाभी के कमरे मे गया तो वो बेड पर बैठी थीं। मै: लीजिए अपना बेटा पकड़िए। भाभी: हो गया बड़ा हक से ले गए थे। वो थोड़ा नखरा करतीं हैं फिर ले अपने बेटे को दूध पिलाने लगती हैं मै वहीं बैठ उनसे बात करने की कोशिश करता हूं लेकिन वो कुछ जवाब नही दे रहीं थीं मै थोड़ा ज्यादा जोर दिया तो वो रोने लगीं। मै: क्या हुआ भाभी सॉरी मुझे माफ कार दो। मै उनके पैर छूते हुए बोला उन्होंने अपने पैर समेट लिया। मै उनके पास बैठ गया। मै: सुबह के लिए नाराज हो भाभी प्लीज माफ कर दो। माफ नही करोगी तो मै रोने लगूंगा। कुछ देर मे मै उन्हें चुप कराया। मै: क्या हुआ है भाभी आज कल आप बहुत उदास रहती हो हेल्थ पर भी ध्यान नही देती हो बेबी भी इधर उधर गिरता रहता है। क्या बात है। भाभी: मुझे कोई टाईम देता है इस घर मे। मै: अरे मै तो इधर उधर जाता रहता हूं भाई तो जॉब पर ही रहता है। भाभी: तो फोन तो कर ही सकते हैं, फोन भी तो नही करते बस आप सब से बात कर रख देते हैं। मै:(हँसते हुए) अच्छा तो आप भी फोन मांग लो भाई से खरीद कर दे देगा। भाभी: वो तो दिलाने से रहे हमको भी पता है। मै: अच्छा मै आज बात करा देता हूं आप फोन दिलाने के लिए। मै भाई को फोन लगा देता हूं और भाभी बात करने लगते हैं थोड़ी देर बात करने पर मै भाभी को धीरे से बोलता हूं कि रख दो मेरा बैलेंस खत्म हो जाएगा। या उधर से करने बोलो, लेकिन वो बात करती ही रहीं। मै उनके पैरों की तरफ लेटा था और उनकी उंगलियों और पायल से खेल रहा था मुझे महिलाओं के पैरों और बिछिया से खेलना बहुत पसन्द है। कुछ देर मे उनकी बातें कुछ शायद रोमेंटिक हो गई थीं भाई शायद उनको गन्दी गन्दी बात कर रहा था मुझे सुनाई तो नही दे रहा था लेकिन भाभी बोल रही थीं कि ये सब बातें मत करिए और शर्मा भी रहीं थीं तो मै समझ गया और उठकर जाने लगा पर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ वहीं सोने का इशारा किया। तब मै भी बेड पर लेट गया। एक घंटे से ज्यादा बात करी थीं तब बैलेंस खत्म हो गई और फोन कट गया। उस जमाने मे तो पता ही है कि लिमिटेड टॉक टाईम रिचार्ज होता था। अब भाभी मुझे फोन दे बोलीं। भाभी: अंशु, लो फोन कट गया। मै: बैलेंस खत्म कर दी ना अब रखो फोन, रिचार्ज करवाने बोलो अपने पति को तब देना। मै झूठा गुस्सा करता हुआ बोला और दूसरी ओर करवट कर लेटा रहा। भाभी उठी बेटे को झूले मे सुलाया, और मेरे पास आ कर लेट गई। भाभी: अच्छा ठीक है अगर तेरे भैया का कॉल आया तो बोल दूंगी। वैसे तुझे किससे बात करनी होती है। वो मुझे मानने लगीं और मुझे पलट कर पीठ के बल कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ लेट गई। हम पहले भी ऐसी अटखेलियां करते थे एक दूसरे के साथ क्योंकि हम घर मे अकेले रहते थे और कोई बात करने वाला ना होता था तो हम आपस मे खूब हँसी मजाक करते थे। लेकिन कभी आगे नही बढ़े थे मेरा उनको गोदी उठाना कभी हम एक बेड पर होते तो एक दूसरे पर चढ़ते रहना एक दूसरे को गुदगुदी करना आम बात थी। भाभी मेरे पर लेटे थीं और उनका पल्लू हटा हुआ था उन्होंने अपने दोनो हाथ मेरे अगल बगल थे। मै थोड़ा उठकर दीवाल से पीठ लगा बैठा। वो मेरे जांघ पर बैठी थीं उनका दायां पैर बेड पर और बायां पैर जमीन पर था उनके बाल खुले हुए हवा मे उड़ रहे थे सीने पर नजर डाला तो ब्लाउज पूरा खुला बाहों मे झूल रहा था और ब्रा से एक मम्मा बाहर निकला हुआ था । बच्चे को दूध पिला शायद उन्होंने वैसा ही छोड़ दिया था। मै सीधे ही मम्मे को पकड़ा और ब्रा के अन्दर डाल दिया। मै: इसको अन्दर करो ना पहले, हवा खिला रही हो। मै अब उनके ब्लाउज को भी पकड़ उसके बटन लगाने लगा , बटन लगाते हुए मेरे हाथ उनके कोमल दूध से भरे मम्मे पर लग रहा था मै एक बार उनके चेहरे को देखा वो अजीब सी मुस्कान लिए थीं अपने दांतों से वो होंठ काट रही थीं। बटन लगाते ही उन्होंने मुझे बड़े प्यार से देखा और पहले मेरे माथे पर फिर दोनो गाल पर चूमा। मै: क्या हुआ? भाभी: मेरा प्यारा देवर! मै: बड़ा प्यार आ रहा है आज मुझ पर। वो वापस मेरे माथे और गाल पर चूमी इस बार ज्यादा टाईम के लिए। वो वापस अपने होंठ कुतर रहीं थीं। मै: आप अपने होंठ क्यों काट रही हो लाओ मै काट देता हूं। ये बोलकर मै उनके होंठों पर होंठ लगा चूसने लगा और हल्का काटने लगा मेरे दोनो हाथ उनके नंगे कमर पर पीठ पर रेंग रहे थे। कुछ देर बाद मै छोड़ा उन्हें। भाभी: बदमाश, कहीं के। भाभी अब उठकर जाने लगीं तो मै भी छोड़ दिया। अब मै भी उठकर अपने कमरे मे जाने लगा। भाभी: यहीं सो जाओ ना। तो हम बेबी को बीच मे कर सो गए। अब सुबह खाना खा कर मै बेबी को सुला रहा था भाभी बाथरुम मे कपड़े धो रहीं थीं। कुछ देर मे वो निकलीं वो सिर्फ पेटीकोट पहने थीं और उसे अपने सीने पर बांध रखा था। आज से पहले वो मेरे सामने ऐसे कभी नही आई थी, बेबी सो गया था तो मै उठकर अपने कमरे मे आ गया। कुछ देर मे वो मेरे कमरे मे आ गई। भाभी: कोई कपड़ा धोना है तो दे दो। मै: कुछ नही है मै धो लूंगा नहाने जाऊंगा तब। भाभी: ये शर्ट लाओ कितनी गन्दी हो गई है। मै: अरे मै धो लूंगा ना। भाभी: तुम अच्छे से नही धोते गन्दे ही रहते हैं। वो मेरे पास आ मेरे शर्ट का बटन खोलने लगीं वो अभी भी पेटीकोट मे ही थीं। शर्ट खोल मेरा बनियान भी निकाल दी मै उनके सामने ऊपर से नंगा खड़ा था उन्होंने मुसकुराते हुए मेरे निप्पल को छेड़ा, और पिंच किया। मै: क्या हो जाएगा इससे लो करो। भाभी:(मेरे निप्पल को मुंह मे ले चूसी) तुम ऐसे ही करते हो ना। मै: मै नही करता आपका पति करता होगा ऐसा। भाभी:( धीरे से बोली ) तुमको मौका दिए तो कुछ किए ही नही। वो काफी धीरे बोलीं थीं पर मै सुन लिया। मै: क्या बुदबुदा रहीं हो। भाभी: कुछ नही! तुम बुद्ध हो। अब भाभी मेरा पैंट भी मांगने लगी। मैने मना कर दिया तो वो मुझे बुद्धू बोल जाने लगीं। मै समझ गया कि भाभी को चाहिए हथियार। मै: भाभी एक पतली जू वाली कंघी देखिए तो। भाभी: क्यों, जू हो गई है क्या? मै: अरे नही, वो राइस मील जाता हूं तो बालों मे डस्ट चिपक जाता है। भाभी कपड़े वहीं छोड़ कंघी लाई और खुद ही मेरे बाल साफ करने लगी। मै उनसे कहा भी कि आप जाओ मै कर लूंगा लेकिन वो नही गई। मै अब बेड पर बैठा था भाभी मेरे सामने खड़ी मेरे बालों मे कंघी कर रही थीं। मै धीरे से अपना हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से कमर पर रखा और पकड़े रखा भाभी मेरे बालों मे कंघी कम कर रहीं थीं और बालों को सहला ज्यादा रहीं थीं। इतने मे बेबी उठ गया और वो उसे दूध पिलाने चली गई और वापस मेरे कमरे मे ही उसे ले आ गई और मेरे सामने ही बात करते हुए अपना एक मम्मा निकाल पिलाने लगी उनका मम्मा दूध से भरा था और एक दम तना हुआ था और और नशें जैसे उभर गई हो। कुछ देर मै बैठा रहा और फिर नहाने चला गया। नहा कर मै घूमने चला गया। शाम को आया भाभी के कमरे मे गया तो वो काफी उदास थी। मै पूछा तो वो कुछ नही बोलीं और खाना बनाने चली गई खाना खा मै रात को भाभी के कमरे मे बेबी को मै झूले मे झूला रहा था । वो शायद सो गया था। भाभी किचेन का काम खत्म कर कमरे मे आई तो मै जाने लगा। भाभी: हां जाओ खुद चैन की नींद सोने जाओ और बेबी अगर गिर जाए तो मुझ पर चिल्लाओ। भाभी चिढ़ गई थी शायद। मै: अरे कहीं नही जा रहा हूं मै, पानी पीकर आता हूं बस। मै आ कर बेड पर लेट गया, भाभी भी बेड पर लेट गई आज वो कुछ नही बोल रहीं थीं। मै भाभी से बात करने लगा तो वहीं सब की भैया तुम्हारे मुझे टाईम नही देते महिला की कुछ जरूरत होती है। मै: क्या जरूरत है आपकी मुझे बताइए मै लाकर दूंगा आपको। भाभी: तुम बुद्धू हो, तुम नहीं समझोगे,रहने दो तुम। मै अब भाभी को पूरा बाहों मे भर लिया । मै: तो समझा दो। मै बाई करबट था वो दाई मै उनके पूरे पीठ और कमर पर हाथ फेर रहा था उनके बड़े बड़े दूध से भरे मम्मे मेरे सीने से मर्दन हो रहे थे मै अब अपना हाथ उनकी गुद्देदार गांड़ पर ले गया और दबाने लगा वो सिसक रही थीं। बात करते हुए उनकी आवाज लड़खड़ा जाती। मै: समझा दो ना मुझे। भाभी: अब समझने लगे हो। वो मेरे माथे और गाल पर चूमी मै सीधा उनके होंठ पर चूसने लगा वो सिसक रही थीं लेकिन शायद उन्हे स्मूच करने नही आता था या शर्माती होगी तो मैने उनसे कहा जैसे मै कर रहा हूं वैसे ही करो तो वो धीरे धीरे करने लगी मै उनके जीभ को चूसा और अपना जीभ उनके मुंह के हर कोने में दौड़ाया। अब उनके गाल गले गर्दन कान नाक सब जगह चूसा और एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से मम्मे सहला रहा था। भाभी: ब्लाउज गंदा हो जाएगा रुको थोड़ा सा। वो थोड़ा पीछे हो ब्लाउज और ब्रा खोलने लगीं मै उठकर बेड से पीठ लगा बैठ गया। भाभी: क्या हुआ। मै उन्हें उठाया और अपने सामने उन्हें गोद मे बिठा लिया और पूरा ब्लाउज और ब्रा उतार दिया। उनके मस्त मम्मे मेरे सामने थे मै उन्हें चूसने लगा दूध की धारा फूट पड़ी और मेरे मुंह मे जाने लगीं मै पीने लगा उधर दूसरा भी दूध फेंक रहा था जो मेरे गाल पर लग रहा था। मै उसे भी चूसने लगा। बहुत दूध आ रहा था भाभी के मम्मे से, मेरा मुंह भर जाता दूध से वो सी सी कर रहीं थीं मै कुछ देर मे चूस चूस कर दोनो मम्मे खाली कर दिया भाभी हॉफ रहीं थीं। मै अब भाभी की ओर देखा वो मुझे सीने से लगा ली मेरा चेहरा उनके मम्मो पर था वो मुझे कस कर भींच रहीं थीं। मै अब उनका चेहरा पकड़ होंठ चूसने लगा वो भी अब साथ दे रही थीं। मै उन्हें लेटा दिया और उन्हे ऊपर से चूमते हुए नीचे आने लगा उनके होंठ ठूडी सीने चूंचियां निप्पल पेट और गहरी नाभि अब पेडू पर चूसने लगा। धीरे धीरे मै उनकी साड़ी ऊपर कर पेट पर कर दिया और उनकी गांड़ उठा पैंटी भी उतार दिया। उनकी चिकनी गोरी बुर मेरे सामने थी जिसे उन्होंने आज दोपहर मे ही साफ किया होगा। वो अपनी बुर को हाथ से ढंक ली। मै घुटने से उनको चूमना शुरू किया धीरे धीरे टांगे खोलते हुए उनकी चिकनी जांघ चूसने लगा और हल्का काट भी लेता अब उनके हाथ को हटा उनकी बुर का दीदार किया और बुर पर पप्पी देने लगा। वो कमर हटाने लगीं गुदगुदी के मारे मै उन्हें बेड किनारे खींचा और मै नीचे बैठ उनकी दोनो जांघों को पकड़ अपनी जीभ बुर की दाने पर फिराने लगा उसे छेड़ने लगा बुर काफी पानी छोड़ चिकनी हो चमक रही थी। अब बुर के होंठों को चूसने लगा वो आह उफ़ करने लगी , जब उनकी पूरे बुर को मुंह मे भरने लगा तो वो इधर उधर कमर हटाने लगीं और सी सी करने लगी कुछ देर और बुर को अच्छे से चूसा तो वो भड़भड़ा कर झड़ गई। मै उनकी बुर चाट साफ कर दिया और वापस उनको किस करने लगा। अब वो मेरा सारा कपड़ा उतार दी मेरा कड़क लण्ङ नाग की तरह फ़न्फ़ना रहा था। मै दोनो टांग उनका अपने कन्धे पर रखा और लण्ङ बुर मे घुसाने लगा धीरे धीरे वो आ आ कर रहीं थीं और मै धीरे धीरे पूरा लण्ङ घुसा दिया। वो मुझे अपने ऊपर खींच ली और अपनी टांग मेरे कमर पर लपेट लीं मै चुदाई करने लगा। करीब आधे घंटे अलग अलग पोजीशन मे चोदा और रात भर मे चार बार मै उनके ही अन्दर झड़ा वो तो कितनी बार झड़ी उनको याद भी ना रहा। उनकी कमर मे दर्द हो गया था। लेकिन वो खुश बहुत हो गई थीं। चुदाई के बाद भाभी मेरे पर जैसे फिदा हो गई थीं तो मै भी उनका जब मन होता तो वो डायरेक्ट तो नही कहती लेकिन इशारा देने लगती थीं। कुछ महीने बाद मेरी शादी ठीक हो गई गुड्डी से, तब भी मेरा सबसे सम्बन्ध बना ही रहा। दरअसल जो भी महिला मेरे से करवा लेती थी वो मुझे आसानी से नही छोड़ती थी अब अर्चना जी की चाची को ही ले लीजिए, मैने उनको चोदा तो लगभग जबरदस्ती ही था लेकिन अब जब भी भाभी के मायके जाता तो वो कुछ ना कुछ इंतजाम कर ही लेती। हालांकि अब मौके बहुत कम मिलते थे क्योंकि भाभी मेरी मुझ पर खूब हक जताती थी जब मै उनके साथ उनके मायके मे होता तो और भाई ना होता तो। लेकिन अगर अर्चना जी होती थी तो जुगाड हो जाता था थोड़ा ऊपर ऊपर से ही सही क्योंकि जब तीन लोग कमरे मे होते हैं तो कोई क्या शक करेगा। एक बार तो जब गया था तो मै अर्चना और उसकी चाची ममता दिन मे एक ही कमरे मे गप्पे मार रहे थे घर मे सब लोग थे चाचा भी थे तो रात को मौका मिलना ना था। मन दोनो का था तो मै ममता को सिर्फ साड़ी उठा बेड पर झुका पेलने लगा। बीच बीच मे कोई ना कोई आ ही जाता था कभी भाभी तो कभी उसकी मां, तो अर्चना इशारा कर देती और हम जल्दी से अलग हो कपड़े सही कर लेते। बहुत बार डिस्टर्ब हुए लेकिन मजा भी खूब आया ऐसे ही अर्चना को भी पेला और ममता जी सतर्क करतीं। खूब मजा आया तीनों को उस दिन। अर्चना जी तो कहती थी कि उसे दिन भर गिला रहने मे बहुत मजा आता है। इसलिए वो मेरे से हमेशा छेड़खानी करती रहती थीं अकेले मे मै भी कभी मौका देख उनके मम्मो को सहला या छू देता गान्ड को सहला देता। कमर पर छू देता। कभी कभी तो अच्छा सिचुएशन देख वो साड़ी भी ऊपर कर लेती थीं और मै बुर सहला देता। मेरी भाभी के पेट मे बात नही पचता था इसलिए उन्होंने मेरे और अपने बारे मे अर्चना जी को बता दिया था। ये बात मुझे अर्चना ने ही बताई, पर उन्होंने मेरे, अपने और चाची के बारे मे किसी को नही बताया था और ना ही मेरे और भाभी के बारे मे चाची को। भाभी तो मायके मे मुझ पर इतना हक जताती थी कि एक बार जब वो चार महीने मायके मे थीं और मै उन्हें लाने गया था तो बेटे को अर्चना के पास सोने भेज दी और खुद देर रात को मुझे अपने कमरे मे ले गई। मै भी उस रात उनकी जमकर चुदाई किया। क्योंकि उस रात बारिश हो रही थी और शाम मे अर्चना से छेड़ छाड़ करते हुए काफी गरम हो गया था। अब शादी की तारीख भी तय हो गई थी मै कार्ड बाट रहा था। अर्चना जी के ससुराल भी कार्ड ले गया और उन्हें और उनके बेटे को साथ ही ले आया। मेरे घर मेहमान भर चुके थे। शादी की रस्में शुरू हुई और आप विश्वास नही करेंगे मेरे से हर रस्म मे मेरी भाभी और अर्चना जी इतनी छेड़खानी कर रहीं थीं कि मत पूछो। भाभी का तो पता नही भाई से चूदवाई की नही पर अर्चना जी हल्दी वाले दिन काफी गरम हो गई मेरे तो लण्ङ तक मे हल्दी लग गई थी। रात को एक जगह सुनसान देख मै और अर्चना छत पर गए उसने हल्दी मेरे लण्ड पर लगाई और मै उनकी बुर चाट उनकी गर्मी दूर किया। नवम्बर 2007 मे मेरी शादी गुड्डी से हो गई गुड्डी थी काफी सुन्दर, 22 साल की उम्र हुई थी और जवानी उसकी हिलकोर मार रही थी लेकिन वो काफी सीधी सादी थी जो बोलो हां ही कहती थी। सुहागरात मे ही मैने उसे कह दिया कि मेरे बहुत लड़कियों और महिलाओं से संबंध हैं अगर तुम्हें अच्छा ना लगेगा तो मै बन्द कर दूंगा। उसने कहा कि कोई बात नही है जब तक करना है करिए मुझे कोई ऐतराज नही बस किसी की शिकायत मेरे तक या घर तक नही आनी चाहिए। मै सोचा अरे वाह ये तो बड़ी समझदार निकली। और आने वाले समय मे वो समझदारी दिखाई भी उसने बहुत। सुहागरात पर मै जब कमरे मे गया तो वो लहंगा साड़ी पहन बैठी थी मैने थोड़ी देर उससे इधर उधर की बात करी और साथ ही अपने बारे मे बताया। उसके बारे मे पूछा। धीरे धीरे मै उसे बाहों मे भर लिया कमरे मे मध्यम रौशनी थी । वो थोड़ी देर तो शर्माती रही फिर वो पूरी तरह खुद को मेरे हवाले कर दी। मै पहले उसके माथे पर चूमा उसकी आँखें चूमा। उसके गाल से होते हुए उसके होंठ चूसने लगा उसके नाजुक होंठ पीने लगा वो कुछ नही कर रही थी तो मै उसे धीरे धीरे समझाया ऐसे करो। अब उसके गले गर्दन होते हुए उसके सीने कान पर चूसा। उसके ब्लाउज के ऊपर से हल्के हल्के उसके मम्मे मुंह से सहलाने लगा और थोड़ी देर मे उसे मनाते मनाते उसके ब्लाउज ब्रा खोल मम्मे बाहर कर पीने चूसने लगा उसके गोरे गोरे मुलायम मम्मे कमाल लग रहे थे। वो सीत्कार करने लगी अब उसके पेट और नाभि को चूसा वो बेड पर लेट गई थी और आह उफ़ सी सी करने लगी थी। अब धीरे धीरे उसके पेडू को चूसने लगा लहंगा की डोरी नीचे करते हुए। मै: लहंगा उतार दो ना काफी भारी है और खराब भी हो जाएगा। गुड्डी: ठीक है आप जाइए बाहर मै साड़ी पहन लेती हूं। मै: साड़ी नही मै एक ड्रेस लाया हूं वो पहनो। गुड्डी:( अपने सिने को ब्लैंकेट से ढकते हुए) लाईए देखें क्या है। मै अलमारी से उसे एक नाइट गाउन निकाल देता हूं जो बहुत सेक्सी और छोटी थी। गुड्डी: ये क्या है मै नही पहनूंगी ये। मै उसे ये पहनने के लिए मना लेता हूं। गुड्डी: ठीक है आप बाहर जाइए मै देखती हूं पहन कर। मै: अरे मुझसे क्या शर्माना अब लाओ मै ही पहना देता हूं। मै ब्लैंकेट हटा उसे उठा कर बैठता हूं वो ब्लैंकेट के अन्दर ही बात करते हुए अपना ब्लाउज और ब्रा सही कर पहन ली थी। मै: इसे क्यों पहन ली। मै उसे बेड से नीचे खड़ा करता हूं और गाउन उसके सर के ऊपर से कन्धे पर डाल देता हूं वो शर्मा रही थी और कह रही थी मै खुद पहन लूंगी। अब दोनो बाजू बारी बारी से डालता हूं। अब गाउन के अन्दर हाथ डाल ब्लाउज खोल देता हूं वो शर्मा कर खोलने मे मदद कर रही थी। और जैसे तैसे बाजू कर ब्लाउज बाहर निकालता हूं। मै:(उसकी ब्रा को सहलाते हुए) अब इसे भी खोल दो। गुड्डी: इसे रहने दीजिए ना। मै उसे स्मूच करने लगा और हाथ पीछे ले जा ब्रा खोल दिया और धीरे धीरे बाहर निकाल दिया अब उसने गाऊन नीचे किया मै भी अब नीचे बैठ लहंगा की डोर खींच नीचे कर दिया गाउन वो नीचे करी जल्दी से शरमाते हुए। गाउन उसके जांघ से थोड़ा नीचे ही था उसकी मस्त मोटी चिकनी जांघें दिख रही थीं। वो जल्दी से कम्बल मे चली जाती है मै उसका लहंगा समेट अलमारी मे रखता हूं। मै:(बेड पर बैठता हूं) कैसा लगा गाउन। गुड्डी: इसे कब पहनूंगी इतना गंदा ड्रेस है कुछ छुपता है। मै: मेरे सामने पहनना तो सिर्फ, और मेरे से क्या छुपाना चाहती हो तुम। गुड्डी: धत् आप बड़े बदमाश हो। मै उसे वापस बाहों मे भर लिया और वापस उसे चूमने चूसने लगा और होंठों को चूसते हुए गाउन को धीरे धीरे कन्धे से सरका कर बाजू से निकाल मम्मे चूसने लगा क्या मीठे रसदार मम्मे थे। अब कम्बल हटा नीचे जाने लगा और पेट नाभि पेडू चूसते हुए गाउन को पेट पर कर पैंटी पर आ गया और धीरे धीरे उसे उतारने लगा वो थोड़ा पहले नखरे करते हुए विरोध की पर मै उतार दिया। उसकी लाल पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। उसने पैर सटा रखे थे मै उसकी चिकनी बुर पर किस करने लगा और मोबाइल की लाइट जला देखा एक दम गोरी बुर थी उसने मोबाइल झट से छीन लिया। मै उसकी जांघों और बुर पर चूस चाट रहा था और उसके पैर खोलने के लिए कह रहा था थोड़ी देर बाद उसने पैर खोल ही दिया। मै उसकी गोरी जांघों को खूब चूसा और बुर को भी वो मेरा सर हटाती रही पहले लेकिन धीरे धीरे उसे खूब मजा आने लगा। मै उसकी बुर पर पूरा जीभ फिरा देता वो आह आह उफ़ करने लगी और मेरा सर धकेलने लगी और कमर ऐंठने लगी मै समझ गया कि झड़ने वाली है तो जांघों को कस कर पकड़ बुर चूसने लगा वो कुछ ही देर मे झड़ गई। मै उसके बगल मे लेट गया और उसे बाहों मे भर शान्त करने लगा। थोड़ी देर मे उसकी सांसे नॉर्मल हुई तो मै वापस से स्मूच करने लगा। वो धीरे धीरे मेरे शर्ट का बटन खोलने लगी और उतार दी मै भी अब अपना पूरा सब कुछ खोल दिया और कम्बल मे लेट गया। गुड्डी:(शरमाते हुए) पूरा एक दम खोल दिए, शर्म नही आती है। मै: अरे तुझसे क्यूं शर्माना अब। मै कस कर उसे बाहों मे भरा मेरा कड़क लण्ङ उसके बुर को लग रहा था। मै वापस से उसे स्मूच करने लगा और हाथ नीचे कर बुर को लण्ङ मे ढकेलने लगा पर जा नही रहा था मै उठ कर उसकी बुर के पास बैठा और बुर पर लण्ड घिसने लगा वो सिसक रही थी। मै लण्ङ डालने की कोशिश करता तो छिटक जाता उसकी बुर काफी छोटी थी। पर मै भी मंझा हुआ खिलाड़ी था वो बोलती रही कि दर्द होगा पर मै धीरे धीरे करके पूरा लण्ङ घुसा ही दिया। उसका खून निकल गया था और वो दर्द से रोने लगी मै उसे चुप कराया। मै उसे स्मूच करते हुए उसके मम्मे सहलाने लगा। उसके कान गले गर्दन को चूसा उसे थोड़ी देर मे अच्छा लगने लगा। वो आह आह उफ़ कर रही थी मै धीरे धीरे उसे चोदने लगा। मै अपना भार अपने हाथ पर ले उसके ऊपर लेट गया उसके मम्मे मेरे सिने से लगे थे मै कमर हल्का हल्का चला रहा था बुर की अच्छी चिकनाई की वजह से लण्ङ थोड़ी आसानी से जा रहा था। कुछ देर मे मै उसे ले पलटा और खुद चित लेट उसे अपने ऊपर कर लिया उसे शायद ऐसे दर्द ज्यादा हो रहा था तो मै थोड़ी देर उसके कमाल के तरबूजे जैसे चूतड़ों को सहलाया और वापस मिशनरी पोजीशन मे आ गया इस बार उसने टांगें ज्यादा फैलाई तो थोड़ा दर्द कम लगा मै चुदाई करने लगा कुछ देर मे वो झड़ गई थी मजे के कारण और उसके बाद उसकी टाइट बुर मे मै भी झड़ गया। मै उसके साईड मे लेट गया और उसका एक पैर कमर पर रख लिया। मै उसे नंगे ही पकड़ चुदाई कर सो गया। इतनी मैने अब तक कई लड़की और महिलाओं को चोदा था बहुते कुंवारी सील भी तोड़ी थी लेकिन गुड्डी को चोद एक अलग सा एहसास हुआ था। अगली सुबह देखा तो उसकी बुर पाव रोटी की तरह सूज गई थी मै गरम पानी से सिकाई कर दिया। शादी के कुछ दिन बाद मै ससुराल गया। गुड्डी के परिवार मे उसके मम्मी पापा दादा दादी उसका एक भाई 15 साल और एक बहन 19 साल की थी। चाचा चाची उसके दो थे जो पड़ोस मे ही रहते थे जिसमे एक चाचा का परिवार बाहर रहता था। ससुराल गया तो कुछ मेहमान अभी भी थे जैसे गुड्डी की बुआ उनकी बेटी गुड्डी की ममता मौसी जो मेरी भाभी की चाची भी हैं और उसकी एक और मौसी, और उनके बच्चे भी। मेरी साली मीनू तो जबरदस्त थी एक दम पटाखा थी। वहां पहुंच हमने कुछ बातें करी ममता जी ने शाम को अकेले मे पूछा कि कैसी लगी गुड्डी तो मैने बोल दिया कि ठीक है लेकिन सिल पैक नही थी तो अपना वादा भूलना मत एक सिल पैक दिलानी पड़ेगी। उन्होंने नाक सिकोड़ते हुए कहा कोई वादा वादा नही है समझे। मै उन्हें ये भी कह दिया कि बहुत तेज बन गई करना ही था तो मीनू से कराती। ये सब मै मजाक हंसी मे बोला था वो भी हँसी मे उड़ा दी। अब वहां कुछ ज्यादा हुआ नही और हम वापस आ गए। घर पर मै भाभी उनका बेटा और गुड्डी ही रहते पापा कभी घर तो कभी काम के सिलसिले मे जाते रहते थे। भाभी गुड्डी के घर पर होने से मुझे अब चुदाई के लिए इशारे नही देती थी। पर जब गुड्डी मायके गई थी तो एक बार पूरी रात चोदा उन्हें जिससे उन्हें बुखार हो गया जिसे सुन गुड्डी भी जल्दी ही मायके से वापस आ गई। अब गुड्डी शुरू शुरू मे थोड़ी शर्माती थी लेकिन धीरे धीरे मै उसे सब सिखा दिया मै तो उसे पूरे कपड़े खोल कर चुदाने के लिए भी मना लिया तीन चार महीने मे मै उसे हर तरीके से चोदा था। उसे मै हर चार या तीन दिन मे चोदता। एक बार तो उसने कह भी दिया कि जब आप बाहर करते ही हैं तो मेरे साथ इतना करते हैं। अगर नही करते तो पता नही और कितना करते। मै भी बोला कि अरे पगली बाहर रोज थोड़े करता हूं। तू बोल तो ऐसे रही है जैसे सब बिछी हुईं हैं मेरे लिए। इतनी चुदाई की वजह से गुड्डी जल्द ही प्रेगनेंट हो गई। तो अपने मायके चली गई और भाभी भी अपने मायके गई थी तो मै ससुराल आ गया। गुड्डी का छठा महीना था गर्मी के दिन थे ठंडी हवा चल रही थी तो मै और गुड्डी छत पर सोने का प्लान करते हैं तो मीनू भी आ गई। अब छत पर एक जगह बिस्तर लगा हम गप्पे मारते हुए सो गए। मै एक साईड था बीच मे गुड्डी थी रात मे एक बजे के करीब गुड्डी मुझे प्यार करते हुए जगाती है। वो मेरे गाल पर चूम रही थी और चूस रही थी क्योंकि मै उसकी तरफ फेस कर लेटा था। मेरी नींद खुली। मै थोड़ा और उसके करीब हो उसे चूमा और बाहों मे भर लिया और उसके चेहरे को अपने सीने से लगा लिया। मै उसे प्यार जताता रहा थोड़ी देर। गुड्डी:(धीरे से) ये जी कूची कुची करना है। मै:(उसके चेहरे को चूमते हुए) ओ कूची कुची करना है गुड्डी को। गुड्डी: हां। मै उसे स्मूच करता हूं और माथे और चेहरे पर चूमता चूसता हूं। गुड्डी मुझसे दो महीने बाद मिली थी तो उसे लग रहा होगा चुदाई का। मै: पांचवां महीना है। गुड्डी: तो क्या हुआ। मै: दिक्कत होगा तो। गुड्डी: नही होगा। मै: दिक्कत होगा बेबी। गुड्डी: अच्छा कम से कम वो तो कर ही सकते हैं? मै: क्या? गुड्डी: वहीं जो आप जीभ से नीचे करते हैं। मै: अच्छा तो चलो नीचे रुम मे फिर। गुड्डी: बहुत गर्मी होगा वहां। यहीं तो कितना अच्छा मौसम है। मै: अरे मीनू है बगल मे। गुड्डी: आप आराम आराम से करो उसे पता नही चलेगा मै आवाज नही करूंगी। मै: वो उठ गई ना तो मै तुझे छोडूंगा नही। गुड्डी: अच्छा मै उसे नीचे भेज देती हूं। वो दो तीन बार मीनू मीनू आवाज लगाती है मीनू नही उठी। गुड्डी: वो अच्छी नींद मे है नही उठेगी। इतना बोल वो मुझे कस कर बाहों मे भरी और मेरे होंठ चूसने लगी मै भी चूसने लगा। हम एक दूसरे कि ओर फेस कर लेटे थे उसने एक पैर मेरे कमर पर चढ़ा दिया था मै उसके पीठ सहला रहा था और वो मेरे बाल। मीनू दूसरी ओर मुंह कर लेटी थी। मै और गुड्डी स्मूच कर रहे थे गुड्डी धीरे से अपने ब्लाउज के बटन खोल ब्रा नीचे कर अपने मम्मे मेरे मुंह मे दी मै उन्हें चूसने लगा पीने लगा थोड़ी देर मे मै नीचे जाते हुए उसके पेट को चूसा अब वो चित लेट गई और मै साड़ी मे घुस उसकी मलाईदार बुर चूसने लगा उसने पैर मोड़ रखे थे । बड़ी मजेदार टेस्ट था बुर का। मै मजे से चूस रहा था वो हल्की हल्की सिसकी ले रही थी। एकाएक उसने मेरे सर को रोका। गुड्डी: मीनू तू उठ गई। मै चुप चाप वैसे ही पेट के बल लेटा था लेटा रहा। मीनू उठ गई थी। मीनू: जीजाजी ऐसे कैसे सो रहे हैं। गुड्डी: ये ऐसे ही सोते हैं। पूरे बेड पर लोट कर। तू अभी जगी क्या। मीनू: हां,। आती हूं पिसाब कर। मीनू उठती है और शायद वहीं थोड़ी दूर नाली पर पिसाब करने बैठ जाती है उसके मौत कि छर्र की आवाज आ रही थी। वो वापस आ बैठती है। मीनू: इसे क्यों हवा खिला रही है। वो शायद गुड्डी के मम्मे को देख बोलती है। गुड्डी: तू चली जा नीचे सोने। मीनू: क्यों? गुड्डी: चली जा ना प्लीज। मीनू: अच्छा ठीक है पर मोबाइल दे। मेरे पास उस टाईम चाइनीज मल्टीमीडिया फोन था। जिसमे ब्लू फिल्मों का भरमार था लेकिन बहुत सारे फोल्डर के अन्दर। गुड्डी बिस्तर पर से फोन खोज उसे दे देती है वो उसे ले चली जाती है। मै अब वापस बुर चूसना चाटना जारी करता हूं। कुछ देर बाद मै बाहर आ उसे स्मूच करता हूं और गाल पर कटता हूं। मै: देखी उठ गई ना मीनू। गुड्डी: अरे कुछ नही समझी वो। वो मुझे वापस स्मूच करने लगी और मेरे पजामे से लण्ङ बाहर निकाल दी जो सख्त हो रखा था। मै: मत कर ना। गुड्डी: थोड़ा सा ही डाल कर प्लीज। वो अपनी टांग मेरी कमर पर रखी और लण्ङ को बुर पर घिसते हुए धीरे धीरे आधा घुसा ली और मुझे वैसे ही रहने को कहा और दो तीन बार सीत्कारी हल्के से और मेरे कमर पर हाथ रख दबाई। मै धीरे धीरे कमर चला चोदने लगा थोड़ी देर मे मै उसे अपने ऊपर ले लिया और वो मेरे लण्ङ पर उठने बैठने लगी। अब वो लेट गई मै थोड़ा उसकी टांग उठा चोदा और वापस से फेस टू फेस लेट गए लेकिन इस बार मै दाई करबट था। ऐसे ही हल्के हल्के चुदाई करते हुए मै उसकी बुर मे करीब 45 मिनट बाद झड़ गया। वो मेरे कमर पर टांग चढ़ा आराम से सो गई। कुछ देर मे मै पेशाब करने के लिए उठा और सीढ़ी से नीचे जाने लगा तो देखा मीनू सीढ़ी पर ही थी मै अंधेरे में उसे देख डर गया। मेरे मुंह से चीख भी निकल गई। मै: यहाँ क्या कर रही हो? मीनू: कुछ नही। इतना बोल वो नीचे चली गई। मै समझ गया कि वो इतनी देर यहीं थी। सुबह बहुत देर बाद वो मुझे मेरा मोबाइल दी तब बन्द हो गया था। अगली सुबह से मीनू का अंदाज कुछ बदला हुआ था पहले हमारे बीच कम ही मजाक मस्ती होती थी लेकिन अब वो कुछ ज्यादा ही मजाक मस्ती करने लगी थीं मै दो तीन दिन बाद अपने घर आने वाला था लेकिन ससुराल वालों ने रोक रोक कर 12 दिन लगा दिए कभी मीनू मेरे कपड़े छुपा देती कभी बैग तो कभी जूता। इन 12 दिनो मे मेरे और मीनू के बीच बातें काफी बढ़ गई थीं। वो मेरे से काफी बातें किया करती और अगर जब कमरे मे कभी सिर्फ हम दोनो होते तो धीरे धीरे बोलने लगती जैसे कोई सुन ना ले। एक शाम मै अपना मोबाइल ढूंढ रहा था गुड्डी से पूछा तो उसने कहा कि उसने भी नही देखा। मै छत पर टहल रहा था तो देखा कि एक गिलहरी का बच्चा बगल वाली छत पर है और वो दीवाल पर चढ़ नही पा रहा था। वो छत गुड्डी के चाचा का था जो शहर मे रहते थे और उनका घर बन्द रहता था। छत दोनो का सटा हुआ ही था सिर्फ एक 3फीट की दीवाल थी। मै दीवाल लांघ उस तरफ गया और गिलहरी के बच्चे को उठा दीवाल पर रख दिया। उधर मेरे कानों मे एक आवाज आ रही थी हल्की हल्की मै सीढ़ी के तरफ गया जो ऊपर से खुला हुआ ही था। सीढ़ी पर मैने देखा कि मीनू आराम से बैठ मेरे मोबाइल मे ब्लू फिल्म देख रही थी मै उसे डिस्टर्ब नही करना चाहता था लेकिन उसकी नजर मेरे पर पर गई क्यूंकि मै ठीक उसके सामने छत पर था। उसने मोबाइल जल्दी से बन्द किया और नजर नीचे कर ली। मै वापस बिना कुछ उसे बोले दूसरे छत से नीचे आ गया थोड़ी देर जब वो नही आई तो मै वापस गया वो वहीं सीढ़ी पर बैठी थी, सर नीचे कर। मै: क्या हुआ चलो उस तरफ। वो कुछ नही बोली। मै उसके पास बैठ गया और उसके कमर मे हाथ डाल उठाया। वो शरमाते हुए दीवाल की तरफ देख रही थी। मै: अच्छा तो तू शर्माती भी है। वो कुछ नही बोली। मै: चल अब अंधेरा होने वाला है। और मै किसी को कुछ नही कहूंगा। मीनू: दीदी को भी नही बताइएगा। मै: नही बताऊंगा चल अब। वो उठती है और हम छत पर आ जाते हैं। मै: सारी देख ली क्या? मै उसे छेड़ते हुए पूछा। मीनू: भक्क चलो आप पहले। हम दीवाल लांघ इस तरफ आते हैं। उसके बाद से हम दोनो थोड़ी नॉटी बातें कर लिया करते थे। मुझे समझ आ गया था कि मीनू को गन्दी बातें सुनना पसंद है उसे अच्छा लगता है क्यूंकि वो पहले भी छुप कर मेरी और गुड्डी की बातें सुना करती थी। हमारा मजाक अब गाल पर चूमने और कभी मम्मे और गान्ड कपड़े के ऊपर से छू लेने तक पहुंच गया था। एक दिन जब मै उसे अपनी कार से बाजार ले जा रहा था जो कि 15 km दूर था तो मै उससे पूछ ही लिया कि सच बता उस रात तू सीढ़ी पर ही बैठी थी ना। मीनू: हां! मै: क्या कर रही थी। मीनू: पहले आप बताओ आप क्या कर रहे थे। मै: मै तो सो रहा था। मीनू: अच्छा जी? मै: हां जी! मीनू: तो मै भी बैठी थी। मै: बैठ कर तू हमे देख रही थी। मीनू: आप जब कुछ कर ही नहीं रहे थे तो आपको देखूंगी क्यूं। अब हम बाजार पहुंच गए जो एक शहर था मै वहां कभी गया नही था तो वो मुझे एक सिनेमा हॉल मे ले गई। जहां हम मूवी देखने लगे। उसमे एक किसिंग सीन आया तो वो मेरी ओर देख शरमा रही थी मै उसका चेहरा पकड़ा और उसके लिप पर किस कर दिया। पांच सेकेंड चूसा था बस। वो मुझे मजाक मे मारने लगी। मेरे बाजू पर काटने लगी चूटी। थोड़ी झगड़ी भी थोड़ी नाराज भी हुई फिर इंटरवल तक मैने उसे मना लिया। इन्टरवल मे मै जा दो पॉपकॉर्न और दो कोल्ड ड्रिंक लाया दो स्ट्रा था जिसमे से एक मैने फेंक दिया। मीनू: एक ही स्ट्रा लाए। मै: हां। मीनू: तेज बन रहे हैं। मीनू होंठ लगा ही कोलड्रिंक पी क्योंकि मै स्ट्रा से पी रहा था। उससे पूरी कोलड्रिंक खत्म नही हुई तो मै पीने लगा वो छिन रही थी लेकिन मै ले होंठ लगा पी गया। मूवी देख हमने कुछ शॉपिंग की एक रेस्टोरेंट मे हम गए कुछ खाना खाया। रेस्टोरेंट एक केबिन टाईप था जो पर्दा लगा हुआ था । वहां उसने आइने मे देखा तो मेरे उसके होंठ चूसने की वजह से लिपिस्टिक खराब हो गई थी। मीनू:(मुझे मारते हुए) लिपिस्टिक खराब कर दिए मेरा। ऐसे ही पूरा बाजार घूम ली मै। मै उसे अपने जेब से एक लिपिस्टिक निकाल कर दिया जो मै कुछ देर पहले उससे छुपकर खरीदा था। मै: लो लगा लो। मीनू: अब दे रहे हैं, पहले नही दे सकते थे। वो लिपिस्टिक लगाई। उसके बाद हम पूरे रास्ते मजाक मस्ती करते घर आए। अब दो महीने बाद गुड्डी की चचेरी बहन की शादी थी तो मै ससुराल मे था । शादी मे बहुत सारे मेहमान आए हुए थे। मुझे तो इतना परेशान किया मेरे साले साली ने की पूछो मत। कभी मै सो कर उठूं तो मेरा पैर रंगा हुआ कभी हाथ रंगा हुआ कभी लिपिस्टिक लगा हुआ कभी रंग से मुंह रंगा हुआ होता। मटकोर वाले दिन तो औरतों ने मुझे इतनी गाली दी कि पूछो मत। शादी की रश्म एक दिन गैप करके थी तो एक शाम तो सबने पकड़ कर मुझे साड़ी पहना दिया। क्यूंकि मै क्लीन शेव ही रहता हूं। साड़ी पहना एक ब्रा मे दो गेंदे डाल मेरे मम्मे बने थे और ब्लाउज पहना हुआ था। मै भी खूब नाचा साड़ी मे। सारे आके मेरे मम्मे दबा रहे थे साले सालियां और भाभियां मैने भी एक दो साली की दबा दी थी मौका देख जिसमे मीनू नही थी। लिपिस्टिक लगा मेरा पूरा गाल रंग दी थी। मै भी जिसको पकड़ लेता उसको अपने गाल से गाल सटा रगड़ देता लिपिस्टिक। एक दो साले जो 14 15 साल के थे बे तो बार बार आकर चूंची ही दबा रहे थे बहिनचोद,मै उनको पकड़ कर अपने पेटीकोट मे घुसा लिया , मीनू को भी एक बार घुसा लिया। लगभग 3 बजे तक नाचते रहे थे सब। मेरी हालत खराब हो गई थी। मै सोया तो सीधे 1 बजे उठा वो भी तब जब गुड्डी उठाने आई। वो पहले भी आई थी लेकिन मै बहुत थका था तो उठा नही। मै उनके पूरे कुनबे मे इकलौता दामाद था । मै खाना खा कमरे मे लेट गया तो वापस नींद आ गई। कुछ देर मे मीनू जगाने आई। मीनू: चलिए तैयार हो जाइए आम महुआ जाना है। मै:(लेट हुए ही बोला) मै नही जाऊंगा, बहुत थक गया हूं। मीनू: अरे आपका रश्म है जनाब। मै: किसी और से करवा लो। मीनू: बहनोई को करना होता है चलिए। वो मुझे हाथ खींच उठाती है। मै बेड पर बैठा था पैर नीचे कर। मै: बहुत थकान लग रही है, रहने दो ना। मीनू: सारी थकान आपकी दूर कर देती हूं। वो लहंगे चोली मे थी लाल रंग की एक दम बॉम्ब लग रही थी तैयार हो कर। वो मेरे सामने खड़ी हो गई और मेरे माथे पर सहलाने लगी। उसके मम्मे मेरे मुंह के सामने थे मै उसकी पतली चिकनी कमर को पकड़ा और उसे गोद मे बैठा लिया वो भी बैठ गई। मीनू: चलिए ना अब तैयार होइए। वो एक हाथ मेरे गले मे डाल दी। मै उसके लाल होंठों को देख रहा था। मै: चलूंगा तो मुझे क्या मिलेगा। मै ललचाई नजरों से उसके होंठ को देख रहा था। मीनू: आज अगर लिपिस्टिक खराब की ना आप ने तो देखना आप, क्या करती हूं मै आप के साथ। मै: तो और कुछ कर लूं। मीनू: नही चलो तैयार हो जाओ पहले। वो मुझे जबरदस्ती हाथ पकड़ उठाती है। मै नहा कर निकला तो मीनू मेरे कपड़े ला कर दी मै पहन वापस लेट गया था। मीनू: गजब आदमी हो तुम यार, फिर लेट गए। मै: कुछ दोगी तो ही चलूंगा। मीनू:मुझे बेड से खींच बैठाती है और बालों मे कंघी करती है। मै उसे वापस गोद मे बिठा लेता हूं। और उसके होंठों की ओर ललचाई नजरों से देखने लगता हूं। मीनू: ठीक है लिपिस्टिक खराब नही होनी चाहिए। वो सोची मै गाल पर किस करूंगा, पर मै उसकी दाहिनी चूची को ब्लाउज और ब्रा ऊपर कर नंगा किया और सीधा मुंह लगा दिया वो मेरे बाल खींचने लगी। उसके निप्पल एक दम पिंक थे और मसूर के दाने से थोड़े ही बड़े थे मम्मे तो एकदम इतने सॉफ्ट की रुई जैसे पूरे मेरे हाथ मे आराम से आ जा रहे थे। एक मिनट मै उसके निप्पल चूसता रहा वो सिसक उठी। जब मै उसे छोड़ा तो वो जल्दी से उठ चोली नीचे कर कमरे से बाहर निकल गई और तुरन्त ही वापस आ गई और मेरे गाल पर किस कर जाती हुई बोली। मीनू: जल्दी बाहर आओ अब। मै भी अब आईना देखा और गाल पर हल्के लिपिस्टिक के लाली को साफ कर बाहर आया। अब चाचा के घर गया वहां से आम महुआ के लिए गया दुल्हन को गोद उठा रस्में की और वापस घर आ गया । घर पर कोई था नही सिर्फ गुड्डी थी जो मेरे साथ ही आम महुआ से आई थी वो थोड़ी थक गई थी और उसका कमर भी हल्का दर्द कर रहा था तो वो लेट गई और मै उसकी कमर दबाने लगा और पैर भी। कुछ देर मे मीनू भी आ जाती है और मुझे अपनी बहन को पैर दबाते हुए देखती है। बारात आने मे अभी बहुत टाईम था तो हम तीनो वहीं पर बैठ थोड़ी बातें करते हैं। अब शादी खत्म होती है आराम से सुबह बाराती विदाई होनी थी तो पता चला कि जिस बस से बारात आई थी वो मेरा ही था ड्राइवर मुझे सुबह देखा तो पहचान गया। मै भी बस के पास गया क्योंकि बस थोड़ी दूर ही रह गई थी गांव से क्योंकि सड़क नही थी तो। बस मेरा ही था और वो भी नया वाला जो अभी 3 महीने पहिले ही खरीदाया था। अब बारात विदा हो गई तो सब अब कहीं घुमाने को कहने लगे थे बस से कि बस बुलाइए कहीं सब घूम कर आते हैं। शादी मे गुड्डी की मौसी ममता भी आई थी और अर्चना भी आई थी वो भी कह रही थीं और भी साले सालियां कह रही थीं मीनू भी कह रही थी चलो। कुछ देर मे सबने डिसाइड भी कर लिया कि नेपाल चलते हैं। मैने कह दिया ठीक है आप लोग जाओ मै बस मंगा देता हूं। लेकिन सब कहने लगी कि आप भी चलो। अब शाम को मै छत पर था अकेले, अर्चना और ममता जी आई और मुझे कहने लगी कि तुम भी चलो तो मै कहा कि मै चलूंगा लेकिन एक शर्त पर कुछ इंतजाम करना होगा। ममता: अच्छा ठीक है मौका मिलेगा तो कर लेना। मै: ऐसे नही एक दो की दिलानी पड़ेगी 7 महीने से भूखा हूं। ममता: धत् मै कैसे दिलाऊंगी पागल। मै तो ठीक है आप लोग जाओ मै नही जाऊंगा। थोड़ी देर मे कह देती हैं कि ठीक है मै कोशिश करूंगी। अब अगले दिन सब तैयारी मे लग गए थे मै अब भी सबको नही जाने का बोल रखा था क्योंकि गुड्डी नही जा सकती थी। दोपहर मे सब आराम कर रहे थे मै भी एक कमरे मे था मीनू मुझे चलने के लिए मनाने लगी। वो मेरे कपड़े प्रेस कर रही थी। मीनू: चलिए ना आप भी, आपके बिना मन नही लगेगा। मै: तेरी दीदी के बिना मुझे मन नही लगेगा। मीनू: ओहो बहाना मत बनाइए। मै: अच्छा चलूंगा तो मुझे कुछ मिलेगा या सूखे सूखे। मीनू: ज्यादा बनिए मत नही तो यहीं आयरन सटा दूंगी। वो मेरी तरफ आयरन करती है मेरे हाथ कि ओर उसे लगा मै हटा लूंगा और मुझे लगा सटाएगी थोड़ी। इसी चक्कर मे मेरे ऊंगली से आयरन लग गया। उसने झट से मेरी ऊंगली अपने मुंह मे डाल ली। मै दो ऊंगली डाल उसकी जीभ पकड़ लिया। वो छुड़ाई मै उसके थूक से सनी अपनी ऊंगली चाट लिया। मीनू: छी गन्दे। थूक चाट लिए वो भी मेरा। मै: तेरा तो सिर्फ थूक चाटा हूँ तेरी दीदी का क्या क्या चाटा हूँ तुझे बताऊंगा ना तो तू हिल जायेगी। मीनू: मत बताओ मै देखी हूं। मै: कब देखी तूने। मीनू: ऐ सब बातें छोड़ो मै कपड़ा पैक कर रही हूं आपका आप चल रहे हो। मै:(उसकी कमर से उसको पकड़ लिया) कुछ देने का वादा करोगी तो चलूंगा। वो मेरे पीठ पर धम धम मारती है। मीनू: इतने बदमाश हो ना आप कि क्या कहूं मै। कुछ देर मनाने पर वो हां कह देती है। मीनू: अब छोड़ो कोई आ जायेगा। मै: आज तो लिपिस्टिक खराब होने वाला नही है तो आज कुछ? मीनू: ज्यादा लालची मत बनो। मै: समझ गया तू नेपाल जाने के बाद भी धोखा देगी जा मै नही जा रहा, यहां किस नही दे रही तो उधर क्या देगी। मीनू जबरदस्ती मुझसे छुटती है और कमरे से बाहर जाती है थोड़ी देर मे वापस आ मेरे होंठ पर चूम भाग जाती है। अब अगले दिन हम निकलने वाले थे मै बस बुला लिया था। अब जाने वालों मे मेरे सास ससुर तो नही जा पा रहे थे गुड्डी की वजह से। चाचा भी नही जा रहे थे। मीनू, उसका भाई, उसका दो तीन चचेरे भाई बहन एक दो आस पास की भाभी, चाची, गुड्डी की बुआ की लड़की और उसके बच्चे ममता और उनके बच्चे अर्चना जी और उनके बच्चे। कुल मिलाकर 21,22 लोग ही थे। खाने का इंतजाम भी खुद ही बनाने का था तो गैस बर्तन आटा , चावल दाल, रिफाइन सब ले लिए थे और घर से पहले ही बहुत कुछ बना हुआ भी था जैसे लिट्टी नीमकी ठेकुआ। अब सब आगे की ओर बैठे पीछे सीट पर सामान रख दिया था। पीछे से दो तीन लाइन खाली थी जिसमें सामान रखा था मैने सबसे पीछे लम्बा बाला सीट खाली कर सामान आगे ही रख दिया ताकि पीछे सो सकूं। कुछ देर हमने आगे बैठ मस्ती किया फिर सब थोड़ा आराम करने लगे। मै पीछे वाली सीट पर आकर लेट गया। कुछ देर मे अर्चना जी आई अपने बच्चे को लेकर दूध पिलाने और मुझे उठा खुद लेट गई। मै खिड़की साईड हो गया वो धीरे धीरे लेट गई मेरे तरफ उनका सर था और उनका बेबी दूध पी रहा था। मै उनके एक मम्मे को हाथ से सहलाने लगा। कुछ देर मे उनका बेबी सो गया तो उन्होंने उसे साईड मे सुला दिया अब ममता भी आ गई तो वो उठ कर बैठ गई। ममता: क्या शुरू हो गए तुम दोनो। अर्चना: अरे नही अभी कहां। मै अर्चना को पीछे से पकड़ बैठा था और उनके बोबे सहला रहा था जिससे हल्का दूध भी बाहर आ रहा था। अब मै उनका चेहरा अपनी ओर कर उनके होंठ चूसने लगा हम दोनो सीट से छुपे थे और ममता लाईन के सामने बैठी थीं। अर्चना: अभी नही कोई आ जाएगा। ममता: करना है तो कर लो सारे सो ही गए हैं लगभग, और मै तो यहां हूं ही कोई उठेगा तो बता दूंगी। मै अर्चना को ममता की ओर झुकता हूं और उसकी गांड़ दबाता हूं और साड़ी ऊपर कर पैन्टी सरका बुर सहलाता हूं और अपना ट्राउजर नीचे कर कड़क लण्ड उनकी चूत मे डाल देता हूं। धीरे धीरे मै उनको चोदने लगा था। वैसे ही और ममता को भी वैसे ही चोदा दोनो को चोद कर मै दो बार झड़ गया। हम वहीं बैठे रहे। मै: कुछ इंतजाम की। ममता: मै जा रही हूं अब। मै उनका हाथ पकड़ बैठा लिया। अर्चना: हां एक है जो बहुत दिन से सेक्स नही की है। वो मुझे गुड्डी की बुआ की बेटी के बारे मे कहती है जो अर्चना कि जेठानी थीं और उसका पति बाहर रहता है।। अर्चना ने बताया कि वो एक साल से सेक्स नही की है ऐसा उसने ही अर्चना को बताया था जब वो ससुराल मे थीं तो। मै: तो ठीक है जाओ उन्हे बुलाकर लाओ। अर्चना: पागल हो क्या, तुम खुद ट्राई करो। मै: पिटवाने का इरादा है क्या?. अर्चना: अरे नही होगा कुछ, मैने उन्हे शादी मे आने से पहले ही बोल दिया था कि शादी मे अगर कोई ट्राय मारे तो मना मत करना। मै अब आगे जा बैठता हूं अर्चना ने मुझे उसके बगल वाली सीट पर ही बैठा दिया। मै थोड़ा उनके हाथ से हाथ सटता हूं थोड़ा हाथ पकड़ता भी हूं। वो थोड़ा मेरी ओर देख मुस्कुराती है। कुछ देर बाद हम एक जगह दोपहर का खाना खाने के लिए रुके और घर से लाई लिट्टी घुघनी खाई। सब बस से बाहर थे तो मैने उससे थोड़ी बात भी करी। अब रात होते होते उसे सेट कर लिया रात मे खाना खा हम एक जगह रुके धर्मशाला मे। रात मे मै और बुआ की बेटी बस मे आ गए थे चुपके से और पीछे वाली सीट पर लेटा कर उसे उस रात चार बार चोदा। अब दो दिन बाद हम वापस आ गए उन दिनो मे मै मीनू से शायद मिला भी नही था अर्चना और मै तो आते समय सारा समय साथ बैठे थे और मै उसके गांड़ दबाता कभी बुर कभी लण्ङ बुर मे डालता जब कोई सीट पर से उठ गलियारे मे आता तो हम अपने आप को सही कर लेते। अब घर आए तो सारे रिश्तेदार चले गए थे। बस के ड्राइवर को कुछ रिश्तेदारी मे इमरजेंसी थी तो वो बस मेरे ससुराल मे ही लगा कर चला गया था क्योंकि उसे एक दिन का ही काम था और उसका गांव भी उधर ही था। बस अन्दर से गन्दी हो गई थी तो मीनू के पापा ने मीनू से कहा कि जा झाड़ू मार देना। वो झाड़ू ले घर से निकली मै भी उसके पीछे हो लिया। वो मुझसे बात नही कर रही थी जब से नेपाल से आई थी। मुझे लगा मैने बस मे उससे बात नही करी इसलिए नाराज है। मैने बस का गेट खोला वो आगे गई मै उसके पीछे गया वो बस के पीछे के हिस्से से झाड़ू मारने लगी मै उसे पीछे से पकड़ लिया। मै: क्या बात है नाराज हो मुझसे? उसने मुझसे कस कर झुंझलाते हुए मुझसे खुद को छुड़ाया । मै: इतनी नाराज हो क्या हुआ? मीनू: बात मत करिए मुझसे। मै: क्यों? मीनू: बहुत गंदे आदमी हो आप, बस मे देखी मै आपको। मै सोचा क्या देख लिया इसने कहीं इसने मुझे किसी की चुदाई करते तो नही देख लिया। मै: क्यों, ऐसा क्या कर रहा था मै बस मे। मीनू: आप सब पर लाइन मार रहे थे और क्या कितने गन्दे हो आप ,। मै: सिर्फ लाईन मारते देखा तुमने। मीनू: सबके बहुत हाथ भी पकड़ रहे थे, मेरे से एक मिनट भी बात नही किए। मै: अच्छा सॉरी बोलता हूं माफ कर दे। मीनू: नही मुझसे अब कभी बात मत करिएगा। वो जल्दी जल्दी झाड़ू मार चली गई। अब दो दिन हो गए थे मीनू मुझसे बिल्कुल भी बात नही कर रही थी मेरी ओर देख भी नही रही थी। अगले दिन मै बाजार जाने वाला था गुड्डी के लिए कुछ सामान लाने। शाम को मै छत पर था अंधेरा हो गया था मीनू छत पर आई और वो दूसरी तरफ जा रही थी मै सीढ़ी की ओर आते हुए उसे बोला कि मुझे उसे कुछ बातें बतानी है जो मैने कभी उसकी दीदी को भी नही बताई है। इतना बोल मै नीचे आ गया। अब सुबह बाजार जाने के लिए निकला तो गुड्डी बोली कि मीनू भी जायेगी, उसे भी लेते जाओ। हम दोनो गाड़ी से निकले और दोनो कुछ भी नही बोल रहे थे। मीनू: क्या बात बतानी थी। मै: मीनू, कोई लड़की मुझसे नाराज हो जाती है ना तो मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगता है। मीनू: यहीं बात थी। मै: नही और भी है। मै: मुझे ना तुमसे प्यार हो गया है। मीनू: बकवास बंद करिए,। मै: सुनो तो पहले, मै जिससे प्यार करता हूं ना उससे कुछ भी नही छुपाता, जैसे तुम्हारी दीदी से मै कुछ भी नही छुपाया हूं। मीनू: ये भी बताए हैं उसे कि आप हर लड़की औरत सब पर लाईन मारते हैं। मै: बीच मे मत बोलो सुनो पहले पूरी बात, मेरे ना बहुत से लड़कियों और महिलाओं से सम्बन्ध हैं और शादी से पहले से हैं और तुम्हारी दीदी को सब पता है। वो मुझे मारती है बाजू पर। मै: क्या कर रही हो एक्सीडेंट हो जाएगा। मीनू: तो गाड़ी रोक दो। मै साईड मे गाड़ी रोक दिया। मै: सुन ना मार मत यार, मै जिससे प्यार करता हूं उससे कुछ छुपाता नहीं हूं। मुझे जो कहना था मै कह दिया। मीनू:( थोड़ी देर चुप रही) सच कह रहे हो? मै: हां। मीनू: किसके किसके साथ है सम्बन्ध, मुझे सब बताओ। मै: ठीक है बताता हूं, देख मुझे गलत मत समझना मेरा ना जब किसी से रिलेशन हो जाता है तो फिर टूट नही पाता वो लड़की या महिला मेरे से हमेशा रिलेशन रखना चाहती है और मुझसे किसी का दिल दुखाया जाता नही तो। मीनू: ज्यादा फेंको मत बताओ। मै: एक तो हो गई अर्चना भाभी, मेरी भाभी, तेरी बुआ की बहन और पहले कुछ गर्लफ्रेंड्स तो नही थी बस कैजुअल दोस्त थीं। और तेरी ममता मौसी से भी मेरा..... वो मुझे बांह पर मारती है और गुस्सा होती है। मीनू: छी कितने गन्दे हो आप! मै: देख मै तो मेरे दिल मे जो था वो बता दिया और ऐसा नही है कि मै तेरी दीदी को नही बताया हूं मै उसे पहली रात को ही बता दिया था और उससे कहा भी था कि अगर उसे पसन्द नही तो मै बन्द कर दूंगा पर उसने कहा रहने दो। मीनू: दीदी भोली भाली है मै नही। मै: ठीक है मुझे इतना ही कहना था बाकि तुम्हारी मर्जी मुझसे नाराज रहो या ना रहो। मै गाड़ी आगे बढ़ाता हूं। कुछ देर दोनो चुप रहे। मीनू: बन्द कर दो ये सब? मै: क्या? मीनू: क्या, क्या वहीं सब करना और क्या? मै: ठीक है अब किसी के साथ सेक्स नही करुंगा तेरी दीदी के साथ भी नही। मीनू:(मुझे मारते हुए) दीदी के साथ करना! मै: और? मीनू: और क्या और। अब हम बाजार मे थोड़ी शॉपिंग करते हैं और वापस घर आने लगते हैं तो फिर हम एक जगह गाड़ी रोक खूब सारी बातें करते हैं। मीनू पूछी तो मै उसे एक दो के साथ चुदाई की बातें भी बताया। उसके बाद घर आ गए दो दिन मै और रुका था तो मीनू धीरे धीरे मुझसे सबकी चुदाई की बातें पूछ ली थी। अब एक महीने बाद मीनू का ग्रेजुएशन का एग्जाम था पटना मे। उसका घर पटना से काफी दूर था और ऊपर से बरसात का मौसम तो मुझे कहा गया कि मै साथ जा पटना मे रह एग्जाम दिला दूं। अब एग्जाम से दो दिन पहले मै मीनू को लेकर पटना आ गया हमने पहले रेंट के लिए कमरा देखा जो उसे पसन्द नही आया। अब मेरा घर भी पटना मे बन रहा था तो मै उसे दिखाने के लिए ले गया। जो थोड़ा खेतों के साईड था और अभी लिंटल लेवल तक बना था बरसात के कारण काम बन्द था और नीचे मिट्टी फिलिंग हो रखा था। वापस आ हमने थोड़ी मुश्किल से एक कमरा लिया और रात भर रहे लेकिन मीनू को वो पसन्द नही आ रहा था तो हम अगले दिन भी वो रुम छोड़ दूसरी जगह रुम खोजने गए। फिर मीनू ने कहा कि इन सब से अच्छा तो वहीं अपना घर ही था। मै वापस अपने नए बन रहे घर पर गए। मै: चारों तरफ खुला है इसमें कैसे रहेंगे। मीनू: ये रुम है ना गेट भी है और ऊपर से करकट भी है। मै: ये सामान रखने के लिए बना है इसमें समान भरा होगा। मीनू: नही होगा सामान पहले खोल कर देखते हैं ना। मै चाभी के लिए ठेकेदार को फोन लगाने लगा तब तक मीनू ने एक ईंट उठा ताला तोड़ दिया। अन्दर कुछ ज्यादा सामान नही था बस प्लाई थे शटरिंग वाले। मै: कितना गन्दा है इधर सोएंगे कैसे? मीनू: रुको ना मै करती हूं कुछ। उसने पहले कुछ सफाई की मैने भी मदद की फिर उसने और मैने मिलकर ईंटों को लगाकर उसपर पटरे और प्लाई बिछा बेड जैसा बना दिया बिस्तर हम घर से लाए थे जो बिछा दिया बिजली का कनेक्शन पहले से लगा हुआ ही था बस बाजार जा एक स्टैंड फैन लिए और कुछ खाने पीने और रसोई का सामान ली। छोटा गैस सिलेण्डर घर से लाए थे और कुछ बर्तन भी जो गाड़ी मे था सब कुछ करते शाम हो गई और हम गन्दे भी हो गए थे तो वहीं पर चापकल से मै बाल्टी मे पानी ला उसे एक कमरे मे दिया वो नहा ली मै चापकल पर ही नहा लिया। आज खाना हम बाहर ही खा कर आ गए। आकर हम दोनो बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे। दोनो पीठ के बल लेटे थे। मै: तू ना हाऊस वाइफ बढ़िया बनेगी। कबाड़ जैसे जगह को रहने लायक बना दिया। मीनू: हां, हां उड़ा लो मजाक। मै: नही, सही मे तू बहुत अच्छी हाउसवाइफ बनेगी। तेरी मौसी ने ना मेरे से धोखा कर दिया नही तो मै ना तेरे से ही शादी करता। मीनू: धत्, दीदी क्या अच्छी हाउस वाइफ नही है उसे क्या घर का काम नही आता? मै: अच्छी है तेरी दीदी भी अच्छी है कम से कम मेरी भाभी से तो अच्छी ही है। उनसे ना उनका बेबी नही संभाला जाता कई बार तो गिरा चुकी हैं। इतनी लापरवाह है वो। मीनू: बच्चा संभालना आसान काम नही है वो भी जब घर मे अकेले हो। मै: तुझे चलना होगा जब मेरा बेबी होगा। मीनू: ठीक है। मीनू: वैसे दीदी वाइफ कैसी है। मै: वाइफ भी बहुत अच्छी है मुझे आज तक किसी काम के लिए नही टोका उसने। कुछ देर हमने और बात करी और सो गए। अब रात को मीनू को सूसू लगी तो उसने मुझे उठाया मै उसके साथ गया बाहर । मै:जाओ उधर कर लो कहीं! बाहर बिल्कुल अंधेरा था हम बिल्कुल बाहर नही थे बस जो कमरा था उससे बाहर थे बाहर जो घर की बाउंड्री थोड़ी सी ही बनी थी वहीं पर। मीनू: मुझे डर लग रहा है आप भी चलो। मै उसके साथ गया अंधेरा काफी घना था वो मेरे से दो कदम दूर ही बैठ सूसू करी और हम वापस कमरे मे आ गए। मै: सुबह खुले खेत मे ही जाना होगा फ्रेश होने। बाथरुम तो है नही अभी। मीनू: ठीक है सुबह होने से पहले उठा दीजियेगा। मै: ठीक है। मै सुबह 4 बजे उसे उठाया और बाल्टी मे पानी ले उसे जाने बोला। मीनू: मै अकेले नही जाऊंगी, आप भी चलो। मै पानी ले घर से दो खेत दूर गया। मै: लो जाओ अब। मीनू: आप यहीं रहना कहीं जाना मत। मै उससे थोड़ा दूर हट खड़ा होने लगा। मीनू: कहां जा रहे हो आप भी कर लो। मै: पहले तुम कर लो मै बाद मे कर लूंगा। मीनू: मै घर मे अकेली नही रहूंगी। उसने कहा तो मै भी बैठ गया। मीनू: ज्यादा दूर मत जाओ। हम दोनो दस फीट की दूरी पर शौच कर रहे थे। बाल्टी उसके पास थी वो मग्गे से धोने लगती है। मै: कहो तो मै धूल दूं। मै हँसते हुए बोला। वो मेरी तरफ एक मिट्टी का ढेला फेंकती है। वो धूल कर बाल्टी ला मेरे पास रखती है और दो कदम दूर खड़ी होती है। हम अब वापस आ चापाकल पर ब्रश कर कमरे मे जाते हैं। 10 बजे से उसका एग्जाम था तो वो थोड़ा पढ़ती है। मै कुछ देर आराम कर बाहर आता हूं तब सुबह हो गई थी। मै दूसरे कमरे मे गया जहां किचेन का स्लैब था और खाना बनाने लगा। वो बीच मे उठ कर आई तो मै बोला कि तुम जाओ मै खाना बना लूंगा। उसके बाद हम नहा खा कर एग्जाम के लिए निकल गए। अगले दिन भी एग्जाम था तो सेम रूटीन चला उसके अगले दिन दो दिन का गैप था। जिस शाम हम दूसरा एग्जाम देकर आए उस रात हम खाना खा कर सोने जा ही रहे थे कि बारिश होने लगी हमने जो खुले किचेन मे गैस सिलेण्डर रखा था वो अन्दर कमरे मे लाए और बेड पर लेट गए। लाइट चली गई तो हमने इमरजेंसी लाइट जलाई। बारिश तेज हो गई थी और बिजली भी कड़क रही थी। मै दीवाल के साईड लेटा था जिसके ऊपर खिड़की के लिए जगह छोड़ी थी खिड़की तो लगा था नही तो ईंट ही रखा हुआ था जिससे हल्का हल्का पानी आने लगा था बेड पर। मीनू: थोड़ा इधर आ जाइए। बेड पर जगह बहुत कम बची थी। मै: लगता है आज की रात जाग कर ही काटनी पड़ेगी। मीनू: हो जाएंगे एडजस्ट, आप इधर आ जाओ थोड़ा। मै: तुम गिर जाओगी। मीनू: तो मै उधर चली जाती हूं। अब वो दीवाल साईड आ गई थी और मै दूसरी साईड हमारे एक चौथाई बिस्तर तक हल्की पानी की फुहार पड़ रही थी। मै: अब तुम कैसे सोओगी। मीनू: मै सो जाऊंगी ना। मै: एक काम करो तुम सो जाओ मै थोड़ी देर बैठता हूं। मीनू: आप लेटे रहो। मै लेटा था पीठ के बल वो दाई करवट लेट मेरी बाई बाजू पर सर रख लेट गई। मै: ऐसे सोएंगे। मीनू: हां वो थोड़ा और सर उठा कन्धे पर रख दी। हम थोड़ी देर वैसे ही रहे मै कुछ नही बोल रहा था। मीनू: जीजू आप पहले जैसे नही रहे बहुत बदल गए हो। मै: क्यूं। मीनू: देख रही हूं। कुछ देर हम वैसे ही रहे फिर उसे सूसू करना था। मीनू: जीजू मुझे सूसू लगा है। मै: बारिश हो रही है छाता भी नही है। भीग जाओगी थोड़ी देर रुक सकती हो क्या। मीनू: जोर की लगी है। मै: ठीक है चलो। मै उसे कमरे के बाहर ही करने को कहता हूं क्योंकि बारिश हो रही थी। वो दरवाजे से बाहर निकल थोड़ी आगे जा सूसू करने लगी मै भी पास ही था जिसमे हम दोनो भीग गए। अब कमरे के अन्दर आ वो पजामे की डोरी बांधने लगी। हम दोनो ही पूरी तरह भीग गए थे। मै: भीग गया है चेंज कर लो नही तो बिस्तर गिला हो जाएगा। मीनू: आप भी भीग गए। मै: मेरा सिर्फ टी शर्ट भीगा है पेंट ठीक है। मीनू: टी शर्ट उतार दीजिए। मै टी शर्ट उतार बेड पर लेट गया। वो टॉवेल लपेट पहले पजामा उतारी फिर शूट उतारने लगी लेकिन भीगी होने की वजह से निकल नही रही थी तो वो मुझसे बोली निकालने को मै मदद किया अब वो ऊपर सिर्फ ब्रा और उसके ऊपर एक टेप मे थी। जो कम भीगा था। वो नीचे एक पजामा पहनती है। मै: शूट पहन लो दूसरा। मीनू: नही ऐसे ही ठीक है आप भी मत पहनो गर्मी भी कम लगेगी। अब हम वैसे ही लेट गए थे वो मेरे कन्धे पर सर रखी थी और हाथ से मेरे सीने के बाल मे उंगलियां घूमा रही थी। उसके मुलायम मम्मे मेरे नीचे सीने के साईड से लगे हुए थे। मीनू: जीजू आपको याद है नेपाल जाने के पहले आपने कुछ मांगा था। और मैने वादा किया था देने का। मै: नही मुझे याद नही है। मीनू: झूठे, सब समझती हूं मै। मै: क्या समझती हो। मीनू: छोड़ो वो सब बात, आपने अपना वादा निभाया है तो मुझे भी अब निभाना होगा। मै: कैसा वादा। मीनू: सता रहे हो मुझे। मै: मै क्यों सताऊंगा तुम्हें। मीनू: ठीक है सता लो तुम्हारा ही घाटा है। कुछ देर मे हमे नींद आ जाती है बारिश भी बन्द हो गई थी अब 3 बजे मै उठाता हूं हम बाहर जा फ्रेश होते हैं हल्की बूंदा बांदी अभी भी हो रही थी तो हम भीग जाते हैं तो फ्रेश होने के साथ हम ब्रश भी कर लेते हैं और कमरे मे आते हैं। बारिश भी तेज होने लगी थी। उसका टेप भींग उसके मम्मे से चिपक जाता है। वो उतारती है उसे मै अपना टॉवेल ले पेंट उतार दूसरा पेंट और टी शर्ट पहन लेता हूं। वो पहले टॉवेल लपेट पजामा और पैंटी उतारती है। और दूसरी पैंटी पहनने लगती है कमरे मे अंधेरा था लगभग इमरजेंसी लाइट डाउन हो हल्का उजाला कर रही थी तभी लाइट आ जाती है और हड़बड़ी मे मीनू की टॉवेल नीचे गिर जाती है मुझे उसके पूरे चूतड दिखती है मै दूसरी ओर मुंह कर लेता हूं। कुछ देर मे मीनू नीचे एक पजामा पहन चुकी थी और ऊपर सिर्फ गीली ब्रा मे थी। मीनू: जीजू सुनो इधर। मै उठ कर बैठा। मीनू: थोड़ा इसे खोल दो मेरा हाथ नही पहुंच रहा है। मै उसकी ब्रा खोल देता हूं। वो दूसरी पहन लेती है और साथ ही शूट भी। अभी चार ही बजे थे तो हम वैसे ही बैठे थे। मीनू: थोड़ा सा दूध है रुको मै कॉफी बनाती हूं। वो एक कप कॉफी बनाती है। और मुझे देती है। मै: एक ही कप बना। मीनू: हां इतना ही दूध था। मै: लाओ एक और कप हम आधा आधा पी लेंगे। मीनू: एक ही कप से पीते हैं ना। अब एक सीप मैने पी उसके बाद दूसरी उसने। मै: पहले तो तुम मेरी झूठी कोई चीज नही पीती थी। मीनू: पहले तो आप भी कितने बदमाश थे, कितनी बदमाशी किया करते थे। मै: मेरी बदमाशी तुम्हें अच्छी नही लगती थी ना तो छोड़ दी। मीनू: किसने कहा कि मुझे अच्छी नही लगती थी, बस मेरे साथ जब आप बदमाशी करते थे तो अच्छी लगती थीं दूसरों के साथ नही। मै: मेरी बदमाशी तुम्हें अच्छी लगती थी। मीनू: हां! मै: अभी करूं। मीनू:( शरमा कर) हां। हम दोनो बेड पर दीवाल से पीठ लगा बैठे थे मै उसे अपनी ओर खींचा और उसकी कमर पर सहलाने लगा उसकी पीठ मेरे सीने पर थी। मै चेहरा घुमा उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर मे वो भी स्मूच करने लगी। मै: पर तूने तो वादा लिया था कि मै तेरी दीदी के सिवा किसी के साथ बदमाशी नही कर सकता। मीनू: मेरे साथ कर सकते हो थोड़ा सा। मै: कितना थोड़ा सा, कुची कूची भी करना है। मीनू: कूची कुची मतलब:? मै उसकी बुर को छू कर बोला। मै;तेरी दीदी इसे कूची कुची कहती है। मीनू:मन होगा तो वो भी कर लेगे। अब मै उसके होंठ चूसने लगा वो भी स्मूच कर रही थी अब उसके गाल गले गर्दन सब जगह चूसा उसके कान सीने पर चूसा धीरे से मै उसका शूट उतारने लगा वो उतारने दी अब वो सिर्फ ब्रा मे थी मै उसका ब्रा नीचे सरका नीचे कर दिया उसके 30c के मम्मे मेरे सामने थे एक दम गोरे मै दोनो को चूसने लगा वो सिसक रही थी। उसके निप्पल एक दम गुलाबी और छोटी किशमिश जैसे थे मै खूब चूसा उन्हें वो मेरे बालों मे हाथ फेर रही थी। अब उसकी चिकनी पेट और नाभि को चूसा और धीरे धीरे पजामा खोल उतार दिया वो भी मेरा टी शर्ट उतार दी और मेरे सीने पर चूम रही थी। मै उसकी नंगी पतली टांगों को चूम चूस रहा था अब धीरे धीरे मै उसकी जांघ की ओर बढ़ने लगा और उसे चूसा और हल्का सा काटा भी। अब धीरे धीरे पैंटी उतार दिया उसकी चिकनी बुर मेरे सामने थी मै उसकी टांगें फैला दिया और गुलाबी गोरी बुर पर चूमने लगा वो सिसक रही थी मै जीभ से पहले उसकी बुर को गुदगुदाया वो मजे ले रही थी धीरे धीरे मै उसकी बुर चूसने लगा वो सीत्कार करने लगी और कुछ मिनटों मे ही वो झड़ गई मै सारा रस उसका पी गया। मै वापस उसे किस करने लगा और मै अपना पेंट उतार दिया हम दोनो ही नंगे हो गए थे मै उसकी दोनो टांगों को अपने कन्धे पर रखा और लण्ड उसकी बुर पर घिसने लगा। वो सिसक रही थी धीरे से किसी तरह सुपाड़ा घुसाया उसे बहुत दर्द होने लगा था लेकिन वो बर्दाश्त कर ली थी। मै वैसे ही अन्दर बाहर करता रहा चिकनाई बहुत थी तो धीरे धीरे आधा लण्ङ घुसा दिया वो अब रो गई थी उसकी आंखों मे आंसू आ गए थे मै वैसे ही उसके ऊपर लेट उसे किस करने लगा और उसे चुप कराया तो थोड़ी देर मे वो चुप हो गई तो मै धीरे धीरे चोदने लगा। कुछ देर मे उसे मजा आने लगा था तो मै थोड़ा और दबाव दे पूरा लण्ङ घुसा दिया वो दर्द से चीख उठी पर मै उसे स्मूच कर रहा था। कुछ देर मै वैसे ही रहा उसके मम्मे चूसते हुए तो वो थोड़ी शान्त हुई। मै धीरे धीरे उसे चोदने लगा कुछ देर मे उसे मजा आ रहा था वो आह उफ़ करने लगी थी। 20 मिनिट बाद मै भी झड़ने वाला था। मै: मीनू, मै आने वाला हूं। मीनू: अन्दर ही आ जाओ। मै उसके अन्दर ही झड़ गया था वो दो तीन बार पहले ही झड़ गई थी। हम बहुत देर वैसे ही रहे। कुछ देर मे उठे तो बेडशीट पर थोड़ा खून लगा था और हमारे प्यार का रस भी। वो अब शरमा रही थी हम कपड़े अपने सही कर खाना खा लिए। अब 12 दिन हमने जम कर चुदाई करी इतना की उसके गांड़ और चूची की साइज बढ़ गई। एक दिन तो वो नहा रही थी ब्रा पैंटी मे और मै भी नहाने वाला था तभी तेज की बारिश शुरू हो गई तो हम बारिश मे ही नहाने लगे और जिस कमरे मे नहा रहे थे वहीं दोनो पूरे नंगे हो गए और उसे गोद मे उठा बारिश मे चुदाई करने लगे। अब कुछ महीने मे मेरा एक बेटा हो गया। एक महीने बाद मै गुड्डी, मीनू और बच्चे को ले घर आ गया था। घर पर भाभी भी थीं। अब भाभी के बारे मे कहता हूं। जब से मैने मीनू से वादा किया था कि मै किसी से रिलेशन नही रखूंगा तब जब मै और भाभी घर पर होते थे तो भाभी कभी इशारा करतीं थीं लेकिन मै इशारा नही समझने जैसा कर देता था। दो तीन बार तो भाभी ने सीधा कह दिया था कि चलो ना मेरे कमरे मे ही सो जाओ पर मैने तबियत खराब है या कभी सर दर्द कर रहा है का बहाना बना दिया था। अब जब घर मे इतने सारे लोग थे तो भाभी कुछ कह नही पाती थीं। तीसरे फ्लोर पर तीन कमरे थे तो एक मे मै और गुड्डी अपने बेटे के साथ और दूसरे मे भाभी अपने बेटे के साथ और तीसरे मे मीनू सोती थी। अभी गुड्डी को मायके से लाए हुए 20 दिन हुए थे। पहले तो हमने सेक्स नही किया था लेकिन पिछले हफ्ते मे तीन दिन कर चुके थे। उस शाम गुड्डी किचेन मे खाना बना रही थी हॉल मे कोई था नही सब कमरे मे थे मै बाहर से आया था। मै किचेन मे जा गुड्डी को बाहों मे पीछे से भर लिया, और गर्दन पर चुम्मियों की बौछार कर दी। गुड्डी: क्या कर रहे हो कोई आ जाएगा। मै: कोई नही आएगा। मै उसके पेट और कमर सहलाता हूं। मै: आज एक ड्रेस लाया हूं तुम रात को पहनना। गुड्डी:कैसी ड्रेस। मै: है एक सेक्सी ड्रेस, रात मे पहले तुम्हे पहनाऊंगा, उसके बाद हम कूची कुची करेंगें। गुड्डी: नही करेंगे कल ही तो किए थे रोज करने की आदत मत लगाओ आप। मै: प्लीज यार। गुड्डी: नही मतलब नही बहुत बदन दर्द होने लगता है। मै: सारा दर्द दूर कर दूंगा मै। गुड्डी: नही अब सीधा तीन दिन बाद ही कुछ कहना। मै उसका दूध दबाता हूं। गुड्डी: मत दबाओ ब्लाउज गन्दा हो जाएगा। मै: तो तोड़ा सा पिला ही दो कम से कम। मै उसे पलटता हूं। वो घूमी उसका चेहरा दरवाजे की तरफ हुआ। वो मुझे धक्का दे दूर करी और धीरे से कान मे बोली भाभी हैं। मै पिछे पलटा तो भाभी जा रही थीं गुड्डी मुझे भी किचेन से निकालती है। शायद भाभी हमारी बात सुन ली थी। कुछ देर मै बच्चो के साथ खेला और फिर नीचे पापा के पास बैठ थोड़ी बिजनेस की बातें की। कुछ देर मे खाना बन गया तो भाभी पापा को बुलाने नीचे आई। पापा चले गए ऊपर। मै भी जाने लगा तो भाभी ने कहा कि ताला लगा दो मेन गेट पर। भाभी मुझे चाभी मुझे दी और हम दोनो गेट पर ताला लगाने लगे। भाभी: आज रात मेरे कमरे मे आ जाना। भाभी ये बोल चली गई। पहली बार भाभी ने गुड्डी के घर मे रहते मुझे खुलकर बोला था। मै अनसुना कर चुप चाप सो गया। अब एक महीना उस वाक़िए को हुआ था और इस एक महीने के भीतर भाभी ने मुझे तीन बार और खुला इनविटेशन दिया कि सब सो जाएं तो आ जाना। मगर मै तो मजबूर था मै जा नही सकता था और ना उनको बता सकता था। अब इसका परिणाम ये हुआ कि भाभी मेरे से नाराज हो गई और बात करना बन्द कर दी। धीरे धीरे वो और चिढ़ गई और गुड्डी से भी बात नही करती थी सीधी मुंह। मुझे बहुत दुख हुआ मेरे से भाभी की नाराजगी बर्दास्त नही हो रही थी मै उनसे कई बार बात भी करी लेकिन वो नही सुनती और उठ कर अपने कमरे मे चली जाती थी। दरअसल भाभी को चुदाई कराए हुए 5 महीने हो गए थे। एक रात मै और गुड्डी चुदाई कर रहे थे। गुड्डी: भाभी बहुत चिढ़ चिड़ी हो रही हैं। मै: हां। गुड्डी: भैया कितने समय से नही आए हैं तुम्हारे। मै:6 महीने। क्यों। गुड्डी: बाप री इतने टाईम कोई ना करे तो कोई भी चिढ़ चिड़ी हो जाएगी। मै: शायद! गुड्डी: अच्छा, एक बात बताओ आप, आप जो बाहर इतना सबके साथ करते हो भाभी के साथ ही कर लो। मै: पगला गई हो क्या, मै अब बाहर किसी के साथ नही करता। गुड्डी: हां तभी मै सोचूं कि आजकल रोज ईंजन गर्म क्यों रहता है आपका। मै:(हंसते हुए) तब भी तुम मना करती रहती हो हर बार। गुड्डी: मुझसे रोज रोज नही होगा मन हो तो भाभी के साथ कर लेना। मै: पागल, कुछ भी बोल रही है। गुड्डी: क्यों, कभी नही किए हो क्या भाभी के साथ। मै कुछ नही बोला। गुड्डी: मुझे मालूम है आपने भाभी के साथ भी किया हुआ है पहले तो आप कर सकते हो अब भी मेरे यहां होने का लोड मत लिजिए। मै: तुम्हे कैसे पता? गुड्डी: (हंसते हुए)पता है मुझे? मै: बता ना, कैसे पता तुझे। गुड्डी: आज दोपहर मै भाभी से बात कर रही थी। मै: क्या बात कर रही थी। गुड्डी अब अपने और भाभी के बीच हुई बात बताई। गुड्डी: दीदी आप नाराज हो मुझसे। भाभी: नही। गुड्डी,: तो फिर बात क्यों नही करती हमसे। कुछ देर मे भाभी बताई कि इतने महीने से इसके पापा घर नही आए इसलिए दुखी हैं बस। गुड्डी: मै धीरे धीरे उनसे बात उगलवा ली कि इतने महीने से सेक्स नही की है तो इसलिए दुखी हैं। फिर मै उनसे कही कि आप चाहो तो अपने देवर पर ट्राई मार सकती हो। वो कुछ नही बोली मै एक दो बार और बोली तो वो थोड़ी रोने लगी और बताई कि वो पहले मेरे साथ करता था पर अब लगता है उसका मेरे से मन भर गया है। फिर मै उन्हें चुप कराई। गुड्डी: मुझे पता है आपका मन सेक्स से कभी भरने वाला नही है तो कृपया कर आप कल सबके सोने के बाद भाभी के पास जा सकते हो। मै उसे झूठ मुठ का अच्छा बोल सो गया। अब 20 दिन गुजर गए भाभी गुड्डी से तो बात करने लगी थी पर मेरे से बिल्कुल भी बात नही करती थी। एक रात को गुड्डी मुझे जबरदस्ती कमरे से बाहर कर बोली कि जाइए भाभी के पास और दरवाजा अन्दर से बन्द कर ली। मै हॉल मे ही सोफे पर सो गया, रात मे मीनू बाहर निकली पानी पीने तो उसने मुझे सोफे पर सोता देखा। वो मेरे पास आ मुझे जगाई। वो मुझसे पूछी कि यहां क्यों सो रहे हैं। यहां पर मीनू से भी कभी खुलकर बात नही हो पाई थी और पटना के बाद से तो मीनू की चुदाई भी नही हो पाई थी तो हम बात करने के लिए छत पर आ गए। वो मुझसे बाहर सोने का कारण पूछी तो मै उसे सब बता दिया कि भाभी की नाराजगी तेरी बहन मुझसे निकाल रही है और मै तेरे वादे से बंधा हूं। मीनू: अच्छा तभी मै कहूं कि दोनो दीदी इतनी सीरियस क्या बात करतीं हैं और बड़ी दीदी तो एक दिन रो कर बात कर रही थी और मेरे आते ही चुप हो गई थी दोनो। मै: अब तुम ही बताओ मै क्या करूं। मीनू: (कुछ देर चुप रही) तो करो उनके साथ भी। मै: पर तूने तो कहा था कि मै तेरे और तेरी दीदी के अलावा किसी से नही कर सकता। मीनू: वो भी तो दीदी ही है ना। मै: सोच लो। मीनू: सोच ली लेकिन बस हम तीन इससे आगे मत बढ़ जाना आप। मै अब उसे बाहों मे भर लिया। मै: ठीक है, अब गुड्डी भाभी के बारे मे जान ही गई है और तूने परमिशन दे ही दी है अब एक दिन ऐसा आएगा कि मै तुम तीनों को एक ही बिस्तर पर एक साथ चोदूंगा। वो मेरा मुंह बन्द करती है और हम थोड़ी देर स्मूच करते हैं। मै शूट से उसके मम्मे बाहर निकाल पिता हूं और उसके पेट सहलाते हुए उसकी सलवार की डोर खोल देता हूं और नीचे बैठ उसकी पैंटी नीचे कर उसकी बुर पर मुंह लगा देता हूं। वो मुझे थोड़ा हटाती है फिर मेरे बाल सहलाते हुए बुर चटवाने लगी और कुछ 10 मिनिट बाद वो झड़ गई। मै उसकी बुर चाट साफ कर दिया और हम नीचे आ गए। अगली रात खाना खा कर सब अपने कमरे मे जाने लगा तो मैने मीनू को पहले ही कह दिया था कि वो भाभी को लूडो खेलने के लिए बुला लाए। मीनू भाभी को बुला लाई मेरे कमरे मे जहां मै और गुड्डी थे पर मुझे देख भाभी लौट गई। मै: (बाहर जाते हुए) जाओ आप लोग ही खेलो मै जाता हूं। कुछ देर बाद मै कमरे मे गया भाभी ,गुड्डी और मीनू लूडो खेल रही थीं और भाभी पेट के बल लेटी थी मै वहां गया और भाभी की मोटी मोटी गान्ड पर दो थप्पड़ जड़ें। मै: वाह भाभी क्या चीज है ये। वो पीछे देखी और कुछ नही बोली। मै: मुझसे नाराज हो भाभी आज सारी नाराजगी दूर कर दूंगा आपकी। मै उनकी साड़ी के ऊपर से ही चूतड़ों को दबाने लगा और चूसने और काटने लगा। वो मुझे पीछे हाथ कर धकेली। मै अब पूरा उनपर लेट गया और अपना कड़क लण्ड उनकी गांड़ पर दबाने लगा। और उनके गर्दन पर चुम्मियों की बौछार करने लगा और हाथ नीचे ले जा उनके मम्मे भी धर दबोचे। वो मुझे धक्का देने की कोशिश कर रही थीं। गुड्डी और मीनू हंस रहीं थीं। गुड्डी: आप गोदी कर दीदी को दूसरे कमरे मे ले जाओ। मै उठा और भाभी को उठा लिया कंधे पर वो मेरे पीठ पर मार रहीं थीं। उन्हें उठा मै सीधा गया मीनू के कमरे मे और उन्हें बेड पर पटका और उनपर टूट पड़ा। उन्हें स्मूच करने लगा और चूचों को दबाने लगा वो थोड़ी देर विरोध करती है फिर साथ देने लगी मै सीधा ही अब उनकी साड़ी ऊपर किया वो पैंटी नहीं पहने थीं और बुर पर बाल लम्बे लम्बे थे मै अपना पेंट उतारा और लण्ड उनकी बुर मे उतार दिया बाल खींचने की वजह से उन्हें दर्द हुआ और वो चीख उठी। मै दना दन धक्के देने लगा और करीब आधे घंटे बाद उनकी बुर मे ही मॉल उगल दिया। उनको देखा तो पूरे चेहरे पर उनके आंसू थे। मै: दर्द ज्यादा हुआ क्या। वो मुझे चूमने लगी। मै उठ कर अपना लण्ङ निकाल देखा तो उसपर काफी बाल लगे थे जो उनकी बुर से उखड़ गए थे। उन्हें खड़ा किया तो उन्हें बड़ा दर्द हो रहा था। वो बाथरुम जा आई तो लंगड़ा कर चल रही थीं मै गोद उठा वापस अपने कमरे मे ले जा बेड पर पटक दिया। और उनके सीने पर चूमने चूसने लगा। मै:अब किसकी बारी है, अब तेरी बारी। मै गुड्डी की तरफ इशारा कर बोला। वो बेड से उठ भागने लगी। मै उसे पकड़ लिया और गोद मे उठा दूसरे कमरे मे ले जा पटका और जम कर चुदाई किया। वो भी 20 दिन से मुझे नही दी थी तो कस कस कर धक्के मारा तो थोड़ा दर्द उसे भी हो गया। अब हमारा रोज का रूटीन हो गया कभी मै गुड्डी को चोदता तो कभी भाभी को हर दो तीन दिन पर। पर मीनू और मुझे मौका नही मिल रहा था बस मै कभी कभी उसकी बुर चाट चूस पाता वो भी छत पर। वो भी तड़प गई थी लण्ङ के लिए, पर हम कैसे बताए ये बड़ी मुश्किल थी। कुछ समय बाद मेरे भतीजे का बर्थडे था तो मेरा बड़ा भाई और मेरा छोटा भाई भी बेंगलुरु से आया हुआ था उसकी भी जॉब लग गई थी MBA के बाद। जब सब चले गए तो एक शाम हम चारों ही कमरे मे बैठ लूडो खेल रहे थे। भाभी: मीनू को तो मै अपनी देवरानी बनाऊंगी अब। मीनू शरमा गई। मै: क्यों क्या हुआ। भाभी: तेरा छोटा भाई मुझसे बोल कर गया है कि वो मीनू से प्यार करने लगा है उससे ही शादी करना चाहता है। मै: मीनू और तू, तू भी प्यार करती है क्या। मीनू शरमा कर कुछ नही बोली। गुड्डी: अच्छा तभी मै कहूं कि आज कल ये इतना हंसती क्यों है। बात बात पर। मै मीनू को पकड़ लेता हूं बाहों मे। मै: तूने मुझे नही बताया। मै चुपके से उसके मम्मे मसल देता हूं। वो आउच कर हंसती है। मै: चल ठीक ही है एक भाई की बीबी को तो मै प्यार करता ही हूं अब तुझे भी करूंगा। मै उसे किस करने लगा वो दूर हट रही थी शरमा कर । भाभी: हां करो करो तुम लोगो के बीच क्या चल रहा है जैसे हमें पता ही नही है। गुड्डी और भाभी हंस रहीं थीं मीनू शरमा गई थी। मै: अब पता चल ही गया है तो चलने दो। मै मीनू को गोद मे उठा दूसरे कमरे मे ले गया और सबसे पहले तो उसकी चिकनी बुर चाटी और पूरे कपड़े उतार बुर मे लण्ङ पेल चुदाई करने लगा काफी दिनों के बाद उसकी चुदाई हुई थी तो काफी मस्ती आई थी उसे। 30 मिनिट की चुदाई मे वो तीन बार छड़ चुकी थी। मै: मीनू कहां निकालू। मीनू: अन्दर मत निकालना। मै दो धक्के मार बाहर निकला और सोचा बुर पर झड़ जाऊं फिर मुझे पता नही किया हुआ मै अपनी सांस कन्ट्रोल किया और नंगे ही अपने कमरे मे गया। भाभी और गुड्डी मुझे नंगा देख चौंक गई। भाभी: ये क्या है ऐसे क्यों आ रहे हो। दोनो हंस भी रहीं थीं मै सीधा भाभी को बेड पर लिटाया और उनकी साड़ी उठा उनकी बुर पर मुंह लगा दिया और चूसने लगा वो आह आह करने लगी और मेरा सर ढकेलने लगी। गुड्डी उठकर जाने लगी तो मै उसका हाथ पकड़ लिया। मै: भाई अभी गया है तो आपकी चुदाई भी करी होगी उसने। भाभी: हां. मै: आपने अन्दर लिया माल या बाहर। भाभी: उन्होंने प्रोटेक्शन यूस किया था। मै: आज मै आपको 9 महीने के लिए भर दूंगा। मै जल्दी से लण्ङ उनकी बुर मे डाल चुदाई करने लगा उधर से मीनू भी कपड़े पहन लंगड़ाते हुए आई। मै धक्का धक भाभी को पेलने लगा और कुछ देर मे उनके अन्दर ही झड़ गया। अब गुड्डी को पकड़ उसके ब्लाउज खोल दूध पीने लगा और एक चूंची की फुहार मीनू की ओर मोरा वो शर्मा कर दूसरी ओर मुंह कर ली। मै अपने मुंह मे दूध भर लिया और मीनू के मुंह मे दिया जिसे वो पी गई। अब गुड्डी की बुर चाट उसे झड़ा दिया और उसकी चुदाई करने लगा उसके बाद भाभी की एक बार और चुदाई करी और सो गए। अब एक साल बाद मीनू की मेरे छोटे भाई से शादी हो गई और सब हँसी खुशी रहते हैं। आज भी हमे जब मौका मिलता है तो जम कर चारों मिलकर मजे करते हैं। कहानी पूरी पढ़ने के लिए धनवाद। अगर आपको हमारी कहानी पसन्द आई तो कमेंट करें और दोस्तों के साथ शेयर करें।

Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी में मैं अपनी बीवी की सहेली को चोदना चाह रहा था कि एक बार वह मेरे साथ ट्रेन में लंबा सफ़र करने वाली थी. मैंने ट्रेन में ही जुगाड़ बनाया.

फ्रेंड्स, मैं आपको अपनी बीवी की सहेली मधुलिका की ट्रेन में चुदाई की कहानी सुना रहा था.

कहानी के पहले भाग
बीवी की सहेली को चोदने की तमन्ना
में अब तक आपने पढ़ा था कि मधुलिका मेरे साथ सेक्स करने के लिए राजी हो गई थी.

अब आगे Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी:

मैंने आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उसकी गर्म आहें और भारी सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थीं.

उसके होंठों को मैंने अपने होंठों में भर लिया.

अब वह मछली की तरह मेरी बांहों में मचल उठी और तुरंत अपना हाथ निकाल कर किसी चुदासी कुतिया की तरह मुझसे चिपट गई.
वह मुझे चूमने चाटने लगी.

मेरे पूरे बदन में सिहरन सी होने लगी.
मैं भी मचलने लगा.

उसने कहा- जीजा प्यारे … और गर्म करो मुझे … बड़ा मज़ा आ रहा है. इतनी देर तक तो मेरे पति ने मुझे कभी गर्म नहीं किया.
इसके बाद मैं उसके चूचों को दोनों हाथों से दबाने लगा.

उसने झट से अपनी टी-शर्ट उतार दी.
टी-शर्ट के हटते ही उसके दो बॉल जैसे चिकने गोरे चूचे, काले रंग की 34B ब्रा से झांकने लगे.

मैंने उसकी जींस का बटन खोल दिया और जींस उतार दी.
अब उसका संगमरमर जैसा सफ़ेद चिकना बदन सामने था.
वह सिर्फ एक काली पैंटी ब्रा पहने हुई थी.

उसका यह रूप मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर गया था.

इसके बाद वह खड़ी हो गई और उसने मेरे सारे कपड़े जल्दी जल्दी उतार दिए.
अब मैं केवल अंडरवियर में था जिसके ऊपर से मेरे लौड़े का उभार साफ़ नज़र आ रहा था.

उसने मेरे नंगे भरे बदन को देख कर कहा- जीजा प्यारे … पहले पता होता कि तुम इतने सेक्सी हो तो मैं कब का तुमसे चुद चुकी होती!
Xxx फ्रेंड सेक्स के लिए उतावली लग रही थी.

मैंने कहा- जानेमन, मुझे भी यह अगर पहले पता होता कि तुम चुदासी कुतिया हो … तो मैं कब का तुमको चोद चुका होता … चल अब तू मुझसे चुद ले मादरचोदी.

उसने अपने कोमल हाथों से मेरी चड्डी के ऊपर से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया.

मेरा लंड खड़ा होकर सख़्त गर्म रॉड की तरह हो गया.
लंड मसलते हुए उसने मेरी छाती का निप्पल अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

अब मेरे लंड के साथ मेरी गोलियां भी टाइट होने लगी थीं.
मेरे बदन से हल्का हल्का पसीना बाहर आ रहा था.

इसके बाद उसने झट से मेरी चड्डी नीचे करके मेरे लंड को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.

उसके मुँह से उम्म उम्म उम्म की आवाज़ आने लगी.
मैं तो पहले ही बहुत गर्म हो गया था.

लंड चूसते चूसते वह मेरी गोलियां चूसने लगी.
मैंने उससे कहा- तुमको गर्म करने का बहुत अनुभव है!

तो उसने कहा- हां सब पोर्न देख देख कर सीखा है. पर अपने भोसड़ पति को इतना गर्म करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. वह साला एक मिनट में ही फुच्च फुच्च हो जाता है.
मैं हंस दिया.

वह मेरे लंड की गोलियां चूसती गई और मेरे लंड से एक तरल कामुक व चिकना द्रव्य स्रावित होने लगा जिसे मधुलिका ने जीभ से चाट कर खा लिया.

अब मैं जंगली शेर की तरह उस पर झपटा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसे अलग फेंक दिया.

उसकी ब्रा को खोलते ही उसके 34 साइज के दूध और भूरे व तने हुए निप्पल देख कर मैं पागल सा हो गया.

मैंने झट से उसके दूध पूरी ताक़त से दबाए और उसके एक निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा.
उसकी चीख निकल गई- उई माँ मर गई … मुझे लग रही है कुत्ते … धीमे कर.

लेकिन मैंने नहीं छोड़ा और जी भर कर उसके दोनों मम्मों को चूसा.
दूध चूसने के बाद मैंने उसकी पैंटी उतार दी.

अब उसको बर्थ पर लेटा कर उसकी टांगों को हल्का सा फैलाया और टांगों के बीच में अपना सर घुसेड़ दिया.
मैंने उसकी चूत को देखा, तो चूत ज़्यादा फटी नहीं थी, अभी भी गुलाबी रंग की चूत ही थी.

उसका पति अभी तक उसकी चूत का भोसड़ा नहीं बना पाया था.
मैंने मधुलिका से कहा- तुम्हारी अभी ज़्यादा फटी नहीं है!

उसने कहा- हां, मेरे पति का खड़ा होने के बाद भी 5 इंच का ही होता है और उसका तुम्हारे लंड जितना मोटा भी नहीं है. साला दो मिनट में ही झड़ जाता है. आज मुझे यक़ीन हो रहा है कि तुम इसको ज़रूर भोसड़ा बना दोगे!
मैंने कहा- क्यों नहीं जानेमन, अभी लो … भोसड़ा बनाने के लिए ही तो मैं मरा जा रहा हूँ.

मैंने उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
वह गर्म आहें भरने लगी- उम्म उम्मह उम्म और चाटो जीजा प्यारे … आह मेरी चूत का रस पी लो और अपनी प्यास बुझा लो … उम्म उम्म!

अपनी साली की चूत को चाटते हुए उसकी बुर में एक बीच वाली उंगली डाली और कुरेद तो आराम से चली गई.
दूसरी डाली तो आधी ही गई.

फिर दोनों उंगली निकाल कर उसके मुँह में डाल दीं और थूक से चिकनी करके फिर से जोर लगा कर डालीं, तो घप से चली गईं.

उसके मुँह से आह निकल गई.
मैं उंगली अन्दर बाहर करने लगा.

मैंने उससे कहा- चल, अब कुतिया बन!
उसने कहा- क्यों पहले गांड चोदोगे क्या?
मैंने कहा- हां.
उसने कहा- नहीं, दर्द होगा. मैंने पीछे कभी नहीं चुदवाया है.

मैंने कहा- मैं आराम से करूँगा, तुम भरोसा करो.
उसने कहा- नहीं. आगे की लो.

वह नहीं मान रही थी … लेकिन मेरा मन उसकी गांड मारने का ही ज़्यादा था क्योंकि उसकी गांड ही लंड खड़ा कर देती थी.
मैंने कहा- अच्छा सीधी लेट जाओ.

मैंने उसे सीधी लेटा दिया और अपने सामान से निरोध निकाल कर उसे पकड़ा दिया.
उसने पैकेट फाड़ा और निरोध को मेरे लंड पर अच्छे से चढ़ा दिया.

वह लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.

कुछ देर चूसने के बाद उसने कहा- मेरा फ़ैवरेट फ्लेवर लाए हो!
मैंने कहा- और क्या … मुझे पता है तुम्हारा टेस्ट.

इसके बाद मैंने उसकी टांगें उठाईं और अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत की फांकों पर घिसने लगा.

वह गर्म होकर लंड लेने को छटपटा रही थी.
उसके मुँह से आहें निकल रही थीं- आह आह उम्म उम्म.

तभी मैंने झटके से लंड से प्रहार किया.
मेरा लंड चूत फाड़ते हुए पूरा अन्दर चला गया.
वह चीख पड़ी- आह मादरचोद … मर गई.

उसकी आंख से आंसू निकल आए और मेरी आंख से भी … क्योंकि उसकी चूत टाइट थी और मैंने बहुत जोर से पेला था.

फिर मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया.
अब उसे आनन्द आने लगा.

मुझे भी ऐसा लग रहा था कि लंड किसी गर्म भट्टी की दीवार से रगड़ रहा है.

वह आहें भरती हुई कह रही थी- आह आह उम्म उफ उफ़ … चोद डाल चोद डाल मुझको … जीजा भोसड़ी वाले … चोद मुझे … मेरा सारा पानी निकाल दे … आज बुझा दे मेरी प्यास और तेजी से चोद बहन के लौड़े!

मैंने अपने लंड की गति को और बढ़ा दिया और तेज तेज अन्दर तक झटके देने लगा.

उसकी चूत से पक पक की अवाज आने लगी और वह खूब मचलने लगी.

मैं दोनों हाथ चूचियों पर रख कर मसलने लगा, निप्पल मींजने लगा.

वह और तेज़ आहें भरने लगी- आह उफ़्फ उफ़ … फाड़ दी तूने चूत … मादरचोद आह आह मैं झड़ रही हूँ … आह आह मेरा पानी निकल रहा है.

इतने में उसका ख़ुशबूदार काम रस बाहर आ गया.
चूत के रस की सुगंध क्या मस्त सुगंध थी.

मैंने कहा- मैं अभी नहीं झड़ा हूँ, चल कुतिया बन!
उसने कहा- नहीं, मैं गांड नहीं चुदवाऊंगी … दर्द होगा.

मैंने कहा- रंडी रोना नहीं … चुपचाप चुदवा ले छिनाल कहीं की.
उसने कहा- नहीं.

मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने कहा- अगर नहीं चुदवाया तो इस चुदाई का वीडियो मैं अभी तुरंत तुम्हारे पति को भेज दूँगा क्योंकि मैंने यहां स्पाई कैम लगा दिया है और सारी रिकॉर्डिंग मेरे फ़ोन में सेव हो रही है.

उसने कहा- नहीं नहीं ऐसा मत करो … मैं तैयार हूँ लेकिन आराम से करना, दर्द होगा.
मैंने कहा- दर्द तो पहली बार सील तुड़वाने में भी हुआ होगा, लेकिन बाद में मजा तो आया होगा ना!

उसने कहा- हां.
मैंने कहा- बस वैसे ही इसमें भी है.

मैंने अपने लंड से निरोध निकाल कर नीचे फेंका और दूसरा निरोध निकाल कर पकड़ा दिया.
मधुलिका ने अपने हाथों से निरोध मुझे पहनाया.

मैंने उसे कुतिया बनाया और उसकी मख़मली गांड पर एक थप्पड़ मारा.
उसकी गांड लाल हो गई.

फिर उसकी गोरी गांड को फैलाया तो भूरे रंग का गांड का छोटा सा छेद दिखा.
मैं उसके छेद की सिलवटों पर जीभ को फिराने लगा.

मधुलिका को अच्छा लगने लगा.
वह कहने लगी- गांड चटवाने में मुझे चूत चटवाने से भी ज़्यादा उत्तेजना हो रही है … आह और चाटो मेरे छेद को.

मैं छेद को चाटते हुए उसके छेद में अपनी जीभ को घुसेड़ने लगा और उसकी गांड के छेद का नमकीन स्वाद मुझे कामुक बनाने लगा.
मैंने अपने कसे हुए रॉड जैसे लंड टोपे पर अपना थूक लगाया और ढेर सारे थूक से मधुलिका की गांड के छेद को नहला दिया.

फिर लंड के टोपे को उसकी गांड के छेद पर रख कर धीरे धीरे जोर लगाने लगा.
मेरे लंड का टोपा धीरे धीरे उसकी गांड में जाने लगा.

उसकी चीख निकलने लगी- उयी मम्मी … मर गई … हाय उफ़ आह आह जीजा मर जाऊंगी … एक तो तुम्हारा मोटा लंबा लंड है … ऊपर से तुमने डॉटेड निरोध पहना है साले ऐसा लग रहा है जैसे नागफनी का पत्ता घुसा दिया है.

मैंने कहा- साली मादरचोद यह जो तू 36 इंच की फूली हुई गांड लेकर चलती ना … आज इसको फाड़ कर रख दूँगा मैं … ले माँ की लौड़ी रंडी.
इतना कह कर मैं ट्रेन की रफ़्तार में झटके देने लगा.

फट्ट फट्ट फट्ट की आवाज़ उसकी गांड से आती रही और मेरे झटके इतने जोर के होने लगे थे कि मेरा निरोध अन्दर फट गया.
वह चीखती रही.

मैं उसी स्पीड में उसे चोदता रहा और मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.
सारा गाढ़ा ढेर सारा माल उसकी गांड में ही भर दिया.

वह पूरी तरह से थक के टूट गई थी.
उसने कहा- तुम्हारा सड़का मेरी गांड में भर गया है, इसे निकाल साले!

मैंने अपना हाथ तुरंत उसकी गांड के नीचे किया.
उसने जोर लगाया, तो एक जोड़ की आवाज़ पुर्र पुर्र पुर्र के साथ सारा सड़का मेरे हाथ में आ गया.

मैंने उसे दिखाया.
उसने कहा- बहुत ही गाढ़ा माल है, मैं इसे पियूँगी.

मैंने उसे अपना माल तुरंत अपने हाथों से उसे पिला दिया और हम दोनों चिपक कर सो गए.

अगले दिन ग्यारह बजे हमारी ट्रेन गोरखपुर पहुंच गई और हमने शादी अटेंड की.

तब से आज तक इस बात को दो साल हो गए हैं.
किसी को पता भी नहीं चला है.

आज भी जब मौक़ा मिलता है, वह घर में अकेली होती है तो उसको जाकर चोद आता हूँ.

मज़े की बात बताऊं कि ट्रेन में गांड मरवाने बाद से आज तक वह सबसे ज़्यादा मुझसे गांड ही मरवाती है.

दोस्तो, अब विदा लेता हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप सबको सेक्स कहानी ज़रूर पसंद आयी होगी.

अपनी अगली सेक्स कहानी के साथ मैं जल्द आपसे मिलूँगा.
और हां, यह Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी कैसी लगी, आप कमेंट में रिप्लाई ज़रूर करें.

प्रेषक : मोहित Antarvasna Sex Stories

मैं मोहित उम्र 37 साल Antarvasna Sex Stories गुड़गाँव निवासी एक बार फिर आपके सामने अपनी नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।

जैसे कि मैंने आपको बताया था कि मेरा अपनी पत्नी के साथ महीने में लगभग एक या दो बार सैक्स हो पाता है। इसलिए मैं और मेरा एक दोस्त देवेन्द्र कभी-कभी घर में दिन में लड़की लाकर या कभी-कभी बाहर किसी काल-गर्ल के साथ सैक्स करते थे। मेरा दोस्त देवेन्द्र एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सेल्स-मेनेजर है। वो हफ्ते में अकसर 3-4 दिन बाहर रहता है।

सोनिया से मेरी मुलाक़ात उसी ने करवाई थी। मेरे दोस्त को सोनिया बस में मिली थी। बस में ही उनका परिचय हो गया। रात काफी हो गई थी, इसलिये मेरे दोस्त ने सोनिया को घर तक छोड़ दिया। अगले दिन उसने मुझे सोनिया के बारे में बताया और यह भी बताया कि सोनिया की शक्ल मेरी एक पुरानी गर्ल-फ़्रेंड से मिलती है। मैं सोनिया से मिलने को बेचैन हो गया। मैंने मेरे दोस्त को सोनिया से मिलवाने के लिये कहा।

उसने सोनिया को फोन किया। सोनिया ने शाम को मार्केट में मिलने का वादा किया। शाम को हम दोनों सोनिया से मार्केट में मिलने गये। सोनिया को देख कर मैं वाकई हैरान रह गया। उसकी शक्ल मेरी एक पुरानी गर्ल-फ़्रेड रेखा से मिलती-जुलती थी। अगले दिन मैंने सोनिया को फोन किया और उसे मिलने को कहा। वो मिलने आई और हमने काफी देर बातचीत की और गाड़ी में घूमे। धीरे-धीरे सोनिया से मेरी मुलाक़ातें बढ़ने लगी। एक दिन मैंने सोनिया को फोन करके घर बुलाया।

सोनिया घर आई। हम दोनों ड्राइंगरूम में बैठ कर बाते करने लगे। फिर मैंने सोनिया से कुछ लेने को कहा। सोनिया ने मना किया तो मैंने सोनिया को कहा कि थोड़ी-थोड़ी बियर लेते है। सोनिया मान गई। मैंने बेडरूम में बियर व स्नैक्स का इंतजाम कर दिया। फिर हम दोनों बेडरूम में बैठ कर बियर पीने व बातचीत करने लगे। सोनिया ने जीन्स व टी-शर्ट पहनी थी। जीन्स की वजह से उसे बैड पर बैठने में दिक्कत हो रही थी। बार-बार वो अपने पैर इधर-उधर कर रही थी।

मैंने सोनिया को कहा कि जीन्स उतार कर आराम से बैठ जाए। सोनिया मना करने लगी। मैंने ज़िद की और लगभग जबरदस्ती उसकी जीन्स उतार दी। सोनिया लाल रंग की पैंटी में अपने पैर सिकोड़ कर बैठ गई। हम दोनों फिर से बियर पीने व बातचीत करने लगे। एक बियर खत्म होते ही मैं दूसरी खोलने लगा। सोनिया ने मना किया तो मैंने सोनिया को कहा कि थोड़ी-थोड़ी और लेते है। सोनिया मान गई।

जब दूसरी बियर की बोतल भी खत्म हो गई तो मैंने स्नैक्स की प्लेटें उठा कर अलग रख दी और सोनिया को छेड़ने लगा।

सोनिया ने कहा- क्या कर रहे हो?

मैं बोला- मौके का फायदा उठा रहा हूँ।

मैंने सोनिया को खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया। फिर मैं सोनिया के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगा। सोनिया ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी। फिर मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके स्तन दबाने लगा।

फिर मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो सोनिया बोली,”क्या करते हो? प्लीज इसे मत उतारो। मुझे डर लगता है।”

मैंने कहा,”डरने वाली क्या बात है।” कह कर मैं फिर उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा।

सोनिया बोली,”कोई आ जाएगा?”

मैंने कहा,”कोई नहीं आएगा !” कह कर मैंने ज़िद की और लगभग जबरदस्ती उसकी टी-शर्ट उतार दी।

सोनिया के गोरे-गोरे वक्ष गुलाबी ब्रा में फँसे थे। मैंने उठ कर मेन-दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और सिर्फ जौकी में सोनिया से लिपट गया। मैंने सोनिया का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ लिटा लिया। फिर मैंने लाईट बंद कर दी। कमरे में लाल रंग का नाइट लैम्प जल रहा था।

मैंने सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। मैंने अपनी टांगे सोनिया की टांगों पर रख दी और मैंने अपने जलते हुए होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सोनिया ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ सोनिया के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने सोनिया को बैड पर सिधा लिटा दिया। फिर उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुऐ होंठ रख दिए।

फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सोनिया के मुँह से आह निकलने लगी। लगा। फिर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को दबाने लगा। सोनिया ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। फिर मैंने उसकी ब्रा के अन्दर से हाथ डाल दिया।

कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी। सोनिया ने कोई विरोध नहीं किया, उसके गुलाबी निप्पल को हल्के-हल्के मसलने लगा, फिर मैं अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सोनिया के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैं उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। सोनिया ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चिकनी और क्लिन-शेव चूत पर हाथ फिराने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं उसकी पैन्टी को उतारने लगातो सोनिया बोली “प्लीज इसे मत उतारो।” सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया, बोली “नहीं इसे मत उतारो !”

मैंने कहा,”देखो सोनिया हम कुछ करेंगे नहीं ! बस कपड़े उतार कर नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटेंगे और प्यार करेंगे !” कह कर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।

सोनिया का नंगा बदन और उसकी चिकनी चूत लाल रौशनी में नहाकर लाल हो गये। मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और जौकी को फ़ाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। मैंने जौकी उतार कर फेंक दी। फिर मैं सोनिया से लिपट गया।

मैंने सोनिया को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर सोनिया की चिकनी चूत से टकरा रहा था। मैं सोनिया की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं सोनिया की चूत पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ सोनिया की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों से सोनिया की चूत की फाँक को खोलने और बन्द करने लगा। फिर सोनिया की चूत के दाने को रगड़ने लगा। सोनिया के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।

मेरा लण्ड सोनिया की जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने सोनिया का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। सोनिया ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। सोनिया मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर उपर-नीचे और आगे-पीछे करने लगी। मैं सोनिया की चूत मारने को बेताब हो रहा था।

मैंने सोनिया को कहा “सोनिया जरा सा इसे ऊपर घिस लूं क्या ? बहुत मन हो रहा है !”

सोनिया कुछ नहीं बोली। मैंने इसे ही सोनिया की हाँ समझ लिया। मैं सोनिया के ऊपर लेट गया। सोनिया का नंगा जिस्म मेरे नीचे दबा हुआ था।

मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर सोनिया की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगा। फिर मैं अपने लण्ड को पकड़ कर सोनिया की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। सोनिया ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। फिर सोनिया मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर अपनी चूत के दाने के ऊपर रगड़ने लगी। कुछ देर बाद सोनिया की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था।

शायद उसको यह करना अच्छा लग रहा था। वो मेरे लण्ड को अपनी चूत से रगड़े जा रही थी। मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी। इसी उत्तेजना में मैंने सोनिया का हाथ पकड़ लिया।

मैंने सोनिया को कहा,”कुछ करें क्या ? बहुत मन हो रहा है। लाओ मैं करता हूँ।”

सोनिया कुछ नहीं बोली।

उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी थी। वह बोली,”प्लीज ऐसे ही करते रहो !”

मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। मैं सोनिया को चोदने को बेताब हो रहा था। सोनिया की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। फिर मैं अपने लण्ड को पकड़ कर सोनिया की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।

सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली।”प्लीज कंडोम तो लगा लो ! मुझे डर लगता है।”

मैंने बैड की दमोहित में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। सोनिया ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। फिर मैं सोनिया के ऊपर लेट गया। सोनिया का नंगा जिस्म मेरे नीचे दब गया। फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। उसने भी मुझे अपनी बाँहो में भर लिया। मेरा लण्ड सोनिया की जांघों के बीच फंसा हुआ था। कुछ देर बाद मैंने अपने लण्ड को सोनिया की चूत के सुराख पर लगा दिया और फिर मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा सोनिया की चिकनी चूत में घुस गया। सोनिया के मुँह से आह निकली। उसने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया और अपनी आँखें कस कर बन्द कर ली।

मैंने थोड़ा और जोर लगाया। मेरा लगभग आधा लण्ड सोनिया की चूत में घुस गया। सोनिया के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने तीसरा और आखिरी धक्का दिया तो मेरा पूरा लण्ड सोनिया की चूत में समा गया। सोनिया के मुँह से जोर से आह निकली और उसने मुझे अपनी बाँहो में पूरी ताकत से कस लिया। मैंने भी सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए। मेरा पूरा लण्ड सोनिया की चूत के अन्दर समाया हुआ था। हम दोनों ने एक दूसरे को इस कदर अपनी बाँहो में जकड़ा हुआ था कि हवा भी हम दोनों के बीच से पास नहीं हो सकती थी। सोनिया का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दबा हुआ था। मेरी टांगें सोनिया की टांगों के बीच में फँसी हुई थी। मैं सोनिया के माथे पर, फिर आँखों पर तथा फिर गालों को किस करने लगा। सोनिया भी मेरे गालों को किस करने लगी।

कुछ देर हम दोनों इसी तरह से एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने अपने लण्ड को धीरे से सोनिया की चूत से थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अपने लण्ड को धीरे से उसकी चूत में अन्दर घुसा दिया। फिर मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद सोनिया ने अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे सोनिया की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी।

हम दोनों बियर के तथा सैक्स के नशे में चूर हो रहे थे। सोनिया को भी मजा आने लगा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी। उसने मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लिया। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स उपर-नीचे कर रही थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स पीछे खींच लेती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर सोनिया को चोदने लगा।

मैं बैड पर हाथ रख कर सोनिया के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड उसकी चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था। वो भी अब आँखें खोल कर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। मैं सोनिया को पागलों की तरह से चोद रहा था। अब मैं पूरी तेजी से सोनिया के ऊपर कूद-कूद कर उसे चोद रहा था। सोनिया इस चुदाई तथा बियर के नशे से मदहोश हो रही थी।

मैंने रुक कर सोनिया से कहा “सोनिया अच्छा लग रहा है क्या?”

सोनिया बोली,”प्लीज रुको मत। तेज-तेज करते रहो।”

सोनिया के मुँह से यह सुन कर मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। मैंने सोनिया के हिप्स को हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर सोनिया को चोदने लगा।

सोनिया के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह्ह्होहोहोह सिस्स्स्स्स्स्सह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाहाह्ह्हआआआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज तेज-तेज करो।”

मैं सोनिया के ऊपर लेट गया और मैंने सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर मैंने अपने होंठ सोनिया के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसते हुऐ उसे और तेजी से चोदने लगा। सोनिया भी अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसती हुई मजे से चुदाई का मजा ले रही थी। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते हुऐ चुदाई का मजा लेते रहे।

फिर अचानक सोनिया ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया। उसने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग करके एक जोर से आह भरी। मैं समझ गया कि सोनिया डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मार कर सोनिया को चोदने लगा। सोनिया आँखें बंद करके मेरे डिस्चार्ज होने का इंतजार कर रही थी। लगभग 2 मिनट तक सोनिया को तेज-तेज चोदने के बाद मैं सोनिया की चूत के अन्दर कंडोम में डिस्चार्ज हो गया।

कुछ देर तक मैं सोनिया के ऊपर लेटा रहा और अपनी तेज-तेज चल रही सांसों को काबू में आने का इंतजार करता रहा। सोनिया मेरे नीचे आँखें बंद करके लेटी हुई थी। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड सोनिया की चूत में से बाहर खींच लिया।

फिर उठ कर अपने लण्ड पर से कंडोम उतार कर डस्टबिन में फेंक दिया। फिर अपने अन्डरवियर से अपना लण्ड साफ करके सोनिया की बगल में लेट गया। सोनिया आँखें बंद करके लेटी हुई थी। कमरे की लाल रौशनी में उसका गोरा और नंगा बदन लाल हो कर चमक रहा था। कुछ देर बाद सोनिया मेरी तरफ करवट ली और अपनी टांग मेरी टांगों पर रख दी। फिर वो मेरी छाती के बालों पर हाथ फिराने लगी।

फिर सोनिया बोली,”हो गई तुम्हारे मन की।”

मैंने कहा,”हाँ बहुत अच्छा लगा। मजा आ गया !” कह कर मैंने करवट ले कर सोनिया को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर कुछ देर तक हम ऐसे ही लिपटे हुऐ बातचीत करते रहे।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह कहानी ? मुझे मेल करेंगे ना ? Antarvasna Sex Stories

(Vidhva Bhabhi Ki Chudai- Part 2) विधवा भाभी की चुदाई-2

विधवा भाभी की चुदाई-1 मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने संध्या को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।

संध्या ने रीना से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।

वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। रीना की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।

मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की रीना तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।

मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।

मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।

मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।

वो चुपचाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।

वो बोली- मुझे शरम आती है।

मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।

वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।

मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।

वो मुस्कराते हुये चली गई।

मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। रीना ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने संध्या को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।

वो बोली- अभी आती हूँ।

संध्या मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।

संध्या समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।

उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।रीना मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद संध्या जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।

संध्या ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।

10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो संध्या ने कहा- रीना के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।

मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।

उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने रीना को पुकारा।

रीना आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?

मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।

उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।

मैंने पूछा- संध्या कहाँ है?

वो बोली- फ़्रेश होने गई है।

मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।

वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी संध्या आ गई। उसने पूछा- रीना का सामान ले आये?

मैंने कहा- हाँ, ले आया और इसे दिखा भी दिया। इसे बहुत पसन्द भी आया।

मैं टीवी देखने लगा। संध्या रीना के साथ खाना बनने चली गई। रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये। आज रीना बहुत खुश दिख रही थी। उसने आज जरा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिये और मैक्सी पहन ली। हम सब बिस्तर पर लेट गये।

संध्या ने मुझसे कहा- मुझे नींद आ रही है। तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो।

मैं समझ गया। मैंने अपनी लुंगी उतार दी। संध्या ने भी अपनी मैक्सी खोल दी और पैंटी उतार दी। रीना देख रही थी। आज वो कुछ बोल नहीं रही थी, केवल चुपचाप लेटी हुई थी। मैंने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि रीना आज ध्यान से हम दोनों को देख रही थी।

15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया तो आज मैंने संध्या की चूत को चाटना शुरु कर दिया। रीना ने मुझे संध्या की चूत को चाटते हुये देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। मैं समझ गया की अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है। संध्या की चूत को चाटने के बाद मैंने अपना लण्ड संध्या के मुँह के पास कर दिया तो संध्या ने भी मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं लेट गया।

तभी रीना ने कहा- दीदी, आप दोनों को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुये?

संध्या ने कहा- कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी। उसके बाद हम सो गये।

सुबह मैं नहाने गया तो मैंने रीना को पुकारा और कहा- तौलिया ले आ।

वो बोली- अभी लाई, जीजू।

वो तौलिया लेकर आ गई। मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ़ कर लूं।

मैंने अपने लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। आज रीना ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। वो अब ज्यादा नहीं शरमा रही थी। मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और फिर उससे तौलिया ले लिया। वो चली गई। मैं बाथरूम से बाहर आया तो संध्या ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और फिर मेरे लण्ड को चूमा और किचन में चली गई। रीना इस दौरान मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। मैंने नाश्ता किया और दुकान चला गया।

रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुछ मिठाई ले आया था। मैंने रीना को पुकारा। रीना आ गई तो मैंने उसे मिठाई दे दी। उसने मिठाई ले ली और कहा- आपके लिये अभी ले आऊँ?

मैंने कहा- हाँ, थोड़ा सा ले आ। वो मिठाई ले कर आई तो मैं मिठाई खाने लगा। तभी संध्या आई। उसने मुझे मिठाई खाते हुये देखा तो बोली- आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है।

मैंने कहा- क्या करूं। मेरी तो कोई साली ही नहीं थी। अब जब मुझे एक साली मिल गई है तो उसकी सेवा तो करूंगा ही। लेकिन मेरी साली मेरा ज्यादा ख्याल ही नहीं रखती।

रीना बोली- जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिये मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है। आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो।

मैंने कहा- क्या तुम मेरा कहा मानोगी?

वो बोली- क्यों नहीं मानूंगी।

मैंने कहा- ठीक है, जब मुझे जरूरत होगी तो तुम्हें बता दूंगा।

अगले 2 दिनों में मैंने रीना से मजाक करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे वो भी मुझसे मजाक करने लगी। अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी। अब रीना खुद ही तौलिया ले आती थी। उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो तौलिया ले कर आई और खड़ी हो गई और मेरे लण्ड को देखने लगी।

मैंने कहा- साली जी, आज तुम ही मेरे लण्ड पर साबुन लगा दो।

वो बोली- क्या जीजू, मुझसे अपने लण्ड पर साबुन लगवाओगे?

मैंने कहा- तो क्या हुआ?

वो बोली- दीदी क्या कहेंगी?

मैंने संध्या को पुकारा तो वो आ गई और बोली- क्या है?

मैंने कहा- मैं रीना से अपने लण्ड पर साबुन लगाने को कहा तो यह कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी। अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी।

संध्या ने कहा- मैं तो कहूँगी कि रीना तुम्हारे लण्ड पर साबुन लगा दे। आखिर वो तुम्हारी साली है। मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ।

मैंने रीना से कहा- देखा, यह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगी।

रीना ने कहा- फिर मैं साबुन लगा देती हूँ।

संध्या चली गई। रीना ने थोड़ा सा शरमाते हुये मेरे लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मुझे खूब मज़ा आने लगा। उसकी आंखे भी गुलाबी सी होने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब बस करूं या और लगाना है।

मैंने कहा- थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

वो साबुन लगाती रही। थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा रस निकल जायेगा तो मैंने कहा- अब रहने दो।

उसने अपना हाथ साफ़ किया और चली गई।

मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्राईंग रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मैंने संध्या को पुकारा, संध्या , जरा तेल तो लगा दो।

रीना मेरे पास आई और बोली- मैं ही लगा दूं क्या?

मैंने कहा- यह तो और अच्छी बात है। तुम ही लगा दो।

रीना मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया। रीना ठीक मेरे लण्ड के सामाने जमीन पर बैठ थी। मेरे लण्ड से रस की धार निकल पड़ी और सीधे रीना के मुँह पर जाकर गिरने लगी।

रीना शरमा गई और बोली- क्या जीजू, तुमने मेरा मुँह गन्दा कर दिया।

मैंने कहा- तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लण्ड का रस निकल गया। आओ मैं साफ़ कर देता हूँ।

वो बोली- रहने दो, मैं खुद ही साफ़ कर लूंगी।

रीना बाथरूम में चली गई। संध्या किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। संध्या ने कहा- अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है।

नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया। रात को मैं रीना के लिये एक झुमकी ले आया। मैंने उसे झुमकी दी तो वो खुशी के उछल पड़ी और संध्या को दिखाते हुये बोली- देखो दीदी, जीजू मेरे लिये क्या लाये हैं।

संध्या ने कहा- तू ही उनकी एकलौती साली है। वो तेरे लिये नहीं लायेंगे तो और किसके लिये लायेंगे।

रात को खाना खाने के बाद हम सोने के लिये कमरे में आ गये। मैंने रीना से मजाक किया, क्यों रीना , मेरा लण्ड तुझे कैसा लगा।

उसने शरमाते हुये कहा- जीजू, यह भी कोई पूछने की बात है।

मैंने कहा- तेरी दीदी को तो बहुत पसन्द है, तुझे कैसा लगा।

उसने शरमाते हुये कहा- मुझे भी बहुत अच्छा लगा।

मैंने पूछा- तुझे क्यों अच्छा लगा।

वो बोली- इस लिये कि आपका बहुत बड़ा है।

मैंने पूछा- जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है?

वो बोली- तब तो और ज्यादा अच्छा लगता है। लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अन्दर पूरा का पूरा घुस जता है।

मैंने कहा- तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गई है।

वो बोली- लेकिन पहली बार जब आपने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी?

मैंने कहा- दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है। इसे भी हुआ था और यय खूब चिल्लाई भी थी। लेकिन रीना बाद में मज़ा भी तो खूब आता है। तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो।

रीना ने संध्या से पूछा- क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं?

संध्या ने कहा- हाँ रीना , तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ। बिना करवाये मुझे नींद ही नहीं आती। तुम भी एक बार इनका अन्दर ले लो। कसम से इतना मज़ा आयेगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी।

रीना बोली- ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्योंकि मेरा तो अभी बहुत छोटा है।

संध्या ने कहा- छोटा तो सभी का होता है।

रीना बोली- मुझे दर्द भी तो बहुत होगा।

संध्या ने कहा- पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आयेगा कि तू सारा दर्द भूल जायेगी। तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटासट अन्दर बाहर होता है।

वो बोली- हाँ, देखा तो है।

संध्या बोली- फिर एक बार तू भी अन्दर ले कर देख ले। अगर तुझे मज़ा नहीं आयेगा तो फिर कभी मत करवाना।

वो बोली- बाद में करवा लूंगी।

संध्या ने कहा- आज क्यों नहीं।

वो बोली- मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ।

संध्या ने कहा- तो फिर आज तू इसे मुँह में ले कर चूस ले। जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अन्दर लेना।

वो बोली- ठीक है, मैं मुँह में लेकर चूस लेती हूँ।

संध्या ने मुझसे कहा- तुम रीना के बगल में आ जाओ।

मैं रीना के बगल में आ गया। रीना ने मेरी लुंगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फनफनता हुआ खड़ा हो गया। रीना उसे सहलाने लगी। मुझे मज़ा आने लगा, मैंने कहा- अब इसे मुँह में ले लो।

वो बोली- जरूर लूंगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना।

मैंने कहा- ठीक है।

थोड़ी देर तक सहलाने के बाद रीना उठ कर बैठ गई। उसने शरमाते हुये मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

संध्या ने मुस्कराते हुये पूछा- क्यों रीना , कैसा लग रहा है?

वो बोली- दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है।

संध्या ने कहा- मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अन्दर भी ले ले। फिर और ज्यादा अच्छा लगेगा।

वो बोली- बहुत दर्द होगा।

संध्या ने कहा- तू इतना डरती क्यों है। मैं हूँ ना तेरे पास।

उसने कहा- अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अन्दर लेने की कोशिश करुंगी।

रीना मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया तो वो सिसकारियां भरने लगी।

थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?

वो बोली- बहुत अच्छा।

रीना अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने कहा- जब तू मेरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लेगी तो तुझे और ज्यादा अच्छा लगेगा।

वो बोली- ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना।

मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, ज्यादा चिल्लाना मत।

वो बोली- मैं अपना मुँह बन्द रखने की कोशिश करुंगी।।

मैंने कहा- ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे।

वो बोली- मैंने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं।

मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- फिर ये क्या है?

वो बोली- क्या इसे भी उतारना पड़ेगा।

मैंने कहा- हाँ, तभी तो मज़ा आयेगा।

उसने कहा- ठीक है, उतार देती हूँ।

इतना कह कर रीना खड़ी हो गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। संध्या मुझे देख कर मुसकुराने लगी तो मैं भी मुसकुरा दिया। रीना बेड पर लेट गई तो मैं रीना के पैरों के बीच आ गया। मैंने उसके पैरों को एकदम दूर दूर फैला दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया। वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और जोर जोर की सिसकारियां भरते हुये बोली- जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।

मैंने और ज्यादा तेजी के साथ रगड़ना शुरु कर दिया तो 2-3 मिनट में ही रीना जोर जोर की सिसकारियां भरने लगी और झड़ गई।

रीना की चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी इसलिये मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसकी चूत के होंठ को फैला कर अपने लण्ड का सुपाड़ा बीच में रख दिया। उसके बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली- जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।

मैंने कहा- बस थोड़ा सा बरदाश्त करो।

मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने फिर से थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो जोर जोर से चीखने लगी। उसने रोना शुरु कर दिया तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- दर्द को बरदाश्त कर तभी तो तू मज़ा ले पायेगी।

वो बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी।

संध्या उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शान्त हो गई।

मेरा लण्ड इस उसकी चूत में 2″ तक घुस चुका था। जब रीना चुप हो गई तो मैंने फिर से जोर लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लण्ड के रास्ते में आ गई। वो फिर से चीखने लगी और बोली- जीजू, बाहर निकल लो, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी।

मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुये कहा- बस थोड़ा सा ही और है।

थोड़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शान्त हो गई। मुझे अब उसकी सील को फ़ाड़ना था।

मैंने रीना की कमर को जोर से पकड़ लिया पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा। उसकी चूत से खून निकलाने लगा। मेरा लण्ड उसकी सील को फ़ाड़ते हुये 4″ से थोड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया। रीना इस बार कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चिल्लाने लगी तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आयेगा।

वो बोली- क्या पूरा अन्दर घुस गया?

संध्या ने कहा- अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।

वो बोली- जब जीजू बाकी का घुसायेंगे तो मुझे फिर से दर्द होगा।

संध्या ने कहा- नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आयेगा।

रीना जब शान्त हो गई तो मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी। उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी थी इसलिये मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उसे चोदता रहा तो वो कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शान्त हो गई। अब उसे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था। उसने सिसकारियां भरनी शुरु कर दी। संध्या ने पूछा- अब कैसा लग रहा है।

वो बोली- अब तो मज़ा आ रहा है।

संध्या ने कहा- पूरा अन्दर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आयेगा, यह तो अभी शुरुआत है।

मैंने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरु कर दिया।

थोड़ी देर की चुदाई के बाद रीना झड़ गई। उसकी चूत और मेरा लण्ड अब एकदम गीला हो चुका था। मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। रीना पूरे जोश में आ चुकी थी। वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी। मैंने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरु कर दिया। इससे मेरा लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज्यादा गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो रीना केवल एक आह सी भरती थी। वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा।

थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही रीना फिर से झड़ गई। अब तक मेरा लण्ड उसकी चूत में 7″ अन्दर घुस चुका था। मैंने अपनी स्पीड बढाते हुये उसकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। संध्या ने जब देखा कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने रीना से कहा- इनका पूरा का पूरा लण्ड तेरी चूत के अन्दर घुस गया है। अब तुझे केवल मज़ा आयेगा।

वो बोली- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।

संध्या ने कहा- अगर तुझे विशवास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले।

रीना ने हाथ लगा कर देखा तो बोली- दीदी, यह पूरा अन्दर कैसे घुस गया? मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।

संध्या ने कहा- जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गई थी तब ये बीच बीच में जोर का धक्का लगा देते थे। इससे इनका लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अन्दर घुसा जाता था। तू जोश में थी इस लिये तुझे कुछ पता ही नहीं चला।

मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। 2 मिनट के अन्दर ही मैं झड़ गया तो रीना भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल कर रीना से पूछा- चाटोगी?

उसने मेरा लण्ड देखा तो उस पर रस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। वो बोली- जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है। मैं अगली बार चाट लूंगी।

संध्या ने कहा- तेरी चूत का ही तो खून है और यह पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे।

वो बोली- तुम कहते हो तो मैं चाट लेटी हूँ।

उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।

संध्या ने पूछा- चुदवाने में मज़ा आया?

वो बोली- हाँ, मज़ा तो आया लेकिन ज्यादा नहीं।

संध्या ने पूछा- क्यों। वो बोली- जब मुझे ज्यादा मज़ा आना शुरु हुआ तो जीजू झड़ गये।

संध्या ने कहा- अगली बार ज्यादा मज़ा आयेगा। इस बार तो इनका सारा समय तेरी चूत में रास्ता बनने में ही लग गया।

मैं रीना के बगल में लेट गया। वो मेरी पीठ को सहलाते हुये मुझे चूमती रही। 10 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने रीना को डॉगी स्टाईल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे इस बार चुदवाने में ज्यादा मज़ा आया और मुझे भी। उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुये खूब जम कर चोदा। इस बार मैंने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की। रीना इस दौरान 4 बार झड़ गई थी।

मैं रीना के बगल में लेट गया। हम सब आपस में बातें करते रहे। लगभग 1 घण्टे के बाद संध्या ने मुझसे कहा- क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या। साली की कुंवारी चूत का मज़ा पाकर मुझे भूल गये क्या?

मैंने कहा- भला मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो। मैं रोज रोज घर का ही तो खाना खाता हूँ। कभी कभी होटल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिये। तुम तो मेरे लिये घर का खाना हो और रीना होटल का। आज मैंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिये मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाऊगा। आज तो मैं तुम्हारी गाण्ड मारूंगा।

संध्या बोली- फिर मारो ना।

रीना बोली- जीजू क्या कह रहे हो?

मैंने कहा- ठीक ही कह रहा हूँ। यह कभी कभी मुझसे गाण्ड भी मरवाती है। गाण्ड मरवाने में भी खूब मज़ा आता है। तुम भी मरवाओगी?

वो बोली- पहले आप दीदी की गाण्ड मार लो। जरा मैं भी तो देखूँ कि दीदी आपका इतना लमबा और मोटा लण्ड अपनी गाण्ड के अन्दर कैसे लेती है।

संध्या घोड़ी बन गई तो मैंने संध्या की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को संध्या की गाण्ड में अन्दर बाहर होते हुये देखती रही। मैं 2 बार रीना की चुदाई कर चुका था इस लिये मैं जल्दी झड़ नहीं पा रहा था। संध्या सिसकारियां भरते हुये मुझसे गाण्ड मरवा रही थी। रीना संध्या को गाण्ड मरवाते हुये देख रही थी। उसकी आंखो में भी जोश की झलक साफ़ दिख रही थी। मैंने रीना से पूछा- कैसा लग रहा है।

वो बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है, जीजू।

मैंने पूछा- गाण्ड मरवाओगी?

वो बोली- फिर से दर्द होगा।

मैंने कहा- गाण्ड मरवाने में तो बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।

वो बोली- ना बाबा ना, मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी।

संध्या ने कहा- रीना , पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले। उसके बाद एक बार गाण्ड भी मरवाने का मज़ा भी ले लेना।

मैंने लगभग 45 मिनट तक संध्या की गाण्ड मारी और झड़ गया।

मैंने कई दिनों तक रीना को खूब जम कर चोदा। उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे भी कुंवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एकदम टाईट चूत को चोद रहा था। मैं रीना की गाण्ड भी मारना चहता था लेकिन उसे मैं खूब तड़पा तड़पा कर उसकी गाण्ड मारना चहता था। मैंने कई बार रीना के सामने संध्या की गाण्ड मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई। वो मुझसे कहने लगी- जीजू, एक बार मेरी भी गाण्ड मार लो, मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।

मैंने कहा- तुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होगी।

वो बोली- होने दो।

मैंने उससे कहा- तू नहीं जानती है कि मैंने संध्या की गाण्ड पहली पहली बार कैसे मारी थी।

वो बोली- बताओगे तभी तो जानूंगी।

मैंने कहा- तो सुन, तूने वो पिल्लर देखा है ना जो आंगन में है।

वो बोली- हाँ, देखा है।

मैंने कहा- मैंने संध्या को खड़ा करके उसी पिल्लर में कस कर बांध दिया था। उसके बाद मैंने इसके मुँह में कपड़ा ठूंस कर इसका मुँह भी बन्द कर दिया था जिससे यह ज्यादा चिल्ला ना सके। उसके बाद ही मैं संध्या की गाण्ड मार पाया था। गाण्ड में लण्ड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है। गाण्ड से बहुत ज्यादा खून भी निकलता है।

वो बोली- चाहे जो भी हो आप मेरी गाण्ड मार दो, मैं कुछ नहीं जानती।

मैंने कहा- तू कई दिनों तक बिस्तर पर से उठ भी नहीं पायेगी।

वो बोली- जब दीदी ने आप से गाण्ड मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती।

मैंने कहा- सोच ले, बहुत दर्द होगा। तेरी गाण्ड भी फट सकती है।

वो ज़िद करने लगी, मैं कुछ नहीं जानती, तुम मेरी गाण्ड मार दो बस।

मैंने कहा- अच्छा, कल मैं तेरी गाण्ड मार दूंगा।

वो बोली- नहीं आज ही और अभी मेरी गाण्ड मार दो।

संध्या मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी। वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। वो यह भी समझ गई थी मैं उसकी गाण्ड को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ।

संध्या ने रीना से कहा- चल आंगन में। मैं संध्या और रीना के साथ आंगन में आ गया। संध्या कुछ कपड़े और रस्सी ले आई। उसके बाद मैंने रीना से कहा- तू पिल्लर को जोर से पकड़ कर खड़ी हो जा।

वो पिल्लर को पकड़ कर खड़ी हो गई। उसके बाद मैंने रस्सी से उसकी कमर को पिल्लर से बांध दिया। उसके बाद मैंने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिल्लर से बांध दिया। फिर मैंने रीना के दोनों हाथ भी पिल्लर से बांध दिये।

वो बोली- जीजू, आपने तो मुझे ऐसे बांध दिया है कि मैं जरा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती।

मैंने कहा- गाण्ड मारने के लिये ऐसे ही बांधना पड़ता है।

उसके बाद मैंने रीना के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उसके मुँह को बांध दिया।

मैंने संध्या से कहा- अब तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से सख्त हो जाये।

संध्या ने मेरे लण्ड को चूसना शुरु कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड पूरी तरह से लक्कड़ जैसा हो गया। मैंने संध्या के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकला और रीना के पीछे आ गया। मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रखा और पूरे ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। रीना दर्द के मारे तड़पने लगी। वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी। उसका मुँह बंधा हुआ था इसलिये उसके मुँह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी। एक धक्के में ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ 2″ तक घुस गया। उसकी गाण्ड से खून निकल आया।

मैंने दूसरा धक्का लगाया तो रीना के मुँह से बहुत जोर जोर से गूऊ गूऊ की आवज़ निकलने लगी। मेरा लण्ड 4″ अन्दर घुस गया। रीना की गाण्ड से और ज्यादा तेजी के साथ खून निकलने लगा। मैंने फिर से एक धक्का मरा तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने एक ही झटके से अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया। पुक की आवज़ के साथ मेरा लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर आ गया। रीना के मुँह से अभी भी जोर जोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी।

मैंने संध्या को अपना लण्ड दिखाते हुये कहा- इसकी गाण्ड तो बहुत ही तंग है। देखो कितना खून निकल आया है।

संध्या बोली- क्यों तड़पाते हो बेचारी को। घुसा दो ना अपना पूरा लण्ड इसकी गाण्ड में। मैंने कहा- ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ।

मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर फिर से अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। उसकी गाण्ड खून से भीगी हुई थी। मैंने बहुत ही जोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने 2 धक्के और लगये तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 7″ तक अन्दर घुस गया। रीना का सारा बदन पसीने से भीग गया था। वो अपना सिर पिल्लर पर पटक रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मैं रीना की गाण्ड इसी तरह से मारना चाहता था। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।

संध्या आंखे फ़ाड़े मुझे देख रही थी, उसने कहा- रहम करो इस बेचारी पर। क्यों तड़पा रहे हो इसे।

मैंने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाये तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड रीना की गाण्ड में समा गया।

पूरा लण्ड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैंने तेजी के साथ रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना के मुँह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी गाण्ड बहुत ही ज्यादा टाईट थी इस लिये मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में आसानी से पूरा अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था। मैंने पूरे ताकत के साथ धक्के लगा रहा था। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर होने लगा। रीना के मुँह से भी ज्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी। मैंने रीना से पूछा- मुह खोल दूं।

उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया।

मैंने पूछा- चिल्लओगी तो नहीं। उसने अपना सिर ना में हिला दिया।

मैंने रीना का मुँह खोल दिया और उसके मुँह से कपड़ा बाहर निकल लिया। वो रोते हुये बोली- जीजू, आपने तो मुझे मार ही डाला। क्या इसी तरह से गाण्ड मारी जाती है।

मैंने कहा- हाँ, गाण्ड इसी तरह से मारी जाती है। अगर मैंने तुम्हारा मुँह बांधा नहीं होता तो तुम कितनी जोर जोर से चिल्लाती, यह तुम अब समझ गई होगी।

वो बोली- आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती।

मैंने कहा- अगर मैंने तुम्हें पिल्लर से ना बांधा होता तो अब तक कई बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लण्ड नहीं घुसा पाता।

वो बोली- जीजू, आप एकदम सही कह रहे हो। मैंने तो आप को धकेल ही दिया होता।

मैंने कहा- अब तुम ही बताओ मैंने सही किया या नहीं?

वो बोली- आपने बिलकुल ठीक किया। ऐसे ही करना चाहिये था। अब तो मुझे पिल्लर से खोल दो।

मैंने कहा- पहले मैं तुम्हारी गाण्ड तो मार लूं फिर खोल दूंगा।

वो बोली- तो मारो ना।

मैंने पूछा- कुछ मज़ा आ रहा है।

वो बोली- अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है।

मैंने रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। मैं पूरे ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहा था। रीना को भी अब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। 10 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया। मैंने अपना लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर निकाला और रीना को दिखाते हुये कहा- देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गाण्ड से।

वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।

मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।

वो बोली- कमरे में मार लेना।

मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।

वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।

मैंने संध्या से कहा- खोल दो रीना को।

संध्या ने रीना के हाथ पैर खोल दिये। रीना बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। संध्या उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। रीना ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर संध्या उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो रीना बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से रीना की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।

धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। रीना मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी रीना की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर रीना को देखा तो रीना उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे रीना के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो संध्या के गावँ की रहने वाली है।

उसने मुझसे कहा कि वो रीना से शादी करना चहता है।

मैंने कहा- ठीक है, मैं रीना से पूछ लूं फिर बता दूंगा।

रात में जब मैं घर आया तो मैंने रीना से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।

उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।

मैंने पूछा- वो क्या?

वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?

मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।

वो बोली- फिर ठीक है।

मैंने रीना के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद रीना की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। रीना हर रविवार के दिन संध्या से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।

एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो रीना घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।

मैंने रीना से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?

वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।

मैंने कहा- तू क्या कह रही है?

वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।

मैंने कहा- यह कुंवारी थोड़े ही है।

रीना बोली- इसने मुझे बतया था कि भैया का लण्ड केवल 4″ का ही है और आपका लण्ड तो बहुत लम्बा और मोटा है। आपके लण्ड के लिये इसकी चूत कुवांरी जैसी ही है।

मैंने कहा- ठीक है मैं इसका इलाज़ कर दूंगा। लेकिन जैसे मैंने तेरी गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह मैं पहले इसकी गाण्ड मारुंगा।

उसके बाद ही मैं इसकी चूत को हाथ लगाऊँगा।

तभी मीना बोल पड़ी- जीजू, मुझे तो केवल माँ बनना है और आप से चुदवने का खूब मज़ा लेना है। आप जो भी चाहो मेरे साथ करो, बस मुझे माँ बना दो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो।मैंने रीना से कहा- जब मैं इसे चोद दूंगा तो इसकी चूत एकदम चौड़ी हो जायेगी। उसके बाद जब यह तेरे भैया से चुदवायेगी तो उनहेन इसकी चूत एकदम ढीली लगेगी तो वो क्या कहेंगे।

रीना बोली- वो कुछ भी नहीं कह पायेगे। मैं वही बहाना बना दूंगी जो मैंने रामू से से बनाया था।

मैंने पूछा- तूने रामू से क्या कहा था?

रीना बोली- जीजू, रामू को जब मेरी चूत चुदी हुई लगी थी तो मैंने रामू से कहा था की मेरी चूत में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने मेरी चूत में एक औजार डाला था जिस से मेरी चूत का मुँह एकदम चौड़ा हो गया।

मैंने कहा- तू तो बड़ी चालाक निकली।

रीना मुस्कुराने लगी।

मैंने रीना और संध्या से कहा- तुम दोनों इसे भी आंगन में ले जाओ और पिल्लर से बांध दो।

रीना और संध्या उसे लेकर आंगन में चले गये। थोड़ी देर बाद रीना मेरे पास आई और बोली- जीजू, आपका खाना तैयार है, चल कर खा लो।

मैं समझ गया कि रीना क्या कह रही है, मैंने कहा- चलो।

मैं रीना के साथ आंगन में आ गया। मैंने जैसे रीना की गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह उसकी भाभी की गाण्ड भी मारी। मुझे मीना की गाण्ड मरने में ज्यादा मज़ा आया क्योंकि मोटी होने की वजह से उसकी गाण्ड गद्देदार थी। उसे भी बहुत दर्द हुआ और उसकी गाण्ड से भी ढेर सारा खून निकला। उसके बाद रीना और संध्या उसे कमरे में ले आये। मैंने सारी रात कमरे में ही खूब जम कर उसकी गाण्ड मारी। 2 बार जब मैं उसकी गाण्ड मार चुका तो उसके बाद उसे भी गाण्ड मरवाने में खूब मज़ा आने लगा।

दूसरे दिन से मैंने उसकी चुदाई शुरु की। उसकी चूत भी गद्देदार थी। पहली पहली बार वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे खूब मज़ा आने लगा। मुझे उसकी चूत की चुदाई करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। उसे भी मेरा लण्ड बहुत पसन्द आ गया। उसकी चूत मेरे लण्ड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी। 1 महीने तक मैंने उसकी तरह तरह के स्टाईल में खूब जम कर चुदाई की और उसकी गाण्ड मारी। वो मुझसे अभी चुदवाना चाहती थी। उसने रीना से अपने मन की बात बता दी। रीना के भैया आये तो रीना ने उनसे कहा की अभी इलाज़ पूरा नहीं हुआ है। डॉक्टर ने 2 महीने और रुकने को कहा है। वो खुशी खुशी वापस गावँ चले गये।

15 दिनों के बाद जब मीना को महीना नहीं हुआ तो रीना और संध्या उसे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने बताया कि वो माँ बनने वाली है। मीना बहुत खुश हो गई। उसने मुझे और ज्यादा जम कर चुदवाना शुरु कर दिया। मुझे मीना की गद्देदार चूत ज्यादा पसन्द आ गई थी इसालिये मैंने ज्यादातर उसके चूत की ही चुदाई की। मैंने अगले 1 1/2 महीने तक मीना को खूब जम कर चोदा और उसकी गाण्ड भी मारता रहा। उसके बाद वो गावँ चली गई। अब मैं केवल संध्या और रीना को ही चोदता हूँ। संध्या भी अब मां बनने वाली है।

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