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Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी में मैं अपनी बीवी की सहेली को चोदना चाह रहा था कि एक बार वह मेरे साथ ट्रेन में लंबा सफ़र करने वाली थी. मैंने ट्रेन में ही जुगाड़ बनाया.
फ्रेंड्स, मैं आपको अपनी बीवी की सहेली मधुलिका की ट्रेन में चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
बीवी की सहेली को चोदने की तमन्ना
में अब तक आपने पढ़ा था कि मधुलिका मेरे साथ सेक्स करने के लिए राजी हो गई थी.
अब आगे Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी:
मैंने आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उसकी गर्म आहें और भारी सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थीं.
उसके होंठों को मैंने अपने होंठों में भर लिया.
अब वह मछली की तरह मेरी बांहों में मचल उठी और तुरंत अपना हाथ निकाल कर किसी चुदासी कुतिया की तरह मुझसे चिपट गई.
वह मुझे चूमने चाटने लगी.
मेरे पूरे बदन में सिहरन सी होने लगी.
मैं भी मचलने लगा.
उसने कहा- जीजा प्यारे … और गर्म करो मुझे … बड़ा मज़ा आ रहा है. इतनी देर तक तो मेरे पति ने मुझे कभी गर्म नहीं किया.
इसके बाद मैं उसके चूचों को दोनों हाथों से दबाने लगा.
उसने झट से अपनी टी-शर्ट उतार दी.
टी-शर्ट के हटते ही उसके दो बॉल जैसे चिकने गोरे चूचे, काले रंग की 34B ब्रा से झांकने लगे.
मैंने उसकी जींस का बटन खोल दिया और जींस उतार दी.
अब उसका संगमरमर जैसा सफ़ेद चिकना बदन सामने था.
वह सिर्फ एक काली पैंटी ब्रा पहने हुई थी.
उसका यह रूप मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर गया था.
इसके बाद वह खड़ी हो गई और उसने मेरे सारे कपड़े जल्दी जल्दी उतार दिए.
अब मैं केवल अंडरवियर में था जिसके ऊपर से मेरे लौड़े का उभार साफ़ नज़र आ रहा था.
उसने मेरे नंगे भरे बदन को देख कर कहा- जीजा प्यारे … पहले पता होता कि तुम इतने सेक्सी हो तो मैं कब का तुमसे चुद चुकी होती!
Xxx फ्रेंड सेक्स के लिए उतावली लग रही थी.
मैंने कहा- जानेमन, मुझे भी यह अगर पहले पता होता कि तुम चुदासी कुतिया हो … तो मैं कब का तुमको चोद चुका होता … चल अब तू मुझसे चुद ले मादरचोदी.
उसने अपने कोमल हाथों से मेरी चड्डी के ऊपर से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया.
मेरा लंड खड़ा होकर सख़्त गर्म रॉड की तरह हो गया.
लंड मसलते हुए उसने मेरी छाती का निप्पल अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
अब मेरे लंड के साथ मेरी गोलियां भी टाइट होने लगी थीं.
मेरे बदन से हल्का हल्का पसीना बाहर आ रहा था.
इसके बाद उसने झट से मेरी चड्डी नीचे करके मेरे लंड को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
उसके मुँह से उम्म उम्म उम्म की आवाज़ आने लगी.
मैं तो पहले ही बहुत गर्म हो गया था.
लंड चूसते चूसते वह मेरी गोलियां चूसने लगी.
मैंने उससे कहा- तुमको गर्म करने का बहुत अनुभव है!
तो उसने कहा- हां सब पोर्न देख देख कर सीखा है. पर अपने भोसड़ पति को इतना गर्म करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. वह साला एक मिनट में ही फुच्च फुच्च हो जाता है.
मैं हंस दिया.
वह मेरे लंड की गोलियां चूसती गई और मेरे लंड से एक तरल कामुक व चिकना द्रव्य स्रावित होने लगा जिसे मधुलिका ने जीभ से चाट कर खा लिया.
अब मैं जंगली शेर की तरह उस पर झपटा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसे अलग फेंक दिया.
उसकी ब्रा को खोलते ही उसके 34 साइज के दूध और भूरे व तने हुए निप्पल देख कर मैं पागल सा हो गया.
मैंने झट से उसके दूध पूरी ताक़त से दबाए और उसके एक निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा.
उसकी चीख निकल गई- उई माँ मर गई … मुझे लग रही है कुत्ते … धीमे कर.
लेकिन मैंने नहीं छोड़ा और जी भर कर उसके दोनों मम्मों को चूसा.
दूध चूसने के बाद मैंने उसकी पैंटी उतार दी.
अब उसको बर्थ पर लेटा कर उसकी टांगों को हल्का सा फैलाया और टांगों के बीच में अपना सर घुसेड़ दिया.
मैंने उसकी चूत को देखा, तो चूत ज़्यादा फटी नहीं थी, अभी भी गुलाबी रंग की चूत ही थी.
उसका पति अभी तक उसकी चूत का भोसड़ा नहीं बना पाया था.
मैंने मधुलिका से कहा- तुम्हारी अभी ज़्यादा फटी नहीं है!
उसने कहा- हां, मेरे पति का खड़ा होने के बाद भी 5 इंच का ही होता है और उसका तुम्हारे लंड जितना मोटा भी नहीं है. साला दो मिनट में ही झड़ जाता है. आज मुझे यक़ीन हो रहा है कि तुम इसको ज़रूर भोसड़ा बना दोगे!
मैंने कहा- क्यों नहीं जानेमन, अभी लो … भोसड़ा बनाने के लिए ही तो मैं मरा जा रहा हूँ.
मैंने उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
वह गर्म आहें भरने लगी- उम्म उम्मह उम्म और चाटो जीजा प्यारे … आह मेरी चूत का रस पी लो और अपनी प्यास बुझा लो … उम्म उम्म!
अपनी साली की चूत को चाटते हुए उसकी बुर में एक बीच वाली उंगली डाली और कुरेद तो आराम से चली गई.
दूसरी डाली तो आधी ही गई.
फिर दोनों उंगली निकाल कर उसके मुँह में डाल दीं और थूक से चिकनी करके फिर से जोर लगा कर डालीं, तो घप से चली गईं.
उसके मुँह से आह निकल गई.
मैं उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
मैंने उससे कहा- चल, अब कुतिया बन!
उसने कहा- क्यों पहले गांड चोदोगे क्या?
मैंने कहा- हां.
उसने कहा- नहीं, दर्द होगा. मैंने पीछे कभी नहीं चुदवाया है.
मैंने कहा- मैं आराम से करूँगा, तुम भरोसा करो.
उसने कहा- नहीं. आगे की लो.
वह नहीं मान रही थी … लेकिन मेरा मन उसकी गांड मारने का ही ज़्यादा था क्योंकि उसकी गांड ही लंड खड़ा कर देती थी.
मैंने कहा- अच्छा सीधी लेट जाओ.
मैंने उसे सीधी लेटा दिया और अपने सामान से निरोध निकाल कर उसे पकड़ा दिया.
उसने पैकेट फाड़ा और निरोध को मेरे लंड पर अच्छे से चढ़ा दिया.
वह लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
कुछ देर चूसने के बाद उसने कहा- मेरा फ़ैवरेट फ्लेवर लाए हो!
मैंने कहा- और क्या … मुझे पता है तुम्हारा टेस्ट.
इसके बाद मैंने उसकी टांगें उठाईं और अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत की फांकों पर घिसने लगा.
वह गर्म होकर लंड लेने को छटपटा रही थी.
उसके मुँह से आहें निकल रही थीं- आह आह उम्म उम्म.
तभी मैंने झटके से लंड से प्रहार किया.
मेरा लंड चूत फाड़ते हुए पूरा अन्दर चला गया.
वह चीख पड़ी- आह मादरचोद … मर गई.
उसकी आंख से आंसू निकल आए और मेरी आंख से भी … क्योंकि उसकी चूत टाइट थी और मैंने बहुत जोर से पेला था.
फिर मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया.
अब उसे आनन्द आने लगा.
मुझे भी ऐसा लग रहा था कि लंड किसी गर्म भट्टी की दीवार से रगड़ रहा है.
वह आहें भरती हुई कह रही थी- आह आह उम्म उफ उफ़ … चोद डाल चोद डाल मुझको … जीजा भोसड़ी वाले … चोद मुझे … मेरा सारा पानी निकाल दे … आज बुझा दे मेरी प्यास और तेजी से चोद बहन के लौड़े!
मैंने अपने लंड की गति को और बढ़ा दिया और तेज तेज अन्दर तक झटके देने लगा.
उसकी चूत से पक पक की अवाज आने लगी और वह खूब मचलने लगी.
मैं दोनों हाथ चूचियों पर रख कर मसलने लगा, निप्पल मींजने लगा.
वह और तेज़ आहें भरने लगी- आह उफ़्फ उफ़ … फाड़ दी तूने चूत … मादरचोद आह आह मैं झड़ रही हूँ … आह आह मेरा पानी निकल रहा है.
इतने में उसका ख़ुशबूदार काम रस बाहर आ गया.
चूत के रस की सुगंध क्या मस्त सुगंध थी.
मैंने कहा- मैं अभी नहीं झड़ा हूँ, चल कुतिया बन!
उसने कहा- नहीं, मैं गांड नहीं चुदवाऊंगी … दर्द होगा.
मैंने कहा- रंडी रोना नहीं … चुपचाप चुदवा ले छिनाल कहीं की.
उसने कहा- नहीं.
मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने कहा- अगर नहीं चुदवाया तो इस चुदाई का वीडियो मैं अभी तुरंत तुम्हारे पति को भेज दूँगा क्योंकि मैंने यहां स्पाई कैम लगा दिया है और सारी रिकॉर्डिंग मेरे फ़ोन में सेव हो रही है.
उसने कहा- नहीं नहीं ऐसा मत करो … मैं तैयार हूँ लेकिन आराम से करना, दर्द होगा.
मैंने कहा- दर्द तो पहली बार सील तुड़वाने में भी हुआ होगा, लेकिन बाद में मजा तो आया होगा ना!
उसने कहा- हां.
मैंने कहा- बस वैसे ही इसमें भी है.
मैंने अपने लंड से निरोध निकाल कर नीचे फेंका और दूसरा निरोध निकाल कर पकड़ा दिया.
मधुलिका ने अपने हाथों से निरोध मुझे पहनाया.
मैंने उसे कुतिया बनाया और उसकी मख़मली गांड पर एक थप्पड़ मारा.
उसकी गांड लाल हो गई.
फिर उसकी गोरी गांड को फैलाया तो भूरे रंग का गांड का छोटा सा छेद दिखा.
मैं उसके छेद की सिलवटों पर जीभ को फिराने लगा.
मधुलिका को अच्छा लगने लगा.
वह कहने लगी- गांड चटवाने में मुझे चूत चटवाने से भी ज़्यादा उत्तेजना हो रही है … आह और चाटो मेरे छेद को.
मैं छेद को चाटते हुए उसके छेद में अपनी जीभ को घुसेड़ने लगा और उसकी गांड के छेद का नमकीन स्वाद मुझे कामुक बनाने लगा.
मैंने अपने कसे हुए रॉड जैसे लंड टोपे पर अपना थूक लगाया और ढेर सारे थूक से मधुलिका की गांड के छेद को नहला दिया.
फिर लंड के टोपे को उसकी गांड के छेद पर रख कर धीरे धीरे जोर लगाने लगा.
मेरे लंड का टोपा धीरे धीरे उसकी गांड में जाने लगा.
उसकी चीख निकलने लगी- उयी मम्मी … मर गई … हाय उफ़ आह आह जीजा मर जाऊंगी … एक तो तुम्हारा मोटा लंबा लंड है … ऊपर से तुमने डॉटेड निरोध पहना है साले ऐसा लग रहा है जैसे नागफनी का पत्ता घुसा दिया है.
मैंने कहा- साली मादरचोद यह जो तू 36 इंच की फूली हुई गांड लेकर चलती ना … आज इसको फाड़ कर रख दूँगा मैं … ले माँ की लौड़ी रंडी.
इतना कह कर मैं ट्रेन की रफ़्तार में झटके देने लगा.
फट्ट फट्ट फट्ट की आवाज़ उसकी गांड से आती रही और मेरे झटके इतने जोर के होने लगे थे कि मेरा निरोध अन्दर फट गया.
वह चीखती रही.
मैं उसी स्पीड में उसे चोदता रहा और मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.
सारा गाढ़ा ढेर सारा माल उसकी गांड में ही भर दिया.
वह पूरी तरह से थक के टूट गई थी.
उसने कहा- तुम्हारा सड़का मेरी गांड में भर गया है, इसे निकाल साले!
मैंने अपना हाथ तुरंत उसकी गांड के नीचे किया.
उसने जोर लगाया, तो एक जोड़ की आवाज़ पुर्र पुर्र पुर्र के साथ सारा सड़का मेरे हाथ में आ गया.
मैंने उसे दिखाया.
उसने कहा- बहुत ही गाढ़ा माल है, मैं इसे पियूँगी.
मैंने उसे अपना माल तुरंत अपने हाथों से उसे पिला दिया और हम दोनों चिपक कर सो गए.
अगले दिन ग्यारह बजे हमारी ट्रेन गोरखपुर पहुंच गई और हमने शादी अटेंड की.
तब से आज तक इस बात को दो साल हो गए हैं.
किसी को पता भी नहीं चला है.
आज भी जब मौक़ा मिलता है, वह घर में अकेली होती है तो उसको जाकर चोद आता हूँ.
मज़े की बात बताऊं कि ट्रेन में गांड मरवाने बाद से आज तक वह सबसे ज़्यादा मुझसे गांड ही मरवाती है.
दोस्तो, अब विदा लेता हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप सबको सेक्स कहानी ज़रूर पसंद आयी होगी.
अपनी अगली सेक्स कहानी के साथ मैं जल्द आपसे मिलूँगा.
और हां, यह Xxx फ्रेंड सेक्स कहानी कैसी लगी, आप कमेंट में रिप्लाई ज़रूर करें.
मेरा नाम राज है और मेरी उमर १९ साल Hindi Porn Stories की है। मेरी दीदी मुझसे दो साल बड़ी है लेकिन उनका रंग काला है। पर फ़िगर के मामले में करीना कपूर है- ज़ीरो फ़िगर ! लेकिन उनके काले रंग के कारण कोई कभी उनकी तरफ़ देखता ही नहीं है। इसी कारण वे हमेशा उदास रहती और ज्यादातर घर में ही रहती हैं और पढ़ती रहती हैं।
मेरा रंग साफ़ है और शरीर भी गठीला है। मैं इन्ज़िनीयरिंग के दूसरे साल में हूँ। मेरे कॉलेज़ में कई लड़कियाँ पढ़ती हैं। मैंने कई लड़कियों से मित्रता की पेशकश की पर कोई भी घास नहीं डालती और मैं सेक्स का भूखा लड़का हूँ। मेरे घर में मैं, दीदी और और मम्मी-पापा हैं। पापा एक दवाई की कंपनी में एरिया मेनेजर हैं जो हमेशा टूर पर ही रहते हैं। मम्मी हमेशा घर और बाहर के कामों में ही लगी रहती हैं। दीदी मुझे अपना एक अच्छ दोस्त समझती हैं और हर छोटी बड़ी बात, समस्या के बारे में मुझसे बात करती हैं।
उनके रंग के कारण उनका कोई दोस्त नहीं है तो वो मुझे ही अपना बॉयफ़्रेंड समझती हैं। मैं उनको शुरू शुरू में तो दीदी के रूप में ही देखा लेकिन कुछ दिनों में मेरे अन्दर कुछ बदलाव आ गया था। मैं उनकी सेक्सी जीरो फिगर का दीवाना हो गया था इसलिए मैं उनके साथ रहने के लिए उनको अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता था और उनके साथ साथ ही रहता था। उनको भी अच्छा लगता था इसलिए उनको जहाँ कहीं भी जाना होता तो मुझे साथ लेकर जाती हैं। दीदी मेरे साथ बाइक पर हमेशा चिपक कर बैठती हैं लेकिन मैं उनका इस तरह बैठने की अदा को समझा नहीं। उनके स्तन मेरी पीठ से हमेशा चिपके रहते थे और वो इस बात पर कभी ध्यान नहीं देती थी। इस लिए मैं भी कुछ नहीं कहता था या करता था।
दीदी काफ़ी समय से अध्यापिका की नौकरी के लिए कोशिश कर रही थी और किस्मत से उन्होंने प्रवेश-परीक्षा पास भी कर ली। जिस दिन उनको परिणाम मिला, वो बहुत खुश थी, उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। खुशी में उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया और उनके स्तन मेरे सीने में गड़ गए। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर के बाद मम्मी आईं तो दीदी ने उन्हें भी अपने सीने से लगा लिया तो मैंने इस बात को सामान्य हरकत समझा और भूल गया।
कुछ ही दिनों में उनका साक्षात्कार था, जिसके लिए उन्हें भोपाल जाना था। तो मम्मी ने मुझे उनके साथ जाने की जिम्मेदारी सौंप दी क्योंकि और कोई था ही नहीं जो उनके साथ जा सके। मैंने भी हाँ कर दी।
हमें कुल तीन दिन लगने थे। हम लोगों ने पूरी योजना बना कर अपने कपड़े वगैरह लेकर भोपाल के लिए रवाना हो गए। दीदी के साथ अकेले रहने का इससे अच्छा मौका और नहीं मिल सकता था इसलिए मेरी खुशी का कोई पारावार ना था।
हम लोग शाम के छः बजे भोपाल पहुँचे। वहाँ पहुँच कर हम कोई होटल ढूंढने लगे। करीब तीन घण्टे तक होटल खोज़ने पर भी किसी होटल में कमरा खाली नहीं मिला क्योंकि अध्यापकों की भर्ती की संख्या ज्यादा थी इसलिए बहुत अधिक लोग पहुँचे हुए थे साक्षात्कार के लिए।
अंत में हम दोनों बहुत थक चुके थे कि एक होटल में हमें एक ही कमरा मिला। मैंने दीदी को बताया तो वो कहने लगी कि यही ले लो, हम काम चला लेंगे।
मैं कमरा बुक करने लगा और मैंने दीदी को कमरे में जने को कहा क्योंकि दीदी बहुत ज्यादा थकी हुई थी। दीदी वेटर के साथ कमरे में चली गई और मैं होटल का रज़िस्टर भरने लगा।
सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जब मैं चलने लगा तो रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति ने कहा- मैंने रज़िस्टर देखा है कि आप दोनों भाई बहन हैं इसलिए बता रहा हूँ कि रात को साढ़े दस बजे के बाद टीवी के चैनल ५ मत चलाईएगा क्योंकि तब इस पर केवल व्यस्कों के देखने लायक कार्यक्रम चलाए जाते हैं और आपके साथ आपकी दीदी हैं !
तो मैंने कहा- ठीक है ! धन्यवाद ! मैं अपने कमरे में आ गया। वहाँ वेटर दरवाज़े पर मेरा इन्तज़ार कर रहा था। मैंने उसे टिप दी तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- हैपी हनीमून सर ! कुछ चाहिएगा तो मुझे याद कर लीज़िएगा सर !
वेटर तो बोल कर चला गया, मैं समझ गया कि वेटर हमें पति पत्नी समझ रहा है। फ़िर मैं कमरे में आया तो दीदी पलंग पर लेटी हुई थी।
मैंने कहा- दीदी ! तुम बहुत थक गई हो ! थोड़ा फ़्रेश हो लो। फ़िर हम खाना खाएंगे।
दीदी बोली- तुम ठीक ही कहते हो !
और दीदी ने बैग खोल कर अपने कपड़े निकाले और बाथरूम में चली गई।
मेरे मन में वेटर की बात घूम रही थी और मैं दीदी के साथ अपने ही बारे में सोचने लगा। बाथरूम से दीदी के नहाने की आवाज़ आ रही थी। मैं कल्पना करने लगा कि काश मैं और दीदी साथ साथ नहाते !
मुझे लगता था कि वेटर की बात सच हो सकती है। मैं इस बारे में योजना बनाने लगा तो मुझे रिसेप्शन वाले की व्यस्क फ़िल्म वाली बात याद आई। तभी मैंने घड़ी में देखा तो सवा दस बजे थे। तो मैंने ५ नम्बर का चैनल लगाकर बैठ गया और रिमोट को तकिए के नीचे छुपा दिया, साथ में खाने का ऑर्ड्र भी दे दिया।
५ मिनट के बाद दीदी बाहर आई। उन्होंने सेक्सी फ़िगर पर सफ़ेद रंग की नाईटी पहनी थी। मैंने कभी भी उनको ऐसी नियत से नहीं देखा था। आज वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उन्होंने कहा- जाओ तुम भी नहा लो !
दीदी दर्पण में बाल बनाने लगी थी। उनका ध्यान टीवी पर नहीं था।
मैं तुरन्त बाथरूम में घुस गया। मैंने बाथरूम में देखा कि दीदी की पैन्टी और ब्रा वहाँ सूख रही थी और मैंने उन्हें बैग से कपड़े निकालते देखा था तो उन्होंने पैन्टी नहीं निकाली थी, सिर्फ़ ब्रा ही थी। तो मैं समझ गया कि दीदी ने पैन्टी नहीं पहनी है। मुझे लगा कि दीदी थकी हुई हैं इसलिए फ़्री होकर सोना चाहती हैं इसलिए पैन्टी नहीं पहनी।
फ़िर मैंने उनकी पैन्टी को सूंघा, उसमें से एक अजीब सी खुशबू आ रही थी। मैंने मस्तराम की किताबों में पढ़ा था इसीलिए यह सब कर रहा था। लेकिन मेरा ध्यान टीवी पर था। तभी मुझे ब्ल्यू फ़िल्म चालू होने की आवाज़ आई। मेरा ध्यान से दीदी की हरकतों पर था। मुझे कुछ देर तो टीवी की आवाज़ आई लेकिन थोड़ी देर बाद टीवी की आवाज़ बंद हो गई।
मैं समझ गया कि दीदी ब्ल्यू फ़िल्म देख रही हैं। उन्होंने रिमोट ढूंढ कर टीवी की आवाज़ बंद कर दी थी ताकि मैं ब्ल्यू फ़िल्म से आती कामुक आवाज़ें ना सुन लूँ।
बाथरूम में मैंने दीदी के नाम से मुठ मारी और उनकी चड्डी को पूरी तरह गीला कर दिया, फ़िर मैंने उसे धोया। मैं सिर्फ समय बिता रहा था ताकि दीदी अच्छे से गर्म हो जाये। करीब १५ मिनट के बाद मैं बाथरूम से बाहर निकला और कमरे में गया। मैंने देखा कि दीदी का हाथ दीदी की चूत में है उनकी नाईटी उठी हुई है। मुझे देखते ही वो घबरा गयी और तुंरत खड़ी हो गयी। जल्दी में वो चैनल भी बदल नहीं पाई। मैंने टीवी की तरफ देखा तो लड़का लड़की को पलंग पर लेटकर उसकी चूत चाट रहा था।
दीदी की ऑंखें लाल हो गई थी और शर्म से सर झुका हुआ था। शर्म तो मुझे भी आ रही थी, फिर मैंने चैनेल बदल कर दिया। दीदी चुपचाप दर्पण पर अपने बाल बनाने लगी और मैं भी कपड़े पहनने लगा। फिर मैं कोई पत्रिका पढ़ने का नाटक करने लगा। कमरे में शांति का माहौल था, न उनको और न मुझको बोलने की हिम्मत हो रही थी।
और फिर डोर-बेल बजने की आवाज़ आई मैं उठा और दरवाज़ा खोला तो देखा कि वेटर खाना ले कर आया है। उसने खाना मेज़ पर रखा, फिर खाना लगाकर कहा,“ सर मैं इसे कल सुबह ले जाऊंगा।”
मैंने उसे टिप दी और वो हंसते हुए चला गया।
मैं और दीदी खाना खाने लगे। दीदी की सहेली नहीं होने के कारण उन्होंने शायद कभी भी ब्लू फिल्म नहीं देखी थी, उनकी यह पहली बार थी इसीलिए उनका शरीर गर्म हो गया था और दीदी को सेक्स के बारे में भी खुछ खास पता नहीं था। खाना खाने के बाद हम दोनों ने पेपर-नैपकिन से हाथ पोंछा लेकिन पेपर नैपकिन के नीचे कंडोम के ४-५ पैकेट थे जो कि देखने में सौंफ के पाउच लग रहे थे। दीदी ने उसे सौंफ का पाउच समझ कर फाड़ा लेकिन उसके अंदर से कंडोम निकला।
दीदी ने कभी कंडोम देखा नहीं था इसीलिए मेरी तरफ देख कर पूछा और टीवी वाली घटना के बाद पहली बार मुझसे बात की- भाई ! यह क्या है?
“दीदी ये कंडोम है !”
तो दीदी ने टीवी पर कंडोम के बारे में सुना था तो समझ गई, फिर शर्म से चुप हो गई, फिर पूछा,”वेटर हमारे खाने के साथ कंडोम क्यों लाया है?”
तो फिर मैंने दीदी को पूरी बात बताई तो हंसने लगी और बोली- तुझे पता था कि टीवी पर ब्लू फिल्म चलेगी तो तूने जानबूझ कर उसी चैनल पर टीवी चलाया था !
दीदी थोड़ी देर में मेरे साथ खुल गई और सेक्स की बातें करने लगी। मुझे समझ में आ गया था कि वो ब्लू फिल्म देखने के बाद सेक्स के लिए तड़प रही है। दीदी ने कहा- मैंने कभी भी ब्लू फिल्म नहीं देखी है !
तो मैंने तुरंत ही टीवी पर ब्लू फिल्म लगायी। उसमें एक लड़की को लड़का डौगी स्टाईल में चोद रहा था।
दीदी- ये सेक्स का कौन सा तरीका है?
तो मैंने कहा- दीदी इसे डौगी-सेक्स कहते हैं !
दीदी- तू बहुत जानता है रे ! कभी किसी के साथ सेक्स किया है क्या?
तो मैंने कहा- दीदी कोशिश बहुत की लेकिन कोई लड़की पटी ही नहीं !
तो मैंने हिम्मत करके कहा- दीदी तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
तो उसने मुझे बहुत ही बुरी तरह डांटा और कहा- तुझे अपनी दीदी से ऐसी बातें करते हुए शर्म नहीं आती !
फिर मैं चुप चाप सो गया लेकिन मेरी आँखों में नींद नहीं थी और न ही दीदी की आँखों में।
रात को १ बजे दीदी ने मुझ से पूछा- क्या तुझे सेक्स करना है?
तो मैंने कहा- हाँ दीदी !
वो बोली- मैं तो काली हूँ?
मैंने कहा- दीदी सेक्स का मजा काले या गोरे से नहीं, फिगर से आता है और तुम सेक्सी हो !
मेरी बातों से वो गर्माने लगी और फिर सेक्स के लिए तैयार हो गई। मैंने दीदी को पूरी नंगी कर दिया और उनकी बिना बालों की चूत को चाटने लगा। वो ब्लू फिल्म की एक्ट्रेस की तरह चिल्लाने लगी- आ अ अह ! उ ऊ ऊउउऊ !
मैं उनको झड़ने तक चूसता रहा, फिर उनकी कुंवारी चूत के नीचे तकिया लगाकर थोड़ा ऊपर किया, फिर अपना खड़ा लण्ड उनकी चूत में घुसाया। धीरे धीरे लण्ड अंदर जाने लगा, वो दर्द से चिल्लाने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद शांत हो गई और सेक्स का पूरा मजा लेने लगी।
दीदी के साथ उस रात मैंने कई बार सेक्स किया और फिर मैं और दीदी तीन दिन तक होटल के कमरे में मियां बीवी की तरह ही रहे।
घर आकर भी हम मौका देख कर सेक्स करने लगे …… Hindi Porn Stories
मेरे एक रिश्ते के भाई, जो काफ़ी दिनों तक हमारे घर Hindi Sex Stories पर रहे थे, की शादी में मैं सपरिवार शामिल हुआ लेकिन मैं अपनी भाभी को देख नहीं पाया। मेरे पेपर थे, इसलिए मैं उसी रात को अकेला वापिस आ गया। लेकिन पेपर खत्म होने के बाद एक महीने की छुट्टी में मैं अपने उस भाई के घर गया तो मैंने पहली बार भाभी को देखा तो देखता ही रह गया। भाभी की लम्बाई करीब साढे पांच फ़ीट होगी और उनका रंग मानो दूध। भाभी के बाल तो उनके चूतड़ों से भी नीचे थे। उमर भी बीस-इक्कीस से ज्यादा नहीं लगती थी।
उनको मैं देखता ही रहा और कुछ बोल नहीं पाया। फ़िर भाभी बोली – आपका नाम अमित है ना ! मैं चौंक गया, इतनी सुन्दर आवाज?
मैंने उनसे कहा- भाभी जी नमस्ते ! हां भाभी मेरा नाम अमित ही है।
भाभी काफ़ी खिली खिली सी लग रही थी। शायद यह नई नई शादी का असर था।
भाई मुम्बई में सर्विस करते थे और उनकी शादी के कारण काफ़ी छुट्टियां हो गई थी, इसलिए उन्हें मुम्बई जाना था। उनका ट्रेन का रिजर्वेशन आज का ही था इसलिए भाभी कुछ उदास सी हो गई। लेकिन भैया को तो आज ही जाना था सो चले गए।
तो मैं रात को भाभी के पास ही सो जाता था, शायद भाभी को भी कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि मेरी उमर कम ही थी। भाभी और मैं काफ़ी घुलमिल गए थे। वो मेरे सामने ब्लाउज़ पेटिकोट में ही आ जाती थी और मेरे सामने ही साड़ी पहन लेती थी। इस हालत में भाभी को देख कर मेरे लण्ड में बहुत उत्तेजना होती थी और मैं चाहता था कि किसी तरह से उनकी चूची दबाउं और चूत देखूं। मैं अपनी उत्तेजना हस्तमैथुन करके ही शान्त करता था। बस इसी तरह मेरी एक महीने की छुट्टियां समाप्त हो गई और मैं अपने घर आ गया।
इस प्रकार चार साल चलता रहा लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पाई कि मैं कुछ कर सकूं। इस बीच उनके कोई बच्चा भी नहीं हुआ। अबकी बार जब मैं उनके घर गया तो मैंने भाभी से पूछा कि शादी को काफ़ी दिन हो गए हैं, खुशखबरी कब सुनाओगी?
तो उन्होंने कहा कि अभी मैंने ही आपके भैया से मना कर दिया है। कुछ दिनों बाद बच्चे के बारे में सोचेंगे। उस रात मैं उनके साथ ही बेड पर सो गया। भाभी भी ब्लाउज़ पेटिकोट में ही मेरे पास लेट गई और सो गई। मैंने थोड़ी हिम्मत की और अपना हाथ उनकी चूची पर रख दिया। भाभी की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने धीरे धीरे चूची को दबाना शुरू कर दिया। इससे आगे मेरी हिम्मत नहीं हुई और मैं उठ कर गया, हस्तमैथुन करके वापिस भाभी के पास लेट गया।
अगली रात को भी बस ऐसे ही हुआ। आज मैंने भाभी की चूची को थोड़ा जोर से दबाना शुरू किया। फ़िर ब्लाउज़ के ऊपर से ही उनकी चूची को अपने मुंह से चूमने लगा। मेरा उत्साह बढता ही जा रहा था। मैंने हिम्मत करके ब्लाउज़ के ऊपर के दो हुक खोल दिए। इससे भाभी की गोरी गोरी चूचियों का ऊपरी हिस्सा दिखने लगा जिसे मैं काफ़ी देर तक देखता ही रहा। फ़िर मैंने अपने होठों से उनकी चूचियों कि नंगे हिस्से पर किस किया और हाथ से दबाया। फ़िर मैंने उनके लाल लाल होठों को जीभ से चाटा। थोड़ी देर में मेरा वीर्य निकर में ही निकल गया। अपने आप वीर्य निकलने का यह मेरा पहला अनुभव था।
मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला। जब मैं सुबह जागा तो मुझे याद आया कि मैंने ब्लाउज़ के हुक तो बंद ही नहीं किए थे। मुझे बहुत डर लगा। हिम्मत करके मैं नहाने चला गया। नाश्ते के समय भाभी और मैं आमने सामने बैठ गए।
मैंने भाभी से पानी मांगा तो उन्होंने झूठे गिलास में पानी दे दिया। मैंने मज़ाक में कहा- मैं किसी का झूठा नहीं खाता।
तो भाभी ने फ़ौरन जवाब दिया कि मुंह से मुंह तो लगा लेते हो, लेकिन झूठा नहीं खाते। इस बात को सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गया। नाश्ता खत्म करके मैं बाहर चला गया और रात को ही घर आया।
रात को मैं भाभी से अलग लेट गया तो भाभी ने कहा- अमित ! क्या हुआ, आज मेरे पास नहीं लेटोगे?
मैंने कहा- आज मैं अलग ही सोऊंगा।
इस पर भाभी बोली- हां ! अब तुम काफ़ी बड़े हो गए हो और अपना निकर भी गंदा करते हो।
यह कह कर भाभी अलग ही लेट गई। लेकिन मेरे मन में तो भाभी की चूची और चूत के ही ख्याल आ रहे थे।
इतने में भाभी ने कहा- चलो, बहुत देर हो गई। अब आ ही जाओ मेरे पास। इतना सुनते ही मैं भाभी के पास आ गया। लेकिन आज भाभी काले रंग की साड़ी पहने थी और बहुत सुन्दर लग रही थी।
मैंने कहा- भाभी ! आज आपने साड़ी क्यों पहन रखी है, सोने का विचार नहीं है क्या।
भाभी बोली- तुम मुझे रात को सोने ही कहां देते हो। रात में मैं काफ़ी परेशान हो जाती हूं।
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- रात को तुम जो परेशान करते हो।
इतना सुनते ही मैं भाभी के और पास गया और कहा- भाभी आज मैं आपको परेशान नहीं करुंगा, लेकिन भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और मैं भाभी के पास ही उनके एक हाथ पर सिर रख के लेट गया। भाभी मेरी तरफ़ अपना मुंह करके लेट गई। फ़िर मैंने अपना एक हाथ भाभी के पेट पर रख दिया और भाभी ने अपनी आंखें बंद कर ली। अमिं समझ गया कि चार साल की मेहनत आज रंग लाई है।
फ़िर मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ घुमाना शुरू कर दिया। भाभी मुझ से चिपट गई। अब क्या था, मैंने देर ना करते ह्ये उनको किस किया। वो कुछ बोली नहीं। मैंने उनकी साड़ी को अलग कर दिया तो भाभी ब्लाउज़ और पेटिकोट में रह गई। आज मानो मेरी सारी मुरादें पूरी हो गईं। मैं इस कदर उत्तेजित था कि मैंने भाभी के मुंह के अन्दर अपनी जीभ दे दी जिसे भाभी काफ़ी आनन्द के साथ चूस रही थी। मैं पागल हुए जा रहा था, मैंने उनका ब्लाउज़ पेटिकोट भी अलग कर दिया।
भाभी के पूरे शरीर को चूमना शुरू किया तो वो तड़फ़ने लगी। शायद वो काफ़ी दिनों बाद यह सब कर रही थी। मैंने भाभी के पैरों को फ़ैला दिया और बीच में आकर मैंने उनकी चूत पर अपना लण्ड लगा दिया।
भाभी ने अपने चूतड़ उठा कर मेरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया। उनकी चूत से पानी सा आ रहा था जिससे मेरे लण्ड को उनकी चूत में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई और मैं उनकी चूत में जोर जोर से धक्का देने लगा। भाभी भी पूरे जोश से अपने चूतड़ों को उठा उठा कर मज़े लेने लगी।
काफ़ी देर बाद भाभी और मैं एक साथ चरम सीमा तक पहुंच गए। मुझे इस पल जैसा आनन्द कभी नहीं मिला था। उस रात मैंने भाभी को चार बार चोदा और हम कब सो गए, पता ही नहीं चला।
सुबह आंख खुली तो हम दोनो नंगे ही लेटे हुए थे। मैंने भाभी की चूची को चाटना शुरू किया तो वो भी जाग गई और फ़िर मैं और भाभी रात की ही तरह एक दूसरे को चूमने लगे। फ़िर मैंने भाभी को घोड़ी बना कर उनकी ली। लेकिन भाभी ने कहा – अमित तुमने अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया है और मुझे पीरियड्स भी अभी पांच दिन पहले ही हुए हैं।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।
उसके बाद मैं और भाभी रोज तीन चार बार सम्भोग करते रहे। आज भाभी के पास एक लड़का है जो मेरे सांवले रंग पर ही है। तब से आज तक जब भी हमें मौका मिलता तो चुदाई करते। लेकिन अब भाभी भैया के साथ मुम्बई में ही हैं। मैं दो बार ही वहां गया, भैया जब भी आफ़िस जाते तो मैं भाभी के साथ चुदाई करता।
दोस्तो ! यह कहानी कैसी लगी? मुझे लिखें ! Hindi Sex Stories
मेरा नाम राहुल शर्मा है मैं २५ साल का हूँ। मैं आज Sex Stories अपने सभी दोस्तों को अपने सेक्स और अपने कुँवारापन खोने के पहले अनुभव के बारे में बताना चाहता हूँ। तब हम लोग इलाहबाद में रहते थे और गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा के घर लखनऊ जाते थे। वहां हमारे दादा दादी के साथ हमारे ताऊ और ताई भी रहते थे। उनका बेटा भी वहीं रहता था और कॉलेज में पढ़ता था। वो लगभग २२ साल का था। उसका नाम था गोरव और हम उन्हें राजू भैया कहते थे।
उस साल हम जब छुट्टियों में वहां गए तो मैंने एक नया और अत्यधिक रोमांचक अनुभव किया। एक दिन रात को मैं उनके ही साथ सो रहा था अचानक मेरी नीद खुली और कुछ अजीब सा लगा मैंने देखा भैया मेरे बगल में नंगे लेटे हैं और वो मेरी निक्कर में हाथ डालकर मेरी लुल्ली को सहला रहे हैं।
मुझे शर्म आ गई मैंने कहा- भैया ये क्या कर रहे हो?
आखिर वो मेरा बड़ा भाई था। वो बोला- कुछ नहीं ! अब तुम बड़े हो गए हो और मैं यह देख रहा था कि तुम कितने बड़े हुए हो?
मैंने कहा- ऐसे कैसे पता चलता है?
उन्होंने कहा- पहले अपनी चड्ढी उतारो फ़िर समझाता हूँ !
मैंने कहा- मुझे शर्म आती है।
वो बोला- अगर मुझसे शरमाओगे तो लड़की के साथ कैसे सेक्स करोगे?
सेक्स का तो नाम ऐसा है कि कोई भी अपने आप उसकी तरफ़ बह जाएगा मैं भी तैयार हो गया पर शरमा रहा था। उन्होंने अपने लण्ड को हिला कर खड़ा किया तो मेरी तो साँस ही अटक गई, वो मेरे हाथ की कलाई के बराबर मोटा था और करीब ७ इंच लंबा था। मुझे उनका लण्ड देखने में बड़ा मजा आया। वो बोले- तुम्हारा भी खड़ा होता है या ऐसे ही लटका रहता है?
उनके लण्ड को देख कर मेरा भी लण्ड टाइट होने लगा और धीरे धीरे खड़ा हो गया। उनके लण्ड के सामने मेरे छोटे से लण्ड की क्या औकात जो उनके पैर के अंगूठे से थोड़ा पतला और लम्बाई में ४.5 इंच का था।
भैया बोले- अब तुम भी बड़े होने लगे हो !
मैंने कहा- अच्छा ! कैसे?
बोले- कभी मुठ मारी है?
मैंने कहा- वो क्या होता है?
बोले- इसको यानि लण्ड को हिलाने से सफ़ेद सफ़ेद जो निकलता है उसे माल कहते हैं।
मुठ मारने में तो मुझे भी बहुत मज़ा आता था।
भैया वैसे भी इतने सुंदर थे कि कोई भी लड़की उनके आगे अपनी टांगे फैला देती ! और वो थे भी बहुत बड़े चुद्दकड़।
बोले- कभी किसी लड़की की चूत देखी है?
मैंने कहा- नहीं !
वो बोले- रुको ! मैं दिखाता हूँ !
उन्होंने अपनी अलमारी से किताबों की एक गड्डी निकाली जो सारी नंगी तस्वीरों, चुचियों, गाण्डों और चुदवाती हुई लड़कियों और गाण्ड मराते हुए लड़कों की तस्वीरों से भरी पड़ी थी। उन्हें देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि अपने घर में ये सब मुझे कहाँ से मिलता और मुँह से ज्यादा पानी मेरे लण्ड से निकलने लगा था।
वो बोले- क्या हुआ? झड़ गया?
मैंने कहा- नहीं ! गीला हुआ है। क्यूंकि माल नहीं टपका था।
भैया बोले- लड़की चोदने का मज़ा लोगे?
मैंने कहा- हाँ ! पर लड़की कहाँ है?
वो बोले- मेरी गाण्ड मारो ! वही लड़की चोदने जैसा मज़ा और गर्माहट मिलती है।
बस फ़िर क्या था, वो पेट के बल बेड पर लेट गए और बोले- डालो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दो।
मेरे लिए अजीब सा था पर चोदने का मज़ा लेने के लिए मैंने लण्ड बढ़ा दिया। पहले तो हल्का सा गया और मुझे दर्द सा होने लगा तो बोले- तुम्हें क्यों दर्द हो रहा है? गाण्ड तो मैं मरवा रहा हूँ !फ़िर उन्होंने थोड़ा सा तेल अपनी गाण्ड में लगाया और फ़िर तो मेरा लण्ड ऐसा दौड़ा कि माइकल शूमाकर की फरारी भी हार जाती पर मैं तीन मिनट में ही झड़ गया।
भैया बोले- ऐसे करोगे तो मज़ा नही आयेगा। पहले थोड़ी देर हलके हलके करो जब मज़ा आने लगे तब स्पीड बढ़ाओ।
मुझे सबक मिल चुका था। फ़िर मैं करीब घंटे भर तक उनकी नंगी नंगी फोटो वाली किताबें और चुदाई वाली कहानियाँ पढ़ता रहा। अब मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया था और मैंने फ़िर से भैया की गाण्ड मारी। इस बार मैंने १० मिनट तक अपने लण्ड को झड़ने नहीं दिया मैंने और भैया ने बराबर मज़ा लिया।
फ़िर मैंने उनसे कहा कि तुम भी मेरी गाण्ड मारो ! मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहता हूँ।
उन्होंने बहुत मना किया, बोले- तेरी गाण्ड अभी बहुत छोटी है, फट जायेगी !
जब मैंने बहुत जिद की तो वो मान गए और जैसे ही अपने लंबा चौड़ा खली जैसा लण्ड मेरी गाण्ड में डालने की कोशिश की तो मेरी आँखों से आंसू निकल गए।
वो बोले- अब मैं नहीं मारूँगा !
मैंने कहा- भैया धीरे धीरे करना और पहले मेरी गाण्ड में तेल लगा दो।
उन्होंने ढेर सारा तेल मेरी गाण्ड में उड़ेल दिया फ़िर लण्ड को सहलाते सहलाते मेरी गाण्ड में डाला। कसम से बहुत दर्द हुआ। फ़िर हल्के हल्के अन्दर बाहर करते हुए उन्होंने पूरा मज़ा लिया और मुझे भी बहुत मज़ा आया।
फ़िर तो हम लोग हर रात यही लण्ड गाण्ड का खेल खेलते रहे। मैं अक्सर उनके साथ नहा भी लेता, हम लोग बाथरूम में देर तक नहाते, एक दूसरे के लण्ड से खेलते और फ़व्वारे के नीचे लेट कर गाण्ड गाण्ड खेलते थे। किसी को हम पे शक भी नहीं होता था कि हम इतनी देर तक बाथरूम में क्या करते हैं क्यूंकि घर वालों के लिए तो हम भाई थे पर आपस में हम बहुत अच्छे दोस्त हो गए थे।
मैंने पूरी छुट्टियाँ ऐसे ही मज़े लेकर बिताईं। जब भी घर वाले कहीं जाते तो हम दोनों घर पर ही रुकते और गाण्ड गाण्ड खेलते। मैंने तभी पहली बार अपने झांट के बाल भी उनके साथ शेव किए।
ये छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद हम इलाहबाद वापस आ गए। मुझे उनकी बहुत दिनों तक याद आई। फ़िर जब भी कोई छुट्टी होती तो मैं लखनऊ चला जाता और उनके साथ मजे लेता था इस गाण्ड गाण्ड के खेल के। मेरी कई गर्ल फ्रेंड भी बनी उन्हें भी बहुत चोदा, वो कहानियाँ फ़िर कभी सुनाऊंगा।
अब मेरी शादी हो चुकी है और उनकी भी पर आज भी जब कभी हमे मौका मिलता है हम गाण्ड गाण्ड खेलते हैं। आप लोग भी इस खेल का मज़ा लीजिये क्यूंकि इसमे न तो लड़कियों के नखरे उठाने पड़ते हैं न ही लड़की के गर्भ वाला खतरा होता है और लण्ड और चूत दोनों की प्यास बुझ जाती है। Sex Stories
यह एक सच्ची कहानी Antarvasna है। मैं पेंटिंग की क्लास अपने घर पर लेता था, मेरी क्लास में ज्यादातर लड़कियाँ ही सीखने आती थीं।
एक दिन एक नई लड़की प्रवेश लेने आई। वह इतनी सुन्दर थी कि मैं देखता रह गया। छरहरा बदन, औसत ऊँचाई, गोरी-चिट्टी, सेक्सी नाक नक्शा। पहली नजर में मेरे बदन में सनसनाहट पैदा हो गई। उसने अपना नाम रिंकी बताया, क्लास 12 की विद्यार्थी थी, उम्र 18-19 साल होगी।
वह रोज क्लास में आने लगी। कुछ दिन बाद वह अपनी ही क्लास की एक सहेली को ले कर आई। मैं जानबूझकर उसे अपने सामने बैठाता था और उसके रूप को निहारते रहता था। वह झुक कर जब पेंटिंग बनाती थी तब उसकी आधी चूची मैं देखकर पागल हो जाता था। मेरा लंड खड़ा हो जाता था। जब भी उससे नजर मिलती, मैं पैंट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को अपने हाथ से उसे दिखाते हुए दबा देता था।
वह धीरे धीरे मेरी नियत समझ गई, अब वह भी बार बार मुझे देखने लगी, मैं समझ गया कि उसे भी मजा आने लग गया था।
कुछ दिन के बाद मैं उसे अपने बगल में बैठाने लगा। अब उसे ड्राइंग सिखाने के बहाने उसके बदन को छूने लगा। ऐसा करने से उसके बदन में उत्तेजना होने लगती थी और वो कसमसा जाती थी। मैं धीरे धीरे उसकी चुचियों को कपड़ों के ऊपर से ही छूने लगा। ऐसा करने से वह चिंहुक जाती थी।
अब वह जानबूझ कर मुझसे ज्यादा सट कर बैठने लगी। मैं समझ गया कि उसे भी वही चाहिए जो मुझे!
एक दिन मैंने उसके दुपट्टे के अन्दर हाथ डालकर उसकी चूची को जोर से दबा दिया तो वह काँप उठी। अब वह बिना ब्रा पहने आने लगी। जब झुकती थी तो उसकी चुचियों के निप्पल भी दिख जाते थे। अब सबकी नजर बचाकर उसके कुरते के गले में हाथ डालकर उसकी चुचियों को मसल देता था। वह मस्त हो जाती थी। अब वह क्लास में समय से पहले आने लगी और आकर मेरे बगल में चिपक कर बैठ कर मुझसे चुचियों को मसलवाने का मजा लेने लगी।
एक दिन अकेले में मैं उसे अपने हाथों से जकड़कर अपने बदन में समाकर उसके होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा तो उसने भी कस कर मुझे अपने हाथों से बांध लिया। अब मैं उसके टॉप में हाथ डाल क़र उसकी चुचियों को मसलने लगा। मेरी पैंट से मेरा लंड खड़ा होकर उसके बदन से टकराने लगा। वह मेरे चूतड़ पकड़कर खींचने लगी जिससे मेरा लंड उसकी उसकी बुर से ऊपर से चिपकने लगा।
मैं उसकी चुचियों से हाथ हटाने लगा तो वह मेरा हाथ पकड़ कर बोली- सर, और मसलिये! खूब जोर जोर से मसलिये सर! कुछ कीजिये सर!
मैंने उससे कहा- अभी इतना ही! क्योंकि बाकी लड़कियाँ अब आने वाली हैं, कल स्कूल न जाकर चुपचाप मेरे पास आ जाना! मैं सुबह तुम्हारा इन्तजार करूँगा।
उसने कहा- कैसे आऊँगी सर! रूमा भी मेरे साथ स्कूल जाती है।
रूमा भी मेरे क्लास में ड्राइंग सीखने आती थी। मैंने उससे कहा- वह तो तुम्हारी पक्की दोस्त है। उसे तो कुछ कुछ पता ही होगा तुम्हारे और मेरे सम्बन्ध के बारे में!
रिंकी ने कहा- सर, वह सब जानती है और मुझसे पूछती है कि कैसा लगता है जब सर तुम्हारी चूची मसलते हैं। मैं उसे कहा कि मसलवाओगी तब पता चलेगा कि कितना मजा आता है।
तब मैं रिंकी से बोला- आज थोड़ा मजा उसे भी दे देंगे। उसे आज मेरे दूसरे बगल में बैठने को कहना। मैं उसे भी उत्तेजित कर दूंगा। कल उसे भी अपने साथ ले आना। वह आ भी जायेगी और किसी को बोलेगी भी नहीं!
जब सभी लड़कियाँ आईं तो रिंकी ने रूमा को मेरे दायें बगल में बैठा दिया और खुद बांये बगल बैठ गई। मैं मौका देख कर कपड़े के ऊपर से ही रूमा की चुचियों को दबा देता। वह कसमसा जाती और मुझसे और सटने लगी। रिंकी तिरछी नजरों से सब देख रही थी। जब क्लास ख़त्म हो गई तो मैंने रिंकी और रूमा को किनारे बुलाकर कहा- कल तुम दोनों स्कूल जाने के बहाने मेरे पास चली आना। बहुत अच्छा पेंटिंग सिखाऊँगा।
रिंकी तो पहले से तैयार थी, बोली- मैं आ जाऊँगी पर रूमा आएगी तब न!
मैंने रूमा से पूछा- क्या तुम मेरा कहना नहीं मानोगी?
रूमा ने कहा- ठीक है सर! आ जाऊँगी।
मैंने दोनों को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा- ठीक है! मैं इंतजार करूँगा।
दूसरे दिन सही समय पर दोनों आकर मुझे अभिवादन कर मेरे दोनों बगल बैठ गई। मैं दोनों की चुचियों को दबाने लगा दोनों बिना ब्रा पहने ही आई थी। रिंकी तो कहने लगी ‘सर अन्दर हाथ डालकर खूब जोर से दबाइए।
मैं दोनों के टॉप में हाथ डालकर मसलने लगा, उन्हें मजा आने लगा।
मेरा लंड एकदम टाइट होकर खड़ा हो गया। रिकी से नहीं रहा गया, वह अपनी हथेली को मेरे लंड के उभार पर रखकर दबाने लगी।
कुछ देर के बाद मैं रिंकी के टॉप के बटन खोल कर उसकी एक एक कर दोनों चुचियों को निकलकर अपने मुंह में भर कर चूसने लगा। रिंकी सी-सी करने लगी।
फिर मैं उसके टॉप को अलग कर के उसके निप्पल को मसलने लगा साथ साथ दूसरे हाथ से उसके बदन के सभी भाग को सहलाते हुए स्कर्ट के ऊपर से ही उसकी बुर को दबाने लगा, रिंकी चिहुंक कर मुझसे जोर से चिपक गई और एक हाथ बढ़ाकर मेरे लंड को ऊपर से ही दबाने लगी, बोलने लगी- सर प्लीज कुछ कीजिये, अब नहीं रहा जा रहा है। मैंने कहा- ठीक है! जरा रुको! रूमा को भी कुछ मजा दे दूं!
कह कर मैंने रूमा को आगोश में भर लिया उसके एक-एक अंग से खेलने लगा। फिर उसके कान में कहा- रिंकी बहुत गर्म हो गई है उसे अब चुदवाने का मन कर रहा है। तुम यहीं रुको। पहले उसे पहली चुदाई का मजा दे दूँ। जब मैं उसको चोदूंगा तो तुम दरवाजे पर आकर सब कुछ अपनी आँखों से देखना। देखना कैसे उसकी पहली सील टूटती है।
फिर मैंने रूमा को छोड़ रिंकी को बाँहों में भर कर उसके होठों को कस कर चूमा, फिर उससे कहा- देखो रानी, अब तुम चुदवाने के लिए तैयार हो, लेकिन एक बात बता देता हूँ कि पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को तुम्हारी छोटी सी अनचुदी बुर में घुसाने में शुरु में बहुत तकलीफ होगी। तुमको शुरू में तकलीफ बर्दाश्त करनी होगी। लेकिन धीरे धीरे तुमको जन्नत का मजा आने लगेगा।
उसने कहा- बाप रे! इतना लम्बा लंड मेरी बुर में कैसे घुसेगा? जाने दीजिये, फट जाने दीजिये मेरी बुर को। इसने मुझे बहुत तड़पाया है। चलिए मैं तैयार हूँ! जल्दी चोदिये मुझे!
कह कर वह मेरे पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल कर हाथ से रगड़ने लगी। फिर उचक कर स्कर्ट उठाकर अपनी बुर के ऊपर मेरे सख्त लंड को रगड़ने लगी।
मैंने रूमा को देखा कि वह अपने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपनी बुर से खेल कर रही थी।
अब मैं रिंकी के पेंटी के अन्दर हथेली डाल कर उसकी बुर में उंगली घुसा दिया तो वह आह आह करने लगी, कहने लगी- और अन्दर घुसाइए सर, एक नहीं दो-तीन उंगली डालिए प्लीज! आह सर, बहुत अच्छा लग रहा है। और, और अन्दर डालिए आह सर, अब मुझे जल्दी चोदिये! मुझे असली मजा दीजिये सर! मेरे बुर में पेल दीजिये इस लंड को। हाय, अब नहीं रुक सकती!
कह कर मेरे लंड को मुंह में भरकर होठों और जीभ से चूसने लगी। मैं पलट कर रूमा को देखा तो अपने बुर में उंगली डाल रही थी। मुझे देख कर वह शर्म से अपना मुंह छिपाने लगी।
मैंने अब रिंकी को अपने गोद में उठा कर दूसरे कमरे में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके सारे कपड़े एक एक कर उतार दिए, अब वह सिफ पैंटी में थी। मैं उस पर चढ़ कर उसकी चुचियों को मसलते हुए उसके होंठों को चूसने लगा। फिर उसकी बुर में उंगली डालकर आगे पीछे करता रहा।
अब रिंकी मेरा लंड पकड़ कर रगड़ने लगी। मैंने उठकर 69 के पोजीशन में आकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और मैं अपने जीभ से रिंकी की बुर को चाटने लगा। वह उम्-उम् कर मजा लेने लगी।
कुछ देर बाद वह बोल उठी- सर, अब अपना लंड मेरी बुर में डालिए! सर जल्दी डालिए, आहा अब चोदो सर, चोदो न प्लीज!
अब मैं उठकर बैठ गया तो वह अपनी टांगों को फैला कर बोली- लीजिये डाल दीजिये इसमें अपना लंड!
मैंने अपने लंड की सुपारी उसकी बुर के मुँह पर रख दी तो वह शी-शी करने लगी, मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर ले आई और कहने लगी- जल्दी घुसाओ सर!
मैंने उसकी कमर पकड़ कर हल्का सा धक्का दिया तो मेरा लंड उसकी बुर में नहीं घुसा, उसका बुर इतना टाइट था कि लंड घुस नहीं पा रहा था। मैं उठ कर खड़ा हो गया तो वह मेरा हाथ पकड़कर खीचते हुए बोली- क्या हुआ? चोदो न सर!
मैं बोला- तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है। ऐसे नहीं घुसेगा! थोड़ा तेल लगाना पड़ेगा, मैं तेल लेकर आ रहा हूँ।
मैं कमरे से निकलने लगा तो देखा कि रुमा दरवाजे में खड़ी होकर सब देख रही थी। मैं रुमा की चूची पकड़ का खींचते हुए किचन में ले गया और उसकी बुर में उंगली डाल कर रगड़ने लगा। फिर उससे कहा- तुम रिंकी की पूरी चुदाई दरवाजे से देखती रहना!
मैंने तेल की शीशी उठाकर रुमा की बुर पर हाथ रखते हुए उसे दरवाजा पर खड़ा कर दिया और कमरे में घुसा तो देखा कि रिंकी आँख बंद कर अपनी बुर में उंगली कर रही थी। मैं फिर उसकी टांगें फैलाकर बीच में बैठ गया और तेल निकाल कर उसकी बुर के छेद में डाला और उंगली से तेल उसकी बुर के अन्दर करने लगा, दो उंगली ड़ाल कर उसकी बुर को तेल से चुपड़ दिया।
रिंकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर छटपटाने लगी। फिर मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाकर मालिश कर दिया। मैंने रुमा की ओर देखा तो वह अपनी बुर में उंगली कर रही थी और सबकुछ गौर से देख रही थी। रिंकी को कुछ पता नहीं था कि रुमा देख रही है।
अब मैं अपने लंड को रिंकी की बुर के छेद पर रख कर कमर से एक धक्का दिया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी बुर में फंस चुका था।
रिंकी चिल्लाई- नहीं सर, मत डालिए! बहुत दर्द हो रहा है! छोड़ दीजिये प्लीज! अभी नहीं बाद में! हाय मैं मर गई! निकालिए!’
मैंने उसी हालत में रहते हुए उसे समझाया- थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो! बस थोड़ा दर्द सह लो, आखिर कभी भी तो चुदवाओगी ही! और तब भी दर्द करेगा! तो आज ही बर्दाश्त कर लो!’
कह कर उसे खूब प्यार से पुचकारने लगा तो वह मान गई और बोली- ठीक कीजिये जो करना है, पर जरा धीरे-धीरे! नहीं तो मैं मर जाऊँगी, फिर आप किसको चोदेंगे!’
मैंने साहस कर इस बार उसके मुंह पर हाथ कर एक करारा झटका दिया तो मेरा आधा लंड घुस चुका था, रिंकी छटपटाने लगी उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े, पर मैं उसे दबोचे रहा और धीरे आधे लंड को आगे-पीछे करने लगा।
धीरे-धीरे उसका छटपटाना बंद हुआ, अब मौका देख कर मैंने एक और जोर का धक्का लगा दिया और पूरा लंड उसकी बुर में घुस चुका था।
रिंकी मुझे धक्का देकर अलग करना चाहती थी पर मैं उसे उसी पोज़ीशन में जकड़े रहा और कहा- बस रानी! अब दर्द नहीं करेगा! अब तुम जन्नत का मजा लोगी! बस मेरा साथ देती रहो’
और मैंने धीरे से थोड़ा सा अपने लंड को पीछे खिंचा और फिर उसी तरह जड़ तक घुसा दिया। तीन चार बार ऐसा किया तो वह आह आह करने लगी। मैं समझ गया कि अब उसे मजा आने लगा है। अब मैं स्पीड बढ़ाने लगा। कुछ देर बाद मैं महसूस किया कि रिंकी भी नीचे से धक्का देने लगी है।
फिर क्या था मैं सटासट, जोर से आगे-पीछे धक्का देने लगा।
अब वह बोलने लगी- हाँ सर, इसी तरह, हाय मेरे राजा कितना अच्छा, हाय घुसाओ जोर जोर से चोदो सर, खूब चोदो सर, फाड़ दो राजा, भरता बना दो मेरी बुर का! हाँ, ऐसे ही चोदो, चोदो, खूब चोदो, आह चोदते रहो सर, मैं आपकी हो गई सर, खूब मजा दे रहे हो, हाय आह-आह आह! मेरे सोना सर कितना अच्छा है.. सर अब मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई। मेरी बुर का चिथड़ा निकाल दो, हाय जोर से, और जोर से, करो, करो हाय, चोदो जोर से चोदो, मारो धक्का, लो मैं भी धक्का देती हूँ चोदो, और जोर से और..जो र से च ओ दो चो दो हाय मैं गई! मैं गई राजा! हाय गई!
और वह झड़ गई।
मैं फिर भी उसे जोर जोर से धक्का लगाकर चोदता रहा। और मैं बोलने लगा- रिंकी रानी कैसा लगा, हाय मजा आया न, मैं बोला था न, जन्नत का सैर करा दूंगा। लो अब मैं भी गया, रानी हाय आ..अ..आ.’
और मेरा सारा वीर्य रिंकी की बुर में झड़ गया। मैं पांच मिनट तक रिंकी की बुर में लंड डाले रहा और उस पर लेटे रहा। फिर उठ कर लंड बाहर कर लिया। मैंने देखा कि रिंकी आँखे बंद कर सुध-बुध खोकर एक नशे में डूबी हुई है।
मैं उसे उसी अवस्था में छोड़कर रूमा, जो दरवाजे पर खड़ी थी, के पास जाकर उसे कस कर चूम लिया और कहा- कैसा लगा चुदाई का खेल?
तो वह शर्म से लाल हो गई।
मैं उसकी चूची पकड़कर क्लास वाले कमरे में ले गया और उसकी बुर में उंगली डाल कर तैयार करने लगा। वह भी मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी, मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।
मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और वह उसे लॉलीपॉप जैसा चूसने लगी। इतने में रिंकी उस कमरे में आ गई। रूमा के साथ यह सब करते देख वह गुस्से में लाल हो गई और रूमा को एक चपत लगा कर धकेल दिया और बोली- रूमा तुमको सर के साथ इतना करने की इजाजत मैं नहीं दूंगी। सर सिर्फ मुझे चोदेंगे। सिर्फ मुझे। बस मैं तुम्हें सर से सिर्फ ऊपर तक की ही इजाजत दे सकती हूँ। खबरदार, जो इससे आगे बढ़ी। सर सिर्फ मेरे हैं!’
फिर दोनों ने ठीक से अपना अपना स्कूल ड्रेस पहना और आइने की मदद से बाल वगैरह ठीक किए। रिंकी ने मुझसे जोर से चिपक कर मुझे जबरदस्त चुम्बन दिया और बोली- सर, मैं तो डर गई थी, पर अब पता चला कि आपके लंड को लेकर मैं जन्नत पहुँच गई। मैं अभी भी उसी में खोई हुई हूँ। सर अब जब चाहें मुझे चोद सकते हैं। मैं तो दिन रात आप से चुदवाते रहती! पर मजबूरी है। जाना तो पड़ेगा ही, फिर मिलेगे, फिर चुदाई का खेल खेलेंगे। मुझे तो लग रहा है कि मैं आपके लंड को अपनी बुर में रख कर के ले जा रही हूँ, हाय सर, है आपका लंड!
कह कर जाते मेरे लंड पर किस कर ली और ‘बाई सर, बाई आपका लंड!’ कहते हुए मेरे लंड को मसल कर मुझे फिर किस देकर चली गई। Antarvasna
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