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पति सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरा पति मुझ पर शक करने लगा था कि मैं बाहरी लंडों से चुदती हूँ। तो एक रात मैं पति से चुदने के मूड में घर गयी. वहां क्या ड्रामा हुआ?
दोस्तो, मैं सिमरन, फिर से अपनी हॉट सेक्स स्टोरी के साथ लौट आई हूं।
पिछले कुछ दिनों से मैं अपने ऑफिस के काम में इतनी व्यस्त हो गई थी कि चुदाई के बारे में सोचना जैसे बंद ही कर दिया था मैंने!
दिमाग की दही हो गई थी।
मेरे अंदर की सारी फीलिंग्स जैसे सूख गईं थी।
मेरे साथ काम करने वाले लोगों को लगने लगा था कि मैं पागल हो चुकी हूं।
लेकिन मेरे पति को लगता था कि मैं दूसरे लड़कों के साथ चुदाई करवाकर उसको धोखा दे रही हूं।
वह मुझे कभी भी कॉल कर देता था, यह देखने के लिए कि कहीं मैं किसी के पास चुदाई तो नहीं करवा रही!
इन बेवजह की कॉल्स ने मेरे दिमाग का बैलेंस खराब कर दिया था।
इन दिनों मुझसे फोन पर बात करते हुए वह बताता था कि मेरा पति सेक्स करते हुए किन डर्टी पोजीशन में वह मुझे चोदना चाहता है।
दारू के नशे में कई बार तो वह मुझे रंडी कहता था जो अपने पति को भूल चुकी है।
इसलिए अपना काम खत्म करके एक छोटी सी ऑफिस पार्टी के बाद मैं अब चुदाई का पूरा मजा लेना चाहती थी।
तो सबसे पहली चीज जो मैंने की वो ये कि मैं पार्लर गई और अपनी बॉडी (जरूरी जगहों पर) के सारे बाल साफ करवा दिए।
मैंने एक नया लुक कैरी किया।
जब मैं शीशे के सामने आई तो देखकर हैरान रह गई कि मैं थोड़ी मोटी होने के बाद कितनी सेक्सी लग रही थी!
मेरा बदन अब विद्या बालन जैसा लग रहा था।
अगर आपको विद्या बालन की ‘डर्टी पिक्चर’ याद है तो मैं बिल्कुल ‘सिल्क’ जैसी ही लग रही थी।
मैं अपने हस्बेंड को सरप्राइज देने और उसके लंड को खुश करने घर पहुंची।
लेकिन घर पहुंचने के बाद उसके बदले हुए तेवरों से मैं ही सरप्राइज हो गई।
मैं- हो क्या गया है तुम्हें! तुम तो मुझे चोदने के लिए मरे जा रहे थे तो अब क्यों नहीं चोद रहे हो?
पति के सामने मैं पारदर्शी नाइटी में खड़ी थी, मैंने अंदर से सफ़ेद ब्रा पैंटी पहनी थी ताकि पति सेक्स के लिए उत्तेजित हो जाए.
हस्बेंड (नशे में)- फक ऑफ बिच! (निकलो यहां से, रंडी!)
मुझसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ।
मैंने उसके फुस्सी लंड पर खूब ताने मारे जो अब उठना बंद हो चुका था।
रात के 11.30 बज रहे थे।
वह बेड से उठा और घर से बाहर निकल गया।
मैंने अपने कॉलेज वाले यार को कॉल किया लेकिन वह फोन नहीं उठा रहा था।
तो मैंने अपना वाइब्रेटर लिया और हार्ड सेक्स के बारे में कल्पनाएं करने लगी।
मेरे पति ने फोन पर जो सेक्सी बातें की थी, मैं उन सबके बारे में सोचने लगी।
पति सेक्स की सोचते हुए ही मैं गर्म होने लगी।
मैं अपनी गांड पर तमाच मारने लगी; चूचियों को चांटें लगाने लगी और निप्पलों को खींचने लगी।
अपनी चूत को भी मैं थ्रीसम सेक्स घटनाओं के बारे में सोचते हुए जोर से रगड़ने लगी।
अब किसी मर्द को अपने इशारों पर नचाने की फीलिंग मुझे नहीं आ रही थी क्योंकि इस वक्त मुझे सेक्स चाहिए था।
चूत चुदवाने के लिए मरी जा रही थी मैं!
ऐसा पहली बार हो रहा था जब लंड न मिलने पर मैं झुंझलाने लगी थी।
यहां तक कि मैं अपनी बिल्डिंग में रहने वाले एक दो कॉलेज के लड़कों को बुलाने तक के बारे में भी सोचने लगी थी।
हालांकि वे दोनों रोज मेरी बॉडी को ताड़ते थे और मुझे रोज चोदने के ख्यालों में डूबे रहते थे।
किस्मत से मेरे बॉयफ्रेंड का फोन मेरे पास आ गया।
मैं उसकी आवाज सुनकर बहुत खुश हो गई।
उसको भी पता चल गया होगा कि मुझे उसकी कितनी जरूरत महसूस हो रही है।
वह बोला- क्या हुआ रंडी! लग रहा है लंड की जरूरत है तुझे!
मुझे नहीं पता उसे क्या हो गया था।
नशे में होने के बाद भी वह मुझसे ऐसे बात नहीं करता था।
मैंने थोड़ा घबराते हुए उसे याद दिलाया कि ये मैं थी।
वह बोला- हां जानता हूं, ये तुम ही हो, सिमी! मैंने तुझे रंडी इसलिए बुलाया क्योंकि तुम मुझे तभी कॉल करती हो, जब तुम्हें लंड चाहिए होता है, जैसे कि मैं ही तुम्हारी रंडी हूं।
मैं जानती थी कि वह ये सारी बातें सच ही बोल रहा था।
लेकिन उस वक्त वही था जो मेरी चूत को लंड दे सकता था।
और मैं इस वक्त कोई भी चांस नहीं लेना चाहती थी अपनी चूत की प्यास मिटाने के लिए।
मैं- मैं सेक्सी साटिन की नाइटी में तुम्हारा इंतजार कर रही हूं। मेरा फुद्दू पति घर पर नहीं है। इसलिए बकवास बंद करो और जल्द से जल्द मेरे घर आ जाओ।
आधे के बाद मेरे घर की डोरबेल बजी।
मैं दरवाजे की ओर बढ़ी।
दोनों तरह के विचार मेरे मन में आ रहे थे।
सोच रही थी कि अगर मेरा हस्बेंड हुआ तो चोरी छिपे चुदाई करने का मेरा सारा प्लान खराब हो जाएगा।
मैंने दरवाजा खोला तो देखकर मैं चौंक गई।
मेरा बॉयफ्रेंड मेरे पति के साथ था और पति पूरा नशे में डूबा था।
मैं तो यह भी नहीं समझ पा रही थी कि ये दोनों आखिर मिले कहां?
सड़क पर या किसी बार में!
मैंने उन दोनों को अंदर लिया और दरवाजा बंद कर दिया।
मेरा पति चलने की हालत में नहीं था तो बॉयफ्रेंड ने उसको सोफे तक घसीट कर बिठा दिया।
अब मैं और मेरा बॉयफ्रेंड दोनों ही पति के सामने खड़े थे।
वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा है।
उसके सामने ही मेरा बॉयफ्रेंड मेरे चूतड़ों को भींचते हुए उन पर चिकोटी काटने लगा।
मेरा मूड अब खराब हो चुका था लेकिन वो कोशिश कर रहा था कि मैं फिर से गर्म हो जाऊं।
पति (जैसे चिल्लाते हुए)- जान, तुम जानती हो ये कौन है?
मैंने सोचा कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि मेरे बॉयफ्रेंड ने बता दिया होगा कि वो मेरा पुराना यार है। उधर मेरे बॉयफ्रेंड के चेहरे का आत्मविश्वास देखकर मैं सोच में पड़ गई थी कि आखिर कौन सा सरप्राइज मेरे सामने आने वाला है।
पति- इसका नाम प्रेम है, यह जवान लड़के-लड़कियों के लिए एक लव गुरू है। मुझे लगता है कि तुम्हें भी इसके साथ हमारी मैरिड लाइफ के बारे में बात करनी चाहिए। आह … अह … मैं चलता हूं.
मेरा पति एकदम से उठा और टॉयलेट की ओर लपका, उसे पेशाब लगी थी क्योंकि उसने बार में काफी दारू पी ली थी।
उधर मेरे बॉयफ्रेंड ने उसके वॉशरूम में घुसने का इंतजार भी नहीं किया।
वह सोफे पर बैठा और मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया।
मैं उसके लंड पर अपनी गांड को रगड़ने लगी।
वह बदले में मेरी गांड को भींचने और खींचने लगा।
हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के होंठों को चूस और खींच रहे थे।
उसने मुझे जल्दी से डॉगी पोजीशन में झुका लिया और मेरी चूत और गांड को चाट चाटकर खाने लगा।
हम अपने में इतने खो गए थे कि दोनों में से किसी ने ध्यान भी नहीं दिया कि मेरा पति रूम में से झांक रहा है।
उसने मुझे मेरी गांड को मेरे बॉयफ्रेंड के मुंह पर रगड़ते देख लिया।
पति- नहीं-नहीं … तुम गलत समझ गई प्रेम को … उसके चेहरे पर से अपनी गांड को हटाओ, रंडी!
वह आया और उसने बॉयफ्रेंड का मुंह मेरी गांड से हटा दिया।
उसने मुझे सोफे पर धकेल दिया।
दरअसल वह जब नशे में होता है तो उसमें काफी हिम्मत आ जाती है।
पति- प्रेम तुम मुझे बताओ कि इस मोटी रंडी औरत को कैसे कंट्रोल करना है। देखो, वह मुझे कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है!
मेरे पति से अब खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था, ना ही कुछ ढंग से बोला जा रहा था।
वह समझ रहा था कि मेरा बॉयफ्रेंड कोई मैरिज काउंसलर है।
उसने मेरी चूत को पकड़ लिया और उसके सामने खड़ी कर दिया।
मैं उससे दूर जाने की कोशिश करती तो वो मेरी गांड पर थप्पड़ मार देता और चूत को कसकर भींच देता।
पति- देखो प्रेम, मुझे इस रंडी को अभी के अभी तमीज सिखानी है। बताते रहना मैं सही कर रहा हूं क्या …
अब उसने एकदम से अपना तना हुआ लंड मेरी सूखी चूत में सरका दिया।
उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया।
मैं उसकी पकड़ से छूट भी नहीं पा रही थी।
मैंने अपने बॉयफ्रेंड को ही इशारा किया कि वो इसे मुझसे दूर लेकर जाए।
बॉयफ्रेंड- ये सही तरीका नहीं है, आप पूरी तरह से गलत कर रहे हो, छोड़ दो इसको!
बॉयफ्रेंड ने पति को अब सोफे पर धकेल दिया और मुझे अपने कंट्रोल में ले लिया।
उसने सोचा कि पति अब इसके लिए उसको डांटेगा, लेकिन बजाए डांटने के … मेरा पति अब मुझे उसके लव गुरू के चंगुल में देखकर लंड की मुठ मारने लगा था।
इस सब आपाधापी में मेरी नाइटी नीचे गिर चुकी थी।
मैं अब पारदर्शी ब्रा-पैंटी में खड़ी थी।
इससे मेरे पति की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ चुकी थी।
दूसरी तरफ मेरे बॉयफ्रेंड का लंड भी पूरा तना हुआ था।
वह अपने लंड को मेरी गांड में धकेलने लगा था। वह सोच रहा था कि पति को वहां से कैसे हटाया जाए, या फिर ऐसा कोई तरीका निकाला जाए कि वो मुझे मेरे पति के सामने ही चोद सके।
मेरा पति काफी नशे में था। उसका ध्यान हटाना अभी बहुत मुश्किल था।
बिना किसी चेतावनी के वो मुझपर चढ़ आया।
उसने मेरे बॉयफ्रेंड को सोफे पर धकेला और मुझे अपने कंट्रोल में ले लिया।
पति- मुझे नहीं पता तुम इसको सबक कैसे सिखाओगे, लेकिन ये मेरा तरीका है!
कहकर वो मेरी गांड पर तमाच मारने लगा, मेरी चूत के होंठों को खोलने लगा।
अब मैं लंड के लिए मरी जा रही थी और विरोध करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
मेरा पति मेरे बूब्स पर तमाचे मार रहा था और मुझे इसमें बड़ा मजा आ रहा था।
वह मुझे बार बार रंडी-रंडी कहकर बुला रहा था।
पति- देख, मेरा लंड अब तेरी इस छोटी सी टाइट चूत के साथ क्या करता है, अड़ियल रंडी!
मेरे पति ने मेरी चूत पर थूका और मेरे चूतड़ों को थामते हुए अपना तना हुआ लंड मेरी चूत में सरका दिया।
अब कुतिया बनी हुई मैं अपने बॉयफ्रेंड के सामने चुद रही थी।
वह मेरी गांड में उंगली घुसा रहा था, मेरी सिसकारियां निकलवा रहा था, मेरे चूतड़ों पर तमाचे मार रहा था।
साथ ही वह मेरे बॉयफ्रेंड पर भी ध्यान लगाए था।
मैंने अपने और अपने पति के बीच में इस तरह के दर्दभरे सेक्स की कभी कल्पना नहीं की थी, और वो भी मेरे बॉयफ्रेंड के सामने!
कुछ देर मेरी चूत चोदने के बाद मेरा पति मेरे ऊपर ढेर हो गया और उसने मुझे मेरे बॉयफ्रेंड के ऊपर गिरा दिया।
फिर खुद नीचे फर्श पर लेट गया।
मेरा पति सेक्स के बाद सुबह तक चैन की नींद सोता रहा।
उधर मैं अपने बॉयफ्रेंड की गोद में पड़ी थी और मेरी चूत से पति का वीर्य बहकर बाहर आ रहा था।
तब मैंने देखा कि उसकी आंखों में कोई शरारती प्लान चल रहा था।
मैंने उससे पूछा भी लेकिन उसने कुछ बताया नहीं।
लेकिन बाद में उसके जवाब ने मुझे उत्सुक कर दिया.
बॉयफ्रेंड- सिमी, अब अपनी मैरिड लाइफ का एक नया फेज एंजॉय करने के लिए तैयार हो जाओ!
हैलो दोस्तो, कैसे हैं!
अब मैं अपनी Sex stories शुरु करता हूं। मेरा मन अपनी मां और चाची की चूत मार मार कर अब उकता चुका था, गांव वाली बहु की भी चूत का भोसड़ा बना चुका था मैं!
हां, मगर उनकी दोनों लड़कियों की प्यास अभी अधूरी ही थी।
मैं चाहता तो बड़े आराम से उन्हे चोद सकता था बल्कि बुआ खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी दोनो बेटी की चूत में घुसेड़ती।
पर मेरा उनकी बेटियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं था पर अब कोइ और चूत भी मेरी नज़र में नहीं थी और लंड था कि उतावला हो रहा था उसे तो चाहिये ही चाहिये।
खैर उस दिन तो मैंने अपनी मम्मी को ही चोदा मगर फ़िर दूसरे दिन मैं बिना इरादा ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक कोई मुझसे टकराया मैंने नज़र उठा कर देखा तो करीब 45-46 साल की एजेड लेडी रही होंगी, मगर मैंटैन बहुत थी.
मैं भी ख्याल में था और वो पता नहीं कैसे मुझसे टकरा गयी. मुझे अचानक होश आया तब मैं हड़बड़ा कर उनसे सोरी बोला.
उनके पोली बेग से कुछ सामान गिर गया था और वो बैठ कर उठा रही थी. उनका ब्लाउज़ काफ़ी टाइट था जिसके अंदर उनकि बड़ी-बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थी।
हालांकि उन्होंने पल्लू डाल रखा था मगर पिंक कलर की झीनी सी साड़ी से सब साफ़ नज़र आ रहा था, मैं खड़े-खड़े उनके बूब्स का नज़ारा देख रहा था तब ही जैसे मैं नींद से जागा और मैं भी उनका सामान उठाने में मदद करने लगा।
तभी मैंने कहा- सोरी आंटी, मेरी वजह से आपका सामान बिखर गया.
वो बोली- कोई बात नहीं बेटा!
और सारा सामान रखने के बाद वो मुझसे बोली- बेटा तुम नयी जेनेरेशन की यही एक प्रोब्लम है, हर कोई कहीं ना कहीं खोया रहता है।
मैं शर्मिंदा होते हुए बोला- नहीं आंटी ऐसी बात नहीं है आप गलत सोच रही है।
फ़िर उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा, क्या तुम कोफ़ी पीना पसंद करोगे?
मैंने तुरंत ही हां में जवाब दिया।
और फ़िर हम लोग वहीं पास के कोफ़ी शोप पर बैठ गये वहां ज्यादा तर स्कूली लड़के और लड़कियाँ ही थे।
वो उन सबको देख रही थी, फ़िर अचानक मेरी तरफ़ देख कर पूछा बेटा आप क्या करते हो?
मैंने कहा- आंटी, मैं ला कर रहा हूं।
वो बोली- बहुत खूब मगर तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब स्कूली लड़कों की तरह नयी तितलियों को ताक रहे थे?
उन्होंने जिस अंदाज़ में ये बात कही मुझे अज़ीब सा लगा मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है खैर आप बतायें आप कहां से आ रही थी?
तब वो हंसते हुए बोली- क्या बेवकूफ़ी भरा सवाल करा? अरे भाई शौपिंग कर के आ ही रही थी कि तुमने धक्का मार दिया… अच्छा ये बताओ घर में और कौन-कौन है आपके बेटा?
मैंने कहा- मम्मी, पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में?
‘मैं और मेरी बेटी!’ उनका छोटा सा जवाब मिला।
मैंने पूछा- और अंकल?
वो बोली- बेटा, वो ऐयरफ़ोर्स में हैं और मेरा बेटा भी वहीं ट्रेनिंग कर रहा है।
बहुत उदासी भरी थी उनकी बातों में!
तब ही अचानक मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी हम लोग बहुत देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे करीब 2 घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तो आंटी कुछ परेशान हो गयी.
मैंने पूछा- क्या बात है आंटी? आप कुछ परेशान सी हैं?
तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा- बेटा 8 बज रहे हैं और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा… और कोई साधन भी नहीं मिलेगा अब तो!
मैंने कहा- आंटी, मेरा घर करीब में ही है, आप चाहें तो चल सकती हैं!
तब वो बोली- बेटा, असल मे घर पर पिंकी अकेली होगी और आजकल का माहौल तो तुम जानते ही हो, जवान लड़की को अकेला नहीं छोड़ना चाहिये!
मैंने कहा- आंटी, आप यहीं रुकें, मैं अभी कार ले आता हूं.
तब वो बोली- बेटा, तुम भीग जाओगे!
मैंने कहा- आंटी, जवान लोगों पर बारिश का असर नहीं होता!
और मैं भाग कर घर गया और मम्मी को बताया कि एक दोस्त के घर जा रहा हूं कोई ज़रूरी काम है.
मम्मी रोकती रह गयी कि बेटा बारिश हो रही कल चले जाना!
मगर मैं रुका नहीं और कार लेकर कोफ़ी शोप पहुंच गया.
पानी अभी भी बहुत तेज़ था वो जैसे ही शोप से बाहर मेरी गाड़ी तक आयी, काफ़ी हद तक भीग चुकी थी और मैं तो पहले ही तर था क्योंकि घर तक जाने में काफ़ी भीग चुका था.
खैर थोड़ी ही देर बाद मैं एक बड़ी सी कोठी के सामने रुका कोठी देख कर मैं हैरान रह गया.
तभी वो कार से उतरते हुए बोली- बेटा, कार पार्किंग में पार्क करके घर में चले आओ, बहुत भीगे हो, चेंज कर लो, नहीं तो सर्दी लग जायेगी.
मैंने कहा- नहीं आंटी, ऐसे कोई बात नहीं, आपको घर तक छोड़ दिया, अब मेरा काम खत्म, मैं चलता हूं, इजाजत दीजिये!
तब आंटी ने थोड़ा डांट कर कहा- जितना कह रही हूं, उतना करो! आखिर मैं तुम्हारी मां कि तरह हूं जाओ गाड़ी पार्क करके आओ!
इतनी देर की बहस में आंटी बिल्कुल तर हो चुकी थी, मैं गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं खड़ी थी. उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी, पिंक साड़ी के नीचे उनकी ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी.
हालांकि मेरे मन में अभी तक उनके लिये कोई गलत विचार नहीं थे मगर आखिर कब तक अंदर का शैतान सोया रहता… उनको इस पोज़ में देख कर मेरे औज़ार में सनसनी होने लगी.
मैं कुछ देर तक उनको निहारता रहा, तब ही वो मेरी आंखों के आगे चुटकी बजाते हुए बोली- कहां खो गये बेटे? तुम किसी डाक्टर को दिखाओ तुम्हारे में कोई मरज़ लगता है ये!
और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी.
अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की नज़र आयी जिसकी उम्र करीब 18 साल की रही होगी. वो मिडी पहने हुए थी और सूरत से बहुत परेशान नज़र आ रही थी, आंटी को देखते ही उनसे लिपट गयी- मम्मी कहां चली गयी थी आप? मैं घबरा रही थी!
आंटी ने उसको अलग करते हुए कहा- मेरी रानी बेटी, बाहर पानी बरसने लगा था इस लिये देर हो गयी और मैं फोन लगा रही थी तो एंगेज जा रहा था. खैर कोई बात नहीं अब तो मैं आ गयी हूं. मेरी बहादुर बच्ची तुमने खाना खाया?
उसने कहा- जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका खाना दे कर अपने घर चले गये हैं. अब मुझे भी बहुत नींद आ रही है मैं भी सोने जा रही हूं.
अचानक मुझे देख कर वो थोड़ा सम्भलते हुए बोली- मम्मी, ये साहब कौन हैं?
उसकी मम्मी ने कहा- बेटा, आज मैं कार नहीं ले गयी थी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ़्ट दी है, इनका नाम राजेश है!
और तब वो मुझे नमस्ते कर के अपने रूम में सोने चली गयी.
अब रूम में मैं और आंटी ही रह गये. आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा- लो ये पहन लो!
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और लुंगी बांध ली. मैंने गंजी और जोकी नहीं उतारी थी.
आंटी बोली- बेटा, सारे कपड़े उतार दो, अभी थोड़ी ही देर में सूख जायेंगे, तब पहन लेना! और बनियान भी उतार कर निचोड़ लो बहुत भीगी है.
तब मैंने झिझकते हुए बनियान उतार कर निचोड़ कर अलगनी पर टांग दी और वहीं वाशरूम में जाकर अपनी जोकी भी उतार कर सूखने को डाल दी. अब मैं सिर्फ़ लुंगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी.
अब मैं रूम में आया तब देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लु निचोड़ रही थी और आंचल हटा होने की वजह से पिंक बलाउज़ के अंदर ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी जिसे मैं अपलक निहार रहा था.
मुझे एक टक इस तरह देखते हुए आंटी ने कहा- क्या देख रहे हो बेटे? तुमने अपने तो कपड़े उतार लिये, अब मैं भी चेंज कर लूं!
मेरा मन अब तक आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा था पर हिम्मत नहीं हो पा रही थी.
तभी थोड़ी देर बाद आंटी एक बहुत ही झीनी सी नाइटी पहन कर आयी और वहीं सोफ़े पर बैठ गयी और कोफ़ी बनाने लगी.
वो कोफ़ी बना रही थी और मैं ललचायी नज़रों से उनकी उभरी हुई चूची देख रहा था और दिल ही दिल में सोच रहा था कि काश ये आंटी मुझसे चुदवा ले तो कितना मज़ा आयेगा!
यही सब सोच सोच कर मेरा लंड अपनी औकात में आ चुका था और मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि कब वो मेरी लुंगी को 2 पाट करके बीच से उसकी टोपी बाहर झांक रही थी और आंटी चोर नज़रों से उधर ही देख रही थी.
मेरा पूरा ध्यान आंटी की चूची की तरफ़ था और आंटी का ध्यान मेरे औज़ार की तरफ़!
तभी मैंने आंटी की नज़रों की तरफ़ देखा तो उनकी नज़र अपने औज़ार पर टिकी देख कर अंदर ही अंदर खुश हो गया और धीरे से अपनी टांगें और खोल दी ताकि आंटी और अच्छी तरह से लंड का दीदार कर सकें!
उसके बाद हम दोनों ने कोफ़ी पी.
और उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनने लगा और दिल ही दिल में सोच रहा था कि साली अगर आज रोक कर चुदवा ले तो क्या हो जायेगा. तड़प तो इसकी भी चूत रही है पर हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खायेगी गज़ भर के… मगर चुदवाने से पहले शरमायेगी इतना कि पूछो ही मत।
और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा, तब वो करीब आयी और बोली- बेटा, अभी कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं हैं, तुम ऐसा करो कि आज यहीं रुक जाओ, घर पर काल कर दो मम्मी को!
तब मैंने नाटक करते हुए कहा- नहीं आंटी, जाना है मुझे!
तब वो मेरे हाथ से कपड़े छीन कर बोली- बेटा, मैं तेरी मां जैसी हूं, जैसा कह रही हूं वैसा करो! कहीं बीमार पड़ गये तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा।
फ़िर मैंने घर पर काल कर दी कि आज पानी बहुत बरस रहा है, मैं आज यहीं दोस्त के घर रुक जाऊँगा.
और फ़िर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम यहां बेड पर सो जाना, मैं सोफ़े पर लेट जाऊँगी. वरना अगर चाहो तो गेस्ट रूम में भी सो सकते हो!
तब मैंने कहा- आंटी, मैं वहां अकेला बोर हो जाऊँगा, आप ऐसा कीजिये, आप बेड पर सो जाइयेगा, मैं सोफ़े पर सो जाता हूं।
यह कह कर मैं वहीं सोफ़े पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी.
मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और मैं आंटी की उभरी हुई चूची और फ़ूले हुए चूतड़ आंखों में बसाये कब नींद की गोद में गया मुझे पता नहीं चला।
रात को अचानक मुझे अपनी जांघ पर कुछ सरकता हुआ महसूस हुआ तो मेरी नींद खुल गयी. फ़िर मुझे आभास हुआ कि ये किसी का हाथ है और घर में 2 ही जन थे आंटी या फ़िर उसकी जवान बेटी!
थोड़ी देर मैं उसी पोज़ में लेटा रहा, तब तक हाथ सरसराता हुआ मेरी लुंगी को सरकाता हुआ ऊपर मेरी जांघों की जड़ तक पहुंच चुका था. मैं भी अब उस हाथ की सहलाहट का आनंद लेना चाहता था चाहे कोई हो, भले ही उस वक्त उसकी युवा लड़की भी होती तब भी मैंने तय कर लिया था कि उसकी कुंवारी चूत चोद ही डालूंगा.
मगर अब तक मैं जान गया था कि ये हाथ आंटी का है और अब मैं पूरी तरह से उसकी सहलाहट का मज़ा लेना चाहता था. मैं सोफ़े पर सीधा होकर लेट गया और वो मुझे करवट लेते हुए देख कर कुछ हड़बड़ा गयी मगर फ़िर नोर्मल हो गयी और मुझे नींद में देख कर उसने मेरी लुंगी के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो अभी तक शांत अवस्था में था, उसे प्यार से सहलाने लगी.
अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा और मैं भी उत्तेजित होने लगा था, मेरा मन कर रहा था कि अभी साली को बाहों में भर कर इतनी जोर से चांपू कि इसकी हड्डी तक पिस जाये. पर मैं ऐसा कर नहीं सकता था, मैं बस चुपचाप पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही देखता रहा।
और फ़िर आंटी का हाथ थोड़ा कड़ा हो गया था वो मुझे सोया जान कर पूरी तरह निश्चिंत हो गयी थी. मेरे लंड को जोर जोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठ से मेरी जांघों को चूमने लगी.
मेरे मुंह से सिसकी निकलने को हुई मगर मैंने दांत भींच कर सिसकी नहीं निकलने दी मगर अब बरदाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था।
तभी मैंने अपने लंड पर कुछ लिबलिबा सा महसूस किया कयोंकि रूम में नाइट लैम्प जल रहा था तो कुछ साफ़ नज़र नहीं आ रहा था और मैं अपनी आंख भी बंद किये था पर इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि ये साली इसकी जबान होगी जो मेरे लंड पर फ़िरा रही है.
और जबान फ़िराते फ़िराते उसने गप्प से मेरा लंड मुंह में ले लिया. अब तो मैं बरदाश्त नहीं कर पाया और झटके के साथ उठ कर बैठ गया और बोला- कौन है?
तभी आंटी ने मेरे मुंह पर हाथ रखा और धीरे से बोली- बेटा मैं हूं!
उन्होंने फ़ट से लाइट जला दी.
मैं देख कर हैरान रह गया, आंटी पूरी तरह से नंगी थी. मैंने उनको नंगी देख कर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा- हाय आंटी, आप तो नंगी हैं.
तब उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ते हुए कहा- बेटा, तुम भी तो नंगे हो!
मैंने अपने दोनों हाथ झट से लंड पर रख लिये और छुपाने का नाटक करने लगा. मगर जानता था कि अब ये साली चुदवायेगी तो ज़रूर!
मगर फ़िर भी मैंने अपना नाटक चालू रखा, बोला- आंटी, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था, ये गंदी बात है.
तभी आंटी मेरे लौड़े को मसलते हुए बोली- और तुम जो शाम से मेरी चूचियाँ निहार रहे थे, मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से ही इस तरह देख रहे थे कि बस खा ही जाओगे. वो अच्छी बात थी? और जब मैं कोफ़ी बना रही थी तब तुम्हारी नज़रें कहां थी मुझे पता है. मुझे चोदना सिखा रहे हो? अभी कल के बच्चे हो तुम बेटा… मैं तुम्हारे जैसे ना जाने कितनों को अपनी चूत में समा कर बाहर कर चुकी हूं.
आंटी की ये सब बातें सुन कर तो मुझे बहुत ही जोश चढ़ गया. उसने यकीनन मुझे भड़काने के लिये ही ऐसे भाषा प्रयोग की थी मगर मुझे तो शुरु से ही चोदने में गाली गलौच पसंद थी और आंटी इतनी सभ्य नज़र आ रही थी कि उनके मुंह से इस तरह की बात सुनना मेरे लिये एक नया अनुभव था.
और उसके बाद हम लोगों में इस तरह से घमासान Sex stories चुदायी हुई इसका ज़िक्र अगले पार्ट में करूंगा.
मैं और मेरा एक मित्र एक Antarvasna साथ रहते थे। हम दोनों बहुत घनिष्ट मित्र थे। मेरे मित्र की एक गर्ल फ्रेंड थी। वो आए दिन अपनी और अपनी गर्लफ्रेंड के किस्से सुनाता रहता था। तब एक दिन हम तीन दोस्तों को साथ में ले के एक प्लान बनाया कि अब बहुत कहानियाँ सुन ली, हम तुम्हारी गर्लफ्रेंड की गांड मारेंगे।
दोस्त राजी हो गया।
दोस्त ने अपनी गर्लफ्रेंड को डेट के बहाने बुलवाया और हमने उसके लिए एक कमरा भी बुक कर रखा था। हमने दोस्त की गर्लफ्रेंड को कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी की दवा मिला कर पिला दी। जिसे पीने के कुछ मिनट बाद वह बेहोश हो गई। बेहोश होने से पहले ही वह दोस्त से आधा काम करवा चुकी थी, यानि स्तन आदि दबवाना।
जैसे ही वो बेहोश हो गई, हम तीनों ने एक एक कर नम्बर लगा कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को कंडोम लगा कर बारी बारी से पेलना शुरु कर दिया।
जैसे ही मेरा नम्बर लगा, मैं मारे खुशी के अपना तनतनाया लिंग हाथ में पकड़े आगे बढ़ा। आखिरकार मैंने लिंग के सुपाड़े को योनि में प्रवेश करा दिया। तो अचानक दोस्त की गर्लफ्रेंड होश में आ गई और सर पर हाथ रख खड़ी होने लगी, मैं डर से छुप गया।
गर्लफ्रेंड ने दोस्त से पूछा- मुझे क्या हुआ था?
दोस्त ने बताया- तुम बेहोश हो गई थी। मेरे ख्याल से तुम्हें कमजोरी हो गई है।
कमरे में हलकी रौशनी थी। दोस्त की गर्लफ्रेंड ने खिड़की खोल दी और अचम्भे में पड़ गई जब उसने देखा कि उसके शरीर पर कोई कपड़े का नामो-निशान भी नहीं है और बोल पड़ी- तुमने यह मेरी क्या हालत बना दी है?
जब उसने कमरे में नजर दौड़ाई तो हम तीनों भी नंगे खड़े थे। और यह सब वाकया होने के बाद हमारे लिंग जहां योनि को देख शान से तने हुए थे, अब शरम से झुके हुए थे।
दोस्त की गर्लफ्रेंड ने कहा,” क्या हुआ? इतनी खामोशी क्यूँ ?”
आओ मेरी चूत मारो ! उसने दोस्त से कहा,”तुम मुझे पहले कहते तो तुम्हें इतना करने की जरुरत न पड़ती। मैं भी ग्रुप सेक्स की शौकीन हूँ!”
“आज मेरा सपना सच होने जा रहा है !” गर्लफ्रेंड ने कहा।
एक बार फिर से उतसाह बढ़ने पर सभी के लिंग फ़िर से तन के खड़े हो गए। अब हम सबने उस लड़की को लिटाया और दोस्त, जिसकी गर्लफ्रेंड थी, वो अपना लिंग पकड़े लड़की
के मुँह के पास मुख-मैथुन में तथा मैं उसकी योनि में अपना लिंग का सुपाड़ा डालने लगा। तीसरा दोस्त उसकी गांड मारने के लिए लड़की के नीचे दब गया। इस प्रकार हम एक एक कर शिफ़्ट बदल बदल कर काम में लगे रहे।
अचानक फ़ोन की घंटी बजने लगी। मैं उठ बैठा और हैरान हो गया क्या सपना था?
वास्तविकता से ज्यादा मजा तो सपने में था! Antarvasna
Xxx लड़की नाईट सेक्स कहानी में पड़ोस की एक लड़की मुझे अच्छी लगी तो मैंने उससे दोस्ती बढ़ाई. गर्मियों में हमारा और उसका परिवार छत पर एक साथ सोते थे.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मोहन है.
मैं एक शादीशुदा लड़का हूँ. मैं सूरत गुजरात का रहने वाला हूँ.
मेरी हाइट पाँच फुट आठ इंच है और मेरे लंड का साइज़ छह इंच है.
मैं देखने में गुड लुकिंग हूँ और ज्यादा मस्ती वाला मिज़ाज़ का हूँ.
वैसे तो मुझे तरह तरह की लड़कियां और भाभी पसंद हैं.
खास कर बड़े मम्मे और बड़ी गांड वाली भाभियां और लड़कियां ज्यादा पसंद आती हैं.
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ.
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
आज मैं अपने साथ हुई एक घटना आपके साथ साझा करना चाहता हूँ.
मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी Xxx लड़की नाईट सेक्स कहानी पसंद आएगी.
तब मेरी शादी नहीं हुई थी और पढ़ाई खत्म हुए 6 महीने हो चुके थे.
गर्मी की छुट्टियों की बात है.
उन दिनों हम लोग रात को छत पर सोने जाया करते थे.
हमारे वाले अपार्टमेंट में एक लड़की रहती थी.
उसका नाम एकता (बदला हुआ नाम) था.
एकता का फिगर 32-28-34 का था. उसे देख कर लगता था कि बनाने वाले ने बड़ी ही फुरसत से उसे बनाया हो.
क्या मस्त पीस थी यार … देखने में थोड़ी सांवली जरूर थी मगर बहुत सुंदर दिखती थी.
उसके बूब्स बहुत ही जानलेवा थे.
मैं तो उसके दूध देखते ही गदगद हो जाता था.
उसकी हरकतों से लगता था कि साली चूत में बहुत गर्मी भरी थी.
वह भी अपने परिवार के साथ छत पर सोने आया करती थी.
एकता हमारे बाजू वाले फ्लैट में किराये पर रहने आई थी.
वे लोग नए नए आए थे, तो हम लोग उनसे ज्यादा बात नहीं करते थे.
कुछ दिन तक मैंने उसे देखा तो वह भी मेरी तरफ देखने लगी थी.
कुछ दिन तक यूं हम दोनों एक दूसरे को बस देख कर हल्की सी स्माईल देकर घूम जाते थे.
वह देखने में तो सीधी सादी लग रही थी पर ऐसे किसी को कैसे समझा जा सकता था.
कुछ ही दिनों में कुछ ऐसा हुआ कि मैं उससे बात करने के लिए तड़पने लगा था.
मैंने बहुत हिम्मत जुटा कर जैसे तैसे उससे बात करने की कोशिश की.
वह भी सहज भाव से मुझसे बात करने लगी.
अब धीरे धीरे हम लोगों की दोस्ती हो गई और बातचीत भी होने लगी.
हम दोनों अब जब भी छत पर एक दूसरे को देखते तो थोड़ा मस्ती मजाक भी कर लिया करते थे.
जैसा कि मैंने बताया कि यह गर्मी के दिनों की बात है. उन दिनों हम लोग छत पर सोने जाया करते थे.
हमारी बिल्डिंग के कई सारे लोग सोने के लिए छत पर आ जाते थे.
उसमें एकता, उसके माता पिता और उसका छोटा भाई भी सब लोग सोने के लिए छत पर आ जाया करते थे.
हम दोनों में पहले से ही बोलने का व्यवहार था, तो हम लोग सोने से पहले थोड़ी बहुत बात कर लिया करते थे.
थोड़ी मस्ती मजाक भी कर लिया करते थे और सो जाते थे.
धीरे धीरे हम लोग और करीब आने लगे थे.
वह भी मेरे साथ बात करने का कोई ना कोई बहाना ढूंढ़ती रहती थी और मैं भी उससे बात करने का कोई न कोई बहाना ढूंढता रहता था.
हम दोनों जहां पर सोते थे, वह जगह पानी की टंकी की आड़ में थी.
मेरे बाजू में ही एकता का बिस्तर लगता था.
हम दोनों सोने से पहले मोबाइल में लूडो खेलते थे.
खेल में एकता, उसका छोटा भाई और मैं … हम तीनों खेलते थे.
खेलने के दौरान मैं किसी ना किसी बहाने से उसे छूने की कोशिश करता रहता था.
वह भी समझती थी, तो मेरे स्पर्श का मजा लेती थी.
एक दिन उसका छोटा भाई अपनी छुट्टियां बिताने के लिए अपने मामा के घर गया था.
उसके मामा का घर गांव में था.
उसी वजह से आज मैं और एकता अकेले थे.
रोज की तरह हम दोनों ने लूडो खेलना चालू किया.
आपको तो पता ही है कि मुझे जो चाहिए था, वह मुझे मिलने वाला था.
अन्दर ही अन्दर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे.
आज एकता भी कुछ अलग सा व्यवहार कर रही थी.
पता नहीं क्यों आज उसके चाल चलन भी कुछ ठीक नहीं लग रहे थे.
रोज की तरह हम दोनों ने लूडो खेलना चालू किया.
आज हम दो ही थे.
हम दोनों ने थोड़ी देर तक लूडो खेला.
मगर पता नहीं क्यों, आज हम दोनों को खेलने में मजा नहीं आ रहा था.
एकता भी आज कुछ अजीब सी हरकत कर रही थी.
आज उसने एकदम छोटी वाली सॉर्टी और गंजी ही पहन रखी थी.
उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, वह साफ साफ समझ आ रहा था.
उसके निप्पल उसकी गंजी से कड़क से साफ दिख रहे थे.
मेरी नजरें उसके नट्स पर ही टिकी थीं.
वह भी मेरी नजरों को भांप कर बार बार अपनी चूचियों को सहला रही थी.
आज वह मुझे इतना भाव दे रही थी कि साफ लग रहा था कि आज टांगें खोलने के लिए एकदम राजी है.
उसने मुझसे आज तक ऐसे कभी बर्ताव नहीं किया था.
वह बार बार पूरी नीचे झुक कर अपने गोल गोल संतरे मुझे दिखा रही थी.
आज उसका खेलने में जरा सा भी ध्यान नहीं था; वह कुछ और खेलना चाहती थी.
बात बात में वह मेरा हाथ भी पकड़ ले रही थी और जोर से मेरे हाथ पर च्यूँटी काट देती थी.
फिर बड़े प्यार से मेरे हाथ में किस कर देती थी.
थोड़ी देर बाद मुझे भी पता चल गया कि आज इसे क्या चाहिए है.
हम दोनों ने आज बहुत देर तक ऐसा किया.
हमारा खेल तो बस एक बहाना था. हमें तो कुछ और ही खेलना था.
मगर करें तो करें क्या … कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें.
उसकी हरकतें देख कर मेरा लंड भी तन कर तंबू बना चुका था.
वह एकता को भी मालूम पड़ गया था.
पूरी छत में सब लोग सोये हुए थे.
एकता के मम्मी पापा भी उसके बाजू में ही सोये हुए थे.
बहुत देर हो गई थी तो उसके पापा ने उसको सो जाने का बोला.
हम दोनों लेट गए मगर पूरी रात नींद नहीं आयी. हम दोनों अपनी अपनी जगह पर सो गए.
सोते सोते एक दूसरे को देखा रहे थे और इशारों में बात कर रहे थे.
उस वक्त रात के लगभग दो बज रहे होंगे.
मैंने उसे इशारा करते हुए कहा कि नीचे चलो.
वह आजू बाजू देख कर तुरंत वॉशरूम के बहाने नीचे चली गई.
थोड़ी देर बाद मैं भी अपने तकिया को चादर उढ़ा कर उठ गया और वॉशरूम के बहाने उसके पीछे पीछे नीचे आ गया.
वह नीचे भूखी कुतिया की तरह मेरा सीढ़ियों पर ही इंतज़ार कर रही थी.
हमारे अपार्टमेंट में कोई लिफ्ट नहीं है केवल सीढ़ियां ही हैं.
एकता सीढ़ियों के बीच बनी बाल्कनी में मेरा इंतजार कर रही थी.
मैं नीचे आया तो उसने मुझे इशारे से अपनी ओर बुलाया.
तो मैं झट से उसके पास पहुंच गया.
अब मैं बाल्कनी में जाकर खड़ा हो गया और चारों ओर देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा है.
बाद में वह मेरे पास आई.
उसने हल्के से मेरे गाल पर पप्पी दी और उसने कहा- आज मुझे तुमसे चुदवाना है!
बस फिर क्या था … मैं भी सालों से चूत का भूखा उसको अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया और जोर जोर से उसके होंठों को अपने होंठों से रगड़ने लगा.
वह भी इतनी गर्म हो चुकी थी कि वह भी मेरा जोर जोर से साथ दे रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरे सर के बाल पकड़ लिए और मेरा मुँह अपने मम्मों पर रख कर बोली- चूसो.
मैं उसके मम्मों को जोर जोर से चूसने का मजा लेने लगा.
लगभग बीस मिनट तक हम लोग यूं ही चुम्मा-चाटी ही करते रहे.
उस वक्त एकता ने चूंकि ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी तो मैंने झट से उसकी छोटी सी टी-शर्ट उठा कर ऊपर कर दी और उसकी शॉर्टी को भी सरका कर नीचे कर दी.
हम दोनों को यह सब करते हुए बहुत डर लग रहा था कि कहीं कोई आ न जाए.
इसी लिए हम दोनों ने पूरे कपड़े नहीं उतारे थे.
मैंने भी छोटा सा बॉक्सर पहन रखा था, उसे भी मैंने नीचे सरकाने का इशारा किया.
उसने भी झट से मेरा बॉक्सर नीचे कर दिया और बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी.
साली ने लंड को लॉलीपॉप समझ लिया था. वह लौड़े को मुँह से रगड़ रही थी.
मुझे तो ऐसा लग रहा था मानो मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ.
वह एकदम अनुभवी रांड सी लग रही थी.
साली जैसे कई सालों से किसी का लंड मुँह में लेती आई हो.
खैर मुझे इससे क्या … मुझे तो आनन्द मिल रहा था, तो मैं क्यों ज्यादा सोचूं.
वैसे भी किसी ने सही कहा है, आम खाओ गुठलियां मत गिनो.
मैं भी आनन्द ले रहा था और वह मेरा लंड रगड़ रगड़ कर चूस रही थी.
मेरा छूटने वाला था, तो मैंने उसे बताया कि मैं छूटने वाला हूँ.
वह इशारे से बोली- कोई बात नहीं … मेरे मुँह में ही छोड़ दो.
क्या गजब मजा आ रहा था, सच बोलूँ तो आज तक किसी भी लड़की को मैंने मुँह में नहीं दिया था.
आज तो मानो जन्नत की सैर पर ही था.
ऐसा अहसास हो रहा था.
थोड़ी देर तक लॉलीपॉप चुसवाने के बाद मैंने उसे पलट कर खड़े होने को बोला और चारों ओर देखा कि कोई आ तो नहीं रहा है.
सब तसल्ली करने के बाद उसे दीवार पकड़कर खड़े होने को कहा.
वह पलट कर खड़ी हो गई.
बाद में उसके पीछे से डालने की कोशिश की, मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मैं पीछे से लंड पेल ही नहीं पाया.
यह बाद में समझ में आया कि चुदी चुदाई चूत को ही पीछे से पेलना आसान होता है.
पहली बार में तो चित लिटा कर ही चुदाई संभव है.
उसके बाद मैंने उसे बाल्कनी की दीवाल पर बिठाया और धीरे से अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा.
उसकी चूत गीली हो गई थी और लंड लीलने को खुल गई थी.
थोड़ी देर बाद मैंने हल्का सा झटका दिया, तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.
वह दर्द के मारे एकदम से तड़प उठी और मुझसे छूटने की कोशिश करती हुई माँ बहन की गालियां देने लगी.
मगर मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर उसे जकड़ लिया था.
वरना उसकी चीख से सब लोग उठ जाते और इज्जत की कायदे से माँ चुद जाती.
बाद में थोड़ी देर तक मैं उसको चूमता रहा.
उसका दर्द कम हो गया था.
मैंने एक और जोर का झटका दिया तो मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया था.
वह फिर से तड़प उठी.
मैंने वैसे ही बिना हिले उसकी चूत में लंड घुसा रहने दिया और उसके मम्मों से खेलना चालू कर दिया.
उसकी आह निकलना बंद हुई तो मैंने उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया.
मैं उससे इधर उधर की बातें करने लगा ताकि उसका दर्द से ध्यान भटक जाए.
थोड़ी देर बाद मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
उसका भी दर्द कम हो गया था और Xxx लड़की नाईट सेक्स का मजा लेने लगी थी.
जैसे जैसे वक्त निकलता गया, वैसे वैसे मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया.
वह चुदाई का मजा लेने लगी थी.
तकरीबन 15 मिनट तक हम दोनों ने सेक्स किया.
बाद में मैंने उसे पलट कर दीवार को पकड़कर खड़े होने को कहा.
मगर उसने साफ साफ मना कर दिया कि मैं पीछे से नहीं करने दूंगी.
बहुत मनाने के बाद उसने पीछे से करवाने का मन बनाया.
उसके बाद जैसे ही वह गांड खोल कर खड़ी हुई, मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया.
वह डर के मारे घूम गई.
बहुत समझाने के बाद वह वापस घूमकर खड़ी हुई. इस बार जरा सी भी देर किए बिना मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.
जैसे ही लंड पेला, तो उसे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा था. वह दर्द सह रही थी और उसकी आंखों से पानी निकलने लगा था.
आज मैं उस पर तरस खाता, तो वापस ये मौका कभी नहीं आता.
जैसे तैसे मैंने उसको शांत किया और लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
एकता के मुँह पर दर्द साफ दिखाई दे रहा था मगर वह भी मजे ले रही थी और मेरा साथ भी दे रही थी.
कुछ पल बाद मुझे ख्याल आया कि एकता को छोड़ दूँ.
जैसे ही मैं उसको छोड़ने लगा तो उसके चेहरे पर उदासी छा गई.
मैं समझ गया कि वह भी दर्द होने का नाटक कर रही है, इतना हार्ड सेक्स करके अब उसे भी मजा आ रहा है.
बस फिर क्या … मुझे जो चाहिए था उसकी हरी झंडी मिल गई थी तो मैं किसी की भी सुनने वाला नहीं था.
मैं और जोर जोर से उसे चोदने लगा.
सच कहूँ तो पीछे से चोदने में जो मजा आता है, वह किसी भी स्टाइल में नहीं आता है.
वह चिल्लाना चाहती थी मगर सब लोगों के जागने के डर की वजह से वह अन्दर ही अन्दर चिल्ला रही थी और तेज तेज चोदने का कह रही थी.
मैंने स्पीड बढ़ा दी थी और जोर जोर से झटके दे रहा था.
वह सेक्स के दौरान दो बार झड़ चुकी थी.
अब मैं झड़ने ही वाला था इसलिए मैंने उसके दोनों चूचे पकड़ कर अपनी स्पीड और बढ़ा दी.
उसे भी चूत में बहुत दर्द हो रहा था, मगर क्या करे … चिल्ला भी नहीं पा रही थी.
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. तब जाकर उसने सुकून की साँस ली.
मैंने उसे अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया और उसने भी मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे.
जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो लगा कि वह आज मेरी जान ही लेकर मानेगी.
मैंने उसके माथे पर किस की और हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर छत पर आ गए.
उधर हम अपनी अपनी जगह सो गए.
दूसरे दिन सुबह एकता जब मेरे सामने आई तो मैंने देखा कि वह थोड़ी लंगड़ा कर चल रही थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वह इतराते हुए बोली- एक कुत्ते ने जबरदस्ती काट लिया.
मैं अन्दर ही अन्दर हंसने लगा और वह Xxx लड़की लंगड़ाती हुई चली गई.
फिर उसके बाद हम दोनों ने कई बार सेक्स किया.
आज मैं आपको अपनी एक सहेली की Sex stories सुनाने जा रही हूं। मेरी एक कहानी
सपनों की बारात के नाम से आ चुकी है
लेकिन उस पर किसी ने कोई रिएक्शन नहीं मिला तो बहुत दुख हुआ। प्लीज इस बार अपने रिएक्शन ज़रूर भेजें।
इस कहानी की शुरुआत हम दो दोस्तों से हुई है और आगे जाकर इसमे कई मोड़ आते हैं जिसे आप लोग पसंद करेंगे। मैं क्योंकि एक लड़की हूं इस लिये ये चाहूंगी कि लड़कियां अपनी रिएक्षन ज़रूर लिखें, क्योंकि शायद लड़कियां एक दूसरे को अच्छे से समझ पाती हैं।
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है बरखा।
उसकी उमर मेरे बराबर कोई २८ साल, हाइट ५.६, फ़ीगर ३४ सी-२८-३६ , गुलाबी रंग, बड़ी-२ आंखें, गुलाबी होंथ, खूब फूले हुए बूब्स, भरे-२ चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनो कोलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कोलेज के ज़माने मैं ही हम दोनो के बीच एक रिश्ता और बन गया।
एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गयी तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनो मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि संडे को तुम अविनाश से मिली थी तुम दोनो ने क्या किया था बताओ न मुजे और वो शरमा रही थी। अविनाश उसका कजिन था और दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनो अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे।
मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन अविनाश ने उसे किस किया था। मैं ने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया, हे बेईमान अब बता रही हो, तो वो शरमा कर हंस दी। हे शालु बता न और क्या किया था तुम दोनो ने।
बस न, सिर्फ़ किस किया था उसने, वो शरमा कर मुस्कराई। ऐ शालु बता न प्लीज कैसे किया था। हट बदतमीज़ वो प्यार से मुझे धक्का दे कर हंस दी। मैं उसकी भरी-२ जांघों पर सिर रख कर लेट गयी उसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थे, मैं ने धीरे से उसके राइट दूध पर उंगली फेरी, क्यों शालु ये नहीं दबाये अविनाश ने? तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली – हां, तो मैं ने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनो हाथों मैं लेकर गाल चूम लिये। कैसा लगा था शालु, है सुमन क्या बताउं मेरी तो जैसे जान निकल गयी थी जब उनकी गरम-२ ज़बान मेरे मुंह मैं आयी मैं मदहोश हो गयी उन्होंने मुझे अपनी बाहों मैं ले लिया और एक दम से अपना हाथ यहां रख दिया वो सुमन का हाथ अपने राइट दूध पर रख कर सिसकी। मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।
फिर शालु?
सुमन बड़ी मुश्किल से उन्होंने मुझे छोड़ा। शालू की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे पूरे जिस्म मैं चीटियां दौड़ रही हों। मेरा ये हाल देख कर शालू मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली तुमको क्या हो गया सुमन? तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों मैं मुं ह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गरम हो रही थी और महक रही थी।
मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी आह आह आह सुमन उफ़ नहीं न प्लीज मत करो और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे। शालु के थे। शालु के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी सुमन, और मैं भी ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये।
एक आग सी लगी हुई थी हम दोनो के जिस्मों में। मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर सिसक उठी, शालू प्लीज मुझे बताओ न अविनाश ने कैसे चूमे थे ये प्यारे-२ होंठ। तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दातों में दबा कर मुस्कुराई, सुमन उसके लिये तो तुमको शालू बनना पड़ेगा। मैं हंस दी उसके गाल तोर कर, चलो ठीक है तुम अविनाश बन जाओ। शालू ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमे समा गयी और वो मेरे गाल, होंठ, आंखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी तो मैं तड़प उठी आह आआह शा शाआलु ऐए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊओम्म ऊऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी। उसके एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया मेरी चीख निकल गयी नाआहि आअह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूसतुइ हुई सिसकिउ वो ही जो अविनाश ने मेरे साथ किया था।
वो मुझ से जूम गयी और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धेरे-२ और फिर अंदर घुस गयी तो मैं उसकी ज़बान की गरमी से पागल हो उठी और उस से लिपट गयी, शालू ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनो दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गरम और इतनी लम्बी थी के मेरे पूरे मुंह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी। हम दोनो के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूस रही थी और सिसक रही थी आह अह शालु अह अह हां अह सुमन मेरी जान, ऊफ़ शालु कितनी मज़े की ज़बान है तेरी इतनी लम्बी ऊफ़ सच्ची अविनाश को मज़ा आ गया होगा, आअह ही धीरे सुमन अह आअह सच्ची सुमन बहुत मज़ा आया था क्या बताउं तुझे आह धीरे से मेरे होंठ।
आह सुमन उठो न प्लीज अब, तो हम दोनो उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुंह में सिसकी उतारो न सुमन प्लीज और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया, आअह शालु ये आह तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी कुछ न बोलो सुमन सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है मैं उसके सामने टोपलेस बैठी थी शरम से मेरी बुरी हालत थी। मैं ने अपने दोनो हाथों से अपने भरे भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालु ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग कर दी और मैं देखती रह गयी। उफ़ कितने प्यारे दूध हैं शालु के खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बी चूचियं जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा उस ने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया और मेरी आंखें चूम लीं और मेरे दोनो हाथ मेरे दूधों पर से हताये और अपने दूधों पर रखे और होंठ चबा कर सिसकी ऊई मां आह आह और फिर मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गयी आऐए आआऐर अह्ह अह आआअह ऊओह ऊऊम आआआआअह नहीं शाल्लल्ललु और मैं ने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालु भी मुझे से लिपट कर सिसक उठी आईईए ऊऊउइ ऊऊउइ अह अह अह धीएरे आह निक्कक्ककि धीएरे आह मेरे दूधु और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनो की ज़बाने मुंह के अंदर घुस पड़ी।
उसकी लम्बी चिकनी और गरम ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गयी। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनो की चीखें निकल पड़ी और हम दोनो झूम गये और मेरी चूत रस से भर गयी। मैं ने उसे लिपटा लिया और उसकी पीठ और चिकनी कमर और नरम-२ चूतड़ सहलानी लगी तो वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी मैं ने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आंखें नहीं खुल पा रही थीं बहुत हसीन लग रही थी शालु मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी उसके गोल नरम नरम दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती मैं ने उसको थोड़ा उपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी वो मस्ती में चिल्ला पड़ी आईईई मा मर जाउंगी मैं आह अह ओह ऊओफ़ अह सुमन आह अह्ह हान ये ये ये भी किया था अश… अह अश्वनि ने।
और मैं ने उसका पूरा का पूरा दूध मुंह में ले लिया तो मज़ा आ गया और शालु ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी आआइए सुमन धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री मा धीर से न आअह बहुत अच्छा लग रहा है आह पूरा पूरा चूसो न ऊफ़ मेरा दूध आह सुमन सची ऐईए ऐसे नहीं न काटों मत प्लीज उफ़ तुम तो अह अविनाश से अच्छा चूसती हो आअह आराम से मेरी जान और वो मेरे दूध दबाने लगी है सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे सुमन मुझे दो न प्लीज सुमन तो मैं ने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकना हो रहा था तो मैं ने जैसे ही दूसरा दूध मुंह में लेना चाहा वो सिसक उठी आह सुमन प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी-२ चूचियां कितनी मुलायम हैं उइ सच्ची मैं और मेरी चूचियां मसलने लगी तो मैं ने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये अह आअह शालू आराम से मेरी जान आह और और क्या किया था अविनाश ने बताओ न तो मेरे दूध पर अपने चिकने गुलाबी गाल रख कर मुस्कुरायी और धीरे से बोली और कुछ नहीं करने दिया मैं ने। क्यों शालु दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे उपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- सुमन सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका। क्योंकि डर लग रहा था। तो मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गयी मज़े में और मेरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम पेट पर आया और उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी। आह शाल्लु सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी और मैं क्या करूं आह मेरे दूध आऐए मा अह्ह धीरे न इतनि ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध आह आह ओह ऊओफ़ शालू प्लीज नहीं न। आअह हन हाअन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है। सुमन मेरी जान सच्ची कहां छुपा रखे थे येह प्यारे-२ दूधु। तो मैं शरम से लाल हो गयी उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हंस पड़ी ऊऊउइ मा सुमन। तो मैं ने उसके होंठ चूम लिये। शालु, हूं, तुम ने बताया नहीं अविनाश और क्या कर रहा था तो वो शरमा कर मुसकराई सुमन वो तो, हां बोलो ना शालु प्लीज तो शालू ने मेरा हाथ अपने शलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली वो तो ये खोलने के मूड में थे, फिर शालू, मैं ने रोक दिया उसे। क्यों शालू क्यों रोक दिया बेचारा अविनाश, तो मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी बड़ी आयी अविनाश वाली। मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया तो वो मुसकराई, मैं ने कह दिया ये सब अभी नहीं, शादी के बाद।
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह शालू आराम से मेरी जान
और मैं ने उसकी शलवार खोल दी तो वो चोंक गयी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ये सुमन क्या कर रही हो?
तो मैं ने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये मेरी शालू जान शादी तो अविनाश से होगी मुझे तो दिखा दो तो वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी हाय मेरी सुमन कब से सोच रही थी मैं आह मेरी जान और एकदम से उसने मेरी शलवार भी खोल दी और उसक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था मैं मज़े में चिल्ला पड़ी ऊऊउइ शाआलु नाआहि
और वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी और मैं मचल रही थी नहीं शालु प्लीज मत करो आइए ऊऊओफ़ नाआहि न ओह मैं क्या करूं!
उसने एकदुम से मेरी जलती हुई चोर पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी, हाय रे आह ये ये क्या कर दिया शालु, मुझे कुछ होश न था उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुंह में हलचुल मचा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है.
मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गयी उसकी शलवार भी उतर चुकी थी अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और बेड पर मचल रहे थे। आह सुमन ऊओफ़ सच्ची बहुत गरम चूत है उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत सच्ची बहुत तरसी हूं इस प्यारी चूत के लिये मैं, दे दो न प्लीज सुमन ये हसीन छोटी सी चूत।
हाय शालू मैं ऐन निकल रही हूं प्लीज आह मैं क्या करूं मेरा पूरा जिस्म जल उठा और मैं ने शालु के नरम गरम चूतड़ दबाए और एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी ऊऊउइ नीईइकि और मैं तो जैसे निहाल हो गयी.
उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी खूब फूली हुई मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गयी बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था और शालु की चूत लाल हो रही थी, क्या देख रही हो सुमन ऐसे तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी शालू और एक दम से मैं ने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गयी हम दोनो एक दूसरे की चूत सहला रहे थे। शालू, हूं, अविनाश को नहीं दी ये प्यारी सी चीज़, तो वो शरमा कर मुस्कुराई ऊन हूनह। क्यों? तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है। तो मैं हंस दी हट बदतमीज़। सच्ची सुमन, वो मेरी चूत धीरे-२ दबा कर सिसकी हमेशा सोचती थी के तुम्हारी ये कैसी होगी। तो मैं अहरमा कर मुसकुराई मेरे बारे मैं क्यों सोचती थीं तुम। पता नहीं बस तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो दिल चाहता है कहां प्यार करूं। तो मैं मुस्कुरा कर उस के होंठ चूम लिये, तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया ये सब। तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली डर लगता था के तुमको खो न दूं कहीं।
मैंने उसे लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये और आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उठी आअह्ह आआह सुमन मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत मेरी जान मेरे प्यार और मैं ने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो मेरे नरम चूतहर पकड़ कर नीचे किये और चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गयी आह आह आह ऊऊऔइ शालु.
और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आयी मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी। हम दोनो की चीखें निकल पड़ी. दोनो के चूतड़ उछल रहे थे.
शालु मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर आऐईए माअ मर जाआअओनगि नाआअहि शलु अर्रर्र आह ऊओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हह्हिअ आआइ मैं निकल रही हूऊऊओन शालु मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालु के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी सुमन चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर रीईईए आआआअह ऊऊओमफ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह ह्हाआआअ!
मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झड़ना बह निकला हो रोकते-२ मेरे गले से नीचे उतर गया यही हाल शालू का भी था हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये। Sex stories
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