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Massage Girl in Manali: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Manali who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Manali that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Manali massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Manali who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Manali massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Manali massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Manali who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Manali employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Manali helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Manali

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Manali at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

में बता रही थी जिसमें पड़ोस के बाप-बेटे पर मेरा दिल आ गया। मैंने अंकल को आंटी की चुदाई करते देख लिया और फिर उनसे बात करके खुद भी चुदने की सोचने लगी।

अंकल ने छत पर मुझे अपना लंड दिखाया और मैंने मुठ मारकर उनके लंड का पानी निकलवा दिया।
फिर मैं नीचे आ गई।

मेरी चूत में खुजली मची थी और लंड लेने का बहुत मन कर रहा था।

अब आगे हॉट भाभी Xxx स्टोरी:

लंड छूने के बाद चूत में आग लगी हुई थी।
लेकिन मेरे पति बाहर थे इसलिए मुझे चूत में उंगली देकर ही अपनी प्यास को शांत करना पड़ा।

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, मुझे और अंकल को दोबारा मौका नहीं मिल पा रहा था।

एक दिन की बात है कि मेरे सास-ससुर चेकअप के लिए डॉक्टर के पास चले गए।
घर में मैं अकेली थी।

मैं सोच रही था कि काश आज अंकल घर आ जाते और मुझे यहीं चोद जाते।

मानो मेरे मन की बात सच हो गई।

कुछ देर बाद ही घर की बेल बजी और गेट खोला तो अंकल सामने थे।
वो अंदर आ गए और मैंने दरवाजा बंद कर दिया।

अंकल बोले- तुम्हारे ससुर जी हैं क्या?
मैंने कहा- नहीं अंकल, वो दोनों तो बाहर गए हैं। मैं ही हूं घर पर, बिल्कुल अकेली!
ये सुनते ही अंकल की आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान आ गई।

इससे पहले कि मुझे कुछ करने की जरूरत पड़ती, अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और जल्दी से मुझे अंदर खींच ले गए।
वो बोले- मैंने उन दोनों को बाहर जाते देख लिया था, मैं तो बस अपनी तसल्ली के लिए पूछ रहा था। यही मौका तो ढूंढ रहा था मैं कई दिन से!

मैं भी मन ही मन खुश हो रही थी और कह रही थी कि आज तो जमकर चुदूंगी इनसे! अच्छा हुआ ये खुद ही घर चले आये।

फिर भी मैंने थोड़ा नाटक किया और कहा- नहीं अंकल, ये गलत है, किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी।
वो बोले- कोई नहीं आने वाला रोमा डार्लिंग, अब मुझसे दूर मत रहो, जल्दी आ जाओ मेरी बांहों में!

मैंने कहा- लेकिन पहले तो आप बेटा कहकर बुलाते थे, अब एकदम से डार्लिंग बुला रहे हो, मुझे बहुत डर लग रहा है अंकल!

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बांहों में जकड़ते हुए बोले- तुम बातें बहुत करती हो रोमा, मौके का फायदा उठाओ, आज मुझसे सब्र नहीं हो रहा है!

यह कहकर अंकल मुझ पर टूट पड़े और और जोर-जोर से किस करने लगे।
मेरे दोनों होंठ उनके होंठों के अन्दर थे। मेरे अन्दर भी सेक्स की आग लग चुकी थी तो जल्द ही मैं भी उनका साथ देने लगी।

अंकल ने मेरी साड़ी उतार दी, फिर धीरे से मेरा ब्लाउज भी उतार दिया।
फिर मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो पेटीकोट नीचे गिर गया।

अब मैं उनके सामने सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी।
अंकल कहने लगे- रोमा, तुम तो बहुत सेक्सी हो! क्या जवानी है तुम्हारी!
फिर उन्होंने मेरी ब्रा-पैंटी भी उतार दी और मुझे नंगी करके मुझे धक्का देते हुए मुझे वहीं सोफे पर लेटाकर वो मेरे पूरे शरीर को किस करने लगे।

वो मेरे मम्मों को जोर-जोर से मसलने लगे। उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी।
अंकल ने कहा- रोमा, तेरे बूब्स तो काफी बड़े हैं … तूने ऐसा क्या किया कि तेरे बूब्स इतने बड़े-बड़े हो गए?

मैंने कहा- करना क्या था … आह्ह … रोज अपने पति से इनको खूब दबवाती हूँ… तब जाकर ये इतने बड़े हुए हैं!
अंकल ने कहा- आज से मैं भी इनको दबाऊंगा और इससे भी और ज्यादा बड़े कर दूँगा।
मैंने कहा- ठीक है दबा लेना, मगर अभी तो आप मुझे जल्दी से चोद दो।

अंकल मुझे और जोर-जोर से किस करने लगे, मैं भी पागल हो गई बिल्कुल!
फिर अंकल ने मेरी टांगें चौड़ी कीं और मेरी चूत को चूसने लगे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था।

फिर अंकल ने अपने कपड़े उतारे और अपना लंड निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया और कहा- रोमा इसे चूसो!
मैं भी लंड लेने के लिए तरस रही थी।
इसलिए मैंने भी बिना देर किए अंकल के लंड को मुँह में लिए हुए चूसना शुरू कर दिया।

अंकल का लंड मेरे पति के लंड से थोड़ा ज्यादा लंबा और मोटा था। अंकल ने मेरे सिर को पकड़ा और जोर-जोर से अपने लंड से मेरे मुँह की चुदाई करने लगे।
कभी-कभी वो अपना लंड मेरे गले तक उतार देते, जिससे मुझे ठसका लग जाता मगर वो अपने काम में लगे रहते।

थोड़ी देर बाद अंकल ने कहा- रोमा, मेरे लंड का रस निकलने वाला है!
इतना बोलते ही उनके लंड का रस मेरे मुँह में ही निकल गया और मैं उनके लंड का सारा रस पी गई।
बहुत दिन बाद मुझे किसी नए लंड का रस मिला था और मुझे माल पीना बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने फिर अंकल से कहा- चलो रूम में चलते हैं।
मैं उन्हें अपने रूम में ले गई।

रूम में जा कर हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपट गए और चुम्मा-चाटी करने लगे।

कुछ देर किस करने के बाद मैंने फिर से अंकल के लंड को चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में अंकल का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया।

अंकल ने कहा- रोमा, मुझे तेरी चूत की चुदाई करनी है।
मैंने कहा- हाँ अंकल, मैं भी अपनी चूत की चुदाई चाहती हूँ। चोद दो मेरी चूत को!

इतना सुनते ही अंकल ने मुझे बिस्तर पर पटका और मेरे ऊपर चढ़ गए और बोले- आज तो रोमा तेरी चूत की ऐसी चुदाई करूँगा कि तू जिंदगी भर याद करेगी!

अंकल ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया, मैं पागल सी होने लगी।
तभी अंकल ने एक झटके में मेरी चूत में अपने लंड को उतार दिया और मेरे मुँह से आह्ह … निकल गई।
अंकल मेरे होंठों को किस करने लगे।

वो साथ ही मेरे मम्मों को भी मसलने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि मेरी चूत में किसी पराये मर्द का लंड घुसा हुआ था।

अंकल मेरी चूत की जोर-जोर से चुदाई करने लगे और मैं मदहोश होने लगी।

मैंने अंकल से कहा- अंकल और तेज़ … और तेज़ चोदो मुझे … मेरी चूत का रस निकलने वाला है … अह्ह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओह्ह्ह।
अंकल ने कहा- हाँ मेरी जान … ये ले मेरे लंड का पूरा मजा!

ये कह कर वो और जोर-जोर से मेरी चूत में धक्के लगाने लगे।
थोड़ी देर में ही मेरी चूत का रस निकलने लगा और मैं जोर से चीखी।
तभी अंकल ने मेरा मुँह दबा दिया।

वो फिर मुंह दबाये हुए अपने धक्के लगाते रहे और दस मिनट बाद उनका भी निकलने को हो गया।
तभी एकदम से उन्होंने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया और मेरे मुंह में लंड को पेल दिया।

एक दो धक्का ही लगाया था कि उनके मुंह से आह्ह … आह्ह … करके सिसकारियां निकलने लगीं और मेरे मुंह में उनका वीर्य गिरने लगा।

अंकल ने सारा रस मेरे मुंह में ही छोड़ दिया, जिसे मैं पी गई।
फिर हम थक कर लेट गए।

थोड़ी ही देर बाद दोनों फिर से लिपटने लगे और गर्म हो गए।
अंकल ने मुझे एक बार फिर से चोदकर मुझे माल पिला दिया।

एक घंटे में हमने दो बार चुदाई कर ली थी।

उसके आधे घंटे बाद तीसरा राउंड भी अंकल ने खेल दिया।
मेरी चूत अब चुद चुदकर सूज गई थी।

मैं थक गई और अब सास-ससुर के आ जाने का डर भी सताने लगा।
इसलिए मैंने अंकल को जाने के लिए कहा।

वो पहले तो मना करने लगे लेकिन फिर बड़ी मुश्किल से मैंने दोबारा चूत मरवाने का आश्वासन देकर उनको घर भेजा।

उसके बाद कई बार जरा सा भी मौका मिलते ही अंकल मेरी चूत में लंड उतार देते थे और हम जल्दी से चुदाई का मजा ले लेते थे।
अंकल अब तक 4-5 बार मुझे चोद चुके थे।

उसके बाद कई महीने तक हमें मौका नहीं मिल पाया।
मेरे पति भी वापस आ चुके थे. अब पति भी मेरी चुदाई कर रहे थे।

फिर एक बार की बात है कि आंटी की तबियत खराब हो गई।
उनको अस्पताल लेकर गए।

मुझे भी उनके बारे में पता लगा तो मैं भी आंटी से मिलने के लिए गई।
जाकर मैंने उनसे बात की।
अंकल ने उनको दवाई दे दी।

कुछ देर मैं आंटी के पास बैठी रही और हम लोग बातें करते रहे।

फिर मैं उठकर जाने लगी।

जब मैं बाहर निकलने को थी तो अंकल ने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया, मेरी चूचियों को भींचते हुए उन्होंने मेरी गांड पर लंड लगा दिया।
मैं एकदम से घबरा गई और छुड़ाते हुए बोली- क्या कर रहे हो अंकल! कोई देख लेगा!

वो फिर से मुझे जकड़ते हुए बोले- रोमा, दो महीने से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं। बहुत मन कर रहा है। रुक जाओ थोड़ी देर, आज तो मौका मिला है, इतने दिनों के बाद!

कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पक़ड़ कर लंड पर टिका दिया।
उनका लंड एकदम से तना हुआ था।

वो बोले- देखो, कैसे तड़प रहा है तुम्हारी चूत के लिए।
मैं बोली- लेकिन ऐसे कोई आ जाएगा!
वो बोले- कोई नहीं है घर में। बेटा ऑफिस गया है। तुम्हारी आंटी अब 2 घंटे से पहले नहीं उठने वाली है। मैंने उसको दवाई देकर सुलाया है।

ये बोलकर अंकल ने मुझे बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
वो मेरी गर्दन को चूमने लगे।

मेरी चूचियों में मुंह देते हुए उन्होंन मुझे सोफे पर गिरा दिया।
फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज और ब्रा को ऊपर उठा कर मेरे बूब्स को बाहर निकाल कर चूसना शुरू कर दिया।

मेरे ऊपर भी अंकल के चुम्बनों और चूचियों की चुसाई की मदहोशी छाने लगी।
मेरा हाथ उनके लंड को टटोलने लगा और मैंने उनका लंड बाहर निकाल कर उसके हाथ से हिलाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद वो उठकर खड़े हो गए।

मैं सोफे पर बैठी थी और उनका लंड ठीक मेरे मुंह के सामने था।
मैंने उनकी पैंट का हुक खोला और चड्डी समेत से नीचे खींचते हुए एकदम से लंड को मुंह में भर लिया।

मैं बहुत मस्ती में अंकल के लंड चूसने लगी जैसे कि मुझे बहुत दिनों के बाद आइसक्रीम नसीब हुई हो।
अंकल के मुंह से आहें निकलने लगीं।

दो-तीन मिनट तक अंकल ने लंड चुसवाया और फिर मेरे मुंह से बाहर खींच लिया।
उन्होंने मेरी साड़ी ऊपर की और पैंटी को नीचे खींच दिया।
मेरी टांगें चौड़ी कर उन्होंने चूत में मुंह लगा दिया और मेरी चूत को चूसने लगे।

मैं पगला गई।
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं जिनको रोक पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था।
फिर भी मैंने किसी तरह अपनी चुदास भरी आवाजों को कंट्रोल में किया।

बस मैं धीमी आवाज में सिसकार रही थी- आह्ह … उम्म .. ओह्ह … ऊईई … अह्ह्ह्ह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओह्ह्ह … अंकल!

अंकल अपनी जीभ को पूरी की पूरी चूत में घुसा कर जोर जोर से चूत चाट रहे थे।
मेरी चूत से पानी निकलने लगा था।

इतने में ही डोरबेल बजी तो में घबरा गई।
मैंने जल्दी से अपनी साड़ी नीचे की, ब्रा और ब्लाउज को भी ठीक किया और अपने आप को नॉर्मल किया।

अंकल ने भी अपनी चड्डी और पैंट पहन ली।
नॉर्मल होकर उन्होंने दरवाजा खोला तो उनका बेटा दरवाजे पर था।

उसने दरवाजे पर ही अंकल से पूछा- मम्मी की तबियत कैसी है?
फिर उसकी नजर मेरे ऊपर गई।
उसने मुझे भी हैलो कहा।

अंकल बोले- तबियत ठीक है अब, उनको दवाई दे दी है और वो सो रही है।

मैं भी उठकर दरवाजे के पास आ गई और बोली- ठीक है अंकल, मैं आंटी से मिलने से फिर से आऊंगी।
फिर मैं अपने घर आ गई।
घर आकर मुझे पता चला कि मैंने अपनी पैंटी नहीं पहनी है।

मुझे याद आया कि घबराहट में मैनें अपनी पैंटी नहीं पहनी और वहीं भूल आई हूँ।

तो मैंने जल्दी से अंकल को फोन लगाया।
मैंने उनको सारी बात बताई।

वो बोले- ठीक है, मैं देखता हूं।
कुछ देर बाद उनका फिर से कॉल आया।
वो बोले- पैंटी नहीं मिली मुझे तुम्हारी!

मैं बोली- ऐसा कैसे हो सकता है, अच्छे से देखिये।
वो बोले- मैं सब जगह देख चुका हूं। मुझे कहीं नजर नहीं आई। जरा याद करो, शायद तुम पहनकर ही न आई हो?

यह सुनकर मैं भी सोच में पड़ गई, मैंने सोचा कि शायद अंकल ठीक कह रहे हों, मैंने पैंटी पहनी ही न हो, क्योंकि मैं साड़ी के नीचे पैंटी नहीं पहना करती थी।

फिर उसके अगले दिन मैं अंकल के घर गई।
वो दोपहर का टाइम था और गर्मियों के दिन थे।

मैंने डोरबेल बजाई तो अंकल ने ही दरवाजा खोला।
मुझे देख कर वो खुश हो गये थे।

उन्होंने मुझे अंदर आने के लिए कहा और बताया कि आंटी तो अभी दवाई खा कर सोई हैं।
ये बता कर उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे चूमने लगे।

मैंने कहा- एक बार देख तो लीजिये, आंटी सोई भी है या नहीं?
वो बोले- खुद ही चलकर देख लो।
मैं आंटी के रूम में गई तो वो सचमुच सो रही थी।

फिर हम दोनों बाहर आए तो अंकल ने मुझे दबोच लिया और चूमने लगे।
फिर वो मुझे गोद में उठाकर दूसरे रूम में ले गए।

ये कमरा उनके बेटे का था।
वो मुझे बेट पर लिटाकर मुझ पर टूट पड़े।
मैं भी जोश में आकर उनका साथ देने लगी।

अंकल ने जल्दी से मेरा ब्लाउज उतार दिया और ब्रा उतार कर मेरे बूब्स को चूसने लगे।

कुछ देर बूब्स चूस कर अंकल ने मेरी साड़ी, पेटीकोट और पैंटी एक साथ उतार दिए।

फिर अंकल कुछ देर के लिए रुके और मेरी चूत को देखते हुए बोले– क्या माल है तू, मेरे हाथ तो हीरा लग गया है!
उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए।

अपने कपड़े उतार कर अंकल ने मेरी टाँगें उठा लीं और लंड को सीधा मेरी चूत पर टिका दिया।
मेरी कोमल सी चूत अंकल के लंड का स्पर्श पाकर गीली हो गई।

मेरी चूत अंकल के 3 इंच मोटे लंड को लेने के लिए रेडी थी।
अंकल ने लंड को कुछ देर मेरी चूत पर रगड़ा तो मैं मदहोश होने लगी।
फिर उन्होने लंड को मेरी चूत के छेद पर रोक दिया।

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और फिर अंकल का लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसने लग गया।
मेरी तो चीख निकल गई और मैं अंकल की पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी।

उन्होंने अपने हाथ को मेरे मुंह पर रख कर दबा दिया।
मैं पूरा ज़ोर लगा कर भी सांड जैसे अंकल को हिला नहीं पाई।

उन्होंने लंड को और अंदर घुसा दिया और फिर रुक गए।
फिर वो मुझे चोदने लगे।

मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन अंकल मुझे बुरी तरह से चोदे जा रहे थे।
उनके लगातार चोदने से मेरा दर्द कम होने लग गया, और फिर धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।
अब अंकल का लंड भी आराम से चूत मे अंदर बाहर होने लगा।

चुदाई के मजे में मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … अह्ह … हये … उफ्फ … उम्म्म … अंकल … आह्ह … अंकल … आह्ह।

मेरी ऐसी आवाजें सुनकर अंकल और ज्यादा जोश में आ गए।

अब वो बेदर्दी से मेरी चूत को खोदने लगे।

मेरी चूत में दर्द होने लगा।
उनका मोटा लंड अब चूत को अंदर तक चोट पहुंचा रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पेट में कोई रॉड घुसा रहा हो।
वो मुझे जैसे चोद चोदकर बेहोश कर देने पर उतारू थे।

फिर एकदम से उन्होंने लंड को बाहर खींचा और मेरे ऊपर गिर कर होंठों चूसने लगे।
मुझे अपने पेट पर वीर्य की गर्म-गर्म पिचकारियां महसूस होने लगीं।

अंकल ने सारा माल मेरे पेट पर गिरा दिया।

कुछ देर हम पड़े रहे।
फिर सांसें नॉर्मल हुई तो अंकल उठ गए।
वो बोले- चलो, चलकर नहा लेते हैं। बहुत गर्मी हो गई है।

हम बाथरूम में गए।
मैंने शावर चालू कर लिया और उसके नीचे खड़ी हो गई।

एकाएक मेरी नजर सिंक पर पड़ी पैंटी पर गई। ये वही पैंटी थी जो मैंने कल पहनी हुई थी।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
तो दोस्तो, इस तरह से अंकल से मैं उनके बेटे के रूम में चुदी।

Sex Stories

मेरी यह कहानी एकदम Sex Stories सच्ची है जो आप लोगो को एकदम अपने करीब लगेगी। मेरा अगला सैक्सपिरियन्स चाँद के साथ था। फिर नीना, फिर शैलजा, फिर कल्पना और फिर साक्षी के साथ मेरा सैक्सपिरियन्स हुआ।

पर आज ना जाने क्यों मुझे साक्षी बहुत याद आ रही है। इसलिये मैं चाँद, नीना, शैलजा और कल्पना को साईड करते हुए पहले साक्षी के साथ हुए सैक्सपिरियन्स को आप लोगो के साथ शेयर करता हूँ। उस वक़्त मैं 20 साल का और साक्षी 19 साल की थी।

मेरे माता-पिता दोनों टीचर थे। मेरी एक बडी बहन है। जो मेरे से लगभग दो साल बड़ी है। मेरी बहन की शादी बनारस में हुई।

मेरे जीजाजी एक मल्टी-नैशनल कम्पनी में परचेज़ मैंनेजर हैं। बी.एस सी के बाद मैंने बनारस युनिवर्सिटी में बी.फ़ार्मेसी में प्रवेश लिया। मैं होस्टल में रहने लगा। फिर दीदी ने अकेले होने की वजह से मुझे अपने साथ ही रहने को कहा। मैं होस्टल छोड़ कर दीदी-जीजाजी के साथ में रहने लगा।

दीदी के पड़ोस में एक दुमंज़िला मकान था। जहाँ दो बहनें रहा करती थी। ऊपर बड़ी बहन जो कि मकान मालकिन भी थी और नीचे यानी ग्राउंड-फलौर पर छोटी बहन।
बड़ी बहन लगभग 55 साल की थी और छोटी बहन लगभग 50 साल की थी।

हम उन्हें ऊपर वाली आन्टी और नीचे वाली आन्टी कहते थे। ऊपर वाली आन्टी के तीन बच्चे थे। दो लड़के और एक लड़की। लड़की सबसे बड़ी थी।

तीनों बच्चों की शादी हो चुकी थी और सभी बाहर रहते थे। इसलिये उपर वाली आन्टी-अकल ने अपनी सबसे बड़ी लड़की की लड़की को अपने साथ रखा हुआ था। उसका नाम लीनू था। लीनू बनारस महिला कॉलेज़ में बी.ए. प्रथम वर्ष में पढ़ती थी।
लीनू बहुत ही ख़ूबसूरत थी। खैर वो बाद में…

नीचे वाली आन्टी के भी तीन ही बच्चे थे। दो लड़के और एक लड़की। लड़की सबसे बड़ी थी। तीनों बच्चे पढ़ रहे थे। लड़की का नाम मीनाक्षी था। घर में सब उसे साक्षी कहते थे। साक्षी लगभग 19 साल की थी और बनारस महिला कॉलेज़ में ही बी. एस सी. (बायो) अन्तिम वर्ष में पढ़ती थी।

साक्षी भी बहुत ही ख़ूबसूरत थी मगर लीनू से कुछ कम। मेरी बहन ने भी बी.एस सी. (बायो) की थी। इसलिये साक्षी मेरी बहन से कभी-कभी पढ़ने आती थी। जब मैं दीदी-जीजाजी के साथ में रहने लगा तो दीदी साक्षी को मेरे से पढ़ने के लिये कह देती। साक्षी को मेरा समझाना अच्छा लगता था, इसलिये वो अकसर मेरे से पढ़ने आने लगी।

धीरे-धीरे मैं और साक्षी एक दूसरे को बहुत पसन्द करने लगे। साक्षी से मेरी मुलाक़ातें बढ़ने लगी। ये मुलाक़ातें धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।

फिर एक दूसरे को बाँहो में भरना, किस करना, फिर एक दूसरे के अंगों को छूना भी शुरु हो गया। मैं साक्षी के स्तनों को दबाने और सलवार के उपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच गया। साक्षी भी मेरी पैंट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई।

एक दिन साक्षी घर आई। उसे मुझ से केमिस्ट्री में कुछ पढ़ना था। हम दोनों ड्राइंगरूम में पढ़ने लगे। हमें पढ़ते देख कर मेरी बहन बोली कि तुम लोग पढ़ाई करो और मैं मार्केट हो कर आती हूँ। दो-तीन घंटे तक आ जाउँगी। कह कर वो चली गई। बहन के जाते ही मैं साक्षी को छेड़ने लगा।

साक्षी ने कहा- क्या कर रहे हो।
मैं बोला- मौके का फायदा उठा रहा हूँ।

मैंने साक्षी को खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया।

मैं साक्षी के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा। मैं उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगा। साक्षी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। फिर मैं उसके कुरते के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके स्तनों को दबाने लगा। फिर मैं उसके कुरते को उतारने लगा।

साक्षी बोली- क्या करते हो! दीदी आने वाली होंगी।

मैंने कहा- वो दो-तीन घंटे तक नहीं आँएंगी। कह कर मैं फिर उसके कुरते को उतारने लगा।

साक्षी बोली- प्लीज़! कोई आ जाएगा।

मैंने उठ कर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर मैं साक्षी का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया। मैंने साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया, अपने जलते हुए होंठ साक्षी के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

साक्षी ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ साक्षी के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने साक्षी को बैड पर लिटा दिया। फिर साक्षी का कुरता उपर करके उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुए होंठ रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। साक्षी के मुँह से आह निकलने लगी।

फिर मैं उसके कुरते को उतारने लगा। साक्षी ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसका कुरता उतार कर फ़ेंक दिया। साक्षी के गोरे-गोरे स्तन गुलाबी ब्रा में फँसे थे। फिर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। साक्षी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी।

कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी। फिर मैं उसके गोरे-गोरे सख्त स्तन दबाने लगा। साथ-साथ उसके गुलाबी निप्पल को हल्के-हल्के मसलने लगा। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। साक्षी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।

फिर मैं उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी सलवार के अन्दर ले गया। मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो साक्षी ने कोई विरोध नहीं किया।

मैंने उसकी सलवार उतार कर फेंक दिया। साक्षी ने गुलाबी पैन्टी पहनी हुई थी। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और सिर्फ जॉकी में साक्षी से लिपट गया।

फिर मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। साक्षी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उसके तन से जुदा कर दी।

मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और जॉकी को फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था। मैंने जॉकी उतार कर फेंक दी। मैं साक्षी की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं साक्षी की चूत के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंनें अपनी उँगलियॉ साक्षी की चूत के अन्दर डाल दी।

फिर उंगलियों से साक्षी की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। फिर मैं साक्षी की चूत के जी-पॉन्यट को रगड़ने लगा।

साक्षी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। साक्षी ने मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर ली। मेरा लण्ड साक्षी की जांघों से रगड़ खा रहा था। साक्षी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी।

मेरा लण्ड तन कर सख्त हो गया था। साक्षी मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर उपर-नीचे और आगे-पीछे करने लगी। मैं साक्षी की चूत मारने को बेताब हो रहा था।

मैंने साक्षी को कहा- साक्षी! बहुत मन हो रहा है। कर लें क्या!

साक्षी कुछ नहीं बोली।
मैंने इसे साक्षी की हाँ समझ लिया। मैं साक्षी के उपर लेट गया।

साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नीचे दबा हुआ था। मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर साक्षी की चूत के जी-पॉन्यट के उपर-नीचे करके रगड़ने लगा। फिर मैं अपने लण्ड को पकड़ कर साक्षी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।

साक्षी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- हमें डर लगता है। प्लीज़! कंडोम के बिना कुछ नहीं करेंगे। प्लीज़! कंडोम हो तो लगा लीजिए।

मैंने एक बार दीदी के साथ साफ-सफाई में हाथ बँटाते हुए बैड की दराज में कंडोम देखे थे। मैंने फौरन उठ कर बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। साक्षी ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। कंडोम लगा कर मैं फिर से साक्षी के ऊपर लेट गया। साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नीचे दब गया।

फिर साक्षी मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी और बोली- प्लीज़! ऐसे करते रहिए। अपने आप चला जाएगा।

साक्षी की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। शायद उसको यह करना अच्छा लग रहा था। वो मेरे लण्ड को अपनी चूत से रगड़े जा रही थी। मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी। इसी उत्तेजना में मैंने साक्षी का हाथ पकड़ लिया। इससे पहले मैं कुछ समझ पाता मैं साक्षी की चूत के ऊपर झड़ गया।

कंडोम लगे लण्ड को चूत से रगड़ने की वजह से कंडोम फट गया था और मेरा वीर्य साक्षी की चूत के बालों में भर गया था। मैं साक्षी के बगल में लेट गया।

साक्षी उठ कर बाथरुम चली गई। कुछ देर बाद वो बाथरुम से अपनी चूत साफ करके आकर मेरी बगल में लेट गई। कुछ देर हम चुपचाप लेटे रहे।

थोड़ी देर बाद साक्षी ने मेरी तरफ करवट ले कर अपनी टांगों को मेरी टांगों पर रख लिया। मैंने भी करवट ले कर साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया।

मैंने अपने जलते हुए होंठ साक्षी के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। उसने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ साक्षी के गोरे-गोरे और चिकने-चिकने जिस्म पर फिर रहे थे। साक्षी भी अपने हाथों को मेरी पीठ पर फिर रही थी। कुछ देर मैं साक्षी के होठों को चूसता रहा। फिर मैं साक्षी के ऊपर लेट गया।

फिर मैं साथ-साथ उसके गुलाबी निप्पल को हल्के-हल्के मसलने लगा। मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया था और साक्षी की चूत के बालों से रगड़ खा रहा था। मैं साक्षी की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा।

मेरा लण्ड साक्षी की जांघों के बीच फंसा हुआ था। साक्षी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। मैं साक्षी को चोदने को बेताब हो रहा था। साक्षी की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। फिर कुछ देर बाद मैं अपने लण्ड को पकड़ कर साक्षी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।

साक्षी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- प्लीज़ कंडोम लगा लीजिए।

मैंने फौरन फिर से बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। कंडोम लगा कर मैं फिर से साक्षी के उपर लेट गया। मैंने अपने को साक्षी की टांगों के बीच में सैट कर अपने लण्ड को पकड कर साक्षी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। साक्षी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया और अपनी चूत के सुराख पर लगा दिया और बोली- अब धीरे से डालिए।

मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा साक्षी की चूत में घुस गया। साक्षी के मुँह से आह निकली।

उसने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया और अपनी आँखें कस कर बन्द कर ली। मैंने थोड़ा ओर जोर लगाया। मेरा लगभग आधा लण्ड साक्षी की चूत में घुस गया। साक्षी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने तीसरा और आखिरी धक्का दिया तो मेरा पूरा लण्ड साक्षी के कौमार्य को चीरता हुआ चूत में समा गया। साक्षी के मुँह से जोर से आह निकली। उसने मुझे अपनी बाँहो में पूरी ताकत से कस लिया।

मैंने भी साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए।

मेरा पूरा लण्ड साक्षी की चूत के अन्दर समाया हुआ था। हम दोनों ने एक दूसरे को इस कदर अपनी बाँह में जकड़ा हुआ था कि हवा भी हम दोनों के बीच से पास नहीं हो सकती थी।

साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दबा हुआ था। मेरी टांगें साक्षी की टांगों के बीच में फंसी हुई थी। मैं साक्षी के माथे पर, फिर आँखों पर तथा गालों को किस करने लगा। साक्षी भी मेरे गालों को किस करने लगी।

कुछ देर हम दोनों इसी तरह से एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने अपने लण्ड को धीरे से साक्षी की चूत से थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अपने लण्ड को धीरे से साक्षी की चूत में अन्दर घुसा दिया। फिर मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से साक्षी की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ देर बाद साक्षी ने अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे साक्षी की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी। अब मेरा लण्ड साक्षी की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था।

मैं साक्षी की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मार रहा था। हम दोनों सेक्स के नशे में चूर हो रहे थे। साक्षी को भी मजा आने लगा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी।

उसने मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लिया। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स ऊपर-नीचे कर रही थी।

जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स पीछे खींच लेती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर साक्षी को चोदने लगा। मैं बैड पर हाथ रख कर साक्षी के उपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड साक्षी की चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था।

साक्षी भी अब आँखें खोल कर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। मैं साक्षी को पागलों की तरह से चोद रहा था। अब मैं पूरी तेजी से साक्षी के उपर कूद-कूद कर उसे चोद रहा था। साक्षी इस चुदाई के नशे से मदहोश हो रही थी।

मैंने रुक कर साक्षी से कहा- साक्षी अच्छा लग रहा है क्या?
साक्षी बोली- हां बहुत अच्छा लग रहा है। करो ना। तेज-तेज करते रहो।

साक्षी के मुहँ से ये सुन कर मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। मैंने साक्षी के हिप्स को हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर साक्षी को चोदने लगा।

साक्षी के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह होहोह सस्स्स ह्ह्ह हाहाह्ह्ह आआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ राज, तेज-तेज करो ना।”

मैं साक्षी के उपर लेट गया और मैंने साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया। फिर मैंने अपने होंठ साक्षी के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसते हुए उसे ओर तेजी से चोदने लगा। मेरा लण्ड सटासट साक्षी की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था।

अब मैं साक्षी की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मार रहा था। हम दोनों सेक्स के नशे में चूर हो रहे थे। साक्षी भी अपने होठों से मेरे होठों को चूसती हुई मजे से चुदाई का मजा ले रही थी। मैं साक्षी को काफ़ी देर तक ऐसे ही चूमते हुए कस कर चोदता रहा। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए चुदाई का मजा लेते रहे। फिर अचानक साक्षी ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया।

उसने अपने होंठ मेरे होठों से अलग करके कहा- ओह राज, मैं तो होने वाली हूँ। प्लीज़ तुम भी हो जाओ। दोनों साथ-साथ होंगे। जब तुम होने लगो प्लीज़ तो इसे मेरे अन्दर से बाहर निकाल लेना। कंडोम का भी कोई भरोसा नहीं होता है। प्लीज़ बाहर ही होना।

मैंने कहा- ठीक है साक्षी।

और यह कह कर मैं तेज-तेज धक्के मार कर साक्षी को चोदने लगा।

लगभग 2 मिनट बाद अचानक साक्षी ने एक जोर से आह भरी और अपने हिप्स और अपनी चूत को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया और फिर बैड पर अपने पैर पसार दिये। मैं समझ गया कि साक्षी डिस्चार्ज हो चुकी है।

मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं बैड पर हाथ रख कर साक्षी के उपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड साक्षी की चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था। साक्षी आँखें बंद करके बैड पर सपाट लेट कर मेरे डिस्चार्ज होने का इंतजार कर रही थी।

लगभग 2 मिनट तक साक्षी को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगा तो मैंने साक्षी के कहने के मुताब़िक, अपना लण्ड साक्षी की चूत में से बाहर खींच लिया और साक्षी की चूत के बाहर कंडोम में ही डिस्चार्ज हो गया।

फिर मैं साक्षी के उपर लेट गया। साक्षी का नंगा जिस्म मेरे नीचे दब गया। मेरा लण्ड कंडोम में सिकुड़ा हुआ साक्षी की झाटों के ऊपर पडा था। कुछ देर तक मैं साक्षी के ऊपर लेटा रहा और अपनी तेज-तेज चल रही सांसों को काबू में आने का इंतजार करता रहा। साक्षी भी मेरे नीचे दबी हुई अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई थी।

कुछ देर बाद मैंने उठ कर अपने लण्ड पर से कंडोम उतार कर एक अखबार के कागज़ में लपेट कर डस्टबिन में फेंक दिया। फिर अपने अन्डरवियर से अपना लण्ड साफ करके साक्षी की बगल में लेट गया। साक्षी आँखें बंद करके लेटी हुई थी। कमरे की हल्की रोशनी में उसका गोरा और नंगा बदन चमक रहा था।

कुछ देर बाद मैंने साक्षी की तरफ करवट ली और अपनी टांग साक्षी की टांगों पर रख दी। फिर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा।

साक्षी बोली- हो गई तुम्हारे मन की!
मैंने कहा- हाँ साक्षी, बहुत अच्छा लगा। मजा आ गया।

कह कर मैंने करवट ले कर साक्षी को अपनी बाँहो में भर लिया।

कुछ देर तक हम ऐसे ही लिपटे हुए बातचीत करते रहे। फिर साक्षी बोली- चलो अब उठो। दीदी आने वाली होंगी।

मैंने कोई खास नखरा नहीं किया और साक्षी के कहते ही मैंने उठ कर अपने अन्डरवियर से अपना लण्ड फिर से साफ किया और अपने कपड़े पहन लिये। साक्षी ने भी उठ कर अपने कपड़े पहन लिये। फिर हम दोनों ड्राइंगरूम में बैठ कर बातें करने लगे। हमने कुछ देर बातचीत की।

फिर साक्षी बोली- मैं चलती हूँ। दीदी के आने से पहले मेरा चले जाना ही ठीक रहेगा। वरना दीदी को खामख्वाह शक होगा।

कह कर साक्षी घर जाने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

फिर मैंने उससे कहा- प्लीज़ कुछ देर ओर रुको ना।
वो अपना हाथ छुड़ाने लगी और बोली- क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी। मैं जा रही हूं।

वो जाने लगी। मैंने उसे खींच कर अपनी गोद में लिटा लिया।

साक्षी बोली “क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी। प्लीज़ छोड़ो मुझे।

मैंने उसे छोड़ने की बजाय अपने सीने से चिपका लिया। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगा।

मैं साक्षी से बोला- साक्षी, एक बार फिर करने का मूड़ हो रहा है। एक बार फिर करें क्या?

यह सुनते ही वो एकदम छिटक कर अलग हो गई और बोली- पागल तो नहीं हो गये हो। दीदी आने वाली होंगी। मैं जा रही हूं। ओ.के बाय!

उसने हाथ हिला कर बाय किया। फिर वो दरवाजा खोल कर तेजी से अपने घर जाने लगी। मैं उसे जाते हुए देखता रहा।

तो यह था मेरा साक्षी के साथ ये मेरा पहला सैक्सपिरियंस। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग एक साल में हमने 18 बार खुलकर सेक्स किया। हर बार सेक्स करने का अन्दाज और मजा अलग ही था। अगर समय मिला तो साक्षी के साथ बाकी के 18 में से कुछ खास-खास सैक्सपिरियंस के बारे में भी जरुर बताऊँगा।

साक्षी के साथ इसके बाद लगभग एक साल तक ही सेक्स हो पाया। क्योंकि साक्षी की मम्मी और मौसी की आपस में अनबन हो गई और उन्होंने मकान बदल लिया। फिर जीजाजी ने भी बनारस वाली कम्पनी छोड़ कर फरीदाबाद में एक दूसरी कम्पनी ज्वाईन कर ली। मैं फिर से होस्टल में शिफ्ट हो गया। मकान बदलने के बाद, दीदी-जीजाजी के जाने के बाद मैं साक्षी से मिलने उसके घर तो कई बार गया तथा साक्षी से मिलना भी हुआ। मगर सेक्स ना हो सका।

फिर मेरे बी.फ़ार्मा अन्तिम वर्ष के पेपर शुरु हो गये। पेपर दे कर मैं साक्षी से मिलने उसके घर गया और साक्षी से जल्द मिलने का वादा करके गुड़गाँव वापस आ गया।

लगभग 3 महीने बाद मैं अपना रिजल्ट लेने फिर बनारस गया। चूंकि मैं होस्टल छोड़ चुका था, इसलिये मैं होटल में ठहरा था।

रिजल्ट लेकर मैं साक्षी से मिलने उसके घर पास होने की खुशी में मिठाई ले कर गया। साक्षी और उसके घरवालों ने मेरा जोर-शोर से स्वागत किया।

मैं काफी देर वहां रुका। वहीं लन्च किया। फिर लन्च के बाद जब मैं चलने लगा तो साक्षी मुझे मेन-गेट पर छोड़ने के बहाने आ गई।

मैंने गेट पर साक्षी को कहा- साक्षी, परसों मैं वापस गुड़गाँव जा रहा हूँ। अब ना जाने कब मुलाकात होगी। मैं सम्राट होटल में रूम न:11 में ठहरा हूँ। क्या तुम कल मुझसे मिलने वहां आ सकती हो? प्लीज़ साक्षी, प्लीज़ जरूर आ जाना। मैं पूरा दिन तुम्हारा इन्तज़ार करुंगा। ओके! बाय!

यह कह कर मैं साक्षी की हां या ना सुने बगैर चल दिया। मैं जानता था कि साक्षी जरुर आएगी और ऐसा हुआ भी।

अगले दिन साक्षी लगभग 12 बजे होटल आई। मैं होटल लॉबी में उसका इन्तज़ार कर रहा था। फिर साक्षी को साथ लेकर मैं होटल के कमरे में आ गया।

उस दिन हमने होटल के कमरे में और फिर बाथटब में कुल 3 बार सेक्स किया। बड़ा मजा आया। अगले दिन मैं गुड़गाँव वापस आ गया फिर चाहते हुए भी हम दोबारा नहीं मिल सके और हमारे प्यार की कहानी यहीं खत्म हो गई।

एक बार साक्षी का भाई मेरे पास गुड़गाँव में मेरे घर पर आया। उसने बताया कि साक्षी की शादी हो गई है और वो गुड़गाँव में ही किसी काल-सेन्टर में जॉब कर रही है। उसके दो बेटे है। उसका पति दिल्ली में किसी न्यूज़ चैनल में जॉब कर रहा है।

मैंने साक्षी के भाई को अपना मोबाईल नम्बर दिया और कहा कि साक्षी को कहना कि मेरे से बात करे। मगर आज इस बात को लगभग तीन साल हो गये है। मगर साक्षी का आज तक फोन नहीं आया। या तो उसके भाई ने उसे मेरा नम्बर दिया ही नहीं। या फिर वो चूंकि अब शादीशुदा है, इसलिये वो शायद मुझसे बात ना करना चाहती हो। खैर जो भी हो।

सो साक्षी आज तुम कहाँ हो। अगर तुम यह कहानी पढ़ोगी, तो जरूर मुझे पहचान लोगी।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये कहानी। Sex Stories

Hindi Sex Stories

मैं एक नए शहर में जब अकेले घूमने Hindi Sex Stories निकला तो मैं चलते चलते एक वेश्याओं की गली में पहुंच गया। मैंने देखा कि बहुत सी लड़कियाँ छोटे छोटे मकानों के सामने खड़ी थी। मैंने समझा कि सभी किसी त्यौहार की तैयारी करके कहीं जाने की तैयारी कर जा रहे होंगी। सभी सजे धजे थे । मुझे कुछ समझ न आया और आगे बढ़ता चला गया। गली में पहुंच कर देखा कि वहाँ सभी इशारों में बुला रहे थे। मैंने देखा कि एक आंटी मुझे बुला रही है। तो मैंने सोचा कि शायद आंटी को किसी प्रकार की मदद चाहिए।

मैं आंटी के पास पहुंचा तो आंटी ने पूछा,”लोगे?”

तब मुझे समझ में आया कि मैं किस गली में पंहुचा हूँ।

मैंने पूछा,”कितना ?”

तो उसने बोला,”१०० रुपए लड़की का और ५० रुपए मेरा !”

मैंने अपने सारे पैसे लगभग ख़त्म कर दिए थे इसलिए मैंने उस आंटी को पेलने का निश्चय किया। उसने मुझे कमरे में बुला लिया मेरा मन उस लड़की पर अटक गया था जो वहाँ थी, वो बिल्कुल जवान और पतली दुबली थी। अफसोस मुझे तो आज उस आँटी को पेलना होगा।

आंटी ने मुझे कपड़े उतारने को कहा तो मैंने तुंरत ही सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल ही नंगा होकर खड़ा हो गया लेकिन मेरा लिंग जैसे तैयार नहीं था, बिल्कुल मायूस था। मानो जब किसी बच्चे की कोई बात न मानने पर मायूस हो कर बच्चे एक तरफ खड़े हो जाते हैं।

फिर उस आंटी ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मेरे लिंग को रगड़ना चालू किया जब बात नहीं बनी तो हस्त मैथुन पे चालू हो गई । जैसे ही लिंग में थोड़ा सा कड़कपन आया तो उस पर कंडोम पहनाने लगी। कंडोम पहनाने के बाद आंटी बिस्तर पर जा कर लेट गई और इशारे से मुझे बुलाया।

मैं पैसे वसूल करने के लिए उस पर चढ़ बैठा और पेलना शुरु करा। आंटी के स्तन काफी मोटे व बड़े थे। मैं उन्हें दबाये जा रहा था और हौले हौले पेल भी रहा था। अचानक आंटी को गुस्सा आ गया- यह क्या कर रहे हो?

मैंने सोचा आंटी न जाने किस बात से नाराज हो गई।

आंटी ने फिर कहा,”जोर लगा के पेलो !”

मैं समझ गया कि आंटी को मैं संतुष्ट नही कर पा रहा था और उनका योनि तो घाट घाट का पानी पिया हुआ है। अब मैंने जोर जोर से धक्का मारना शुरु करा तो मेरे लिंग में भी कड़कपन बढ़ गया। मैं लगातार वार पे वार किए जाने लगा अब आंटी को भी मज़ा आने लगा। बैटिंग में लगातार छक्के-सिक्सर मार के अपने-आप को धोनी या युवराज से कम नही समझ रहा था।

और फिर मैं कैच आउट हो गया। और मेरा लिंग पवेलियन लौटने लगा यानि सुकड़ने लगा जैसे कि जब कोई बैटसमैन शतक बनाकर आउट होता है तो उसे खुशी भी रहती है और आउट होने के अफ़सोस में सर नीचे कर पवेलियन जाता है।

उस आंटी ने तो मेरा ही बाज़ा ही बज़ा दिया था।

आप के जीवन में ऐसी आंटी आए तो क्या होगा। Hindi Sex Stories

कहानी का पहला भाग: बात बनती चली गई-1 Antarvasna

भैया दोपहर का भोजन Antarvasna करके एक बजे ड्यूटी पर चले गये। भाभी को आज मैंने दूसरी सीडी ला कर दी। हमें सीडी देखने की बहुत बेचैनी थी… शायद सीडी नहीं बल्कि आपस में कुछ करने की बेचैनी थी। आज भी ब्ल्यू फ़िल्म देखते देखते हमने फिर से एक दूसरे को रगड़ा। खूब तबियत से आपस में दाबा-दाबी की और अन्त में अपना रस निकाल दिया।

अब तो जैसे ये रोज ही होने लगा। एक दिन यूँ ही हम दोनों एक दूसरे को दबा रहे थे तो भाभी ने कह ही दिया,”एक बात कहूं, शरम तो आती है पर…”

“भाभी, अब क्या शरमाना, रोज तो मस्ती करते हैं …”

“आप समझते तो हो नहीं …, आपका लण्ड बहुत मोटा है, आप लेट जाईये सोफ़े पर, इसे चूमने की इच्छा हो रही है, फिर भैया, आप भी मेरी चूत का चुम्बन ले लेना !”

“भाभी, यह तो गन्दी बात है ना…”

“फ़िल्म में भी तो इसे चूसते हैं ना !”

“वो तो बस मजे के लिये दिखाते हैं…”

“अरे लेटो ना ! बहुत बोलते हो…” भाभी ने मुझे धक्का मार कर लेटा दिया।

मेरा खड़ा लण्ड उसके सामने खड़ा हुआ इठला रहा था।

“अपनी आंखें बन्द करो ना…”

मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। मुझे अपने लण्ड पर गीला गीला सा नरम से होंठों का अहसास हुआ। उसने मेरा लण्ड मुठ में भर कर अपने मुँह में भर लिया और हाथ चलाते हुये लण्ड चूसने लगी। मीठे मीठे वासनायुक्त अह्सास से मैं तड़प उठा।

“मजा आ रहा है भैया…”

मैंने उत्तर में अपना लण्ड और उभार दिया। लण्ड चूसने की विचित्र सी आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरा हाल बुरा होने लगा था। इसमें मुझे पहले से अधिक मजा आने लगा था।

कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने माल उगल दिया और भाभी ने बिना मुझे कुछ कहे चुपचाप से सारा वीर्य पी लिया। लण्ड चाट कर पूरा साफ़ कर लिया फिर उसने अपना पेटीकोट थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और अपनी गोरी सी चूत मेरे सामने कर दी। मैंने अपना मुख झुकाया और चूत को ध्यान से देखा।

चूत गीली सी हो चुकी थी मैंने चूत को अपनी अंगुलियों से खोल दी। अन्दर की लालिमा नजर आने लगी, और उसमें कुछ चिकना सा बुलबुले दार झाग सा नजर आया।

मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और चूत में घुसा दी। जीभ ने अन्दर का जायका लिया और उसका वो लसलसा सा द्रव जीभ में लपेट लिया। फिर मैंने उसे चूस कर साफ़ कर किया।

भाभी की टांगें कांप सी गई। एक मीठी सी सिसकी निकल पडी। तभी मुझे वहाँ एक छोटा सा दाना नजर आया। बस उस पर जीभ लगते ही भाभी जैसे कराह उठी। उसकी चूत ऊपर नीचे हिलने लगी, मेरी जीभ चूत में रगड़ खाने लगी। मैंने हिम्मत करके अपनी एक अंगुली भाभी की चूत में घुसा डाली।

वो चिहुंक उठी और जैसे बल सी खाने लगी। मैं अब जोर जोर से उसकी चूसने लगा। भाभी की तड़प देखने लायक थी।

कुछ देर में भाभी झड़ गई और गहरी सांसें भरने लगी।

बस अब तो रगड़ा-रगड़ी छोड़ कर हम दोनो मस्ती से एक दूसरे के गुप्तांग को चूसते थे। ये सिलसिला भी काफ़ी दिनों तक चलता रहा।

भाभी को अब भी तसल्ली नहीं थी, सो एक बार भाभी ने कहा,”भैया, आओ आज कपड़े उतार कर मजे लें !”

“वो कैसे…?”

“नंगे हो कर बिस्तर पर लेट कर ऐसे ही करें !”

यह सुन कर मुझे लगा कि भाभी का मन लण्ड लेने को कर रहा होगा। पर वो चुदाने के लिये कभी नहीं कहती थी, और ना ही कभी मैंने उन्हें कहा।

मैंने कभी भी किसी को नहीं चोदा था, पर हां, रोज की इस रगड़ा-रगड़ी में मेरे लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी और मेरा लण्ड पूरा खुलने लगा था, चमड़ी ऊपर तक चढ़ जाया करती थी।

हम दोनों ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये। हम नंगे हो चुके थे, पर भाभी शरमा रही थी। एक कपड़े की आड़ में वो अपने को छुपा कर बिस्तर की ओर बढ़ गई। मैं अपना सीधा तना हुआ कड़क लण्ड ले कर उनके पीछे पीछे बिस्तर पर आ गया।

“भैया, आ जाओ, मेरे ऊपर लेट जाओ और मेरा अंग प्रत्यंग दबा डालो !”

“आह भाभी, सच में ऐसे तो बहुत आनन्द आ जायेगा !” मैं धीरे से भाभी के ऊपर आ गया और उस पर लेट गया। भाभी मेरे शरीर के नीचे दब गई।

मैंने उसके नंगे शरीर को सहलाना और मलना आरम्भ कर कर दिया। भाभी की आंखें मस्ती से बंद होने लगी। उसके हाथ मेरे शरीर के इर्द गिर्द लिपट गये। मेरे हाथों में उनके स्तन मचल उठे।

वो बार बार अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर डाल रही थी कि अचानक फ़क से मेरा लण्ड चूत में घुस गया। भाभी में अपने होंठ काट लिये और पूरे लण्ड को अपनी चूत में समा लिया।

“अह्ह्ह, भैया जी… जरा जोर लगाओ, उठा कर मार दो अपना लण्ड…”

मैंने हल्के से लण्ड बाहर खींचा और अन्दर दे मारा। हम दोनों के ही मुख से मस्ती की सिसकारी फ़ूट पड़ी। मेरे लण्ड में इस यौन-क्रिया से तनाव बेहद बढ़ गया और मजा आने लगा। भाभी भी मस्ती में भाव विहल हो उठी। साथ में अधरों से अधर मिला कर चुम्बनों का सिलसिला भी तेज हो गया।

यह पहली बार था जब मैं यौन क्रिया कर रहा था। लण्ड से चुदाई करने में इतना मधुर आनन्द आता है यह पहली बार अनुभव हुआ।

भाभी तो उन्मुक्त भाव से चोदन क्रिया में लीन थी। मैं लण्ड चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा। मेरी अधीरता बढ़ती गई।

भाभी का चुदाते समय चीखना चिल्लाना मुझे बहुत भा रहा था, लग रहा था कि भाभी को असीम सुख प्राप्त हो रहा है।

चोदते चोदते मुझे ऐसा अहसास होने लगा कि मेरा वीर्य स्खलन होने वाला है।

“भाभी, मेरा तो लण्ड तो हाय … बहुत मजा आ रहा है … मैं तो आह …”

“क्या हुआ भैया, लगा जोर लगा … हाय मेरी चूत भी जवाब देने वाली है।”

“मैं तो गया … अस्स्स्स्स ह्ह्ह्ह … मेरा तो निकला भाभी…”

“ठहर जा रे … मेरा तो होने दे ना … उईई ईईई … मै…मैं… भैया रस छूट रहा है…”

“मेरी भाभी … हाय …मुझे भींच लो !”

“आजा, निकाल दे अब अन्दर ही… जोर लगा … निकाल … हाय रे निकाल…”

और वो झड़ने लगी। उसकी चूत में लहरें चलने लगी… रति रस छूट चुका था। भाभी ने मेरे चूतड़ कस कर दबा दिये… और मेरा जोर भी चूत पर बढ़ गया।

तभी मेरा वीर्य भी स्खलित हो गया। बार बार जोर लगा कर उसकी चूत में माल भरने लगा था।

भाभी अब निश्चल सी पड़ी हुई थी और इस सम्भोग का अपने नयन बंद करके लुफ़्त उठा रही थी।

तभी लगा कि समय बहुत बीत चुका है, संध्या ढल आई थी। समय कितनी तेजी से बीत गया, मालूम ही नहीं पड़ा।

भाभी ने तुरन्त उठ कर स्नान किया और रात का भोजन पकाने में जुट गई। मैं भी उनकी मदद करने लगा। भाभी चुद कर बहुत खुश नजर आ रही थी। मुझे लगा कि अब मेरी लाईन साफ़ हो गई है … यानि रोज की चुदाई का आनन्द पक्का है।

पाठको, इस कहानी का स्वरूप मुझे अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका श्रीमती यशोदा पाठक ने भेजा है, इसे कहानी के रूप में मेरे द्वारा ढाला गया। Antarvasna

हेलो दोस्तो ! Antarvasna

मेरी पहली कहानी के लिए Antarvasna कई मेल मुझे मिले। हर एक की सोच एक सी नहीं होती।

माँ और बीवी के घर आने के बाद हम लोग अब एक जीजा-साली की तरह व्यव्हार करने लगे और रात होने का इंतजार भी कर रहे थे और मन ही मन ये सोच कर लण्ड खुश हो रहा था कि आज एक और कुंवारी चूत मिलेगी। खैर दिन कट गया और रात आ गई। फिर हम सभी लोगों ने एक साथ खाना खाया। मम्मी-पापा अपने कमरे में चले गए और हम लोग भी अपने कमरे में आ गये, मैं, मेरी बीवी और साली !

साली ने मेरी ओर ऐसे देखा कि जैसे मुझे बुला रही हो। मैं उसका इशारा समझ गया। मैं बीवी से थोड़ा सा खेला और उससे बोला कि अब तुम सो जाओ मैं भी सो जाऊंगा ! और इतना बोल के मैं उसके चुचूक चूसते-2 सोने का नाटक करने लगा और वो सो गई।

मैंने साली को इशारा किया वो समझ गई कि अब जीजू का लण्ड मिलेगा !

मैंने उसे इशारे से दूसरे कमरे में आने को कहा और वो धीरे से उठ कर आ गई। मैंने कमरे की कुण्डी लगा दी और उसे पकड़ कर खूब किस करने लगा। किस करते समय मुझे यह एहसास हुआ कि वो गाऊन के नीचे कुछ नहीं पहने है। उसकी कड़ी-2 चूची मुझे पागल बना रही थी।
मैं गाऊन के ऊपर से उसकी चूची मसलने लगा। क्या मस्त चूची थी दोस्तो ! मेरा लण्ड खुशी के आंसू रोने लगा।
मैंने उसका गाऊन उतार कर उसे नंगा कर दिया और उसकी चूची मुंह में ले कर चूसने लगा, हाथ की उंगली बुर में डाल कर पानी निकालने लगा।

फिर साली को लिटा कर दोनों टाँगे खोल कर जीभ बुर में डाल कर खूब बुर चाटी जब तक पूरा पानी नहीं निकल आया।

मैंने साली से बोला- माय लव ! अब तुम मेरा लण्ड चूसो !

वो उठी और लण्ड पकड़ के मुंह में डाल लिया और अंदर बाहर करने लगी। मुझे खूब मस्ती छाने लगी। साली मेरा लण्ड चूसते-2 पूरा रस निकाल कर पी गई।

मैं और वो एक-एक बार स्खलित हो चुके थे लेकिन अब समय था बुर-लण्ड का मिलन करने का !

सो हम लोग 69 में आ गए और एक दूसरे को चाटने लगे। कुछ देर तक चाटने के बाद हम लोग फिर तैयार हो गए। इस बार मैंने साली से कहा- सीधे लेट जाओ !

वो लेट गई। मैंने उसकी बुर देखी। क्या बुर थी, एक दम मस्त-2 ! किसी को भी खड़ा-2 झाड़ दे ! इतना दम है उसकी बुर में !

मैंने उसकी बुर में लण्ड डाला तो आ आया आ आय आ आह्ह्ह्ह ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह की आवाजें निकालने लगी। मैंने झटके देने बंद नहीं किया, लगातर झटके देता रहा और करीब 25 मिनट तक मैंने उसकी चुदाई करी !

वो दो बार झड़ी। जब मेरा माल निकलने का समय आया तो मैंने लण्ड बाहर निकाल कर उसके मुंह में लगा दिया। वो लॉलीपॉप की तरह मेरा लण्ड चूसने लगी। मेरी पूरी मलाई उसके मुंह में भर गई ! Antarvasna

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