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Massage Girl in Kullu: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Kullu who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Kullu that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Kullu massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Kullu who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Kullu massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Kullu massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Kullu who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Kullu employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Kullu helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Kullu

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Kullu at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

समय पीछे चला जाता है लेकिन Hindi Sex Stories उसकी कुछ खट्टी मीठी यादें जो मन पर अपना प्रभाव बनाए ही रखती हैं! और जब वे यादें बेचैन करने लगती हैं तो बस बेचैनी से बचने का एक ही मार्ग होता है वह यह कि उन्हें किसी से बांट दिया जाए! यह कुछ ऐसी ही याद है जो मैं आपसे बांटना चाहता हूँ!

मेरी बी-टेक की परीक्षा का अन्तिम से पहला सेमेस्टर बजाय दिसंबर जनवरी के अप्रैल महीने में समाप्त हुआ। तभी गोरखपुर से चाचा जी की बेटी यानि कि दीदी का फोन आ गया कि घर जाने से पहले तीन-चार दिन के लिए आ जाओ।

मैं बचपन से ही उनसे लगा था। लेकिन इधर कई साल हो गये उन्हें देखा भी नहीं था, उधर गांव से भी फोन आ गया कि गोरखपुर हो कर आना।

दीदी की शादी हुए लगभग दस साल हो गये थे। जीजा जी बिजली विभाग में क्लर्क हैं, ऊपरी आमदनी का प्रभाव घर के रखरखाव से तुरन्त ही लग गया।

स्कूल से लौटे तो मैंने देखा कि टीना और अनिकेत तो इतने बड़े हो गये कि पहचान में ही नहीं आ रहे थे, लेकिन अनुमान लगाने में को कठिनाई नहीं हुई, मगर उनके आने के कुछ देर बाद जो अजनबी लड़की में आई उसे देखकर मैं चौंका। सामान्य से अधिक लम्बी, स्कर्ट के नीचे मेरी निगाह गई तो उसकी लम्बी और पतली सुन्दर और चिकनी टांगे देख कर मन अजीब सा हुआ।

उसने ‘मामा जी नमस्ते’ कहा तो मेरी दृष्टि ऊपर गई। देखा आंखें फट सी गईं। शरीर के अनुपात से कहीं भारी, लम्बी और भारी उसकी दोनों छातियां उसके खूबसूरत प्रिन्टेड ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलने को आतुर दिखीं। उसने संभवतः मुझे देखते हुए देख लिया।

वह शरमाई तो मैंने निगाहें नीचे कर लीं। तभी अन्दर वाले कमरे से दीदी आ गईं। मैंने तब उनको भी ध्यान से देखा। जो दीदी पहले दुबली पतली थी अब उनका शरीर भर गया था और काफी सुन्दर लगने लगी थीं।

दीदी ने बताया- यह सोनम है जेठ की बेटी। गांव से आठ पास करके साथ ही है अबकी बार बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही थी और आज ही अन्तिम पेपर था।

शाम तक सोनम मुझसे काफी घुलमिल गई। वह बेहद बातूनी और चंचल थी। अब तक कई बार वह किसी न किसी बहाने अपने शरीर को मेरे शरीर से स्पर्श करा चुकी थी।

उसकी बातों के केन्द्र में गर्लफ्रेन्ड और लड़के ही अधिक थे। दोनों बच्चे भी परीक्षा देकर अगली कक्षाओं में आ गये थे, अभी पढ़ाई का दबाव भी अधिक नहीं था।

सोनम तो मेरे आने से बहुत ही प्रसन्न थी। असल में मेरा गांव और दीदी के गांव से बहुत दूर नहीं था। दो दिन बाद उसे मेरे साथ उसे भी जाना था।

जीजा जी इधर काम के कारण काफी देर से आने लगे थे इस लिए सब्जी लेने दीदी ही जातीं। शाम में वह अनिकेत को लेकर मार्केट चली गई तो घर में मैं टीना और सोनम ही थे।

टीना अभी नादान थी। फर्श पर बिछे गद्दे पर मैं लेटा था। टीना मेरे पैर की उंगलियों को चटका रही थी।
बातें करते सोनम ने कहा- लाओ मैं सर दबा दूं।

फिर मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे सिर के पास आकर बैठ गई। और सर में अपनी उंगलियां धीरे-धीरे चलाने लगी। धीरे-धीरे उसके शरीर की सुगंध मुझे मस्त करने लगी। मैंने आंखें ऊपर उठाकर देखा तो उसकी बड़ी नुकीली चूचियां मेरे सर पर तनी थी। संभवतः वह भी उत्तेजित सी थी, क्योंकि मुझे लगा कि उसके चूचुक भी तने हैं। उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने हाथ पीछे किया तो मेरे पंजे उसकी चूचियों से छू गये। लेकिन मैंने रुकने नहीं दिया और टीना से कहा- अब बस, जाओ.

वह जाकर टीवी देखने लगी। सोनम उसी तरह मेरे बालों में उंगली किये जा रही थी। मैंने फिर सामने टीना की तरफ देखते हुए फिर हाथों को पीछे ले जाकर उसकी चूचियों से स्पर्श कराते हुए वहीं रोक दिया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, हां हाथ अवश्य रुक गये।

एक पल रुकने के बाद मैं हौले हौले उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगा। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे हाथ को वहां से हटाकर धीरे से कहा- टीना छोटी नहीं!

उसके इस उत्तर से मेरी बांछें खिल उठीं। मैंने हाथ को अंगड़ाई के बहाने ले जाकर उसकी जांघों पर रख दिया। वह चिकनी और संभवतः बरफी की तरह सफेद थीं। मैं रह-रह कर उसके पेड़ू को भी छू देता। उसने कच्छी नहीं पहन रखी थी। उसकी झांटों और मेरे हाथों के बीच उसकी सलवार का झीना कपड़ा ही था।

सामने मेरा लिंग अकड़कर खड़ा हो गया और मेरे लोअर के अन्दर बांस की तरह तनकर उसे उठा दिया। जब सोनम की दृष्टि उस पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी।

मैंने अपने हाथों को फिर ऊपर लेजा कर उसकी चूचियों से स्पर्श कराया तो लगा कि उसकी घुंडियां बिल्कुल तन कर खड़ी हो गई हैं।

छुआ-छुई का यह खेल चल ही रहा था तभी टीना फिर आ गई और पास बैठ गई। हम दोनों रुक गये। मैंने झट अपनी लम्बी टी-शर्ट को नीचे खींच दिया, लेकिन हमारे महाराज जी झुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो मैं झट से उठ गया।

सोनम भी मेरे साथ ही उठ गई। उसने चुन्नी अपने सीने पर नहीं रखी थीं। चूचियां कपड़े के ऊपर से ही वह पूरी तनी बिल्कुल स्तूप की तरह लग रही थीं।
रसोई की तरफ जाते हुए मैंने कहा- चाय पीने का मन हो रहा है।

“चलो बना दूं।” कहते हुए वह मेरे पीछे रसोई में आ गई।

अन्दर जाते ही मैंने उसे कचकचाकर लिपटा लिया और पूरी शक्ति से उसके शरीर को जकड़ लिया। वह कसमसाकर कुछ कहती इससे पहले ही अपने ओंठ उसके ओंठों पर रखकर जबरदस्ती उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी।

ह गों-गों कर उठी तो जीभ को निकाला। तब वह कांपते स्वर में बोली- छोड़ो अभी टीना आ जाये तो!
मैंने उसे छोड़कर कहा- भगवान कसम … अभी तक मैंने इतनी कसी और सुन्दर चूचियां तो फिल्मों की हीरोइनों तक की नहीं देखी!

वह अब स्थिर हो चुकी थी, बोली- तुम तो बहुत हरामी हो मामा!
मैंने धीरे से कहा- सोनम मैं बिना तुमको लिए छोड़ूंगा नहीं!

उसने ठेंगा दिखाते हुए कहा- बड़े आये लेने वाले!
और फिर मेरे अभी तक खड़े लन्ड को ऊपर से नौच कर भाग गई।

दीदी सामान लेकर आईं और रसोई में चली गईं। दोनों बच्चे पढ़ने बैठ गये तो मैं छत पर चला गया और कुछ देर बाद सोनम को भी पुकारकर ऊपर बुला लिया। हमारी दीदी का मुहल्ला निम्न-मध्यवर्गीय मुहल्ला था। छतें एक दूसरे से सटी थीं। अंधेरा पूरी तरह से घिर आया था, इसलिए इक्का-दुक्का लोग ही अपनी छत पर थे।

“सोनम दोगी नहीं?”
“क्या?”
“बुर! या अगर हो गई हो तो चूत!”
“मतलब?”
“मतलब यह कि अगर किसी से चुदवा चुकी हो तो चूत हो गई होगी नहीं तो अभी बुर ही होगी! बताओ क्या है?”
“हट!”

“हट नहीं! नहीं प्लीज सोनम! दे दो न!” मैंने उसे पलसाने के लिए कहा।
“बहुत बड़ा पाप है। फिर तुम तो मामा हो!”
“मैं कोई सगा मामा थोड़ी न हूं?”
“चाहे जो हो, मैं यह काम नहीं करूंगी। मुझे डर लगता है!”

उसने इस अन्दाज में कहा कि मुझे लग गया कि अभी तो बात बनने वाली नहीं, तो मैंने बातो को दूसरी तरफ मोड़कर कहा- अच्छा सच बताओ किसी से करवाया है कि नहीं?
“भगवान कसम नहीं।”
“मिंजवाई हो?”
“भला कौन लड़की होगी जिसकी किसी न किसी ने कभी मींजी न हो।”

फिर उसने कहा- तुमने मामा? तुमने मींजी हैं?
“हां, तुम्हारी ही!”
“धत! पहले?”
“मींजी तो कइयों की है, और ली भी है, लेकिन पूछना नहीं किसकी। कभी बाद में बताऊंगा। अच्छा बताओ तुम इसके बारे में ठीक से जानती हो?”
उसने मुस्कुराकर कहा- किसके?”

मैंने खीजकर कहा- बुर की पेलाई या कहो चुदाई के संबंध में!
“हाय राम यह भला कौन नहीं जानती होगी? इतना तो टीना को भी पता होगा!”
“अच्छा अपनी बताओ कि तुम को कैसे पता चला?”
“क्यों बताऊं?”

मैंने अन्त में कहा-सोनम मैं बिना लिए तुम्हारी छोड़ूंगा नहीं!

और फिर इधर उधर की बातें होने लगीं। बात फिर आकर पेलने, चोदने और लन्ड, बुर पर रुक गई। अन्त में सोनम ने यह वादा किया कि ऊपर से मैं चाहे जो कर लूं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर मेरा लन्ड अपनी बुर में डालने नहीं देगी।

बाद के दो दिनों में वह सोई तो दीदी के कमरे में क्योंकि दीदी को माहवारी आ रही थी। यह भी उसी ने बताया, लेकिन दिन में जैसे ही अवसर मिलता हम दोनो एक दूसरे को नौचने चूसने में लग जाते। एकाध बार तो वह बुरी तरह से उत्तेजित भी हो गई, लेकिन उचित अवसर ही नहीं मिला। दीदी भी न जाने क्यों हमें अकेला नहीं छोड़ रही थीं।

यद्यपि मुझे अन्त तक यह लगने लगा कि अगर अकेले मिल जाए तो करवा लेगी।

मैं तीसरे दिन के बजाय चौथे जाने के लिए तैयार हुआ। उस दिन इतवार था। शहर से हमारे गांव की दूरी अधिक नहीं थी। तीन घण्टे बस से लगते थे। बीच में बदलकर अन्त में चार किलोमीटर का पैदल या फिर अपने निजी वाहन का रास्ता है। पैंसजर ट्रेन भी जाती थी, समय थोड़ा अधिक लगता था परन्तु आराम था।

बारह बजे की गाड़ी थी। प्रोग्राम यह बना कि चार बजे के लगभग गाड़ी पास के कस्बे पहुँच जायेगी फिर वहां से बस पकड़कर एकाध घंटे में अपने गांव की सड़क पर पहुंच जायेंगे। आगे अगर फोन लग गया तो कह दिया जायेगा कोई आ जायेगा, नहीं तो किसी रिक्शा या हम लोग पैदल ही निकल जायेंगे।

हमारा क्षेत्र बहुत शांत है। किसी तरह की चोरी डकैती या दूसरी घटनाओं से मुक्त! इसलिए हम लोगों को आने जाने का भय नहीं होता अक्सर किसी कारण से देर हो जाने के बाद लोग बारह-बारह बजे रात तक में अकेले आ जाते।

यद्यपि सोनम ट्रेन से आने में घबरा रही थी, कहीं लेट न हो जाये!

हुआ भी वही, बारह से एक बज गया फिर दो, तब जाकर कहीं गाड़ी आई। घर फोन से बात करने की कोशिश की लेकिन संभवतः सम्पर्क ना होने के कारण बात नहीं हो पाई। अभी हमारे यहां यह सुविधा उतनी अच्छी नहीं थी। जाते जाते चाचा कह गये कि मुहानी पर कोई आ गया तो आ गया, नहीं तो वहीं सम्पत साह के यहां सामान रख कर पैदल ही चले जाना।

हम लोग बैठे तो देर हो जाने की घबराहट थी लेकिन गाड़ी में बैठते ही हवा हो गई। सोनम खिड़की तरफ बैठी, फिर मैं। हम लोगों की यात्रा तो ऐसे कटी जैसे पति पति पत्नी हों। वह लगातार मेरे हाथों से खेलती रही। कभी-कभी अपने हाथों की कुहनियों को मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से दबाती मेरे हाथ तो पूरी यात्रा में किसी न किसी तरह उसकी चूचियों के संपर्क में ही रहे।

अवसर देखकर कामुक बातें भी होती रहीं। मुझे उसकी जानकारियाँ सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने बताया कि दीदी और जीजा कभी कभी गंदी फिल्म देखते हैं। जिसमे कभी दो आदमी एक की लेते हैं तो कभी एक दो की!

कहने लगी कि चाचा चाची की निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।

ऐसे में यात्रा जब समाप्त हुई तो पता चला कि गाड़ी रास्ते और लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सात बज गये। हल्का अंधेरा हो गया। सोनम डरने लगी। लेकिन बस जल्दी ही मिल गई। कुछ दूर जाने के बाद पहिया पंक्चर हो गया। और देर होती देख सोनम घबराने लगी, लेकिन मेरा मन प्रसन्नता से झूम उठा। मैंने निश्चय कर लिया अब सोनम को कुंआरी नहीं रहने दूंगा।

जब हम लोग मुहानी पर पहुंचे तो आठ का समय हो गया था। अंधेरा घिर आया था, लेकिन चांद भी निकलने की तैयारी में था। सोनम तो रोने लगी कि अब क्या होगा!

मैंने दिलासा दिया तो जाने को तैयार हुई।

सामान साह जी के यहां रखने गये तो योजना के अनुसार सोनम को थोड़ा दूर खड़ा करके कह दिया कि चाची हैं। वह अड़ गये कि सायकिल ले लो, लेकिन मैंने यह कहकर मना का दिया कि वह पैदल ही जायेंगी।

गांव में जाने का एक थोड़ा निकट का रास्ता था, लेकिन वह पलाश और कुश के छोटे से जंगल में से जाता था। मैंने वही रास्ता पकड़ा तो वह रुक गई।

क्योंकि उसे पता था कि एक सड़क भी है, लेकिन मेरे समझाने और डर समाप्त करने के बाद ही वह जाने को तैयार हुई। पगडंडियां तमाम थीं। मैंने जानबूझकर अलग पगडंडी पकड़ी। चूंकि बचपन से मैं इतनी बार इधर से गया था कि मुझे रास्ते का चप्पा चप्पा पता था। मेरे कंधे पर छोटा सा बैग था। जिसमे मेरे कपड़े थे। उसका सामान तो रख दिया था।

उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ लिया था।
थोड़ी दूर जाकर मैंने कहा- हाथ छोड़ो, मैं जरा मूत लूं!
वह बोली- नहीं मुझे डर लग रहा है, यहीं मूतो!

तब तक चांदनी के प्रकाश का प्रभाव वातावरण में उभर गया था। मैं उत्तेजित होने लगा। मुतास के कारण मेरा लंड पहले से ही खड़ा था मैंने उसी के सामने लंड को पैंट से निकाला और छल छल मूतने लगा। मूतने के बाद जब लंड हिलाकर बूंदें गिराने लगा तो वह बोली- बीज गिरा रहे हो मामा?

मैंने कहा- बीज तो तुम्हारी बुर में गिराऊंगा।
“कैसे?”
“तुम्हें चोदकर और कैसे?” इतना कह कर मैं लंड को यूं ही बाहर लटकाये चल पड़ा।

और हाथ उसके कंधे पर रखकर बगल से उसकी चूचियों को सहलाने लगा। वह कड़ी होने लगीं तो और तेज मलने लगा। वह उत्तेजित होकर मुझसे चिपकने लगी। चूचियां बड़े लम्बे आम का रूप धारण करने लगीं। मैंने रुककर मुंह में सटाकर अपनी जीभ उसके मुंह में डालकर जो चूसा तो बोली- मामा लगता है कि आज तुम मुझे खराब करके ही छोड़ोगे!
“मतलब?”
“मतलब न पूछो!” कहकर वह बोली- मुझे भी मूतना है!
कहकर वह वहीं सलवार खोलकर बैठ गई।

जानवरों को चारा खिलाने वाली नाद की तरह उसके चूतड़ सामने आ गये। वह सीटी बजाती शर-शर मूतने लगी। मैं अपने खड़े लन्ड को उसकी कनपटियों से रगड़ने लगा।
मूत कर उठी तो सलवार बांधने से पहले ही मैंने उसकी झांटों से भरी चूत को मुट्ठी में पकड़ लिया वह मूत से गीली हो रही थी। उसने हल्का सा प्रतिरोध किया- छोड़ो न!

अब तक चांदनी खिल चुकी थी। चारों तरफ सन्नाटा था। मुझे याद आया कि थोड़ा अन्दर एक छोटी सी पोखर है। मैं उसी तरफ उसे लिपटाये चला गया।

पोखर में पानी तो कम था, लेकिन उसके किनारे साफ स्थान था। पास में सफेद पुष्प खिले थे। वातावरण मादक था। उसने मस्ती भरे स्वर में कहा- यहां क्यों आये?
मैंने कहा- तुम्हें लेने के लिए।
फिर उससे खड़े ही खड़े ही लिपट गया।

वह मेरे ही बराबर थी। उसके बाल खुल गये थे। उसकी कड़ी होकर पत्थर चूचियां मेरे सीने से टकराकर मेरे अन्दर आग भर रही थीं। मैंने हाथ को पीछे ले जाकर उसके उभरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुंह को उसके मुंह से लगाकर उसके चेहरे और होंठों को चूसने लगा। उसने भी मुझे जकड़ लिया। मेरा लंड खड़ा होकर सलवार के ऊपर से उसकी चूत को चूमने लगा।
वह थोड़ी देर बाद अलग होकर बोली- अब चलो मुझे डर लग रहा है।

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए बैग खोल कर अपनी लुंगी निकाल कर बिछा दी और कहा- अब न तो मैं बिना चोदे रह सकता हूं और नहीं तुम बिना चुदाये!

फिर मैंने उसे भूमि पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर उससे लिपट गया। उसने भी मुझे कस लिया। पांच मिनट की लिपटा-लिपटी के बाद मैं उठा और उसे उठाकर उसकी कुरती को शमीज़ सहित ऊपर खींच कर उतार दिया। वह ऊपर से नंगी हो गई। दोनों छातियां ऐसी गोरी चिकनी और फूलकर खड़ी हो गई थीं मानो उन्हें अलग से चिपका दिया गया हो। उन्हें नीचे से ऊपर मींजते सहलाते हुए कहा- सच बताओ सोनम मेरे अतिरिक्त तुम्हारे दो पपीतों को किसी और मींजा है?”

“भगवान कसम नहीं। जब मैं गांव में थी तो संध्या भाभी जरूर मींजती और कभी कभी चूसतीं भी थीं, लेकिन तब यह छोटी थीं। कामता भैया कलकत्ता रहते थे। वह अपनी चूचियां चुसाती भी थीं। यहां किसी ने कभी नहीं कुछ किया।”

“तो आज मैं सब कुछ करूंगा!”कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को चूसना आरम्भ कर दिया। उसका सीना मेरे थूक भीग गया। वह वहीं लेट गई और अकड़ने लगी।

तब मैं उठा और अपनी पैंट और चड्ढी साथ उतार दी। बल्ल से मेरा लंड सामने आ गया। वह उसे ही देखने लगीं। मेरी झांटे काफी बड़ी हो गईं थीं। नसें तनकर अकड़ गई थीं। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। वह वैसे ही पकड़े रही। उसकी खड़ी चूचियां मेरे होंठों के सामने तनी थीं। तब मैंने कहा- सहलाओ।”

वह बोली- शरम आती है।
“लो अभी मैं शरम मिटाता हूं।” कहकर मैंने उसके सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया।
सलवार खुल गई। नीचे से पकड़कर खींचा तो उतर गई। वह शरमाने लगी। उसकी भी झांटे काफी बड़ी थीं। उसकी बुर उसी में छुपी थी।

“कभी-कभी इसे साफ कर लिया करो।” कहकर मैं हथेली से उसकी बुर सहलाने लगा।
सोनम सिसियाते हुए बोली- तुम्हारी भी तो बड़ी है।
और फिर मेरे लंड पर अपनी हथेलियां चलाने लगी।

मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई, लगा कि अब मैं कही झड़ न जाऊं। उसकी बुर भी गीली हो गई थी। उसकी बुर का दाना उभर आया था। यद्यपि मैंने तो रास्ते में सोचा तो बहुत कुछ करने के लिए था, लेकिन लगा कि अब मैं कहीं बिना अन्दर डाले ही न झड़ जाऊं तो उससे कहा- टांगें फैलाकर लेटो।”
वह लेटते हुए बोली- छोड़ दो न मामा!
“पागल हूं मैं!” कहकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी ओर उसके पूरे शरीर को सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी बुर के छेद को हाथों से टटोलकर उसपर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर औंधे मुंह उसपर लेट गया और कमर पर दबाव डाला तो भीग चुकी उसकी बुर में मेरा लंड सक से चला गया।

“हाय राम मैं मरी!” उसने कहा।
मैंने कहा- झिल्ली फट गई?
“पता नहीं!”

मैं एक पल के लिए रुका फिर कुहनियों को भूमि पर टिका कर उसकी चूचियों को मलते हुए कमर चलाते हुए सोनम को हचर-हचर चोदने लगा। सात आठ धक्के के बाद वह भी कमर चलाने लगी और अपने हाथों से मुझे कस लिया। मैं उसे चोदे ही जा रहा था। उसका शरीर महकने लगा। उसके मुंह से हों-हों का स्वर निकलने लगा।

मेरी कमर और तेज चलने लगी। उसने किचकिचाकर मुझे दबोच लिया। अन्त में मैं भल्ल से उसकी चूत में झड़ गया। मैं कुछ देर बाद उसके ऊपर से उठा। मेरा लंड बीज से सना था। उसकी चूत भी वैसे ही बीज से भरी थी। वह लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी। मैंने पास पड़ी पैंट से रुमाल निकालकर पहले अपने गीले लंड को पौंछा फिर उसकी बुर को।

अब वह स्थिर हो गई थी। बोली- मामा अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो?”
“पागल एक बार में बच्चा नहीं ठहरता है। उठो! बैठकर मूत दो! बीज नीचे गिर जायेगा।”

मूत कर वह उठी तो मैंने उसे अपनी टांगों को सीधे फैला लिया और उसकी टांगों को अपनी कमर के दोनो तरफ करवा कर बैठा लिया। उसकी चूत से मेरा सिकुड़ा लंड स्पर्श कर रहा था। मांसल चूचियां मेरे सीने से पिस रही थीं। उसके खुले बाल उसकी पीठ पर फैलकर वातावरण को मादक बना रहे थे।

वह बोली- अब चलो। अपनी तो कर ही ली। देर हो जायेगी।”
“देर तो हो गई। थोड़ी और सही। ऐसा सुनहरा अवसर अब तो कभी नहीं मिलेगा।”

उसने कोई उत्तर नहीं दिया इसका मतलब था कि उसकी भी मौन स्वीकृति थी। मेरे हाथ उसकी पीठ से लेकर उसके नाद जैसे भारी चूतड़ों की दरार तक चल रहे थे।

वह भी मेरे बालों में अंगुलियाँ चला रही थी। कभी कभी मेरी कनपटियों को भी सहलाने लगती।
मैंने यूं ही पूछा- सोनम कभी सोचा था कि तुम्हारी चुदाई ऐसे रोमांटिक वातावरण में होगी?
उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

मैंने उसे खड़ा किया तो वह रोबोट की भांति खड़ी हो गई। बिल्कुल नंगी! मैं भी मनुष्य के आदिम रूप में था। हम नंगे पोखर के किनारो पर टहलने लगे। उसके चूतड़ चलते में हिल रहे थे। चिकने थे। एक भी रोयां नहीं था। जांघ और पिंडलियां भी चिकनी थी। झांटें जरूर पेड़ू तक फैली थीं। चूची हिल नहीं केवल थरथरा रही थी।

मैंने टहलते हुए बुर पर हथेली रखते हुए कहा- सोनम झांट हेयर रिमूवर से बना लिया करो। अभी लगता है एक बार नहीं किया?

“नहीं साफ तो किया है, लेकिन मुझे शरम आती है। जब चाची को याद आता है तब लाकर देती हैं तो करती हैं, स्वयं तो एकदम चिकना किए रहती हैं।”

फिर दोनों हाथों की अंगुली और अंगूठे को मिलाकर चूत का आकार देते हुए कहा- भोंसड़ा हो गई है, फिर भी!

मैंने कहा- उन्हें चुदना जो होता है, जब तुम लगातार चुदोगी तो अपने आप साफ रखोगी।
“तुम तो चोदते हो तब भी जंगल उगा लिया है।”
कहकर वह मेरे लंड को पकड़ कर खेलने लगी और पेलड़ की गोलियों से खेलने लगी।

मुझे न जाने क्या सूझी कि मैंने उसे उठाकर सामने से उसे अपने कंधे पर बैठा लिया। उसकी टांगें पीठ की तरफ हो गईं। उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आ गई और मन में आया कि लाओ चूम लूं, लेकिन सोचा पता नहीं क्या सोचे तो अपनी ठुड्डी उसकी बुर से रगड़ने लगा। उसकी झांट के बालों का स्पर्श चेहरे को अजब आनन्द दे रहा था।

इसी के साथ मैंने अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसके दोनों दूधों को मसलने लगा। बुर चूत की बातें होती रहीं और हम फिर उत्तेजित हो गये। मेरा लंड दुबारा कील की तरह खड़ा होकर ऊपर उठ गया। इसी तरह पोखर का तीन चक्कर लगाते-लगाते वह उत्तेजित हो गई । तो बोली- मामा चलो फिर चोदो मगर दूसरी तरह से।”

मैं उसके इस खुले आमन्त्रण से हिल गया। कंधे से उतार कर ले जाकर लुंगी पर उसे झुका दिया और हथेली पर अपने और उसके मुंह से थूक लेकर अपने लण्ड पर मला और चूत को ढके झांटों को इधर-उधर करके छेद पर रखकर कसा तो एकदम अन्दर चला गया। फिर कमर हिलाहिलाकर उसे चोदने लगा।

कुछ पल बाद लंड निकाला तो देख कि उसकी बुर का छेद खुल चुका था। उसका चना भी फूल गया था। फिर मैं भूमि पर लेट गया। मेरा लंड हवा में तना था।

मैंने उससे कहा- सोनम आओ! इसपर टांगें फैलाकर बैठो।
वह बोली- नहीं! पूरा अन्दर चला जायेगा! दर्द होगा!
“यह सब कहने की बात है, और मजा आयेगा। बैठकर तो देखो!”

वह दोनों टांगों को इधर उधर करके बुर के छेद को लंड के निशाने पर लेकर बैठी तो एकाएक कमर को पकड़कर दबा दिया। वह घप्प से गिर गई। सट से लंड अन्दर पूरा उसकी बुर की जड़ तक चला गया। पहले मैंने नीचे से अपनी कमर को हिलाया फिर वह भी हचर-हचर अपनी कमर चलाने लगी। मैं सामने उसकी स्तूप की तरह हिल रही चूचियों को सहलाने लगा। बढ़ती उत्तेजना के साथ मेरी और उसकी गति तेज हो गई। अन्त में मैं फल्ल-फल्ल झड़ने लगा। वह अजब अजब स्वर निकालने लगी और औंधे मुंह मेरे ऊपर गिर पड़ी।

तो मित्रो मेरा यह अनुभव या अगर चाहें तो कहानी कहें कैसा लगा? मेल करें. Hindi Sex Stories

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सभी दोस्तों को मेरा सादर प्रणाम और प्यारी भाभियों Sex Stories और कुंवारी चूत वालियों को मेरे लंड का प्रणाम!

मैं आपको अपने जीवन की रास लीला सुनाने जा रहा हूँ। दोस्तो, मैं देव इंडिया के दिल मध्य प्रदेश के सागर का रहने वाला हूँ। मेरी उमर 38 साल रंग गोरा मजबूत कद-काठी और 6″4″ लम्बा हूँ। मुझे मजलूम की मदद करने मैं बड़ी राहत मिलती है और नर्म दिल हूँ।

जैसा कि अक्सर कहानियों में होता है कि कहानी का कैरेक्टर के ऑफिस की दोस्त या पड़ोसन या रिश्तेदार वाली कोई बुर (जिसको मैं प्यार से मुनिया कहता हूँ ) मिल जाती है उसे तुरन्त चोदने लगता है, पर हकीकत इससे कहीं अधिक जुदा और कड़वी होती है एक चूत चोदने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है ऐसी एक कोशिश की यह कहानी है।

हमारा शहर सागर प्राकृतिक सुन्दरता और हिल्स से घिरा हुआ है। यह एक बहुत ही सुंदर लेक है और यहाँ के लोग बहुत ही संतुष्ट और सीधे सादे हैं। पर यहाँ की महिलायें बहुत चुदक्कड़ है यह मैंने बहुत बाद में जाना। मैं क्रिकेट और फुटबॉल का नेशनल प्लेयर रहा हूँ इस कारण से अपने एरिया में बहुत मशहूर था और सुंदर कद काठी और रूप रंग गोरा होने के कारण हैंडसम भी दीखता था। लेकिन मुझे अपने लन्ड की प्यास किसी न किसी के बारे मैं सोच कर और अपनी मुट्ठ मार कर या अपना तकिये को चोदकर बुझानी पड़ती थी मैं अपनी हेल्पिंग हब्बिट्स के कारण भी बहुत मशहूर था और सभी मुझे प्यार भी इसीलिए बहुत करते थे।

मेरे घर के सामने ग्राउंड है जहा मैं खेलते हुए बड़ा हुआ और अपने सभी सपने सन्जोए।

एक दिन हम कुछ दोस्त मोर्निंग एक्सर्साईज करके आ रहे थे तभी सामने से आती हुई 3 लड़कियों पर नज़र पड़ी। उनमे से दो को मैं चेहरे से तो जानता था कि वो मेरे घर के आस पास रहती हैं। तीसरी से बिल्कुल अनजान था और वो कोई ख़ास भी नहीं थी। हम दोस्त अपनी बातों में मस्त दौड़ लगाते हुए जैसे ही उनके पास पहुँचे तो बीच वाली लड़की मेरे को बहुत पसंद आई। मैं सिर्फ़ बनियान और नेकर में था तो मेरे सारे मस्सल्स दिखाई दे रहे थे जिससे शायद वो थोडी इम्प्रेस हुई उसने भी मुझे भरपूर नज़र देखा।

मेरा ध्यान उस लड़की पर लगा होने से मैं नीचे पत्थर नहीं देख पाया और ठोकर खाकर गिर पड़ा वो तीनों लड़कियां बहुत जोरों से हंस पड़ी और भाग गई। मुझे घुटनों और सर में बहुत चोट लगी थी काफ़ी खून बहा था इस कारण मैं कुछ दिन अपनी मोर्निंग एक्सर्साईज के लिए दोस्तों के पास नहीं जा पाया.

ठंड का मौसम चल रहा था, हमारे मोहल्ले में एक शादी थी। मेरी हर किसी से अच्छी पटती थी इसलिए मेरे बहुत सारे दोस्त हुआ करते थे। उस शादी में मैं अपने ऊपर एक जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका निभाते हुए बहुत काम कर रहा था। और मैं ज्यादातर महिलाओं के आस पास मंडराता कि शायद कोई पट जाए या कोई लिंक मिल जाए मुनिया रानी को चोदने या दर्शन करने के। पर किस्मत ख़राब … कोई नहीं मिली।

तभी मुझसे किसी खनकती आवाज ने कहा- सुनिए, आप तो बहुत अच्छे लग रहे हैं आप और बहुत मेहनत भी कर रहे हैं यहाँ!
मैंने जैसे ही मुड़कर देखा तो वो ही बीच वाली लड़की जिसको देखकर मैं गिरा था और जिसके कारण मेरे सर पर अभी भी पट्टी बंधी हुई थी जिसमें 3 टाँके लगे हुए थे और घुटने का भी हाल कुछ अच्छा नहीं था. मैंने देखा वो खड़ी मुस्कुरा रही थी।

मैंने कहा- आ आप … आपने मेरे से कुछ कहा?
“यहाँ ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो मेरे को देख कर रोड पर गिरकर अपना सर फ़ुड़वा बैठे!” वो अपनी सहेलियों से घिरी चहकती हुई बोली।
“आप लोग तो हंस कर भाग गई … मेरे सर और पैर दोनों मैं बहुत चोट लगी थी।” मैंने कहा।

मेरे ही मोहल्ले की एक लड़की कुसुम जिसे मैं पहले पटाने की कोशि्श कर चुका था पर वो पटी नहीं थी बल्कि मेरी उससे लड़ाई हो गई थी.
कुसुम ने मेरे से मुँह चिड़ाते हुए कहा इनको- च्च्च च्च छक … अरे!! अरे!! बेचारा … देव भैया अभी तक कोई मिली नहीं तो अब लड़कियों को देख कर सड़कों पर गिरने लगे!
और खिलखिला कर हंस दी.

मैंने कुसुम के कई सपने देखे मैं कुसुम को अपनी गाड़ी पर बिठाकर कहीं ले जा रहा हूँ उसके दूध मेरी पीठ से छू रहे है वो मेरे लंड को पकड़ कर मोटरसाईकिल पर पीछे बैठी है, उसके बूब्स टच होने से मेरा लंड खड़़ा हो जाता है तो मैं धामोनी रोड के जंगल मैं गाड़ी ले जाता हूँ जहा उसको गाड़ी से उतार कर अपने गले से लिपटा लेता हूँ उसके लिप्स, गर्दन बूब्स पर किस कर रहा हूँ और उसके मम्मे दबा रहा हूँ साथ ही साथ उसकी मुनिया (बुर) को भी मसल रहा हूँ वो पहले तो न नुकर करती है लेकिन जब मैं उसकी मुनिया और बूब्स उसके कपड़ों के ऊपर से किस करता हूँ और उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी पेशाब को चाटने लगा कुसुम भी सीई हीई येः क्या कर रहे हो … मैं जल रही हूँ मुझे कुछ हो रहा है … कह रही है और मैं कुसुम को वहीं झाडियों मैं जमीन पर लिटाकर चोदने लगता हूं। पहले कुसुम का पानी छूटता है फिर मेरा। जब ख्वाब पूरा हुआ तो देखा लंड मेरा मेरे हाथ मैं झड़ चुका है और मुट्ठी मारने से लंड लाल हो गया है.

मुझे बहुत बुरा लगा कुसुम के तानों से मेरी बेइज्ज़ती हुई थी वहाँ से मैंने इन दोनों को सबक सिखाने का ठान लिया। मैंने गुलाब जामुन का शीरा उसकी बैठने वाली सीट पर लगा दिया जिससे उसकी सफ़ेद ड्रेस ख़राब हो गई और वो ऐन मौके पर गन्दी ड्रेस पहने यहाँ वहाँ घूमती रही और लोग उसे कुछ न कुछ कहते रहे। पर उसका चेहरा ज्यों का त्यों था। मैंने कुसुम को उसके हाल पर छोड़ कर अपने टारगेट पर कन्स्न्ट्रेट करना उचित समझा.

मैं उससे जान पहचान करना चाहता था जब से उसको देखा था उसके भी नाम की कई मूठ मारी जा चुकी थी और तकिये का कोना चोदा जा चुका था। मेरा तकिये के कोने मेरे स्पर्म्स के कारण कड़क होना शुरू हो गई थे। पर कोई लड़की अभी तक पटी नहीं थी।

इस बार मैंने हिम्मत करके उसका नाम पूछ लिया। जहाँ वो खाना खा रही थी वहीं चला गया और पूछा- आप क्या लेंगी और … कुछ लाऊँ स्वीट्स या स्पेशल आइटम आपके लिए…
भीड़ बहुत थी उस शादी में … वो मेरे पास आ गई और चुपचाप खड़ी होकर खाना खाने लगी।
मैंने उसको पूछा- आप इस ड्रेस मैं बहुत सुंदर लग रही हैं। मेरा नाम देव है आपका नाम जान सकता हूँ?
फिर भी चुप रही वो और एक बार बड़े तीखे नैन करके देखा, हल्के से मुस्कुराते हुए बोली- अभी नहीं, सिर्फ़ हाल चाल जानना था सो जान लिया!

मैंने उसका नाम वहीं उसकी सहेलियों से पता कर लिया और उसका एड्रेस भी पता कर लिया था। उसका नाम मीनू था। वो मेरे घर के ही पास रहती थी। पंजाबी फॅमिली की लड़की थी। सिंपल सोबर छरहरी दिखती थी। उसकी लम्बाई मेरे लायक फिट थी उसके बूब्स थोड़े छोटे 32 के करीब होंगे और पतला छरहरा बदन तीखे नैन-नक्श थे उसके। वो मेरे मन को बहुत भा गई थी। शादी से लौट के मैंने उस रात मीनू के नाम के कई बार मुट्ठ मारी। मैं उसको पटाने का बहुत अवसर खोजा करता था वो मेरे घर के सामने से रोज निकलती थी पर हम बात नहीं कर पाते थे। ऐसा होते होते करीबन 1 साल बीत गया.

एक बार मैं दिल्ली जा रहा था गोंडवाना एक्सप्रेस से। स्टेशन पर गाड़ी आने मैं कुछ देर बाकी थी शादियों का सीज़न चल रहा था काफ़ी भीड़ थी। मेरा रिज़र्वेशन स्लीपर में था। तभी मुझे मीनू दिखी, साथ में उसका भाई और सभी फॅमिली मेम्बर्स भी थे। उसके भाई से मेरी जान पहचान थी सो हम दोनों बात करने लगे।
मैंने पूछा- कहाँ जा रहे हो?
तो बोले- मौसी के यहाँ शादी है दिल्ली में, वहीं जा रहे हैं।
मुझसे पूछा- देव जी आप कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- दिल्ली जा रहा हूँ, थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी अटेण्ड करनी है.

इतने में ट्रेन आने का अनाउंसमेंट हो चुका था। उनके साथ बहुत सामान था, मेरे साथ सिर्फ़ एक एयर बैग था उन्होंने मेरे से सामान गाड़ी में चढ़ाने की रेकुएस्ट करी गाड़ी प्लेटफोर्म पर आ चुकी थी यात्री इधर उधर अपनी सीट तलाशने के लिए बेतहाशा भाग रहे थे बहुत भीड़ थी।
मीनू के भाई ने बताया कि इसी कोच में चढ़ना है तो हम फटाफट उनका सामान चढ़ाने मैं बीजी हो गए। उनका सामान गाड़ी के अंदर करके उनकी सीट्स पर सामान एडजस्ट करने लगा मैंने अपना बैग भी उन्ही की सीट पर रख दिया था मुझे अपनी सीट पर जाने की कोई हड़बड़ी नहीं थी क्योंकि बीना जंक्शन तक तो गोंडवाना एक्सप्रेस मैं अपनी सीट का रिज़र्वेशन तो भूल जाना ही बेहतर होता है। क्योंकि डेली पैसेन्जर्स भी बहुत ट्रेवल करते है इस ट्रेन से सो मैं उनका सामान एडजस्ट करता रहा।

गाड़ी सागर स्टेशन से रवाना हो चुकी थी। मैं पसीने मैं तरबतर हो गया था। अब तक गाड़ी ने अच्छी खासी स्पीड पकड़ ली थी। मीनू की पूरी फॅमिली सेट हो चुकी थी और उनका सामान भी। गाड़ी बीना 9 बजे रात को पहुचती थी और फिर वहा से दूसरी गोंडवाना में जुड़ कर दिल्ली जाती थी। इसलिए बीना में भीड़ कम हो जाती है। मैं सबका सामान सेट करके थोड़ा चैन की साँस लेने कम्पार्ट्मेन्ट के गेट पर आ गया फिर साथ खड़े एक मुसाफिर से पूछा- यह कौन सा कोच है?
उसने घमंडी सा रिप्लाई करते हुए कहा- एस 4 … तुम्हें कौन सो छाने ( आपको कौन सा कोच चाहिए)”
“अरे गुरु जोई चाने थो … जौन मैं हम ठाडे है … (बुन्देलखंडी) (यही चाहिए था जिसमे हम खड़े है)”

मैंने अपनी टिकट पर सीट नम्बर और कोच देखा तो यही कोच था जिसमे मीनू थी, बस मेरी बर्थ गेट के बगल वाली सबसे ऊपर की बर्थ थी। बीना में मैंने हल्का सा नाश्ता किया और घूमने फिरने लगा। मुझे अपने बैग का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था। बिना से गाड़ी चली तो ठण्ड थोडी बढ़ गई थी मुझे अपने बैग का ख्याल आया। मैं उनकी सीट के पास गया तो मैंने “पूछा मेरा बैग कहा रख दिया.”
मीनू की कजिन बोली- आप यहाँ कोई बैग नहीं छोड़ गए आप तो हमारा सामान चढ़वा रहे थे उस समय आपके पास कोई बैग नहीं था.
जबकि मुझे ख्याल था कि मैंने बैग मीनू की सीट पर रखा था।
वो लोग बोली- आपका बैग सागर में ही छूट गया लगता है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं।
उन्होंने पूछा- आपकी कौन सी बर्थ है?
मैंने कहा- इसी कोच मैं लास्ट वाली।

मीनू की मम्मी बोली- बेटा अब जो हो गया तो हो गया जाने दो ठण्ड बहुत हो रही है. ऐसा करो मेरे पास एक कम्बल एक्स्ट्रा है वो तुम ले लो!
मैंने कहा- जी कोई बात नहीं मैं मैनेज कर लूँगा!
“ऐसे कैसे मनेज कर लोगे यहाँ कोई मार्केट या घर थोड़े ही किसी का जो तुमको मिल जाएगा ठण्ड बहुत है ले लो!” मीनू की मम्मी ने कहा।

“मुझे नींद वैसे भी नहीं आना है रात तो ऐसे ही आंखों मैं ही कट जायेगी..” मैंने मीनू की ऑर देखते हुए कहा। मीनू बुरा सा मुँह बना के दूसरे तरफ़ देखने लगी.

ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार पर दौड़ी जा रही थी। मुझे ठण्ड भी लग रही थी तभी मीनू की मम्मी ने कम्बल निकालना शुरू किया तो मीनू ने पहली बार बोला। रुको मम्मी मैं अपना कम्बल दे देती हूँ और मैं वो वाला ओढ लूंगी। मीनू ने अपना कम्बल और बिछा हुआ चादर दोनों दे दी … मुझे बिन मांगे मुराद मिल गई क्योंकि मीनू के शरीर की खुशबू उस कम्बल और चादर मैं समां चुकी थी। मैं फटाफट वो कम्बल लेकर अपनी सीट पर आ गया.

… मुझे नींद तो आने वाली नहीं थी आँखों मैं मीनू की मुनिया और उसका चेहरा घूम रहा था। मैं मीनू के कम्बल और चादर को सूंघ रहा था उसमे से काफी अच्छी सुंगंध आ रही थी। मैं मीनू का बदन अपने शरीर से लिपटा हुआ महसूस करने लगा और उसकी कल्पनों मैं खोने लगा.। मीनू और मैं एक ही कम्बल मैं नंगे लेटे हुए है मैं मीनू के बूब्स चूस रहा हूँ और वो मेरे मस्त लौडे को खिला रही है। मेरा लंड मैं जवानी आने लगी थी जिसको मैं अपने हाथ से सहलाते हुए आँखे बंद किए गोंडवाना एक्सप्रेस की सीट पर लेटा हुआ मीनू के शरीर को महसूस कर रहा था.

जैसे जैसे मेरे लंड मैं उत्तेजना बढती जा रही थी वैसे वैसे मैं मीनू के शरीर को अपने कम्बल मैं अपने साथ महसूस कर रहा था। इधर ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार पर थी मैं मीनू के बूब्स प्रेस करते हुए उसके क्लिटोरिस( चूत के दाने) को मसल रहा था और उसके लिप्स और गर्दन पर लिक करता हुआ मीनू के एक-एक निप्प्ल को बारी बारी चूस रहा था.। इधर मीनू भी कह रही थी अह्ह्ह हह सीईई ओम्म्म मम् बहु्त अच्छा लग रहा है मैं बहुत दिन से तुमको चाहती हूँ देव … जबसे तुमको देखा है मैं रोज तुम्हारे नाम से अपनी चूत को ऊँगली या मोमबत्ती से … चोदती हूं…उम् म … आ अ अ अ … तुम्हारा लंड तुम्हारे जैसा मस्त है उम् म म म बिल्कुल लम्बा चोडा देव … उम् म म आ अअ अआ जल्दी से मेरी चूत में अपना लन्ड घुसा दो अब सहन नहीं हो रहा उ मम म आया अ अ अ !

मैं एक झटके में मीनू की बुर मैं लंड पेल कर धक्के मारने लगा ट्रेन की रफ्तार की तरह के धक्के … फटाफट जैसे मीनू झड़ रही हो उम् मम् देव…मेरी बुर र … सी पेशाब … निकलने वाली ही तुम्हारे लंड ने मुझे मूता दिया मेरी पहली चुदाई बड़ी जबरदस्त हुई उम् म आ अ अ जैसे ही मीनू झडी मैं भी झड़ने लगा मैं भूल गया की मैं ट्रेन मैं हूँ और सपने मैं मीनू को चौद्ते हुए मुट्ठ मार रहा हूँ और मैं भी आ आया … हा ह मीनू … ऊऊ मजा आ गया मैं कब से तुमको चोदना चाहता था कहते हुई झड़ने लगा और बहुत सारा पानी अपने रुमाल मैं निकाल कुछ मीनू के चादर मैं भी गिर गया.

जब मैं शांत हुआ तो मेरे होश वापिस आए और मैंने देखा कि मैं तो अकेला ट्रेन मैं सफर कर रहा हूँ.। शुक्र है सभी साथी यात्री अपनी अपनी बेर्थ्स पर कम्बल ओढ कर सो रहे थी। ठण्ड बहुत तेज़ थी उस पर गेट के पास की बर्थ बहुत ठंडी लगती है अब मुझे पेशाब जाने के लिए उठाना था मैं हाफ पेंट में सफर करता हूँ तो मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.। अब तक रात के 1.30 बज चुके थे मैं जैसे ही नीचे उतरा तो मुझे लगा जैसे मीनू की सीट से किसी ने मुझे रुकने का संकेत किया हो मीनू की सीट के पास कोच के सभी यात्री गहरी नींद मैं सो रहे थे और ट्रेन अभी 1 घंटे कही रुकने वाली नहीं थी। मैंने देखा मीनू हाथ मैं कुछ लिए आ रही है.। मेरे पास आकर बोली “बुधू तुम अपना बैग नहीं देख सके मुझे क्या संभालोगे” ठंड मैं ठिठुरते हो…”

मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया उसने क्या मेसेज दे दिया मैं रिप्लाई दिया ” मैं तुम्हारे कम्बल मैं तुम्हारी खुशबू लेकर मस्त हो रहा था” मैं अपने लंड के पानी से भरा रुमाल अपने हाथ मैं लिए था। जिसको देख कर वो बोली “यह क्या है” मैंने कहा ” रुमाल है”।

“यह गीला क्यों है” मीनू ने पूछा ” ऐसे ही … तुम्हारे कारण … कह कर मैंने टाल दिया …

मीनू ने पूछा “मेरे कारण कैसे…” फिर मुझे ध्यान आया कि अभी अभी मीनू ने मुझे कुछ मेसेज दिया है…

मैंने मीनू को गेट के पास सटाया और उसकी आंखों मैं देखते हुए उसको कहा मीनू आई लव यू और उसके लिप्स अपने लिप्स मैं भर लिए उसके मम्मे पर और गांड पर हाथ फेरने लगा। मीनू भी मेरा किस का जवाब दे रही थी …

मैं मीनू के दूधों की दरार मैं चूसने लगा था और बूब्स को दबा रहा था … मेरा लंड जो आधा बैठा था फ़िर से ताकत भरने लगा और उसके पेट से टकराने लगा.। मीनू मेरे से बोली आई लव यू टू.। इधर कोई देख लेगा जल्दी से इंटर कनेक्ट कोच की और इशारा कर के कहने लगी उस कोच के टॉयलेट मैं चलो…

हम दोनों टॉयलेट में घुस गए … टॉयलेट को लाक करते ही मैं उसको अपने से लिपटा लिया और पागलों की भाति चूमने लगा.। मीनू मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तुमको दिलो जान से चाहता हूँ…

हाँ! मेरे राजा देव मैं भी तुम्हारे बिना पागल हो रही थी … जानते हो यह प्रोग्राम कैसे बना दिल्ली जाने का…मेरे आने का मैं तुम्हारे घर आई थी मम्मी के साथ तुम्हारी मम्मी और मेरी मम्मी संकट मोचन मन्दिर पर रामायण मंडल की मेंबर है.। तो उन्होंने बताया की देव को परसों दिल्ली जाना ही तो वो नहीं जा सकती उनके साथ। तब मैंने भी मम्मी को प्रोग्राम बनने को कह दिया मैंने कहा यह कहानी छोड़ो अभी तो मजा लो

मैंने उसको कमोड शीट पर बिठा दिया और उसके पैर से लेकर सर तक कपड़ों के ऊपर से ही चूसने चूमने लगा … मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा वो “सी ई ईई आई वहाँ नहीं वहाँ कुछ कुछ होता है जब भी तुमको देखती हु मेरी अंदर से पेशाब निकल जाती है वहाँ नही” ऐसा कहने लगी

मैंने कहा “मुझे विश्वास नहीं होता मुझे दिखाओ ” ऐसा कहकर मैं सलवार के ऊपर से उसकी अंदरूनी जांघ और बूब्स पर हाथ से मालिश करने लगा
” हट बेशरम कभी देखते है लड़कियों की ऐसे वो शादी के बाद होता है ” मीनू बोली

मैंने मीनू के बूब्स को सहलाते हुई और उसकी अंदरूनी जांघ पर चूमते हुए उसकी चूत की तरफ़ बदने लगा और कहा ” ठीक है जैसा तुम कहो पर मैं कपड़े के ऊपर से तो चेक कर लूंगा”” मीनू भी अब गरमाने लगी थी उसकी चूत भी काफ़ी गर्म और गीली होने लगी थी। वो अपने दोनों पैरो को सिकोड़ कर मेरे को चूत तक पहुचने से रोक रही थी … ” प्लीज़ वहाँ नहीं मैं कंट्रोल नहीं कर पाऊँगी अपने आप, को कुछ हो जायेगा … मेरी कजिन के भरोसे आई हूं उसको पटा रखा है मैंने। यदि कोई जाग गया तो उसकी भी मुसीबत हो जायेगी प्लीज़ मुझे जाने दो अब…”

मैंने मीनू के दोनों पैर अपनी ताकत से फैलाये और उसकी सलवार की सिलाई को फाड़कर उसकी पिंक पैंटी जो की उसके चूत के रस मैं सराबोर थी अपने मुँह में ले लिया … उसकी पैंटी से पेशाब की मिलीजुली स्मेल के साथ उसके पानी का भी स्वाद मिल रहा था …

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को जोरो से चूसना चालू कर दिया।
मीनू कहे जा रही थी- प्लीज़ नो! मुझे जाने दो उई मा … मैं कंट्रोल खो रही हूं उम् मम मम् मुझे जाने दो … और जोर से चाटो मेरी पेशाब में कुछ हो रहा है बहुत अच्छा लग रहा है मेरे पेट में गुदगुदी हो रही है मीनू के निप्पल भी खड़े हो गए थी क्योंकि उसकी कुर्ती मैं हाथ डाल कर उसके मम्मे मसल रहा था मीनू मेरे सर को अपनी चूत पर दबाये जा रही थी … उम्म मैं मीनू की पैन्टी को चूत से साइड में खिसका के उसकी चूत को चूत की लम्बाई में चूस रहा था।

मीनू अपने दोनों पैर टॉयलेट के विण्डो पर टिकाये मुझसे अपनी चूत चटवा रही थी मीनू की बुर बिल्कुल कुंवारी थी मैंने अपनी ऊँगली उसकी बुर मैं घुसेदी बुर बहुत टाइट और गीली थी मीनू हलके हलके से करह रही थी ” उम्म्म आआ मर गई” मैं मीनू की बुर को ऊँगली से चोद रहा था और चूत के दाने को चाट और चूस रहा था.। सलवार पहने होने के कारण चूत चाटने मैं बहुत दिक्कत हो रही थी।

मीनू की चूत झड़ने के कगार पर थी” आ आअ कुछ करो मेरा शरीर अकड़ रहा है पहले ऐसा कभी नहीं हुआ मेरी पेशाब निकलने वाली ही अपना मुँह हटाओ और जोर से चूसो अपनी उंगली और घुसाओ आअ आ। उई माँ आअ अ … उसकी जवानी का पहला झटका खाकर मेरे मुँह को अपने चूत के अमृत से भरने लगी … मीनू के मम्मे बहुत कड़क और फूल कर 32 से 34 होगये मालूम होते थे … इधर मेरी हालत ज्यादा ख़राब थी … मैंने मीनू को बोला प्लीज़ एक बार इसमे डाल लेने दो मीनू ने कहा ‘ अभी नहीं राजा मैं तो ख़ुद तड़प रही हूँ तुम्हारी पेशाब अपनी पेशाब मैं घुसवाने को.। उम्म्म सुना ही बहुत मजा आता है और दर्द भी होता है ”

मैंने कहा “अपन दोनों के पेशाब के और भी नाम है ” “मुझे शर्म आती है वो बोलते हुई” और वो खड़ी होने लगी मैं कमोड शीट पर बैठा और अपनी नेक्कर नीचे खिसका दी मेरा हल्लाबी लंड देखकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया.

“हाय राम … ममम म इतना बड़ा और मोटा… तो मैंने कभी किसी का नहीं देखा.
मैंने पूछा “किसका देखा है तुमने … बताओ ”

मेरे भैया जब भाभी की चुदाई करते है तो मैं अपने कमरे से झाँक कर देखती हूँ.। भाभी भइया के इससे अद्धे से भी कम साइज़ के पेशाब में चिल्लाती है फ़िर इस जैसी पेशाब मैं तो मेरा क्या हाल करेगी … मैं कभी नहीं घुसवाउंगी”

मैंने कहा अछा “मत घुसवाना, पर अभी तो इसको शांत करो”

“मैं कैसे शांत करू” मीनू ने कहा।

मैंने कहा “टाइम बरबाद मत करो, जल्दी से इसे हाथ मैं लो और मेरी मुट्ठ मारो” मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया और आगे पीछे करवाया। पहले तो मीनू थोड़ा हिचकी फिर बोली ” तुम्हारा लंड बहुत शानदार है मेरी चूत में फ़िर से खुजली होने लगी है…हीई सीइई मैई इ इक्या करू ओम मम म फ्लिच्क कक्क ” एक ही झटके मैं मेरा सुपाडा उसने किसी आइसक्रीम कोण की तरह चूस लिया मैं जैसे स्वर्ग में पहुच गया मैंने उसके मुँह में धक्के मारे मैंने कहा मेरा पानी निकलने वाला है।

” मेरी चूत फ़िर से गरम हो गई है इसका कुछ करो सी ई इ आअ आ अ…” मीनू सिसकारियां भर रही थी मैंने मीनू को फौरन कमोड शीट पर बैठाया और उसकी कुर्ती का कपड़ा उसके मुँह मैं भर दिया … जिससे लंड घुसने पर वो चिल्लाये नहीं मैंने उसको समझाया भी थोड़ा दर्द होगा सहन करना .। मैंने उसकी दोनों टांगें फैली और चूत चाटी दो ऊँगली उसकी चूत मैं भी घुसी उसकी चूत बहुत टाइट थी और बहुत गीली लिसलिसी सी गरम थी। मीनू कसमसा रही थी ” हीई इ सी ई इ इ इ अब जल्दी करो.। मेरे बदन मैं करोड़ों चीटियाँ घूम रही है मेरी बुर को ना जाने क्या हो गया है” मीनू ने कुर्ती मुँह से निकाल कर कहा.

मैंने अपने लन्ड पर बहुत सारा थूक लगाया और कुछ उसकी गीली चूत मैं भी लगाया जिससे उसकी चूत के लिसलिसे रस से मेरा थूक मिलकर और चूत को चिकना कर दे … मैंने लंड हाथ मैं लेकर सुपाडा मीनू की चूत मैं ऊपर नीचे रगडा। मीनू अपनी गांड उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अब वो बिना लंड डलवाए नहीं रह सकती थी

उसने मेरे लन्ड को पकड़ा और अपनी बुर पर टिकाया मैंने पहले थोड़ा सा सुपाडा अंदर कर उसको अंदर बाहर कर एडजस्ट किया … मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे लण्ड को किसी जलते हुए चमड़े के क्लंप मैं कस दिया हो। इतनी टाइट बुर थी मीनू की मैंने थोडी और लंड अंदर पेला मीनू की मुँह मैं यदि कुर्ती ना घुसाई होती तो पूरे कम्पार्टमेंट के यात्री हमें चुदाई करते हुए पकड़ लेते … मीनू मेरे मोटे लंड के कारन अपना सिर इधर उधर हिलाकर और अपनी आंखों से आंसू निकाल कर बता रही थी की उसको कितना दर्द हो रहा है … मैं थोडी देर रुक कर फाटक से एक गहरा और चूत फाड़ धक्का पेला जिससे मीनू की बुर की झिल्ली फटी और लौड़ा उसकी गहराई तक समां गया मीनू की तो हालत ख़राब हो गई थी.। मैंने थोड़ा रुक कर लंड बाहर खींचा तो उसके साथ खून भी बहर आया और फटा फट धक्के मारने लगा.

मीनू की टाइट चूत के कारण मेरे गेंदों मैं उबाल आना शुरू हो गया था.। मैंने मौके की नजाकत को ताड़ते हुए पहले लंड बाहर निकाला और गहरी साँस लेकर अपनी पोस्शन कंट्रोल करी और मीनू के मुँह से कुर्ती हटी और फिर धीरे धीरे पूरा लंड घुसा कर शुरू मैं हलके धक्के मारे फ़िर ताबड़ तोड़ धक्के लगाए.

मैं अपनी स्पीड गोंडवाना एक्सप्रेस से मिला रहा था…” मीनू की बुर पानी छोड़ने वाली थी क्योंकि उसने अपनी कुर्ती वापिस अपने मुँह में डाल ली थी और मीनू की बुर मेरे लौडे को कसने लगी थे मैं मीनू के 32 से 34 साइज़ हुए मम्मे मसलता हुआ चुदाई कर रहा था.। मीनू बहुत जोरो से झडी तभी मेरे लण्ड ने भी आखिरी सांसे ली तो मैंने मीनू के दोनों मम्मे पूरी ताकत से भीचते हुए अपना लौड़ा मीनू की टाइट बुर मैं आखिरी जड़ तक पेल दिया और मीनू की बूर को मैंने पहला वीर्य का स्वाद दिया मीनू भी बहुत खुश हो गई थी। जब साँस थमी तो मैंने लन्ड मीनू की बुर से बाहर निकाल जिससे मीनू की बुर से मेरे वीर्य के साथ मीनू की बुर से जवानी और कुंवारापन का सबूत भी बहकर बाहर आ रहा था.

मैंने मीनू को हटाया और कमोड में पेशाब करी मीनू बड़े गौर से मेरे लंड से पेशाब निकलते देखते रही और एक बार तो उसने मुँह भी लगा दिया। उसका पूरा मुँह मेरे पेशाब से गीला हो गया कुछ ही उसके मुँह में जा पाया मैंने अपना लंड धोया नहीं उस पर मीनू की बुर का पानी और जवानी की सील लगी रहने दिया और नेक्कर के अंदर किया मीनू की बुर मैं सुजन आ गई थी मैं इंतज़ार कर रहा था की अब मीनू भी अपनी बुर साफ़ करेगी तो नंगी होगी तो उसने मुझे बाहर जाने को बोला। मैं उसकी बात मानकर उसको अपना रुमाल बताकर आ गया। मैंने अपनी घड़ी मैं टाइम देखा तो हम लोगो के सवा घंटा गुजर गया था टॉयलेट में … शुक्र है भगवन का कि ठंड के कारण कोई नहीं जागा था और ट्रेन भी नहीं रुकी थी। थोडी देर बाद मीनू अपनी बुर पर हा्थ फेरती हुई कुछ लड़खड़ाते हुए बाहर आई मैंने पूछा क्या हाल है जानेमन तुम्हारी बुर के ” सुजन आ गई है पर चुदवाने मैं बहुत मजा आया फ़िर से चुदवाने का मन कर रहा है

” ये लो यह रूमाल तुम वहाँ छोड़ आए थे। स फक्स…इसमे यह क्या लगा है लिसलिसा” यह वोही रुमाल था जिसमे मैंने मीनू के नाम की मुट्ठ मारी थी अपनी सीट पर लेते हुए वोही मुझे देने लगी। “इसमे वोही लिसलिसा है तो अभी तुम्हारी मुनिया मैं मेरे लंड ने उडेला है … और तुम क्या लिए हो” मैंने मीनू को कहा … उसने पहले सूंघा फूले कहने लगी ” ये मेरी पैंटी ही … ख़राब हो गई थी तो मैंने निकाल ली.। और तुम्हारा रुमाल मैं ले जा रही हूँ इसे अपने साथ रखूँगी और तुम्हारे पानी का स्वाद लेकर इसे सूंघकर सो जाउंगी.। तुम दिल्ली में कहाँ रुकोगे.। और किस काम से जा रहे हो” मीनू ने मेरे से पूछा। तुम अपनी पैंटी मुझे दो मैंने मीनू से कहा फिर बताउंगा कि मैं कहाँ और क्यों जा रहा हूँ। पहले तो मीनू मुझे घुड़की “तुम क्या करोगे मेरी गन्दी पैंटी का” मैंने कहा ” वोही जो तुम मेरे रुमाल के साथ करोगी और मैं तुम्हारी पैंटी अपने लंड पर लपेट कर मुट्ठ भी मारूंगा” उसने मेरे को चुम्मा देते हुए कहा “पागल” और अपनी पैंटी मुझे दे दी मैंने वहाँ जहाँ उसकी बुर रहती है उसको अपनी नाक से लगाया और जीभ से चाटा तो मीनू शर्मा गई

मैंने मीनू को बताया की मुझे दिल्ली में थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी है इतना सुनकर वो कुछ आश्वस्त हुई।
मैंने कहा तुम मेरा सेल नम्बर ले लो मेरे को फ़ोन कर लेना मैं बता दूँगा की कहा पर रुकुंगा और हम कैसे और कब मिलेंगे यह भी बता देंगे।

मीनू मेरा रुमाल लेकर अपनी सीट पर आ गई और मैं अपनी सीट पर। अब मेरा बैग भी आ गया था सो मैंने बैग मैं से एयर पिल्लो निकाल और अपने सिराहने रख कर मीनू को याद करने लगा मेरा मेरा लंड फ़िर से खड़ा होने लगा सो मैंने सीट पर लेटकर मीनू की पैंटी सूंघने लगा उसमे से मीनू की पेशाब और उसके पानी की स्मेल आ रही थी। उस स्मेल ने कमाल ही कर दिया मेरा लंड फंफनाकर बहुत कड़क हो गया मैंने मीनू की पैंटी का वो हिस्सा जो
कि उसकी चूत से चिपका रहता था मैंने फाड़ लिया और बाकी की पैंटी लेटे लेटे ही लंड पर लपेट ली नेक्कर के अंदर मैंने मीनू को सपने में चोदते हुए और उसकी बुर की खुसबू सूंघते हुए उसकी पेशाब भरी पैंटी को चाटते हुए मुठ मारने लगा मैंने अपना सारा पानी मीनू की फटी हुई पैंटी और अपनी चड्डी मैं निकाल दिया 3 बार झड़ने के कारण पता ही नहीं चला की कब मैं सो गया”

सुबह मुझे एहसास हुआ की कोई मुझे जगा रहा है। तो मैंने आँख खोलते हुए पुछा कौन है गाड़ी कौन से स्टेशन पर खड़ी है … मुझे जगाने वाला मेरा साला मीनू का भाई था बोला ” देव जी उठिए निजामुद्दीन पर गाड़ी खड़ी है पिछले 15 मिनट से सभी आपने घर पहुच गए आप अभी तक सोये हुए हूँ” मैं फटाफट उठा और अपना सामान बटोरा वैसे ही हाथ में लिया और प्लेटफोर्म पर उतर आया। वहा सबसे पहले मेरी नज़र मेरी नई चुदैल जानेमन मीनू पर पड़ी वो बिल्कुल फ्रेश लग रही थी। उसके चेहरे से कतई ऐसा नहीं लग रहा थी कल रात को मैंने इसी ट्रेन मैं मीनू की बुर का अपने हल्लाबी लंड से उदघाटन किया था और उसकी सील तोडी थी

प्लेटफॉर्म पर बहुत ठण्ड थी। सुनहरी धूप खिली थी मैं टीशर्ट और नेक्कर मैं खड़़ा था। मैंने मीनू का कम्बल और चादर तह कर के उनको सौंपे और उनका धन्यवाद दिया मैं अपने एयर पिल्लो की हवा ऐसे निकाल रहा था जैसे मीनू के दूध दबा रहा हूँ और यह मीनू को और उसकी कजिन को दिखा भी रहा था.

मैंने उन लोगों से पूछा कि आप कहाँ जायेंगे?
मीनू का भाई बोला- हमको सरोजिनी नगर जाना है और आपको कहाँ जाना है?
मुझे भी सरोजिनी नगर जाना था, वहाँ पर मेरे दोस्त की शादी है … मैंने उन लोगों को जवाब दिया.
मैंने कहा- मेरे साथ चलिए … मुझे लेने गाड़ी आई होगी बाहर…
वो लोग बोले नहीं नहीं आप चलिए हम बहुत सारे लोग है और इतना सारा समान है, आप क्यों तकलीफ करते है…
मैंने कहा- इसमे तकलीफ जैसे कोई बात नहीं हम आखिर एक ही मोहल्ले के लोग है इसमे तकलीफ क्यों और किसे होने लगी फ़िर गाड़ी में अकेला ही तो जाउंगा यह मुझे अच्छा नहीं लगेगा।

मीनू की कजिन धीमे से बोली- रात की मेहनत सुबह रंग ला रही है … और मुझे मीनू को देखकर हलके से मुस्कुरा पड़ी।

हम सभी बाहर आए तो देखा कि एक टाटा सूमो पर मेरे नाम की स्लिप लगी हुई थी मैंने मीनू के भाई और मम्मी से कहा की देखिये किस्मत से मेरे दोस्त ने भी बड़ी गाड़ी भेजी है। इसमे हम सब और पूरा सामान भी आ जाएगा.

गाड़ी में सारा सामान लोड कर सभी को बैठा कर गाड़ी रिंग रोड पर निकलते ही मैंने गाड़ी साइड मैं रुकवाई और एक पी सी ओ में घुस गया वहा से अपने दोस्त को फ़ोन किया कि यार मेरे लिए एक रूम का अलग अरेंजमेन्ट हो सकता है क्या … उसने पूछा क्यों … मैंने कहा देखा तेरे लौडे का इन्तेजाम तो कल हो गया तू कल ही चूत मारेगा मैं अपने लिए अपनी चूत का इन्तेजाम सागर से ही कर के लाया हूँ … रात में ट्रेन में मारी थी चूत पर मजा नहीं आया। तसल्ली से मारना चाहता हूँ।

मेरा दोस्त बोला ” देव भाई तुमसे तो कोई लड़की पटती नहीं थी यह एक ही रात में तुमने कैसे तीर मार लिए और तुमने उसे चोद भी डाला!

मैंने कहा बोल तू कर सकता है तो ठीक नहीं तो मैं होटल जा रहा हूं। मुझे मेरे दोस्त ने आश्वस्त करा दिया कि वो ऐसा इन्तेजाम कर देगा.

मैं फ़ोन का बिल देकर गाड़ी मैं बैठा और इंतज़ार कराने के लिए सभी को सॉरी बोला और ड्राईवर को चलने का हुकुम दिया…मैंने पूछा आप लोग सरोजिनी नगर मैं किसके यहाँ जायेंगे…मीनू की मम्मी बोली ” बेटा मेरी बहिन के लड़के की शादी है … कल की मिस्टर कपूर … रोहन कपूर…

“ओह फ़िर तो मजा ही आ गया भाई” मैं उछलता हुआ बोला.। सब मेरे को आश्चर्य भरी निगाहों से देखने लगे सो मैं आगे बोला ” वो.। वो.। क्या है की मुझे भी कपूर साहब के बेटे यानि सुमित की शादी मैं जाना है.।

बातों बातों में कब सुमित का घर आ गया पता ही नहीं चला … पर मैं सुमित से आँख नहीं मिला पा रहा था.। जब सब घर के अंदर चले गए तो मैंने ड्राईवर को रुकने को बोला और अपना बैग गाड़ी मैं छोड़ कर सुमित को बुलाने उसके घर मैं गया … सुमित आकर मेरे से लिपट गया.। बहुत खुश था सुमित पर मैं उससे आँख नहीं मिला पा रहा था मैंने सुमित को एक तरफ़ ले जाकर बोला ” देख यारा बुरा मत मानियो .। तुम्हारे यहाँ मेहमान बहुत है मैं ऐसा करता हूँ कि मैं और सुधीर मेरा एक और दोस्त दोनों होटल मैं रुक जाते है..”

मेरा इतना कहते ही सुमीत के चेहरे के भाव बदल गए.। सुमित ने कहा ” देख भाई देव मैं जानता हूँ की तुम होटल क्यों जा रहे हो यार कोई बात नहीं तुमने सोना(मीनू की कजिन) को चोद दिया तो क्या हुआ.। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.। यदि तुम मीनू को भी चोद देते तो इसमे कोई दिक्कत नहीं थी मैं भी उसको चोदना चाहता था पर मौका नहीं मिला या मेरी हिम्मत नहीं हुई.। इसे दिल पे मत ले यार” मौज कर यारा मैंने तेरे लिए स्पेशल रूम का अरेंजमेन्ट किया है वो भी तुम्हारी डार्लिंग के साथ वाले रूम में।

यह सुनकर मेरी जान में जान आई। मैं सुमित को क्लीयर कर देना चाहता था की मैं सोनानहीं मीनू को चोदना चाहता हूँ.” सो मैंने कहा मैंने मीनू को चोदा है ट्रेन में … और उसको ही तसल्ली से चोदना चाहता हूं.।

सुमित बोला ” सेक्सी तो सोनाथी पर तुमने मीनू को कैसे चोद लिया.। वो बधाई हो माई बोय…तभी मीनू थोड़ा लंगडा के चल रही थी। तुमने तो ऑफिस में अपनी मैडम को भी तगड़ा चोदा था जबकि वो शादी शुदा थी वो तो 2 दिन चल फ़िर भी नहीं सकी थी”

“तुम दोनों दरवाजे पर ही बातें करते रहोगे क्या? सुमित इसे इसके कमरे में पहुंचा दो! कैसे हो देव बेटा” कहते हुए सुमित के पापा आ रहे थे …

मैंने उनके पैर छुए और उनसे थोडी बातें करी। फ़िर सुमीत मेरे को अपने रूम मैं ले गया.। सुमीत के पिता बहुत बड़े बिज़नस मैंन थे। बहुत बड़ा बंगला था उनका सुमीत ने मुझे सेकंड फ़लूर पर जहा सिरफ़ 3 ही कमरे थे और मीनू वगैरह भी वहीं रुके थे रूम फिक्स किए थे.। रूम बहुत शानदार था एक डबल बेड, टी वी, वी सी डी प्लेयर, फ़ोन सब कुछ था।

सुमित बोला ” क्यों देव कैसा लगा मेरा इन्तेजाम तुम्हारी चूत भी तुम्हारे बगल में है और एक खास बात बताऊ मैं- मीनू की बाथरूम तुम्हारी बाथरूम से अटैच्ड है बीच में दरवाजा है आओ मैं तुमको दिखा दू उसने मेरे को वो दूर दिखा दिया और कैसे खुलता है वो भी दिखा दिया मैं वहाँ से मीनू के बाथरूम मैं पहुच सकता था और वहाँ से उसके रूम मे। अच्छा चल तैयार होजा और फटाफट नीचे आजा साथ नाश्ता करेंगे ..

मैं सुमित को बोला ” सुमित तो मीनू की चूत की खुशबू लेना चाहेगा ?”

सुमित ने कहा कैसे मैंने मीनू की पैंटी का वो फटा हिस्सा उसको दिखाया और उसको सूंघने को दे दिया.। मैं और सुमित पहले भी कई लड़कियां साथ मिलकर चोद चुके थे उसको चूत की स्मेल के बारे में पता था बहुत अच्छी है रे देव मीनू की बुर तो मैं तो उसकी बुर के नाम पर मुट्ठ ही मारता रह गया पर तुने मेरे लन्ड का बदला ले लिया.। यह सब बातें बात बाथरूम में ही हो रही थी … सुमित मेरे रूम से चला गया

घर में काफ़ी हो हल्ला हो रहा था सो मैंने रूम लाक करके टीवी ओं कर दिया और नंगा होकर फ्रेश होने और नहाने बाथरूम मैं घुस गया। बढ़िया गर्म पानी से नहाने लगा तभी मुझे दीवार पर कुछ टकराने की आवाज आई। मैंने शोवेर बंद किया तो उस तरफ़ मीनू नहा रही लगता महसूस हो रही थी … मैंने…धीरे से दरवाजा खिसकाया जो की बिना किसी आवाज के सरकता था तो देखा एक बिल्कुल जवान नंगा जिस्म शोवेर में मेरी तरफ़ पीठ किया अपनी बुर मैं साबुन लगा रहा था मैं भी मादरजात नंगा था मेरे लंड को चूत का ठिकाना का एहसास होते ही उछाल भरने लगा मैंने आव देखा ना ताव सीधा जाकर उसके मुँह पर हाथ रखा जिससे वो डरकर ना चिल्ला पाए और उसकी गांड के बीच मैं अपना हल्लाबी लौदा टिकते हुए उसकी पीठ से चिपक गया.

मेरी पकड़ जबरदस्त थी इसलिए वो हिल भी नहीं पाई मैंने शोवेर के नीचे ही उसके कानो में कहा कहो जानेमन अब क्या इरादा है चलो एक बार फिर से चुदाई हो जाए और मैं उसकी चूत पर हा्थ फिरने लगा उसने अपनी बुर मैं साबुन घुसा रखा था वो साबुन से अपनी चूत चोद रही थी मैंने कहा यह जगह साबुन रखने की नहीं लन्ड रखवाने की है और मैं उसके चूत के दाने को मसलने लगा.

पहले तो उसने टाँगे सिकोडी पर दाने को मसलने से वो गरमा गई थी उसने अपनी टाँगे ढीले छोड़ दी मैंने अभी तक उसका मुँह ताकत से बंद कर रखा था मैंने कुछ देर इसकी पोसिशन मैं उसकी बुर का दाना मसला और फ़िर मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी बुर के हौले मैं घुसा दी … बहुत गरम और टाइट चूत थी.। मैंने अपनी ऊँगली से उसकी बुर को चोदने लगा था, वो मस्ताने लगी थी थी और उसकी बुर पनियाने लगी वो हिल रही थी अपनी गांड भी जोरो से हिला रही थी।

मैंने अपनी ऊँगली को उसकी बुर मैं तेज़ी से पेलना शुरू कर दिया यानि की स्पीड बड़ा दी इधर मेरा हल्लाबी लौड़ा जो की उसकी मदमाती गांड मैं फसा हुआ था फनफना रहा था उसकी भी बुर गरमा गई थी.। तभी उसने अपने एक हाथ मेरी उस हथेली पर रखा जिससे मैं उसकी बुर को चोद रहा था फ़िर उसने अपना हाथ मेरे लौडे को छूने के लिए नीचे लगाया वो सिर्फ़ मेरे सुपाडे को ही टच कर पाई वो छटपटा रही थी

बहुत गरम और टाइट चूत थी.। तभी वो अपने दोनों हाथो से मेरा हाथ अपने मुँह से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी। मुझे उसकी यह हरकत ठीक नहीं लगी तो मैं उसे बाथरूम से खीच कर अपने बेडरूम मैं ले आया और उसको उल्टा ही बेड पर पटक दिया जैसे ही वो पलटी मेरे होश फ़ाखता हो गए वो सोनाथी …

मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और अपने टीवी की आवाज थोडी और बढा दी। सोनाका बदन बहुत सेक्सी था उसके कड़क बिल्कुल गोलाकार 36 साइज़ के मम्मे सुराहीदार गर्दन, 2 इंच गहरी नाभि हल्का सा सांवला रंग। सोनाकी चूत डबलरोटी की तरह फूली हुई थी सोनाने अपनी झांटे बड़ी ही कुशलता से सजा रखी थी मैं तो सोनाको नंगी देख कर बेकाबू हो रहा था

सोनाअपनी चूत दोनों हाथों से ढक रही थी और मेरे से कहने लगी प्लीज़ मुझे जाने दो .। मीनू नहाकर आजायेगी तो मुझे दिक्कत हो जायेगी.। मैंने पूछा तुम्हारा रूम अंदर से तो लाक है बा.। बोली हाँ है मैंने कहा तो फ़िर क्या फिकर तुम जैसे सेक्सी लड़की को नहाने मैं टाइम तो लगेगा ही। सोनातुम बहुत सेक्सी और खूबुसूरत और तुम्हारी चूत तो बहुत गजब की है इसमे जबरदस्त रस भरा हुआ है मुझे यह रस पिला दो प्लीज़ और मैं सोनाके ऊपर टूट पड़ा।

सोनाके होंठ बहुत ही रस भरे थे मैंने उसके होंठों को अपने ओठों में कस लिए और उसके लिप्स को चूसने लगा मैं एक हाथ से सोनाकी मस्त जवानी के मम्मे भी मसल रहा था और अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर टिका कर रगड़ रहा था पहले तो सोनाछटपटाती रही पर जैसे ही मैंने उसके शरीर पर अपने शरीर के हिस्सों का दबाब बढाया तो वो भी कुछ ढीली पड़ने लगी। अब सोनाने अपनी चूत से अपने हाथ हटा लिए थे मैंने सोनाके शरीर को सहलाना शुरू किया मैं उसकी अंदरूनी जांघों और चूत पर ज्यादा ध्यान दे रहा था.

सोनाभी अब जवाब देने लगी थी और सिसियानी लगी थी सोनाका बदन बड़ा ही गुदाज़ बदन था और ऐसे ही फुद्दी वाली उसी बुर थी मैं अब सोनाके निप्प्ल को चूसने के लिए उसके होंठों को चूमते और चाटते हुए नीचे मम्मो की घाटी की ओर चल पड़ा सोनाबहुत जोरो से सिसियाने लगी थी … मैंने जैसे ही उसके मस्त मामो की सहलाना और उनके किनारों से चूसना चालू किया सोनाछटपटाने लगी मैं एक निप्प्ल हाथ से मसल रहा था और दूसरा नीपल की ओर अपनी जीभ ले जा रहा था

सोनाको सोनाको भी अब मजा आने लगा था उसने नीचे हाथ डाल कर मेरा हल्लाब लौड़ा पकड़ लिया और बोली हाय देव मीनू की बुर कितनी खुशनसीब है जिसको तुम्हारे लौडे जैसा चोदु लवर मिला कल रात में ट्रेन में तुमने उसकी बुर के चीथड़े उड़ा दिए मैंने देखा मीनू लंगडाकर चल रही थी मैंने तुम दोनों की चुदाई के सपने देखते हुए 3 बार अपनी चूत ऊँगली से झाड़ डाली। हय राजा! बहुत मस्त लौड़ा है …

मैंने कहा सोनातुम्हारी जवानी में तो आग है तुमहरा बदन बहुत गुदाज और सुंदर सेक्सी है तुम्हारी पाव रोटी जैसे फूली चूत मुझे बहुत अच्छी लगती है और मैं तेजी से उसके निप्प्ल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को नीबू की तरह मसलने लगा सोनाबहुत गरमा गई थी सोनाकहने लगी अब कंट्रोल नहीं होता अपना लौड़ा मेरी बुर में घुसा दो, फाड़ दो मेरी बुर, बहुत खुजली हो रही है, तुम्हारा लन्ड जो भी लड़की एक बार देख लेगी बिना चुदवाए नहीं रह सकती.। और जिसने एक बार चुदवा लिया उसके तो कहने ही क्या वो हमेशा अपनी चूत का दरवाजा तुम्हारे लौडे के लिए खोले रखेगी

मुझे जब मीनू ने तुम्हारे लौडे के पानी वाला रुमाल सुंघाया तो मेरी चूत ने अपने आप पानी छोड़ दिया मैं समझ गई थी कि तुम्हारा लौड़ा तुम्हारे जैसा ही हल्लाबी होगा जो मेरी बुर की जी भर कर चुदाई करेगा और खुजली मिटाएगा पर यह नहीं जानती थी कुछ ही घंटो में मुझे मेरी मुराद पूरी होने का मौका मिल जायेगा…हाय अब सहन नहीं हो रहा जल्दी से अपना लौड़ा मेरी बुर में पेलो …

मैं सोनाके मम्मे जबरदस्त तरीके से चूस रहा था और सोनाका तना चूत का दाना मसल रहा था सोनाकी चूत बहुत पनियाई हुई थी सोनाबहुत चुदासी हो रही थी सोनाकी बुर पर करीने से काटी गई बेल बूटेदार झांटें बहुत सुंदर लग रही थी सोनाकी पाव रोटी पिचक और फूल रही थी ऐसी बुर को मैं पुट्टी वाली बुर कहता हूँ इसको चूसने और चोदने में बहुत मजा आता है। मैं सोनाकी बुर को उसकी लम्बाई मैं कुरेद रहा था और बीच बीच मैं एक ऊँगली उसकी बुर मैं घुसा कर ऊँगली से बुर भी चोद देता सोनाकी बुर मैं लिसलिसा सा पानी था मैंने ऊँगली बाहर निकाल कर सूंघी और चाट ली बहुत ही बढ़िया खुशबू थी और टेस्ट तो पूछो ही मत

मेरी चूत के पानी की प्यासी जीभ सोनाकी बुर को चूसने के लिए तड़प उठी मैंने सोनाके पैर के अंगूठे से चूसना शुरू किया और उसकी अंदरूनी जांघ तक चूसते चूसते पहुच गया मैं सोनाकी काली सावली पाव रोटी जैसी पुट्टी वाली बुर के आस पास अपनी जीभ फिरने लगा वह जो उसका पानी लगा हुआ था उसको चाटने में बहुत मजा आ रहा था सोनासे रहा नहीं जा रहा था.। हाय देव यह क्या हो रहा ही मेरे को ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। हाय मेरी बुर को चूसो इसे चबा जाओ इसे खा जाओ सोनाने मेरा सर पकड़ कर अपनी बुर पर लगा दिया उसकी पुत्ती वाली बुर को वो अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह पर रगड़ रही थी

मैंने सोनाकी दोनों टांगे फैलाई और उसकी बुर पर किस किया। सी हाई मर गईई आया ऐसा कह रही थी फ़िर मैंने सोनाकी पाव रोटी को उंगलियों से खोला और जीभ से जबरदस्त चाटनी शुरू कर दी ऊऊम्म्म्म हीईई सीईई बहुत अच्छा लग रहा है देव उम्म्म्म और चूसो और चाटो, अपनी जीभ पूरी घुमा दो, पहले किसी ने ऐसा मजा नहीं दिया ओम्म्म मेरी चूत झरने वाली है ई अईई जल्दी से कुछ करो। मैंने अपनी जीभ की रफ़्तार बड़ा दी

सोनाअपनी दोनों टांगो से मेरे सर को दबा लिया मैंने अपनी जीभ सोनाकी गरम और लिसलिसी बुर की गुफा में घुसा कर जैसे ही गोल गोल घुमाया अरे यार यह क्या कर दिया मेरी बुर तो पानी छोड़ रही है, और जोर से चू्सो और पिच पिच कर के उसकी बुर ने तेज़ी से पुचकारी मारना चालु कर दिया मैं तेज़ी से जीभ चलता हुआ उसका पानी पी गया और चूत का दाना फ़िर से अपनी जीभ में भर लिया सोनामेरा लंड को प्यार करना चाहती थी सो उसने मेरे कहा तुम अपना लौड़ा मेरी ओर करो हम दोनों 6९ में हो गए

सोनामेरा लौड़ा बहुत तेज़ी से और अच्छे से चूस रही थी ऐसा लग रहा था की सोनापहली बार नहीं चुदवा रही वो पहले भी चुदवा चुकी थी मैं सोनाकी बुर के दाने को तेज़ी से चूस रहा था सोनामेरे नीचे थी और मेरा लौड़ा चूस रही थी मैं जितना प्रेशर उसकी बुर पर अपनी जीभ से डालता उतनी ही प्रेशर से सोनाभी मेरे लौडे को चूसती मुझे ऐसा लग रहा था की मैंने अपना लंड यदि जल्दी सोनाके मुँह से न निकाला तो यह झड़ जाएगा मैं सोनाके मुँह से लंड निकाल कर सोनाकी बुर को और गहराई से चूसने लगा।

सोनाफ़िर से तैयार थी। हाय मेरे चोदु राजा आज लगता है मेरी बुर की खुजली पूरी तरह से शांत होगी। मेरी पाव रोटी में कई लौडे अपने जान गवा चुके है घुसते ही दम तोड़ देते है। आज तुम मेरी बुर की जान निकल दो मेरे राजा … मैंने सोनाकी गांड के नीचे तकिया लगे उसकी पाव रोटी जैसे पुत्ती वाली बुर जैसे घमंड मैं और फूल गई उस गुदाज पुत्ती वाली बुर से लिसलिसा सा कुछ निकल रहा था मुझे सहन नहीं हुआ तो मैंने फ़िर से अपनी जीभ उसकी बुर से लगा दी.। अरे तुम भी डर रहे हो क्या मेरी पाव रोटी में दम तोड़ने से ? सी हीईई कोई तो मेरी बुर की खुजली शांत कर दे मैंने अपना लौड़ा उसकी बुर पर रखा और थोड़ा उसे क्लिटोरिस से बुर के एंड तक रगडा साथ में मैं उसके माम्मे बुरी तरह से रगड़ मसल रहा था।

सोनाअपनी गांड उठा उठा कर मेरे लन्ड को अपनी बुर मैं घुसाने के लिए तड़प उठी मेरे राजा मत तड़पाओ मैं मीनू नहीं सोनाहूँ मैं चूत की खुजली से मर जाऊँगी मेरी बुर को चोदो … फाड़ो…

उसने मेरा लन्ड पकड़ा और अपनी बुर के छेद पर टिका लिया और थोडी गांड उठाई तो पुक्क की आवाज के साथ सुपाडा उसकी बुर में घुस गया सुपाडा का गुदाज बुर में घुसना और सोनाके मुँह से दर्द की कराह निकलना शुरू हो गई। उई मीनू मेरी बुर में पहली बार किसी ने जलता हुआ लोहा डाला। हाय मेरी बुर चिर गई, फ़ट गई, कोई तो बचा ले मुझे, बहुत मजा आ रहा था मैंने सोनासे कहा सोनाजानेमन पुट्टी वाली गुदाज बुर बहुत कम औरतों को नसीब होती है इनको बड़ी तसल्ली से चुदवाना चाहिए। तुम्हारी चूत की तो मैं आज बैन्ड बजा दूँगा

और मैंने सोनाके दोनों मम्मे अपने हाथ में लिए और अपना होंठ उसके होंट से चिपका दिया और पूरा लन्ड एक ही झटके में पेलने के लिए जोरदार धक्का मारा एक झटके में सोनाकी बुर की दीवारों से रगड़ खाता हुआ मेरा लंड आधी से ज्यादा सोनाकी पाव रोटी वाली बुर मैं धस चुका था

मैं कुछ देर रुका और लन्ड बाहर खीचा सुपाडा को बुर में रहने दिया और फिर से बुर फाड़ धक्का लगाया। इस बार मेरा लन्ड सोनाकी बुर की गहराई में जाकर धस गया मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी गरम मक्खन वाली किसी चीज को मेरे लंड पर बहुत कस कर बाँध दिया हो। उसकी बुर बहुत लिसलिसी और गरम थी मैं सोनाको हलके हलके धक्के देकर चोदने लगा सोनाको अब मजा आ रहा था

वो हाय! सी! राजा औरर मारो, यह बुर तुम्हारे लिए है मेरी बुर को चोदने के इनाम में मैं तुम्हारी मीनू के साथ सुहागरात मनवाऊँगी। बहुत मजा आ रहा है पहले किसी ने ऐसे नहीं चोदा, चोदते रहो, मुझे लगता है कि तुम्हारा लन्ड मेरे पेट से भी आगे तक घुसा हुआ है मेरी चूत की तो आज बैन्ड बज गई। अरे देखो सालो ऐसे चुदवाई और चोदी जाती है चूत उम्म्म मेरे राजा बहुत मजा आ रहा ही उई मा मेरी पेट में खलबली हो रही है यह मैं तो झरने वाली हूँ मैं जाने वाली हूँ सो मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी सोनाने मेरे से कहा देव तुम लेटो मुझे तुम्हारे लौडे की सवारी करने दो

मैं तुंरत लेट गया सोनाने लौड़ा को ठिकाने पर रखा और ठप्प से मेरे लौडे पर बैठ गई और फटाफट उचकने लगी सोनाके 36 साइज़ के मम्मे हवा में उछाल मार रहे थे। सोनाबहुत तेजी से झड़ी पर मैं अभी नहीं झरने वाला था क्योंकि पीछे 6-8 घंटो में 3 बार झर चुका था सो मैंने सोनाको कुतिया बनाया और बहुत बेरहमी से चोदा। सोनाकहने लगी देव बहुत देरी हो जायेगी जल्दी से खाली करो अपना लौड़ा मेरी बुर। मैं फ़िर मैंने और तेज़ी से धक्के मारे और सोनाकी बुर की गहराई में झड़ गया सोनाने मेरा लौड़ा चाट कर साफ़ किया और फ़िर चुदवाने के वादे के साथ विदा हो गई …

मैंने दिल्ली में सुमित के घर पर ही सुमित की सुहाग रात वाले कमरे में मीनू के साथ भी सुहाग रात मनाई और सोनाऔर मीनू दोनों को चोदा पर यह सब बाद में Sex Stories

Antarvasna

अन्तर्वासना के एक एक Antarvasna पाठक को मेरी यानि कि गौरी का प्रणाम !यह मेरी आप सब के सामने पहली कहानी है, कहानी नहीं एक हकीकत है !

शादी से पहले से ही मेरा कई लड़कों के साथ अफेअर था और कई लड़कों से मैं चुदी थी। शादी हुई ससुराल चली गई, पहली रात निराशा हुई जब देखा पति का लौड़ा कोई खास नहीं था। दारु के नशे में था, मेरी चोरी पकड़ी नहीं गई थी, लेकिन वो मुझे ठंडी न कर पाया।

रोज़ रात को नशे में आता और पाँच-छह मिनट की चुदाई होती ! मुझे लौड़ा चूसना बहुत पसंद है लेकिन वो ज्यादा नहीं चूसने देता, जैसे ही खड़ा हो जाता, सीधा चूत में डाल देता। कुछ समय बाद उसने और ज्यादा पीनी शुरू कर दी, पीकर घर आकर वो मुझे पीट देता, गाली-गलौच करता। जिससे तंग आकर ससुर जी ने हमें अलग कर दिया। इस झटके से कुछ देर ठीक चला उसके बाद उसने फिर और ज्यादा पीनी शुरू कर दी।

मैं उससे बिल्कुल खुश नहीं थी। अब तो उनको उनके दोस्त घर छोड़ने के लिए आने लगे। उसको कोई होश ना रहती। उसको छोड़ने के बहाने वो मेरे दर्शन करने आते, मैं भी उनसे खुलने लगी। मुझे लौड़े के ज़रुरत थी।

वो तीनों बहुत हट्टे-कट्टे मर्द थे। उनके आने के समय पर मैं सेक्सी कपड़े पहनती, जिससे उनकी वासना भड़के। वो भी आने-बहाने मुझे छूने की कोशिश करते। मुझे देख तीनों के लौड़े खड़े हो जाते होंगे। मुझे उनमें से मनोहर जी सबसे अच्छे लगते। मैं उनकी ओर झुकने लगी, लेकिन वो जब भी आते तीनों इकट्ठे आते। मैं उन्हें हासिल करने के लिए मचलने लगी।

मेरी मुराद एक दिन पूरी होती दिखने लगी जब वो अकेले ही आये।

मैंने उसको बैठने को कहा और पानी देने के बहाने झुक कर अपने मम्मे दिखा दिए। उनकी नज़रें उनमें गड़ गई। मैं ग्लास रखने रसोई में गई, वो चाहते हुए भी कुछ नहीं बोल पाए, बस इतना कहा- मैं चलता हूँ भाभी !

वो मुड़े ही थे कि मैंने उनकी बांह पकड़ ली और बोली- बस ऐसे ही चले जाओगे? पहली बार अकेले मिले हो ! कह मैं उनसे लिपट गई।

उन्होंने भी मुझे कस कर बाँहों में भरते हुए कहा- मेरी जान ! मैं तो कई दिनों से इस पल के इंतजार में हूँ !

कहते ही उसने मुझे गोदी में उठाया और सीधा बिस्तर पे ले गए। वो मुझे जगह जगह चूमने लगे। एक एक करके हम दोनों नंगे हो गए उनका फौलादी लौड़ा देख मैं खुश हो गई। मैंने कहा- कुण्डी चढ़ा दो ! कहीं उनकी उतर गई और हम पकड़े गए?

मैंने उनके लौड़े को मुँह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगी। वो आहें भर रहे थे। इतना मोटा लण्ड कसम से कभी नहीं पकड़ा था। कुछ देर में इतना सख्त हो गया कि चूसने में परेशानी होने लगी। फिर भी मैंने नहीं छोड़ा। उन्होंने तो मेरे मम्मों को मसल मसल कर चूस चूस कर लाल कर डाला फिर मुझे लिटा लिया और अपना फौलादी लौड़ा मेरी चूत में डालने के लिए चूत पे रख अन्दर किया।

दर्द से मैं कराहने लगी, इतने दिनों बाद इतना मोटा लौड़ा अंदर गया था। मैंने सब सहन कर लिया और देखते ही देखते उसने अपना नौ इंच का लौड़ा झड़ तक घुसा दिया।

हाय क्या माल हो भाभी जान !

फिर वो मुझे चोदने लगे।

हाय ! जोर से करो भाई साब ! फाड़ डालो ! कितने महीनों से आपसे चुदने को बेकरार थी, आज अपने नाकारा दोस्त की बीवी को अपनी रंडी बना कर चोदो ! मारो मेरी और जोर से मारो फाड़ डालो ! चूत फट जाने दो कामिनी को ! क्या मोटा लौड़ा है आपका !

ले कुतिया ! फाड़ डालूँगा ! कमीनी, तेरी माँ की चूत ! बहन की लौड़ी ! मादरचोद ! गली की कुत्तिया ! कुत्तों से चुद्वाऊंगा तुझे ! चल बहन चोद घोड़ी बन जा !

ले हरामी जात के ! बन गई घोड़ी ! घुसा दे अपना डंडा मेरे अन्दर !

ले साली !

दिल करता है एक साथ आगे से, पीछे से लौड़े ले लूँ !

बहन की लौड़ी ! तीन लौडे रोज़ तेरे पास आते हैं, पहले कहती तो रंडी, तुझे मिलकर चोद देते ! हाय !

मार अब !

आधे घंटे की चुदाई के बाद उसने अपने पानी को मेरे अन्दर डाल दिया। वो रात के तीन बजे तक मुझे चोदता रहा।

इस तरह मुझे लौड़ा मिल ही गया। कुछ दिन तक वो अकेला ही मेरी लेता रहा, लेकिन फिर मेरे कहने पर वो बाकी के दो को भी मेरे ऊपर चढ़ाने के लिए राज़ी हो गया और फिर एक रात ऐसी आई कि मेरे पति को उन्होंने सुला दिया फिर हम चारों ने दारु पी।

उसके बाद क्या हुआ?

वो आप सबके जवाब मिलने के बाद Antarvasna

 मेरे शौहर ने मुझे कैसे लंड की भूखी रंडी बनाया.
मेरा नाम सबा है, मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूं, मेरी उम्र 24 साल है, मेरी शादी हो चुकी है. मेरे बदन का साइज़ 34 28 38 है, मेरे बूब्स बड़े और टाइट हैं मेरी गांड काफी बाहर निकली हुई है जिसे देख कर सबका लंड खड़ा हो जाता है.
मैं अपने शौहर से चुदाई रोज़ करती हूँ, वो भी मुझे खूब जम कर चोदते हैं लेकिन कुछ दिनों से मुझे अपने शौहर के लंड से मज़ा नहीं मिल रहा था लेकिन मैंने कभी कुछ नहीं कहा.
पर वो समझ गए, एक दिन चुदाई के वक़्त कहने लगे- लगता है अब तुम्हें बड़े लंड की ज़रूरत है?
मैंने कुछ नहीं कहा.
उसके बाद हम लोग चुदाई करके सो गए.

अगले दिन चुदाई के वक़्त फिर वही बात कहने लगे, तब मैंने कहा- मुझे सिर्फ आपके साथ ये सब करना है और अब कभी ये सब मत कहना!
लेकिन वो नहीं माने, कहने लगे- मेरा एक दोस्त है, वो जिगोलो है, उसके ग्रुप में पांच लड़के हैं, सबके लंड बड़े बड़े हैं और वो यही काम करते हैं. तुम कहो तो बात करूँ?
मैंने मना कर दिया लेकिन अब रोज़ चुदाई के वक़्त वो ये सब कहते और मैं कुछ नहीं कहती.

एक दिन उन्होंने कहा- आज अपने दोस्त से मैंने बात की है और उसने तुम्हारी फ़ोटो मांगी है नंगी!
मैंने कहा- मुझे ये सब पसंद नहीं है!
लेकिन वो ज़बरदस्ती करने लगे कि सिर्फ तुम्हारी चूत और बूब्स का फोटो भेजूंगा.

काफी ना नुकुर के बाद मैं भी मान गई और उन्होंने मेरी फ़ोटो उन लोगों को भेज दी.
तब मैंने पूछा- आपके दोस्त का नाम क्या है?
उन्होंने बताया- संजय… और उसी का लंड सबसे बड़ा है. उसने अपने लंड की फ़ोटो भी भेजी है, देखोगी?
मैंने मना कर दिया लेकिन वो ज़बरदस्ती मुझे दिखाने लगे.

तभी मेरी नज़र मोबाइल पर पड़ी, मेरे तो होश ही उड़ गए कि इतना बड़ा लंड भी होता है. मेरे शौहर का मुश्किल से पांच इंच का होगा लेकिन ये तो उसका डबल से भी ज़्यादा है और बहुत मोटा भी!
मैंने कहा- कौन चुदवाती होगी इससे?
कहने लगे- पसंद आया?
मैंने कहा- नहीं, मुझे नहीं करना है!

उन्होंने कहा- एक बार चलो, तुम्हारी चूत की सारी गर्मी निकल जायेगी या तुम चुदाई छोड़ दोगी या फिर रंडी बन जाओगी. मुझे तुम्हें देखना है तुम कैसे दूसरे मर्द से चुदवाती हो!
मैंने कहा- आप बर्दाश्त कर लेंगे जब कोई आपके सामने आपकी बीवी को चोदेगा?
उन्होंने कहा- उस दिन का मुझे बहुत दिनों से इंतज़ार है!
मैंने कहा- जब आपकी यही तमन्ना है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है!

सच कहूँ तो मैंने जब से वो लंड देखा था, मेरी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी. उस रात मैंने खूब चुदवाया.

कुछ दिन बाद मेरे शौहर ने कहा- कल चलना है!
मैंने कहा- कहाँ?
तो बताया- संजय के पास… मेरी बात हुई है, मैंने कह दिया है अपने दोस्तों को बुला लेना!
मैंने कहा- क्या मुझे रंडी बनाने का इरादा है?
तो बोले- बन जाओ रंडी!
मैंने कहा- ठीक है. अब मुझे सबा मत कहना, रंडी कहना! आज से मैं एक रंडी हूँ!
उन्होंने कहा- ठीक है!

अगले दिन मैंने अपनी चूत को अच्छी तरह साफ किया और चल पड़ी. हम लोग एक घर में पहुंचे, वहाँ पर 6 लोग हमारा इंतज़ार कर रहे थे.
इतने लोगों को देख कर मैं डर गई, मैंने कहा- चलिए, मुझे मरना नहीं है!
तब एक आदमी आया और कहने लगा- कुछ नहीं होगा, हम ज़बरदस्ती नहीं करेंगे, अगर आपको कोई दिक्कत होगी तो आप चली जाना!
मेरे शौहर ने कहा- एक बार ट्राई कर लो, अच्छा नहीं लगेगा तो मत करना!

मैंने हाँ में अपना सर हिला दिया.

तभी एक दूसरा आदमी मेरे पास आया और मेरा नकाब निकलने लगा.
मैंने कुछ नहीं कहा और अपना नकाब उतार दिया.

तभी मुझे पीछे मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ, मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक आदमी मेरे गांड में अपना लंड रगड़ रहा है और तीन लोग नंगे खड़े अपना लंड हिला रहे थे, सबके लंड लगभग बहुत लम्बे लम्बे और मेरी कलाई इतने मोटे थे.
मेरी तो हलक़ ही सूख गई उनके लंड देख कर… मेरा दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगा, जिससे मेरी चूचियाँ ऊपर नीचे होने लगी.

तभी संजय ने कहा- क्या नाम है आपका?
मैं कुछ बोलने ही वाली थी कि मेरे शौहर ने कहा- सबा!
फिर पूछा- क्या करने आई हो, पता है?
मेरे शौहर ने कहा- इसे रंडी बनाना है, इसे आज अपनी रंडी समझ कर इतना चोदो कि इसकी चूत और गांड दोनों खुल जायें!

गांड का नाम सुनते ही मैं चौंक गई क्योंकि मैंने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई थी. मेरे शौहर कहते थे लेकिन मैं मना कर देती… लेकिन यहां तो आज मेरी गांड और चूत दोनों फटने वाली थी.
मैं यही सब सोच रही थी कि पीछे से किसी ने मेरी गांड को दबा दिया, मुझे बहुत डर लग रहा था.

तभी संजय ने कहा- सबा रंडी… अपने कपड़े उतारो, आज तुम्हें असली चुदाई का मज़ा मिलने वाला है!
मुझे शर्म आ रही थी.
तभी मेरे शौहर ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. मैंने भी दिल में ये सोच लिया कि जो होगा देखा जाएगा… आज मज़ा ले लिया जाए!

मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए. तब मैंने संजय से कहा- सब तो नंगे हैं, आपने क्यूँ नहीं कपड़े उतारे?
तो उन्होंने कहा- मैं बाद में उतारूंगा, तुम लोग शुरू हो जाओ!

तभी पांच आदमी मेरे पास आ गए और मुझे अपना अपना लंड पकड़ाने लगे. मैंने झिझकते हुए एक का लंड पकड़ा, मुझे लगा जैसे कोई मोटा बेलन हो… मेरे हाथ में नहीं आ रहा था और काफी गर्म भी था.
एक ने इशारा किया उसका लंड चूसने के लिए… मैंने झुक कर उसका लंड अपने मुँह में ले लिया सिर्फ उसका टोपा ही मेरे मुंह में जा पा रहा था.
तभी एक पीछे से मेरी चूत को चाटने लगा और दूसरा मेरे बूब्स को पीने लगा. मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगी, उसकी चटाई ऐसी थी कि मैं एक मिनट भी नहीं टिक पाई और झर गई, मेरी चूत से बहुत पानी निकलता है, लगभग आधा गिलास… और वो सारा पानी पी गया.

मेरा अब मुंह भी दर्द करने लगा था, मैं खड़ी हो गई. तभी संजय मेरे पास आया. वो भी नंगा हो गया था, उसका लंड सबसे बड़ा था.
मैं सोचने लगी कि आज पता नहीं ज़िंदा बचूंगी भी या नहीं!
मैं सोच ही रही थी कि सबने मुझे बेड पर चलने को कहा.

तो मैं सीधे चल दी आगे आगे… पीछे से सबकी नज़र मेरी गांड पर थी जो ऊपर नीचे हो रही थी. बेड पर पहुंचते ही सबसे पहले संजय ने मुझे किस करना स्टार्ट किया और एक हाथ से मेरी चूत को और दूसरे हाथ से मेरे बूब्स को मसलने लगा.
उसके हाथ में जादू था, मैं हवा में उड़ने लगी, मेरी चूत से रस टपकने लगा, मैंने कहा- जल्दी करो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!

तब संजय ने कहा- अब बताओ तुम कौन हो?
मैंने कहा- मैं तुम सब की रंडी हूँ, मुझे चोदो… तड़पाओ मत… मुझे इतना चोदो… अपनी रंडी समझ कर चोदो… मैं कितना भी चिल्लाऊं, मुझे छोड़ना मत!

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तभी किसी ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, मेरी आग और भड़क गई, मैंने कहा- प्लीज मुझे जल्दी से चोदो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी.
तब संजय ने मुझे लिटा कर मेरी चूत में अपना लंड रखा, मैंने अपनी आंखें बंद कर ली लेकिन वो सिर्फ मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ता रहा, मैं तड़पने लगी, मेरी चूत से ढेर सारा पानी बह कर मेरी जांघों पर पहुँच गया. मैंने कहा- मेरी जान, मत तड़पाओ… जल्दी से चोदो!

तभी उसने एक तेज़ झटका मारा और मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई, मुझे लगा जैसे कोई गर्म सरिया मेरी चूत को चीर गया है और मेरी चूत फ़ट गई है.
मैंने कहा- प्लीज, निकाल लो, मुझे नहीं करवाना, मैं मर जाऊँगी.
उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख कर उन्हें चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरे बूब्स दबाने लगा.

थोड़ी देर बाद मुझे कुछ दर्द कम हुआ तो नीचे से मैंने अपनी गांड उचकाना शुरू किया. तभी एक जोरदार झटका लगा और मेरे मुँह से भयानक चीख निकली, मेरी तो जैसे जान ही निकल गई, मैं छटपटाने लगी और छूटने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रही. उसने मुझे कस कर दबाये रखा और मेरे निप्पल को चूसता गया.

थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम हुआ तब उसने कहा- मुबारक हो, तुम्हारी चूत ने मेरा पूरा लंड अपने अन्दर ले लिया, अब तुम किसी से भी चुदवा सकती हो!
मेरा भी अब दर्द कम हो गया था, तब मैं अपनी गांड को हिलाने लगी.
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संजय ने अपना आधा लंड बाहर निकाला और एक झटके में अंदर कर दिया. मुझे बहुत तेज जलन महसूस हो रही थी, मैंने कहा- प्लीज, थोड़ा धीरे करो… बहुत जलन हो रही है.
लेकिन वो लगातार मुझे चोदता गया. कुछ देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मैं भी उसका साथ देने लगी. उसका लंड जब मेरी बच्चेदानी में जाकर ठोकर मारता, मुझे इतना मजा आता कि मैं बता नहीं सकती.

मैं झड़ने के करीब पहुँच गई और चिल्लाने लगी- और कस कर चोदो मुझे… फाड़ दो मेरी चूत को… बना दो मुझे बाजारू रंडी! मैं अब तुमसे हमेशा चुदवाऊंगी! मुझे ऐसे ही हमेशा चोदना!
उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
तभी मैं झड़ गई लेकिन वो मुझे लगातार चोदता रहा.
उसके बाद वो भी मेरी चूत में झड़ गया, मैं बहुत खुश थी.

तभी दूसरे ने आकर अपना लंड मुझे चूसने के लिए कहा. मेरा मन अभी भरा नहीं था तो मैं जल्दी से उसे चूसने लगी. सब एक साथ मेरे ऊपर टूट पड़े, एक मेरी चूत को चाट रहा था, दूसरा मेरी गांड को चाट रहा था, तीसरा मेरे बूब्स को चूस रहा था, चौथा अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ाए था.

मुझे गांड चटवाने में बहुत अच्छा लग रहा था, मैं दोनों का सर पकड़ कर अपनी चूत और गांड पर दबाने लगी.

तभी सब हट गए, मैंने पूछा- क्या हुआ?
एक ने कहा- अब तुहारी असली चुदाई होगी!
मैंने कहा- जल्दी करो, चोदो इस रंडी को!

तभी एक आदमी नीचे लेट गया और मुझे अपने लंड पर बैठने का इशारा किया.
मैंने जल्दी से उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगाया और धीरे धीरे बैठने लगी. उसका लंड भी संजय के जितना था, थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन मैंने सहते हुए पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया जो सीधे जाकर मेरी बच्चेदानी में लगा.

तभी नीचे से धक्का लगना स्टार्ट हुआ, मैं भी अपनी गांड हिला कर उसका साथ दे रही थी.
अब तीन लोग सामने आए और एक ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और दो ने मेरे हाथों में पकड़ा दिया.
मैं मजे में लंड चूसते हुए दिल खोल कर चुदवा रही थी कि तभी मेरी नज़र मेरे शौहर पर पड़ी, वो संजय से कुछ कह रहे थे, मुझे देख कर हँसने लगे.

उनको देख कर मैं और ज़ोर से लंड चूसने लगी, अपनी गांड को लंड पर पटकने लगी.
मैं झड़ने ही वाली थी कि उसने अपना लंड बाहर निकल लिया और हट गया. तभी दूसरा नीचे लेट गया, मैं उसके लंड की सवारी करने लगी लेकिन चार पाँच झटकों के बाद वो रुक गया और मुझे अपने ऊपर झुका कर मेरे होंठ को चूसने लगा.

तभी कोई मेरी गांड में उंगली डाल कर तेल लगाने लगा.
मैं उठना चाहती थी लेकिन उसने मुझे कस कर जकड़ा था, मैं चिल्लाने लगी- मुझे गांड नहीं मरवानी है… प्लीज, मेरी गांड मत मारो, मेरी गांड फट जाएगी!
लेकिन तभी मेरी गांड पर मुझे लंड महसूस हुआ, मैंने कहा- प्लीज, धीरे करना!

उसने थोड़ा ज़ोर लगाया और उसका टोपा मेरी गांड में घुस गया, मैं चिल्लाने ही वाली थी कि दूसरे ने मेरे मुंह में अपना लंड डाल दिया. मैं रोने लगी.
मेरे शौहर ने कहा- रुकना मत, पूरा एक बार में डाल दो!
उसने एक झटका इतना ज़ोर मारा कि पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया.
मैं बेहोश होते होते बची.

तभी उसने अपना लंड आधा बाहर निकाला और फिर पूरा मेरी गांड में घुसा दिया. मेरी आंखों से आँसू बहने लगे लेकिन उसने मेरी गांड मारना चालू रखा. थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ तो नीचे वाले ने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया. मेरी दोनों तरफ से चुदाई हो रही थी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था, मैं अब मज़े से चुदवा रही थी, मुझे इतना मज़ा कभी नहीं मिला था मुझे चूत से ज़्यादा अब गांड मरवाना अच्छा लग रहा था.
मैं चिल्ला रही थी- चोदो मुझे… फाड़ दो मेरी चूत और गांड को!

वो फुल स्पीड से मुझे चोद रहे थे, उनके लम्बे लंड मेरी गांड और चूत की साथ में चुदाई कर रहे थे. लगातार काफी देर तक चोदने के बाद वो मेरी गांड और चूत में झड़ गए, उनका माल मेरी गांड और चूत से बाहर बह रहा था.

उसके बाद बाकी दो लोगों ने जगह संभाल ली, एक चूत में, एक गांड में… फिर मेरी चुदाई स्टार्ट हुई. इन दोनों ने भी लगभग आधा घंटा मुझे खूब रगड़ कर चोदा, वो भी मेरी गांड और चूत में झड़ गए.
इस दौरान मैं लगभग बहुर बार झड़ी थी.

उनके हटने के बाद मैंने अपनी चूत को देख तो वो एकदम फूल गई थी. मुझसे चला भी नहीं जा रहा था.
मैंने अपनी गांड को हाथ लगाया तो लगा जैसे किसी ने बाँस डाल कर फैला दिया है.

उन लोगों ने मुझे मेरी गांड का फोटो खींच कर दिखाया, एकदम खुल गई थी.

मेरे शौहर ने मुझे कपड़े पहनाए, नक़ाब, बुर्का पहनाया.

उसके बाद उन्होंने मेरे शौहर को एक मेमोरी कार्ड दिया और मैं सबसे गले मिलने लगी. सबने मेरे बूब्स और गांड को दबा कर मुझे छेड़ा.

आते हुए संजय ने कहा- सबा, एक बात पूछूँ?
मैंने कहा- कहो?
उसने कहा- फिर कब आओगी? मुझे तुम्हारी गांड मारनी है!
मैंने कहा- मैं सबा नहीं हूँ, मैं तुम लोगों की पर्सनल रंडी हूँ, जब चाहो मुझे चोदो, मेरी गांड मारो… अब तुम लोग मेरे घर पर आकर मुझे जब दिल चाहे चोदना… यह रंडी हमेशा अपनी चूत और गांड तुम लोगों के लिए तैयार रखेगी. लेकिन मेरी एक शर्त है मेरी चूत और गांड की चुदाई साथ में होनी चाहिए!

सब हँसने लगे.

मेरे शौहर ने कहा- एक बार में इतनी बड़ी रंडी बन गई हो?
मैंने कहा- अब देखना मेरा रंडीपना…
फिर हम घर चले आये.

घर आकर पता चला कि मेरी चुदाई की वीडियो बनी है, अब सब लोग आते हैं और मुझे रात भर मेरी गांड और चूत की चुदाई करते हैं. मेरी गांड अब और भी बड़ी हो गई है, मैं पक्की रंडी बन गई हूं.

प्रेषक : कुमार Antarvasna

मेरी पत्नी रीति जिसकी Antarvasna उम्र अब बयालीस वर्ष है और मैं पैंतालीस का हूँ। करीब चार वर्ष पहले हम लोगों ने एक बड़ा ही नया अनुभव किया। आज अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर इतनी कहानियाँ पढ़ने के बाद सोचा कि मन की बात बता ही दूँ। कुछ विवरण और वार्तालाप थोड़े काल्पनिक हैं, इस कहानी को रोचक बनाने के लिए, लेकिन हुआ सब कुछ वैसा ही जैसा लिखा है।

उस समय रीति 38 वर्ष की थी। हमारा यौन-जीवन काफी आनंदमय था और शादी के इतने सालों बाद बहुत ही खुल गए थे। शादी के चौदह वर्षों के बाद नए तरीकों से सेक्स जिंदगी को आनंदमय बनाने का प्रयास करते, जैसे कि रीति का कभी कभी अंग प्रदर्शन, साथ ब्लू फिल्म देखना, जब घर में अकेले हों तो नंगा रहना और वैसे ही खाना खाना साथ में, देर रात को अँधेरे में बालकॉनी में रीति का लगभग नग्न साथ बैठना इत्यादि।

हम सम्भोग के समय बिल्कुल खुली बातें करते, तीसरे पुरुष और स्त्री के बारे में फंतासी करते, एक दूसरे को प्यार भरी गंदी गालियाँ देते और एक दूसरे के अंगों के लिए गंदी बातें करते। लेकिन कभी भी हमने तीसरे पुरुष या स्त्री के साथ सेक्स करने के लिए प्रयास नहीं किया, हम ऐसे ही बहुत खुश थे। हम कभी कभी रात को खाने के बाद गाड़ी में दूर तक चक्कर लगाते और शहर के बाहर हाईवे पर जाते, शहर का नाम नहीं बताऊँगा।

रीति जो काफी भर-पूरे शरीर की है और स्तन जिसके ज्यादा बड़े तो नहीं लेकिन बहुत ही गुदाज और उन्नत हैं, मेरे कहने पर ब्लाऊज़ से निकाल लेती और उनकी घुंडियों तक उन्हें बाहर कर लेती। हमें एक अजीब प्रकार का आनंद प्राप्त होता यह सोच कर कि नजदीक से गुजरने वालों की नजर उन स्तनों पर पड़ती है और रीति और मैं दोनों सेक्स की गर्मी महसूस करते और घर आकर बहुत ही रोमांचक चुदाई का मजा लेते।

एक दो बार हमने देखा कि बाहर सड़क पर चलने वालो की नजर रीति के अधखुले स्तनों पर पड़ी तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गई। रीति के उरोज तो उन्नत थे ही, सबसे ज्यादा सेक्सी थी उसकी जांघें और मोटे नितम्ब। जांघ जैसे कि मोटी शिला की तरह बिल्कुल चिकनी, गोरी और नितम्ब 39 इंच। उन कूल्हों को देख कर किसी का भी मन ख़राब हो सकता है आज भी।

एक दिन देखा कि एक चने वाला अपना सामान समेट कर जाने ही वाला था, तभी रीति ने कहा- हम चना खायेंगे !

मैंने गाड़ी रोकी और उससे मसाला चना लिया जो काफी स्वादिष्ट था। मैंने पूछा- क्या रोज यहाँ आते हो ?

तो उसने बताया- करीब दो हफ्ते से ठेला यहाँ लगा रहा हूँ, उसके पहले कहीं दूसरी जगह लगाता था।

चने वाला अंदाज़ 35 साल का होगा लेकिन शरीर से हट्टा कट्ठा था और बहुत ही साफ़ सुथरा जैसे कि रोज शरीर पर तेल मालिश करता हो, कुछ-कुछ पहलवानों जैसा सुडौल शरीर।

मैंने नाम पूछा तो बताया- सरजू !

हम चना लेकर चले आये। रात को जब रीति के साथ सम्भोग करते हुए उस चने वाले की याद आई तो मैंने अपनी पत्नी से पूछा- सरजू कैसा लगा?

रीति ने कहा- फालतू की बातें मत करो ! और हंसने लगी।

मैंने कहा- कल जब जायेंगे तो उसे भी अपने उरोजों के दर्शन कराना ! पागल हो जाएगा !

रीति ने कहा- चलती गाड़ी में बात और है, गाड़ी रोक कर मैं अपने चूचों को नहीं दिखाऊंगी, कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?

मैंने कहा- क्या उसका शरीर तुम्हें मस्त और मजबूत नहीं लगा?

तो वो मुझे चूमने और काटने लगी। मैं जानता था कि चने वाले की बात याद करके उसे मजा आ रहा था।

हम दो तीन दिन बाद फिर उस तरफ निकलने लगे, रीति से मैंने कहा- तुम्हारी सबसे छोटी और काली वाली जालीदार ब्रा पहनो !

रीति ने पहन तो लिया पर चूचों को दिखाने से मना कर दिया, कहा- गाड़ी रोक कर ऐसा करना खतरनाक होगा !

मैंने कहा- चलो तो !

जाते हुए देखा कि चने वाला ठेला लगाये खड़ा था, लौटते हुए मैंने रीति से कहा कि अपने चूचे बाहर कर ले ! पहले तो तैयार नहीं हुई पर जोर देने पर मान गई, कहा- अगर वहाँ भीड़ होगी तो नहीं खोलूंगी !

रीति अपनी चूचियों को बाहर कर लेती थी लेकिन उन पर साड़ी का पल्लू ढांप कर रखती थी और जब भी मौका दीखता, साड़ी का पल्लू हटा अपने उरोजों का प्रदर्शन करती ! अगर भीड़ बहुत होती तो फिर से ढक लेती।

मैंने दूर से देखा कि ठेले पर कोई नहीं है और सिर्फ चने वाला और उसके साथ एक छोटा लड़का खड़ा है, रोशनी भी वहाँ ज्यादा नहीं थी, रीति ने झिझकते हुए अपने स्तनों को ब्रा से निकाल बाहर किया और साड़ी के पल्लू से ढक लिया।

मैंने गाड़ी रोकी और चने वाले को बुलाया नजदीक और रीति को इशारा किया, रीति ने थोड़ा सा पल्लू हटाया और किनारे से उसके गोरे-गोरे बाएँ तरफ के उरोजों ने हलकी सी झलक दी। शायद चने वाले ने भी देखा।

ऐसा तीन चार बार हमने किया और धीरे धीरे रीति ने अपने उरोजों पर का पल्लू करीब करीब एकदम ही हटाना शुरू कर दिया, अब उसके अधनंगे गोरे और ऊंचे स्तन साफ़ दिखते थे, दिखावा ऐसे करती थी जैसे उसे पता ही नहीं और पल्लू खिसक गया हो।

शायद चने वाला कुछ-कुछ समझ रहा था, अब जब भी गाड़ी वहाँ खड़ी करता, चने वाला दौड़ा आता और चने देने के बहाने वहाँ खड़ा होकर मेरे और रीति से इधर उधर की बातें करने लगता, हम भी थोड़ा निडर हो गए और आनंद लेने लगे।

रीति की झिझक कम हो रही थी, वो पहले से ज्यादा उरोजों का प्रदर्शन चने वाले के लिए करने लगी। अब तो लगभग एक तरफ के चूचे को पूरा ही बाहर निकाल कर उसे दिखाने लगी, चने वाले का ठेला उस तरफ ही होता था जिस ओर रीति बैठती थी यानि कि रीति की बाईं ओर !

चने वाला भी अब समझ गया था।

मैं और मेरी पत्नी चुदाई का बहुत मज़ा ले रहे थे, सरजू का जिक्र होते ही रीति गर्म हो जाती थी और मैंने देखा कि उसकी बूर पानी से भर जाती थी, मुझे दांतों से काटने लगती और सिसकारी भी लेती। हालाकिं किसी दूसरे समय बात करता तो मुझ पर गुस्सा दिखाती।

एक दिन जब गाड़ी रोकी तो देखा कि सरजू चने लेकर आया और उसने मेरी रीति की ओर का दरवाजा खोल कर चने रीति और मेरे हाथ में दिए, पहले वो खिड़की से ही देता था।

मैंने कुछ नहीं कहा, वो रीति से काफी सटकर खड़ा था। अब वो दो-अर्थी भाषा में भी बोलने लगा और रीति को सीधा ही संबोद्धित करता, जैसे एक दिन बोल पड़ा- मेमसाब, मेरा चना आपके लिए स्पेशल तैयार किया है गरमा गरम दिखाऊँ क्या?

इसके आगे की घटना अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़िए शीघ्र ही ! Antarvasna

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